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Incest शरीफ बाप और उसकी शैतान बेटी

Ting ting

Ting Ting
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Dono baap beti shreef bante hue maja le rahe hain, ab baap apni lind ki chusai bhi karwa lega lagta hain. Beti ne bhi chut chatwa liya. Bas ab chudayi se pehle baap ko dudh pilana baki reh gaya.
Ok friend.
Suggestion accepted.
I will try to write as above.
Suggestions are always welcome
 
  • Love
Reactions: Ruhaksin

Ting ting

Ting Ting
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और अगले ही पल मेरी आंखों के सामने पापा का लहराता हुआ लंड नजर आ गया,,,,,,
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मेरी आंखों में चमक आ गई थी आज पहली बार मैं अपने पापा के लंड को बेहद करीब से देख रही थी,,,मैं लंड को देख रही थी और पापा अपनी बेटी की खूबसूरत चेहरे के बदलते हाव भाव को देख रहा था उसकी अनुभवी आंखें अपनी बेटी की आंखों में आई चमक को साफ तौर पर देख रही थी,,, पापा की आंखों में बासना की चमक बढ़ने लगी थी,,, अपनी बेटी की जवानी देख कर उसके अंदर हवस आ गई थी,,, अब पीछे कदम हटाना दोनों के बस में नहीं था,,,,
उत्तेजना के मारे पापा का लंड लार टपका रहा था

जोकि उसके लिंग के छोटे से छेद में से अमृत रस की एक बुंद बनकर उसके लंड की संपूर्ण लंबाई को नाप ते हुए उसकी जड़ को भिगो रहे थे,,,,)
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पापा :- देख रही है सुमन,,,,(अपनी अंदरूनी शक्ति से अपने लंड को आगे पीछे बिना छुए हिलाते हुए) देख कर सब इधर-उधर हो रहा है इसे बहुत दर्द हो रहा है,,,
मैं :- इसे शांत करने का इलाज क्या है पापा,,,,
पापा :- इसे शांत करने का इलाज सिर्फ तेरे पास है,,,
मैं :- मेरे पास,,,,(सुमन अपने पापा के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी बस अनजान बनने का नाटक कर रही थी)
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पापा :-मेरा मतलब है कि तू इसकी मालिश करेगी तो अपने आप शांत हो जाएगा,,,,
मैं :- क्या सच में ऐसा होगा यह नीचे बैठ जाएगा,,,,
पापा :-हां यह नीचे बैठ जाएगा तब इसे पूरा आराम मिल जाएगा,,,, तू करेगी ना मालीश,,,,
मैं :- हां पापा करूंगी लेकिन मालिश क्या पूरे,,,,, मतलब इस सारे। ..... यानि सबकी करनी पड़ेगी,,,(अपने पापा के सामने लंड शब्द कहने में मुझे शर्म आ रही थी इसलिए मेरी शर्म को दूर करते हुए पापा बोले )
पापा :-हां सुमन पूरे लंड पर तेल की मालिश करनी होगी,,,
(यह पहला मौका था जब पापा अपनी बेटी के सामने गंदे शब्दों का प्रयोग कर रहे थे ,,, ऐसा वह समझ रहे थे लेकिन मैं इससे भी ज्यादा गंदी गंदी बातें अपने पापा मम्मी दोनों के मुंह से सुन चुकी थी लेकिन यह सब पापा को नहीं मालूम था और मैं भी अपनी पापा के मुंह से लंड शब्द सुनकर पूरी तरह से ऊतेजना से गदगद हो गई थी,,,।)
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मैं :- लेकिन पापा आप मेरे पिता हैं. मैं आपके लण्ड की मालिश कैसे कर सकती हूँ. (कामवासना की गर्मी में मेरे भी मुंह से लण्ड शब्द निकल गया पर हम दोनों बाप बेटी में से किसी ने भी इस पर कोइ इतराज नहीं किया. ) पापा कोई देख लेगा तो,,,
पापा :-अरे पगली यहां कौन देखने वाला है,,,,, कोई नहीं देखेगा,,,, यहां पर ऐसे भी कौन है,,,,।
(पापा अपनी बेटी को समझाने की पूरी कोशिश कर रहे थे वैसे भी मैं सबको समझ गई थी बस ना समझने का नाटक कर रही थी मेरी निगाह बार-बार अपने पापा के खड़े लंड पर जो कि आसमान की तरफ आंख उठा कर देख रहा था , की तरफ बार-बार चली जा रही थी,,,, पापा को तो मौका मिल ही गया था अपने बेटी के सामने अपने नंगे पन का प्रदर्शन करने का, तभी तो उनके मन में अपनी बेटी के ही प्रति वासना ने जन्म लिया,,,, पापा अपनी लुंगी को अपनी कमर से तो पहले हे अलग कर चुके थे और उनकी चड्डी मैं खुद उतार चुकी थी तो अब पापा कमर के नीचे पूरी तरह से नंगे थे। पापा के लण्ड को हाथ में लेने से मैंने बहुत खुश थी और मैं डामाडोल हो रही थी,,,,बुर से निकल रहे काम रस की वजह से मेरी चड्डी र गीली हो चुकी थी,,,।)
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पापा :-अब सोच क्या रही हो सुमन,,,,, मालिश करो मुझे दर्द से छुटकारा दो,,,,
(मैं अच्छी तरह से जानती है कि पापा किस दर्द की बात कर रहे हैं,,,जब तक पापा के लण्ड से उनका गर्मागर्म माल निकल नहीं जाता पापा को आराम कहाँ मिल सकता था. तो मैं भी बात मानते हुए सरसों के तेल की कटोरी वापस उठा ली और इस बार वह तेल को अपनी हथेली पर ना गिरा कर सीधे सीसी से तेल की धार को लंड की धार पर गिराने लगी,,,,
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पापा पूरी तरह से मस्ती के सागर में डूबता चला जा रहे थे , वो अपनी खूबसूरत बीवी के साथ ना जाने कितनी बार बार वर्षों से चुदाई करता चला आ रहे थे लेकिन आज मेरी वजह से जिस तरह का उत्तेजना का अनुभव उनके अपने बदन में हो रहा था इस अनुभव का अहसास उन्हें कभी नहीं हुआ था,,, और ना तो आज तक उन्होंने इस तरह की मालिश करवाई थी,,,,, देखते ही देखते पापा का लंड सरसों के तेल में पूरी तरह से डूब गया,,,,सरसों के तेल की कटोरी बेड के नीचे रखते हुए बोली,,,)

मैं :- अब,?
पापा :-अब क्या मालिश करो,,,,
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मैं :- मतलब कि कैसे,? पापा मुझे इसकी मालिश करना नहीं आता. मैंने पहले कभी अपने पापा के इस अंग की मालिश कहाँ की है. आपने कभी कहा ही नहीं. सदा मम्मी से ही मालिश करवा लेते थे. आपकी कोई बेटी भी है, शायद यह तो आपको कभी ख्याल भी नहीं आया होगा. अब मैं इसकी मालिश कैसे करूँ.?
(अब पापा मेरे साथ यह सेक्स का खेल तो पहली बार खेलने जा रहे थे तो पहले मेरे को कहाँ से यह मौका देते. पर काम की अग्नि में जब कोई इंसान अँधा हो जाता है तो उसका यही हाल होता है जो अभी हम दोनों बाप बेटी का था.)
पापा :-तुम्हें सब कुछ सिखाना पड़ेगा दोनों हाथ से इसी तरह से तो की जाती है मालिश। ऐसा करो की पहले अपने एक हाथ में लण्ड की जड़ से पकड़ लो और फिर दूसरा हाथ पहले हाथ के ऊपर लौड़े पर रख लो। इस तरह काफी हिस्सा तुम्हारे हाथ में आ जायेगा. फिर पूरे लौड़े की लम्बाई में लण्ड की जड़ से लेकर ऊपर सुपारे तक मालिश करो. तुम्हारी मम्मी भी ऐसे ही मालिश करती है.
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(पापा अपनी जवान बेटी को अपने लौड़े की मालिश करना सीखा रहे थे और मैं भी किसी अच्छे और आज्ञाकारी बच्चे की तरह सीख रही थी. अब हम दोनों ही खुल कर गंदे और खुले लण्ड लौड़ा आदि शब्दों का प्रयोग कर रहे थे.)
मैं :- ठीक है पापा,,,
पापा :-कर लोगी ना,,,, देखो तुमने मुझसे वादा की हो की मुझे तुम्हारी मम्मी की कमी महसूस नहीं होने दोगी,,,,
मैं :- बिल्कुल नहीं पापा मम्मी से भी अच्छी तरह से मालिश करूंगी,,,,
पापा :-तो देर किस बात की है शुरू हो जाओ ताकि जल्द से जल्द मैं इस दर्द से निजात पा सकूं,,,,
मैं :- ठीक है पापा,,,,
(और इतना कहने के साथ ही मैं अपने कांपते हाथों को आगे बढ़ा कर अपनी पापा के लण्ड को दोनों हाथों से थाम ली और उसे हल्के हल्के मालिश करने लगी मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था , समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है, मैं अपनी पापा की चुदाई भले ही देखा करती थी लेकिन कभी सोची नहीं थी कि इस तरह से मैं अपने पापा के लंड की मालिश कर पाऊँगी ,,,,, उत्तेजना से मेरी बुर का हाल बुरा था,,,. धीरे-धीरे मैं अच्छे से मालिश करने लगी थी पापा के लंड की मोटाई अपनी पूरी हथेली महसूस कर रही थी उसके लंड की गर्मी से मेरी गर्म बुर पिघल रही थी,,,,,,, पापा का पूरा वजूद मस्ती के सागर में गोते लगा रहा था वह पूरी तरह से सातवें आसमान में उड़ता हुआ महसूस कर रहे थे ,,, वह कभी सोचे नहीं थे कि उनकी बेटी उन्हें इतना मजा देगी,,,,आज वह अपनी बेटी के हाथों की हरकत को अपने तने हुए लण्ड पर महसूस करके अपनी खूबसूरत बीवी को भूल चुके थे ,,,,, रिश्ते नातों को वह एक तरफ रख कर मर्द और औरत का खेल खेल रहे थे अपनी ही बेटी के साथ. ।
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अपने पापा के लंड की मालिश करने में मेरे को और ज्यादा मजा आ रहा था,,,, मैं अपनी दोनों हथेली को ऊपर नीचे करके अपने पापा के लंड को पकड़े हुए थी अपने मन में यही सोच रही थी कि मेरे पापा का भी लंड लाजवाब है,,,। मैं अपने मन में यही सोच रही थी कि,,, यहीं लंड मेरी मम्मी की बुर में जाता है वह कितना मस्त हो जाती हैं,,, कितने मजे लेने कर इसी लंड को अपनी बुर में लेती है,,,, जरूर पापा मम्मी को पूरी तरह से मजा देते हैं,,,, और यही मजा मैं खुद लेना चाहती थी,,,, और इस समय मैं पूरी तरह से हकदार भी थी ,,,,।
पापा का लंड पूरी तरह से सरसों के तेल में सना हुआ था,, सरसों का तेल पाकर पापा का लंड और ज्यादा बलवान हो गया था,,,, पापा को अपने ऊपर पूरी तरह से विश्वास था वह अच्छी तरह से जानते थे कि अगर उनकी बेटी उनके लिए अपनी दोनों टांगे खोल देगी तो वह अपने लंड से उसे पूरी तरह से मस्त कर देंगे ,,,, और अभी तक अपनी बेटी की सहमति को देखते हुए उन्हें विश्वास हो गया था कि उनकी बेटी जरूर उन्हें आज मस्त कर देगी,,,, मेरे हाथों में पापा को जादू सा महसूस हो रहा था,,,, इसलिए उनके मुंह से ना चाहते हुए भी हल्की-हल्की मस्ती भरी सिसकारी की आवाज फुट पड रही थी जिसे सुनकर मैं और ज्यादा मस्त हुई जा रही थी,,,,।
पापा :-आहहहहहहह आहहहहहह ओहहहहहहह,,, सुमन तुम्हारे हाथों में तो जादू है,,,,
मैं :- क्यों पापा,,,,,
पापा :-बहुत आराम मिल रहा है,,,,
मैं :- मैं कहती थी ना मम्मी से भी अच्छा मालिश करूंगी,,,, मैं कर तो रही हूं ना,,,मम्मी भी ऐसे ही करती है न? क्या मेरी मालिश ठीक है?,
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पापा :-हां सुमन तुम अपनी मम्मी से भी अच्छा कर रही हो,,,, ऐसा आराम तो मुझे कभी नहीं मिला,,,,,आहहहहहहह,,,,,,

(सरसों के तेल में सना हुआ पापा का लंड और ज्यादा चमक रहा था मैं उत्तेजना के मारे पापा के लंड को अपनी हथेली में जोर जोर से दबा दे रही थी,,,, मुसल जैसे लंड को अपनी हथेली में पकड़ कर मैं अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी , मेरी बुर कुल बुला रही थी उसे अपने अंदर लेने के लिए,,,, मेरा मन कर रहा था कि अपनी स्कर्ट उतार कर अपने पापा के लंड पर अपनी बुर को रख दूँ और उसे अपने अंदर ले लूँ ,,,, और शायद मेरा यह करना मेरे पापा को जरा भी हैरानी महसूस नहीं होने देता क्योंकि उनका भी दिल यही चाहता था लेकिन इस तरह की हिम्मत करने कि उन्हें अभी जरूरत बिल्कुल भी नहीं थी , मैं नहीं चाहती थी कि पापा को किसी भी प्रकार की भनक हो की मैं खुद इस खेल को खेलना चाहती हूँ ,,, इसलिए मैं अपने पापा के लंड की मालिश करते हुए बोली,,,।
 

insotter

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और अगले ही पल मेरी आंखों के सामने पापा का लहराता हुआ लंड नजर आ गया,,,,,,
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मेरी आंखों में चमक आ गई थी आज पहली बार मैं अपने पापा के लंड को बेहद करीब से देख रही थी,,,मैं लंड को देख रही थी और पापा अपनी बेटी की खूबसूरत चेहरे के बदलते हाव भाव को देख रहा था उसकी अनुभवी आंखें अपनी बेटी की आंखों में आई चमक को साफ तौर पर देख रही थी,,, पापा की आंखों में बासना की चमक बढ़ने लगी थी,,, अपनी बेटी की जवानी देख कर उसके अंदर हवस आ गई थी,,, अब पीछे कदम हटाना दोनों के बस में नहीं था,,,,
उत्तेजना के मारे पापा का लंड लार टपका रहा था

जोकि उसके लिंग के छोटे से छेद में से अमृत रस की एक बुंद बनकर उसके लंड की संपूर्ण लंबाई को नाप ते हुए उसकी जड़ को भिगो रहे थे,,,,)
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पापा :- देख रही है सुमन,,,,(अपनी अंदरूनी शक्ति से अपने लंड को आगे पीछे बिना छुए हिलाते हुए) देख कर सब इधर-उधर हो रहा है इसे बहुत दर्द हो रहा है,,,
मैं :- इसे शांत करने का इलाज क्या है पापा,,,,
पापा :- इसे शांत करने का इलाज सिर्फ तेरे पास है,,,
मैं :- मेरे पास,,,,(सुमन अपने पापा के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी बस अनजान बनने का नाटक कर रही थी)
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पापा :-मेरा मतलब है कि तू इसकी मालिश करेगी तो अपने आप शांत हो जाएगा,,,,
मैं :- क्या सच में ऐसा होगा यह नीचे बैठ जाएगा,,,,
पापा :-हां यह नीचे बैठ जाएगा तब इसे पूरा आराम मिल जाएगा,,,, तू करेगी ना मालीश,,,,
मैं :- हां पापा करूंगी लेकिन मालिश क्या पूरे,,,,, मतलब इस सारे। ..... यानि सबकी करनी पड़ेगी,,,(अपने पापा के सामने लंड शब्द कहने में मुझे शर्म आ रही थी इसलिए मेरी शर्म को दूर करते हुए पापा बोले )
पापा :-हां सुमन पूरे लंड पर तेल की मालिश करनी होगी,,,
(यह पहला मौका था जब पापा अपनी बेटी के सामने गंदे शब्दों का प्रयोग कर रहे थे ,,, ऐसा वह समझ रहे थे लेकिन मैं इससे भी ज्यादा गंदी गंदी बातें अपने पापा मम्मी दोनों के मुंह से सुन चुकी थी लेकिन यह सब पापा को नहीं मालूम था और मैं भी अपनी पापा के मुंह से लंड शब्द सुनकर पूरी तरह से ऊतेजना से गदगद हो गई थी,,,।)
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मैं :- लेकिन पापा आप मेरे पिता हैं. मैं आपके लण्ड की मालिश कैसे कर सकती हूँ. (कामवासना की गर्मी में मेरे भी मुंह से लण्ड शब्द निकल गया पर हम दोनों बाप बेटी में से किसी ने भी इस पर कोइ इतराज नहीं किया. ) पापा कोई देख लेगा तो,,,
पापा :-अरे पगली यहां कौन देखने वाला है,,,,, कोई नहीं देखेगा,,,, यहां पर ऐसे भी कौन है,,,,।
(पापा अपनी बेटी को समझाने की पूरी कोशिश कर रहे थे वैसे भी मैं सबको समझ गई थी बस ना समझने का नाटक कर रही थी मेरी निगाह बार-बार अपने पापा के खड़े लंड पर जो कि आसमान की तरफ आंख उठा कर देख रहा था , की तरफ बार-बार चली जा रही थी,,,, पापा को तो मौका मिल ही गया था अपने बेटी के सामने अपने नंगे पन का प्रदर्शन करने का, तभी तो उनके मन में अपनी बेटी के ही प्रति वासना ने जन्म लिया,,,, पापा अपनी लुंगी को अपनी कमर से तो पहले हे अलग कर चुके थे और उनकी चड्डी मैं खुद उतार चुकी थी तो अब पापा कमर के नीचे पूरी तरह से नंगे थे। पापा के लण्ड को हाथ में लेने से मैंने बहुत खुश थी और मैं डामाडोल हो रही थी,,,,बुर से निकल रहे काम रस की वजह से मेरी चड्डी र गीली हो चुकी थी,,,।)
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पापा :-अब सोच क्या रही हो सुमन,,,,, मालिश करो मुझे दर्द से छुटकारा दो,,,,
(मैं अच्छी तरह से जानती है कि पापा किस दर्द की बात कर रहे हैं,,,जब तक पापा के लण्ड से उनका गर्मागर्म माल निकल नहीं जाता पापा को आराम कहाँ मिल सकता था. तो मैं भी बात मानते हुए सरसों के तेल की कटोरी वापस उठा ली और इस बार वह तेल को अपनी हथेली पर ना गिरा कर सीधे सीसी से तेल की धार को लंड की धार पर गिराने लगी,,,,
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पापा पूरी तरह से मस्ती के सागर में डूबता चला जा रहे थे , वो अपनी खूबसूरत बीवी के साथ ना जाने कितनी बार बार वर्षों से चुदाई करता चला आ रहे थे लेकिन आज मेरी वजह से जिस तरह का उत्तेजना का अनुभव उनके अपने बदन में हो रहा था इस अनुभव का अहसास उन्हें कभी नहीं हुआ था,,, और ना तो आज तक उन्होंने इस तरह की मालिश करवाई थी,,,,, देखते ही देखते पापा का लंड सरसों के तेल में पूरी तरह से डूब गया,,,,सरसों के तेल की कटोरी बेड के नीचे रखते हुए बोली,,,)

मैं :- अब,?
पापा :-अब क्या मालिश करो,,,,
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मैं :- मतलब कि कैसे,? पापा मुझे इसकी मालिश करना नहीं आता. मैंने पहले कभी अपने पापा के इस अंग की मालिश कहाँ की है. आपने कभी कहा ही नहीं. सदा मम्मी से ही मालिश करवा लेते थे. आपकी कोई बेटी भी है, शायद यह तो आपको कभी ख्याल भी नहीं आया होगा. अब मैं इसकी मालिश कैसे करूँ.?
(अब पापा मेरे साथ यह सेक्स का खेल तो पहली बार खेलने जा रहे थे तो पहले मेरे को कहाँ से यह मौका देते. पर काम की अग्नि में जब कोई इंसान अँधा हो जाता है तो उसका यही हाल होता है जो अभी हम दोनों बाप बेटी का था.)
पापा :-तुम्हें सब कुछ सिखाना पड़ेगा दोनों हाथ से इसी तरह से तो की जाती है मालिश। ऐसा करो की पहले अपने एक हाथ में लण्ड की जड़ से पकड़ लो और फिर दूसरा हाथ पहले हाथ के ऊपर लौड़े पर रख लो। इस तरह काफी हिस्सा तुम्हारे हाथ में आ जायेगा. फिर पूरे लौड़े की लम्बाई में लण्ड की जड़ से लेकर ऊपर सुपारे तक मालिश करो. तुम्हारी मम्मी भी ऐसे ही मालिश करती है.
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(पापा अपनी जवान बेटी को अपने लौड़े की मालिश करना सीखा रहे थे और मैं भी किसी अच्छे और आज्ञाकारी बच्चे की तरह सीख रही थी. अब हम दोनों ही खुल कर गंदे और खुले लण्ड लौड़ा आदि शब्दों का प्रयोग कर रहे थे.)
मैं :- ठीक है पापा,,,
पापा :-कर लोगी ना,,,, देखो तुमने मुझसे वादा की हो की मुझे तुम्हारी मम्मी की कमी महसूस नहीं होने दोगी,,,,
मैं :- बिल्कुल नहीं पापा मम्मी से भी अच्छी तरह से मालिश करूंगी,,,,
पापा :-तो देर किस बात की है शुरू हो जाओ ताकि जल्द से जल्द मैं इस दर्द से निजात पा सकूं,,,,
मैं :- ठीक है पापा,,,,
(और इतना कहने के साथ ही मैं अपने कांपते हाथों को आगे बढ़ा कर अपनी पापा के लण्ड को दोनों हाथों से थाम ली और उसे हल्के हल्के मालिश करने लगी मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था , समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है, मैं अपनी पापा की चुदाई भले ही देखा करती थी लेकिन कभी सोची नहीं थी कि इस तरह से मैं अपने पापा के लंड की मालिश कर पाऊँगी ,,,,, उत्तेजना से मेरी बुर का हाल बुरा था,,,. धीरे-धीरे मैं अच्छे से मालिश करने लगी थी पापा के लंड की मोटाई अपनी पूरी हथेली महसूस कर रही थी उसके लंड की गर्मी से मेरी गर्म बुर पिघल रही थी,,,,,,, पापा का पूरा वजूद मस्ती के सागर में गोते लगा रहा था वह पूरी तरह से सातवें आसमान में उड़ता हुआ महसूस कर रहे थे ,,, वह कभी सोचे नहीं थे कि उनकी बेटी उन्हें इतना मजा देगी,,,,आज वह अपनी बेटी के हाथों की हरकत को अपने तने हुए लण्ड पर महसूस करके अपनी खूबसूरत बीवी को भूल चुके थे ,,,,, रिश्ते नातों को वह एक तरफ रख कर मर्द और औरत का खेल खेल रहे थे अपनी ही बेटी के साथ. ।
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अपने पापा के लंड की मालिश करने में मेरे को और ज्यादा मजा आ रहा था,,,, मैं अपनी दोनों हथेली को ऊपर नीचे करके अपने पापा के लंड को पकड़े हुए थी अपने मन में यही सोच रही थी कि मेरे पापा का भी लंड लाजवाब है,,,। मैं अपने मन में यही सोच रही थी कि,,, यहीं लंड मेरी मम्मी की बुर में जाता है वह कितना मस्त हो जाती हैं,,, कितने मजे लेने कर इसी लंड को अपनी बुर में लेती है,,,, जरूर पापा मम्मी को पूरी तरह से मजा देते हैं,,,, और यही मजा मैं खुद लेना चाहती थी,,,, और इस समय मैं पूरी तरह से हकदार भी थी ,,,,।
पापा का लंड पूरी तरह से सरसों के तेल में सना हुआ था,, सरसों का तेल पाकर पापा का लंड और ज्यादा बलवान हो गया था,,,, पापा को अपने ऊपर पूरी तरह से विश्वास था वह अच्छी तरह से जानते थे कि अगर उनकी बेटी उनके लिए अपनी दोनों टांगे खोल देगी तो वह अपने लंड से उसे पूरी तरह से मस्त कर देंगे ,,,, और अभी तक अपनी बेटी की सहमति को देखते हुए उन्हें विश्वास हो गया था कि उनकी बेटी जरूर उन्हें आज मस्त कर देगी,,,, मेरे हाथों में पापा को जादू सा महसूस हो रहा था,,,, इसलिए उनके मुंह से ना चाहते हुए भी हल्की-हल्की मस्ती भरी सिसकारी की आवाज फुट पड रही थी जिसे सुनकर मैं और ज्यादा मस्त हुई जा रही थी,,,,।
पापा :-आहहहहहहह आहहहहहह ओहहहहहहह,,, सुमन तुम्हारे हाथों में तो जादू है,,,,
मैं :- क्यों पापा,,,,,
पापा :-बहुत आराम मिल रहा है,,,,
मैं :- मैं कहती थी ना मम्मी से भी अच्छा मालिश करूंगी,,,, मैं कर तो रही हूं ना,,,मम्मी भी ऐसे ही करती है न? क्या मेरी मालिश ठीक है?,
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पापा :-हां सुमन तुम अपनी मम्मी से भी अच्छा कर रही हो,,,, ऐसा आराम तो मुझे कभी नहीं मिला,,,,,आहहहहहहह,,,,,,

(सरसों के तेल में सना हुआ पापा का लंड और ज्यादा चमक रहा था मैं उत्तेजना के मारे पापा के लंड को अपनी हथेली में जोर जोर से दबा दे रही थी,,,, मुसल जैसे लंड को अपनी हथेली में पकड़ कर मैं अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी , मेरी बुर कुल बुला रही थी उसे अपने अंदर लेने के लिए,,,, मेरा मन कर रहा था कि अपनी स्कर्ट उतार कर अपने पापा के लंड पर अपनी बुर को रख दूँ और उसे अपने अंदर ले लूँ ,,,, और शायद मेरा यह करना मेरे पापा को जरा भी हैरानी महसूस नहीं होने देता क्योंकि उनका भी दिल यही चाहता था लेकिन इस तरह की हिम्मत करने कि उन्हें अभी जरूरत बिल्कुल भी नहीं थी , मैं नहीं चाहती थी कि पापा को किसी भी प्रकार की भनक हो की मैं खुद इस खेल को खेलना चाहती हूँ ,,, इसलिए मैं अपने पापा के लंड की मालिश करते हुए बोली,,,।
Nice update bro 👍
 
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