• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest यह क्या हुआ

xforum

Welcome to xforum

Click anywhere to continue browsing...

Ek number

Well-Known Member
8,986
19,275
173
पदमा, कुर्ता पहनकर, जो सिर्फ उसकी टांगो तक आ रहा था, को पहनकर ऊपर से खाट पे रखा कंबल लपेट लिया और खाट के एक किनारे पे बैठ गया।
इधर राजेश सिर्फ धोती में था। वह भी खाट के दूसरे किनारे पे बैठ गया।
कुछ देर बाद,,,,
पदमा _बेटा अब तो जोरो की भूख लगने लगी है।
राजेश _हा ताई मुझे भी।
पदमा _बेटा अब यहां मूंगफली के सिवा खाने के लिए कुछ है नही। बोरी से मूंगफली निकाल कर ले आओ, आज उसी से काम चलाना पड़ेगा।
राजेश _जी ताई।
झोपड़ी के बाहर अभी भी तेज़ हवाएं चल रही थी। बारिश हो रही थी और बिजली कड़क एवम बादल गरज रहा था।
राजेश ने बोरी से एक बांस के बने टोकरी में मूंगफली निकाला और उसे ले आया, खाट पे दोनो के बीच रख दिया।
पदमा और राजेश दोनो मुगफली खाने लगे।
पदमा _बेटा घर वाले भी हमारी चिन्ता कर रहे होंगे। पता नही भुवन भी घर पहुंचा है की नही।
उन्हे फोन लगा कर पता तो करो।
राजेश _जी ताई।
राजेश ने भुवन को काल करने की कोशिश की लेकिन मौसम खराब होने की वजह से काल लगा ही नहीं, उसने पुनम के पास भी लगाया,, उनसे भी बात नही हो पाई।
राजेश _ताई, मौसम खराब होने की वजह से मोबाइल भी काम नही कर रहा है।
दोनो ने पेट भर मूंगफली खाया।
फिर मटके में रखे पानी पी कर खाट में बैठ गए।
पदमा _बेटा ये बारिश तो रुकने का नाम ही नही ले रही है, लगता है रात भर ऐसे ही गुजारना पड़ेगा।
राजेश _ताई आप खाट पे लेट जाओ।
पदमा _बेटा और तुम।
राजेश _ताई मुझे तो पढ़ाई करते हुए रात में जगने की आदत है।
पदमा _आप सो जाइए।
पदमा खाट पे लेट गया।
खाट छोटा था। एक तकिया था। खाट पे एक पतला गद्दा बिछा था।
पदमा खाट पे लेट गया और कंबल को ओढ़ लिया।
राजेश खाट के किनारे थोड़ी जगह थी वहा बैठ गया।
इधर झोपड़ी पर ठंडकता बढ़ती ही जा रही थी।
राजेश सिर्फ धोती ही पहना था, उसका बदन ऊपर से नंगा था।
राजेश को भी ठंडकता महसूस होने लगी। वह अपने दोनो हाथों को रगड़ने लगा।
जिसे पदमा को पता चला की राजेश को ठंड लग रहा है।
पदमा _बेटा ठंडी बहुत बड़ गई है, रात भर ऐसे ही खुले बदन रहोगे तो तुम बीमार पड़ सकते हो, तुम भी आ जाओ खाट पे लेट जाओ। और कंबल ओढ़ लो।
राजेश _ ताई कंबल तो बड़ा है पर खाट पे तो जगह बहुत कम है।
पदमा _बेटा, किसी तरह दोनो एडजेस्ट हो जायेंगे। मुझे बिल्कुल अच्छा नही लग रहा है तुम्हे ठंड से ठिठुरते देख कर ।
राजेश _ठीक है ताई।
राजेश खाट के किनारे से उठा।
पदमा दूसरे तरफ थोडा खिसकी, राजेश ने कंबल थोडा हटाया और वह खाट पे लेट गया। दोनो एक दूसरे की और पीठ करके करवट लेकर लेट गए औरकंबल को ओढ़ लिए।
दोनो का पीठ एक दूसरे से चिपका huwa था।
कुछ देर बाद,,,
पदमा _बेटा अब तुम्हे ठंड तो नही लग रही है
राजेश _नही ताई, अब तो बिलकुल ठंड नही लग रही है।
तभी राजेश के फोन पे पुनम का काल आया ।
पुनम _ राजेश तुम लोग कहा हो?
राजेश _भौजी हम लोग तो खेत के झोपड़े में ही है, बाहर का मौसम बहुत खराब है हम घर नही आ पा रहे। मैने कई बार फोन लगाया पर मौसम खराब होने के कारण लग ही नहीं पा रहा था ।
पुनम _हा राजेश मैं भी कब से, ट्राई कर रही थी, पर लग नही पा रहा था।
तुम लोग कैसे हो? हम लोगो को बड़ी चिन्ता हो रही थी।
राजेश _भौजी हम लोगो बिलकुल ठीक है, तुम लोग हमारी चिन्ता मत करो ।
तभी,, पदमा ने कहा,,
पदमा_बेटा किसका फोन है?
पुनम _ताई, भौजी बात कर रही है। कह रही है वो हम लोगो को लेकर चिंतित है।
पदमा _अच्छा बेटा दिखाओ फोन को मुझे बात करने दो,,
पदमा राजेश की ओर घूम गई।
राजेश _भौजी लो, ताई से बात करो, कहते हुवे वह भी, पदमा की ओर घूम गया।
राजेश _लो ताई भौजी से बात करो।
दोनो पेट एक एक दूसरे से चिपक गए। पदमा की छातियां राजेश की सीने से एकदम से सट गया।
इस पर ध्यान न देते हुए पदमा, पुनम से बात करने लगी।
पदमा _अरे बहु, घर में सब ठीक तो है न।
पुनम _हा, मां जी हम सब ठीक है।
पदमा _भुवन घर आया है की नही।
पुनम _नही मां जी वह भी बारिश में फसा है, उनसे बात हुई है वह अब सुबह ही आयेंगे। वह शहर में कहीं ठहरा हुआ है।
पदमा _और तुम्हारे ससुर जी का नशा उतरा है की नही।
पुनम _उतर चुका है मां जी, उसे भी आप लोगो की चिन्ता हो रही थी।
लो बापू जी से बात करो।
केशव _अरे पदमा तुम लोग ठीक तो हो न।
पदमा _हा जी हम लोग ठीक तो है पर मौसम बहुत खराब है लगता है हमे रात भर झोपड़े में ही रहना पड़ेगा।
केशव _अरे पदमा ऐसे मौसम में रात में घर आना ठीक नही है। तुम लोग कल सुबह ही घर आना। किसी तरह आज की रात झोपड़े में ही कांट लो।

पदमा _ठीक है जी।
उधर पदमा, बात चीत में लगी थी।
उसका शरीर राजेश के सीने से एकदम से चिपका हुआ था, उसका एहसास भी नहीं था।
इधर राजेश की नाक में एक जनाना बदन की खुशबू नाक पे, पहुंचते ही उसका बदन गर्माने लगा। राजेश को पदमा की बड़ी बड़ी चूचियां जो उसके सीने में दबा huwa था।
राजेश का बेचैनी बढ़ाने लगा।
जो मूंगफली उसने खाया था वह भी असर दिखाने लगा
राजेश का land धीरे धीरे टन टनाने लगा।
दोनो के बदन कंबल से ढका हुआ था, केवल सिर ही बाहर निकले हुवे थे।
पदमा बातचीत में लगी हुई थी, इधर राजेश का land धोती के अंदर तन चुका था।
वैसे भी राजेश ने काफी दिनो से किसी औरत को भोगा नही था, उसका भी असर था।
जो उसके शरीर में जोश भर रहा था। आखिर राजेश भी एक मर्द था एक जनाना उसके शरीर से इस तरह चिपका huwa हो, ऊपर से मूंगफली की गर्मी, उम्र का प्रभाव, लंबे समय तक संभोग न करना, ये सब कारण से राजेश के न चाहने पर भी उसके land पर उसका नियंत्रण न रहा और राजेश का land तनकर लंबा और मोटा हो गया।
मोबाइल पर बात चीत बंद होने के बाद।
राजेश _ताऊ जी क्या बोल रहे थे ताई?
पदमा _राजेश बेटा तुम्हारे ताऊ जी कह रहे थे मौसम बड़ा खराब है, झोपड़े से बाहर मत निकलना, कल सुबह ही घर आना। आज रात किसी तरह झोपड़े में ही कांटने को बोले।
राजेश _हा ताई इसके अलावा और कोइ चारा तो है नही।
दोनो आंखे बंद कर सोने की कोशिश करने लगे।
कुछ देर बाद पदमा को अहसास huwa की उसके पेट में कुछ चुभ रहा है।
उसे पता चल गया कि राजेश उत्तेजित हो गया है। उसे बहुत ही लज्जित महसूस होने लगी।
वह करवट लेकर लेट गई।
राजेश वैसा ही लेटा रहा।
राजेश का land अब पदमा के गाड़ को चुभने लगा।
पदमा की हालत खराब होने लगी।
केशव पदमा की माह में एकात बार ही चोदता था।
वह भी पदमा के पहल करने पर, कभी कभी जब पदमा की बहुत अधिक ईच्छा होती थी तो ख़ुद ही पहल करती थी ।
इधर पदमा एक तरफ लज्जित महसूस कर रही थी तो दूसरे तरफ एक मोटे land के अहसास से उसका शरीर गर्माने लगा।
वह राजेश को इस विषय में कुछ कह भी नहीं सकता था।
इधर राजेश ने एक हाथ पे अपना सिर रखा huwa था तो दूसरा हाथ पदमा के पेट पे रख दिया जिससे पदमा सिहर उठी।
पदमा सिर्फ कुर्ता पहनी थी और कुछ नही।
पदमा एकदम खामोश थी, वह बहुत ही अजीब परिस्थिति में फस गई थी। वह बिल्कुल खामोश थी।
कुछ देर दोनो ऐसे ही लेटे रहे।
फिर राजेश सीधा होकर पीठ के बल लेट गया।
उसका land एकदम तनकर सीधा खड़ा huwa था।
वह उठ कर बैठ गया।
पदमा _क्या huwa बेटा नींद नहीं आ रही क्या?
राजेश _ताई, मुझे पेसाब लगी है?
पदमा _बेटा, जरा झोपड़ी का दरवाजा खोल कर देखो।
बारिश कम हुई क्या?
राजेश ने दरवाजा खोल कर देखा तो बारिश अभी भी हो रही थी और तेज़ हवा भी चल रही थी।
राजेश _ताई बारिश तो अभी भी हो रही है।
ताई छतरी तो है, इसे लेकर चला जाता हूं।
पदमा _अरे बेटा इस छतरी में दम नहीं है, पुरानी हो चुकी है, तेज़ हवा में छतरी पलट जाएगी।
राजेश _ ओह, लगता है बारिश रुकने का इन्तजार करना पड़ेगा।
पदमा _जोरो की लगी है क्या?
चलो मैं तुम्हारे साथ चलती हूं मैं छतरी सम्हालूंगी , तुम पेसब कर लेना।
राजेश _पर ताई आपके सामने, मुझे शर्म आयेगी।
पदमा _अरे बेटा मैं मै मुंह दूसरी ओर कर लूंगा।
राजेश _ठीक है ताई,,
पदमा भी कंबल से बाहर निकल आई और सिर्फ कुर्ता पहने राजेश के साथ छतरी में झोपड़ी से बाहर निकली।
पदमा _बेटा बाहर तो एकदम अंधेरा है कुछ दिख ही नहीं रहा है।
राजेश _ताई, मैं अपने मोबाइल का टार्च ऑन करता हूं।
राजेश ने मोबाइल का टार्च ऑन किया।
पदमा _बेटा झोपड़ी से ज्यादा दूर जाने की जरूरत नही यहीं कर लो।
दो छतरी को मुझे दो।
पदमा ने छतरी को अच्छे से पकड़े रखा ताकि हवा से छतरी उल्टे मत।
पदमा ने अपना मुंह दूसरी ओर करते हुए कहा।
लो बेटा अब जल्दी करो नही तो हम भीग जायेंगे।
राजेश _ठीक है ताई।
राजेश ने अपना धोती से land बाहर निकाला जो एक दम खड़ा huwa था। उसने मूतने की कोशिश की, लेकिन land खड़ा होने के कारण मूत ठीक से बाहर नहीं आ पा रहा था।
पदमा _क्या huwa बेटा जल्दी करो?
राजेश _जी ताई।
राजेश ने अपने land को अपने हाथो से पकड़ कर हिलाने लगा, थोड़ी देर बाद रुक रुक कर पेशाब आ ने लगी।
पेशाब, पेड़ के पत्ते पर पड़ने से चर चर की रुक रुक कर आवाज़ आता, जिसे सुनकर पदमा की शरीर में एक अजीब सी हलचल होने लगी।

जब आवाज़ आना बंद huwa।
पदमा _हो गया क्या बेटा?
राजेश _हा ताई।
चलो अब चलते है, नही तो भीग जायेंगे।
पदमा _बेटा थोडा रुको।
राजेश _क्या huwa ताई?
पदमा _बेटा पेशाब तो मुझे भी लगी है?
राजेश _तो आप भी कर लीजिए, दो छतरी को मुझे दो।
पदमा _पर बेटा मुझे बड़ी शर्म आ रही है, तुम्हारे सामने,

राजेश _जैसे मैने आपके सामने किया वैसे ही तुम भी कर लो, यह हम दोनो के सिवा कोई तीसरा तो है नही। लो मैं अपना मुंह दूसरी ओर कर लिया आप जल्दी से कर लो।
पदमा _ठीक है बेटा।
पदमा नीचे उकडु बैठ गई और कुर्ता को थोडा उठा दी।
फिर मूतना शुरू कर दी। पेशाब की तेज़ धार पेड़ के पत्ते पर पड़ने से चर,,,,,,,,,,, की आवाज़ आने लगी। यह आवाज सुनकर राजेश का land फिर से तनकर खड़ा हो गया।
इधर पेशाब करने के बाद लज्जित महसूस करते हुए पदमा बोली,,
बेटा अब चलो जल्दी झोपड़ी में, नही तो भीग जायेंगे। बाहर की ठंडी हवाओं से दोनो के शरीर कपकपाने लगे थे।
दोनो झोपड़ी के अंदर आए।
राजेश ने झोपड़ी का दरवाजा अच्छे से बंद कर दिया।
इधर पदमा खाट जाकर लेट गई और कंबल ओढ़ लिया।
पदमा _बेटा तुम भी आ जाओ, बाहर बहुत ठंडी है
राजेश भी खाट के एक किनारे लेट गया और कंबल ओढ़ लिया।
पदमा ने राजेश की ओर पीठ करके करवट लेकर लेट गई।
राजेश सीधा लेट कर लेट गया, था।
राजेश land तना हुआ था। वह एक हाथ से अपना land सहलाने लगा।
उसे chudai करने की बड़ी ईच्छा हो रही थी।
उसे एक जनाना के शरीर से चिपकने का मन कर रहा था।
वह पदमा की ओर करवट लेकर लेट गया।
जिससे उसका land पदमा की गाड़ में चुभने लगा।

पदमा को जब मोटे land का फिर से अहसास huwa तो उसका शरीर फिर से गर्माने लगा।
इधर राजेश तो उत्तेजित था ही उसे चोदने के लिए बुर चाहिए था।
उसने अपना एक हाथ पदमा के पेट पर रख दिया। जिससे पदमा का पूरा शरीर कपकपा गया।
वह राजेश से कुछ कह भी नहीं सकती थी।
इधर राजेश को जानना शरीर से चिपकने का बड़ा मन कर रहा था वह पदमा के शहरी से एकदम से सट गया।
जिससे उसका land धोती के ऊपर से ही पदमा की बुर पे दस्तक देने लगा। पदमा का शरीर सिहर उठा।
वह खामोश ही रही जैसे कुछ हुआ ही नहीं।
इधर राजेश का हिम्मत बढ़ने लगा, वह पदमा का पेट कुर्ता के ऊपर से ही सहलाने लगा।
पदमा के सरीर में सिहरन डी दौड़ने लगी।
उधर राजेश अपने land ka दबाव हल्के हल्के पदमा के बुर पर बढ़ाने लगा।
राजेश की हरकतों से पदमा की बुर पानी छोड़ने लगी।
इधर राजेश हल्का हल्का अपना क़मर हिला हिला अपना land कपड़े के ऊपर से ही बुर मे ढकलने लगा, जैसे वह बुर चोद रहा हो।
पदमा भी उत्तेजित हो चुकी थी।वह खामोश रही।
जिससे राजेश का हौसला और बढ़ गया। वह अपने हाथ को पेट से हटा कर ऊपर उसकी चूचियों पर रख दिया।
चुचियों पर हाथ रखते ही, पदमा ने राजेश का हाथ पकड़ लिया।
वैसे ही कुछ देर दोनो रुके रहे।
फिर राजेश ने उसकी चुचियों को कुर्ते के ऊपर से ही मसलना सुरू किया।
पदमा के मुंह से हल्की हल्की मादक सिसकारी, निकलने लगी।
राजेश ने अपना land धोती से बाहर निकाल लिया और पदमा की कुर्ता को थोडा ऊपर उठा कर land को उसकी टांगो के बीच घुसा दिया।
और हल्के हल्के धक्के लगाने लगा।
Land बुर को बाहर से रगड़ने लगा, जिससे बुर से पानी रिसने लगा।
एक हाथ से पदमा की बड़ी बड़ी चूचियां को मसलने का काम जारी रखा। राजेश के इन हरकतों से पदमा अत्यंत गर्म हो गई।
राजेश को इस बात का जब अहसास हुआ की पदमा अब कोइ विरोध करने की स्थिति में नहीं है। वह उसकी एक टांग को थोडा ऊपर उठा या और अपना land उसकी बुर में डालने की कोशिश करने लगा।
राजेश काफी देर तक प्रयास करता रहा, और एक समय आया जब land का टोपा बुर में घुस गया।
पदमा सिसक उठी।
उसके बाद राजेश ने पदमा की टांग को थोडा और उठा कर एक जोर का धक्का मारा land सरसराता huwa आधा अंदर घुस गया।
पदमा चिहुक उठी।
राजेश ने अपना land पदमा की बुर में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
पदमा की बुर पूरी तरह गीली हों चुकी थी,land बुर में आसानी से अंदर बाहर होने लगा जिससे दोनो को बहुत मजा आने लगा।
राजेश धीरे धीरे अपना गति बढ़ाने लगा।
अब land पदमा की बुर में फच फच की आवाज़ करता huwa अंदर बाहर होने लगा।
पदमा अपने मुंह से मादक सिसकारी रोकने की असफल कोशिश करती रही लेकिन रोक न सकी।
पदमा की मादक सिसकारी झोपड़ी में गूंजने लगी।
कुछ देर तक इसी पोजीशन में पदमा को कामसुख देने के बाद राजेश ने chudai रोक दिया।
अपना land पदमा की बुर से बाहर निकाल लिया और पदमा की बाहों को खींचकर सीधा लिटा लिया और ख़ुद उसके ऊपर लेट गया।
पदमा अपनी आंखे बंद कर ली थी वह राजेश से आंखे नही मिला सकती थी।
राजेश और पदमा दोनो कंबल के अंदर थे केवल उसका सिर बाहर निकला huwa था।
राजेश जोश में पदमा की गालों को ओंठो को चुनने चाटने लगा।
अपना land उसकी बुर में डालकर अपनी क़मर हिला हिला कर चोदने लगा।
पदमा की बुर की भगनाशा से land अच्छी तरह रगड़ खाने से पदमा को संभोग का परम आनद मिलने लगा।
वह ख़ुद को ज्यादा समय तक रोक न सकी और राजेश को जोर से जकड़ कर झड़ने लगी।
राजेश ने क़मर हिलाना बंद कर दिया।
पदमा की आंखो की पुतलियां पलट चुकी थी उसे chudai में ऐसा आनद पहले कभी नही मिला था।
कुछ देर तक दोनो ऐसे ही लेटे रहे।
कुछ देर बाद राजेश ने अपनी क़मरफिर से धीरे धीरे हिलाना शुरू किया।
धीरे धीरे पदमा फिर गरम होने लगी।
दोनो के शरीर बहुत गर्मा गया था।
राजेश अब उठ कर बैठ गया। और उसकी टांगों को फैला कर उसके बीच उकडू बैठ गया।
अब राजेश अपना land पदमा की बुर पे रख कर एक जोर का धक्का मारा land सरसराटा huwa एक ही बार में आधे से ज्यादा अंदर घुस गया।

अब राजेश ने पदमा की चुचियों को हाथो में थाम लिया और उसे मसल मसलकर कमर हिला हिला कर गच गच चोदना शुरु कर दिया।
पदमा के मुंह से सिसकारी निकल कर झोपड़ी में गूंजने लगी।
Land बुर में गपागप अंदर बाहर हो रहा था जिससे दोनो को संभोग का परम सुख प्राप्त होने लगा।
कमरे में कई तरह की आवाजे गूंजने लगी।
पदमा की मादक सिसकारी, उन,, ई, माई,,,,,
खाट की बजने की चर चर चर,,,,
पदमा की चूड़ियों की झांकने की,,, खन खन,,,, खन,,
Land का बुर में जाने की फच फ्च,,,,
बाहर बादल गरज रहा, बिजली कड़क avm चमक रही थी।
वातावरण पूरी तरह काममय था।
दोनो जन्नत की सैर कर रहे थे।
पदमा को संभोग का ऐसा सुख पहली बार मिल रहा था।
Land काफी मोटा होने के कारण बुर की दीवार और भग्नाशा को अच्छी तरह रगड़ रहा था, जिससे पदमा को परम सुख मिल रहा था,land लंबा होने से गहराई तक जा रहा था,land का टोपा गर्भाशय मुख से टकराने से, पदमा के शरीर में अलग ही तरंग पैदा कर रहा था।
पदमा राजेश की कमर पकड़ कर अपनी कमर नीचे से हिला हिला कर राजेश का सहयोग करने लगी।
राजेश पदमा की बड़ी बड़ी चूचियां को मसल मसल कर कंबल के नीचे ही चोद रहा था।
पदमा की तो आंखे बंद थी राजेश पदमो को देख देख कर उसकी गालों को कभी चूमता तो कभी उसकी ओंठो का रस चूसता huea चोदना जारी रखा, पदमा दूसरी बार झड़ चुकी थी।
केशव तो बड़ी मुस्किल से एक बार हो झाड़ पाता तो बहुत था।
वह राजेश की मर्दानगी देख कर दंग थी।
राजेश पदमा के झड़ने के बाद कुछ देर रुक जाता जिससे उसे खोया huea ताकत फिर से मिल जाता। कुछ देर बाद राजेश फिर से पदमा की चोदना शुरू कर देता और उसे जन्नत की सैर कराने लगता।
और अन्त में राजेश भी कराहते हुवे, आह मां आह,,,
पदमा की योनि में अपन बीज छोड़ दिया।
राजेश के पानी से बुर पूरी तरह भर कर पदमा की टांगो में बहने लगा।
गर्म गर्म वीर्य की पिचकारी अपनी बुर में महसूस कर पदमा एक बार और झड़ गई।
दोनो काफी थक चूके थे।
एक दूसरे से चिपक कार सो गए। जब नींद खुली तो पदमा देखा की बारिश रुक चुकी है।
वह अपनी हालात देखि। वह शर्म से लज्जित होने लगी।
वह खाट से उठी, राजेश के शरीर पर कंबल डाल दिया। और अपने कपड़े जो कुछ कुछ सुख चुका था को पहनने लगी, कपड़े पहनने के बाद वह वहा से घर चली गई।
जब राजेश का नींद खुला तो पदमा वहा नही थी। वह उठकर खेत में इधर उधर देखा कहीं नहीं दिखी।
राजेश को लगा ताई घर चली गईं है।
कल रात में जोश में उसने ताई के साथ जो किया उसके बाद पता नही ताई उसके साथ कैसा व्यवहार करेगी। वह चिंतित होने लगा।
कुछ देर बाद केशव खेत पहुंचा।
केशव _अरे राजेश बेटा, खेत में सब ठीक तो है न।
राजेश _हा ताऊ जी कुछ जानवर खेत में घुसने की कोशिश कर रहा था मैने उसे भगा दिया।
केशव _माफ करना बेटा कल मैं शाम को खेत आ न सका और तुमको सारी रात खेत में ही रुकना पड़ा।
राजेश _ताऊ जी यह खेत मेरा भी है मेरा भी कुछ फर्ज बनता है । इसमें माफी मांगने की क्या बात?
केशव _अच्छा बेटा अब तुम घर जाओ। यहां की जिम्मेदारी मैं सम्हालता हु।
राजेश _ठीक है ताऊ जी।
राजेश खेत से घर पहुंचा।
भुवन भी घर पहुंच गया था।
उधर पदमा घर में जाने के बाद, नहा ली थी। राजेश ने उसकी जमकर chudai किया था उसकी बुर सूज गई थी। वह अपनी बुर की हालात देखी और लज्जित महसूस करने लगी थी।
इधर राजेश ने जब भुवन को देखा,,
राजेश _अरे भुवन भईया, तुम कब घर पहुंचे।
भुवन _बस अभी ही। पुनम बता रही थी की, मां और तुम बारिश में ही फस गए थे पूरी रात खेत में ही गुजारनी पड़ी।
सब ठीक तो हैं न ।
राजेश _हा भईया सब ठीक है।
भुवन _अच्छा चलो अब नहाते है।
दोनो बाड़ी में नहाने चले गए।
नहाकर आए और पुनम ने उन दोनो के लिए नाश्ता लगाया
इधर पदमा राजेश के सामने आने से बचने लगी।
उसकी राजेश से बातचीत करने की उसकी हिम्मत नही हो रही थी बहुत ही शर्मिंदगी महसूस कर रही थी।
भुवन खेत चला गया। राजेश अपने कमरे में जाकर आराम करने लगा।
फिर अपनी पढ़ाई भी करने लगा।
दोपहर में भी पुनम ने राजेश को भोजन के लिए बुलाया। उसने पुनम से पूछा की ताई कहा है तो पुनम ने कहा की मां जी तो तुम्हे भोजन दे देने कह कर खेत चली गईं।
खेत से आने के बाद भी पदमा ने राजेश से कोइ बात नहि की न ही उसके सामने आई ।
इधर राजेश को बहुत बुरा लग रहा था कि ताई मुझसे नाराज हो गई है।
मैने बड़ी गलती कर दी है, मुझे उससे माफी मांगनी होगी।
रात में पुनम दूध का गिलास लेकर कमरे में पहुंची।
पुनम _देवर जी दूध पी लीजिए।
राजेश, ने गिलास लेकर दूध पी लिया। धन्यवाद भौजी।
पुनम _अरे देवर जी आज तो आप बिना कुछ बोले ही गाय का दूध पी लिया। तुम तो अपने भईया से ताजे दूध की मांग कर रहे थे ।
राजेश _सारी भौजी, मुझे आपसे ऐसी मांग नही करनी चाहिए थी।
मुझे माफ कर दीजिए।
पुनम _अरे देवर जी, भौजी और देवर में तो ये हसी मजाक तो चलता रहता है कोइ बात है क्या?
राजेश _नही भौजी कोइ बात नहीं है? मैं अपनी हद भुल गया था मुझे माफ कर दीजिए।
पुनम _देवर जी पता नहीं तुम्हे क्या हो गया है? ठीक है मैं चलती हूं।
पुनम वहा से चली गई।
अगले दिन भी पदमा उसके सामने नही आई और राजेश से बातचीत नही की।
राजेश को बिल्कुल अच्छा नही लग रहा था। वह पदमा से माफी मांगना चाहता था लेकिन उसे मौका नही मिल रहा था।
इधर पुनम को भी राजेश का व्यवहार में काफी बदलाव महसूस करने लगी। पहले तो उससे हसी मजाक और छेड़ छाड़ करता था। पर उसने ये सब अचानक बंद कर दिया। लगता है देवर जी मुझसे नाराज हो गए हैं।
रात में जब, वह राजेश के कमरे में गई।
राजेश _भौजी आज दूध नही लाई।
पुनम _देवर जी, मैं सोच रही थी कि आज तुम्हे ताजा दूध पिला दू।
राजेश _भौजी मैं समझा नही।
पुनम ने अपनी साड़ी की पल्लू हटा दिया। लो देवर जी अपनी ईच्छा पूरी कर लो। पी लो ताजा दूध।
राजेश _भौजी ये आप क्या कर हो?
किसी ने देख लिया तो आप कृपया चली जाइए प्लीज।
पुनम _देवर जी आखिर बात क्या है? जरूर कोइ बात है जो मुझसे छुपा रहे हो। मुझसे नाराज हो क्या?
राजेश _भौजी, मैं आपसे नाराज नहीं हूं।
पुनम_फिर दूध पीने से मना क्यू कर रहे हो? उस दिन तो बड़े मजे से पिए थे।
राजेश _भौजी कहा न मैं अपना हद भुल गया था। उसके लिए मैं शर्मिंदा हूं। मुझे माफ कर दीजिए।
पुनम _ठीक है देवर जी जैसी आपकी इच्छा।
पुनम वहा से चली गईं।
इधर राजेश पदमा के व्यवहार से दुखी था वह माफी मांगने के लिए मौका ढूंढ रहा था।
एक दिन आरती अपने सहेली के घर गई थी और पुनम अपने कमरे में मुन्ने को सुला रही थी।
पदमा कीचन में थी।
राजेश कीचन में गया।
राजेश _ताई, मुझे माफ कर दीजिए। उस दिन आपके साथ मैने अच्छा नही किया।
मैं जानता हूं कि उस दिन से आप मुझसे नाराज हैं। मैं यहां से चला जाऊंगा।
पदमा _नही, राजेश तुम्हे कहीं जाने की जरूरत नही।
उस दिन जो भी huwa उसके लिए मैं भी जिम्मेदार हू। मैं चाहती तो तुम्हे रोक सकती थी। मैं भी हवस में तुम्हे रोक न सकी।
और कुछ ऐसी परिस्थितियां भी निर्मित हो गई थी तुम जवान हो, इस उम्र मैं ऐसा हो जाता हैं।
राजेश _फिर आप मुझसे बात चीत क्यू नही करती और सामने आने से भी कतराती हो।
पदमा _बेटा मैं तुम्हारे सामने आनी से लज्जित महसूस करती हूं।
राजेश _ताई जो huwa उसे भुल जाओ। और आप मुझसे पहले जैसा व्यवहार कीजिए प्लीज नही तो मैं अपने आप को माफ नहीं कर सकूंगा।
पदमा _राजेश बेटा शायद तुम ठीक कह रहे हो मुझे ऐसा व्यवहार नही करना चाहिए।
बेटा, इस घटना के बारे मे किसी को कुछ बताया तो नही।
राजेश _नही ताई, ऐसी बाते किसी से थोड़े कहूंगा।
पदमा _बेटा ये किसी को मत बताना नही तो बड़ी बदनामी हो जाएगी।
राजेश _नही ताई ये बात मैं किसी से नहीं कहूंगा। आप मूझपर भरोसा कीजिए।
पदमा _ठीक है बेटा, अब तुम अपने कमरे में जाओ।
राजेश वहा से चला गया।
उस दिन के बाद पदमा और राजेश के बीच सब नार्मल होने लगा। पदमा राजेश के साथ पहले जैसा बरताव करने लगी।
इधर अब राजेश भी खुश था।
पदमा को अब रात में राजेश के साथ जो संभोग सुख मिला था वह याद आने लगा, जिससे वह गर्म हो जाती।
उस रात राजेश ने उसे संभोग का जो सुख दिया था। ऐसा सुख उसके पति से कभी नहीं मिला था।
एक दिन वह रात में उन पलों को याद कर बहुत गर्म हो गई।
रात में केशव से,,
पदमा _क्या जी आपको तो मेरी जरा भी चिन्ता नहीं खाना खाने के बारे घोड़ा बेचकर सोने लगते हो।
केशव _बोलो मेरी जान क्या सेवा करू?
पदमा _आज बड़ा मन कर रहा है, प्यार कीजिए ना।
केशव _ अरे क्या करू मेरी जान, खेत में काम कर के थक जाता हूं। सारी।
आओ आज तुम्हारी इच्छा पूरी कर दू।
पहले इसे तैयार तो करो।
केशव ने अपना सिकुड़ा हुआ land बाहर निकाल कर कहा। पदमा ने केशव का land हाथ में लेकर सहलाने लगा।
Land में थोडा तनाव आने लगा।
केशव, पदमा की चूची दबाने लगा।
केशव _चलो तैयार हो जाओ।
पदमा बेड पर लेट गई,
अपनी साड़ी और पेटिकोट ऊपर उठा दी।
उसकी मस्त फूली हुईं गोरी चूत केशव के सामने आ गया।
केशव _वाह मेरी जान तुम तो एकदम चिकनी हो गई हो, आज बुर मारने में बड़ा मज़ा आएगा।
केशव ने पदमा की बुर में उंगली डाल कर पहले अंदर बाहर किया।
पदमा पहले से ही गर्म थी उसकी बुर पानी से लबालब हो चुका था।
केशव की उंगली बुर की पानी से गीला हो गया।
केशव ने देर न करते हुए, पदमा की बुर के छेद में अपना land सेट कर एक जोर का धक्का मारा एक ही बार में land सरसराकर पूरा अंदर चला गया।
केशव ने पदमा की चूची को मसल मसल कर land को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
पर ये क्या? केवल पांच मिनट में ही उसका पानी छूट गया।
केशव बेड के एक और लुड़क गया।
इधर पदमा तो केवल मजा आना शुरू ही हुआ था। और खेल खतम हो गया।
उसे अपने पति पर बहुत गुस्सा आ रहा था। उसकी चूत की प्यास बुझाने के बजाय और बड़ा दिया था।
पर वह कर भी क्या सकती थी।
वह बेड से उठी और आंगन में जाकर अपनी बुर को पानी से अच्छे से धोई।
फिर अपने कमरे में आकर लेट गई।
वह बहुत गर्म थी, उसे नींद नहीं आ रही थी उसने अपने पति की ओर देखा जो घोड़े बेच कर सो रहा था।
उसने अपनी चूत की प्यास बुझाने के लिए अपनी उंगली को बुर में डालकर अंदर बाहर करने लगी।
पर उसकी चूत की प्यास बुझने की बजाए और बड़ गई।
उससे बर्दास्त करना मुस्किल हो गया।
उस राजेश के साथ बिताए वह पल याद आने लगा कैसे राजेश ने उसे एक ही रात में कई बार झा डा था, उसकी बुर सूजा दी थी। उस पल को याद कर वह संभोग के लिए तड़प उठी।
वह अपने बेड से उठी और न चाहते हुवे भी उसकी कदम राजेश के कमरे की ओर जाने लगी, जाते समय वह सरसो का तेल अपने साथ ले गई।
राजेश इस समय सोया नही था, पढ़ाई कर रहा था।
पदमा ने दरवाजा खटखटाया, राजेश ने दरवाजा खोला।
राजेश _ताई आप, कुछ काम था क्या?
पदमा _बेटा, मेरे पीठ और कमर दर्द कर रहा है मैं सो नहीं पा रही। तुम्हारे ताऊ जी तो सो चूके है मैं उसे उठाना उचित नहीं समझी? क्या तुम मेरी कमर और पीठ की मालिश कर दोगे, मुझे राहत मिल जाएगी।
राजेश _ताई जी, अंदर आइए न।
पदमा कमरे में रखे पलंग पर जाकर बैठ गई।
राजेश _बोलो ताई, क्या करना है?
पदमा _बेटा पहले मेरे पीठ की तेल से मालिश कर दो, दर्द कर रहा है।
राजेश _ठीक है ताई, आप पेट के बल लेट जाइए।
पदमा पीठ के बल पलंग पर लेट गई।
राजेश ने तेल अपने हाथ में लेकर ब्लाउज के नीचे भाग पर मालिश करने लगा।
पदमा _बेटा दर्द थोडा ऊपर है! रुको मैं अपनी ब्लाउज निकाल देती हूं।
पदमा ने अपनी साड़ी की पल्लू को दांत से दबाकर अपनी ब्लाउज निकाल दी और पीठ के बल लेट गई।
राजेश ने पदमा की खुली पीठ पर तेल लगा कर मालिश करने लगा।
राजेश _ताई कुछ राहत मिला।
पदमा _हा,re तु तो बड़ा अच्छा मालिश कर रहा है दर्द से राहत मिल रही है। थोडा और मालिश करो बेटा।
राजेश _जी ताई, मैं आपको दर्द से पूरा राहत पहुंचा दूंगा।
इधर राजेश के मालिश करने से पदमा और गर्म होने लगी।
पदमा _बेटा उस दिन की घटना को किसी को बताया तो नही।
राजेश _नही ताई, ऐसी बात मैं कैसे किसी से कहूंगा।
पदमा _अच्छा किया बेटा जो किसी को नहीं बताया नही तो बड़ी बदनामी हो जाती। तुमसे एक बात पूछूं।
राजेश _हा ताई पूछो।
पदमा _मैं तो तुम्हे बड़ा भोला समझ रही थी तु तो बड़ा खिलाड़ी निकला।
मुझे लगता है पहले भी कई महिलाओं के साथ कर चुका है। बताओ मैं सच कह रही ना।
राजेश _ताई आप भी न,,,
पदमा _अरे शर्मा क्यू रहा है बताता क्यू नही?
राजेश _हां ताई, मैंने पहले भी ये सब किया है।
पदमा _तेरा होने वाला बीवी बड़ी किस्मत वाली होगी।
राजेश _ताई ऐसा क्यू?
पदमा _उसे ऐसा मर्द जो मिलेगा, जो उसे भरपूर सुख देगा।
राजेश _वैसे ताई एक बात पूछूं आप बुरा तो नही मानोगी।
पदमा _अरे पूछो, नही मानूंगी बुरा।
राजेश _आपको मजा आया की नही।
पदमा _पदमा शर्म से पानी पानी हो गई।
राजेश _ताई बताओ न, मजा आया की नही।
पदमा _हूं,,,
पदमा _और तुम्हे।
राजेश _मुझे भी बहुत मजा आया।
पदमा _चल झूठा। मैं तो अब बूढ़ी हो चुकी हु मैं क्या मजा दूंगी।
राजेश _टाई ये आप क्या कह रही है आप और बूढ़ी। अभी तो आप काफी जवान और खुबसूरत है बदन पूरा कसा हुआ है।
पदमा _चल झूठा कहीं का।
राजेश _कसम से ताई मैं सच कह रहा हूं।
तुम्हारा बदन बहुत खुबसूरत है जवान लडकियों की तरह एकदम कसा हुआ।
पदमा _हसने लगा।
पदमा _वैसे तुम्हारा हथियार भी बड़ा दमदार है। गुफा के अंतिम छोर तक पहुंच जाता है।
राजेश _क्यू ताऊ जी का नही पहुंचता क्या अंतिम छोर तक।
पदमा _अरे उसका तो आधे तक नही पहुंच पाता।
थोड़े ही देर में फूस हो जाता है।
राजेश _ओह तब तो आप प्यासी रह जाती होगी।
पदमा _अब क्या कर सकते हैं?
राजेश _ताई कमर पे भी मालिश कर दू।
पदमा _हा re, रुको मैं पेटीकोट का नाडा खोल दू।
पदमा ने हाथ नीचे ले जाकर पेटी कोट का नाडा खोल दिया। और अपना साड़ी भी निकाल दिया ताकि उसमें तेल न लगे अब वह पेटीकोट में थी।
राजेश ने तेल से उसकी कमर पर मालिश करना सुरु कर दिया।
पदमा बहुत गर्म हो चुकी थी।
पदमा _वैसे तु कितनी महिलाओं का ले चुका है।
राजेश _बताया न बहुतों का।
पदमा _मेरी लेगा।
राजेश _ताई , आप मजाक कर रही है।
पदमा _अरे मैं मजाक नही कर रही, सच कह रही। आज तेरे ताऊ ने मुझे प्यासा ही छोड़ दिया।
अगर मेरी प्यास नही बुझी तो लगता है मैं मर न जाऊ।
राजेश _ओ तो ये बात है।
ठीक है, पर मैं जो कहूंगा वो करना पड़ेगा।
राजेश _क्या करवाएगा अपने ताई से।
राजेश _वही जिसमे दोनो को बहुत मजा आएगा।
पदमा _अच्छा बोलो क्या करना है।
राजेश _पहले आओ मेरी गोद में बैठो और अपनी दूदू पिलाओ।
पदमा _मुझे शर्म आयेगी, वह हसने लगी,,,,
Awesome update 👌
 

Ravi 23

New Member
66
102
33
पदमा, कुर्ता पहनकर, जो सिर्फ उसकी टांगो तक आ रहा था, को पहनकर ऊपर से खाट पे रखा कंबल लपेट लिया और खाट के एक किनारे पे बैठ गया।
इधर राजेश सिर्फ धोती में था। वह भी खाट के दूसरे किनारे पे बैठ गया।
कुछ देर बाद,,,,
पदमा _बेटा अब तो जोरो की भूख लगने लगी है।
राजेश _हा ताई मुझे भी।
पदमा _बेटा अब यहां मूंगफली के सिवा खाने के लिए कुछ है नही। बोरी से मूंगफली निकाल कर ले आओ, आज उसी से काम चलाना पड़ेगा।
राजेश _जी ताई।
झोपड़ी के बाहर अभी भी तेज़ हवाएं चल रही थी। बारिश हो रही थी और बिजली कड़क एवम बादल गरज रहा था।
राजेश ने बोरी से एक बांस के बने टोकरी में मूंगफली निकाला और उसे ले आया, खाट पे दोनो के बीच रख दिया।
पदमा और राजेश दोनो मुगफली खाने लगे।
पदमा _बेटा घर वाले भी हमारी चिन्ता कर रहे होंगे। पता नही भुवन भी घर पहुंचा है की नही।
उन्हे फोन लगा कर पता तो करो।
राजेश _जी ताई।
राजेश ने भुवन को काल करने की कोशिश की लेकिन मौसम खराब होने की वजह से काल लगा ही नहीं, उसने पुनम के पास भी लगाया,, उनसे भी बात नही हो पाई।
राजेश _ताई, मौसम खराब होने की वजह से मोबाइल भी काम नही कर रहा है।
दोनो ने पेट भर मूंगफली खाया।
फिर मटके में रखे पानी पी कर खाट में बैठ गए।
पदमा _बेटा ये बारिश तो रुकने का नाम ही नही ले रही है, लगता है रात भर ऐसे ही गुजारना पड़ेगा।
राजेश _ताई आप खाट पे लेट जाओ।
पदमा _बेटा और तुम।
राजेश _ताई मुझे तो पढ़ाई करते हुए रात में जगने की आदत है।
पदमा _आप सो जाइए।
पदमा खाट पे लेट गया।
खाट छोटा था। एक तकिया था। खाट पे एक पतला गद्दा बिछा था।
पदमा खाट पे लेट गया और कंबल को ओढ़ लिया।
राजेश खाट के किनारे थोड़ी जगह थी वहा बैठ गया।
इधर झोपड़ी पर ठंडकता बढ़ती ही जा रही थी।
राजेश सिर्फ धोती ही पहना था, उसका बदन ऊपर से नंगा था।
राजेश को भी ठंडकता महसूस होने लगी। वह अपने दोनो हाथों को रगड़ने लगा।
जिसे पदमा को पता चला की राजेश को ठंड लग रहा है।
पदमा _बेटा ठंडी बहुत बड़ गई है, रात भर ऐसे ही खुले बदन रहोगे तो तुम बीमार पड़ सकते हो, तुम भी आ जाओ खाट पे लेट जाओ। और कंबल ओढ़ लो।
राजेश _ ताई कंबल तो बड़ा है पर खाट पे तो जगह बहुत कम है।
पदमा _बेटा, किसी तरह दोनो एडजेस्ट हो जायेंगे। मुझे बिल्कुल अच्छा नही लग रहा है तुम्हे ठंड से ठिठुरते देख कर ।
राजेश _ठीक है ताई।
राजेश खाट के किनारे से उठा।
पदमा दूसरे तरफ थोडा खिसकी, राजेश ने कंबल थोडा हटाया और वह खाट पे लेट गया। दोनो एक दूसरे की और पीठ करके करवट लेकर लेट गए औरकंबल को ओढ़ लिए।
दोनो का पीठ एक दूसरे से चिपका huwa था।
कुछ देर बाद,,,
पदमा _बेटा अब तुम्हे ठंड तो नही लग रही है
राजेश _नही ताई, अब तो बिलकुल ठंड नही लग रही है।
तभी राजेश के फोन पे पुनम का काल आया ।
पुनम _ राजेश तुम लोग कहा हो?
राजेश _भौजी हम लोग तो खेत के झोपड़े में ही है, बाहर का मौसम बहुत खराब है हम घर नही आ पा रहे। मैने कई बार फोन लगाया पर मौसम खराब होने के कारण लग ही नहीं पा रहा था ।
पुनम _हा राजेश मैं भी कब से, ट्राई कर रही थी, पर लग नही पा रहा था।
तुम लोग कैसे हो? हम लोगो को बड़ी चिन्ता हो रही थी।
राजेश _भौजी हम लोगो बिलकुल ठीक है, तुम लोग हमारी चिन्ता मत करो ।
तभी,, पदमा ने कहा,,
पदमा_बेटा किसका फोन है?
पुनम _ताई, भौजी बात कर रही है। कह रही है वो हम लोगो को लेकर चिंतित है।
पदमा _अच्छा बेटा दिखाओ फोन को मुझे बात करने दो,,
पदमा राजेश की ओर घूम गई।
राजेश _भौजी लो, ताई से बात करो, कहते हुवे वह भी, पदमा की ओर घूम गया।
राजेश _लो ताई भौजी से बात करो।
दोनो पेट एक एक दूसरे से चिपक गए। पदमा की छातियां राजेश की सीने से एकदम से सट गया।
इस पर ध्यान न देते हुए पदमा, पुनम से बात करने लगी।
पदमा _अरे बहु, घर में सब ठीक तो है न।
पुनम _हा, मां जी हम सब ठीक है।
पदमा _भुवन घर आया है की नही।
पुनम _नही मां जी वह भी बारिश में फसा है, उनसे बात हुई है वह अब सुबह ही आयेंगे। वह शहर में कहीं ठहरा हुआ है।
पदमा _और तुम्हारे ससुर जी का नशा उतरा है की नही।
पुनम _उतर चुका है मां जी, उसे भी आप लोगो की चिन्ता हो रही थी।
लो बापू जी से बात करो।
केशव _अरे पदमा तुम लोग ठीक तो हो न।
पदमा _हा जी हम लोग ठीक तो है पर मौसम बहुत खराब है लगता है हमे रात भर झोपड़े में ही रहना पड़ेगा।
केशव _अरे पदमा ऐसे मौसम में रात में घर आना ठीक नही है। तुम लोग कल सुबह ही घर आना। किसी तरह आज की रात झोपड़े में ही कांट लो।

पदमा _ठीक है जी।
उधर पदमा, बात चीत में लगी थी।
उसका शरीर राजेश के सीने से एकदम से चिपका हुआ था, उसका एहसास भी नहीं था।
इधर राजेश की नाक में एक जनाना बदन की खुशबू नाक पे, पहुंचते ही उसका बदन गर्माने लगा। राजेश को पदमा की बड़ी बड़ी चूचियां जो उसके सीने में दबा huwa था।
राजेश का बेचैनी बढ़ाने लगा।
जो मूंगफली उसने खाया था वह भी असर दिखाने लगा
राजेश का land धीरे धीरे टन टनाने लगा।
दोनो के बदन कंबल से ढका हुआ था, केवल सिर ही बाहर निकले हुवे थे।
पदमा बातचीत में लगी हुई थी, इधर राजेश का land धोती के अंदर तन चुका था।
वैसे भी राजेश ने काफी दिनो से किसी औरत को भोगा नही था, उसका भी असर था।
जो उसके शरीर में जोश भर रहा था। आखिर राजेश भी एक मर्द था एक जनाना उसके शरीर से इस तरह चिपका huwa हो, ऊपर से मूंगफली की गर्मी, उम्र का प्रभाव, लंबे समय तक संभोग न करना, ये सब कारण से राजेश के न चाहने पर भी उसके land पर उसका नियंत्रण न रहा और राजेश का land तनकर लंबा और मोटा हो गया।
मोबाइल पर बात चीत बंद होने के बाद।
राजेश _ताऊ जी क्या बोल रहे थे ताई?
पदमा _राजेश बेटा तुम्हारे ताऊ जी कह रहे थे मौसम बड़ा खराब है, झोपड़े से बाहर मत निकलना, कल सुबह ही घर आना। आज रात किसी तरह झोपड़े में ही कांटने को बोले।
राजेश _हा ताई इसके अलावा और कोइ चारा तो है नही।
दोनो आंखे बंद कर सोने की कोशिश करने लगे।
कुछ देर बाद पदमा को अहसास huwa की उसके पेट में कुछ चुभ रहा है।
उसे पता चल गया कि राजेश उत्तेजित हो गया है। उसे बहुत ही लज्जित महसूस होने लगी।
वह करवट लेकर लेट गई।
राजेश वैसा ही लेटा रहा।
राजेश का land अब पदमा के गाड़ को चुभने लगा।
पदमा की हालत खराब होने लगी।
केशव पदमा की माह में एकात बार ही चोदता था।
वह भी पदमा के पहल करने पर, कभी कभी जब पदमा की बहुत अधिक ईच्छा होती थी तो ख़ुद ही पहल करती थी ।
इधर पदमा एक तरफ लज्जित महसूस कर रही थी तो दूसरे तरफ एक मोटे land के अहसास से उसका शरीर गर्माने लगा।
वह राजेश को इस विषय में कुछ कह भी नहीं सकता था।
इधर राजेश ने एक हाथ पे अपना सिर रखा huwa था तो दूसरा हाथ पदमा के पेट पे रख दिया जिससे पदमा सिहर उठी।
पदमा सिर्फ कुर्ता पहनी थी और कुछ नही।
पदमा एकदम खामोश थी, वह बहुत ही अजीब परिस्थिति में फस गई थी। वह बिल्कुल खामोश थी।
कुछ देर दोनो ऐसे ही लेटे रहे।
फिर राजेश सीधा होकर पीठ के बल लेट गया।
उसका land एकदम तनकर सीधा खड़ा huwa था।
वह उठ कर बैठ गया।
पदमा _क्या huwa बेटा नींद नहीं आ रही क्या?
राजेश _ताई, मुझे पेसाब लगी है?
पदमा _बेटा, जरा झोपड़ी का दरवाजा खोल कर देखो।
बारिश कम हुई क्या?
राजेश ने दरवाजा खोल कर देखा तो बारिश अभी भी हो रही थी और तेज़ हवा भी चल रही थी।
राजेश _ताई बारिश तो अभी भी हो रही है।
ताई छतरी तो है, इसे लेकर चला जाता हूं।
पदमा _अरे बेटा इस छतरी में दम नहीं है, पुरानी हो चुकी है, तेज़ हवा में छतरी पलट जाएगी।
राजेश _ ओह, लगता है बारिश रुकने का इन्तजार करना पड़ेगा।
पदमा _जोरो की लगी है क्या?
चलो मैं तुम्हारे साथ चलती हूं मैं छतरी सम्हालूंगी , तुम पेसब कर लेना।
राजेश _पर ताई आपके सामने, मुझे शर्म आयेगी।
पदमा _अरे बेटा मैं मै मुंह दूसरी ओर कर लूंगा।
राजेश _ठीक है ताई,,
पदमा भी कंबल से बाहर निकल आई और सिर्फ कुर्ता पहने राजेश के साथ छतरी में झोपड़ी से बाहर निकली।
पदमा _बेटा बाहर तो एकदम अंधेरा है कुछ दिख ही नहीं रहा है।
राजेश _ताई, मैं अपने मोबाइल का टार्च ऑन करता हूं।
राजेश ने मोबाइल का टार्च ऑन किया।
पदमा _बेटा झोपड़ी से ज्यादा दूर जाने की जरूरत नही यहीं कर लो।
दो छतरी को मुझे दो।
पदमा ने छतरी को अच्छे से पकड़े रखा ताकि हवा से छतरी उल्टे मत।
पदमा ने अपना मुंह दूसरी ओर करते हुए कहा।
लो बेटा अब जल्दी करो नही तो हम भीग जायेंगे।
राजेश _ठीक है ताई।
राजेश ने अपना धोती से land बाहर निकाला जो एक दम खड़ा huwa था। उसने मूतने की कोशिश की, लेकिन land खड़ा होने के कारण मूत ठीक से बाहर नहीं आ पा रहा था।
पदमा _क्या huwa बेटा जल्दी करो?
राजेश _जी ताई।
राजेश ने अपने land को अपने हाथो से पकड़ कर हिलाने लगा, थोड़ी देर बाद रुक रुक कर पेशाब आ ने लगी।
पेशाब, पेड़ के पत्ते पर पड़ने से चर चर की रुक रुक कर आवाज़ आता, जिसे सुनकर पदमा की शरीर में एक अजीब सी हलचल होने लगी।

जब आवाज़ आना बंद huwa।
पदमा _हो गया क्या बेटा?
राजेश _हा ताई।
चलो अब चलते है, नही तो भीग जायेंगे।
पदमा _बेटा थोडा रुको।
राजेश _क्या huwa ताई?
पदमा _बेटा पेशाब तो मुझे भी लगी है?
राजेश _तो आप भी कर लीजिए, दो छतरी को मुझे दो।
पदमा _पर बेटा मुझे बड़ी शर्म आ रही है, तुम्हारे सामने,

राजेश _जैसे मैने आपके सामने किया वैसे ही तुम भी कर लो, यह हम दोनो के सिवा कोई तीसरा तो है नही। लो मैं अपना मुंह दूसरी ओर कर लिया आप जल्दी से कर लो।
पदमा _ठीक है बेटा।
पदमा नीचे उकडु बैठ गई और कुर्ता को थोडा उठा दी।
फिर मूतना शुरू कर दी। पेशाब की तेज़ धार पेड़ के पत्ते पर पड़ने से चर,,,,,,,,,,, की आवाज़ आने लगी। यह आवाज सुनकर राजेश का land फिर से तनकर खड़ा हो गया।
इधर पेशाब करने के बाद लज्जित महसूस करते हुए पदमा बोली,,
बेटा अब चलो जल्दी झोपड़ी में, नही तो भीग जायेंगे। बाहर की ठंडी हवाओं से दोनो के शरीर कपकपाने लगे थे।
दोनो झोपड़ी के अंदर आए।
राजेश ने झोपड़ी का दरवाजा अच्छे से बंद कर दिया।
इधर पदमा खाट जाकर लेट गई और कंबल ओढ़ लिया।
पदमा _बेटा तुम भी आ जाओ, बाहर बहुत ठंडी है
राजेश भी खाट के एक किनारे लेट गया और कंबल ओढ़ लिया।
पदमा ने राजेश की ओर पीठ करके करवट लेकर लेट गई।
राजेश सीधा लेट कर लेट गया, था।
राजेश land तना हुआ था। वह एक हाथ से अपना land सहलाने लगा।
उसे chudai करने की बड़ी ईच्छा हो रही थी।
उसे एक जनाना के शरीर से चिपकने का मन कर रहा था।
वह पदमा की ओर करवट लेकर लेट गया।
जिससे उसका land पदमा की गाड़ में चुभने लगा।

पदमा को जब मोटे land का फिर से अहसास huwa तो उसका शरीर फिर से गर्माने लगा।
इधर राजेश तो उत्तेजित था ही उसे चोदने के लिए बुर चाहिए था।
उसने अपना एक हाथ पदमा के पेट पर रख दिया। जिससे पदमा का पूरा शरीर कपकपा गया।
वह राजेश से कुछ कह भी नहीं सकती थी।
इधर राजेश को जानना शरीर से चिपकने का बड़ा मन कर रहा था वह पदमा के शहरी से एकदम से सट गया।
जिससे उसका land धोती के ऊपर से ही पदमा की बुर पे दस्तक देने लगा। पदमा का शरीर सिहर उठा।
वह खामोश ही रही जैसे कुछ हुआ ही नहीं।
इधर राजेश का हिम्मत बढ़ने लगा, वह पदमा का पेट कुर्ता के ऊपर से ही सहलाने लगा।
पदमा के सरीर में सिहरन डी दौड़ने लगी।
उधर राजेश अपने land ka दबाव हल्के हल्के पदमा के बुर पर बढ़ाने लगा।
राजेश की हरकतों से पदमा की बुर पानी छोड़ने लगी।
इधर राजेश हल्का हल्का अपना क़मर हिला हिला अपना land कपड़े के ऊपर से ही बुर मे ढकलने लगा, जैसे वह बुर चोद रहा हो।
पदमा भी उत्तेजित हो चुकी थी।वह खामोश रही।
जिससे राजेश का हौसला और बढ़ गया। वह अपने हाथ को पेट से हटा कर ऊपर उसकी चूचियों पर रख दिया।
चुचियों पर हाथ रखते ही, पदमा ने राजेश का हाथ पकड़ लिया।
वैसे ही कुछ देर दोनो रुके रहे।
फिर राजेश ने उसकी चुचियों को कुर्ते के ऊपर से ही मसलना सुरू किया।
पदमा के मुंह से हल्की हल्की मादक सिसकारी, निकलने लगी।
राजेश ने अपना land धोती से बाहर निकाल लिया और पदमा की कुर्ता को थोडा ऊपर उठा कर land को उसकी टांगो के बीच घुसा दिया।
और हल्के हल्के धक्के लगाने लगा।
Land बुर को बाहर से रगड़ने लगा, जिससे बुर से पानी रिसने लगा।
एक हाथ से पदमा की बड़ी बड़ी चूचियां को मसलने का काम जारी रखा। राजेश के इन हरकतों से पदमा अत्यंत गर्म हो गई।
राजेश को इस बात का जब अहसास हुआ की पदमा अब कोइ विरोध करने की स्थिति में नहीं है। वह उसकी एक टांग को थोडा ऊपर उठा या और अपना land उसकी बुर में डालने की कोशिश करने लगा।
राजेश काफी देर तक प्रयास करता रहा, और एक समय आया जब land का टोपा बुर में घुस गया।
पदमा सिसक उठी।
उसके बाद राजेश ने पदमा की टांग को थोडा और उठा कर एक जोर का धक्का मारा land सरसराता huwa आधा अंदर घुस गया।
पदमा चिहुक उठी।
राजेश ने अपना land पदमा की बुर में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
पदमा की बुर पूरी तरह गीली हों चुकी थी,land बुर में आसानी से अंदर बाहर होने लगा जिससे दोनो को बहुत मजा आने लगा।
राजेश धीरे धीरे अपना गति बढ़ाने लगा।
अब land पदमा की बुर में फच फच की आवाज़ करता huwa अंदर बाहर होने लगा।
पदमा अपने मुंह से मादक सिसकारी रोकने की असफल कोशिश करती रही लेकिन रोक न सकी।
पदमा की मादक सिसकारी झोपड़ी में गूंजने लगी।
कुछ देर तक इसी पोजीशन में पदमा को कामसुख देने के बाद राजेश ने chudai रोक दिया।
अपना land पदमा की बुर से बाहर निकाल लिया और पदमा की बाहों को खींचकर सीधा लिटा लिया और ख़ुद उसके ऊपर लेट गया।
पदमा अपनी आंखे बंद कर ली थी वह राजेश से आंखे नही मिला सकती थी।
राजेश और पदमा दोनो कंबल के अंदर थे केवल उसका सिर बाहर निकला huwa था।
राजेश जोश में पदमा की गालों को ओंठो को चुनने चाटने लगा।
अपना land उसकी बुर में डालकर अपनी क़मर हिला हिला कर चोदने लगा।
पदमा की बुर की भगनाशा से land अच्छी तरह रगड़ खाने से पदमा को संभोग का परम आनद मिलने लगा।
वह ख़ुद को ज्यादा समय तक रोक न सकी और राजेश को जोर से जकड़ कर झड़ने लगी।
राजेश ने क़मर हिलाना बंद कर दिया।
पदमा की आंखो की पुतलियां पलट चुकी थी उसे chudai में ऐसा आनद पहले कभी नही मिला था।
कुछ देर तक दोनो ऐसे ही लेटे रहे।
कुछ देर बाद राजेश ने अपनी क़मरफिर से धीरे धीरे हिलाना शुरू किया।
धीरे धीरे पदमा फिर गरम होने लगी।
दोनो के शरीर बहुत गर्मा गया था।
राजेश अब उठ कर बैठ गया। और उसकी टांगों को फैला कर उसके बीच उकडू बैठ गया।
अब राजेश अपना land पदमा की बुर पे रख कर एक जोर का धक्का मारा land सरसराटा huwa एक ही बार में आधे से ज्यादा अंदर घुस गया।

अब राजेश ने पदमा की चुचियों को हाथो में थाम लिया और उसे मसल मसलकर कमर हिला हिला कर गच गच चोदना शुरु कर दिया।
पदमा के मुंह से सिसकारी निकल कर झोपड़ी में गूंजने लगी।
Land बुर में गपागप अंदर बाहर हो रहा था जिससे दोनो को संभोग का परम सुख प्राप्त होने लगा।
कमरे में कई तरह की आवाजे गूंजने लगी।
पदमा की मादक सिसकारी, उन,, ई, माई,,,,,
खाट की बजने की चर चर चर,,,,
पदमा की चूड़ियों की झांकने की,,, खन खन,,,, खन,,
Land का बुर में जाने की फच फ्च,,,,
बाहर बादल गरज रहा, बिजली कड़क avm चमक रही थी।
वातावरण पूरी तरह काममय था।
दोनो जन्नत की सैर कर रहे थे।
पदमा को संभोग का ऐसा सुख पहली बार मिल रहा था।
Land काफी मोटा होने के कारण बुर की दीवार और भग्नाशा को अच्छी तरह रगड़ रहा था, जिससे पदमा को परम सुख मिल रहा था,land लंबा होने से गहराई तक जा रहा था,land का टोपा गर्भाशय मुख से टकराने से, पदमा के शरीर में अलग ही तरंग पैदा कर रहा था।
पदमा राजेश की कमर पकड़ कर अपनी कमर नीचे से हिला हिला कर राजेश का सहयोग करने लगी।
राजेश पदमा की बड़ी बड़ी चूचियां को मसल मसल कर कंबल के नीचे ही चोद रहा था।
पदमा की तो आंखे बंद थी राजेश पदमो को देख देख कर उसकी गालों को कभी चूमता तो कभी उसकी ओंठो का रस चूसता huea चोदना जारी रखा, पदमा दूसरी बार झड़ चुकी थी।
केशव तो बड़ी मुस्किल से एक बार हो झाड़ पाता तो बहुत था।
वह राजेश की मर्दानगी देख कर दंग थी।
राजेश पदमा के झड़ने के बाद कुछ देर रुक जाता जिससे उसे खोया huea ताकत फिर से मिल जाता। कुछ देर बाद राजेश फिर से पदमा की चोदना शुरू कर देता और उसे जन्नत की सैर कराने लगता।
और अन्त में राजेश भी कराहते हुवे, आह मां आह,,,
पदमा की योनि में अपन बीज छोड़ दिया।
राजेश के पानी से बुर पूरी तरह भर कर पदमा की टांगो में बहने लगा।
गर्म गर्म वीर्य की पिचकारी अपनी बुर में महसूस कर पदमा एक बार और झड़ गई।
दोनो काफी थक चूके थे।
एक दूसरे से चिपक कार सो गए। जब नींद खुली तो पदमा देखा की बारिश रुक चुकी है।
वह अपनी हालात देखि। वह शर्म से लज्जित होने लगी।
वह खाट से उठी, राजेश के शरीर पर कंबल डाल दिया। और अपने कपड़े जो कुछ कुछ सुख चुका था को पहनने लगी, कपड़े पहनने के बाद वह वहा से घर चली गई।
जब राजेश का नींद खुला तो पदमा वहा नही थी। वह उठकर खेत में इधर उधर देखा कहीं नहीं दिखी।
राजेश को लगा ताई घर चली गईं है।
कल रात में जोश में उसने ताई के साथ जो किया उसके बाद पता नही ताई उसके साथ कैसा व्यवहार करेगी। वह चिंतित होने लगा।
कुछ देर बाद केशव खेत पहुंचा।
केशव _अरे राजेश बेटा, खेत में सब ठीक तो है न।
राजेश _हा ताऊ जी कुछ जानवर खेत में घुसने की कोशिश कर रहा था मैने उसे भगा दिया।
केशव _माफ करना बेटा कल मैं शाम को खेत आ न सका और तुमको सारी रात खेत में ही रुकना पड़ा।
राजेश _ताऊ जी यह खेत मेरा भी है मेरा भी कुछ फर्ज बनता है । इसमें माफी मांगने की क्या बात?
केशव _अच्छा बेटा अब तुम घर जाओ। यहां की जिम्मेदारी मैं सम्हालता हु।
राजेश _ठीक है ताऊ जी।
राजेश खेत से घर पहुंचा।
भुवन भी घर पहुंच गया था।
उधर पदमा घर में जाने के बाद, नहा ली थी। राजेश ने उसकी जमकर chudai किया था उसकी बुर सूज गई थी। वह अपनी बुर की हालात देखी और लज्जित महसूस करने लगी थी।
इधर राजेश ने जब भुवन को देखा,,
राजेश _अरे भुवन भईया, तुम कब घर पहुंचे।
भुवन _बस अभी ही। पुनम बता रही थी की, मां और तुम बारिश में ही फस गए थे पूरी रात खेत में ही गुजारनी पड़ी।
सब ठीक तो हैं न ।
राजेश _हा भईया सब ठीक है।
भुवन _अच्छा चलो अब नहाते है।
दोनो बाड़ी में नहाने चले गए।
नहाकर आए और पुनम ने उन दोनो के लिए नाश्ता लगाया
इधर पदमा राजेश के सामने आने से बचने लगी।
उसकी राजेश से बातचीत करने की उसकी हिम्मत नही हो रही थी बहुत ही शर्मिंदगी महसूस कर रही थी।
भुवन खेत चला गया। राजेश अपने कमरे में जाकर आराम करने लगा।
फिर अपनी पढ़ाई भी करने लगा।
दोपहर में भी पुनम ने राजेश को भोजन के लिए बुलाया। उसने पुनम से पूछा की ताई कहा है तो पुनम ने कहा की मां जी तो तुम्हे भोजन दे देने कह कर खेत चली गईं।
खेत से आने के बाद भी पदमा ने राजेश से कोइ बात नहि की न ही उसके सामने आई ।
इधर राजेश को बहुत बुरा लग रहा था कि ताई मुझसे नाराज हो गई है।
मैने बड़ी गलती कर दी है, मुझे उससे माफी मांगनी होगी।
रात में पुनम दूध का गिलास लेकर कमरे में पहुंची।
पुनम _देवर जी दूध पी लीजिए।
राजेश, ने गिलास लेकर दूध पी लिया। धन्यवाद भौजी।
पुनम _अरे देवर जी आज तो आप बिना कुछ बोले ही गाय का दूध पी लिया। तुम तो अपने भईया से ताजे दूध की मांग कर रहे थे ।
राजेश _सारी भौजी, मुझे आपसे ऐसी मांग नही करनी चाहिए थी।
मुझे माफ कर दीजिए।
पुनम _अरे देवर जी, भौजी और देवर में तो ये हसी मजाक तो चलता रहता है कोइ बात है क्या?
राजेश _नही भौजी कोइ बात नहीं है? मैं अपनी हद भुल गया था मुझे माफ कर दीजिए।
पुनम _देवर जी पता नहीं तुम्हे क्या हो गया है? ठीक है मैं चलती हूं।
पुनम वहा से चली गई।
अगले दिन भी पदमा उसके सामने नही आई और राजेश से बातचीत नही की।
राजेश को बिल्कुल अच्छा नही लग रहा था। वह पदमा से माफी मांगना चाहता था लेकिन उसे मौका नही मिल रहा था।
इधर पुनम को भी राजेश का व्यवहार में काफी बदलाव महसूस करने लगी। पहले तो उससे हसी मजाक और छेड़ छाड़ करता था। पर उसने ये सब अचानक बंद कर दिया। लगता है देवर जी मुझसे नाराज हो गए हैं।
रात में जब, वह राजेश के कमरे में गई।
राजेश _भौजी आज दूध नही लाई।
पुनम _देवर जी, मैं सोच रही थी कि आज तुम्हे ताजा दूध पिला दू।
राजेश _भौजी मैं समझा नही।
पुनम ने अपनी साड़ी की पल्लू हटा दिया। लो देवर जी अपनी ईच्छा पूरी कर लो। पी लो ताजा दूध।
राजेश _भौजी ये आप क्या कर हो?
किसी ने देख लिया तो आप कृपया चली जाइए प्लीज।
पुनम _देवर जी आखिर बात क्या है? जरूर कोइ बात है जो मुझसे छुपा रहे हो। मुझसे नाराज हो क्या?
राजेश _भौजी, मैं आपसे नाराज नहीं हूं।
पुनम_फिर दूध पीने से मना क्यू कर रहे हो? उस दिन तो बड़े मजे से पिए थे।
राजेश _भौजी कहा न मैं अपना हद भुल गया था। उसके लिए मैं शर्मिंदा हूं। मुझे माफ कर दीजिए।
पुनम _ठीक है देवर जी जैसी आपकी इच्छा।
पुनम वहा से चली गईं।
इधर राजेश पदमा के व्यवहार से दुखी था वह माफी मांगने के लिए मौका ढूंढ रहा था।
एक दिन आरती अपने सहेली के घर गई थी और पुनम अपने कमरे में मुन्ने को सुला रही थी।
पदमा कीचन में थी।
राजेश कीचन में गया।
राजेश _ताई, मुझे माफ कर दीजिए। उस दिन आपके साथ मैने अच्छा नही किया।
मैं जानता हूं कि उस दिन से आप मुझसे नाराज हैं। मैं यहां से चला जाऊंगा।
पदमा _नही, राजेश तुम्हे कहीं जाने की जरूरत नही।
उस दिन जो भी huwa उसके लिए मैं भी जिम्मेदार हू। मैं चाहती तो तुम्हे रोक सकती थी। मैं भी हवस में तुम्हे रोक न सकी।
और कुछ ऐसी परिस्थितियां भी निर्मित हो गई थी तुम जवान हो, इस उम्र मैं ऐसा हो जाता हैं।
राजेश _फिर आप मुझसे बात चीत क्यू नही करती और सामने आने से भी कतराती हो।
पदमा _बेटा मैं तुम्हारे सामने आनी से लज्जित महसूस करती हूं।
राजेश _ताई जो huwa उसे भुल जाओ। और आप मुझसे पहले जैसा व्यवहार कीजिए प्लीज नही तो मैं अपने आप को माफ नहीं कर सकूंगा।
पदमा _राजेश बेटा शायद तुम ठीक कह रहे हो मुझे ऐसा व्यवहार नही करना चाहिए।
बेटा, इस घटना के बारे मे किसी को कुछ बताया तो नही।
राजेश _नही ताई, ऐसी बाते किसी से थोड़े कहूंगा।
पदमा _बेटा ये किसी को मत बताना नही तो बड़ी बदनामी हो जाएगी।
राजेश _नही ताई ये बात मैं किसी से नहीं कहूंगा। आप मूझपर भरोसा कीजिए।
पदमा _ठीक है बेटा, अब तुम अपने कमरे में जाओ।
राजेश वहा से चला गया।
उस दिन के बाद पदमा और राजेश के बीच सब नार्मल होने लगा। पदमा राजेश के साथ पहले जैसा बरताव करने लगी।
इधर अब राजेश भी खुश था।
पदमा को अब रात में राजेश के साथ जो संभोग सुख मिला था वह याद आने लगा, जिससे वह गर्म हो जाती।
उस रात राजेश ने उसे संभोग का जो सुख दिया था। ऐसा सुख उसके पति से कभी नहीं मिला था।
एक दिन वह रात में उन पलों को याद कर बहुत गर्म हो गई।
रात में केशव से,,
पदमा _क्या जी आपको तो मेरी जरा भी चिन्ता नहीं खाना खाने के बारे घोड़ा बेचकर सोने लगते हो।
केशव _बोलो मेरी जान क्या सेवा करू?
पदमा _आज बड़ा मन कर रहा है, प्यार कीजिए ना।
केशव _ अरे क्या करू मेरी जान, खेत में काम कर के थक जाता हूं। सारी।
आओ आज तुम्हारी इच्छा पूरी कर दू।
पहले इसे तैयार तो करो।
केशव ने अपना सिकुड़ा हुआ land बाहर निकाल कर कहा। पदमा ने केशव का land हाथ में लेकर सहलाने लगा।
Land में थोडा तनाव आने लगा।
केशव, पदमा की चूची दबाने लगा।
केशव _चलो तैयार हो जाओ।
पदमा बेड पर लेट गई,
अपनी साड़ी और पेटिकोट ऊपर उठा दी।
उसकी मस्त फूली हुईं गोरी चूत केशव के सामने आ गया।
केशव _वाह मेरी जान तुम तो एकदम चिकनी हो गई हो, आज बुर मारने में बड़ा मज़ा आएगा।
केशव ने पदमा की बुर में उंगली डाल कर पहले अंदर बाहर किया।
पदमा पहले से ही गर्म थी उसकी बुर पानी से लबालब हो चुका था।
केशव की उंगली बुर की पानी से गीला हो गया।
केशव ने देर न करते हुए, पदमा की बुर के छेद में अपना land सेट कर एक जोर का धक्का मारा एक ही बार में land सरसराकर पूरा अंदर चला गया।
केशव ने पदमा की चूची को मसल मसल कर land को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
पर ये क्या? केवल पांच मिनट में ही उसका पानी छूट गया।
केशव बेड के एक और लुड़क गया।
इधर पदमा तो केवल मजा आना शुरू ही हुआ था। और खेल खतम हो गया।
उसे अपने पति पर बहुत गुस्सा आ रहा था। उसकी चूत की प्यास बुझाने के बजाय और बड़ा दिया था।
पर वह कर भी क्या सकती थी।
वह बेड से उठी और आंगन में जाकर अपनी बुर को पानी से अच्छे से धोई।
फिर अपने कमरे में आकर लेट गई।
वह बहुत गर्म थी, उसे नींद नहीं आ रही थी उसने अपने पति की ओर देखा जो घोड़े बेच कर सो रहा था।
उसने अपनी चूत की प्यास बुझाने के लिए अपनी उंगली को बुर में डालकर अंदर बाहर करने लगी।
पर उसकी चूत की प्यास बुझने की बजाए और बड़ गई।
उससे बर्दास्त करना मुस्किल हो गया।
उस राजेश के साथ बिताए वह पल याद आने लगा कैसे राजेश ने उसे एक ही रात में कई बार झा डा था, उसकी बुर सूजा दी थी। उस पल को याद कर वह संभोग के लिए तड़प उठी।
वह अपने बेड से उठी और न चाहते हुवे भी उसकी कदम राजेश के कमरे की ओर जाने लगी, जाते समय वह सरसो का तेल अपने साथ ले गई।
राजेश इस समय सोया नही था, पढ़ाई कर रहा था।
पदमा ने दरवाजा खटखटाया, राजेश ने दरवाजा खोला।
राजेश _ताई आप, कुछ काम था क्या?
पदमा _बेटा, मेरे पीठ और कमर दर्द कर रहा है मैं सो नहीं पा रही। तुम्हारे ताऊ जी तो सो चूके है मैं उसे उठाना उचित नहीं समझी? क्या तुम मेरी कमर और पीठ की मालिश कर दोगे, मुझे राहत मिल जाएगी।
राजेश _ताई जी, अंदर आइए न।
पदमा कमरे में रखे पलंग पर जाकर बैठ गई।
राजेश _बोलो ताई, क्या करना है?
पदमा _बेटा पहले मेरे पीठ की तेल से मालिश कर दो, दर्द कर रहा है।
राजेश _ठीक है ताई, आप पेट के बल लेट जाइए।
पदमा पीठ के बल पलंग पर लेट गई।
राजेश ने तेल अपने हाथ में लेकर ब्लाउज के नीचे भाग पर मालिश करने लगा।
पदमा _बेटा दर्द थोडा ऊपर है! रुको मैं अपनी ब्लाउज निकाल देती हूं।
पदमा ने अपनी साड़ी की पल्लू को दांत से दबाकर अपनी ब्लाउज निकाल दी और पीठ के बल लेट गई।
राजेश ने पदमा की खुली पीठ पर तेल लगा कर मालिश करने लगा।
राजेश _ताई कुछ राहत मिला।
पदमा _हा,re तु तो बड़ा अच्छा मालिश कर रहा है दर्द से राहत मिल रही है। थोडा और मालिश करो बेटा।
राजेश _जी ताई, मैं आपको दर्द से पूरा राहत पहुंचा दूंगा।
इधर राजेश के मालिश करने से पदमा और गर्म होने लगी।
पदमा _बेटा उस दिन की घटना को किसी को बताया तो नही।
राजेश _नही ताई, ऐसी बात मैं कैसे किसी से कहूंगा।
पदमा _अच्छा किया बेटा जो किसी को नहीं बताया नही तो बड़ी बदनामी हो जाती। तुमसे एक बात पूछूं।
राजेश _हा ताई पूछो।
पदमा _मैं तो तुम्हे बड़ा भोला समझ रही थी तु तो बड़ा खिलाड़ी निकला।
मुझे लगता है पहले भी कई महिलाओं के साथ कर चुका है। बताओ मैं सच कह रही ना।
राजेश _ताई आप भी न,,,
पदमा _अरे शर्मा क्यू रहा है बताता क्यू नही?
राजेश _हां ताई, मैंने पहले भी ये सब किया है।
पदमा _तेरा होने वाला बीवी बड़ी किस्मत वाली होगी।
राजेश _ताई ऐसा क्यू?
पदमा _उसे ऐसा मर्द जो मिलेगा, जो उसे भरपूर सुख देगा।
राजेश _वैसे ताई एक बात पूछूं आप बुरा तो नही मानोगी।
पदमा _अरे पूछो, नही मानूंगी बुरा।
राजेश _आपको मजा आया की नही।
पदमा _पदमा शर्म से पानी पानी हो गई।
राजेश _ताई बताओ न, मजा आया की नही।
पदमा _हूं,,,
पदमा _और तुम्हे।
राजेश _मुझे भी बहुत मजा आया।
पदमा _चल झूठा। मैं तो अब बूढ़ी हो चुकी हु मैं क्या मजा दूंगी।
राजेश _टाई ये आप क्या कह रही है आप और बूढ़ी। अभी तो आप काफी जवान और खुबसूरत है बदन पूरा कसा हुआ है।
पदमा _चल झूठा कहीं का।
राजेश _कसम से ताई मैं सच कह रहा हूं।
तुम्हारा बदन बहुत खुबसूरत है जवान लडकियों की तरह एकदम कसा हुआ।
पदमा _हसने लगा।
पदमा _वैसे तुम्हारा हथियार भी बड़ा दमदार है। गुफा के अंतिम छोर तक पहुंच जाता है।
राजेश _क्यू ताऊ जी का नही पहुंचता क्या अंतिम छोर तक।
पदमा _अरे उसका तो आधे तक नही पहुंच पाता।
थोड़े ही देर में फूस हो जाता है।
राजेश _ओह तब तो आप प्यासी रह जाती होगी।
पदमा _अब क्या कर सकते हैं?
राजेश _ताई कमर पे भी मालिश कर दू।
पदमा _हा re, रुको मैं पेटीकोट का नाडा खोल दू।
पदमा ने हाथ नीचे ले जाकर पेटी कोट का नाडा खोल दिया। और अपना साड़ी भी निकाल दिया ताकि उसमें तेल न लगे अब वह पेटीकोट में थी।
राजेश ने तेल से उसकी कमर पर मालिश करना सुरु कर दिया।
पदमा बहुत गर्म हो चुकी थी।
पदमा _वैसे तु कितनी महिलाओं का ले चुका है।
राजेश _बताया न बहुतों का।
पदमा _मेरी लेगा।
राजेश _ताई , आप मजाक कर रही है।
पदमा _अरे मैं मजाक नही कर रही, सच कह रही। आज तेरे ताऊ ने मुझे प्यासा ही छोड़ दिया।
अगर मेरी प्यास नही बुझी तो लगता है मैं मर न जाऊ।
राजेश _ओ तो ये बात है।
ठीक है, पर मैं जो कहूंगा वो करना पड़ेगा।
राजेश _क्या करवाएगा अपने ताई से।
राजेश _वही जिसमे दोनो को बहुत मजा आएगा।
पदमा _अच्छा बोलो क्या करना है।
राजेश _पहले आओ मेरी गोद में बैठो और अपनी दूदू पिलाओ।
पदमा _मुझे शर्म आयेगी, वह हसने लगी,,,,
Bahut mast story hai yaar
 

Kachhap

Renbow
165
187
58
पदमा, कुर्ता पहनकर, जो सिर्फ उसकी टांगो तक आ रहा था, को पहनकर ऊपर से खाट पे रखा कंबल लपेट लिया और खाट के एक किनारे पे बैठ गया।
इधर राजेश सिर्फ धोती में था। वह भी खाट के दूसरे किनारे पे बैठ गया।
कुछ देर बाद,,,,
पदमा _बेटा अब तो जोरो की भूख लगने लगी है।
राजेश _हा ताई मुझे भी।
पदमा _बेटा अब यहां मूंगफली के सिवा खाने के लिए कुछ है नही। बोरी से मूंगफली निकाल कर ले आओ, आज उसी से काम चलाना पड़ेगा।
राजेश _जी ताई।
झोपड़ी के बाहर अभी भी तेज़ हवाएं चल रही थी। बारिश हो रही थी और बिजली कड़क एवम बादल गरज रहा था।
राजेश ने बोरी से एक बांस के बने टोकरी में मूंगफली निकाला और उसे ले आया, खाट पे दोनो के बीच रख दिया।
पदमा और राजेश दोनो मुगफली खाने लगे।
पदमा _बेटा घर वाले भी हमारी चिन्ता कर रहे होंगे। पता नही भुवन भी घर पहुंचा है की नही।
उन्हे फोन लगा कर पता तो करो।
राजेश _जी ताई।
राजेश ने भुवन को काल करने की कोशिश की लेकिन मौसम खराब होने की वजह से काल लगा ही नहीं, उसने पुनम के पास भी लगाया,, उनसे भी बात नही हो पाई।
राजेश _ताई, मौसम खराब होने की वजह से मोबाइल भी काम नही कर रहा है।
दोनो ने पेट भर मूंगफली खाया।
फिर मटके में रखे पानी पी कर खाट में बैठ गए।
पदमा _बेटा ये बारिश तो रुकने का नाम ही नही ले रही है, लगता है रात भर ऐसे ही गुजारना पड़ेगा।
राजेश _ताई आप खाट पे लेट जाओ।
पदमा _बेटा और तुम।
राजेश _ताई मुझे तो पढ़ाई करते हुए रात में जगने की आदत है।
पदमा _आप सो जाइए।
पदमा खाट पे लेट गया।
खाट छोटा था। एक तकिया था। खाट पे एक पतला गद्दा बिछा था।
पदमा खाट पे लेट गया और कंबल को ओढ़ लिया।
राजेश खाट के किनारे थोड़ी जगह थी वहा बैठ गया।
इधर झोपड़ी पर ठंडकता बढ़ती ही जा रही थी।
राजेश सिर्फ धोती ही पहना था, उसका बदन ऊपर से नंगा था।
राजेश को भी ठंडकता महसूस होने लगी। वह अपने दोनो हाथों को रगड़ने लगा।
जिसे पदमा को पता चला की राजेश को ठंड लग रहा है।
पदमा _बेटा ठंडी बहुत बड़ गई है, रात भर ऐसे ही खुले बदन रहोगे तो तुम बीमार पड़ सकते हो, तुम भी आ जाओ खाट पे लेट जाओ। और कंबल ओढ़ लो।
राजेश _ ताई कंबल तो बड़ा है पर खाट पे तो जगह बहुत कम है।
पदमा _बेटा, किसी तरह दोनो एडजेस्ट हो जायेंगे। मुझे बिल्कुल अच्छा नही लग रहा है तुम्हे ठंड से ठिठुरते देख कर ।
राजेश _ठीक है ताई।
राजेश खाट के किनारे से उठा।
पदमा दूसरे तरफ थोडा खिसकी, राजेश ने कंबल थोडा हटाया और वह खाट पे लेट गया। दोनो एक दूसरे की और पीठ करके करवट लेकर लेट गए औरकंबल को ओढ़ लिए।
दोनो का पीठ एक दूसरे से चिपका huwa था।
कुछ देर बाद,,,
पदमा _बेटा अब तुम्हे ठंड तो नही लग रही है
राजेश _नही ताई, अब तो बिलकुल ठंड नही लग रही है।
तभी राजेश के फोन पे पुनम का काल आया ।
पुनम _ राजेश तुम लोग कहा हो?
राजेश _भौजी हम लोग तो खेत के झोपड़े में ही है, बाहर का मौसम बहुत खराब है हम घर नही आ पा रहे। मैने कई बार फोन लगाया पर मौसम खराब होने के कारण लग ही नहीं पा रहा था ।
पुनम _हा राजेश मैं भी कब से, ट्राई कर रही थी, पर लग नही पा रहा था।
तुम लोग कैसे हो? हम लोगो को बड़ी चिन्ता हो रही थी।
राजेश _भौजी हम लोगो बिलकुल ठीक है, तुम लोग हमारी चिन्ता मत करो ।
तभी,, पदमा ने कहा,,
पदमा_बेटा किसका फोन है?
पुनम _ताई, भौजी बात कर रही है। कह रही है वो हम लोगो को लेकर चिंतित है।
पदमा _अच्छा बेटा दिखाओ फोन को मुझे बात करने दो,,
पदमा राजेश की ओर घूम गई।
राजेश _भौजी लो, ताई से बात करो, कहते हुवे वह भी, पदमा की ओर घूम गया।
राजेश _लो ताई भौजी से बात करो।
दोनो पेट एक एक दूसरे से चिपक गए। पदमा की छातियां राजेश की सीने से एकदम से सट गया।
इस पर ध्यान न देते हुए पदमा, पुनम से बात करने लगी।
पदमा _अरे बहु, घर में सब ठीक तो है न।
पुनम _हा, मां जी हम सब ठीक है।
पदमा _भुवन घर आया है की नही।
पुनम _नही मां जी वह भी बारिश में फसा है, उनसे बात हुई है वह अब सुबह ही आयेंगे। वह शहर में कहीं ठहरा हुआ है।
पदमा _और तुम्हारे ससुर जी का नशा उतरा है की नही।
पुनम _उतर चुका है मां जी, उसे भी आप लोगो की चिन्ता हो रही थी।
लो बापू जी से बात करो।
केशव _अरे पदमा तुम लोग ठीक तो हो न।
पदमा _हा जी हम लोग ठीक तो है पर मौसम बहुत खराब है लगता है हमे रात भर झोपड़े में ही रहना पड़ेगा।
केशव _अरे पदमा ऐसे मौसम में रात में घर आना ठीक नही है। तुम लोग कल सुबह ही घर आना। किसी तरह आज की रात झोपड़े में ही कांट लो।

पदमा _ठीक है जी।
उधर पदमा, बात चीत में लगी थी।
उसका शरीर राजेश के सीने से एकदम से चिपका हुआ था, उसका एहसास भी नहीं था।
इधर राजेश की नाक में एक जनाना बदन की खुशबू नाक पे, पहुंचते ही उसका बदन गर्माने लगा। राजेश को पदमा की बड़ी बड़ी चूचियां जो उसके सीने में दबा huwa था।
राजेश का बेचैनी बढ़ाने लगा।
जो मूंगफली उसने खाया था वह भी असर दिखाने लगा
राजेश का land धीरे धीरे टन टनाने लगा।
दोनो के बदन कंबल से ढका हुआ था, केवल सिर ही बाहर निकले हुवे थे।
पदमा बातचीत में लगी हुई थी, इधर राजेश का land धोती के अंदर तन चुका था।
वैसे भी राजेश ने काफी दिनो से किसी औरत को भोगा नही था, उसका भी असर था।
जो उसके शरीर में जोश भर रहा था। आखिर राजेश भी एक मर्द था एक जनाना उसके शरीर से इस तरह चिपका huwa हो, ऊपर से मूंगफली की गर्मी, उम्र का प्रभाव, लंबे समय तक संभोग न करना, ये सब कारण से राजेश के न चाहने पर भी उसके land पर उसका नियंत्रण न रहा और राजेश का land तनकर लंबा और मोटा हो गया।
मोबाइल पर बात चीत बंद होने के बाद।
राजेश _ताऊ जी क्या बोल रहे थे ताई?
पदमा _राजेश बेटा तुम्हारे ताऊ जी कह रहे थे मौसम बड़ा खराब है, झोपड़े से बाहर मत निकलना, कल सुबह ही घर आना। आज रात किसी तरह झोपड़े में ही कांटने को बोले।
राजेश _हा ताई इसके अलावा और कोइ चारा तो है नही।
दोनो आंखे बंद कर सोने की कोशिश करने लगे।
कुछ देर बाद पदमा को अहसास huwa की उसके पेट में कुछ चुभ रहा है।
उसे पता चल गया कि राजेश उत्तेजित हो गया है। उसे बहुत ही लज्जित महसूस होने लगी।
वह करवट लेकर लेट गई।
राजेश वैसा ही लेटा रहा।
राजेश का land अब पदमा के गाड़ को चुभने लगा।
पदमा की हालत खराब होने लगी।
केशव पदमा की माह में एकात बार ही चोदता था।
वह भी पदमा के पहल करने पर, कभी कभी जब पदमा की बहुत अधिक ईच्छा होती थी तो ख़ुद ही पहल करती थी ।
इधर पदमा एक तरफ लज्जित महसूस कर रही थी तो दूसरे तरफ एक मोटे land के अहसास से उसका शरीर गर्माने लगा।
वह राजेश को इस विषय में कुछ कह भी नहीं सकता था।
इधर राजेश ने एक हाथ पे अपना सिर रखा huwa था तो दूसरा हाथ पदमा के पेट पे रख दिया जिससे पदमा सिहर उठी।
पदमा सिर्फ कुर्ता पहनी थी और कुछ नही।
पदमा एकदम खामोश थी, वह बहुत ही अजीब परिस्थिति में फस गई थी। वह बिल्कुल खामोश थी।
कुछ देर दोनो ऐसे ही लेटे रहे।
फिर राजेश सीधा होकर पीठ के बल लेट गया।
उसका land एकदम तनकर सीधा खड़ा huwa था।
वह उठ कर बैठ गया।
पदमा _क्या huwa बेटा नींद नहीं आ रही क्या?
राजेश _ताई, मुझे पेसाब लगी है?
पदमा _बेटा, जरा झोपड़ी का दरवाजा खोल कर देखो।
बारिश कम हुई क्या?
राजेश ने दरवाजा खोल कर देखा तो बारिश अभी भी हो रही थी और तेज़ हवा भी चल रही थी।
राजेश _ताई बारिश तो अभी भी हो रही है।
ताई छतरी तो है, इसे लेकर चला जाता हूं।
पदमा _अरे बेटा इस छतरी में दम नहीं है, पुरानी हो चुकी है, तेज़ हवा में छतरी पलट जाएगी।
राजेश _ ओह, लगता है बारिश रुकने का इन्तजार करना पड़ेगा।
पदमा _जोरो की लगी है क्या?
चलो मैं तुम्हारे साथ चलती हूं मैं छतरी सम्हालूंगी , तुम पेसब कर लेना।
राजेश _पर ताई आपके सामने, मुझे शर्म आयेगी।
पदमा _अरे बेटा मैं मै मुंह दूसरी ओर कर लूंगा।
राजेश _ठीक है ताई,,
पदमा भी कंबल से बाहर निकल आई और सिर्फ कुर्ता पहने राजेश के साथ छतरी में झोपड़ी से बाहर निकली।
पदमा _बेटा बाहर तो एकदम अंधेरा है कुछ दिख ही नहीं रहा है।
राजेश _ताई, मैं अपने मोबाइल का टार्च ऑन करता हूं।
राजेश ने मोबाइल का टार्च ऑन किया।
पदमा _बेटा झोपड़ी से ज्यादा दूर जाने की जरूरत नही यहीं कर लो।
दो छतरी को मुझे दो।
पदमा ने छतरी को अच्छे से पकड़े रखा ताकि हवा से छतरी उल्टे मत।
पदमा ने अपना मुंह दूसरी ओर करते हुए कहा।
लो बेटा अब जल्दी करो नही तो हम भीग जायेंगे।
राजेश _ठीक है ताई।
राजेश ने अपना धोती से land बाहर निकाला जो एक दम खड़ा huwa था। उसने मूतने की कोशिश की, लेकिन land खड़ा होने के कारण मूत ठीक से बाहर नहीं आ पा रहा था।
पदमा _क्या huwa बेटा जल्दी करो?
राजेश _जी ताई।
राजेश ने अपने land को अपने हाथो से पकड़ कर हिलाने लगा, थोड़ी देर बाद रुक रुक कर पेशाब आ ने लगी।
पेशाब, पेड़ के पत्ते पर पड़ने से चर चर की रुक रुक कर आवाज़ आता, जिसे सुनकर पदमा की शरीर में एक अजीब सी हलचल होने लगी।

जब आवाज़ आना बंद huwa।
पदमा _हो गया क्या बेटा?
राजेश _हा ताई।
चलो अब चलते है, नही तो भीग जायेंगे।
पदमा _बेटा थोडा रुको।
राजेश _क्या huwa ताई?
पदमा _बेटा पेशाब तो मुझे भी लगी है?
राजेश _तो आप भी कर लीजिए, दो छतरी को मुझे दो।
पदमा _पर बेटा मुझे बड़ी शर्म आ रही है, तुम्हारे सामने,

राजेश _जैसे मैने आपके सामने किया वैसे ही तुम भी कर लो, यह हम दोनो के सिवा कोई तीसरा तो है नही। लो मैं अपना मुंह दूसरी ओर कर लिया आप जल्दी से कर लो।
पदमा _ठीक है बेटा।
पदमा नीचे उकडु बैठ गई और कुर्ता को थोडा उठा दी।
फिर मूतना शुरू कर दी। पेशाब की तेज़ धार पेड़ के पत्ते पर पड़ने से चर,,,,,,,,,,, की आवाज़ आने लगी। यह आवाज सुनकर राजेश का land फिर से तनकर खड़ा हो गया।
इधर पेशाब करने के बाद लज्जित महसूस करते हुए पदमा बोली,,
बेटा अब चलो जल्दी झोपड़ी में, नही तो भीग जायेंगे। बाहर की ठंडी हवाओं से दोनो के शरीर कपकपाने लगे थे।
दोनो झोपड़ी के अंदर आए।
राजेश ने झोपड़ी का दरवाजा अच्छे से बंद कर दिया।
इधर पदमा खाट जाकर लेट गई और कंबल ओढ़ लिया।
पदमा _बेटा तुम भी आ जाओ, बाहर बहुत ठंडी है
राजेश भी खाट के एक किनारे लेट गया और कंबल ओढ़ लिया।
पदमा ने राजेश की ओर पीठ करके करवट लेकर लेट गई।
राजेश सीधा लेट कर लेट गया, था।
राजेश land तना हुआ था। वह एक हाथ से अपना land सहलाने लगा।
उसे chudai करने की बड़ी ईच्छा हो रही थी।
उसे एक जनाना के शरीर से चिपकने का मन कर रहा था।
वह पदमा की ओर करवट लेकर लेट गया।
जिससे उसका land पदमा की गाड़ में चुभने लगा।

पदमा को जब मोटे land का फिर से अहसास huwa तो उसका शरीर फिर से गर्माने लगा।
इधर राजेश तो उत्तेजित था ही उसे चोदने के लिए बुर चाहिए था।
उसने अपना एक हाथ पदमा के पेट पर रख दिया। जिससे पदमा का पूरा शरीर कपकपा गया।
वह राजेश से कुछ कह भी नहीं सकती थी।
इधर राजेश को जानना शरीर से चिपकने का बड़ा मन कर रहा था वह पदमा के शहरी से एकदम से सट गया।
जिससे उसका land धोती के ऊपर से ही पदमा की बुर पे दस्तक देने लगा। पदमा का शरीर सिहर उठा।
वह खामोश ही रही जैसे कुछ हुआ ही नहीं।
इधर राजेश का हिम्मत बढ़ने लगा, वह पदमा का पेट कुर्ता के ऊपर से ही सहलाने लगा।
पदमा के सरीर में सिहरन डी दौड़ने लगी।
उधर राजेश अपने land ka दबाव हल्के हल्के पदमा के बुर पर बढ़ाने लगा।
राजेश की हरकतों से पदमा की बुर पानी छोड़ने लगी।
इधर राजेश हल्का हल्का अपना क़मर हिला हिला अपना land कपड़े के ऊपर से ही बुर मे ढकलने लगा, जैसे वह बुर चोद रहा हो।
पदमा भी उत्तेजित हो चुकी थी।वह खामोश रही।
जिससे राजेश का हौसला और बढ़ गया। वह अपने हाथ को पेट से हटा कर ऊपर उसकी चूचियों पर रख दिया।
चुचियों पर हाथ रखते ही, पदमा ने राजेश का हाथ पकड़ लिया।
वैसे ही कुछ देर दोनो रुके रहे।
फिर राजेश ने उसकी चुचियों को कुर्ते के ऊपर से ही मसलना सुरू किया।
पदमा के मुंह से हल्की हल्की मादक सिसकारी, निकलने लगी।
राजेश ने अपना land धोती से बाहर निकाल लिया और पदमा की कुर्ता को थोडा ऊपर उठा कर land को उसकी टांगो के बीच घुसा दिया।
और हल्के हल्के धक्के लगाने लगा।
Land बुर को बाहर से रगड़ने लगा, जिससे बुर से पानी रिसने लगा।
एक हाथ से पदमा की बड़ी बड़ी चूचियां को मसलने का काम जारी रखा। राजेश के इन हरकतों से पदमा अत्यंत गर्म हो गई।
राजेश को इस बात का जब अहसास हुआ की पदमा अब कोइ विरोध करने की स्थिति में नहीं है। वह उसकी एक टांग को थोडा ऊपर उठा या और अपना land उसकी बुर में डालने की कोशिश करने लगा।
राजेश काफी देर तक प्रयास करता रहा, और एक समय आया जब land का टोपा बुर में घुस गया।
पदमा सिसक उठी।
उसके बाद राजेश ने पदमा की टांग को थोडा और उठा कर एक जोर का धक्का मारा land सरसराता huwa आधा अंदर घुस गया।
पदमा चिहुक उठी।
राजेश ने अपना land पदमा की बुर में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
पदमा की बुर पूरी तरह गीली हों चुकी थी,land बुर में आसानी से अंदर बाहर होने लगा जिससे दोनो को बहुत मजा आने लगा।
राजेश धीरे धीरे अपना गति बढ़ाने लगा।
अब land पदमा की बुर में फच फच की आवाज़ करता huwa अंदर बाहर होने लगा।
पदमा अपने मुंह से मादक सिसकारी रोकने की असफल कोशिश करती रही लेकिन रोक न सकी।
पदमा की मादक सिसकारी झोपड़ी में गूंजने लगी।
कुछ देर तक इसी पोजीशन में पदमा को कामसुख देने के बाद राजेश ने chudai रोक दिया।
अपना land पदमा की बुर से बाहर निकाल लिया और पदमा की बाहों को खींचकर सीधा लिटा लिया और ख़ुद उसके ऊपर लेट गया।
पदमा अपनी आंखे बंद कर ली थी वह राजेश से आंखे नही मिला सकती थी।
राजेश और पदमा दोनो कंबल के अंदर थे केवल उसका सिर बाहर निकला huwa था।
राजेश जोश में पदमा की गालों को ओंठो को चुनने चाटने लगा।
अपना land उसकी बुर में डालकर अपनी क़मर हिला हिला कर चोदने लगा।
पदमा की बुर की भगनाशा से land अच्छी तरह रगड़ खाने से पदमा को संभोग का परम आनद मिलने लगा।
वह ख़ुद को ज्यादा समय तक रोक न सकी और राजेश को जोर से जकड़ कर झड़ने लगी।
राजेश ने क़मर हिलाना बंद कर दिया।
पदमा की आंखो की पुतलियां पलट चुकी थी उसे chudai में ऐसा आनद पहले कभी नही मिला था।
कुछ देर तक दोनो ऐसे ही लेटे रहे।
कुछ देर बाद राजेश ने अपनी क़मरफिर से धीरे धीरे हिलाना शुरू किया।
धीरे धीरे पदमा फिर गरम होने लगी।
दोनो के शरीर बहुत गर्मा गया था।
राजेश अब उठ कर बैठ गया। और उसकी टांगों को फैला कर उसके बीच उकडू बैठ गया।
अब राजेश अपना land पदमा की बुर पे रख कर एक जोर का धक्का मारा land सरसराटा huwa एक ही बार में आधे से ज्यादा अंदर घुस गया।

अब राजेश ने पदमा की चुचियों को हाथो में थाम लिया और उसे मसल मसलकर कमर हिला हिला कर गच गच चोदना शुरु कर दिया।
पदमा के मुंह से सिसकारी निकल कर झोपड़ी में गूंजने लगी।
Land बुर में गपागप अंदर बाहर हो रहा था जिससे दोनो को संभोग का परम सुख प्राप्त होने लगा।
कमरे में कई तरह की आवाजे गूंजने लगी।
पदमा की मादक सिसकारी, उन,, ई, माई,,,,,
खाट की बजने की चर चर चर,,,,
पदमा की चूड़ियों की झांकने की,,, खन खन,,,, खन,,
Land का बुर में जाने की फच फ्च,,,,
बाहर बादल गरज रहा, बिजली कड़क avm चमक रही थी।
वातावरण पूरी तरह काममय था।
दोनो जन्नत की सैर कर रहे थे।
पदमा को संभोग का ऐसा सुख पहली बार मिल रहा था।
Land काफी मोटा होने के कारण बुर की दीवार और भग्नाशा को अच्छी तरह रगड़ रहा था, जिससे पदमा को परम सुख मिल रहा था,land लंबा होने से गहराई तक जा रहा था,land का टोपा गर्भाशय मुख से टकराने से, पदमा के शरीर में अलग ही तरंग पैदा कर रहा था।
पदमा राजेश की कमर पकड़ कर अपनी कमर नीचे से हिला हिला कर राजेश का सहयोग करने लगी।
राजेश पदमा की बड़ी बड़ी चूचियां को मसल मसल कर कंबल के नीचे ही चोद रहा था।
पदमा की तो आंखे बंद थी राजेश पदमो को देख देख कर उसकी गालों को कभी चूमता तो कभी उसकी ओंठो का रस चूसता huea चोदना जारी रखा, पदमा दूसरी बार झड़ चुकी थी।
केशव तो बड़ी मुस्किल से एक बार हो झाड़ पाता तो बहुत था।
वह राजेश की मर्दानगी देख कर दंग थी।
राजेश पदमा के झड़ने के बाद कुछ देर रुक जाता जिससे उसे खोया huea ताकत फिर से मिल जाता। कुछ देर बाद राजेश फिर से पदमा की चोदना शुरू कर देता और उसे जन्नत की सैर कराने लगता।
और अन्त में राजेश भी कराहते हुवे, आह मां आह,,,
पदमा की योनि में अपन बीज छोड़ दिया।
राजेश के पानी से बुर पूरी तरह भर कर पदमा की टांगो में बहने लगा।
गर्म गर्म वीर्य की पिचकारी अपनी बुर में महसूस कर पदमा एक बार और झड़ गई।
दोनो काफी थक चूके थे।
एक दूसरे से चिपक कार सो गए। जब नींद खुली तो पदमा देखा की बारिश रुक चुकी है।
वह अपनी हालात देखि। वह शर्म से लज्जित होने लगी।
वह खाट से उठी, राजेश के शरीर पर कंबल डाल दिया। और अपने कपड़े जो कुछ कुछ सुख चुका था को पहनने लगी, कपड़े पहनने के बाद वह वहा से घर चली गई।
जब राजेश का नींद खुला तो पदमा वहा नही थी। वह उठकर खेत में इधर उधर देखा कहीं नहीं दिखी।
राजेश को लगा ताई घर चली गईं है।
कल रात में जोश में उसने ताई के साथ जो किया उसके बाद पता नही ताई उसके साथ कैसा व्यवहार करेगी। वह चिंतित होने लगा।
कुछ देर बाद केशव खेत पहुंचा।
केशव _अरे राजेश बेटा, खेत में सब ठीक तो है न।
राजेश _हा ताऊ जी कुछ जानवर खेत में घुसने की कोशिश कर रहा था मैने उसे भगा दिया।
केशव _माफ करना बेटा कल मैं शाम को खेत आ न सका और तुमको सारी रात खेत में ही रुकना पड़ा।
राजेश _ताऊ जी यह खेत मेरा भी है मेरा भी कुछ फर्ज बनता है । इसमें माफी मांगने की क्या बात?
केशव _अच्छा बेटा अब तुम घर जाओ। यहां की जिम्मेदारी मैं सम्हालता हु।
राजेश _ठीक है ताऊ जी।
राजेश खेत से घर पहुंचा।
भुवन भी घर पहुंच गया था।
उधर पदमा घर में जाने के बाद, नहा ली थी। राजेश ने उसकी जमकर chudai किया था उसकी बुर सूज गई थी। वह अपनी बुर की हालात देखी और लज्जित महसूस करने लगी थी।
इधर राजेश ने जब भुवन को देखा,,
राजेश _अरे भुवन भईया, तुम कब घर पहुंचे।
भुवन _बस अभी ही। पुनम बता रही थी की, मां और तुम बारिश में ही फस गए थे पूरी रात खेत में ही गुजारनी पड़ी।
सब ठीक तो हैं न ।
राजेश _हा भईया सब ठीक है।
भुवन _अच्छा चलो अब नहाते है।
दोनो बाड़ी में नहाने चले गए।
नहाकर आए और पुनम ने उन दोनो के लिए नाश्ता लगाया
इधर पदमा राजेश के सामने आने से बचने लगी।
उसकी राजेश से बातचीत करने की उसकी हिम्मत नही हो रही थी बहुत ही शर्मिंदगी महसूस कर रही थी।
भुवन खेत चला गया। राजेश अपने कमरे में जाकर आराम करने लगा।
फिर अपनी पढ़ाई भी करने लगा।
दोपहर में भी पुनम ने राजेश को भोजन के लिए बुलाया। उसने पुनम से पूछा की ताई कहा है तो पुनम ने कहा की मां जी तो तुम्हे भोजन दे देने कह कर खेत चली गईं।
खेत से आने के बाद भी पदमा ने राजेश से कोइ बात नहि की न ही उसके सामने आई ।
इधर राजेश को बहुत बुरा लग रहा था कि ताई मुझसे नाराज हो गई है।
मैने बड़ी गलती कर दी है, मुझे उससे माफी मांगनी होगी।
रात में पुनम दूध का गिलास लेकर कमरे में पहुंची।
पुनम _देवर जी दूध पी लीजिए।
राजेश, ने गिलास लेकर दूध पी लिया। धन्यवाद भौजी।
पुनम _अरे देवर जी आज तो आप बिना कुछ बोले ही गाय का दूध पी लिया। तुम तो अपने भईया से ताजे दूध की मांग कर रहे थे ।
राजेश _सारी भौजी, मुझे आपसे ऐसी मांग नही करनी चाहिए थी।
मुझे माफ कर दीजिए।
पुनम _अरे देवर जी, भौजी और देवर में तो ये हसी मजाक तो चलता रहता है कोइ बात है क्या?
राजेश _नही भौजी कोइ बात नहीं है? मैं अपनी हद भुल गया था मुझे माफ कर दीजिए।
पुनम _देवर जी पता नहीं तुम्हे क्या हो गया है? ठीक है मैं चलती हूं।
पुनम वहा से चली गई।
अगले दिन भी पदमा उसके सामने नही आई और राजेश से बातचीत नही की।
राजेश को बिल्कुल अच्छा नही लग रहा था। वह पदमा से माफी मांगना चाहता था लेकिन उसे मौका नही मिल रहा था।
इधर पुनम को भी राजेश का व्यवहार में काफी बदलाव महसूस करने लगी। पहले तो उससे हसी मजाक और छेड़ छाड़ करता था। पर उसने ये सब अचानक बंद कर दिया। लगता है देवर जी मुझसे नाराज हो गए हैं।
रात में जब, वह राजेश के कमरे में गई।
राजेश _भौजी आज दूध नही लाई।
पुनम _देवर जी, मैं सोच रही थी कि आज तुम्हे ताजा दूध पिला दू।
राजेश _भौजी मैं समझा नही।
पुनम ने अपनी साड़ी की पल्लू हटा दिया। लो देवर जी अपनी ईच्छा पूरी कर लो। पी लो ताजा दूध।
राजेश _भौजी ये आप क्या कर हो?
किसी ने देख लिया तो आप कृपया चली जाइए प्लीज।
पुनम _देवर जी आखिर बात क्या है? जरूर कोइ बात है जो मुझसे छुपा रहे हो। मुझसे नाराज हो क्या?
राजेश _भौजी, मैं आपसे नाराज नहीं हूं।
पुनम_फिर दूध पीने से मना क्यू कर रहे हो? उस दिन तो बड़े मजे से पिए थे।
राजेश _भौजी कहा न मैं अपना हद भुल गया था। उसके लिए मैं शर्मिंदा हूं। मुझे माफ कर दीजिए।
पुनम _ठीक है देवर जी जैसी आपकी इच्छा।
पुनम वहा से चली गईं।
इधर राजेश पदमा के व्यवहार से दुखी था वह माफी मांगने के लिए मौका ढूंढ रहा था।
एक दिन आरती अपने सहेली के घर गई थी और पुनम अपने कमरे में मुन्ने को सुला रही थी।
पदमा कीचन में थी।
राजेश कीचन में गया।
राजेश _ताई, मुझे माफ कर दीजिए। उस दिन आपके साथ मैने अच्छा नही किया।
मैं जानता हूं कि उस दिन से आप मुझसे नाराज हैं। मैं यहां से चला जाऊंगा।
पदमा _नही, राजेश तुम्हे कहीं जाने की जरूरत नही।
उस दिन जो भी huwa उसके लिए मैं भी जिम्मेदार हू। मैं चाहती तो तुम्हे रोक सकती थी। मैं भी हवस में तुम्हे रोक न सकी।
और कुछ ऐसी परिस्थितियां भी निर्मित हो गई थी तुम जवान हो, इस उम्र मैं ऐसा हो जाता हैं।
राजेश _फिर आप मुझसे बात चीत क्यू नही करती और सामने आने से भी कतराती हो।
पदमा _बेटा मैं तुम्हारे सामने आनी से लज्जित महसूस करती हूं।
राजेश _ताई जो huwa उसे भुल जाओ। और आप मुझसे पहले जैसा व्यवहार कीजिए प्लीज नही तो मैं अपने आप को माफ नहीं कर सकूंगा।
पदमा _राजेश बेटा शायद तुम ठीक कह रहे हो मुझे ऐसा व्यवहार नही करना चाहिए।
बेटा, इस घटना के बारे मे किसी को कुछ बताया तो नही।
राजेश _नही ताई, ऐसी बाते किसी से थोड़े कहूंगा।
पदमा _बेटा ये किसी को मत बताना नही तो बड़ी बदनामी हो जाएगी।
राजेश _नही ताई ये बात मैं किसी से नहीं कहूंगा। आप मूझपर भरोसा कीजिए।
पदमा _ठीक है बेटा, अब तुम अपने कमरे में जाओ।
राजेश वहा से चला गया।
उस दिन के बाद पदमा और राजेश के बीच सब नार्मल होने लगा। पदमा राजेश के साथ पहले जैसा बरताव करने लगी।
इधर अब राजेश भी खुश था।
पदमा को अब रात में राजेश के साथ जो संभोग सुख मिला था वह याद आने लगा, जिससे वह गर्म हो जाती।
उस रात राजेश ने उसे संभोग का जो सुख दिया था। ऐसा सुख उसके पति से कभी नहीं मिला था।
एक दिन वह रात में उन पलों को याद कर बहुत गर्म हो गई।
रात में केशव से,,
पदमा _क्या जी आपको तो मेरी जरा भी चिन्ता नहीं खाना खाने के बारे घोड़ा बेचकर सोने लगते हो।
केशव _बोलो मेरी जान क्या सेवा करू?
पदमा _आज बड़ा मन कर रहा है, प्यार कीजिए ना।
केशव _ अरे क्या करू मेरी जान, खेत में काम कर के थक जाता हूं। सारी।
आओ आज तुम्हारी इच्छा पूरी कर दू।
पहले इसे तैयार तो करो।
केशव ने अपना सिकुड़ा हुआ land बाहर निकाल कर कहा। पदमा ने केशव का land हाथ में लेकर सहलाने लगा।
Land में थोडा तनाव आने लगा।
केशव, पदमा की चूची दबाने लगा।
केशव _चलो तैयार हो जाओ।
पदमा बेड पर लेट गई,
अपनी साड़ी और पेटिकोट ऊपर उठा दी।
उसकी मस्त फूली हुईं गोरी चूत केशव के सामने आ गया।
केशव _वाह मेरी जान तुम तो एकदम चिकनी हो गई हो, आज बुर मारने में बड़ा मज़ा आएगा।
केशव ने पदमा की बुर में उंगली डाल कर पहले अंदर बाहर किया।
पदमा पहले से ही गर्म थी उसकी बुर पानी से लबालब हो चुका था।
केशव की उंगली बुर की पानी से गीला हो गया।
केशव ने देर न करते हुए, पदमा की बुर के छेद में अपना land सेट कर एक जोर का धक्का मारा एक ही बार में land सरसराकर पूरा अंदर चला गया।
केशव ने पदमा की चूची को मसल मसल कर land को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
पर ये क्या? केवल पांच मिनट में ही उसका पानी छूट गया।
केशव बेड के एक और लुड़क गया।
इधर पदमा तो केवल मजा आना शुरू ही हुआ था। और खेल खतम हो गया।
उसे अपने पति पर बहुत गुस्सा आ रहा था। उसकी चूत की प्यास बुझाने के बजाय और बड़ा दिया था।
पर वह कर भी क्या सकती थी।
वह बेड से उठी और आंगन में जाकर अपनी बुर को पानी से अच्छे से धोई।
फिर अपने कमरे में आकर लेट गई।
वह बहुत गर्म थी, उसे नींद नहीं आ रही थी उसने अपने पति की ओर देखा जो घोड़े बेच कर सो रहा था।
उसने अपनी चूत की प्यास बुझाने के लिए अपनी उंगली को बुर में डालकर अंदर बाहर करने लगी।
पर उसकी चूत की प्यास बुझने की बजाए और बड़ गई।
उससे बर्दास्त करना मुस्किल हो गया।
उस राजेश के साथ बिताए वह पल याद आने लगा कैसे राजेश ने उसे एक ही रात में कई बार झा डा था, उसकी बुर सूजा दी थी। उस पल को याद कर वह संभोग के लिए तड़प उठी।
वह अपने बेड से उठी और न चाहते हुवे भी उसकी कदम राजेश के कमरे की ओर जाने लगी, जाते समय वह सरसो का तेल अपने साथ ले गई।
राजेश इस समय सोया नही था, पढ़ाई कर रहा था।
पदमा ने दरवाजा खटखटाया, राजेश ने दरवाजा खोला।
राजेश _ताई आप, कुछ काम था क्या?
पदमा _बेटा, मेरे पीठ और कमर दर्द कर रहा है मैं सो नहीं पा रही। तुम्हारे ताऊ जी तो सो चूके है मैं उसे उठाना उचित नहीं समझी? क्या तुम मेरी कमर और पीठ की मालिश कर दोगे, मुझे राहत मिल जाएगी।
राजेश _ताई जी, अंदर आइए न।
पदमा कमरे में रखे पलंग पर जाकर बैठ गई।
राजेश _बोलो ताई, क्या करना है?
पदमा _बेटा पहले मेरे पीठ की तेल से मालिश कर दो, दर्द कर रहा है।
राजेश _ठीक है ताई, आप पेट के बल लेट जाइए।
पदमा पीठ के बल पलंग पर लेट गई।
राजेश ने तेल अपने हाथ में लेकर ब्लाउज के नीचे भाग पर मालिश करने लगा।
पदमा _बेटा दर्द थोडा ऊपर है! रुको मैं अपनी ब्लाउज निकाल देती हूं।
पदमा ने अपनी साड़ी की पल्लू को दांत से दबाकर अपनी ब्लाउज निकाल दी और पीठ के बल लेट गई।
राजेश ने पदमा की खुली पीठ पर तेल लगा कर मालिश करने लगा।
राजेश _ताई कुछ राहत मिला।
पदमा _हा,re तु तो बड़ा अच्छा मालिश कर रहा है दर्द से राहत मिल रही है। थोडा और मालिश करो बेटा।
राजेश _जी ताई, मैं आपको दर्द से पूरा राहत पहुंचा दूंगा।
इधर राजेश के मालिश करने से पदमा और गर्म होने लगी।
पदमा _बेटा उस दिन की घटना को किसी को बताया तो नही।
राजेश _नही ताई, ऐसी बात मैं कैसे किसी से कहूंगा।
पदमा _अच्छा किया बेटा जो किसी को नहीं बताया नही तो बड़ी बदनामी हो जाती। तुमसे एक बात पूछूं।
राजेश _हा ताई पूछो।
पदमा _मैं तो तुम्हे बड़ा भोला समझ रही थी तु तो बड़ा खिलाड़ी निकला।
मुझे लगता है पहले भी कई महिलाओं के साथ कर चुका है। बताओ मैं सच कह रही ना।
राजेश _ताई आप भी न,,,
पदमा _अरे शर्मा क्यू रहा है बताता क्यू नही?
राजेश _हां ताई, मैंने पहले भी ये सब किया है।
पदमा _तेरा होने वाला बीवी बड़ी किस्मत वाली होगी।
राजेश _ताई ऐसा क्यू?
पदमा _उसे ऐसा मर्द जो मिलेगा, जो उसे भरपूर सुख देगा।
राजेश _वैसे ताई एक बात पूछूं आप बुरा तो नही मानोगी।
पदमा _अरे पूछो, नही मानूंगी बुरा।
राजेश _आपको मजा आया की नही।
पदमा _पदमा शर्म से पानी पानी हो गई।
राजेश _ताई बताओ न, मजा आया की नही।
पदमा _हूं,,,
पदमा _और तुम्हे।
राजेश _मुझे भी बहुत मजा आया।
पदमा _चल झूठा। मैं तो अब बूढ़ी हो चुकी हु मैं क्या मजा दूंगी।
राजेश _टाई ये आप क्या कह रही है आप और बूढ़ी। अभी तो आप काफी जवान और खुबसूरत है बदन पूरा कसा हुआ है।
पदमा _चल झूठा कहीं का।
राजेश _कसम से ताई मैं सच कह रहा हूं।
तुम्हारा बदन बहुत खुबसूरत है जवान लडकियों की तरह एकदम कसा हुआ।
पदमा _हसने लगा।
पदमा _वैसे तुम्हारा हथियार भी बड़ा दमदार है। गुफा के अंतिम छोर तक पहुंच जाता है।
राजेश _क्यू ताऊ जी का नही पहुंचता क्या अंतिम छोर तक।
पदमा _अरे उसका तो आधे तक नही पहुंच पाता।
थोड़े ही देर में फूस हो जाता है।
राजेश _ओह तब तो आप प्यासी रह जाती होगी।
पदमा _अब क्या कर सकते हैं?
राजेश _ताई कमर पे भी मालिश कर दू।
पदमा _हा re, रुको मैं पेटीकोट का नाडा खोल दू।
पदमा ने हाथ नीचे ले जाकर पेटी कोट का नाडा खोल दिया। और अपना साड़ी भी निकाल दिया ताकि उसमें तेल न लगे अब वह पेटीकोट में थी।
राजेश ने तेल से उसकी कमर पर मालिश करना सुरु कर दिया।
पदमा बहुत गर्म हो चुकी थी।
पदमा _वैसे तु कितनी महिलाओं का ले चुका है।
राजेश _बताया न बहुतों का।
पदमा _मेरी लेगा।
राजेश _ताई , आप मजाक कर रही है।
पदमा _अरे मैं मजाक नही कर रही, सच कह रही। आज तेरे ताऊ ने मुझे प्यासा ही छोड़ दिया।
अगर मेरी प्यास नही बुझी तो लगता है मैं मर न जाऊ।
राजेश _ओ तो ये बात है।
ठीक है, पर मैं जो कहूंगा वो करना पड़ेगा।
राजेश _क्या करवाएगा अपने ताई से।
राजेश _वही जिसमे दोनो को बहुत मजा आएगा।
पदमा _अच्छा बोलो क्या करना है।
राजेश _पहले आओ मेरी गोद में बैठो और अपनी दूदू पिलाओ।
पदमा _मुझे शर्म आयेगी, वह हसने लगी,,,,
मस्त अपडेट
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
3,901
15,036
159
पदमा, कुर्ता पहनकर, जो सिर्फ उसकी टांगो तक आ रहा था, को पहनकर ऊपर से खाट पे रखा कंबल लपेट लिया और खाट के एक किनारे पे बैठ गया।
इधर राजेश सिर्फ धोती में था। वह भी खाट के दूसरे किनारे पे बैठ गया।
कुछ देर बाद,,,,
पदमा _बेटा अब तो जोरो की भूख लगने लगी है।
राजेश _हा ताई मुझे भी।
पदमा _बेटा अब यहां मूंगफली के सिवा खाने के लिए कुछ है नही। बोरी से मूंगफली निकाल कर ले आओ, आज उसी से काम चलाना पड़ेगा।
राजेश _जी ताई।
झोपड़ी के बाहर अभी भी तेज़ हवाएं चल रही थी। बारिश हो रही थी और बिजली कड़क एवम बादल गरज रहा था।
राजेश ने बोरी से एक बांस के बने टोकरी में मूंगफली निकाला और उसे ले आया, खाट पे दोनो के बीच रख दिया।
पदमा और राजेश दोनो मुगफली खाने लगे।
पदमा _बेटा घर वाले भी हमारी चिन्ता कर रहे होंगे। पता नही भुवन भी घर पहुंचा है की नही।
उन्हे फोन लगा कर पता तो करो।
राजेश _जी ताई।
राजेश ने भुवन को काल करने की कोशिश की लेकिन मौसम खराब होने की वजह से काल लगा ही नहीं, उसने पुनम के पास भी लगाया,, उनसे भी बात नही हो पाई।
राजेश _ताई, मौसम खराब होने की वजह से मोबाइल भी काम नही कर रहा है।
दोनो ने पेट भर मूंगफली खाया।
फिर मटके में रखे पानी पी कर खाट में बैठ गए।
पदमा _बेटा ये बारिश तो रुकने का नाम ही नही ले रही है, लगता है रात भर ऐसे ही गुजारना पड़ेगा।
राजेश _ताई आप खाट पे लेट जाओ।
पदमा _बेटा और तुम।
राजेश _ताई मुझे तो पढ़ाई करते हुए रात में जगने की आदत है।
पदमा _आप सो जाइए।
पदमा खाट पे लेट गया।
खाट छोटा था। एक तकिया था। खाट पे एक पतला गद्दा बिछा था।
पदमा खाट पे लेट गया और कंबल को ओढ़ लिया।
राजेश खाट के किनारे थोड़ी जगह थी वहा बैठ गया।
इधर झोपड़ी पर ठंडकता बढ़ती ही जा रही थी।
राजेश सिर्फ धोती ही पहना था, उसका बदन ऊपर से नंगा था।
राजेश को भी ठंडकता महसूस होने लगी। वह अपने दोनो हाथों को रगड़ने लगा।
जिसे पदमा को पता चला की राजेश को ठंड लग रहा है।
पदमा _बेटा ठंडी बहुत बड़ गई है, रात भर ऐसे ही खुले बदन रहोगे तो तुम बीमार पड़ सकते हो, तुम भी आ जाओ खाट पे लेट जाओ। और कंबल ओढ़ लो।
राजेश _ ताई कंबल तो बड़ा है पर खाट पे तो जगह बहुत कम है।
पदमा _बेटा, किसी तरह दोनो एडजेस्ट हो जायेंगे। मुझे बिल्कुल अच्छा नही लग रहा है तुम्हे ठंड से ठिठुरते देख कर ।
राजेश _ठीक है ताई।
राजेश खाट के किनारे से उठा।
पदमा दूसरे तरफ थोडा खिसकी, राजेश ने कंबल थोडा हटाया और वह खाट पे लेट गया। दोनो एक दूसरे की और पीठ करके करवट लेकर लेट गए औरकंबल को ओढ़ लिए।
दोनो का पीठ एक दूसरे से चिपका huwa था।
कुछ देर बाद,,,
पदमा _बेटा अब तुम्हे ठंड तो नही लग रही है
राजेश _नही ताई, अब तो बिलकुल ठंड नही लग रही है।
तभी राजेश के फोन पे पुनम का काल आया ।
पुनम _ राजेश तुम लोग कहा हो?
राजेश _भौजी हम लोग तो खेत के झोपड़े में ही है, बाहर का मौसम बहुत खराब है हम घर नही आ पा रहे। मैने कई बार फोन लगाया पर मौसम खराब होने के कारण लग ही नहीं पा रहा था ।
पुनम _हा राजेश मैं भी कब से, ट्राई कर रही थी, पर लग नही पा रहा था।
तुम लोग कैसे हो? हम लोगो को बड़ी चिन्ता हो रही थी।
राजेश _भौजी हम लोगो बिलकुल ठीक है, तुम लोग हमारी चिन्ता मत करो ।
तभी,, पदमा ने कहा,,
पदमा_बेटा किसका फोन है?
पुनम _ताई, भौजी बात कर रही है। कह रही है वो हम लोगो को लेकर चिंतित है।
पदमा _अच्छा बेटा दिखाओ फोन को मुझे बात करने दो,,
पदमा राजेश की ओर घूम गई।
राजेश _भौजी लो, ताई से बात करो, कहते हुवे वह भी, पदमा की ओर घूम गया।
राजेश _लो ताई भौजी से बात करो।
दोनो पेट एक एक दूसरे से चिपक गए। पदमा की छातियां राजेश की सीने से एकदम से सट गया।
इस पर ध्यान न देते हुए पदमा, पुनम से बात करने लगी।
पदमा _अरे बहु, घर में सब ठीक तो है न।
पुनम _हा, मां जी हम सब ठीक है।
पदमा _भुवन घर आया है की नही।
पुनम _नही मां जी वह भी बारिश में फसा है, उनसे बात हुई है वह अब सुबह ही आयेंगे। वह शहर में कहीं ठहरा हुआ है।
पदमा _और तुम्हारे ससुर जी का नशा उतरा है की नही।
पुनम _उतर चुका है मां जी, उसे भी आप लोगो की चिन्ता हो रही थी।
लो बापू जी से बात करो।
केशव _अरे पदमा तुम लोग ठीक तो हो न।
पदमा _हा जी हम लोग ठीक तो है पर मौसम बहुत खराब है लगता है हमे रात भर झोपड़े में ही रहना पड़ेगा।
केशव _अरे पदमा ऐसे मौसम में रात में घर आना ठीक नही है। तुम लोग कल सुबह ही घर आना। किसी तरह आज की रात झोपड़े में ही कांट लो।

पदमा _ठीक है जी।
उधर पदमा, बात चीत में लगी थी।
उसका शरीर राजेश के सीने से एकदम से चिपका हुआ था, उसका एहसास भी नहीं था।
इधर राजेश की नाक में एक जनाना बदन की खुशबू नाक पे, पहुंचते ही उसका बदन गर्माने लगा। राजेश को पदमा की बड़ी बड़ी चूचियां जो उसके सीने में दबा huwa था।
राजेश का बेचैनी बढ़ाने लगा।
जो मूंगफली उसने खाया था वह भी असर दिखाने लगा
राजेश का land धीरे धीरे टन टनाने लगा।
दोनो के बदन कंबल से ढका हुआ था, केवल सिर ही बाहर निकले हुवे थे।
पदमा बातचीत में लगी हुई थी, इधर राजेश का land धोती के अंदर तन चुका था।
वैसे भी राजेश ने काफी दिनो से किसी औरत को भोगा नही था, उसका भी असर था।
जो उसके शरीर में जोश भर रहा था। आखिर राजेश भी एक मर्द था एक जनाना उसके शरीर से इस तरह चिपका huwa हो, ऊपर से मूंगफली की गर्मी, उम्र का प्रभाव, लंबे समय तक संभोग न करना, ये सब कारण से राजेश के न चाहने पर भी उसके land पर उसका नियंत्रण न रहा और राजेश का land तनकर लंबा और मोटा हो गया।
मोबाइल पर बात चीत बंद होने के बाद।
राजेश _ताऊ जी क्या बोल रहे थे ताई?
पदमा _राजेश बेटा तुम्हारे ताऊ जी कह रहे थे मौसम बड़ा खराब है, झोपड़े से बाहर मत निकलना, कल सुबह ही घर आना। आज रात किसी तरह झोपड़े में ही कांटने को बोले।
राजेश _हा ताई इसके अलावा और कोइ चारा तो है नही।
दोनो आंखे बंद कर सोने की कोशिश करने लगे।
कुछ देर बाद पदमा को अहसास huwa की उसके पेट में कुछ चुभ रहा है।
उसे पता चल गया कि राजेश उत्तेजित हो गया है। उसे बहुत ही लज्जित महसूस होने लगी।
वह करवट लेकर लेट गई।
राजेश वैसा ही लेटा रहा।
राजेश का land अब पदमा के गाड़ को चुभने लगा।
पदमा की हालत खराब होने लगी।
केशव पदमा की माह में एकात बार ही चोदता था।
वह भी पदमा के पहल करने पर, कभी कभी जब पदमा की बहुत अधिक ईच्छा होती थी तो ख़ुद ही पहल करती थी ।
इधर पदमा एक तरफ लज्जित महसूस कर रही थी तो दूसरे तरफ एक मोटे land के अहसास से उसका शरीर गर्माने लगा।
वह राजेश को इस विषय में कुछ कह भी नहीं सकता था।
इधर राजेश ने एक हाथ पे अपना सिर रखा huwa था तो दूसरा हाथ पदमा के पेट पे रख दिया जिससे पदमा सिहर उठी।
पदमा सिर्फ कुर्ता पहनी थी और कुछ नही।
पदमा एकदम खामोश थी, वह बहुत ही अजीब परिस्थिति में फस गई थी। वह बिल्कुल खामोश थी।
कुछ देर दोनो ऐसे ही लेटे रहे।
फिर राजेश सीधा होकर पीठ के बल लेट गया।
उसका land एकदम तनकर सीधा खड़ा huwa था।
वह उठ कर बैठ गया।
पदमा _क्या huwa बेटा नींद नहीं आ रही क्या?
राजेश _ताई, मुझे पेसाब लगी है?
पदमा _बेटा, जरा झोपड़ी का दरवाजा खोल कर देखो।
बारिश कम हुई क्या?
राजेश ने दरवाजा खोल कर देखा तो बारिश अभी भी हो रही थी और तेज़ हवा भी चल रही थी।
राजेश _ताई बारिश तो अभी भी हो रही है।
ताई छतरी तो है, इसे लेकर चला जाता हूं।
पदमा _अरे बेटा इस छतरी में दम नहीं है, पुरानी हो चुकी है, तेज़ हवा में छतरी पलट जाएगी।
राजेश _ ओह, लगता है बारिश रुकने का इन्तजार करना पड़ेगा।
पदमा _जोरो की लगी है क्या?
चलो मैं तुम्हारे साथ चलती हूं मैं छतरी सम्हालूंगी , तुम पेसब कर लेना।
राजेश _पर ताई आपके सामने, मुझे शर्म आयेगी।
पदमा _अरे बेटा मैं मै मुंह दूसरी ओर कर लूंगा।
राजेश _ठीक है ताई,,
पदमा भी कंबल से बाहर निकल आई और सिर्फ कुर्ता पहने राजेश के साथ छतरी में झोपड़ी से बाहर निकली।
पदमा _बेटा बाहर तो एकदम अंधेरा है कुछ दिख ही नहीं रहा है।
राजेश _ताई, मैं अपने मोबाइल का टार्च ऑन करता हूं।
राजेश ने मोबाइल का टार्च ऑन किया।
पदमा _बेटा झोपड़ी से ज्यादा दूर जाने की जरूरत नही यहीं कर लो।
दो छतरी को मुझे दो।
पदमा ने छतरी को अच्छे से पकड़े रखा ताकि हवा से छतरी उल्टे मत।
पदमा ने अपना मुंह दूसरी ओर करते हुए कहा।
लो बेटा अब जल्दी करो नही तो हम भीग जायेंगे।
राजेश _ठीक है ताई।
राजेश ने अपना धोती से land बाहर निकाला जो एक दम खड़ा huwa था। उसने मूतने की कोशिश की, लेकिन land खड़ा होने के कारण मूत ठीक से बाहर नहीं आ पा रहा था।
पदमा _क्या huwa बेटा जल्दी करो?
राजेश _जी ताई।
राजेश ने अपने land को अपने हाथो से पकड़ कर हिलाने लगा, थोड़ी देर बाद रुक रुक कर पेशाब आ ने लगी।
पेशाब, पेड़ के पत्ते पर पड़ने से चर चर की रुक रुक कर आवाज़ आता, जिसे सुनकर पदमा की शरीर में एक अजीब सी हलचल होने लगी।

जब आवाज़ आना बंद huwa।
पदमा _हो गया क्या बेटा?
राजेश _हा ताई।
चलो अब चलते है, नही तो भीग जायेंगे।
पदमा _बेटा थोडा रुको।
राजेश _क्या huwa ताई?
पदमा _बेटा पेशाब तो मुझे भी लगी है?
राजेश _तो आप भी कर लीजिए, दो छतरी को मुझे दो।
पदमा _पर बेटा मुझे बड़ी शर्म आ रही है, तुम्हारे सामने,

राजेश _जैसे मैने आपके सामने किया वैसे ही तुम भी कर लो, यह हम दोनो के सिवा कोई तीसरा तो है नही। लो मैं अपना मुंह दूसरी ओर कर लिया आप जल्दी से कर लो।
पदमा _ठीक है बेटा।
पदमा नीचे उकडु बैठ गई और कुर्ता को थोडा उठा दी।
फिर मूतना शुरू कर दी। पेशाब की तेज़ धार पेड़ के पत्ते पर पड़ने से चर,,,,,,,,,,, की आवाज़ आने लगी। यह आवाज सुनकर राजेश का land फिर से तनकर खड़ा हो गया।
इधर पेशाब करने के बाद लज्जित महसूस करते हुए पदमा बोली,,
बेटा अब चलो जल्दी झोपड़ी में, नही तो भीग जायेंगे। बाहर की ठंडी हवाओं से दोनो के शरीर कपकपाने लगे थे।
दोनो झोपड़ी के अंदर आए।
राजेश ने झोपड़ी का दरवाजा अच्छे से बंद कर दिया।
इधर पदमा खाट जाकर लेट गई और कंबल ओढ़ लिया।
पदमा _बेटा तुम भी आ जाओ, बाहर बहुत ठंडी है
राजेश भी खाट के एक किनारे लेट गया और कंबल ओढ़ लिया।
पदमा ने राजेश की ओर पीठ करके करवट लेकर लेट गई।
राजेश सीधा लेट कर लेट गया, था।
राजेश land तना हुआ था। वह एक हाथ से अपना land सहलाने लगा।
उसे chudai करने की बड़ी ईच्छा हो रही थी।
उसे एक जनाना के शरीर से चिपकने का मन कर रहा था।
वह पदमा की ओर करवट लेकर लेट गया।
जिससे उसका land पदमा की गाड़ में चुभने लगा।

पदमा को जब मोटे land का फिर से अहसास huwa तो उसका शरीर फिर से गर्माने लगा।
इधर राजेश तो उत्तेजित था ही उसे चोदने के लिए बुर चाहिए था।
उसने अपना एक हाथ पदमा के पेट पर रख दिया। जिससे पदमा का पूरा शरीर कपकपा गया।
वह राजेश से कुछ कह भी नहीं सकती थी।
इधर राजेश को जानना शरीर से चिपकने का बड़ा मन कर रहा था वह पदमा के शहरी से एकदम से सट गया।
जिससे उसका land धोती के ऊपर से ही पदमा की बुर पे दस्तक देने लगा। पदमा का शरीर सिहर उठा।
वह खामोश ही रही जैसे कुछ हुआ ही नहीं।
इधर राजेश का हिम्मत बढ़ने लगा, वह पदमा का पेट कुर्ता के ऊपर से ही सहलाने लगा।
पदमा के सरीर में सिहरन डी दौड़ने लगी।
उधर राजेश अपने land ka दबाव हल्के हल्के पदमा के बुर पर बढ़ाने लगा।
राजेश की हरकतों से पदमा की बुर पानी छोड़ने लगी।
इधर राजेश हल्का हल्का अपना क़मर हिला हिला अपना land कपड़े के ऊपर से ही बुर मे ढकलने लगा, जैसे वह बुर चोद रहा हो।
पदमा भी उत्तेजित हो चुकी थी।वह खामोश रही।
जिससे राजेश का हौसला और बढ़ गया। वह अपने हाथ को पेट से हटा कर ऊपर उसकी चूचियों पर रख दिया।
चुचियों पर हाथ रखते ही, पदमा ने राजेश का हाथ पकड़ लिया।
वैसे ही कुछ देर दोनो रुके रहे।
फिर राजेश ने उसकी चुचियों को कुर्ते के ऊपर से ही मसलना सुरू किया।
पदमा के मुंह से हल्की हल्की मादक सिसकारी, निकलने लगी।
राजेश ने अपना land धोती से बाहर निकाल लिया और पदमा की कुर्ता को थोडा ऊपर उठा कर land को उसकी टांगो के बीच घुसा दिया।
और हल्के हल्के धक्के लगाने लगा।
Land बुर को बाहर से रगड़ने लगा, जिससे बुर से पानी रिसने लगा।
एक हाथ से पदमा की बड़ी बड़ी चूचियां को मसलने का काम जारी रखा। राजेश के इन हरकतों से पदमा अत्यंत गर्म हो गई।
राजेश को इस बात का जब अहसास हुआ की पदमा अब कोइ विरोध करने की स्थिति में नहीं है। वह उसकी एक टांग को थोडा ऊपर उठा या और अपना land उसकी बुर में डालने की कोशिश करने लगा।
राजेश काफी देर तक प्रयास करता रहा, और एक समय आया जब land का टोपा बुर में घुस गया।
पदमा सिसक उठी।
उसके बाद राजेश ने पदमा की टांग को थोडा और उठा कर एक जोर का धक्का मारा land सरसराता huwa आधा अंदर घुस गया।
पदमा चिहुक उठी।
राजेश ने अपना land पदमा की बुर में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
पदमा की बुर पूरी तरह गीली हों चुकी थी,land बुर में आसानी से अंदर बाहर होने लगा जिससे दोनो को बहुत मजा आने लगा।
राजेश धीरे धीरे अपना गति बढ़ाने लगा।
अब land पदमा की बुर में फच फच की आवाज़ करता huwa अंदर बाहर होने लगा।
पदमा अपने मुंह से मादक सिसकारी रोकने की असफल कोशिश करती रही लेकिन रोक न सकी।
पदमा की मादक सिसकारी झोपड़ी में गूंजने लगी।
कुछ देर तक इसी पोजीशन में पदमा को कामसुख देने के बाद राजेश ने chudai रोक दिया।
अपना land पदमा की बुर से बाहर निकाल लिया और पदमा की बाहों को खींचकर सीधा लिटा लिया और ख़ुद उसके ऊपर लेट गया।
पदमा अपनी आंखे बंद कर ली थी वह राजेश से आंखे नही मिला सकती थी।
राजेश और पदमा दोनो कंबल के अंदर थे केवल उसका सिर बाहर निकला huwa था।
राजेश जोश में पदमा की गालों को ओंठो को चुनने चाटने लगा।
अपना land उसकी बुर में डालकर अपनी क़मर हिला हिला कर चोदने लगा।
पदमा की बुर की भगनाशा से land अच्छी तरह रगड़ खाने से पदमा को संभोग का परम आनद मिलने लगा।
वह ख़ुद को ज्यादा समय तक रोक न सकी और राजेश को जोर से जकड़ कर झड़ने लगी।
राजेश ने क़मर हिलाना बंद कर दिया।
पदमा की आंखो की पुतलियां पलट चुकी थी उसे chudai में ऐसा आनद पहले कभी नही मिला था।
कुछ देर तक दोनो ऐसे ही लेटे रहे।
कुछ देर बाद राजेश ने अपनी क़मरफिर से धीरे धीरे हिलाना शुरू किया।
धीरे धीरे पदमा फिर गरम होने लगी।
दोनो के शरीर बहुत गर्मा गया था।
राजेश अब उठ कर बैठ गया। और उसकी टांगों को फैला कर उसके बीच उकडू बैठ गया।
अब राजेश अपना land पदमा की बुर पे रख कर एक जोर का धक्का मारा land सरसराटा huwa एक ही बार में आधे से ज्यादा अंदर घुस गया।

अब राजेश ने पदमा की चुचियों को हाथो में थाम लिया और उसे मसल मसलकर कमर हिला हिला कर गच गच चोदना शुरु कर दिया।
पदमा के मुंह से सिसकारी निकल कर झोपड़ी में गूंजने लगी।
Land बुर में गपागप अंदर बाहर हो रहा था जिससे दोनो को संभोग का परम सुख प्राप्त होने लगा।
कमरे में कई तरह की आवाजे गूंजने लगी।
पदमा की मादक सिसकारी, उन,, ई, माई,,,,,
खाट की बजने की चर चर चर,,,,
पदमा की चूड़ियों की झांकने की,,, खन खन,,,, खन,,
Land का बुर में जाने की फच फ्च,,,,
बाहर बादल गरज रहा, बिजली कड़क avm चमक रही थी।
वातावरण पूरी तरह काममय था।
दोनो जन्नत की सैर कर रहे थे।
पदमा को संभोग का ऐसा सुख पहली बार मिल रहा था।
Land काफी मोटा होने के कारण बुर की दीवार और भग्नाशा को अच्छी तरह रगड़ रहा था, जिससे पदमा को परम सुख मिल रहा था,land लंबा होने से गहराई तक जा रहा था,land का टोपा गर्भाशय मुख से टकराने से, पदमा के शरीर में अलग ही तरंग पैदा कर रहा था।
पदमा राजेश की कमर पकड़ कर अपनी कमर नीचे से हिला हिला कर राजेश का सहयोग करने लगी।
राजेश पदमा की बड़ी बड़ी चूचियां को मसल मसल कर कंबल के नीचे ही चोद रहा था।
पदमा की तो आंखे बंद थी राजेश पदमो को देख देख कर उसकी गालों को कभी चूमता तो कभी उसकी ओंठो का रस चूसता huea चोदना जारी रखा, पदमा दूसरी बार झड़ चुकी थी।
केशव तो बड़ी मुस्किल से एक बार हो झाड़ पाता तो बहुत था।
वह राजेश की मर्दानगी देख कर दंग थी।
राजेश पदमा के झड़ने के बाद कुछ देर रुक जाता जिससे उसे खोया huea ताकत फिर से मिल जाता। कुछ देर बाद राजेश फिर से पदमा की चोदना शुरू कर देता और उसे जन्नत की सैर कराने लगता।
और अन्त में राजेश भी कराहते हुवे, आह मां आह,,,
पदमा की योनि में अपन बीज छोड़ दिया।
राजेश के पानी से बुर पूरी तरह भर कर पदमा की टांगो में बहने लगा।
गर्म गर्म वीर्य की पिचकारी अपनी बुर में महसूस कर पदमा एक बार और झड़ गई।
दोनो काफी थक चूके थे।
एक दूसरे से चिपक कार सो गए। जब नींद खुली तो पदमा देखा की बारिश रुक चुकी है।
वह अपनी हालात देखि। वह शर्म से लज्जित होने लगी।
वह खाट से उठी, राजेश के शरीर पर कंबल डाल दिया। और अपने कपड़े जो कुछ कुछ सुख चुका था को पहनने लगी, कपड़े पहनने के बाद वह वहा से घर चली गई।
जब राजेश का नींद खुला तो पदमा वहा नही थी। वह उठकर खेत में इधर उधर देखा कहीं नहीं दिखी।
राजेश को लगा ताई घर चली गईं है।
कल रात में जोश में उसने ताई के साथ जो किया उसके बाद पता नही ताई उसके साथ कैसा व्यवहार करेगी। वह चिंतित होने लगा।
कुछ देर बाद केशव खेत पहुंचा।
केशव _अरे राजेश बेटा, खेत में सब ठीक तो है न।
राजेश _हा ताऊ जी कुछ जानवर खेत में घुसने की कोशिश कर रहा था मैने उसे भगा दिया।
केशव _माफ करना बेटा कल मैं शाम को खेत आ न सका और तुमको सारी रात खेत में ही रुकना पड़ा।
राजेश _ताऊ जी यह खेत मेरा भी है मेरा भी कुछ फर्ज बनता है । इसमें माफी मांगने की क्या बात?
केशव _अच्छा बेटा अब तुम घर जाओ। यहां की जिम्मेदारी मैं सम्हालता हु।
राजेश _ठीक है ताऊ जी।
राजेश खेत से घर पहुंचा।
भुवन भी घर पहुंच गया था।
उधर पदमा घर में जाने के बाद, नहा ली थी। राजेश ने उसकी जमकर chudai किया था उसकी बुर सूज गई थी। वह अपनी बुर की हालात देखी और लज्जित महसूस करने लगी थी।
इधर राजेश ने जब भुवन को देखा,,
राजेश _अरे भुवन भईया, तुम कब घर पहुंचे।
भुवन _बस अभी ही। पुनम बता रही थी की, मां और तुम बारिश में ही फस गए थे पूरी रात खेत में ही गुजारनी पड़ी।
सब ठीक तो हैं न ।
राजेश _हा भईया सब ठीक है।
भुवन _अच्छा चलो अब नहाते है।
दोनो बाड़ी में नहाने चले गए।
नहाकर आए और पुनम ने उन दोनो के लिए नाश्ता लगाया
इधर पदमा राजेश के सामने आने से बचने लगी।
उसकी राजेश से बातचीत करने की उसकी हिम्मत नही हो रही थी बहुत ही शर्मिंदगी महसूस कर रही थी।
भुवन खेत चला गया। राजेश अपने कमरे में जाकर आराम करने लगा।
फिर अपनी पढ़ाई भी करने लगा।
दोपहर में भी पुनम ने राजेश को भोजन के लिए बुलाया। उसने पुनम से पूछा की ताई कहा है तो पुनम ने कहा की मां जी तो तुम्हे भोजन दे देने कह कर खेत चली गईं।
खेत से आने के बाद भी पदमा ने राजेश से कोइ बात नहि की न ही उसके सामने आई ।
इधर राजेश को बहुत बुरा लग रहा था कि ताई मुझसे नाराज हो गई है।
मैने बड़ी गलती कर दी है, मुझे उससे माफी मांगनी होगी।
रात में पुनम दूध का गिलास लेकर कमरे में पहुंची।
पुनम _देवर जी दूध पी लीजिए।
राजेश, ने गिलास लेकर दूध पी लिया। धन्यवाद भौजी।
पुनम _अरे देवर जी आज तो आप बिना कुछ बोले ही गाय का दूध पी लिया। तुम तो अपने भईया से ताजे दूध की मांग कर रहे थे ।
राजेश _सारी भौजी, मुझे आपसे ऐसी मांग नही करनी चाहिए थी।
मुझे माफ कर दीजिए।
पुनम _अरे देवर जी, भौजी और देवर में तो ये हसी मजाक तो चलता रहता है कोइ बात है क्या?
राजेश _नही भौजी कोइ बात नहीं है? मैं अपनी हद भुल गया था मुझे माफ कर दीजिए।
पुनम _देवर जी पता नहीं तुम्हे क्या हो गया है? ठीक है मैं चलती हूं।
पुनम वहा से चली गई।
अगले दिन भी पदमा उसके सामने नही आई और राजेश से बातचीत नही की।
राजेश को बिल्कुल अच्छा नही लग रहा था। वह पदमा से माफी मांगना चाहता था लेकिन उसे मौका नही मिल रहा था।
इधर पुनम को भी राजेश का व्यवहार में काफी बदलाव महसूस करने लगी। पहले तो उससे हसी मजाक और छेड़ छाड़ करता था। पर उसने ये सब अचानक बंद कर दिया। लगता है देवर जी मुझसे नाराज हो गए हैं।
रात में जब, वह राजेश के कमरे में गई।
राजेश _भौजी आज दूध नही लाई।
पुनम _देवर जी, मैं सोच रही थी कि आज तुम्हे ताजा दूध पिला दू।
राजेश _भौजी मैं समझा नही।
पुनम ने अपनी साड़ी की पल्लू हटा दिया। लो देवर जी अपनी ईच्छा पूरी कर लो। पी लो ताजा दूध।
राजेश _भौजी ये आप क्या कर हो?
किसी ने देख लिया तो आप कृपया चली जाइए प्लीज।
पुनम _देवर जी आखिर बात क्या है? जरूर कोइ बात है जो मुझसे छुपा रहे हो। मुझसे नाराज हो क्या?
राजेश _भौजी, मैं आपसे नाराज नहीं हूं।
पुनम_फिर दूध पीने से मना क्यू कर रहे हो? उस दिन तो बड़े मजे से पिए थे।
राजेश _भौजी कहा न मैं अपना हद भुल गया था। उसके लिए मैं शर्मिंदा हूं। मुझे माफ कर दीजिए।
पुनम _ठीक है देवर जी जैसी आपकी इच्छा।
पुनम वहा से चली गईं।
इधर राजेश पदमा के व्यवहार से दुखी था वह माफी मांगने के लिए मौका ढूंढ रहा था।
एक दिन आरती अपने सहेली के घर गई थी और पुनम अपने कमरे में मुन्ने को सुला रही थी।
पदमा कीचन में थी।
राजेश कीचन में गया।
राजेश _ताई, मुझे माफ कर दीजिए। उस दिन आपके साथ मैने अच्छा नही किया।
मैं जानता हूं कि उस दिन से आप मुझसे नाराज हैं। मैं यहां से चला जाऊंगा।
पदमा _नही, राजेश तुम्हे कहीं जाने की जरूरत नही।
उस दिन जो भी huwa उसके लिए मैं भी जिम्मेदार हू। मैं चाहती तो तुम्हे रोक सकती थी। मैं भी हवस में तुम्हे रोक न सकी।
और कुछ ऐसी परिस्थितियां भी निर्मित हो गई थी तुम जवान हो, इस उम्र मैं ऐसा हो जाता हैं।
राजेश _फिर आप मुझसे बात चीत क्यू नही करती और सामने आने से भी कतराती हो।
पदमा _बेटा मैं तुम्हारे सामने आनी से लज्जित महसूस करती हूं।
राजेश _ताई जो huwa उसे भुल जाओ। और आप मुझसे पहले जैसा व्यवहार कीजिए प्लीज नही तो मैं अपने आप को माफ नहीं कर सकूंगा।
पदमा _राजेश बेटा शायद तुम ठीक कह रहे हो मुझे ऐसा व्यवहार नही करना चाहिए।
बेटा, इस घटना के बारे मे किसी को कुछ बताया तो नही।
राजेश _नही ताई, ऐसी बाते किसी से थोड़े कहूंगा।
पदमा _बेटा ये किसी को मत बताना नही तो बड़ी बदनामी हो जाएगी।
राजेश _नही ताई ये बात मैं किसी से नहीं कहूंगा। आप मूझपर भरोसा कीजिए।
पदमा _ठीक है बेटा, अब तुम अपने कमरे में जाओ।
राजेश वहा से चला गया।
उस दिन के बाद पदमा और राजेश के बीच सब नार्मल होने लगा। पदमा राजेश के साथ पहले जैसा बरताव करने लगी।
इधर अब राजेश भी खुश था।
पदमा को अब रात में राजेश के साथ जो संभोग सुख मिला था वह याद आने लगा, जिससे वह गर्म हो जाती।
उस रात राजेश ने उसे संभोग का जो सुख दिया था। ऐसा सुख उसके पति से कभी नहीं मिला था।
एक दिन वह रात में उन पलों को याद कर बहुत गर्म हो गई।
रात में केशव से,,
पदमा _क्या जी आपको तो मेरी जरा भी चिन्ता नहीं खाना खाने के बारे घोड़ा बेचकर सोने लगते हो।
केशव _बोलो मेरी जान क्या सेवा करू?
पदमा _आज बड़ा मन कर रहा है, प्यार कीजिए ना।
केशव _ अरे क्या करू मेरी जान, खेत में काम कर के थक जाता हूं। सारी।
आओ आज तुम्हारी इच्छा पूरी कर दू।
पहले इसे तैयार तो करो।
केशव ने अपना सिकुड़ा हुआ land बाहर निकाल कर कहा। पदमा ने केशव का land हाथ में लेकर सहलाने लगा।
Land में थोडा तनाव आने लगा।
केशव, पदमा की चूची दबाने लगा।
केशव _चलो तैयार हो जाओ।
पदमा बेड पर लेट गई,
अपनी साड़ी और पेटिकोट ऊपर उठा दी।
उसकी मस्त फूली हुईं गोरी चूत केशव के सामने आ गया।
केशव _वाह मेरी जान तुम तो एकदम चिकनी हो गई हो, आज बुर मारने में बड़ा मज़ा आएगा।
केशव ने पदमा की बुर में उंगली डाल कर पहले अंदर बाहर किया।
पदमा पहले से ही गर्म थी उसकी बुर पानी से लबालब हो चुका था।
केशव की उंगली बुर की पानी से गीला हो गया।
केशव ने देर न करते हुए, पदमा की बुर के छेद में अपना land सेट कर एक जोर का धक्का मारा एक ही बार में land सरसराकर पूरा अंदर चला गया।
केशव ने पदमा की चूची को मसल मसल कर land को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
पर ये क्या? केवल पांच मिनट में ही उसका पानी छूट गया।
केशव बेड के एक और लुड़क गया।
इधर पदमा तो केवल मजा आना शुरू ही हुआ था। और खेल खतम हो गया।
उसे अपने पति पर बहुत गुस्सा आ रहा था। उसकी चूत की प्यास बुझाने के बजाय और बड़ा दिया था।
पर वह कर भी क्या सकती थी।
वह बेड से उठी और आंगन में जाकर अपनी बुर को पानी से अच्छे से धोई।
फिर अपने कमरे में आकर लेट गई।
वह बहुत गर्म थी, उसे नींद नहीं आ रही थी उसने अपने पति की ओर देखा जो घोड़े बेच कर सो रहा था।
उसने अपनी चूत की प्यास बुझाने के लिए अपनी उंगली को बुर में डालकर अंदर बाहर करने लगी।
पर उसकी चूत की प्यास बुझने की बजाए और बड़ गई।
उससे बर्दास्त करना मुस्किल हो गया।
उस राजेश के साथ बिताए वह पल याद आने लगा कैसे राजेश ने उसे एक ही रात में कई बार झा डा था, उसकी बुर सूजा दी थी। उस पल को याद कर वह संभोग के लिए तड़प उठी।
वह अपने बेड से उठी और न चाहते हुवे भी उसकी कदम राजेश के कमरे की ओर जाने लगी, जाते समय वह सरसो का तेल अपने साथ ले गई।
राजेश इस समय सोया नही था, पढ़ाई कर रहा था।
पदमा ने दरवाजा खटखटाया, राजेश ने दरवाजा खोला।
राजेश _ताई आप, कुछ काम था क्या?
पदमा _बेटा, मेरे पीठ और कमर दर्द कर रहा है मैं सो नहीं पा रही। तुम्हारे ताऊ जी तो सो चूके है मैं उसे उठाना उचित नहीं समझी? क्या तुम मेरी कमर और पीठ की मालिश कर दोगे, मुझे राहत मिल जाएगी।
राजेश _ताई जी, अंदर आइए न।
पदमा कमरे में रखे पलंग पर जाकर बैठ गई।
राजेश _बोलो ताई, क्या करना है?
पदमा _बेटा पहले मेरे पीठ की तेल से मालिश कर दो, दर्द कर रहा है।
राजेश _ठीक है ताई, आप पेट के बल लेट जाइए।
पदमा पीठ के बल पलंग पर लेट गई।
राजेश ने तेल अपने हाथ में लेकर ब्लाउज के नीचे भाग पर मालिश करने लगा।
पदमा _बेटा दर्द थोडा ऊपर है! रुको मैं अपनी ब्लाउज निकाल देती हूं।
पदमा ने अपनी साड़ी की पल्लू को दांत से दबाकर अपनी ब्लाउज निकाल दी और पीठ के बल लेट गई।
राजेश ने पदमा की खुली पीठ पर तेल लगा कर मालिश करने लगा।
राजेश _ताई कुछ राहत मिला।
पदमा _हा,re तु तो बड़ा अच्छा मालिश कर रहा है दर्द से राहत मिल रही है। थोडा और मालिश करो बेटा।
राजेश _जी ताई, मैं आपको दर्द से पूरा राहत पहुंचा दूंगा।
इधर राजेश के मालिश करने से पदमा और गर्म होने लगी।
पदमा _बेटा उस दिन की घटना को किसी को बताया तो नही।
राजेश _नही ताई, ऐसी बात मैं कैसे किसी से कहूंगा।
पदमा _अच्छा किया बेटा जो किसी को नहीं बताया नही तो बड़ी बदनामी हो जाती। तुमसे एक बात पूछूं।
राजेश _हा ताई पूछो।
पदमा _मैं तो तुम्हे बड़ा भोला समझ रही थी तु तो बड़ा खिलाड़ी निकला।
मुझे लगता है पहले भी कई महिलाओं के साथ कर चुका है। बताओ मैं सच कह रही ना।
राजेश _ताई आप भी न,,,
पदमा _अरे शर्मा क्यू रहा है बताता क्यू नही?
राजेश _हां ताई, मैंने पहले भी ये सब किया है।
पदमा _तेरा होने वाला बीवी बड़ी किस्मत वाली होगी।
राजेश _ताई ऐसा क्यू?
पदमा _उसे ऐसा मर्द जो मिलेगा, जो उसे भरपूर सुख देगा।
राजेश _वैसे ताई एक बात पूछूं आप बुरा तो नही मानोगी।
पदमा _अरे पूछो, नही मानूंगी बुरा।
राजेश _आपको मजा आया की नही।
पदमा _पदमा शर्म से पानी पानी हो गई।
राजेश _ताई बताओ न, मजा आया की नही।
पदमा _हूं,,,
पदमा _और तुम्हे।
राजेश _मुझे भी बहुत मजा आया।
पदमा _चल झूठा। मैं तो अब बूढ़ी हो चुकी हु मैं क्या मजा दूंगी।
राजेश _टाई ये आप क्या कह रही है आप और बूढ़ी। अभी तो आप काफी जवान और खुबसूरत है बदन पूरा कसा हुआ है।
पदमा _चल झूठा कहीं का।
राजेश _कसम से ताई मैं सच कह रहा हूं।
तुम्हारा बदन बहुत खुबसूरत है जवान लडकियों की तरह एकदम कसा हुआ।
पदमा _हसने लगा।
पदमा _वैसे तुम्हारा हथियार भी बड़ा दमदार है। गुफा के अंतिम छोर तक पहुंच जाता है।
राजेश _क्यू ताऊ जी का नही पहुंचता क्या अंतिम छोर तक।
पदमा _अरे उसका तो आधे तक नही पहुंच पाता।
थोड़े ही देर में फूस हो जाता है।
राजेश _ओह तब तो आप प्यासी रह जाती होगी।
पदमा _अब क्या कर सकते हैं?
राजेश _ताई कमर पे भी मालिश कर दू।
पदमा _हा re, रुको मैं पेटीकोट का नाडा खोल दू।
पदमा ने हाथ नीचे ले जाकर पेटी कोट का नाडा खोल दिया। और अपना साड़ी भी निकाल दिया ताकि उसमें तेल न लगे अब वह पेटीकोट में थी।
राजेश ने तेल से उसकी कमर पर मालिश करना सुरु कर दिया।
पदमा बहुत गर्म हो चुकी थी।
पदमा _वैसे तु कितनी महिलाओं का ले चुका है।
राजेश _बताया न बहुतों का।
पदमा _मेरी लेगा।
राजेश _ताई , आप मजाक कर रही है।
पदमा _अरे मैं मजाक नही कर रही, सच कह रही। आज तेरे ताऊ ने मुझे प्यासा ही छोड़ दिया।
अगर मेरी प्यास नही बुझी तो लगता है मैं मर न जाऊ।
राजेश _ओ तो ये बात है।
ठीक है, पर मैं जो कहूंगा वो करना पड़ेगा।
राजेश _क्या करवाएगा अपने ताई से।
राजेश _वही जिसमे दोनो को बहुत मजा आएगा।
पदमा _अच्छा बोलो क्या करना है।
राजेश _पहले आओ मेरी गोद में बैठो और अपनी दूदू पिलाओ।
पदमा _मुझे शर्म आयेगी, वह हसने लगी,,,,

Bahut hi garmagaram update he rajesh bhagat Bhai,

Barsat ki raat me Rajesh aur Padma ki mauj ho gayi............

Ab to ye silsila nikal pada he..........aage bhi aisi raate aati rahegi........

Keep rocking Bro
 
Top