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Incest यह क्या हुआ

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राजेश की आंखो पे पट्टी बांध कर दूध पिलाते समय, पुनम अपनी शरीर में उत्तेजना महसूस करने लगी। राजेश अपनी ओंठ पे पुनम की चूचक को दबाकर दूध खींचने लगा। जिससे पुनम गर्म होने लगी।
उसकी शरीर कपकापने लगा, उसकी बुर में पानी भरने लगा।
वह किसी तरह अपने अपने मुंह से कामुक सिसकारी को रोके रखी। पर ज्यादा देर तक रोक पाना मुस्कील था उसने राजेश के मुंह से अपनी चूची को छुड़ाया और अपने कमरे में भाग गई।
कमरे में जाकर तेज़ तेज़ सांस लेने लगी।
उसकी चड्डी बुर की पानी से गीली हो चुकी थी।
उधर पुनम के जाने के बाद, राजेश ने अपनी पट्टी खोल कर देखा, पुनम उसे कहीं दिखाई नही दी।
राजेश मुस्कुराने लगा।
उधर पुनम रात में ठीक से सो नहीं पाई उसे चुदाने की बड़ी ईच्छा हो रही थी।
वह अपनी बुर में उंगली डाल कर, अपनी पानी निकाल कर ख़ुद को शांत की।
अगली दिन सुबह राजेश अखाड़ा पे चला गया वहा अभ्यास के साथ कबड्डी की भी तैयारी की। बिरजू राजेश के खेल से प्रभावित huwa उसे लगने लगा की अगर प्रतियोगिता जितनी है तो राजेश का टीम में होना जरूरी है।
प्रातः 11बजे गांव में ग्राम सभा रखा गयाथा।
पंचायत में लोगो की काफी भीड़ थी।
सचिव ने सभा में बताया की जितने लोगो ने आवास के लिए आवेदन लगाया था सभी का आवास स्वीकृत हो गया है। सचिव ने लोगो का नाम पढ़के सुनाया जिनका आवास स्वीकृत huwa था, उन लोगो को जल्द से जल्द अपना बैंक का खाता नंबर जमा करने कहा, ताकि आवास की राशि विभाग द्वारा खाता में भेजा जा सके।
सरपंच ने कहा की यह सब राजेश की वजह से हो सका हेम उसे ग्राम पंचायत की ओर से सम्मानित किया जाना चाहिए।
लोगो ने राजेश को बुलाने के लिए किसी को पदमा के घर भेजा।
राजेश उस समय पढ़ाई कर रहा था।
पदमा को बताया गया की राजेश बाबू को ग्राम पंचायत की ओर से सम्मानित करने के लिए बुलाया है, पदमा इस बात की जानकारी राजेश को दी।
राजेश उस आदमी के साथ ग्राम पंचायत भवन के लिए निकल गया।
वहा पहुंचने पर सभी लोग राजेश बाबू जिंदा बाद की नारे लगाने लगे।
सरपंच _आओ राजेश यहां बैठो, अपनी बाजू वाली कुर्सी पर राजेश को बैठने कहा।
राजेश ने सभी गांव वाले को प्रणाम किया फिर कुर्सी पर बैठ गया।
सरपंच _राजेश, तुमने असंभव काम को संभव कर दिखाया। तुम नही जानते की तुमने गांव वालो के लिए कितना बड़ा कार्य किया है। हम तुम्हे सम्मानित करना चाहते है।
सरपंच ने राजेश को फूलो का माला पहनाया और एक प्रतीक चिन्ह भेट की, गांव वालो की ओर से उसके कार्य के लिए धन्यवाद कहा।
एक बार फिर से गांव वालो। ने राजेश बाबू जिंदा बाद का नारा लगाने लगे।
सरपंच ने उन्हे शांत कराया।
एक पंच ने खड़ा होकर कहा, राजेश को सिर्फ सम्मान ही नही बल्कि उसे एक पद भी दिया जाना चाहिए, ताकि गांव के लोगो को उसके सुझबुझ का लाभ मिलता रहे। सभी लोगो ने उस पंच का समर्थन किया।
लोगो से राय लेकर सरपंच ने राजेश को गांव का सलाहकार नियुक्त किया।
सरपंच _आज से राजेश गांव का सलाहकार नियुक्त किया जाता है, गांव का कोई भी कार्य, राजेश की सलाह से ही किया जाएगा।
सभी लोगो ने खुब तालिया बजाई।
सचिव ने राजेश को सभा को संबोधित करने के लिए आमन्त्रित किया।
राजेश ने कहा _गांव की लोगो की मदद करना तो मेरा कर्तव्य है। इसके लिए कोइ पद की आवश्यकता नहीं थी। फिर भी आप सभी की भावनाओ को समझते हुवे मैं यह पद स्वीकार करता हूं।
आप लोगो ने जो मुझपर विश्वास जताया है उसके लिए आप सभी का शुक्रिया। मैं आप लोगो को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि मैं पूरे निःस्वार्थ भाव से गांव की भलाई के लिए कार्य करूंगा। वही करूंगा जो गांव के हित में हो।
हमारे गांव के लोगो को काफी समय से असुविधा में जीवन यापन करने मजबूर हैं। मैं आप लोगों को विश्वास दिलाना चाहता हूं की गांव की सारी समस्या का समाधान अब दूर नहीं है।
यह गांव आगे चलकर पूरे जिले में माडल बनकर उभरे गा। यह मैं आप लोगो को वचन देता हूं।
सुरज पुर की चर्चा राजधानी में भी होगी। पर इसके लिए आप सभी का एक जुट रहकर साथ चलना जरूरी है।

सभी लोगो ने राजेश के भाषण पर खुब तालिया बजाई और राजेश बाबू जिंदाबाद के नारे लगाए।
सभा समाप्त होने के बाद सभी लोग राजेश से व्यक्तिगत मिले और उसे अपने घर आने के लिए आमन्त्रित किया।
ग्राम सभा से आने के बाद राजेश, फिर से तैयारी में लग गया, आई ए एस की प्रारंभिक परीक्षा पास थी।
कुछ दिन राजेश अपने पढ़ाई पर ही फोकस किया।
इधर पुनम राजेश को फिर से अपनी चूची पिलाने की हिम्मत न कर सकी।
जब पदमा, पुनम को राजेश को दूध दे आने को बोलती, पुनम बहाना बना देती, पदमा ही राजेश के रूम में दूध लेकर जाती।
एग्जाम पास होने के कारण राजेश भी अपनी भौजी से छेड़ छाड़ बंद कर सिर्फ पढ़ाई में ही फोकस कर रहा था।
आई ए एस परीक्षा केंद्र राज्य में सिर्फ दो जगह ही बनाया गया था। एक राजधानी और दूसरा बड़ा शहर, राजेश को कल शहर जाना था एग्जाम देने।
उसको शेखर का फोन आया।
शेखर _कैसे हो बेटे?
राजेश _मैं ठीक हु पापा, आप लोग कैसे है?
शेखर _हम भी, अच्छे है बेटे। तुम्हारा आई ए एस की तैयारी कैसी चल रही है? परसो तुम्हारा प्रारंभिक परीक्षा है न?
राजेश _हा पापा बस उसी की तैयारी में लगा हूं।
कल शहर के लिए निकलना है। परसो एग्जाम जो है?
एक दिन पहले ही पहुंचना होगा?
शेखर _बेटे तुम्हे पैसों की आवश्यकता होगी, मैने तुम्हारे अकाउंट में फोट पे से पैसा ट्रांसफर कर दिया है?
राजेश _शुक्रिया पापा।
शेखर _हा बेटा, और तुम हम लोगो की बिल्कुल चिन्ता न करना और अपनी पढ़ाई में फोकस करना, तुम्हारी मां को तुमसे बहुत उम्मीद है बेटा।
राजेश _जानता हु पापा। मैं आप लोगो को निराश नहीं करूंगा।
शेखर _गुड बेटा, अच्छा अब मैं अपना फोन रखता हूं।
राजेश _ठीक है पापा।
रात में भोजन करते समय, राजेश ने भुवन और पदमा को बताया की वह परीक्षा हेतु कल ट्रैन से शहर निकलेगा, क्यू की शहर यहां से काफी दूर है इसलिए एक दिन पहले ही पहुंचना होगा।
भुवन _राजेश, मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूं।
राजेश _भुवन भईया, आप क्या करेंगे वहा? मैं चला जाऊंगा वैसे भी मैने सिर्फ अपने लिए ही टिकट बूक करा रखी है।
पदमा _बेटा वापस कब आएगा।
राजेश _एग्जाम के दूसरे दिन सुबह आ जाऊंगा, ताई।
दूसरे दिन सुबह राजेश नहाधोकर तैयार होता है। पुनम उसके लिए भोजन तैयार की थी। राजेश और भुवन दोनो भोजन करते हैं।
भोजन करने के बाद, राजेश शहर जाने के लिए अपना बैग निकाल लेता है सभी जरूरी चीजे रख लेता है?
जाते समय वह पदमा से आशीर्वाद लेता है।
पदमा _खुश रह बेटा, भगवान तुम्हे कामयाब करे।
ये रख लो बेटा, तुम्हारे काम आयेगी
पदमा ने राजेश को पैसे दिए।
राजेश _ताई इसकी आवश्यकता नहीं है पापा ने पैसे भेजे है?
पदमा _फिर भी रख लो काम आएगा।
भुवन _हा राजेश रख लो।
राजेश मना न कर सका।
राजेश को लक्षमण पुर स्टेशन छोड़ने के लिए भुवन अपनी बाइक लेकर साथगया।
रास्ते में जब जा रहा था तब, दिव्या अपनी कार से लक्षमण पुर जा रही थी।
दिव्या _अरे राजेश तुम लोग कहा जा रहे हो?
राजेश _अरे दिव्या जी आप मै लक्षमण पुर जा रहा हूं, स्टेशन। वहा ट्रैन से शहर निकलूंगा।कल मेरा आई ए एस का एग्जाम है न,
दिव्या _ओह, मैं भी लक्षमण पुर जा रही हूं। मैं तुम्हे कार में छोड़ दूंगी आओ कार में बैठो।
राजेश _दिव्या जी भुवन भईया छोड़ने जा रहे है न, आप क्यू तकलीफ,,,
दिव्या _अरे इसमें तकलीफ की क्या बात, मैं भी तो लक्षमण पुर जा रही तो स्टेशन छोड़ दूंगी।
भुवन भईया, मैं क्या गलत कह रही हूं?
भुवन _राजेश, दिव्या जी ठिक कह रही है? चले जाओ साथ में।
भुवन ने अपना बाइक रोक दिया।
दिव्या ने ड्राइवर से कार रोकने कहा।
राजेश बाइक से उतर कर, कार में बैठ गया।
भुवन _अच्छा राजेश, मैं घर निकलता हूं। परसो सुबह फोन कर देना, मैं तुम्हे लेने स्टेशन पहुंच जाऊंगा।
राजेश _ठीक है भईया।
भुवन वापस चला गया।
दिव्या ने ड्राइवर से चलने को कहा।
राजेश _दिव्या जी आप लक्षमण पुर किसी काम से जा रही है क्या?
दिव्या _मैं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जा रही हूं। वहा चिकित्सा अधिकारी का पद खाली था तो मैंने ज्वाइनिंग कर लिया।
राजेश _ओह, बधाई हो दिव्या जी, अब तो पूरे विकासखंड की स्वास्थ्य की जिम्मेदारी आपके कंधो पर है !
दिव्या _हा राजेश, पता नही मैं यह जिम्मेदारी अच्छे से निभा पाऊंगी की नही।
राजेश _दिव्या जी, मुझे पूरा यकीन है आप यह जिम्मेदारी बहुत अच्छे से निभा पाएंगी। एक डाक्टर का जैसा व्यवहार होना चाहिए आपमें वो सब कुछ है।
दिव्या _अच्छा ऐसा क्या देखा मुझमें ?
राजेश _आपका ह्रदय, कितना सरल और संवेदन सिल है, आप यहां की राज कुमारी है। फिर भी आप लोगो की भावनाओ को समझती हो। सबसे प्रेम पूर्वक व्यवहार करती हो। आपके व्यवहार में झलकता ही नहीं है कि आप एक राज परिवार से हैं।
दिव्या _बस बस कुछ ज्यादा ही हो गया।
इतनी भी अच्छी नहीं हूं मैं।
वैसे तुम इतने दिनो तक कहा थे। बहुत दिनो से हवेली आए ही नहीं।
राजेश _हवेली में आने के लिए परमिशन लेना पड़ता है दिव्या जी और वैसे भी बिना काम के किसी को हवेली में घुसने भी नही दिया जाता, तो तुम ही बताओ मैं कैसे आ सकता हूं?
दिव्या जी _हूं, तुम्हारा भी कहना सही है। वैसे तुम्हारी निसा का क्या huwa, फोन वागेरा आया था उसका।
राजेश _नही, दिव्या जी, वो मुझे भुल चुकी है।
दिव्या _वो नही की तो तुम ही कर लेते।
राजेश _मुझमें उससे बात करने की हिम्मत नहीं है दिव्या जी।
दिव्या _अरे तुम्हारे सामने तो बड़े बड़े गुंडे, भी टिक नही सकते और एक लडकी से बात करने की हिम्मत नहीं। हु ,,,दिल का मामला है, इसलिए।
ड्राइवर गाड़ी को स्टेशन की ओर ले जाना।
ड्राइवर ने गाड़ी को रेलवे स्टेशन की ओर ले गया।
दिव्या _लो आपका स्टेशन आ गया।
वैसे वापसी कब हो रही है।
राजेश _परसो सुबह आ जाऊंगा।
दिव्या _वैसे राजेश तुम्हे कोइ काम हो तो हवेली की जगह मुझसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी मिल सकते हो। मेरा मोबाइल नंबर रख लो, जब आओगे तो काल कर लेना।
राजेश _ठीक है दिव्या जी।

राजेश को बाई करके दिव्या, स्वास्थ्य केंद्र निकल गया।
कुछ देर में राजेश का ट्रैन भी आ गया, जिसमे बैठ कर वह शहर के लिए निकल पड़ा।
शहर पहुंचते उसे 8घण्टे का समय लग गया। वह शहर में एक लाज किराए पर लिया। दूसरे दिन 10बजे से एग्जाम था, समय पर परिक्षा केंद्र पहुंच गया।
3घण्टे परिक्षा दिलाने में निकल गया, वहा से निकल कर एक ढाबे में भोजन किया, फिर अपने लाज में आकार आराम किया। शाम को वह शहर में थोडा टहला फिर स्टेशन के लिए निकल गया।
रात में 8बजे वह फिर स्टेशन के पास स्थित ढाबे में भोजन किया फिर वह अपने ट्रैन का इन्तजार करने लगा।
रात को 10बजे उसका ट्रैन निकला, ट्रैन जब लक्ष्मण पुर स्टेशन पहुंचा तो सुबह का 6बज चुका था।
भुवन राजेश को लेने पहुंच गया था।
भुवन _अरे राजेश मैं यहां हूं। कैसा गया एग्जाम।
राजेश _बहुत अच्छा गया भईया।
भुवन _चलो चलते है।
राजेश और भुवन दोनो घर के लिए निकल पड़े।घर पहुंचने के बाद

राजेश ने पदमा का पैर छूकर प्रणाम किया।
पदमा,_आ गया बेटा, कैसा बना तुम्हारा पेपर।
राजेश _बहुत अच्छा ताई, आपके आशीर्वाद से।
पदमा _बेटा तुम्हारी मेहनत और लगन को देख कर कह सकती हूं की तुम कलेक्टर जरूर बनोगे।
जाओ बेटा अब नहा धोकर तैयार हो जाओ, फिर नाश्ता करना। बहु नाश्ता बना रही है।
राजेश _ठीक है ताई।
पदमा _भुवन बेटा तु भी नहाया नही है जा नहाकर तु भी तैयार हो जा, तुम्हे खेत जाना है ।
भुवन _ठीक है मां।
भुवन और राजेश दोनो नहाने के लिए घर के पीछे बाड़ी में चले गए।
दोनो बार चालू कर नहाने लगे।
भुवन _राजेश, बिरजू कह रहा था की तू भी कबड्डी की प्रैक्टिस कर रहा है, वे लोग तुम्हारे खेल से बहुत प्रभावित है, कह रहे थे की तुम्हे टिम में शामिल करेंगे।
राजेश _ये तो उन लोगो का बड़प्पन है, भुवन भईया।
भुवन _वैसे तुमने बहुत अच्छी बॉडी बनाई है गांव में ऐसा बॉडी किसी के पास नही, बिरजू का है पर वह भी तुम्हारे सामने नही टिकता।

भुवन _वैसे राजेश तुम इस गांव के सलाहकार हो। टिम का चयन भी तुम्हारे सलाह से होगा।
पदमा _अरे बहु, भुवन ने अपना टावेल यहीं भुल गया, जाओ उसे टावेल दे आओ।
पुनम _जी मां जी।
पुनम टावेल लेकर बाड़ी में गया।
पुनम _अजी तुम तो अपना टावेल घर में ही भुल आए,।
भुवन और राजेश दोनो साबुन लगा रहे थे।
भुवन _अरे पुनम अब आई हो तो एक काम कर दो, मेरे पीठ पर थोडा साबुन मल दो, बड़ी खुजली हो रही है लगता है मैल जम गया है।
पुनम _साबुन अपनी साड़ी की पल्लू क़मर पर खोंच ली और भुवन की पीठ पर साबुन लगाने लगी।
भुवन _अरे सुनो, राजेश का भी पीठ पर साबुन लगा दो, अब उसके पीठ पर तो साबुन लगाने वाला है नही कोइ। पता नही कब का मैल जमा होगा।
राजेश _अरे नही भुवन भईया, भौजी को क्यों तकलीफ दे रहे हो।
कपड़ा है न मेरे पास रगड़ लूंगा।
भुवन _अरे भई तुम शर्मा क्यू रहे हो, तुम्हारी भौजी है इतनी सेवा नही करेगी अपने देवर की।
पुनम ने भुवन की पीठ पर साबुन लगाने के बाद, राजेश की पीठ पर साबुन लगाने लगी।
भुवन _वैसे राजेश तुम्हारी भौजी बड़ी अच्छी मालिश करती है।
अगर कभी थकान लगे तो, पुनम से मालिश करा लिया करो।
राजेश _भुवन भईया, मैं तो मेहनत का काम करता नही, फिर मालिश की आवश्यकता मुझे क्यू होगी?
भुवन _अरे सुबह अखाड़े पे जाता है, कबड्डी की तैयारी भी करता है।
शरीर पे थकान तो आता ही होगा।
राजेश _भईया, मालिश की आवश्यकता तो नही है पर हा ताकत बनाए रखने के लिए दूध मिल जाता तो,,
भुवन _अरे हमारे घर दूध की कमी थोड़ी है जितना चाहे दूध पिया करो।
क्यू भई पुनम, तुम राजेश को पीने के लिए दूध नहीं देती क्या?
पुनम शर्म से पानी पानी हो गई।
पुनम _अजी देवर जी को पीने के लिए एकदम ताजा दूध चाहिए।
अब रात को ताजा दूध कहा से लाऊंगी।
पुनम _हा भाई राजेश, अब रात में ताजा दूध कहा से मिलेगा।
तुम्हे शाम के समय का दूध से ही काम चलाना पड़ेगा। ग्वाला शाम को ही आता है दूध निकालने।
वैसे सुमन अगर ताजा दूध का जुगाड कर सकती हो तो कर दिया करो, तुम्हे तो दूध निकलना आता ही है।
पुनम _अगर आप कह रहे हैं तो सोंचूंगी जी।
पुनम,राजेश की ओर देखकर मुस्कुराने लगी। अपनी क़मर मटकाते वहा से चली गई।
राजेश और भुवन दोनो नहाने के बाद नाश्ता किए। नाश्ता करने के बाद जब भुवन खेत जाने लगा तो राजेश ने कहा,,,
राजेश _भुवन भईया, मैं भी आपके साथ खेत चलूंगा। एग्जाम की तैयारी के कारण मैं भी काफी दिनो से कहीं घूमने नही गया। आपके साथ जाऊंगा तो मेरा भी माइंड फ्रेश हो जायेगा।
भुवन _ठीक है राजेश, चलो।
दोनो खेत चले गए।
खेत में जाने के बाद,,,
भुवन _राजेश तुम झोपड़ी के खाट पर आराम करो, मैं मजदूरों के साथ, कर रहा हु।
राजेश _अरे भुवन भईया, मुझे भी कोई काम बता दो, यहां बैठा, बैठा बोर हो जाऊंगा।
अच्छा चलो तुम भी वही पर बैठा रहना,
राजेश को खेत के मेड पर लगा पेड़ के छाव में बिठा कर ,
भुवन मजदूरों के साथ गन्ने की कटाई करने लगा।
वहा पर मौजूद मजदूरन राजेश से बात चीत करने लगे,,
मजदूरन _राजेश बाबू, आप ने हमारा आवास पास करा कर हम गांव वालो पर बहुत उपकार किया है। हम आपका एहसान कैसे चुकाएंगे?
राजेश _अरे काकी, इसमें एहसान की क्या बात है ये तो मेरा फर्ज है।
सरला काकी _ये तो तुम्हारा बड़प्पन है बेटा।
वैसे तुम यहां खेत काहे चले आए।
राजेश _अरे काकी काफी दिन हो गए खेत आए, इसलिए घूमने चला आया।
भुवन _अरे राजेश लो गन्ना खाओ, खा कर देखो हमारे खेत का गन्ना कितना मीठा और रसीला है।
गन्ने का एक टुकड़ा करके राजेश को देते हुए कहा।
राजेश ने गन्ना अपने दातों से छीलकर उसे खा कर देखा।
राजेश _वाह भुवन भईया, गन्ना गन्ना बहुत रसीला और मीठा है।
कुछ देर बाद, भुवन भईया लाओ ये गन्ना काटने का औजार मुझे दो, मुझे भी गन्ना काटना है।
केशव _अरे राजेश बेटा तुम काहे तकलीफ उठा रहा है कहीं हाथ वगैरा कट गया तो। जाओ झोपड़े में जाकर आराम करो।
भुवन _हा राजेश, बापू ठीक कह रहा है।
राजेश _भुवन भईया, मुझे भी सिखाओ गन्ना काटना।
भुवन _अच्छा, लो तुम भी अपना ईच्छा पूरा कर लो भाई।
राजेश भी उन लोगों के साथ गन्ना काटने लगा।
दोपहर में पदमा खाना ले कर आई।
वह खेत में राजेश को गन्ना काटते देखी।
पदमा _अजी, ये क्या तुमने राजेश को क्यू काम में लगा दिया।
केशव _अरे भाग्यवान मैने तो राजेश को मना किया था पर उसने कहा की उसे भी गन्ना काटना सीखना है।
पदमा _अरे राजेश बेटा, ये गन्ना काटना छोड़ो चलो भोजन कर लो भूख लगी होगी।
राजेश _अरे ताई, गन्ना काटने में मजा आ रहा है थोडा और काट लेने दो।
भुवन _राजेश, चलो भोजन का समय हो गया है। पहले भोजन कर लो। मजदूरों को भी भोजन करने कहा,,
भुवन, राजेश और केशव पदमा के साथ झोपड़ी में आ गए। वहा भोजन किए। कुछ देर आराम किए, आधा घंटा आराम किए फिर सभी गन्ना काटने लगे।
शाम के समय सभी मजदूर अपने घर चले गए, राजेश और भुवन और पदमा भी अपने घर चले गए।
केवल केशव ही खेत की रखवाली करने, खेत पर रह गया था।
रात में भोजन करते समय,

भुवन _मां कल गन्ने को बेचने के लिए शक्कर कारखाना ले जाना है।
पदमा _पर बेटा कल तो मजदूरों की छुट्टी है न। ट्रैक्टर में गन्ने को डालने के लिए मजदूरों की जरूरत पड़ेगी।
भुवन _हां वो तो है मां।
राजेश _ताई, मैं कल भी खेत चला जाऊंगा, भुवन भईया की मदद करने।
और ताऊ जी तो रहेंगे ही।
भुवन _तब तो काम बन जायेगा मां, राजेश के मदद करने से।
अगले दिन सुबह नाश्ता करने के बाद राजेश और भुवन ट्रैक्टर लेकर खेत निकल गए, वहा केशव, राजेश और भुवन तीनो मिलकर गन्ने को ट्रैक्टर की ट्राली में जितना आ सकता था डालकर रस्सी से बांध दिया।
इधर पदमा पड़ोसी के यहां, बच्चे का जन्मोत्सव कार्यक्रम था तो वे वही चली गई।
वहा पर केशव का दोस्त का नातीका जन्मदिन था।
केशव का दोस्त पदमा से कहा _अरे भौजी, केशव कहा है? आया नही।
पदमा _जेठ जी वो तो खेत गया है।
केशव का दोस्त _भौजी, अपने दोस्त के यहां कार्यक्रम है और आज खेत चला गया, ये क्या बात हुई। क्या यहीं दोस्ती है।
पदमा _अरे जेठ जी, आप नाराज न हो मैं अभी खेत जाऊंगी तो तुम्हारे दोस्त को भेज दूंगी।
केशव का दोस्त _भौजी, केशव से कह देना अगर वह नही आया तो हमारी दोस्ती खत्म।
पदमा _जेठ जी मैं उनको भेज दूंगी, वो जरूर आयेंगे आप नाराज न हो।
इधर, भुवन गन्ने को लेकर शक्कर कारखाना लेकर चला गया।
राजेश और केशव खेत में पानी पलाने लगे।
कुछ देर बाद पदमा खेत पहुंची।
पदमा _अजी तुम्हारे दोस्त ने तुम्हे बुलाया है अभी तुरंत, उसके घर उसके नाती का जन्म उत्सव का कार्यक्रम है न, तो वह तुम्हारे न आने से बड़ा नाराज है, तुम उसके घर हो आओ।
केशव _ठीक है भुवन की मां, मैं हो आता हूं। न जाने पर उनका नाराज होना लाजिमी है।
भुवन अपने दोस्त के घर के लिए निकल गया।
पदमा _अरे राजेश बेटा चलो तुम भोजन कर लो।
राजेश भोजन करने लगा।
भोजन कर कुछ देर आराम करने के बाद।
पदमा और राजेश दोनो, खेत में कुछ काम करने लगे। घर जाने का समय होने वाला था कि
पदमा _अरे राजेश बेटा तुम्हारे ताऊ जी अभी तक आया क्यू नही है जरा तुम्हारी भौजी को फोन कर पूछो।
राजेश _जी ताई
राजेश ने पुनम को फोन लगाया।
राजेश _भौजी लो ताई से बात करो।
पदमा ने पुनम से बात की,
पदमा _बहु, तुम्हारे ससुर जी अपने दोस्त के घर जन्मुत्सव कार्यक्रम में गया था। अभी तक आया नही है जरा पता करो,,
पुनम _मां जी, ससुर जी तो अपने कमरे में सो रहे है।
पदमा _क्यू, क्या huwa उसको?
पुनम _अरे मां जी ससुर जी कह रहे थे की उसके दोस्त ने उसको ज्यादा पिला दिया, वो ठीक से चल नहीं पा रहे है, वह घर में आकार सो गया है।
पदमा _क्या? लो जिसका डर था वही huwa
राजेश _, क्या huwa ताई?
पदमा _बेटा तुम्हारी भौजी कह रही थी की तुम्हारे ताऊ जी, नसे में है वह अपने कमरे सो गया है? लगता है उसके दोस्त ने उसे शराब पिला दी है।
राजेश _अरे ताई आप चिन्ता न करे नशा उतरने पर ताऊ जी खेत आ जायेंगे।
अभी तो समय है।
इधर अचानक से मौसम में बदलाव आया, तेज़ हवा चलने लगी, चारो तरफ काली घटाएं छाने लगी।
पदमा _अरे बेटा, मौसम अचानक से बिगड़ रहा है। लगता है बारिश होने वाली है।
बारीश शुरू हो जाए उससे पहले जो मूंगफली सूखने के लिए फैलाया गया है। वह बारिस में बह जाएगा। उसे इकट्ठा कर बोरी में भर कर रखना पड़ेगा।
राजेश और पदमा दोनो मूंगफली इकट्ठा करने लगे।
वे मूंगफली इकट्ठा कर पाते उससे पहले ही बारिश शुरू हो गई और जब मूंगफली इकट्ठा कर बोरी में भरकर रखते वे पूरी तरह भीग चूके थे।
तेज़ हवाएं चल रही थी। बिजली कड़क रही थी और तेज़ बारिश होने लगी।
पदमा और राजेश दोनो झोपड़ी के अंदर खड़े होकर बारिश के बंद होने का इन्तजार का इन्तजार करने लगे।
ताकि बारिश रुकने पर वे घर जा सके।
पर बारिश था की रुकने के बजाए और तेज़ हो रहा था। ठंडी ठंडी तेज़ हवाएं चलने लगी और जोर जोर से बादल गरज रहा था। ऐसा लग रहा था की बिजली झोपड़े में ही न गीर जाए।
ऐसे में घर जाना काफी जोखिम था।
पदमा _बेटा, काफी ठंडी ठंडी हवाएं चल रही है, शरीर कपकपाने लगा है झोपड़ी का दरवाजा बंद कर दे। और रोशनी के लिए कंडिल जला दे।
राजेश _जी ताई।
राजेश ने झोपड़ी का दरवाजा बंद कर दिया और कंडील जला दिया।
उन्हे कपकपी से राहत मिली।
इधर बारिश था की रुकने का नाम ही नही ले रहा था।
उन्हे बारिश के रुकने का इन्तजार करते करते रात के 8बज गए। वे पूरी तरह भीग चूके थे। बाहर ठंडी ठंडी तेज़ हवाएं चल रही थी, जिससे झोपड़ी के अंदर भी ठंडकता बड़ने लगी।
पदमा _राजेश बेटा, लगता है ये बारिश नही रुकने वाली, ये तो रुकने के बजाए और बड़ रही है।
लगता है हमे आज रात झोपड़ी में ही गुजारनी होगी।
अब तो भूख भी लगने लगी है।
कुछ देर और इंतजार करने के बाद जब लगा की अब तो रात भी हो चुकी ऐसे मौसम में घर जाना अब खतरे से खाली नहीं,,
पदमा _राजेश बेटा, अब तो घर जा पाना मुश्किल लग रही है। तुम एक काम करो तुम्हारा कपड़ा भीग गया है। उसे उतारकर, उस थैले में तुम्हारे ताऊ जी का कपड़ा होगा उसे पहन लो।
राजेश ने थैला चेक किया उसमे केशव का धोती और कुर्ता था ।
राजेश _ताई इसमें तो ताऊ जी का धोती और कुर्ता है।
पदमा _बेटा, तुम अपना गीले कपड़े उतार कर ये कपड़े पहन लो।
गीले कपड़ों में ज्यादा देर तक रहोगी तो तुम बीमार पड़ जाओगे।
राजेश _ताई, तुम भी तो पूरी तरह भीग चुकी हो, ये कपड़े तुम पहन लो, मुझे कुछ नहीं होगा।
पदमा _अरे बेटा क्यू जिद कर रहा है? अपने ताई का कहना नही मानोगे।
राजेश _ताई तुम भी देखो ठंड से कांप रही हो, अगर गीले कपड़े नही उतारी तो रात भर में तुम्हारी तबियत खराब हो जाएगी। इसलिए मुझसे ज्यादा आपको इन कपड़ो की जरूरत है।
पदमा _अरे बेटा जिद न कर मेरा कहना मान ले।
राजेश _ठीक है ताई, मैं ये धोती पहन लेता हु तुम कुर्ता पहन लो।
पदमा _छी बेटा, मैं तुम्हारे सामने कुर्ता में,,,
राजेश _ताई, अब अब जान बचानी है तो शर्म छोड़ना पड़ेगा ही।
यहां ओढ़ने के लिए एक कंबल है तुम उसे ओड लेना।
पदमा _कुछ देर सोचने के बाद, ठीक है बेटा।
राजेश ने एक एक कर अपना सारा कपड़ा निकाल दिया, सिर्फ चड्डी में रह गया।
चड्डी भी भीग गया था।
उसने धोती को क़मर में लपेट कर चड्डी भी उतार दिया।
अब वह सिर्फ धोती में था।
पदमा _बेटा, मुझे बड़ा शर्म आ रही है, तुम्हारे सामने कैसे कपड़े बदलू।
राजेश _ताई मैं अपनी आंखे बंद कर देता हूं। जब तुम बोलोगे तभी खोलूंगा।
पदमा _ठीक है बेटा।
राजेश ने अपनी आंखे बंद कर लिया।
लो ताई अब कपड़े बदल लो।
पदमा ने एक एक करके अपनी सारे कपड़े उतार कर केशव का कुर्ता पहन लिया, जो उसकी जांघों तक आ रहा था। उसने खाट पर रखे कंबल ओढ़ लिया।
पदमा _बेटा अब तुम अपनी आंखे खोल दो।
Ek dam jhakkas update 💯
 
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rajesh bhagat

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पदमा, कुर्ता पहनकर, जो सिर्फ उसकी टांगो तक आ रहा था, को पहनकर ऊपर से खाट पे रखा कंबल लपेट लिया और खाट के एक किनारे पे बैठ गया।
इधर राजेश सिर्फ धोती में था। वह भी खाट के दूसरे किनारे पे बैठ गया।
कुछ देर बाद,,,,
पदमा _बेटा अब तो जोरो की भूख लगने लगी है।
राजेश _हा ताई मुझे भी।
पदमा _बेटा अब यहां मूंगफली के सिवा खाने के लिए कुछ है नही। बोरी से मूंगफली निकाल कर ले आओ, आज उसी से काम चलाना पड़ेगा।
राजेश _जी ताई।
झोपड़ी के बाहर अभी भी तेज़ हवाएं चल रही थी। बारिश हो रही थी और बिजली कड़क एवम बादल गरज रहा था।
राजेश ने बोरी से एक बांस के बने टोकरी में मूंगफली निकाला और उसे ले आया, खाट पे दोनो के बीच रख दिया।
पदमा और राजेश दोनो मुगफली खाने लगे।
पदमा _बेटा घर वाले भी हमारी चिन्ता कर रहे होंगे। पता नही भुवन भी घर पहुंचा है की नही।
उन्हे फोन लगा कर पता तो करो।
राजेश _जी ताई।
राजेश ने भुवन को काल करने की कोशिश की लेकिन मौसम खराब होने की वजह से काल लगा ही नहीं, उसने पुनम के पास भी लगाया,, उनसे भी बात नही हो पाई।
राजेश _ताई, मौसम खराब होने की वजह से मोबाइल भी काम नही कर रहा है।
दोनो ने पेट भर मूंगफली खाया।
फिर मटके में रखे पानी पी कर खाट में बैठ गए।
पदमा _बेटा ये बारिश तो रुकने का नाम ही नही ले रही है, लगता है रात भर ऐसे ही गुजारना पड़ेगा।
राजेश _ताई आप खाट पे लेट जाओ।
पदमा _बेटा और तुम।
राजेश _ताई मुझे तो पढ़ाई करते हुए रात में जगने की आदत है।
पदमा _आप सो जाइए।
पदमा खाट पे लेट गया।
खाट छोटा था। एक तकिया था। खाट पे एक पतला गद्दा बिछा था।
पदमा खाट पे लेट गया और कंबल को ओढ़ लिया।
राजेश खाट के किनारे थोड़ी जगह थी वहा बैठ गया।
इधर झोपड़ी पर ठंडकता बढ़ती ही जा रही थी।
राजेश सिर्फ धोती ही पहना था, उसका बदन ऊपर से नंगा था।
राजेश को भी ठंडकता महसूस होने लगी। वह अपने दोनो हाथों को रगड़ने लगा।
जिसे पदमा को पता चला की राजेश को ठंड लग रहा है।
पदमा _बेटा ठंडी बहुत बड़ गई है, रात भर ऐसे ही खुले बदन रहोगे तो तुम बीमार पड़ सकते हो, तुम भी आ जाओ खाट पे लेट जाओ। और कंबल ओढ़ लो।
राजेश _ ताई कंबल तो बड़ा है पर खाट पे तो जगह बहुत कम है।
पदमा _बेटा, किसी तरह दोनो एडजेस्ट हो जायेंगे। मुझे बिल्कुल अच्छा नही लग रहा है तुम्हे ठंड से ठिठुरते देख कर ।
राजेश _ठीक है ताई।
राजेश खाट के किनारे से उठा।
पदमा दूसरे तरफ थोडा खिसकी, राजेश ने कंबल थोडा हटाया और वह खाट पे लेट गया। दोनो एक दूसरे की और पीठ करके करवट लेकर लेट गए औरकंबल को ओढ़ लिए।
दोनो का पीठ एक दूसरे से चिपका huwa था।
कुछ देर बाद,,,
पदमा _बेटा अब तुम्हे ठंड तो नही लग रही है
राजेश _नही ताई, अब तो बिलकुल ठंड नही लग रही है।
तभी राजेश के फोन पे पुनम का काल आया ।
पुनम _ राजेश तुम लोग कहा हो?
राजेश _भौजी हम लोग तो खेत के झोपड़े में ही है, बाहर का मौसम बहुत खराब है हम घर नही आ पा रहे। मैने कई बार फोन लगाया पर मौसम खराब होने के कारण लग ही नहीं पा रहा था ।
पुनम _हा राजेश मैं भी कब से, ट्राई कर रही थी, पर लग नही पा रहा था।
तुम लोग कैसे हो? हम लोगो को बड़ी चिन्ता हो रही थी।
राजेश _भौजी हम लोगो बिलकुल ठीक है, तुम लोग हमारी चिन्ता मत करो ।
तभी,, पदमा ने कहा,,
पदमा_बेटा किसका फोन है?
पुनम _ताई, भौजी बात कर रही है। कह रही है वो हम लोगो को लेकर चिंतित है।
पदमा _अच्छा बेटा दिखाओ फोन को मुझे बात करने दो,,
पदमा राजेश की ओर घूम गई।
राजेश _भौजी लो, ताई से बात करो, कहते हुवे वह भी, पदमा की ओर घूम गया।
राजेश _लो ताई भौजी से बात करो।
दोनो पेट एक एक दूसरे से चिपक गए। पदमा की छातियां राजेश की सीने से एकदम से सट गया।
इस पर ध्यान न देते हुए पदमा, पुनम से बात करने लगी।
पदमा _अरे बहु, घर में सब ठीक तो है न।
पुनम _हा, मां जी हम सब ठीक है।
पदमा _भुवन घर आया है की नही।
पुनम _नही मां जी वह भी बारिश में फसा है, उनसे बात हुई है वह अब सुबह ही आयेंगे। वह शहर में कहीं ठहरा हुआ है।
पदमा _और तुम्हारे ससुर जी का नशा उतरा है की नही।
पुनम _उतर चुका है मां जी, उसे भी आप लोगो की चिन्ता हो रही थी।
लो बापू जी से बात करो।
केशव _अरे पदमा तुम लोग ठीक तो हो न।
पदमा _हा जी हम लोग ठीक तो है पर मौसम बहुत खराब है लगता है हमे रात भर झोपड़े में ही रहना पड़ेगा।
केशव _अरे पदमा ऐसे मौसम में रात में घर आना ठीक नही है। तुम लोग कल सुबह ही घर आना। किसी तरह आज की रात झोपड़े में ही कांट लो।

पदमा _ठीक है जी।
उधर पदमा, बात चीत में लगी थी।
उसका शरीर राजेश के सीने से एकदम से चिपका हुआ था, उसका एहसास भी नहीं था।
इधर राजेश की नाक में एक जनाना बदन की खुशबू नाक पे, पहुंचते ही उसका बदन गर्माने लगा। राजेश को पदमा की बड़ी बड़ी चूचियां जो उसके सीने में दबा huwa था।
राजेश का बेचैनी बढ़ाने लगा।
जो मूंगफली उसने खाया था वह भी असर दिखाने लगा
राजेश का land धीरे धीरे टन टनाने लगा।
दोनो के बदन कंबल से ढका हुआ था, केवल सिर ही बाहर निकले हुवे थे।
पदमा बातचीत में लगी हुई थी, इधर राजेश का land धोती के अंदर तन चुका था।
वैसे भी राजेश ने काफी दिनो से किसी औरत को भोगा नही था, उसका भी असर था।
जो उसके शरीर में जोश भर रहा था। आखिर राजेश भी एक मर्द था एक जनाना उसके शरीर से इस तरह चिपका huwa हो, ऊपर से मूंगफली की गर्मी, उम्र का प्रभाव, लंबे समय तक संभोग न करना, ये सब कारण से राजेश के न चाहने पर भी उसके land पर उसका नियंत्रण न रहा और राजेश का land तनकर लंबा और मोटा हो गया।
मोबाइल पर बात चीत बंद होने के बाद।
राजेश _ताऊ जी क्या बोल रहे थे ताई?
पदमा _राजेश बेटा तुम्हारे ताऊ जी कह रहे थे मौसम बड़ा खराब है, झोपड़े से बाहर मत निकलना, कल सुबह ही घर आना। आज रात किसी तरह झोपड़े में ही कांटने को बोले।
राजेश _हा ताई इसके अलावा और कोइ चारा तो है नही।
दोनो आंखे बंद कर सोने की कोशिश करने लगे।
कुछ देर बाद पदमा को अहसास huwa की उसके पेट में कुछ चुभ रहा है।
उसे पता चल गया कि राजेश उत्तेजित हो गया है। उसे बहुत ही लज्जित महसूस होने लगी।
वह करवट लेकर लेट गई।
राजेश वैसा ही लेटा रहा।
राजेश का land अब पदमा के गाड़ को चुभने लगा।
पदमा की हालत खराब होने लगी।
केशव पदमा की माह में एकात बार ही चोदता था।
वह भी पदमा के पहल करने पर, कभी कभी जब पदमा की बहुत अधिक ईच्छा होती थी तो ख़ुद ही पहल करती थी ।
इधर पदमा एक तरफ लज्जित महसूस कर रही थी तो दूसरे तरफ एक मोटे land के अहसास से उसका शरीर गर्माने लगा।
वह राजेश को इस विषय में कुछ कह भी नहीं सकता था।
इधर राजेश ने एक हाथ पे अपना सिर रखा huwa था तो दूसरा हाथ पदमा के पेट पे रख दिया जिससे पदमा सिहर उठी।
पदमा सिर्फ कुर्ता पहनी थी और कुछ नही।
पदमा एकदम खामोश थी, वह बहुत ही अजीब परिस्थिति में फस गई थी। वह बिल्कुल खामोश थी।
कुछ देर दोनो ऐसे ही लेटे रहे।
फिर राजेश सीधा होकर पीठ के बल लेट गया।
उसका land एकदम तनकर सीधा खड़ा huwa था।
वह उठ कर बैठ गया।
पदमा _क्या huwa बेटा नींद नहीं आ रही क्या?
राजेश _ताई, मुझे पेसाब लगी है?
पदमा _बेटा, जरा झोपड़ी का दरवाजा खोल कर देखो।
बारिश कम हुई क्या?
राजेश ने दरवाजा खोल कर देखा तो बारिश अभी भी हो रही थी और तेज़ हवा भी चल रही थी।
राजेश _ताई बारिश तो अभी भी हो रही है।
ताई छतरी तो है, इसे लेकर चला जाता हूं।
पदमा _अरे बेटा इस छतरी में दम नहीं है, पुरानी हो चुकी है, तेज़ हवा में छतरी पलट जाएगी।
राजेश _ ओह, लगता है बारिश रुकने का इन्तजार करना पड़ेगा।
पदमा _जोरो की लगी है क्या?
चलो मैं तुम्हारे साथ चलती हूं मैं छतरी सम्हालूंगी , तुम पेसब कर लेना।
राजेश _पर ताई आपके सामने, मुझे शर्म आयेगी।
पदमा _अरे बेटा मैं मै मुंह दूसरी ओर कर लूंगा।
राजेश _ठीक है ताई,,
पदमा भी कंबल से बाहर निकल आई और सिर्फ कुर्ता पहने राजेश के साथ छतरी में झोपड़ी से बाहर निकली।
पदमा _बेटा बाहर तो एकदम अंधेरा है कुछ दिख ही नहीं रहा है।
राजेश _ताई, मैं अपने मोबाइल का टार्च ऑन करता हूं।
राजेश ने मोबाइल का टार्च ऑन किया।
पदमा _बेटा झोपड़ी से ज्यादा दूर जाने की जरूरत नही यहीं कर लो।
दो छतरी को मुझे दो।
पदमा ने छतरी को अच्छे से पकड़े रखा ताकि हवा से छतरी उल्टे मत।
पदमा ने अपना मुंह दूसरी ओर करते हुए कहा।
लो बेटा अब जल्दी करो नही तो हम भीग जायेंगे।
राजेश _ठीक है ताई।
राजेश ने अपना धोती से land बाहर निकाला जो एक दम खड़ा huwa था। उसने मूतने की कोशिश की, लेकिन land खड़ा होने के कारण मूत ठीक से बाहर नहीं आ पा रहा था।
पदमा _क्या huwa बेटा जल्दी करो?
राजेश _जी ताई।
राजेश ने अपने land को अपने हाथो से पकड़ कर हिलाने लगा, थोड़ी देर बाद रुक रुक कर पेशाब आ ने लगी।
पेशाब, पेड़ के पत्ते पर पड़ने से चर चर की रुक रुक कर आवाज़ आता, जिसे सुनकर पदमा की शरीर में एक अजीब सी हलचल होने लगी।

जब आवाज़ आना बंद huwa।
पदमा _हो गया क्या बेटा?
राजेश _हा ताई।
चलो अब चलते है, नही तो भीग जायेंगे।
पदमा _बेटा थोडा रुको।
राजेश _क्या huwa ताई?
पदमा _बेटा पेशाब तो मुझे भी लगी है?
राजेश _तो आप भी कर लीजिए, दो छतरी को मुझे दो।
पदमा _पर बेटा मुझे बड़ी शर्म आ रही है, तुम्हारे सामने,
राजेश _जैसे मैने आपके सामने किया वैसे ही तुम भी कर लो, यह हम दोनो के सिवा कोई तीसरा तो है नही। लो मैं अपना मुंह दूसरी ओर कर लिया आप जल्दी से कर लो।
पदमा _ठीक है बेटा।
पदमा नीचे उकडु बैठ गई और कुर्ता को थोडा उठा दी।
फिर मूतना शुरू कर दी। पेशाब की तेज़ धार पेड़ के पत्ते पर पड़ने से चर,,,,,,,,,,, की आवाज़ आने लगी। यह आवाज सुनकर राजेश का land फिर से तनकर खड़ा हो गया।
इधर पेशाब करने के बाद लज्जित महसूस करते हुए पदमा बोली,,
बेटा अब चलो जल्दी झोपड़ी में, नही तो भीग जायेंगे। बाहर की ठंडी हवाओं से दोनो के शरीर कपकपाने लगे थे।
दोनो झोपड़ी के अंदर आए।
राजेश ने झोपड़ी का दरवाजा अच्छे से बंद कर दिया।
इधर पदमा खाट जाकर लेट गई और कंबल ओढ़ लिया।
पदमा _बेटा तुम भी आ जाओ, बाहर बहुत ठंडी है
राजेश भी खाट के एक किनारे लेट गया और कंबल ओढ़ लिया।
पदमा ने राजेश की ओर पीठ करके करवट लेकर लेट गई।
राजेश सीधा लेट कर लेट गया, था।
राजेश land तना हुआ था। वह एक हाथ से अपना land सहलाने लगा।
उसे chudai करने की बड़ी ईच्छा हो रही थी।
उसे एक जनाना के शरीर से चिपकने का मन कर रहा था।
वह पदमा की ओर करवट लेकर लेट गया।
जिससे उसका land पदमा की गाड़ में चुभने लगा।

पदमा को जब मोटे land का फिर से अहसास huwa तो उसका शरीर फिर से गर्माने लगा।
इधर राजेश तो उत्तेजित था ही उसे चोदने के लिए बुर चाहिए था।
उसने अपना एक हाथ पदमा के पेट पर रख दिया। जिससे पदमा का पूरा शरीर कपकपा गया।
वह राजेश से कुछ कह भी नहीं सकती थी।
इधर राजेश को जानना शरीर से चिपकने का बड़ा मन कर रहा था वह पदमा के शहरी से एकदम से सट गया।
जिससे उसका land धोती के ऊपर से ही पदमा की बुर पे दस्तक देने लगा। पदमा का शरीर सिहर उठा।
वह खामोश ही रही जैसे कुछ हुआ ही नहीं।
इधर राजेश का हिम्मत बढ़ने लगा, वह पदमा का पेट कुर्ता के ऊपर से ही सहलाने लगा।
पदमा के सरीर में सिहरन डी दौड़ने लगी।
उधर राजेश अपने land ka दबाव हल्के हल्के पदमा के बुर पर बढ़ाने लगा।
राजेश की हरकतों से पदमा की बुर पानी छोड़ने लगी।
इधर राजेश हल्का हल्का अपना क़मर हिला हिला अपना land कपड़े के ऊपर से ही बुर मे ढकलने लगा, जैसे वह बुर चोद रहा हो।
पदमा भी उत्तेजित हो चुकी थी।वह खामोश रही।
जिससे राजेश का हौसला और बढ़ गया। वह अपने हाथ को पेट से हटा कर ऊपर उसकी चूचियों पर रख दिया।
चुचियों पर हाथ रखते ही, पदमा ने राजेश का हाथ पकड़ लिया।
वैसे ही कुछ देर दोनो रुके रहे।
फिर राजेश ने उसकी चुचियों को कुर्ते के ऊपर से ही मसलना सुरू किया।
पदमा के मुंह से हल्की हल्की मादक सिसकारी, निकलने लगी।
राजेश ने अपना land धोती से बाहर निकाल लिया और पदमा की कुर्ता को थोडा ऊपर उठा कर land को उसकी टांगो के बीच घुसा दिया।
और हल्के हल्के धक्के लगाने लगा।
Land बुर को बाहर से रगड़ने लगा, जिससे बुर से पानी रिसने लगा।
एक हाथ से पदमा की बड़ी बड़ी चूचियां को मसलने का काम जारी रखा। राजेश के इन हरकतों से पदमा अत्यंत गर्म हो गई।
राजेश को इस बात का जब अहसास हुआ की पदमा अब कोइ विरोध करने की स्थिति में नहीं है। वह उसकी एक टांग को थोडा ऊपर उठा या और अपना land उसकी बुर में डालने की कोशिश करने लगा।
राजेश काफी देर तक प्रयास करता रहा, और एक समय आया जब land का टोपा बुर में घुस गया।
पदमा सिसक उठी।
उसके बाद राजेश ने पदमा की टांग को थोडा और उठा कर एक जोर का धक्का मारा land सरसराता huwa आधा अंदर घुस गया।
पदमा चिहुक उठी।
राजेश ने अपना land पदमा की बुर में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
पदमा की बुर पूरी तरह गीली हों चुकी थी,land बुर में आसानी से अंदर बाहर होने लगा जिससे दोनो को बहुत मजा आने लगा।
राजेश धीरे धीरे अपना गति बढ़ाने लगा।
अब land पदमा की बुर में फच फच की आवाज़ करता huwa अंदर बाहर होने लगा।
पदमा अपने मुंह से मादक सिसकारी रोकने की असफल कोशिश करती रही लेकिन रोक न सकी।
पदमा की मादक सिसकारी झोपड़ी में गूंजने लगी।
कुछ देर तक इसी पोजीशन में पदमा को कामसुख देने के बाद राजेश ने chudai रोक दिया।
अपना land पदमा की बुर से बाहर निकाल लिया और पदमा की बाहों को खींचकर सीधा लिटा लिया और ख़ुद उसके ऊपर लेट गया।
पदमा अपनी आंखे बंद कर ली थी वह राजेश से आंखे नही मिला सकती थी।
राजेश और पदमा दोनो कंबल के अंदर थे केवल उसका सिर बाहर निकला huwa था।
राजेश जोश में पदमा की गालों को ओंठो को चुनने चाटने लगा।
अपना land उसकी बुर में डालकर अपनी क़मर हिला हिला कर चोदने लगा।
पदमा की बुर की भगनाशा से land अच्छी तरह रगड़ खाने से पदमा को संभोग का परम आनद मिलने लगा।
वह ख़ुद को ज्यादा समय तक रोक न सकी और राजेश को जोर से जकड़ कर झड़ने लगी।
राजेश ने क़मर हिलाना बंद कर दिया।
पदमा की आंखो की पुतलियां पलट चुकी थी उसे chudai में ऐसा आनद पहले कभी नही मिला था।
कुछ देर तक दोनो ऐसे ही लेटे रहे।
कुछ देर बाद राजेश ने अपनी क़मरफिर से धीरे धीरे हिलाना शुरू किया।
धीरे धीरे पदमा फिर गरम होने लगी।
दोनो के शरीर बहुत गर्मा गया था।
राजेश अब उठ कर बैठ गया। और उसकी टांगों को फैला कर उसके बीच उकडू बैठ गया।
अब राजेश अपना land पदमा की बुर पे रख कर एक जोर का धक्का मारा land सरसराटा huwa एक ही बार में आधे से ज्यादा अंदर घुस गया।

अब राजेश ने पदमा की चुचियों को हाथो में थाम लिया और उसे मसल मसलकर कमर हिला हिला कर गच गच चोदना शुरु कर दिया।
पदमा के मुंह से सिसकारी निकल कर झोपड़ी में गूंजने लगी।
Land बुर में गपागप अंदर बाहर हो रहा था जिससे दोनो को संभोग का परम सुख प्राप्त होने लगा।
कमरे में कई तरह की आवाजे गूंजने लगी।
पदमा की मादक सिसकारी, उन,, ई, माई,,,,,
खाट की बजने की चर चर चर,,,,
पदमा की चूड़ियों की झांकने की,,, खन खन,,,, खन,,
Land का बुर में जाने की फच फ्च,,,,
बाहर बादल गरज रहा, बिजली कड़क avm चमक रही थी।
वातावरण पूरी तरह काममय था।
दोनो जन्नत की सैर कर रहे थे।
पदमा को संभोग का ऐसा सुख पहली बार मिल रहा था।
Land काफी मोटा होने के कारण बुर की दीवार और भग्नाशा को अच्छी तरह रगड़ रहा था, जिससे पदमा को परम सुख मिल रहा था,land लंबा होने से गहराई तक जा रहा था,land का टोपा गर्भाशय मुख से टकराने से, पदमा के शरीर में अलग ही तरंग पैदा कर रहा था।
पदमा राजेश की कमर पकड़ कर अपनी कमर नीचे से हिला हिला कर राजेश का सहयोग करने लगी।
राजेश पदमा की बड़ी बड़ी चूचियां को मसल मसल कर कंबल के नीचे ही चोद रहा था।
पदमा की तो आंखे बंद थी राजेश पदमो को देख देख कर उसकी गालों को कभी चूमता तो कभी उसकी ओंठो का रस चूसता huea चोदना जारी रखा, पदमा दूसरी बार झड़ चुकी थी।
केशव तो बड़ी मुस्किल से एक बार हो झाड़ पाता तो बहुत था।
वह राजेश की मर्दानगी देख कर दंग थी।
राजेश पदमा के झड़ने के बाद कुछ देर रुक जाता जिससे उसे खोया huea ताकत फिर से मिल जाता। कुछ देर बाद राजेश फिर से पदमा की चोदना शुरू कर देता और उसे जन्नत की सैर कराने लगता।
और अन्त में राजेश भी कराहते हुवे, आह मां आह,,,
पदमा की योनि में अपन बीज छोड़ दिया।
राजेश के पानी से बुर पूरी तरह भर कर पदमा की टांगो में बहने लगा।
गर्म गर्म वीर्य की पिचकारी अपनी बुर में महसूस कर पदमा एक बार और झड़ गई।
दोनो काफी थक चूके थे।
एक दूसरे से चिपक कार सो गए। जब नींद खुली तो पदमा देखा की बारिश रुक चुकी है।
वह अपनी हालात देखि। वह शर्म से लज्जित होने लगी।
वह खाट से उठी, राजेश के शरीर पर कंबल डाल दिया। और अपने कपड़े जो कुछ कुछ सुख चुका था को पहनने लगी, कपड़े पहनने के बाद वह वहा से घर चली गई।
जब राजेश का नींद खुला तो पदमा वहा नही थी। वह उठकर खेत में इधर उधर देखा कहीं नहीं दिखी।
राजेश को लगा ताई घर चली गईं है।
कल रात में जोश में उसने ताई के साथ जो किया उसके बाद पता नही ताई उसके साथ कैसा व्यवहार करेगी। वह चिंतित होने लगा।
कुछ देर बाद केशव खेत पहुंचा।
केशव _अरे राजेश बेटा, खेत में सब ठीक तो है न।
राजेश _हा ताऊ जी कुछ जानवर खेत में घुसने की कोशिश कर रहा था मैने उसे भगा दिया।
केशव _माफ करना बेटा कल मैं शाम को खेत आ न सका और तुमको सारी रात खेत में ही रुकना पड़ा।
राजेश _ताऊ जी यह खेत मेरा भी है मेरा भी कुछ फर्ज बनता है । इसमें माफी मांगने की क्या बात?
केशव _अच्छा बेटा अब तुम घर जाओ। यहां की जिम्मेदारी मैं सम्हालता हु।
राजेश _ठीक है ताऊ जी।
राजेश खेत से घर पहुंचा।
भुवन भी घर पहुंच गया था।
उधर पदमा घर में जाने के बाद, नहा ली थी। राजेश ने उसकी जमकर chudai किया था उसकी बुर सूज गई थी। वह अपनी बुर की हालात देखी और लज्जित महसूस करने लगी थी।
इधर राजेश ने जब भुवन को देखा,,
राजेश _अरे भुवन भईया, तुम कब घर पहुंचे।
भुवन _बस अभी ही। पुनम बता रही थी की, मां और तुम बारिश में ही फस गए थे पूरी रात खेत में ही गुजारनी पड़ी।
सब ठीक तो हैं न ।
राजेश _हा भईया सब ठीक है।
भुवन _अच्छा चलो अब नहाते है।
दोनो बाड़ी में नहाने चले गए।
नहाकर आए और पुनम ने उन दोनो के लिए नाश्ता लगाया
इधर पदमा राजेश के सामने आने से बचने लगी।
उसकी राजेश से बातचीत करने की उसकी हिम्मत नही हो रही थी बहुत ही शर्मिंदगी महसूस कर रही थी।
भुवन खेत चला गया। राजेश अपने कमरे में जाकर आराम करने लगा।
फिर अपनी पढ़ाई भी करने लगा।
दोपहर में भी पुनम ने राजेश को भोजन के लिए बुलाया। उसने पुनम से पूछा की ताई कहा है तो पुनम ने कहा की मां जी तो तुम्हे भोजन दे देने कह कर खेत चली गईं।
खेत से आने के बाद भी पदमा ने राजेश से कोइ बात नहि की न ही उसके सामने आई ।
इधर राजेश को बहुत बुरा लग रहा था कि ताई मुझसे नाराज हो गई है।
मैने बड़ी गलती कर दी है, मुझे उससे माफी मांगनी होगी।
रात में पुनम दूध का गिलास लेकर कमरे में पहुंची।
पुनम _देवर जी दूध पी लीजिए।
राजेश, ने गिलास लेकर दूध पी लिया। धन्यवाद भौजी।
पुनम _अरे देवर जी आज तो आप बिना कुछ बोले ही गाय का दूध पी लिया। तुम तो अपने भईया से ताजे दूध की मांग कर रहे थे ।
राजेश _सारी भौजी, मुझे आपसे ऐसी मांग नही करनी चाहिए थी।
मुझे माफ कर दीजिए।
पुनम _अरे देवर जी, भौजी और देवर में तो ये हसी मजाक तो चलता रहता है कोइ बात है क्या?
राजेश _नही भौजी कोइ बात नहीं है? मैं अपनी हद भुल गया था मुझे माफ कर दीजिए।
पुनम _देवर जी पता नहीं तुम्हे क्या हो गया है? ठीक है मैं चलती हूं।
पुनम वहा से चली गई।
अगले दिन भी पदमा उसके सामने नही आई और राजेश से बातचीत नही की।
राजेश को बिल्कुल अच्छा नही लग रहा था। वह पदमा से माफी मांगना चाहता था लेकिन उसे मौका नही मिल रहा था।
इधर पुनम को भी राजेश का व्यवहार में काफी बदलाव महसूस करने लगी। पहले तो उससे हसी मजाक और छेड़ छाड़ करता था। पर उसने ये सब अचानक बंद कर दिया। लगता है देवर जी मुझसे नाराज हो गए हैं।
रात में जब, वह राजेश के कमरे में गई।
राजेश _भौजी आज दूध नही लाई।
पुनम _देवर जी, मैं सोच रही थी कि आज तुम्हे ताजा दूध पिला दू।
राजेश _भौजी मैं समझा नही।
पुनम ने अपनी साड़ी की पल्लू हटा दिया। लो देवर जी अपनी ईच्छा पूरी कर लो। पी लो ताजा दूध।
राजेश _भौजी ये आप क्या कर हो?
किसी ने देख लिया तो आप कृपया चली जाइए प्लीज।
पुनम _देवर जी आखिर बात क्या है? जरूर कोइ बात है जो मुझसे छुपा रहे हो। मुझसे नाराज हो क्या?
राजेश _भौजी, मैं आपसे नाराज नहीं हूं।
पुनम_फिर दूध पीने से मना क्यू कर रहे हो? उस दिन तो बड़े मजे से पिए थे।
राजेश _भौजी कहा न मैं अपना हद भुल गया था। उसके लिए मैं शर्मिंदा हूं। मुझे माफ कर दीजिए।
पुनम _ठीक है देवर जी जैसी आपकी इच्छा।
पुनम वहा से चली गईं।
इधर राजेश पदमा के व्यवहार से दुखी था वह माफी मांगने के लिए मौका ढूंढ रहा था।
एक दिन आरती अपने सहेली के घर गई थी और पुनम अपने कमरे में मुन्ने को सुला रही थी।
पदमा कीचन में थी।
राजेश कीचन में गया।
राजेश _ताई, मुझे माफ कर दीजिए। उस दिन आपके साथ मैने अच्छा नही किया।
मैं जानता हूं कि उस दिन से आप मुझसे नाराज हैं। मैं यहां से चला जाऊंगा।
पदमा _नही, राजेश तुम्हे कहीं जाने की जरूरत नही।
उस दिन जो भी huwa उसके लिए मैं भी जिम्मेदार हू। मैं चाहती तो तुम्हे रोक सकती थी। मैं भी हवस में तुम्हे रोक न सकी।
और कुछ ऐसी परिस्थितियां भी निर्मित हो गई थी तुम जवान हो, इस उम्र मैं ऐसा हो जाता हैं।
राजेश _फिर आप मुझसे बात चीत क्यू नही करती और सामने आने से भी कतराती हो।
पदमा _बेटा मैं तुम्हारे सामने आनी से लज्जित महसूस करती हूं।
राजेश _ताई जो huwa उसे भुल जाओ। और आप मुझसे पहले जैसा व्यवहार कीजिए प्लीज नही तो मैं अपने आप को माफ नहीं कर सकूंगा।
पदमा _राजेश बेटा शायद तुम ठीक कह रहे हो मुझे ऐसा व्यवहार नही करना चाहिए।
बेटा, इस घटना के बारे मे किसी को कुछ बताया तो नही।
राजेश _नही ताई, ऐसी बाते किसी से थोड़े कहूंगा।
पदमा _बेटा ये किसी को मत बताना नही तो बड़ी बदनामी हो जाएगी।
राजेश _नही ताई ये बात मैं किसी से नहीं कहूंगा। आप मूझपर भरोसा कीजिए।
पदमा _ठीक है बेटा, अब तुम अपने कमरे में जाओ।
राजेश वहा से चला गया।
उस दिन के बाद पदमा और राजेश के बीच सब नार्मल होने लगा। पदमा राजेश के साथ पहले जैसा बरताव करने लगी।
इधर अब राजेश भी खुश था।
पदमा को अब रात में राजेश के साथ जो संभोग सुख मिला था वह याद आने लगा, जिससे वह गर्म हो जाती।
उस रात राजेश ने उसे संभोग का जो सुख दिया था। ऐसा सुख उसके पति से कभी नहीं मिला था।
एक दिन वह रात में उन पलों को याद कर बहुत गर्म हो गई।
रात में केशव से,,
पदमा _क्या जी आपको तो मेरी जरा भी चिन्ता नहीं खाना खाने के बारे घोड़ा बेचकर सोने लगते हो।
केशव _बोलो मेरी जान क्या सेवा करू?
पदमा _आज बड़ा मन कर रहा है, प्यार कीजिए ना।
केशव _ अरे क्या करू मेरी जान, खेत में काम कर के थक जाता हूं। सारी।
आओ आज तुम्हारी इच्छा पूरी कर दू।
पहले इसे तैयार तो करो।
केशव ने अपना सिकुड़ा हुआ land बाहर निकाल कर कहा। पदमा ने केशव का land हाथ में लेकर सहलाने लगा।
Land में थोडा तनाव आने लगा।
केशव, पदमा की चूची दबाने लगा।
केशव _चलो तैयार हो जाओ।
पदमा बेड पर लेट गई,
अपनी साड़ी और पेटिकोट ऊपर उठा दी।
उसकी मस्त फूली हुईं गोरी चूत केशव के सामने आ गया।
केशव _वाह मेरी जान तुम तो एकदम चिकनी हो गई हो, आज बुर मारने में बड़ा मज़ा आएगा।
केशव ने पदमा की बुर में उंगली डाल कर पहले अंदर बाहर किया।
पदमा पहले से ही गर्म थी उसकी बुर पानी से लबालब हो चुका था।
केशव की उंगली बुर की पानी से गीला हो गया।
केशव ने देर न करते हुए, पदमा की बुर के छेद में अपना land सेट कर एक जोर का धक्का मारा एक ही बार में land सरसराकर पूरा अंदर चला गया।
केशव ने पदमा की चूची को मसल मसल कर land को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
पर ये क्या? केवल पांच मिनट में ही उसका पानी छूट गया।
केशव बेड के एक और लुड़क गया।
इधर पदमा तो केवल मजा आना शुरू ही हुआ था। और खेल खतम हो गया।
उसे अपने पति पर बहुत गुस्सा आ रहा था। उसकी चूत की प्यास बुझाने के बजाय और बड़ा दिया था।
पर वह कर भी क्या सकती थी।
वह बेड से उठी और आंगन में जाकर अपनी बुर को पानी से अच्छे से धोई।
फिर अपने कमरे में आकर लेट गई।
वह बहुत गर्म थी, उसे नींद नहीं आ रही थी उसने अपने पति की ओर देखा जो घोड़े बेच कर सो रहा था।
उसने अपनी चूत की प्यास बुझाने के लिए अपनी उंगली को बुर में डालकर अंदर बाहर करने लगी।
पर उसकी चूत की प्यास बुझने की बजाए और बड़ गई।
उससे बर्दास्त करना मुस्किल हो गया।
उस राजेश के साथ बिताए वह पल याद आने लगा कैसे राजेश ने उसे एक ही रात में कई बार झा डा था, उसकी बुर सूजा दी थी। उस पल को याद कर वह संभोग के लिए तड़प उठी।
वह अपने बेड से उठी और न चाहते हुवे भी उसकी कदम राजेश के कमरे की ओर जाने लगी, जाते समय वह सरसो का तेल अपने साथ ले गई।
राजेश इस समय सोया नही था, पढ़ाई कर रहा था।
पदमा ने दरवाजा खटखटाया, राजेश ने दरवाजा खोला।
राजेश _ताई आप, कुछ काम था क्या?
पदमा _बेटा, मेरे पीठ और कमर दर्द कर रहा है मैं सो नहीं पा रही। तुम्हारे ताऊ जी तो सो चूके है मैं उसे उठाना उचित नहीं समझी? क्या तुम मेरी कमर और पीठ की मालिश कर दोगे, मुझे राहत मिल जाएगी।
राजेश _ताई जी, अंदर आइए न।
पदमा कमरे में रखे पलंग पर जाकर बैठ गई।
राजेश _बोलो ताई, क्या करना है?
पदमा _बेटा पहले मेरे पीठ की तेल से मालिश कर दो, दर्द कर रहा है।
राजेश _ठीक है ताई, आप पेट के बल लेट जाइए।
पदमा पीठ के बल पलंग पर लेट गई।
राजेश ने तेल अपने हाथ में लेकर ब्लाउज के नीचे भाग पर मालिश करने लगा।
पदमा _बेटा दर्द थोडा ऊपर है! रुको मैं अपनी ब्लाउज निकाल देती हूं।
पदमा ने अपनी साड़ी की पल्लू को दांत से दबाकर अपनी ब्लाउज निकाल दी और पीठ के बल लेट गई।
राजेश ने पदमा की खुली पीठ पर तेल लगा कर मालिश करने लगा।
राजेश _ताई कुछ राहत मिला।
पदमा _हा,re तु तो बड़ा अच्छा मालिश कर रहा है दर्द से राहत मिल रही है। थोडा और मालिश करो बेटा।
राजेश _जी ताई, मैं आपको दर्द से पूरा राहत पहुंचा दूंगा।
इधर राजेश के मालिश करने से पदमा और गर्म होने लगी।
पदमा _बेटा उस दिन की घटना को किसी को बताया तो नही।
राजेश _नही ताई, ऐसी बात मैं कैसे किसी से कहूंगा।
पदमा _अच्छा किया बेटा जो किसी को नहीं बताया नही तो बड़ी बदनामी हो जाती। तुमसे एक बात पूछूं।
राजेश _हा ताई पूछो।
पदमा _मैं तो तुम्हे बड़ा भोला समझ रही थी तु तो बड़ा खिलाड़ी निकला।
मुझे लगता है पहले भी कई महिलाओं के साथ कर चुका है। बताओ मैं सच कह रही ना।
राजेश _ताई आप भी न,,,
पदमा _अरे शर्मा क्यू रहा है बताता क्यू नही?
राजेश _हां ताई, मैंने पहले भी ये सब किया है।
पदमा _तेरा होने वाला बीवी बड़ी किस्मत वाली होगी।
राजेश _ताई ऐसा क्यू?
पदमा _उसे ऐसा मर्द जो मिलेगा, जो उसे भरपूर सुख देगा।
राजेश _वैसे ताई एक बात पूछूं आप बुरा तो नही मानोगी।
पदमा _अरे पूछो, नही मानूंगी बुरा।
राजेश _आपको मजा आया की नही।
पदमा _पदमा शर्म से पानी पानी हो गई।
राजेश _ताई बताओ न, मजा आया की नही।
पदमा _हूं,,,
पदमा _और तुम्हे।
राजेश _मुझे भी बहुत मजा आया।
पदमा _चल झूठा। मैं तो अब बूढ़ी हो चुकी हु मैं क्या मजा दूंगी।
राजेश _टाई ये आप क्या कह रही है आप और बूढ़ी। अभी तो आप काफी जवान और खुबसूरत है बदन पूरा कसा हुआ है।
पदमा _चल झूठा कहीं का।
राजेश _कसम से ताई मैं सच कह रहा हूं।
तुम्हारा बदन बहुत खुबसूरत है जवान लडकियों की तरह एकदम कसा हुआ।
पदमा _हसने लगा।
पदमा _वैसे तुम्हारा हथियार भी बड़ा दमदार है। गुफा के अंतिम छोर तक पहुंच जाता है।
राजेश _क्यू ताऊ जी का नही पहुंचता क्या अंतिम छोर तक।
पदमा _अरे उसका तो आधे तक नही पहुंच पाता।
थोड़े ही देर में फूस हो जाता है।
राजेश _ओह तब तो आप प्यासी रह जाती होगी।
पदमा _अब क्या कर सकते हैं?
राजेश _ताई कमर पे भी मालिश कर दू।
पदमा _हा re, रुको मैं पेटीकोट का नाडा खोल दू।
पदमा ने हाथ नीचे ले जाकर पेटी कोट का नाडा खोल दिया। और अपना साड़ी भी निकाल दिया ताकि उसमें तेल न लगे अब वह पेटीकोट में थी।
राजेश ने तेल से उसकी कमर पर मालिश करना सुरु कर दिया।
पदमा बहुत गर्म हो चुकी थी।
पदमा _वैसे तु कितनी महिलाओं का ले चुका है।
राजेश _बताया न बहुतों का।
पदमा _मेरी लेगा।
राजेश _ताई , आप मजाक कर रही है।
पदमा _अरे मैं मजाक नही कर रही, सच कह रही। आज तेरे ताऊ ने मुझे प्यासा ही छोड़ दिया।
अगर मेरी प्यास नही बुझी तो लगता है मैं मर न जाऊ।
राजेश _ओ तो ये बात है।
ठीक है, पर मैं जो कहूंगा वो करना पड़ेगा।
राजेश _क्या करवाएगा अपने ताई से।
राजेश _वही जिसमे दोनो को बहुत मजा आएगा।
पदमा _अच्छा बोलो क्या करना है।
राजेश _पहले आओ मेरी गोद में बैठो और अपनी दूदू पिलाओ।
पदमा _मुझे शर्म आयेगी, वह हसने लगी,,,,







 
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