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Annual Story Contest - XForum
Hello everyone!
We are thrilled to present the annual story contest of XForum!
"The Ultimate Story Contest" (USC).

"Win cash prizes up to Rs 8500!"


Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 8000 words ke bich honi chahiye (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Cash Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 25th March ko open ho chuka matlab aap apni story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 25th April 2025 tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.

Important Links:
- Chit Chat Thread (For discussions)
- Review Thread (For reviews)
- Rules & Queries Thread (For contest details)
- Entry Thread (To submit your story)

Prizes
Position Rewards
Winner 3500 ₹ + image Award + 7000 Likes + 30-day Sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 2000 ₹ + image1 Award + 5000 Likes + 15-day Sticky Thread (Stories)
2nd Runner-Up 1000 ₹ + 3000 Likes + 7-day Sticky Thread (Stories)
3rd Runner-Up 500 ₹ + 3000 Likes
Best Supporting Reader (Top 3) 500 ₹ (Each) + image2 Award + 1000 Likes
Reporting Plagiarized Stories imag3 200 Likes per valid report


Regards, XForum Staff
 

satya2012

New Member
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दोस्तों मैं new threadपर यह कहानी अधूरी पोस्ट कर दी थी पर एडिट आपसन न हो ने के कारण , फिर से पोस्ट किया ।
। यह कहानी मां बेटे के बीच शारिरिक संबंध पर आधारित है। वैसे तो मां बेटे के बीच शारिरिक संबंध को समाज महा पाप मानता है। कुछ लोग तो इसे मन गडंत कहानी मानते हैं कहते हैं कि मां बेटे के बीच शारिरिक संबंध नहीं बनता, लेकिन लोगो के सोंच के विपरीत मां और बेटे के बीच शारिरिक संबंध पहले भी बनते थे और आज भी बनते हैं। हाला की ऐसी घटनाए बहुत कम होती है, वास्तविक जगत में होती है।

मां जब खूबसूरत, सेक्सी और जवान हो, और जवान बेटा मां को किसी के साथ chudte देख ले तो अधिकांश लडको का मां के प्रति विचार बदल जाता है। मां, बेटे के सपनो में आने लगता है। बेटा मां को सपने में चोदने लगता है। उसके नाम से मूठ मारकर लगता है।
। कभी कभी मां और बेटे को अकेले में समय गुजारने का मौका मिले तो वह अपनी हरकतों से सेक्स की भावना को प्रकट भी करने लगता है, कुछ माए इसका विरोध करती है, कुछ नजरअंदाज करती है तो कुछ ऐसे भी होती हैं जिसे बेटे की ऐसी हरकत अच्छा लगती है, और ऐसी ही औरत और बेटे को जब करीब आने का मौका मिलता है तो दोनो के बिच न चाहते हुए भी शारिरिक संबंध बन जाते हैं, और एक बार जब यह संबंध दोनो के बिच बन जाता है तो उनको धीरे धीरे इस खेल में इतना मजा आता है वे जब भी मौका मिले इस खेल ka मजा लेने लेते है।

चूंकि यह खेल घर के चार दिवारी के अंदर चोरी छिपे चलता है, इस लिए बाहर वालो को पता नहीं चलता, कुछ मामलों में जब ये आसावधानी बरतते हैं तो बाहर वालो को भी इसका पता चल जाता है की मां बेटे के बीच नाजायज संबंध है। लोग ऐसे विषय पर चर्चा करने से भी बचते हैं।
फिर भी अखबार एवम पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से हमे मां बेटे के बीच नाजायज संबंध की घटना कही कही पढ़ने और सुनने को मिलती रहती है।

यहां पर जो स्टोरी पोस्ट करने जा रहा हूं वह भी मां बेटे के बीच नाजायज संबंधों पर आधारित है। यह कहानी सन,1970_85के बीच की है उस समय बच्चे को भगवान की देन समझते थे। दर्जनों बच्चा पैदा करते थे। उस समय लोगो को परिवार नियोजन की जानकारी नहीं थी। कम उम्र में ही लड़के और लड़कियो की शादी हो जाती थी।

कहानी का शीर्षक है।

"गुलाबो और उसका जवान बेटा भोला (complete)


खुशहाल पुर नाम का एक छोटा सा गांव था। यहां की जनसंख्या लगभग 1000 रही होगी। यहां के लोगो का मुख्य व्यवसाय कृषि था। गांव के लोग कृषि कार्य कर अपना जीवन यापन करते थे। गांव के सभी परिवारों के पास अच्छी जमीन थी। जिसमे अनाज एवम शाक सब्जियां उगाते थे। सिंचाई के अच्छे साधन होने के कारण अच्छी पैदावार होती थी।गांव के नाम के अनुरूप यहां के लो खुशहाल थे।

इस गांव में एक के किसान परिवार रहता था। परिवार के मुखिया का नाम किशनू था उसकी पत्नी का नाम गुलाबो था। जब गुलाबो और किशनु की शादी हु़वा उस समय गुलाबो की उम्र 16वर्ष की थी,17 वर्ष की उम्र में ही वह एक लड़के की मां बन गई। उसके बाद वह एक एक करके उसने 6लड़कियो की मां बन गई। सबसे छोटी लडकी की उम्र मात्र एक वर्ष थी।
उसका लड़का भोला अब 19वर्ष का जवान हो चुका था।

सात बच्चों की मां बन जाने के बाद भी गुलाबो की शरीर में गजब की कसावट थी।जबकि वह 36वर्ष की हो चुकी थी।। गांव की महिलाए,उसकी खूबसूरती और जवानी पर जलती थी। गांव के युवा और बूढ़े गुलाबो की सेक्सी और खूबसूरत जिस्म देखकर आहे भरते थे।
उसके सपने देखते थे।
भोला तो अभी सचमुच का भोला था। वह सेक्स से अनिभिग्य ही था।
इधर उसका पति किशनू अपनी पत्नी गुलाबो की खूबसूरती का दीवाना था। kishnu दिन भर खेतो में काम करता रहता था।
वह अपनी पत्नी को खेतो में काम करने से मना करता था।
कहता था की खेतो में काम करने से तुम्हारा गोरा रंग काला पड़ जायेगा।
वह अपनी पत्नी का हर कहा मानता था। एक तरह से वह अपनी पत्नी का गुलाम था। घर में गुलाबो का ही चलता था। घर पर वही होता जो गुलाबो चाहती, उसकी किसी बात का विरोध किशुन ने आज तक नही किया था।
इधर हाई स्कूल की पढ़ाई के बाद भोला खेती के काम में अपने पिता का हाथ बटाने लगा था।

छोटी और उसकी पहले वाली लडकी को छोड़कर सभी लड़कियां पढ़ने के लिए स्कूल जाती थी।10 बजे स्कूल जाते और 4बजे के बाद स्कूल से घर आते। बड़ी लडकी का नाम रूपा था जो 11वी कक्षा में थी।
सुबह का समय भोला सोया था।
गुलाबो_अरे बेटा उठो, सुबह हो गई है कब तक सोया रहेगा। खेत नही जाना है क्या?
भोला अपनी आँखें खोलता है,
भोला _अरे मां, कुछ देर और सोने दो न।
गुलाबो _चलो उठो देखो कितना समय हो चुका है। जल्दी नहाकर नाश्ता कर लो और अपने पिता के लिए नाश्ता ले जाओ।
नाश्ता में रोटी और सब्जी बनता था,
भोला खाट से उठकर तालाब की ओर चला गया। वहा से नहाकर घर आया और नाश्ता किया। गुलाबो ने उसके हाथ में रोटी की पोटली थमा दिया जाओ बेटा तुम्हारा पिता जी इंतजार कर रहे होंगे।
भोला_ठीक है मां।

यह भोला का रोज का ही काम था।
खेत जाने के बाद।
किशनू _आ गया बेटा ।
भोला _हा बापू । रोटी लाया हूं खा लो।
भोला खेत में काम पर लग गया। इधर किशुन खेत में लगे बोर चालू कर नहा लिया और नाश्ता कर लिया। फिर थोडा आराम कर फिर से खेतो में काम करने लगा। यह उनका रोज का काम था।
आवश्यकता पड़ने पर खेतो पर काम करने के लिए मजदूर भी लगाते थे। अभी खेत में मजदूरों की आवश्यकता नहीं थी।
खेत का सारा काम दोनो बाप बेटे ही मिलकर करते थे। पहले किशनु ही अकेला खेत सम्हालता था पर अब भोला उसके कामों में सहयोग करता था, भोला उसके बराबर का काम करने लगा था।
खेतो में फसल के साथ साथ शाक सब्जियां भी लगाते थे। सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध होने के कारण, अच्छी उपज प्राप्त होती थी।
अपने परिवार के आवश्यकता के लायक शाक सब्जियां, अनाज रखकर शेष को मंडी में बेच देते थे। जिससे उनको अच्छी आमदनी होती थी।

दोपहर के समय गुलाबो खाना लेकर अपनी छोटी बच्ची के साथ खाना लेकर पहुंची।
गुलाबो खेत में बनी झोपड़ी में खाने का डिब्बा रखकर भोला को आवाज़ लगाया।
गुलाबो __बेटा, भोला,,, खाने का समय हो गया है। आकर खालो।

भोला _बापू, मां खाना लेकर आ गई है खान के लिए आवाज दे रही है।
किशनू _चलो बेटा तुम जाकर पहले खालों, मै थोडा काम निपटाकर आता हूं।
भोला _ठीक है बापू।


भोला हाथपैर धोकर झोपड़ी की ओर चला गया।
भोला _लाओ मां खाना दो जोरो की भुख लगी है।

गुलाबो _तेरा बापू नही आया।

भोला _वो हमेशा की तरह थोड़े देर बाद खाना खायेंगे कुछ काम निपटाने के बाद।
गुलाबो ने भोला के लिए थाली में खाना निकाला।
भोला खाना खाना शुरु किया।
भोला _मां खाना तो बड़ा स्वादिष्ट बना है,।
गुलाबो _तुम्हे तो हमेशा ही मेरे हाथों का बना खाना स्वादिष्ट लगता है।
भोला _आपके हाथो में जादू जो है।
भोला ने खाना खा लेने के बाद वही झोपडी लगा huwa खाट में लेटकर आराम करने लगा। खाट पर उसकी छोटी बहन भी लेटी थी।
इधर बर्तन धोने के बाद गुलाबो झोपडी में आ गई। नीचे चटाई में बैठ गई भोला और गुलाबो आपस मे बात चीत करने लगें।
तभी बच्ची की नींद खुल गई वह रोने लगी।
भोला _लगता है गुड़िया को भुख लगी है। इसे दुदू पिलादो।
गुलाबो _गुड़िया को अपने गोद में उठा कर अपने ब्लाउज की बटन खोल कर एक चूची बाहर निकाल ली, और बीना चूची को पल्लू से ढके ही गुड़िया को भोला के सामने ही दुध पिलाने लगी। यह रोज का ही काम था, गुलाबो घर के किसी भी सदस्य के सामने बीना पर्दा किए बच्ची को दुदू पिलाती थी।

घर में सभी सदस्यों के लिए ये सामान्य बात थी।
गुलाबो अपनी चूची बाहर निकालकर भोला के सामने दूध पिलाने लगी, और भोला से बतियाने लगी। भोला के लिए भी यह सामान्य बात थी, उसके लिए चूची केवल वह अंग था जिससे मां बच्चे को दूध पिलाती हैऔर वह केवल बच्चे को दूध पिलाने के काम आती हैं।
भोला, बिना चूची की ओर ध्यान दिए अपनी मां गुलाबो से बातचीत करने लगा। कुछ देर बाद किशुन भी झोपडी में आ गया।

किशनू _क्या बाते हो रही है भई मां बेटे में,
गुलाबो _कुछ नही जी, आओ बैठो मैं खाना लगाती हूं।
गुलाबो ने बच्ची को दूध पिलाते हुवे ही किशनू के लिए खाना निकाली। फिर किशनु खाना खाने लगा और आपस में तीनो बात चीत कर रहें थे। गुलाबो बात चीत करते समय बीना परदा किए अपनी दूध से भरी सुडौल बड़ी बड़ी चूचियों में से एक चूची बाहर निकालकर बच्ची को दूध पिला रही थी बच्ची दुध पीते पीते सो गई।
तब उसे भोला के बाजू में फिर से लिटा दी अभी भी उसकी एक चूची खुली थी जब वह बच्ची को खाट पे लिटा रही थी उस समय उसकी चूची राजू के सामने झूल रही थी पर राजू ने उसे देखकर भी मन में कोई गलत ख्याल नही लाया। खाना खाने के बाद कुछ देर किशनु ने आराम किया फिर भोला और किशनू दोनो फिर से काम में लग गया। इधर गुलाबो बर्तन धो कर खाली डिब्बा और बच्ची को लेकर घर चली गई।

शाम को अंधेरा छाते ही भोला भी घर चला गया। किशनु फसल की रखवारी करने खेत में ही रहता।

घर पहुंचकर , अपनी मां गुलाबो को बताकर वह निकल जाता अपने दोस्तो के साथ टहलने रात को भोजन के समय घर पहुंचता। इधर किशनु भी रात में भोजन के लिए घर आता फिर भोजन करने के बाद फसल की रखवारी करने खेत चला जाता। इस तरह इन लोगो की दिनचर्या थी।

इन लोगो का जीवन ऐसा ही गुजर रहा था की एक दिन भोला जब दोस्त रेखू के साथ टहलने के लिऐ तालाब की ओर गया था तभी रेखु ने बताया।

रेखु _अबे, जानता है न कल सरपंच का लड़का राजू के यहां जन्मोत्सव कार्यक्रम है।
भोला _हां, पर कोई खास बात है क्या।
रेखु _अरे लड़के लोग बता रहें थे की दोस्तो के कहने पर राजू ने कल रात वीडियो दिखाने का प्रोग्राम रखा है।
भोला _तो, इसमें नई बात क्या है बे। लोग तो जन्मोत्सव के दिन वीडियो दिखाने का प्रोग्राम रखते ही है।
रेखु _वो तो है, पर सुना है वह दोस्तो के कहने पर ब्लू फिल्म का वीडियो कैसेट भी मांगने वाला है।

भोला _अबे, ये ब्लू फिल्म होता क्या है?
रेखु _अबे तू तो अब तक भोला ही है। अबे chudai वाली वीडियो। पर तुम्हे तो इसमें दिलचस्पी ही नही। पिछली बार भी मैने तुम्हे जब लल्लू ने अपने बेटे के जन्म दीन पर अपने दोस्तो की फरमाइश पर ब्लू फिल्म का वीडियो मंगाया था। तब तुझे वहा देखने के लिए रूकने कहा था पर तुम वो गाइड फिल्म देखने के बाद घर चला गया था। तू एक बार तो देख कर देख ब्लू फिल्म कितना मज़ा आता है बता नही सकता?
एक बार तू देख लिया न ब्लू फिल्म तो तो ये बंबइया फिल्म देखना भुल जायेगा।

भोला _पर ये तो गंदी फिल्म होती है न सुना है ऐसी फिल्म देखने के बाद लड़के बिगड़ जाते है।
रेखु _हा, बच्चों को ये फिल्म नही देखनी चाहिए। पर हम तो जवान हो चुके है न। एक दो सालो के बाद हमारी शादी हो जायेगी। शादी से पहले कुछ सीख ले तो जवानी का अच्छे से मजा लूट सकेंगे।

भोला _अबे, घर में किसी को पता चल गया तो की गंदी फिल्म देखकर आया है, तो,,, न बाबा न, मुझे नही देखना गंदी फिल्म।

रेखु _अरे यार किसी को पता नही चलेगा। ऐसी फिल्म खुले में थोड़े ही चलाते है, वो तो बंद कमरे में कुछ खास दोस्तो के बीच दिखाया जाता है।

भोला _पर किसी ने बात फैला दी तो।
रेखु _किसकी हिम्मत है, साले की? साले की जांघ तोड़ देंगे।
भोला _ऐसी बात है तो फिर कल सोचेंगे क्या करना है?
रेखु _ये हुई न बात।

दरअसल उस समय रंगीन टीवी पर वीसीआर के माध्यम से वीडियो कैसेट चलाकर लोग विभिन्न कार्यक्रमों में वीडियो दिखाया जाता था। पास के शहर से इसे किराए पर मंगाया जाता था। इसे चलाने वाला स्वयं टीवी वी सी आर वीडियो कैसेट लेकर आते थे।
शाम को जब वीडियो दिखाया जाता तो पूरे गांव के लोग वीडियो देखने एकत्र हो जाते थे।
उस समय ब्लू फिल्म का वीडियो कैसेट भी आता था जिसे युवा लोग चोरी छिपे देखते थे।


अगले दिन राजू ने अपने बेटे के जन्म दिन पर वीडियो दिखाने के लिए शहर से किराए पर वीडियो सेट मंगाया था।
शाम को वीडियो चलाया गया। जिसमे राजेश खन्ना धर्मेंद्र एवम जितेंद्र की, अमिताभ की फिल्म के कैसेट मंगाया गया था।
वीडियो शुरू होते ही गांव के बच्चे बूढ़े महिलाए और युवा वीडियो देखने एकत्र हुवे। भीड़ बहुत अधिक थी। इधर घर में गुलाबो ही थी, जो खाना बना रही थी। छोटी बच्ची को छोड़कर सभी वीडियो देखने चले गए। भोला भी रेखु के साथ वीडियो देखने गया था।
रात में भोजन करने जब किशनू घर आया तब उसने बच्चों के बारे में पूछा की सभी कहा है, तब गुलाबो ने बताया की सभी वीडियो देखने गए है। जाओ उन्हें भोजन के लिए बुला लाओ।

किशनु बच्चों को बुला ने चला गया। वहा पर थोड़ी देर रुककर वह भी विडियो देखा फिर भोला सहित सभी बच्चों को खाना खाने के लिए चलने कहा सभी बच्चे जाना नही चाहते थे पर किशनु ने उन्हें डाट कर घर ले गए।
भोला से कहा चलो बेटा तुम भी घर जाकर खाना खा लो फिर आजाना देखने।
भोला _ठीक है बापू चलो आप चलो मैं आता हूं।

भोला जब घर जाने को huwa तब
रेखु _भोला खाना खा कर जल्दी आना, रात का मस्त प्रोग्राम है।
भोला _ठीक है बे आ जाऊंगा।

भोला भी घर चला गया।
घर पर सभी लोगो ने साथ बैठकर भोजन किया।

भोजन करने के कुछ देर बाद किशनु खेत चला गया और भोला गुलाबो को बताकर वीडियो देखने।

गुलाबो ने भी जब भोजन कर बर्तनों की सफाई कर ली, तब वह भी बच्चों को लेकर वीडियो देखने चली गई। एक फिल्म खत्म हो चुकी थी दूसरी फिल्म चल रही थी। गुलाबो वीडियो देखने वहा पहुंची।
सभी लोग मजे से फिल्म देख रहें थे। एक फिल्म देखने के बाद गुलाबो बच्चों को लेकर घर चली गई।

जैसे जैसे रात होते गई, लोगो की भीड़ कम होते गई। रात के दो बजने के बाद कुछ ही महिला बैठी थी। बांकि सब पुरूष थे।

भोला _अबे यहां तो महिला पुरूष सब अभी भी बैठे है। कुछ देर बाद तो सुबह हो जायेगी, ब्लू फिल्म का क्या huwa

रेखु _तू देखना अभी आगे क्या होता है?

राजू और उसके दोस्त आपस में कुछ बात करने लगे।
राजू ने वीडियो चलाने वाले के कान में कुछ कहा।
4फिल्म पूरी हो जाने के बाद अगली वीडियो कैसेट जब चलाने को वी सी आर पर लगाया तो वीडियो अटकने लगा।
कुछ देर तक बनाने का नाटक किया। राजू ने पूछा क्या huwa भाई, कुछ समस्या है क्या?

वीडियो चलाने वाले ने कहा हां भैया लगता है वी सी आर में कुछ खराबी आ गया है। सभी लोग निराश हो गए।
वीडियो चलाने वाले ने कहा की बड़ा मुस्कील है इसका बन पाना।
सभी लोग निराश होकर अपने अपने घर चलने लगें।
अंत में कुछ लड़के लोग ही बच गए जिन्हें पता था की उनकी प्लानिंग क्या है।
वीडियो को गांव के चौक पर चलाया जा रहा था, उसे घर के एक कमरे मे ले जाया गया।

सभा लड़के कमरे के अंदर चले गए भोला और रेखु भी।
सभी लड़के अश्लील हसी मजाक करने और वीडियो चलाने वाले से जल्दी ब्लू फिल्म लगाने बोल रहे थे।

कुछ देर बाद ब्लू फिल्म शुरु हो गया।

सभी लड़के मजे से ब्लू फिल्म देखने लगें। यह अंग्रेजी फिल्म थी। जिसमे विदेशी महिला पुरूष पूरे नंगे होकर chudai का खेल खेलने लगे।

महिला द्वारा पुरुष का land हिलाना,चूसना, पुरुष द्वारा महीला को उत्तेजित करने के लिए उसके चूची को मसल मसल कर पीना, उसके ओंठ चूसना उसकी chut चाटना।
पुरूषों द्वारा महिलाओ के बुर चोदना गांड़ मारना। महिलाओ द्वारा मजे से चीखना सिसकना ग्रुप सेक्स एक पुरुष द्वारा दो महीला को चोदना एवम एक महीला का दो पुरूषों के साथ सेक्स दृश्य को देखकर सभी लडके उत्तेजित हो गए थे। सभी आंखे फाड़े ब्लू फ़िल्म देख एवम अपने खड़े land को मसल रहे थे।
तभी एक लड़का रूम से बाहर निकला।

राजू _अरे बिरजू तू कहा जा रहा है।
रेखु _लगता है बिरजू से बर्दास्त नही हो रहा है, मुठ मारने जा रहा है।
सभी लडके हसने लगे।
बिरजू सच में बहुँत उत्तेजित हो गया था वह बाहर जाकर मुठ मारकर अपना पानी निकाला तब उसे राहत महसूस huwa, मुठ मार लेने के बाद वह फिर से कमरे में आ गया।
रेखु _क्यू बे हो गया ख़ाली।
सभी लड़के हसने लगे।
बिरजू _पता नही तुम लोग कैसे बर्दाश्त कर लेते हो मूझसे तो बर्दास्त ही नही होता भाई।

भोला ब्लू फ़िल्म पहली बार देख रहा था। वह सेक्स क्रियाओं से अनभिज्ञ था। सेक्स क्रियाओं को बड़े आश्चर्य से आंखे फाड़े देख रहा था। वह भी बहुत उत्तेजित हो गया था।
उसने देखा सभी लडके अपना land मसल रहे हैं।
कमरे में आह ऊं की आवाज़ गूंज रही थी। जो वीडियो में chudte हुवे महिलाओ के मुंह से निकल रही थी।
राजू, तो हैरान था की दुनियां में ऐसा सब कुछ भी होता है।
तभी वीडियो देखते हुवे एक लडके ने कहा अरे यार मैने कल सुधा ताई को ऐसे ही पोजीसन में chudai लिया था, सच में इस पोजीसन में चोदने से बड़ा मजा आता है।
रेखु _अबे जानते है, तू अपनी ताई का लेता है, तेरे तो बड़े मजे है एक हम हैं जो मूठ मारकर काम चला रहे है।
सभी लडके हसने लगे।
राजू _अरे रेखूं, तू भी पता ले किसी गांव की औरत को यहां तो एक से बढ़कर एक मॉल है।
रेखु _इच्छा, तो होता है राजू की किसी गांव की महीला को पटा लूं, पर लोगो को पता चले तो घर वालों की बदनामी हो जाएगी, यही सोचकर कदम पीछे खींच लेता हूं।
बिरजू _रेखु भाई ये जवानी बार बार नही आती जीतने मज़ा लूटना है लूट लो वैसे भी वो जवानी जवानी ही क्या जिसमे कोई कहानी न हो।
सभी लड़के बिरजू की बात हा में हा मिलाने लगे।

राजू _वैसे बिरजू तू तो बता रहा था न की तू अपने भाभी को लाइन में ला रहा है? क्या huwa बात आगे बड़ी की नही।
बिरजू _अरे राजू भाई, क्या बताऊं रविवार को मै भाभी का दिन में जमकर ले रहा था की मां आ गई और हमे chudai करते पकड़ ली। मां अब भाभी को अकेली नहीं छोड़ती। chudai करने का मौका ही नहीं मिलता।लगता है कोई दूसरा जुगाड करना पड़ेगा।
बिरजू _राजू भाई तेरा भी तो शादी से पहले चाची के साथ सेटिंग था न। चाची की अभी भी chudai करता है की सब बंद कर दिया।
राजू _अरे यार, चाची बड़ी मस्त मॉल है साली। क्या मजा देती हैं शाली? ऐसा मज़ा तो बीवी को चोदने में नही आता।
घर वालों ने चाची को चोदते हुए पकड़ लिया। फिर बापू ने जबर्दस्ती मेरी शादी करा दी।
फिर भी घर वालों से छुपकर अभी भी मौका पाकर चाची और मई अपनी प्यास बुझा लेते है।
बिरजू _राजू भाई मैने तो सुना है की हरिया काका अपनी ही बेटी का ले लेते हुए पकड़ा गया क्या ये सच है।

राजू _अरे, हा यार सुना तो मैं भी हू, हरिया काका तो एक नम्बर एक चोदक्कड़ है। गांव की कई महिलाओ के साथ उसके संबंध है।
रेखु _अरे यार आजकल तो लडके मौका मिले तो अपने मां का ही बजाने लगते हैं,तो बेटी क्या?
राजू _अरे भोला, तू चुप चाप बैठा है? तुम भी तो कुछ बोलो। अभी तक कही मजा लिया है कि नही।

रेखु _अरे, राजू भाई भोला तो इस मामले में सच मूच में बड़ा भोला है। ये तो ब्लू फ़िल्म देखने के लिए ही काफी मुश्किल से यहां आया है।
वैसे इसका उभरा huwa पैंट बता रहा है कि इसको ब्लू फ़िल्म देखने में मज़ा आ रहा है क्यू भोला?

भोला _क्यू मजाक बना रहा है यार, मै तो ये फ़िल्म देखकर हैरान हूं की दुनियां में ऐसा भी होता है।

रेखु _चलो अब इस फ़िल्म को देखकर तो तुम कुछ सीखोगे।
राजू ने रेखू के कान में धीरे से कहा "वैसे तो गुलाबो चाची जैसी मस्त तो इस गांव में कोई है नही कास मेरी मां इतनी खूबसूरत और सेक्सी होती तो मजा आ जाता।

रेखु _राजू भाई ये क्या कह रहा है धीर बोलो, कही भोला ने सुन लिया तो गजब हो जायेगा,भुल गया क्या?मंगलू ने इसकी बहन रूपा के बारे में कुछ गंदा बोल दिया थातो। इसने उसकी कितनी पिटाई किया था।
राजू _हा, यार, पुरा सांड है शाला। अकेले ही चार पर भारी है।
इस तरह सभी लडके बात चीत करते हुए ब्लू फ़िल्म का मज़ा लेने लगे। दो बार उस फिल्म को चलाकर मजा लिया। सुबह हो जाने के बाद सभी अपने अपने घर चले गए।
भोला घर आने के बाद सोने की कोशिश करने लगा पर उसके आंखों से नींद कोसों दूर था। उसके आंखों के सामने औरतों के बड़ी बड़ी चूचियां और chut नजर आ रहे थे।chudai दृश्यों को याद करने से उसका land तनकर खड़ा हो गया था। वह अपने हाथो से land सहलाने लगा उसे बड़ा अच्छा लगने लगा। उसका हांथ कब उसके land par चलने लगा उसे पता ही नहीं चला और एक समय ऐसा भी आ गया जब वह झड़ने वाला था। वह chudai दृश्यों को याद करके अपना हाथ land पर तेजी से चलाने लगा और कुछ देर में ही उसके हाथ पैर कपकापने लगें, उसके land ने पानी छोड़ दिया था। यह भोला का पहला स्खलन था। उसने देखा की उसके land से कुछ निकला है जिसके निकलने से उसे बड़ा बड़ा मज़ा आया। वह उस चिपचिपा द्रव को अपने उंगली से छूकर और सूंघकर देखा।

उसे ब्लू फिल्म के दृश्य याद आय, जिसमे पुरषो के land से भी ऐसा ही पानी निकलता जब वे औरतों के योनी में land डालकर अन्दर बाहर करते थे।

और पुरुष इसके बाहर आने पर आनद में कहराने लगते थे। सच में इसके land से बाहर आने पर बहुत अच्छा लगता है।
कुछ देर बाद रम में उसकी मां गुलाबों आई, अरे बेटा तुम तो अभी आए हो वीडियो देखकर, खेत जाओगे की नही की रोटी पहुंचाने मै चली जाऊ।

भोला _नही मां, मै खेत जाऊंगा तुम्हे जाने की जरूरत नहीं।
गुलाबों _तो, ठीक है जाओ नहाकर आ जाओ, अपने बापू के लिए रोटी ले जाना और वही खेत की झोपड़ी में आराम कर लेना।
भोला _ठीक है मां।

भोला नहाने चला गया, नहाकर आने के बाद खुद नाश्ता कर अपने बापू के लिए रोटी लेकर खेत चला गया।

खेत में जाकर अपने बापू को बताया की उसे नींद आ रही है।
किशनु _बेटा रात भर जागे हो तो नींद तो आयेगे ही जाकर झोपडी में तुम आराम करो। नही तो तबियत खराब हो जायेगी।
भोला _ठीक है बापू।
भोला _झोपड़ी में जाकर खाट में लेट गया। सोने की कोशिश करने लगा। पर उसके आंखों में chudai दृश्य ही घूम रहे थे। काफी देर बाद उसे नींद लगी।

दोपहर के समय गुलाबो खाना लेकर बच्ची के साथ पहुंची।
उसने देखा की भोला सोया huwa है, अरे बेटा लगता है सुबह से सोया है, उठ जा, भुख लगी होगी खाना खा ले।
मां के उठाने पर भोला नींद से जागा।
भोला _अरे मां तुम आ गई।
गुलाबो _और नही तो क्या? देखो कितना समय हो गया है। चलो उठो खाना खा लो।
भोला उठ गया। वह बोर के पानी से हाथ मुंह धो लिया और अपने बापू को आवाज़ लगाया,, मां आ गई है खाना खा लो।
किशनु भी हाथ मुंह धो कर आ गया। गुलाबो ने दोनो को खाना परोसा, दोनो ने खाना खाया, कुछ देर आपस में बात चीत करते रहें फिर किशनु खेत में काम करने चला गया। इधर गुलाबो और भोला आपस मे बात चीत करने लगें, तभी बच्ची रोने लगी। हमेशा की तरह गुलाबो अपनी एक चूची ब्लाउज से बाहर निकालकर बच्ची को दुध पिलाने लगी। तभी भोला की नज़र उस पर पड़ी। भोला के नजरो में ब्लू फ़िल्म के दृश्य घूमने लगे किस तरह पुुरुष औरतों की बड़ी बड़ी चूचियों को मसल मसल कर चूस चूस कर उसकी chudai करता है। वह तो अब तक चूची को बच्चे के दुध पिलाने का अंग समझता था। पर चूची तो पुरुषो को खुब मजा देता है। पहली बार अपनी मां की चूची को देखकर उत्तेजित होने लगा। वह मां के सात बात चीत करते हुवे छोर नजरो से उसकी चूची उसकी निहारने लगा और ब्लू फिल्म में दिखाई गई औरतों से अपनी मां की चूची की तुलना करने लगा। उसने पाया की उसकी मां की चूची ब्लू फ़िल्म में दिखाई गई महिलाओ के चूची से ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक पाया।
वह मां से बात चीत करते हुए उसकी चूची को चोर नजरो से देखते हुवे नैन सुख लेने लगा। उसका शरीर गर्माने लगा।
कुछ देर बाद गुलाबो तो घर चली गईं। इधर गुलाबो के जाने के बाद भोला अपनी मां की चूची को इमेज करने लगा, क्या मस्त चूची है मां कि, उसका land तनकर खड़ा हो गया था। वह अपने लन्ड को सहलाने लगा। शाम होने के बाद वह घर चला गया।
वहा जाने के बाद वह अपनी मां के पास ही मंडराने लगा उसे मां के करीब रहना अच्छा लगने लगा। चोरी छिपे वह अपनी मां के जिस्म को निहारने लगता।
रात में वह अपने मां के मस्त चूची को इमेज कर मूठ भी मारा जिससे उसको बड़ा मजा आया।

इस तरह कुछ दिन निकल गया। उसके मन में अब मां के चूची को छूने और मसलने की इच्छा जाग गया था। पर उसे आगे बड़ने का कोई उपाय नज़र नही आ रहा था।

इधर गुलाबो को भी पता चल गया था कि भोला अब भोला नही रहा वह अब जवान हो गया है। वह जान चुकी थी की भोला चोड़ी छिपे उसके जिस्म को ताड़ता है।
हर औरत सामने वाले पुरुष की नजरो को समझ जाती की वह क्या देख रहा है। चाहे पुरुष कितनी भी सावधानी बरतें।
यह जानकर भी की भोला उसके जिस्म को चोरी छिपे निहारता है, और उसके आस पास रहने की कोशिश करता है। वह अपने व्यवहार में कोई बदलाव नहीं लाया, बल्कि न जाने क्यूं उसे भी अपने बेटे के करीब रहना अच्छा लगता था।

एक दिन भोला और रेखु शाम को टहलने के लिए तालाब की ओर गए थे। रेखु ने बताया,,,
रेखु _अबे, क्या तुम्हे पता है राजू का लड़का बीमार पड़ गया, उसे आज डॉक्टर को दिखाने शहर ले गयाथा।
भोला _क्यू बे क्या हो गया बच्चे को।
रेखु _अबे सुना है उसकी लुगाई की दुध नही आती, बच्चा कमजोर होकर बीमार हो गया।
भोला _अबे ये क्या कह रहा है?

रेखु _हा बे, ये सच है। डॉक्टर ने बच्चे को पानी में घोलकर पिलाने के लिए कोई पावडर दिया ।
भोला _अच्छा।

रेखु _डॉक्टर का कहना है की कुछ महिलाओ में ये समस्या होती है, पर चिन्ता की बात नही। डॉक्टर का दिया दुध पिलाने से बच्चा ठीक हो जायेगा।

भोला _चलो, ठीक है। पर क्या वह पावडर उतना पौष्टिक होगा जितना मां का दुध।

रेखु _क्या पता, होता होगा?
तभी तो डॉक्टर ने कहा बच्चा जल्दी ठीक हो जायेगा।
रात में भोला अपने कमरे में लेटकर रेखु के बातो के बारे में ही सोच रहा था, और कुछ सोचने के बाद मां के साथ मामले को आगे बड़ाने का एक उपाय सोचा।
अगली सुबह जब गुलाबो खाना लेकर खेत पहुंची ।
वह अपने बापू से कहा, बापू आज मुझे भूख नही लग रहा है, आप जाकर खाना खा लो मैं थोड़े देर बाद खाऊंगा।

किशनु _ठीक है बेटा।
किशनू जब खाना खा कर, काम पर लौटा तो वह भोला को जाकर खाना खाने के लिए कहा।
भोला, खाना खाने चला गया।
गुलाबो _अरे बेटा, भूख नही है क्या? तबियत तो ठीक है।
भोला _हा मां तबियत ठीक है। थोडा काम बाकी था न उसे निपटा दिया अब खाना निकालो, बड़ी भुख लगी है।
खाना खाकर भोला खाट पर लेट गया। छोटी बच्ची भी खाट पे लेटी थी, उसे चुटकी काट दिया जिससे वह रोने लगी।
भोला_मां लगता है गुड़िया को भुख लगी है। उसे दुदू पिला दो।
गुलाबो ने गुड़िया को गोद में उठा कर अपनी चूची ब्लाउज से बाहर निकाल दिया। और बच्ची के मुंह में चूची के निप्पल डालकर उसे चुप कराने लगी।

भोला अपनी मां के चूची का अपनी नजरो से रसपान करने लगा।
इधर गुलाबो ने यह जानकर भी की भोला उसकी चूची को दुसरे नजरो से देख रहा है, वह वैसे ही दुध पिलाने लगी।
भोला _मां रेखु बता रहा था की राजू का बच्चा बीमार पड़ गया है कल उसे डॉक्टर के पास ले गए थे।
गुलाबो _हा बेटा, मैने भी सुना है।
भोला _रेखु, बता रहा था की उसकी लुगाई को दुध नही आती जिससे बच्चा कमजोर हो गया था।
गुलाबो _हा मैंने भी सुना है।
भोला _पर मां उसकी लुगाई को दुध क्यू नही आ रहा है। उसको बच्चा हुवे कुछ दिन ही हुवे है। आपके तो बच्चा हुवे एक साल से ज्यादा होने के बाद भी गुड़िया के लिए भरपूर दुध आता है।
गुलाबो _बेटा उसकी लुगाई को कुछ समस्या होगी?

भोला _मां बच्चा को गाय का दुध भी तो पिला सकते होंगे।
गुलाबो _मां के दुध जितना बच्चे के लिए लाभकारी होता है उतना गाय का नही। कभी कभी तो गाय का दुध बच्चे को नुकसान भी कर देता है।

भोला _मां लगता है आपको भरपूर दुध आता है, देखो न गुड़िया पी पी कर कितना मोटी हो गई है।
गुलाबो हसने लगी,,
भोला _मां एक बात पूछूं।
गुलाबो _क्या है पूछो।
भोला _आपके सभी बच्चों में किसने आपका दुध सबसे ज्यादा पी है और कौन सबसे कम।
गुलाबो हसने लगी, क्यू जानकर क्या करेगा।
भोला _बताओ न मां मुझे जानना है।
गुलाबो _अरे तुम्हारे जन्म लेने के 2साल बाद ही रूपा का जन्म हो गया। इसलिए सबसे कम दूध तो तुमने ही पिया है।
भोला _हू, तभी तो कहूं तुम्हारे सभी बच्चों में सबसे कमजोर मै ही क्यू हूं?
रूपा को इतनी जल्दी पैदा करने की क्या जल्दी थी। मुझे ठीक से दुध भी नही पीना दिया। मेरा हक मूझसे छीन ली। भोला नाराज होते हुए कहा।

गुलाबो _बेटा, बच्चा होना तो भगवान के बस में है न मेरे बस में थोड़े ही है। मै भला क्या कर सकती थी।
भोला _लोग कहते है की मां के दुध में बहुत ताकत होती है। अगर मै ज्यादा दिनों तक दुध पिया होता तो और ताकतवर होता।
गुलाबो _तुम तो और लडको से ज्यादा ताकतवर लगते हो ।
भोला _मां क्या तुम अब मुझे अपना दुध नही पिला सकती।
गुलाबो हसने लगी,,
भोला _हस क्यू रही हो?
गुलाबो _हसू नही तो और क्या करू?
इतने बड़े होकर मां की दूध पियोगे।
भोला _क्यू नही पी सकता? क्या मैं तुम्हारा बेटा नही? क्या तुम्हारे दुध पर मेरा हक नही, बोलो।
गुलाबो हसने लगी,,
भोला_हस क्यू रही हो जवाब दो।
गुलाबो _हा बाबा तुम्हारा हक है, पर अब तुम बड़े हो गए हो। किसी ने देख लिया न मां की दुध पीते तो लोग तुम्हारा और मेरा मजाक उड़ाएंगे।
भोला _नही मां मै कुछ नही जानता, मुझे आपका दुध पीना हैचाहे कोई कुछ भी कहे।
गुलाबो हंसते हुवे,,,
गुलाबो तू तो छोटे बच्चों की तरह जिद करने लगा।
बेटा जब बड़ा हो जाय तो उसे मां का दुध नही पीना चाहिए।
लोग इसको पाप मानते हैं?
भोला _कैसा पाप, मै समझा नही।
गुलाबो _अभी नही समझेगा, जब तुम्हारी शादी होगी तब खुद ही समझ जायेगा।
भोला _पर मां मेरी शादी तो अभी लेट है। मेरी बापू तो बोल रहे थे की रूपा और मेरी शादी साथ में ही करेंगे।
गुलाबो _हा, तो क्या huwa तब तक इंतजार कर।
भोला _नही, मुझे इंतजार नही करना, मुझे दूध पीना है। नही तो मैं आपसे बात नही करूंगा?
गुलाबो _अच्छा मै भी तो देखू मूझसे कितने दिनों तक बीना बात किए रह सकता है?
कुछ देर बाद गुलाबो, घर चली गईं। भोला अपनी मां को जाते हुवे देखने लगा और मन में सोचने लगा।
मां, मै भी देखता हूं कि कितने दिन तक मुझे दूदू पीने से रोकती हो।
जब शाम को भोला घर पंहुचा। तब वह अपने मां के आस पास ही मंडराने लगा। जब आस पास कोई नही होता तब, भोला कहता,, मां मान जाओ न मुझे दुदू पीने दो।
गुलाबो मुसकुराते हुवे उसे ठेंगा दिखाती।
गुलाबो,_तुम तो मूझसे बात चीत बंद करने वाले थे न। क्या huwa
भोला _मां मै आपसे बिना बात किए क्या रह सकता हूं?
गुलाबो _क्यू नही रह सकता?
भोला _क्यू, की मां हो आप मेरे, और मै आपसे बहुत प्यार करता हूं। पर तुम मुझे प्यार नही करती?
गुलाबो _क्यू ऐसा क्यू लगता है की मैं तुम्हे प्यार नही करती?
भोला_प्यार करती तो मेरा कहना मानती मेरी ईच्छा पुरी करती।
गुलाबो _ओ हो, तो ऐसी बात है, तब तो सोचना पड़ेगा इस बारे में।
भोला _मां सच में, क्या मुझे दुदू पीने दोगी, भोला खुश होते हुए बोला।
गुलाबो _ठीक है, पी लेना पर यहां घर में नही कोई भी देख सकता है। कल खेत में।
भोला, गुलाबो को पीछे से पकड़ कर अपने बाहों में भर लिया। शुक्रिया मां।

गुलाबो _छोड़ बदमाश क्या कर रहा है? तेरे बहन लोग घर में ही है।
भोला _देख लेने दो मै कह दूंगा की अपनी मां को प्यार कर रहा हूं।
गुलाबो _अब छोड़ो नही तो सच में कोई आ जाएगा।

भोला ने गुलाबो को छोड़ दिया और बोला मां मै थोडा दोस्तो के साथ टहल कर आता हूं।

गुलाबो _ठीक है बेटा, पर जल्दी आना कुछ देर में भोजन का समय हो जायेगा।

अगले दिन खेत में भोला अपनी मां की आने का बेशब्री से इंतजार करने लगा। क्यू की आज उसको दुदू पीने देने को जो बोली है?
निर्धारित समय पर गुलाबो खाना लेकर खेत पहुंची। खाना के लिए भोला को आवाज़ लगाई।
भोला _बापू मां खाना लेकर आ गई है, आप जाकर खा लो मैं थोड़े देर बाद खाऊंगा।
किशनु _क्यू बेटा तुम भी चलो साथ में खाते हैं?
भोला _बापू अभी पेट में कुछ भारी पन है, मै थोड़े देर बाद खाऊंगा।
किशनु भोजन करने चला गया जब वह भोजन करके लौटा तो भोला से बोला, जाओ बेटा तुम भी जाकर खाना खा लो।
भोला _ठीक है बापू।
किशनू _खेत में काम करने लगा और भोला झोपडी की ओर जाने लगा।
भोला को देखकर गुलाबो बोली, क्यू भुख नही है क्या?
अपने बापू के साथ क्यू नही खाना खाया।
भोला _वो इसलिए की बापू के साथ खाना खाता तो दुदू पीने को कैसे मिलता।
तुम बोली थी की आज दुदू पिलाओगी।
गुलाबो _, न बाबा मै तो ऐसे ही कह दिया था। चलो खाना खा लो।
भोला _मां, तुम मूझसे झूठ बोली। ठीक है मुझे भी भूख नही है मैं खाना नही खाऊंगा। मै जा रहा है।
गुलाबो हंसते हुवे।
गुलाबो _अरे बाबा, तुम तो नाराज ही हो गए। अच्छा बाबा पी लेना, पर पहले खाना खा लो।
भोला _सच मां।
गुलाबो _हा
भोला _तब तो जल्दी खाना निकालो मुझे बहुत भुख लगी है।
गुलाबो ने खाना निकाला और भोला ने कुछ ही देर में खाना खत्म कर दिया।
और खाट में बैठ गया।
गुलाबो बर्तन धो कर झोपडी में आ गई।

भोला ने गुलाबो को खींचकर अपने गोद में बिठा दिया।
गुलाबो _ये क्या कर रहा है बदमाश छोड़ मुझे।
भोला _चलो दुदू पिलाओ मुझे।
भोला अपने हाथ को सामने ले जाकर ब्लाउज के बटन खोलने लगा।
गुलाबो _भोला, छोड़ो मुझे कोई देख लेगा तो गजब हो जायेगा।
भोला _मां कौन देखेगा यहां, बापू तो खेत के काम में लगा है। मेरे और तुम्हारे अलावा है कौन।
गुलाबो _ये गुड़िया तो है।
भोला हंसते हुए कहा, गुड़िया को को क्या मालूम की उसकी मां और भईया क्या कर रहे हैं।
भोला ने गुलाबो की ब्लाउज की बटन खोल दिया। और अपनी मां को एक जांघ पर बिठा कर उसकी एक चूची अपने मुंह में भरकर चुसने लगा। एक हाथ से अपने मां को सम्हाल कर दुसरे हाथ से एक चूची मसल मसल कर दूध पीने लगा।
भोला की इस हरकत से गुलाबो गर्म होने लगी।
गुलाबो _बेटा अब बस करो कोई आ जाएगा

भोला _मां यहां कोई नहीं आएगा। तुम बेकार ही डर रही हो।
भोला गुलाबो की दोनो चूची को एक एक कर मसल मसल कर पीने लगा। जिससे गुलाबो गर्म हो गई। वह आंखे बंद कर ली। और सिसकने लगी।
थोड़ी देर बाद, गुलाबो जोर लगाकर भोला के गोद से खड़ी हो गई।
भोला _मां क्या huwa?
गुलाबो _बेटा, बहुत पी लिया। अब बस कर।
गुलाबो अपने ब्लाउज का बटन लगाने लगीं।
इधर भोला खाट में लेटकर अपनी मां को ब्लाउज का बटन लगाते हुएदेखने एवम अपनी कामयाबी पर मुस्कुराने लगा।

भोला _मां सच में तुम्हारा दुध बड़ा स्वादिष्ट है। मेरा तो इसे पीते रहने का मन करता है।
गुलाबो मुसकुराते हुवे बोली चल हट बेशरम इतना बड़ा होकर मां का दुध पीता है।
कुछ देर बाद गुलाबो बच्ची को लेकर घर चली गई।
अब तो भोला का रोज का यह काम हो गया। वह हर रोज गुलाबो को भोजनकरने केबाद अपनी गोद में बिठाकर उसकी चूची मसल मसल कर दूध पीता और उसकी चूची की तारीफ़ करता, उसका land उसके मां के गोद में बैठते ही तन जाता था जिसका एहसास गुलाबो को होते ही वह भी काफी उत्तेजित हो जाती।

घर में भी जब भी मौका मिलता गुलाबो की चूची को मसल देता, उसे पीछे से बाहों मे भर लेता। गुलाबो को भी मज़ा आता था। लेकिन घर में कोई देख न ले करके वह भोला को अपने से दूर कर देता।

मां बेटे के बीच यह खेल चलता कुछ दिन और निकल गया।
एक दिन भोला को कुछ काम था तो वह घर चला गया। इस समय घर गुलाबो छोटी बच्ची को सुलाकर खाना बनाकर घर के पीछे बने कुंआ में नहाने चली गई। यह उनका रोज का काम था। नहाकर गीले कपड़ों में घर में आती और कमरे मे कपडे बदलती।
जब घर में भोला पंहुचा तो घर का दरवाज़ा बंद था पर दरवाज़ा की कुंडी लगी नही थी तो वह दरवाज़ा खोलकर अंदर आ गया और अपनी मां को इधर उधर देखा। तो कही नही दिखी।
इस समय गुलाबो अपने कमरे मे थी और कपडे बदल रही थी।
जब भोला मां को ढूंढते हुए उसके कमरे मे पंहुचा।
तो उस समय गुलाबो सिर्फ पेटिकोट में थी।
अपनी मां को आवाज़ देते हुए जैसे ही वह कमरे मे गया अंदर का नजारा देखकर उसके शरीर में खून दो गुनी गति से दौड़ने लगा।
इधर भोला की आवाज़ सुनकर गुलाबो चौंक गई। और ब्लाउज से अपनी चूची को छुपाते हुए बोली।
अरे बेटा तू इस समय खेत से कैसे जल्दी चला आया।
भोला अपनी मां को एकटक देखता रहा, अपने बेटे को ऐसे देखते उसकी दिल की धड़कन बड़ गई।
भोला ने कहा, मां वो कुछ काम था तो घर आ गया।
और अपनी मां को पीछे से बाहों मे भर लिया।
गुलाबो _बेटा ये क्या कर रहा है छोड़ो मुझे कपडे बदलने दो, तुम जाओ यहां से।
भोला _मां, थोडा दूध तो पिला दो।
गुलाबो _अभी नही, मुझे कपडे पहन लेने दो, मुझे शर्म आ रही हैं।
भोला गुलाबो के हाथो से ब्लाउज पकड़ लिया जिससे वो चूची को छिपाने की कोशिश कर रही थी, और उसे फेक कर दोनो हाथों से उसके चूची पकड़ कर मसलने लगाफिर एक चूची मुंह में भरकर चुसने लगा।
गुलाबो _बेटा छोड़ो न क्या कर रहे हों?
कोई आ जाएगा।
भोला _मां, अभी कौन आएगा, सब स्कूल चलें गए हैं।
गुलाबो _छोटी तो है बाहर खेलने गई है आ जायेगी तो।
छोटी 5साल की थी तो वह बाहर खेलने गई थी।
भोला _वो भी तो अभी बच्ची ही है आ भी जायेगी तो क्या जानेगी की हम क्या कर रहे हैं?
भोला का लन्ड तनकरलंबा मोटा और लोहे की रॉड की तरह कड़ा हो गया था, जो गुलाबो की गाड़ में चुभ रहा था। जिसका एहसास पाकर गुलाबो भी उत्तेजित हो गई।
भोला, गुलाबो को घुमाकर अपनी ओर कर लिया और दोनो चूची को हाथ में लेकर मसलने और चूसने लगा। गुलाबो सिसकते हुवे उसके सिर के बाल को सहलाने लगा। भोला खाट में बैठकर गुलाबो को अपनी गोद में बिठा दिया। कड़क land उसके चूतड पर चुभने से गुलाबो काफी उत्तेजित हो गई। गोद में बिठा कर उसकी चूची को मसल मसल कर पीने लगा। गुलाबो उत्तेजना में सिसकने लगी।
भोला ने एक हाथ से गुलाबो की चूची मसलते हुए दूसरा हाथ उसके बुर पर ले गया और उसे सहलाने लगा।
बुर पर हाथ पड़ते ही गुलाबो सिसक उठी वह सिसकते हुवे बोली।
बेटा वहा नही उसे मत छुवो, नही बेटा वहा नही,,
पर भोला नही माना और एक हाथ से चूची एक हाथ से बुर को मसलते हुवे उसके ओंठ चुसने लगा।
गुलाबो बहुत अधिक उत्तेजित हो गई थी। अब भोला को रोक पाना उसके बस में नहीं था। उसकी आंखों की पुतलियां पलटने लगी थी।
वैसे भी उसको अपने पति से chudi बहुत दिन हो गए थे। और कुछ दिनों से भोला उसकी चूची को मसल मसल कर उसे बहुत गर्म कर देता था । वह अपने पति से chudna चाहती थी पर उन्हें मौका नहीं मिल रहा था।

अभी वह इतना उत्तेजित हो गई थी की वह भोला की किसी भी हरकतों का विरोध नहीं कर पा रही थी, भोला ने अपनी मां को घुमाकर उसका मुंह अपनी और कर लिया और उसकी चूची पीने लगा।
फिर उसे गोद में उठा कर खडा हो गया और जमीन पर लिटा दिया खाट पर तकिया उठा कर गुलाबो के सिर के निचे रख दिया। फिर झुककर उसकी चूची पीने लगा।
एक हाथ से उसकी बुर सहलाने लगा।
गुलाबो की मुंह से कामुक सिसकारी निकलने लगी।
गुलाबो ने आंखे बन्द कर अपने को पुरी तरह भोला के हवाले कर दिया।
अब भोला खडा huwa और अपने पेंट और चड्डी को निकालकर अलग कर दिया। उसका land तनकर झटका मार रहा था।
भोला गुलाबो पर फिर झुका और उसकी चूची पकड़कर फिर से खेलने लगा।
बोला ने अब गुलाबो की पेटिकोट को ऊपर उठाया। गुलाबो उसे रोकने की नाकाम कोशिश की।
बेटा नही ऐसा मत करो।
मगर भोला के ऊपर भी हवस हावी था उसे सुनाई ही नही दिया की उसकी मां क्या कह रही है।
वह उसकी पेटिकोट को उठाकर उसकी कमर पर चढ़ा दिया। चूंकि उस समय गांव की महीला पेंटी नहीं पहनती थी अतः पेटिकोट ऊपर उठते ही गुलाबो का झांट से भरा chut भोला के आंखों के सामने आ गया।
भोला ने एक हाथ से गुलाबो की chut को सहलाया जिससे गुलाबो सिसक उठी। एक हाथ से अपने land सहलाने लगा। गुलाबो ने तो अपनी आँखें बंद कर ली थी।
भोला गुलाबो की टांग को फ़ैला दिया और उसके बीच में बैठ गई।
अपना एक उंगली गुलाबो की बुर के छेद में डालकर अन्दर बाहर करने लगा।
गुलाबो की मुंह से सिसकारी निकलने लगी। गुलाबो बहुत ज्यादा उत्तेजित थी उसकी बुर लगातार पानी छोड़ रही थी। जिससे भोला की उंगली भीग गया। अब भोला से भी काफी जोश में था उसका land झटके पे झटके मार रहा था।
वह अपने लन्ड के सुपाड़े को बुर के छेद में रखक रहल्का धक्का मारा जिससे land का टोपा बुर में चला गया। फिर एक जोर का धक्का मारा बुर गीली होने के कारण, land बुर को चीरता huwa फैच की आवाज़ करता huwa आधे से ज्यादा अंदर घुस गया।
गुलाबो के मुंह से सिसक निकल गई। अबे भोला गुलाबो की चूची को पकड़ कर उसे मसलते एवम चूसते हुए धीरे धीरे land को बुर में अंदर बाहर करने लगा।
Land बुर में धीर धीरे पुरा जड़ तक अंदर घुस गया।
Land अंदर बाहर होने से गुलाबो को बहुत मजा आने लगा । वह भोला के कमर को थाम लिया और उसे तेज तेज चोदने के लिए उकसाने लगी।
भोला अब land को तेज गति से बुर में अंदर बाहर करने लगा।
Land बुर में गपागप अंदर बाहर होने लगा। जिससे भोला और गुलाबो दोनो को बहुत मजा आने लगा दोनो स्वर्ग में पहुंच गए थे।
यह भोला का पहला chudai था। वह तो बहुत अधिक जोश में आ गया और गुलाबो की कमर को पकड़ कर दनादन chudai करने लगा। कमरा गुलाबो की सिसकारी से गूंजने लगा।
भोला का यह पहली बार था। वह ज्यादा देर तक टिक न सका और जोर जोर से चोदते हुए गुलाबो की कमर को अपने land se चिपकाकर आह आह करके झड़ने लगा।
गर्म गर्म वीर्य जब गुलाबो की कोख में गया तो गुलाबो का आनद दोगुना बड़ गया और वह भी झड़ने लगी।
भोला अपने मां के ऊपर ही कुछ देर लेटा रहा फिर वह उससे अलग होकर लेट गया।
जब गुलाबो होश में आई तो अपनी हालात देखकर बहुंट लज्जित महसूस की वह तेजी से उठी और अपनी ब्लाउज उठाकर पहनने लगी।
इधर भोला अपनी मां को कपडे पहनते हुवे देख रहा था।
कपडे पहन कर वह भोला की ओर देखी भोला और गुलाबो की नजरे मिली, गुलाबो लज्जित महसूस करते हुए, शर्माते हुवे कमरे से बाहर चली गई।
भोला ने भी अपना पेंट पहना और अपनी मां से दोस्तो के साथ कही जाने की बात कहकर घर से निकल गया।
इधर गुलाबो भोजन करने के बाद , किशनु के लिए भोजन लेकर खेत चली गई।
रात में जब भोला घर आया तो गुलाबो खाना बना रही थी। वह सीधा अपने कमरे में जाकर आराम करने लगा और आज अपनी मां के साथ हुई घटनाक्रम को याद कर गर्म होने लगा।
कुछ देर बाद उसके बापू भोजन करने घर आ गए। तब भोला को रूपा खाना खाने के लिए बुलाने आई। भोला बिना किसी से बात किए खाना खाया फिर अपने कमरे में आकार सो गया। 3_दिनो तक उन दोनो के बीच कोई बात चित नही huwa, बात चित करने में उन्हें शर्म महसूस हो रही थी।
पर भोला को रात में ठीक से नींद नहीं आता, उसे अपनी मां के साथ किया सेक्स याद आता तो वह अपना land हिलाने लगता। धीरे धीरे स्थिति नार्मल होने लगा। और दोनो के बीच सामान्य बात चीत सुरु हो गया। जैसे उनके बीच कुछ huwa ही नही। ऐसे ही 5_6दिन निकल गए।

एक रात भोला को सेक्स करने की बहुन्त इच्छा होने लगी। उसे नींद नहीं आ रहा था। उसका सिर दर्द करने लगा। वह अपने खाट से उठा और अपने कमरे से निकल कर सीधे अपनी मां के कमरे की ओर जाने लगा। वहा जाकर देखा कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद था। वह धीरे से दरवाजा खटखटाया।
गुलाबो की नींद खुल गई वह इस समय गहरी नींद में नही सोई थी।
उसने सोचा इतनी रात को कौन हो सकता है?

वह दरवाजा खोली तो सामने भोला खडा था।
गुलाबो _बेटा तुम इस वक्त। अभी तक सोया नही। कुछ काम था क्या?
भोला _मां आपके पास दर्द की दवाई है क्या?
भोला _मां मुझे नींद नहीं आ रही हैं। सिर दर्द कर रहा है। मैने उस दिन दर्द की दवाई लाकर दिया था, वो बची है क्या?
गुलाबो _बची तो थी बेटा, आलमारी में रखी थी देखती हूं।
गुलाबो दवाई ढूंढने लगी। तभी भोला गुलाबो के पीछे आकर उसे बाहों में भर लिया। और पीछे से उसकी चूची को पकड़ कर सहलाने लगी।
वह अपने लन्ड को जो तनकर खड़ा था, को उसके गाड़ में दबा दिया।
गुलाबो सिसक उठी।
गुलाबो _बेटा ये क्या कर रहा है छोड़ो मुझे तुम्हारी बहने उठ जाएगी तो मुसीबत हो जायेगी।
पर भोला ने अपनी मां की बातो को अनसुना कर दिया और उसकी ब्लाउज को ऊपर उठा कर चूची बाहर निकाल दिया। उसकी एक चूची को मुंह में भरकर चुसने लगा।
गुलाबो सिसक उठी और गर्म होने लगी।
गुलाबो _बेटा छोड़ो न, तुम्हारी बहने उठ जाएगी तो गजब हो जायेगा। समझा करो।
भोला _मां क्या करू, 5_6दिनो से ठीक से सोया नही हूं। सर दर्द कर रहा है।

गुलाबो _क्यू, क्या हुवा?
भोला _तुम्हे प्यार करने का बड़ा मन कर रहा है।
गुलाबो _अच्छा, तो कर लिया न प्यार अब छोड़ो कोई देख लिया तो गजब हो जायेगा।
भोला _मां मुझे उस दिन की तरह प्यार करने दो न।
गुलाबो _न बाबा अभी तुम्हारी सभी बहने घर में है?
कोई उठ गई तो मुंह दिखाने लायक नही रहूंगी।
भोला _मां अभी तो सभी सो रही है। जल्दी हो जायेगा।
गुलाबो _न मै रिस्क नहीं ले सकती। छोड़ो मुझे।
और गुलाबो ने जोर लगाकर भोला को अपने से दूर कर दिया।
भोला _ठीक है, दो मुझे दवाई। अब तो रोज दवाई खाकर ही सोने पड़ेंगे।
गुलाबो ने दर्द की दवाई दे दी।
भोला दवाई लेकर अपने कमरे मे चला गया।
दवाई खा कर सोने की कोशिश करने लगा। कुछ देर बाद। दरवाजा धकेल कर कोई अंदर आया।
भोला ने देखा उसकी मां गुलाबो उसके कमरे मे आई है।
भोला _अरि मां तुम, सोई नहींअब तक।
गुलाबो _गुलाबो ,भोला के खाट पर आकर बैठ गई।
अरे बेटा मैं ये देखने आई थी की तुम्हारा सिर दर्द ठीक huwa की नही।
Bhola _मां सिर दर्द तो ठीक है,पर नींद नहीं आ रही हैं।
गुलाबो _जानती थी तुम सोए नही होगे मै सरसो की तेल से तुम्हारे सिर की मालिश कर देती हूं।
भोला _ठीक है मां।
गुलाबो भोला के सिर की मालिश करने लगी।
मालिश कर लेने के बाद बोली, बेटा अब कैसा लग रहा है।
बड़ हल्का लग रहा है मां। शुक्रिया।
गुलाबो _अच्छा अब मैं चलती हूं।
गुलाबो खाट से उठकर जाने लगी, तभी भोला ने उसके हाथ को पकड़ लिया।
और खाट में बैठकर अपनी मां को अपने गोद में बिठा लिया।
उसकी चूची को हाथ में लेकर मसलने लगा।
गुलाबो सिसक उठी।
गुलाबो _बेटा, दरवाजा खुला है, उसे बंद कर देती हूं। नही तो कोई देख लेगा।
भोला खाट से उठा और दरवाजा बंद करने चला गया। इधर गुलाबो खाट में लेट गई।
भोला ने देखा उसकी मां खाट पर लेटी गई है।
वह अपना लूंगी और चड्डी निकाल दिया।
उसका land तनकर हवा में झटके मारने लगा। जिसे देखकर गुलाबो भी उत्तेजित हो गई।
गुलाबो _बेटा बल्ब बुझा दो।
भोला ने बल्ब बुझा कर चिमनी जला दिया और उसे खाट के पास दीवार पर एक छोटी सी अलमारी पर रख दिया। चिमनी की रोशनी में एक दुसरे को अच्छे से देख पर रहे थे।
भोला खाट के ऊपर चढ़ गया। और अपनी मां की टांगोंको फैलाकर उसके बीच बैठ गया।
वह अपनी मां की चूची को ब्लाउज के ऊपर से ही मसलने लगा।
वह अपनी मां को ब्लाउज खोलने के लिए कहा।
गुलाबो ने ब्लाउज का बटन खोल दिया।
ब्लाउज खोलते ही उसकी बड़ी बड़ी दूध से भरी चूचियां बाहर आ गई। भोला उससे खेलना चूसना और दबाना शुरु कर दिया। स्तन मर्दन करने से गुलाबो बहुंत गर्म हो गई। उसकी chut में पानी भर गया।
भोला भी काफी उत्तेजित हो गया था, वह अपनी मां के बुर को पेटिकोट और साड़ी उठा कर नंगी कर दिया। और एक हाथ से सहलाने लगा।
गुलाबो सिसकने आनद में सिसकने लगी।
गुलाबो _बेटा जल्दी करो कही तुम्हारी बहने उठ न जाय। फुसफुसाते हुए बोली।
भोला _ठीक है मां अपनी टांगे तो फैलाओ। फुसफुसाते हुवे कहा।
गुलाबो अपनी टांगे और फैला दी जिससे बालोसे भरी बुर का छेद स्पष्ट दिखाए देने लगा।
भोला अब अपने land को पकड़कर गुलाबों के बुर के छेद पे रख दिया, और एक धक्का मारा। बुर गीली होने के कारण एक ही धक्के मेंबुर चीरकर आधा अन्दर घूस गया। गुलाबों के मुंह से आह निकल पड़ी।
अब भोला अपनी मां की चूची को मसलने और चूसने लगा। कुछ देर तक मसलने के बाद एक जोर का धक्का land से बुर पर मारा land पूरा जड़ तक बुर में घुस गया।
अब भोला land को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा।land बुर के पानी में चिकना होकर आसानी से अंदर बाहर होने लगा।
भोला और गुलाबों दोनो को मज़ा आने लगा अब दोनो की तेज chudai की इच्छा होने लगी।
जोश में आकार जैसे ही जोर जोर से गुलाबों को चोदना शुरु किया, खाट से चर चर की आवाज़ आने लगी।
गुलाबों _फुसफुसाते हुवे, बोली, बेटा रूको
भोला _क्या huwa मां।
गुलाबों _बेटा, ये खाट तो आवाज़ कर रहा है, आवाज़ सुनकर कोई उठ गया तो गड़बड़ हो जायेगी।
भोला _तो क्या करे मां।
गुलाबों _बेटा, चलो नीचे।
दोनो खाट से उठ गए।
गुलाबो ने खाट पर बिछा मोटा चादर नीचे जमीन पर बिछा दी, और तकिया लगा दी।
गुलाबों चादर पर लेट गई।
भोला एक बार फिर अपने मां के टांगों के बीच आकार उकडू बैठ गया और अपना land गुलाबो के बुर में सेट कर धक्का लगा दिया,land एक ही बार में सरसरता huwa बुर के अंदर घूस गया।
अब भोला अपनी मां की चूची को मसल मसल कर land को बुर में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
गुलाबों तो जन्नत में पहुंच गई।
कमरे में गुलाबो की चूड़ियों की खनक खन खन, लन्ड का बुर में जाने की आवाज़ fach फच , गुलाबो की सिसकने की आवाज़ गूंजने लगी।
गुलाबो झड़ने वाली थी वह भोला की कमर पकड़कर अपनी कमर ऊपर उठा उठा कर land को बुर में लेने लगी। दोनो मां बेटे किसी दूसरी दुनिया में चले गए थे।
भोला से चुदवाने में गुलाबो को जो मजा आ रहा था ऐसा मज़ा उसे अपने पति से भी नही मिला था।
वह कुछ ही देर में भोला को जकड़कर झड़ने लगी। उसके हांथ पैर कपकापने लगी।
भोला कुछ देर रुक कर गुलाबो की चूची पीने लगा। गुलाबो फिर गर्माने लगी।
अब भोला खडा हो गया और अपनी मां को उठाकर उसे kutiya बना दिया उसने ब्लू फ़िल्म में देखा था किस तरह औरते पीछे से chudwati है। गुलाबो समझ गई की भोला क्या चाहता है?
वह घोड़ी बन गई।
भोला उसके पीछे जाकर घटने में खडा होl गयाl अपनी मां की चूतड को देखा तो पागल सा हो गया उसे चूमने सहलाने लगा।
गुलाबो सिसकने लगी।
गुलाबो _बेटा जल्दी करो, कोई जग न जाय।
भोला अपने खड़ा land एक बार फिर अपने मां के बुर के छेद में रखकर अंदर पेल दिया।land सरसराता huwa अंदर चला गया।
भोला अब अपनी मां की कमर पकड़ कर दनादन बुर की chudai करने लगा। इस आसन में भोला को दोगुना मजा आने लगा।
गुलाबो भी अपनी कमर हिला हिला कर भोला का सहयोग करने लगी।
कमरे मे एक बार फिर गुलाबो की सिसकने चूड़ी khankane और चूतड की थप थप की आवाज़ गूंजने लगी।
भोला अपने को और ज्यादा देर तक न रोक सका और एक जोर का धक्का मार कर गुलाबो की चूतड को अपनी कमर से सटाकर आह मां करके कराहते हुवे वीर्य की लम्बी लम्बी पिचकारी मारकर गुलाबो की बुर को भरने लगा।
गर्म गर्म वीर्य को गर्भाशय में जाता महसूस कर गुलाबो भी एक बार झड़ गई।
कुछ देर तक इसी अवस्था में रहने के बाद दोनो चादर पर लुड़क कर सुस्ताने लगे।
कुछ देर बादजब दोनो को राहत मिला तो गुलाबो खड़ी होकर अपनी साड़ी ठीक करने लगी। अपनी ब्लाउज का बटन लगाने लगीं। अपनी मां को ब्लाउज का बटन लगाते हुए देखकर भोला का land फिर तनकर खड़ा हो गया।
वह खड़ा होकर अपनी मां को फिर से बाहों मे भर लिया।
भोला _मां आओ न एक बार फिर करते हैं।
गुलाबो _नही बेटा, काफी देर हो गई है। कोई भी जग सकती है।
भोला _मां देखो न मेरा फिर खडा हो गया है।
गुलाबो _नही अभी नही, अब कल कर लेना। अभी जाने दो।
भोला _सच मां कल दोगी न।
गुलाबो मुसकुराते हुवे बोली _कर लेना, अभी जाने दो।
भोला खुश हो गया।
दूसरे दिन जब गुलाबो खेत गई तो भोजन करने के बाद अकेले में मौका पाकर भोला गुलाबो को अपनी गोद में बिठा कर उसकी चूची पकड़कर मसलने लगा।
गुलाबो _बेटा, छोड़ो मुझे नही तो पकड़े जाएंगे।
भोला _मां आओ न करते हैं बड़ा मन कर रहा है।
गुलाबो _नही यहां नही रात में। अब मुझे जाने दो।
भोला ने अपनी मां को छोड़ दिया।
रात में भोला खाना खा लेंने के बाद जब गुलाबो बर्तन धो रही थी। तब गुलाबो के पास जाकर उसके कानो में धीरे से कहा। मां मै रात को तुम्हारा इंतजार करूंगा।
गुलाबो मुस्कुराने लगी।
गुलाबो _चल जा अपनी कमरे मे सोचूंगी।
भोला अपने कमरे मे लेटकर अपनी मां की आने का इंतजार करने लगा।
इधर जब गुलाबो ने देखा की बच्चे सब सो गए हैं वह अपने कमरे से निकली और भोला के कमरे में जाकर दरवाजा बन्द कर दी।
भोला और गुलाबो फिर से chudai का मज़ा लेने लगे।
अब दोनो को जब भी मौका मिलता छुप छुप कर अपनी प्यास बुझाने लगे।

हर बार भोला अपना वीर्य को गुलाबो के कोख में छोड़ देता। जिसका नतीजा ये huwa की गुलाबो को गर्भ ठहर गया।
जब गुलाबो का मासिक धर्म निर्धारित समय पर नहीं आया तो वह समझ गई की वह पेट से हो गई है।
रात में जब वह भोला के कमरे में चुदवाने गई तो भोला को यह बात बताई की वह पेट से है।

भोला को चिन्ता huwa मां अब क्या होगा?
गुलाबो _अरे कुछ नहीं होगा। तुम्हारे बाप से कभी कभी chudwati हू वह समझे गा की वह उसका बच्चा है।
भोला खुश हो गया, और उस रात गुलाबो की जमकर chudai किया।
इधर गुलाबो अब बन ठन कर रहने लगी, उसकी सुंदरता दीन बदीन बढ़ती जा रही थी।

एक दिनजब गुलाबो कही बाहर जाने को तैयार हुई रूपा ने कहा,मां आज तो आप बहुत सुंदर लग रही हू। काकी भी कह रही थी की तुम्हारी मां क्या खाती हैं जो दिनबदीन जवान और सुंदर होती जा रही है।
भोला वही पर खड़ा था, गुलाबो और भोला एक दूसरे की ओर देख कर muskurane लगे।

एक रात रूपा को पेशाब लगी तो वह मूतने के लिए उठी और घर के आंगन में बने मोरी की ओर जाने लगी तभी उसे भोला के कमरे से किसी की सिसकने की आवाज़ सुनाई दी।

रूपा ने चारो ओर देखा कोई दिखाई नहीं दिया, उसने दरवाज़े की छेद से कमरे की अंदर देखने की कोशिश की। जब वह अंदर का नजारा देखी तो उसके पैरो तले जमीन खिसक गई।
उसने देखा की उसकी मां गुलाबो जमीन पर घोड़ी बनी हुई है और उसका भाई भोला उसके कूल्हे को पकड़कर धक्के मार रहा है। उसकी मां के मुंह से सिसक निकल रही थी।

वह आश्चर्य से उस दृश्य को देखने लगी, वह समझ चुकी थी की अंदर क्या चल रहा है?
उसे यकीन नहीं हो रही थी की उसकी मां गुलाबो अपने ही बेटे से यौन संबंध बना रही है।
वह आंख फाड़े अंदर के अकल्पनीय अविश्वसनीय दृश्य को बिनापलक झपकाए देखने लगी।

इधर कुछ देर में ही भोला अपनी मां के बुर में तेज धक्के मारते हुए जोर जोर से कराहते हुवे झड़ गया और मां बेटे दोनो थक कर जमीन पे ही लेट गए।
रूपा की सांसे तेज हो गई थी। जब मां बेटे के बीच chudai का खेल बंद huwa तब, रूपा यह भी भूल गई की वह क्या करने कमरे से बाहर निकली थी।
उसे मूत आना ही बंद हो गया था वह सीधे अपने रूम में जाकर अपनी खाट पर अपनी छोटी बहन के बाजू में लेट गई।

उसके आंखों के सामने वही दृश्य चलने लगा, वह रात में ठीक से सो नही पाई।
वह सुबह अपनी मां से इस बारे में बात करना चाही पर उसकी हिम्मत नही हुई।

अगली रात फिर वह अपने कमरे से चुपके से बाहर निकली, और भोला के कमरे को दरवाज़े के छेद से झांकने लगी। इस बार देखा की भोला जमीन में लेटा है और उसकी मां गुलाबो भोला के कमर पर बैठकर उछल रही है, भोला दोनो हाथो से गुलाबो की कमर को पकड़ा huwa है। इस दृश्य को देखकर रूपा भी गर्म होने लगी।chudai ka खेल बंद होने के बाद रूपा अपनी खाट पर जाके लेट गई।
और अपने मां और भईया के बीच चल रहे खेल को याद करके अपनी बुर सहलाने लगी, उसकी बुर में पानी आने लगा।
इस तरह अब रोज अपने भाई और मां के बीच चल रहें संभोग दृश्य को छुप छुप कर देखने लगी।
एक रात रूपा भोला के कमरे में झांक रही थी वह अंदर चल रहें सेक्स खेल को देखकर बहुत गरम हो गई और अपनी योनी में उंगली को अंदर बाहर करने लगी। दरवाजा की कुंडी लगी नही थी।
वह होश खो बैठी थी और दरवाज़े पर हांथ रख दी, दरवाज़े पर दबाव पड़ने से वह खुल गई।
दरवाजा खुलते ही गुलाबो और भोला की नज़र रूपा पर पड़ी। रूपा डर गई, और तुरंत अपने कमरे की खाट में जाकर लेट गई।

भोला _मां, रूपा ने हम दोनो को देख ली, अब क्या होगा?
गुलाबो _हां बेटा, वही हो गया जो नही होना चाहिए था। पर घबराओ नहीं, मै हूं न कुछ नही होगा।
भोला _अगर रूपा ने किसी को बता दिया तो।
गुलाबो _मै उससे बात करके आती हूं बेटा।
गुलाबो रूपा के कमरे में जाकर उससे बोली बेटी मेरे कमरे में आना।
रूपा डरी सहमी अपनी मां के कमरे मे चली गई।
गुलाबो _बेटी,भोला और मुझे ऐसी अवस्था में देखकर तुम्हे आश्चर्य हुई होगी। दुनियां इसे पाप जो समझती है। पर क्या करे, बेटी ये सब मुझे मजबूरी में करनी पड़ती है।
रूपा _कैसी मजबूरी मां?
गुलाबो _पहले ये बताओ तुम कब से देख रही हो?
रूपा _कुछ दिन पहले मां।

गुलाबो _बेटी किसी को इसके बारे में बताई तो नही। रूपा _नही मां, अभी तक तो नही।
गुलाबो _अच्छा की बेटी जो ये बात किसी को नहीं बताई। ऐसी बात किसी को बताई नही जाती। किसी बाहर वाले को पता चल गया तो घर की बड़ी बदनामी हो जाएगी। यह बात भुल कर भी किसी को न बताना?
रूपा _मां पर ऐसा गंदा काम आप दोनो करते क्यू हो।
गुलाबो _बताया न मजबूरी में!
रूपा _कैसी मजबूरी मां?
गुलाबो _बेटी, तुम्हारे भईया को एक बीमारी है?
रूपा _कैसी बीमारी मां?
गुलाबो _तुम्हारे भईया को नींद न आने की बीमारी हो गई है। रात में नींद न आने से उसका तबियत बिगड़ रहा था। जब डॉक्टर के पास गया तो बताया की खेतो में दिन भर मेहनत करने से उसके शरीर में गर्मी बड़ जाती है। जिससे रात में नींद नहीं आती।
हमने पूछा की इसका क्या इलाज है।
डॉक्टर ने बताया की शादी के बाद जब बीवी साथ सोएगा तो सब ठीक हो जायेगा।
हमने कहा की शादी तो अभी लेट है कोई दूसरा उपाय नहीं है क्या?
तब डॉक्टर ने नींद की गोली खाने को दी, और हिदायत दी तुम इसका आदत न बनाना नही तो बीना गोली के तुम्हे नींद नहीं आएगी। और तुम्हारा शरीर धीरे धीरे कमजोर हो जायेगा।
भोला ने एक दो रोज गोली खाकर देखा, गोली के असर सुबह तक रहने से उसके शरीर में सुस्ती रहने लगा उसे काम करने का मन नहीं करता।
तब एक रात मैं भोला के कमरे मे गई और कहा बेटा तुम ये गोली मत खाओ, इससे तुम्हारा तबियत और खराब हो जायेगा।
भोला ने कहा की मां गोली नही खाऊंगा तो नींद नहीं आएगी।
बेटा डॉक्टर ने कहा था की जब तुम अपने बीवी के साथ सोवोगे तो सब ठीक हो जायेगा?
भोला ने कहा, पर मेरी शादी नही हुई है मां।
मैने कहा मैं सोऊंगी तुम्हारे साथ।
भोला ने कहा की, पर लोग तो इसे पाप समझते हैं न। और किसी को पता चल गया तो।
गुलाबो _लोग इसे जो भी समझे पर मै अपने बेटे को ऐसी हालात में नही देख सकती।
रही बात किसी को पता चलने की तो यह बात सिर्फ हम दोनो तक ही रहेगी किसी तीसरे को इसके बारे में कुछ पता नही चलेगा ।
इसके बाद मैं रोज भोला के कमरे में जाकर उसके साथ सोने लगी। इससे उसको अच्छी नींद आने लगी जिससे वह पूरी तरह ठीक हो गया।
अब तुम ही बताओ बेटी मैने गलत किया की अच्छा।
अगर लगता है की सब गलत है तो कल से मैं भोला को उसके हाल पर छोड़ दूंगी। उसके साथ नही सोऊंगी।
रूपा _तुमने कोई गलत नहीं किया मां , तुम्हारी जगह मै भी होती तो शायद यहीं करती।
गुलाबो _मुझे मालूम था बेटी की तुम समझदार हो तुम परिस्थिति को जरूर समझोgi । पर बेटी तुम यह बात किसी को भी न बताना, अपनी बहन एवम बापू को भी।
रूपा _तुम चिन्ता न करो मां , मै किसी को नहीं बताउंगी।
गुलाबो _मुझे तुमसे यही उम्मीद है बेटी। अब तुम जाओ और अपने कमरे मे जाकर लेट जाओ।
रूपा _ठीक है मां।
रूपा चली गई।
जब गुलाबो ने देखा की रूपा अपने कमरे में जाकर दरवाजा बन्द कर दी तो वह भोला के कमरे में चली गई।
भोला _क्या huwa मां? रूपा से बात की।
गुलाबो _हा बेटा अब डरने की कोई बात नही, मैने उसे अच्छी तरह से समझा दिया है।
भोला _मां तुमने रूपा से क्या कहा?
गुलाबो ने सारी बातें बता दी कि उसने रूपा से क्या क्या कहा?
भोला _मां तुमने तो अच्छे से त्रिया चरित्र दिखाई, मान गया तुमको, ऐसा कहकर फिर से भोला ने गुलाबो की चूची दबाने लगा, और दोनो के बीच फिर से संभोग क्रिया शुरू हो गया। दोनो फिर से बेफिक्र होकर हवश का खेल खेलने लगे, कमरे में फिर से गुलाबो की सिसकारी गूंजने लगी। आह,, ऊं, उई मां, आह,, सी,, उन,,, मर गई मां,,, आह,, उन,,,, ले मां और ले ले और मज़ा ले,,, क्या मस्त मॉल है तू, कितना भी पेलो,मन ही नहीं भरता,,, तुम्हारी लेने में कितना मज़ा आ रहा है मैं बता नहीं सकता,,,,
इस तरह की आवाजे कमरे में गूंजने लगी।

अब रोज रात को मां बेटे के बीच यह खेल चलता इधर रूपा भी न चाहते हुवे भी चुपकेसे उठकर दरवाज़े की छेद से मां बेटे के बीच खेल देखकर मजा लेने लगी।
अपने बुर में उंगली डाल कर अंदर बाहर कर झड़ने लगी। वह भोला के साथ चुदवाने की सपना देखने लगी।
एक दिन खेत में गुलाबो ने भोला से कहा बेटा मुझे लगता है की रूपा रोज रात को दरवाजे की छेद से हमको देखती है।
भोला _मूझे भी लगता है मां,पर हम कर भी क्या सकते है?
गुलाबो _बेटा, रूपा की जल्द से जल्द शादी करानी पड़ेगी नही तो वह बिगड़ जाएगी। किसी के साथ कुछ गड़बड़ कर डालेगी तो घर की बदनामी होगी।

भोला_२माह बाद उसकी हाई स्कूल की परिक्षा है वह 18 की भी हो जायेगी। कोई अच्छा सा रिश्ता देख कर उसकी शादी कर देंगे।
एक रोज रूपा के लिए एक रिश्ता आया, लडके लोग अच्छे संपन्न घर से थे। लड़का भी सभी को पसंद आया तो रूपा की शादी उसकेसाथ पक्की कर दी गई। पढ़ाई रूपा की परीक्षा खत्म होने के बाद रूपा की शादी हो गई। वह अपने ससुराल चली गई।
इधर गुलाबो 7माह की गर्भ से थी। वह भोला के बच्चे की मां बनने वाली थी। दो माह बाद वह लडके को जन्म दी, किशनू को सभी लोग बधाई दिया की उसका लड़का huwa है।
इधर भोला भी खुश था की वह बाप बन गया।
बच्चे को जन्म देने के बाद गुलाबो और ने दो माह तक chudwana बंद कर दी।
इधर भोला का रात कटना मुस्किल हो गया था। पर वह कर भी क्या सकता था। किसी तरह 2माह निकाले।
इस दौरान गुलाबो खेत जाना बंद कर दी। भोला दोपहर में घर जाता और भोजन कर अपने बापू के लिए भी खाना ले आता।

जब भोला घर में खाना खाने जाता,तब सभी लडकिया स्कूल गई होती केवल गुडिया और 2माह का बच्चा ही घर में होता ।
एक दिन भोला थोडा जल्दी घर गया उस समय गुलाबो नहा कर घर में आई। तो गीले कपड़े बदलने कमरे मे गई। भोला से रहा न गया वह अपनी मां को बाहों मे भर लिया।

भोला _मां अब रहा नही जाता आख़िर और कितने दिनों तक मुझे अपने से दूर रखोगी।
वह अपनी मां की दूध से भरी चूची को मसलते हुवे कहा।
गुलाबो _बहुंत तड़प रहा है क्या?
भोला _हा मां, आज करने दो न।
गुलाबो _ठीक है जाओ बाहर का दरवाजा बंद कर दो नही तो कोई आ जायेगा।
भोला बाहर का दरवाजा बंद कर करके कमरे मे आ गया। गुलाबो गिला कपड़ा निकाल कर पेटिकोट पहन ली थी।
भोला ने उसकी पेटिकोट निकाल कर पूरी नंगी करके जी भर कर चोदा। एक माह इसी तरह chudai करने के बाद। गुलाबो एक दिन chudai करवाते समय भोला से बोली।
बेटा अब मेरा मासिक धर्म फिर से शुरू होने वाला है। तुम मेरे बुर में अपना पानी मत छोड़ना नहीं तो मेरा फिर से गर्म ठहर जायेगा।
भोला _ये तो खुशी की बात होगी न की तुम मेरे बच्चे की फिर से मां बनोगी।
गुलाबो _पर बेटा अभी बच्चा छोटा है, इतनी जल्दी फिर से मां बनना ठीक नही।

भोला _तो क्या करे मां।
गुलाबो _तुम अपने पे कंट्रोल करना सीखो और पानी बाहर निकाल देना।
भोला _पर मां जोश में कंट्रोल करना मुस्किल होगा।
मां अगर तुम चाहो तो एक उपाय है।
गुलाबो _कैसी उपाय बेटा?
भोला _मां , मैने ब्लू फ़िल्म में देखा है की औरते अपनी गाड़ भी चुदाती है और पुरुष अपना पानी उसी में छोड़ देता है। क्या तुम गाड़ नही chuda सकती।
गुलाबो _बेटा मैने भी सुना है की कुछ औरते गाड़ मरवाती है। पर मुझे डर लगता है कही गाड़ फट गई तो। छोटी सी गाड़ में इतना मोटा लण्ङ जायेगा तो गाड़ का क्या हाल होगा।
भोला _मां एक बार कोशिश करके तो देखो। धीरे धीरे छेद बड़ा हो जायेगा।
गुलाबो _ठीक है बेटा कोशिश करते हैं।
गजब गु लाबो ने पहली बार गाड़ मरवाई तो उसे बहुत दर्द huwa वह ठीक से चल नहीं पा रही थी।
फिर धीरे धीरे उसकी गाड़ का छेद चौड़ी होने लगा। अब वह भोला का land आसानी से गाड़ में लेने लगी। अब उसे गाड़ मरवाने में बड़ा मज़ा आने लगा।
भोला पहले गुलाबो की बुर जी भर कर चोदता था फिर गाड़ मारता और अपना पानी गुलाबो की गाड़ में छोड़ देता।
इधर रूपा भी पेट से हो गई थी और शादी के 10माह में ही एक लङकी की मां बन गई।
एक दिन रूपा अपनी 4माह की बेटी को लेकर पहली बार कुछ दिन रहने अपनी मायका आई।
जब भोला ने रूपा को देखा तो वह देखता , रूपा का बदन बच्ची को जन्म देने के बाद गदरा गया था।
एक दिन जब भोला दोपहर को खाना खाने घर गया तब रूपा अपनी बच्ची को दुध पिला रही थी। उसकी दूध से भरी मोटे मोटे चूचे को देखकर भोला का land तनकर खड़ा हो गया।
वह वही पर बैठकर रूपा से बात चित करने लगी। और उसके स्तन को चोरी छिपे देखने लगा। उसका land तनकर खड़ा हो गया था। वह बीच बीच में अपना land सहलाने लगता।
रूपा अपनी भाई की नज़र को भाप ली की भोला क्या देख रहा है।
उसे भी मज़ा आने लगा।
इधर गुलाबो भी भोला के लिए खाना लगाते हुवे उसके नजरो को देखी की वह क्या देख रहा है। पर बोली कुछ नहीं।
भोला जब भोजन करके खेत गया तो उसका मन रूपा के गदराया बदन और मस्त चूचों को याद कर बेचैन था उसका land बैठने का नाम नहीं ले रहा था।

रात में जब गुलाबो भोला के कमरे में चुदवाने गई, तो भोला दोगने जोश से अपनी मां को चोदने लगा।
गुलाबो _क्यू re आज तो कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया है। क्या बात है? गुलाबो चुदाती हुई बोली।
भोला अपनी मां को घोड़ी बना कर चोदते हुए बोला।
भोला _ऐसा तो कुछ भी नहीं है मां।
गुलाबो _मै सब समझती हूं, तू दोपहर में क्या देख रहा था?
भोला _कुछ भी तो नहीं मां।
गुलाबो _तुम रूपा के दुदू को चोरी छिपे देख रहा था न।
भोला का चोरी पकड़ा गया था अब झूठ बोलने का कोई फायदा नही था।
भोला _सॉरी मां मै बहक गया था। रूपा का बदन कितना गदरा गया है। कितनी खूबसूरती तो बच्चे को जन्म देने के बाद दोगुनी बड़ गई हैं।

गुलाबो _हा, वो तो है।
भोला अपनी मां की गाड़ को मारते हुवे कहा। मां अगर मै तुमसे एक बात कहूं तो तुम बुरा तो नहीं मानोगी।
गुलाबो सिसकते हुवे बोली _अरे नही रि मै भला तेरे बात को क्यू बुरा मानूंगी।
भोला _मां एक बार तुम रूपा की मुझे दिला दो न।
गुलाबो _मै जानती थी तेरे मन में क्या चल रहा है।
दिला तो दू पर रूपा की लेने के बाद मुझे तो नही भूला दोगे।
भोला _नही मां, मै तुम्हे कैसे भुला सकता हूं।
गुलाबो _जवान औरत पाकर, मुझ बुढ़िया को भूल तो नहीं जायेगा।
भोला _नही मां ये कैसी बात कर रही हो तुम अभी कहा बूढ़ी हुई हो। आज भी तुम इस गांव की सबसे खूबसूरत और सेक्सी औरत हो।
गुलाबो _अच्छा तो ठीक है, भेज दूंगी रूपा को कल तेरे कमरे में।
भोला _सच मां।
भोला खुश हो गया और जोश में आकार गुलाबो को हुमच हुमच कर चोदने लगा, कुछ देर में ही अपने land का सारा पानी गुलाबो की गाड़ में भर दिया।
अगले दिन भोला रात होने का बेशब्री से इंतजार करने लगा।
जब रात हुई तो गुलाबो रूपा के कमरे में गई।
रूपा अपनी बच्ची को दुध पिला रही थी।
रूपा _मां, तुम इस वक्त। आज भईया के के पास नही गई क्या?
गुलाबो _नही बेटी। आज मेरा पेट में दर्द है। हो सकता है की मेरा मासिक धर्म आने वाला हो।
बेटी मुझे तुमसे कुछ कहना था।

गुलाबो_बेटी, क्या तुम्हारे भइया के कमरे में मेरी जगह तुम नही जा सकती।
रूपा _मां मै, पर क्या भइया इसके लिए तैयार होंगे।
गुलाबो _मैने तुम्हारे भईया से बात कर ली है, वो तैयार है।
रूपा _क्या भईया तैयार है?
गुलाबो _हा बेटी!
रूपा मन ही मन खुश होने लगी। वह कितनी बार भईया से चुदवाने की सपना देख रही थी आज उसे मौका मिला है।
गुलाबो _बेटी, तुम तुम्हारे भईया के कमरे में जाओगी न।
रूपा _ठीक है मां, तुम कह रही हो तो चली जाती हूं।
गुलाबो _लाओ, बच्ची को मुझे देदो, तुम्हारे वापस आते तक मैं इसे सम्हालूंगी।
रूपा _ठीक है मां,
गुलाबो बच्ची को लेकर अपने कमरे में चली गई। इधर रूपा भोला के कमरे में जाने के लिए तैयार होने लगी वह नई साड़ी पहन ली और श्रृंगार कर ली। फिर वह भोला के कमरे की ओर चली गईं।

जब वह भोला के कमरे में गई तो भोला खाट पर लेटा था। रूपा को देखकर भोला बोला अरे रूपा तुम।
रूपा _भईया, ओ मां ने मुझे भेजी है।
भोला खुश हो गया। उसके शरीर में रक्त प्रवाह बड़ गया।
भोला _आओ खाट में बैठो।
रूपा खाट के किनारे बैठ गई।
भोला _आज तो तू दुल्हन की तरह लग रही है। भोला रूपा के गदराया बदन का मुआयना करने लगा। राकेश तो बड़ा किस्मत वाला है जो इतनी सुंदर बीबी पाया है। वो तुम्हे खुश तो रखता है न।

रूपा _हां, भैया। वो तो मेरे खुशी का हमेशा ख्याल रखते हैं । मेरा कहना कभी टालते नही। मेरे आगे पीछे ही मंडराता रहता है। मुझे अकेले कही जाने नही देते। बड़ी मुस्किल से मुझे मायके आने दिया।

भोला _उसकी बीवी इतनी सुंदर जो है, डरता होगा कोई उसे भगा न ले। भोला हसने लगा।
रूपा शर्मा गई।
भोला _अच्छा, तुम्हे पता है न कि मां ने तुम्हे यहां क्यू भेजा है।
रूपा ने शर्माते हुवे, हां में सिर हिलाया।
भोला के लिंग में तनाव बड़ने लगा।
भोला _तुम शादी होकर गई तो पतली दुबली सी थी। बच्ची जनने के बाद, तुम एक दम निखर गई हो। तुम्हारा बदन तो एक दम भर गया है।

भोला एक हाथ से रूपा की चूची मसलते हुवे कहा _कल तुम्हे मैने बच्ची को दुध पिलाते हुए देखा, काफी बड़े बड़े हो गए है तेरे।
लगता है राकेश का किया huwa है सब।
रूपा शर्माते हुए सिर झुका ली।
भोला _राकेश भी दूध पीता होगा। दुदू मसलते हुवे कहा।
रूपा _शर्माते हुवे बोली, उसे तो दूध पीना पसन्द नही।
भोला _पर मुझे तो बहुत पसंद है। तुमने तो देखी होंगी कि मां का दुध मै कैसे पीता हूं?
रूपा _हूं, आप तो रोज ही पीते हो। शर्माते हुए बोली।
भोला _कल जबसे तुम्हे बच्ची को दुध पिलाते देखा है मेरा मन तेरा दूध पीने के लिए बेचैन है। क्या तू मूझे अपना दुध पिलाएगी।
रूपा शर्म से गड़ने लगीऔर मुस्कुराकरदी।
भोला अब रूपा के ब्लाउज के बटन खोलने लगा। बटन खोलने में दिक्कत huwa तो।
भोला ने रूपा से ब्लाउज खोलने कहा।
रूपा ने अपना ब्लाउज खोल दी। ब्लाउज का बटन खुलते ही उसके बड़ी बड़ी दूध से भरी सुडौल स्तन भोला के सामने आ गया। भोला का land तनकर लंबा और मोटा हो गया।
वह खाट पर उठकर बैठ गया और रूपा की चूची को दोनो हाथो में थाम लिया। जैसे ही उसने चूची दबाया दूध का फौवारा निकलकर सीधे उसके चेहरे पर गया।
भोला ने दुदू की निपल मुंह में भरकर बारी बारी से मसल मसल कर पीने लगा।
रूपा भोला की इस हरकत से उत्तेजित होने लगी।
भोला ने रूपा को खडा किया और उसकी साडी को खींचकर अलग कर दिया। अब रूपा सिर्फ पेटी कोट में थी।
भोला सिर्फ लुंगी पहना था। उसका land लूंगी में तना हुवा देखकर रूपा और ज्यादा गरम हो गई।
भोला ने रूपा को अपने गोद में उठा लिया और खाट पर बैठ गया। फिर दोनो चूची को मसल मसल कर दूध पीने लगा।
भोला का लिंग रूपा के पेटिकोट के ऊपर से बुर को दबा huwa था जिसकी लंबाई और मोटाई का एहसास पाकर रूपा की बुर पानी छोड़ने लगी।
अब भोला रूपा को खाट में लिटा कर उसके बदन को चूमने लगा। चूमते चूमते वह नाभी तक चला गया।
रूपा की मुंह से सिसकारी निकलने लगी।
भोला भी जोश में आकर रूपा की पेटिकोट का नाडा खोलकर रूपा को नंगी कर दिया।
रूपा की फुली हुई चिकनी बुर को देखकर कहा,, तेरी बुर तो एकदम चिकनी है, एक भी बाल नही। साफ़ करती है क्या? मां के तो कितने बाल है।
रूपा _उसको, बाल पसंद नही है, वह खुद ही साफ कर देता है।
भोला _क्या राकेश इसे चाटता है?
रूपा शरमा गई और हा में सिर हिला दी।
भोला _राकेश का भी अजीब शौंक है दूध पीना पसंद नहीं पर बुर चाटने में मजा आता है उसको।
अच्छा तुम्हे भी पसंद है क्या बुर चटवाना।
रूपा, भईया मुझे शर्म आती हैं।
भोला, रूपा की बुर चाटने लगा। जिससे रूपा सिसकने लगी और भोला के मुंह को बुर में दबाने लगी। उसकी बुर पानी छोड़ने लगी।

कुछ देर तक बुर चाटने के बाद, भोला रूपा के टांगों के बीच में बैठ गया और अपना land का टोपा बुर के छेद में रखकर एक जोर का धक्का मारा। बुर गीली होने के कारण एक ही बार में,लन्ड बुर को चीरकर आधा अनदर घुस गया।
रूपा के मुंह से उई मां निकल गई।

अब भोला रूपा की चूची मसल मसल कर पीने लगा और लन्ड को धीरे धीरे बुर में अंदर बाहर करने लगा। लन्ड धीरे धीरे सरककर पुरा जड़ तक अंदर घुस गया ।
रूपा के मुंह से सिसकारी निकलने लगी।
इधर भोला को रूपा की बुर पेलने में मजा आने लगा और वह अपना स्पीड बढ़ाता गाया रूपा तो जैसे जन्नत में पहुंच गई। वह अपनी कमर ऊपर उठा उठा कर भोला का सहयोग करने लगी
उसे भोला से चुदवाने में बहुत मज़ा आ रहा था।
इधर भोला को भी एक अलग मजा आ रहा था वाह जोश में आकर रूपा के बुर में लन्ड तेज गति से अंदर बाहर कर रहा था।land बुर में सर सर अंदर बाहर आ जा रहा था। खाट के बजने से चर चर की आवाज़, रूपा की चुडियो की खन खन की आवाज़ और रूपा के मुंह से आह,, ऊं,, आई की आवाज़ कमरे में गूंजने लगा।
अचानक से भोला ने chudai बंद कर दिया और रूपा को उठा कर अपने ऊपर ले लिया रूपा बहुत उत्तेजित थी वह chudai बंद करवाने के मूड में बिलकुल नहीं थी। वो भोला के land के ऊपर उछल उछल कर चुदाने लगी। भोला भी रूपा की कमर को पकड़कर अपनी लौड़ा में पटक पटक कर चोदने लगा। कमरे में आह आह, चर चर, फच फिर, खन खन की आवाज़ गूंजने लगा।
रूपा को भोला से चुदाने में जो मज़ा आ रहा था उसकी कल्पना तक उसने नही की थी। राकेश तो बहुंत जल्दी झड़ जाता था, आनद की इस चरम अवस्था तक रूपा को वह कभी नही ले जा पाया था
रूपा तो अपनी भाई की मर्दानगी की दीवानी हो गई।
कुछ देर तक वे दोनो अपना सुध बुध खोकर chudai का खेल खेलते रहे। पर रूपा ज्यादा देर तक न रुक सकी और वह झड़ने लगी ।
वह भोला से लिपट गई।
भोला कुछ देर chudai बंद कर रूपा को अपनी बाहों में जकड़ लिया। कुछ देर बाद भोला खाट पर बैठ गया, रूपा अभी भी उसकी गोद में बैठी हुई थी। भोला फिर से रूपा की चूची दबाने लगा उसे पीने लगा रूपा फिर गर्म होने लगी। भोला ने रूपा को खाट में लिटा कर फिर उसके ऊपर आ गया। उसकी बुर चाटने लगा। रूपा फिर उत्तेजित हो गई।
अब भोला ने रूपा को खाट में घोड़ी बना दिया । भोला रूपा की मस्त चूतड देखकर बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया वह चूतड को चूमा फिर अपने खड़े लन्ड को रूपा के बुर मे सेट कर इक जोर का धक्का मरा।land बुर को फाड़कर एक बार में पुरा अंदर घुस गया । अब भोला रूपा की दनादन chudai करना शुरू कर दिया।
कमरे में फिर से खन खन, चर चर, थप थप, आह उई मां ई की आवाज़ गूंजने लगा ।
भोला अब झड़ने की स्थिति में आ गया, वह दोगुने स्पीड से चोदने लगा। लन्ड रूपा की बुर में पिस्टन की भाती अंदर बाहर होने लगा। भोला ने इक जोर का धक्का मारा और रूपा की कमर को अपने कमर से सटा कर अपनी बीज को रूपा की कोख में छोड़ने लगा।
गर्म गर्म वीर्य को अपने बच्चेदानी में जाता महसूस कर रूपा भी खुद को न रोक सकी और वह फिर से एक बार झड़ने लगी।
भोला कुछ देर उसी पोजीसन में खडा रहा, जब तक उसके बीज का एक एक बूंद न झड़ गया।
फिर वह अपना land रूपा के बुर से बाहर निकाला,land फूक की आवाज़ करता huwa बाहर आया। रूपा की बुर से वीर्य बहने लगा।
दोनो काफी थक चुके थे खाट पर दोनो लेट कर सुस्ताने लगे।
कुछ देर बाद रूपा उठी और अपनी कपडे पहनने लगी। भोला उसे कपडे पहनता देखता रहा। और अपने land ko सहलाने लगा।
रूपा ने भोला की ओर देखा तो वो शर्म से पानी हो गई और मुसकुराते हुए भोला के कमरे से चली गई।

रूपा भोला की chudai की दीवानी हो गई थी। अब रोज रात को भोला के कमरे मे जाती और भोला से जमकर चुदाती।
भोला अपने बीज से उसकी कोख भर देता।
एक दिन दोपहर में भोला खेत से घर गया।
गुलाबो अपना छोटा बच्चा को सुलाकर नहाने गई थी गई थी। गुड़िया, रूपा के कमरे मे खेलते खेलते सो गई थी। रूपा ने अपनी बच्ची को भी दूध पिलाकर सुला दी थी। तभी गुलाबो का छोटा बच्चा रोने लगा।
उसके रोने की आवाज़ सुनकर रूपा अपनी मां के कमरे में आई। और बच्चे को चुप कराने लगी। पर बच्चा रोता ही रहा तो वह अपनी दूध पिलाने लगी।

तभी भोला घर पंहुचा, उसने देखा रूपा अपना छोटा भाई को दूध पिला रही है। वह उसके बाजू में बैठ गया।
और रूपा केकी दूसरी चूची को ब्लाउज से बाहर निकाल कर पीने लगा।दोनो गरम हो गए।
भोला ने रूपा को खाट में लिटा दिया। वह बच्चे को दूध पिलाती हुई लेट गया। भोला खाट पर चड़कर रूपा की टांगों के बीच बैठ कर। रूपा को चोदना शुरु कर दिया।
खाट से फिर चर चर, चुडियो की खन खन की आवाज़ गूंजने लगी।
ठीक उसी समय गुलाबो नहा कर गीली कपडे पहने अपने कमरे मे पहुंची अंदर भोला और रूपा की chudai को देखने लगी।
इधर भोला ने जब अपनी मां को देखा तो वह रूपा को चोदना बंद नही किया। वह रूपा को चोदता ही रहा।
गुलाबो _ये क्या बेटा, तुम लोग तो मेरे कमरे मे ही सुरू हो गए। खाना खाया है की नही।
भोला _नही मां,
गुलाबो _पहले खाना तो खा लेते।
रूपा _मां मैने तो भैया से कहा था की पहले खाना खा लो पर भईया ने कहना माना नही।
गुलाबो अपनी गीली कपडे उतार कर पेटी कोट पहन रही थी।
इधर भोला की दमदार chudai से रूपा झड़ गई। भोला ने chudai रोक दिया। और खाट से नीचे आ गया।
गुलाबो इस समय पेटिकोट में थी वह ब्लाउज को पहनने के लिए आलमारी से बाहर निकाल रही थी तभी भोला उसे पीछे से पकड़ लिया और उसकी चूची पकड़कर मसलने लगा।

गुलाबो _बेटा ये क्या कर रहा है छोड़ो मुझे अभी नहाकर आई हू। रूपा का लेकर मन नहीं भरा क्या?
भोला _नही मां, मेरा पानी अभी गिरा नही है।
भोला के चूची मसलने एवम पीने से गुलाबो भी उत्तेजित हो गई वैसे तो भोला और रूपा की chudai देखकर पहले से ही गर्म हो चुकी थी।
वह भोला का विरोध न कर सकी। भोला ने उसे खाट के पास ले जाकर झुका दिया। गुलाबो , खाट को पकड़ कर झुक गई ।भोला उसके पीछे जाकर उसकी पेटिकोट ऊपर चढ़ा दिया और उसकी chut को देखा, आज ही गुलाबो ने अपनी बुर की बाल साफ की थी।
भोला ने ही बताया था की रूपा की बुर बिलकुल चिकनी रहती हैं उसके पति खुद उसकी बुर की बाल की सफाई कर्ता है। तुम भी अपनी बाल साफ़ क्यू नही कर लेती।
गुलाबो ने बेटे के कहने पर पहली बार आज बुर के बालो की सफाई की।
जब भोला ने अपनी मां की चिकनी खूबसरt बुर को देखा तो उससे रहा न गया और वह उसकी बुर चाटने लगा ।
भोला के बुर चाटने से गुलाबो बहुत ज्यादा गर्म हो गई उसकी chut पानी छोड़ने लगी।
भोला ने अपना land का टोपा गुलाबो के बुर छेद पे रख कर एक जोर का धक्का मारा। लन्ड बुर चीरकर अंदर घूस गया।
भोला ने गुलाबो की कमर पकड़ कर दनादन चोदना शुरु कर दिया। गुलाबो की सिसकने की आवाजे कमरे में गूंजने लगी। इधर मां की chudai देखकर रूपा फिर गर्म हो गई। वह खाट से उठी। बच्चे को खाट में ही लेता दिया। और भोला को पिछे से जाकर अपनी बाहों मे भर लिया।
इधर भोला गुलाबो को दनादन चोदता रहा। तभी भोला ने अपना land बाहर निकाल दिया और रूपा को चुसने कहा। रूपा नीचे बैठ कर लन्ड को मुंह में भरकर, चुसने लगी। फिर अपनी मां की बुर को चाटने लगी, गुलाबो आनंद और उत्तेजना से कांपने लगी,तभी उसने गुलाबो के बुर की छेद में land टीका दी।
भोला ने फिर से एक जोर का धक्का लगा दिया।land फिर से गुलाबो के बुर में समा गया। भोला ने गुलाबो की बुर खोदना फिर से शुरू कर दिया।

भोला ने ऐसा जमकर खुदाई किया की कुछ ही देर में गुलाबो पानी छोड़ दिया ।
गुलाबो के झड़ने के बाद भोला खुद खाट पर लेट गया और रूपा को land पर बैठ ने का इशारा किया।
रूपा लन्ड के ऊपर बैठ गई। और उछल उछल कर चुदाने लगी
इधर गुलाबो रूपा और भोला की chudai देखकर फिर गर्म होने लगी। वह अपनी बुर को मसलने लगी।
तभी भोला ने गुलाबो को इशारा किया। रूपा को अपने ऊपर से उठा दिया।
गुलाबो खाट पर चढ़ गई और अपनी बेटे के land को पकड़कर कर अपने बुर के छेद में रखकर नीचे बैठ गई। लन्ड बुर को चीरकर पुरा अन्दर समा गया।
गुलाबो, भोला के लन्ड पर उछल उछल कर chudne लगी।
कमरा फिर से गुलाबो की सिसकारी और खाट के चर चर की आवाज़ से गूंज उठी।
इस तरह भोला अपनी मां बहन को बारी बारी से चोदता रहा जब तक वह झड़ नही गया।
इस chudai में इन तीनों को इतना मज़ा आया की अब से तीनो एक साथ ही chudai करने लगे।है बार भोला अपनी बीज को रूपा के कोख में भर देता।
कुछ दिन बाद रूपा का पति उसे लेने आया। रूपा अपनी ससुराल चली गई।
रूपा को अगले माह माहवारी नही huwa वह समझ गई की उसे फिर से गर्भ ठहर गया है। जब उसने यह बात राकेश को ससुराल वालों को बयाया तो सभी खुश हो गए।
इधर रूपा रोमांचित थी की वह अपने ही भाई के बच्चे की मां बनेगी।
इधर कुछ माह बाद गुलाबो भी फिर से पेट से हो गई थी। उसने गर्भ ठहरने की बात भोला को बताई, भोला भी खुश हो गया।
रूपा और गुलाबो ने लडको को जन्म दिया। सभी खुश थे। एक साल बाद भोला ने भी शादी कर लिया। शादी हो जाने के बाद भी, रूपा जब अपनी ससुराल आती तो गुलाबो, रूपा और भोला chudai के मजे लेते। ये सब खेल चारदीवारी केमें कमरे के अंदर बड़ी सावधानी से खेला जाता , जिससे इनके संबंधों का पता किसी को न लगा।

The end
Story padhkar maja aa gaya bhai.
 

rajesh bhagat

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राजेश की आंखो पे पट्टी बांध कर दूध पिलाते समय, पुनम अपनी शरीर में उत्तेजना महसूस करने लगी। राजेश अपनी ओंठ पे पुनम की चूचक को दबाकर दूध खींचने लगा। जिससे पुनम गर्म होने लगी।
उसकी शरीर कपकापने लगा, उसकी बुर में पानी भरने लगा।
वह किसी तरह अपने अपने मुंह से कामुक सिसकारी को रोके रखी। पर ज्यादा देर तक रोक पाना मुस्कील था उसने राजेश के मुंह से अपनी चूची को छुड़ाया और अपने कमरे में भाग गई।
कमरे में जाकर तेज़ तेज़ सांस लेने लगी।
उसकी चड्डी बुर की पानी से गीली हो चुकी थी।
उधर पुनम के जाने के बाद, राजेश ने अपनी पट्टी खोल कर देखा, पुनम उसे कहीं दिखाई नही दी।
राजेश मुस्कुराने लगा।
उधर पुनम रात में ठीक से सो नहीं पाई उसे चुदाने की बड़ी ईच्छा हो रही थी।
वह अपनी बुर में उंगली डाल कर, अपनी पानी निकाल कर ख़ुद को शांत की।
अगली दिन सुबह राजेश अखाड़ा पे चला गया वहा अभ्यास के साथ कबड्डी की भी तैयारी की। बिरजू राजेश के खेल से प्रभावित huwa उसे लगने लगा की अगर प्रतियोगिता जितनी है तो राजेश का टीम में होना जरूरी है।
प्रातः 11बजे गांव में ग्राम सभा रखा गयाथा।
पंचायत में लोगो की काफी भीड़ थी।
सचिव ने सभा में बताया की जितने लोगो ने आवास के लिए आवेदन लगाया था सभी का आवास स्वीकृत हो गया है। सचिव ने लोगो का नाम पढ़के सुनाया जिनका आवास स्वीकृत huwa था, उन लोगो को जल्द से जल्द अपना बैंक का खाता नंबर जमा करने कहा, ताकि आवास की राशि विभाग द्वारा खाता में भेजा जा सके।
सरपंच ने कहा की यह सब राजेश की वजह से हो सका हेम उसे ग्राम पंचायत की ओर से सम्मानित किया जाना चाहिए।
लोगो ने राजेश को बुलाने के लिए किसी को पदमा के घर भेजा।
राजेश उस समय पढ़ाई कर रहा था।
पदमा को बताया गया की राजेश बाबू को ग्राम पंचायत की ओर से सम्मानित करने के लिए बुलाया है, पदमा इस बात की जानकारी राजेश को दी।
राजेश उस आदमी के साथ ग्राम पंचायत भवन के लिए निकल गया।
वहा पहुंचने पर सभी लोग राजेश बाबू जिंदा बाद की नारे लगाने लगे।
सरपंच _आओ राजेश यहां बैठो, अपनी बाजू वाली कुर्सी पर राजेश को बैठने कहा।
राजेश ने सभी गांव वाले को प्रणाम किया फिर कुर्सी पर बैठ गया।
सरपंच _राजेश, तुमने असंभव काम को संभव कर दिखाया। तुम नही जानते की तुमने गांव वालो के लिए कितना बड़ा कार्य किया है। हम तुम्हे सम्मानित करना चाहते है।
सरपंच ने राजेश को फूलो का माला पहनाया और एक प्रतीक चिन्ह भेट की, गांव वालो की ओर से उसके कार्य के लिए धन्यवाद कहा।
एक बार फिर से गांव वालो। ने राजेश बाबू जिंदा बाद का नारा लगाने लगे।
सरपंच ने उन्हे शांत कराया।
एक पंच ने खड़ा होकर कहा, राजेश को सिर्फ सम्मान ही नही बल्कि उसे एक पद भी दिया जाना चाहिए, ताकि गांव के लोगो को उसके सुझबुझ का लाभ मिलता रहे। सभी लोगो ने उस पंच का समर्थन किया।
लोगो से राय लेकर सरपंच ने राजेश को गांव का सलाहकार नियुक्त किया।
सरपंच _आज से राजेश गांव का सलाहकार नियुक्त किया जाता है, गांव का कोई भी कार्य, राजेश की सलाह से ही किया जाएगा।
सभी लोगो ने खुब तालिया बजाई।
सचिव ने राजेश को सभा को संबोधित करने के लिए आमन्त्रित किया।
राजेश ने कहा _गांव की लोगो की मदद करना तो मेरा कर्तव्य है। इसके लिए कोइ पद की आवश्यकता नहीं थी। फिर भी आप सभी की भावनाओ को समझते हुवे मैं यह पद स्वीकार करता हूं।
आप लोगो ने जो मुझपर विश्वास जताया है उसके लिए आप सभी का शुक्रिया। मैं आप लोगो को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि मैं पूरे निःस्वार्थ भाव से गांव की भलाई के लिए कार्य करूंगा। वही करूंगा जो गांव के हित में हो।
हमारे गांव के लोगो को काफी समय से असुविधा में जीवन यापन करने मजबूर हैं। मैं आप लोगों को विश्वास दिलाना चाहता हूं की गांव की सारी समस्या का समाधान अब दूर नहीं है।
यह गांव आगे चलकर पूरे जिले में माडल बनकर उभरे गा। यह मैं आप लोगो को वचन देता हूं।
सुरज पुर की चर्चा राजधानी में भी होगी। पर इसके लिए आप सभी का एक जुट रहकर साथ चलना जरूरी है।

सभी लोगो ने राजेश के भाषण पर खुब तालिया बजाई और राजेश बाबू जिंदाबाद के नारे लगाए।
सभा समाप्त होने के बाद सभी लोग राजेश से व्यक्तिगत मिले और उसे अपने घर आने के लिए आमन्त्रित किया।
ग्राम सभा से आने के बाद राजेश, फिर से तैयारी में लग गया, आई ए एस की प्रारंभिक परीक्षा पास थी।
कुछ दिन राजेश अपने पढ़ाई पर ही फोकस किया।
इधर पुनम राजेश को फिर से अपनी चूची पिलाने की हिम्मत न कर सकी।
जब पदमा, पुनम को राजेश को दूध दे आने को बोलती, पुनम बहाना बना देती, पदमा ही राजेश के रूम में दूध लेकर जाती।
एग्जाम पास होने के कारण राजेश भी अपनी भौजी से छेड़ छाड़ बंद कर सिर्फ पढ़ाई में ही फोकस कर रहा था।
आई ए एस परीक्षा केंद्र राज्य में सिर्फ दो जगह ही बनाया गया था। एक राजधानी और दूसरा बड़ा शहर, राजेश को कल शहर जाना था एग्जाम देने।
उसको शेखर का फोन आया।
शेखर _कैसे हो बेटे?
राजेश _मैं ठीक हु पापा, आप लोग कैसे है?
शेखर _हम भी, अच्छे है बेटे। तुम्हारा आई ए एस की तैयारी कैसी चल रही है? परसो तुम्हारा प्रारंभिक परीक्षा है न?
राजेश _हा पापा बस उसी की तैयारी में लगा हूं।
कल शहर के लिए निकलना है। परसो एग्जाम जो है?
एक दिन पहले ही पहुंचना होगा?
शेखर _बेटे तुम्हे पैसों की आवश्यकता होगी, मैने तुम्हारे अकाउंट में फोट पे से पैसा ट्रांसफर कर दिया है?
राजेश _शुक्रिया पापा।
शेखर _हा बेटा, और तुम हम लोगो की बिल्कुल चिन्ता न करना और अपनी पढ़ाई में फोकस करना, तुम्हारी मां को तुमसे बहुत उम्मीद है बेटा।
राजेश _जानता हु पापा। मैं आप लोगो को निराश नहीं करूंगा।
शेखर _गुड बेटा, अच्छा अब मैं अपना फोन रखता हूं।
राजेश _ठीक है पापा।
रात में भोजन करते समय, राजेश ने भुवन और पदमा को बताया की वह परीक्षा हेतु कल ट्रैन से शहर निकलेगा, क्यू की शहर यहां से काफी दूर है इसलिए एक दिन पहले ही पहुंचना होगा।
भुवन _राजेश, मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूं।
राजेश _भुवन भईया, आप क्या करेंगे वहा? मैं चला जाऊंगा वैसे भी मैने सिर्फ अपने लिए ही टिकट बूक करा रखी है।
पदमा _बेटा वापस कब आएगा।
राजेश _एग्जाम के दूसरे दिन सुबह आ जाऊंगा, ताई।
दूसरे दिन सुबह राजेश नहाधोकर तैयार होता है। पुनम उसके लिए भोजन तैयार की थी। राजेश और भुवन दोनो भोजन करते हैं।
भोजन करने के बाद, राजेश शहर जाने के लिए अपना बैग निकाल लेता है सभी जरूरी चीजे रख लेता है?
जाते समय वह पदमा से आशीर्वाद लेता है।
पदमा _खुश रह बेटा, भगवान तुम्हे कामयाब करे।
ये रख लो बेटा, तुम्हारे काम आयेगी
पदमा ने राजेश को पैसे दिए।
राजेश _ताई इसकी आवश्यकता नहीं है पापा ने पैसे भेजे है?
पदमा _फिर भी रख लो काम आएगा।
भुवन _हा राजेश रख लो।
राजेश मना न कर सका।
राजेश को लक्षमण पुर स्टेशन छोड़ने के लिए भुवन अपनी बाइक लेकर साथगया।
रास्ते में जब जा रहा था तब, दिव्या अपनी कार से लक्षमण पुर जा रही थी।
दिव्या _अरे राजेश तुम लोग कहा जा रहे हो?
राजेश _अरे दिव्या जी आप मै लक्षमण पुर जा रहा हूं, स्टेशन। वहा ट्रैन से शहर निकलूंगा।कल मेरा आई ए एस का एग्जाम है न,
दिव्या _ओह, मैं भी लक्षमण पुर जा रही हूं। मैं तुम्हे कार में छोड़ दूंगी आओ कार में बैठो।
राजेश _दिव्या जी भुवन भईया छोड़ने जा रहे है न, आप क्यू तकलीफ,,,
दिव्या _अरे इसमें तकलीफ की क्या बात, मैं भी तो लक्षमण पुर जा रही तो स्टेशन छोड़ दूंगी।
भुवन भईया, मैं क्या गलत कह रही हूं?
भुवन _राजेश, दिव्या जी ठिक कह रही है? चले जाओ साथ में।
भुवन ने अपना बाइक रोक दिया।
दिव्या ने ड्राइवर से कार रोकने कहा।
राजेश बाइक से उतर कर, कार में बैठ गया।
भुवन _अच्छा राजेश, मैं घर निकलता हूं। परसो सुबह फोन कर देना, मैं तुम्हे लेने स्टेशन पहुंच जाऊंगा।
राजेश _ठीक है भईया।
भुवन वापस चला गया।
दिव्या ने ड्राइवर से चलने को कहा।
राजेश _दिव्या जी आप लक्षमण पुर किसी काम से जा रही है क्या?
दिव्या _मैं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जा रही हूं। वहा चिकित्सा अधिकारी का पद खाली था तो मैंने ज्वाइनिंग कर लिया।
राजेश _ओह, बधाई हो दिव्या जी, अब तो पूरे विकासखंड की स्वास्थ्य की जिम्मेदारी आपके कंधो पर है !
दिव्या _हा राजेश, पता नही मैं यह जिम्मेदारी अच्छे से निभा पाऊंगी की नही।
राजेश _दिव्या जी, मुझे पूरा यकीन है आप यह जिम्मेदारी बहुत अच्छे से निभा पाएंगी। एक डाक्टर का जैसा व्यवहार होना चाहिए आपमें वो सब कुछ है।
दिव्या _अच्छा ऐसा क्या देखा मुझमें ?
राजेश _आपका ह्रदय, कितना सरल और संवेदन सिल है, आप यहां की राज कुमारी है। फिर भी आप लोगो की भावनाओ को समझती हो। सबसे प्रेम पूर्वक व्यवहार करती हो। आपके व्यवहार में झलकता ही नहीं है कि आप एक राज परिवार से हैं।
दिव्या _बस बस कुछ ज्यादा ही हो गया।
इतनी भी अच्छी नहीं हूं मैं।
वैसे तुम इतने दिनो तक कहा थे। बहुत दिनो से हवेली आए ही नहीं।
राजेश _हवेली में आने के लिए परमिशन लेना पड़ता है दिव्या जी और वैसे भी बिना काम के किसी को हवेली में घुसने भी नही दिया जाता, तो तुम ही बताओ मैं कैसे आ सकता हूं?
दिव्या जी _हूं, तुम्हारा भी कहना सही है। वैसे तुम्हारी निसा का क्या huwa, फोन वागेरा आया था उसका।
राजेश _नही, दिव्या जी, वो मुझे भुल चुकी है।
दिव्या _वो नही की तो तुम ही कर लेते।
राजेश _मुझमें उससे बात करने की हिम्मत नहीं है दिव्या जी।
दिव्या _अरे तुम्हारे सामने तो बड़े बड़े गुंडे, भी टिक नही सकते और एक लडकी से बात करने की हिम्मत नहीं। हु ,,,दिल का मामला है, इसलिए।
ड्राइवर गाड़ी को स्टेशन की ओर ले जाना।
ड्राइवर ने गाड़ी को रेलवे स्टेशन की ओर ले गया।
दिव्या _लो आपका स्टेशन आ गया।
वैसे वापसी कब हो रही है।
राजेश _परसो सुबह आ जाऊंगा।
दिव्या _वैसे राजेश तुम्हे कोइ काम हो तो हवेली की जगह मुझसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी मिल सकते हो। मेरा मोबाइल नंबर रख लो, जब आओगे तो काल कर लेना।
राजेश _ठीक है दिव्या जी।

राजेश को बाई करके दिव्या, स्वास्थ्य केंद्र निकल गया।
कुछ देर में राजेश का ट्रैन भी आ गया, जिसमे बैठ कर वह शहर के लिए निकल पड़ा।
शहर पहुंचते उसे 8घण्टे का समय लग गया। वह शहर में एक लाज किराए पर लिया। दूसरे दिन 10बजे से एग्जाम था, समय पर परिक्षा केंद्र पहुंच गया।
3घण्टे परिक्षा दिलाने में निकल गया, वहा से निकल कर एक ढाबे में भोजन किया, फिर अपने लाज में आकार आराम किया। शाम को वह शहर में थोडा टहला फिर स्टेशन के लिए निकल गया।
रात में 8बजे वह फिर स्टेशन के पास स्थित ढाबे में भोजन किया फिर वह अपने ट्रैन का इन्तजार करने लगा।
रात को 10बजे उसका ट्रैन निकला, ट्रैन जब लक्ष्मण पुर स्टेशन पहुंचा तो सुबह का 6बज चुका था।
भुवन राजेश को लेने पहुंच गया था।
भुवन _अरे राजेश मैं यहां हूं। कैसा गया एग्जाम।
राजेश _बहुत अच्छा गया भईया।
भुवन _चलो चलते है।
राजेश और भुवन दोनो घर के लिए निकल पड़े।घर पहुंचने के बाद
राजेश ने पदमा का पैर छूकर प्रणाम किया।
पदमा,_आ गया बेटा, कैसा बना तुम्हारा पेपर।
राजेश _बहुत अच्छा ताई, आपके आशीर्वाद से।
पदमा _बेटा तुम्हारी मेहनत और लगन को देख कर कह सकती हूं की तुम कलेक्टर जरूर बनोगे।
जाओ बेटा अब नहा धोकर तैयार हो जाओ, फिर नाश्ता करना। बहु नाश्ता बना रही है।
राजेश _ठीक है ताई।
पदमा _भुवन बेटा तु भी नहाया नही है जा नहाकर तु भी तैयार हो जा, तुम्हे खेत जाना है ।
भुवन _ठीक है मां।
भुवन और राजेश दोनो नहाने के लिए घर के पीछे बाड़ी में चले गए।
दोनो बार चालू कर नहाने लगे।
भुवन _राजेश, बिरजू कह रहा था की तू भी कबड्डी की प्रैक्टिस कर रहा है, वे लोग तुम्हारे खेल से बहुत प्रभावित है, कह रहे थे की तुम्हे टिम में शामिल करेंगे।
राजेश _ये तो उन लोगो का बड़प्पन है, भुवन भईया।
भुवन _वैसे तुमने बहुत अच्छी बॉडी बनाई है गांव में ऐसा बॉडी किसी के पास नही, बिरजू का है पर वह भी तुम्हारे सामने नही टिकता।

भुवन _वैसे राजेश तुम इस गांव के सलाहकार हो। टिम का चयन भी तुम्हारे सलाह से होगा।
पदमा _अरे बहु, भुवन ने अपना टावेल यहीं भुल गया, जाओ उसे टावेल दे आओ।
पुनम _जी मां जी।
पुनम टावेल लेकर बाड़ी में गया।
पुनम _अजी तुम तो अपना टावेल घर में ही भुल आए,।
भुवन और राजेश दोनो साबुन लगा रहे थे।
भुवन _अरे पुनम अब आई हो तो एक काम कर दो, मेरे पीठ पर थोडा साबुन मल दो, बड़ी खुजली हो रही है लगता है मैल जम गया है।
पुनम _साबुन अपनी साड़ी की पल्लू क़मर पर खोंच ली और भुवन की पीठ पर साबुन लगाने लगी।
भुवन _अरे सुनो, राजेश का भी पीठ पर साबुन लगा दो, अब उसके पीठ पर तो साबुन लगाने वाला है नही कोइ। पता नही कब का मैल जमा होगा।
राजेश _अरे नही भुवन भईया, भौजी को क्यों तकलीफ दे रहे हो।
कपड़ा है न मेरे पास रगड़ लूंगा।
भुवन _अरे भई तुम शर्मा क्यू रहे हो, तुम्हारी भौजी है इतनी सेवा नही करेगी अपने देवर की।
पुनम ने भुवन की पीठ पर साबुन लगाने के बाद, राजेश की पीठ पर साबुन लगाने लगी।
भुवन _वैसे राजेश तुम्हारी भौजी बड़ी अच्छी मालिश करती है।
अगर कभी थकान लगे तो, पुनम से मालिश करा लिया करो।
राजेश _भुवन भईया, मैं तो मेहनत का काम करता नही, फिर मालिश की आवश्यकता मुझे क्यू होगी?
भुवन _अरे सुबह अखाड़े पे जाता है, कबड्डी की तैयारी भी करता है।
शरीर पे थकान तो आता ही होगा।
राजेश _भईया, मालिश की आवश्यकता तो नही है पर हा ताकत बनाए रखने के लिए दूध मिल जाता तो,,
भुवन _अरे हमारे घर दूध की कमी थोड़ी है जितना चाहे दूध पिया करो।
क्यू भई पुनम, तुम राजेश को पीने के लिए दूध नहीं देती क्या?
पुनम शर्म से पानी पानी हो गई।
पुनम _अजी देवर जी को पीने के लिए एकदम ताजा दूध चाहिए।
अब रात को ताजा दूध कहा से लाऊंगी।
पुनम _हा भाई राजेश, अब रात में ताजा दूध कहा से मिलेगा।
तुम्हे शाम के समय का दूध से ही काम चलाना पड़ेगा। ग्वाला शाम को ही आता है दूध निकालने।
वैसे सुमन अगर ताजा दूध का जुगाड कर सकती हो तो कर दिया करो, तुम्हे तो दूध निकलना आता ही है।
पुनम _अगर आप कह रहे हैं तो सोंचूंगी जी।
पुनम,राजेश की ओर देखकर मुस्कुराने लगी। अपनी क़मर मटकाते वहा से चली गई।
राजेश और भुवन दोनो नहाने के बाद नाश्ता किए। नाश्ता करने के बाद जब भुवन खेत जाने लगा तो राजेश ने कहा,,,
राजेश _भुवन भईया, मैं भी आपके साथ खेत चलूंगा। एग्जाम की तैयारी के कारण मैं भी काफी दिनो से कहीं घूमने नही गया। आपके साथ जाऊंगा तो मेरा भी माइंड फ्रेश हो जायेगा।
भुवन _ठीक है राजेश, चलो।
दोनो खेत चले गए।
खेत में जाने के बाद,,,
भुवन _राजेश तुम झोपड़ी के खाट पर आराम करो, मैं मजदूरों के साथ, कर रहा हु।
राजेश _अरे भुवन भईया, मुझे भी कोई काम बता दो, यहां बैठा, बैठा बोर हो जाऊंगा।
अच्छा चलो तुम भी वही पर बैठा रहना,
राजेश को खेत के मेड पर लगा पेड़ के छाव में बिठा कर ,
भुवन मजदूरों के साथ गन्ने की कटाई करने लगा।
वहा पर मौजूद मजदूरन राजेश से बात चीत करने लगे,,
मजदूरन _राजेश बाबू, आप ने हमारा आवास पास करा कर हम गांव वालो पर बहुत उपकार किया है। हम आपका एहसान कैसे चुकाएंगे?
राजेश _अरे काकी, इसमें एहसान की क्या बात है ये तो मेरा फर्ज है।
सरला काकी _ये तो तुम्हारा बड़प्पन है बेटा।
वैसे तुम यहां खेत काहे चले आए।
राजेश _अरे काकी काफी दिन हो गए खेत आए, इसलिए घूमने चला आया।
भुवन _अरे राजेश लो गन्ना खाओ, खा कर देखो हमारे खेत का गन्ना कितना मीठा और रसीला है।
गन्ने का एक टुकड़ा करके राजेश को देते हुए कहा।
राजेश ने गन्ना अपने दातों से छीलकर उसे खा कर देखा।
राजेश _वाह भुवन भईया, गन्ना गन्ना बहुत रसीला और मीठा है।
कुछ देर बाद, भुवन भईया लाओ ये गन्ना काटने का औजार मुझे दो, मुझे भी गन्ना काटना है।
केशव _अरे राजेश बेटा तुम काहे तकलीफ उठा रहा है कहीं हाथ वगैरा कट गया तो। जाओ झोपड़े में जाकर आराम करो।
भुवन _हा राजेश, बापू ठीक कह रहा है।
राजेश _भुवन भईया, मुझे भी सिखाओ गन्ना काटना।
भुवन _अच्छा, लो तुम भी अपना ईच्छा पूरा कर लो भाई।
राजेश भी उन लोगों के साथ गन्ना काटने लगा।
दोपहर में पदमा खाना ले कर आई।
वह खेत में राजेश को गन्ना काटते देखी।
पदमा _अजी, ये क्या तुमने राजेश को क्यू काम में लगा दिया।
केशव _अरे भाग्यवान मैने तो राजेश को मना किया था पर उसने कहा की उसे भी गन्ना काटना सीखना है।
पदमा _अरे राजेश बेटा, ये गन्ना काटना छोड़ो चलो भोजन कर लो भूख लगी होगी।
राजेश _अरे ताई, गन्ना काटने में मजा आ रहा है थोडा और काट लेने दो।
भुवन _राजेश, चलो भोजन का समय हो गया है। पहले भोजन कर लो। मजदूरों को भी भोजन करने कहा,,
भुवन, राजेश और केशव पदमा के साथ झोपड़ी में आ गए। वहा भोजन किए। कुछ देर आराम किए, आधा घंटा आराम किए फिर सभी गन्ना काटने लगे।
शाम के समय सभी मजदूर अपने घर चले गए, राजेश और भुवन और पदमा भी अपने घर चले गए।
केवल केशव ही खेत की रखवाली करने, खेत पर रह गया था।
रात में भोजन करते समय,
भुवन _मां कल गन्ने को बेचने के लिए शक्कर कारखाना ले जाना है।
पदमा _पर बेटा कल तो मजदूरों की छुट्टी है न। ट्रैक्टर में गन्ने को डालने के लिए मजदूरों की जरूरत पड़ेगी।
भुवन _हां वो तो है मां।
राजेश _ताई, मैं कल भी खेत चला जाऊंगा, भुवन भईया की मदद करने।
और ताऊ जी तो रहेंगे ही।
भुवन _तब तो काम बन जायेगा मां, राजेश के मदद करने से।
अगले दिन सुबह नाश्ता करने के बाद राजेश और भुवन ट्रैक्टर लेकर खेत निकल गए, वहा केशव, राजेश और भुवन तीनो मिलकर गन्ने को ट्रैक्टर की ट्राली में जितना आ सकता था डालकर रस्सी से बांध दिया।
इधर पदमा पड़ोसी के यहां, बच्चे का जन्मोत्सव कार्यक्रम था तो वे वही चली गई।
वहा पर केशव का दोस्त का नातीका जन्मदिन था।
केशव का दोस्त पदमा से कहा _अरे भौजी, केशव कहा है? आया नही।
पदमा _जेठ जी वो तो खेत गया है।
केशव का दोस्त _भौजी, अपने दोस्त के यहां कार्यक्रम है और आज खेत चला गया, ये क्या बात हुई। क्या यहीं दोस्ती है।
पदमा _अरे जेठ जी, आप नाराज न हो मैं अभी खेत जाऊंगी तो तुम्हारे दोस्त को भेज दूंगी।
केशव का दोस्त _भौजी, केशव से कह देना अगर वह नही आया तो हमारी दोस्ती खत्म।
पदमा _जेठ जी मैं उनको भेज दूंगी, वो जरूर आयेंगे आप नाराज न हो।
इधर, भुवन गन्ने को लेकर शक्कर कारखाना लेकर चला गया।
राजेश और केशव खेत में पानी पलाने लगे।
कुछ देर बाद पदमा खेत पहुंची।
पदमा _अजी तुम्हारे दोस्त ने तुम्हे बुलाया है अभी तुरंत, उसके घर उसके नाती का जन्म उत्सव का कार्यक्रम है न, तो वह तुम्हारे न आने से बड़ा नाराज है, तुम उसके घर हो आओ।
केशव _ठीक है भुवन की मां, मैं हो आता हूं। न जाने पर उनका नाराज होना लाजिमी है।
भुवन अपने दोस्त के घर के लिए निकल गया।
पदमा _अरे राजेश बेटा चलो तुम भोजन कर लो।
राजेश भोजन करने लगा।
भोजन कर कुछ देर आराम करने के बाद।
पदमा और राजेश दोनो, खेत में कुछ काम करने लगे। घर जाने का समय होने वाला था कि
पदमा _अरे राजेश बेटा तुम्हारे ताऊ जी अभी तक आया क्यू नही है जरा तुम्हारी भौजी को फोन कर पूछो।
राजेश _जी ताई
राजेश ने पुनम को फोन लगाया।
राजेश _भौजी लो ताई से बात करो।
पदमा ने पुनम से बात की,
पदमा _बहु, तुम्हारे ससुर जी अपने दोस्त के घर जन्मुत्सव कार्यक्रम में गया था। अभी तक आया नही है जरा पता करो,,
पुनम _मां जी, ससुर जी तो अपने कमरे में सो रहे है।
पदमा _क्यू, क्या huwa उसको?
पुनम _अरे मां जी ससुर जी कह रहे थे की उसके दोस्त ने उसको ज्यादा पिला दिया, वो ठीक से चल नहीं पा रहे है, वह घर में आकार सो गया है।
पदमा _क्या? लो जिसका डर था वही huwa
राजेश _, क्या huwa ताई?
पदमा _बेटा तुम्हारी भौजी कह रही थी की तुम्हारे ताऊ जी, नसे में है वह अपने कमरे सो गया है? लगता है उसके दोस्त ने उसे शराब पिला दी है।
राजेश _अरे ताई आप चिन्ता न करे नशा उतरने पर ताऊ जी खेत आ जायेंगे।
अभी तो समय है।
इधर अचानक से मौसम में बदलाव आया, तेज़ हवा चलने लगी, चारो तरफ काली घटाएं छाने लगी।
पदमा _अरे बेटा, मौसम अचानक से बिगड़ रहा है। लगता है बारिश होने वाली है।
बारीश शुरू हो जाए उससे पहले जो मूंगफली सूखने के लिए फैलाया गया है। वह बारिस में बह जाएगा। उसे इकट्ठा कर बोरी में भर कर रखना पड़ेगा।
राजेश और पदमा दोनो मूंगफली इकट्ठा करने लगे।
वे मूंगफली इकट्ठा कर पाते उससे पहले ही बारिश शुरू हो गई और जब मूंगफली इकट्ठा कर बोरी में भरकर रखते वे पूरी तरह भीग चूके थे।
तेज़ हवाएं चल रही थी। बिजली कड़क रही थी और तेज़ बारिश होने लगी।
पदमा और राजेश दोनो झोपड़ी के अंदर खड़े होकर बारिश के बंद होने का इन्तजार का इन्तजार करने लगे।
ताकि बारिश रुकने पर वे घर जा सके।
पर बारिश था की रुकने के बजाए और तेज़ हो रहा था। ठंडी ठंडी तेज़ हवाएं चलने लगी और जोर जोर से बादल गरज रहा था। ऐसा लग रहा था की बिजली झोपड़े में ही न गीर जाए।
ऐसे में घर जाना काफी जोखिम था।
पदमा _बेटा, काफी ठंडी ठंडी हवाएं चल रही है, शरीर कपकपाने लगा है झोपड़ी का दरवाजा बंद कर दे। और रोशनी के लिए कंडिल जला दे।
राजेश _जी ताई।
राजेश ने झोपड़ी का दरवाजा बंद कर दिया और कंडील जला दिया।
उन्हे कपकपी से राहत मिली।
इधर बारिश था की रुकने का नाम ही नही ले रहा था।
उन्हे बारिश के रुकने का इन्तजार करते करते रात के 8बज गए। वे पूरी तरह भीग चूके थे। बाहर ठंडी ठंडी तेज़ हवाएं चल रही थी, जिससे झोपड़ी के अंदर भी ठंडकता बड़ने लगी।
पदमा _राजेश बेटा, लगता है ये बारिश नही रुकने वाली, ये तो रुकने के बजाए और बड़ रही है।
लगता है हमे आज रात झोपड़ी में ही गुजारनी होगी।
अब तो भूख भी लगने लगी है।
कुछ देर और इंतजार करने के बाद जब लगा की अब तो रात भी हो चुकी ऐसे मौसम में घर जाना अब खतरे से खाली नहीं,,
पदमा _राजेश बेटा, अब तो घर जा पाना मुश्किल लग रही है। तुम एक काम करो तुम्हारा कपड़ा भीग गया है। उसे उतारकर, उस थैले में तुम्हारे ताऊ जी का कपड़ा होगा उसे पहन लो।
राजेश ने थैला चेक किया उसमे केशव का धोती और कुर्ता था ।
राजेश _ताई इसमें तो ताऊ जी का धोती और कुर्ता है।
पदमा _बेटा, तुम अपना गीले कपड़े उतार कर ये कपड़े पहन लो।
गीले कपड़ों में ज्यादा देर तक रहोगी तो तुम बीमार पड़ जाओगे।
राजेश _ताई, तुम भी तो पूरी तरह भीग चुकी हो, ये कपड़े तुम पहन लो, मुझे कुछ नहीं होगा।
पदमा _अरे बेटा क्यू जिद कर रहा है? अपने ताई का कहना नही मानोगे।
राजेश _ताई तुम भी देखो ठंड से कांप रही हो, अगर गीले कपड़े नही उतारी तो रात भर में तुम्हारी तबियत खराब हो जाएगी। इसलिए मुझसे ज्यादा आपको इन कपड़ो की जरूरत है।
पदमा _अरे बेटा जिद न कर मेरा कहना मान ले।
राजेश _ठीक है ताई, मैं ये धोती पहन लेता हु तुम कुर्ता पहन लो।
पदमा _छी बेटा, मैं तुम्हारे सामने कुर्ता में,,,
राजेश _ताई, अब अब जान बचानी है तो शर्म छोड़ना पड़ेगा ही।
यहां ओढ़ने के लिए एक कंबल है तुम उसे ओड लेना।
पदमा _कुछ देर सोचने के बाद, ठीक है बेटा।
राजेश ने एक एक कर अपना सारा कपड़ा निकाल दिया, सिर्फ चड्डी में रह गया।
चड्डी भी भीग गया था।
उसने धोती को क़मर में लपेट कर चड्डी भी उतार दिया।
अब वह सिर्फ धोती में था।
पदमा _बेटा, मुझे बड़ा शर्म आ रही है, तुम्हारे सामने कैसे कपड़े बदलू।
राजेश _ताई मैं अपनी आंखे बंद कर देता हूं। जब तुम बोलोगे तभी खोलूंगा।
पदमा _ठीक है बेटा।
राजेश ने अपनी आंखे बंद कर लिया।
लो ताई अब कपड़े बदल लो।
पदमा ने एक एक करके अपनी सारे कपड़े उतार कर केशव का कुर्ता पहन लिया, जो उसकी जांघों तक आ रहा था। उसने खाट पर रखे कंबल ओढ़ लिया।
पदमा _बेटा अब तुम अपनी आंखे खोल दो।


 

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राजेश की आंखो पे पट्टी बांध कर दूध पिलाते समय, पुनम अपनी शरीर में उत्तेजना महसूस करने लगी। राजेश अपनी ओंठ पे पुनम की चूचक को दबाकर दूध खींचने लगा। जिससे पुनम गर्म होने लगी।
उसकी शरीर कपकापने लगा, उसकी बुर में पानी भरने लगा।
वह किसी तरह अपने अपने मुंह से कामुक सिसकारी को रोके रखी। पर ज्यादा देर तक रोक पाना मुस्कील था उसने राजेश के मुंह से अपनी चूची को छुड़ाया और अपने कमरे में भाग गई।
कमरे में जाकर तेज़ तेज़ सांस लेने लगी।
उसकी चड्डी बुर की पानी से गीली हो चुकी थी।
उधर पुनम के जाने के बाद, राजेश ने अपनी पट्टी खोल कर देखा, पुनम उसे कहीं दिखाई नही दी।
राजेश मुस्कुराने लगा।
उधर पुनम रात में ठीक से सो नहीं पाई उसे चुदाने की बड़ी ईच्छा हो रही थी।
वह अपनी बुर में उंगली डाल कर, अपनी पानी निकाल कर ख़ुद को शांत की।
अगली दिन सुबह राजेश अखाड़ा पे चला गया वहा अभ्यास के साथ कबड्डी की भी तैयारी की। बिरजू राजेश के खेल से प्रभावित huwa उसे लगने लगा की अगर प्रतियोगिता जितनी है तो राजेश का टीम में होना जरूरी है।
प्रातः 11बजे गांव में ग्राम सभा रखा गयाथा।
पंचायत में लोगो की काफी भीड़ थी।
सचिव ने सभा में बताया की जितने लोगो ने आवास के लिए आवेदन लगाया था सभी का आवास स्वीकृत हो गया है। सचिव ने लोगो का नाम पढ़के सुनाया जिनका आवास स्वीकृत huwa था, उन लोगो को जल्द से जल्द अपना बैंक का खाता नंबर जमा करने कहा, ताकि आवास की राशि विभाग द्वारा खाता में भेजा जा सके।
सरपंच ने कहा की यह सब राजेश की वजह से हो सका हेम उसे ग्राम पंचायत की ओर से सम्मानित किया जाना चाहिए।
लोगो ने राजेश को बुलाने के लिए किसी को पदमा के घर भेजा।
राजेश उस समय पढ़ाई कर रहा था।
पदमा को बताया गया की राजेश बाबू को ग्राम पंचायत की ओर से सम्मानित करने के लिए बुलाया है, पदमा इस बात की जानकारी राजेश को दी।
राजेश उस आदमी के साथ ग्राम पंचायत भवन के लिए निकल गया।
वहा पहुंचने पर सभी लोग राजेश बाबू जिंदा बाद की नारे लगाने लगे।
सरपंच _आओ राजेश यहां बैठो, अपनी बाजू वाली कुर्सी पर राजेश को बैठने कहा।
राजेश ने सभी गांव वाले को प्रणाम किया फिर कुर्सी पर बैठ गया।
सरपंच _राजेश, तुमने असंभव काम को संभव कर दिखाया। तुम नही जानते की तुमने गांव वालो के लिए कितना बड़ा कार्य किया है। हम तुम्हे सम्मानित करना चाहते है।
सरपंच ने राजेश को फूलो का माला पहनाया और एक प्रतीक चिन्ह भेट की, गांव वालो की ओर से उसके कार्य के लिए धन्यवाद कहा।
एक बार फिर से गांव वालो। ने राजेश बाबू जिंदा बाद का नारा लगाने लगे।
सरपंच ने उन्हे शांत कराया।
एक पंच ने खड़ा होकर कहा, राजेश को सिर्फ सम्मान ही नही बल्कि उसे एक पद भी दिया जाना चाहिए, ताकि गांव के लोगो को उसके सुझबुझ का लाभ मिलता रहे। सभी लोगो ने उस पंच का समर्थन किया।
लोगो से राय लेकर सरपंच ने राजेश को गांव का सलाहकार नियुक्त किया।
सरपंच _आज से राजेश गांव का सलाहकार नियुक्त किया जाता है, गांव का कोई भी कार्य, राजेश की सलाह से ही किया जाएगा।
सभी लोगो ने खुब तालिया बजाई।
सचिव ने राजेश को सभा को संबोधित करने के लिए आमन्त्रित किया।
राजेश ने कहा _गांव की लोगो की मदद करना तो मेरा कर्तव्य है। इसके लिए कोइ पद की आवश्यकता नहीं थी। फिर भी आप सभी की भावनाओ को समझते हुवे मैं यह पद स्वीकार करता हूं।
आप लोगो ने जो मुझपर विश्वास जताया है उसके लिए आप सभी का शुक्रिया। मैं आप लोगो को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि मैं पूरे निःस्वार्थ भाव से गांव की भलाई के लिए कार्य करूंगा। वही करूंगा जो गांव के हित में हो।
हमारे गांव के लोगो को काफी समय से असुविधा में जीवन यापन करने मजबूर हैं। मैं आप लोगों को विश्वास दिलाना चाहता हूं की गांव की सारी समस्या का समाधान अब दूर नहीं है।
यह गांव आगे चलकर पूरे जिले में माडल बनकर उभरे गा। यह मैं आप लोगो को वचन देता हूं।
सुरज पुर की चर्चा राजधानी में भी होगी। पर इसके लिए आप सभी का एक जुट रहकर साथ चलना जरूरी है।

सभी लोगो ने राजेश के भाषण पर खुब तालिया बजाई और राजेश बाबू जिंदाबाद के नारे लगाए।
सभा समाप्त होने के बाद सभी लोग राजेश से व्यक्तिगत मिले और उसे अपने घर आने के लिए आमन्त्रित किया।
ग्राम सभा से आने के बाद राजेश, फिर से तैयारी में लग गया, आई ए एस की प्रारंभिक परीक्षा पास थी।
कुछ दिन राजेश अपने पढ़ाई पर ही फोकस किया।
इधर पुनम राजेश को फिर से अपनी चूची पिलाने की हिम्मत न कर सकी।
जब पदमा, पुनम को राजेश को दूध दे आने को बोलती, पुनम बहाना बना देती, पदमा ही राजेश के रूम में दूध लेकर जाती।
एग्जाम पास होने के कारण राजेश भी अपनी भौजी से छेड़ छाड़ बंद कर सिर्फ पढ़ाई में ही फोकस कर रहा था।
आई ए एस परीक्षा केंद्र राज्य में सिर्फ दो जगह ही बनाया गया था। एक राजधानी और दूसरा बड़ा शहर, राजेश को कल शहर जाना था एग्जाम देने।
उसको शेखर का फोन आया।
शेखर _कैसे हो बेटे?
राजेश _मैं ठीक हु पापा, आप लोग कैसे है?
शेखर _हम भी, अच्छे है बेटे। तुम्हारा आई ए एस की तैयारी कैसी चल रही है? परसो तुम्हारा प्रारंभिक परीक्षा है न?
राजेश _हा पापा बस उसी की तैयारी में लगा हूं।
कल शहर के लिए निकलना है। परसो एग्जाम जो है?
एक दिन पहले ही पहुंचना होगा?
शेखर _बेटे तुम्हे पैसों की आवश्यकता होगी, मैने तुम्हारे अकाउंट में फोट पे से पैसा ट्रांसफर कर दिया है?
राजेश _शुक्रिया पापा।
शेखर _हा बेटा, और तुम हम लोगो की बिल्कुल चिन्ता न करना और अपनी पढ़ाई में फोकस करना, तुम्हारी मां को तुमसे बहुत उम्मीद है बेटा।
राजेश _जानता हु पापा। मैं आप लोगो को निराश नहीं करूंगा।
शेखर _गुड बेटा, अच्छा अब मैं अपना फोन रखता हूं।
राजेश _ठीक है पापा।
रात में भोजन करते समय, राजेश ने भुवन और पदमा को बताया की वह परीक्षा हेतु कल ट्रैन से शहर निकलेगा, क्यू की शहर यहां से काफी दूर है इसलिए एक दिन पहले ही पहुंचना होगा।
भुवन _राजेश, मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूं।
राजेश _भुवन भईया, आप क्या करेंगे वहा? मैं चला जाऊंगा वैसे भी मैने सिर्फ अपने लिए ही टिकट बूक करा रखी है।
पदमा _बेटा वापस कब आएगा।
राजेश _एग्जाम के दूसरे दिन सुबह आ जाऊंगा, ताई।
दूसरे दिन सुबह राजेश नहाधोकर तैयार होता है। पुनम उसके लिए भोजन तैयार की थी। राजेश और भुवन दोनो भोजन करते हैं।
भोजन करने के बाद, राजेश शहर जाने के लिए अपना बैग निकाल लेता है सभी जरूरी चीजे रख लेता है?
जाते समय वह पदमा से आशीर्वाद लेता है।
पदमा _खुश रह बेटा, भगवान तुम्हे कामयाब करे।
ये रख लो बेटा, तुम्हारे काम आयेगी
पदमा ने राजेश को पैसे दिए।
राजेश _ताई इसकी आवश्यकता नहीं है पापा ने पैसे भेजे है?
पदमा _फिर भी रख लो काम आएगा।
भुवन _हा राजेश रख लो।
राजेश मना न कर सका।
राजेश को लक्षमण पुर स्टेशन छोड़ने के लिए भुवन अपनी बाइक लेकर साथगया।
रास्ते में जब जा रहा था तब, दिव्या अपनी कार से लक्षमण पुर जा रही थी।
दिव्या _अरे राजेश तुम लोग कहा जा रहे हो?
राजेश _अरे दिव्या जी आप मै लक्षमण पुर जा रहा हूं, स्टेशन। वहा ट्रैन से शहर निकलूंगा।कल मेरा आई ए एस का एग्जाम है न,
दिव्या _ओह, मैं भी लक्षमण पुर जा रही हूं। मैं तुम्हे कार में छोड़ दूंगी आओ कार में बैठो।
राजेश _दिव्या जी भुवन भईया छोड़ने जा रहे है न, आप क्यू तकलीफ,,,
दिव्या _अरे इसमें तकलीफ की क्या बात, मैं भी तो लक्षमण पुर जा रही तो स्टेशन छोड़ दूंगी।
भुवन भईया, मैं क्या गलत कह रही हूं?
भुवन _राजेश, दिव्या जी ठिक कह रही है? चले जाओ साथ में।
भुवन ने अपना बाइक रोक दिया।
दिव्या ने ड्राइवर से कार रोकने कहा।
राजेश बाइक से उतर कर, कार में बैठ गया।
भुवन _अच्छा राजेश, मैं घर निकलता हूं। परसो सुबह फोन कर देना, मैं तुम्हे लेने स्टेशन पहुंच जाऊंगा।
राजेश _ठीक है भईया।
भुवन वापस चला गया।
दिव्या ने ड्राइवर से चलने को कहा।
राजेश _दिव्या जी आप लक्षमण पुर किसी काम से जा रही है क्या?
दिव्या _मैं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जा रही हूं। वहा चिकित्सा अधिकारी का पद खाली था तो मैंने ज्वाइनिंग कर लिया।
राजेश _ओह, बधाई हो दिव्या जी, अब तो पूरे विकासखंड की स्वास्थ्य की जिम्मेदारी आपके कंधो पर है !
दिव्या _हा राजेश, पता नही मैं यह जिम्मेदारी अच्छे से निभा पाऊंगी की नही।
राजेश _दिव्या जी, मुझे पूरा यकीन है आप यह जिम्मेदारी बहुत अच्छे से निभा पाएंगी। एक डाक्टर का जैसा व्यवहार होना चाहिए आपमें वो सब कुछ है।
दिव्या _अच्छा ऐसा क्या देखा मुझमें ?
राजेश _आपका ह्रदय, कितना सरल और संवेदन सिल है, आप यहां की राज कुमारी है। फिर भी आप लोगो की भावनाओ को समझती हो। सबसे प्रेम पूर्वक व्यवहार करती हो। आपके व्यवहार में झलकता ही नहीं है कि आप एक राज परिवार से हैं।
दिव्या _बस बस कुछ ज्यादा ही हो गया।
इतनी भी अच्छी नहीं हूं मैं।
वैसे तुम इतने दिनो तक कहा थे। बहुत दिनो से हवेली आए ही नहीं।
राजेश _हवेली में आने के लिए परमिशन लेना पड़ता है दिव्या जी और वैसे भी बिना काम के किसी को हवेली में घुसने भी नही दिया जाता, तो तुम ही बताओ मैं कैसे आ सकता हूं?
दिव्या जी _हूं, तुम्हारा भी कहना सही है। वैसे तुम्हारी निसा का क्या huwa, फोन वागेरा आया था उसका।
राजेश _नही, दिव्या जी, वो मुझे भुल चुकी है।
दिव्या _वो नही की तो तुम ही कर लेते।
राजेश _मुझमें उससे बात करने की हिम्मत नहीं है दिव्या जी।
दिव्या _अरे तुम्हारे सामने तो बड़े बड़े गुंडे, भी टिक नही सकते और एक लडकी से बात करने की हिम्मत नहीं। हु ,,,दिल का मामला है, इसलिए।
ड्राइवर गाड़ी को स्टेशन की ओर ले जाना।
ड्राइवर ने गाड़ी को रेलवे स्टेशन की ओर ले गया।
दिव्या _लो आपका स्टेशन आ गया।
वैसे वापसी कब हो रही है।
राजेश _परसो सुबह आ जाऊंगा।
दिव्या _वैसे राजेश तुम्हे कोइ काम हो तो हवेली की जगह मुझसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी मिल सकते हो। मेरा मोबाइल नंबर रख लो, जब आओगे तो काल कर लेना।
राजेश _ठीक है दिव्या जी।

राजेश को बाई करके दिव्या, स्वास्थ्य केंद्र निकल गया।
कुछ देर में राजेश का ट्रैन भी आ गया, जिसमे बैठ कर वह शहर के लिए निकल पड़ा।
शहर पहुंचते उसे 8घण्टे का समय लग गया। वह शहर में एक लाज किराए पर लिया। दूसरे दिन 10बजे से एग्जाम था, समय पर परिक्षा केंद्र पहुंच गया।
3घण्टे परिक्षा दिलाने में निकल गया, वहा से निकल कर एक ढाबे में भोजन किया, फिर अपने लाज में आकार आराम किया। शाम को वह शहर में थोडा टहला फिर स्टेशन के लिए निकल गया।
रात में 8बजे वह फिर स्टेशन के पास स्थित ढाबे में भोजन किया फिर वह अपने ट्रैन का इन्तजार करने लगा।
रात को 10बजे उसका ट्रैन निकला, ट्रैन जब लक्ष्मण पुर स्टेशन पहुंचा तो सुबह का 6बज चुका था।
भुवन राजेश को लेने पहुंच गया था।
भुवन _अरे राजेश मैं यहां हूं। कैसा गया एग्जाम।
राजेश _बहुत अच्छा गया भईया।
भुवन _चलो चलते है।
राजेश और भुवन दोनो घर के लिए निकल पड़े।घर पहुंचने के बाद

राजेश ने पदमा का पैर छूकर प्रणाम किया।
पदमा,_आ गया बेटा, कैसा बना तुम्हारा पेपर।
राजेश _बहुत अच्छा ताई, आपके आशीर्वाद से।
पदमा _बेटा तुम्हारी मेहनत और लगन को देख कर कह सकती हूं की तुम कलेक्टर जरूर बनोगे।
जाओ बेटा अब नहा धोकर तैयार हो जाओ, फिर नाश्ता करना। बहु नाश्ता बना रही है।
राजेश _ठीक है ताई।
पदमा _भुवन बेटा तु भी नहाया नही है जा नहाकर तु भी तैयार हो जा, तुम्हे खेत जाना है ।
भुवन _ठीक है मां।
भुवन और राजेश दोनो नहाने के लिए घर के पीछे बाड़ी में चले गए।
दोनो बार चालू कर नहाने लगे।
भुवन _राजेश, बिरजू कह रहा था की तू भी कबड्डी की प्रैक्टिस कर रहा है, वे लोग तुम्हारे खेल से बहुत प्रभावित है, कह रहे थे की तुम्हे टिम में शामिल करेंगे।
राजेश _ये तो उन लोगो का बड़प्पन है, भुवन भईया।
भुवन _वैसे तुमने बहुत अच्छी बॉडी बनाई है गांव में ऐसा बॉडी किसी के पास नही, बिरजू का है पर वह भी तुम्हारे सामने नही टिकता।

भुवन _वैसे राजेश तुम इस गांव के सलाहकार हो। टिम का चयन भी तुम्हारे सलाह से होगा।
पदमा _अरे बहु, भुवन ने अपना टावेल यहीं भुल गया, जाओ उसे टावेल दे आओ।
पुनम _जी मां जी।
पुनम टावेल लेकर बाड़ी में गया।
पुनम _अजी तुम तो अपना टावेल घर में ही भुल आए,।
भुवन और राजेश दोनो साबुन लगा रहे थे।
भुवन _अरे पुनम अब आई हो तो एक काम कर दो, मेरे पीठ पर थोडा साबुन मल दो, बड़ी खुजली हो रही है लगता है मैल जम गया है।
पुनम _साबुन अपनी साड़ी की पल्लू क़मर पर खोंच ली और भुवन की पीठ पर साबुन लगाने लगी।
भुवन _अरे सुनो, राजेश का भी पीठ पर साबुन लगा दो, अब उसके पीठ पर तो साबुन लगाने वाला है नही कोइ। पता नही कब का मैल जमा होगा।
राजेश _अरे नही भुवन भईया, भौजी को क्यों तकलीफ दे रहे हो।
कपड़ा है न मेरे पास रगड़ लूंगा।
भुवन _अरे भई तुम शर्मा क्यू रहे हो, तुम्हारी भौजी है इतनी सेवा नही करेगी अपने देवर की।
पुनम ने भुवन की पीठ पर साबुन लगाने के बाद, राजेश की पीठ पर साबुन लगाने लगी।
भुवन _वैसे राजेश तुम्हारी भौजी बड़ी अच्छी मालिश करती है।
अगर कभी थकान लगे तो, पुनम से मालिश करा लिया करो।
राजेश _भुवन भईया, मैं तो मेहनत का काम करता नही, फिर मालिश की आवश्यकता मुझे क्यू होगी?
भुवन _अरे सुबह अखाड़े पे जाता है, कबड्डी की तैयारी भी करता है।
शरीर पे थकान तो आता ही होगा।
राजेश _भईया, मालिश की आवश्यकता तो नही है पर हा ताकत बनाए रखने के लिए दूध मिल जाता तो,,
भुवन _अरे हमारे घर दूध की कमी थोड़ी है जितना चाहे दूध पिया करो।
क्यू भई पुनम, तुम राजेश को पीने के लिए दूध नहीं देती क्या?
पुनम शर्म से पानी पानी हो गई।
पुनम _अजी देवर जी को पीने के लिए एकदम ताजा दूध चाहिए।
अब रात को ताजा दूध कहा से लाऊंगी।
पुनम _हा भाई राजेश, अब रात में ताजा दूध कहा से मिलेगा।
तुम्हे शाम के समय का दूध से ही काम चलाना पड़ेगा। ग्वाला शाम को ही आता है दूध निकालने।
वैसे सुमन अगर ताजा दूध का जुगाड कर सकती हो तो कर दिया करो, तुम्हे तो दूध निकलना आता ही है।
पुनम _अगर आप कह रहे हैं तो सोंचूंगी जी।
पुनम,राजेश की ओर देखकर मुस्कुराने लगी। अपनी क़मर मटकाते वहा से चली गई।
राजेश और भुवन दोनो नहाने के बाद नाश्ता किए। नाश्ता करने के बाद जब भुवन खेत जाने लगा तो राजेश ने कहा,,,
राजेश _भुवन भईया, मैं भी आपके साथ खेत चलूंगा। एग्जाम की तैयारी के कारण मैं भी काफी दिनो से कहीं घूमने नही गया। आपके साथ जाऊंगा तो मेरा भी माइंड फ्रेश हो जायेगा।
भुवन _ठीक है राजेश, चलो।
दोनो खेत चले गए।
खेत में जाने के बाद,,,
भुवन _राजेश तुम झोपड़ी के खाट पर आराम करो, मैं मजदूरों के साथ, कर रहा हु।
राजेश _अरे भुवन भईया, मुझे भी कोई काम बता दो, यहां बैठा, बैठा बोर हो जाऊंगा।
अच्छा चलो तुम भी वही पर बैठा रहना,
राजेश को खेत के मेड पर लगा पेड़ के छाव में बिठा कर ,
भुवन मजदूरों के साथ गन्ने की कटाई करने लगा।
वहा पर मौजूद मजदूरन राजेश से बात चीत करने लगे,,
मजदूरन _राजेश बाबू, आप ने हमारा आवास पास करा कर हम गांव वालो पर बहुत उपकार किया है। हम आपका एहसान कैसे चुकाएंगे?
राजेश _अरे काकी, इसमें एहसान की क्या बात है ये तो मेरा फर्ज है।
सरला काकी _ये तो तुम्हारा बड़प्पन है बेटा।
वैसे तुम यहां खेत काहे चले आए।
राजेश _अरे काकी काफी दिन हो गए खेत आए, इसलिए घूमने चला आया।
भुवन _अरे राजेश लो गन्ना खाओ, खा कर देखो हमारे खेत का गन्ना कितना मीठा और रसीला है।
गन्ने का एक टुकड़ा करके राजेश को देते हुए कहा।
राजेश ने गन्ना अपने दातों से छीलकर उसे खा कर देखा।
राजेश _वाह भुवन भईया, गन्ना गन्ना बहुत रसीला और मीठा है।
कुछ देर बाद, भुवन भईया लाओ ये गन्ना काटने का औजार मुझे दो, मुझे भी गन्ना काटना है।
केशव _अरे राजेश बेटा तुम काहे तकलीफ उठा रहा है कहीं हाथ वगैरा कट गया तो। जाओ झोपड़े में जाकर आराम करो।
भुवन _हा राजेश, बापू ठीक कह रहा है।
राजेश _भुवन भईया, मुझे भी सिखाओ गन्ना काटना।
भुवन _अच्छा, लो तुम भी अपना ईच्छा पूरा कर लो भाई।
राजेश भी उन लोगों के साथ गन्ना काटने लगा।
दोपहर में पदमा खाना ले कर आई।
वह खेत में राजेश को गन्ना काटते देखी।
पदमा _अजी, ये क्या तुमने राजेश को क्यू काम में लगा दिया।
केशव _अरे भाग्यवान मैने तो राजेश को मना किया था पर उसने कहा की उसे भी गन्ना काटना सीखना है।
पदमा _अरे राजेश बेटा, ये गन्ना काटना छोड़ो चलो भोजन कर लो भूख लगी होगी।
राजेश _अरे ताई, गन्ना काटने में मजा आ रहा है थोडा और काट लेने दो।
भुवन _राजेश, चलो भोजन का समय हो गया है। पहले भोजन कर लो। मजदूरों को भी भोजन करने कहा,,
भुवन, राजेश और केशव पदमा के साथ झोपड़ी में आ गए। वहा भोजन किए। कुछ देर आराम किए, आधा घंटा आराम किए फिर सभी गन्ना काटने लगे।
शाम के समय सभी मजदूर अपने घर चले गए, राजेश और भुवन और पदमा भी अपने घर चले गए।
केवल केशव ही खेत की रखवाली करने, खेत पर रह गया था।
रात में भोजन करते समय,

भुवन _मां कल गन्ने को बेचने के लिए शक्कर कारखाना ले जाना है।
पदमा _पर बेटा कल तो मजदूरों की छुट्टी है न। ट्रैक्टर में गन्ने को डालने के लिए मजदूरों की जरूरत पड़ेगी।
भुवन _हां वो तो है मां।
राजेश _ताई, मैं कल भी खेत चला जाऊंगा, भुवन भईया की मदद करने।
और ताऊ जी तो रहेंगे ही।
भुवन _तब तो काम बन जायेगा मां, राजेश के मदद करने से।
अगले दिन सुबह नाश्ता करने के बाद राजेश और भुवन ट्रैक्टर लेकर खेत निकल गए, वहा केशव, राजेश और भुवन तीनो मिलकर गन्ने को ट्रैक्टर की ट्राली में जितना आ सकता था डालकर रस्सी से बांध दिया।
इधर पदमा पड़ोसी के यहां, बच्चे का जन्मोत्सव कार्यक्रम था तो वे वही चली गई।
वहा पर केशव का दोस्त का नातीका जन्मदिन था।
केशव का दोस्त पदमा से कहा _अरे भौजी, केशव कहा है? आया नही।
पदमा _जेठ जी वो तो खेत गया है।
केशव का दोस्त _भौजी, अपने दोस्त के यहां कार्यक्रम है और आज खेत चला गया, ये क्या बात हुई। क्या यहीं दोस्ती है।
पदमा _अरे जेठ जी, आप नाराज न हो मैं अभी खेत जाऊंगी तो तुम्हारे दोस्त को भेज दूंगी।
केशव का दोस्त _भौजी, केशव से कह देना अगर वह नही आया तो हमारी दोस्ती खत्म।
पदमा _जेठ जी मैं उनको भेज दूंगी, वो जरूर आयेंगे आप नाराज न हो।
इधर, भुवन गन्ने को लेकर शक्कर कारखाना लेकर चला गया।
राजेश और केशव खेत में पानी पलाने लगे।
कुछ देर बाद पदमा खेत पहुंची।
पदमा _अजी तुम्हारे दोस्त ने तुम्हे बुलाया है अभी तुरंत, उसके घर उसके नाती का जन्म उत्सव का कार्यक्रम है न, तो वह तुम्हारे न आने से बड़ा नाराज है, तुम उसके घर हो आओ।
केशव _ठीक है भुवन की मां, मैं हो आता हूं। न जाने पर उनका नाराज होना लाजिमी है।
भुवन अपने दोस्त के घर के लिए निकल गया।
पदमा _अरे राजेश बेटा चलो तुम भोजन कर लो।
राजेश भोजन करने लगा।
भोजन कर कुछ देर आराम करने के बाद।
पदमा और राजेश दोनो, खेत में कुछ काम करने लगे। घर जाने का समय होने वाला था कि
पदमा _अरे राजेश बेटा तुम्हारे ताऊ जी अभी तक आया क्यू नही है जरा तुम्हारी भौजी को फोन कर पूछो।
राजेश _जी ताई
राजेश ने पुनम को फोन लगाया।
राजेश _भौजी लो ताई से बात करो।
पदमा ने पुनम से बात की,
पदमा _बहु, तुम्हारे ससुर जी अपने दोस्त के घर जन्मुत्सव कार्यक्रम में गया था। अभी तक आया नही है जरा पता करो,,
पुनम _मां जी, ससुर जी तो अपने कमरे में सो रहे है।
पदमा _क्यू, क्या huwa उसको?
पुनम _अरे मां जी ससुर जी कह रहे थे की उसके दोस्त ने उसको ज्यादा पिला दिया, वो ठीक से चल नहीं पा रहे है, वह घर में आकार सो गया है।
पदमा _क्या? लो जिसका डर था वही huwa
राजेश _, क्या huwa ताई?
पदमा _बेटा तुम्हारी भौजी कह रही थी की तुम्हारे ताऊ जी, नसे में है वह अपने कमरे सो गया है? लगता है उसके दोस्त ने उसे शराब पिला दी है।
राजेश _अरे ताई आप चिन्ता न करे नशा उतरने पर ताऊ जी खेत आ जायेंगे।
अभी तो समय है।
इधर अचानक से मौसम में बदलाव आया, तेज़ हवा चलने लगी, चारो तरफ काली घटाएं छाने लगी।
पदमा _अरे बेटा, मौसम अचानक से बिगड़ रहा है। लगता है बारिश होने वाली है।
बारीश शुरू हो जाए उससे पहले जो मूंगफली सूखने के लिए फैलाया गया है। वह बारिस में बह जाएगा। उसे इकट्ठा कर बोरी में भर कर रखना पड़ेगा।
राजेश और पदमा दोनो मूंगफली इकट्ठा करने लगे।
वे मूंगफली इकट्ठा कर पाते उससे पहले ही बारिश शुरू हो गई और जब मूंगफली इकट्ठा कर बोरी में भरकर रखते वे पूरी तरह भीग चूके थे।
तेज़ हवाएं चल रही थी। बिजली कड़क रही थी और तेज़ बारिश होने लगी।
पदमा और राजेश दोनो झोपड़ी के अंदर खड़े होकर बारिश के बंद होने का इन्तजार का इन्तजार करने लगे।
ताकि बारिश रुकने पर वे घर जा सके।
पर बारिश था की रुकने के बजाए और तेज़ हो रहा था। ठंडी ठंडी तेज़ हवाएं चलने लगी और जोर जोर से बादल गरज रहा था। ऐसा लग रहा था की बिजली झोपड़े में ही न गीर जाए।
ऐसे में घर जाना काफी जोखिम था।
पदमा _बेटा, काफी ठंडी ठंडी हवाएं चल रही है, शरीर कपकपाने लगा है झोपड़ी का दरवाजा बंद कर दे। और रोशनी के लिए कंडिल जला दे।
राजेश _जी ताई।
राजेश ने झोपड़ी का दरवाजा बंद कर दिया और कंडील जला दिया।
उन्हे कपकपी से राहत मिली।
इधर बारिश था की रुकने का नाम ही नही ले रहा था।
उन्हे बारिश के रुकने का इन्तजार करते करते रात के 8बज गए। वे पूरी तरह भीग चूके थे। बाहर ठंडी ठंडी तेज़ हवाएं चल रही थी, जिससे झोपड़ी के अंदर भी ठंडकता बड़ने लगी।
पदमा _राजेश बेटा, लगता है ये बारिश नही रुकने वाली, ये तो रुकने के बजाए और बड़ रही है।
लगता है हमे आज रात झोपड़ी में ही गुजारनी होगी।
अब तो भूख भी लगने लगी है।
कुछ देर और इंतजार करने के बाद जब लगा की अब तो रात भी हो चुकी ऐसे मौसम में घर जाना अब खतरे से खाली नहीं,,
पदमा _राजेश बेटा, अब तो घर जा पाना मुश्किल लग रही है। तुम एक काम करो तुम्हारा कपड़ा भीग गया है। उसे उतारकर, उस थैले में तुम्हारे ताऊ जी का कपड़ा होगा उसे पहन लो।
राजेश ने थैला चेक किया उसमे केशव का धोती और कुर्ता था ।
राजेश _ताई इसमें तो ताऊ जी का धोती और कुर्ता है।
पदमा _बेटा, तुम अपना गीले कपड़े उतार कर ये कपड़े पहन लो।
गीले कपड़ों में ज्यादा देर तक रहोगी तो तुम बीमार पड़ जाओगे।
राजेश _ताई, तुम भी तो पूरी तरह भीग चुकी हो, ये कपड़े तुम पहन लो, मुझे कुछ नहीं होगा।
पदमा _अरे बेटा क्यू जिद कर रहा है? अपने ताई का कहना नही मानोगे।
राजेश _ताई तुम भी देखो ठंड से कांप रही हो, अगर गीले कपड़े नही उतारी तो रात भर में तुम्हारी तबियत खराब हो जाएगी। इसलिए मुझसे ज्यादा आपको इन कपड़ो की जरूरत है।
पदमा _अरे बेटा जिद न कर मेरा कहना मान ले।
राजेश _ठीक है ताई, मैं ये धोती पहन लेता हु तुम कुर्ता पहन लो।
पदमा _छी बेटा, मैं तुम्हारे सामने कुर्ता में,,,
राजेश _ताई, अब अब जान बचानी है तो शर्म छोड़ना पड़ेगा ही।
यहां ओढ़ने के लिए एक कंबल है तुम उसे ओड लेना।
पदमा _कुछ देर सोचने के बाद, ठीक है बेटा।
राजेश ने एक एक कर अपना सारा कपड़ा निकाल दिया, सिर्फ चड्डी में रह गया।
चड्डी भी भीग गया था।
उसने धोती को क़मर में लपेट कर चड्डी भी उतार दिया।
अब वह सिर्फ धोती में था।
पदमा _बेटा, मुझे बड़ा शर्म आ रही है, तुम्हारे सामने कैसे कपड़े बदलू।
राजेश _ताई मैं अपनी आंखे बंद कर देता हूं। जब तुम बोलोगे तभी खोलूंगा।
पदमा _ठीक है बेटा।
राजेश ने अपनी आंखे बंद कर लिया।
लो ताई अब कपड़े बदल लो।
पदमा ने एक एक करके अपनी सारे कपड़े उतार कर केशव का कुर्ता पहन लिया, जो उसकी जांघों तक आ रहा था। उसने खाट पर रखे कंबल ओढ़ लिया।
पदमा _बेटा अब तुम अपनी आंखे खोल दो।
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