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शाही भोज सम्पन्न होने के बाद सभी अतिथि एवम खिलाड़ी अपने अपने घर के लिए हवेली के लिए रवाना हुए। रात के 12 बज चुके थे।
रत्नवती, सविता से बोली,,,
रत्ना वली _सविता जी, रात काफी हो गई है आज आप यहीं रूक जाइए, कल सुबह चली जाना।
सविता _नही , ठकुराइन। मैं भी घर निकलूंगी । मैंने अपने पति से कहा है कि मैं रात में वापस आ जाऊंगी।
रत्नवती _अच्छा ठीक है, मैं ड्राइवर को बोल देती हूं, वह आपको घर छोड़ देगें।
सविता _ठकुराइन जी, मैं राजेश के साथ चली जाऊंगी, आप मेरी चिन्ता न कर
रत्नवती _हा ये ठीक रहेगा, आखिर राजेश आपका भतिजा है। आपकीसुरक्षा की जिम्मेदारी उसकी भी है।
तभी वहां पर राजेशपहुंचा ,,,
राजेश _, मां जी, शाही भोज में सच में मजा आ गया। बहुत अच्छी व्यवस्था की थी आपने।
अब हम चलते है, रात काफी हो गई है।
रत्नवती _वो तो ठीक है पर आपलोग चाहो तो आज रात यहीं रूक सकते हो।
राजेश _मां जी सभी लड़के घर जाना चाहते है, घर वाले सबका वेट कर रहे है और कितना दूर है हमारा गांव यहां से, बिल्कुल पास ही है।
रत्नवती _अच्छा ठीक है। पर अपनी चाची को सम्हाल कर ले जाना अपनी बाइक पर रास्ता खराब है।
राजेश _जी आप चिन्ता न करे।
राजेश ने गीता और दिव्या को भी शुक्रिया कहा।
राजेश _गीता दी और दिव्या जी आप दोनो का शुक्रिया।
दिव्या _शुक्रिया किस लिए, हम भी तो जाने!
राजेश _भाई आप दोनो, ने मेरे साथ नृत्य जो लिए, हम सब की इच्छा पूरी की।
गीता _आपने काम ही ऐसा किया है। हम आपको निराश नहीं कर सकते थे।
राजेश _अच्छा, अब हम लो निकलते हैं।
दिव्या _राजेश ठीक है पर आप लोग अपना ख्याल रखना।
राजेश अपने दोस्तो के साथ, बाइक में गांव के लिए निकल पड़े
राजेश , सविता को ईनाम में मिली बाइक पे बिठाक,ए सुरज पुर के लिए निकल पड़ा, पीछे पीछे उनके दोस्त एवम टीम के बाकी खिलाड़ी भी अपनी अपनी बाइक से निकल पड़े।
रास्ते में रोड खराब था,,,
राजेश _चाची, सम्हल कर बैठना, कहीं गिर न जाओ, रोड में जगह जगह गढ्ढा है।
सविता _राजेश तुम ठीक कह रहे हो, पता नही ये रोड कब बनेगा।
राजेश _चाची आप चिन्ता न करे, वो दिन ज्यादा दूर नहीं है, देखना यह रोड ऐसा बनेगा, शहर के रोड से भी बहुत बढ़िया।
सविता _अब तो गांव वालोका भरोसा तुम पर और बड़ गया है।
सविता ने राजेश को अपने दोनो हाथो से उसके सीने को पकड़ लिया, ताकि वह गाड़ी के उछलने से गिर न जाए। जो बाइक उसे इनाम में मिला था उसका पिछे का सीट ऊंचा था। गाड़ी उछलने से वह गिर सकती थी। अतः वह राजेश को अपने दोनो हाथो से अच्छे से उसके सीने पर हाथ रख पकड़ी हुई थी।
तभी राजेश को सामने गढ्ढा देख ब्रेक मारना पड़ता था जिससे, सविता राजेश से एकदम चिपक जाती उसकी चूचियां राजेश के पीठ से दब जाती, यह प्रकिया बार बार होने से सविता, के शरीर में रक्त संचार बड़ गई। वह उत्तेजित होने लगी।
उसके मुंह से आह निकल जाती,,,
राजेश _चाची क्या huwa, कराही क्यू?
सविता _अरे कुछ नही huwa है, तुम सम्हाल कर गाड़ी चलाओ।
घर पहुंचते पहुंचते तो सविता की हालात कुछ ज्यादा ही खराब हो गई।
जब वे घर पहुंचे,, वह दरवाजा खटखटाया,, कुछ देर बाद, उसका पति माधव बाहर आया।
माधव _अरे आ गई, काफी रात कर दी,,
सविता _हां जी, अब रात के प्रोग्राम था तो लेट तो होगा ही,,
राजेश ने अपने चाचा का पैर छूकर , कहा,,
राजेश प्रणाम चाचा जी,
माधव _खुश रह, अरे यार तूने तो कमाल ही कर दिया गांव में तुम्हारे ही चर्चे हो रहे थे, मैं तो पछता रहा हूं आखिर मैच देखने, मैं क्यू नही गया। भुवन ने बताया की कैसे अकेले ही उस माखन को दबोच लिया।
राजेश _चाचा जी ये सब आपके आशीर्वाद के कारण हो पाया।
माधव _ये तुम्हारा बड़प्पन है राजेश, सच पूछो तो तुम असाधारण हो। पहले तो यह बात केवल हमारे गांव के लोग जानते थे अब तो पूरे जिले के लोगो को पता चल गया।
राजेश _अच्छा चाची अब, मुझे इजाजत दीजिए मैं घर के लिए निकलता हूं।
सविता _अरे राजेश, रात काफी हो गई है, घर में सब चुके होंगे।
अब तुम इतनी तात को घर जाकर क्यू सबकी नींद खराब करोगे, आज रात हमारे यहां सो जाओ, वैसे भी यह भी तुम्हारा ही घर है।
माधव _अरे हां यार, तुम आज हमारे घर ही सो जाओ, कल सुबह ही चले जाना। ये भी तुम्हारा ही घर है। मैं तो तुमसे कहता भी रहता हूं रात का खाना यहीं खा लिया करो। पर लगता है तुम तो हमे पराया समझते हो। भैया भाभी कभी आयेंगे तो मैं तुम्हारा शिकायत करूंगा।
राजेश _अरे चाचा जी, मैं आप लोग को अपना नही समझता तो, यहां गांव आता क्या? जैसे ताऊ और ताई जी मेरे लिए है वैसे आप दोनो भी मेरे लिए हो। अब भोजन आपके यहां करू या ताई के यहां मेरे लिए तो दोनो घर समान है।
माधव _अच्छा तो फिर आज रात यहीं रुको, भले कल सुबह चली जाना।
राजेश _अब आप इतना जिद कर रहे हैं तो रुकना ही पड़ेगा।
माधव _ये हुई न बात, अपनी बाइक को घर के अंदर ले आओ।
राजेश ने बाइक को घर के अंदर आंगन में ले आया।
सविता _सुनो जी मैं राजेश के सोने के लिए कमरे को थोड़ा साफ कर देती हूं, तब तक आप दोनो बाते करो।
माधव _ठीक है सविता।
माधव और राजेश दोनो हाल में बैठ कर बाते करने लगे।
माधव _यार जब हम छोटे थे तब बाबू की भाई कबड्डी खेलते थे। सुना है अपनी नेतृत्व में बाबू जी ने भी सुरज पुर को कई बार प्रतियोगिता जिताया था।
लगता है तुम सच में बाबू जी का पुनर्जन्म हो।
दोनो बात चीत कर रहे थे तभी सविता आई,,
सविता _राजेश, कमरे की सफाई हो गई है, जाओ अब तुम कमरे में आराम करो, रात काफी हो गई है।
माधव _हां भई राजेश, अब कल सुबह बात करेंगे, जाओ थक गए होगे, जाकर कमरे में आराम करो।
राजेश _ठीक है चाचा जी।
राजेश कमरे में चला गया।
मकान, शहरो जैसा बनाया गया था, कमरे में अटैच लेट बाथ था।
कमरे में जाने के बाद,,,
कुछ समय बाद सविता टावेल लेकर आई,,,
सविता _राजेश, ये टावेल ले लो, और अपने कपड़े चेंज करलो।
राजेश _थैंक यू चाची।
राजेश ने पैंट और शर्ट उतार, केवल चड्डी में रह गया, उसका बनियान खेल में फट गया था।
वह अपनी कमर पर टावेल, लपेट लिया और बाथरुम में जाकर फ्रेस हो गया, फिर बेड में आकर आराम करने लगा।
इधर सविता भी अपनी साड़ी ब्लाउज,उतार दी और ऊपर से नाइटी पहन ली।
माधव और सविता बेड पे आराम करने लगे।
सविता को अपनी पेंटी पर कुछ गीला पन महसूस हुई, वह अपने एक हाथ से चादर के नीचे अपनी पेटीकोट के अंदर हाथ डालकर, चेक की सच में उसकी पेंटी गीली हो गई थी।
यह राजेश के बाइक में बैठने से,बाइक में ब्रेक लगाने के दौरान बार बार स्तनों के राजेश के पीठ से दब जाने के कारण, उत्तेजना बड़ जाने के कारण huwa था।
इधर राजेश को नींद नही आ रहा था, दिन भर हुवे घटना क्रम को वह याद कार रहा था, कबड्डी खेल फिर साही भोज, के कारण उसका बदन टीटी रहा था।
इधर कुच ही देर में माधव नींद में खर्राटे भरने लगा।
जबकि सविता को भी आज दिन भर के घटनाक्रम याद आने के कारण नींद नही आ रही थी।
सविता को लेटे करीब एक घंटा हो गया, उसे नींद नही आई थी तो वह यह देखने के लिए अपने कमरे से बाहर आई की राजेश सोया है कि नही, उसे किसी चीज की आवश्यकता तो नही,,,
यह पता करने राजेश के कमरे की ओर, चली गई,,
उसने दरवाजा धकेल कर देख।
राजेश सोया नही था, कमरे का लाइट चालू था।
राजेश ने देखा की उसकी चाची आई है।
राजेश _चाची आप।
सविता _अरे मैं चेक करने आई थी, तू सोया है की नही, तुम तो जग रहे हो। क्यों नींद नही आ रही है क्या?
राजेश _,, हा, चाची।
सविता _पर क्यू?
किसी चीज की आवश्यकता तो नही?
राजेश _चाची एक गिलास, पानी तो लाना।
सविता _ओ हो मैं तो कमरे में पानी रखना ही भुल गई। अभी लाई।
सविता कीचन से पानी का बाटल लेकर आई।
सविता _लो पानी पी लो,,
राजेश ने बाटल से पानी पिया।
राजेश _चाची आप भी अभी तक सोई नही।
सविता _हां, तुम्हारे बारे में ही सोच रही थी।
राजेश_मेरे बारे में क्या सोच रही थी?
सविता _यहीं की, तुम इस घर में पहली बार रात में रुके हो, नई जगह तुम्हे नींद आ भी रही है की नही।
राजेश _हा, चाची आपने सच कहा, नई जगह नींद नही आती, मुझे तो बहुत डर लगता है?
सविता हसने लगी,,,
सविता _तुम्हे भी डर लगता है, अकेले ही कई पहलवानों को पछाड़ दिए।
राजेश _चाची मुझे नई जगह इंसानों से नहीं भूतो से डर लगता है।
सविता हसने लगी,,,
क्या तुम्हे भूतो से डर लगता है? क्या ये घर तुम्हे भूत बंगला लग रहा है?
राजेश _क्या पता कहीं आस पास भूत हो तो, मेरे सोने के बाद मुझे खा जाएगा, तो ।
सविता _तुम तो छोटे बच्चो की तरह बात कर रहे हो, सविता हसने लगी।
राजेश _हा, भूतो के मामले में छोटा बच्चा ही हूं, जो दिखाई नहीं देता उससे लडूंगा कैसे?
सविता _तो क्या रात भर जागोगे?
राजेश _नींद नही आयेगी तो जगना ही पड़ेगा।
सविता _इस समस्या का कोइ हल तो होगा?
राजेश _है न इसका हल। तुम मेरे साथ सो जाओ, तुम साथ रहोगी तो मुझे डर नहीं लगेगा।
सविता _अच्छा जी, और तुम्हारे चाचा जी को क्या कहूंगी?
राजेश _चाचा जी से कह देना की राजेश को अकेला नींद नहीं आ रहा था, तो मैं उसके साथ सो गई।
सविता _चल हट बदमाश।
राजेश _चाची मेरे साथ सो जाओ न।
सविता _न बाबा, तुम्हारे चाचा जी को पता चला तो मैं उसे जवाब नही दे पाऊंगी मैं।
राजेश _अच्छा सुबह तक नही सो सकती तो कुछ समय तक ही सो जाओ जब मुझे नींद आ जाए तो, अपने कमरे में चली जाना, चाचा जी के पास।
सविता, कुछ सोचने लगी।
राजेश _चाची क्या सोचने लगी?
सविता _कुछ नही, अच्छा ठीक है, अभी तो तुम्हारे चाचा जी गहरी नींद में सोए हुए है। मैं एक घंटे यहीं रूक जाती हूं।
तुम सोने की कोशिश करो।
राजेश _अच्छा मेरे पास बैठो।
सविता बेड किनारे बैठ गई।
सविता _चलो अपनी आंखे बंद कर सोने की कोशिश करो।
राजेश _चाची, पूरा बदन दर्द से टूट रहा है। नींद कहा से आयेगी।
सुनो एक सिगरेट मिलेगा।
सविता _क्या? तुम सिगरेट पीते हो।
मैं तो तुम्हे शरीफ लडका समझता था।
राजेश _वो कभी कभी, ले लेता हूं।
सविता _और क्या क्या करते हो कभी कभी ,मैं भी तो जानू?
राजेश _चाची होगा तो दो ना, आज पीने का मन कर रहा है, पूरा बदन दुख रहा है।
सविता _न, मैं तुम्हे सिगरेट पीने नही दूंगी, इससे अच्छा मैं सरसो तेल से बदन की मालिश कर देती हूं।
मैं अभी सरसो तेल गर्म करके लाती हूं।
सविता कीचन में जाकर सरसो तेल गर्म करके लाती है।
सविता _चलो, तुम पेट के बल लेट जाओ। मैं तुम्हारे पीठ का पहले मालिश कर देती हूं।
राजेश पेट के बल लेट गया। सविता सरसो तेल पीठ में डाली, उसके बाद हाथो से मालिश करने लगी।
राजेश _वाह चाची आपके हाथो में तो जादू है, आपके हाथ लगते ही दर्द गायब होने लगा।
सविता _चलो अब पीठ के बल लेट जाओ, तुम्हारे हाथो की मालिश कर दू।
राजेश पीठ के बल लेट गया। सविता दोनो हाथो की बारी बारी से अच्छे से मालिश करने लगी।
राजेश ।
हाथो की मालिश करने के बाद सविता, के सीने की मालिश करने लगी।
राजेश सविता की ओर देखने लगा। सविता को जब लगा कि राजेश की नजर मुझे घूर रहा है?
सविता _क्या देख रहे हो?
राजेश _चाची तुम बड़ी सुन्दर लग रही हो इस नाइटी में।
सविता _देखो तुम ऐसे न देखो मेरी ओर, मुझे बड़ी शर्म आ रही है।
राजेश _तो क्या देखू? इन दीवारों को। नजरे तो उसी पर जाएगी न जो खूबसूरत हो।
राजेश _चाची, हमने तुम्हारे गांव का नाम रोशन किया, बोलो किया की नही।
सविता _हूं।
राजेश _तो, तुमने तो हमे इनाम दिया ही नहीं।
सविता _अच्छा, क्या इनाम चाहिए अपनी चाची से।
राजेश _युननन,,,
सविता _, तुम हकला क्यू रहे हो, बोलो क्या ईनाम चाहिए तुम्हे।
राजेश _चाची, डर लगता है कहीं तुम, बुरा तो नही मानोगी।
सविता _अरे नही मानूंगी, बताओ क्या चाहिए अपनी चाची से।
राजेश _एक किस दे दो।
सविता _छी, मैं तुम्हारी चाची हूं, प्रेमिका नही। तुम कुछ और मांग लो।
राजेश _ठीक है हमे जो चाहिए था हमने मांग लिया, आगे आपकी मर्जी, देना है की नही।
सविता _न बाबा, मैं ये काम नही कर सकती।
राजेश _चाची, अब हो गया मालिश, रहने दो जाओ अपने कमरे में आराम करो?
सविता _अरे अभी तो तुम्हारे पैरो की मालिश बांकी है।
राजेश _अब सारा दर्द खत्म हो गया। धन्य वाद मालिश करने के लिए। अब आप जाइए, कहीं चाचा जी उठ गए हो तो,,,
सविता _क्यू नाराज हो गया क्या मुझसे?
राजेश _नही, तो ।
सविता _अभी तो तुम मुझे साथ सोने बोल रहे थे, अब जाने बोल रहे हो,, ।
राजेश _साथ सुलाने का भी क्या फायदा जब एक किस नही दे सकती। इसलिए जाओ, अपने कमरे में।
सविता _हूं, मतलब तुम मुझे अपने साथ सुलाकर किस लेना चाहते थे।
बच्चू, मैं तुम्हे शरीफ लडका समझता था, पर तुम बदमाश निकले।
राजेश _हा, मैं बदमाश हूं, आवारा हूं।
अब जाओ, चाचा जी के पास कहीं उठ न गए हो,,,।
सविता _अच्छा ठीक है, मेरे गालों पर एक किस ले लो, और कोइ दूसरी शरारत न करना।
राजेश _न, मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए। आप जाओ।
सविता _अब ले लो बोल रही हूं तो भी नाटक, मुझे नही पता था कि तुम इतने नाराज भी होते हो।
राजेश _चाची जी, मैं आपसे नाराजनही हूं, कृपया अब आप जाइए, मुझे नींद आ रही है।
सविता _अच्छा ठीक है जाती हूं।
सविता राजेश के कमरे से निकल कर अपने कमरे में चली गई।
। वहा देखा उसका पति अभी भी नींद में खर्राटे भर रहा था।
सविता, वहा से निकलकर फिर राजेश के कमरे में चली गई।
राजेश _अरे आप फिर वापस आ गई। क्या huwa
सविता _तुम्हारे चाचा जी तो अभी भी नींद में खर्राटे भर रहे है।
राजेश _तो,,
सविता _सोंची, भूतो की डर से तुम रात भर जागते रहे तो तुम्हारी तबियत बिगड़ न जाए।कुछ देर तुम्हारे साथ सो जाती हूं। तुम्हे नींद आने के बाद चलिजाऊंगी।
राजेश _ये तो बड़ी खुशी की बात है।
सविता _पर एक शर्त है।
राजेश _कैसी शर्त?
सविता _तुम मुझसे कोइ सरारत नही करोगे?
राजेश _ठीक है, अब आ जाओ बेड में।
राजेश बेड के एक छोर पे लेट गया।
सविता दूसरे किनारे लेट गई।
और चादर गले तक ओढ़ ली।
सविता _अब मेरे तरफ यू टुकुर टुकुर क्या देख रहे हो।
राजेश _जुल्फे तेरी, चहेरा तेरा।
सविता _मुझे शर्म आ रही है।
राजेश _चलो अब मुझे मेरा ईनाम दो।
सविता _कौन सा ईनाम?
राजेश _वही किस वाली?
सविता _ठीक है, मेरे गालों पे ले लो, न दू तो तुम नाराज हो जाते हो।
राजेश, सविता के करीब आ गया।
हमें तो आपके होंटो पर किस करना है?
सविता _न बाबा, मैं तुम्हारी चाची हूं, प्रेमिका नही।
राजेश _तो कुछ देर के लिए आप मेरी प्रेमिका बन जाओ।
सविता _न, मैं तुम्हारी चाचा को धोखा नही दे सकती।
चलो गाल में ले लो।
सविता ने आंखे बंद कर ली।
राजेश ने उसकी गाल न चूम कर उसकीओंठ को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा।
सविता _ऊ न,,
करतीहुई राजेश को छुड़ाने लगी।
राजेश ने जब छोड़ा,,,
सविता _छी बेशरम आखिर, अपने मन की कर ही ली।
राजेश _या क्या चाची, तुमने ठीक से किस करने नही दी, छुड़ा दी। अब तुम्हे फिर से किस देना होगा। नही तो हम आपसे बात नहीं करेंगे।
सविता _नही बाबा, मैं और नही दे सकती, कहीं आस पास के भूतो न देख लिया तो, तुम्हारे चाचा जी को बता देगें मैं उसे मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी।
राजेश _चाची ये तो मैने सोंचा ही नहीं। इसका भी उपाय है मेरे पास। हम ये चादर ओढ़ लेते है फिर भूत नही देख पाएगा हम अंदर क्या कर रहे है? क्यू कैसी रही आइडिया।
सविता _सविता, तुम्हारे पास तो बड़ा दिमाक है।
राजेश, सविता के ऊपर आ गया, और चादर ओढ़ लिया। फिर उसके ओंठ चूसने लगा।
सविता सिसकने लगी।
वह ओंठ चूसने के बाद धीरे धीरे नीचे की ओर बड़ा और गर्दन को, चूमने लगा,
सविता सिसकते हुए बोली _छोड़ा न हो गया।
पर राजेश नही रुका आगे बढ़ता गया।
वह नाइटी का सामने का बटन खोल कर दूदू पीने लगा।
सविता सिसकने लगी।
राजेश अब बस करो हो गया,,
राजेश नीचे गया हाथ ले गया और एक हाथ से उसकी boor को रगड़ने लगा,,,
राजेश वहा नही,,,, वह सिसकते हुवे बोली।
पर राजेश नही रुका, वह पेटीकोट का नाडा खीच दिया। पेंटी गीली होने के कारण सविता ने पेंटी निकाला दी थी,,
राजेश ने, उसकी boor चाटना शुरु कर दिया,,,
सविता _राजेश क्या कर रहे हो, छी वहा गंदा है,, आह उन, आह,,,
राजेश नही रुका वह chut चूसता रहा, सविता की हालात खराब हो गई। वह बहुत उत्तेजित हो गई।
पहली बार कोइ उसकी chut चांट रहा था।
उसे बहुत मज़ा आने लगा। वह सिसकते हुवे राजेश की बालो को सहलाने लगी।
राजेश ने देर न करते हुवे अपना मोटा लंद उसकी boor के छेद में रखा और उसकी ओंठ चूसते हुवे, लंद का दबाव योनि पर डाला लंद धीरे धीरे सविता की योनि में सामने लगा।
अब राजेश अपनी कमर हिला हिला कर लंद को boor में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
सविता राजेश के पीठ को जकड़ लिया।
उसे भी मजा आ रहा था।
अब राजेश उकडू बैठ गया सविता की टांगो को फैला दिया। और उसकी चूची। मसल मसल कर गप गप चोदने लगा।
सविता के मुंह से मादक सिसकारी निकलकर कमरे में गूंजने लगी।
आह उन, आह, आह मां,,,
राजेश लगातार चोदता रहा,,,
सविता राजेश को जोर से जकड़ ली और झड़ने लगी।
राजेश चोदना बंद कर, उसकी चूचियों को मसल मसल कर पीने लगा। ओंठ चूसने लगा।
जिससे सविता फिर गर्म हो गई।
उसकी मुंह से सिसकारी निकलने लगी।
अब राजेश फिर से गप गप चोदने लगा।
फिर से सविताआह उह आई मां उन,,, आवाज़ निकालने लगी।
न राजेश छाड़ को फेक दिया और सविता को पलटाकर घोड़ी बना दिया।
राजेश फिर से सविता की कमर पकड़ कर gach gach चोदने लगा। कमरे में fuck fuk की आवाज़, सविता की चूड़ियों की खनक , उसकी मादक सिसकारी कमरे में गूंजने लगा।
राजेश जोर जोर से सविता को चोदने लगा। राजेश का लंद सविता की boor की गहराई में जाकर उसके बच्चे दानी को ठोकने लगा जिससे सविता को अलौकिक आनंद मिलने लगा।
Chudai में ऐसा मजा उसे पहले कभी नही मिला था।
वह अपनी कमर हिला हिला कर राजेश का साथ देने लगी।
राजेश ने उसकी नाइटी निकाल कर फेक दिया।
अब सविता सिर्फ पेटीकोट में थी।
राजेश सविता की दोनो चूचियां पकड़ कर
कर चोदने लगा।
राजेश को सविता को चोदने में एक अलग ही मजा आ रहा था। उसकी boor एकदम टाइट थी, लंद कसा कसा अंदर बाहर हो रहा था।
बिल्कुल कुंवारी chut जैसा मजा दे रहा था।
इसके बाद राजेश सविता को कमर से पकड़ कर उठाया और बेड से नीचे उतार दिया, उसे बेड पकड़ा कर घोड़ी बनाकर कस कस कर चोदने लगा।
दोनो स्वर्ग का सैर करने लगे।
सविताको जो आनंद प्राप्त हो रहा था उसकी कल्पना उसने कभी नही की थी,। वह भी राजेश का पूरा साथ देने लगी।
राजेश ने चोदना बंद कर उसे खड़ा कर दिया फिर सविता को अपनी ओर घुमा कर उसकी ओंठ चूसने लगा।
सविता भी बहुंत गर्म थी, वह भी राजेश की ओंठो को चूसने लगी।
राजेश ने सविता की पेटीकोट भी उतार दिया।
सविता नंगी हो गई।
राजेश ने सविता को बेड किनारे लिटा दिया और फिर से उसकी boor चांटा और अपना लंद उसकी boor में उतार दिया।
वह सविता की दोनो चुचियों को मसल मसल कर चोदने लगा।
कमरे में फिर से सविता की मादक सिसकारियां गूंजने लगी।
सविता को इतना मजा आ रहा था कि वह अपने को न रोक सकी और राजेश को जकड़ कर झड़ने लगी।
राजेश चोदना बंद कर फिर से उसकी ओंठ चूसने लगा।
कुछ देर बाद राजेश ने सविता को अपनी गोद में उठा लिया, और अपने लंद को उसकी boor में डाल कर हवा में उछाल उछाल कर चोदने लगा।
सविता राजेश की मर्दानगी की दीवानी हो गई।
कुछ देर हवा में उछाल उछाल कर चोदने के बाद, उसे गोद में उठाकर बेड किनारे बैठ गया, उसके बाद दोनो एक दूसरे का ओंठ चूसने लगे।
राजेश , सविता को कमर उठा उठा कर चोदने लगा। सविता अपनी दोनो हाथ राजेश के गले में डालकर उछल उछल कर चुदने लगी, उसके बाद राजेश बेड पर लेट गया।
सविता उसके लंद पर बैठी रही।
राजेश के कंधे पर, हाथ रख उछल उछल कर चुदने लगी, राजेश भी सविता की कमर पकड़ कर नीचे से अपनी कमर उठा उठा कर उसका सहयोग करने लगा।
सविता की कामुक सिसकारी और चूड़ियों की खनक कमरे में गूंज रही थी। दोनो को संभोग का परम आनंद प्राप्त हो रहा था।
सविता उछलते उछलते ही इतनी उत्तेजित हो गई, वह फिर से झड़ने लगी वह राजेश की बाहों में ढेर हो गई।
राजेश प्यार से उसकी पीठ को सहलाने लगा।
कुछ देर बाद राजेश ने सविता को बेड में लिटा कर खुद उसके ऊपर आ गया।
और उसकी ओंठ चूसने लगा। उसकी चूची पीने लगा।
कुछ देर में ही सविता फिर गर्म हो गई।
राजेश ने सविता की कमर के नीचे तकिया लगा दिया। और अपना मोटा लंद उसकी योनि में डालकर चोदना शुरू कर दिया।
राजेश, सविता को इस पोजिशन में लगातार चोदता रहा। सविता फिर से जन्नत की सैर करने लगी।
आखिर अन्त में राजेश ने कराहते हुवे वीर्य की लंबी लंबी पिचकारी उसकी योनि में छोड़ने लगा।
सविता को बरसो बाद, अपनी योनि में गर्म वीर्य का अहसास पाकर फिर से झड़ने लगी।
उसकी योनि वीर्य से लबालब भर गई। और टांगो में बहने लगी।
राजेश सविता के ऊपर ढेर हो गया। सविता प्यार से उसका पीठ सहलाती रही।
कुछ देर बाद दोनो सामान्य हुवे।
दोनो थक चुके थे। दोनो जल्द ही नींद के आगोश में समा गए।
दो घंटे बाद सविता की नींद खुली, उसने देखा की रात के 3बज गए थे। वह बेड से उठी, और अपनी कपड़े पहनी। वह राजेश के पास बैठी राजेश सोया huwa था, उसकी बालो को प्यार से सहलाई और माथे पर चुम्बन ली। राजेश नंगा था। उसे चादर ओढ़ा दी।
उसके बाद वह कमरे से निकल कर अपने कमरे की ओर जाने लगी।
वह ठीक से चल नही पा रही थी, उसकी योनी में जलन हो रहा था। उसकी योनि अंदर छिल गई थी ।
वह अपने कमरे में गई। माधव अभी भी सोया huwa था। वह उसके बगल में जाकर ले गई।
जब वह उठी तो सुबह के 6बज चुके थे।
वह बाथरुम में नहाने गई।
उसने अपनी boor की हालत देखी जो सूज गई थी।
वह अपने आप से बोली।
कितना बड़ा लंद है बदमाश का, पूरी हो निचोड़ डाला मुझे। मैं तो इस शरीफ समझता था ये तो बड़ा खिलाड़ी निकला।
Boor की क्या हालत बना दिया है अपने मूसल से।
वह नहाकर निकली अपने कपड़े पहनी फिर माधव के उठाया।
माधव उठ कर फ्रेस हुवा।
और दुकान खोलने चला गया। सविता कीचन में चाय बनाने लगी।
चाय बनाने के बाद वह पहले दुकान में जाकर अपने पति को चाय दी, उसके बाद चाय लेकर राजेश के कमरे मे गई।
राजेश अभी भी सोया था। उसका लंद अभी खड़ा था, पेशाब भर गया था।
सविता _लो इसका तो अभी भी खड़ा है।
वह मुस्कुराने लगी।
वह राजेश को आवाज़ दी।
सविता _महाशय, उठो, सुबह के 7बज गए हैं और कितने देर तक सोते रहोगे।
राजेश ने अपनी आंखे खोला, सामने सविता खड़ी थी।
सविता _महाशय,अरे 7बज गया है, नींद पूरी नहीं हुई है क्या ?
राजेश _अरे चाची, आपने पहले क्यू नही उठाई?
सविता _मैं सोंची रात में लेट से सोए हो तो नींद पूरी नहीं हुई होगी। मैं तुम्हारे लिए चाय लेकर आई थी,वैसे अगर और सोने की इच्छा है तो सो सकते हो।
राजेश _अरे नही चाची। मैं तो 6बजे के पहले ही उठ जाता हूं।
सविता _चलो उठो और फ्रेस हो कर चाय पी लो।
राजेश तो नंगा था। जैसे ही उसने चादर हटाया, उसका खड़ा लंद सविता के आंखो के सामने आ गया।
सविता कमरे से जाने को हुई तो राजेश ने उसकी हाथ पकड़ लिया।
सविता _अरे छोड़ो न क्या कर रहे हो?
राजेश ने उसे खींचकर अपने गोद में बिठा लिया।
सविता _छोड़ो में, रात में इतना करने के बाद तुम्हारा मन नही भरा है क्या?
राजेश _नही, राजेश ने उसकी गाल में किस करते हुए उसकी कानो में धीरे से कहा चाची चलो न एक बार फिर से करते हैं।
सविता _न बाबा। तूने तो मेरी हालात ही खराब कर दी हैमैं ठीक से चल भी नहीं पा रही। मैं तो तुम्हे शरीफ लडका समझता था, तुम तो बदमाश निकले, कहा से सीखा ये सब।
राजेश _चाची, जानकर क्या करोगी? कहा से सीखा है सब, चलो न एक बार और करते हैं।
सविता _न छोड़ो मुझे,,, बहुत से काम है।
राजेश _अच्छा ठीक है पर तुम्हे मेरी एक इच्छा पूरी करनी होगी।
सविता _, कैसी इच्छा?
राजेश_मुझे पेशाब करवाना होगा।
सविता _छी, तुम कितने गंदे हो, कोइ छोटा बच्चा भी नही कहता की मम्मी मुझे पेशाब करा दो और तुम,
राजेश _, चाची मेरी एक छोटी सी इच्छा भी पूरी नहीं कर सकते। प्लीज चाची, मान जाओ न।
सविता _तू बड़ा जिद्दी है।
चल बाथरुम में।
राजेश बाथरुम में जाने लगा। उसके पीछे पीछे सविता भी गई।
सविता _बोलो, क्या करना है।
राजेश _पकड़ कर पेशाब कराओ और क्या?
सविता राजेश के पीछे खड़ी हो गई और राजेश का लंद अपने हाथो में पकड़ ली।
सविता _चलो, जल्दी करो।
राजेश _अरे चाची पेशाब ऐसे ही थोड़े ही बाहर आयेगी।
सविता _तो फिर,
राजेश थोड़ा आगे पीछे करो।
सविता _तू बड़ा बेशर्म है और मुझे भी बेशर्म बनाने में लगा है, पता नही कैसे मैं तुम्हारे बातो को मान लेती हूं। सविता राजेश के लंद को हिलाने लगी। राजेश ने जोर लगाया। पेशाब की तेज़ धार निकलने लगा।
पेशाब की धार बंद होने के बाद। सविता ने लंद हिला हिला कर आखिरी बूंद भी निकाल दिया।
उसके बस लंद कुछ नार्मल huwa।
उसके बाद दोनो कमरे में आए।
सविता _, अपने चाची के सामने नंगे ही रहोगे क्या?
राजेश _चाची तुम ही पहना दो ना चड्डी और टावेल।
सविता _हूं, तो यह भी मुझे करना पड़ेगा।
राजेश _हूं।
सविता ने राजेश को उसकी चड्डी पहनाकर टावेल लपेट दिया।
सविता _चलो चाय पी लो ठंडी हो जाएगी।
अपने हाथो से पियोगे या मुझे ही पिलाना पड़ेगा।
राजेश _अरे नही चाची, बहुत हो गया, अब आपको और तकलीफ नहीं दे सकता। मुझे माफ कर दीजिए।
सविता _किस बात के लिए माफी।
राजेश _आपको इतना तकलीफ दिया इसलिए,,
सविता _तू बड़ा शैतान है, पहले कैसे कैसे काम कराता है फिर माफी भी मांगता है।
अच्छा चाय पीकर तो बताओ, चाय कैसी बनी है?
सविता _आप तो पाक कला में निपुण हो चाय तो टेस्टी होगा।
राजेश ने चाय का एक घूंट पिया।
वाह सच में चाची बहुत ही टेस्टी बना है।
वचाची आपसे एक बात पूछनी थी।
सविता _पूछो क्या पूछनी है।
राजेश _अपनी कान पाक तो लाओ।
सविता अपनी कान राजेश के पास ले आया।
राजेश न धीरे से कहा _रात में आपको मजा आया कि नही।
सविता _सविता शर्मा गई।
वह वहा से चली जाने लगी।
राजेश _अरे चाची बताओ न,,,
उसके बाद राजेश, अपना शर्ट पैंट पहना और माधव और सविता से इजाजत लेकर,अपना बाइक लेकर अपने ताऊ जी के यहां चला गया।
शाही भोज सम्पन्न होने के बाद सभी अतिथि एवम खिलाड़ी अपने अपने घर के लिए हवेली के लिए रवाना हुए। रात के 12 बज चुके थे।
रत्नवती, सविता से बोली,,,
रत्ना वली _सविता जी, रात काफी हो गई है आज आप यहीं रूक जाइए, कल सुबह चली जाना।
सविता _नही , ठकुराइन। मैं भी घर निकलूंगी । मैंने अपने पति से कहा है कि मैं रात में वापस आ जाऊंगी।
रत्नवती _अच्छा ठीक है, मैं ड्राइवर को बोल देती हूं, वह आपको घर छोड़ देगें।
सविता _ठकुराइन जी, मैं राजेश के साथ चली जाऊंगी, आप मेरी चिन्ता न कर
रत्नवती _हा ये ठीक रहेगा, आखिर राजेश आपका भतिजा है। आपकीसुरक्षा की जिम्मेदारी उसकी भी है।
तभी वहां पर राजेशपहुंचा ,,,
राजेश _, मां जी, शाही भोज में सच में मजा आ गया। बहुत अच्छी व्यवस्था की थी आपने।
अब हम चलते है, रात काफी हो गई है।
रत्नवती _वो तो ठीक है पर आपलोग चाहो तो आज रात यहीं रूक सकते हो।
राजेश _मां जी सभी लड़के घर जाना चाहते है, घर वाले सबका वेट कर रहे है और कितना दूर है हमारा गांव यहां से, बिल्कुल पास ही है।
रत्नवती _अच्छा ठीक है। पर अपनी चाची को सम्हाल कर ले जाना अपनी बाइक पर रास्ता खराब है।
राजेश _जी आप चिन्ता न करे।
राजेश ने गीता और दिव्या को भी शुक्रिया कहा।
राजेश _गीता दी और दिव्या जी आप दोनो का शुक्रिया।
दिव्या _शुक्रिया किस लिए, हम भी तो जाने!
राजेश _भाई आप दोनो, ने मेरे साथ नृत्य जो लिए, हम सब की इच्छा पूरी की।
गीता _आपने काम ही ऐसा किया है। हम आपको निराश नहीं कर सकते थे।
राजेश _अच्छा, अब हम लो निकलते हैं।
दिव्या _राजेश ठीक है पर आप लोग अपना ख्याल रखना।
राजेश अपने दोस्तो के साथ, बाइक में गांव के लिए निकल पड़े
राजेश , सविता को ईनाम में मिली बाइक पे बिठाक,ए सुरज पुर के लिए निकल पड़ा, पीछे पीछे उनके दोस्त एवम टीम के बाकी खिलाड़ी भी अपनी अपनी बाइक से निकल पड़े।
रास्ते में रोड खराब था,,,
राजेश _चाची, सम्हल कर बैठना, कहीं गिर न जाओ, रोड में जगह जगह गढ्ढा है।
सविता _राजेश तुम ठीक कह रहे हो, पता नही ये रोड कब बनेगा।
राजेश _चाची आप चिन्ता न करे, वो दिन ज्यादा दूर नहीं है, देखना यह रोड ऐसा बनेगा, शहर के रोड से भी बहुत बढ़िया।
सविता _अब तो गांव वालोका भरोसा तुम पर और बड़ गया है।
सविता ने राजेश को अपने दोनो हाथो से उसके सीने को पकड़ लिया, ताकि वह गाड़ी के उछलने से गिर न जाए। जो बाइक उसे इनाम में मिला था उसका पिछे का सीट ऊंचा था। गाड़ी उछलने से वह गिर सकती थी। अतः वह राजेश को अपने दोनो हाथो से अच्छे से उसके सीने पर हाथ रख पकड़ी हुई थी।
तभी राजेश को सामने गढ्ढा देख ब्रेक मारना पड़ता था जिससे, सविता राजेश से एकदम चिपक जाती उसकी चूचियां राजेश के पीठ से दब जाती, यह प्रकिया बार बार होने से सविता, के शरीर में रक्त संचार बड़ गई। वह उत्तेजित होने लगी।
उसके मुंह से आह निकल जाती,,,
राजेश _चाची क्या huwa, कराही क्यू?
सविता _अरे कुछ नही huwa है, तुम सम्हाल कर गाड़ी चलाओ।
घर पहुंचते पहुंचते तो सविता की हालात कुछ ज्यादा ही खराब हो गई।
जब वे घर पहुंचे,, वह दरवाजा खटखटाया,, कुछ देर बाद, उसका पति माधव बाहर आया।
माधव _अरे आ गई, काफी रात कर दी,,
सविता _हां जी, अब रात के प्रोग्राम था तो लेट तो होगा ही,,
राजेश ने अपने चाचा का पैर छूकर , कहा,,
राजेश प्रणाम चाचा जी,
माधव _खुश रह, अरे यार तूने तो कमाल ही कर दिया गांव में तुम्हारे ही चर्चे हो रहे थे, मैं तो पछता रहा हूं आखिर मैच देखने, मैं क्यू नही गया। भुवन ने बताया की कैसे अकेले ही उस माखन को दबोच लिया।
राजेश _चाचा जी ये सब आपके आशीर्वाद के कारण हो पाया।
माधव _ये तुम्हारा बड़प्पन है राजेश, सच पूछो तो तुम असाधारण हो। पहले तो यह बात केवल हमारे गांव के लोग जानते थे अब तो पूरे जिले के लोगो को पता चल गया।
राजेश _अच्छा चाची अब, मुझे इजाजत दीजिए मैं घर के लिए निकलता हूं।
सविता _अरे राजेश, रात काफी हो गई है, घर में सब चुके होंगे।
अब तुम इतनी तात को घर जाकर क्यू सबकी नींद खराब करोगे, आज रात हमारे यहां सो जाओ, वैसे भी यह भी तुम्हारा ही घर है।
माधव _अरे हां यार, तुम आज हमारे घर ही सो जाओ, कल सुबह ही चले जाना। ये भी तुम्हारा ही घर है। मैं तो तुमसे कहता भी रहता हूं रात का खाना यहीं खा लिया करो। पर लगता है तुम तो हमे पराया समझते हो। भैया भाभी कभी आयेंगे तो मैं तुम्हारा शिकायत करूंगा।
राजेश _अरे चाचा जी, मैं आप लोग को अपना नही समझता तो, यहां गांव आता क्या? जैसे ताऊ और ताई जी मेरे लिए है वैसे आप दोनो भी मेरे लिए हो। अब भोजन आपके यहां करू या ताई के यहां मेरे लिए तो दोनो घर समान है।
माधव _अच्छा तो फिर आज रात यहीं रुको, भले कल सुबह चली जाना।
राजेश _अब आप इतना जिद कर रहे हैं तो रुकना ही पड़ेगा।
माधव _ये हुई न बात, अपनी बाइक को घर के अंदर ले आओ।
राजेश ने बाइक को घर के अंदर आंगन में ले आया।
सविता _सुनो जी मैं राजेश के सोने के लिए कमरे को थोड़ा साफ कर देती हूं, तब तक आप दोनो बाते करो।
माधव _ठीक है सविता।
माधव और राजेश दोनो हाल में बैठ कर बाते करने लगे।
माधव _यार जब हम छोटे थे तब बाबू की भाई कबड्डी खेलते थे। सुना है अपनी नेतृत्व में बाबू जी ने भी सुरज पुर को कई बार प्रतियोगिता जिताया था।
लगता है तुम सच में बाबू जी का पुनर्जन्म हो।
दोनो बात चीत कर रहे थे तभी सविता आई,,
सविता _राजेश, कमरे की सफाई हो गई है, जाओ अब तुम कमरे में आराम करो, रात काफी हो गई है।
माधव _हां भई राजेश, अब कल सुबह बात करेंगे, जाओ थक गए होगे, जाकर कमरे में आराम करो।
राजेश _ठीक है चाचा जी।
राजेश कमरे में चला गया।
मकान, शहरो जैसा बनाया गया था, कमरे में अटैच लेट बाथ था।
कमरे में जाने के बाद,,,
कुछ समय बाद सविता टावेल लेकर आई,,,
सविता _राजेश, ये टावेल ले लो, और अपने कपड़े चेंज करलो।
राजेश _थैंक यू चाची।
राजेश ने पैंट और शर्ट उतार, केवल चड्डी में रह गया, उसका बनियान खेल में फट गया था।
वह अपनी कमर पर टावेल, लपेट लिया और बाथरुम में जाकर फ्रेस हो गया, फिर बेड में आकर आराम करने लगा।
इधर सविता भी अपनी साड़ी ब्लाउज,उतार दी और ऊपर से नाइटी पहन ली।
माधव और सविता बेड पे आराम करने लगे।
सविता को अपनी पेंटी पर कुछ गीला पन महसूस हुई, वह अपने एक हाथ से चादर के नीचे अपनी पेटीकोट के अंदर हाथ डालकर, चेक की सच में उसकी पेंटी गीली हो गई थी।
यह राजेश के बाइक में बैठने से,बाइक में ब्रेक लगाने के दौरान बार बार स्तनों के राजेश के पीठ से दब जाने के कारण, उत्तेजना बड़ जाने के कारण huwa था।
इधर राजेश को नींद नही आ रहा था, दिन भर हुवे घटना क्रम को वह याद कार रहा था, कबड्डी खेल फिर साही भोज, के कारण उसका बदन टीटी रहा था।
इधर कुच ही देर में माधव नींद में खर्राटे भरने लगा।
जबकि सविता को भी आज दिन भर के घटनाक्रम याद आने के कारण नींद नही आ रही थी।
सविता को लेटे करीब एक घंटा हो गया, उसे नींद नही आई थी तो वह यह देखने के लिए अपने कमरे से बाहर आई की राजेश सोया है कि नही, उसे किसी चीज की आवश्यकता तो नही,,,
यह पता करने राजेश के कमरे की ओर, चली गई,,
उसने दरवाजा धकेल कर देख।
राजेश सोया नही था, कमरे का लाइट चालू था।
राजेश ने देखा की उसकी चाची आई है।
राजेश _चाची आप।
सविता _अरे मैं चेक करने आई थी, तू सोया है की नही, तुम तो जग रहे हो। क्यों नींद नही आ रही है क्या?
राजेश _,, हा, चाची।
सविता _पर क्यू?
किसी चीज की आवश्यकता तो नही?
राजेश _चाची एक गिलास, पानी तो लाना।
सविता _ओ हो मैं तो कमरे में पानी रखना ही भुल गई। अभी लाई।
सविता कीचन से पानी का बाटल लेकर आई।
सविता _लो पानी पी लो,,
राजेश ने बाटल से पानी पिया।
राजेश _चाची आप भी अभी तक सोई नही।
सविता _हां, तुम्हारे बारे में ही सोच रही थी।
राजेश_मेरे बारे में क्या सोच रही थी?
सविता _यहीं की, तुम इस घर में पहली बार रात में रुके हो, नई जगह तुम्हे नींद आ भी रही है की नही।
राजेश _हा, चाची आपने सच कहा, नई जगह नींद नही आती, मुझे तो बहुत डर लगता है?
सविता हसने लगी,,,
सविता _तुम्हे भी डर लगता है, अकेले ही कई पहलवानों को पछाड़ दिए।
राजेश _चाची मुझे नई जगह इंसानों से नहीं भूतो से डर लगता है।
सविता हसने लगी,,,
क्या तुम्हे भूतो से डर लगता है? क्या ये घर तुम्हे भूत बंगला लग रहा है?
राजेश _क्या पता कहीं आस पास भूत हो तो, मेरे सोने के बाद मुझे खा जाएगा, तो ।
सविता _तुम तो छोटे बच्चो की तरह बात कर रहे हो, सविता हसने लगी।
राजेश _हा, भूतो के मामले में छोटा बच्चा ही हूं, जो दिखाई नहीं देता उससे लडूंगा कैसे?
सविता _तो क्या रात भर जागोगे?
राजेश _नींद नही आयेगी तो जगना ही पड़ेगा।
सविता _इस समस्या का कोइ हल तो होगा?
राजेश _है न इसका हल। तुम मेरे साथ सो जाओ, तुम साथ रहोगी तो मुझे डर नहीं लगेगा।
सविता _अच्छा जी, और तुम्हारे चाचा जी को क्या कहूंगी?
राजेश _चाचा जी से कह देना की राजेश को अकेला नींद नहीं आ रहा था, तो मैं उसके साथ सो गई।
सविता _चल हट बदमाश।
राजेश _चाची मेरे साथ सो जाओ न।
सविता _न बाबा, तुम्हारे चाचा जी को पता चला तो मैं उसे जवाब नही दे पाऊंगी मैं।
राजेश _अच्छा सुबह तक नही सो सकती तो कुछ समय तक ही सो जाओ जब मुझे नींद आ जाए तो, अपने कमरे में चली जाना, चाचा जी के पास।
सविता, कुछ सोचने लगी।
राजेश _चाची क्या सोचने लगी?
सविता _कुछ नही, अच्छा ठीक है, अभी तो तुम्हारे चाचा जी गहरी नींद में सोए हुए है। मैं एक घंटे यहीं रूक जाती हूं।
तुम सोने की कोशिश करो।
राजेश _अच्छा मेरे पास बैठो।
सविता बेड किनारे बैठ गई।
सविता _चलो अपनी आंखे बंद कर सोने की कोशिश करो।
राजेश _चाची, पूरा बदन दर्द से टूट रहा है। नींद कहा से आयेगी।
सुनो एक सिगरेट मिलेगा।
सविता _क्या? तुम सिगरेट पीते हो।
मैं तो तुम्हे शरीफ लडका समझता था।
राजेश _वो कभी कभी, ले लेता हूं।
सविता _और क्या क्या करते हो कभी कभी ,मैं भी तो जानू?
राजेश _चाची होगा तो दो ना, आज पीने का मन कर रहा है, पूरा बदन दुख रहा है।
सविता _न, मैं तुम्हे सिगरेट पीने नही दूंगी, इससे अच्छा मैं सरसो तेल से बदन की मालिश कर देती हूं।
मैं अभी सरसो तेल गर्म करके लाती हूं।
सविता कीचन में जाकर सरसो तेल गर्म करके लाती है।
सविता _चलो, तुम पेट के बल लेट जाओ। मैं तुम्हारे पीठ का पहले मालिश कर देती हूं।
राजेश पेट के बल लेट गया। सविता सरसो तेल पीठ में डाली, उसके बाद हाथो से मालिश करने लगी।
राजेश _वाह चाची आपके हाथो में तो जादू है, आपके हाथ लगते ही दर्द गायब होने लगा।
सविता _चलो अब पीठ के बल लेट जाओ, तुम्हारे हाथो की मालिश कर दू।
राजेश पीठ के बल लेट गया। सविता दोनो हाथो की बारी बारी से अच्छे से मालिश करने लगी।
राजेश ।
हाथो की मालिश करने के बाद सविता, के सीने की मालिश करने लगी।
राजेश सविता की ओर देखने लगा। सविता को जब लगा कि राजेश की नजर मुझे घूर रहा है?
सविता _क्या देख रहे हो?
राजेश _चाची तुम बड़ी सुन्दर लग रही हो इस नाइटी में।
सविता _देखो तुम ऐसे न देखो मेरी ओर, मुझे बड़ी शर्म आ रही है।
राजेश _तो क्या देखू? इन दीवारों को। नजरे तो उसी पर जाएगी न जो खूबसूरत हो।
राजेश _चाची, हमने तुम्हारे गांव का नाम रोशन किया, बोलो किया की नही।
सविता _हूं।
राजेश _तो, तुमने तो हमे इनाम दिया ही नहीं।
सविता _अच्छा, क्या इनाम चाहिए अपनी चाची से।
राजेश _युननन,,,
सविता _, तुम हकला क्यू रहे हो, बोलो क्या ईनाम चाहिए तुम्हे।
राजेश _चाची, डर लगता है कहीं तुम, बुरा तो नही मानोगी।
सविता _अरे नही मानूंगी, बताओ क्या चाहिए अपनी चाची से।
राजेश _एक किस दे दो।
सविता _छी, मैं तुम्हारी चाची हूं, प्रेमिका नही। तुम कुछ और मांग लो।
राजेश _ठीक है हमे जो चाहिए था हमने मांग लिया, आगे आपकी मर्जी, देना है की नही।
सविता _न बाबा, मैं ये काम नही कर सकती।
राजेश _चाची, अब हो गया मालिश, रहने दो जाओ अपने कमरे में आराम करो?
सविता _अरे अभी तो तुम्हारे पैरो की मालिश बांकी है।
राजेश _अब सारा दर्द खत्म हो गया। धन्य वाद मालिश करने के लिए। अब आप जाइए, कहीं चाचा जी उठ गए हो तो,,,
सविता _क्यू नाराज हो गया क्या मुझसे?
राजेश _नही, तो ।
सविता _अभी तो तुम मुझे साथ सोने बोल रहे थे, अब जाने बोल रहे हो,, ।
राजेश _साथ सुलाने का भी क्या फायदा जब एक किस नही दे सकती। इसलिए जाओ, अपने कमरे में।
सविता _हूं, मतलब तुम मुझे अपने साथ सुलाकर किस लेना चाहते थे।
बच्चू, मैं तुम्हे शरीफ लडका समझता था, पर तुम बदमाश निकले।
राजेश _हा, मैं बदमाश हूं, आवारा हूं।
अब जाओ, चाचा जी के पास कहीं उठ न गए हो,,,।
सविता _अच्छा ठीक है, मेरे गालों पर एक किस ले लो, और कोइ दूसरी शरारत न करना।
राजेश _न, मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए। आप जाओ।
सविता _अब ले लो बोल रही हूं तो भी नाटक, मुझे नही पता था कि तुम इतने नाराज भी होते हो।
राजेश _चाची जी, मैं आपसे नाराजनही हूं, कृपया अब आप जाइए, मुझे नींद आ रही है।
सविता _अच्छा ठीक है जाती हूं।
सविता राजेश के कमरे से निकल कर अपने कमरे में चली गई।
। वहा देखा उसका पति अभी भी नींद में खर्राटे भर रहा था।
सविता, वहा से निकलकर फिर राजेश के कमरे में चली गई।
राजेश _अरे आप फिर वापस आ गई। क्या huwa
सविता _तुम्हारे चाचा जी तो अभी भी नींद में खर्राटे भर रहे है।
राजेश _तो,,
सविता _सोंची, भूतो की डर से तुम रात भर जागते रहे तो तुम्हारी तबियत बिगड़ न जाए।कुछ देर तुम्हारे साथ सो जाती हूं। तुम्हे नींद आने के बाद चलिजाऊंगी।
राजेश _ये तो बड़ी खुशी की बात है।
सविता _पर एक शर्त है।
राजेश _कैसी शर्त?
सविता _तुम मुझसे कोइ सरारत नही करोगे?
राजेश _ठीक है, अब आ जाओ बेड में।
राजेश बेड के एक छोर पे लेट गया।
सविता दूसरे किनारे लेट गई।
और चादर गले तक ओढ़ ली।
सविता _अब मेरे तरफ यू टुकुर टुकुर क्या देख रहे हो।
राजेश _जुल्फे तेरी, चहेरा तेरा।
सविता _मुझे शर्म आ रही है।
राजेश _चलो अब मुझे मेरा ईनाम दो।
सविता _कौन सा ईनाम?
राजेश _वही किस वाली?
सविता _ठीक है, मेरे गालों पे ले लो, न दू तो तुम नाराज हो जाते हो।
राजेश, सविता के करीब आ गया।
हमें तो आपके होंटो पर किस करना है?
सविता _न बाबा, मैं तुम्हारी चाची हूं, प्रेमिका नही।
राजेश _तो कुछ देर के लिए आप मेरी प्रेमिका बन जाओ।
सविता _न, मैं तुम्हारी चाचा को धोखा नही दे सकती।
चलो गाल में ले लो।
सविता ने आंखे बंद कर ली।
राजेश ने उसकी गाल न चूम कर उसकीओंठ को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा।
सविता _ऊ न,,
करतीहुई राजेश को छुड़ाने लगी।
राजेश ने जब छोड़ा,,,
सविता _छी बेशरम आखिर, अपने मन की कर ही ली।
राजेश _या क्या चाची, तुमने ठीक से किस करने नही दी, छुड़ा दी। अब तुम्हे फिर से किस देना होगा। नही तो हम आपसे बात नहीं करेंगे।
सविता _नही बाबा, मैं और नही दे सकती, कहीं आस पास के भूतो न देख लिया तो, तुम्हारे चाचा जी को बता देगें मैं उसे मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी।
राजेश _चाची ये तो मैने सोंचा ही नहीं। इसका भी उपाय है मेरे पास। हम ये चादर ओढ़ लेते है फिर भूत नही देख पाएगा हम अंदर क्या कर रहे है? क्यू कैसी रही आइडिया।
सविता _सविता, तुम्हारे पास तो बड़ा दिमाक है।
राजेश, सविता के ऊपर आ गया, और चादर ओढ़ लिया। फिर उसके ओंठ चूसने लगा।
सविता सिसकने लगी।
वह ओंठ चूसने के बाद धीरे धीरे नीचे की ओर बड़ा और गर्दन को, चूमने लगा,
सविता सिसकते हुए बोली _छोड़ा न हो गया।
पर राजेश नही रुका आगे बढ़ता गया।
वह नाइटी का सामने का बटन खोल कर दूदू पीने लगा।
सविता सिसकने लगी।
राजेश अब बस करो हो गया,,
राजेश नीचे गया हाथ ले गया और एक हाथ से उसकी boor को रगड़ने लगा,,,
राजेश वहा नही,,,, वह सिसकते हुवे बोली।
पर राजेश नही रुका, वह पेटीकोट का नाडा खीच दिया। पेंटी गीली होने के कारण सविता ने पेंटी निकाला दी थी,,
राजेश ने, उसकी boor चाटना शुरु कर दिया,,,
सविता _राजेश क्या कर रहे हो, छी वहा गंदा है,, आह उन, आह,,,
राजेश नही रुका वह chut चूसता रहा, सविता की हालात खराब हो गई। वह बहुत उत्तेजित हो गई।
पहली बार कोइ उसकी chut चांट रहा था।
उसे बहुत मज़ा आने लगा। वह सिसकते हुवे राजेश की बालो को सहलाने लगी।
राजेश ने देर न करते हुवे अपना मोटा लंद उसकी boor के छेद में रखा और उसकी ओंठ चूसते हुवे, लंद का दबाव योनि पर डाला लंद धीरे धीरे सविता की योनि में सामने लगा।
अब राजेश अपनी कमर हिला हिला कर लंद को boor में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
सविता राजेश के पीठ को जकड़ लिया।
उसे भी मजा आ रहा था।
अब राजेश उकडू बैठ गया सविता की टांगो को फैला दिया। और उसकी चूची। मसल मसल कर गप गप चोदने लगा।
सविता के मुंह से मादक सिसकारी निकलकर कमरे में गूंजने लगी।
आह उन, आह, आह मां,,,
राजेश लगातार चोदता रहा,,,
सविता राजेश को जोर से जकड़ ली और झड़ने लगी।
राजेश चोदना बंद कर, उसकी चूचियों को मसल मसल कर पीने लगा। ओंठ चूसने लगा।
जिससे सविता फिर गर्म हो गई।
उसकी मुंह से सिसकारी निकलने लगी।
अब राजेश फिर से गप गप चोदने लगा।
फिर से सविताआह उह आई मां उन,,, आवाज़ निकालने लगी।
न राजेश छाड़ को फेक दिया और सविता को पलटाकर घोड़ी बना दिया।
राजेश फिर से सविता की कमर पकड़ कर gach gach चोदने लगा। कमरे में fuck fuk की आवाज़, सविता की चूड़ियों की खनक , उसकी मादक सिसकारी कमरे में गूंजने लगा।
राजेश जोर जोर से सविता को चोदने लगा। राजेश का लंद सविता की boor की गहराई में जाकर उसके बच्चे दानी को ठोकने लगा जिससे सविता को अलौकिक आनंद मिलने लगा।
Chudai में ऐसा मजा उसे पहले कभी नही मिला था।
वह अपनी कमर हिला हिला कर राजेश का साथ देने लगी।
राजेश ने उसकी नाइटी निकाल कर फेक दिया।
अब सविता सिर्फ पेटीकोट में थी।
राजेश सविता की दोनो चूचियां पकड़ कर
कर चोदने लगा।
राजेश को सविता को चोदने में एक अलग ही मजा आ रहा था। उसकी boor एकदम टाइट थी, लंद कसा कसा अंदर बाहर हो रहा था।
बिल्कुल कुंवारी chut जैसा मजा दे रहा था।
इसके बाद राजेश सविता को कमर से पकड़ कर उठाया और बेड से नीचे उतार दिया, उसे बेड पकड़ा कर घोड़ी बनाकर कस कस कर चोदने लगा।
दोनो स्वर्ग का सैर करने लगे।
सविताको जो आनंद प्राप्त हो रहा था उसकी कल्पना उसने कभी नही की थी,। वह भी राजेश का पूरा साथ देने लगी।
राजेश ने चोदना बंद कर उसे खड़ा कर दिया फिर सविता को अपनी ओर घुमा कर उसकी ओंठ चूसने लगा।
सविता भी बहुंत गर्म थी, वह भी राजेश की ओंठो को चूसने लगी।
राजेश ने सविता की पेटीकोट भी उतार दिया।
सविता नंगी हो गई।
राजेश ने सविता को बेड किनारे लिटा दिया और फिर से उसकी boor चांटा और अपना लंद उसकी boor में उतार दिया।
वह सविता की दोनो चुचियों को मसल मसल कर चोदने लगा।
कमरे में फिर से सविता की मादक सिसकारियां गूंजने लगी।
सविता को इतना मजा आ रहा था कि वह अपने को न रोक सकी और राजेश को जकड़ कर झड़ने लगी।
राजेश चोदना बंद कर फिर से उसकी ओंठ चूसने लगा।
कुछ देर बाद राजेश ने सविता को अपनी गोद में उठा लिया, और अपने लंद को उसकी boor में डाल कर हवा में उछाल उछाल कर चोदने लगा।
सविता राजेश की मर्दानगी की दीवानी हो गई।
कुछ देर हवा में उछाल उछाल कर चोदने के बाद, उसे गोद में उठाकर बेड किनारे बैठ गया, उसके बाद दोनो एक दूसरे का ओंठ चूसने लगे।
राजेश , सविता को कमर उठा उठा कर चोदने लगा। सविता अपनी दोनो हाथ राजेश के गले में डालकर उछल उछल कर चुदने लगी, उसके बाद राजेश बेड पर लेट गया।
सविता उसके लंद पर बैठी रही।
राजेश के कंधे पर, हाथ रख उछल उछल कर चुदने लगी, राजेश भी सविता की कमर पकड़ कर नीचे से अपनी कमर उठा उठा कर उसका सहयोग करने लगा।
सविता की कामुक सिसकारी और चूड़ियों की खनक कमरे में गूंज रही थी। दोनो को संभोग का परम आनंद प्राप्त हो रहा था।
सविता उछलते उछलते ही इतनी उत्तेजित हो गई, वह फिर से झड़ने लगी वह राजेश की बाहों में ढेर हो गई।
राजेश प्यार से उसकी पीठ को सहलाने लगा।
कुछ देर बाद राजेश ने सविता को बेड में लिटा कर खुद उसके ऊपर आ गया।
और उसकी ओंठ चूसने लगा। उसकी चूची पीने लगा।
कुछ देर में ही सविता फिर गर्म हो गई।
राजेश ने सविता की कमर के नीचे तकिया लगा दिया। और अपना मोटा लंद उसकी योनि में डालकर चोदना शुरू कर दिया।
राजेश, सविता को इस पोजिशन में लगातार चोदता रहा। सविता फिर से जन्नत की सैर करने लगी।
आखिर अन्त में राजेश ने कराहते हुवे वीर्य की लंबी लंबी पिचकारी उसकी योनि में छोड़ने लगा।
सविता को बरसो बाद, अपनी योनि में गर्म वीर्य का अहसास पाकर फिर से झड़ने लगी।
उसकी योनि वीर्य से लबालब भर गई। और टांगो में बहने लगी।
राजेश सविता के ऊपर ढेर हो गया। सविता प्यार से उसका पीठ सहलाती रही।
कुछ देर बाद दोनो सामान्य हुवे।
दोनो थक चुके थे। दोनो जल्द ही नींद के आगोश में समा गए।
दो घंटे बाद सविता की नींद खुली, उसने देखा की रात के 3बज गए थे। वह बेड से उठी, और अपनी कपड़े पहनी। वह राजेश के पास बैठी राजेश सोया huwa था, उसकी बालो को प्यार से सहलाई और माथे पर चुम्बन ली। राजेश नंगा था। उसे चादर ओढ़ा दी।
उसके बाद वह कमरे से निकल कर अपने कमरे की ओर जाने लगी।
वह ठीक से चल नही पा रही थी, उसकी योनी में जलन हो रहा था। उसकी योनि अंदर छिल गई थी ।
वह अपने कमरे में गई। माधव अभी भी सोया huwa था। वह उसके बगल में जाकर ले गई।
जब वह उठी तो सुबह के 6बज चुके थे।
वह बाथरुम में नहाने गई।
उसने अपनी boor की हालत देखी जो सूज गई थी।
वह अपने आप से बोली।
कितना बड़ा लंद है बदमाश का, पूरी हो निचोड़ डाला मुझे। मैं तो इस शरीफ समझता था ये तो बड़ा खिलाड़ी निकला।
Boor की क्या हालत बना दिया है अपने मूसल से।
वह नहाकर निकली अपने कपड़े पहनी फिर माधव के उठाया।
माधव उठ कर फ्रेस हुवा।
और दुकान खोलने चला गया। सविता कीचन में चाय बनाने लगी।
चाय बनाने के बाद वह पहले दुकान में जाकर अपने पति को चाय दी, उसके बाद चाय लेकर राजेश के कमरे मे गई।
राजेश अभी भी सोया था। उसका लंद अभी खड़ा था, पेशाब भर गया था।
सविता _लो इसका तो अभी भी खड़ा है।
वह मुस्कुराने लगी।
वह राजेश को आवाज़ दी।
सविता _महाशय, उठो, सुबह के 7बज गए हैं और कितने देर तक सोते रहोगे।
राजेश ने अपनी आंखे खोला, सामने सविता खड़ी थी।
सविता _महाशय,अरे 7बज गया है, नींद पूरी नहीं हुई है क्या ?
राजेश _अरे चाची, आपने पहले क्यू नही उठाई?
सविता _मैं सोंची रात में लेट से सोए हो तो नींद पूरी नहीं हुई होगी। मैं तुम्हारे लिए चाय लेकर आई थी,वैसे अगर और सोने की इच्छा है तो सो सकते हो।
राजेश _अरे नही चाची। मैं तो 6बजे के पहले ही उठ जाता हूं।
सविता _चलो उठो और फ्रेस हो कर चाय पी लो।
राजेश तो नंगा था। जैसे ही उसने चादर हटाया, उसका खड़ा लंद सविता के आंखो के सामने आ गया।
सविता कमरे से जाने को हुई तो राजेश ने उसकी हाथ पकड़ लिया।
सविता _अरे छोड़ो न क्या कर रहे हो?
राजेश ने उसे खींचकर अपने गोद में बिठा लिया।
सविता _छोड़ो में, रात में इतना करने के बाद तुम्हारा मन नही भरा है क्या?
राजेश _नही, राजेश ने उसकी गाल में किस करते हुए उसकी कानो में धीरे से कहा चाची चलो न एक बार फिर से करते हैं।
सविता _न बाबा। तूने तो मेरी हालात ही खराब कर दी हैमैं ठीक से चल भी नहीं पा रही। मैं तो तुम्हे शरीफ लडका समझता था, तुम तो बदमाश निकले, कहा से सीखा ये सब।
राजेश _चाची, जानकर क्या करोगी? कहा से सीखा है सब, चलो न एक बार और करते हैं।
सविता _न छोड़ो मुझे,,, बहुत से काम है।
राजेश _अच्छा ठीक है पर तुम्हे मेरी एक इच्छा पूरी करनी होगी।
सविता _, कैसी इच्छा?
राजेश_मुझे पेशाब करवाना होगा।
सविता _छी, तुम कितने गंदे हो, कोइ छोटा बच्चा भी नही कहता की मम्मी मुझे पेशाब करा दो और तुम,
राजेश _, चाची मेरी एक छोटी सी इच्छा भी पूरी नहीं कर सकते। प्लीज चाची, मान जाओ न।
सविता _तू बड़ा जिद्दी है।
चल बाथरुम में।
राजेश बाथरुम में जाने लगा। उसके पीछे पीछे सविता भी गई।
सविता _बोलो, क्या करना है।
राजेश _पकड़ कर पेशाब कराओ और क्या?
सविता राजेश के पीछे खड़ी हो गई और राजेश का लंद अपने हाथो में पकड़ ली।
सविता _चलो, जल्दी करो।
राजेश _अरे चाची पेशाब ऐसे ही थोड़े ही बाहर आयेगी।
सविता _तो फिर,
राजेश थोड़ा आगे पीछे करो।
सविता _तू बड़ा बेशर्म है और मुझे भी बेशर्म बनाने में लगा है, पता नही कैसे मैं तुम्हारे बातो को मान लेती हूं। सविता राजेश के लंद को हिलाने लगी। राजेश ने जोर लगाया। पेशाब की तेज़ धार निकलने लगा।
पेशाब की धार बंद होने के बाद। सविता ने लंद हिला हिला कर आखिरी बूंद भी निकाल दिया।
उसके बस लंद कुछ नार्मल huwa।
उसके बाद दोनो कमरे में आए।
सविता _, अपने चाची के सामने नंगे ही रहोगे क्या?
राजेश _चाची तुम ही पहना दो ना चड्डी और टावेल।
सविता _हूं, तो यह भी मुझे करना पड़ेगा।
राजेश _हूं।
सविता ने राजेश को उसकी चड्डी पहनाकर टावेल लपेट दिया।
सविता _चलो चाय पी लो ठंडी हो जाएगी।
अपने हाथो से पियोगे या मुझे ही पिलाना पड़ेगा।
राजेश _अरे नही चाची, बहुत हो गया, अब आपको और तकलीफ नहीं दे सकता। मुझे माफ कर दीजिए।
सविता _किस बात के लिए माफी।
राजेश _आपको इतना तकलीफ दिया इसलिए,,
सविता _तू बड़ा शैतान है, पहले कैसे कैसे काम कराता है फिर माफी भी मांगता है।
अच्छा चाय पीकर तो बताओ, चाय कैसी बनी है?
सविता _आप तो पाक कला में निपुण हो चाय तो टेस्टी होगा।
राजेश ने चाय का एक घूंट पिया।
वाह सच में चाची बहुत ही टेस्टी बना है।
वचाची आपसे एक बात पूछनी थी।
सविता _पूछो क्या पूछनी है।
राजेश _अपनी कान पाक तो लाओ।
सविता अपनी कान राजेश के पास ले आया।
राजेश न धीरे से कहा _रात में आपको मजा आया कि नही।
सविता _सविता शर्मा गई।
वह वहा से चली जाने लगी।
राजेश _अरे चाची बताओ न,,,
उसके बाद राजेश, अपना शर्ट पैंट पहना और माधव और सविता से इजाजत लेकर,अपना बाइक लेकर अपने ताऊ जी के यहां चला गया।
शाही भोज सम्पन्न होने के बाद सभी अतिथि एवम खिलाड़ी अपने अपने घर के लिए हवेली के लिए रवाना हुए। रात के 12 बज चुके थे।
रत्नवती, सविता से बोली,,,
रत्ना वली _सविता जी, रात काफी हो गई है आज आप यहीं रूक जाइए, कल सुबह चली जाना।
सविता _नही , ठकुराइन। मैं भी घर निकलूंगी । मैंने अपने पति से कहा है कि मैं रात में वापस आ जाऊंगी।
रत्नवती _अच्छा ठीक है, मैं ड्राइवर को बोल देती हूं, वह आपको घर छोड़ देगें।
सविता _ठकुराइन जी, मैं राजेश के साथ चली जाऊंगी, आप मेरी चिन्ता न कर
रत्नवती _हा ये ठीक रहेगा, आखिर राजेश आपका भतिजा है। आपकीसुरक्षा की जिम्मेदारी उसकी भी है।
तभी वहां पर राजेशपहुंचा ,,,
राजेश _, मां जी, शाही भोज में सच में मजा आ गया। बहुत अच्छी व्यवस्था की थी आपने।
अब हम चलते है, रात काफी हो गई है।
रत्नवती _वो तो ठीक है पर आपलोग चाहो तो आज रात यहीं रूक सकते हो।
राजेश _मां जी सभी लड़के घर जाना चाहते है, घर वाले सबका वेट कर रहे है और कितना दूर है हमारा गांव यहां से, बिल्कुल पास ही है।
रत्नवती _अच्छा ठीक है। पर अपनी चाची को सम्हाल कर ले जाना अपनी बाइक पर रास्ता खराब है।
राजेश _जी आप चिन्ता न करे।
राजेश ने गीता और दिव्या को भी शुक्रिया कहा।
राजेश _गीता दी और दिव्या जी आप दोनो का शुक्रिया।
दिव्या _शुक्रिया किस लिए, हम भी तो जाने!
राजेश _भाई आप दोनो, ने मेरे साथ नृत्य जो लिए, हम सब की इच्छा पूरी की।
गीता _आपने काम ही ऐसा किया है। हम आपको निराश नहीं कर सकते थे।
राजेश _अच्छा, अब हम लो निकलते हैं।
दिव्या _राजेश ठीक है पर आप लोग अपना ख्याल रखना।
राजेश अपने दोस्तो के साथ, बाइक में गांव के लिए निकल पड़े
राजेश , सविता को ईनाम में मिली बाइक पे बिठाक,ए सुरज पुर के लिए निकल पड़ा, पीछे पीछे उनके दोस्त एवम टीम के बाकी खिलाड़ी भी अपनी अपनी बाइक से निकल पड़े।
रास्ते में रोड खराब था,,,
राजेश _चाची, सम्हल कर बैठना, कहीं गिर न जाओ, रोड में जगह जगह गढ्ढा है।
सविता _राजेश तुम ठीक कह रहे हो, पता नही ये रोड कब बनेगा।
राजेश _चाची आप चिन्ता न करे, वो दिन ज्यादा दूर नहीं है, देखना यह रोड ऐसा बनेगा, शहर के रोड से भी बहुत बढ़िया।
सविता _अब तो गांव वालोका भरोसा तुम पर और बड़ गया है।
सविता ने राजेश को अपने दोनो हाथो से उसके सीने को पकड़ लिया, ताकि वह गाड़ी के उछलने से गिर न जाए। जो बाइक उसे इनाम में मिला था उसका पिछे का सीट ऊंचा था। गाड़ी उछलने से वह गिर सकती थी। अतः वह राजेश को अपने दोनो हाथो से अच्छे से उसके सीने पर हाथ रख पकड़ी हुई थी।
तभी राजेश को सामने गढ्ढा देख ब्रेक मारना पड़ता था जिससे, सविता राजेश से एकदम चिपक जाती उसकी चूचियां राजेश के पीठ से दब जाती, यह प्रकिया बार बार होने से सविता, के शरीर में रक्त संचार बड़ गई। वह उत्तेजित होने लगी।
उसके मुंह से आह निकल जाती,,,
राजेश _चाची क्या huwa, कराही क्यू?
सविता _अरे कुछ नही huwa है, तुम सम्हाल कर गाड़ी चलाओ।
घर पहुंचते पहुंचते तो सविता की हालात कुछ ज्यादा ही खराब हो गई।
जब वे घर पहुंचे,, वह दरवाजा खटखटाया,, कुछ देर बाद, उसका पति माधव बाहर आया।
माधव _अरे आ गई, काफी रात कर दी,,
सविता _हां जी, अब रात के प्रोग्राम था तो लेट तो होगा ही,,
राजेश ने अपने चाचा का पैर छूकर , कहा,,
राजेश प्रणाम चाचा जी,
माधव _खुश रह, अरे यार तूने तो कमाल ही कर दिया गांव में तुम्हारे ही चर्चे हो रहे थे, मैं तो पछता रहा हूं आखिर मैच देखने, मैं क्यू नही गया। भुवन ने बताया की कैसे अकेले ही उस माखन को दबोच लिया।
राजेश _चाचा जी ये सब आपके आशीर्वाद के कारण हो पाया।
माधव _ये तुम्हारा बड़प्पन है राजेश, सच पूछो तो तुम असाधारण हो। पहले तो यह बात केवल हमारे गांव के लोग जानते थे अब तो पूरे जिले के लोगो को पता चल गया।
राजेश _अच्छा चाची अब, मुझे इजाजत दीजिए मैं घर के लिए निकलता हूं।
सविता _अरे राजेश, रात काफी हो गई है, घर में सब चुके होंगे।
अब तुम इतनी तात को घर जाकर क्यू सबकी नींद खराब करोगे, आज रात हमारे यहां सो जाओ, वैसे भी यह भी तुम्हारा ही घर है।
माधव _अरे हां यार, तुम आज हमारे घर ही सो जाओ, कल सुबह ही चले जाना। ये भी तुम्हारा ही घर है। मैं तो तुमसे कहता भी रहता हूं रात का खाना यहीं खा लिया करो। पर लगता है तुम तो हमे पराया समझते हो। भैया भाभी कभी आयेंगे तो मैं तुम्हारा शिकायत करूंगा।
राजेश _अरे चाचा जी, मैं आप लोग को अपना नही समझता तो, यहां गांव आता क्या? जैसे ताऊ और ताई जी मेरे लिए है वैसे आप दोनो भी मेरे लिए हो। अब भोजन आपके यहां करू या ताई के यहां मेरे लिए तो दोनो घर समान है।
माधव _अच्छा तो फिर आज रात यहीं रुको, भले कल सुबह चली जाना।
राजेश _अब आप इतना जिद कर रहे हैं तो रुकना ही पड़ेगा।
माधव _ये हुई न बात, अपनी बाइक को घर के अंदर ले आओ।
राजेश ने बाइक को घर के अंदर आंगन में ले आया।
सविता _सुनो जी मैं राजेश के सोने के लिए कमरे को थोड़ा साफ कर देती हूं, तब तक आप दोनो बाते करो।
माधव _ठीक है सविता।
माधव और राजेश दोनो हाल में बैठ कर बाते करने लगे।
माधव _यार जब हम छोटे थे तब बाबू की भाई कबड्डी खेलते थे। सुना है अपनी नेतृत्व में बाबू जी ने भी सुरज पुर को कई बार प्रतियोगिता जिताया था।
लगता है तुम सच में बाबू जी का पुनर्जन्म हो।
दोनो बात चीत कर रहे थे तभी सविता आई,,
सविता _राजेश, कमरे की सफाई हो गई है, जाओ अब तुम कमरे में आराम करो, रात काफी हो गई है।
माधव _हां भई राजेश, अब कल सुबह बात करेंगे, जाओ थक गए होगे, जाकर कमरे में आराम करो।
राजेश _ठीक है चाचा जी।
राजेश कमरे में चला गया।
मकान, शहरो जैसा बनाया गया था, कमरे में अटैच लेट बाथ था।
कमरे में जाने के बाद,,,
कुछ समय बाद सविता टावेल लेकर आई,,,
सविता _राजेश, ये टावेल ले लो, और अपने कपड़े चेंज करलो।
राजेश _थैंक यू चाची।
राजेश ने पैंट और शर्ट उतार, केवल चड्डी में रह गया, उसका बनियान खेल में फट गया था।
वह अपनी कमर पर टावेल, लपेट लिया और बाथरुम में जाकर फ्रेस हो गया, फिर बेड में आकर आराम करने लगा।
इधर सविता भी अपनी साड़ी ब्लाउज,उतार दी और ऊपर से नाइटी पहन ली।
माधव और सविता बेड पे आराम करने लगे।
सविता को अपनी पेंटी पर कुछ गीला पन महसूस हुई, वह अपने एक हाथ से चादर के नीचे अपनी पेटीकोट के अंदर हाथ डालकर, चेक की सच में उसकी पेंटी गीली हो गई थी।
यह राजेश के बाइक में बैठने से,बाइक में ब्रेक लगाने के दौरान बार बार स्तनों के राजेश के पीठ से दब जाने के कारण, उत्तेजना बड़ जाने के कारण huwa था।
इधर राजेश को नींद नही आ रहा था, दिन भर हुवे घटना क्रम को वह याद कार रहा था, कबड्डी खेल फिर साही भोज, के कारण उसका बदन टीटी रहा था।
इधर कुच ही देर में माधव नींद में खर्राटे भरने लगा।
जबकि सविता को भी आज दिन भर के घटनाक्रम याद आने के कारण नींद नही आ रही थी।
सविता को लेटे करीब एक घंटा हो गया, उसे नींद नही आई थी तो वह यह देखने के लिए अपने कमरे से बाहर आई की राजेश सोया है कि नही, उसे किसी चीज की आवश्यकता तो नही,,,
यह पता करने राजेश के कमरे की ओर, चली गई,,
उसने दरवाजा धकेल कर देख।
राजेश सोया नही था, कमरे का लाइट चालू था।
राजेश ने देखा की उसकी चाची आई है।
राजेश _चाची आप।
सविता _अरे मैं चेक करने आई थी, तू सोया है की नही, तुम तो जग रहे हो। क्यों नींद नही आ रही है क्या?
राजेश _,, हा, चाची।
सविता _पर क्यू?
किसी चीज की आवश्यकता तो नही?
राजेश _चाची एक गिलास, पानी तो लाना।
सविता _ओ हो मैं तो कमरे में पानी रखना ही भुल गई। अभी लाई।
सविता कीचन से पानी का बाटल लेकर आई।
सविता _लो पानी पी लो,,
राजेश ने बाटल से पानी पिया।
राजेश _चाची आप भी अभी तक सोई नही।
सविता _हां, तुम्हारे बारे में ही सोच रही थी।
राजेश_मेरे बारे में क्या सोच रही थी?
सविता _यहीं की, तुम इस घर में पहली बार रात में रुके हो, नई जगह तुम्हे नींद आ भी रही है की नही।
राजेश _हा, चाची आपने सच कहा, नई जगह नींद नही आती, मुझे तो बहुत डर लगता है?
सविता हसने लगी,,,
सविता _तुम्हे भी डर लगता है, अकेले ही कई पहलवानों को पछाड़ दिए।
राजेश _चाची मुझे नई जगह इंसानों से नहीं भूतो से डर लगता है।
सविता हसने लगी,,,
क्या तुम्हे भूतो से डर लगता है? क्या ये घर तुम्हे भूत बंगला लग रहा है?
राजेश _क्या पता कहीं आस पास भूत हो तो, मेरे सोने के बाद मुझे खा जाएगा, तो ।
सविता _तुम तो छोटे बच्चो की तरह बात कर रहे हो, सविता हसने लगी।
राजेश _हा, भूतो के मामले में छोटा बच्चा ही हूं, जो दिखाई नहीं देता उससे लडूंगा कैसे?
सविता _तो क्या रात भर जागोगे?
राजेश _नींद नही आयेगी तो जगना ही पड़ेगा।
सविता _इस समस्या का कोइ हल तो होगा?
राजेश _है न इसका हल। तुम मेरे साथ सो जाओ, तुम साथ रहोगी तो मुझे डर नहीं लगेगा।
सविता _अच्छा जी, और तुम्हारे चाचा जी को क्या कहूंगी?
राजेश _चाचा जी से कह देना की राजेश को अकेला नींद नहीं आ रहा था, तो मैं उसके साथ सो गई।
सविता _चल हट बदमाश।
राजेश _चाची मेरे साथ सो जाओ न।
सविता _न बाबा, तुम्हारे चाचा जी को पता चला तो मैं उसे जवाब नही दे पाऊंगी मैं।
राजेश _अच्छा सुबह तक नही सो सकती तो कुछ समय तक ही सो जाओ जब मुझे नींद आ जाए तो, अपने कमरे में चली जाना, चाचा जी के पास।
सविता, कुछ सोचने लगी।
राजेश _चाची क्या सोचने लगी?
सविता _कुछ नही, अच्छा ठीक है, अभी तो तुम्हारे चाचा जी गहरी नींद में सोए हुए है। मैं एक घंटे यहीं रूक जाती हूं।
तुम सोने की कोशिश करो।
राजेश _अच्छा मेरे पास बैठो।
सविता बेड किनारे बैठ गई।
सविता _चलो अपनी आंखे बंद कर सोने की कोशिश करो।
राजेश _चाची, पूरा बदन दर्द से टूट रहा है। नींद कहा से आयेगी।
सुनो एक सिगरेट मिलेगा।
सविता _क्या? तुम सिगरेट पीते हो।
मैं तो तुम्हे शरीफ लडका समझता था।
राजेश _वो कभी कभी, ले लेता हूं।
सविता _और क्या क्या करते हो कभी कभी ,मैं भी तो जानू?
राजेश _चाची होगा तो दो ना, आज पीने का मन कर रहा है, पूरा बदन दुख रहा है।
सविता _न, मैं तुम्हे सिगरेट पीने नही दूंगी, इससे अच्छा मैं सरसो तेल से बदन की मालिश कर देती हूं।
मैं अभी सरसो तेल गर्म करके लाती हूं।
सविता कीचन में जाकर सरसो तेल गर्म करके लाती है।
सविता _चलो, तुम पेट के बल लेट जाओ। मैं तुम्हारे पीठ का पहले मालिश कर देती हूं।
राजेश पेट के बल लेट गया। सविता सरसो तेल पीठ में डाली, उसके बाद हाथो से मालिश करने लगी।
राजेश _वाह चाची आपके हाथो में तो जादू है, आपके हाथ लगते ही दर्द गायब होने लगा।
सविता _चलो अब पीठ के बल लेट जाओ, तुम्हारे हाथो की मालिश कर दू।
राजेश पीठ के बल लेट गया। सविता दोनो हाथो की बारी बारी से अच्छे से मालिश करने लगी।
राजेश ।
हाथो की मालिश करने के बाद सविता, के सीने की मालिश करने लगी।
राजेश सविता की ओर देखने लगा। सविता को जब लगा कि राजेश की नजर मुझे घूर रहा है?
सविता _क्या देख रहे हो?
राजेश _चाची तुम बड़ी सुन्दर लग रही हो इस नाइटी में।
सविता _देखो तुम ऐसे न देखो मेरी ओर, मुझे बड़ी शर्म आ रही है।
राजेश _तो क्या देखू? इन दीवारों को। नजरे तो उसी पर जाएगी न जो खूबसूरत हो।
राजेश _चाची, हमने तुम्हारे गांव का नाम रोशन किया, बोलो किया की नही।
सविता _हूं।
राजेश _तो, तुमने तो हमे इनाम दिया ही नहीं।
सविता _अच्छा, क्या इनाम चाहिए अपनी चाची से।
राजेश _युननन,,,
सविता _, तुम हकला क्यू रहे हो, बोलो क्या ईनाम चाहिए तुम्हे।
राजेश _चाची, डर लगता है कहीं तुम, बुरा तो नही मानोगी।
सविता _अरे नही मानूंगी, बताओ क्या चाहिए अपनी चाची से।
राजेश _एक किस दे दो।
सविता _छी, मैं तुम्हारी चाची हूं, प्रेमिका नही। तुम कुछ और मांग लो।
राजेश _ठीक है हमे जो चाहिए था हमने मांग लिया, आगे आपकी मर्जी, देना है की नही।
सविता _न बाबा, मैं ये काम नही कर सकती।
राजेश _चाची, अब हो गया मालिश, रहने दो जाओ अपने कमरे में आराम करो?
सविता _अरे अभी तो तुम्हारे पैरो की मालिश बांकी है।
राजेश _अब सारा दर्द खत्म हो गया। धन्य वाद मालिश करने के लिए। अब आप जाइए, कहीं चाचा जी उठ गए हो तो,,,
सविता _क्यू नाराज हो गया क्या मुझसे?
राजेश _नही, तो ।
सविता _अभी तो तुम मुझे साथ सोने बोल रहे थे, अब जाने बोल रहे हो,, ।
राजेश _साथ सुलाने का भी क्या फायदा जब एक किस नही दे सकती। इसलिए जाओ, अपने कमरे में।
सविता _हूं, मतलब तुम मुझे अपने साथ सुलाकर किस लेना चाहते थे।
बच्चू, मैं तुम्हे शरीफ लडका समझता था, पर तुम बदमाश निकले।
राजेश _हा, मैं बदमाश हूं, आवारा हूं।
अब जाओ, चाचा जी के पास कहीं उठ न गए हो,,,।
सविता _अच्छा ठीक है, मेरे गालों पर एक किस ले लो, और कोइ दूसरी शरारत न करना।
राजेश _न, मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए। आप जाओ।
सविता _अब ले लो बोल रही हूं तो भी नाटक, मुझे नही पता था कि तुम इतने नाराज भी होते हो।
राजेश _चाची जी, मैं आपसे नाराजनही हूं, कृपया अब आप जाइए, मुझे नींद आ रही है।
सविता _अच्छा ठीक है जाती हूं।
सविता राजेश के कमरे से निकल कर अपने कमरे में चली गई।
। वहा देखा उसका पति अभी भी नींद में खर्राटे भर रहा था।
सविता, वहा से निकलकर फिर राजेश के कमरे में चली गई।
राजेश _अरे आप फिर वापस आ गई। क्या huwa
सविता _तुम्हारे चाचा जी तो अभी भी नींद में खर्राटे भर रहे है।
राजेश _तो,,
सविता _सोंची, भूतो की डर से तुम रात भर जागते रहे तो तुम्हारी तबियत बिगड़ न जाए।कुछ देर तुम्हारे साथ सो जाती हूं। तुम्हे नींद आने के बाद चलिजाऊंगी।
राजेश _ये तो बड़ी खुशी की बात है।
सविता _पर एक शर्त है।
राजेश _कैसी शर्त?
सविता _तुम मुझसे कोइ सरारत नही करोगे?
राजेश _ठीक है, अब आ जाओ बेड में।
राजेश बेड के एक छोर पे लेट गया।
सविता दूसरे किनारे लेट गई।
और चादर गले तक ओढ़ ली।
सविता _अब मेरे तरफ यू टुकुर टुकुर क्या देख रहे हो।
राजेश _जुल्फे तेरी, चहेरा तेरा।
सविता _मुझे शर्म आ रही है।
राजेश _चलो अब मुझे मेरा ईनाम दो।
सविता _कौन सा ईनाम?
राजेश _वही किस वाली?
सविता _ठीक है, मेरे गालों पे ले लो, न दू तो तुम नाराज हो जाते हो।
राजेश, सविता के करीब आ गया।
हमें तो आपके होंटो पर किस करना है?
सविता _न बाबा, मैं तुम्हारी चाची हूं, प्रेमिका नही।
राजेश _तो कुछ देर के लिए आप मेरी प्रेमिका बन जाओ।
सविता _न, मैं तुम्हारी चाचा को धोखा नही दे सकती।
चलो गाल में ले लो।
सविता ने आंखे बंद कर ली।
राजेश ने उसकी गाल न चूम कर उसकीओंठ को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा।
सविता _ऊ न,,
करतीहुई राजेश को छुड़ाने लगी।
राजेश ने जब छोड़ा,,,
सविता _छी बेशरम आखिर, अपने मन की कर ही ली।
राजेश _या क्या चाची, तुमने ठीक से किस करने नही दी, छुड़ा दी। अब तुम्हे फिर से किस देना होगा। नही तो हम आपसे बात नहीं करेंगे।
सविता _नही बाबा, मैं और नही दे सकती, कहीं आस पास के भूतो न देख लिया तो, तुम्हारे चाचा जी को बता देगें मैं उसे मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी।
राजेश _चाची ये तो मैने सोंचा ही नहीं। इसका भी उपाय है मेरे पास। हम ये चादर ओढ़ लेते है फिर भूत नही देख पाएगा हम अंदर क्या कर रहे है? क्यू कैसी रही आइडिया।
सविता _सविता, तुम्हारे पास तो बड़ा दिमाक है।
राजेश, सविता के ऊपर आ गया, और चादर ओढ़ लिया। फिर उसके ओंठ चूसने लगा।
सविता सिसकने लगी।
वह ओंठ चूसने के बाद धीरे धीरे नीचे की ओर बड़ा और गर्दन को, चूमने लगा,
सविता सिसकते हुए बोली _छोड़ा न हो गया।
पर राजेश नही रुका आगे बढ़ता गया।
वह नाइटी का सामने का बटन खोल कर दूदू पीने लगा।
सविता सिसकने लगी।
राजेश अब बस करो हो गया,,
राजेश नीचे गया हाथ ले गया और एक हाथ से उसकी boor को रगड़ने लगा,,,
राजेश वहा नही,,,, वह सिसकते हुवे बोली।
पर राजेश नही रुका, वह पेटीकोट का नाडा खीच दिया। पेंटी गीली होने के कारण सविता ने पेंटी निकाला दी थी,,
राजेश ने, उसकी boor चाटना शुरु कर दिया,,,
सविता _राजेश क्या कर रहे हो, छी वहा गंदा है,, आह उन, आह,,,
राजेश नही रुका वह chut चूसता रहा, सविता की हालात खराब हो गई। वह बहुत उत्तेजित हो गई।
पहली बार कोइ उसकी chut चांट रहा था।
उसे बहुत मज़ा आने लगा। वह सिसकते हुवे राजेश की बालो को सहलाने लगी।
राजेश ने देर न करते हुवे अपना मोटा लंद उसकी boor के छेद में रखा और उसकी ओंठ चूसते हुवे, लंद का दबाव योनि पर डाला लंद धीरे धीरे सविता की योनि में सामने लगा।
अब राजेश अपनी कमर हिला हिला कर लंद को boor में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
सविता राजेश के पीठ को जकड़ लिया।
उसे भी मजा आ रहा था।
अब राजेश उकडू बैठ गया सविता की टांगो को फैला दिया। और उसकी चूची। मसल मसल कर गप गप चोदने लगा।
सविता के मुंह से मादक सिसकारी निकलकर कमरे में गूंजने लगी।
आह उन, आह, आह मां,,,
राजेश लगातार चोदता रहा,,,
सविता राजेश को जोर से जकड़ ली और झड़ने लगी।
राजेश चोदना बंद कर, उसकी चूचियों को मसल मसल कर पीने लगा। ओंठ चूसने लगा।
जिससे सविता फिर गर्म हो गई।
उसकी मुंह से सिसकारी निकलने लगी।
अब राजेश फिर से गप गप चोदने लगा।
फिर से सविताआह उह आई मां उन,,, आवाज़ निकालने लगी।
न राजेश छाड़ को फेक दिया और सविता को पलटाकर घोड़ी बना दिया।
राजेश फिर से सविता की कमर पकड़ कर gach gach चोदने लगा। कमरे में fuck fuk की आवाज़, सविता की चूड़ियों की खनक , उसकी मादक सिसकारी कमरे में गूंजने लगा।
राजेश जोर जोर से सविता को चोदने लगा। राजेश का लंद सविता की boor की गहराई में जाकर उसके बच्चे दानी को ठोकने लगा जिससे सविता को अलौकिक आनंद मिलने लगा।
Chudai में ऐसा मजा उसे पहले कभी नही मिला था।
वह अपनी कमर हिला हिला कर राजेश का साथ देने लगी।
राजेश ने उसकी नाइटी निकाल कर फेक दिया।
अब सविता सिर्फ पेटीकोट में थी।
राजेश सविता की दोनो चूचियां पकड़ कर कर चोदने लगा।
राजेश को सविता को चोदने में एक अलग ही मजा आ रहा था। उसकी boor एकदम टाइट थी, लंद कसा कसा अंदर बाहर हो रहा था।
बिल्कुल कुंवारी chut जैसा मजा दे रहा था।
इसके बाद राजेश सविता को कमर से पकड़ कर उठाया और बेड से नीचे उतार दिया, उसे बेड पकड़ा कर घोड़ी बनाकर कस कस कर चोदने लगा।
दोनो स्वर्ग का सैर करने लगे।
सविताको जो आनंद प्राप्त हो रहा था उसकी कल्पना उसने कभी नही की थी,। वह भी राजेश का पूरा साथ देने लगी।
राजेश ने चोदना बंद कर उसे खड़ा कर दिया फिर सविता को अपनी ओर घुमा कर उसकी ओंठ चूसने लगा।
सविता भी बहुंत गर्म थी, वह भी राजेश की ओंठो को चूसने लगी।
राजेश ने सविता की पेटीकोट भी उतार दिया।
सविता नंगी हो गई।
राजेश ने सविता को बेड किनारे लिटा दिया और फिर से उसकी boor चांटा और अपना लंद उसकी boor में उतार दिया।
वह सविता की दोनो चुचियों को मसल मसल कर चोदने लगा।
कमरे में फिर से सविता की मादक सिसकारियां गूंजने लगी।
सविता को इतना मजा आ रहा था कि वह अपने को न रोक सकी और राजेश को जकड़ कर झड़ने लगी।
राजेश चोदना बंद कर फिर से उसकी ओंठ चूसने लगा।
कुछ देर बाद राजेश ने सविता को अपनी गोद में उठा लिया, और अपने लंद को उसकी boor में डाल कर हवा में उछाल उछाल कर चोदने लगा।
सविता राजेश की मर्दानगी की दीवानी हो गई।
कुछ देर हवा में उछाल उछाल कर चोदने के बाद, उसे गोद में उठाकर बेड किनारे बैठ गया, उसके बाद दोनो एक दूसरे का ओंठ चूसने लगे।
राजेश , सविता को कमर उठा उठा कर चोदने लगा। सविता अपनी दोनो हाथ राजेश के गले में डालकर उछल उछल कर चुदने लगी, उसके बाद राजेश बेड पर लेट गया।
सविता उसके लंद पर बैठी रही।
राजेश के कंधे पर, हाथ रख उछल उछल कर चुदने लगी, राजेश भी सविता की कमर पकड़ कर नीचे से अपनी कमर उठा उठा कर उसका सहयोग करने लगा।
सविता की कामुक सिसकारी और चूड़ियों की खनक कमरे में गूंज रही थी। दोनो को संभोग का परम आनंद प्राप्त हो रहा था।
सविता उछलते उछलते ही इतनी उत्तेजित हो गई, वह फिर से झड़ने लगी वह राजेश की बाहों में ढेर हो गई।
राजेश प्यार से उसकी पीठ को सहलाने लगा।
कुछ देर बाद राजेश ने सविता को बेड में लिटा कर खुद उसके ऊपर आ गया।
और उसकी ओंठ चूसने लगा। उसकी चूची पीने लगा।
कुछ देर में ही सविता फिर गर्म हो गई।
राजेश ने सविता की कमर के नीचे तकिया लगा दिया। और अपना मोटा लंद उसकी योनि में डालकर चोदना शुरू कर दिया।
राजेश, सविता को इस पोजिशन में लगातार चोदता रहा। सविता फिर से जन्नत की सैर करने लगी।
आखिर अन्त में राजेश ने कराहते हुवे वीर्य की लंबी लंबी पिचकारी उसकी योनि में छोड़ने लगा।
सविता को बरसो बाद, अपनी योनि में गर्म वीर्य का अहसास पाकर फिर से झड़ने लगी।
उसकी योनि वीर्य से लबालब भर गई। और टांगो में बहने लगी।
राजेश सविता के ऊपर ढेर हो गया। सविता प्यार से उसका पीठ सहलाती रही।
कुछ देर बाद दोनो सामान्य हुवे।
दोनो थक चुके थे। दोनो जल्द ही नींद के आगोश में समा गए।
दो घंटे बाद सविता की नींद खुली, उसने देखा की रात के 3बज गए थे। वह बेड से उठी, और अपनी कपड़े पहनी। वह राजेश के पास बैठी राजेश सोया huwa था, उसकी बालो को प्यार से सहलाई और माथे पर चुम्बन ली। राजेश नंगा था। उसे चादर ओढ़ा दी।
उसके बाद वह कमरे से निकल कर अपने कमरे की ओर जाने लगी।
वह ठीक से चल नही पा रही थी, उसकी योनी में जलन हो रहा था। उसकी योनि अंदर छिल गई थी ।
वह अपने कमरे में गई। माधव अभी भी सोया huwa था। वह उसके बगल में जाकर ले गई।
जब वह उठी तो सुबह के 6बज चुके थे।
वह बाथरुम में नहाने गई।
उसने अपनी boor की हालत देखी जो सूज गई थी।
वह अपने आप से बोली।
कितना बड़ा लंद है बदमाश का, पूरी हो निचोड़ डाला मुझे। मैं तो इस शरीफ समझता था ये तो बड़ा खिलाड़ी निकला।
Boor की क्या हालत बना दिया है अपने मूसल से।
वह नहाकर निकली अपने कपड़े पहनी फिर माधव के उठाया।
माधव उठ कर फ्रेस हुवा।
और दुकान खोलने चला गया। सविता कीचन में चाय बनाने लगी।
चाय बनाने के बाद वह पहले दुकान में जाकर अपने पति को चाय दी, उसके बाद चाय लेकर राजेश के कमरे मे गई।
राजेश अभी भी सोया था। उसका लंद अभी खड़ा था, पेशाब भर गया था।
सविता _लो इसका तो अभी भी खड़ा है।
वह मुस्कुराने लगी।
वह राजेश को आवाज़ दी।
सविता _महाशय, उठो, सुबह के 7बज गए हैं और कितने देर तक सोते रहोगे।
राजेश ने अपनी आंखे खोला, सामने सविता खड़ी थी।
सविता _महाशय,अरे 7बज गया है, नींद पूरी नहीं हुई है क्या ?
राजेश _अरे चाची, आपने पहले क्यू नही उठाई?
सविता _मैं सोंची रात में लेट से सोए हो तो नींद पूरी नहीं हुई होगी। मैं तुम्हारे लिए चाय लेकर आई थी,वैसे अगर और सोने की इच्छा है तो सो सकते हो।
राजेश _अरे नही चाची। मैं तो 6बजे के पहले ही उठ जाता हूं।
सविता _चलो उठो और फ्रेस हो कर चाय पी लो।
राजेश तो नंगा था। जैसे ही उसने चादर हटाया, उसका खड़ा लंद सविता के आंखो के सामने आ गया।
सविता कमरे से जाने को हुई तो राजेश ने उसकी हाथ पकड़ लिया।
सविता _अरे छोड़ो न क्या कर रहे हो?
राजेश ने उसे खींचकर अपने गोद में बिठा लिया।
सविता _छोड़ो में, रात में इतना करने के बाद तुम्हारा मन नही भरा है क्या?
राजेश _नही, राजेश ने उसकी गाल में किस करते हुए उसकी कानो में धीरे से कहा चाची चलो न एक बार फिर से करते हैं।
सविता _न बाबा। तूने तो मेरी हालात ही खराब कर दी हैमैं ठीक से चल भी नहीं पा रही। मैं तो तुम्हे शरीफ लडका समझता था, तुम तो बदमाश निकले, कहा से सीखा ये सब।
राजेश _चाची, जानकर क्या करोगी? कहा से सीखा है सब, चलो न एक बार और करते हैं।
सविता _न छोड़ो मुझे,,, बहुत से काम है।
राजेश _अच्छा ठीक है पर तुम्हे मेरी एक इच्छा पूरी करनी होगी।
सविता _, कैसी इच्छा?
राजेश_मुझे पेशाब करवाना होगा।
सविता _छी, तुम कितने गंदे हो, कोइ छोटा बच्चा भी नही कहता की मम्मी मुझे पेशाब करा दो और तुम,
राजेश _, चाची मेरी एक छोटी सी इच्छा भी पूरी नहीं कर सकते। प्लीज चाची, मान जाओ न।
सविता _तू बड़ा जिद्दी है।
चल बाथरुम में।
राजेश बाथरुम में जाने लगा। उसके पीछे पीछे सविता भी गई।
सविता _बोलो, क्या करना है।
राजेश _पकड़ कर पेशाब कराओ और क्या?
सविता राजेश के पीछे खड़ी हो गई और राजेश का लंद अपने हाथो में पकड़ ली।
सविता _चलो, जल्दी करो।
राजेश _अरे चाची पेशाब ऐसे ही थोड़े ही बाहर आयेगी।
सविता _तो फिर,
राजेश थोड़ा आगे पीछे करो।
सविता _तू बड़ा बेशर्म है और मुझे भी बेशर्म बनाने में लगा है, पता नही कैसे मैं तुम्हारे बातो को मान लेती हूं। सविता राजेश के लंद को हिलाने लगी। राजेश ने जोर लगाया। पेशाब की तेज़ धार निकलने लगा।
पेशाब की धार बंद होने के बाद। सविता ने लंद हिला हिला कर आखिरी बूंद भी निकाल दिया।
उसके बस लंद कुछ नार्मल huwa।
उसके बाद दोनो कमरे में आए।
सविता _, अपने चाची के सामने नंगे ही रहोगे क्या?
राजेश _चाची तुम ही पहना दो ना चड्डी और टावेल।
सविता _हूं, तो यह भी मुझे करना पड़ेगा।
राजेश _हूं।
सविता ने राजेश को उसकी चड्डी पहनाकर टावेल लपेट दिया।
सविता _चलो चाय पी लो ठंडी हो जाएगी।
अपने हाथो से पियोगे या मुझे ही पिलाना पड़ेगा।
राजेश _अरे नही चाची, बहुत हो गया, अब आपको और तकलीफ नहीं दे सकता। मुझे माफ कर दीजिए।
सविता _किस बात के लिए माफी।
राजेश _आपको इतना तकलीफ दिया इसलिए,,
सविता _तू बड़ा शैतान है, पहले कैसे कैसे काम कराता है फिर माफी भी मांगता है।
अच्छा चाय पीकर तो बताओ, चाय कैसी बनी है?
सविता _आप तो पाक कला में निपुण हो चाय तो टेस्टी होगा।
राजेश ने चाय का एक घूंट पिया।
वाह सच में चाची बहुत ही टेस्टी बना है।
वचाची आपसे एक बात पूछनी थी।
सविता _पूछो क्या पूछनी है।
राजेश _अपनी कान पाक तो लाओ।
सविता अपनी कान राजेश के पास ले आया।
राजेश न धीरे से कहा _रात में आपको मजा आया कि नही।
सविता _सविता शर्मा गई।
वह वहा से चली जाने लगी।
राजेश _अरे चाची बताओ न,,,
उसके बाद राजेश, अपना शर्ट पैंट पहना और माधव और सविता से इजाजत लेकर,अपना बाइक लेकर अपने ताऊ जी के यहां चला गया।