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जब राजेश, घर लौट रहा था, तब रास्ते में कुछ नकाब पोश रास्ते में उसे रोका। राजेश ने गाड़ी रोक दिया।
राजेश _कौन हो तुम लोग?
नकाब पोश _हम कौन है ये जानकर क्या करोगे बे, चल जो भी तेरे पास है सब हमे दे दे।
राजेश _ओ हो तुम लोग लुटेरे हो।
नकाब पोश _तू, यहीं समझ ले। चल निकाल अपना पर्स, मोबाइल, घड़ी जो भी तेरे पास है।
राजेश _अगर न दू तो ।
नकाब पोश _सीधी से निकाल दे नही तो जान से जायेगा।
एक नकाब पोश ने राजेश का कालर पकड़ने की कोशिश किया।
राजेश ने एक मुक्का मारा।
नकाब पोश दूर जा गिरा।
नकाब पोश _मारो साले को,,
नकाब पोशो ने राजेश पर लाठी से हमला शुरू कर दिया।
राजेश ने भी उसका जमकर मुकाबला किया।
राजेश को भारी पड़ता देख एक नकाब पोश ने चाकू निकाल लिया। और राजेश पर पीछे से वार किया।
राजेश उसी समय घूम गया, चाकू उसके भुजा पर लगा।
जिससे राजेश के भुजा से खून बहने लगा।
राजेश क्रोधित हो गया।
वह जो भी नकाब पोश उसके पकड़ में आता, उसे बुरी तरह पिटना शुरू कर दिया।
राजेश का रौद्र रूप देख, सभी हमला वर कांपने लगे।
चाकू मारने वाले की हाथ पैर तोड़ दिया।
हमला वरो को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा।
ये हमला वर ठाकुर के आदमी थे।
दरसल मुनीम को जब पता चला की दिव्या के साथ राजेश मूवी देखने धरमपुर गया है, इस बात की जानकारी उसने फोन से ठाकुर को दिया।
ठाकुर _बोलो मुनीम जी, क्या बात है हवेली में सब ठीक तो है न।
मुनीम _अब क्या बताऊं ठाकुर साहब, यहां सब ठीक होता तो आपको फोन करता क्या?
ठाकुर _मुनीम जी घुमा फिरा कर बात मत करो, बोलो क्या huwa है हवेली में।
मुनीम _दिव्या बेटीआज राजेश को लेकर सिनेमा देखने गई है। वो भी बिना ड्राइवर के।
ठाकुर _मुनीम जी, ये क्या बोल रहे हो।
मुनीम _सच बोल रहा हूं ठाकुर साहब, जल्द कुछ कीजिए इसके पहले की हवेली की इज्जत कोइ मिट्टी में मिला दे।
ठाकुर _अब बहुत हो गया, इस साले का कुछ करना पड़ेगा।
मुनीम _ठाकुर साहब आप बोले तो मैं एक आइडिया दू।
ठाकुर _बोलो मुनीम, क्या कहना चाहते हो।
मुनीम _क्यू न आज रात हम, उसे रास्ते से हटा दे।
ठाकुर _अभी सामने चुनाव है, अगर लोगो को पता चल गया की मैने राजेश को मरवाया है तो पार्टी वाले मुझे टिकर नही देगें।
मुनीम _ठाकुर साहब, आप पर कोइ शक नहीं करेगा आप तो अभी कई दिनों से राजधानी में है।
आज रात जब राजेश अपने बाइक से घर लौटेगा। रास्ते हमारे आदमी को लुटेरे बनकर उन्हे रोकेंगे।
और उसे पीट पीट कर मार देगें उसके पास जो भी समान होगा, उसे लूट लेंगे।
लोग यहीं समझेंगे, लुटेरों ने राजेश को मारा है।
ठाकुर _ठीक है मुनीम जी, पर सब सावधानी से करना, मेरा नाम नही आना चाहिए।
मुनीम _ठाकुर साहब आप चिन्ता मत कीजिए किसी को शक नहीं होगा ये सब आपने करवाया है।
उसके बाद मुनीम ने अपने आदमियों को लेकर, रात में रास्ते के किनारे छिप गए।
वैसे भी रात में रास्ता सुनसान हो जाता है।
जब उन्हें कोइ बाइक की रोशनी दिखाई पड़ी।
मुनीम ने अपने आदमियों को बाइक रोकने के लिए रास्ते पे खड़ा कर दिया।
स्वयं पेड़ के पीछे छिपा हुआ था।
राजेश और ठाकुर के आदमियों के बीच जब, फाइट huwa, राजेश ने ठाकुर के आदमियों को बुरी तरह पीटा, वे अपनी अपनी जान बचाकर भागने लगे।
मुनीम भी छुपते छुपाते वहा से भाग गया।
कुछ देर बाद ठाकुर ने मुनीम को फोन लगाया।
ठाकुर _क्या huwa मुनीम जी काम huwa की नही?
मुनीम _ठाकुर साहब, ये राजेश तो चालक के साथ, ताकतवर भी निकला।
उसने तो हमारे ही आदमियों को बुरी तरह पीटा है, हमारे आदमियों को ही अपनी जान बचाकर भागना पड़ा। कुत्ते की तरह पीटा है हमारे आदमियों को। उसका रौद्र रुप देखकर तो अब क्या बताऊं आपको, मेरी भी मूत निकलने को आ गई थी।
ठाकुर _मुनीम जी, ये क्या बक रहे हो।
मुनीम _मैं सच कह रहा हूं, ठाकुर साहब।
पर आप घबराइए मत, उसे पता नही चला की हमला करने वाले हमारे आदमी थे।
इधर राजेश बाइक लेकर घर पहुंचा।
घर के लोग उसके आने का इन्तजार कर रहे थे।
पदमा _अरे बेटा आ गया।
राजेश _हां, ताई।
तभी पदमा ने राजेश के कपड़े में खून देखा।
पदमा घबराते हुए पूछी _अरे बेटा तुम्हारे कपड़ो पे ये खून कैसा?
राजेश _कुछ नही ताई रास्ते पर कुछ लुटेरों ने मुझे लूटना चाहा, मैने मना किया तो उसने मुझ पर हमला कर दिया।
पुनम _हे भगवान, तुम्हारे भुजा से तो बहुत खून निकल रहा है।
राजेश का कपड़ा भी धूल मिट्टी से सना हुआ था। उसके शरीर पर भी डंडे लगे थे जिसके निशान उभर आए थे।
घर के सभी लोग बहुत घबरा गए।
पदमा _हे भगवान, अरे कोइ डाक्टर को बुलाओ।
केशव _मैं अभी रवि को बुलाकर लाता हूं।
इधर हवेली में दिव्या, अपने कमरे में बेड पर लेट कर आज दिन भर जो घटना क्रम हुवे उसे याद कर रही थी। और उस पल को जब राजेश उसके सीने से लगा huwa था को याद कर मुस्कुरा रही थी।
उसे लगा की राजेश से पूछना चाहिए की वह घर सकुशल पहुंचा कि नही।
उसने राजेश को काल किया,,,
पुनम ने काल उठाया,,,
पुनम _कौन बोल रही हो?
दिव्या _जी, मैं दिव्या बोल रही हूं, हवेली से,,,
आप कौन बोल रही है?
पुनम _छोटी राजकुमारी जी आप,मैं उसकी भाभी बोल रही हूं जी, वह रूवासी होकर बोली।
दिव्या जी _भाभी, क्या huwa
पुनम _कुछ लोगो ने रास्ते में राजेश पर चाकू से हमला कर दिया, बहुत खून बह रहा है, वह रूवासी सुबकते हुए बोली।
दिव्या घबरा गई।
वह तुरंत अपनी नाइटी उतारी और सलवार सूट पहन ली । वह फर्स्ट एड बॉक्स लेकर अपनी मां के रूम में जाकर आवाज़ दी।
दिव्या _मां, मां,,
रत्नवती _क्या huwa बेटी?
दिव्या _मां मैं सुरज पुर जा रही हू,।
रत्नवती _बेटी इतनी रात को, क्या huwa है?
दिव्या _मां रास्ते में राजेश पर कुछ लोगो ने चाकू से हमला कर दिया, उसके उपचार के लिए मुझे जाना होगा।
रत्नवती _पर बेटा, इतनी रात को अकेली जाना।
दिव्या _मां मेरा जाना जरूरी है?
रत्नवती _ने माखन को फोन लगाया।
कुछ देर में ही माखन पहुंच गया।
माखन _रानी मां आपने मुझे बुलाया।
रत्नवती _हा माखन, दिव्या सुरज पुर जा रही है।
तुम कुछ आदमियों को लेकर उसके पीछे जाओ। उसकी सुरक्षा के लिए।
माखन _ठीक है रानी मां, आप चिन्ता न करें।
दिव्या अपनी कार में ड्राइवर के साथ सुरज पुर के लिए निकल पड़ी।
उसके पीछे पीछे माखन कुछ और आदमियों को लेकर जीप में निकला।
कुछ ही देर में वह सुरज पुर पहुंच गई।
गांव का एक व्यक्ति दिखाई पड़ा उसको राजेश के घर ले जाने कहा।
वह भी घबरा गया, ये तो ठाकुर के आदमी है।
ये राजेश के बारे में क्यू पुछ रहे हैं।
कहीं यू राजेश को नुकसान पहुंचाने तो नही आए है।
उसने कहा, मुझ नही पता राजेश कहा रहता है?
माखन _साले इसी गांव में रहता है और मालूम नही तुझे, राजेश का घर, खोपड़ी फोड़ू क्या तेरी? उस व्यक्ति के कालर पकड़ते हुए कहा।
उस व्यक्ति ने कहा _मुझे मत मारो, वो उधर है राजेश का घर, उंगली से इशारा करते हुवे कहा।
माखन _चल बे जीप में बैठ, उसके घर तक चल।
वह आदमी न चाहते हुए भी जीप में बैठ गया और राजेश का घर ले गया।
दिव्या अपनी कार से उतरी ।
दिव्या _माखनके पास जाकर बोली, तुम लोग बाहर ही रहना मेरे आते तक।
माखन _जी छोटी मालकिन।
जब दिव्या अंदर गई। उसने देखा राजेश घर के बरामदे में कुर्सी पर बैठा है घर के सभी लोग उसे चारो ओर से घेरे हुए है।
रवि वहा पहुंच गया था। वह चाकू से लगा जख्म को देख रहा था।
जब दिव्या वहा पहुंची तो सभी लोग उसकी ओर देखने लगे।
राजेश _दिव्या जी आप यहां, इतनी रात को,,,
दिव्या _राजेश, क्या huwa है तुम्हे?
राजेश _कुछ नही huwa है दिव्या जी, देखो न घर के लोग खमोखा परेशान हो रहे हैं। बस मामूली जी चोट आई है, पर आपको किसने बताया कि मुझे चोंट लगी है। आपको इतनी रात में नही आना चाहिए था।
दिव्या _राजेश, मैने तुम्हे काल किया था कि तुम घर पहुंचे की नही, भाभी ने बताया कि तुम पार कुछ लोगो ने रास्ते में हमला कर दिए।
दिखाओ मुझे कितनी चोटें आई हैं।
पदमा _बेटी, देखो न पूरा कपड़ा खून से सन गया है।
रवि _दिव्या जी, मैने खून की सफाई की पर खून अभी भी बह रहा है।
दिव्या _ओह माई गॉड, काफी बड़ा कट गया है, और गहरा भी।
भाभी पहले एक बाल्टी में पानी और एक साफ तौलिया लाओ।
पुनम _जी, अभी लाई।
दिव्या _राजेश तुम अपना सारा कपड़ा उतार अंडर वियर के ऊपर ये तौलिया लपेट लो।
पुनम ने बाल्टी में पानी और एक तौलिया
रवि ने राजेश के सारे कपड़े उतारने लगे।
राजेश _अरे यार ये क्या कर रहा है? क्यू सबके सामने मेरी इज्जत उतार रहा है।
रवि ने राजेश के सारे कपड़े उतार दिए उसके अंडर वियर के ऊपर एक तौलिया लपेट दिया।
उसके बाद दिव्या ने राजेश की पूरे शरीर को गीले कपड़े से अच्छे से साफ करने लगी।
पीठ पर कुछ डंडे के निशान भी पड़े थे।
एक दो पेट और सीने पर भी।
दिव्या _राजेश आखिर वो कौन लोग थे, जिसने तुम पर हमला किया।
दिव्या _कुछ लुटेरे लोग मुझे लूटना चाहते थे मैने विरोध किया तो मुझ से हमला कर दिया, वैसे मैने भी उन्हें अच्छा सबक सिखाया है? आज के बाद वे किसी और को लूटने की हिम्मत नहीं करेंगे।
दिव्या ने चाकू से बने जख्म को देखा।
दिव्या _काफी लंबा कट गया है।
इसमें टांके लगाने पड़ेंगे।
उसने अपने प्राथमिक उपचार किट से, टांका लगाने की सामग्री निकाली।
दिव्या _रवि , तुम्हे तो टांका लगाना आता होगा।
रवि _हां, दिव्या जी।
दिव्या ने राजेश का बाह पकड़ा, रवि टांका लगाने लगा।
टांका लगाने के बाद उस पर दवाई लगाकर दिव्या ने पट्टी बांध दी।
जिससे खून बहना बंद हो गया।
रवि _राजेश तुमने तो टांका लगाते समय अप भी नही किया। बहुत हिम्मती हो।
दिव्या _इसकी हिम्मत को मैं अच्छी तरह जानती हूं।
दिव्या ने जहा जहा चोट लगी थी सभी जगह मलहम लगाई।
और राजेश को कुछ टैबलेट खाने को दी। ताकि दर्द कम हो जाए।
उदिव्या _राजेश, अब चलो तुम अपने कमरे में, आराम करो।
जख्म ठीक होने में कुछ दिन लगेंगे इसलिए इज हाथ से अभी कोइ भारी चीज मत उठाना।
पदमा _बेटी हम राजेश का पूरा ख्याल रखेंगे, इसे कोइ भारी चीज उठाने नही देगें।
पुनम और दिव्या राजेश को उठाकर उसके कमरे में ले गए।
राजेश को बेड पर लिटा दिया।
राजेश _दिव्या जी, अब आपको घर के लिए निकालना चाहिए, काफी रात हो गई है! मां जी चिंतित होगी।
दिव्या _ठीक है मैं चली जाऊंगी, पहले ये बताओ, अभी कैसे फील कर रहे हो।
राजेश _मैं अब बिल्कुल ठीक हूं। आपका शुक्रिया दिव्या जी। और सॉरी।
दिव्या राजेश के पास कुर्सी पर बैठ गई,,,
दिव्या _ये सॉरी किस लिए?
राजेश _मेरे कारण आपको रात में तकलीफ उठाना पड़ा।
तभी ठकुराइन का फोन दिव्या के मोबाइल पर आता है।
रत्नावति _बेटी, राजेश कैसा है?
दिव्या _मां राजेश बिल्कुल ठीक है, थोड़ा जख्म जरूर है पर जल्दी ठीक हो जायेगा।
रत्ना वति _चलो,जानकर अच्छा लगा, राजेश को ज्यादा चोटें नही आई है , वह ठीक है। बेटी अब तुम भी घर आ जाओ रात काफी हो गई है।
दिव्या _ठीक है मां।
मैं कुछ देर में ही निकलती हूं।
दिव्या ने पुनम को कुछ दवाई और मलहम दे दी, जिसे समय पर लगाने और खिलाने को बोली। और कुछ हिदायत दी।
पुनम _आप, जैसे बताई मैं ध्यान रखूंगी छोटी राजकुमारी जी।
दिव्या _भाभी आप मुझे राजकुमारी न बोला करे, वह हंसते हुवे बोली। मेरा नाम ले सकती हो।
पुनम _आप तो इस क्षेत्र के राजकुमारी ही हो, आपका नाम लेते अच्छा नही लगेगा, छोटी राजकुमारी जी।
दिव्या _भाभी आप मेरा नाम ले सकती हो मुझे बुरा नही लगेगा।
_अच्छा राजेश, अब तुम आराम करो। मैं चलती हूं।
राजेश _ठीक है दिव्या जी।
दिव्या _भाभी तुम राजेश का ख्याल रखना कोइ भी समस्या हो तो मुझे काल करना।
पुनम ने हां में सिर हिलाया।
दिव्या जब घर जाने लगी,,,
पदमा _बेटी , कोइ घबराने की बात तो नही।
दिव्या _नही, मां जी, घबराने की कोइ बात नही, राजेश का जख्म कुछ दिनों में ठीक हो जायेगा।
अच्छा अब मुझे इजाजत दीजिए, मैं चलती हूं।
पदमा _ठीक है बेटी, आपका बहुत बहुत धन्यवाद, मुझे तो अब भी यकीन नही हो रहा, राजकुमारी इतनी रात को मेरे घर इलाज करने आई है। आपकी मां ने सच में बहुत ही अच्छे संस्कार दिए है।
दिव्या _मैं एक डाक्टर भी हू, मेरा फर्ज है मरीज का इलाज करना। डॉक्टरी की पढ़ाई की ही किस लिए।
पदमा _ये तो तुम्हारा बड़प्पन है बेटी।
पउसके बाद दिव्या वहा से घर के लिए निकल गई, पीछे पीछे माखन भी अपने साथियों के साथ निकल पड़े।
रवि _अच्छा मां जी अब मैं भी घर निकलता हूं।
पदमा _ठीक है बेटा, पर राजेश का हालचाल पूछने आते रहना।
रवि _बिल्कुल मां जी मैं आता रहूंगा। आप चिन्ता न करें राजेश जल्दी ठीक हो जायेगा।
इपदमा _अब चलो सभी, अपने अपने कमरे में जाकर सो जाओ।
मैं राजेश के कमरे में आज सो जाती हूं, नीचे बिस्तर लगाकर,पता नही रात में उसे किसी चीज की जरूरत हो तो।
केशव _हा, ठीक कह रही हो आज तुम राजेश के कमरे में ही बिस्तर लगाकर सो जाओ।
सभी अपने अपने कमरे में सो गए और पदमा राजेश के कमरे में पलंग के नीचे बिस्तर लगाकर।
पदमा जब सुबह उठी तो राजेश सो रहा था।
पदमा राजेश के माथे को चूम ली। और प्यार से उसकी बाल को सहला कर, मुस्कुराते हुवे चली गई।
इधर सुबह होते ही यह बात जंगल में आग की तरह फैल गई की राजेश पर कल रात कुछ लोगो ने हमला किया है।
जिससे उसको चोटें आईं हैं।
जब सविता को पता चला, तो वह तुरंत अपने पति माधव के साथ राजेश को देखने पदमा के घर पहुंच गई।
पदमा ने दरवाजा खोली।
पदमा _अरे छुटकी तुम, आओ अंदर आओ।
बड़ी दिनो बाद घर की याद आई।
माधव _प्रणाम भाभी।
पदमा _कैसा है देवर जी
माधव _हम अच्छे है भाभी।
पदमा _आओ देवर जी।
आओ बैठो।
सविता _जानती हूं दीदी आप मुझसे नाराज है।
पदमा _सविता अब छोड़ो उन बातो को।
सविता _दीदी जब पता चला कि राजेश पर कल रात कुछ लोगो ने हमला किया है, हम से रहा नही गया हम देखने चले आए, अभी कैसा है राजेश?
पदमा _ठीक है, अभी सोया है। वैसे तो सुबह इतने समय उठ जाता है पर हो सकता है दवाई के असर के कारण,,,
सविता _दीदी, आप हमे रात में ही फोन करके बता सकती थी, हमे तो आप बिल्कुल पराया ही समझने लगी आप।
पदमा _अरे छुटकी, रात काफी हो गई थी, इसलिए किसी को खबर नही की।
सविता _दीदी हम राजेश से मिल सकते हैं।
पदमा _क्यों नही, आओ,,
सविता और माधव पदमा के पीछे पीछे जाने लगे।
पदमा, राजेश के बाल सहलाती हुई बोली।
पदमा _अरे राजेश बेटा, आंखे खोलो देखो कौन आया है तुमसे हालचाल पूछने।
राजेश ने आंखे खोला, सामने सविता और माधव को देखा।
राजेश _अरे चाचा और चाची, इतनी सुबह आप दोनो यहां,,
राजेश उठने की कोशिश करने लगा।
सविता _अरे बेटा लेटा रह।
जैसे पता चला तुम पर कुछ लोगो ने हमला किया है हमसे रहा नही गया हम दौड़े चले आए।
राजेश _चाची मुझे कुछ नही huwa है, मैं बिल्कुल ठीक हूं।
माधव _अरे बेटा, आखिर कौन लोग थे जिसने तुम पर हमला किया? तुमने उसे पहचाना।
राजेश _चाचा जी, वे नकाब पोश थे, वे मुझे लूटने के लिए आए थे जब मैने विरोध किया तो उन लोगो ने मुझ पर हमला कर दिया।
सविता _ ये भुजा पर पट्टी कैसी?
पदमा _चाकू से हमला किया है? उन पापियों ने। बहुत सा खून बह गया मेरे बेटे का।
राजेश _अरे ताई, तुम्हारा बेटा इतना कमजोर नही है, मैने भी सालो को ऐसा पीटा है की फिर कभी किसी को लूटने से पहले सौ बार सोचेगा।
सविता _अच्छा राजेश तुम आराम करो, अब हम लोग चलते हैं।
पदमा _अरे छुटकी तुम लोग बड़े दिन बाद आए हो चाय पीकर जाना।
अरे बहु,, कहा हो,,
पुनम अपने कमरे से बाहर निकली,,
पुनम _क्या huwa मां जी?
पदमा _देखो तो कौन आए हैं?
पुनम _अरे चाचा चाची आप दोनो, पान्यलागु।
सविता _जी ती रह, बहु।
पदमा _अरे बहु बहुत दिनों बाद घर आए है तुम्हारे चाचा चाची उनके लिए चाय तो बना दो।
पुनम _जी मां जी।
सविता _दीदी ज्योति भी तो आई हुई है न? दिखाई नहीं दे रही।
पदमा _आरती और ज्योति दोनो अपने कमरे में सो रही होगी।
अरे बहु दोनो को उठाओ तो कब तक सोती रहेगी, दोनो।
पुनम _दोनो को उठाने उसके कमरे में गई।
कुछ देर बाद ज्योति और किरण दोनो कमरे से बाहर आए।
ज्योति _अरे चाचा, चाची, आप दोनो,
दोनो के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
सविता_अरे ज्योति कितना माह चल रहा है तुम्हारा।
ज्योति शर्मा गई।
पदमा _9वा माह पूरे होने को है। बस अच्छा से निपट जाए, भगवान से यहीं प्रार्थना करते है।
सविता _हूं।
तभी वहा आरती भी आ गई।
आरती _प्रणाम चाचा जी, प्रणाम चाची।
माधव _खुश रह बेटी।
आरती _कैसा, चल रहा है तुम्हारा स्कूल का काम?
आरती _जी, चाची, बहुत अच्छा।
तभी पुनम चाय लेकर आई।
पदमा _अरे बहु, राजेश को भी चाय डी देना।
पुनम _जी मैं जी।
चाय पीने के बाद,,,
माधव _अच्छा भाभी अब हमे इजाजत दीजिए, दुकान खोलनी है?
आरती _हां, दीदी अब हम चलते है? आप भी हमारे घर बैठने आया करो? आप तो कभी आई ही नहीं।
पदमा _ठीक हैं छुटकी, कभी आऊंगी।
माधव और सविता चले गए।
इधर सभी लोग अपने अपने काम में लग गए।
आज राजेश, आखाड़ा पर नही गए। वहा मोहन और उसके दोस्तो को जब पता चला कि राजेश को चोंट लगी है। कुछ दिनों बाद कबड्डी प्रतियोगिता शुरू होना है, वे चिंतित हो गए।
वे सोच में पड़ गए कि लगता है इस बार भी खिताब जितने का सपना अधूरा रह जायेगा।
इधर घर में कुछ देर बाद भुवन, खेत से पहुंचा।
उसे घर आते समय, लोगो ने बता दिया कि राजेश पर हमला huwa है।
वह भागते हुए घर पहुंचा।
भगत _मां, मां,, कहा हो, ये मैं क्या सुन रहा हूं, कल रात राजेश पर किसी ने हमला किया है? कहा है राजेश, वह ठीक तो है न!
पदमा _हा बेटा, राजेश ठीक है, घबराने की कोइ बात नही। राजेश अपने कमरे में आराम कर रहा है!
भुवन राजेश के कमरे में गया।
राजेश _अरे भुवन भैया आ गए खेत से।
भुवन _वो सब छोड़ो, पहले ये बताओ तुम ठीक तो हो।
भुवन _भैया मैं बिल्कुल ठीक हूं कुछ नही huwa है मुझे।
भुवन _फिर ये पट्टी क्यू लगी है?
राजेश _अरे थोड़ा खरोच आया है भैया, जो जल्दी ठीक हो जायेगा।
भुवन _मां मुझे रात में इस घटना की जानकारी क्यू नही दी।
पदमा _अरे बेटा, तू घबरा न जाए इसलिए तुमको नही बताया।
भुवन _राजेश आखिर कौन लोग थे जिसने तुम पर हमला किया।
राजेश _कुछ लुटेरे थे भैया, जो मुझे लूटना चाहते थे मैने विरोध किया तो मुझ पर हमला कर दिया।
भुवन _तुमने उन लोगो को पहचाना नही।
राजेश _नही भैया वे नकाब लगाए हुवे थे।
भुवन _राजेश अब तुम अकेले बिल्कुल नहीं जाओगे। मुझे लगता है कुछ लोग तुम्हे नुकसान पहुंचाना चाहते है?
राजेश _कौन मुझे नुकसान पहुंचाना चाहेगा भैया? बिना सबूत के किसी पर सक करना ठीक नहीं।
भुवन _हूं, कौन लोग थे जिसने तुम पर हमला किया यह पता लगा कार रहुंगा।
राजेश तुम आराम करो।
भुवन कमरे से बाहर आ गया।
भुवन _मां मुझे तो लगता है ये काम ठाकुर का है?
पदमा _इस ठाकुर का हम बिगाड़ भी क्या सकते हैं बेटा, अगर उसने ऐसा करवाया होगा तो,,
भुवन _हम चुप बैठेंगे नही अगर ऐसा huwa है तो,,,
पदमा _मुझे तो बड़ी चिन्ता हो रही है बेटा,,
तुम पता नही, रात को ठाकुर की बिटिया राजेश का इलाज करने आई थी?
आखिर इतनी रात को, एक लड़की कैसे आ सकती है इलाज करने, एक राजकुमारी होकर।
भुवन _क्या, दिव्या जी आई थी, रात को राजेश का इलाज करने?
पदमा _हां बेटा, यहीं तो चिन्ता का विषय है।
राजेश और दिव्या की निकटता बढ़ती जा रही है!
हो सकता है यह बात ठाकुर को पता चल गया हो,,,
भुवन _हूं, ये तो बड़ा चिन्ता का विषय है।
पदमा _हमे कुछ करना होगा? नही तो ये ठाकुर फिर से राजेश को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा।
भुवन भी चिंतित हो गया,,,
इधर ठाकुर ने मुनीम को फोन लगाया।
मुनीम _बोलिए, ठाकुर साहब।
ठाकुर _अबे वहा का माहौल क्या है? किसी को सक तो नही हुआ? की हमला हमने करवाया है।
मुनीम _ठाकुर साहब, आप चिन्ता न करे? मैने दूसरे गांव से आदमी बुलवाए थे।
यहां के लोगो को पता नहीं चल सकेगा कि हमला करने वाले कौन थे।
कुछ लोगो को जो ज्यादा चोटें आई है उसे धरम पुर के प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने बोल दिया हूं।
ठाकुर _ये अच्छा किया तुमने।
मुनीम _पार हुजुर, हमारी चिन्ता और बड़ गई है।
ठाकुर _क्यों, क्या हुआ? मुनीम _दिव्या बेटी को जैसे ही पता चला कि राजेश पर हमला huwa है?
दिव्या बेटी, रात में ही राजेश के इलाज करने सुरज पुर चली गई।
ठाकुर _मुनीम जी, ये क्या कह रहे हो।
मुनीम जी _ये सच है ठाकुर साहब।
दिव्या बिटिया और राजेश के बीच बढ़ती निकटता को नही हटाया तो,,,,
आप किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे?
ठाकुर _मुनीम जी जुबान सम्हाल कर बात करो। ठाकुर चीखते हुए कहा?
मुनीम _माफ करना, ठाकुर साहब। पर हवेली की इज्जत की चिन्ता मुझे भी है आखिर जो कुछ मेरे पास है आपने ही तो दिया है।
ठाकुर _आज बरसो बाद किसी ने मुझे चैलेंज किया है? बस सही मौका मिलने दो फिर खेल खत्म साले की।
मुनीम _मौका तो मिला था, ठाकुर साहब, उल्टा हमारे आदमी ही पिट कर आ गए। साले में बहुत ताकत है।
और चालाकी तो आप जानते ही हैं!
ठाकुर _हूं, इसके लिए कुछ नया सोचना पड़ेगा।
मैं दो दिन बाद भानगढ़ पहुंच रहा हूं, फिर सोचेंगे क्या करना है?
इधर दिव्या अपनी ड्यूटी में जाने से पहले, राजेश से मिलकर उसके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेना चाहता था।
वह निकलने ही वाली थी तभी,,
रत्नावती _अरे बेटी, आज जल्दी जा रही ड्यूटी।
दिव्या_हा मां मैं पहले सुरज पर जाऊंगी, राजेश का स्वास्थ्य कैसा है? पता करने फिर स्वास्थ्य केंद्र।
रत्नवती _अच्छा बेटी रुको मैं भी चलती हूं।
दिव्या _ठीक है मां।
रत्ना वती और दिव्य दोनो कार सी सुरज पुर के लिए निकल पड़े।
गांव के लोग उन्हें आश्चर्य से देखने लगे।
जब वे घर पहुंची।
पदमा, चौंकते हुवे बोली,,
पदमा _ठकुराइन आप,,,
ठकुराइन _हा, वो राजेश का हाल चाल पूछने आई थी कैसा है वह अभी?
पदमा _आइए न अंदर आइए, ये तो हमारे लिए बड़ी गर्व की बात है आप यहां आई,,
दिव्या बिटिया की उपकार है जो रात में ही इलाज करने आ गई। और सही समय में इलाज की। नही तो हम लोग तो बहुत घबरा गए थे।
आओ मैं आपको राजेश से मिलाती हूं।
पदमा, रत्नवती को लेकर राजेश के कमरे मे गई पीछे दिव्या भी गई।
पदमा _देखो बेटा कौन आया है?
राजेश _अरे मां जी आप?
रत्ना वती _कैसे हो राजेश? जब मुझे दिव्या ने बताया कि तुम पर कुछ लोगो ने हमला किया है तब से चिंतित थी, इस लिए मिलने चली आई।
राजेश _मां जी मैं बिल्कुल ठीक हूं, पर ये लोग मेरा सुनते ही नहीं मुझे बेड से उठने भी नही दे रहे। कहते है तुम आराम करो।
दिव्या जी आप ही समझाइए इन लोगो को।
दिव्या _पहले मुझे चेक तो करने दो, तब पता चलेगा की तुम ठीक हो की नही।
दिव्या मुस्कुराते हुए बोली।
राजेश _हा हा चेक करके देख लीजिए।
दिव्या राजेश का चेकअप करने लगी।
दिव्या,_मां जी आप लोग थोड़ा बाहर जाएंगी क्या मैं राजेश का थोड़ा चेक अप कर लूं।
पदमा _ठीक है बेटी।
पदमा और रत्नवती _दोनो कमरे से बाहर चली गई।
दिव्या ने राजेश का चादर पकड़ कर खींचा।
राजेश _दिव्या जी ये आप क्या कर रही हैं? मैं सिर्फ अंडरवियर मे हूं।
दिव्या _तो, चेक तो करनी पड़ेगी, जहां जहां चोटें लगी है। चलो दिखाओ मुझे। रात में तो मलहम लगाई थी न।
राजेश _रात की बात और थी।
दिव्या _तो, अब क्या बात हो गई?
राजेश _मुझे शर्म आएगी।
दिव्या _हसने लगी।
_पर क्यू?
राजेश _बस ऐसे ही।
दिव्या _हूं, चलो, मुझसे शर्माना बंद करो और चादर हटाओ।
दिव्या ने जोर लगाकर चादर हटा दिया।
राजेश सिर्फ चड्डी में था।
दिव्य ने दिन में जब सेक्स की फौलादी बॉडी देखी तो मोहित होने लगी,,
राजेश _दिव्या जी कहां खो गई,,,
दिव्या, शर्मा गई,,
दिव्या _ओह कुछ नहीं?
दिव्या राजेश के शरीर पर लगे चोट को हाथ से सहलाते हुए पूछी दर्द है क्या?
राजेश _दर्द तो था पर आपके हाथ लगते ही दर्द कहा गया पता नही?
दिव्या जी आपके हाथो में तो जादू है?
दिव्या _मुझसे बदमाशी कर रहा है? मुस्कुराते हुए बोली।
राजेश _नही दिव्या जी सच कह रहा हूं।
दिव्या _वैसे तुमने बहुत अच्छी बॉडी बनाई है? तभी तो दस दस लोगो पर अकेले भारी पड़ता है।
दिव्या _मैं मलहम लगा देती हूं।
राजेश _जैसे आप उचित समझे, पर मुझे नही लगता की मलहम लगाने की जरूरत है।
दिव्या _हां, तुम्हारा शरीर तो चट्टान से बना है न, मलहम की जरूरत नही।
दिव्या हाथ में मलहम लेकर राजेश के बदन पर मलने लगी।
मलहम लगाने के बाद,,
दिव्या _अब कैसे महसूस कर रहे हो।
राजेश _बिल्कुल अच्छा नही?
दिव्या _पर क्यू? अभी तो बोल रहे थे कि मेरे हाथ लगते ही। सारे दर्द दूर हो गए।
राजेश _दर्द तो दूर हो गया पर आपसे सेवा कराते मुझे अच्छा नही लग रहा।
दिव्या _पर क्यू?
राजेश _क्यू की मैं आपकी बहुत इज़्जत और सम्मान करता हूं?
दिव्य _पार मैं तो एक डाक्टर हूं न सेवा करना मेरा फर्ज है।
राजेश _डॉक्टर तो हो पर यहां की राजकुमारी भी तो हो।
दिव्या _मैं कोइ राजकुमारी नही, अगर खुद को राजकुमारी समझती तो डाक्टर क्यू बनती?
मुझे तो लोगो की मदद करना अच्छा लगता है?
राजेश _ये तो आपका बड़प्पन है, दिव्या जी।
दिव्या _हूं, अब मैं चलती हूं? तुम आज घर मे ही आराम करना।
भाभी को मैं समझा दूंगी, तुम्हे समय पर टैबलेट देने के लिए। और मलहम के लिए।
दिव्या _मैं कल फिर आऊंगी।
राजेश _ठीक है जी।
उसके बाद दिव्या पुनम को राजेश का देखभाल के लिए निर्देश देकर अपनी मां के साथ वहा से चली गई।
स्वास्थ्य केंद्र जाने के बाद मरीजों का हालचाल पूछी। उसके बाद वह अपने केबिन में पहुंची। चारोओर घने बादलछाए थे।
तेज़ हवाएं चलने लगी।
दिव्या कमरे की खिड़की से बाहर झांक कर देखी।
कुछ पानी की बूंदे उस पर पड़ी।
वह खिड़की बंद की औरजाकर अपनी चेयर पर बैठ कर कुछ सोचने लगी।
दिव्या रात मे ठीक से सो नहीं पाई थी, उसकी नींद लग गई।
वह सपने देखने लगी,,,
सपने में वह राजेश के साथ नदी के किनारे घूमने गई है, चारो ओर घने बादल छाए हुए हैं,,
बारिश में दोनो भीग जाते है फिर एक झोपड़ी में चले जाते हैं। फिर दोनो गीत गा रहे है,,,
आखिर, वह दिन आ गया जब भानगढ़ में कबड्डी प्रतियोगिता होना था। जिला स्तर पर यह खेल ठाकुर बालेंद्र सिंह के पुरुखो द्वारा आयोजित किया जाता रहा है,उस परंपरा को ठाकुर बालेंद्र सिंह ने आज भी कायम रखा है।
आज भानगढ़ में लोगो की, खिलाड़ियों की, अधिकारी कर्मचारियों की भीड़ लगी हुई है।
खेल मैदान के आसपास, दुकान सजा huwa है, जिसमे खाने पीने और अन्य सभी प्रकार के चीजे बिकने के लिए सजाया गया है। गांव में जगह जगह प्रवेश द्वार लगाया गया है, पोस्टर बैनर से प्रवेश द्वार को सजाया गया है।
पांच दिवसीय यह खेल आयोजित किया गया है, एक प्रकार से गांव में खेल मेला लगा huwa है।
दूर से आए खिलाड़ियों के लिए ठहरने एवम खाने पीने की व्यवस्था, हवेली द्वारा किया गया है।
जिले में चार ब्लॉक है। लक्ष्मण पुर, धरमपुर, गणेशपुर और अंचलपुर।
प्रत्येक ब्लॉक से 8बेस्ट टीमों के बीच यह प्रतियोगिता होनी है।
पांच दिवसीय इस खेल प्रतियोगिता में पहले दिन 8मैच होने है। पहले दिन धरम पुर और लक्ष्मण पुर के टीमों के बीच मैच होनी है। प्रत्येक टीम को एक मौका ही मिलना है अगर वे मैच हारते है तो सीधे बाहर हो जायेंगे। जितने वाला टीम अगले चरण में पहुंच जायेंगे।
पहले दिन 8मैच होने है, आठ विजई टीम अगले चरण में पहुंचेंगे।
इसी प्रकार दूसरे दिन गणेश पुर और अंचलपुर के टीमों के बीच मैच खेले जाने है। जिसमे 8विजई टीम अगले चरण में पहुंचेंगे।
तीसरे दिन धरम पुर और लक्ष्मण पुर के विजई टीमों का मुकाबला, गणेशपुर और अंचल पुर ब्लॉक के विजई टीमों के बीच होना था जिसमे 8मैच खेलें जायेंगे और इन 8 टीमों के बीच मुकाबला 4थे दिन होने है, चौथे दिन 6मैच होंगे और अंतिम पांचवे दिन फाइनल मैच खेला जाएगा। विजेता बनने के लिए किसी टीम को अपने सभी पांच मैच जीतने होंगे।
जितने वाले टीम को 10लाख रुपए इनाम दिए जायेंगे।
आज पहले दिन खेल का उदघाटन होना है, उदघाटन के लिए राज्य के खेल मंत्री को आमन्त्रित किया गया है। ठाकुर बालेंद्र सिंह इस खेल के अध्यक्ष और आयोजक है।
पहला मैच भानगढ़ और चिता पुर के बीच खेला जाना है।
मैदान के तीन और दर्शक दीर्घा बनाया गया है सामने अतिथियों के लिए मंच सजाया गया है।
मंच पर सभी आमन्त्रित अतिथि पहुंच चुके है।
दर्शक दीर्घा पूरी तरह दर्शकों से खचाखच भर गया है। अतिथियों ने मंच के सामने रखे ठाकुर के पूर्वजों की फोटो पार माल्यार्पण किया, उसके बाद बाहर से आए सभी अतिथियों का स्वागत किया गया। खेल मंत्री और ठाकुर के अभिभाषण के पश्चात उदघाटन मैच शुरू हो गया।
पहला मैच भानगढ़ और चिता पुर के टीम के बीच खेला जाना था। दोनो टीमों के खिलाड़ियों के मैदान में उतरते ही सभी दर्शकों ने तालिया बजाकर उनका स्वागत किया।
दोनो टीमों के खिलाड़ी काफी उत्साहित नजर आ रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे वे कबड्डी नही कुश्ती लड़ने के लिए आए हो।
कबड्डी के लिए स्फूर्ती, चालाकी और ताकत तीनो चीजों का होना जरूरी होता है।
अब देखना यहीं था किस टीम के खिलाड़ियों में ये तीनो गुण मौजूद है।
टूर्नामेंट में भाग लेने वाले सभी टीम के खिलाड़ी भी मैच देखने, दर्शक दीर्घा में बैठे थे ताकि वह मैच देखकर विजेता टीम के खिलाड़ियों के गुण दोष कमजोरी और मजबूती का अवलोकन कर अपनी योजना बना सके।
राजेश भी अपने टीम के खिलाड़ियों के साथ, दर्शक दीर्घा पर मौजूद था।
मैच रेफरी के सिटी बजाते ही भानगढ़ टीम का एक रेडर विरोधी टीम के पाले में कबड्डी कबड्डी बोलते हुवे विरोधी टीम के खिलाड़ियों को छूने उतर पड़ा, चिता पुर के डिफेंडरों ने रेडर को पकड़ने के लिए बहुत कोशिश किया पर उसे पकड़ नही पाया, और रेडर ने एक खिलाड़ी को टैग कर छूकर अपने पाले में वापस आ गया। भानगढ़ टीम को एक अंक प्राप्त हो गया। टैग किए खिलाड़ी मैदान से बाहर हो गया।
उसके बाद चितापुर का रेडर कबड्डी कबड्डी बोलते हुवे, टैग करने,भानगढ़ टीम के पाले में उतरा, चिता पुर के दर्शक चिल्ला चिल्ला कर अपने गांव के खिलाड़ी का हौसला बढ़ा रहे थे तो भानगढ़ के दर्शक अपने टीम के खिलाड़ियों को रेडर को पकड़ने के लिए उन्हे जोश दिला रहे थे। आखिर भानगढ़ के खिलाड़ी, रेडर को पकड़ने में सफल हो गया, वे चारो तरफ से रेडर को पकड़ कर घेर लिया, रेडर उनसे बच कर वापस नहीं आ सका, और भानगढ़ टीम को एक अंक और मिला, इस प्रकार मैच 20मिनट तक चला, पहले हाफ में भानगढ़ के टीम, चिता पुर के टीम पर भारी पड़ा ।
पहले हाफ में भानगढ़ के टीम ने 10अंको की बढ़त बना ली।
उसके बाद 5मिनट का ब्रेक दिया गया इस दौरान, टीमों के मार्गदर्शक अपने अपने टीम के खिलाड़ियों को आवश्यक दिशा निर्देश देने लगे।
5मिनट बाद फिर से खेल प्रारंभ huwa दूसरे हाफ में भी भानगढ़ का टीम अपना जोश और ताकत के दम पर चिता पुर के पूरी टीम को आउट कर दिया और बोनस अंक भी प्राप्त कर लिया। और भानगढ़ के टीम भारी अंको के अंतर से मैच जीत लिया।
चिता पुर के खिलाड़ी, और दर्शक काफी निराश हो गए, क्यू की वे टूर्नामेंट से बाहर हो गए थे। जबकि भानगढ़ के टीम के खिलाड़ियों, और दर्शक काफी उत्साहित थे, अपने टीम के खिलाड़ियों के प्रदर्शन देखकर उन्हे लग रहा था कि इस बार भी टूर्नामेंट का विनर हम ही बनेंगे।
ठाकुर भी अपने गांव के टीम का प्रदर्शन देख कर गर्व महसूस करने लगा।
अगला मैच सुरज पुर और जशपुर के बीच खेला जाना था। राजेश ने अपने टीम के खिलाड़ियों को आवश्यक दिशा निर्देश, दिया।
कुछ ही देर बाद दोनो टीमों के खिलाड़ी मैदान में उतर चुके थे दर्शकों ने अपनी अपनी टीमों के लिए ताली बजाकर उनका स्वागत किया।
सुरज पुर के खिलाड़ियों ने जोर दार खेल का प्रदर्शन किया अपने विरोधी टीम पर हमेशा दबदबा बनाकर रखा, पहले एवम दूसरे हाफ दोनो में विरोधी टीम के मुकाबले भारी अंक हासिल किए और विरोधी टीम को भारी अंको के अंतर से मैच हराया।
सुरज पुर अगले चरण में पहुंच गया तो जशपुर वाले टूर्नामेंट से बाहर हो गए। सुरज पुर वाले काफी उत्साहित नजर आ रहे थे तो ठाकुर को सुरज पुर वालो का यह प्रदर्शन खटकने लगा।
इसके बाद 6और मैच हुवे।
करीब शाम 6बजे प्रथम दिवस खेल के समापन का घोषणा huwa, इसके बाद सभी दर्शक अपने अपने घर के लिए रवाना हो गए, कुछ अपने टीम के जीत से उत्साहित से तो कुछ अपने टीम को टूर्नामेंट से बाहर होने से निराश थे।
जो अतिथि एवम टीम दूर से आए थे उनके ठहरने खाने पीने की व्यवस्था किया गया था, तो वे भानगढ़ में ही रुक गए।
अगले दिन फिर से सुबह 9बजे से खेल प्रारंभ हो गया दूसरे दिन गणेश पुर और अंचलपुर ब्लॉक के टीमों के बीच मुकाबला huwa, जिसमे कुल 8मैच खेलें गए, 8विजई टीम अगले चरण में पहुंचे। और हारने वाले 8टीम टूर्नामेंट से बाहर हो गए।
तीसरे दिन, धरमपुर _लक्ष्मणपुर के विजई टीमों का मुकाबला अंचल पुर _ गणेश पुर के विजई टीमों के बीच होना था। अधिकारियों ने चिट के माध्यम से कौन सा टीम किस टीम से भिड़ेगा, इसका घोषणा किया।
तीसरे दिन खेल प्रारंभ होने से पहले ही टीमों को पता चल गया की उसकी भिडंत किस टीम से होनी है।
तीसरे दिन पहला मैच भानगढ़ के टीम का मोतीपुर के साथ होना था।
रेफरी के सिटी बजाते ही खेल प्रारंभ huwa, इस बार भानगढ़ वालो को मोतीपुर के टीम ने कड़ा टक्कर दिया। अन्त में भानगढ़ वाले ही जीते लेकिन मोती पुर वाले टीम ने भानगढ़ वाले टीम के खिलाड़ियों की पसीने छुड़ा दिए।
आज का आखिरी मैच, सुरज पुर और भीमपुर के बीच huwa,
सुरज पुर के खिलाड़ियों ने भीम पुर के खिलाड़ियों को आसानी से हरा कर, अगले चरण में पहुंच गया।
राजेश ने अपने टीम के खिलाड़ियों की बड़ी तारीफ किया और अगले चरण में ऐसे ही जोश बनाए रखने के लिए कहा।
इधर ठाकुर बालेंद्र सिंह आज भानगढ़ के टीम के खिलाड़ियों के प्रदर्शन से खुश नहीं थे उसने माखन को बुलाया।
माखन _हुजुर आपने मुझे बुलाया।
ठाकुर _माखन तुम तो कह रहे थे कि हमारी टीम, बहुत मजबूत है।
ये तो दूसरे चरण में ही लड़खड़ा गए थे। मुझे नही लगता ये टीम कल मैच जीत पाएगी।
उधर सुरज पुर वालो का खेल देखकर तो ऐसा लग रहा है की इस बार वो जबरदस्त तैयारी करके आए है।
माखन हमारी टीम को मजबूत बनाओ, मैं नही चाहता की सुरज पुर वाले विजेता बने।
माखन _ठाकुर साहब आप चिन्ता न करें हमारी टीम ही, विजेता बनेगी, कल मैं खुद ही मैदान में उतरूंगा।
ठाकुर _ये ठीक रहेगा, माखन मुझे तुम पर भरोसा है तुम मुझे निराश नहीं करोगे।
तीसरे दिन तीसरे और चौथे चरण का मैच होना था।
तीसरे चरण में 8 टीम पहुंचे थे, कुल चार मैच होने थे इसमें विजई टीम के बीच सेमीफाइनल का मैच खेला जाना था।
अधिकारियों ने चिट ड्रा के माध्यम से यह घोषणा किया की तीसरे चरण में कौन सा टीम किस टीम के साथ भिड़ेगा।
आज भानगढ़ की टीम माखन के आने से काफी उत्साहित और जोश में थे।
तीसरे चरण का पहला मैच भानगढ़ और धावलपुर के बीच होना था।
माखन के मैदान में उतरते ही, दर्शक माखन माखन, चिल्लाने लगे।
रेफरी के सीटी बजते ही खेल प्रारंभ huwa,
धवल पुर का रेडर, भानगढ़ के खिलाड़ियों को टैग करने मैदान में उतरा, वह कबड्डी कबड्डी कहतेहुए खिलाड़ियों को छूने की कोशिश किया।
पर माखन ने उसे दबोच लिया।
वह माखन से स्वयं को छुड़ा नही सका, और अपने पाले में वापस जा नही सका।
उसके बाद माखन स्वयं, विरोधी खिलाड़ियों को टैग करने के लिए मैदान में उतरा, विरोधी टीम के तीन खिलाड़ी उसे पकड़ लिए, लेकिन माखन को अपने पाले में जाने से रोक नही पाए।
तीनो खिलाड़ी मैदान से आउट हो गए।
भानगढ़ वाले माखन माखन, चिल्लाने लगे और तालिया बजाने लगे।
माखन के सामने, धवल पुर के खिलाड़ी टिक नही पाए और अन्त में धवल पुर के टीम बुरी तरह हार गया। भानगढ़ सेमीफाइनल में पहुंच गया।
चौथा मैच सुरज पुर और मानपुर के बीच huwa,
सुरज पुर वालो ने अपने टीम के समर्थन में खुब नारे लगाए।
सुरज पुर और मानपुर के बीच कड़ा मुकाबला huwa और अन्त में सुरज पुर विजई huwa, और सेमीफाइनल में पहुंच गया ।
तीसरे चरण के मैच सम्पन्न होने के बाद, अधिकारियों चौथे चरण के मैच किसके किसके बीच होने है उसका घोषणा किया गया।
1घंटा ब्रेक देने के बाद, सेमीफाइनल मैच का पहला मुकाबला, सुरज पुर और हीरापुर के बीच मैच प्रारंभ huwa, दोनो के बीच कड़ा मुकाबला huwa, और अन्त में बहुत कम अंक के अंतर से सुरज पुर विजई होकर, फाइनल में पहुंच गया।
सेमीफाइनल का दूसरा मैच भानगढ़ और आतंकपुर के बीच huwa,
खिलाड़ियों के मैदान में उतरते ही लोग माखन माखन चिल्लाने लगे। आतंक पुर के खिलाड़ी भी काफी मजबूत न, ताकत वर दिखाई पड़ रहे थे, फिर भी माखन को रोकने में असफल रहे और अन्त में भानगढ़ की टीम ने भारी अंको के अंतर से आतंक पुर के खिलाड़ियों को हरा दिया।
चारो तरफ माखन माखन ही गूंज रहा था। लोग अब कहने लगे थे की इस बार भी भानगढ़ का टीम ही विजेता बनेगी।
इधर सुरज पुर वाले चिंतित नजर आ रहे थे, उन्हे लग रहा था की इस बार भी भानगढ़ वाले ही विजेता बनेंगे।
इधर गांव पहुंचने के बाद सुरज पुर के सभी खिलाड़ी अखाड़े पर एकत्रित हुए ताकि कल की योजना बनाया जा सके।
मोहन _राजेश,कल की मैच हमारे लिए काफी मुस्किल होने वाला है। माखन को पकड़ पाना हम सबके लिए बहुत बड़ी चुनौती है। जब तक वह पकड़ में नहीं आएगा हम मैच जीत नही पाएंगे।
आज के मैच में तो छोटू को भी चोट आया है, उसके पैर में मोच आ गया है। वह ठीक से चल नही पा रहा है।
अब छोटू की जगह आप को ही मैदान में उतरना पड़ेगा। जिससे हमारी टीम के खिलाड़ियों का उत्साह बडेगा।
सभी खिलाड़ियों ने मोहन की बातो का समर्थन किया।
राजेश _अगर आप लोगो को लगता है की मेरे मैदान में उतरने से टीम का हौसला बड़ेगा तो ठीक है कल मैं भी आप लोगो के साथ मैदान में उतरूंगा।
राजेश का फाइनल मैच खेलने की बात, कुछ ही देर में पूरे गांव में फैल गया।
पर गांव वालो का उत्साह नही बड़ा, उन्हे लग रहा था की माखन को शायद ही कोई रोक पायेगा।
इधर जब ठाकुर को पता चला की कल के मैच में राजेश भी खेलेगा।
ठाकुर खुश हो गया,,,
उनके लिए यह एक मौका था, सुरज पुर वालो के साथ साथ राजेश को नीचा दिखाने का।
ठाकुर _मुनीम जी, कल का मैच बड़ा खास है, कल पता चलेगा साले में कितना दम है, बड़ा हीरो बनता फिर रहा है। शाले मेरी बेटी को पाने का ख्वाब देख रहा है?
मुनीम _जी हुजुर, मैच हारते ही शाले की इज्जत सबके सामने उतर जाएगी। उसकी सारी हीरो गिरि उतर जाएगी।
ठाकुर और मुनीम दोनो हसने लगे, हा, हा हा, हा,,,
अगले दिन फाइनल मैच देखने भानगढ़ और सुरज पुर के पूरे गांव वाले अपना काम धाम छोड़कर समय पर पहुंच चुके थे दर्शक दीर्घा में खचाखच भीड़ थी। बैठने के लिए लोगो को जगह नहीं मिल रही थी।
फाइनल मैच देखने के लिए कई अतिथि गण, दूर दूर से आए थे। आज मंच पर ठाकुर का पूरा परिवार मौजूद था।
साथ ही सुरज पुर के सरपंच सविता जी, भी मौजूद थी। जो रत्नवती के बाजू में बैठी थी। रत्नवती भानगढ़ की सरपंच थी तो सविता सुरज पुर की।
आज के मैच में मैन ऑफ द मैच को देने के लिए 2लाख की बाइक भी मंच केसामने रखा गया था।
दिव्या को जैसे ही पता चला की राजेश भी खेल में उतरने वाला है वह खेल देखने बहुत हो गई। वैसे उसे कबड्डी खेल में कोइ खास रुचि नही थी, पर राजेश के खेल में भाग लेने की बात जानकर उत्साहित हो गई, पर वह सोचने लगी राजेश का जख्म तो पूरी तरह ठीक नहीं huwa है। उसे खेल मे उतरना नही था।
आज अतिथियों के द्वारा, ठाकुर के पुरखो के छाया चित्र पर माल्यार्पण के बाद, अतिथियों का स्वागत किया गया।
उसके बाद खेल प्रारंभ करने की अनुमति दिया गया।
दोनो टीम के खिलाड़ियों के मैदान में उतरते ही लोग अपने अपने खिलाड़ियों के सपर्थन में नारे लगाने लगे।
रेफरी ने सीटी बजाई,
सुरज पुर टीम से सबसे पहले मोहन भानगढ़ टीम के खिलाड़ियों को टैग करने, कबड्डी कबड्डी बोलते हुए, मैदान में उतरा, वह कम से कम एक खिलाड़ी को टैग कर, अपने पाले में लौटना चाहता था,माखन के इशारे पर डिफेंडर्स ने मोहन को घेर लिया, फिर माखन ने मोहन को दबोच लिया।
वह अपने पाले में लौट न सका उसे मैदान से बाहर जाना पड़ा।
मोहन के आउट होने से सुरज पुर को झटका लगा, क्यू की अभी तक जितने भी मैच हुए उसे जितने में मोहन का बड़ा योगदान था।
सुरज के लोग निराश हो गए। तो भानगढ़ वाले उत्साहित,,
इसके बाद भानगढ़ की टीम की ओर से टैग करने के लिए माखन स्वयं आया। लोग माखन माखन चिल्लाने लगे।
माखन कबड्डी कबड्डी बोलते हुवे, विरोधी के पाले में गया, उसने बड़ी फुर्ती दिखाते हुए तीन खिलाड़ियों को टैग करते हुवे, अपने पाले में वापस आ गया।
माखन के समर्थक ताली बजाने लगे।
सुरज पुर के तीन और खिलाड़ी, आउट हो गए।
भानगढ़ की टीम, चार अंक से बढ़त बना लिया।
सुरज पुर टीम के पाले में राजेश सहित सिर्फ तीन खिलाड़ी रह गए थे।
राजेश ने सुरज पुर के एक और खिलाड़ी को विरोधी के पाले में टैग करने के लिए भेजा।
वह खिलाड़ी भी, माखन द्वारा दबोच लिया गया।
सूरजपुर वाली को लगने लगा की, अब मैच जीतना मुस्किल है।
उधर भानगढ़ के कुछ लोग, सुरज पुर वाले को चिढ़ाने लगे।
जब राजेश के कानो तक, कुछ युवाओं की हरकते पहुंची उसे गुस्सा आया।
जैसे ही, भानगढ़ के खिलाड़ी, टैग करने के लिए उसके पाले में आया, वह खिलाड़ी राजेश को टैग करने के लिए अपना हाथ सामने किया।
राजेश ने फुर्ती से उसकी कलाई पकड़ ली।
खिलाड़ी ने अपने को छुड़ाने की कोशिश किया।
राजेश की पकड़ इतनी मजबूत थी की वह छुड़ा न सका, और वह हापने लगा।
भानगढ़ के खिलाड़ी के पकड़ में आते ही, सुरज पुर वालो में जोश आ गया। वे राजेश राजेश चिल्लाने लगे।
सूरजपुर वालो को एक अंक हासिल होने के साथ मोहन मैदान में लौटा।
उसके बाद मोहन फिर टैग करने के लिए, विरोधी टीम के पाले में गया, और माखन से सावधान रहते एक खिलाड़ी को टैग करने में कामयाब रहा।
इस प्रकार एक और अंक हासिल हो गया।
माखन ने अपना एक और खिलाड़ी टैग करने के लिए विरोधी पाले पर भेजा,। खिलाड़ी बिना किसी को टैग किए, अपने मैदान में वापस आ गया।
उसके बाद, टैग करने के लिए राजेश स्वयं कबड्डी कबड्डी कहते हुवे, विरोधी के पाले में गया, माखन से सावधानी बरतते हुवे वह, दो खिलाड़ियों को टैग करते हुए। अपने पाले में सुरक्षित वापस आ गया और दो अंक हासिल किया। इसके साथ ही दोनो टीमों के अंक बराबर हो गए।
सुरज पुर वालो में जोश आ गया, उन्हे लगने लगा की इस बार हम कड़ा टक्कर देने जा रहे हैं। राजेश ने उनके उम्मीद बड़ा दिया।
अगले बार माखन, फिर टैग करने आया , मोहन ने स्फूर्ति से उसपर झपट्टा मारा, एक और खिलाड़ी ने उसका साथ दिया पर माखन को रोक पाने में असमर्थ रहा और अपने पाले में सुरक्षित लौट आया,
भानगढ़ फिर से 2अंको की बढ़त बना लिया।
इस तरह मैच चलता रहा, और पहले हाफ में भानगढ़ वाले 4अंको से आगे रह गए थे। और सुरज पुर के पाले में सिर्फ तीन खिलाड़ी मौजूद थे, जबकि भानगढ़ के पाले में सभी खिलाड़ी।
5मिनट का ब्रेक huwa, सभी खिलाड़ी विचार विमर्श करने लगे आगे क्या करना है।
इधर भानगढ़ के लोग आस्वस्त थे की हमारी टीम ही जीतेगी, तो सुरज पुर वाले भी अपने टीम की हौसला बढ़ाने में लगे थे।
दूसरे हाफ में रेफरी के सीटी बजाते ही, माखन, मैदान में उतरा वह एक खिलाड़ी को टैग कर वापस अपने पाले में आ गया।
सुरज पुर का एक खिलाड़ी और कम हो गया।
अब राजेश और एक अन्य खिलाड़ी ही रह गए थे। अब राजेश खुद टैग करने के लिए मैदान में उतरा, लोग राजेश राजेश चिल्लाने लगे।
राजेश को भानगढ़ के खिलाड़ियों ने पकड़ने की कोशिश की पर पकड़ नही पाए राजेश तीन खिलाड़ियों को टैग कर अपने पाले में वापस आ गया, और सुरज पुर टीम को तीन अंक हासिल huwa, और तीन मोहन के साथ दो अन्य खिलाड़ी भी मैदान में वापस आ गया।
सुरज पुर के लोगो में काफी उत्साह आ गया।
भानगढ़ केवल दो अंक से आगे रह गए थे।
उसके बाद मोहन विरोधी टीम के खेमे में कबड्डी कबड्डी बोलते हुए टैग करने गया। और एक खिलाड़ी को टैग कर वापस अपने मैदान में आ गया।
अब सुरज पुर केवल एक अंक से पीछे रह गया।
माखन, टैग करने के लिए उतरा और उसने दो तीन खिलाड़ियों को टैग करके अपने पाले में आपस आ गया।
मोहन सहित टीम के दो अन्य खिलाड़ी बाहर हो गए।
भानगढ़ 4अंक से आगे हो गया।
माखन आगे योजना बनाया की, कोइ भी राजेश को पकड़ने की कोशिश नही करेगा, उससे बचेगा। ताकि उन्हें अंक हासिल ना हो। और हम जीत सके।
राजेश जब टैग करने गया, तो विरोधी टीम उसे पकड़ने की कोशिश नही किए वे राजेश से बचने लगे।
राजेश को खाली ही जाना पड़ा जिससे समर्थक निराश हो गए।
इधर सुरज पुर के खिलाड़ी एक एक कर आउट होने लगे। सुरज पुर 6अंको से पिछड़ गया।
अब सिर्फ पांच मिनट ही शेष रह गए थे।
इधर सुरज पुर पाले में सिर्फ राजेश शेष रह गया था। जबकि भानगढ़ टीम के पाले में सभी खिलाड़ी।
अब माखन राजेश को टैग करने के लिए, उतरा, उसने ठाकुर की ओर देखा।
ठाकुर ने माखन को इशारा किया की इस बार राजेश को छूकर ही आना।
माखन कबड्डी कबड्डी कहते हुए, राजेश को छूने के लिए आगे बड़ा, इस बार राजेश ने माखन को और अंदर घुसने दिया।
राजेश को छूने के लिए, माखन ने बोनस लाइन तक पहुंच गया।
राजेश ने चीते की तरह माखन पर झपट्टा मारा, और माखन को अपनी भुजा पे दबोच लिया।
माखन ने राजेश की भुजाओं से आज़ाद होने अपनी सारी ताकत झोंक दिया। इधर दर्शक दीर्घा में सन्नाटा छा गया, क्यू की कबड्डी नही कुश्ती शुरू हो गया था।
राजेश ने माखन को अपनी भुजाओं में दबोचे रखा।
माखन राजेश की भुजाओं से छूटने का काफी प्रयास किया लेकिन अपनी सांस को और अधिक देर तक रोके नहीं रख सका, वह हापने लगा।
लोगो को यकीन नहीं हो रहा था की राजेश ने माखन को अकेले ही पटक दिया।
सुरज पुर वाले राजेश राजेश चिल्लाने लगे।
उसके बाद राजेश ने टैग करने के लिए, विरोधी टीम के पाले में कबड्डी कबड्डी बोलते हुए दौड़ पड़ा, और बोनस लाइन को छूकर वापस मुढा तभी सभी खिलाड़ियों ने राजेश को पकड़ लिया।
दो खिलाड़ियों ने राजेश के हाथ, दो ने पैर एक ने गर्दन और एक पीछे से पेट पकड़ रखा था।
राजेश ने कबड्डी कबड्डी बोलते हुए, अपना पूरा ताकत लगाया, और आगे बड़ने लगा, पेट पकड़ने वाले अब राजेश के टी शर्ट को पकड़ लिया, राजेश ने जोर लगाया उसका टी शर्ट फैट गया, एक खिलाड़ी पीछे गिर गया।
राजेश का सक्सपैक लोगो के सामने आ गया, सभी अपनी सांसे थामे मैच देख रहे थे।
गीता और दिव्या भी अपनी सांसे थामी राजेश के इस रूप को देखने लगी।
राजेश ने पूरा ताकत लगाते हुवे, अपनी हाथ को छुड़ाया और जमीन पे नीचे गिर कर अपनी हाथ से लाइन को छू लिया।
रेफरी ने सीटी बनाया। क्यों की राजेश ने क्रास लाइन छू लिया था।
चारो तरफ राजेश राजेश गूंजने लगा।
टाइम कीपर ने सीटी बजाया।
खेल का समय भी पूरा हो चुका था , और सुरज पुर ने 2अंक से भानगढ़ के टीम को हरा दिया।
राजेश को लोगो ने भाग कर अपने कंधे में उठा लिया और राजेश बाबू जिंदा बाद के नारे लगाने लगे।
इधर ठाकुर का मुंह लटक गया।
भानगढ़ के लोगो ने भी राजेश का जमकर तारीफ करने लगे। वे भी उसके फैन बन गए।
रत्नवती ने सविता को बधाई दिया, उसके गांव का टीम जो विजेता बन गया था।
उसके बाद जीतने वाले टीम को इनाम देने के लिए बुलाया गया।
रत्नवती ने अपने हाथो से सुरज पुर के टीम को दस लाख का चैक दिया । और उपविजेता बनी भानगढ़ के टीम को गीता ने 3लाख का चेक दिया।
मैन आफ द मैच का घोषणा। किया गया।
लोग राजेश राजेश चिल्लाने लगे।
ईनाम के लिए राजेश को मंच पर बुलाया गया।
और दिव्या ने राजेश को बाइक की चाबी शौपते हुवे धीरे से कहा, अपनी बाइक पर घुमाने कब ले जा रहे हो मुझे,,,
राजेश ने कहा, जब आप कहे,,
इसके बाद विजेता टीम को आज हवेली में ही रुकना था, क्यू की पुराने नियमो के अनुसार आज विजेता टीम को हवेली में साही भोज दिया जाना था।
शाही भोज में बाहर से आए अतिथि लोग भी मौजूद थे।
ठाकुर किसी आवश्यक काम आ जाने का बहाना बनाकर हवेली से बाहर चला गया।
शाही भोज का नेतृत्व ठकुराइन रत्नवती ने किया।
शाही भोज में खाने पीने, नाचने गाने की व्यवस्था किया गया था।
गांव की सरपंच सविता भी मौजूद थी।
रत्नवती ने राजेश को बेहतरीन प्रदर्शन के लिए बधाई दिया। राजेश ने उसका पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
गीता , राजेश के इस प्रदर्शन से आश्चर्य में थी, उसका सिक्स पैक लुक अभी भी उसकी आंखो के सामने आ जा रही थी।
वह राजेश को मैच विनर बनने के लिए बधाई दिया।
गीता _राजेश, तुम तो छुपे रुस्तम निकले। बधाई हो मैच विनर बनने के लिए।
राजेश _थैंक यू दीदी।
गीता _वैसे बहुत अच्छी बॉडी बना रखी है तुमने।
राजेश _आज, तो इसी का चलन है दीदी,,,
गीता _हा वो तो है, मुस्कुराते हुवे बोली,,
दिव्या _सुरज पुर वालो के लिए आज बढ़ी खुशी का दिन है।
आज राजेश इस मौके पर हमे गीत सुनाएगा।
वहा सभी मौजूद लोगो ने, राजेश को गीत के लिए दबाव बनाया।
राजेश _ठीक है पर एक शर्त पर गीता दीदी और दिव्या जी आप दोनो को भी मेरा साथ देना होगा।
सभी के रिक्वेस्ट करने पर दोनो तैयार हो गई।
फिर गीता, दिव्या और राजेश तीनो ने जबरदस्त परफॉर्मेंस दिया।
रत्नादेवी और सविता साथ ही थी।
रत्ना देवी गीता को बहुत दिनो बाद खुश देख रही थी। उसे नाचते देख आश्चर्य करने लगी।
इधर माखन, को अभी भी यकीन नही हो रहा था की राजेश से वह हार गया। आज तक वह इस क्षेत्र का सबसे ताकत वर पुरुष माना जाता था लेकिन आज राजेश ने उसका क्रेज खत्म कर दिया था। वह काफी गुस्से में था। उसने गुस्से में अपने ही साथी जो राजेश का तारीफ कर रहा था को मार डाला।
और राजेश से बदले की आग में जलने लगा।
आखिर, वह दिन आ गया जब भानगढ़ में कबड्डी प्रतियोगिता होना था। जिला स्तर पर यह खेल ठाकुर बालेंद्र सिंह के पुरुखो द्वारा आयोजित किया जाता रहा है,उस परंपरा को ठाकुर बालेंद्र सिंह ने आज भी कायम रखा है।
आज भानगढ़ में लोगो की, खिलाड़ियों की, अधिकारी कर्मचारियों की भीड़ लगी हुई है।
खेल मैदान के आसपास, दुकान सजा huwa है, जिसमे खाने पीने और अन्य सभी प्रकार के चीजे बिकने के लिए सजाया गया है। गांव में जगह जगह प्रवेश द्वार लगाया गया है, पोस्टर बैनर से प्रवेश द्वार को सजाया गया है।
पांच दिवसीय यह खेल आयोजित किया गया है, एक प्रकार से गांव में खेल मेला लगा huwa है।
दूर से आए खिलाड़ियों के लिए ठहरने एवम खाने पीने की व्यवस्था, हवेली द्वारा किया गया है।
जिले में चार ब्लॉक है। लक्ष्मण पुर, धरमपुर, गणेशपुर और अंचलपुर।
प्रत्येक ब्लॉक से 8बेस्ट टीमों के बीच यह प्रतियोगिता होनी है।
पांच दिवसीय इस खेल प्रतियोगिता में पहले दिन 8मैच होने है। पहले दिन धरम पुर और लक्ष्मण पुर के टीमों के बीच मैच होनी है। प्रत्येक टीम को एक मौका ही मिलना है अगर वे मैच हारते है तो सीधे बाहर हो जायेंगे। जितने वाला टीम अगले चरण में पहुंच जायेंगे।
पहले दिन 8मैच होने है, आठ विजई टीम अगले चरण में पहुंचेंगे।
इसी प्रकार दूसरे दिन गणेश पुर और अंचलपुर के टीमों के बीच मैच खेले जाने है। जिसमे 8विजई टीम अगले चरण में पहुंचेंगे।
तीसरे दिन धरम पुर और लक्ष्मण पुर के विजई टीमों का मुकाबला, गणेशपुर और अंचल पुर ब्लॉक के विजई टीमों के बीच होना था जिसमे 8मैच खेलें जायेंगे और इन 8 टीमों के बीच मुकाबला 4थे दिन होने है, चौथे दिन 6मैच होंगे और अंतिम पांचवे दिन फाइनल मैच खेला जाएगा। विजेता बनने के लिए किसी टीम को अपने सभी पांच मैच जीतने होंगे।
जितने वाले टीम को 10लाख रुपए इनाम दिए जायेंगे।
आज पहले दिन खेल का उदघाटन होना है, उदघाटन के लिए राज्य के खेल मंत्री को आमन्त्रित किया गया है। ठाकुर बालेंद्र सिंह इस खेल के अध्यक्ष और आयोजक है।
पहला मैच भानगढ़ और चिता पुर के बीच खेला जाना है।
मैदान के तीन और दर्शक दीर्घा बनाया गया है सामने अतिथियों के लिए मंच सजाया गया है।
मंच पर सभी आमन्त्रित अतिथि पहुंच चुके है।
दर्शक दीर्घा पूरी तरह दर्शकों से खचाखच भर गया है। अतिथियों ने मंच के सामने रखे ठाकुर के पूर्वजों की फोटो पार माल्यार्पण किया, उसके बाद बाहर से आए सभी अतिथियों का स्वागत किया गया। खेल मंत्री और ठाकुर के अभिभाषण के पश्चात उदघाटन मैच शुरू हो गया।
पहला मैच भानगढ़ और चिता पुर के टीम के बीच खेला जाना था। दोनो टीमों के खिलाड़ियों के मैदान में उतरते ही सभी दर्शकों ने तालिया बजाकर उनका स्वागत किया।
दोनो टीमों के खिलाड़ी काफी उत्साहित नजर आ रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे वे कबड्डी नही कुश्ती लड़ने के लिए आए हो।
कबड्डी के लिए स्फूर्ती, चालाकी और ताकत तीनो चीजों का होना जरूरी होता है।
अब देखना यहीं था किस टीम के खिलाड़ियों में ये तीनो गुण मौजूद है।
टूर्नामेंट में भाग लेने वाले सभी टीम के खिलाड़ी भी मैच देखने, दर्शक दीर्घा में बैठे थे ताकि वह मैच देखकर विजेता टीम के खिलाड़ियों के गुण दोष कमजोरी और मजबूती का अवलोकन कर अपनी योजना बना सके।
राजेश भी अपने टीम के खिलाड़ियों के साथ, दर्शक दीर्घा पर मौजूद था।
मैच रेफरी के सिटी बजाते ही भानगढ़ टीम का एक रेडर विरोधी टीम के पाले में कबड्डी कबड्डी बोलते हुवे विरोधी टीम के खिलाड़ियों को छूने उतर पड़ा, चिता पुर के डिफेंडरों ने रेडर को पकड़ने के लिए बहुत कोशिश किया पर उसे पकड़ नही पाया, और रेडर ने एक खिलाड़ी को टैग कर छूकर अपने पाले में वापस आ गया। भानगढ़ टीम को एक अंक प्राप्त हो गया। टैग किए खिलाड़ी मैदान से बाहर हो गया।
उसके बाद चितापुर का रेडर कबड्डी कबड्डी बोलते हुवे, टैग करने,भानगढ़ टीम के पाले में उतरा, चिता पुर के दर्शक चिल्ला चिल्ला कर अपने गांव के खिलाड़ी का हौसला बढ़ा रहे थे तो भानगढ़ के दर्शक अपने टीम के खिलाड़ियों को रेडर को पकड़ने के लिए उन्हे जोश दिला रहे थे। आखिर भानगढ़ के खिलाड़ी, रेडर को पकड़ने में सफल हो गया, वे चारो तरफ से रेडर को पकड़ कर घेर लिया, रेडर उनसे बच कर वापस नहीं आ सका, और भानगढ़ टीम को एक अंक और मिला, इस प्रकार मैच 20मिनट तक चला, पहले हाफ में भानगढ़ के टीम, चिता पुर के टीम पर भारी पड़ा ।
पहले हाफ में भानगढ़ के टीम ने 10अंको की बढ़त बना ली।
उसके बाद 5मिनट का ब्रेक दिया गया इस दौरान, टीमों के मार्गदर्शक अपने अपने टीम के खिलाड़ियों को आवश्यक दिशा निर्देश देने लगे।
5मिनट बाद फिर से खेल प्रारंभ huwa दूसरे हाफ में भी भानगढ़ का टीम अपना जोश और ताकत के दम पर चिता पुर के पूरी टीम को आउट कर दिया और बोनस अंक भी प्राप्त कर लिया। और भानगढ़ के टीम भारी अंको के अंतर से मैच जीत लिया।
चिता पुर के खिलाड़ी, और दर्शक काफी निराश हो गए, क्यू की वे टूर्नामेंट से बाहर हो गए थे। जबकि भानगढ़ के टीम के खिलाड़ियों, और दर्शक काफी उत्साहित थे, अपने टीम के खिलाड़ियों के प्रदर्शन देखकर उन्हे लग रहा था कि इस बार भी टूर्नामेंट का विनर हम ही बनेंगे।
ठाकुर भी अपने गांव के टीम का प्रदर्शन देख कर गर्व महसूस करने लगा।
अगला मैच सुरज पुर और जशपुर के बीच खेला जाना था। राजेश ने अपने टीम के खिलाड़ियों को आवश्यक दिशा निर्देश, दिया।
कुछ ही देर बाद दोनो टीमों के खिलाड़ी मैदान में उतर चुके थे दर्शकों ने अपनी अपनी टीमों के लिए ताली बजाकर उनका स्वागत किया।
सुरज पुर के खिलाड़ियों ने जोर दार खेल का प्रदर्शन किया अपने विरोधी टीम पर हमेशा दबदबा बनाकर रखा, पहले एवम दूसरे हाफ दोनो में विरोधी टीम के मुकाबले भारी अंक हासिल किए और विरोधी टीम को भारी अंको के अंतर से मैच हराया।
सुरज पुर अगले चरण में पहुंच गया तो जशपुर वाले टूर्नामेंट से बाहर हो गए। सुरज पुर वाले काफी उत्साहित नजर आ रहे थे तो ठाकुर को सुरज पुर वालो का यह प्रदर्शन खटकने लगा।
इसके बाद 6और मैच हुवे।
करीब शाम 6बजे प्रथम दिवस खेल के समापन का घोषणा huwa, इसके बाद सभी दर्शक अपने अपने घर के लिए रवाना हो गए, कुछ अपने टीम के जीत से उत्साहित से तो कुछ अपने टीम को टूर्नामेंट से बाहर होने से निराश थे।
जो अतिथि एवम टीम दूर से आए थे उनके ठहरने खाने पीने की व्यवस्था किया गया था, तो वे भानगढ़ में ही रुक गए।
अगले दिन फिर से सुबह 9बजे से खेल प्रारंभ हो गया दूसरे दिन गणेश पुर और अंचलपुर ब्लॉक के टीमों के बीच मुकाबला huwa, जिसमे कुल 8मैच खेलें गए, 8विजई टीम अगले चरण में पहुंचे। और हारने वाले 8टीम टूर्नामेंट से बाहर हो गए।
तीसरे दिन, धरमपुर _लक्ष्मणपुर के विजई टीमों का मुकाबला अंचल पुर _ गणेश पुर के विजई टीमों के बीच होना था। अधिकारियों ने चिट के माध्यम से कौन सा टीम किस टीम से भिड़ेगा, इसका घोषणा किया।
तीसरे दिन खेल प्रारंभ होने से पहले ही टीमों को पता चल गया की उसकी भिडंत किस टीम से होनी है।
तीसरे दिन पहला मैच भानगढ़ के टीम का मोतीपुर के साथ होना था।
रेफरी के सिटी बजाते ही खेल प्रारंभ huwa, इस बार भानगढ़ वालो को मोतीपुर के टीम ने कड़ा टक्कर दिया। अन्त में भानगढ़ वाले ही जीते लेकिन मोती पुर वाले टीम ने भानगढ़ वाले टीम के खिलाड़ियों की पसीने छुड़ा दिए।
आज का आखिरी मैच, सुरज पुर और भीमपुर के बीच huwa,
सुरज पुर के खिलाड़ियों ने भीम पुर के खिलाड़ियों को आसानी से हरा कर, अगले चरण में पहुंच गया।
राजेश ने अपने टीम के खिलाड़ियों की बड़ी तारीफ किया और अगले चरण में ऐसे ही जोश बनाए रखने के लिए कहा।
इधर ठाकुर बालेंद्र सिंह आज भानगढ़ के टीम के खिलाड़ियों के प्रदर्शन से खुश नहीं थे उसने माखन को बुलाया।
माखन _हुजुर आपने मुझे बुलाया।
ठाकुर _माखन तुम तो कह रहे थे कि हमारी टीम, बहुत मजबूत है।
ये तो दूसरे चरण में ही लड़खड़ा गए थे। मुझे नही लगता ये टीम कल मैच जीत पाएगी।
उधर सुरज पुर वालो का खेल देखकर तो ऐसा लग रहा है की इस बार वो जबरदस्त तैयारी करके आए है।
माखन हमारी टीम को मजबूत बनाओ, मैं नही चाहता की सुरज पुर वाले विजेता बने।
माखन _ठाकुर साहब आप चिन्ता न करें हमारी टीम ही, विजेता बनेगी, कल मैं खुद ही मैदान में उतरूंगा।
ठाकुर _ये ठीक रहेगा, माखन मुझे तुम पर भरोसा है तुम मुझे निराश नहीं करोगे।
तीसरे दिन तीसरे और चौथे चरण का मैच होना था।
तीसरे चरण में 8 टीम पहुंचे थे, कुल चार मैच होने थे इसमें विजई टीम के बीच सेमीफाइनल का मैच खेला जाना था।
अधिकारियों ने चिट ड्रा के माध्यम से यह घोषणा किया की तीसरे चरण में कौन सा टीम किस टीम के साथ भिड़ेगा।
आज भानगढ़ की टीम माखन के आने से काफी उत्साहित और जोश में थे।
तीसरे चरण का पहला मैच भानगढ़ और धावलपुर के बीच होना था।
माखन के मैदान में उतरते ही, दर्शक माखन माखन, चिल्लाने लगे।
रेफरी के सीटी बजते ही खेल प्रारंभ huwa,
धवल पुर का रेडर, भानगढ़ के खिलाड़ियों को टैग करने मैदान में उतरा, वह कबड्डी कबड्डी कहतेहुए खिलाड़ियों को छूने की कोशिश किया।
पर माखन ने उसे दबोच लिया।
वह माखन से स्वयं को छुड़ा नही सका, और अपने पाले में वापस जा नही सका।
उसके बाद माखन स्वयं, विरोधी खिलाड़ियों को टैग करने के लिए मैदान में उतरा, विरोधी टीम के तीन खिलाड़ी उसे पकड़ लिए, लेकिन माखन को अपने पाले में जाने से रोक नही पाए।
तीनो खिलाड़ी मैदान से आउट हो गए।
भानगढ़ वाले माखन माखन, चिल्लाने लगे और तालिया बजाने लगे।
माखन के सामने, धवल पुर के खिलाड़ी टिक नही पाए और अन्त में धवल पुर के टीम बुरी तरह हार गया। भानगढ़ सेमीफाइनल में पहुंच गया।
चौथा मैच सुरज पुर और मानपुर के बीच huwa,
सुरज पुर वालो ने अपने टीम के समर्थन में खुब नारे लगाए।
सुरज पुर और मानपुर के बीच कड़ा मुकाबला huwa और अन्त में सुरज पुर विजई huwa, और सेमीफाइनल में पहुंच गया ।
तीसरे चरण के मैच सम्पन्न होने के बाद, अधिकारियों चौथे चरण के मैच किसके किसके बीच होने है उसका घोषणा किया गया।
1घंटा ब्रेक देने के बाद, सेमीफाइनल मैच का पहला मुकाबला, सुरज पुर और हीरापुर के बीच मैच प्रारंभ huwa, दोनो के बीच कड़ा मुकाबला huwa, और अन्त में बहुत कम अंक के अंतर से सुरज पुर विजई होकर, फाइनल में पहुंच गया।
सेमीफाइनल का दूसरा मैच भानगढ़ और आतंकपुर के बीच huwa,
खिलाड़ियों के मैदान में उतरते ही लोग माखन माखन चिल्लाने लगे। आतंक पुर के खिलाड़ी भी काफी मजबूत न, ताकत वर दिखाई पड़ रहे थे, फिर भी माखन को रोकने में असफल रहे और अन्त में भानगढ़ की टीम ने भारी अंको के अंतर से आतंक पुर के खिलाड़ियों को हरा दिया।
चारो तरफ माखन माखन ही गूंज रहा था। लोग अब कहने लगे थे की इस बार भी भानगढ़ का टीम ही विजेता बनेगी।
इधर सुरज पुर वाले चिंतित नजर आ रहे थे, उन्हे लग रहा था की इस बार भी भानगढ़ वाले ही विजेता बनेंगे।
इधर गांव पहुंचने के बाद सुरज पुर के सभी खिलाड़ी अखाड़े पर एकत्रित हुए ताकि कल की योजना बनाया जा सके।
मोहन _राजेश,कल की मैच हमारे लिए काफी मुस्किल होने वाला है। माखन को पकड़ पाना हम सबके लिए बहुत बड़ी चुनौती है। जब तक वह पकड़ में नहीं आएगा हम मैच जीत नही पाएंगे।
आज के मैच में तो छोटू को भी चोट आया है, उसके पैर में मोच आ गया है। वह ठीक से चल नही पा रहा है।
अब छोटू की जगह आप को ही मैदान में उतरना पड़ेगा। जिससे हमारी टीम के खिलाड़ियों का उत्साह बडेगा।
सभी खिलाड़ियों ने मोहन की बातो का समर्थन किया।
राजेश _अगर आप लोगो को लगता है की मेरे मैदान में उतरने से टीम का हौसला बड़ेगा तो ठीक है कल मैं भी आप लोगो के साथ मैदान में उतरूंगा।
राजेश का फाइनल मैच खेलने की बात, कुछ ही देर में पूरे गांव में फैल गया।
पर गांव वालो का उत्साह नही बड़ा, उन्हे लग रहा था की माखन को शायद ही कोई रोक पायेगा।
इधर जब ठाकुर को पता चला की कल के मैच में राजेश भी खेलेगा।
ठाकुर खुश हो गया,,,
उनके लिए यह एक मौका था, सुरज पुर वालो के साथ साथ राजेश को नीचा दिखाने का।
ठाकुर _मुनीम जी, कल का मैच बड़ा खास है, कल पता चलेगा साले में कितना दम है, बड़ा हीरो बनता फिर रहा है। शाले मेरी बेटी को पाने का ख्वाब देख रहा है?
मुनीम _जी हुजुर, मैच हारते ही शाले की इज्जत सबके सामने उतर जाएगी। उसकी सारी हीरो गिरि उतर जाएगी।
ठाकुर और मुनीम दोनो हसने लगे, हा, हा हा, हा,,,
अगले दिन फाइनल मैच देखने भानगढ़ और सुरज पुर के पूरे गांव वाले अपना काम धाम छोड़कर समय पर पहुंच चुके थे दर्शक दीर्घा में खचाखच भीड़ थी। बैठने के लिए लोगो को जगह नहीं मिल रही थी।
फाइनल मैच देखने के लिए कई अतिथि गण, दूर दूर से आए थे। आज मंच पर ठाकुर का पूरा परिवार मौजूद था।
साथ ही सुरज पुर के सरपंच सविता जी, भी मौजूद थी। जो रत्नवती के बाजू में बैठी थी। रत्नवती भानगढ़ की सरपंच थी तो सविता सुरज पुर की।
आज के मैच में मैन ऑफ द मैच को देने के लिए 2लाख की बाइक भी मंच केसामने रखा गया था।
दिव्या को जैसे ही पता चला की राजेश भी खेल में उतरने वाला है वह खेल देखने बहुत हो गई। वैसे उसे कबड्डी खेल में कोइ खास रुचि नही थी, पर राजेश के खेल में भाग लेने की बात जानकर उत्साहित हो गई, पर वह सोचने लगी राजेश का जख्म तो पूरी तरह ठीक नहीं huwa है। उसे खेल मे उतरना नही था।
आज अतिथियों के द्वारा, ठाकुर के पुरखो के छाया चित्र पर माल्यार्पण के बाद, अतिथियों का स्वागत किया गया।
उसके बाद खेल प्रारंभ करने की अनुमति दिया गया।
दोनो टीम के खिलाड़ियों के मैदान में उतरते ही लोग अपने अपने खिलाड़ियों के सपर्थन में नारे लगाने लगे।
रेफरी ने सीटी बजाई,
सुरज पुर टीम से सबसे पहले मोहन भानगढ़ टीम के खिलाड़ियों को टैग करने, कबड्डी कबड्डी बोलते हुए, मैदान में उतरा, वह कम से कम एक खिलाड़ी को टैग कर, अपने पाले में लौटना चाहता था,माखन के इशारे पर डिफेंडर्स ने मोहन को घेर लिया, फिर माखन ने मोहन को दबोच लिया।
वह अपने पाले में लौट न सका उसे मैदान से बाहर जाना पड़ा।
मोहन के आउट होने से सुरज पुर को झटका लगा, क्यू की अभी तक जितने भी मैच हुए उसे जितने में मोहन का बड़ा योगदान था।
सुरज के लोग निराश हो गए। तो भानगढ़ वाले उत्साहित,,
इसके बाद भानगढ़ की टीम की ओर से टैग करने के लिए माखन स्वयं आया। लोग माखन माखन चिल्लाने लगे।
माखन कबड्डी कबड्डी बोलते हुवे, विरोधी के पाले में गया, उसने बड़ी फुर्ती दिखाते हुए तीन खिलाड़ियों को टैग करते हुवे, अपने पाले में वापस आ गया।
माखन के समर्थक ताली बजाने लगे।
सुरज पुर के तीन और खिलाड़ी, आउट हो गए।
भानगढ़ की टीम, चार अंक से बढ़त बना लिया।
सुरज पुर टीम के पाले में राजेश सहित सिर्फ तीन खिलाड़ी रह गए थे।
राजेश ने सुरज पुर के एक और खिलाड़ी को विरोधी के पाले में टैग करने के लिए भेजा।
वह खिलाड़ी भी, माखन द्वारा दबोच लिया गया।
सूरजपुर वाली को लगने लगा की, अब मैच जीतना मुस्किल है।
उधर भानगढ़ के कुछ लोग, सुरज पुर वाले को चिढ़ाने लगे।
जब राजेश के कानो तक, कुछ युवाओं की हरकते पहुंची उसे गुस्सा आया।
जैसे ही, भानगढ़ के खिलाड़ी, टैग करने के लिए उसके पाले में आया, वह खिलाड़ी राजेश को टैग करने के लिए अपना हाथ सामने किया।
राजेश ने फुर्ती से उसकी कलाई पकड़ ली।
खिलाड़ी ने अपने को छुड़ाने की कोशिश किया।
राजेश की पकड़ इतनी मजबूत थी की वह छुड़ा न सका, और वह हापने लगा।
भानगढ़ के खिलाड़ी के पकड़ में आते ही, सुरज पुर वालो में जोश आ गया। वे राजेश राजेश चिल्लाने लगे।
सूरजपुर वालो को एक अंक हासिल होने के साथ मोहन मैदान में लौटा।
उसके बाद मोहन फिर टैग करने के लिए, विरोधी टीम के पाले में गया, और माखन से सावधान रहते एक खिलाड़ी को टैग करने में कामयाब रहा।
इस प्रकार एक और अंक हासिल हो गया।
माखन ने अपना एक और खिलाड़ी टैग करने के लिए विरोधी पाले पर भेजा,। खिलाड़ी बिना किसी को टैग किए, अपने मैदान में वापस आ गया।
उसके बाद, टैग करने के लिए राजेश स्वयं कबड्डी कबड्डी कहते हुवे, विरोधी के पाले में गया, माखन से सावधानी बरतते हुवे वह, दो खिलाड़ियों को टैग करते हुए। अपने पाले में सुरक्षित वापस आ गया और दो अंक हासिल किया। इसके साथ ही दोनो टीमों के अंक बराबर हो गए।
सुरज पुर वालो में जोश आ गया, उन्हे लगने लगा की इस बार हम कड़ा टक्कर देने जा रहे हैं। राजेश ने उनके उम्मीद बड़ा दिया।
अगले बार माखन, फिर टैग करने आया , मोहन ने स्फूर्ति से उसपर झपट्टा मारा, एक और खिलाड़ी ने उसका साथ दिया पर माखन को रोक पाने में असमर्थ रहा और अपने पाले में सुरक्षित लौट आया,
भानगढ़ फिर से 2अंको की बढ़त बना लिया।
इस तरह मैच चलता रहा, और पहले हाफ में भानगढ़ वाले 4अंको से आगे रह गए थे। और सुरज पुर के पाले में सिर्फ तीन खिलाड़ी मौजूद थे, जबकि भानगढ़ के पाले में सभी खिलाड़ी।
5मिनट का ब्रेक huwa, सभी खिलाड़ी विचार विमर्श करने लगे आगे क्या करना है।
इधर भानगढ़ के लोग आस्वस्त थे की हमारी टीम ही जीतेगी, तो सुरज पुर वाले भी अपने टीम की हौसला बढ़ाने में लगे थे।
दूसरे हाफ में रेफरी के सीटी बजाते ही, माखन, मैदान में उतरा वह एक खिलाड़ी को टैग कर वापस अपने पाले में आ गया।
सुरज पुर का एक खिलाड़ी और कम हो गया।
अब राजेश और एक अन्य खिलाड़ी ही रह गए थे। अब राजेश खुद टैग करने के लिए मैदान में उतरा, लोग राजेश राजेश चिल्लाने लगे।
राजेश को भानगढ़ के खिलाड़ियों ने पकड़ने की कोशिश की पर पकड़ नही पाए राजेश तीन खिलाड़ियों को टैग कर अपने पाले में वापस आ गया, और सुरज पुर टीम को तीन अंक हासिल huwa, और तीन मोहन के साथ दो अन्य खिलाड़ी भी मैदान में वापस आ गया।
सुरज पुर के लोगो में काफी उत्साह आ गया।
भानगढ़ केवल दो अंक से आगे रह गए थे।
उसके बाद मोहन विरोधी टीम के खेमे में कबड्डी कबड्डी बोलते हुए टैग करने गया। और एक खिलाड़ी को टैग कर वापस अपने मैदान में आ गया।
अब सुरज पुर केवल एक अंक से पीछे रह गया।
माखन, टैग करने के लिए उतरा और उसने दो तीन खिलाड़ियों को टैग करके अपने पाले में आपस आ गया।
मोहन सहित टीम के दो अन्य खिलाड़ी बाहर हो गए।
भानगढ़ 4अंक से आगे हो गया।
माखन आगे योजना बनाया की, कोइ भी राजेश को पकड़ने की कोशिश नही करेगा, उससे बचेगा। ताकि उन्हें अंक हासिल ना हो। और हम जीत सके।
राजेश जब टैग करने गया, तो विरोधी टीम उसे पकड़ने की कोशिश नही किए वे राजेश से बचने लगे।
राजेश को खाली ही जाना पड़ा जिससे समर्थक निराश हो गए।
इधर सुरज पुर के खिलाड़ी एक एक कर आउट होने लगे। सुरज पुर 6अंको से पिछड़ गया।
अब सिर्फ पांच मिनट ही शेष रह गए थे।
इधर सुरज पुर पाले में सिर्फ राजेश शेष रह गया था। जबकि भानगढ़ टीम के पाले में सभी खिलाड़ी।
अब माखन राजेश को टैग करने के लिए, उतरा, उसने ठाकुर की ओर देखा।
ठाकुर ने माखन को इशारा किया की इस बार राजेश को छूकर ही आना।
माखन कबड्डी कबड्डी कहते हुए, राजेश को छूने के लिए आगे बड़ा, इस बार राजेश ने माखन को और अंदर घुसने दिया।
राजेश को छूने के लिए, माखन ने बोनस लाइन तक पहुंच गया।
राजेश ने चीते की तरह माखन पर झपट्टा मारा, और माखन को अपनी भुजा पे दबोच लिया।
माखन ने राजेश की भुजाओं से आज़ाद होने अपनी सारी ताकत झोंक दिया। इधर दर्शक दीर्घा में सन्नाटा छा गया, क्यू की कबड्डी नही कुश्ती शुरू हो गया था।
राजेश ने माखन को अपनी भुजाओं में दबोचे रखा।
माखन राजेश की भुजाओं से छूटने का काफी प्रयास किया लेकिन अपनी सांस को और अधिक देर तक रोके नहीं रख सका, वह हापने लगा।
लोगो को यकीन नहीं हो रहा था की राजेश ने माखन को अकेले ही पटक दिया।
सुरज पुर वाले राजेश राजेश चिल्लाने लगे।
उसके बाद राजेश ने टैग करने के लिए, विरोधी टीम के पाले में कबड्डी कबड्डी बोलते हुए दौड़ पड़ा, और बोनस लाइन को छूकर वापस मुढा तभी सभी खिलाड़ियों ने राजेश को पकड़ लिया।
दो खिलाड़ियों ने राजेश के हाथ, दो ने पैर एक ने गर्दन और एक पीछे से पेट पकड़ रखा था।
राजेश ने कबड्डी कबड्डी बोलते हुए, अपना पूरा ताकत लगाया, और आगे बड़ने लगा, पेट पकड़ने वाले अब राजेश के टी शर्ट को पकड़ लिया, राजेश ने जोर लगाया उसका टी शर्ट फैट गया, एक खिलाड़ी पीछे गिर गया।
राजेश का सक्सपैक लोगो के सामने आ गया, सभी अपनी सांसे थामे मैच देख रहे थे।
गीता और दिव्या भी अपनी सांसे थामी राजेश के इस रूप को देखने लगी।
राजेश ने पूरा ताकत लगाते हुवे, अपनी हाथ को छुड़ाया और जमीन पे नीचे गिर कर अपनी हाथ से लाइन को छू लिया।
रेफरी ने सीटी बनाया। क्यों की राजेश ने क्रास लाइन छू लिया था।
चारो तरफ राजेश राजेश गूंजने लगा।
टाइम कीपर ने सीटी बजाया।
खेल का समय भी पूरा हो चुका था , और सुरज पुर ने 2अंक से भानगढ़ के टीम को हरा दिया।
राजेश को लोगो ने भाग कर अपने कंधे में उठा लिया और राजेश बाबू जिंदा बाद के नारे लगाने लगे।
इधर ठाकुर का मुंह लटक गया।
भानगढ़ के लोगो ने भी राजेश का जमकर तारीफ करने लगे। वे भी उसके फैन बन गए।
रत्नवती ने सविता को बधाई दिया, उसके गांव का टीम जो विजेता बन गया था।
उसके बाद जीतने वाले टीम को इनाम देने के लिए बुलाया गया।
रत्नवती ने अपने हाथो से सुरज पुर के टीम को दस लाख का चैक दिया । और उपविजेता बनी भानगढ़ के टीम को गीता ने 3लाख का चेक दिया।
मैन आफ द मैच का घोषणा। किया गया।
लोग राजेश राजेश चिल्लाने लगे।
ईनाम के लिए राजेश को मंच पर बुलाया गया।
और दिव्या ने राजेश को बाइक की चाबी शौपते हुवे धीरे से कहा, अपनी बाइक पर घुमाने कब ले जा रहे हो मुझे,,,
राजेश ने कहा, जब आप कहे,,
इसके बाद विजेता टीम को आज हवेली में ही रुकना था, क्यू की पुराने नियमो के अनुसार आज विजेता टीम को हवेली में साही भोज दिया जाना था।
शाही भोज में बाहर से आए अतिथि लोग भी मौजूद थे।
ठाकुर किसी आवश्यक काम आ जाने का बहाना बनाकर हवेली से बाहर चला गया।
शाही भोज का नेतृत्व ठकुराइन रत्नवती ने किया।
शाही भोज में खाने पीने, नाचने गाने की व्यवस्था किया गया था।
गांव की सरपंच सविता भी मौजूद थी।
रत्नवती ने राजेश को बेहतरीन प्रदर्शन के लिए बधाई दिया। राजेश ने उसका पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
गीता , राजेश के इस प्रदर्शन से आश्चर्य में थी, उसका सिक्स पैक लुक अभी भी उसकी आंखो के सामने आ जा रही थी।
वह राजेश को मैच विनर बनने के लिए बधाई दिया।
गीता _राजेश, तुम तो छुपे रुस्तम निकले। बधाई हो मैच विनर बनने के लिए।
राजेश _थैंक यू दीदी।
गीता _वैसे बहुत अच्छी बॉडी बना रखी है तुमने।
राजेश _आज, तो इसी का चलन है दीदी,,,
गीता _हा वो तो है, मुस्कुराते हुवे बोली,,
दिव्या _सुरज पुर वालो के लिए आज बढ़ी खुशी का दिन है।
आज राजेश इस मौके पर हमे गीत सुनाएगा।
वहा सभी मौजूद लोगो ने, राजेश को गीत के लिए दबाव बनाया।
राजेश _ठीक है पर एक शर्त पर गीता दीदी और दिव्या जी आप दोनो को भी मेरा साथ देना होगा।
सभी के रिक्वेस्ट करने पर दोनो तैयार हो गई।
फिर गीता, दिव्या और राजेश तीनो ने जबरदस्त परफॉर्मेंस दिया।
रत्नादेवी और सविता साथ ही थी।
रत्ना देवी गीता को बहुत दिनो बाद खुश देख रही थी। उसे नाचते देख आश्चर्य करने लगी।
इधर माखन, को अभी भी यकीन नही हो रहा था की राजेश से वह हार गया। आज तक वह इस क्षेत्र का सबसे ताकत वर पुरुष माना जाता था लेकिन आज राजेश ने उसका क्रेज खत्म कर दिया था। वह काफी गुस्से में था। उसने गुस्से में अपने ही साथी जो राजेश का तारीफ कर रहा था को मार डाला।
और राजेश से बदले की आग में जलने लगा।