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Incest मेरी सेक्स यात्रा

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voyageur

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दोस्तों मैं पहली बार कोई कहानी पोस्ट कर रहा हूँ। ये मेरे जीवन के अनुभवों पर आधारित है। उम्मीद है आप लोगों को पसंद आएगी।

ये कहानी शुरू होती है साल 2015 को तब मेरी उम्र 25 साल थी, मेरी नौकरी छोटे से शहर में लगी थी। शहर क्या था कसबे से थोड़ा बड़ा था। मै वहां पर शराब की कंपनी में गोडाउन इंचार्ज बन कर आया था। शहर में नया था तो पहले कुछ दिन लॉज में निकला। खर्चे बढ़ने लगा तो किराये पर घर लेने का फैसला किया। फिर शुरू हुआ घर ढूंढने का कवायत, ऑफिस के अब्दुल ने बताया की उनके मित्र मजीद भाई का घर खाली है। वो दूसरे शहर में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में पोस्टेड है।
घर शहर के बाहर की ओर था। अमूमन जैसा होता है, नए कॉलोनी जब बस रही होती है गिने-चुने मकान होते है ओर चारो ओर खेत होता है, ये भी ऐसा ही था। दो मकान एक दूसरे से सट कर बने हुए थे। सामने की ओर छोटा सा सड़क, दोनों तरफ खेत ओर पीछे की ओर एक छोटा सा तालाब था। तालाब मछली पालन के लिए बनाया गया था। अब वो बरसात के पानी को इक्कठा कर खेत की सिंचाई में काम लाया जाता है। चारो ओर बहुत शांति थी। पड़ोस का मकान करीब 40-50 मीटर दूर था। उस जगह के हरियाली और शांति खूब भा गई और पडोसी भी काफी दूर है तो डिस्टर्ब करने वाला कोई नहीं होगा।
मै - अब्दुलजी दोनों में से कौन सा मकान उनका है ?
अब्दुल - दोनों ही उनके है, आपको जो अच्छा लगे वो इस्तेमाल करे।
मै - अरे ये तो 2 बैडरूम वाला है, इतना बड़ा मकान मै क्या करूँगा।
अब्दुल - तो आप दूसरा वाला ले लो, वो 1 बैडरूम का है।
मै - टॉयलेट एंड बाथरूम कहाँ है ?
अब्दुल - सरजी बाहर है।
मै - खुले मै जाना होगा ?
अब्दुल - नहीं सरजी, पीछे दिवार खींची हुई है 15 फ़ीट की और ऊपर जाली लगी है।
दाएं तरफ वाला मकान 2 बेडरूम और दूसरा 1 बैडरूम का था, दोनों मकान की बाउंड्री वाला एक ही था। सामने 2 गेट थे पर बिच मे कोई दिवार नहीं था। दोनों मकान के किचन एक दम आखरी में पीछे की ओर थे जो की पीछे वाले आँगन मे खुलता था। बहुत बड़ा सा आंगन था करीब 50 फ़ीट लम्बाई और उतनी ही चौड़ाई। पीछे वाले आँगन के आखरी मे दाएं तरफ २ टॉयलेट ओर एक बाथरूम बना था, पीछे वाली दीवाल पर बिच मे एक दरवाजा था ओर बाथरूम के बिलकुल उलटे साइड यानि 1 बैडरूम वाले माकन के तरफ एक हैंडपंप ओर पानी के मोटर का नल लगा हुआ था। दोनों किचन की खिड़कीयो से पूरा आँगन नजर आता था।
मै - अब्दुलजी भाड़ा कितना होगा।
अब्दुल - सरजी 6000 बोल रहे थे, बाकि देख लेंगे।
मै - अब्दुलजी 5000 मे करिये न।
अब्दुल - जी हो जायेग।
अब्दुलजी ने ऑफिस के लेबर के मदद से घर की सफाई करा दी ओर 2 दिन बाद मै 1 बेडरूम वाले हिस्से में रहन लगा। अंदर से डिज़ाइन कुछ ऐसा था - मकान में घुसते ही ड्राइंगरूम, फिर दाएं हाथ में छोटी से गैलरी किचेन की ओर जाने के लिए ओर गैलरी की बाएं ओर बैडरूम ओर आखरी में किचेन। घर में खिड़कियां ड्राइंगरूम के सामने वाली दीवाल पर थी ओर किचन के पीछे वाली दीवाल पर खाना बनने के प्लेटफार्म के ऊपर। सब कुछ अच्छा था बस खाना खाने के लिए ४-५ किमी जाना पड़ता था।
 
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voyageur

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मै - अब्दुलजी घर तो बहुत अच्छा है लेकिन खाना खाने बहुत दूर जाना पड़ता है।

अब्दुल - अरे तो आप खाना बने के लिए किसी को लगा लीजिये, कब तक होटल का खाना खाएंगे ?

मै - ये भी आप ही कर दो।

अब्दुल - जी सरजी ढूँढ देता हूँ।

2 दिन बाद सुबह अचानक दरवाजे की घंटी बजी। उधेर बून में की कौन होगा दरवाज खोला तो देखा गेहूं रंग की 5’- 5'2'' लम्बाई, तीखे नयन नक्श 30-32 साल की एक महिला खड़ी थी। ठीक ठाक परिवार से लग रही थी।

मै - जी?

महिला - बाबूजी आप नए आये है, तो अगर आपको खाना बनाने के कोई चाहिए तो मेरे को बोल दीजियेगा।

मै - (थोड़ा अचम्भा सा हुआ अच्छे घर की दिख रही है, ये घर के काम करेगी क्या) खाना कौन बनाएगा?

महिला - जी मै ही बनाउंगी।

मै - जी लेकिन मेरे को बर्तन और झाड़ू पोछा भी करना है।

महिला - जी मै तो बस खाना बनती हूँ।

मै - अब बर्तन और झाड़ू पोछा के लिए किस को बोलूं ?

महिला - जी मै किसी को ले आउंगी।

मै - ठीक है, कितना लेंगे आप खाना बनाने के ?

महिला - 2500 /- दोनों टाइम का।

मै- ठीक है 3 दिन बाद से आ जाइएगा गैस और बर्तन का इंतेज़ाम कर लेंगे। आपका नाम?

महिला - आशा

गैस और जरुरत के बर्तन ले आये और 3 दिन बाद सुबह 8 बजे खाना बनाने आ गई पहले दिन तो सब समझा दिए और घर का खाना मिलने लगा। सब्जी भाजी के लिए उसको ही पैसे दे देते थे। क्यूंकि दूसरी काम करने वाली मिली नहीं थी तो खुद ही सब काम करने लगी। तो मैंने भी पैसे बड़ा के देने लगा, आशा को भी पैसे की जरुरत थी ।

रोज सुबह 8 बजे आ जाती है ज़्यदातर उस समय मै अपने लिए चाय बना रहा होता हूँ। दोनों के बिच बातें हो जाती है, कभी उसके काम के बारे में, कभी उसके घर या मेरे घर के बारे में। बातों बातों में पता चला की उसका पति किसी के लिए ड्राइवर था। फिर नौकरी चली गई तो अब एक प्राइवेट स्कूल में चपरासी की नौकरी करता है। पति के अलावा घर में सास, एक 13 साल की बेटी और 8 साल का बेटा है। 1-1.5 महीने सब ऐसा ही चलता रहा।
 
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voyageur

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शुरू शुरू में ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब ध्यान गया तो पाया फिगर ठीक ठाक सा है, माध्यम आकर के बूब्स, पर कमर से निचे का हिस्सा ऊपर के हिस्से के मुकाबले में काफी बड़ा और चौड़ा है मोटी मोटी जंघे और बाहर की ओर उभरी हुई मस्त गांड। वैसे ज्यादातर वो साड़ी पहनती थी पर जब कभी लेग्गिंस पहन कर आती है, लन्ड और दिल दोनों बवाला कर जाती है। मेरे को भी सेक्स किये 6 महीने हो गए थे, इतनी मस्त टाँगे और गांड देख कर मन फिसलने लगा। मैंने चांस लेने की सोची।

अब मैं शाम को भी रसोई में उसके साथ खाना बनाते वक़्त होता था। पहले बात करता वक़्त थोड़ी दुरी बनाये रखता था, पर अब किसी ना किसी बहाने उसको हाथ लगता, छू लेता। वो किसी भी प्रकार का प्रतिक्रिया नहीं करती थी।

एक शाम, रोज की तरह हम दोनों रसोई में साथ खड़े हो कर काम कर रहे थे तभी

आशा - भैयाययय (आशा जोर से चिल्लाई और मेरे से चिपक गई)

मैं - क्या हुआ?

आशा - मिक्सर के तार ने करंट मारा।

मैं - कहाँ ?

आशा - हाथ में (यह बोल कर मेरे से अलग हो गई)

मैं - दिखाओ जल तो नहीं गया। (इतना बोल कर उसके हाथ को पकड़ लिया और देखने लगा की कहीं चोट तो नहीं लगी है)

आशा - नहीं (उसने हाथ हटाने की कोशिश नहीं की, कुछ पल बाद मैंने ही उसका हाथ छोड़ दिया)

मैं - अरे इसका तार काट गया है (मिक्सर के तार का निरक्षण करते हुए, तार को ठीक कर दिया)

अगले दिन सुबह जब आशा आई तो मैं चाय बना रहा था।

मैं - (फिर से उसके हाथ को पकड़ लिया) दिखाओ सब ठीक है ना। (अगले 2 मिनिट तक उसके हाथ को पकड़ा रहा)

आशा - (हाथ नहीं छुड़ाया) हाँ सब ठीक है।

सुबह की भाग दौड़ के कारण और कुछ नहीं हुआ।
 

voyageur

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शाम को आशा को खाना बनाने आई, मैं उसके साथ और ज्यादा सट कर खड़ा हो गया और अपना बांह उसके साड़ी से झांकते हुए उसके कमर से सटा दिया। अगले १० मिनिट तक उसके कमर को अपने बहां से सहलता रहा। ये सब अगले १०-१५ दिन तक यूँही चलता रहा। फिर आशा ने वो किया जिससे मेरी हिम्मत और चाहत को पंख लग गए ।

शाम को मैं सिर्फ शॉर्ट्स पहन हुआ था और ऊपर कुछ नहीं पहन था। हम इधर उधर की बातें कर रहे थे ।

आशा - (मेरे नंगे छाती पर अपना हाथ रख कर) भैया हटिये ना हल्दी लेना है (और अगले कुछ सेकंड उसका हाथ वही छाती पर था जब तक हल्दी की डिबिया नहीं उठा लिया)

इस घटना के बाद, मैं अब बेझिझक उसके साथ चिपक कर खड़ा रहता और वो भी दूर हटाने का कोई प्रयत्न नहीं करती। अब बातें भी खुल कर होने लगी थी। सुबह ऑफिस जाने के जल्दी होती थी, बातें ज़्यदातर शाम के वक़्त होती थी।

मै - तुम 32 साल की हो तो बेटी 13 साल की कैसे?

आशा - जल्दी शादी हो गई जल्दी बेटी हो गई।

मै - शादी किस उम्र में हुई?

आशा - 18 साल में?

मै - और 19 साल में बच्चा भी हो गया?

आशा - पहले ही साल बच्चा कर लिया, शादी के 1 हफ्ते बाद ही प्रेगनेंट हो गई थी।

मै - इतनी क्या जल्दी थी? शादी के मजे भी नहीं लिए और प्रेगनेंट हो गए? बेचारा पति कुछ मजे भी नहीं ले पाया होगा?

आशा - उसको ही जल्दी थी, तब वो मुंबई में काम करता था उसको वापस जाना थ।

मै - तो तुमको बच्चा दे गया ?

आशा - अब गावों में शहर जैसा नहीं होता है ना, शादी करो और अगले दिन से बच्चा करो।

मै - शादी शुदा जिंदगी के मजे भी नहीं लेते है ?

आशा - गावों मै कोई इतना नहीं सोचता है इन सब के बारे में।

मै - बेटा कब हुआ ?

आशा - ससुरजी के जाने के बाद ये वापस आ गए, तब हुआ बेटा ?

मै - तब तो खूब मजे किये होंगे तुम दोनों ने।

आशा - हाँ थोड़ा बहुत पर दारू पिने के बाद कोई होश नहीं रहता है ?

मै - 3 का मन नहीं अब ?

आशा - नहीं 2 ही का खर्चा भरी है।

मै - तो तुमने ऑपरेशन करा लिया है ?

आशा - हाँ बेटे के बाद ही करा लिया।

मै - तो अब बिना डर और रोक टोक के मजे करते होंगे।

आशा इस पर बस मुश्कुरा दी। उसके बाद हफ्ता दस दिन कोई खाश बात ना हुई फिर एक दिन मै वापस टॉपिक्स छेड़ दी।

मै - शादी से पहले तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड नहीं था ?

आशा उस पर मुश्कुरा दी।

मै - अरे बताओ ना

आशा - था।

मै - फिर उसे शादी क्यूँ नहीं की ?

आशा - बात चली थी शादी की पर उसकी माँ को बहुत सारा दहेज चाहिए था, इसलिए बात नहीं बनी। उसके परिवार वालो ने उसकी दूसरे जगह शादी करा दी।

मै - और फिर तुमने शादी कर ली?

आशा - नहीं पापा ने गुस्से मै आ कर शादी करा दी, की उसके घर वालो ने कहीं और शादी करा दी तो हम भी कर देते है। मैंने तो इनको शादी के 1 दिन पहले देखा था।

मै - तुमसे बिना पूछे करा दी शादी।

आशा - ऐसा ही होता है गावों मे

मै - अच्छा, शादी के बाद कभी मिला क्या तुम्हारा पुराना आशिक।

आशा - गावं जाती हूँ तो दीखता है।

मै - अच्छा उसके साथ तुम्हारा कुछ हुआ था क्या ?

आशा - क्या भैया कुछ भी ?

मै - बताओ ना।

आशा - एक दो बार किश हुआ था। भैया, आपने शादी क्यूँ नहीं की?

मै - अरे अभी तो बस 25 का हूँ। 2-3 साल मै कर लूंगा।

आशा - आपकी तो गर्ल फ्रेंड होगी ?

मै - थी, पर अब नहीं है।

आशा - क्यूँ शादी हो गई क्या उनकी।

मै - हाँ शादी हो गई, लेकिन हम दोनों का शादी का मूड नहीं था।

आशा - फिर कैसी गर्ल फ्रेंड थी ?

मै - दोनों को मजे करने थे, मजे किये और अपने अपने रस्ते चल दिए।

आशा – अच्छा?

मै - हाँ पड़ोसन थी, तो खूब मजे किये 2 साल।

आशा - जब सब कुछ कर लिए तो शादी क्यूँ नहीं की वो?

मै - अरे बस सेक्स के लिए बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड बने थे। अच्छा तुम लोगो का तो होता होगा सेक्स ?

आशा - शरमाते हुए, अरे भैया

मै - बताओ ना ?

आशा - मुस्कुराते हुए हाँ कभी कभी होता।

मै - रोज या हफ्ते मे २-३ बार?

आशा - कहाँ घर छोटा है सब साथ मे होते हैं।

मै - आखरी बार कब किया था।

आशा - १५ दिन हो गए होंगे।

मै - तुम बोलती नहीं हो करने को, ऑपरेशन हो गया है अब तो प्रेगनेंट होने का डर भी नहीं।

आशा - अरे भैया रोज पीके आते है क्या ही बोलूं और मेरा मन भी नहीं करता है।

अगले दिन शाम को आशा लेग्गिंस में आई और कुरता का साइड कट काफी डीप था एक दम कमर के ऊपरी हिस्से तक। साइड से पूरी जांघ, पुट्ठे नजर आ रही थी एक दम कातिल लग रही थी।

मै- आशा आज तो बहुत सुन्दर लग रही हो एक दम सेक्सी।

आशा मुस्कुरा दी और मौका देख कर मै बिस्कुट का डिब्बा निकलने के बहाने से पीछे से चिपका गया, और २-3 मिनिट तक चिपका रहा। ढीले ढाले शार्ट में 8.5 इंच का लन्ड उफान पर आने लगा, जो उसके बड़ी सी गांड को छू रहा था, उसको भी ये महसूस हुआ।

अगले दिन शाम को आशा वापस वही ड्रेस पहन कर आई। वो रसोई में खाना बना रही थी मैं पास खड़े हो कर बात कर रहा था। मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी गांड पर रख दिया और फिरने लगा। मैंने देखा आशा मंद मंद मुस्करा रही थी। मैं बिना देर किये पीछे से कमर को पकड़ कर चिपक गया। बड़ी सी गांड का एहसास पाकर लन्ड भी अपने औकात आने लगा। लन्ड को सही जगह पर सेट करने के लिए मैं थोड़ा पीछे हुआ, साथ में उसके कमर को पकड़ कर पीछे की ओर अपनी तरफ खिंचा। आशा ने भी साथ दिया और हल्का सा आगे की और झुक कर गांड पीछे की तरफ कर दिया। लन्ड को सेट करके मैं धीरे धीरे उसकी गांड पर घिस रहा था। करीब 15-20 मिनिट तक हम ये खेल खेलते रहे। उस दिन और ज्यादा कुछ नहीं हुआ आशा खाना बना कर चली गई।
 

Napster

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दोस्तों मैं पहली बार कोई कहानी पोस्ट कर रहा हूँ। ये मेरे जीवन के अनुभवों पर आधारित है। उम्मीद है आप लोगों को पसंद आएगी।

ये कहानी शुरू होती है साल 2015 को तब मेरी उम्र 25 साल थी, मेरी नौकरी छोटे से शहर में लगी थी। शहर क्या था कसबे से थोड़ा बड़ा था। मै वहां पर शराब की कंपनी में गोडाउन इंचार्ज बन कर आया था। शहर में नया था तो पहले कुछ दिन लॉज में निकला। खर्चे बढ़ने लगा तो किराये पर घर लेने का फैसला किया। फिर शुरू हुआ घर ढूंढने का कवायत, ऑफिस के अब्दुल ने बताया की उनके मित्र मजीद भाई का घर खाली है। वो दूसरे शहर में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में पोस्टेड है।
घर शहर के बाहर की ओर था। अमूमन जैसा होता है, नए कॉलोनी जब बस रही होती है गिने-चुने मकान होते है ओर चारो ओर खेत होता है, ये भी ऐसा ही था। दो मकान एक दूसरे से सट कर बने हुए थे। सामने की ओर छोटा सा सड़क, दोनों तरफ खेत ओर पीछे की ओर एक छोटा सा तालाब था। तालाब मछली पालन के लिए बनाया गया था। अब वो बरसात के पानी को इक्कठा कर खेत की सिंचाई में काम लाया जाता है। चारो ओर बहुत शांति थी। पड़ोस का मकान करीब 40-50 मीटर दूर था। उस जगह के हरियाली और शांति खूब भा गई और पडोसी भी काफी दूर है तो डिस्टर्ब करने वाला कोई नहीं होगा।
मै - अब्दुलजी दोनों में से कौन सा मकान उनका है ?
अब्दुल - दोनों ही उनके है, आपको जो अच्छा लगे वो इस्तेमाल करे।
मै - अरे ये तो 2 बैडरूम वाला है, इतना बड़ा मकान मै क्या करूँगा।
अब्दुल - तो आप दूसरा वाला ले लो, वो 1 बैडरूम का है।
मै - टॉयलेट एंड बाथरूम कहाँ है ?
अब्दुल - सरजी बाहर है।
मै - खुले मै जाना होगा ?
अब्दुल - नहीं सरजी, पीछे दिवार खींची हुई है 15 फ़ीट की और ऊपर जाली लगी है।
दाएं तरफ वाला मकान 2 बेडरूम और दूसरा 1 बैडरूम का था, दोनों मकान की बाउंड्री वाला एक ही था। सामने 2 गेट थे पर बिच मे कोई दिवार नहीं था। दोनों मकान के किचन एक दम आखरी में पीछे की ओर थे जो की पीछे वाले आँगन मे खुलता था। बहुत बड़ा सा आंगन था करीब 50 फ़ीट लम्बाई और उतनी ही चौड़ाई। पीछे वाले आँगन के आखरी मे दाएं तरफ २ टॉयलेट ओर एक बाथरूम बना था, पीछे वाली दीवाल पर बिच मे एक दरवाजा था ओर बाथरूम के बिलकुल उलटे साइड यानि 1 बैडरूम वाले माकन के तरफ एक हैंडपंप ओर पानी के मोटर का नल लगा हुआ था। दोनों किचन की खिड़कीयो से पूरा आँगन नजर आता था।
मै - अब्दुलजी भाड़ा कितना होगा।
अब्दुल - सरजी 6000 बोल रहे थे, बाकि देख लेंगे।
मै - अब्दुलजी 5000 मे करिये न।
अब्दुल - जी हो जायेग।
अब्दुलजी ने ऑफिस के लेबर के मदद से घर की सफाई करा दी ओर 2 दिन बाद मै 1 बेडरूम वाले हिस्से में रहन लगा। अंदर से डिज़ाइन कुछ ऐसा था - मकान में घुसते ही ड्राइंगरूम, फिर दाएं हाथ में छोटी से गैलरी किचेन की ओर जाने के लिए ओर गैलरी की बाएं ओर बैडरूम ओर आखरी में किचेन। घर में खिड़कियां ड्राइंगरूम के सामने वाली दीवाल पर थी ओर किचन के पीछे वाली दीवाल पर खाना बनने के प्लेटफार्म के ऊपर। सब कुछ अच्छा था बस खाना खाने के लिए ४-५ किमी जाना पड़ता था।
कहानी का प्रारंभ बडा ही मस्त हैं भाई मजा आ गया
 

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शाम को आशा को खाना बनाने आई, मैं उसके साथ और ज्यादा सट कर खड़ा हो गया और अपना बांह उसके साड़ी से झांकते हुए उसके कमर से सटा दिया। अगले १० मिनिट तक उसके कमर को अपने बहां से सहलता रहा। ये सब अगले १०-१५ दिन तक यूँही चलता रहा। फिर आशा ने वो किया जिससे मेरी हिम्मत और चाहत को पंख लग गए ।

शाम को मैं सिर्फ शॉर्ट्स पहन हुआ था और ऊपर कुछ नहीं पहन था। हम इधर उधर की बातें कर रहे थे ।

आशा - (मेरे नंगे छाती पर अपना हाथ रख कर) भैया हटिये ना हल्दी लेना है (और अगले कुछ सेकंड उसका हाथ वही छाती पर था जब तक हल्दी की डिबिया नहीं उठा लिया)

इस घटना के बाद, मैं अब बेझिझक उसके साथ चिपक कर खड़ा रहता और वो भी दूर हटाने का कोई प्रयत्न नहीं करती। अब बातें भी खुल कर होने लगी थी। सुबह ऑफिस जाने के जल्दी होती थी, बातें ज़्यदातर शाम के वक़्त होती थी।

मै - तुम 32 साल की हो तो बेटी 13 साल की कैसे?

आशा - जल्दी शादी हो गई जल्दी बेटी हो गई।

मै - शादी किस उम्र में हुई?

आशा - 18 साल में?

मै - और 19 साल में बच्चा भी हो गया?

आशा - पहले ही साल बच्चा कर लिया, शादी के 1 हफ्ते बाद ही प्रेगनेंट हो गई थी।

मै - इतनी क्या जल्दी थी? शादी के मजे भी नहीं लिए और प्रेगनेंट हो गए? बेचारा पति कुछ मजे भी नहीं ले पाया होगा?

आशा - उसको ही जल्दी थी, तब वो मुंबई में काम करता था उसको वापस जाना थ।

मै - तो तुमको बच्चा दे गया ?

आशा - अब गावों में शहर जैसा नहीं होता है ना, शादी करो और अगले दिन से बच्चा करो।

मै - शादी शुदा जिंदगी के मजे भी नहीं लेते है ?

आशा - गावों मै कोई इतना नहीं सोचता है इन सब के बारे में।

मै - बेटा कब हुआ ?

आशा - ससुरजी के जाने के बाद ये वापस आ गए, तब हुआ बेटा ?

मै - तब तो खूब मजे किये होंगे तुम दोनों ने।

आशा - हाँ थोड़ा बहुत पर दारू पिने के बाद कोई होश नहीं रहता है ?

मै - 3 का मन नहीं अब ?

आशा - नहीं 2 ही का खर्चा भरी है।

मै - तो तुमने ऑपरेशन करा लिया है ?

आशा - हाँ बेटे के बाद ही करा लिया।

मै - तो अब बिना डर और रोक टोक के मजे करते होंगे।

आशा इस पर बस मुश्कुरा दी। उसके बाद हफ्ता दस दिन कोई खाश बात ना हुई फिर एक दिन मै वापस टॉपिक्स छेड़ दी।

मै - शादी से पहले तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड नहीं था ?

आशा उस पर मुश्कुरा दी।

मै - अरे बताओ ना

आशा - था।

मै - फिर उसे शादी क्यूँ नहीं की ?

आशा - बात चली थी शादी की पर उसकी माँ को बहुत सारा दहेज चाहिए था, इसलिए बात नहीं बनी। उसके परिवार वालो ने उसकी दूसरे जगह शादी करा दी।

मै - और फिर तुमने शादी कर ली?

आशा - नहीं पापा ने गुस्से मै आ कर शादी करा दी, की उसके घर वालो ने कहीं और शादी करा दी तो हम भी कर देते है। मैंने तो इनको शादी के 1 दिन पहले देखा था।

मै - तुमसे बिना पूछे करा दी शादी।

आशा - ऐसा ही होता है गावों मे

मै - अच्छा, शादी के बाद कभी मिला क्या तुम्हारा पुराना आशिक।

आशा - गावं जाती हूँ तो दीखता है।

मै - अच्छा उसके साथ तुम्हारा कुछ हुआ था क्या ?

आशा - क्या भैया कुछ भी ?

मै - बताओ ना।

आशा - एक दो बार किश हुआ था। भैया, आपने शादी क्यूँ नहीं की?

मै - अरे अभी तो बस 25 का हूँ। 2-3 साल मै कर लूंगा।

आशा - आपकी तो गर्ल फ्रेंड होगी ?

मै - थी, पर अब नहीं है।

आशा - क्यूँ शादी हो गई क्या उनकी।

मै - हाँ शादी हो गई, लेकिन हम दोनों का शादी का मूड नहीं था।

आशा - फिर कैसी गर्ल फ्रेंड थी ?

मै - दोनों को मजे करने थे, मजे किये और अपने अपने रस्ते चल दिए।

आशा – अच्छा?

मै - हाँ पड़ोसन थी, तो खूब मजे किये 2 साल।

आशा - जब सब कुछ कर लिए तो शादी क्यूँ नहीं की वो?

मै - अरे बस सेक्स के लिए बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड बने थे। अच्छा तुम लोगो का तो होता होगा सेक्स ?

आशा - शरमाते हुए, अरे भैया

मै - बताओ ना ?

आशा - मुस्कुराते हुए हाँ कभी कभी होता।

मै - रोज या हफ्ते मे २-३ बार?

आशा - कहाँ घर छोटा है सब साथ मे होते हैं।

मै - आखरी बार कब किया था।

आशा - १५ दिन हो गए होंगे।

मै - तुम बोलती नहीं हो करने को, ऑपरेशन हो गया है अब तो प्रेगनेंट होने का डर भी नहीं।

आशा - अरे भैया रोज पीके आते है क्या ही बोलूं और मेरा मन भी नहीं करता है।

अगले दिन शाम को आशा लेग्गिंस में आई और कुरता का साइड कट काफी डीप था एक दम कमर के ऊपरी हिस्से तक। साइड से पूरी जांघ, पुट्ठे नजर आ रही थी एक दम कातिल लग रही थी।

मै- आशा आज तो बहुत सुन्दर लग रही हो एक दम सेक्सी।

आशा मुस्कुरा दी और मौका देख कर मै बिस्कुट का डिब्बा निकलने के बहाने से पीछे से चिपका गया, और २-3 मिनिट तक चिपका रहा। ढीले ढाले शार्ट में 8.5 इंच का लन्ड उफान पर आने लगा, जो उसके बड़ी सी गांड को छू रहा था, उसको भी ये महसूस हुआ।

अगले दिन शाम को आशा वापस वही ड्रेस पहन कर आई। वो रसोई में खाना बना रही थी मैं पास खड़े हो कर बात कर रहा था। मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी गांड पर रख दिया और फिरने लगा। मैंने देखा आशा मंद मंद मुस्करा रही थी। मैं बिना देर किये पीछे से कमर को पकड़ कर चिपक गया। बड़ी सी गांड का एहसास पाकर लन्ड भी अपने औकात आने लगा। लन्ड को सही जगह पर सेट करने के लिए मैं थोड़ा पीछे हुआ, साथ में उसके कमर को पकड़ कर पीछे की ओर अपनी तरफ खिंचा। आशा ने भी साथ दिया और हल्का सा आगे की और झुक कर गांड पीछे की तरफ कर दिया। लन्ड को सेट करके मैं धीरे धीरे उसकी गांड पर घिस रहा था। करीब 15-20 मिनिट तक हम ये खेल खेलते रहे। उस दिन और ज्यादा कुछ नहीं हुआ आशा खाना बना कर चली गई।
बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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