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दोस्तों मैं पहली बार कोई कहानी पोस्ट कर रहा हूँ। ये मेरे जीवन के अनुभवों पर आधारित है। उम्मीद है आप लोगों को पसंद आएगी।
ये कहानी शुरू होती है साल 2015 को तब मेरी उम्र 25 साल थी, मेरी नौकरी छोटे से शहर में लगी थी। शहर क्या था कसबे से थोड़ा बड़ा था। मै वहां पर शराब की कंपनी में गोडाउन इंचार्ज बन कर आया था। शहर में नया था तो पहले कुछ दिन लॉज में निकला। खर्चे बढ़ने लगा तो किराये पर घर लेने का फैसला किया। फिर शुरू हुआ घर ढूंढने का कवायत, ऑफिस के अब्दुल ने बताया की उनके मित्र मजीद भाई का घर खाली है। वो दूसरे शहर में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में पोस्टेड है।
घर शहर के बाहर की ओर था। अमूमन जैसा होता है, नए कॉलोनी जब बस रही होती है गिने-चुने मकान होते है ओर चारो ओर खेत होता है, ये भी ऐसा ही था। दो मकान एक दूसरे से सट कर बने हुए थे। सामने की ओर छोटा सा सड़क, दोनों तरफ खेत ओर पीछे की ओर एक छोटा सा तालाब था। तालाब मछली पालन के लिए बनाया गया था। अब वो बरसात के पानी को इक्कठा कर खेत की सिंचाई में काम लाया जाता है। चारो ओर बहुत शांति थी। पड़ोस का मकान करीब 40-50 मीटर दूर था। उस जगह के हरियाली और शांति खूब भा गई और पडोसी भी काफी दूर है तो डिस्टर्ब करने वाला कोई नहीं होगा।
मै - अब्दुलजी दोनों में से कौन सा मकान उनका है ?
अब्दुल - दोनों ही उनके है, आपको जो अच्छा लगे वो इस्तेमाल करे।
मै - अरे ये तो 2 बैडरूम वाला है, इतना बड़ा मकान मै क्या करूँगा।
अब्दुल - तो आप दूसरा वाला ले लो, वो 1 बैडरूम का है।
मै - टॉयलेट एंड बाथरूम कहाँ है ?
अब्दुल - सरजी बाहर है।
मै - खुले मै जाना होगा ?
अब्दुल - नहीं सरजी, पीछे दिवार खींची हुई है 15 फ़ीट की और ऊपर जाली लगी है।
दाएं तरफ वाला मकान 2 बेडरूम और दूसरा 1 बैडरूम का था, दोनों मकान की बाउंड्री वाला एक ही था। सामने 2 गेट थे पर बिच मे कोई दिवार नहीं था। दोनों मकान के किचन एक दम आखरी में पीछे की ओर थे जो की पीछे वाले आँगन मे खुलता था। बहुत बड़ा सा आंगन था करीब 50 फ़ीट लम्बाई और उतनी ही चौड़ाई। पीछे वाले आँगन के आखरी मे दाएं तरफ २ टॉयलेट ओर एक बाथरूम बना था, पीछे वाली दीवाल पर बिच मे एक दरवाजा था ओर बाथरूम के बिलकुल उलटे साइड यानि 1 बैडरूम वाले माकन के तरफ एक हैंडपंप ओर पानी के मोटर का नल लगा हुआ था। दोनों किचन की खिड़कीयो से पूरा आँगन नजर आता था।
मै - अब्दुलजी भाड़ा कितना होगा।
अब्दुल - सरजी 6000 बोल रहे थे, बाकि देख लेंगे।
मै - अब्दुलजी 5000 मे करिये न।
अब्दुल - जी हो जायेग।
अब्दुलजी ने ऑफिस के लेबर के मदद से घर की सफाई करा दी ओर 2 दिन बाद मै 1 बेडरूम वाले हिस्से में रहन लगा। अंदर से डिज़ाइन कुछ ऐसा था - मकान में घुसते ही ड्राइंगरूम, फिर दाएं हाथ में छोटी से गैलरी किचेन की ओर जाने के लिए ओर गैलरी की बाएं ओर बैडरूम ओर आखरी में किचेन। घर में खिड़कियां ड्राइंगरूम के सामने वाली दीवाल पर थी ओर किचन के पीछे वाली दीवाल पर खाना बनने के प्लेटफार्म के ऊपर। सब कुछ अच्छा था बस खाना खाने के लिए ४-५ किमी जाना पड़ता था।
ये कहानी शुरू होती है साल 2015 को तब मेरी उम्र 25 साल थी, मेरी नौकरी छोटे से शहर में लगी थी। शहर क्या था कसबे से थोड़ा बड़ा था। मै वहां पर शराब की कंपनी में गोडाउन इंचार्ज बन कर आया था। शहर में नया था तो पहले कुछ दिन लॉज में निकला। खर्चे बढ़ने लगा तो किराये पर घर लेने का फैसला किया। फिर शुरू हुआ घर ढूंढने का कवायत, ऑफिस के अब्दुल ने बताया की उनके मित्र मजीद भाई का घर खाली है। वो दूसरे शहर में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में पोस्टेड है।
घर शहर के बाहर की ओर था। अमूमन जैसा होता है, नए कॉलोनी जब बस रही होती है गिने-चुने मकान होते है ओर चारो ओर खेत होता है, ये भी ऐसा ही था। दो मकान एक दूसरे से सट कर बने हुए थे। सामने की ओर छोटा सा सड़क, दोनों तरफ खेत ओर पीछे की ओर एक छोटा सा तालाब था। तालाब मछली पालन के लिए बनाया गया था। अब वो बरसात के पानी को इक्कठा कर खेत की सिंचाई में काम लाया जाता है। चारो ओर बहुत शांति थी। पड़ोस का मकान करीब 40-50 मीटर दूर था। उस जगह के हरियाली और शांति खूब भा गई और पडोसी भी काफी दूर है तो डिस्टर्ब करने वाला कोई नहीं होगा।
मै - अब्दुलजी दोनों में से कौन सा मकान उनका है ?
अब्दुल - दोनों ही उनके है, आपको जो अच्छा लगे वो इस्तेमाल करे।
मै - अरे ये तो 2 बैडरूम वाला है, इतना बड़ा मकान मै क्या करूँगा।
अब्दुल - तो आप दूसरा वाला ले लो, वो 1 बैडरूम का है।
मै - टॉयलेट एंड बाथरूम कहाँ है ?
अब्दुल - सरजी बाहर है।
मै - खुले मै जाना होगा ?
अब्दुल - नहीं सरजी, पीछे दिवार खींची हुई है 15 फ़ीट की और ऊपर जाली लगी है।
दाएं तरफ वाला मकान 2 बेडरूम और दूसरा 1 बैडरूम का था, दोनों मकान की बाउंड्री वाला एक ही था। सामने 2 गेट थे पर बिच मे कोई दिवार नहीं था। दोनों मकान के किचन एक दम आखरी में पीछे की ओर थे जो की पीछे वाले आँगन मे खुलता था। बहुत बड़ा सा आंगन था करीब 50 फ़ीट लम्बाई और उतनी ही चौड़ाई। पीछे वाले आँगन के आखरी मे दाएं तरफ २ टॉयलेट ओर एक बाथरूम बना था, पीछे वाली दीवाल पर बिच मे एक दरवाजा था ओर बाथरूम के बिलकुल उलटे साइड यानि 1 बैडरूम वाले माकन के तरफ एक हैंडपंप ओर पानी के मोटर का नल लगा हुआ था। दोनों किचन की खिड़कीयो से पूरा आँगन नजर आता था।
मै - अब्दुलजी भाड़ा कितना होगा।
अब्दुल - सरजी 6000 बोल रहे थे, बाकि देख लेंगे।
मै - अब्दुलजी 5000 मे करिये न।
अब्दुल - जी हो जायेग।
अब्दुलजी ने ऑफिस के लेबर के मदद से घर की सफाई करा दी ओर 2 दिन बाद मै 1 बेडरूम वाले हिस्से में रहन लगा। अंदर से डिज़ाइन कुछ ऐसा था - मकान में घुसते ही ड्राइंगरूम, फिर दाएं हाथ में छोटी से गैलरी किचेन की ओर जाने के लिए ओर गैलरी की बाएं ओर बैडरूम ओर आखरी में किचेन। घर में खिड़कियां ड्राइंगरूम के सामने वाली दीवाल पर थी ओर किचन के पीछे वाली दीवाल पर खाना बनने के प्लेटफार्म के ऊपर। सब कुछ अच्छा था बस खाना खाने के लिए ४-५ किमी जाना पड़ता था।
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