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Incest मेरी सेक्स यात्रा

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voyageur

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जब नींद खुली तो देखा घडी में शाम के 6:30 बज रहे थे। बाजु में आशा नंगी लेटी हुई थी। मेरा सर उसके सीने पर था और आँखों के सामने भूरे रंग के लम्बे लम्बे निप्पल थे। मैंने अपने जीभ चूँचियों पर चलने लगा । पास के निप्पल को मुहं में भरकर चूसने लगा और दूसरे चुची को हाथ से जोर जोर से मसलने लगा। इतने में आशा जग गई और मेरे सर को बड़े प्यार से सहलाते हुए अपने बूब्स की और धकेलने लगी। चूसते चूसते मैं निप्पल को काटने लगा। आशा फिर चुदासी हो कर मेरे लन्ड को पकड़ लिया।

आशा - धीरे कारिये ना दर्द होता है।

मैं - लन्ड चुसो ना।

आशा उठ कर निचे जाकर पहले खड़े लन्ड को निचे से ऊपर तक जीभ से आइसक्रीम की तरह चाटी, फिर दोनों अंडकोष को बारी बारी मुहं में भरकर चूसने लगी। फिर लन्ड के टोपे को मुहं भरकर चूसने लगी २ मिनिट चुसाई के बाद।

आशा - कभी ओर अच्छे चूस दूंगी आज इस लन्ड को बस चुत में लेने का मन कर रहा है।

मैं - तेरे ही लिए खड़ा है चुत में ले या मुहं में ले जहाँ लेना है ले।

आशा लन्ड को अपने हाथों से चुत पर रख कर उस पर बैठाने लगी। जैसे ही लन्ड थोड़ा सा अंदर हुआ ----

आशा - आहा बहनचोद क्या मस्त लन्ड है पूरी चुत को फैला दिया।

मैं - मस्त लन्ड है ना तो ले बहन की लौड़ी पूरा ले लन्ड कहते हुए नीचे से धक्का मारा, लन्ड चुत के अंदर सरसरता हुआ पूरा घुस गया।

आशा - अरे भड़वे फाड़ दी मेरी चुत।

मैं -चुदना था ना तेरे को, चुत फड़वानी थी ना अब क्यूँ कुतिया की तरह चिल्ला रही है।

आशा - ले चोद और जोर से चोद ---

यह कहकर आशा लन्ड की सवारी करने लगी, मैंने गांड के निचे हाथ लगा कर उसे लन्ड पर कूदने में मदद करने लगा।

मैं - (कुछ देर की चुदाई के बाद) पलट के करना । आशा पलट कर गांड को मेरे चहरे की तरफ करके लन्ड पर कूदने लगी। मेरे आँखों में सामने स्टॉकिन में समाई हुई बड़ी से गांड आगे पीछे हो रही थी। मैंने गांड के ऊपर की स्टॉकिन को फाड् दिया, बड़ीसी मस्त नंगी गांड को निहारे जा रहा था। कुछ देर के सवारी के बाद आशा थक गई। थकान के कारण, हम दोनों बिना रस्खलित हुए इस खेल को अधूरे में ही छोड दिया।
 

Premkumar65

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दोस्तों मैं पहली बार कोई कहानी पोस्ट कर रहा हूँ। ये मेरे जीवन के अनुभवों पर आधारित है। उम्मीद है आप लोगों को पसंद आएगी।

ये कहानी शुरू होती है साल 2015 को तब मेरी उम्र 25 साल थी, मेरी नौकरी छोटे से शहर में लगी थी। शहर क्या था कसबे से थोड़ा बड़ा था। मै वहां पर शराब की कंपनी में गोडाउन इंचार्ज बन कर आया था। शहर में नया था तो पहले कुछ दिन लॉज में निकला। खर्चे बढ़ने लगा तो किराये पर घर लेने का फैसला किया। फिर शुरू हुआ घर ढूंढने का कवायत, ऑफिस के अब्दुल ने बताया की उनके मित्र मजीद भाई का घर खाली है। वो दूसरे शहर में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में पोस्टेड है।
घर शहर के बाहर की ओर था। अमूमन जैसा होता है, नए कॉलोनी जब बस रही होती है गिने-चुने मकान होते है ओर चारो ओर खेत होता है, ये भी ऐसा ही था। दो मकान एक दूसरे से सट कर बने हुए थे। सामने की ओर छोटा सा सड़क, दोनों तरफ खेत ओर पीछे की ओर एक छोटा सा तालाब था। तालाब मछली पालन के लिए बनाया गया था। अब वो बरसात के पानी को इक्कठा कर खेत की सिंचाई में काम लाया जाता है। चारो ओर बहुत शांति थी। पड़ोस का मकान करीब 40-50 मीटर दूर था। उस जगह के हरियाली और शांति खूब भा गई और पडोसी भी काफी दूर है तो डिस्टर्ब करने वाला कोई नहीं होगा।
मै - अब्दुलजी दोनों में से कौन सा मकान उनका है ?
अब्दुल - दोनों ही उनके है, आपको जो अच्छा लगे वो इस्तेमाल करे।
मै - अरे ये तो 2 बैडरूम वाला है, इतना बड़ा मकान मै क्या करूँगा।
अब्दुल - तो आप दूसरा वाला ले लो, वो 1 बैडरूम का है।
मै - टॉयलेट एंड बाथरूम कहाँ है ?
अब्दुल - सरजी बाहर है।
मै - खुले मै जाना होगा ?
अब्दुल - नहीं सरजी, पीछे दिवार खींची हुई है 15 फ़ीट की और ऊपर जाली लगी है।
दाएं तरफ वाला मकान 2 बेडरूम और दूसरा 1 बैडरूम का था, दोनों मकान की बाउंड्री वाला एक ही था। सामने 2 गेट थे पर बिच मे कोई दिवार नहीं था। दोनों मकान के किचन एक दम आखरी में पीछे की ओर थे जो की पीछे वाले आँगन मे खुलता था। बहुत बड़ा सा आंगन था करीब 50 फ़ीट लम्बाई और उतनी ही चौड़ाई। पीछे वाले आँगन के आखरी मे दाएं तरफ २ टॉयलेट ओर एक बाथरूम बना था, पीछे वाली दीवाल पर बिच मे एक दरवाजा था ओर बाथरूम के बिलकुल उलटे साइड यानि 1 बैडरूम वाले माकन के तरफ एक हैंडपंप ओर पानी के मोटर का नल लगा हुआ था। दोनों किचन की खिड़कीयो से पूरा आँगन नजर आता था।
मै - अब्दुलजी भाड़ा कितना होगा।
अब्दुल - सरजी 6000 बोल रहे थे, बाकि देख लेंगे।
मै - अब्दुलजी 5000 मे करिये न।
अब्दुल - जी हो जायेग।
अब्दुलजी ने ऑफिस के लेबर के मदद से घर की सफाई करा दी ओर 2 दिन बाद मै 1 बेडरूम वाले हिस्से में रहन लगा। अंदर से डिज़ाइन कुछ ऐसा था - मकान में घुसते ही ड्राइंगरूम, फिर दाएं हाथ में छोटी से गैलरी किचेन की ओर जाने के लिए ओर गैलरी की बाएं ओर बैडरूम ओर आखरी में किचेन। घर में खिड़कियां ड्राइंगरूम के सामने वाली दीवाल पर थी ओर किचन के पीछे वाली दीवाल पर खाना बनने के प्लेटफार्म के ऊपर। सब कुछ अच्छा था बस खाना खाने के लिए ४-५ किमी जाना पड़ता था।
Good start.
 
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Premkumar65

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शुरू शुरू में ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब ध्यान गया तो पाया फिगर ठीक ठाक सा है, माध्यम आकर के बूब्स, पर कमर से निचे का हिस्सा ऊपर के हिस्से के मुकाबले में काफी बड़ा और चौड़ा है मोटी मोटी जंघे और बाहर की ओर उभरी हुई मस्त गांड। वैसे ज्यादातर वो साड़ी पहनती थी पर जब कभी लेग्गिंस पहन कर आती है, लन्ड और दिल दोनों बवाला कर जाती है। मेरे को भी सेक्स किये 6 महीने हो गए थे, इतनी मस्त टाँगे और गांड देख कर मन फिसलने लगा। मैंने चांस लेने की सोची।

अब मैं शाम को भी रसोई में उसके साथ खाना बनाते वक़्त होता था। पहले बात करता वक़्त थोड़ी दुरी बनाये रखता था, पर अब किसी ना किसी बहाने उसको हाथ लगता, छू लेता। वो किसी भी प्रकार का प्रतिक्रिया नहीं करती थी।

एक शाम, रोज की तरह हम दोनों रसोई में साथ खड़े हो कर काम कर रहे थे तभी

आशा - भैयाययय (आशा जोर से चिल्लाई और मेरे से चिपक गई)

मैं - क्या हुआ?

आशा - मिक्सर के तार ने करंट मारा।

मैं - कहाँ ?

आशा - हाथ में (यह बोल कर मेरे से अलग हो गई)

मैं - दिखाओ जल तो नहीं गया। (इतना बोल कर उसके हाथ को पकड़ लिया और देखने लगा की कहीं चोट तो नहीं लगी है)

आशा - नहीं (उसने हाथ हटाने की कोशिश नहीं की, कुछ पल बाद मैंने ही उसका हाथ छोड़ दिया)

मैं - अरे इसका तार काट गया है (मिक्सर के तार का निरक्षण करते हुए, तार को ठीक कर दिया)

अगले दिन सुबह जब आशा आई तो मैं चाय बना रहा था।

मैं - (फिर से उसके हाथ को पकड़ लिया) दिखाओ सब ठीक है ना। (अगले 2 मिनिट तक उसके हाथ को पकड़ा रहा)

आशा - (हाथ नहीं छुड़ाया) हाँ सब ठीक है।


सुबह की भाग दौड़ के कारण और कुछ नहीं हुआ।
Woww nice initiative. Ab current daudega.
 
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Premkumar65

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शाम को आशा को खाना बनाने आई, मैं उसके साथ और ज्यादा सट कर खड़ा हो गया और अपना बांह उसके साड़ी से झांकते हुए उसके कमर से सटा दिया। अगले १० मिनिट तक उसके कमर को अपने बहां से सहलता रहा। ये सब अगले १०-१५ दिन तक यूँही चलता रहा। फिर आशा ने वो किया जिससे मेरी हिम्मत और चाहत को पंख लग गए ।

शाम को मैं सिर्फ शॉर्ट्स पहन हुआ था और ऊपर कुछ नहीं पहन था। हम इधर उधर की बातें कर रहे थे ।

आशा - (मेरे नंगे छाती पर अपना हाथ रख कर) भैया हटिये ना हल्दी लेना है (और अगले कुछ सेकंड उसका हाथ वही छाती पर था जब तक हल्दी की डिबिया नहीं उठा लिया)

इस घटना के बाद, मैं अब बेझिझक उसके साथ चिपक कर खड़ा रहता और वो भी दूर हटाने का कोई प्रयत्न नहीं करती। अब बातें भी खुल कर होने लगी थी। सुबह ऑफिस जाने के जल्दी होती थी, बातें ज़्यदातर शाम के वक़्त होती थी।

मै - तुम 32 साल की हो तो बेटी 13 साल की कैसे?

आशा - जल्दी शादी हो गई जल्दी बेटी हो गई।

मै - शादी किस उम्र में हुई?

आशा - 18 साल में?

मै - और 19 साल में बच्चा भी हो गया?

आशा - पहले ही साल बच्चा कर लिया, शादी के 1 हफ्ते बाद ही प्रेगनेंट हो गई थी।

मै - इतनी क्या जल्दी थी? शादी के मजे भी नहीं लिए और प्रेगनेंट हो गए? बेचारा पति कुछ मजे भी नहीं ले पाया होगा?

आशा - उसको ही जल्दी थी, तब वो मुंबई में काम करता था उसको वापस जाना थ।

मै - तो तुमको बच्चा दे गया ?

आशा - अब गावों में शहर जैसा नहीं होता है ना, शादी करो और अगले दिन से बच्चा करो।

मै - शादी शुदा जिंदगी के मजे भी नहीं लेते है ?

आशा - गावों मै कोई इतना नहीं सोचता है इन सब के बारे में।

मै - बेटा कब हुआ ?

आशा - ससुरजी के जाने के बाद ये वापस आ गए, तब हुआ बेटा ?

मै - तब तो खूब मजे किये होंगे तुम दोनों ने।

आशा - हाँ थोड़ा बहुत पर दारू पिने के बाद कोई होश नहीं रहता है ?

मै - 3 का मन नहीं अब ?

आशा - नहीं 2 ही का खर्चा भरी है।

मै - तो तुमने ऑपरेशन करा लिया है ?

आशा - हाँ बेटे के बाद ही करा लिया।

मै - तो अब बिना डर और रोक टोक के मजे करते होंगे।

आशा इस पर बस मुश्कुरा दी। उसके बाद हफ्ता दस दिन कोई खाश बात ना हुई फिर एक दिन मै वापस टॉपिक्स छेड़ दी।

मै - शादी से पहले तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड नहीं था ?

आशा उस पर मुश्कुरा दी।

मै - अरे बताओ ना

आशा - था।

मै - फिर उसे शादी क्यूँ नहीं की ?

आशा - बात चली थी शादी की पर उसकी माँ को बहुत सारा दहेज चाहिए था, इसलिए बात नहीं बनी। उसके परिवार वालो ने उसकी दूसरे जगह शादी करा दी।

मै - और फिर तुमने शादी कर ली?

आशा - नहीं पापा ने गुस्से मै आ कर शादी करा दी, की उसके घर वालो ने कहीं और शादी करा दी तो हम भी कर देते है। मैंने तो इनको शादी के 1 दिन पहले देखा था।

मै - तुमसे बिना पूछे करा दी शादी।

आशा - ऐसा ही होता है गावों मे

मै - अच्छा, शादी के बाद कभी मिला क्या तुम्हारा पुराना आशिक।

आशा - गावं जाती हूँ तो दीखता है।

मै - अच्छा उसके साथ तुम्हारा कुछ हुआ था क्या ?

आशा - क्या भैया कुछ भी ?

मै - बताओ ना।

आशा - एक दो बार किश हुआ था। भैया, आपने शादी क्यूँ नहीं की?

मै - अरे अभी तो बस 25 का हूँ। 2-3 साल मै कर लूंगा।

आशा - आपकी तो गर्ल फ्रेंड होगी ?

मै - थी, पर अब नहीं है।

आशा - क्यूँ शादी हो गई क्या उनकी।

मै - हाँ शादी हो गई, लेकिन हम दोनों का शादी का मूड नहीं था।

आशा - फिर कैसी गर्ल फ्रेंड थी ?

मै - दोनों को मजे करने थे, मजे किये और अपने अपने रस्ते चल दिए।

आशा – अच्छा?

मै - हाँ पड़ोसन थी, तो खूब मजे किये 2 साल।

आशा - जब सब कुछ कर लिए तो शादी क्यूँ नहीं की वो?

मै - अरे बस सेक्स के लिए बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड बने थे। अच्छा तुम लोगो का तो होता होगा सेक्स ?

आशा - शरमाते हुए, अरे भैया

मै - बताओ ना ?

आशा - मुस्कुराते हुए हाँ कभी कभी होता।

मै - रोज या हफ्ते मे २-३ बार?

आशा - कहाँ घर छोटा है सब साथ मे होते हैं।

मै - आखरी बार कब किया था।

आशा - १५ दिन हो गए होंगे।

मै - तुम बोलती नहीं हो करने को, ऑपरेशन हो गया है अब तो प्रेगनेंट होने का डर भी नहीं।

आशा - अरे भैया रोज पीके आते है क्या ही बोलूं और मेरा मन भी नहीं करता है।

अगले दिन शाम को आशा लेग्गिंस में आई और कुरता का साइड कट काफी डीप था एक दम कमर के ऊपरी हिस्से तक। साइड से पूरी जांघ, पुट्ठे नजर आ रही थी एक दम कातिल लग रही थी।

मै- आशा आज तो बहुत सुन्दर लग रही हो एक दम सेक्सी।

आशा मुस्कुरा दी और मौका देख कर मै बिस्कुट का डिब्बा निकलने के बहाने से पीछे से चिपका गया, और २-3 मिनिट तक चिपका रहा। ढीले ढाले शार्ट में 8.5 इंच का लन्ड उफान पर आने लगा, जो उसके बड़ी सी गांड को छू रहा था, उसको भी ये महसूस हुआ।

अगले दिन शाम को आशा वापस वही ड्रेस पहन कर आई। वो रसोई में खाना बना रही थी मैं पास खड़े हो कर बात कर रहा था। मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी गांड पर रख दिया और फिरने लगा। मैंने देखा आशा मंद मंद मुस्करा रही थी। मैं बिना देर किये पीछे से कमर को पकड़ कर चिपक गया। बड़ी सी गांड का एहसास पाकर लन्ड भी अपने औकात आने लगा। लन्ड को सही जगह पर सेट करने के लिए मैं थोड़ा पीछे हुआ, साथ में उसके कमर को पकड़ कर पीछे की ओर अपनी तरफ खिंचा। आशा ने भी साथ दिया और हल्का सा आगे की और झुक कर गांड पीछे की तरफ कर दिया। लन्ड को सेट करके मैं धीरे धीरे उसकी गांड पर घिस रहा था। करीब 15-20 मिनिट तक हम ये खेल खेलते रहे। उस दिन और ज्यादा कुछ नहीं हुआ आशा खाना बना कर चली गई।
mast action chal raha hai. Maids aksar chudne ko tayyar ho jati hain.
 
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Premkumar65

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अगला दिन रविवार था मुझे देर तक सोने के इच्छा थी। रोज की तरह आशा 8 बजे आ गई मैं दरवाज खोलने गया पर यह भूल गया था की मैंने शॉर्ट्स नहीं उस दिन सिर्फ अंडरवियर पहन कर सो रहा था। मैं दरवाज खोल कर वापस लेट गया। करीब 20 मिनिट बाद झाड़ू लगाने आशा बैडरूम में आई।

आशा - भैया नाश्ते में क्या बनेगा ?

उसकी आवाज़ से मेरी नींद खुल गई, तब मुझे एहसास हुआ की मैंने सिर्फ अंडरवियर पहना हुआ है। मैं आशा की तरफ देखा उसकी प्रतिक्रिया जाने के लिए। आशा बहुत ही सहज थी, एक हाथ में झाड़ू था। मेरे तरफ देख कर मुस्कुराई और साड़ी का दाएं साइड के निचे का हिस्सा कमर में फंसा कर झाड़ू लगाने लगी। साड़ी का हिस्सा ऊपर होते ही उसकी जांघ का आधा ज्यादा हिस्सा नजर आने लग। सावंली

मोटी कड़क नंगी जांघ देख कर मेरी नींद ही उड़ गई। मैं उठ कर पीछे वाशरूम में चला गया। बाहर आया तो पाया की आशा अपनी सेक्सी नंगी टाँग को दिखते हुए बिच कंपाउंड में खड़े हो कर छत की तरफ देख रही थी।

मैं अंडरवियर में ही उसके बाजु में जाकर अपनी एक टाँग को उसके नंगी टाँग के पीछे के तरफ से चिपक दिया।

मैं - क्या देख रहे हो।

आशा - वो देखिये कितना सुन्दर मोर नचा रहा है छज्जे पर।

मैं देखने के बहाने से पीछे से आशा से और चिपक गया। तभी हम दोनों का एहसास हुआ की उसका हाथ मेरे लन्ड को छू गया। उसने पहले तो अपने हाथ को थोड़ा सा हटाया, लेकिन फिर वापस हाथ को वहीँ ले आई। उसका हाथ हल्के हल्के अंडरवियर के ऊपर से मेरे लन्ड को छू रहा था। मैंने कमर को आगे की तरफ कर दिया, अब आशा का हाथ पूरी तरह से मेरे लन्ड पर था। मैंने अपना हाथ उसके जांघ के अंदर डाल कर जांघ को सहलाने लगा। आशा गरम होने लगी उसने अपनी टाँग को थोड़ा फैला दिया।

मैं - तुम्हे मालूम मोर क्यों नचा रहा है ?

आशा - क्यूँ?

मैं - मोरनी को रिझा रहा है?

आशा - क्यूँ रिझा रहा है ?

मैं - मोर, मोरनी से प्यार करेगा और............

आशा - और क्या ?

मैं - उसकी चुदाई करेगा।

आशा - पर वहां तो दो दो मोरनी है।

मैं - हाँ तो दोनों से करेगा। जानवर का अच्छा है ना, कभी भी कहीं भी किसी के साथ भी चुदाई कर लेते है।

आशा - हहमम..........।

मैं - मोर अच्छा है ना? (लन्ड को हल्के उसे हाथ पर घिसते हुए)

आशा - हाँ। (आशा को समझ आ गया था, मैं लन्ड के बारे में बात कर रहा था)

मैं - बस हाँ ?

आशा - बहुत अच्छा है और बड़ा भी।

मैं - बड़ा मोर तुम्हे पसंद नहीं है क्या ?

आशा - ऐसा कुछ नहीं पर ...........

मैं - पर क्या मोरनी भी तो बड़ी है।

इतना बोल कर मैंने हाथ को जांघ से ऊपर करते हुए पेटीकोट के अंदर उसकी गांड पर रख दिया। उसने पैंटी नहीं पहनी हुई थी, मेरे हाथ को नंगी गांड का एहसास होते ही लन्ड अपनी पूरी ताकत का प्रदर्शन करने लगा। मेरे इस अचानक हमले से आशा थोड़ी सी बिदक गई। कुछ ही सेकंड बाद ही वो पीछे की तरफ हल्की से मेरे तरफ झुक गई। साथ ही साथ उसने मेरे लन्ड को अपनी मुट्ठी के गिरफ्त में ले लिया। वो अपने ऑंखें बंद किये हुए उस पल का मजा ले रही थी। मैं उसके नंगे चूतड़ों के मजे ले रहा था और वो मेरे लन्ड को चड्डी के ऊपर से पकड़ी हुई थी।

मैं - वैसे इस मोरनी के बहुत सारे दीवाने होंगे।

आशा - ह्ह्ह्हहम्म्म्म कैसे पता आपको ?

मैं - मोरनी है ही इतनी सुन्दर और सेक्सी।

मैं आगे बढ़ाने की सोचा और एक हाथ से अपना अंडरवियर उतरने लगा। आशा को जब इस बात का एहसास हुआ तो उसने लन्ड से हाथ हटा लिया। मैंने अंडरवियर को थोड़ा निचे करके लन्ड को बाहर निकल लिया और आशा का हाथ पकड़ कर लन्ड पर रख दिया। उसने बेझिझक अपने मुट्ठी में ले लिया और इतने में मेरे ऑफिस के मोबाइल की घंटी बजने लगी। हम दोनों घंटी की आवाज़ को अनसुना करते हुए अपने रास लीला में मगन थे। मेरा हाथ उसके चूतड़ों के खेल रहा था और वो मेरे लन्ड हल्के हल्के हिला रही थी। मोबाइल की घंटी ख़त्म हुई और मैं अपना उँगलियाँ आशा की गांड के दरार में डाल दिए और तभी दूसरी बार मोबाइल बज उठा। अमूमन रविवार को ऑफिस के लोग फ़ोन नहीं करते है। दूसरी बार जब फ़ोन बजा तो कुछ गड़बड़ होने की आशंका हुई। मन मार कर वासन भरी पल को विराम दे कर मैं फ़ोन उठाने घर के अंदर आ गया। लाइन की दूसरी तरफ अकाउंटेंट था।

अकाउंटेंट - सरजी एक्साइज डिपार्टमेंट के लोग आये है स्टॉक की गिनती और मिलान करने। आप जल्दी आइये।

मैं - (मन ही मन इसे कहते है खड़े लन्ड पर धोखा) (खीज हुए आवाज में) हाँ आ रहा हूँ।

मैं तैयार हो कर ऑफिस के लिए निकल गया। आशा को समझा दिया की ताला लगा कर चाबी कहाँ रख कर जाना है। वहां गोडाउन में एक्साइज वाले अपना काम करे रहे थे। यहाँ में उनको और अपने किस्मत को कोस रहा था की देखो कुछ देर पहले मेरे हाथ नंगी चूतड़ों को सहला रहे थे और कहाँ अभी वही हाथ गोडाउन के स्टॉक की गिनती करवा रहा है। जल्दी ही सारा काम निपट गया मैं खुश हो गया यह सोच कर की आशा के साथ का सुबह का खेल शाम को ख़त्म करूँगा। पर वक़्त को कुछ और ही मंजूर था। मोबाइल पर बॉस का फ़ोन आया।

बॉस - कहाँ हो ?

मैं - जी गोडाउन में, एक्साइज वाले स्टॉक चेक कर रहे है।

बॉस - कब तक ख़त्म हो जायेगा।

मैं - बस ख़त्म होने वाला है।

बॉस - ख़त्म होते ही तुम रीजनल ऑफिस के लिए निकलो। 2-3 दिन रहने के हिसाब से आना।

रीजनल ऑफिस 100 की. मि. दूर दूसरे शहर में है। 1 घंटे बाद मैं कार लेके निकल गया। आशा को खबर कर दिया की 2-3 बाद आऊंगा तो फ़ोन कर दूंगा।
Ufff KLPD ho gai. Mast game chal raha tha Mor morni ka.
 
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Premkumar65

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मैं - देखूं तो सही स्टॉकिन में सामने से कितनी सेक्सी लगती हो।

यह बोल कर, मैं तीन कदम पीछे गया और उसे निहारने लगा। वो भी मेरे कसरती बदन को घूरे जा रही थी उसकी नजर मेरे लन्ड पर थी। मैंने उसके करीब गया और उसके चुत को अपने मुट्ठी में पकड़ लिया।

मैं - क्या मस्त चुत पाई है तुमने।

आशा - आपका लन्ड भी तो मस्त है।

इतना कह कर उसने भी मेरे लन्ड को पकड़ लिया। मैंने होंठों से होंठों को चिपका कर चूसने लगा और साथ में ब्रा को ऊपर करके बूब्स को मसल रहा था। आशा भी झिझक छोड़ दिया और मेरे शॉर्ट्स अंदर हाथ डाल कर लन्ड से खेलने लगी। फिर वो लन्ड को बाहर निकलने की कोशिश करने लगी । मैंने मदद करते हुए अपने शॉर्ट्स को निचे किया और लन्ड खुले में आ गया। साथ ही साथ उसका ब्रा भी निकाल दिया और उसके माधयम आकर के कसे हुए सावंले उरोजों पर टूट पड़ा। दाएं स्तन को मुहं में भर कर पूरी ताकत से चूस रहा था। हम अपना खेल बेड के बाजु में खड़े होकर खेल रहे थे।

आशा - आआह्ह्ह्हह ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह................................

दाएं स्तन को छोड़कर मैं बाएं स्तन से चिपक गया, भूरे निप्पल और areola को पूरा मुहं में भर लिया और मुहं के अंदर ही उस पर जीभ घूमने लगा। आशा ने अपना दूसरे हाथ से मेरे सर को पीछे पकड़ लिया। मैं और जोर से बूब्स को चूसने लगा। चूसते चूसते मैं उसके निप्पल और areola को धीरे धीरे काटने लगा।

आशा - (सिसकारियां मारने लगी) आआअह्ह्ह्हह्ह्ह्हह धधधधधीरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरे इइइइइइइइइइशशशशश ओह हाँ...............

आशा का एक हाथ मेरे सर के पीछे था और दूसरे हाथ से मेरा लन्ड को हिला रही थी, मेरा एक हाथ निचे उसके चुत के साथ खेल रहा था। आशा की चुत और मेरा लन्ड दोनों ही प्री-कम से गीले हो गए थे। मैंने शॉर्ट्स को निकाल दिया। कुछ मिनिट के बूब्स को चूसने के उपरांत में वापस उसके होंठों को चूसने लगा। हमारे बदन एक दूसरे से चिपक गए। उसके बूब्स मेरे नंगी छाती में धंसे हुए थे। और लन्ड उसके चुत से सटा हुआ था तब भी ना मैंने आशा की चुत से हाथ हटाया और नहीं आशा ने मेरा लन्ड छोड़ा।

आशा खड़े खड़े एक पैर को बेड के ऊपर रख दिया जिसे उसकी चुत और खुल गई। और स्टॉकिन के ऊपर से ही मेरे लन्ड को चुत पर घिसने लगी। मेरे लन्ड और चुत के बिच में स्टॉकिन दिवार बना हुआ था, मैंने दोनों हाथों से पकड़ कर चुत वाली जगह से स्टॉकिन को फाड् दिया। आशा ने अपने हाथ में पकड़े हुए प्री-कम से गीले नंगे लन्ड को अपनी नंगी गीली चुत में लगाया। आज कई दिनों के इंतज़ार के बाद लन्ड ने चुत को छुआ। और इसके साथ ही आशा तेजी से मेरे लन्ड को अपने चुत में घिसने लगी, बिच बिच में लन्ड का टोपा चुत के अंदर घुस जाता। उधर मैं उसके होंठों का रसपान कर रहा था।

कुछ देर बाद आशा ने मुझे बेड पर धक्का दे कर लिटा दिया। फटी हुई स्टॉकिन से हल्के झांटो के बिच टपकती हुई गीली चुत नजर आई। मेरे लेटते ही वो सीधे मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे लन्ड को अपने चुत के निचे दबाकर उस के ऊपर बैठ गई। आशा ने अपने दोनों हाथों को मेरे सीने के ऊपर रख कर थोड़ा सा आगे और झुक कर चुत को मेरे लन्ड पर चुत घिसने लगी। किसी मंझे हुए खिलाडी की तरह गांड को हिला हिला के चुत को लन्ड पर घिसती रही।

मैं - कैसा है लौड़ा

आशा - बहुत मस्त लौड़ा है मेरी चुत को फाड़ कर रख देगा।

मैं- फड़वाएगी अपनी चुत मेरे लौड़े से।

आशा - तभी तो नंगी हो कर बैठी हूँ, कौन नहीं लेगा अपनी चुत में ऐसा मस्त लन्ड।

मैं उसके दोनों बूब्स को मसल रहा था।

मैं - क्या मस्त बोबे है तेरे, काश पहले मिल जाती 6 महीने प्यासा नहीं रहना पड़ता।

आशा - 9 महीने से मैं भी तड़प रही हूँ, लेकिन इस मस्त लन्ड को पाकर मजा आ गया।

मैं - रोज चुदेगी इस लन्ड से ?

आशा - पहले पता होता की इतना बड़ा लन्ड लेके घूम रहे हो तो पहले दिन ही चुदवा लेती। ओओओह्ह्हह्ह क्या लन्ड मिला है।

मैं - रोज कुतिया बन के चुदेगी ना।

आशा - कुतिया रंडी छिनाल सब बन कर चुदुँगी।

15-20 मिनिट के घिसाई के बाद, आअह्ह्ह आवाज़ करते हुए झाड़ गई, मेरा लन्ड और बिस्तर दोनों गीले हो चुके थे। झड़ने के बाद वो मेरे सीने पर लेट गई। खड़ा लन्ड अभी भी उसकी चुत के निचे दबा हुआ था। मैंने ज्यादा इंतजार नहीं किया और तुरंत ही आशा को मेरे सीने से निचे उतर कर बिस्तर पर लेट दिया। फटी हुई सफ़ेद स्टॉकिन से झांकता हुआ काली चुत आशा को और सेक्सी बना रही थी। फाटे हुए जगह से थोड़ा और फाड् दिया। मैं उसके ऊपर चढ़ गया, उसकी सांसे अभी भी तेज चल रही थी। मैंने आशा के दोनों पैरों को सीने की तरफ मोड़ दिया जिसे चुत पूरी खुल गई। लन्ड को चुत के मुहाने पर रख कर एक झटके में पूरा लन्ड चुत में घुसा दिया।

आशा - माँ मर गई, घोड़े का लन्ड चुत में घुसडे दिया।

मैं - आज तो तेरे चुत की चटनी बनके छोडूंगा। लन्ड को पूरा बहार निकला और फिर पूरी तेजी से चुत में पूरा लन्ड पेल दिया। फिर छोटे छोटे शॉट मरने लगा, बिच बिच में पूरा लन्ड बाहर निकाल कर लम्बे शॉट मर देता। जब लम्बे शॉट मरता आशा चिल्ला उठती।

आशा - फाड़ दिय। फट गई चुत।

मैं - क्या मस्त चुत है तेरी, पूरी रसीली चुत है। मन कर रहा है बस पेलता रहूं। ( मैंने उसके मुड़े हुए टॉँगों को छोड़ दिया, आशा ने टाँगे लम्बी करके ओर चौड़ा कर फैला दिया, चुत ओर खुल गया।

आशा - किसने रोका है, पेलते रहो। लौड़ा मस्त हो तो चुत भी रास छोड़ने लगाती है।

मैंने उसके निप्पल को मुहं में लेकर चूसने लगा और निचे लन्ड पूरी तन्मयता के साथ चुत की सेवा कर रहा था। और 12-15 मिनिट के चुदाई के बाद आशा गांड उछाल उछाल कर लन्ड से लय मिलाकर चुत चुदवाने लगी।

आशा - ह्ह्ह्हह्हआआययययययययय और तेजी से चोद,रहम मत खाना निगोड़ी चुत पर फाड् दे इसको।

मैं - ले बहन की लोड़ी ले। (मैं लम्बे लम्बे शार्ट तेजी से मरने लगा)

आशा - जवान लौड़े से चुदने का मजा कुछ और ही है। चुत को रगड़ कर चटनी बना दिया इस लौड़े ने।

मैं - गरमा गरम चुत है, 8.5 इंच के लन्ड को निगल ले रही है तेरी चुत।

मैंने भी चुदाई की रफ़्तार बड़ा दी,3-4 मिनिट बाद

आशा आह्ह्ह्हह्ह करती हुई झड़ गयी। मैंने उसके दोनों बोबे को पूरी ताकत से मसलते हुए आशा की चुत को अपने रास से भर दिया। और उस पर लेट गया। साँस दुरुस्त होने पर साइड में लेट गया और जाने कब नींद लग गई।
wow mast chudai ho rahi hai Asha ki.
 
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Premkumar65

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जब नींद खुली तो देखा घडी में शाम के 6:30 बज रहे थे। बाजु में आशा नंगी लेटी हुई थी। मेरा सर उसके सीने पर था और आँखों के सामने भूरे रंग के लम्बे लम्बे निप्पल थे। मैंने अपने जीभ चूँचियों पर चलने लगा । पास के निप्पल को मुहं में भरकर चूसने लगा और दूसरे चुची को हाथ से जोर जोर से मसलने लगा। इतने में आशा जग गई और मेरे सर को बड़े प्यार से सहलाते हुए अपने बूब्स की और धकेलने लगी। चूसते चूसते मैं निप्पल को काटने लगा। आशा फिर चुदासी हो कर मेरे लन्ड को पकड़ लिया।

आशा - धीरे कारिये ना दर्द होता है।

मैं - लन्ड चुसो ना।

आशा उठ कर निचे जाकर पहले खड़े लन्ड को निचे से ऊपर तक जीभ से आइसक्रीम की तरह चाटी, फिर दोनों अंडकोष को बारी बारी मुहं में भरकर चूसने लगी। फिर लन्ड के टोपे को मुहं भरकर चूसने लगी २ मिनिट चुसाई के बाद।

आशा - कभी ओर अच्छे चूस दूंगी आज इस लन्ड को बस चुत में लेने का मन कर रहा है।

मैं - तेरे ही लिए खड़ा है चुत में ले या मुहं में ले जहाँ लेना है ले।

आशा लन्ड को अपने हाथों से चुत पर रख कर उस पर बैठाने लगी। जैसे ही लन्ड थोड़ा सा अंदर हुआ ----

आशा - आहा बहनचोद क्या मस्त लन्ड है पूरी चुत को फैला दिया।

मैं - मस्त लन्ड है ना तो ले बहन की लौड़ी पूरा ले लन्ड कहते हुए नीचे से धक्का मारा, लन्ड चुत के अंदर सरसरता हुआ पूरा घुस गया।

आशा - अरे भड़वे फाड़ दी मेरी चुत।

मैं -चुदना था ना तेरे को, चुत फड़वानी थी ना अब क्यूँ कुतिया की तरह चिल्ला रही है।

आशा - ले चोद और जोर से चोद ---

यह कहकर आशा लन्ड की सवारी करने लगी, मैंने गांड के निचे हाथ लगा कर उसे लन्ड पर कूदने में मदद करने लगा।

मैं - (कुछ देर की चुदाई के बाद) पलट के करना । आशा पलट कर गांड को मेरे चहरे की तरफ करके लन्ड पर कूदने लगी। मेरे आँखों में सामने स्टॉकिन में समाई हुई बड़ी से गांड आगे पीछे हो रही थी। मैंने गांड के ऊपर की स्टॉकिन को फाड् दिया, बड़ीसी मस्त नंगी गांड को निहारे जा रहा था। कुछ देर के सवारी के बाद आशा थक गई। थकान के कारण, हम दोनों बिना रस्खलित हुए इस खेल को अधूरे में ही छोड दिया।
super hot. Par isle Incest ka tadka to hai nahin?
 
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