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जब नींद खुली तो देखा घडी में शाम के 6:30 बज रहे थे। बाजु में आशा नंगी लेटी हुई थी। मेरा सर उसके सीने पर था और आँखों के सामने भूरे रंग के लम्बे लम्बे निप्पल थे। मैंने अपने जीभ चूँचियों पर चलने लगा । पास के निप्पल को मुहं में भरकर चूसने लगा और दूसरे चुची को हाथ से जोर जोर से मसलने लगा। इतने में आशा जग गई और मेरे सर को बड़े प्यार से सहलाते हुए अपने बूब्स की और धकेलने लगी। चूसते चूसते मैं निप्पल को काटने लगा। आशा फिर चुदासी हो कर मेरे लन्ड को पकड़ लिया।
आशा - धीरे कारिये ना दर्द होता है।
मैं - लन्ड चुसो ना।
आशा उठ कर निचे जाकर पहले खड़े लन्ड को निचे से ऊपर तक जीभ से आइसक्रीम की तरह चाटी, फिर दोनों अंडकोष को बारी बारी मुहं में भरकर चूसने लगी। फिर लन्ड के टोपे को मुहं भरकर चूसने लगी २ मिनिट चुसाई के बाद।
आशा - कभी ओर अच्छे चूस दूंगी आज इस लन्ड को बस चुत में लेने का मन कर रहा है।
मैं - तेरे ही लिए खड़ा है चुत में ले या मुहं में ले जहाँ लेना है ले।
आशा लन्ड को अपने हाथों से चुत पर रख कर उस पर बैठाने लगी। जैसे ही लन्ड थोड़ा सा अंदर हुआ ----
आशा - आहा बहनचोद क्या मस्त लन्ड है पूरी चुत को फैला दिया।
मैं - मस्त लन्ड है ना तो ले बहन की लौड़ी पूरा ले लन्ड कहते हुए नीचे से धक्का मारा, लन्ड चुत के अंदर सरसरता हुआ पूरा घुस गया।
आशा - अरे भड़वे फाड़ दी मेरी चुत।
मैं -चुदना था ना तेरे को, चुत फड़वानी थी ना अब क्यूँ कुतिया की तरह चिल्ला रही है।
आशा - ले चोद और जोर से चोद ---
यह कहकर आशा लन्ड की सवारी करने लगी, मैंने गांड के निचे हाथ लगा कर उसे लन्ड पर कूदने में मदद करने लगा।
मैं - (कुछ देर की चुदाई के बाद) पलट के करना । आशा पलट कर गांड को मेरे चहरे की तरफ करके लन्ड पर कूदने लगी। मेरे आँखों में सामने स्टॉकिन में समाई हुई बड़ी से गांड आगे पीछे हो रही थी। मैंने गांड के ऊपर की स्टॉकिन को फाड् दिया, बड़ीसी मस्त नंगी गांड को निहारे जा रहा था। कुछ देर के सवारी के बाद आशा थक गई। थकान के कारण, हम दोनों बिना रस्खलित हुए इस खेल को अधूरे में ही छोड दिया।
आशा - धीरे कारिये ना दर्द होता है।
मैं - लन्ड चुसो ना।
आशा उठ कर निचे जाकर पहले खड़े लन्ड को निचे से ऊपर तक जीभ से आइसक्रीम की तरह चाटी, फिर दोनों अंडकोष को बारी बारी मुहं में भरकर चूसने लगी। फिर लन्ड के टोपे को मुहं भरकर चूसने लगी २ मिनिट चुसाई के बाद।
आशा - कभी ओर अच्छे चूस दूंगी आज इस लन्ड को बस चुत में लेने का मन कर रहा है।
मैं - तेरे ही लिए खड़ा है चुत में ले या मुहं में ले जहाँ लेना है ले।
आशा लन्ड को अपने हाथों से चुत पर रख कर उस पर बैठाने लगी। जैसे ही लन्ड थोड़ा सा अंदर हुआ ----
आशा - आहा बहनचोद क्या मस्त लन्ड है पूरी चुत को फैला दिया।
मैं - मस्त लन्ड है ना तो ले बहन की लौड़ी पूरा ले लन्ड कहते हुए नीचे से धक्का मारा, लन्ड चुत के अंदर सरसरता हुआ पूरा घुस गया।
आशा - अरे भड़वे फाड़ दी मेरी चुत।
मैं -चुदना था ना तेरे को, चुत फड़वानी थी ना अब क्यूँ कुतिया की तरह चिल्ला रही है।
आशा - ले चोद और जोर से चोद ---
यह कहकर आशा लन्ड की सवारी करने लगी, मैंने गांड के निचे हाथ लगा कर उसे लन्ड पर कूदने में मदद करने लगा।
मैं - (कुछ देर की चुदाई के बाद) पलट के करना । आशा पलट कर गांड को मेरे चहरे की तरफ करके लन्ड पर कूदने लगी। मेरे आँखों में सामने स्टॉकिन में समाई हुई बड़ी से गांड आगे पीछे हो रही थी। मैंने गांड के ऊपर की स्टॉकिन को फाड् दिया, बड़ीसी मस्त नंगी गांड को निहारे जा रहा था। कुछ देर के सवारी के बाद आशा थक गई। थकान के कारण, हम दोनों बिना रस्खलित हुए इस खेल को अधूरे में ही छोड दिया।