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Incest मेरी सेक्स यात्रा

voyageur

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अगला दिन रविवार था मुझे देर तक सोने के इच्छा थी। रोज की तरह आशा 8 बजे आ गई मैं दरवाज खोलने गया पर यह भूल गया था की मैंने शॉर्ट्स नहीं उस दिन सिर्फ अंडरवियर पहन कर सो रहा था। मैं दरवाज खोल कर वापस लेट गया। करीब 20 मिनिट बाद झाड़ू लगाने आशा बैडरूम में आई।

आशा - भैया नाश्ते में क्या बनेगा ?

उसकी आवाज़ से मेरी नींद खुल गई, तब मुझे एहसास हुआ की मैंने सिर्फ अंडरवियर पहना हुआ है। मैं आशा की तरफ देखा उसकी प्रतिक्रिया जाने के लिए। आशा बहुत ही सहज थी, एक हाथ में झाड़ू था। मेरे तरफ देख कर मुस्कुराई और साड़ी का दाएं साइड के निचे का हिस्सा कमर में फंसा कर झाड़ू लगाने लगी। साड़ी का हिस्सा ऊपर होते ही उसकी जांघ का आधा ज्यादा हिस्सा नजर आने लग। सावंली

मोटी कड़क नंगी जांघ देख कर मेरी नींद ही उड़ गई। मैं उठ कर पीछे वाशरूम में चला गया। बाहर आया तो पाया की आशा अपनी सेक्सी नंगी टाँग को दिखते हुए बिच कंपाउंड में खड़े हो कर छत की तरफ देख रही थी।

मैं अंडरवियर में ही उसके बाजु में जाकर अपनी एक टाँग को उसके नंगी टाँग के पीछे के तरफ से चिपक दिया।

मैं - क्या देख रहे हो।

आशा - वो देखिये कितना सुन्दर मोर नचा रहा है छज्जे पर।

मैं देखने के बहाने से पीछे से आशा से और चिपक गया। तभी हम दोनों का एहसास हुआ की उसका हाथ मेरे लन्ड को छू गया। उसने पहले तो अपने हाथ को थोड़ा सा हटाया, लेकिन फिर वापस हाथ को वहीँ ले आई। उसका हाथ हल्के हल्के अंडरवियर के ऊपर से मेरे लन्ड को छू रहा था। मैंने कमर को आगे की तरफ कर दिया, अब आशा का हाथ पूरी तरह से मेरे लन्ड पर था। मैंने अपना हाथ उसके जांघ के अंदर डाल कर जांघ को सहलाने लगा। आशा गरम होने लगी उसने अपनी टाँग को थोड़ा फैला दिया।

मैं - तुम्हे मालूम मोर क्यों नचा रहा है ?

आशा - क्यूँ?

मैं - मोरनी को रिझा रहा है?

आशा - क्यूँ रिझा रहा है ?

मैं - मोर, मोरनी से प्यार करेगा और............

आशा - और क्या ?

मैं - उसकी चुदाई करेगा।

आशा - पर वहां तो दो दो मोरनी है।

मैं - हाँ तो दोनों से करेगा। जानवर का अच्छा है ना, कभी भी कहीं भी किसी के साथ भी चुदाई कर लेते है।

आशा - हहमम..........।

मैं - मोर अच्छा है ना? (लन्ड को हल्के उसे हाथ पर घिसते हुए)

आशा - हाँ। (आशा को समझ आ गया था, मैं लन्ड के बारे में बात कर रहा था)

मैं - बस हाँ ?

आशा - बहुत अच्छा है और बड़ा भी।

मैं - बड़ा मोर तुम्हे पसंद नहीं है क्या ?

आशा - ऐसा कुछ नहीं पर ...........

मैं - पर क्या मोरनी भी तो बड़ी है।

इतना बोल कर मैंने हाथ को जांघ से ऊपर करते हुए पेटीकोट के अंदर उसकी गांड पर रख दिया। उसने पैंटी नहीं पहनी हुई थी, मेरे हाथ को नंगी गांड का एहसास होते ही लन्ड अपनी पूरी ताकत का प्रदर्शन करने लगा। मेरे इस अचानक हमले से आशा थोड़ी सी बिदक गई। कुछ ही सेकंड बाद ही वो पीछे की तरफ हल्की से मेरे तरफ झुक गई। साथ ही साथ उसने मेरे लन्ड को अपनी मुट्ठी के गिरफ्त में ले लिया। वो अपने ऑंखें बंद किये हुए उस पल का मजा ले रही थी। मैं उसके नंगे चूतड़ों के मजे ले रहा था और वो मेरे लन्ड को चड्डी के ऊपर से पकड़ी हुई थी।

मैं - वैसे इस मोरनी के बहुत सारे दीवाने होंगे।

आशा - ह्ह्ह्हहम्म्म्म कैसे पता आपको ?

मैं - मोरनी है ही इतनी सुन्दर और सेक्सी।

मैं आगे बढ़ाने की सोचा और एक हाथ से अपना अंडरवियर उतरने लगा। आशा को जब इस बात का एहसास हुआ तो उसने लन्ड से हाथ हटा लिया। मैंने अंडरवियर को थोड़ा निचे करके लन्ड को बाहर निकल लिया और आशा का हाथ पकड़ कर लन्ड पर रख दिया। उसने बेझिझक अपने मुट्ठी में ले लिया और इतने में मेरे ऑफिस के मोबाइल की घंटी बजने लगी। हम दोनों घंटी की आवाज़ को अनसुना करते हुए अपने रास लीला में मगन थे। मेरा हाथ उसके चूतड़ों के खेल रहा था और वो मेरे लन्ड हल्के हल्के हिला रही थी। मोबाइल की घंटी ख़त्म हुई और मैं अपना उँगलियाँ आशा की गांड के दरार में डाल दिए और तभी दूसरी बार मोबाइल बज उठा। अमूमन रविवार को ऑफिस के लोग फ़ोन नहीं करते है। दूसरी बार जब फ़ोन बजा तो कुछ गड़बड़ होने की आशंका हुई। मन मार कर वासन भरी पल को विराम दे कर मैं फ़ोन उठाने घर के अंदर आ गया। लाइन की दूसरी तरफ अकाउंटेंट था।

अकाउंटेंट - सरजी एक्साइज डिपार्टमेंट के लोग आये है स्टॉक की गिनती और मिलान करने। आप जल्दी आइये।

मैं - (मन ही मन इसे कहते है खड़े लन्ड पर धोखा) (खीज हुए आवाज में) हाँ आ रहा हूँ।

मैं तैयार हो कर ऑफिस के लिए निकल गया। आशा को समझा दिया की ताला लगा कर चाबी कहाँ रख कर जाना है। वहां गोडाउन में एक्साइज वाले अपना काम करे रहे थे। यहाँ में उनको और अपने किस्मत को कोस रहा था की देखो कुछ देर पहले मेरे हाथ नंगी चूतड़ों को सहला रहे थे और कहाँ अभी वही हाथ गोडाउन के स्टॉक की गिनती करवा रहा है। जल्दी ही सारा काम निपट गया मैं खुश हो गया यह सोच कर की आशा के साथ का सुबह का खेल शाम को ख़त्म करूँगा। पर वक़्त को कुछ और ही मंजूर था। मोबाइल पर बॉस का फ़ोन आया।

बॉस - कहाँ हो ?

मैं - जी गोडाउन में, एक्साइज वाले स्टॉक चेक कर रहे है।

बॉस - कब तक ख़त्म हो जायेगा।

मैं - बस ख़त्म होने वाला है।

बॉस - ख़त्म होते ही तुम रीजनल ऑफिस के लिए निकलो। 2-3 दिन रहने के हिसाब से आना।

रीजनल ऑफिस 100 की. मि. दूर दूसरे शहर में है। 1 घंटे बाद मैं कार लेके निकल गया। आशा को खबर कर दिया की 2-3 बाद आऊंगा तो फ़ोन कर दूंगा।
 
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अगला दिन रविवार था मुझे देर तक सोने के इच्छा थी। रोज की तरह आशा 8 बजे आ गई मैं दरवाज खोलने गया पर यह भूल गया था की मैंने शॉर्ट्स नहीं उस दिन सिर्फ अंडरवियर पहन कर सो रहा था। मैं दरवाज खोल कर वापस लेट गया। करीब 20 मिनिट बाद झाड़ू लगाने आशा बैडरूम में आई।

आशा - भैया नाश्ते में क्या बनेगा ?

उसकी आवाज़ से मेरी नींद खुल गई, तब मुझे एहसास हुआ की मैंने सिर्फ अंडरवियर पहना हुआ है। मैं आशा की तरफ देखा उसकी प्रतिक्रिया जाने के लिए। आशा बहुत ही सहज थी, एक हाथ में झाड़ू था। मेरे तरफ देख कर मुस्कुराई और साड़ी का दाएं साइड के निचे का हिस्सा कमर में फंसा कर झाड़ू लगाने लगी। साड़ी का हिस्सा ऊपर होते ही उसकी जांघ का आधा ज्यादा हिस्सा नजर आने लग। सावंली

मोटी कड़क नंगी जांघ देख कर मेरी नींद ही उड़ गई। मैं उठ कर पीछे वाशरूम में चला गया। बाहर आया तो पाया की आशा अपनी सेक्सी नंगी टाँग को दिखते हुए बिच कंपाउंड में खड़े हो कर छत की तरफ देख रही थी।

मैं अंडरवियर में ही उसके बाजु में जाकर अपनी एक टाँग को उसके नंगी टाँग के पीछे के तरफ से चिपक दिया।

मैं - क्या देख रहे हो।

आशा - वो देखिये कितना सुन्दर मोर नचा रहा है छज्जे पर।

मैं देखने के बहाने से पीछे से आशा से और चिपक गया। तभी हम दोनों का एहसास हुआ की उसका हाथ मेरे लन्ड को छू गया। उसने पहले तो अपने हाथ को थोड़ा सा हटाया, लेकिन फिर वापस हाथ को वहीँ ले आई। उसका हाथ हल्के हल्के अंडरवियर के ऊपर से मेरे लन्ड को छू रहा था। मैंने कमर को आगे की तरफ कर दिया, अब आशा का हाथ पूरी तरह से मेरे लन्ड पर था। मैंने अपना हाथ उसके जांघ के अंदर डाल कर जांघ को सहलाने लगा। आशा गरम होने लगी उसने अपनी टाँग को थोड़ा फैला दिया।

मैं - तुम्हे मालूम मोर क्यों नचा रहा है ?

आशा - क्यूँ?

मैं - मोरनी को रिझा रहा है?

आशा - क्यूँ रिझा रहा है ?

मैं - मोर, मोरनी से प्यार करेगा और............

आशा - और क्या ?

मैं - उसकी चुदाई करेगा।

आशा - पर वहां तो दो दो मोरनी है।

मैं - हाँ तो दोनों से करेगा। जानवर का अच्छा है ना, कभी भी कहीं भी किसी के साथ भी चुदाई कर लेते है।

आशा - हहमम..........।

मैं - मोर अच्छा है ना? (लन्ड को हल्के उसे हाथ पर घिसते हुए)

आशा - हाँ। (आशा को समझ आ गया था, मैं लन्ड के बारे में बात कर रहा था)

मैं - बस हाँ ?

आशा - बहुत अच्छा है और बड़ा भी।

मैं - बड़ा मोर तुम्हे पसंद नहीं है क्या ?

आशा - ऐसा कुछ नहीं पर ...........

मैं - पर क्या मोरनी भी तो बड़ी है।

इतना बोल कर मैंने हाथ को जांघ से ऊपर करते हुए पेटीकोट के अंदर उसकी गांड पर रख दिया। उसने पैंटी नहीं पहनी हुई थी, मेरे हाथ को नंगी गांड का एहसास होते ही लन्ड अपनी पूरी ताकत का प्रदर्शन करने लगा। मेरे इस अचानक हमले से आशा थोड़ी सी बिदक गई। कुछ ही सेकंड बाद ही वो पीछे की तरफ हल्की से मेरे तरफ झुक गई। साथ ही साथ उसने मेरे लन्ड को अपनी मुट्ठी के गिरफ्त में ले लिया। वो अपने ऑंखें बंद किये हुए उस पल का मजा ले रही थी। मैं उसके नंगे चूतड़ों के मजे ले रहा था और वो मेरे लन्ड को चड्डी के ऊपर से पकड़ी हुई थी।

मैं - वैसे इस मोरनी के बहुत सारे दीवाने होंगे।

आशा - ह्ह्ह्हहम्म्म्म कैसे पता आपको ?

मैं - मोरनी है ही इतनी सुन्दर और सेक्सी।

मैं आगे बढ़ाने की सोचा और एक हाथ से अपना अंडरवियर उतरने लगा। आशा को जब इस बात का एहसास हुआ तो उसने लन्ड से हाथ हटा लिया। मैंने अंडरवियर को थोड़ा निचे करके लन्ड को बाहर निकल लिया और आशा का हाथ पकड़ कर लन्ड पर रख दिया। उसने बेझिझक अपने मुट्ठी में ले लिया और इतने में मेरे ऑफिस के मोबाइल की घंटी बजने लगी। हम दोनों घंटी की आवाज़ को अनसुना करते हुए अपने रास लीला में मगन थे। मेरा हाथ उसके चूतड़ों के खेल रहा था और वो मेरे लन्ड हल्के हल्के हिला रही थी। मोबाइल की घंटी ख़त्म हुई और मैं अपना उँगलियाँ आशा की गांड के दरार में डाल दिए और तभी दूसरी बार मोबाइल बज उठा। अमूमन रविवार को ऑफिस के लोग फ़ोन नहीं करते है। दूसरी बार जब फ़ोन बजा तो कुछ गड़बड़ होने की आशंका हुई। मन मार कर वासन भरी पल को विराम दे कर मैं फ़ोन उठाने घर के अंदर आ गया। लाइन की दूसरी तरफ अकाउंटेंट था।

अकाउंटेंट - सरजी एक्साइज डिपार्टमेंट के लोग आये है स्टॉक की गिनती और मिलान करने। आप जल्दी आइये।

मैं - (मन ही मन इसे कहते है खड़े लन्ड पर धोखा) (खीज हुए आवाज में) हाँ आ रहा हूँ।

मैं तैयार हो कर ऑफिस के लिए निकल गया। आशा को समझा दिया की ताला लगा कर चाबी कहाँ रख कर जाना है। वहां गोडाउन में एक्साइज वाले अपना काम करे रहे थे। यहाँ में उनको और अपने किस्मत को कोस रहा था की देखो कुछ देर पहले मेरे हाथ नंगी चूतड़ों को सहला रहे थे और कहाँ अभी वही हाथ गोडाउन के स्टॉक की गिनती करवा रहा है। जल्दी ही सारा काम निपट गया मैं खुश हो गया यह सोच कर की आशा के साथ का सुबह का खेल शाम को ख़त्म करूँगा। पर वक़्त को कुछ और ही मंजूर था। मोबाइल पर बॉस का फ़ोन आया।

बॉस - कहाँ हो ?

मैं - जी गोडाउन में, एक्साइज वाले स्टॉक चेक कर रहे है।

बॉस - कब तक ख़त्म हो जायेगा।

मैं - बस ख़त्म होने वाला है।

बॉस - ख़त्म होते ही तुम रीजनल ऑफिस के लिए निकलो। 2-3 दिन रहने के हिसाब से आना।

रीजनल ऑफिस 100 की. मि. दूर दूसरे शहर में है। 1 घंटे बाद मैं कार लेके निकल गया। आशा को खबर कर दिया की 2-3 बाद आऊंगा तो फ़ोन कर दूंगा।
बहुत ही मस्त और लाजवाब और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

voyageur

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2 दिन बाद मैं वापस आकर, आशा को खबर दि। शाम को दरवाजे की घंटी बजी। मैं उत्साहित हो कर दरवाज खोला। सामने 19-20 साल की लड़की खड़ी थी।

मैं - जी ?

लड़की - आशा मामी ने भेजा है काम करने के लिए।

मैं - ओह, आइये।

लड़की अंदर चली आई और मैंने उसको रसोई दिखा दिया। वो काम करने लगी। इधर मैं उदास और मायूस हो गया और घबराने भी लगा की शायद उस दिन की हरकत आशा को पसंद नहीं आई होगी इसलिए काम करने के लिए इसको भेज दिया है। मैं आते वक़्त आशा के लिए गिफ्ट ले आया था। वो भी बर्बाद होते नजर आ रहे थे। लड़की का नाम सुनीता है और वो आशा के ननद की बेटी है।

अगले दिन सुबह और शाम दोनों टाइम सुनीता ही काम करने आई।

मैं - तुम्हारी मामी को क्या हुआ है? वो क्यूँ नहीं आ रही है?

सुनीता - घर में दिक्कत चल रही है, मामा को पुलिस वाले पकड़ के ले गए हैं।

मैं - क्यूँ , क्या हुआ?

सुनीता - मुझे नहीं पता, शायद उनका झगड़ा हुआ था।

मैं - (आशा को फ़ोन लगाया) आशा क्या हुआ तुम्हारे पति को पुलिस क्यों पकड़ कर ले गई ?

आशा - (रोने लगी) उन्होंने स्कूल में एक आदमी के साथ मर पिट और तोड़ फोड़ किया है।

शराब की कंपनी में काम में करने के कारण मेरी पहचान पुलिस के आला अफसरों से थी। उनसे बात करके मामला रफा दफा करके उसे छुड़ा लिया और स्कूल का 15000 का नुकशान भी मैंने ही भर दिया। इस के बाद आशा का पति मेरे को बहुत माने लगा। अगले दिन पति पत्नी दोनों मेरे घर आये, धन्यवाद् देने।

आशा का पति - भैयाजी बहुत बहुत धन्यवाद्, आप नहीं होते तो वो मुझे जेल भिजवा के मानता।

मैं - जाने दो अब सब ख़त्म हो गया ना। अब टेंशन ना लो।

आशा - कहाँ ख़त्म हुआ भैया, ये तो बहुत पुराना झगड़ा है। फिर से कभी ना कभी वो लोग कुछ ना कुछ करेंगे। इनको कब से बोल रही हूँ की बाहर कोई नौकरी देख लो। पर ये सुनत कहाँ है।

आशा का पति - भैयाजी बाहर इतनी आसानी कहाँ नौकरी मिलती है।

मैं - चलो मैं कुछ करता हूँ।

मैंने अपने कम्पनी में बात करके उसकी नौकरी फैक्ट्री के डिस्पैच डिपार्टमेंट में लगवा दिया। फैक्ट्री करीब यहाँ से 400 कि.मी दूर था। इन सब में करीब 10 दिन निकल गया। इन 10 दिन सुनीता ही काम करने आती रही। जिस दिन आशा का पति नौकरी के लिए गया, उसी दिन शाम को आशा काम करने आई। वो एक दम बदली बदली सी लग रही थी। नाँक में रिंग पहनी हुई थी, होंठों पर लिपस्टिक था। एक दम टाइट शॉर्ट कुर्ता जो उसके गांड थोड़ा निचे ख़त्म हो रहा था, उसके साथ उसने टाइट सा लेग्गिंस पहनी हुई थी।

मैंने थोड़ा उधेरबुन में ड्राइंगरूम में बैठ कर टीवी देखते हुए सोच रहा था की फिर से बाते कैसे शरू किया जाये। तभी आशा चाय लेके आई।

आशा - भैया तबियत ठीक है आपकी।

मैं - हाँ क्यूँ ?

आशा - नहीं एक दम चुप चुप हो आप।

मैं - अरे कुछ नहीं बस टीवी देख रहा था।

चाय रख कर आशा रसोई में चली गई। चाय पिने लगा तब तक आशा अपन काम खत्म कर ली और जाने को हुई।

मैं - हो गया काम।

आशा (दरवाजे के पास रुक गई) हाँ।

मैं - आज अलग दिख रही हो।

आशा (पलट कर वापस ड्राइंगरूम में आ कर खड़ी हो गई) मैंने नाँक का पहन है ना।

मैं - अरे हाँ, और लिपस्टिक लगाई हो, अच्छी लग रही हो। वैसे लेग्गिंस में मस्त लगती हो। यही पहना करो।

आशा - हाँ मुझे भी लेग्गिंस पहना पसंद है। लेकिन मेरे पास एक ही है तो इसलिए कभी कभी पहनती हूँ। (ये सब बातें हम ड्राइंगरूम में खड़े खड़े कर रहे थे।)

मै - तो मै ला देता हूँ ना?

आशा - अरे नहीं मेरा मतलब ये नहीं था।

मै - मैंने कब कहा की तुमने माँगा है मै गिफ्ट दे रहा हू।

आशा - घर मे क्या बोलूंगी कहाँ से आया है।

मै - बोल देना तुमने ख़रीदा है। कितनी कमर है तुम्हारी।

आशा - रहने दो ना आप।

मै - अरे बताओ ना कितनी कमर है।

आशा - मुझे याद नहीं है।

मै - कोई बात नहीं नाप ले लेते हैं।

नापने वाला फीता ले कर आशा के पास खड़ा हो गया।

मैं - हाथ ऊपर करो।

आशा ने हाथ ऊपर उठा दिया। मैं झुक कर कुर्ते के ऊपर से नापने लगा।

मैं - अरे कुर्ते को ऊपर करो ना, नहीं तो गलत साइज का आ जायेगा।

इतना बोल कर मैंने कुर्ते को बूब्स के पास तक ऊपर कर दिया। आशा कुर्ते को पकड़ के खड़ी हो गई। आशा ने लेग्गिंस नाभि के निचे पहनी हुई थी। नाभि के के निचे से बूब्स तक का पूरा पेट आँखों के सामने नंगा था। मैंने फीते को लेकर कमर नापने लगा। नाप कम रहा था उसके पेट पर हाथ फेर रहा था।

मै - 30 कमर है।

आशा - मोटी हूँ ना।

मै - नहीं देखो कितना सफाट पेट है, एक दम सेक्सी है।

यह बोलकर उसके पेट और कमर से खेलने लगा। कुछ देर बाद में सीधा खड़ा हो गया और अपने दोनों हाथों को पीछे आशा की गांड पर रख कर उसे अपनी तरफ खिंच कर अपने से चिपका लिया। आशा ने अपना सर मेरे कंधे पर रख कर मेरे से चिपक गई। मैं उसके दोनों चूतड़ों को दोनों हाथों से मसल रहा था।

आशा - (गरम गरम सांसें छोड़ते हुए कामुक भरी आवाज में बोली) भाभी के यहाँ जाना है खाना बनाने, देर हो जायेगा तो घर जाने में दिक्कत होगी।

हम दोनों कुछ और देर एक दूसरे से चिपके रहे, फिर मैंने छोड़ दिया। आशा ने अपने कपडे ठीक किये और निकल गई।
 

voyageur

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दूसरे दिन सुबह आशा आई पर सुनीता के साथ, कुछ करने को मिला नहीं । दोनों रसोई में खाना बना रहे थे। मैं फ्रेश हो कर ड्राइंगरूम में टीवी देखते हुए चाय का इंतज़ार कर रहा था। आशा चाय लेके आई।

आशा - सुबह जल्दी रहता है तो मेरे से दोनों घर का काम नहीं संभालता है। अब से सुनीता को भाभी के घर का काम संभालेगी, उसे उन से मिला देती हूँ। (ऐसे बोल रही थी जैसे सुनीता को साथ लाने की सफाई दे रही हो)।

मैं - तो दोनों टाइम का काम देखगी वो।

आशा - नहीं खाली सुबह करेगी। शाम का मैं ही करुँगी।

मैं - ओह।

आशा - वैसे भाभी आज दोपहर को दो दिन के लिए बाहर जा रही है। तो दो दिन तो खाली रहेगा।

मैं - दोपहर को कितने बजे फ्री हो जाओगी।

आशा - ३ बजे के आसपास।

मैं - तो आजा ना जल्दी ३ बजे। सुनीता भी आएगी क्या?

आशा - ठीक है आजाऊंगी, नहीं वो तो घर चली जाएगी।

ऐसा मौका शायद दोबारा नहीं मिलने वाला था। इसलिए मैंने तबियत का बहाना बना कर ऑफिस से छुट्टी ले लिया और बाजार शॉपिंग करने निकल गया। मैंने 28 साइज के (आशा 30 साइज की पहनती थी पर मैं जान बूझकर एक साइज छोटा लिया था) 2 लेग्गिंस ले लिया काली और सफ़ेद। उसके अलावा रीजनल ऑफिस के टूर के समय मैंने आशा के लिए एक नेट (जालीदर) स्टॉकिंग लिया था और पहले ही अपने लिए ऑनलाइन से ट्रांसपेरेंट (पारदर्शी) शॉर्ट्स माँगा लिया था।

आशा करीब 3.15 बजे के आसपास आई।

आशा - क्या करना है

मै - खाना खाया तुमने?

आशा - नहीं, अभी घर जाके खाउंगी।

मै - अरे तो यहीं खा लो।

आशा - घर मै बनके आई थी।

मै - अरे 3 बज गया है, कब घर जाओगी कब खाओगी। यहीं खा लो। दोनों के लिए खाना निकल लो।

हमने साथ में खाना खाया। खाना खाकर मैंने उसके हाथ में दोनों लेग्गिंस और स्टॉकिंग रख दिया।

मै- तुम्हारे लिए लेग्गिंस लेके आया हूँ।

आशा - आप क्यूँ परेशान होते है।

मै - परेशानी की क्या बात है, तुम लेग्गिंस मे सेक्सी लगती हो इसलिए लाया हूँ। पहन कर देख लो, सही है की नहीं।

आशा - अभी ?

मै - क्यूँ कहीं जाना है क्या ?

आशा - नहीं।

मै - फिर पहन कर दिखा दो।

आशा लेग्गिंस लेकर बेडरूम मे चली गई और मै ड्राइंगरूम मे आकर सादे शॉर्ट्स की जगह ट्रांसपेरेंट (पारदर्शी) शॉर्ट्स पहन लिया। उसे मेरा लन्ड पूरी तरह साफ नजर आ रहा था।

आशा - (बेडरूम से) थोड़ा छोटा है।

मै - कोई ना पहन कर तो देखो, पहन लिया ?

आशा - हाँ।

मै - दिखा तो दो।

आशा - अजीब सा लग रहा है।

मै - आजाओ यार कौन है तुम और मै ही तो है ?

आशा बाहर आई, पर साड़ी पहने हुए।

मै- लेग्गिंस कहाँ है।

आशा - ऊपर पहने को कुछ नहीं था तो साड़ी के अंदर पहन लीया।

मै- ब्लाउज तो पहनी हो। अच्छा देखे तो सही कैसा लग रहा है।

आशा साड़ी ऊपर करने लगी।

मै - ऐसे नहीं, साड़ी निकल दो ना।

आशा - शर्म आ रही है बहुत टाइट है लेग्गिंस।

मै - इतना ना सोचो मेरे अलावा और कौन देखेगा।

आशा ने साड़ी निकलने लगी, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे देसी स्ट्रिप टिसज देख रहा हूँ। साड़ी निकल के रुक गई।

मै - रुक क्यूँ गए हो पेटीकोट भी निकल दो।

आशा - नहीं मेरे को बहुत शर्म आती है, मेरे से नहीं होगा।

मै - तो मै निकल देता हूँ।

ये कहा कर उठ कर उसके पास खड़ा हो गया और हाथ पेटीकोट के नाड़े की ओर ले जाने लगा। आशा ने मुझे रोकने की कोशिश नहीं की बल्कि सर निचे करके मुस्क़ुरती रही। मैंने नाड़े को पाकर कर खींच दिया। पेटीकोट थोड़ा सा निचे खसका पर गांड मे जा कर अटक गया। मैंने पेटीकोट को पकड़ कर निचे करने लगा। ऐसा लग रहा था की मै उसको नंग्न कर रहा हूँ लेकिन अंदर उसने लेग्गिंस पहनी हुई थी। पेटीकोट उतरते ही आशा ने अपने दोनों हाथ सामने चुत पर रख दिया जैसे चुत को छुपा रही हो। मै २-३ कदम पीछे हुआ और सामने काले लेग्गिंस ओर ब्लाउज मे खड़ी आशा को निहारने लगा। सरे नज़ारे ने मेरे लन्ड पर खून का दौड़ा बड़ गया ओर लन्ड तनाव मे आने लगा।

मै- पीछे घूमो ना देखूं पीछे से कैसा दिख रहा है।

आशा पलटी, जो नजारा सामने था इसे पहले वो नजारा मैंने सिर्फ फोटो या वीडियो मै देखा था। शरीर नाशपाती के आकर का था कमर के ऊपर का हिस्सा पतला, पतली सी कमर परन्तु कमर के निचे दो बड़े बड़े नितम्ब जिसका भार उठाये हुए मोटे मोटे जांघें। लेग्गिंस उसकी बड़ी बड़ी गांड के ऊपर एक दम टाइट फिट था और उसकी चूतड़ों के दरार मे फंसा हुआ लेग्गिंस क्या मस्त नजारा पेश कर रहा था। तब बात समझ आई की उसने चुत को क्यूँ ढाक लिया था। उसने पैंटी नहीं पहनी थी।

मै - वाओ यार बहुत ही ज्यादा सेक्सी लग रही हो, एक दम फिल्म एक्ट्रेस की तरह।

आशा - (शरमाते हुए) कुछ भी इतनी सुन्दर थोड़ी ना हूँ।

मै - अरे मेरे नजर से देखो, तुम कितनी सेक्सी हो।

इतना कहा कर मैंने उसके हाथों को पकड़ कर चुत के ऊपर से हटा दिया। लेगिंस में कसी डबल पाव की तरह फूली हुई चुत बहुत ही मस्त लग रहा था। चुत के दोनों फांकों के बिच का चीरा, नजरे को चार चाँद लगा रहा था। मैंने आशा की तरफ देखा वो मेरे पारदर्शी शॉर्ट्स में झांकता हुआ लन्ड को देख रही थी।

मैंने उसके चुत पर हाथ रख दिया, उसने झट से मेरे हाथ को पकड़ लिया। मैंने चुत को अपने मुट्ठी में लेकर मसल दिया। आशा ने मेरे हाथ को और कस कर पकड़ लिया। मैंने चुत को छोड़ कर ब्लाउज की तरफ बढ़ा और ब्लाउज के ऊपर से ही बूब्स को दबाने लगा। वो मेरे हाथ को पकड़े हुए थी पर हटाने की कोशिश नहीं कर रही थी। मैंने दूसरे हाथ से उसके बालों को पकड़ कर सर को पीछे के तरफ झुकाया, जिसे उसका चेहरा ऊपर की तरफ हो गया। हम दोनों की नज़ारे मिली और मैंने उसके होंठों पर अपने होठं रख दिए। अगले २-3 मिनिट तक रसपान करता रहा।
 

voyageur

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मैं - अच्छा दूसरी भी पहन कर दिखाओ ना।

आशा - बाकि सब भी तो ऐसे ही है, अब उनको क्या पहना।

मै - नहीं उसमे एक अलग सा सफ़ेद रंग वाला है।

आशा बेडरूम में गई, पर अगले ५ मिनिट तक ना वो बाहर आई ना ही कोई आवाज़।

मैं - अरे क्या हुआ आओ ना।

आशा -ये बहुत अजीब है। मुझे शर्म आ रही है।

जब आशा बाहर नहीं आई तो मैं बैडरूम में चला गया। जैसे ही मैं बैडरूम में घुसा आशा पलट कर मेरे तरफ पीठ करके खड़ी हो गई। स्टॉकिन पूरा पारदर्शी था ऐसा लग रहा था की आशा नंगी खड़ी है। मै जा कर उसे चिपक कर खड़ा हो गया लन्ड को उसकी गांड के दरार मे लगा दिया। और अपने मुहं को उसके कान के करीब ले गया और फुसफुसाते हुए बोला।

मैं - बहुत ही कातिल लग रही हो।

आशा - धत।

मैं - सच में परी की तरह लग रही हो।

आशा - हहहहहहमममममम

मैं - तुमने बताया नहीं।

आशा - क्या ?

मैं - मैंने नया शॉर्ट्स पहना है, तुमको कैसा लगा ?

आशा - अच्छा है।

मैं - क्या अच्छा है शॉर्ट्स या उसके अंदर रखा लन्ड ?

आशा - दोनों।

मैं - दोनों क्या खुल कर बोलो ना।

आशा चुप रही।

मैं - तुमको अगर पसंद नहीं है तो हम रहने देते हैं।

आशा - ऐसा नहीं है।

मैं - फिर खुल कर बोलो ना

आशा - पैंट भी और लन्ड भी (धीरे से बोली)

इस बिच मैं पीछे उसके ब्लाउज के हुक को खोलने लगा और ब्लाउज को निकल दिया। आशा ने भी कोई झिझक नहीं दिखाई। मैंने बाएं हाथ को आशा के कंधे के ऊपर से सामने की तरफ उसके बूब्स पर ब्रा के ऊपर से रख दिया और पीछे से उसके गले को किश करने लगा। कुछ देर बाद अचानक आशा ने मेरे हाथ को हटा दिया और पलट कर मेरे तरफ चेहरा करके खड़ी हो गई।
 

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मैं - देखूं तो सही स्टॉकिन में सामने से कितनी सेक्सी लगती हो।

यह बोल कर, मैं तीन कदम पीछे गया और उसे निहारने लगा। वो भी मेरे कसरती बदन को घूरे जा रही थी उसकी नजर मेरे लन्ड पर थी। मैंने उसके करीब गया और उसके चुत को अपने मुट्ठी में पकड़ लिया।

मैं - क्या मस्त चुत पाई है तुमने।

आशा - आपका लन्ड भी तो मस्त है।

इतना कह कर उसने भी मेरे लन्ड को पकड़ लिया। मैंने होंठों से होंठों को चिपका कर चूसने लगा और साथ में ब्रा को ऊपर करके बूब्स को मसल रहा था। आशा भी झिझक छोड़ दिया और मेरे शॉर्ट्स अंदर हाथ डाल कर लन्ड से खेलने लगी। फिर वो लन्ड को बाहर निकलने की कोशिश करने लगी । मैंने मदद करते हुए अपने शॉर्ट्स को निचे किया और लन्ड खुले में आ गया। साथ ही साथ उसका ब्रा भी निकाल दिया और उसके माधयम आकर के कसे हुए सावंले उरोजों पर टूट पड़ा। दाएं स्तन को मुहं में भर कर पूरी ताकत से चूस रहा था। हम अपना खेल बेड के बाजु में खड़े होकर खेल रहे थे।

आशा - आआह्ह्ह्हह ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह................................

दाएं स्तन को छोड़कर मैं बाएं स्तन से चिपक गया, भूरे निप्पल और areola को पूरा मुहं में भर लिया और मुहं के अंदर ही उस पर जीभ घूमने लगा। आशा ने अपना दूसरे हाथ से मेरे सर को पीछे पकड़ लिया। मैं और जोर से बूब्स को चूसने लगा। चूसते चूसते मैं उसके निप्पल और areola को धीरे धीरे काटने लगा।

आशा - (सिसकारियां मारने लगी) आआअह्ह्ह्हह्ह्ह्हह धधधधधीरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरेरे इइइइइइइइइइशशशशश ओह हाँ...............

आशा का एक हाथ मेरे सर के पीछे था और दूसरे हाथ से मेरा लन्ड को हिला रही थी, मेरा एक हाथ निचे उसके चुत के साथ खेल रहा था। आशा की चुत और मेरा लन्ड दोनों ही प्री-कम से गीले हो गए थे। मैंने शॉर्ट्स को निकाल दिया। कुछ मिनिट के बूब्स को चूसने के उपरांत में वापस उसके होंठों को चूसने लगा। हमारे बदन एक दूसरे से चिपक गए। उसके बूब्स मेरे नंगी छाती में धंसे हुए थे। और लन्ड उसके चुत से सटा हुआ था तब भी ना मैंने आशा की चुत से हाथ हटाया और नहीं आशा ने मेरा लन्ड छोड़ा।

आशा खड़े खड़े एक पैर को बेड के ऊपर रख दिया जिसे उसकी चुत और खुल गई। और स्टॉकिन के ऊपर से ही मेरे लन्ड को चुत पर घिसने लगी। मेरे लन्ड और चुत के बिच में स्टॉकिन दिवार बना हुआ था, मैंने दोनों हाथों से पकड़ कर चुत वाली जगह से स्टॉकिन को फाड् दिया। आशा ने अपने हाथ में पकड़े हुए प्री-कम से गीले नंगे लन्ड को अपनी नंगी गीली चुत में लगाया। आज कई दिनों के इंतज़ार के बाद लन्ड ने चुत को छुआ। और इसके साथ ही आशा तेजी से मेरे लन्ड को अपने चुत में घिसने लगी, बिच बिच में लन्ड का टोपा चुत के अंदर घुस जाता। उधर मैं उसके होंठों का रसपान कर रहा था।

कुछ देर बाद आशा ने मुझे बेड पर धक्का दे कर लिटा दिया। फटी हुई स्टॉकिन से हल्के झांटो के बिच टपकती हुई गीली चुत नजर आई। मेरे लेटते ही वो सीधे मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे लन्ड को अपने चुत के निचे दबाकर उस के ऊपर बैठ गई। आशा ने अपने दोनों हाथों को मेरे सीने के ऊपर रख कर थोड़ा सा आगे और झुक कर चुत को मेरे लन्ड पर चुत घिसने लगी। किसी मंझे हुए खिलाडी की तरह गांड को हिला हिला के चुत को लन्ड पर घिसती रही।

मैं - कैसा है लौड़ा

आशा - बहुत मस्त लौड़ा है मेरी चुत को फाड़ कर रख देगा।

मैं- फड़वाएगी अपनी चुत मेरे लौड़े से।

आशा - तभी तो नंगी हो कर बैठी हूँ, कौन नहीं लेगा अपनी चुत में ऐसा मस्त लन्ड।

मैं उसके दोनों बूब्स को मसल रहा था।

मैं - क्या मस्त बोबे है तेरे, काश पहले मिल जाती 6 महीने प्यासा नहीं रहना पड़ता।

आशा - 9 महीने से मैं भी तड़प रही हूँ, लेकिन इस मस्त लन्ड को पाकर मजा आ गया।

मैं - रोज चुदेगी इस लन्ड से ?

आशा - पहले पता होता की इतना बड़ा लन्ड लेके घूम रहे हो तो पहले दिन ही चुदवा लेती। ओओओह्ह्हह्ह क्या लन्ड मिला है।

मैं - रोज कुतिया बन के चुदेगी ना।

आशा - कुतिया रंडी छिनाल सब बन कर चुदुँगी।

15-20 मिनिट के घिसाई के बाद, आअह्ह्ह आवाज़ करते हुए झाड़ गई, मेरा लन्ड और बिस्तर दोनों गीले हो चुके थे। झड़ने के बाद वो मेरे सीने पर लेट गई। खड़ा लन्ड अभी भी उसकी चुत के निचे दबा हुआ था। मैंने ज्यादा इंतजार नहीं किया और तुरंत ही आशा को मेरे सीने से निचे उतर कर बिस्तर पर लेट दिया। फटी हुई सफ़ेद स्टॉकिन से झांकता हुआ काली चुत आशा को और सेक्सी बना रही थी। फाटे हुए जगह से थोड़ा और फाड् दिया। मैं उसके ऊपर चढ़ गया, उसकी सांसे अभी भी तेज चल रही थी। मैंने आशा के दोनों पैरों को सीने की तरफ मोड़ दिया जिसे चुत पूरी खुल गई। लन्ड को चुत के मुहाने पर रख कर एक झटके में पूरा लन्ड चुत में घुसा दिया।

आशा - माँ मर गई, घोड़े का लन्ड चुत में घुसडे दिया।

मैं - आज तो तेरे चुत की चटनी बनके छोडूंगा। लन्ड को पूरा बहार निकला और फिर पूरी तेजी से चुत में पूरा लन्ड पेल दिया। फिर छोटे छोटे शॉट मरने लगा, बिच बिच में पूरा लन्ड बाहर निकाल कर लम्बे शॉट मर देता। जब लम्बे शॉट मरता आशा चिल्ला उठती।

आशा - फाड़ दिय। फट गई चुत।

मैं - क्या मस्त चुत है तेरी, पूरी रसीली चुत है। मन कर रहा है बस पेलता रहूं। ( मैंने उसके मुड़े हुए टॉँगों को छोड़ दिया, आशा ने टाँगे लम्बी करके ओर चौड़ा कर फैला दिया, चुत ओर खुल गया।

आशा - किसने रोका है, पेलते रहो। लौड़ा मस्त हो तो चुत भी रास छोड़ने लगाती है।

मैंने उसके निप्पल को मुहं में लेकर चूसने लगा और निचे लन्ड पूरी तन्मयता के साथ चुत की सेवा कर रहा था। और 12-15 मिनिट के चुदाई के बाद आशा गांड उछाल उछाल कर लन्ड से लय मिलाकर चुत चुदवाने लगी।

आशा - ह्ह्ह्हह्हआआययययययययय और तेजी से चोद,रहम मत खाना निगोड़ी चुत पर फाड् दे इसको।

मैं - ले बहन की लोड़ी ले। (मैं लम्बे लम्बे शार्ट तेजी से मरने लगा)

आशा - जवान लौड़े से चुदने का मजा कुछ और ही है। चुत को रगड़ कर चटनी बना दिया इस लौड़े ने।

मैं - गरमा गरम चुत है, 8.5 इंच के लन्ड को निगल ले रही है तेरी चुत।

मैंने भी चुदाई की रफ़्तार बड़ा दी,3-4 मिनिट बाद

आशा आह्ह्ह्हह्ह करती हुई झड़ गयी। मैंने उसके दोनों बोबे को पूरी ताकत से मसलते हुए आशा की चुत को अपने रास से भर दिया। और उस पर लेट गया। साँस दुरुस्त होने पर साइड में लेट गया और जाने कब नींद लग गई।
 
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