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Incest मुझे प्यार करो,,,

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hariom1936

Dil ka Raja
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देख अंकित इस आखिरी ओवर में हमें जीतने के लिए 12 रन चाहिए,,,, और स्ट्राइक तेरी है इसलिए एक रन लेकर मुझे स्ट्राइक दे देना मैं जानता हूं कि तू नहीं मार पाएगा,,,,

ठीक है सूरज तू चिंता मत कर,,,,,।
(इतना कहने के साथ ही अंकित बल्लेबाजी करने के लिए,,,, तैयार हो गया,,,, यह कोई राष्ट्रीय या किसी उच्च स्तर पर खेले जाने वाली क्रिकेट नहीं थी बल्कि गली मोहल्ले की ही क्रिकेट थी जिसमें आखिरी ओवर में 12 रन चाहिए थे और स्ट्राइक पर अंकित था,,,,,, सूरज इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि अंकित बल्लेबाजी में कम लेकिन गेंदबाजी में अव्वल था वह जानता था कि अंकित से इतने रन लगने वाले नहीं है इसलिए वह उसे रन लेने के लिए बोल रहा था ताकि वह स्ट्राइक पर जा सके और फिर बल्लेबाजी करके अपनी टीम को मैच जीता सके वैसे भी वह टीम का कप्तान था,,,,, और 10 10 रुपए की मैच खेली जा रही थी,,,, और यह मैच मोहल्ले के पीछे खाली पड़ी मैदान में खेली जा रही थी,,,,,, जहां पर एक बड़ा सा तालाब भी था,,,,,,,,, मोहल्ले की ही दो टीम खेल रही थी और कुछ लड़के बैठकर मैच देख रहे थे तभी बॉलर ने गेंद फेंक और बड़ी चालाकी से अंकित ने बैट से कट लगाकर एक रन दौड़ गया इतने से ही अंकित बहुत खुश हो गया था क्योंकि उसे भी उम्मीद ही नहीं थी कि उसकी बेट पर गेंद बराबर आ पाएगी,,,,, लेकिन अंकित ने कर दिखाया था इसलिए टीम भी बहुत खुश थी सूरज के स्ट्राइक पर आते ही,,,, टीम के लोग सूरज सूरज कहकर उसका हौसला बढ़ाने लगे,,,,, सूरज को पूरा विश्वास था कि वह,,,, गेंद को बाउंड्री लाइन के पास पहुंचा देगा लेकिन ऐसा हो नहीं पाया लगातार दोगे खाली निकल गई जिससे सूरज की टीम में तनाव बढ़ने लगा,,,,, और अंकित मन में यही सोचने लगा कि अच्छा हुआ कि वह सामने स्ट्राइक पर नहीं है वरना बदनामी हो जाती,,,,, पहली बॉल में सिंगल और बाकी के दो गेट खाली निकालने के बाद सामने की टीम पूरी तरह से जोश में आ गई थी और उनका कप्तान जोर-जोर से ताली बजाते हुए अपनी टीम का जोश बढा रहा था,,,, सूरज का दिमाग बड़े जोरों से घूमने लगा था एक तो उसकी टीम बाहर ने वाली थी और साथ में ₹10 भी जाने वाला था जिसकी उसे बहुत चिंता हो रही थी यह ₹10 भी टीम के सभी सदस्य से चंदा लेकर इकट्ठा किया गया था,,,,

कभी गेंदबाज ने अगली बार फेंका और सूरज ने पूरी ताकत के साथ बाला घुमाया लेकिन बोल बाउंड्री के बाहर नहीं जा पाई और फिर एक सिंगल लेकर सूरज दूसरी ओर पर पहुंच गया और अंकित फिर से बल्लेबाजी करने के लिए आ गया अब दोगेंदों में 10 रन चाहिए था,,,, लेकिन अंकित के लिए तो यह एकदम नामुमकिन था वह जानता था कि आप उसे लगने वाला नहीं है और बाकी की टीम भी समझ गई थी कि वह लोग हार चुके हैं सामने तो जश्न की तैयारी हो चुकी थी सभी लोग जोश में आ चुके थे और लगभग लगभग जीत की तैयारी में जश्न मनाना भी शुरू कर दिए थे,,,,,,

अंकित के माथे पर पसीने की बूंदे उपस थी,,,, सूरज जोकी टीम का कप्तान था वह समझ गया था कि अब वह हार चुका है क्योंकि अगर वह एक रन लेकर सामने पहुंच भी जाता है तो भी एक बॉल में 9 रन किसी भी कीमत में लगने वाले नहीं थे इसलिए वह एकदम उदास हो चुका था,,,,,, तभी सामने की टीम का गेंदबाज पांचवी बोल पूरी ताकत के साथ फेंका और अंकित का बदला घुमा अंकित का नसीब बहुत तेज था इस बार उसके बल्ले पर गेंद बराबर बैठ गई थी और अंकित पूरी ताकत के साथ बाला घुमाया था और इसी के साथ बल्ले के साथ ही गेंद हवा में लहराता हुआ बाउंड्री के पार चला गया था,,,,, टीम के साथ-साथ विरोधी दल भी इस प्रहार को देखकर चौंक गया था क्योंकि अंकित ने छक्का लगा दिया था जो कि उसके बस की बात बिल्कुल भी नहीं थी गेंदबाजी में वह कई कमाल कर दिखाया था लेकिन बल्लेबाजी में हुआ एकदम जीरो था लेकिन आज उसके बदले से छक्का निकल गया था जिसे देखकर सब लोग हैरान हो गए थे खुद अंकित भी चौंक गया था,,,,। उसके चेहरे पर तो आश्चर्य और खुशी दोनों के भाव नजर आ रहे थे,,,,, और यही हाल उसकी टीम का भी था सबके मुंह खुला को खुला रह गए थे अब एक बॉल में केवल चार रन चाहिए थे लेकिन हमेशा किस्मत साथ नहीं देता इस बात को भी सब जानते थे इसलिए ज्यादा खुश तो नहीं हुई लेकिन फिर भी अंकित का जोश बढ़ाते हुए जोर-जोर से उसका नाम पुकारने लगे,,,,, गेंदबाज ओवर की अंतिम बोल लेकर आगे बढ़ा और बड़ी तेजी से उसे अपने हाथ की कलाई मोड कर अंकित की तरफ फेंकते हुए आगे बढ़ा कि तभी एक बार फिर से अंकित ने कर से बाला घुमाया और फिर हवा में गेंद जाकर बाउंड्री के बाहर गिरा और यह दूसरा छक्का था और इसके साथ ही अंकित की टीम विजय घोषित कर दी गई थी अंकित के लगातार दो छक्के मारने पर उसकी टीम जीत चुकी थी जिसका अंदाजा ना तो अंकित की टीम को था ना अंकित को था और ना ही विरोधी टीम को सब लोग आश्चर्यचकित हो गए थे,,, सूरज तो दौड़ता हुआ गया और अंकित को उठा लिया था और सभी टीम जोर-जोर से अंकित का नाम लेने लग गए थे,,,,

जहां एक तरफ खुशी का माहौल था वहीं दूसरी तरफ विरोधी टीम में मायूसी निराशा छा चुकी थी उनकी टीम का कप्तान बॉलर को गंदी-गंदी गालियां देना शुरू कर दिया था क्योंकि वह लोग लगभग लगभग इस मैच को जीत चुके थे लेकिन अंकित के चमत्कार ने उनके हाथ में आई हुई बाजी को छीन ली दिया था जिसमें बॉलर की गलती बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि अंकित के हाथों से उसके बदले से लगातार दो चक्का लग जाना किसी चमत्कार से कम नहीं था अपने कप्तान से गाली खाने के बाद गेंदबाज पूरी तरह से क्रोधित हो चुका था और वह गुस्से में आकर अंकित को बोला,,,,।


मादरचोद,,,,।

देख रौनक खेल में जीत हार तो होती रहती है लेकिन तू इस तरह से गाली देगा तो बिल्कुल भी नहीं चलेगा,,,

दूंगा हजार बार दूंगा,,,,,।


देख रोनक अभी भी तुझे समझा रहा हूं,,,,, बदतमीजी मत कर,,,,


तेरी मां की बुर में लंड,,,,,।
(रौनक के मुंह से अपनी मां के लिए इतनी गंदी बातें सुनते ही अंकित एकदम क्रोध से भर गया और वह उसको करने के लिए आगे बढ़ा ही था कि उसके दोस्तों ने अंकित को रोक लिया और उसे समझाने की कोशिश करने लगे और रौनक को भी समझने की कोशिश करने लगे लेकिन रौनक अपनी गेंदबाजी में अपनी ओवर में लगे लगातार दो छकको की वजह से पूरी तरह से,,, बौखला गया था,,,,)

देख रौनक इस तरह से गाली मत दे मैं इस तरह के शब्दों का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं करता मैं आज तक किसी को गाली नहीं दिया हूं इसलिए मैं नहीं चाहता कि मुझे भी कोई गाली दे,,,,

भाग भोंसड़ी के तेरे में हिम्मत कहां है गाली देने की वैसे भी तेरी मां कितनी मस्त है बड़ी-बड़ी गांड लेकर जब सड़क पर चलती है ना तो मेरा तो खड़ा हो जाता है,,,,(उसे कुछ लोग पकड़े हुए थे उसे समझाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन फिर भी वह मन नहीं रहा था वह अपना अपमान सहन नहीं कर पा रहा था इसलिए अंकित को गाली देकर अपने मन की भड़ास निकाल रहा था और अंकित अपनी मां के बारे में इतनी गंदी-गंदी इतनी गंदे शब्दों का प्रयोग सुनकर एकदम से क्रोधित हो गया था) तेरी मां कितनी गोरी है उसकी बुर भी कितनी मस्त होगी फुली हुई एकदम कचोरी की तरह,,,,।
(अब अंकित से सहन कर पाना मुश्किल हुआ जा रहा था और वह सबको धोखा देकर आगे बढ़ा और रौनक का गिरेबान पड़कर उसके पेट में दो-चार घुसा जमा दिया और वह एकदम से दर्द से दिल मिला उठा एक बार फिर से अंकित को सभी लोग पकड़ कर दूर करने लगे और जैसे तैसे करके दोनों को अलग कर दीए,,,, रौनक अपने घर की तरफ चला गया और जीत की खुशी में सूरज अंकित और बाकी टीम के सदस्य को लेकर एक चाय की दुकान पर पहुंच गया और अंकित को अपने पास में बैठाता हुआ वह बोला,,,,)

जाने दे अंकित उसके मुंह लगने से कोई फायदा नहीं है कीचड़ में अगर पत्थर मारोगे तो कीचड़ अपने ऊपर ही आकर गिरेगा उसे कोई फर्क नहीं पड़ता उसे कोई गाली दे मारे पीटे वह तो एक नंबर का हारामी है,,,,

लेकिन यार देखा नहीं कितनी गंदी गंदी गाली दे रहा था,,,, मम्मी के बारे में,,,,,

चल जाने दे यार तूने उसको सबक सिखा दिया ना हिसाब बराबर हो गया यह सब दिल पर नहीं लेना चाहिए,,,, चल चाय पी,,,,,,(और फिर इतना कहने के साथ ही सभी टीम के सदस्य के लिए चाय आ गई और बोला वहीं बैठकर चाय पीने लगे,, चाय की दुकान पर रेडियो पर गाना बज रहा था धूप में निकला ना करो रूप की रानी कहानी गोरा रंग काला ना पड़ जाए, तभी सामने के सड़क पर एक खूबसूरत औरत अपने हाथ में सब्जी का थैला लिए अपने घर की तरफ जा रही थी उसे औरत को देखते ही सूरज के साथ-साथ उसके दोस्त लोग बोले,,,)

हाय हाय क्या मस्त ,,, चिकनी माल है यार,,,,


तू सच कह रहा है यार साड़ी में इसकी गांड और भी ज्यादा कसी हुई लग रही है,,,,,

कसम से साड़ी कमर तक उठा दे तो मजा आ जाए इसकी गांड देखने में,,,,


अरे पागल अगर अंदर चड्डी पहनी होगी तो गांड कैसे देख पाएगा,,,,


भले यार इसकी चड्डी देखने में भी बहुत मजा आएगा गोरे-गोरे बदन पर पता तो चले किस रंग की चड्डी पहनी है,,,,


तुम लोगों को गांड और चड्डी की पड़ी है जरा यह तो सोचो वह जब खुद इतनी गोरी है तो उसकी बुर कितनी गोरी होगी मेरा तो सोच कर ही खड़ा हो जाता है,,,,

कसम से यार वह किस्मत वाला होगा जो इसकी बुर में लंड डालकर चोदता होगा उसकी तो किस्मत खुल गई होगी,,,,

अरे यार मैं जानता हूं ,,,, भाभी को अपने नुक्कड़ के आगे तीसरी गली है ना उसी में तो रहती है मरियल सा आदमी है इसका मुझे तो नहीं लगता कि अपने आदमी से खुश हो पाती हो कि देखा नहीं रहा है इसकी शरीर इसके तो कोई मोटा सांड चाहिए जो अपना लंड इसकी बुर में डालकर इसका पानी निकल सके,,,,,।
(एक-एक करके सभी लोग उसे औरत के बारे में अपना विचार व्यक्त कर रहे थे लेकिन इन सब बातों को सुनकर अंकित को गुस्सा आ रहा था और वह गुस्से में बोला,,,)

यार तुम लोगों को शर्म नहीं आती,,, तुम लोग भी रौनक की तरह ही बातें कर रहे हो तुम लोगों में और उसमें फर्क क्या है,,,,?

अरे यार अंकित तू भी बेवजह गुस्सा हो रहा है,,,, हम तो सिर्फ बातें कर रहे हैं और वैसे भी जो सड़क पर औरत गई है वह हम में से तो किसी की कुछ लगते नहीं है ना इसलिए किसी की नाराजगी का कोई मतलबी नहीं होता लेकिन तू है कि खामखा गुस्सा दिखा रहा है,,,,


कुछ भी हो यार मुझे इस तरह की बातें पसंद नहीं है,,,,
(इतना कहने के साथ ही वह चाय खत्म करके चाय का कप वही टेबल पर रख दिया और अपना चलता बना उसे रोकने की कोशिश सूरज करता रहा लेकिन वह रुका नहीं बस अपने घर की ओर निकल गया उसे जाता हुआ देखकर सूरज बाकी अपने दोस्तों से बोला,,)

भोसड़ी का एकदम बेकार है औरतों को देखकर कुछ समझ में नहीं आता इस पर वैसे भी रौनक सच ही कह रहा था इसकी मां वाकई में बहुत मस्त है,,,,
Many many congratulations for starting a new story.
I m 100% sure that, this story will also make new records.
Great
 
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Sanju@

Well-Known Member
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हैलो दोस्तो,,एक बार फिर मैं आप लोगों के सामने एक नई कहानी लेकर आया हूं,,,,,
1सुगन्धा
2अंकीत
3सुमन
4सुरज( अंकीत का दोस्त)
5रोनक
Congratulations start a new story
 

rohnny4545

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अंकित गुस्सा कर अपने दोस्तों को चाय की दुकान पर छोड़कर अपने घर की तरफ निकल गया था क्योंकि उसे लगने लगा था कि अब वहां रुक कर भी कोई फायदा नहीं है क्योंकि उसके दोस्त लोग भी,,, रौनक की ही जुबान बोल रहे थे,,,, अंकित अपने मन में यही सोच रहा था कि आखिरकार किसी गैर औरत के बारे में अपने मन में इतनी गंदी भावनाएं लाकर क्या मिलता होगा वह भी तो किसी की मां होगी बहन होगी बेटी होगी और उनके खुद के घर में भी तो मां बहन है इनकी मां बहन के बारे में अगर कोई गलत गलत बात कर तो इन्हें कैसा लगेगा,,,,, अपने घर की ओर चले जाते समय अंकित के मन में रौनक की बातें घूम रही थी और उसे बहुत गुस्सा आ रहा था अगर उसके दोस्तों ने उसे पकड़ ना दिया होता तो वह रौनक का हाथ मुंह तोड़ दिया होता क्योंकि बात ही कुछ ऐसी कह दिया था हालांकि इस तरह की गाली गलौज तो दोस्तों में आम बात होती है,,,, दोस्त लोग आपस में ही मां बहन की गाली देते ही रहते हैं और इसमें कोई बुरा भी नहीं मानता लेकिन अंकित इन सभी में सबसे अलग था क्योंकि वह ना तो किसी को मां बहन की गाली देता था और ना ही किसी के मुंह से अपने लिए इस तरह की गाली सुनना पसंद करता था,,,,, सीधे-सीधे रौनक ने अंकित के मुंह पर कह दिया था कि तेरी मां कितनी मस्त है उसकी बुर कितनी कचोरी की तरह खुली हुई होगी एकदम गोरी गोरी मौका मिले तो वह उसकी बुर में अपना लंड डालकर उसकी चुदाई कर दे इन सब बातों को सोचकर अंकित का मन भरा जा रहा था वह गुस्से से पागल हुआ जा रहा था लेकिन किसी तरह से वह अपने आप को संभालने की कोशिश कर रहा था और अपना ध्यान दूसरी तरफ लगाने की कोशिश कर रहा था,,,,, की तभी चाय की दुकान पर उसके दोस्तों की बातें याद आने लगी कि वह लोग कैसे किसी भी औरत के बारे में गलत धारणा बांध लेते हैं,,,, औरत हट्टी कट्टी शरीर से भरी हुई हो और आदमी मरियल हो तो उससे क्या फर्क पड़ता है,,, लेकिन उसके दोस्तों ने इस कमी को भी लेकर उसे औरत का मजाक बना रहे थे,,,,।

बाकी सभी को औरतें किस तरह की बातें औरतों के बारे में गंदी बातें अच्छी लगती थी और इस तरह की बातें सुनकर उन लोगों के मन में उत्तेजना का भी अनुभव होता था लेकिन अंकित इन सबसे अलग था वह औरतों के मामले में उनसे दूर ही रहना पसंद करता था और औरतों की इज्जत करता था इसीलिए तो वह चाय की दुकान पर 1 मिनट भी ठहरना पसंद नहीं किया और वहां से चलता बना,,,,,,, बार-बार रोनक की कही गई बातों को याद करके वह क्रोध से भरा जा रहा था,,,, ऐसा नहीं था कि अंकित को इस बात का आवाज नहीं था कि उसकी मां कैसी दिखती है वह अच्छी तरह से जानता था कि,,, उसकी मां बेहद खूबसूरत थी लेकिन उसके दोस्तों की नजर में खूबसूरती का मतलब था वासना और वह लोग खूबसूरत चीज को गंदी नजरों से देखते थे और यही बात उसे अच्छी नहीं लगती थी,,,,, कई बार तो उसे ऐसा महसूस होता था कि अपने दोस्तों को छोड़ दे और अपने आप में ही मस्त रहे लेकिन खेलने के लिए कोई तो होना चाहिए था इसलिए वह अपने दोस्तों का साथ छोड़ भी नहीं सकता था,,,,,।

शाम ढलने वाली थी और सुगंधा खाना बनाने की तैयारी कर रही थी वह अपने खुले बालों का जुड़ा बनाकर अपने कमरे में गई और आईने के सामने खड़ी होकर अपनी साड़ी उतारना शुरू की अपने कंधे से साड़ी का पल्लू हटते ही आईने में विशाल वछ स्थल नजर आने लगा और सुगंधा एक नजर अपनी विशाल छतिया पर डालकर अपनी कमर में से साड़ी को खोलना शुरू कर दी और देखते ही देखते वह कुछ ही देर में अपने बदन से साड़ी को उतार कर एक तरफ रख दी और अब वह आईने के सामने केवल ब्लाउज और पेटीकोट में थी,,,,, शाम ढल चुकी थी इसलिए कमरे में अंधेरा था और इसीलिए वह कमरे में प्रवेश करते ही स्विच ऑन करके ट्यूबलाइट जला दी थी जिसकी दूधिया रोशनी पूरे कमरे में फैल चुकी थी और उसे दूधिया रोशनी में आदम कद आईने में उसे अपना अक्स एकदम साफ नजर आ रहा था,,,,,,, 40 की उम्र में भी सुगंधा का बदन एकदम कसा हुआ था वह पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थी लेकिन अफसोस इस बात का था कि इस जवानी का मजा लेने वाला इस दुनिया से 5 साल पहले ही जा चुका था और तब से वह इसी तरह से अपने जीवन व्यतीत कर रही थी,,,, सुगंधा अपने पति के गुजरे 5 साल हो चुके थे लेकिन वह धीरे-धीरे अपने पति को भुला चुकी थी,,,, वह पूरी तरह से अपने बच्चों में व्यस्त हो चुकी थी,,,, अपने पति से उसे ज्यादा कुछ तो नहीं मिला था लेकिन दो बच्चे और रहने के लिए घर जो की तीन कमरों का था और छत के ऊपर वाला कमरा अभी भी खाली था,,,, जिसे वह किराए पर देना चाहती थी लेकिन जवान लड़की के चलते वह अपना कमरा किराए पर देना उचित नहीं समझ रही थी,,,,,,, पति शिक्षक थे इसलिए अपने जीवित रहते ही वह जुगाड़ लगाकर अपनी पत्नी को भी एक अच्छी सी स्कूल में शिक्षिका की नौकरी दिला दिए थे इसलिए उनके जाने के बाद घर चलाने में किसी भी प्रकार की दिक्कत सुगंध को महसूस नहीं हो रही थी वह बड़े आराम से अपने बच्चों का पालन पोषण कर रही थी,,,,,,,

पति के गुजर जाने के बावजूद भी 5 सालों में उसने कभी भी अपने कदम को देखने नहीं दी थी हालांकि वह बाला की खूबसूरत थी और सड़क पर आते जाते उसे इस बात का एहसास हो भी जाता था क्योंकि जब वह सड़क पर चलती थी तो उसके खूबसूरत बदन की थिरकन उसके नितंबों का उतार चढ़ाव और उसकी छातीयो के गोलापन को देखकर मर्दों की नजर उसके इन अंगों पर सकती रहती थी और कई बार तो उसने कई मर्दों को उसे देखने के बाद अपने लंड पर हाथ लगाते हुए भी देखी थी,,,, यह सबसे अच्छा नहीं लगता था लेकिन धीरे-धीरे इन सबकी उसे आदत हो गई और वह इन सबको अपने दिलों दिमाग से निकाल कर अपने काम में ध्यान लगाने लगी,,,,, इस बात का भी एहसास उसे अच्छी तरह से था कि उसकी उम्र की औरतों के बदन में ढीलापन आ जाता था बदन में चर्बी जम जाती थी लेकिन ऐसा कुछ भी उसके बदन में बदलाव आया नहीं था बल्कि उसके बदन की खूबसूरती और ज्यादा बढ़ गई थी,,,,

अपने आप को आदम कद आईने में देख कर सुगंधा के चेहरे पर अपने बदन की बनावट को देखकर एक गर्व की आभा नजर आती थी और वह मुस्कुराते हुए अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी,,,, एक औरत के द्वारा अपने ब्लाउज का बटन खोलने भी एक मादकता भारी क्रिया से कम नहीं होता अगर इस नजारे को कोई गैर मर्द देख ले तो शायद उसका पानी छूट जाए लेकिन यह सब औरतों के लिए एकदम सहज था जो की यही सब अंजान मर्द को असहज बना देता है,,,, औपचारिक रूप से सुगंध अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी और वह एक-एक करके अपनी नाजुक उंगलियों का सहारा देकर अपने ब्लाउज का बटन खोले जा रही थी और देखते-देखते वह अपने ब्लाउज के सारे बटन को खोल दी और ब्लाउज के दोनों पट को अपने हाथों से अलग करते हुए उसे अपनी बाहों से बाहर निकलने लगी ऐसा करते समय ब्रा में कैद उसकी बदमाशी कर देने वाली खरबूजे जैसी चूचियां एकदम आगे की तरफ आ गई और आईने में एकदम फुटबॉल की तरह नजर आने लगी जिसे देखकर खुद उसकी आंखें चौदिया गई थी,,,, अपने ब्लाउस को अपनी बाहों से अलग करते समय पल भर में उसे अपने पति की याद आ गई और वह सोचने लगी की खास उसका पति अगर जीवित होता तो वह अपनी जवानी का जलवा अपने पति पर पूरी तरह से बिखेर देती लेकिन अफसोस सब कुछ बदल गया था अपनी जवानी का जलवा वह अब नहीं भी कर सकती थी,,,,,,,, अपने पति का ख्याल आते ही उसके बदन में झनझनाहट से होने लगी थी क्योंकि उसे वह पल याद आ गया जब वह इसी तरह से अपने कपड़े बदलती थी तो तुरंत उसका पति उसके पीछे आकर अपनी बाहों में भर लेता था और अपने चुंबनों की बौछार उसके गर्दन पर करते हुए ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूची पकड़ कर दबाना शुरू कर देता था और उत्तेजित अवस्था में सुगंध अपने नितंबों पर अपने पति के टनटनाए लंड का स्पर्श पाते ही पूरी तरह से उत्तेजित हो जाती थी,,,, और फिर उसका पति आईने के सामने ही उसे घोड़ी बनाकर पीछे से उसकी बुर में लंड डालकर चोदना शुरू कर देता था और यह सब सुगंध को उसे समय बहुत अच्छा और संतुष्टि भरा लगता था जिसकी कमी उसे अब महसूस होती थी तो उसकी आंखों में आंसू आ जाते थे,,,,,।

अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर वह अपने ब्रा का हुक खोलने लगी उसके गोरे बदन पर लाल रंग की ब्रा बहुत ज्यादा खिल रहीं थी चूचियों के आकर से कम नाप वाला हुआ ब्रा पहनती थी ताकि उसकी खरबूजे जैसी चूचियां छोटे से ब्रा में एकदम कसी हुई रहे और वैसे भी उसकी चूचियां एकदम कसी हुई थी,,,, ब्रा की खेत से आजाद होते ही उसकी खरबूजे जैसी चूचियां रबड़ के गेंद की तरह छतिया पर उछलने लगी जिसे वह आईने में अच्छी तरह से देख रही थी और मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,,, अपनी चूचियों की खूबसूरती देखकर उसे रहने की और वह अपना हाथ अपनी चूचियों पर रखकर उसके आकार को टटोलकर महसूस करने लगी और अपने मन में सोचने लगी की एक मर्द को इसी तरह की चुचीयां अच्छी लगती हैं,,, एकदम गोल गोल कसी हुई छतिया पर तनी हुई जिसमें बिल्कुल भी लक ना हो और बिल्कुल ऐसी ही चूचियां सुगंधा के पास थी जो कि उसकी खूबसूरती में चार चांद लग रही थी,,,,
Sugandha

अपने कमरे में सुगंधा एकदम निश्चिंत थी,,,, वह आईने में देखते हुए अपनी पेटिकोट की डोरी को उंगलियों में फंसा कर एक झटके से खींच ली और कमर पर कसी हुई पेटिकोट एकदम से ढीली हो गई,,,, बंद कमरे में सुगंधा की यह क्रियाकलाप बेहद मदहोश कर देने वाली थी लेकिन इसे देखने वाला कमरे में कोई भी स्थित नहीं था,,,,,, ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में सुगंधा का गोरा बदन और भी ज्यादा खूबसूरत और चमक रहा था,,,,, कमर पर ढीली पड़ी पेटीकोट को वह एक झटके से अपने हाथ से छोड़ दी और उसकी पेटिकोट कमर पर से भर भर कर एक झटके में उसके कदमों में जाकर गिर गई और आईने के सामने सुगंधा पूरी तरह से निर्वस्त्र हो गई केवल उसके उसके बदन पर एक पेंटिं भर रह गई थी उसके बेशकीमती खजाने को छुपाने के लिए,,,,,, अपने नंगे बदन को आईने में देखते ही सुगंधा ने गहरी सांस ली,,,, और तुरंत दरवाजा खुला और सुगंध एकदम से घबराकर दरवाजे की तरफ देखते हुए दोनों हाथों से अपनी छाती को ढकने की नाकाम कोशिश करने लगी,,,,।


क्या मम्मी तुम इधर हो,,,,,।
(दरवाजे पर तृप्ति को देखते ही सुगंधा की जान में जान आई और वह गहरी सांस लेते हुए बोली)

बाप रे तृप्ति तूने तो मुझे डरा ही दिया,,,,

क्या मम्मी तुम अभी कपड़े बदलने में लगी हो मुझे तो लगा था कि अब तक चाय बना ली होगी,,,,, और मम्मी दरवाजा बंद करके कपड़े उतार करो अगर किसी दिन ऐसे हालात में अंकित ने तुम्हें देख लिया तो गजब हो जाएगा,,,,,

धत् पगली तू भी ना अनाप शनाप बकती रहती है,,,(इतना कहने के साथ ही सुगंधा उसी अवस्था में ही केवल अपने बदन पर लाल रंग की पैंटी पहने वह अलमारी की तरफ गई और उसमें से एक गाऊन निकालने लगी पीछे खड़ी तृप्ति दरवाजे को बंद कर चुकी थी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि अगर अंकित आ जाए तो इस तरह की दृश्य को अपनी आंखों से देखें वह अपनी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी को देख रही थी और मंद मंद मुस्कुरा भी रही थी अपनी मां की खूबसूरती और इस उम्र में भी कैसे हुए बदन को देखकर खुद तृप्ति को भी अपनी मां पर गर्व होता था,,, तृप्ति इस घर की बड़ी लड़की थी और वह अपनी मां का पूरा ख्याल रखती थी क्योंकि वह अपनी मां के दुख को अच्छी तरह से जानती थी इसलिए अपनी बातों से अपने चुटकुले से वह अपनी मां को हमेशा खुश रखती थी और उसकी मां भी अपने बच्चों से बहुत खुश थी,,,,,,

सुगंधा अलमारी मे से एक खूबसूरत गाउन को निकाल कर पहन ली हालांकि वह अपनी चूचियों को नग्न नहीं रहने दी उसे पर ब्रा नहीं पहनी जिसकी वजह से गाउन के ऊपर उसकी खरबूजे जैसी चूचियां एकदम साफ झलक रही थी,,,, सुगंधा अपनी बेटी तृप्ति की तरफ घूमते हुए बोली,,,।

आज गर्मी बहुत है इसलिए हल्का कपड़ा ही ठीक रहेगा,,,,

ठीक है मम्मी,,, अब जल्दी से चाय बना दो,,,,, थोड़ा थका महसूस हो रही है फिर चाय पीकर मैं खाना बनाने में मदद करती हूं,,,,

नहीं तू रहने दे आराम कर खाना में बना लूंगी तू भी दिन भर थक जाती होगी,,,, कॉलेज फिर ट्यूशन,,,

अरे नहीं मम्मी इतना भी नहीं थकी हूं बस जल्दी से एक कप चाय मिल जाए तो ताजगी आ जाए,,,।

तू 2 मिनट रुक मैं अभी बना देती हुं,,,,।
(और इतना कहकर वह रसोई घर में चली गई,,,)
 
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