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Incest मुझे प्यार करो,,,

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पंखा साफ करते हुए जो कुछ भी हुआ था वह बेहद अद्भुत और अकल्पनीय था क्योंकि अंकित ने कभी सोचा नहीं था कि टेबल पर चढ़ी उसकी मां अपनी दूर से मदन रस की बूंद नीचे गिराएगी और वह उसे उंगली से लगाकर चाट जाएगा ना तो यह कल्पना अंकित ने किया था और ना ही उसकी मां सुगंधा ने हीं,,,, सुगंधा तो इस दृश्य को देखकर पानी पानी हो गई थी,,, वह कभी सोची नहीं थी कि उसके बेटे की लालच ईस कदर बढ़ जाएगी की,, वह उसके बुर से निकले नमकीन पानी को चाटने के लिए इस कदर व्याकुल हो जाएगा,,,, सुगंधा इतना तो समझ गई थी कि दोनों मां बेटे में एक दूसरे को पानी की जो चाहत थी वह काफी हद तक बढ़ चुकी थी आग दोनों जगह बराबर लगी हुई थी,,,, सुगंधा आज पूरी तरह से बेशर्म बन जाना चाहती थी इसीलिए तो उसने अपने बेटे से अलमारी साफ करने के लिए बोली थी और उस गंदी किताब को अपने बेटे के हाथ लगने दी थी जिसे वह पहले भी पढ़ चुका था लेकिन यह बात सुगंधा नहीं जानती थी।





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सुगंधा ही अपने बेटे को इस किताब की कहानी को पढ़कर सुनाने के लिए मजबूर की थीऔर भला अंकित कहां पीछे हटने वाला था वह भी किताब में लिखा है कि एक शब्द अपनी मां के सामने पढ़कर उसे सुना दिया जिसे सुनकर उसकी मां की बुर गीली होने लगी थी और अंकित का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा हो चुका था जिसका एहसास सुगंधा को भी अच्छी तरह से हो रहा था,,,,और फिर अलमारी की सफाई के बाद जिस तरह से वह अपनी गांड दिखाते हुए झाड़ू लगाई थी वह भी सुगंधा की सोच से कई ज्यादा हिम्मत दिखा देने वाली बातें थी और फिर जिस तरह से उसने अपनी पैंटी निकाल कर एक तरफ रख दी थी और पंखा साफ करते हुए अपने बेटे को अपनी बुर के दर्शन कराई थी यह सब कुछ मां बेटे दोनों के लिए अकल्पनिय था जिनकी दोनों ने भी कल्पना नहीं किए थे,,,। अपने बेटे को अपनी जवानी के दर्शन करने के लिए जिस हद तक उसने अपनी हिम्मत और शौर्य दिखाई थी यह बेहद काबिले तारीफ थी जिसके लिए वह खुद अपने आप को ही बधाई दे रही थी और अपने ही मन में अपने ही हिम्मत की सराहना कर रही थी क्योंकि सुगंधा के लिए यह बहुत था अपने बेटे को पूरी तरह से अपनी तरफ ललाईत करने के लिए,,, वैसे भी अब दोनों मां बेटे के बीच कुछ ज्यादा बचा नहीं थाबस जरूरत थी अंकित को थोड़ा हिम्मत दिखाने की और सुगंधा को थोड़ा और बेशर्म बन जाने की,,, अपने बेटे के पेट में बने हुए तंबू को देखकर सुगंधा की भावनाएं बेकाबू हो रही थी सुगंधा किसी भी तरह से अपने बेटे के साथ हम बिस्तर होने के लिए तड़प रही थी,,, वह मचल रही थी अपने जीवन को दोबारा एक नई राह दिखाने के लिए अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करने के लिएअपने पति के देहांत के बाद वह एक बार फिर से शरीर सुख प्राप्त करना चाहती थी वह देखना चाहती थी कि अपने बेटे से चुदवाकर उसे कैसा महसूस होता है,,, वह अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों मेंअपने बेटे के मोटे-मोटे लंड की रगड़ को अच्छी तरह से महसूस करना चाहती थीअपना पानी झाड़ देना चाहती थी जो उसे काफी परेशान कर रहा था लेकिन शायद अभी भी इस पल के लिए कुछ पल और सबर करना था।


तृप्ति के जाने के बाद दोनों मां बेट आपस में बहुत ज्यादा खुलने लगे थे,,, दोनों के बीच ऐसी कई घटनाएं हुई थी जिससे दोनों बेहद करीब आ सकते थे लेकिन फिर भी दोनों में से कोई पहल करने को तैयार नहीं था लेकिन फिर भी मंजिल पर पहुंचने से ज्यादा मजा दोनों को सफर में आ रहा था दोनों बार-बार उत्तेजित हो रहे थे मदहोश हो रहे थे पानी निकाल रहे थे और ऐसा बहुत कुछ था जो मंजिल से पहले का सुख प्रदान कर रहा था,,,,,, सुगंधा और अंकित अपने मन में इस बात को लेकर बेहद खुश भी होते थे कि अच्छा हुआ की तृप्ति नानी की वहां चली गई है क्योंकि उसकी मौजूदगी में शायद दोनों इतना सुख और इतना खुलापन महसूस नहीं कर पाते। घर में मां बेटे दोनों अकेले थेपर दोनों ही प्यासे थे एक अपनी जवानी की पूरी उत्थान पर थी और एक अभी-अभी जवान हुआ था दोनों की आकांक्षाएं और महत्वाकांक्षा एक ही थी दोनों की मंजिल एक ही थी और रास्ता भी एक ही था दोनों एक दूसरे का साथ देते हुए साथ-साथ चल भी रहे थे इसलिए तो यह सफर बेहद मनमोहक और मदहोशी से भरा हुआ था। पंखा साफ करते हुए अंकित अपनी मां की बुर के दर्शन करके पूरी तरह से मस्त हो चुका था,,,,कुश्ती करते समय उसे अच्छी तरह से एहसास हुआ था कि उसकी मां चड्डी पहनी हुई थी लेकिन इस समय उसके बदन पर चड्डी नहीं थी,,,यह देखकर उसे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि उसकी मां क्या चाहती है और अपनी मां की चालाकी पर उसे और ज्यादा मजा आ रहा था वह समझ गया था कि उसकी मां छिनार है ठीक अपनी मां की तरह ही बस खुलकर बोल नहीं पा रही है,,,।


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एक औरत होने की नाते उसे अच्छी तरह से मालूम था कि इस समय उसे क्या चाहिएलेकिन वह सिर्फ इशारे ही इशारे में समझ रही थी मुंह से कुछ बोल नहीं पा रही थी और इसके उल्टेखुद उसकी मां खुले शब्दों में अंकित से बता दी थी कि उसे क्या चाहिए और दो दिन उससे खुलकर मजा लेने के बाद ही वह अपने घर गई थी और अंकित को एक अद्भुत सुख और एक अनुभव देकर गई थी जो उसे अब काम आने वाला था। अंकित भी इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उसकी नानी उसे जो सुख प्रदान की है तो बेहद अद्भुत था जिसके बारे में वह सोचता भर था।लेकिन ऐसा कभी किया नहीं था इसलिए तो अपनी नानी का मन ही मन में बहुत धन्यवाद करता था। क्योंकि वह नहीं होती तो शायदचुदाई करना हुआ है इतनी जल्दी नहीं सीखा होता और उसकी नानी की ही बदौलत उसका आत्मविश्वास पूरी तरह से बढ़ गया था जिसके चलतेघर में चीनी मांगने आई सुमन की मां की भी उसने चुदाई कर दिया था और उसे पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया था अब यही अनुभव उसे अपनी मां पर दिखाना था लेकिन कैसे या उसे भी समझ में नहीं आ रहा था।

घर की सफाई के साथ-साथ पंखे की भी सफाई हो चुकी थी,,,और अब सिर्फ कपड़े की सफाई रह गई थी,,,सुगंधा अपने बेटे को अद्भुत नजारा दिखाने के बाद मुस्कुराते हुए अपने बेटे से बोली,,,,।

बाहर कपड़े रखे हुए हैं उसे लेकर घर के पीछे रख दे वहीं पर उसे धो डालती हूं,,, तू जाकर रख दे मैं आती हूं,,,।

ठीक है मम्मी,,,,(और इतना कहकर अंकित अपनी मां के कमरे से बाहर निकल गया और कपड़ों का ढेर लेकर उसे पीछे की तरफ ले जाने लगा वहां पर भी नहाने और कपड़े धोने का अच्छा इंतजाम थाऔर वहीं पर सूखने के लिए कपड़े भी डाल दिए जाते थे इसलिए वहां ज्यादा समय व्यर्थ गवना ना पड़ता अंकित तो चला गया था लेकिन सुगंधा अपने कमरे में खड़े-खड़े मुस्कुरा रही थी,,,, वह टेबल पर देखी तो उसके बुरे से निकले नमकीन रस का धब्बा लगा हुआ था और उसे धब्बे को देखकर उसके बदन में गनगनी सी दौड़ने लगी,,, वह अपने मन में सोचने लगी कि उसका बेटा जब उसकी बुर के नमकीन रस को उंगली से लगाकर चाट सकता है तो बुर पर अपने होंठ लगाकर जब चाटेगा तब कितना मजा आएगा,,,,,, पहले भी एक बार उसके बेटे ने उसके नींद में होने का फायदा उठाते हुए पल भर के लिए अपने होठों को उसकी बुर से लगाया था लेकिन जब वह खुलकर उसकी बुर में उसकी जीभ डालकर चाटेगा तो कितना मजा आएगा ऐसी कल्पना करते ही उसके बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी वह बेहद आनंदित हो उठी,,, उस पल का सुगंधा को बड़ी बेसब्री से इंतजार था। यह सब सोच कर बार-बार उसकी बुर गीली हो रही थी।

अंकित घर केपीछे पहुंच चुका था जहां पर उसे कपड़े धोने में उसकी मां की मदद करनी थी ऐसे तो इससे पहले अंकित अपनी मां की मदद कभी नहीं करता था बस थोड़ा बहुत हाथ बता देता था लेकिन तृप्ति के जाने के बाद वह अपनी मां का खुलकर साथ दे रहा था क्योंकि वह जानता था कि उसका साथ देने में ही उसकी भलाई थी जिसका फल उसे धीरे-धीरे मिल रहा था,,,,सुगंधा अपने कमरे से बाहर निकलने से पहले वह अपनी छतिया की तरफ देखने लगी जो की काफी उन्नत थी और उत्तेजना के मारे उसका जाकर थोड़ा बढ़ चुका था वह धीरे से ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खोल दे और उस पर साड़ी का पल्लू लगा दीक्योंकि आगे क्या करना था उसे अच्छी तरह से मालूम था और वह धीरे से अपने कमरे से बाहर निकले और वह भी घर के पिछले हिस्से पर पहुंच गई,,,जहां पर पहले से ही अंकित टेबल पर बैठकर अपनी मां का इंतजार कर रहा था अपनी मां को देखते ही उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी और वह बोला,,,।

मैं भी कपड़े धोने में मदद कर देता हूं कपड़े बहुत ज्यादा है अकेले कब तक धोओगी,,,।

बात तो तु सही कह रहा है कपड़े कुछ ज्यादा ही है,,,, ऐसा करते हैं आधा कपड़ा तु धो दें और आधा कपड़ा में धो देती हूं,,,

हां यह ठीक रहेगा,,,।




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चल फिर जल्दी से टब में पानी भर दे,,,(बड़े से कपड़े धोने वाले तब को आगे की तरफ सरकाते हुए सुगंधा बोली,,,, और अंकित उसमें पानी भरने लगा और इसी बीच सुगंधा कपड़ों के ढेर को आधा करने लगी और जब उसने देखी कि उन कपड़ों के देर में उसकी पैंटी और ब्रा भी थी तो वह ब्रा और पेंटी को अपने बेटे के हिस्से वाले कपड़ों के ढेर में डाल दी,,,क्योंकि वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा उसकी आंखों के सामने ही उसकी ब्रा और पैंटी को किस तरह से धोता हैजबकि वह जानती थी कि यह उसके लिए बेहद आम बात होगी क्योंकि वह खुद उसके लिए ब्रा पेंटी खरीद कर ला चुका था और उसे अपनी आंखों के सामने उसे पहनते हुए देखा भी चुका था लेकिन फिर भी एक अजीब सी चाह सुगंधा के मन में थी इसलिए वह ब्रा और पैंटी को अपने बेटे के हिस्से वाले कपड़ों में डाल दी,,,, देखते ही देखते अंकित पानी के टब को पानी से भर दिया था,,,, और सुगंधा कपड़े धोने की तैयारी करते हुए अपनी साड़ी फिर से घुटनों तक उठाकर उसे अपनी कमर में खोंस दी थी एक बार फिर से सुगंधा की मांसल पिंडलियां दिखाई देने लगी थी,,, जिसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था और वह कपड़े धोने के लिए एक लकड़ी का पाटी लेकर उस पर बैठ गई अपनी दोनों टांगें खोलकर,,,ताकि अंकित की नजर एक बार फिर उसकी साड़ी के अंदर तक पहुंच सके और वह उसकी बुर के दर्शन कर सके,,,,।

अंकित अपनी मां की हरकत को देखकर मस्त बज रहा था वह ठीक अपनी मां के सामने बैठकर कपड़े धोने लगा था कि वह भी उसे नजारे को देख सके जिसे दिखाने के लिए उसकी मां मचल रही थी। मां बेटे दोनों कपड़े धोने शुरू कर दिए थे,,, दोनों को बहुत मजा आ रहा था इससे पहले अंकित ने कभी कपड़े नहीं धोए थे लेकिन आज अपनी मां के साथ कपड़े धोने में उसे बेहद आनंद आ रहा था उसे मजा आ रहा थालेकिन इस बीच उसकी तिरछी नजर अपनी मां की साड़ी के अंदर ही थी लेकिन जिस तरह से उसकी मां बैठे थे साड़ी के अंदर अंधेरा ही था इसलिए अंकित को ठीक से कुछ नजर नहीं आ रहा था और सुगंधा को ऐसा ही लग रहा था कि उसका बेटा चोर नजरों से उसकी बुर कोई देख रहा है,,, वह कपड़े धोने में और अपनी बुर दिखाने में पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,, कपड़ों से उठ रहे साबुन का झाग सुगंधा के हाथों में पूरी तरह से लगा हुआ था और उसके बालों की लट उसके गालों पर आकर बार-बार उसे परेशान कर रही थी,,,जिसे वह अपने हाथ से पकड़ कर उसे अपने कान के पीछे ले गई लेकिन इस बीच साबुन का ढेर सारा झाग उसके बालों पर लग चुका था जिसे देखकर अंकित मुस्कुरा रहा था,,,,। यह देख कर सुगंधा बोली।

क्या हुआ मुस्कुरा क्यों रहा है,,?

तुम्हारे बालों पर ढेर सारा झाग लगा हुआ है,,,।

तो क्या हो गया अभी नहाना तो है,,,, साबुन कम लगाना पड़ेगा,,,।

अच्छा तो एक साथ दो-दो कम कर ले रही हो कपड़ा भी धो ले रही हो और अपने बदन पर साबुन भी लगा ले रही हो,,,।

तो इसमें क्या हो गया साबुन से झाग तो निकलता ही है अगर झाग लगा ली तो और भी अच्छा है मेहनत काम करना पड़ेगा,,,,।

ओहहहह,,, तुम्हें साबुन लगाने मे भी मेहनत लगती है क्या,,,?

तो क्या सच कहूं तो मुझे साबुन लगाने में बहुत कंटाला आता है मुझे साबुन लगाना अच्छा नहीं लगता इसलिए मैं ठीक से नहा नहीं पाती,,, पूरे बदन में साबुन नहीं लगाती,,,(सुगंधा जानबूझकर अपने बेटे से यह बात बोल रही थी वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा क्या कहता है)

कोई बात नहीं आज कहीं तुम्हारे बदन पर साबुन लगा दूंगा और वह भी एकदम अच्छे तरीके से तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो,,,।

सच में,,,,।

तो क्या हुआ,,,

तब तो आज अच्छी तरह से नहाउंगी,,,, तु मेरा कितना ख्याल रखता है,,,(ऐसा कहते हुए एक बार वहतसल्ली करने के लिए अपनी दोनों टांगों के बीच अच्छी तो वाकई में उसे अंदर अंधेरा ही दिखाई दे रहा था इसलिए वह समझ गई कि उसके बेटे को कुछ नजर नहीं आ रहा होगा और वह बात ही बात मेंअपनी दोनों टांगों को हल्का सा और खोल दी और साड़ी को दोनों हाथों से ऊपर की तरफ खींच दी उसकी आधी जांघ के ऊपर साड़ी खींची हुई थी,,,,अंकित अपनी मां की सर को देख रहा था और अपने मन ही मन में बोल रहा था कि देखो कितनी छिनार है अपनी बुर दिखाने के लिए कितना तड़प रही हैलेकिन ऐसा नहीं कह रही है कि बेटा मेरी बुर में लंड डाल दे मेरी चुदाई कर दे,,,, बस तड़पा रही है। और ऐसा सोचते हुए उसकी नजर एक बार फिर से अपनी मां की साड़ी के अंदर गई तो इस बार उसे अपनी मां की बुर एकदम साफ दिखाई देने लगी और वह मन ही मनपसंद होने लगावह इस बात से और ज्यादा खुश था कि उसकी मां जो दिखाना चाह रही थी वह उसे दिखाने लगा था और अपने बेटे के चेहरे पर आए प्रसन्नता के भाव को देखकर वह समझ गई कि उसका काम बन गया है,,,,।

लेकिन सुगंधा अपनी हरकत से खुद ही गनगना गई थी। क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि वह क्या कर रही है उसके होश उड़े हुए थे उसके चेहरे पर शर्म की लालीमा एकदम साफ दिखाई दे रही थी,,, सुगंधा का दिल जोरों से धड़क रहा थावाकई में एक मां के लिए यह कितना शर्मनाक बात होती है कि वह खुद ही अपने बेटे को अपनी बुर के दर्शन कारण उसे वह अंग देखने को मजबूर कर दे जिसे वह हमेशा ढक कर रखती है क्योंकि वह जानती थी कि कैसे हालात में एक औरत एक मर्द को अपनी बुर दिखाती हैक्योंकि एक औरत का एक मर्द को अपनी बुर दिखाने का मतलब साफ होता है कि वह उससे चुदवाना चाहती हैं,,,, और यही सुगंधा के मन में भी चल रहा था।

मां बेटे दोनों का दिल जोरो से दर्द रहा था कपड़े धोते समय अंकित अपनी मां की साड़ी के अंदर उसकी बुर को देख रहा था और पागल हुआ जा रहा था और सुगंध अपनी ही हरकत पर शर्मसार होकर मदहोश हो रही थी,,,,कुछ देर के लिए दोनों के बीच वार्तालाप एकदम से बंद हो चुकी थी दोनों के बीच खामोशी छा चुकी थी दोनों शांति से कपड़े धो रहे थे। और तभी अंकित के हाथ में उसकी मां की पेंटी आ गई जिसे देखकरअंकित के चेहरे पर भी उत्तेजना और प्रसन्नता दोनों के भाव साफ नजर आने लगे और जब सुगंधा ने अपने बेटे के हाथ में उसकी पेंटिं देखी तो उसका चेहरा भी खिल उठा।
बहुत ही शानदार लाजवाब और अद्भुत मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
दोनों माँ बेटे का एक दुसरे को तडपाने का खेल जोरों पर है और उससे दोनों काफी उत्तेजित हो रहे हैं
खैर देखते हैं ये खेल कब तक चलता हैं
 

babakhosho

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अंकित के हाथ में उसकी मां की पेंटि आ चुकी थीऔर यह सुगंधा देख चुकी थी सुगंध बड़े प्यार से अपनी टांगें चौड़ी करके साड़ी के अंदर से अपने बेटे को अपनी बुरे दिख रही थी उसकी झलक जाकर अंकित पागल हुआ जा रहा था,,,एक तरफ उसकी मां की जवानी उसे पूरी तरह से परेशान की हुई थी और दूसरी तरफ उसके हाथ में उसकी मां की पेंटी आ चुकी थी,,,, और वह एकदम से उसे पेंटि को अपने हाथ में लेकर देखने लगा,,, मानो के जैसे उसके हाथ में उसकी मां की पेंटी नहीं बल्कि उसकी बुर आ गई हो,,, उसका दिल जोरो से धड़क रहा था और यही हाल सुगंधा का भी था सुगंधा कपड़े धोते हुए टांगे चोरी करके अपने बेटे को अपनी बुर की झलक दिखाते हुए तिरछी नजर से अपने बेटे को देख रही थी उसके चेहरे पर बदलते हाव भाव को देखकर प्रसन्न हो रही थी। वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसके बेटे के हाथ में उसकी पसंदीदा चीज आ गई है,,,,।

अंकित मदहोशी में अपनी मां की पेटी पर जोर-जोर से साबुन लगाकर उसे मरोड़ मरोड़ कर दो रहा था यह देखकर उसकी मां एकदम से बोली,,,।

अरे अरे बेटा यह क्या कर रहा है इतनी जोर-जोर से नहीं कहीं मेरी फट गई तो,,,।

तुम्हारी इतनी कमजोर थोड़ी है मम्मी की थोड़ा सा दम दिखाने पर पड़ जाएगी मैं जानता हूं इसमें बहुत दम है चाहे जितना भी रगड़ो बिल्कुल भी नहीं फटेगी,,,(साड़ी के अंदर अपनी मां की बुर को देखते हुए अंकित बोल उसकी बात सुनकर सुगंधा मन ही मन मुस्कुराने लगी क्योंकि वह अपने बेटे सेदो अर्थों में बात कर रही थी और उसका बेटा भी उसकी बात को शायद समझ गया था तभी वह भी उसके ही जुबान में उसे जवाब दे रहा था,,,)

अरे मैं जानती हूं कि बहुत मजबूत है लेकिन एकदम मखमल की तरह है थोड़ा प्यार से,,, अभी इसे बहुत चलाना है,,,,।

चलाना है तो इसे उपयोग में लिया करो नहीं तो पड़े पड़े ही फट जाएगी ऐसा लग रहा है कि जैसे बरसों गुजर गए इसका उपयोग नहीं कि हो,,,,(अंकित अपनी मां की बुर को देखते हुए दो अर्थ में बात करते हुए बोला,,,,अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा शर्म से पानी पानी होने लगी वह समझ गई कि उसका बेटा किस बारे में बात कर रहा है वाकई में बरसों गुजर गए थे उसने अपनी बुर को पेशाब करने के सिवा और कोई काम में नहीं ली थी,,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपने बेटे की बात का क्या जवाब दें लेकिन फिर भी वह बेहद सोच समझ कर जवाब देते हुए बोली,,)

क्या करूं बेटा यह तो मेरी सबसे पसंदीदा चीज है लेकिन कभी ऐसा मौका ही नहीं आया कि इसका उपयोग कर सकूं इसलिए यह बीना उपयोग किए पड़ी की पड़ी रह गई,,,,।

ऐसा बिल्कुल भी नहीं है मम्मी उपयोग करने के लिए अपने मन को मनाना पड़ता है अपने मन को मना लोगी तो अपने आप मौका निकल आएगा उपयोग करने के लिए,,,।

बात तो सही कह रहा है मैंने कभी अपने मन को मनाए ही नहीं लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि बहुत ही जल्दी इसका उपयोग होने वाला है नहीं तो सच में बिना उपयोग किया ही खराब हो जाएगी कोई काम के नहीं रह जाएगी,,,।

बहुत समझदार हो बहुत जल्दी समझ गई,,,,,(पेंटी को अच्छे से साबुन लगा लगा कर धोने के बाद उसे पास में पड़ी बाल्टी में रखते हुए वह बोला,,,, इस अद्भुत दो अर्थ वाली मदहोशी भरी वार्तालाप से मां बेटे दोनों की हालत खराब हो चुकी थी अंकित का लंड पूरे बहार में खिला हुआ था और सुगंधा की बुर उत्तेजना के मारे कचोरी की तरह फूल गई थी,,, जो कि इस समय अंकित को एकदम साफ दिखाई दे रही थी अंकित कोयह भी दिखाई दे रहा था कि उसकी मां की बुर पानी छोड़ रही थी और पानी से लबालब भरी हुई थी उसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था और वह अपने होंठ लगाकर अपनी मां के नमकीन रस को पी जाना चाहता था।वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां की कचोरी जैसी खुली हुई बुर में उसका मोटा तगड़ा मुसल जाएगा तो वाकई में उसकी मां की बुर फट जाएगी,,,, शायद इस बात को उसकी मां भी समझ रही थी दोनों की बातें बेहद मदहोशी भरी थी,,,।

पेटी को धो लेने के बाद,,, अंकित फिर से कपड़ों के देर में से अपनी मां की ब्रा निकाला जिसे वह देख लिया था और उसे धोने लगावह ब्रा को अच्छी तरह से जमीन पर फैला कर उसके दोनों कप को साबुन लगा लगाकर साफ कर रहा था और अपनी हथेली में उसे कब को दबोच भी ले रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह ब्रा नहीं बल्कि उसकी मां की चूची हो यह देखकर उसकी मां की बुर पानी छोड़ रही थी,,, उससे रहा नहीं गया और वह अपने बेटे की हरकत को देखकर बोली,,,,।

अरे उसके अंदर कुछ भी नहीं जो हथेली में लेकर दबा रहा है,,,,,(सुगंधा अच्छी तरह से जानती थी कि उसके कहने का मतलब उसका बेटा अच्छी तरह से समझ जाएगा इसलिए उसकी बात सुनते ही अंकित अपनी नजर ऊपर उठाकर बोला,,,,)

मैं जानता हूं मम्मी की इसमें चुची नहीं है,,,(चुची शब्द अंकित एकदम से खुलकर बोल गया था,,, क्योंकि वह समझ गया था कि उसकी मां पूरी तरह से बेशर्म बन चुकी है,,,,) मैं तो बस अच्छी तरह से इसकी सफाई कर रहा हूं लेकिन मैंने कभी भी तुम्हें यह पहने हुए नहीं देखा,,,,.

अब क्या तुझे दिखा दिखा कर पहनूंगी,,,।

नहीं ऐसी बात नहीं है लेकिन फिर भी सूखे हुए कपड़ों में दिखाई देता है और इस पर मेरी नजर कभी नहीं पड़ी,,,।

बाप रे तो क्या तू सूखे हुए कपड़ों में यही सब ढूंढता रहता है,,,।

अरे मम्मी ऐसा नहीं है कपड़े सूखने के लिए पड़े रहते हैं और जब शाम को हमने कभी उतारने जाता हूं तो हर एक कपड़ा हाथ में आता है तो दिखाई तो देता है ना और इस तरह का कपड़ा कभी मेरे हाथ में नहीं आया,,,,।

बात तो तू सही कह रहा है ,,, ऐसे में पहनती नहीं हूं यह तो अलमारी में से निकली है इसलिए धोने के लिए रख दी,,,,।(कपड़े धोते हुए सुगंधा बोली,,,)

लेकिन मम्मी ब्रा बहुत खूबसूरत लग रही है,,, तुम्हारे ऊपर बहुत खूबसूरत लगेगी,,,,।

चल रहने दे इसका साइज छोटा है मुझे ठीक से हो नहीं पाएगी,,,।

तब तो और ज्यादा अच्छा लगेगा,,, क्योंकितुम्हारी उसकी साइज से कम साइज की ब्रा पहनोगी तो एकदम ज्यादा बड़ी लगेगी,,,, (मौके की नजाकत को समझते हुए अंकित अपनी बेशर्मी पर उतर आया था और उसे इस तरह की बातें करने में मजा भी आ रहा था उसकी मां उसके मुंह से इस तरह की बात सुनकर एकदम से सन्न रह गई थी,,, और अाश्चय्र से अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली,,,)

दैया रे दैया यह सब कहां से सीख गया तू किसका देख लिया,,,।

तुम्हारी अलमारी से जो किताब निकाली थी ना उसमें इस तरह का चित्र देखा था जिसमें उसे औरत ने काम साइज के ब्रा पहनी थी और उसकी दोनों गोलाई एकदम बड़ी-बड़ी लग रही थी। उसे देखकर मुझे लग रहा है कि तुम पर भी कम साइज की ब्रा अच्छी लगेगी,,,,।

बाप रे इतनी जल्दी तू यह सब सीख गया तुझे वह किताब पढ़ने के लिए देना ही नहीं चाहिए था,,,,पता नहीं उस किताब के जरिए तु क्या-क्या सीख जाएगा,,,,।

सच में मम्मी किताब की बड़ी दिलचस्प पढ़ने में तो मेरी हालत खराब हो गई थी,,,,,और वैसे भी ऐसा लग रहा था की पूरी किताब पढ़ लो तो जरूर कुछ ना कुछ सीख जाओगे,,,।

अच्छी बात बिल्कुल भी नहीं सीख पाएगा सब गंदी बातें ही सीखेगा उससे,,,।

हां यह बात तो है,,,, लेकिन तुम्हें पढ़ते समय कुछ अजीब सा नहीं लग रहा था बदन में कुछ सरसराहट,,,,।

अरे मैं बोली तो तेरे पापा लेकर आए थे मैं पढी नहीं हूं बस तेरे पापा की याद में उसे रखे रह गई।

अच्छा हुआ रखे रह गई वरना मुझे पता भी नहीं चलता कि इस तरह की भी किताबें मिलती हैं,,,।

चल अब रहने दे इस तरह की किताब खरीद कर मत लाना,,,।

मुझे क्या मालूम कहां मिलती है तुम्हें मालूम है कहां मिलती है,,,,।

मैं क्या जानू इस तरह की किताब कभी खरीदी हूं क्या,,,,!(इस तरह की बातें करते हुए सुगंधा कपड़ों को धो धो कर अपने हाथ में लेकर थोड़ा ऊपर उठा देती थी जिसकी वजह से पानी उसके ऊपर गिरने लगता था और धीरे-धीरे उसका ब्लाउज पूरी तरह से गिला होने लगा था जिसमें से उसके स्तन एकदम साफ दिखाई दे रहे थे,,,, जो की अंकित को भी नजर आ रहा था,,, लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह थी कि सुगंधा ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं पहनी थी शायद यह कि उसकी कोई युक्ति थी जिस पर वह अमल कर रही थी और वहां युक्ति अब काम आ रही थी क्योंकि धीरे-धीरे उसकीच ब्लाउज के जिला हो जाने की वजह से पूरी तरह से उभर कर नजर आने लगी थी जिसे अंकित प्यासी नजरों से देख रहा था क्योंकि मदहोश कर देने वाली बातों से उसकी चूची के खजूर कड़क हो चुके थे और भाले की नौक की तरह ब्लाउज के बाहर आने के लिए आतुर नजर आ रहे थे। अंकित अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर पागल हुआ जा रहा था कपड़े धोने की वजह से ब्लाउज में कैद उसके दोनों कबूतर फड़फड़ा कर बाहर आने के लिए मचल रहे थे।

अब कपड़े धोते हुए अंकित अपनी मां की चूचियों की तरफ देख रहा था क्योंकि वह बेहद लुभावनी और अपनी तरफ आकर्षित कर देने वाली लग रही थीअंकित का मन कर रहा था किसी समय आगे बढ़कर ब्लाउज के ऊपर से अपनी मां के दोनों चूचियों को अपने हथेली में भर ले उसे जोर-जोर से दबाकर उनका रस मुंह में डालकर पी जाए,,,, और शायद यह संभावित अगर वह थोड़ी और हिम्मत दिखाता तो लेकिन इससे ज्यादा हिम्मत दिखाने से न जाने क्यों वह घबरा रहा था। सुगंध को भी मालूम था कि उसका बेटा उसकी चूचियों की तरफ देख रहा है जिसका ऊपरवाला बटन पहले से ही वह खोल रखी थी जिसकी बदौलतबड़ी-बड़ी चूचियों की बीच की पतली दरार एकदम साफ दिखाई दे रही थी और इस दरार की गहराई में अंकित अपनी आपको डुबो देना चाहता था। कुछ देर के लिए फिर से मां बेटे के बीच खामोशी छा गई और वह दोनों अपने आप को कपड़े धोने में व्यस्त होने का दिखावा कर रहे थे ,,, लेकिन तिरछी नजर से एक दूसरे को देख रहे थे अंकित की आंखों के सामने उसकी मां का खूबसूरत अंग पूरी तरह से उजागर और वह भी एक साथ दो दो टांगों के बीचउसकी पतली दरार साड़ियों के अंदर से एकदम साफ दिखाई दे रही थी और ब्लाउज के अंदर उसकी दोनों चूचियां गीली हो जाने की वजह से अपनी आभा को भी कह रही थी यह सब अंकित की उत्तेजना को अत्यधिक बढ़ा रहे थे वह इतना ज्यादा उत्तेजित हुआ जा रहा था कि उसे लग रहा था कि उसके लंड की नस कहीं फट ना जाए,,, मां बेटे दोनों पागल हुए जा रहे थे,,,, सुगंधा की आंखें तब फटी के फटी रह गई जबअंकित भी अपनी मां की तरह हरकत करते हो अपने दोनों टांगों को खोल दिया और उसके पेट में उसके लंड का आकार पूरी तरह सेउभरने लगा भले ही वह पूरी तरह से नंगा नहीं दिखाई दे रहा था लेकिन उसका लंड खड़ा होने की वजह से पेट के ऊपर अपनी आभा भी कह रहा था अपने होने का एहसास दिला रहा था जिसे देखकर सुगंधा की बुर उत्तेजना के मारे फुले ने पिचकने लगी थी। यह अद्भुत नजारा वाकई में सुगंधा के लिए सब्र का बांध तोड़ देने वाला लग रहा था उसका मन बेहद आतुर था अपने बेटे के लंड को नंगा देखने के लिए वह अपने बेटे के लंड को पकड़ना चाहती थी उसकी गर्मी को महसूस करना चाहती थी,,,, लेकिन कैसे उसे समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि इतना कुछदोनों के बीच हो रहा था और जिसमें वह खुद अग्रसर थी अपना अंग दिखाने में कोई कसर बाकी नहीं रख रही थी लेकिन फिर भी एक मां के चरित्र से वह बाहर नहीं आ पा रही थी इस बात का गुस्सा उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था।

मां बेटे दोनों बेकाबू हुए जा रहे थे।लेकिन पहल करने से डर रहे थे सब कुछ उनकी आंखों के सामने था वह दोनों इस बात को अच्छी तरह से जानते थे कि उन दोनों के द्वारा एक कदम आगे बढ़ने का मतलब था की जन्नत का मजा लूटना वह सुख भोगने जिसके लिए दोनों ललाईत थे,,,,और उसे सुख से दोनों एक कदम पीछे थे बस एक कदम बढ़ाने की देरी थी उनके हाथ में वह सारा सुख होता जो एक मर्द और औरत अपनी सहमति से प्राप्त करते हैं,,,धीरे-धीरे मां बेटे दोनों अपने हिस्से के कपड़े को धो चुके थे और उसे साफ पानी में धोकर एक बाल्टी में रख रहे थे,,, लेकिन अंकितउसे धुले हुए कपड़े को अपने कंधे पर रख दे रहा था क्योंकि वह भी भीगना चाहता था और आज वह अपनी मां के साथ नहाने का आनंद लेना चाहता था अपने मुंह से तो वह कुछ बोल नहीं पाया था लेकिन इशारे ही इशारे में अपनी मां को बता देना चाहता था कि वह उसके साथ नहाना चाहता है,,, शायद उसकी मां उसके इशारे को समझ गई थी इसलिए वह बोली,,,।

अंकित तू भी गीला हो गया है एक काम करना तू भी नहा लेना और वैसे भी काम करके थक गया होगा नहा लगा तो थोड़ा तरो ताजा हो जाएगा,,, हल्का महसूस करने लगेगा,,,।

ठीक है मम्मी मैं भी नहा लूंगा,,(इस बात को बोलकर वह अपने मन में सोचने लगा कि एक हल्के से ही सारे को उसकी मां समझ गई थी लेकिनजो इशारा वह बेहद गहराई से कर रहा था उसे समझ नहीं पा रही थी या ना समझने का सिर्फ नाटक कर रहे थे उसके सारे को समझ जाती तो इसी समय दोनों टांगें फैला कर उसकी बुर में अपना लंड डाल देता, देखते ही देखते मां बेटे दोनों कपड़ों को धोकर एक बाल्टी में रख चुके थे कपड़ों की सफाई हो चुकी थी,,,, और सुगंधा अपनी जगह से धीरे से उठकर खड़ी होने लगीऔर कड़ी होते समय वह थोड़ा सा आगे की तरफ झुक गई जिससे उसकी ब्लाउज में कैद दोनों चूचियां एकदम साफ नजर आने लगी अंकित फटी आंखों से अपनी मां की चूचियों को देख रहा था और यही तो सुगंधा दिखाना चाहती थी,, वह धीरे से अपनी जवानी का जलवा बिखेर कर खड़ी होते हुए बोली।)

एक काम कर अंकित जाकर तू छत पर कपड़े सूखने के लिए डाल दे अभी कड़ी धूप है जल्दी सूख जाएंगे,,,,।

ठीक है मम्मी मैं सारे कपड़े छत पर डाल देता हूं,,,,(इतना कहकर वह अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया लेकिन वह जानता था कि उसके साथ-साथ उसका लंड भी खड़ा हो जाएगा जो कि पहले से ही खड़ा था और वह अपने पेंट में बने तंबू को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं किया जिस पर उसकी मां की नजर एकदम साफ तौर पर पड़ रही थी जिसे देखकरसुगंधा की बुर पानी छोड़ रही थी वह इस कदर बहाल हुई जा रही थी कि उसका मन कर रहा था कि अपनी बुर में अपनी उंगली डालकर अपनी प्यास को बुझा ले,,,, लेकिन जैसे तैसे करके वह अपने आप पर बड़ी मुश्किल से काबू कर पाई थी और अंकित भी उसके मन में क्या चल रहा है यह सब अपनी मां के सामने दर्शाकर छत की तरफ चल दिया,,, छत पर पहुंचकर वह बाल्टी में से एक कपड़े लेकर उसे रस्सी पर टांगने लगा और अपनी मां के बारे में सोचने लगा वह अपने मन में ही बोला की मां कितनी छिनार हैवह अपनी बुर में लंड लेना चाहती है लेकिन अपने मुंह से बोल नहीं पा रही है कैसे बहाना कर करके अपनी बुर अपनी चूची दिखा रही है,,,, लेकिन फिर अपने आप पर ही गुस्सा दिखाते हुए वह बोला,,,।

साला मैं ही चुतीया हूं वह इतना इशारा कर रही है आगे बढ़ने के लिएलेकिन मैं ही हूं की हिम्मत नहीं दिखा पा रहा हूं वह तो चाहती है कि मैं उसे चोदु अपने लंड को उसकी बुर में डालु,,,, लेकिन नहीं कुछ कर नहीं पा रहा हूंएक औरत भला अपने मुंह से कैसे रहेगी कि वह चुदवाना चाहती है वह तो ईसारे से ही सब कुछ बताएगी ना,,,,, उसकी मां दूसरी औरतों की तरह तो है नहीं की सीधा जाकर मेरा लंड पकड़ लेगी और अपनी साड़ी उठाकर अपनी बर पर सटा लेगी,,,,क्योंकि वह संस्कारी और मर्यादा में रहने वाली औरत है वह तो कुछ महीनो से उसका मन भटक गया है और उसी का तो फायदा उठाना है वरना वह भी सुमन की मां की तरह होती तो शायद अब तक ना जाने कितनों से चुदवा चुकी होती,,,क्योंकि मुझे नहीं मालूम था कि वह इतनी जल्दी तैयार हो जाएगी पहली बारी में ही अपनी टांगें खोल दी मेरे लिए कास उसकी मां भी ऐसी होती तो मजा आ जाता,,, ऐसा कहते हुए वह एक-एक कपड़े रस्सी पर टांग रहा था और तभी उसके हाथ में उसकी मां की पेंटि आ गई जिसे वह अपने हाथ में लेकर पूरी तरह से मदहोश हो गया,,,, और इस दोनों हाथों में लेकर उसे अपनी नाक पर रखकर जोर से सांस खींचने लगा जैसे की अपनी ही मा की बुर सुंघ रहा हो,,,, अंकित पूरी तरह से मस्त हो चुका था और वह अपने मन में सोचने लगा कि अगर वह कुछ नहीं किया तो कहीं ऐसा ना हो कि कोई और मम्मी की चुदाई करने लगे क्योंकि वह जानता था किराहुल जैसे लड़कों की कमी नहीं थी जो खुद की मां को चोद सकते हैं तो दूसरे की मां चोदने में उन्हें कौन सा समय लगेगा,,,, यही सोच कर वह पेंटी को भी रस्सी के ऊपर डाल दिया और बाल्टी लेकर नीचे आ गया,,,, और बाती लेकर घर के पीछे की तरफ जाने लगा जहां उसकी मां नानी की तैयारी कर रही थी लेकिन जैसे ही उसकी नजर अपनी मां पर पड़ी वह फटी आंखों से अपनी मां को देखता ही रह गया।
Bhai maza aa gaya, awesome
 

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अंकित के हाथ में उसकी मां की पेंटि आ चुकी थीऔर यह सुगंधा देख चुकी थी सुगंध बड़े प्यार से अपनी टांगें चौड़ी करके साड़ी के अंदर से अपने बेटे को अपनी बुरे दिख रही थी उसकी झलक जाकर अंकित पागल हुआ जा रहा था,,,एक तरफ उसकी मां की जवानी उसे पूरी तरह से परेशान की हुई थी और दूसरी तरफ उसके हाथ में उसकी मां की पेंटी आ चुकी थी,,,, और वह एकदम से उसे पेंटि को अपने हाथ में लेकर देखने लगा,,, मानो के जैसे उसके हाथ में उसकी मां की पेंटी नहीं बल्कि उसकी बुर आ गई हो,,, उसका दिल जोरो से धड़क रहा था और यही हाल सुगंधा का भी था सुगंधा कपड़े धोते हुए टांगे चोरी करके अपने बेटे को अपनी बुर की झलक दिखाते हुए तिरछी नजर से अपने बेटे को देख रही थी उसके चेहरे पर बदलते हाव भाव को देखकर प्रसन्न हो रही थी। वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसके बेटे के हाथ में उसकी पसंदीदा चीज आ गई है,,,,।

अंकित मदहोशी में अपनी मां की पेटी पर जोर-जोर से साबुन लगाकर उसे मरोड़ मरोड़ कर दो रहा था यह देखकर उसकी मां एकदम से बोली,,,।

अरे अरे बेटा यह क्या कर रहा है इतनी जोर-जोर से नहीं कहीं मेरी फट गई तो,,,।

तुम्हारी इतनी कमजोर थोड़ी है मम्मी की थोड़ा सा दम दिखाने पर पड़ जाएगी मैं जानता हूं इसमें बहुत दम है चाहे जितना भी रगड़ो बिल्कुल भी नहीं फटेगी,,,(साड़ी के अंदर अपनी मां की बुर को देखते हुए अंकित बोल उसकी बात सुनकर सुगंधा मन ही मन मुस्कुराने लगी क्योंकि वह अपने बेटे सेदो अर्थों में बात कर रही थी और उसका बेटा भी उसकी बात को शायद समझ गया था तभी वह भी उसके ही जुबान में उसे जवाब दे रहा था,,,)

अरे मैं जानती हूं कि बहुत मजबूत है लेकिन एकदम मखमल की तरह है थोड़ा प्यार से,,, अभी इसे बहुत चलाना है,,,,।

चलाना है तो इसे उपयोग में लिया करो नहीं तो पड़े पड़े ही फट जाएगी ऐसा लग रहा है कि जैसे बरसों गुजर गए इसका उपयोग नहीं कि हो,,,,(अंकित अपनी मां की बुर को देखते हुए दो अर्थ में बात करते हुए बोला,,,,अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा शर्म से पानी पानी होने लगी वह समझ गई कि उसका बेटा किस बारे में बात कर रहा है वाकई में बरसों गुजर गए थे उसने अपनी बुर को पेशाब करने के सिवा और कोई काम में नहीं ली थी,,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपने बेटे की बात का क्या जवाब दें लेकिन फिर भी वह बेहद सोच समझ कर जवाब देते हुए बोली,,)

क्या करूं बेटा यह तो मेरी सबसे पसंदीदा चीज है लेकिन कभी ऐसा मौका ही नहीं आया कि इसका उपयोग कर सकूं इसलिए यह बीना उपयोग किए पड़ी की पड़ी रह गई,,,,।

ऐसा बिल्कुल भी नहीं है मम्मी उपयोग करने के लिए अपने मन को मनाना पड़ता है अपने मन को मना लोगी तो अपने आप मौका निकल आएगा उपयोग करने के लिए,,,।

बात तो सही कह रहा है मैंने कभी अपने मन को मनाए ही नहीं लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि बहुत ही जल्दी इसका उपयोग होने वाला है नहीं तो सच में बिना उपयोग किया ही खराब हो जाएगी कोई काम के नहीं रह जाएगी,,,।

बहुत समझदार हो बहुत जल्दी समझ गई,,,,,(पेंटी को अच्छे से साबुन लगा लगा कर धोने के बाद उसे पास में पड़ी बाल्टी में रखते हुए वह बोला,,,, इस अद्भुत दो अर्थ वाली मदहोशी भरी वार्तालाप से मां बेटे दोनों की हालत खराब हो चुकी थी अंकित का लंड पूरे बहार में खिला हुआ था और सुगंधा की बुर उत्तेजना के मारे कचोरी की तरह फूल गई थी,,, जो कि इस समय अंकित को एकदम साफ दिखाई दे रही थी अंकित कोयह भी दिखाई दे रहा था कि उसकी मां की बुर पानी छोड़ रही थी और पानी से लबालब भरी हुई थी उसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था और वह अपने होंठ लगाकर अपनी मां के नमकीन रस को पी जाना चाहता था।वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां की कचोरी जैसी खुली हुई बुर में उसका मोटा तगड़ा मुसल जाएगा तो वाकई में उसकी मां की बुर फट जाएगी,,,, शायद इस बात को उसकी मां भी समझ रही थी दोनों की बातें बेहद मदहोशी भरी थी,,,।

पेटी को धो लेने के बाद,,, अंकित फिर से कपड़ों के देर में से अपनी मां की ब्रा निकाला जिसे वह देख लिया था और उसे धोने लगावह ब्रा को अच्छी तरह से जमीन पर फैला कर उसके दोनों कप को साबुन लगा लगाकर साफ कर रहा था और अपनी हथेली में उसे कब को दबोच भी ले रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह ब्रा नहीं बल्कि उसकी मां की चूची हो यह देखकर उसकी मां की बुर पानी छोड़ रही थी,,, उससे रहा नहीं गया और वह अपने बेटे की हरकत को देखकर बोली,,,,।

अरे उसके अंदर कुछ भी नहीं जो हथेली में लेकर दबा रहा है,,,,,(सुगंधा अच्छी तरह से जानती थी कि उसके कहने का मतलब उसका बेटा अच्छी तरह से समझ जाएगा इसलिए उसकी बात सुनते ही अंकित अपनी नजर ऊपर उठाकर बोला,,,,)

मैं जानता हूं मम्मी की इसमें चुची नहीं है,,,(चुची शब्द अंकित एकदम से खुलकर बोल गया था,,, क्योंकि वह समझ गया था कि उसकी मां पूरी तरह से बेशर्म बन चुकी है,,,,) मैं तो बस अच्छी तरह से इसकी सफाई कर रहा हूं लेकिन मैंने कभी भी तुम्हें यह पहने हुए नहीं देखा,,,,.

अब क्या तुझे दिखा दिखा कर पहनूंगी,,,।

नहीं ऐसी बात नहीं है लेकिन फिर भी सूखे हुए कपड़ों में दिखाई देता है और इस पर मेरी नजर कभी नहीं पड़ी,,,।

बाप रे तो क्या तू सूखे हुए कपड़ों में यही सब ढूंढता रहता है,,,।

अरे मम्मी ऐसा नहीं है कपड़े सूखने के लिए पड़े रहते हैं और जब शाम को हमने कभी उतारने जाता हूं तो हर एक कपड़ा हाथ में आता है तो दिखाई तो देता है ना और इस तरह का कपड़ा कभी मेरे हाथ में नहीं आया,,,,।

बात तो तू सही कह रहा है ,,, ऐसे में पहनती नहीं हूं यह तो अलमारी में से निकली है इसलिए धोने के लिए रख दी,,,,।(कपड़े धोते हुए सुगंधा बोली,,,)

लेकिन मम्मी ब्रा बहुत खूबसूरत लग रही है,,, तुम्हारे ऊपर बहुत खूबसूरत लगेगी,,,,।

चल रहने दे इसका साइज छोटा है मुझे ठीक से हो नहीं पाएगी,,,।

तब तो और ज्यादा अच्छा लगेगा,,, क्योंकितुम्हारी उसकी साइज से कम साइज की ब्रा पहनोगी तो एकदम ज्यादा बड़ी लगेगी,,,, (मौके की नजाकत को समझते हुए अंकित अपनी बेशर्मी पर उतर आया था और उसे इस तरह की बातें करने में मजा भी आ रहा था उसकी मां उसके मुंह से इस तरह की बात सुनकर एकदम से सन्न रह गई थी,,, और अाश्चय्र से अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली,,,)

दैया रे दैया यह सब कहां से सीख गया तू किसका देख लिया,,,।

तुम्हारी अलमारी से जो किताब निकाली थी ना उसमें इस तरह का चित्र देखा था जिसमें उसे औरत ने काम साइज के ब्रा पहनी थी और उसकी दोनों गोलाई एकदम बड़ी-बड़ी लग रही थी। उसे देखकर मुझे लग रहा है कि तुम पर भी कम साइज की ब्रा अच्छी लगेगी,,,,।

बाप रे इतनी जल्दी तू यह सब सीख गया तुझे वह किताब पढ़ने के लिए देना ही नहीं चाहिए था,,,,पता नहीं उस किताब के जरिए तु क्या-क्या सीख जाएगा,,,,।

सच में मम्मी किताब की बड़ी दिलचस्प पढ़ने में तो मेरी हालत खराब हो गई थी,,,,,और वैसे भी ऐसा लग रहा था की पूरी किताब पढ़ लो तो जरूर कुछ ना कुछ सीख जाओगे,,,।

अच्छी बात बिल्कुल भी नहीं सीख पाएगा सब गंदी बातें ही सीखेगा उससे,,,।

हां यह बात तो है,,,, लेकिन तुम्हें पढ़ते समय कुछ अजीब सा नहीं लग रहा था बदन में कुछ सरसराहट,,,,।

अरे मैं बोली तो तेरे पापा लेकर आए थे मैं पढी नहीं हूं बस तेरे पापा की याद में उसे रखे रह गई।

अच्छा हुआ रखे रह गई वरना मुझे पता भी नहीं चलता कि इस तरह की भी किताबें मिलती हैं,,,।

चल अब रहने दे इस तरह की किताब खरीद कर मत लाना,,,।

मुझे क्या मालूम कहां मिलती है तुम्हें मालूम है कहां मिलती है,,,,।

मैं क्या जानू इस तरह की किताब कभी खरीदी हूं क्या,,,,!(इस तरह की बातें करते हुए सुगंधा कपड़ों को धो धो कर अपने हाथ में लेकर थोड़ा ऊपर उठा देती थी जिसकी वजह से पानी उसके ऊपर गिरने लगता था और धीरे-धीरे उसका ब्लाउज पूरी तरह से गिला होने लगा था जिसमें से उसके स्तन एकदम साफ दिखाई दे रहे थे,,,, जो की अंकित को भी नजर आ रहा था,,, लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह थी कि सुगंधा ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं पहनी थी शायद यह कि उसकी कोई युक्ति थी जिस पर वह अमल कर रही थी और वहां युक्ति अब काम आ रही थी क्योंकि धीरे-धीरे उसकीच ब्लाउज के जिला हो जाने की वजह से पूरी तरह से उभर कर नजर आने लगी थी जिसे अंकित प्यासी नजरों से देख रहा था क्योंकि मदहोश कर देने वाली बातों से उसकी चूची के खजूर कड़क हो चुके थे और भाले की नौक की तरह ब्लाउज के बाहर आने के लिए आतुर नजर आ रहे थे। अंकित अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर पागल हुआ जा रहा था कपड़े धोने की वजह से ब्लाउज में कैद उसके दोनों कबूतर फड़फड़ा कर बाहर आने के लिए मचल रहे थे।

अब कपड़े धोते हुए अंकित अपनी मां की चूचियों की तरफ देख रहा था क्योंकि वह बेहद लुभावनी और अपनी तरफ आकर्षित कर देने वाली लग रही थीअंकित का मन कर रहा था किसी समय आगे बढ़कर ब्लाउज के ऊपर से अपनी मां के दोनों चूचियों को अपने हथेली में भर ले उसे जोर-जोर से दबाकर उनका रस मुंह में डालकर पी जाए,,,, और शायद यह संभावित अगर वह थोड़ी और हिम्मत दिखाता तो लेकिन इससे ज्यादा हिम्मत दिखाने से न जाने क्यों वह घबरा रहा था। सुगंध को भी मालूम था कि उसका बेटा उसकी चूचियों की तरफ देख रहा है जिसका ऊपरवाला बटन पहले से ही वह खोल रखी थी जिसकी बदौलतबड़ी-बड़ी चूचियों की बीच की पतली दरार एकदम साफ दिखाई दे रही थी और इस दरार की गहराई में अंकित अपनी आपको डुबो देना चाहता था। कुछ देर के लिए फिर से मां बेटे के बीच खामोशी छा गई और वह दोनों अपने आप को कपड़े धोने में व्यस्त होने का दिखावा कर रहे थे ,,, लेकिन तिरछी नजर से एक दूसरे को देख रहे थे अंकित की आंखों के सामने उसकी मां का खूबसूरत अंग पूरी तरह से उजागर और वह भी एक साथ दो दो टांगों के बीचउसकी पतली दरार साड़ियों के अंदर से एकदम साफ दिखाई दे रही थी और ब्लाउज के अंदर उसकी दोनों चूचियां गीली हो जाने की वजह से अपनी आभा को भी कह रही थी यह सब अंकित की उत्तेजना को अत्यधिक बढ़ा रहे थे वह इतना ज्यादा उत्तेजित हुआ जा रहा था कि उसे लग रहा था कि उसके लंड की नस कहीं फट ना जाए,,, मां बेटे दोनों पागल हुए जा रहे थे,,,, सुगंधा की आंखें तब फटी के फटी रह गई जबअंकित भी अपनी मां की तरह हरकत करते हो अपने दोनों टांगों को खोल दिया और उसके पेट में उसके लंड का आकार पूरी तरह सेउभरने लगा भले ही वह पूरी तरह से नंगा नहीं दिखाई दे रहा था लेकिन उसका लंड खड़ा होने की वजह से पेट के ऊपर अपनी आभा भी कह रहा था अपने होने का एहसास दिला रहा था जिसे देखकर सुगंधा की बुर उत्तेजना के मारे फुले ने पिचकने लगी थी। यह अद्भुत नजारा वाकई में सुगंधा के लिए सब्र का बांध तोड़ देने वाला लग रहा था उसका मन बेहद आतुर था अपने बेटे के लंड को नंगा देखने के लिए वह अपने बेटे के लंड को पकड़ना चाहती थी उसकी गर्मी को महसूस करना चाहती थी,,,, लेकिन कैसे उसे समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि इतना कुछदोनों के बीच हो रहा था और जिसमें वह खुद अग्रसर थी अपना अंग दिखाने में कोई कसर बाकी नहीं रख रही थी लेकिन फिर भी एक मां के चरित्र से वह बाहर नहीं आ पा रही थी इस बात का गुस्सा उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था।

मां बेटे दोनों बेकाबू हुए जा रहे थे।लेकिन पहल करने से डर रहे थे सब कुछ उनकी आंखों के सामने था वह दोनों इस बात को अच्छी तरह से जानते थे कि उन दोनों के द्वारा एक कदम आगे बढ़ने का मतलब था की जन्नत का मजा लूटना वह सुख भोगने जिसके लिए दोनों ललाईत थे,,,,और उसे सुख से दोनों एक कदम पीछे थे बस एक कदम बढ़ाने की देरी थी उनके हाथ में वह सारा सुख होता जो एक मर्द और औरत अपनी सहमति से प्राप्त करते हैं,,,धीरे-धीरे मां बेटे दोनों अपने हिस्से के कपड़े को धो चुके थे और उसे साफ पानी में धोकर एक बाल्टी में रख रहे थे,,, लेकिन अंकितउसे धुले हुए कपड़े को अपने कंधे पर रख दे रहा था क्योंकि वह भी भीगना चाहता था और आज वह अपनी मां के साथ नहाने का आनंद लेना चाहता था अपने मुंह से तो वह कुछ बोल नहीं पाया था लेकिन इशारे ही इशारे में अपनी मां को बता देना चाहता था कि वह उसके साथ नहाना चाहता है,,, शायद उसकी मां उसके इशारे को समझ गई थी इसलिए वह बोली,,,।

अंकित तू भी गीला हो गया है एक काम करना तू भी नहा लेना और वैसे भी काम करके थक गया होगा नहा लगा तो थोड़ा तरो ताजा हो जाएगा,,, हल्का महसूस करने लगेगा,,,।

ठीक है मम्मी मैं भी नहा लूंगा,,(इस बात को बोलकर वह अपने मन में सोचने लगा कि एक हल्के से ही सारे को उसकी मां समझ गई थी लेकिनजो इशारा वह बेहद गहराई से कर रहा था उसे समझ नहीं पा रही थी या ना समझने का सिर्फ नाटक कर रहे थे उसके सारे को समझ जाती तो इसी समय दोनों टांगें फैला कर उसकी बुर में अपना लंड डाल देता, देखते ही देखते मां बेटे दोनों कपड़ों को धोकर एक बाल्टी में रख चुके थे कपड़ों की सफाई हो चुकी थी,,,, और सुगंधा अपनी जगह से धीरे से उठकर खड़ी होने लगीऔर कड़ी होते समय वह थोड़ा सा आगे की तरफ झुक गई जिससे उसकी ब्लाउज में कैद दोनों चूचियां एकदम साफ नजर आने लगी अंकित फटी आंखों से अपनी मां की चूचियों को देख रहा था और यही तो सुगंधा दिखाना चाहती थी,, वह धीरे से अपनी जवानी का जलवा बिखेर कर खड़ी होते हुए बोली।)

एक काम कर अंकित जाकर तू छत पर कपड़े सूखने के लिए डाल दे अभी कड़ी धूप है जल्दी सूख जाएंगे,,,,।

ठीक है मम्मी मैं सारे कपड़े छत पर डाल देता हूं,,,,(इतना कहकर वह अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया लेकिन वह जानता था कि उसके साथ-साथ उसका लंड भी खड़ा हो जाएगा जो कि पहले से ही खड़ा था और वह अपने पेंट में बने तंबू को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं किया जिस पर उसकी मां की नजर एकदम साफ तौर पर पड़ रही थी जिसे देखकरसुगंधा की बुर पानी छोड़ रही थी वह इस कदर बहाल हुई जा रही थी कि उसका मन कर रहा था कि अपनी बुर में अपनी उंगली डालकर अपनी प्यास को बुझा ले,,,, लेकिन जैसे तैसे करके वह अपने आप पर बड़ी मुश्किल से काबू कर पाई थी और अंकित भी उसके मन में क्या चल रहा है यह सब अपनी मां के सामने दर्शाकर छत की तरफ चल दिया,,, छत पर पहुंचकर वह बाल्टी में से एक कपड़े लेकर उसे रस्सी पर टांगने लगा और अपनी मां के बारे में सोचने लगा वह अपने मन में ही बोला की मां कितनी छिनार हैवह अपनी बुर में लंड लेना चाहती है लेकिन अपने मुंह से बोल नहीं पा रही है कैसे बहाना कर करके अपनी बुर अपनी चूची दिखा रही है,,,, लेकिन फिर अपने आप पर ही गुस्सा दिखाते हुए वह बोला,,,।

साला मैं ही चुतीया हूं वह इतना इशारा कर रही है आगे बढ़ने के लिएलेकिन मैं ही हूं की हिम्मत नहीं दिखा पा रहा हूं वह तो चाहती है कि मैं उसे चोदु अपने लंड को उसकी बुर में डालु,,,, लेकिन नहीं कुछ कर नहीं पा रहा हूंएक औरत भला अपने मुंह से कैसे रहेगी कि वह चुदवाना चाहती है वह तो ईसारे से ही सब कुछ बताएगी ना,,,,, उसकी मां दूसरी औरतों की तरह तो है नहीं की सीधा जाकर मेरा लंड पकड़ लेगी और अपनी साड़ी उठाकर अपनी बर पर सटा लेगी,,,,क्योंकि वह संस्कारी और मर्यादा में रहने वाली औरत है वह तो कुछ महीनो से उसका मन भटक गया है और उसी का तो फायदा उठाना है वरना वह भी सुमन की मां की तरह होती तो शायद अब तक ना जाने कितनों से चुदवा चुकी होती,,,क्योंकि मुझे नहीं मालूम था कि वह इतनी जल्दी तैयार हो जाएगी पहली बारी में ही अपनी टांगें खोल दी मेरे लिए कास उसकी मां भी ऐसी होती तो मजा आ जाता,,, ऐसा कहते हुए वह एक-एक कपड़े रस्सी पर टांग रहा था और तभी उसके हाथ में उसकी मां की पेंटि आ गई जिसे वह अपने हाथ में लेकर पूरी तरह से मदहोश हो गया,,,, और इस दोनों हाथों में लेकर उसे अपनी नाक पर रखकर जोर से सांस खींचने लगा जैसे की अपनी ही मा की बुर सुंघ रहा हो,,,, अंकित पूरी तरह से मस्त हो चुका था और वह अपने मन में सोचने लगा कि अगर वह कुछ नहीं किया तो कहीं ऐसा ना हो कि कोई और मम्मी की चुदाई करने लगे क्योंकि वह जानता था किराहुल जैसे लड़कों की कमी नहीं थी जो खुद की मां को चोद सकते हैं तो दूसरे की मां चोदने में उन्हें कौन सा समय लगेगा,,,, यही सोच कर वह पेंटी को भी रस्सी के ऊपर डाल दिया और बाल्टी लेकर नीचे आ गया,,,, और बाती लेकर घर के पीछे की तरफ जाने लगा जहां उसकी मां नानी की तैयारी कर रही थी लेकिन जैसे ही उसकी नजर अपनी मां पर पड़ी वह फटी आंखों से अपनी मां को देखता ही रह गया।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
कपडे धोते समय माँ और बेटे के बीच का कामुक संवाद खासकर पेंटी और ब्रा के बारें में बहुत ही जबरदस्त और मदमस्त करने वाला हैं
अब अंकित ने अपनी माँ को कौनसी अवस्था में देख लिया की वो अचंबित हो गया
और क्या उस अवस्था को देखकर दोनों आगे बढ कर अपना प्रथम मिलन करेगे
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

barivora

JoJo
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Ye jo story hai iska original wala kon kon read kiye ho ? usme simple maa bete ka akarshana tha or hero ki maa ke life me ek mistake ho gaya tha, jo ek badmas ladke ke sath ek bar phisical hua. Usne bar bar phisical hone ke liye blackmail kiya or hero ne maa ko bacha ne ke liye us ladke ki bhabhi ke sath hero sex karke uska video nikal ta hai or us video ko badmas ladke ko dikhake raste se hata deta hai. Yanha pe writer bhai ne kya kiya!! Story ko novel jesa khich raha hai. Ye plot toh kuch or matlab horror ya detective crime jesi story pe hona chahiye
 

Raja jani

आवारा बादल
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Ye jo story hai iska original wala kon kon read kiye ho ? usme simple maa bete ka akarshana tha or hero ki maa ke life me ek mistake ho gaya tha, jo ek badmas ladke ke sath ek bar phisical hua. Usne bar bar phisical hone ke liye blackmail kiya or hero ne maa ko bacha ne ke liye us ladke ki bhabhi ke sath hero sex karke uska video nikal ta hai or us video ko badmas ladke ko dikhake raste se hata deta hai. Yanha pe writer bhai ne kya kiya!! Story ko novel jesa khich raha hai. Ye plot toh kuch or matlab horror ya detective crime jesi story pe hona chahiye
jo hota hai ho jAne do
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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अंकित के हाथ में उसकी मां की पेंटि आ चुकी थीऔर यह सुगंधा देख चुकी थी सुगंध बड़े प्यार से अपनी टांगें चौड़ी करके साड़ी के अंदर से अपने बेटे को अपनी बुरे दिख रही थी उसकी झलक जाकर अंकित पागल हुआ जा रहा था,,,एक तरफ उसकी मां की जवानी उसे पूरी तरह से परेशान की हुई थी और दूसरी तरफ उसके हाथ में उसकी मां की पेंटी आ चुकी थी,,,, और वह एकदम से उसे पेंटि को अपने हाथ में लेकर देखने लगा,,, मानो के जैसे उसके हाथ में उसकी मां की पेंटी नहीं बल्कि उसकी बुर आ गई हो,,, उसका दिल जोरो से धड़क रहा था और यही हाल सुगंधा का भी था सुगंधा कपड़े धोते हुए टांगे चोरी करके अपने बेटे को अपनी बुर की झलक दिखाते हुए तिरछी नजर से अपने बेटे को देख रही थी उसके चेहरे पर बदलते हाव भाव को देखकर प्रसन्न हो रही थी। वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसके बेटे के हाथ में उसकी पसंदीदा चीज आ गई है,,,,।

अंकित मदहोशी में अपनी मां की पेटी पर जोर-जोर से साबुन लगाकर उसे मरोड़ मरोड़ कर दो रहा था यह देखकर उसकी मां एकदम से बोली,,,।

अरे अरे बेटा यह क्या कर रहा है इतनी जोर-जोर से नहीं कहीं मेरी फट गई तो,,,।

तुम्हारी इतनी कमजोर थोड़ी है मम्मी की थोड़ा सा दम दिखाने पर पड़ जाएगी मैं जानता हूं इसमें बहुत दम है चाहे जितना भी रगड़ो बिल्कुल भी नहीं फटेगी,,,(साड़ी के अंदर अपनी मां की बुर को देखते हुए अंकित बोल उसकी बात सुनकर सुगंधा मन ही मन मुस्कुराने लगी क्योंकि वह अपने बेटे सेदो अर्थों में बात कर रही थी और उसका बेटा भी उसकी बात को शायद समझ गया था तभी वह भी उसके ही जुबान में उसे जवाब दे रहा था,,,)

अरे मैं जानती हूं कि बहुत मजबूत है लेकिन एकदम मखमल की तरह है थोड़ा प्यार से,,, अभी इसे बहुत चलाना है,,,,।

चलाना है तो इसे उपयोग में लिया करो नहीं तो पड़े पड़े ही फट जाएगी ऐसा लग रहा है कि जैसे बरसों गुजर गए इसका उपयोग नहीं कि हो,,,,(अंकित अपनी मां की बुर को देखते हुए दो अर्थ में बात करते हुए बोला,,,,अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा शर्म से पानी पानी होने लगी वह समझ गई कि उसका बेटा किस बारे में बात कर रहा है वाकई में बरसों गुजर गए थे उसने अपनी बुर को पेशाब करने के सिवा और कोई काम में नहीं ली थी,,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपने बेटे की बात का क्या जवाब दें लेकिन फिर भी वह बेहद सोच समझ कर जवाब देते हुए बोली,,)

क्या करूं बेटा यह तो मेरी सबसे पसंदीदा चीज है लेकिन कभी ऐसा मौका ही नहीं आया कि इसका उपयोग कर सकूं इसलिए यह बीना उपयोग किए पड़ी की पड़ी रह गई,,,,।

ऐसा बिल्कुल भी नहीं है मम्मी उपयोग करने के लिए अपने मन को मनाना पड़ता है अपने मन को मना लोगी तो अपने आप मौका निकल आएगा उपयोग करने के लिए,,,।

बात तो सही कह रहा है मैंने कभी अपने मन को मनाए ही नहीं लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि बहुत ही जल्दी इसका उपयोग होने वाला है नहीं तो सच में बिना उपयोग किया ही खराब हो जाएगी कोई काम के नहीं रह जाएगी,,,।

बहुत समझदार हो बहुत जल्दी समझ गई,,,,,(पेंटी को अच्छे से साबुन लगा लगा कर धोने के बाद उसे पास में पड़ी बाल्टी में रखते हुए वह बोला,,,, इस अद्भुत दो अर्थ वाली मदहोशी भरी वार्तालाप से मां बेटे दोनों की हालत खराब हो चुकी थी अंकित का लंड पूरे बहार में खिला हुआ था और सुगंधा की बुर उत्तेजना के मारे कचोरी की तरह फूल गई थी,,, जो कि इस समय अंकित को एकदम साफ दिखाई दे रही थी अंकित कोयह भी दिखाई दे रहा था कि उसकी मां की बुर पानी छोड़ रही थी और पानी से लबालब भरी हुई थी उसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था और वह अपने होंठ लगाकर अपनी मां के नमकीन रस को पी जाना चाहता था।वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां की कचोरी जैसी खुली हुई बुर में उसका मोटा तगड़ा मुसल जाएगा तो वाकई में उसकी मां की बुर फट जाएगी,,,, शायद इस बात को उसकी मां भी समझ रही थी दोनों की बातें बेहद मदहोशी भरी थी,,,।

पेटी को धो लेने के बाद,,, अंकित फिर से कपड़ों के देर में से अपनी मां की ब्रा निकाला जिसे वह देख लिया था और उसे धोने लगावह ब्रा को अच्छी तरह से जमीन पर फैला कर उसके दोनों कप को साबुन लगा लगाकर साफ कर रहा था और अपनी हथेली में उसे कब को दबोच भी ले रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह ब्रा नहीं बल्कि उसकी मां की चूची हो यह देखकर उसकी मां की बुर पानी छोड़ रही थी,,, उससे रहा नहीं गया और वह अपने बेटे की हरकत को देखकर बोली,,,,।

अरे उसके अंदर कुछ भी नहीं जो हथेली में लेकर दबा रहा है,,,,,(सुगंधा अच्छी तरह से जानती थी कि उसके कहने का मतलब उसका बेटा अच्छी तरह से समझ जाएगा इसलिए उसकी बात सुनते ही अंकित अपनी नजर ऊपर उठाकर बोला,,,,)

मैं जानता हूं मम्मी की इसमें चुची नहीं है,,,(चुची शब्द अंकित एकदम से खुलकर बोल गया था,,, क्योंकि वह समझ गया था कि उसकी मां पूरी तरह से बेशर्म बन चुकी है,,,,) मैं तो बस अच्छी तरह से इसकी सफाई कर रहा हूं लेकिन मैंने कभी भी तुम्हें यह पहने हुए नहीं देखा,,,,.

अब क्या तुझे दिखा दिखा कर पहनूंगी,,,।

नहीं ऐसी बात नहीं है लेकिन फिर भी सूखे हुए कपड़ों में दिखाई देता है और इस पर मेरी नजर कभी नहीं पड़ी,,,।

बाप रे तो क्या तू सूखे हुए कपड़ों में यही सब ढूंढता रहता है,,,।

अरे मम्मी ऐसा नहीं है कपड़े सूखने के लिए पड़े रहते हैं और जब शाम को हमने कभी उतारने जाता हूं तो हर एक कपड़ा हाथ में आता है तो दिखाई तो देता है ना और इस तरह का कपड़ा कभी मेरे हाथ में नहीं आया,,,,।

बात तो तू सही कह रहा है ,,, ऐसे में पहनती नहीं हूं यह तो अलमारी में से निकली है इसलिए धोने के लिए रख दी,,,,।(कपड़े धोते हुए सुगंधा बोली,,,)

लेकिन मम्मी ब्रा बहुत खूबसूरत लग रही है,,, तुम्हारे ऊपर बहुत खूबसूरत लगेगी,,,,।

चल रहने दे इसका साइज छोटा है मुझे ठीक से हो नहीं पाएगी,,,।

तब तो और ज्यादा अच्छा लगेगा,,, क्योंकितुम्हारी उसकी साइज से कम साइज की ब्रा पहनोगी तो एकदम ज्यादा बड़ी लगेगी,,,, (मौके की नजाकत को समझते हुए अंकित अपनी बेशर्मी पर उतर आया था और उसे इस तरह की बातें करने में मजा भी आ रहा था उसकी मां उसके मुंह से इस तरह की बात सुनकर एकदम से सन्न रह गई थी,,, और अाश्चय्र से अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली,,,)

दैया रे दैया यह सब कहां से सीख गया तू किसका देख लिया,,,।

तुम्हारी अलमारी से जो किताब निकाली थी ना उसमें इस तरह का चित्र देखा था जिसमें उसे औरत ने काम साइज के ब्रा पहनी थी और उसकी दोनों गोलाई एकदम बड़ी-बड़ी लग रही थी। उसे देखकर मुझे लग रहा है कि तुम पर भी कम साइज की ब्रा अच्छी लगेगी,,,,।

बाप रे इतनी जल्दी तू यह सब सीख गया तुझे वह किताब पढ़ने के लिए देना ही नहीं चाहिए था,,,,पता नहीं उस किताब के जरिए तु क्या-क्या सीख जाएगा,,,,।

सच में मम्मी किताब की बड़ी दिलचस्प पढ़ने में तो मेरी हालत खराब हो गई थी,,,,,और वैसे भी ऐसा लग रहा था की पूरी किताब पढ़ लो तो जरूर कुछ ना कुछ सीख जाओगे,,,।

अच्छी बात बिल्कुल भी नहीं सीख पाएगा सब गंदी बातें ही सीखेगा उससे,,,।

हां यह बात तो है,,,, लेकिन तुम्हें पढ़ते समय कुछ अजीब सा नहीं लग रहा था बदन में कुछ सरसराहट,,,,।

अरे मैं बोली तो तेरे पापा लेकर आए थे मैं पढी नहीं हूं बस तेरे पापा की याद में उसे रखे रह गई।

अच्छा हुआ रखे रह गई वरना मुझे पता भी नहीं चलता कि इस तरह की भी किताबें मिलती हैं,,,।

चल अब रहने दे इस तरह की किताब खरीद कर मत लाना,,,।

मुझे क्या मालूम कहां मिलती है तुम्हें मालूम है कहां मिलती है,,,,।

मैं क्या जानू इस तरह की किताब कभी खरीदी हूं क्या,,,,!(इस तरह की बातें करते हुए सुगंधा कपड़ों को धो धो कर अपने हाथ में लेकर थोड़ा ऊपर उठा देती थी जिसकी वजह से पानी उसके ऊपर गिरने लगता था और धीरे-धीरे उसका ब्लाउज पूरी तरह से गिला होने लगा था जिसमें से उसके स्तन एकदम साफ दिखाई दे रहे थे,,,, जो की अंकित को भी नजर आ रहा था,,, लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह थी कि सुगंधा ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं पहनी थी शायद यह कि उसकी कोई युक्ति थी जिस पर वह अमल कर रही थी और वहां युक्ति अब काम आ रही थी क्योंकि धीरे-धीरे उसकीच ब्लाउज के जिला हो जाने की वजह से पूरी तरह से उभर कर नजर आने लगी थी जिसे अंकित प्यासी नजरों से देख रहा था क्योंकि मदहोश कर देने वाली बातों से उसकी चूची के खजूर कड़क हो चुके थे और भाले की नौक की तरह ब्लाउज के बाहर आने के लिए आतुर नजर आ रहे थे। अंकित अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर पागल हुआ जा रहा था कपड़े धोने की वजह से ब्लाउज में कैद उसके दोनों कबूतर फड़फड़ा कर बाहर आने के लिए मचल रहे थे।

अब कपड़े धोते हुए अंकित अपनी मां की चूचियों की तरफ देख रहा था क्योंकि वह बेहद लुभावनी और अपनी तरफ आकर्षित कर देने वाली लग रही थीअंकित का मन कर रहा था किसी समय आगे बढ़कर ब्लाउज के ऊपर से अपनी मां के दोनों चूचियों को अपने हथेली में भर ले उसे जोर-जोर से दबाकर उनका रस मुंह में डालकर पी जाए,,,, और शायद यह संभावित अगर वह थोड़ी और हिम्मत दिखाता तो लेकिन इससे ज्यादा हिम्मत दिखाने से न जाने क्यों वह घबरा रहा था। सुगंध को भी मालूम था कि उसका बेटा उसकी चूचियों की तरफ देख रहा है जिसका ऊपरवाला बटन पहले से ही वह खोल रखी थी जिसकी बदौलतबड़ी-बड़ी चूचियों की बीच की पतली दरार एकदम साफ दिखाई दे रही थी और इस दरार की गहराई में अंकित अपनी आपको डुबो देना चाहता था। कुछ देर के लिए फिर से मां बेटे के बीच खामोशी छा गई और वह दोनों अपने आप को कपड़े धोने में व्यस्त होने का दिखावा कर रहे थे ,,, लेकिन तिरछी नजर से एक दूसरे को देख रहे थे अंकित की आंखों के सामने उसकी मां का खूबसूरत अंग पूरी तरह से उजागर और वह भी एक साथ दो दो टांगों के बीचउसकी पतली दरार साड़ियों के अंदर से एकदम साफ दिखाई दे रही थी और ब्लाउज के अंदर उसकी दोनों चूचियां गीली हो जाने की वजह से अपनी आभा को भी कह रही थी यह सब अंकित की उत्तेजना को अत्यधिक बढ़ा रहे थे वह इतना ज्यादा उत्तेजित हुआ जा रहा था कि उसे लग रहा था कि उसके लंड की नस कहीं फट ना जाए,,, मां बेटे दोनों पागल हुए जा रहे थे,,,, सुगंधा की आंखें तब फटी के फटी रह गई जबअंकित भी अपनी मां की तरह हरकत करते हो अपने दोनों टांगों को खोल दिया और उसके पेट में उसके लंड का आकार पूरी तरह सेउभरने लगा भले ही वह पूरी तरह से नंगा नहीं दिखाई दे रहा था लेकिन उसका लंड खड़ा होने की वजह से पेट के ऊपर अपनी आभा भी कह रहा था अपने होने का एहसास दिला रहा था जिसे देखकर सुगंधा की बुर उत्तेजना के मारे फुले ने पिचकने लगी थी। यह अद्भुत नजारा वाकई में सुगंधा के लिए सब्र का बांध तोड़ देने वाला लग रहा था उसका मन बेहद आतुर था अपने बेटे के लंड को नंगा देखने के लिए वह अपने बेटे के लंड को पकड़ना चाहती थी उसकी गर्मी को महसूस करना चाहती थी,,,, लेकिन कैसे उसे समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि इतना कुछदोनों के बीच हो रहा था और जिसमें वह खुद अग्रसर थी अपना अंग दिखाने में कोई कसर बाकी नहीं रख रही थी लेकिन फिर भी एक मां के चरित्र से वह बाहर नहीं आ पा रही थी इस बात का गुस्सा उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था।

मां बेटे दोनों बेकाबू हुए जा रहे थे।लेकिन पहल करने से डर रहे थे सब कुछ उनकी आंखों के सामने था वह दोनों इस बात को अच्छी तरह से जानते थे कि उन दोनों के द्वारा एक कदम आगे बढ़ने का मतलब था की जन्नत का मजा लूटना वह सुख भोगने जिसके लिए दोनों ललाईत थे,,,,और उसे सुख से दोनों एक कदम पीछे थे बस एक कदम बढ़ाने की देरी थी उनके हाथ में वह सारा सुख होता जो एक मर्द और औरत अपनी सहमति से प्राप्त करते हैं,,,धीरे-धीरे मां बेटे दोनों अपने हिस्से के कपड़े को धो चुके थे और उसे साफ पानी में धोकर एक बाल्टी में रख रहे थे,,, लेकिन अंकितउसे धुले हुए कपड़े को अपने कंधे पर रख दे रहा था क्योंकि वह भी भीगना चाहता था और आज वह अपनी मां के साथ नहाने का आनंद लेना चाहता था अपने मुंह से तो वह कुछ बोल नहीं पाया था लेकिन इशारे ही इशारे में अपनी मां को बता देना चाहता था कि वह उसके साथ नहाना चाहता है,,, शायद उसकी मां उसके इशारे को समझ गई थी इसलिए वह बोली,,,।

अंकित तू भी गीला हो गया है एक काम करना तू भी नहा लेना और वैसे भी काम करके थक गया होगा नहा लगा तो थोड़ा तरो ताजा हो जाएगा,,, हल्का महसूस करने लगेगा,,,।

ठीक है मम्मी मैं भी नहा लूंगा,,(इस बात को बोलकर वह अपने मन में सोचने लगा कि एक हल्के से ही सारे को उसकी मां समझ गई थी लेकिनजो इशारा वह बेहद गहराई से कर रहा था उसे समझ नहीं पा रही थी या ना समझने का सिर्फ नाटक कर रहे थे उसके सारे को समझ जाती तो इसी समय दोनों टांगें फैला कर उसकी बुर में अपना लंड डाल देता, देखते ही देखते मां बेटे दोनों कपड़ों को धोकर एक बाल्टी में रख चुके थे कपड़ों की सफाई हो चुकी थी,,,, और सुगंधा अपनी जगह से धीरे से उठकर खड़ी होने लगीऔर कड़ी होते समय वह थोड़ा सा आगे की तरफ झुक गई जिससे उसकी ब्लाउज में कैद दोनों चूचियां एकदम साफ नजर आने लगी अंकित फटी आंखों से अपनी मां की चूचियों को देख रहा था और यही तो सुगंधा दिखाना चाहती थी,, वह धीरे से अपनी जवानी का जलवा बिखेर कर खड़ी होते हुए बोली।)

एक काम कर अंकित जाकर तू छत पर कपड़े सूखने के लिए डाल दे अभी कड़ी धूप है जल्दी सूख जाएंगे,,,,।

ठीक है मम्मी मैं सारे कपड़े छत पर डाल देता हूं,,,,(इतना कहकर वह अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया लेकिन वह जानता था कि उसके साथ-साथ उसका लंड भी खड़ा हो जाएगा जो कि पहले से ही खड़ा था और वह अपने पेंट में बने तंबू को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं किया जिस पर उसकी मां की नजर एकदम साफ तौर पर पड़ रही थी जिसे देखकरसुगंधा की बुर पानी छोड़ रही थी वह इस कदर बहाल हुई जा रही थी कि उसका मन कर रहा था कि अपनी बुर में अपनी उंगली डालकर अपनी प्यास को बुझा ले,,,, लेकिन जैसे तैसे करके वह अपने आप पर बड़ी मुश्किल से काबू कर पाई थी और अंकित भी उसके मन में क्या चल रहा है यह सब अपनी मां के सामने दर्शाकर छत की तरफ चल दिया,,, छत पर पहुंचकर वह बाल्टी में से एक कपड़े लेकर उसे रस्सी पर टांगने लगा और अपनी मां के बारे में सोचने लगा वह अपने मन में ही बोला की मां कितनी छिनार हैवह अपनी बुर में लंड लेना चाहती है लेकिन अपने मुंह से बोल नहीं पा रही है कैसे बहाना कर करके अपनी बुर अपनी चूची दिखा रही है,,,, लेकिन फिर अपने आप पर ही गुस्सा दिखाते हुए वह बोला,,,।

साला मैं ही चुतीया हूं वह इतना इशारा कर रही है आगे बढ़ने के लिएलेकिन मैं ही हूं की हिम्मत नहीं दिखा पा रहा हूं वह तो चाहती है कि मैं उसे चोदु अपने लंड को उसकी बुर में डालु,,,, लेकिन नहीं कुछ कर नहीं पा रहा हूंएक औरत भला अपने मुंह से कैसे रहेगी कि वह चुदवाना चाहती है वह तो ईसारे से ही सब कुछ बताएगी ना,,,,, उसकी मां दूसरी औरतों की तरह तो है नहीं की सीधा जाकर मेरा लंड पकड़ लेगी और अपनी साड़ी उठाकर अपनी बर पर सटा लेगी,,,,क्योंकि वह संस्कारी और मर्यादा में रहने वाली औरत है वह तो कुछ महीनो से उसका मन भटक गया है और उसी का तो फायदा उठाना है वरना वह भी सुमन की मां की तरह होती तो शायद अब तक ना जाने कितनों से चुदवा चुकी होती,,,क्योंकि मुझे नहीं मालूम था कि वह इतनी जल्दी तैयार हो जाएगी पहली बारी में ही अपनी टांगें खोल दी मेरे लिए कास उसकी मां भी ऐसी होती तो मजा आ जाता,,, ऐसा कहते हुए वह एक-एक कपड़े रस्सी पर टांग रहा था और तभी उसके हाथ में उसकी मां की पेंटि आ गई जिसे वह अपने हाथ में लेकर पूरी तरह से मदहोश हो गया,,,, और इस दोनों हाथों में लेकर उसे अपनी नाक पर रखकर जोर से सांस खींचने लगा जैसे की अपनी ही मा की बुर सुंघ रहा हो,,,, अंकित पूरी तरह से मस्त हो चुका था और वह अपने मन में सोचने लगा कि अगर वह कुछ नहीं किया तो कहीं ऐसा ना हो कि कोई और मम्मी की चुदाई करने लगे क्योंकि वह जानता था किराहुल जैसे लड़कों की कमी नहीं थी जो खुद की मां को चोद सकते हैं तो दूसरे की मां चोदने में उन्हें कौन सा समय लगेगा,,,, यही सोच कर वह पेंटी को भी रस्सी के ऊपर डाल दिया और बाल्टी लेकर नीचे आ गया,,,, और बाती लेकर घर के पीछे की तरफ जाने लगा जहां उसकी मां नानी की तैयारी कर रही थी लेकिन जैसे ही उसकी नजर अपनी मां पर पड़ी वह फटी आंखों से अपनी मां को देखता ही रह गया।
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