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Adultery मलाई- एक रखैल

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naag.champa

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मलाई- एक रखैल


Malai-11111.jpg
अनुक्रमणिका

अध्याय 1 // अध्याय 2 // अध्याय 3 // अध्याय 4 // अध्याय 5
अध्याय 6 // अध्याय 7 // अध्याय 8 // अध्याय 9 // अध्याय 10
अध्याय 11 // अध्याय 12 // अध्याय 13

(कहानी संपूर्ण)




 
Last edited:

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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:congrats: New story shuru karne ke liye. Ye dekh kar achha laga ki kahani devnagri ko me likhi aapne. Devnagri me likhi kahani ka ek alag hi maza hota hai. Khair hardik shubhkamnaye,,,:flowers2:

:reading:
 
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:congrats: New story shuru karne ke liye. Ye dekh kar achha laga ki kahani devnagri ko me likhi aapne. Devnagri me likhi kahani ka ek alag hi maza hota hai. Khair hardik shubhkamnaye,,,:flowers2:

:reading:
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद| स्वागत है आपका मेरे थ्रेड पर|

और आपने बिल्कुल सही फरमाया, हिंदी के अलावा मैंने अंग्रेजी और बंगाली में भी कहानियां इस फोरम में पोस्ट की है| :writing:

और मेरी कोशिश यही रहती है कि जिस भाषा की फोरम में कहानी हो मैं उसी भाषा में कहानी को लिखूं... जैसे मेरी बांग्ला कहानियां बंगाली स्क्रिप्ट में है और हिंदी कहानियां हिंदी स्क्रिप्ट में....



🙏🙏🙏🙏🙏
 
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naag.champa

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मलाई- एक रखैल-5

उस दिन सोमवार था| यानी हमारे यहां मार्केट बंद थी| इसकी दुकान जाने की जरूरत नहीं| नीचे वाले कमरे में सचिन अंकल का सामान जमाने के बाद हम लोगों ने दोपहर का खाना खाया और बातों ही बातों में न जाने कब शाम हो गई|

हम लोग सिर्फ कुछ ही घंटे साथ रहे थे लेकिन इतनी देर में... मैं और सचिन अंकल बिल्कुल पुराने दोस्तों की तरह घुल मिल गए थे| मुझे ऐसा लग रहा था कि ऐसे खुशमिजाज और मजाकिया इंसान की मौजूदगी में पूरा माहौल जैसे रुमानी हो जाता है|

लेकिन मेरे सीने में एक दर्द भरा हुआ है... मेरे दिल में एक प्यास है... और मेरे मन में छुपी हुई एक गुप्त इच्छा है... उनकी मौजूदगी में मुझे अपने अंदर एक अजीब सा बदलाव महसूस होने लगा था... मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं सचिन अंकल के और करीब जाना चाहती हूं... और मेरे अंदर कि वह अदम्य इच्छा तब और बढ़ गई जब मुझे एहसास हुआ कि बीच-बीच में सचिन अंकल मुझे आंखों ही आंखों में निहार रहे थे| कमला मौसी ने मुझे कपड़े बदलने नहीं दिया था| मैं वही स्लीवलेस टी-शर्ट और स्किन टाइट जींस पहन कर उन लोगों के साथ बैठी हुई थी और हां मैंने कोई दुपट्टा भी नहीं दे रखा था| मेरी चूचियां टी-शर्ट पर साफ़ उभर आई थी, जिन पर सचिन अंकल की नजरें बार-बार दिख रही थी और मजेदार बात यह है कि मुझे अच्छा ही लग रहा था... उनका इस तरह से मुझे निहारना... आंखों ही आंखों में मेरा फिगर नापना मुझे बिल्कुल बुरा नहीं लग रहा था... अंदर ही अंदर न जाने क्यों मुझे अजीब सी खुशी का अहसास हो रहा था... जिन पर सचिन अंकल की नजरें बार-बार दिख रही थी और मजेदार बात यह है कि मुझे अच्छा ही लग रहा था... क्योंकि मुझे लग रहा था कि सचिन अंकल मुझे मन ही मन सरहा रहे थे आखिरकार मैं समझ गई कि कि मेरे सामने बैठे मेरे बाप की उम्र के इस आदमी की आंखों में भी कुछ पाने की चाह है... और जो पाना चाहता है वह बिल्कुल उसके सामने ही है--- और वह हूं मैं|

मुझे अपनी जवानी और खूबसूरती पर घमंड होने लगा था... और अनजाने में ही मैं उनके सामने अपने घुटनों को फैला कर बैठी हुई थी...

***

इतने में अचानक सचिन अंकल ने अपनी घड़ी देखी और बोले, “अरे अभी तो सिर्फ शाम के 6:00 ही बज रहे हैं तुम्हारे यहां कोई अच्छा खासा मार्केट जरूर होगा…”

कमला मौसी ने कहा, “हां, है ना यहां से थोड़ी दूर न्यू मार्केट, भूल गए आप? आज न्यू मार्केट खुला हुआ है... आपको कुछ खरीदारी करनी है क्या?”

सचिन अंकल ने मेरी तरफ देखते हुए कहा, “हां…”

कमला मौसी भी अच्छे कपड़े पहन कर जैसे तैयार बैठी हुई थी, मुझे तो लग रहा था कि शायद वह सचिन अंकल के साथ चल पड़ेंगी; मुझे अकेला छोड़ कर, लेकिन मानो कमला मौसी ने मेरे मन की बात अपने मुंह से कह डाली| वह बोली, “कोई बात नहीं, मैं मलाई को आपके साथ भेज देती हूं... यूँ तो वह सारे दिन मेरी दुकान पर ही काम करती रहती है... आज थोड़ा सा आपके साथ घूम फिर लेगी, तो उसका भी दिल बहल जाएगा”

जल्दी ही कमला मौसी ने की Uber बुक कर दिया| न्यू मार्केट जाने के लिए जब हम लोग बाहर निकल रहे थे, तब मैंने गौर किया कि आसमान में काले बादल छा रहे हैं जल्दी ही बहुत जोरों की बारिश आने वाली है… कमला मौसी ने सचिन अंकल को एक छाता पकड़ा दिया… बाहर निकलने से पहले मैंने अपने बालों को खोल कर एक बार कंघी करने के बाद अच्छी तरह से एक बड़े से से जुड़े में बांध लिया था और अपना दुपट्टा जरूर ले लिया था और उससे अपना सीना जरूर ढक लिया था लेकिन जैसा कि कमला मौसी ने मुझे सुझाव दिया था वैसे ही मैंने दुपट्टे से अपनी बाहों को नहीं ढका|

न्यू मार्केट पहुंचकर मैं और सचिन अंकल घूम घूम कर बड़े-बड़े शोरूम्स और फुटपाथ पर लगे दुकानों को देख रहे थे और आपस में बातें कर रहे थे... और अनजाने में ही हम दोनों का हाथ एक दूसरे के हाथ में था| सचिन अंकल ने मेरी उंगलियों में अपनी उंगलियां फंसा रखी थी... मुझे इस बात का काफी देर बाद एहसास हुआ... लेकिन मुझे अच्छा लग रहा था इसलिए मैंने अपना हाथ छुड़ाने की जरा भी कोशिश नहीं की|

मेरे लाख मना करने के बावजूद सचिन अंकल ने न्यू मार्केट से मेरे लिए काफी सारी चीजें खरीदी, कपड़े, एक नहीं बल्कि दो लेडीज़ लेडीज बैग्स, 2 जोड़ी जूते वगैरा-वगैरा... वह तो अच्छा हुआ कि तब तक रात के 8:00 बजने को हुए थे... आसमान में छाए बादल गरज रहे थे... अब बारिश आने वाली थी और दुकानें भी बंद होने लगी थी|

युवर वाले ने न जाने कहां अपनी गाड़ी पार्क कर रखी थी| सचिन अंकल ने जब उसे फोन लगाया तो उसने कहा कि उसे पार्किंग से निकलते निकलते 10 मिनट लग जाएंगे वहां काफी गाड़ियां पहले से लगी हुई थी|

ऐन वक्त पर बारिश शुरू हो गई| सचिन अंकल ने छाता खोला| पर छाता तो एक ही था इसलिए हम दोनों को एक ही छाते के नीचे बना लेनी थी... हम दोनों लगभग एक दूसरे से चिपक कर रास्ते से चल रहे थे| सचिन कर ले मेरे कंधे पर एक हाथ रख दिया| और बाकी खरीदा हुआ सामान वगैरा वह दूसरे कंधे पर लटका के चल रहे थे|

ऐसे ही कुछ कदम चलने के बाद हम लोगों ने सड़क पार की और फिर हम लोग एक बस स्टैंड के नीचे रुक कर एक दूसरे की आंखों में देखने लग गए| बस स्टैंड में उस वक्त कोई भी नहीं था, बारिश बहुत जोरों की हो रही थी| इतने में ना जाने कब सचिन अंकल का चेहरा धीरे-धीरे चुपके चुपके मेरे चेहरे के बिल्कुल बहुत पास आ गया... ऐसा करते वक्त न जाने कब सचिन अंकल का एक हाथ मेरे एक स्तन के ऊपर भी चला गया था... और न जाने कब अनजाने में ही शायद मैंने ही मैंने उनका वह हाथ दबा दिया था...

मुझे याद है जब सचिन अंकल ने मेरे होंठों को चूमा था तब जबरदस्त बिजली चमकी और एक धमाके की आवाज़ जैसे बादल गरज उठे... सचिन अंकल ने मुझे अपने और करीब खींच लिया था हम दोनों की छातियां, पेट हां तक निम्नांग भी आपस में बिल्कुल सट गए थे... उनके आगोश में मेरे स्तनों का जोड़ा उनके सख्त सीने से दब कर मेरे पूरे बदन में एक सनसनी सी फैल रही थी… सचिन अंकल की बलवान भुजाओं में उनके आगोश में मैं सिमटती हुई उनके पुरुषत्व के कठोर स्पर्श अपने कोमल अंग पर साफ महसूस किया...

बिजली तो आसमान में कड़की थी पर शायद उस की लहर मेरे पूरे बदन में दौड़ गई|

तब तक Uber वाला हमारे सामने आ चुका था|

क्रमशः
 
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