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Incest भाई बहन की कहानियां (Unlimited Short Stories)

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siyasingh

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भाई बहन की गर्म रात

रात के ग्यारह बज चुके थे। घर में सन्नाटा पसरा हुआ था। मम्मी-पापा बाहर गए हुए थे, और दीदी रिया और उसका छोटा भाई अर्जुन अकेले थे। रिया 22 साल की थी, कालेज की स्टूडेंट, जिसकी बॉडी कमाल की थी – गोरी चिट्टी त्वचा, मोटे होंठ, और कसी हुई गांड। अर्जुन 19 का था, लेकिन उसकी आंखों में हमेशा दीदी के लिए एक अजीब सी चाहत झलकती थी। आज रिया ने छोटा सा नाइट गाउन पहना था, जो उसके क्लीवेज को हल्का सा ढक रहा था, और नीचे कुछ भी नहीं।

अर्जुन लिविंग रूम में टीवी देख रहा था, लेकिन उसकी नजरें दीदी पर टिकी हुई थीं जो किचन से पानी लेकर आई। "दीदी, आज रात तो मम्मी-पापा कल सुबह तक नहीं आएंगे," अर्जुन ने हंसते हुए कहा, अपनी आंखें नीचे सरका कर।

रिया ने मुस्कुरा कर उसके पास सोफे पर बैठ गई। "हां भाई, तो क्या? तू तो खुश हो गया ना, अकेले रहने का मौका मिला।" उसकी आवाज में एक शरारत थी। अर्जुन का दिल धड़कने लगा। वो हमेशा से दीदी के करीब आना चाहता था, लेकिन कभी हिम्मत न हुई। आज शायद मौका था।

"दीदी, तू कितनी हॉट लग रही है आज," अर्जुन ने अचानक कहा, और अपना हाथ उसके कंधे पर रख दिया। रिया चौंकी, लेकिन हटी नहीं। बल्कि, उसने अपनी जांघ उसके करीब सरका दी। "अरे भाई, ये क्या बात कर रहा है? मैं तेरी दीदी हूं।" लेकिन उसकी आंखों में चमक थी, जैसे वो भी इंतजार कर रही हो।

अर्जुन ने हिम्मत जुटाई और कहा, "दीदी, सच कहूं तो मैं तुझे हमेशा से चाहता हूं। तेरी वो सॉफ्ट स्किन, तेरे होंठ... मैं सोचता हूं तो रातों को नींद नहीं आती।" रिया का चेहरा लाल हो गया, लेकिन वो हंस पड़ी। "ओहो, तो मेरा छोटा भाई बड़ा हो गया है? तुझे क्या चाहिए मुझसे? बोल ना, खुलकर।"

अर्जुन ने उसका हाथ पकड़ लिया। "दीदी, मैं तुझे चूमना चाहता हूं। तेरी बॉडी को छूना चाहता हूं। प्लीज, सिर्फ आज के लिए।" रिया ने सांस ली, और धीरे से कहा, "ठीक है भाई, लेकिन ये हमारा राज रहेगा। आ, मेरे पास आ।" वो उठी और बेडरूम की तरफ चली गई। अर्जुन उसके पीछे-पीछे गया, उसकी गांड की मोटाई देखते हुए उसका लंड खड़ा हो गया।

बेडरूम में, रिया बेड पर लेट गई। "आ भाई, पहले मुझे किस कर।" अर्जुन उसके ऊपर झुका और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। किस गहरा हो गया, जीभें लड़ने लगीं। रिया की सांसें तेज हो गईं। "उम्म... भाई, तेरी किस तो कमाल है। और कर, मेरे मम्मे दबा।" अर्जुन ने अपना हाथ उसके नाइट गाउन के अंदर डाल दिया और उसके सॉफ्ट ब्रेस्ट्स को मसलने लगा। निप्पल्स सख्त हो चुके थे। "दीदी, तेरे चुचे कितने नरम हैं। मैं इन्हें चूसना चाहता हूं।"

"चूस ले भाई, ये तेरे हैं आज," रिया ने आह भरी। अर्जुन ने गाउन ऊपर किया और उसके एक ब्रेस्ट को मुंह में ले लिया। चूसते हुए वो दूसरा दबा रहा। रिया की चीख निकल गई, "आह्ह... हां भाई, ऐसे ही। तेरी जीभ कितनी गर्म है। नीचे भी उतार, मेरी चूत गीली हो रही है।" अर्जुन का लंड पैंट में तन गया। वो नीचे सरका, रिया का गाउन पूरी तरह ऊपर कर दिया। उसके बालों वाली चूत चमक रही थी, रस से भीगी हुई।

"दीदी, तेरी चूत कितनी सुंदर है। गुलाबी और रसीली," अर्जुन ने कहा, और अपना चेहरा उसके जांघों के बीच रख दिया। रिया ने अपनी टांगें फैला दीं। "हां भाई, चाट ले मेरी चूत। मैं तुझे चखना चाहती हूं।" अर्जुन ने अपनी जीभ निकाली और उसके क्लिट पर रगड़ा। रिया सिहर उठी, "ओह्ह... येस भाई, वहां चाट। तेरी जीभ अंदर डाल।"

अर्जुन ने जीभ को चूत के होंठों पर फेरा, फिर अंदर डाल दिया। स्वाद खट्टा-मीठा था, लेकिन उसे पागल कर रहा था। वो चूसने लगा, क्लिट को चाटते हुए। रिया के हाथ उसके बालों में उलझ गए। "आह्ह... भाई, कितना अच्छा लगा रहा है। तेरी चाट से मेरी चूत जल रही है। और तेज चाट, चूस ले मेरे रस को।" अर्जुन ने स्पीड बढ़ा दी, जीभ को अंदर-बाहर करने लगा। रिया की कमर उभरने लगी, "हां... हां भाई, मैं झड़ने वाली हूं। मत रुकना!"

कुछ ही मिनटों में रिया का शरीर कांप उठा। "आह्ह्ह... आ गया भाई! तेरी चाट ने मुझे झाड़ दिया!" उसकी चूत से रस बहने लगा, जो अर्जुन ने चाट लिया। वो ऊपर आया, मुंह पर चूत का रस चिपका हुआ। रिया ने उसे किस किया, अपना ही स्वाद चखते हुए। "भाई, अब तेरा लंड देखूं? निकाल, मैं तेरे को हिलाऊंगी।"

अर्जुन ने पैंट उतारी, उसका मोटा लंड बाहर आ गया। रिया ने उसे पकड़ा, "वाह भाई, कितना सा लंड है तेरा। काला और मोटा।" वो हिलाने लगी, अर्जुन की सांसें तेज हो गईं। "दीदी, तेरी हाथों की गर्मी... मैं झड़ जाऊंगा।" लेकिन रिया रुकी, "नहीं भाई, पहले मेरी चूत में डाल। चोद मुझे।"

अर्जुन ने अपना लंड उसके चूत के मुंह पर रखा और धक्का दिया। रिया चीखी, "आह्ह... धीरे भाई, तेरी मोटाई से फट रही है।" लेकिन जल्दी ही वो एंजॉय करने लगी। "हां, चोद भाई, अपनी दीदी को चोद। तेज धक्के मार।" अर्जुन ने स्पीड बढ़ा दी, कमर हिलाते हुए। कमरा उनकी चीखों और थप्पड़ की आवाजों से गूंज उठा। "दीदी, तेरी चूत कितनी टाइट है। मैं रोज तुझे चोदना चाहता हूं।"

"हां भाई, रोज चोदना। तू मेरा प्रेमी है अब," रिया ने कहा, अपनी गांड ऊपर करके। आखिरकार, अर्जुन झड़ गया, "दीदी, आ गया!" गर्म वीर्य चूत में भर गया। दोनों हांफते हुए लेट गए, एक-दूसरे को गले लगाकर। "ये रात हम भूलेंगे नहीं भाई," रिया ने फुसफुसाया।
 

siyasingh

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दीदी की शादी का दिन और भाई की चाहत - 1

शादी का दिन था। घर में हलचल मची हुई थी। रिया, 24 साल की खूबसूरत लड़की, आज दुल्हन बनने वाली थी। उसका लहंगा लाल रंग का था, भारी कढ़ाई वाला, जो उसके गोरे बदन को और आकर्षक बना रहा था। लहंगा नीचे से फैला हुआ, लेकिन ऊपर से चोली उसके मोटे स्तनों को कसकर जकड़े हुए थी। बाल खुले, माथे पर बिंदी, और होंठों पर गहरी लिपस्टिक। वो कमरे में तैयार हो रही थी, जबकि उसका छोटा भाई अर्जुन, 21 साल का, बाहर से देख रहा था। अर्जुन की आंखें दीदी पर टिकी थीं। वो हमेशा से दीदी को चाहता था, लेकिन आज ये चाहत चरम पर थी।

अर्जुन का मन उदास था। दीदी की शादी हो रही थी, लेकिन उसके दिमाग में सिर्फ एक ही ख्याल घूम रहा था – दीदी की चूत चाटना। हां, वो अपनी दीदी की चूत को चाटने का दीवाना था। रातों को वो कल्पना करता, दीदी को शादी के लहंगे में देखकर उसकी चूत के पास अपना मुंह ले जाना। 'दीदी की चूत कितनी स्वादिष्ट होगी,' वो सोचता। 'उसके लहंगे के नीचे, वो गीली चूत को चाटते हुए, उसकी सिसकारियां सुनना। क्योंकि दीदी की चूत मेरी है, वो मेरी दीदी है, और मैं उसका हर हिस्सा चखना चाहता हूं। उसकी खुशबू, उसका रस – सब कुछ।'

सुबह से ही अर्जुन दीदी के कमरे के पास घूम रहा था। मेहमानों की भीड़ में वो चुपके से अंदर घुस गया। रिया आईने के सामने खड़ी थी, अपनी चूड़ियां ठीक कर रही थी। "दीदी, तू कितनी सुंदर लग रही है," अर्जुन ने धीरे से कहा, दरवाजा बंद करते हुए। रिया मुड़ी, मुस्कुराई। "अरे भाई, यहां क्या कर रहा है? शादी का समय हो गया।"

अर्जुन उसके करीब आया, आंखों में आग लिए। "दीदी, मैं तुझे रोकना चाहता हूं। ये शादी मत कर। मैं तुझे हमेशा से चाहता हूं।" रिया चौंकी, लेकिन हंसी। "पागल हो गया है? मैं तेरी दीदी हूं।" लेकिन अर्जुन ने उसका हाथ पकड़ लिया। "नहीं दीदी, तू मेरी दीदी है, इसलिए मैं तुझे और ज्यादा चाहता हूं। मैं तेरी चूत चाटना चाहता हूं। हां, रोज सोचता हूं। क्योंकि तेरी चूत की कल्पना ही मुझे पागल कर देती है। वो गुलाबी, रसीली चूत, जो मेरे लिए बनी है।"

रिया का चेहरा लाल हो गया। "भाई, ये क्या बातें कर रहा है? शादी के दिन?" लेकिन उसकी आवाज में उत्सुकता थी। अर्जुन ने हिम्मत जुटाई। "दीदी, सुन। मैं हमेशा तुझे शादी के लहंगे में कल्पना करता हूं। तू लहंगे में, दुल्हन बनी, और मैं नीचे झुककर तेरी चूत चाट रहा हूं। वो लहंगे की परतों के नीचे, तेरी टांगें फैलाई, और मेरी जीभ तेरी चूत में। क्यों पसंद है पता है? क्योंकि तू मेरी दीदी है, तेरी चूत चाटना जैसे पूजा करना। उसका स्वाद, वो गीलापन – सब कुछ मेरा है। प्लीज दीदी, सिर्फ आज, शादी से पहले।"

रिया सांस ले रही थी, उसका बदन गर्म हो रहा था। मेहमान बाहर थे, लेकिन कमरा बंद था। "भाई, तू CRAZY है। लेकिन... हम भाई बहन हैं ये गलत है। अर्जुन ने बहुत मिन्नते की। और आखिर में रिया मान गई - ठीक है, सिर्फ चाटना। ज्यादा मत करना।" वो बेड पर बैठ गई, लहंगा ऊपर सरकाने लगी। अर्जुन का दिल धड़क रहा था। "दीदी, तू मेरी हो।" वो घुटनों पर बैठ गया, लहंगे को धीरे से ऊपर किया। नीचे रिया ने पेटीकोट पहना था, लेकिन अंदर कुछ नहीं। अर्जुन ने पेटीकोट ऊपर सरकाया, रिया की टांगें नंगी हो गईं।

"दीदी, तेरी टांगें कितनी स्मूथ हैं," अर्जुन ने कहा, हाथ फेरते हुए। रिया ने टांगें थोड़ी फैलाईं। "भाई, जल्दी कर। कोई आ गया तो?" लेकिन उसकी चूत पहले से गीली थी। अर्जुन ने चेहरा करीब लाया। चूत के बाल हल्के थे, होंठ फूले हुए। "वाह दीदी, शादी के दिन भी तेरी चूत इतनी ready।" वो जीभ निकालकर क्लिट पर रगड़ा। रिया सिहर उठी, "आह्ह... भाई, हल्के से। तेरी जीभ ठंडी लग रही है।"

अर्जुन ने चाटना शुरू किया। जीभ से चूत के होंठों को सहलाया, फिर क्लिट को चूसा। "दीदी, तेरा स्वाद कितना अच्छा है। खट्टा-मीठा, जैसे शहद। ये तेरी चूत है, मेरी दीदी की। कल्पना करता हूं तुझे दुल्हन बनाकर चाटने की, और आज सच हो गया।" रिया के हाथ उसके सिर पर थे, दबा रही थी। "ओह भाई... हां, चाट। तेरी कल्पना ने मुझे भी गर्म कर दिया। और अंदर डाल जीभ।"

अर्जुन ने जीभ चूत के अंदर डाली, चूसते हुए। रस बहने लगा। "दीदी, तू कितनी गीली हो गई। शादी के लहंगा में चूत चाटना, सपना था मेरा। अब रोज सोचूंगा।" रिया की सांसें तेज। "भाई, तेरी चाट कमाल है। क्यों तुझे इतना पसंद है? बोल ना" अर्जुन ने चाटते हुए कहा, "क्योंकि दीदी, तेरी चूत चाटना जैसे तुझे अपना बनाना। वो रस पीना, तेरी सिसकारियां सुनना – सब कुछ। शादी के लहंगे में तू इतनी सेक्सी लग रही है, लहंगा ऊपर करके चूत चाटना, जैसे चोरी का मजा।"

रिया कमर हिलाने लगी। "आह्ह... भाई, तेज चाट। तेरी जीभ से जलन हो रही है, लेकिन अच्छी। मैं झड़ने वाली हूं। मत रुक।" अर्जुन ने स्पीड बढ़ाई, जीभ अंदर-बाहर, क्लिट को काटते हुए चाटा। रिया चीखी, "हां भाई! आ गया... तेरी चाट ने झाड़ दिया!" उसकी चूत से रस निकला, अर्जुन ने सब चाट लिया। वो ऊपर आया, मुंह चिपचिपा। रिया ने उसे किस किया, "भाई, तूने शादी का दिन खास बना दिया। लेकिन अब जाना होगा।"

अर्जुन ने लहंगा ठीक किया। "दीदी, शादी के बाद भी आना। तेरी चूत फिर चाटूंगा।" रिया मुस्कुराई, "देखेंगे भाई। ये राज रहेगा।" बाहर बारात आने लगी, लेकिन अर्जुन का मन संतुष्ट था। उसकी कल्पना सच हो गई थी – दीदी की शादी के लहंगे में चूत चाटना।
 
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siyasingh

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दीदी की शादी का दिन और भाई की चाहत -2

रिया का चेहरा अभी भी लाल था, उसकी सांसें तेज चल रही थीं। अर्जुन ने लहंगा ठीक किया, लेकिन उसका लंड अभी भी कड़क था, पैंट में दर्द कर रहा था। 'दीदी, बस चाटना ही काफी नहीं है। मैं तुझे चोदना चाहता हूं। आज, तेरी शादी के दिन, तेरी चूत में अपना लंड डालना चाहता हूं।' अर्जुन ने फुसफुसाते हुए कहा, अपनी आंखों में वासना भरी। रिया ने उसे देखा, उसके होंठ कांप रहे थे। बाहर से बारात की आवाजें आ रही थीं, लेकिन कमरे में गर्मी बढ़ रही थी।

"भाई, तू पागल है। शादी हो रही है, और तू... बहनचोद, तू मुझे चोदना चाहता है?" रिया ने हंसते हुए कहा, लेकिन उसकी आवाज में उत्तेजना थी। वो जानती थी कि अर्जुन की चाहत कितनी गहरी है। अर्जुन ने सिर हिलाया, "हां दीदी, मैं बहनचोद हूं। तेरी चूत चाटने का दीवाना हूं, और चोदने का भी। क्योंकि तू मेरी दीदी है, तेरी चूत मेरे लिए बनी है। कल्पना करता हूं रोज, तुझे लहंगे में चोदते हुए। प्लीज, सिर्फ आज।"

रिया ने दरवाजा चेक किया, लॉक था। "ठीक है बहनचोद भाई, लेकिन जल्दी। ज्यादा देर मत लगाना।" वो बेड पर लेट गई, लहंगा फिर ऊपर सरका लिया। उसकी चूत अभी भी गीली थी, चाटने से चमक रही थी। अर्जुन ने अपनी पैंट उतारी, उसका मोटा लंड बाहर आ गया, सिरा लाल और चिपचिपा। "दीदी, देख तेरे बहनचोद भाई का लंड। ये तेरी चूत के लिए तैयार है।" रिया ने लंड को हाथ में लिया, सहलाया। "वाह भाई, कितना सख्त है। बहनचोद, तूने तो चूत चाटकर खुद को और उत्तेजित कर लिया।"

अर्जुन घुटनों पर चढ़ा, लंड को चूत पर रगड़ा। "दीदी, मैं तेरी चूत चाटना क्यों इतना पसंद करता हूं पता है क्योंकि तेरी चूत चाटते हुए लगता है जैसे तुझे पूज रहा हूं। वो रस पीना, तेरी सिसकारियां – सब कुछ। और बहनचोद बनना? वो तो मजा है। कल्पना करता हूं, तुझे चोदते हुए कहूं, 'दीदी, तेरी चूत में लंड डाल रहा हूं, बहनचोद भाई।'" रिया ने टांगें फैलाईं, "हां भाई, डाल ना। चूत चाट चुका, अब चोद। लेकिन धीरे, दर्द ना हो।"

अर्जुन ने कमर झुकाई, लंड का सिरा चूत के होंठों पर दबाया। धीरे से अंदर धकेला। रिया की चूत गीली थी, लेकिन टाइट। "आह्ह... भाई, स्लो। तेरा लंड मोटा है।" वो सिसकी। अर्जुन ने आधा डाला, फिर पूरा। "दीदी, तेरी चूत कितनी गरम और टाइट है। बहनचोद, लग रहा है स्वर्ग मिल गया।" वो धीरे-धीरे पेलने लगा, कमर हिलाते हुए। रिया के स्तन चोली में उछल रहे थे। "ओह भाई... हां, चोद। तेरी चूत चाटने वाली जीभ अब लंड से चोद रही है। भाई, तेज कर और जोर से चोद मुझे।"

अर्जुन ने स्पीड बढ़ाई, लंड चूत में अंदर-बाहर। कमरे में चपचाप की आवाजें आ रही थी। "दीदी, बोल ना, तुझे बहनचोद भाई पसंद है? चूत चाटना और चोदना?" रिया ने उसके कंधे पकड़े, "हां भाई, बहुत पसंद है। तू सच्चा बहनचोद है। चूत चाटते हुए सोचता था तू कितना गंदा है, लेकिन मजा आया। अब चोदते हुए और मजा आ रहा है। क्यों तुझे चूत चाटना इतना अच्छा लगता है? विस्तार से बता ना।" अर्जुन ने पेलते हुए कहा, "क्योंकि दीदी, चूत चाटना जैसे तुझे अपना बनाने का तरीका। तेरी चूत का स्वाद, वो गीलापन – सब मेरा। बहनचोद बनकर चोदना तो बोनस। कल्पना करता हूं, तेरी रोज चूत चाटू, फिर चोदूं।"

रिया की सांसें तेज हो गईं। "भाई, और एक बात। तू तो हमेशा छोटी के बारे में भी सोचता है ना?" अर्जुन चौंका, लेकिन लंड और जोर से डाला। "हां दीदी, छोटी बहन प्रिया के बारे में। उसके बूब्स तेरे से बड़े हैं। मोटे, गोल। कल्पना करता हूं, उसका मुंह चोदना। उसकी बड़ी चूचियां दबाना, लंड के बीच में रगड़ना। क्योंकि वो छोटी बहन है, उसके मुंह में लंड डालकर कहूं, 'प्रिया, बहनचोद भाई का लंड चूस।' और उसके बड़े बूब्स पर रगड़कर चोदना, क्रीम निकालना।"

रिया ने हंसकर कहा, "बहनचोद, तू दोनो बहनों का दीवाना है? प्रिया की चूत चाटेगा? उसके बड़े बूब्स को चूसते हुए?" अर्जुन ने कमर तेज हिलाई, "हां दीदी, प्रिया की कल्पना में उसके मुंह को चोदता हूं। लंड उसके गले तक, वो घुटती हुई चूसती। फिर उसके चूचियों के बीच लंड रखकर पेलता, उसके निप्पल्स काटता। उसके बूब्स तेरे से बड़े हैं, इसलिए और मजा आएगा। लेकिन अभी तेरी चूत में हूं, बहनचोद।" रिया उत्तेजित हो गई, "ओह भाई, तेरी कल्पना सुनकर मैं और गीली हो गई। प्रिया को भी चोदेगा? उसके मुंह में झड़ेगा"

"हां दीदी, प्रिया के मुंह में लंड डालकर चोदूंगा, उसके बड़े बूब्स को दबाते हुए। वो चिल्लाएगी, 'भाई, बहनचोद, मत चोद मुंह।' लेकिन मैं चोदूंगा। और चूत चाटूंगा उसकी, तेरी तरह।" अर्जुन की सांसें तेज हो गई। वो चूत में गहराई तक पेल रहा था। रिया ने पैर लपेट लिए, "भाई, तेज चोद। तेरी बहनचोद वाली बातें सुनकर झड़ने वाली हूं। प्रिया की कल्पना मत छोड़, और बता।"

अर्जुन ने कहा, "कल्पना करता हूं प्रिया को स्कूल यूनिफॉर्म में, उसके बड़े बूब्स बाहर, मैं लंड उसके चूचियों पर रगड़ता। फिर मुंह में डालता, 'चूस बहन, तेरे बहनचोद भाई का लंड चूस।' उसके बूब्स इतने बड़े कि लंड पूरा ढक जाए। चोदते हुए दूध निकालूं। लेकिन दीदी, अभी तेरी चूत टाइट है, मजा आ रहा है।" रिया चीखी, "आह्ह... भाई, हां! झड़ रही हूं। तेरी चोदाई ने... आ गया!" उसकी चूत सिकुड़ गई, रस बहा। अर्जुन ने और दो-तीन धक्के मारे, "दीदी, मैं भी... बहनचोद, तेरी चूत में झड़ रहा हूं!"

उसका लंड फूला, गरम वीर्य चूत में छूट गया। दोनों पसीने से तर। अर्जुन ऊपर गिर पड़ा, रिया ने गले लगा लिया। "भाई, तूने शादी का दिन बर्बाद कर दिया। लेकिन मजा आया। बहनचोद भाई।" अर्जुन मुस्कुराया, "दीदी, ये राज रहेगा। शादी के बाद प्रिया के बारे में भी सोचूंगा, लेकिन तुझे कभी नहीं भूलूंगा। चूत चाटना और चोदना, हमारी रस्म है।"

बाहर बारात चली गई, लेकिन उनका राज सुरक्षित था। रिया उठी, लहंगा ठीक किया। "जाओ भाई, अब शादी कर लूं। लेकिन रात को मिलेंगे।" अर्जुन ने किस किया, "हां दीदी, फिर चूत चाटूंगा। और प्रिया की कल्पना शेयर करेंगे।" उनका रिश्ता अब और गहरा हो चुका था, भविष्य में और गर्म रातें इंतजार कर रही थीं।
 

siyasingh

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रक्षाबंधन : भाई-बहन का प्रेम -1

रक्षाबंधन का त्योहार नजदीक आ रहा था। दिल्ली के एक मध्यमवर्गीय परिवार में रहने वाले राहुल और उनकी बड़ी बहन प्रिया घर पर ही थे। राहुल 22 साल का था, कॉलेज स्टूडेंट, और प्रिया 25 साल की, नौकरी करने वाली। दोनों के माता-पिता गांव गए हुए थे, इसलिए घर पर सिर्फ वे दोनों थे। प्रिया हमेशा से राहुल की रक्षा करने वाली दीदी रही थी, लेकिन हाल ही में राहुल के मन में उसके लिए कुछ अलग ही भावनाएं जागने लगी थीं। वह प्रिया के सुंदर शरीर को देखकर उत्तेजित हो जाता था – उसके गोरे दूध जैसे स्तन, पतली कमर और गोल गंध।

एक शाम, प्रिया रसोई में खाना बना रही थी। राहुल पीछे से आकर खड़ा हो गया और उसके कंधे पर हाथ रख दिया। "दीदी, आज रक्षाबंधन है न? तू राखी बांधेगी न मुझे?" राहुल ने हंसते हुए कहा, लेकिन उसकी नजर प्रिया की साड़ी के ब्लाउज पर थी, जहां से उसके स्तन की उभार साफ दिख रहे थे।

प्रिया ने मुस्कुराते हुए पलटा, "हां बाबा, बांधूंगी। तू तो मेरा छोटा भाई है, तेरी रक्षा तो करनी ही पड़ेगी।" लेकिन राहुल का मन कुछ और सोच रहा था। वह धीरे से प्रिया के कूल्हों को छू गया। प्रिया चौंक गई, "क्या कर रहा है तू? मैं तेरी दीदी हूं!"

राहुल ने शरारती मुस्कान दी, "दीदी, तू इतनी हॉट है, कभी-कभी सोचता हूं कि अगर तू मेरी बीवी होती तो..." प्रिया ने उसका हाथ झटक दिया, "पागल हो गया है? हम भाई-बहन हैं। ऐसी बातें मत कर। जा, पढ़ाई कर।" लेकिन राहुल की आंखों में चमक थी। वह जानता था कि धीरे-धीरे वह प्रिया को मनाएगा।

अगले दिन, रक्षाबंधन से एक दिन पहले, दोनों टीवी देख रहे थे। एक रोमांटिक सीन आया जहां हीरो हीरोइन के स्तनों को छू रहा था। राहुल ने प्रिया की ओर देखा, "दीदी, तेरे बूब्स कितने सॉफ्ट लगते हैं। कभी छूना चाहूं तो?" प्रिया का चेहरा लाल हो गया, "राहुल! क्या बकवास कर रहा है? मैं तेरी बहन हूं। ये सब गलत है।" राहुल ने उसके पास सरकते हुए कहा, "बस एक बार, दीदी। कोई नहीं जानेगा। तू मेरी फेवरेट है।"

प्रिया ने इनकार किया, लेकिन राहुल ने जिद पकड़ ली। वह उसके हाथ पकड़कर बोला, "प्लीज दीदी, सिर्फ दिखा दे। मैं कुछ नहीं करूंगा।" प्रिया हिचकिचाई। सालों से वह राहुल की देखभाल करती आई थी, और अब उसके आग्रह को देखकर उसका मन पिघला। "ठीक है, लेकिन सिर्फ दिखाऊंगी। कुछ मत छूना, और किसी को मत बताना।" राहुल की आंखें चमक उठीं।

प्रिया ने शर्माते हुए अपना ब्लाउज खोला। उसके बड़े, गोरे स्तन बाहर आ गए, गुलाबी निप्पल्स तन चुके थे। राहुल का मुंह सूख गया। "वाह दीदी, कितने परफेक्ट हैं।" वह आगे बढ़ा, लेकिन प्रिया ने रोका, "बस देख। अब बंद कर।" लेकिन राहुल ने कहा, "दीदी, एक बार चूस लूं? प्लीज, तेरे बूब्स चूसने का सपना देखता हूं रोज।" प्रिया ने मना किया, "नहीं राहुल, ये बहुत गलत है। हम सिब्लिंग्स हैं।" फिर भी, राहुल के बार-बार आग्रह पर वह नरम पड़ी। "ठीक है, लेकिन सिर्फ चूसना। ज्यादा मत करना।"

राहुल ने उत्साह से प्रिया के एक स्तन को मुंह में लिया। वह जोर-जोर से चूसने लगा, जीभ से निप्पल को चाटता हुआ। प्रिया की सांसें तेज हो गईं, "आह... राहुल, धीरे... ये गलत है लेकिन... उफ्फ।" राहुल ने दूसरे स्तन को भी चूसा, हाथों से दबाया। प्रिया की चूत गीली होने लगी, लेकिन वह खुद को रोक रही थी। "बस अब रुक जा।"

रक्षाबंधन की सुबह, प्रिया ने राहुल को राखी बांधी। लेकिन पूजा के बाद, राहुल ने फिर कहा, "दीदी, कल रात तेरे बूब्स चूसकर मजा आ गया। अब तेरी चूत चाटना चाहता हूं।" प्रिया चौंक गई, "क्या? बिल्कुल नहीं! वो तो बहुत ज्यादा है। हम भाई-बहन हैं, ये इंसेस्ट है।" राहुल ने उसके पैरों पर हाथ फेरा, "दीदी, प्लीज। तू इतनी सेक्सी है, तेरी चूत का स्वाद लेना चाहता हूं। बस एक बार।"

प्रिया ने इनकार किया, लेकिन राहुल ने पूरे दिन चिट-चैट में उसे तंग किया। लंच के समय, "दीदी, कल्पना कर तेरी चूत कितनी गुलाबी होगी। मैं जीभ डालकर चाटूंगा।" प्रिया शर्मा गई, "चुप रह, पागल।" शाम को, जब दोनों अकेले थे, राहुल ने प्रिया को गले लगाया और किस किया। प्रिया ने धक्का दिया, लेकिन कमजोर था। "राहुल, ये बंद कर।" लेकिन राहुल ने कहा, "दीदी, तू भी एंजॉय कर रही है न? तेरी चूत गीली हो गई है कल रात।"

रात को, रक्षाबंधन की रस्म पूरी होने के बाद, राहुल ने प्रिया को बेडरूम में खींच लिया। "दीदी, आज रक्षाबंधन है, तू मेरी रक्षा करेगी तो मैं तेरी खुशी दूंगा। अपनी चूत चाटने दे।" प्रिया हिचकिचाई, "नहीं... लेकिन... ठीक है, चाट ले, लेकिन सिर्फ इतना।" राहुल खुश हो गया। प्रिया ने साड़ी उतारी, पैंटी नीचे की। उसकी चूत साफ-सुथरी, गीली चमक रही थी।

राहुल घुटनों पर बैठा, प्रिया की जांघें फैलाईं। वह अपनी जीभ से चूत की दरार पर रगड़ा। "आह दीदी, कितनी स्वादिष्ट है तेरी चूत।" वह क्लिटोरिस को चाटने लगा, जीभ अंदर डालकर चूसने लगा। प्रिया चीख पड़ी, "ओह राहुल... ये... बहुत अच्छा लग रहा है... लेकिन गलत है... आह्ह!" राहुल ने जोर-जोर से चाटा, प्रिया का पानी बहने लगा। वह कांप रही थी, ऑर्गेज्म के करीब। "रुक... बस..."

लेकिन राहुल रुका नहीं। चाटते-चाटते उसका लंड खड़ा हो गया। "दीदी, अब तुझे चोदना चाहता हूं। मेरा लंड तेरी चूत में डालूं?" प्रिया ने सिर हिलाया, "नहीं राहुल, वो तो बहुत बड़ा पाप है। हम भाई-बहन हैं।" राहुल ने जिद की, "प्लीज दीदी, तू राखी बांध चुकी है, अब मेरी ये इच्छा पूरी कर। तेरा शरीर मेरा है।" वह प्रिया के ऊपर चढ़ गया, लंड को चूत पर रगड़ने लगा।

प्रिया विरोध कर रही थी, लेकिन उसकी चूत गीली थी। "राहुल, मत... आह..." राहुल ने धीरे से लंड का सिरा अंदर डाला। प्रिया दर्द से सिसकी, "निकलवा..." लेकिन राहुल ने पूरा धक्का मार दिया। "आह दीदी, तेरी चूत कितनी टाइट है!" वह पिस्टन की तरह चोदने लगा, जोर-जोर से। प्रिया का विरोध कम हो गया, "ओह... राहुल... धीरे... ये... मजा आ रहा है..."

दोनों नंगे होकर बिस्तर पर लिपटे। राहुल प्रिया के स्तनों को चूसते हुए चोद रहा था। "दीदी, तू मेरी हो गई। हर रक्षाबंधन पर तुझे चोदूंगा।" प्रिया सिसक रही थी, "हां भाई... चोद मुझे... तेरी दीदी तेरी रंडी है अब।" राहुल ने स्पीड बढ़ाई, आखिरकार दोनों साथ झड़ गए। उसका वीर्य प्रिया की चूत में भर गया।

रक्षाबंधन की रात, भाई-बहन का बंधन टूट चुका था, लेकिन एक नया, निषिद्ध प्रेम जन्म ले चुका था। प्रिया राहुल के सीने पर सिर रखे लेटी रही, "ये हमारा राज रहेगा।" राहुल मुस्कुराया, "हां दीदी, हमेशा।"
 
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रक्षाबंधन : भाई-बहन का प्रेम -2

रक्षाबंधन की रात के बाद, सुबह की पहली किरणें कमरे में घुस आईं। राहुल और प्रिया नंगे लिपटे हुए बिस्तर पर सोए थे। प्रिया की आंखें खुलीं तो वह शरम से लाल हो गई। राहुल का हाथ अभी भी उसके स्तन पर था, और उसका लंड उसके जांघों के बीच दबा हुआ था। 'ओह भगवान, कल रात क्या हो गया?' प्रिया ने मन ही मन सोचा, लेकिन उसके शरीर में अभी भी वो उत्तेजना बाकी थी।

राहुल जाग गया और प्रिया को चूम लिया। 'गुड मॉर्निंग दीदी। कल रात तेरी चूत में मेरा लंड डालकर कितना मजा आया। फिर से चाहता हूं।' प्रिया ने धक्का देकर अलग किया, 'पागल! सुबह-सुबह ये क्या बक रहा है? हमने गलती कर ली कल, अब कभी नहीं होगा। तू मेरा भाई है।' लेकिन राहुल हंस पड़ा, 'अरे दीदी, गलती? तू तो खुद चिल्ला रही थी, "चोद मुझे भाई!" अब शर्मा मत।'

प्रिया ने कंबल ओढ़ लिया, लेकिन राहुल ने उसे खींच लिया। उसके नंगे शरीर को देखकर उसका लंड फिर खड़ा हो गया। 'देख दीदी, मेरा लंड तेरे लिए तैयार है। बस एक बार और चूस ले।' प्रिया ने नजरें फेर लीं, 'नहीं राहुल, कल रक्षाबंधन था, वो तो त्योहार की उत्तेजना थी। अब बंद। जा, नहा ले।' राहुल ने शरारत से कहा, 'ठीक है, लेकिन नहाते वक्त तेरे बूब्स का ख्याल आएगा तो फिर खड़ा हो जाएगा। तेरे निप्पल्स चूसने का स्वाद भूल नहीं पाऊंगा।'

दोनों उठे। प्रिया ने साड़ी पहनी, लेकिन राहुल पीछे-पीछे चला गया। किचन में चाय बनाते हुए, वह प्रिया के पीछे आकर चिपक गया। उसके लंड को प्रिया के गांड पर रगड़ते हुए बोला, 'दीदी, तेरी गांड कितनी मोटी है। कभी पीछे से चोदूं तो?' प्रिया चौंक गई, चाय का कप गिरते-गिरते बचा। 'राहुल! क्या कर रहा है? कोई देख लेगा। और हां, पीछे से? बिल्कुल नहीं, वो तो बहुत गंदा है। हम सिब्लिंग्स हैं।' राहुल ने उसके कान में फुसफुसाया, 'सिब्लिंग्स ही तो मजा है दीदी। कल तेरी चूत चाटते वक्त तू कितनी गीली हो गई थी। आज फिर चाटूं?'

प्रिया ने हाथ झटक दिया, लेकिन उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी। 'चुप रह, नाश्ता बना।' नाश्ते के दौरान, टेबल के नीचे राहुल ने अपना पैर प्रिया की जांघ पर रखा। धीरे-धीरे ऊपर सरकाया। प्रिया ने घूरा, 'मत कर।' लेकिन राहुल बोला, 'दीदी, तेरी चूत में उंगली डाल दूं? बस थोड़ा सा।' प्रिया की सांस तेज हो गई, 'नहीं... लेकिन... अगर कोई न देखे तो शायद... नहीं, पागल हो गया है तू।'

दिन भर राहुल ने प्रिया को तंग किया। जब प्रिया काम पर जाने लगी, तो राहुल ने दरवाजे पर रोक लिया। 'दीदी, जाते वक्त एक किस तो दे। और कल रात जैसी चूत की चाट, शाम को दोबारा।' प्रिया ने दरवाजा खोला, 'शाम को देखते हैं। लेकिन वादा कर, ज्यादा मत बढ़ाना।' राहुल ने हंसते हुए कहा, 'वादा, लेकिन तेरे बूब्स दबाऊंगा जरूर।'

शाम को प्रिया लौटी तो थकी हुई थी। राहुल ने चाय दी और सोफे पर बिठा लिया। 'दीदी, आज ऑफिस में क्या पहना था? साड़ी में तेरी कमर देखकर कल्पना की, नंगा करके चोदूं।' प्रिया हंस पड़ी, 'तू तो दिन भर यही सोचता रहता है। ठीक है, थोड़ा मसाज कर दे मेरे पैर।' राहुल खुश हो गया। प्रिया के पैरों को सहलाते हुए, वह धीरे-धीरे जांघों तक पहुंचा। 'दीदी, तेरी स्किन कितनी सॉफ्ट है। चूत तक पहुंच जाऊं?' प्रिया ने पैर सिकुड़ लिया, 'नहीं राहुल, बस पैर ही। लेकिन... अगर हल्के से छू ले तो।'

राहुल ने प्रिया की साड़ी ऊपर सरकाई। उसकी पैंटी पर हाथ फेरा। प्रिया सिहर गई, 'आह... धीरे। ये गलत है भाई।' राहुल ने पैंटी के ऊपर से चूत को रगड़ा, 'गलत? लेकिन तेरी चूत गीली हो रही है दीदी। देख, मेरा लंड कितना सख्त है।' वह अपना पैंट नीचे किया और लंड बाहर निकाला। प्रिया ने देखा, मुंह में उंगली दबा ली। 'राहुल, इतना बड़ा... कल रात दर्द हुआ था।'

राहुल ने प्रिया का हाथ पकड़कर लंड पर रखा। 'दीदी, सहला ले। बस थोड़ा।' प्रिया ने हिचकिचाते हुए सहलाना शुरू किया। 'ये... कितना गर्म है। लेकिन सिर्फ सहलाना।' राहुल सिसकारा, 'हां दीदी, ऐसे ही। अब मुंह में ले ले न? ब्लोजॉब दे।' प्रिया ने सिर हिलाया, 'नहीं, वो तो बहुत ज्यादा। हम भाई-बहन हैं।' लेकिन राहुल ने जिद की, 'प्लीज, एक बार। तेरी जीभ से चाटूंगा तो मजा आएगा।'

धीरे-धीरे प्रिया नरम पड़ी। 'ठीक है, लेकिन सिर्फ चाटूंगी। चूसूंगी नहीं।' राहुल ने प्रिया का सिर नीचे दबाया। प्रिया ने लंड का सिरा जीभ से चाटा। 'उम्म... नमकीन स्वाद।' राहुल ने आनंद से कहा, 'हां दीदी, पूरा मुंह में ले।' प्रिया ने आधा लंड मुंह में लिया और चूसने लगी। राहुल उसके बाल पकड़कर हिलाने लगा। 'आह दीदी, कितना अच्छा ब्लोजॉब दे रही है। तेरी दीदी वाली मुस्कान के साथ।'

कुछ मिनट बाद, राहुल ने प्रिया को उठाया। 'अब तेरी बारी। चूत चाटूं।' प्रिया ने इनकार किया, 'नहीं, कल रात बहुत हो गया।' लेकिन राहुल ने उसे सोफे पर लिटा दिया। पैंटी उतार दी। प्रिया की चूत गीली चमक रही थी। राहुल ने जीभ डाली, क्लिटोरिस चाटा। प्रिया चीखी, 'ओह भाई... मत चाट... आह्ह... जारी रख।' राहुल ने जोर-जोर से चूसा, उंगली अंदर डाली। प्रिया कांपने लगी, 'राहुल... मैं झड़ने वाली हूं...'

प्रिया का पानी निकला, लेकिन राहुल रुका नहीं। 'दीदी, अब चोदूं? मेरा लंड तेरी चूत में।' प्रिया सांस लेते हुए बोली, 'हां... लेकिन धीरे। कल जैसा दर्द न हो।' राहुल ने लंड डाला, धीरे-धीरे अंदर-पहर। प्रिया ने कमर मोड़ ली, 'आह... भर गया। चोद भाई।' राहुल ने स्पीड बढ़ाई, स्तनों को चूसते हुए। 'दीदी, तेरी चूत कितनी टाइट है। हर दिन चोदूंगा।'

दोनों फिर झड़ गए। प्रिया राहुल के सीने पर लेट गई। 'ये हमारा राज है। लेकिन तू बहुत शरारती हो गया है।' राहुल हंसा, 'हां दीदी, और कल फिर नई ट्राई करेंगे। तेरी गांड?' प्रिया ने मारा थप्पड़, 'पागल! देखते हैं।'
 

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रक्षाबंधन : भाई-बहन का प्रेम -3 (final part)

प्रिया और राहुल की भाभी मीरा का पति बाहर था, लेकिन उसका छोटा भाई अजय रक्षाबंधन मनाने उसके पास आया था। मीरा और अजय का रिश्ता हमेशा से गहरा था, लेकिन कोई नहीं जानता था कि वो कितना गहरा है।

शाम को घर में हंसी-मजाक चल रहा था। राहुल प्रिया को कोने में ले गया और कान में फुसफुसाया, 'दीदी, कल रात तेरी चूत में लंड डालकर कितना मजा आया। आज फिर चाहता हूं, लेकिन परिवार के बीच। बहनचोद बन जाऊं तेरा?' प्रिया ने शरमाते हुए कहा, 'चुप राहुल, यहां सब हैं। लेकिन तेरी बातें सुनकर चूत गीली हो जाती है। शाम को अकेले में कुछ सोचते हैं।' राहुल ने उसके गांड पर चुपके से थपकी मारी, 'हां दीदी, तेरी गांड भी चोदनी है। बहनचोद भाई बनकर।'

रात को डिनर के बाद, सब सोने लगे। राहुल और प्रिया अपने कमरे में थे, लेकिन उत्सुकता में बाहर घूमने निकले। तभी उन्हें मीरा भाभी के कमरे से आवाजें आईं। दरवाजा थोड़ा खुला था। उन्होंने झांका तो हैरान रह गए। मीरा नंगी होकर बिस्तर पर लेटी थी, और अजय उसके ऊपर चढ़ा हुआ था। अजय का लंड मीरा की चूत में तेजी से अंदर-बाहर हो रहा था।

'आह अजय, भाई... तू बहन की चूत चोद रहा है? कितना सख्त लंड है तेरा,' मीरा सिसकार रही थी। अजय ने उसके बूब्स चूसे, 'हां दीदी, शादी के बाद भी तू मेरी रंडी बहन है। रक्षाबंधन पर आपने अपने भाई के लण्ङ में राखी बांध दी। चोदूं और जोर से?' मीरा ने कमर हिलाई, 'हां भाई, बहनचोद... चोद अपनी बहन को। पति को क्या पता, मैं अपने भाई का लंड लेती हूं।'

राहुल और प्रिया सन्न रह गए। प्रिया ने राहुल का हाथ कस लिया, 'देख राहुल, मीरा भाभी भी अपने भाई से... हम अकेले नहीं।' राहुल का लंड खड़ा हो गया, 'हां दीदी, कितना हॉट है। मीरा भाभी की चूत में अजय का लंड... भाई बहन की चुदाई में अलग ही मजा आता है। हम भी वैसा ही करें?' प्रिया की सांस तेज थी, 'शशश... देखते रह। लेकिन मेरी चूत में उंगली डाल दे, गीली हो गई हूं।' राहुल ने प्रिया की साड़ी के नीचे हाथ डाला और चूत में उंगली घुमाई। दोनों चुपके से देखते रहे जब तक अजय ने मीरा के अंदर झड़ नहीं दिया। 'आह दीदी, तेरा पानी निकला... बहन की चूत में भाई का वीर्य।'

कमरे में लौटकर, राहुल ने प्रिया को दीवार से सटा लिया। 'दीदी, देखा? भाभी भी बहनचोद भाई से चुद रही है। अब आप मेरा लण्ङ चूसो।' प्रिया ने घुटनों पर बैठकर राहुल का लंड बाहर निकाला। 'हां भाई, तेरा लंड चूसूंगी। लेकिन कल से और सावधान रहना।' वह लंड मुंह में लेकर चूसने लगी, जीभ से सिरा चाटा। राहुल उसके सिर पकड़कर हिलाया, 'आह दीदी, ब्लोजॉब तो ऐसे देती हो जैसे जैसे कोई रंडी। बहनचोद मजा आ रहा है।' राहुल ने अपनी दीदी के मुंह में अपना वीर्य छोड़ दिया और उसकी बहन प्रिया ने अपने भाई के रस को पी लिया रक्षाबंधन का तोहफा समझकर।


अगले दिन, परिवार का पिकनिक प्लान था, लेकिन बारिश हो गई। सब घर में ही रह गए। मीरा और अजय अलग कमरे में थे, लेकिन प्रिया ने भाभी को अलग बुलाया। भाभी, कल रात हमने देख लिया। आप और अजय...' मीरा शरमाई, लेकिन मुस्कुराई, 'हां प्रिया, तू भी राहुल के साथ? प्रिया बोली ’रक्षाबंधन की रात से ही तो शुरू हुआ हमारा।’ भाभी बोली ’लेकिन मजा आता है न, भाई का लंड लेने में।' प्रिया ने सिर हिलाया, 'हां, लेकिन डर लगता है। आज क्या करें?' मीरा ने शरारत से कहा, 'एक ही कमरे में ट्राई करें? भाई-बहन की चुदाई देखकर और मजा आएगा।'

शाम को, जब बाकी परिवार टीवी देख रहा था, चारों चुपके से ऊपर के पुराने कमरे में चले गए। दरवाजा बंद किया। मीरा ने अजय को चूमा, 'भाई, आज प्रिया और राहुल भी हैं। उनकी चुदाई देख।' प्रिया ने राहुल का लंड पकड़ा, 'हां, लेकिन पहले तू अपना लंड दिखा अजय भैया।' अजय ने पैंट उतारी, उसका मोटा लंड बाहर आया। मीरा ने घुटनों पर बैठकर चूसना शुरू किया। 'उम्म... भाई का लंड, कितना स्वादिष्ट। चूसूंगी जोर से।'

राहुल ने प्रिया की साड़ी उतारी। उसके नंगे बूब्स को दबाया, 'दीदी, देख मीरा भाभी अपने भाई को ब्लोजॉब दे रही है। प्रिया बोली ’तू मेरी चूत चाट।' प्रिया लेट गई, राहुल ने सिर उसके जांघों के बीच डाला। जीभ से क्लिटोरिस चाटा। प्रिया चीखी, 'आह राहुल... भाई... चाट मेरी चूत। मीरा भाभी देख रही है।' मीरा ने सिर उठाया, 'हां प्रिया, तेरी चूत कितनी गुलाबी है। अजय, अब चोद मुझे।'

अजय ने मीरा को डॉगी स्टाइल में किया। लंड पीछे से डाला, 'आह प्रिया, देख तेरी भाभी की गांड चोद रहा हूं। बहनचोद भाई बनकर।' मीरा की चीखें गूंजीं, 'हां भाई, जोर से... चोद अपनी बहन को। प्रिया, देख हमारी चुदाई।' प्रिया ने राहुल को ऊपर बुलाया, 'अब तू चोद मुझे भाई। भाभी की चुदाई देखकर तेरी चूत में लंड डाल।' राहुल ने प्रिया की टांगें फैलाईं और लंड अंदर ठूंस दिया। 'आह दीदी, कितनी टाइट चूत। बहनचोद... चोद रहा हूं तुझे सबके सामने।'

कमरे में दो जोड़ियां तेजी से हिल रही थीं। मीरा और प्रिया एक-दूसरे को देखकर उत्तेजित हो रही थीं। 'प्रिया, तेरे भाई का लंड बड़ा है। मेरी चूत में अजय का लंड फंस गया,' मीरा हांफते हुए बोली। प्रिया ने जवाब दिया, 'हां दीदी, लेकिन तेरा भाई भी जोर चोद रहा है। आह... राहुल, तेज... झड़ने वाली हूं।' अजय ने कहा, 'राहुल भाई, बहनों को चोदो जोर से। रक्षाबंधन का असली मजा यही है।'

राहुल ने प्रिया के अंदर झड़ दिया, 'दीदी, मेरा वीर्य तेरी चूत में।' उसी समय अजय ने मीरा को भरा। चारों लिपट गए, हांफते हुए। प्रिया ने मीरा से कहा, 'ये राज रहेगा। लेकिन अगली बार फिर।' मीरा हंसी, 'हां, भाई-बहन की चुदाई का ये नया बंधन।'
 

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बीवी के साथ बहन की चुदाई – 1

रात का समय था। घर में सन्नाटा छाया हुआ था। सीमा अपनी ननद स्वेता के कमरे में घुस आई। स्वेता बिस्तर पर लेटी हुई थी, मोबाइल स्क्रॉल कर रही थी। सीमा ने दरवाजा बंद किया और मुस्कुराते हुए उसके बगल में बैठ गई।

"अरे स्वेता, इतनी रात को क्या कर रही हो? नींद नहीं आ रही?" सीमा ने अपनी आवाज़ में एक शरारती लहजा डालते हुए पूछा।

स्वेता ने फोन नीचे रखा और शरमाते हुए बोली, "भाभी, बस ऐसे ही। आप तो सो गई थीं ना?"

सीमा ने स्वेता के कंधे पर हाथ रखा और धीरे से सहलाया। "सोना तो चाहती हूँ, लेकिन तू तो जानती है ना, तेरे राहुल भैया के साथ रातें कितनी गर्म हो जाती हैं। उनका वो लंड... उफ्फ, कितना मोटा और लंबा है। हर रात चोदते हैं मुझे ऐसे कि जान निकल जाती है।"

स्वेता की आँखें फैल गईं। वह शरम से लाल हो गई, लेकिन सीमा की बातों में एक अजीब सी उत्तेजना महसूस कर रही थी। "भाभी, आप ऐसी बातें... पापा को पता चला तो?"

सीमा हँस पड़ी। "अरे बाबा, यहाँ तो सब अपनी-अपनी जिंदगी जीते हैं। तू भी तो बड़ी हो गई है। कभी अपने भैया के बारे में सोचा है? राहुल का शरीर कितना मजबूत है, वो छाती, वो बाज़ू... और नीचे वो... तू कल्पना कर, अगर वो तुझे छुए तो?"

स्वेता ने कंबल अपनी ओर खींच लिया, लेकिन उसकी साँसें तेज हो रही थीं। "भाभी, क्या कह रही हैं आप? भैया तो मेरे भाई हैं।"

"भाई-बहन का रिश्ता तो ठीक है, लेकिन फैंटसी तो सब करते हैं।" सीमा ने स्वेता के कान के पास झुककर फुसफुसाया। "कल्पना कर, तेरे भैया का लंड तेरी चूत में घुसता हुआ। कितना मजा आएगा। मैं तो देखती हूँ, तू भी उन्हें घूरती रहती है जब वो शर्टलेस घूमते हैं।"

स्वेता ने मुंह फेर लिया, लेकिन उसके गाल गर्म हो गए। "नहीं भाभी, ऐसा कुछ नहीं।"

सीमा ने अपना हाथ स्वेता की जांघ पर रख दिया और हल्का सा दबाया। "झूठ मत बोल। तेरी चूत गीली हो गई ना मेरी बातों से? आ, छूकर देखूँ?"

स्वेता ने सीमा का हाथ हटा दिया, लेकिन हँसते हुए बोली, "भाभी, रुकिए ना। आप तो बहुत बदमाश हो।"

अगले कुछ दिनों में सीमा ने अपनी teasing जारी रखी। हर मौके पर वह स्वेता को राहुल के बारे में उकसाती। एक दिन रसोई में, जब राहुल बाहर गया था, सीमा ने स्वेता को दीवार से सटा लिया।

"स्वेता, देखा कल रात भैया ने मुझे कैसे चोदा? उनका लंड मेरी चूत में आधा भी नहीं घुसा था कि मैं चिल्लाने लगी। तू भी ट्राई कर, तेरी बड़ी बड़ी चूचियाँ उन्हें कितना पसंद आएँगी।"

स्वेता की साँसें तेज हो गईं। वह कल्पना करने लगी। "भाभी, लेकिन... अगर भैया को पता चला तो?"

"पता चलेगा तो क्या? वो भी तो मर्द है। तुझे देखकर उसका लंड खड़ा हो जाएगा।" सीमा ने स्वेता की ब्रा के ऊपर से उसके निप्पल को छुआ। "देख, तेरे ये निप्पल सख्त हो गए। तुझे भी चाहिये ना भैया का लंड?"

स्वेता ने आँखें बंद कर लीं। "हाँ भाभी... शायद। लेकिन कैसे?"

सीमा मुस्कुराई। "मैं ही सब संभाल लूँगी। तू बस बोल, चाहती है?"

एक शाम, स्वेता ने हिम्मत जुटाई। वह सीमा के पास गई और बोली, "भाभी, आपकी बातें सुन-सुनकर मेरा मन बेकाबू हो रहा है। प्लीज़, भैया को मेरी चुदाई के लिए
मनाओ। जैसे भी करो, लेकिन हो जाना चाहिए।"

सीमा ने स्वेता को गले लगा लिया। "ठीक है मेरी प्यारी ननद। मैं प्लान बनाती हूँ।"

सीमा ने राहुल को उकसाना शुरू किया। रात को बिस्तर पर, जब राहुल उसे चोद रहा था, सीमा ने फुसफुसाया, "राहुल, स्वेता को देखा? कितनी हॉट हो गई है। कल्पना करो, अगर वो तेरे लंड को चूस ले।"

राहुल हँस पड़ा, लेकिन उसका लंड और सख्त हो गया। "क्या बकवास कर रही हो सीमा? वो मेरी बहन है।"

"फैंटसी तो ठीक है ना? सोच, उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ तेरे लंड पर रगड़ती हुईं।" सीमा ने राहुल को चोदते हुए उकसाया।

धीरे-धीरे राहुल भी उत्तेजित होने लगा।

आखिरकार, एक रात का प्लान बना। सीमा ने राहुल को अंधेरे कमरे में बुलाया। "राहुल, आज कुछ स्पेशल है। आँखों पर पट्टी बाँध ले। सरप्राइज़ है।"

राहुल उत्साहित हो गया। वह बिस्तर पर लेट गया, आँखें बंद करके। पट्टी बाँध दी गई। सीमा ने स्वेता को इशारा किया। स्वेता धीरे से कमरे में आई, उसकी साड़ी खुली हुई थी, चूचियाँ बाहर थी।

सीमा ने राहुल के पैंट उतार दिए। राहुल का लंड खड़ा हो चुका था, मोटा और लंबा। "अब मजा ले भैया के लण्ङ का," सीमा ने फुसफुसाया।

स्वेता घुटनों पर बैठ गई। उसने राहुल के लंड को हाथ में पकड़ा। गर्माहट महसूस हुई। धीरे से वह लंड के सिरे पर जीभ फेरी। राहुल सिहर उठा। "सीमा, आज तू कितनी हॉट लग रही है।"

स्वेता ने मुस्कुराते हुए लंड को मुंह में लिया। वह चूसने लगी, जीभ से लंड की नसें सहलाती हुई। ऊपर-नीचे करती रही। राहुल के मुँह से कराह निकली। "आह... सीमा, चूस ऐसे ही।"

सीमा पास खड़ी होकर देख रही थी, खुद उत्तेजित हो रही थी। "हाँ स्वेता, चूस अच्छे से। भैया को मजा दे।"

स्वेता ने लंड को गहराई तक लिया, गले तक। सलाइवा से लंड चमक रहा था। फिर वह ऊपर उठी। अपनी चूचियों से लंड को दबाया। टिट फकिंग शुरू कर दिया। चूचियाँ लंड के चारों ओर रगड़ रही थीं। निप्पल लंड के सिरे को छू रहे थे।

राहुल की कमर हिलने लगी। "सीमा... तेरी चूचियाँ आज कितनी सॉफ्ट लग रही हैं। और चूस... आह।"

स्वेता ने फिर से लंड मुंह में लिया, चूसते हुए चूचियों से रगड़ती रही। कमरे में केवल चुसने की आवाज़ और राहुल की सिसकारियाँ गूंज रही थीं। सीमा मुस्कुरा रही थी, प्लान काम कर गया।

स्वेता की आँखों में वासना थी। वह जानती थी, ये तो बस शुरुआत है।
 
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