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Incest प्यासे दिल के अरमान - Short Story

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Ajju Landwalia

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अपडेट - 3
मैने अपना breakfast जल्दी से खत्म किया और दूध पीकर ऊपर की ओर बढ़ने लगा,मुझे ऊपर जाते हुए देखकर रुचि ने अपना बचा हुआ नाश्ता वही टेबल पर छोड़ दिया और तुरंत मेरे पीछे ऊपर आने लगी,उसे इस तरह ऊपर जाते हुए देखकर मोम ने पूछा,'क्या हुआ बेटा नाश्ता पसंद नहीं आया क्या?'

’अरे आंटी ऐसी बात नहीं है you're the best cook पर मुझे अचानक कुछ काम याद आ गया था इसलिए ऊपर जा रही हूं।' इतना बोलकर वो दौड़ते हुए ऊपर चढ़ने लगी,ऊपर सीढ़ियां चढ़ते ही बाई तरफ हमारे रूम थे और उसके पास ही छत पर जाने का रास्ता था। जैसे ही नीचे से दूसरी मंजिल पर ऊपर आते थे,सीढ़ियों के पास ही दाई तरफ 2-3 फीट का एक कोना पड़ता था,अभी मैं ऊपर पहुंचा ही था की तभी रुचि दौड़कर ऊपर आई और मुझे कोने की ओर धक्का देकर दीवार से कसकर सटा दिया,उसकी height 5.9 feet थी इसलिए वो मुझसे थोड़ी नीची दिख रही थी,अपने बाएं हाथ से मेरी गर्दन पर दबाव बनाते हुए उसने गुस्से के साथ कहा,’नीचे यह सब क्या था?आज सुबह-सुबह ही बड़ी मस्ती सूज रही है।’ रुचि का ये गुस्सा बस दिखावे का था यह बात मै जानता था इसीलिए मैने हंसते हुए कहा,’शुरूआत किसने की थी? और तुम तो ऐसे बात कर रही हो की जैसे तुम्हें मजा नहीं आया, देखो जरा तुम्हारे चूत के पानी की वजह से मेरा पूरा पैर गंदा हो गया।’


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’अब तुम मेरे साथ भी ऐसी गंदी भाषा मे बात करोगे और अगर उस वक्त आंटी ने देख लिया होता तो मै क्या जवाब देती?’
’कुछ भाषा हमेशा गंदी नहीं होती वो तो सुनने वाले पर depend करता है और वैसे भी मै तुम्हारे जैसा पागल थोड़े ही हूं मैने पूरा चेक करके ही ये किया था.....So Relax’ इतना बोलकर मैने कोने की दीवार से नीचे देखा तो मोम साफ सफाई कर रही थी। मैं रुचि की तरफ घुमा तो उसने मुझसे कहा,’मेरे पागलपन का एक Example मै तुम्हे अभी देती हूं।’ इतना कहकर उसने अपना हाथ मेरे बॉक्सर के ऊपर रखकर मेरा लंड अपने हाथों मै पकड़ लिया,रुचि की इस हरकत से मेरी तो जैसे सांसे ही थम गई,मै बस सहमे हुए उसे देख रह था।
"अपने साथ होता है तो कैसा लगता है अब पता चला?" इतना बोलकर वो मेरे बिलकुल करीब आ गई,उसका हाथ अभी भी मेरे बॉक्सर पर ही था जिसे वो बहुत अच्छे से मसल रही थी,उसकी इस हरकत से मेरे मुंह से आवाज़ निकल गई,"ओओहह......उऊफफ्......" उसने अपने टॉप के दो बटन खोल दिए जिससे उसके आधे से ज्यादा बूब्स बाहर तक दिखने लगे,मेरे पूरा बदन पसीने से भीग रहा था,हर बीतते वक्त के साथ मुझे खुदको संभालना बहुत मुश्किल हो रहा था जिसकी वजह से मेरा लंड पूरा तनकर खड़ा हो चुका था,जो मेरे बॉक्सर से बाहर तक निकल गया था,मेरी तेज़ चल रही गर्म सांसों को महसूस करते हुए वो अपने दोनों होठ मेरे करीब ले आई,अगर वो थोड़ा आगे बढ़ती तो मेरे होठ उसके रसीले होठों का स्वाद ले चुके होते।आज वो मुझे परेशान करने का पूरा मन बना चुकी थी,उसने फिर अपनी सुरीली आवाज़ में कहा,"तुमने जो किया उसके मुकाबले तो यह कुछ भी नहीं है अभी तो ओर भी हिसाब करना बाकी है।" इतना कहकर उसने मेरा टीशर्ट धीरे से उतारकर फेंक दिया,मोम किसी भी पल ऊपर आ सकती है इसके डर से मै उसे कुछ बोलता उसके पहले उसने अपने बूब्स मेरी छाती पर रख दिए और अपनी जीभ मेरी गर्दन पर घुमाने लगी,उसके बदन से आती खुश्बू अब मेरी सांसों में समाने लगी पर शायद उसे यह सब भी कम लग रहा था इसलिए उसने मेरा बॉक्सर नीचे उतारकर मेरे लंड को पूरा आजाद कर दिया जो कबसे झटके खाए जा रहा था,इतना बड़ा फौलादी लंड देखकर एक पल के लिए तो जैसे वो हैरान रह गई पर थोड़ी देर उसे देखने के बाद अपने कोमल हाथ आगे बढ़ाकर उसने मेरा लंड हाथ में पकड़ लिया और धीरे से ऊपर नीचे करने लगी,वो कभी दाएं हाथ से मेरे लंड को मसलती तो दूसरे बाएं हाथ से मेरे आंड को सहलाती,वो मेरे गर्दन पर घुमा रही जीभ को मेरे छाती तक ले आई और मेरे निप्पल मुंह मै दबा दिए,अपने बूब्स को मेरी छाती पर रगड़ते हुए वो पूरा ऊपर नीचे हो रही थी,अब उसने मेरे लंड को अपनी दोनों टांगों के बीच चूत के पास दबा दिया था और अपनी जीभ से मेरी पूरी छाती को चाटने लगी थी।

मै लगभग पूरा नंगा हो चुका था पर रुचि अब भी रुकने का नाम नहीं ले रही थी और नीचे मोम आधे से ज्यादा हॉल साफ कर चुकी थी जिसके खत्म होते ही वो कभी भी ऊपर आ सकती थी इसलिए मैने जल्दी से इस खेल को खत्म करने का सोचा,मैने रुचि के बालों से पकड़ा और उसके चेहरे को मेरे नजदीक लाकर उसके नाजुक होठों से अपने होठ मिला दिए।


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मेरी अचानक की गई हरकत से वो कुछ समझ नहीं प्यार सिर्फ बड़ी आंखों से मुझे देखने लगी,मैने उसके होठों को चूसते हुए अपनी जीभ उसके मुंह में घुसा दी,उसके साथ एक wild किस का मजा लेते हुए मैने दोनों हाथों से उसके बूब्स पकड़ लिए,मैने जैसी उसे धीरे से दबाया मुझे लगा दोनों हाथो में जैसे किसी ने मुलायम रूई रख दी हो,वो भी अब पूरी गर्म हो चुकी थी पर उसके मुंह से निकलती सिसकारियां मेरे मुंह मै ही दब गई,'गुंगुऊऊहहह.......उऊहहहह.....उहहह' उसकी रसीली चूत पानी छोड़ते हुए उसकी लेगिस के ऊपर से ही मेरे लंड को भिगो रही थी,मुझे लगा यही सही मौका है इसलिए मैने अपने लंड को उसकी लेगिस के ऊपर से ही धक्के मारना शुरू कर दिया,'ऊऊहहह......ओओउउहहह्......' उसकी ये आवाजें मेरे कानों में पड़ रही थी।

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उसने दोनों हाथों से मुझे अपनी बाहों मै जकड़ा हुआ था,जैसे ही उसका पानी निकलने वाला था उसने अपने नाखून मेरी पीठ पर गड़ा दिए,उसका यह इशारा मै समझ गया और मैने अपनी रफ़्तार तेजी कर दी,कुछ मिनटों की इस कामक्रीड़ा के बाद हम दोनों तेज़ चलती सांसों के साथ झड़ने लगे,मैने अपना सर माल उसकी लेगिस की चूत पर छोड़ दिया जो उसके काम रस से मिलकर मेरे लंड को पूरा चिपचिपा बना रहे थे।इतनी देर से चल रही हमारी किस की वजह से जब हम लोग अलग हुए तो उसके थूक से बनती लार मेरे होठों पर आ गई।

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मैने उसकी आंखों में देखा तो उसमें मिलन की खुशी के साथ कुछ अधूरा पन दिख रहा था जिसे वो पूरा करने के लिए तरस रही थीं,ऊपर-ऊपर से किए गए इस खेल से वो अभी पूरा संतुष्ट नहीं हुई थी,उसके मन में कही गिल्ट रह गया था इसलिए वो चुप होकर खड़ी थी,मैने माहौल को थोड़ा हल्का करने के लिए उसे छोड़ते हुए कहा,"बड़ी आई थी हिसाब बराबर करने......यह तो वहीं बात हो गई शिकार करने गए थे खुद शिकार बनके वापस आ गए।" मेरी यह बात सुनकर उसने मेरा लंड कसकर पकड़ लिया जिससे मुझे दर्द होने लगा,'आआहह.....Oouch Sorry यार छोड़ो प्लीज' उसने मेरे कानों के पास आकर धीरे से कहा,'अभी ये खेल खत्म नहीं हुआ है' इतना बोलकर वो दौड़ते हुए अपने रूम मै घुस गई,उसके जाते ही मैने नीचे देखा तो मोम सफाई करने ऊपर ही आ रही थी इसलिए मैने जल्दी से अपना टीशर्ट उठाया और अपने रूम में चला गया।
इस तरफ रुचि अपने रूम में दरवाजे के सहारे खड़ी हुई थी,कुछ देर पहले जो हुआ उसके बारे में सोचकर उसकी सांसे तेज चलने लगी थी जिसकी वजह से उसका पूरा चेहरा लाल पड़ चुका था।उसने अपनी लेगिस उतारी और उसकी तरफ देखकर कहा,"आखिर कार कही से तो तुमने हमारे रिश्ते की शुरुआत की पर वो दिन कब आएगा जब तुम सारे बंधन तोड़कर अपना यह लंड मेरी चूत में समा कर इसे अपने वीर्य से भर दोगे" इतना बोलकर वो अपनी लेगिस का चूत का हिस्सा चाटने लगी जहां बार अभी भी दोनों का Sperm लगा हुआ था,दोनों के Mix Taste से उसका मुंह तरबतर हो गया,साथ थी वो अपनी दोनों उंगलियो को अपनी चूत मै डालकर अंदर बाहर

करने लगी।

Bahut hi garmagaram update he p696r Bro,

Keep rocking
 

sunoanuj

Well-Known Member
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Waiting for NeXT update …
 

p696r

Lust Forever💦
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अपडेट - 4

आज की सुबह हमारे दो प्यासे परिंदों के लिए काफी लंबी होने वाली थी पर रुचि अपनी उंगलियों की मदद से प्यासी चूत को संतुष्ट करने की कोशिश कर रही थी पर यह उसके लिए काफी नहीं था इसलिए वह दौड़कर अपने पर्स के पास गई और उसमें से वाइब्रेटर लेकर बाथरूम में घुस गई।

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इस तरफ विशाल अपने रूम में कपड़े चेंज करने गया तो कुछ देर पहले मिली उस जिस्म की गर्मी की वजह से उसका लंड फिर खड़ा हो गया, उसका दिल तो बहुत कर रहा था कि वो रुचि से बात करे और अपने दिल का हाल बया करें पर अपने मन को काबू करके जैसे ही रूम से निकला नीचे से मम्मी की फिर आवाज आई,"बेटा विशु तुम लोगों को बाजार नहीं जाना क्या? देखो 9:30 कब के बज चुके हैं।" उसने मॉम की बात सुनकर घड़ी देखी तो सच मे बहुत देर हो चुकी थी, उसे समझ नहीं आ रहा था कि रुचि अभी तक बाहर क्यों नहीं आई? यह सोचकर वो रुचि के रूम की ओर बढ़ गया,वहां उसने पाया कि उसके रूम का डोर खुला हुआ है इसलिए वह रुचि के रूम में चला गया।

रूम में अंदर जाकर देखा तो पूरी तरह शांति थी उसे रुचि कही नजर नहीं आ रही थी,वो रूम से निकलने ही वाला था की तभी उसके कानों मे आवाज पड़ी जैसे कुछ वाइब्रेट हो रहा हो,उसकी नजर बाथरुम के डोर की तरफ गई जो हल्का खुला हुआ था इसलिए उसने धीरे से रूम का main door लॉक किया और बाथरूम की और बढ़ गया,जैसे ही वो उसके नज़दीक पहुंचा उसे रुचि के सिसकियों की भी आवाजें सुनाई दी,यह सुनकर वो समझ गया कि रुचि क्या कर रही है।


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इसलिए वो बिना कोई आवाज़ किए बाथरूम मै घुस गया और उसके डोर को भी लॉक कर दिया।
गेस्ट रूम का बाथरूम Attach था,पहले बाथरूम और फिर टॉयलेट आता था इसलिए बीच में से एक वाइट पर्दा लगा हुआ था, जैसे ही मैं अंदर आया बाथरूम के अन्दर का माहौल पहले से ही बहुत गर्म था,मुझे वाइब्रेटर के साथ रुचि के तेज सिसकियों की आवाजें सुनाई दी,जिससे सुनकर ऐसा लग रहा था मानो वो लगभग चीख ही रही हो,"अ....आ....आहहह......उहहहह डालो विशाल और जोर से करो.......हा ऐसे ही ओओहहहह........" मैने धीरे से पर्दा हटाया तो वो टॉयलेट sheet को गिराकर उस पर बैठी हुई थी।


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उसकी ऐसी मादक आवाज सुनकर मेरा लंड हरकत करने लगा इसलिए मैं उसे पेंट के ऊपर से ही मसलने लगा, दूसरी तरफ मैने देखा तो रुचि ने वाइब्रेटर अपनी Butt Hole (गांड के छेद) में डाल रखा था और दोनों हाथों से डिल्डो को अंदर बाहर कर रही थी,"तुम्हारा ये लंबा लंड मुझे पागल कर रहा है.......ईससस्......आआहाहाआआआ......." उसके मुंह से निकलती हर आवाज बाथरूम की दीवारों से टकराकर मेरे कानों में पड़ रही थी।
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अब मेरे लिए कंट्रोल करना और ज्यादा मुश्किल बन गया था इसलिए मैंने कुछ सोचकर अपना लंड निकाला और उसे उन पर्दो के बीच से उतारकर रुचि के सामने रख दिया, मेरा शरीर अभी भी उस पर्दो के पीछे ही छिपा हुआ था ऐसा लग रहा था मानो मैंने कोई Glory Hole बना दिया हो।

(जिन लोगों को नहीं पता Glory Hole क्या होता है तो एक खाली कमरे में लड़की जाती है जहां दीवार में एक Hole होता है जिसमें से दूसरी ओर से मर्द अपना लंड निकलकर लड़की के सामने रखता है और लड़की अपनी मर्जी से उसके साथ sex करती है।)


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रुचि अपनी आंखे बंद किए अपना हाथ जल्दी से चला रही थी
इसलिए मैंने धीरे से उसका नाम पुकारा.... 'रुचि'...... इतना सुनकर उसने आंखें खोली तो पाया कि मैं उन पर्दो के पीछे खड़ा हुआ हूं और मेरा आजाद लंड उसके सामने खड़ा झटके मार रहा है,"रुचि मै जानता हूं तुम अपने दिल मै कितना कुछ दबाकर बैठी हों, अंकल के जाने के बाद मैने अपने आप से वादा किया था कि अब से मै तुम्हारी हर एक जरूरत को पूरी करूंगा पर अभी वो सही वक्त नहीं आया है कि मैं तुम्हारी इस प्यास को बुझा दूं।"

मेरी यह बात सुनकर वह मेरे लंड को दोनों हाथों से पकड़ते हुए बोली ,"जब तुम्हें पता है तो फिर तुमने हम दोनों के बीच ये दीवार क्यों खड़ी कर रखी है? क्यों मुझे इतना तड़पा रहे हो.....आआहहह......."


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"मैं जानता हूं पर तुम इस वक्त जितना मेरे लिए तरस रही हो मैं भी तुम्हारे लिए उतना ही तड़प रहा हूं,मेरा यकीन करो हम दोनो के प्यार के बीच जो हवस है मै उसे इतना बढ़ा देना चाहता हूँ कि जब मैं तुम्हारे चूत में अपना लंड डालू तो उसकी सिरहन मेरे जिस्म के हर हिस्से तक महसूस हो और जो रिश्ता धीरे-धीरे बढ़ता है उसकी डोर ज्यादा मजबूत होती है, यह तड़प ये दीवार ही उस मिलन को खास बनाएगी ।"
"पर उसके लिए मुझे कितना इंतजार करना होगा?"
"बस घोड़ा सब्र,उसके बाद मै पूरी तरह तुम्हारा होगा"


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मेरी यह बात सुनकर वह आगे कुछ नहीं बोली,थोड़ी देर बाद उसने अपनी जीभ से लंड के टॉप को चाटकर स्वाद महसूस किया,उसके बाद जिसे उसके मुंह पर एक चमक आ गई हो इसलिए उसने धीरे-धीरे मेरे लंड को मुंह में भरना शुरू कर दिया, जैसे वह मेरी समझाई हुई बात समझ गई हो, पहले तो उसे थोड़ी दिक्कत हुई पर धीरे-धीरे करके उसने आधा लंड अपने मुंह में ले लिया और अब वह किसी प्रोफेशनल की तरह मेरे लंड को चूसे जा रही थी पर उसे पर्दो को वजह से कुछ दिक्कत हो रही थी,"भाई क्या तुम उस पर्दो के पीछे से बाहर आकर मेरे सामने खड़े रह सकते हो,मै वादा करती हूं कि इससे ज्यादा कुछ नहीं करुंगी" उसकी बात सुनकर मुझे ऐसी कोई दिक्कत नहीं लगी इसलिए मैने उन पर्दो को हटा दिया जिससे मेरा फौलादी बदन उसके सामने आ गया,मैने सामने देखा तो रुचि मेरे सामने रही बैठी हुई थी,उसके खुले बाल,गुलाबी होठ,उसकी चूत पर कुछ बाल थे जो उसकी चूत को ज्यादा आकर्षक बना रहे थे।

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हमारे जिस्मों की गर्मी की वजह से उसके गले से बहता पसीना उसके मुलायम बूब्स के बीच तक पहुंच गया था और उसके चूत से जो पानी निकल रहा था वो उस डिल्डो को भिगोते हुए फर्श पर गिर रहा था।
मुझे अपने सामने ऐसे नंगे खड़े हुए देखकर उसके मुंह से तो जैसे पानी बहने लगा,उसने अपने दोनों हाथों से मेरे लंड को पकड़ा जो उसके हाथों मै जाने से ओर भी ज़्यादा गर्म हो चुका था,मेरे लंड को पकड़कर वो मेरे नीचे के बालों को नजरअंदाज करके आंड को बखूबी चूस रही थी,कुछ देर लंड से खेलने के बाद वो मेरे छाती के निपल्स और मेरी गर्दन पर अपनी जीभ घुमाने लगी उसके मुंह से निकलते थूक से मेरा बदन भीग चुका था,मेरे गर्दन से आगे बढ़कर जैसे ही मेरे होठों के पास आई मैने तुरंत उसे रोक दिया और मना कर दिया क्योंकि अगर उसके किस किया तो मैं खुद पर से कंट्रोल खो दूंगा यह मुझे पता था,"रुचि इसे जल्दी खत्म करो हमे बाहर भी जाना है।"

मेरी बात सुनकर वो हल्का सा मुस्कुराई,उसके शरीर मे बढ़ती हुई वासना की वजह से उसने वाइब्रेटर फुल स्पीड पे कर दिया और इस बार मेरे लंड को मुंह मै डालकर धक्के लगाने लगी,मै अपनी आँखें बंद करके बस इस चीज का मजा ले रहा था,अब मैने भी थोड़ा Roughly होने का सोचा इसलिए मैने दोनों हाथों से उसका सर पकड़ा और एक धक्के में मेरा लंड उसके मुंह में भर दिया,मेरी इस हरकत से वो पूरी तरह चौक गई और उसकी आंखों से आंसू निकल आए,मेरा लंड अब पूरी तरह उसके मुंह में समाकर उसके गले तक चला गया था जिससे उसे बोलने में तकलीफ हो रही थी,

मेरे सर पे जैसे नशा सवार हो गया था इसलिए मुझे रुचि का ख्याल नहीं आया,"साली रांड बहुत चुदने का शोख है ना तो अब इसे झेलकर बता,तेरी चूत के जैसे तेरे मुंह को भी इतना चोदूंगा की उसका भी भोसड़ा बन जाएगा.....ये ले....."
गंदी गालियां देते हुए मैने उसके सर को पकड़कर जोरो से धक्के मारने लगा,"गुं....गुंगुं....गुउऊहहह........ओक....ओ.....घोह्......ऊंहहह..... उऊहहहह......." मै लंड को उसके मुंह तक लाता और फिर पूरा अंदर डाल देता,कुछ देर तक उसे दिक्कत हुई पर फिर जैसे उसे मज़ा आने लगा,वो खुद उसे मुंह से पूरा बाहर निकालकर आंड से लंड के टोपे तक चुस्ती और अपनी जीभ मुंह मै गोल-गोल घुमाकर चूसने लगती।उसने डिल्डो को जमीन पर रखकर उस पर उछलते हुए मेरा लंड चूसे जा रही थी।


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उसके मुंह की गर्मी और थूक के साथ मिलकर लंड पूरा चिपचिपा हो गया था जिसकी वजह से मेरा वीर्य निकलने वाला था इतनी देर तक लंड को चूसने की वजह से उसकी आंखों और नाक से भी पानी बहने लगा था। कुछ देर यही खेल चलने के बाद मैंने उसका सर पकड़ा जिससे वह समझ गई और एक तेज झटका देते हुए मेरा सारा वीर्य उसके मुंह के अंदर छोड़ दिया,जिसका वह एक-एक कतरा उसके गले से होते हुए रुचि के पेट में चला गया पर अभी भी रुचि का पानी नहीं निकला था, जिसकी वजह से वो बाथरूम की फर्श पर लेटकर मेरे सामने देखते हुए बोलने लगी,"आआहहहह भैया चोद दो अपनी इस प्यासी बहन को......बना को मुझे अपना उउफफफ.......फाड़ दो मेरी चूत.......ऊंहहह......."

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रुचि को इस तरह तड़पते देखकर मैं अपना मुंह उसके चूत के पास ले गया,पसीने के साथ भीगी उसके चूत की खुशबू मेरे सांसों मै समा रही थी,मैंने डिल्डो को बाहर निकाला और अपना मुंह लगाकर उससे अच्छे से चूसने लगा, चूत के दाने से लेकर निचले हिस्से तक चूसते हुए मैने अपनी जीभ अंदर घुसा दी और अंदर गोल घुमाने लगा,वो फिर मेरे सर को पकड़ते हुए आवाजें लगाने लगी,"हां भैया चाटो इसे.....उफफफ........सीईईई.......यह आपके सिवा किसी ओर की नहीं...... आआहहह....... निचोड़ लो इसे......ओहहह........"

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उसकी चूत से निकला गर्म कामरस मैने सारा गले के नीचे उतार दिया,हम दोनों हो जड़ चुके थे पर एक दूसरे को पाने की इच्छा अभी भी खत्म नहीं हुई थी,मै उसके समाने खड़ा उसके संगेमरमर समान उसके बदन को निहार रहा था,जिससे उसने शर्म से अपने मुंह को छिपा लिया,हम दोनों पसीने से भीग थे जिससे पूरे बाथरूम में हम दोनों के जिस्मों की खुशबू फैल गई थी,मैने उसे धीरे से अपनी तरफ खींचा और ऊपर से शॉवर ऑन कर दिया,जिससे गिरती ठंडे पानी की बूंदे हम दोनों के जिस्मों को ठंडा कर रही थी मै उसको अपनी बाहों में समेटकर खड़ा था पर मेरे मन में कुछ देर पहले की बात याद आई जब मैने उसको गंदी गालियां दी थी,"रुचि मैने पहले तुम्हे जो कहा उसका बुरा तो नहीं लगा।"
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराते हुए मेरी ओर घूमकर कहा,"ऐसी बातें तो दिल को ओर ज्यादा Excited कर देती है।" उसकी यह बात सुनकर दिल को एक राहत महसूस हुई,कुछ देर बाद हम दोनों बाथरुम से निकले और मै अपने रूम मै तैयार होने चला गया।

विशाल के रूम से जाने के बाद रुचि तैयार होकर नीचे आई तो देखा 10:15 बज चुके थे,उसने ब्लू टीशर्ट और वाइट जीन्स पहनी हुई थी,मोम की तरफ देखते हुए उसने कहा,"सॉरी आंटी बहुत लेट हो गया पर पता नहीं क्यूं आज नींद कुछ ज्यादा ही आ रही थी" उसकी बात पर मोम ने हंसकर कहा,"वो सब ठीक है पर अब जल्दी से बाहर जाओ विशाल कब से तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा है"
"वो इतनी जल्दी कब तैयार हो गया?" यह बोलकर वो बाहर आई तो देखा में white टीशर्ट और ब्लैक jeans में गॉगल्स लगाए बाइक के पास उसका इंतेज़ार कर रहा था,रुचि को इस टीशर्ट में देखकर मेरी नजर उसके बूब्स पर ही अटक गई,उसके टीशर्ट में कैद बड़े बूब्स कुछ ज्यादा ही रसीले लग रहे थे।


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जो भी उसे देखे बस मन भरकर उसे चूसने की तलब लग जाए,ऊपर से उसकी टीशर्ट इतनी टाइट थी जैसे देखकर ऐसा लग रहा हो मानो उसके दोनों बूब्स बाहर आने को तरस रहे हो,वो जब सामने से मेरे तरफ चलकर आ रही थी तब उसके बढ़ते पैरों के साथ बूब्स भी हिल रहे थे जो आंखों को एक अलग ही ठंडक से जाते थे।वो मेरे पास आकर खड़ी हो गई पर मै अभी भी उसकी छाती के उस उभारों मै ही खोया हुआ था इसलिए उसने खांसते हुए कहा,"अब मॉल चले या फिर बेडरूम में जाने का इरादा है।" उसकी इस बात पर मैने हंसकर कहा,"मेरा बस चले तो तुम्हे कमरे से बाहर ही न आने दूं बस दिन भर तुम्हारे इन रसीले संतरों का मजा लेता रहूं।" मेरी ये बात सुनकर वो हंसते हुए मेरी बाइक के पीछे बैठ गई।

मेरे पास Honda CB 500X नाम की स्पोर्ट्स बाइक थी,मुझे पहले से ही स्पोर्ट्स बाइक्स का बहुत शोख था इसलिए मैने महंगी सही पर एक अच्छी बाइक लेने का फैसला कर लिया था तब मुझे ये बाइक मिली, जो वैसे तो महंगी थी पर एक दोस्त की मदद से आधे दाम मै second hand मिल गई। स्पोर्ट्स बाइक की वजह से बैठने के लिए स्पेस कम थी इसलिए उसे आगे झुककर बैठना पड़ा,मैने बाइक स्टार्ट की और हम city की ओर चल पड़े,हम जिस area में रहते थे वो पेड़ो से घिरा हुआ इलाका था जिसकी वजह से यहां पर ज्यादा घर नहीं थे और दो घरों के बीच भी काफी फासला रहता था।

बसंत का मौसम था इसलिए मौसम में घुली हुई ठंड दिल को छूकर सुकून दे रही थी,वैसे भी ये शहर पहाड़ों से घिरे होने की वजह से यहां गर्मी ज्यादा नहीं महसूस होती थी,चारों और फैली कुदरत की इस खूबसूरती को देखकर ऐसा लग रहा था मानो उसने सब रंग चारों ओर बिखेर दिए हो और एक हरे रंग की चादर ओढ ली हो,आसमान में छाए पतले बादलों की परत हवाओं के साथ बहकर आगे बढ़ रही थी,हम दोनों इस खूबसूरत नजारे का आनंद लेते हुए आगे बढ़ रहे थे,सूरज की सोने सी चमक पेड़ो के पत्तों के बीच से आती हुई हमारे चेहरे को रोशन कर रही थी,कहते है की जो फूल बरसात के मौसम में नहीं खिलता वो बसंत के मौसम में खिल जाता है क्योंकि ये ऋतु दिल के तारों को ज़ंजोरकर रख देती है इसलिए इसे 'प्यार का मौसम' भी कहते है,कुछ इस तरह ही अपने दिलों में अरमान लिए दो दिल एक दूसरे के करीब आ रहे थे,घर से निकलते वक्त मोम की वजह से वो मुझसे थोड़ी दूर बैठी थी ताकि मोम को शक ना हो,हम दोनों घर से दूर आ चुके थे पर अभी भी 8km जितना रास्ता तय करना बाकी था,मै अक्सर बाइक तेज चलाता हूं ये बात रुचि जानती थी पर आज मेरी बाइक की स्पीड 40 से ऊपर नहीं गई थी,जिसकी वजह भी रुचि समझ चुकी थी,ऊपर से मैं ब्रेक लगाते हुए बाइक के झटके दे रहा था जिसकी वजह से रुचि की छाती मेरी पीठ से टकरा जाती थी।
"क्या कर रहे हो ठीक से चलाओ ना!"
"अब रास्ते में गढ्ढे आ रहे है तो मैं क्या करूं?" दरअसल हम जिस रोड से जा रहे थे वो सड़क एकदम पक्की थी।
"सब पता है मुझे अब ये नाटक मत करो" वो मुंह फुलाकर बोली।

"अब इन्हें सच कहो तो भी प्रॉबलम है" मैने हंसते हुए कहा तो वो खिसक कर मेरे पास आ गई,अपने बूब्स मेरी पीठ पर गढ़ाए और मेरी छाती पर बूब्स का दबाव बढ़ाते हुए ऊपर-नीचे करने लगी,उसके ऐसा करने से एक झनझनाहट मेरे पूरे बदन में फैल गई,आखिरकार उसने अपने हाथों से मेरे सिने से लिपट गई और अपना सर मेरी पीठ पर रखकर बैठ गई।एक दूसरे को छूने की वजह से बढ़ती गर्मी के साथ हम उस एहसास को मेहसूस करने लगे जो हमें एक दूसरे की ओर खींच रहा था।


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दोस्तो अगर आपको कहानी पसंद आ रही है तो नीचे Comment में अपनी राय देना ना भूले.......Thank you
 
Last edited:

Ajju Landwalia

Well-Known Member
3,893
15,012
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अपडेट - 4
आज की सुबह हमारे दो प्यासे परिंदों के लिए काफी लंबी होने वाली थी पर रुचि अपनी उंगलियों की मदद से प्यासी चूत को संतुष्ट करने की कोशिश कर रही थी पर यह उसके लिए काफी नहीं था इसलिए वह दौड़कर अपने पर्स के पास गई और उसमें से वाइब्रेटर लेकर बाथरूम में घुस गई। इस तरफ विशाल अपने रूम में कपड़े चेंज करने गया तो कुछ देर पहले मिली उस जिस्म की गर्मी की वजह से उसका लंड फिर खड़ा हो गया, उसका दिल तो बहुत कर रहा था कि वो रुचि से बात करे और अपने दिल का हाल बया करें पर अपने मन को काबू करके जैसे ही रूम से निकला नीचे से मम्मी की फिर आवाज आई,"बेटा विशु तुम लोगों को बाजार नहीं जाना क्या? देखो 9:30 कब के बज चुके हैं।" उसने मॉम की बात सुनकर घड़ी देखी तो सच मे बहुत देर हो चुकी थी, उसे समझ नहीं आ रहा था कि रुचि अभी तक बाहर क्यों नहीं आई? यह सोचकर वो रुचि के रूम की ओर बढ़ गया,वहां उसने पाया कि उसके रूम का डोर खुला हुआ है इसलिए वह रुचि के रूम में चला गया।

रूम में अंदर जाकर देखा तो पूरी तरह शांति थी उसे रुचि कही नजर नहीं आ रही थी,वो रूम से निकलने ही वाला था की तभी उसके कानों मे आवाज पड़ी जैसे कुछ वाइब्रेट हो रहा हो,उसकी नजर बाथरुम के डोर की तरफ गई जो हल्का खुला हुआ था इसलिए उसने धीरे से रूम का main door लॉक किया और बाथरूम की और बढ़ गया,जैसे ही वो उसके नज़दीक पहुंचा उसे रुचि के सिसकियों की भी आवाजें सुनाई दी,यह सुनकर वो समझ गया कि रुचि क्या कर रही है इसलिए वो बिना कोई आवाज़ किए बाथरूम मै घुस गया और उसके डोर को भी लॉक कर दिया।

गेस्ट रूम का बाथरूम Attach था,पहले बाथरूम और फिर टॉयलेट आता था इसलिए बीच में से एक वाइट पर्दा लगा हुआ था, जैसे ही मैं अंदर आया बाथरूम के अन्दर का माहौल पहले से ही बहुत गर्म था,मुझे वाइब्रेटर के साथ रुचि के तेज सिसकियों की आवाजें सुनाई दी,जिससे सुनकर ऐसा लग रहा था मानो वो लगभग चीख ही रही हो,"अ....आ....आहहह......उहहहह डालो विशाल और जोर से करो.......हा ऐसे ही ओओहहहह........" मैने धीरे से पर्दा हटाया तो वो टॉयलेट sheet को गिराकर उस पर बैठी हुई थी,उसकी ऐसी मादक आवाज सुनकर मेरा लंड हरकत करने लगा इसलिए मैं उसे पेंट के ऊपर से ही मसलने लगा, दूसरी तरफ मैने देखा तो रुचि ने वाइब्रेटर अपनी Butt Hole (गांड के छेद) में डाल रखा था और दोनों हाथों से डिल्डो को अंदर बाहर कर रही थी,"तुम्हारा ये लंबा लंड मुझे पागल कर रहा है.......ईससस्......आआहाहाआआआ......." उसके मुंह से निकलती हर आवाज बाथरूम की दीवारों से टकराकर मेरे कानों में पढ़ रही थी अब मेरे लिए कंट्रोल करना और ज्यादा मुश्किल बन गया था इसलिए मैंने कुछ सोचकर अपना लंड निकाला और उसे उन पर्दो के बीच से उतारकर रुचि के सामने रख दिया, मेरा शरीर अभी भी उस पर्दो के पीछे ही छिपा हुआ था ऐसा लग रहा था मानो मैंने कोई Glory Hole बना दिया हो।
रुचि अपनी आंखे बंद किए अपना हाथ जल्दी से चला रही थी

इसलिए मैंने धीरे से उसका नाम पुकारा.... 'रुचि'...... इतना सुनकर उसने आंखें खोली तो पाया कि मैं उन पर्दो के पीछे खड़ा हुआ हूं और मेरा आजाद लंड उसके सामने खड़ा झटके मार रहा है,"रुचि मै जानता हूं तुम अपने दिल मै कितना कुछ दबाकर बैठी हों, अंकल के जाने के बाद मैने अपने आप से वादा किया था कि अब से मै तुम्हारी हर एक जरूरत को पूरी करूंगा पर अभी वो सही वक्त नहीं आया है कि मैं तुम्हारी इस प्यास को बुझा दूं।"

मेरी यह बात सुनकर वह मेरे लंड को दोनों हाथों से पकड़ते हुए बोली ,"जब तुम्हें पता है तो फिर तुमने हम दोनों के बीच ये दीवार क्यों खड़ी कर रखी है? क्यों मुझे इतना तड़पा रहे हो.....आआहहह......."
"मैं जानता हूं पर तुम इस वक्त जितना मेरे लिए तरस रही हो मैं भी तुम्हारे लिए उतना ही तड़प रहा हूं,मेरा यकीन करो हम दोनो के प्यार के बीच जो हवस है मै उसे इतना बढ़ा देना चाहता हूँ कि जब मैं तुम्हारे चूत में अपना लंड डालू तो उसकी सिरहन मेरे जिस्म के हर हिस्से तक महसूस हो और जो रिश्ता धीरे-धीरे बढ़ता है उसकी डोर ज्यादा मजबूत होती है, यह तड़प ये दीवार ही उस मिलन को खास बनाएगी ।"
"पर उसके लिए मुझे कितना इंतजार करना होगा?"
"बस घोड़ा सब्र,उसके बाद मै पूरी तरह तुम्हारा होगा" मेरी यह बात सुनकर वह आगे कुछ नहीं बोली,थोड़ी देर बाद उसने अपनी जीभ से लंड के टॉप को चाटकर स्वाद महसूस किया,उसके बाद जिसे उसके मुंह पर एक चमक आ गई हो इसलिए उसने धीरे-धीरे मेरे लंड को मुंह में भरना शुरू कर दिया, जैसे वह मेरी समझाई हुई बात समझ गई हो, पहले तो उसे थोड़ी दिक्कत हुई पर धीरे-धीरे करके उसने आधा लंड अपने मुंह में ले लिया और अब वह किसी प्रोफेशनल की तरह मेरे लंड को चूसे जा रही थी पर उसे पर्दो को वजह से कुछ दिक्कत हो रही थी,"भाई क्या तुम उस पर्दो के पीछे से बाहर आकर मेरे सामने खड़े रह सकते हो,मै वादा करती हूं कि इससे ज्यादा कुछ नहीं करुंगी" उसकी बात सुनकर मुझे ऐसी कोई दिक्कत नहीं लगी इसलिए मैने उन पर्दो को हटा दिया जिससे मेरा फौलादी बदन उसके सामने आ गया,मैने सामने देखा तो रुचि मेरे सामने रही बैठी हुई थी,उसके खुले बाल,गुलाबी होठ,उसकी चूत पर कुछ बाल थे जो उसकी चूत को ज्यादा आकर्षक बना रहे थे।

हमारे जिस्मों की गर्मी की वजह से उसके गले से बहता पसीना उसके मुलायम बूब्स के बीच तक पहुंच गया था और उसके चूत से जो पानी निकल रहा था वो उस डिल्डो को भिगोते हुए फर्श पर गिर रहा था।
मुझे अपने सामने ऐसे नंगे खड़े हुए देखकर उसके मुंह से तो जैसे पानी बहने लगा,उसने अपने दोनों हाथों से मेरे लंड को पकड़ा जो उसके हाथों मै जाने से ओर भी ज़्यादा गर्म हो चुका था,मेरे लंड को पकड़कर वो मेरे नीचे के बालों को नजरअंदाज करके आंड को बखूबी चूस रही थी,कुछ देर लंड से खेलने के बाद वो मेरे छाती के निपल्स और मेरी गर्दन पर अपनी जीभ घुमाने लगी उसके मुंह से निकलते थूक से मेरा बदन भीग चुका था,मेरे गर्दन से आगे बढ़कर जैसे ही मेरे होठों के पास आई मैने तुरंत उसे रोक दिया और मना कर दिया क्योंकि अगर उसके किस किया तो मैं खुद पर से कंट्रोल खो दूंगा यह मुझे पता था,"रुचि इसे जल्दी खत्म करो हमे बाहर भी जाना है।"

मेरी बात सुनकर वो हल्का सा मुस्कुराई,उसके शरीर मे बढ़ती हुई वासना की वजह से उसने वाइब्रेटर फुल स्पीड पे कर दिया और इस बार मेरे लंड को मुंह मै डालकर धक्के लगाने लगी,मै अपनी आँखें बंद करके बस इस चीज का मजा ले रहा था, मैने दोनों हाथों से उसका सर पकड़ा और एक धक्के में मेरा लंड उसके मुंह में भर दिया,मेरी इस हरकत से वो पूरी तरह चौक गई और उसकी आंखों से आंसू निकल आए,मेरा लंड अब पूरी तरह उसके मुंह में समाकर उसके गले तक चला गया था जिससे उसे बोलने में तकलीफ हो रही थी,कुछ देर तक उसे ऐसे ही रहने दिया और फिर उसके सर को पकड़कर धक्के मारने लगा,"गुं....गुंगुं....गुउऊहहह........ओक....ओ.....घोह्......ऊंहहह..... उऊहहहह......." मै लंड को उसके मुंह तक लाता और फिर पूरा अंदर डाल देता,कुछ देर तक उसे दिक्कत हुई पर फिर जैसे उसे मज़ा आने लगा,वो खुद उसे मुंह से पूरा बाहर निकालकर आंड से लंड के टोपे तक चुस्ती और अपनी जीभ मुंह मै गोल-गोल घुमाकर चूसने लगती।उसने डिल्डो को जमीन पर रखकर उस पर उछलते हुए मेरा लंड चूसे जा रही थी।

उसके मुंह की गर्मी और थूक के साथ मिलकर लंड पूरा चिपचिपा हो गया था जिसकी वजह से मेरा वीर्य निकलने वाला था इतनी देर तक लंड को चूसने की वजह से उसकी आंखों और नाक से भी पानी बहने लगा था। कुछ देर यही खेल चलने के बाद मैंने उसका सर पकड़ा जिससे वह समझ गई और एक तेज झटका देते हुए मेरा सारा वीर्य उसके मुंह के अंदर छोड़ दिया,जिसका वह एक-एक कतरा उसके गले से होते हुए रुचि के पेट में चला गया पर अभी भी रुचि का पानी नहीं निकला था, जिसकी वजह से वो बाथरूम की फर्श पर लेटकर मेरे सामने देखते हुए बोलने लगी,"आआहहहह भैया चोद दो अपनी इस प्यासी बहन को......बना को मुझे अपना उउफफफ.......फाड़ दो मेरी चूत.......ऊंहहह......." रुचि को इस तरह तड़पते देखकर मैं अपना मुंह उसके चूत के पास ले गया,पसीने के साथ भीगी उसके चूत की खुशबू मेरे सांसों मै समा रही थी,मैंने डिल्डो को बाहर निकाला और अपना मुंह लगाकर उससे अच्छे से चूसने लगा, चूत के दाने से लेकर निचले हिस्से तक चूसते हुए मैने अपनी जीभ अंदर घुसा दी और अंदर गोल घुमाने लगा,वो फिर मेरे सर को पकड़ते हुए आवाजें लगाने लगी,"हां भैया चाटो इसे.....उफफफ........सीईईई.......यह आपके सिवा किसी ओर की नहीं...... आआहहह....... निचोड़ लो इसे......ओहहह........"
उसकी चूत से निकला गर्म कामरस मैने सारा गले के नीचे उतार दिया,हम दोनों हो जड़ चुके थे पर एक दूसरे को पाने की इच्छा अभी भी खत्म नहीं हुई थी,मै उसके समाने खड़ा उसके संगेमरमर समान उसके बदन को निहार रहा था,जिससे उसने शर्म से अपने मुंह को छिपा लिया,हम दोनों पसीने से भीग थे जिससे पूरे बाथरूम में हम दोनों के जिस्मों की खुशबू फैल गई थी,मैने उसे धीरे से अपनी तरफ खींचा और ऊपर से शॉवर ऑन कर दिया,जिससे गिरती ठंडे पानी की बूंदे हम दोनों के जिस्मों को ठंडा कर रही थी।कुछ देर बाद हम दोनों बाथरुम से निकले और मै अपने रूम मै तैयार होने चला गया।

विशाल के रूम से जाने के बाद रुचि तैयार होकर नीचे आई तो देखा 10:15 बज चुके थे,उसने ब्लू टीशर्ट और वाइट जीन्स पहनी हुई थी,मोम की तरफ देखते हुए उसने कहा,"सॉरी आंटी बहुत लेट हो गया पर पता नहीं क्यूं आज नींद कुछ ज्यादा ही आ रही थी" उसकी बात पर मोम ने हंसकर कहा,"वो सब ठीक है पर अब जल्दी से बाहर जाओ विशाल कब से तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा है"
"वो इतनी जल्दी कब तैयार हो गया?" यह बोलकर वो बाहर आई तो देखा में white टीशर्ट और ब्लैक jeans में गॉगल्स लगाए बाइक के पास उसका इंतेज़ार कर रहा था,रुचि को इस टीशर्ट में देखकर मेरी नजर उसके बूब्स पर ही अटक गई,उसके टीशर्ट में कैद बड़े बूब्स कुछ ज्यादा ही रसीले लग रहे थे,जो भी उसे देखे बस मन भरकर उसे चूसने की तलब लग जाए,ऊपर से उसकी टीशर्ट इतनी टाइट थी जैसे देखकर ऐसा लग रहा हो मानो उसके दोनों बूब्स बाहर आने को तरस रहे हो,वो जब सामने से मेरे तरफ चलकर आ रही थी तब उसके बढ़ते पैरों के साथ बूब्स भी हिल रहे थे जो आंखों को एक अलग ही ठंडक से जाते थे।वो मेरे पास आकर खड़ी हो गई पर मै अभी भी उसकी छाती के उस उभारों मै ही खोया हुआ था इसलिए उसने खांसते हुए कहा,"अब मॉल चले या फिर बेडरूम में जाने का इरादा है।" उसकी इस बात पर मैने हंसकर कहा,"मेरा बस चले तो तुम्हे कमरे से बाहर ही न आने दूं बस दिन भर तुम्हारे इन रसीले संतरों का मजा लेता रहूं।" मेरी ये बात सुनकर वो हंसते हुए मेरी बाइक के पीछे बैठ गई।

मेरे पास Honda CB 500X नाम की स्पोर्ट्स बाइक थी,मुझे पहले से ही स्पोर्ट्स बाइक्स का बहुत शोख था इसलिए मैने महंगी सही पर एक अच्छी बाइक लेने का फैसला कर लिया था तब मुझे ये बाइक मिली, जो वैसे तो महंगी थी पर एक दोस्त की मदद से आधे दाम मै second hand मिल गई। स्पोर्ट्स बाइक की वजह से बैठने के लिए स्पेस कम थी इसलिए उसे आगे झुककर बैठना पड़ा,मैने बाइक स्टार्ट की और हम city की ओर चल पड़े,हम जिस area में रहते थे वो पेड़ो से घिरा हुआ इलाका था जिसकी वजह से यहां पर ज्यादा घर नहीं थे और दो घरों के बीच भी काफी फासला रहता था।

बसंत का मौसम था इसलिए मौसम में घुली हुई ठंड दिल को छूकर सुकून दे रही थी,वैसे भी ये शहर पहाड़ों से घिरे होने की वजह से यहां गर्मी ज्यादा नहीं महसूस होती थी,चारों और फैली कुदरत की इस खूबसूरती को देखकर ऐसा लग रहा था मानो उसने सब रंग चारों ओर बिखेर दिए हो और एक हरे रंग की चादर ओढ ली हो,आसमान में छाए पतले बादलों की परत हवाओं के साथ बहकर आगे बढ़ रही थी,हम दोनों इस खूबसूरत नजारे का आनंद लेते हुए आगे बढ़ रहे थे,सूरज की सोने सी चमक पेड़ो के पत्तों के बीच से आती हुई हमारे चेहरे को रोशन कर रही थी,कहते है की जो फूल बरसात के मौसम में नहीं खिलता वो बसंत के मौसम में खिल जाता है क्योंकि ये ऋतु दिल के तारों को ज़ंजोरकर रख देती है इसलिए इसे 'प्यार का मौसम' भी कहते है,कुछ इस तरह ही अपने दिलों में अरमान लिए दो दिल एक दूसरे के करीब आ रहे थे,घर से निकलते वक्त मोम की वजह से वो मुझसे थोड़ी दूर बैठी थी ताकि मोम को शक ना हो,हम दोनों घर से दूर आ चुके थे पर अभी भी 8km जितना रास्ता तय करना बाकी था,मै अक्सर बाइक तेज चलाता हूं ये बात रुचि जानती थी पर आज मेरी बाइक की स्पीड 40 से ऊपर नहीं गई थी,जिसकी वजह भी रुचि समझ चुकी थी,ऊपर से मैं ब्रेक लगाते हुए बाइक के झटके दे रहा था जिसकी वजह से रुचि की छाती मेरी पीठ से टकरा जाती थी।
"क्या कर रहे हो ठीक से चलाओ ना!"
"अब रास्ते में गढ्ढे आ रहे है तो मैं क्या करूं?" दरअसल हम जिस रोड से जा रहे थे वो सड़क एकदम पक्की थी।
"सब पता है मुझे अब ये नाटक मत करो" वो मुंह फुलाकर बोली।

"अब इन्हें सच कहो तो भी प्रॉबलम है" मैने हंसते हुए कहा तो वो खिसक कर मेरे पास आ गई,अपने बूब्स मेरी पीठ पर गढ़ाए और मेरी छाती पर बूब्स का दबाव बढ़ाते हुए ऊपर-नीचे करने लगी,उसके ऐसा करने से एक झनझनाहट मेरे पूरे बदन में फैल गई,आखिरकार उसने अपने हाथों से मेरे सिने से लिपट गई और अपना सर मेरी पीठ पर रखकर बैठ गई।एक दूसरे को छूने की वजह से बढ़ती गर्मी के साथ हम उस एहसास को मेहसूस करने लगे जो हमें एक दूसरे की ओर खींच रहा था।

Bahut hi gazab ki update he p696r Bro,

Vishal aur Ruchi ke beech ki rishto ki diwar ab gir chuki he.............

Ab dono hi azad he.........jald hi dono ki purn milan hoga............

Keep rocking Bro
 

p696r

Lust Forever💦
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Bahut hi gazab ki update he p696r Bro,

Vishal aur Ruchi ke beech ki rishto ki diwar ab gir chuki he.............

Ab dono hi azad he.........jald hi dono ki purn milan hoga............

Keep rocking Bro
सही कहा bro,जल्द ही विशाल अपने बहन की जिस्म की आग को ठंडा करेगा❤️‍🔥

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आज की सुबह हमारे दो प्यासे परिंदों के लिए काफी लंबी होने वाली थी पर रुचि अपनी उंगलियों की मदद से प्यासी चूत को संतुष्ट करने की कोशिश कर रही थी पर यह उसके लिए काफी नहीं था इसलिए वह दौड़कर अपने पर्स के पास गई और उसमें से वाइब्रेटर लेकर बाथरूम में घुस गई। इस तरफ विशाल अपने रूम में कपड़े चेंज करने गया तो कुछ देर पहले मिली उस जिस्म की गर्मी की वजह से उसका लंड फिर खड़ा हो गया, उसका दिल तो बहुत कर रहा था कि वो रुचि से बात करे और अपने दिल का हाल बया करें पर अपने मन को काबू करके जैसे ही रूम से निकला नीचे से मम्मी की फिर आवाज आई,"बेटा विशु तुम लोगों को बाजार नहीं जाना क्या? देखो 9:30 कब के बज चुके हैं।" उसने मॉम की बात सुनकर घड़ी देखी तो सच मे बहुत देर हो चुकी थी, उसे समझ नहीं आ रहा था कि रुचि अभी तक बाहर क्यों नहीं आई? यह सोचकर वो रुचि के रूम की ओर बढ़ गया,वहां उसने पाया कि उसके रूम का डोर खुला हुआ है इसलिए वह रुचि के रूम में चला गया।

रूम में अंदर जाकर देखा तो पूरी तरह शांति थी उसे रुचि कही नजर नहीं आ रही थी,वो रूम से निकलने ही वाला था की तभी उसके कानों मे आवाज पड़ी जैसे कुछ वाइब्रेट हो रहा हो,उसकी नजर बाथरुम के डोर की तरफ गई जो हल्का खुला हुआ था इसलिए उसने धीरे से रूम का main door लॉक किया और बाथरूम की और बढ़ गया,जैसे ही वो उसके नज़दीक पहुंचा उसे रुचि के सिसकियों की भी आवाजें सुनाई दी,यह सुनकर वो समझ गया कि रुचि क्या कर रही है इसलिए वो बिना कोई आवाज़ किए बाथरूम मै घुस गया और उसके डोर को भी लॉक कर दिया।

गेस्ट रूम का बाथरूम Attach था,पहले बाथरूम और फिर टॉयलेट आता था इसलिए बीच में से एक वाइट पर्दा लगा हुआ था, जैसे ही मैं अंदर आया बाथरूम के अन्दर का माहौल पहले से ही बहुत गर्म था,मुझे वाइब्रेटर के साथ रुचि के तेज सिसकियों की आवाजें सुनाई दी,जिससे सुनकर ऐसा लग रहा था मानो वो लगभग चीख ही रही हो,"अ....आ....आहहह......उहहहह डालो विशाल और जोर से करो.......हा ऐसे ही ओओहहहह........" मैने धीरे से पर्दा हटाया तो वो टॉयलेट sheet को गिराकर उस पर बैठी हुई थी,उसकी ऐसी मादक आवाज सुनकर मेरा लंड हरकत करने लगा इसलिए मैं उसे पेंट के ऊपर से ही मसलने लगा, दूसरी तरफ मैने देखा तो रुचि ने वाइब्रेटर अपनी Butt Hole (गांड के छेद) में डाल रखा था और दोनों हाथों से डिल्डो को अंदर बाहर कर रही थी,"तुम्हारा ये लंबा लंड मुझे पागल कर रहा है.......ईससस्......आआहाहाआआआ......." उसके मुंह से निकलती हर आवाज बाथरूम की दीवारों से टकराकर मेरे कानों में पढ़ रही थी अब मेरे लिए कंट्रोल करना और ज्यादा मुश्किल बन गया था इसलिए मैंने कुछ सोचकर अपना लंड निकाला और उसे उन पर्दो के बीच से उतारकर रुचि के सामने रख दिया, मेरा शरीर अभी भी उस पर्दो के पीछे ही छिपा हुआ था ऐसा लग रहा था मानो मैंने कोई Glory Hole बना दिया हो।
रुचि अपनी आंखे बंद किए अपना हाथ जल्दी से चला रही थी

इसलिए मैंने धीरे से उसका नाम पुकारा.... 'रुचि'...... इतना सुनकर उसने आंखें खोली तो पाया कि मैं उन पर्दो के पीछे खड़ा हुआ हूं और मेरा आजाद लंड उसके सामने खड़ा झटके मार रहा है,"रुचि मै जानता हूं तुम अपने दिल मै कितना कुछ दबाकर बैठी हों, अंकल के जाने के बाद मैने अपने आप से वादा किया था कि अब से मै तुम्हारी हर एक जरूरत को पूरी करूंगा पर अभी वो सही वक्त नहीं आया है कि मैं तुम्हारी इस प्यास को बुझा दूं।"

मेरी यह बात सुनकर वह मेरे लंड को दोनों हाथों से पकड़ते हुए बोली ,"जब तुम्हें पता है तो फिर तुमने हम दोनों के बीच ये दीवार क्यों खड़ी कर रखी है? क्यों मुझे इतना तड़पा रहे हो.....आआहहह......."
"मैं जानता हूं पर तुम इस वक्त जितना मेरे लिए तरस रही हो मैं भी तुम्हारे लिए उतना ही तड़प रहा हूं,मेरा यकीन करो हम दोनो के प्यार के बीच जो हवस है मै उसे इतना बढ़ा देना चाहता हूँ कि जब मैं तुम्हारे चूत में अपना लंड डालू तो उसकी सिरहन मेरे जिस्म के हर हिस्से तक महसूस हो और जो रिश्ता धीरे-धीरे बढ़ता है उसकी डोर ज्यादा मजबूत होती है, यह तड़प ये दीवार ही उस मिलन को खास बनाएगी ।"
"पर उसके लिए मुझे कितना इंतजार करना होगा?"
"बस घोड़ा सब्र,उसके बाद मै पूरी तरह तुम्हारा होगा" मेरी यह बात सुनकर वह आगे कुछ नहीं बोली,थोड़ी देर बाद उसने अपनी जीभ से लंड के टॉप को चाटकर स्वाद महसूस किया,उसके बाद जिसे उसके मुंह पर एक चमक आ गई हो इसलिए उसने धीरे-धीरे मेरे लंड को मुंह में भरना शुरू कर दिया, जैसे वह मेरी समझाई हुई बात समझ गई हो, पहले तो उसे थोड़ी दिक्कत हुई पर धीरे-धीरे करके उसने आधा लंड अपने मुंह में ले लिया और अब वह किसी प्रोफेशनल की तरह मेरे लंड को चूसे जा रही थी पर उसे पर्दो को वजह से कुछ दिक्कत हो रही थी,"भाई क्या तुम उस पर्दो के पीछे से बाहर आकर मेरे सामने खड़े रह सकते हो,मै वादा करती हूं कि इससे ज्यादा कुछ नहीं करुंगी" उसकी बात सुनकर मुझे ऐसी कोई दिक्कत नहीं लगी इसलिए मैने उन पर्दो को हटा दिया जिससे मेरा फौलादी बदन उसके सामने आ गया,मैने सामने देखा तो रुचि मेरे सामने रही बैठी हुई थी,उसके खुले बाल,गुलाबी होठ,उसकी चूत पर कुछ बाल थे जो उसकी चूत को ज्यादा आकर्षक बना रहे थे।

हमारे जिस्मों की गर्मी की वजह से उसके गले से बहता पसीना उसके मुलायम बूब्स के बीच तक पहुंच गया था और उसके चूत से जो पानी निकल रहा था वो उस डिल्डो को भिगोते हुए फर्श पर गिर रहा था।
मुझे अपने सामने ऐसे नंगे खड़े हुए देखकर उसके मुंह से तो जैसे पानी बहने लगा,उसने अपने दोनों हाथों से मेरे लंड को पकड़ा जो उसके हाथों मै जाने से ओर भी ज़्यादा गर्म हो चुका था,मेरे लंड को पकड़कर वो मेरे नीचे के बालों को नजरअंदाज करके आंड को बखूबी चूस रही थी,कुछ देर लंड से खेलने के बाद वो मेरे छाती के निपल्स और मेरी गर्दन पर अपनी जीभ घुमाने लगी उसके मुंह से निकलते थूक से मेरा बदन भीग चुका था,मेरे गर्दन से आगे बढ़कर जैसे ही मेरे होठों के पास आई मैने तुरंत उसे रोक दिया और मना कर दिया क्योंकि अगर उसके किस किया तो मैं खुद पर से कंट्रोल खो दूंगा यह मुझे पता था,"रुचि इसे जल्दी खत्म करो हमे बाहर भी जाना है।"

मेरी बात सुनकर वो हल्का सा मुस्कुराई,उसके शरीर मे बढ़ती हुई वासना की वजह से उसने वाइब्रेटर फुल स्पीड पे कर दिया और इस बार मेरे लंड को मुंह मै डालकर धक्के लगाने लगी,मै अपनी आँखें बंद करके बस इस चीज का मजा ले रहा था, मैने दोनों हाथों से उसका सर पकड़ा और एक धक्के में मेरा लंड उसके मुंह में भर दिया,मेरी इस हरकत से वो पूरी तरह चौक गई और उसकी आंखों से आंसू निकल आए,मेरा लंड अब पूरी तरह उसके मुंह में समाकर उसके गले तक चला गया था जिससे उसे बोलने में तकलीफ हो रही थी,कुछ देर तक उसे ऐसे ही रहने दिया और फिर उसके सर को पकड़कर धक्के मारने लगा,"गुं....गुंगुं....गुउऊहहह........ओक....ओ.....घोह्......ऊंहहह..... उऊहहहह......." मै लंड को उसके मुंह तक लाता और फिर पूरा अंदर डाल देता,कुछ देर तक उसे दिक्कत हुई पर फिर जैसे उसे मज़ा आने लगा,वो खुद उसे मुंह से पूरा बाहर निकालकर आंड से लंड के टोपे तक चुस्ती और अपनी जीभ मुंह मै गोल-गोल घुमाकर चूसने लगती।उसने डिल्डो को जमीन पर रखकर उस पर उछलते हुए मेरा लंड चूसे जा रही थी।

उसके मुंह की गर्मी और थूक के साथ मिलकर लंड पूरा चिपचिपा हो गया था जिसकी वजह से मेरा वीर्य निकलने वाला था इतनी देर तक लंड को चूसने की वजह से उसकी आंखों और नाक से भी पानी बहने लगा था। कुछ देर यही खेल चलने के बाद मैंने उसका सर पकड़ा जिससे वह समझ गई और एक तेज झटका देते हुए मेरा सारा वीर्य उसके मुंह के अंदर छोड़ दिया,जिसका वह एक-एक कतरा उसके गले से होते हुए रुचि के पेट में चला गया पर अभी भी रुचि का पानी नहीं निकला था, जिसकी वजह से वो बाथरूम की फर्श पर लेटकर मेरे सामने देखते हुए बोलने लगी,"आआहहहह भैया चोद दो अपनी इस प्यासी बहन को......बना को मुझे अपना उउफफफ.......फाड़ दो मेरी चूत.......ऊंहहह......." रुचि को इस तरह तड़पते देखकर मैं अपना मुंह उसके चूत के पास ले गया,पसीने के साथ भीगी उसके चूत की खुशबू मेरे सांसों मै समा रही थी,मैंने डिल्डो को बाहर निकाला और अपना मुंह लगाकर उससे अच्छे से चूसने लगा, चूत के दाने से लेकर निचले हिस्से तक चूसते हुए मैने अपनी जीभ अंदर घुसा दी और अंदर गोल घुमाने लगा,वो फिर मेरे सर को पकड़ते हुए आवाजें लगाने लगी,"हां भैया चाटो इसे.....उफफफ........सीईईई.......यह आपके सिवा किसी ओर की नहीं...... आआहहह....... निचोड़ लो इसे......ओहहह........"
उसकी चूत से निकला गर्म कामरस मैने सारा गले के नीचे उतार दिया,हम दोनों हो जड़ चुके थे पर एक दूसरे को पाने की इच्छा अभी भी खत्म नहीं हुई थी,मै उसके समाने खड़ा उसके संगेमरमर समान उसके बदन को निहार रहा था,जिससे उसने शर्म से अपने मुंह को छिपा लिया,हम दोनों पसीने से भीग थे जिससे पूरे बाथरूम में हम दोनों के जिस्मों की खुशबू फैल गई थी,मैने उसे धीरे से अपनी तरफ खींचा और ऊपर से शॉवर ऑन कर दिया,जिससे गिरती ठंडे पानी की बूंदे हम दोनों के जिस्मों को ठंडा कर रही थी।कुछ देर बाद हम दोनों बाथरुम से निकले और मै अपने रूम मै तैयार होने चला गया।

विशाल के रूम से जाने के बाद रुचि तैयार होकर नीचे आई तो देखा 10:15 बज चुके थे,उसने ब्लू टीशर्ट और वाइट जीन्स पहनी हुई थी,मोम की तरफ देखते हुए उसने कहा,"सॉरी आंटी बहुत लेट हो गया पर पता नहीं क्यूं आज नींद कुछ ज्यादा ही आ रही थी" उसकी बात पर मोम ने हंसकर कहा,"वो सब ठीक है पर अब जल्दी से बाहर जाओ विशाल कब से तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा है"
"वो इतनी जल्दी कब तैयार हो गया?" यह बोलकर वो बाहर आई तो देखा में white टीशर्ट और ब्लैक jeans में गॉगल्स लगाए बाइक के पास उसका इंतेज़ार कर रहा था,रुचि को इस टीशर्ट में देखकर मेरी नजर उसके बूब्स पर ही अटक गई,उसके टीशर्ट में कैद बड़े बूब्स कुछ ज्यादा ही रसीले लग रहे थे,जो भी उसे देखे बस मन भरकर उसे चूसने की तलब लग जाए,ऊपर से उसकी टीशर्ट इतनी टाइट थी जैसे देखकर ऐसा लग रहा हो मानो उसके दोनों बूब्स बाहर आने को तरस रहे हो,वो जब सामने से मेरे तरफ चलकर आ रही थी तब उसके बढ़ते पैरों के साथ बूब्स भी हिल रहे थे जो आंखों को एक अलग ही ठंडक से जाते थे।वो मेरे पास आकर खड़ी हो गई पर मै अभी भी उसकी छाती के उस उभारों मै ही खोया हुआ था इसलिए उसने खांसते हुए कहा,"अब मॉल चले या फिर बेडरूम में जाने का इरादा है।" उसकी इस बात पर मैने हंसकर कहा,"मेरा बस चले तो तुम्हे कमरे से बाहर ही न आने दूं बस दिन भर तुम्हारे इन रसीले संतरों का मजा लेता रहूं।" मेरी ये बात सुनकर वो हंसते हुए मेरी बाइक के पीछे बैठ गई।

मेरे पास Honda CB 500X नाम की स्पोर्ट्स बाइक थी,मुझे पहले से ही स्पोर्ट्स बाइक्स का बहुत शोख था इसलिए मैने महंगी सही पर एक अच्छी बाइक लेने का फैसला कर लिया था तब मुझे ये बाइक मिली, जो वैसे तो महंगी थी पर एक दोस्त की मदद से आधे दाम मै second hand मिल गई। स्पोर्ट्स बाइक की वजह से बैठने के लिए स्पेस कम थी इसलिए उसे आगे झुककर बैठना पड़ा,मैने बाइक स्टार्ट की और हम city की ओर चल पड़े,हम जिस area में रहते थे वो पेड़ो से घिरा हुआ इलाका था जिसकी वजह से यहां पर ज्यादा घर नहीं थे और दो घरों के बीच भी काफी फासला रहता था।

बसंत का मौसम था इसलिए मौसम में घुली हुई ठंड दिल को छूकर सुकून दे रही थी,वैसे भी ये शहर पहाड़ों से घिरे होने की वजह से यहां गर्मी ज्यादा नहीं महसूस होती थी,चारों और फैली कुदरत की इस खूबसूरती को देखकर ऐसा लग रहा था मानो उसने सब रंग चारों ओर बिखेर दिए हो और एक हरे रंग की चादर ओढ ली हो,आसमान में छाए पतले बादलों की परत हवाओं के साथ बहकर आगे बढ़ रही थी,हम दोनों इस खूबसूरत नजारे का आनंद लेते हुए आगे बढ़ रहे थे,सूरज की सोने सी चमक पेड़ो के पत्तों के बीच से आती हुई हमारे चेहरे को रोशन कर रही थी,कहते है की जो फूल बरसात के मौसम में नहीं खिलता वो बसंत के मौसम में खिल जाता है क्योंकि ये ऋतु दिल के तारों को ज़ंजोरकर रख देती है इसलिए इसे 'प्यार का मौसम' भी कहते है,कुछ इस तरह ही अपने दिलों में अरमान लिए दो दिल एक दूसरे के करीब आ रहे थे,घर से निकलते वक्त मोम की वजह से वो मुझसे थोड़ी दूर बैठी थी ताकि मोम को शक ना हो,हम दोनों घर से दूर आ चुके थे पर अभी भी 8km जितना रास्ता तय करना बाकी था,मै अक्सर बाइक तेज चलाता हूं ये बात रुचि जानती थी पर आज मेरी बाइक की स्पीड 40 से ऊपर नहीं गई थी,जिसकी वजह भी रुचि समझ चुकी थी,ऊपर से मैं ब्रेक लगाते हुए बाइक के झटके दे रहा था जिसकी वजह से रुचि की छाती मेरी पीठ से टकरा जाती थी।
"क्या कर रहे हो ठीक से चलाओ ना!"
"अब रास्ते में गढ्ढे आ रहे है तो मैं क्या करूं?" दरअसल हम जिस रोड से जा रहे थे वो सड़क एकदम पक्की थी।
"सब पता है मुझे अब ये नाटक मत करो" वो मुंह फुलाकर बोली।

"अब इन्हें सच कहो तो भी प्रॉबलम है" मैने हंसते हुए कहा तो वो खिसक कर मेरे पास आ गई,अपने बूब्स मेरी पीठ पर गढ़ाए और मेरी छाती पर बूब्स का दबाव बढ़ाते हुए ऊपर-नीचे करने लगी,उसके ऐसा करने से एक झनझनाहट मेरे पूरे बदन में फैल गई,आखिरकार उसने अपने हाथों से मेरे सिने से लिपट गई और अपना सर मेरी पीठ पर रखकर बैठ गई।एक दूसरे को छूने की वजह से बढ़ती गर्मी के साथ हम उस एहसास को मेहसूस करने लगे जो हमें एक दूसरे की ओर खींच रहा था।
Oh bhai bara hi kamuk update h
Bas thora regular kar do
Behtarin update 👍
 

sunoanuj

Well-Known Member
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Bahut hee garma garam update hai…
 

p696r

Lust Forever💦
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Oh bhai bara hi kamuk update h
Bas thora regular kar do
Behtarin update 👍
Thanks for your support
तबियत थोड़ी खराब थी इसलिए लेट हो गया और अंधाधुंध सेक्स से बढ़कर में आप सब के सामने Romance और Sex से भरपूर अच्छी कहानी पेश करना चाहता हूँ, जिसकी वजह से अपडेट थोड़ा लेट आ सकते है...... Sorry
Good thing takes time😉🍻
 
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