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Incest प्यासे दिल के अरमान - Short Story

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Lust Forever💦
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अपडेट - 12

हम दोनों इस जिस्म के खेल में इस तरह उलझे थे कि दोपहर हो गई हमे पता ही नहीं चला,हम दोनों सुबह से एक-दूसरे की प्यास बुझाने में लगे हुए थे,जिसकी वजह से हम दोनों को खाने पीने यहां तक नहाने का भी होश नहीं था,सुबह उठकर ही अपना प्यार लुटाने लग गए क्योंकि इस दुनियां के बंधन से दूर क्या पता हमे ये पल मिले या नहीं? इसलिए हम एक दूसरे पर भरपूर प्यार लुटाने में लगे हुए थे। विशाल पूरा एक Bowl भरकर Dark Chocolate और Nutella का पेस्ट बनाकर लाया था,जिसे उसने रुचि के चूत के आसपास लगाने बाद अपनी उंगलियों को चॉकलेट में भिगोया और उसे रुचि की चूत के अंदर डालकर लगाने लगा,रुचि इस वक्त सिर्फ अपनी आंखे बंद करके इसका मजा ले रही थी,जैसे उसने विशाल को अपना जिस्म सौंप दिया हो और दूसरी तरफ विशाल भी किसी मूरत के सामन इस शरीर को निखारने में लगा हुआ था।

रुचि की चूची देखने के लिए यहां 👇click करे
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उसकी चूत पर पेस्ट लगाने के बाद विशाल ने रुचि को घोड़ी बनाया और उसकी गांड़ की दरार में जीभ घुमाकर थोड़ा चिकना कर दिया,उसके बाद रुचि की गांड़ की दरार को पूरा चॉकलेट से रंग दिया और उसकी गांड़ के छेद में भी चॉकलेट भर दिया,विशाल ने बाहर देखा तो दोपहर हो चुकी थी और आज बाहर मौसम में भी गर्मी छाने लगी थी जिसका कमरे में चल रहे AC की वजह से पता नहीं चल रहा था,विशाल ने मन में कुछ ख्याल आया और वो तुरंत खड़ा हो गया,विशाल के इस तरह रुक जाने पर रुचि ने पूछा,"क्या हुआ भैया ऐसे अचानक क्यों रुक गए?" पर विशाल ने इसका कोई जवाब नहीं दिया,उसने पहले AC को बंध करके सारे doors खोल दिए जिससे रूम का cooling बाहर निकल जाए।
5 मिनिट तक उसने सब Doors खुला रखने के बाद बंध कर दिया और साथ ही सारी Windows को भी कसकर बंद कर दिया ताकि हवा अंदर ना आ सके,उसके बाद कोने में पड़ा हीटर ऑन कर दिया।रुचि विशाल को यह सब करते हुए देखा रही थी,उसके मन में कई सवाल थे पर वो विशाल के कुछ बोलने का इंतेज़ार कर रही थी,उसके बाद विशाल ने रुचि को बेड से उठने को कहा और उस पर पलास्टिक बिछा दिया और उसे थोड़ा मोड़कर उसके नीचे Bowl रख दिया ताकि प्लास्टिक पर पड़ा Liquid Bowl में इकठ्ठा हो सके,यह सब करने के बाद में किचन में गया और साथ के दूध,दही,मक्खन और जाम लेकर वापस आ गया,यह सब चीज़ों का अच्छी तरह Arrangement करने के बाद में रुचि के पास आकर बैठ गया,मैने देखा तो हीटर की गर्मी की वजह से रुचि का पूरा बदन पसीने से भीग चुका था,जिसे देखकर मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई।

आखिर कार मैंने रुचि के सवालों के जवाब देते हुए कहा,"रुचि तुम कब से सोच रही होगी कि मैं यह सब क्या कर रहा हूं, दरअसल चॉकलेट को देखकर मेरे दिमाग में एक खेल खेलने के Idea आया जिसे मैं कहता हूं "Melting Chocolate" इस खेल में मैं तुम्हारे शरीर को खाने की कई चीजों को पेस्ट की तरह तुम्हारी बॉडी पर लगा दूंगा,उसके बाद कमरे की गर्मी इतनी बढ़ा दूंगा कि तुम्हारी बॉडी कर लगी चॉकलेट गर्मी से पिघलकर तुम्हारे पसीने में मिलकर इस प्लास्टिक पर गिर और नीचे उस बोल में इक्कठा हो सके,इसके साथ ही हम दोनों अपने जिस्मों की मदद से इसके चिकने पन को महसूस करेंगे।" इतना सुनकर रुचि ने अपनी चूत पर से थोड़ी चॉकलेट अपने मुंह में डालते हुए कहा,"Wow भैया आप तो Sex के मामले में काफी Kinky निकले, आपने तो उस खेल को ओर भी Interesting बना दिया,अब देखते है हमारे जिस्मों की ये गर्मी हमें किस हद तक ले जाती है" उसके बाद रुचि बेड पर खड़ी हो गई और मैने उसके बूब्स,आर्मपिट,पेट,नाभि,पीठ के साथ उसके जांघों पर भी चॉकलेट लगा दिया।

उसके गोरे बदन पर कालिख जैसे ये चॉकलेट काफी निखर रहा था,रुचि के शरीर को मलने के बाद अब भी काफी पेस्ट बचा हुए था इसलिए रुचि ने देर ना लगाकर मेरे लंड को मुंह में लेकर चिकना कर दिया

Gif देखने के लिए 👇click करे

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उसके बाद उसने मेरे लंड, गांड,छाती के साथ मेरे पूरे बदन पर चॉकलेट लगा दिया,अब हम दोनों एक दूसरे के प्यार में रंग गए थे,अब कमर के अंदर का Temprature काफी बढ़ गया था इसलिए पसीने की बूंदे चॉकलेट से मिलकर 'टप.....टप' करके प्लास्टिक पर गिर रही थी,रुचि को इतनी गर्मी के काफी परेशानी हो रही थी इसलिए मैने उसके बूब्स को मसलने लगा,उसके शरीर के चिकने पन से काफी नर्म लग रहे थे,उसके बाद मैने निप्पल को हल्का दबाया जिसकी वजह से दूध निकलकर मेरे हाथों पर गिर गया,मैने अपनी चॉकलेट सनी उंगली को होठ पर घुमाकर उसे किस करने लगा और मैं मेरी छाती को उसके बूब्स से मसल रहा था।

जिस्मों के घर्षण की वजह से 'चप.....चप' की आवाजें कमरे में गूंज रही थी,मै उसके बूब्स को चूसते हुए उसके चूत के पास आ गया जिससे चॉकलेट पानी के साथ बहकर बाहर निकल रहा था,अब मैने अपना लंड के टोपे को चूत पर रखा जो पहले से काफी चिकना हो गया था,उसे एक ही धक्के में उसकी चूत मे उतार दिया

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इस धक्के से रुचि मुझसे लिपट गई,रुचि की चूत और मेरे लंड पर चॉकलेट लगे होने की वजह से 'फचचच्......फचचच्' की आवाजें और चॉकलेट की खुशबू फैल गई,उसके साथ ही मैने पास में पड़ी दूध की बोतल उठाते हुए कहा,"आज में अपनी प्यारी बहन की खूबसूरती को इस दूध से नहलाकर ओर भी बढ़ाना चाहता हूं" इतना कहकर मैने उसके सिर के ऊपर से दूध की धार की जो उसके होठ,गले,छाती और चूत से होकर नीचे प्लास्टिक पर गिर रही थी,मैने थोड़ा ही दूध डाला था कि उसके मेरे हाथ से बोतल लेते हुए कहा,"मुझे भी अपने पति समान भाई को नहलाना है जिसने मेरे कौमार्य को निचोड़कर मुझे औरत बनाया है" मेरे बदन पर ठंडा दूध पड़ते ही बदन में सिरहन दौड़ गई जिससे मेरे वीर्य की धार रुचि की चूत में समा गई और गर्म वीर्य के एहसास से रुचि की चूत से गर्म यूरिन की धार निकली जो प्लास्टिक से बहकर नीचे bowl में समा गई,अब उस Bowl में दूध,वीर्य,यूरिन,जिस्मों का पसीना और उसके साथ चॉकलेट का द्रव्य भी मिला हुआ था।


आगे के पार्ट्स में कहानी जारी रहेगी तब तक अपना अमूल्य प्रतिभाव देना ना भूले।
 
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रुचि और मैं दोनों जड़ चुके थे,मेरा लंड अभी भी उसकी चूत मे था और रुचि मेरे लंड के ऊपर बैठकर हाफ रही थी,दोनों के शरीर इस कदर पसीने से भीग चुके थे कि सारा चॉकलेट पसीने और दूध में धुलकर साफ हो गया था,मैने घड़ी देखी तो शाम के 4 बज चुके थे और अब तक सुबह से लेकर शाम तक मैं रुचि की चूत में 20 से ज्यादा बार झड़ चुका था,उसकी चूत से मेरा इतना वीर्य टपक रहा था कि शायद उसकी बच्चेदानी पूरी मेरे वीर्य से भर चुकी थी,
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मैने नीचे देखा तो चुदाई की वजह से उसकी गांड़ और चूत पर लगा चॉकलेट पूरा साफ हो चुका था,कमरे की गर्मी इतनी बढ़ चुकी थी जिससे रुचि को अब सांस लेने में भी परेशानी होने लगी थी इसलिए मैने कमरे का हीटर बंद किया,रुचि बेड के प्लास्टिक पर लेटकर आराम कर रही थी,मैने बटर उठाया और उसे पैकेट से निकालकर मेरे लंड पर लगा दिया,उसके बाद मैने उसे चूत पर रखकर अंदर डाल दिया,मेरे इस धक्के से वो सहम गई,"ये क्या भैया! हमने अभी तो एक राउंड खत्म किया है"

मैने उसे हाथों से पकड़कर अपनी तरफ खींचकर कहा,"अरे डार्लिंग एक राउंड से क्या होता है अभी तो ऐसे कई राउंड होंगे" इतना कहकर मैं शुरू हो गया,उसके शरीर के हर एक अंग पर जाम, मक्खन,दही लगाकर उसकी चूत,गांड़ और उसके रसीले बूब्स को कई घंटों तक चोदता रहा,मेरे कमरे के हर कोने में अब चूत मे लगते धक्कों और सिसकियों की आवाजें सुनाई दे रही थी,"टपपप्......टप्प्....... सीसीईइइ.....आआहह...... उउममहहह्......." मेरे बेड के आसपास सभी तरफ दूध,दही,वीर्य और चॉकलेट के छींटे पड़े हुए थे और आज इस कमरे के हर चीज में हमारे पसीने की महक समा गई थी,मै उसे शाम 4 बजे से लेकर रात को 8 बजे तक चोदता रहा,अब किचन से लाई हर चीज लगभग खत्म हो गई थी,इसके साथ बेड के पास रखे Bowl उन सभी चीजों से भर गए थे।इन 4 घंटों में मैं उसकी चूत मे 5-6 बार झड़ चुका था।


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रुचि को जैसे अब मेरे लंड की आदत लग गई थी, सुबह से चल रहे इन जिस्मों के खेल में वो पूरी तरह थक चुकी थी ऊपर से हमारे कमरे की गर्मी की वजह से उसका बुरा हाल हो गया था,उसके बाल पूरे बिखरे हुए थे,शरीर पर कई जगह मेरे थप्पड़ के निशान बन गए थे और साथ ही उसके गले और बूब्स पर भी कई बाइट्स के निशान मौजूद थे,मै उसकी छाती पर निढाल होकर पड़ा हुआ था,मेरे पीठ पर भी उसके नाखून के कई निशान नजर आ रहे थे,रुचि ने धीमी आवाज में कहा,"भैया अब मेरे शरीर में बिलकुल ताकत नहीं बची है ऊपर से यह गर्मी.....अब तो AC ऑन करो" उसकी बात सुनकर मैने उसके बूब्स पर किस किया और कमरे के सारे खिड़की दरवाजे खोल दिए।

कमरे का दरवाजा और खिड़कियां खुलते ही हम जैसे कोई भट्ठी से बाहर निकले हो,सारी गर्मी और कमरे में कैद हवाएं किसी धुएं जैसे बाहर निकालने लगी,आज पूर्णिमा की रात थी इसलिए चांद अपनी रोशनी के साथ मिलकर इस धरती को रोशन कर रहा था और वही शीतल रोशनी हवाओं से मिलकर पूरे माहौल को ठंडा बना रही थी तभी बाहर से ठंडी हवा का एक झोंका आया और बिस्तर में पड़ी रुचि के पूरे बदन को ठंडा कर गया,इस ठंडी लहर की नुमाइश होते ही वो बिस्तर से उठकर मेरे पास बाल्कनी में आकर खड़ी हो गई,उसके पूरे बदन पर लगा पसीना इस वक्त किसी हीरे की तरह चमक रहा था, चांद की रोशनी जैसे उसके अंग-अंग को निखार रही थी,जैसे रुचि खुद उस चांद का हिस्सा हो,हवा के झोंको से उसके गुलाबी निप्पल सख्त होकर उसे ज्यादा आकर्षक बना रहे थे।


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वो कुदरत के रचाए इस नजारे में जैसे खो गई थी,आज पूरे दिन हमने सिर्फ एक दूसरे का वीर्य,दूध और यूरिन पीकर ही दिन बिताया था,मैने किचन से तीन दूध की बोतल ले आया और bowl में अब भी थोड़ा पेस्ट बचा हुआ था,वो तीनों बोतल उठाकर बाल्कनी में ले आया फिर उसके पीछे जाकर अपने लंड को उसकी गांड़ की दरार पर सेट कर दिया,उसकी गर्दन के पास अपना सर को रखा और उसके दोनों हाथों को पकड़ते हुए कहा,"मेरी प्यारी बहना सुबह से कुछ नहीं खाया,आज पूरा दिन एक-दूसरे को प्यार करने में ही बिग गया इसलिए ये दूध पी लो," मेरी बात सुनकर उसके पूछा,"और तुम क्या पियोगे?" इसके जवाब में मैने उसके निप्पल को दबाकर कहा,"मेरे लिए तो ये दूध ही सबसे अच्छा है" इतना कहकर मैं उसके दोनों निप्पल चूसने लगा,उसके बदन से अभी भी चॉकलेट और जाम की खुशबू आ रही ही,उसने धीरे-धीरे पूरी बोतल खत्म कर दी,मैने तुरंत दूसरी बोतल उसकी तरफ बढ़ाकर कहा,"ये लो इसे भी पी लो"
"मैने तो अभी एक बोतल खत्म की फिर ये??!!....." इतना बोलकर वो रुक गई और अपने नैन एक दो बार ऊपर नीचे करते हुए कहा,"आप के दिमाग में जरूर कुछ चल रहा है इसलिए इसे पीने के लिए कह रहे हो" उसकी बात सुनकर मैं हंसने लगा,उसने पास आकर मेरे लंड को पकड़कर कहा,"जैसे मेरा जानू चाहेगा मैं वैसा ही करुंगी" इतना बोलकर वो बाकी दोनों बोतल पी गई।

इतना दूध पीने के बाद उसका पेट पूरी तरह भर गया था,तीसरी बॉटल खत्म करते वक्त उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो उल्टी कर देगी,ड्रग्स के असर की वजह से विशाल के ढेर सारा वीर्य निकलता था और आज रुचि की चूत के अलावा विशाल उसके मुंह में भी बहुत बार झड़ चुका था जिसका गाढ़ापन उसकी जीभ पर चढ़ गया था जिसकी वजह से आज उसे कुछ खाने-पीने की जरूरत नहीं पड़ी,रुचि को ऐसा लग रहा था जैसे उसने 2-3 ग्लास भर के Sparm पी लिया हो,मैने जल्दी से अपने लंड पर चॉकलेट लगाया और रुचि के बाल पकड़कर उसे नीचे झुकाकर अपने लंड के पास ले आया और एक धक्के में लंड उसके गले के नीचे उतार दिया,'घोउउप्पप्....... ओओहहह्......" मेरे ऐसा करने से उसकी सांसे जैसे थम गई,उसके बाद उसके सर को पकड़ कर जोरो से धक्के मारना शुरू कर दिया क्योंकि मैं यही चाहता था कि उसके गले को Choke करके उसका पिया हुआ सारा दूध बाहर निकल आए।

मैने लंड के टोपे को उसके मुंह तक लाया और एक तेज़ धक्के के साथ उसे अंदर डाल देता,रुचि के आंखों से आंसू लगातार बह रहे थे,मेरा लंड इतना अंदर तक चला गया था कि टोपे पर लगे चॉकलेट का उसे कुछ स्वाद ही नहीं आ रहा था,करीब 3 मिनट मैं ऐसा करता रहा अब रुचि के बर्दास्त के बाहर हो गए था, उसके सुडौल पेट के अंदर पड़ें दूध में अब उबाल आने लगा था जिससे वो उसके गले से होकर बाहर आ गया,दूध के बाहर आने पर मैने नीचे Bowl रख दिया और मैने अपना वीर्य भी उस Bowl में छोड़ दिया साथ ही लंड पे लगा पेस्ट भी उसमें मिक्स हो गया था।Bowl मे दूध भरते ही मै किचन से दही और शक्कर लाकर मिक्स करके उसमें Ice Cube डालकर ठंडा कर दिया और उसे एक ग्लास में भर दिया,रुचि इस वक्त आँखें बंद करके बाल्कनी में बैठी हुई थी उसके मुंह से अभी भी लार टपक रही थी तभी मैने ग्लास उसके चूत के पास रखकर उसने पीरियड्स का Blood मिक्स किया फिर उसके स्वाद को महसूस करके उसे पीने लगा,इसका स्वाद किसी मिल्क शेक की तरह लग रहा था,मैने उसे पीकर खत्म करने के बाद रुचि के कहा,"भैया आपकी Wildness और Kinky Things की कोई हद नहीं है ऐसे ideas कहा से सोच लेते हो?" मैने उसे किस करके कहा,"जिसकी ऐसी खूबसूरत बहन और आंटी हो वो किसी भी हद तक जा सकता है,अभी मेरी वेदिका के आने के बाद इस खेल को ओर भी मजेदार बनाने वाला हूं.....काश वो जल्दी आ जाए.......उउफफ्" इतना बोलते हुए मेरा लंड फिर खड़ा हो गया।रुचि ने फिर मेरा लंड पकड़कर कहा,"लगता है आप मेरी मां को मेरी सौतन बनाकर ही चैन लोगे।"इस बात पर हम दोनों हंसने लगे,कुछ देर बाद मैने उस प्लास्टिक को समेटकर सभी Bowls को एक एक करके किचन में रख दिया,मैने किचन से आकर देखा तो रुचि नहाने चली गई थी,मौका देखकर मैने रिकॉर्डिंग चेक किया तो उसमें सुबह से लेकर रात तक की सारी चीजें रिकॉर्ड हो गई थी जिसे देखकर मेरे चेहरे पर मुस्कान छा गई।

रुचि की बाहों में आज सारा दिन कैसे बीत गया पता ही नहीं चला,कुछ देर बाद हम दोनों छत पर सोने चले गए,आज इस पूरे चांद के सामने, खुले आसमान के नीचे हमारे इस प्यार के पलो का लुफ्त उठाने में लगे थे,रुचि मेरे लंड के ऊपर जोरो से उछल रही थी,उसके बदन पर पड़ती सफेद रोशनी पहाड़ से गिरते शीतल झरने जैसी लग रही थी,हर झटकों के साथ लहराते उसके बाल जैसे किसी घने पेड़ की घटा और उसके बदन पर चमकते वो पसीने के बिंदु तारों के समान लग रहे थे,उसके चमक से ऐसा लग रहा था जैसे इस गगन ने उसके श्वेत बदन पर तारों का श्रृंगार किया हो, बीतती रात के साथ रुचि की हवस बढ़ती ही जा रही थी,वो अपने शरीर का पूरा जोर मेरे लंड पर दे कर उछल रही थी।

मौसम में मिली हवाओं की खुशबू,ठंडी हवाएं और तारों से सजा ये खिला आसमान जैसे हमारे सुहागरात की सेज पर आकर रुक गए थे,मैने उसकी गांड़ पर तीन चार जोर से थप्पड़ मारकर कहा,"चिल्लाओ मेरी बहन...... ओर जोर से चिल्लाओ......आज इन पूरे वादियों में हमारे प्यार की आवाज गुंजनी चाहिए" इतना सुनकर तो जैसे वो जोश में आ गई हो,"Come on भैया और जोर से चोदो मुझे........Yessss........Oohhhh......... आआआहह्.........Fuck Me Harder......... Very Hard......... आआआहहाआआआ...........हाआ.....आआ.... आआआहह्.........आआह..... आआआहह्........ ओओहहहह् Fuck Yessss.......... मैं कितनी खुशनसीब बहन हूं जो मुझे घर में ही इतना लंबा लंड मिल गया,अब ये रुचि सिर्फ आपकी होके ही रहेगी,अब आप ही मेरे सब कुछ हो इस दासी की जैसे चाहे चोद सकते हो........उउममहहह्........."

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इतना सुनकर मैने उसके निप्पल पर इतनी जोर से काटा की उस पर खून आ गया,जिस पर मेरे दांत के निशान बन गए,मेरा वीर्य अब निकल चुका था पर रुचि अब भी नहीं रुक रही थी वो अभी भी मेरे लंड पे धक्के मारे जा रही थी।
उसके चीखने की आवाज चारों ओर गूंज रही थी, मैं सुबह 5 बजे तक उसकी प्यास बुझाता रहा,उसके बाद वो मेरी बाहों मैं सो गई, मैंने उसका चेहरा देखा तो एक अलग सी शांति छाई हुई थी साथ ही उसका पूरा बदन मेरे वीर्य से सना हुआ था।

समाने देखा तो चांद धीमी गति से अपने अस्त बिंदु की तरफ बढ़ रहा था और उजाला अपनी गुलाबी रोशनी बिखेर रहा था,हमारे पास अभी भी 2 दिन बचे हुए थे,इन दो दिनों में मैने रुचि के साथ बेडरूम,बाथरूम,किचन,छत,बाल्कनी,आंगन,सोफे,फर्श,सीढ़ियां यहां तक घर के हर कोने में जाकर हमारे प्यार की निशानियां बिखेरते रहे,उसके साथ मैं हमारे बिताए हर लम्हे को कैमरे में रिकॉर्ड कर रहा था,इन 2 दिनों में हम दोनों पागलों की तरह दिन-रात सेक्स करते रहे,इन बीते दिनों मैं 50 से ज्यादा बार रुचि की चूत में झड़ चुका था अगर ड्रग्स का असर ना होता तो रुचि अब तक प्रेगनेंट हो चुकी होती,तीसरे दिन की शाम को हम दोनों ने पूरा घर ठीक कर दिया

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देर रात तक सेक्स करने के बाद सो गए,अब मुझे उस पल का इंतजार था जब वेदिका आंटी मेरी बाहों में होगी,सोते वक्त मैने देखा की मेरे लंड की लंबाई 9 इंच हो गई थी यानी ड्रग्स का असर अब खत्म हो चुका था इसलिए मैने रुचि को अपनी बाहों में लिया और मीठी नींद की आगोश में चल गया।



आगे के पार्ट्स में कहानी जारी रहेगी तब तक अपना अमूल्य प्रतिभाव देना ना भूले।
 
Last edited:

Ajju Landwalia

Well-Known Member
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अपडेट - 13


रुचि और मैं दोनों जड़ चुके थे,मेरा लंड अभी भी उसकी चूत मे था और रुचि मेरे लंड के ऊपर बैठकर हाफ रही थी,दोनों के शरीर इस कदर पसीने से भीग चुके थे कि सारा चॉकलेट पसीने और दूध में धुलकर साफ हो गया था,मैने घड़ी देखी तो शाम के 4 बज चुके थे और अब तक सुबह से लेकर शाम तक मैं रुचि की चूत में 20 से ज्यादा बार झड़ चुका था,उसकी चूत से मेरा इतना वीर्य टपक रहा था कि शायद उसकी बच्चेदानी पूरी मेरे वीर्य से भर चुकी थी,
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मैने नीचे देखा तो चुदाई की वजह से उसकी गांड़ और चूत पर लगा चॉकलेट पूरा साफ हो चुका था,कमरे की गर्मी इतनी बढ़ चुकी थी जिससे रुचि को अब सांस लेने में भी परेशानी होने लगी थी इसलिए मैने कमरे का हीटर बंद किया,रुचि बेड के प्लास्टिक पर लेटकर आराम कर रही थी,मैने बटर उठाया और उसे पैकेट से निकालकर मेरे लंड पर लगा दिया,उसके बाद मैने उसे चूत पर रखकर अंदर डाल दिया,मेरे इस धक्के से वो सहम गई,"ये क्या भैया! हमने अभी तो एक राउंड खत्म किया है"

मैने उसे हाथों से पकड़कर अपनी तरफ खींचकर कहा,"अरे डार्लिंग एक राउंड से क्या होता है अभी तो ऐसे कई राउंड होंगे" इतना कहकर मैं शुरू हो गया,उसके शरीर के हर एक अंग पर जाम, मक्खन,दही लगाकर उसकी चूत,गांड़ और उसके रसीले बूब्स को कई घंटों तक चोदता रहा,मेरे कमरे के हर कोने में अब चूत मे लगते धक्कों और सिसकियों की आवाजें सुनाई दे रही थी,"टपपप्......टप्प्....... सीसीईइइ.....आआहह...... उउममहहह्......." मेरे बेड के आसपास सभी तरफ दूध,दही,वीर्य और चॉकलेट के छींटे पड़े हुए थे और आज इस कमरे के हर चीज में हमारे पसीने की महक समा गई थी,मै उसे शाम 4 बजे से लेकर रात को 8 बजे तक चोदता रहा,अब किचन से लाई हर चीज लगभग खत्म हो गई थी,इसके साथ बेड के पास रखे Bowl उन सभी चीजों से भर गए थे।इन 4 घंटों में मैं उसकी चूत मे 5-6 बार झड़ चुका था।


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रुचि को जैसे अब मेरे लंड की आदत लग गई थी, सुबह से चल रहे इन जिस्मों के खेल में वो पूरी तरह थक चुकी थी ऊपर से हमारे कमरे की गर्मी की वजह से उसका बुरा हाल हो गया था,उसके बाल पूरे बिखरे हुए थे,शरीर पर कई जगह मेरे थप्पड़ के निशान बन गए थे और साथ ही उसके गले और बूब्स पर भी कई बाइट्स के निशान मौजूद थे,मै उसकी छाती पर निढाल होकर पड़ा हुआ था,मेरे पीठ पर भी उसके नाखून के कई निशान नजर आ रहे थे,रुचि ने धीमी आवाज में कहा,"भैया अब मेरे शरीर में बिलकुल ताकत नहीं बची है ऊपर से यह गर्मी.....अब तो AC ऑन करो" उसकी बात सुनकर मैने उसके बूब्स पर किस किया और कमरे के सारे खिड़की दरवाजे खोल दिए।

कमरे का दरवाजा और खिड़कियां खुलते ही हम जैसे कोई भट्ठी से बाहर निकले हो,सारी गर्मी और कमरे में कैद हवाएं किसी धुएं जैसे बाहर निकालने लगी,आज पूर्णिमा की रात थी इसलिए चांद अपनी रोशनी के साथ मिलकर इस धरती को रोशन कर रहा था और वही शीतल रोशनी हवाओं से मिलकर पूरे माहौल को ठंडा बना रही थी तभी बाहर से ठंडी हवा का एक झोंका आया और बिस्तर में पड़ी रुचि के पूरे बदन को ठंडा कर गया,इस ठंडी लहर की नुमाइश होते ही वो बिस्तर से उठकर मेरे पास बाल्कनी में आकर खड़ी हो गई,उसके पूरे बदन पर लगा पसीना इस वक्त किसी हीरे की तरह चमक रहा था, चांद की रोशनी जैसे उसके अंग-अंग को निखार रही थी,जैसे रुचि खुद उस चांद का हिस्सा हो,हवा के झोंको से उसके गुलाबी निप्पल सख्त होकर उसे ज्यादा आकर्षक बना रहे थे।


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वो कुदरत के रचाए इस नजारे में जैसे खो गई थी,आज पूरे दिन हमने सिर्फ एक दूसरे का वीर्य,दूध और यूरिन पीकर ही दिन बिताया था,मैने किचन से तीन दूध की बोतल ले आया और bowl में अब भी थोड़ा पेस्ट बचा हुआ था,वो तीनों बोतल उठाकर बाल्कनी में ले आया फिर उसके पीछे जाकर अपने लंड को उसकी गांड़ की दरार पर सेट कर दिया,उसकी गर्दन के पास अपना सर को रखा और उसके दोनों हाथों को पकड़ते हुए कहा,"मेरी प्यारी बहना सुबह से कुछ नहीं खाया,आज पूरा दिन एक-दूसरे को प्यार करने में ही बिग गया इसलिए ये दूध पी लो," मेरी बात सुनकर उसके पूछा,"और तुम क्या पियोगे?" इसके जवाब में मैने उसके निप्पल को दबाकर कहा,"मेरे लिए तो ये दूध ही सबसे अच्छा है" इतना कहकर मैं उसके दोनों निप्पल चूसने लगा,उसके बदन से अभी भी चॉकलेट और जाम की खुशबू आ रही ही,उसने धीरे-धीरे पूरी बोतल खत्म कर दी,मैने तुरंत दूसरी बोतल उसकी तरफ बढ़ाकर कहा,"ये लो इसे भी पी लो"
"मैने तो अभी एक बोतल खत्म की फिर ये??!!....." इतना बोलकर वो रुक गई और अपने नैन एक दो बार ऊपर नीचे करते हुए कहा,"आप के दिमाग में जरूर कुछ चल रहा है इसलिए इसे पीने के लिए कह रहे हो" उसकी बात सुनकर मैं हंसने लगा,उसने पास आकर मेरे लंड को पकड़कर कहा,"जैसे मेरा जानू चाहेगा मैं वैसा ही करुंगी" इतना बोलकर वो बाकी दोनों बोतल पी गई।

इतना दूध पीने के बाद उसका पेट पूरी तरह भर गया था,तीसरी बॉटल खत्म करते वक्त उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो उल्टी कर देगी,ड्रग्स के असर की वजह से विशाल के ढेर सारा वीर्य निकलता था और आज रुचि की चूत के अलावा विशाल उसके मुंह में भी बहुत बार झड़ चुका था जिसका गाढ़ापन उसकी जीभ पर चढ़ गया था जिसकी वजह से आज उसे कुछ खाने-पीने की जरूरत नहीं पड़ी,रुचि को ऐसा लग रहा था जैसे उसने 2-3 ग्लास भर के Sparm पी लिया हो,मैने जल्दी से अपने लंड पर चॉकलेट लगाया और रुचि के बाल पकड़कर उसे नीचे झुकाकर अपने लंड के पास ले आया और एक धक्के में लंड उसके गले के नीचे उतार दिया,'घोउउप्पप्....... ओओहहह्......" मेरे ऐसा करने से उसकी सांसे जैसे थम गई,उसके बाद उसके सर को पकड़ कर जोरो से धक्के मारना शुरू कर दिया क्योंकि मैं यही चाहता था कि उसके गले को Choke करके उसका पिया हुआ सारा दूध बाहर निकल आए।

मैने लंड के टोपे को उसके मुंह तक लाया और एक तेज़ धक्के के साथ उसे अंदर डाल देता,रुचि के आंखों से आंसू लगातार बह रहे थे,मेरा लंड इतना अंदर तक चला गया था कि टोपे पर लगे चॉकलेट का उसे कुछ स्वाद ही नहीं आ रहा था,करीब 3 मिनट मैं ऐसा करता रहा अब रुचि के बर्दास्त के बाहर हो गए था, उसके सुडौल पेट के अंदर पड़ें दूध में अब उबाल आने लगा था जिससे वो उसके गले से होकर बाहर आ गया,दूध के बाहर आने पर मैने नीचे Bowl रख दिया और मैने अपना वीर्य भी उस Bowl में छोड़ दिया साथ ही लंड पे लगा पेस्ट भी उसमें मिक्स हो गया था।Bowl मे दूध भरते ही मै किचन से दही और शक्कर लाकर मिक्स करके उसमें Ice Cube डालकर ठंडा कर दिया और उसे एक ग्लास में भर दिया,रुचि इस वक्त आँखें बंद करके बाल्कनी में बैठी हुई थी उसके मुंह से अभी भी लार टपक रही थी तभी मैने ग्लास उसके चूत के पास रखकर उसने पीरियड्स का Blood मिक्स किया फिर उसके स्वाद को महसूस करके उसे पीने लगा,इसका स्वाद किसी मिल्क शेक की तरह लग रहा था,मैने उसे पीकर खत्म करने के बाद रुचि के कहा,"भैया आपकी Wildness और Kinky Things की कोई हद नहीं है ऐसे ideas कहा से सोच लेते हो?" मैने उसे किस करके कहा,"जिसकी ऐसी खूबसूरत बहन और आंटी हो वो किसी भी हद तक जा सकता है,अभी मेरी वेदिका के आने के बाद इस खेल को ओर भी मजेदार बनाने वाला हूं.....काश वो जल्दी आ जाए.......उउफफ्" इतना बोलते हुए मेरा लंड फिर खड़ा हो गया।रुचि ने फिर मेरा लंड पकड़कर कहा,"लगता है आप मेरी मां को मेरी सौतन बनाकर ही चैन लोगे।"इस बात पर हम दोनों हंसने लगे,कुछ देर बाद मैने उस प्लास्टिक को समेटकर सभी Bowls को एक एक करके किचन में रख दिया,मैने किचन से आकर देखा तो रुचि नहाने चली गई थी,मौका देखकर मैने रिकॉर्डिंग चेक किया तो उसमें सुबह से लेकर रात तक की सारी चीजें रिकॉर्ड हो गई थी जिसे देखकर मेरे चेहरे पर मुस्कान छा गई।

रुचि की बाहों में आज सारा दिन कैसे बीत गया पता ही नहीं चला,कुछ देर बाद हम दोनों छत पर सोने चले गए,आज इस पूरे चांद के सामने, खुले आसमान के नीचे हमारे इस प्यार के पलो का लुफ्त उठाने में लगे थे,रुचि मेरे लंड के ऊपर जोरो से उछल रही थी,उसके बदन पर पड़ती सफेद रोशनी पहाड़ से गिरते शीतल झरने जैसी लग रही थी,हर झटकों के साथ लहराते उसके बाल जैसे किसी घने पेड़ की घटा और उसके बदन पर चमकते वो पसीने के बिंदु तारों के समान लग रहे थे,उसके चमक से ऐसा लग रहा था जैसे इस गगन ने उसके श्वेत बदन पर तारों का श्रृंगार किया हो, बीतती रात के साथ रुचि की हवस बढ़ती ही जा रही थी,वो अपने शरीर का पूरा जोर मेरे लंड पर दे कर उछल रही थी।

मौसम में मिली हवाओं की खुशबू,ठंडी हवाएं और तारों से सजा ये खिला आसमान जैसे हमारे सुहागरात की सेज पर आकर रुक गए थे,मैने उसकी गांड़ पर तीन चार जोर से थप्पड़ मारकर कहा,"चिल्लाओ मेरी बहन...... ओर जोर से चिल्लाओ......आज इन पूरे वादियों में हमारे प्यार की आवाज गुंजनी चाहिए" इतना सुनकर तो जैसे वो जोश में आ गई हो,"Come on भैया और जोर से चोदो मुझे........Yessss........Oohhhh......... आआआहह्.........Fuck Me Harder......... Very Hard......... आआआहहाआआआ...........हाआ.....आआ.... आआआहह्.........आआह..... आआआहह्........ ओओहहहह् Fuck Yessss.......... मैं कितनी खुशनसीब बहन हूं जो मुझे घर में ही इतना लंबा लंड मिल गया,अब ये रुचि सिर्फ आपकी होके ही रहेगी,अब आप ही मेरे सब कुछ हो इस दासी की जैसे चाहे चोद सकते हो........उउममहहह्........."

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इतना सुनकर मैने उसके निप्पल पर इतनी जोर से काटा की उस पर खून आ गया,जिस पर मेरे दांत के निशान बन गए,मेरा वीर्य अब निकल चुका था पर रुचि अब भी नहीं रुक रही थी वो अभी भी मेरे लंड पे धक्के मारे जा रही थी।
उसके चीखने की आवाज चारों ओर गूंज रही थी, मैं सुबह 5 बजे तक उसकी प्यास बुझाता रहा,उसके बाद वो मेरी बाहों मैं सो गई, मैंने उसका चेहरा देखा तो एक अलग सी शांति छाई हुई थी साथ ही उसका पूरा बदन मेरे वीर्य से सना हुआ था।

समाने देखा तो चांद धीमी गति से अपने अस्त बिंदु की तरफ बढ़ रहा था और उजाला अपनी गुलाबी रोशनी बिखेर रहा था,हमारे पास अभी भी 2 दिन बचे हुए थे,इन दो दिनों में मैने रुचि के साथ बेडरूम,बाथरूम,किचन,छत,बाल्कनी,आंगन,सोफे,फर्श,सीढ़ियां यहां तक घर के हर कोने में जाकर हमारे प्यार की निशानियां बिखेरते रहे,उसके साथ मैं हमारे बिताए हर लम्हे को कैमरे में रिकॉर्ड कर रहा था,इन 2 दिनों में हम दोनों पागलों की तरह दिन-रात सेक्स करते रहे,इन बीते दिनों मैं 50 से ज्यादा बार रुचि की चूत में झड़ चुका था अगर ड्रग्स का असर ना होता तो रुचि अब तक प्रेगनेंट हो चुकी होती,तीसरे दिन की शाम को हम दोनों ने पूरा घर ठीक कर दिया

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और देर रात तक सेक्स करने के बाद सो गए,अब मुझे उस पल का इंतजार था जब वेदिका आंटी मेरी बाहों में होगी,सोते वक्त मैने देखा की मेरे लंड की लंबाई 9 इंच हो गई थी यानी ड्रग्स का असर अब खत्म हो चुका था इसलिए मैने रुचि को अपनी बाहों में लिया और मीठी नींद की आगोश में चल गया।



आगे के पार्ट्स में कहानी जारी रहेगी तब तक अपना अमूल्य प्रतिभाव देना ना भूले।

Bahut hi gazab ki update post ki he p696r Bro,

Maja hi aa gaya.........shayad hi aisi kinky story padhne ko mili ho.......

Keep rocking Bro
 
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Bahut hi gazab ki update post ki he p696r Bro,

Maja hi aa gaya.........shayad hi aisi kinky story padhne ko mili ho.......

Keep rocking Bro
Ruchi ki Maa ke aane ke baad dekhna kya dhamaal Machega🫦
 
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