बहुत ही शानदार और कामुक अपडेट दिया है !मां बेटे दोनों बड़े से पेड़ के पीछे घनी झाड़ियों में छुप गए थे,,, और इसके सिवा दोनों के पास कोई रास्ता भी नहीं था वैसे तो सुनैना को बिल्कुल भी एहसास नहीं था कि उनके पीछे जो लोग आ रहे हैं वह कौन है उन्हें तो वह गांव वाला ही समझ रही थी लेकिन सूरज अच्छी तरह से जानता था वह तुरंत अपनी मां को सचेत करते हुए बड़े से पेड़ के पीछे लेकर छुप गया था और देख रहा था कि वह लोग हैं कौन,,,, जिस तरह से सूरज ने अपनी मां का हाथ पकड़ कर घने पेड़ के पीछे ले गया था, यह देखते हुए सुनैना भी समझ गई थी कि मामला गंभीर है इसलिए वह भी पूरी तरह से खामोश हो चुकी थी उसके तन-बदन में भी डर का माहौल बना हुआ था,,,,।
तुम बिल्कुल भी शांत रहना कुछ मत बोलना,,,,, (पेड़ के पीछे मां बेटे दोनों खड़े थे लेकिन सूरज अपनी मां के पीछे खड़ा था एकदम ठीक पीछे ऐसे माहौल में भी वह कोई भी मौका अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था क्योंकि जिस तरह से वह खड़ा था उसका बदन उसकी मां के बदन से एकदम सटा हुआ था,,,, अपने बेटे की बात सुनकर वह सच में कुछ बोल नहीं रही थी बस हां मैं सर हिला दी थी,,,,, फिर भी सूरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) हमें थोड़ा जल्दी निकल जाना चाहिए था अंधेरा हो गया है इसलिए ऐसे माहौल में थोड़ा डर लगता है ।
लेकिन यह लोग हैं कौन,,, और अभी तक दिखाई भी नहीं दिए हैं,,,,।
चुप रहो बिल्कुल भी शोर मत करो वह देखो,,,,, (सूरज उन लोगों को देख चुका था जो उसी रास्ते से आ रहे थे,,,, सुनैना को भी साफ दिखाई दे रहा था तभी उनमें से एक बोला,,,)
यार कहीं दिन हो गए हैं कोई चिड़िया हाथ नहीं लग रही है,,,।
हां यार तू सच कह रहा है,,, (हाथ से हिला हिला कर हाथ दुखने लगा है,,,,, दूसरे का इतना कहना था कि तीसरा भी झाड़ियां के पीछे से निकलता हुआ बोला,,)
मैं भी यही सोच रहा था काफी दिन हो गए जुगाड़ हुए इस वक्त यहां से कोई गुजरता भी नहीं है,,,, इसमें कोई औरत मिल जाती तो रात भर मजा करते,,,,,,।
(ईतना कहकर तीनों हंस रहे थे और उन तीनों की बात सुनकर सुनैना की हालत खराब हो रही थी,,,, उसे अपने बेटे की बात पर विश्वास हो गया था अगर वह अपने बेटे की बात नहीं मानती तो शायद आज वह खुद इन तीनों का शिकार बन जाती क्योंकि जिस तरह से पीछे से आवाज आ रही थी उसे ऐसा ही लग रहा था कि गांव वाले ही हैं लेकिन सही मौके पर सूरज को एहसास हो गया था कि वह लोग बदमाश हैं इसलिए तो वह उसका हाथ पकड़ कर पेड़ के पीछे झाड़ियों में छुप गया था, मां बेटे दोनों पूरी तरह से खामोश हो चुके थे, और सुनैना डर के मारे अपने बेटे से और सटी जा रही थी,,,, सूरज को अपनी मां के नितंबों का एहसास अपने आगे वाले भाग पर बहुत अच्छे तरीके से हो रहा था,,,,, वह दोनों खामोशी से उन तीनों की तरफ देख रहे थे और उन दिनों के निकल जाने का इंतजार कर रहे थे लेकिन वह तीनों वहीं पर आकर रुक गए थे,,,, तभी उनमें से एक बोल पड़ा,,,,)
पहले तो गांव से किसी औरत को उठा कर ले आते थे और रात भर यही चुदाई करते थे,,,, लेकिन जब से अपना साथी अलग हुआ है वह सुख भी हाथ से चला गया है,,,,।
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सही कह रहा है तू वही औरतों को उठाकर लाता था बदले में उसे भी मजा मिल जाता था वह थोड़े पैसे भी मिल जाते थे उसके ना होने से हम तीनों का लंड सिर्फ खड़ा रहता है किसी की बुर में घुस नहीं पाता,,,,, (दूसरे ने कहा और उसके हाथ में शराब की एक बोतल भी थी,,, जिसे वह बार-बार घूंट भर भर कर पीरहा था जहां एक तरफ मां बेटे दोनों डरे हुए थे वहीं दूसरी तरफ डर के बावजूद की सूरज उन तीनों की बातें सुनकर मस्त हो रहा था क्योंकि वह तीनों खुलकर औरत की बुर की और लंड की बातें कर रही थी चुदाई की बातें कर रही थी और उसे समय उनकी बातों को सुनने के लिए सूरज के साथ उसकी मां भी थी और इसीलिए सूरज को अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि उनकी बातें उसकी मां भी सुन रही है और उसके बदन में भी कुछ ना कुछ तो जरूर होता ही होगा,,,, और सूरज का सोचना बिल्कुल ठीक ही था सुनैना भी उन तीनों की बातें सुनकर दंग रह गई थी वह तीनों एकदम बेशर्म और बदमाश थे सुनैना को अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि वाकई में अगर इस समय कोई औरत तो नहीं मिल जाए तो तीनों बिल्कुल भी देर नहीं करेंगे उसकी चुदाई करने में,,,, और फिर यह सोचकर एकदम से सिहर उठी कि आज अगर उसके साथ उसका बेटा ना होता तो शायद उन तीनों के नीचे वह पड़ी होती,,,,,,,,, वह तीनों वहीं पर बड़े से पत्थर पर बैठ गए थे,,,, और बारी-बारी से बोतल में से दारु पी रहे थे तभी उनमें से एक अपने पजामे मैं रखा हुआ बीड़ी का छोटा सा बंडल और एक दिया सलाई निकाला और उसमें से तीन बीड़ी निकाल कर एक साथ उसे सुलगाने लगा,,,, यह देखकर सुनैना का दिल और जोरो से धड़कने लगा था उसकी घबराहट बढ़ने लगी थी क्योंकि वह तीनों वहीं बैठ गए थे और कितनी देर बैठे रहेंगे इस बात का अंदाजा किसी को नहीं था।
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सूरज भी यह सब देख रहा था,,,, उसे भी अपनी मां की तरह ही एहसास हो रहा था वह तो सोच रहा था कि जल्दी से तीनों निकल जाए तो वह अपनी मां को लेकर गांव की तरफ जल्दी से निकल जाए लेकिन अभी यह मुमकिन दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन इस दौरान उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होने लगा था क्योंकि उसके आगे वाला भाग उसकी मां के पीछे वाले भाग से पूरी तरह से सटा हुआ था,,,,, बीड़ी जलाने के बाद वह एक-एक बीड़ी अपने दोनों साथी को दे दिया और खुद बीड़ी को फुंकने लगा,,,, तभी उनमें से एक बीड़ी का कश लेते हुए बोला,,,)
साला सच में औरत का नाम लेते ही लंड खड़ा हो जाता है देख तो सही मेरा एकदम से खड़ा हो गया,,, (वह एकदम से अपनी धोती को हटाते हुए अपने साथियों को अपने लंड दिखाते हुए बोला जो कि वाकई में एकदम खड़ा था,,,, उसके दोनों साथी उसके लंड की तरफ देखकर हंसने लगे और यह सब सूरज और सुनैना भी देख रही थी ना चाहते हुए भी सुनैना की नजर उसके धोती के अंदर से दिख रही है उसके लंड की तरफ चली गई थी और एक अजीब सी सनसनाहट उसके बदन में होने लगी थी। तभी उनमें से हंसता हुआ दूसरा आदमी बोला,,,,)
साले मेरी भी तो यही हालत हुई है ले देख,,, (और इतना कहकर वह भी अपनी धोती हटाकर अपने लंड को दिखाने लगा जो की अभी पूरी तरह से खड़ा नहीं था ढीला डाला था यह देखकर तीसरा बोला,,,,)
सालों तुम दोनों से तो मेरा ही लंबा और मोटा है,,, यह देखो,,, (वह एकदम से पत्थर पर से नीचे उतर कर खड़ा हो गया और अपने धोती को ऊपर उठा दिया वाकई में उसका लंड लंबा और मोटा था और इस समय खड़ा भी था यह देखकर वह दोनों भी हंसने लगे और बोले,,,,)
फिर भी कोई फायदा नहीं तभी तो तेरी बीवी छोड़कर भाग गई,,,,, (इतना कह कर वह दोनों हंसने लगे,,, उन दोनों की बातें और उन दोनों की हंसी सुनकर वह गुस्सा दिखाते हुए बोला,,,)
अरे मादरचोदो वह इसकी वजह से ही भाग गई क्योंकि रात भर मैं उसे सोने नहीं देता था,,,,।
अच्छा यह बात है,,,, सुन रहा है तू,,,, बोल रहा है कि इसकी वजह से वह भाग गई पिछली बार की घटना तुझे याद है ना जब खेत में हम तीनों पड़ोस के गांव की औरत की चुदाई कर रहे थे शुरुआत किसने किया था यही सबसे पहले चढ़ा था और दो ही झटके में ढेर र हो गया था,,,
(इतना कहने के साथ वह हंसने लगा और उसके साथ उसका दूसरा साथी भी हंसने लगा और वह इसके बारे में वह दोनों बोल रहे थे और हंस रहे थे वह थोड़ा शर्मिंदा हुआ लेकिन फिर भी अपना बचाव करते हुए बोला)
सालों उस दिन तो मेरी तबीयत थोड़ा खराब थी आज किसी की दिला दो फिर देखना उसकी बुर का भोसड़ा बना दिया तो मेरा नाम भी मंगरु नहीं।
दूसरा नाम सोचना शुरू कर दे,,, (उन दोनों में से एक बोला और दोनों जोर-जोर से हंसने लगे उन सब की बातें मां बेटे दोनों की हालत खराब कर रही थी एक तरफ दर का माहौल था दूसरी तरफ मदहोशी का माहौल था सुनैना भी पल भर के लिए सब कुछ भूल गई थी कि वह कहां पर है पेड़ के पीछे झाड़ियों में छुपकर वह तीनों के लैंड को देख रही थी एक साथ वह पहली बार तीन लंड देख रही थी,, उसकी बुर में अजीब सी हलचल हो रही थी उसे ऐसे डर के माहौल में भी उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, और उत्तेजना के चलते अपने आप ही उसकी गांड अपने बेटे से सटी जा रही थी और धीरे-धीरे सुनैना को अपने बेटे के लंड के कड़कपन का एहसास होने लगा था,,,, सूरज की तो हालत खराब हो रही थी उन तीनों की बातें और अपनी मां की भारी भरकर गांड का स्पर्श उसे पागल बना रहा था और इस तरह का माहौल जो की पूरी तरह से डर से भरा हुआ था और मदहोशी से भी भरा हुआ था सूरज उत्तेजित हुआ जा रहा था और उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां उन तीनों के लंड को बड़े गौर से देख रही थी। यह देखकर सूरज की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और उसे अच्छा लग रहा था कि उसकी मां इस तरह से प्यासी नजरों से उन तीनों के लंड को देख रही थी,,,,।
वह तीनों कुछ देर और उसी तरह से बातें करते रहे,,,, लेकिन सूरज को अब मजा आ रहा था क्योंकि वह दोनों जिस जगह पर चुप कर खड़े थे वह पूरी तरह से सुरक्षित जगह थी वहां पर उन तीनों की नजर बिल्कुल भी पहुंच नहीं पा रही थी और ऐसे में डर के मारे जिस तरह से उसकी मां का हाल था वह पूरी तरह से अपनी मां के पीछे सटा हुआ था और उसका खड़ा लंड उसके पजामे में तनकर उसकी मां की गांड के बीचोंबीच साड़ी सहित अंदर धंसा हुआ था। और इसका एहसास सुनैना को अच्छी तरह से हो रहा था जिस तरह का नजारा वह अपनी आंखों के सामने देख रही थी और जिस तरह का अनुभव उसे अपने पिछवाड़े में हो रहा था इसके चलते उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी उसे भी अच्छा लग रहा था उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,,, तभी जो अभी भी धोती उठाएं नीचे खड़ा था वह धीरे-धीरे इस बड़े से पेड़ के करीब जाने लगा इसके पीछे मां बेटे दोनों छुपे हुए थे और जब सुनैना और सूरज दोनों उसको अपनी तरफ आते हुए देखे तो दोनों की सांस ऊपर नीचे होने लगी दोनों की सांस अटक गई कि अब क्या होगा लेकिन तभी तकरीबन एक हाथ की दूरी पर ही वह खड़ा हो गया पेड़ के बिल्कुल करीब जहां से सूरज और उसकी मां दोनों को वह आदमी एकदम साफ दिखाई दे रहा था और उसका लंड के साथ दिखाई दे रहा था जो की हवा में झूल रहा था डर के मारे सुनैना की जहां हालत खराब थी वहीं दूसरी तरफ उसे आदमी के ऊपर नीचे हिलते हुए लंड को देखकर उसकी बुर में अजीब सी हलचल हो रही थी। सुनैना गहरी गहरी सांस ले रही थी जिसका एहसास सूरज को हो रहा था सूरज को भी इस बात का अच्छी तरह से पता था कि उसकी मां क्या देख रही है। वैसे भी सूरज अपनी मां के बदन में उत्तेजना को जागना चाहता था उसकी जवानी के जोश को बढ़ाना चाहता था ताकि उसके लिए कोई मौका बना सके।
देखते ही देखते हैं वह आदमी पेशाब करने लगा और सुनैना उस आदमी के लंड से निकलने वाली पेशाब की धार को देख रही थी और वह आदमी अपने लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे हिलाते हुए पेशाब कर रहा था यह सुनैना के लिए एक अद्भुत पल था डरो उत्तेजना दोनों का मिला-जुला असर उसके चेहरे पर दिखाई दे रहा था,,,,, तभी अचानक सुनैना की जांघ में ऐसा लगा कि जैसे चींटी ने काट लिया हो उसे खुजली होने लगी और वह खुजलाने के लिए अपना हाथ नीचे लाकर खुजलाने लगी,,,, लेकिन इसी के साथ ही उसके चूड़ियों के खनकने की आवाज आने लगी और वह आदमी एकदम से चौंक गया वह इधर-उधर देखने लगा और वह वहीं पर खड़े-खड़े पेशाब करता हुआ ही अपने साथियों की तरफ देखते हुए बोला।
अरे तुम लोगों को कोई आवाज सुनाई दी,,,, (उसे आदमी की बात सुनते ही सूरज समझ गया और वह तुरंत ही अपना दोनों हाथ अपनी मां के दोनों हाथ पर उसकी चूड़ियों पर रखकर उसे एकदम से दबा दिया ताकि उसकी चूड़ियों की आवाज ना आ सके, सुनैना भी समझ गई थी इसलिए वह एकदम शांत हो गई थी लेकिन जिस तरह से सूरज ने अपनी मां के दोनों हाथों को पकड़ा था उसकी चूड़ियों के खनकने की आवाज को दबाया था ऐसा करते हुए वह और भी ज्यादा अपनी मां के बदन से सट गया था जिसके चलते साड़ी सहित सुनैना को अपनी बेटी का लंड उसकी गांड के बीचों बीच एकदम से धंसता हुआ महसूस हो रहा था,, और एक बार फिर से सुनैना को साफ-साफ महसूस हो रहा था कि उसके बेटे का लंड पजामे में होने के बावजूद भी साड़ी सहित उसके बुर के मुख्य द्वार तक पहुंच गया था और दस्तक दे रहा था,,,, सुनैना एकदम से मदहोश हो गई थी पल भर के लिए मदहोशी में उसकी आंखें बंद हो गई लेकिन फिर से वह अपनी आंखों को खोलकर उसे आदमी को देख रही थी जो अपने साथियों को बता रहा था तभी उसकी बात सुनकर उन दोनों में से एक बोला,,,)
कैसी। आवाज,,,!
औरत के चूड़ियों के खनकने की आवाज,,,
( ईतना सुनते ही वह दोनों एक साथ बोल पड़े,,,)
पागल हो गया है क्या तू यहां फिर आने में औरत के चूड़ी की आवाज तुझे सुनाई दे रही है लगता है तेरे को ज्यादा हो गई है,,,,।
अरे नहीं यार मुझे एकदम साफ सुनाई दी थी।
लेकिन हम लोगों को तो नहीं सुनाई थी,,,,।
अरे मुझे सुनाई दी,,,,
अच्छा रुक हम दोनों भी वही आते हैं देखु तो सही आवाज आ रही है कि नहीं,,,,, (इतना कहने के साथ वह दोनों भी उसकी तरफ आने लगी है देखकर मां बेटे के मन में फिर से घबराहट होने लगी,,,, सुनैना को इस बात कर रहा था कि अगर तीनों में से किसी एक की भी नजर उसे पर पड़ गई तो आज उसकी खैर नहीं है वह तीनों के लंड को देख चुकी थी और बारी-बारी से तीनों रात भर उसकी चुदाई करेंगे यह सोचकर ही उसके बदन में कंपकंपी महसूस हो रही थी। और सूरज को भी इस बात का डर था कि वाकई में अगर वह दोनों पकड़े गए तो दोनों की खैर नहीं होगी फिर भी सूरज तो जैसे तैसे मार खाकर भी चलेगा लेकिन वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां की इज्जत नहीं बच पाएगी क्योंकि वह जितना दम है उतना तो उन तीनों का सामना कर सकता है लेकिन उसकी जीत होगी यह उसे निश्चित नहीं था। ऐसे में बहुत अपनी आंखों के सामने अपनी मां की चुदाई होते हुए नहीं देख सकता था। इसलिए वह भी घबरा रहा था और अपनी मां को कस के पकड़ लिया था ताकि डर के मारा उसकी मां के बदन में हलन चलन ना हो, क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां के बदन में जरा भी हलन चलन होगा तो उन तीनों की नजर पड़ सकती है। इसलिए वह कस के अपनी मां को पकड़ कर स्थिर हो गया था,,,,।
लेकिन इस दौरान इस स्थिति में मां बेटे दोनों मदहोश भी हो रही थी दोनों के बदन में उत्तेजना की दर उठ रही थी जिस तरह से सुनैना अपने आप को अपने बेटे की बाहों में महसूस कर रही थी वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी उसे एहसास हो रहा था कि उसके बेटे की मजबूत भुजाएं औरत को प्यार देने के लिए समर्थ हो चुकी थी,,, उसे अपने बेटे की भुजाओं में अच्छा लग रहा था और उसे एहसास भी हो रहा था कि उसके बेटे की भुजाएं कितनी मजबूत है, और यह भी सोचकर वह गुनगुना जा रही थी कि उसके बेटे की भुजाओं से भी ज्यादा मजबूत और ताकतवर तो उसका लंड महसूस कर रहा है वह कभी सोच भी नहीं सकती थी की स्थिति में खड़े रहने की स्थिति में कपड़ों सहित उसका लंड उसकी गांड की गहराई तक पहुंच जाएगा और उसकी बुर के द्वार पर दस्तक देगा इसी से वह अंदाजा लगा ली थी कि वाकई में उसके बेटे का लंड कितना दमदार है उसकी आंखों के सामने दिखाई दे रहे तीनों मर्दों के लंड से कहीं ज्यादा मजबूत और तसल्ली देने वाला लंड उसके बेटे का है,,,,। वह दोनों भी वहीं पर आकर खड़े हो गए थे और खड़े होते हुए वह दोनों की फिर से अपनी धोती उठा लिए थे और अपने लड़के को पकड़कर हिलाने लगे थे और पेशाब करने लगे,,,, तभी उनमें से एक बोला।
मुझे तो यहां कोई आवाज नहीं आ रही है,,,,।
अरे मैं क्या झूठ बोल रहा हूं क्या चूड़ी के खनकने की आवाज आई थी,,, सच कहूं तो यार चूड़ी की आवाज सुनते ही मेरे लंड की अकड़ बढ़ने लगी थी।
लेकिन हमें तो कोई आवाज नहीं आ रही है।(उन दोनों में से एक बीड़ी का काश लेते हुए और अपने लंड को दोनों हाथ से पकड़ कर हिलाते हुए साथ ही पेशाब करते हुए बोला यह सब सुनैना और उसका बेटा देख रहा था सुनैना तो अपनी आंखों के सामने एक साथ पहली बार तीन तीन मर्द का लंड देख रही थी और तीनों को एक साथ पेशाब करते हुए देख रही थी जिसे देखकर उसकी बुर पानी पानी हो रही थी,,,, और पीछे से उसके बेटे का लंड उसकी बुर में तबाही मचाया हुआ था बिना घूसे ही उसकी बुर का पानी झड़ने के करीब आ गया था,,,,)
अरे यार मैं झूठ थोड़ी बोल रहा हूं।
अगर तू झूठ नहीं बोल रहा है तो तू ही सोच इतनी बिरने में तुझे औरत दिखाई देगी तू ही सोच इतनी बिरने में एक गांव की औरत क्या करेगी उसकी चूड़ी की आवाज सुनाई देगी पागल हो गया है तू मुझे तो लगता है इस पेड़ में ही चुड़ैल होगी जो हमें डरा रही है।
(इतना कहने के साथ ही तीनों पेड़ के ऊपर की तरफ देखने लगे तीनों थोड़े घबरा भी गए थे तभी उनमें से एक बोला)
अरे हो सकता है कि इसमें चुड़ैल हो और हमें यहां पेशाब भी नहीं करना चाहिए था यहां पर रुकना ठीक नहीं है,,,,, हमें चलना चाहिए।
सूरज के लंड की हालत
तू सच कह रहा है,,,,, ऐसा करते हैं पड़ोस वाले गांव चलते हैं,,,,,, आज की रात वहीं पर रुकेंगे,,,,,।
हां यार चलो मुझे भी लगने लगा है कि सच में इस पेड़ में चुड़ैल ही है,,,,,,।
(इतना कहने के साथ ही तीनों वहां से चलते बने लेकिन अभी भी मां बेटे दोनों पेड़ के पीछे छुपे हुए थे क्योंकि सूरज ने अपनी मां को रोक दिया था वह देखना चाहता था कि वह तीनों किसी और जाते हैं अगर इस रास्ते पर जाने लगे तो उन लोगों के लिए यह भी ठीक नहीं था क्योंकि उन दोनों को भी उसी रास्ते से जाना था इसलिए सूरज उन तीनों को जाते हुए देखने लगा कि कहां से जाते हैं तभी वह तीनों एक टूटी हुई पगडंडी से रास्ता बदल दिए और दूसरी तरफ जाने लगेगा देखकर मां बेटे दोनों की जान में जान आई सूरज अपनी मां से अलग होता हुआ बोला,,,)
बाप रे सही समय पर अगर पेड़ के पीछे ना छुपते तो आज तो काम तमाम हो जाता,,,,।
जिस तरह की स्थिति थी उसे देखते हुए सुनैना कुछ बोल नहीं पाई और शर्म से पानी पानी में जा रही थी वह सिर्फ इतना ही बोल पाई,,,
चल अब जल्दी से यहां से,,,, मुझे तो डर लग रहा है कि कहीं वह तीनों फिर ना आ जाए,,,,.
अब वह तीनों नहीं आने वाले,,, (इतना कहने के साथ है सूरज खेल जिसे वह जमीन पर दिया था उसे उठाकर अपने कंधे पर टांग लिया और जल्दी से झाड़ियां के बीच से दोनों बाहर आ गए और जल्दी-जल्दी गांव की तरफ जाने लगे)
बहुत ही शानदार लाजवाब और जबरदस्त रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गयासूरज के कानों में तो उसकी मां की कुर्सी निकलने वाली पेशाब की सिटी की मधुर धुन सुनाई दे रही थी जिसमें वह पूरी तरह से मत हुआ जा रहा था कि तभी उसकी मां की चीख सुनाई दी सूरज एकदम से घबरा गया था वह जिस तरह से चीखी थी अगर गांव में इस तरह की ची मुंह से निकाली होती तो पूरा गांव इकट्ठा हो गया होता,, लेकिन इस वीरान सुनसान सड़क पर उसकी चीख सुनने वाला केवल सूरज ही था सूरज भी एकदम से घबरा गया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार ऐसा क्या हो गया कि उसकी मां इतनी जोर से चीखने लगी,,, सूरज को अपनी मां की चिंता हो रही थी क्योंकि इस तरह से वह कभी चीखती नहीं थी जरूर कोई बात थी।
सूरज जल्दी से दौड़ता हुआ अपनी मां के पीछे आकर खड़ा हो गया और बोला।
क्या हुआ मां क्यों चीख रही हो,,,,,,, (अभी तक के की वजह से सूरज का ध्यान अपनी मां के ऊपर ठीक से गया नहीं था लेकिन जैसे ही अपने शब्द पूरे करने के बाद वह अपनी मां की तरफ देखा तो देखा ही रह गया साड़ी कमर तक उठाए हुए वह पेशाब करने बैठी थी उसकी बड़ी-बड़ी नंगी गांड झाड़ियां में भी खूबसूरत आभा बनाई हुई थी एकदम आसमान के चांद की तरह चमक रही थी,,, और सूरज के लिए मजे की बात यह थी कि उसकी मां चीखने के बावजूद भी अपने आप को व्यवस्थित नहीं की थी अपने कपड़ों को दुरुस्त नहीं की थी उसकी नंगी गांड सूरज की आंखों के सामने थी सूरज अपनी मां की गोरी गोरी गांड देखकर पागल हुआ जा रहा था,,, लेकिन तभी उसकी मां एकदम घबराते हुए स्वर में धीरे से बोली।
सांप ,,सांप,,, (सुनैना एकदम घबराई हुई थी उसकी सांस अटक रही थी वह अपने बदन को एकदम स्थिर की हुई थी और सूरज ने गौर किया था कि उसकी मां की बुर से निकलने वाली सीधी की आवाज भी एकदम शांत हो चुकी थी मतलब साफ था कि उसकी मां पेशाब नहीं कर रही थी,,,,, सांप का जिक्र होते ही सूरज की घबरा गया और एकदम से बोला,,,)
सांप कहां है सांप,,,,! (सूरज इधर-उधर देखता हुआ बोला था उसकी मां बोले नहीं बल्कि उंगली के इशारे से एकदम घबराए हुए दिखाने लगी ज्यादा नहीं सिर्फ इतना ही बोली,,,)
यह देख,,,, (सुनैना उंगली से अपने पैर की तरफ इशारा कर रही थी,,, और जब सूरज ने देखा तो उसके भी होश उड़ गए थे क्योंकि उसकी मां जहां पर पेशाब करने बैठी थी उसके पैर वहां पड़े हुए थे जहां पर सांप बैठा हुआ था और गोलाई बनाया हुआ था,,, सांप काफी बड़ा लग रहा था इसलिए सुनैना बड़े आराम से उसके बनाए हुए गोलाई में अपने पैर रखकर बैठ चुकी थी और उसे एहसास तक नहीं हुआ था कि वह कहां बैठी है,,,, वह तो पेशाब करने में ही मस्त थी,,,, सूरज भी यह देखकर हैरान हो गया था कि वाकई में चिंता वाली बात हो गई थी वह जानता था कि अगर उसकी मां उठने की कोशिश करेगी तो हलन चलन से सांप एकदम इधर-उधर होने लगेगा जो कि इस समय सूरज को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां का एक पर गोली में था और उसे सांप का पूरा शरीर आगे झाड़ियां में था इसका मतलब साफ था की वह आराम कर रहा था,,, सूरज को समझ में आ गया था कि इसी डर के मारा उसकी मां की पेशाब रोक रही थी और वह पेशाब नहीं कर पाई थी,,,,, सूरज भी अपनी मां की तरह ही उसके पास बैठ गया था ठीक उसके पीछे ,,,डर के मारा सुनैना को इस बात का अहसास तक नहीं था कि वह किस अवस्था में बैठी है। सूरज की आंखों के सामने उसकी मां की नंगी गांड थी एकदम गदराई हुई ,,, जिसे देखने के लिए सूरज दिन रात तड़पता था और आज आलम यह था कि उसकी मां नंगी गांड उसकी आंखों के सामने परोसे हुए बैठी थी और उसे अहसास तक नहीं था,,,,,, इस डर के माहौल में इतनी सूरज अपने आप को अपनी मां की नंगी गांड देखने से रोक नहीं पा रहा था। और शायद यही औरत की खूबसूरत अंगों का आकर्षण होता है जिसमें मर्द पूरी तरह से खो जाता है भले ही वह कैसी भी हालत में हो,,,,।
घबराहट से पूरा माहौल एकदम शांत हो चुका था सुनैना की कान फाड़ देने वाली चीख शांत हो चुकी थी,,, क्योंकि उसे पूरा यकीन करके उसका बेटा जरूर कुछ ना कुछ करेगा क्योंकि अब वह कुछ कर सके ऐसी उसकी हालत बिल्कुल भी नहीं थी वह भी हार मान चुकी थी इसलिए तो अपने बेटे की तरफ आस भरी नजर से देखते हुए बोली,,,।
अब क्या करूं सूरज मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,,,।
तुम चिंता मत करो मैं हूं ना बस हिलना डुलना बिल्कुल भी नहीं,,,, मुझे लग रहा है कि सांप आराम कर रहा है इसलिए वह शांत है वरना अभी तक तो,,, (इतना कहकर वह शांत हो गया और कुछ सोचने लगा,,,, यह मुश्किल की घड़ी भी सूरज के लिए आस भरी सुनहरी कीरन लेकर आई थी,,,, सूरज कभी अपनी मां के पैर की तरफ देखा तो कभी अपनी मां के खूबसूरत चेहरे की तरफ तो कभी उसकी बड़ी-बड़ी गांड की तरफ ऐसी मुश्किल घड़ी में भी सूरज को उसकी मां की बड़ी-बड़ी गांड आकर्षित कर रही थी और सुनैना अपने बेटे की तरफ देख रही थी तो कभी अपने पैर की तरफ उसे भी एहसास हो रहा था कि वाकई में सांप को ज्यादा ही लंबा था,,,,,, सूखे हुए पत्तों के बीच वह सांप अपने अस्तित्व को छुपाया हुआ था ताकि उसे भी भारी जंगली जानवर उस पर हमला न कर दे,,, लेकिन इस समय सुनैना मुश्किल घड़ी में थी मुसीबत में थी जिसमें से सूरज को बाहर निकालना था। सूरज कुछ देर तक शांत बैठा रहा वह सोच रहा था कि कैसे इस मुसीबत से अपनी मां को बाहर निकाला जाए,,,, लेकिन सुनैना से सब्र नहीं हो रहा था वह अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली,,,)
कुछ कर सूरज मुझे बहुत डर लग रहा है।
डरने वाली बात तो है ही अगर तुम खड़ी हो जाती हो तो सूखे हुए पत्तों में हलन चलन होगी और सांप एकदम से बाहर आ सकता है और काट सकता है।
तो अब क्या करूं,,,,,।
रुको तुम्हें कुछ नहीं करना है जो करना है मुझे ही करना है,,,,,।
कुछ भी कर लेकिन जल्दी कर,,,,।
(अपनी मां की यह बात सुनकर सूरज अपने मन में ही बोला साला मेरा मन तो तुम्हें चोदने को कर रहा है कहो तो चोद दुं,,, साली इतनी मस्त गांड मेरी आंखों के सामने है लेकिन मैं कुछ कर नहीं सकता हूं कोई और होता तो इस समय डाल चुका होता ,,,,, अपने मन में अपनी मां के प्रति इस तरह की बात सोचते हुए और वह भी ऐसी हालत में वह आगे की युक्ति सोच रहा था और फिर धीरे से अपनी मां की तरफ बैठे-बैठे ही सरक गया जैसे कि वह भी किसी औरत की भांति पेशाब करने बैठा हो,,, और देखते ही देखते वह एकदम से अपनी मां के करीब पहुंच गया था,,,,, और अपना दोनों हाथ आगे बढ़कर नीचे से अपनी मां का पैर पकड़ लिया और उसके हाथ में उसकी मां की पायल भी पकड़ गई थी जो की हल्का सा शोर मचाने लगी थी यह देखकर वह अपनी मां के पैरों को थोड़ा जोर से पकड़ लिया था और बोला।)
तुम्हारी पायल कुछ ज्यादा ही शोर मचाती है,,,।
तुझे पायल की पड़ी है यहां मेरी जान सूख रही है।
चिंता मत करो अभी सब कुछ ठीक हो जाएगा,,,,।
लेकिन तू कर क्या रहा है,,,, देखना तेरा हाथ सांप से स्पर्श न हो जाए वरना वह जाग जाएगा,,,,।
इसीलिए तो संभाल कर तुम्हारा पैर पकड़ा हूं,,,,, (सूरज की हालात दोनों तरफ से खराब थी एक तरफ सांप का डर उसके मन में बना हुआ था और दूसरी तरफ उसकी मां की गदराई गांड जो की पूरी तरह से हाहाकार मचा रही थी और उसकी हालत को खराब कर रही थी,,,, सूरज नजर भर कर अपनी मां की गांड को देख रहा था गांड की फांकों के बीच के कटाव की पतली दरार इतनी गजब की थी मानो जैसे हरियाली से भरा हुआ रास्ता और यह हरियाली पेड़ पौधों जंगल की नहीं बल्कि जवानी की हरीयाली थी,,,, सूरज को अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि उसकी मां जिस तरह से बड़ी तीव्रता के साथ पेशाब कर रही थी उसकी बुर से निकलने वाली पेशाब के छिंटे उसके पैर पर भी पड़े थे जो कि ईस समय सूरज के हाथों में लग रहे थे लेकिन सूरज को इसका एहसास पूरी तरह से उत्तेजित कर दे रहा था। सूरज कस के अपनी मां के पैर को पकड़ा हुआ था और उस गोलाई में से अपनी मां के पर को निकालना चाहता था इसलिए जोर लगाकर वह ऊपर की तरफ उठाने लगा और बोला,,,)
ईस पैर का भार थोड़ा कम करो और जैसे मैं उठा रहा हूं खुद भी उठने की कोशिश करो तभी इस मुसीबत से निकल पाओगी,,,, और जल्दी करो कहीं ऐसा ना हो कि इधर से चूहे गुजरे और उन्हें पकड़ने के चक्कर में हम लोगों का नुकसान हो जाए,,,,,,।
(ऐसा कहते हुए सूरज दम लगाकर अपनी मां के पर को ऊपर की तरफ उठा रहा था और उसकी मां भी अपने बदन के भार को उठाने की कोशिश कर रही थी,,, लेकिन सुनैना से ठीक से हो नहीं पा रहा था तो सूरज ही उससे बोला,,,)
एक काम करो तुम एक हाथ पीछे की तरफ लाकर मेरे कंधे पर रखकर सहारा ले लो तब आराम से उठ पाओगी,,,,,।
(जल्द ही सुनैना अपने बेटे की बात मान गई और अपना एक हाथ पीछे की तरफ लाकर अपने बेटे के कंधे पर रख दी और उसे पर दबाव बनाते हुए खुद उठने की कोशिश करने लगी और नीचे से सूरज अपनी मां के पैर को उठा ही रहा था,, धीरे-धीरे सूरज की मेहनत रंग लाने लगी,,, सुनैना की भी कोशिश कामयाब हो रही थी वह अपने पैर को उठाने में कामयाब हो गई थी सांप की गोलाई में से सुनैना का पेर ऊपर की तरफ उठ चुका था लेकिन अभी भी वह सुरक्षित नहीं थी क्योंकि अगर इस तरह से सूरज छोड़ देता तो फिर से मुसीबत खड़ी हो सकती थी इसलिए सूरज इस बार अपना एक हाथ,,, मौके का फायदा उठाते हुए नीचे से अपनी मां की गांड पर रखती है और उसे पर सहारा बनाकर अपनी मां की गांड को भी ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,, अपनी मां की गांड पर हाथ रखते हैं सूरज की हालत एकदम से खराब हो गई थी उसके पजामे में उसका लंड पूरी तरह से अकड़ चुका था इस मुसीबत की घड़ी में भी उसकी आंखों में वासना के डोरे साफ नजर आ रहे थे,,,, और वाकई में मदद की आंखों के सामने जब इतनी खूबसूरत जवानी से भरी हुई औरत हो तो मुसीबत की घड़ी में भी वह मर्द उसे औरत के साथ संबंध बनाना चाहेगा,,, और यह हाल इस समय सूरज का भी था,,, अपनी मां की गांड के निचले हिस्से पर अपनी हथेली रखकर वह ऊपर की तरफ उठा रहा था और उसकी मां भी अपने बेटे का इस तरह का सहारा पाकर अपने वजन पर काबू पाते हुए ऊपर की तरफ उठ रही थी।
लेकिन सूरज के मन में कुछ और चल रहा था वह इस मौके को अपने हाथ से गंवाने नहीं देना चाहता था । भले ही वह अपनी मां की चुदाई नहीं कर सकता था लेकिन इस समय वहां अपनी मां के खूबसूरत अंग को छुकर उसका आनंद ले सकता था इसलिए वह अपनी मां की गांड के नीचे अपनी हथेली रखकर उसे ऊपर की तरफ उठाते हुए धीरे से अपनी हथेली को अपनी मां की बुर की तरफ बढ़ाने लगा और अगले ही पल जैसे ही उसे एहसास हुआ कि उसकी हथेली उसकी मां की गर्म बुर पर एकदम से सट गई है तो ,,, वह एकदम से मौके का फायदा उठाते हुए अपनी मां की बुर को एकदम से अपनी हथेली में दबोचते हुए बोला,,,,।
बस एकदम से खड़ी हो जाओ,,,, साथ में मैं भी खड़ा होता हूं,,,, (यह वह पल था जिसमें सूरज अच्छी तरह से जानता था कि अफरातफरी में उसकी मां कुछ समझ नहीं पाएगी,,,,, और ऐसा ही हुआ उसकी मां भी पूरा जोर लगाकर खड़ी होने की कोशिश करने लगी साथ में सूरज भी खड़े होने लगा लेकिन इस दौरान वह अपनी हथेली का दबाव अपनी मां की बुर पर बनाया हुआ था और बुर के ऊपर के हल्के-हल्के बालों में अभी भी पेशाब की बूंदे लगी हुई थी जिससे उसकी हथेली गीली हो रही थी,,,,, इस अद्भुत पल का आनंद लेते हुए मां बेटे दोनों खड़े हो चुके थे लेकिन सूरज अभी भी झुका हुआ था क्योंकि उसके एक हाथ में अभी भी उसकी मां का पैर था,,,, और फिर जब कुछ सब कुछ सही नजर आने लगा तब वह अपनी मां का पर खुद ही धीरे से दूसरी तरफ रख दिया,,,,,। वैसे तो यह सब कुछ बिल्कुल आसान लग रहा था लेकिन सूरज के मन में इस बात का डर था कि सूखे हुए पत्तों में जरा सा भी हलचल हुआ तो वह सांप तुरंत पलट कर इसी तरफ आएगा और ऐसे में वह काट भी सकता है इसलिए वहां बिल्कुल भी खतरा मोल नहीं लेना चाहता था,,, सुनैना उसे सांप की गोलाई से तकरीबन 2 फीट की दूरी पर खड़ी हो चुकी थी,,, सांप अभी भी ज्यो का त्यों बैठा हुआ ही था,,,, सांप की तरफ देखते हुए सुनैना बोली,,,)
दैया रे दैया आज तो बच गई मुझे तो लगा था कि आज मेरी जान ही चली जाएगी,,,।
मेरे होते हुए भला ऐसे कैसे हो सकता है,,,।
तो सही कह रहा है अगर आप तो मेरे साथ नहीं होता तो आज कुछ ना कुछ गजब हो जाता,,,, (सुनैना अभी भी गहरी गहरी सांस लेते हुए सांप की तरफ देखते हुए बोल रही थी और वह भूल चुकी थी कि अभी भी उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी नितंबों का उभार जिस तरह का था उसे उभार पर उसकी साड़ी टिक गई थी और उसकी नंगी गांड पीछे से एकदम साफ दिखाई दे रही थी यह देखकर सूरज हल्के से मुस्कुरा दिया और अपनी मां से बोला,,,,)
अपने कपड़े तो ठीक कर लो अभी भी दिख रहा है,,,।
(अपने बेटे की बात पर गौर करते ही वह एकदम से हड़बड़ा गई और तुरंत अपनी साड़ी को व्यवस्थित करने लगी लेकिन इस बात को वह भी जानती थी कि अब कोई फायदा नहीं है क्योंकि उसे एहसास हो रहा था कि जिस तरह से वह पेशाब करने बैठी हुई थी उसके बेटे ने सब कुछ देख लिया था और वह अपने मन में सोच रही थी आज का दिन ही कुछ अलग ही है तैयार होते समय भी उसका बेटा उसे पूरी तरह से नंगी देख चुका था और इस समय भी उसे पेशाब करते हुए देख चुका था और यह एहसास उसे शर्म से पानी पानी किया जा रहा था वह अपने बेटे से नजर नहीं मिल पा रही थी अपने कपड़ों को दुरुस्त करके वह बोली,,,)
अब हमें चलना चाहिए काफी देर हो चुकी है,,,,।
बात तो सही है लेकिन थोड़ा इधर आ जाओ,,,, इसे थोड़ा भगा दु वरना आते-जाते किसी का पैर पड़ गया तो गजब हो जाएगा,,,(खुद को और अपनी मां को सुरक्षित दायरे में करते हुए वह छोटा सा पत्थर उठाया और उसे और धीरे से फेंक दिया जिससे तुरंत वह सांप एकदम से उठकर खड़ा हो गया ठीक उसी तरफ जहां पर उसकी गोलाई था,,, यह देखकर सूरज अपनी मां से बोला,,,)
देख रही हो ना यही डर था मेरे मन में अगर जरा सा भी हलचल होता तो वह इसी तरह से फुंफकारने लगता और काट भी लेता,,
तू एकदम ठीक कह रहा है,,,,(सुनैना को विश्वास का एहसास हो रहा था कि उसके बेटे ने जो कुछ भी किया था उसी में उसकी भलाई थी,,,,, और अगले ही पल वह सांप भी झाड़ियों के अंदर चला गया,,,, मां बेटे फिर से बाजार के रास्ते जाने लगे लेकिन सूरज चलते हुए ही तुरंत अपनी मां से बोला,,,)
वह तो गनीमत थम की सांप के ऊपर पेशाब नहीं करने लगी वरना गजब हो जाता,,,(यह वाली बात सूरज जानबूझकर बोला था और अपने बेटे के मुंह से यह बातें सुनकर सुनैना के चेहरे पर शर्म की लाली जाने लगी वह कुछ बोल नहीं पाई और बिना कुछ बोले खामोश चलती रही थोड़ी देर में दोनों बाजार पहुंच चुके थे,,,,,, सुनैना बाजार में जरूर का सामान खरीद रही थी काफी महीनों बाद वह बाजार आई थी,,,, इसलिए वह ज्यादा खुश थी अपनी मां को राशन का सामान खरीदना हुआ देखकर सूरज भी आगे निकल गया था और अपने मनपसंद का सामान खरीद कर उसे अपने पजामे में रख लिया था जिसके बारे में उसने अपनी मां को नहीं बताया था। शाम के समय बाजार की रौनक बढ़ जाती थी लोगों की काफी भीड़ नजर आ रही थी लोग अपने-अपने जरूरत का सामान खरीद रहे थे,,,,,, थोड़ी देर में सुन ना खरीदी कर चुकी थी और फिर सूरज के साथ एक छोटी सी समोसे की दुकान पर पहुंच गई थी जहां पर वह खुद के लिए और अपने बेटे के लिए समोसे और जलेबी खरीद कर खा रही थी,,,,, और रानी के लिए भी ले ली थी।
मां बेटे दोनों एक टूटी हुई लंबी सी कुर्सी पर बैठकर जलेबी और समोसे का मजा लूट रहे थे वहीं पास में दो लड़के भी खड़े थे वह दोनों उन्ही की तरफ देख रहे थे इसलिए सुनैना उन दोनों बच्चों को अपने पास बुलाई और उन्होंने दोनों के लिए भी जलेबी और समोसे खरीद कर उन्हें दे दी और वह लोग खाने लगे वह समोसे और जलेबी खा ही रहे थे कि तभी वहां पर उनकी मां आ गई,,, और अपने बच्चों को समोसे और जलेबी खाता हुआ देखकर बोली,,,,।
तुम दोनों को यह किसने दिलाया,,,,,।
चाची ने,,,,(वह दोनों बच्चे सुनैना की तरफ इशारा करते हुए बोले तो सुनैना मुस्कुराने लगी और उनकी तरफ देखकर वह औरत भी बोली)
इसकी क्या जरूरत थी दीदी यह दोनों बहुत जीद्दी हैं अभी इन्हें दिलाने ही वाली थी,,,,।
कोई बात नहीं मैं दिलाओ या तुम दिलाओ बात तो यही है और बच्चे तो बच्चे होते हैं,,,,।
(अभी दोनों की बातचीत हो ही रही थी कि सूरज को लग रहा था कि उसने ईस औरत को कहीं देखा है अपने दिमाग पर बहुत जोर देने के बाद उसे याद आ गया कि इस औरत को वह कैसे जानता है लेकिन इसके बारे में कुछ बोला नहीं और थोड़ी देर में शाम ढलने लगी थी सूरज अपनी मां के साथ सामान वाला थैला लेकर गांव की तरफ निकल गया था,,,, लेकिन अब धीरे-धीरे अंधेरा बढ़ने लगा था यह देखकर सूरज अपनी मां से बोला,,,)
जल्दी-जल्दी कदम बढ़ाओ देर हो चुकी है।
जानती हूं उस सांप के चक्कर में देर हो गई वरना अब तक हम लोग घर पहुंच गए होते।
कोई बात नहीं वैसे भी ज्यादा देर नहीं हुई है लेकिन अब अंधेरा होने लगा है इसलिए समय पर घर पहुंच जाना जरुरी है।(मां बेटे दोनों कच्ची पगडंडी से होते हुए जल्दी-जल्दी आगे की तरफ निकल रहे थे कि तभी कुछ लोगों की आवाज सुनाई देने लगी जो आपस में ही बात करते हुए पीछे से उनकी तरफ ही आ रहे थे,,,,,, जिस तरह से वह लोग बातें कर रहे थे सूरज को समझते देर नहीं लगी थी कि वह लोग ठीक इंसान नहीं थे,,,,,, लेकिन सुनैना के मन में ऐसा कुछ नहीं था इसलिए वह अपने बेटे से बोली,,,)
लगता है गांव के कुछ लोग आ रहे हैं रुक जाओ उन्हीं लोग के साथ चलते हैं,,,,।
धीरे बोलो यह क्या कर रही हो,, वह लोग गांव के लोग नहीं है चोर बदमाश है,,,,,
(चोर बदमाश का नाम सुनते ही सुनैना की तो हालत खराब होने लगी उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें लेकिन सूरज उसका हाथ पकड़ कर बोला)
जल्दी से इधर आओ,,,,, (सूरज अपनी मां का हाथ पकड़े हुए एकदम से झाड़ियां के बीच बड़े से पेड़ के पीछे लेकर चला गया जहां से वह दोनों छुपकर देखने लगे की यह लोग हैं कौन)
बहुत ही खुबसुरत लाजवाब और शानदार मजेदार अपडेट है भाई मजा आ गयामां बेटे दोनों बड़े से पेड़ के पीछे घनी झाड़ियों में छुप गए थे,,, और इसके सिवा दोनों के पास कोई रास्ता भी नहीं था वैसे तो सुनैना को बिल्कुल भी एहसास नहीं था कि उनके पीछे जो लोग आ रहे हैं वह कौन है उन्हें तो वह गांव वाला ही समझ रही थी लेकिन सूरज अच्छी तरह से जानता था वह तुरंत अपनी मां को सचेत करते हुए बड़े से पेड़ के पीछे लेकर छुप गया था और देख रहा था कि वह लोग हैं कौन,,,, जिस तरह से सूरज ने अपनी मां का हाथ पकड़ कर घने पेड़ के पीछे ले गया था, यह देखते हुए सुनैना भी समझ गई थी कि मामला गंभीर है इसलिए वह भी पूरी तरह से खामोश हो चुकी थी उसके तन-बदन में भी डर का माहौल बना हुआ था,,,,।
तुम बिल्कुल भी शांत रहना कुछ मत बोलना,,,,, (पेड़ के पीछे मां बेटे दोनों खड़े थे लेकिन सूरज अपनी मां के पीछे खड़ा था एकदम ठीक पीछे ऐसे माहौल में भी वह कोई भी मौका अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था क्योंकि जिस तरह से वह खड़ा था उसका बदन उसकी मां के बदन से एकदम सटा हुआ था,,,, अपने बेटे की बात सुनकर वह सच में कुछ बोल नहीं रही थी बस हां मैं सर हिला दी थी,,,,, फिर भी सूरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) हमें थोड़ा जल्दी निकल जाना चाहिए था अंधेरा हो गया है इसलिए ऐसे माहौल में थोड़ा डर लगता है ।
लेकिन यह लोग हैं कौन,,, और अभी तक दिखाई भी नहीं दिए हैं,,,,।
चुप रहो बिल्कुल भी शोर मत करो वह देखो,,,,, (सूरज उन लोगों को देख चुका था जो उसी रास्ते से आ रहे थे,,,, सुनैना को भी साफ दिखाई दे रहा था तभी उनमें से एक बोला,,,)
यार कहीं दिन हो गए हैं कोई चिड़िया हाथ नहीं लग रही है,,,।
हां यार तू सच कह रहा है,,, (हाथ से हिला हिला कर हाथ दुखने लगा है,,,,, दूसरे का इतना कहना था कि तीसरा भी झाड़ियां के पीछे से निकलता हुआ बोला,,)
मैं भी यही सोच रहा था काफी दिन हो गए जुगाड़ हुए इस वक्त यहां से कोई गुजरता भी नहीं है,,,, इसमें कोई औरत मिल जाती तो रात भर मजा करते,,,,,,।
(ईतना कहकर तीनों हंस रहे थे और उन तीनों की बात सुनकर सुनैना की हालत खराब हो रही थी,,,, उसे अपने बेटे की बात पर विश्वास हो गया था अगर वह अपने बेटे की बात नहीं मानती तो शायद आज वह खुद इन तीनों का शिकार बन जाती क्योंकि जिस तरह से पीछे से आवाज आ रही थी उसे ऐसा ही लग रहा था कि गांव वाले ही हैं लेकिन सही मौके पर सूरज को एहसास हो गया था कि वह लोग बदमाश हैं इसलिए तो वह उसका हाथ पकड़ कर पेड़ के पीछे झाड़ियों में छुप गया था, मां बेटे दोनों पूरी तरह से खामोश हो चुके थे, और सुनैना डर के मारे अपने बेटे से और सटी जा रही थी,,,, सूरज को अपनी मां के नितंबों का एहसास अपने आगे वाले भाग पर बहुत अच्छे तरीके से हो रहा था,,,,, वह दोनों खामोशी से उन तीनों की तरफ देख रहे थे और उन दिनों के निकल जाने का इंतजार कर रहे थे लेकिन वह तीनों वहीं पर आकर रुक गए थे,,,, तभी उनमें से एक बोल पड़ा,,,,)
पहले तो गांव से किसी औरत को उठा कर ले आते थे और रात भर यही चुदाई करते थे,,,, लेकिन जब से अपना साथी अलग हुआ है वह सुख भी हाथ से चला गया है,,,,।
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सही कह रहा है तू वही औरतों को उठाकर लाता था बदले में उसे भी मजा मिल जाता था वह थोड़े पैसे भी मिल जाते थे उसके ना होने से हम तीनों का लंड सिर्फ खड़ा रहता है किसी की बुर में घुस नहीं पाता,,,,, (दूसरे ने कहा और उसके हाथ में शराब की एक बोतल भी थी,,, जिसे वह बार-बार घूंट भर भर कर पीरहा था जहां एक तरफ मां बेटे दोनों डरे हुए थे वहीं दूसरी तरफ डर के बावजूद की सूरज उन तीनों की बातें सुनकर मस्त हो रहा था क्योंकि वह तीनों खुलकर औरत की बुर की और लंड की बातें कर रही थी चुदाई की बातें कर रही थी और उसे समय उनकी बातों को सुनने के लिए सूरज के साथ उसकी मां भी थी और इसीलिए सूरज को अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि उनकी बातें उसकी मां भी सुन रही है और उसके बदन में भी कुछ ना कुछ तो जरूर होता ही होगा,,,, और सूरज का सोचना बिल्कुल ठीक ही था सुनैना भी उन तीनों की बातें सुनकर दंग रह गई थी वह तीनों एकदम बेशर्म और बदमाश थे सुनैना को अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि वाकई में अगर इस समय कोई औरत तो नहीं मिल जाए तो तीनों बिल्कुल भी देर नहीं करेंगे उसकी चुदाई करने में,,,, और फिर यह सोचकर एकदम से सिहर उठी कि आज अगर उसके साथ उसका बेटा ना होता तो शायद उन तीनों के नीचे वह पड़ी होती,,,,,,,,, वह तीनों वहीं पर बड़े से पत्थर पर बैठ गए थे,,,, और बारी-बारी से बोतल में से दारु पी रहे थे तभी उनमें से एक अपने पजामे मैं रखा हुआ बीड़ी का छोटा सा बंडल और एक दिया सलाई निकाला और उसमें से तीन बीड़ी निकाल कर एक साथ उसे सुलगाने लगा,,,, यह देखकर सुनैना का दिल और जोरो से धड़कने लगा था उसकी घबराहट बढ़ने लगी थी क्योंकि वह तीनों वहीं बैठ गए थे और कितनी देर बैठे रहेंगे इस बात का अंदाजा किसी को नहीं था।
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सूरज भी यह सब देख रहा था,,,, उसे भी अपनी मां की तरह ही एहसास हो रहा था वह तो सोच रहा था कि जल्दी से तीनों निकल जाए तो वह अपनी मां को लेकर गांव की तरफ जल्दी से निकल जाए लेकिन अभी यह मुमकिन दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन इस दौरान उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होने लगा था क्योंकि उसके आगे वाला भाग उसकी मां के पीछे वाले भाग से पूरी तरह से सटा हुआ था,,,,, बीड़ी जलाने के बाद वह एक-एक बीड़ी अपने दोनों साथी को दे दिया और खुद बीड़ी को फुंकने लगा,,,, तभी उनमें से एक बीड़ी का कश लेते हुए बोला,,,)
साला सच में औरत का नाम लेते ही लंड खड़ा हो जाता है देख तो सही मेरा एकदम से खड़ा हो गया,,, (वह एकदम से अपनी धोती को हटाते हुए अपने साथियों को अपने लंड दिखाते हुए बोला जो कि वाकई में एकदम खड़ा था,,,, उसके दोनों साथी उसके लंड की तरफ देखकर हंसने लगे और यह सब सूरज और सुनैना भी देख रही थी ना चाहते हुए भी सुनैना की नजर उसके धोती के अंदर से दिख रही है उसके लंड की तरफ चली गई थी और एक अजीब सी सनसनाहट उसके बदन में होने लगी थी। तभी उनमें से हंसता हुआ दूसरा आदमी बोला,,,,)
साले मेरी भी तो यही हालत हुई है ले देख,,, (और इतना कहकर वह भी अपनी धोती हटाकर अपने लंड को दिखाने लगा जो की अभी पूरी तरह से खड़ा नहीं था ढीला डाला था यह देखकर तीसरा बोला,,,,)
सालों तुम दोनों से तो मेरा ही लंबा और मोटा है,,, यह देखो,,, (वह एकदम से पत्थर पर से नीचे उतर कर खड़ा हो गया और अपने धोती को ऊपर उठा दिया वाकई में उसका लंड लंबा और मोटा था और इस समय खड़ा भी था यह देखकर वह दोनों भी हंसने लगे और बोले,,,,)
फिर भी कोई फायदा नहीं तभी तो तेरी बीवी छोड़कर भाग गई,,,,, (इतना कह कर वह दोनों हंसने लगे,,, उन दोनों की बातें और उन दोनों की हंसी सुनकर वह गुस्सा दिखाते हुए बोला,,,)
अरे मादरचोदो वह इसकी वजह से ही भाग गई क्योंकि रात भर मैं उसे सोने नहीं देता था,,,,।
अच्छा यह बात है,,,, सुन रहा है तू,,,, बोल रहा है कि इसकी वजह से वह भाग गई पिछली बार की घटना तुझे याद है ना जब खेत में हम तीनों पड़ोस के गांव की औरत की चुदाई कर रहे थे शुरुआत किसने किया था यही सबसे पहले चढ़ा था और दो ही झटके में ढेर र हो गया था,,,
(इतना कहने के साथ वह हंसने लगा और उसके साथ उसका दूसरा साथी भी हंसने लगा और वह इसके बारे में वह दोनों बोल रहे थे और हंस रहे थे वह थोड़ा शर्मिंदा हुआ लेकिन फिर भी अपना बचाव करते हुए बोला)
सालों उस दिन तो मेरी तबीयत थोड़ा खराब थी आज किसी की दिला दो फिर देखना उसकी बुर का भोसड़ा बना दिया तो मेरा नाम भी मंगरु नहीं।
दूसरा नाम सोचना शुरू कर दे,,, (उन दोनों में से एक बोला और दोनों जोर-जोर से हंसने लगे उन सब की बातें मां बेटे दोनों की हालत खराब कर रही थी एक तरफ दर का माहौल था दूसरी तरफ मदहोशी का माहौल था सुनैना भी पल भर के लिए सब कुछ भूल गई थी कि वह कहां पर है पेड़ के पीछे झाड़ियों में छुपकर वह तीनों के लैंड को देख रही थी एक साथ वह पहली बार तीन लंड देख रही थी,, उसकी बुर में अजीब सी हलचल हो रही थी उसे ऐसे डर के माहौल में भी उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, और उत्तेजना के चलते अपने आप ही उसकी गांड अपने बेटे से सटी जा रही थी और धीरे-धीरे सुनैना को अपने बेटे के लंड के कड़कपन का एहसास होने लगा था,,,, सूरज की तो हालत खराब हो रही थी उन तीनों की बातें और अपनी मां की भारी भरकर गांड का स्पर्श उसे पागल बना रहा था और इस तरह का माहौल जो की पूरी तरह से डर से भरा हुआ था और मदहोशी से भी भरा हुआ था सूरज उत्तेजित हुआ जा रहा था और उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां उन तीनों के लंड को बड़े गौर से देख रही थी। यह देखकर सूरज की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और उसे अच्छा लग रहा था कि उसकी मां इस तरह से प्यासी नजरों से उन तीनों के लंड को देख रही थी,,,,।
वह तीनों कुछ देर और उसी तरह से बातें करते रहे,,,, लेकिन सूरज को अब मजा आ रहा था क्योंकि वह दोनों जिस जगह पर चुप कर खड़े थे वह पूरी तरह से सुरक्षित जगह थी वहां पर उन तीनों की नजर बिल्कुल भी पहुंच नहीं पा रही थी और ऐसे में डर के मारे जिस तरह से उसकी मां का हाल था वह पूरी तरह से अपनी मां के पीछे सटा हुआ था और उसका खड़ा लंड उसके पजामे में तनकर उसकी मां की गांड के बीचोंबीच साड़ी सहित अंदर धंसा हुआ था। और इसका एहसास सुनैना को अच्छी तरह से हो रहा था जिस तरह का नजारा वह अपनी आंखों के सामने देख रही थी और जिस तरह का अनुभव उसे अपने पिछवाड़े में हो रहा था इसके चलते उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी उसे भी अच्छा लग रहा था उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,,, तभी जो अभी भी धोती उठाएं नीचे खड़ा था वह धीरे-धीरे इस बड़े से पेड़ के करीब जाने लगा इसके पीछे मां बेटे दोनों छुपे हुए थे और जब सुनैना और सूरज दोनों उसको अपनी तरफ आते हुए देखे तो दोनों की सांस ऊपर नीचे होने लगी दोनों की सांस अटक गई कि अब क्या होगा लेकिन तभी तकरीबन एक हाथ की दूरी पर ही वह खड़ा हो गया पेड़ के बिल्कुल करीब जहां से सूरज और उसकी मां दोनों को वह आदमी एकदम साफ दिखाई दे रहा था और उसका लंड के साथ दिखाई दे रहा था जो की हवा में झूल रहा था डर के मारे सुनैना की जहां हालत खराब थी वहीं दूसरी तरफ उसे आदमी के ऊपर नीचे हिलते हुए लंड को देखकर उसकी बुर में अजीब सी हलचल हो रही थी। सुनैना गहरी गहरी सांस ले रही थी जिसका एहसास सूरज को हो रहा था सूरज को भी इस बात का अच्छी तरह से पता था कि उसकी मां क्या देख रही है। वैसे भी सूरज अपनी मां के बदन में उत्तेजना को जागना चाहता था उसकी जवानी के जोश को बढ़ाना चाहता था ताकि उसके लिए कोई मौका बना सके।
देखते ही देखते हैं वह आदमी पेशाब करने लगा और सुनैना उस आदमी के लंड से निकलने वाली पेशाब की धार को देख रही थी और वह आदमी अपने लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे हिलाते हुए पेशाब कर रहा था यह सुनैना के लिए एक अद्भुत पल था डरो उत्तेजना दोनों का मिला-जुला असर उसके चेहरे पर दिखाई दे रहा था,,,,, तभी अचानक सुनैना की जांघ में ऐसा लगा कि जैसे चींटी ने काट लिया हो उसे खुजली होने लगी और वह खुजलाने के लिए अपना हाथ नीचे लाकर खुजलाने लगी,,,, लेकिन इसी के साथ ही उसके चूड़ियों के खनकने की आवाज आने लगी और वह आदमी एकदम से चौंक गया वह इधर-उधर देखने लगा और वह वहीं पर खड़े-खड़े पेशाब करता हुआ ही अपने साथियों की तरफ देखते हुए बोला।
अरे तुम लोगों को कोई आवाज सुनाई दी,,,, (उसे आदमी की बात सुनते ही सूरज समझ गया और वह तुरंत ही अपना दोनों हाथ अपनी मां के दोनों हाथ पर उसकी चूड़ियों पर रखकर उसे एकदम से दबा दिया ताकि उसकी चूड़ियों की आवाज ना आ सके, सुनैना भी समझ गई थी इसलिए वह एकदम शांत हो गई थी लेकिन जिस तरह से सूरज ने अपनी मां के दोनों हाथों को पकड़ा था उसकी चूड़ियों के खनकने की आवाज को दबाया था ऐसा करते हुए वह और भी ज्यादा अपनी मां के बदन से सट गया था जिसके चलते साड़ी सहित सुनैना को अपनी बेटी का लंड उसकी गांड के बीचों बीच एकदम से धंसता हुआ महसूस हो रहा था,, और एक बार फिर से सुनैना को साफ-साफ महसूस हो रहा था कि उसके बेटे का लंड पजामे में होने के बावजूद भी साड़ी सहित उसके बुर के मुख्य द्वार तक पहुंच गया था और दस्तक दे रहा था,,,, सुनैना एकदम से मदहोश हो गई थी पल भर के लिए मदहोशी में उसकी आंखें बंद हो गई लेकिन फिर से वह अपनी आंखों को खोलकर उसे आदमी को देख रही थी जो अपने साथियों को बता रहा था तभी उसकी बात सुनकर उन दोनों में से एक बोला,,,)
कैसी। आवाज,,,!
औरत के चूड़ियों के खनकने की आवाज,,,
( ईतना सुनते ही वह दोनों एक साथ बोल पड़े,,,)
पागल हो गया है क्या तू यहां फिर आने में औरत के चूड़ी की आवाज तुझे सुनाई दे रही है लगता है तेरे को ज्यादा हो गई है,,,,।
अरे नहीं यार मुझे एकदम साफ सुनाई दी थी।
लेकिन हम लोगों को तो नहीं सुनाई थी,,,,।
अरे मुझे सुनाई दी,,,,
अच्छा रुक हम दोनों भी वही आते हैं देखु तो सही आवाज आ रही है कि नहीं,,,,, (इतना कहने के साथ वह दोनों भी उसकी तरफ आने लगी है देखकर मां बेटे के मन में फिर से घबराहट होने लगी,,,, सुनैना को इस बात कर रहा था कि अगर तीनों में से किसी एक की भी नजर उसे पर पड़ गई तो आज उसकी खैर नहीं है वह तीनों के लंड को देख चुकी थी और बारी-बारी से तीनों रात भर उसकी चुदाई करेंगे यह सोचकर ही उसके बदन में कंपकंपी महसूस हो रही थी। और सूरज को भी इस बात का डर था कि वाकई में अगर वह दोनों पकड़े गए तो दोनों की खैर नहीं होगी फिर भी सूरज तो जैसे तैसे मार खाकर भी चलेगा लेकिन वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां की इज्जत नहीं बच पाएगी क्योंकि वह जितना दम है उतना तो उन तीनों का सामना कर सकता है लेकिन उसकी जीत होगी यह उसे निश्चित नहीं था। ऐसे में बहुत अपनी आंखों के सामने अपनी मां की चुदाई होते हुए नहीं देख सकता था। इसलिए वह भी घबरा रहा था और अपनी मां को कस के पकड़ लिया था ताकि डर के मारा उसकी मां के बदन में हलन चलन ना हो, क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां के बदन में जरा भी हलन चलन होगा तो उन तीनों की नजर पड़ सकती है। इसलिए वह कस के अपनी मां को पकड़ कर स्थिर हो गया था,,,,।
लेकिन इस दौरान इस स्थिति में मां बेटे दोनों मदहोश भी हो रही थी दोनों के बदन में उत्तेजना की दर उठ रही थी जिस तरह से सुनैना अपने आप को अपने बेटे की बाहों में महसूस कर रही थी वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी उसे एहसास हो रहा था कि उसके बेटे की मजबूत भुजाएं औरत को प्यार देने के लिए समर्थ हो चुकी थी,,, उसे अपने बेटे की भुजाओं में अच्छा लग रहा था और उसे एहसास भी हो रहा था कि उसके बेटे की भुजाएं कितनी मजबूत है, और यह भी सोचकर वह गुनगुना जा रही थी कि उसके बेटे की भुजाओं से भी ज्यादा मजबूत और ताकतवर तो उसका लंड महसूस कर रहा है वह कभी सोच भी नहीं सकती थी की स्थिति में खड़े रहने की स्थिति में कपड़ों सहित उसका लंड उसकी गांड की गहराई तक पहुंच जाएगा और उसकी बुर के द्वार पर दस्तक देगा इसी से वह अंदाजा लगा ली थी कि वाकई में उसके बेटे का लंड कितना दमदार है उसकी आंखों के सामने दिखाई दे रहे तीनों मर्दों के लंड से कहीं ज्यादा मजबूत और तसल्ली देने वाला लंड उसके बेटे का है,,,,। वह दोनों भी वहीं पर आकर खड़े हो गए थे और खड़े होते हुए वह दोनों की फिर से अपनी धोती उठा लिए थे और अपने लड़के को पकड़कर हिलाने लगे थे और पेशाब करने लगे,,,, तभी उनमें से एक बोला।
मुझे तो यहां कोई आवाज नहीं आ रही है,,,,।
अरे मैं क्या झूठ बोल रहा हूं क्या चूड़ी के खनकने की आवाज आई थी,,, सच कहूं तो यार चूड़ी की आवाज सुनते ही मेरे लंड की अकड़ बढ़ने लगी थी।
लेकिन हमें तो कोई आवाज नहीं आ रही है।(उन दोनों में से एक बीड़ी का काश लेते हुए और अपने लंड को दोनों हाथ से पकड़ कर हिलाते हुए साथ ही पेशाब करते हुए बोला यह सब सुनैना और उसका बेटा देख रहा था सुनैना तो अपनी आंखों के सामने एक साथ पहली बार तीन तीन मर्द का लंड देख रही थी और तीनों को एक साथ पेशाब करते हुए देख रही थी जिसे देखकर उसकी बुर पानी पानी हो रही थी,,,, और पीछे से उसके बेटे का लंड उसकी बुर में तबाही मचाया हुआ था बिना घूसे ही उसकी बुर का पानी झड़ने के करीब आ गया था,,,,)
अरे यार मैं झूठ थोड़ी बोल रहा हूं।
अगर तू झूठ नहीं बोल रहा है तो तू ही सोच इतनी बिरने में तुझे औरत दिखाई देगी तू ही सोच इतनी बिरने में एक गांव की औरत क्या करेगी उसकी चूड़ी की आवाज सुनाई देगी पागल हो गया है तू मुझे तो लगता है इस पेड़ में ही चुड़ैल होगी जो हमें डरा रही है।
(इतना कहने के साथ ही तीनों पेड़ के ऊपर की तरफ देखने लगे तीनों थोड़े घबरा भी गए थे तभी उनमें से एक बोला)
अरे हो सकता है कि इसमें चुड़ैल हो और हमें यहां पेशाब भी नहीं करना चाहिए था यहां पर रुकना ठीक नहीं है,,,,, हमें चलना चाहिए।
सूरज के लंड की हालत
तू सच कह रहा है,,,,, ऐसा करते हैं पड़ोस वाले गांव चलते हैं,,,,,, आज की रात वहीं पर रुकेंगे,,,,,।
हां यार चलो मुझे भी लगने लगा है कि सच में इस पेड़ में चुड़ैल ही है,,,,,,।
(इतना कहने के साथ ही तीनों वहां से चलते बने लेकिन अभी भी मां बेटे दोनों पेड़ के पीछे छुपे हुए थे क्योंकि सूरज ने अपनी मां को रोक दिया था वह देखना चाहता था कि वह तीनों किसी और जाते हैं अगर इस रास्ते पर जाने लगे तो उन लोगों के लिए यह भी ठीक नहीं था क्योंकि उन दोनों को भी उसी रास्ते से जाना था इसलिए सूरज उन तीनों को जाते हुए देखने लगा कि कहां से जाते हैं तभी वह तीनों एक टूटी हुई पगडंडी से रास्ता बदल दिए और दूसरी तरफ जाने लगेगा देखकर मां बेटे दोनों की जान में जान आई सूरज अपनी मां से अलग होता हुआ बोला,,,)
बाप रे सही समय पर अगर पेड़ के पीछे ना छुपते तो आज तो काम तमाम हो जाता,,,,।
जिस तरह की स्थिति थी उसे देखते हुए सुनैना कुछ बोल नहीं पाई और शर्म से पानी पानी में जा रही थी वह सिर्फ इतना ही बोल पाई,,,
चल अब जल्दी से यहां से,,,, मुझे तो डर लग रहा है कि कहीं वह तीनों फिर ना आ जाए,,,,.
अब वह तीनों नहीं आने वाले,,, (इतना कहने के साथ है सूरज खेल जिसे वह जमीन पर दिया था उसे उठाकर अपने कंधे पर टांग लिया और जल्दी से झाड़ियां के बीच से दोनों बाहर आ गए और जल्दी-जल्दी गांव की तरफ जाने लगे)