• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest पहाडी मौसम

rohnny4545

Well-Known Member
15,898
40,805
259
सुबह जब सूरज की नींद खुली तो उसके चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान तैर रही थी,,,, क्योंकि अब उसे पूरा यकीन हो गया था कि उसकी मां भी उसके लिए तड़प रही है यह एक अच्छी शुरुआत थी अब उसे लगने लगा था कि उसकी मां जल्द ही उसकी बाहों में आने वाली है और जल्द ही उसके नीचे आने वाली है क्योंकि धीरे-धीरे उसकी मां की तड़प बढ़ रही थी जैसे-जैसे पति का वियोग उसके मन में घर कर रहा था वैसे-वैसे मर्द के लिए उसकी तरफ बढ़ती जा रही थी और वह मर्द कोई और नहीं था बल्कि वह खुद था इस बात का एहसास उसके तन बदन में एक अलग ही उत्तेजना का संचार भर रही थी। जिसे वह दिलो जान से चाहता था जिसे पाने के लिए रोज नए तरकट रचता था,,, अब वह दिन ज्यादा दूर नहीं था जब उसकी मंशा पूरी होने वाली थी वह अपनी मां के बारे में सोच करना जाने कितनी बार अपने हाथ से हिला कर काम चलाया था लेकिन वह अच्छी तरह से जानता था कि जिस तरह से उसकी मां की बेलगाम जवानी है उसे पूरी तरह से भोगने में ही असली सुख प्राप्त होगा। खाली ख्यालों में अपनी मां के बारे में सोच कर हाथ से हिला कर अब कोई फायदा नहीं था।





सूरज नींद से जागकर अपनी खटिया पर बैठ गया था तभी उसे रात वाली घटना याद आने लगी जब वह सोनू के घर गया था,,, सोनू के घर तो वह किसी और काम के लिए गया था किसी और से मिलने की चाह में गया था लेकिन वहां पहुंचने पर कुछ और ही हो गया थाऔर रात वाली घटना याद आते ही अपने आप ही उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी क्योंकि उसे लगने लगा था कि अब एक और चिड़िया उसकी जाल में पूरी तरह से फंस चुकी है वह कभी सोचा नहीं था कि सोनू की मां उसके लंड को देखकर पागल हो जाएगी और जो कुछ भी हुआ था जाने में हुआ था वह तो पेशाब करने के लिए उसके घर के पीछे चला गया था लेकिन उसे नहीं मालूम था कि वही थोड़ी दूर पर सोनू की मां बैठकर सोच कर रही थी और उसे पेशाब करते हुए देख रही थी सोनू इस बात से ज्यादा खुश था कि उस समय अच्छा हुआ कि उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था और खड़े लंड को देखकर ही सोनू की मां का ईमान डोल गया था,, पहले तो वह सोनू की मां को देखकर एकदम से घबरा गया था और अपने मन में सोच रहा था कि का सोनू की मां की जगह सोनू की चाची होती तो मजा आ जाता लेकिन फिर भी जिस तरह से उसने एकदम से उसके लंड पर हाथ रख दी थी सूरज के तन बदन में मदहोशी का रस घुलने लगा था और उसे यकीन हो गया था कि एक और चिड़िया उसके जाल में फंस गई है अगर सही समय पर सोनू वहां ना आ गया होता तो शायद बात और कुछ आगे बढ़ जाती।





1764952366-picsay
सूरज के मन में अब सोनू की चाची के साथ-साथ सोनू की मां का भी ख्याल घूमने लगा था। सूरज अपने कमरे से बाहर निकल आया था और आंगन में रानी झाड़ू लगा रही थी उसकी गोलाकार गांड को देखकर सूरज मुस्कुराने लगा क्योंकि रात भर उसने जमकर उसकी लिया था और वह रोज ही लेता था लेकिन हर एक बार उसे नया ही एहसास प्राप्त होता था पास में ही पानी से भर लोटा उठाकर वह पानी पीने लगा और पानी पीने के बाद दोबारा रानी से बोला,,,

मां कहां गई,,,,,?

बाहर ही होगी बाहर झाड़ू लगा रही थी,,,

ठीक है,,,,(इतना कहकर सूरज लोटा वही नीचे रख दिया और घर के बाहर आ गया लेकिन बाहर उसकी मां कहीं दिखाई नहीं दे रही थी,,,, सोनू अच्छी तरह से जानता था कि बाजार जाते समय जिस तरह से उसने अपने पिताजी का जिक्र किया था और यह भी कहा था कि हो सकता है कि उसके पिताजी का किसी दूसरी औरत के साथ चक्कर चल रहा हो इस बात को सुनकर उसकी मां के चेहरे पर जिस तरह की क्रोध की भावना आई थी वह सूरज के लिए आशा की किरण थी और इसीलिए वह अपने पिताजी के चरित्र को अपनी मां के सामने पूरी तरह से गिरा देना चाहता था ताकि उसकी मां के मन में उसके लिए जगह बन सके वह घर के बाहर खड़ा होकर इधर-उधर देखने लगा तो कहीं भी उसकी मां उसे नजर नहीं आई और उसे बड़े जोरों की पेशाब भी लगी हुई थी इसलिए वह धीरे से घर के पीछे की तरफ जाने लगा,,,,, और जैसे ही घर के पीछे पहुंचा तो आंखों के सामने झाड़ियों के बीच का नजारा देखकर एक बार फिर से उसके पजामे में हरकत होने लगी क्योंकि झाड़ियों में उसकी मां बैठकर पेशाब कर रही थी लेकिन उसे अहसास तक नहीं हुआ था कि पीछे उसका बेटा आ चुका था,,,, अपनी मां की नंगी गांड देखकर उसकी उत्तेजना फिर से चरम शिखर पर पहुंच चुकी थी वह झाड़ियां के बीच बैठी थी उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी और उसकी बुर से सिटी की आवाज एकदम साफ तौर पर उसके कानों में पड़ रही थी जिसकी मधुर ध्वनि सुनकर उसकी उत्तेजना और भी ज्यादा बढ़ रही थी। अपनी मां को पेशाब करता हुआ देखकर उसके मन में कुछ और सुझने लगा और वह तुरंत दबे पांव पीछे आने लगा और अपने घर के घूम कर दूसरी तरफ से जाने लगा क्योंकि अब वह कुछ और करने के फिराक में था।




दूसरी तरफ से घर के पीछे आने मेंउसे बिल्कुल भी समय नहीं लगा हुआ तुरंत घर के पीछे पहुंच चुका था और झाड़ियों के पास पहुंच चुका था,,,, उसने देख लिया था कि उसकी मां अभी भी बैठकर पेशाब कर रही थी और वह सीधा वहीं पर पहुंच चुका था जहां पर उसकी मां झाड़ियां में बैठकर पेशाब कर रही थी और वह झाड़ियों की दूसरी तरफ था उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उसकी मां की नजर उसके ऊपर जरूर पड़ेगी वह घनी झाड़ियां के बीच खड़ा हो गया था झाड़ियां इतनी घनी थी की झाड़ियां के पीछे बहुत ध्यान देने पर ही दिखाई देता था और इसी का फायदा उठाते हुए वह ठीक अपनी मां के सामने तकरीबन डेढ़ मीटर की दूरी पर खड़ा हो चुका था और जैसा वह अपने मन में सोच रहा था वैसा ही हुआ सुनैना को भी उसका बेटा झाड़ियां के बीच दूसरी तरफ खड़ा दिखाई दिया तो उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी क्योंकि वह अपने कुर्ते को ऊपर करके अपने पजामे को नीचे करने जा रहा था। और यह एहसास होते ही की उसका बेटा पेशाब करने वाला है और कुछ ही क्षण में उसे उसके बेटे का लंबा मोटा लंड एकदम पास से देखने को मिलेगा इस बात की खुशी से उसकी बुर उत्तेजना के मारे फूलने पिचकने लगी,,,, सुनैना का दिल जोरो से धड़कने लगा अब सूरज अपनी मां को देखने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था क्योंकि वह जानता था कि अब उसकी मां उसे देखने की पूरी कोशिश करेगी और उसे इस बात की खुशी थी कि उसकी मां अभी भी अपनी जगह पर ही बैठी हुई थी।

अगले ही पल सूरज अपने पजामे को नीचे करके अपने टनटनाए लंड को बाहर निकाल लिया जोकी उसकी मां की वजह से ही उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था,,, अगले ही पल सूरज अपने लंड को हाथ में पकड़ कर ही जाते हुए पेशाब करना शुरू कर दिया था और यह देखकर सुनैना का दिल एकदम से धड़कना बंद कर दिया था वह आंखें फाड़े अपने बेटे के लंड को बेहद करीब से देख रही थी,,,, उस दिन तो दोनों के बीच थोड़ी दूरी थी लेकिन आज ठीक आमने-सामने दोनों थे झाड़ियों के उस पार उसकी मां बैठकर पेशाब कर रही थी और झाड़ी के इस पार सूरज खड़ा होकर पेशाब कर रहा था,,,,, सूरज को तो उसकी मां की बुरे नहीं दिखाई दे रही थी लेकिन उसकी मां को उसके बेटे का लंड एकदम साफ दिखाई दे रहा था अपने बेटे के लंड से निकलने वाली पेशाब की धार को देखकर उसकी बुर पनीया रही थी,,,, सूरज जानबूझकर अपने लंड को ऊपर नीचे करके हिला रहा था वह अपनी मां को दिखा रहा था कि उसका मर्दाना अंग कितना जानदार और शानदार है जो एक बार अगर वह अपनी बुर में ले लेगी तो महीनो की प्यास एक ही बार में बुझ जाएगी,,,, ऐसा करते हुए सूरज की भी हालात पूरी तरह से खराब हो रही थी क्योंकि वह अपने सपनों की रानी की आंखों के सामने अपने लंड को हिला रहा था जिसकी बुर में वह अपना लंड डालना चाहता था जिसे अपनी बाहों में भरकर जोर-जोर से अपनी कमर हिला कर अपने मन की तड़प बुझाना चाहता था।

दूसरी तरफ सुनैना की हालत एकदम खराब होती जा रही थी अपने बेटे के लंड को वह ललचाई आंखों से देख रही थी उसकी बुर से पेशाब निकलना बंद हो चुका था लेकिन फिर भी वह बैठी हुई थी अपने बेटे के लंड को देखकर मदहोश हो रही थी,,, सूरज यह हरकत जानबूझकर किया था लेकिन सुनैना को ऐसा ही लग रहा था कि जो कुछ भी हो रहा है वह अनजाने में हो रहा है वह पेशाब करने के लिए झाड़ियां में खाना है उसे क्या मालूम कि उसकी मां ठीक उसके सामने बैठी है ,,,,,, सुनैना बड़ी मासूमियत से यह सोच रही थी जबकि उसे इस बात की भनक तक नहीं थी कि इसी मौके का फायदा उठाकर उसका बेटा उसकी आंखों के सामने पेशाब करने के बहाने उसे अपने लंड के दर्शन करा रहा है और अनजान बनने की कोशिश कर रहा है। अपनी मां की तड़प और ज्यादा बढ़ाने के उद्देश्य से सूरज अपने लंड को अपनी मुट्ठी में भर लिया, और मुठीयाना शुरू कर दिया,,,, लंड को हाथ में पकड़ कर पेशाब करना और मुट्ठी में भरकर मथियाना दोनों अलग-अलग क्रिया है इस बात को सुनैना अच्छी तरह से समझती थी,,,, लंड को हाथ में पकड़ कर पेशाब करना साहजिक होता है लेकिन लंड को मुठ्ठी में भर कर मुठीयाना यह मर्दों की उत्तेजना को दर्शाता है और इस समय सुनैना अच्छी तरह से समझ रही थी कि उसका बेटा पूरी तरह से मस्त हो चुका था ना जाने किस ख्यालों में खोया हुआ था कि उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था,,,,।

सूरज जानबूझकर अपनी मां की उत्तेजना को उसकी तरफ को बढ़ा रहा था उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उसकी मां उसके लंड के लिए तड़प रही थी रात को ही उसे इस बात का एहसास हुआ था जब उसकी मां उसका नाम लेकर अपनी बुर में उंगली अंदर बाहर कर रही थी। सूरज अपनी मां की तड़प को बढ़ा रहा था सुनैना को अपने बेटे के लंड का मोटा सुपाड़ा एकदम साफ दिखाई दे रहा था जब जब वह उत्तेजना से उसे मुठीयाता तो उसका सुपाड़ा पूरी तरह से ढंक जाता और फिर पीछे हथेली लेने पर फिर से खुल जाता यह नजारा देखकर तो सुनैना की बुर पानी फेंक रही थी,,, अपनी आंखों के सामने इस तरह का उत्तेजना से भरा हुआ मदहोश कर देने वाला नजारा देखकर सुनैना का ईमान डोल रहा था। और अपने आप ही उसकी हथेली उसकी बुर पर पहुंच गई थी जिसे वह हल्के हल्के मसल रही थी। लेकिन यह नजारा ज्यादा देर तक देख पाना शायद इस समय सुनैना की किस्मत में नहीं था क्योंकि सूरज पेशाब कर चुका था और अपनी मां की तड़प को और ज्यादा बढ़ाने के लिए उसकी उत्सुकता को ज्यादा बढ़ाने के लिए वह तुरंत अपने पजामे को ऊपर चढ़ा लिया और वहां से चलता बना,,,, सुनैना केतन बदन में उत्तेजना का तूफान उठ रहा था वह धीरे से अपनी एक उंगली को बैठी अवस्था में ही अपनी बुर में डालकर और उसे अंदर बाहर करने लगी ताकि उसकी जवानी की गर्मी शांत हो सके और थोड़ी देर में अपनी जवानी की गर्मी शांत करने के बाद वह फिर से घर में आ गई,,,,।

थोड़ी देर बाद सूरज भी घर पहुंच गया,,और देखा तो उसकी मां सब्जी काट रही थी,,,, वहां रानी मौजूद नहीं थी और यही सही समय था अपनी मां से बात करने का,,,, वह तुरंत अपनी मां के पास गया और बोला।

कहां चली गई थी मां में कब से तुम्हें ढूंढ रहा था,,,,,
(अपने बेटे की तरफ देख कर उसकी आंखों के सामने उसका खड़ा लंड लहराने लगा और वह एकदम से अपनी नजर को नीचे झुका ली और बोली,,,,)

यही तो थी मैं कहां चली गई थी। (सब्जी काटते हुए सुनैना बोली,,,)

यहां तो तुम बिल्कुल नहीं थी कब से तो तुम्हें ढूंढ रहा था,,,

हां बस ऐसे ही पड़ोस में चली गई थी।
(अपनी मां की बात सुनकर सूरज अपनी मम्मी ने बोला कितना झूठ बोल रही है कितने मजे लेकर मेरा लंड देख रही थी,,, तभी वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) लेकिन तू क्यों मुझे ढूंढ रहा था।

तुमसे एक काम था,,,

मुझसे लेकिन मुझसे क्या काम था,,,,,।
(इतना कहना था कि तभी रानी वहां पर आ गई और सूरज अपने मन की बात अपनी मां को नहीं बता पाया,,,, रानी के वहां पहुंच जाने पर सुनैना भी कुछ पूछ नहीं पाई उसके दिमाग से वह बात ही निकल गई और वह खाना बनाने में व्यस्त हो गई,,, थोड़ी देर में मां बेटे दोनों खेत में कटाई करने के लिए निकल गए और वैसे भी अब खेत में ज्यादा काम नहीं रह गया था दो-तीन दिन का काम और बचा था,,,, काम करते समय सुनैना की आंखों के सामने बार-बार उसके बेटे का खड़ा लंड लहराने लगता था,,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि इतना मोटा और लंबा लंड भी किसी का हो सकता है और किसी का क्यों उसके बेटे का ही,,, और इस बात से वह गर्म महसूस करने लगी थी कि उसके घर में पूरा मर्द मौजूद है जो किसी भी औरत की प्यास बुझा सकता है। सुनैना कटाई करते समय अपने बेटे के बारे में ही सोचती रह गई और सूरज बाजार से लाई हुई चूड़ियां अपनी मां को अपने हाथ से पहनाना चाहता था लेकिन मौका नहीं मिल पा रहा था।

दोपहर हो चुकी थी मां बेटे दोनों पेड़ के नीचे बैठकर खाना खा रहे थे और खाना खाते समय सूरज अपनी मां से बोला,,,,।

तुम्हारा हाथ खाली खाली अच्छा नहीं लगता,,,,।

ऐसा क्यों,,,?

जब तक तुम्हारे चूड़ियों की खनकने की आवाज नहीं आती तब तक कुछ अच्छा नहीं लगता,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुनैना शर्मा गई लेकिन कुछ बोल नहीं पाई बस शर्म से अपनी नज़रें नीचे झुका कर रोटी और सब्जी मुंह में भरकर चबाती रही धीरे से अपने बेटे को जवाब देते हुए बोली,,,)

अब इसमें मैं क्या कर सकती हूं काम करते-करते चूड़ियां टूट जाती है,,, और फिर चूड़ियां खरीदने का पैसा भी तो नहीं है।

इसीलिए तो,,,,

क्या इसीलिए तो,,,, (हैरानी से सूरज की तरफ देखते हुए सुनैना बोली)


मैं कह रहा हूं कि इसीलिए तो मैं तुम्हारे लिए कल बाजार से चूड़ियां खरीदा था,,,, (इतना कहने के साथ ही सूरज अंदर झोपड़ी में गया और अंदर से चूड़ियां ले आया जिसे वह खेत में काम करने से पहले अंदर रख दिया था ताकि चूड़ियां टूटे ना और चूड़ियां ला करके अपनी मां के सामने बैठ गया और उसे चूड़ियां दिखाने लगा लाल हरी चूड़ियां देखकर उसकी मां की आंखों में चमक आ गई वह खुश होने लगी,,, और बोली,,)

तूने कब खरीद लिया और तेरे पास पैसे आए कहां से,,?

क्यों मैं कमाने नहीं लगा मैं बहुत दिनों से देख रहा था तुम्हारे कलाइयों को एकदम सुनी थी मुझे अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए मैंने कुछ पैसे बचा कर कल बाजार से खरीद लिए,,,।

ओहहह तू मेरा कितना ख्याल लगता है सच में तेरे बाबूजी मेरा बिल्कुल ऐसा ही ख्याल रखते थे। लेकिन न जाने किसकी नजर लग गई।

वह सब छोड़ो,,,,, जल्दी से जो हाथ धोकर आओ मैं तुम्हें चूड़ियां पहना देता हूं,,,,।

अरे नहीं घर पर मैंपहन लूंगी,,,, (एकदम से शरमाते हुए सुनैना बोली)

नहीं नहीं जाओ जल्दी से हाथ धोकर आओ मैं पहन देता हूं इसलिए तो खरीद कर लाया हूं ताकि मैं अपने हाथ से तुम्हें चूड़ी पहना सकूं,,,,,।

(अपने बेटे की जीद देखकर सुनैना कीर्तन बदन में अजीब सी लहर उठने लगी क्योंकि जिस तरह की वाजिद कर रहा था उस तरह की जीद सुनैना का पति ही करता था इसलिए अपने बेटे की जीद देखकर वह शर्म से पानी पानी हो रही थी लेकिन वह कुछ कर भी नहीं पाई और धीरे से अपने हाथ धोने लगी उसका दिल जोरो से धड़क रहा था अपने बेटे के हाथों से चूड़ी पहनने के एहसास से ही उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में न जाने कैसी हलचल हो रही थी)
 
Last edited:

Ajju Landwalia

Well-Known Member
4,289
16,540
159
सुबह जब सूरज की नींद खुली तो उसके चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान तैर रही थी,,,, क्योंकि अब उसे पूरा यकीन हो गया था कि उसकी मां भी उसके लिए तड़प रही है यह एक अच्छी शुरुआत थी अब उसे लगने लगा था कि उसकी मां जल्द ही उसकी बाहों में आने वाली है और जल्द ही उसके नीचे आने वाली है क्योंकि धीरे-धीरे उसकी मां की तड़प बढ़ रही थी जैसे-जैसे पति का वियोग उसके मन में घर कर रहा था वैसे-वैसे मर्द के लिए उसकी तरफ बढ़ती जा रही थी और वह मर्द कोई और नहीं था बल्कि वह खुद था इस बात का एहसास उसके तन बदन में एक अलग ही उत्तेजना का संचार भर रही थी। जिसे वह दिलो जान से चाहता था जिसे पाने के लिए रोज नए तरकट रचता था,,, अब वह दिन ज्यादा दूर नहीं था जब उसकी मंशा पूरी होने वाली थी वह अपनी मां के बारे में सोच करना जाने कितनी बार अपने हाथ से हिला कर काम चलाया था लेकिन वह अच्छी तरह से जानता था कि जिस तरह से उसकी मां की बेलगाम जवानी है उसे पूरी तरह से भोगने में ही असली सुख प्राप्त होगा। खाली ख्यालों में अपनी मां के बारे में सोच कर हाथ से हिला कर अब कोई फायदा नहीं था।

सूरज नींद से जागकर अपनी खटिया पर बैठ गया था तभी उसे रात वाली घटना याद आने लगी जब वह सोनू के घर गया था,,, सोनू के घर तो वह किसी और काम के लिए गया था किसी और से मिलने की चाह में गया था लेकिन वहां पहुंचने पर कुछ और ही हो गया थाऔर रात वाली घटना याद आते ही अपने आप ही उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी क्योंकि उसे लगने लगा था कि अब एक और चिड़िया उसकी जाल में पूरी तरह से फंस चुकी है वह कभी सोचा नहीं था कि सोनू की मां उसके लंड को देखकर पागल हो जाएगी और जो कुछ भी हुआ था जाने में हुआ था वह तो पेशाब करने के लिए उसके घर के पीछे चला गया था लेकिन उसे नहीं मालूम था कि वही थोड़ी दूर पर सोनू की मां बैठकर सोच कर रही थी और उसे पेशाब करते हुए देख रही थी सोनू इस बात से ज्यादा खुश था कि उस समय अच्छा हुआ कि उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था और खड़े लंड को देखकर ही सोनू की मां का ईमान डोल गया था,, पहले तो वह सोनू की मां को देखकर एकदम से घबरा गया था और अपने मन में सोच रहा था कि का सोनू की मां की जगह सोनू की चाची होती तो मजा आ जाता लेकिन फिर भी जिस तरह से उसने एकदम से उसके लंड पर हाथ रख दी थी सूरज के तन बदन में मदहोशी का रस घुलने लगा था और उसे यकीन हो गया था कि एक और चिड़िया उसके जाल में फंस गई है अगर सही समय पर सोनू वहां ना आ गया होता तो शायद बात और कुछ आगे बढ़ जाती।

सूरज के मन में अब सोनू की चाची के साथ-साथ सोनू की मां का भी ख्याल घूमने लगा था। सूरज अपने कमरे से बाहर निकल आया था और आंगन में रानी झाड़ू लगा रही थी उसकी गोलाकार गांड को देखकर सूरज मुस्कुराने लगा क्योंकि रात भर उसने जमकर उसकी लिया था और वह रोज ही लेता था लेकिन हर एक बार उसे नया ही एहसास प्राप्त होता था पास में ही पानी से भर लोटा उठाकर वह पानी पीने लगा और पानी पीने के बाद दोबारा रानी से बोला,,,

मां कहां गई,,,,,?

बाहर ही होगी बाहर झाड़ू लगा रही थी,,,

ठीक है,,,,(इतना कहकर सूरज लोटा वही नीचे रख दिया और घर के बाहर आ गया लेकिन बाहर उसकी मां कहीं दिखाई नहीं दे रही थी,,,, सोनू अच्छी तरह से जानता था कि बाजार जाते समय जिस तरह से उसने अपने पिताजी का जिक्र किया था और यह भी कहा था कि हो सकता है कि उसके पिताजी का किसी दूसरी औरत के साथ चक्कर चल रहा हो इस बात को सुनकर उसकी मां के चेहरे पर जिस तरह की क्रोध की भावना आई थी वह सूरज के लिए आशा की किरण थी और इसीलिए वह अपने पिताजी के चरित्र को अपनी मां के सामने पूरी तरह से गिरा देना चाहता था ताकि उसकी मां के मन में उसके लिए जगह बन सके वह घर के बाहर खड़ा होकर इधर-उधर देखने लगा तो कहीं भी उसकी मां उसे नजर नहीं आई और उसे बड़े जोरों की पेशाब भी लगी हुई थी इसलिए वह धीरे से घर के पीछे की तरफ जाने लगा,,,,, और जैसे ही घर के पीछे पहुंचा तो आंखों के सामने झाड़ियों के बीच का नजारा देखकर एक बार फिर से उसके पजामे में हरकत होने लगी क्योंकि झाड़ियों में उसकी मां बैठकर पेशाब कर रही थी लेकिन उसे अहसास तक नहीं हुआ था कि पीछे उसका बेटा आ चुका था,,,, अपनी मां की नंगी गांड देखकर उसकी उत्तेजना फिर से चरम शिखर पर पहुंच चुकी थी वह झाड़ियां के बीच बैठी थी उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी और उसकी बुर से सिटी की आवाज एकदम साफ तौर पर उसके कानों में पड़ रही थी जिसकी मधुर ध्वनि सुनकर उसकी उत्तेजना और भी ज्यादा बढ़ रही थी। अपनी मां को पेशाब करता हुआ देखकर उसके मन में कुछ और सुझने लगा और वह तुरंत दबे पांव पीछे आने लगा और अपने घर के घूम कर दूसरी तरफ से जाने लगा क्योंकि अब वह कुछ और करने के फिराक में था।

दूसरी तरफ से घर के पीछे आने मेंउसे बिल्कुल भी समय नहीं लगा हुआ तुरंत घर के पीछे पहुंच चुका था और झाड़ियों के पास पहुंच चुका था,,,, उसने देख लिया था कि उसकी मां अभी भी बैठकर पेशाब कर रही थी और वह सीधा वहीं पर पहुंच चुका था जहां पर उसकी मां झाड़ियां में बैठकर पेशाब कर रही थी और वह झाड़ियों की दूसरी तरफ था उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उसकी मां की नजर उसके ऊपर जरूर पड़ेगी वह घनी झाड़ियां के बीच खड़ा हो गया था झाड़ियां इतनी घनी थी की झाड़ियां के पीछे बहुत ध्यान देने पर ही दिखाई देता था और इसी का फायदा उठाते हुए वह ठीक अपनी मां के सामने तकरीबन डेढ़ मीटर की दूरी पर खड़ा हो चुका था और जैसा वह अपने मन में सोच रहा था वैसा ही हुआ सुनैना को भी उसका बेटा झाड़ियां के बीच दूसरी तरफ खड़ा दिखाई दिया तो उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी क्योंकि वह अपने कुर्ते को ऊपर करके अपने पजामे को नीचे करने जा रहा था। और यह एहसास होते ही की उसका बेटा पेशाब करने वाला है और कुछ ही क्षण में उसे उसके बेटे का लंबा मोटा लंड एकदम पास से देखने को मिलेगा इस बात की खुशी से उसकी बुर उत्तेजना के मारे फूलने पिचकने लगी,,,, सुनैना का दिल जोरो से धड़कने लगा अब सूरज अपनी मां को देखने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था क्योंकि वह जानता था कि अब उसकी मां उसे देखने की पूरी कोशिश करेगी और उसे इस बात की खुशी थी कि उसकी मां अभी भी अपनी जगह पर ही बैठी हुई थी।

अगले ही पल सूरज अपने पजामे को नीचे करके अपने टनटनाए लंड को बाहर निकाल लिया जोकी उसकी मां की वजह से ही उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था,,, अगले ही पल सूरज अपने लंड को हाथ में पकड़ कर ही जाते हुए पेशाब करना शुरू कर दिया था और यह देखकर सुनैना का दिल एकदम से धड़कना बंद कर दिया था वह आंखें फाड़े अपने बेटे के लंड को बेहद करीब से देख रही थी,,,, उस दिन तो दोनों के बीच थोड़ी दूरी थी लेकिन आज ठीक आमने-सामने दोनों थे झाड़ियों के उस पार उसकी मां बैठकर पेशाब कर रही थी और झाड़ी के इस पार सूरज खड़ा होकर पेशाब कर रहा था,,,,, सूरज को तो उसकी मां की बुरे नहीं दिखाई दे रही थी लेकिन उसकी मां को उसके बेटे का लंड एकदम साफ दिखाई दे रहा था अपने बेटे के लंड से निकलने वाली पेशाब की धार को देखकर उसकी बुर पनीया रही थी,,,, सूरज जानबूझकर अपने लंड को ऊपर नीचे करके हिला रहा था वह अपनी मां को दिखा रहा था कि उसका मर्दाना अंग कितना जानदार और शानदार है जो एक बार अगर वह अपनी बुर में ले लेगी तो महीनो की प्यास एक ही बार में बुझ जाएगी,,,, ऐसा करते हुए सूरज की भी हालात पूरी तरह से खराब हो रही थी क्योंकि वह अपने सपनों की रानी की आंखों के सामने अपने लंड को हिला रहा था जिसकी बुर में वह अपना लंड डालना चाहता था जिसे अपनी बाहों में भरकर जोर-जोर से अपनी कमर हिला कर अपने मन की तड़प बुझाना चाहता था।

दूसरी तरफ सुनैना की हालत एकदम खराब होती जा रही थी अपने बेटे के लंड को वह ललचाई आंखों से देख रही थी उसकी बुर से पेशाब निकलना बंद हो चुका था लेकिन फिर भी वह बैठी हुई थी अपने बेटे के लंड को देखकर मदहोश हो रही थी,,, सूरज यह हरकत जानबूझकर किया था लेकिन सुनैना को ऐसा ही लग रहा था कि जो कुछ भी हो रहा है वह अनजाने में हो रहा है वह पेशाब करने के लिए झाड़ियां में खाना है उसे क्या मालूम कि उसकी मां ठीक उसके सामने बैठी है ,,,,,, सुनैना बड़ी मासूमियत से यह सोच रही थी जबकि उसे इस बात की भनक तक नहीं थी कि इसी मौके का फायदा उठाकर उसका बेटा उसकी आंखों के सामने पेशाब करने के बहाने उसे अपने लंड के दर्शन करा रहा है और अनजान बनने की कोशिश कर रहा है। अपनी मां की तड़प और ज्यादा बढ़ाने के उद्देश्य से सूरज अपने लंड को अपनी मुट्ठी में भर लिया, और मुठीयाना शुरू कर दिया,,,, लंड को हाथ में पकड़ कर पेशाब करना और मुट्ठी में भरकर मथियाना दोनों अलग-अलग क्रिया है इस बात को सुनैना अच्छी तरह से समझती थी,,,, लंड को हाथ में पकड़ कर पेशाब करना साहजिक होता है लेकिन लंड को मुठ्ठी में भर कर मुठीयाना यह मर्दों की उत्तेजना को दर्शाता है और इस समय सुनैना अच्छी तरह से समझ रही थी कि उसका बेटा पूरी तरह से मस्त हो चुका था ना जाने किस ख्यालों में खोया हुआ था कि उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था,,,,।

सूरज जानबूझकर अपनी मां की उत्तेजना को उसकी तरफ को बढ़ा रहा था उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उसकी मां उसके लंड के लिए तड़प रही थी रात को ही उसे इस बात का एहसास हुआ था जब उसकी मां उसका नाम लेकर अपनी बुर में उंगली अंदर बाहर कर रही थी। सूरज अपनी मां की तड़प को बढ़ा रहा था सुनैना को अपने बेटे के लंड का मोटा सुपाड़ा एकदम साफ दिखाई दे रहा था जब जब वह उत्तेजना से उसे मुठीयाता तो उसका सुपाड़ा पूरी तरह से ढंक जाता और फिर पीछे हथेली लेने पर फिर से खुल जाता यह नजारा देखकर तो सुनैना की बुर पानी फेंक रही थी,,, अपनी आंखों के सामने इस तरह का उत्तेजना से भरा हुआ मदहोश कर देने वाला नजारा देखकर सुनैना का ईमान डोल रहा था। और अपने आप ही उसकी हथेली उसकी बुर पर पहुंच गई थी जिसे वह हल्के हल्के मसल रही थी। लेकिन यह नजारा ज्यादा देर तक देख पाना शायद इस समय सुनैना की किस्मत में नहीं था क्योंकि सूरज पेशाब कर चुका था और अपनी मां की तड़प को और ज्यादा बढ़ाने के लिए उसकी उत्सुकता को ज्यादा बढ़ाने के लिए वह तुरंत अपने पजामे को ऊपर चढ़ा लिया और वहां से चलता बना,,,, सुनैना केतन बदन में उत्तेजना का तूफान उठ रहा था वह धीरे से अपनी एक उंगली को बैठी अवस्था में ही अपनी बुर में डालकर और उसे अंदर बाहर करने लगी ताकि उसकी जवानी की गर्मी शांत हो सके और थोड़ी देर में अपनी जवानी की गर्मी शांत करने के बाद वह फिर से घर में आ गई,,,,।

थोड़ी देर बाद सूरज भी घर पहुंच गया,,और देखा तो उसकी मां सब्जी काट रही थी,,,, वहां रानी मौजूद नहीं थी और यही सही समय था अपनी मां से बात करने का,,,, वह तुरंत अपनी मां के पास गया और बोला।

कहां चली गई थी मां में कब से तुम्हें ढूंढ रहा था,,,,,
(अपने बेटे की तरफ देख कर उसकी आंखों के सामने उसका खड़ा लंड लहराने लगा और वह एकदम से अपनी नजर को नीचे झुका ली और बोली,,,,)

यही तो थी मैं कहां चली गई थी। (सब्जी काटते हुए सुनैना बोली,,,)

यहां तो तुम बिल्कुल नहीं थी कब से तो तुम्हें ढूंढ रहा था,,,

हां बस ऐसे ही पड़ोस में चली गई थी।
(अपनी मां की बात सुनकर सूरज अपनी मम्मी ने बोला कितना झूठ बोल रही है कितने मजे लेकर मेरा लंड देख रही थी,,, तभी वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) लेकिन तू क्यों मुझे ढूंढ रहा था।

तुमसे एक काम था,,,

मुझसे लेकिन मुझसे क्या काम था,,,,,।
(इतना कहना था कि तभी रानी वहां पर आ गई और सूरज अपने मन की बात अपनी मां को नहीं बता पाया,,,, रानी के वहां पहुंच जाने पर सुनैना भी कुछ पूछ नहीं पाई उसके दिमाग से वह बात ही निकल गई और वह खाना बनाने में व्यस्त हो गई,,, थोड़ी देर में मां बेटे दोनों खेत में कटाई करने के लिए निकल गए और वैसे भी अब खेत में ज्यादा काम नहीं रह गया था दो-तीन दिन का काम और बचा था,,,, काम करते समय सुनैना की आंखों के सामने बार-बार उसके बेटे का खड़ा लंड लहराने लगता था,,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि इतना मोटा और लंबा लंड भी किसी का हो सकता है और किसी का क्यों उसके बेटे का ही,,, और इस बात से वह गर्म महसूस करने लगी थी कि उसके घर में पूरा मर्द मौजूद है जो किसी भी औरत की प्यास बुझा सकता है। सुनैना कटाई करते समय अपने बेटे के बारे में ही सोचती रह गई और सूरज बाजार से लाई हुई चूड़ियां अपनी मां को अपने हाथ से पहनाना चाहता था लेकिन मौका नहीं मिल पा रहा था।

दोपहर हो चुकी थी मां बेटे दोनों पेड़ के नीचे बैठकर खाना खा रहे थे और खाना खाते समय सूरज अपनी मां से बोला,,,,।

तुम्हारा हाथ खाली खाली अच्छा नहीं लगता,,,,।

ऐसा क्यों,,,?

जब तक तुम्हारे चूड़ियों की खनकने की आवाज नहीं आती तब तक कुछ अच्छा नहीं लगता,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुनैना शर्मा गई लेकिन कुछ बोल नहीं पाई बस शर्म से अपनी नज़रें नीचे झुका कर रोटी और सब्जी मुंह में भरकर चबाती रही धीरे से अपने बेटे को जवाब देते हुए बोली,,,)

अब इसमें मैं क्या कर सकती हूं काम करते-करते चूड़ियां टूट जाती है,,, और फिर चूड़ियां खरीदने का पैसा भी तो नहीं है।

इसीलिए तो,,,,

क्या इसीलिए तो,,,, (हैरानी से सूरज की तरफ देखते हुए सुनैना बोली)


मैं कह रहा हूं कि इसीलिए तो मैं तुम्हारे लिए कल बाजार से चूड़ियां खरीदा था,,,, (इतना कहने के साथ ही सूरज अंदर झोपड़ी में गया और अंदर से चूड़ियां ले आया जिसे वह खेत में काम करने से पहले अंदर रख दिया था ताकि चूड़ियां टूटे ना और चूड़ियां ला करके अपनी मां के सामने बैठ गया और उसे चूड़ियां दिखाने लगा लाल हरी चूड़ियां देखकर उसकी मां की आंखों में चमक आ गई वह खुश होने लगी,,, और बोली,,)

तूने कब खरीद लिया और तेरे पास पैसे आए कहां से,,?

क्यों मैं कमाने नहीं लगा मैं बहुत दिनों से देख रहा था तुम्हारे कलाइयों को एकदम सुनी थी मुझे अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए मैंने कुछ पैसे बचा कर कल बाजार से खरीद लिए,,,।

ओहहह तू मेरा कितना ख्याल लगता है सच में तेरे बाबूजी मेरा बिल्कुल ऐसा ही ख्याल रखते थे। लेकिन न जाने किसकी नजर लग गई।

वह सब छोड़ो,,,,, जल्दी से जो हाथ धोकर आओ मैं तुम्हें चूड़ियां पहना देता हूं,,,,।

अरे नहीं घर पर मैंपहन लूंगी,,,, (एकदम से शरमाते हुए सुनैना बोली)

नहीं नहीं जाओ जल्दी से हाथ धोकर आओ मैं पहन देता हूं इसलिए तो खरीद कर लाया हूं ताकि मैं अपने हाथ से तुम्हें चूड़ी पहना सकूं,,,,,।

(अपने बेटे की जीद देखकर सुनैना कीर्तन बदन में अजीब सी लहर उठने लगी क्योंकि जिस तरह की वाजिद कर रहा था उस तरह की जीद सुनैना का पति ही करता था इसलिए अपने बेटे की जीद देखकर वह शर्म से पानी पानी हो रही थी लेकिन वह कुछ कर भी नहीं पाई और धीरे से अपने हाथ धोने लगी उसका दिल जोरो से धड़क रहा था अपने बेटे के हाथों से चूड़ी पहनने के एहसास से ही उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में न जाने कैसी हलचल हो रही थी)

Bahut hi umda update he rohnny4545 Bhai

Suraj din ba din apni maa ke najdik aata ja raha he.........

Bahut jald vo usko apne neeche le aayega..........

Keep rocking Bro
 
  • Like
Reactions: sunoanuj

sunoanuj

Well-Known Member
4,471
11,557
159
सूरज उन तीनों के जाने के बाद अपनी मां को झाड़ियों के बीच से बाहर ले आया था और जल्दी-जल्दी गांव की तरफ चल दिया था और थोड़ी ही देर में वह दोनों सही सलामत गांव की पहुंच चुके थे लेकिन आज दोनों एक नए अनुभव के साथ घर पहुंच रहे थे सुनैना के तन बदन में अभी भी उत्तेजना की लहर उठ रही थी जो कुछ भी आज बाजार जाते समय हुआ था और आते समय हुआ था वह सुनैना के मानस पटल पर एक अविस्मरणीय छाप छोड़ गई थी,,, घर पर पहुंचते ही रानी एकदम से गुस्सा दिखाते हुए बोली।

कहां रह गए थे तुम लोग मैं कब से तुम लोगों का इंतजार कर रही हुं पता है मेरे मन में कैसे-कैसे विचार आ रहे थे तुम दोनों को तो कब से आ जाना चाहिए था तो इतनी देर कहां लग गई।
सूरज की चाहत अपनी मां के साथ

अरे कहीं नहीं बस आज बाजार में थोड़ा भीड़ ज्यादा थी तो सामान खरीदने में देर हो गई,,, (सुनैना एकदम सहज होते हुए बोली तो सूरज समझ गया कि उसकी मां बाजार में जो कुछ भी हुआ है वह रानी से छुपाना चाहती है भले ही वह सांप वाली बात हो या तीन बदमाश वाली,,,, इसलिए सूरज भी अपनी मां की हां मैं हां मिलाता हुआ बोला,,,)



मां सही कह रही है आज कुछ ज्यादा ही भीड़ थी,,,, लेकिन बाजार में भीड़ होती है तो मजा भी ज्यादा आता है,,,,।

अच्छा तुम दोनों यह बताओ कि मेरे लिए कुछ खाने के लिए लाए की नहीं,,,।

अरे समोसे और जलेबी तो हम लोग दुकान पर ही भूल गए,,,,,
(सूरज की बात सुनते ही रानी एकदम से मुंह फुला ली और अपने दोनों हाथ बात कर खड़ी हो गई तो सुनैना मुस्कुराते हुए बोली)

नाराज मत हो वह मजाक कर रहा है ठेले में तेरे लिए जलेबी और समोसे लेकर आए,,,।

जलेबी और समोसे,,,,( रानी एकदम उत्साहित होते हुए बोली और भागते हुए ठेले में से जलेबी और समोसे निकाल कर खाने लगी और सुनैना रसोई घर की तरफ देखी तो थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए रानी से बोली)

अभी तक चूल्हा नहीं चला है कम से कम चूल्हा जलाकर रोटियां ही पका दी होती,,,,।

तुमको लगता है कि मेरा मन चुल्हा जला कर रोटी बनाने को नहीं हो रहा था,,, शाम ढलते ही मैं सोची कि तुम्हारे आने से पहले रोटी बना देता हूं लेकिन फिर थोड़ी साफ सफाई करने लगी और धीरे-धीरे अंधेरा हो गया और जैसे-जैसे तेरा होने लगा तुम लोगों को ना देख कर मेरा मन घबराने लगा और फिर तुम लोग का इंतजार करने में ही समय निकल गया मैं कभी घर के अंदर तो कभी घर के बाहर तो कभी नुक्कड़ तक देख कर आ रही थी लेकिन तुम दोनों का तो कहीं आता पता नहीं था मैं कितना घबरा गई थी मालूम है और तुम कह रही हो की रोटी बना दी होती,,,।

चल अच्छा महारानी अब गुस्सा मत कर मैं बना देता हूं बस थोड़ा सा हाथ बंटा दे वैसे भी ज्यादा देर हो गई है,,,(इतना कहकर सुनैना अपनी साड़ी को कमर में खोंसकर अपने हाथ पैर धोई और फिर सीधा रसोई घर में चली गई चूल्हा जलाने लगी,,,,, सूरज पर हाथ पैर धोकर कोई अपने मां के पास ही बैठ गया क्योंकि जो कुछ भी बाजार जाते समय हुआ था और आते समय हुआ था उसके चलते वह अपनी मां के करीब अपने आप को महसूस कर रहा था उसे अपनी मां का करीब रहना बहुत अच्छा लग रहा था वह बार-बार मुस्कुरा कर सुनैना की तरफ देख ले रहा था सुनेना शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे कर ले रही थी,,,, देखते ही देखते सुनैना रोटियां पकाने लगी और सूरज अपनी मां के पास बैठकर आज सब्जी काट रहा था यह देखकर सुनैना को भी अच्छा लग रहा था लेकिन रानी अपने भाई की हरकत को देख कर मंद मंद मुस्कुरा रही थी क्योंकि अंदर ही अंदर उसे एहसास हो रहा था कि उसका भाई अपनी मां की मदद क्यों कर रहा था,,,, उसे सब पता था कि उसका भाई उसकी मां की दोनों टांगों के बीच पहुंचना चाहता है,,,, और इस बात से उसे हैरानी नहीं हो रही थी वह तो चाहती थी कि जल्द से जल्द उसका भाई उसकी मां की जवानी पर विजय प्राप्त कर ले ताकि उसका भी रास्ता एकदम साफ हो जाए और उसकी मां के कदम बाहर न भटक पाए,,,,)

आज इतनी मदद क्यों कर रहा है,,,?(सुनैना मुस्कुराते हुए सूरज की तरफ देखते हुए बोली)

आज कहीं जाना नहीं है तो सोच रहा हूं की मदद ही कर दो क्यों तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा है क्या मेरा मदद करना।

नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है तूने कभी इस तरह से मदद किया नहीं है ना इसलिए कह रही हूं।

मैं तो हमेशा तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूं बस तुम ही मौका नहीं देती,,,,,।
(अपने बेटे की बातें सुनकर सुनैना एकदम से शक पका गई,,, और उसे झाड़ियों वाली बात याद आ गई की कैसे पेड़ के पीछे उसे अपनी बाहों में लेकर उन तीनों बदमाश से छुपा हुआ था लेकिन इस दौरान उसका मोटा लंड एकदम से उसकी गांड के बीचों बीच धंसा जा रहा था,, सुनैना इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि एक मर्द का लंड कब खड़ा होता है उसे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि उसे समय सहज या औपचारिकता तो बिल्कुल नहीं थी क्योंकि डर के माहौल में मर्द एकदम शिथिल पड़जाता है खास करके डर के माहौल में तो बिल्कुल भी उसका लंड खड़ा नहीं होता लेकिन उसके बेटे के साथ ऐसा बिल्कुल भी नहीं था शायद उसकी जवानी की गर्मी डर के माहौल में भी उसके बदन में मर्दानी की गर्मी फैला रही थी जिसके चलते उसके बेटे का लंड खड़ा हो गया था।

सुनैना अपने मन में ही बोले कि जब इतनी खूबसूरत औरत किसी जवान लड़के की बाहों में होगी तो भला घर के माहौल में भी वह जवान लड़का कैसे अपने आप को रोक पाएगा,,, उसे अच्छी तरह से याद था जब वह बदमाश उसके चूड़ियों के झांकने की आवाज से एकदम चौकन्ना हो गया था अपने साथी को औरत की चूड़ियों की आवाज आने की बात कही थी तब सूरज एकदम से उसके दोनों हाथों को अपनी हथेली में दबोच लिया था ताकि उसकी चूड़ियों की आवाज ना आए इस समय सुनैना को उसकी मर्दानगी का एहसास हो गया था उसकी हथेलियों का कसाव अपनी कलाई पर महसूस करके वह पानी पानी हो गई थी,,,, इतना तो सुनैना अच्छी तरह से जानती थी कि जो कुछ भी हुआ था वह अनजाने में बिल्कुल भी नहीं हुआ था इसमें उसके बेटे की मर्जी पूरी तरह से शामिल थी वरना उसका लंड कभी खड़ा ना होता इसका मतलब साफ था कि उसका बेटा पूरी तरह से उसके प्रति आकर्षित है उसके खूबसूरत बदन के प्रति आकर्षित है और इस बात का अहसास होते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी चेहरे पर शर्म की लालिमा छाने लगी,,,, और वह तवे पर रोटी को पलटते हुए बोली,,,)

कोई बात नहीं अब से तू मेरी मदद कर देना। लेकिन तुझे कैसे पता चलेगा कि मुझे मदद की जरूरत है।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मा मैं समझ जाऊंगा कि तुमको मदद की जरूरत है।,,,


लेकिन तू कैसे समझ जाएगा कि मुझे तेरे मददकी जरूरत है और वह भी बिना कहे।

बहुत आसान है देखो ना जब तुम अगर खाना पका रही होगी तो मैं इसी तरह से सब्जी काटकर आटा गूथ कर तुम्हारी मदद कर दूंगा और अगर जैसे तुम बर्तन मांज रही हो तो उसमें भी मैं तुम्हारी मदद कर दूंगा बर्तन धोकर और अगर कपड़े साफ कर रही हो तो मैं उसमें भी तुम्हारी मदद कर दूंगा तुम्हारे साथ कपड़े धोकर अगर घर की सफाई कर रही हो तो मैं भी झाड़ू लगा दूंगा खेत का काम तो हम दोनों मिलकर करते हैं और अगर तुम कमरे के अंदर हो तो,,,,,(इतना कहकर हुआ एकदम से खामोश हो गया मानो के जैसे अपनी मां को इशारा कर रहा हो कि आगे का मतलब तुम समझ जाओ और शायद सुनैना अपने बेटे के खाने के मतलब को समझ भी गई थी क्योंकि उसके चेहरे पर एकदम से शर्म की आभा झलकने लगी थी उसके होठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई थी जिससे साफ पता चल रहा था कि सूरज की बातें उसे अच्छी लग रही थी लेकिन फिर भी वह बोली,,,)


कमरे के अंदर,,,, कमरे के अंदर कैसी मदद करेगा,,,,, (ऐसा कहते हुए सुनैना की सांस गहरी चलने लगी थी जिसके साथ उसकी छतिया भी ऊपर नीचे हो रही थी और इस समय सब्जी काटते हुए सूरज की नजर उसकी मां की भारी भरकम छातियां पर भी घूम जा रही थी जिसका एहसास सुनैना को भी अच्छी तरह से हो रहा था,,,, अपनी मां की बात सुनकर सूरज को समझ में नहीं आ रहा था कि वह किस तरह का जवाब दे लेकिन फिर भी वह सोच समझ कर बोला,,,)


कमरे के अंदर भी मदद करने का बहुत सर तरीका है जैसे कि तुम दिन भर काम करती हो सोते समय तुम्हारा बदन दर्द करता होगा तो हमें दबा सकता हूं तुम्हारे पैर दबा सकता हूं कमर दबा सकता हूं ताकि तुम्हें आराम मिल सके और गर्मी पर ज्यादा लग रही है तो मैं हवा देने के लिए पंखी घूमा सकता हूं ताकि तुम आराम से सो सको,,,,,, (इतना कहकर हुआ अपने मन में ही बोला अगर तुम्हारी बुर ज्यादा पानी छोड़ रही है तो तुम्हारी बुर में अपना लंड डालकर तुम्हारी प्यास भी बुझा सकता हूं,,,, ऐसा हुआ मन में कह रहा था लेकिन अपनी मां के सामने ऐसा कहने की उसकी हिम्मत अभी नहीं थी अपने बेटे की बात सुनकर सुनैना मंद मुस्कुराने लगे वह अपने बेटे के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी,,,, एकदम से उसे बाजार जाते समय वाली घटना याद आ गई जब वह पेशाब करने के लिए बैठी थी और इस समय उसका पैर सांप की गोलाई के बीचों बीच था,,,, उसे पाल को याद करके सुनैना एकदम से उत्तेजना से गनगनाने लगी,,,, वह समझ सकती थी कि वह पर डर के माहौल से भरा हुआ भी था और मदहोशी और उत्तेजना से भी भरा हुआ था क्योंकि वह पेशाब करने के लिए बैठी हुई थी उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी और उसकी मदद करने के लिए उसका बेटा तुरंत आ गया था और वह अपने बेटे की आंखों के सामने भी उसी अवस्था में बैठी हुई थी उसकी नंगी गांड उसकी आंखों के सामने चमक रही थी।

सुनैना अच्छी तरह से जानती थी कि भले ही वह घबराई हुई थी भले ही सांप के काटने का डर पूरी तरह से बना हुआ था लेकिन उसी की मदद करते समय सुनैना निश्चित तौर पर कह सकती थी कि उसके बेटे की नजर उसकी जवानी से भरी हुई गांड पर ही टिकी हुई थी वह जानती थी कि उसका बेटा नजर भरकर उसकी गांड को देख रहा था और जिस तरह से मदद करने के बहाने उसके टांग को उठाया था वह उसकी कहानी से बेहद करीब था और उसे अच्छी तरह से एहसास था कि उसने जानबूझकर अपनी हथेली को उसकी गुलाबी पर से सटकर उसे मसल दिया था वह एहसास अभी तक उसे अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार पर महसूस हो रही थी और बार-बार यही सोच कर उसकी बुर पानी छोड़ दे रही थी,,,, यह सब देखते हुए वह समझ सकती थी कि कमरे में उसका बेटा किस तरह से उसकी मदद करना चाहता है बस वह अपने मुंह से बोल नहीं रहा है लेकिन उसका खाने का मतलब यही है और इस बात को सोचकर सुनैना उत्तेजना से सिहर उठी कि उसका बेटा उसे ही चोदना चाहता है,,,, अपने आप को सहज करते हुए सुनैना बोली,,,)

अच्छा ठीक है कर देना तू मेरी मदद बस,,,,,


क्या अभी भी तुम्हारी कमर दुख रही है,,,।

(इतना सुनकर तो सुनैना के होश उड़ गए वह समझ गई कि उसके बेटे का इरादा उसके प्रति कुछ गलत करने को है इतना तो वह जानती थी लेकिन वह जल्दबाजी दिख रहा था,,,,, इसलिए वह एकदम से बोली,,,)

नहीं नहीं आज मेरी कमर नहीं दुख रही है और नहीं बदन दर्द कर रहा है जिस दिन दुखेगी उस दिन तुझे बोल दूंगी बस,,,,,, (इतना कहकर सुनैना खुद अपनी बातों से शर्मिंदा हो गई थी कि यह उसे क्या हो रहा है यह सब तो उसकी तरफ से उसके बेटे को खुला निमंत्रण देने वाली बात हो गई थी,,, और एक मां होने के नाते यह कितनी शर्मनाक बात है नहीं नहीं ऐसा वह बिल्कुल भी नहीं कर सकती भावनाओं में बहकर वह अपने बेटे की इच्छा को पूरी नहीं कर सकती,,,, अगर सच में किसी दिन ऐसा हो गया तो वह अपनी नजर में ही गिर जाएगी की पति कुछ महीनो के लिए छोड़ कर क्या चल गया जवानी की गर्मी बर्दाश्त नहीं हुई और अपने बेटे के साथ ही हम बिस्तर होने लगे नहीं नहीं मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती कि समाज में इस तरह की बातें हूं या खुद की नजर में गिर जाऊं मुझे अपनी बेटी को यह सब करने से रोकना होगा लेकिन कैसे खुले तौर पर तो मैं यह कह नहीं सकती कि तू यह सब मत कर मैं जानती हूं कि तू मेरे साथ गलत संबंध बनाना चाहता है इस तरह से कहना भी तो गलत होगा नहीं हमेशा में नहीं होने दूंगी मैं खुद ही उससे दूरी बनाकर रहूंगी,,, और अपने मन में ऐसा सोच कर वह अपने बेटे से बोली,,,) चल अच्छा अब रहने दे यह सब रानी कर लेगी तू जाकर बैठ,,,,,, रानी जरा सब्जी काट देना तो तुझे भी शर्म नहीं आ रही है कि बड़ा भाई सब्जी काट रहा है और तू आराम सेबैठी है।

अब मैं क्या कर सकती हूं मां भैया तो खुद ही सब्जी काट रहे थे तो मैं सोची चलो मैं आराम कर लेती हूं।

बढ़िया यार आप करने वाली चल जल्दी-जल्दी काम कर आज ज्यादा देर हो गया है।
(सूरज अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और रानी वहीं पर आकर बैठकर सब्जी काटने लगी तब तक सूरज अपने मन में सोचा कि चलो तब बाहर ही घूम कर आ जाऊं और इतना अपने मन में सोच कर वह घर से बाहर निकल गया,,,,, उसके जाते ही सुनैना राहत की सांस लेने लगी उसे खुद को समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे की मौजूदगी में उसे न जाने क्या होने लगता है,,,
सूरज घूमता घूमता सोनू के घर के करीब पहुंच गया था,,,, घर के बाहर खटिया डालकर सोनू के चाचा और सोनू के पिताजी दोनों बातें कर रहे थे लेकिन वहां पर सोनू नहीं था,,,, अब इस समय उसके घर में जाना भी ठीक नहीं था और वैसे भी घर में सब लोग मौजूद थे इसलिए यहां पर काम बनने वाला नहीं था लेकिन उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए वह सोनू के घर के पीछे की तरफ जाने लगा जहां पर घर के पीछे खेत ही खेत थे,,,, चांदनी रात थी इसलिए सब कुछ साफ दिखाई दे रहा था वह घर के पीछे पहुंचकर धीरे से अपने पजामे को नीचे किया और अपने लंड को बाहर निकाल कर हाथ में पकड़ कर उसे हिलाते हुए पेशाब करने लगा कुछ देर पहले जिस तरह की वार्तालाप उसकी मां के साथ हुई थी उसको लेकर उसके लंड का तनाव बरकरार था और वह अपनी पूरी औकात भी खड़ा था वह निश्चित होकर पेशाब कर रहा था इस बात से बेखबर की चार-पांच कदम की दूरी पर ही झाड़ियां में कोई औरत बैठकर सोच कर रही थी और सूरज की हरकत को देख रही थी सूरज के लंड को देखकर उसकी हालत पूरी तरह से खराब हो चुकी थी,,, उसका मुंह खुला का खुला रह गया था और यह औरत कोई और नहीं सोनू की मां थी,,, सूरज को पहचानने में सोनू की मां ने बिल्कुल भी देर नहीं की और वह अपने मन में ही बोली,,,,।

हाय दइया यह तो सुनैना का बेटा है इसका इतना मोटा और लंबा लंड मैंने तो आज तक ऐसा लंड नहीं देखी,,,, जिस किसी की भी बुर में जाएगा तबाही मचा देगा,,, बाप रे मेरी तो देख कर ही हालत खराब हो रही है,,,,,, झाड़ियों मैं सोच करते हुए वह सूरज के लंड को देख रही थी और अपने मन में इस तरह की बातें कर रही थी,,,,, और सूरज था की जुगाड़ ना होने की वजह से पूरी तरह से बौखलाया हुआ था उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था जिसे वह बार-बार पकड़ कर हिला भी दे रहा था और मुठीया भी दे रहा था,,,, और जब-जब वाला अपने लंड को मुठीयाता था तब तब सोनू की मां की बुर में सुरसुराहट होने लग रही थी,,,,, सोनू की मां यह सब देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी उसे अच्छी तरह से मालूम था कि सोनू के पिता का लंड इससे आधा भी नहीं था अब तक वह केवल अपने पति से ही चुदवाती आ रही क्या इसलिए वह अपने पति की लंड की चुदाई के एहसास में ही थी,,, लेकिन अनजाने में ही सूरज के मोटे तगड़े लंबे लंड को देखकर उसे एहसास होने लगा कि अगर सूरज का लंड उसकी बुर में जाएगा तो उसे कैसा महसूस होगा कैसा लगेगा छोटे से लंड से जब वह इतनी मस्त हो जाती है तो इतना मोटा और लंबा लंड जाएगा तो वह तो पागल ही हो जाएगी,,, सोनू की मां के मन में कुछ और चल रहा था पर जल्दी-जल्दी धीरे से आवाज किए बिना ही साथ में लाए हुए डब्बे के पानी से अपनी गांड धोने लगी और गांड धोने के बाद एकदम से उठकर खड़ी हो गई और उसके खड़े होने के साथ ही सूरज की नजर भी उसे पर पड़ी वह एकदम से हड़बड़ा गया,,,,, सूरज कुछ बोल पाता इससे पहले ही सोनू की मां बोल पड़ी,,,,

अरे सूरज तु यहां क्या कर रहा है,,,,? (वह सूरज को बिल्कुल भी मौका देना नहीं चाहती थी इसलिए इतना कहने के साथ ही हुआ तुरंत झाड़ी के बाहर आ गई और सूरज सोनू की मां को देखता ही रह गया वह अपने लंड को पजामे में अंदर नहीं कर पाया,,,, तब तक सोनू की मां फुर्ती दिखाते हुए उसके करीब पहुंच गई और एकदम से जानबूझकर उस पर गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)

तुझे शर्म नहीं आती रे एक औरत के सामने आकर खड़ा हो गया और पेशाब करने लगा,,,

चचचचचच,,,, चाची,,,


क्या चाची,,,,,, (इतना कहकर अपनी नजर को नीचे करके सूरज के लंड की तरफ देखते हुए) हाय दइया यह क्या है,,,,,,, (वह आश्चर्य से सूरज के लड को देखने लगी तब सूरज को एहसास हुआ कि वह जल्दबाजी और हड़बड़ाहट में अपने लंड को पजामे के अंदर करना भूल गया था,,, और अब उसे अंदर करने का कोई मतलब नहीं था क्योंकि सोनू कि मैं उसे अपनी आंखों से देख ली थी और सूरज ने गौर किया था कि उसकी मां हैरान थी उसके लंड को देखकर,,,)

हाय दइया क्या है रे,,,,


मममम,,,, मेरा लंड है चाची,,,,, (औरतों को समझ सकते के कारण उसे एहसास हो रहा था कि इस समय सोनू की मां के मन में क्या चल रहा है इसलिए वह घबराते हुए बोला)

वो तो में भी देख रही हूं लेकिन इतना लंबा और मोटा मैं तो आज तक ऐसा नहीं देखी,,,, (ऐसा कहते हुएसोनू की मां अपना हाथ सूरज के लंड की तरफ ले गई और उसे अपनी मुट्ठी में भर ली,,, और मुट्ठी में भरने के साथ ही सूरज ने देखा कि सोनू की मां के चेहरे का हवा एकदम से बदल गया वह एकदम से सिहर उठी और बोली,,,) हाय दइया इतना गरम और इतना मोटा,,, (इतना कहने के साथ ही उत्तेजना में वहां उसके लंड को अपनी मुट्ठी में दबा दी सूरज एकदम से मस्त हो गया और आंखें बंद हो गई वह समझ गया कि सोनू की चाची की तरह ही सोनू की मां भी उसके लंड की दीवानी हो गई है लेकिन अभी दोनों में ज्यादा कुछ बातचीत हो पाती से पहले ही सोनू उधर आ गया और सोनू को देखते ही उसकी मां एकदम से सूरज के लंड पर से अपना हाथ पीछे खींच ली और सूरज अपने पजामे को ऊपर कर लिया सूरज ने यह सब बड़ी जल्दबाजी से किया था सोनू देख नहीं पाया था,,,, लेकिन घर के पीछे अपनी मां और सूरज को देखकर वह थोड़ा हैरान हो गया और उन दोनों के करीब आकर बोला,,,)

तुम दोनों यहां क्या कर रहे हो,,,, मां तुम यहां क्या कर रही हो और सूरज,, तु,,,,, यहां,,,,।
(अब ना तो इसका जवाब सोनू की मां के पास था और नहीं सूरज के पास लेकिन सूरज एकदम से बोल पड़ा,,,,)


वो वो,,,,,,, कहना कि मैं किसी काम से वह सामने वाले गांव में गया था वहां थोड़ी देर हो गई तो मैं यहीं से लौट रहा था मैं सोचा यहां से जल्दी पहुंच जाऊंगा तो यहां चाची मिल गई तो थोड़ी बातचीत होने लगी,,,,,।

ओहहह यह बात है,,,, (सोनू एकदम सहज होता हुआ बोला)

लेकिन तू यहां क्या करने आया है,,,,।

पागल हो गया है क्या मैं यहां पेशाब करने के लिए आता हूं और पेशाब करने के लिए ही आया था,,, तो तुम दोनों को देखा तो,,,,,।

अच्छा ठीक है सोनू तुम दोनों बातें करो मैं जा रही हूं देर हो रही है,,,,।(इतना कहकर सोनू की मां एकदम से वहां से घर की तरफ चल दी,,,,, सोनू की मां के जाते ही,,, सूरज सोनू को छेड़ते हुए बोला,,,,)

यार सोनू तेरी मां तो तेरी चाची से भी ज्यादा खूबसूरत है तू बेवजह अपनी चाची के पीछे पड़ा है अगर इतनी मेहनत अपनी मां के पीछे करता तो अब तक तो तु उसे चोद भी लेता,,,,

बक भोसड़ी के,,,,, वह मेरी मां है,,,,।

तो क्या हुआ मादरचोद तेरी चाची भी तो तेरी मां जैसी है लेकिन तू उसे चोदने के लिए तड़पता है कि नहीं,,,,, जैसे तेरी चाची के पास बुर है मुझे पूरा यकीन नहीं की तेरी मां की बुर उससे भी ज्यादा खूबसूरत और कसी हुई होगी,,,,।

देख सूरज अब मजा नहीं आ रहा है तो इस तरह की बातें करेगा तो हम दोनों की दोस्ती टूट जाएगी,,,।

इसे दोस्ती का क्या वास्ता तू ही सोच तू अपनी चाची के पीछे न जाने कब से पड़ा है जबकि तेरी चाची से भी ज्यादा खूबसूरत और गदराई जवानी की मालकिन तेरी मां है,,,, तुझे यकीन नहीं आता तो यह देख,,,(एकदम से अपना पजामा आगे की तरफ खींचकर सोनू को अपना लंड दिखाता हुआ) तेरी मां से सिर्फ बात करके ही है इतना खड़ा हो गया है तू ही सोच तेरी मां कितनी खूबसूरत है मैं तो कहता हूं सच में अपनी चाची को छोड़कर अपनी मां के पीछे पड़ जा तेरे पिताजी भी अब बूढ़े हो चुके हैं और तेरी मां जिस तरह से कसे बदन वाली है उसे जवान और तगड़ा लंड चाहिए,,,,,

सूरज की बातें सुनकर सोनू के दिमाग में भी सनसनी मच गई थी जिस तरह से सूरज उसकी मां के बारे में गंदी बातें कर रहा था उसे सुनकर सोनू के तन-बाद में उत्तेजना की लहर उठ रही थी और अनजाने में उसकी आंखों के सामने उसकी मां का नंगा बदन नाचने लगा था और तो और सूरज के खड़े लंड को देखकर उसकी हालत और ज्यादा खराब हो गई थी,,,, लेकिन फिर भी झूठ मूठ का गुस्सा दिखाते हुए वह बोला।


देख सूरज की अच्छी बात नहीं है मेरी मां के बारे में तो इतनी गंदी गंदी बातें कर रहा है अगर मैं भी तेरी मां के बारे में गंदी बातें करु तो,,,,


तो करना तुझे रोका किसने है,,,, अगर तुझे मेरी मां खूबसूरत लगेगी तो तू भी इस तरह की बातें करेगा मुझे तो तेरी मां बहुत अच्छी लगी,,,, देख यह छुपी बात नहीं है अगर मुझे मौका मिला ना तो मैं सच में तेरी मां को चोद दूंगा,,,, तब मुझे मत कहना और तुझे तो खुश होना चाहिए कि तेरी मां इस उम्र में भी हम जैसे लड़कों का लंड खड़ा कर देती है,,,,।

(सूरज की बातें सुनकर सोनू की हालत खराब हो रही थी वह भी अपने मन में यही सोच रहा था कि अब तक तो उसने अपनी मां पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया था वह अब तक अपनी चाची के ही पीछे हाथ धोकर पड़ा था अगर सूरज कह रहा है तो सच में उसकी मां बेहद खूबसूरत होगी तभी तो उसका लंड एकदम से खड़ा हो गया और उसे एहसास हो रहा था कि इस समय उसकी भी यही हालत है लेकिन फिर भी सूरज के सामने अपनी मां के बारे में गंदी बातें नहीं कर सकता था इसलिए वह सूरज से बोला,,,)


चल रहने दे तू जा यहां से मुझे इस बारे में बिल्कुल भी बात नहीं करनी,,,,।

(सूरज सोनू को ज्यादा परेशान नहीं करना चाहता था इसलिए हंसते हुए वहां से चला गया लेकिन जाते-जाते सोनू के मन में उसकी मां की प्रति उत्तेजना की चिंगारी को भड़का गया बर्बादी वहां पर पेशाब करते हुए अपनी मां के बारे में सोच कर अपना लंड हिला कर मुठ मारने लगा,,,।

सूरज रानी और उसकी मां तीनों साथ में खाना खा चुके थे,,,, और थोड़ी बहुत सफाई के बाद वह लोग अपने-अपने कमरे में जा चुके थे,,, रोज की तरह रानी अपने कमरे का दरवाजा खुला छोड़ रखी थी समय के मुताबिक सूरज अपने कमरे से बाहर निकाला लेकिन रानी के कमरे की तरफ जाने के बजाय वह अपनी मां के कमरे की तरफ जल्दी आओ धीरे से जाकर दरवाजे के पास खड़ा हो गया और अंदर की तरफ देखने लगा अंदर लालटेन जल रही थी,,, वह देखना चाहता था कि बाजार जाते समय और बाजार से आते समय जो कुछ भी हुआ था उसका उसकी मां के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है और जैसे ही सूरज की नजर कमरे के अंदर चारपाई पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए उसे पूरा यकीन हो गया था कि,,, जो कुछ भी आज हुआ था उसका असर उसकी मां के मन पर कुछ ज्यादा ही गहरा पड़ गया था क्योंकि चारपाई पर वह पूरी तरह से नंगी थी उसकी दोनों टांगें खुली हुई थी,,, लालटेन की पीली रोशनी में उसका नंगा बदन चमक रहा था इसका एक हाथ उसकी बड़ी-बड़ी चूची पड़ती है और दूसरा हाथ उसकी बुर पर थी और उसकी दो उंगलियां उसकी बुर की गहराई नाप रही थी जो की गहराई नापने में असमर्थ थे उसके चेहरे के हाव-भाव पूरी तरह से मदहोशी में डूबे हुए थे,,,, अपनी मां को इस अवस्था में देखकर सूरज का लंड खड़ा होने में एक पल की भी देरी नहीं लगाया।

अंदर से हल्की हल्की सीसकारी की आवाज आ रही थी जिसे सूरज सुनने की कोशिश कर रहा था और उसके कानों में उसकी मां की गरमा गरम शिसकारी की आवाज बड़े आराम से पहुंच रही थी,,,, शायद यह आवाज और भी तेज हो सकती थी लेकिन उसकी मां अपनी आवाज पर काबू किए हुए थी ताकि यह उसकी सिसकारी की आवाज को कोई सुन ना सके। लेकिन वह नहीं जानती थी कि दरवाजे पर खड़ा होकर उसका बेटा उसकी काम लीला को अपनी आंखों से देख भी रहा है और उसकी मदहोशी भरी आवाजों को सुन भी रहा है,,,, सूरज की हालत खराब हो रही थी वह अपनी मां की नंगी जवान को देख रहा था उसे अपनी उंगली से अपनी जवानी की प्यास बुझाते हुए देख रहा था वह जानता था कि ऐसे उसकी प्यास बुझने वाली नहीं है बल्कि और ज्यादा बढ़ जाने वाली है और यही वह चाहता भी था,,,। वह बड़े गौर से अपनी मां की कम लीला को देख रहा था तभी उसके कानों में जो आवाज सुनाई थी उसे सुनकर उसके कान के साथ-साथ उसके लंड की अकड़ भी एकदम से बढ़ गई।

ओहहह सूरज बेटा तेरा लंड कितना मोटा और लंबा है,,,आहहहहहह ,,,,,, तू मेरी मजबूरी क्यों नहीं समझता,,,,सहहहहह आहहहह,,,,,

(इतना सुनते ही सूरज का गला उत्तेजना से सूखने लगा वह पूरी तरह से पागल होने लगा क्योंकि उसकी मां अपनी बुर में उंगली डालते हुए उसका जिक्र कर रही थी और इस अवस्था में उसके जिक्र करने का मतलब था कि इस समय उसकी मां को उसकी जरूरत थी)
सहहहह आहहहहह मेरे लाल तू तो अच्छी तरह से जानता है कि तेरा बाप कितना निकम्मा निकल गया मुझे भरी जवानी में छोड़कर ना जाने किसके साथ मुंह काला कर रहा है,,,,,आहहहहहह जैसे तू मेरी हर काम में मदद करना चाहता है इस काम में मेरी मदद क्यों नहीं करता क्यों नहीं अपने लंड को मेरी बुर में डाल देता,,,,,आहहहहहह कितना मजा आएगा रे तेरे लंड से चुदने में,,,,ऊमममममम मैं तो रात भर तुझ से चुदवाना चाहती हूं,,,,,आहहहहह,,,,,सहहहहहहहह ऊमममममम (ऐसा कहते हुए वह जोर-जोर से अपनी उंगली को अंदर बाहर कर रही थी जिसे देखकर सूरज की उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच चुकी थी उसे एहसास हो गया था कि उसकी मां भी उससे चुदवाना चाहती है बस झिझक रही थी,,,, और यही झिझक सूरज को खत्म करनी थी सूरज पूरी तरह से पागल हो गया अपनी मां की हरकत और उसकी बातों को सुनकर एकदम से चुदवासा हो गया था मन तो उसका कर रहा था कि इसी समय दरवाजा तोड़कर वह कमरे में दाखिल हो जाए और अपनी मां की टांगों के बीच पहुंचकर उसकी बुर में अपना लंड डाल दे,,,, लेकिन इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि यह उचित समय नहीं था लेकिन इतना तो साफ हो गया था कि उसकी मां भी यही चाहती है लेकिन एक बात समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां उसके बेटे के बारे में बात कर रही थी कि कितना मोटा और लंबा है सूरज को यह समझ में नहीं आ रहा क्योंकि उसकी मां उसकी लंड को कब देख ली,,,, जबकि आज तक ऐसा कुछ हुआ भी नहीं फिर वह अपने मन में सोचने लगा कि शायद वह अपने मन में धारणा बना रही होगी कि उसके बेटे का इतना ही मोटा और लंबा होगा और यह सोचकर वह खुश होने लगा।

लेकिन जिस तरह की उत्तेजना उसके बदन में उसे जकड़ रही थी वह देखते हुए वह ज्यादा देर तक अपनी मां के कमरे के बाहर खड़ा नहीं रह सका और तुरंत दरवाजा खोलकर अपनी बहन के कमरे में दाखिल हो गया और बिना कुछ बोले ही जमकर उसकी चुदाई करने लगा,,,,, और अपने मन में निर्धारित करने लगा कि अब वह अपनी मां को पूरी तरह से बदल कर रहेगा जिसकी शुरुआत वह सुबह से ही करना चाहता था वह बाजार से अपनी मां के लिए चूड़ियां खरीद कर लाया था और वह उसे अपने हाथों से पहनाना चाहता था।
Bahut hi kamuk or shandar update
 
  • Like
Reactions: Ajju Landwalia

sunoanuj

Well-Known Member
4,471
11,557
159
सुबह जब सूरज की नींद खुली तो उसके चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान तैर रही थी,,,, क्योंकि अब उसे पूरा यकीन हो गया था कि उसकी मां भी उसके लिए तड़प रही है यह एक अच्छी शुरुआत थी अब उसे लगने लगा था कि उसकी मां जल्द ही उसकी बाहों में आने वाली है और जल्द ही उसके नीचे आने वाली है क्योंकि धीरे-धीरे उसकी मां की तड़प बढ़ रही थी जैसे-जैसे पति का वियोग उसके मन में घर कर रहा था वैसे-वैसे मर्द के लिए उसकी तरफ बढ़ती जा रही थी और वह मर्द कोई और नहीं था बल्कि वह खुद था इस बात का एहसास उसके तन बदन में एक अलग ही उत्तेजना का संचार भर रही थी। जिसे वह दिलो जान से चाहता था जिसे पाने के लिए रोज नए तरकट रचता था,,, अब वह दिन ज्यादा दूर नहीं था जब उसकी मंशा पूरी होने वाली थी वह अपनी मां के बारे में सोच करना जाने कितनी बार अपने हाथ से हिला कर काम चलाया था लेकिन वह अच्छी तरह से जानता था कि जिस तरह से उसकी मां की बेलगाम जवानी है उसे पूरी तरह से भोगने में ही असली सुख प्राप्त होगा। खाली ख्यालों में अपनी मां के बारे में सोच कर हाथ से हिला कर अब कोई फायदा नहीं था।





सूरज नींद से जागकर अपनी खटिया पर बैठ गया था तभी उसे रात वाली घटना याद आने लगी जब वह सोनू के घर गया था,,, सोनू के घर तो वह किसी और काम के लिए गया था किसी और से मिलने की चाह में गया था लेकिन वहां पहुंचने पर कुछ और ही हो गया थाऔर रात वाली घटना याद आते ही अपने आप ही उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी क्योंकि उसे लगने लगा था कि अब एक और चिड़िया उसकी जाल में पूरी तरह से फंस चुकी है वह कभी सोचा नहीं था कि सोनू की मां उसके लंड को देखकर पागल हो जाएगी और जो कुछ भी हुआ था जाने में हुआ था वह तो पेशाब करने के लिए उसके घर के पीछे चला गया था लेकिन उसे नहीं मालूम था कि वही थोड़ी दूर पर सोनू की मां बैठकर सोच कर रही थी और उसे पेशाब करते हुए देख रही थी सोनू इस बात से ज्यादा खुश था कि उस समय अच्छा हुआ कि उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था और खड़े लंड को देखकर ही सोनू की मां का ईमान डोल गया था,, पहले तो वह सोनू की मां को देखकर एकदम से घबरा गया था और अपने मन में सोच रहा था कि का सोनू की मां की जगह सोनू की चाची होती तो मजा आ जाता लेकिन फिर भी जिस तरह से उसने एकदम से उसके लंड पर हाथ रख दी थी सूरज के तन बदन में मदहोशी का रस घुलने लगा था और उसे यकीन हो गया था कि एक और चिड़िया उसके जाल में फंस गई है अगर सही समय पर सोनू वहां ना आ गया होता तो शायद बात और कुछ आगे बढ़ जाती।





1764952366-picsay
सूरज के मन में अब सोनू की चाची के साथ-साथ सोनू की मां का भी ख्याल घूमने लगा था। सूरज अपने कमरे से बाहर निकल आया था और आंगन में रानी झाड़ू लगा रही थी उसकी गोलाकार गांड को देखकर सूरज मुस्कुराने लगा क्योंकि रात भर उसने जमकर उसकी लिया था और वह रोज ही लेता था लेकिन हर एक बार उसे नया ही एहसास प्राप्त होता था पास में ही पानी से भर लोटा उठाकर वह पानी पीने लगा और पानी पीने के बाद दोबारा रानी से बोला,,,

मां कहां गई,,,,,?

बाहर ही होगी बाहर झाड़ू लगा रही थी,,,

ठीक है,,,,(इतना कहकर सूरज लोटा वही नीचे रख दिया और घर के बाहर आ गया लेकिन बाहर उसकी मां कहीं दिखाई नहीं दे रही थी,,,, सोनू अच्छी तरह से जानता था कि बाजार जाते समय जिस तरह से उसने अपने पिताजी का जिक्र किया था और यह भी कहा था कि हो सकता है कि उसके पिताजी का किसी दूसरी औरत के साथ चक्कर चल रहा हो इस बात को सुनकर उसकी मां के चेहरे पर जिस तरह की क्रोध की भावना आई थी वह सूरज के लिए आशा की किरण थी और इसीलिए वह अपने पिताजी के चरित्र को अपनी मां के सामने पूरी तरह से गिरा देना चाहता था ताकि उसकी मां के मन में उसके लिए जगह बन सके वह घर के बाहर खड़ा होकर इधर-उधर देखने लगा तो कहीं भी उसकी मां उसे नजर नहीं आई और उसे बड़े जोरों की पेशाब भी लगी हुई थी इसलिए वह धीरे से घर के पीछे की तरफ जाने लगा,,,,, और जैसे ही घर के पीछे पहुंचा तो आंखों के सामने झाड़ियों के बीच का नजारा देखकर एक बार फिर से उसके पजामे में हरकत होने लगी क्योंकि झाड़ियों में उसकी मां बैठकर पेशाब कर रही थी लेकिन उसे अहसास तक नहीं हुआ था कि पीछे उसका बेटा आ चुका था,,,, अपनी मां की नंगी गांड देखकर उसकी उत्तेजना फिर से चरम शिखर पर पहुंच चुकी थी वह झाड़ियां के बीच बैठी थी उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी और उसकी बुर से सिटी की आवाज एकदम साफ तौर पर उसके कानों में पड़ रही थी जिसकी मधुर ध्वनि सुनकर उसकी उत्तेजना और भी ज्यादा बढ़ रही थी। अपनी मां को पेशाब करता हुआ देखकर उसके मन में कुछ और सुझने लगा और वह तुरंत दबे पांव पीछे आने लगा और अपने घर के घूम कर दूसरी तरफ से जाने लगा क्योंकि अब वह कुछ और करने के फिराक में था।




दूसरी तरफ से घर के पीछे आने मेंउसे बिल्कुल भी समय नहीं लगा हुआ तुरंत घर के पीछे पहुंच चुका था और झाड़ियों के पास पहुंच चुका था,,,, उसने देख लिया था कि उसकी मां अभी भी बैठकर पेशाब कर रही थी और वह सीधा वहीं पर पहुंच चुका था जहां पर उसकी मां झाड़ियां में बैठकर पेशाब कर रही थी और वह झाड़ियों की दूसरी तरफ था उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उसकी मां की नजर उसके ऊपर जरूर पड़ेगी वह घनी झाड़ियां के बीच खड़ा हो गया था झाड़ियां इतनी घनी थी की झाड़ियां के पीछे बहुत ध्यान देने पर ही दिखाई देता था और इसी का फायदा उठाते हुए वह ठीक अपनी मां के सामने तकरीबन डेढ़ मीटर की दूरी पर खड़ा हो चुका था और जैसा वह अपने मन में सोच रहा था वैसा ही हुआ सुनैना को भी उसका बेटा झाड़ियां के बीच दूसरी तरफ खड़ा दिखाई दिया तो उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी क्योंकि वह अपने कुर्ते को ऊपर करके अपने पजामे को नीचे करने जा रहा था। और यह एहसास होते ही की उसका बेटा पेशाब करने वाला है और कुछ ही क्षण में उसे उसके बेटे का लंबा मोटा लंड एकदम पास से देखने को मिलेगा इस बात की खुशी से उसकी बुर उत्तेजना के मारे फूलने पिचकने लगी,,,, सुनैना का दिल जोरो से धड़कने लगा अब सूरज अपनी मां को देखने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था क्योंकि वह जानता था कि अब उसकी मां उसे देखने की पूरी कोशिश करेगी और उसे इस बात की खुशी थी कि उसकी मां अभी भी अपनी जगह पर ही बैठी हुई थी।

अगले ही पल सूरज अपने पजामे को नीचे करके अपने टनटनाए लंड को बाहर निकाल लिया जोकी उसकी मां की वजह से ही उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था,,, अगले ही पल सूरज अपने लंड को हाथ में पकड़ कर ही जाते हुए पेशाब करना शुरू कर दिया था और यह देखकर सुनैना का दिल एकदम से धड़कना बंद कर दिया था वह आंखें फाड़े अपने बेटे के लंड को बेहद करीब से देख रही थी,,,, उस दिन तो दोनों के बीच थोड़ी दूरी थी लेकिन आज ठीक आमने-सामने दोनों थे झाड़ियों के उस पार उसकी मां बैठकर पेशाब कर रही थी और झाड़ी के इस पार सूरज खड़ा होकर पेशाब कर रहा था,,,,, सूरज को तो उसकी मां की बुरे नहीं दिखाई दे रही थी लेकिन उसकी मां को उसके बेटे का लंड एकदम साफ दिखाई दे रहा था अपने बेटे के लंड से निकलने वाली पेशाब की धार को देखकर उसकी बुर पनीया रही थी,,,, सूरज जानबूझकर अपने लंड को ऊपर नीचे करके हिला रहा था वह अपनी मां को दिखा रहा था कि उसका मर्दाना अंग कितना जानदार और शानदार है जो एक बार अगर वह अपनी बुर में ले लेगी तो महीनो की प्यास एक ही बार में बुझ जाएगी,,,, ऐसा करते हुए सूरज की भी हालात पूरी तरह से खराब हो रही थी क्योंकि वह अपने सपनों की रानी की आंखों के सामने अपने लंड को हिला रहा था जिसकी बुर में वह अपना लंड डालना चाहता था जिसे अपनी बाहों में भरकर जोर-जोर से अपनी कमर हिला कर अपने मन की तड़प बुझाना चाहता था।

दूसरी तरफ सुनैना की हालत एकदम खराब होती जा रही थी अपने बेटे के लंड को वह ललचाई आंखों से देख रही थी उसकी बुर से पेशाब निकलना बंद हो चुका था लेकिन फिर भी वह बैठी हुई थी अपने बेटे के लंड को देखकर मदहोश हो रही थी,,, सूरज यह हरकत जानबूझकर किया था लेकिन सुनैना को ऐसा ही लग रहा था कि जो कुछ भी हो रहा है वह अनजाने में हो रहा है वह पेशाब करने के लिए झाड़ियां में खाना है उसे क्या मालूम कि उसकी मां ठीक उसके सामने बैठी है ,,,,,, सुनैना बड़ी मासूमियत से यह सोच रही थी जबकि उसे इस बात की भनक तक नहीं थी कि इसी मौके का फायदा उठाकर उसका बेटा उसकी आंखों के सामने पेशाब करने के बहाने उसे अपने लंड के दर्शन करा रहा है और अनजान बनने की कोशिश कर रहा है। अपनी मां की तड़प और ज्यादा बढ़ाने के उद्देश्य से सूरज अपने लंड को अपनी मुट्ठी में भर लिया, और मुठीयाना शुरू कर दिया,,,, लंड को हाथ में पकड़ कर पेशाब करना और मुट्ठी में भरकर मथियाना दोनों अलग-अलग क्रिया है इस बात को सुनैना अच्छी तरह से समझती थी,,,, लंड को हाथ में पकड़ कर पेशाब करना साहजिक होता है लेकिन लंड को मुठ्ठी में भर कर मुठीयाना यह मर्दों की उत्तेजना को दर्शाता है और इस समय सुनैना अच्छी तरह से समझ रही थी कि उसका बेटा पूरी तरह से मस्त हो चुका था ना जाने किस ख्यालों में खोया हुआ था कि उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था,,,,।

सूरज जानबूझकर अपनी मां की उत्तेजना को उसकी तरफ को बढ़ा रहा था उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उसकी मां उसके लंड के लिए तड़प रही थी रात को ही उसे इस बात का एहसास हुआ था जब उसकी मां उसका नाम लेकर अपनी बुर में उंगली अंदर बाहर कर रही थी। सूरज अपनी मां की तड़प को बढ़ा रहा था सुनैना को अपने बेटे के लंड का मोटा सुपाड़ा एकदम साफ दिखाई दे रहा था जब जब वह उत्तेजना से उसे मुठीयाता तो उसका सुपाड़ा पूरी तरह से ढंक जाता और फिर पीछे हथेली लेने पर फिर से खुल जाता यह नजारा देखकर तो सुनैना की बुर पानी फेंक रही थी,,, अपनी आंखों के सामने इस तरह का उत्तेजना से भरा हुआ मदहोश कर देने वाला नजारा देखकर सुनैना का ईमान डोल रहा था। और अपने आप ही उसकी हथेली उसकी बुर पर पहुंच गई थी जिसे वह हल्के हल्के मसल रही थी। लेकिन यह नजारा ज्यादा देर तक देख पाना शायद इस समय सुनैना की किस्मत में नहीं था क्योंकि सूरज पेशाब कर चुका था और अपनी मां की तड़प को और ज्यादा बढ़ाने के लिए उसकी उत्सुकता को ज्यादा बढ़ाने के लिए वह तुरंत अपने पजामे को ऊपर चढ़ा लिया और वहां से चलता बना,,,, सुनैना केतन बदन में उत्तेजना का तूफान उठ रहा था वह धीरे से अपनी एक उंगली को बैठी अवस्था में ही अपनी बुर में डालकर और उसे अंदर बाहर करने लगी ताकि उसकी जवानी की गर्मी शांत हो सके और थोड़ी देर में अपनी जवानी की गर्मी शांत करने के बाद वह फिर से घर में आ गई,,,,।

थोड़ी देर बाद सूरज भी घर पहुंच गया,,और देखा तो उसकी मां सब्जी काट रही थी,,,, वहां रानी मौजूद नहीं थी और यही सही समय था अपनी मां से बात करने का,,,, वह तुरंत अपनी मां के पास गया और बोला।

कहां चली गई थी मां में कब से तुम्हें ढूंढ रहा था,,,,,
(अपने बेटे की तरफ देख कर उसकी आंखों के सामने उसका खड़ा लंड लहराने लगा और वह एकदम से अपनी नजर को नीचे झुका ली और बोली,,,,)

यही तो थी मैं कहां चली गई थी। (सब्जी काटते हुए सुनैना बोली,,,)

यहां तो तुम बिल्कुल नहीं थी कब से तो तुम्हें ढूंढ रहा था,,,

हां बस ऐसे ही पड़ोस में चली गई थी।
(अपनी मां की बात सुनकर सूरज अपनी मम्मी ने बोला कितना झूठ बोल रही है कितने मजे लेकर मेरा लंड देख रही थी,,, तभी वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) लेकिन तू क्यों मुझे ढूंढ रहा था।

तुमसे एक काम था,,,

मुझसे लेकिन मुझसे क्या काम था,,,,,।
(इतना कहना था कि तभी रानी वहां पर आ गई और सूरज अपने मन की बात अपनी मां को नहीं बता पाया,,,, रानी के वहां पहुंच जाने पर सुनैना भी कुछ पूछ नहीं पाई उसके दिमाग से वह बात ही निकल गई और वह खाना बनाने में व्यस्त हो गई,,, थोड़ी देर में मां बेटे दोनों खेत में कटाई करने के लिए निकल गए और वैसे भी अब खेत में ज्यादा काम नहीं रह गया था दो-तीन दिन का काम और बचा था,,,, काम करते समय सुनैना की आंखों के सामने बार-बार उसके बेटे का खड़ा लंड लहराने लगता था,,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि इतना मोटा और लंबा लंड भी किसी का हो सकता है और किसी का क्यों उसके बेटे का ही,,, और इस बात से वह गर्म महसूस करने लगी थी कि उसके घर में पूरा मर्द मौजूद है जो किसी भी औरत की प्यास बुझा सकता है। सुनैना कटाई करते समय अपने बेटे के बारे में ही सोचती रह गई और सूरज बाजार से लाई हुई चूड़ियां अपनी मां को अपने हाथ से पहनाना चाहता था लेकिन मौका नहीं मिल पा रहा था।

दोपहर हो चुकी थी मां बेटे दोनों पेड़ के नीचे बैठकर खाना खा रहे थे और खाना खाते समय सूरज अपनी मां से बोला,,,,।

तुम्हारा हाथ खाली खाली अच्छा नहीं लगता,,,,।

ऐसा क्यों,,,?

जब तक तुम्हारे चूड़ियों की खनकने की आवाज नहीं आती तब तक कुछ अच्छा नहीं लगता,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुनैना शर्मा गई लेकिन कुछ बोल नहीं पाई बस शर्म से अपनी नज़रें नीचे झुका कर रोटी और सब्जी मुंह में भरकर चबाती रही धीरे से अपने बेटे को जवाब देते हुए बोली,,,)

अब इसमें मैं क्या कर सकती हूं काम करते-करते चूड़ियां टूट जाती है,,, और फिर चूड़ियां खरीदने का पैसा भी तो नहीं है।

इसीलिए तो,,,,

क्या इसीलिए तो,,,, (हैरानी से सूरज की तरफ देखते हुए सुनैना बोली)


मैं कह रहा हूं कि इसीलिए तो मैं तुम्हारे लिए कल बाजार से चूड़ियां खरीदा था,,,, (इतना कहने के साथ ही सूरज अंदर झोपड़ी में गया और अंदर से चूड़ियां ले आया जिसे वह खेत में काम करने से पहले अंदर रख दिया था ताकि चूड़ियां टूटे ना और चूड़ियां ला करके अपनी मां के सामने बैठ गया और उसे चूड़ियां दिखाने लगा लाल हरी चूड़ियां देखकर उसकी मां की आंखों में चमक आ गई वह खुश होने लगी,,, और बोली,,)

तूने कब खरीद लिया और तेरे पास पैसे आए कहां से,,?

क्यों मैं कमाने नहीं लगा मैं बहुत दिनों से देख रहा था तुम्हारे कलाइयों को एकदम सुनी थी मुझे अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए मैंने कुछ पैसे बचा कर कल बाजार से खरीद लिए,,,।

ओहहह तू मेरा कितना ख्याल लगता है सच में तेरे बाबूजी मेरा बिल्कुल ऐसा ही ख्याल रखते थे। लेकिन न जाने किसकी नजर लग गई।

वह सब छोड़ो,,,,, जल्दी से जो हाथ धोकर आओ मैं तुम्हें चूड़ियां पहना देता हूं,,,,।

अरे नहीं घर पर मैंपहन लूंगी,,,, (एकदम से शरमाते हुए सुनैना बोली)

नहीं नहीं जाओ जल्दी से हाथ धोकर आओ मैं पहन देता हूं इसलिए तो खरीद कर लाया हूं ताकि मैं अपने हाथ से तुम्हें चूड़ी पहना सकूं,,,,,।

(अपने बेटे की जीद देखकर सुनैना कीर्तन बदन में अजीब सी लहर उठने लगी क्योंकि जिस तरह की वाजिद कर रहा था उस तरह की जीद सुनैना का पति ही करता था इसलिए अपने बेटे की जीद देखकर वह शर्म से पानी पानी हो रही थी लेकिन वह कुछ कर भी नहीं पाई और धीरे से अपने हाथ धोने लगी उसका दिल जोरो से धड़क रहा था अपने बेटे के हाथों से चूड़ी पहनने के एहसास से ही उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में न जाने कैसी हलचल हो रही थी)
बहुत ही खूबसूरत और शानदार अपडेट !

👏🏻👏🏻👏🏻
 
  • Like
Reactions: Ajju Landwalia

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
4,202
17,082
144
सूरज उन तीनों के जाने के बाद अपनी मां को झाड़ियों के बीच से बाहर ले आया था और जल्दी-जल्दी गांव की तरफ चल दिया था और थोड़ी ही देर में वह दोनों सही सलामत गांव की पहुंच चुके थे लेकिन आज दोनों एक नए अनुभव के साथ घर पहुंच रहे थे सुनैना के तन बदन में अभी भी उत्तेजना की लहर उठ रही थी जो कुछ भी आज बाजार जाते समय हुआ था और आते समय हुआ था वह सुनैना के मानस पटल पर एक अविस्मरणीय छाप छोड़ गई थी,,, घर पर पहुंचते ही रानी एकदम से गुस्सा दिखाते हुए बोली।

कहां रह गए थे तुम लोग मैं कब से तुम लोगों का इंतजार कर रही हुं पता है मेरे मन में कैसे-कैसे विचार आ रहे थे तुम दोनों को तो कब से आ जाना चाहिए था तो इतनी देर कहां लग गई।
सूरज की चाहत अपनी मां के साथ

अरे कहीं नहीं बस आज बाजार में थोड़ा भीड़ ज्यादा थी तो सामान खरीदने में देर हो गई,,, (सुनैना एकदम सहज होते हुए बोली तो सूरज समझ गया कि उसकी मां बाजार में जो कुछ भी हुआ है वह रानी से छुपाना चाहती है भले ही वह सांप वाली बात हो या तीन बदमाश वाली,,,, इसलिए सूरज भी अपनी मां की हां मैं हां मिलाता हुआ बोला,,,)



मां सही कह रही है आज कुछ ज्यादा ही भीड़ थी,,,, लेकिन बाजार में भीड़ होती है तो मजा भी ज्यादा आता है,,,,।

अच्छा तुम दोनों यह बताओ कि मेरे लिए कुछ खाने के लिए लाए की नहीं,,,।

अरे समोसे और जलेबी तो हम लोग दुकान पर ही भूल गए,,,,,
(सूरज की बात सुनते ही रानी एकदम से मुंह फुला ली और अपने दोनों हाथ बात कर खड़ी हो गई तो सुनैना मुस्कुराते हुए बोली)

नाराज मत हो वह मजाक कर रहा है ठेले में तेरे लिए जलेबी और समोसे लेकर आए,,,।

जलेबी और समोसे,,,,( रानी एकदम उत्साहित होते हुए बोली और भागते हुए ठेले में से जलेबी और समोसे निकाल कर खाने लगी और सुनैना रसोई घर की तरफ देखी तो थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए रानी से बोली)

अभी तक चूल्हा नहीं चला है कम से कम चूल्हा जलाकर रोटियां ही पका दी होती,,,,।

तुमको लगता है कि मेरा मन चुल्हा जला कर रोटी बनाने को नहीं हो रहा था,,, शाम ढलते ही मैं सोची कि तुम्हारे आने से पहले रोटी बना देता हूं लेकिन फिर थोड़ी साफ सफाई करने लगी और धीरे-धीरे अंधेरा हो गया और जैसे-जैसे तेरा होने लगा तुम लोगों को ना देख कर मेरा मन घबराने लगा और फिर तुम लोग का इंतजार करने में ही समय निकल गया मैं कभी घर के अंदर तो कभी घर के बाहर तो कभी नुक्कड़ तक देख कर आ रही थी लेकिन तुम दोनों का तो कहीं आता पता नहीं था मैं कितना घबरा गई थी मालूम है और तुम कह रही हो की रोटी बना दी होती,,,।

चल अच्छा महारानी अब गुस्सा मत कर मैं बना देता हूं बस थोड़ा सा हाथ बंटा दे वैसे भी ज्यादा देर हो गई है,,,(इतना कहकर सुनैना अपनी साड़ी को कमर में खोंसकर अपने हाथ पैर धोई और फिर सीधा रसोई घर में चली गई चूल्हा जलाने लगी,,,,, सूरज पर हाथ पैर धोकर कोई अपने मां के पास ही बैठ गया क्योंकि जो कुछ भी बाजार जाते समय हुआ था और आते समय हुआ था उसके चलते वह अपनी मां के करीब अपने आप को महसूस कर रहा था उसे अपनी मां का करीब रहना बहुत अच्छा लग रहा था वह बार-बार मुस्कुरा कर सुनैना की तरफ देख ले रहा था सुनेना शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे कर ले रही थी,,,, देखते ही देखते सुनैना रोटियां पकाने लगी और सूरज अपनी मां के पास बैठकर आज सब्जी काट रहा था यह देखकर सुनैना को भी अच्छा लग रहा था लेकिन रानी अपने भाई की हरकत को देख कर मंद मंद मुस्कुरा रही थी क्योंकि अंदर ही अंदर उसे एहसास हो रहा था कि उसका भाई अपनी मां की मदद क्यों कर रहा था,,,, उसे सब पता था कि उसका भाई उसकी मां की दोनों टांगों के बीच पहुंचना चाहता है,,,, और इस बात से उसे हैरानी नहीं हो रही थी वह तो चाहती थी कि जल्द से जल्द उसका भाई उसकी मां की जवानी पर विजय प्राप्त कर ले ताकि उसका भी रास्ता एकदम साफ हो जाए और उसकी मां के कदम बाहर न भटक पाए,,,,)

आज इतनी मदद क्यों कर रहा है,,,?(सुनैना मुस्कुराते हुए सूरज की तरफ देखते हुए बोली)

आज कहीं जाना नहीं है तो सोच रहा हूं की मदद ही कर दो क्यों तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा है क्या मेरा मदद करना।

नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है तूने कभी इस तरह से मदद किया नहीं है ना इसलिए कह रही हूं।

मैं तो हमेशा तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूं बस तुम ही मौका नहीं देती,,,,,।
(अपने बेटे की बातें सुनकर सुनैना एकदम से शक पका गई,,, और उसे झाड़ियों वाली बात याद आ गई की कैसे पेड़ के पीछे उसे अपनी बाहों में लेकर उन तीनों बदमाश से छुपा हुआ था लेकिन इस दौरान उसका मोटा लंड एकदम से उसकी गांड के बीचों बीच धंसा जा रहा था,, सुनैना इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि एक मर्द का लंड कब खड़ा होता है उसे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि उसे समय सहज या औपचारिकता तो बिल्कुल नहीं थी क्योंकि डर के माहौल में मर्द एकदम शिथिल पड़जाता है खास करके डर के माहौल में तो बिल्कुल भी उसका लंड खड़ा नहीं होता लेकिन उसके बेटे के साथ ऐसा बिल्कुल भी नहीं था शायद उसकी जवानी की गर्मी डर के माहौल में भी उसके बदन में मर्दानी की गर्मी फैला रही थी जिसके चलते उसके बेटे का लंड खड़ा हो गया था।

सुनैना अपने मन में ही बोले कि जब इतनी खूबसूरत औरत किसी जवान लड़के की बाहों में होगी तो भला घर के माहौल में भी वह जवान लड़का कैसे अपने आप को रोक पाएगा,,, उसे अच्छी तरह से याद था जब वह बदमाश उसके चूड़ियों के झांकने की आवाज से एकदम चौकन्ना हो गया था अपने साथी को औरत की चूड़ियों की आवाज आने की बात कही थी तब सूरज एकदम से उसके दोनों हाथों को अपनी हथेली में दबोच लिया था ताकि उसकी चूड़ियों की आवाज ना आए इस समय सुनैना को उसकी मर्दानगी का एहसास हो गया था उसकी हथेलियों का कसाव अपनी कलाई पर महसूस करके वह पानी पानी हो गई थी,,,, इतना तो सुनैना अच्छी तरह से जानती थी कि जो कुछ भी हुआ था वह अनजाने में बिल्कुल भी नहीं हुआ था इसमें उसके बेटे की मर्जी पूरी तरह से शामिल थी वरना उसका लंड कभी खड़ा ना होता इसका मतलब साफ था कि उसका बेटा पूरी तरह से उसके प्रति आकर्षित है उसके खूबसूरत बदन के प्रति आकर्षित है और इस बात का अहसास होते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी चेहरे पर शर्म की लालिमा छाने लगी,,,, और वह तवे पर रोटी को पलटते हुए बोली,,,)

कोई बात नहीं अब से तू मेरी मदद कर देना। लेकिन तुझे कैसे पता चलेगा कि मुझे मदद की जरूरत है।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मा मैं समझ जाऊंगा कि तुमको मदद की जरूरत है।,,,


लेकिन तू कैसे समझ जाएगा कि मुझे तेरे मददकी जरूरत है और वह भी बिना कहे।

बहुत आसान है देखो ना जब तुम अगर खाना पका रही होगी तो मैं इसी तरह से सब्जी काटकर आटा गूथ कर तुम्हारी मदद कर दूंगा और अगर जैसे तुम बर्तन मांज रही हो तो उसमें भी मैं तुम्हारी मदद कर दूंगा बर्तन धोकर और अगर कपड़े साफ कर रही हो तो मैं उसमें भी तुम्हारी मदद कर दूंगा तुम्हारे साथ कपड़े धोकर अगर घर की सफाई कर रही हो तो मैं भी झाड़ू लगा दूंगा खेत का काम तो हम दोनों मिलकर करते हैं और अगर तुम कमरे के अंदर हो तो,,,,,(इतना कहकर हुआ एकदम से खामोश हो गया मानो के जैसे अपनी मां को इशारा कर रहा हो कि आगे का मतलब तुम समझ जाओ और शायद सुनैना अपने बेटे के खाने के मतलब को समझ भी गई थी क्योंकि उसके चेहरे पर एकदम से शर्म की आभा झलकने लगी थी उसके होठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई थी जिससे साफ पता चल रहा था कि सूरज की बातें उसे अच्छी लग रही थी लेकिन फिर भी वह बोली,,,)


कमरे के अंदर,,,, कमरे के अंदर कैसी मदद करेगा,,,,, (ऐसा कहते हुए सुनैना की सांस गहरी चलने लगी थी जिसके साथ उसकी छतिया भी ऊपर नीचे हो रही थी और इस समय सब्जी काटते हुए सूरज की नजर उसकी मां की भारी भरकम छातियां पर भी घूम जा रही थी जिसका एहसास सुनैना को भी अच्छी तरह से हो रहा था,,,, अपनी मां की बात सुनकर सूरज को समझ में नहीं आ रहा था कि वह किस तरह का जवाब दे लेकिन फिर भी वह सोच समझ कर बोला,,,)


कमरे के अंदर भी मदद करने का बहुत सर तरीका है जैसे कि तुम दिन भर काम करती हो सोते समय तुम्हारा बदन दर्द करता होगा तो हमें दबा सकता हूं तुम्हारे पैर दबा सकता हूं कमर दबा सकता हूं ताकि तुम्हें आराम मिल सके और गर्मी पर ज्यादा लग रही है तो मैं हवा देने के लिए पंखी घूमा सकता हूं ताकि तुम आराम से सो सको,,,,,, (इतना कहकर हुआ अपने मन में ही बोला अगर तुम्हारी बुर ज्यादा पानी छोड़ रही है तो तुम्हारी बुर में अपना लंड डालकर तुम्हारी प्यास भी बुझा सकता हूं,,,, ऐसा हुआ मन में कह रहा था लेकिन अपनी मां के सामने ऐसा कहने की उसकी हिम्मत अभी नहीं थी अपने बेटे की बात सुनकर सुनैना मंद मुस्कुराने लगे वह अपने बेटे के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी,,,, एकदम से उसे बाजार जाते समय वाली घटना याद आ गई जब वह पेशाब करने के लिए बैठी थी और इस समय उसका पैर सांप की गोलाई के बीचों बीच था,,,, उसे पाल को याद करके सुनैना एकदम से उत्तेजना से गनगनाने लगी,,,, वह समझ सकती थी कि वह पर डर के माहौल से भरा हुआ भी था और मदहोशी और उत्तेजना से भी भरा हुआ था क्योंकि वह पेशाब करने के लिए बैठी हुई थी उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी और उसकी मदद करने के लिए उसका बेटा तुरंत आ गया था और वह अपने बेटे की आंखों के सामने भी उसी अवस्था में बैठी हुई थी उसकी नंगी गांड उसकी आंखों के सामने चमक रही थी।

सुनैना अच्छी तरह से जानती थी कि भले ही वह घबराई हुई थी भले ही सांप के काटने का डर पूरी तरह से बना हुआ था लेकिन उसी की मदद करते समय सुनैना निश्चित तौर पर कह सकती थी कि उसके बेटे की नजर उसकी जवानी से भरी हुई गांड पर ही टिकी हुई थी वह जानती थी कि उसका बेटा नजर भरकर उसकी गांड को देख रहा था और जिस तरह से मदद करने के बहाने उसके टांग को उठाया था वह उसकी कहानी से बेहद करीब था और उसे अच्छी तरह से एहसास था कि उसने जानबूझकर अपनी हथेली को उसकी गुलाबी पर से सटकर उसे मसल दिया था वह एहसास अभी तक उसे अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार पर महसूस हो रही थी और बार-बार यही सोच कर उसकी बुर पानी छोड़ दे रही थी,,,, यह सब देखते हुए वह समझ सकती थी कि कमरे में उसका बेटा किस तरह से उसकी मदद करना चाहता है बस वह अपने मुंह से बोल नहीं रहा है लेकिन उसका खाने का मतलब यही है और इस बात को सोचकर सुनैना उत्तेजना से सिहर उठी कि उसका बेटा उसे ही चोदना चाहता है,,,, अपने आप को सहज करते हुए सुनैना बोली,,,)

अच्छा ठीक है कर देना तू मेरी मदद बस,,,,,


क्या अभी भी तुम्हारी कमर दुख रही है,,,।

(इतना सुनकर तो सुनैना के होश उड़ गए वह समझ गई कि उसके बेटे का इरादा उसके प्रति कुछ गलत करने को है इतना तो वह जानती थी लेकिन वह जल्दबाजी दिख रहा था,,,,, इसलिए वह एकदम से बोली,,,)

नहीं नहीं आज मेरी कमर नहीं दुख रही है और नहीं बदन दर्द कर रहा है जिस दिन दुखेगी उस दिन तुझे बोल दूंगी बस,,,,,, (इतना कहकर सुनैना खुद अपनी बातों से शर्मिंदा हो गई थी कि यह उसे क्या हो रहा है यह सब तो उसकी तरफ से उसके बेटे को खुला निमंत्रण देने वाली बात हो गई थी,,, और एक मां होने के नाते यह कितनी शर्मनाक बात है नहीं नहीं ऐसा वह बिल्कुल भी नहीं कर सकती भावनाओं में बहकर वह अपने बेटे की इच्छा को पूरी नहीं कर सकती,,,, अगर सच में किसी दिन ऐसा हो गया तो वह अपनी नजर में ही गिर जाएगी की पति कुछ महीनो के लिए छोड़ कर क्या चल गया जवानी की गर्मी बर्दाश्त नहीं हुई और अपने बेटे के साथ ही हम बिस्तर होने लगे नहीं नहीं मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती कि समाज में इस तरह की बातें हूं या खुद की नजर में गिर जाऊं मुझे अपनी बेटी को यह सब करने से रोकना होगा लेकिन कैसे खुले तौर पर तो मैं यह कह नहीं सकती कि तू यह सब मत कर मैं जानती हूं कि तू मेरे साथ गलत संबंध बनाना चाहता है इस तरह से कहना भी तो गलत होगा नहीं हमेशा में नहीं होने दूंगी मैं खुद ही उससे दूरी बनाकर रहूंगी,,, और अपने मन में ऐसा सोच कर वह अपने बेटे से बोली,,,) चल अच्छा अब रहने दे यह सब रानी कर लेगी तू जाकर बैठ,,,,,, रानी जरा सब्जी काट देना तो तुझे भी शर्म नहीं आ रही है कि बड़ा भाई सब्जी काट रहा है और तू आराम सेबैठी है।

अब मैं क्या कर सकती हूं मां भैया तो खुद ही सब्जी काट रहे थे तो मैं सोची चलो मैं आराम कर लेती हूं।

बढ़िया यार आप करने वाली चल जल्दी-जल्दी काम कर आज ज्यादा देर हो गया है।
(सूरज अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और रानी वहीं पर आकर बैठकर सब्जी काटने लगी तब तक सूरज अपने मन में सोचा कि चलो तब बाहर ही घूम कर आ जाऊं और इतना अपने मन में सोच कर वह घर से बाहर निकल गया,,,,, उसके जाते ही सुनैना राहत की सांस लेने लगी उसे खुद को समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे की मौजूदगी में उसे न जाने क्या होने लगता है,,,
सूरज घूमता घूमता सोनू के घर के करीब पहुंच गया था,,,, घर के बाहर खटिया डालकर सोनू के चाचा और सोनू के पिताजी दोनों बातें कर रहे थे लेकिन वहां पर सोनू नहीं था,,,, अब इस समय उसके घर में जाना भी ठीक नहीं था और वैसे भी घर में सब लोग मौजूद थे इसलिए यहां पर काम बनने वाला नहीं था लेकिन उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए वह सोनू के घर के पीछे की तरफ जाने लगा जहां पर घर के पीछे खेत ही खेत थे,,,, चांदनी रात थी इसलिए सब कुछ साफ दिखाई दे रहा था वह घर के पीछे पहुंचकर धीरे से अपने पजामे को नीचे किया और अपने लंड को बाहर निकाल कर हाथ में पकड़ कर उसे हिलाते हुए पेशाब करने लगा कुछ देर पहले जिस तरह की वार्तालाप उसकी मां के साथ हुई थी उसको लेकर उसके लंड का तनाव बरकरार था और वह अपनी पूरी औकात भी खड़ा था वह निश्चित होकर पेशाब कर रहा था इस बात से बेखबर की चार-पांच कदम की दूरी पर ही झाड़ियां में कोई औरत बैठकर सोच कर रही थी और सूरज की हरकत को देख रही थी सूरज के लंड को देखकर उसकी हालत पूरी तरह से खराब हो चुकी थी,,, उसका मुंह खुला का खुला रह गया था और यह औरत कोई और नहीं सोनू की मां थी,,, सूरज को पहचानने में सोनू की मां ने बिल्कुल भी देर नहीं की और वह अपने मन में ही बोली,,,,।

हाय दइया यह तो सुनैना का बेटा है इसका इतना मोटा और लंबा लंड मैंने तो आज तक ऐसा लंड नहीं देखी,,,, जिस किसी की भी बुर में जाएगा तबाही मचा देगा,,, बाप रे मेरी तो देख कर ही हालत खराब हो रही है,,,,,, झाड़ियों मैं सोच करते हुए वह सूरज के लंड को देख रही थी और अपने मन में इस तरह की बातें कर रही थी,,,,, और सूरज था की जुगाड़ ना होने की वजह से पूरी तरह से बौखलाया हुआ था उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था जिसे वह बार-बार पकड़ कर हिला भी दे रहा था और मुठीया भी दे रहा था,,,, और जब-जब वाला अपने लंड को मुठीयाता था तब तब सोनू की मां की बुर में सुरसुराहट होने लग रही थी,,,,, सोनू की मां यह सब देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी उसे अच्छी तरह से मालूम था कि सोनू के पिता का लंड इससे आधा भी नहीं था अब तक वह केवल अपने पति से ही चुदवाती आ रही क्या इसलिए वह अपने पति की लंड की चुदाई के एहसास में ही थी,,, लेकिन अनजाने में ही सूरज के मोटे तगड़े लंबे लंड को देखकर उसे एहसास होने लगा कि अगर सूरज का लंड उसकी बुर में जाएगा तो उसे कैसा महसूस होगा कैसा लगेगा छोटे से लंड से जब वह इतनी मस्त हो जाती है तो इतना मोटा और लंबा लंड जाएगा तो वह तो पागल ही हो जाएगी,,, सोनू की मां के मन में कुछ और चल रहा था पर जल्दी-जल्दी धीरे से आवाज किए बिना ही साथ में लाए हुए डब्बे के पानी से अपनी गांड धोने लगी और गांड धोने के बाद एकदम से उठकर खड़ी हो गई और उसके खड़े होने के साथ ही सूरज की नजर भी उसे पर पड़ी वह एकदम से हड़बड़ा गया,,,,, सूरज कुछ बोल पाता इससे पहले ही सोनू की मां बोल पड़ी,,,,

अरे सूरज तु यहां क्या कर रहा है,,,,? (वह सूरज को बिल्कुल भी मौका देना नहीं चाहती थी इसलिए इतना कहने के साथ ही हुआ तुरंत झाड़ी के बाहर आ गई और सूरज सोनू की मां को देखता ही रह गया वह अपने लंड को पजामे में अंदर नहीं कर पाया,,,, तब तक सोनू की मां फुर्ती दिखाते हुए उसके करीब पहुंच गई और एकदम से जानबूझकर उस पर गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)

तुझे शर्म नहीं आती रे एक औरत के सामने आकर खड़ा हो गया और पेशाब करने लगा,,,

चचचचचच,,,, चाची,,,


क्या चाची,,,,,, (इतना कहकर अपनी नजर को नीचे करके सूरज के लंड की तरफ देखते हुए) हाय दइया यह क्या है,,,,,,, (वह आश्चर्य से सूरज के लड को देखने लगी तब सूरज को एहसास हुआ कि वह जल्दबाजी और हड़बड़ाहट में अपने लंड को पजामे के अंदर करना भूल गया था,,, और अब उसे अंदर करने का कोई मतलब नहीं था क्योंकि सोनू कि मैं उसे अपनी आंखों से देख ली थी और सूरज ने गौर किया था कि उसकी मां हैरान थी उसके लंड को देखकर,,,)

हाय दइया क्या है रे,,,,


मममम,,,, मेरा लंड है चाची,,,,, (औरतों को समझ सकते के कारण उसे एहसास हो रहा था कि इस समय सोनू की मां के मन में क्या चल रहा है इसलिए वह घबराते हुए बोला)

वो तो में भी देख रही हूं लेकिन इतना लंबा और मोटा मैं तो आज तक ऐसा नहीं देखी,,,, (ऐसा कहते हुएसोनू की मां अपना हाथ सूरज के लंड की तरफ ले गई और उसे अपनी मुट्ठी में भर ली,,, और मुट्ठी में भरने के साथ ही सूरज ने देखा कि सोनू की मां के चेहरे का हवा एकदम से बदल गया वह एकदम से सिहर उठी और बोली,,,) हाय दइया इतना गरम और इतना मोटा,,, (इतना कहने के साथ ही उत्तेजना में वहां उसके लंड को अपनी मुट्ठी में दबा दी सूरज एकदम से मस्त हो गया और आंखें बंद हो गई वह समझ गया कि सोनू की चाची की तरह ही सोनू की मां भी उसके लंड की दीवानी हो गई है लेकिन अभी दोनों में ज्यादा कुछ बातचीत हो पाती से पहले ही सोनू उधर आ गया और सोनू को देखते ही उसकी मां एकदम से सूरज के लंड पर से अपना हाथ पीछे खींच ली और सूरज अपने पजामे को ऊपर कर लिया सूरज ने यह सब बड़ी जल्दबाजी से किया था सोनू देख नहीं पाया था,,,, लेकिन घर के पीछे अपनी मां और सूरज को देखकर वह थोड़ा हैरान हो गया और उन दोनों के करीब आकर बोला,,,)

तुम दोनों यहां क्या कर रहे हो,,,, मां तुम यहां क्या कर रही हो और सूरज,, तु,,,,, यहां,,,,।
(अब ना तो इसका जवाब सोनू की मां के पास था और नहीं सूरज के पास लेकिन सूरज एकदम से बोल पड़ा,,,,)


वो वो,,,,,,, कहना कि मैं किसी काम से वह सामने वाले गांव में गया था वहां थोड़ी देर हो गई तो मैं यहीं से लौट रहा था मैं सोचा यहां से जल्दी पहुंच जाऊंगा तो यहां चाची मिल गई तो थोड़ी बातचीत होने लगी,,,,,।

ओहहह यह बात है,,,, (सोनू एकदम सहज होता हुआ बोला)

लेकिन तू यहां क्या करने आया है,,,,।

पागल हो गया है क्या मैं यहां पेशाब करने के लिए आता हूं और पेशाब करने के लिए ही आया था,,, तो तुम दोनों को देखा तो,,,,,।

अच्छा ठीक है सोनू तुम दोनों बातें करो मैं जा रही हूं देर हो रही है,,,,।(इतना कहकर सोनू की मां एकदम से वहां से घर की तरफ चल दी,,,,, सोनू की मां के जाते ही,,, सूरज सोनू को छेड़ते हुए बोला,,,,)

यार सोनू तेरी मां तो तेरी चाची से भी ज्यादा खूबसूरत है तू बेवजह अपनी चाची के पीछे पड़ा है अगर इतनी मेहनत अपनी मां के पीछे करता तो अब तक तो तु उसे चोद भी लेता,,,,

बक भोसड़ी के,,,,, वह मेरी मां है,,,,।

तो क्या हुआ मादरचोद तेरी चाची भी तो तेरी मां जैसी है लेकिन तू उसे चोदने के लिए तड़पता है कि नहीं,,,,, जैसे तेरी चाची के पास बुर है मुझे पूरा यकीन नहीं की तेरी मां की बुर उससे भी ज्यादा खूबसूरत और कसी हुई होगी,,,,।

देख सूरज अब मजा नहीं आ रहा है तो इस तरह की बातें करेगा तो हम दोनों की दोस्ती टूट जाएगी,,,।

इसे दोस्ती का क्या वास्ता तू ही सोच तू अपनी चाची के पीछे न जाने कब से पड़ा है जबकि तेरी चाची से भी ज्यादा खूबसूरत और गदराई जवानी की मालकिन तेरी मां है,,,, तुझे यकीन नहीं आता तो यह देख,,,(एकदम से अपना पजामा आगे की तरफ खींचकर सोनू को अपना लंड दिखाता हुआ) तेरी मां से सिर्फ बात करके ही है इतना खड़ा हो गया है तू ही सोच तेरी मां कितनी खूबसूरत है मैं तो कहता हूं सच में अपनी चाची को छोड़कर अपनी मां के पीछे पड़ जा तेरे पिताजी भी अब बूढ़े हो चुके हैं और तेरी मां जिस तरह से कसे बदन वाली है उसे जवान और तगड़ा लंड चाहिए,,,,,

सूरज की बातें सुनकर सोनू के दिमाग में भी सनसनी मच गई थी जिस तरह से सूरज उसकी मां के बारे में गंदी बातें कर रहा था उसे सुनकर सोनू के तन-बाद में उत्तेजना की लहर उठ रही थी और अनजाने में उसकी आंखों के सामने उसकी मां का नंगा बदन नाचने लगा था और तो और सूरज के खड़े लंड को देखकर उसकी हालत और ज्यादा खराब हो गई थी,,,, लेकिन फिर भी झूठ मूठ का गुस्सा दिखाते हुए वह बोला।


देख सूरज की अच्छी बात नहीं है मेरी मां के बारे में तो इतनी गंदी गंदी बातें कर रहा है अगर मैं भी तेरी मां के बारे में गंदी बातें करु तो,,,,


तो करना तुझे रोका किसने है,,,, अगर तुझे मेरी मां खूबसूरत लगेगी तो तू भी इस तरह की बातें करेगा मुझे तो तेरी मां बहुत अच्छी लगी,,,, देख यह छुपी बात नहीं है अगर मुझे मौका मिला ना तो मैं सच में तेरी मां को चोद दूंगा,,,, तब मुझे मत कहना और तुझे तो खुश होना चाहिए कि तेरी मां इस उम्र में भी हम जैसे लड़कों का लंड खड़ा कर देती है,,,,।

(सूरज की बातें सुनकर सोनू की हालत खराब हो रही थी वह भी अपने मन में यही सोच रहा था कि अब तक तो उसने अपनी मां पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया था वह अब तक अपनी चाची के ही पीछे हाथ धोकर पड़ा था अगर सूरज कह रहा है तो सच में उसकी मां बेहद खूबसूरत होगी तभी तो उसका लंड एकदम से खड़ा हो गया और उसे एहसास हो रहा था कि इस समय उसकी भी यही हालत है लेकिन फिर भी सूरज के सामने अपनी मां के बारे में गंदी बातें नहीं कर सकता था इसलिए वह सूरज से बोला,,,)


चल रहने दे तू जा यहां से मुझे इस बारे में बिल्कुल भी बात नहीं करनी,,,,।

(सूरज सोनू को ज्यादा परेशान नहीं करना चाहता था इसलिए हंसते हुए वहां से चला गया लेकिन जाते-जाते सोनू के मन में उसकी मां की प्रति उत्तेजना की चिंगारी को भड़का गया बर्बादी वहां पर पेशाब करते हुए अपनी मां के बारे में सोच कर अपना लंड हिला कर मुठ मारने लगा,,,।

सूरज रानी और उसकी मां तीनों साथ में खाना खा चुके थे,,,, और थोड़ी बहुत सफाई के बाद वह लोग अपने-अपने कमरे में जा चुके थे,,, रोज की तरह रानी अपने कमरे का दरवाजा खुला छोड़ रखी थी समय के मुताबिक सूरज अपने कमरे से बाहर निकाला लेकिन रानी के कमरे की तरफ जाने के बजाय वह अपनी मां के कमरे की तरफ जल्दी आओ धीरे से जाकर दरवाजे के पास खड़ा हो गया और अंदर की तरफ देखने लगा अंदर लालटेन जल रही थी,,, वह देखना चाहता था कि बाजार जाते समय और बाजार से आते समय जो कुछ भी हुआ था उसका उसकी मां के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है और जैसे ही सूरज की नजर कमरे के अंदर चारपाई पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए उसे पूरा यकीन हो गया था कि,,, जो कुछ भी आज हुआ था उसका असर उसकी मां के मन पर कुछ ज्यादा ही गहरा पड़ गया था क्योंकि चारपाई पर वह पूरी तरह से नंगी थी उसकी दोनों टांगें खुली हुई थी,,, लालटेन की पीली रोशनी में उसका नंगा बदन चमक रहा था इसका एक हाथ उसकी बड़ी-बड़ी चूची पड़ती है और दूसरा हाथ उसकी बुर पर थी और उसकी दो उंगलियां उसकी बुर की गहराई नाप रही थी जो की गहराई नापने में असमर्थ थे उसके चेहरे के हाव-भाव पूरी तरह से मदहोशी में डूबे हुए थे,,,, अपनी मां को इस अवस्था में देखकर सूरज का लंड खड़ा होने में एक पल की भी देरी नहीं लगाया।

अंदर से हल्की हल्की सीसकारी की आवाज आ रही थी जिसे सूरज सुनने की कोशिश कर रहा था और उसके कानों में उसकी मां की गरमा गरम शिसकारी की आवाज बड़े आराम से पहुंच रही थी,,,, शायद यह आवाज और भी तेज हो सकती थी लेकिन उसकी मां अपनी आवाज पर काबू किए हुए थी ताकि यह उसकी सिसकारी की आवाज को कोई सुन ना सके। लेकिन वह नहीं जानती थी कि दरवाजे पर खड़ा होकर उसका बेटा उसकी काम लीला को अपनी आंखों से देख भी रहा है और उसकी मदहोशी भरी आवाजों को सुन भी रहा है,,,, सूरज की हालत खराब हो रही थी वह अपनी मां की नंगी जवान को देख रहा था उसे अपनी उंगली से अपनी जवानी की प्यास बुझाते हुए देख रहा था वह जानता था कि ऐसे उसकी प्यास बुझने वाली नहीं है बल्कि और ज्यादा बढ़ जाने वाली है और यही वह चाहता भी था,,,। वह बड़े गौर से अपनी मां की कम लीला को देख रहा था तभी उसके कानों में जो आवाज सुनाई थी उसे सुनकर उसके कान के साथ-साथ उसके लंड की अकड़ भी एकदम से बढ़ गई।

ओहहह सूरज बेटा तेरा लंड कितना मोटा और लंबा है,,,आहहहहहह ,,,,,, तू मेरी मजबूरी क्यों नहीं समझता,,,,सहहहहह आहहहह,,,,,

(इतना सुनते ही सूरज का गला उत्तेजना से सूखने लगा वह पूरी तरह से पागल होने लगा क्योंकि उसकी मां अपनी बुर में उंगली डालते हुए उसका जिक्र कर रही थी और इस अवस्था में उसके जिक्र करने का मतलब था कि इस समय उसकी मां को उसकी जरूरत थी)
सहहहह आहहहहह मेरे लाल तू तो अच्छी तरह से जानता है कि तेरा बाप कितना निकम्मा निकल गया मुझे भरी जवानी में छोड़कर ना जाने किसके साथ मुंह काला कर रहा है,,,,,आहहहहहह जैसे तू मेरी हर काम में मदद करना चाहता है इस काम में मेरी मदद क्यों नहीं करता क्यों नहीं अपने लंड को मेरी बुर में डाल देता,,,,,आहहहहहह कितना मजा आएगा रे तेरे लंड से चुदने में,,,,ऊमममममम मैं तो रात भर तुझ से चुदवाना चाहती हूं,,,,,आहहहहह,,,,,सहहहहहहहह ऊमममममम (ऐसा कहते हुए वह जोर-जोर से अपनी उंगली को अंदर बाहर कर रही थी जिसे देखकर सूरज की उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच चुकी थी उसे एहसास हो गया था कि उसकी मां भी उससे चुदवाना चाहती है बस झिझक रही थी,,,, और यही झिझक सूरज को खत्म करनी थी सूरज पूरी तरह से पागल हो गया अपनी मां की हरकत और उसकी बातों को सुनकर एकदम से चुदवासा हो गया था मन तो उसका कर रहा था कि इसी समय दरवाजा तोड़कर वह कमरे में दाखिल हो जाए और अपनी मां की टांगों के बीच पहुंचकर उसकी बुर में अपना लंड डाल दे,,,, लेकिन इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि यह उचित समय नहीं था लेकिन इतना तो साफ हो गया था कि उसकी मां भी यही चाहती है लेकिन एक बात समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां उसके बेटे के बारे में बात कर रही थी कि कितना मोटा और लंबा है सूरज को यह समझ में नहीं आ रहा क्योंकि उसकी मां उसकी लंड को कब देख ली,,,, जबकि आज तक ऐसा कुछ हुआ भी नहीं फिर वह अपने मन में सोचने लगा कि शायद वह अपने मन में धारणा बना रही होगी कि उसके बेटे का इतना ही मोटा और लंबा होगा और यह सोचकर वह खुश होने लगा।

लेकिन जिस तरह की उत्तेजना उसके बदन में उसे जकड़ रही थी वह देखते हुए वह ज्यादा देर तक अपनी मां के कमरे के बाहर खड़ा नहीं रह सका और तुरंत दरवाजा खोलकर अपनी बहन के कमरे में दाखिल हो गया और बिना कुछ बोले ही जमकर उसकी चुदाई करने लगा,,,,, और अपने मन में निर्धारित करने लगा कि अब वह अपनी मां को पूरी तरह से बदल कर रहेगा जिसकी शुरुआत वह सुबह से ही करना चाहता था वह बाजार से अपनी मां के लिए चूड़ियां खरीद कर लाया था और वह उसे अपने हाथों से पहनाना चाहता था।
Jabardast update
 

Raz-s9

No nude av/dp -XF STAFF
2,351
3,171
159
तुम्हारा हाथ खाली खाली अच्छा नहीं लगता,,,,।

ऐसा क्यों,,,?

जब तक तुम्हारे चूड़ियों की खनकने की आवाज नहीं आती तब तक कुछ अच्छा नहीं लगता,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुनैना शर्मा गई लेकिन कुछ बोल नहीं पाई बस शर्म से अपनी नज़रें नीचे झुका कर रोटी और सब्जी मुंह में भरकर चबाती रही धीरे से अपने बेटे को जवाब देते हुए बोली,,,)

अब इसमें मैं क्या कर सकती हूं काम करते-करते चूड़ियां टूट जाती है,,, और फिर चूड़ियां खरीदने का पैसा भी तो नहीं है।

इसीलिए तो,,,,

क्या इसीलिए तो,,,, (हैरानी से सूरज की तरफ देखते हुए सुनैना बोली)


मैं कह रहा हूं कि इसीलिए तो मैं तुम्हारे लिए कल बाजार से चूड़ियां खरीदा था,,,, (इतना कहने के साथ ही सूरज अंदर झोपड़ी में गया और अंदर से चूड़ियां ले आया जिसे वह खेत में काम करने से पहले अंदर रख दिया था ताकि चूड़ियां टूटे ना और चूड़ियां ला करके अपनी मां के सामने बैठ गया और उसे चूड़ियां दिखाने लगा लाल हरी चूड़ियां देखकर उसकी मां की आंखों में चमक आ गई वह खुश होने लगी,,, और बोली,,)

तूने कब खरीद लिया और तेरे पास पैसे आए कहां से,,?

क्यों मैं कमाने नहीं लगा मैं बहुत दिनों से देख रहा था तुम्हारे कलाइयों को एकदम सुनी थी मुझे अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए मैंने कुछ पैसे बचा कर कल बाजार से खरीद लिए,,,।

ओहहह तू मेरा कितना ख्याल लगता है सच में तेरे बाबूजी मेरा बिल्कुल ऐसा ही ख्याल रखते थे। लेकिन न जाने किसकी नजर लग गई।

वह सब छोड़ो,,,,, जल्दी से जो हाथ धोकर आओ मैं तुम्हें चूड़ियां पहना देता हूं,,,,।

अरे नहीं घर पर मैंपहन लूंगी,,,, (एकदम से शरमाते हुए सुनैना बोली)

नहीं नहीं जाओ जल्दी से हाथ धोकर आओ मैं पहन देता हूं इसलिए तो खरीद कर लाया हूं ताकि मैं अपने हाथ से तुम्हें चूड़ी पहना सकूं,,,,,।

(अपने बेटे की जीद देखकर सुनैना कीर्तन बदन में अजीब सी लहर उठने लगी क्योंकि जिस तरह की वाजिद कर रहा था उस तरह की जीद सुनैना का पति ही करता था इसलिए अपने बेटे की जीद देखकर वह शर्म से पानी पानी हो रही थी लेकिन वह कुछ कर भी नहीं पाई और धीरे से अपने हाथ धोने लगी उसका दिल जोरो से धड़क रहा था अपने बेटे के हाथों से चूड़ी पहनने के एहसास से ही उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में न जाने कैसी हलचल हो रही थी)
Saccha piyar nishana dekay bai. Kisi ko sath love ho jatha he tho gift Dena portha he . Excellent Ruhan bai
 

rohnny4545

Well-Known Member
15,898
40,805
259
मां बेटे दोनों खाना खा चुके थे दोनों पेड़ की छांव में नीचे बैठे हुए थे,,,, सूरज किसी भी तरह से अपनी मां को पाना चाहता था उसकी गर्म जवानी का रस चखना चाहता था और इसीलिए वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश में लगा हुआ था अपनी मां को खुश करने के लिए उसने बाजार से रंग बिरंगी चूड़ियां लेकर आया था अपनी मां की सुनी कलाई देखकर उसे रहा नहीं जा रहा था और इसीलिए बाद अपनी मां के लिए चूड़ी लेकर आया था और उसे खुद अपने हाथों से पहनना चाहता था वैसे तो सुनैना अपने बेटे के हाथ से चूड़ी नहीं पहनना चाहती थी लेकिन अपने बेटे की जीद के आगे वह मजबूर हो गई,,, इसलिए वह अपने बेटे की बात मानकर जल्दी से गई हाथ धोकर आ गई और फिर से खटिया पर बैठ गई थी।




सुनैना का दिल जोरो से धड़कने लगा जब सूरज अपना हाथ आगे बढ़कर उसकी कलाई थाम लिया सूरज अपनी मां की कलाई को अपनी हथेली में कस के पकड़े हुए था वह इस तरह से अपनी मां को एहसास दिलाना चाहता था कि वह अब एकदम सुरक्षित हाथों में है एक मर्द के हाथ में जिसके द्वारा उसे हमेशा सुख और संतुष्टि ही प्राप्त होगी कभी निराश नहीं मिलेगी,,,,, सूरज अपनी मां की कलाई पकड़ कर उसे थोड़ा ऊपर उठाते हुए इधर-उधर करके देखते हुए बोला।

पहले से तुम कमजोर पड़ गई हो,,,,

अब क्या करूं खेत में काम करना पड़ता है ना,,,।

मैं जानता हूं खेत में काम करना पड़ता है लेकिन यह भी जानता हूं कि अंदर ही अंदर तुम्हें एक दुख खाए जा रहा है,,,, (ऐसा कहते हुए सूरज अपनी मां के हाथ में चूड़ी डालकर उसे पहनाने लगा,,,, एक तरफ से मैंने कभी जोरों से धड़कने लगा था क्योंकि इस तरह से उसने आज तक सिर्फ एक चूड़ी हरा से ही चूड़ी पहनी थी,,,,तब उसकी स्थिति एकदम सामान्य ही रहती थी लेकिन आज अपने बेटे के हाथ में अपनी कलाई देकर उसके तन-बदन में अजीब सी उलझन और उत्तेजना का अनुभव हो रहा था खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की उलझन कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी थी लेकिन वह अपने बेटे के कहने के मतलब को समझ नहीं पा रही थी इसलिए बोली )

मैं कुछ समझी नहीं तु क्या कहना चाह रहा है।




1763428869-picsay
(अपनी मां की बात सुनकर सूरज गहरी सांस लेता हुआ फिर से चूड़ी पहनानें लगा और बोला,,,)

तुम्हें बाबूजी की फिक्र सता रही है,,,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुनैना एकदम से नजर नीचे झुका ली कुछ देर तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही,,, तब तक सूरज धीरे-धीरे करके अपनी मां के हाथ में चूड़ी पहन चुका था और दूसरे हाथ की कलाई थाम लिया था एक तरफ सुनैना अपने बेटे की बात सुनकर दुख का अनुभव कर रही थी तो दूसरी तरफ अपने बेटे की हरकत से उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी उसे पूरी तरह से एहसास हो रहा था कि उसकी बुर से मदन रस का बहाव हो रहा था,,,,, सूरज दूसरे हाथ में भी चूड़ी पहनानें लगा,,, और कुछ देर की चुप्पी को तोड़ता हुआ बोला,,,,)

लेकिन तुम खामखा बाबूजी के पीछे परेशान हो रही हो उनकी चिंता में अपना शरीर खराब कर रही हो,,,,

मैं कैसे तेरे बाबूजी की चिंता ना करु कैसे फिकर ना करु,,,,, आखिरकार तेरे बाबूजी मेरे पति हैं महीनों से उनकी कोई खबर नहीं है,,,,, तू अगर लायक होता तो अपने पिताजी को ढूंढ कर लाता उनका पता कहीं से भी खोज कर निकाल लाता,,,, लेकिन मैं देख रही हूं तुझको ही तेरे बाबूजी की बिल्कुल भी फिक्र नहीं है।
(अपनी मां की इस तरह की बात सुनकर सूरज एकदम से हैरान हो गया उसे उम्मीद नहीं थी कि उसकी मां इस तरह से उससे बात करेगी और इशारों ही इशारों में उसे नालायक साबित कर देगी जबकि उसके पिताजी के जाने के बाद वही घर को संभाल रहा था वह एकदम से अपनी मां की तरफ देखने लगा और कुछ देर खामोश रहने के बाद वह फिर से अपनी मां की कलाई में चुडी पहनाते हुए बोला,,,,)





मुझे मालूम था कि तुम ऐसा ही कुछ बोलोगी,,,,,(धीरे-धीरे करके सूरज अपनी मां के दोनों हाथों में चूड़ी पहन चुका था उसकी सुनी कलाई फिर से हरी हो चुकी थी,,,, वह एक साथ अपनी मां के दोनों हाथ पकड़ कर थोड़ा ऊपर उठाते हुए अपनी मां की कलाई में सजी हुई चूड़ियों को बजने लगा और मुस्कुरातेहुए बोला,,,,) देख रही हो फिर से तुम्हारी सुनी कलाई कितनी खूबसूरत हो गई है,,,,(सुनैना भी नजर उठा कर अपनी कलाइयों की तरफ देखने लगी वाकई में उसकी कलाई आज खूबसूरत लग रही थी महीनों गुजर गए थे उसने चूड़ियां नहीं पहनी थी। उसे अपनी कलाई देखकर खुशी महसूस हो रही थी लेकिन जिस तरह से उसने अपने बेटे से बात की थी उसे लेकर अब उसके मन में थोड़ा दुख होने लगा था कि उसका बेटा उसके बारे में इतना सोचता है और वह अपने बेटे को भला बुरा कह दी थी,,,,, सुनैना कुछ बोल नहीं पा रही थी इसलिए सूरज ही अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

मैं जानता था कि तुम्हें बाबूजी का दुख खाया जा रहा है और तुम्हें शायद ऐसा ही लग रहा था कि मैं पिताजी की खोज खबर नहीं लिया तुम्हें शायद नहीं मालूम है कि मैं कितना भटका हूं दिन-रात पिताजी का ठिकाना ढूंढने के लिए एक गांव से दूसरे गांव दूसरे गांव से तीसरे गांव घूमता फिर रहा था कितने लोगों से पूछा लेकिन कहीं कोई अता पता नहीं मिला,,,,, तुम्हारा दुख मुझसे देखा नहीं जा रहा था और वैसे भी अपने घर की हालत खराब ही थी क्योंकि पिताजी रहते थे तो सबको सही चलता था घर में किसी बात की कमी नहीं थी लेकिन उनके जाते ही घर में तकलीफें बढ़ाना शुरू हो गई थी उससे ज्यादा तकलीफ तो मुझे तुम्हारा उदास चेहरा देता था इसलिए मैं दिन रात एक कर दिया पिताजी का पता लगाने के लिए लेकिन हर जगह से नाकामी हासिल हुआ। लेकिन कुछ दिनों बाद मुझे पिताजी के बारे में एक शराबी ने बताया जहां पर वह अक्सर शराब पिया करते थे मैं वहां पर पिताजी का पता लगाने के लिए गया था तो वहीं पर ही कुछ लोग पिताजी के बारे में बातें कर रहे थे और उन लोगों की बातें सुनकर मेरे तो होश उड़ गए थे।
(सूरज किस तरह की बातें सुनकर सुनैना की उत्सुकता बढ़ने लगी थी उसके चेहरे पर अजीब से हाव-भाव बना रहे थे वह अपने पति के बारे में जानना चाहती थी इसलिए वह बोली)

क्या सुना तूने,,,,?


अब क्या बताऊं,,,,,,।

नहीं मुझे बता मैं भी जानना चाहती हूं कि तेरे बाबूजी कहां है क्या कर रहे हैं क्या तू सच में जानता है तेरे बाबूजी कहां है,,,?

जानता तो हूं लेकिन अब कोई फायदा नहीं है,,,,

तू जानता है,,(एकदम हैरान होते हुए) तू ही जानता है तेरे बाबूजी कहां है क्या कर रही है और तू इतने दिनों से खामोश था मुझे कुछ बताया नहीं,,,,,

क्या बताता,,,,,, मुझे शराब के ठेके पर पता चला कि पिताजी कहां पर है किसके साथ है वह अपने गांव का कल्लु है ना बदमाश,,,, उसकी संगत में पिताजी एकदम शराबी हो गए,, हैं,,,,,(कल्लू का जिक्र आते ही सुनैना के सामने वह सब दृश्य नाचने लगा जब वह नदी में नहाने के लिए गई थी,,,, कल ने उसे नदी के किनारे नदी में नहाते हुए नग्न अवस्था में देख लिया था उसकी नंगी जवान को देखकर उसकी आंखों में वासना की चमक दिखाई देने लगी थी वह उसे पाना चाहता था उसके साथ संबंध बनाना चाहता था,,,, लेकिन सुनैना के दृढ़ निश्चय के आगे उसकी दाल नहीं गली थी,,,, सुनैना को अच्छी तरह से मालूम था कि कर लो कितना बदमाश और निर्लज्ज इंसान है इसलिए वह हैरान होते हुए बोली,,,)

क्या तेरे पिताजी कल्लू के साथ रहते है वह गांव का छंटा हुआ बदमाश,,,,

उसकी ही संगत में पिताजी एकदम शराबी हो गए हैं दिन रात शराब के नशे में डूबे रहते हैं,,,, उस दिन शराब के ठेके पर मुझे पता चला कि पिताजी गांव के दूसरे ठेके पर रोज शराब पीते हैं शाम ढल चुकी थी अंधेरा हो रहा था लेकिन फिर भी मैं पिताजी को ढूंढने के लिए दूसरे गांव की ओर चल दिया और जब ठेके पर पहुंचा तो वाकई में मैंने देखा कि पिताजी कल के साथ दोनों हाथ में बोतल लिए शराब पी रहे थे मैं तो एकदम से हैरान हो गया पिताजी की हालत देखकर वह नशे में एकदम झूम रहे थे। मुझे तो पहले यकीन ही नहीं हो रहा था कि वह पिताजी हैं उनकी बोली भाषा भी एकदम बदल चुकी थी एकदम गाली से बात करते थे,,,,।

क्या सच में तेरे पिताजी एकदम शराबी हो गए तेरे बाबूजी तुझसे मिले,,,।

नहीं,,,,, मैं कुछ देर तक वहीं खड़ा होकर सब कुछ देखता रहा पिताजी कल को किसी के पास चलने के लिए कह रहे थे,,,,।

किसके पास,,,,?(सुनैना हैरान होते हुए बोली)

दूर से मुझे भी ठीक से पता नहीं चल रहा था लेकिन वह दोनों उठकर जाने लगे तो मैं भी उन दोनों के पीछे-पीछे जाने लगा,,,,, वह दोनों खेत में से होकर एक निर्जन जगह पर पहुंच चुके थे जहां पर एक बड़ा सा गोदाम था।


बड़ा सा गोदाम,,(हैरान होते हुए)

हां मां बड़ा सा गोदाम मुझे बाद में पता चला कि वह किसी राजा साहब का गोदाम था।

फिर क्या हुआ,,,,?
(अपनी मां की उत्सुकता देखकर सूरज को अंदर ही अंदर खुशी महसूस हो रही थी वह अपने पिताजी की बात को और बढ़ा चढ़ा कर बताना चाहता था वह अपने पिताजी के चरित्र को अपनी मां की नजरों से एकदम गिरा देना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि उसके पिताजी का चरित्र उसकी मां की नजरों में गिरने का मतलब था कि वह खुद अपनी मां के करीब पहुंच सकता था और उसे ऐसा होता हुआ दिखाई भी दे रहा था इसलिए वह बोला,,,)

मैंने देखा कि दोनों गोदाम का दरवाजा खोलकर गोदाम के अंदर घुस गए और गोदाम का दरवाजा खुला ही छोड़ दिए दोनों अंदर बैठकर बातें कर रहे थे उन दोनों की बातें सुनकर मुझे पता चला कि वह दोनों किसी औरत के आने का इंतजार कर रहे थे।


औरत का,,,?(चेहरे पर एकदम से दर्द का भाव आ गया और सुनैना एकदम परेशान होते हुए बोली)

हां औरत का और कल्लू से ज्यादा इंतजार तो पिताजी को उस औरत का था,,,,।

क्या ,,,?


हां मैं सच कह रहा हूं,,,,, और वह औरत शायद रोज ही वहां आती थी दोनों के लिए खाना लेकर,,,,

खाना लेकर,,,,,, मतलब दोनों खाना खाने के लिए वहां जाते थे,,,,।


मुझे भी ऐसा ही लगता था लेकिन आगे तो सुनो जब मुझे पता चला कि वह दोनों किसी औरत का इंतजार कर रहे हैं तो मैं सब कुछ अपनी आंखों से देख लेना चाहता था मैं देखना चाहता था कि पिताजी आखिरकार घर क्यों छोड़ दिए हैं,,,, मैं भी मौका देखकर गोदाम के अंदर घुस गया था क्योंकि मैं जानता था कि अगर वह औरत आ गई तो फिर दरवाजा बंद हो जाएगा और ना ही में कुछ देख पाऊंगा और ना ही कुछ सुन पाऊंगा इसलिए मैं वही जाकर छुप गया,,,,,, और थोड़ी ही देर में वह औरत भी वहां पर आ गई वह अपने साथ मछली और रोटी लेकर के आई थी,,,,, उसे औरत को देखकर जो खुशी मैं पिताजी के चेहरे पर देखा था वैसी खुशी मैं आज तक नहीं देख पाया था वह उस औरत को देखकर एकदम खुश हो गए थे।

क्या तू सच कह रहा है,,,?

किसी से मैं सुना नहीं हूं बल्कि अपनी आंखों से देखा हूं इसलिए बता रहा हूं।

कौन थी वह औरत,,,,!


यह तो मुझे नहीं मालूम लेकिन उन दोनों की बातों से इतना पता चला था कि वह बगल के गांव की कोई औरत थी उसका पति नहीं था और दो बच्चे थे जिसका भरण पोषण कल्लू और पिताजी मिलकर करते थे,,,,।


क्या उसके बच्चों का भरण पोषण तेरे पिताजी और कल्लु मिलकर करतेथे (सुनैना एकदम से हैरान होते हुए बोली,,)


हां उन दोनों की बातें सुनकर मुझे सब समझ में आ गया था,,,,,, वह औरत एकदम खुश होकर दोनों के बीच में बैठ गई थी और खाना परोसने लगी थी,,,,, लेकिन मैं एकदम हैरान हो गया यह देख कर कि जब वह औरत खाना परोस रही थी तब पिताजी,,,,


पिताजी,,,,, क्या कर रहे थे तेरे बाबु जी,,,,।


अब मैं कैसे बताऊं मुझे तो बताते की शर्म आ रही है इसीलिए मैं सब कुछ तुम्हें नहीं बताता था आज तक अपने अंदर यह राज छुपा कर रखा था लेकिन जब तुम ही मुझे नालायक बोल रही हो तो मुझे बताना पड़ रहा है,,,,,।

मैंने तुझे कब नालायक बोली,,,,।

अभी कुछ देर पहले ही तो बोली थी कि अगर लायक होता है तो अपने पिताजी का पता लगा कर था इसका मतलब क्या हुआ तुम मुझे नालायक ही बोल रही है,,,(ऐसा कहते हुए सूरज जानबूझकर रुंवासा हो गया था,,,, यह देखकर सुनैना को बहुत दुख हुआ और वह बोली,,,)

मैं तुझे ऐसा कुछ भी नहीं कहना चाहती थी जिससे तुझे दुख पहुंचे वह तो गुस्से में मेरे मुंह से निकल गया था,,,,, अच्छा यह बता क्या किया तेरे बाबूजी ने।


अब मैं कैसे बताऊं मुझे शर्म आती है मुझे समझ में नहीं आता कि यह सब मैं तुम्हें कैसे बताऊं,,,,(जानबूझकर शर्माने का नाटक करते हुए सूरज बोला और उसकी बात सुनकर सुनैना अपने मन में बोली उसे दिन शर्म नहीं आ रही थी जब साड़ी उठाकर अपने लंड को गांड पर रगड़ रहा था और आज बताने में तुझे शर्म आ रही है,,,,, फिर सुनैना अपने मन में सोची कि शायद वह नींद में थी इसलिए उसकी नींद में होने का फायदा उठाकर उसके बेटे ने इस तरह की हरकत किया था और जरूर गोदाम में कुछ ऐसा वैसा हुआ था जिसे बताने मुझे कर महसूस हो रही है वह अपने बेटे को एकदम सहज करना चाहती थी ताकि वह सब कुछ बता सके इसलिए वह बोली,,,)

देख तो घर में सबसे बड़ा है तेरे पिताजी के जाने के बाद एक जिम्मेदार आदमी की तरह तो मर्द बनकर खड़ा है और अब तो गांव के लोग भी जरूरत के समय तुझे ही बुलाते हैं क्योंकि जानते हैं कि तेरे पिताजी नहीं है ऐसे में उनकी जिम्मेदारी तेरे सर पर हीं है,,,, इसलिए मैं चाहती हूं कि तु बिना शर्माए मुझे सब कुछ बता दे ताकि मुझे भी तो पता चले कि आखिर तेरे बाबूजी कैसे इंसान है जिसके लिए मैं अपनी जिंदगी बर्बाद कर रही हूं जिनकी याद में मैं अपना शरीर खराब कर रही हूं और झूठी आप लेकर बैठी हूं कि आज नहीं तो कल तेरे पिताजी घर वापस लौट कर आएंगे।

1765070103-picsay






(अपनी मां की बात सुनकर सूरज मन ही मन प्रसन्न हो रहा था,,, अपनी मां की उत्सुकता देखकर उसे एहसास हो रहा था कि,,, यही सही मौका है उसकी मां के मन में उसके पति के प्रति नफरत भर देने की और इस बात की खुशी भी सूरज के चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी कि अब वह अपनी मां से खुले शब्दों में अपने बाप की करतूत बता पाएगा,,,,
जहां एक तरफ खड़ी दुपहरी में सूरज मौके का फायदा उठाकर अपनी मां की सुनी कलाइयों को चूड़ियों से भर रहा था और उसे खुश कर रहा था वहीं दूसरी तरफ गर्मी की वजह से अपने कमरे में आराम कर रही सोनू की मां सूरज के ख्यालों में खोई हुई थी। रात वाली घटना उसकी आंखों से एक पल के लिए भी ओझल नहीं हो रही थी बार-बार उसकी आंखों के सामने सूरज का लंबा मोटा टनटनाया लंड नाचने लगता था,,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि किसी का लंड इतना मोटा और लंबा भी हो सकता है,,, क्योंकि हकीकत यही थी क्योंकि उसने अपने जीवन में कभी भी इतने मोटे तगड़े लंबे लंड को देखी तक नहीं थी इसलिए वह पूरी तरह से हैरान थी कि सूरज के पास इतना तगड़ा लंड है।

1765070054-picsay






सोनू की मां बिल्कुल भी नहीं जानती थी कि उसे सूरज के लंड के दर्शन हो जाएंगे वह तो औपचारिक रूप से घर के पीछे झाड़ियां में बैठकर सोच कर रही थी उसे क्या मालूम था कि यहां वहां भटकता हुआ सूरज ठीक उसके सामने आकर खड़ा हो जाएगा। और उसके सामने अपना लंड बाहर निकाल कर पेशाब करने लग जाएगा,,, सोनू की मां कभी भी इस तरह से बहकी नहीं थी जैसा पिछली रात को बहन गई थी और वह भी सूरज के लंड को देखकर और बिना कुछ बोले उसके पास पहुंच गई थी और सीधा अपने हाथ को उसके लंड पर रखकर उसे हल्के-हल्के मुठीयाने लगी थी,,, यह भी परवाह किए बिना की सूरज उसके बारे में क्या सोचेगा वह तो अपनी दुनिया में मस्त हो चुकी थी लेकिन उसे पूरा विश्वास था कि उसकी हरकत से सूरज भी मदहोश हो गया था,,, क्योंकि उसने सूरज के चेहरे पर उत्तेजना की मदहोशी को देखी थी। और इसलिए वह इस समय बेकाबू हुए जा रही थी उसकी आंखों की नींद उड़ चुकी थी दिल का चैन खो चुका था उठते बैठते बस सूरज ही उसे दिखाई दे रहा था।


वैसे भी दोपहर के समय सोनू के घर में सब आराम ही करते थे अपने-अपने कमरे में इसलिए सोनू की मां भी अपने कमरे में आराम कर रही थी लेकिन दरवाजा बंद करके और उस पर कड़ी लगाकर ताकि उसे कोई हैरान ना कर सके,,,, सूरज का मर्दाना अंग पहले से ही उसकी हालत खराब किए हुए था इसलिए वह दरवाजे की कड़ी लगाने के साथ ही अपने कपड़े उतारना शुरू कर दी। और देखते ही देखते वह पूरी तरह से नंगी हो गई,,,,, और अपनी चारपाई पर आकर लेट गई वह अपने हाथों से अपनी चूचियों से खेल रही थी और एक हथेली अपनी गुलाबी बुर पर रखकर उसे हौले हौले से सहला रही थी,,,, उसकी आंखों में चार बोतलों का नशा दिखाई दे रहा था जवानी की खुमारी छाई हुई थी। वैसे तो वह जिस तरह की उत्तेजना का अनुभव कर रही थी वह अपने पति के साथ हम बिस्तर हो सकती थी लेकिन वह जानती थी कि उसकी प्यास उसके पति से बुझने वाली नहीं है और वैसे भी अपने पति से शारीरिक संबंध बनाएं उसे एक डेढ़ साल गुजर चुके थे क्योंकि कामकाज में उसका इस और ध्यान ही नहीं जाता था और वैसे भी उसका पति उम्र के हिसाब से आप उसे लायक नहीं रह गया था कि उसकी जवानी की आग को शांत कर सके इसलिए उसे अपने हाथ से ही काम चलाना था अपनी उंगलियां का ही सहारा बनाना था।

1765069980-picsay




अपनी आंखों को बंद करके वह पूरी तरह से कल्पनाओं की दुनिया में खोने लगी और कल्पना में वही चली गई जहां पर उसने सूरज को पेशाब करते हुए देखी थी और अपनी कल्पना के घोड़े को वहीं से दौड़ाने लगी जहां पर छोड़ रखी थी,,, आंखों को बंद करता हुआ पूरी तरह से खोने लगी मदहोशी के सागर में डुबकी लगाने लगी वह कल्पना कर रही थी कि वह इस तरह से झाड़ियां में बैठकर सोच कर रही है और इस समय सूरज उसकी आंखों के सामने आकर पेशाब करने लगता है उसके मोटे लंड को देखकर उसकी हालत एकदम से खराब हो गई कुछ देर तक वह वहीं पर बैठे-बैठे सूरज के लंड को देखते रह गई। जब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो वह अपनी जगह से उठकर एकदम से खड़ी हो गई और उसे इस तरह से झाड़ियों में खड़ी देखकर सूरज एकदम से घबरा गया वह अपने पजामे को ऊपर करने ही वाला था कि सोनू की मां बोली,,,।

रुक जा अंदर मत करना मैं भी तो देखु तेरे लंड को,,,(और इतना कह कर वह झाडीयों से बाहर आने लगी,,,, सूरज घबरा रहा था और देखते ही देखते सोनू की मां उसके करीब आ गई वह मुस्कुरा रहे थे उसकी मुस्कुराहट देखकर सूरज की घबराहट काम हो गई और अगले ही पल सूरज ने अपने लंड पर सोनू की मां की हथेली को महसूस करके एकदम मस्त हो गया और वह एकदम से बोल पड़ा)

यह क्या कर रही हो चाची,,,?

कुछ नहीं बस देख रही कि यह खड़ा क्यों है,,,!

क्यों खड़ा है चाची,,(मदहोश होता हुआ)

क्योंकि यह मेरी बुर में जाना चाहता है,,,,।

यह क्या कह रही हो चाची कोई देख लेगा तो गजब हो जाएगा,,,।

कोई नहीं दिखेगा,,,,, पहले बोल इसे डालना चाहता है ना मेरी बुर में,,,,(सोनू की मां की बात सुनकर सूरज बोल कुछ नहीं बस हां मैं सिर हिला दिया,,, सोनू की मां की कल्पना इतनी अद्भुत थी कि उसे सब कुछ साफ-साफ दिखाई दे रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे हुआ इस कल्पना को जी रही हो वह लगातार अपनी चूची को एक हाथ से मसल रही थी और दूसरे हाथ से अपनी बुर को रगड़ रही थी। और अपनी कल्पनाओं की दुनिया में मत हो रही थी,,,, सोनू की मां की बात सुनकर सूरज बोला,,,)


1765069399-picsay




लेकिन कहां पर,,,?

यही झाड़ियों में यहां थोड़ी ना कोई आने वाला है,,, और अंधेरा भी है कोई आ भी जाएगा तो दिखाई नहीं देगा,,,,,,,,(इतना कहने के साथ ही मस्त होते हुए सोनू की मां सोनू के लंड को पकड़कर उसे झाड़ियों में ले जाने लगी,,,, सुरज एकदम मस्त हो गया था,, देखते-ही-देखते वह झाडीयो में पहुंच चुका था,,,,, सूरज बहुत खुश नजर आ रहा था,,,, सोनू की मां बिल्कुल भी देर नहीं करना चाहती थी,,,,, वह दोनों एक सुरक्षित झाड़ियों में थे सोनू की मां पूरी तरह से मजा लेना चाहती थी इसलिए देखते ही देखते वह अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई,,, सूरज सोनू की मां की नंगी जवानी देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो गया और उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर हाथ रखकर सहलाने लगा,,,,, सोनू की मां मस्त हो रही थी पागल हो रही थी पर देखते ही देखते हो वह झुक कर घोड़ी बन गई उसकी बड़ी-बड़ी गांड सूरज की आंखों के सामने चमक रही थी,,,,, अपनी बड़ी गांड सूरज के आगे परोसते हुए वह बोली,,,)

डालते सूरज अपने लंड को मेरी बुर में,,, मस्त कर दे मुझे,,,।

(इतना सुनते ही सूरज अपने खड़े लंड को सोनू की मां की बुर में डालने लगा और दूसरी तरफ वास्तविक में सोनू की मां अपनी दो उंगली को अपनी बुर में डालकर उसे अंदर बाहर करने लगी,,,, और सूरज कल्पना में उसकी कमर पकड़ कर अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया वह सोनू की मां की चुदाई करना शुरू कर दिया था सोनू की मां कल्पना में भी पूरी तरह से मस्त हो गई थी क्योंकि वह कल्पना करते हो अपनी दो उंगली अपनी बुर के अंदर बाहर कर रही थी,,,,,



1765069351-picsay

सोनू की मां खटिया पर तड़प रही थी अभी दोनों टांगें खोलकर वह पागलों की तरह अपनी दोनों उंगलियों को अपनी बुर के अंदर डालकर सूरज की कल्पना में खोई हुई थी और देखते ही देखते वह पूरी तरह से मदहोश होने लगी और अगले ही पल वह भलभला कर झड़ने लगी।
 
Last edited:

zaviour

New Member
6
3
3
Next update please....
Scared Still Waiting GIF by Looney Tunes
 
Top