आपने बहुत अच्छा स्पष्टीकरण दिया है । इससे बढ़िया स्पष्टीकरण नही हो सकता । लेकिन इतनी सारी कहानियां एक हीरो पर लिखी गई है और उसके स्ट्रॉन्ग होने के कुछ पैरामीटर तय कर दिए गए है कि पाठक उसी को हीरो समझते है जिसमे ये सारे गुण हो जैसे लंबाई 6 फ़ीट से ज्यादा उसका लन्ड का साइज 10" और मोटाई 3.5" इंच या उससे ज्यादा । सीने पर घने बाल । माँ बाप एकदम चिकने मगर लड़का एकदम काला भुसन्ड्ड लन्ड उससे भी काला जैसे वो इंडियन ना हो कर अफ्रीकन हो । हा हा हा हा । मेरे समझ मे यह नही आता माँ हमेशा उसकी दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत है जिसे बच्चे बूढ़े जवान सभी देख कर अपना लण्ड खुजलाते हो और बाप बेचारा ऑफिस में या बिज़नेस में बिजी रहता हो और बहुत अच्छे पैसे कमाता है और जेंटलमैन हो उसकी औलाद ऐसी खतरनाक शरीर वाली कैसे हो सकती है । फिर वही औलाद अपनी माँ को रखैल बना लेता है और 2-3 घण्टे तक बिना थके चोदता है । और BDSM भी करता है । बस वही असली हीरो है स्ट्रॉन्ग हीरो है । इन्हें यही चाहिए परम में ।
देखिए मैडम यह कहानी लीक से हटकर अलग कहानी है आप जो लिख रही है वह कहानी को बैलेंस और उसके उद्देश्य के हिसाब से एकदम सही है ।आपको किसी की डिमांड के हिसाब से कुछ भी फेरबदल करने की आवश्यकता नही है । कहानी अगर रास्ते से भटकी तो बहुत सारे पाठक पढ़ना छोड़ देंगे । जो कि कहानी के साथ न्याय नही होगा । कहते है हरा चश्मा लगाने से सब हरा ही दिखता है और ज़्यादा टाइम लगा लिया तो सिर्फ हरा देखने की आदत पड़ जाती है फिर चश्मा हटा कर वास्तविकता देखने से मजा नही आता ऐसा ही कुछ इनके साथ हुआ है । खैर पसंद अपनी अपनी हमे तो जैसा आप लिख रहे है मजा आ रहा है । कहानी इसी ट्रैक पर आगे बढाते रहिए ।
पिछले 2 अपडेट का कमेन्ट नही कर पाया था उसके लिए खेद है । दोनो ही अपडेट बहुत ही कामुक और मदमस्त है । इन्हें बार बार पढ़ने को मन करता है । बहुत ही शानदार तरीके से लिखे है लगता है बहुत ही कामातुर हो कर लिखे गए हो । मुझे ऐसा आभास हो रहा है कृपया इस वाक्य को पर्सनली मत लेना । डूब कर लिखे अपडेट की जितनी प्रशंसा की जाय कम है । और थैंक यू मेरी डिमांड पर विनोद और सुन्दरी की कामलीला का एक पूरा अपडेट लिखा साथ मे विनोद को सेठजी की बड़ी बहू उषा को भी चोदने को मिला ये तो बोनस हो गया और परम तो हीरो है उसे तो भँवरे की तरह नई नई कलियों का रस चूसने का मौका मिलना चाहिए उसने भी बड़ी बहू को कुतिया बना कर पेल लिया । उम्दा अपडेट । थैंक यू ।
सब से पहले शुक्रिया दोस्त एक अच्छे पोस्ट मोरटम के लिए।
मुझे अच्छा लगा की आप और बाकि रीडर्स की सोच भी मुज से मिलती है ......कुछ अलग लिखने की इच्छा और कुछ नहीं दोस्तों......मैं उन कहानी यो को भी उतने ही प्रेम से पढ़ती हूँ। और अपना विषय वस्तु को ले लेती हूँ।
सब की अलग अलग पसंद होती है, कभी कभी सोच मिलती है तो कभी नहीं मिलती। लेकिन आपकी एक लाइन मुझे बहोत च्छी लगी और वह शायद मेरी सोच से बहोत ज्यादा मिलती है। "माँ बाप एकदम चिकने मगर लड़का एकदम काला भुसन्ड्ड लन्ड उससे भी काला जैसे वो इंडियन ना हो कर अफ्रीकन हो ।"
खेर मेरे किसी भी कहानी में BDSM, टॉर्चर , रेप, जैसे दुःख दायक कल्पनाये नहीं मिलेंगी या तो बहोत रेर कहानी के लिए अत्यंत आवश्यक होगी तभी मात्र। और वेः भी एक दो लाइन में ख़तम। क्योकि मैं इस तरीके के सेक्सुअल एक्टिविटीज को बढ़ावा नहीं देती। या फिर मुझे खुद को पसंद ही नहीं।
बाकी शब्दों के लिए शुक्रिया और धन्यवाद।
बहुत ही शानदार तरीके से लिखे है ........................जो आपने कहा है।
यह नेपस्टर साब के अगली टिपण्णी से आगे लिखती हु................. जी आप जिस प्रकार का लिख रहे या सोच रहे उस को उजागर करने के लिए आपको उस कहानी या परसंग पात्रो में घुस ना पड़ता है, मैं कुछ नया नहीं कर रही यह सब करते है लेखक और रीडर्स दोनों।
हां शायद लेखक और लेखिका ज्यादा कामोतुर हो जाते है उसके रिसन बताती हूँ।
अगले अपडेट को पहले पढ़ते है मतलब आप की शुरुआत हुई...उसके बाद आप कुछ सोचते है जो लिखना है....उसकी एक नोट बनती है....उसके बाद आप कुछ लिखते है वहा भी आपको उत्तेजित करती है क्यों की शब्दों और प्रसंग बार-बार आपके दिमांग में घूमता रहते है। फिर कुछ लिखेते है उसके बाद फिर से पढ़ते है और एडिट करते है। उसके बाद कुछ याद आता है तो उसे एड्ड या डिलीट करते है। फायनली आप फिर से पढ़ के तसल्ली कर लेते है यानी की फिर से पढना फिर पोस्ट होता है.......हमारे किस्से में एक कदम और भी है यही कहानी english में भी लिखी जा रही है। वह भी same process।
अब आप ही बताओ की हम कितनी बार पढ़ते है!!!!!! हालत क्या हो सकती है!!!!!!!!!!!! कभी कभी आधा ही छोड़ देना पड़ता है वह तक परिश्थिति बिगड़ जाती है। खेर उसकी की ही मजा है। यह प्लेटफोर्म self entertainment है और हम सब लेते है। अगर कोई कहता है की वह इस स्थिति से अलग है तो वह मेरे लिए महान है।
इसमें कोइ दो राय नहीं है की कामातुर नहीं होते। होते है और होने के लिए ही हम सब यहाँ है...कुछ ज्यादा हो जाते है तो कुछ कम पर होते जरुर है और लेखक/लेखिका ज्यादा होते है क्यों की वह बार बार पढ़ते है।
मैंने इस कोमेंट में अपनी या सभी की पारदर्शिता दिखाई है सो..........लेकिन प्लीज़ प्लीज़......प्लीज़.............सभी रीडर्स, इसे किसी भी प्रकार से अन्यथा ना ले...............जिसे मुझे अन्यथा लेना पड़े..................
बाकि सराहना के लिए बहोत बहोत शुक्रिया दोस्त।
आपकी पोस्ट मोरटम बहोत अच्छी लगती है एक चेलेंज दिखती है। आप जारी रखे..................
मैंने हर एक एपिसोड में एक नया सेक्सुअल पोजीशन एड्ड करने की कोशिश की है.............आगे जाके गन्दा भी हो सकता है..............तैयारी भी रखिये............
चलिए मिलते एक नए एपिसोड में