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Ajju Landwalia

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"आह्ह्ह.... बेटा इतने दिन कहा था? मैं तेरा लंड खाने के लिए तरस रही थी। जोर से पेल, जम कर पेल, पूरा लंड अंदर घुसा जा। फाड़ डाल…चूत की आग को ठंडा कर दे…आह राजा……चोदते रहो…बेटा…।” अब एक बार मुनीम का लंड गया हो उस चूत को विनोद दुबारा चोद रहा था। सुंदरी को मजा तो नहीं आ रही थी क्यों की विनोद का लंड कुछ हद तक छोटा पड़ रहा था उसकी भोस के लिए। और तभी तो सुंदरी मुनीम को थोडा दूर ही रखती थी।

लेकिन यह व्याभिचार का नशा था इस लिए वह अपने यार से चुदवा रही थी और मजे ले रही थी।

***************


अब आगे..........



विनोद भी जम कर सुंदरी को चोद रहा था। महक से मिलने के पहले विनोद को सुंदरी सबसे अच्छा माल लगती थी और आखिरी दो सालो से सुंदरी को नंगा कर के रात दिन मजा लेना चाहता था। कुछ दिन पहले जब परम ने अपनी माँ सुंदरी को विनोद से चुदवाया तो उसे लगा कि उसे दुनिया की हर चीज मिल गई। लेकिन कल शाम को सुंदरी की बेटी महक की बोब्लो पर हाथ लगाते ही विनोद का पूरा हो गया। उसी वक़्त उसके लंड ने जवाब देके पेंट को ख़राब कर दिया था। विनोद सुंदरी की जवानी को भूल गया और उसने महक से शादी का फैसला कर लिया।


विनोदने सुंदरी के कंधे को दोनों हाथों से दबाया और जोर से धक्का दिया।।और कहा,

“सुंदरी, तेरी बेटी महक से मेरी शादी करवा दो।” और जम कर धक्का मारा…ओह...रानी तेरी चूत में जो मज़ा है वो और किसी औरत में नहीं… तू सच है… जबर दस्त माल हो…।”

विनोद चोद रहा था सुंदरी को और बात कर रहा था उसकी बेटी महक की....किसी भी सूरत में किसी भी माँ को ये बात पसंद नहीं आएगी कि उसके सामने कोई किसी और माल के बारे में बात करे चाहे उसकी अपनी ही बेटी क्यों ना हो। सुंदरी को बहुत गुस्सा आया। उसने विनोद को धक्का देकर अपने शरीर से हटाना चाहा, लेकिन विनोद ने सुंदरी को अपनी बाहों में कस कर पकड़ लिया। सुंदरी विनोद से अलग होने के लिए तैयार थी। लेकिन विनोद ने उसे खूब कसकर पकड़ रखा था और जोर-जोर से चुदाई कर रहा था। सुंदरी को चुदाई में बहुत मजा आ रहा था लेकिन उसका गुस्सा कम नहीं हुआ।

“हरामी...मादरचोद, माँ को चोद रहा है और बहनचोद, बोलता है कि बेटी से शादी करेगा…जा हरामी तू मुझसे दूर हो जा…मैं अपनी चूत के लिए कोई दूसरा लंड ढूँढ लूंगी…।”

सुंदरी ने विनोद को धक्का मारते हुए कहा “चल लंड बाहर निकाल।” लेकिन दोनों में से किसी ने लंड को बहार निकाल ने की कोशिश तक नहीं की। दोनों अपनी चुदाई में मस्त थे।

“शादी भी करेगा और बहनचोद, माँ और बेटी दोनों को चोदेगा!” सुंदरी ने कहा और साथ-साथ में कहा “यह भी सही है, हो सकता है मैं जमाई बाबु से चुद-चुद के चूत और गांड मरवाती रहू।“

दोनो चुदाई कर रहे थे और उधर बिस्तर पर लेटी बहू सोच रही थी कि रंडी सुंदरी वापस क्यों नहीं आई! दस मिनट हो गए...सुंदरी रूम में नहीं आई....बहू कि चुत मुनीम से चुदवाने के बाद ठंडी हो गई थी लेकिन बहू और मजा लेना चाहती थी कम मौक़ा मिले ना मिले। वह सुंदरी की चूत का माल ज्यादा से ज्यादा अपने मुंह में भरना चाहती थी और वो भी सुंदरी के चूत और बोब्लो का...बहु सुंदरी का चुतरस ज्यादा से ज्यादा अपने मुंह में भरना सोच रही थी।

बहू को डर लगा की,सुंदरी को क्या हुआ! क्या कोई उसे जबरदस्त चोद तो नहीं रहा है? यह सोच कर बहु बेडरूम से बाहर आई बिल्कुल नंगी। बहू की मोटी और बड़ी-बड़ी चुचिया उठ कर निचे जा रही थी और मोटी-मोटी जांघों को लेकर बहू बाहर के कमरे में आई तो जो देखा उसे देखकर बहू को सरप्राइज नहीं हुआ।

सुंदरी के नंगे शरीर पर परम के उम्र का लड़का देख कर बहू को समझने में देर नहीं लगेगी कि यही 'विनोद' है।

बहू उनके पैर की तरफ खड़ी थी। बहू ने देखा कि विनोद ने सुंदरी को कस कर बाहों में लेकर खूब जोर-जोर से चोद रहा था। सुंदरी ने अपनी जांघों को ऊपर उठाये रखा था और कुल्हे उछाल कर चुदाई करवा रही थी। बहू ने देखा कि विनोद का लंड सटासट सुंदरी की चूत में अंदर-बाहर कर रहा था। फिर बहु ने सोचा की जहा मुनीमजी का लंड गया हो वह चूत में एकसाथ दो दो लंड जाए तभी उसे शान्ति हो सकती है। यह मुनीमजी भी ना क्या लंड लेके पैदा हुए है।

बहू की जांघें फैली हुई थीं और उसका हाथ आने आप अपनी चूत के ऊपर चला गया और बहू अपनी चूत रगड़ने लगी। बहु ने खुद की चूत के दरवाजे कुछ ज्यादा ही खुले हुए पाए, और फिर से मुस्कुराती हुई “क्या मुनीमजी कुछ तो रहने देना था।“ बहू चुपचाप खड़ी रही थी और कभी अपनी छाती को दबाती और चूत से खेल रही थी। तभी सुंदरी ने बहू को देखा और मुस्कुरा दी। बहु ने उसे चुप रहने का इशारा किया। बहू को देख कर सुंदरी का गुस्सा ख़तम हो गया और सुंदरी ने विनोद को किस करते हुए पूछा।

“अच्छा विनोद, ये बता…गांव में इतनी मस्त गर्ल्स हैं तो फिर तू मेरी जैसी दो-दो बच्चों की माँ को क्यों चोदना चाहता है…? और खास कर मुनीमजी जैसे लैंड की गुलाम को कैसे पसंद किया?”

“ओह…रानी…तेरे जैसी माल इस गांव में क्या आस-पास के गांव में कोई नहीं है…मैं कोलकाता भी जाता हूं और वहा भी चुदाई करता हूं लेकिन कोई भी तुम्हारा जैसा माल नहीं…तू कोलकाता मे चुदवायेगी तो सबसे अमीर महिला हो जायेगी…तेरी चूत का स्वाद जो एक बार लेगा वो शरबत को भूल जाएगा!'' बहू ने यह सब सुना और वह विनोद की बात से पूरी तरह सहमत हो गई।

विनोद को नहीं पता था कि कोई और उसे सुंदरी को चोदते हुए देख रहा है। विनोद ने लंड को चूत से पूरा बाहर निकाला और खूब जोर से धक्का मारा…

“ओह्ह…माआआ…आह……मजा आआ…गयाआ…।” बहु जानती थी की सुंदरी विनोद को उकसाने और उसके धक्के ज्यादा लगे उसके लिए यह नाटक कर रही थी। वह मुनीमजी पहले से ही बमबारी कर चुके थे।

सुंदरी जोर से कराह उठी। विनोद को प्रोत्साहन मिला और फिर दोबारा लंड को बाहर निकाला और दोबारा खूब जोर से धक्का मारा…

“आह्ह्ह्ह…बेटा…आह्ह्ह्ह…मै…तो.....गयी…।! फाड़ दी मेरी चूत को.....अब पति को क्या दिखौंगी....इतना बड़ा खेत बना दिया....”

सुंदरी ने पैर और हाथ से विनोद को जकड़ा और फिर ढीला कर दिया। लेकिन विनोद उसे तेजी से चोदता रहा और जल्द ही उसने सुंदरी की चूत को अपने रस से भर दिया। बहू ने उन्हें एक-दूसरे को सहलाते और चूमते देखा। फिर विनोद सुंदरी के शरीर से अलग हो गया और सुंदरी की साड़ी जमीन से खींच ली।
फनलवर की प्रस्तुति।

“साडी का क्या करेगी, पहनेगी क्या? “

यह सुनते ही विनोद पलट गया। उन्होंने जबरदस्त औरत देखी। विनोद ने 100 से ज्यादा नंगी मालों को देखा और आनंद लिया, लेकिन उसने इतने भरे हुए और बड़े रसीले स्तनों की जोड़ी कभी नहीं देखी थी। विनोद ने अपनी नजरें उस महिला, बहू पर नीचे की ओर घुमाईं और उन्हें एक मोटी जांघें और उन जांघों के बीच एक फूली और सूजी हुई बड़े आकार की चूत दिखाई दी। विनोद उसे चोदने से ज्यादा उन दूध के गोलों को चूसना चाहता था।
नीता की पेशकश।

“लंड साफ करेगी…!” विनोद ने हकलाते हुए कहा।

“तेरे लये तो नहीं पर इस लंड पर सुंदरी का चुतरस को जरुरु चाट लुंगी। यह रस मेरे लिए अमृत समान है।”

बहू आगे बढ़ी और विनोद के हाथ से साड़ी खींचकर दूर फेंक दी। वह सुन्दरी के पास बैठ गयी और विनोद को कमर से पकड़ लिया। विनोद का लंड सुंदरी की चुदाई बहुत ढीला हो गया था। बहू ने एक हाथ से लंड को पकड़ा और कहा:

“सुंदरी, तुमने साले को पूरा निचोड़ लिया…!”

इतना कहकर बहू ने सिर नीचे कर लिया और लंड को मुँह में लेकर लॉलीपॉप जैसे चुसने लगी। सुंदरी उठी और रसोई में चली गई, वह 10 मिनट बाद लौटी और तब तक बहू विनोद का लंड चबा रही थी। विनोद का लंड फिर से अकड़ने लगा। सुंदरी तीन गिलास थोड़े से जूस के साथ आई। तीनो ने एक गिलास पिया।

ड्रिंक खत्म होने के बाद सुंदरी ने बहू से कहा- “बिस्तर पर लेट जाओ बहु”।

बहु ने कहा: “सुंदरी आज जाने दो थक सी गई हूँ।” बहु ने अपनी सूजी हुई और बड़े होल वाली चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा।

“आज जी भर के जी ले बहु फिर मौक़ा मिले तो फिर खा लेना, चूत में काफी भूख होती है।“ सुंदरी ने बहु को खिंच के लिटा दिया।

बहू दोनो जांघों को फैला कर लेट गई और सुंदरी ने विनोद से बहू की चुचियों का मजा लेने को कहा। सुंदरी को लगा कि बहू की चुचियो का मजा लेकर विनोद का लंड जल्द ही टाइट हो जाएगा। विनोद एक हाथ से बोबले को दबाते हुए बहू को दूसरी चुची (निपल) को चूसने लगा।


आजके लिए बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक आप अपने कोममेंट देते रहिये।



।। जय भारत ।।

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बहु ने कहा: “सुंदरी आज जाने दो थक सी गई हूँ।” बहु ने अपनी सूजी हुई और बड़े होल वाली चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा।

“आज जी भर के जी ले बहु फिर मौक़ा मिले तो फिर खा लेना, चूत में काफी भूख होती है।“ सुंदरी ने बहु को खिंच के लिटा दिया।

बहू दोनो जांघों को फैला कर लेट गई और सुंदरी ने विनोद से बहू की चुचियों का मजा लेने को कहा। सुंदरी को लगा कि बहू की चुचियो का मजा लेकर विनोद का लंड जल्द ही टाइट हो जाएगा। विनोद एक हाथ से बोबले को दबाते हुए बहू को दूसरी चुची (निपल) को चूसने लगा।

अब आगे ...........

Update 14​



विनोद को चुची दबाने में इतना मजा कभी नहीं आया था। महक की टाइट चुची और सुंदरी की स्पंजी चुची में भी नहीं। विनोद खूब प्यार से दोनों चुची को एक-एक करके दबा कर मजा ले रहा था और निपल भी चूस रहा था और नीचे सुंदरी ने सिर विनोद के बीच में डाल कर लंड चूस रही थी और अगले 10 मिनट में लंड चुदाई के लिए पूरा तैयार हो गया।

“चल बेटा अब जल्दी से इस चुदक्कड को भी ठंडा कर दे!”

सुंदरी ने कहा और बहू ने विनोद को अपना ऊपर खींचा और लंड को चूत पर लगाया। चूत तो पहले से ही पानी-पानी हो गई थी, सुंदरी और विनोद की चुदाई देख कर। एक ही धक्के में पूरा लंड चूत के अंदर सरक गया। वो तो होना ही था, मुनीम अभी-अभी उसकी चूत का बड़ा भोसड़ा बना के गया हुआ था। विनोद का पहला धक्का से ही बहु को अच्छा लगा। वैसे तो विनोद का लंड, परम और मुनिम के लंड जैसा मोटा और लंबा तो नहीं था लेकिन विनोद जीस स्पीड ऑर फोर्स से चुदाई कर रहा था वो बहू को बहुत अच्छा लगा। विनोद ने ज्यादा देर नहीं की और लंड को बाहर खिंचा और वापी चूतमें सरका दिया और अपनी स्पीड को धीरे-धीरे बढाने में व्यस्त हो गया। बहु भी मजा ले ले कर चुदवा रही थी और सुंदरी नंगी किचन का काम कर रही थी।

विनोद अब लगातार धक्के लगा रहा था, हालाकि बहु सिस्कारिया नहीं ले रही थी क्यों की उसकी चूत पहले से ही झड चुकी थी और दूसरा मुनीम ने जो जोश उसकी चूत पर लगाया था उसके शॉट्स अभी भी बहु की चूत को अनुभव मिल ही रहा था। मुनीम के बड़े सुपारे और लंड ने उसके चूत को जो मरामत की थी और मुनीम के सुपारे ने उसकी चूत कुछ ज्यादा ही चौड़ी कर राखी थी, उसकी वजह से विनोद का लंड आराम से चूत में सरक जाता और आहार आ जाता था। लगभग 9-10 मिनट के बाद विनोद को लगा कि वो झड जाएगा तो उसे और जोर से दबाते चोदने लगा और दोनों एक साथ ठंडे हो गए। बहू की चूत विनोद के पानी से पूरी भर गई। बहु के कुए में अब विनोद और मुनीम का वीर्य जमा कर चुकी थी और बहू संतुष्ट थी।

"विनोद, सुंदरी ठीक ही कहती थी तू, तू बहुत बड़ा चोदु है।" उसने मस्का मारते हुए कहा। हांलाकि वह अभी भी मुनीम का लंड को नहीं भूली थी और विनोद को जाने भी नहीं देना चाहती थी क्यों की अब वह चाहती थी की जब चाहे वह विनोद परम और मुनीमजी से अपनी चूत और गांड की मरामत करवा सकती थी। उसने फिर पूछा:

“सच बता, तू अपनी माँ और दीदी को भी चोदता करता है?”

"हा,रानी!" विनोद ने चुचियो को मसलते हुए कहा "मैं दोनो माँ और दीदी को पिछले एक साल से चोद रहा हूँ। वो भी सुंदरी के कारण ही!"

“कभी मेरे सामने चोदेगा उन्हें…?” बहू ने पूछा।

“तूम जब बोलो डार्लिंग।” विनोद ने उत्तर दिया “अभी तुम मेरे घर चलो तो उन दोनो को तेरे सामने चोदूंगा!” विनोद ने निपल चूसा और फिर कहा, “मैंने और परम दोनो ने एक साथ मेरी माँ और दीदी को चोदा है। मैं तो बोलता हूँ कि सुंदरी भी परम से चुदवा ले। मेरी माँ और दीदी को परम का लंड बहुत पसंद है।”

“देख विनोद मुझे कहना पड़ेगा की मेरे पति और परम का लंड काफी बड़े है और मोटे है तेरे इस लंड से पर मुझे, तेई चुदाई बहुत पसंद है…” सुंदरी रसोई से चिल्लाई।

"अब मैं जाता हूं, माँ इंतजार कर रही होगी।" विनोद ने कहा।

“चुदवाने के लिए?” बहू ने पूछा।

“साली वह तो परम से चुदवा रही होगी, मुझे कुछ ज़रूरी काम है। तेरे जैसे भोसड़ा फैला के पड़े थोड़ी रहना है!” विनोद ने कपड़े पहने, दोनों को चूमा और घर से बाहर चला गया।

“क्यो रानी! अब चूत की प्यास बुझी की नहीं?” सुंदरी ने पूछताछ की।

"सच सुंदरी, तेरे विनोद ने बहुत मजा दिया, लेकिन सच कहू तो मुनीमजी का लंड...... एक साथ 5 लंड चोदे और एक तरफ अकेला मुनीमजी........अब तो एक साथ 5-5 लंड का मजा लेना है। रानी कोई मौका निकाल!'' बहू ने जवाब दिया।

“और कुत्ते से नहीं चुदवायेगी…?” सुंदरी ने पूछा।

“पहले कुत्ते का लंड चूत में लेकर चुदवा फिर मैं भी कुत्ते से मरवाउंगी।”

दोनों हस पड़े। उनके पास कुछ खाना था। उन्होंने घड़ी देखी, उस समय 1:30 बज रहे थे और उनके पास 2:30 बजे तक का समय था। उन्होंने कपड़े पहने। सुंदरी ने भी बहू के साथ सेठजी के घर जाने का फैसला किया। वे कार का इंतजार करने लगे, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई थी। सुंदरी ने दरवाज़ा खोला। यह परम था। वह बहू को देखकर खुश हुआ। उसने उसे बाहों में ले लिया और उसके मालों से खेलने लगा,

“परम, मैं तो आई थी तेरा लंड मेरी चूत में लेने को, लेकिन आज तेरे बाप और तेरा दोस्त विनोद ने हम दोनो को चोद कर खुश कर डाला…बहुत मजा आया।।!”

बहू ने खुश होते हुए कहा। “अब छोड़ दे…घर जाना है…!”

“ओह्ह....भाभी बस एक बार चोदने दे…!”

इतना कहकर परम ने बहू को नीचे दबाया और डॉगी पोज़ दिया। बहू ने भी ज्यादा विरोध नहीं किया। वो बेड के रेस्ट पर जा कर कुतिया बन गई। परम ने साड़ी और पेटीकोट को कमर तक ऊपर उठाया और पीछे से बहू की चूत में लंड घुसा कर चोदने लगा।

“परम,तुझे मजा नहीं आएगा…चूत चुदवा-चुदवा कर सूख गई है…मजा नहीं आ रहा है,बाद में चोद लेना, अब चूत में उतना पानी नहीं है की वह छूटे। अब यह माल तेरा ही तो है तुम बाप-बेटे मिलकर चोदते रहना!” बहू ने अनुरोध किया।

लेकिन परम ने चुदाई जारी रखी और कुछ धक्कों के बाद चूत गीली होनी ही थी और हो भी गई। परम पीछे से बहू की कमर पकड़ कर मजा लेकर चोदने लगा। आज विनोद के घर में परम ना तो विनोद की माँ को चोद नहीं पाया उसकी दीदी क्योंकि दोनों का 'पीरियड' का आज पहला दिन था। लेकिन दीदी ने परम के लिए एक कमसिन/पतली लड़की को ला दिया और परम को उस लड़की का 'सील' फाड़ने में गांड फट गई। बहुत मुश्किल से परम उसने कच्ची कली को चोद पाया।

पहले भी उसने सुधा की वर्जिनिटी तोड़ी थी लेकिन उस रात आराम से सुधा को चोदा था लेकिन आज उस माल को चोदने में परम थक गया। और अब उस नई लड़की की टाइट चूत याद कर परम, भाभी को दनादन चोदने लगा।

बहू जब मुनीमजी से चुदवा रही थी तो उसे मुनीम ही सबसे अच्छा लगा था लेकिन अब परम का लंड चूत में लेकर बहू को लगा की उसकी चूत बहुत टाइट हो गई है। बहू को भी मजा आने लगा। घडी में दो बजे थे और दरवाजे पर दस्तक हुई। परम फिर भी चोदता रहा और यह जानते हुआ कि ड्राइवर आ गया है चुदाई का मजा लेता रहा।

सुंदरी ने दरवाजा खोला। सुंदरी का मन किया ड्राइवर को थोड़ा लालच दिया। उसने आंचल नीचे गिरा दिया और ड्राइवर के सामने ब्लाउज का टॉप बटन खोल दिया।

“ओफ़्फ़्फ़्फ़…बहुत गर्मी है…!”

सुंदरी की दूधिया रंग की चुची का ऊपरी हिस्सा (उभार) ड्राइवर को दिखाया पड़ा। सुंदरी ने ड्राइवर से इंतजार करने को कहा। उसने धक्का देकर दरवाज़ा बंद कर दिया। फिर अन्दर आये और देखा कि परम खूब जोर लगा कर चोद रहा है। उधर ड्राइवर की हालत खराब हो गई। उसने सिर्फ सुंदरी की मस्तानी चुची का थोड़ा सा ही माल देखा था लेकिन उसका लोडा थनथना गया। सीट पर बैठ कर लंड को बाहर निकला और मुठ मारने लगा। मुठ भी मार रहा था और साथ ही "सुंदरी का चूत, सुंदरी की चूची, सुंदरी का चूत, सुंदरी की चूची" का जाप भी कर रहा था....50-52 बार सुंदरी के चूची और चूत का जाप करते हुए लौड़े ने पिचकारी छोड़ दी....!

वो लोडा हिलाते हुए जोर से बोला: "भगवान मेरे लंड को सुंदरी के चूत में जाने दो। बदले मे चाहे मेरी गुलाबो को जिस से मन करे चुदवाओ।

भगवान ने उसकी आधी पुकार तुरंत सुन भी ली।


*******.


आज के लिए इतना ही कल फिर मिलेंगे।


तब तक के लिए शुभरात्री।


।। जय भारत ।।

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Ab stroy galat ja raha hai is khanai ka title hai param and sundari par lekin param ko to kamjor dikh raha hai aur sundari pura randi se bhi jyda in do character ko strong dikhao yaar sundari sex kare lekin sabse nahi kuch se hi baki apka maan aap is khanai ke lekhak ho kuch bhi kar sakte ho
सब से पहले बहोत बहोत शुक्रिया आपका

जहा तक मुझे याद है की आपने पहले भी यही मुद्दा उठाया था जिसका जवाब मैंने दिया था। पक्का याद नहीं
खेर फिर से ही सही.......

सब से पहले हम चर्चा करते है परम-सुंदरी शीर्षक की।

शायद यह शीर्षक ठीक नहीं है या हीर कहानी के अनुरूप नहीं है। पर मेरे ख्याल से इस कहानी में दो पात्रो है परम और सुंदरी जो कहानी लो लीड करनेवाले थे। और कहानी उनके आस-पास ही घूमनेवाली थी या है। शायद यह कहानी के बहोत से शीर्षक हो सकते थे जैसे एक गाँव की कहानी, मा बेटे की आज़ादी, एक नंगा गाँव,चुदाई से भरपूर एक गाँव,गाँव की मस्तिय,गाँव की नंगी औरते,........और बहोत सी.....पर मैंने परम-सुंदरी चुना ताकि यह कहानी के मुख्य किरदार है। और थोडा सा भिन्न भी है।

अब आते है इस कहानी के मूल रूप पर....शायद आपको याद होगा की मैंने कहानिके शुरुआत में ही एक गाँव की बात कही है जहा सीसी भी प्रकार की अश्लीलता को सामान्य तरीके से लिया जाता है और वे लोग यही भाषा का प्रयोक करते है अपनी सामान्य बातचीत में। मतलब गाँव ही किछ ऐसा है जो हमारे भद्र समाज से काफी विपरीत है। इसका मतलब यह है की यह कहानी परम और सुंदरी से जुड़ते हुए गाँव की बात कह रही है।

अब रही बात परम और सुंदरी जो की मुख्या पात्रो है इस कहानी के, यह कहानी में भले ही माँ बेटे है पर ऐसा नहीं है की यह कहानी आम कानी के तौर पर चले।
मैंने बहोत कहानी पढ़ी है जिस में माँ बेटे की चुदाई या फिर सेक्स कुछ गिने चुने प्रसंगों से चलती है, जैसे माँ को बाज़ार ले जाना और कुछ लोगो की नजरो से बाते कोविचलित करना, माँ का व्यवहार निर्दोष पर मादकता दिखाती है, माँ के लिए अंडर गारमेंट्स खरीद ने जाना और धीरे धीरे प्यार और वासना का बढ़ावा, फिर कहानी में एक तौर से माँ और बेटे की कई सारे प्रसगो और स्थलों पे चुदाई जैसे किचन में बाथरूम में ड्राइंग रूम में छत पर मतलब के घर के हर कोने में अलग अलग तरीके से। और कई बार माँ कोदुसरे व्यक्तियों से भी चुदाई होती है जो की कहानी को लम्बाई देती है।

लेकिन इस कहानी में माँ और बेटे की चुदाई के साथ-साथ माँ और बेटा दोनों स्वतंत्र है अपने सेक्सुअल लाइफ के मजे लेने के लिए। और इस तरह से दोनों पात्रो अन्य कई पात्रो से भिड़ते है। यहाँ पर भी एनी पात्रो से ही कहानी कोलाम्बाई मिल रही है। बेशक!

सुंदरी एक ऐसी स्त्री है जो वासना से भरी पड़ी है और अब वह अपनी वासनाओं को अंजाम देती है कहा तक कैसे यह तो कहानी बताएगी। वह अपने बेटे से चुद तो गई है पर वह ज्यादातर उसे दूर रखने के प्रयास में है। और दुसरे लोगो से अपनी वासना संतोष्टि है। बीटा उसी माँ का बेटा है और वह भी एक से नहीं चले जैसा है। उसे हर वक़्त नए चूत की तलाश में रहता है। और आपने देखा भी है
। उसमे उसकी माँ और बहन भी मदद करती है।
अब परम जैसा की आपने कहा परम और सुंदरी को स्ट्रोंग दिखाए, मेरे ख्याल से तो यह लोग स्ट्रोंग ही है अब आपकी परिभाषा क्या है यह आपने स्पष्ट नहीं किया की स्ट्रोंग किसे कहा जा सकता है। उसकी स्टेमिना आपने दुसरे पात्रो के मुंह से सूना आगे भी सुनेंगे,
मेरी इस कहानी में मैंने किसी भी पात्र को ज्यादा स्तरों बनाया नहीं क्योकि मैं मानती हु के best होता ही नहीं, बेस्ट तब तक ही होता है जब आपके सामने और कोई अच्छा नहीं आता। फिर वह बेस्ट हो जाता है। पहले मोटोरोला के फ़ोन चलते थे तब वह हमारे लिए बेस्ट था अब एप्पल चलता है .....आगे और भी नए मोडल आयेंगे।

इसलिए मुनीम को परम से ज्यादा स्ट्रोंग चुदाई के बारे में बताया गया है लेकिन उसे हाईलाईट में नहीं रखा है क्यों की परम हीरो है।

आपक इस कहानी में रिपीट बहोत कम पात्रो से मिलेंगे सब अपने अपने नए लोगो से अपनी विषय वासना संतोशेंगे आगे प्रयास करुँगी एक पात्र रहे।

यह कहानी माँ बेटे की भी नहीं और है भी। गाँव ही ऐसा है जहा घर में लोग चुदाई करते है लेकिन बहार कुछ नहीं अब वह पात्रो खुलेंगे बस यही तक है कहानी।


फिर भी आप स्ट्रोंगनेस की स्पष्टीकरण करेंगे तो आगे मैं उस हिसाब से लिख सकती हु।


मेरे ख्याल से मैंने काफी स्पष्टि कारन दे दिया है, आपको संतुष्टि होगी.....फिर भी सुझाव आमत्रित है...।

स्शुक्रिया दोस्त ।
 

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शायद परम का अगला शिकार भी सेट हो गया है. Wonderful!!!

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हर कड़ी में आपको दूसरी कड़ी मिल जायेगी

शुक्रिया दोस्त
 

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शुक्रिया दोस्त
ok...btw, hope aapne poll mein vote kiya hai :)

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बहु ने कहा: “सुंदरी आज जाने दो थक सी गई हूँ।” बहु ने अपनी सूजी हुई और बड़े होल वाली चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा।

“आज जी भर के जी ले बहु फिर मौक़ा मिले तो फिर खा लेना, चूत में काफी भूख होती है।“ सुंदरी ने बहु को खिंच के लिटा दिया।

बहू दोनो जांघों को फैला कर लेट गई और सुंदरी ने विनोद से बहू की चुचियों का मजा लेने को कहा। सुंदरी को लगा कि बहू की चुचियो का मजा लेकर विनोद का लंड जल्द ही टाइट हो जाएगा। विनोद एक हाथ से बोबले को दबाते हुए बहू को दूसरी चुची (निपल) को चूसने लगा।

अब आगे ...........

Update 14​



विनोद को चुची दबाने में इतना मजा कभी नहीं आया था। महक की टाइट चुची और सुंदरी की स्पंजी चुची में भी नहीं। विनोद खूब प्यार से दोनों चुची को एक-एक करके दबा कर मजा ले रहा था और निपल भी चूस रहा था और नीचे सुंदरी ने सिर विनोद के बीच में डाल कर लंड चूस रही थी और अगले 10 मिनट में लंड चुदाई के लिए पूरा तैयार हो गया।

“चल बेटा अब जल्दी से इस चुदक्कड को भी ठंडा कर दे!”

सुंदरी ने कहा और बहू ने विनोद को अपना ऊपर खींचा और लंड को चूत पर लगाया। चूत तो पहले से ही पानी-पानी हो गई थी, सुंदरी और विनोद की चुदाई देख कर। एक ही धक्के में पूरा लंड चूत के अंदर सरक गया। वो तो होना ही था, मुनीम अभी-अभी उसकी चूत का बड़ा भोसड़ा बना के गया हुआ था। विनोद का पहला धक्का से ही बहु को अच्छा लगा। वैसे तो विनोद का लंड, परम और मुनिम के लंड जैसा मोटा और लंबा तो नहीं था लेकिन विनोद जीस स्पीड ऑर फोर्स से चुदाई कर रहा था वो बहू को बहुत अच्छा लगा। विनोद ने ज्यादा देर नहीं की और लंड को बाहर खिंचा और वापी चूतमें सरका दिया और अपनी स्पीड को धीरे-धीरे बढाने में व्यस्त हो गया। बहु भी मजा ले ले कर चुदवा रही थी और सुंदरी नंगी किचन का काम कर रही थी।

विनोद अब लगातार धक्के लगा रहा था, हालाकि बहु सिस्कारिया नहीं ले रही थी क्यों की उसकी चूत पहले से ही झड चुकी थी और दूसरा मुनीम ने जो जोश उसकी चूत पर लगाया था उसके शॉट्स अभी भी बहु की चूत को अनुभव मिल ही रहा था। मुनीम के बड़े सुपारे और लंड ने उसके चूत को जो मरामत की थी और मुनीम के सुपारे ने उसकी चूत कुछ ज्यादा ही चौड़ी कर राखी थी, उसकी वजह से विनोद का लंड आराम से चूत में सरक जाता और आहार आ जाता था। लगभग 9-10 मिनट के बाद विनोद को लगा कि वो झड जाएगा तो उसे और जोर से दबाते चोदने लगा और दोनों एक साथ ठंडे हो गए। बहू की चूत विनोद के पानी से पूरी भर गई। बहु के कुए में अब विनोद और मुनीम का वीर्य जमा कर चुकी थी और बहू संतुष्ट थी।

"विनोद, सुंदरी ठीक ही कहती थी तू, तू बहुत बड़ा चोदु है।" उसने मस्का मारते हुए कहा। हांलाकि वह अभी भी मुनीम का लंड को नहीं भूली थी और विनोद को जाने भी नहीं देना चाहती थी क्यों की अब वह चाहती थी की जब चाहे वह विनोद परम और मुनीमजी से अपनी चूत और गांड की मरामत करवा सकती थी। उसने फिर पूछा:

“सच बता, तू अपनी माँ और दीदी को भी चोदता करता है?”

"हा,रानी!" विनोद ने चुचियो को मसलते हुए कहा "मैं दोनो माँ और दीदी को पिछले एक साल से चोद रहा हूँ। वो भी सुंदरी के कारण ही!"

“कभी मेरे सामने चोदेगा उन्हें…?” बहू ने पूछा।

“तूम जब बोलो डार्लिंग।” विनोद ने उत्तर दिया “अभी तुम मेरे घर चलो तो उन दोनो को तेरे सामने चोदूंगा!” विनोद ने निपल चूसा और फिर कहा, “मैंने और परम दोनो ने एक साथ मेरी माँ और दीदी को चोदा है। मैं तो बोलता हूँ कि सुंदरी भी परम से चुदवा ले। मेरी माँ और दीदी को परम का लंड बहुत पसंद है।”

“देख विनोद मुझे कहना पड़ेगा की मेरे पति और परम का लंड काफी बड़े है और मोटे है तेरे इस लंड से पर मुझे, तेई चुदाई बहुत पसंद है…” सुंदरी रसोई से चिल्लाई।

"अब मैं जाता हूं, माँ इंतजार कर रही होगी।" विनोद ने कहा।

“चुदवाने के लिए?” बहू ने पूछा।

“साली वह तो परम से चुदवा रही होगी, मुझे कुछ ज़रूरी काम है। तेरे जैसे भोसड़ा फैला के पड़े थोड़ी रहना है!” विनोद ने कपड़े पहने, दोनों को चूमा और घर से बाहर चला गया।

“क्यो रानी! अब चूत की प्यास बुझी की नहीं?” सुंदरी ने पूछताछ की।

"सच सुंदरी, तेरे विनोद ने बहुत मजा दिया, लेकिन सच कहू तो मुनीमजी का लंड...... एक साथ 5 लंड चोदे और एक तरफ अकेला मुनीमजी........अब तो एक साथ 5-5 लंड का मजा लेना है। रानी कोई मौका निकाल!'' बहू ने जवाब दिया।

“और कुत्ते से नहीं चुदवायेगी…?” सुंदरी ने पूछा।

“पहले कुत्ते का लंड चूत में लेकर चुदवा फिर मैं भी कुत्ते से मरवाउंगी।”

दोनों हस पड़े। उनके पास कुछ खाना था। उन्होंने घड़ी देखी, उस समय 1:30 बज रहे थे और उनके पास 2:30 बजे तक का समय था। उन्होंने कपड़े पहने। सुंदरी ने भी बहू के साथ सेठजी के घर जाने का फैसला किया। वे कार का इंतजार करने लगे, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई थी। सुंदरी ने दरवाज़ा खोला। यह परम था। वह बहू को देखकर खुश हुआ। उसने उसे बाहों में ले लिया और उसके मालों से खेलने लगा,

“परम, मैं तो आई थी तेरा लंड मेरी चूत में लेने को, लेकिन आज तेरे बाप और तेरा दोस्त विनोद ने हम दोनो को चोद कर खुश कर डाला…बहुत मजा आया।।!”

बहू ने खुश होते हुए कहा। “अब छोड़ दे…घर जाना है…!”

“ओह्ह....भाभी बस एक बार चोदने दे…!”

इतना कहकर परम ने बहू को नीचे दबाया और डॉगी पोज़ दिया। बहू ने भी ज्यादा विरोध नहीं किया। वो बेड के रेस्ट पर जा कर कुतिया बन गई। परम ने साड़ी और पेटीकोट को कमर तक ऊपर उठाया और पीछे से बहू की चूत में लंड घुसा कर चोदने लगा।

“परम,तुझे मजा नहीं आएगा…चूत चुदवा-चुदवा कर सूख गई है…मजा नहीं आ रहा है,बाद में चोद लेना, अब चूत में उतना पानी नहीं है की वह छूटे। अब यह माल तेरा ही तो है तुम बाप-बेटे मिलकर चोदते रहना!” बहू ने अनुरोध किया।

लेकिन परम ने चुदाई जारी रखी और कुछ धक्कों के बाद चूत गीली होनी ही थी और हो भी गई। परम पीछे से बहू की कमर पकड़ कर मजा लेकर चोदने लगा। आज विनोद के घर में परम ना तो विनोद की माँ को चोद नहीं पाया उसकी दीदी क्योंकि दोनों का 'पीरियड' का आज पहला दिन था। लेकिन दीदी ने परम के लिए एक कमसिन/पतली लड़की को ला दिया और परम को उस लड़की का 'सील' फाड़ने में गांड फट गई। बहुत मुश्किल से परम उसने कच्ची कली को चोद पाया।

पहले भी उसने सुधा की वर्जिनिटी तोड़ी थी लेकिन उस रात आराम से सुधा को चोदा था लेकिन आज उस माल को चोदने में परम थक गया। और अब उस नई लड़की की टाइट चूत याद कर परम, भाभी को दनादन चोदने लगा।

बहू जब मुनीमजी से चुदवा रही थी तो उसे मुनीम ही सबसे अच्छा लगा था लेकिन अब परम का लंड चूत में लेकर बहू को लगा की उसकी चूत बहुत टाइट हो गई है। बहू को भी मजा आने लगा। घडी में दो बजे थे और दरवाजे पर दस्तक हुई। परम फिर भी चोदता रहा और यह जानते हुआ कि ड्राइवर आ गया है चुदाई का मजा लेता रहा।

सुंदरी ने दरवाजा खोला। सुंदरी का मन किया ड्राइवर को थोड़ा लालच दिया। उसने आंचल नीचे गिरा दिया और ड्राइवर के सामने ब्लाउज का टॉप बटन खोल दिया।

“ओफ़्फ़्फ़्फ़…बहुत गर्मी है…!”

सुंदरी की दूधिया रंग की चुची का ऊपरी हिस्सा (उभार) ड्राइवर को दिखाया पड़ा। सुंदरी ने ड्राइवर से इंतजार करने को कहा। उसने धक्का देकर दरवाज़ा बंद कर दिया। फिर अन्दर आये और देखा कि परम खूब जोर लगा कर चोद रहा है। उधर ड्राइवर की हालत खराब हो गई। उसने सिर्फ सुंदरी की मस्तानी चुची का थोड़ा सा ही माल देखा था लेकिन उसका लोडा थनथना गया। सीट पर बैठ कर लंड को बाहर निकला और मुठ मारने लगा। मुठ भी मार रहा था और साथ ही "सुंदरी का चूत, सुंदरी की चूची, सुंदरी का चूत, सुंदरी की चूची" का जाप भी कर रहा था....50-52 बार सुंदरी के चूची और चूत का जाप करते हुए लौड़े ने पिचकारी छोड़ दी....!

वो लोडा हिलाते हुए जोर से बोला: "भगवान मेरे लंड को सुंदरी के चूत में जाने दो। बदले मे चाहे मेरी गुलाबो को जिस से मन करे चुदवाओ।

भगवान ने उसकी आधी पुकार तुरंत सुन भी ली।


*******.


आज के लिए इतना ही कल फिर मिलेंगे।


तब तक के लिए शुभरात्री।


।। जय भारत ।।
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आगे चलते है ..............आपके धैर्य की प्रसंशा करती हूँ


उसने कहा, "काका, तुम्हारी बेटी भी पूरी तरह से तैयार है, उसके लिए भी कोई 'मर्द' का इंतज़ाम कर दो कि उसकी गर्मी को उतार सके।"

“बेटी, महक की गर्मी तो बाद में मैं ही उतारूंगा, पहले तू अपना फ्रॉक उतार दे।” चुचियो को मसलते हुए मुनीम ने कहा। पूनम ने एक मिनट भी देर नहीं की। उसने खड़ी होकर फ्रॉक हेड के ऊपर से निकल दिया और मुनीम के सामने खड़ी हो गई। मुनीम उसे देखता ही रहा।

5'4'' हाइट, कमसिन बदन, 32'' साइज़ के ब्रेस्ट और 22'' के कम्ड। पतली जांघें और जांघों के बीच की झांटों से जघन क्षेत्र का भदा हुआ। मुनीम को पुनम बहुत मस्त और चुदासी लगी. मुनीम ने 16-17 साल पहले इस उम्र की पूनम की माँ को देखा था और उसे चोदने के लिए लंड खड़ा हो गया था। मुनीम पूनम की माँ को तो नहीं चोद पाया लेकिन आज उसकी बेटी चुदवाने के लिए पूरी नंगी उसके सामने खड़ी है। मुनीम उसे घूरता रहा।

पूनम ने मुनीम के लंड को लुंगी के ऊपर से सहलाया और लुंगी खींच कर अलग कर दी। मुनीम का लंड लोहे के रॉड की तरह तन गया था। लंड का सुपारा बाकी लंड से ज्यादा मोटा था, जैसा की पहले बताया हुआ था। पूनम ने उसे मुठियाते हुए कहा, "बाप रे इतना मोटा लंड मेरी छोटी सी चूत के अंदर कैसे जाएगी। मुनीम ने पूनम के पीछे कमर पर हाथ रख कर उसे अपनी ओर खींच लिया और एक हाथ से उसके कुल्हे को सहलाते हुए एक चूची को चूसने लगा।"
मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह

पूनम जोर से सिस्कारी मारने लगी। पोनम की सिस्कारी किचन के अंदर महेक को सुनाई दी। महक समझ गई कि बाहर क्या हो रहा है, लेकिन वो बाहर नहीं आइ। अब मुनीम पूनम की चूतड को दोनो हाथो से मसलते हुए उसकी दोनो चूचियो को चूस रहा था, निपल्स बिल्कुल टाइट हो गए थे। नीचे पूनम भी लंड को मसला रही थी और अपनी चूत से रगड़ रही थी। मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह

"काका अब देर मत करो। वह मादरचोद आपकी बेटी, महक ने पहले ही चाट-चाट कर गरम कर दिया है,,, अब बहुत चुदासी हो रही है.. ।"

मुनीम अब पूनम की टाइट गांड को मसल रहा था और पीछे से ही चूत में उंगली घुसा रहा था। चूत बहोत ही टाईट थी, पूरा सिल-पेक।

“महेक ने क्या चाटा? मुनीम ने पूछा।

“ओह, काका, उस भोसड़ीकी ने, मेरी चूत चाट-चाट कर गिला कर दिया है.. मन करता है किसिका भी लंड चूत में समा लू… तुम्हारी बेटी बहुत हरामज़ादी है… चूत ऐसी चाट रही थी जैसे कोई लॉलीपॉप या लंड चूसता है… उसकी जवानी भी बहुत मस्त है.. आपकी बेटी का माल बहोत स्वादिष्ट है काका.....उसकी चूची मेरी चूची से बड़ी और एक दम गोल गोल है. उसे दबाने में आपको बहुत मजा आएगा.. उसको भी अपना मोटा लंड का मजा दीजिए.. उसे।“
मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह

मुनीम ने उसे गोद में उठाकर बिस्तर पर लेटा दिया और उसकी जांघों को पूरा खोल दिया। मुनीम ने पहले तो कुछ देर तक उसकी चूत को सहलाया और कई बार चुमा। वह जानता था की एक कच्चा माल को कैसे चोदा जाता है ताकि उसे बहोत नुकशान ना हो। उसे याद नहीं है आखिरी बाद कब उसने सुंदरी की चूत को चूमा और सहलाया था। पूनम अपना कमर उठा कर मुनीम को जल्दी से लंड घुसाने के लिए इशारा कर रही थी। पूनम ने उंगलियों से झांटों को अलग किया और मुनीम को पूनम के चूत का छेद दिखाया। यह एक बहुत ही संकीर्ण छेद था.. वह अपना अंगूठा डाला और थोड़ी परेशानी के साथ अंदर चला गया। मुनीम ने कभी सुंदरी की योनि का स्वाद नहीं चखा और न ही योनि के साथ खेला। मुनीम ने लंड को चूत के छेद पर रखा और लंड को दबाया… मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह

“काका, दर्द होता है..!”

“बेटे पहले थोड़ा दर्द करेगा और फिर बहुत मजा आएगा।” मुनीम ने कहा।

“हां, पता है काका माँ ने और बाकी सहेलियों ने मुझे बतया हुआ है।“ उसने अपनी चूत को थोडा ढीला करते हुए कहा।

“वाह, बेटी, तेरी माँ ने सही सिखाया है।“

मुनीम को याद आया जब पहली बार उसने सुंदरी को चोदा था तो सुंदरी बहुत जोर से चिल्लाई थी और उसने डर कर लंड बाहर निकाल लिया था। लंड के बाहर निकलते ही सुंदरी ने जोर से उसके गालों पर थप्पड मारते हुए कहा था 'साला, रंडवा, लंड बाहर क्यों निकला.. मैं पागल हो जाऊं तो भी लंड बाहर मत निकलना.. मुझे चोदते रहना..। आज मुनीम दूसरी बार एक वर्जिन को चोदने वाला था। मुनीम ने पूनम के स्तनों को पकड़ा और जोर का धक्का लगाया..लंड का सुपाड़ा अंदर चला गया और पूनम का बदन टाइट हो गया और वो उछल के चिल्ला उठी..

“म….आ….र….गयी।”

“म….आ….र….गयीईई।”

अंदर किचन में महक को भी "मर गई" सुनाई पड़ा और वो दौड़ती हुई बाहर आई... उसने देखा कि उसका बाप पूनम के नंगे बदन पर झुका हुआ है। पूनम की जांघें फैली हुई हैं और मुनीम का सुपाड़ा चूत के अन्दर घुसा हुआ है… पूनम को बहुत दर्द हो रहा है। वो मुट्ठी से मुनीम को पीछे मार रही है और चिल्ला रही है,

“आ…आ..हह… पागल हो गई… लंड बाहर निकालो, मुझे नहीं चुदवाना… अपनी बेटी को चोदो… काका उतर जाओ… तुम्हारे पाओ पड़ती हूं… पागल हो जाउंगी..।”
मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह

पूनम रो रही थी। उसका शरीर लकड़ी की तरह अकड़ गया और उसने अपनी कमर उठा ली। ठीक उसी समय मुनीम ने एक और जोरदार धक्का मारा और आधा लम्बा लंड चुत के अन्दर चला गया। महक देखती रही। पूनम का रोना बंद नहीं हुआ। वो सिसक रही थी... तभी उसकी नजर महक पर पड़ी..

“महक, अपने बाप का लंड मेरी चूत से निकाल दो.. मुझे मजा नहीं लेना है… बाप रे बहुत दर्द कर रहा है…।” मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह

आपके कोमेंट की प्रतीक्षा में .............आशा करती हु की आपको यह एपिसोड पसंद आया होगा,,,,,
Sahi maal mila munim ko mast update
 

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बहु ने कहा: “सुंदरी आज जाने दो थक सी गई हूँ।” बहु ने अपनी सूजी हुई और बड़े होल वाली चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा।

“आज जी भर के जी ले बहु फिर मौक़ा मिले तो फिर खा लेना, चूत में काफी भूख होती है।“ सुंदरी ने बहु को खिंच के लिटा दिया।

बहू दोनो जांघों को फैला कर लेट गई और सुंदरी ने विनोद से बहू की चुचियों का मजा लेने को कहा। सुंदरी को लगा कि बहू की चुचियो का मजा लेकर विनोद का लंड जल्द ही टाइट हो जाएगा। विनोद एक हाथ से बोबले को दबाते हुए बहू को दूसरी चुची (निपल) को चूसने लगा।

अब आगे ...........

Update 14​



विनोद को चुची दबाने में इतना मजा कभी नहीं आया था। महक की टाइट चुची और सुंदरी की स्पंजी चुची में भी नहीं। विनोद खूब प्यार से दोनों चुची को एक-एक करके दबा कर मजा ले रहा था और निपल भी चूस रहा था और नीचे सुंदरी ने सिर विनोद के बीच में डाल कर लंड चूस रही थी और अगले 10 मिनट में लंड चुदाई के लिए पूरा तैयार हो गया।

“चल बेटा अब जल्दी से इस चुदक्कड को भी ठंडा कर दे!”

सुंदरी ने कहा और बहू ने विनोद को अपना ऊपर खींचा और लंड को चूत पर लगाया। चूत तो पहले से ही पानी-पानी हो गई थी, सुंदरी और विनोद की चुदाई देख कर। एक ही धक्के में पूरा लंड चूत के अंदर सरक गया। वो तो होना ही था, मुनीम अभी-अभी उसकी चूत का बड़ा भोसड़ा बना के गया हुआ था। विनोद का पहला धक्का से ही बहु को अच्छा लगा। वैसे तो विनोद का लंड, परम और मुनिम के लंड जैसा मोटा और लंबा तो नहीं था लेकिन विनोद जीस स्पीड ऑर फोर्स से चुदाई कर रहा था वो बहू को बहुत अच्छा लगा। विनोद ने ज्यादा देर नहीं की और लंड को बाहर खिंचा और वापी चूतमें सरका दिया और अपनी स्पीड को धीरे-धीरे बढाने में व्यस्त हो गया। बहु भी मजा ले ले कर चुदवा रही थी और सुंदरी नंगी किचन का काम कर रही थी।

विनोद अब लगातार धक्के लगा रहा था, हालाकि बहु सिस्कारिया नहीं ले रही थी क्यों की उसकी चूत पहले से ही झड चुकी थी और दूसरा मुनीम ने जो जोश उसकी चूत पर लगाया था उसके शॉट्स अभी भी बहु की चूत को अनुभव मिल ही रहा था। मुनीम के बड़े सुपारे और लंड ने उसके चूत को जो मरामत की थी और मुनीम के सुपारे ने उसकी चूत कुछ ज्यादा ही चौड़ी कर राखी थी, उसकी वजह से विनोद का लंड आराम से चूत में सरक जाता और आहार आ जाता था। लगभग 9-10 मिनट के बाद विनोद को लगा कि वो झड जाएगा तो उसे और जोर से दबाते चोदने लगा और दोनों एक साथ ठंडे हो गए। बहू की चूत विनोद के पानी से पूरी भर गई। बहु के कुए में अब विनोद और मुनीम का वीर्य जमा कर चुकी थी और बहू संतुष्ट थी।

"विनोद, सुंदरी ठीक ही कहती थी तू, तू बहुत बड़ा चोदु है।" उसने मस्का मारते हुए कहा। हांलाकि वह अभी भी मुनीम का लंड को नहीं भूली थी और विनोद को जाने भी नहीं देना चाहती थी क्यों की अब वह चाहती थी की जब चाहे वह विनोद परम और मुनीमजी से अपनी चूत और गांड की मरामत करवा सकती थी। उसने फिर पूछा:

“सच बता, तू अपनी माँ और दीदी को भी चोदता करता है?”

"हा,रानी!" विनोद ने चुचियो को मसलते हुए कहा "मैं दोनो माँ और दीदी को पिछले एक साल से चोद रहा हूँ। वो भी सुंदरी के कारण ही!"

“कभी मेरे सामने चोदेगा उन्हें…?” बहू ने पूछा।

“तूम जब बोलो डार्लिंग।” विनोद ने उत्तर दिया “अभी तुम मेरे घर चलो तो उन दोनो को तेरे सामने चोदूंगा!” विनोद ने निपल चूसा और फिर कहा, “मैंने और परम दोनो ने एक साथ मेरी माँ और दीदी को चोदा है। मैं तो बोलता हूँ कि सुंदरी भी परम से चुदवा ले। मेरी माँ और दीदी को परम का लंड बहुत पसंद है।”

“देख विनोद मुझे कहना पड़ेगा की मेरे पति और परम का लंड काफी बड़े है और मोटे है तेरे इस लंड से पर मुझे, तेई चुदाई बहुत पसंद है…” सुंदरी रसोई से चिल्लाई।

"अब मैं जाता हूं, माँ इंतजार कर रही होगी।" विनोद ने कहा।

“चुदवाने के लिए?” बहू ने पूछा।

“साली वह तो परम से चुदवा रही होगी, मुझे कुछ ज़रूरी काम है। तेरे जैसे भोसड़ा फैला के पड़े थोड़ी रहना है!” विनोद ने कपड़े पहने, दोनों को चूमा और घर से बाहर चला गया।

“क्यो रानी! अब चूत की प्यास बुझी की नहीं?” सुंदरी ने पूछताछ की।

"सच सुंदरी, तेरे विनोद ने बहुत मजा दिया, लेकिन सच कहू तो मुनीमजी का लंड...... एक साथ 5 लंड चोदे और एक तरफ अकेला मुनीमजी........अब तो एक साथ 5-5 लंड का मजा लेना है। रानी कोई मौका निकाल!'' बहू ने जवाब दिया।

“और कुत्ते से नहीं चुदवायेगी…?” सुंदरी ने पूछा।

“पहले कुत्ते का लंड चूत में लेकर चुदवा फिर मैं भी कुत्ते से मरवाउंगी।”

दोनों हस पड़े। उनके पास कुछ खाना था। उन्होंने घड़ी देखी, उस समय 1:30 बज रहे थे और उनके पास 2:30 बजे तक का समय था। उन्होंने कपड़े पहने। सुंदरी ने भी बहू के साथ सेठजी के घर जाने का फैसला किया। वे कार का इंतजार करने लगे, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई थी। सुंदरी ने दरवाज़ा खोला। यह परम था। वह बहू को देखकर खुश हुआ। उसने उसे बाहों में ले लिया और उसके मालों से खेलने लगा,

“परम, मैं तो आई थी तेरा लंड मेरी चूत में लेने को, लेकिन आज तेरे बाप और तेरा दोस्त विनोद ने हम दोनो को चोद कर खुश कर डाला…बहुत मजा आया।।!”

बहू ने खुश होते हुए कहा। “अब छोड़ दे…घर जाना है…!”

“ओह्ह....भाभी बस एक बार चोदने दे…!”

इतना कहकर परम ने बहू को नीचे दबाया और डॉगी पोज़ दिया। बहू ने भी ज्यादा विरोध नहीं किया। वो बेड के रेस्ट पर जा कर कुतिया बन गई। परम ने साड़ी और पेटीकोट को कमर तक ऊपर उठाया और पीछे से बहू की चूत में लंड घुसा कर चोदने लगा।

“परम,तुझे मजा नहीं आएगा…चूत चुदवा-चुदवा कर सूख गई है…मजा नहीं आ रहा है,बाद में चोद लेना, अब चूत में उतना पानी नहीं है की वह छूटे। अब यह माल तेरा ही तो है तुम बाप-बेटे मिलकर चोदते रहना!” बहू ने अनुरोध किया।

लेकिन परम ने चुदाई जारी रखी और कुछ धक्कों के बाद चूत गीली होनी ही थी और हो भी गई। परम पीछे से बहू की कमर पकड़ कर मजा लेकर चोदने लगा। आज विनोद के घर में परम ना तो विनोद की माँ को चोद नहीं पाया उसकी दीदी क्योंकि दोनों का 'पीरियड' का आज पहला दिन था। लेकिन दीदी ने परम के लिए एक कमसिन/पतली लड़की को ला दिया और परम को उस लड़की का 'सील' फाड़ने में गांड फट गई। बहुत मुश्किल से परम उसने कच्ची कली को चोद पाया।

पहले भी उसने सुधा की वर्जिनिटी तोड़ी थी लेकिन उस रात आराम से सुधा को चोदा था लेकिन आज उस माल को चोदने में परम थक गया। और अब उस नई लड़की की टाइट चूत याद कर परम, भाभी को दनादन चोदने लगा।

बहू जब मुनीमजी से चुदवा रही थी तो उसे मुनीम ही सबसे अच्छा लगा था लेकिन अब परम का लंड चूत में लेकर बहू को लगा की उसकी चूत बहुत टाइट हो गई है। बहू को भी मजा आने लगा। घडी में दो बजे थे और दरवाजे पर दस्तक हुई। परम फिर भी चोदता रहा और यह जानते हुआ कि ड्राइवर आ गया है चुदाई का मजा लेता रहा।

सुंदरी ने दरवाजा खोला। सुंदरी का मन किया ड्राइवर को थोड़ा लालच दिया। उसने आंचल नीचे गिरा दिया और ड्राइवर के सामने ब्लाउज का टॉप बटन खोल दिया।

“ओफ़्फ़्फ़्फ़…बहुत गर्मी है…!”

सुंदरी की दूधिया रंग की चुची का ऊपरी हिस्सा (उभार) ड्राइवर को दिखाया पड़ा। सुंदरी ने ड्राइवर से इंतजार करने को कहा। उसने धक्का देकर दरवाज़ा बंद कर दिया। फिर अन्दर आये और देखा कि परम खूब जोर लगा कर चोद रहा है। उधर ड्राइवर की हालत खराब हो गई। उसने सिर्फ सुंदरी की मस्तानी चुची का थोड़ा सा ही माल देखा था लेकिन उसका लोडा थनथना गया। सीट पर बैठ कर लंड को बाहर निकला और मुठ मारने लगा। मुठ भी मार रहा था और साथ ही "सुंदरी का चूत, सुंदरी की चूची, सुंदरी का चूत, सुंदरी की चूची" का जाप भी कर रहा था....50-52 बार सुंदरी के चूची और चूत का जाप करते हुए लौड़े ने पिचकारी छोड़ दी....!

वो लोडा हिलाते हुए जोर से बोला: "भगवान मेरे लंड को सुंदरी के चूत में जाने दो। बदले मे चाहे मेरी गुलाबो को जिस से मन करे चुदवाओ।

भगवान ने उसकी आधी पुकार तुरंत सुन भी ली।


*******.


आज के लिए इतना ही कल फिर मिलेंगे।


तब तक के लिए शुभरात्री।


।। जय भारत ।।
एक के बाद एक गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
परम ने आज किस कमसिन जवानी का भोग लगाकर सील का सत्यानाश किया उसका विस्तृत वर्णन मिल जाये तो फिर क्या ही कहने
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Ashiq Baba

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सब से पहले बहोत बहोत शुक्रिया आपका

जहा तक मुझे याद है की आपने पहले भी यही मुद्दा उठाया था जिसका जवाब मैंने दिया था। पक्का याद नहीं
खेर फिर से ही सही.......

सब से पहले हम चर्चा करते है परम-सुंदरी शीर्षक की।

शायद यह शीर्षक ठीक नहीं है या हीर कहानी के अनुरूप नहीं है। पर मेरे ख्याल से इस कहानी में दो पात्रो है परम और सुंदरी जो कहानी लो लीड करनेवाले थे। और कहानी उनके आस-पास ही घूमनेवाली थी या है। शायद यह कहानी के बहोत से शीर्षक हो सकते थे जैसे एक गाँव की कहानी, मा बेटे की आज़ादी, एक नंगा गाँव,चुदाई से भरपूर एक गाँव,गाँव की मस्तिय,गाँव की नंगी औरते,........और बहोत सी.....पर मैंने परम-सुंदरी चुना ताकि यह कहानी के मुख्य किरदार है। और थोडा सा भिन्न भी है।

अब आते है इस कहानी के मूल रूप पर....शायद आपको याद होगा की मैंने कहानिके शुरुआत में ही एक गाँव की बात कही है जहा सीसी भी प्रकार की अश्लीलता को सामान्य तरीके से लिया जाता है और वे लोग यही भाषा का प्रयोक करते है अपनी सामान्य बातचीत में। मतलब गाँव ही किछ ऐसा है जो हमारे भद्र समाज से काफी विपरीत है। इसका मतलब यह है की यह कहानी परम और सुंदरी से जुड़ते हुए गाँव की बात कह रही है।

अब रही बात परम और सुंदरी जो की मुख्या पात्रो है इस कहानी के, यह कहानी में भले ही माँ बेटे है पर ऐसा नहीं है की यह कहानी आम कानी के तौर पर चले।
मैंने बहोत कहानी पढ़ी है जिस में माँ बेटे की चुदाई या फिर सेक्स कुछ गिने चुने प्रसंगों से चलती है, जैसे माँ को बाज़ार ले जाना और कुछ लोगो की नजरो से बाते कोविचलित करना, माँ का व्यवहार निर्दोष पर मादकता दिखाती है, माँ के लिए अंडर गारमेंट्स खरीद ने जाना और धीरे धीरे प्यार और वासना का बढ़ावा, फिर कहानी में एक तौर से माँ और बेटे की कई सारे प्रसगो और स्थलों पे चुदाई जैसे किचन में बाथरूम में ड्राइंग रूम में छत पर मतलब के घर के हर कोने में अलग अलग तरीके से। और कई बार माँ कोदुसरे व्यक्तियों से भी चुदाई होती है जो की कहानी को लम्बाई देती है।

लेकिन इस कहानी में माँ और बेटे की चुदाई के साथ-साथ माँ और बेटा दोनों स्वतंत्र है अपने सेक्सुअल लाइफ के मजे लेने के लिए। और इस तरह से दोनों पात्रो अन्य कई पात्रो से भिड़ते है। यहाँ पर भी एनी पात्रो से ही कहानी कोलाम्बाई मिल रही है। बेशक!

सुंदरी एक ऐसी स्त्री है जो वासना से भरी पड़ी है और अब वह अपनी वासनाओं को अंजाम देती है कहा तक कैसे यह तो कहानी बताएगी। वह अपने बेटे से चुद तो गई है पर वह ज्यादातर उसे दूर रखने के प्रयास में है। और दुसरे लोगो से अपनी वासना संतोष्टि है। बीटा उसी माँ का बेटा है और वह भी एक से नहीं चले जैसा है। उसे हर वक़्त नए चूत की तलाश में रहता है। और आपने देखा भी है
। उसमे उसकी माँ और बहन भी मदद करती है।
अब परम जैसा की आपने कहा परम और सुंदरी को स्ट्रोंग दिखाए, मेरे ख्याल से तो यह लोग स्ट्रोंग ही है अब आपकी परिभाषा क्या है यह आपने स्पष्ट नहीं किया की स्ट्रोंग किसे कहा जा सकता है। उसकी स्टेमिना आपने दुसरे पात्रो के मुंह से सूना आगे भी सुनेंगे,
मेरी इस कहानी में मैंने किसी भी पात्र को ज्यादा स्तरों बनाया नहीं क्योकि मैं मानती हु के best होता ही नहीं, बेस्ट तब तक ही होता है जब आपके सामने और कोई अच्छा नहीं आता। फिर वह बेस्ट हो जाता है। पहले मोटोरोला के फ़ोन चलते थे तब वह हमारे लिए बेस्ट था अब एप्पल चलता है .....आगे और भी नए मोडल आयेंगे।

इसलिए मुनीम को परम से ज्यादा स्ट्रोंग चुदाई के बारे में बताया गया है लेकिन उसे हाईलाईट में नहीं रखा है क्यों की परम हीरो है।

आपक इस कहानी में रिपीट बहोत कम पात्रो से मिलेंगे सब अपने अपने नए लोगो से अपनी विषय वासना संतोशेंगे आगे प्रयास करुँगी एक पात्र रहे।

यह कहानी माँ बेटे की भी नहीं और है भी। गाँव ही ऐसा है जहा घर में लोग चुदाई करते है लेकिन बहार कुछ नहीं अब वह पात्रो खुलेंगे बस यही तक है कहानी।


फिर भी आप स्ट्रोंगनेस की स्पष्टीकरण करेंगे तो आगे मैं उस हिसाब से लिख सकती हु।


मेरे ख्याल से मैंने काफी स्पष्टि कारन दे दिया है, आपको संतुष्टि होगी.....फिर भी सुझाव आमत्रित है...।

स्शुक्रिया दोस्त ।
आपने बहुत अच्छा स्पष्टीकरण दिया है । इससे बढ़िया स्पष्टीकरण नही हो सकता । लेकिन इतनी सारी कहानियां एक हीरो पर लिखी गई है और उसके स्ट्रॉन्ग होने के कुछ पैरामीटर तय कर दिए गए है कि पाठक उसी को हीरो समझते है जिसमे ये सारे गुण हो जैसे लंबाई 6 फ़ीट से ज्यादा उसका लन्ड का साइज 10" और मोटाई 3.5" इंच या उससे ज्यादा । सीने पर घने बाल । माँ बाप एकदम चिकने मगर लड़का एकदम काला भुसन्ड्ड लन्ड उससे भी काला जैसे वो इंडियन ना हो कर अफ्रीकन हो । हा हा हा हा । मेरे समझ मे यह नही आता माँ हमेशा उसकी दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत है जिसे बच्चे बूढ़े जवान सभी देख कर अपना लण्ड खुजलाते हो और बाप बेचारा ऑफिस में या बिज़नेस में बिजी रहता हो और बहुत अच्छे पैसे कमाता है और जेंटलमैन हो उसकी औलाद ऐसी खतरनाक शरीर वाली कैसे हो सकती है । फिर वही औलाद अपनी माँ को रखैल बना लेता है और 2-3 घण्टे तक बिना थके चोदता है । और BDSM भी करता है । बस वही असली हीरो है स्ट्रॉन्ग हीरो है । इन्हें यही चाहिए परम में ।
देखिए मैडम यह कहानी लीक से हटकर अलग कहानी है आप जो लिख रही है वह कहानी को बैलेंस और उसके उद्देश्य के हिसाब से एकदम सही है ।आपको किसी की डिमांड के हिसाब से कुछ भी फेरबदल करने की आवश्यकता नही है । कहानी अगर रास्ते से भटकी तो बहुत सारे पाठक पढ़ना छोड़ देंगे । जो कि कहानी के साथ न्याय नही होगा । कहते है हरा चश्मा लगाने से सब हरा ही दिखता है और ज़्यादा टाइम लगा लिया तो सिर्फ हरा देखने की आदत पड़ जाती है फिर चश्मा हटा कर वास्तविकता देखने से मजा नही आता ऐसा ही कुछ इनके साथ हुआ है । खैर पसंद अपनी अपनी हमे तो जैसा आप लिख रहे है मजा आ रहा है । कहानी इसी ट्रैक पर आगे बढाते रहिए ।
पिछले 2 अपडेट का कमेन्ट नही कर पाया था उसके लिए खेद है । दोनो ही अपडेट बहुत ही कामुक और मदमस्त है । इन्हें बार बार पढ़ने को मन करता है । बहुत ही शानदार तरीके से लिखे है लगता है बहुत ही कामातुर हो कर लिखे गए हो । मुझे ऐसा आभास हो रहा है कृपया इस वाक्य को पर्सनली मत लेना । डूब कर लिखे अपडेट की जितनी प्रशंसा की जाय कम है । और थैंक यू मेरी डिमांड पर विनोद और सुन्दरी की कामलीला का एक पूरा अपडेट लिखा साथ मे विनोद को सेठजी की बड़ी बहू उषा को भी चोदने को मिला ये तो बोनस हो गया और परम तो हीरो है उसे तो भँवरे की तरह नई नई कलियों का रस चूसने का मौका मिलना चाहिए उसने भी बड़ी बहू को कुतिया बना कर पेल लिया । उम्दा अपडेट । थैंक यू ।
 
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