Ajju Landwalia
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"आह्ह्ह.... बेटा इतने दिन कहा था? मैं तेरा लंड खाने के लिए तरस रही थी। जोर से पेल, जम कर पेल, पूरा लंड अंदर घुसा जा। फाड़ डाल…चूत की आग को ठंडा कर दे…आह राजा……चोदते रहो…बेटा…।” अब एक बार मुनीम का लंड गया हो उस चूत को विनोद दुबारा चोद रहा था। सुंदरी को मजा तो नहीं आ रही थी क्यों की विनोद का लंड कुछ हद तक छोटा पड़ रहा था उसकी भोस के लिए। और तभी तो सुंदरी मुनीम को थोडा दूर ही रखती थी।
लेकिन यह व्याभिचार का नशा था इस लिए वह अपने यार से चुदवा रही थी और मजे ले रही थी।
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अब आगे..........
विनोद भी जम कर सुंदरी को चोद रहा था। महक से मिलने के पहले विनोद को सुंदरी सबसे अच्छा माल लगती थी और आखिरी दो सालो से सुंदरी को नंगा कर के रात दिन मजा लेना चाहता था। कुछ दिन पहले जब परम ने अपनी माँ सुंदरी को विनोद से चुदवाया तो उसे लगा कि उसे दुनिया की हर चीज मिल गई। लेकिन कल शाम को सुंदरी की बेटी महक की बोब्लो पर हाथ लगाते ही विनोद का पूरा हो गया। उसी वक़्त उसके लंड ने जवाब देके पेंट को ख़राब कर दिया था। विनोद सुंदरी की जवानी को भूल गया और उसने महक से शादी का फैसला कर लिया।
विनोदने सुंदरी के कंधे को दोनों हाथों से दबाया और जोर से धक्का दिया।।और कहा,
“सुंदरी, तेरी बेटी महक से मेरी शादी करवा दो।” और जम कर धक्का मारा…ओह...रानी तेरी चूत में जो मज़ा है वो और किसी औरत में नहीं… तू सच है… जबर दस्त माल हो…।”
विनोद चोद रहा था सुंदरी को और बात कर रहा था उसकी बेटी महक की....किसी भी सूरत में किसी भी माँ को ये बात पसंद नहीं आएगी कि उसके सामने कोई किसी और माल के बारे में बात करे चाहे उसकी अपनी ही बेटी क्यों ना हो। सुंदरी को बहुत गुस्सा आया। उसने विनोद को धक्का देकर अपने शरीर से हटाना चाहा, लेकिन विनोद ने सुंदरी को अपनी बाहों में कस कर पकड़ लिया। सुंदरी विनोद से अलग होने के लिए तैयार थी। लेकिन विनोद ने उसे खूब कसकर पकड़ रखा था और जोर-जोर से चुदाई कर रहा था। सुंदरी को चुदाई में बहुत मजा आ रहा था लेकिन उसका गुस्सा कम नहीं हुआ।
“हरामी...मादरचोद, माँ को चोद रहा है और बहनचोद, बोलता है कि बेटी से शादी करेगा…जा हरामी तू मुझसे दूर हो जा…मैं अपनी चूत के लिए कोई दूसरा लंड ढूँढ लूंगी…।”
सुंदरी ने विनोद को धक्का मारते हुए कहा “चल लंड बाहर निकाल।” लेकिन दोनों में से किसी ने लंड को बहार निकाल ने की कोशिश तक नहीं की। दोनों अपनी चुदाई में मस्त थे।
“शादी भी करेगा और बहनचोद, माँ और बेटी दोनों को चोदेगा!” सुंदरी ने कहा और साथ-साथ में कहा “यह भी सही है, हो सकता है मैं जमाई बाबु से चुद-चुद के चूत और गांड मरवाती रहू।“
दोनो चुदाई कर रहे थे और उधर बिस्तर पर लेटी बहू सोच रही थी कि रंडी सुंदरी वापस क्यों नहीं आई! दस मिनट हो गए...सुंदरी रूम में नहीं आई....बहू कि चुत मुनीम से चुदवाने के बाद ठंडी हो गई थी लेकिन बहू और मजा लेना चाहती थी कम मौक़ा मिले ना मिले। वह सुंदरी की चूत का माल ज्यादा से ज्यादा अपने मुंह में भरना चाहती थी और वो भी सुंदरी के चूत और बोब्लो का...बहु सुंदरी का चुतरस ज्यादा से ज्यादा अपने मुंह में भरना सोच रही थी।
बहू को डर लगा की,सुंदरी को क्या हुआ! क्या कोई उसे जबरदस्त चोद तो नहीं रहा है? यह सोच कर बहु बेडरूम से बाहर आई बिल्कुल नंगी। बहू की मोटी और बड़ी-बड़ी चुचिया उठ कर निचे जा रही थी और मोटी-मोटी जांघों को लेकर बहू बाहर के कमरे में आई तो जो देखा उसे देखकर बहू को सरप्राइज नहीं हुआ।
सुंदरी के नंगे शरीर पर परम के उम्र का लड़का देख कर बहू को समझने में देर नहीं लगेगी कि यही 'विनोद' है।
बहू उनके पैर की तरफ खड़ी थी। बहू ने देखा कि विनोद ने सुंदरी को कस कर बाहों में लेकर खूब जोर-जोर से चोद रहा था। सुंदरी ने अपनी जांघों को ऊपर उठाये रखा था और कुल्हे उछाल कर चुदाई करवा रही थी। बहू ने देखा कि विनोद का लंड सटासट सुंदरी की चूत में अंदर-बाहर कर रहा था। फिर बहु ने सोचा की जहा मुनीमजी का लंड गया हो वह चूत में एकसाथ दो दो लंड जाए तभी उसे शान्ति हो सकती है। यह मुनीमजी भी ना क्या लंड लेके पैदा हुए है।
बहू की जांघें फैली हुई थीं और उसका हाथ आने आप अपनी चूत के ऊपर चला गया और बहू अपनी चूत रगड़ने लगी। बहु ने खुद की चूत के दरवाजे कुछ ज्यादा ही खुले हुए पाए, और फिर से मुस्कुराती हुई “क्या मुनीमजी कुछ तो रहने देना था।“ बहू चुपचाप खड़ी रही थी और कभी अपनी छाती को दबाती और चूत से खेल रही थी। तभी सुंदरी ने बहू को देखा और मुस्कुरा दी। बहु ने उसे चुप रहने का इशारा किया। बहू को देख कर सुंदरी का गुस्सा ख़तम हो गया और सुंदरी ने विनोद को किस करते हुए पूछा।
“अच्छा विनोद, ये बता…गांव में इतनी मस्त गर्ल्स हैं तो फिर तू मेरी जैसी दो-दो बच्चों की माँ को क्यों चोदना चाहता है…? और खास कर मुनीमजी जैसे लैंड की गुलाम को कैसे पसंद किया?”
“ओह…रानी…तेरे जैसी माल इस गांव में क्या आस-पास के गांव में कोई नहीं है…मैं कोलकाता भी जाता हूं और वहा भी चुदाई करता हूं लेकिन कोई भी तुम्हारा जैसा माल नहीं…तू कोलकाता मे चुदवायेगी तो सबसे अमीर महिला हो जायेगी…तेरी चूत का स्वाद जो एक बार लेगा वो शरबत को भूल जाएगा!'' बहू ने यह सब सुना और वह विनोद की बात से पूरी तरह सहमत हो गई।
विनोद को नहीं पता था कि कोई और उसे सुंदरी को चोदते हुए देख रहा है। विनोद ने लंड को चूत से पूरा बाहर निकाला और खूब जोर से धक्का मारा…
“ओह्ह…माआआ…आह……मजा आआ…गयाआ…।” बहु जानती थी की सुंदरी विनोद को उकसाने और उसके धक्के ज्यादा लगे उसके लिए यह नाटक कर रही थी। वह मुनीमजी पहले से ही बमबारी कर चुके थे।
सुंदरी जोर से कराह उठी। विनोद को प्रोत्साहन मिला और फिर दोबारा लंड को बाहर निकाला और दोबारा खूब जोर से धक्का मारा…
“आह्ह्ह्ह…बेटा…आह्ह्ह्ह…मै…तो.....गयी…।! फाड़ दी मेरी चूत को.....अब पति को क्या दिखौंगी....इतना बड़ा खेत बना दिया....”
सुंदरी ने पैर और हाथ से विनोद को जकड़ा और फिर ढीला कर दिया। लेकिन विनोद उसे तेजी से चोदता रहा और जल्द ही उसने सुंदरी की चूत को अपने रस से भर दिया। बहू ने उन्हें एक-दूसरे को सहलाते और चूमते देखा। फिर विनोद सुंदरी के शरीर से अलग हो गया और सुंदरी की साड़ी जमीन से खींच ली। फनलवर की प्रस्तुति।
“साडी का क्या करेगी, पहनेगी क्या? “
यह सुनते ही विनोद पलट गया। उन्होंने जबरदस्त औरत देखी। विनोद ने 100 से ज्यादा नंगी मालों को देखा और आनंद लिया, लेकिन उसने इतने भरे हुए और बड़े रसीले स्तनों की जोड़ी कभी नहीं देखी थी। विनोद ने अपनी नजरें उस महिला, बहू पर नीचे की ओर घुमाईं और उन्हें एक मोटी जांघें और उन जांघों के बीच एक फूली और सूजी हुई बड़े आकार की चूत दिखाई दी। विनोद उसे चोदने से ज्यादा उन दूध के गोलों को चूसना चाहता था। नीता की पेशकश।
“लंड साफ करेगी…!” विनोद ने हकलाते हुए कहा।
“तेरे लये तो नहीं पर इस लंड पर सुंदरी का चुतरस को जरुरु चाट लुंगी। यह रस मेरे लिए अमृत समान है।”
बहू आगे बढ़ी और विनोद के हाथ से साड़ी खींचकर दूर फेंक दी। वह सुन्दरी के पास बैठ गयी और विनोद को कमर से पकड़ लिया। विनोद का लंड सुंदरी की चुदाई बहुत ढीला हो गया था। बहू ने एक हाथ से लंड को पकड़ा और कहा:
“सुंदरी, तुमने साले को पूरा निचोड़ लिया…!”
इतना कहकर बहू ने सिर नीचे कर लिया और लंड को मुँह में लेकर लॉलीपॉप जैसे चुसने लगी। सुंदरी उठी और रसोई में चली गई, वह 10 मिनट बाद लौटी और तब तक बहू विनोद का लंड चबा रही थी। विनोद का लंड फिर से अकड़ने लगा। सुंदरी तीन गिलास थोड़े से जूस के साथ आई। तीनो ने एक गिलास पिया।
ड्रिंक खत्म होने के बाद सुंदरी ने बहू से कहा- “बिस्तर पर लेट जाओ बहु”।
बहु ने कहा: “सुंदरी आज जाने दो थक सी गई हूँ।” बहु ने अपनी सूजी हुई और बड़े होल वाली चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा।
“आज जी भर के जी ले बहु फिर मौक़ा मिले तो फिर खा लेना, चूत में काफी भूख होती है।“ सुंदरी ने बहु को खिंच के लिटा दिया।
बहू दोनो जांघों को फैला कर लेट गई और सुंदरी ने विनोद से बहू की चुचियों का मजा लेने को कहा। सुंदरी को लगा कि बहू की चुचियो का मजा लेकर विनोद का लंड जल्द ही टाइट हो जाएगा। विनोद एक हाथ से बोबले को दबाते हुए बहू को दूसरी चुची (निपल) को चूसने लगा।
आजके लिए बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक आप अपने कोममेंट देते रहिये।
।। जय भारत ।।
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