Click anywhere to continue browsing...
Thanx aman bhai...Amazing story dr sahab,
aapne ek baar phir se iss story ko start karke purani yaadon ko taza kar diya hai,
ye story meri xp ki favorite stories mein se ek hai,
aapki lekhani ka jadoo hi hai jo aaj bhi ye story ko padhakar vaisi hi feeling hoti hai jaisi first time padhte samay hui thi,
Dhanyawad iron men ji...for new thread dr sahab
Ye story maine padhi hai
Kafi shandar story hai
![]()
Bad boy is back with another bomb story....
haaye saari behne aisi hone lage to ye duniya swarg hi na ban jaye..... he he.
Congratulation for new storyपरिचय
बचपन से मुझे प्यार करने वाले कम थे,लेकिन जो मिले वो बेपनाह प्यार करने वाले थे,मैं आकाश एक सीधा साधा सा बन्दा हु मेरी लाइफ भी बड़ी ही साधारण सी है लेकिन साधारण सी चीजो का अपना ही महत्व होता है मेरी सादगी ने मुझे बहुत दिया जो दिया वो थे प्यार करने वाला परिवार और दोस्त,परिवार में माँ बाप थे और एक बड़ी दीदी थी जो मुझसे एक ही साल की बड़ी थी और दोस्तों की बाते मैं आगे बताऊंगा,
मैं बचपन से ही शर्मीले किस्म का लड़का था,और दीदी बड़ी ही तेज और लड़ाकू थी ,सुन्दरता और आत्मविश्वास के कारण और भी खिल जाती थी,जो पहनती पुरे विस्वास से किसी की नहीं सुनती,घर में भी उनका ही हुक्म चलता,अपनी बात मनवाना उन्हें आता था या तो प्यार से ना मने तो मार से, पूरा स्कूल.टीचर और परिवार की चहेती और मेरी पहचान उनके भाई के नाम से ही होती थी,लोग मुझे आकाश कम और नेहा के भाई की तरह ज्यादा जानते थे,मेरी दीदी की एक ही कमजोरी रही वो था मैं,और मेरी कमजोरी भी मैं खुद ही था मेरा स्वभाव ही मेरी कमजोरी रहा,
मेरे बचपन के दोस्तों में एक राहुल ही था जिसे मैं दोस्त कह सकू मुझसे बिलकुल विपरीत था शायद इसलिए मेरा सबसे अच्छा दोस्त बना,राहुल और मैं एक ही क्लास में थे और दीदी हमसे एक क्लास की सीनियर,राहुल की कोई बहन नहीं थी इसलिए वो नेहा दी को ही अपनी बहन मानता था और दीदी भी उसे मेरी तरह ही मानती थी,उनका मानना था की मुझे तो दुनिया दारी की समझ नहीं है पर जब तक राहुल मेरे साथ है मुझे डरने की कोई जरुरत नहीं होगी,राहुल उनके लिए एक ऐसा भाई था जो उनके जान से प्यारे भाई की हिफाजत करता था.
स्कूल के दिनों में दीदी के नाम से राहुल मनमाने काम लोगो से करा लेता था ,जब कोई उसकी बात न मानता तो सीधे दीदी के पास पहुच जाता दीदी के काम निकलने के ढंग भी निराले थे टीचर से प्यार से,लडको को दुसरे लडको का डर दिखा कर और बच्चो को डरा कर या प्यार से काम निकल ही लेती थी,टीचर हमेशा से उनके ही थे,चपरासी से लेकर लेब वाले भईया तक उनकी बात कोई नहीं कटता था,बड़ी गजब का व्यक्तित्व है उनका,कुछ लडको से उनकी दोस्ती थी कुछ स्कूल के उनके क्लास के थे कुछ उनसे बहुत बड़े तो कुछ दुसरे स्कूल के,कुछ गुंडों जैसे भी थे तो कुछ बहुत ही पढ़ाकू जैसे भी थे,समझिये जिनसे वो मिली उससे दोस्ती कर ली....
राहुल भी कुछ ऐसा ही था,पर दोनों की एक ही समानता थी वो था मैं,मेरे लिए दोनों एक ही थे अपनी जान छिडकने वाले..
कहानी तब से सुरु करता हु जब दीदी का स्कूल खत्म हो गया और वो कॉलेज में चली गयी हम उस समय 12 में थे,इंजीनियरिंग कॉलेज था जहा हमारा भी जाना तय ही था उसके बाद मनेजमेंट में जाना और फिर बापू का बिजनेस करना ही हमारी नियति थी..खैर दीदी के जाने के बाद स्कूल में मेरा धयान राहुल ही रखता था,
'दी पराठे बहुत बढ़िया है,आज तो कॉलेज का पहला दिन है आपका जादा मत खा लेना वरना'हा हा हा राहुल की हसी हमारे डाइनिंग रूम में गूंजी
'मार खाना चाहता है क्या,आज शुभ दिन है तो बच गया तू'दीदी ने हसते हुए कहा,
'आप अब नहीं रहोगे तो स्कूल में मजा नहीं आएगा'मैं थोडा उदास था,मेरा इतना बोलने पर दीदी ने बड़े प्यार से मुझे देखा पर राहुल के होठो में हसी थी
'साले तू कोन सा मजा करता है,सोच मेरा क्या होगा साला अब तो क्लास भी अटेंड करनी पड़ेगी पूरी मिश्रा मेम की बोरिंग क्लास भी,'दीदी फिर मुस्कुरा के अपने भाइयो को देखने लगी
'कोई बात नहीं कोई प्रोब्लम होगी तो बोल देना मैं देख लुंगी,'
'अरे दी आप हमारी चिंता छोडो और अपनी देखो अभी तो कॉलेज की हवा लगेगी फिर कहा भाई,और अभी तो आपकी रेकिंग भी होनी है,मैं तो छुपके देखूंगा हमारी शेरनी दीदी कैसे बिल्ली की तरह दिखाती है,'हा हा हा राहुल फिर हस पड़ा दीदी भी उसके बातो का कुछ बुरा नहीं मानती थी पर रेकिंग के नाम से मेरी हालत ख़राब हो गयी
'दीदी सच में रेकिंग होगी कुछ प्रोब्लम होगी क्या हम भी चले क्या साथ में,'मैंने घबराते हुए कहा पर दीदी ने बड़े प्यार से मुझे देखा
'अरे पागल तेरी दीदी कोई गुडिया नहीं है,तू फिकर क्यों कर रहा है,कुछ नहीं होगा और थोडा जो होगा उसे मैं भी एन्जॉय करुँगी ये दिन फिर थोड़ी आयेंगे,हा अगर कोई हद से बड़ा तो उसकी खैर नहीं,'
'दीदी कुछ भी प्रोब्लम हो या कोई बदतमीजी करे तो एक कॉल कर देना मैं विक्की और नानू को ले के आ जाऊंगा,'विक्की और नानू दीदी के सीनियर थे और राहुल के अच्छे दोस्त भी थे सुना था उनकी कॉलेज में चलती है,थोड़े दबंग किस्म के थे दोनों,मैं भी सीधा था पर मेरी पहचान एक बॉडी बिल्डर की भी थी,ये दोनों मेरे जिम में ही जाते थे उनसे मेरी दोस्ती तो ना हो पाई पर राहुल जो सिर्फ लडकिया ताड़ने जिम जाता था उनसे घुल मिल गया था,
'अरे तू फिकर मत कर मैं सम्हाल लुंगी और उन गुंडों से थोडा दूर ही रहा कर तू मैं नहीं चाहती उनके कारन मेरे भाइयो को कोई प्रोब्लम हो समझा,'दीदी ने समझाईस दे डी
'अरे दी हम तो सिर्फ उनसे ऐसे ही बातचीत कर लेते है,'राहुल ने सफाई डी,
'तू तो रहने दे बेटा सब जानती हु,उनके साथ मिलकर तू जिम में लडकिया ताड़ता है तेरी कम्पलेन मिली है बहुत कुछ एक्सरसाईंस भी कर लिया कर 2 सालो में जैसा का तैसा है आकाश को देख कितना मस्त डोले सोले बना लिया है,लडकिया तो ऐसे भी मर जाये इसपर छेड़ने की क्या जरूरत है,'
'अरे दीदी आप नहीं समझोगे ताड़ने का मजा क्या है,ऐसे आपको जिम में जब कोई ताड़ता है तो आपको भी तो अच्छा लगता होगा ना,आखिर इतना कर्व भी किस काम का जब कोई देखे ही नहीं,'राहुल ने मुझे आँख मारते हुए कहा,दीदी उठ के उसके पीछे भागी और मैं वही हँसता रह गया,राहुल और दीदी की मस्ती तो यु ही चलती रहती थी मेरे लिए ये कोई नयी बात तो नहीं थी...
Dhanyawad dostAmazing story keep it up waiting for next update