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Adultery त्यागमयी माँ और उसका बेटा ( Copied

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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INDEX






Family Introduction







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इस कहानी के दो मुख्य पात्र हैं राज और उसकी माँ नमिता ।





आज राज की उम्र १८ साल की है और उसकी माँ ४० साल की है। राज के पिता का देहांत क़रीब ५ साल पहले एक दुर्घटना मेंहो चुका था। नमिता एक ऑफ़िस में काम करती है, और उसके पति के पेन्शन और उसकी तनखा से घर का ख़र्च आराम से चल रहा था। नमिता की बस एक ही इच्छा थी कि राज ख़ूब पढ़े और बड़ा आदमी बने। वह बस इसी इंतज़ार में जी रही थी।

आइए अब राज के बारे में .बताएँ , वह पढ़ने मेंबहुत अच्छा था और हमेशा पहले या दूसरे नम्बर पर आता था।वह अभी १२ वीं में था और खेल मेंभी वो बहुत अच्छा था और फ़ुट्बॉल उसका प्रिय खेल था। उसकी क़द काठी अच्छी थी और वो एक अपने उम्र के लिहाज़ से एक तगड़ा लड़का था। गोरा चिट्ठा और चेहरे से मासूमियत टपकती थी। उसके दिमाग़ मेंअब तक वासना ने अपना स्थान नहीं बनाया था। सेक्स के बारे में सीमित जानकारी रखता था क्योंकि उसके सब दोस्त उसके जैसे ही पढ़ने वाले थे। हाँ कभी कभी उसको कोई लड़की या मैडम अच्छी लगती तो उसको लगता था किउसके हथियार मेंकुछ हरकत हो रही हो। और वो शर्मिंदा हो जाता था किउसके विचार इतने गंदे कैसे हो गए!!!

उसकी माँ नमिता एक घरेलू महिला थी, पर काम करने के कारण बाहरी दुनिया को समझती थी। अपनी ज़िन्दगी मेंउसने कुछ समझोते भी किए थे। कभी नौकरीके लिए तो कभी पैसों के लिए और कभी अपनी शरीर की भूक मिटाने के लिए। पर वो बहुत ही सुलझी हुई औरत थी और अपनी ज़िम्मेदारियाँ समझती थी। वो भी अपने बेटे की तरह गोरी चीट्टी भरे हुए बदन की औरत थी, जिसको कोई भी मर्द एक बार देख ले तो दूसरी बार पलट कर देखता ज़रूर था। उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ और पतली कमर और बाहर निकला हुआ पिछवाड़ा मर्दों पर बिजली गिराते थे।वह साड़ी या सलवार कुर्ती ही पहनती थी और घर में नायटि ही पहनती थी।

सब कुछ ठीक चल रहा था और नमिता का पूरा ध्यान राज के खाने पीने और उसकी पढ़ायी पर ही रहता था।

राज और उसकी माँमें भी एक बहुत ही प्यारा रिश्ता था और वो दोनों ही एक दूसरे के लिए जीते थे। दोनों एक दूसरे का बहुत ध्यान रखते थे। नमिता का ऑफ़िस का समय १०से ५ का था और राज का स्कूल ७ से १ बजे का था।
नमिता रोज़ सुबह राज को उठाने आती क्योंकि राज देर रात तक पढ़ता रहता था। सुबह जब वो उसे उठती तो वो उठके उससे लिपट जाता था और माँ के गाल चूमते हुए

good morningकरता था। वो भी उसके गाल या माथा चूमकर उसको प्यार करती थी।

पर कभी नमिता को अटपटा लगता था जब राज की ओढ़ी हुई चद्दर नीचे उसकी जाँघों के पास से उठी रहती थी। उसे थोड़ा सा अजीब लगता था पर वो जानती थी किइस उम्र मेंये एक प्रकृतिक अवस्था है और सब लड़के इस दौर से गुज़रते हैं।

पर उसको हैरानी इस बात की होती थी किहे भगवान ये तंबू इतना ऊँचा कैसे तनजाता है? क्या राज का हथियार इतना बड़ा है? उसे कुछ अजीब सी फ़ीलिंग होती थी पर बाद में वो जब उसका भोला चेहरा देखती थी तो सब भूलकर उसे प्यार करने लगती थी। पर राज जब ऐसी उत्तेजित अवस्था मेंउठता था तो उसको अपनी माँ के सामने बड़ा ख़राब लगता था और वो उसको छुपाने की असफल कोशिश करता था और भागकर बाथरूम मेंजाके पेशाब करने की कोशिश करता था और हथियार के नोर्मल होने के बाद ही वापस बाहर आता था।

माँ मन ही मन मुसकाती थी और कुछ नहीं होने का बहाना करती थी। सुबह की चाय पीकर राज नहा धोकर नाश्ता करने आता था और माँबेट साथ ही नाश्ता करते थे और फिर राज अपनी माँसे लिपटकर प्यार करके स्कूल बस से स्कूल चला जाता था। नमिता बाद में नहाकर खाना बनाती थी और फिर ख़ुद बस से ऑफ़िस चली जाती थी। जीवन ऐसे ही कट रहा था।

राज बस में बैठे हुए अपनी पढ़ायी के बारे में सोच रहा था तभी अगले स्टॉप पर उसकी मैडम जो कि उसको maths ( गणित) पढ़ाती थीं आकर उसके साथ वाली सीट पर बैठ जाती है।
राज: गुड मोर्निंग मैडम ।
मैडम: गुड मोर्निंग , कैसे हो राज बेटा? पढ़ायी कैसी चल रही है?
राज: जी मैडम अच्छी चल रही है, पर गणित बहुत कठिन है।
मैडम: बेटा कभी भी कोई समस्या हो तो मेरे ऑफ़िस आ जाना मैं तुम्हारी मदद कर दूँगी। फिर मैडम को फ़ोन आया और वो उसमें व्यस्त हो गयी। राज ने देखा कि वो बात करते हुए अपनी छाती के निचले हिस्से को खुजाने लगी और हल्के से ब्रा को भी अजस्ट की। राज ने सोचा कि शायद उसकी ब्रा टाइट होगी , तभी शायद वो ऐसा करी होंगी। उसने कई बार माँ को भी ऐसा करते देखा था, और माँ ही बतायी थी कि जब भी नयी ब्रा पहनो थोड़ी दिन कुछ तकलीफ़ तो होती है।
राज अचानक मैडम की अपनी माँ से तुलना करने लगा। दोनों क़रीब एक ही उम्र की थीं क्योंकि उनका बेटा भी उससे एक साल स्कूल में पीछे था।उनके बेटे श्रेय से उसकी बहुत पटती थी, वो भी पढ़ायी में काफ़ी आगे रहता था।राज ने देखा कि उसकी माँ की तरह मैडम भी गोरी और बदन से भरी हुइ हैं और उनकी छातियाँ भी एक जैसी ही हैं।



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नीचे ब्लाउस के नीचे से गोरा थोड़ा उभरा हुआ पेट भी एक समानही था।नीचे उसे मैडम की गोल गोल भारी जाँघें साड़ी से दिख रही थीं। माँकी भी वैसे ही जाँघें थी।
अचानक फ़ोन पर बात करते हुए उसने अपनी जाँघ सहलायी बहुत ऊपर की तरफ़। राज को अपने हथियार में हरकत सी हुई और वो उसको अजस्ट करते हुए बाहर की ओर देखने लगा।

वह अपने आप पर हैरान हो रहा था कि वह मैडम की तुलना अपनी माँ से भला क्यों कर रहा है? तभी स्कूल आ गया और मैडम खड़ी हो गयी और अब साड़ी में से उसके बड़े बड़े नितंब उसके सामने थे। साड़ी उसके बड़े गोल चूतरों के बीच थोड़ी फँस सी गयी थी। ऐसा ही माँ के साथ भी कई बार होता था, उनकी nighty या साड़ी भी ऐसी ही फँस जाती थी ।मैडम ने पीछे हाथ डालकर अपने कपड़े को बाहर की ओर खिंचा और उसे निकाला और अब राज का हथियार और बड़ा हो गया।
उसने थोड़ी देर रुककर सबको उतरने दिया और बाद में ख़ुद उतरा , पैंट के आगे स्कूल का बैग रखकर।

उधर नमिता भी आज अलसायी पड़ी थी सोफ़े पर , खाना बना चुकी थी और आज उसे देरी से जाना था कि क्योंकि कल ऑफ़िस की एक अधिकारी की माँ की मौत के कारण सब उसके यहाँ गए थे और ऑफ़िस आज देरी से चालू होना था।

रोज़ तो वो ओफ़िस के बस से जाती थी, पर आज उसे पब्लिक बस से ही जाना होगा। वो तय्यार हुई आज उसने सलवार कुर्ती पहनी थी और उसने शीशे में ख़ुद को देखा और सोचने लगी कि इतनी सुंदर जवानी बर्बाद हो रही है। उसने आह भरी और याद किया कि पिछली बार उसे सेक्स किए हुए शायद ४ महीने हो गए हैं। उसे आज भी याद है कि वो २२ साल का लड़का उसके बॉस का कोई रिश्तेदार था जिसने उसे ऑफ़िस में देखकर उसको अपना कॉर्ड दिया था और बाद मेंउसको फ़ोन पर बात करके उसे अपनी बातों से आकर्षित कर लिया था और अंत में उसने उसकी ज़बरदस्त चुदायी की थी। ये याद करके उसकी पैंटी में गिलापनआ गया। उसे लग रहा था कि उसका शरीर फिर से सेक्स के लिए भूक़ा हो रहा था। ख़ैर वो बाहर आयी और बस स्टॉप पर बस का इंतज़ार करने लगी। बस के आते ही वो उसपर चढ़ी पर उसे बैठने के लिए जगह नहीं मिली।वो खड़ी हो गयी एक सीट की बैक रेल पकड़कर। अगले स्टॉप से भीड़ बढ़ने लगी।अब उसे थोड़ी तकलीफ़ सी होने लगी। उसने देखा कि दो लड़के जो अभी अभी चढ़े थे, उसे घूर रहे थे। उनकी उम्र कोई १९/ २० साल की होगी।उन लड़कों ने आपस में कुछ बात की और वो भीड़ में से सरक कर उसकी तरफ़ बढ़ने लगे। थोड़ी देर में एक उसके पास आकर उससे जगह माँग कर उससे आगे निकल गया और दूसरा आकर ठीक उसके सामने खड़ा हो गया। उसने थोड़ा पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि वो पहला लड़का अब मुड़कर ठीक उसके पीछे आकर खड़ा था।


उसे कुछ अजीब सा लगा। तभी अगले स्टॉप और ज़्यादा भीड़ चढ़ गयी। अब वो लड़के भीड़ के बहाने से उससे चिपक से गए। नमिता की विशाल छातियाँ उस लड़के के मर्दाने छाती को छू रही थीं। पीछे वाला लड़का भी अब उससे चिपककर उसके पीठ पर ब्लाउस के ऊपर हाथ रख दिया। नमिता इस डबल हमले से थोड़ा सिहर उठी।
अब पीछे वाला लड़का उसकी ब्लाउस के ऊपर से उसके ब्रा के स्ट्रैप को सहला रहा था और उसके हाथ उसकी नंगी पीठ पर रेंग रहे थे जो ब्लाउस और साड़ी के बीच का हिस्सा था। सामने वाला भी अब उसकी छाती पर अपनी छाती का दबाव बनाते हुए उसके नंगे पेट पर हाथ सहलाने लगा। नमिता का एक हाथ तो सीट का सहारा लिया हुआ था, और दूसरे हाथ से उसने इस लड़के का हाथ अपने पेट से हटाने की कोशिश किया। पर वो लड़का कहाँ मनाने वाला था। उसने एक बार हाथ हटा दिया पर जैसे ही नमिता का हाथ हटा उसने फिर से उसके पेट पर हाथ रखा और उसकी नाभि को छेड़ने लगा।

उधर पीछे वाले की हरकतें भी बढ़ गयी थीं, वो अब अपना हाथ नीचे ला कर उसके नितम्बों को सहलाने लगा। नमिता पीछे हाथ लेज़ाकर उसका हाथ हटाने की कोशिश की पर यह क्या उसने तो उसका हाथ अपने हाथ में पकड़कर उसको सहलाना शुरू कर दिया।
अब सामने वाला लड़का भी हाथ को उसके ब्लाउस के निचले हिस्से तक ले आया और वहाँ सहलानाचालू रखा। नमिता अपना हाथ छुड़ाकर सामने वाले के हाथ को अपनी छातियों तक जाने से रोकने की कोशिश की। अब पिछेवाले ने अपना सामने का हिस्सा उसके नितम्बों से चिपका दिया। उसके पैंट के ऊपर से उसके कड़े लिंग के अहसास से वो हिल सी गयी।

अब सामने वाला फिर से उसकी छातियों तक अपना हाथ पहुँचाने मेंकामयाब हो गया था। वो अब धीरे से उसकी छातियों के निचले हिस्से को दबा भी रहा था, नमिता को लगा कि यह ज़्यादा ही हो रहा है। वो कुछ कहने ही वाली थी कि पीछेवाला लड़का उसके कान मेंफुसफुसाया : आंटी , क्यों विरोध कर रही हो, आराम से मज़ा लो ना।

नमिता हैरानी से अपने बेटे की उम्र के लड़कों के हौसलों को देखकर बोली: ये ठीक नहीं है, चलो मुझे छोड़ दो, नहीं तो मैं शोर मचाऊँगी।

समानेवाला लड़का अब उसकी छातियों को अपने पंजों में दबोचकर उसके कान मेंबोला: आंटी, मज़ा लो ना, क्या बॉडी है आपकी। क्या मस्त छातियाँ हैं।

तभी पिछेवाला उसके नितम्बों मेंअपना खड़ा लिंग रगड़ते हुए बोला:

आंटी, आह क्या मस्त चूतर हैं आपके, हाय बहुत अच्छा लग रहा है। ऐसा कहते हुए उसके हाथ अब उसकी कुर्ती को सामने से उठाकर उसकी सलवार के ऊपर से उसकी भारी हुई जाँघों पर आ गए।

अब नमिता की सिसकी निकल गयी और वो धीरे से बोली: कोई देख लेगा तो क्या होगा, प्लीज़ मुझे छोड़ दो ।
सामने वाला लड़का उसकी छातियों को दबाते हुए बोला: इतनी भीड़ है आंटी, किसी को होश नहीं है , आप मज़ा लो।


अब पिछेवाले लड़के ने उसके पेट को सहलाते हुए उसकी सलवार के ऊपर से उसकी जाँघों के जोड़ तक हाथ डाल दिया। अब नमिता की पैंटी गीलीहोने लगी। काफ़ी दिनों से प्यासी तो थी ही, और अचानक उस लड़के ने उसकी चूत पर अपना हाथ रखा और वहाँ सहलाने लगा। अब वी धीरे से बोला: आंटी, प्लीज़ टाँगें फैलाओना,। और पता नहीं नमिता को क्या हो गया किउसने अपनी टाँगें फैला दीं। अब पिछेवाला लड़का उसकी चूत को सलवार के ऊपर से मुट्ठी में लेकर दबाने लगा। अब नमिता की पूरी सलवार सामने से गीली होने लगी।


अब स्तिथि ये थी कि नमिता की छातियाँ सामने वाले के पंजों में थीं और उसकी चूत को पीछेवाला लड़का दबा रहा था। तभी सामने वाले लड़के ने नमिता का हाथ पकड़ा और अपने पैंट के ऊपर से अपने लिंग पर रख दिया। नमिता सिहर उठी, उस लड़के की उम्र के हिसाब से लिंग बहुत बड़ा लग रहा था। वो चाह कर भी अपना हाथ वहाँ से नहीं हटा पायी। और उस लड़के ने नमिता का हाथ दबाकर अपने लिंग को दबवाना शुरू किया।नमिता की हालत अब ख़राब होने लगी थी ,और उसकी चूत मेंबहुत ज़्यादा खुजली सी होने लगी थी।

अब उसका हाथ अपने आप ही उसके लिंग को दबाने लगा और वो मज़े से भरने लगी थी।तभी पीछे वाले लड़के ने उसका दूसरा हाथ पकड़कर अपने लिंग पर रख दिया। नमिता को लगा कि एक और मूसल सा लिंग उसके हाथ में था और वो अपने आप ही उसको भी आगे पीछे करने लगी।

तभी पीछे वाला लड़का बोला: आंटी, अगले स्टॉप पर उतर जायिये हमारे साथ। मेरा घर स्टॉप से बिलकुल पास है, और परिवार बाहर गया है। बहुत मज़ा आ जाएगा।
नमिता: आह मैं ऐसे कैसे जा सकती हूँ, तुम लोगों को जानती तक नहीं।

सामने वाला लड़का बोला: आंटी, चलेंगी तो जान पहचान भी हो जाएगी। प्लीज़ मना मत करिए , देखिए ना क्या हालत है बेचारे की आपके हाथ में आँसूँ बहा रहा है।
नमिता: लेकिन ये कैसे हो सकता है? मैं ऑफ़िस--
वो बोला: आंटी, ऑफ़िस थोड़ी देर से चली जाइएगा ना आप, प्लीज़ चलिए स्टॉप आ गया है।

अब पीछे वाला लगभग नमिता को धक्का देते हुए दरवाज़े की ओर ले जाने लगा, जबकि आगे वाला रास्ता बना रहा था भीड़ में। नमिता के पैर अपने आप ही उनके साथ चले जा रहे थे, वो अपने पर हैरान थी कि वो ऐसा कैसे कर रही है, एकदम अनजान लड़कों के साथ वो भी उसके बेटे की उम्र के थे, वो चली जा रही है। वो जैसे किसी सम्मोहन में थी और बस से उतर गयी। अब वो लड़का उसको सड़क से ही सामने की गली मेंअपना मकान दिखाया और बोला: आंटी बस वही तीसरा मकान हमारा है।

वो उनके साथ चलती हुई फिर से सम्मोहन से निकलने की कोशिश की, और उसने चोर नज़रों से दोनों के पैंट के सामने उभारों को देखा और उसका रहा सहा संकल्प भी टूट गया। उसकी चूत में उन उभरे हुए लिंगों को देखकर बहुत खुजली सी हुई। और वो जानती थी किआज ये खुजली मिटाए बग़ैर उसे चैन नहीं मिलने वाला।
और फिर तीनों ने उस घर में प्रवेश किया।

उधर राज स्कूल में घुसा तो उसको श्रेय मिल गया जो कि maths वाली मैडम का ही बेटा था। दोनों कुछ देर बात किए फिर अपने अपने क्लास में चले गए। maths के पिरीयड में मैडम आयीं, उनका नाम शीला था,राज को देखकर मुस्कराइ और पढ़ाने लगी। जब वो बोर्ड पर लिखती थी तो पहली क़तार में बैठे राज को उसकी ब्लाउस मेंकसे दूध ऊपर नीचे होते दिखते थे। उसे लगा किवो पढ़ाई की जगह मैडम के दूध देख रहा है, तो उसे ग्लानि हुई। पर आज उसका हथियार फिर से कड़ा होने लगा था। तभी क्लास में एक सर एक लड़के के साथ घुसे और बोले: बच्चों, आज आपको एक नया साथी मिल रहा है, यह प्रतीक है और ये आज से इस क्लास को अटेंड करेगा। आप सब इसके साथ मिलकर रहो।
सर चले गए और प्रतीक पहली क़तार में राज के बग़ल में बैठ गया।

लंच ब्रेक में राज और प्रतीक बातें करने लगे।
प्रतीक: यार ये स्कूल तो मस्त है। मेरा पिछला स्कूल तो बिलकुल बोर था पर यहाँ तो बहुत रौनक़ है यार।
राज: यहाँ ऐसा क्या दिख गया भाई तुम्हें?
प्रतीक: अरे यार, ये maths मैडम ही तो मस्त चीज है, क्या धाँसू माल है।

राज हैरत से बोला: छी क्या बोलता है, शी
ला मैडम के बारे में ! वो बहुत अच्छी हैं, और बहुत ही टैलेंट से भरी हैं।

प्रतीक बेशर्मी से हँसते हुए बोला: अरे मैं भी तो यही कह रहा हूँ की वो बहुत अच्छी है और टैलेंट तो उनके ब्लाउस में भरा हुआ है।

राज: यार मुझे मैडम के बारे में ऐसी बात अच्छी नहीं लगती।

प्रतीक: अरे भाई, सुंदर को सुंदर और माल को माल बोलने में क्या बुराई है? तुमने उनका पिछवाड़ा देखा है, क्या ग़ज़ब का उठान लिए है, साला हथियार तन गया है। और ऐसा बोलते हुए उसने बेशर्मी से अपने हथियार को पैंट के ऊपर से रगड़ दिया।

राज सोचने लगा कि देखा जाए तो वह ख़ुद भी तो उनके बारे में ऐसा ही कुछ सोचता है , फ़र्क़ इतना है कि प्रतीक साफ़ साफ़ बोल रहा है और राज मन की बात मन छिपा रहा है।

तभी श्रेय आने लगा तो राज जल्दी से बोला: अरे यार अब मैडम पुराण बंदकर, ये उनका ही बेटा है।
प्रतीक: ओह सच, तब तो इसिको पटाताहूँ, इसके द्वारा इसकी माँ तक पहुँचना होगा।

राज ने श्रेय का परिचय प्रतीक से कराया। और अब प्रतीक श्रेय से अच्छी अच्छी बातें करने लगा। और बहुत जल्दी तीनों मेंदोस्ती हो गयी। राज को ख़राब लग रहा था कि प्रतीक ने श्रेय से दोस्ती सिर्फ़ उसकी माँको पटाने के लिए की है पर वो कुछ बोल नहीं पाया क्योंकि अंदर कहीं उसके मन में भी अब कुछ ऐसे ही भाव जागृत होने लगे थे। प्रतीक ने उन दोनों को अपने घर आने को कहा और बोला: यार कल इतवार को मेरे घर आओ ना। मस्ती करेंगे।

श्रेय : नहीं भाई मुझे पढ़ायी करनी है।
राज: हाँ यार मैं भी नहीं आ सकूँगा।
प्रतीक: अच्छा चलो शाम को आ जाना और साथ मेंचाय नाश्ता करेंगे।
थोड़ी बार दोनों मान गए और अगले दिन शाम को मिलने की बात हो गयी। प्रतीक: अरे यार तुम लोग मेरे घर आओगे तभी तो मैं तुम्हारे घर आ पाउँगा। और कहते हुए वो हँसने लगा।

राज उसकी बात का मतलब समझ रहा था और वो थोड़ा सा विचलित भी था किक्या ये सब ठीक है?
उधर नमिता उन दोनों लड़कों के साथ उस घर में घुसी और उन्होंने उसे सोफ़े पर बिठाया और विकी जिसका घर था, फ्रिज से ठंडा पानी लेकर नमिता को दिया। नमिता पानी पीने लगी। नमिता की साड़ी का पल्लू एक तरफ़ सरक गया था सो उसने उसे ठीक कर अपनी छातियाँ ढक लीं।
बीजू जो विकी का दोस्त था, बोला: आंटी और कुछ लेंगी?

नमिता ने ना में सर हिलाया।

विकी बोला: आंटी, आप बिलकुल परेशान मत होईए, यहाँ अभी कोई नहीं आएगा।

नमिता: मुझे ऑफ़िस जाना है ।

बीजू: आंटी, चली जाना ना ऑफ़िस, थोड़ा मज़ा तो कर लें।

नमिता का चेहरा लाल हो गया, वो सोचने लगी, ये क्या कर बैठी , अपने बेटे के उम्र के लड़कों के साथ यूँ ही चली आयी और अब जो होना है वो तो होकर ही रहेगा।
विकी: आंटी हम अच्छे घरों के लड़के हैं, आपको कभी बदनाम नहीं होने देंगे,आप हम पर विश्वास करो।
तभी दोनों नमिता के पैरों के पास बैठ गए। अब दोनों ने उसके पैरों को हाथ में ले लिया और उसको चूमने लगे। बीजू बायें पैर का अँगूठा और विकी दायीं पैर का अँगूठा चूसने लगे। नमिता के लिए ये एक अजीब अनुभव था। अब उन दोनों ने उसके तलवे चाटने शुरू किए। फिर वो उसकी सभी उँगलियोंको बारी बारी से चूमने और चूसने लगी।

फिर वो उसकी साड़ी ऊपर करते हुए उसकी पिंडलियों को चूम रहे थे और अब वो घुटनों को चूम रहे थे।
अब उनके हाथ उसके पैरों पर थे और जीभ से उसकी घुटनों और उसके ऊपर जाँघों तक चाटने लग गए।नमिता की आहेंनिकल रही थी। उसका ये अनुभव अनूठा था।
जब दोनों जाँघों तक पहुँचे तो नमिता को खड़े करके उसकी साड़ी उतार दिए।अब वो उसके पेटी कोट का नाड़ा खोल दिया। उसका पेटी कोट नीचे गिर गया। पैंटी में से उसकी चूत फुली हुई और वहाँ गीली सी दिख रही थी। वो दोनों जैसे मुग्ध दृष्टि से उसकी पैंटी को देख रहे थे। फिर उन्होंने उसे सोफ़े पर बैठा दिया और ख़ुद भी साथ में बैठ गए। उसके एक एक हाथ को पकड़कर दोनों ने उसकी उँगलियाँ चूमनी चालू कीं। फिर एक एक अंगुली चूमे और जीभ से चाटे। नमिता बहुत ही उत्तेजित हो गयी थी। अब वो उसकी बाहों को चूमने लगे। फिर उसकी कोहनी को चूम रहे थे।

फिर उसकी स्लीव्ज़लेस ब्लाउस के ऊपर तक बाहोंको चूमते हुए उसकी बाँहें उठायीं और उसकी बग़लों को सूंघकर दोनों मस्ती से उसकी बग़लें चाटने लगे। नमिता की आऽऽऽहहहह निकल गयी।

अब लड़कों ने उसकी गर्दन और गाल चूमे और चाटे। अब वो उसकी ब्लाउस के ऊपर से उसकी छातियों को चूमने लगे।


फिर दोनों उसके ब्लाउस के ऊपर से उसकी छातियाँ दबाने लगे। नमिता की हाऽऽऽयय्यय निकल गयी।
फिर उन्होंने ब्लाउस के हुक खोले और उसको निकाल दिया , अब ब्रा में क़ैद उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ बहुत ही मादक दिख रही थीं। वो दोनों उसकी ब्रा के ऊपर से एक एक छाती चूमने लगे। अब नमिता जैसे पागल सी हो रही थी, उसने हाथ बढ़ाकर उन दोनों के पैंट के ऊपर से उनके हथियार पकड़ लिए और मसलने लगी।अब वो ब्रा खोलकर उसकी भारी छातियाँ देखकर मस्त हो गए। वाह क्या मस्त बड़े बड़े आम थे और उसके ऊपर काले लम्बे अकड़े हुए निप्पल्स जैसे कह रहे थे कि आओ बच्चों मुझे चूसो।

नमिता बोली: आह्ह्ह्ह्ह्ह चलो अपने कपड़े खोलो अब, मुझे तो नंगी कर दिया और ख़ुद पूरे कपड़े पहने खड़े हो।

दोनों ने हँसते हुए कहा: लो आंटी हम भी नंगे हो जाते हैं।
अब दोनों ने अपने कमीज़े उतारी और उनकी चौड़ी छाती देखकर वो मस्ती से भरने लगी। उनकी बाँहें भी बहुत बलशाली दिख रहीं थीं।

अब उन्होंने अपनी जींस खोली और उनकी बालोंवाली मोटी जाँघें और उसके बीच में जॉकी का उभार बहुत ही आकर्षक लग रह था।

दोनों की चड्डियाँ उनके प्रीकम से गीली थीं।
अब विकी उसके पास आया और उसका सर अपनी चड्डी पर दबा दिया। नमिता मर्दाने वीर्य की गंध से जैसे पागल हो गयी और उस जगह को जीभ से चाटने लगी। अब उसने विकी की चड्डी को नीचे किया और उसके लंड को देखकर जैसे निहाल हो गयी और उसका मुँह अपने आप उसके पीशाब के छेद को चाटने लगा ।

फिर उसने उसके लंड की चमड़ी को पीछे किया और उसके सुपाडेको चूमते हुए चूसने लगी। और विकी भी अपनी कमर हिलाकर जैसे उसके मुँह को चोदरहा था। तभी बीजू उसको हटा कर अपना लंड उसके मुँह के पास लाया और नमिता भी उसका लंड चूसने लगी। वो सोचने लगी, क्या मस्त लंड हैं इन दोनों लड़कों के, आज तो मज़ा ही आ जाएगा। तभी वो महसूस की अब दोनों उसकी नंगी छातियाँ मसल रहे हैं। और दोनों उसके निपल्ज़ भी मसलने लगे।

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नमिता को लगा कि वो झड़ जाएगी। तभी वो दोनों नमिता की चूचियाँ दबाते हुए उसको खड़ा करके बेडरूम मेंके गए। फिर उसको लिटाकर उसकी पैंटी को खींचकर नीचे किया और उसकी चूतको देखकर मस्ती से अपने लंड मसलने लगे। अब विकी ने उसकी चूतमेंमुँह डाल दिया और उसको चाटने लगा। बीजू तो उसकी छातियों को मसलते हुए चूसने लगा। नमिता की आऽऽऽऽहहह निकलने लगी।

अब वो अपनी कमर हिलाकर चूत को उसके मुँह पर दबाने लगी।

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फिर विकी ने उसकी टाँगें उठाकर उसकी चूतमें अपना लंड पेल दिया और वो हाय्य्य्य्य कहकर चीख़ उठी। उधर बीजू ने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया। अब वह दोनों उसके मुँह और चूत को चोद रहे थे। नमिता की हाय्य्यय और ह्म्म्म्म्म की चीख़ों से कमरा भर गया। अब वो लंड चूसते हुए अपनी कमर उछाल कर चुदवा रही थी और उसकी चूत से फ़चफ़च की आवाज़ें आ रही थीं। बीजू घुटने के बल उसके मुँह के पास बैठ कर उसके मुँह को चोद रहा था और तभी विकी आह्ह्ह्ह्ह्ह करके झड़ने लगा। और फिर वो अपना वीर्यउसकी चूत में छोड़कर अपने दोस्त के लिए हट गया। अब बीजू ने अपना लंड उसके मुँह से निकला और उसके टांगों के बीच आकर उसकी चूत में एक बार ही में अपना लंड ठूँस दिया। और नमिता ने भी मस्ती से अपनी कमर उछालकर उसके लंड का स्वागत किया और अब बीजू पूरी ताक़त से थप थप कर चोदने लगा।



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नमिता भी मस्ती से अपनी चूत फड़वा रही थी और आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह करते हुए झड़ने लगी चिल्लाते हुए: हाऽऽय्यय ज़ोर से चोओओओओओदो आह्ह्ह्ह्ह्ह फाऽऽऽऽड़ दो मेरीइइइइइइइ चूउउउउउउउततत ।
बीजू भी आंटी की मस्ती से मस्त हो गया और ज़ोर ज़ोर से धक्का मारकर झड़ने लगा। फिर वो उसके ऊपर लेटकर बोला: आंटी मज़ा आया?

नमिता: आऽऽऽह हाऽऽननन बहुत मज़ा आया । हाय इतनी ज़बरदस्त चुदाई करते हो तुम दोनों । ये सब कहाँ से सिख लिए इतनी छोटी सी उम्र में?

बीजू: आंटी आपकी जैसी ही एक आंटी ने हमें ट्रेनिंग दी है।

नमिता हँसते हुए बोली: तभी तो मैं बोलूँ कि इतने जल्दी एक्स्पर्ट कैसे बन गए!

विकी भी उसकी चुचि दबाते हुए बोला: आंटी अभी ये तो ट्रेलर था, पूरी फ़िल्म तो अभी बाक़ी है।

नमिता : नहीं नहीं अब और नहीं। मुझे ऑफ़िस जाना है।
तभी बीजू और विकी ने उसके एक एक चुचि को मुँह मेंलिया और उसके निपल्ज़ को चूसने लगे।

अब नमिता फिर से गरमाने लगी और उसने उनके सरों को अपने दूध पर दबा दिया और सिसकारियाँ भरने लगी।

नमिता: आह्ह्ह्ह्ह छोओओओओओओड़ो ना प्लीज़ , मुझे ऑफ़िस जाना है। हाय्य्य्य्य्य मार डालोगे क़याऽऽऽऽऽऽ

बीजू ने चुचि से मुँह उठाकर कहा: आंटी आज ऑफ़िस से छुट्टी ले लो बहुत मज़ा अभी बाक़ी है।

नमिता जानती थी कि ये उसे छोड़ेंगे नहीं। उसने कहा : अच्छा मुझे ऑफ़िस फ़ोन करने दो।

बीजू उसका फ़ोन लाकर उसको दिया। अब बीजू एक तौलिए से उसकी चूत साफ़ करने लगा और विकी अभी भी चुचि चूस रहा था।

नमिता ने बॉस को फ़ोन लगाकर कहा: सर आज छुट्टी लूँगी क्योंकि तबियत ख़राब है। तभी विकी ने निपल्ज़ को हल्के से दाँत से काटा तो उसकी हाय्य्यय निकल गयी।
बॉस: अरे क्या बहुत तकलीफ़ में हो?

नमिता : जी हाँ बस अब आराम करूँगी। और उसने फ़ोन काट दिया। बीजू भी उसकी चूत खोलकर उसकी गुलाबी छेद को देखकर मस्त हो रहा था।

तभी विकी ने एक बम फोड़ा। वो बोला: आंटी, आप हमारी एक इच्छा पूरी करेंगे क्या?

नमिता: हाय्य्य्य्य कैसी इच्छा? बीजू अब चूत चाट रहा था।

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विकी उसके निप्पल को मसलते हुए बोला: आप हमारी मम्मी बन जाओ और हम आपके बेटे का रोल प्ले करेंगे।
नमिता: क्या मतलब?

विकी: आंटी, अब हम आपको मम्मी बोलेंगे और आप हमको बेटा बोलिएगा। माँ बेटे की चूदाई में आपको भी मज़ा आएगा!

नमिता: छी ऐसा भी कहीं होता है? ये पाप है।

बीजू उसकी चूत से मुँह हटाकर बोला: आंटी ये मेरी जीभ की जगह आपके बेटे की भी जीभ हो सकती है । और उसकी जीभ से आपको और ज़्यादा मज़ा आएगा। आप देख लेना।

नमिता हैरान होकर बोली: तो क्या तुम लोग अपनी माँ के साथ ये सब करना चाहते हो?

विकी: हम तो मरे जा रहें हैं उनको चोदने को , पर साली हिम्मत ही नहीं होती।

बीजू: आंटी मैं तो मम्मी की चुचि उनको प्यार करने के बहाने छूकर ही मस्त हो जाता हूँ।

विकी: मैं भी जब मौक़ा मिलता है उनसे लिपटकर उनकी कमर और चूतरों को सहला देता हूँ।

नमिता: आऽऽहहहह बड़े गंदे हो तुम लोग। हाय्य्य्य्य चलो छोओओओओओड़ो नहीं तो मैं झड़ जाऊँगी।

विकी: हम तो तभी छोड़ेंगे जब आप मान जानोगी हमारी मम्मी बनने को।

नमिता: आह चलो ठीक है, मुझे मंज़ूर है। आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बस करो आह्ह्ह्ह्ह नहीं तो मैं झड़ जाऊँगीं।

बीजू अपना मुँह हटाकर बहुत ही मीठी आवाज़ में बोला: मम्मी अच्छा लगा ना?

नमिता: हाऽऽयय्यय हाँ बेटा बहुत अच्छा लगा। आह तुम दोनों तो आज मुझे पागल ही कर दोगे।

विकी: मम्मी हम आपको पागल नहीं करेंगे बस आपको बहुत मज़ा देंगे।

बीजू: मम्मी ज़रा उलटी लेटो ना प्लीज़।

नमिता उत्तेजना से काँप कर पेट के बल लेट गयी। अब विकी उसकी पीठ को जीभ से चाट रहा था। उधर बीजू उसके तलवों को चाट रहा था और धीरे धीरे ऊपर आ रहा था। विकी पीठ चाटते हुए नीचे जा रहा था। नमिता का शरीर जैसे जलने लगा और वो आहें भर रही थीं।
बीजू: आह मम्मी आपकी पिंडलियाँ कितनी नरम हैं और जाँघें भी कितनी चिकनी हैं। वह जाँघों को सहलाते हुए बड़बड़ा रहा था।

विकी अब उसके चूतरोंको दबाते हुए बोला: आह्ह्ह्ह्ह मम्मी कितने बड़े गोल और कितने मक्खन से चिकने चूतर हैं आपके । और वो उनको चूमने लगा। फिर वो उसके दरार में अपनी जीभ डालकर नमिता को मस्ती से भर दिया।

उधर बीजू भी उसके जाँघों को दबाते हुए उसकी जाँघ के जोड़ तक जीभ ले आया था। अब दोनों के सर क़रीब एक ही जगह आ गए थे। विकी अब चूतरों को फैला कर उसकी दरार को चाट रहा था पर उसकी भूरि गाँड़ के छेद को नहीं छू रहा था।

नमिता का उत्तेजना के मारे बहुत बुरा हाल था।
तभी बीजू बोला: मम्मी प्लीज़ चूतरऊपर उठाओ ना।
नमिता ने अपने नीचे के हिस्से को ऊपर उठा दिया।
अब बीजू ने अपना सर नीचे किया और उसकी चूत और गाँड़ के बीच के हिस्से को चाटने लगा। उधर विकी अब उसकी गाँड़ चाटने लगा। नमिता सीइइइइइ कर रही थी।
अब बीजू उसकी चूतऔर विकी उसकी गाँड़ चाट रहे थे।

बीजू: मम्मी बहुत मस्त चूत है आपकी, ह्म्म्म्म्म्म
नमिता: आह्ह्ह्ह्ह बेटाआऽऽऽऽऽऽ और चूसस्स्स्स्स्स्स हाय्य्य्य्य्य्य!

विकी: मम्मी आपकी गाँड़ भी कितनी मस्त है म्म्म्म्म्म

नमिता: चाट आऽऽऽहहहज बेटाआऽऽऽऽ चाऽऽऽऽऽऽट आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह गाँड़ भी चाट। हाय्य्य्य्य्य्य में मरीइइइइइइइइ ।
फिर वो बुरी तरह से झड़ने लगी और चिल्लाकर कमरे को सर पर उठा लिया। उसका स्खलन इतना ज़ोरदार था कि बीजू का पूरा मुँह ही गीला हो गया।

वो दोनों नमिता को प्यार करते हुए लेट गए उसके साथ।
बीजू: मम्मी अच्छा लगा ? ठीक हो ना आप?

नमिता ने प्यार से दोनों को चूमा और बोली: हाँ बेटा बिलकुल ठीक हूँ, और सच कहती हूँ इतना मज़ा मुझे किसी ने नहीं दिया, जो मेरे बेटे अभी दिए हैं।
अब वो तीनों अलसाए से पड़े रहे। दोनों के लंड अब भी तने हुए थे।
नमिता सोचने लगी पता नहीं आगे और क्या करेंगे ये दोनों।

स्कूल की छुट्टी होने पर राज का सामना फिर प्रतीक से हुआ और प्रतीक बोला: यार मैं अभी प्रिन्सिपल मैडम से मिल कर आ रहा हूँ , वाह क्या मस्त माल है!

राज: अरे वो क़रीब ५० साल की होंगी उनको तू माल कहता है?

प्रतीक: अबे औरत की उम्र नहीं उसकी फ़िगर देखी जाती है। इस उम्र में भी क्या शरीर का कितना ख़याल रखा है! क्या बड़े बड़े दूध हैं और क्या मोटे मोटे चूतर हैं। उनका चेहरा भी कितना चिकना है।

राज: फिर भी उम्र का भी तो कोई मतलब होता है?
प्रतीक: उम्र का क्या मतलब? औरत जितनी उम्र दराज़ होगी उतनी ही ज़्यादा अनुभवी होगी चुदाई में ।

राज उसके मुँह से चुदायी शब्द सुनकर हैरान हुआ और बोला: ये कैसी भाषा बोल रहे हो भाई।

प्रतीक: अरे चुदायी को चुदायी नहीं बोलूँगा तो और क्या बोलूँगा! तुम इतने बड़े हो गए हो , क्या अब तक किसी को चोदा नहीं?

राज: नहीं तो, क्या तुमने चो-- मेरा मतलब है वो किया है?

प्रतीक: अरे कई बार । मैं तो चुदायी के बिना रह ही नहीं सकता।

और एक बात बताऊँ, मुझे लड़कियों में ज़्यादा दिलचस्पी नहीं है, मुझे तो भरे बदन वाली अधेड़ उम्र की औरतों को चोदने में मज़ा आता है।

राज का मुँह खुला का खुला रह गया।

प्रतीक: आज तो मैंने प्रिन्सिपल मैडम पर भी जाल फेंक दिया है। मैंने उनकी सुंदरता एर फ़िट्नेस की बहुत तारीफ़ कर दी है और जल्दी ही वो भी मेरे चक्कर में आ जाएगी। वैसे भी वो विधवा है, जो कि लंड की प्यासी रहती हैं, इनको पटाना ज़्यादा आसान है।

राज को बड़ा अजीब लगा यह सब सुनकर। तभी उसे याद आया कि उसकी माँ भी तो विधवा है , क्या वो भी ऐसी ही प्यासी होगी। और क्या उसको भी लोग ऐसे ही पटाते होंगे।

उसे अपनी सोच पर शर्म आयी पर ख़राब और भी लगा कि उसका हथियार ये सोचकर बड़ा क्यों हो रहा है!
तभी श्रेय आता दिखा तो प्रतीक ने उसे आवाज़ दी और वो इनके पास आया ।

प्रतीक: अरे श्रेय तो प्रोग्राम पक्का है ना , मेरे घर आने का?

श्रेय: हाँ भाई पक्का है, मैं और राज दोनों आएँगे।
प्रतीक: तुम्हें वो मज़ा कराऊँगा कितुम लोग भी क्या याद रखोगे?

राज सोचने लगा कि ये क्या प्रोग्राम बना रहा है? और ये श्रेय से दोस्ती बना कर कैसे शिला मैडम को पटाएगा?
प्रतीक: श्रेय तुम्हारे पापा क्या काम करते हैं?

श्रेय: वो आर्मी में हैं। उनकी पोस्टिंग बॉर्डर पर है।

प्रतीक की आँखें चमकने लगी और वह बोला: तब वह तो अक्सर बहुत दिन के बाद ही आ पाते होंगे।

श्रेय: हाँ भाई वो कभी कभी तो दो महीने तक नहीं आ पाते।

प्रतीक मेरी ओर देखकर कुटिलता से मुस्करा कर बोला: ओह तो तुम आंटी जी का ध्यान रखा करो।

श्रेय: हाँ मैं उनका ध्यान रखता हूँ।
तभी प्रतीक ने मुझसे पूछा: तुम्हारे पापा क्या करते हैं

श्रेय: अरे इसके तो पापा है ही नहीं, कुछ साल पहले उनका देहांत हो गया है।

राज ने प्रतीक को देखा और उसकी दबी मुस्कराहट साफ़ दिखायी दे रही थी। राज को याद आया कि कैसे प्रिन्सिपल मैडम के विधवा होने को लेकर वो ख़ुश था, और अब ज़रूर वह उसकी माँ के बारे में भी ऐसा ही कुछ सोच रहा होगा। उसे अजीब सा लगा कि ये सोचकर उसे प्रतीक पर ग़ुस्सा क्यों नहीं आ रहा है? बल्कि वह फिर से उत्तेजित होने लगा , ये सोचकर कि प्रतीक उसकी माँ को भी पटाने की कोशिश करेगा। ये सोचकर उसका हथियार फिर से कड़ा होने लगा।

राज: प्रतीक तुम्हारे पापा क्या करते हैं?

प्रतीक: हमारा बहुत बड़ा इम्पोर्ट इक्स्पोर्ट का व्यापार है।
और माँ का ब्यूटी पार्लर है। याने दोनों बहुत व्यस्त रहते हैं। घर में मैं बिलकुल अकेला हो जाता हूँ। बस एक नौकरानी है जो हम सबका ध्यान रखती है।

राज: नौकरानी खाना भी बनाती है क्या?

प्रतीक: हाँ यार मम्मी को कहाँ फ़ुर्सत है ।

राज: नौकरानी की उम्र क्या है? ये सवाल पूछते ही उसे अपने पर ग़ुस्सा आया किउसके मुँह से इतना बेहूदा सवाल निकला ही कैसे?

प्रतीक शरारत से मुस्कराहट लाकर बोला: वही उम्र है प्यारे जो अपने को पसंद है। क़रीब ४० की होगी। ये बोलते हुए उसने राज को आँख मार दी।

राज सकपका सा गया और फिर तीनों घर के लिए चले गए, अगले दिन शाम को प्रतीक के घर मिलने का फ़ैसला हो ही गया था।

उधर नमिता लेटे हुए उन दोनों के खड़े लंड को देख रही थी।

अब बीजू उठकर किचन से खाने का समान लाया ।नमिता उठकर बाथरूम से फ़्रेश होकर आयी। वो तीनों बिस्तर पर ही बैठकर खाने लगे। नमिता ने देखा कि उनके लंड अब थोड़े नरम पद गए थे पर लटके हुए अब भी विशाल दिख रहे थे।

खाते हुए बीजू बोला: मम्मी आपके परिवार में और कौन है?

नमिता: बस मैं और मेरा बेटा जो कि क़रीब तुम्हारी ही उम्र का होगा, वो बारहवीं में पढ़ता है। मेरे पति का देहांत क़रीब ५ साल पहले हो गया था।

बीजू: ओह , पर मम्मी आपका काम कैसे चलता है?’

नमिता: कौन सा काम?

विकी हँसते हुए उनकी चूत की तरफ़ इशारा करके बोला: इसकी सेवा का काम।

नमिता: धत्त तुम लोग बहुत बेशर्म हो।

विकी: मम्मी इसने बेशर्मी की क्या बात है, सबकी चूत लंड माँगती है। तो आपकी भी माँगती होगी। तो आप किससे चुदवाती हैं?

नमिता: मेरी उम्र में इस सबकी ज़रूरत नहीं है।

बीजू ने उसकी चूत सहलायी और बोला: आंटी आपकी चूतकितनी प्यासी थी ये हमने देख लिया है।

नमिता: बहुत ही गन्दी बातें करते हो तुम दोनों।

विकी ने उसके दूध दबाते हुए कहा: मम्मी आपका बेटा भी हमारे जैसा है क्या जो अपनी माँ को चोदना चाहता है?

नमिता: छी वो ऐसा नहीं है, वो बहुत ही भोला भला लड़का है।

विकी: अरे मम्मी ,हमारी मम्मियों को भी कहाँ ख़बर है कि हम उनको चोदना चाहते हैं। वो तो हमको भी भोला भला समझती हैं।

पर आपने तो देख लिया कि हम कितने सीधे साधे हैं। कहते हुए उसने अपना लंड सहलाया और वो तन गया।
नमिता सोच में पड़ गयी कि क्या ऐसा हो सकता है कि राज उसपर गन्दी नज़र रखता है! नहीं नहीं ये मैं क्या सोच रही हूँ?

तभी उसने देखा की दोनों के लंड अब बिलकुल तनगए थे और उसकी चूतअब फिर से गीली होने लगी। तभी उसको एक बात सूझी और वह बीजू को लिटाकर उसके कमर पर एक चद्दर ऊढ़ा दी।अब उसकी जाँघ की बीच एक तंबू सा बन गया था। उसने हैरानी से देखा किये तंबू उतना ही बड़ा था जितना कभी कभी राज की चादर का बन जाता है, सुबह सुबह। इसका मतलब राज का लंड भी इतना बड़ा ही होगा। ये सोचकर उसके मन में एक अजीब सी हलचल होने लगी।


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अब विकी भी बिस्तर पर लेट गया और नमिता को लंड चूसने को बोला। नमिता झुक कर बारी बारी से उनके लंड चूसने लगी। उसकी जीभ भी सुपाडे पर फिर रही थी। उसने उनके बॉल्ज़ भी चाटे। अब बीजू ने उसको बीच में लिटा लिया और दोनों उसकी छातियों पर आकर एक एक चुचि चूसने लगे। नमिता की आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह निकल गयी।


अब दोनों ने नमिता को करवट से लिटाया और विकी उसकी चूत मेंऊँगली करके उसको गरम कर दिया। उधर बीजू भी उसकी पीठ और गले को चूमते हुए उसके चूतरों को दबाने लगा। फिर बीजू उठकर क्रीम लाया और उसने नमिता की गाँड़ के छेद मेंक्रीम लगानी शुरू किया। उसकी एक उँगली उसकी गाँड़ में घुसी तो नमिता आह्ह्ह्ह्ह करके चिल्लायी। नमिता को समझ में आ गया था कि अब ये दोनों उसकी चूत और गाँड़ दोनों की ठुकाई करेंगे ।

नमिता ने क़रीब एक साल से गाँड़ नहीं मरवायी थी।उसे डर था किआज भी दर्द होगा उसे गाँड़ में।

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अब विकी ने उसकी टाँग उठाकर अपना लंड उसकी चूत मेंडाल दिया और अपनी कमर हिलाकर उसको पूरा अंदर कर दिया। अब वो उसे साइड मेंलिटाकर उसकी चुदायी करने लगा।

तभी बीजू ने अपने लंड मेंक्रीम लगाकर उसके पीछे से उसकी गाँड़ मेंअपना लंड सेट किया। अब विकी रुक गया और बीजू के गाँड़ प्रवेश का इंतज़ार करने लगा। बीजू ने धीरे से उसकी गाँड़ में अपना सुपाड़ा अंदर डाल दिया। अब वो हल्के से धक्का लगाया और लंड अंदर गाँड़ में घुसा और नमिता की चीख़ निकल गयी।

थोड़ी देर में नमिता की गाँड़ उसके लंड के लिए अजस्ट हो गयी। अब दोनों ने उसकी ठुकाई शुरू कर दी। नमिता अब मस्ती से भर रही थी। अब आगे से विकी और पीछे से बीजू उसकी बजा रहा था और वो भी मज़े के सागर में गोते खा रही थी। उसकी एक चुचि विकी के मुँह मेंथी, और एक चुचि बीजू के हाथ में थी।

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अब धमाकेदार चुदायी होने लगी, और नमिता की सिसकियाँ उसके कमरे में गूँज रही थी। फ़च फ़च और थप्प थप्प की आवाज़ भी उनको मस्ती से भर रही थीं।

अब चुदायी चरम सीमा पर थी और नमिता कराहते हुए झड़ने लगी और बीजू और विकी भी झड़ने लगे।
फिर तीनों आराम से सो गए।

नमिता की नींद खुली और उसका अंग अंग दुःख रहा था, उसकी गाँड़ में भी काफ़ी तकलीफ़ थी।वो बाथरूम से आकर तय्यार हुई और तभी बीजू उठ गया और बोला: अरे मम्मी आप तो तय्यार हो गयी। एक राउंड और हो जाता तो मज़ा आ जाता।
नमिता: बाप रे तुम लोग पूरे दिन मुझे रगड़े हो और अभी भी मन नहीं भरा? मेरी तो हड्डी हड्डी दुःख रही है।

तभी विकी भी उठा और नमिता से लिपट कर बोला: मम्मी प्लीज़ एक आख़ीर बार और चुदवा लो ना?

नमिता: मैं मर जाऊँगी बाबा, चलो अब मुझे जाने दो।
फिर विकी और बीजू ने नमिता को बहुत चूमा और चाटा और फिर वो दोनों उसको बाहर छोड़ने आए और एक ऑटो से उसे रवाना किया। आपस में उन्होंने मोबाइल नम्बर ले लिया था, और बाद में जल्दी मिलने की भी बात हो गयी थी। नमिता ऑटो में घर के लिए

निकल पड़ी।
 

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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राज दोपहर को घर पहुँचा और ताला खोलकर अंदर अपने कमरे में गया तब, २ बजे थे सो उसने खाना खाया और लेट गया । माँ तो ५ बजे के बाद ही आतीं थीं।उसके दिमाग़ मेंआज दिन भर की बातें सिनमा की तरह चल रही थी।आज प्रतीक ने उसे कई बार अचरज में डाला था। क्या सच में वो अभी से सेक्स करने लगा है? क्या वो सच में प्रिन्सिपल मैडम को और शिला मैडम को पटा लेगा? अचानक उसको ये विचार भी आया कि शायद वो उससे ( राज )भी दोस्ती बढ़ाएगा ताकि वो उसकी माँ को भी पटा सके क्योंकि वो भी तो विधवा थीं और उसके शब्दों में विधवा तो प्यासी होती है जिसको पटाना आसान होता है।


ये सोचकर उसका हथियार फिर खड़ा हो गया। आज पता नहीं क्यों उसको अपना लंड हिलाने की इच्छा हो रही थी। अपने जीवन में उसने कभी भी हस्त मैथुन नहीं किया था। हाँ कभी का ही रात में उसका सोते हुए झड़ जाता था। तब दिन मेंवो अपनी चड्डी को साफकरके पानी से गीला करके रख देता था ताकि माँ को शक ना होये । उसके कपड़े माँ वॉशिंग मशीन में धोती थी।

अचानक उसको याद आया कि अपने घर का टेलीफ़ोन नम्बर भी प्रतीक को दिया था और उसने अपना नम्बर भी दिया था। राज की इच्छा हो रही थी कि वो उसे फ़ोन करके और बातें करे।

अभी तो वो लंड को सहला रहा था और उसकी इच्छा प्रतीक से बात करने की बढ़ती ही जा रही थी।

तभी फ़ोन कीघंटी बजी, वो सोचा कि माँ का होगा, पर उधर प्रतीक ही था। राज के लंड ने झटका मारा , वह ख़ुद भी उसकी मस्त बातें सुनना चाहता था और उसको लगा कि प्रतीक उससे दोस्ती बढ़ाने के लिए ही फ़ोन किया है, ताकि वो उसकी माँ को पटा सके।उधर प्रतीक फ़ोन पर बोला: हाय, क्या कर रहे हो? खाना खा लिया?

राज: हाँ यार खा लिया बस अभी आराम कर रहा हूँ। तुमने खाना खा लिया? ये कहते हुए उसका हाथ लोअर के ऊपर से लंड सहला रहा था।

प्रतीक: हाँ यार खा लिया। बस अब मैं भी आराम कर रहा हूँ। पर मेरे आराम करने का तरीक़ा थोड़ा अलग है।

राज: अलग मतलब?

प्रतीक: यार मैं बताऊँगा तो तुम फिर बोलोगे कि ऐसा क्यों बोल रहे हो!

राज: नहीं मैं नहीं बोलूँगा, क्या अलग तरीक़ा है बताओ ना?

प्रतीक: यार मैं तो अपनी पैंट खोलकर अपना लंड सहला रहा हूँ और ब्लू फ़िल्म देख रहा हूँ। दर असल मेरे घर में इस समय मम्मी पापा तो रहते नहीं , इसलिए मैं मज़े करता हूँ।

राज: ओह, इस सबसे पढ़ाई का नुक़सान नहीं होता?

प्रतीक: मुझे कौन सी नौकरी करनी है, बाद में पापा का buisness ही सम्भालना है।

राज: ओह ऐसा क्या? बहुत क़िस्मत वाले हो तुम!

प्रतीक: अरे मेरी क़िस्मत और मेरा माल अभी आएगी और मज़ा देगी।.

राज: क्या मतलब? कौन आएगी?

प्रतीक: मैरी आंटी , हमारी मेड (नौकरानी) , वो अभी मुझे खाना खिलायी है, अभी ख़ुद खा रही है, फिर किचन सम्भालकर वो आएगी और मेरी क़िस्मत चमकाएगी।

राज: मतलब? क्या करेगी?

प्रतीक: अरे मुझे चोदेगी और क्या करेगी !

राज: ओह मतलब तुम मैरी आंटी के साथ ये सब करते हो, पर तुमने तो कहा था किवो ४० के आसपास की है?

प्रतीक: तभी तो, वरना मैं उसे घास ही नहीं डालता।

राज: क्या वो भी विधवा है?

प्रतीक: नहीं वह शादीशुदा है, और उसके दो बच्चे हैं जो अपनी
नानी के पास रहते हैं, यहाँ वो हमारे सर्वंट क्वॉर्टर मेंअपने पति के साथ रहती है जो की मिल का मज़दूर है। वह सुबह से शाम तक काम पर जाता है।

उसकी उम्र भी आंटी से १० साल ज़्यादा है।वो आंटी की प्यास नहीं बुझा पाता।

राज: ओह, इसीलिए वो तुमसे पट गयी है।

प्रतीक: वो मुझसे पटी है या उसने मुझे पटाया है, इसमें मुझे थोड़ा शक है। और ये कहते हुए हँसने लगा।

राज की उत्तेजना बढ़ने लगी और वो लंड को मसलने लगा।
राज: तुम्हारे पापा मम्मी को पता चलेगा तो उनको कितना बुरा लगेगा?


प्रतीक: मम्मी का तो पता नहीं, पर हाँ पापा को बुरा नहीं लगेगा।

राज: वो क्यों?

प्रतीक इसलिए कि आंटी ने बताया है कि पापा भी उसको कई बार चोद चुके हैं।

राज हैरानी से: क्या, अंकल भी? ओह, बड़ी अजीब बात है?

प्रतीक: इसमें अजीब बात क्या है? पापा का भी लंड उनको तंग करता होगा, वो भी कोई परिवर्तन चाहते होंगे।

राज उत्तेजित होता चला जा रहा था ये सब सुनकर, और अपने लंड को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा।

राज: कहीं तुम्हारी मम्मी भी तो ऐसे ही परिवर्तन नहीं चाहती?

प्रतीक: ज़रूर चाहती होगी।अब पापा को क्या पता कि पार्लर में मम्मी क्या करती हैं!

राज उत्तेजना से भरते हुए बोला: तुमको शक है क्या आंटी पर?
प्रतीक हँसते हुए: शक नहीं यक़ीन है, क्योंकि कई बार जब मैं मम्मी से पैसे लेने पार्लर जाता हूँ तो वहाँ की लड़कियाँ मुझे इंतज़ार करने को कहती हैं और फिर मैंने उनको कमरे से बाहर निकलते देखा था किसी लड़के के साथ।उनका चेहरा बिलकुल थका दिखता था। वो ठीक से चल भी नहीं पा रहीं थीं, इतना बुरा हाल था उनका।मैं जानता हूँ ऐसा ज़बरदस्त चुदायी के बाद ही होता है।


राज: ओह पर ये भी तो हो सकता हाँ किऐसा कुछ हो ही नहीं।
प्रतीक: यार, मैं भी जब मैरी आंटी को चोदता हूँ तो वो भी बहुत थक जाती है। मैं सब समझता हूँ।


राज अब लोअर और चड्डी नीचे कर दिया और नंगे लंड को हिलाने लगा, ये उसका पहला अनुभव था।

राज: ओह,तो आंटी क्या लड़के ही पसंद करती है, या अपनी उम्र के आदमी भी?

प्रतीक: मैंने हमेशा उनको लड़कों के साथ ही देखा है।

तभी प्रतीक बोला: यार वो आने वाली है, साली आते ही मेरा लंड चूसेगी क़रीब १० मिनट तक फिर मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चोदेगी। मैं तो बस आख़िरी में ही ऊपर आकर उसकी चुदायी करता हूँ।
अब राज उत्तेजना से पागल होकर बोला: यार मैं ये सब नहीं समझता , तू मेरा एक काम करेगा?


प्रतीक: यार बोल ना, तेरे लिए जान भी हाज़िर है, पर जल्दी कर आंटी आने वाली है।

राज: तू अपना फ़ोन चालु रखना मैं तुम दोनों की बातें सुनना चाहता हूँ।

प्रतीक मन ही मन मुस्कराया और बोला: क्यों नहीं यार तेरे लिए इतना तो करूँगा ही, चल अब मैं बात नहीं कर पाउँगा वो आ रही है।’

अब राज का लंड झड़ने ही वाला था, वो बहुत उत्तेजित था , उसने अपना हाथ लंड से हटाया और फ़ोन सुनने की कोशिश किया।
उधर से साफ़ आवाज़ आ रही थी------


मैरी आंटी: अरे ये क्या कर रहे हो, इस बेचारे के साथ हाथ से, मैं मर गयी हूँ क्या, और हँसने की आवाज़ के साथ चूमने की आवाज़ आने लगी।

प्रतीक: आंटी चूसो ना मेरा लंड, कब से तड़प रहा है आपके मुँह में जाने के लिए।

आंटी: ले बेटा अभी चूसती हूँ, पर आज तू मुझे आंटी बोल रहा है, रोज़ तो मुझे मम्मी बोलता था चुदायी के समय।

राज को चूसने की आवाज़ें आ रही थीं और प्रतीक की आऽऽहहह मम्मी और चूसो हाय्य्य्य्य्य कितना मज़ा देती हो मम्मी जैसी आवाज़ भी आ रही थी

राज ने सोचा कि ही भगवान, ये लड़का तो अपनी माँ को चोद रहा है ऐसी सोच के साथ आंटी को चोद रहा है। ये सोचते ही उसका हाथ अपने लंड पर ज़ोर से चलने लगा और उसने पहली बार अपने आप को झड़ते देखा। उसका हाथ उसके वीर्य से भर गया था। और इसी उत्तेजना में उसका फ़ोन गिर गया। जब उसने फ़ोन उठाया तो वो कट चुका था।

वह अभी तक हाँफ रहा था। और अपने ढेर सारे वीर्यको हैरानी से देख रहा था। बाथरूम से सफ़ाई करके जब वो लेटा तो उसने महसूस किया किउसकी पूरी उत्तेजना अब शांत हो गयी है।अब वो बहुत ही हल्का महसूस कर रहा था। फिर ये सोचते हुए कि प्रतीक आंटी को अपनी माँ सोचकर चोद रहा होगा, वो मज़े से भर गया और फिर उसकी नींद खुली।

उसकी नींद खुली क्योंकि कॉल बेल बजी। वो समझ गया कि माँ आ गयी और उसने जाकर दरवाज़ा खोला। माँ दरवाज़े में खड़ी थी और उनकी हालत देखकर वो थोड़ा परेशान हो गया।

राज: माँ तुम ठीक तो हो ना? बहुत थकी दिख रही हो?

नमिता: हाँ बेटा बहुत काम था , थक गयी हूँ।

राज ने दरवाज़ा बन्द किया और जैसे ही मुड़ा , उसने देखा कि माँ पैर फैलाकर चल रही थी , जैसे कि बहुत दर्द में हो।

उसने पूछा: माँ क्या हुआ, ऐसे क्यों चल रही हैं आप? क्या कहीं गिर गयीं थीं?

नमिता अपने गाँड़ के दर्द से परेशान हो रही थी पर बोली: नहीं बेटा, बस थोड़ा मोच आ गयी है। ठीक हो जाऊँगी। ये कहते हुए वो सोफ़े पर लेट सी गयी।

राज भागकर पानी लाया, और बोला: माँ चाय बना दूँ?

नमिता उसको प्यार से देखकर बोली: हाँ बेटा बना ले, बहुत मन कर रहा है चाय पीने का।

राज किचन मेंजाकर चाय बनाते हुए सोचने लगा कि माँ इतनी थकी हुई क्यों दिख रही है।और वो ऐसे अजीब सी क्यों चल रही है? उसे प्रतीक की कही हुई बातें याद आयीं जो उसने अपनी माँ के बारे में बता रहा था कि ज़बरदस्त चुदायी के बाद उसकी माँ बहुत थकी दिख रही थी और ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। यही हाल तो आज माँ का भी है, तो क्या माँ भी आज किसी से चुदवा कर आयी है? उसका लंड ये सोचकर खड़ा हो गया। उसे बड़ी हैरानी हो रही थी किउसे अपनी माँ पर ग़ुस्सा नहीं आ रहा था बल्कि वह उत्तेजित हो रहा था ये सोचकर कि वो ज़बरदस्त तरीक़े से चुदीं होंगी। तभी चाय का पानी उबलने लगा और वो होश में आकर चाय बना लाया।

राज अपनी माँको चाय देने जब सोफ़े के पास आया तब नमिता सो चुकी थी। उसने ध्यान से माँ को देखा तो वह बहुत थकी हुई दिख रही थी।अब उसका पल्लू भी गिर गया था और उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ उसके ब्लाउस में से बाहर आने को बेचैन थीं।राज ने देखा कि ब्लाउस भी बहुत मसला हुआ सा लग रहा था जैसे किसी ने ब्लाउस का कचूमर बना दिया हो। अब उसे विश्वास हो गया कि माँ की छातियों को ब्लाउस के ऊपर से भी मसला गया है। ये सोचकर उसका लंड एकदम से खड़ा हो गया और वो सोचने लगा की आख़िर वो कौन है जिसने माँ की इतनी ज़बरदस्त चुदायी की है।
अब उसने माँ को उठाया और चाय दी। वो उठकर अपना पल्लू ठीक करी और फिर चाय पीने लगी।


राज भी चाय पीते हुए बोला: माँ आप आज बहुत थकी दिख रही हो? आख़िर इतना भी क्या काम आ गया था?

नमिता चौंक कर बोली: बस बेटा कभी कभी काम ज़्यादा हो जाता है।

अब मैं नहाऊँगी फिर खाना बनाऊँगी।

राज: छोड़ो ना माँ आज खाना बाहर से मँगा लेते हैं, आप बहुत थक गयी हो।

नमिता: हाँ यही ठीक रहेगा, चलो मैं नहा तो लूँ।

जैसे ही नमिता नहाने गयी,राज ने उसका फ़ोन उठाया और मेसिज चेक करने लगा। उसने देखा कि बीजू का एक मेसिज था- मम्मी आप घर पहुँच गए क्या?

माँ का जवाब- हाँ थोड़ी देर हुई।

फिर उसका ही दूसरा मेसिज था-- मम्मी पिछवाड़ा कैसा है? अभी भी दुःख रहा है क्या?

माँ का जवाब- हाँ बहुत दुःख रहा है, अभी नहाने जाऊँगी तो दवाई लगाऊँगी। बहुत ज़ालिम हो तुम दोनों। चलो बाई।

विकी-- सारी मम्मी, बाई मेरा भी और बीजू का भी बाई।बीजू अभी नहाने गया है।

बस इतना ही मेसिज था, राज हैरान था किये तो दो बंदे हुए और ये मेरी माँ को मम्मी क्यों बोल रहे हैं? क्या माँ दोनों से चुदवा कर आ रही है। और पिछवाड़े का क्या मतलब? उसे समझ नहीं आया, उसने प्रतीक से बाद में पूछने का सोचा।

फिर वो माँ से ये बोलकर कि मैं खेलने जा रहा हूँ, बाहर चला गया।
घर के पास के मैदान में उसे उसका दोस्त नदीम मिला जो कि ५ वीं के बाद पढ़ायी छोड़ दिया था और अब अपने पापा के साथ दुकान पर बैठता था। दोनों थोड़ी देर सबके साथ फ़ुट्बॉल खेले और फिर थक कर एक कोने में बैठ गए और बातें करने लगे।


नदीम: पढ़ाई कैसी चल रही है।

राज: ठीक ही है ,आजकल मन थोड़ा पढ़ायी में कम लगता है।

नदीम: वो क्यों? क्या कोई छोकरी के चक्कर में पड़ गया है?

राज लाल होकर: नहीं भाई ऐसी कोई बात नहीं है! बस पता नहीं क्यों!

नदीम: यार मैं तो स्कूल को मिस करता हूँ , क्या सुंदर सुंदर लड़कियाँ हैं आजकल स्कूल में। और कई मैडम भी माल है। आजकल मैं स्कूल में स्टेशनेरी सप्लाई का काम करता हूँ तो कई स्कूल में आना जाना होता है। तेरे स्कूल में तो शिला मैडम सबसे बढ़िया माल है।

राज: साले वो अपने श्रेय की मम्मी है।

नदीम: यार तो क्या हुआ? हर औरत किसी ना किसी की मम्मी तो होती ही है! तो क्या हम उनको ताड़ना बंद कर दें?

राज: तो हो सकता है कि कोई तुम्हारी मम्मी के बारे में भी ऐसा सोचने लगे तो तुम्हें कैसे लगेगा?

नदीम: ह्म्म्म्म्म अब तुमसे क्या बोलूँ, हिचक हो रही है।

राज: क्यूँ क्या हुआ बोलो ना।

नदीम: तू किसी को बोलेगा तो नहीं?

राज: अरे हर हम पक्के यार हैं, बोल ना जो बोलना है।

नदीम: दर असल मुझे डर है कि तू मेरी दोस्ती ना तोड़ दे?

राज: अरे ऐसी भी क्या बात है?

नदीम: चल बोल ही देता हूँ। मुझे दुनिया में बस दो ही औरतें सेक्सी लगती हैं और जिनको मैं चोदना चाह्ता हूँ, वो हैं, पहली मेरी अपनी मम्मी !

राज का मुँह खुला का खुला रह गया: ओह, और दूसरी?

नदीम: तेरी मम्मी। देख ग़ुस्सा नहीं होना। मैं क्या करूँ ये दोनों मुझे बहुत मस्त लगती हैं। गोरा रंग, भरा बदन, मस्त पिछवाड़ा।

राज हैरानी से बोला: मेरी मम्मी भी ? और अब फिर उसे वही अजीब फ़ीलिंग होने लगी ,उत्तेजना वाली ना किग़ुस्से वाली।आख़िर उसे ख़राब क्यों नहीं लगता जब कोई उसकी मम्मी के बारे मेंऐसी गन्दी बात करता है?

नदीम: हाँ यार दोनों मम्मियाँ माल हैं । ख़ासकर तेरी मम्मी का पिछवाड़ा तो लंड खड़ा कर देता है।

राज को याद आया कि मेसिज में बीजू उनकी पिछवाड़े के दर्द की बात कर रहा था। और ये नदीम भी वही बोल रह है।

राज: यार पिछवाड़ा मतलब हिप्स ना?

नदीम: हाँ यार और पिछवाड़े में लंड डालने में बहुत मज़ा आता है। हिप्स यानी चूतर फैलाओ और गाँड़ के छेद में लंड डाल दो , क्या मस्त मज़ा आता है।

राज: ओह पर मैं तो समझता था कि वो तो सामने के छेद में ही डालते हैं।पीछे का छेद? क्या उसमें भी डाला जाता है?

नदीम: हाँ यार ख़ास कर बड़ी चूतरोंवाली औरत की गाँड़ मारने में बड़ा मज़ा आता है। हाँ इसने औरत को दर्द तो महसूस होता है पर मज़ा भी मिलता होगा।

राज समझ गया कि माँ ज़रूर गाँड़ मरवा के आइ है तभी उसका पिछवाड़ा दुःख रहा है। अब उसका लंड पूरा कड़ा हो गया था।
राज: अच्छा यार ये तो बता कि आंटी यानी अपनी मम्मी के साथ कुछ किया अब तक?


नदीम कुटिल मुस्कान के साथ बोला: बता दूँगा यार , थोड़ा सबर करो।

तभी राज ने देखा किअँधेरा हो रहा है,वह बोला: अच्छा चलता हूँ घर को। बाद में मिलेंगे।

घर पहुँचकर वो पढ़ने बैठा,पर उसका ध्यान बार बार अपनी माँ की ओर जा रहा था कि कैसे वो उन दोनों लड़कों से चुदवायी होगी। और उसकी गाँड़ भी मारी होगी लड़कों ने।

तभी माँ की आवाज़ आयी चलो खाना आ गया है खा लो।
वो माँ के साथ खाना खाया और माँ जल्दी से सोने के लिए चली गयी। उसने फिर से पढ़ने की कोशिश की पर उसका ध्यान भटक रहा था। आज रात फिर से उसने मूठ मारी और झड़कर सो गया।


राज सुबह उठा तो उसका लंड खड़ा था।पता नहीं उसके दिमाग़ मेंक्या आया कि वह अपनी माँ के आने के समय आँख बंदकरके एक हाथ आँखों पर रख लिया। और फिर उसमें से देखने लगा जबकि नमिता को लग रहा था कि उसकी आँखें बंद हैं। नमिता उसे उठाने ही वाली थी किउसकी निगाह तंबू पर पड़ी और उसे याद आया किउसने बीजू या विकी के लंड पर चादर रखा था ये देखने के लिए कि कितना बड़ा तंबू बनता है। अब उसे विश्वास ही गया था की राज का लंड भी बीजू और विकी जैसा ही काफ़ी बड़ा है।
उसकी पैंटी गीली होने लगी, उसके निपल्ज़ भी कड़े हो गए थे।
फिर उसने राज को कंधे पकड़कर हिलाते हुए उठाया।


राज भी नाटक करते हुए उठा और अपना लंड अपने हाथ से छुपाने का नाटक कर रहा था। अब वो बाथरूम जाकर अपने लंड को ठंडे पानी से शांत किया। बाहर आया तो माँ उसका बिस्तर ठीक कर रही थी, वो झुकी हुई थी और उसका पिछवाड़ा सच में बहुत आकर्षक लग रहा था,उसे नदीम की बात याद आयी , जो कि उसने इस पिछवाड़े के बारे में कही थी। अब वो माँ के पीछे से आकर उससे चिपक गया और बोला: माँ गुड मॉर्निंग।

नमिता: गुड मॉर्निंग बेटा,नींद आयी ठीक से?

राज: जी माँ । आपका पैर का दर्द कैसा है? वो जानता था कि वह पैर नहीं गाँड़ के दर्द का पूछ रहा है।

नमिता: हाँ बेटा अब ठीक है।

फिर उसने पीछे से ही माँ के गाल का चुम्मा लिया और फिर वो नहाने चला गया।

नमिता ने नाश्ता बनाया और दोनों ने नाश्ता किया,आज इतवार था और शाम को उसे और श्रेय को प्रतीक के घर जाना था।

अब वह पढ़ने बैठा, पर उसके मन में अजीब अजीब से विचार आ रहे थे। प्रतीक और नदीम की कही बातें और बीजू के मेसिज जैसे उसके आँखों के आगे घूम रहे थे और वो अपनी माँ के बारे में सोचने लगा। उसे अपनी माँ से सहानुभूति भी हो रही थी कि इस उम्र में उन्हें पति का सुख नसीब नहीं है।

अगर वह ख़ुद अपने पर क़ाबू नहीं रख पा रहा था तो माँ का भी शायद यही हाल होगा। उसे माँ पर ग़ुस्सा नहीं आ रहा था बल्कि वो और ज़्यादा जानने को उत्सुक था कि माँ कैसे मज़ा लेती है? और सच में क्या वो आसानी से पट सकती थी जैसे की प्रतीक कह रहा था।

जब उसका मन पढ़ाई में नहीं लगा तो उसने प्रतीक को फ़ोन किया। फ़ोन किसी स्त्री ने उठाया और राज बोला: प्रतीक है क्या?

उधर से जवाब आया : आप कौन बोल रहे हैं?

राज: मैं राज बोल रहा हूँ प्रतीक मेरा दोस्त है।

वो औरत बोली: अभी बुलाती हूँ ।

थोड़ी देर में प्रतीक बोला: हाँ राज कैसे हो? बोलो क्या बात है?
शाम को तुम और श्रेय आ रहे हो ना?


राज: हाँ आ रहे हैं यार। अभी बोर हो रहा था तो सोचा तुमसे बात कर लूँ।

प्रतीक: हाँ भाई क्यों नहीं। मैं भी बोर हो रहा था। आज तो पापा मम्मी घर मे रहते हैं इसलिए आज मेरा और मैरी आंटी का मज़ा नहीं हो पाता।

राज: अरे यार, तुमसे एक बात कहनी थी, कल मेरा एक दोस्त मिला था, वो मुझे बोल रहा था कि उसको भी तुम्हारे जैसे बड़ी उम्र की औरतें पसंद हैं।

प्रतीक: अरे यार मुझे भी उससे मिलवा देना, हम दोनों की ख़ूब जमेगी। क्या अब तक उसने किसी को ठोका है?

राज: वह खुल कर बोला तो नहीं, पर लगता है कि उसको कुछ को अनुभव है इस सब का।

प्रतीक: फिर तो उससे मिलना ही पड़ेगा। कभी तेरे घर आऊँगा तो मिलवा देना। और क्या बोल रहा था वो?

राज: उसने बड़ी ही अजीब बात की, वो कह रहा था किउसको दो ही औरतें सेक्सी लगतीं हैं।

प्रतीक: कौन कौन?

राज: एक तो उसकी मम्मी और दूसरी ---

प्रतीक: दूसरी? बता ना यार!

राज: दूसरी मेरी मम्मी।

प्रतीक: ओह माई गॉड! सच ऐसे बोला? तुम्हें ग़ुस्सा तो नहीं आया?
राज: यही सोच कर तो मैं हैरान हूँ कि मुझे ग़ुस्सा क्यों नहीं आया?
प्रतीक: मैं समझ सकता हूँ , मेरा भी यही हाल है, मैं जब मम्मी को पार्लर में लड़के के साथ देखा तो मुँझे भी उत्तेजना ही हुई , गुस्स्सा नहीं आया। तेरा भी यही हाल है।


राज: ऐसा क्यों है यार?

प्रतीक: इसलिए कि हम इसे बुरा नहीं मानते, और शायद अपनी माँ को ख़ुद ही चोदना चाहते हैं।

राज: नहीं मैंने ऐसा नहीं सोचा। पर --

प्रतीक: अभी नहीं सोचा पर जल्दी ही सोचोगे।

तभी नमिता ने राज को आवाज़ दी और राज फ़ोन काटते हुए बोला: चलो शाम को मिलते हैं।
 
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शाम को श्रेय और राज प्रतीक के घर पहुँचे। प्रतीक के फ़्लैट का दरवाज़ा एक भरे बदन की औरत ने खोला। राज समझ गया कि ये मैरी आंटी है। वो दोनों उसके पीछे चलने लगे। राज ने ध्यान से मैरी के पिछवाड़े को देखा तो पाया कि ये भी माँ के हिप्स से बस १९/२० ही होंगें।वो भूक़े की तरह उसके हिप्स को देख रहा था, और उनकी थिरकन का मज़ा ले रहा था।



उनको ड्रॉइंग रूम में बिठाकर वो प्रतीक को बुलाने चली गयी। तभी वहाँ प्रतीक की मम्मी आयीं, उनका नाम निलिमा था। राज और श्रेय ने उनको उठकर नमस्ते की। उन्होंने प्यार से बैठने को बोलकर साथ के एक सोफ़े में बैठ गयी।राज ने ध्यान से देखा कि वो एक आधुनिक महिला थी और उन्होंने एक टॉप और जींस पहनी थी। उनके बड़ी छातियाँ टॉप को मानो फाड़ने को आतुर थीं। और उनके चौड़े चूतर जींस के दोनों ओर से बुरी तरह बाहर आने को तय्यार थे।

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अपनी उम्र के हिसाब से उनका चेहरा बहुत चिकना और गोरा था। स्लीव्लेस टॉप से गोरी गुदाज बाहँ जैसे बिजली गिरा रही थीं।राज को अपने हथियार में तनाव महसूस होने लगा। उसने श्रेय कीओर देखा तो वो TV देख रहा था।

निलिमा: तुम्हारे नाम क्या हैं? क्या प्रतीक के साथ पढ़ते हो?

राज: मैं राज हूँ और ये श्रेय है। मैं प्रतीक के साथ पढ़ता हूँ और ये हमसे एक साल पीछे है।

निलिमा: चलो अच्छा है नए स्कूल मेंकमसे कम तुम दोनों उसको मिल गए। वरना वह अकेला फ़ील करता।

तभी प्रतीक आ गया और दोनों से हाथ मिलाया।

प्रतीक: मम्मी इनसे मिले आप?

निलिमा: हाँ मेरा परिचय हो गया। बड़े प्यारे बच्चे हैं। चलो तुम लोग बातें करो मैं और तुम्हारे पापा आज एक पार्टी मेंजाएँगे। फिर उसने आवाज़ दे कर मैरी आंटी को बुलाकर कहा: देखो इन बच्चों का ध्यान रखना। इन्हें बढ़िया चाय और नाश्ता कराओ।

मैरी: जी मैडम ।

तभी प्रतीक के पापा आए और सबसे हाथ मिलाए और फिर निलिमा के साथ बाहर चले गए। राज ने देखा कि प्रतीक के पापा भी काफ़ी
रोबदार और तगड़े दिखते थे।

उन दोनों के जाते ही प्रतीक बोला: wow अब हमारा राज है, यहाँ।

चलो मेरे कमरे में चलते हैं। फिर तीनों प्रतीक के कमरे में आ गए। वहाँ की शान देखकर राज और श्रेय हैरान रह गए। वो दोनों तो मध्यम वर्ग के लोग थे,पर प्रतीक के पिता काफ़ी अमीर थे। इस लिए कमरे में ac, बड़ा TV वीडीयो सिस्टम वग़ैरह सब थे।काफ़ी बड़ा पलंग था, जिसमें बहुत गद्देदार बिस्तर था।वहाँ भी सोफ़ा रखा था।
सब सोफ़े पर बैठ गए।

राज: यार तेरे तो मज़े हैं, मैंने तो इतना शानदार कमरा कभी देखा ही नहीं।

प्रतीक: चल यार, ये सब छोड़ो और चाय पीते हैं, या कुछ और पीना है? ये कहते हुए उसने आँख मारी।

श्रेय: कुछ और मतलब?

प्रतीक:अरे भाई बीयर वग़ैरह और क्या?

राज: अरे नहीं भाई ये सब नहीं। हम ये सब नहीं पीते।

तभी मैरी वहाँ चाय नाश्ता लेकर आयी और टेबल पर रखने लगी।
मैरी के झुकने के कारण उसकी छातियाँ जो कुर्ते के ऊपर से आधी नंगी दिख रही थीं और उसके उभरे हुए चूतरों को देखकर उसका हथियार फिर से गरम हो गया।

प्रतीक ने राज को देखते हुए ताड़ लिया, और मन ही मन में मुसकाया। मैरी के जाने के बाद वो बोला: क्या भाई क्या ताड़ रहे थे? लगता है पसंद आ गयी है?

राज: अरे नहीं यार, ऐसा कुछ नहीं है, तुम तो बस ख़ामख्वा ही कुछ भी बोल रहे हो !
फिर उन्होंने चाय और नाश्ता किया।

श्रेय PC के मॉनिटर के पास जाकर उसे देख रहा था।
वो बोला: भय्या ये चालू करो ना, मुझे गेम खेलना है।
फिर श्रेय PC पर गेम खेलने लगा। प्रतीक राज को लेकर बाहर आया और बोला: कुछ मस्ती करनी है?

राज: कैसी मस्ती?

प्रतीक: मेरे पास कुछ मस्त फ़िल्मे हैं देखेगा तो मस्त हो जाएगा।

राज: कैसी फ़िल्मे?’

प्रतीक: मौज मस्ती की फ़िल्में और क्या?

राज हिचकते हुए बोला : श्रेय किसी को बता ना दे?

प्रतीक: अरे वो तो गेम खेल रहा है, चलो हम गेस्ट रूम में देखते हैं।
दोनों उस कमरे से निकले और गेस्ट रूम में उसने TV चालू किया और एक USB ड्राइव निकालकर TV मैं लगाया और फिर TV में एक अंग्रेज़ी फ़िल्म चालू हो गयी। दोनों बिस्तर पर बैठकर फ़िल्म देखने लगे।

प्रतीक: इस फ़िल्म में एक लड़का अपनी माँ को पटा कर चोदता है। मस्त फ़िल्म है।

राज: क्या इस फ़िल्म में यह सब दिखाया है?

प्रतीक: देखो और मज़ा लो।



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फ़िल्म में एक लड़का अपनी माँ को किचन में पीछे से पकड़ लेता है,और उसकी छातियाँ दबाने लगता है। और बहुत जल्दी वो नंगे बिस्तर पर आ कर वो नंगे होकर चुदाई करने लगते हैं। हर तरीक़े से अलग अलग आसनो में चुदायी कर रहे थे।वो एक दूसरे के यौन अंगों की चुसाई भी कर रहे थे। ये सब देखकर राज बहुत उत्तेजित हो गया और अपने लंड को दबाने लगा। प्रतीक भी अपना लंड दबा रहा था।

तभी राज की नज़र दरवाज़े पर पड़ी तो वहाँ श्रेय आँखें फाड़कर ये सब देख रहा था और उसका हाथ भी अपने पैंट के उभरे हुए हिस्से पर था।

राज धीरे से प्रतीक को बोला: श्रेय भी देख रहा है।

प्रतीक: अरे श्रेय आओ ना देखो क्या मस्त फ़िल्म है,माँ बेटे की चुदाई की। चलो एक दूसरी फ़िल्म देखो शुरू से । फिर एक नई फ़िल्म चालू की जिसने एक भरे पूरे बदन की Russian माँ अपने बेटे से चुदाती है। अब तो श्रेय भी उनके साथ ये फ़िल्म देखकर उत्तेजना से अपने लंड को सहला रहा था।

प्रतीक: मज़ा आ रहा है ना? साली एक दम मेरी माँ जैसे दिखती है, उसकी चूचियाँ और चूतर मेरी माँ के जैसे ही बड़े बड़े हैं।
अब दोनों उसकी ये बात सुनकर हैरानी से प्रतीक को देखने लगे।ये अपनी माँ के बारे में ऐसा कैसे बोल सकता है?

राज: यार ये क्या बोल रहा है? अपनी माँ के बारे में ?

प्रतीक: यार मैंने उनको नंगी देखा है इसलिए बोल रहा हूँ किवो बिलकुल ऐसी ही दिखती है।

अब तीनों अपने अपने लंड को दबा रहे थे।

प्रतीक: किसी को आंटी से मज़ा लेना है असली चुदाई का?
राज: नहीं यार मैं अब जाऊँगा अपने घर।

श्रेय भी घर जाने के लिए खड़ा हो गया।

फिर वो दोनों अपने अपने घर की ओर चले गए।

उधर प्रतीक मन ही मन अपनी सफलता पर ख़ुश हो रहा था।


राज जब घर वापस आया तो देखा कि माँ सोफ़े पर बैठ कर सब्ज़ी काट रही थी। वो उसके पास आकर बैठ गया। आज नमिता ने कुर्ती और पजामा पहना था। उसके गले के नीचे से क़रीब एक चौथाई छातियाँ बाहर झाँक रही थीं।

नमिता: आ गया बेटा, कुछ खाएगा?

राज: नहीं माँ प्रतीक के घर नाश्ता किया था।

नमिता: ये कैसा लड़का है प्रतीक? पढ़ाई में कैसा है?

राज: कुछ ख़ास नहीं है माँ पढ़ायी में। वह कहता है पढ़ कर क्या होगा, उसे कौन सी नौकरी करनी है, वह तो अपने पापा का बिसनेस सम्भालेगा।

नमिता थोड़ी गम्भीर हो गई और बोली: बेटा ऐसे लड़के से तेरी दोस्ती ठीक नहीं! मैंने तुम्हें कई बार कहा है कि इन अमीर राईसज़ादों से दूर रहो। और सिर्फ़ श्रेय जैसे पढ़ने वाले लड़कों से ही दोस्ती करो।

राज: माँ वो अच्छा लड़का है, उसे पैसे का बिलकुल घमंड नहीं है।

नमिता: देखो बेटा, तुम्हें हर हाल में अपने स्कूल के टॉप २/३ मेंआना ही होगा। तुमको स्कालर्शिप मिलनी ही चाहिए और तुम्हें अपने पापा का engineer बनने का सपना पूरा करना ही होगा।

राज: मैं पूरी कोशिश करूँगा माँ ।

नमिता: तुम्हारे मन्थ्ली टेस्ट कबसे शुरू होंगे?

राज: अगले पंद्रह दिनों में ।

नमिता: तुम्हारी तय्यारी कैसी चल रही है?

राज सकपका गया: माँ वो ठीक ठाक ही है।

नमिता अपनी आवाज़ में थोड़ी सी कठोरता लाकर बोली: इसका क्या मतलब? तुम्हारे इन सभी टेस्ट्स में कम से कम ८० से ९० प्रतिशत नम्बर आने ही चाहिये।

राज हकला कर बोला: मैं मैं पूरी मेहनत करूँगा, माँ।

नमिता: मेहनत तो करोगे ही और नतीजा भी लाना ही होगा।

राज सोच में पड़ गया कि जबसे प्रतीक से मिला है वो सेक्स के बारे में ज़्यादा ही सोचने लगा है, और इसी वजह से उसका ध्यान पढ़ाई में लग ही नहीं पा रहा है। उसने सोचा कि उसको प्रतीक से दूर ही रहना होगा, नहीं तो पढ़ाई का तो सत्यानाश ही हो जाएगा।
उसने माँ की तरफ़ देखा तो वो थोड़ा चिंतित नज़र आ रही थी। उसे ख़राब लगा किवो ख़ुद इसका कारण है।

माँ ने सब्ज़ी की टोकरी को टेबल पर रखकर राज को कहा: बेटा, तुम्हारी पढ़ाई को लेकर मैं बहुत चिंतित हूँ, तुम बहुत मेहनत करो,कोई कमी मत छोड़ो। आज तुम्हारे पापा होते तो कुछ और ही बात होती । ऐसा कहते हुए उनकी आँखों में आँसू आ गए।
राज भी भावना में बह कर बोला: माँ मैं पूरी तैयारी करूँगा आप परेशान ना हो।

नमिता ने उसके कंधे को पकड़कर अपनी ओर खिंचा और उसको अपने पास लाकर उसका गाल चूम लिया और बोली: तू ही तो मेरा इकलौता सहारा है।

राज भी अपनी माँ से लिपट गया और उसका मुँह माँ की छातियों में घुस गया। नरम नरम माँ का बदन जो पसीने की गंध से महक रहा था, उसे मस्त करने लगा। नमिता की स्लीव्लेस कुर्ती से उसकी बिना बालों की बग़ल भी उसके सामने थी, वहाँ से भी तीखी ज़नाना गंध आ रही थी। राज तो जैसे बावरा सा हो गया।

नमिता: बेटा मुझे निराश नहीं करोगे ना?

राज ने अपना मुँह उसकी छातियों में दबाते हुए कहा: कभी नहीं माँ ।
नमिता भी प्यार से उसके सर को चूम कर बोली: चल हट अब मुझे सब्ज़ी बनाना है।

राज उससे और ज़ोर से चिपकते हुए बोला: माँ कितने दिनों बाद आप प्यार कर रही हो। थोड़ी देर रुको ना।

नमिता हँसती हुई उसको और ज़ोर से अपनी छाती में भींचकर बोली: चल अब बहुत प्यार हुआ, चल पढ़ने बैठ अब।

राज अन्मने भाव से अलग हुआ और नमिता उठकर जाने लगी, तभी वहाँ नीचे रखी चप्पल में उसका पाँव फँस गया और वो लड़खड़ा कर गिरने लगी। राज ने उसका हाथ पकड़कर उसको गिरने से रोका, और इसी गड़बड़ी में वह राज की गोद में आ गिरी।
राज ने भी हड़बड़ाके उसको अपने से सटा कर ज़ोर से जकड़ लिया, कि कहीं वह गिर ना जाए। नमिता के भारी और नरम चूतरोंका स्पर्श कितना सुखद था राज के लिए, उसे लगा कि वक़्त यहीं थम जाए और माँ ऐसी ही उसकी गोद में बैठी रहे, पर ऐसा हुआ नहीं।
नमिता ने खड़े होने की कोशिश की और इस प्रयास में उसका पिछवाड़ा और ज़ोर से राज के लंड को दबाने लगा। उसका लंड अब झटके खाने लगा था, तभी नमिता उठ गयी, और उसे राज के खड़े हो रहे लंड का अहसास नहीं हुआ।

उसके जाने के बाद राज ने अपनी पैंट ठीक की और पढ़ने बैठ गया। पर यह क्या उसका ध्यान बार बार माँ की छातियों पर, उस नरम हिस्से की छुवन को और उनके भरे हुए चूतरों पर और उनकी बग़ल से आने वाली गंध पर ही था। पढ़ाई तो उससे कोंसों दूर हो चुकी थी। और उधर माँ उसे पढ़ाई के लिए बहुत दबाव डाल रही थी। वह बड़े पशोपेश में था कि आख़िर क्या करे?

उलझन बहुत बड़ी थी।
उधर नमिता बहुत चिंता में थी कि पता नहीं राज की पढ़ाई कैसी चल रही है? वह श्रेय की माँ शीला मैडम को जानती थी सो उसने उसको फ़ोन किया और बोली: हाई कैसी हैं आप?

शीला: मैं ठीक हूँ बोलिए कैसे याद किया?

नमिता: मुझे एक बात पूछनी थी कि राज की पढ़ाई कैसी चल रही है।

शीला: वैसे तो ठीक ही है, पर कल मैंने एक टेस्ट रखा है, देखो वह कैसे करता है?

नमिता: ओह ठीक है, कभी कोई बात होगी तो प्लीज़ बता दीजिएगा।

शीला: ठीक है ज़रूर। फिर उसने फ़ोन रख दिया।

राज खाने के लिए जब आया तो नमिता ने पूछा: बेटा तैयारी हो गई?

राज: किसकी माँ ?

नमिता: कल के टेस्ट की?

राज: कैसा टेस्ट?

नमिता: तुमको नहीं मालूम कल तुम्हारा गणित का टेस्ट है?
राज तो जैसे आसमान से गिरा, वो हड़बड़ा कर बोला: ओह माँ मैं तो भूल ही गया था।

नमिता: भूल गया? क्या ये भी कोई भूलने की बात है? तुम्हारा ध्यान कहाँ रहता है? चलो जल्दी से खाना खाओ और पढ़ने बैठो।
मुझे बहुत दुःख है कि तुम इतने लापरवाह हो गए हो!

राज: माँ ग़लती हो गई प्लीज़ माफ़ कर दो, पर आपको कैसे पता चला?

नमिता: मेरी शीला मैडम से बात हुई थी। कल के टेस्ट में तुम्हारे अच्छे नम्बर आने चाहिए, मैं कुछ नहीं जानती, चाहे तुम्हें रात भर ही क्यों ना पढ़ना पड़े।

नमिता की आवाज़ में एक कड़ायी थी और राज थोड़ा सा डर सा गया।

उसने खाना खाया और पढ़ने बैठ गया। अभी उसने थोड़े से सवाल ही किए थे, फिर वो बाथरूम की ओर गया तभी उसे माँ की बातें करने की आवाज़ आयी। वह किसी को दबी आवाज़ में डाँट रही थी। पता नहीं क्यों उसके पैर अपने आप उनके कमरे की ओर चले गए और वह खिड़की के पास खड़े होकर उनकी बात सुनने लगा।
नमिता: तुम पागल हो गए हो क्या? मैं ऐसे कैसे कभी भी आ सकती हूँ?
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नमिता: मैं कल तुमको ऑफ़िस में मिलूँगी।और ऐसे मुझे कभी फ़ोन नहीं करना, समझे!
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नमिता: अच्छा तो मैं क्या करूँ? मैं तुम्हारी बीवी तो हूँ नहीं, जो जब तुम चाहो मैं वही करूँ!
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नमिता: हाँ याद रखना , हाहाहा अच्छा चलो जो चाहे कर लेना मिलने पर ओके?
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नमिता: अच्छा बाबा चूस लेना , हमेशा तो चूसता ही है तू, तभी तो इतने बड़े हो गए हैं ये ।( अब ऐसा कहते हुए नमिता ने अपनी छाती को छुआ। )

फिर हँसते हुए बोली: अच्छा बाबा दो राउंड कर लेना, ठीक है, चल अब सो जाओ। मुझे भी नींद आ रही है।

ऐसा कहते हुए उसने फ़ोन बंद कर दिया।

अब वो शीशे के सामने खड़े होकर अपने आप को देख रही थी। बाहर खिड़की से हल्का सा पर्दा हटाकर राज अंदर देख रहा था। अब उसने अल्मारी से अपनी नायटी निकाली और फिर अपनी कुर्ती उतार दी, और ब्रा में कसे हुए उसके बड़े बड़े गोरे दूध देखकर राज का लंड खड़ा हो गया। नमिता ने शीशे मेंअपने आप को देखा और ब्रा को दबा कर अपनी छातियाँ देखकर ख़ुद ही मुग्ध हो गयी और बोली: सच मनीष इनके पीछे ऐसे ही पागल नहीं है, ये हैं ही इतने मस्त।



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राज माँ की बात सुनकर स्तब्ध रह गया। ओह तो माँ अपने बॉस के बेटे मनीष से बातें कर रहीं थीं। वो तो उनसे आधी उम्र का होगा, यही कोई २० /२१ साल का। वह सोच रहा था कि माँ उससे चुदाती हैं। अब उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया और मूठ मारने लगा। तभी उसकी माँ ने अपना पजामा खोल दिया और वो अब सिर्फ़ एक गुलाबी पैंटी में थी। पैंटी से उसके बड़े बड़े चूतर साफ़ दिख रहे थे। तभी वह नायटी उठाने के लिए मुड़ी और सामने से उसकी पैंटी में क़ैद फुली हुई बुर साफ़ दिखाई दे रही थी। वह अब ज़ोर ज़ोर से मूठ मारने लगा। नमिता ने नायटी पहनने से पहले एक बार फिर से ब्रा ठीक की और फिर पैंटी के ऊपर से बुर को भी खुजायी और फिर नायटी पहन ली।


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जैसे ही उसने अपनी बुर खुजाया राज झड़ने लगा , उसने अपने लंड के सामने रुमाल रख दिया था।
बाद में वह अपने कमरे मेंजाकर सो गया।
उधर नमिता भी मनीष से की गइ पुरानी चुदायी का सोचते हुए अपनी बुर में उँगली करती हुई झड़ गई।

राज सुबह सो कर उठा तो उसे माँ का अर्ध नग्न बदन याद आया और उसका लंड खड़ा हो गया। वह अपने लंड को जानबूझकर अपनी चादर से ऐसे ढका कि वह तंबू की तरह अच्छे से दिखाई दे रहा था। वह माँ के आने का इंतज़ार करने लगा और अपनी आँखों पर हाथ रख लिया।


नमिता आइ और फिर से उसके खड़े लंड से बने तंबू देखकर सोचने लगी, क्या ये हमेशा सुबह उत्तेजित रहता है!

फिर उसने राज को हिलाकर उठाया और राज ने अपनी माँ को प्यार से अपने ऊपर खींच लिया। उसकी छातियाँ अब राज की मस्कूलर छाती में चिपक सी गयी। राज का लंड उस सुखद स्पर्श से और तन गया। नमिता ने उसके गाल को चूमकर कहा: चलो उठो , चाय पी लो । जल्दी से तय्यारहो जाओ।

राज ने अपनी माँ के दूध में अपना मुँह रगड़ते हुए कहा: माँ थोड़ा सा और सोने दो ना।

नमिता: बदमाश चल उठ, आज तेरा टेस्ट है, याद है ना?
राज की सारी उत्तेजना पर जैसे पानी पड़ गया। वह हड़बड़ा कर


उठा: ओह माँ मुझे जल्दी तय्यार होना है।

वो उठकर बाथरूम गया। नमिता वापस किचन मेंचला गइ।
बाद में नाश्ता करके राज स्कूल चला गया। रास्ते में वह सोच रहा था कि आज माँ ज़रूर मनीष से चुदवायेगी ।

उधर नमिता जल्दी से खाना बनाकर बाथरूम जाकर नहाकर तय्यार होने लगी , तभी मनीष का फ़ोन आया ।

मनीष: आंटी, कहाँ हो?

नमिता: घर पर हूँ, क्यों क्या हुआ?

मनीष: आंटी, पापा तो रात को मुंबई चले गए काम से।

आज तो मैं ही आपका बॉस हूँ। और इस नए बॉस का हुक्म है कि आप घर पर ही रहो और मैं अभी आता हूँ। और आज दिन भर चुदायी करेंगे।

नमिता: चल बदमाश, तुझे तो बस हर समय यही चाहिये।

मनीष: आंटी, आज कोई बहाना नहीं चलेगा । मैं आ रहा हूँ, राज तो स्कूल चला गया होगा। और हाँ आप बस एक मैक्सी ही में रहना,जैसे मैं आपको हमेशा देखना चाहता हूँ।

नमिता हँसती हुई बोली: अच्छा बाबा, आ जाओ। तुम कहाँ मानने वाले हो।फिर उसने फ़ोन रख दिया।
नमिता नहा तो चुकी थी, उसने अपनी सलवार उतारी और फिर कुर्ता भी उतार दिया।अब वह ब्रा और पैंटी में थी, अपना रूप देखकर वो ख़ुद ही मस्त हो गई। अब उसने ब्रा भी खोल दी, और अपने बड़े बड़े मस्त दूध देखकर गरम हो गई, उसके निपल्ज़ तन गए, वो जानती थी कि मनीष तो इनका दीवाना है।
फिर उसने पैंटी भी उतार दी और अपने बुर का निरीक्षण किया, बाल तो थोड़े से पेड़ू पर ही थे, बुर बिलकुल सफ़ाचट थी बालों से।
अब उसने एक मैक्सी पहन ली बिना ब्रा और पैंटी के, जैसा मनीष चाहता था।

तभी कॉल बेल बजी, वह दरवाज़े पर पहुँच कर बोली: कौन है?
मनीष: मैं हूँ आंटी!

नमिता ने दरवाज़ा खोला और मनीष अंदर आया और उसने दरवाज़ा बंदकरके नमिता को बाहों में भींच लिया। उसके होंठ चूसते हुए उसने उसकी चूचियाँ दबाने लगा। फिर वो बोला: आंटी क्या मस्त दूध हैं आपके, आऽऽहहह।


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फिर वो नीचे बैठ गया और बोला: आंटी जन्नत के दर्शन कराइए ना!
नामित हँसती हुई अपनी मैक्सी उठा दी कमर तक, और मनीष उसकी गदराइ जाँघों के बीच उसकी फूली हुई बुर को देखकर मस्त हो गया, और उसे सहलाने लगा।


नमिता आह्ह्ह्ह्ह करने लगी। तभी मनीष ने उसकी बुर को चूम लिया और नमिता को जाँघें फैलाने को कहा। नमिता ने उसके आदेश का पालन किया और अब मनीष उसकी बुर चाटने लगा।
फिर वो नमिता को बोला: आंटी ज़रा घूम जाओ ना। नमिता अपनी मैक्सी को उठाए हुए घूम गइ।

अब उसके मस्त गोल गोल चूतर उसके सामने थे,उसने उसके चूतरों को दबाते हुए उनको चूमने लगा। नमिता भी मस्त हो रही थी। अभी भी नमिता अपनी मैक्सी उठाकर ही खड़ी थी। अब मनीष ने उसके चूतरोंको फैलायाऔर वहाँ उसके गाँड़ के छेद में अपनी उँगलियाँ फेरकर वह मस्त हो कर उसकी गाँड़ जीभ से चाटने लगा। नमिता की सिसकियाँ निकलने लगी। वह हाऊय्य्य्य्य कर उठी।
फिर मनीष खड़ा हुआ और नमिता की छातियों को दबाने लगा। और फिर उसके होंठ चूसने लगा।

नमिता: अरे बाबा, क्या सब कुछ दरवाज़े पर ही कर लोगे या अंदर भी आओगे?

मनीश उसको अपनी गोद में उठा लिया और उसको सीधे बिस्तर पर जाकर लिटा दिया। फिर वह अपने कपड़े खोलने लगा। नमिता उसको प्यार से देख रही थी। उसकी टी शर्ट उतरते ही उसकी मस्कूलर छाती देखकर उसकी बुर गीली होने लगी। फिर इसने अपनी पैंट उतारी और उसकी चड्डी मेंफूला हुआ लंड देखकर तो नमिता बिलकुल पागल सी हो गयी। उसने उठकर मनीष को अपने पास बुलाया और चड्डी के ऊपर से उसने उसका लंड चूम लिया। वहाँ चड्डी पर उसका प्रीकम था जिसे उसने सूँघा और फिर चाटने लगी।अब उसने उसकी चड्डी उतार दी और अब उसका मस्त लंड उसके सामने था, जिसको वो जीभ से चाटकर चूसने लगी। मनीष भी मस्ती से अपना लंड उसके मुँह के अंदर बाहर करना शुरू किया।


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फिर उसने नमिता की मैक्सी उतार दी और वो उसके सामने नंगी पड़ी थी। अब मनीष उसके ऊपर आकर उसकी छातियों को चूमने और चूसने लगा। उसने एक हाथ से उसका एक दूध दबाया और दूसरा दूध मुँह में लेकर चूस रहा था। करीब दस मिनट तक वह बारी बारी से उसकी चूचियाँ पी रहा था, एर नमिता मस्ती से आऽऽहहहह मरर्र्र्र्र्र गईइइइइइइइ चिल्ला रही थी।

अब नमिता बोली: आह मनीष अब डाल दो, अब नहीं रहा जा रहा है।

मनीष: क्या डाल दूँ आंटी? और कहाँ डाल दूँ?

नमिता: आह्ह्ह्ह्ह्ह अपना लंड मेरी बुर में डाल दो ना
आऽऽऽऽऽ प्लीज़ आऽऽहहह ।



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मनीष उसकी टांगों के बीच आके उनको फैलाया और उसकी बुर की फाँकों को अलग करके उसने अपनी जीभ डालकर चाटा और फिर अपना लंड उसकी गुलाबी छेद में फँसाकर लंड अंदर डाल कर उसने पेल दिया। नमिता हाय्य्य्य्य्य्य कर उठी।


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अब नमिता के ऊपर आकर उसने चुदायी शुरू किया।अब नमिता ने बड़े मज़े से कमर उछालकर चुदवाने लगी। मनीष उसके दूध पीते हुए उसकी ज़बरदस्त चुदायी कर रहा था।थोड़ी देर बाद दोनों चिल्लाकर झड़ने लगे। अपना कामरस उसके अंदर डालकर वह शांत हो कर उसके बग़ल मेंलुढ़क गया।

फिर उसकी चुचि दबाते हुए मनीष बोला: आंटी पापा से कब चुदीं आप आख़िर बार?

नमिता: बदमाश, तुझे क्या मतलब इससे ?

मनीष: आंटी, प्लीज़ बताओ ना?

नमिता: देख,सच तो ये है कि तेरे पापा का अब मुझमें कोई ख़ास ध्यान नहीं है।वो तो आजकल अपनी उस कमसिन सेक्रेटेरी के पीछे लगा हुआ है।उसकी ऑफ़िस में भी चुदायी कर देता है।सबको पता है।जहाँ तक मेरी बात है, हम आख़री बार क़रीब तीन महीने पहिले किए थे।

मनीष: आंटी आपको ज़्यादा मज़ा किसके साथ आता है, मेरे साथ या पापा के साथ?

नमिता: बहुत बदमाश है तू, सच तो ये है कि जब मैं तेरे पापा के साथ होती हूँ, तो मुझे लगता है कि मैं अपने पति के साथ धोका कर रही हूँ, वो इनके दोस्त थे ना?

मनीष: और जब मेरे साथ होती हैं तो?

नमिता: तब ऐसा नहीं लगता ।

मनीष: बताओ ना कौन ज़्यादा मज़ा देता है, मैं या पापा?

नमिता ने हँसते हुए मनीष का नरम लंड पकड़ कर कहा: ये ज़्यादा मज़ा देता है। ये जवान है और मस्त मोटा है, जैसा मुझे चाहिए। तुम्हारे पापा का बुड्ढा है और इससे छोटा और पतला।

मनीष ख़ुश होकर बोला: सच आंटी,मुझे भी आपकी ये बुर बड़ी मस्त लगती है। वो उसकी बुर सहलाता हुआ बोला।



उधर क्लास में शीला मैडम ने गणित का टेस्ट पेपर सबको बाँटा और राज की हालत पेपर देखकर ही ख़राब हो गई। उसे सिर्फ़ एक सवाल ही आता था, पर उसने कोशिश की और सभी सवाल किए। प्रतीक ने भी पेपर हल करके जमा किया। अंतिम पिरीयड में मैडम आयीं और सबको पेपर का परिणाम दे दिया।

राज को सिर्फ़ २०% अंक मिले और प्रतीक को १०% मिले थे।


शीला मैडम बोली: राज तुम्हें क्या हो गया है, इतने कम नम्बर? तुमने पढ़ाई में ध्यान देना होगा। तुम्हारी माँ कितनी चिंता करती है तुम्हारी पढ़ाई की।

राज: जी मैडम मैं और ध्यान दूँगा अब ।

मैडम के जाने के बाद प्रतीक उसके पास आया।

प्रतीक राज से बोला: यार हमारी माल क्या बोल रही थी? तुमको पटा रही थी क्या?

राज: क्या बोलता है यार, वो तो पढ़ाई की बात कर रही थी।

प्रतीक: जब वो तुझसे बात कर रही थी, तो साली के बड़े बड़े चूतर देखकर तो मेरी हालत ही ख़राब हो गई।

राज: अरे यार , तेरा तो बस एक ही चीज़ पर ध्यान रहता है?
इतने कम नम्बर आए हैं पता नहीं माँ को क्या जवाब दूँगा।

तभी श्रेय आया और बोला: जानते हो कल मैं एक नया विडीओ गेम लाया हूँ?

प्रतीक: हमें भी तो दिखाओ , मुझे भी इसमें बहुत मज़ा आता है।

श्रेय: तो चलो मेरे घर चलो और हम खेलेंगे।

प्रतीक: चलो राज तुम भी चलो।

राज: नहीं यार मैं नहीं आ पाउँगा।

प्रतीक: चलो हम दोनों चलते हैं। जाते जाते उसने राज को आँख मारी और कुटिलता से मुस्कुराया। श्रेय के आगे जानेपर उसने राज को बोला: शीला मैडम को पटाने के लिए उनके बेटे को भी पटाना पड़ेगा, चलता हूँ।

राज बस का इंतज़ार करने लगा



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उधर नमिता की चुदायी का दूसरा राउंड चालू हो चुका था, अबकि बार मनीष उसे चौपाया बनाकर पीछे से चोद रहा था। थप थप की आवाज़ आ रही थी जैसे ही उसकी जाँघे उसके चूतरों से टकराती थी। नमिता भी मस्ती से अपने चूतरोंको पीछे की ओर दबाकर चुदायी का पूरा मज़ा लेती हुई हाय्य्य्य्य्य्य चिल्ला रही थी। फिर दोनों झड़ने लगे एर आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह चिल्लाने लगे।




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फिर मनीष और वो बाथरूम से फ़्रेश हुए और मनीष तैयार होकर बोला: मज़ा आ गया आंटी , आज तो आप बहुत मस्त चुदवाई हैं। बहुत मज़ा आया।

नमिता भी अपने कपड़े पहनती हुई बोली: हाँ सच बहुत मज़ा आया , पर अब चलो राज के आने का समय होने वाला है।

मनीष उसकी चुचि दबाते हुए बोला: अच्छा जी चलता हूँ, बाई।
फिर वह बाहर जाने लगा। तभी राज दूसरी तरफ़ से आया और मनीष को मोटर्सायकल चालू करते देखा और थोड़ा सा आड़ में होकर छिप गया। मनीष के जाने के बाद वो अपने घर पहुँचा और कॉल बेल बजाया। सामने माँ खड़ी थी, एकदम थकी सी झड़ी सी।
वो समझ गया कि मनीष ने चोद कर माँ की हालत पतली कर दी होगी।
फिर वो अपने कमरे की ओर चला गया।

राज थोड़ी देर बाद अपने कमरे से बाहर आया तो देखा कि माँ खाना लगा रही थी। वह चुप चाप माँ को देखता रहा, टेबल से माँ कम करती किचन में दिख रही थी। उसकी पीठ पसीने से भीगी हुई थी और उसके चूतरों की उठान बहुत मादक लग रही थी। तभी वो खाना लेकर आयी और बोली: बेटा, लो खाना खाओ।

राज चुपचाप खाना खाने लगा। नमिता भी अपना खाना ले आइ और बोली: बेटा, पेपर कैसा हुआ?

राज डर गया और बोला: वो वो बस ठीक ठाक ही हुआ।
नमिता: कितना नम्बर मिला?

राज ने सर झुकाकर कहा:सिर्फ़ २०% ही मिला।

नमिता झटके से उठी और अपना खाना बिना खाए ही उठ गई।
राज जनता था कि माँ अपना दुःख उसके सामने नहीं बताना चाहती थी ।
उससे भी खाना खाया नहीं गया। वह भी माँके कमरे में गया और देखा कि माँ सिसकियाँ भर के रो रही थी। वह जानता था कि उसके ख़राब परिणाम ने माँ को सकते में डाल दिया है।उसने नमिता की बाँह पकड़कर कहा : माँ मुझे माफ़ कर दो आगे से ऐसा नहीं होगा।

नमिता: तुम जानते हो कि मेरे जीवन का अस्तित्व ही तुमसे है, और तुम अगर पढ़कर बड़े आदमी नहीं बन सके तो तुम्हारे पापा का स्वप्न भी पूरा नहीं होगा और मैं भी बहुत निराश हो जाऊँगी।

राज नमिता से लिपटकर बोला: माँ मैं और मेहनत करूँगा। अब आप शांत हो जाओ।

नमिता ने उसके बाल सहलाए और उसको प्यार करते हुए बोली: चलो अब मेहनत करो और अच्छे नम्बर लाओ।

वो भी माँके मांसल नरम और गुदाज बदन का स्पर्श पाकर गरम होने लगा। जब उसको लगा कि लंड खड़ा हो रहा है तो वो उससे अलग होकर खड़ा हो गया।

अपने कमरे में जाकर पढ़ने की कोशिश किया पर असफलता ही हाथ लगी।तभी उसे याद आया की प्रतीक श्रेय के घर गया था, वो जानना चाहता था कि वहाँ क्या हुआ। उसने देखा कि उसकी माँ सो गयी है। तब वो प्रतीक को मोबाइल पर अपने लैंड लाइन से फ़ोन किया ।

उधर से प्रतीक बोला: हाई राज क्या हाल है?’



राज: बस सब बढ़िया। तुम बताओ कि तुम्हारा श्रेय के घर कैसा रहा?

प्रतीक: यार, बहुत मस्त रहा।शीला मैडम तो पटने के लिए जैसे तय्यार बैठी हो।

राज: क्या कह रहा है? मैं नहीं मानता ।

प्रतीक: अगर में तुम्हें बोलूँ किमैं सच बोल रहा हूँ तो?




राज: यार पहेलियाँ ना बुझाओ , बताओ क्या हुआ?

प्रतीक ने जो बताया वह इस तरह से था-------

प्रतीक श्रेय के घर पहुँचा तो शीला मैडम अब तक आयी नहीं थी। वो दोनों वीडीयो गेम खेलने लगे। थोड़ी देर बाद घंटी बजी और श्रेय भागकर दरवाज़ा खोला और देखा कि मम्मी आयीं हैं तो हाय बोलकर मम्मी को बोला: आज प्रतीक भय्या आए हैं मेरे साथ गेम खेलने। और भाग कर कमरे में आकर गेम खेलने लगा।

शीला अपने कमरे में गयी और अपने कपड़े बदले और एक मैक्सी पहनकर आयी और श्रेय के कमरे में आकर प्रतीक को देखी।

प्रतीक खड़े होकर बोला: नमस्ते आंटी जी!

शीला: नमस्ते बेटा, कैसे हो?

प्रतीक: मैं ठीक हूँ आंटी।

शीला: चलो तुम लोग खेलो, मैं खाना लगती हूँ, आज तुम भी खाना खाकर जाना। यह कहकर वो बाहर चली गयी। प्रतीक उसके बड़े मस्त चूतरों को देखकर मस्त हो गया। वो उसकी चाल के साथ मैक्सी में मस्त
हिल रहे थे।

क़रीब १५ मिनट के बाद शीला ने आवाज़ लगायी: चलो बच्चों खाना लग गया आ जाओ।
 
Last edited:

Rajizexy

❣️and let ❣️
Supreme
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इस कहानी के दो मुख्य पात्र हैं राज और उसकी माँ नमिता ।





आज राज की उम्र १८ साल की है और उसकी माँ ४० साल की है। राज के पिता का देहांत क़रीब ५ साल पहले एक दुर्घटना मेंहो चुका था। नमिता एक ऑफ़िस में काम करती है, और उसके पति के पेन्शन और उसकी तनखा से घर का ख़र्च आराम से चल रहा था। नमिता की बस एक ही इच्छा थी कि राज ख़ूब पढ़े और बड़ा आदमी बने। वह बस इसी इंतज़ार में जी रही थी।

आइए अब राज के बारे में .बताएँ , वह पढ़ने मेंबहुत अच्छा था और हमेशा पहले या दूसरे नम्बर पर आता था।वह अभी १२ वीं में था और खेल मेंभी वो बहुत अच्छा था और फ़ुट्बॉल उसका प्रिय खेल था। उसकी क़द काठी अच्छी थी और वो एक अपने उम्र के लिहाज़ से एक तगड़ा लड़का था। गोरा चिट्ठा और चेहरे से मासूमियत टपकती थी। उसके दिमाग़ मेंअब तक वासना ने अपना स्थान नहीं बनाया था। सेक्स के बारे में सीमित जानकारी रखता था क्योंकि उसके सब दोस्त उसके जैसे ही पढ़ने वाले थे। हाँ कभी कभी उसको कोई लड़की या मैडम अच्छी लगती तो उसको लगता था किउसके हथियार मेंकुछ हरकत हो रही हो। और वो शर्मिंदा हो जाता था किउसके विचार इतने गंदे कैसे हो गए!!!

उसकी माँ नमिता एक घरेलू महिला थी, पर काम करने के कारण बाहरी दुनिया को समझती थी। अपनी ज़िन्दगी मेंउसने कुछ समझोते भी किए थे। कभी नौकरीके लिए तो कभी पैसों के लिए और कभी अपनी शरीर की भूक मिटाने के लिए। पर वो बहुत ही सुलझी हुई औरत थी और अपनी ज़िम्मेदारियाँ समझती थी। वो भी अपने बेटे की तरह गोरी चीट्टी भरे हुए बदन की औरत थी, जिसको कोई भी मर्द एक बार देख ले तो दूसरी बार पलट कर देखता ज़रूर था। उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ और पतली कमर और बाहर निकला हुआ पिछवाड़ा मर्दों पर बिजली गिराते थे।वह साड़ी या सलवार कुर्ती ही पहनती थी और घर में नायटि ही पहनती थी।

सब कुछ ठीक चल रहा था और नमिता का पूरा ध्यान राज के खाने पीने और उसकी पढ़ायी पर ही रहता था।

राज और उसकी माँमें भी एक बहुत ही प्यारा रिश्ता था और वो दोनों ही एक दूसरे के लिए जीते थे। दोनों एक दूसरे का बहुत ध्यान रखते थे। नमिता का ऑफ़िस का समय १०से ५ का था और राज का स्कूल ७ से १ बजे का था।
नमिता रोज़ सुबह राज को उठाने आती क्योंकि राज देर रात तक पढ़ता रहता था। सुबह जब वो उसे उठती तो वो उठके उससे लिपट जाता था और माँ के गाल चूमते हुए

good morningकरता था। वो भी उसके गाल या माथा चूमकर उसको प्यार करती थी।

पर कभी नमिता को अटपटा लगता था जब राज की ओढ़ी हुई चद्दर नीचे उसकी जाँघों के पास से उठी रहती थी। उसे थोड़ा सा अजीब लगता था पर वो जानती थी किइस उम्र मेंये एक प्रकृतिक अवस्था है और सब लड़के इस दौर से गुज़रते हैं।

पर उसको हैरानी इस बात की होती थी किहे भगवान ये तंबू इतना ऊँचा कैसे तनजाता है? क्या राज का हथियार इतना बड़ा है? उसे कुछ अजीब सी फ़ीलिंग होती थी पर बाद में वो जब उसका भोला चेहरा देखती थी तो सब भूलकर उसे प्यार करने लगती थी। पर राज जब ऐसी उत्तेजित अवस्था मेंउठता था तो उसको अपनी माँ के सामने बड़ा ख़राब लगता था और वो उसको छुपाने की असफल कोशिश करता था और भागकर बाथरूम मेंजाके पेशाब करने की कोशिश करता था और हथियार के नोर्मल होने के बाद ही वापस बाहर आता था।

माँ मन ही मन मुसकाती थी और कुछ नहीं होने का बहाना करती थी। सुबह की चाय पीकर राज नहा धोकर नाश्ता करने आता था और माँबेट साथ ही नाश्ता करते थे और फिर राज अपनी माँसे लिपटकर प्यार करके स्कूल बस से स्कूल चला जाता था। नमिता बाद में नहाकर खाना बनाती थी और फिर ख़ुद बस से ऑफ़िस चली जाती थी। जीवन ऐसे ही कट रहा था।

राज बस में बैठे हुए अपनी पढ़ायी के बारे में सोच रहा था तभी अगले स्टॉप पर उसकी मैडम जो कि उसको maths ( गणित) पढ़ाती थीं आकर उसके साथ वाली सीट पर बैठ जाती है।
राज: गुड मोर्निंग मैडम ।
मैडम: गुड मोर्निंग , कैसे हो राज बेटा? पढ़ायी कैसी चल रही है?
राज: जी मैडम अच्छी चल रही है, पर गणित बहुत कठिन है।
मैडम: बेटा कभी भी कोई समस्या हो तो मेरे ऑफ़िस आ जाना मैं तुम्हारी मदद कर दूँगी। फिर मैडम को फ़ोन आया और वो उसमें व्यस्त हो गयी। राज ने देखा कि वो बात करते हुए अपनी छाती के निचले हिस्से को खुजाने लगी और हल्के से ब्रा को भी अजस्ट की। राज ने सोचा कि शायद उसकी ब्रा टाइट होगी , तभी शायद वो ऐसा करी होंगी। उसने कई बार माँ को भी ऐसा करते देखा था, और माँ ही बतायी थी कि जब भी नयी ब्रा पहनो थोड़ी दिन कुछ तकलीफ़ तो होती है।
राज अचानक मैडम की अपनी माँ से तुलना करने लगा। दोनों क़रीब एक ही उम्र की थीं क्योंकि उनका बेटा भी उससे एक साल स्कूल में पीछे था।उनके बेटे श्रेय से उसकी बहुत पटती थी, वो भी पढ़ायी में काफ़ी आगे रहता था।राज ने देखा कि उसकी माँ की तरह मैडम भी गोरी और बदन से भरी हुइ हैं और उनकी छातियाँ भी एक जैसी ही हैं।



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नीचे ब्लाउस के नीचे से गोरा थोड़ा उभरा हुआ पेट भी एक समानही था।नीचे उसे मैडम की गोल गोल भारी जाँघें साड़ी से दिख रही थीं। माँकी भी वैसे ही जाँघें थी।
अचानक फ़ोन पर बात करते हुए उसने अपनी जाँघ सहलायी बहुत ऊपर की तरफ़। राज को अपने हथियार में हरकत सी हुई और वो उसको अजस्ट करते हुए बाहर की ओर देखने लगा।

वह अपने आप पर हैरान हो रहा था कि वह मैडम की तुलना अपनी माँ से भला क्यों कर रहा है? तभी स्कूल आ गया और मैडम खड़ी हो गयी और अब साड़ी में से उसके बड़े बड़े नितंब उसके सामने थे। साड़ी उसके बड़े गोल चूतरों के बीच थोड़ी फँस सी गयी थी। ऐसा ही माँ के साथ भी कई बार होता था, उनकी nighty या साड़ी भी ऐसी ही फँस जाती थी ।मैडम ने पीछे हाथ डालकर अपने कपड़े को बाहर की ओर खिंचा और उसे निकाला और अब राज का हथियार और बड़ा हो गया।
उसने थोड़ी देर रुककर सबको उतरने दिया और बाद में ख़ुद उतरा , पैंट के आगे स्कूल का बैग रखकर।

उधर नमिता भी आज अलसायी पड़ी थी सोफ़े पर , खाना बना चुकी थी और आज उसे देरी से जाना था कि क्योंकि कल ऑफ़िस की एक अधिकारी की माँ की मौत के कारण सब उसके यहाँ गए थे और ऑफ़िस आज देरी से चालू होना था।

रोज़ तो वो ओफ़िस के बस से जाती थी, पर आज उसे पब्लिक बस से ही जाना होगा। वो तय्यार हुई आज उसने सलवार कुर्ती पहनी थी और उसने शीशे में ख़ुद को देखा और सोचने लगी कि इतनी सुंदर जवानी बर्बाद हो रही है। उसने आह भरी और याद किया कि पिछली बार उसे सेक्स किए हुए शायद ४ महीने हो गए हैं। उसे आज भी याद है कि वो २२ साल का लड़का उसके बॉस का कोई रिश्तेदार था जिसने उसे ऑफ़िस में देखकर उसको अपना कॉर्ड दिया था और बाद मेंउसको फ़ोन पर बात करके उसे अपनी बातों से आकर्षित कर लिया था और अंत में उसने उसकी ज़बरदस्त चुदायी की थी। ये याद करके उसकी पैंटी में गिलापनआ गया। उसे लग रहा था कि उसका शरीर फिर से सेक्स के लिए भूक़ा हो रहा था। ख़ैर वो बाहर आयी और बस स्टॉप पर बस का इंतज़ार करने लगी। बस के आते ही वो उसपर चढ़ी पर उसे बैठने के लिए जगह नहीं मिली।वो खड़ी हो गयी एक सीट की बैक रेल पकड़कर। अगले स्टॉप से भीड़ बढ़ने लगी।अब उसे थोड़ी तकलीफ़ सी होने लगी। उसने देखा कि दो लड़के जो अभी अभी चढ़े थे, उसे घूर रहे थे। उनकी उम्र कोई १९/ २० साल की होगी।उन लड़कों ने आपस में कुछ बात की और वो भीड़ में से सरक कर उसकी तरफ़ बढ़ने लगे। थोड़ी देर में एक उसके पास आकर उससे जगह माँग कर उससे आगे निकल गया और दूसरा आकर ठीक उसके सामने खड़ा हो गया। उसने थोड़ा पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि वो पहला लड़का अब मुड़कर ठीक उसके पीछे आकर खड़ा था।


उसे कुछ अजीब सा लगा। तभी अगले स्टॉप और ज़्यादा भीड़ चढ़ गयी। अब वो लड़के भीड़ के बहाने से उससे चिपक से गए। नमिता की विशाल छातियाँ उस लड़के के मर्दाने छाती को छू रही थीं। पीछे वाला लड़का भी अब उससे चिपककर उसके पीठ पर ब्लाउस के ऊपर हाथ रख दिया। नमिता इस डबल हमले से थोड़ा सिहर उठी।
अब पीछे वाला लड़का उसकी ब्लाउस के ऊपर से उसके ब्रा के स्ट्रैप को सहला रहा था और उसके हाथ उसकी नंगी पीठ पर रेंग रहे थे जो ब्लाउस और साड़ी के बीच का हिस्सा था। सामने वाला भी अब उसकी छाती पर अपनी छाती का दबाव बनाते हुए उसके नंगे पेट पर हाथ सहलाने लगा। नमिता का एक हाथ तो सीट का सहारा लिया हुआ था, और दूसरे हाथ से उसने इस लड़के का हाथ अपने पेट से हटाने की कोशिश किया। पर वो लड़का कहाँ मनाने वाला था। उसने एक बार हाथ हटा दिया पर जैसे ही नमिता का हाथ हटा उसने फिर से उसके पेट पर हाथ रखा और उसकी नाभि को छेड़ने लगा।

उधर पीछे वाले की हरकतें भी बढ़ गयी थीं, वो अब अपना हाथ नीचे ला कर उसके नितम्बों को सहलाने लगा। नमिता पीछे हाथ लेज़ाकर उसका हाथ हटाने की कोशिश की पर यह क्या उसने तो उसका हाथ अपने हाथ में पकड़कर उसको सहलाना शुरू कर दिया।
अब सामने वाला लड़का भी हाथ को उसके ब्लाउस के निचले हिस्से तक ले आया और वहाँ सहलानाचालू रखा। नमिता अपना हाथ छुड़ाकर सामने वाले के हाथ को अपनी छातियों तक जाने से रोकने की कोशिश की। अब पिछेवाले ने अपना सामने का हिस्सा उसके नितम्बों से चिपका दिया। उसके पैंट के ऊपर से उसके कड़े लिंग के अहसास से वो हिल सी गयी।

अब सामने वाला फिर से उसकी छातियों तक अपना हाथ पहुँचाने मेंकामयाब हो गया था। वो अब धीरे से उसकी छातियों के निचले हिस्से को दबा भी रहा था, नमिता को लगा कि यह ज़्यादा ही हो रहा है। वो कुछ कहने ही वाली थी कि पीछेवाला लड़का उसके कान मेंफुसफुसाया : आंटी , क्यों विरोध कर रही हो, आराम से मज़ा लो ना।

नमिता हैरानी से अपने बेटे की उम्र के लड़कों के हौसलों को देखकर बोली: ये ठीक नहीं है, चलो मुझे छोड़ दो, नहीं तो मैं शोर मचाऊँगी।

समानेवाला लड़का अब उसकी छातियों को अपने पंजों में दबोचकर उसके कान मेंबोला: आंटी, मज़ा लो ना, क्या बॉडी है आपकी। क्या मस्त छातियाँ हैं।

तभी पिछेवाला उसके नितम्बों मेंअपना खड़ा लिंग रगड़ते हुए बोला:

आंटी, आह क्या मस्त चूतर हैं आपके, हाय बहुत अच्छा लग रहा है। ऐसा कहते हुए उसके हाथ अब उसकी कुर्ती को सामने से उठाकर उसकी सलवार के ऊपर से उसकी भारी हुई जाँघों पर आ गए।

अब नमिता की सिसकी निकल गयी और वो धीरे से बोली: कोई देख लेगा तो क्या होगा, प्लीज़ मुझे छोड़ दो ।
सामने वाला लड़का उसकी छातियों को दबाते हुए बोला: इतनी भीड़ है आंटी, किसी को होश नहीं है , आप मज़ा लो।


अब पिछेवाले लड़के ने उसके पेट को सहलाते हुए उसकी सलवार के ऊपर से उसकी जाँघों के जोड़ तक हाथ डाल दिया। अब नमिता की पैंटी गीलीहोने लगी। काफ़ी दिनों से प्यासी तो थी ही, और अचानक उस लड़के ने उसकी चूत पर अपना हाथ रखा और वहाँ सहलाने लगा। अब वी धीरे से बोला: आंटी, प्लीज़ टाँगें फैलाओना,। और पता नहीं नमिता को क्या हो गया किउसने अपनी टाँगें फैला दीं। अब पिछेवाला लड़का उसकी चूत को सलवार के ऊपर से मुट्ठी में लेकर दबाने लगा। अब नमिता की पूरी सलवार सामने से गीली होने लगी।


अब स्तिथि ये थी कि नमिता की छातियाँ सामने वाले के पंजों में थीं और उसकी चूत को पीछेवाला लड़का दबा रहा था। तभी सामने वाले लड़के ने नमिता का हाथ पकड़ा और अपने पैंट के ऊपर से अपने लिंग पर रख दिया। नमिता सिहर उठी, उस लड़के की उम्र के हिसाब से लिंग बहुत बड़ा लग रहा था। वो चाह कर भी अपना हाथ वहाँ से नहीं हटा पायी। और उस लड़के ने नमिता का हाथ दबाकर अपने लिंग को दबवाना शुरू किया।नमिता की हालत अब ख़राब होने लगी थी ,और उसकी चूत मेंबहुत ज़्यादा खुजली सी होने लगी थी।

अब उसका हाथ अपने आप ही उसके लिंग को दबाने लगा और वो मज़े से भरने लगी थी।तभी पीछे वाले लड़के ने उसका दूसरा हाथ पकड़कर अपने लिंग पर रख दिया। नमिता को लगा कि एक और मूसल सा लिंग उसके हाथ में था और वो अपने आप ही उसको भी आगे पीछे करने लगी।

तभी पीछे वाला लड़का बोला: आंटी, अगले स्टॉप पर उतर जायिये हमारे साथ। मेरा घर स्टॉप से बिलकुल पास है, और परिवार बाहर गया है। बहुत मज़ा आ जाएगा।
नमिता: आह मैं ऐसे कैसे जा सकती हूँ, तुम लोगों को जानती तक नहीं।

सामने वाला लड़का बोला: आंटी, चलेंगी तो जान पहचान भी हो जाएगी। प्लीज़ मना मत करिए , देखिए ना क्या हालत है बेचारे की आपके हाथ में आँसूँ बहा रहा है।
नमिता: लेकिन ये कैसे हो सकता है? मैं ऑफ़िस--
वो बोला: आंटी, ऑफ़िस थोड़ी देर से चली जाइएगा ना आप, प्लीज़ चलिए स्टॉप आ गया है।

अब पीछे वाला लगभग नमिता को धक्का देते हुए दरवाज़े की ओर ले जाने लगा, जबकि आगे वाला रास्ता बना रहा था भीड़ में। नमिता के पैर अपने आप ही उनके साथ चले जा रहे थे, वो अपने पर हैरान थी कि वो ऐसा कैसे कर रही है, एकदम अनजान लड़कों के साथ वो भी उसके बेटे की उम्र के थे, वो चली जा रही है। वो जैसे किसी सम्मोहन में थी और बस से उतर गयी। अब वो लड़का उसको सड़क से ही सामने की गली मेंअपना मकान दिखाया और बोला: आंटी बस वही तीसरा मकान हमारा है।

वो उनके साथ चलती हुई फिर से सम्मोहन से निकलने की कोशिश की, और उसने चोर नज़रों से दोनों के पैंट के सामने उभारों को देखा और उसका रहा सहा संकल्प भी टूट गया। उसकी चूत में उन उभरे हुए लिंगों को देखकर बहुत खुजली सी हुई। और वो जानती थी किआज ये खुजली मिटाए बग़ैर उसे चैन नहीं मिलने वाला।
और फिर तीनों ने उस घर में प्रवेश किया।

उधर राज स्कूल में घुसा तो उसको श्रेय मिल गया जो कि maths वाली मैडम का ही बेटा था। दोनों कुछ देर बात किए फिर अपने अपने क्लास में चले गए। maths के पिरीयड में मैडम आयीं, उनका नाम शीला था,राज को देखकर मुस्कराइ और पढ़ाने लगी। जब वो बोर्ड पर लिखती थी तो पहली क़तार में बैठे राज को उसकी ब्लाउस मेंकसे दूध ऊपर नीचे होते दिखते थे। उसे लगा किवो पढ़ाई की जगह मैडम के दूध देख रहा है, तो उसे ग्लानि हुई। पर आज उसका हथियार फिर से कड़ा होने लगा था। तभी क्लास में एक सर एक लड़के के साथ घुसे और बोले: बच्चों, आज आपको एक नया साथी मिल रहा है, यह प्रतीक है और ये आज से इस क्लास को अटेंड करेगा। आप सब इसके साथ मिलकर रहो।
सर चले गए और प्रतीक पहली क़तार में राज के बग़ल में बैठ गया।

लंच ब्रेक में राज और प्रतीक बातें करने लगे।
प्रतीक: यार ये स्कूल तो मस्त है। मेरा पिछला स्कूल तो बिलकुल बोर था पर यहाँ तो बहुत रौनक़ है यार।
राज: यहाँ ऐसा क्या दिख गया भाई तुम्हें?
प्रतीक: अरे यार, ये maths मैडम ही तो मस्त चीज है, क्या धाँसू माल है।

राज हैरत से बोला: छी क्या बोलता है, शी
ला मैडम के बारे में ! वो बहुत अच्छी हैं, और बहुत ही टैलेंट से भरी हैं।

प्रतीक बेशर्मी से हँसते हुए बोला: अरे मैं भी तो यही कह रहा हूँ की वो बहुत अच्छी है और टैलेंट तो उनके ब्लाउस में भरा हुआ है।

राज: यार मुझे मैडम के बारे में ऐसी बात अच्छी नहीं लगती।

प्रतीक: अरे भाई, सुंदर को सुंदर और माल को माल बोलने में क्या बुराई है? तुमने उनका पिछवाड़ा देखा है, क्या ग़ज़ब का उठान लिए है, साला हथियार तन गया है। और ऐसा बोलते हुए उसने बेशर्मी से अपने हथियार को पैंट के ऊपर से रगड़ दिया।

राज सोचने लगा कि देखा जाए तो वह ख़ुद भी तो उनके बारे में ऐसा ही कुछ सोचता है , फ़र्क़ इतना है कि प्रतीक साफ़ साफ़ बोल रहा है और राज मन की बात मन छिपा रहा है।

तभी श्रेय आने लगा तो राज जल्दी से बोला: अरे यार अब मैडम पुराण बंदकर, ये उनका ही बेटा है।
प्रतीक: ओह सच, तब तो इसिको पटाताहूँ, इसके द्वारा इसकी माँ तक पहुँचना होगा।

राज ने श्रेय का परिचय प्रतीक से कराया। और अब प्रतीक श्रेय से अच्छी अच्छी बातें करने लगा। और बहुत जल्दी तीनों मेंदोस्ती हो गयी। राज को ख़राब लग रहा था कि प्रतीक ने श्रेय से दोस्ती सिर्फ़ उसकी माँको पटाने के लिए की है पर वो कुछ बोल नहीं पाया क्योंकि अंदर कहीं उसके मन में भी अब कुछ ऐसे ही भाव जागृत होने लगे थे। प्रतीक ने उन दोनों को अपने घर आने को कहा और बोला: यार कल इतवार को मेरे घर आओ ना। मस्ती करेंगे।

श्रेय : नहीं भाई मुझे पढ़ायी करनी है।
राज: हाँ यार मैं भी नहीं आ सकूँगा।
प्रतीक: अच्छा चलो शाम को आ जाना और साथ मेंचाय नाश्ता करेंगे।
थोड़ी बार दोनों मान गए और अगले दिन शाम को मिलने की बात हो गयी। प्रतीक: अरे यार तुम लोग मेरे घर आओगे तभी तो मैं तुम्हारे घर आ पाउँगा। और कहते हुए वो हँसने लगा।

राज उसकी बात का मतलब समझ रहा था और वो थोड़ा सा विचलित भी था किक्या ये सब ठीक है?
उधर नमिता उन दोनों लड़कों के साथ उस घर में घुसी और उन्होंने उसे सोफ़े पर बिठाया और विकी जिसका घर था, फ्रिज से ठंडा पानी लेकर नमिता को दिया। नमिता पानी पीने लगी। नमिता की साड़ी का पल्लू एक तरफ़ सरक गया था सो उसने उसे ठीक कर अपनी छातियाँ ढक लीं।
बीजू जो विकी का दोस्त था, बोला: आंटी और कुछ लेंगी?

नमिता ने ना में सर हिलाया।

विकी बोला: आंटी, आप बिलकुल परेशान मत होईए, यहाँ अभी कोई नहीं आएगा।

नमिता: मुझे ऑफ़िस जाना है ।

बीजू: आंटी, चली जाना ना ऑफ़िस, थोड़ा मज़ा तो कर लें।

नमिता का चेहरा लाल हो गया, वो सोचने लगी, ये क्या कर बैठी , अपने बेटे के उम्र के लड़कों के साथ यूँ ही चली आयी और अब जो होना है वो तो होकर ही रहेगा।
विकी: आंटी हम अच्छे घरों के लड़के हैं, आपको कभी बदनाम नहीं होने देंगे,आप हम पर विश्वास करो।
तभी दोनों नमिता के पैरों के पास बैठ गए। अब दोनों ने उसके पैरों को हाथ में ले लिया और उसको चूमने लगे। बीजू बायें पैर का अँगूठा और विकी दायीं पैर का अँगूठा चूसने लगे। नमिता के लिए ये एक अजीब अनुभव था। अब उन दोनों ने उसके तलवे चाटने शुरू किए। फिर वो उसकी सभी उँगलियोंको बारी बारी से चूमने और चूसने लगी।

फिर वो उसकी साड़ी ऊपर करते हुए उसकी पिंडलियों को चूम रहे थे और अब वो घुटनों को चूम रहे थे।
अब उनके हाथ उसके पैरों पर थे और जीभ से उसकी घुटनों और उसके ऊपर जाँघों तक चाटने लग गए।नमिता की आहेंनिकल रही थी। उसका ये अनुभव अनूठा था।
जब दोनों जाँघों तक पहुँचे तो नमिता को खड़े करके उसकी साड़ी उतार दिए।अब वो उसके पेटी कोट का नाड़ा खोल दिया। उसका पेटी कोट नीचे गिर गया। पैंटी में से उसकी चूत फुली हुई और वहाँ गीली सी दिख रही थी। वो दोनों जैसे मुग्ध दृष्टि से उसकी पैंटी को देख रहे थे। फिर उन्होंने उसे सोफ़े पर बैठा दिया और ख़ुद भी साथ में बैठ गए। उसके एक एक हाथ को पकड़कर दोनों ने उसकी उँगलियाँ चूमनी चालू कीं। फिर एक एक अंगुली चूमे और जीभ से चाटे। नमिता बहुत ही उत्तेजित हो गयी थी। अब वो उसकी बाहों को चूमने लगे। फिर उसकी कोहनी को चूम रहे थे।

फिर उसकी स्लीव्ज़लेस ब्लाउस के ऊपर तक बाहोंको चूमते हुए उसकी बाँहें उठायीं और उसकी बग़लों को सूंघकर दोनों मस्ती से उसकी बग़लें चाटने लगे। नमिता की आऽऽऽहहहह निकल गयी।

अब लड़कों ने उसकी गर्दन और गाल चूमे और चाटे। अब वो उसकी ब्लाउस के ऊपर से उसकी छातियों को चूमने लगे।


फिर दोनों उसके ब्लाउस के ऊपर से उसकी छातियाँ दबाने लगे। नमिता की हाऽऽऽयय्यय निकल गयी।
फिर उन्होंने ब्लाउस के हुक खोले और उसको निकाल दिया , अब ब्रा में क़ैद उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ बहुत ही मादक दिख रही थीं। वो दोनों उसकी ब्रा के ऊपर से एक एक छाती चूमने लगे। अब नमिता जैसे पागल सी हो रही थी, उसने हाथ बढ़ाकर उन दोनों के पैंट के ऊपर से उनके हथियार पकड़ लिए और मसलने लगी।अब वो ब्रा खोलकर उसकी भारी छातियाँ देखकर मस्त हो गए। वाह क्या मस्त बड़े बड़े आम थे और उसके ऊपर काले लम्बे अकड़े हुए निप्पल्स जैसे कह रहे थे कि आओ बच्चों मुझे चूसो।

नमिता बोली: आह्ह्ह्ह्ह्ह चलो अपने कपड़े खोलो अब, मुझे तो नंगी कर दिया और ख़ुद पूरे कपड़े पहने खड़े हो।

दोनों ने हँसते हुए कहा: लो आंटी हम भी नंगे हो जाते हैं।
अब दोनों ने अपने कमीज़े उतारी और उनकी चौड़ी छाती देखकर वो मस्ती से भरने लगी। उनकी बाँहें भी बहुत बलशाली दिख रहीं थीं।

अब उन्होंने अपनी जींस खोली और उनकी बालोंवाली मोटी जाँघें और उसके बीच में जॉकी का उभार बहुत ही आकर्षक लग रह था।

दोनों की चड्डियाँ उनके प्रीकम से गीली थीं।
अब विकी उसके पास आया और उसका सर अपनी चड्डी पर दबा दिया। नमिता मर्दाने वीर्य की गंध से जैसे पागल हो गयी और उस जगह को जीभ से चाटने लगी। अब उसने विकी की चड्डी को नीचे किया और उसके लंड को देखकर जैसे निहाल हो गयी और उसका मुँह अपने आप उसके पीशाब के छेद को चाटने लगा ।

फिर उसने उसके लंड की चमड़ी को पीछे किया और उसके सुपाडेको चूमते हुए चूसने लगी। और विकी भी अपनी कमर हिलाकर जैसे उसके मुँह को चोदरहा था। तभी बीजू उसको हटा कर अपना लंड उसके मुँह के पास लाया और नमिता भी उसका लंड चूसने लगी। वो सोचने लगी, क्या मस्त लंड हैं इन दोनों लड़कों के, आज तो मज़ा ही आ जाएगा। तभी वो महसूस की अब दोनों उसकी नंगी छातियाँ मसल रहे हैं। और दोनों उसके निपल्ज़ भी मसलने लगे।

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नमिता को लगा कि वो झड़ जाएगी। तभी वो दोनों नमिता की चूचियाँ दबाते हुए उसको खड़ा करके बेडरूम मेंके गए। फिर उसको लिटाकर उसकी पैंटी को खींचकर नीचे किया और उसकी चूतको देखकर मस्ती से अपने लंड मसलने लगे। अब विकी ने उसकी चूतमेंमुँह डाल दिया और उसको चाटने लगा। बीजू तो उसकी छातियों को मसलते हुए चूसने लगा। नमिता की आऽऽऽऽहहह निकलने लगी।

अब वो अपनी कमर हिलाकर चूत को उसके मुँह पर दबाने लगी।

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फिर विकी ने उसकी टाँगें उठाकर उसकी चूतमें अपना लंड पेल दिया और वो हाय्य्य्य्य कहकर चीख़ उठी। उधर बीजू ने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया। अब वह दोनों उसके मुँह और चूत को चोद रहे थे। नमिता की हाय्य्यय और ह्म्म्म्म्म की चीख़ों से कमरा भर गया। अब वो लंड चूसते हुए अपनी कमर उछाल कर चुदवा रही थी और उसकी चूत से फ़चफ़च की आवाज़ें आ रही थीं। बीजू घुटने के बल उसके मुँह के पास बैठ कर उसके मुँह को चोद रहा था और तभी विकी आह्ह्ह्ह्ह्ह करके झड़ने लगा। और फिर वो अपना वीर्यउसकी चूत में छोड़कर अपने दोस्त के लिए हट गया। अब बीजू ने अपना लंड उसके मुँह से निकला और उसके टांगों के बीच आकर उसकी चूत में एक बार ही में अपना लंड ठूँस दिया। और नमिता ने भी मस्ती से अपनी कमर उछालकर उसके लंड का स्वागत किया और अब बीजू पूरी ताक़त से थप थप कर चोदने लगा।



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नमिता भी मस्ती से अपनी चूत फड़वा रही थी और आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह करते हुए झड़ने लगी चिल्लाते हुए: हाऽऽय्यय ज़ोर से चोओओओओओदो आह्ह्ह्ह्ह्ह फाऽऽऽऽड़ दो मेरीइइइइइइइ चूउउउउउउउततत ।
बीजू भी आंटी की मस्ती से मस्त हो गया और ज़ोर ज़ोर से धक्का मारकर झड़ने लगा। फिर वो उसके ऊपर लेटकर बोला: आंटी मज़ा आया?

नमिता: आऽऽऽह हाऽऽननन बहुत मज़ा आया । हाय इतनी ज़बरदस्त चुदाई करते हो तुम दोनों । ये सब कहाँ से सिख लिए इतनी छोटी सी उम्र में?

बीजू: आंटी आपकी जैसी ही एक आंटी ने हमें ट्रेनिंग दी है।

नमिता हँसते हुए बोली: तभी तो मैं बोलूँ कि इतने जल्दी एक्स्पर्ट कैसे बन गए!

विकी भी उसकी चुचि दबाते हुए बोला: आंटी अभी ये तो ट्रेलर था, पूरी फ़िल्म तो अभी बाक़ी है।

नमिता : नहीं नहीं अब और नहीं। मुझे ऑफ़िस जाना है।
तभी बीजू और विकी ने उसके एक एक चुचि को मुँह मेंलिया और उसके निपल्ज़ को चूसने लगे।

अब नमिता फिर से गरमाने लगी और उसने उनके सरों को अपने दूध पर दबा दिया और सिसकारियाँ भरने लगी।

नमिता: आह्ह्ह्ह्ह छोओओओओओओड़ो ना प्लीज़ , मुझे ऑफ़िस जाना है। हाय्य्य्य्य्य मार डालोगे क़याऽऽऽऽऽऽ

बीजू ने चुचि से मुँह उठाकर कहा: आंटी आज ऑफ़िस से छुट्टी ले लो बहुत मज़ा अभी बाक़ी है।

नमिता जानती थी कि ये उसे छोड़ेंगे नहीं। उसने कहा : अच्छा मुझे ऑफ़िस फ़ोन करने दो।

बीजू उसका फ़ोन लाकर उसको दिया। अब बीजू एक तौलिए से उसकी चूत साफ़ करने लगा और विकी अभी भी चुचि चूस रहा था।

नमिता ने बॉस को फ़ोन लगाकर कहा: सर आज छुट्टी लूँगी क्योंकि तबियत ख़राब है। तभी विकी ने निपल्ज़ को हल्के से दाँत से काटा तो उसकी हाय्य्यय निकल गयी।
बॉस: अरे क्या बहुत तकलीफ़ में हो?

नमिता : जी हाँ बस अब आराम करूँगी। और उसने फ़ोन काट दिया। बीजू भी उसकी चूत खोलकर उसकी गुलाबी छेद को देखकर मस्त हो रहा था।

तभी विकी ने एक बम फोड़ा। वो बोला: आंटी, आप हमारी एक इच्छा पूरी करेंगे क्या?

नमिता: हाय्य्य्य्य कैसी इच्छा? बीजू अब चूत चाट रहा था।

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विकी उसके निप्पल को मसलते हुए बोला: आप हमारी मम्मी बन जाओ और हम आपके बेटे का रोल प्ले करेंगे।
नमिता: क्या मतलब?

विकी: आंटी, अब हम आपको मम्मी बोलेंगे और आप हमको बेटा बोलिएगा। माँ बेटे की चूदाई में आपको भी मज़ा आएगा!

नमिता: छी ऐसा भी कहीं होता है? ये पाप है।

बीजू उसकी चूत से मुँह हटाकर बोला: आंटी ये मेरी जीभ की जगह आपके बेटे की भी जीभ हो सकती है । और उसकी जीभ से आपको और ज़्यादा मज़ा आएगा। आप देख लेना।

नमिता हैरान होकर बोली: तो क्या तुम लोग अपनी माँ के साथ ये सब करना चाहते हो?

विकी: हम तो मरे जा रहें हैं उनको चोदने को , पर साली हिम्मत ही नहीं होती।

बीजू: आंटी मैं तो मम्मी की चुचि उनको प्यार करने के बहाने छूकर ही मस्त हो जाता हूँ।

विकी: मैं भी जब मौक़ा मिलता है उनसे लिपटकर उनकी कमर और चूतरों को सहला देता हूँ।

नमिता: आऽऽहहहह बड़े गंदे हो तुम लोग। हाय्य्य्य्य चलो छोओओओओओड़ो नहीं तो मैं झड़ जाऊँगी।

विकी: हम तो तभी छोड़ेंगे जब आप मान जानोगी हमारी मम्मी बनने को।

नमिता: आह चलो ठीक है, मुझे मंज़ूर है। आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बस करो आह्ह्ह्ह्ह नहीं तो मैं झड़ जाऊँगीं।

बीजू अपना मुँह हटाकर बहुत ही मीठी आवाज़ में बोला: मम्मी अच्छा लगा ना?

नमिता: हाऽऽयय्यय हाँ बेटा बहुत अच्छा लगा। आह तुम दोनों तो आज मुझे पागल ही कर दोगे।

विकी: मम्मी हम आपको पागल नहीं करेंगे बस आपको बहुत मज़ा देंगे।

बीजू: मम्मी ज़रा उलटी लेटो ना प्लीज़।

नमिता उत्तेजना से काँप कर पेट के बल लेट गयी। अब विकी उसकी पीठ को जीभ से चाट रहा था। उधर बीजू उसके तलवों को चाट रहा था और धीरे धीरे ऊपर आ रहा था। विकी पीठ चाटते हुए नीचे जा रहा था। नमिता का शरीर जैसे जलने लगा और वो आहें भर रही थीं।
बीजू: आह मम्मी आपकी पिंडलियाँ कितनी नरम हैं और जाँघें भी कितनी चिकनी हैं। वह जाँघों को सहलाते हुए बड़बड़ा रहा था।

विकी अब उसके चूतरोंको दबाते हुए बोला: आह्ह्ह्ह्ह मम्मी कितने बड़े गोल और कितने मक्खन से चिकने चूतर हैं आपके । और वो उनको चूमने लगा। फिर वो उसके दरार में अपनी जीभ डालकर नमिता को मस्ती से भर दिया।

उधर बीजू भी उसके जाँघों को दबाते हुए उसकी जाँघ के जोड़ तक जीभ ले आया था। अब दोनों के सर क़रीब एक ही जगह आ गए थे। विकी अब चूतरों को फैला कर उसकी दरार को चाट रहा था पर उसकी भूरि गाँड़ के छेद को नहीं छू रहा था।

नमिता का उत्तेजना के मारे बहुत बुरा हाल था।
तभी बीजू बोला: मम्मी प्लीज़ चूतरऊपर उठाओ ना।
नमिता ने अपने नीचे के हिस्से को ऊपर उठा दिया।
अब बीजू ने अपना सर नीचे किया और उसकी चूत और गाँड़ के बीच के हिस्से को चाटने लगा। उधर विकी अब उसकी गाँड़ चाटने लगा। नमिता सीइइइइइ कर रही थी।
अब बीजू उसकी चूतऔर विकी उसकी गाँड़ चाट रहे थे।

बीजू: मम्मी बहुत मस्त चूत है आपकी, ह्म्म्म्म्म्म
नमिता: आह्ह्ह्ह्ह बेटाआऽऽऽऽऽऽ और चूसस्स्स्स्स्स्स हाय्य्य्य्य्य्य!

विकी: मम्मी आपकी गाँड़ भी कितनी मस्त है म्म्म्म्म्म

नमिता: चाट आऽऽऽहहहज बेटाआऽऽऽऽ चाऽऽऽऽऽऽट आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह गाँड़ भी चाट। हाय्य्य्य्य्य्य में मरीइइइइइइइइ ।
फिर वो बुरी तरह से झड़ने लगी और चिल्लाकर कमरे को सर पर उठा लिया। उसका स्खलन इतना ज़ोरदार था कि बीजू का पूरा मुँह ही गीला हो गया।

वो दोनों नमिता को प्यार करते हुए लेट गए उसके साथ।
बीजू: मम्मी अच्छा लगा ? ठीक हो ना आप?

नमिता ने प्यार से दोनों को चूमा और बोली: हाँ बेटा बिलकुल ठीक हूँ, और सच कहती हूँ इतना मज़ा मुझे किसी ने नहीं दिया, जो मेरे बेटे अभी दिए हैं।
अब वो तीनों अलसाए से पड़े रहे। दोनों के लंड अब भी तने हुए थे।
नमिता सोचने लगी पता नहीं आगे और क्या करेंगे ये दोनों।

स्कूल की छुट्टी होने पर राज का सामना फिर प्रतीक से हुआ और प्रतीक बोला: यार मैं अभी प्रिन्सिपल मैडम से मिल कर आ रहा हूँ , वाह क्या मस्त माल है!

राज: अरे वो क़रीब ५० साल की होंगी उनको तू माल कहता है?

प्रतीक: अबे औरत की उम्र नहीं उसकी फ़िगर देखी जाती है। इस उम्र में भी क्या शरीर का कितना ख़याल रखा है! क्या बड़े बड़े दूध हैं और क्या मोटे मोटे चूतर हैं। उनका चेहरा भी कितना चिकना है।

राज: फिर भी उम्र का भी तो कोई मतलब होता है?
प्रतीक: उम्र का क्या मतलब? औरत जितनी उम्र दराज़ होगी उतनी ही ज़्यादा अनुभवी होगी चुदाई में ।

राज उसके मुँह से चुदायी शब्द सुनकर हैरान हुआ और बोला: ये कैसी भाषा बोल रहे हो भाई।

प्रतीक: अरे चुदायी को चुदायी नहीं बोलूँगा तो और क्या बोलूँगा! तुम इतने बड़े हो गए हो , क्या अब तक किसी को चोदा नहीं?

राज: नहीं तो, क्या तुमने चो-- मेरा मतलब है वो किया है?

प्रतीक: अरे कई बार । मैं तो चुदायी के बिना रह ही नहीं सकता।

और एक बात बताऊँ, मुझे लड़कियों में ज़्यादा दिलचस्पी नहीं है, मुझे तो भरे बदन वाली अधेड़ उम्र की औरतों को चोदने में मज़ा आता है।

राज का मुँह खुला का खुला रह गया।

प्रतीक: आज तो मैंने प्रिन्सिपल मैडम पर भी जाल फेंक दिया है। मैंने उनकी सुंदरता एर फ़िट्नेस की बहुत तारीफ़ कर दी है और जल्दी ही वो भी मेरे चक्कर में आ जाएगी। वैसे भी वो विधवा है, जो कि लंड की प्यासी रहती हैं, इनको पटाना ज़्यादा आसान है।

राज को बड़ा अजीब लगा यह सब सुनकर। तभी उसे याद आया कि उसकी माँ भी तो विधवा है , क्या वो भी ऐसी ही प्यासी होगी। और क्या उसको भी लोग ऐसे ही पटाते होंगे।

उसे अपनी सोच पर शर्म आयी पर ख़राब और भी लगा कि उसका हथियार ये सोचकर बड़ा क्यों हो रहा है!
तभी श्रेय आता दिखा तो प्रतीक ने उसे आवाज़ दी और वो इनके पास आया ।

प्रतीक: अरे श्रेय तो प्रोग्राम पक्का है ना , मेरे घर आने का?

श्रेय: हाँ भाई पक्का है, मैं और राज दोनों आएँगे।
प्रतीक: तुम्हें वो मज़ा कराऊँगा कितुम लोग भी क्या याद रखोगे?

राज सोचने लगा कि ये क्या प्रोग्राम बना रहा है? और ये श्रेय से दोस्ती बना कर कैसे शिला मैडम को पटाएगा?
प्रतीक: श्रेय तुम्हारे पापा क्या काम करते हैं?

श्रेय: वो आर्मी में हैं। उनकी पोस्टिंग बॉर्डर पर है।

प्रतीक की आँखें चमकने लगी और वह बोला: तब वह तो अक्सर बहुत दिन के बाद ही आ पाते होंगे।

श्रेय: हाँ भाई वो कभी कभी तो दो महीने तक नहीं आ पाते।

प्रतीक मेरी ओर देखकर कुटिलता से मुस्करा कर बोला: ओह तो तुम आंटी जी का ध्यान रखा करो।

श्रेय: हाँ मैं उनका ध्यान रखता हूँ।
तभी प्रतीक ने मुझसे पूछा: तुम्हारे पापा क्या करते हैं

श्रेय: अरे इसके तो पापा है ही नहीं, कुछ साल पहले उनका देहांत हो गया है।

राज ने प्रतीक को देखा और उसकी दबी मुस्कराहट साफ़ दिखायी दे रही थी। राज को याद आया कि कैसे प्रिन्सिपल मैडम के विधवा होने को लेकर वो ख़ुश था, और अब ज़रूर वह उसकी माँ के बारे में भी ऐसा ही कुछ सोच रहा होगा। उसे अजीब सा लगा कि ये सोचकर उसे प्रतीक पर ग़ुस्सा क्यों नहीं आ रहा है? बल्कि वह फिर से उत्तेजित होने लगा , ये सोचकर कि प्रतीक उसकी माँ को भी पटाने की कोशिश करेगा। ये सोचकर उसका हथियार फिर से कड़ा होने लगा।

राज: प्रतीक तुम्हारे पापा क्या करते हैं?

प्रतीक: हमारा बहुत बड़ा इम्पोर्ट इक्स्पोर्ट का व्यापार है।
और माँ का ब्यूटी पार्लर है। याने दोनों बहुत व्यस्त रहते हैं। घर में मैं बिलकुल अकेला हो जाता हूँ। बस एक नौकरानी है जो हम सबका ध्यान रखती है।

राज: नौकरानी खाना भी बनाती है क्या?

प्रतीक: हाँ यार मम्मी को कहाँ फ़ुर्सत है ।

राज: नौकरानी की उम्र क्या है? ये सवाल पूछते ही उसे अपने पर ग़ुस्सा आया किउसके मुँह से इतना बेहूदा सवाल निकला ही कैसे?

प्रतीक शरारत से मुस्कराहट लाकर बोला: वही उम्र है प्यारे जो अपने को पसंद है। क़रीब ४० की होगी। ये बोलते हुए उसने राज को आँख मार दी।

राज सकपका सा गया और फिर तीनों घर के लिए चले गए, अगले दिन शाम को प्रतीक के घर मिलने का फ़ैसला हो ही गया था।

उधर नमिता लेटे हुए उन दोनों के खड़े लंड को देख रही थी।

अब बीजू उठकर किचन से खाने का समान लाया ।नमिता उठकर बाथरूम से फ़्रेश होकर आयी। वो तीनों बिस्तर पर ही बैठकर खाने लगे। नमिता ने देखा कि उनके लंड अब थोड़े नरम पद गए थे पर लटके हुए अब भी विशाल दिख रहे थे।

खाते हुए बीजू बोला: मम्मी आपके परिवार में और कौन है?

नमिता: बस मैं और मेरा बेटा जो कि क़रीब तुम्हारी ही उम्र का होगा, वो बारहवीं में पढ़ता है। मेरे पति का देहांत क़रीब ५ साल पहले हो गया था।

बीजू: ओह , पर मम्मी आपका काम कैसे चलता है?’

नमिता: कौन सा काम?

विकी हँसते हुए उनकी चूत की तरफ़ इशारा करके बोला: इसकी सेवा का काम।

नमिता: धत्त तुम लोग बहुत बेशर्म हो।

विकी: मम्मी इसने बेशर्मी की क्या बात है, सबकी चूत लंड माँगती है। तो आपकी भी माँगती होगी। तो आप किससे चुदवाती हैं?

नमिता: मेरी उम्र में इस सबकी ज़रूरत नहीं है।

बीजू ने उसकी चूत सहलायी और बोला: आंटी आपकी चूतकितनी प्यासी थी ये हमने देख लिया है।

नमिता: बहुत ही गन्दी बातें करते हो तुम दोनों।

विकी ने उसके दूध दबाते हुए कहा: मम्मी आपका बेटा भी हमारे जैसा है क्या जो अपनी माँ को चोदना चाहता है?

नमिता: छी वो ऐसा नहीं है, वो बहुत ही भोला भला लड़का है।

विकी: अरे मम्मी ,हमारी मम्मियों को भी कहाँ ख़बर है कि हम उनको चोदना चाहते हैं। वो तो हमको भी भोला भला समझती हैं।

पर आपने तो देख लिया कि हम कितने सीधे साधे हैं। कहते हुए उसने अपना लंड सहलाया और वो तन गया।
नमिता सोच में पड़ गयी कि क्या ऐसा हो सकता है कि राज उसपर गन्दी नज़र रखता है! नहीं नहीं ये मैं क्या सोच रही हूँ?

तभी उसने देखा की दोनों के लंड अब बिलकुल तनगए थे और उसकी चूतअब फिर से गीली होने लगी। तभी उसको एक बात सूझी और वह बीजू को लिटाकर उसके कमर पर एक चद्दर ऊढ़ा दी।अब उसकी जाँघ की बीच एक तंबू सा बन गया था। उसने हैरानी से देखा किये तंबू उतना ही बड़ा था जितना कभी कभी राज की चादर का बन जाता है, सुबह सुबह। इसका मतलब राज का लंड भी इतना बड़ा ही होगा। ये सोचकर उसके मन में एक अजीब सी हलचल होने लगी।


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अब विकी भी बिस्तर पर लेट गया और नमिता को लंड चूसने को बोला। नमिता झुक कर बारी बारी से उनके लंड चूसने लगी। उसकी जीभ भी सुपाडे पर फिर रही थी। उसने उनके बॉल्ज़ भी चाटे। अब बीजू ने उसको बीच में लिटा लिया और दोनों उसकी छातियों पर आकर एक एक चुचि चूसने लगे। नमिता की आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह निकल गयी।


अब दोनों ने नमिता को करवट से लिटाया और विकी उसकी चूत मेंऊँगली करके उसको गरम कर दिया। उधर बीजू भी उसकी पीठ और गले को चूमते हुए उसके चूतरों को दबाने लगा। फिर बीजू उठकर क्रीम लाया और उसने नमिता की गाँड़ के छेद मेंक्रीम लगानी शुरू किया। उसकी एक उँगली उसकी गाँड़ में घुसी तो नमिता आह्ह्ह्ह्ह करके चिल्लायी। नमिता को समझ में आ गया था कि अब ये दोनों उसकी चूत और गाँड़ दोनों की ठुकाई करेंगे ।

नमिता ने क़रीब एक साल से गाँड़ नहीं मरवायी थी।उसे डर था किआज भी दर्द होगा उसे गाँड़ में।

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अब विकी ने उसकी टाँग उठाकर अपना लंड उसकी चूत मेंडाल दिया और अपनी कमर हिलाकर उसको पूरा अंदर कर दिया। अब वो उसे साइड मेंलिटाकर उसकी चुदायी करने लगा।

तभी बीजू ने अपने लंड मेंक्रीम लगाकर उसके पीछे से उसकी गाँड़ मेंअपना लंड सेट किया। अब विकी रुक गया और बीजू के गाँड़ प्रवेश का इंतज़ार करने लगा। बीजू ने धीरे से उसकी गाँड़ में अपना सुपाड़ा अंदर डाल दिया। अब वो हल्के से धक्का लगाया और लंड अंदर गाँड़ में घुसा और नमिता की चीख़ निकल गयी।

थोड़ी देर में नमिता की गाँड़ उसके लंड के लिए अजस्ट हो गयी। अब दोनों ने उसकी ठुकाई शुरू कर दी। नमिता अब मस्ती से भर रही थी। अब आगे से विकी और पीछे से बीजू उसकी बजा रहा था और वो भी मज़े के सागर में गोते खा रही थी। उसकी एक चुचि विकी के मुँह मेंथी, और एक चुचि बीजू के हाथ में थी।

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अब धमाकेदार चुदायी होने लगी, और नमिता की सिसकियाँ उसके कमरे में गूँज रही थी। फ़च फ़च और थप्प थप्प की आवाज़ भी उनको मस्ती से भर रही थीं।

अब चुदायी चरम सीमा पर थी और नमिता कराहते हुए झड़ने लगी और बीजू और विकी भी झड़ने लगे।
फिर तीनों आराम से सो गए।

नमिता की नींद खुली और उसका अंग अंग दुःख रहा था, उसकी गाँड़ में भी काफ़ी तकलीफ़ थी।वो बाथरूम से आकर तय्यार हुई और तभी बीजू उठ गया और बोला: अरे मम्मी आप तो तय्यार हो गयी। एक राउंड और हो जाता तो मज़ा आ जाता।
नमिता: बाप रे तुम लोग पूरे दिन मुझे रगड़े हो और अभी भी मन नहीं भरा? मेरी तो हड्डी हड्डी दुःख रही है।

तभी विकी भी उठा और नमिता से लिपट कर बोला: मम्मी प्लीज़ एक आख़ीर बार और चुदवा लो ना?

नमिता: मैं मर जाऊँगी बाबा, चलो अब मुझे जाने दो।
फिर विकी और बीजू ने नमिता को बहुत चूमा और चाटा और फिर वो दोनों उसको बाहर छोड़ने आए और एक ऑटो से उसे रवाना किया। आपस में उन्होंने मोबाइल नम्बर ले लिया था, और बाद में जल्दी मिलने की भी बात हो गयी थी। नमिता ऑटो में घर के लिए

निकल पड़ी।
Very nice story dear Perry ❣️👌👌👌
 
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