Update:02
राज दोपहर को घर पहुँचा और ताला खोलकर अंदर अपने कमरे में गया तब, २ बजे थे सो उसने खाना खाया और लेट गया । माँ तो ५ बजे के बाद ही आतीं थीं।उसके दिमाग़ मेंआज दिन भर की बातें सिनमा की तरह चल रही थी।आज प्रतीक ने उसे कई बार अचरज में डाला था। क्या सच में वो अभी से सेक्स करने लगा है? क्या वो सच में प्रिन्सिपल मैडम को और शिला मैडम को पटा लेगा? अचानक उसको ये विचार भी आया कि शायद वो उससे ( राज )भी दोस्ती बढ़ाएगा ताकि वो उसकी माँ को भी पटा सके क्योंकि वो भी तो विधवा थीं और उसके शब्दों में विधवा तो प्यासी होती है जिसको पटाना आसान होता है।
ये सोचकर उसका हथियार फिर खड़ा हो गया। आज पता नहीं क्यों उसको अपना लंड हिलाने की इच्छा हो रही थी। अपने जीवन में उसने कभी भी हस्त मैथुन नहीं किया था। हाँ कभी का ही रात में उसका सोते हुए झड़ जाता था। तब दिन मेंवो अपनी चड्डी को साफकरके पानी से गीला करके रख देता था ताकि माँ को शक ना होये । उसके कपड़े माँ वॉशिंग मशीन में धोती थी।
अचानक उसको याद आया कि अपने घर का टेलीफ़ोन नम्बर भी प्रतीक को दिया था और उसने अपना नम्बर भी दिया था। राज की इच्छा हो रही थी कि वो उसे फ़ोन करके और बातें करे।
अभी तो वो लंड को सहला रहा था और उसकी इच्छा प्रतीक से बात करने की बढ़ती ही जा रही थी।
तभी फ़ोन कीघंटी बजी, वो सोचा कि माँ का होगा, पर उधर प्रतीक ही था। राज के लंड ने झटका मारा , वह ख़ुद भी उसकी मस्त बातें सुनना चाहता था और उसको लगा कि प्रतीक उससे दोस्ती बढ़ाने के लिए ही फ़ोन किया है, ताकि वो उसकी माँ को पटा सके।उधर प्रतीक फ़ोन पर बोला: हाय, क्या कर रहे हो? खाना खा लिया?
राज: हाँ यार खा लिया बस अभी आराम कर रहा हूँ। तुमने खाना खा लिया? ये कहते हुए उसका हाथ लोअर के ऊपर से लंड सहला रहा था।
प्रतीक: हाँ यार खा लिया। बस अब मैं भी आराम कर रहा हूँ। पर मेरे आराम करने का तरीक़ा थोड़ा अलग है।
राज: अलग मतलब?
प्रतीक: यार मैं बताऊँगा तो तुम फिर बोलोगे कि ऐसा क्यों बोल रहे हो!
राज: नहीं मैं नहीं बोलूँगा, क्या अलग तरीक़ा है बताओ ना?
प्रतीक: यार मैं तो अपनी पैंट खोलकर अपना लंड सहला रहा हूँ और ब्लू फ़िल्म देख रहा हूँ। दर असल मेरे घर में इस समय मम्मी पापा तो रहते नहीं , इसलिए मैं मज़े करता हूँ।
राज: ओह, इस सबसे पढ़ाई का नुक़सान नहीं होता?
प्रतीक: मुझे कौन सी नौकरी करनी है, बाद में पापा का buisness ही सम्भालना है।
राज: ओह ऐसा क्या? बहुत क़िस्मत वाले हो तुम!
प्रतीक: अरे मेरी क़िस्मत और मेरा माल अभी आएगी और मज़ा देगी।.
राज: क्या मतलब? कौन आएगी?
प्रतीक: मैरी आंटी , हमारी मेड (नौकरानी) , वो अभी मुझे खाना खिलायी है, अभी ख़ुद खा रही है, फिर किचन सम्भालकर वो आएगी और मेरी क़िस्मत चमकाएगी।
राज: मतलब? क्या करेगी?
प्रतीक: अरे मुझे चोदेगी और क्या करेगी !
राज: ओह मतलब तुम मैरी आंटी के साथ ये सब करते हो, पर तुमने तो कहा था किवो ४० के आसपास की है?
प्रतीक: तभी तो, वरना मैं उसे घास ही नहीं डालता।
राज: क्या वो भी विधवा है?
प्रतीक: नहीं वह शादीशुदा है, और उसके दो बच्चे हैं जो अपनी
नानी के पास रहते हैं, यहाँ वो हमारे सर्वंट क्वॉर्टर मेंअपने पति के साथ रहती है जो की मिल का मज़दूर है। वह सुबह से शाम तक काम पर जाता है।
उसकी उम्र भी आंटी से १० साल ज़्यादा है।वो आंटी की प्यास नहीं बुझा पाता।
राज: ओह, इसीलिए वो तुमसे पट गयी है।
प्रतीक: वो मुझसे पटी है या उसने मुझे पटाया है, इसमें मुझे थोड़ा शक है। और ये कहते हुए हँसने लगा।
राज की उत्तेजना बढ़ने लगी और वो लंड को मसलने लगा।
राज: तुम्हारे पापा मम्मी को पता चलेगा तो उनको कितना बुरा लगेगा?
प्रतीक: मम्मी का तो पता नहीं, पर हाँ पापा को बुरा नहीं लगेगा।
राज: वो क्यों?
प्रतीक इसलिए कि आंटी ने बताया है कि पापा भी उसको कई बार चोद चुके हैं।
राज हैरानी से: क्या, अंकल भी? ओह, बड़ी अजीब बात है?
प्रतीक: इसमें अजीब बात क्या है? पापा का भी लंड उनको तंग करता होगा, वो भी कोई परिवर्तन चाहते होंगे।
राज उत्तेजित होता चला जा रहा था ये सब सुनकर, और अपने लंड को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा।
राज: कहीं तुम्हारी मम्मी भी तो ऐसे ही परिवर्तन नहीं चाहती?
प्रतीक: ज़रूर चाहती होगी।अब पापा को क्या पता कि पार्लर में मम्मी क्या करती हैं!
राज उत्तेजना से भरते हुए बोला: तुमको शक है क्या आंटी पर?
प्रतीक हँसते हुए: शक नहीं यक़ीन है, क्योंकि कई बार जब मैं मम्मी से पैसे लेने पार्लर जाता हूँ तो वहाँ की लड़कियाँ मुझे इंतज़ार करने को कहती हैं और फिर मैंने उनको कमरे से बाहर निकलते देखा था किसी लड़के के साथ।उनका चेहरा बिलकुल थका दिखता था। वो ठीक से चल भी नहीं पा रहीं थीं, इतना बुरा हाल था उनका।मैं जानता हूँ ऐसा ज़बरदस्त चुदायी के बाद ही होता है।
राज: ओह पर ये भी तो हो सकता हाँ किऐसा कुछ हो ही नहीं।
प्रतीक: यार, मैं भी जब मैरी आंटी को चोदता हूँ तो वो भी बहुत थक जाती है। मैं सब समझता हूँ।
राज अब लोअर और चड्डी नीचे कर दिया और नंगे लंड को हिलाने लगा, ये उसका पहला अनुभव था।
राज: ओह,तो आंटी क्या लड़के ही पसंद करती है, या अपनी उम्र के आदमी भी?
प्रतीक: मैंने हमेशा उनको लड़कों के साथ ही देखा है।
तभी प्रतीक बोला: यार वो आने वाली है, साली आते ही मेरा लंड चूसेगी क़रीब १० मिनट तक फिर मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चोदेगी। मैं तो बस आख़िरी में ही ऊपर आकर उसकी चुदायी करता हूँ।
अब राज उत्तेजना से पागल होकर बोला: यार मैं ये सब नहीं समझता , तू मेरा एक काम करेगा?
प्रतीक: यार बोल ना, तेरे लिए जान भी हाज़िर है, पर जल्दी कर आंटी आने वाली है।
राज: तू अपना फ़ोन चालु रखना मैं तुम दोनों की बातें सुनना चाहता हूँ।
प्रतीक मन ही मन मुस्कराया और बोला: क्यों नहीं यार तेरे लिए इतना तो करूँगा ही, चल अब मैं बात नहीं कर पाउँगा वो आ रही है।’
अब राज का लंड झड़ने ही वाला था, वो बहुत उत्तेजित था , उसने अपना हाथ लंड से हटाया और फ़ोन सुनने की कोशिश किया।
उधर से साफ़ आवाज़ आ रही थी------
मैरी आंटी: अरे ये क्या कर रहे हो, इस बेचारे के साथ हाथ से, मैं मर गयी हूँ क्या, और हँसने की आवाज़ के साथ चूमने की आवाज़ आने लगी।
प्रतीक: आंटी चूसो ना मेरा लंड, कब से तड़प रहा है आपके मुँह में जाने के लिए।
आंटी: ले बेटा अभी चूसती हूँ, पर आज तू मुझे आंटी बोल रहा है, रोज़ तो मुझे मम्मी बोलता था चुदायी के समय।
राज को चूसने की आवाज़ें आ रही थीं और प्रतीक की आऽऽहहह मम्मी और चूसो हाय्य्य्य्य्य कितना मज़ा देती हो मम्मी जैसी आवाज़ भी आ रही थी
राज ने सोचा कि ही भगवान, ये लड़का तो अपनी माँ को चोद रहा है ऐसी सोच के साथ आंटी को चोद रहा है। ये सोचते ही उसका हाथ अपने लंड पर ज़ोर से चलने लगा और उसने पहली बार अपने आप को झड़ते देखा। उसका हाथ उसके वीर्य से भर गया था। और इसी उत्तेजना में उसका फ़ोन गिर गया। जब उसने फ़ोन उठाया तो वो कट चुका था।
वह अभी तक हाँफ रहा था। और अपने ढेर सारे वीर्यको हैरानी से देख रहा था। बाथरूम से सफ़ाई करके जब वो लेटा तो उसने महसूस किया किउसकी पूरी उत्तेजना अब शांत हो गयी है।अब वो बहुत ही हल्का महसूस कर रहा था। फिर ये सोचते हुए कि प्रतीक आंटी को अपनी माँ सोचकर चोद रहा होगा, वो मज़े से भर गया और फिर उसकी नींद खुली।
उसकी नींद खुली क्योंकि कॉल बेल बजी। वो समझ गया कि माँ आ गयी और उसने जाकर दरवाज़ा खोला। माँ दरवाज़े में खड़ी थी और उनकी हालत देखकर वो थोड़ा परेशान हो गया।
राज: माँ तुम ठीक तो हो ना? बहुत थकी दिख रही हो?
नमिता: हाँ बेटा बहुत काम था , थक गयी हूँ।
राज ने दरवाज़ा बन्द किया और जैसे ही मुड़ा , उसने देखा कि माँ पैर फैलाकर चल रही थी , जैसे कि बहुत दर्द में हो।
उसने पूछा: माँ क्या हुआ, ऐसे क्यों चल रही हैं आप? क्या कहीं गिर गयीं थीं?
नमिता अपने गाँड़ के दर्द से परेशान हो रही थी पर बोली: नहीं बेटा, बस थोड़ा मोच आ गयी है। ठीक हो जाऊँगी। ये कहते हुए वो सोफ़े पर लेट सी गयी।
राज भागकर पानी लाया, और बोला: माँ चाय बना दूँ?
नमिता उसको प्यार से देखकर बोली: हाँ बेटा बना ले, बहुत मन कर रहा है चाय पीने का।
राज किचन मेंजाकर चाय बनाते हुए सोचने लगा कि माँ इतनी थकी हुई क्यों दिख रही है।और वो ऐसे अजीब सी क्यों चल रही है? उसे प्रतीक की कही हुई बातें याद आयीं जो उसने अपनी माँ के बारे में बता रहा था कि ज़बरदस्त चुदायी के बाद उसकी माँ बहुत थकी दिख रही थी और ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। यही हाल तो आज माँ का भी है, तो क्या माँ भी आज किसी से चुदवा कर आयी है? उसका लंड ये सोचकर खड़ा हो गया। उसे बड़ी हैरानी हो रही थी किउसे अपनी माँ पर ग़ुस्सा नहीं आ रहा था बल्कि वह उत्तेजित हो रहा था ये सोचकर कि वो ज़बरदस्त तरीक़े से चुदीं होंगी। तभी चाय का पानी उबलने लगा और वो होश में आकर चाय बना लाया।
राज अपनी माँको चाय देने जब सोफ़े के पास आया तब नमिता सो चुकी थी। उसने ध्यान से माँ को देखा तो वह बहुत थकी हुई दिख रही थी।अब उसका पल्लू भी गिर गया था और उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ उसके ब्लाउस में से बाहर आने को बेचैन थीं।राज ने देखा कि ब्लाउस भी बहुत मसला हुआ सा लग रहा था जैसे किसी ने ब्लाउस का कचूमर बना दिया हो। अब उसे विश्वास हो गया कि माँ की छातियों को ब्लाउस के ऊपर से भी मसला गया है। ये सोचकर उसका लंड एकदम से खड़ा हो गया और वो सोचने लगा की आख़िर वो कौन है जिसने माँ की इतनी ज़बरदस्त चुदायी की है।
अब उसने माँ को उठाया और चाय दी। वो उठकर अपना पल्लू ठीक करी और फिर चाय पीने लगी।
राज भी चाय पीते हुए बोला: माँ आप आज बहुत थकी दिख रही हो? आख़िर इतना भी क्या काम आ गया था?
नमिता चौंक कर बोली: बस बेटा कभी कभी काम ज़्यादा हो जाता है।
अब मैं नहाऊँगी फिर खाना बनाऊँगी।
राज: छोड़ो ना माँ आज खाना बाहर से मँगा लेते हैं, आप बहुत थक गयी हो।
नमिता: हाँ यही ठीक रहेगा, चलो मैं नहा तो लूँ।
जैसे ही नमिता नहाने गयी,राज ने उसका फ़ोन उठाया और मेसिज चेक करने लगा। उसने देखा कि बीजू का एक मेसिज था- मम्मी आप घर पहुँच गए क्या?
माँ का जवाब- हाँ थोड़ी देर हुई।
फिर उसका ही दूसरा मेसिज था-- मम्मी पिछवाड़ा कैसा है? अभी भी दुःख रहा है क्या?
माँ का जवाब- हाँ बहुत दुःख रहा है, अभी नहाने जाऊँगी तो दवाई लगाऊँगी। बहुत ज़ालिम हो तुम दोनों। चलो बाई।
विकी-- सारी मम्मी, बाई मेरा भी और बीजू का भी बाई।बीजू अभी नहाने गया है।
बस इतना ही मेसिज था, राज हैरान था किये तो दो बंदे हुए और ये मेरी माँ को मम्मी क्यों बोल रहे हैं? क्या माँ दोनों से चुदवा कर आ रही है। और पिछवाड़े का क्या मतलब? उसे समझ नहीं आया, उसने प्रतीक से बाद में पूछने का सोचा।
फिर वो माँ से ये बोलकर कि मैं खेलने जा रहा हूँ, बाहर चला गया।
घर के पास के मैदान में उसे उसका दोस्त नदीम मिला जो कि ५ वीं के बाद पढ़ायी छोड़ दिया था और अब अपने पापा के साथ दुकान पर बैठता था। दोनों थोड़ी देर सबके साथ फ़ुट्बॉल खेले और फिर थक कर एक कोने में बैठ गए और बातें करने लगे।
नदीम: पढ़ाई कैसी चल रही है।
राज: ठीक ही है ,आजकल मन थोड़ा पढ़ायी में कम लगता है।
नदीम: वो क्यों? क्या कोई छोकरी के चक्कर में पड़ गया है?
राज लाल होकर: नहीं भाई ऐसी कोई बात नहीं है! बस पता नहीं क्यों!
नदीम: यार मैं तो स्कूल को मिस करता हूँ , क्या सुंदर सुंदर लड़कियाँ हैं आजकल स्कूल में। और कई मैडम भी माल है। आजकल मैं स्कूल में स्टेशनेरी सप्लाई का काम करता हूँ तो कई स्कूल में आना जाना होता है। तेरे स्कूल में तो शिला मैडम सबसे बढ़िया माल है।
राज: साले वो अपने श्रेय की मम्मी है।
नदीम: यार तो क्या हुआ? हर औरत किसी ना किसी की मम्मी तो होती ही है! तो क्या हम उनको ताड़ना बंद कर दें?
राज: तो हो सकता है कि कोई तुम्हारी मम्मी के बारे में भी ऐसा सोचने लगे तो तुम्हें कैसे लगेगा?
नदीम: ह्म्म्म्म्म अब तुमसे क्या बोलूँ, हिचक हो रही है।
राज: क्यूँ क्या हुआ बोलो ना।
नदीम: तू किसी को बोलेगा तो नहीं?
राज: अरे हर हम पक्के यार हैं, बोल ना जो बोलना है।
नदीम: दर असल मुझे डर है कि तू मेरी दोस्ती ना तोड़ दे?
राज: अरे ऐसी भी क्या बात है?
नदीम: चल बोल ही देता हूँ। मुझे दुनिया में बस दो ही औरतें सेक्सी लगती हैं और जिनको मैं चोदना चाह्ता हूँ, वो हैं, पहली मेरी अपनी मम्मी !
राज का मुँह खुला का खुला रह गया: ओह, और दूसरी?
नदीम: तेरी मम्मी। देख ग़ुस्सा नहीं होना। मैं क्या करूँ ये दोनों मुझे बहुत मस्त लगती हैं। गोरा रंग, भरा बदन, मस्त पिछवाड़ा।
राज हैरानी से बोला: मेरी मम्मी भी ? और अब फिर उसे वही अजीब फ़ीलिंग होने लगी ,उत्तेजना वाली ना किग़ुस्से वाली।आख़िर उसे ख़राब क्यों नहीं लगता जब कोई उसकी मम्मी के बारे मेंऐसी गन्दी बात करता है?
नदीम: हाँ यार दोनों मम्मियाँ माल हैं । ख़ासकर तेरी मम्मी का पिछवाड़ा तो लंड खड़ा कर देता है।
राज को याद आया कि मेसिज में बीजू उनकी पिछवाड़े के दर्द की बात कर रहा था। और ये नदीम भी वही बोल रह है।
राज: यार पिछवाड़ा मतलब हिप्स ना?
नदीम: हाँ यार और पिछवाड़े में लंड डालने में बहुत मज़ा आता है। हिप्स यानी चूतर फैलाओ और गाँड़ के छेद में लंड डाल दो , क्या मस्त मज़ा आता है।
राज: ओह पर मैं तो समझता था कि वो तो सामने के छेद में ही डालते हैं।पीछे का छेद? क्या उसमें भी डाला जाता है?
नदीम: हाँ यार ख़ास कर बड़ी चूतरोंवाली औरत की गाँड़ मारने में बड़ा मज़ा आता है। हाँ इसने औरत को दर्द तो महसूस होता है पर मज़ा भी मिलता होगा।
राज समझ गया कि माँ ज़रूर गाँड़ मरवा के आइ है तभी उसका पिछवाड़ा दुःख रहा है। अब उसका लंड पूरा कड़ा हो गया था।
राज: अच्छा यार ये तो बता कि आंटी यानी अपनी मम्मी के साथ कुछ किया अब तक?
नदीम कुटिल मुस्कान के साथ बोला: बता दूँगा यार , थोड़ा सबर करो।
तभी राज ने देखा किअँधेरा हो रहा है,वह बोला: अच्छा चलता हूँ घर को। बाद में मिलेंगे।
घर पहुँचकर वो पढ़ने बैठा,पर उसका ध्यान बार बार अपनी माँ की ओर जा रहा था कि कैसे वो उन दोनों लड़कों से चुदवायी होगी। और उसकी गाँड़ भी मारी होगी लड़कों ने।
तभी माँ की आवाज़ आयी चलो खाना आ गया है खा लो।
वो माँ के साथ खाना खाया और माँ जल्दी से सोने के लिए चली गयी। उसने फिर से पढ़ने की कोशिश की पर उसका ध्यान भटक रहा था। आज रात फिर से उसने मूठ मारी और झड़कर सो गया।
राज सुबह उठा तो उसका लंड खड़ा था।पता नहीं उसके दिमाग़ मेंक्या आया कि वह अपनी माँ के आने के समय आँख बंदकरके एक हाथ आँखों पर रख लिया। और फिर उसमें से देखने लगा जबकि नमिता को लग रहा था कि उसकी आँखें बंद हैं। नमिता उसे उठाने ही वाली थी किउसकी निगाह तंबू पर पड़ी और उसे याद आया किउसने बीजू या विकी के लंड पर चादर रखा था ये देखने के लिए कि कितना बड़ा तंबू बनता है। अब उसे विश्वास ही गया था की राज का लंड भी बीजू और विकी जैसा ही काफ़ी बड़ा है।
उसकी पैंटी गीली होने लगी, उसके निपल्ज़ भी कड़े हो गए थे।
फिर उसने राज को कंधे पकड़कर हिलाते हुए उठाया।
राज भी नाटक करते हुए उठा और अपना लंड अपने हाथ से छुपाने का नाटक कर रहा था। अब वो बाथरूम जाकर अपने लंड को ठंडे पानी से शांत किया। बाहर आया तो माँ उसका बिस्तर ठीक कर रही थी, वो झुकी हुई थी और उसका पिछवाड़ा सच में बहुत आकर्षक लग रहा था,उसे नदीम की बात याद आयी , जो कि उसने इस पिछवाड़े के बारे में कही थी। अब वो माँ के पीछे से आकर उससे चिपक गया और बोला: माँ गुड मॉर्निंग।
नमिता: गुड मॉर्निंग बेटा,नींद आयी ठीक से?
राज: जी माँ । आपका पैर का दर्द कैसा है? वो जानता था कि वह पैर नहीं गाँड़ के दर्द का पूछ रहा है।
नमिता: हाँ बेटा अब ठीक है।
फिर उसने पीछे से ही माँ के गाल का चुम्मा लिया और फिर वो नहाने चला गया।
नमिता ने नाश्ता बनाया और दोनों ने नाश्ता किया,आज इतवार था और शाम को उसे और श्रेय को प्रतीक के घर जाना था।
अब वह पढ़ने बैठा, पर उसके मन में अजीब अजीब से विचार आ रहे थे। प्रतीक और नदीम की कही बातें और बीजू के मेसिज जैसे उसके आँखों के आगे घूम रहे थे और वो अपनी माँ के बारे में सोचने लगा। उसे अपनी माँ से सहानुभूति भी हो रही थी कि इस उम्र में उन्हें पति का सुख नसीब नहीं है।
अगर वह ख़ुद अपने पर क़ाबू नहीं रख पा रहा था तो माँ का भी शायद यही हाल होगा। उसे माँ पर ग़ुस्सा नहीं आ रहा था बल्कि वो और ज़्यादा जानने को उत्सुक था कि माँ कैसे मज़ा लेती है? और सच में क्या वो आसानी से पट सकती थी जैसे की प्रतीक कह रहा था।
जब उसका मन पढ़ाई में नहीं लगा तो उसने प्रतीक को फ़ोन किया। फ़ोन किसी स्त्री ने उठाया और राज बोला: प्रतीक है क्या?
उधर से जवाब आया : आप कौन बोल रहे हैं?
राज: मैं राज बोल रहा हूँ प्रतीक मेरा दोस्त है।
वो औरत बोली: अभी बुलाती हूँ ।
थोड़ी देर में प्रतीक बोला: हाँ राज कैसे हो? बोलो क्या बात है?
शाम को तुम और श्रेय आ रहे हो ना?
राज: हाँ आ रहे हैं यार। अभी बोर हो रहा था तो सोचा तुमसे बात कर लूँ।
प्रतीक: हाँ भाई क्यों नहीं। मैं भी बोर हो रहा था। आज तो पापा मम्मी घर मे रहते हैं इसलिए आज मेरा और मैरी आंटी का मज़ा नहीं हो पाता।
राज: अरे यार, तुमसे एक बात कहनी थी, कल मेरा एक दोस्त मिला था, वो मुझे बोल रहा था कि उसको भी तुम्हारे जैसे बड़ी उम्र की औरतें पसंद हैं।
प्रतीक: अरे यार मुझे भी उससे मिलवा देना, हम दोनों की ख़ूब जमेगी। क्या अब तक उसने किसी को ठोका है?
राज: वह खुल कर बोला तो नहीं, पर लगता है कि उसको कुछ को अनुभव है इस सब का।
प्रतीक: फिर तो उससे मिलना ही पड़ेगा। कभी तेरे घर आऊँगा तो मिलवा देना। और क्या बोल रहा था वो?
राज: उसने बड़ी ही अजीब बात की, वो कह रहा था किउसको दो ही औरतें सेक्सी लगतीं हैं।
प्रतीक: कौन कौन?
राज: एक तो उसकी मम्मी और दूसरी ---
प्रतीक: दूसरी? बता ना यार!
राज: दूसरी मेरी मम्मी।
प्रतीक: ओह माई गॉड! सच ऐसे बोला? तुम्हें ग़ुस्सा तो नहीं आया?
राज: यही सोच कर तो मैं हैरान हूँ कि मुझे ग़ुस्सा क्यों नहीं आया?
प्रतीक: मैं समझ सकता हूँ , मेरा भी यही हाल है, मैं जब मम्मी को पार्लर में लड़के के साथ देखा तो मुँझे भी उत्तेजना ही हुई , गुस्स्सा नहीं आया। तेरा भी यही हाल है।
राज: ऐसा क्यों है यार?
प्रतीक: इसलिए कि हम इसे बुरा नहीं मानते, और शायद अपनी माँ को ख़ुद ही चोदना चाहते हैं।
राज: नहीं मैंने ऐसा नहीं सोचा। पर --
प्रतीक: अभी नहीं सोचा पर जल्दी ही सोचोगे।
तभी नमिता ने राज को आवाज़ दी और राज फ़ोन काटते हुए बोला: चलो शाम को मिलते हैं।