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Adultery त्यागमयी माँ और उसका बेटा ( Copied

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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दोनों बाहर आके टेबल पर अग़ल बग़ल बैठे और शीला उनको खाना डालने लगी। जब वो प्रतीक को खाना दे रही थी तब वो उसके बिलकुल पास थी और प्रतीक को उसकी मांसल कलाइयाँ और उसकी बग़लें दिखायी दे रही थी जहाँ से पसीने की मस्त गंध आ रही थी। अब वो उत्तेजित होने लगा। तभी वो उनके सामने बैठ गयी और बातें करते हुए खाना खाने लगी। प्रतीक ने देखा किउसने बड़े गले की मैक्सी पहनी थी और उसकी बड़ी बड़ी पुष्ट गोलाईयां झाँक रही थीं। उफ़ कितने सुडौल दिख रहे थे उनके गोरे दूध।


तभी श्रेय ने पानी माँगा तो वो उठ कर फ्रिज के सामने झुक कर पानी की बोतल निकालने लगी और उसकी चूतरोंकी दरार में मैक्सी फँस गयी। झुकने के कारण चूतरों की छटा देखते ही बनती थी और साथ ही दरार में से उसने फँसी हुई मैक्सी निकाली और ये सब देखकर वो बहुत उत्तेजित हो गया और उसका लंड पूरा खड़ा हो गया।


अब प्रतीक उसकी छातियों को घूर रहा था, तभी श्रेय उठ गया और भाग कर गेम खेलने अपने कमरे मेंचला गया और बोला: भय्या जल्दी से आओ ।

प्रतीक को कोई जल्दी नहीं थी , वो अब बेशर्मी से शीला की छातियों को अपनी नज़रों से चोद रहा था। शीला ने भी अनुभव किया कि वो बातें करते हुए उसकी छातियाँ देख रहा है। पता नहीं क्यों उसे बुरा नहीं लगा। उसका पति फ़ौजी था और काफ़ी समय से बॉर्डर पर था, और वो प्यासी तो थी ही। अब प्रतीक को भी लगा कि शीला जानबूझकर उसकी इस हरकत को नज़र अन्दाज़ कर रही है, तो वो समझ गया की चिड़िया प्यासी है, जल्दी ही जाल में फँस जाएगी।

अब उसने शीला की फ़िट्नेस की तारीफ़ करनी शुरू की, वो बोला: आंटी आप तो लगता है की फ़िट्नेस पर बहुत ध्यान देती हैं। मेरी मम्मी तो थोड़ी मोटी हो गयीं हैं। आप तो एकदम फ़िट हैं।

शीला अपनी तारीफ़ से ख़ुश होकर बोली: हाँ मैं रोज़ सुबह योगा करती हूँ और व्यायाम भी करती हूँ।

प्रतीक: तभी तो आप श्रेय की मम्मी नहीं उसकी दीदी लगती हैं। ऐसा बोलते हुए वो उसकी छातियाँ देखते हुए जीभ होंठ पर फेरा और बोला: आप इतनी सुंदर भी तो हैं। अंकल के सब दोस्त आप पर फ़िदा होंगे। और अंकल जब आते होंगे तो आपको बहुत प्यार करते होंगे।

शीला थोड़ी उदासी के साथ बोली: कहाँ रे उनको तो अपने करीयर से ही फ़ुरसत नहीं है, मेरा ख़याल क्या खाख़ रखेंगे?

प्रतीक मनही मन ख़ुश होकर बोला: आंटी, आप इतनी सुंदर हो आपको तो स्कूल के सब बच्चे भी पसंद करते है। और आपको मा- मतलब पसंद मतलब लाइक करते हैं।


शीला: तू अभी मा- क्या कह रहा था?

प्रतीक: कुछ नहीं आंटी, वो बस ऐसे ही मुँह से निकल गया था।

शीला: तू माल बोलना चाहता था क्या?

प्रतीक: आंटी, सॉरी , वो मेरा मतलब है कि बस ऐसे ही कुछ लड़के बोलते हैं।

शीला उसकी आँखों में देखते हुए बोली: तू क्या बोलता है? मैं माल हूँ?

प्रतीक: नहीं आंटी मैं ऐसे कैसे बोल सकता हूँ, आपको।

अब शीला को भी इन बातों में मज़ा आ रहा था और वो गरम हो रही थी। उसने अपनी छातियों को खुजाते हुए कहा: तो क्या मैं बेकार दिखती हूँ? माल नहीं लगती तेरे को?


प्रतीक का लंड झटके मारने लगा,उसका लंड पूरा खड़ा होकर एक तरफ़ से पैंट में तंबू सा बना लिया था। वो चाहता था कि आंटी उस तंबू को देख ले । वो खड़ा हुआ और बोला: आंटी आप सच में बहुत मस्त माल हो। और वो उसकी आँखो में झाँक कर बोला: अगर मैं अंकल होता तो आपको कभी अकेला नहीं छोड़ता।




शीला का ध्यान अपने लंड पर ले जाने के लिए उसने अपने तंबू को दबाया और शीला की आँखें उसके तंबू को देखकर हैरानी से फटी की फटी रह गयीं। इस छोटे से लड़के का इतना बड़ा हथियार ? अब उसके निपल्ज़ कड़े हो गए और उसकी बुर में जैसे चिटियाँ चलने लगी । वह कई दिनों से चुदीं नहीं थी और उसने बुर में ऊँगली भी काफ़ी दिनों से नहीं की थी, इस लिए उसकी बुर गीली होने लगी। उसका हाथ अपने आप ही बुर के पास चला गया और वो उसे दबाने लगी।


शीला को अच्छी तरह से अपने तंबू का दर्शन कराकर प्रतीक हाथ धोकर आया और आकर शीला के पीछे खड़ा हो गया। अब उसने शीला के कंधे सहलाना शुरू किया और बोला: आंटी आपके गर्दन की मालिश कर दूँ? मम्मी कहती हैं किमैं बहुत अच्छी मालिश करता हूँ।


उसका स्पर्श पाकर शीला सिहर उठी और बोली: मुझे भी हाथ धोने दे ना। बाद में मालिश कर लेना। अब प्रतीक उसके कंधों के ऊपर से झुक कर ऊपर से उसकी छातियों के बीच में देख रहा था, और बेशर्मी से मुस्करा रहा था और बोला: आंटी आपके ये तो बहुत मस्त हैं। मुझे लगता है कि मैं इनको छूकर देखूँ कि ये असली हैं या नक़ली?


शीला हँसते हुए बोली: चल हट बदमाश कहीं का, कुछ भी बोल रहा है?


जब प्रतीक ने देखा कि वो ग़ुस्सा नहीं हुई है तो उसने रिस्क लेकर उसके साइड मेंआकर अपने तंबू को छूकर कहा: आंटी, आप भी इसको ग़ौर से देख रही थी, बताइए ना ये कैसा लगा आपको?

शीला हड़बड़ा गई और बोली: चलो हटो मुझे हाथ धोने दो।

प्रतीक इस अवसर को हाथ से नहीं जाने देना चाहता था, उसने और बड़ा रिस्क लिया और शीला का उलटा हाथ पकड़कर अपने पैंट के तंबू पर रख दिया और उसके पंजे को अपने पंजे से पकड़कर अपने लंड को दबाने लगा। शीला की सिसकारि निकल गई। वो बोली: आह ये क्या कर रहे हो, श्रेय यहाँ है? छोड़ो मेरा हाथ।

प्रतीक समझ गया कि वो गरम हो चुकी है वो बोला: आंटी, वो तो गेम खेल रहा है, उसे कहाँ होश है, आप इसको सहलाओ ना प्लीज़।



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अब उसने अपना हाथ शीला की मैक्सी के ऊपर से उसके चुचि पर रखा और हल्के से दबा दिया। शीला की बुर तो जैसे मस्ती से पानी ही छोड़ने लगी। अब वो भी थोड़ा बेशर्मी से उसके लंड को ऊपर से नीचे तक महसूस करने लगी। अब वो समझ गयी कि ये लंड बहुत लंबा और मोटा है, और उसे बहुत मज़ा देगा। उधर अब प्रतीक ने भी अपना दोनों हाथ उसकी छातियों पर रखा और उनको दबाने लगा और ऊपर से ही निपल्ज़ को मसल कर उसने शीला के अंदर के औरत को जगा दिया और उसे चुदायी के लिए तय्यार करने लगा।

तभी शीला बोली: प्रतीक हटो एक मिनट ।

प्रतीक एक अच्छे बच्चे की तरह हट गया और शीला उठकर हाथ धोकर आइ और खाना सम्भालने लगी। प्रतीक ने झूठे बर्तन हटाने मेंउसकी मदद की और किचन में अचानक उसको बाहोंमेंलेकर उसके होंठों को चूमने लगा। शीला ने थोड़े से विरोध के बाद जैसे सम्पर्पण कर दिया। अब प्रतीक के हाथ उसकी छातियों से होता हुआ उसके चूतरों तक पहुँचा जिनको वो ज़ोर से दबाने लगा।शीला का हाथ उसके लंड पर पहुँच गया और वह भी उसे मसलने लगी। अचानक शीला को होश आया और वह बोली: चलो छोड़ो श्रेय आ जाएगा।


प्रतीक: वो मस्त है अभी गेम खेलने में। आंटी क्या वो दोपहर को सोता है?

शीला: आह्ह्ह्ह्ह हाँ सोता है।

प्रतीक ने शीला को समझाया कि मैं घर जाने का नाटक करता हूँ आप उसको सोने को बोलो और मैं घर ना जाकर आपके कमरे में ही रह जाऊँगा। शीला उसको चूमकर बोली: बहुत शैतान दिमाग़ है , चल जा उसके पास अभी।

प्रतीक श्रेय के पास आकर बैठा और थोड़ी देर बाद शीला आकर बोली: चलो प्रतीक अब तुम अपने घर जाओ और श्रेय तुम भी सो जाओ।

प्रतीक जी आंटी करके श्रेय को बाई करके जाने का नाटक किया और शीला के कमरे में घुस गया। श्रेय को सुलाकर शीला अपने कमरे मेंआयी तो हैरान रह गयी, प्रतीक सिर्फ़ चड्डी में अपना खड़ा लंड लेकर लेता हुआ था। वो बोली: ये क्या कर रहे हो? थोड़ा इंतज़ार करना था ना?

वो अपने लंड को दबाते हुए बोला: आंटी आन आ जाओ ,मैक्सी उतार कर अब इंतज़ार नहीं हो रहा । वो हँसती हुई अपनी मैक्सी उतार दी और उसका भरा हुआ जिस्म ब्रा और पैंटी में देखकर वो मस्त हो गया।





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अब शीला भी उसकी छाती को चूमकर उसके निपल्ज़ को जीभ से चाटीएर नीचे उसके पेट और नाभि को चाटते हुए उसकी चड्डी को सूँघने लगी। उसकी चड्डी मेंलगे प्रीकम को उसने जीभ से चाटा और फिर उसकी चड्डी निकाल कर उसके बड़े लंड को प्यार से सहलाकर चूमने लगी। उसने चमड़ी पीछे करके उसका सुपाड़ा बाहर निकाला और उसको चाटते हुए उसके पेशाब के छेद को चाटने लगी। फिर उसने पूरा सुपाड़ा ही मुँह में ले लिया और मज़े से चूसने लगी।


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प्रतीक को लगा कि वो अभी ही झड़ जाएगा , सो उसने उसे अपने ऊपर खींचकर उसके होंठ चूसे और ब्रा का हुक खोलकर उसकी ब्रा निकाल दिया। अब उसके नंगे मोटे दूध को वो पागलों की तरह दबाने और चूसने लगा।


फिर उसका हाथ उसकी पैंटी के अंदर गया और उसके चूतरों को वह मसलने लगा। कितने गोल बड़े नरम चूतर थे । उसकी आह निकल गई। अब उसने शीला को बोल: आंटी मेरी सवारी कीजिए ना।


शीला हँसते हुए उसके ऊपर आ गई और अपनी पैंटी उतारकर उसके ऊपर बैठकर उसका लंड पकड़कर अपनी बुर के छेद मेंलगाकर अंदर कर लिया और फिर एक ही धक्के में वो पूरा लंड निगल गई। उसके मुँह से हाय्य्य्य्य निकली और बोली: हाऊयय्यय क्या मस्त मोटा लंड है तेरा।



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प्रतीक: आंटी मैं आपको मम्मी बोल सकता हूँ क्या?

शीला: आह आह जो बोलना है बोलो आह मगर आह मज़ा दो आह।

प्रतीक नीचे से धक्का मारते हुए बोला: आह मम्मी लो अपने बेटे का लंड लो , और लो, आह मैं तो मादरचोद बन गया आह लो और लो।



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शीला भी मस्ती से उसके लंड पर उछलकर चुदायी करते हुए बोली: आह बेटा क्या चोद रहा है। तू तो पक्का मादरचोद है रे हरामी आह हाय्य्य्य्य्य । और वो ज़ोर से चोदते हुए बोली: फाड़ दे अपनी मम्मी की बुर आऽऽझहह क्या लंड है रे तेरा हाय्य्य्य्य्य्य मैं गईंइइइइइइइइ। और वो झड़ने लगी।


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प्रतीक भी नीचे से धक्का मारतेहुए बोला: मम्मी आह तेरीइइइइइइइइइइइ बुर बड़ी गरम है , ले मेरा माऽऽऽऽऽऽऽल्ल्ल्ल्ल लेएएएएएएएएए । और वो भी झड़ गया।



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दोनों बाथरूम से वापस आकर फिर से लिपट कर लेट गए प्रतीक ने उसको बाहों में खींच लिया और उसकी पीठ पर हाथ फेरता हुआ उसके चूतरों को दबाने लगा। शीला भी उसके होंठ चूमते ही अपना हाथ उसके बॉल्ज़ पर ले गयी और उनको मज़े से सहलाने लगी और बोली: देखो इतनी छोटी सी उम्र में ये तुम्हारे कितने मस्त बड़े हो गए हैं। और फिर उसने अपना हाथ लंड पर रखा और उसको भी सहलाने लगी।
प्रतीक भी अपना हाथ पीछे लेज़ाकर उसकी गाँड़ और बुर सहलाने लगा। अब प्रतीक का लंड भी कड़ा होने लगा।


वो बोला: मम्मी आप की गाँड़ भी बड़ी मस्त है, कभी मरवायी है?

शीला: हाँ मरवायी है पर पतले लंड से , तेरे जैसे मोटे मूसल से नहीं। ये तो किसी की भी गाँड़ फाड़ देगा। ये तो गाँड़ के लिए बना ही नहीं है।

प्रतीक: मम्मी अब कितनो से चुदवायी हो, बताओ ना?

शीला: शादी के पहले २ BF थे ।

प्रतीक: और शादी के बाद?

शीला: श्रेय के पापा को छोड़कर तू तीसरा है।वो दोनों मेरी उम्र के थे, तू ही इतने कम उम्र का है जिससे मैं फँस गयी।

प्रतीक: हा हा अब फँसी हो तो मम्मी मज़ा लो। चलो आप उठो और मेरे मुँह में अपनी बुर रख दो जैसे पेशाब कर रही हो, मैं आपकी बुर चाटूँगा।

शीला: हाय ये सब तू कहाँ से सीखा?

प्रतीक: आपकी जैसी आंटी ने ही सिखाया है।
शीला उत्तेजना से मचलती हुई उसके मुँह मेंमानो पेशाब करने बैठ गयी। अब प्रतीक ने उसकी बुर को अपनी उँगलियों से फैलाया और अंदर की गुलाबी माल को देखकर मस्त होकर उसमें अपनी जीभ डाल दिया। अब वो जीभ और होंठों से उसके छेद को चाटकर मस्त हो रहा था। शीला ने भी हाथ पीछे लेज़ाकर उसके खड़े लंड को दबाना शुरू किया। उधर शीला की मस्ती बुर चटाकर बढ़ती ही जा रही थी।
अब प्रतीक ने अपना मुँह थोड़ा नीचे किया और गाँड़ भी चाटने लगा। शीला अब हाय्य्यय आऽऽऽऽहहह मज़ाआऽऽऽ आऽऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽ है , चिल्ला रही थी।



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फिर उसने शीला को घोड़ी बनाया और उसके चूतरों को ऊपर उठाकर उसकी बुर में अपना लंड पेला और मज़े से चुदायी करने लगा। शीला भी अपनी गाँड़ को पीछे दबाकर पूरा लंड अंदर निगल कर मस्ती से मरवा रही थी। वो चिल्लायी: आऽऽह्ह्ह्ह्ह बेटा क्या मस्त चोद रहे हो। आजतक इतना मज़ा नहीं मिला ।


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प्रतीक: मम्मी आपका ये मदरचोद बेटा अब आपको हमेशा चोदेगा । आप चूदाओगी ना?

शीला: आऽऽहहहह क्यों नहीं बेटा , आह्ह्ह्ह्ह्ह इतना मज़ाआऽऽऽ आऽऽ रहाऽऽऽ है। जब चाहे चोद लेना। हाय्य्य्य्य

फिर वो दोनों आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ह्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगे।

थोड़ी देर बाद प्रतीक अपने घर चला गया। उसका मक़सद पूरा हो गया था।




राज प्रतीक की बात फ़ोन पर सुन रहा था, और उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया था। अब वो मूठ मार रहा था। और प्रतीक से बात करने के बाद वो झड़ गया। उसके बाद वो सो गया। आज भी पढ़ायी नहीं कर पाया।

शाम को माँ से पूछकर वो खेलने गया और वहाँ उसे फिर आज नदीम मिल गया। खेलने के बाद दोनों एकतरफ को बैठे और बातें करने लगे। नदीम फिर नमिता की सुंदरता की बातें करने लगा। और उसकी तुलना अपनी माँ से करने लगा।

राज: यार तू बार बार यही सब बात क्यों करता है?

नदीम: वो क्या है ना जब तक मैं तेरी माँ को चोद नहीं लूँगा, मुझे चैन नहीं आएगा।

राज हैरान होकर: छी कैसी बातें करता है तू? पर ना जाने उसे ग़ुस्सा क्यों नहीं आया नदीम पर।

नदीम: यार कितना मस्त माल है तेरी माँ! क्या दूध हैं और क्या भरा हुआ बदन है।

राज: अच्छा ये बता किसी के साथ कभी सेक्स किया है?

नदीम: मतलब किसी को चोदा है, यही ना? हाँ चोदा है।

राज: किसको?

नदीम: पता नहीं तेरे को बताना चाहिए कि नहीं? तू अपने पेट में रख पाएगा या नहीं! सबको बोल दिया तो मैं गया काम से ।

राज: यार वादा करता हूँ, किसिको नहीं बताऊँगा।

नदीम: तो सुन पिछले ६ महीने से मैं अपनी अम्मी को चोद रहा हूँ।

राज की तो जैसे फट गई वो बोला: क्या अपनी ही अम्मी को?

नदीम: हाँ और इसमें एक ख़ास बात और है की मेरे अब्बा (पापा) ने ही इसको शुरू करवाया है।

राज हैरान होकर बोला: क्या अंकल ने कहा तुझसे की आंटी को चो- मतलब करो।

नदीम: चोदो बोलने मेंक्या बुराई है, बोल दिया कर ना।क्या इतना हिचकिचाता है?

राज: ओह बता ना, ये कैसे शुरू हुआ?






To be continue
 
Last edited:

Rahul Chauhan

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इस कहानी के दो मुख्य पात्र हैं राज और उसकी माँ नमिता ।





आज राज की उम्र १८ साल की है और उसकी माँ ४० साल की है। राज के पिता का देहांत क़रीब ५ साल पहले एक दुर्घटना मेंहो चुका था। नमिता एक ऑफ़िस में काम करती है, और उसके पति के पेन्शन और उसकी तनखा से घर का ख़र्च आराम से चल रहा था। नमिता की बस एक ही इच्छा थी कि राज ख़ूब पढ़े और बड़ा आदमी बने। वह बस इसी इंतज़ार में जी रही थी।

आइए अब राज के बारे में .बताएँ , वह पढ़ने मेंबहुत अच्छा था और हमेशा पहले या दूसरे नम्बर पर आता था।वह अभी १२ वीं में था और खेल मेंभी वो बहुत अच्छा था और फ़ुट्बॉल उसका प्रिय खेल था। उसकी क़द काठी अच्छी थी और वो एक अपने उम्र के लिहाज़ से एक तगड़ा लड़का था। गोरा चिट्ठा और चेहरे से मासूमियत टपकती थी। उसके दिमाग़ मेंअब तक वासना ने अपना स्थान नहीं बनाया था। सेक्स के बारे में सीमित जानकारी रखता था क्योंकि उसके सब दोस्त उसके जैसे ही पढ़ने वाले थे। हाँ कभी कभी उसको कोई लड़की या मैडम अच्छी लगती तो उसको लगता था किउसके हथियार मेंकुछ हरकत हो रही हो। और वो शर्मिंदा हो जाता था किउसके विचार इतने गंदे कैसे हो गए!!!

उसकी माँ नमिता एक घरेलू महिला थी, पर काम करने के कारण बाहरी दुनिया को समझती थी। अपनी ज़िन्दगी मेंउसने कुछ समझोते भी किए थे। कभी नौकरीके लिए तो कभी पैसों के लिए और कभी अपनी शरीर की भूक मिटाने के लिए। पर वो बहुत ही सुलझी हुई औरत थी और अपनी ज़िम्मेदारियाँ समझती थी। वो भी अपने बेटे की तरह गोरी चीट्टी भरे हुए बदन की औरत थी, जिसको कोई भी मर्द एक बार देख ले तो दूसरी बार पलट कर देखता ज़रूर था। उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ और पतली कमर और बाहर निकला हुआ पिछवाड़ा मर्दों पर बिजली गिराते थे।वह साड़ी या सलवार कुर्ती ही पहनती थी और घर में नायटि ही पहनती थी।

सब कुछ ठीक चल रहा था और नमिता का पूरा ध्यान राज के खाने पीने और उसकी पढ़ायी पर ही रहता था।

राज और उसकी माँमें भी एक बहुत ही प्यारा रिश्ता था और वो दोनों ही एक दूसरे के लिए जीते थे। दोनों एक दूसरे का बहुत ध्यान रखते थे। नमिता का ऑफ़िस का समय १०से ५ का था और राज का स्कूल ७ से १ बजे का था।
नमिता रोज़ सुबह राज को उठाने आती क्योंकि राज देर रात तक पढ़ता रहता था। सुबह जब वो उसे उठती तो वो उठके उससे लिपट जाता था और माँ के गाल चूमते हुए

good morningकरता था। वो भी उसके गाल या माथा चूमकर उसको प्यार करती थी।

पर कभी नमिता को अटपटा लगता था जब राज की ओढ़ी हुई चद्दर नीचे उसकी जाँघों के पास से उठी रहती थी। उसे थोड़ा सा अजीब लगता था पर वो जानती थी किइस उम्र मेंये एक प्रकृतिक अवस्था है और सब लड़के इस दौर से गुज़रते हैं।

पर उसको हैरानी इस बात की होती थी किहे भगवान ये तंबू इतना ऊँचा कैसे तनजाता है? क्या राज का हथियार इतना बड़ा है? उसे कुछ अजीब सी फ़ीलिंग होती थी पर बाद में वो जब उसका भोला चेहरा देखती थी तो सब भूलकर उसे प्यार करने लगती थी। पर राज जब ऐसी उत्तेजित अवस्था मेंउठता था तो उसको अपनी माँ के सामने बड़ा ख़राब लगता था और वो उसको छुपाने की असफल कोशिश करता था और भागकर बाथरूम मेंजाके पेशाब करने की कोशिश करता था और हथियार के नोर्मल होने के बाद ही वापस बाहर आता था।

माँ मन ही मन मुसकाती थी और कुछ नहीं होने का बहाना करती थी। सुबह की चाय पीकर राज नहा धोकर नाश्ता करने आता था और माँबेट साथ ही नाश्ता करते थे और फिर राज अपनी माँसे लिपटकर प्यार करके स्कूल बस से स्कूल चला जाता था। नमिता बाद में नहाकर खाना बनाती थी और फिर ख़ुद बस से ऑफ़िस चली जाती थी। जीवन ऐसे ही कट रहा था।

राज बस में बैठे हुए अपनी पढ़ायी के बारे में सोच रहा था तभी अगले स्टॉप पर उसकी मैडम जो कि उसको maths ( गणित) पढ़ाती थीं आकर उसके साथ वाली सीट पर बैठ जाती है।
राज: गुड मोर्निंग मैडम ।
मैडम: गुड मोर्निंग , कैसे हो राज बेटा? पढ़ायी कैसी चल रही है?
राज: जी मैडम अच्छी चल रही है, पर गणित बहुत कठिन है।
मैडम: बेटा कभी भी कोई समस्या हो तो मेरे ऑफ़िस आ जाना मैं तुम्हारी मदद कर दूँगी। फिर मैडम को फ़ोन आया और वो उसमें व्यस्त हो गयी। राज ने देखा कि वो बात करते हुए अपनी छाती के निचले हिस्से को खुजाने लगी और हल्के से ब्रा को भी अजस्ट की। राज ने सोचा कि शायद उसकी ब्रा टाइट होगी , तभी शायद वो ऐसा करी होंगी। उसने कई बार माँ को भी ऐसा करते देखा था, और माँ ही बतायी थी कि जब भी नयी ब्रा पहनो थोड़ी दिन कुछ तकलीफ़ तो होती है।
राज अचानक मैडम की अपनी माँ से तुलना करने लगा। दोनों क़रीब एक ही उम्र की थीं क्योंकि उनका बेटा भी उससे एक साल स्कूल में पीछे था।उनके बेटे श्रेय से उसकी बहुत पटती थी, वो भी पढ़ायी में काफ़ी आगे रहता था।राज ने देखा कि उसकी माँ की तरह मैडम भी गोरी और बदन से भरी हुइ हैं और उनकी छातियाँ भी एक जैसी ही हैं।



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नीचे ब्लाउस के नीचे से गोरा थोड़ा उभरा हुआ पेट भी एक समानही था।नीचे उसे मैडम की गोल गोल भारी जाँघें साड़ी से दिख रही थीं। माँकी भी वैसे ही जाँघें थी।
अचानक फ़ोन पर बात करते हुए उसने अपनी जाँघ सहलायी बहुत ऊपर की तरफ़। राज को अपने हथियार में हरकत सी हुई और वो उसको अजस्ट करते हुए बाहर की ओर देखने लगा।

वह अपने आप पर हैरान हो रहा था कि वह मैडम की तुलना अपनी माँ से भला क्यों कर रहा है? तभी स्कूल आ गया और मैडम खड़ी हो गयी और अब साड़ी में से उसके बड़े बड़े नितंब उसके सामने थे। साड़ी उसके बड़े गोल चूतरों के बीच थोड़ी फँस सी गयी थी। ऐसा ही माँ के साथ भी कई बार होता था, उनकी nighty या साड़ी भी ऐसी ही फँस जाती थी ।मैडम ने पीछे हाथ डालकर अपने कपड़े को बाहर की ओर खिंचा और उसे निकाला और अब राज का हथियार और बड़ा हो गया।
उसने थोड़ी देर रुककर सबको उतरने दिया और बाद में ख़ुद उतरा , पैंट के आगे स्कूल का बैग रखकर।

उधर नमिता भी आज अलसायी पड़ी थी सोफ़े पर , खाना बना चुकी थी और आज उसे देरी से जाना था कि क्योंकि कल ऑफ़िस की एक अधिकारी की माँ की मौत के कारण सब उसके यहाँ गए थे और ऑफ़िस आज देरी से चालू होना था।

रोज़ तो वो ओफ़िस के बस से जाती थी, पर आज उसे पब्लिक बस से ही जाना होगा। वो तय्यार हुई आज उसने सलवार कुर्ती पहनी थी और उसने शीशे में ख़ुद को देखा और सोचने लगी कि इतनी सुंदर जवानी बर्बाद हो रही है। उसने आह भरी और याद किया कि पिछली बार उसे सेक्स किए हुए शायद ४ महीने हो गए हैं। उसे आज भी याद है कि वो २२ साल का लड़का उसके बॉस का कोई रिश्तेदार था जिसने उसे ऑफ़िस में देखकर उसको अपना कॉर्ड दिया था और बाद मेंउसको फ़ोन पर बात करके उसे अपनी बातों से आकर्षित कर लिया था और अंत में उसने उसकी ज़बरदस्त चुदायी की थी। ये याद करके उसकी पैंटी में गिलापनआ गया। उसे लग रहा था कि उसका शरीर फिर से सेक्स के लिए भूक़ा हो रहा था। ख़ैर वो बाहर आयी और बस स्टॉप पर बस का इंतज़ार करने लगी। बस के आते ही वो उसपर चढ़ी पर उसे बैठने के लिए जगह नहीं मिली।वो खड़ी हो गयी एक सीट की बैक रेल पकड़कर। अगले स्टॉप से भीड़ बढ़ने लगी।अब उसे थोड़ी तकलीफ़ सी होने लगी। उसने देखा कि दो लड़के जो अभी अभी चढ़े थे, उसे घूर रहे थे। उनकी उम्र कोई १९/ २० साल की होगी।उन लड़कों ने आपस में कुछ बात की और वो भीड़ में से सरक कर उसकी तरफ़ बढ़ने लगे। थोड़ी देर में एक उसके पास आकर उससे जगह माँग कर उससे आगे निकल गया और दूसरा आकर ठीक उसके सामने खड़ा हो गया। उसने थोड़ा पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि वो पहला लड़का अब मुड़कर ठीक उसके पीछे आकर खड़ा था।


उसे कुछ अजीब सा लगा। तभी अगले स्टॉप और ज़्यादा भीड़ चढ़ गयी। अब वो लड़के भीड़ के बहाने से उससे चिपक से गए। नमिता की विशाल छातियाँ उस लड़के के मर्दाने छाती को छू रही थीं। पीछे वाला लड़का भी अब उससे चिपककर उसके पीठ पर ब्लाउस के ऊपर हाथ रख दिया। नमिता इस डबल हमले से थोड़ा सिहर उठी।
अब पीछे वाला लड़का उसकी ब्लाउस के ऊपर से उसके ब्रा के स्ट्रैप को सहला रहा था और उसके हाथ उसकी नंगी पीठ पर रेंग रहे थे जो ब्लाउस और साड़ी के बीच का हिस्सा था। सामने वाला भी अब उसकी छाती पर अपनी छाती का दबाव बनाते हुए उसके नंगे पेट पर हाथ सहलाने लगा। नमिता का एक हाथ तो सीट का सहारा लिया हुआ था, और दूसरे हाथ से उसने इस लड़के का हाथ अपने पेट से हटाने की कोशिश किया। पर वो लड़का कहाँ मनाने वाला था। उसने एक बार हाथ हटा दिया पर जैसे ही नमिता का हाथ हटा उसने फिर से उसके पेट पर हाथ रखा और उसकी नाभि को छेड़ने लगा।

उधर पीछे वाले की हरकतें भी बढ़ गयी थीं, वो अब अपना हाथ नीचे ला कर उसके नितम्बों को सहलाने लगा। नमिता पीछे हाथ लेज़ाकर उसका हाथ हटाने की कोशिश की पर यह क्या उसने तो उसका हाथ अपने हाथ में पकड़कर उसको सहलाना शुरू कर दिया।
अब सामने वाला लड़का भी हाथ को उसके ब्लाउस के निचले हिस्से तक ले आया और वहाँ सहलानाचालू रखा। नमिता अपना हाथ छुड़ाकर सामने वाले के हाथ को अपनी छातियों तक जाने से रोकने की कोशिश की। अब पिछेवाले ने अपना सामने का हिस्सा उसके नितम्बों से चिपका दिया। उसके पैंट के ऊपर से उसके कड़े लिंग के अहसास से वो हिल सी गयी।

अब सामने वाला फिर से उसकी छातियों तक अपना हाथ पहुँचाने मेंकामयाब हो गया था। वो अब धीरे से उसकी छातियों के निचले हिस्से को दबा भी रहा था, नमिता को लगा कि यह ज़्यादा ही हो रहा है। वो कुछ कहने ही वाली थी कि पीछेवाला लड़का उसके कान मेंफुसफुसाया : आंटी , क्यों विरोध कर रही हो, आराम से मज़ा लो ना।

नमिता हैरानी से अपने बेटे की उम्र के लड़कों के हौसलों को देखकर बोली: ये ठीक नहीं है, चलो मुझे छोड़ दो, नहीं तो मैं शोर मचाऊँगी।

समानेवाला लड़का अब उसकी छातियों को अपने पंजों में दबोचकर उसके कान मेंबोला: आंटी, मज़ा लो ना, क्या बॉडी है आपकी। क्या मस्त छातियाँ हैं।

तभी पिछेवाला उसके नितम्बों मेंअपना खड़ा लिंग रगड़ते हुए बोला:

आंटी, आह क्या मस्त चूतर हैं आपके, हाय बहुत अच्छा लग रहा है। ऐसा कहते हुए उसके हाथ अब उसकी कुर्ती को सामने से उठाकर उसकी सलवार के ऊपर से उसकी भारी हुई जाँघों पर आ गए।

अब नमिता की सिसकी निकल गयी और वो धीरे से बोली: कोई देख लेगा तो क्या होगा, प्लीज़ मुझे छोड़ दो ।
सामने वाला लड़का उसकी छातियों को दबाते हुए बोला: इतनी भीड़ है आंटी, किसी को होश नहीं है , आप मज़ा लो।


अब पिछेवाले लड़के ने उसके पेट को सहलाते हुए उसकी सलवार के ऊपर से उसकी जाँघों के जोड़ तक हाथ डाल दिया। अब नमिता की पैंटी गीलीहोने लगी। काफ़ी दिनों से प्यासी तो थी ही, और अचानक उस लड़के ने उसकी चूत पर अपना हाथ रखा और वहाँ सहलाने लगा। अब वी धीरे से बोला: आंटी, प्लीज़ टाँगें फैलाओना,। और पता नहीं नमिता को क्या हो गया किउसने अपनी टाँगें फैला दीं। अब पिछेवाला लड़का उसकी चूत को सलवार के ऊपर से मुट्ठी में लेकर दबाने लगा। अब नमिता की पूरी सलवार सामने से गीली होने लगी।


अब स्तिथि ये थी कि नमिता की छातियाँ सामने वाले के पंजों में थीं और उसकी चूत को पीछेवाला लड़का दबा रहा था। तभी सामने वाले लड़के ने नमिता का हाथ पकड़ा और अपने पैंट के ऊपर से अपने लिंग पर रख दिया। नमिता सिहर उठी, उस लड़के की उम्र के हिसाब से लिंग बहुत बड़ा लग रहा था। वो चाह कर भी अपना हाथ वहाँ से नहीं हटा पायी। और उस लड़के ने नमिता का हाथ दबाकर अपने लिंग को दबवाना शुरू किया।नमिता की हालत अब ख़राब होने लगी थी ,और उसकी चूत मेंबहुत ज़्यादा खुजली सी होने लगी थी।

अब उसका हाथ अपने आप ही उसके लिंग को दबाने लगा और वो मज़े से भरने लगी थी।तभी पीछे वाले लड़के ने उसका दूसरा हाथ पकड़कर अपने लिंग पर रख दिया। नमिता को लगा कि एक और मूसल सा लिंग उसके हाथ में था और वो अपने आप ही उसको भी आगे पीछे करने लगी।

तभी पीछे वाला लड़का बोला: आंटी, अगले स्टॉप पर उतर जायिये हमारे साथ। मेरा घर स्टॉप से बिलकुल पास है, और परिवार बाहर गया है। बहुत मज़ा आ जाएगा।
नमिता: आह मैं ऐसे कैसे जा सकती हूँ, तुम लोगों को जानती तक नहीं।

सामने वाला लड़का बोला: आंटी, चलेंगी तो जान पहचान भी हो जाएगी। प्लीज़ मना मत करिए , देखिए ना क्या हालत है बेचारे की आपके हाथ में आँसूँ बहा रहा है।
नमिता: लेकिन ये कैसे हो सकता है? मैं ऑफ़िस--
वो बोला: आंटी, ऑफ़िस थोड़ी देर से चली जाइएगा ना आप, प्लीज़ चलिए स्टॉप आ गया है।

अब पीछे वाला लगभग नमिता को धक्का देते हुए दरवाज़े की ओर ले जाने लगा, जबकि आगे वाला रास्ता बना रहा था भीड़ में। नमिता के पैर अपने आप ही उनके साथ चले जा रहे थे, वो अपने पर हैरान थी कि वो ऐसा कैसे कर रही है, एकदम अनजान लड़कों के साथ वो भी उसके बेटे की उम्र के थे, वो चली जा रही है। वो जैसे किसी सम्मोहन में थी और बस से उतर गयी। अब वो लड़का उसको सड़क से ही सामने की गली मेंअपना मकान दिखाया और बोला: आंटी बस वही तीसरा मकान हमारा है।

वो उनके साथ चलती हुई फिर से सम्मोहन से निकलने की कोशिश की, और उसने चोर नज़रों से दोनों के पैंट के सामने उभारों को देखा और उसका रहा सहा संकल्प भी टूट गया। उसकी चूत में उन उभरे हुए लिंगों को देखकर बहुत खुजली सी हुई। और वो जानती थी किआज ये खुजली मिटाए बग़ैर उसे चैन नहीं मिलने वाला।
और फिर तीनों ने उस घर में प्रवेश किया।

उधर राज स्कूल में घुसा तो उसको श्रेय मिल गया जो कि maths वाली मैडम का ही बेटा था। दोनों कुछ देर बात किए फिर अपने अपने क्लास में चले गए। maths के पिरीयड में मैडम आयीं, उनका नाम शीला था,राज को देखकर मुस्कराइ और पढ़ाने लगी। जब वो बोर्ड पर लिखती थी तो पहली क़तार में बैठे राज को उसकी ब्लाउस मेंकसे दूध ऊपर नीचे होते दिखते थे। उसे लगा किवो पढ़ाई की जगह मैडम के दूध देख रहा है, तो उसे ग्लानि हुई। पर आज उसका हथियार फिर से कड़ा होने लगा था। तभी क्लास में एक सर एक लड़के के साथ घुसे और बोले: बच्चों, आज आपको एक नया साथी मिल रहा है, यह प्रतीक है और ये आज से इस क्लास को अटेंड करेगा। आप सब इसके साथ मिलकर रहो।
सर चले गए और प्रतीक पहली क़तार में राज के बग़ल में बैठ गया।

लंच ब्रेक में राज और प्रतीक बातें करने लगे।
प्रतीक: यार ये स्कूल तो मस्त है। मेरा पिछला स्कूल तो बिलकुल बोर था पर यहाँ तो बहुत रौनक़ है यार।
राज: यहाँ ऐसा क्या दिख गया भाई तुम्हें?
प्रतीक: अरे यार, ये maths मैडम ही तो मस्त चीज है, क्या धाँसू माल है।

राज हैरत से बोला: छी क्या बोलता है, शी
ला मैडम के बारे में ! वो बहुत अच्छी हैं, और बहुत ही टैलेंट से भरी हैं।

प्रतीक बेशर्मी से हँसते हुए बोला: अरे मैं भी तो यही कह रहा हूँ की वो बहुत अच्छी है और टैलेंट तो उनके ब्लाउस में भरा हुआ है।

राज: यार मुझे मैडम के बारे में ऐसी बात अच्छी नहीं लगती।

प्रतीक: अरे भाई, सुंदर को सुंदर और माल को माल बोलने में क्या बुराई है? तुमने उनका पिछवाड़ा देखा है, क्या ग़ज़ब का उठान लिए है, साला हथियार तन गया है। और ऐसा बोलते हुए उसने बेशर्मी से अपने हथियार को पैंट के ऊपर से रगड़ दिया।

राज सोचने लगा कि देखा जाए तो वह ख़ुद भी तो उनके बारे में ऐसा ही कुछ सोचता है , फ़र्क़ इतना है कि प्रतीक साफ़ साफ़ बोल रहा है और राज मन की बात मन छिपा रहा है।

तभी श्रेय आने लगा तो राज जल्दी से बोला: अरे यार अब मैडम पुराण बंदकर, ये उनका ही बेटा है।
प्रतीक: ओह सच, तब तो इसिको पटाताहूँ, इसके द्वारा इसकी माँ तक पहुँचना होगा।

राज ने श्रेय का परिचय प्रतीक से कराया। और अब प्रतीक श्रेय से अच्छी अच्छी बातें करने लगा। और बहुत जल्दी तीनों मेंदोस्ती हो गयी। राज को ख़राब लग रहा था कि प्रतीक ने श्रेय से दोस्ती सिर्फ़ उसकी माँको पटाने के लिए की है पर वो कुछ बोल नहीं पाया क्योंकि अंदर कहीं उसके मन में भी अब कुछ ऐसे ही भाव जागृत होने लगे थे। प्रतीक ने उन दोनों को अपने घर आने को कहा और बोला: यार कल इतवार को मेरे घर आओ ना। मस्ती करेंगे।

श्रेय : नहीं भाई मुझे पढ़ायी करनी है।
राज: हाँ यार मैं भी नहीं आ सकूँगा।
प्रतीक: अच्छा चलो शाम को आ जाना और साथ मेंचाय नाश्ता करेंगे।
थोड़ी बार दोनों मान गए और अगले दिन शाम को मिलने की बात हो गयी। प्रतीक: अरे यार तुम लोग मेरे घर आओगे तभी तो मैं तुम्हारे घर आ पाउँगा। और कहते हुए वो हँसने लगा।

राज उसकी बात का मतलब समझ रहा था और वो थोड़ा सा विचलित भी था किक्या ये सब ठीक है?
उधर नमिता उन दोनों लड़कों के साथ उस घर में घुसी और उन्होंने उसे सोफ़े पर बिठाया और विकी जिसका घर था, फ्रिज से ठंडा पानी लेकर नमिता को दिया। नमिता पानी पीने लगी। नमिता की साड़ी का पल्लू एक तरफ़ सरक गया था सो उसने उसे ठीक कर अपनी छातियाँ ढक लीं।
बीजू जो विकी का दोस्त था, बोला: आंटी और कुछ लेंगी?

नमिता ने ना में सर हिलाया।

विकी बोला: आंटी, आप बिलकुल परेशान मत होईए, यहाँ अभी कोई नहीं आएगा।

नमिता: मुझे ऑफ़िस जाना है ।

बीजू: आंटी, चली जाना ना ऑफ़िस, थोड़ा मज़ा तो कर लें।

नमिता का चेहरा लाल हो गया, वो सोचने लगी, ये क्या कर बैठी , अपने बेटे के उम्र के लड़कों के साथ यूँ ही चली आयी और अब जो होना है वो तो होकर ही रहेगा।
विकी: आंटी हम अच्छे घरों के लड़के हैं, आपको कभी बदनाम नहीं होने देंगे,आप हम पर विश्वास करो।
तभी दोनों नमिता के पैरों के पास बैठ गए। अब दोनों ने उसके पैरों को हाथ में ले लिया और उसको चूमने लगे। बीजू बायें पैर का अँगूठा और विकी दायीं पैर का अँगूठा चूसने लगे। नमिता के लिए ये एक अजीब अनुभव था। अब उन दोनों ने उसके तलवे चाटने शुरू किए। फिर वो उसकी सभी उँगलियोंको बारी बारी से चूमने और चूसने लगी।

फिर वो उसकी साड़ी ऊपर करते हुए उसकी पिंडलियों को चूम रहे थे और अब वो घुटनों को चूम रहे थे।
अब उनके हाथ उसके पैरों पर थे और जीभ से उसकी घुटनों और उसके ऊपर जाँघों तक चाटने लग गए।नमिता की आहेंनिकल रही थी। उसका ये अनुभव अनूठा था।
जब दोनों जाँघों तक पहुँचे तो नमिता को खड़े करके उसकी साड़ी उतार दिए।अब वो उसके पेटी कोट का नाड़ा खोल दिया। उसका पेटी कोट नीचे गिर गया। पैंटी में से उसकी चूत फुली हुई और वहाँ गीली सी दिख रही थी। वो दोनों जैसे मुग्ध दृष्टि से उसकी पैंटी को देख रहे थे। फिर उन्होंने उसे सोफ़े पर बैठा दिया और ख़ुद भी साथ में बैठ गए। उसके एक एक हाथ को पकड़कर दोनों ने उसकी उँगलियाँ चूमनी चालू कीं। फिर एक एक अंगुली चूमे और जीभ से चाटे। नमिता बहुत ही उत्तेजित हो गयी थी। अब वो उसकी बाहों को चूमने लगे। फिर उसकी कोहनी को चूम रहे थे।

फिर उसकी स्लीव्ज़लेस ब्लाउस के ऊपर तक बाहोंको चूमते हुए उसकी बाँहें उठायीं और उसकी बग़लों को सूंघकर दोनों मस्ती से उसकी बग़लें चाटने लगे। नमिता की आऽऽऽहहहह निकल गयी।

अब लड़कों ने उसकी गर्दन और गाल चूमे और चाटे। अब वो उसकी ब्लाउस के ऊपर से उसकी छातियों को चूमने लगे।


फिर दोनों उसके ब्लाउस के ऊपर से उसकी छातियाँ दबाने लगे। नमिता की हाऽऽऽयय्यय निकल गयी।
फिर उन्होंने ब्लाउस के हुक खोले और उसको निकाल दिया , अब ब्रा में क़ैद उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ बहुत ही मादक दिख रही थीं। वो दोनों उसकी ब्रा के ऊपर से एक एक छाती चूमने लगे। अब नमिता जैसे पागल सी हो रही थी, उसने हाथ बढ़ाकर उन दोनों के पैंट के ऊपर से उनके हथियार पकड़ लिए और मसलने लगी।अब वो ब्रा खोलकर उसकी भारी छातियाँ देखकर मस्त हो गए। वाह क्या मस्त बड़े बड़े आम थे और उसके ऊपर काले लम्बे अकड़े हुए निप्पल्स जैसे कह रहे थे कि आओ बच्चों मुझे चूसो।

नमिता बोली: आह्ह्ह्ह्ह्ह चलो अपने कपड़े खोलो अब, मुझे तो नंगी कर दिया और ख़ुद पूरे कपड़े पहने खड़े हो।

दोनों ने हँसते हुए कहा: लो आंटी हम भी नंगे हो जाते हैं।
अब दोनों ने अपने कमीज़े उतारी और उनकी चौड़ी छाती देखकर वो मस्ती से भरने लगी। उनकी बाँहें भी बहुत बलशाली दिख रहीं थीं।

अब उन्होंने अपनी जींस खोली और उनकी बालोंवाली मोटी जाँघें और उसके बीच में जॉकी का उभार बहुत ही आकर्षक लग रह था।

दोनों की चड्डियाँ उनके प्रीकम से गीली थीं।
अब विकी उसके पास आया और उसका सर अपनी चड्डी पर दबा दिया। नमिता मर्दाने वीर्य की गंध से जैसे पागल हो गयी और उस जगह को जीभ से चाटने लगी। अब उसने विकी की चड्डी को नीचे किया और उसके लंड को देखकर जैसे निहाल हो गयी और उसका मुँह अपने आप उसके पीशाब के छेद को चाटने लगा ।

फिर उसने उसके लंड की चमड़ी को पीछे किया और उसके सुपाडेको चूमते हुए चूसने लगी। और विकी भी अपनी कमर हिलाकर जैसे उसके मुँह को चोदरहा था। तभी बीजू उसको हटा कर अपना लंड उसके मुँह के पास लाया और नमिता भी उसका लंड चूसने लगी। वो सोचने लगी, क्या मस्त लंड हैं इन दोनों लड़कों के, आज तो मज़ा ही आ जाएगा। तभी वो महसूस की अब दोनों उसकी नंगी छातियाँ मसल रहे हैं। और दोनों उसके निपल्ज़ भी मसलने लगे।

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नमिता को लगा कि वो झड़ जाएगी। तभी वो दोनों नमिता की चूचियाँ दबाते हुए उसको खड़ा करके बेडरूम मेंके गए। फिर उसको लिटाकर उसकी पैंटी को खींचकर नीचे किया और उसकी चूतको देखकर मस्ती से अपने लंड मसलने लगे। अब विकी ने उसकी चूतमेंमुँह डाल दिया और उसको चाटने लगा। बीजू तो उसकी छातियों को मसलते हुए चूसने लगा। नमिता की आऽऽऽऽहहह निकलने लगी।

अब वो अपनी कमर हिलाकर चूत को उसके मुँह पर दबाने लगी।

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फिर विकी ने उसकी टाँगें उठाकर उसकी चूतमें अपना लंड पेल दिया और वो हाय्य्य्य्य कहकर चीख़ उठी। उधर बीजू ने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया। अब वह दोनों उसके मुँह और चूत को चोद रहे थे। नमिता की हाय्य्यय और ह्म्म्म्म्म की चीख़ों से कमरा भर गया। अब वो लंड चूसते हुए अपनी कमर उछाल कर चुदवा रही थी और उसकी चूत से फ़चफ़च की आवाज़ें आ रही थीं। बीजू घुटने के बल उसके मुँह के पास बैठ कर उसके मुँह को चोद रहा था और तभी विकी आह्ह्ह्ह्ह्ह करके झड़ने लगा। और फिर वो अपना वीर्यउसकी चूत में छोड़कर अपने दोस्त के लिए हट गया। अब बीजू ने अपना लंड उसके मुँह से निकला और उसके टांगों के बीच आकर उसकी चूत में एक बार ही में अपना लंड ठूँस दिया। और नमिता ने भी मस्ती से अपनी कमर उछालकर उसके लंड का स्वागत किया और अब बीजू पूरी ताक़त से थप थप कर चोदने लगा।



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नमिता भी मस्ती से अपनी चूत फड़वा रही थी और आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह करते हुए झड़ने लगी चिल्लाते हुए: हाऽऽय्यय ज़ोर से चोओओओओओदो आह्ह्ह्ह्ह्ह फाऽऽऽऽड़ दो मेरीइइइइइइइ चूउउउउउउउततत ।
बीजू भी आंटी की मस्ती से मस्त हो गया और ज़ोर ज़ोर से धक्का मारकर झड़ने लगा। फिर वो उसके ऊपर लेटकर बोला: आंटी मज़ा आया?

नमिता: आऽऽऽह हाऽऽननन बहुत मज़ा आया । हाय इतनी ज़बरदस्त चुदाई करते हो तुम दोनों । ये सब कहाँ से सिख लिए इतनी छोटी सी उम्र में?

बीजू: आंटी आपकी जैसी ही एक आंटी ने हमें ट्रेनिंग दी है।

नमिता हँसते हुए बोली: तभी तो मैं बोलूँ कि इतने जल्दी एक्स्पर्ट कैसे बन गए!

विकी भी उसकी चुचि दबाते हुए बोला: आंटी अभी ये तो ट्रेलर था, पूरी फ़िल्म तो अभी बाक़ी है।

नमिता : नहीं नहीं अब और नहीं। मुझे ऑफ़िस जाना है।
तभी बीजू और विकी ने उसके एक एक चुचि को मुँह मेंलिया और उसके निपल्ज़ को चूसने लगे।

अब नमिता फिर से गरमाने लगी और उसने उनके सरों को अपने दूध पर दबा दिया और सिसकारियाँ भरने लगी।

नमिता: आह्ह्ह्ह्ह छोओओओओओओड़ो ना प्लीज़ , मुझे ऑफ़िस जाना है। हाय्य्य्य्य्य मार डालोगे क़याऽऽऽऽऽऽ

बीजू ने चुचि से मुँह उठाकर कहा: आंटी आज ऑफ़िस से छुट्टी ले लो बहुत मज़ा अभी बाक़ी है।

नमिता जानती थी कि ये उसे छोड़ेंगे नहीं। उसने कहा : अच्छा मुझे ऑफ़िस फ़ोन करने दो।

बीजू उसका फ़ोन लाकर उसको दिया। अब बीजू एक तौलिए से उसकी चूत साफ़ करने लगा और विकी अभी भी चुचि चूस रहा था।

नमिता ने बॉस को फ़ोन लगाकर कहा: सर आज छुट्टी लूँगी क्योंकि तबियत ख़राब है। तभी विकी ने निपल्ज़ को हल्के से दाँत से काटा तो उसकी हाय्य्यय निकल गयी।
बॉस: अरे क्या बहुत तकलीफ़ में हो?

नमिता : जी हाँ बस अब आराम करूँगी। और उसने फ़ोन काट दिया। बीजू भी उसकी चूत खोलकर उसकी गुलाबी छेद को देखकर मस्त हो रहा था।

तभी विकी ने एक बम फोड़ा। वो बोला: आंटी, आप हमारी एक इच्छा पूरी करेंगे क्या?

नमिता: हाय्य्य्य्य कैसी इच्छा? बीजू अब चूत चाट रहा था।

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विकी उसके निप्पल को मसलते हुए बोला: आप हमारी मम्मी बन जाओ और हम आपके बेटे का रोल प्ले करेंगे।
नमिता: क्या मतलब?

विकी: आंटी, अब हम आपको मम्मी बोलेंगे और आप हमको बेटा बोलिएगा। माँ बेटे की चूदाई में आपको भी मज़ा आएगा!

नमिता: छी ऐसा भी कहीं होता है? ये पाप है।

बीजू उसकी चूत से मुँह हटाकर बोला: आंटी ये मेरी जीभ की जगह आपके बेटे की भी जीभ हो सकती है । और उसकी जीभ से आपको और ज़्यादा मज़ा आएगा। आप देख लेना।

नमिता हैरान होकर बोली: तो क्या तुम लोग अपनी माँ के साथ ये सब करना चाहते हो?

विकी: हम तो मरे जा रहें हैं उनको चोदने को , पर साली हिम्मत ही नहीं होती।

बीजू: आंटी मैं तो मम्मी की चुचि उनको प्यार करने के बहाने छूकर ही मस्त हो जाता हूँ।

विकी: मैं भी जब मौक़ा मिलता है उनसे लिपटकर उनकी कमर और चूतरों को सहला देता हूँ।

नमिता: आऽऽहहहह बड़े गंदे हो तुम लोग। हाय्य्य्य्य चलो छोओओओओओड़ो नहीं तो मैं झड़ जाऊँगी।

विकी: हम तो तभी छोड़ेंगे जब आप मान जानोगी हमारी मम्मी बनने को।

नमिता: आह चलो ठीक है, मुझे मंज़ूर है। आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बस करो आह्ह्ह्ह्ह नहीं तो मैं झड़ जाऊँगीं।

बीजू अपना मुँह हटाकर बहुत ही मीठी आवाज़ में बोला: मम्मी अच्छा लगा ना?

नमिता: हाऽऽयय्यय हाँ बेटा बहुत अच्छा लगा। आह तुम दोनों तो आज मुझे पागल ही कर दोगे।

विकी: मम्मी हम आपको पागल नहीं करेंगे बस आपको बहुत मज़ा देंगे।

बीजू: मम्मी ज़रा उलटी लेटो ना प्लीज़।

नमिता उत्तेजना से काँप कर पेट के बल लेट गयी। अब विकी उसकी पीठ को जीभ से चाट रहा था। उधर बीजू उसके तलवों को चाट रहा था और धीरे धीरे ऊपर आ रहा था। विकी पीठ चाटते हुए नीचे जा रहा था। नमिता का शरीर जैसे जलने लगा और वो आहें भर रही थीं।
बीजू: आह मम्मी आपकी पिंडलियाँ कितनी नरम हैं और जाँघें भी कितनी चिकनी हैं। वह जाँघों को सहलाते हुए बड़बड़ा रहा था।

विकी अब उसके चूतरोंको दबाते हुए बोला: आह्ह्ह्ह्ह मम्मी कितने बड़े गोल और कितने मक्खन से चिकने चूतर हैं आपके । और वो उनको चूमने लगा। फिर वो उसके दरार में अपनी जीभ डालकर नमिता को मस्ती से भर दिया।

उधर बीजू भी उसके जाँघों को दबाते हुए उसकी जाँघ के जोड़ तक जीभ ले आया था। अब दोनों के सर क़रीब एक ही जगह आ गए थे। विकी अब चूतरों को फैला कर उसकी दरार को चाट रहा था पर उसकी भूरि गाँड़ के छेद को नहीं छू रहा था।

नमिता का उत्तेजना के मारे बहुत बुरा हाल था।
तभी बीजू बोला: मम्मी प्लीज़ चूतरऊपर उठाओ ना।
नमिता ने अपने नीचे के हिस्से को ऊपर उठा दिया।
अब बीजू ने अपना सर नीचे किया और उसकी चूत और गाँड़ के बीच के हिस्से को चाटने लगा। उधर विकी अब उसकी गाँड़ चाटने लगा। नमिता सीइइइइइ कर रही थी।
अब बीजू उसकी चूतऔर विकी उसकी गाँड़ चाट रहे थे।

बीजू: मम्मी बहुत मस्त चूत है आपकी, ह्म्म्म्म्म्म
नमिता: आह्ह्ह्ह्ह बेटाआऽऽऽऽऽऽ और चूसस्स्स्स्स्स्स हाय्य्य्य्य्य्य!

विकी: मम्मी आपकी गाँड़ भी कितनी मस्त है म्म्म्म्म्म

नमिता: चाट आऽऽऽहहहज बेटाआऽऽऽऽ चाऽऽऽऽऽऽट आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह गाँड़ भी चाट। हाय्य्य्य्य्य्य में मरीइइइइइइइइ ।
फिर वो बुरी तरह से झड़ने लगी और चिल्लाकर कमरे को सर पर उठा लिया। उसका स्खलन इतना ज़ोरदार था कि बीजू का पूरा मुँह ही गीला हो गया।

वो दोनों नमिता को प्यार करते हुए लेट गए उसके साथ।
बीजू: मम्मी अच्छा लगा ? ठीक हो ना आप?

नमिता ने प्यार से दोनों को चूमा और बोली: हाँ बेटा बिलकुल ठीक हूँ, और सच कहती हूँ इतना मज़ा मुझे किसी ने नहीं दिया, जो मेरे बेटे अभी दिए हैं।
अब वो तीनों अलसाए से पड़े रहे। दोनों के लंड अब भी तने हुए थे।
नमिता सोचने लगी पता नहीं आगे और क्या करेंगे ये दोनों।

स्कूल की छुट्टी होने पर राज का सामना फिर प्रतीक से हुआ और प्रतीक बोला: यार मैं अभी प्रिन्सिपल मैडम से मिल कर आ रहा हूँ , वाह क्या मस्त माल है!

राज: अरे वो क़रीब ५० साल की होंगी उनको तू माल कहता है?

प्रतीक: अबे औरत की उम्र नहीं उसकी फ़िगर देखी जाती है। इस उम्र में भी क्या शरीर का कितना ख़याल रखा है! क्या बड़े बड़े दूध हैं और क्या मोटे मोटे चूतर हैं। उनका चेहरा भी कितना चिकना है।

राज: फिर भी उम्र का भी तो कोई मतलब होता है?
प्रतीक: उम्र का क्या मतलब? औरत जितनी उम्र दराज़ होगी उतनी ही ज़्यादा अनुभवी होगी चुदाई में ।

राज उसके मुँह से चुदायी शब्द सुनकर हैरान हुआ और बोला: ये कैसी भाषा बोल रहे हो भाई।

प्रतीक: अरे चुदायी को चुदायी नहीं बोलूँगा तो और क्या बोलूँगा! तुम इतने बड़े हो गए हो , क्या अब तक किसी को चोदा नहीं?

राज: नहीं तो, क्या तुमने चो-- मेरा मतलब है वो किया है?

प्रतीक: अरे कई बार । मैं तो चुदायी के बिना रह ही नहीं सकता।

और एक बात बताऊँ, मुझे लड़कियों में ज़्यादा दिलचस्पी नहीं है, मुझे तो भरे बदन वाली अधेड़ उम्र की औरतों को चोदने में मज़ा आता है।

राज का मुँह खुला का खुला रह गया।

प्रतीक: आज तो मैंने प्रिन्सिपल मैडम पर भी जाल फेंक दिया है। मैंने उनकी सुंदरता एर फ़िट्नेस की बहुत तारीफ़ कर दी है और जल्दी ही वो भी मेरे चक्कर में आ जाएगी। वैसे भी वो विधवा है, जो कि लंड की प्यासी रहती हैं, इनको पटाना ज़्यादा आसान है।

राज को बड़ा अजीब लगा यह सब सुनकर। तभी उसे याद आया कि उसकी माँ भी तो विधवा है , क्या वो भी ऐसी ही प्यासी होगी। और क्या उसको भी लोग ऐसे ही पटाते होंगे।

उसे अपनी सोच पर शर्म आयी पर ख़राब और भी लगा कि उसका हथियार ये सोचकर बड़ा क्यों हो रहा है!
तभी श्रेय आता दिखा तो प्रतीक ने उसे आवाज़ दी और वो इनके पास आया ।

प्रतीक: अरे श्रेय तो प्रोग्राम पक्का है ना , मेरे घर आने का?

श्रेय: हाँ भाई पक्का है, मैं और राज दोनों आएँगे।
प्रतीक: तुम्हें वो मज़ा कराऊँगा कितुम लोग भी क्या याद रखोगे?

राज सोचने लगा कि ये क्या प्रोग्राम बना रहा है? और ये श्रेय से दोस्ती बना कर कैसे शिला मैडम को पटाएगा?
प्रतीक: श्रेय तुम्हारे पापा क्या काम करते हैं?

श्रेय: वो आर्मी में हैं। उनकी पोस्टिंग बॉर्डर पर है।

प्रतीक की आँखें चमकने लगी और वह बोला: तब वह तो अक्सर बहुत दिन के बाद ही आ पाते होंगे।

श्रेय: हाँ भाई वो कभी कभी तो दो महीने तक नहीं आ पाते।

प्रतीक मेरी ओर देखकर कुटिलता से मुस्करा कर बोला: ओह तो तुम आंटी जी का ध्यान रखा करो।

श्रेय: हाँ मैं उनका ध्यान रखता हूँ।
तभी प्रतीक ने मुझसे पूछा: तुम्हारे पापा क्या करते हैं

श्रेय: अरे इसके तो पापा है ही नहीं, कुछ साल पहले उनका देहांत हो गया है।

राज ने प्रतीक को देखा और उसकी दबी मुस्कराहट साफ़ दिखायी दे रही थी। राज को याद आया कि कैसे प्रिन्सिपल मैडम के विधवा होने को लेकर वो ख़ुश था, और अब ज़रूर वह उसकी माँ के बारे में भी ऐसा ही कुछ सोच रहा होगा। उसे अजीब सा लगा कि ये सोचकर उसे प्रतीक पर ग़ुस्सा क्यों नहीं आ रहा है? बल्कि वह फिर से उत्तेजित होने लगा , ये सोचकर कि प्रतीक उसकी माँ को भी पटाने की कोशिश करेगा। ये सोचकर उसका हथियार फिर से कड़ा होने लगा।

राज: प्रतीक तुम्हारे पापा क्या करते हैं?

प्रतीक: हमारा बहुत बड़ा इम्पोर्ट इक्स्पोर्ट का व्यापार है।
और माँ का ब्यूटी पार्लर है। याने दोनों बहुत व्यस्त रहते हैं। घर में मैं बिलकुल अकेला हो जाता हूँ। बस एक नौकरानी है जो हम सबका ध्यान रखती है।

राज: नौकरानी खाना भी बनाती है क्या?

प्रतीक: हाँ यार मम्मी को कहाँ फ़ुर्सत है ।

राज: नौकरानी की उम्र क्या है? ये सवाल पूछते ही उसे अपने पर ग़ुस्सा आया किउसके मुँह से इतना बेहूदा सवाल निकला ही कैसे?

प्रतीक शरारत से मुस्कराहट लाकर बोला: वही उम्र है प्यारे जो अपने को पसंद है। क़रीब ४० की होगी। ये बोलते हुए उसने राज को आँख मार दी।

राज सकपका सा गया और फिर तीनों घर के लिए चले गए, अगले दिन शाम को प्रतीक के घर मिलने का फ़ैसला हो ही गया था।

उधर नमिता लेटे हुए उन दोनों के खड़े लंड को देख रही थी।

अब बीजू उठकर किचन से खाने का समान लाया ।नमिता उठकर बाथरूम से फ़्रेश होकर आयी। वो तीनों बिस्तर पर ही बैठकर खाने लगे। नमिता ने देखा कि उनके लंड अब थोड़े नरम पद गए थे पर लटके हुए अब भी विशाल दिख रहे थे।

खाते हुए बीजू बोला: मम्मी आपके परिवार में और कौन है?

नमिता: बस मैं और मेरा बेटा जो कि क़रीब तुम्हारी ही उम्र का होगा, वो बारहवीं में पढ़ता है। मेरे पति का देहांत क़रीब ५ साल पहले हो गया था।

बीजू: ओह , पर मम्मी आपका काम कैसे चलता है?’

नमिता: कौन सा काम?

विकी हँसते हुए उनकी चूत की तरफ़ इशारा करके बोला: इसकी सेवा का काम।

नमिता: धत्त तुम लोग बहुत बेशर्म हो।

विकी: मम्मी इसने बेशर्मी की क्या बात है, सबकी चूत लंड माँगती है। तो आपकी भी माँगती होगी। तो आप किससे चुदवाती हैं?

नमिता: मेरी उम्र में इस सबकी ज़रूरत नहीं है।

बीजू ने उसकी चूत सहलायी और बोला: आंटी आपकी चूतकितनी प्यासी थी ये हमने देख लिया है।

नमिता: बहुत ही गन्दी बातें करते हो तुम दोनों।

विकी ने उसके दूध दबाते हुए कहा: मम्मी आपका बेटा भी हमारे जैसा है क्या जो अपनी माँ को चोदना चाहता है?

नमिता: छी वो ऐसा नहीं है, वो बहुत ही भोला भला लड़का है।

विकी: अरे मम्मी ,हमारी मम्मियों को भी कहाँ ख़बर है कि हम उनको चोदना चाहते हैं। वो तो हमको भी भोला भला समझती हैं।

पर आपने तो देख लिया कि हम कितने सीधे साधे हैं। कहते हुए उसने अपना लंड सहलाया और वो तन गया।
नमिता सोच में पड़ गयी कि क्या ऐसा हो सकता है कि राज उसपर गन्दी नज़र रखता है! नहीं नहीं ये मैं क्या सोच रही हूँ?

तभी उसने देखा की दोनों के लंड अब बिलकुल तनगए थे और उसकी चूतअब फिर से गीली होने लगी। तभी उसको एक बात सूझी और वह बीजू को लिटाकर उसके कमर पर एक चद्दर ऊढ़ा दी।अब उसकी जाँघ की बीच एक तंबू सा बन गया था। उसने हैरानी से देखा किये तंबू उतना ही बड़ा था जितना कभी कभी राज की चादर का बन जाता है, सुबह सुबह। इसका मतलब राज का लंड भी इतना बड़ा ही होगा। ये सोचकर उसके मन में एक अजीब सी हलचल होने लगी।


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अब विकी भी बिस्तर पर लेट गया और नमिता को लंड चूसने को बोला। नमिता झुक कर बारी बारी से उनके लंड चूसने लगी। उसकी जीभ भी सुपाडे पर फिर रही थी। उसने उनके बॉल्ज़ भी चाटे। अब बीजू ने उसको बीच में लिटा लिया और दोनों उसकी छातियों पर आकर एक एक चुचि चूसने लगे। नमिता की आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह निकल गयी।


अब दोनों ने नमिता को करवट से लिटाया और विकी उसकी चूत मेंऊँगली करके उसको गरम कर दिया। उधर बीजू भी उसकी पीठ और गले को चूमते हुए उसके चूतरों को दबाने लगा। फिर बीजू उठकर क्रीम लाया और उसने नमिता की गाँड़ के छेद मेंक्रीम लगानी शुरू किया। उसकी एक उँगली उसकी गाँड़ में घुसी तो नमिता आह्ह्ह्ह्ह करके चिल्लायी। नमिता को समझ में आ गया था कि अब ये दोनों उसकी चूत और गाँड़ दोनों की ठुकाई करेंगे ।

नमिता ने क़रीब एक साल से गाँड़ नहीं मरवायी थी।उसे डर था किआज भी दर्द होगा उसे गाँड़ में।

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अब विकी ने उसकी टाँग उठाकर अपना लंड उसकी चूत मेंडाल दिया और अपनी कमर हिलाकर उसको पूरा अंदर कर दिया। अब वो उसे साइड मेंलिटाकर उसकी चुदायी करने लगा।

तभी बीजू ने अपने लंड मेंक्रीम लगाकर उसके पीछे से उसकी गाँड़ मेंअपना लंड सेट किया। अब विकी रुक गया और बीजू के गाँड़ प्रवेश का इंतज़ार करने लगा। बीजू ने धीरे से उसकी गाँड़ में अपना सुपाड़ा अंदर डाल दिया। अब वो हल्के से धक्का लगाया और लंड अंदर गाँड़ में घुसा और नमिता की चीख़ निकल गयी।

थोड़ी देर में नमिता की गाँड़ उसके लंड के लिए अजस्ट हो गयी। अब दोनों ने उसकी ठुकाई शुरू कर दी। नमिता अब मस्ती से भर रही थी। अब आगे से विकी और पीछे से बीजू उसकी बजा रहा था और वो भी मज़े के सागर में गोते खा रही थी। उसकी एक चुचि विकी के मुँह मेंथी, और एक चुचि बीजू के हाथ में थी।

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अब धमाकेदार चुदायी होने लगी, और नमिता की सिसकियाँ उसके कमरे में गूँज रही थी। फ़च फ़च और थप्प थप्प की आवाज़ भी उनको मस्ती से भर रही थीं।

अब चुदायी चरम सीमा पर थी और नमिता कराहते हुए झड़ने लगी और बीजू और विकी भी झड़ने लगे।
फिर तीनों आराम से सो गए।

नमिता की नींद खुली और उसका अंग अंग दुःख रहा था, उसकी गाँड़ में भी काफ़ी तकलीफ़ थी।वो बाथरूम से आकर तय्यार हुई और तभी बीजू उठ गया और बोला: अरे मम्मी आप तो तय्यार हो गयी। एक राउंड और हो जाता तो मज़ा आ जाता।
नमिता: बाप रे तुम लोग पूरे दिन मुझे रगड़े हो और अभी भी मन नहीं भरा? मेरी तो हड्डी हड्डी दुःख रही है।

तभी विकी भी उठा और नमिता से लिपट कर बोला: मम्मी प्लीज़ एक आख़ीर बार और चुदवा लो ना?

नमिता: मैं मर जाऊँगी बाबा, चलो अब मुझे जाने दो।
फिर विकी और बीजू ने नमिता को बहुत चूमा और चाटा और फिर वो दोनों उसको बाहर छोड़ने आए और एक ऑटो से उसे रवाना किया। आपस में उन्होंने मोबाइल नम्बर ले लिया था, और बाद में जल्दी मिलने की भी बात हो गयी थी। नमिता ऑटो में घर के लिए

निकल पड़ी।
Shandaar update
 

sunoanuj

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Bahut hi jabardast kahani hai….
 

Rahul Chauhan

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राज दोपहर को घर पहुँचा और ताला खोलकर अंदर अपने कमरे में गया तब, २ बजे थे सो उसने खाना खाया और लेट गया । माँ तो ५ बजे के बाद ही आतीं थीं।उसके दिमाग़ मेंआज दिन भर की बातें सिनमा की तरह चल रही थी।आज प्रतीक ने उसे कई बार अचरज में डाला था। क्या सच में वो अभी से सेक्स करने लगा है? क्या वो सच में प्रिन्सिपल मैडम को और शिला मैडम को पटा लेगा? अचानक उसको ये विचार भी आया कि शायद वो उससे ( राज )भी दोस्ती बढ़ाएगा ताकि वो उसकी माँ को भी पटा सके क्योंकि वो भी तो विधवा थीं और उसके शब्दों में विधवा तो प्यासी होती है जिसको पटाना आसान होता है।


ये सोचकर उसका हथियार फिर खड़ा हो गया। आज पता नहीं क्यों उसको अपना लंड हिलाने की इच्छा हो रही थी। अपने जीवन में उसने कभी भी हस्त मैथुन नहीं किया था। हाँ कभी का ही रात में उसका सोते हुए झड़ जाता था। तब दिन मेंवो अपनी चड्डी को साफकरके पानी से गीला करके रख देता था ताकि माँ को शक ना होये । उसके कपड़े माँ वॉशिंग मशीन में धोती थी।

अचानक उसको याद आया कि अपने घर का टेलीफ़ोन नम्बर भी प्रतीक को दिया था और उसने अपना नम्बर भी दिया था। राज की इच्छा हो रही थी कि वो उसे फ़ोन करके और बातें करे।

अभी तो वो लंड को सहला रहा था और उसकी इच्छा प्रतीक से बात करने की बढ़ती ही जा रही थी।

तभी फ़ोन कीघंटी बजी, वो सोचा कि माँ का होगा, पर उधर प्रतीक ही था। राज के लंड ने झटका मारा , वह ख़ुद भी उसकी मस्त बातें सुनना चाहता था और उसको लगा कि प्रतीक उससे दोस्ती बढ़ाने के लिए ही फ़ोन किया है, ताकि वो उसकी माँ को पटा सके।उधर प्रतीक फ़ोन पर बोला: हाय, क्या कर रहे हो? खाना खा लिया?

राज: हाँ यार खा लिया बस अभी आराम कर रहा हूँ। तुमने खाना खा लिया? ये कहते हुए उसका हाथ लोअर के ऊपर से लंड सहला रहा था।

प्रतीक: हाँ यार खा लिया। बस अब मैं भी आराम कर रहा हूँ। पर मेरे आराम करने का तरीक़ा थोड़ा अलग है।

राज: अलग मतलब?

प्रतीक: यार मैं बताऊँगा तो तुम फिर बोलोगे कि ऐसा क्यों बोल रहे हो!

राज: नहीं मैं नहीं बोलूँगा, क्या अलग तरीक़ा है बताओ ना?

प्रतीक: यार मैं तो अपनी पैंट खोलकर अपना लंड सहला रहा हूँ और ब्लू फ़िल्म देख रहा हूँ। दर असल मेरे घर में इस समय मम्मी पापा तो रहते नहीं , इसलिए मैं मज़े करता हूँ।

राज: ओह, इस सबसे पढ़ाई का नुक़सान नहीं होता?

प्रतीक: मुझे कौन सी नौकरी करनी है, बाद में पापा का buisness ही सम्भालना है।

राज: ओह ऐसा क्या? बहुत क़िस्मत वाले हो तुम!

प्रतीक: अरे मेरी क़िस्मत और मेरा माल अभी आएगी और मज़ा देगी।.

राज: क्या मतलब? कौन आएगी?

प्रतीक: मैरी आंटी , हमारी मेड (नौकरानी) , वो अभी मुझे खाना खिलायी है, अभी ख़ुद खा रही है, फिर किचन सम्भालकर वो आएगी और मेरी क़िस्मत चमकाएगी।

राज: मतलब? क्या करेगी?

प्रतीक: अरे मुझे चोदेगी और क्या करेगी !

राज: ओह मतलब तुम मैरी आंटी के साथ ये सब करते हो, पर तुमने तो कहा था किवो ४० के आसपास की है?

प्रतीक: तभी तो, वरना मैं उसे घास ही नहीं डालता।

राज: क्या वो भी विधवा है?

प्रतीक: नहीं वह शादीशुदा है, और उसके दो बच्चे हैं जो अपनी

नानी के पास रहते हैं, यहाँ वो हमारे सर्वंट क्वॉर्टर मेंअपने पति के साथ रहती है जो की मिल का मज़दूर है। वह सुबह से शाम तक काम पर जाता है।

उसकी उम्र भी आंटी से १० साल ज़्यादा है।वो आंटी की प्यास नहीं बुझा पाता।

राज: ओह, इसीलिए वो तुमसे पट गयी है।

प्रतीक: वो मुझसे पटी है या उसने मुझे पटाया है, इसमें मुझे थोड़ा शक है। और ये कहते हुए हँसने लगा।

राज की उत्तेजना बढ़ने लगी और वो लंड को मसलने लगा।
राज: तुम्हारे पापा मम्मी को पता चलेगा तो उनको कितना बुरा लगेगा?

प्रतीक: मम्मी का तो पता नहीं, पर हाँ पापा को बुरा नहीं लगेगा।

राज: वो क्यों?

प्रतीक इसलिए कि आंटी ने बताया है कि पापा भी उसको कई बार चोद चुके हैं।

राज हैरानी से: क्या, अंकल भी? ओह, बड़ी अजीब बात है?

प्रतीक: इसमें अजीब बात क्या है? पापा का भी लंड उनको तंग करता होगा, वो भी कोई परिवर्तन चाहते होंगे।

राज उत्तेजित होता चला जा रहा था ये सब सुनकर, और अपने लंड को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा।

राज: कहीं तुम्हारी मम्मी भी तो ऐसे ही परिवर्तन नहीं चाहती?

प्रतीक: ज़रूर चाहती होगी।अब पापा को क्या पता कि पार्लर में मम्मी क्या करती हैं!

राज उत्तेजना से भरते हुए बोला: तुमको शक है क्या आंटी पर?
प्रतीक हँसते हुए: शक नहीं यक़ीन है, क्योंकि कई बार जब मैं मम्मी से पैसे लेने पार्लर जाता हूँ तो वहाँ की लड़कियाँ मुझे इंतज़ार करने को कहती हैं और फिर मैंने उनको कमरे से बाहर निकलते देखा था किसी लड़के के साथ।उनका चेहरा बिलकुल थका दिखता था। वो ठीक से चल भी नहीं पा रहीं थीं, इतना बुरा हाल था उनका।मैं जानता हूँ ऐसा ज़बरदस्त चुदायी के बाद ही होता है।

राज: ओह पर ये भी तो हो सकता हाँ किऐसा कुछ हो ही नहीं।
प्रतीक: यार, मैं भी जब मैरी आंटी को चोदता हूँ तो वो भी बहुत थक जाती है। मैं सब समझता हूँ।

राज अब लोअर और चड्डी नीचे कर दिया और नंगे लंड को हिलाने लगा, ये उसका पहला अनुभव था।

राज: ओह,तो आंटी क्या लड़के ही पसंद करती है, या अपनी उम्र के आदमी भी?

प्रतीक: मैंने हमेशा उनको लड़कों के साथ ही देखा है।

तभी प्रतीक बोला: यार वो आने वाली है, साली आते ही मेरा लंड चूसेगी क़रीब १० मिनट तक फिर मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चोदेगी। मैं तो बस आख़िरी में ही ऊपर आकर उसकी चुदायी करता हूँ।
अब राज उत्तेजना से पागल होकर बोला: यार मैं ये सब नहीं समझता , तू मेरा एक काम करेगा?

प्रतीक: यार बोल ना, तेरे लिए जान भी हाज़िर है, पर जल्दी कर आंटी आने वाली है।

राज: तू अपना फ़ोन चालु रखना मैं तुम दोनों की बातें सुनना चाहता हूँ।

प्रतीक मन ही मन मुस्कराया और बोला: क्यों नहीं यार तेरे लिए इतना तो करूँगा ही, चल अब मैं बात नहीं कर पाउँगा वो आ रही है।’

अब राज का लंड झड़ने ही वाला था, वो बहुत उत्तेजित था , उसने अपना हाथ लंड से हटाया और फ़ोन सुनने की कोशिश किया।
उधर से साफ़ आवाज़ आ रही थी------

मैरी आंटी: अरे ये क्या कर रहे हो, इस बेचारे के साथ हाथ से, मैं मर गयी हूँ क्या, और हँसने की आवाज़ के साथ चूमने की आवाज़ आने लगी।

प्रतीक: आंटी चूसो ना मेरा लंड, कब से तड़प रहा है आपके मुँह में जाने के लिए।

आंटी: ले बेटा अभी चूसती हूँ, पर आज तू मुझे आंटी बोल रहा है, रोज़ तो मुझे मम्मी बोलता था चुदायी के समय।

राज को चूसने की आवाज़ें आ रही थीं और प्रतीक की आऽऽहहह मम्मी और चूसो हाय्य्य्य्य्य कितना मज़ा देती हो मम्मी जैसी आवाज़ भी आ रही थी

राज ने सोचा कि ही भगवान, ये लड़का तो अपनी माँ को चोद रहा है ऐसी सोच के साथ आंटी को चोद रहा है। ये सोचते ही उसका हाथ अपने लंड पर ज़ोर से चलने लगा और उसने पहली बार अपने आप को झड़ते देखा। उसका हाथ उसके वीर्य से भर गया था। और इसी उत्तेजना में उसका फ़ोन गिर गया। जब उसने फ़ोन उठाया तो वो कट चुका था।

वह अभी तक हाँफ रहा था। और अपने ढेर सारे वीर्यको हैरानी से देख रहा था। बाथरूम से सफ़ाई करके जब वो लेटा तो उसने महसूस किया किउसकी पूरी उत्तेजना अब शांत हो गयी है।अब वो बहुत ही हल्का महसूस कर रहा था। फिर ये सोचते हुए कि प्रतीक आंटी को अपनी माँ सोचकर चोद रहा होगा, वो मज़े से भर गया और फिर उसकी नींद खुली।

उसकी नींद खुली क्योंकि कॉल बेल बजी। वो समझ गया कि माँ आ गयी और उसने जाकर दरवाज़ा खोला। माँ दरवाज़े में खड़ी थी और उनकी हालत देखकर वो थोड़ा परेशान हो गया।

राज: माँ तुम ठीक तो हो ना? बहुत थकी दिख रही हो?

नमिता: हाँ बेटा बहुत काम था , थक गयी हूँ।

राज ने दरवाज़ा बन्द किया और जैसे ही मुड़ा , उसने देखा कि माँ पैर फैलाकर चल रही थी , जैसे कि बहुत दर्द में हो।

उसने पूछा: माँ क्या हुआ, ऐसे क्यों चल रही हैं आप? क्या कहीं गिर गयीं थीं?

नमिता अपने गाँड़ के दर्द से परेशान हो रही थी पर बोली: नहीं बेटा, बस थोड़ा मोच आ गयी है। ठीक हो जाऊँगी। ये कहते हुए वो सोफ़े पर लेट सी गयी।

राज भागकर पानी लाया, और बोला: माँ चाय बना दूँ?

नमिता उसको प्यार से देखकर बोली: हाँ बेटा बना ले, बहुत मन कर रहा है चाय पीने का।

राज किचन मेंजाकर चाय बनाते हुए सोचने लगा कि माँ इतनी थकी हुई क्यों दिख रही है।और वो ऐसे अजीब सी क्यों चल रही है? उसे प्रतीक की कही हुई बातें याद आयीं जो उसने अपनी माँ के बारे में बता रहा था कि ज़बरदस्त चुदायी के बाद उसकी माँ बहुत थकी दिख रही थी और ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। यही हाल तो आज माँ का भी है, तो क्या माँ भी आज किसी से चुदवा कर आयी है? उसका लंड ये सोचकर खड़ा हो गया। उसे बड़ी हैरानी हो रही थी किउसे अपनी माँ पर ग़ुस्सा नहीं आ रहा था बल्कि वह उत्तेजित हो रहा था ये सोचकर कि वो ज़बरदस्त तरीक़े से चुदीं होंगी। तभी चाय का पानी उबलने लगा और वो होश में आकर चाय बना लाया।

राज अपनी माँको चाय देने जब सोफ़े के पास आया तब नमिता सो चुकी थी। उसने ध्यान से माँ को देखा तो वह बहुत थकी हुई दिख रही थी।अब उसका पल्लू भी गिर गया था और उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ उसके ब्लाउस में से बाहर आने को बेचैन थीं।राज ने देखा कि ब्लाउस भी बहुत मसला हुआ सा लग रहा था जैसे किसी ने ब्लाउस का कचूमर बना दिया हो। अब उसे विश्वास हो गया कि माँ की छातियों को ब्लाउस के ऊपर से भी मसला गया है। ये सोचकर उसका लंड एकदम से खड़ा हो गया और वो सोचने लगा की आख़िर वो कौन है जिसने माँ की इतनी ज़बरदस्त चुदायी की है।
अब उसने माँ को उठाया और चाय दी। वो उठकर अपना पल्लू ठीक करी और फिर चाय पीने लगी।

राज भी चाय पीते हुए बोला: माँ आप आज बहुत थकी दिख रही हो? आख़िर इतना भी क्या काम आ गया था?

नमिता चौंक कर बोली: बस बेटा कभी कभी काम ज़्यादा हो जाता है।

अब मैं नहाऊँगी फिर खाना बनाऊँगी।

राज: छोड़ो ना माँ आज खाना बाहर से मँगा लेते हैं, आप बहुत थक गयी हो।

नमिता: हाँ यही ठीक रहेगा, चलो मैं नहा तो लूँ।

जैसे ही नमिता नहाने गयी,राज ने उसका फ़ोन उठाया और मेसिज चेक करने लगा। उसने देखा कि बीजू का एक मेसिज था- मम्मी आप घर पहुँच गए क्या?

माँ का जवाब- हाँ थोड़ी देर हुई।

फिर उसका ही दूसरा मेसिज था-- मम्मी पिछवाड़ा कैसा है? अभी भी दुःख रहा है क्या?

माँ का जवाब- हाँ बहुत दुःख रहा है, अभी नहाने जाऊँगी तो दवाई लगाऊँगी। बहुत ज़ालिम हो तुम दोनों। चलो बाई।

विकी-- सारी मम्मी, बाई मेरा भी और बीजू का भी बाई।बीजू अभी नहाने गया है।

बस इतना ही मेसिज था, राज हैरान था किये तो दो बंदे हुए और ये मेरी माँ को मम्मी क्यों बोल रहे हैं? क्या माँ दोनों से चुदवा कर आ रही है। और पिछवाड़े का क्या मतलब? उसे समझ नहीं आया, उसने प्रतीक से बाद में पूछने का सोचा।

फिर वो माँ से ये बोलकर कि मैं खेलने जा रहा हूँ, बाहर चला गया।
घर के पास के मैदान में उसे उसका दोस्त नदीम मिला जो कि ५ वीं के बाद पढ़ायी छोड़ दिया था और अब अपने पापा के साथ दुकान पर बैठता था। दोनों थोड़ी देर सबके साथ फ़ुट्बॉल खेले और फिर थक कर एक कोने में बैठ गए और बातें करने लगे।

नदीम: पढ़ाई कैसी चल रही है।

राज: ठीक ही है ,आजकल मन थोड़ा पढ़ायी में कम लगता है।

नदीम: वो क्यों? क्या कोई छोकरी के चक्कर में पड़ गया है?

राज लाल होकर: नहीं भाई ऐसी कोई बात नहीं है! बस पता नहीं क्यों!

नदीम: यार मैं तो स्कूल को मिस करता हूँ , क्या सुंदर सुंदर लड़कियाँ हैं आजकल स्कूल में। और कई मैडम भी माल है। आजकल मैं स्कूल में स्टेशनेरी सप्लाई का काम करता हूँ तो कई स्कूल में आना जाना होता है। तेरे स्कूल में तो शिला मैडम सबसे बढ़िया माल है।

राज: साले वो अपने श्रेय की मम्मी है।

नदीम: यार तो क्या हुआ? हर औरत किसी ना किसी की मम्मी तो होती ही है! तो क्या हम उनको ताड़ना बंद कर दें?

राज: तो हो सकता है कि कोई तुम्हारी मम्मी के बारे में भी ऐसा सोचने लगे तो तुम्हें कैसे लगेगा?

नदीम: ह्म्म्म्म्म अब तुमसे क्या बोलूँ, हिचक हो रही है।

राज: क्यूँ क्या हुआ बोलो ना।

नदीम: तू किसी को बोलेगा तो नहीं?

राज: अरे हर हम पक्के यार हैं, बोल ना जो बोलना है।

नदीम: दर असल मुझे डर है कि तू मेरी दोस्ती ना तोड़ दे?

राज: अरे ऐसी भी क्या बात है?

नदीम: चल बोल ही देता हूँ। मुझे दुनिया में बस दो ही औरतें सेक्सी लगती हैं और जिनको मैं चोदना चाह्ता हूँ, वो हैं, पहली मेरी अपनी मम्मी !

राज का मुँह खुला का खुला रह गया: ओह, और दूसरी?

नदीम: तेरी मम्मी। देख ग़ुस्सा नहीं होना। मैं क्या करूँ ये दोनों मुझे बहुत मस्त लगती हैं। गोरा रंग, भरा बदन, मस्त पिछवाड़ा।

राज हैरानी से बोला: मेरी मम्मी भी ? और अब फिर उसे वही अजीब फ़ीलिंग होने लगी ,उत्तेजना वाली ना किग़ुस्से वाली।आख़िर उसे ख़राब क्यों नहीं लगता जब कोई उसकी मम्मी के बारे मेंऐसी गन्दी बात करता है?

नदीम: हाँ यार दोनों मम्मियाँ माल हैं । ख़ासकर तेरी मम्मी का पिछवाड़ा तो लंड खड़ा कर देता है।

राज को याद आया कि मेसिज में बीजू उनकी पिछवाड़े के दर्द की बात कर रहा था। और ये नदीम भी वही बोल रह है।

राज: यार पिछवाड़ा मतलब हिप्स ना?

नदीम: हाँ यार और पिछवाड़े में लंड डालने में बहुत मज़ा आता है। हिप्स यानी चूतर फैलाओ और गाँड़ के छेद में लंड डाल दो , क्या मस्त मज़ा आता है।

राज: ओह पर मैं तो समझता था कि वो तो सामने के छेद में ही डालते हैं।पीछे का छेद? क्या उसमें भी डाला जाता है?

नदीम: हाँ यार ख़ास कर बड़ी चूतरोंवाली औरत की गाँड़ मारने में बड़ा मज़ा आता है। हाँ इसने औरत को दर्द तो महसूस होता है पर मज़ा भी मिलता होगा।

राज समझ गया कि माँ ज़रूर गाँड़ मरवा के आइ है तभी उसका पिछवाड़ा दुःख रहा है। अब उसका लंड पूरा कड़ा हो गया था।
राज: अच्छा यार ये तो बता कि आंटी यानी अपनी मम्मी के साथ कुछ किया अब तक?

नदीम कुटिल मुस्कान के साथ बोला: बता दूँगा यार , थोड़ा सबर करो।

तभी राज ने देखा किअँधेरा हो रहा है,वह बोला: अच्छा चलता हूँ घर को। बाद में मिलेंगे।

घर पहुँचकर वो पढ़ने बैठा,पर उसका ध्यान बार बार अपनी माँ की ओर जा रहा था कि कैसे वो उन दोनों लड़कों से चुदवायी होगी। और उसकी गाँड़ भी मारी होगी लड़कों ने।

तभी माँ की आवाज़ आयी चलो खाना आ गया है खा लो।
वो माँ के साथ खाना खाया और माँ जल्दी से सोने के लिए चली गयी। उसने फिर से पढ़ने की कोशिश की पर उसका ध्यान भटक रहा था। आज रात फिर से उसने मूठ मारी और झड़कर सो गया।

राज सुबह उठा तो उसका लंड खड़ा था।पता नहीं उसके दिमाग़ मेंक्या आया कि वह अपनी माँ के आने के समय आँख बंदकरके एक हाथ आँखों पर रख लिया। और फिर उसमें से देखने लगा जबकि नमिता को लग रहा था कि उसकी आँखें बंद हैं। नमिता उसे उठाने ही वाली थी किउसकी निगाह तंबू पर पड़ी और उसे याद आया किउसने बीजू या विकी के लंड पर चादर रखा था ये देखने के लिए कि कितना बड़ा तंबू बनता है। अब उसे विश्वास ही गया था की राज का लंड भी बीजू और विकी जैसा ही काफ़ी बड़ा है।
उसकी पैंटी गीली होने लगी, उसके निपल्ज़ भी कड़े हो गए थे।
फिर उसने राज को कंधे पकड़कर हिलाते हुए उठाया।

राज भी नाटक करते हुए उठा और अपना लंड अपने हाथ से छुपाने का नाटक कर रहा था। अब वो बाथरूम जाकर अपने लंड को ठंडे पानी से शांत किया। बाहर आया तो माँ उसका बिस्तर ठीक कर रही थी, वो झुकी हुई थी और उसका पिछवाड़ा सच में बहुत आकर्षक लग रहा था,उसे नदीम की बात याद आयी , जो कि उसने इस पिछवाड़े के बारे में कही थी। अब वो माँ के पीछे से आकर उससे चिपक गया और बोला: माँ गुड मॉर्निंग।

नमिता: गुड मॉर्निंग बेटा,नींद आयी ठीक से?

राज: जी माँ । आपका पैर का दर्द कैसा है? वो जानता था कि वह पैर नहीं गाँड़ के दर्द का पूछ रहा है।

नमिता: हाँ बेटा अब ठीक है।

फिर उसने पीछे से ही माँ के गाल का चुम्मा लिया और फिर वो नहाने चला गया।

नमिता ने नाश्ता बनाया और दोनों ने नाश्ता किया,आज इतवार था और शाम को उसे और श्रेय को प्रतीक के घर जाना था।

अब वह पढ़ने बैठा, पर उसके मन में अजीब अजीब से विचार आ रहे थे। प्रतीक और नदीम की कही बातें और बीजू के मेसिज जैसे उसके आँखों के आगे घूम रहे थे और वो अपनी माँ के बारे में सोचने लगा। उसे अपनी माँ से सहानुभूति भी हो रही थी कि इस उम्र में उन्हें पति का सुख नसीब नहीं है।

अगर वह ख़ुद अपने पर क़ाबू नहीं रख पा रहा था तो माँ का भी शायद यही हाल होगा। उसे माँ पर ग़ुस्सा नहीं आ रहा था बल्कि वो और ज़्यादा जानने को उत्सुक था कि माँ कैसे मज़ा लेती है? और सच में क्या वो आसानी से पट सकती थी जैसे की प्रतीक कह रहा था।

जब उसका मन पढ़ाई में नहीं लगा तो उसने प्रतीक को फ़ोन किया। फ़ोन किसी स्त्री ने उठाया और राज बोला: प्रतीक है क्या?

उधर से जवाब आया : आप कौन बोल रहे हैं?

राज: मैं राज बोल रहा हूँ प्रतीक मेरा दोस्त है।

वो औरत बोली: अभी बुलाती हूँ ।

थोड़ी देर में प्रतीक बोला: हाँ राज कैसे हो? बोलो क्या बात है?
शाम को तुम और श्रेय आ रहे हो ना?

राज: हाँ आ रहे हैं यार। अभी बोर हो रहा था तो सोचा तुमसे बात कर लूँ।

प्रतीक: हाँ भाई क्यों नहीं। मैं भी बोर हो रहा था। आज तो पापा मम्मी घर मे रहते हैं इसलिए आज मेरा और मैरी आंटी का मज़ा नहीं हो पाता।

राज: अरे यार, तुमसे एक बात कहनी थी, कल मेरा एक दोस्त मिला था, वो मुझे बोल रहा था कि उसको भी तुम्हारे जैसे बड़ी उम्र की औरतें पसंद हैं।

प्रतीक: अरे यार मुझे भी उससे मिलवा देना, हम दोनों की ख़ूब जमेगी। क्या अब तक उसने किसी को ठोका है?

राज: वह खुल कर बोला तो नहीं, पर लगता है कि उसको कुछ को अनुभव है इस सब का।

प्रतीक: फिर तो उससे मिलना ही पड़ेगा। कभी तेरे घर आऊँगा तो मिलवा देना। और क्या बोल रहा था वो?

राज: उसने बड़ी ही अजीब बात की, वो कह रहा था किउसको दो ही औरतें सेक्सी लगतीं हैं।

प्रतीक: कौन कौन?

राज: एक तो उसकी मम्मी और दूसरी ---

प्रतीक: दूसरी? बता ना यार!

राज: दूसरी मेरी मम्मी।

प्रतीक: ओह माई गॉड! सच ऐसे बोला? तुम्हें ग़ुस्सा तो नहीं आया?
राज: यही सोच कर तो मैं हैरान हूँ कि मुझे ग़ुस्सा क्यों नहीं आया?
प्रतीक: मैं समझ सकता हूँ , मेरा भी यही हाल है, मैं जब मम्मी को पार्लर में लड़के के साथ देखा तो मुँझे भी उत्तेजना ही हुई , गुस्स्सा नहीं आया। तेरा भी यही हाल है।

राज: ऐसा क्यों है यार?

प्रतीक: इसलिए कि हम इसे बुरा नहीं मानते, और शायद अपनी माँ को ख़ुद ही चोदना चाहते हैं।

राज: नहीं मैंने ऐसा नहीं सोचा। पर --

प्रतीक: अभी नहीं सोचा पर जल्दी ही सोचोगे।


तभी नमिता ने राज को आवाज़ दी और राज फ़ोन काटते हुए बोला: चलो शाम को मिलते हैं।
Shandaar ekdam mast update
 

Alanaking

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इस कहानी के दो मुख्य पात्र हैं राज और उसकी माँ नमिता ।





आज राज की उम्र १८ साल की है और उसकी माँ ४० साल की है। राज के पिता का देहांत क़रीब ५ साल पहले एक दुर्घटना मेंहो चुका था। नमिता एक ऑफ़िस में काम करती है, और उसके पति के पेन्शन और उसकी तनखा से घर का ख़र्च आराम से चल रहा था। नमिता की बस एक ही इच्छा थी कि राज ख़ूब पढ़े और बड़ा आदमी बने। वह बस इसी इंतज़ार में जी रही थी।

आइए अब राज के बारे में .बताएँ , वह पढ़ने मेंबहुत अच्छा था और हमेशा पहले या दूसरे नम्बर पर आता था।वह अभी १२ वीं में था और खेल मेंभी वो बहुत अच्छा था और फ़ुट्बॉल उसका प्रिय खेल था। उसकी क़द काठी अच्छी थी और वो एक अपने उम्र के लिहाज़ से एक तगड़ा लड़का था। गोरा चिट्ठा और चेहरे से मासूमियत टपकती थी। उसके दिमाग़ मेंअब तक वासना ने अपना स्थान नहीं बनाया था। सेक्स के बारे में सीमित जानकारी रखता था क्योंकि उसके सब दोस्त उसके जैसे ही पढ़ने वाले थे। हाँ कभी कभी उसको कोई लड़की या मैडम अच्छी लगती तो उसको लगता था किउसके हथियार मेंकुछ हरकत हो रही हो। और वो शर्मिंदा हो जाता था किउसके विचार इतने गंदे कैसे हो गए!!!

उसकी माँ नमिता एक घरेलू महिला थी, पर काम करने के कारण बाहरी दुनिया को समझती थी। अपनी ज़िन्दगी मेंउसने कुछ समझोते भी किए थे। कभी नौकरीके लिए तो कभी पैसों के लिए और कभी अपनी शरीर की भूक मिटाने के लिए। पर वो बहुत ही सुलझी हुई औरत थी और अपनी ज़िम्मेदारियाँ समझती थी। वो भी अपने बेटे की तरह गोरी चीट्टी भरे हुए बदन की औरत थी, जिसको कोई भी मर्द एक बार देख ले तो दूसरी बार पलट कर देखता ज़रूर था। उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ और पतली कमर और बाहर निकला हुआ पिछवाड़ा मर्दों पर बिजली गिराते थे।वह साड़ी या सलवार कुर्ती ही पहनती थी और घर में नायटि ही पहनती थी।

सब कुछ ठीक चल रहा था और नमिता का पूरा ध्यान राज के खाने पीने और उसकी पढ़ायी पर ही रहता था।

राज और उसकी माँमें भी एक बहुत ही प्यारा रिश्ता था और वो दोनों ही एक दूसरे के लिए जीते थे। दोनों एक दूसरे का बहुत ध्यान रखते थे। नमिता का ऑफ़िस का समय १०से ५ का था और राज का स्कूल ७ से १ बजे का था।
नमिता रोज़ सुबह राज को उठाने आती क्योंकि राज देर रात तक पढ़ता रहता था। सुबह जब वो उसे उठती तो वो उठके उससे लिपट जाता था और माँ के गाल चूमते हुए

good morningकरता था। वो भी उसके गाल या माथा चूमकर उसको प्यार करती थी।

पर कभी नमिता को अटपटा लगता था जब राज की ओढ़ी हुई चद्दर नीचे उसकी जाँघों के पास से उठी रहती थी। उसे थोड़ा सा अजीब लगता था पर वो जानती थी किइस उम्र मेंये एक प्रकृतिक अवस्था है और सब लड़के इस दौर से गुज़रते हैं।

पर उसको हैरानी इस बात की होती थी किहे भगवान ये तंबू इतना ऊँचा कैसे तनजाता है? क्या राज का हथियार इतना बड़ा है? उसे कुछ अजीब सी फ़ीलिंग होती थी पर बाद में वो जब उसका भोला चेहरा देखती थी तो सब भूलकर उसे प्यार करने लगती थी। पर राज जब ऐसी उत्तेजित अवस्था मेंउठता था तो उसको अपनी माँ के सामने बड़ा ख़राब लगता था और वो उसको छुपाने की असफल कोशिश करता था और भागकर बाथरूम मेंजाके पेशाब करने की कोशिश करता था और हथियार के नोर्मल होने के बाद ही वापस बाहर आता था।

माँ मन ही मन मुसकाती थी और कुछ नहीं होने का बहाना करती थी। सुबह की चाय पीकर राज नहा धोकर नाश्ता करने आता था और माँबेट साथ ही नाश्ता करते थे और फिर राज अपनी माँसे लिपटकर प्यार करके स्कूल बस से स्कूल चला जाता था। नमिता बाद में नहाकर खाना बनाती थी और फिर ख़ुद बस से ऑफ़िस चली जाती थी। जीवन ऐसे ही कट रहा था।

राज बस में बैठे हुए अपनी पढ़ायी के बारे में सोच रहा था तभी अगले स्टॉप पर उसकी मैडम जो कि उसको maths ( गणित) पढ़ाती थीं आकर उसके साथ वाली सीट पर बैठ जाती है।
राज: गुड मोर्निंग मैडम ।
मैडम: गुड मोर्निंग , कैसे हो राज बेटा? पढ़ायी कैसी चल रही है?
राज: जी मैडम अच्छी चल रही है, पर गणित बहुत कठिन है।
मैडम: बेटा कभी भी कोई समस्या हो तो मेरे ऑफ़िस आ जाना मैं तुम्हारी मदद कर दूँगी। फिर मैडम को फ़ोन आया और वो उसमें व्यस्त हो गयी। राज ने देखा कि वो बात करते हुए अपनी छाती के निचले हिस्से को खुजाने लगी और हल्के से ब्रा को भी अजस्ट की। राज ने सोचा कि शायद उसकी ब्रा टाइट होगी , तभी शायद वो ऐसा करी होंगी। उसने कई बार माँ को भी ऐसा करते देखा था, और माँ ही बतायी थी कि जब भी नयी ब्रा पहनो थोड़ी दिन कुछ तकलीफ़ तो होती है।
राज अचानक मैडम की अपनी माँ से तुलना करने लगा। दोनों क़रीब एक ही उम्र की थीं क्योंकि उनका बेटा भी उससे एक साल स्कूल में पीछे था।उनके बेटे श्रेय से उसकी बहुत पटती थी, वो भी पढ़ायी में काफ़ी आगे रहता था।राज ने देखा कि उसकी माँ की तरह मैडम भी गोरी और बदन से भरी हुइ हैं और उनकी छातियाँ भी एक जैसी ही हैं।



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नीचे ब्लाउस के नीचे से गोरा थोड़ा उभरा हुआ पेट भी एक समानही था।नीचे उसे मैडम की गोल गोल भारी जाँघें साड़ी से दिख रही थीं। माँकी भी वैसे ही जाँघें थी।
अचानक फ़ोन पर बात करते हुए उसने अपनी जाँघ सहलायी बहुत ऊपर की तरफ़। राज को अपने हथियार में हरकत सी हुई और वो उसको अजस्ट करते हुए बाहर की ओर देखने लगा।

वह अपने आप पर हैरान हो रहा था कि वह मैडम की तुलना अपनी माँ से भला क्यों कर रहा है? तभी स्कूल आ गया और मैडम खड़ी हो गयी और अब साड़ी में से उसके बड़े बड़े नितंब उसके सामने थे। साड़ी उसके बड़े गोल चूतरों के बीच थोड़ी फँस सी गयी थी। ऐसा ही माँ के साथ भी कई बार होता था, उनकी nighty या साड़ी भी ऐसी ही फँस जाती थी ।मैडम ने पीछे हाथ डालकर अपने कपड़े को बाहर की ओर खिंचा और उसे निकाला और अब राज का हथियार और बड़ा हो गया।
उसने थोड़ी देर रुककर सबको उतरने दिया और बाद में ख़ुद उतरा , पैंट के आगे स्कूल का बैग रखकर।

उधर नमिता भी आज अलसायी पड़ी थी सोफ़े पर , खाना बना चुकी थी और आज उसे देरी से जाना था कि क्योंकि कल ऑफ़िस की एक अधिकारी की माँ की मौत के कारण सब उसके यहाँ गए थे और ऑफ़िस आज देरी से चालू होना था।

रोज़ तो वो ओफ़िस के बस से जाती थी, पर आज उसे पब्लिक बस से ही जाना होगा। वो तय्यार हुई आज उसने सलवार कुर्ती पहनी थी और उसने शीशे में ख़ुद को देखा और सोचने लगी कि इतनी सुंदर जवानी बर्बाद हो रही है। उसने आह भरी और याद किया कि पिछली बार उसे सेक्स किए हुए शायद ४ महीने हो गए हैं। उसे आज भी याद है कि वो २२ साल का लड़का उसके बॉस का कोई रिश्तेदार था जिसने उसे ऑफ़िस में देखकर उसको अपना कॉर्ड दिया था और बाद मेंउसको फ़ोन पर बात करके उसे अपनी बातों से आकर्षित कर लिया था और अंत में उसने उसकी ज़बरदस्त चुदायी की थी। ये याद करके उसकी पैंटी में गिलापनआ गया। उसे लग रहा था कि उसका शरीर फिर से सेक्स के लिए भूक़ा हो रहा था। ख़ैर वो बाहर आयी और बस स्टॉप पर बस का इंतज़ार करने लगी। बस के आते ही वो उसपर चढ़ी पर उसे बैठने के लिए जगह नहीं मिली।वो खड़ी हो गयी एक सीट की बैक रेल पकड़कर। अगले स्टॉप से भीड़ बढ़ने लगी।अब उसे थोड़ी तकलीफ़ सी होने लगी। उसने देखा कि दो लड़के जो अभी अभी चढ़े थे, उसे घूर रहे थे। उनकी उम्र कोई १९/ २० साल की होगी।उन लड़कों ने आपस में कुछ बात की और वो भीड़ में से सरक कर उसकी तरफ़ बढ़ने लगे। थोड़ी देर में एक उसके पास आकर उससे जगह माँग कर उससे आगे निकल गया और दूसरा आकर ठीक उसके सामने खड़ा हो गया। उसने थोड़ा पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि वो पहला लड़का अब मुड़कर ठीक उसके पीछे आकर खड़ा था।


उसे कुछ अजीब सा लगा। तभी अगले स्टॉप और ज़्यादा भीड़ चढ़ गयी। अब वो लड़के भीड़ के बहाने से उससे चिपक से गए। नमिता की विशाल छातियाँ उस लड़के के मर्दाने छाती को छू रही थीं। पीछे वाला लड़का भी अब उससे चिपककर उसके पीठ पर ब्लाउस के ऊपर हाथ रख दिया। नमिता इस डबल हमले से थोड़ा सिहर उठी।
अब पीछे वाला लड़का उसकी ब्लाउस के ऊपर से उसके ब्रा के स्ट्रैप को सहला रहा था और उसके हाथ उसकी नंगी पीठ पर रेंग रहे थे जो ब्लाउस और साड़ी के बीच का हिस्सा था। सामने वाला भी अब उसकी छाती पर अपनी छाती का दबाव बनाते हुए उसके नंगे पेट पर हाथ सहलाने लगा। नमिता का एक हाथ तो सीट का सहारा लिया हुआ था, और दूसरे हाथ से उसने इस लड़के का हाथ अपने पेट से हटाने की कोशिश किया। पर वो लड़का कहाँ मनाने वाला था। उसने एक बार हाथ हटा दिया पर जैसे ही नमिता का हाथ हटा उसने फिर से उसके पेट पर हाथ रखा और उसकी नाभि को छेड़ने लगा।

उधर पीछे वाले की हरकतें भी बढ़ गयी थीं, वो अब अपना हाथ नीचे ला कर उसके नितम्बों को सहलाने लगा। नमिता पीछे हाथ लेज़ाकर उसका हाथ हटाने की कोशिश की पर यह क्या उसने तो उसका हाथ अपने हाथ में पकड़कर उसको सहलाना शुरू कर दिया।
अब सामने वाला लड़का भी हाथ को उसके ब्लाउस के निचले हिस्से तक ले आया और वहाँ सहलानाचालू रखा। नमिता अपना हाथ छुड़ाकर सामने वाले के हाथ को अपनी छातियों तक जाने से रोकने की कोशिश की। अब पिछेवाले ने अपना सामने का हिस्सा उसके नितम्बों से चिपका दिया। उसके पैंट के ऊपर से उसके कड़े लिंग के अहसास से वो हिल सी गयी।

अब सामने वाला फिर से उसकी छातियों तक अपना हाथ पहुँचाने मेंकामयाब हो गया था। वो अब धीरे से उसकी छातियों के निचले हिस्से को दबा भी रहा था, नमिता को लगा कि यह ज़्यादा ही हो रहा है। वो कुछ कहने ही वाली थी कि पीछेवाला लड़का उसके कान मेंफुसफुसाया : आंटी , क्यों विरोध कर रही हो, आराम से मज़ा लो ना।

नमिता हैरानी से अपने बेटे की उम्र के लड़कों के हौसलों को देखकर बोली: ये ठीक नहीं है, चलो मुझे छोड़ दो, नहीं तो मैं शोर मचाऊँगी।

समानेवाला लड़का अब उसकी छातियों को अपने पंजों में दबोचकर उसके कान मेंबोला: आंटी, मज़ा लो ना, क्या बॉडी है आपकी। क्या मस्त छातियाँ हैं।

तभी पिछेवाला उसके नितम्बों मेंअपना खड़ा लिंग रगड़ते हुए बोला:

आंटी, आह क्या मस्त चूतर हैं आपके, हाय बहुत अच्छा लग रहा है। ऐसा कहते हुए उसके हाथ अब उसकी कुर्ती को सामने से उठाकर उसकी सलवार के ऊपर से उसकी भारी हुई जाँघों पर आ गए।

अब नमिता की सिसकी निकल गयी और वो धीरे से बोली: कोई देख लेगा तो क्या होगा, प्लीज़ मुझे छोड़ दो ।
सामने वाला लड़का उसकी छातियों को दबाते हुए बोला: इतनी भीड़ है आंटी, किसी को होश नहीं है , आप मज़ा लो।


अब पिछेवाले लड़के ने उसके पेट को सहलाते हुए उसकी सलवार के ऊपर से उसकी जाँघों के जोड़ तक हाथ डाल दिया। अब नमिता की पैंटी गीलीहोने लगी। काफ़ी दिनों से प्यासी तो थी ही, और अचानक उस लड़के ने उसकी चूत पर अपना हाथ रखा और वहाँ सहलाने लगा। अब वी धीरे से बोला: आंटी, प्लीज़ टाँगें फैलाओना,। और पता नहीं नमिता को क्या हो गया किउसने अपनी टाँगें फैला दीं। अब पिछेवाला लड़का उसकी चूत को सलवार के ऊपर से मुट्ठी में लेकर दबाने लगा। अब नमिता की पूरी सलवार सामने से गीली होने लगी।


अब स्तिथि ये थी कि नमिता की छातियाँ सामने वाले के पंजों में थीं और उसकी चूत को पीछेवाला लड़का दबा रहा था। तभी सामने वाले लड़के ने नमिता का हाथ पकड़ा और अपने पैंट के ऊपर से अपने लिंग पर रख दिया। नमिता सिहर उठी, उस लड़के की उम्र के हिसाब से लिंग बहुत बड़ा लग रहा था। वो चाह कर भी अपना हाथ वहाँ से नहीं हटा पायी। और उस लड़के ने नमिता का हाथ दबाकर अपने लिंग को दबवाना शुरू किया।नमिता की हालत अब ख़राब होने लगी थी ,और उसकी चूत मेंबहुत ज़्यादा खुजली सी होने लगी थी।

अब उसका हाथ अपने आप ही उसके लिंग को दबाने लगा और वो मज़े से भरने लगी थी।तभी पीछे वाले लड़के ने उसका दूसरा हाथ पकड़कर अपने लिंग पर रख दिया। नमिता को लगा कि एक और मूसल सा लिंग उसके हाथ में था और वो अपने आप ही उसको भी आगे पीछे करने लगी।

तभी पीछे वाला लड़का बोला: आंटी, अगले स्टॉप पर उतर जायिये हमारे साथ। मेरा घर स्टॉप से बिलकुल पास है, और परिवार बाहर गया है। बहुत मज़ा आ जाएगा।
नमिता: आह मैं ऐसे कैसे जा सकती हूँ, तुम लोगों को जानती तक नहीं।

सामने वाला लड़का बोला: आंटी, चलेंगी तो जान पहचान भी हो जाएगी। प्लीज़ मना मत करिए , देखिए ना क्या हालत है बेचारे की आपके हाथ में आँसूँ बहा रहा है।
नमिता: लेकिन ये कैसे हो सकता है? मैं ऑफ़िस--
वो बोला: आंटी, ऑफ़िस थोड़ी देर से चली जाइएगा ना आप, प्लीज़ चलिए स्टॉप आ गया है।

अब पीछे वाला लगभग नमिता को धक्का देते हुए दरवाज़े की ओर ले जाने लगा, जबकि आगे वाला रास्ता बना रहा था भीड़ में। नमिता के पैर अपने आप ही उनके साथ चले जा रहे थे, वो अपने पर हैरान थी कि वो ऐसा कैसे कर रही है, एकदम अनजान लड़कों के साथ वो भी उसके बेटे की उम्र के थे, वो चली जा रही है। वो जैसे किसी सम्मोहन में थी और बस से उतर गयी। अब वो लड़का उसको सड़क से ही सामने की गली मेंअपना मकान दिखाया और बोला: आंटी बस वही तीसरा मकान हमारा है।

वो उनके साथ चलती हुई फिर से सम्मोहन से निकलने की कोशिश की, और उसने चोर नज़रों से दोनों के पैंट के सामने उभारों को देखा और उसका रहा सहा संकल्प भी टूट गया। उसकी चूत में उन उभरे हुए लिंगों को देखकर बहुत खुजली सी हुई। और वो जानती थी किआज ये खुजली मिटाए बग़ैर उसे चैन नहीं मिलने वाला।
और फिर तीनों ने उस घर में प्रवेश किया।

उधर राज स्कूल में घुसा तो उसको श्रेय मिल गया जो कि maths वाली मैडम का ही बेटा था। दोनों कुछ देर बात किए फिर अपने अपने क्लास में चले गए। maths के पिरीयड में मैडम आयीं, उनका नाम शीला था,राज को देखकर मुस्कराइ और पढ़ाने लगी। जब वो बोर्ड पर लिखती थी तो पहली क़तार में बैठे राज को उसकी ब्लाउस मेंकसे दूध ऊपर नीचे होते दिखते थे। उसे लगा किवो पढ़ाई की जगह मैडम के दूध देख रहा है, तो उसे ग्लानि हुई। पर आज उसका हथियार फिर से कड़ा होने लगा था। तभी क्लास में एक सर एक लड़के के साथ घुसे और बोले: बच्चों, आज आपको एक नया साथी मिल रहा है, यह प्रतीक है और ये आज से इस क्लास को अटेंड करेगा। आप सब इसके साथ मिलकर रहो।
सर चले गए और प्रतीक पहली क़तार में राज के बग़ल में बैठ गया।

लंच ब्रेक में राज और प्रतीक बातें करने लगे।
प्रतीक: यार ये स्कूल तो मस्त है। मेरा पिछला स्कूल तो बिलकुल बोर था पर यहाँ तो बहुत रौनक़ है यार।
राज: यहाँ ऐसा क्या दिख गया भाई तुम्हें?
प्रतीक: अरे यार, ये maths मैडम ही तो मस्त चीज है, क्या धाँसू माल है।

राज हैरत से बोला: छी क्या बोलता है, शी
ला मैडम के बारे में ! वो बहुत अच्छी हैं, और बहुत ही टैलेंट से भरी हैं।

प्रतीक बेशर्मी से हँसते हुए बोला: अरे मैं भी तो यही कह रहा हूँ की वो बहुत अच्छी है और टैलेंट तो उनके ब्लाउस में भरा हुआ है।

राज: यार मुझे मैडम के बारे में ऐसी बात अच्छी नहीं लगती।

प्रतीक: अरे भाई, सुंदर को सुंदर और माल को माल बोलने में क्या बुराई है? तुमने उनका पिछवाड़ा देखा है, क्या ग़ज़ब का उठान लिए है, साला हथियार तन गया है। और ऐसा बोलते हुए उसने बेशर्मी से अपने हथियार को पैंट के ऊपर से रगड़ दिया।

राज सोचने लगा कि देखा जाए तो वह ख़ुद भी तो उनके बारे में ऐसा ही कुछ सोचता है , फ़र्क़ इतना है कि प्रतीक साफ़ साफ़ बोल रहा है और राज मन की बात मन छिपा रहा है।

तभी श्रेय आने लगा तो राज जल्दी से बोला: अरे यार अब मैडम पुराण बंदकर, ये उनका ही बेटा है।
प्रतीक: ओह सच, तब तो इसिको पटाताहूँ, इसके द्वारा इसकी माँ तक पहुँचना होगा।

राज ने श्रेय का परिचय प्रतीक से कराया। और अब प्रतीक श्रेय से अच्छी अच्छी बातें करने लगा। और बहुत जल्दी तीनों मेंदोस्ती हो गयी। राज को ख़राब लग रहा था कि प्रतीक ने श्रेय से दोस्ती सिर्फ़ उसकी माँको पटाने के लिए की है पर वो कुछ बोल नहीं पाया क्योंकि अंदर कहीं उसके मन में भी अब कुछ ऐसे ही भाव जागृत होने लगे थे। प्रतीक ने उन दोनों को अपने घर आने को कहा और बोला: यार कल इतवार को मेरे घर आओ ना। मस्ती करेंगे।

श्रेय : नहीं भाई मुझे पढ़ायी करनी है।
राज: हाँ यार मैं भी नहीं आ सकूँगा।
प्रतीक: अच्छा चलो शाम को आ जाना और साथ मेंचाय नाश्ता करेंगे।
थोड़ी बार दोनों मान गए और अगले दिन शाम को मिलने की बात हो गयी। प्रतीक: अरे यार तुम लोग मेरे घर आओगे तभी तो मैं तुम्हारे घर आ पाउँगा। और कहते हुए वो हँसने लगा।

राज उसकी बात का मतलब समझ रहा था और वो थोड़ा सा विचलित भी था किक्या ये सब ठीक है?
उधर नमिता उन दोनों लड़कों के साथ उस घर में घुसी और उन्होंने उसे सोफ़े पर बिठाया और विकी जिसका घर था, फ्रिज से ठंडा पानी लेकर नमिता को दिया। नमिता पानी पीने लगी। नमिता की साड़ी का पल्लू एक तरफ़ सरक गया था सो उसने उसे ठीक कर अपनी छातियाँ ढक लीं।
बीजू जो विकी का दोस्त था, बोला: आंटी और कुछ लेंगी?

नमिता ने ना में सर हिलाया।

विकी बोला: आंटी, आप बिलकुल परेशान मत होईए, यहाँ अभी कोई नहीं आएगा।

नमिता: मुझे ऑफ़िस जाना है ।

बीजू: आंटी, चली जाना ना ऑफ़िस, थोड़ा मज़ा तो कर लें।

नमिता का चेहरा लाल हो गया, वो सोचने लगी, ये क्या कर बैठी , अपने बेटे के उम्र के लड़कों के साथ यूँ ही चली आयी और अब जो होना है वो तो होकर ही रहेगा।
विकी: आंटी हम अच्छे घरों के लड़के हैं, आपको कभी बदनाम नहीं होने देंगे,आप हम पर विश्वास करो।
तभी दोनों नमिता के पैरों के पास बैठ गए। अब दोनों ने उसके पैरों को हाथ में ले लिया और उसको चूमने लगे। बीजू बायें पैर का अँगूठा और विकी दायीं पैर का अँगूठा चूसने लगे। नमिता के लिए ये एक अजीब अनुभव था। अब उन दोनों ने उसके तलवे चाटने शुरू किए। फिर वो उसकी सभी उँगलियोंको बारी बारी से चूमने और चूसने लगी।

फिर वो उसकी साड़ी ऊपर करते हुए उसकी पिंडलियों को चूम रहे थे और अब वो घुटनों को चूम रहे थे।
अब उनके हाथ उसके पैरों पर थे और जीभ से उसकी घुटनों और उसके ऊपर जाँघों तक चाटने लग गए।नमिता की आहेंनिकल रही थी। उसका ये अनुभव अनूठा था।
जब दोनों जाँघों तक पहुँचे तो नमिता को खड़े करके उसकी साड़ी उतार दिए।अब वो उसके पेटी कोट का नाड़ा खोल दिया। उसका पेटी कोट नीचे गिर गया। पैंटी में से उसकी चूत फुली हुई और वहाँ गीली सी दिख रही थी। वो दोनों जैसे मुग्ध दृष्टि से उसकी पैंटी को देख रहे थे। फिर उन्होंने उसे सोफ़े पर बैठा दिया और ख़ुद भी साथ में बैठ गए। उसके एक एक हाथ को पकड़कर दोनों ने उसकी उँगलियाँ चूमनी चालू कीं। फिर एक एक अंगुली चूमे और जीभ से चाटे। नमिता बहुत ही उत्तेजित हो गयी थी। अब वो उसकी बाहों को चूमने लगे। फिर उसकी कोहनी को चूम रहे थे।

फिर उसकी स्लीव्ज़लेस ब्लाउस के ऊपर तक बाहोंको चूमते हुए उसकी बाँहें उठायीं और उसकी बग़लों को सूंघकर दोनों मस्ती से उसकी बग़लें चाटने लगे। नमिता की आऽऽऽहहहह निकल गयी।

अब लड़कों ने उसकी गर्दन और गाल चूमे और चाटे। अब वो उसकी ब्लाउस के ऊपर से उसकी छातियों को चूमने लगे।


फिर दोनों उसके ब्लाउस के ऊपर से उसकी छातियाँ दबाने लगे। नमिता की हाऽऽऽयय्यय निकल गयी।
फिर उन्होंने ब्लाउस के हुक खोले और उसको निकाल दिया , अब ब्रा में क़ैद उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ बहुत ही मादक दिख रही थीं। वो दोनों उसकी ब्रा के ऊपर से एक एक छाती चूमने लगे। अब नमिता जैसे पागल सी हो रही थी, उसने हाथ बढ़ाकर उन दोनों के पैंट के ऊपर से उनके हथियार पकड़ लिए और मसलने लगी।अब वो ब्रा खोलकर उसकी भारी छातियाँ देखकर मस्त हो गए। वाह क्या मस्त बड़े बड़े आम थे और उसके ऊपर काले लम्बे अकड़े हुए निप्पल्स जैसे कह रहे थे कि आओ बच्चों मुझे चूसो।

नमिता बोली: आह्ह्ह्ह्ह्ह चलो अपने कपड़े खोलो अब, मुझे तो नंगी कर दिया और ख़ुद पूरे कपड़े पहने खड़े हो।

दोनों ने हँसते हुए कहा: लो आंटी हम भी नंगे हो जाते हैं।
अब दोनों ने अपने कमीज़े उतारी और उनकी चौड़ी छाती देखकर वो मस्ती से भरने लगी। उनकी बाँहें भी बहुत बलशाली दिख रहीं थीं।

अब उन्होंने अपनी जींस खोली और उनकी बालोंवाली मोटी जाँघें और उसके बीच में जॉकी का उभार बहुत ही आकर्षक लग रह था।

दोनों की चड्डियाँ उनके प्रीकम से गीली थीं।
अब विकी उसके पास आया और उसका सर अपनी चड्डी पर दबा दिया। नमिता मर्दाने वीर्य की गंध से जैसे पागल हो गयी और उस जगह को जीभ से चाटने लगी। अब उसने विकी की चड्डी को नीचे किया और उसके लंड को देखकर जैसे निहाल हो गयी और उसका मुँह अपने आप उसके पीशाब के छेद को चाटने लगा ।

फिर उसने उसके लंड की चमड़ी को पीछे किया और उसके सुपाडेको चूमते हुए चूसने लगी। और विकी भी अपनी कमर हिलाकर जैसे उसके मुँह को चोदरहा था। तभी बीजू उसको हटा कर अपना लंड उसके मुँह के पास लाया और नमिता भी उसका लंड चूसने लगी। वो सोचने लगी, क्या मस्त लंड हैं इन दोनों लड़कों के, आज तो मज़ा ही आ जाएगा। तभी वो महसूस की अब दोनों उसकी नंगी छातियाँ मसल रहे हैं। और दोनों उसके निपल्ज़ भी मसलने लगे।

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नमिता को लगा कि वो झड़ जाएगी। तभी वो दोनों नमिता की चूचियाँ दबाते हुए उसको खड़ा करके बेडरूम मेंके गए। फिर उसको लिटाकर उसकी पैंटी को खींचकर नीचे किया और उसकी चूतको देखकर मस्ती से अपने लंड मसलने लगे। अब विकी ने उसकी चूतमेंमुँह डाल दिया और उसको चाटने लगा। बीजू तो उसकी छातियों को मसलते हुए चूसने लगा। नमिता की आऽऽऽऽहहह निकलने लगी।

अब वो अपनी कमर हिलाकर चूत को उसके मुँह पर दबाने लगी।

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फिर विकी ने उसकी टाँगें उठाकर उसकी चूतमें अपना लंड पेल दिया और वो हाय्य्य्य्य कहकर चीख़ उठी। उधर बीजू ने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया। अब वह दोनों उसके मुँह और चूत को चोद रहे थे। नमिता की हाय्य्यय और ह्म्म्म्म्म की चीख़ों से कमरा भर गया। अब वो लंड चूसते हुए अपनी कमर उछाल कर चुदवा रही थी और उसकी चूत से फ़चफ़च की आवाज़ें आ रही थीं। बीजू घुटने के बल उसके मुँह के पास बैठ कर उसके मुँह को चोद रहा था और तभी विकी आह्ह्ह्ह्ह्ह करके झड़ने लगा। और फिर वो अपना वीर्यउसकी चूत में छोड़कर अपने दोस्त के लिए हट गया। अब बीजू ने अपना लंड उसके मुँह से निकला और उसके टांगों के बीच आकर उसकी चूत में एक बार ही में अपना लंड ठूँस दिया। और नमिता ने भी मस्ती से अपनी कमर उछालकर उसके लंड का स्वागत किया और अब बीजू पूरी ताक़त से थप थप कर चोदने लगा।



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नमिता भी मस्ती से अपनी चूत फड़वा रही थी और आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह करते हुए झड़ने लगी चिल्लाते हुए: हाऽऽय्यय ज़ोर से चोओओओओओदो आह्ह्ह्ह्ह्ह फाऽऽऽऽड़ दो मेरीइइइइइइइ चूउउउउउउउततत ।
बीजू भी आंटी की मस्ती से मस्त हो गया और ज़ोर ज़ोर से धक्का मारकर झड़ने लगा। फिर वो उसके ऊपर लेटकर बोला: आंटी मज़ा आया?

नमिता: आऽऽऽह हाऽऽननन बहुत मज़ा आया । हाय इतनी ज़बरदस्त चुदाई करते हो तुम दोनों । ये सब कहाँ से सिख लिए इतनी छोटी सी उम्र में?

बीजू: आंटी आपकी जैसी ही एक आंटी ने हमें ट्रेनिंग दी है।

नमिता हँसते हुए बोली: तभी तो मैं बोलूँ कि इतने जल्दी एक्स्पर्ट कैसे बन गए!

विकी भी उसकी चुचि दबाते हुए बोला: आंटी अभी ये तो ट्रेलर था, पूरी फ़िल्म तो अभी बाक़ी है।

नमिता : नहीं नहीं अब और नहीं। मुझे ऑफ़िस जाना है।
तभी बीजू और विकी ने उसके एक एक चुचि को मुँह मेंलिया और उसके निपल्ज़ को चूसने लगे।

अब नमिता फिर से गरमाने लगी और उसने उनके सरों को अपने दूध पर दबा दिया और सिसकारियाँ भरने लगी।

नमिता: आह्ह्ह्ह्ह छोओओओओओओड़ो ना प्लीज़ , मुझे ऑफ़िस जाना है। हाय्य्य्य्य्य मार डालोगे क़याऽऽऽऽऽऽ

बीजू ने चुचि से मुँह उठाकर कहा: आंटी आज ऑफ़िस से छुट्टी ले लो बहुत मज़ा अभी बाक़ी है।

नमिता जानती थी कि ये उसे छोड़ेंगे नहीं। उसने कहा : अच्छा मुझे ऑफ़िस फ़ोन करने दो।

बीजू उसका फ़ोन लाकर उसको दिया। अब बीजू एक तौलिए से उसकी चूत साफ़ करने लगा और विकी अभी भी चुचि चूस रहा था।

नमिता ने बॉस को फ़ोन लगाकर कहा: सर आज छुट्टी लूँगी क्योंकि तबियत ख़राब है। तभी विकी ने निपल्ज़ को हल्के से दाँत से काटा तो उसकी हाय्य्यय निकल गयी।
बॉस: अरे क्या बहुत तकलीफ़ में हो?

नमिता : जी हाँ बस अब आराम करूँगी। और उसने फ़ोन काट दिया। बीजू भी उसकी चूत खोलकर उसकी गुलाबी छेद को देखकर मस्त हो रहा था।

तभी विकी ने एक बम फोड़ा। वो बोला: आंटी, आप हमारी एक इच्छा पूरी करेंगे क्या?

नमिता: हाय्य्य्य्य कैसी इच्छा? बीजू अब चूत चाट रहा था।

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विकी उसके निप्पल को मसलते हुए बोला: आप हमारी मम्मी बन जाओ और हम आपके बेटे का रोल प्ले करेंगे।
नमिता: क्या मतलब?

विकी: आंटी, अब हम आपको मम्मी बोलेंगे और आप हमको बेटा बोलिएगा। माँ बेटे की चूदाई में आपको भी मज़ा आएगा!

नमिता: छी ऐसा भी कहीं होता है? ये पाप है।

बीजू उसकी चूत से मुँह हटाकर बोला: आंटी ये मेरी जीभ की जगह आपके बेटे की भी जीभ हो सकती है । और उसकी जीभ से आपको और ज़्यादा मज़ा आएगा। आप देख लेना।

नमिता हैरान होकर बोली: तो क्या तुम लोग अपनी माँ के साथ ये सब करना चाहते हो?

विकी: हम तो मरे जा रहें हैं उनको चोदने को , पर साली हिम्मत ही नहीं होती।

बीजू: आंटी मैं तो मम्मी की चुचि उनको प्यार करने के बहाने छूकर ही मस्त हो जाता हूँ।

विकी: मैं भी जब मौक़ा मिलता है उनसे लिपटकर उनकी कमर और चूतरों को सहला देता हूँ।

नमिता: आऽऽहहहह बड़े गंदे हो तुम लोग। हाय्य्य्य्य चलो छोओओओओओड़ो नहीं तो मैं झड़ जाऊँगी।

विकी: हम तो तभी छोड़ेंगे जब आप मान जानोगी हमारी मम्मी बनने को।

नमिता: आह चलो ठीक है, मुझे मंज़ूर है। आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बस करो आह्ह्ह्ह्ह नहीं तो मैं झड़ जाऊँगीं।

बीजू अपना मुँह हटाकर बहुत ही मीठी आवाज़ में बोला: मम्मी अच्छा लगा ना?

नमिता: हाऽऽयय्यय हाँ बेटा बहुत अच्छा लगा। आह तुम दोनों तो आज मुझे पागल ही कर दोगे।

विकी: मम्मी हम आपको पागल नहीं करेंगे बस आपको बहुत मज़ा देंगे।

बीजू: मम्मी ज़रा उलटी लेटो ना प्लीज़।

नमिता उत्तेजना से काँप कर पेट के बल लेट गयी। अब विकी उसकी पीठ को जीभ से चाट रहा था। उधर बीजू उसके तलवों को चाट रहा था और धीरे धीरे ऊपर आ रहा था। विकी पीठ चाटते हुए नीचे जा रहा था। नमिता का शरीर जैसे जलने लगा और वो आहें भर रही थीं।
बीजू: आह मम्मी आपकी पिंडलियाँ कितनी नरम हैं और जाँघें भी कितनी चिकनी हैं। वह जाँघों को सहलाते हुए बड़बड़ा रहा था।

विकी अब उसके चूतरोंको दबाते हुए बोला: आह्ह्ह्ह्ह मम्मी कितने बड़े गोल और कितने मक्खन से चिकने चूतर हैं आपके । और वो उनको चूमने लगा। फिर वो उसके दरार में अपनी जीभ डालकर नमिता को मस्ती से भर दिया।

उधर बीजू भी उसके जाँघों को दबाते हुए उसकी जाँघ के जोड़ तक जीभ ले आया था। अब दोनों के सर क़रीब एक ही जगह आ गए थे। विकी अब चूतरों को फैला कर उसकी दरार को चाट रहा था पर उसकी भूरि गाँड़ के छेद को नहीं छू रहा था।

नमिता का उत्तेजना के मारे बहुत बुरा हाल था।
तभी बीजू बोला: मम्मी प्लीज़ चूतरऊपर उठाओ ना।
नमिता ने अपने नीचे के हिस्से को ऊपर उठा दिया।
अब बीजू ने अपना सर नीचे किया और उसकी चूत और गाँड़ के बीच के हिस्से को चाटने लगा। उधर विकी अब उसकी गाँड़ चाटने लगा। नमिता सीइइइइइ कर रही थी।
अब बीजू उसकी चूतऔर विकी उसकी गाँड़ चाट रहे थे।

बीजू: मम्मी बहुत मस्त चूत है आपकी, ह्म्म्म्म्म्म
नमिता: आह्ह्ह्ह्ह बेटाआऽऽऽऽऽऽ और चूसस्स्स्स्स्स्स हाय्य्य्य्य्य्य!

विकी: मम्मी आपकी गाँड़ भी कितनी मस्त है म्म्म्म्म्म

नमिता: चाट आऽऽऽहहहज बेटाआऽऽऽऽ चाऽऽऽऽऽऽट आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह गाँड़ भी चाट। हाय्य्य्य्य्य्य में मरीइइइइइइइइ ।
फिर वो बुरी तरह से झड़ने लगी और चिल्लाकर कमरे को सर पर उठा लिया। उसका स्खलन इतना ज़ोरदार था कि बीजू का पूरा मुँह ही गीला हो गया।

वो दोनों नमिता को प्यार करते हुए लेट गए उसके साथ।
बीजू: मम्मी अच्छा लगा ? ठीक हो ना आप?

नमिता ने प्यार से दोनों को चूमा और बोली: हाँ बेटा बिलकुल ठीक हूँ, और सच कहती हूँ इतना मज़ा मुझे किसी ने नहीं दिया, जो मेरे बेटे अभी दिए हैं।
अब वो तीनों अलसाए से पड़े रहे। दोनों के लंड अब भी तने हुए थे।
नमिता सोचने लगी पता नहीं आगे और क्या करेंगे ये दोनों।

स्कूल की छुट्टी होने पर राज का सामना फिर प्रतीक से हुआ और प्रतीक बोला: यार मैं अभी प्रिन्सिपल मैडम से मिल कर आ रहा हूँ , वाह क्या मस्त माल है!

राज: अरे वो क़रीब ५० साल की होंगी उनको तू माल कहता है?

प्रतीक: अबे औरत की उम्र नहीं उसकी फ़िगर देखी जाती है। इस उम्र में भी क्या शरीर का कितना ख़याल रखा है! क्या बड़े बड़े दूध हैं और क्या मोटे मोटे चूतर हैं। उनका चेहरा भी कितना चिकना है।

राज: फिर भी उम्र का भी तो कोई मतलब होता है?
प्रतीक: उम्र का क्या मतलब? औरत जितनी उम्र दराज़ होगी उतनी ही ज़्यादा अनुभवी होगी चुदाई में ।

राज उसके मुँह से चुदायी शब्द सुनकर हैरान हुआ और बोला: ये कैसी भाषा बोल रहे हो भाई।

प्रतीक: अरे चुदायी को चुदायी नहीं बोलूँगा तो और क्या बोलूँगा! तुम इतने बड़े हो गए हो , क्या अब तक किसी को चोदा नहीं?

राज: नहीं तो, क्या तुमने चो-- मेरा मतलब है वो किया है?

प्रतीक: अरे कई बार । मैं तो चुदायी के बिना रह ही नहीं सकता।

और एक बात बताऊँ, मुझे लड़कियों में ज़्यादा दिलचस्पी नहीं है, मुझे तो भरे बदन वाली अधेड़ उम्र की औरतों को चोदने में मज़ा आता है।

राज का मुँह खुला का खुला रह गया।

प्रतीक: आज तो मैंने प्रिन्सिपल मैडम पर भी जाल फेंक दिया है। मैंने उनकी सुंदरता एर फ़िट्नेस की बहुत तारीफ़ कर दी है और जल्दी ही वो भी मेरे चक्कर में आ जाएगी। वैसे भी वो विधवा है, जो कि लंड की प्यासी रहती हैं, इनको पटाना ज़्यादा आसान है।

राज को बड़ा अजीब लगा यह सब सुनकर। तभी उसे याद आया कि उसकी माँ भी तो विधवा है , क्या वो भी ऐसी ही प्यासी होगी। और क्या उसको भी लोग ऐसे ही पटाते होंगे।

उसे अपनी सोच पर शर्म आयी पर ख़राब और भी लगा कि उसका हथियार ये सोचकर बड़ा क्यों हो रहा है!
तभी श्रेय आता दिखा तो प्रतीक ने उसे आवाज़ दी और वो इनके पास आया ।

प्रतीक: अरे श्रेय तो प्रोग्राम पक्का है ना , मेरे घर आने का?

श्रेय: हाँ भाई पक्का है, मैं और राज दोनों आएँगे।
प्रतीक: तुम्हें वो मज़ा कराऊँगा कितुम लोग भी क्या याद रखोगे?

राज सोचने लगा कि ये क्या प्रोग्राम बना रहा है? और ये श्रेय से दोस्ती बना कर कैसे शिला मैडम को पटाएगा?
प्रतीक: श्रेय तुम्हारे पापा क्या काम करते हैं?

श्रेय: वो आर्मी में हैं। उनकी पोस्टिंग बॉर्डर पर है।

प्रतीक की आँखें चमकने लगी और वह बोला: तब वह तो अक्सर बहुत दिन के बाद ही आ पाते होंगे।

श्रेय: हाँ भाई वो कभी कभी तो दो महीने तक नहीं आ पाते।

प्रतीक मेरी ओर देखकर कुटिलता से मुस्करा कर बोला: ओह तो तुम आंटी जी का ध्यान रखा करो।

श्रेय: हाँ मैं उनका ध्यान रखता हूँ।
तभी प्रतीक ने मुझसे पूछा: तुम्हारे पापा क्या करते हैं

श्रेय: अरे इसके तो पापा है ही नहीं, कुछ साल पहले उनका देहांत हो गया है।

राज ने प्रतीक को देखा और उसकी दबी मुस्कराहट साफ़ दिखायी दे रही थी। राज को याद आया कि कैसे प्रिन्सिपल मैडम के विधवा होने को लेकर वो ख़ुश था, और अब ज़रूर वह उसकी माँ के बारे में भी ऐसा ही कुछ सोच रहा होगा। उसे अजीब सा लगा कि ये सोचकर उसे प्रतीक पर ग़ुस्सा क्यों नहीं आ रहा है? बल्कि वह फिर से उत्तेजित होने लगा , ये सोचकर कि प्रतीक उसकी माँ को भी पटाने की कोशिश करेगा। ये सोचकर उसका हथियार फिर से कड़ा होने लगा।

राज: प्रतीक तुम्हारे पापा क्या करते हैं?

प्रतीक: हमारा बहुत बड़ा इम्पोर्ट इक्स्पोर्ट का व्यापार है।
और माँ का ब्यूटी पार्लर है। याने दोनों बहुत व्यस्त रहते हैं। घर में मैं बिलकुल अकेला हो जाता हूँ। बस एक नौकरानी है जो हम सबका ध्यान रखती है।

राज: नौकरानी खाना भी बनाती है क्या?

प्रतीक: हाँ यार मम्मी को कहाँ फ़ुर्सत है ।

राज: नौकरानी की उम्र क्या है? ये सवाल पूछते ही उसे अपने पर ग़ुस्सा आया किउसके मुँह से इतना बेहूदा सवाल निकला ही कैसे?

प्रतीक शरारत से मुस्कराहट लाकर बोला: वही उम्र है प्यारे जो अपने को पसंद है। क़रीब ४० की होगी। ये बोलते हुए उसने राज को आँख मार दी।

राज सकपका सा गया और फिर तीनों घर के लिए चले गए, अगले दिन शाम को प्रतीक के घर मिलने का फ़ैसला हो ही गया था।

उधर नमिता लेटे हुए उन दोनों के खड़े लंड को देख रही थी।

अब बीजू उठकर किचन से खाने का समान लाया ।नमिता उठकर बाथरूम से फ़्रेश होकर आयी। वो तीनों बिस्तर पर ही बैठकर खाने लगे। नमिता ने देखा कि उनके लंड अब थोड़े नरम पद गए थे पर लटके हुए अब भी विशाल दिख रहे थे।

खाते हुए बीजू बोला: मम्मी आपके परिवार में और कौन है?

नमिता: बस मैं और मेरा बेटा जो कि क़रीब तुम्हारी ही उम्र का होगा, वो बारहवीं में पढ़ता है। मेरे पति का देहांत क़रीब ५ साल पहले हो गया था।

बीजू: ओह , पर मम्मी आपका काम कैसे चलता है?’

नमिता: कौन सा काम?

विकी हँसते हुए उनकी चूत की तरफ़ इशारा करके बोला: इसकी सेवा का काम।

नमिता: धत्त तुम लोग बहुत बेशर्म हो।

विकी: मम्मी इसने बेशर्मी की क्या बात है, सबकी चूत लंड माँगती है। तो आपकी भी माँगती होगी। तो आप किससे चुदवाती हैं?

नमिता: मेरी उम्र में इस सबकी ज़रूरत नहीं है।

बीजू ने उसकी चूत सहलायी और बोला: आंटी आपकी चूतकितनी प्यासी थी ये हमने देख लिया है।

नमिता: बहुत ही गन्दी बातें करते हो तुम दोनों।

विकी ने उसके दूध दबाते हुए कहा: मम्मी आपका बेटा भी हमारे जैसा है क्या जो अपनी माँ को चोदना चाहता है?

नमिता: छी वो ऐसा नहीं है, वो बहुत ही भोला भला लड़का है।

विकी: अरे मम्मी ,हमारी मम्मियों को भी कहाँ ख़बर है कि हम उनको चोदना चाहते हैं। वो तो हमको भी भोला भला समझती हैं।

पर आपने तो देख लिया कि हम कितने सीधे साधे हैं। कहते हुए उसने अपना लंड सहलाया और वो तन गया।
नमिता सोच में पड़ गयी कि क्या ऐसा हो सकता है कि राज उसपर गन्दी नज़र रखता है! नहीं नहीं ये मैं क्या सोच रही हूँ?

तभी उसने देखा की दोनों के लंड अब बिलकुल तनगए थे और उसकी चूतअब फिर से गीली होने लगी। तभी उसको एक बात सूझी और वह बीजू को लिटाकर उसके कमर पर एक चद्दर ऊढ़ा दी।अब उसकी जाँघ की बीच एक तंबू सा बन गया था। उसने हैरानी से देखा किये तंबू उतना ही बड़ा था जितना कभी कभी राज की चादर का बन जाता है, सुबह सुबह। इसका मतलब राज का लंड भी इतना बड़ा ही होगा। ये सोचकर उसके मन में एक अजीब सी हलचल होने लगी।


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अब विकी भी बिस्तर पर लेट गया और नमिता को लंड चूसने को बोला। नमिता झुक कर बारी बारी से उनके लंड चूसने लगी। उसकी जीभ भी सुपाडे पर फिर रही थी। उसने उनके बॉल्ज़ भी चाटे। अब बीजू ने उसको बीच में लिटा लिया और दोनों उसकी छातियों पर आकर एक एक चुचि चूसने लगे। नमिता की आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह निकल गयी।


अब दोनों ने नमिता को करवट से लिटाया और विकी उसकी चूत मेंऊँगली करके उसको गरम कर दिया। उधर बीजू भी उसकी पीठ और गले को चूमते हुए उसके चूतरों को दबाने लगा। फिर बीजू उठकर क्रीम लाया और उसने नमिता की गाँड़ के छेद मेंक्रीम लगानी शुरू किया। उसकी एक उँगली उसकी गाँड़ में घुसी तो नमिता आह्ह्ह्ह्ह करके चिल्लायी। नमिता को समझ में आ गया था कि अब ये दोनों उसकी चूत और गाँड़ दोनों की ठुकाई करेंगे ।

नमिता ने क़रीब एक साल से गाँड़ नहीं मरवायी थी।उसे डर था किआज भी दर्द होगा उसे गाँड़ में।

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अब विकी ने उसकी टाँग उठाकर अपना लंड उसकी चूत मेंडाल दिया और अपनी कमर हिलाकर उसको पूरा अंदर कर दिया। अब वो उसे साइड मेंलिटाकर उसकी चुदायी करने लगा।

तभी बीजू ने अपने लंड मेंक्रीम लगाकर उसके पीछे से उसकी गाँड़ मेंअपना लंड सेट किया। अब विकी रुक गया और बीजू के गाँड़ प्रवेश का इंतज़ार करने लगा। बीजू ने धीरे से उसकी गाँड़ में अपना सुपाड़ा अंदर डाल दिया। अब वो हल्के से धक्का लगाया और लंड अंदर गाँड़ में घुसा और नमिता की चीख़ निकल गयी।

थोड़ी देर में नमिता की गाँड़ उसके लंड के लिए अजस्ट हो गयी। अब दोनों ने उसकी ठुकाई शुरू कर दी। नमिता अब मस्ती से भर रही थी। अब आगे से विकी और पीछे से बीजू उसकी बजा रहा था और वो भी मज़े के सागर में गोते खा रही थी। उसकी एक चुचि विकी के मुँह मेंथी, और एक चुचि बीजू के हाथ में थी।

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अब धमाकेदार चुदायी होने लगी, और नमिता की सिसकियाँ उसके कमरे में गूँज रही थी। फ़च फ़च और थप्प थप्प की आवाज़ भी उनको मस्ती से भर रही थीं।

अब चुदायी चरम सीमा पर थी और नमिता कराहते हुए झड़ने लगी और बीजू और विकी भी झड़ने लगे।
फिर तीनों आराम से सो गए।

नमिता की नींद खुली और उसका अंग अंग दुःख रहा था, उसकी गाँड़ में भी काफ़ी तकलीफ़ थी।वो बाथरूम से आकर तय्यार हुई और तभी बीजू उठ गया और बोला: अरे मम्मी आप तो तय्यार हो गयी। एक राउंड और हो जाता तो मज़ा आ जाता।
नमिता: बाप रे तुम लोग पूरे दिन मुझे रगड़े हो और अभी भी मन नहीं भरा? मेरी तो हड्डी हड्डी दुःख रही है।

तभी विकी भी उठा और नमिता से लिपट कर बोला: मम्मी प्लीज़ एक आख़ीर बार और चुदवा लो ना?

नमिता: मैं मर जाऊँगी बाबा, चलो अब मुझे जाने दो।
फिर विकी और बीजू ने नमिता को बहुत चूमा और चाटा और फिर वो दोनों उसको बाहर छोड़ने आए और एक ऑटो से उसे रवाना किया। आपस में उन्होंने मोबाइल नम्बर ले लिया था, और बाद में जल्दी मिलने की भी बात हो गयी थी। नमिता ऑटो में घर के लिए

निकल पड़ी।
Bahut hi lajawab update 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
 

Alanaking

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राज दोपहर को घर पहुँचा और ताला खोलकर अंदर अपने कमरे में गया तब, २ बजे थे सो उसने खाना खाया और लेट गया । माँ तो ५ बजे के बाद ही आतीं थीं।उसके दिमाग़ मेंआज दिन भर की बातें सिनमा की तरह चल रही थी।आज प्रतीक ने उसे कई बार अचरज में डाला था। क्या सच में वो अभी से सेक्स करने लगा है? क्या वो सच में प्रिन्सिपल मैडम को और शिला मैडम को पटा लेगा? अचानक उसको ये विचार भी आया कि शायद वो उससे ( राज )भी दोस्ती बढ़ाएगा ताकि वो उसकी माँ को भी पटा सके क्योंकि वो भी तो विधवा थीं और उसके शब्दों में विधवा तो प्यासी होती है जिसको पटाना आसान होता है।


ये सोचकर उसका हथियार फिर खड़ा हो गया। आज पता नहीं क्यों उसको अपना लंड हिलाने की इच्छा हो रही थी। अपने जीवन में उसने कभी भी हस्त मैथुन नहीं किया था। हाँ कभी का ही रात में उसका सोते हुए झड़ जाता था। तब दिन मेंवो अपनी चड्डी को साफकरके पानी से गीला करके रख देता था ताकि माँ को शक ना होये । उसके कपड़े माँ वॉशिंग मशीन में धोती थी।

अचानक उसको याद आया कि अपने घर का टेलीफ़ोन नम्बर भी प्रतीक को दिया था और उसने अपना नम्बर भी दिया था। राज की इच्छा हो रही थी कि वो उसे फ़ोन करके और बातें करे।

अभी तो वो लंड को सहला रहा था और उसकी इच्छा प्रतीक से बात करने की बढ़ती ही जा रही थी।

तभी फ़ोन कीघंटी बजी, वो सोचा कि माँ का होगा, पर उधर प्रतीक ही था। राज के लंड ने झटका मारा , वह ख़ुद भी उसकी मस्त बातें सुनना चाहता था और उसको लगा कि प्रतीक उससे दोस्ती बढ़ाने के लिए ही फ़ोन किया है, ताकि वो उसकी माँ को पटा सके।उधर प्रतीक फ़ोन पर बोला: हाय, क्या कर रहे हो? खाना खा लिया?

राज: हाँ यार खा लिया बस अभी आराम कर रहा हूँ। तुमने खाना खा लिया? ये कहते हुए उसका हाथ लोअर के ऊपर से लंड सहला रहा था।

प्रतीक: हाँ यार खा लिया। बस अब मैं भी आराम कर रहा हूँ। पर मेरे आराम करने का तरीक़ा थोड़ा अलग है।

राज: अलग मतलब?

प्रतीक: यार मैं बताऊँगा तो तुम फिर बोलोगे कि ऐसा क्यों बोल रहे हो!

राज: नहीं मैं नहीं बोलूँगा, क्या अलग तरीक़ा है बताओ ना?

प्रतीक: यार मैं तो अपनी पैंट खोलकर अपना लंड सहला रहा हूँ और ब्लू फ़िल्म देख रहा हूँ। दर असल मेरे घर में इस समय मम्मी पापा तो रहते नहीं , इसलिए मैं मज़े करता हूँ।

राज: ओह, इस सबसे पढ़ाई का नुक़सान नहीं होता?

प्रतीक: मुझे कौन सी नौकरी करनी है, बाद में पापा का buisness ही सम्भालना है।

राज: ओह ऐसा क्या? बहुत क़िस्मत वाले हो तुम!

प्रतीक: अरे मेरी क़िस्मत और मेरा माल अभी आएगी और मज़ा देगी।.

राज: क्या मतलब? कौन आएगी?

प्रतीक: मैरी आंटी , हमारी मेड (नौकरानी) , वो अभी मुझे खाना खिलायी है, अभी ख़ुद खा रही है, फिर किचन सम्भालकर वो आएगी और मेरी क़िस्मत चमकाएगी।

राज: मतलब? क्या करेगी?

प्रतीक: अरे मुझे चोदेगी और क्या करेगी !

राज: ओह मतलब तुम मैरी आंटी के साथ ये सब करते हो, पर तुमने तो कहा था किवो ४० के आसपास की है?

प्रतीक: तभी तो, वरना मैं उसे घास ही नहीं डालता।

राज: क्या वो भी विधवा है?

प्रतीक: नहीं वह शादीशुदा है, और उसके दो बच्चे हैं जो अपनी

नानी के पास रहते हैं, यहाँ वो हमारे सर्वंट क्वॉर्टर मेंअपने पति के साथ रहती है जो की मिल का मज़दूर है। वह सुबह से शाम तक काम पर जाता है।

उसकी उम्र भी आंटी से १० साल ज़्यादा है।वो आंटी की प्यास नहीं बुझा पाता।

राज: ओह, इसीलिए वो तुमसे पट गयी है।

प्रतीक: वो मुझसे पटी है या उसने मुझे पटाया है, इसमें मुझे थोड़ा शक है। और ये कहते हुए हँसने लगा।

राज की उत्तेजना बढ़ने लगी और वो लंड को मसलने लगा।
राज: तुम्हारे पापा मम्मी को पता चलेगा तो उनको कितना बुरा लगेगा?

प्रतीक: मम्मी का तो पता नहीं, पर हाँ पापा को बुरा नहीं लगेगा।

राज: वो क्यों?

प्रतीक इसलिए कि आंटी ने बताया है कि पापा भी उसको कई बार चोद चुके हैं।

राज हैरानी से: क्या, अंकल भी? ओह, बड़ी अजीब बात है?

प्रतीक: इसमें अजीब बात क्या है? पापा का भी लंड उनको तंग करता होगा, वो भी कोई परिवर्तन चाहते होंगे।

राज उत्तेजित होता चला जा रहा था ये सब सुनकर, और अपने लंड को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा।

राज: कहीं तुम्हारी मम्मी भी तो ऐसे ही परिवर्तन नहीं चाहती?

प्रतीक: ज़रूर चाहती होगी।अब पापा को क्या पता कि पार्लर में मम्मी क्या करती हैं!

राज उत्तेजना से भरते हुए बोला: तुमको शक है क्या आंटी पर?
प्रतीक हँसते हुए: शक नहीं यक़ीन है, क्योंकि कई बार जब मैं मम्मी से पैसे लेने पार्लर जाता हूँ तो वहाँ की लड़कियाँ मुझे इंतज़ार करने को कहती हैं और फिर मैंने उनको कमरे से बाहर निकलते देखा था किसी लड़के के साथ।उनका चेहरा बिलकुल थका दिखता था। वो ठीक से चल भी नहीं पा रहीं थीं, इतना बुरा हाल था उनका।मैं जानता हूँ ऐसा ज़बरदस्त चुदायी के बाद ही होता है।

राज: ओह पर ये भी तो हो सकता हाँ किऐसा कुछ हो ही नहीं।
प्रतीक: यार, मैं भी जब मैरी आंटी को चोदता हूँ तो वो भी बहुत थक जाती है। मैं सब समझता हूँ।

राज अब लोअर और चड्डी नीचे कर दिया और नंगे लंड को हिलाने लगा, ये उसका पहला अनुभव था।

राज: ओह,तो आंटी क्या लड़के ही पसंद करती है, या अपनी उम्र के आदमी भी?

प्रतीक: मैंने हमेशा उनको लड़कों के साथ ही देखा है।

तभी प्रतीक बोला: यार वो आने वाली है, साली आते ही मेरा लंड चूसेगी क़रीब १० मिनट तक फिर मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चोदेगी। मैं तो बस आख़िरी में ही ऊपर आकर उसकी चुदायी करता हूँ।
अब राज उत्तेजना से पागल होकर बोला: यार मैं ये सब नहीं समझता , तू मेरा एक काम करेगा?

प्रतीक: यार बोल ना, तेरे लिए जान भी हाज़िर है, पर जल्दी कर आंटी आने वाली है।

राज: तू अपना फ़ोन चालु रखना मैं तुम दोनों की बातें सुनना चाहता हूँ।

प्रतीक मन ही मन मुस्कराया और बोला: क्यों नहीं यार तेरे लिए इतना तो करूँगा ही, चल अब मैं बात नहीं कर पाउँगा वो आ रही है।’

अब राज का लंड झड़ने ही वाला था, वो बहुत उत्तेजित था , उसने अपना हाथ लंड से हटाया और फ़ोन सुनने की कोशिश किया।
उधर से साफ़ आवाज़ आ रही थी------

मैरी आंटी: अरे ये क्या कर रहे हो, इस बेचारे के साथ हाथ से, मैं मर गयी हूँ क्या, और हँसने की आवाज़ के साथ चूमने की आवाज़ आने लगी।

प्रतीक: आंटी चूसो ना मेरा लंड, कब से तड़प रहा है आपके मुँह में जाने के लिए।

आंटी: ले बेटा अभी चूसती हूँ, पर आज तू मुझे आंटी बोल रहा है, रोज़ तो मुझे मम्मी बोलता था चुदायी के समय।

राज को चूसने की आवाज़ें आ रही थीं और प्रतीक की आऽऽहहह मम्मी और चूसो हाय्य्य्य्य्य कितना मज़ा देती हो मम्मी जैसी आवाज़ भी आ रही थी

राज ने सोचा कि ही भगवान, ये लड़का तो अपनी माँ को चोद रहा है ऐसी सोच के साथ आंटी को चोद रहा है। ये सोचते ही उसका हाथ अपने लंड पर ज़ोर से चलने लगा और उसने पहली बार अपने आप को झड़ते देखा। उसका हाथ उसके वीर्य से भर गया था। और इसी उत्तेजना में उसका फ़ोन गिर गया। जब उसने फ़ोन उठाया तो वो कट चुका था।

वह अभी तक हाँफ रहा था। और अपने ढेर सारे वीर्यको हैरानी से देख रहा था। बाथरूम से सफ़ाई करके जब वो लेटा तो उसने महसूस किया किउसकी पूरी उत्तेजना अब शांत हो गयी है।अब वो बहुत ही हल्का महसूस कर रहा था। फिर ये सोचते हुए कि प्रतीक आंटी को अपनी माँ सोचकर चोद रहा होगा, वो मज़े से भर गया और फिर उसकी नींद खुली।

उसकी नींद खुली क्योंकि कॉल बेल बजी। वो समझ गया कि माँ आ गयी और उसने जाकर दरवाज़ा खोला। माँ दरवाज़े में खड़ी थी और उनकी हालत देखकर वो थोड़ा परेशान हो गया।

राज: माँ तुम ठीक तो हो ना? बहुत थकी दिख रही हो?

नमिता: हाँ बेटा बहुत काम था , थक गयी हूँ।

राज ने दरवाज़ा बन्द किया और जैसे ही मुड़ा , उसने देखा कि माँ पैर फैलाकर चल रही थी , जैसे कि बहुत दर्द में हो।

उसने पूछा: माँ क्या हुआ, ऐसे क्यों चल रही हैं आप? क्या कहीं गिर गयीं थीं?

नमिता अपने गाँड़ के दर्द से परेशान हो रही थी पर बोली: नहीं बेटा, बस थोड़ा मोच आ गयी है। ठीक हो जाऊँगी। ये कहते हुए वो सोफ़े पर लेट सी गयी।

राज भागकर पानी लाया, और बोला: माँ चाय बना दूँ?

नमिता उसको प्यार से देखकर बोली: हाँ बेटा बना ले, बहुत मन कर रहा है चाय पीने का।

राज किचन मेंजाकर चाय बनाते हुए सोचने लगा कि माँ इतनी थकी हुई क्यों दिख रही है।और वो ऐसे अजीब सी क्यों चल रही है? उसे प्रतीक की कही हुई बातें याद आयीं जो उसने अपनी माँ के बारे में बता रहा था कि ज़बरदस्त चुदायी के बाद उसकी माँ बहुत थकी दिख रही थी और ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। यही हाल तो आज माँ का भी है, तो क्या माँ भी आज किसी से चुदवा कर आयी है? उसका लंड ये सोचकर खड़ा हो गया। उसे बड़ी हैरानी हो रही थी किउसे अपनी माँ पर ग़ुस्सा नहीं आ रहा था बल्कि वह उत्तेजित हो रहा था ये सोचकर कि वो ज़बरदस्त तरीक़े से चुदीं होंगी। तभी चाय का पानी उबलने लगा और वो होश में आकर चाय बना लाया।

राज अपनी माँको चाय देने जब सोफ़े के पास आया तब नमिता सो चुकी थी। उसने ध्यान से माँ को देखा तो वह बहुत थकी हुई दिख रही थी।अब उसका पल्लू भी गिर गया था और उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ उसके ब्लाउस में से बाहर आने को बेचैन थीं।राज ने देखा कि ब्लाउस भी बहुत मसला हुआ सा लग रहा था जैसे किसी ने ब्लाउस का कचूमर बना दिया हो। अब उसे विश्वास हो गया कि माँ की छातियों को ब्लाउस के ऊपर से भी मसला गया है। ये सोचकर उसका लंड एकदम से खड़ा हो गया और वो सोचने लगा की आख़िर वो कौन है जिसने माँ की इतनी ज़बरदस्त चुदायी की है।
अब उसने माँ को उठाया और चाय दी। वो उठकर अपना पल्लू ठीक करी और फिर चाय पीने लगी।

राज भी चाय पीते हुए बोला: माँ आप आज बहुत थकी दिख रही हो? आख़िर इतना भी क्या काम आ गया था?

नमिता चौंक कर बोली: बस बेटा कभी कभी काम ज़्यादा हो जाता है।

अब मैं नहाऊँगी फिर खाना बनाऊँगी।

राज: छोड़ो ना माँ आज खाना बाहर से मँगा लेते हैं, आप बहुत थक गयी हो।

नमिता: हाँ यही ठीक रहेगा, चलो मैं नहा तो लूँ।

जैसे ही नमिता नहाने गयी,राज ने उसका फ़ोन उठाया और मेसिज चेक करने लगा। उसने देखा कि बीजू का एक मेसिज था- मम्मी आप घर पहुँच गए क्या?

माँ का जवाब- हाँ थोड़ी देर हुई।

फिर उसका ही दूसरा मेसिज था-- मम्मी पिछवाड़ा कैसा है? अभी भी दुःख रहा है क्या?

माँ का जवाब- हाँ बहुत दुःख रहा है, अभी नहाने जाऊँगी तो दवाई लगाऊँगी। बहुत ज़ालिम हो तुम दोनों। चलो बाई।

विकी-- सारी मम्मी, बाई मेरा भी और बीजू का भी बाई।बीजू अभी नहाने गया है।

बस इतना ही मेसिज था, राज हैरान था किये तो दो बंदे हुए और ये मेरी माँ को मम्मी क्यों बोल रहे हैं? क्या माँ दोनों से चुदवा कर आ रही है। और पिछवाड़े का क्या मतलब? उसे समझ नहीं आया, उसने प्रतीक से बाद में पूछने का सोचा।

फिर वो माँ से ये बोलकर कि मैं खेलने जा रहा हूँ, बाहर चला गया।
घर के पास के मैदान में उसे उसका दोस्त नदीम मिला जो कि ५ वीं के बाद पढ़ायी छोड़ दिया था और अब अपने पापा के साथ दुकान पर बैठता था। दोनों थोड़ी देर सबके साथ फ़ुट्बॉल खेले और फिर थक कर एक कोने में बैठ गए और बातें करने लगे।

नदीम: पढ़ाई कैसी चल रही है।

राज: ठीक ही है ,आजकल मन थोड़ा पढ़ायी में कम लगता है।

नदीम: वो क्यों? क्या कोई छोकरी के चक्कर में पड़ गया है?

राज लाल होकर: नहीं भाई ऐसी कोई बात नहीं है! बस पता नहीं क्यों!

नदीम: यार मैं तो स्कूल को मिस करता हूँ , क्या सुंदर सुंदर लड़कियाँ हैं आजकल स्कूल में। और कई मैडम भी माल है। आजकल मैं स्कूल में स्टेशनेरी सप्लाई का काम करता हूँ तो कई स्कूल में आना जाना होता है। तेरे स्कूल में तो शिला मैडम सबसे बढ़िया माल है।

राज: साले वो अपने श्रेय की मम्मी है।

नदीम: यार तो क्या हुआ? हर औरत किसी ना किसी की मम्मी तो होती ही है! तो क्या हम उनको ताड़ना बंद कर दें?

राज: तो हो सकता है कि कोई तुम्हारी मम्मी के बारे में भी ऐसा सोचने लगे तो तुम्हें कैसे लगेगा?

नदीम: ह्म्म्म्म्म अब तुमसे क्या बोलूँ, हिचक हो रही है।

राज: क्यूँ क्या हुआ बोलो ना।

नदीम: तू किसी को बोलेगा तो नहीं?

राज: अरे हर हम पक्के यार हैं, बोल ना जो बोलना है।

नदीम: दर असल मुझे डर है कि तू मेरी दोस्ती ना तोड़ दे?

राज: अरे ऐसी भी क्या बात है?

नदीम: चल बोल ही देता हूँ। मुझे दुनिया में बस दो ही औरतें सेक्सी लगती हैं और जिनको मैं चोदना चाह्ता हूँ, वो हैं, पहली मेरी अपनी मम्मी !

राज का मुँह खुला का खुला रह गया: ओह, और दूसरी?

नदीम: तेरी मम्मी। देख ग़ुस्सा नहीं होना। मैं क्या करूँ ये दोनों मुझे बहुत मस्त लगती हैं। गोरा रंग, भरा बदन, मस्त पिछवाड़ा।

राज हैरानी से बोला: मेरी मम्मी भी ? और अब फिर उसे वही अजीब फ़ीलिंग होने लगी ,उत्तेजना वाली ना किग़ुस्से वाली।आख़िर उसे ख़राब क्यों नहीं लगता जब कोई उसकी मम्मी के बारे मेंऐसी गन्दी बात करता है?

नदीम: हाँ यार दोनों मम्मियाँ माल हैं । ख़ासकर तेरी मम्मी का पिछवाड़ा तो लंड खड़ा कर देता है।

राज को याद आया कि मेसिज में बीजू उनकी पिछवाड़े के दर्द की बात कर रहा था। और ये नदीम भी वही बोल रह है।

राज: यार पिछवाड़ा मतलब हिप्स ना?

नदीम: हाँ यार और पिछवाड़े में लंड डालने में बहुत मज़ा आता है। हिप्स यानी चूतर फैलाओ और गाँड़ के छेद में लंड डाल दो , क्या मस्त मज़ा आता है।

राज: ओह पर मैं तो समझता था कि वो तो सामने के छेद में ही डालते हैं।पीछे का छेद? क्या उसमें भी डाला जाता है?

नदीम: हाँ यार ख़ास कर बड़ी चूतरोंवाली औरत की गाँड़ मारने में बड़ा मज़ा आता है। हाँ इसने औरत को दर्द तो महसूस होता है पर मज़ा भी मिलता होगा।

राज समझ गया कि माँ ज़रूर गाँड़ मरवा के आइ है तभी उसका पिछवाड़ा दुःख रहा है। अब उसका लंड पूरा कड़ा हो गया था।
राज: अच्छा यार ये तो बता कि आंटी यानी अपनी मम्मी के साथ कुछ किया अब तक?

नदीम कुटिल मुस्कान के साथ बोला: बता दूँगा यार , थोड़ा सबर करो।

तभी राज ने देखा किअँधेरा हो रहा है,वह बोला: अच्छा चलता हूँ घर को। बाद में मिलेंगे।

घर पहुँचकर वो पढ़ने बैठा,पर उसका ध्यान बार बार अपनी माँ की ओर जा रहा था कि कैसे वो उन दोनों लड़कों से चुदवायी होगी। और उसकी गाँड़ भी मारी होगी लड़कों ने।

तभी माँ की आवाज़ आयी चलो खाना आ गया है खा लो।
वो माँ के साथ खाना खाया और माँ जल्दी से सोने के लिए चली गयी। उसने फिर से पढ़ने की कोशिश की पर उसका ध्यान भटक रहा था। आज रात फिर से उसने मूठ मारी और झड़कर सो गया।

राज सुबह उठा तो उसका लंड खड़ा था।पता नहीं उसके दिमाग़ मेंक्या आया कि वह अपनी माँ के आने के समय आँख बंदकरके एक हाथ आँखों पर रख लिया। और फिर उसमें से देखने लगा जबकि नमिता को लग रहा था कि उसकी आँखें बंद हैं। नमिता उसे उठाने ही वाली थी किउसकी निगाह तंबू पर पड़ी और उसे याद आया किउसने बीजू या विकी के लंड पर चादर रखा था ये देखने के लिए कि कितना बड़ा तंबू बनता है। अब उसे विश्वास ही गया था की राज का लंड भी बीजू और विकी जैसा ही काफ़ी बड़ा है।
उसकी पैंटी गीली होने लगी, उसके निपल्ज़ भी कड़े हो गए थे।
फिर उसने राज को कंधे पकड़कर हिलाते हुए उठाया।

राज भी नाटक करते हुए उठा और अपना लंड अपने हाथ से छुपाने का नाटक कर रहा था। अब वो बाथरूम जाकर अपने लंड को ठंडे पानी से शांत किया। बाहर आया तो माँ उसका बिस्तर ठीक कर रही थी, वो झुकी हुई थी और उसका पिछवाड़ा सच में बहुत आकर्षक लग रहा था,उसे नदीम की बात याद आयी , जो कि उसने इस पिछवाड़े के बारे में कही थी। अब वो माँ के पीछे से आकर उससे चिपक गया और बोला: माँ गुड मॉर्निंग।

नमिता: गुड मॉर्निंग बेटा,नींद आयी ठीक से?

राज: जी माँ । आपका पैर का दर्द कैसा है? वो जानता था कि वह पैर नहीं गाँड़ के दर्द का पूछ रहा है।

नमिता: हाँ बेटा अब ठीक है।

फिर उसने पीछे से ही माँ के गाल का चुम्मा लिया और फिर वो नहाने चला गया।

नमिता ने नाश्ता बनाया और दोनों ने नाश्ता किया,आज इतवार था और शाम को उसे और श्रेय को प्रतीक के घर जाना था।

अब वह पढ़ने बैठा, पर उसके मन में अजीब अजीब से विचार आ रहे थे। प्रतीक और नदीम की कही बातें और बीजू के मेसिज जैसे उसके आँखों के आगे घूम रहे थे और वो अपनी माँ के बारे में सोचने लगा। उसे अपनी माँ से सहानुभूति भी हो रही थी कि इस उम्र में उन्हें पति का सुख नसीब नहीं है।

अगर वह ख़ुद अपने पर क़ाबू नहीं रख पा रहा था तो माँ का भी शायद यही हाल होगा। उसे माँ पर ग़ुस्सा नहीं आ रहा था बल्कि वो और ज़्यादा जानने को उत्सुक था कि माँ कैसे मज़ा लेती है? और सच में क्या वो आसानी से पट सकती थी जैसे की प्रतीक कह रहा था।

जब उसका मन पढ़ाई में नहीं लगा तो उसने प्रतीक को फ़ोन किया। फ़ोन किसी स्त्री ने उठाया और राज बोला: प्रतीक है क्या?

उधर से जवाब आया : आप कौन बोल रहे हैं?

राज: मैं राज बोल रहा हूँ प्रतीक मेरा दोस्त है।

वो औरत बोली: अभी बुलाती हूँ ।

थोड़ी देर में प्रतीक बोला: हाँ राज कैसे हो? बोलो क्या बात है?
शाम को तुम और श्रेय आ रहे हो ना?

राज: हाँ आ रहे हैं यार। अभी बोर हो रहा था तो सोचा तुमसे बात कर लूँ।

प्रतीक: हाँ भाई क्यों नहीं। मैं भी बोर हो रहा था। आज तो पापा मम्मी घर मे रहते हैं इसलिए आज मेरा और मैरी आंटी का मज़ा नहीं हो पाता।

राज: अरे यार, तुमसे एक बात कहनी थी, कल मेरा एक दोस्त मिला था, वो मुझे बोल रहा था कि उसको भी तुम्हारे जैसे बड़ी उम्र की औरतें पसंद हैं।

प्रतीक: अरे यार मुझे भी उससे मिलवा देना, हम दोनों की ख़ूब जमेगी। क्या अब तक उसने किसी को ठोका है?

राज: वह खुल कर बोला तो नहीं, पर लगता है कि उसको कुछ को अनुभव है इस सब का।

प्रतीक: फिर तो उससे मिलना ही पड़ेगा। कभी तेरे घर आऊँगा तो मिलवा देना। और क्या बोल रहा था वो?

राज: उसने बड़ी ही अजीब बात की, वो कह रहा था किउसको दो ही औरतें सेक्सी लगतीं हैं।

प्रतीक: कौन कौन?

राज: एक तो उसकी मम्मी और दूसरी ---

प्रतीक: दूसरी? बता ना यार!

राज: दूसरी मेरी मम्मी।

प्रतीक: ओह माई गॉड! सच ऐसे बोला? तुम्हें ग़ुस्सा तो नहीं आया?
राज: यही सोच कर तो मैं हैरान हूँ कि मुझे ग़ुस्सा क्यों नहीं आया?
प्रतीक: मैं समझ सकता हूँ , मेरा भी यही हाल है, मैं जब मम्मी को पार्लर में लड़के के साथ देखा तो मुँझे भी उत्तेजना ही हुई , गुस्स्सा नहीं आया। तेरा भी यही हाल है।

राज: ऐसा क्यों है यार?

प्रतीक: इसलिए कि हम इसे बुरा नहीं मानते, और शायद अपनी माँ को ख़ुद ही चोदना चाहते हैं।

राज: नहीं मैंने ऐसा नहीं सोचा। पर --

प्रतीक: अभी नहीं सोचा पर जल्दी ही सोचोगे।


तभी नमिता ने राज को आवाज़ दी और राज फ़ोन काटते हुए बोला: चलो शाम को मिलते हैं।
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नदीम ने बोलना शुरू किया जो इस प्रकार है--


क़रीब ८ महीने पहिले नदीम के अब्बा का एक बड़ा ऐक्सिडेंट हुआ और वो बाल बाल बचे। उनको कारींब १५ दिन अस्पताल में रहना पड़ा। वापस आए तो धीरे धीरे काम पर आने लगे। पर उनका अस्पताल जाना लगा रहा।


अब नदीम ने देखा कि उसके अब्बा और अम्मी दोनों दुखी रहते थे। पर नदीम को कारण पता नहीं चला। ऐसे ही कुछ दिन चलते रहे। फ़ीर एक दिन दोनों मेंबहुत झगड़ा हुआ और नदीम घबरा कर वहाँ पहुँचा तो देखा कि अम्मी बिस्तर पर बैठ कर रो रही थी और अब्बा अपना सर पकड़कर बैठे थे।


नदीम ने अम्मी को चुप कराया और अपने अब्बा से बोला: आप लोग क्यों लड़ रहे हो? आपने अम्मी को क्यों रुलाया?


अम्मी आँसू पोंछतीं हुई बोली: बेटा तू जा यहाँ से, तेरा कोई काम नहीं है यहाँ।


अब्बा: नहीं तू कहीं नहीं जाएगा , हमारी लड़ाई तुमको लेकर ही है।

अम्मी: आप इसको क्यों इसमें उलझा रहे हो , बच्चा है अभी, बेचारा।

अब्बा: वह अब बच्चा नहीं रहा पूरा जवान है ।

अम्मी: आपको मेरी क़सम इसे यहाँ से जाने दो।

अब्बा: नहीं आज बात साफ़ होकर रहेगी।

अम्मी फिर से रोने लगी।

मैं हैरान था किये हो क्या रहा है?

अब्बा: देखो अब तुम बच्चे नहीं रहे पूरे जवान आदमी हो १८ साल के। तुमने पता है ना मेरे ऐक्सिडेंट के बाद भी मैं हमेशा अस्पताल जाता था। दरअसल में इस ऐक्सिडेंट में मेरी मर्दानगि चली गयी। अब मैं तुम्हारी अम्मी को शारीरिक संतोष नहीं दे सकता। अब अस्पताल वालों ने भी कह दिया है कि कोई उपाय नहीं है मेरे ठीक होने का।

मैं हैरान होकर बोला: तो ?

अब्बा: मैंने तुम्हारी अम्मी को कहा कि वो चाहे तो मुझसे तलाक़ ले सकती है, क्योंकि वो कब तक एक नामर्द के साथ रहेगी।

वह इसके लिए तय्यार नहीं है।

अम्मी: अब इस उम्र में एक जवान लड़के की माँ होकर मैं दूसरी शादी करूँगी? आप पागल हो गए हो, मैं ऐसे ही जी लूँगी। बस अल्लाह आपको सलामत रखे।
अब्बा: पर मैं नहीं चाहता कितुम अपना मन मार के जियो। मैं तो चाहता हूँ कि तुम जी भर के अपनी ज़िंदगी जियो।

अम्मी: क्या ज़िन्दगी में सब कुछ सेक्स ही होता है? प्यार का कोई मतलब नहीं है?

अब्बा: प्यार तो बहुत ज़रूरी है पर सेक्स का भी बहुत महत्व है।मैं नहीं चाहता कि तुम बाक़ी ज़िन्दगी इसके बिना जीयो।

अम्मी फिर से रोने लगी।

अब्बा: मैंने तलाक़ के अलावा एक दूसरा रास्ता भी तो बताया था।

ये सुनके अम्मी रोते हुए वहाँ से बाहर निकल गई।

नदीम: अब्बा दूसरा रास्ता क्या हो सकता है?

अब्बा: बेटा यहीं तो वो मान नहीं रही।

नदीम: अब्बा आप मुझे बताओ मैं उनको मनाने की कोशिश करूँगा।

अब्बा: ये तुमसे ही सम्बंधित है।

नदीम: मेरे से मतलब?

अब्बा: देखो बेटा, जब औरत प्यासी होती है ना तो वो किसी से भी चुदवा लेती है।

मैं तो उनके मुँह से ये शब्द सुनके हाक्का बक्का तह गया।

अब्बा: अब तुम्हारी अम्मी भी किसी से भी चुदवा ली तो हमारी बदनामी हो । बोलो होगी कि नहीं?
नदीम ने हाँ में सर हिलाया।

अब्बा: इसलिए मैंने उसको ये बोला है किअब तुम भी जवान हो गए हो वो तुमसे ही चुदवा ले, इस तरह घर की बात घर मेंही रहेगी।

नदीम का तो मुँह खुला का खुला हो रह गया ।

नदीम: ये कैसे हो सकता है? वो मेरी अम्मी हैं।

अब्बा: वो तेरी अन्मी हैं पर उससे पहले वो एक औरत है। वो अभी सिर्फ़ ३८ साल की है। इस उम्र में तो औरत की चुदायी की चाहत बहुत बढ़ जाती है।

नदीम: पर अब्बा मुझे सोचकर भी अजीब लग रहा है। अम्मी कभी नहीं मानेगी ।

अब्बा: तू मान जा तो मैं उसे भी मना लूँगा।


नदीम: पर अब्बा --

अब्बा: पर वर कुछ नहीं। ज़रा मर्द की नज़र से देख उसे, क्या मस्त चूचियाँ हैं मस्त गुदाज बदन है बड़े बड़े चूतर हैं एर नाज़ुक सी बुर है उसकी। बहुत मज़े से चुदाती है।

अब नदीम का लंड खड़ा होने लगा । वो वासना से भरने लगा।

अब्बा: वो लंड भी बहुत अच्छा चूसती है। तूने कभी किसी को चोदा है?

नदीम ने ना में सर हिलाया।

अब्बा: ओह तब तो तुझे सिखाना भी पड़ेगा। पहले ये बता कि अम्मी को चोदने को तय्यार है ना। नदीम का लौड़ा पैंट में एक तरफ़ से खड़ा होकर तंबू बन गया था। नदीम को शर्म आयी और वो उसको अजस्ट करने लगा, ये अब्बा ने देख लिया और हँसते हुए बोले: चल तू हाँ बोले या ना बोले , तेरे लौड़े ने तो सर उठा कर हाँ बोल दिया है।

नदीम ने शर्म से सर झुका लिया।

अब्बा उसके पास आकर उसके लौड़े को पकड़ लिए और उसकी लम्बाई और मोटायी को महसूस किए और ख़ुश होकर बोले: वाह तेरा लौड़ा तो मेरे से भी बड़ा है और मोटा है। तू तो मुझसे ज़्यादा ही मज़ा देगा अपनी अम्मी को। अब तो मेरा खड़ा ही नहीं होता, पर जब खड़ा होता था तब भी तेरी अम्मी कभी कभी बोलती थी कि मेरा थोड़ा और मोटा होता तो उसको ज्यादा मज़ा आता। अब उसकी बड़े और मोटे लौड़े से चुदवाने की इच्छा भी पूरी हो जाएगी।


फिर नदीम के लौड़े से हाथ हटाकर बोले: बेटा मैं तुम्हें सिखा दूँगा किअम्मी को कैसे चोदना है।

फिर बोले: चलो अम्मी को मनाते हैं और तुम दोनों की चुदायी कराते हैं। आज वो इसी लिए रो रही थी कि उसे तुमसे नहीं चुदवाना है।कहती है कि अपने बेटे से कैसे चुदवा सकती हूँ।


नदीम का लौड़ा अब झटके मार रहा था और वो अब्बा के पीछे पीछे अम्मी के कमरे में जाने लगा। कमरे में अम्मी उलटी लेटी हुई थीं और उनका पिछवाड़ा सलवार में बहुत ही उभरा हुआ और मादक दिख रहा था। अब्बा ने मुझे इशारे से उनके चूतरों को दिखाते हुए फुसफुसाते हुए कहा: देख क्या गाँड़ है साली की। अभी देखना तुझसे कैसे कमर उछाल उछाल कर चुदवायेगी?



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नदीम अपने अब्बा के मुँह से गंदी बातें सुनकर हैरान हो गया, आजतक उसने अब्बा का ये रूप नहीं देखा था। वह अम्मी की मोटी गाँड़ देखकर उत्तेजित तो बहुत था।

तभी अम्मी को लगा कि वह कमरे में अकेली नहीं है, तो उसने मुँह घुमाकर देखा और एकदम से उठकर बैठ गयी।

अब अब्बा उसको देखकर हँसते हुए बोले: क्या जानु , क्यों सीधी हो गयी। नदीम तो तुम्हारी गाँड़ का उभार देखकर मस्त हो रहा था। फिर अब्बा ने वो किया जो मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था। उन्होंने मुझे धक्का देकर अम्मी के सामने खड़ा किया और मेरे लौड़े को पकड़कर अम्मी को दिखाते हुए बोले: देख मैं ना कहता था कि कोई भी मर्द तेरा बदन देखकर पागल हो जाएगा। देख तेरा अपना बेटा ही तेरी मस्त गाँड़ देखकर कैसे लौड़ा खड़ा कर के खड़ा है।



अम्मी की तो आँखें जैसे बाहर को ही आ गयीं। वो हैरानी से अब्बा के हाथ में मेरा खड़ा लौड़ा देखे जा रही थी।

अब्बा ने मेरा लौड़ा अब मूठ मारने वाले अंदाज़ा में हिलाना चालू किया। और अम्मी को आँखें जैसे वहाँ से हट ही नहीं पा रही थी।


अब्बा: देख जानु क्या मोटा और लंबा लौड़ा है इसका, तेरी बड़े लौड़े से चुदवाने की इच्छा भी पूरी हो जाएगी।
अब अब्बा ने उनकी छातियाँ दबानी शुरू की और अम्मी आह कर उठी और बोली: छी क्या कर रहे हो, बेटे के सामने और ये क्यों पकड़ रखा है आपने?
अब्बा ने जैसे उनकी बात ही ना सुनी हो, वो मुझे बोले: लो बेटा अपनी अम्मी के दूध का मज़ा लो।


जब नदीम हिचकिचाया तो उन्होंने उसका हाथ पकड़ा और उसकी छाती पर रख दिया। अब नदीम कहाँ रुकने वाला था। उसने मज़े से छाती दबायी और अम्मी की चीख़ निकल गयी : आह जानवर है क्या? कोई इतनी ज़ोर से दबाता है क्या?


नदीम डर गया और बोला: सॉरी अम्मी , पहली बार दबा रहा हूँ ना, मुझे अभी आता नहीं।


अब्बा हँसते हुए बोले: हाँ जल्द सब सिख जाएगा और अपनी अम्मी को बहुत मज़ा देगा । क्यों जानु है ना?
अम्मी कुछ नहीं बोली पर अब नदीम थोड़ा धीरे से एक चुचि दबा रहा था और एक अब्बा दबा रहे थे। जल्द ही अम्मी की आँखें लाल होने लगी और वो वासना की आँधी में बह गयी। अब अब्बा ने नदीम को कहा: चलो अब उसके दोनों दूध तुम ही दबाओ। और नदीम अब मज़े से उनके दूध दबाने लगा।


अब अब्बा ने नदीम की पैंट की ज़िपर नीचे किया और उसकी पैंट की बेल्ट भी निकाल दी। अम्मी हैरानी से अब्बा की करतूत देख रही थी। अब अब्बा ने नदीम की पैंट नीचे गिरा दी। और अम्मी ही नहीं अब्बा की भी आँखें फटीं रह गयीं। क्या ज़बरदस्त उभार था चड्डी में और नदीम का लौडा चड्डी से बाहर आकर एक तरफ़ को निकल आया था। वो था ही इतना बड़ा की चड्डी में समा ही नहीं रहा था।



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उसका मोटा सुपाड़ा बाहर देखकर अम्मी की तो आह निकल गई। वो बोली: या खुदा , कितना बड़ा है और मोटा भी।



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अब्बा: हाँ जानू तुम्हारी बुर तो ये फाड़ ही देगा।


अम्मी: हाँ सच बहुत दर्द होगा लगता है मुझे।


अब्बा: अरे एक बार ये पहले भी तुम्हारी बुर फाड़ चुका है, जब बुर से बाहर आया था। आज अंदर जाकर फिर फाड़ेगा। और वो हँसने लगे। अब अम्मी भी
मुस्करा दी।


फिर अब्बा ने अम्मी की कुर्ती उतार दी और ब्रा में फंसे हुए गोरे कबूतरों को देखकर नदीम मस्ती से उनको दबाकर अम्मी की नरम जवानी का मज़ा लेने लगा।


अब्बा ने कहा: जानु चड्डी तो उतार दो बेचारा इसका लौड़ा कैसे फ़ंड़ा हुआ है, देखो ना।

अब अम्मी भी मस्ती में आ गयीं थीं , उन्होंने नदीम की चड्डी उतार दी और उसका गोरा मोटा लौड़ा देखकर सिसकी भर उठी।

अब अब्बा ने उसका लौडा हाथ में लेकर सहलाया एर कहा: देखो जानु कितना गरम है इसका लौड़ा और फिर अम्मी का हाथ पकड़कर उसपर रख दिया।



अम्मी के हाथ में मेरा लौड़ा आते ही अम्मी हाय कर उठी। वो मुझसे आँख नहीं मिला पा रही थी। पर उनका हाथ मेरे लौड़े पर चल रहा था और उनके अंगूठे ने सुपाडे का भी मज़ा ले लिया। मुझे उत्तेजना हो रही थी और नदीम झुक कर उनकी ब्रा का हुक खोलना चाहा। पर अनाड़ी खोल ही नहीं पाया।



अब्बा हँसते हुए नदीम को हटा कर हुक खोल दिए और ब्रा को अलग करके अम्मी के बड़े बड़े मम्मे नंगा कर दिए। नदीम तो जैसे पागल ही हो गया और उसने अम्मी के खड़े लम्बे काले निपल्ज़ को मसलना शुरू किया। अब अम्मी की आह्ह्ह्ह्ह्ह निकालने लगी और उनका हाथ लौड़े पर और ज़ोर से चलने लगा।



तभी अब्बा ने अम्मी को लिटा दिया और नदीम को
बोले: चल बेटा अब अपनी माँ का दूध पी, जैसे बचपन में पिया था।



नदीम झुका और अपना मुँह एक दूध पर रख दिया और उसे चूसने लगा। और दूसरे हाथ से दूसरे दूध को दबाकर मस्ती से भर गया।


अब अम्मी भी मज़े से हाऊय्य्य्य्य मेरा बच्चाआऽऽऽऽऽ हाय्य्य्य्य्य्य कहकर नदीम का सर अपनी छाती पर दबाने लगी।


अब्बा बोले: अरे बस क्या एक ही दूध पिएगा , चल दूसरा भी चूस।


नदीम ने दूध बदलकर चूसना चालू किया। उधर अब्बा अम्मी की सलवार उतार दिए, और नदीम को पहली बार पता चला की अम्मी पैंटी पहनती ही नहीं। अब्बा ने बाद मेंबताया था कि पिछले कुछ सालों से उन्होंने अम्मी को पैंटी पहनने से मना किया था।


अब अम्मी की बिना बालों वाली बुर मेरे आँखों के सामने थी। अब्बा ने मुझे अम्मी के पैरों के पास आने को कहा और उनकी टांगों को घुटनो से मोड़कर फैला दिया और उनकी जाँघों के बीच इनकी फूली हुई बुर देख कर नदीम को लगा किवह अभी झड़ जाएगा।



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फिर अब्बा ने नदीम को बुर सहलाने को कहा और वो नरम फूली हुई बुरको दबाकर सहलाकर बहुत गरम हो गया। उसके लौड़े के मुँह मेंएक दो बूँद प्रीकम आ गया था। अब्बा ने उस प्रीकम को अपनी ऊँगली में लिया और सूंघकर बोले: वाह क्या मस्त गंध है, ।फिर अम्मी के नाक के नीचे रखकर उनको सुँघाए और फिर अपनी ऊँगली अम्मी के मुँह में डाल दी। अम्मी बड़े प्यार से उसको चाट ली।



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अब्बा बोले: बेटा, अपनी अम्मी को लंड दो चूसने के लिए , उसको चूसने में बहुत मज़ा आता है। अब अम्मी उठकर नदीम का लौडा मुँह में लेकर चूसने लगी। और सुपाडे को जीभ से चाटने लगी। फिर अब्बा ने कहा: चलो बाद में चूस लेना, अब चुदवा लो। अम्मी लौडा मुँह से निकाल कर लेट गयी।



अब अब्बा ने अम्मी की बुर की फाँकों को अलग किया और उनकी गुलाबी छेद को नदीम को दिखाया और बोले: बेटा ये तेरा जन्म स्थान है, तू यहाँ से ही पैदा हुआ था। अब चल वापस यहीं अपना लौड़ा डालकर फिर से अंदर जा।


अब नदीम अम्मी की जाँघों के बीच आया और अब्बा ने उसके लौड़े को पकड़ कर के सुपाडे को गुलाबी छेद पर रखा और कहा: चल बेटा धक्का दो। नदीम ने धक्का मारा और आधा लौड़ा बुर के अंदर चला गया।



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अम्मी की चीख़ निकल गयी: हाऽऽऽऽयय्यय मरीइइइइइइइइइइ । धीरे से करोओओओओओओओओ ।
नदीम ने घबरा के अब्बा को देखा तो उन्होंने इशारा किया और ज़ोर से मारो। उसने फिर धक्का मारा और उसका पूरा लौड़ा अंदर चले गया। उसे लगा कि जैसे किसी गरम भट्टी में उसका लौडा फँस गया है, वाह क्या तंग बुर थी अम्मी की। अम्मी को शायद दर्द हो रहा था वो बोली: आह बेटा धीरे करो, तुम्हारा बहुत बड़ा है थोड़ा समय दो आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।



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अब्बा ने कहा: बेटा अम्मी का दूध चूसो और दबाओ वो मस्त हो कर चुदवायेगी। नदीम ने वैसे ही किया। अब मम्मी गरम होने लगी और उनका दर्द भी मज़े में बदलने लगा। फिर नदीम ने उनके होंठ चूसने शुरू किए। अब अम्मी ने उसके चूतरों पर अपने हाथ रख दिया और उसको धक्का मारने में मदद करने लगी।
उधर अम्मी नीचे से अपनी कमर उठाकर उसका साथ देने लगी। अब ज़ोरों की चुदायी हो रही थी, तभी नदीम ने देखा कि अब्बा अपना पैंट उतारकर अपने छोटे से लंड को रगड़ रहे थे पर वो खड़ा नहीं हो रहा था। उधर अम्मी अब चिल्ला रही थी: हाऊय्य्य्य्य्य बेटाआऽऽऽऽऽऽ चोद मुझे आऽऽह्ह्ह्ह्ह्ह क्या मस्त लौड़ा है तेरा हाय्य्य्य्य मर गईइइइइइइइइ फाड़ दे आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी फाड़ दे। हाय्य्य्य्य्य्य्य ऐसी ही चुदायी चाहिए थी मुझे बेटाआऽऽऽऽऽऽऽऽ ।

अब कमरा फ़च फ़च की आवाज़ से भर गया था।



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अब्बा अब पास आकर हमारी चुदायी देख रहे थे और अपना लंड हिला रहे थे। तभी अम्मी चिल्ला कर बोली: हाय्य्य्य्य्य्य्य जोओओओओओओओओओर्र्र्र्र से चोदोओओओओओओओओओ । आह्ह्ह्ह्ह मैं झड़ीइइइइइइ ।



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अब नदीम भी अपनी अम्मी के साथ ही झड़ गया।
अब्बा अभी भी लंड हिला रहे थे पर वह अभी भी छोटा सा सिकुड़ा हुआ ही था। नदीम को अब्बा के लिए काफ़ी अफ़सोस था पर अपने लिए वह बहुत ख़ुश था। उसे चोदने के लिए माँ जो मिल गयी थी।
बस उस दिन के बाद से नदीम अब्बा और अम्मी के साथ ही सोता है और वो क़रीब रोज़ ही कम से कम दो बार चुदायी करते हैं। अब तो नदीम अम्मी की गाँड़ भी मारता है।



--- राज हिल गया नदीम की बातें सुनकर ।


नदीम: यार तू चाहे तो मेरी अम्मी को चोद लेना पर तेरी माँ को मुझसे एक बार चुदवा दे ना प्लीज़। मेरा लंड तो उनको चोदने के लिए मरा जा रहा है।

राज बोला: चल देखता हूँ, क्या हो पाता है।
फिर वह घर की ओर चल पड़ा और सोचने लगा कि क्या माँ बेटे में ऐसा रिश्ता हो सकता है?

घर पहुँच कर राज के मन में प्रतीक और नदीम की बातें किसी सिनमा की भाँति उसके आँखों के सामने से चल रही थीं। वो सोच रहा था कि कैसे नदीम के पापा ही अपनी बीवी यानी उसकी माँ को अपने बेटे से चुदवाएँ हैं। क्या ये गुनाह नहीं है। उधर प्रतीक भी अपने दोस्त की माँ को इतनी आसानी से पटा कर उसकी चुदायी कर लिया। फिर अचानक उसको अपनी माँ का ख़याल आया और वो मनीष और बीजू को याद करने लगा , जिनके बारे में उसे पक्का पता था कि उन्होंने माँ को ज़बरदस्त तरह से चोदा था। आज भी माँ की गाँड़ का दर्द याद करके अपना लंड खड़ा कर बैठा। कितनी थकी हुई थी माँ उस दिन जब वो बीजू से चुद कर आयी थी। उसे बीजू और मनीष के मेसिज याद थे।



अचानक उसने सोचा कि कई दिनों से उसने माँ के फ़ोन के मेसिज चेक नहीं किए हैं। अब वो घर पहुँचा तो माँ किचन में खाना बना रही थी। उनका फ़ोन सोफ़े पर था, उसने चुपके से फ़ोन उठाया और अपने कमरे में आकर मेसिज देखने लगा। कुछ तो उनकी सहेलियों के थे और फिर उसे मनीष का मेसिज दिखा जो पुराना था,वो कुछ इस तरह से था---

मनीष: आंटी बहुत याद आ रही है, आ जाऊँ क्या?

माँ: नहीं आज नहीं मेरा पिरीयड आया हुआ है।

मनीष: फिर क्या हुआ ,एक छेद ही तो गड़बड़ है, मुँह और गाँड़ में डाल दूँगा।

माँ: नहीं अभी नहीं। वैसे भी थोड़ा परेशान हूँ राज को लेकर।

मनीष: क्या हुआ उसको?

माँ: अरे पता नहीं उसका व्यवहार कुछ अजीब सा है। पढ़ाई में भी पिछड़ता जा रहा है। मैं बहुत परेशान हूँ।

मनीष: कहीं कोई लड़की के चक्कर में तो नहीं पड़ गया है वो?


माँ : अब मैं क्या जानूँ , बाहर क्या करता फिरता है? पर लगता तो नहीं है कि वो ऐसा लड़का है।

मनीष: मेरे चेहरे से लगता है कि मैंने अपनी माँ की उम्र की आंटी को पटा रखा है? ह हा

माँ : चल बदमाश कुछ भी बोलता है।

मनीष: तो आंटी आ जाऊँ बस एक बार गाँड़ मरवा लेना प्लीज़।

माँ : फ़ालतू बात नहीं। कोई मौक़ा नहीं है ।

मनीष: क्या आंटी आप बहुत तंग कर रही हैं मेरे लौड़े को। बेचारा प्यासा है बहुत। आपको मेरी याद नहीं आती?

माँ : याद तो आती है, पर क्या किया जाए, जीवन में और भी परेशानियाँ हैं। और आजकल तो मैं सिर्फ़ राज की चिंता मेंही मरी जा रही हूँ। अपना सत्यानाश कर रहा है। पढ़ाई में ध्यान ही नहीं देता। चल अब किचन में जाती हूँ बाई

मनीष: बाई मेरी जान और किस्ससससस्स यूउउइउउउ

राज ये मेसिज पढ़कर अपना लंड दबाने लगा और सोचने लगा कि मनीष मुश्किल से उससे २/३ साल ही बड़ा होगा और माँ उसकी कितनी दीवानी है।


इसका मतलब सच है प्यार और चुदायी में सब जायज़ है। तो क्या वो भी अपनी माँ को चोद सकता है? इस विचार के आते ही उसका शरीर उत्तेजना से भर गया और वो जान गया कि जब तक वो ये नहीं कर लेगा उसको चैन नहीं आएगा।


पर ये कैसे होगा? माँ कैसे मानेगी? ये सब सोचकर उसका दिमाग़ गरम हो गया। उसे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था।

उसने सोचा कि क्या प्रतीक या नदीम का सहारा लिया जाए?

फिर उसने सोचा किअगर उसने ये किया तो वो दोनों तो माँ को चोद लेंगे और मैं ऐसे ही लंड पकड़कर बैठे रहूँगा। उसे कोई रास्ता नहीं सूझा आगे बढ़ने का। अंत में वो अपना सर झटक कर माँ के पास किचन में गया और बोला: माँ भूक लगी है।

माँ : आज जल्दी भूक लग गई। चल बैठ मैं खाना लगाती हूँ।

राज: चलो मैं भी आपकी मदद कर देता हूँ।

माँ: अच्छा चल ये प्लेट लगा और इस पतीली को टेबल पर रख मैं रोटी लेकर आती हूँ।

राज समान लेकर टेबल पर बैठ गया और तभी माँ रोटी लेकर आयीं। दोनों खाना खाने लगे।

माँ : आज कहाँ गया था खेलने?

राज: सामने वाले मैदान में।

माँ: कौन है तेरे दोस्त?

राज: नदीम श्रेय और प्रतीक।

माँ : कोई लड़की भी है क्या तेरी दोस्त?

राज समझ गया कि मनीष ने उनके दिमाग़ में ये विचार डाला है, वो बोला: नहीं माँ , पर आप क्यों पूछ रही हो?’

माँ : इसलिए कि तेरा ध्यान पढ़ाई में नहीं है आजकल। पता नहीं बाहर में क्या करता फिरता है।

राज: नहीं माँ ऐसी बात नहीं है।

माँ : तो फिर क्यों पढ़ाई मैं ध्यान नहीं देता? हुआ क्या है तुझे?

राज: पढ़ता तो हूँ पता नहीं नम्बर अच्छे क्यों नहीं आते?


माँ: बेटा और मेहनत करो , ठीक है ना!
फिर दोनों खाना खा कर सोफ़े पर बैठकर TV देखने लगे।

पता नहीं राज को क्या सूझा कि वो बोला: माँ मैं आपकी गोद में लेट जाऊँ क्या?

माँ : इसमें क्या पूछता है? आ लेट जा।

अब राज माँ की गोद में लेट गया और माँ उसके सर पर हाथ फेरने लगी। राज ने अपनी माँ की आँखें में देखा तो वहाँ असीम प्यार था। उसे शर्म आयी किवो उनके बारे में क्या क्या सोचता है।

तभी उसने कहा: माँ आज आप मैक्सी नहीं पहनी, अभी भी साड़ी में क्यों हो?

माँ : वो शाम को पड़ोसन आ गयी थी तो साड़ी पहन ली थी।

राज: अब साड़ी में ही रहोगी या मैक्सी पहनोगी?

माँ : अब कौन थोड़ी देर के लिए मैक्सी बदले ऐसे ही लेट जाऊँगी अभी।

राज ने अपना मुँह घुमाया तो उसे साड़ी के साइड से माँ का गोरा गोल पेट नज़र आया ।उसने अपना मुँह उसके पेट में घूसेड दिया और बोला: माँआपका पेट कितना नरम है। और अपने गाल वहाँ रगड़ने लगा।
माँ हँसते हुए बोली: तूने शेव नहीं की है ना? तेरे बाल गड़ रहे हैं। आह गुदगुदी मत कर।

राज: माँ ये शेव भी बहुत बोरिंग है, हर तीसरे दिन बाल बढ़ जाते हैं। आप लोगों का बढ़िया है, शेव करने की ज़रूरत ही नहीं है।

माँ ने उसके गाल को सहलाया और कहा: कितने दिन हो गए शेव किए हुए?

राज: २ दिन पहले किया था।

माँ ने उसके हाथ सहलाए और कहा: तू भी अपने पापा के जैसे भालू ही है। देख कितने बाल है तेरे हाथों में। फिर उसके हाफ़ पैंट के नीचे से उसकी टांगों को देखकर बोली: देख यहाँ पैरों में भी बाल ही बाल है।

राज: माँ मेरी छाती पर भी बहुत बाल हैं। पापा के भी थे क्या?

माँ : हाँ उनके भी बहुत थे। फिर उसकी टी शर्ट उठाकर उसकी छाती को देखकर बोली: हाँ ऐसे ही तेरे जैसे उनकी छाती पर भी बाल थे।

अब उनका हाथ उसकी छाती के बालोंपर चल रहा था, और वो जैसे पुरानी यादों में खो सी गई थीं।

राज को माँ का नरम नरम हाथ अपनी छाती पर बहुत मादक लग रहा था और उसका हथियार बड़ा होने लगा। उसने अपनी एक टाँग उठा ली ताकि माँ को आभास ना हो जाए कि वो अपना खड़ा करके बैठा है।
फिर माँ ने उसकी शर्ट नीचे कर दी। अब राज माँ के गोरे पेट को चूमने लगा और बोला: माँ आपका पेट कितना गोरा और नरम है।

माँ हँसते हुए बोली: अच्छा। मुझे तो पता ही नहीं था।
राज ने अब अपना हाथ माँ के कमर मेंडाल दिया और उससे चिपक कर अपना मुँह उसकी नाभि मेंडालकर उसको भी चूम लिया और बोला: माँ तुम्हारी नाभि कितनी गहरी है।

माँ : क्या बात है आज माँ से ज़्यादा ही चिपक रहा है।

राज: माँ बहुत अच्छा लग रहा है आपसे लिपटकर।

माँ ने झुककर उसके गाल को चूमा और बोली: बेटा ये सब तो ठीक है पर पढ़ाई पर ध्यान दो।

माँ के झुकने से उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ राज के मुँह पर आ गयीं थीं और उसे माँ के पसीने की गंध ने जैसे मस्त कर दिया था। उसे ब्लाउस के बीच से छातियों की घाटी भी दिखायी दे गई और उसका हथियार अब पूरा खड़ा हो गया। उसे बड़ा मुश्किल लग रहा था अपने हथियार को माँ की आँखों से छुपाना।

अब माँने उबासी ली और बोली: चल अब मुझे नींद आ रही है। अब सोएँगे।

राज ने लाड़ दिखाकर कहा: माँ आज मैं आपके पास सो जाऊँ?

माँ: मेरे साथ ? क्यों क्या हो गया?

राज: बस ऐसे ही?

माँ : पर अभी पढ़ेगा नहीं क्या?

राज: अब कल से बहुत पढ़ाई करूँगा, आज प्लीज़ अपने साथ सुला लो ना?

माँ हँसती हुई बोली: अच्छा चल मेरे साथ ही सो जा।
राज अपनी माँ के पेट को फिर से चूमा और उठकर अपने खड़े हथियार को छुपाता हुआ माँ के कमरे की ओर चला गया। माँ भी आकर अपनी साड़ी उतरने लगी शीशे के सामने खड़े होकर। राज ने सोचा ओह तो माँ ब्लाउस और पेटिकोट में ही सोएँगीं। फिर उसके हथियार ने झटका मारा।

माँ अपने आप को शीशे में देख रही थी और ब्लाउस में से उनके उभार मस्त दिख रहे थे। और पेटिकोट में से उभरे उनके बड़े गोल चूतर भी कितने मादक लग रहे थे। फिर वो बाथरूम में गयी, और क़रीब १० मिनट के बाद वापस आयीं और आकर फिर से शीशे के सामने खड़े होकर उन्होंने एक क्रीम निकाली और अपनी बाहों पर लगायी । उन्होंने वह क्रीम अपने बग़लों पर भी लगायी। राज तो जैसे मोहित ही हो चुका था अपनी माँ के अंगों पर। उनकी बग़ल कितनी सुंदर थी। कोई बाल नहीं था।


अब माँ ने अपने पेट पर क्रीम लगाई और फिर आगे झुककर अपना एक पाँव ड्रेसिंग टेबल पर रखा और अपना पेटिकोट उठाया घुटनो तक और पैर में भी क्रीम लगायीं और फिर हाथ में क्रीम लेकर कपड़े के अंदर से जाँघ तक हाथ के जाकर वहाँ भी क्रीम लगाई। फिर यही क्रिया उन्होंने दूसरे पैर पर भी की। उनके झुकने से उनका पिछवाड़ा तो किसी को भी कामुक कर देता।

फिर उन्होंने वो किया जिसकी राज को उम्मीद नहीं थी। उन्होंने अपने दोनों हाथ में क्रीम लिया और मलते हुए अपना पेटीकोट पीछे से उठाया और क्रीम को दोनों चूतरों पर मलने लगी। इस समय उनका मुँह राज की ओर था ताकि वो उनकी नग्नता ना देख ले।
राज को लगा किवो झड़ जाएगा।

अब माँ उसके साथ आकर बिस्तर पर लेटी और बोली: तू सोच रहा होगा कि मैं क्रीम क्यों लगा रही हूँ, असल मैं औरतों का शरीर ही ऐसा होता है उसे चिकनाई की बहुत ज़रूरत होती है, तभी बदन चिकना रहता है वरना खुरदरा हो जाता है, समझा?

राज: जी माँ समझ गया। अब समझ में आया कि आप इतनी चिकनी कैसी हो? हाँ हा ।

माँ : चल बदमाश। अब सो जा, और कहते हुए उसने बत्ती बंदकर दी।

राज अपनी माँसे चिपकता हुआ बोला: मैं आपसे ऐसे चिपक कर सोना चाहता हूँ। और आपकी छाती पर अपना सर रखना चाहता हूँ।

माँ ने हँसते हुए उसे अपनी ओर खिंचा और वह नीचे खिसका और माँ की छाती में अपना सर रखकर उनकी साँसों और धड़कनो को सुनने लगा।

माँ: आज क्या हो गया है तुझे? बड़ा प्यार आ रहा है माँ पर ?

राज: मैं तो हमेशा आपसे प्यार करता हूँ, आप ही ध्यान नहीं देती।

अब राज माँ की भारी छातियों को अपने गाल पर महसूस कर रहा था और उसका हथियार पूरा फनफ़ना रहा था। उसने हाथ बढ़के उसको ऊपर की ओर किया ताकि वो माँको कहीं चुभ ना जाए।

अब राज ने अपना हाथ माँ की कमर पर रखा और हल्के से सहलाने लगा। माँने उसका माथा चूमा और बोली: चल अब सो जा , ऐसे चिपक कर नींद नहीं आएगी। राज माँ से दूर हुआ और माँ ने करवट बदली और अपनी पीठ उसके तरफ़ कर सो गयी। अब राज के सामने उभरा हुआ पिछवाड़ा था जो कि उसे नाइट लैम्प की रोशनी में साफ़ दिख रहा था। चूतरों की दरार में गैप अलग से दिख रहा था। और उसे माँ की पैंटी के कोई निशान नहीं दिखे ,इसका मतलब माँने पैंटी उतार दी थी।

वो उठा और बोला: माँ मैं बाथरूम से आता हूँ।

माँ ने नींद में” हूँ” की और सो गई।

राज बाथरूम में जाकर माँ की पैंटी ढूँढा और उसको वो गंदे कपड़ों के बीच मिल भी गई। तो उसका सोचना सही था किमाँ ने पैंटी नहीं पहनी है। उसने माँकी पैंटी उठाई और उसे नाक के पास ले जाकर सूँघने लगा। उसका लंड अब झटके मारने लगा था । पैंटी से पेशाब और पसीने के साथ मिली जुली एक सेक्स को गंध भो थी, जो उसे पागल कर गई। और वो माँ के पैंटी में मूठ मारने लगा और जल्दी ही झड़ गया।

फिर वह साफ़ करके कमरे में आकर सो गया।

रात को क़रीब २ बजे उसकी नींद खुली तो देखा कि माँ अब पीठ के बल सो रही है और उनका पेटीकोट ऊपर आ गया था और उनकी जाँघे नंगी हो रही थीं। उसने उठके उनकी जाँघों का दर्शन किया पर जाँघें मिली हुई थी इस लिए आगे का नज़ारा नहीं देख पाया।फिर उसने अपनी माँ की ब्लाउस में क़ैद छातियाँ देख रहा था। उसकी इच्छा हो रही थी कि वो उन आमों को सहला दे पर हिम्मत नहीं हुई। और वह करवट बदल कर सो गया।

उधर सुबह जब नमिता उठी तो देखी कि राज पीठ के बल सोया हुआ है। उसका हथियार पूरा खड़ा था और तंबू की माफ़िक़ तना हुआ था। वो फिर से उसके साइज़ का सोचकर हैरान हो गई। आख़िर इसका इतना बड़ा कैसे है, इसके पापा का तो इसके आसपास भी नहीं था। तभी उसे ख़याल आया किवी अपने बेटे के लंड के बारे में सोच रही है, तो वो अपने से शर्मिंदा होकर बाथरूम चली गयी।

वहाँ नहाने के पहले उसने सब कपड़े वॉशिंग मशीन में डाला और तभी उसने अपने पैंटी को देखा तो उसमें सफ़ेद सूखा सा लगा था। उसने उसे सूँघा और मर्दाना वीर्य की गंध उसे हैरान कर गई। वो समझ गई किये राज का ही काम है।

उसे बड़ा दुःख हुआ कि ये उसके बेटे को क्या हो गया है? वो ऐसे कैसे कर सकता है? क्या अपनी माँ को वैसी गंदी नज़र से देखता है?

हे भगवान मैं इसका क्या करूँ? यह सोचते ही उसके आँसू निकल गए। उसके समझ में आ गया कि उसका ध्यान पढ़ाई में इसीलिए नहीं लगता है क्योंकि वह बस हर समय शायद सेक्स के बारे में ही सोचता रहता होगा।

यहाँ तक तो ठीक है पर क्या वो अपनी माँ के बारे में ऐसी गंदी सोच रखता है! वह सोचकर काफ़ी परेशान हो गई।

उसे लगा कि हो सकता है वो ज्यादा ही सोच रही हो और उसने बस अपनी उत्तेजना को शांत किया हो और उसकी पैंटी को शायद उसने इसके लिए सिर्फ़ इस्तेमाल किया ही और हो सकता है सच में वो उसके बारे में ऐसा ना सोचता हो।

उसका सर घूमने लगा। उसने फ़ैसला किया कि वो इन सब बातों को समझकर राज से साफ़ साफ़ बात करेगी


बाथरूम से बाहर आयी तब राज बिस्तर पर नहीं था। वह अपने कमरे में जा चुका था। वो किचन में गई और चाय बनाने लगी।


नमिता किचन में काम करते हुए सोच रही थी कि राज के इस व्यवहार का क्या इलाज हो सकता है। राज ने तय्यार हो कर नाश्ता माँगा और नमिता ने उसको नाश्ता दिया। वह सोचने लगा कि माँ आज कुछ ज़्यादा ही गम्भीर है। तभी उसे याद आया कि उसने माँ की पैंटी में मूठ मारी थी, कहीं उनको पता तो नहीं चल गया।

फिर वो सोचा कि माँ थोड़े ना एक एक कपड़ा वॉशिंग मशीन में डालती होंगी। वो तो सारे कपड़े एक साथ ही धोने में लिए डाल देती होंगी।

राज नाश्ता करने के बाद माँ के पास आया और बोला: माँ आपकी तबियत तो ठीक है ना? आप आज बहुत गम्भीर नज़र आ रहीं हैं।

नमिता: नहीं मैं ठीक हूँ , चलो स्कूल जाओ।

राज: ठीक है माँ , बाई।

राज के जाने के बाद वो चाय पीते हुए सोच रही थी कि कैसे इस टॉपिक को सुलझाया जाए।

राज स्कूल के बस में बैठा तो शिला मैडम जब अंदर आयी तो उसको प्रतीक की बात याद आयी और वो सोचने लगा कि ये कितनी सीधी साधी दिख रही है और प्रतीक से मज़े से चुदवायी है कल दोपहर को।


शीला मैडम आकर राज के साथ ही बैठ गयी। प्रतीक की नाक में एक तेज़ ख़ुशबू का झोंका आया। आंटी ने सेंट लगाया हुआ था। वो साड़ी और स्लीव्लेस ब्लाउस में थीं। उन्होंने सामने की सीट का रॉड पकड़ा था और उनकी बग़ल साफ़ दिख रही थी। साड़ी से उनका गोरा पेट भी बहुत मादक दिख रहा था। उसकी इच्छा हो रही थी कि उस गोरे पेट पर हाथ फेर ले, पर उसने स्वयं पर नियंत्रण किया।

शीला: पढ़ायी कैसी चल रही है तुम्हारी?

राज: ठीक है मैडम ।श्रेय कैसा है?

शीला: श्रेय थी है, वो पीछे बैठा है बस में।नमिता ठीक है ना?

राज: जी, मम्मी ठीक हैं।आंटी प्रतीक कल आपके घर आया था क्या?

शीला चौंकते हुए बोली: हाँ आया था श्रेय के साथ विडीओ गेम खेलने , पर तुम्हें कैसे पता?






To be continue
 
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