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Adultery त्यागमयी माँ और उसका बेटा ( Copied

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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17,061
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Superb hot sexy kahani
Bs ek request h ki ab maa kisi s b sex na kre. Maa bete m hi sex hona chahiye.
Aur raaj ko shila ke bare m PTA h shila mdm ko b pta chal jaye ki raah sab janta h ur un dono k bich is bare m baat ho chhedchad ho bs . Raaj sex na kre mdm k sath.
Thank you Gauravsingh12
Ab ye tou muskil hai ki namita kisi aur se sex na kare ,kyuki wo starting se yahi kerti aa rahi hai ab dekhte hai kya hota hai ...? Aur kaise hota hai ... ? But haa abhi Maa bete ka sex bahut door hai
 

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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Update:08







उस दिन और कुछ नहीं हुआ। अगले दिन राज स्कूल चला गया और नमिता ऑफ़िस।



स्कूल में राज टेस्ट दिया और उसको समझ आ गया कि उसकी नय्या आज भी डूब गयी।

टेस्ट देने के बाद लंच ब्रेक में प्रतीक मिला और बोला: यार आज बड़ा मन कर रहा है चुदाई का। शीला मैडम तो आज स्टाफ़ मीटिंग में हैं।


राज: अरे वह तेरी मेड को क्या हुआ? उसने करवाना बन्द कर दिया है क्या?


प्रतीक: अरे वह तो घर का माल है वो तो दे देती है। पर आज सुबह जब वह चाय देने आइ तो मैं उसके दूध दबाने की कोशिश किया तभी साली ने घोषणा कर दी कि उसका पिरीयड आ गया है। उसका पहला दिन बहुत दर्द के साथ बीतता है। वह हाथ भी नहीं लगाने देती। साली क्य क़िस्मत है।


राज: ओह फिर तो तुमने आज मूठ्ठ से ही काम चलाना पड़ेगा।


तभी प्रतीक का मोबाइल बजने लगा और फ़ोन पर एक सुंदर महिला की फ़ोटो भी आ गई। उसने राज को आँख मारी और फ़ोन को स्पीकर मोड में रख दिया। अब राज भी उसकी बात सुन सकता था।


प्रतीक का चेहरा चमक उठा था, वह बोला: हाय चाची कैसी हैं आप?


चाची: ठीक हूँ आज तेरी बड़ी याद आ रही है।


प्रतीक: अच्छा, चाचा कहीं बाहर गयें हैं क्या, वरना आपको हमारी याद क्यों आएगी?


चाची: बेटा, ताने तो ना मार, तू जानता है कि तेरी चाची कितना प्यार करती है, तुझे, फिर ऐसा क्यों बोल रहा है?


प्रतीक: अरे चाची मैं तो मज़ाक़ कर रहा था, बताओ क्या बात है?


चाची: अरे वही बात है , तेरे चाचा ३ दिन के लिए टूर पर गए हैं। और लाली स्कूल गयी है, वो स्कूल के बाद tuition जाएगी, काफ़ी समय है, आ सकता है?


प्रतीक: अरे चाची , ये भी कोई पूछने की बात है, मैं बस अभी आधे घंटे में पहुँचता हूँ। एक बात बताइए कि नीचे शेव करा रखी है या नहीं?


चाची: बदमाश आकर ख़ुद देख ले। वैसे तेरे चाचा ने कोई पंद्रह दिन पहले शेव की थी , थोड़े बाल तो आ गए हैं। तू चाहे तो तू भी शेव कर लेना आज।


प्रतीक: चाची तो शेविंग का सामान तय्यार रखो अभी आ कर करता हूँ फिर साथ ही नहाएँगे और फिर दो बार चुदाई। ठीक है?


चाची हँसते हुए बोली: तू आ तो जा, सच बहुत खुजा रही है।


प्रतीक: चाची क्या खुजा रही है?


चाची: हट बदमाश तेरे हथियार की सहेली और कौन ।


प्रतीक: चाची नाम लो ना प्लीज़।


चाची: हा हा बुर और क्या, चल जल्दी आ और मज़े से चोद मुझे।


प्रतीक अपना लौडा मसलते हुए बोला: बस अभी आया चाची।फिर फ़ोन बंद कर दिया।


राज: क्या अभी जाएगा? और क्लास का क्या होगा?

प्रतीक: अरे मुझे कौन सा डॉक्टर या एंजिनीयर बनना है, पापा का बिसनेस चलाने के लिए थर्ड डिविज़न में भी पास होने से चलेगा।

और वो हँसते हुए चला गया।


राज सोचने लगा कि क्या किस्मतवाला लड़का है।
अब वह क्लास में वापस आया और आख़री पिरीयड में उसकी टेस्ट की कापी जँचकर उसको मिली। उसने देखा कि उसको १५% नम्बर ही आए हैं। वो सोचने लगा कि आज घर में क्या बवाल मचेगा! माँ तो पागल ही हो जाएगी ऐसे नम्बर देख कर।


फिर दोपहर को घर पहुँचा तो माँ ने पूछा कि टेस्ट में कितने नम्बर आए?


राज ये बोलते हुए कि आज जँचकर नहीं मिला, बैग सोफ़े पर पटक कर अपने कमरे में चला गया और अपने कपड़े बदलने लगा।

अचानक उसको लगा कि किसी के रोने की आवाज़ आ रही है। वो घबरा कर बाहर आया और देखा कि माँ सोफ़े पर अपने पाँव ऊपर रखके घुटने मोड़ कर बैठी थी और अपना सर घुटनों पर रख कर रो रही थीं। उनके पास सोफ़े पर उसके टेस्ट के पेपर रखे थे जो शायद उन्होंने उसके बैग से निकाल कर देख लिया था।


राज माँ के पास आया और बोला: माँ रोने से क्या होगा? प्लीज़ चुप हो जाओ। मैं वादा करता हूँ कि मैं और मेहनत करूँगा।


नमिता: बस कर अब तू झूठ भी बोलने लगा है । कहता था कि अच्छा रिज़ल्ट आएगा , ये अच्छा है? तू फ़ेल हो गया है। तुझे समझ नहीं आ रहा है की तू अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर रहा है।


वह रोते हुए बहुत ही दुखी दिखाई से रही थी।
राज को समझ नहीं आ रहा था कि कैसे माँ को शांत कराए।


वह बोला: माँ मुझे जो सज़ा देनी है दे दो पर ऐसे मत रोओ ।


नमिता ने कोई जवाब नहीं दिया और उसने अपना सर फिर से अपने घुटनों पर रखा।


राज परेशान होकर अपने कमरे में चला गया और अपना सर पकड़कर बैठ गया। उसने अपने कमरे का दरवाज़ा बंद कर लिया।


नमिता थोड़ी देर बाद उठी और अपना मुँह धो कर खाना लगाने लगी। फिर जाकर राज को आवाज़ दी: चलो अब खाना खा लो।


राज ने कहा: मुझे भूक नहीं है। आप खा लो।

नमिता: चलो नाटक छोड़ो, दरवाज़ा खोलो और खाना खा लो।

राज: कहा ना मैं नहीं खाऊँगा।

नमिता: भाड़ में जाओ। मैं खा रही हूँ।


नमिता खाने बैठी और उससे भी खाया नहीं गया।उसने खाना टेबल पर ही छोड़ दिया और अपने कमरे में चली गई। वह सोच रही थी कि ऐसा क्या करे कि उसका बेटा सामान्य हो जाए और पढ़ाई पर ध्यान दे।


थोड़ी देर के लिए उसको नींद लग गयी। जब वो उठी तो उसे याद आया कि राज ने पता नहीं खाना खाया होगा कि नहीं।


वह उठकर खाना चेक की और देखा कि राज ने खाना नहीं खाया था।


वह राज के कमरे में गई और खिड़की से झाँका और उसने देखा कि वह टेबल पर सर रखकर रो रहा था। वो सन्न रह गई और उसने कहा: राज बेटा,दरवाज़ा खोलो प्लीज़ अभी के अभी।


राज: माँ मुझे मर जाना चाहिए , मैंने आपको बहुत दुःख दिए हैं।


नमिता: क्या बक रहा है, चल दरवाज़ा खोल, तुझे मेरी क़सम है।


राज ने दरवाज़ा खोला और नमिता ने उसे अपनी बाहों में खींचकर प्यार से उसके गाल चूमने लगी, और बोली: ख़बरदार जो फिर कभी मरने की बात की। तेरे सिवाय मेरा इस दुनिया में कौन है?


राज भी उनसे चिपककर रोता रहा और बोला: माँ मैं बहुत परेशान हूँ समझ नहीं आ रहा है क्या करूँ?


नमिता: पगले मैं तो कब से कह रही हूँ मन की बात मुझे बता दे,तू तो कुछ बताता ही नहीं?


राज कुछ नहीं बोला , फिर वह बाथरूम से मुँह धोकर आया और बोला: माँ चार बज गए हैं , भूक लगी है।


वह बोली: चलो आओ खाना गरम कर देती हूँ, चलो तुम बैठो।

खाना खाने के बाद जब वो सोफ़े पर बैठे थे तब नमिता

बोली: बेटा,बताओ ना क्या हो गया है, तुम पढ़ाई में ध्यान क्यों नहीं लगा पा रहे हो?


राज: माँ , सच बोलूँ आप ग़ुस्सा तो नहीं होगे?

नमिता उसको अपने पास बुलायी और उसको अपनी गोद में सर रख कर लिटा ली और बोली: चल बता क्या बात है?


राज अब भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था पर बोला: माँ ये सच है कि मुझे हर समय सेक्स का ही ध्यान आता रहता है?


नमिता: तो शीला मैडम का ही सोचते रहते हो क्या?
राज: माँ सच में बड़ी उम्र की औरतें ही अच्छी लगती हैं मुझे।


नमिता: क्या सोचते हो मैडम के बारे में?

नमिता अब उसके बालों पर हाथ फेर रही थी। उसने उसके गालों पर हाथ फेरा और बोली: कितने दिन से शेव नहीं की? कितना खुरदरा लग रहा है।

राज: माँ मेरा क्या होगा? मैं तो बिलकुल पढ़ नहीं पा रहा हूँ।

नमिता: क्या तू शीला मैडम के साथ सेक्स करना चाहता है? ये तो हो नहीं सकता बेटा, वह शादीशुदा है ।तुम्हें इस पागलपन से बाहर आना ही होगा।


राज: माँ मैं क्या करूँ , मैं हमेशा सेक्स का ही सोचता रहता हूँ। मैं फ़ेल हो जाऊँगा माँ । और वह रोने लगा।


नमिता ने उसके गाल चूमते हुए कहा: बेटा, रोने से क्या होगा? हम कोई रास्ता निकालेंगे नहीं तो डॉक्टर के पास जाएँगे।


राज: माँ मुझे तो बहुत डर लग रहा है कि मैं इन हालात में कैसे पास होऊँगा।


नमिता: बेटा, कोई ना कोई रास्ता निकलेगा।

अच्छा एक बात पूछूँ ? सच बोलोगे?

राज: हाँ माँ अब मैं आपसे कुछ नहीं छिपाऊँगा । ये कहते उसने अपना मुँह अपनी माँ में पेट में छुपा लिया।


नमिता: ये बता कि तूने मेरी पैंटी में अपना रस क्यों निकाला? क्या तू मुझे भी ऐसी नज़र से देखता है जैसे मैडम को देखता है?


राज की सिट्टि पिट्टी गुम हो गई , उसे लगा कि धरती फट जाए और वह उसमें समा जाए। तो माँ को पता चल ही गया है।


वह बोला: माँ मुझे माफ़ कर दो ।और फिर वह एकदम से उठकर अपने कमरे में चला गया।

नमिता सोचने लगी कि अब क्या करे?

वह उठी और उसके पीछे उसके कमरे में गयी । वह पेट के बल लेता हुआ था और सिसक कर रो रहा था।


नमिता उसके बिस्तर पर बैठकर उसके पीठ में हाथ फेरती हुई बोली: बेटा, आख़िर बात क्या है? तू क्या मुझे भी ऐसी ही नज़र देख़ता है? बता ना?


राज रोते हुए बोला: हाँ माँ मैं बहुत पापी हूँ, मैं आपको भी ऐसी ही नज़र से देखता हूँ।


नमिता चुप रह गई और सोचने लगी कि अब क्या करे।
वह थोड़ी देर उसके पीठ पर हाथ फेरती रही फिर धीरे से बोली: बेटा ये ग़लत है ना, ये तुम जानते हो ना? समाज पाप मानता है। तुम समझ क्यों नहीं रहे हो बेटा।


राज: माँ मैं सब समझता हूँ पर क्या करूँ हर समय बस आपके बारे में ही सोचता रहता हूँ।

नमिता: क्या सोचते हो मेरे बारे में?

राज : माँ गंदी गंदी बातें।

नमिता: जैसे बताओ ?

राज: मुझे बताने में शर्म आ रही है।

नमिता: जब सोचने में शर्म नहीं आ रही है तो बताने में
कैसी शर्म, बोलो?

राज : वो वो - मैंने आपको -

नमिता: बोलो बोलो।

राज: मैंने आपको एक बार कपड़े बदलते हुए देख लिया था, आप ब्रा पैंटी में थीं, तब से मैं आपके साथ सेक्स करने का सोचने लगा हूँ।


नमिता थोड़ी परेशान हो कर बोली: बेटा तुम किसी भी औरत को देखोगे बिना कपड़ों के तो क्या उनके साथ सेक्स कर लोगे?

राज: मैं किसी औरत की नहीं बल्कि आपकी बात कर रहा हूँ।

नमिता: पर बेटा ऐसा नहीं होता, माँ बेटा सेक्स नहीं कर सकते।

राज: पर माँ, नदीम तो अपनी माँ के साथ सेक्स करता है, और प्रतीक भी अपनी माँ से सेक्स करना चाहता है।


नमिता हैरानी से बोली: क्या कह रहे हो? क्या सच में ऐसा है?

राज: हाँ माँ सच है बिलकुल।


नमिता: ओह, तभी तेरे दिमाग़ में ऐसे विचार आ रहे हैं।
नदीम का क्या कह रहा था तू?

राज: माँ , नदीम के अब्बा का ऐक्सिडेंट में कमर में नीचे चोट लगी थी और वह सेक्स के लायक नहीं रहे तो वह नदीम को बोले कि उसकी माँ कहीं दूसरों से ना चुद-- मेरा मतलब है सेक्स ना करने लगे, इससे अच्छा है कि नदीम ही उसे चो- मतलब सेक्स कर ले।


नमिता हैरानी से उसे देख रही थी और सोच रही थी कि ये इतना भोला नहीं है जैसा कि वह सोच रही थी। वह तो चोदने जैसे शब्द से भी वाक़िफ़ है। तो ये बात है , इन बातों से ही वह अपनी माँ की तरफ़ आकर्षित हुआ है।


नमिता: प्रतीक के बारे में क्या बोल रहा था तू?

राज: माँ वह भी अपनी माँ के साथ सेक्स करना चाहता है। वह तो शीला मैडम को चो- मतलब पा चुका है।


नमिता झटके में आ गई, और बोली: क्या? वह शीला के साथ सेक्स कर चुका है? ओह ये बड़ी विचित्र बात है।


राज: माँ, मुझे माफ़ कर दो, मैं पूरी कोशिश करूँगा सुधरने की।

नमिता हम्म कहकर उठ गई। और अपने कमरे में आ गयी।

नमिता सोच रही थी कि इस समस्या का हल शायद वह अकेली नहीं निकाल पाएगी , उसे किसी ना किसी की सहायता लेनी पड़ेगी। उसे दो ही नाम याद आए मनीष या शीला। पर यहाँ तो शीला तो ख़ुद ही एक अपने बेटे की उम्र के लड़के के साथ फँसी हुई है। शायद मनीष ही कुछ मदद कर सके। उसने मनीष को मेसिज किया कि क्या अभी बात हो सकती है?


मनीष का फ़ोन आ गया: वो बोला: हाय आंटी क्या हुआ?


नमिता: मैं थोड़ी परेशान हूँ, सोचा कि तुम शायद मदद कर सको।


मनीष: आंटी बोलो ना, आपके लिए सब कुछ करूँगा।


नमिता: असल में मैं राज को लेकर परेशान हूँ । वो पढ़ाई में लगातार नीचे की ओर जा रहा है। वो हरसमय सेक्स का सोचता रहता है।

मनीष: वह किससे सेक्स करना चाहता है?

नमिता: बड़ी उम्र की औरतों से और आज तो बोला कि मुझसे भी , अपनी माँ से । बताओ ऐसा भी कहीं होता है?

मनीष: आंटी होता है ऐसा भी। मैं भी तो आपको चोदते समय कई बार मम्मी बोलकर चोदता हूँ।कई लड़के अपनी माँ को ही चोदना चाहते हैं।

नमिता: ओह , राज भी कह रहा था किउसका एक दोस्त तो अपनी माँ के साथ लगा हुआ है और दूसरा लगाने को तय्यार है।

मनीष: अब ऐसे दोस्तों के साथ रहेगा तो फिर वह भी ऐसा ही सोचेगा।

वैसे आंटी एक बात बोलूँ आप उसको अपने मन की कर लेने दो ना। घर की ही तो बात है। कौन सी आपकी बुर घिस जाएगी और बेटे को भी मज़ा आ जाएगा।
नमिता: बकवास मत करो। एक मदद करोगे , मुझे नदीम की माँ से मिलना है। उसका सेल नम्बर चाहिए मुझे। मैं राज से नहीं लेना चाहती।

मनीष: वो कहाँ रहता है? कुछ तो बताओ उसके बारे में।

नमिता: मैं इतना ही जानती हूँ की सरोजिनी नगर में उसका एक कपड़े का शोरूम है नदीम गर्मेंट्स के नाम से ।

मनीष: ठीक है आंटी, मैं आपको कल उसका नम्बर दे दूँगा।

नमिता: थैंक्स, तुमसे बात करके अच्छा लगा।

मनीष: आंटी कल आ जाऊँ क्या चोदने का बहुत मन हो रहा है आपको।

नमिता: कल की कल देखेंगे पर मुझे नदीम की माँ का नम्बर दे देना।

मनीष उसको चूमता हुआ फ़ोन बंद कर दिया।

नमिता किचन मैं गयी और खाना बनाने लगी। आज शाम राज पार्क नहीं गया। नमिता ने उसे चाय के लिए आवाज़ दी पर वह नहीं आया।

नमिता ने चाय बनाई और उसके कमरे में लेकर गयी। वह कुर्सी पर बैठा था और उसका सिर टेबल पर था और वह सो रहा था।

नमिता को राज पर बहुत तरस आया और उसके बालों पर हाथ रखा और सहलाते हुए उठाने लगी। वह उठकर माँ को देखा तो बोला: अरे,मैं क्या यहीं सो गया था?

फिर वह उठकर बाथरूम गया और आकर चाय पीने लगा। वह अपनी माँ से नज़रें नहीं मिला सका। नमिता भी बाहर आकर किचन में चली गयी।







To be continue
 

Gauravsingh12

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Thank you Gauravsingh12
Ab ye tou muskil hai ki namita kisi aur se sex na kare ,kyuki wo starting se yahi kerti aa rahi hai ab dekhte hai kya hota hai ...? Aur kaise hota hai ... ? But haa abhi Maa bete ka sex bahut door hai
फिर त्यागमयी मां कैसे हो गई। त्याग तो कुछ कर नहीं है
 

Gauravsingh12

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Update:08







उस दिन और कुछ नहीं हुआ। अगले दिन राज स्कूल चला गया और नमिता ऑफ़िस।



स्कूल में राज टेस्ट दिया और उसको समझ आ गया कि उसकी नय्या आज भी डूब गयी।

टेस्ट देने के बाद लंच ब्रेक में प्रतीक मिला और बोला: यार आज बड़ा मन कर रहा है चुदाई का। शीला मैडम तो आज स्टाफ़ मीटिंग में हैं।


राज: अरे वह तेरी मेड को क्या हुआ? उसने करवाना बन्द कर दिया है क्या?


प्रतीक: अरे वह तो घर का माल है वो तो दे देती है। पर आज सुबह जब वह चाय देने आइ तो मैं उसके दूध दबाने की कोशिश किया तभी साली ने घोषणा कर दी कि उसका पिरीयड आ गया है। उसका पहला दिन बहुत दर्द के साथ बीतता है। वह हाथ भी नहीं लगाने देती। साली क्य क़िस्मत है।


राज: ओह फिर तो तुमने आज मूठ्ठ से ही काम चलाना पड़ेगा।


तभी प्रतीक का मोबाइल बजने लगा और फ़ोन पर एक सुंदर महिला की फ़ोटो भी आ गई। उसने राज को आँख मारी और फ़ोन को स्पीकर मोड में रख दिया। अब राज भी उसकी बात सुन सकता था।


प्रतीक का चेहरा चमक उठा था, वह बोला: हाय चाची कैसी हैं आप?


चाची: ठीक हूँ आज तेरी बड़ी याद आ रही है।


प्रतीक: अच्छा, चाचा कहीं बाहर गयें हैं क्या, वरना आपको हमारी याद क्यों आएगी?


चाची: बेटा, ताने तो ना मार, तू जानता है कि तेरी चाची कितना प्यार करती है, तुझे, फिर ऐसा क्यों बोल रहा है?


प्रतीक: अरे चाची मैं तो मज़ाक़ कर रहा था, बताओ क्या बात है?


चाची: अरे वही बात है , तेरे चाचा ३ दिन के लिए टूर पर गए हैं। और लाली स्कूल गयी है, वो स्कूल के बाद tuition जाएगी, काफ़ी समय है, आ सकता है?


प्रतीक: अरे चाची , ये भी कोई पूछने की बात है, मैं बस अभी आधे घंटे में पहुँचता हूँ। एक बात बताइए कि नीचे शेव करा रखी है या नहीं?


चाची: बदमाश आकर ख़ुद देख ले। वैसे तेरे चाचा ने कोई पंद्रह दिन पहले शेव की थी , थोड़े बाल तो आ गए हैं। तू चाहे तो तू भी शेव कर लेना आज।


प्रतीक: चाची तो शेविंग का सामान तय्यार रखो अभी आ कर करता हूँ फिर साथ ही नहाएँगे और फिर दो बार चुदाई। ठीक है?


चाची हँसते हुए बोली: तू आ तो जा, सच बहुत खुजा रही है।


प्रतीक: चाची क्या खुजा रही है?


चाची: हट बदमाश तेरे हथियार की सहेली और कौन ।


प्रतीक: चाची नाम लो ना प्लीज़।


चाची: हा हा बुर और क्या, चल जल्दी आ और मज़े से चोद मुझे।


प्रतीक अपना लौडा मसलते हुए बोला: बस अभी आया चाची।फिर फ़ोन बंद कर दिया।


राज: क्या अभी जाएगा? और क्लास का क्या होगा?

प्रतीक: अरे मुझे कौन सा डॉक्टर या एंजिनीयर बनना है, पापा का बिसनेस चलाने के लिए थर्ड डिविज़न में भी पास होने से चलेगा।

और वो हँसते हुए चला गया।


राज सोचने लगा कि क्या किस्मतवाला लड़का है।
अब वह क्लास में वापस आया और आख़री पिरीयड में उसकी टेस्ट की कापी जँचकर उसको मिली। उसने देखा कि उसको १५% नम्बर ही आए हैं। वो सोचने लगा कि आज घर में क्या बवाल मचेगा! माँ तो पागल ही हो जाएगी ऐसे नम्बर देख कर।


फिर दोपहर को घर पहुँचा तो माँ ने पूछा कि टेस्ट में कितने नम्बर आए?


राज ये बोलते हुए कि आज जँचकर नहीं मिला, बैग सोफ़े पर पटक कर अपने कमरे में चला गया और अपने कपड़े बदलने लगा।

अचानक उसको लगा कि किसी के रोने की आवाज़ आ रही है। वो घबरा कर बाहर आया और देखा कि माँ सोफ़े पर अपने पाँव ऊपर रखके घुटने मोड़ कर बैठी थी और अपना सर घुटनों पर रख कर रो रही थीं। उनके पास सोफ़े पर उसके टेस्ट के पेपर रखे थे जो शायद उन्होंने उसके बैग से निकाल कर देख लिया था।


राज माँ के पास आया और बोला: माँ रोने से क्या होगा? प्लीज़ चुप हो जाओ। मैं वादा करता हूँ कि मैं और मेहनत करूँगा।


नमिता: बस कर अब तू झूठ भी बोलने लगा है । कहता था कि अच्छा रिज़ल्ट आएगा , ये अच्छा है? तू फ़ेल हो गया है। तुझे समझ नहीं आ रहा है की तू अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर रहा है।


वह रोते हुए बहुत ही दुखी दिखाई से रही थी।
राज को समझ नहीं आ रहा था कि कैसे माँ को शांत कराए।


वह बोला: माँ मुझे जो सज़ा देनी है दे दो पर ऐसे मत रोओ ।


नमिता ने कोई जवाब नहीं दिया और उसने अपना सर फिर से अपने घुटनों पर रखा।


राज परेशान होकर अपने कमरे में चला गया और अपना सर पकड़कर बैठ गया। उसने अपने कमरे का दरवाज़ा बंद कर लिया।


नमिता थोड़ी देर बाद उठी और अपना मुँह धो कर खाना लगाने लगी। फिर जाकर राज को आवाज़ दी: चलो अब खाना खा लो।


राज ने कहा: मुझे भूक नहीं है। आप खा लो।

नमिता: चलो नाटक छोड़ो, दरवाज़ा खोलो और खाना खा लो।

राज: कहा ना मैं नहीं खाऊँगा।

नमिता: भाड़ में जाओ। मैं खा रही हूँ।


नमिता खाने बैठी और उससे भी खाया नहीं गया।उसने खाना टेबल पर ही छोड़ दिया और अपने कमरे में चली गई। वह सोच रही थी कि ऐसा क्या करे कि उसका बेटा सामान्य हो जाए और पढ़ाई पर ध्यान दे।


थोड़ी देर के लिए उसको नींद लग गयी। जब वो उठी तो उसे याद आया कि राज ने पता नहीं खाना खाया होगा कि नहीं।


वह उठकर खाना चेक की और देखा कि राज ने खाना नहीं खाया था।


वह राज के कमरे में गई और खिड़की से झाँका और उसने देखा कि वह टेबल पर सर रखकर रो रहा था। वो सन्न रह गई और उसने कहा: राज बेटा,दरवाज़ा खोलो प्लीज़ अभी के अभी।


राज: माँ मुझे मर जाना चाहिए , मैंने आपको बहुत दुःख दिए हैं।


नमिता: क्या बक रहा है, चल दरवाज़ा खोल, तुझे मेरी क़सम है।


राज ने दरवाज़ा खोला और नमिता ने उसे अपनी बाहों में खींचकर प्यार से उसके गाल चूमने लगी, और बोली: ख़बरदार जो फिर कभी मरने की बात की। तेरे सिवाय मेरा इस दुनिया में कौन है?


राज भी उनसे चिपककर रोता रहा और बोला: माँ मैं बहुत परेशान हूँ समझ नहीं आ रहा है क्या करूँ?


नमिता: पगले मैं तो कब से कह रही हूँ मन की बात मुझे बता दे,तू तो कुछ बताता ही नहीं?


राज कुछ नहीं बोला , फिर वह बाथरूम से मुँह धोकर आया और बोला: माँ चार बज गए हैं , भूक लगी है।


वह बोली: चलो आओ खाना गरम कर देती हूँ, चलो तुम बैठो।

खाना खाने के बाद जब वो सोफ़े पर बैठे थे तब नमिता


बोली: बेटा,बताओ ना क्या हो गया है, तुम पढ़ाई में ध्यान क्यों नहीं लगा पा रहे हो?


राज: माँ , सच बोलूँ आप ग़ुस्सा तो नहीं होगे?

नमिता उसको अपने पास बुलायी और उसको अपनी गोद में सर रख कर लिटा ली और बोली: चल बता क्या बात है?


राज अब भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था पर बोला: माँ ये सच है कि मुझे हर समय सेक्स का ही ध्यान आता रहता है?


नमिता: तो शीला मैडम का ही सोचते रहते हो क्या?
राज: माँ सच में बड़ी उम्र की औरतें ही अच्छी लगती हैं मुझे।


नमिता: क्या सोचते हो मैडम के बारे में?

नमिता अब उसके बालों पर हाथ फेर रही थी। उसने उसके गालों पर हाथ फेरा और बोली: कितने दिन से शेव नहीं की? कितना खुरदरा लग रहा है।

राज: माँ मेरा क्या होगा? मैं तो बिलकुल पढ़ नहीं पा रहा हूँ।

नमिता: क्या तू शीला मैडम के साथ सेक्स करना चाहता है? ये तो हो नहीं सकता बेटा, वह शादीशुदा है ।तुम्हें इस पागलपन से बाहर आना ही होगा।


राज: माँ मैं क्या करूँ , मैं हमेशा सेक्स का ही सोचता रहता हूँ। मैं फ़ेल हो जाऊँगा माँ । और वह रोने लगा।


नमिता ने उसके गाल चूमते हुए कहा: बेटा, रोने से क्या होगा? हम कोई रास्ता निकालेंगे नहीं तो डॉक्टर के पास जाएँगे।


राज: माँ मुझे तो बहुत डर लग रहा है कि मैं इन हालात में कैसे पास होऊँगा।


नमिता: बेटा, कोई ना कोई रास्ता निकलेगा।

अच्छा एक बात पूछूँ ? सच बोलोगे?

राज: हाँ माँ अब मैं आपसे कुछ नहीं छिपाऊँगा । ये कहते उसने अपना मुँह अपनी माँ में पेट में छुपा लिया।


नमिता: ये बता कि तूने मेरी पैंटी में अपना रस क्यों निकाला? क्या तू मुझे भी ऐसी नज़र से देखता है जैसे मैडम को देखता है?


राज की सिट्टि पिट्टी गुम हो गई , उसे लगा कि धरती फट जाए और वह उसमें समा जाए। तो माँ को पता चल ही गया है।


वह बोला: माँ मुझे माफ़ कर दो ।और फिर वह एकदम से उठकर अपने कमरे में चला गया।

नमिता सोचने लगी कि अब क्या करे?

वह उठी और उसके पीछे उसके कमरे में गयी । वह पेट के बल लेता हुआ था और सिसक कर रो रहा था।



नमिता उसके बिस्तर पर बैठकर उसके पीठ में हाथ फेरती हुई बोली: बेटा, आख़िर बात क्या है? तू क्या मुझे भी ऐसी ही नज़र देख़ता है? बता ना?


राज रोते हुए बोला: हाँ माँ मैं बहुत पापी हूँ, मैं आपको भी ऐसी ही नज़र से देखता हूँ।


नमिता चुप रह गई और सोचने लगी कि अब क्या करे।
वह थोड़ी देर उसके पीठ पर हाथ फेरती रही फिर धीरे से बोली: बेटा ये ग़लत है ना, ये तुम जानते हो ना? समाज पाप मानता है। तुम समझ क्यों नहीं रहे हो बेटा।


राज: माँ मैं सब समझता हूँ पर क्या करूँ हर समय बस आपके बारे में ही सोचता रहता हूँ।

नमिता: क्या सोचते हो मेरे बारे में?

राज : माँ गंदी गंदी बातें।

नमिता: जैसे बताओ ?

राज: मुझे बताने में शर्म आ रही है।

नमिता: जब सोचने में शर्म नहीं आ रही है तो बताने में

कैसी शर्म, बोलो?

राज : वो वो - मैंने आपको -

नमिता: बोलो बोलो।

राज: मैंने आपको एक बार कपड़े बदलते हुए देख लिया था, आप ब्रा पैंटी में थीं, तब से मैं आपके साथ सेक्स करने का सोचने लगा हूँ।


नमिता थोड़ी परेशान हो कर बोली: बेटा तुम किसी भी औरत को देखोगे बिना कपड़ों के तो क्या उनके साथ सेक्स कर लोगे?

राज: मैं किसी औरत की नहीं बल्कि आपकी बात कर रहा हूँ।

नमिता: पर बेटा ऐसा नहीं होता, माँ बेटा सेक्स नहीं कर सकते।

राज: पर माँ, नदीम तो अपनी माँ के साथ सेक्स करता है, और प्रतीक भी अपनी माँ से सेक्स करना चाहता है।


नमिता हैरानी से बोली: क्या कह रहे हो? क्या सच में ऐसा है?

राज: हाँ माँ सच है बिलकुल।


नमिता: ओह, तभी तेरे दिमाग़ में ऐसे विचार आ रहे हैं।
नदीम का क्या कह रहा था तू?

राज: माँ , नदीम के अब्बा का ऐक्सिडेंट में कमर में नीचे चोट लगी थी और वह सेक्स के लायक नहीं रहे तो वह नदीम को बोले कि उसकी माँ कहीं दूसरों से ना चुद-- मेरा मतलब है सेक्स ना करने लगे, इससे अच्छा है कि नदीम ही उसे चो- मतलब सेक्स कर ले।


नमिता हैरानी से उसे देख रही थी और सोच रही थी कि ये इतना भोला नहीं है जैसा कि वह सोच रही थी। वह तो चोदने जैसे शब्द से भी वाक़िफ़ है। तो ये बात है , इन बातों से ही वह अपनी माँ की तरफ़ आकर्षित हुआ है।


नमिता: प्रतीक के बारे में क्या बोल रहा था तू?

राज: माँ वह भी अपनी माँ के साथ सेक्स करना चाहता है। वह तो शीला मैडम को चो- मतलब पा चुका है।


नमिता झटके में आ गई, और बोली: क्या? वह शीला के साथ सेक्स कर चुका है? ओह ये बड़ी विचित्र बात है।


राज: माँ, मुझे माफ़ कर दो, मैं पूरी कोशिश करूँगा सुधरने की।

नमिता हम्म कहकर उठ गई। और अपने कमरे में आ गयी।

नमिता सोच रही थी कि इस समस्या का हल शायद वह अकेली नहीं निकाल पाएगी , उसे किसी ना किसी की सहायता लेनी पड़ेगी। उसे दो ही नाम याद आए मनीष या शीला। पर यहाँ तो शीला तो ख़ुद ही एक अपने बेटे की उम्र के लड़के के साथ फँसी हुई है। शायद मनीष ही कुछ मदद कर सके। उसने मनीष को मेसिज किया कि क्या अभी बात हो सकती है?


मनीष का फ़ोन आ गया: वो बोला: हाय आंटी क्या हुआ?


नमिता: मैं थोड़ी परेशान हूँ, सोचा कि तुम शायद मदद कर सको।


मनीष: आंटी बोलो ना, आपके लिए सब कुछ करूँगा।


नमिता: असल में मैं राज को लेकर परेशान हूँ । वो पढ़ाई में लगातार नीचे की ओर जा रहा है। वो हरसमय सेक्स का सोचता रहता है।

मनीष: वह किससे सेक्स करना चाहता है?

नमिता: बड़ी उम्र की औरतों से और आज तो बोला कि मुझसे भी , अपनी माँ से । बताओ ऐसा भी कहीं होता है?

मनीष: आंटी होता है ऐसा भी। मैं भी तो आपको चोदते समय कई बार मम्मी बोलकर चोदता हूँ।कई लड़के अपनी माँ को ही चोदना चाहते हैं।

नमिता: ओह , राज भी कह रहा था किउसका एक दोस्त तो अपनी माँ के साथ लगा हुआ है और दूसरा लगाने को तय्यार है।

मनीष: अब ऐसे दोस्तों के साथ रहेगा तो फिर वह भी ऐसा ही सोचेगा।

वैसे आंटी एक बात बोलूँ आप उसको अपने मन की कर लेने दो ना। घर की ही तो बात है। कौन सी आपकी बुर घिस जाएगी और बेटे को भी मज़ा आ जाएगा।
नमिता: बकवास मत करो। एक मदद करोगे , मुझे नदीम की माँ से मिलना है। उसका सेल नम्बर चाहिए मुझे। मैं राज से नहीं लेना चाहती।

मनीष: वो कहाँ रहता है? कुछ तो बताओ उसके बारे में।

नमिता: मैं इतना ही जानती हूँ की सरोजिनी नगर में उसका एक कपड़े का शोरूम है नदीम गर्मेंट्स के नाम से ।

मनीष: ठीक है आंटी, मैं आपको कल उसका नम्बर दे दूँगा।

नमिता: थैंक्स, तुमसे बात करके अच्छा लगा।

मनीष: आंटी कल आ जाऊँ क्या चोदने का बहुत मन हो रहा है आपको।

नमिता: कल की कल देखेंगे पर मुझे नदीम की माँ का नम्बर दे देना।

मनीष उसको चूमता हुआ फ़ोन बंद कर दिया।

नमिता किचन मैं गयी और खाना बनाने लगी। आज शाम राज पार्क नहीं गया। नमिता ने उसे चाय के लिए आवाज़ दी पर वह नहीं आया।

नमिता ने चाय बनाई और उसके कमरे में लेकर गयी। वह कुर्सी पर बैठा था और उसका सिर टेबल पर था और वह सो रहा था।

नमिता को राज पर बहुत तरस आया और उसके बालों पर हाथ रखा और सहलाते हुए उठाने लगी। वह उठकर माँ को देखा तो बोला: अरे,मैं क्या यहीं सो गया था?

फिर वह उठकर बाथरूम गया और आकर चाय पीने लगा। वह अपनी माँ से नज़रें नहीं मिला सका। नमिता भी बाहर आकर किचन में चली गयी।







To be continue
अद्भुत
राज को ये भी बोलना चाहिए था कि मैने आपके फोन में मैसेज पढ़े है।
 

Gauravsingh12

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Update:08







उस दिन और कुछ नहीं हुआ। अगले दिन राज स्कूल चला गया और नमिता ऑफ़िस।



स्कूल में राज टेस्ट दिया और उसको समझ आ गया कि उसकी नय्या आज भी डूब गयी।

टेस्ट देने के बाद लंच ब्रेक में प्रतीक मिला और बोला: यार आज बड़ा मन कर रहा है चुदाई का। शीला मैडम तो आज स्टाफ़ मीटिंग में हैं।


राज: अरे वह तेरी मेड को क्या हुआ? उसने करवाना बन्द कर दिया है क्या?


प्रतीक: अरे वह तो घर का माल है वो तो दे देती है। पर आज सुबह जब वह चाय देने आइ तो मैं उसके दूध दबाने की कोशिश किया तभी साली ने घोषणा कर दी कि उसका पिरीयड आ गया है। उसका पहला दिन बहुत दर्द के साथ बीतता है। वह हाथ भी नहीं लगाने देती। साली क्य क़िस्मत है।


राज: ओह फिर तो तुमने आज मूठ्ठ से ही काम चलाना पड़ेगा।


तभी प्रतीक का मोबाइल बजने लगा और फ़ोन पर एक सुंदर महिला की फ़ोटो भी आ गई। उसने राज को आँख मारी और फ़ोन को स्पीकर मोड में रख दिया। अब राज भी उसकी बात सुन सकता था।


प्रतीक का चेहरा चमक उठा था, वह बोला: हाय चाची कैसी हैं आप?


चाची: ठीक हूँ आज तेरी बड़ी याद आ रही है।


प्रतीक: अच्छा, चाचा कहीं बाहर गयें हैं क्या, वरना आपको हमारी याद क्यों आएगी?


चाची: बेटा, ताने तो ना मार, तू जानता है कि तेरी चाची कितना प्यार करती है, तुझे, फिर ऐसा क्यों बोल रहा है?


प्रतीक: अरे चाची मैं तो मज़ाक़ कर रहा था, बताओ क्या बात है?


चाची: अरे वही बात है , तेरे चाचा ३ दिन के लिए टूर पर गए हैं। और लाली स्कूल गयी है, वो स्कूल के बाद tuition जाएगी, काफ़ी समय है, आ सकता है?


प्रतीक: अरे चाची , ये भी कोई पूछने की बात है, मैं बस अभी आधे घंटे में पहुँचता हूँ। एक बात बताइए कि नीचे शेव करा रखी है या नहीं?


चाची: बदमाश आकर ख़ुद देख ले। वैसे तेरे चाचा ने कोई पंद्रह दिन पहले शेव की थी , थोड़े बाल तो आ गए हैं। तू चाहे तो तू भी शेव कर लेना आज।


प्रतीक: चाची तो शेविंग का सामान तय्यार रखो अभी आ कर करता हूँ फिर साथ ही नहाएँगे और फिर दो बार चुदाई। ठीक है?


चाची हँसते हुए बोली: तू आ तो जा, सच बहुत खुजा रही है।


प्रतीक: चाची क्या खुजा रही है?


चाची: हट बदमाश तेरे हथियार की सहेली और कौन ।


प्रतीक: चाची नाम लो ना प्लीज़।


चाची: हा हा बुर और क्या, चल जल्दी आ और मज़े से चोद मुझे।


प्रतीक अपना लौडा मसलते हुए बोला: बस अभी आया चाची।फिर फ़ोन बंद कर दिया।


राज: क्या अभी जाएगा? और क्लास का क्या होगा?

प्रतीक: अरे मुझे कौन सा डॉक्टर या एंजिनीयर बनना है, पापा का बिसनेस चलाने के लिए थर्ड डिविज़न में भी पास होने से चलेगा।

और वो हँसते हुए चला गया।


राज सोचने लगा कि क्या किस्मतवाला लड़का है।
अब वह क्लास में वापस आया और आख़री पिरीयड में उसकी टेस्ट की कापी जँचकर उसको मिली। उसने देखा कि उसको १५% नम्बर ही आए हैं। वो सोचने लगा कि आज घर में क्या बवाल मचेगा! माँ तो पागल ही हो जाएगी ऐसे नम्बर देख कर।


फिर दोपहर को घर पहुँचा तो माँ ने पूछा कि टेस्ट में कितने नम्बर आए?


राज ये बोलते हुए कि आज जँचकर नहीं मिला, बैग सोफ़े पर पटक कर अपने कमरे में चला गया और अपने कपड़े बदलने लगा।

अचानक उसको लगा कि किसी के रोने की आवाज़ आ रही है। वो घबरा कर बाहर आया और देखा कि माँ सोफ़े पर अपने पाँव ऊपर रखके घुटने मोड़ कर बैठी थी और अपना सर घुटनों पर रख कर रो रही थीं। उनके पास सोफ़े पर उसके टेस्ट के पेपर रखे थे जो शायद उन्होंने उसके बैग से निकाल कर देख लिया था।


राज माँ के पास आया और बोला: माँ रोने से क्या होगा? प्लीज़ चुप हो जाओ। मैं वादा करता हूँ कि मैं और मेहनत करूँगा।


नमिता: बस कर अब तू झूठ भी बोलने लगा है । कहता था कि अच्छा रिज़ल्ट आएगा , ये अच्छा है? तू फ़ेल हो गया है। तुझे समझ नहीं आ रहा है की तू अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर रहा है।


वह रोते हुए बहुत ही दुखी दिखाई से रही थी।
राज को समझ नहीं आ रहा था कि कैसे माँ को शांत कराए।


वह बोला: माँ मुझे जो सज़ा देनी है दे दो पर ऐसे मत रोओ ।


नमिता ने कोई जवाब नहीं दिया और उसने अपना सर फिर से अपने घुटनों पर रखा।


राज परेशान होकर अपने कमरे में चला गया और अपना सर पकड़कर बैठ गया। उसने अपने कमरे का दरवाज़ा बंद कर लिया।


नमिता थोड़ी देर बाद उठी और अपना मुँह धो कर खाना लगाने लगी। फिर जाकर राज को आवाज़ दी: चलो अब खाना खा लो।


राज ने कहा: मुझे भूक नहीं है। आप खा लो।

नमिता: चलो नाटक छोड़ो, दरवाज़ा खोलो और खाना खा लो।

राज: कहा ना मैं नहीं खाऊँगा।

नमिता: भाड़ में जाओ। मैं खा रही हूँ।


नमिता खाने बैठी और उससे भी खाया नहीं गया।उसने खाना टेबल पर ही छोड़ दिया और अपने कमरे में चली गई। वह सोच रही थी कि ऐसा क्या करे कि उसका बेटा सामान्य हो जाए और पढ़ाई पर ध्यान दे।


थोड़ी देर के लिए उसको नींद लग गयी। जब वो उठी तो उसे याद आया कि राज ने पता नहीं खाना खाया होगा कि नहीं।


वह उठकर खाना चेक की और देखा कि राज ने खाना नहीं खाया था।


वह राज के कमरे में गई और खिड़की से झाँका और उसने देखा कि वह टेबल पर सर रखकर रो रहा था। वो सन्न रह गई और उसने कहा: राज बेटा,दरवाज़ा खोलो प्लीज़ अभी के अभी।


राज: माँ मुझे मर जाना चाहिए , मैंने आपको बहुत दुःख दिए हैं।


नमिता: क्या बक रहा है, चल दरवाज़ा खोल, तुझे मेरी क़सम है।


राज ने दरवाज़ा खोला और नमिता ने उसे अपनी बाहों में खींचकर प्यार से उसके गाल चूमने लगी, और बोली: ख़बरदार जो फिर कभी मरने की बात की। तेरे सिवाय मेरा इस दुनिया में कौन है?


राज भी उनसे चिपककर रोता रहा और बोला: माँ मैं बहुत परेशान हूँ समझ नहीं आ रहा है क्या करूँ?


नमिता: पगले मैं तो कब से कह रही हूँ मन की बात मुझे बता दे,तू तो कुछ बताता ही नहीं?


राज कुछ नहीं बोला , फिर वह बाथरूम से मुँह धोकर आया और बोला: माँ चार बज गए हैं , भूक लगी है।


वह बोली: चलो आओ खाना गरम कर देती हूँ, चलो तुम बैठो।

खाना खाने के बाद जब वो सोफ़े पर बैठे थे तब नमिता


बोली: बेटा,बताओ ना क्या हो गया है, तुम पढ़ाई में ध्यान क्यों नहीं लगा पा रहे हो?


राज: माँ , सच बोलूँ आप ग़ुस्सा तो नहीं होगे?

नमिता उसको अपने पास बुलायी और उसको अपनी गोद में सर रख कर लिटा ली और बोली: चल बता क्या बात है?


राज अब भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था पर बोला: माँ ये सच है कि मुझे हर समय सेक्स का ही ध्यान आता रहता है?


नमिता: तो शीला मैडम का ही सोचते रहते हो क्या?
राज: माँ सच में बड़ी उम्र की औरतें ही अच्छी लगती हैं मुझे।


नमिता: क्या सोचते हो मैडम के बारे में?

नमिता अब उसके बालों पर हाथ फेर रही थी। उसने उसके गालों पर हाथ फेरा और बोली: कितने दिन से शेव नहीं की? कितना खुरदरा लग रहा है।

राज: माँ मेरा क्या होगा? मैं तो बिलकुल पढ़ नहीं पा रहा हूँ।

नमिता: क्या तू शीला मैडम के साथ सेक्स करना चाहता है? ये तो हो नहीं सकता बेटा, वह शादीशुदा है ।तुम्हें इस पागलपन से बाहर आना ही होगा।


राज: माँ मैं क्या करूँ , मैं हमेशा सेक्स का ही सोचता रहता हूँ। मैं फ़ेल हो जाऊँगा माँ । और वह रोने लगा।


नमिता ने उसके गाल चूमते हुए कहा: बेटा, रोने से क्या होगा? हम कोई रास्ता निकालेंगे नहीं तो डॉक्टर के पास जाएँगे।


राज: माँ मुझे तो बहुत डर लग रहा है कि मैं इन हालात में कैसे पास होऊँगा।


नमिता: बेटा, कोई ना कोई रास्ता निकलेगा।

अच्छा एक बात पूछूँ ? सच बोलोगे?

राज: हाँ माँ अब मैं आपसे कुछ नहीं छिपाऊँगा । ये कहते उसने अपना मुँह अपनी माँ में पेट में छुपा लिया।


नमिता: ये बता कि तूने मेरी पैंटी में अपना रस क्यों निकाला? क्या तू मुझे भी ऐसी नज़र से देखता है जैसे मैडम को देखता है?


राज की सिट्टि पिट्टी गुम हो गई , उसे लगा कि धरती फट जाए और वह उसमें समा जाए। तो माँ को पता चल ही गया है।


वह बोला: माँ मुझे माफ़ कर दो ।और फिर वह एकदम से उठकर अपने कमरे में चला गया।

नमिता सोचने लगी कि अब क्या करे?

वह उठी और उसके पीछे उसके कमरे में गयी । वह पेट के बल लेता हुआ था और सिसक कर रो रहा था।



नमिता उसके बिस्तर पर बैठकर उसके पीठ में हाथ फेरती हुई बोली: बेटा, आख़िर बात क्या है? तू क्या मुझे भी ऐसी ही नज़र देख़ता है? बता ना?


राज रोते हुए बोला: हाँ माँ मैं बहुत पापी हूँ, मैं आपको भी ऐसी ही नज़र से देखता हूँ।


नमिता चुप रह गई और सोचने लगी कि अब क्या करे।
वह थोड़ी देर उसके पीठ पर हाथ फेरती रही फिर धीरे से बोली: बेटा ये ग़लत है ना, ये तुम जानते हो ना? समाज पाप मानता है। तुम समझ क्यों नहीं रहे हो बेटा।


राज: माँ मैं सब समझता हूँ पर क्या करूँ हर समय बस आपके बारे में ही सोचता रहता हूँ।

नमिता: क्या सोचते हो मेरे बारे में?

राज : माँ गंदी गंदी बातें।

नमिता: जैसे बताओ ?

राज: मुझे बताने में शर्म आ रही है।

नमिता: जब सोचने में शर्म नहीं आ रही है तो बताने में

कैसी शर्म, बोलो?

राज : वो वो - मैंने आपको -

नमिता: बोलो बोलो।

राज: मैंने आपको एक बार कपड़े बदलते हुए देख लिया था, आप ब्रा पैंटी में थीं, तब से मैं आपके साथ सेक्स करने का सोचने लगा हूँ।


नमिता थोड़ी परेशान हो कर बोली: बेटा तुम किसी भी औरत को देखोगे बिना कपड़ों के तो क्या उनके साथ सेक्स कर लोगे?

राज: मैं किसी औरत की नहीं बल्कि आपकी बात कर रहा हूँ।

नमिता: पर बेटा ऐसा नहीं होता, माँ बेटा सेक्स नहीं कर सकते।

राज: पर माँ, नदीम तो अपनी माँ के साथ सेक्स करता है, और प्रतीक भी अपनी माँ से सेक्स करना चाहता है।


नमिता हैरानी से बोली: क्या कह रहे हो? क्या सच में ऐसा है?

राज: हाँ माँ सच है बिलकुल।


नमिता: ओह, तभी तेरे दिमाग़ में ऐसे विचार आ रहे हैं।
नदीम का क्या कह रहा था तू?

राज: माँ , नदीम के अब्बा का ऐक्सिडेंट में कमर में नीचे चोट लगी थी और वह सेक्स के लायक नहीं रहे तो वह नदीम को बोले कि उसकी माँ कहीं दूसरों से ना चुद-- मेरा मतलब है सेक्स ना करने लगे, इससे अच्छा है कि नदीम ही उसे चो- मतलब सेक्स कर ले।


नमिता हैरानी से उसे देख रही थी और सोच रही थी कि ये इतना भोला नहीं है जैसा कि वह सोच रही थी। वह तो चोदने जैसे शब्द से भी वाक़िफ़ है। तो ये बात है , इन बातों से ही वह अपनी माँ की तरफ़ आकर्षित हुआ है।


नमिता: प्रतीक के बारे में क्या बोल रहा था तू?

राज: माँ वह भी अपनी माँ के साथ सेक्स करना चाहता है। वह तो शीला मैडम को चो- मतलब पा चुका है।


नमिता झटके में आ गई, और बोली: क्या? वह शीला के साथ सेक्स कर चुका है? ओह ये बड़ी विचित्र बात है।


राज: माँ, मुझे माफ़ कर दो, मैं पूरी कोशिश करूँगा सुधरने की।

नमिता हम्म कहकर उठ गई। और अपने कमरे में आ गयी।

नमिता सोच रही थी कि इस समस्या का हल शायद वह अकेली नहीं निकाल पाएगी , उसे किसी ना किसी की सहायता लेनी पड़ेगी। उसे दो ही नाम याद आए मनीष या शीला। पर यहाँ तो शीला तो ख़ुद ही एक अपने बेटे की उम्र के लड़के के साथ फँसी हुई है। शायद मनीष ही कुछ मदद कर सके। उसने मनीष को मेसिज किया कि क्या अभी बात हो सकती है?


मनीष का फ़ोन आ गया: वो बोला: हाय आंटी क्या हुआ?


नमिता: मैं थोड़ी परेशान हूँ, सोचा कि तुम शायद मदद कर सको।


मनीष: आंटी बोलो ना, आपके लिए सब कुछ करूँगा।


नमिता: असल में मैं राज को लेकर परेशान हूँ । वो पढ़ाई में लगातार नीचे की ओर जा रहा है। वो हरसमय सेक्स का सोचता रहता है।

मनीष: वह किससे सेक्स करना चाहता है?

नमिता: बड़ी उम्र की औरतों से और आज तो बोला कि मुझसे भी , अपनी माँ से । बताओ ऐसा भी कहीं होता है?

मनीष: आंटी होता है ऐसा भी। मैं भी तो आपको चोदते समय कई बार मम्मी बोलकर चोदता हूँ।कई लड़के अपनी माँ को ही चोदना चाहते हैं।

नमिता: ओह , राज भी कह रहा था किउसका एक दोस्त तो अपनी माँ के साथ लगा हुआ है और दूसरा लगाने को तय्यार है।

मनीष: अब ऐसे दोस्तों के साथ रहेगा तो फिर वह भी ऐसा ही सोचेगा।

वैसे आंटी एक बात बोलूँ आप उसको अपने मन की कर लेने दो ना। घर की ही तो बात है। कौन सी आपकी बुर घिस जाएगी और बेटे को भी मज़ा आ जाएगा।
नमिता: बकवास मत करो। एक मदद करोगे , मुझे नदीम की माँ से मिलना है। उसका सेल नम्बर चाहिए मुझे। मैं राज से नहीं लेना चाहती।

मनीष: वो कहाँ रहता है? कुछ तो बताओ उसके बारे में।

नमिता: मैं इतना ही जानती हूँ की सरोजिनी नगर में उसका एक कपड़े का शोरूम है नदीम गर्मेंट्स के नाम से ।

मनीष: ठीक है आंटी, मैं आपको कल उसका नम्बर दे दूँगा।

नमिता: थैंक्स, तुमसे बात करके अच्छा लगा।

मनीष: आंटी कल आ जाऊँ क्या चोदने का बहुत मन हो रहा है आपको।

नमिता: कल की कल देखेंगे पर मुझे नदीम की माँ का नम्बर दे देना।

मनीष उसको चूमता हुआ फ़ोन बंद कर दिया।

नमिता किचन मैं गयी और खाना बनाने लगी। आज शाम राज पार्क नहीं गया। नमिता ने उसे चाय के लिए आवाज़ दी पर वह नहीं आया।

नमिता ने चाय बनाई और उसके कमरे में लेकर गयी। वह कुर्सी पर बैठा था और उसका सिर टेबल पर था और वह सो रहा था।

नमिता को राज पर बहुत तरस आया और उसके बालों पर हाथ रखा और सहलाते हुए उठाने लगी। वह उठकर माँ को देखा तो बोला: अरे,मैं क्या यहीं सो गया था?

फिर वह उठकर बाथरूम गया और आकर चाय पीने लगा। वह अपनी माँ से नज़रें नहीं मिला सका। नमिता भी बाहर आकर किचन में चली गयी।







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राज को ये भी बोलना चाहिए था कि मैने आपके फोन में मैसेज पढ़े है।
 

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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Update:09






राज चाय पीकर बाहर आकर सोफ़े पर बैठा और वह वहाँ से माँ को काम करते देख रहा था। वह झुक कर शेल्फ़ में कुछ खोज रही थी। उनकी मस्त गाँड़ बाहर की ओर निकली हुई बहुत मस्त लग रही थी। उनकी पैंटी साफ़ दिख रही थी मैक्सी के अंदर से।फिर राज अपने कमरे में चला गया।




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नमिता किचन में काम करने के बाद सोफ़े पर बैठ कर TV देखने लगी। उसका ध्यान TV में नहीं लग रहा था वह आगे का सोच रही थी।


फिर थोड़ी देर बाद वह उठकर राज के कमरे में गई तो वह फिर से अपने ख़यालों में खोया हुआ था और किताब सामने खुली रखी थी। नमिता उसके पास आयी और बोली: क्या हुआ , सब ठीक है?


राज: माँ कुछ बात नहीं है , मुझे डॉक्टर के पास ले चलो , मैं पागल हो रहा हूँ। मुझे बचा लो। वह फिर से रोने लगा।


नमिता ने उसको अपने सीने से चिपका लिया और उसके गालों को चूमते हुए बोली: बेटा सब ठीक हो जाएगा। मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगी।

राज माँ के नरम नरम सीने से सट कर वह फिर से वासना से भरने लगा। उसने आँख खोली तो माँ की नंगी आधी छातियाँ उसे मैक्सी के ऊपर से दिख रही थी। अब उसने अपना मुँह वहाँ पर रगड़ने लगा और नरम छाती से छूअन का सुख महसूस करने लगा। नमिता को महसूस हुआ कि वो अपने गाल उसकी छाती में रगड़ रहा है। अचानक उसकी आँख उसकी लोअर की ओर गयी और वह दंग रह गयी क्योंकि वहाँ उसका खड़ा हथियार उसकी तरफ़ सिर उठाकर देख रहा था।


नमिता को समझ नहीं आया कि ये कैसी विडम्बना है, एक बार वह रोता है और जब वह उसे चुप कराकर शांत करना चाहती है तब वह उसके छूअन से इतना उत्तेजित होकर वासना से भर जाता है।


आख़िर इन सब बातों का हल क्या हो सकता है?
नमिता धीरे से अपने आप को अलग करके कमरे से बाहर आयी।


इसी ऊहापोह में उन दोनों ने खाना खाया और सो गए।
सुबह नमिता जब राज को उठाने गयी तब उसने उठने से मना कर दिया और कह दिया कि मेरी तबियत ख़राब है और मैं आज स्कूल नहीं जाऊँगा। नमिता ने उसके माथे पर हाथ रखा और देखा की उसे बुखार नहीं था ।

वह उसे कुछ नहीं बोली और कमरे से बाहर आ गयी ।


आजतक कभी राज ने स्कूल बंक नहीं किया था, यह एक नयी मुसीबत आ गई थी। और वह अपने आप को बहुत मजबूर महसूस कर रही थी।


राज ने नाश्ता भी नहीं किया और नमिता भी परेशान बैठी थी कि मनीष का मैसेज़ आया जिसने नदीम की माँ आयशा का नाम और नम्बर था, साथ ही लिखा था आ जाऊँ क्या आपका दोस्त बहुत तंग कर रहा है।

नमिता ने लिखा : धन्यवाद। और मेरे दोस्त को कंट्रोल में रखो।


अब उसने आयशा को फ़ोन किया और अपने बारे में बताकर कहा: आयशा जी मैं आपसे मिलना चाहती हूँ। अभी आप अकेली होंगी ना?


आयशा: हाँ मैं अभी अकेली हूँ आप आ जायिये अभी।

नमिता: मैं अभी आती हूँ, आपका पता Sms कर दीजिए।

अब नमिता ने सलवार कुर्ती डाली और आयशा के घर को चल पड़ी।

राज अभी भी अपने कमरे में ही था।

आयशा के घर पहुँचकर नमिता उसको देखकर दंग रह गई। बला की ख़ूबसूरत और बहुत गोरे रंग की भरे पूरे बदन कि मालकिन थी।

नमिता: आपसे पहली बार मिल रही हूँ। आपका बेटा नदीम और मेरा बेटा राज दोस्त हैं।

आयशा: हाँ नदीम भी आप दोनों के बारे में बातें करता रहता है।

नमिता: जी हाँ राज भी आपके परिवार की बातें बताता रहता है।

फिर नमिता ने राज की हालत के बारे में बताया कि कैसे पढ़ाई नहीं कर पा रहा है और कैसे वह हमेशा सेक्स के बारे में ही सोचते रहता है। और ये भी कि अगर वह इस कारण से पढ़ नहीं पाया तो उसकी ज़िन्दगी बरबाद हो जाएगी, वग़ैरह वगेरह ।

आयशा थोड़ी परेशान होकर बोली: तो बहनजी इसमें मैं क्या कर सकती हूँ?

नमिता: पता नहीं मैं आपसे ये बात कैसे कहूँ, मुझे भी बड़ी हिचक हो रही है।

आयशा: बताइए ना क्या बात है?

नमिता: देखिए मैं - मेरा मतलब है- असल में ये नदीम ने ही राज को बोला है- ये कि - वह आपके साथ - मतलब- मैं कैसे कहूँ- यानी आप उसके साथ सोती हैं।

आयशा को तो जैसे काटो तो ख़ून नहीं। उसका चेहरा सफ़ेद पड़ गया।

वह बोली: क्या - बकवास है यह- आप कैसी बातें कर रही हैं । आप कुछ भी बोल रही हैं।

नमिता: देखिए आपके बेटे ने ही ख़ुद यह सब राज को बताया है, और इसका असर राज पर भी हो रहा है। मैं बस ही चाहती हूँ किएक बार आप राज को बोल दो कि नदीम सब मनगढ़ंत बातें करता है और यह सच नहीं है।

आयशा: आपने कहा कि राज पर इसका असर हो रहा है, इसका मतलब?

नमिता: वह ही वही करना चाहता है जो आपका बेटा कहता है कि वह आपके साथ कर रहा है। मतलब वह भी मेरे साथ सोना चाहता है। ऐसा भी कहीं होता है भला?

आयशा थोड़ी परेशान से होकर बोली: आख़िर नदीम ये कैसे कह सकता है?

नमिता: आप चाहो तो फ़ोन पर पूँछ लो उसको?

आयशा: फ़ोन पर नहीं, आज जब आएगा तो उसकी ख़बर लूँगी।

नमिता: आप नदीम में साथ हमारे घर आ जायिये और राज को समझा दीजिए कि ऐसा नहीं होता कि माँ बेटा ये सब करें।

आयशा: पहले मैं नदीम से बात कर लूँ फिर बताऊँगी। मैं तो हैरान हूँ उसकी हरकतों से।

फिर नमिता उससे मिलने का कहकर अपने घर आ गयी। वैसे नमिता को विश्वास हो गया था किआयशा झूठ बोल रही है, जिस तरह से उसका रंग उड़ गया था, उससे यह साफ़ था कि नदीम उसको लगा रहा है।

वह अब आगे क्या करना है सोचते हुए घर की ओर चल पड़ी।

घर पहुँचकर उसने राज को ज़बरदस्ती कुछ खिलाया और फिर अपने कमरे में लेट गयी। तभी landline की घंटी बजी और इसके पहले कि वह फ़ोन उठाती, शायद राज ने उठा लिया। नमिता ने भी parallel लाइन का फ़ोन उठाया। उधर राज ने कहा: हेलो। हाँ नदीम बोलो ।

नदीम: क्या यार क्या लोचा कर दिया तूने?
राज: मैंने क्या किया?

नदीम: अरे तूने अपनी माँ को बता दिया कि मैं अपनी अम्मी को चोदता हूँ। साले हरामी ये क्यों किया तूने? अम्मी ग़ुस्से से पागल हो रहीं हैं।

राज: वो वो तुझे कैसे पता ?

नदीम: अबे कमीने तेरी माँ अम्मी अम्मी से मिलकर गयीं हैं और ये बोली है कि वो तुम्हें बताएँ कि हम दोनों माँ बेटे में ऐसा कुछ नहीं है। शायद तू भी अपनी माँ को चोदना चाहता है इसलिए वह बहुत परेशान है।

राज: माँ तुम्हारे घर गयी थी? मुझे नहीं पता।

नदीम: अबे तुमने अपनी माँ को चोदना है तो चोद साले मेरा मज़ा क्यों ख़राब करता है। और सुन मेरी अम्मी नहीं आने वाली तेरे घर । जो उखाड़ना है उखाड़ लेना। मादरचोद साला।


ये कहकर उसने फ़ोन पटक दिया। नमिता उनकी बातें सुनकर सन्न रह गयी और सोचने लगी तो सच में नदीम अपनी माँ के साथ सब कर रहा है। और अब राज भी यही करना चाहता है।

उसने अपना सिर पकड़ लिया।

राज नदीम के फ़ोन रखने के बाद उठकर ग़ुस्से से माँ के कमरे में आया और चिल्लाया:: आप नदीम के घर गयीं थीं?

नमिता शांति से बोली: हाँ गयी थी।

राज: क्यों गयीं थीं , ये बोलने कि वह अपनी माँ को चो- मेरा मतलब है कि वह अपनी माँ के साथ सेक्स करता है? दिमाग़ ख़राब है आपका?

नमिता: दिमाग़ मेरा नहीं तुम लड़कों का ख़राब है जो अपनी माँओं के साथ बुरा काम करना चाहते हो?

राज: मैंने आपको ये बात इसलिए नहीं कहा था कि आप दौड़ते हुए उसकी माँ की ये सब बता दें।मैंने उसे वादा किया था कि ये बात मैं किसी को भी नहीं बताऊँगा। पर आप सब गड़बड़ कर दीं।

नमिता: अगर उसने तुझे मना किया तो मुझे तूने क्यों बताया। मैंने जो ठीक समझा मैंने किया। मैं सोची थी कि आयशा नदीम को लेकर तुझे समझाने आएगी, पर वह तो अपनी बदनामी का ही सोच रही है । उसे नदीम से चुद--- मतलब करवाना भी है और शरीफ़ भी बने रहना है, क़ुतिया की बच्ची।

राज:माँ आपने बड़ी गड़बड़ कर दी। मुझे तो डर लग रहा है कि कहीं नदीम मेरी पिटायी ना कर दे।

नमिता: अरे कुछ नहीं होगा। तू तो उसका राज़दार है। तुझसे वह हमेशा दूर ही रहेगा।

राज: माँ एक राज तो मैं आपका भी जानता हूँ।

नमिता थोड़ी से परेशान होकर बोली: क्या जानता है?
राज: आपके और मनीष भय्या के बारे में।

नमिता अब गम्भीर होकर बोली: देखो बेटा, मेरे और मनीष में कोई ख़ून का रिश्ता नहीं है। हाँ ये सच है कि हम दोनों एक दूसरे को चाहते हैं। पर इसमें हम दोनों का एक ही मक़सद है कि अपने शरीर की प्यास बुझाना। मैं इसे ग़लत नहीं मानती। हाँ हम दोनों की उम्र में अंतर है पर उससे क्या होता है।

राज: आपको शर्म नहीं आती इतने छोटे से लड़के से लगी हुईं हैं?

नमिता: नहीं मुझे कोई शर्म नहीं आती क्योंकि मैं एक बालिग़ लड़के से सेक्स कर रही हूँ, और मैंने उसे फँसाया नहीं है। बल्कि वह ख़ुद मेरे पीछे पड़ा हुआ था । और सेक्स करना गुनाह नहीं है। यह एक शारीरिक ज़रूरत है जैसे भोजन या पानी। समझे?

राज अब आगे कुछ नहीं कह सका और कमरे से बाहर चला गया।

नमिता राज की बातों से दुखी थी , वह सोच रही थी कि राज शायद उसे ब्लैक्मेल करने की सोच होगा। पर उसने उसे असफल कर दिया।
पर उसे मनीष के बारे में पता कैसे चला?


नमिता अब किचन में जाकर अपने रोज के कामों में व्यस्त हो गई।

राज अपने कमरे में बैठा सोच रहा था कि माँ को मनीष के सबंधों को मानने में जैसे कोई हिचक ही नही हुई।फिर वह सोचा कि ठीक ही तो बोल रही थीं वह, शारीरिक सुख उनको भी चाहिए। वह जानता था कि वह चाहती तो उसके लिए सौतेला बाप ला सकती थी। उसे याद था कि कुछ लोगों ने उनको दूसरी शादी के लिए काफ़ी कहा था , पर वह राज के लिए कभी इसके लिए नहीं मानी। वह कहती थी कि मैं अपने बेटे के साथ अन्याय नहीं कर सकती। अब राज थोड़ा दुखी हुआ अपने व्यवहार पर।उसने माँ से माफ़ी माँगने का निश्चय किया।


वह किचन में पहुँचा , वहाँ माँ आटा गून्द रही थी। उसके माथे पर पसीने की बूँदें थीं। उनके हाथ बहुत ताक़त से अपना काम कर रहे थे। उनकी कुर्ती में उनकी छातियाँ बुरी तरह हिल रही थीं।


राज ने वहाँ जाकर अपने कान पकड़ लिए और बोला: सॉरी माँ मैंने आपको मनीष भय्या के बारे में ग़लत सलत बोल दिया।मुझे माफ़ कर दीजिए।


नमिता हँसकर बोली: चल मेरा पसीना पोंछ , बदमाश कहीं का।

राज ने हँसते हुए अपना रुमाल निकाला और उसके माथे का पसीना पोंछा , फिर उसने गले को पोंछा । अब उसे छातियों के ऊपर का पसीना दिखाई दिया और एक मिनट के लिए वह हिचकिचाया, फिर उसने अपना रुमाल उसकी छाती के ऊपर के हिस्से पर रखा और पोछने लगा। नमिता चुपचाप उसकी हरकत देख रही थी, पर कुछ नहीं बोली। वह देखना चाहती थी वह कहाँ तक जाने की हिम्मत करता है।


अब राज के हाथ और नीचे नहीं जा पाए। नमिता ने झुककर उसका माथा चूम लिया और बोली: थैंक्स बेटा।


राज: माँ मैं आपकी मदद कर दूँ?


नमिता: तो अब स्कूल छोड़कर तू किचन में काम करेगा। और आज मैं भी ऑफ़िस नहीं गयी। अगर ऐसा करेंगे तो घर का ख़र्च कैसे चलेगा। और तेरे स्कूल का क्या होगा?


अब नमिता ने हाथ धो लिया था और फ्रिज मेंआटा रखा और मूडी तब राज उससे लिपट गया और बोला: माँ मैं कल से स्कूल जाऊँगा। आप परेशान ना हों।

नमिता ने उसके गाल चूमकर कहा: शाबाश बेटा , तुम्हें हिम्मत से काम लेना होगा और पढ़ाई में फिर से ध्यान देना होगा।

राज फिर से उदास होकर बोला: वह तो पता नहीं हो पाएगा या नहीं, पर मैं कोशिश पूरी करूँगा।

नमिता: ठीक है बेटा, लेकिन एक वादा करो कि अब मुझसे कुछ नहीं छिपाओगे! हर परेशानी को मुझसे कहना ताकि मैं तुम्हारी मदद कर सकूँ।

राज: ठीक है माँ , मैं कुछ नहीं छिपाऊँगा आपसे।

नमिता: खा मेरी क़सम?

राज: जी माँ आपकी क़सम। अब कुछ नहीं छिपाऊँगा।
नमिता उसे अपनी तरफ़ खींच कर अपने से लिपटा कर प्यार करने लगी और वह भी माँ से चिपक कर उनके नरम गुदाज बदन का अहसास पा कर अपना लंड खड़ा कर बैठा।अब वह अपने आप को पीछे किया ताकि माँ को उसका खड़ा लंड उनके पेट पर छू ना जाए।
नमिता ने देखा कि वह अपने नीचे का हिस्सा पीछे कर रहा है तो वह समझ गई कि उसका बेटा फिर से उत्तेजित हो रहा है पर पता नहीं उसे राज पर ग़ुस्सा नहीं आया। वह उसके गाल सहलाते हुए बोली: ये हुई ना मेरे राजा बेटे वाली बात। चल अब खाना बनाऊँ?

राज ने कहा: हाँ माँ भूक लगी है।

ऐसा लग रहा था कि सब ठीक हो गया है, पर शायद यह तूफ़ान आने के पहले की शांति थी????

राज अगली सुबह जल्दी उठ गया और किचन में पहुँचकर चाय बनाने लगा। वह कभी कभी माँ के लिए भी चाय बना दिया करता था। आज भी उसने माँ की भी चाय बनाई और दोनों कप हाथ में लेकर माँ के कमरे में पहुँचा। उसने खिड़की से झाँका और देखा कि माँ अभी भी सो रही है। वह पेट के बल सीधी सो रहीं थी। वह अंदर गया और उसने देखा कि माँ की मैक्सी सिमटकर ऊपर आ गयी थी और उनके घुटनो तक का हिस्सा दिख रहा था। क्या मस्त चिकनी भरी हुई टाँगें थीं। राज ने धीरे से मैक्सी को उठाया और थोड़ी सी जाँघों की झलक मिलते ही उसका लंड खड़ा होने लगा।
अब वह आगे बढा और उसने देखा कि माँ ने शायद ब्रा नहीं पहनी थी क्योंकि उनके निपल्ज़ अलग से मैक्सी के ऊपर से उभरे हुए थे।


दोनों दूध लेटे होने के कारण मैक्सी से तने हुए एर बड़े लग रहे थे।वह बहुत गरम हो गया। उसने चारों ओर देखा कि कहीं माँ की ब्रा मिल जाए पर उसे कहीं नज़र नहीं आइ। अब उसने सोचा कि माँ ज़रूर बाथरूम में ही उतारी होंगी। वह धीरे से बाथरूम में चला गया और वह एकदम सही था। सामने ही माँ की ब्रा टँगी थी। उसने उसे उठाया और सूँघा और उसमें से आ रही पाउडर और पसीने की गंध से जैसे वह मद होश हो गया। अब वह बाहर आया और फिर उसने आवाज़ दी बोला: माँ उठिए ना, चाय लाया हूँ ।


नमिता उसकी आवाज़ से उठी और उसको देखकर मुस्करायी और बोली: आज मेरे से पहले कैसे उठ गया तू?


राज: बस नींद खुल गई तो उठकर चाय बना लिया।
नमिता उठते हुए बोली: ठहर ज़रा बाथरूम से आती हूँ। और वह बाथरूम चली गई। जब वो उठी थी तो बिना ब्रा के उनके दूध जिस तरह से हिले राज का लंड उससे भी ज़ोर से हिल गया।


उसकी बड़ी इच्छा थी किवह बाथरूम में झाँके और देखे कि माँ क्या कर रही है। वह दरवाज़े के पास गया पर उसे वहाँ कोई छेद नहीं नज़र आया। वह जानता था कि माँ ब्रा पहनेगी। वह यह दृश्य देखना चाहता था। पर मजबूर था कि कोई उपाय उसे नज़र नहीं आया।


तभी माँ बाहर आयी और राज ने देखा कि अब छातियाँ ब्रा के अंदर साफ़ तनी नज़र आ रहीं थीं। वह मस्त हो गया पर दिखावे के लिए बोला: लो माँ चाय पी लो।
अब दोनों वहीं बिस्तर पर बैठकर चाय पी रहे थे।

नमिता: बेटा नींद आयी।

राज: हाँ माँ आज ठीक से आयी।

नमिता : चलो अब स्कूल के लिए तय्यार हो जाओ मैं भी आज ऑफ़िस जाऊँगी।

राज माँ से लिपटकर बोला: ओके माँ नहा लेता हूँ।

नमिता भी उसे प्यार करते हुए बोली: चल ठीक है।
राज स्कूल बस में बैठा था, तभी अगले स्टॉप से श्रेय और शीला मैडम चढ़ीं और वह राज के पास आकर बैठ गई।श्रेय राज को हाय करके पीछे चला गया। राज ने शीला को GOOD MORNING किया।


शीला आज सलवार कुर्ता में थी। उसकी एक बड़ी सी चुचि राज के साइड मेंथी, उसकी चुनरी तो गले पर थी। राज उसकी ब्रा में कसी चुचि देखकर वो कमरे का दृश्य याद करने लगा जब वह टेबल के सहारे झुकी हुई थी और प्रतीक उसको बुरी तरह से चोद रहा था। और उसकी लटकी हुई बड़ी बड़ी चूचियाँ धक्कों से बुरी तरह से हिल रही थीं।



तभी शीला बोली: क्या हाल है तुम्हारा?

राज: जी ठीक हूँ।

शीला: आजकल तुम्हारा दोस्त प्रतीक दिखाई नहीं देता।

राज चौंक कर बोला: मैडम पता नहीं, मैं ख़ुद दो दिन से स्कूल नहीं आया , तबियत ख़राब थी।

शीला: ओह, प्रतीक मिले तो बोलना कि मैं याद कर रही थी। मुझे ऑफ़िस में आकर मिले।

राज: जो मैडम।

राज मन ही मन में सोचने लगा कि लगता है, मैडम प्यासी हो गई हैं। उसने एक नई चाल चली।

राज बोला: मैडम अगर मैं आज स्कूल के बाद श्रेय के साथ विडीओ गेम खेलने आऊँ तो आपको कोई इतराज तो नहीं होगा?

शीला बुरी तरह से चौक गयी और उसे गहरी निगाहों से देखते हुए बोली: मुझे क्यों इतराज होगा?

वह उसकी आँखों में झाँक कर जैसे उसको टटोल रही थी कि कहीं प्रतीक ने उसे कुछ बता तो नहीं दिया?

पर राज ने ऐसा भोला सा चेहरा बनाया हुआ था कि वह कुछ समझ ही नहीं पायी।

स्कूल आने पर सब उतर गए और राज हमेशा की तरह मैडम के विशाल चूतर देख कर गरम हो गया।

लंच ब्रेक में उसने एक दोस्त के मोबाइल से प्रतीक को फ़ोन किया पर उसका मोबाइल बंद आ रहा था।

आख़री क्लास शीला मैडम की ही थी। वह जानबूझकर आख़री सीट पर अकेला बैठा था। सबको एक सवाल बनाने को कहकर मैडम कमरे में घूमते हुए राज के पास आयी और झुक कर देखने लगी कि वह सवाल का जवाब कैसे बना रहा है । राज उसकी चूचियों की घाटी देखने लगा। मैडम ने उसे देखते ही पकड़ लिया पर कुछ बोली नहीं। मैडम उसे समझाने लगी कि जवाब कैसे बनाना है।

तभी राज ने कापी में लिखा: प्रतीक का फ़ोन स्विच ऑफ़ है। और उसके एक दोस्त ने बताया है कि वह अपने पापा के साथ विदेश गया है।

यह पढ़ कर मैडम का मुँह उतर गया। राज ने फिर

लिखा: क्या स्कूल के बाद मैं आपके ऑफ़िस में थोड़ी देर के लिए आ सकता हूँ?

मैडम ने वह पढ़कर हैरानी से उसको देखा और लिखा: क्या काम है?

राज ने लिखा: आपसे मिलने पर ही बताऊँगा।

मैडम: अच्छा आ जाना पर स्कूल के बंद होने के करीब २० मिनट बाद आना। यह लिखकर वो राज के पास से हट गई।

राज का लंड तो जैसे पैंट के अंदर समा ही नहीं रहा था। उसे पता नहीं क्यों लग रहा था कि आज उसकी क़िस्मत खुलने वाली है।

स्कूल के बंद होते ही वह श्रेय से मिला और बोला: यार आज में तेरे घर आऊँ क्या गेम खेलने?

श्रेय ख़ुश होकर बोला: हाँ आओ ना मज़ा आएगा। चलो अभी मेरे साथ।

राज बोला: मैं थोड़ी देर में आता हूँ तुम चलो।

जैसे ही क़रीब १५ मिनट हुए वह मैडम के कमरे में घुसा। वह अपनी कुर्सी में बैठी कुछ काम कर रही थी। राज को देखकर मुसकारती हुई बोली: आओ राज बैठो,बोलो क्या काम है?

राज की तो जैसे ज़बान सुख गई। उसकी आवाज़ हो नहीं निकल सकी और वह आकर साइड से मैडम के पास आकर खड़ा हो गया।उसका लंड पूरा खड़ा था मैडम की चूचियों की गहरायी देखकर, उसने उसको सामने पड़ी कुर्सी में पीछे छिपाया हुआ था।

मैडम: बोलो ना क्या बात है, तुम मिलना चाहते थे ना?

राज: वो - वो - मैडम - वो मैं - मेरा मतलब है कि - --

मैडम: अरे क्या हुआ बोलते क्यों नहीं?

राज: मैडम आप ग़ुस्सा हो जाएँगी। वो बात ही ऐसी है।

मैडम: मतलब? ऐसी क्या बात है। अब वह थोड़ी परेशान लग रही थी, उसे लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं है।

वह फिर से बोली: चलो बोलो, नहीं होऊँगी ग़ुस्सा, बस।
राज कमरे की खिड़की की ओर इशारा किया और

बोला: मैडम, कुछ दिन पहले मैं इस खिड़की पर खड़ा था और मैंने आपको और प्रतीक को सब कुछ करते हुए देख लिया था।








To be continue
 

Motaland2468

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राज चाय पीकर बाहर आकर सोफ़े पर बैठा और वह वहाँ से माँ को काम करते देख रहा था। वह झुक कर शेल्फ़ में कुछ खोज रही थी। उनकी मस्त गाँड़ बाहर की ओर निकली हुई बहुत मस्त लग रही थी। उनकी पैंटी साफ़ दिख रही थी मैक्सी के अंदर से।फिर राज अपने कमरे में चला गया।




70554807-006-3ff8


नमिता किचन में काम करने के बाद सोफ़े पर बैठ कर TV देखने लगी। उसका ध्यान TV में नहीं लग रहा था वह आगे का सोच रही थी।


फिर थोड़ी देर बाद वह उठकर राज के कमरे में गई तो वह फिर से अपने ख़यालों में खोया हुआ था और किताब सामने खुली रखी थी। नमिता उसके पास आयी और बोली: क्या हुआ , सब ठीक है?


राज: माँ कुछ बात नहीं है , मुझे डॉक्टर के पास ले चलो , मैं पागल हो रहा हूँ। मुझे बचा लो। वह फिर से रोने लगा।


नमिता ने उसको अपने सीने से चिपका लिया और उसके गालों को चूमते हुए बोली: बेटा सब ठीक हो जाएगा। मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगी।

राज माँ के नरम नरम सीने से सट कर वह फिर से वासना से भरने लगा। उसने आँख खोली तो माँ की नंगी आधी छातियाँ उसे मैक्सी के ऊपर से दिख रही थी। अब उसने अपना मुँह वहाँ पर रगड़ने लगा और नरम छाती से छूअन का सुख महसूस करने लगा। नमिता को महसूस हुआ कि वो अपने गाल उसकी छाती में रगड़ रहा है। अचानक उसकी आँख उसकी लोअर की ओर गयी और वह दंग रह गयी क्योंकि वहाँ उसका खड़ा हथियार उसकी तरफ़ सिर उठाकर देख रहा था।


नमिता को समझ नहीं आया कि ये कैसी विडम्बना है, एक बार वह रोता है और जब वह उसे चुप कराकर शांत करना चाहती है तब वह उसके छूअन से इतना उत्तेजित होकर वासना से भर जाता है।


आख़िर इन सब बातों का हल क्या हो सकता है?
नमिता धीरे से अपने आप को अलग करके कमरे से बाहर आयी।


इसी ऊहापोह में उन दोनों ने खाना खाया और सो गए।
सुबह नमिता जब राज को उठाने गयी तब उसने उठने से मना कर दिया और कह दिया कि मेरी तबियत ख़राब है और मैं आज स्कूल नहीं जाऊँगा। नमिता ने उसके माथे पर हाथ रखा और देखा की उसे बुखार नहीं था ।

वह उसे कुछ नहीं बोली और कमरे से बाहर आ गयी ।


आजतक कभी राज ने स्कूल बंक नहीं किया था, यह एक नयी मुसीबत आ गई थी। और वह अपने आप को बहुत मजबूर महसूस कर रही थी।


राज ने नाश्ता भी नहीं किया और नमिता भी परेशान बैठी थी कि मनीष का मैसेज़ आया जिसने नदीम की माँ आयशा का नाम और नम्बर था, साथ ही लिखा था आ जाऊँ क्या आपका दोस्त बहुत तंग कर रहा है।

नमिता ने लिखा : धन्यवाद। और मेरे दोस्त को कंट्रोल में रखो।


अब उसने आयशा को फ़ोन किया और अपने बारे में बताकर कहा: आयशा जी मैं आपसे मिलना चाहती हूँ। अभी आप अकेली होंगी ना?


आयशा: हाँ मैं अभी अकेली हूँ आप आ जायिये अभी।

नमिता: मैं अभी आती हूँ, आपका पता Sms कर दीजिए।

अब नमिता ने सलवार कुर्ती डाली और आयशा के घर को चल पड़ी।

राज अभी भी अपने कमरे में ही था।

आयशा के घर पहुँचकर नमिता उसको देखकर दंग रह गई। बला की ख़ूबसूरत और बहुत गोरे रंग की भरे पूरे बदन कि मालकिन थी।

नमिता: आपसे पहली बार मिल रही हूँ। आपका बेटा नदीम और मेरा बेटा राज दोस्त हैं।

आयशा: हाँ नदीम भी आप दोनों के बारे में बातें करता रहता है।

नमिता: जी हाँ राज भी आपके परिवार की बातें बताता रहता है।

फिर नमिता ने राज की हालत के बारे में बताया कि कैसे पढ़ाई नहीं कर पा रहा है और कैसे वह हमेशा सेक्स के बारे में ही सोचते रहता है। और ये भी कि अगर वह इस कारण से पढ़ नहीं पाया तो उसकी ज़िन्दगी बरबाद हो जाएगी, वग़ैरह वगेरह ।

आयशा थोड़ी परेशान होकर बोली: तो बहनजी इसमें मैं क्या कर सकती हूँ?

नमिता: पता नहीं मैं आपसे ये बात कैसे कहूँ, मुझे भी बड़ी हिचक हो रही है।

आयशा: बताइए ना क्या बात है?

नमिता: देखिए मैं - मेरा मतलब है- असल में ये नदीम ने ही राज को बोला है- ये कि - वह आपके साथ - मतलब- मैं कैसे कहूँ- यानी आप उसके साथ सोती हैं।

आयशा को तो जैसे काटो तो ख़ून नहीं। उसका चेहरा सफ़ेद पड़ गया।

वह बोली: क्या - बकवास है यह- आप कैसी बातें कर रही हैं । आप कुछ भी बोल रही हैं।

नमिता: देखिए आपके बेटे ने ही ख़ुद यह सब राज को बताया है, और इसका असर राज पर भी हो रहा है। मैं बस ही चाहती हूँ किएक बार आप राज को बोल दो कि नदीम सब मनगढ़ंत बातें करता है और यह सच नहीं है।

आयशा: आपने कहा कि राज पर इसका असर हो रहा है, इसका मतलब?

नमिता: वह ही वही करना चाहता है जो आपका बेटा कहता है कि वह आपके साथ कर रहा है। मतलब वह भी मेरे साथ सोना चाहता है। ऐसा भी कहीं होता है भला?

आयशा थोड़ी परेशान से होकर बोली: आख़िर नदीम ये कैसे कह सकता है?

नमिता: आप चाहो तो फ़ोन पर पूँछ लो उसको?

आयशा: फ़ोन पर नहीं, आज जब आएगा तो उसकी ख़बर लूँगी।

नमिता: आप नदीम में साथ हमारे घर आ जायिये और राज को समझा दीजिए कि ऐसा नहीं होता कि माँ बेटा ये सब करें।

आयशा: पहले मैं नदीम से बात कर लूँ फिर बताऊँगी। मैं तो हैरान हूँ उसकी हरकतों से।

फिर नमिता उससे मिलने का कहकर अपने घर आ गयी। वैसे नमिता को विश्वास हो गया था किआयशा झूठ बोल रही है, जिस तरह से उसका रंग उड़ गया था, उससे यह साफ़ था कि नदीम उसको लगा रहा है।

वह अब आगे क्या करना है सोचते हुए घर की ओर चल पड़ी।

घर पहुँचकर उसने राज को ज़बरदस्ती कुछ खिलाया और फिर अपने कमरे में लेट गयी। तभी landline की घंटी बजी और इसके पहले कि वह फ़ोन उठाती, शायद राज ने उठा लिया। नमिता ने भी parallel लाइन का फ़ोन उठाया। उधर राज ने कहा: हेलो। हाँ नदीम बोलो ।

नदीम: क्या यार क्या लोचा कर दिया तूने?
राज: मैंने क्या किया?

नदीम: अरे तूने अपनी माँ को बता दिया कि मैं अपनी अम्मी को चोदता हूँ। साले हरामी ये क्यों किया तूने? अम्मी ग़ुस्से से पागल हो रहीं हैं।

राज: वो वो तुझे कैसे पता ?

नदीम: अबे कमीने तेरी माँ अम्मी अम्मी से मिलकर गयीं हैं और ये बोली है कि वो तुम्हें बताएँ कि हम दोनों माँ बेटे में ऐसा कुछ नहीं है। शायद तू भी अपनी माँ को चोदना चाहता है इसलिए वह बहुत परेशान है।

राज: माँ तुम्हारे घर गयी थी? मुझे नहीं पता।

नदीम: अबे तुमने अपनी माँ को चोदना है तो चोद साले मेरा मज़ा क्यों ख़राब करता है। और सुन मेरी अम्मी नहीं आने वाली तेरे घर । जो उखाड़ना है उखाड़ लेना। मादरचोद साला।


ये कहकर उसने फ़ोन पटक दिया। नमिता उनकी बातें सुनकर सन्न रह गयी और सोचने लगी तो सच में नदीम अपनी माँ के साथ सब कर रहा है। और अब राज भी यही करना चाहता है।

उसने अपना सिर पकड़ लिया।

राज नदीम के फ़ोन रखने के बाद उठकर ग़ुस्से से माँ के कमरे में आया और चिल्लाया:: आप नदीम के घर गयीं थीं?

नमिता शांति से बोली: हाँ गयी थी।

राज: क्यों गयीं थीं , ये बोलने कि वह अपनी माँ को चो- मेरा मतलब है कि वह अपनी माँ के साथ सेक्स करता है? दिमाग़ ख़राब है आपका?

नमिता: दिमाग़ मेरा नहीं तुम लड़कों का ख़राब है जो अपनी माँओं के साथ बुरा काम करना चाहते हो?

राज: मैंने आपको ये बात इसलिए नहीं कहा था कि आप दौड़ते हुए उसकी माँ की ये सब बता दें।मैंने उसे वादा किया था कि ये बात मैं किसी को भी नहीं बताऊँगा। पर आप सब गड़बड़ कर दीं।

नमिता: अगर उसने तुझे मना किया तो मुझे तूने क्यों बताया। मैंने जो ठीक समझा मैंने किया। मैं सोची थी कि आयशा नदीम को लेकर तुझे समझाने आएगी, पर वह तो अपनी बदनामी का ही सोच रही है । उसे नदीम से चुद--- मतलब करवाना भी है और शरीफ़ भी बने रहना है, क़ुतिया की बच्ची।

राज:माँ आपने बड़ी गड़बड़ कर दी। मुझे तो डर लग रहा है कि कहीं नदीम मेरी पिटायी ना कर दे।

नमिता: अरे कुछ नहीं होगा। तू तो उसका राज़दार है। तुझसे वह हमेशा दूर ही रहेगा।

राज: माँ एक राज तो मैं आपका भी जानता हूँ।

नमिता थोड़ी से परेशान होकर बोली: क्या जानता है?
राज: आपके और मनीष भय्या के बारे में।

नमिता अब गम्भीर होकर बोली: देखो बेटा, मेरे और मनीष में कोई ख़ून का रिश्ता नहीं है। हाँ ये सच है कि हम दोनों एक दूसरे को चाहते हैं। पर इसमें हम दोनों का एक ही मक़सद है कि अपने शरीर की प्यास बुझाना। मैं इसे ग़लत नहीं मानती। हाँ हम दोनों की उम्र में अंतर है पर उससे क्या होता है।

राज: आपको शर्म नहीं आती इतने छोटे से लड़के से लगी हुईं हैं?

नमिता: नहीं मुझे कोई शर्म नहीं आती क्योंकि मैं एक बालिग़ लड़के से सेक्स कर रही हूँ, और मैंने उसे फँसाया नहीं है। बल्कि वह ख़ुद मेरे पीछे पड़ा हुआ था । और सेक्स करना गुनाह नहीं है। यह एक शारीरिक ज़रूरत है जैसे भोजन या पानी। समझे?

राज अब आगे कुछ नहीं कह सका और कमरे से बाहर चला गया।

नमिता राज की बातों से दुखी थी , वह सोच रही थी कि राज शायद उसे ब्लैक्मेल करने की सोच होगा। पर उसने उसे असफल कर दिया।
पर उसे मनीष के बारे में पता कैसे चला?


नमिता अब किचन में जाकर अपने रोज के कामों में व्यस्त हो गई।

राज अपने कमरे में बैठा सोच रहा था कि माँ को मनीष के सबंधों को मानने में जैसे कोई हिचक ही नही हुई।फिर वह सोचा कि ठीक ही तो बोल रही थीं वह, शारीरिक सुख उनको भी चाहिए। वह जानता था कि वह चाहती तो उसके लिए सौतेला बाप ला सकती थी। उसे याद था कि कुछ लोगों ने उनको दूसरी शादी के लिए काफ़ी कहा था , पर वह राज के लिए कभी इसके लिए नहीं मानी। वह कहती थी कि मैं अपने बेटे के साथ अन्याय नहीं कर सकती। अब राज थोड़ा दुखी हुआ अपने व्यवहार पर।उसने माँ से माफ़ी माँगने का निश्चय किया।


वह किचन में पहुँचा , वहाँ माँ आटा गून्द रही थी। उसके माथे पर पसीने की बूँदें थीं। उनके हाथ बहुत ताक़त से अपना काम कर रहे थे। उनकी कुर्ती में उनकी छातियाँ बुरी तरह हिल रही थीं।


राज ने वहाँ जाकर अपने कान पकड़ लिए और बोला: सॉरी माँ मैंने आपको मनीष भय्या के बारे में ग़लत सलत बोल दिया।मुझे माफ़ कर दीजिए।


नमिता हँसकर बोली: चल मेरा पसीना पोंछ , बदमाश कहीं का।

राज ने हँसते हुए अपना रुमाल निकाला और उसके माथे का पसीना पोंछा , फिर उसने गले को पोंछा । अब उसे छातियों के ऊपर का पसीना दिखाई दिया और एक मिनट के लिए वह हिचकिचाया, फिर उसने अपना रुमाल उसकी छाती के ऊपर के हिस्से पर रखा और पोछने लगा। नमिता चुपचाप उसकी हरकत देख रही थी, पर कुछ नहीं बोली। वह देखना चाहती थी वह कहाँ तक जाने की हिम्मत करता है।


अब राज के हाथ और नीचे नहीं जा पाए। नमिता ने झुककर उसका माथा चूम लिया और बोली: थैंक्स बेटा।


राज: माँ मैं आपकी मदद कर दूँ?


नमिता: तो अब स्कूल छोड़कर तू किचन में काम करेगा। और आज मैं भी ऑफ़िस नहीं गयी। अगर ऐसा करेंगे तो घर का ख़र्च कैसे चलेगा। और तेरे स्कूल का क्या होगा?


अब नमिता ने हाथ धो लिया था और फ्रिज मेंआटा रखा और मूडी तब राज उससे लिपट गया और बोला: माँ मैं कल से स्कूल जाऊँगा। आप परेशान ना हों।

नमिता ने उसके गाल चूमकर कहा: शाबाश बेटा , तुम्हें हिम्मत से काम लेना होगा और पढ़ाई में फिर से ध्यान देना होगा।

राज फिर से उदास होकर बोला: वह तो पता नहीं हो पाएगा या नहीं, पर मैं कोशिश पूरी करूँगा।

नमिता: ठीक है बेटा, लेकिन एक वादा करो कि अब मुझसे कुछ नहीं छिपाओगे! हर परेशानी को मुझसे कहना ताकि मैं तुम्हारी मदद कर सकूँ।

राज: ठीक है माँ , मैं कुछ नहीं छिपाऊँगा आपसे।

नमिता: खा मेरी क़सम?

राज: जी माँ आपकी क़सम। अब कुछ नहीं छिपाऊँगा।
नमिता उसे अपनी तरफ़ खींच कर अपने से लिपटा कर प्यार करने लगी और वह भी माँ से चिपक कर उनके नरम गुदाज बदन का अहसास पा कर अपना लंड खड़ा कर बैठा।अब वह अपने आप को पीछे किया ताकि माँ को उसका खड़ा लंड उनके पेट पर छू ना जाए।
नमिता ने देखा कि वह अपने नीचे का हिस्सा पीछे कर रहा है तो वह समझ गई कि उसका बेटा फिर से उत्तेजित हो रहा है पर पता नहीं उसे राज पर ग़ुस्सा नहीं आया। वह उसके गाल सहलाते हुए बोली: ये हुई ना मेरे राजा बेटे वाली बात। चल अब खाना बनाऊँ?

राज ने कहा: हाँ माँ भूक लगी है।

ऐसा लग रहा था कि सब ठीक हो गया है, पर शायद यह तूफ़ान आने के पहले की शांति थी????

राज अगली सुबह जल्दी उठ गया और किचन में पहुँचकर चाय बनाने लगा। वह कभी कभी माँ के लिए भी चाय बना दिया करता था। आज भी उसने माँ की भी चाय बनाई और दोनों कप हाथ में लेकर माँ के कमरे में पहुँचा। उसने खिड़की से झाँका और देखा कि माँ अभी भी सो रही है। वह पेट के बल सीधी सो रहीं थी। वह अंदर गया और उसने देखा कि माँ की मैक्सी सिमटकर ऊपर आ गयी थी और उनके घुटनो तक का हिस्सा दिख रहा था। क्या मस्त चिकनी भरी हुई टाँगें थीं। राज ने धीरे से मैक्सी को उठाया और थोड़ी सी जाँघों की झलक मिलते ही उसका लंड खड़ा होने लगा।
अब वह आगे बढा और उसने देखा कि माँ ने शायद ब्रा नहीं पहनी थी क्योंकि उनके निपल्ज़ अलग से मैक्सी के ऊपर से उभरे हुए थे।


दोनों दूध लेटे होने के कारण मैक्सी से तने हुए एर बड़े लग रहे थे।वह बहुत गरम हो गया। उसने चारों ओर देखा कि कहीं माँ की ब्रा मिल जाए पर उसे कहीं नज़र नहीं आइ। अब उसने सोचा कि माँ ज़रूर बाथरूम में ही उतारी होंगी। वह धीरे से बाथरूम में चला गया और वह एकदम सही था। सामने ही माँ की ब्रा टँगी थी। उसने उसे उठाया और सूँघा और उसमें से आ रही पाउडर और पसीने की गंध से जैसे वह मद होश हो गया। अब वह बाहर आया और फिर उसने आवाज़ दी बोला: माँ उठिए ना, चाय लाया हूँ ।


नमिता उसकी आवाज़ से उठी और उसको देखकर मुस्करायी और बोली: आज मेरे से पहले कैसे उठ गया तू?


राज: बस नींद खुल गई तो उठकर चाय बना लिया।
नमिता उठते हुए बोली: ठहर ज़रा बाथरूम से आती हूँ। और वह बाथरूम चली गई। जब वो उठी थी तो बिना ब्रा के उनके दूध जिस तरह से हिले राज का लंड उससे भी ज़ोर से हिल गया।


उसकी बड़ी इच्छा थी किवह बाथरूम में झाँके और देखे कि माँ क्या कर रही है। वह दरवाज़े के पास गया पर उसे वहाँ कोई छेद नहीं नज़र आया। वह जानता था कि माँ ब्रा पहनेगी। वह यह दृश्य देखना चाहता था। पर मजबूर था कि कोई उपाय उसे नज़र नहीं आया।


तभी माँ बाहर आयी और राज ने देखा कि अब छातियाँ ब्रा के अंदर साफ़ तनी नज़र आ रहीं थीं। वह मस्त हो गया पर दिखावे के लिए बोला: लो माँ चाय पी लो।
अब दोनों वहीं बिस्तर पर बैठकर चाय पी रहे थे।

नमिता: बेटा नींद आयी।

राज: हाँ माँ आज ठीक से आयी।

नमिता : चलो अब स्कूल के लिए तय्यार हो जाओ मैं भी आज ऑफ़िस जाऊँगी।

राज माँ से लिपटकर बोला: ओके माँ नहा लेता हूँ।

नमिता भी उसे प्यार करते हुए बोली: चल ठीक है।
राज स्कूल बस में बैठा था, तभी अगले स्टॉप से श्रेय और शीला मैडम चढ़ीं और वह राज के पास आकर बैठ गई।श्रेय राज को हाय करके पीछे चला गया। राज ने शीला को GOOD MORNING किया।


शीला आज सलवार कुर्ता में थी। उसकी एक बड़ी सी चुचि राज के साइड मेंथी, उसकी चुनरी तो गले पर थी। राज उसकी ब्रा में कसी चुचि देखकर वो कमरे का दृश्य याद करने लगा जब वह टेबल के सहारे झुकी हुई थी और प्रतीक उसको बुरी तरह से चोद रहा था। और उसकी लटकी हुई बड़ी बड़ी चूचियाँ धक्कों से बुरी तरह से हिल रही थीं।



तभी शीला बोली: क्या हाल है तुम्हारा?

राज: जी ठीक हूँ।

शीला: आजकल तुम्हारा दोस्त प्रतीक दिखाई नहीं देता।

राज चौंक कर बोला: मैडम पता नहीं, मैं ख़ुद दो दिन से स्कूल नहीं आया , तबियत ख़राब थी।

शीला: ओह, प्रतीक मिले तो बोलना कि मैं याद कर रही थी। मुझे ऑफ़िस में आकर मिले।

राज: जो मैडम।

राज मन ही मन में सोचने लगा कि लगता है, मैडम प्यासी हो गई हैं। उसने एक नई चाल चली।

राज बोला: मैडम अगर मैं आज स्कूल के बाद श्रेय के साथ विडीओ गेम खेलने आऊँ तो आपको कोई इतराज तो नहीं होगा?

शीला बुरी तरह से चौक गयी और उसे गहरी निगाहों से देखते हुए बोली: मुझे क्यों इतराज होगा?

वह उसकी आँखों में झाँक कर जैसे उसको टटोल रही थी कि कहीं प्रतीक ने उसे कुछ बता तो नहीं दिया?

पर राज ने ऐसा भोला सा चेहरा बनाया हुआ था कि वह कुछ समझ ही नहीं पायी।

स्कूल आने पर सब उतर गए और राज हमेशा की तरह मैडम के विशाल चूतर देख कर गरम हो गया।

लंच ब्रेक में उसने एक दोस्त के मोबाइल से प्रतीक को फ़ोन किया पर उसका मोबाइल बंद आ रहा था।

आख़री क्लास शीला मैडम की ही थी। वह जानबूझकर आख़री सीट पर अकेला बैठा था। सबको एक सवाल बनाने को कहकर मैडम कमरे में घूमते हुए राज के पास आयी और झुक कर देखने लगी कि वह सवाल का जवाब कैसे बना रहा है । राज उसकी चूचियों की घाटी देखने लगा। मैडम ने उसे देखते ही पकड़ लिया पर कुछ बोली नहीं। मैडम उसे समझाने लगी कि जवाब कैसे बनाना है।

तभी राज ने कापी में लिखा: प्रतीक का फ़ोन स्विच ऑफ़ है। और उसके एक दोस्त ने बताया है कि वह अपने पापा के साथ विदेश गया है।

यह पढ़ कर मैडम का मुँह उतर गया। राज ने फिर


लिखा: क्या स्कूल के बाद मैं आपके ऑफ़िस में थोड़ी देर के लिए आ सकता हूँ?

मैडम ने वह पढ़कर हैरानी से उसको देखा और लिखा: क्या काम है?

राज ने लिखा: आपसे मिलने पर ही बताऊँगा।

मैडम: अच्छा आ जाना पर स्कूल के बंद होने के करीब २० मिनट बाद आना। यह लिखकर वो राज के पास से हट गई।

राज का लंड तो जैसे पैंट के अंदर समा ही नहीं रहा था। उसे पता नहीं क्यों लग रहा था कि आज उसकी क़िस्मत खुलने वाली है।

स्कूल के बंद होते ही वह श्रेय से मिला और बोला: यार आज में तेरे घर आऊँ क्या गेम खेलने?

श्रेय ख़ुश होकर बोला: हाँ आओ ना मज़ा आएगा। चलो अभी मेरे साथ।

राज बोला: मैं थोड़ी देर में आता हूँ तुम चलो।

जैसे ही क़रीब १५ मिनट हुए वह मैडम के कमरे में घुसा। वह अपनी कुर्सी में बैठी कुछ काम कर रही थी। राज को देखकर मुसकारती हुई बोली: आओ राज बैठो,बोलो क्या काम है?

राज की तो जैसे ज़बान सुख गई। उसकी आवाज़ हो नहीं निकल सकी और वह आकर साइड से मैडम के पास आकर खड़ा हो गया।उसका लंड पूरा खड़ा था मैडम की चूचियों की गहरायी देखकर, उसने उसको सामने पड़ी कुर्सी में पीछे छिपाया हुआ था।

मैडम: बोलो ना क्या बात है, तुम मिलना चाहते थे ना?

राज: वो - वो - मैडम - वो मैं - मेरा मतलब है कि - --

मैडम: अरे क्या हुआ बोलते क्यों नहीं?

राज: मैडम आप ग़ुस्सा हो जाएँगी। वो बात ही ऐसी है।

मैडम: मतलब? ऐसी क्या बात है। अब वह थोड़ी परेशान लग रही थी, उसे लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं है।

वह फिर से बोली: चलो बोलो, नहीं होऊँगी ग़ुस्सा, बस।
राज कमरे की खिड़की की ओर इशारा किया और

बोला: मैडम, कुछ दिन पहले मैं इस खिड़की पर खड़ा था और मैंने आपको और प्रतीक को सब कुछ करते हुए देख लिया था।








To be continue
Mast update bhai.thode pics or gif bhi dalo pls
 

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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शीला को तो जैसे साँप सूँघ गया। वह एकदम पीली लड़ गई, और बोली: क्या बक रहे हो? तुम्हें स्कूल से निकलवा दूँगी।

राज: आपने बोला था कि ग़ुस्सा नहीं होंगी। मैडम ये बात सिवाय मेरे किसी को पता नहीं है और ना हीं मैं कभी किसी को बोलूँगा।

शीला अब थोड़ा सा शांत हुई और बोली: ऐसा कुछ नहीं है। तुम्हें भ्रम हुआ होगा।

राज ने अंधेरे में तीर मारा और बोला: मैडम प्रतीक ने आपकी फ़ोटो भी दिखायी हैं अपने मोबाइल में मुझे।


शीला: क्या वो कमीना बोला था कि किसी को नहीं दिखाएगा।


वह एकदम से खड़ी हो गयी और बोली: अब मुझे जाना है, मैं तुमको बस यही कह सकती हूँ कि प्रतीक के आने के बाद इस बारे में बात करेंगे। वह किसी तरह वहाँ से भाग जाना चाहती थी।

राज उसके एकदम से खड़े होने पर हड़बड़ा कर पीछे हुआ और उसका पैंट का सामने का भाग कुर्सी के पीछे से सामने आ गया । शीला की आँखें उस जगह पर पड़ी जहाँ एक बहुत बड़ा तंबू सा तना हुआ था।


शीला के मन में एक ही विचार आया कि हे भगवान इसका तो प्रतीक से भी बड़ा लग रहा है। ये तो एकदम से मेरी फाड़ने को तय्यार है।


तभी राज ने आगे बढ़कर शीला के दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों में लेकर दबा दिया। शीला के मुँह से आऽऽह निकल गई।


राज बोला: मैडम मैं आपका दीवाना हूँ , आह मैडम आपके दूध कितने मस्त हैं।


शीला डाँटते हुए बोली: पागल हो क्या , क्या इतनी ज़ोर से दबाते हैं कभी?


राज ने डर से हाथ हटा लिया और बोला: मैडम मैंने आज पहली बार किसी का दूध पकड़ा है। सॉरी अगर ज़ोर से दबा दिया । आपको दुःख गया क्या?




शीला: इतनी ज़ोर से दबाओगे तो दुखेगा नहीं क्या। वह अपनी छाती पर हाथ फेरते हुई फिर से उसके तंबू को देखी।


फिर वह राज को बोली: जाओ दरवाज़ा बंद कर दो पहले। राज ने वैसा ही किया। फिर से वह मैडम के पास आया और फिर उसने अचानक उसके कंधे पर हाथ रख कर बैठा दिया और उसके ऊपर झुक कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिया और चूमने लगा।


शीला अब कमज़ोर पड़ रही थी ।राज का मोटा तंबू इसे कमज़ोर कर रहा था। उसने देखा कि उसे चूमना भी नहीं आता उसे लगा कि शायद वह पहली बार सेक्स करने की कोशिश कर रहा है।



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तभी राज ने उसकी छातियाँ फिर से दबाना चालू किया पर इस बार वह ज़ोर से नहीं दबा रहा था। अब शीला गरम हो गयी। उसकी पैंटी गीली हो गयी थी। उसकी बुर पानी छोड़ने लगी थी।


राज बोला: मैडम आप मुझसे वैसे ही चुदवाइए ना जैसे उस दिन आप प्रतीक से करी थीं। और ये कहते हुए उसने मैडम का हाथ अपने उभरे हुए तंबू पर रख दिया।



शीला बोली: आऽऽहहह ये तुम्हारा पहली बार है या तुम पहले भी कर चुके हो? अब वह मज़े से उसके लौड़े को दबा कर मस्त हो रही थी।


राज: मैडम पहली बार है।


शीला: तब तो हमें घर चलना पड़ेगा। यहाँ यह नहीं हो पाएगा।


राज: उसकी चूचियाँ दबाते हुए बोला: क्यों मैडम क्या समस्या है?


शीला: अरे तुम पहली बार खड़े होकर नहीं कर पाओगे । पहली बार तुम्हें मेरे ऊपर चढ़कर ही करना पड़ेगा बिस्तर पर।


राज: मैडम मैं पागल हो रहा हूँ, मैं इतनी देर रुक नहीं सकता। प्लीज़ कुछ कीजिए ना।


शीला :अच्छा चलो मुझे छोड़ो और सीधे खड़े हो जाओ।


राज उसके सामने खड़ा हो गया । वह अब भी बैठी हुई थ


शीला ने राज की बेल्ट खोली और फिर पैंट का ज़िपर नीचे की और पैंट के बटन खोलकर पैंट को नीचे गिरा दिया। शीला की आह निकल गई, क्या मस्त उभार था चड्डी में । उसमें एक गीला सा दाग़ था जोकि उसका प्रीकम था। अब शीला ने उसकी चड्डी मे दो ऊँगली डालकर उसे नीचे किया। और फिर उसका मोटा लम्बा लौड़ा उसके सामने झूल रहा था। उसके बॉल्ज़ भी मस्त दिख रहे थे। उसके लौड़े के चारों तरफ़ बाल भी थे जो उसको और मादक बना रहे थे, शीला की नज़रों में।




अब शीला ने राज को टेबल पर बैठने को बोला, और वह शीला के सामने अपना लौड़ा खड़ा करके बैठ गया। शीला ने एक बार उसकी आँखों में देखा और फिर उसने उसके लौड़े को सहलाया और फिर उसने उसके लौड़े की सुपाडे की चमड़ी को पीछे खींचा और सुपाडे पर अपनी नाक लगाकर सूँघने लगी।




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अब वो मस्त होकर उसके सुपाडे को चूमने लगी और फिर जीभ से चाटने लगी। राज आँखें फाड़े अपने लौड़े की पहली चुसाई का मज़ा ले रहा था। अब शीला लौड़े को चूसने लगी।



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राज उसके सर को पकड़कर और दबाने लगा। शीला अब चूसते हुए उसके बॉल्ज़ भी सहलाने लगी। अब उसका मुँह ज़ोर ज़ोर से ऊपर नीचे हो रहा था। राज को लगा कि वह अब झड़ जाएगा। उसने आऽऽऽऽहहहह मैं झड़ने वालाआऽऽऽऽ हूँउउइउउउउ। शीला और ज़ोर से चूसने लगी और तभी राज उसके मुँह में झड़ने लगा और वह उसके वीर्य को पीते चले जा रही थी राज आऽऽह्ह्ह्ह्ह कहकर हैरानी से देख रहा था कि मैडम बड़े प्यार से स्वाद लेते हुए उसका रस पिए जा रही थी।



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अब शीला ने अपना मुँह ऊपर किया और उसके मुँह में लगे रस को हाथ से साफ़ किया और फिर उसके सुपाडे पर लगी दो बूँद रस को भी चाट ली। राज बहुत हैरान था और ख़ुश भी । वाह क्या मज़ा दिया था मैडम ने। अब उसका लौड़ा ठंडा होने लगा था।




अब शीला उसको उठाई और बोली: चलो जल्दी से पैंट पहन लो। और ख़ुद भी बाथरूम चली गई । थोड़ी देर बाद वो बाहर आइ तो देखा कि राज भी तय्यार था। अब राज ने उसे बाहों में खींचा और उसके होंठ चूसने लगा। वह थोड़ी देर के चुम्बन के बाद बोली: बाक़ी का घर में कर लेना। चलो अब, निकलते हैं।


पर राज तो जैसे पागल हो गया था बोला: मैडम एक बार सलवार खोलकर अपनी बुर दिखा दीजिए ना। प्लीज़।


शीला: अरे घर चल के देख लेना और अपना ये मूसल पेल भी देना।


राज: नहीं मैडम एक बार प्लीज़ मुझे अभी देखना है। ये बोलते हुए उसने सलवार का नाड़ा पकड़ लिया और खोलने लगा।



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शीला बोली: अच्छा बाबा लो देख लो। कहते हुए उसने अपना कुर्ता उठाया और नाड़ा खोलकर सलवार गिरा दी। अब राज घुटनो के बल बैठ गया और उसकी गीली पैंटी को सूंघकर मस्त हो गया और फिर उसकी पैंटी नीचे कर दिया। मस्त गदराइ जाँघों के बीच फूली हुई बुर सामने थी, जिसे देखकर वह उसे हाथ से सहलाया और फिर उसे चूमने लगा। शीला आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मत कर ना प्लीज़। मर जाऊँगी। हाय्य्य्य्य।



अब राज उसे घुमाया और उसके मस्त चूतरों को दबाकर बहुत मस्त हो गया। उसकी गाँड़ का छेद भी उसे बहुत सेक्सी लगा और उसने वहाँ भी ऊँगली फेरी और मज़े से भर गया


शीला बोली: चल अब छोड़ बाक़ी का घर पर कर लेना।
राज ने उसकी पैंटी ऊपर कर दिया और उसने सलवार का नाड़ा भी बाँध लिया और फिर अपने कपड़े ठीक करके बाहर निकल गई। अब राज भी ५ मिनट के बाद बाहर आ गया।

राज जब स्कूल से बाहर आया तो देखा कि शीला ऑटो के इंतज़ार में खड़ी थी। वह जाकर उनके पास खड़ा हो गया। तभी एक ऑटो आया और शीला उसमें बैठती हुई बोली: आओ राज तुम भी आ जाओ। राज शीला से सट कर बैठा और ऑटो रवाना हुआ। रास्ते में शीला उससे स्कूल की बातें कर रही थी। तभी राज ने अपना हाथ शीला के बड़े से पर्स के नीचे से उसके पेट के निचले हिस्से पर रख दिया। शीला ने उसको देखा और नहीं का इशारा किया। पर राज अब अपने हाथ को नीचे की ओर ले जाने लगा।



अब शीला ने अपना पर्स ऐसे रखा कि राज का हाथ नहीं दिखे किसी को भी। राज सलवार के ऊपर से उसकी जाँघों को सहलाता हुआ उसकी बुर तक पहुँचने का प्रयास कर रहा था। उसने उसकी सलवार के ऊपर उसकी बुर सहलाना शुरू किया। शीला अपनी जगह से हिलके और पैर फैलाकर उसके हाथ के लिए जगह बनाई। अब राज की उँगलियाँ मज़े से बुर के अंदर सलवार और पैंटी के साथ अंदर बाहर हो रही थी।
शीला को सांसें तेज़ चलने लगी थीं। उसका बड़ा सा सीना ऊपर नीचे हो रहा था। तभी शीला का घर आ गया। दोनों उतरे और शीला बोली: मैं सामने की दुकान से कुछ समान लेकर आती हूँ, तुम श्रेय के साथ गेम खेलो।



राज समझ गया कि वह उसके साथ घर नहीं जाना चाहती । वह मुस्कुराकर बोला: आप जल्दी आना, आपकी याद आएगी। ये कहते हुए उसकी सलवार में डाली हुई उँगलियों को उसे दीखा कर सूँघने लगा।


शीला का मुँह शर्म से लाल हो गया और वह चली गई।
जब शीला घर पहुँची तो राज और श्रेय गेम खेल रहे थे।
शीला: चलो मैं जल्दी से खाना लगाती हूँ, राज तुम भी खाना खा कर ही जाना।


राज ने श्रेय की आँख बचाकर शीला को आँख मारी। शीला मुस्करा कर अपने चूतर मटकाते हुए चली गई। थोड़ी देर बाद राज श्रेय को बोला: यार मैं ज़रा पानी पी कर आता हूँ।


श्रेय बोला: हाँ आ जाओ फ्रिज किचन में रखा है।
राज किचन में पहुँचा और वहाँ शीला को काम करते देख वह उसके पीछे से आकर उसको जकड़ लिया और उसके गाल एर गर्दन चूमने लगा। अब वह अपना लौड़ा शीला की गाँड़ पर रगड़ रहा था। शीला अभी मैक्सी में थी। उसने उसकी छातियों को भी दबोच लिया और मज़े से दबाने लगा। उसे अपने लौड़े को उसकी उभरी गाँड़ में रगड़ने में बहुत मज़ा आ रहा था।


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शीला: राज चलो अब जाओ यहाँ से , श्रेय तुम्हारा इंतज़ार कर रहा होगा।


राज: आऽऽहहहह मज़ाआऽऽ रहा है, मैडम।

शीला: देखो मुझे आंटी कहो, और खाना खाने के बाद तुम जाने का नाटक करना और मेरे कमरे में छिप जाना। श्रेय खाने के बाद सोता है। तब मैं तुम्हारे पास आ जाऊँगी।


राज: और मेरे पास आ कर क्या करेंगी आंटी जी?

शीला: चल बदमाश, वही करूँगी जो तू करने के लिए मरा जा रहा है

राज: बताओ ना क्या करेंगी? मुझे आपके मुँह से सुनना है, उसने उसकी छातियों को दबाते हुए कहा।

शीला हँसते हुए उसके कान में बोली: तुमसे चुदवाना है। बस अब चलो बोल दिया ना।


राज मस्ती से भर कर अपने लौड़े को अजस्ट करते हुए श्रेय के पास आकर खेलने लगा।


थोड़ी देर बाद उन सब ने खाना खाया। राज की आँखें शीला की गोलाइयों से जैसे हट ही नहीं पा रही थीं। मैक्सी में से उनकी घाटी नज़र आ रही थी। शीला ने भी ताड़ लिया था वह भी मस्ती से और आगे झुक कर उसको अपनी मदमस्त चूचियों के दर्शन करा रही थी। राज की हरकतों से वह बहुत गरम हो चुकी थी और चुदवाने के लिए मरी जा रही थी। उसकी पैंटी में बुर का रस टपके ही जा रहा था।


खाने के बाद दोनों थोड़ी देर गेम खेले और शीला आकर राज से बोली: बेटा अब तुम अपने घर जाओ। श्रेय अब सोएगा। राज श्रेय से हाथ मिलाकर बाहर जाने का नाटक किया और धीरे से वापस आकर शीला के कमरे में आ गया।


करीब दस मिनट के बाद शीला अपने कमरे में आयी तो राज बिस्तर पर बैठा था और उसके पैंट में तंबू पूरी तरह से तना हुआ था।


शीला ने दरवाज़ा बंद किया और आकर उसके बग़ल में बैठने लगी पर राज ने शीला को अपने गोद में खिंच लिया और उसके गाल चूमने लगा। फिर वो उसके होंठ चूमने लगा।


शीला हँसते हुए बोली: बेटा तेरी टाँगें ना टूट जायें, मैं काफ़ी भारी हूँ।


राज हँसते हुए बोला: आंटी आपका बदन बहुत नरम है वह मुझे क्या तोड़ेंगे?


शीला: चल मैं तुझे होंठ चूमना सिखाती हूँ।
फिर उसने उसके गाल पकड़े और उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर उसे चूमना और चूसना सिखाने लगी। वह भी उसकी छातियाँ दबाते हुए मज़े से सब सिखने लगा। जब शीला ने उसके मुँह में अपनी जीभ डाली तो राज को लगा कि कहीं उसका पानी ना निकल जाए। वह भी अपनी जीभ शीला के मुँह में डाला एर शीला उसकी जीभ चूसने लगी और अपनी जीभ से उसकी जीभ को रगड़ने लगी। अब राज को होंठों को चूमने का तरीक़ा समझ में आया।


अब राज बोला: आंटी अपनी मैक्सी उतारो ना मुझे आपके दूध देखने हैं।


शीला मुस्कुराते हुए खड़ी होकर बोली: सिर्फ़ देखेगा , बस ना? और कुछ नहीं करेगा ना? कहते हुए उसने अपनी मैक्सी उतार दी और अब वह सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी।


राज ने इतनी उत्तेजना कभी भी महसूस नहीं की थी। वह बहुत ही कामुक नज़र आ रही थी। राज ने फिर से शीला को अपनी गोद में खींचकर बैठा लिया और उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से चूमने लगा। अब उसने उसके पेट को सहलाया और फिर उसकी जाँघों को सहलाने लगा। अब राज ने ब्रा के हुक खोलने की कोशिश की पर उससे वह खुला नहीं।


शीला हँसती हुई बोली: जल्दी ही सीख जाओगे। चलो अभी मैं ही खोल देती हूँ। ये कहते हुए वह अपना हाथ पीछे लेज़ाकर अपनी ब्रा खोल दी। राज ने उसके ब्रा के कप उठाकर उसकी चूचियाँ नंगी कर दीं । अब राज के सामने इसके बड़े बड़े गोरे दूध थे और वह मुग्ध दृष्टि से उनको देख रहा था।फिर उसने अपने दोनों हाथों में उनको पकड़कर दबाने लगा। उसके लम्बे काले निपल्ज़ पूरे तने हुए थे, जिनको वह मसलने लगा और शीला हाऽऽय्यय कर उठ



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राज ने अपना मुँह नीचे किया और उसका एक दूध मुँह में लेकर बच्चे के तरह चूसने लगा। उसका दूसरा हाथ उसकी दूसरी चुचि दबा रहा था।शीला की आऽऽहहह निकली जा रही थी।


अब वह चुचि बदल बदल कर चूस रहा था।


शीला : चलो अब तुम भी अपने कपड़े खोलो । वह अब बिस्तर पर लेट गयी। राज ने अपने कपड़े खोले और अब वह सिर्फ़ अपनी चड्डी में था जिसने से उसका लौंडा बड़ा भयानक नज़र आ रहा था।


अब वह अपनी चड्डी भी उतारा और अपने लौड़े को लहराता हुआ शीला के बग़ल में लेट गया। फिर वह शीला को बाहों में लेकर चूमने लगा। उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ उसके मर्दाने सीने में धसने लगीं। फिर से वह उसकी चूचियाँ चूसने लगा। शीला आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह कहकर उसके सिर को अपने सीने में दबा रही थी।



राज उठकर उसकी पैंटी नीचे किया और शीला ने अपनी टाँगें फैलायीं और अपनी बुर राज को अच्छी तरह से दिखाई।राज ने उसकी बुर को देख सोचा कि क्या मस्त बुर है? कितनी फूली हुई बिना बालों की और उसने उस पर हाथ फेरा और उसके चिकनेपन से मस्त हो गया।




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उसने बुर की फाँकों को अलग किया और उसके अंदर का गुलाबी हिस्सा और उसका छेद साफ़ दिख रहा था।
उसने एक ऊँगली अंदर डाली और वह उसकी बुर की गरमी से मस्त हो गया। अब उसने शीला की ओर देखा तो वह बोली: अब क्या देख रहे हो , चलो अंदर डालो । राज उसकी जाँघों की बीच आ गया और शीला ने उसके लौड़े को पकड़ा और अपनी बुर के मुँह पर रख दिया।



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अब शीला ने अपने चूतर को नीचे से धक्का दिया और उसका आधा लौड़ा उसकी बुर में समा गया। शीला की आऽऽहहहह निकल गई।

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अब उसने राज की कमर को पकड़कर नीचे को दबाया और उसका लौड़ा पूरा अंदर घुस गया।



अब शीला ने राज को कहा कि आधा लंड निकाल कर फिर से अंदर डालो। अब राज को समझ आ गया और वह उसको चोदने में लग गया। राज को बहुत मज़ा आ रहा था चुदाई करने में।



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शीला बोली: तुम तो बहुत जल्दी सीख गए आऽऽऽहहह क्या चोद रहे हो आऽऽऽऽहहहह । बहुत अच्छा लग रहा है। हाय्य्ह्य्य्य और ज़ोर से करो। हाऽऽऽऽऽय ।



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राज भी मज़े से चोदे जा रहा था। शीला बहुत मस्त हो गयी थी । राज का मोटा लौडा उसकी बुर में जैसे फँसकर अंदर बाहर हो रहा था। बहुत दिन बाद उसे ज़बरदस्त मज़ा आ रहा था।




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राज भी अपनी पहली चुदायी से बड़ा मस्त हो रहा था।
अब शीला ने उसको अपनी चुचि पीने को कहा और वह उसकी चुचि चूसने और दबाने लगा। अब शीला भी आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मैं गाइइइइइइइ चिल्लाने लगी और झड़ने लगी।राज भी झड़ने लगा और ह्म्म्म्म्म्म्म कहकर उसके ऊपर गिर गया।


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शीला ने उसको चूम लिया और बोली: मज़ा आया?


राज: आऽऽहहह आंटी बहुत बहुत मज़ा आया।


और शीला उसको अपने ऊपर से हटाई और बोली: चलो मुझे बाथरूम जाना है। वह बाथरूम चली गई।
राज भी उठकर अपने कपड़े पहन लिया और तभी शीला भी आ गयी।


राज फिर से उससे लिपट गया और दोनों ने एक दूसरे को चूमा चाटा और फिर राज को शीला ने विदा कर दिया।


राज जब घर पहुँचा तो उसने देखा कि माँ की तबियत ख़राब थी। उसका पेट बहुत दर्द कर रहा था । उसने माँ को दवाई दी और उनको सुला दिया। इस चक्कर में माँ ने उससे यह भी नहीं पूछा कि उसे इतनी देर क्यों हुई!
राज माँ को सुलाके अपने कमरे में आया और सोचने लगा कि आज तो जैसे उसकी लॉटरी ही खुल गई। क्या माल है शीला आंटी। बहुत मज़ा देगी आगे भी वो।


उसका लौडा आज के मजे को याद कर फिर से खड़ा हो गया। और उसने अपना लौडा बाहर निकालकर उसको सहलाने लगा। वह सोच रहा था कि शीला आंटी को अब अलग अलग पोज़ में चोदूंगा । उसे प्रतीक की ऑफ़िस वाली चुदायी याद आयी और शीला की उभरी हुई गाँड़ याद आयी जिसे प्रतीक दबाते हुए उसकी बुर फाड़ रहा था। अब उसके लौड़े ने फ़व्वारा छोड़ना शुरू कर दिया। और वो साफ़ सफ़ाई करके थक कर सो गया।

राज शाम को सोकर उठा और माँ को देखने गया कि अब उनका पेट दर्द कैसा है? वह बाथरूम में थी। वह बाहर आयी तो राज ने पूछा: माँ, अब कैसा लग रहा है?


नमिता: अब ठीक है आज मैं ऑफ़िस से जल्दी आ गयी पेट में दर्द के कारण।


राज: मैं तो डर ही गया था, चलो अब चाय बनाता हूँ।

नमिता: मैं बना देती हूँ, अब मैं ठीक हूँ।

नमिता किचन में गयी और राज भी उसके पीछे किचन में घुसा।

राज उछलकर किचन में प्लैट्फ़ॉर्म पर बैठ गया और माँ को चाय बनाते हुए देखने लगा। उसने ध्यान से देखा और माँ की तुलना शीला आंटी से करने लगा। वैसी ही बड़ी बड़ी छातियाँ और चूतर और चेहरा भी गोल पेट भी वैसा ही थोड़ा सा गोलाई लिए हुए। हाँ माँ की कलाइयाँ ज़्यादा सेक्सी थीं। शीला की थोड़ी मोटी साइड में थीं। वह उनके बुर की तुलना करने की सोचा और मुस्कुराया कि माँ की बुर ज़्यादा टाइट होगी क्योंकि वह अकेला ही लड़का है जो वहाँ से निकला है और फिर बुर को रेग्युलर लौड़ा नहीं मिल पा रहा है।



जबकि शीला ने दो बच्चें निकाले हैं अपनी बुर से। श्रेय कि एक बड़ी बहन है जो कॉलेज में है और कहीं बाहर पढ़ रही है। और उसका पति भी है और जब भी घर छुट्टी पर आता होगा तो ख़ूब बजाता होगा उसकी बुर को। वह सोचने लगा कि काश वह माँ की बुर देख पाता। अब ये सोचकर उसका लौड़ा खड़ा हो गया। जब तक वह अपने लौड़े को लोअर में अजस्ट कर पाता


उससे पहले ही नमिता की नज़र उसके तंबू पर पड़ गयी और वह सवालिया नज़रों से राज को देखने लगी जैसे पूछ रही हो कि अब क्या हो गया जो तू इतना उत्तेजित हो गया है। राज ने लौड़े को अजस्ट किया और दूसरी तरफ़ देखने लगा।

नमिता को बिलकुल भी गुमान नहीं था कि उसका बेटा उसकी बुर के बारे में सोच कर उत्तेजित हुआ जा रहा है।
चाय बनाने के बाद नमिता और राज टेबल पर आए और चाय पीने लगे।

नमिता: अब भी नदीम और प्रतीक से मिलते हो?

राज: नहीं माँ , नदीम तो शाम को ही मिलता है, अब मैं
जाता ही नहीं शाम को खेलने। देखो अभी भी नहीं गया। और प्रतीक तो अपने पापा के साथ विदेश गया है।


नमिता: चलो अच्छा हुआ ये दोनों चांडाल तुमसे दूर हुए। तुम्हारा दिमाग़ इन दोनों ने ही ख़राब किया था।

राज: माँ मैं थोड़ा बाज़ार जाकर कुछ कापीयां लेकर आता हूँ।

नमिता : ठीक है जाओ। पर जल्दी आना पढ़ाई भी करनी है।


राज: जी माँ । कहकर चला गया।

नमिता सब्ज़ी काट रही थी कि तभी मनीष का मेसिज आया किक्या वह फ़ोन करे? नमिता ने लिख दिया कि करो।

मनीष का फ़ोन आया और बोला: हाय आंटी कैसी हैं?

नमिता: ठीक हूँ, तुम बताओ तुम्हारा क्या हाल है?

मनीष: आंटी बहुत तड़प रहा हूँ आपके बिना।

नमिता: आज तो मुझे भी तुम्हारी याद आ रही है।

मनीष: तो आ जाऊँ अभी क्या?

नमिता: पागल है क्या? राज अभी आने वाला है।

मनीष: आंटी कुछ प्रोग्राम बनाओ ना जल्दी से।

नमिता: चल मैं कुछ करती हूँ कल के लिए।

मनीष: हाय आंटी मेरा तो ये सुन कर अभी से खड़ा हो गया।

नमिता हँसते हुए: तुम लोगों का तो हमेशा खड़ा ही रहता है।

मनीष: लोगों का मतलब? मेरे अलावा और किसका?

नमिता: अरे आजकल राज भी हर समय खड़ा करके घूमता रहता है।

मनीष: क्या राज भी अपनी लाइन में आ रहा है?

नमिता: पता नहीं पर जब तब उसके लोअर में तंबू बन जाता है। पता नहीं क्या सोचता रहता है?

मनीष: आंटी क्या आपको लगता है कि उसने अभी तक किसी को चोदा होगा?

नमिता: मुझे क्या पता पर मुझे नहीं लगता। पर आजकल के लड़कों का क्या भरोसा?

मनीष: आंटी कहीं वह आपको तो नहीं चोदना चाहता?

नमिता: क्या पता , तू भी तो कई बार मेरा बेटा बनकर मेरी लेता है।

मनीष: हाँ आंटी अगर मेरी माँ होती तो मैं उसको ज़रूर करता।

नमिता: तो फिर क्या पता राज का भी मन वैसे ही करता हो?

ऐसा कहते हुए नमिता ने अपनी बुर खुजाई और उसको अहसास हो गया कि उसकी बुर इस तरह की बातों से पनिया गई थ


मनीष: तो आंटी क्या कल मिलेंगी ना?

नमिता: हाँ पूरी कोशिश करूँगी , कल मिलने की।


मनीष: आंटी, कल ज़्यादा टाइम के लिए मिलिए ना। पूरे तीन राउंड का प्रोग्राम करने की इच्छा हो रही है।

नमिता: चल हट बदमाश कहीं का। अच्छा अब रखती हूँ। बाई ।

मनीष ने भी बाई कहकर फ़ोन काट दिया।

उधर राज बाहर निकल कर एक पास की दुकान की तरफ़ जा रहा था, तभी एक बाइक आकर उसके पास रुकी, हेल्मट में नदीम को देख कर वह सहम गया।
नदीम ने हेल्मट उतारकर कहा: क्यों राज कहाँ जा रहे हो?


राज: बस यहीं दुकान तक।

नदीम: यार तुमने तो हद ही कर दी थी । और किस किस को बताया है?

राज: यार क़सम से और किसी को नहीं बताया। वह क्या हुआ , मैं भी तुम्हारी तरह माँ को करना चाहता था तो मेरे मुँह से निकल गया कि जब नदीम कर सकता है तो मैं और वह क्यों नहीं?

नदीम अब थोड़ा उत्सुक होकर बोला: तो क्या तूने आंटी को चोद लिया?

राज: कहाँ यार , अब तक तो बात नहीं बनी है।

नदीम: अबे पटाना तो पड़ेगा ना यार, तू भी साला गधा है। असल में जब तक तुझे चुदाई का मज़ा नहीं मिलेगा तू नहीं समझेगा किये क्या चीज है? तूने अभी तक किसी को चोदा है?

राज ने उसे नहीं बताया कि आज ही उसके कुँवारे लौड़े का उद्घाटन हुआ है शीला आंटी के साथ।

वह बोला: कहाँ यार किसी को नहीं किया अब तक।

नदीम : तो एक काम कर , कल तू स्कूल ना जाकर मेरे घर आ जाना । मैं तुझसे स्कूल के बाहर मिलूँगा। तू बस से उतर कर बाहर आ जाना अंदर नहीं जाना। मैं तुझे वहाँ मिलूँगा और अपने घर ले जाऊँगा।

राज: वह क्यों? तेरे घर क्यों?

नदीम मुस्करा कर बोला: अरे तेरे लौड़े का उद्घाटन कराएँगे यार।

राज: मगर किससे?

नदीम आँख मारते हुए: मेरी अम्मी से और किससे?
राज का मुँह खुला का खुला रह गया ।

राज : यार क्या कह रहा है? ये कैसे हो सकता है?

नदीम: देख यार मेरी अम्मी आजतक मेरे किसी दोस्त से नहीं चुदीं हैं। तू पहला दोस्त होगा जो ये मज़ा लेगा। और इसने मेरा भी एक मतलब है ना!

राज: कैसा मतलब?

नदीम: देख जब तू चुदायी का मज़ा चख लेगा तो अपनी माँ को भी पटा ही लेगा। यार तब मुझे भी मज़ा दिलवा देना अपनी माँ से।

राज: ओह मगर ऐसा नहीं हुआ तो? मतलब अगर माँ नहीं मानी तो?

नदीम: यार तू जिस तरह से अपनी माँ के पीछे पड़ा है वह मान ही जाएगी। और फिर मेरी लॉटरी भी लगा देना। कहते हुए उसने आँख मार दी।

अब राज का लौड़ा पूरा खड़ा हो गया था जिसको वो अजस्ट करने लगा।

नदीम मुस्करा कर बोला: क्या हुआ खड़ा हो गया क्या? कल तक चड्डी में रख , फिर निकाल कर मस्ती
कर लेना अम्मी से।

राज झेंप कर बोला: यार तू बड़ा बदमाश है।

नदीम: तो फिर पक्का रहा कल का ?

राज: वो तेरे अब्बा उनका क्या?

नदीम : अरे उनसे भी मज़ा ले लेना । हा हा कहते हुए हँसते हुए वह बाइक लेकर चला गया। राज अत्यंत उत्तेजित होकर आज के घटना क्रम का सोचते हुए बाज़ार से समान लेकर घर की ओर चल पड़ा।


रात को खाना खाने के बाद राज अपने कमरे में नदीम की कही बातों को सोचकर मस्ती से भर रहा था और अपने लौड़े को सहला रहा था। वह सोच रहा था कि क्या आयशा आंटी को चोदने में शीला आंटी से ज़्यादा मज़ा आएगा? क्या नदीम भी साथ ही में करेगा? ओह उसके अब्बा भी होंगे। पता नहीं कैसे ये सब होगा? और वह कभी शीला कभी माँ और कभी नदीम की कही बातों को सोचकर मूठ्ठ मारने लगा। और जल्दी ही झड़ गया।


नमिता भी बिस्तर पर अपनी बुर सहला रही थी। मनीष की बातें याद कर रही थी। तभी उसकी आँखों के सामने राज का तंबू आ गया। सच में उसके बेटे का हथियार ज़्यादा ही बड़ा दिखता है लोअर के अंदर से। वह उसके हथियार के बारे में सोचते हुए अपनी बुर में ज़ोर से ऊँगली चलाने लगी। और जल्दी ही झड़ने लगी।
दोनों झड़कर सो गए ।


सुबह नमिता की आँख खुली तो उसने देखा कि थोड़ी देर हो गयी है। उसने राज को किचन से आवाज़ दी और राज आता हूँ माँ कहकर तय्यार होने लगा। अभी वह बाथरूम से नहाकर चड्डी में ही था और अपने आप को शीशे में देखकर ख़ुश हो रहा था। फ़ुट्बॉल खेलने के कारण उसका बदन बड़ा मर्दाना लग रहा था। चड्डी में उसके लौड़े का उभार अलग से नज़र आ रहा था।


आज आयशा आंटी की चुदायी का सोचकर उसका लौड़ा आधा खड़ा था। तभी दरवाज़ा खुला और नमिता अंदर आयी और बोली: क्या कर रहा है ? आता क्यूँ नहीं? मैं नाश्ता लेकर बैठीइइइइइ हूँ। और कहते हुए उसकी नज़र अपने बेटे के अर्धनग्न मर्दाने बदन पर पड़ी और वह उसकी चौड़ी छाती ,


उसके गठीले बदन और फिर चड्डी में फँसे उसके मस्त हथियार को देखकर हैरान हो गयी। वह सोचने लगी, हे राम ये तो अभी से ही पूरा मर्द बन गया है। इसकी चड्डी मे से बॉल्ज़ भी कितने बड़े लग रहे हैं, और क्या इसका नरम लंड इतना बड़ा है। अगर पूरा तनेगा तब कितना बड़ा होगा। वह इसकी तुलना मनीष के लंड से करके सोची कि इसका मनीष से काफ़ी बड़ा है।


उसे अपनी पैंटी गीली होती लगी। और ख़ुद पर शर्म भी आइ कि ये क्या हो रहा है उसे, जो अपने बेटे के बारे में ऐसा सोच रही है।


राज भी माँको कमरे में देखकर थोड़ी देर के लिए हड़बड़ा गया पर जब उसने देखा कि माँ उसके लौड़े से नज़र ही नहीं हटा पा रही है तो उसे मस्ती सूझी और उसने माँ के सामने अपनी चड्डी के ऊपर से लौड़े को अजस्ट किया। फिर वह माँकी तरफ़ मुँह करके आराम से अपनी पैंट पहनने लगा। अब नमिता को होश आया और वह नज़रें झुका कर “ जल्दी आओ बाहर” कहकर किचन में चली गयी।


नमिता अभी भी सकते में थी कि राज तो पूरा मर्द बन गया है।
 

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शीला को तो जैसे साँप सूँघ गया। वह एकदम पीली लड़ गई, और बोली: क्या बक रहे हो? तुम्हें स्कूल से निकलवा दूँगी।

राज: आपने बोला था कि ग़ुस्सा नहीं होंगी। मैडम ये बात सिवाय मेरे किसी को पता नहीं है और ना हीं मैं कभी किसी को बोलूँगा।

शीला अब थोड़ा सा शांत हुई और बोली: ऐसा कुछ नहीं है। तुम्हें भ्रम हुआ होगा।

राज ने अंधेरे में तीर मारा और बोला: मैडम प्रतीक ने आपकी फ़ोटो भी दिखायी हैं अपने मोबाइल में मुझे।


शीला: क्या वो कमीना बोला था कि किसी को नहीं दिखाएगा।


वह एकदम से खड़ी हो गयी और बोली: अब मुझे जाना है, मैं तुमको बस यही कह सकती हूँ कि प्रतीक के आने के बाद इस बारे में बात करेंगे। वह किसी तरह वहाँ से भाग जाना चाहती थी।

राज उसके एकदम से खड़े होने पर हड़बड़ा कर पीछे हुआ और उसका पैंट का सामने का भाग कुर्सी के पीछे से सामने आ गया । शीला की आँखें उस जगह पर पड़ी जहाँ एक बहुत बड़ा तंबू सा तना हुआ था।


शीला के मन में एक ही विचार आया कि हे भगवान इसका तो प्रतीक से भी बड़ा लग रहा है। ये तो एकदम से मेरी फाड़ने को तय्यार है।


तभी राज ने आगे बढ़कर शीला के दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों में लेकर दबा दिया। शीला के मुँह से आऽऽह निकल गई।


राज बोला: मैडम मैं आपका दीवाना हूँ , आह मैडम आपके दूध कितने मस्त हैं।


शीला डाँटते हुए बोली: पागल हो क्या , क्या इतनी ज़ोर से दबाते हैं कभी?


राज ने डर से हाथ हटा लिया और बोला: मैडम मैंने आज पहली बार किसी का दूध पकड़ा है। सॉरी अगर ज़ोर से दबा दिया । आपको दुःख गया क्या?




शीला: इतनी ज़ोर से दबाओगे तो दुखेगा नहीं क्या। वह अपनी छाती पर हाथ फेरते हुई फिर से उसके तंबू को देखी।


फिर वह राज को बोली: जाओ दरवाज़ा बंद कर दो पहले। राज ने वैसा ही किया। फिर से वह मैडम के पास आया और फिर उसने अचानक उसके कंधे पर हाथ रख कर बैठा दिया और उसके ऊपर झुक कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिया और चूमने लगा।


शीला अब कमज़ोर पड़ रही थी ।राज का मोटा तंबू इसे कमज़ोर कर रहा था। उसने देखा कि उसे चूमना भी नहीं आता उसे लगा कि शायद वह पहली बार सेक्स करने की कोशिश कर रहा है।



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तभी राज ने उसकी छातियाँ फिर से दबाना चालू किया पर इस बार वह ज़ोर से नहीं दबा रहा था। अब शीला गरम हो गयी। उसकी पैंटी गीली हो गयी थी। उसकी बुर पानी छोड़ने लगी थी।


राज बोला: मैडम आप मुझसे वैसे ही चुदवाइए ना जैसे उस दिन आप प्रतीक से करी थीं। और ये कहते हुए उसने मैडम का हाथ अपने उभरे हुए तंबू पर रख दिया।



शीला बोली: आऽऽहहह ये तुम्हारा पहली बार है या तुम पहले भी कर चुके हो? अब वह मज़े से उसके लौड़े को दबा कर मस्त हो रही थी।


राज: मैडम पहली बार है।


शीला: तब तो हमें घर चलना पड़ेगा। यहाँ यह नहीं हो पाएगा।


राज: उसकी चूचियाँ दबाते हुए बोला: क्यों मैडम क्या समस्या है?


शीला: अरे तुम पहली बार खड़े होकर नहीं कर पाओगे । पहली बार तुम्हें मेरे ऊपर चढ़कर ही करना पड़ेगा बिस्तर पर।


राज: मैडम मैं पागल हो रहा हूँ, मैं इतनी देर रुक नहीं सकता। प्लीज़ कुछ कीजिए ना।


शीला :अच्छा चलो मुझे छोड़ो और सीधे खड़े हो जाओ।


राज उसके सामने खड़ा हो गया । वह अब भी बैठी हुई थ


शीला ने राज की बेल्ट खोली और फिर पैंट का ज़िपर नीचे की और पैंट के बटन खोलकर पैंट को नीचे गिरा दिया। शीला की आह निकल गई, क्या मस्त उभार था चड्डी में । उसमें एक गीला सा दाग़ था जोकि उसका प्रीकम था। अब शीला ने उसकी चड्डी मे दो ऊँगली डालकर उसे नीचे किया। और फिर उसका मोटा लम्बा लौड़ा उसके सामने झूल रहा था। उसके बॉल्ज़ भी मस्त दिख रहे थे। उसके लौड़े के चारों तरफ़ बाल भी थे जो उसको और मादक बना रहे थे, शीला की नज़रों में।




अब शीला ने राज को टेबल पर बैठने को बोला, और वह शीला के सामने अपना लौड़ा खड़ा करके बैठ गया। शीला ने एक बार उसकी आँखों में देखा और फिर उसने उसके लौड़े को सहलाया और फिर उसने उसके लौड़े की सुपाडे की चमड़ी को पीछे खींचा और सुपाडे पर अपनी नाक लगाकर सूँघने लगी।




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अब वो मस्त होकर उसके सुपाडे को चूमने लगी और फिर जीभ से चाटने लगी। राज आँखें फाड़े अपने लौड़े की पहली चुसाई का मज़ा ले रहा था। अब शीला लौड़े को चूसने लगी।



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राज उसके सर को पकड़कर और दबाने लगा। शीला अब चूसते हुए उसके बॉल्ज़ भी सहलाने लगी। अब उसका मुँह ज़ोर ज़ोर से ऊपर नीचे हो रहा था। राज को लगा कि वह अब झड़ जाएगा। उसने आऽऽऽऽहहहह मैं झड़ने वालाआऽऽऽऽ हूँउउइउउउउ। शीला और ज़ोर से चूसने लगी और तभी राज उसके मुँह में झड़ने लगा और वह उसके वीर्य को पीते चले जा रही थी राज आऽऽह्ह्ह्ह्ह कहकर हैरानी से देख रहा था कि मैडम बड़े प्यार से स्वाद लेते हुए उसका रस पिए जा रही थी।



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अब शीला ने अपना मुँह ऊपर किया और उसके मुँह में लगे रस को हाथ से साफ़ किया और फिर उसके सुपाडे पर लगी दो बूँद रस को भी चाट ली। राज बहुत हैरान था और ख़ुश भी । वाह क्या मज़ा दिया था मैडम ने। अब उसका लौड़ा ठंडा होने लगा था।




अब शीला उसको उठाई और बोली: चलो जल्दी से पैंट पहन लो। और ख़ुद भी बाथरूम चली गई । थोड़ी देर बाद वो बाहर आइ तो देखा कि राज भी तय्यार था। अब राज ने उसे बाहों में खींचा और उसके होंठ चूसने लगा। वह थोड़ी देर के चुम्बन के बाद बोली: बाक़ी का घर में कर लेना। चलो अब, निकलते हैं।


पर राज तो जैसे पागल हो गया था बोला: मैडम एक बार सलवार खोलकर अपनी बुर दिखा दीजिए ना। प्लीज़।


शीला: अरे घर चल के देख लेना और अपना ये मूसल पेल भी देना।


राज: नहीं मैडम एक बार प्लीज़ मुझे अभी देखना है। ये बोलते हुए उसने सलवार का नाड़ा पकड़ लिया और खोलने लगा।



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शीला बोली: अच्छा बाबा लो देख लो। कहते हुए उसने अपना कुर्ता उठाया और नाड़ा खोलकर सलवार गिरा दी। अब राज घुटनो के बल बैठ गया और उसकी गीली पैंटी को सूंघकर मस्त हो गया और फिर उसकी पैंटी नीचे कर दिया। मस्त गदराइ जाँघों के बीच फूली हुई बुर सामने थी, जिसे देखकर वह उसे हाथ से सहलाया और फिर उसे चूमने लगा। शीला आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मत कर ना प्लीज़। मर जाऊँगी। हाय्य्य्य्य।



अब राज उसे घुमाया और उसके मस्त चूतरों को दबाकर बहुत मस्त हो गया। उसकी गाँड़ का छेद भी उसे बहुत सेक्सी लगा और उसने वहाँ भी ऊँगली फेरी और मज़े से भर गया


शीला बोली: चल अब छोड़ बाक़ी का घर पर कर लेना।
राज ने उसकी पैंटी ऊपर कर दिया और उसने सलवार का नाड़ा भी बाँध लिया और फिर अपने कपड़े ठीक करके बाहर निकल गई। अब राज भी ५ मिनट के बाद बाहर आ गया।

राज जब स्कूल से बाहर आया तो देखा कि शीला ऑटो के इंतज़ार में खड़ी थी। वह जाकर उनके पास खड़ा हो गया। तभी एक ऑटो आया और शीला उसमें बैठती हुई बोली: आओ राज तुम भी आ जाओ। राज शीला से सट कर बैठा और ऑटो रवाना हुआ। रास्ते में शीला उससे स्कूल की बातें कर रही थी। तभी राज ने अपना हाथ शीला के बड़े से पर्स के नीचे से उसके पेट के निचले हिस्से पर रख दिया। शीला ने उसको देखा और नहीं का इशारा किया। पर राज अब अपने हाथ को नीचे की ओर ले जाने लगा।



अब शीला ने अपना पर्स ऐसे रखा कि राज का हाथ नहीं दिखे किसी को भी। राज सलवार के ऊपर से उसकी जाँघों को सहलाता हुआ उसकी बुर तक पहुँचने का प्रयास कर रहा था। उसने उसकी सलवार के ऊपर उसकी बुर सहलाना शुरू किया। शीला अपनी जगह से हिलके और पैर फैलाकर उसके हाथ के लिए जगह बनाई। अब राज की उँगलियाँ मज़े से बुर के अंदर सलवार और पैंटी के साथ अंदर बाहर हो रही थी।
शीला को सांसें तेज़ चलने लगी थीं। उसका बड़ा सा सीना ऊपर नीचे हो रहा था। तभी शीला का घर आ गया। दोनों उतरे और शीला बोली: मैं सामने की दुकान से कुछ समान लेकर आती हूँ, तुम श्रेय के साथ गेम खेलो।



राज समझ गया कि वह उसके साथ घर नहीं जाना चाहती । वह मुस्कुराकर बोला: आप जल्दी आना, आपकी याद आएगी। ये कहते हुए उसकी सलवार में डाली हुई उँगलियों को उसे दीखा कर सूँघने लगा।



शीला का मुँह शर्म से लाल हो गया और वह चली गई।
जब शीला घर पहुँची तो राज और श्रेय गेम खेल रहे थे।
शीला: चलो मैं जल्दी से खाना लगाती हूँ, राज तुम भी खाना खा कर ही जाना।


राज ने श्रेय की आँख बचाकर शीला को आँख मारी। शीला मुस्करा कर अपने चूतर मटकाते हुए चली गई। थोड़ी देर बाद राज श्रेय को बोला: यार मैं ज़रा पानी पी कर आता हूँ।


श्रेय बोला: हाँ आ जाओ फ्रिज किचन में रखा है।
राज किचन में पहुँचा और वहाँ शीला को काम करते देख वह उसके पीछे से आकर उसको जकड़ लिया और उसके गाल एर गर्दन चूमने लगा। अब वह अपना लौड़ा शीला की गाँड़ पर रगड़ रहा था। शीला अभी मैक्सी में थी। उसने उसकी छातियों को भी दबोच लिया और मज़े से दबाने लगा। उसे अपने लौड़े को उसकी उभरी गाँड़ में रगड़ने में बहुत मज़ा आ रहा था।


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शीला: राज चलो अब जाओ यहाँ से , श्रेय तुम्हारा इंतज़ार कर रहा होगा।


राज: आऽऽहहहह मज़ाआऽऽ रहा है, मैडम।

शीला: देखो मुझे आंटी कहो, और खाना खाने के बाद तुम जाने का नाटक करना और मेरे कमरे में छिप जाना। श्रेय खाने के बाद सोता है। तब मैं तुम्हारे पास आ जाऊँगी।


राज: और मेरे पास आ कर क्या करेंगी आंटी जी?

शीला: चल बदमाश, वही करूँगी जो तू करने के लिए मरा जा रहा है

राज: बताओ ना क्या करेंगी? मुझे आपके मुँह से सुनना है, उसने उसकी छातियों को दबाते हुए कहा।

शीला हँसते हुए उसके कान में बोली: तुमसे चुदवाना है। बस अब चलो बोल दिया ना।


राज मस्ती से भर कर अपने लौड़े को अजस्ट करते हुए श्रेय के पास आकर खेलने लगा।


थोड़ी देर बाद उन सब ने खाना खाया। राज की आँखें शीला की गोलाइयों से जैसे हट ही नहीं पा रही थीं। मैक्सी में से उनकी घाटी नज़र आ रही थी। शीला ने भी ताड़ लिया था वह भी मस्ती से और आगे झुक कर उसको अपनी मदमस्त चूचियों के दर्शन करा रही थी। राज की हरकतों से वह बहुत गरम हो चुकी थी और चुदवाने के लिए मरी जा रही थी। उसकी पैंटी में बुर का रस टपके ही जा रहा था।


खाने के बाद दोनों थोड़ी देर गेम खेले और शीला आकर राज से बोली: बेटा अब तुम अपने घर जाओ। श्रेय अब सोएगा। राज श्रेय से हाथ मिलाकर बाहर जाने का नाटक किया और धीरे से वापस आकर शीला के कमरे में आ गया।


करीब दस मिनट के बाद शीला अपने कमरे में आयी तो राज बिस्तर पर बैठा था और उसके पैंट में तंबू पूरी तरह से तना हुआ था।


शीला ने दरवाज़ा बंद किया और आकर उसके बग़ल में बैठने लगी पर राज ने शीला को अपने गोद में खिंच लिया और उसके गाल चूमने लगा। फिर वो उसके होंठ चूमने लगा।


शीला हँसते हुए बोली: बेटा तेरी टाँगें ना टूट जायें, मैं काफ़ी भारी हूँ।


राज हँसते हुए बोला: आंटी आपका बदन बहुत नरम है वह मुझे क्या तोड़ेंगे?


शीला: चल मैं तुझे होंठ चूमना सिखाती हूँ।
फिर उसने उसके गाल पकड़े और उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर उसे चूमना और चूसना सिखाने लगी। वह भी उसकी छातियाँ दबाते हुए मज़े से सब सिखने लगा। जब शीला ने उसके मुँह में अपनी जीभ डाली तो राज को लगा कि कहीं उसका पानी ना निकल जाए। वह भी अपनी जीभ शीला के मुँह में डाला एर शीला उसकी जीभ चूसने लगी और अपनी जीभ से उसकी जीभ को रगड़ने लगी। अब राज को होंठों को चूमने का तरीक़ा समझ में आया।


अब राज बोला: आंटी अपनी मैक्सी उतारो ना मुझे आपके दूध देखने हैं।


शीला मुस्कुराते हुए खड़ी होकर बोली: सिर्फ़ देखेगा , बस ना? और कुछ नहीं करेगा ना? कहते हुए उसने अपनी मैक्सी उतार दी और अब वह सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी।


राज ने इतनी उत्तेजना कभी भी महसूस नहीं की थी। वह बहुत ही कामुक नज़र आ रही थी। राज ने फिर से शीला को अपनी गोद में खींचकर बैठा लिया और उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से चूमने लगा। अब उसने उसके पेट को सहलाया और फिर उसकी जाँघों को सहलाने लगा। अब राज ने ब्रा के हुक खोलने की कोशिश की पर उससे वह खुला नहीं।


शीला हँसती हुई बोली: जल्दी ही सीख जाओगे। चलो अभी मैं ही खोल देती हूँ। ये कहते हुए वह अपना हाथ पीछे लेज़ाकर अपनी ब्रा खोल दी। राज ने उसके ब्रा के कप उठाकर उसकी चूचियाँ नंगी कर दीं । अब राज के सामने इसके बड़े बड़े गोरे दूध थे और वह मुग्ध दृष्टि से उनको देख रहा था।फिर उसने अपने दोनों हाथों में उनको पकड़कर दबाने लगा। उसके लम्बे काले निपल्ज़ पूरे तने हुए थे, जिनको वह मसलने लगा और शीला हाऽऽय्यय कर उठ



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राज ने अपना मुँह नीचे किया और उसका एक दूध मुँह में लेकर बच्चे के तरह चूसने लगा। उसका दूसरा हाथ उसकी दूसरी चुचि दबा रहा था।शीला की आऽऽहहह निकली जा रही थी।


अब वह चुचि बदल बदल कर चूस रहा था।


शीला : चलो अब तुम भी अपने कपड़े खोलो । वह अब बिस्तर पर लेट गयी। राज ने अपने कपड़े खोले और अब वह सिर्फ़ अपनी चड्डी में था जिसने से उसका लौंडा बड़ा भयानक नज़र आ रहा था।


अब वह अपनी चड्डी भी उतारा और अपने लौड़े को लहराता हुआ शीला के बग़ल में लेट गया। फिर वह शीला को बाहों में लेकर चूमने लगा। उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ उसके मर्दाने सीने में धसने लगीं। फिर से वह उसकी चूचियाँ चूसने लगा। शीला आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह कहकर उसके सिर को अपने सीने में दबा रही थी।



राज उठकर उसकी पैंटी नीचे किया और शीला ने अपनी टाँगें फैलायीं और अपनी बुर राज को अच्छी तरह से दिखाई।राज ने उसकी बुर को देख सोचा कि क्या मस्त बुर है? कितनी फूली हुई बिना बालों की और उसने उस पर हाथ फेरा और उसके चिकनेपन से मस्त हो गया।




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उसने बुर की फाँकों को अलग किया और उसके अंदर का गुलाबी हिस्सा और उसका छेद साफ़ दिख रहा था।
उसने एक ऊँगली अंदर डाली और वह उसकी बुर की गरमी से मस्त हो गया। अब उसने शीला की ओर देखा तो वह बोली: अब क्या देख रहे हो , चलो अंदर डालो । राज उसकी जाँघों की बीच आ गया और शीला ने उसके लौड़े को पकड़ा और अपनी बुर के मुँह पर रख दिया।



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अब शीला ने अपने चूतर को नीचे से धक्का दिया और उसका आधा लौड़ा उसकी बुर में समा गया। शीला की आऽऽहहहह निकल गई।

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अब उसने राज की कमर को पकड़कर नीचे को दबाया और उसका लौड़ा पूरा अंदर घुस गया।



अब शीला ने राज को कहा कि आधा लंड निकाल कर फिर से अंदर डालो। अब राज को समझ आ गया और वह उसको चोदने में लग गया। राज को बहुत मज़ा आ रहा था चुदाई करने में।



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शीला बोली: तुम तो बहुत जल्दी सीख गए आऽऽऽहहह क्या चोद रहे हो आऽऽऽऽहहहह । बहुत अच्छा लग रहा है। हाय्य्ह्य्य्य और ज़ोर से करो। हाऽऽऽऽऽय ।



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राज भी मज़े से चोदे जा रहा था। शीला बहुत मस्त हो गयी थी । राज का मोटा लौडा उसकी बुर में जैसे फँसकर अंदर बाहर हो रहा था। बहुत दिन बाद उसे ज़बरदस्त मज़ा आ रहा था।




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राज भी अपनी पहली चुदायी से बड़ा मस्त हो रहा था।
अब शीला ने उसको अपनी चुचि पीने को कहा और वह उसकी चुचि चूसने और दबाने लगा। अब शीला भी आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मैं गाइइइइइइइ चिल्लाने लगी और झड़ने लगी।राज भी झड़ने लगा और ह्म्म्म्म्म्म्म कहकर उसके ऊपर गिर गया।


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शीला ने उसको चूम लिया और बोली: मज़ा आया?


राज: आऽऽहहह आंटी बहुत बहुत मज़ा आया।


और शीला उसको अपने ऊपर से हटाई और बोली: चलो मुझे बाथरूम जाना है। वह बाथरूम चली गई।
राज भी उठकर अपने कपड़े पहन लिया और तभी शीला भी आ गयी।


राज फिर से उससे लिपट गया और दोनों ने एक दूसरे को चूमा चाटा और फिर राज को शीला ने विदा कर दिया।


राज जब घर पहुँचा तो उसने देखा कि माँ की तबियत ख़राब थी। उसका पेट बहुत दर्द कर रहा था । उसने माँ को दवाई दी और उनको सुला दिया। इस चक्कर में माँ ने उससे यह भी नहीं पूछा कि उसे इतनी देर क्यों हुई!
राज माँ को सुलाके अपने कमरे में आया और सोचने लगा कि आज तो जैसे उसकी लॉटरी ही खुल गई। क्या माल है शीला आंटी। बहुत मज़ा देगी आगे भी वो।



उसका लौडा आज के मजे को याद कर फिर से खड़ा हो गया। और उसने अपना लौडा बाहर निकालकर उसको सहलाने लगा। वह सोच रहा था कि शीला आंटी को अब अलग अलग पोज़ में चोदूंगा । उसे प्रतीक की ऑफ़िस वाली चुदायी याद आयी और शीला की उभरी हुई गाँड़ याद आयी जिसे प्रतीक दबाते हुए उसकी बुर फाड़ रहा था। अब उसके लौड़े ने फ़व्वारा छोड़ना शुरू कर दिया। और वो साफ़ सफ़ाई करके थक कर सो गया।

राज शाम को सोकर उठा और माँ को देखने गया कि अब उनका पेट दर्द कैसा है? वह बाथरूम में थी। वह बाहर आयी तो राज ने पूछा: माँ, अब कैसा लग रहा है?


नमिता: अब ठीक है आज मैं ऑफ़िस से जल्दी आ गयी पेट में दर्द के कारण।


राज: मैं तो डर ही गया था, चलो अब चाय बनाता हूँ।

नमिता: मैं बना देती हूँ, अब मैं ठीक हूँ।

नमिता किचन में गयी और राज भी उसके पीछे किचन में घुसा।

राज उछलकर किचन में प्लैट्फ़ॉर्म पर बैठ गया और माँ को चाय बनाते हुए देखने लगा। उसने ध्यान से देखा और माँ की तुलना शीला आंटी से करने लगा। वैसी ही बड़ी बड़ी छातियाँ और चूतर और चेहरा भी गोल पेट भी वैसा ही थोड़ा सा गोलाई लिए हुए। हाँ माँ की कलाइयाँ ज़्यादा सेक्सी थीं। शीला की थोड़ी मोटी साइड में थीं। वह उनके बुर की तुलना करने की सोचा और मुस्कुराया कि माँ की बुर ज़्यादा टाइट होगी क्योंकि वह अकेला ही लड़का है जो वहाँ से निकला है और फिर बुर को रेग्युलर लौड़ा नहीं मिल पा रहा है।




जबकि शीला ने दो बच्चें निकाले हैं अपनी बुर से। श्रेय कि एक बड़ी बहन है जो कॉलेज में है और कहीं बाहर पढ़ रही है। और उसका पति भी है और जब भी घर छुट्टी पर आता होगा तो ख़ूब बजाता होगा उसकी बुर को। वह सोचने लगा कि काश वह माँ की बुर देख पाता। अब ये सोचकर उसका लौड़ा खड़ा हो गया। जब तक वह अपने लौड़े को लोअर में अजस्ट कर पाता


उससे पहले ही नमिता की नज़र उसके तंबू पर पड़ गयी और वह सवालिया नज़रों से राज को देखने लगी जैसे पूछ रही हो कि अब क्या हो गया जो तू इतना उत्तेजित हो गया है। राज ने लौड़े को अजस्ट किया और दूसरी तरफ़ देखने लगा।

नमिता को बिलकुल भी गुमान नहीं था कि उसका बेटा उसकी बुर के बारे में सोच कर उत्तेजित हुआ जा रहा है।
चाय बनाने के बाद नमिता और राज टेबल पर आए और चाय पीने लगे।

नमिता: अब भी नदीम और प्रतीक से मिलते हो?

राज: नहीं माँ , नदीम तो शाम को ही मिलता है, अब मैं

जाता ही नहीं शाम को खेलने। देखो अभी भी नहीं गया। और प्रतीक तो अपने पापा के साथ विदेश गया है।


नमिता: चलो अच्छा हुआ ये दोनों चांडाल तुमसे दूर हुए। तुम्हारा दिमाग़ इन दोनों ने ही ख़राब किया था।

राज: माँ मैं थोड़ा बाज़ार जाकर कुछ कापीयां लेकर आता हूँ।

नमिता : ठीक है जाओ। पर जल्दी आना पढ़ाई भी करनी है।


राज: जी माँ । कहकर चला गया।

नमिता सब्ज़ी काट रही थी कि तभी मनीष का मेसिज आया किक्या वह फ़ोन करे? नमिता ने लिख दिया कि करो।

मनीष का फ़ोन आया और बोला: हाय आंटी कैसी हैं?

नमिता: ठीक हूँ, तुम बताओ तुम्हारा क्या हाल है?

मनीष: आंटी बहुत तड़प रहा हूँ आपके बिना।

नमिता: आज तो मुझे भी तुम्हारी याद आ रही है।

मनीष: तो आ जाऊँ अभी क्या?

नमिता: पागल है क्या? राज अभी आने वाला है।

मनीष: आंटी कुछ प्रोग्राम बनाओ ना जल्दी से।

नमिता: चल मैं कुछ करती हूँ कल के लिए।

मनीष: हाय आंटी मेरा तो ये सुन कर अभी से खड़ा हो गया।

नमिता हँसते हुए: तुम लोगों का तो हमेशा खड़ा ही रहता है।

मनीष: लोगों का मतलब? मेरे अलावा और किसका?

नमिता: अरे आजकल राज भी हर समय खड़ा करके घूमता रहता है।

मनीष: क्या राज भी अपनी लाइन में आ रहा है?

नमिता: पता नहीं पर जब तब उसके लोअर में तंबू बन जाता है। पता नहीं क्या सोचता रहता है?

मनीष: आंटी क्या आपको लगता है कि उसने अभी तक किसी को चोदा होगा?

नमिता: मुझे क्या पता पर मुझे नहीं लगता। पर आजकल के लड़कों का क्या भरोसा?

मनीष: आंटी कहीं वह आपको तो नहीं चोदना चाहता?

नमिता: क्या पता , तू भी तो कई बार मेरा बेटा बनकर मेरी लेता है।

मनीष: हाँ आंटी अगर मेरी माँ होती तो मैं उसको ज़रूर करता।

नमिता: तो फिर क्या पता राज का भी मन वैसे ही करता हो?

ऐसा कहते हुए नमिता ने अपनी बुर खुजाई और उसको अहसास हो गया कि उसकी बुर इस तरह की बातों से पनिया गई थ


मनीष: तो आंटी क्या कल मिलेंगी ना?

नमिता: हाँ पूरी कोशिश करूँगी , कल मिलने की।


मनीष: आंटी, कल ज़्यादा टाइम के लिए मिलिए ना। पूरे तीन राउंड का प्रोग्राम करने की इच्छा हो रही है।

नमिता: चल हट बदमाश कहीं का। अच्छा अब रखती हूँ। बाई ।

मनीष ने भी बाई कहकर फ़ोन काट दिया।

उधर राज बाहर निकल कर एक पास की दुकान की तरफ़ जा रहा था, तभी एक बाइक आकर उसके पास रुकी, हेल्मट में नदीम को देख कर वह सहम गया।
नदीम ने हेल्मट उतारकर कहा: क्यों राज कहाँ जा रहे हो?


राज: बस यहीं दुकान तक।

नदीम: यार तुमने तो हद ही कर दी थी । और किस किस को बताया है?

राज: यार क़सम से और किसी को नहीं बताया। वह क्या हुआ , मैं भी तुम्हारी तरह माँ को करना चाहता था तो मेरे मुँह से निकल गया कि जब नदीम कर सकता है तो मैं और वह क्यों नहीं?

नदीम अब थोड़ा उत्सुक होकर बोला: तो क्या तूने आंटी को चोद लिया?

राज: कहाँ यार , अब तक तो बात नहीं बनी है।

नदीम: अबे पटाना तो पड़ेगा ना यार, तू भी साला गधा है। असल में जब तक तुझे चुदाई का मज़ा नहीं मिलेगा तू नहीं समझेगा किये क्या चीज है? तूने अभी तक किसी को चोदा है?

राज ने उसे नहीं बताया कि आज ही उसके कुँवारे लौड़े का उद्घाटन हुआ है शीला आंटी के साथ।

वह बोला: कहाँ यार किसी को नहीं किया अब तक।

नदीम : तो एक काम कर , कल तू स्कूल ना जाकर मेरे घर आ जाना । मैं तुझसे स्कूल के बाहर मिलूँगा। तू बस से उतर कर बाहर आ जाना अंदर नहीं जाना। मैं तुझे वहाँ मिलूँगा और अपने घर ले जाऊँगा।

राज: वह क्यों? तेरे घर क्यों?

नदीम मुस्करा कर बोला: अरे तेरे लौड़े का उद्घाटन कराएँगे यार।

राज: मगर किससे?

नदीम आँख मारते हुए: मेरी अम्मी से और किससे?
राज का मुँह खुला का खुला रह गया ।

राज : यार क्या कह रहा है? ये कैसे हो सकता है?

नदीम: देख यार मेरी अम्मी आजतक मेरे किसी दोस्त से नहीं चुदीं हैं। तू पहला दोस्त होगा जो ये मज़ा लेगा। और इसने मेरा भी एक मतलब है ना!

राज: कैसा मतलब?

नदीम: देख जब तू चुदायी का मज़ा चख लेगा तो अपनी माँ को भी पटा ही लेगा। यार तब मुझे भी मज़ा दिलवा देना अपनी माँ से।

राज: ओह मगर ऐसा नहीं हुआ तो? मतलब अगर माँ नहीं मानी तो?

नदीम: यार तू जिस तरह से अपनी माँ के पीछे पड़ा है वह मान ही जाएगी। और फिर मेरी लॉटरी भी लगा देना। कहते हुए उसने आँख मार दी।

अब राज का लौड़ा पूरा खड़ा हो गया था जिसको वो अजस्ट करने लगा।

नदीम मुस्करा कर बोला: क्या हुआ खड़ा हो गया क्या? कल तक चड्डी में रख , फिर निकाल कर मस्ती
कर लेना अम्मी से।

राज झेंप कर बोला: यार तू बड़ा बदमाश है।

नदीम: तो फिर पक्का रहा कल का ?

राज: वो तेरे अब्बा उनका क्या?

नदीम : अरे उनसे भी मज़ा ले लेना । हा हा कहते हुए हँसते हुए वह बाइक लेकर चला गया। राज अत्यंत उत्तेजित होकर आज के घटना क्रम का सोचते हुए बाज़ार से समान लेकर घर की ओर चल पड़ा।


रात को खाना खाने के बाद राज अपने कमरे में नदीम की कही बातों को सोचकर मस्ती से भर रहा था और अपने लौड़े को सहला रहा था। वह सोच रहा था कि क्या आयशा आंटी को चोदने में शीला आंटी से ज़्यादा मज़ा आएगा? क्या नदीम भी साथ ही में करेगा? ओह उसके अब्बा भी होंगे। पता नहीं कैसे ये सब होगा? और वह कभी शीला कभी माँ और कभी नदीम की कही बातों को सोचकर मूठ्ठ मारने लगा। और जल्दी ही झड़ गया।


नमिता भी बिस्तर पर अपनी बुर सहला रही थी। मनीष की बातें याद कर रही थी। तभी उसकी आँखों के सामने राज का तंबू आ गया। सच में उसके बेटे का हथियार ज़्यादा ही बड़ा दिखता है लोअर के अंदर से। वह उसके हथियार के बारे में सोचते हुए अपनी बुर में ज़ोर से ऊँगली चलाने लगी। और जल्दी ही झड़ने लगी।
दोनों झड़कर सो गए ।


सुबह नमिता की आँख खुली तो उसने देखा कि थोड़ी देर हो गयी है। उसने राज को किचन से आवाज़ दी और राज आता हूँ माँ कहकर तय्यार होने लगा। अभी वह बाथरूम से नहाकर चड्डी में ही था और अपने आप को शीशे में देखकर ख़ुश हो रहा था। फ़ुट्बॉल खेलने के कारण उसका बदन बड़ा मर्दाना लग रहा था। चड्डी में उसके लौड़े का उभार अलग से नज़र आ रहा था।


आज आयशा आंटी की चुदायी का सोचकर उसका लौड़ा आधा खड़ा था। तभी दरवाज़ा खुला और नमिता अंदर आयी और बोली: क्या कर रहा है ? आता क्यूँ नहीं? मैं नाश्ता लेकर बैठीइइइइइ हूँ। और कहते हुए उसकी नज़र अपने बेटे के अर्धनग्न मर्दाने बदन पर पड़ी और वह उसकी चौड़ी छाती ,


उसके गठीले बदन और फिर चड्डी में फँसे उसके मस्त हथियार को देखकर हैरान हो गयी। वह सोचने लगी, हे राम ये तो अभी से ही पूरा मर्द बन गया है। इसकी चड्डी मे से बॉल्ज़ भी कितने बड़े लग रहे हैं, और क्या इसका नरम लंड इतना बड़ा है। अगर पूरा तनेगा तब कितना बड़ा होगा। वह इसकी तुलना मनीष के लंड से करके सोची कि इसका मनीष से काफ़ी बड़ा है।


उसे अपनी पैंटी गीली होती लगी। और ख़ुद पर शर्म भी आइ कि ये क्या हो रहा है उसे, जो अपने बेटे के बारे में ऐसा सोच रही है।


राज भी माँको कमरे में देखकर थोड़ी देर के लिए हड़बड़ा गया पर जब उसने देखा कि माँ उसके लौड़े से नज़र ही नहीं हटा पा रही है तो उसे मस्ती सूझी और उसने माँ के सामने अपनी चड्डी के ऊपर से लौड़े को अजस्ट किया। फिर वह माँकी तरफ़ मुँह करके आराम से अपनी पैंट पहनने लगा। अब नमिता को होश आया और वह नज़रें झुका कर “ जल्दी आओ बाहर” कहकर किचन में चली गयी।


नमिता अभी भी सकते में थी कि राज तो पूरा मर्द बन गया है।
Zabardast update bro.lagta hai ab maa bete ke bich khel shuru hone wala hai
 
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