Update:08
उस दिन और कुछ नहीं हुआ। अगले दिन राज स्कूल चला गया और नमिता ऑफ़िस।
स्कूल में राज टेस्ट दिया और उसको समझ आ गया कि उसकी नय्या आज भी डूब गयी।
टेस्ट देने के बाद लंच ब्रेक में प्रतीक मिला और बोला: यार आज बड़ा मन कर रहा है चुदाई का। शीला मैडम तो आज स्टाफ़ मीटिंग में हैं।
राज: अरे वह तेरी मेड को क्या हुआ? उसने करवाना बन्द कर दिया है क्या?
प्रतीक: अरे वह तो घर का माल है वो तो दे देती है। पर आज सुबह जब वह चाय देने आइ तो मैं उसके दूध दबाने की कोशिश किया तभी साली ने घोषणा कर दी कि उसका पिरीयड आ गया है। उसका पहला दिन बहुत दर्द के साथ बीतता है। वह हाथ भी नहीं लगाने देती। साली क्य क़िस्मत है।
राज: ओह फिर तो तुमने आज मूठ्ठ से ही काम चलाना पड़ेगा।
तभी प्रतीक का मोबाइल बजने लगा और फ़ोन पर एक सुंदर महिला की फ़ोटो भी आ गई। उसने राज को आँख मारी और फ़ोन को स्पीकर मोड में रख दिया। अब राज भी उसकी बात सुन सकता था।
प्रतीक का चेहरा चमक उठा था, वह बोला: हाय चाची कैसी हैं आप?
चाची: ठीक हूँ आज तेरी बड़ी याद आ रही है।
प्रतीक: अच्छा, चाचा कहीं बाहर गयें हैं क्या, वरना आपको हमारी याद क्यों आएगी?
चाची: बेटा, ताने तो ना मार, तू जानता है कि तेरी चाची कितना प्यार करती है, तुझे, फिर ऐसा क्यों बोल रहा है?
प्रतीक: अरे चाची मैं तो मज़ाक़ कर रहा था, बताओ क्या बात है?
चाची: अरे वही बात है , तेरे चाचा ३ दिन के लिए टूर पर गए हैं। और लाली स्कूल गयी है, वो स्कूल के बाद tuition जाएगी, काफ़ी समय है, आ सकता है?
प्रतीक: अरे चाची , ये भी कोई पूछने की बात है, मैं बस अभी आधे घंटे में पहुँचता हूँ। एक बात बताइए कि नीचे शेव करा रखी है या नहीं?
चाची: बदमाश आकर ख़ुद देख ले। वैसे तेरे चाचा ने कोई पंद्रह दिन पहले शेव की थी , थोड़े बाल तो आ गए हैं। तू चाहे तो तू भी शेव कर लेना आज।
प्रतीक: चाची तो शेविंग का सामान तय्यार रखो अभी आ कर करता हूँ फिर साथ ही नहाएँगे और फिर दो बार चुदाई। ठीक है?
चाची हँसते हुए बोली: तू आ तो जा, सच बहुत खुजा रही है।
प्रतीक: चाची क्या खुजा रही है?
चाची: हट बदमाश तेरे हथियार की सहेली और कौन ।
प्रतीक: चाची नाम लो ना प्लीज़।
चाची: हा हा बुर और क्या, चल जल्दी आ और मज़े से चोद मुझे।
प्रतीक अपना लौडा मसलते हुए बोला: बस अभी आया चाची।फिर फ़ोन बंद कर दिया।
राज: क्या अभी जाएगा? और क्लास का क्या होगा?
प्रतीक: अरे मुझे कौन सा डॉक्टर या एंजिनीयर बनना है, पापा का बिसनेस चलाने के लिए थर्ड डिविज़न में भी पास होने से चलेगा।
और वो हँसते हुए चला गया।
राज सोचने लगा कि क्या किस्मतवाला लड़का है।
अब वह क्लास में वापस आया और आख़री पिरीयड में उसकी टेस्ट की कापी जँचकर उसको मिली। उसने देखा कि उसको १५% नम्बर ही आए हैं। वो सोचने लगा कि आज घर में क्या बवाल मचेगा! माँ तो पागल ही हो जाएगी ऐसे नम्बर देख कर।
फिर दोपहर को घर पहुँचा तो माँ ने पूछा कि टेस्ट में कितने नम्बर आए?
राज ये बोलते हुए कि आज जँचकर नहीं मिला, बैग सोफ़े पर पटक कर अपने कमरे में चला गया और अपने कपड़े बदलने लगा।
अचानक उसको लगा कि किसी के रोने की आवाज़ आ रही है। वो घबरा कर बाहर आया और देखा कि माँ सोफ़े पर अपने पाँव ऊपर रखके घुटने मोड़ कर बैठी थी और अपना सर घुटनों पर रख कर रो रही थीं। उनके पास सोफ़े पर उसके टेस्ट के पेपर रखे थे जो शायद उन्होंने उसके बैग से निकाल कर देख लिया था।
राज माँ के पास आया और बोला: माँ रोने से क्या होगा? प्लीज़ चुप हो जाओ। मैं वादा करता हूँ कि मैं और मेहनत करूँगा।
नमिता: बस कर अब तू झूठ भी बोलने लगा है । कहता था कि अच्छा रिज़ल्ट आएगा , ये अच्छा है? तू फ़ेल हो गया है। तुझे समझ नहीं आ रहा है की तू अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर रहा है।
वह रोते हुए बहुत ही दुखी दिखाई से रही थी।
राज को समझ नहीं आ रहा था कि कैसे माँ को शांत कराए।
वह बोला: माँ मुझे जो सज़ा देनी है दे दो पर ऐसे मत रोओ ।
नमिता ने कोई जवाब नहीं दिया और उसने अपना सर फिर से अपने घुटनों पर रखा।
राज परेशान होकर अपने कमरे में चला गया और अपना सर पकड़कर बैठ गया। उसने अपने कमरे का दरवाज़ा बंद कर लिया।
नमिता थोड़ी देर बाद उठी और अपना मुँह धो कर खाना लगाने लगी। फिर जाकर राज को आवाज़ दी: चलो अब खाना खा लो।
राज ने कहा: मुझे भूक नहीं है। आप खा लो।
नमिता: चलो नाटक छोड़ो, दरवाज़ा खोलो और खाना खा लो।
राज: कहा ना मैं नहीं खाऊँगा।
नमिता: भाड़ में जाओ। मैं खा रही हूँ।
नमिता खाने बैठी और उससे भी खाया नहीं गया।उसने खाना टेबल पर ही छोड़ दिया और अपने कमरे में चली गई। वह सोच रही थी कि ऐसा क्या करे कि उसका बेटा सामान्य हो जाए और पढ़ाई पर ध्यान दे।
थोड़ी देर के लिए उसको नींद लग गयी। जब वो उठी तो उसे याद आया कि राज ने पता नहीं खाना खाया होगा कि नहीं।
वह उठकर खाना चेक की और देखा कि राज ने खाना नहीं खाया था।
वह राज के कमरे में गई और खिड़की से झाँका और उसने देखा कि वह टेबल पर सर रखकर रो रहा था। वो सन्न रह गई और उसने कहा: राज बेटा,दरवाज़ा खोलो प्लीज़ अभी के अभी।
राज: माँ मुझे मर जाना चाहिए , मैंने आपको बहुत दुःख दिए हैं।
नमिता: क्या बक रहा है, चल दरवाज़ा खोल, तुझे मेरी क़सम है।
राज ने दरवाज़ा खोला और नमिता ने उसे अपनी बाहों में खींचकर प्यार से उसके गाल चूमने लगी, और बोली: ख़बरदार जो फिर कभी मरने की बात की। तेरे सिवाय मेरा इस दुनिया में कौन है?
राज भी उनसे चिपककर रोता रहा और बोला: माँ मैं बहुत परेशान हूँ समझ नहीं आ रहा है क्या करूँ?
नमिता: पगले मैं तो कब से कह रही हूँ मन की बात मुझे बता दे,तू तो कुछ बताता ही नहीं?
राज कुछ नहीं बोला , फिर वह बाथरूम से मुँह धोकर आया और बोला: माँ चार बज गए हैं , भूक लगी है।
वह बोली: चलो आओ खाना गरम कर देती हूँ, चलो तुम बैठो।
खाना खाने के बाद जब वो सोफ़े पर बैठे थे तब नमिता
बोली: बेटा,बताओ ना क्या हो गया है, तुम पढ़ाई में ध्यान क्यों नहीं लगा पा रहे हो?
राज: माँ , सच बोलूँ आप ग़ुस्सा तो नहीं होगे?
नमिता उसको अपने पास बुलायी और उसको अपनी गोद में सर रख कर लिटा ली और बोली: चल बता क्या बात है?
राज अब भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था पर बोला: माँ ये सच है कि मुझे हर समय सेक्स का ही ध्यान आता रहता है?
नमिता: तो शीला मैडम का ही सोचते रहते हो क्या?
राज: माँ सच में बड़ी उम्र की औरतें ही अच्छी लगती हैं मुझे।
नमिता: क्या सोचते हो मैडम के बारे में?
नमिता अब उसके बालों पर हाथ फेर रही थी। उसने उसके गालों पर हाथ फेरा और बोली: कितने दिन से शेव नहीं की? कितना खुरदरा लग रहा है।
राज: माँ मेरा क्या होगा? मैं तो बिलकुल पढ़ नहीं पा रहा हूँ।
नमिता: क्या तू शीला मैडम के साथ सेक्स करना चाहता है? ये तो हो नहीं सकता बेटा, वह शादीशुदा है ।तुम्हें इस पागलपन से बाहर आना ही होगा।
राज: माँ मैं क्या करूँ , मैं हमेशा सेक्स का ही सोचता रहता हूँ। मैं फ़ेल हो जाऊँगा माँ । और वह रोने लगा।
नमिता ने उसके गाल चूमते हुए कहा: बेटा, रोने से क्या होगा? हम कोई रास्ता निकालेंगे नहीं तो डॉक्टर के पास जाएँगे।
राज: माँ मुझे तो बहुत डर लग रहा है कि मैं इन हालात में कैसे पास होऊँगा।
नमिता: बेटा, कोई ना कोई रास्ता निकलेगा।
अच्छा एक बात पूछूँ ? सच बोलोगे?
राज: हाँ माँ अब मैं आपसे कुछ नहीं छिपाऊँगा । ये कहते उसने अपना मुँह अपनी माँ में पेट में छुपा लिया।
नमिता: ये बता कि तूने मेरी पैंटी में अपना रस क्यों निकाला? क्या तू मुझे भी ऐसी नज़र से देखता है जैसे मैडम को देखता है?
राज की सिट्टि पिट्टी गुम हो गई , उसे लगा कि धरती फट जाए और वह उसमें समा जाए। तो माँ को पता चल ही गया है।
वह बोला: माँ मुझे माफ़ कर दो ।और फिर वह एकदम से उठकर अपने कमरे में चला गया।
नमिता सोचने लगी कि अब क्या करे?
वह उठी और उसके पीछे उसके कमरे में गयी । वह पेट के बल लेता हुआ था और सिसक कर रो रहा था।
नमिता उसके बिस्तर पर बैठकर उसके पीठ में हाथ फेरती हुई बोली: बेटा, आख़िर बात क्या है? तू क्या मुझे भी ऐसी ही नज़र देख़ता है? बता ना?
राज रोते हुए बोला: हाँ माँ मैं बहुत पापी हूँ, मैं आपको भी ऐसी ही नज़र से देखता हूँ।
नमिता चुप रह गई और सोचने लगी कि अब क्या करे।
वह थोड़ी देर उसके पीठ पर हाथ फेरती रही फिर धीरे से बोली: बेटा ये ग़लत है ना, ये तुम जानते हो ना? समाज पाप मानता है। तुम समझ क्यों नहीं रहे हो बेटा।
राज: माँ मैं सब समझता हूँ पर क्या करूँ हर समय बस आपके बारे में ही सोचता रहता हूँ।
नमिता: क्या सोचते हो मेरे बारे में?
राज : माँ गंदी गंदी बातें।
नमिता: जैसे बताओ ?
राज: मुझे बताने में शर्म आ रही है।
नमिता: जब सोचने में शर्म नहीं आ रही है तो बताने में
कैसी शर्म, बोलो?
राज : वो वो - मैंने आपको -
नमिता: बोलो बोलो।
राज: मैंने आपको एक बार कपड़े बदलते हुए देख लिया था, आप ब्रा पैंटी में थीं, तब से मैं आपके साथ सेक्स करने का सोचने लगा हूँ।
नमिता थोड़ी परेशान हो कर बोली: बेटा तुम किसी भी औरत को देखोगे बिना कपड़ों के तो क्या उनके साथ सेक्स कर लोगे?
राज: मैं किसी औरत की नहीं बल्कि आपकी बात कर रहा हूँ।
नमिता: पर बेटा ऐसा नहीं होता, माँ बेटा सेक्स नहीं कर सकते।
राज: पर माँ, नदीम तो अपनी माँ के साथ सेक्स करता है, और प्रतीक भी अपनी माँ से सेक्स करना चाहता है।
नमिता हैरानी से बोली: क्या कह रहे हो? क्या सच में ऐसा है?
राज: हाँ माँ सच है बिलकुल।
नमिता: ओह, तभी तेरे दिमाग़ में ऐसे विचार आ रहे हैं।
नदीम का क्या कह रहा था तू?
राज: माँ , नदीम के अब्बा का ऐक्सिडेंट में कमर में नीचे चोट लगी थी और वह सेक्स के लायक नहीं रहे तो वह नदीम को बोले कि उसकी माँ कहीं दूसरों से ना चुद-- मेरा मतलब है सेक्स ना करने लगे, इससे अच्छा है कि नदीम ही उसे चो- मतलब सेक्स कर ले।
नमिता हैरानी से उसे देख रही थी और सोच रही थी कि ये इतना भोला नहीं है जैसा कि वह सोच रही थी। वह तो चोदने जैसे शब्द से भी वाक़िफ़ है। तो ये बात है , इन बातों से ही वह अपनी माँ की तरफ़ आकर्षित हुआ है।
नमिता: प्रतीक के बारे में क्या बोल रहा था तू?
राज: माँ वह भी अपनी माँ के साथ सेक्स करना चाहता है। वह तो शीला मैडम को चो- मतलब पा चुका है।
नमिता झटके में आ गई, और बोली: क्या? वह शीला के साथ सेक्स कर चुका है? ओह ये बड़ी विचित्र बात है।
राज: माँ, मुझे माफ़ कर दो, मैं पूरी कोशिश करूँगा सुधरने की।
नमिता हम्म कहकर उठ गई। और अपने कमरे में आ गयी।
नमिता सोच रही थी कि इस समस्या का हल शायद वह अकेली नहीं निकाल पाएगी , उसे किसी ना किसी की सहायता लेनी पड़ेगी। उसे दो ही नाम याद आए मनीष या शीला। पर यहाँ तो शीला तो ख़ुद ही एक अपने बेटे की उम्र के लड़के के साथ फँसी हुई है। शायद मनीष ही कुछ मदद कर सके। उसने मनीष को मेसिज किया कि क्या अभी बात हो सकती है?
मनीष का फ़ोन आ गया: वो बोला: हाय आंटी क्या हुआ?
नमिता: मैं थोड़ी परेशान हूँ, सोचा कि तुम शायद मदद कर सको।
मनीष: आंटी बोलो ना, आपके लिए सब कुछ करूँगा।
नमिता: असल में मैं राज को लेकर परेशान हूँ । वो पढ़ाई में लगातार नीचे की ओर जा रहा है। वो हरसमय सेक्स का सोचता रहता है।
मनीष: वह किससे सेक्स करना चाहता है?
नमिता: बड़ी उम्र की औरतों से और आज तो बोला कि मुझसे भी , अपनी माँ से । बताओ ऐसा भी कहीं होता है?
मनीष: आंटी होता है ऐसा भी। मैं भी तो आपको चोदते समय कई बार मम्मी बोलकर चोदता हूँ।कई लड़के अपनी माँ को ही चोदना चाहते हैं।
नमिता: ओह , राज भी कह रहा था किउसका एक दोस्त तो अपनी माँ के साथ लगा हुआ है और दूसरा लगाने को तय्यार है।
मनीष: अब ऐसे दोस्तों के साथ रहेगा तो फिर वह भी ऐसा ही सोचेगा।
वैसे आंटी एक बात बोलूँ आप उसको अपने मन की कर लेने दो ना। घर की ही तो बात है। कौन सी आपकी बुर घिस जाएगी और बेटे को भी मज़ा आ जाएगा।
नमिता: बकवास मत करो। एक मदद करोगे , मुझे नदीम की माँ से मिलना है। उसका सेल नम्बर चाहिए मुझे। मैं राज से नहीं लेना चाहती।
मनीष: वो कहाँ रहता है? कुछ तो बताओ उसके बारे में।
नमिता: मैं इतना ही जानती हूँ की सरोजिनी नगर में उसका एक कपड़े का शोरूम है नदीम गर्मेंट्स के नाम से ।
मनीष: ठीक है आंटी, मैं आपको कल उसका नम्बर दे दूँगा।
नमिता: थैंक्स, तुमसे बात करके अच्छा लगा।
मनीष: आंटी कल आ जाऊँ क्या चोदने का बहुत मन हो रहा है आपको।
नमिता: कल की कल देखेंगे पर मुझे नदीम की माँ का नम्बर दे देना।
मनीष उसको चूमता हुआ फ़ोन बंद कर दिया।
नमिता किचन मैं गयी और खाना बनाने लगी। आज शाम राज पार्क नहीं गया। नमिता ने उसे चाय के लिए आवाज़ दी पर वह नहीं आया।
नमिता ने चाय बनाई और उसके कमरे में लेकर गयी। वह कुर्सी पर बैठा था और उसका सिर टेबल पर था और वह सो रहा था।
नमिता को राज पर बहुत तरस आया और उसके बालों पर हाथ रखा और सहलाते हुए उठाने लगी। वह उठकर माँ को देखा तो बोला: अरे,मैं क्या यहीं सो गया था?
फिर वह उठकर बाथरूम गया और आकर चाय पीने लगा। वह अपनी माँ से नज़रें नहीं मिला सका। नमिता भी बाहर आकर किचन में चली गयी।
To be continue