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Incest तू लौट के आजा मेरे लाल

Naik

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chapter 28

अभय अपनी मा के कमरे मे आता आसा बिस्तर पे इस तरह से लेती दरवाजे की तरफ ही देख रही थी और अभय के आने का इंतज़ार कर रही थी आसा जिस तरफ लेती थी आसा के चिकने कमर पेट गहरी ढोरी साफ साफ दिखाई दे रही थी आसा अभय को देख मुस्कुरा देती है


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अभय आसा को देखता है फिर अपनी मा के कमर चिकने पेट ढोरी को देखने लगता है ( आसा मुस्कुराते हुवे अभय को देख - क्या देख रहा है लाला : अभय आसा को देख मुस्कुराते हुवे - देखने वाली चीज देख रहा हु ( आसा सर्म से लाल हो जाती है

अभय अपनी मा के पास जाके आसा के हाथ पकर खरा करता है आसा अभय को देखती रहती है अभय आसा के पास आके आसा की

आखो मे देख - मा अपनी सारी नीचे गिरा दो
आसा हैरान शर्मा के अभय को देख - लेकिन कियु लाला
अभय आसा को देख - अपने लाला पे बिस्वास नही है
आसा बिना देरी किये सीने से सारी शर्मा के नीचे गिरा देती है आसा को बहोत सर्म आ रही थी साथ मे समझ नही पा रही थी अभय ने ऐसा करने के लिये कियु कहा लेकिन आसा को अपने बेटे पे बिस्वास था

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अभय अपनी मा के ब्लाउस मे कसे दो उजले बरे चूचे कमर पेट गहरी ढोरी को देखते हुवे - मा आपकी कमर चिकने पेट गहरी ढोरी देख मेरा दिल थम जा जाता है ( आसा अभय की बात सुन बहोत शर्मा जाती है

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अभय आसा के पास नीचे बैठ जाता है और अपनी मा के पीछे गांड के थोरा उपर दोनो हाथो को ले जाके पकर आसा के पेट ढोरी पे किस करने लगता है आसा अभय के बाल सेहलाते हुवे जोर से - सिसक परती है उफ बेटा ठोरी देर बाद

अभय खरा होता है और अपनी मा को देखता है आसा सर्म से लाल अभय को देखती है

अभय आसा को देख - मा अपनी आखे बंद करो ना
आसा अभय की आखो मे कुछ सकेन्द् देखती है फिर आखे बंद कर लेती है अभय फिर अपने पॉकेट से जो गिफ्ट लाया था उसे निकाल आसा के कमर मे पेहनाने लगता है आसा आखे बंद किये हुवे थी लेकिन आसा फिल कर पा रही थी उसका बेटा उसे कमर मे कुछ पेहना रहा था काम हो जाने के बाद


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अभय थोरा पीछे होके आसा के कमर मे अभय ने कमरबंद पेहनाया था अभय मन मे - उफ मा के ऊपर ये कमरबंद कितना मस्त लग रहा है मेरी मा सच मे बहोत सेक्सी हॉट है

आसा - बेटा क्या मे अब अपनी आखे खोलू
अभय - जी मा
आसा अपनी आखे खोल अपने कमर को देखती है तो आसा को बहोत ही खूबसूरत कमरबंद अपने कमर मे दिखाई देता है जो आके के चिकने पर्फेट कमर पे जच रहा था आसा कयामत लग रही थी

अभय- कैसा लगा मा मेरा गिफ्ट आपको
आसा अभी भी कमरबंद को देखे जा रही थी असल मे आसा को बहोत अच्छा लगा था अभय का गिफ्ट साथ मे आसा बहोत खुश थी की उसका बेटा उसके लिये इतना खूबसूरत गिफ्ट लाया उसका ख्याल रखता है

आसा अभय को प्यार से देखती है फिर पास जाके अभय के गले लग थोरा इमोसानल होते हुवे - बहोत प्यारा लगा मुझे मेरे लाला का दिया गया गिफ्ट मेरा बच्चा कितना ख्याल रखता है मेरा

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अभय आखा के आखो मे देख मुस्कुराते हुवे - मा मेने को सब अपने लिये क्या इस रूप मे मैं ही देखुंगा ना तो आपकी कमर ढोरी कमरबंद तो फायदा मेरा हुआ ना
आसा बहोत शर्मा जाती है और अभय को देख - हा मेरे लाल तुझे ही दिखाउगी

अभय आसा के कमर पकर अपने से सता के आसा के आखो मे देख -मा चलो डांस करते है
आसा अभय की आखो मे देख थोरा शर्मा के - जरूर करुगी बताओ कैसे करना है
अभय आसा को एक भोजपुरी वीडियो दिखाते हुवे - ऐसे
आसा वीडियो देख सर्म से लाल - ठीक है करुगी

अभय खुश होकर - थैंक्स मा

अभय भोजपुरी सोंग लगा देता है गाना बजते ही आसा वैसे ही सारी नीचे गिराये कमर हिला के डांस करने लगती है और आसा के कमर मे कमरबंद आसा के कमर पे चार चाँद लगा रहा था

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अभय अपनी मा को इतनी सेक्सी हॉट तरीके से डांस करता देख पागल होने लगता अभय का दिल धक करने लगता है आसा सच मे बहोत अजब डांस के साथ कयामत आग लग रही

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अभय अब आगे जाता है और आसा के कमर पकर किस करता है आसा सिसक् परती है अभय अपना हाथ आसा के पेट से लेते हुवे आसा के बरे चूचे के बीच दरार से उपर आता है और आसा को पकर किस पे किस करने लगता है आसा की मस्ती से सिसकिया निकल जाती है

अभय फिर आसा के सारी सीने पे रख आसा को बिस्तर पे लेता आसा के ऊपर आ जाता और आसा की आखो मे देखने लगता है आसा बहोत शर्मा रही थी अपने बेटे के साथ डांस करने के बाद

अभय आसा को देख प्यार से - मा आप बहोत हॉट सेक्सी है लेकिन कमरबंद के साथ आप बहोत कयामत लग रही थी
आसा सर्म से लाल होते हुवे - सच केह रहा है
अभय - मे कभी झूठ कैसे बोल सकता हु अपनी मा से
आसा - थैंक्स लाला तेरी वजह से मेरा हर दिन खास गुजरता है खास कर अभी का समय जब तुम आते हो गुड नाइट बोलने आते हो
अभय आसा के कान मे धीरे से - मेरा भी मुझे आपके उपर लेत आपके सरीर की गर्मी फिल कर बहोत अच्छा लगता है
आसा सर्म से पानी पानी हो जाती है

अभय आसा के होठो पे किस करते हुवे - गुड नाइट सेक्सी डार्लिंग मा
आसा अभय के होठो पे किस कर - गुड नाइट मेरे लाला

अभय फिर कमरे से निकल जाता है आसा आज बहोत खुश थी आसा खरी होके सारी निकाल नंगी होके अपने कमर पे कमरबंद देख मुस्कुराते हुवे - कितना अच्छा लग रहा है

आसा फिर नाइटी पेहन मुस्कुराते हुवे बिस्तर पे लेत आखे बंद कर सो जाती है

अभय अदिति के कमरे मे जाता है अदिति अभय का इंतज़ार कर रही थी अभय अदिति को बाहों मे लेके - मेरी प्यारी गुरिया
अदिति अभय को देख - मेरा प्यार हैंडसम भाई
अभय मुस्कुराते हुवे - तु भी तो बहोत खूबसूरत है
अदिति शर्मा के - झूठ बोल रहे है
अभय अदिति के चेहरे को पकर आखो मे देख - सच केहता हु हमेसा तुम बहोत खूबसूरत और

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अदिति शर्मा के - और भाई क्या
अभय अदिति के कान मे धीरे से - बहोत शैतान भी हो
अदिति अभय को सीने पे मारते हुवे मुह बना के - भाई आप कितने बुरे है जाओ मे आपसे बात नही करती

अदिति मुह फुला के दूसरी तरफ मुह कर बैठ जाती है
अभय मुस्कुराते हुवे अदिति को पीछे से बहोत मे लेके - मे तो मजाक कर रहा था तुम बहोत खूबसूरत हो मॉडल की तरह
अदिति अभय की बात सुन मुस्कुरा देती है

अभय अदिति को अपनी तरफ घुमा के गाल पे किस कर - अब सो जाओ मेरी गुरिया गुड नाइट
अदिति अभय के गाल मे किस करते हुवे - गुड नाइट भाई

अदिति बिस्तर पे लेत सोने लगती है अभय अदिति को देखता है फिर मुस्कुराते हुवे अपने कमरे मे आके बिस्तर पे लेत फोन दिशा को लगा देता है

दिशा - हो गई मम्मी जी ननद जी से बात बोल आये गुड नाइट
अभय मुस्कुराते हुवे - हा मेरी रानी बोल आया
दिशा बिस्तर पे करवट बदल - अच्छा बाकी सब कैसा चल रहा है
अभय - अच्छा चल रहा है बस दिन ना रात तेरे बिना जल्दी नही गुजरता है मेरी जान
दिशा शर्मा के - मेरा भी यही हाल है पति जी मुझे तो आपके बाहों मे सोना है पूरी जिंदगी
अभय मजे लेके - सिर्फ सोने आओगी तो मे भला तुम्हे कियु लाऊ
दिशा बात को समझ - कितने गंदे है आप फिर सुरु हो गये
अभय हस्ते हुवे - मेने सही तो कहा
दिशा शर्मा के - हा बाबा वो सब भी होगा अब खुश यही सुनना था ना
अभय मुस्कुराते हुवे - हा लेकिन खुल कर बोलो मजा नही आया
दिशा - छी गंदे मे नही बोलुगी
अभय - तो मे रूठ जाउंगा
दिशा शर्म से - चुदाई अब खुश
अभय हस्ते हुवे - हा अब सही है

20 मिनट दोनो मे बाते होती रहती है फिर फोन कट

अभय फोन रख बिस्तर पे लेत छत को देखते हुवे अपने आने वाले लाइफ के बारे मे सोचने लगता है

तभी अभय का फोन बजता है

अभय फोन लेते हुवे - अब किसका फोन आया है
अभय नंबर देखता है तो मुस्कुरा देता है

अभय - हा बुवा बोलिये
काजल - सो गया क्या
अभय - नही आपको याद कर रहा था देखिये आपका फोन आ गया
काजल हस्ते हुवे - मुझे कियु याद कर रहा था हा
अभय - बस दिल ने कहा याद कर लू वैसे सब सो गये क्या
काजल - हा सब सो गये है
अभय - तो आप कमरे मे है
काजल - नही रे पीछे खटिये पे लेती हु
अभय - अच्छा फूफा देखेंगे तो बोलेंगे मेरी बीवी किसने बात कर रही है
काजल हस्ते हुवे - शैतान उनको पता है
अभय - अच्छा ये बात है
काजल - ये बता सब कैसे है
अभय - सब अच्छे है
काजल - वहा जीतने दिन रही तेरे साथ बहोत मजा आया
अभय मुस्कुराते हुवे - मुझे भी बुवा आपको बाहों मे लेके किस करने मे बहोत मजा आता था
काजल सर्म से लाल - तु भी ना
अभय - काश मे वहा होता अभी तो
काजल तेज सासे लेके - तो
अभय - तो आपके उपर आके आपके होठो का रस पिता और आपके साथ पूरी रात सोता बाहों मे लेके

काजल की सासे और तेज हो जाती है चूचे उपर नीचे होने लगते है काजल अपने पैर पे पैर चढ़ा के तेज सासो के साथ - अच्छा जी
अभय - बिल्कुल बहोत मजा आता है ना
काजल शर्मा के - मुझे किया पता
अभय - जब मोक्का मिलेगा तो देख लीजियेगा
काजल -शैतान
अभय - बुवा एक किस्सी दो ना
काजल शर्मा के- फोन पे कैसे किस्सी दुगि
अभय - उम्मा ऐसे
काजल सर्म से हस्ते हुवे - उम्मा ऐसे
अभय हस्ते हुवे - हा ऐसे ही
काजल - तु ना बहोत बिगर गया है
अभय मुस्कुराते हुवे - आपकी जैसी हॉट बुवा मिलेगी तो बिगर जाउंगा ही
काजल बहोत शर्मा जाती है
काजल - अच्छा ये बात है
अभय - अच्छा बुवा रात 12 बज गये सो जाइये नही तो फूफा जी को अकेले नींद नही आयेगी
काजल सर्म से - बहोत मार खायेगा
अभय हस्ते हुवे - गुड नाइट हॉट बुवा
काजल हस्ते हुवे - गुड नाइट बेटा

फोन कट

काजल कमरे मे जाते हुवे मुस्कुराते हुवे - शैतान

अभय भी फोन रख सो जाता है

सुबह हो जाती है आसा अभय को अभय अदिति को जगाने के बाद अभय हल्का होके जोगिग करने के बाद विजय के घर आ जाता है

अभय अंदर जाता है तो देखता है कोमल चावल पानी से धो रही थी अभय मुस्कुराते हुवे - देखो तो आज कल बंदरिया भी चावल धोने लगे है

काजल पीछे मुर अभय को देख देख गुस्से से - देख बंदर बहोत मारुगी तुझे
अभय मुस्कुराते हुवे - अच्छा मुझसे जीत नही पायेगी तो मारेगी कैसे
कोमल चावल रख गुस्से से अभय के पास आके एक मुक्का अपने के पेट मे मारती है लेकिन अभय रोक लेता है और कोमल को बाहों मे कस के पकर लेता है

कोमल खुद को अभय के बाहों मे पाके बहोत शर्मा जाती है

कोमल अभय को देख - छोर मुझे नही तो अच्छा नही होगा

अभय कोमल के चेहरे को पकर प्यार से देख - रोज तुझे देखता हु लेकिन आज इतने पास से तुझे देख रहा हु तो तुम सच मे बहोत खूबसूरत हो

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अभय की बात सुन कोमल शर्मा के - क्या बात हो आज बरी तारीफ कर रहा है कोई किस नही मिलेगी
अभय कोमल को छोरते हुवे - मेने तो सच कहा
कोमल सर्म से जाके खाना बनाने लगती है

तभी विजय उबासी लेते हुवे आता है और अभय को देख - भाई
अभय विजय को देख - खूब नींद ले रहा है
विजय डरते हुवे - नही भाई वो तो
मिनिता आते हुवे - नही तो क्या हा देख अभय बेटा सुबह रोज उठ जोगिग करते हुवे आता है और तु सोता रेहता है

विजय मासूम चेहरा बना के - भाई के अंदर बहोत ताकत है मेरे अंदर नही है
मिनिता - कितना नाटक करता है
विजय खेत की तरफ जाते हुवे - मे जा रहा हु आप बाते करो

विजय चला जाता है

अभय मिनिता को देखता है मिनिता अभय को

अभय मिनिता को बाहों मे लेके - गुड मोर्निंग ऑन्टी
मिनिता अभय को देख - गुड मोर्निंग बेटा
अभय मिनिता के कान मे धीरे से - गीली किस्सी मिलेगी
मिनिता बहोत शर्मा जाती है और धीरे से - ना एक बार के लिये था
अभय - अच्छा चलेगा
मिनिता कमरे मे जाने लगती है गांड हिलाते हुवे और दरवाजे पे जाने के बाद अभय को देख आने का इसारा करती है अभय ये देख बहोत खुश हो जाता है और जल्दी से कमरे मे जाता है



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अभय अंदर जाता है मिनिता सर्म से नजरे नीचे किये खरी थी अभय मिनिता के पास जाके खरा हो जाता है और मिनिता के कमर पकर पुरा चिपका देता है मिनिता उफ करती है दोनो एक दूसरे से चिपके हुवे थे अभय मिनिता के होठो को देखता है

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अभय फिर मिनिता के चेहरे को पकर किस करना सुरु कर देता है अभय जोरों सोरों से मिनिता के होठो जिब को मुह मे लेके चूसने लगता है मिनिता भी अभय को बाहों मे पकर अभय के होठो जिब चूसने लगती है दोनो एक दूसरे का लार 3 मिनट तक पीते है फिर अलग होते है

अभय अभी भी मिनिता को बाहों मे पकरे था मिनिता के चूचे चुत कि गर्मी फिल कर रहा था मिनिता सर्म से लाल हुवे खरी अभय को देखती है

अभय मिनिता के कान मे धीरे से - मेरी हॉट ऑन्टी क्या रोज गीली किस्सी मिलेगी मुझे क्या है ना मुझे आपके होठ जिब चूस कर पीने मे बहोत अच्छा मिठा लगता है बोलिये ना

अभय की बाते मिनिता की सासे तेज कर देती है मिनिता सर्म से लाल हुवे धीरे से - सोचुगी
अभय मुस्कुराते हुवे - आज का किस्सी कैसा लगा आपको
मिनिता सर्म से - अच्छा लगा
अभय - मिठा
मिनिता - हा
अभय - थैंक्स आप बहोत अच्छी है

अभय फिर मिनिता को छोर बाहर आ जाता है मिनिता बिस्तर पे बैठ सर्म से जोर जोर से सासे लेने लगती है

अभय जाते हुवे - जा रहा हु बंदरिया
कोमल गुस्से से - जा ना तो रोका किसने है बंदर

अभय मुस्कुराते हुवे घर आ जाता है


आरोही के घर

टीनू आरोही कमरे मे बैठे बाते कर रहे होते है


टीनू - पापा ने क्या कहा सादी कब कर रही हो
आरोही मुस्कुराते हुवे - बहोत जल्द
टीनू - और अभय अदिति का क्या सोचा है
आरोही गुस्से वाले फेस के साथ- सब रेडी है कैसे क्या करना है प्लान हो चुका है
टीनू - अभय बारात लेके जायेगा घर मे सब लेडिस ही होगी उसके रिश्ते डार भी कई लोग होगे उसका क्या करुगी

आरोही टीनू को देख मुस्कुराते हुवे - म कई लोग होगे कोन कोन होगे कितने होगे वो भी पता है मुझे
टीनू मुस्कुराते हुवे - अच्छा ये बात है कही सब को उठाने का प्लान तो नही कर रही ना
आरोही शैतानी हसी हस्ते हुवे - हा सही कहा अदिति के चुत के साथ कई चुत मिलेगी सब को कैद मे रखेगें फिर रोज भाई तुम और वे मजे करना कैसे क्या करना है प्लान रेडी है बस इंतज़ार है उस दिन का

टीनू आरोही को पकर बिस्तर पे लेता के आरोही के ऊपर आखे - अभी मुझे तेरी चुत चाहिये आरोही
आरोही हैरान टीनू को देख - ये तुम क्या कर रहे हो हटो मेरे उपर से
टीनू आरोही के चूचे और एक हाथ पीछे ले जाके चुत दबाने लगता है आरोही सिसकिया लेते हुवे - टीनू मत कर प्लेस

टीनू नही रुकता और जोर जोर से चूचे चुत को 2 मिनट तक मसलते रेहता है आरोही गर्म हो जाती है टीनू मोक्का देख आरोही के के नीचे के पैंट निकाल नँगा कर देता है और खुद नीचे से नँगा हो जाता है

आरोही टीनू को देख - मत कर

टीनू मुस्कुराते हुवे - प्लेस टांगे फैलाओ ना
आरोही टीनू को देख टांगे फैला देती है
टीनू अपना लंड आरोही के चुत मे घिसने लगता है आरोही बिस्तर पे सिसकिया लेने लगती है

टीनू एक जोर का धक्का मार पुरा लंड आरोही की चुत मे घुसा देता हो आरोही दर्द मे आसु लिये - मर गई धीरे घुसाना था ना
टीनू तेज धक्का मारते हुवे - मेरी जान मेरी मजा तेज धक्का मारने से आता है

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आरोही दर्द मे उफ हा धीरे टीनू आह दर्द हो रहा है टीनू अपना लंड आरोही की चुत मे पेले जा रहा था आरोही आसु लिये हर धक्के और लंड अपनी चुत मे आते जाते दर्द मे मजे ले रही थी 9 मिनट बाद आरोही उफ टीनू मेरा आने वाला है टीनू ठीक है टीनू तेज धक्का मारता है आरोही कापते हुवे मा निकल गया

टीनू आरोही की चुत मार पैंट पेहन लेता है आरोही खरी होके कपड़े पेहन कर टीनू को देख - मार ली ना मेरी चुत
टीनू आरोही के चूचे दबा के - मजा तूने भी तो लिया नही तो तेरी चुत पानी नही छोरति

आरोही - हा आया मजा अब जा यहा से
टीनू जाते हुवे - ठीक है बाय

आरोही अपनी चुत सेहलाते हुवे - मुझे अब लंड लेने की आदत पर गई है चुत मे खुजली होती रहती है


अभय मधु के घर आ गया था और सिला मधु से बैठ बाते करने लगता है 20 मिनट बाते कर घर आ जाता है


रात 10 बजे

मिनिता काजल आते है आगन मे बैठ सभी बाते करने लगते है

कोमल अभय को देख - ओये बंदर सादी के भोज मे किया खिलायेगा
अभय कोमल को देख - बंदरिया चिंता मत कर गाव वालो अच्छे से खिलाया जायेगा
कोमल - हा हा अपनी सादी मे इतना करेगा ही
अभय - चिंता मत कर तेरी सादी मे भी गाव वालो को अच्छा भोज खिलाया जायेगा
कोमल -तु हमेसा मेरे पीछे कियु परा रेहता है सादी के लिये
अभय मुस्कुराते हुवे - अब नही तो बुढी होने के बाद सादी करेगी
कोमल गुस्से से - तुझे तो मे

मिनिता आसा अदिति दोनो की बहस लराइ देख मजे ले रहे थे और दोनो को देख हसने लगते है

मिनिता हस्ते हुवे - सही तो कहा अभय बेटे ने
कोमल मुह फुला के - आप सब उसी के साइड है मुझे पता है
आसा हस्ते हुवे - वो तो हम है ही

फिर सभी बाते करने लगते है अभय कमरे मे आ जाता है कियुंकी लेडिस बाते करने मे लग गई थी

30 मिनट बाद

मिनिता अभय के कमरे मे आती है अभय मिनिता को देख बहोत खुश हो जाता है अभय मिनिता के पास जाके मिनिता को बाहों मे कस लेता है मिनिता उफ करती है

अभय मिनिता को देख - थैंक्स ऑन्टी आने के लिये

असल मे अभय कमरे मे जाते वक़्त मिनिता को इसारे से कमरे मे आने के लिये कहा था अभय को लगा नही था मिनिता आयेगी लेकिन आ गई

मिनिता अभय को देख सर्म से - बेटा कोई देख लेगा तो
अभय मिनिता को देख - तो क्या मे तो रोज आपको बाहों मे लेता हु
मिनिता शर्मा के - लेकिन मुझे अजीब लगेगा
अभय - तो किया मे आपको किस करू गीली वाली

मिनिता सर्म से अपना होठ खोल देती है अभय समझ कर किस करना सुरु कर देता है दोनो एक दूसरे को पकरे जिब होठ चूस कर मजे से पीने लग जाते है ( अभय -ऑन्टी को बाहों मे लेके होठो के रस पीने मे मुझे बहोत मजा आने लगा है उफ ऑन्टी का लार बहोत मिठा है

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मिनिता अभय के जिब चूस लार पीते हुवे मन मे - मुझे अब अभय बेटे के जिब चूस लार पीने मे मजा आने लगा है मे अपने आप को रोक नही पाती लेकिन किस ही तो है मजा भी बहोत आता है उफ 2 मिनट बाद

अभय मिनिता को देख अपना जिब होठ मे फेरते हुवे - बहोत मिठा है रोज की तरह मजा आ गया ऑन्टी आपके मीठे लार चूस कर पीने मे

मिनिता सर्म से लाल - मुझे भी अब जाना होगा बेटा
अभय मिनिता को छोर - ठीक है चलिये

अभय मिनिता बाहर आते है फिर मिनिता कोमल घर चले जाते है

अभय अपनी मा के साथ कमरे मे आ जाता है

आसा अभय को देख - बेटा आगे मुह कर के खरा हो जा
अभय आगे मुह कर खरा हो जाता है

आसा सारी निकाल नाइटी पेहन कर बिस्तर पे बैठ - ठीक है आजा
अभय आसा के पास जाके आसा को पकर बिस्तर पे लेता है आसा के ऊपर लेत जाता है आसा भी प्यार से अभय के बाल सेहलानें लगती है

अभय - डार्लिंग मा
आसा - हा मेरे लाल
अभय - बुवा ने फिर मुझे कहा मे लेने आउ
आसा - वो शैतान कब कहा आने के लिये
अभय - सादी के 10 दिन पहले कहा लेने आने के लिये
आसा - तब ठीक है जाके ले आना उसके बाद बहोत काम करने है सादी की सब खरीदारी करनी है
अभय - हा इस लिये मेने सोचा है बुवा को लेने साम को जाउंगा फिर सुबह बुवा को लेके आ जाउंगा उसी साम हम सब खरीदारी करने चलेंगे
आसा - हा ये अच्छा रहेगा
अभय आसा को देख - कल डांस करने मे मजा आया
आसा थोरा शर्मा के - हा बहोत आया
अभय - आपको पता है मे ना आपको साथ एक बार बारिस मे नहाना डांस करना चाहता हु लेकिन बारिस ही नही हो रही
आसा सर्म से हस्ते हुवे - अच्छा बदमास यही सब चलता हो तेरे दिमाग मे 1
अभय आसा के होठो मे किस करते हुवे - मे हो आपके साथ हमेसा डांस करना चाहता हु मेरी हॉट मा बोलिये बारिस मे डांस करेगी ना
आसा अभय को देख शर्मा के - जरूर करेगी
अभय - अब तो मुझे बारिस का इंतज़ार रहेगा अच्छा मा गुड नाइट
आसा - गुड नाइट बेटा

अभय कमरे से निकल आता है आसा मन मे शर्मा के - बारिस मे डांस लाला भी ना क्या किया सोचता रेहता है

अभय अदिति के कमरे मे अदिति को बाहों मे लेके - तुझे किया चाहिये मतलब सादी मे किया पेहनोगी
अदिति अभय से चिपक अभय को देख मुस्कुराते हुवे - उसी दिन देख लेना मे नही बताने वाली
अभय मुस्कुराते हुवे - अच्छा ये बात है मधु भी मिली होगी
अदिति मुस्कुराते हुवे - मधु कोमल पूजा तीनो
अभय - अच्छा तो तुम लोगो मे अपना ग्रोप् बना लिया है
अदिति हस्ते हुवे - आपने सही कहा भाई
अभय - चलो ये भी अच्छा ही है
अभय अदिति के गाल पे किस करते हुवे - गुड नाइट गुरिया
अदिति अभय के गाल पे किस कर - गुड नाइट भाई

अभय अपने कमरे मे आ जाता है अदिति कोमल से बाते करने लगती है

अभय दिशा को फोन करता है

पूजा - हैलो ठरकी जीजा जी
अभय - ओये ठरकी किसे बोला याद है ना उस दिन का चाटा या भूल गई
अभय की बात सुन पूजा के गांड फिर दर्द करने लगते है
पूजा - याद है और उसका बदला लेके रहूगी
अभय हस्ते हुवे - बरी आई बदला लेने वाली
पूजा गुस्से से - देख लेना आप
दिशा पास मे ही बैठी थी

दिशा - इसी लिये फोन लिया था ना दे
पूजा दिशा को फोन देते हुवे - हा लीजिये मुझे भी ठरकी जीजा से बात करने का कोई सॉक नही है ( पूजा फिर चली जाती है

अभय - तुम्हारी बेहन बहोत गुस्से वाली है लेकिन प्यारी भी
दिशा - अच्छा जी मेरी बेहन से दूर रहियेगा समझ गये
अभय मुस्कुराते हुवे -समझ गया वैसे भी मेरी बीवी किसी से कम है क्या
दिशा सर्म से - वो तो है
अभय - किया किस्मत है एक बार डाला अब इतना इंतज़ार करना पर रहा है
दिशा अभय की बात समझते हुवे सर्म से लाल - गंदे पति फिर सुरु हो गये छी छोटकी सही केहती है आप ठरकी के साथ बहोत बेसर्म है
अभय - लो भाई तुम भी सुरु अरे मे अपनी बीवी से हि तो केह रहा हु ना
दिशा - हा लेकिन आपकी हर बाते गंदी ही होती है
अभय हस्ते हुवे - अच्छा जैसे तुम्हे सुनने मे मजा नही आता
दिशा कुछ नही केहती
अभय हस्ते हुवे - बोलो चुप कियु हो
दिशा सर्म से - बस भी करिये बहोत सर्म आ रही है

10 मिनट ऐसे ही बाते करते है फिर फोन कट

तभी काजल का फोन आ जाता है अभय मुस्कुराते हुवे

अभय - हॉट बुवा बोलिये
काजल - किसने बाते करने मे लगे हुवे थे होने वाली बीवी से
अभय हस्ते हुवे - तो किससे बात करुगा बुवा
काजल - मुझे लगा कोई और भी होगी
अभय - है ना
काजल हैरान सॉक से - क्या कोन है वो
अभय हस्ते हुवे - आप है ना बुवा डार्लिंग
काजल हैरान झूठा गुस्से मे - क्या शैतान बहोत मार खायेगा
अभय हस्ते हुवे - प्यार मिलेगा तो मार भी खा लुगा
काजल - बहोत शैतान होते जा रहा है
अभय - हा वो तो है कहा है घर के पीछे
काजल - हा सही कहा
अभय - मे आउ प्यार करेगे
काजल सर्म से - मुझे नही करना दिशा बहु है तो
अभय - आपकी बात अलग है बुवा डार्लिंग
काजल - मे कब तेरी डार्लिंग हो गई
अभय - आज अभी से
काजल - अच्छा जी मेरे पूछे
अभय - तो अब पूछ लेता हु बनेगी मेरी डार्लिंग
काजल सर्म से - डार्लिंग केहता है चलेगा लेकिन सब के सामने नही अजीब लगेगा सब को
अभय मुस्कुराते हुवे - जैसा आप कहे अकेले लेती है मे भी होता वहा तो दोनो साथ मे सोते
काजल हस्ते हुवे - जब आयेगा तो सो लेना उसमे क्या है
अभय - सच लेकिन फूफा कहेगे पीछे बुवा भतीजा कियु सो रहे है तो
काजल हस्ते हुवे - पागल कुछ नही कहेगे वैसे भी गाय ने बच्चा दिया है तो देखने के लिये मे तेरे फूफा भाई सोते है एक एक रात कर के

अभय - अच्छा ये बात है ठीक है फिर आऊगा तो आपसे चिपक कर सोउंगा
काजल हस्ते हुवे - अच्छा बाबा सो लेना
अभय प्यार से - बुवा किस्सी
काजल - उम्मा
अभय - बहोत मिठा है गीली वाली मिलेगी तो और मजा आयेगा
काजल हस्ते हुवे - तु तो गीली किस्सी के पीछे पर गया है
अभय - परुगा ही इतनी हॉट बुवा की किस्सी कोन छोरेगा
काजल सर्म से - बदमास
अभय - गुड नाइट बुवा डार्लिंग
काजल - गुड नाइट बेटा

फोन कट

काजल लेते हुवे मन मे - कितना शैतान हो गया है बाते भी ऐसी करता है क्या बोलू मे

काजल फिर कमरे मे आ जाती है

( 8 दिन बाद )

चलो जान लेते है इस 8 दिन मे क्या किया हुआ है

आरोही रण्डी बन चुकी थी भाई उदय से रोज चुदवाती है टीनू ने इस 8 दिन मे आरोही को 2 बार और चोदा

उदय आरोही के पिता जगमोहन को पूरी तरह से अपने जैसा गिरा कमीना बना दिया उदय जगमोहन को रोज नया माल चुदाई करने को देता है दोनो मजे करते रहते है

अभय रोज की तरह रात को मा से प्यारी बाते करता रेहता है इस 8 दिन मे अभय ने अपनी मा के साथ दो बार और डांस किया यानी रोज रात को अभय जैसा करता है या होता आ रहा है मा से बात करना गुड नाइट बोलना फिर अदिति को गुड नाइट बोलना

अभय जब सोने जाता है तो रोज की तरह दिशा कभी कभी सासु मा पूजा से भी बात करता लेता था उसके बाद काजल से फिर सुबह मिनिता के पास जाना किस करना फिर टाइम निकाल मधु सिला से मिलने जाना

यानी अभय को रोज का जो था वैसा ही चलता रहा

लेकिन अभय मिनिता काजल के बीच थोरा सब आगे बढ़ गये थे जिसका अन्दाज़ा ना अभय मिनिता काजल को था

कितना आगे आपको पता चल जायेगा


9 दिन सुबह हो चुकी थी

यानी कल अभय काजल को लेने जाने वाला था

और आज से अभय के सादी के 11 दिन बचे थे



आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏
Bahot badhiya shaandar update
 
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Naik

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chapter 29

सुबह हो चुकी थी आसा अभय को उठाती है अभय अदिति को फिर हल्का होना जोगिग रोज का जो अभय की लाइफ मे चल रहा है

अभय जोगिग करने के बाद रोज की तरफ मिनिता के घर जाता है कोमल खाना बना रही थी अभय अंदर जाता है और कोमल के फिर मजे लेना सुरु कर देता है

अभय कोमल को देख - बंदरिया आज किया बना रही है
कोमल अभय को देख गुस्से से अभय के पास आके - तु मुझे हमेसा बंदरिया मत कहा कर समझ गया

अभय कोमल के कमर पकर अपने से सता लेता है कोमल आह करते हुवे अभय के सीने से चिपक जाती है कोमल के टाइट बरे चूचे अभय के सीने से दबे हुवे थे


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अभय कोमल को देख मुस्कुराते हुवे - तो क्या कहु
कोमल अभय की बाहों मे समाये - कुछ और भी बोल सकता है
अभय सोचते हुवे - हु डार्लिंग बोलू तो चलेगा

बस किया कोमल का एक मुक्का अभय के पेट मे अभय दर्द से पेट पकरे - मर गया है मार दिया बंदरिया ने

कोमल गुस्से से अभय को देख - बरा आया डार्लिंग कहने वाला

कोमल फिर खाना बनाने बैठते हुवे - यही तेरी सजा है बंदर

मिनिता पीछे गाय के चारे देकर आते हुवे अभय को पेट पकरे खरे देख - क्या हुआ बेटा तुझे पेट पकरे कियु खरा है

अभय मिनिता को देखता फिर कोमल को देखते हुवे - कुछ नही ऑन्टी एक बंदरिया ने मारा है

कोमल गुस्से से अभय को घूर के देखती है वही मिनिता समझ जाती है ये दोनो का रोज का है

अभय मिनिता को देखता मिनिता अभय को दोनो की आखे नजरे एक दूसरे से जैसे कुछ केहना चाह रही हो लेकिन क्या दोनो को नही पता था

मिनिता कमरे मे जाते हुवे - अभय बेटा अंदर आ कुछ बात करनी है
अभय मुस्कुराते हुवे - जी ऑन्टी

मिनिता कमरे मे आके बिस्तर पे बैठ जाती है

अभय अंदर आता है तो मिनिता को देखता है मिनिता बाल हाथो से सही कर रही थी नजरे भी थोरा नीचे किये हुई थी मिनिता के ब्लाउस मे कैद दोनो चूचे मे से एक थोरा दिख रहा था कमर सारी से धका हुवा था लेकिन वो भी थोरा दिख रहा था

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मिनिता बहोत खूबसूरत हॉट औरत थी इस उमर मे भी बॉडी कयामत थी उजले दूध जैसे रंग बॉडी सेप् कोई भी मिनिता को देख उसे पाना चाहेगा ये अपने आप को कोसेगा उसकी बीवी इतनी खूबसूरत कियु नही है
अभय मिनिता को अच्छे से देखता है और पास जाके बैठ जाता है दोनो बैठे थे लेकिन कोई कुछ नही केह रहा था


अभय मिनिता के को देखता है और मिनिता को पकर बिस्तर पे लेता देता है मिनिता बिस्तर पे लेत तेज सासे लिये अभय को सर्म से देखने लगती है अभय मिनिता के ऊपर आके लेत जाता है और मिनिता को देखने लगता है मिनिता अभय को देखने लगती है

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अभय - जब से आपके होठो का रस पीने लगा हु मुझे आपके होठो का रस पीने की आदत हो गई है ( मिनिता नीचे लेती अभय को सर्म से देखे जा रही मिनिता के अंदर कुछ हो रहा था हचल जैसा

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अभय झुक के मिनिता के गर्दन गाल पे किस करने लगता है अचनाक् इस हमले से मिनिता के शरीर काप् उठती है मिनिता के मुह से सिसक् एक कामुक् आवाज निकल जाती है मिनिता के लिये ये अजीब नया अलग एहसास था जो मिनिता को बैचन् और दिल मे हलचल बचा रहा था

मिनिता अभय को कापते आवाज मे - बेटा कोई आ जायेगा ऐसा मत कर ये मुझे सही नही लगता

अभय रुक कर मिनिता की आखो मे देखता है और अपना होठ मिनिता के होठ की तरफ दे जाने लगता है मिनिता ये देख उसके होठ अपने आप खुल जाते है अभय मिनिता मे होठ मुह मे लेके चूसने लगता है

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मिनिता भी अभय को बाहों मे कस किस करने लगती है दोनो फिर जोर सोर से एक दूसरे के होठ जिब मुह मे लेके चूस कर रस पीने लगते है 2 मिनट तक दोनो एक दूसरे का रस मजे से पीते है

मिनिता तेज सासे लेते हुवे अभय को शर्मा के देखने लगती है अभय मिनिता की आखो मे देख - रोज की तरह आज भी आपके होठो का रस पीके मजा आ गया
मिनिता सर्म से नजरे नीचे कर - तुम भी ना बेटा
अभय - आपको मजा नही आता
मिनिता सर्म से - आता है तभी को करती हु

अभय मिनिता की आखो मे देख - एक बात कहु बुरा मत मानियेगा
मिनिता - बोलो नही मानुगी
अभय - क्या आप मेरे साथ कभी घूमने चलेगी
मिनिता बहोत हैरान सॉक से अभय को देखती है फिर सांत आवाज मे

मिनिता हस्ते हुवे - ये कहने के लिये इतना डर रहे थे मे चलुंगी लेकिन कहा लेके जाओगे मुझे
अभय मिनिता के गाल पे किस करते हुवे - जब जाना होगा बता दुगा

अभय मिनिता के ऊपर से हट नीचे खरा हो जाता है मिनिता भी बिस्तर से खरी होके अपने बाल सारी सही कर लेती है

अभय मुस्कुराते हुवे - अच्छा ऑन्टी अब मे जाता हु
मिनिता अभय को देख - ठीक है बेटा


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अभय कमरे से बाहर आ जाता है मिनिता आईने के सामने खरी होके अपने होठो पे लिबिस्टिक लगाते हुवे - रोज आता है और मेरे लिबिस्टिक को चाट जाता है

अभय कोमल के पास आके - ओये बंदरिया मे जा रहा हु एक किस तो देदे

कोमल अभय के सामने खरी होके अभय को देख - दे दुगी लेकिन बंदरिया आज से नही कहेगा

अभय मुस्कुराते हुवे - अच्छा ठीक है किस के लिये मे कुछ भी कर सकता हु

कोमल - हा मुझे अच्छे से पता है


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कोमल अभय के होठो पे किस कर थोरा शर्मा के - अब बंदरिया मत बोलना समझ गया

अभय मुस्कुराते हुवे कोमल को देख - मजा नही आया कुछ फिल नही हुवा गीली वाली किस्सी दे देती तो मजा आ जाये

तभी फिर एक लात अभय के गांड पे जोर से परती है

कोमल - बरा आया गीली किस्सी चाहिये कमीना बंदर

कोमल की लात खाने के बाद अभय लरखराते हुवे आगे जाके मैन गेट को पकर अपने आप को गिरने से बचा लेता है फिर पीछे कोमल को देख - कितनी बुरी है एक गीली किस तो मांगी थी

कोमल गुस्से से अभय की और भागती है अभय फुर घर की तरफ भाग निकलता है

मिनिता कोमल के पास आते हुवे - कियु बेचारे को मारती रहती है
कोमल मिनिता को देख - वाह आ गई बंदर के पक्च लेने वाली समझ नही आता आप अपनी बेटी की तरफ ना होके हमेसा उस बंदर का साथ देती है

मिनिता मुस्कुराते हुवे - बंदर बहोत मस्ती करता है लेकिन दिल का बहोत अच्छा है

कोमल खाना बनाने बैठते हुवे - हा हा समझ गई

अभय घर की तरफ जाते हुवे अपने गांड को सेहलाते हुवे - लरकी होके उसकी किक मे बहोत धम है मेरे बम का धम निकाल देती है बहोत गुस्से वाली भी है लेकिन दिल की बहोत अच्छी भी है


अभय घर आके नहा के कमरे मे रेडी होने लगता है रेडी होने के बाद अभय आसा के कमरे मे जाता है आसा अलमारी मे कपड़े रख रही होती है अभय पीछे से जाके आसा के कमर को पकर लेता है आसा हैरान पीछे मूर अभय को देख मुस्कुरा देती है

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अभय आसा को अपनी तरफ घुमा के आखो मे देख - मेरी डार्लिंग मा आपके खूबसूरत मुस्कुराते चेहरे को देखता हु तो मेरा दिल खुशी से झूम जाता है ( आसा अभय को प्यार से होठो पे किस करते हुवे - और मुझे अपने लाला को देख खुशी मिलती है


अदिति अंदर आते हुवे अभय आसा को देख मुह लटका के - हो गया आप दोनो का तो चल के खाना खा लीजिये

आसा अभय एक दूसरे को मुस्कुराते हुवे देखते है

आसा अभय बाहर आते है तीनो बैठ खाना खाने लगते है लेकिन अदिति चुप चाप मुह लटकाये खाना खा रही थी अभय अदिति को देख मुस्कुराते रेहता है आसा भी

खाना हो जाने के बाद अदिति कमरे मे जाके बिस्तर पे लेत जाती है अभय भी अदिति के कमरे मे आ जाता है


अभय अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - किया हुआ गुरिया इधर आओ उदास कियु है मुझसे नाराज हो

अदिति अभय को देखती है फिर अभय के पास आके खरी होके मुह लटका के - नही तो मे भला कियु नाराज होगी आपसे

अभय अदिति के चेहरे को पकर आखो मे देख - तु मेरी जान है और तुझे मे नाराज दुखी नही देख सकता (अभय अपना चेहरा अदिति के चेहरे से सता के ) समझ गई गुरिया मेरी

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दोनो का सर नाक एक दूसरे से सता हुवा था सासे भी एक दूसरे से टकरा रही थी ( अदिति तेज सासे लेके - जानती हु भाई आप मुझसे बहोत प्यार करते है

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अभय अदिति के चेहरे को पकर आखो मे देखता है अदिति भी अपने भाई के आखो मे देखती है अभय अपना होठ अदिति की तरफ ले जाने लगता है अदिति भी इसके लिये तैयार हो जाती है

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फिर दोनो के होठ एक दूसरे से मिल जाते है अदिति के रोये खरे हो जाते है दिल कुछ पल के लिये रुक जाता है ये एहसास अदिति के लिये नया लेकिन बहोत प्यारा खूबसूरत पल था दोनो भाई बेहन एक दूसरे को पकर एक दूसरे के होठ को मुह मे लेके चूस कर अलग हो जाते है

फ्रेच किस नही था बस थोरा ना लेकिन अदिति को यही चाहिये था कियुंकी अदिति को पता था आसा सब भाई को प्यार से किस देते है भाई किस करता है लेकिन उनके बीच नही होता इसी लिये अदिति उदास थी अदिति को लगा अभय अब उससे प्यार नही करता इस लिये नाराज थी और ये बात आसा अभय जानते थे

ये किस मे कोई हवस नही था सिर्फ प्यार था बाहर के लोगो के लिये ये अजीब होगा लेकिन अभय आसा की लिये प्यार दिखाने जताने का तरीका है इसी वजह से आसा अदिति अभय सब के बीच बाकी मा बेटे भाई बेहन से जायदा इसके बीच प्यार है

भले ही आगे कुछ और हो जाये फिल्हाल सिर्फ प्यार है

अपने भाई की तरफ से पहला प्यार वाला किस अदिति के अंदर खुशी की लहर ला देती है अभय अदिति को बाहों मे लेके - अब खुश
अदिति अभय को कस के पकर -बहोत खुश आप मेरे दिल की सब बाते समझ जाते है
अभय मुस्कुराते हुवे - प्यारी गुरिया है तू मेरी कैसे कैसे नही जानुगा

अभय - अच्छा अब मुझे कुछ काम करने जाना है
अदिति अलग होके मुस्कुराते हुवे - जी भाई

अभय मुस्कुराते हुवे कमरे से बाहर आता है आसा अभय को देख मुस्कुराते हुवे - नाराजगी खतम हुई की नही तेरी गुरिया की
अभय मुस्कुराते हुवे - मेरे होते हुवे कैसे नही होगी
आसा मुस्कुराते हुवे - ये भी सही कहा लाला
अभय - अच्छा मा मे काम से जा रहा हु
आसा - ठीक है बेटा

अभय विजय को फोन कर बुलाता है और दोनो साथ मे बाते करते हुवे अभय अपने ठिकाने पे पहुँच जाता है

अभय अंदर जाता है तो विजय आगे था

विजय तेज आवाज मे - बॉस आ रहे है

विजय की बात सुन अंदर अभी 53 लोग थे विजय अभय को देख सभी अपनी जगह मे सांत एक पीछे हाथ कर खरे हो जाते है

अभय जाके अपनी कुर्सी पे बैठ जाता है विजय अभय के पीछे पास हाथ पीछे किये सांत खरा हो जाता है एक राइट हैंड जो था अभय का


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अभय अपने बॉस वाले सिहासन पे बैठा हुआ था तभी अभय पास टेबल पे रखी गन देख उठा कर हाथो मे लेके देखने लगता

अभय फिर मारिया को देख - मारिया लरकियों का क्या हाल है
मारिया -बॉस जैसा आपने कहा था 12 राजी है बाकी नही
अभय - अच्छा कोई बात नही 12 जो राजी है उन्हें रेडी करो बाकी को अपने इक्छा से जो करना है करने दो

मारिया - जी बॉस

अभय गनटेबल पे रख सभी के सामने खरे होके सभी को देख - हम असेसन् है कुछ नियम कानून हमारे बीच होने चाहिये बाकी हम एक परिवार है तुम सब याद रखना तुम सब आज़ाद भी हो जिसको जब जाना हो जा सकता है दूसरा कोई भी मदद की जरूरत हो तो तुम सब मारिया विजय को बोलो अगर मुझसे मदद चाहिये तो तो भी मे करुगा अभी हमारे कई भाई बेहन यहा नही है लेकिन जल्दी ही आ जायेंगे
तो अपना काम अच्छे से करना कोई कुछ केहना चाहता है

सभी एक साथ तेज आवाज मे - बॉस हम आपके साथ है हर कदम पे मरते दम तक

अभय सभी को देखते हुवे - सुन कर अच्छा लगा लेकिन मे तुम सब मे से किसी को खोना नही चाहता इस लिये हम जो भी करेगे सावधानी से करेगे ठीक है अपने काम पे लग जाओ

अभय के कहते ही सभी अपने काम पे लग जाते है

मारिया सीधा आके अभय से चिपक जाती है
विजय गुस्से से - मारिया ये क्या हरकत है अपनी आदत बदलती कियु नही
मारिया विजय को देख - कैप्टन में किया करू बॉस को देखते ही अपने आप को रोक नही पाती

विजय - तुम पागल

अभय विजय को देखता है विजय चुप हो जाता है

अभय मारिया को दूर करते हुवे - मारिया जैक कभी आ रहा है
मारिया - जल्दी ही
अभय - अच्छा और हा मेरी सादी होने वाली है ये हरकत मेरी बीवी के सामने मत करना नही तो तुम या मे एक मरेगे
मारिया मुस्कुराते हुवे - तो बॉस को भी किसी से डर लगता है

अभय मुस्कुराते हुवे - बीवी के आगे किसी की नही चलती

अभय विजय को देख - ठीक है आगे तुम देखो मे जा रहा हु
विजय - जी बॉस

अभय बाहर आके बाइक लेके मधु के घर आता है 1 बज गये थे

अभय सिला के कमरे मे जाता है सिला बिस्तर पे लेती हुई थी लेकिन टांगे पसारे मोटे उजले जान्धे फैले अंदर तक दिखाई दे रहे थे बस और थोरा उपर होता सारी पेटीकोट को अंदर का गुफा दिख जाता

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अभय सिला को इस तरह पहली बार देख रहा था अभय की नजरे सिर्फ सिला के मोटी उजले जन्धो मे और अंदर के होल को ही देख रही थी अभय को अजीब हलचल होती

अभय सिला के बिस्तर पे जाते लेत सिला को बाहों मे भर लेता है सिला हैरान सॉक जाती है अभय मे हु मा

सिला अभय की तरफ देख मुस्कुराते हुवे - शैतान डरा दिया तूने
अभय सिला के ऊपर आके आखो मे देख - पापा या मेरे अलावा कोन आपको ऐसे पकरता है
सिला सर्म से - हा ये तूने सही कहा

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अभय सिला के होठो पे किस करते हुवे - मा आप बहोत हॉट है
सिला सर्म से अभय को देख - ये तो रोज केहता है
अभय सिला के आखो मे देख - और हमेसा केहता रहुंगा
सिला मुस्कुराते हुवे - अच्छा बाबा कहते रहना

अभय- गुरिया अपने कमरे मे है क्या
सिला - हा
अभय मुस्कुराते हुवे - मा मुझे आपके ढोरी पे किस करना है
सिला सर्म से अभय को देख - कर ले ना तो


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अभय मुस्कुराते हुवे सिला के पेट से सारी हटा देता है सिला सर्म से तेज सासे लेना सुरु कर देती है अभय सिला के पेट ढोरी पे किस करता है तो सिला के मुह से सिसकिया निकल जाती है

अभय किस करने के बाद सिला को देख - मा आपकी कमर ढोरी बहोत खूबसूरत है
सिला शर्मा के - तू भी ना बेटा

अभय बिस्तर से नीचे खरा होके - मा गुरिया से मिल लेता हु
सिला सारी सही करते हुवे - ठीक है जा मिल ली

अभय मधु के कमरे मे आता है मधु खरी अभय का ही इंतज़ार कर रही थी कियुंकी मधु को पता था अभय मा से मिलने गया है

अभय मधु को देखता है तो हैरान हो जाता है कियुंकी मधु भी मुह फुलाये खरी अभय को देख रही थी

अभय मधु के पास जाके मुस्कुराते हुवे - गुरिया क्या बात है फुल कियु फुलाये हो
मधु अभय को देख - कियुंकी आप मुझसे जायदा प्यार नही करते
अभय हैरान - ये किसने कहा और तुम्हे ऐसा कियु लगता है

मधु बिस्तर पे बैठ - कियुंकी मेने दीदी से बाते की थोरि देर पहले और दीदी ने मुझे बताया

अभय को समझते देर नही लगती मधु ने क्या बताया और मधु कियु मुह फुलाये है

अभय मुस्कुराते हुवे मधु के पास जाके मधु को बिस्तर पे लेता के मधु के ऊपर आके मधु के आखो मे देख - अच्छा मे समझ गया कियु कियु नाराज हो किस्सी चाहिये

मधु बच्चो जैसा मुह मना के - एक को मिलेगा दूसरे को नही तो ये गलत है ना

अभय मुस्कुराते हुवे - हा ये बात तो है

अभय मधु को देखता है मधु अभय को अभय फिर मधु के गुलाबी रसीले होठ को देखता है

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 अभय अपना होठ मधु के होठों की तरफ ले जाने लगता है मधु की सासे तेज होने लगती मधु बिस्तर पकर लेती है मधु को अजीब एहसास के साथ दिल धक कर रहा था मधु भी अपने होठ खोल देती है


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अभय मधु के ऊपर लेता मधु को पकर किस करने लगता है मधु अभय के होठ अपने होठ मे फिल करती है तो मधु का पूरा सरीर झन् करने लगता है पहला एहसास किस का मधु को आज मिल रहा था

अभय मधु के होठ मुह मे लेके छोटा किस करता है फिर अलग होके मधु को देख मुस्कुराते हुवे - अब तो मेरी गुरिया खुश है ना
मधु अभय को बाहों मे कस - हा बहोत खुश हु

अभय मधु को देख -अच्छा बाबा अब मुझे जाना होगा ठीक है
मधु उदास होते हुवे - थोरि देर और रुक जाते है
अभय मधु के गाल सेहलाते हुवे - चिंता मत करो फिर जब आयुगा तो देर तक रुकुगा ठीक है
मधु खुश होते हुवे - तब तो ठीक है
अभय जाते हुवे - ठीक है चलाता हु

अभय घर की तरफ निकल परता है वही मधु अपने होठ को उंगली से छूटे हुवे सर्म से - अजीब लेकिन बहोत अच्छा एहसास था

अभय घर आता है आसा बिस्तर लेती हुई थी अभय आसा के पास बिस्तर पे लेत आसा को बाहों मे भर लेता है आसा भी अभय को बाहों मे लेके कस लेती है

आसा - सिला के पास गया था
अभय मुस्कुराते हुवे - हा
आसा मुस्कुराते हुवे - अच्छा

दोनो मा बेटे फिर सो जाते है साम 3 बजे उठ फिर सब काम पे लग जाते है मधु फिर कुछ काम से बाहर जाता है

अभय बाइक लिये जा रहा था तभी फिर अभय को नीतिका दिखाई देती है लेकिन इस बार सारी मे नीतिका खरी थी रोड साइड अभय नीतिका के पास बाइक रोकता है और नीतिका के पास जाके खरा हो जाता है


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अभय नीतिका को पहली बार सारी मे देखता है तो देखता ही रेह जाता है नीतिका सच मे बहोत खूबसूरत हॉट लग रही थी अभय तो नीतिका को देखने मे खोया था लेकिन नीतिका अभय को देख हैरान होती लेकिन उसी के साथ अभय को ऐसे अपने आप को देखता देख अभय के कान पकर मोर देती है

अभय दर्द मे आउच

नीतिका अभय को देख -मुझे घूर कियु रहे थे हा
अभय कान सेहलाते हुवे नीतिका को देख - पहली बार आपको सारी मे देख कसम से आप बहोत खूबसूरत लग रही है इस लिये देखता रेह गया आपको

नीतिका को बहोत अच्छा लगता है लेकिन चेहरे पे दिखाती नही

नीतिका - अच्छा अच्छा जा कहा रहे हो
अभय - बस घूमने आया था आप कहा जा रही है
नीतिका - बाजार कुछ समान लेना है
अभय - चलिये ना मे छोर देता हु ना

अभय बाइक पे बैठ जाता है नीतिका भी बैठ जाती है और अभय के कंधे पे हाथ रख लेती है अभय को बाजार लेके आता है नीतिका बाइक से नीचे उतर जाती है और अभय को थैंक्स कहती है

अभय - कोई बात नही मैडम
नीतिका अभय को देख - मैडम नही ऑन्टी मे अभी दियुति पे नही हु और हा ( नीतिका मुस्कुराते हुवे) आज ब्रेक नही मारा कियुंकी मे सारी पेहन एक तरफ पैर कर बैठी थी इस लिये

अभय हैरान परेसान डरते हुवे - मैडम सोर्री ऑन्टी उस दिन मेने सच मे जान बुझ कर नही क्या सच्ची
नीतिका जाते मुस्कुराते हुवे- किसे पता बाय

अभय - हद है यार मेने कुछ क्या नही था उस दिन सच मे मेरा ध्यान कही और था खैर

अभय अपना काम कर घर आ जाता है


रात 10 बजे

मिनिता कोमल आये हुवे थे सभी बाते कर रहे थे अभय अपनी मा के गोद मे सर रख लेता हुआ था और आसा अभय का सर सेहला रही होती है

मिनिता हस्ते हुवे - दीदी अभी देखो कितने आराम से सो रहा है लेकिन बीवी आयेगी तो उसके गोद मे सोयेगा

आसा हस्ते हुवे - बात तो तूने सही कही
अभय हैरान आसा को देख - किया मा आप को भी ऐसा लगता है
आसा हस्ते हुवे - कियु नही सोयेगा
कोमल ताना मारते हुवे - बीवी आयेगी तो घर से बाहर भी नही निकलेगा
अभय कोमल को देख - बंदरिया तु चूप रेह रही बात हा मे अपनी बीवी के गोद मे ऐसे ही सोयुगा

कोमल अदिति को देख - देखा तेरा भाई कैसे बदल गया अपना असली रूप दिखा दिया
अदिति मुस्कुराते हुवे - मुझे अपने भाई पे भरोसा है आगे तो सुन लीजिये दीदी

अभय मुस्कुराते हुवे - मेरी गुरिया ने सही कहा हा मे सोयुगा वो मेरी बीवी है मे तो अदिति ऑन्टी आपके गोद मे भी सो सकता हु सब का प्यार अलग होता है मा का प्यार बीवी का प्यार बेहन का प्यार अपनी जगह है उसकी कोई जगह नही ले सकता दूसरी मा के साथ मेरा प्यार जो है वो वैसे ही रहेगा समझ गई बंदरिया

आसा अभय के गाल पे किस करते हुवे - मुझे पता था तेरा जवाब मे तो बस तुझे छेर रही थी

मिनिता मुस्कुराते हुवे - बात तो तुमने सही कही सब का प्यार अलग होता है उसकी जगह दूसरा कोई नही ले सकता

थोरि देर बाद अभय फिर कमरे मे चला जाता है

बाते होने के बाद मिनिता अभय के कमरे मे आती है अभय मिनिता का इंतज़ार कर रहा था मिनिता को देख अभय मिनिता को पकर बाहों मे कस लेता है मिनिता सिसक् परती है

अभय मिनिता को देख - मेरी प्यारी ऑन्टी आपका सुक्रिया
मिनिता हैरान होके - वो कियु
अभय - इतना प्यार देने के लिये आप मुझे गीली किस्सी लेती है जबकि ये मुझे कोई नहीं देता बस मा ने एक बार दिया था

मिनिता अभय को देख थोरा सर्म से - बेटा मुझे भी अच्छा लगता है इस लिये गीली किस्सी देती हु तुझे अब तो मुझे भी आदत हो गई है

अभय मिनिता के कान मे धीरे से - कैसी आदत
मिनिता तेज सासे लेते हुवे - तुम्हारे जिब का रस पीने की
अभय - तो सुरु करे
मिनिता सर्म से - हा

अभय मिनिता के चेहरे को पकर किस करने लगता है मिनिता भी पुरे मजे से किस करने लगती है दोनो एक दूसरे का होठ कभी जिब मुह मे लेके चुसे जा रहे थे रस पिये जा रहे थे

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मिनिता मन मे - उफ कैसी आदत लगा दी है तूने बेटा अब तो रस पिये बगैर मे रेह नही पाती अब जब पी रही हु तो बहोत सुकून मजा मिल रहा है ( अभय मन मे - ऑन्टी पहले से ज्यादा ही मजे से मेरे जिब चूस लार पीती है लगता है बहोत मजा आता है पीने मे 2 मिनट बाद

मिनिता अभय को देख सर्म से - जाती हु कोमल रुकी होगी
अभय मुस्कुराते हुवे - जी ऑन्टी

मिनिता फिर बाहर आके कोमल के साथ घर निकल जाती है

अभय अपनी मा के पास आ जाता है फिर रोज की तरफ मा के ऊपर लेत बाते करता है फिर किस कर गुड नाइट बोल अदिति के पास आ जाता है

अदिति अभय को देख बहोत खुश हो जाती है और अभय के बाहों मे समा जाती है अभय अदिति को कस के पकर लेता है

अभय मुस्कुराते हुवे अदिति को पकर - मेरी प्यारी गुरिया
अदिति अभय को देख प्यार से - मेरे प्यारे भाई

अभय - अच्छा गुरिया सो जाओ गुड नाइट

अभय जाने लगता है तो अदिति का मुह लटक जाता है वही अभय रुक पीछे मूर अदिति के पास जाके चेहरे को पकर होठो पे किस करते हुवे मुस्कुरा के - अब खुश

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अदिति का चेहरा अब खिल जाता है अदिति - बहोत खुश यही तो चाहिये था मुझे लगा आप भूल गये
अभय अदिति के सर पे हाथ फेरते हुवे - ऐसा कैसे भूल जाऊ अब सो जाओ ठीक है
अदिति खुश खुशी - जी भाई गुड नाइट

अभय फिर बिस्तर पे आके लेत कर - कल बुआ को लेने जाना है और अगले दिन सादी की खरीदारी भी करनी है

तभी अभय का फोन बजता है फोन उठा के

अभय मुस्कुराते हुवे - बोलो मेरी जान
दिशा - किया बोलू आपकी बहोत याद आ रही है
अभय मुस्कुराते हुवे - टांगों के बीच वाली
दिशा सर्म से - हद है फिर सुरु
अभय मुस्कुराते हुवे - बहोत तरप् रहा है मेरा नाग तेरी बिल मे जाने के लिये तुझे तो मुझे या मेरे नाग की कोई परवाह ही नही है

दिशा सर्म से - बहोत परवाह है प्यार है आपसे आपके नाग से भी लेकिन क्या करू मे सादी होके आउंगी तो आपका और आपके नाग का अच्छे से ख्याल रखुंगी
अभय मुस्कुराते हुवे - कैसे ये भी बता दो
दिशा सर्म से - आपको पता है फिर भी
अभय हस्ते हुवे - ये बताओ मेरी साली सासु मा किया कर रही है
दिशा - आपकी सासु मा सो गई है और आपकी साली जी होगी सास बहु वाला सीरियल देखेंने मे
अभय हस्ते हुवे - बिगर जायेगी साली जी फिर जाके ससुराल मे सासु से लरेगी
दिशा हस्ते हुवे - अब तो वोही जाने

ऐसे ही बाते करते है बिया बीवी 15 मिनट फिर फोन कट

फिर तुरंत काजल का फोन आ जाता है

अभय मुस्कुराते हुवे - बुआ डार्लिंग
काजल हस्ते हुवे - कर ली बात बीवी से
अभय मुस्कुराते हुवे - कर ली

असल मे अब काजल को पता था अभय कब अपनी बीवी से बात करता है
काजल - कल आ रहे हो ना
अभय - हा साम को आ जायुगा
काजल - नही दोपहर तक आना है तुझे फिर रात रुक सुबह निकलेगे
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है 12 बजे तक आपके पास लेकिन मेरे साथ मेरी गिर्लफ्रेंड बन के घूमने चलना होगा मंजूर

काजल हैरान सर्म से - शैतान बुआ को गिर्लफ्रेंड बनायेगा
अभय मुस्कुराते हुवे - हा बन जायेगी तो मेरी किस्मत खुल जायेगी बोलिये किया कहती

काजल - बरा आया ये बता बाइक लेके आयेगा ना
अभय मुस्कुराते हुवे - तभी तो आप चिपक कर बैठेगी तो मजा आयेगा
काजल सर्म से - कितना शैतान है रे
अभय - कहा वही पीछे है आप
काजल - हा पीछे ही
अभय हस्ते हुवे - कल रात मे भी वही आपको बाहों मे लिये होऊगा
काजल हस्ते हुवे - अच्छा जी
अभय - बुआ बताइये ना रात हम दोनो पीछे सोयेंगे मजा आयेगा
काजल शर्मा के - ठीक है सोयेंगे
अभय खुश होते हुवे - फिर गीली किस्सी भी तो लेनी है बहोत इंतज़ार किया लेकिन कल मुझे मिल जायेगा
काजल हस्ते हुवे - हा बाबा ले लेना जब से हा कहा है रोज गीली किस्सी के पीछे परा रहता है
अभय - अरे किस्मत वाले को बुआ की किसी मिलती है मुझे मिल रहा है तो कियु छोरु
काजल हस्ते हुवे - पागल

दोनो बुआ भांजे बाते करते है फिर गुड नाइट बोल सो जाते है


आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏
Bahot behtareen shaandar update
Tow Abhay ki poori team tayyar h
Dekhte h bua ki kissi me kita Maza aata h dono ko
Badhiya
 
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Naik

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chapter 29

सुबह हो चुकी थी आसा अभय को उठाती है अभय अदिति को फिर हल्का होना जोगिग रोज का जो अभय की लाइफ मे चल रहा है

अभय जोगिग करने के बाद रोज की तरफ मिनिता के घर जाता है कोमल खाना बना रही थी अभय अंदर जाता है और कोमल के फिर मजे लेना सुरु कर देता है

अभय कोमल को देख - बंदरिया आज किया बना रही है
कोमल अभय को देख गुस्से से अभय के पास आके - तु मुझे हमेसा बंदरिया मत कहा कर समझ गया

अभय कोमल के कमर पकर अपने से सता लेता है कोमल आह करते हुवे अभय के सीने से चिपक जाती है कोमल के टाइट बरे चूचे अभय के सीने से दबे हुवे थे


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अभय कोमल को देख मुस्कुराते हुवे - तो क्या कहु
कोमल अभय की बाहों मे समाये - कुछ और भी बोल सकता है
अभय सोचते हुवे - हु डार्लिंग बोलू तो चलेगा

बस किया कोमल का एक मुक्का अभय के पेट मे अभय दर्द से पेट पकरे - मर गया है मार दिया बंदरिया ने

कोमल गुस्से से अभय को देख - बरा आया डार्लिंग कहने वाला

कोमल फिर खाना बनाने बैठते हुवे - यही तेरी सजा है बंदर

मिनिता पीछे गाय के चारे देकर आते हुवे अभय को पेट पकरे खरे देख - क्या हुआ बेटा तुझे पेट पकरे कियु खरा है

अभय मिनिता को देखता फिर कोमल को देखते हुवे - कुछ नही ऑन्टी एक बंदरिया ने मारा है

कोमल गुस्से से अभय को घूर के देखती है वही मिनिता समझ जाती है ये दोनो का रोज का है

अभय मिनिता को देखता मिनिता अभय को दोनो की आखे नजरे एक दूसरे से जैसे कुछ केहना चाह रही हो लेकिन क्या दोनो को नही पता था

मिनिता कमरे मे जाते हुवे - अभय बेटा अंदर आ कुछ बात करनी है
अभय मुस्कुराते हुवे - जी ऑन्टी

मिनिता कमरे मे आके बिस्तर पे बैठ जाती है

अभय अंदर आता है तो मिनिता को देखता है मिनिता बाल हाथो से सही कर रही थी नजरे भी थोरा नीचे किये हुई थी मिनिता के ब्लाउस मे कैद दोनो चूचे मे से एक थोरा दिख रहा था कमर सारी से धका हुवा था लेकिन वो भी थोरा दिख रहा था

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मिनिता बहोत खूबसूरत हॉट औरत थी इस उमर मे भी बॉडी कयामत थी उजले दूध जैसे रंग बॉडी सेप् कोई भी मिनिता को देख उसे पाना चाहेगा ये अपने आप को कोसेगा उसकी बीवी इतनी खूबसूरत कियु नही है
अभय मिनिता को अच्छे से देखता है और पास जाके बैठ जाता है दोनो बैठे थे लेकिन कोई कुछ नही केह रहा था


अभय मिनिता के को देखता है और मिनिता को पकर बिस्तर पे लेता देता है मिनिता बिस्तर पे लेत तेज सासे लिये अभय को सर्म से देखने लगती है अभय मिनिता के ऊपर आके लेत जाता है और मिनिता को देखने लगता है मिनिता अभय को देखने लगती है

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अभय - जब से आपके होठो का रस पीने लगा हु मुझे आपके होठो का रस पीने की आदत हो गई है ( मिनिता नीचे लेती अभय को सर्म से देखे जा रही मिनिता के अंदर कुछ हो रहा था हचल जैसा

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अभय झुक के मिनिता के गर्दन गाल पे किस करने लगता है अचनाक् इस हमले से मिनिता के शरीर काप् उठती है मिनिता के मुह से सिसक् एक कामुक् आवाज निकल जाती है मिनिता के लिये ये अजीब नया अलग एहसास था जो मिनिता को बैचन् और दिल मे हलचल बचा रहा था

मिनिता अभय को कापते आवाज मे - बेटा कोई आ जायेगा ऐसा मत कर ये मुझे सही नही लगता

अभय रुक कर मिनिता की आखो मे देखता है और अपना होठ मिनिता के होठ की तरफ दे जाने लगता है मिनिता ये देख उसके होठ अपने आप खुल जाते है अभय मिनिता मे होठ मुह मे लेके चूसने लगता है

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मिनिता भी अभय को बाहों मे कस किस करने लगती है दोनो फिर जोर सोर से एक दूसरे के होठ जिब मुह मे लेके चूस कर रस पीने लगते है 2 मिनट तक दोनो एक दूसरे का रस मजे से पीते है

मिनिता तेज सासे लेते हुवे अभय को शर्मा के देखने लगती है अभय मिनिता की आखो मे देख - रोज की तरह आज भी आपके होठो का रस पीके मजा आ गया
मिनिता सर्म से नजरे नीचे कर - तुम भी ना बेटा
अभय - आपको मजा नही आता
मिनिता सर्म से - आता है तभी को करती हु

अभय मिनिता की आखो मे देख - एक बात कहु बुरा मत मानियेगा
मिनिता - बोलो नही मानुगी
अभय - क्या आप मेरे साथ कभी घूमने चलेगी
मिनिता बहोत हैरान सॉक से अभय को देखती है फिर सांत आवाज मे

मिनिता हस्ते हुवे - ये कहने के लिये इतना डर रहे थे मे चलुंगी लेकिन कहा लेके जाओगे मुझे
अभय मिनिता के गाल पे किस करते हुवे - जब जाना होगा बता दुगा

अभय मिनिता के ऊपर से हट नीचे खरा हो जाता है मिनिता भी बिस्तर से खरी होके अपने बाल सारी सही कर लेती है

अभय मुस्कुराते हुवे - अच्छा ऑन्टी अब मे जाता हु
मिनिता अभय को देख - ठीक है बेटा


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अभय कमरे से बाहर आ जाता है मिनिता आईने के सामने खरी होके अपने होठो पे लिबिस्टिक लगाते हुवे - रोज आता है और मेरे लिबिस्टिक को चाट जाता है

अभय कोमल के पास आके - ओये बंदरिया मे जा रहा हु एक किस तो देदे

कोमल अभय के सामने खरी होके अभय को देख - दे दुगी लेकिन बंदरिया आज से नही कहेगा

अभय मुस्कुराते हुवे - अच्छा ठीक है किस के लिये मे कुछ भी कर सकता हु

कोमल - हा मुझे अच्छे से पता है


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कोमल अभय के होठो पे किस कर थोरा शर्मा के - अब बंदरिया मत बोलना समझ गया

अभय मुस्कुराते हुवे कोमल को देख - मजा नही आया कुछ फिल नही हुवा गीली वाली किस्सी दे देती तो मजा आ जाये

तभी फिर एक लात अभय के गांड पे जोर से परती है

कोमल - बरा आया गीली किस्सी चाहिये कमीना बंदर

कोमल की लात खाने के बाद अभय लरखराते हुवे आगे जाके मैन गेट को पकर अपने आप को गिरने से बचा लेता है फिर पीछे कोमल को देख - कितनी बुरी है एक गीली किस तो मांगी थी

कोमल गुस्से से अभय की और भागती है अभय फुर घर की तरफ भाग निकलता है

मिनिता कोमल के पास आते हुवे - कियु बेचारे को मारती रहती है
कोमल मिनिता को देख - वाह आ गई बंदर के पक्च लेने वाली समझ नही आता आप अपनी बेटी की तरफ ना होके हमेसा उस बंदर का साथ देती है

मिनिता मुस्कुराते हुवे - बंदर बहोत मस्ती करता है लेकिन दिल का बहोत अच्छा है

कोमल खाना बनाने बैठते हुवे - हा हा समझ गई

अभय घर की तरफ जाते हुवे अपने गांड को सेहलाते हुवे - लरकी होके उसकी किक मे बहोत धम है मेरे बम का धम निकाल देती है बहोत गुस्से वाली भी है लेकिन दिल की बहोत अच्छी भी है


अभय घर आके नहा के कमरे मे रेडी होने लगता है रेडी होने के बाद अभय आसा के कमरे मे जाता है आसा अलमारी मे कपड़े रख रही होती है अभय पीछे से जाके आसा के कमर को पकर लेता है आसा हैरान पीछे मूर अभय को देख मुस्कुरा देती है

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अभय आसा को अपनी तरफ घुमा के आखो मे देख - मेरी डार्लिंग मा आपके खूबसूरत मुस्कुराते चेहरे को देखता हु तो मेरा दिल खुशी से झूम जाता है ( आसा अभय को प्यार से होठो पे किस करते हुवे - और मुझे अपने लाला को देख खुशी मिलती है


अदिति अंदर आते हुवे अभय आसा को देख मुह लटका के - हो गया आप दोनो का तो चल के खाना खा लीजिये

आसा अभय एक दूसरे को मुस्कुराते हुवे देखते है

आसा अभय बाहर आते है तीनो बैठ खाना खाने लगते है लेकिन अदिति चुप चाप मुह लटकाये खाना खा रही थी अभय अदिति को देख मुस्कुराते रेहता है आसा भी

खाना हो जाने के बाद अदिति कमरे मे जाके बिस्तर पे लेत जाती है अभय भी अदिति के कमरे मे आ जाता है


अभय अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - किया हुआ गुरिया इधर आओ उदास कियु है मुझसे नाराज हो

अदिति अभय को देखती है फिर अभय के पास आके खरी होके मुह लटका के - नही तो मे भला कियु नाराज होगी आपसे

अभय अदिति के चेहरे को पकर आखो मे देख - तु मेरी जान है और तुझे मे नाराज दुखी नही देख सकता (अभय अपना चेहरा अदिति के चेहरे से सता के ) समझ गई गुरिया मेरी

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दोनो का सर नाक एक दूसरे से सता हुवा था सासे भी एक दूसरे से टकरा रही थी ( अदिति तेज सासे लेके - जानती हु भाई आप मुझसे बहोत प्यार करते है

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अभय अदिति के चेहरे को पकर आखो मे देखता है अदिति भी अपने भाई के आखो मे देखती है अभय अपना होठ अदिति की तरफ ले जाने लगता है अदिति भी इसके लिये तैयार हो जाती है

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फिर दोनो के होठ एक दूसरे से मिल जाते है अदिति के रोये खरे हो जाते है दिल कुछ पल के लिये रुक जाता है ये एहसास अदिति के लिये नया लेकिन बहोत प्यारा खूबसूरत पल था दोनो भाई बेहन एक दूसरे को पकर एक दूसरे के होठ को मुह मे लेके चूस कर अलग हो जाते है

फ्रेच किस नही था बस थोरा ना लेकिन अदिति को यही चाहिये था कियुंकी अदिति को पता था आसा सब भाई को प्यार से किस देते है भाई किस करता है लेकिन उनके बीच नही होता इसी लिये अदिति उदास थी अदिति को लगा अभय अब उससे प्यार नही करता इस लिये नाराज थी और ये बात आसा अभय जानते थे

ये किस मे कोई हवस नही था सिर्फ प्यार था बाहर के लोगो के लिये ये अजीब होगा लेकिन अभय आसा की लिये प्यार दिखाने जताने का तरीका है इसी वजह से आसा अदिति अभय सब के बीच बाकी मा बेटे भाई बेहन से जायदा इसके बीच प्यार है

भले ही आगे कुछ और हो जाये फिल्हाल सिर्फ प्यार है

अपने भाई की तरफ से पहला प्यार वाला किस अदिति के अंदर खुशी की लहर ला देती है अभय अदिति को बाहों मे लेके - अब खुश
अदिति अभय को कस के पकर -बहोत खुश आप मेरे दिल की सब बाते समझ जाते है
अभय मुस्कुराते हुवे - प्यारी गुरिया है तू मेरी कैसे कैसे नही जानुगा

अभय - अच्छा अब मुझे कुछ काम करने जाना है
अदिति अलग होके मुस्कुराते हुवे - जी भाई

अभय मुस्कुराते हुवे कमरे से बाहर आता है आसा अभय को देख मुस्कुराते हुवे - नाराजगी खतम हुई की नही तेरी गुरिया की
अभय मुस्कुराते हुवे - मेरे होते हुवे कैसे नही होगी
आसा मुस्कुराते हुवे - ये भी सही कहा लाला
अभय - अच्छा मा मे काम से जा रहा हु
आसा - ठीक है बेटा

अभय विजय को फोन कर बुलाता है और दोनो साथ मे बाते करते हुवे अभय अपने ठिकाने पे पहुँच जाता है

अभय अंदर जाता है तो विजय आगे था

विजय तेज आवाज मे - बॉस आ रहे है

विजय की बात सुन अंदर अभी 53 लोग थे विजय अभय को देख सभी अपनी जगह मे सांत एक पीछे हाथ कर खरे हो जाते है

अभय जाके अपनी कुर्सी पे बैठ जाता है विजय अभय के पीछे पास हाथ पीछे किये सांत खरा हो जाता है एक राइट हैंड जो था अभय का


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अभय अपने बॉस वाले सिहासन पे बैठा हुआ था तभी अभय पास टेबल पे रखी गन देख उठा कर हाथो मे लेके देखने लगता

अभय फिर मारिया को देख - मारिया लरकियों का क्या हाल है
मारिया -बॉस जैसा आपने कहा था 12 राजी है बाकी नही
अभय - अच्छा कोई बात नही 12 जो राजी है उन्हें रेडी करो बाकी को अपने इक्छा से जो करना है करने दो

मारिया - जी बॉस

अभय गनटेबल पे रख सभी के सामने खरे होके सभी को देख - हम असेसन् है कुछ नियम कानून हमारे बीच होने चाहिये बाकी हम एक परिवार है तुम सब याद रखना तुम सब आज़ाद भी हो जिसको जब जाना हो जा सकता है दूसरा कोई भी मदद की जरूरत हो तो तुम सब मारिया विजय को बोलो अगर मुझसे मदद चाहिये तो तो भी मे करुगा अभी हमारे कई भाई बेहन यहा नही है लेकिन जल्दी ही आ जायेंगे
तो अपना काम अच्छे से करना कोई कुछ केहना चाहता है

सभी एक साथ तेज आवाज मे - बॉस हम आपके साथ है हर कदम पे मरते दम तक

अभय सभी को देखते हुवे - सुन कर अच्छा लगा लेकिन मे तुम सब मे से किसी को खोना नही चाहता इस लिये हम जो भी करेगे सावधानी से करेगे ठीक है अपने काम पे लग जाओ

अभय के कहते ही सभी अपने काम पे लग जाते है

मारिया सीधा आके अभय से चिपक जाती है
विजय गुस्से से - मारिया ये क्या हरकत है अपनी आदत बदलती कियु नही
मारिया विजय को देख - कैप्टन में किया करू बॉस को देखते ही अपने आप को रोक नही पाती

विजय - तुम पागल

अभय विजय को देखता है विजय चुप हो जाता है

अभय मारिया को दूर करते हुवे - मारिया जैक कभी आ रहा है
मारिया - जल्दी ही
अभय - अच्छा और हा मेरी सादी होने वाली है ये हरकत मेरी बीवी के सामने मत करना नही तो तुम या मे एक मरेगे
मारिया मुस्कुराते हुवे - तो बॉस को भी किसी से डर लगता है

अभय मुस्कुराते हुवे - बीवी के आगे किसी की नही चलती

अभय विजय को देख - ठीक है आगे तुम देखो मे जा रहा हु
विजय - जी बॉस

अभय बाहर आके बाइक लेके मधु के घर आता है 1 बज गये थे

अभय सिला के कमरे मे जाता है सिला बिस्तर पे लेती हुई थी लेकिन टांगे पसारे मोटे उजले जान्धे फैले अंदर तक दिखाई दे रहे थे बस और थोरा उपर होता सारी पेटीकोट को अंदर का गुफा दिख जाता

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अभय सिला को इस तरह पहली बार देख रहा था अभय की नजरे सिर्फ सिला के मोटी उजले जन्धो मे और अंदर के होल को ही देख रही थी अभय को अजीब हलचल होती

अभय सिला के बिस्तर पे जाते लेत सिला को बाहों मे भर लेता है सिला हैरान सॉक जाती है अभय मे हु मा

सिला अभय की तरफ देख मुस्कुराते हुवे - शैतान डरा दिया तूने
अभय सिला के ऊपर आके आखो मे देख - पापा या मेरे अलावा कोन आपको ऐसे पकरता है
सिला सर्म से - हा ये तूने सही कहा

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अभय सिला के होठो पे किस करते हुवे - मा आप बहोत हॉट है
सिला सर्म से अभय को देख - ये तो रोज केहता है
अभय सिला के आखो मे देख - और हमेसा केहता रहुंगा
सिला मुस्कुराते हुवे - अच्छा बाबा कहते रहना

अभय- गुरिया अपने कमरे मे है क्या
सिला - हा
अभय मुस्कुराते हुवे - मा मुझे आपके ढोरी पे किस करना है
सिला सर्म से अभय को देख - कर ले ना तो


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अभय मुस्कुराते हुवे सिला के पेट से सारी हटा देता है सिला सर्म से तेज सासे लेना सुरु कर देती है अभय सिला के पेट ढोरी पे किस करता है तो सिला के मुह से सिसकिया निकल जाती है

अभय किस करने के बाद सिला को देख - मा आपकी कमर ढोरी बहोत खूबसूरत है
सिला शर्मा के - तू भी ना बेटा

अभय बिस्तर से नीचे खरा होके - मा गुरिया से मिल लेता हु
सिला सारी सही करते हुवे - ठीक है जा मिल ली

अभय मधु के कमरे मे आता है मधु खरी अभय का ही इंतज़ार कर रही थी कियुंकी मधु को पता था अभय मा से मिलने गया है

अभय मधु को देखता है तो हैरान हो जाता है कियुंकी मधु भी मुह फुलाये खरी अभय को देख रही थी

अभय मधु के पास जाके मुस्कुराते हुवे - गुरिया क्या बात है फुल कियु फुलाये हो
मधु अभय को देख - कियुंकी आप मुझसे जायदा प्यार नही करते
अभय हैरान - ये किसने कहा और तुम्हे ऐसा कियु लगता है

मधु बिस्तर पे बैठ - कियुंकी मेने दीदी से बाते की थोरि देर पहले और दीदी ने मुझे बताया

अभय को समझते देर नही लगती मधु ने क्या बताया और मधु कियु मुह फुलाये है

अभय मुस्कुराते हुवे मधु के पास जाके मधु को बिस्तर पे लेता के मधु के ऊपर आके मधु के आखो मे देख - अच्छा मे समझ गया कियु कियु नाराज हो किस्सी चाहिये

मधु बच्चो जैसा मुह मना के - एक को मिलेगा दूसरे को नही तो ये गलत है ना

अभय मुस्कुराते हुवे - हा ये बात तो है

अभय मधु को देखता है मधु अभय को अभय फिर मधु के गुलाबी रसीले होठ को देखता है

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 अभय अपना होठ मधु के होठों की तरफ ले जाने लगता है मधु की सासे तेज होने लगती मधु बिस्तर पकर लेती है मधु को अजीब एहसास के साथ दिल धक कर रहा था मधु भी अपने होठ खोल देती है


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अभय मधु के ऊपर लेता मधु को पकर किस करने लगता है मधु अभय के होठ अपने होठ मे फिल करती है तो मधु का पूरा सरीर झन् करने लगता है पहला एहसास किस का मधु को आज मिल रहा था

अभय मधु के होठ मुह मे लेके छोटा किस करता है फिर अलग होके मधु को देख मुस्कुराते हुवे - अब तो मेरी गुरिया खुश है ना
मधु अभय को बाहों मे कस - हा बहोत खुश हु

अभय मधु को देख -अच्छा बाबा अब मुझे जाना होगा ठीक है
मधु उदास होते हुवे - थोरि देर और रुक जाते है
अभय मधु के गाल सेहलाते हुवे - चिंता मत करो फिर जब आयुगा तो देर तक रुकुगा ठीक है
मधु खुश होते हुवे - तब तो ठीक है
अभय जाते हुवे - ठीक है चलाता हु

अभय घर की तरफ निकल परता है वही मधु अपने होठ को उंगली से छूटे हुवे सर्म से - अजीब लेकिन बहोत अच्छा एहसास था

अभय घर आता है आसा बिस्तर लेती हुई थी अभय आसा के पास बिस्तर पे लेत आसा को बाहों मे भर लेता है आसा भी अभय को बाहों मे लेके कस लेती है

आसा - सिला के पास गया था
अभय मुस्कुराते हुवे - हा
आसा मुस्कुराते हुवे - अच्छा

दोनो मा बेटे फिर सो जाते है साम 3 बजे उठ फिर सब काम पे लग जाते है मधु फिर कुछ काम से बाहर जाता है

अभय बाइक लिये जा रहा था तभी फिर अभय को नीतिका दिखाई देती है लेकिन इस बार सारी मे नीतिका खरी थी रोड साइड अभय नीतिका के पास बाइक रोकता है और नीतिका के पास जाके खरा हो जाता है


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अभय नीतिका को पहली बार सारी मे देखता है तो देखता ही रेह जाता है नीतिका सच मे बहोत खूबसूरत हॉट लग रही थी अभय तो नीतिका को देखने मे खोया था लेकिन नीतिका अभय को देख हैरान होती लेकिन उसी के साथ अभय को ऐसे अपने आप को देखता देख अभय के कान पकर मोर देती है

अभय दर्द मे आउच

नीतिका अभय को देख -मुझे घूर कियु रहे थे हा
अभय कान सेहलाते हुवे नीतिका को देख - पहली बार आपको सारी मे देख कसम से आप बहोत खूबसूरत लग रही है इस लिये देखता रेह गया आपको

नीतिका को बहोत अच्छा लगता है लेकिन चेहरे पे दिखाती नही

नीतिका - अच्छा अच्छा जा कहा रहे हो
अभय - बस घूमने आया था आप कहा जा रही है
नीतिका - बाजार कुछ समान लेना है
अभय - चलिये ना मे छोर देता हु ना

अभय बाइक पे बैठ जाता है नीतिका भी बैठ जाती है और अभय के कंधे पे हाथ रख लेती है अभय को बाजार लेके आता है नीतिका बाइक से नीचे उतर जाती है और अभय को थैंक्स कहती है

अभय - कोई बात नही मैडम
नीतिका अभय को देख - मैडम नही ऑन्टी मे अभी दियुति पे नही हु और हा ( नीतिका मुस्कुराते हुवे) आज ब्रेक नही मारा कियुंकी मे सारी पेहन एक तरफ पैर कर बैठी थी इस लिये

अभय हैरान परेसान डरते हुवे - मैडम सोर्री ऑन्टी उस दिन मेने सच मे जान बुझ कर नही क्या सच्ची
नीतिका जाते मुस्कुराते हुवे- किसे पता बाय

अभय - हद है यार मेने कुछ क्या नही था उस दिन सच मे मेरा ध्यान कही और था खैर

अभय अपना काम कर घर आ जाता है


रात 10 बजे

मिनिता कोमल आये हुवे थे सभी बाते कर रहे थे अभय अपनी मा के गोद मे सर रख लेता हुआ था और आसा अभय का सर सेहला रही होती है

मिनिता हस्ते हुवे - दीदी अभी देखो कितने आराम से सो रहा है लेकिन बीवी आयेगी तो उसके गोद मे सोयेगा

आसा हस्ते हुवे - बात तो तूने सही कही
अभय हैरान आसा को देख - किया मा आप को भी ऐसा लगता है
आसा हस्ते हुवे - कियु नही सोयेगा
कोमल ताना मारते हुवे - बीवी आयेगी तो घर से बाहर भी नही निकलेगा
अभय कोमल को देख - बंदरिया तु चूप रेह रही बात हा मे अपनी बीवी के गोद मे ऐसे ही सोयुगा

कोमल अदिति को देख - देखा तेरा भाई कैसे बदल गया अपना असली रूप दिखा दिया
अदिति मुस्कुराते हुवे - मुझे अपने भाई पे भरोसा है आगे तो सुन लीजिये दीदी

अभय मुस्कुराते हुवे - मेरी गुरिया ने सही कहा हा मे सोयुगा वो मेरी बीवी है मे तो अदिति ऑन्टी आपके गोद मे भी सो सकता हु सब का प्यार अलग होता है मा का प्यार बीवी का प्यार बेहन का प्यार अपनी जगह है उसकी कोई जगह नही ले सकता दूसरी मा के साथ मेरा प्यार जो है वो वैसे ही रहेगा समझ गई बंदरिया

आसा अभय के गाल पे किस करते हुवे - मुझे पता था तेरा जवाब मे तो बस तुझे छेर रही थी

मिनिता मुस्कुराते हुवे - बात तो तुमने सही कही सब का प्यार अलग होता है उसकी जगह दूसरा कोई नही ले सकता

थोरि देर बाद अभय फिर कमरे मे चला जाता है

बाते होने के बाद मिनिता अभय के कमरे मे आती है अभय मिनिता का इंतज़ार कर रहा था मिनिता को देख अभय मिनिता को पकर बाहों मे कस लेता है मिनिता सिसक् परती है

अभय मिनिता को देख - मेरी प्यारी ऑन्टी आपका सुक्रिया
मिनिता हैरान होके - वो कियु
अभय - इतना प्यार देने के लिये आप मुझे गीली किस्सी लेती है जबकि ये मुझे कोई नहीं देता बस मा ने एक बार दिया था

मिनिता अभय को देख थोरा सर्म से - बेटा मुझे भी अच्छा लगता है इस लिये गीली किस्सी देती हु तुझे अब तो मुझे भी आदत हो गई है

अभय मिनिता के कान मे धीरे से - कैसी आदत
मिनिता तेज सासे लेते हुवे - तुम्हारे जिब का रस पीने की
अभय - तो सुरु करे
मिनिता सर्म से - हा

अभय मिनिता के चेहरे को पकर किस करने लगता है मिनिता भी पुरे मजे से किस करने लगती है दोनो एक दूसरे का होठ कभी जिब मुह मे लेके चुसे जा रहे थे रस पिये जा रहे थे

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मिनिता मन मे - उफ कैसी आदत लगा दी है तूने बेटा अब तो रस पिये बगैर मे रेह नही पाती अब जब पी रही हु तो बहोत सुकून मजा मिल रहा है ( अभय मन मे - ऑन्टी पहले से ज्यादा ही मजे से मेरे जिब चूस लार पीती है लगता है बहोत मजा आता है पीने मे 2 मिनट बाद

मिनिता अभय को देख सर्म से - जाती हु कोमल रुकी होगी
अभय मुस्कुराते हुवे - जी ऑन्टी

मिनिता फिर बाहर आके कोमल के साथ घर निकल जाती है

अभय अपनी मा के पास आ जाता है फिर रोज की तरफ मा के ऊपर लेत बाते करता है फिर किस कर गुड नाइट बोल अदिति के पास आ जाता है

अदिति अभय को देख बहोत खुश हो जाती है और अभय के बाहों मे समा जाती है अभय अदिति को कस के पकर लेता है

अभय मुस्कुराते हुवे अदिति को पकर - मेरी प्यारी गुरिया
अदिति अभय को देख प्यार से - मेरे प्यारे भाई

अभय - अच्छा गुरिया सो जाओ गुड नाइट

अभय जाने लगता है तो अदिति का मुह लटक जाता है वही अभय रुक पीछे मूर अदिति के पास जाके चेहरे को पकर होठो पे किस करते हुवे मुस्कुरा के - अब खुश

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अदिति का चेहरा अब खिल जाता है अदिति - बहोत खुश यही तो चाहिये था मुझे लगा आप भूल गये
अभय अदिति के सर पे हाथ फेरते हुवे - ऐसा कैसे भूल जाऊ अब सो जाओ ठीक है
अदिति खुश खुशी - जी भाई गुड नाइट

अभय फिर बिस्तर पे आके लेत कर - कल बुआ को लेने जाना है और अगले दिन सादी की खरीदारी भी करनी है

तभी अभय का फोन बजता है फोन उठा के

अभय मुस्कुराते हुवे - बोलो मेरी जान
दिशा - किया बोलू आपकी बहोत याद आ रही है
अभय मुस्कुराते हुवे - टांगों के बीच वाली
दिशा सर्म से - हद है फिर सुरु
अभय मुस्कुराते हुवे - बहोत तरप् रहा है मेरा नाग तेरी बिल मे जाने के लिये तुझे तो मुझे या मेरे नाग की कोई परवाह ही नही है

दिशा सर्म से - बहोत परवाह है प्यार है आपसे आपके नाग से भी लेकिन क्या करू मे सादी होके आउंगी तो आपका और आपके नाग का अच्छे से ख्याल रखुंगी
अभय मुस्कुराते हुवे - कैसे ये भी बता दो
दिशा सर्म से - आपको पता है फिर भी
अभय हस्ते हुवे - ये बताओ मेरी साली सासु मा किया कर रही है
दिशा - आपकी सासु मा सो गई है और आपकी साली जी होगी सास बहु वाला सीरियल देखेंने मे
अभय हस्ते हुवे - बिगर जायेगी साली जी फिर जाके ससुराल मे सासु से लरेगी
दिशा हस्ते हुवे - अब तो वोही जाने

ऐसे ही बाते करते है बिया बीवी 15 मिनट फिर फोन कट

फिर तुरंत काजल का फोन आ जाता है

अभय मुस्कुराते हुवे - बुआ डार्लिंग
काजल हस्ते हुवे - कर ली बात बीवी से
अभय मुस्कुराते हुवे - कर ली

असल मे अब काजल को पता था अभय कब अपनी बीवी से बात करता है
काजल - कल आ रहे हो ना
अभय - हा साम को आ जायुगा
काजल - नही दोपहर तक आना है तुझे फिर रात रुक सुबह निकलेगे
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है 12 बजे तक आपके पास लेकिन मेरे साथ मेरी गिर्लफ्रेंड बन के घूमने चलना होगा मंजूर

काजल हैरान सर्म से - शैतान बुआ को गिर्लफ्रेंड बनायेगा
अभय मुस्कुराते हुवे - हा बन जायेगी तो मेरी किस्मत खुल जायेगी बोलिये किया कहती

काजल - बरा आया ये बता बाइक लेके आयेगा ना
अभय मुस्कुराते हुवे - तभी तो आप चिपक कर बैठेगी तो मजा आयेगा
काजल सर्म से - कितना शैतान है रे
अभय - कहा वही पीछे है आप
काजल - हा पीछे ही
अभय हस्ते हुवे - कल रात मे भी वही आपको बाहों मे लिये होऊगा
काजल हस्ते हुवे - अच्छा जी
अभय - बुआ बताइये ना रात हम दोनो पीछे सोयेंगे मजा आयेगा
काजल शर्मा के - ठीक है सोयेंगे
अभय खुश होते हुवे - फिर गीली किस्सी भी तो लेनी है बहोत इंतज़ार किया लेकिन कल मुझे मिल जायेगा
काजल हस्ते हुवे - हा बाबा ले लेना जब से हा कहा है रोज गीली किस्सी के पीछे परा रहता है
अभय - अरे किस्मत वाले को बुआ की किसी मिलती है मुझे मिल रहा है तो कियु छोरु
काजल हस्ते हुवे - पागल

दोनो बुआ भांजे बाते करते है फिर गुड नाइट बोल सो जाते है


आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏
Bahot behtareen shaandar update
Tow Abhay ki poori team tayyar h
Dekhte h bua ki kissi me kita Maza aata h dono ko
Badhiya
 

Nikunjbaba

Lover of women 😻
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Gilli kissi me hi puri story khatam ho jayegi yesa lgta hai ki kuch xxx bhi hoga unke sath and bahut badhiya story
 

Game888

Hum hai rahi pyar ke
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chapter 22

2 दूसरे दिन शाम 3 बजे आरोही के घर


एक कमरे मे आरोही अमर भारती जगमोहन बैठे थे आरोही के अपने पापा मा को बता दिया था की वो उदय से शादी करेगी लेकिन जब भारती जगमोहन को पता चला आरोही जिससे शादी करना चाहती है वो उसके उमर से भी बरा है तो भारती जगमोहन को दोनो को बहोत बरा झटका लगता है कमरे मे माहौल बहोत गर्म था

भारती गुस्से से आरोही को देख - तुम पागल हो गई हो किया अरे तुम किसी अपने उमर के लरके से प्यार कर रही होती तो हम खुशी से शादी करवा देते लेकिन तुम्हे अपने पापा की उमर से भी बरे से कैसे प्यार हो सकता है कभी नही हम तुम्हारी शादी उससे नही होने देगे

जगमोहन - आरोही बेटा मुझे तो लगा तुम समझदार हो लेकिन तुम ऐसा कुछ करोगी मेने सोचा नही था तुमने आज हमे बहोत निरास किया

आरोही बस चुप चाप अपने मा पापा की बाते सुन देख रही थी

अमर - आप दोनो गलत है आरोही समझदार है और मेरी बेहना ने जो किया सोच समझ कर किया है

जगमोहन - तुम केहना किया चाहते हो इसमें कोन सी समझदारी वाली बात है
भारती गुस्से से अमर को देख - चुप कियो हो बोलो
अमर - एक बात बताओ पापा आपने मा के साथ कब घूमने गये थे जहा तक मुझे पता है कभी कभी ही मा का ले लेकर थोरा बहोत घूम कर आ जाते थे नही तो अब तक आप सिर्फ सुबह से साम तक काम मे लगे रहते है और मा घर के काम मे क्या यही जिंदगी जीनी है आपको किया आपका दिल नही करता मा आप दोनो कही अच्छी जगह घूमने जाये मजे करे एक लाइफ है बाकी लाइफ अच्छे से जिये

अमर की बात सुन भारती जगमोहन एक दूसरे को देखते है फिर अमर को देख - तुम केहना किया चाहते हो

अमर मा पापा को देख - आपको पता है आरोही जिससे शादी करने वाली है वो कोन है

भारती - कोन है वो
अमर - दुनिया का टॉप अमीर मे से एक है
अमर की बात सुन भारती जगमोहन पूरी तरह से सॉक हो जाते है और एक दूसरे को हैरानी से देखते है और आरोही को देखते है

भारती अमर को देख - अगर ऐसा है तो इतने अमीर आदमी भला आरोही से कियु शादी करना चाहता है

अमर मुस्कुराते हुवे - प्यार मा प्यार दूसरी आरोही खूबसूरत जो है
जगमोहन गहरी सास लेके - मान लिया अमीर है लेकिन वो उसने आधी जिंदगी जी ली है उसका किया

आरोही अब जाके बोलती है

आरोही दोनो को देख - मा पापा आधी जिंदगी ही भले कियु ना वो मेरे साथ रहे लेकिन उनके जाने के बाद उनके पोर्पति से आधा हिस्सा मेरे नाम होगा समझ रहे है कितना पैसा होगा हम आराम से अपनी लाइफ जी सकते है पापा मा आप दोनो जहा चाहे घूमने जा सकते है जो चाहिये ले सकते है मे चाहती हु आप दोनो बाकी लाइफ साथ मे मस्त तरीके से जिये दूसरी आपको पता है ना गरीबी कितनी बुरी चीज होती है किया आप चाहते है हम भी वैसी लाइफ जिये


भारती जगमोहन एक दूसरे को देखते है और आरोही को देख

जगमोहन गहरी सास लेके - मे नही चाहता तुम दोनो मेरी तरफ लाइफ जियो ये सच है मे भी तुम्हारी मा को जो चाहिये दिलाना चाहता था उसके साथ घूमने जाना चाहता था तुम्हारी मा के साथ अच्छे पल गुजारना चाहता था हॉटल डिनर करना चाहता था लेकिन मे ये कर नही सका ठीक है हमे मजूर है

भारती जगमोहन को देख - लेकिन
जगमोहन - देखो इनका केहना सही है गरीबी बहोत दुख देती है क्या तुम चाहती हो हमारे बच्चे भी गरीबी मे जिये

भारती गहरी सास लेके - ठीक है मे भी रेडी हु

आरोही अमर एक दूसरे को देख मुस्कुरा देते है


रात 9 बजे

अभय अपनी मा के साथ कमरे मे था अपनी मा के ऊपर लेता हुवा

अभय - मा कल मे जाने वाला हु काजल बुआ को उनके घर छोरने
आसा अभय को बाहों मे लिये - हा पता है लेकिन मुझे रोज फोन करते रेहना
अभय मुस्कुराते हुवे - मे कैसे आप को भूल सकता हु
आसा - अपनी सास छोटी मा को बता दिया हो ना तुम जाने वाले हो
अभय - हा बता दिया है वापस आते ही हम शोपिंग मे जायेंगे बहोत सारी खरीदारी करनी है
आसा मुस्कुराते हुवे - वाह बीवी को लाने के लिये इतना ताक झाम
अभय मुस्कुराते हुवे आसा को देख - इस घर की बहु आने वाली है तो इतना करना बनता है ना सेक्सी मा
आसा मुस्कुराते हुवे - अच्छा ये बात है
अभय मुस्कुराते हुवे आसा की आखो मे देख - मा तीन दिनों के लिये जा रहा हु तो मुझे आज गीली वाली किस्सी चाहिये
अभय की बात सुन आसा बहोत हैरान होती है और अभय को देख


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आसा - बेटा गीली वाली किस्सी मा बेटे के बीच नही हो सकती
अभय दुखी होते हुवे - माफ करना मा मुझे पता नही था मेरी मा को बुरा तो नही लगा ना
आसा अभय को देख - नही मेरे लाला लेकिन तु नाराज तो नही है मुझसे
अभय आसा की आखो मे देख - आपसे नाराज कभी नही हो सकता आपने मुझे जितना प्यार दिया है सायद ही कोई मा अपने बेटे को देती होगी अभी मे आपके उपर लेता हु आपको बाहों मे पकर लेता हुई किस करता हु आप मेरे सामने कपड़े भी बदल लेती है जब एक बच्चा समझदार हो जाता है तो मा अपने बेटे को अपने से दूर कर देती है लेकिन आपने मुझे नही किया बच्चे से लेकर आज तक आपने मुझे अपने सोने से बाहों मे समा कर रखा आपने मुझे इतना प्यार दिया तो मे कियु आपके नाराज हु बल्कि मे उपर वाले का सुक्रिया करता हु आपने मुझे जन्म दिया आपकी जैसी मा मुझे मिली

अभय की बात सुन आसा खुशी के साथ बहोत इमोसनल भी हो जाती है और अभय के गाल को प्यार से सेहलानें लगती है

अभय ने जो बात आसा से कही पुरे दिल इमोसन के साथ कही थी और अभय की हर बात सच थी आसा अभय के बीच जितनी नजदीकियां थी सायद किसी मा बेटे के बीच होगी

आसा अभय को देख मन मे - मेरा लाल कल तीन दोनो के लिये जाने वाला है सायद इसी लिये गीली किस्सी मांग बैठा और मे लाला को मना भी नही कर सकती एक किस्सी की ही तो बात है

आसा अभय को देख मुस्कुराते हुवे - गीली वाली किस्सी मे अपने लाला को करने दुगी लेकिन लाला ये पेहली और आखरी होगी

अभय आसा के बाल कान के पीछे कर आसा को देख प्यार से - मा आप नही चाहती तो मुझे नही चाहिये गीली किस्सी वैसे भी आपसे जितना प्यार मिलता है वो मेरे लिये बहोत है
आसा अभय को देख - लाला पेहली बार तूने मुझसे कुछ मांगा है तो मे नही दुगी तो मुझे भी अच्छा नही लगेगा मे पुरे दिल से गीली किस्सी अपने लाला को देना चाहती हु
अभय आसा की आखो मे देख - आप सच केह रही है
आसा मुस्कुराते हुवे - हा लेकिन मुझे गीली वाली किस्सी करना तो आता ही नही
अभय हस्ते हुवे - ठीक मे आपके होठ जिब को मुह मे लेके चुसुगा जैसे ही आप करना
अभय की बात सुन आसा के अंदर हलचल मच जाती है दिल तेज धक धक करने लगता है सासे तेज चलने लगती है

आसा सर्म से लाल चेहरा लिये- ठीक है लाला मे करुगी

अभय आसा के गुलाबी होठो को देखने लगता है आसा के होठ बहोत प्यारे थे ऐसा लग रहा था होठो से रस नीचे टपक रहा हो


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आसा भी अभय को देखे जा रही थी और तेज तेज सासे लिये जा रही थी ये एहसास जो होने वाला है ये सोच आसा को अजीब एहसास हो रहा था अभय अपना होठ आसा के तरफ ले जाने लगता है आसा ये देख अपना होठ खोल आखे बंद कर लेती है

अभय अपनी मा की होठो को मुह मे लेके चूसने लगता है फिर अपनी मा के जिब को अपने मुह मे लेके चूसने लगता है अभय मन मे - कसम से मे किया चूस रहा हु मा के लार मुझे सहद नही अमृत लग रहे है ये एहसास मुझे जो हो रहा है जो मे फिल कर रहा हु मे मरते दम तक नही भूलने वाला ना मा मेरे बीच पेहला वाइल्ड किस को ना इस पल इस प्यार खूबसूरत मोमेंट को


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अभय अपनी मा के जिब से लार चूस चूस कर पिये जा रहा था अभय को जितना मजा आ रहा था सायद अभय को किसी के साथ फिर कभी ना आये और आयेगा भी कैसे मा को जो किस कर रहा था

आसा नीचे अपने बेटे के परी अभय हो बाहों मे लिये हुवे थी लेकिन अभय को इस तरह अपने जिब को चुस्ता और लार को पिता देख आसा के शरीर के रोये खरे हो जाते है आसा का ये पेहला वाइल्ड किस था आसा को मजा आ रहा था ये फीलिंग पेहला वाइफ किस


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आसा अपने आप को रोक नही पाती और आसा भी अभय के जिब को मुह मे लेके चूसने और अपने बेटे का लार गट गट पीने लगती है
आसा मन मे - मुझे इतना मजा कियु आ रहा है मुझे अपने बेटे का लार पीने से बहोत मजा आ रहा है क्या वाइल्ड किस इसे हि कहते है मे अपने आपको रोक नही पा रही मुझे और अपने बेटे का लार चूस कर पीना है


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मा बेटे सब भूल कर एक दूसरे के जिब को होठो को मुह मे लेके पिये जा रहे थे बिना रुके कोई पीछे हटने का नाम नही ले रहा था 3 मिनट तक दोनो अच्छे से एक दूसरे का रस पीते है फिर सासे फूलने लगती है तो दोनो किस करना बंद कर अपना होठ अलग कर देते है


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दोनो मा बेटे जब अलग होते है तो दोनो के होठो से लार निकल एक लाइन बन जाती है दोनो के होठ लार से पुरे गिले सने हुवे थे आसा आज सर्म से पानी पानी हो चुकी थी

आसा सर्म से आखे बंद किये तेज तेज सासे लिये जा रही थी आसा का ये पेहला वाइल्ड किस था वो भी अपने बेटे के साथ ये पेहला अनुभव पेहला किस सायद आसा भी कभी भूल नही पायेगी ना अभय

अभय आसा के चेहरे को पकर आसा की आखो मे देखने लगता है आसा लाल चेहरा लिये अभय को देखने लगती है तभी अभय के आखो से आसु निकल आते है और मा केहते हुवे आसा के गले लग जाता है


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अभय -मा आपने मेरे एक कहने पे मुझे किस्सी दी ना भी देती तो भी चलता लेकिन आपने दिया मे इस किस्सी को मरते दम तक नही भुलुगा आपका दिल से सुक्रिया मुझे ये पल खुशी जीने देने के लिये आपकी जगह कोई नही ले सकता आप मेरी जान है मा

आसा अभय के सर सेहलाते हुवे - पागल ये एक किस ही हो है मेरे लाला मे भी इस किस्सी को नही भुलुगी मुझे भी नया पेहला अनुभव मिला वो भी मेरे लाला के साथ मे खुश हु

अभय आसा को देख - सच ना
आसा अभय के आसु साफ कर मुस्कुराते हुवे - हा
अभय - आई लोव यू मा
आसा - आई लोव यू तु मेरे लाल

अभय अपनी के साथ एक प्यारा हसीन पल मोमेंट अब तक का गुजार अदिति के पास जाके गुड नाइट बोल अपने रूम मे आके दिशा से बाते करने लगता है

आसा बिस्तर पे लेती आखे बंद कर मुस्कुराते हुवे - मेरे लाला तु भी मेरी जान है रे

सुबह

आसा अभय को जगाने जाती है और अभय अदिति को फिर हल्का होके सीधा विजय के घर आ जाता है

विजय अभय को देख - भाई आज बुआ को लेकर जा रहे है ना
अभय - हा रे इसी लिये तो आया हु कहने पेहले ही टाइम पे रेडी रहे नही तो औरतो को टाइम पे कहो रेडी होने के लिये तो 2 घंटे लगायेगी

तभी विजय अभय के पूछे काजल को गुस्से मे देख डर जाता है और अभय को देख मन मे - बॉस आपको ये नही केहना था

अभय विजय को डरा देख - अरे तुम कियु डरे हुवे हो
विजय डरते हुवे - भाई पीछे देखो
अभय पीछे मुरते हुवे - किया है पीछे जिसे देख तु भी डर गया
लेकिन अभय जब पीछे काजल को गुस्से मे देखता है तो अभय कि भी फट जाती है

काजल अभय के कान पकर - अच्छा तो औरतो कि बुराई हो रही थी हमे तैयार होने मे समय बहोत लगता है
अभय दर्द मे - बुआ मेने गलत तो नही कहा अब छोरो मेरे कान दर्द कर रहे है
काजल कान छोरते हुवे - तुम क्या जानो औरतों को इतना टाइम कियु लगता है तुम मर्द 10 मिनट मे नहा के 5 मिनट मे रेडी हो जाते हो तो तुम्हे लगता है हमे भी उतना ही टाइम लगेगा
अभय डरते हुवे - समझ गया बुआ अब गुस्सा थूक दो ( अभय पीछे देख) कियु विजय मेरे भाई ( लेकिन क्या विजय तो पेहले ही फुर हो चुका था अभय मन मे) साला मुझे फसा कर चला गया

काजल - हा बोलो क्या बोलना है
अभय काजल को बाहों मे लेके मुस्कुराते हुवे - ये बोलना था आप रेडी रहो हम खाना खाने के बाद निकलेगे लेकिन हा आप सारी नही सूट लेगिंस पेहेनना
काजल मुस्कुराते हुवे - लेकिन भला मे कियु तेरे कहने पे सूट लेगिंस पेहनु
अभय काजल की आखो मे देख धीरे से - हम बाइक पे जायेंगे आप मेरे पीछे दोनो तरफ पैर कर के बैठेगी मुझसे चिपक कर मेरे कमर को पकरे तो मुझे भी गर्लफरेंड वाली फीलिंग मिल जायेगी

अभय की बात सुन आसा पाने मुह पे हाथ रख अभय को हैरानी से देख फिर अभय को गाल पे मारते हुवे - शैतान तो इस लिये चाहता है मे सूट लेगिंस पेहनु लेकिन नही पेहनुगी

तभी मिनिता आते हुवे - क्या बात हो रही है
अभय काजल को छोर मिनिता को देख मुस्कुराते हुवे - अब ये कहने आया था बुआ को खाने के बाद चलेंगे
मिनिता - अच्छा ये बात है सही है
अभय कोमल को देख - ओये बंदरिया मेरी शादी के बाद तेरी ही शादी होगी समझ गई
कोमल अभय को गुस्से से देख - बंदर तुझे कियु परी है मेरी शादी कि
अभय - 19 की हो गई है विजय भी तो है कियु ऑन्टी
मिनिता मुस्कुराते हुवे - बिल्कुल सही कहा बेटा पेहले कोमल कि शादी के बाद विजय की शादी करा दुगी

अभय मिनिता काजल दोनो के गालो पे किस कर - ठीक है बुआ मे खाना खाके रेडी होके आता हु आप भी रेडी रेहना

अभय फिर घर आके नहाने मे लग जाता है नहाने के बाद रेडी होता है अपना समान पैक करने लगता है तो अदिति कमरे मे आती है और बिस्तर पे बैठते हुवे

अदिति - भाई तीन दिन आपके देखे बिना कैसे रहूगी
अभय समान पैक करने के बाद अदिति को पकर बिस्तर पे लेता कर अदिति के ऊपर आके अदिति की आखो मे देख - अरे गुरिया फोन है ना वीडियो कॉल कर लेना और तीन दिन की तो बात है
अदिति अभय को बाहों पे पकर - लेकिन भाई आपके सामने देखा रेहना और दूर देखना अलग है लेकिन मे समझ सकती हुई
अदिति अदिति के गाल पे किस कर - मेरी प्यारी गुरिया

अभय फिर आसा अदिति के साथ बैठे खाना खाता है और सीधा मधु के घर आ जाता है

मधु घर मे अकेले थी सिला खेत मे गई थी अभय मधु के कमरे मे जाता है तो अभय देखता है मधु रेडी होके बाल खरी थी

अभय मधु को देख मुस्कुराते हुवे - अरे रेडी हो गई थोरा पेहले आना चाहिये था

अभय की आवाज सुन मधु पीछे अभय को देखती है फिर अभय बात समझ शर्म से लाल अभय के पास आके भाई - आप बहोत गंदे है

अभय मधु को बाहों मे लेके - कियु ये गंदा भाई तुझे पसंद नही है क्या
मधु अभय को प्यार से देख - बहोत पसंद है और मे बहोत प्यार करती हु
अभय मधु के गाल पे किस करते हुवे - मा कहा है
मधु - मा खेतो मे गई है
अभय - चलो फिर मा से मिल लेता हु
मधु - जी भाई

अभय मधु के साथ बाइक से खेतो के पास आता है और बाइक साइड लगा के थोरा चल कर दोनो सिला के पास पहुँच जाते है

सिला अभय मधु को देख मुस्कुराते हुवे - आ गये तुम दोनो
अभय सिला को देख - छोटी मा मे जाने वाला था तो सोचा अपनी सेक्सी मा मिल कर उनका खूबसूरत चेहरा देखे बिना कैसे जा सकता हु
सिला शर्मा के - तुम भी ना बेटा
अभय सिला को बाहों मे लेके - मा मे जा रहा हु तीन दिन बाद आऊगा आप अपना ध्यान रखना
सिला मुस्कुराते हुवे - रखुंगी बाबा तुम भी अपना ध्यान रखता
अभय सिला को देख - होठो पे किस्सी दो
सिला हस्ते हुवे अभय के होठ पे होठ सता कर किस करते हुवे - अब खुश
अभय मुस्कुराते हुवे - हा ( अभय मधु सिला को देख) ठीक है मा गुरिया मे जाता हु

सिला गुरिया - ठीक है


अभय बाय बोल घर आ जाता है आसा कमरे मे थी अभय आसा को बाहों मे लेके - मा अब मे चलता हु
आसा अभय को किस कर - ठीक है लाल लेकिन रास्ते मे अच्छे से जाना बाइक तेज मत चलाना समझ गया
अभय मुस्कुराते हुवे - जी मा समझ गया

अभय अदिति मा को बाय बोल अपना बैग लेके सीधा विजय के घर आ जाता है अभय अंदर आँगन मे जाता है तो मिनिता कोमल विजय के साथ जब अभय की नजर काजल पर जाती है तो अभय हैरान हो जाता है


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कियुंकी काजल काजल ने सूट लेगिंस पेहनी थी और सच मे काजल सूट लेगिंस मे बवाल लग रही थी बरे चुचे मोटी जांघे साफ कपड़े के ऊपर से दबे सिखाई दे रही थी काजल अभय को देख थोरा शर्मा के देखती है अभय होस मे आते हुवे सभी को देख

अभय - तो अब हमे चलना चाहिये
काजल - ठीक है

अभय सभी बाहर आते है अभय काजल का बैग और अपना बैग आगे रख देता है

काजल मिनिता को देख - भाभी जीतने दिन यहा रही सच कह तो बहोत मजा आया ( काजल अभय को देख ) खास कर अभय बेटे की वजह से लेकिन फिर मुझे आना ही है अभय बेटे के शादी मे

मिनिता - आपने सही कहा ननद जी अभय बेटे ने हमे बहोत हसाया लेकिन फिर आप आयेगी तो फिर खूब मस्ती करेगे
काजल मुस्कुराते हुवे - जरूर करेगे भाभी
काजल विजय कोमल को देख - बेटा तुम दोनो अपना ख्याल रखना
विजय - बुआ चिंता मत कीजिये आप अच्छे से जाइये
कोमल - हा और जल्दी आना भी तो है आपको फिर
काजल - आना को पड़ेगा अभय बेटे के एक रिस्ता जो बन गया है अच्छा अब जाना चाहिये

मिनिता अभय को देख - बेटा अच्छे से जाना लेके अपनी बुआ को
अभय मुस्कुराते हुवे - जी ऑन्टी
अभय बाइक पे बैठ बाइक चालू कर देता है और काजल बैठ जाती है सब एक दूसरे से बाय बोल अभय निकल परता है काजल के घर

मिनिता -दोनो चले गये अब उतना मजा नही आयेगा उनके बिना
काजल मुस्कुराते हुवे -हा हा कियुंकी वो बंदर आके आपकी रारीफ और किसी जो मागता था
मिनिता मुस्कुराते हुवे - चलो अंदर

अभय बाइक लिये काजल को लेके जा रहा था कमाल कि बात ये थी रास्ता एक घण्टे का था

अभय बाइक चलाते हुवे जा रहा था अभय कि नजर सामने रास्ते पे थी

अभय - बुआ मुझे लगा नही था आप मेरे कहने पे सूट लेगिंस पेहन लोगी
काजल मुस्कुराते हुवे - ज्यादा मत सोच मेरे पास अच्छी सारी नही थी इस लिये पेहन ली
अभय - अच्छा फिर भी क्या फायदा आप तो मुझसे हट कर बैठी है

असल मे काजल अभय से हट कर अभय के दोनो कंधे को पकर बैठी थी
अभय की बात सुन काजल थोरा शर्मा के आगे घिसक् कर अभय से पुरा सत् जाती है और अपना पुरा सरीर अभय से चिपका देती है जैसे ही काजल का पुरा सरीर अभय से चिपकता है अभय को पेहले काजल के बरे मुलायम चुचे अपने पिट पे महसूस होते है फिर काजल के शरीर की गर्मी


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अभय काजल के बरे चुके सरीर की गर्मी फिल अभय के अंदर कुछ होने लगता है वही काजल सर्म से लाल अपने दोनो हाथो से अभय के कमर को पकर लेती है काजल पूरी तरह से अभय से चिपकी थी बीच से हवा भी नही जा सकता था

अभय मुस्कुराते हुवे - थैंक्स बुआ आप बहोत अच्छी है
काजल शर्मा के रेह जाती है

अभय फिर काजल से गाव कैसा है ये सब पूछने लगता है तो काजल भी सब बताने लगती है दोनो के बीच बाते होते हुवे चले जा रहे थे


काजल अभय को छोर चलते है आरोही के और

आरोही अमर कमरे मे थे और दोनो बिस्तर पे लेते हुवे थे

अमर - मा पापा भी मान गये अब रास्ता साफ है तेरा
आरोही मुस्कुराते हुवे - हा भाई आपका सुक्रिया मेरा साथ देने के लिये
अमर आरोही के ऊपर आके आरोही को देख मुझे अपनी छोटी बेहन की चूत चाहिये

आरोही सर्माते हुवे - अच्छा लेकिन क्या आप मेरी चूत की गर्मी निकाल पायेंगे
अमर जोस मे आते हुवे - ये तो जब तुम्हारी चूत मारुंगा तो तुम्हे पता चल ही जायेगा लेकिन छोटी ये बता जीजा का लंड पेहली बार लिया तो दर्द हुवा होगा कितना मजा आया बता ना

आरोही - बाद मे बटाउगी दूसरी आपको चूत नही मिलेगी
अमर हैरानी से - किया लेकिन कियु
आरोही - मे ये नही केह रही नही दुगी लेकिन फिल्हाल नही दे सकती कियुंकी उनको पता चला तो आपका खेल खतम
अमर डर के - ठीक है छोटी तेरी बात समझ गया मे थोरा इंतज़ार कर लूंगा

आरोही मुस्कुराते हुवे - भाई चिंता मत करो सही समय का इंतज़ार करो फिर मे आपकी ही हु

अमर आरोही को किस करना सुरु कर देता है आरोही भी पुरे जोस मे अपने भाई को किस करने लगती है दोनो भाई बेहन एक दूसरे का रस चूस कर पीते है


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अमर आज पता चला बेहन को किस करने मे कितना मजा आता है
आरोही मुस्कुराते हुवे - असली मजा तो बाद मे दुगी आप को

इसके बाद आरोही सीधा उदय के बंगलो मे आती तो उदय काम से बाहर था लेकिन टीनू बंगलो मे था

टीनू आरोही को देखता है तो हैरान हो जाता है आरोही अब पेहले वाली गरीब आरोही नही थी अब आरोही अमीर लुक मे थी जैसे अमीर घर की लरकिया कपड़े पेहन रहती है


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जींस टिसर्ट मे आरोही बहोत सेक्सी लग रही थी आरोही का करेक्टर उसकी चाल संस्कार बोले का तरीका सब आरोही ने बदल लिया था अब जो आरोही थी वो पेहले की आरोही से उलट थी

टीनू आरोही को देख मुस्कुराते हुवे - किया बात है नई मा आप तो बहोत सेक्सी लग रही है

आरोही टीनू के पास बैठ कर टीनू को देख मुस्कुराते हुवे - अच्छा तुमने मुझे मा भी मान लिया
टीनू मुस्कुराते हुवे - पापा ने आपको बीवी मान लिया तो मुझे भी मानना पड़ेगा लेकिन
आरोही- बोलो
टीनू - मुझे आपकी चुदाई करनी है बस एक बार प्लेस
आरोही हैरान नही होती कियुंकी पेहली वाली आरोही होती तो बहोत हैरान हो जाती

आरोही टीनू को देख - नही टीनू ऐसा नही करुगी मे तुम्हारी पापा की हु

टीनू आरोही को देख- देखो आरोही तुम्हे मा मानने मे कोई परोबलम् नही है मुझे लेकिन तुम मेरे साथ ऐसा करोगी सोच लो मे तुम्हारा पुरा काम बिगार् सकता हु समझ नही

आरोही कपड़े निकालते हुवे - तुमसे मे डरती नही हु कियुंकी मेरे पीछे तुम्हारा बाप मेरा पति है लेकिन मे तुमसे से रिस्ता भी खराब नही करना चाहती ये पेहली लास्ट होगा

टीनू गहरी सास लेते हुवे - ठीक है मे भी तुमसे रिस्ता खराब नही करना चाहता

आरोही पूरी नंगी होते टांगे फैला के टीनू को देख - सीधा मेरी चुदाई करो समझ गये


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टीनू अच्छे से आरोही के चुचे चूत नंगे बॉडी को उपर से नीचे तक देखता और कपड़े निकालते हुवे मन मे - कुछ भी कहो साली है कमाल ही ( टीनू नँगा होके आरोही के चूत पे पास आप जाता है

टीनू आरोही की चूत पे लंड रख जोर का धक्का मार एक बार मे हि घुसा देता है आरोही दर्द मे आह मर गई टीनू बिना रुके जोर जोर सी धक्का मारता रेहता है आरोही दर्द मे आखो मे - आह टीनू धीरे कर दर्द हो रहा है आह मा जोर से धक्का मत मार


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टीनू जोर जोर से धक्का मारते हुवे आरोही को देख - आह आरोही तेरी चूत तो बहोत टाइट गर्म है मजा आ रहा है तेरी चूत मारने म आह
आरोही - आह मजा आ रहा है तुझे मुझे दर्द मे मजा आ रहा है
टीनू अपना लंड निकाल जोर से धक्का मार घुसा देता है आरोही दर्द मे आह मा मर गई
अब मजा आया 8 मिनट बाद टीनू मेरा निकलने वाला है
आरोही जल्दी से पीछे हट के टीनू का लंड पकर हिला के पानी निकाल देती है

आरोही कपड़े पहनते हुवे - इस घर मे केमरा लगा है तुम्हारे पापा ने कहा था मे तुझे एक बार मजा दे दु तो मेने दे दिया कियुंकी मुझे पता था तुम मेरे साथ करने की कोसिस जरूर करोगे ये बात मेने तुम्हारे पापा को बताया था तो उन्होंने कहा एक बार दे दु

आरोही टीनू के नजदिक आके टीनू के आखो मे देख - तेरे पापा यानी मेरे पति जो कहेगे मे करुगी लेकिन इसके बाद अगर

टीनू हाथ जोरते हुवे - समझ गया आगे मत बोल

आरोही मुस्कुराते हुवे - अच्छा है वैसे मजा आया मुझे अब जा यहा से मुझे सोने दे और हा इस बंगलो मे बाथरूम कमरे से केमरा निकाल ले कियुंकी आज से मेरी मा पापा भाई सब यही रहेगे
टीनू जाते हुवे - हा हा जा रहा हु कर दूंगा तेरा काम साला आज मेरे कमरे से मुझे जाना पर रहा है

आरोही मुस्कुराते हुवे मन मे - कियुंकी अब ये बंगला मेरा है मेरे होने वाले बेटे


अभय काजल के पास चलते है अब

अभय काजल दोनो आधे रास्ते पे पहुँच चुके थे रोड के दोनो तरफ खेत ही खेत है जैसे गाव का रोड होता है

काजल को अब सुसु जोर से लग आती है तो काजल परेसान होते हुवे मन मे - धत तेरी की जोर से अभी ही लगना था अभी तो रोक भी नही सकती कियुंकी अभी आधे रास्ते पे हि पहुचे है

काजल शर्मा के - सुनो बेटा साइड मे गारी रोको ना
अभय - कियु बुआ
काजल शर्मा के - समझ ना पागल
अभय सोचता फिर समझ मे आता है और बाइक को साइड मे रोक देता है काजल उतर कर सामने मक्के के खेत को देखती है फिर उस तरफ जाने लगती है

अभय काजल को जाते देखता है फिर अपनी दिशा से बाते करने लगता है

अभय - मेरी जान क्या कर रही हो
दिशा - आपको याद कर रही थी
अभय मुस्कुराते हुवे - अच्छा ये तो ठीक है मेरे उसको भी याद कर लिया करना नही तो वो बुरा मान जायेगा
दिशा सर्म से लाल होते हुवे - हर वक़्त सिर्फ गंदी बाते करते रहते है
अभय मुस्कुराते हुवे - क्या करू बाते कर हि दिल बेहला रहा हु
दिशा - अच्छा ये बताइये आप कहा है अभी
अभय - काजल बुआ को छोरने आया हु आधे रास्ते मे है अभी
दिशा - अच्छा
अभय - ठीक है जान घर पहुँच फोन करता हु
दिशा - ठीक है आई लोव यू
अभय - आई लोव यु तु

फोन कट

वही काजल मक्के के खेत के पीछे जाके बैठ जाती है जोर से लगी हुई थी तो तेजी से धार मारती है और सुई की आवाज निकलने लगती है


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काजल पिसाब करते हुवे - हद है अभय बेटा क्या सोच रहा होगा मेरे बारे मे घर अब किया ही कर सकते है जो होना था हो गया

काजल पिसाब कर अभय के पास आ जाती है लेकिन सर्म से नजरे नीचे किये हुई थी अभय समझ जाता है इस लिये कुछ नही बोलता है

तभी कुछ 5 लफंगे थोरि दूर रोड के साइड पेर के नीचे बैठे थे लेकिन उन सब की नजर अभय काजल पे सुरु से थी सभी ने काजल का खेत मे जाते हुवे भी देखा था

अभय यहा था वहा कोई घर नही था चारों तरफ खेत है रास्ता भी गाव का था तो गारी भी कम आ जा रही थी और ये पाचो लफंगे यहा रोज आके लरकी को छेरते हुवे आ रहे थे जगह भी ऐसी थी कोई होता नही था इसी लिये 5 चो बिना डरे अपना लफंगे वाला काम करते रहते थे

5 लरके काजल के पास आके काजल को देख - अरे ऑन्टी आप अकेले खेत मे गई थी ( अभय को देख) इस लरके को ले जाती है या हम सभी को

लरका 2 काजल को देख - मानना पड़ेगा क्या बॉडी है आप कि सब ऊपर से दिख रहा है

लरका 3 - ऑन्टी चलो ना खेत मे हम पाचो खूब मजे देगे आप को

काजल गुस्से से लाल थी लेकिन डरी हुई भी थी वही अभय की नशे फुल चुकी थी आखे गुस्से से लाल हो चुकी थी

दूसरा लरका कुछ बोलता उससे पेहले अभय एक लरके का हाथ पकर जोर से मोर लेता है लरका जोर से दर्द से चिल्ला उठता है बाकी लरके हैरानी से अभय को देखते है अभय ने जिस लरके को पकरा था उसके सीने पे जोर से लात मारता है लरका सीधा जाके खेत मे गिरता है

बचे 4 सभी अभय की ताकत देख हैरान थे लेकिन अभय से डर भागे नही एक लरका अभय को गाली देते हुवे साले तूने मेरे दोस्त को मारा

बाकी तीन भागते हुवे पेर के पास के खेत से डंडे लेकर आते है जो इन लोगो ने ही छुपा कर रखा था अब चारों के पास डंडे थे और अभय को गुस्से से देख रहे थे

काजल डरते हुवे - बेटा
अभय काजल को पकर पीछे कर आगे चला जाता है

लरका 1 अभय को देख - साले तेरे जैसे कई को हमने अच्छे से धुलाई की है आज तेरी सब हड्डिया तोर दूंगा

अभय अपनी आखे बंद कर पेहले का वो सीन जब अभय कैद मे था वो सीन जिसे अभय अभी याद नही करना चाहता था वो सीन जिसके बारे मे अभय ने सब को बात करने से बना कर दिया था वो सीन जिसे याद कर विजय जीत जीतू के भी रूह काप् जाती है वो सीन उसके बाद अभय से सब कापने लगे थे और अभय सब का बॉस बन गया उस सीन को याद कर चारों को देख मन मे -कईयो का सर डर से अलग किया है मेने मे खुद भी नही जानता


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और तुम 4 मामूली चूजे मेरे सामने आके अकर दिखा रहे हो सुकर बनाओ मे बेगुनाह को नही मारता जान से नही तो मुझे तुम सब का सर धर से अलग करने मे एक मिनट भी नही लगता फिर भी आज तुम सब का पाला मुझसे परा है आज के बाद तुम दोनो मुझे याद रखोगे और फिर गलती से भी किसी को छेरने की भूल नही करोगे मेरी बुआ को गंदे शब्द बोलने वाले को माफ कैसे कर सकता हु


आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏🙏
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monsterking

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chapter 1

PBA रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म नंबर 2 पे b11 ट्रेन pba स्टेशन से 24 घंटे की सफर कर ssa के लिये निकलने वाली थी अनासमेंट बार बार हो रही थी की pba ट्रेन 10 मिनट मे अपने मजिल् के लिये रवाना होगी कई सारे यात्री तो लेट हो चुके थे जल्दी जल्दी अपने बोगी मे चड रहे थे चारों तरफ सोर सराबा था

लेकिन खिरकी के सीट पे एक लरका जिसने जीन्स सर्ट पेहना था बैठे खिरकी के बाहर देखे जा रहा था लरका बहुत हैंडसम था हाथो मे एक घरी गले मे एक लोकेट था लरके को कोई सोर सराबा सुनाई नही दे रहा था ना ही उसे ये पता था कोन उसके सामने वाली और उसके सीट पे कोन बैठ रहा है कियुंकी लरका बाहर किसी चीजो पे फोकस कर कही खोया हुवा था उस लरके के चेहरे पे खुशी गम दोनों थे लेकिन कोई भी उस लरके के चेहरे को देख बता नही सकता था की वो लरका खुश है या दुखी है

10 मिनट हो चुके थे ट्रेन एक जोर दार होर्रन मार अपने मंजिल की तरफ निकल परती है लरके को अहसास होता है ट्रेन चल परी है फिर भी ना वो अपने आस पास कोन बैठा है देखता है लरका बस बाहर देखे जा रहा था जैसे उनको आस पास किया हो रहा है उससे उसे कोई मतलम ही ना हो लरका अपने होठो को ठोरा खोल बस इतना केहता है धीरे से मा मे आ रहा हु


4 साल पेहले - जब हमारा हीरो 15 साल का था

संडे का दिन था एक कमरे मे अभय आराम से सोया हुवा था बिंदास कमरे मे आसा आती है और अभय को आराम से सोता देख उसके चेहरे पे एक बरी इस्माइल् आ जाती है आसा अभय के पास जाके बालों को गालो को सहलाते हुवे धीरे से प्यार से उठ जा मेरे लाल सुबह हो चुकी है कब तक सोता रहेगा तेरी गुरिया भाई दोनों कब का उठ चुके है

अपनी मा की प्यारी मीठी आवाज जैसे ही अभय के कानों मे जाती है अभय की नींद टूट जाती है अभय अपनी आखे धीरे के खोलता है तो उसके सामने आसा का प्यारा खूबसूरत चेहरा दिखाई देता है अभय अपनी मा को देख प्यार से मा सुबह सुबह जब मे आपकी मीठी आवाजे और आपका प्यारा खूबसूरत चेहरा देखता हु ना तो मेरा पुरा दिन अच्छा जाता है

आसा अभय को प्यार से गालो पे किस करते हुवे मुस्कुराते हुवे अच्छा ऐसा है किया मेरे लाल अभय अंगराई लेते हुवे उठ कर बैठ मा को देखते हुवे हा और आपकी किस्सी जब रोज सुबह मिलती है तो पूरा दिन बन जाता है आसा हस्ते हुवे अभय के गालो पे प्यार से चाता मारते हुवे शैतान लाडला

तभी अंदर मे सबकी लाडली अदिति आती है कमर पे दोनों हाथो को रखे हुवे अभय को देख एक प्यारा सा चेहरा बनाते हुवे भाई जब आप मेरा चेहरा देखते है तो अभय अदिति की तरफ थोरि देर देखता है और फिर अजीब सा चेहरा बनाते हुवे अदिति को देख जब सुबह तेरा चेहरा देखता हु तो पूरा दिन बेकार जाता है

अपने भाई की बात सुनने के बाद अपनी बइजति होने के बाद अदिति रोना सुरु कर देती है अदिति अपने हाथो से आखो को मलते हुवे बच्चो वाली आवाज मे रोते हुवे किया मे इतनी बुरी दिखती हु जो आपने मुझे ऐसा कहा आसा अदिति अभय को देख अपना सर पकर खरी होते हुवे तुम दोनों का ये रोज का नाटक है एक दूसरे मे जान बस्ती है तुम दोनों की लेकिन नाटक करना बंद नही करोगो आसा जाते हुवे मुझे बहोत काम है आसा ये केह चली जाती है

अभय अदिति को देखते हुवे मुस्कुराते हुवे अदिति के पास जाता है अदिति रोना बंद कर अभय को देखती है अभय अदिति के गालो को पकर दबा देता है अदिति के होठ खुल जाते है उसी के साथ अदिति का चेहरा बहोत फनी भी बन जाता है अभय के फनी चेहरे को देखते हुवे गुरिया चेहरा जब सुबह देखता हु ना तो मेरे चेहरे पे पूरे दिन इस्माइल् रेहती है

अदिति अपने भाई को देखती है फिर अपने भाई के हाथो से अपने चेहरे को छुराते हुवे अभय को देख मुह बनाते हुवे अच्छा सची मे आप झुठ तो नही बोल रहे है ना अभय अदिति के गालो पे किस करते हुवे सच्ची मे अब मे जाता हु अभय मुस्कुराते हुवे बाहर निकल आता है

अभय कमरे से बाहर आता है तो विनय रेडी होकर अपने कमरे से बाहर निकल रहा था विनय की नजर अभय पे जाती है विनय अभय के पास आते हुवे कियु रे इतनी देर कोन सोता है और तुम खुद सुबह कियु नही उठते अभय अपने भाई को देख मुस्कुराते हुवे भाई मा की मीठी आवाज सुने बिना मेरी नींद नही टूटती है

तभी अदिति गुस्से से लाल पीली होते हुवे चिलाते हुवे बाहर आते हुवे अभय को देख भाई आज मे आपको नही छोरुगी ये केह अभय के पीछे पर जाती है अभय अदिति को पूरे गुस्से मे देख समझ जाता है और अभय तेजी से घर के बाहर भागते हुवे गुरिया तुम मुझे पकर नही पाओगी बाय बाय गुरिया

अदिति घर के बाहर तक आती है लेकिन देखती है अभय कही दिखाई नही दे रहा है अदिति गुस्से से आपने अच्छा नही किया भाई जायेंगे कहा जब घर आयेगे तो आपको देख लुंगी

अदिति गुस्से मे इस लिये थी जब अदिति आईने के सामने जाके अपने गालो को पकर दबाती है जैसे अभय ने किया था तो अदिति देखती है उसका चेहरा बहोत अजीब फनी बन गया था ये देख अदिति को समझ मे आ जाता है की उसके भाई के केहने का किया मतलम था की उसका चेहरा देख पूरे दिन उसके चेहरे पे इस्माइल् रेहती है बस बेचारी इसी लिये बहोत गुस्सा थी अभय पे

विनय दोनों की नौटंकी देख ये दोनों का पता नही किया होगा आगे आशा विनय के पास आते हुवे जो होगा नेकिन इन दोनों की वजह से ही घर मे चहल पहल रेहती है विनय मा को देख मुस्कुराते हुवे आप ने सही कहा मा विनय फिर घर से बाहर जाते हुवे ठीक है मा खेतो से होकर आता हु आसा अपने कमरे मे जाते हुवे ठीक है बेटा विनय फिर निकल परता है अदिति गुस्से से अंदर आते हुवे देख लुंगी

अब जानते है अभय का घर कैसा है घर की हालत कैसी है

अभय का घर पूरा घास फुस का है चार कमरे है बीच मे बहोत बरा आगन्

एक कमरा आगन् दूसरा कमरा
बाथरूम

चौथा कमरा आगे मैन दरवाजा तीसरा कमरा


अभय खेतो की तरफ जाता है और आते टाइम कुछ दोस्त मिल जाते है तो दोस्तो से बातें भी करने मे लग जाता है

(परजेंट )

तभी वो लरका अपने यादों से बाहर आ जाता है उस लरके को एहसास होता है ट्रेन रुक चुकी है लेकिन फिर भी वो लरका जैसे का तैसा ही रेहता था हा ये लरका ही हमारा हीरो अभय है जो 4 साल बाद अपने घर जा रहा है

अभय के बिल्कुल सामने खिरकी के सीट पे एक बहोत ही खूबसूरत लरकी बैठी हुई थी उस लरकी की नजर सुरु से ही अभय को ही देखे जा रही थी लरकी के मन मे कई सवाल उठ रहे थे अभय को देख कर लरकी के बगल के एक लरका बैठा था और उस लरके के बगल मे अंकल ऑन्टी

लरकी अभय को उपर से नीचे देख मन मे आखिर ये हैंडसम लरका है कोन उसके चेहरे मे खुशी है और गम भी मे सुरु से ही देख रही हु 5 घंटे हो गये है लेकिन फिर भी ये लरका ना हिलता है ना ही आस पास किसी को देख रहा है जैसे इनको किसी से कोई मतलब ही नही है ना ही आस पास किया हो रहा है मुझे तो लगता है इस लरके ने मुझे भी अभी तक नही देखा होगा

लरकी फिर अभय के कमरे बॉडी चेहरे बालों के स्टाइल को देख मन मे कुछ भी कहो ऐसा हैंडसम अच्छे बॉडी वाले लरके को आज तक नही देखा लरकी फिर अपने आप को उपर से नीचे तक देखते हुवे हु मेरे दोनों बड़े बरे है पतली कमर है पीछे का दोनों बम भी बरे है चेहरा भी बहोत खूबसूरत है बोले तो मे भी बहोत खूबसूरत हु लरकी फिर अभय को देख ये लरका जब मुझे देखेगा तो देखता ही रेह जायेगा लरकी फिर मुस्कुराने लगती है ( लरकी अपने मन मे ही कई कहानी बनाये अभय को देखे जा रही थी )

ट्रेन कोई स्टेशन पे नही रुकी थी सिंगनल ना मिलने के कारन बीच मे रुकी हुई थी दोनों साइड खेत और छोटे मोटे जंगल झारीया थी कुछ किसान दूर दूर देखो मे काम करते दिखाई दे रहे थे

अभय की नजर उन किसान मे जाती है तो अभय को अपने गाव की याद जोरों से आने लगती है अभय के चेहरे पे एएम्प्रेसन चेंज होने लगते है जो की लरकी देख देती है लरकी अभय कि नजरो का पीछा कर बाहर देखती है तो पाती है अभय किसान लोगो को खेतो मे काम करते हुवे देख रहा है लरकी अभय को देखते हुवे मन मे लगता है ये लरका किसी गाव से है और उसे अपनी गाव की याद आ रही है लेकिन ये लरका अकेला है कहा गया था कितने समय बाद जा रहा है अपने गाव समझ नहीं आ रहा है मुझे तो ये लरका ही पूरा अजीब लग रहा है

अभय सब से अंजान बाहर किसानों को देखे जा रहा था तभी अभय की नजर अपने पास वाली झरियों पे जाती है जो हिल रही थी तभी उस झारियो से 2 लोग निकलते है दोनों 30 या 32 साल के थे नॉर्मल कपड़े पेहने हुवे अभय अपनी आखे पूरा फोकस कर दोनों कोई उपर से नीचे तक देखता है उनकी हरकत देखने का नजरिया अभय को उन दोनों को देख बुरी फीलिंग आती अभय को कुछ गर्बर् लगता है उन दोनों मे दोनों को देख समझ अभय की आखे फैल जाती है और अभय का सरीर हिलता है लरकी अभय कि हर हरकत को देख रही थी

अभय देखता है दोनों लोग नॉर्मल बाते करते हुवे ट्रेन कि तरफ बढ़ने लगते है अभय ये देख अपना सरीर सीधा करते हुवे सामने देखता है तो अभय को वही लरकी देखाई देती है लरकी भी अभय के पूरे चेहरे को अच्छे से हैरान हो जाती है उसी के साथ अचानक अभय को अपने आप को देखता देख थोरा शर्मा भी रही थी लेकिन उससे सर्म दूर हो जाते है जल्दी ही

अभय लरकी से अपनी नजरे हटा के अपने चारों तरफ पेहली बार नजरे दोराता है अभय अपने बगल मे देखता है तो एक अंकल और उसके बाद ऑन्टी और एक लरका था

लरकी अभय को अपनी तरफ ना देखता देख उसको अपनी बेज़ती मेहसूस होती है लरकी अभय को देख गुस्से मे ये लरका अपने आप को समझता किया है किया मे खूबसूरत हॉट नही हु जो वो मुझे देख नही रहा अरे मेरे पीछे तो कई लरको के लाइन लगे रेहते है जरूर ये लरका मेरे सामने कुल बनने की कोसिस कर रहा है ताकि वो मुझे इम्प्रेस कर सके ( लरकी अपनी कहानी खुद बना रही खुद से बातें भी करने मे लगी थी )


अभय एक बरी अंगराई लेते हुवे अपने सरीर को हिलाते हुवे हल्का करता है तभी सभी को चिलाने की और आवाजे सुनाई देती है दोनों तरफ से जिसे सुन सभी आवाज की तरफ देखने लगते है लेकिन अभय अपनी आखे बंद कर सीट से सत् सो जाता है

दो लोग जिसे अभय ने देखा था वो दोनों ट्रेन के अंदर आके गन से डरा के लोगो से पैसे वसूल रहे थे और लोग डर के मारे अपनी जान बचाने के लिये पैसे जो सब दे रहे थे ( जान है तो जहान है)

लरकी के पास बैठा लरका लरकी से डरते हुवे दीदी ट्रेन मे दो लोग आके लूट पाट कर रहे है और दोनों के हाथो मे गन भी है लरकी ये सुन हैरान और डर भी जाती है लरकी डरते हुवे सीट से उठ जाके धीरे से मुंडी आगे कर देखती है तो दोनों लोग उनके पास जल्दी ही आने वाले थे लरकी डरते हुवे उसकी सीट पे बैठे अंकल ऑन्टी से मा पापा अब हम किया करेगे अंकल पीछे देखते हुवे बेटा तुम अपनी सीट पे बैठ जाओ जाके उन लोगो को सिर्फ पैसा चाहिये वो लोग लोगो को नहीं मारेगे अगर सब आराम से सब दे देगे तो लरकी अपनी सीट पे जाके बैठ जाती है और अभय को देख हैरानी से मन मे ट्रेन मे दो लोग आके लूट पाट कर रहे है उनके हाथो मे गन है सभी डरे हुवे है लेकिन इसे देखो जरा कैसे आराम से बैठा हुवा है लरकी अपने बाल जोर जोर से खुजाते हुवे आखिर इस लरके कि प्रॉब्लम किया है

ट्रेन मे दो लोग जो गन दिखा के लूट रहे थे दोनों लोग दोनों तरफ से लोगो को लूटते हुवे आगे बढ़ रहे थे ताकि कोई भी भाग ना पाये आखिर कर एक बंदा अभय के पास आ जाता है

लुटेरा 1 - सभी को गन दिखा मे तुम लोगो के पास जो भी जल्दी जल्दी सब निकाल के मुझे दे दो

लुटेरो ने अंदर आने से पेहले अपने चेहरे पे रुमाल बाँध लिया था

लरकी के पापा जल्दी से पैसे जोकि बहोत ज्यादा थे निकाल के लुटेरे को देते हुवे केहता है ये लो बहोत ज्यादा पैसे है अंकल अपनी बेटी बेटा बीवी को देख ये मेरे बच्चे बीवी है उनके पास कुछ नही है इन लोगो को कुछ मत करो प्लेस

लुटेरा - अंकल से पैसे लेते हुवे चलो ठीक है तुम समझदार हो लगता है तुमने सब पैसे तो दे दिये जोकि बहोत है लेकिन लुटेरा लरकी ऑन्टी को देख इनके गले मे कान नाक मे जो है वो

अंकल - अपनी बीवी बेटी से जल्दी से सब देदो निकाल के

अंकल मन मे जान बहोत कीमती है जैसे भी मे बहोत अमीर हु पैसों की कोई कमी नही है मेरे पास घर पहुच कर इससे मेहगे गेहने खरीद दुगा

ऑन्टी लरकी जल्दी से डरते हुवे नाक नाक गले मे सोने का जो था सब उस लुटेरे को दे देते है

लुटेरा - मुस्कुराते हुवे बहोत अच्छे बहोत अच्छे

लुटेरा फिर अभय के बगल मे जो लोग थे उनकी तरफ देखता है तो पेहले से ही सब के पास जो था निकाल के लुटेरे को दे देते है

लुटेरा - सभी को देख मुस्कुराते हुवे बहोत अच्छे बहोत अच्छे

लुटेरा फिर अभय की तरफ देखता है जो आराम से आखे बंद कर सो रहा था

लुटेरा - अभय को देख इस लरके को पता भी है किया हो रहा है उसके आप पास कुम्भ करण की औलाद लगता है

लरकी - लुटेरे को देख डरते हुवे देखिये उस लरके को छोर दीजिये वैसे भी उसके पास से आपको जायदा कुछ नही मिलेगा वो तो देखने मे गरीब भी लगता है

लुटेरा - लरकी को देख मुस्कुराते हुवे कियु छोर दु ये तुमहारा कुछ लगता है किया वैसे भी हमारा रूल है हम किसी को नही छोरते अमीर हो या गरीब लुटेरा अभय के ऊपर गन तान ओये लरके अपनी आखे खोल कर देख और जल्दी से माल निकाल जो तेरे पास है

अभय अपनी एक आखे खोल लुटेरे को देखता है और लुटेरा जब तक समझ पाता अभय लुटेरे के जिस हाथो मे गन था उस हाथो को पकर तेजी से अपनी तरफ करता है और चार पाच बार तेजी से लुटेरे के सीने पे वार करता है लुटेरे को अपने पास को बचाने का समय भी नही मिलता है ना ही की मुह से कोई आवाज निकल पाती है और लुटेरा बेहोस हो जाता है अभय लुटेरे को पकर आराम से नीचे लेता देता है और गन को लेकर अपने पास रख लेता है

लरकी अंकल जो लोगो ने देखा था सभी पूरी तरह से हैरान अभय को देखे जा रहे थे लेकिन अभय किसी पे ध्यान नही देता है और अपने सर्ट को सही करता है फिर आगे बढ़ पीछे झाक दूसरे लुटेरे को देखता है जो सभी को लूटते हुवे उसी तरफ आ रहा था दूसरे लुटेरे को पता भी नही था उसके साथी के साथ किया हुवा है अभय आराम से एक जगह साइड मे छुप जाता है

जैसे ही दूसरा लुटेरा अभय के पास आता है अभय पेहले उस लुटेरे के हाथो पे वार करता है गन नीचे गिर जाती है लुटेरा अपने हाथ को पकरे दर्द मे अभय को देखता है लेकिन अभय बिना टाइम बर्बाद किये लुटेरे के सीने पे जोर का मुक्का मारता है लुटेरा दर्द मे चिलाते हुवे नीचे बैठ जाता है अभय गन उठा लेता है फिर उस लुटेरे को पकर सीने पे मार उसे भी बेहोस कर देता है और उस लुटेरे को अपने सीट के पास लाके पेहले लुटेरे के पास लेता देता है

उस अभय के पास वाले सभी अभय को आखे फार देख रहे थे लेकिन अभय अपने काम मे लगा हुवा था अभय अपना बैग नीचे से निकाल खोलता है और अंदर से रस्सी निकल दोनों लुटेरो के हाथ पैर बांध देता है और बैग को बंद कर अंदर रख देता है उसके बाद आराम से अपनी सीट पे अपने पैर पे पैर रख बैठ जाता है जैसे उसके लिये ये सब कुछ था ही नही


लरकी अंकल अभी भी अभय को हैरानी से आखे फ़ारे देखे जा रहे थे

अभय - उन सब को घूर ऐसे किया देख रहे हो मे इंसान ही हु अभय लुटेरो को देख इनके पास तुम सब का समान है उसे लेलो और बाकी सभी को भी कहो ले जाये अपना जो भी है

लरकी लरकी तो अभय के हिम्मत एक्शन और पेहली बार बोलता देख अभय की आवाज देख उसे कुछ कुछ होने लगता है

अभय की बात सुन जल्दी से जिनका अपना जो था पैसे गेहने सब ले लेते है लरकी भी अपना सब जो था ले लेती है थोरि देर बाद सभी को अपना समान मिल गया था अभय जिस बोगी मे था उस बोगी के सभी को पता चल चुका था अभय के बारे मे और सभी अभय के बारे मे ही बात कर रहे थे

अंकल - अभय को देख बेटा तुमने इतनी आसानी से गन लेस दोनों लोगो को कैसे पकर लिया किया तुम्हे डर नही लग रहा था कही तुम्हे गर्बर् हो जाता तो जो लोग मार देते तुम्हे

अभय - अंकल को देखता है और नॉर्मल खिरकी से बाहर देखते हुवे डर सब को लगता है मुझे भी लेकिन मेने खैर समझ लीजिये मुझसे हो गया बस

अभय की की बात किसी को सही से समझ नही आती है लेकिन किसी के अंदर हिम्मत नही थी सच पूछने की


अंकल - अभय को देख थैंक्स बेटा सब के लिये
अभय - अंकल को देख नॉर्मल तरीके से कोई बात नही
अंकल - अभय को देख अपना एक कार्ड अभय को देते हुवे मेरा नाम है जितेन् रावत जितेन् फिर अपनी बीवी को देख ये है मेरी बीवी सेखा रावत जितेन् बेटे को देख ये है मेरा बेटा बिपिन और लरकी की तरफ देख ये है मेरी बेटी है पायल

अभय कार्ड लेकर देखता है फिर अपनी जेब मे रख देता है


अंकल - अभय को देख बेटा उस कार्ड मे मेरा नंबर है कभी भी मेरी जरूरत परी तो जरूर मुझे फोन करना तुम मुझे बहोत हिम्मत वाले और एक अच्छे लरके लगे बेटा अब कम से कम अपना नाम तो पता दो ताकि हमे पता तो रहे की हमारे समान पैसे और खतरनाक लुटेरो को बहादुरी से पकरे वाला कोन था


अभय - अपनी नजर घुमाते हुवे अभय अभय सिंह नाम है मेरा अभय फिर खिरकी से बाहर खेतो मे काम कर रहे किसानों को देखने लगता है

लरकी - अभय को देख मुस्कुराते हुवे मन मे अभय अभय सिन्हा तुमहारा नाम में कभी भी नही भुलुगी

पायल - अपने पापा को देख पापा इस लुटेरे का किया करेगे
जितेन् - बेटा अब तो सीधा अपने ये ट्रेन अपनी मंजिल के ही जाके रुकेगी तो वही इन दोनों को पुलिस के हवाले कर देगे

पायल - अच्छा समझ गई पायल फिर अभय को देख मन मे थोरा गुस्से मे मुझे थोरा देख लेगा तो किया बिगर जायेगा इसका यहा मेरी जवानी है देखने के लिये लेकिन नही उसे तो बाहर ही देखना है कमीना कुता

( पास्ट 4 साल पेहले )

अभय घर आता है और अंदर जाके चारो तरफ देखता है जब अभय को अदिति कही दिखाई नही देती तो आराम से धीरे से जल्दी से अपने कमरे मे चला जाता है

अभय - अपने कमरे मे आके अपने सीने पे हाथ रख जोर से सासे छोरते हुवे चलो बच गया मे

तभी अचानक अभय के उपर कोई खुद अपना है पीछे से अभय इस हमले से अंजान था अभय सीधा बिस्तर पे गिरता है और अभय के उपर थी अदिति जो गुस्से से अभय को देखे जा रही थी

अभय - अदिति को देख डरते हुवे गुरिया मेने तो तुम्हे देखा था तुम दिखी नही थी लेकिन अचानक तुम कैसे अंदर आ गई
अदिति - अभय को देख शैतानी हसी हस्ते हुवे कियुंकी मे पेहले से ही इस कमरे मे थी भाई
अभय - के पसीने आने लगते है अभय डरते हुवे अदिति को देख लेकिन मेने तो अंदर आते वक़्त कमरे मे तुम्हे नही देखा था

अदिति - मुस्कुराते हुवे अभय को देख मेने आपको आते हुवे देख लिया था और मे पेहले ही आके आपके कमरे के दरवाजे के पीछे छुप गई थी

अभय - अदिति को प्यार से तुम तो मेरी गुरिया हो ना तुम मेरे साथ कुछ नही करोगी ना
अदिति - मुस्कुराते हुवे अभय को देख नही मे भला अपने प्यारे बरे भाई के साथ कुछ कैसे कर सकती हु बस आप ही मेरा मजाक उरा सकते है कियु सही कहा ना

अदिति ये केह अभय के सीने पे मुक्के से मारना सुरु कर देती है अभय दर्द से आह लग गई जोर से अदिति मारना बंद कर के कितना नाटक करते है मेने तो धीरे से ही मारा है अभय अदिति को देख मुस्कुराते हुवे मुझे तू जोर से लगी

तभी आसा जोर से चिला के तुम दोनों का हो गया हो तो आके खाना खा लो आसा खाना लगाते हुवे जब देखो तब दोनों लरते रेहते है

मा की आवाज सुन अदिति अभय के उपर से नीचे उतर अपने कमर पे दोनों हाथ रख एतिटूट मे अपने भाई को देख दुबारा आगर आपने मेरा मजाक उराया तो छोरुगी नही

अभय डरते हुवे ठीक है गुरिया मे समझ गया

आशा खाना निकाल चुकी थी सभी आके बैठ खाना खाने लगते है

अभय मा के पास और अभय के पास अदिति फिर विनय

अभय - मा को देख मुह खोल आह करते हुवे मा मुझे खाना खिलाओ ना

अदिति - अभय की हरकत देख मा खिला दीजिये एक बच्चा आपको प्यार से केह रहा है बेचारा बच्चा खुद से खा भी नही सकता है

अभय - अदिति को घूर के देख गुरिया तुम मेरा मजाक उरा रही हो
अदिति - खाना कहते हुवे मुस्कुरा के सही समझे भाई
अभय - अदिति को देख देख लुगा तुम्हे
अदिति - हस्ते हुवे अभय को देख थोरि देर पेहले किया हुवा था भूल तू नही गये भाई
अभय अदिति तो देख मुह बना के याद है

आसा दोनों को देख तुम दोनों खाना खाते वक़्त तो खाना आराम से खाओ आसा फिर एक निवाला अभय के मुह मे डालते हुवे ले खाले अभय खाना खाते हुवे मा को देख आपके हाथो से खाना खाने के बाद खाने का स्वाद और बढ़ जाता है मा आसा अभय को देख मुस्कुरा देती है
अदिति - खाना खाते हुवे मुह बना के मा का लाडला बच्चा
विनय - अभय को देख सही कहा मा का लाडला ही है

अभय - विनय अदिति को देख हु तो आप लोगो को जलन हो रही है किया
विनय अदिति - खाना खाते हुवे हमे कियु होगी भला

अभय - अपनी मा को देख मुह खोल मा
आसा - मुस्कुराते हुवे एक निवाला अभय के मुह मे दाल देती है औद् अभय को देखते हुवे आज तो मा मा केह मेरे हाथो से बच्चो की तरह खाना खाता है लेकिन जिस जिन तेरी सादी होगी तो बीवी के हाथो से ही खायेगा मा के हाथो का खाना फिर अच्छा नही लगेगा

मा की बात सुन अभय अपनी मा के हाथो को पकर हाथो को चूमते हुवे मा का प्यार मा के हाथो से बने खाने का स्वाद लार दुलार अपने बच्चो के लिये फिकर अपने बच्चो के लिये सब कुछ सेह जाने वाली अपने बच्चो के लिये सब कुछ कर जाने वाली मा होती है और मा का मुकाबला इस दुनिया मे कोई नही कर सकता है मा मा होती है

अभय मा को प्यार से देख इस लिये मेरी दुनिया आप से है और रहेगी मा अगर आगे मेरी सादी होती है तो भी सब से पेहले मेरे लिये मेरी मा आगे रहेगी आपके बिना एक पल जीने के बारे मे सोच भी नही सकता

अभय की बात सुन आसा इमोसनल हो जाती है आसा अभय को अपने सीने से लगाते हुवे मेरे लिये भी तुम सब ही मेरी दुनिया हो आसा के आखो मे आसु आ गये थे अभय के आखो मे भी आसु थे

विनय अदिति भी ये देख इमोसनल हो जाते है और खुश भी


( रात 9 बजे )

एक कमरे मे अभय विनय अदिति तीनों भाई बेहन एक साथ बैठ पढाई करने मे लगे थे जोरों सोरों से कियुंकी तीनों को पता था की उसकी मा किस तरफ से उनको पालती आ रही है इस लिये सभी पढ लिख कर बरा आदमी बन अपनी मा को पूरी दुनिया की खुशी देना चाहते थे

तो वही आसा अपने कमरे मे आखे बंद किये हुवे लेती थी लेकिन सोई हुई नही थी आसा के दोनों पैर उपर उठें फैले हुवे थे उपर से आसा ने चड्डी नही पेहना था तो आसा का सब कुछ साफ दिख रहा था


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बोले तो आसा की फूली मोटी चुत साफ दिख रही थी अगर कोई अंदर आ जाये तो उसको आसा का खजाना जो ऐसे ही बेकार हो रहा था दिख जाता

आसा आखे बंद किये लेती हुई अपने पुराने पल मे चली जाती है

एक कमरे मे आसा अपने पति के ऊपर थी और जोर जोर से अपने पति के लंड की सवारी किये जा रही थी आसा जोस मे थी पूरी


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आसा को पूरा मजा चाहिये था इस लिये खुद अपनी चुत मे लंड जोर जोर से उपर नीचे गांड करते हुवे अपनी पति का लंड चुत की गहराई मे लिये जा रही थी

आसा एक संस्कारी सर्मिलि साफ दिल की औरत जरूर है लेकिन जब पति से प्यार लेने का वक़्त आता था तो पीछे नही हटती थी ना सरमाती थी

सब कुछ सही चल रहा था समय गुजरा आसा एक पेहले बेटे को जन्म दिया जिसका नाम आसा ने विनय रखा दूसरी बार भी आसा मा बनी और दूसरी बार भी आसा ने बेटे को जन्म दिया अभय तीसरी बार लरकी हुई जिसका नाम अदिति रखा गया

आसा बहोत खुश थी तीनों बच्चो को बहोत लाल दुलार से पालने पोसने लगी समय गुजरा विनय 12 साल को हो गया था तो वही अभय 11 अदिति 10 लेकिन यही वो समय था जब उमेस् सब को छोर अपने प्यार के साथ भाग गया

उसके बाद से ही आसा मे अपनी इक्छा जो मार अपना पूरा ध्यान बच्चो के देखभाल और उनके भविस्ये के लिये लगा दिया


आज चार साल हो चुचे है विनय 16 का अभय 15 का अदिति 14

आसा अपने ख्यालो से बहार आती है चेहरे पे दुख साफ दिख रहा था आसा करवट बदल आखे खोल के आप कियु चले गये जब मुझे और हमारे बच्चो को आपकी बहोत जरूरत थी


6 दिन बाद सनिवार् - दोपहर 11 बजे


स्कूल से आने के बाद खाना खाने के बाद विनय अदिति पढाई करने लग जाते है तो वही अभय अपने दोस्तो के साथ खेलने के लिये जाने लगता है आसा अभय को देख लेती है

आसा - अभय के पास आके फिर दोस्तो के पास जा रहे हो जल्दी आ आना

अभय - मा की बात सुन रुक कर पीछे देखता है तो आसा मुस्कुराते हुवे अभय को देखे जा रही थी

अभय मुस्कुराते हुवे आसा के पास जाके गले लगाते हुवे आपको पता ही है मेरी खूबसूरत मा मे जल्दी ही आ जायुगा अभय ये केह अपनी मा के गाल पे किस कर अलग हो जाता है
आसा - अभय के गालो पे किस करते हुवे मे जानती हु लेकिन किया करू तु पास नही रेहता है तो दिल घबराने लगता है

अभय - अपनी मा के हाथो को पकर हस्ते हुवे अरे मा मे मे कुछ देर खेलने की तो जा रहा हु जोकि मे रोज जाता हु फिर समय पे आ जाता हु आप को जानती ही है

आसा - अभय के सर सहलाते हुवे मुस्कुरा के जानती हु ठीक है जा और जल्दी आ जाना किसी से लराई मत करना
अभय - जाते हुवे मा आपको पता है ना मुझे लराइ करना बिल्कुल पसंद नही लराइ से मे तो दूर रेहता हु आप चिंता मत कीजिये ये केहते हुवे अभय घर से निकल परता है

आसा - अभय के जाते देखती है फिर अपने काम मे लग जाती है

दोपहर 12 बजे

अभय अपने दोस्तो के साथ घर से 10 मिनट की दूरी पे खेतो के बीच बहोत बरा पीपल का पेर था अभय वही छाव के नीचे अपने दोस्तो से बातें कर रहा था थोरि बातें खेलने के बाद अभय घर खेतो से होते हुवे जाने लगता है

अभय खेतो से होकर रोड पे आता है गाव के बीच से एक रास्ता ईट से बनाया गया था अभय उसी रास्ते से घर लौटने लगता है अभय चलते हुवे सरक पे जो छोटे पथर् परे थे उसे पैरो से मारते हुवे चल रहा था

तभी एक वेन आकर अभय के पास रुकती है अभय कुछ समझ कर पाता उससे पेहले एक बंदा तेजी से वेन से निकल अभय के मुह को रुमाल से दबा देता है अभय कुछ कर भी नही पाता और बेहोस हो जाता है एक बंदा वेन मे बैठा था वो जल्दी से दरवाजा खोलता है और दोनों अभय को पकर अंदर ले लेते है अंदर मे एक लरका और भी बेहोस परा था अभय को अंदर लेने के बाद वेन तेजी से आगे निकल परती है



आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏
Very beautiful story nice start
 
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monsterking

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chapter 1

PBA रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म नंबर 2 पे b11 ट्रेन pba स्टेशन से 24 घंटे की सफर कर ssa के लिये निकलने वाली थी अनासमेंट बार बार हो रही थी की pba ट्रेन 10 मिनट मे अपने मजिल् के लिये रवाना होगी कई सारे यात्री तो लेट हो चुके थे जल्दी जल्दी अपने बोगी मे चड रहे थे चारों तरफ सोर सराबा था

लेकिन खिरकी के सीट पे एक लरका जिसने जीन्स सर्ट पेहना था बैठे खिरकी के बाहर देखे जा रहा था लरका बहुत हैंडसम था हाथो मे एक घरी गले मे एक लोकेट था लरके को कोई सोर सराबा सुनाई नही दे रहा था ना ही उसे ये पता था कोन उसके सामने वाली और उसके सीट पे कोन बैठ रहा है कियुंकी लरका बाहर किसी चीजो पे फोकस कर कही खोया हुवा था उस लरके के चेहरे पे खुशी गम दोनों थे लेकिन कोई भी उस लरके के चेहरे को देख बता नही सकता था की वो लरका खुश है या दुखी है

10 मिनट हो चुके थे ट्रेन एक जोर दार होर्रन मार अपने मंजिल की तरफ निकल परती है लरके को अहसास होता है ट्रेन चल परी है फिर भी ना वो अपने आस पास कोन बैठा है देखता है लरका बस बाहर देखे जा रहा था जैसे उनको आस पास किया हो रहा है उससे उसे कोई मतलम ही ना हो लरका अपने होठो को ठोरा खोल बस इतना केहता है धीरे से मा मे आ रहा हु


4 साल पेहले - जब हमारा हीरो 15 साल का था

संडे का दिन था एक कमरे मे अभय आराम से सोया हुवा था बिंदास कमरे मे आसा आती है और अभय को आराम से सोता देख उसके चेहरे पे एक बरी इस्माइल् आ जाती है आसा अभय के पास जाके बालों को गालो को सहलाते हुवे धीरे से प्यार से उठ जा मेरे लाल सुबह हो चुकी है कब तक सोता रहेगा तेरी गुरिया भाई दोनों कब का उठ चुके है

अपनी मा की प्यारी मीठी आवाज जैसे ही अभय के कानों मे जाती है अभय की नींद टूट जाती है अभय अपनी आखे धीरे के खोलता है तो उसके सामने आसा का प्यारा खूबसूरत चेहरा दिखाई देता है अभय अपनी मा को देख प्यार से मा सुबह सुबह जब मे आपकी मीठी आवाजे और आपका प्यारा खूबसूरत चेहरा देखता हु ना तो मेरा पुरा दिन अच्छा जाता है

आसा अभय को प्यार से गालो पे किस करते हुवे मुस्कुराते हुवे अच्छा ऐसा है किया मेरे लाल अभय अंगराई लेते हुवे उठ कर बैठ मा को देखते हुवे हा और आपकी किस्सी जब रोज सुबह मिलती है तो पूरा दिन बन जाता है आसा हस्ते हुवे अभय के गालो पे प्यार से चाता मारते हुवे शैतान लाडला

तभी अंदर मे सबकी लाडली अदिति आती है कमर पे दोनों हाथो को रखे हुवे अभय को देख एक प्यारा सा चेहरा बनाते हुवे भाई जब आप मेरा चेहरा देखते है तो अभय अदिति की तरफ थोरि देर देखता है और फिर अजीब सा चेहरा बनाते हुवे अदिति को देख जब सुबह तेरा चेहरा देखता हु तो पूरा दिन बेकार जाता है

अपने भाई की बात सुनने के बाद अपनी बइजति होने के बाद अदिति रोना सुरु कर देती है अदिति अपने हाथो से आखो को मलते हुवे बच्चो वाली आवाज मे रोते हुवे किया मे इतनी बुरी दिखती हु जो आपने मुझे ऐसा कहा आसा अदिति अभय को देख अपना सर पकर खरी होते हुवे तुम दोनों का ये रोज का नाटक है एक दूसरे मे जान बस्ती है तुम दोनों की लेकिन नाटक करना बंद नही करोगो आसा जाते हुवे मुझे बहोत काम है आसा ये केह चली जाती है

अभय अदिति को देखते हुवे मुस्कुराते हुवे अदिति के पास जाता है अदिति रोना बंद कर अभय को देखती है अभय अदिति के गालो को पकर दबा देता है अदिति के होठ खुल जाते है उसी के साथ अदिति का चेहरा बहोत फनी भी बन जाता है अभय के फनी चेहरे को देखते हुवे गुरिया चेहरा जब सुबह देखता हु ना तो मेरे चेहरे पे पूरे दिन इस्माइल् रेहती है

अदिति अपने भाई को देखती है फिर अपने भाई के हाथो से अपने चेहरे को छुराते हुवे अभय को देख मुह बनाते हुवे अच्छा सची मे आप झुठ तो नही बोल रहे है ना अभय अदिति के गालो पे किस करते हुवे सच्ची मे अब मे जाता हु अभय मुस्कुराते हुवे बाहर निकल आता है

अभय कमरे से बाहर आता है तो विनय रेडी होकर अपने कमरे से बाहर निकल रहा था विनय की नजर अभय पे जाती है विनय अभय के पास आते हुवे कियु रे इतनी देर कोन सोता है और तुम खुद सुबह कियु नही उठते अभय अपने भाई को देख मुस्कुराते हुवे भाई मा की मीठी आवाज सुने बिना मेरी नींद नही टूटती है

तभी अदिति गुस्से से लाल पीली होते हुवे चिलाते हुवे बाहर आते हुवे अभय को देख भाई आज मे आपको नही छोरुगी ये केह अभय के पीछे पर जाती है अभय अदिति को पूरे गुस्से मे देख समझ जाता है और अभय तेजी से घर के बाहर भागते हुवे गुरिया तुम मुझे पकर नही पाओगी बाय बाय गुरिया

अदिति घर के बाहर तक आती है लेकिन देखती है अभय कही दिखाई नही दे रहा है अदिति गुस्से से आपने अच्छा नही किया भाई जायेंगे कहा जब घर आयेगे तो आपको देख लुंगी

अदिति गुस्से मे इस लिये थी जब अदिति आईने के सामने जाके अपने गालो को पकर दबाती है जैसे अभय ने किया था तो अदिति देखती है उसका चेहरा बहोत अजीब फनी बन गया था ये देख अदिति को समझ मे आ जाता है की उसके भाई के केहने का किया मतलम था की उसका चेहरा देख पूरे दिन उसके चेहरे पे इस्माइल् रेहती है बस बेचारी इसी लिये बहोत गुस्सा थी अभय पे

विनय दोनों की नौटंकी देख ये दोनों का पता नही किया होगा आगे आशा विनय के पास आते हुवे जो होगा नेकिन इन दोनों की वजह से ही घर मे चहल पहल रेहती है विनय मा को देख मुस्कुराते हुवे आप ने सही कहा मा विनय फिर घर से बाहर जाते हुवे ठीक है मा खेतो से होकर आता हु आसा अपने कमरे मे जाते हुवे ठीक है बेटा विनय फिर निकल परता है अदिति गुस्से से अंदर आते हुवे देख लुंगी

अब जानते है अभय का घर कैसा है घर की हालत कैसी है

अभय का घर पूरा घास फुस का है चार कमरे है बीच मे बहोत बरा आगन्

एक कमरा आगन् दूसरा कमरा
बाथरूम

चौथा कमरा आगे मैन दरवाजा तीसरा कमरा


अभय खेतो की तरफ जाता है और आते टाइम कुछ दोस्त मिल जाते है तो दोस्तो से बातें भी करने मे लग जाता है

(परजेंट )

तभी वो लरका अपने यादों से बाहर आ जाता है उस लरके को एहसास होता है ट्रेन रुक चुकी है लेकिन फिर भी वो लरका जैसे का तैसा ही रेहता था हा ये लरका ही हमारा हीरो अभय है जो 4 साल बाद अपने घर जा रहा है

अभय के बिल्कुल सामने खिरकी के सीट पे एक बहोत ही खूबसूरत लरकी बैठी हुई थी उस लरकी की नजर सुरु से ही अभय को ही देखे जा रही थी लरकी के मन मे कई सवाल उठ रहे थे अभय को देख कर लरकी के बगल के एक लरका बैठा था और उस लरके के बगल मे अंकल ऑन्टी

लरकी अभय को उपर से नीचे देख मन मे आखिर ये हैंडसम लरका है कोन उसके चेहरे मे खुशी है और गम भी मे सुरु से ही देख रही हु 5 घंटे हो गये है लेकिन फिर भी ये लरका ना हिलता है ना ही आस पास किसी को देख रहा है जैसे इनको किसी से कोई मतलब ही नही है ना ही आस पास किया हो रहा है मुझे तो लगता है इस लरके ने मुझे भी अभी तक नही देखा होगा

लरकी फिर अभय के कमरे बॉडी चेहरे बालों के स्टाइल को देख मन मे कुछ भी कहो ऐसा हैंडसम अच्छे बॉडी वाले लरके को आज तक नही देखा लरकी फिर अपने आप को उपर से नीचे तक देखते हुवे हु मेरे दोनों बड़े बरे है पतली कमर है पीछे का दोनों बम भी बरे है चेहरा भी बहोत खूबसूरत है बोले तो मे भी बहोत खूबसूरत हु लरकी फिर अभय को देख ये लरका जब मुझे देखेगा तो देखता ही रेह जायेगा लरकी फिर मुस्कुराने लगती है ( लरकी अपने मन मे ही कई कहानी बनाये अभय को देखे जा रही थी )

ट्रेन कोई स्टेशन पे नही रुकी थी सिंगनल ना मिलने के कारन बीच मे रुकी हुई थी दोनों साइड खेत और छोटे मोटे जंगल झारीया थी कुछ किसान दूर दूर देखो मे काम करते दिखाई दे रहे थे

अभय की नजर उन किसान मे जाती है तो अभय को अपने गाव की याद जोरों से आने लगती है अभय के चेहरे पे एएम्प्रेसन चेंज होने लगते है जो की लरकी देख देती है लरकी अभय कि नजरो का पीछा कर बाहर देखती है तो पाती है अभय किसान लोगो को खेतो मे काम करते हुवे देख रहा है लरकी अभय को देखते हुवे मन मे लगता है ये लरका किसी गाव से है और उसे अपनी गाव की याद आ रही है लेकिन ये लरका अकेला है कहा गया था कितने समय बाद जा रहा है अपने गाव समझ नहीं आ रहा है मुझे तो ये लरका ही पूरा अजीब लग रहा है

अभय सब से अंजान बाहर किसानों को देखे जा रहा था तभी अभय की नजर अपने पास वाली झरियों पे जाती है जो हिल रही थी तभी उस झारियो से 2 लोग निकलते है दोनों 30 या 32 साल के थे नॉर्मल कपड़े पेहने हुवे अभय अपनी आखे पूरा फोकस कर दोनों कोई उपर से नीचे तक देखता है उनकी हरकत देखने का नजरिया अभय को उन दोनों को देख बुरी फीलिंग आती अभय को कुछ गर्बर् लगता है उन दोनों मे दोनों को देख समझ अभय की आखे फैल जाती है और अभय का सरीर हिलता है लरकी अभय कि हर हरकत को देख रही थी

अभय देखता है दोनों लोग नॉर्मल बाते करते हुवे ट्रेन कि तरफ बढ़ने लगते है अभय ये देख अपना सरीर सीधा करते हुवे सामने देखता है तो अभय को वही लरकी देखाई देती है लरकी भी अभय के पूरे चेहरे को अच्छे से हैरान हो जाती है उसी के साथ अचानक अभय को अपने आप को देखता देख थोरा शर्मा भी रही थी लेकिन उससे सर्म दूर हो जाते है जल्दी ही

अभय लरकी से अपनी नजरे हटा के अपने चारों तरफ पेहली बार नजरे दोराता है अभय अपने बगल मे देखता है तो एक अंकल और उसके बाद ऑन्टी और एक लरका था

लरकी अभय को अपनी तरफ ना देखता देख उसको अपनी बेज़ती मेहसूस होती है लरकी अभय को देख गुस्से मे ये लरका अपने आप को समझता किया है किया मे खूबसूरत हॉट नही हु जो वो मुझे देख नही रहा अरे मेरे पीछे तो कई लरको के लाइन लगे रेहते है जरूर ये लरका मेरे सामने कुल बनने की कोसिस कर रहा है ताकि वो मुझे इम्प्रेस कर सके ( लरकी अपनी कहानी खुद बना रही खुद से बातें भी करने मे लगी थी )


अभय एक बरी अंगराई लेते हुवे अपने सरीर को हिलाते हुवे हल्का करता है तभी सभी को चिलाने की और आवाजे सुनाई देती है दोनों तरफ से जिसे सुन सभी आवाज की तरफ देखने लगते है लेकिन अभय अपनी आखे बंद कर सीट से सत् सो जाता है

दो लोग जिसे अभय ने देखा था वो दोनों ट्रेन के अंदर आके गन से डरा के लोगो से पैसे वसूल रहे थे और लोग डर के मारे अपनी जान बचाने के लिये पैसे जो सब दे रहे थे ( जान है तो जहान है)

लरकी के पास बैठा लरका लरकी से डरते हुवे दीदी ट्रेन मे दो लोग आके लूट पाट कर रहे है और दोनों के हाथो मे गन भी है लरकी ये सुन हैरान और डर भी जाती है लरकी डरते हुवे सीट से उठ जाके धीरे से मुंडी आगे कर देखती है तो दोनों लोग उनके पास जल्दी ही आने वाले थे लरकी डरते हुवे उसकी सीट पे बैठे अंकल ऑन्टी से मा पापा अब हम किया करेगे अंकल पीछे देखते हुवे बेटा तुम अपनी सीट पे बैठ जाओ जाके उन लोगो को सिर्फ पैसा चाहिये वो लोग लोगो को नहीं मारेगे अगर सब आराम से सब दे देगे तो लरकी अपनी सीट पे जाके बैठ जाती है और अभय को देख हैरानी से मन मे ट्रेन मे दो लोग आके लूट पाट कर रहे है उनके हाथो मे गन है सभी डरे हुवे है लेकिन इसे देखो जरा कैसे आराम से बैठा हुवा है लरकी अपने बाल जोर जोर से खुजाते हुवे आखिर इस लरके कि प्रॉब्लम किया है

ट्रेन मे दो लोग जो गन दिखा के लूट रहे थे दोनों लोग दोनों तरफ से लोगो को लूटते हुवे आगे बढ़ रहे थे ताकि कोई भी भाग ना पाये आखिर कर एक बंदा अभय के पास आ जाता है

लुटेरा 1 - सभी को गन दिखा मे तुम लोगो के पास जो भी जल्दी जल्दी सब निकाल के मुझे दे दो

लुटेरो ने अंदर आने से पेहले अपने चेहरे पे रुमाल बाँध लिया था

लरकी के पापा जल्दी से पैसे जोकि बहोत ज्यादा थे निकाल के लुटेरे को देते हुवे केहता है ये लो बहोत ज्यादा पैसे है अंकल अपनी बेटी बेटा बीवी को देख ये मेरे बच्चे बीवी है उनके पास कुछ नही है इन लोगो को कुछ मत करो प्लेस

लुटेरा - अंकल से पैसे लेते हुवे चलो ठीक है तुम समझदार हो लगता है तुमने सब पैसे तो दे दिये जोकि बहोत है लेकिन लुटेरा लरकी ऑन्टी को देख इनके गले मे कान नाक मे जो है वो

अंकल - अपनी बीवी बेटी से जल्दी से सब देदो निकाल के

अंकल मन मे जान बहोत कीमती है जैसे भी मे बहोत अमीर हु पैसों की कोई कमी नही है मेरे पास घर पहुच कर इससे मेहगे गेहने खरीद दुगा

ऑन्टी लरकी जल्दी से डरते हुवे नाक नाक गले मे सोने का जो था सब उस लुटेरे को दे देते है

लुटेरा - मुस्कुराते हुवे बहोत अच्छे बहोत अच्छे

लुटेरा फिर अभय के बगल मे जो लोग थे उनकी तरफ देखता है तो पेहले से ही सब के पास जो था निकाल के लुटेरे को दे देते है

लुटेरा - सभी को देख मुस्कुराते हुवे बहोत अच्छे बहोत अच्छे

लुटेरा फिर अभय की तरफ देखता है जो आराम से आखे बंद कर सो रहा था

लुटेरा - अभय को देख इस लरके को पता भी है किया हो रहा है उसके आप पास कुम्भ करण की औलाद लगता है

लरकी - लुटेरे को देख डरते हुवे देखिये उस लरके को छोर दीजिये वैसे भी उसके पास से आपको जायदा कुछ नही मिलेगा वो तो देखने मे गरीब भी लगता है

लुटेरा - लरकी को देख मुस्कुराते हुवे कियु छोर दु ये तुमहारा कुछ लगता है किया वैसे भी हमारा रूल है हम किसी को नही छोरते अमीर हो या गरीब लुटेरा अभय के ऊपर गन तान ओये लरके अपनी आखे खोल कर देख और जल्दी से माल निकाल जो तेरे पास है

अभय अपनी एक आखे खोल लुटेरे को देखता है और लुटेरा जब तक समझ पाता अभय लुटेरे के जिस हाथो मे गन था उस हाथो को पकर तेजी से अपनी तरफ करता है और चार पाच बार तेजी से लुटेरे के सीने पे वार करता है लुटेरे को अपने पास को बचाने का समय भी नही मिलता है ना ही की मुह से कोई आवाज निकल पाती है और लुटेरा बेहोस हो जाता है अभय लुटेरे को पकर आराम से नीचे लेता देता है और गन को लेकर अपने पास रख लेता है

लरकी अंकल जो लोगो ने देखा था सभी पूरी तरह से हैरान अभय को देखे जा रहे थे लेकिन अभय किसी पे ध्यान नही देता है और अपने सर्ट को सही करता है फिर आगे बढ़ पीछे झाक दूसरे लुटेरे को देखता है जो सभी को लूटते हुवे उसी तरफ आ रहा था दूसरे लुटेरे को पता भी नही था उसके साथी के साथ किया हुवा है अभय आराम से एक जगह साइड मे छुप जाता है

जैसे ही दूसरा लुटेरा अभय के पास आता है अभय पेहले उस लुटेरे के हाथो पे वार करता है गन नीचे गिर जाती है लुटेरा अपने हाथ को पकरे दर्द मे अभय को देखता है लेकिन अभय बिना टाइम बर्बाद किये लुटेरे के सीने पे जोर का मुक्का मारता है लुटेरा दर्द मे चिलाते हुवे नीचे बैठ जाता है अभय गन उठा लेता है फिर उस लुटेरे को पकर सीने पे मार उसे भी बेहोस कर देता है और उस लुटेरे को अपने सीट के पास लाके पेहले लुटेरे के पास लेता देता है

उस अभय के पास वाले सभी अभय को आखे फार देख रहे थे लेकिन अभय अपने काम मे लगा हुवा था अभय अपना बैग नीचे से निकाल खोलता है और अंदर से रस्सी निकल दोनों लुटेरो के हाथ पैर बांध देता है और बैग को बंद कर अंदर रख देता है उसके बाद आराम से अपनी सीट पे अपने पैर पे पैर रख बैठ जाता है जैसे उसके लिये ये सब कुछ था ही नही


लरकी अंकल अभी भी अभय को हैरानी से आखे फ़ारे देखे जा रहे थे

अभय - उन सब को घूर ऐसे किया देख रहे हो मे इंसान ही हु अभय लुटेरो को देख इनके पास तुम सब का समान है उसे लेलो और बाकी सभी को भी कहो ले जाये अपना जो भी है

लरकी लरकी तो अभय के हिम्मत एक्शन और पेहली बार बोलता देख अभय की आवाज देख उसे कुछ कुछ होने लगता है

अभय की बात सुन जल्दी से जिनका अपना जो था पैसे गेहने सब ले लेते है लरकी भी अपना सब जो था ले लेती है थोरि देर बाद सभी को अपना समान मिल गया था अभय जिस बोगी मे था उस बोगी के सभी को पता चल चुका था अभय के बारे मे और सभी अभय के बारे मे ही बात कर रहे थे

अंकल - अभय को देख बेटा तुमने इतनी आसानी से गन लेस दोनों लोगो को कैसे पकर लिया किया तुम्हे डर नही लग रहा था कही तुम्हे गर्बर् हो जाता तो जो लोग मार देते तुम्हे

अभय - अंकल को देखता है और नॉर्मल खिरकी से बाहर देखते हुवे डर सब को लगता है मुझे भी लेकिन मेने खैर समझ लीजिये मुझसे हो गया बस

अभय की की बात किसी को सही से समझ नही आती है लेकिन किसी के अंदर हिम्मत नही थी सच पूछने की


अंकल - अभय को देख थैंक्स बेटा सब के लिये
अभय - अंकल को देख नॉर्मल तरीके से कोई बात नही
अंकल - अभय को देख अपना एक कार्ड अभय को देते हुवे मेरा नाम है जितेन् रावत जितेन् फिर अपनी बीवी को देख ये है मेरी बीवी सेखा रावत जितेन् बेटे को देख ये है मेरा बेटा बिपिन और लरकी की तरफ देख ये है मेरी बेटी है पायल

अभय कार्ड लेकर देखता है फिर अपनी जेब मे रख देता है


अंकल - अभय को देख बेटा उस कार्ड मे मेरा नंबर है कभी भी मेरी जरूरत परी तो जरूर मुझे फोन करना तुम मुझे बहोत हिम्मत वाले और एक अच्छे लरके लगे बेटा अब कम से कम अपना नाम तो पता दो ताकि हमे पता तो रहे की हमारे समान पैसे और खतरनाक लुटेरो को बहादुरी से पकरे वाला कोन था


अभय - अपनी नजर घुमाते हुवे अभय अभय सिंह नाम है मेरा अभय फिर खिरकी से बाहर खेतो मे काम कर रहे किसानों को देखने लगता है

लरकी - अभय को देख मुस्कुराते हुवे मन मे अभय अभय सिन्हा तुमहारा नाम में कभी भी नही भुलुगी

पायल - अपने पापा को देख पापा इस लुटेरे का किया करेगे
जितेन् - बेटा अब तो सीधा अपने ये ट्रेन अपनी मंजिल के ही जाके रुकेगी तो वही इन दोनों को पुलिस के हवाले कर देगे

पायल - अच्छा समझ गई पायल फिर अभय को देख मन मे थोरा गुस्से मे मुझे थोरा देख लेगा तो किया बिगर जायेगा इसका यहा मेरी जवानी है देखने के लिये लेकिन नही उसे तो बाहर ही देखना है कमीना कुता

( पास्ट 4 साल पेहले )

अभय घर आता है और अंदर जाके चारो तरफ देखता है जब अभय को अदिति कही दिखाई नही देती तो आराम से धीरे से जल्दी से अपने कमरे मे चला जाता है

अभय - अपने कमरे मे आके अपने सीने पे हाथ रख जोर से सासे छोरते हुवे चलो बच गया मे

तभी अचानक अभय के उपर कोई खुद अपना है पीछे से अभय इस हमले से अंजान था अभय सीधा बिस्तर पे गिरता है और अभय के उपर थी अदिति जो गुस्से से अभय को देखे जा रही थी

अभय - अदिति को देख डरते हुवे गुरिया मेने तो तुम्हे देखा था तुम दिखी नही थी लेकिन अचानक तुम कैसे अंदर आ गई
अदिति - अभय को देख शैतानी हसी हस्ते हुवे कियुंकी मे पेहले से ही इस कमरे मे थी भाई
अभय - के पसीने आने लगते है अभय डरते हुवे अदिति को देख लेकिन मेने तो अंदर आते वक़्त कमरे मे तुम्हे नही देखा था

अदिति - मुस्कुराते हुवे अभय को देख मेने आपको आते हुवे देख लिया था और मे पेहले ही आके आपके कमरे के दरवाजे के पीछे छुप गई थी

अभय - अदिति को प्यार से तुम तो मेरी गुरिया हो ना तुम मेरे साथ कुछ नही करोगी ना
अदिति - मुस्कुराते हुवे अभय को देख नही मे भला अपने प्यारे बरे भाई के साथ कुछ कैसे कर सकती हु बस आप ही मेरा मजाक उरा सकते है कियु सही कहा ना

अदिति ये केह अभय के सीने पे मुक्के से मारना सुरु कर देती है अभय दर्द से आह लग गई जोर से अदिति मारना बंद कर के कितना नाटक करते है मेने तो धीरे से ही मारा है अभय अदिति को देख मुस्कुराते हुवे मुझे तू जोर से लगी

तभी आसा जोर से चिला के तुम दोनों का हो गया हो तो आके खाना खा लो आसा खाना लगाते हुवे जब देखो तब दोनों लरते रेहते है

मा की आवाज सुन अदिति अभय के उपर से नीचे उतर अपने कमर पे दोनों हाथ रख एतिटूट मे अपने भाई को देख दुबारा आगर आपने मेरा मजाक उराया तो छोरुगी नही

अभय डरते हुवे ठीक है गुरिया मे समझ गया

आशा खाना निकाल चुकी थी सभी आके बैठ खाना खाने लगते है

अभय मा के पास और अभय के पास अदिति फिर विनय

अभय - मा को देख मुह खोल आह करते हुवे मा मुझे खाना खिलाओ ना

अदिति - अभय की हरकत देख मा खिला दीजिये एक बच्चा आपको प्यार से केह रहा है बेचारा बच्चा खुद से खा भी नही सकता है

अभय - अदिति को घूर के देख गुरिया तुम मेरा मजाक उरा रही हो
अदिति - खाना कहते हुवे मुस्कुरा के सही समझे भाई
अभय - अदिति को देख देख लुगा तुम्हे
अदिति - हस्ते हुवे अभय को देख थोरि देर पेहले किया हुवा था भूल तू नही गये भाई
अभय अदिति तो देख मुह बना के याद है

आसा दोनों को देख तुम दोनों खाना खाते वक़्त तो खाना आराम से खाओ आसा फिर एक निवाला अभय के मुह मे डालते हुवे ले खाले अभय खाना खाते हुवे मा को देख आपके हाथो से खाना खाने के बाद खाने का स्वाद और बढ़ जाता है मा आसा अभय को देख मुस्कुरा देती है
अदिति - खाना खाते हुवे मुह बना के मा का लाडला बच्चा
विनय - अभय को देख सही कहा मा का लाडला ही है

अभय - विनय अदिति को देख हु तो आप लोगो को जलन हो रही है किया
विनय अदिति - खाना खाते हुवे हमे कियु होगी भला

अभय - अपनी मा को देख मुह खोल मा
आसा - मुस्कुराते हुवे एक निवाला अभय के मुह मे दाल देती है औद् अभय को देखते हुवे आज तो मा मा केह मेरे हाथो से बच्चो की तरह खाना खाता है लेकिन जिस जिन तेरी सादी होगी तो बीवी के हाथो से ही खायेगा मा के हाथो का खाना फिर अच्छा नही लगेगा

मा की बात सुन अभय अपनी मा के हाथो को पकर हाथो को चूमते हुवे मा का प्यार मा के हाथो से बने खाने का स्वाद लार दुलार अपने बच्चो के लिये फिकर अपने बच्चो के लिये सब कुछ सेह जाने वाली अपने बच्चो के लिये सब कुछ कर जाने वाली मा होती है और मा का मुकाबला इस दुनिया मे कोई नही कर सकता है मा मा होती है

अभय मा को प्यार से देख इस लिये मेरी दुनिया आप से है और रहेगी मा अगर आगे मेरी सादी होती है तो भी सब से पेहले मेरे लिये मेरी मा आगे रहेगी आपके बिना एक पल जीने के बारे मे सोच भी नही सकता

अभय की बात सुन आसा इमोसनल हो जाती है आसा अभय को अपने सीने से लगाते हुवे मेरे लिये भी तुम सब ही मेरी दुनिया हो आसा के आखो मे आसु आ गये थे अभय के आखो मे भी आसु थे

विनय अदिति भी ये देख इमोसनल हो जाते है और खुश भी


( रात 9 बजे )

एक कमरे मे अभय विनय अदिति तीनों भाई बेहन एक साथ बैठ पढाई करने मे लगे थे जोरों सोरों से कियुंकी तीनों को पता था की उसकी मा किस तरफ से उनको पालती आ रही है इस लिये सभी पढ लिख कर बरा आदमी बन अपनी मा को पूरी दुनिया की खुशी देना चाहते थे

तो वही आसा अपने कमरे मे आखे बंद किये हुवे लेती थी लेकिन सोई हुई नही थी आसा के दोनों पैर उपर उठें फैले हुवे थे उपर से आसा ने चड्डी नही पेहना था तो आसा का सब कुछ साफ दिख रहा था


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बोले तो आसा की फूली मोटी चुत साफ दिख रही थी अगर कोई अंदर आ जाये तो उसको आसा का खजाना जो ऐसे ही बेकार हो रहा था दिख जाता

आसा आखे बंद किये लेती हुई अपने पुराने पल मे चली जाती है

एक कमरे मे आसा अपने पति के ऊपर थी और जोर जोर से अपने पति के लंड की सवारी किये जा रही थी आसा जोस मे थी पूरी


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आसा को पूरा मजा चाहिये था इस लिये खुद अपनी चुत मे लंड जोर जोर से उपर नीचे गांड करते हुवे अपनी पति का लंड चुत की गहराई मे लिये जा रही थी

आसा एक संस्कारी सर्मिलि साफ दिल की औरत जरूर है लेकिन जब पति से प्यार लेने का वक़्त आता था तो पीछे नही हटती थी ना सरमाती थी

सब कुछ सही चल रहा था समय गुजरा आसा एक पेहले बेटे को जन्म दिया जिसका नाम आसा ने विनय रखा दूसरी बार भी आसा मा बनी और दूसरी बार भी आसा ने बेटे को जन्म दिया अभय तीसरी बार लरकी हुई जिसका नाम अदिति रखा गया

आसा बहोत खुश थी तीनों बच्चो को बहोत लाल दुलार से पालने पोसने लगी समय गुजरा विनय 12 साल को हो गया था तो वही अभय 11 अदिति 10 लेकिन यही वो समय था जब उमेस् सब को छोर अपने प्यार के साथ भाग गया

उसके बाद से ही आसा मे अपनी इक्छा जो मार अपना पूरा ध्यान बच्चो के देखभाल और उनके भविस्ये के लिये लगा दिया


आज चार साल हो चुचे है विनय 16 का अभय 15 का अदिति 14

आसा अपने ख्यालो से बहार आती है चेहरे पे दुख साफ दिख रहा था आसा करवट बदल आखे खोल के आप कियु चले गये जब मुझे और हमारे बच्चो को आपकी बहोत जरूरत थी


6 दिन बाद सनिवार् - दोपहर 11 बजे


स्कूल से आने के बाद खाना खाने के बाद विनय अदिति पढाई करने लग जाते है तो वही अभय अपने दोस्तो के साथ खेलने के लिये जाने लगता है आसा अभय को देख लेती है

आसा - अभय के पास आके फिर दोस्तो के पास जा रहे हो जल्दी आ आना

अभय - मा की बात सुन रुक कर पीछे देखता है तो आसा मुस्कुराते हुवे अभय को देखे जा रही थी

अभय मुस्कुराते हुवे आसा के पास जाके गले लगाते हुवे आपको पता ही है मेरी खूबसूरत मा मे जल्दी ही आ जायुगा अभय ये केह अपनी मा के गाल पे किस कर अलग हो जाता है
आसा - अभय के गालो पे किस करते हुवे मे जानती हु लेकिन किया करू तु पास नही रेहता है तो दिल घबराने लगता है

अभय - अपनी मा के हाथो को पकर हस्ते हुवे अरे मा मे मे कुछ देर खेलने की तो जा रहा हु जोकि मे रोज जाता हु फिर समय पे आ जाता हु आप को जानती ही है

आसा - अभय के सर सहलाते हुवे मुस्कुरा के जानती हु ठीक है जा और जल्दी आ जाना किसी से लराई मत करना
अभय - जाते हुवे मा आपको पता है ना मुझे लराइ करना बिल्कुल पसंद नही लराइ से मे तो दूर रेहता हु आप चिंता मत कीजिये ये केहते हुवे अभय घर से निकल परता है

आसा - अभय के जाते देखती है फिर अपने काम मे लग जाती है

दोपहर 12 बजे

अभय अपने दोस्तो के साथ घर से 10 मिनट की दूरी पे खेतो के बीच बहोत बरा पीपल का पेर था अभय वही छाव के नीचे अपने दोस्तो से बातें कर रहा था थोरि बातें खेलने के बाद अभय घर खेतो से होते हुवे जाने लगता है

अभय खेतो से होकर रोड पे आता है गाव के बीच से एक रास्ता ईट से बनाया गया था अभय उसी रास्ते से घर लौटने लगता है अभय चलते हुवे सरक पे जो छोटे पथर् परे थे उसे पैरो से मारते हुवे चल रहा था

तभी एक वेन आकर अभय के पास रुकती है अभय कुछ समझ कर पाता उससे पेहले एक बंदा तेजी से वेन से निकल अभय के मुह को रुमाल से दबा देता है अभय कुछ कर भी नही पाता और बेहोस हो जाता है एक बंदा वेन मे बैठा था वो जल्दी से दरवाजा खोलता है और दोनों अभय को पकर अंदर ले लेते है अंदर मे एक लरका और भी बेहोस परा था अभय को अंदर लेने के बाद वेन तेजी से आगे निकल परती है



आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏
Very beautiful story nice start
chapter 2

साम 7 बजे

ट्रेन तेजी से अपनी मंजिल की तरफ जा रही थी अभय अभी भी अपनी यादों मे खोया हुवा था पायल अभी भी अभय को ही देखे जा रही थी पायल का भाई को भी पता था उसकी बेहन को अभय से प्यार हो गया है

बिपिन अपनी बेहन पायल के कान मे धीरे से दीदी ऐसे ही देखने से काम नही चलेगा कुछ बातें करो नही तो कल सुबह हम अपने मंजिल पे पहोच जायेंगे फिर आप हिलाती रेह जाना

बिपिन ने अपनी बेहन से जो बात कही को सिर्फ लरको को लिये थी ना की लरकी के लिये अपनी भाई की बात सुन समझ पायल गुस्से से बिपिन के कान को पकर मोर के बिपिन को देख तुमने किया कहा बिपिन को एहसास होता है की उससे गलती कर दी है बिपिन पायल को देख रोने वाली सूरत बना के दीदी मे तो नादान बच्चा हु मुह से निकल गया प्लेस माफ कर दो ना

पायल अपने पापा मम्मी को देखती है दोनों बातें करने मे लगे थे पायल इसी का मोक्का उठा के बिपिन के पेट पे दे मारती है बिपिन पेट पकरे दर्द मे मर गया पायल बिपिन को देख आगे से ध्यान देना नही तो टांगे भी तोर दुगी बिपिन पायल को देख दर्द भरी आवाज मे जी दीदी अब तो गलती से भी गलती नही करुगा पायल बिपिन को देख मुस्कुराते हुवे अच्छा है

पायल फिर अभय को मुस्कुराते हुवे देखने लगती है अभय अभी भी सब से अलग खिरकी से बाहर देख अपनी दुनिया मे गुम था

पायल अपनी दोनों मुठी को कस हिम्मत कर अभय को देख कर अभय को पुकारति है अभय

अभय अपनी यादो मे खोया जरूर था लेकिन उसकी नजरे कान बहोत तेज थे पायल की आवाज सुन अभय पायल की तरफ अपनी नजरे कर प्याल को देख किया है

पायल अभय को देख डर और शर्मा भी जाती है पायल मन मे डर मत पायल यही मोका है नही तो बाद मे पता नही हम मिले ना मिले

पायल ये सोच हिम्मत कर के अभय को देख वो वो मुझे ये पूछना था की आप कहा रेहते है पायल मन मे पेहली बार मुझे किसी लरके से पता पूछना पर रहा है और मेरी भी फट रही है अब समझ मे आया लरके कियु लरकियो से बातें करने मे दिल का हाल केहने मे डरते है उनकी कितनी फटती होगी समझ मे आ रहा है
अभय - पायल को देखता है फिर नॉर्मल तरीके से लालपुर गाव मे रेहता हु
पायल - अभय की बात सुन बहोत खुश हो जाती है पायल अभय को देख खुश होते हुवे किया सच्ची मे आप लालपुर के रेहने वाले है

अभय - अजीब चेहरा बना के जैसे पायल उसका दिमाग खा रही हो हा मे लालपुर का रेहने वाला हु फिर अभय खिरकी से बाहर नजारे देखने मे लग जाता है

पायल अभय को अजीब चेहरा बनाते हुवे उसका मुह बन जाता है पायल मन मे कितना भाव खा रहा है साली किस्मत भी मेरी ऐसी है वो लरका मुझे पसंद आया तो मुझपे ध्यान ही नही दे रहा है तभी पायल को किसी के हंसने की आवाज सुनाई देती है पायल देखती है तो बिपिन था जो अपने मुह पे हाथ रखे हसे जा रहा था

पायल अपने भाई को अपने उपर हस्ता देख पायल का गुस्सा आसमान छु जाता है पायल अपने भाई के आखो मे गुस्से से देख मेरे छोटे भाई को इतनी हसी कियु आ रही है

बिपिन - पायल को गुस्से मे देख उसकी फट जाती है बिपिन डरते हुवे कापति आवाज मे वो दीदी मे तो बस ऐसे हि हस रहा था
पायल - बिपिन कि आखो मे देख अपना मुक्का बिपिन को दिखाते हुवे बताता है या
बिपिन - पायल के मुक्के को हाथो से पकर पायल को देख डरते हुवे दीदी दीदी मे ऐसा मत करो बताता हु ना दरसल आप इतनी खूबसूरत हो कई लरके आपके आगे पीछे लगे रेहते थे मेने देखा भी है लेकिन आज बिपिन को फिर हसी आ जाती है बिपिन हसी रोक नही पाता और मुह पे हाथ रख हसने लगता है

पायल - अपने भाई को इस तरह से अपने उपर हस्ता देख और गुस्से से आ जाती है पायल एक जोरदार मुक्का बिपिन के पेट मे दे मारती है

बिपिन कि हसी गायब हो जाती है बिपिन पेट पकर मर गया बिपिन पायल को देख दर्द मे मै आपका छोटा प्यारा भाई हु कोई ढोल नही जब देखो तक मुझे बजाती रहती हो

पायल - अपने बालों को हवा मे उराते हुवे बिपिन को देख मेरे मजे लोगे को ऐसे ही पिटोगे समझ गये मेरे छोटे भाई पायल फिर अभय को देख एक ये है जो अपनी दुनिया मे खोया रेहता है अरे सामने उसके इतनी खूबसूरत हॉट लरकी बैठी है ये ना की देखे मजे ले पता नही कहा खोया है

( पास्ट )

अभय को किड्नेपर् तेजी से वेन से निकल जाते है और आसा विनय अदिति को पता भी नही था अभय के साथ किया हुवा है

आसा अभय के कमरे मे जाती है तो अभय नही था आसा फिर अदिति विनय के पास जाती है अदिति विनय अभी भी पढाई कर रहे थे
अदिति विनय अपनी मा को देखते है अंदर आते हुवे

विनय - आसा को देख किया हुवा मा आप परेसान लग रही हो
आसा - विनय को देख चिंता करते हुवे अदिति विनय को देख वो बेटा मेने अभय के कमरे मे जाके देखा लेकिन अभय अपने कमरे मे नही है मुझे लगा अभय तुम लोगो के साथ होगा लेकिन अभय यहा भी नही है बेटा पता नही कियु मेरा दिल घबरा रहा है अभय हमेसा समय का पक्का है उसे तो अभी तक आ जाना चाहिये था

दरसल अभय 12 बजे निकला था और अभी 2 बज रहे थे सभी को पता था अभय ज्यादा से ज्यादा 1 घंटे मे घर लौट आता है और यही वजह थी की आसा की बात सुन विनय अदिति को भी थोरि टेंसन होने लगती है

विनय खरा होके आसा को देख मा आप चिंता मत करो मे जाके देखता हु हो सकता है अभय को उसके दोस्तो से रोक लिया होगा मे जाकर उसे लेकर आता हु

आसा - विनय को देख परेसान होते हुवे ठीक है बेटा जाके उसे लेके आ जब अभय मुझसे जायदा देर दूर रेहता है तो मुझे घबराहट होने लगती है

विनय - जाते हुवे आप चिंता मत करो मा मे अभी गया और अभी अभय को लेके आया विनय फिर निकल जाता है अभय को लाने

अदिति - आसा के पास जाके अपनी मा को नीचे बैठा के आसा को देख मा तुम बेकार मे चिंता कर रही हो भाई कोई छोटा बचा नही है होगे अपने दोस्तो के साथ बड़े भाई गये है जल्दी ही उन्हें लेके आ जायेंगे

आसा - अदिति को देख तुमने सही कहा लेकिन किया करू अभय को एक घंटे मे एक बार चेहरा नही देखती हु तो दिल बेचैन होने लगता है

अदिति - आसा को सांत करते हुवे समझ गई मेरी मा जब भाई आ जायेंगे तो उसे अपनी पल्लू से बांध कर रख लेना ठीक है

आसा को अदिति की बात पे हसी आ जाती है

आसा - अदिति को हस्ते हुवे तुम भी ना

वही विनय को अच्छे से पता था अभय के दोस्त कोन कोन है और अभय कहा जाता है और अभी कहा होगा इस लिये विनय सीधा खेतो के बीच पीपल के पेर के पास जाके देखता है तो विनय को अभय के दो दोस्त बातें करते हुवे दिखाई देते है लेकिन विनय को अभय दिखाई नही देता

विनय दोनों के पास पहुँचता है दोनों दोस्त विनय को को देखते है

अभय के दोनों दोस्त एक का नाम टीनू दूसरे का नाम लखन

टीनू - विनय को देख अरे विनय भाई आप यहा कैसे
विनय चारों तरफ नजर दोराता है लेकिन कही आस पास विनय को अभय दिखाई नही देता विनय को भी अब अंदर ही अंदर घबराहट होने लगती है

विनय - टीनू को देख अरे मे अभय को बुलाने आया था अभी अभय घर नही आया है

विनय की बात सुन टीनू लखन दोनों हैरानी से विनय को देख किया कहा
विनय दोनों को इतना हैरान होता देख विनय को और घबराहट होने लगती है

विनय - दोनों को देख थोरे चिंता मे तुम दोनों इतने हैरान कियु हुवे
टीनू - विनय को देख भईया इस लिये कियुंकी अभय तो एक घंटे पेहले ही घर के लिये निकल गया था
लखन - विनय को देख हा टीनू सही केह रहा है विनय भईया आप को तो पता ही है अभय अपने टाइम का पक्का है सही समय पे हर चीज करता है अभय आया था और हमने बातें की थोरा खेले फिर अभय अपने टाइम पे घर निकल गया था

दोनों की बात सुन विनय की सासे फूलने लगती है विनय दोनों को देख घबराते हुवे अभय अभी तक घर नही आया है

टीनू लखन जो भी अब अभय की चींता होने लगती है

टीनू - खरा होते हुवे विनय को देख अगर अभय घर नही गया है तो अभी वो है कहा
लखन - खरा होते हुवे कही वो मुकेश या राकेश के घर तो नही गया है ना
विनय - दोनों को देख मुझे नही पता मुझे बहोत घबराहट हो रही है कही अभय को कुछ

टीनू - विनय को देख भईया ऐसी बातें कियु कर रहे है हम है ना आप अभय के बाकी दोस्तो के पास जाके देखो हम दोनों मुकेश राकेश के घर जाके देखते है

विनय - दोनों को देख ठीक है तुम दोनों का सुक्रिया

टीनू लखन विनय भाई अभय हमारा सबसे अच्छा दोस्त है तो उसके लिये हम कुछ भी करेगे फिर टीनू लखन अभय को ढूढने निकल परते है

विनय बाकी अभय के जो दोस्त थे इनके घर की तरफ निकल परता ह
विनय बहोत घबराया हुवा था बहोत टेशन मे था

विनय चलते हुवे मन मे मेरा भाई कभी भी इतनी देर घर से बाहर नही रेहता लेकिन आज 2 घंटे हो गये अभय को घर से निकले मेरे भाई कहा है तू देख मेरा दिल घबरा रहा है अगर तु मजाक कर रहा है हमसे लुका छुपी खेल रहा है तो ऐसा मत कर मेरे भाई घर आजा


( 30 मिनट बाद) अभय के घर पे

30 मिनट को चुके थे आसा की नजर बार बार दरवाजे की तरफ जा रही थी आसा इस उमीद मे बैठी बार बार दरवाजे की तरफ देख रही थी की विनय अभय को लेके आया की नही लेकिन ना विनय आया था ना अभय

आसा की चिंता बेचैनी घबराहट और बढ़ जाती है आसा के मन मे ना चाहते हुवे भी बुरे बुरे ख्याल आने लगते है

आसा - बेचैनी से अदिति को देख अदिति बेटा अभी तक विनय अभय को लेकर कियु नही आया है

अदिति अपनी मा की बातो को सुन अपनी मा को सांत करते हुवे दिलासा देते हुवे

अदिति - अरे मा मुझे लगता है विनय भाई अभय भाई दोनों बातें करते हुवे आ रहे होगे बस दोनों थोरि देर मे आ जायेंगे आप बेकार मे ही चिंता कर रही है

आसा - अदिति को देख किया करू बेटी दिल नही मान रहा

( 1 घंटे बाद )

विनय पुरे बेचैन घबराते हुवे अपने घर के पास पहुचता है तो देखता है उसकी मा बेहन दरवाजे के पास ही बाहर बैठे दोनों का इंतज़ार कर रही है

विनय - अपनी मा बेहन को देख नजरे नीचे किये हुवे घबराते हुवे मन मे मेने हर जगह अभय को ढूढ़ लिया लेकिन अभय मुझे कही भी नही मिला अब मे मा बेहन को किया जवाब दुगा कहा हे मेरे भाई प्लेस आजा देख तेरे इंतज़ार मे सब का किया हाल हो रखा है प्लेस उपर वाले मेरे भाई को कुछ नही हुवा हो उसे जल्दी घर भेज देना प्लेस

आसा अदिति दोनों की नजर विनय पे जाती है लेकिन दोनों विनय को अकेला आता देख फिर दोनों की बैचैनी बढ़ जाती है

विनय हतास उदास दुखी अपनी मा बेहन के पास जाके खरा हो जाता है

आसा - विनय को देख घबराते हुवे बेचैनी से विनय को देख बेटा तु अकेला आया है अभय कहा है आसा आस पास बेचैनी से अभय को ढूढने लगती है

अदिति - भी घबराते हुवे बेचैनी से भाई मा ने कुछ पूछा है भाई कहा है बोलिये ना मेरा जी बहोत घबरा रहा है प्लेस भाई

विनय - नजरे उपर कर अपनी मा बेहन को देख माफ करना मा चोटकी मेने हर जगह अभय को दुधा लेकिन अभय मुझे कही नही मिला

विनय की बात सुन आसा अदिति दोनों की एक पल के लिये सासे दिल की धारकन रुक जाती है

आसा विनय के पास जाके विनय के दोनों कंधे को पकर विनय को देख कापते होठो से तुमने क्या कहा फिर से बोल विनय अपनी मा को रोने वाले चेहरे के साथ मा मुझे अभय कही नही मिला

तभी सरक पे एक औरत भागते गिरते रोते हुवे चिलाते हुवे अपने बेटे को आवाज लगा के पुकार रही होती है अपने बेटे को ढूढ़ रही होती है

औरत की आवाज सुन आसा विनय अदिति तीनों उस औरत की तरफ देखते है औरत भागते हुवे चिलाते हुवे मेरे लाल कहा है तू देख बाहर आजा मुझे इतना कियु सताता है ये केहते हुवे औरत फिर नीचे आसा के सामने ही गिर परती है

औरत को घुटने पे चोट भी गई थी लेकिन उसे दर्द की परवाह नही थी उसे अपने बेटे को ढूधना था

आसा को रहा नही जाता है आसा औरत के पास जाके उस औरत को उठाते हुवे दीदी हुवा किया है किया आप अपने बेटे को ढूध रही है

औरत आसा के उमर की ही थी औरत का पूरा चेहरा आसु से भरा हुवा था

औरत - आसा को देख रोते हुवे मेरा लाल घर से बाहर केह कर गया था वो अपने दोस्तो के पास जा रहा है लेकिन 4 घंटे हो गये अभी तक घर नही लोटा है मेने अपने बेटे के सभी दोस्तो के घर जाके देखा पूछा लेकिन सभी केह रहे वो तो बहोत पेहले ही घर चला गया था लेकिन मेरा बेटा तो घर आया ही नही है

बस यही सुनना था की आसा की बची हुई हिम्मत जवाब दे जाती है आसा को चक्कर आने लगते है आसा नीचे गिरने लगती है तभी विनय ये देख चिलाते हुवे मा और जल्दी से जाके विनय मा को पकर लेता है आसा नीचे गिरने से बच जाती है लेकिन आसा बेहोस हो चुकी थी

औरत जो रो रही थी वो ये सब देख हैरान होते हुवे आसु वाले चेहरे से विनय को देख बेटा तुम्हारी मा बेहोस कियु हो गई है कुछ हुवा है किया विनय औरत को देख अंदर चलिये मे सब बताता हु

विनय अदिति को देखता है अदिति तो पथर् बनी खरी थी विनय अदिति को आवाज देते हुवे अदिति अदिति होस मे आयो मेरी मदद करो मा को अंदर ले जाने मे

विनय की बात सुन अदिति होस मे आती है और आखो मे आसु लिये जल्दी से जाके अपनी मा को पकर लेती है फिर दोनों मिलकर आसा को कमरे मे लाके बिस्तर पे सुला देते है फिर विनय पानी लाके आसा के चेहरे पे पानी छीरक्ता है तब जाके आसा होस मे आती है

आसा होस मे आते ही जोर जोर से रोते हुवे मेरा बेटा बेटा बेटा कहा है आसा पागलो की तरह अभय को पुकारने लगती है विनय अदिति दोनों के आखो से आसु नीचे तप तप गिर रहे थे विनय जल्दी से आसा को गले लगा के रोते हुवे सांत होजाओ मा अभी रोने का समय नही है हमे पता लगाना होगा अभय कहा है प्लेस मा आप सांत हो जाइये विनय की बात सुन आसा थोरा सात होती है लेकिन आसु रुकने का नाम नही ले रहे थे

औरत ये सब देख इतना समझ जाती है की यहा भी वही हुवा है तो औरत भी अपना सर पकरे जोर जोर से रोना सुरु कर देती है

विनय औरत को देखते हुवे प्लेस आप भी सांत हो जाइये अभी हमे जल्दी से पुलिस के पास जाना चाहिये विनय की बात सुन आसा औरत सांत हो जाते है उन्हें भी विनय की बात समझ मे आ जाती है


( परजेंट )

रात 10 बजे

ट्रेन मे बैठे सभी यात्री का ये समय खाने पीने का होता है तो कई लोग अपना खाना निकाल खाने मे लगे थे ट्रेन तेजी से अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रही थी

पायल और उनके पापा भाई खाना निकाल रहे थे पायल की मा बिपिन को प्लेट मे खाना देते हुवे जा अभय बेटे को दे दे बिपिन मा को देख ठीक है मा तभी बिपिन के हाथो से प्लेट जायेब हो जाता है और गायेब करने वाली पायल थी

बिपिन पायल को देख मुस्कुराते हुवे वाह दीदी वाह आज पेहली बार देख हु एक लरकी लरके को पटाने मे लगी हुई है लेकिन लरका तो घास दाल ही नही रहा आज पता चला हम लरको को कितनी प्रॉब्लम होती है किसी लरकी से बात की सुरुवात करने मे दिल की बात केहने मे

पायल - बिपिन को गुस्से से देख ज्यादा चपर् चपर् मत कर नही तो तेरी दात् तोर दूंगी
बिपिन - अपने मुह को बचाते हुवे हा हा सच बातें करवी ही होती है
पायल घूर के बिपिन को देखती है तो बिपिन डर के दूसरी तरफ देखने लगता है

पायल - फिर अभय को प्यार से देखते हुवे अभय के पास जाके अभय को देख अभय जी ये लीजिये मा ने आपके लिये खाना दिया है खा लीजिये

पायल की आवाज सुन अभय पायल को देखता है पायल अभय के सामने खरी थी थोरा झुकी हुई थी अभय पायल के चेहरे को देख जब थोरा नीचे देखता है तो अभय को पायल के दो बड़े उजले चुचे झाकते हुवे पायल ये देख मुस्कुराते हुवे अब तो जरूर इसको कुछ कुछ होने लगेगा कोई भी लरका इस से बच नही सकता है लेकिन तभी फिर पायल के अरमा आसु मे बेह जाते है

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दिपु जल्दी से खाने की प्लेट लेते हुवे धीरे से सुक्रिया करते हुवे खाना खाने लगता है पायल का फिर मोय मोय हो जाता है पायल अभय को देख इस मिटी का बना है ये पायल मुह फुला के अपनी सीट पे जाके बैठ जाती है और मुह फुलाये अभय को देखने लगती है

अभय को पता था की अगर वो खाना नही लेता तो सभी उसे जोर जबरदस्ती खाना खिला कर ही मानते इस लिये अभय ने बिना दिमाग पागल किये जल्दी से खाना ले लिया था

अभय एक हाथो से प्लेट पकर दूसरे हाथो से रोटी तोर खाये जा रहा था अभय 4 साल बाद घर का खाना खा रहा था अंदर मे अभय के कई इमोसन जाग रहे थे लेकिन अभय उसे बाहर आने नही देता

पायल मुह फुलाये अभय को देखे जा रही थी ये देख बिपिन खाने की एक प्लेट पायल को देते हुवे दीदी ये लीजिये और खाते हुवे जितना देखना है देखते रहिये पायल बिपिन को देख प्लेट लेते हुवे चल अपना काम कर बिपिन खाना खाते हुवे मेरी तो कोई इज़त ही नही है

अभय खाना खा लेता है तो पायल ये देख अरे और चाहिये तो अभय बीच मे रोकते हुवे पायल को देख नही मेरा हो गया थैंक्स खाना बहोत अच्छा था पायल मुस्कुराते हुवे अभय को देख चलिये आप कुछ तो बोले खाने के बहाने अभय पायल को देखता है फिर अपने उपर वाले सीट पे जाके लेत जाता है पायल अभय को देख अरे यार किया करू मे इसका बिपिन भी खाना खाने को बाद उपर वाले सीट पे जाके लेत जाता है

पायल भी थोरि देर बाद खाना खाके उपर बिपिन के आखो मे गुस्से से देखती है बिपिन पायल को देख हद है यार दीदी बिपिन बेचारा नीचे उतर आता है पायल मुस्कुराते हुवे बिपिन को देख मेरा अच्छा भाई पायल फिर उपर वाली सीट पे अभय की चेहरे की तरफ अपना चेहरा कर लेत जाती है और अभय को देखने लगती है अभय पायल की आखो मे देखता है पायल अभय की आखो मे

अभय - पायल को देख दिल तो कर रहा है यही घोरी बना के इसकी इतनी चुदाई करू की इसकी सारी गर्मी ही निकल जाये हद है यार पीछे ही पर गई है चिपकु कही की

अभय फिर दूसरी तरफ चेहरा कर आखे बंद कर लेता है पायल ये देख थोरा उदास हो जाती है

पायल - फिर मुस्कुराते हुवे कोई बात नही मेरे गाव के बगल वाले गाव मे ही तो रेहता पायल अभय को देख पीछा नही छोरुगी चुड़ैल की तरह पीछे परी रहूगी

पायल ये केह मुस्कुराते हुवे वो भी अपनी आखे बंद कर लेती है

( पास्ट )

( लालपुर पुलिस इस्टेशन )

लालपुर इस्टेशन की इन चार्ज इंस्पेक्टर नीतिका सिन्हा


नीतिका सिन्हा - उमर 35 - साल - इसके दो रूप है वर्दी बिना नीतिका बहोत ही संस्कारी मीठी बातें करने वाली अपने पति बच्चो का ख्याल रखने वाली एक हाउस वाइफ लेकिन वर्दी मे नीतिका कराइम् करने वालो के लिये मौत से कम नही है खास कर रेप मडर करने वालो को के लिये रेप मडर किडनैपिंग जैसे केस मे नीतिका पूरी जान लगा देती है अपनी पूरी इमानदार बहोत ही खूबसूरत हॉट दो बच्चे है

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बेटी - मीका सिन्हा - 16 साल - बेटा - जीत सिन्हा - 15 साल - बाकी आगे जैसे कहानी जायेगी आपको पता चलते जायेगा

विनय अपनी मा बेहन और उस औरत के साथ पुलिस इस्टेशन आती है अंदर जाते ही आसा और वो औरत रोते हुवे पुलिस वालो से गुहार लगाने लगती है

विनय - आसा को पकर मा सांत हो जाओ प्लेस रोने से कुछ नही होगा मुझे भी अपने भाई से बहोत प्यार है लेकिन अभी थोरा सांत रहिये
अदिति का भी बहोत ही बुरा हाल था अदिति बार बार अपने भाई को याद कर आसु बहाये जा रही थी

सोर सारबा सुन नीतिका बाहर आके देखती है तो आसा बाकी सभी को परेसन रोते हुवे बुरी हालत मे पाती है

नीतिका - सभी के पास जाके सभी को देख किया हुवा है आप लोग रो कियु रहे है कुछ हुवा है तो बताये हम है आपकी मदद करने के लिये

आसा - नीतिका के पैर पे गिरते हुवे मैडम मेरे बेटे को कैसे भी ढूढ़ कर वापस ला दीजिये प्लेस वो मेरा जिगर का टुकरा है आसा ये केहते हुवे जोर जोर से रोये जा रही थी

नीतिका - आसा को उठाते हुवे देखिये जो भी अंदर जाके बात करते है लेकिन पेहले आप सांत हो जाइये ठीक है

नीतिका फिर सभी को अंदर लेके जाती है ऑफिस मे फिर सभी को कुर्सी देती है सभी को बैठाती है पानी पीने के लिये देती है जब आसा सब सांत होते है तब नीतिका पूछना सुरु करती है

नीतिका - ठीक है बताइये बात किया है
विनय - मैडम मे बताता हु विनय सुरु से लेकर सब बता देता है
नीतिका - विनय की बात सुन औरत को देख आप सब एक साथ है
औरत - नीतिका को देख नही मेडम
औरत भी अपनी सारी कहानी बता देती है

सभी की बात सुनने के बाद नीतिका सभी को देख ये एक किडनैपिंग है

नीतिका की बात सुन आसा विनय अदिति औरत सब की हालत और बुरी हो जाती है

आसा - नीतिका को देख रोते हुवे मैडम लेकिन मेरे बेटे ने किसी का किया बिगरा है जो कोई मेरे बेटे का किडनैपिंग करेगा हम तो अमीर भी नही है

औरत - नीतिका को देख रोते हुवे सही कहा दीदी ने हम तो गरीब है और मेरा बचा तो अभी 15 साल का होने वाला था

नीतिका - सभी को देख कर बात ये है की हाल ही मे कई केस आये है किडनैपिंग के ये बाकी दूसरे गाव से भी बच्चे को किडनैपिंग किया गया है और मुझे लगता है ये किडनैपिंग कोई पैसे या बदला लेने के लिये नही किया गया है बल्कि कुछ और बात है

कई गाव से 15 या 17 के बच्चे को किडनैपिंग किया गया है वजह तो पता है और जो वजह हो सकती है वो सही है या गलत ये केह नही सकती हमारे उपर के सीनियर दूसरे गाव के इंस्पेक्टर हम सब मिल कर इसका पता लगाने वाले है चिंता मत कीजिये जल्दी ही हम उन किडनैपिंग करने वालो को पकर लेगे बच के जायेंगे कहा फिल्हाल आप लोग अपना नाम पता रिपोर्ट लिखवा दीजिये जैसे ही हमे कुछ पता चलेगा हम बता देगे

आसा औरत रोते हुवे प्लेस मैडम कैसे भी कर के हमारे बच्चो को डुंढ निकालिये

नीतिका - सभी को देख आप सभी चिंता मत कीजिये जमीन आसान एक कर दुगी मे सभी को डुंढने मे

आसा अपना रिपोट लिखवा देती है नाम बता सब

औरत का नाम - मिनिता सिन्हा - उमर 39 - बहोत ही खूबसूरत भरा हवा बदन
पति - भोला सिन्हा - उमर 41 साल -
बेटी कोमल सिन्हा - 19 साल - समझ लो उपर से नीचे तक मा पे गई है
बेटा - विजय सिन्हा - 18 साल - हैंडसम है लेकिन थोरा बेवकूफ भी इसी का किडनैपिंग हुवा है अभय के साथ

( याद रहे ये उमर पर्जेंट का है पास्ट मे सभी की उमर 4 साल घटा दो उतना होगा )

रिपोर्ट लिखवाने के बाद विनय अपनी मा बेहन मिनिता सभी दुखी अपने घर इस उमीद पे आते है की सायद पुलिस वाले इनके बेटे को डुंढ निकालेेंगे


सभी के जाते ही नीतिका अपने सर पे मुक्के से धीरे धीरे मारते हुवे आस पास मे भी बच्चे को किडनैप किया गया है एक साथ मे इतने बच्चे को कियु किया वजह होगी मेरे दिमाग मे तू कई वजह आ रही है लेकिन दिल केह रहा है कुछ और बात है

नीतिका बाहर आके अपने टीम को रेडी कर आ जाती है अभय के घर पुरे गाव मे ये बात फैल गई थी की फलाना के लरके को किडनैप कर लिया गया है बहोत सारे लोग पुलिस वाले किया कर रहे है देखने आये थे

नीतिका क्राइम सीन पे आके कुछ कुलू दुधने की कोसिस करती है ताकि आगे जाच करने मे आसानी हो लेकिन नीतिका को कुछ नही मिलता नीतिका पास पास के लोगो से भी पुचतास करती है लेकिन उसका भी कोई फायेदा नही होता

नीतिका बीच सरक पे खरी होकर चारों तरफ नजर दोराति है जब सामने देखती है आगे तो मैन रोड दिखाई देता है अभय के गाव से ईट की सरक सीधा मैन रोड से जाके मिलती थी नीतिका मैन रोड पे जाके देखती है तो नीतिका को एक cctv केमरा दिखाई देता है

नीतिका - अपने एक साथी से cctv केमरे को देखते हुवे जाव और 12 से 2 बजे के बीच का cctv फोटेग वीडियो निकलवा कर लाओ कोई गारी गुजरी है 12 से 2 के बीच

थोरि देर बाद नीतिका को फोटो वीडियो मिलती है जिसमे साफ साफ 12 से 2 के बीच एक वेन जाते हुवे दिखती है लेकिन उस वेन पे कोई नंबर नही था नीतिका को इतना यकीन हो जाता है इसी वेन मे अभय विजय को किडनैप कर के ले जाया गया है

निकिता - अपनी मुठी कसते हुवे कम से कम कुछ तो मिला सायद इससे हम उन लोगो के पास पहोच पाये

विनय भी वही था सब कुछ देख रहा था आखो मे आसु ते लेकिन वो भी कुछ कर नही सकता था रोने के अलावा

वही अभय को होस आता आ चुका था लेकिन अभय की आखे बंधी थी मुह पे टेप चिपका था हाथ पैर भी बंदे थे गारी तेजी से चल रही थी तो अभय को इतना तो पता चल जाता है की उसे कही ले जाया जा रहा है लेकिन कहा कियु किया करेगे उसके साथ ये सोच अभय डर से कापने लगता है मौत का डर सब को लगता है अभय को भी था अभय को सिर्फ कुछ लोगो की बात करने की आवाज और आस पास कई चलती गारियो की आवाज सुनाई से रही थी


एक एक दिन गुजरने लगते है 10 दिन हो जाते है लेकिन नीतिका को कुछ हाथ नही लगता नही कुछ पता चलता है आसा मिनिका की बची हुई आसा भी टूट कर चूर हो जाती है


आसा की हालत इस 10 दिनों के बहोत खराब हो जाती आसा खाना छोर चुकी थी रोज अभय के याद मे ना सो पाती थी ना खाना खा पाती थी वही हाल विनय अदिति का भी था

अदिति को अपने भाई के साथ बिताये पल याद आते ही जोर जोर से रोना सुरु कर देती थी अदिति भी बहोत खाना सही से ना खाने की वजह से कमजोर होती जा रही थी

विनय घर का बरा लरका था और संझदार भी विनय अपनी मा बेहन की हालत देख दोनों को कसम देखे खाना पीना पे ध्यान देने के लिये केहता है तब जाके आसा अदिति कुछ खाने लगते है

5 दिन बाद आसा की हालत बहोत खराब हो जाती है कमजोरी से विनय जल्दी से आसा को होस्पिटल लेके जाता है 4 दिन अच्छे से इलाज होने के बाद आसा टिक होती है डॉक्टर विनय को अपनी मा के खाने पीने और ज्यादा टेंसन ना लेने के लिये केहता है

विनय मा को लेकर घर आ जाता है साम के 3 बज रहे थे

विनय अपनी मा के पास बैठा था अदिति भी थी

विनय - आसा को देख मा ये किया है हा मे जानता हु आपको अभय के दूर जाने से कितना दर्द मे है में भी अपने भाई को बहोत याद करता हु मेरे मे भी रोज उसकी याद मे रोता हु उसे हर पल याद करता हु लेकिन उसी के साथ अपने उपर ध्यान भी देता हु खाना ना खाने से टेंसन लेने से अभय आ नही जायेगा मा समझिये हम भी है यहा पे मे अदिति हमारे बारे भी तो सोचिये आप ही हार मान जायेगी तो हमारा किया होगा मा

आसा बिस्तर पे दूसरी तरफ चेहरा कर लेत रोये जा रही थी

आसा - विनय की तरफ देख रोते हुवे मुझे अपने लाल की बहोत याद आती है बेटा रोज सुबह मे जाके उसे उठाती थी तो मुझसे केहता था मा आपकी मीठी आवाज सुने बिना मेरी नींद नही टूटती है आपका सुंदर चेहरा देख कर मेरा पुरा दिन अच्छा जाता है लेकिन लेकिन मेरा लाल अब कैसे कैसे वो सुबह उठता होगा कहा है कैसा है मुझे कुछ नही पता मुझे कुछ नही पता ( तु लौट के आजा मेरे लाल ) आसा फिर जोर जोर से रोने लगती है

आसा को रोता देख आसा की बात सुन अदिति विनय भी रोने लग जाते है

अदिति - रोते हुवे भाई आप कहा चले गये भाई अपनी गुरिया को छोर के आप के बिना एक पल जिया नही जाता भाई आप के साथ मस्ती करना आपके साथ लराइ करना बहोत याद आती है भाई प्लेस आ जाओ अपनी गुरिया को ऐसे मत रोलाओ आप मेरी आखो मे एक बूंद आसु नही देख पाते थे ना लेकिन आज आप ही अपनी गुरिया को बहोत रुला रहे हो भाई आजाओ भाई प्लेस कहा है आप आपकी गुरिया आपको पुकार रही है

विनय - आसा अदिति को चुप करवाते हुवे आसा को देख मा अदिति को देखो मुझे देखो अगर आप हिम्मत हार जायेगी तो हमारा किया होगा हम आपके बिना कैसे जियेंगे मा सोचिये कैसे जियेंगे आपके बिन

आसा को विनय की बात समझ मे आती है रोने से सब सही नही हो जायेगा आसा को समझ मे आता है जो चला गया चला गया लेकिन जो पास मे है अगर ऐसे ही करती रही तो उन्हें भी खो देगी

आसा - विनय को देख रोते हुवे ठीक है बेटा मे आज से अच्छे से अपने उपर ध्यान दूंगी तुम लोग भी अपने पढाई पे ध्यान देना ठीक है

विनय अपनी मा की बात सुन राहत मिलती है 5 दिन और गुजर जाती है आसा खाने पे ध्यान और अपने बच्चो यानी विनय अदिति पे ध्यान देने लगती है लेकिन जब कोई नही होता था तो अभय को याद कर जोर जोर से रोने लगती थी

आसा - अकेले कमरे मे बिस्तर पे लेते हुवे मेरे लाल तुझे मे कैसे भूल जाऊ कैसे तेरे बिना आराम से अपनी जिंदगी गुजारु तेरे बिना ये जिंदगी मुझे बहोत भारी लग रही है मेरे लाल तु जहा भी है अगर एक मा की पुकार सुन रहा है तो तुझे लौट के आना होगा अपनी मा के पास

दूर कही एक कमरे मे अभय सोया हुवा था तभी अभय जोर से मा पुकारते हुवे उठ कर बैठ जाता है अभय का चेहरा पसीने से गिला था अभय जोर जोर से सासे लेते हुवे मा मे आऊगा आपके पास लौट कर आपका लाल आपके पास जायेगा चाहे मुझे उसके लिये कुछ भी करना परे बस आप मेरा इंतज़ार कीजिये मा

विजय अभय को देख भाई आप ठीक तो है ना अभय विजय को देख हा मे ठीक हु


आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏
Very beautiful and gorgeous update
 

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chapter 3

अभय किसी एक कमरे मे था और उस कमरे मे चार लोग थे छोटा सा कमरा था और नीचे सभी को सोना परता था

अभय दीवाल से सत् बैठा हुवा था अभय के पास विजय भी था जो अभय के गाव का था यानी मिनिता का बेटा था दोनों साथ बैठे थे अभय के समाने दो लरके जो पेहले से ही थे दोनों एक साथ बैठे थे

अभय विजय को यहा आये हुवे 10 din हो गये थे अभय के सामने दीवार से सटे जो दो लरके थे एक का नाम जीतू दूसरे का नाम जीत था दोनों अभय के गाव से बहोत दूर गाव के थे लेकिन दोनों उमर मे अभय से कुछ महीने बरे थे अभय बैठे दोनों को देख रहा था दोनों अभय को देख रहे थे

अभय - दोनों को देख तुम दोनों को 3 महीने पेहले किड्नैप कर के लाया गया यानी तुम लोग यहा 3 महीने से हो तो तुम दोनों को बहोत कुछ पता होगा हम कहा है हमे कियु यहा किड्नैप कर के लाया गया और हमे ट्रेनिंग कियु दी जा रही है

अभय की बात सुन जीत जीतू एक दूसरे को देखते है और जोर जोर जोर से हसने लगते है

अभय दोनों को अजीब नजरो से देखने लगता है लेकिन विजय को दोनों पे गुस्सा आ जाता है

विजय - दोनों को देख गुस्से से देख अभय भाई ने तुम दोनों से कुछ पूछा है और तुम दोनों उनपे हस रहे हो

जीतू जीत सांत होते हुवे अभय विजय को देख माफ करना

जीतू - अभय को विजय को देख देखो हसी इस लिये हमे आई की जब तुम दोनों यहा आये थे तो 5 दिनों तक तुम दोनों डरे रोते रहे लेकिन आज देखो कैसे मर्द बने बैठे हो बस इसी लिये हसी आ गई

अभय - दीवार से हट आगे झुक दोनों को देख मौत से सब को डर लगता हैं अभय दोनों के आखो मे देख तुम दोनों केह तो ऐसे रहे हो जैसे तुम दोनों तो रोये ही नही होगे तुम दोनों को डर भी नही लगा होगा

अभय की बात सुन जीतू जीत दोनों अपने यादों पे चले जाते जब दोनों को लाया गया था तब दोनों एक महीने तक रोये डरे रहे थे ये याद कर दोनों चुप हो जाते है

अभय दोनों को देख मुस्कुराते हुवे देखो हम एक साथ रहे रहे हैं तो हमे एक टीम बना लेनी चाहिये मे विजय तुम दोनों से दोस्ती का हाथ बढ़ाता हु किया केहते हो हम सब हर मुश्किल मे एक दूसरे का साथ देगे

जीतू जीत एक दूसरे को देखते है फिर दोनों रेडी हो जाते है अभय ने दोनों को दोस्त बना कर चार लोगो की टीम बना ले थी

अभय जीत जीतू विजय चारों एक साथ घेरा बना के बैठे हुवे थे

अभय जीत जीतू से तुम दोनों जितना जानते हो सब बता दो

जीतू - अभय को देख ठीक है मे जितना जनता हु बता देता हु ध्यान से सुनो हम अभी बहोत ही घने जंगल के बीच मे है और इस जंगल मे इंसान का आना बना है दूसरी इस जगह का बॉस का नाम dp devil है लेकिन वो ज्यादा सभी के सामने नही आता और कभी आता भी है तो उसके चेहरे मास्क लगा होता है तीसरी हमे वो लोग मारेगे नही बल्की हमे एक हथियार बना के हमारा इस्त्माल करेगे

अभय ये सुन बहोत हैरान होता है

अभय - हैरानी से जीतू को देख हथियार से तुमहारा केहने का किया मतलम है

जीत - मे बताता हु असल मे dp devil बरे बरे नेता बिजनसमैन को जानता है और किसी भी नेता बिजनसमैन को किसी को मरवाना दमकी देना टांगे तोरना चोरी करना कोई भी काम होता है सभी dp devil को कोन्टेट् करते है और dp devil उनसे पैसे लेकर उनका काम करता है

जीतू - और उस काम को करने के लिये ट्रेंड लोग चाहिये इस लिये dp devil हम जैसे बच्चे को किड्नैप करवा के लाता है और उन बच्चो को ट्रेनिंग दे कर एक असेसन बना देता है

जीत - फिर उन्ही लोगो को ये काम करने के लिये भेजता है देखो हम अभी 15 या 16 के है ट्रेनिंग पुरा करते करते हम adult हो जायेंगे

अभय विजय दोनों की बाते सुन अंदर तक काप् जाते है अभय विजय दोनों एक दूसरे को देखते है

अभय - दोनों को देख यकीन नही होता ऐसा कुछ फिल्मो मे देखा था लेकिन रियल मे हमारी दुनिया मे ऐसा होता कसम से बिस्वास नही हो रहा

विजय - अभय से भाई दुनिया बहोत बरी है इस बरी दुनिया मे कहा किया होता है हम जान नही सकते

अभय - विजय को देख सही कहा अभय जीतू जीत को देख जैसा तुम दोनों ने कहा ऐसा है तो जो लोग ट्रेनिंग पूरी कर उन्हें मिसन पे भेजते है तो वो लोग भाग भी तो सकते है ना एक मिनट मुझे लगता है dp devil इतना बरा क्राइम कर रहा है तो जरूर उसने इसका भी कुछ सोच रखा होगा ऐसे ही किसी को ठोरी ही भेजेगा

जीतू जीत दोनों अभय को मुस्कुराते हुवे देख सच मे तुम होशियार तो हो
जीतू - अभय को देख सही कहा dp devil का अपना खुद का एक लैब है dp devil ने एक ऐसा जेहर बनवाया है जिसका तोर पूरी दुनिया मे किसी के पास नही है सिर्फ dp devil के पास है

जीत - dp devil किसी को जब मिसन पे भेजता है तो उस बंदे के अंदर जेहर और एक चिप ट्रैक करने वाला लगा दिया जाता है जितने दिन का मिसन होता है उस बंदे को उठने दिन के अंदर मिसन पुरा कर के आना होगा देरी की तो जेहर अपना असर देखना सुरु कर देगा और वो मारा जायेगा

जीतू - लेकिन अगर वो सही समय मे वापस आ जाता है तो उसे जेहर का ऐंटीडोत् मिल जाता है

जीत - और जो ट्रैक चिप लगे होते है उसे ट्रैक कर dp devil के लोग हमेसा उनको देखते रेहते है तो कोई चांस नही कोई गलती से भी भागने के बारे मे नही सोचेगा

जीत - ट्रैक चिप तो हम निकाल सकते है लेकिन असली प्रॉब्लम है जेहर उसका हम कुछ नही कर सकते
जीत - अभय को देख अगर तुम भागने के बारे मे सोच रहे हो तो भूल जाओ dp devil ऐसे ही किसी को भागने थोरि देगा जो उसके लिये खतरा बन सकता है

अभय - दोनों को देख यहा एक कातिल के रूप मे उनके लिये कुत्तो की तरह काम करने से अच्छा है मे यहा से भागने की कोसिस करू


( परजेंट )

सुबह हो चुकी थी ट्रेन xxx स्टेशन पे रुकी हुई थी चाय वाले चाय चाय करते हुवे चिला रहे थे तो अभय की नींद टूट जाती है अभय उठ कर बैठ समाने देखता है तो पायल लेती अभय को ही देख रही थी मुस्कुराते हुवे

अभय पायल को देख अजीब चेहरा बनाते हुवे मन मे सुबह सुबह बंदरिया का चेहरा देख लिया चार साल कैद मे रहा तो वहा चैन नही मिलता था बाहर आया तो बंदरिया पीछे पर गई हद है यार


अभय नीचे उतर बाथरूम मे जाता है 5 मिनट बाद बाहर जैसे ही दरवाजा खोल निकलता है तो सामने पायल खरी थी अभय पायल को देख गुस्से से पायल को पकर अंदर बाथरूम मे खिच लेता है और दरवाजा बंद कर पायल को पकर बाथरूम की दीवार पे सता के अपना चेहरा पायल के बिल्कुल सामने लाके पायल की आखो मे देखता है

अभय - पायल को गुस्से से देख मे सुरु से देख रहा हु तुम्हे बार बार मुझे ही घूरते रेहती है अभय नीचे हाथ ले जाके पायल के सीने से होते हुवे नीचे आते हुवे पायल के चुत को पकर लेता है

पायल की एकदम से आह निकल जाती है पायल की सासे रुक जाती है रोये खरे हो जाते है अपनी चुत के किसी के हाथ को फिल कर वो भी अपने राजा के अभय को भी पायल के चुत का उभार मुलायम गुडगूढा बहोत की गरम फिल होता है अभय मन मे साला इसकी चुत तो आग फेक रही है

वही पायल की हालत खराब थी जोर जोर से सासे लिये जा रही थी अभय पायल को देखता है तो पायल के बरे चुचे जोर जोर से सास लेने की वजह से उपर नीचे को रहे थे
पायल - सर्म से लाल अभय को मुस्कुराते हुवे देख मेरे राजा आप तो बहोत तेज निकले सीधा तेरे टांगों के बीच मेरे खजाने पे ही हाथ मार दिया वाह पायल अभय के आखो मे देख वैसे मे और जिसे आपने पकरा है सब आपका ही तो है
अभय - पायल को देख मुस्कुरा रही हो लगता है अभय पायल के चुत को दबाते हुवे तेरी चुत मे बहोत गर्मी है लगता है दिल तो कर रहा है अभी घोरी बना के तेरी सारी गर्मी निकाल हु

पायल - अभय को देख आह करते हुवे पुरे नसिलि आवाज मे अपना चेहरा अभय के पास करते हुवे तो निकाल दो ना मेरे राजा मे भी यही चाहती हु कहे तो मे अभी घोरी बन जाऊ मजा आयेगा ट्रेन के बाथरूम मे

पायल का ये रूप देख अभय की फट जाती है अभय तो सिर्फ पायल को डराना चाहता था अभय कापते होठो से पायल को छोर पीछे हटते हुवे तुम तुम ये कैसी बातें कर रही हो तुम्हे सर्म नही आती

पायल - अभय की तरफ पुरे अदा के साथ बढ़ते हुवे प्यार से अभय को देख सर्म कैसी अपने राजा से प्यार करने मे

अभय पायल को देख ये लरकी पागल है भाग अभय नही तो तेरा कुवारा पन आज ये छिन लेगी अभय जल्दी से दरवाजा खोल भाग जाता है

बेचारा अभय पायल को डराना चाहता था खुद डर कर भाग गया केहते है ना कोई कितना भी बहादुर हु लरकी की सामने उनकी नही चलती

अभय को इस तरह से डर के भागते देख पायल हैरान हो जाती है उसने किया देखा जो लरका सुरु से हमेसा अपना चेहरा टेंस बना के ऐतिटूट मे रेहता था जिसने गन लेस दो डाकू को पकरा वो एक लरकी से डर के भाग गया

पायल ये देख उसके चेहरे पे बरी इस्माइल आ जाती है

पायल मन मे अच्छा तो मेरे राजा की ये कमजोरी है अब तो मेरे राजा तुम्हे कैसे भी पाके रहूगी और मेरी गर्मी तो तुम ही निकालो गे मेरे राजा

पायल फिर नीचे देख अपना हाथ अपनी चुत पे रख सेहलाते हुवे आह करते हुवे बहोत कस के दबा दिया था लेकिन मजा भी बहोत आया पायल अपने नारे खोल अंदर देखती है तो चुत गीली हो चुकी थी


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पायल मुस्कुराते हुवे मेरे राजा के चुने से ही चुत गीली हो गई तो आगे जब मेन काम करेगे तो पायल सर्म से अपने चेहरे को छुपाते हुवे हाय मजा ही मजा आयेगा


( पास्ट् )

2 महीने बाद

अदिति अपने बिस्तर पे लेती अभय को याद करते हुवे आसु बहा रही थी जिस लरकी के चेहरे पे हमेसा मुस्कुराहट रेहती जो हमेसा मस्ती मजाक मे रेहती थी अभय के जाने के बाद अदिति की मुस्कुरात हसी चलचलता सब गायेब हो चुकी थी

विनय घर बरा बेटा और घर का का एकलौटा मर्द था विनय सभी के सामने अपने दर्द को नही देखाता था लेकिन अकेले मे अभय को याद कर रो देता था

वही आसा एक मा थी इस लिये आसा हर पल अभय को याद करती रेहती है कई बार बाहर आके देखती थी की कही अभय लौट के तो नही आ रहा लेकिन ऐसा कुछ नही होता था तो आसा का दिल रो देता था

तीनों एक दूसरे के सामने मजबूत दिखाने की कोसिस करते थे लेकिन अंदर ही अंदर ऐसा था नही


इस्पेक्टर नितिका और कई फोर्स किंडनैपर् को ढूढने मे लगे हुवे थे लेकिन किसी को कोई सुराग तक नही मिलता

नितिका गुस्से से अपने ऑफिस मे बैठी हुई सोचे जा रही थी आगे किया करे कैसे करे ताकि किड्नैपर तक पहुचा जा सके


नितिका के साथ पेहली बार हो रहा था की नितिका किसी केस को सोल् नही कर पा रही थी


साम 9 बजे

अभय विजय जीतू जीत अपने बिस्तर पे थके हारे लेते हुवे थे रोज इनकी ट्रेनिंग बहोत हार्ड होती जा रही थी सभी अपने अपने बिस्तर पे लेते एक दूसरे को देख रहे थे और चारों के बीच अच्छी दोस्ती भी हो गई थी


थोरि देर बाद अभय उठ कर बैठ जाता है अभय को देख तीनों भी अभय के पास आके बैठे जाते है

अभय - तीनों को देख देखो दोस्तो मे यहा एक कातिल बन के पूरी जिंदगी कुत्तो की तरह साला dp devil के लिये काम नही करना चाहता ना ना ही मे किसी बेगुनाह को मारना चाहता हु ये मुझसे नही होगा

जीतू - अभय को देख अभय भाई हम भी ऐसा नही चाहते लेकिन हम कर भी किया सकते है

अभय - तीनों को देख हम यहा से भाग जायेंगे

अभय की बात सुन तीनों हैरानी से अभय को देखने लगते है

जीत - अभय को देख अभय भाई आपको पता है ना हम कहा है किसके कैद मे है यहा कितनी सिक्रोटि है

अभय - तीनों को देख मुझे पता है लेकिन मुझे अपनी मा बेहन भाई के पास जाना है और मे जाके रहुंगा चाहे उसके लिये मुझे कुछ भी करना परे भले ही मे भागते हुवे मर भी गया तो कोई गम नही यहा इस नर्क मे कातिल बन के जीने से अच्छा मर जाना अच्छा है

अभय की बात तीनों को समझ में आती है

विजय - अभय को देख भाई मे भी अपनी मा पापा बेहन के पास जाना चाहता हु मे यहा इस नर्क मे कातिल बन के नही रेहना चाहता चाहता मे आप के साथ हु भले ही भागते हुवे मारा जाऊ चलेगा

विजय की बात सुन जीत जीतू दोनों एक दूसरे को देखते है फिर अभय को देख ठीक है हम भी आपके साथ ही हम भी यहा इस नर्क मे नही रेहना चाहते

अभय तीनों को देख बहोत अच्छे लेकिन एक बार फिर सोच लो एक भी गलती हुई हम मारे जायेंगे मे तुम सब पे जोर नही दे रहा

विजय जीतू जीत हमने सोच लिया हम आपके साथ है

विजय - अभय को देख लेकिन भाई हम यहा से भाग कर जायेंगे कैसे

जीतू जीत - अभय को देख हा कैसे

अभय - तीनों को देख पेहला हमे सारी ट्रेनिंग पूरी करनी होगी फिर जब हम असेसन बन जायेंगे फिर हमे मिसन पे भेजा जाएगा तब हम इस जंगल से बाहर जाने के रास्तो को याद कर लेगे दूसरी हमे सिर्फ जेहर का तोर चाहिये और वो हमे लैब मे मिलेगा चिप तो हम खुद निकाल लेगे

जीत - अभय को देख समझ गया भाई आपकी बात लेकिन मैन् जेहर ही तो है वो सभी को रोक रखा है लेकिन कैसे भी जेहर का तोर हमे मिल जाये तो सच मे हम भाग सकते है

अभय - मुस्कुराते हुवे सभी को देख हा सही कहा हमे बस जेहर का तोर चाहिये फिर हम इंतज़ार करेगे एक ऐसे मिसन का जिसमे हम चारो को एक साथ भेजे जैसे ही हम बाहर जायेंगे भाग जायेंगे

जीतू - सभी को देख हा यही एक रास्ता है उसके अलावा हम बाहर निकल नही सकते सालों ने हर जगह cctv गार्ड लगा रखे है

विजय - सभी को देख लेकिन हम जेहर का तोर लैब से लायेगे कैसे और हमे तो ये भी नही पता की जेहर का तोर कोन सा है

अभय - तीनों को देख ये काम मुझपे छोर दो बहोत बहोत रिस्की है अगर मे जो सोच रहा हु वैसा हुवा तो हम इस जगह से भाग पायेंगे

विजय - और अगर आप ने जो सोचा वैसा नही हुवा तो
अभय - विजय को देख तो सिर्फ मे मारा जाउंगा और किया

जीतू जीत विजय तीनों हैरान और डर भी जाते है

अभय - तीनों को देख देखो रिस्क लेना ही पड़ेगा तुम तीनों ये पता करो की लैब मे कोन रेहता है कोन है जो जेहर और उसका तोर तैयार करता है फिर मुझे बताना

तीनों अभय को देख डरते हुवे ठीक है

( परजेंट )

अभय अपनी सीट पे बैठा बाहर देखते हुवे साली दिख तो रही थी सर्मिलि भोलि भाली लेकिन ये तो बहोत तेज निकली

पायल - भी आके अपनी सीट पे बैठ जाती है और अभय को देखने लगती है अभय जब पायल को देखता है तो पायल मुस्कुराते हुवे अभय को आख मार देती है अभय जल्दी से फिर खिरकी के बाहर देखते हुवे साली चुंबक की तरह पीछे पर गई है

तभी पुलिस आ जाती है है पायल के पापा ने पुलिस बुलाई होती है पुलिस दोनों लुटेरे को पकर के ले जाती है

बिपिन - पायल को मुस्कुराते हुवे अभय को देखते हुवे देख किया बात है दीदी लगता है बाथरूम मे कुछ हुवा है मे देख रहा हु आप बहोत खुश है तो वही अभय जीजा आपसे नजरे नही मिला पा रहे है

पायल - अपने भाई को देख खुश होते हुवे तुमने अभय को किया कहा एक बार फिर बोल ना

बिपिन - पायल को देख अंजान बनते हुवे मेने मेने किया कहा कुछ भी तो नही कहा
पायल बिपिन को गुस्से से देखती है

बिपिन - पायल को गुस्से मे देख डरते हुवे अरे बताता हु आप जल्दी ही गुस्सा हो जाती है बिपिन अभय को देख मेने उनको जीजा कहा

पायल - बिपिन के गाल पे किस करते हुवे तेरे मुह मे घी संकर
बिपिन - अपने गाल को साफ करते हुवे पायल को देख मुझे नही जीजा जी को देना चूमि
पायल - अभय को देख मुस्कुराते हुवे मन मे मेरे राजा के लिये तो मेरी पूरी जवानी है देने के लिये मेरे भाई

( पास्ट् ) 2 साल बाद

विनय 18 का हो गया था अदिति 16 की 2 सालों मे कोई भी अभय को नही भुला था तीनों अकेले अभय को याद कर रोते रेहते थे कोई भी अभय को भूल नही पा रहा था ना कोई अभय को भुलाना चाहता था

नितिका पुलिस वाले सभी आज भी कुछ भी पता नही लगा पाये

3 महीने बाद - रात 9 बजे

खाना खाने के बाद आसा विनय अदिति आगन् मे बैठे हुवे थे

आसा आखो मे आसु लिये मेरा लाल कैसा होगा किया कर रहा होगा मुझे कुछ नही पता मुझे कुछ नही पता किया करू मे कैसे अपने लाल को ढूढ़ कर लाउ

अदिति - रोते हुवे अपनी मा को पकर मा आप रोना बंद कर दीजिये भाई जहा भी होगे मुझे यकीन है वो हमे भी बहोत याद कर रहे होगे दिल केहता है मा मेरा दिल केहता है भाई एक ना एक एक जरूर हमारे पास लौट कर आयेगे

आसा - अदिति की बात सुन अदिति को देख किया तुम सच केह रही हो
अदिति - मा को देख हा मा मे सच केह रही हु

विनय को ऐसा लगता नही था लेकिन विनय पुरे दिल से चाहता था उसका भाई लौट आये

विनय - आसा को देख मा मुझे भी यही लगता है अभय जरूर एक दिन लौट कर आयेगा हमारे पास

आसा को ये सुन थोरि राहत मिलती है

आसा - विनय को देख बेटा तुम अब 18 साल के हो गये हो तुम्हे अब सादी कर लेनी चाहिये

आसा की बात सुन अदिति विनय दोनों हैरान हो जाते है और आसा को देखने लगते है

विनय - मा इतनी जल्दी भी किया है
आसा - विनय को देख बेटा इस घर मे बहु आ जायेगी तो इस सुना परा घर मे रोनक आ जायेगी बात को समझ तेरी सादी के बाद अदिति की भी 18 की हो जायेगी तो उसकी भी सादी करनी पड़ेगी और किसी दिन आसा रोते हुवे अभय मेरा लाल आ गया तो उसके लिये मे खुद बहोत ही खूबसूरत लरकी ढुंढूगी गी

अदिति - विनय के कान मे धीरे से भाई मा सही केह रही है भाभी आ जायेगी तो मा का मन लगा रहेगा आप भी जानते है मा हमारे सामने जायदा नही देखती की वो दुखी है लेकिन हम सच जानते है तो मा के लिये हा कर दीजिये वैसे भी आपको सादी करनी ही है एक ना एक दिन

विनय अदिति की बात सुन अदिति को देखता है फिर आसा को देख ठीक है मा मे तैयार हु लेकिन सादी मे जो कर्च होगा वो पैसा हम कहा से लायेगे

आसा - विनय को देख हमारे पास इतना जमीन है एक तुकरा बेच देगे उसी मे तुम्हारी सादी हो जायेगी

आसा की बात सुन विनय अदिति दोनों एक दूसरे को देखते है

विनय - आसा को देख ठीक है मा आपका जैसा ठीक लगे
आसा - थोरा खुश होते हुवे ठीक है फिर मे आज से ही लरकी धुधना सुरु कर देती हु

( 10 दिन बाद )

आसा बहोत कोसिस करती है कोई लरकी विनय के लिये ढूढ़ने की लेकिन आसा कोई ढुंढ नही पाती है वजह थी आसा घर से बाहर गई नही थी और कोई भी अपनी बेटी किसी अंजान को ऐसे ही नही से देगा

( दूसरे दिन )

दोपहर 12 बजे

विनय अदिति स्कूल गये हुवे थे घर पे अकेली आसा ही थी अपने बिस्तर पे लेती सोचो मे गुम

अभी कोई आता है घर के अंदर और आसा को आवाज देता है आसा कमरे से बाहर आकर देखती है तो सामने आसा का देवर खरा था जिसे देख आसा घबराने लगती है लेकिन ऐसा कियु

दरसल उमेस् का एक भाई भी है ये वही है

उमेस् का छोटा भाई आसा का देवर नाम - दिनेस सिन्हा

असल मे निदेश उमेस् दोनों की लाराइ हुई फिर दोनों भाई अलग हो गये दिनेस का जो हिस्सा था उमेस् ने दिनेस को दे दिया था उसके बाद दिनेस घर छोर अपनी बीवी के साथ थोरि दूर उसका जमीन था पेहले दिनेस एक जमीन बेच उसी पैसे से अपना घर बना कर रेहने लगता है

तब से दोनों भाई का रिस्ता खतम हो चुका था कोई भी एक दूसरे के पास नही जाते है और लाराइ की असली वजह आसा थी हा आसा

दिनेस बहोत ठरकी गिरा हुवा आदमी है और आसा के साथ गंदी बातें करने की कोसिस करता रेहता था देवर समझ आसा इग्नोर करती रही लेकिन एक दिन दिनेस आसा को अकेला पाके पकर लिया था बस आसा को आ गया गुस्सा और आसा मे उमेस् को बता दिया फिर लाराइ हुई दोनों भाई अलग हो गये

यही वजह थी की आसा दिनेस को अपने घर मे देख डर गई थी

दिनेस आसा के पास जाके खरा हो जाता है आसा डरी हुई थी

दिनेस - आसा को हवस भरी नजरो से देख भाभी मेने सुना आप विनय के लिये कोई लरकी ढूढ़ रही है और कोई मिल रही रही है मेरे दोस्त की नजर मे एक लरकी है कहे तो बात चलाउ

आसा को यकीन नही हो रहा था दिनेस की बातो पे आसा नजरे नीचे किये दिनेस को बिना देखे

आसा - आप मेरी मदद कियु कर रहे है बिना वजह
दिनेस - आसा को उपर नीचे तक देखते हुवे बिना वजह उसके बदले आपको मुझे कुछ देना होगा

आसा - दिनेस की बात समझ दिनेस को गुस्से मे देख देवर जी मुझे आपसे कोई मदद नही चाहिये अच्छा होगा आप यहा से चले जाइये नही तो मजबुरन मुझे पुलिस के पास जाना होगा

दिनेस - आसा को देख ठीक है मे समझ गया लेकिन एक बार सोच लीजिये आप अकेली है आपका कोई अपना नही है अरे हा आपकी बेहन तो है लेकिन वो तो अपने पति के साथ मजे से जी रही है तो अब कोई नही बचा मेरे सिवा किया आप विनय को जिंदगी भर कुवारा रखना चाहती है फिर अदिति भी तो है सोच लीजिये मे कोई आपके साथ जोर जबरदस्ती नही करने आया हु

दिनेस की बात सुन आसा सोच मे पर जाती है ये देख दिनेस मुस्कुराने लगता है

दिनेस - मन मे साली मस्त माल है लेकिन हाथ नही लगा सकता जब मुझे पता चला की मेरी प्यारी भाभी अपने बेटे के लिये लरकी ढूढ़ रही है तो मुझे एक मोक्का मिला मेने अपने दोस्त से केह कर एक लरकी दुधने को कहा पता है मे 4 दिन उसके पीछे दोरा उसके उपर पैसे खर्च किये फिर हमे बगल की गाव मे एक लरकी मिली मेने इतना सब फिरी मे नही किया है मेरी प्यारी भाभी

आसा - बहोत सोचने के बाद कापते होठो से दिनेस को बिना देखे मे वो सब नही करने दुगी

दिनेस खुशी से - आसा को देख तो आप ही खुद बता दीजिये

आसा कापते हुवे आप कपड़े के ऊपर से छु सकते है बस इतना ही वो भी जब विनय की सादी हो जाइयेगी उसके बाद


दिनेस मन मे इतना मेहनत पैसे खर्च किये है इतना मिल रहा है ले लेता हु बाद मे फिर मोक्का मिला तो पूरा ले लुंगा

दिनेस - आसा को देख मुस्कुराते हुवे ठीक है भाभी मुझे मंजूर है लेकिन अभी सिर्फ अपने उपर से सारी हटा के देखा देती तो

आसा दिनेस की बात सुन काप् जाती है आखो से आसु आ जाते है आसा कापते हाथो से अपने सीने से सारी हटा कर अपने बरे बरे चुचे जो ब्लाउस मे कैद थे दिनेस को दिखाने लगती है

दिनेस अपने लंड को पकर मसलते हुवे आसा के बरे उजले चुचे देख मन मे यही तो वजह है भाभी आप इस गाव की सब से सुंदर औरत है उपर से नीचे तक कयामत ही कयामत है आप


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आसा जल्दी से सीने पे सारी रखते हुवे मे जा रही हु आसा फिर कमरे मे आके दरवाजा बंद कर लेती है

दिनेस मुस्कुराते हुवे घर की तरफ जाते हुवे मन मे दिल तो कर रहा था अभी पटक के चोद दु लेकिन नही कर सकता साला मुझे जेल जाने का कोई शोक नही है अगर मे बहोत अमीर होता तो कोई बात नही थी

वही आसा बिस्तर पे लेत जोर जोर से रोते हुवे उमेस् अपने पति को याद कर आप कियु हमे छोर के चले गये अगर आप आज यहा होते हो मुझे ये समझ नही करना परता मेरा लाल भी मुझसे दूर चला गया मे किया करू समझ मे नही आ रहा है आसा कुछ देर तक रोती रहती है फिर अपने आसु साफ करते हुवे अपने बच्चो की खुशी के लिये मे कुछ भी सेह लुगी एक बार मेरी बेटी बेटा का घर बस जाये उसके बाद मर भी गई तो कोई गम नही होगा

( 20 दिन बाद )

लरका लरकी के परिवार के बीच बातें हो जाती है दिन भी 5 दिन बाद का तय हो जाता है

आसा ने अपना बेटा खोया था विनय अदिति ने अपना भाई इस लिये तय हुवा सादी नॉर्मल मन्दिर मे करी जायेगी

( लरकी के परिवार को बारे मे जान लेते है )

लरकी बगल वाले गाव तानापुरु की रहनी वाली है

लरकी के घर मे सिर्फ तीन ही है लरकी उसकी एक छोटी बेहन और मा घर की हालत आसा के घर से भी खराब है जायदा जमीन नही है जितना है उसमे मुश्किल से घर चलता है

मा - तारा सिन्हा - उमर 39 साल साल
लरकी का नाम - दिशा सिन्हा - उमर 18 साल
छोटी बेटी - पूजा सिन्हा - उमर 17 - साल

विनय दिशा से कुछ महीने बरा है


( दिन बाद ) रात 9 बजे

दिशा घुघट मे बिस्तर पे बैठी हुई थी कमरे मे अदिति आती है और दिशा के पास बैठते हुवे

अदिति - अपने भाभी को देखते हुवे किया मे अपनी प्यारी भाभी के खूबसूरत चेहरे को देख सकती हु

दिशा -घुघट के अंदर से ही अदिति को देख मुस्कुराते हुवे भला मे अपनी प्यारी ननद को कैसे मना कर सकती हु

अदिति - दिशा को देख उदास होते हुवे लेकिन मेरे पास आपको देने के लिये कुछ नही है अदिति अपनी नजरे नीचे झुका लेती है

दिशा - ये देख अदिति के चेहरे को उपर उठाते हुवे किया मेने आपसे कुछ मागा नही ना मुझे कुछ नही चाहिये मुझे आप जैसी प्यारी ननद मिल गई ये ही मेरे लिये गिफ्ट है अदिति अपना घुघट खुद हटा के अदिति को अपना चेहरा देखा देती है

अदिति - दिशा को देखते हुवे भाभी आप सच मे बहोत बहोत खूबसूरत है मेरे भाई की किस्मत ही खुल गई मुझे भी आप जैसी खूबसूरत भाभी पाके बहोत खुश हु तभी अदिति के आखो मे आसु आ जाते है अदिति रोने लगती है

दिशा अचानक अदिति को रोता देख हैरान हो जाती है तभी दिशा को समझ मे आता है अदिति कियु रोने लग गई वजह थी विनय सादी से पेहले अकेले दिशा से मिलने गया था दो बार विनय दोनों बार जायदा तर अभय के बारे मे ही बात करता था

दिशा - आगे बढ़ अदिति के आसु साफ करते हुवे मत रोइये आप अदिति भाभी केहते हुवे दिशा के गले लग जाती है दिशा अदिति के सर को प्यार से सेहलाते हुवे आपके भाई मेरे पास दो बार मिलने आये थे और वो ज्यादा तर देवर जी के बारे मे ही बात करते थे तो मे तभी समझ गई थी की दोनों भाई मे बहोत प्यार है और आज मेने देख समझ लिया की देवर जी को घर में सभी बहोत बहोत प्यार करते है और उन्हें मिस करते है दिशा अदिति को प्यार से देख सच कहु ननद जी मे भी चाहती थी की मेरा एक प्यारा नटखट देवर हो उनके साथ मे खूब मस्ती मजाक करू उन्हें परेसान करू वो मुझे परेसान करे लेकिन उपर वाले ने मेरे देवर जी को मुझसे से दूर ले गये

दिशा के आखो मे भी आसु आ जाते है दिशा भी बहोत ही अच्छी दिल की लरकी थी और दिशा को किसकी का दर्द देखा नही जाता था

अदिति - अपने आसु साफ करते हुवे दिशा को देख काश अभय भाई यहा होते तो ये हर हसी से गुज रहा होता अदिति दिशा को देख आपको बता है अभय भाई ने भी मुझसे एक दिन कहा था की जब भाभी आयेगी तो मे भाभी के साथ खूब मस्ती करुगा भाभी के हाथो से खाना खाऊगा भाभी के साथ ढेर सारी बातें करुगा ना जाने और किया किया भाई ने मुझसे कहा

अदिति को फिर रोना आ जाता है दिशा भी अदिति की बात सुन दिशा को भी रोना आ जाता है

अदिति - अपने आसु साफ करते हुवे दिशा को देख मे भी ना आज आपकी सुहागरात है और मे यहा किया बात लेके बैठे गई

दिशा - अदिति को देख बिल्कुल नही मुझे भी देवर जी के बारे मे बात कर उनके बारे मे जान के अच्छा लगा काश देवर हमारे पास होते

अदिति - दिशा को देख मुस्कुराते हुवे तो अभय भाई आपको खूब परेसान करते

दिशा - मुस्कुराते हुवे तो मे भी उनको खूब परेसान करती

अदिति - खरी होते हुवे थैंक्स भाभी आप बहोत अच्छी है आपसे बात कर बहोत अच्छा लगा

दिशा - मुस्कुराते हुवे मुझे भी ननद जी
अदिति - दिशा को देख जाते हुवे आपकी सुहागरात अच्छी गुजरे भाभी अदिति ये केह चली जाती है

अदिति- के जाने के बाद दिशा अपना घुघट् फिर सर पे दाल कितना प्यार है सब के बीच आज कल भाई भाई को लरते देखा है लेकिन यहा देवर जी के ना होने पे भी वे अपने भाई को कितना मिस करते है ननद जी भी कितनी मासूम अच्छी दिल की प्यारी है उनको देख साफ पता चल रहा था ननद जी देवर जी से बहोत प्यार करती है सासु मा भी कितनी अच्छी ये घर नही स्वर्ग है काश देवर जी आप यहा होते

दिशा उपर वाले से विनती करते हुवे प्लेस उपर वाले देवर जी को हमारे पास भेज दीजिये

आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏
Bahut mast update likha hai
 
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