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Incest तू लौट के आजा मेरे लाल

ajay bhai

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chapter 79

शोभा घर )

शोभा बिस्तर पे नाइटी पहन बैठी थी पास मे रीता रेखा भी बैठी थी

रीता शोभा को देख -मा ये तो गलत हो रहा है हमारे साथ.
शोभा रीता को देख - अब तेरे साथ क्या गलत हो रहा है
रीता मुह बना के - पापा सब के साथ पिकनिक पे मजे कर रहे है और हम यहा घर पे परे हुवे है

रेखा - और नही तो क्या ये गलत ही तो है हमे भी मजे करने है
शोभा हैरान दोनो को देख - अच्छा तो ये बात है हु गलत तो है लेकिन हम उनसे बहोत दूर है लेकिन जब हम साथ होगे उन्होंने खा है हम सब को लेके जायेंगे घुमाने

रीता - मा पापा की याद आ रही है
रेखा - मा मुझे भी
शोभा दोनो को देख मन मे - कुछ दिन के लिये आये थे लेकिन हमारे दिल मे वो जगह बना के चले गये की उनके बिना मेरा भी दिल नही लग रहा मुझे भी उनकी बहोत याद आ रही है

शोभा दोनो को देख - मेरी बच्ची तेरे पापा ने क्या कहा अभी का समय सही नही है लेकिन सारा मामला सही होते ही आयेगे और हमे लेके जायेंगे तब तक सांत रहो

रीता रेखा थोरा दुखी मन से - हु

शोभा रीता को देख - तेरे पापा ने वो लरका तेरे लिये ढूंढा कैसा है
रीता शर्मा के - बहोत अच्छे है
रेखा - पापा ने तेरे लिये चुना है अच्छा तो होगा ही
शोभा मुस्कुराते हुवे -सही

थोरि देर बात करने के बाद रेखा रीता अपने कमरे मे आ जाते है शोभा बिस्तर पे लेत अपने बदल को देख - फिर कब मे आपके साथ सो पाऊँगी आपकी बाहों मे

राज रेखा के कमरे मे आता है रेखा राज को देख मन मे - भाई
राज रेखा के पास बैठ के - गुरिया तूने कहा था तो आया हु

राज रेखा को बिस्तर लेता के ऊपर आके - मुझे पता है मेरी बहन की बुर लंड के लिये तरप् रही होगी

रेखा राज को देख शर्म से - भाई गंदी बाते मत करो

राज मुस्कुराते हुवे - आज मुह मे लोगी ना
रेखा शर्मा के - ठीक है
राज बिस्तर पे लेत लंड बाहर निकाल के - उफ गुरिया जल्दी चूस

रेखा झुक के लंड मुह मे लेके चूसने लगती है राज देखते हुवे - आह ये मजा उफ मेरी बहन अच्छे से चूस अपने भाई का लंड आह उफ बहोत अच्छा लग रहा है मजा भी आ रहा है
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रेखा झुकी मजे से लंड चुस्टे हुवे - आह अपने सगे भाई का लंड चूस रही हु उफ मजा तो मुझे भी बहोत आ रहा है उफ मस्त स्वाद है पर पापा के लंड की बात ही अलग है आह 3 मिनट बाद
राज रोक नही पाता और रेखा के मुह मे झर जाता है

रेखा मजे से माल पीके मुह साफ कर शर्म से - बस आज इतना ही

राज लंड अंदर कर रेखा को बाहों मे लेके आखो मे देख - चलेगा लेकिन बुर कब दोगी
रेखा शर्मा के - जल्दी किया है जब दूंगी तब रोज दूंगी
राज - तुम कमाल की हो गुरिया अपनी बहन की बुर मिलेगी सोचा नही था
रेखा शर्मा के - अब जाइये
राज चुचे जोर से दबा के मुस्कुराते हुवे - ठीक है
रेखा - आह भाई आप भी ना

राज मुस्कुराते हुवे चला जाता है रेखा मन मे - उफ पापा आप कब आओगे मेरी बुर आपके लंड लेने के लिये तरप् रही है

काजल घर )

काजल ममता पीछे बैठे बाते कर रहे थे ममता - मम्मी जी देवर जी बाकी सभी मजे कर रहे है और हम यहा घंटा हिला रहे है

काजल हस्ते हुवे - हम वहा होते तो हम भी मजे करते
ममता - मुझे भी जाने का बहोत मन है किसी खूबसूरत सांत जगह पिकनिक पे सभी के साथ

काजल - बाबू ने कहा है एक बार फिर लेके जायेगा लेकिन अगली बार सब को लेके और भी खूबसूरत अच्छी जगह लेके जायेगा तो उदास मत हो
ममता - हु

काजल ममता रोज खाने के बाद सोने से पहले कुछ देर जरूर बाते करते है फिर सोने जाते है कियुंकी दोनो एक ही घोरे के सवारी थे


एक कमरे मे औरत अभय को याद करके मन मे - बेसरम एक बाद किस ले लिया दूसरी बार भी चाहिये मेरे पति ने भी वैसी किस आज तक ना की ना मेने करने दी लेकिन एक लरने ने मेरे होठ को बहोत मजे से चुसा यकीन नही कर पाती

औरत उस किस को याद करके - पर वो पल वो किस मेरे दिमाग से निकल नही पा रही उसका मुझे बाहों मे कस के पकर किस करना मेरे होठ जिब को मजे से चुसना पहली बार इस तरह का किस किसी ने किया मुझे अजीब था कोई भला कैसे किसी के मुह मे अपना मुह देखे जिब होठ चूस सकता है मेने फिल्मो मे एक दो बार देखा था मुझे बहोत गंदा लगा लेकिन जब खुद मेरे साथ हुआ तब मुझे जो एहसास जो मजा सुकून मिला बता नही सकती मे सब भूल कही खो गई

तभी औरत एकदम से सर झटकते हुवे - छि तु ये किया सोच रही है उस लरके से दूर रह नही तो तुझे पागल कर देंगा


दूसरी तरफ गुलाबी अपने ससुराल मे थी गुलाबी बिस्तर पे लेती थी टांगे उठाये गुलाबी का पति धक्के पे धक्का मार रहा था लेकिन गुलाबी को मजा नही आ रहा था गुलाबी को अभय की याद आ रही थी उसकी गंदी बाते भी

गुलाबी मन मे - मे उस कमीने गंदे लरके को कियु याद कर रही हु उफ


ये सब अभय के पीछे हो रहा था यहा अभय बाकी सब पिकनिक का मजा लेने मे

आसा मिनिता दोनो एक अच्छे जगह पे जाके एक पथर् पे बैठ जाते है

आसा मिनिता को देख - में अपने बुरे पास्ट तुझे इस लिये बता रही हु ताकि तु भी उस से निकल जाये तो ध्यान से सुन

मिनिता भी पुरे ध्यान से सांत बैठ सुनने लगती है

आसा - जब मेरा देवर मेरी इज़त लूटने मे लगा था जब मुझे समझ आया मे बच नही पाउंगी तो एक ही रास्ता बचा था कमीने को विश्वास दिलाके रोकने का इस लिये मजबूरन मुझे वो करना परा जो मे नही चाहती थी मे लेकिन जब मे एकदम से बदल गई ये कहा मे भी सब करना चाहती हु तो कमीने ने अजीब नजर से देखा मुझे तो मे तुरंत समझ गई उसे सक हो रहा है

आसा बिस्तर पे लेती थी सीधा दिनेस आसा के हाथ पकरे आसा को देख रहा था अजीब नजर से

आसा दिनेस को देख मन मे - नही उसे सक हो रहा है मे झूठ बोल रही हु मुझे कुछ करना होगा ताकि कमीने को विश्वास हो जाये

आसा दिनेस का हाथ पकर अपने मस्त टाइट चुचे पे रख दिनेस को देख - देवर जी ये आपकी भाभी के चुचे है डबाइये

दिनेस आसा को देखता है फिर चुचे धीरे से दबाता है आसा दात से होठ दबा लेती है बिस्तर कस के पकर लेती है

दिनेस चुचे जोर से दबाते हुवे आसा को देख - आप सच कर रही है किया सच मे आप मेरे साथ सब करना चाहती है

आसा सिसकिया लेते कामुक् आवाज मे - हा आपके भाई मुझे खुश नही कर पाते अब आप का ही सहारा है

दिनेस खुश होके - सच भाभी
आसा मुस्कुराते हुवे - आह देवर जी सच
दिनेस - भाई के साथ चुदाई मे मजा नही आता
आसा - आह नही
आसा मन मे - बहोत दर्द हो रहा है कमीना जोर से दबा रहा है मुझे कुछ देर सब सेहना होगा

आसा यादों से बाहर आके मिनिता को देख - मेने कमीने का बिस्वास दिलाने के लिये सब सेहती रही कमीना मेरे चुचे जोर सी दबा रहा था लेकिन आखिर कार मेने बातो मे उसे फसा के रोक लिया और देवर जी जाने भी लगे पर ये मेरी भूल थी

मिनिता हैरान होके - आपका कहने का क्या मतलब है दीदी

आसा मिनिता को देख - मिनिता एक मर्द जिस्म के साथ खेलके और होस मे आ जाता है मेरे जिस्म से खेलने के बाद कमीना और जोस मे आ गया था और
मिनिता आसा को देख - और किया दीदी

आसा नजरे नीचे कर - मे भी
मिनिता शोक होके - क्या
आसा मिनिता को देख - हा जो तूने सुना देवर जी मेरे चुचे दबाने के साथ मेरे जिस्म को चूम रहे थे मेरी बुर पे लंड घिस रहे थे मिनिता आज कि आसा मे और उस समय कि आसा एकदम अलग थी उस समय की आसा मे बहोत आग थी 3 दिन तक अभय के पापा सेक्स नही करते थे तो मे पागल हो जाती थी और फिर मे खुद अभय के पापा के ऊपर चढ़ जाती थी

आसा यादों मे चली जाती है

दिनेस जा रहा था पीछे आसा बिस्तर पे बैठी हाफ रही थी बाल सारी बिखरे परे हुवे थे बुर गीली हो चुकी थी आसा दिनेस को जाते देख रही थी तभी दिनेस फिर तेजी से आता h और आसा को बिस्तर पे लेता के आसा के ऊपर आ जाता है

आसा - कियु आ गये देवर जी
दिनेस - भाभी मुझे अभी करना है
आसा कामुक् आवाज मे - किया
दिनेस - आपकी चुदाई
आसा जोस मे - अच्छा
आसा मन में - मुझे चुदाई चाहिये अभय के पापा कई दिन से मेरी चुदाई नही की है मे टरप् रही हु एक बार देवर जी से करने मे क्या जाता है

आसा दिनेस को देख - मेरी बुर की आग आप बुझा सकते है
दिनेस - आजमा के देख लीजिये
आसा तेज सासे लेके सीने से सारी हटा के - तो कर लीजिये जो करना है अगर आप मुझे खुश कर देते है तो जोर आपका लंड अपनी बुर मे लुंगी
दिनेस जोस मे पागल होके आसा के सीने पे किस करते हुवे चुचे दबाने लगता है आसा - आह उफ देवर जी आह

दिनेस चुचे दबाते हुवे आसा को चूम रहा था पूरे अंग का आसा बुर लंड पे घिस रही थी

दिनेस आसा को देखता है फिर मुस्कुराते हुवे नीचे आके सारी उपर करने लगता है आसा - उफ किया कर रहे है
दिनेस - आपकी बुर देखनी है गीली हो गई होगी
आसा कामुक् आवाज मे - देख लीजिये बहोत गीली है आह

दिनेस सारी उपर करते जाता है और आसा के टाँगों को चूमते जाता है आसा सिसकिया लेते मचल रही थी तभी आसा की नजर किसी चीज पी जाती है तो आसा की हवस जोस सब एकदम से ठण्डा पर जाता है

दिनेस आसा के बुर के पास आ गया था सारी पेटीकोट उपर तक उठ गया था लाल चड्डी थोरी देखने लगी थी तभी आसा एकदम से उठ कर बैठ सारी नीचे कर दिनेस को बाहों मे लेके प्यार से - मेरे प्यारे देवर जी में तो भूल ही गई बहोत काम बाकी है तो आराम से रात को लुंगी आपका लंड

दिनेस हैरान आसा को देख - भाभी लेकिन
आसा प्यार से - प्लेस वादा है रोज दूंगी आपकी बुर लेकिन अभी नही इंतज़ार का फल मिठा होता है

दिनेस मन मे - मे नशे जोस मे सिर्फ एक बार भाभी की चुदाई करना चाहता था उसके बाद मेरे साथ जो होता फर्क नही परता लेकिन अब देख रहा हु तो भाभी खुद बुर की आग से तरप् रही है मुझे जल्दी बाज़ी नही करनी चाहिये नही तो रोज बुर नही मिलेगी ये तो मेरे लिये बहोत अच्छा है

दिनेस - ठीक है भाभी लेकिन रात को पक्का
आसा मुस्कुराते हुवे - पक्का.

दिनेस आसा के चुचे दोनो दबाते हुवे - बस एक बार चुचे देखा दीजिये चला जाउंगा

आसा मुस्कुराते हुवे आधे चुचे सिर्फ ब्लाउस बिकनी नीचे कर देखा के - देवर जी बहोत बरे टाइट है आज बस इतना ही रात को सब दिखाऊंगी और चुदाई भी होगी

दिनेस जोस मे - ठीक है भाभी

दिनेस आसा के गाल पे किस करके - जा रहा हु
दिनेस चला जाता है

आसा यादो से बाहर आके मिनिता को देखती है मिनिता हैरान शोक - दीदी उसके बाद और आपने किया देखा जो आप रुक गई

आसा - फैमिली फोटो टेबल पे रखी थी मेरी नजर जब गई मे एकदम से होस मे आ गई फिर मुझे एहसास हुआ मे किया कर रही हु मे अपने पति बच्चो की फोटो देख , कैसे मे अपने पति जो धोका दे सकती हु जब मेरे पति बच्चो को पता चलेगा तो कैसे मे उनसे नजरे मिला पाउंगी सच कहु फैमिली फोटो मेरे नजर के सामने नही आती तो

मिनिता मुह पे हाथ रख आसा को देख - उसके बाद दीदी
आसा मिनिता को देख - उसके बाद मे बहोत रोई फिर मे परोसी के घर बच्चो को लेके चली गई ताकि फिर कमीना आये तो मेरे साथ कुछ करने की कोसिस ना करे साम को अभय के पाता को सब बता दिया फिर अभय के पापा ने कमीने को बहोत मारा उसके बाद दोनो भाई अलग हो गये

आसा मुठी कसते हुवे - लेकिन उसके बाद कई दिन महीने तक रोटी रही मुझे अपने आप पे घिन आने लगी मे खुद को कोसिने लगी कैसे मे एक रेपिस्ट के आगे जिस्म के आग बुझाने के लिये सब भूल हवस मे डूब गई थी वो सब सीन मुझे एक बुरे सपने बन परेसान करने लगा
याद दिलाने लगे मे कैसे हवस मे देवर के साथ सब करने को राजी हो गई थी लेकिन उसी घटना के बाद मेने अपने आप पे अपनी हवस जिस्म की आग पे काबू पा लिया आज तेरे सामने जो आसा है पहले से बिल्कुल अलग है हा अभी भी मेरे अंदर जिस्म की चाहत है जोकि हर औरत मे होती है लेकिन आज मे जितना चाहू अपने आप को रोक सकती हु

आसा ने जो कहा सच कहा आसा अब पहले की आसा नही थी जो बेहक जाये आज आसा खुद नही चाहेगी दिल से तो उसकी बुर मे जरा सा भी गिला पन नही आयेगा रही आसा अभय की बीच कैसे झरने के करीब आ जाती है तो सीधा जवाब है आसा खुद उठने आगे दिल से अभय के साथ जाती है उस पल को आसा अपने खुले दिल से मजे लेती है अभय भी अच्छे से जनता है उसकी मा अपने आप को अच्छे से कामु मे रखती है कहे तो अब अभय आसा अपने आप को रोकने मे माहिर है

आसा मिनिता को देख - मेने तो सुना दी अपनी कहानी तुम बताओ

मिनिता मुठी कसते हुवे - सेम होली का दिन दोपहर 12 बजे कोई नही था मेरे पति दोस्त के घर गये थे मे अकेली थी मेरे परोसी मे पति का दोस्त जिस कमीने का नाम है गोपाल आया नशे मे रंग लागने मे नहाने जा रही थी

गोपाल आगन मे आके मिनिता को देख - भाभी हैप्पी होली रंग लगाने आया हु

मिनिता - अरे देवर जी मे नहाने जा रही थी ठीक है सही समय पे आये है जल्दी लगा

मिनिता आसा को देख - मेने सोचा होली का दिन h सब लगा के गये है उनको मना करना सही नही होगा वैसे भी मे नहाने जा रही थी

गोपाल पास आके मिनिता के गाल पे रंग लगाते हुवे - हैप्पी होली
मिनिता भी रंग गाल पे लगाते हुवे - हैप्पी होली

लेकिन तभी गोपाल मिनिता को पकर पेट पे रंग लगाते हुवे - यहा भि लगा दु
मिनिता हैरान होके - अरे नही बस बस हो गया

पर गोपाल नही रुकता और मिनिता को बाहों मे लेके पीठ पेट मे रंग लगाते रहता है मिनिता - देवर जी बस हो गया चोरिये

गोपाल मिनिता को देख चुचे दबाते हुवे - आह भाभी
मिनिता शोक में गोपाल को जोर करनी कि कोसिस करती है लेकिन गोपाल मिनिता को जमीन पे लेता के चुचे jor जोर से दबाने लगता है

मिनिता दर्द में गोपाल को गुस्से से देख - देवर जी क्या कर रहे है आप
गोपाल हवस नजरो से देख मुस्कुराते हुवे - प्यारी भाभी

गोपाल चुचे दबाते हुवे एकदम से मिनिता के बुर सारी के ऊपर से हि दबाने मसलने लगता है मिनिता काप् जाती है बहोत कोसिस करती है गोपाल को दूर करने रोकनी की लेकिन गोपाल का दूर नही कर पाती
गोपाल मिनिता के गर्दन चुचे पे किस करने लगता है बस मिनिता भी सांत परने लगती है ये देख गोपाल खुश हो जाता है


गोपाल मिनिता को देख -भाभी
मिनिता - जो करना है कर लीजिये जल्दी से

गोपाल खुश होके मिनिता के बुर मे सारी के ऊपर से उंगली घुसाते हुवे - आह भाभी किया करू
मिनिता - आह देवर जि धीरे जो आप करना चाहते है
गोपाल मिनिता के ब्लाउस बिकनी के अंदर हाथ घुसा के चुचे दबाते हुवे - उफ बहोत टाइट है नर्म भी बाहर निकाल दु

मिनिता कामुक् आवाज में - आह ठीक हैं
गोपाल मिनिता के टाँगों के बीच बुर पे धक्का मारते हुवे - आह भाभी बुर बहोत गर्म है आपकी सारी के ऊपर सी फिल हो रहा है

जरा एक बार सब दिखा दीजिये फिर सुरु करेगे
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मिनिता खरी होती हो और सारी ब्लाउस पेटीकोट सब निकाल बिकनी पैंटी पे खरी हो जाती है गोपाल पागल होके देखता रहता है
गोपाल - उफ आप की बॉडी बहोत मस्त कमाल कि है

गोपाल जल्दी से मिनिता के पास जाके पैंटी के ऊपर से बुर मसलने लगता है मिनिता आह उफ सिसकिया लेते हुवे - जल्दी करिये कोई आ जायेगा
गोपाल पैंटी के साइड से एक उंगली बुर मे घुसा देता है मिनिता जोर से आह करते हुवे - उफ मा देवर जी धीरे उंगली करिये
गोपाल मिनिता ki बुरम उंगली करते हुवे - उफ गीली है आपकी बुर

तभी किसी के आने बोलने कि आवाज सुनाई देती है मिनिता एकदम से होस मे आती है फिर जल्दी से सारी ब्लाउस लेके कमरे में भाग जाती है

आने वाला मिनिता का पति हि था

मिनिता आसु लिये आसा को देख - मे तो आपके आगे ही चली गई आपको फैमिली फोटो ने रोक दिया मुझे भी नही तो उस दिन

आसा पूरी शोक मिनिता को देखते हुवे मन मे - मुझे यकीन नही होता हमारे साथ सेम चीजे हुई लेकिन मिनिता के साथ बहोत जयदा हो गया

मिनिता आसु साफ करते हुवे -उस दिन बच गई फिर एक दिन वो कमीना आया तो मेने डंडा लेके मारा धमकी उसके बाद फिर मेने किसी को अपने घर आने नही दिया मेरे पति के दोस्त आते है लेकिन बाहर से चले जाते है आपकी तरह मेने भी खुद पे काबू किया मुझे भी खुद पे घिन आती है

मिनिता मन मे - फिर अभय आया जिसने मेरे जिस्म से नही मुझसे प्यार किया

आसा मिनिता के पास जाके गले लगाके - किस्मत भी किया खेल खेलती है हमारे साथ सेम दो चीजे हुई एक ये दूसरी हम दोनो का बेटा किडनैप हो गया फिर हम मिले अब सब भूल जाओ मिनिता और आगे अपनी लाइफ बच्चो पे ध्यान दो मे भी उस बुरे पास्ट को भुला नही पा रही थी ना पीछा छोर रही थी पर अब लाला की वजह से मे उस बुरे पास्ट से निकल पाई

मिनिता आसा के गले लगे हुवे रोते हुवे - आपको अपने पास्ट बता के दिल हल्का हो गया

आसा मिनिता के आसु साफ कर - अब भूल जाओ आगे बढ़ो
मिनिता - हा आपने सही कहा दीदी

🙏🙏🙏🙏🙏🙏
 

Ek number

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chapter 79

शोभा घर )

शोभा बिस्तर पे नाइटी पहन बैठी थी पास मे रीता रेखा भी बैठी थी

रीता शोभा को देख -मा ये तो गलत हो रहा है हमारे साथ.
शोभा रीता को देख - अब तेरे साथ क्या गलत हो रहा है
रीता मुह बना के - पापा सब के साथ पिकनिक पे मजे कर रहे है और हम यहा घर पे परे हुवे है

रेखा - और नही तो क्या ये गलत ही तो है हमे भी मजे करने है
शोभा हैरान दोनो को देख - अच्छा तो ये बात है हु गलत तो है लेकिन हम उनसे बहोत दूर है लेकिन जब हम साथ होगे उन्होंने खा है हम सब को लेके जायेंगे घुमाने

रीता - मा पापा की याद आ रही है
रेखा - मा मुझे भी
शोभा दोनो को देख मन मे - कुछ दिन के लिये आये थे लेकिन हमारे दिल मे वो जगह बना के चले गये की उनके बिना मेरा भी दिल नही लग रहा मुझे भी उनकी बहोत याद आ रही है

शोभा दोनो को देख - मेरी बच्ची तेरे पापा ने क्या कहा अभी का समय सही नही है लेकिन सारा मामला सही होते ही आयेगे और हमे लेके जायेंगे तब तक सांत रहो

रीता रेखा थोरा दुखी मन से - हु

शोभा रीता को देख - तेरे पापा ने वो लरका तेरे लिये ढूंढा कैसा है
रीता शर्मा के - बहोत अच्छे है
रेखा - पापा ने तेरे लिये चुना है अच्छा तो होगा ही
शोभा मुस्कुराते हुवे -सही

थोरि देर बात करने के बाद रेखा रीता अपने कमरे मे आ जाते है शोभा बिस्तर पे लेत अपने बदल को देख - फिर कब मे आपके साथ सो पाऊँगी आपकी बाहों मे

राज रेखा के कमरे मे आता है रेखा राज को देख मन मे - भाई
राज रेखा के पास बैठ के - गुरिया तूने कहा था तो आया हु

राज रेखा को बिस्तर लेता के ऊपर आके - मुझे पता है मेरी बहन की बुर लंड के लिये तरप् रही होगी

रेखा राज को देख शर्म से - भाई गंदी बाते मत करो

राज मुस्कुराते हुवे - आज मुह मे लोगी ना
रेखा शर्मा के - ठीक है
राज बिस्तर पे लेत लंड बाहर निकाल के - उफ गुरिया जल्दी चूस

रेखा झुक के लंड मुह मे लेके चूसने लगती है राज देखते हुवे - आह ये मजा उफ मेरी बहन अच्छे से चूस अपने भाई का लंड आह उफ बहोत अच्छा लग रहा है मजा भी आ रहा है
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रेखा झुकी मजे से लंड चुस्टे हुवे - आह अपने सगे भाई का लंड चूस रही हु उफ मजा तो मुझे भी बहोत आ रहा है उफ मस्त स्वाद है पर पापा के लंड की बात ही अलग है आह 3 मिनट बाद
राज रोक नही पाता और रेखा के मुह मे झर जाता है

रेखा मजे से माल पीके मुह साफ कर शर्म से - बस आज इतना ही

राज लंड अंदर कर रेखा को बाहों मे लेके आखो मे देख - चलेगा लेकिन बुर कब दोगी
रेखा शर्मा के - जल्दी किया है जब दूंगी तब रोज दूंगी
राज - तुम कमाल की हो गुरिया अपनी बहन की बुर मिलेगी सोचा नही था
रेखा शर्मा के - अब जाइये
राज चुचे जोर से दबा के मुस्कुराते हुवे - ठीक है
रेखा - आह भाई आप भी ना

राज मुस्कुराते हुवे चला जाता है रेखा मन मे - उफ पापा आप कब आओगे मेरी बुर आपके लंड लेने के लिये तरप् रही है

काजल घर )

काजल ममता पीछे बैठे बाते कर रहे थे ममता - मम्मी जी देवर जी बाकी सभी मजे कर रहे है और हम यहा घंटा हिला रहे है

काजल हस्ते हुवे - हम वहा होते तो हम भी मजे करते
ममता - मुझे भी जाने का बहोत मन है किसी खूबसूरत सांत जगह पिकनिक पे सभी के साथ

काजल - बाबू ने कहा है एक बार फिर लेके जायेगा लेकिन अगली बार सब को लेके और भी खूबसूरत अच्छी जगह लेके जायेगा तो उदास मत हो
ममता - हु

काजल ममता रोज खाने के बाद सोने से पहले कुछ देर जरूर बाते करते है फिर सोने जाते है कियुंकी दोनो एक ही घोरे के सवारी थे


एक कमरे मे औरत अभय को याद करके मन मे - बेसरम एक बाद किस ले लिया दूसरी बार भी चाहिये मेरे पति ने भी वैसी किस आज तक ना की ना मेने करने दी लेकिन एक लरने ने मेरे होठ को बहोत मजे से चुसा यकीन नही कर पाती

औरत उस किस को याद करके - पर वो पल वो किस मेरे दिमाग से निकल नही पा रही उसका मुझे बाहों मे कस के पकर किस करना मेरे होठ जिब को मजे से चुसना पहली बार इस तरह का किस किसी ने किया मुझे अजीब था कोई भला कैसे किसी के मुह मे अपना मुह देखे जिब होठ चूस सकता है मेने फिल्मो मे एक दो बार देखा था मुझे बहोत गंदा लगा लेकिन जब खुद मेरे साथ हुआ तब मुझे जो एहसास जो मजा सुकून मिला बता नही सकती मे सब भूल कही खो गई

तभी औरत एकदम से सर झटकते हुवे - छि तु ये किया सोच रही है उस लरके से दूर रह नही तो तुझे पागल कर देंगा


दूसरी तरफ गुलाबी अपने ससुराल मे थी गुलाबी बिस्तर पे लेती थी टांगे उठाये गुलाबी का पति धक्के पे धक्का मार रहा था लेकिन गुलाबी को मजा नही आ रहा था गुलाबी को अभय की याद आ रही थी उसकी गंदी बाते भी

गुलाबी मन मे - मे उस कमीने गंदे लरके को कियु याद कर रही हु उफ


ये सब अभय के पीछे हो रहा था यहा अभय बाकी सब पिकनिक का मजा लेने मे

आसा मिनिता दोनो एक अच्छे जगह पे जाके एक पथर् पे बैठ जाते है

आसा मिनिता को देख - में अपने बुरे पास्ट तुझे इस लिये बता रही हु ताकि तु भी उस से निकल जाये तो ध्यान से सुन

मिनिता भी पुरे ध्यान से सांत बैठ सुनने लगती है

आसा - जब मेरा देवर मेरी इज़त लूटने मे लगा था जब मुझे समझ आया मे बच नही पाउंगी तो एक ही रास्ता बचा था कमीने को विश्वास दिलाके रोकने का इस लिये मजबूरन मुझे वो करना परा जो मे नही चाहती थी मे लेकिन जब मे एकदम से बदल गई ये कहा मे भी सब करना चाहती हु तो कमीने ने अजीब नजर से देखा मुझे तो मे तुरंत समझ गई उसे सक हो रहा है

आसा बिस्तर पे लेती थी सीधा दिनेस आसा के हाथ पकरे आसा को देख रहा था अजीब नजर से

आसा दिनेस को देख मन मे - नही उसे सक हो रहा है मे झूठ बोल रही हु मुझे कुछ करना होगा ताकि कमीने को विश्वास हो जाये

आसा दिनेस का हाथ पकर अपने मस्त टाइट चुचे पे रख दिनेस को देख - देवर जी ये आपकी भाभी के चुचे है डबाइये

दिनेस आसा को देखता है फिर चुचे धीरे से दबाता है आसा दात से होठ दबा लेती है बिस्तर कस के पकर लेती है

दिनेस चुचे जोर से दबाते हुवे आसा को देख - आप सच कर रही है किया सच मे आप मेरे साथ सब करना चाहती है

आसा सिसकिया लेते कामुक् आवाज मे - हा आपके भाई मुझे खुश नही कर पाते अब आप का ही सहारा है

दिनेस खुश होके - सच भाभी
आसा मुस्कुराते हुवे - आह देवर जी सच
दिनेस - भाई के साथ चुदाई मे मजा नही आता
आसा - आह नही
आसा मन मे - बहोत दर्द हो रहा है कमीना जोर से दबा रहा है मुझे कुछ देर सब सेहना होगा

आसा यादों से बाहर आके मिनिता को देख - मेने कमीने का बिस्वास दिलाने के लिये सब सेहती रही कमीना मेरे चुचे जोर सी दबा रहा था लेकिन आखिर कार मेने बातो मे उसे फसा के रोक लिया और देवर जी जाने भी लगे पर ये मेरी भूल थी

मिनिता हैरान होके - आपका कहने का क्या मतलब है दीदी

आसा मिनिता को देख - मिनिता एक मर्द जिस्म के साथ खेलके और होस मे आ जाता है मेरे जिस्म से खेलने के बाद कमीना और जोस मे आ गया था और
मिनिता आसा को देख - और किया दीदी

आसा नजरे नीचे कर - मे भी
मिनिता शोक होके - क्या
आसा मिनिता को देख - हा जो तूने सुना देवर जी मेरे चुचे दबाने के साथ मेरे जिस्म को चूम रहे थे मेरी बुर पे लंड घिस रहे थे मिनिता आज कि आसा मे और उस समय कि आसा एकदम अलग थी उस समय की आसा मे बहोत आग थी 3 दिन तक अभय के पापा सेक्स नही करते थे तो मे पागल हो जाती थी और फिर मे खुद अभय के पापा के ऊपर चढ़ जाती थी

आसा यादों मे चली जाती है

दिनेस जा रहा था पीछे आसा बिस्तर पे बैठी हाफ रही थी बाल सारी बिखरे परे हुवे थे बुर गीली हो चुकी थी आसा दिनेस को जाते देख रही थी तभी दिनेस फिर तेजी से आता h और आसा को बिस्तर पे लेता के आसा के ऊपर आ जाता है

आसा - कियु आ गये देवर जी
दिनेस - भाभी मुझे अभी करना है
आसा कामुक् आवाज मे - किया
दिनेस - आपकी चुदाई
आसा जोस मे - अच्छा
आसा मन में - मुझे चुदाई चाहिये अभय के पापा कई दिन से मेरी चुदाई नही की है मे टरप् रही हु एक बार देवर जी से करने मे क्या जाता है

आसा दिनेस को देख - मेरी बुर की आग आप बुझा सकते है
दिनेस - आजमा के देख लीजिये
आसा तेज सासे लेके सीने से सारी हटा के - तो कर लीजिये जो करना है अगर आप मुझे खुश कर देते है तो जोर आपका लंड अपनी बुर मे लुंगी
दिनेस जोस मे पागल होके आसा के सीने पे किस करते हुवे चुचे दबाने लगता है आसा - आह उफ देवर जी आह

दिनेस चुचे दबाते हुवे आसा को चूम रहा था पूरे अंग का आसा बुर लंड पे घिस रही थी

दिनेस आसा को देखता है फिर मुस्कुराते हुवे नीचे आके सारी उपर करने लगता है आसा - उफ किया कर रहे है
दिनेस - आपकी बुर देखनी है गीली हो गई होगी
आसा कामुक् आवाज मे - देख लीजिये बहोत गीली है आह

दिनेस सारी उपर करते जाता है और आसा के टाँगों को चूमते जाता है आसा सिसकिया लेते मचल रही थी तभी आसा की नजर किसी चीज पी जाती है तो आसा की हवस जोस सब एकदम से ठण्डा पर जाता है

दिनेस आसा के बुर के पास आ गया था सारी पेटीकोट उपर तक उठ गया था लाल चड्डी थोरी देखने लगी थी तभी आसा एकदम से उठ कर बैठ सारी नीचे कर दिनेस को बाहों मे लेके प्यार से - मेरे प्यारे देवर जी में तो भूल ही गई बहोत काम बाकी है तो आराम से रात को लुंगी आपका लंड

दिनेस हैरान आसा को देख - भाभी लेकिन
आसा प्यार से - प्लेस वादा है रोज दूंगी आपकी बुर लेकिन अभी नही इंतज़ार का फल मिठा होता है

दिनेस मन मे - मे नशे जोस मे सिर्फ एक बार भाभी की चुदाई करना चाहता था उसके बाद मेरे साथ जो होता फर्क नही परता लेकिन अब देख रहा हु तो भाभी खुद बुर की आग से तरप् रही है मुझे जल्दी बाज़ी नही करनी चाहिये नही तो रोज बुर नही मिलेगी ये तो मेरे लिये बहोत अच्छा है

दिनेस - ठीक है भाभी लेकिन रात को पक्का
आसा मुस्कुराते हुवे - पक्का.

दिनेस आसा के चुचे दोनो दबाते हुवे - बस एक बार चुचे देखा दीजिये चला जाउंगा

आसा मुस्कुराते हुवे आधे चुचे सिर्फ ब्लाउस बिकनी नीचे कर देखा के - देवर जी बहोत बरे टाइट है आज बस इतना ही रात को सब दिखाऊंगी और चुदाई भी होगी

दिनेस जोस मे - ठीक है भाभी

दिनेस आसा के गाल पे किस करके - जा रहा हु
दिनेस चला जाता है

आसा यादो से बाहर आके मिनिता को देखती है मिनिता हैरान शोक - दीदी उसके बाद और आपने किया देखा जो आप रुक गई

आसा - फैमिली फोटो टेबल पे रखी थी मेरी नजर जब गई मे एकदम से होस मे आ गई फिर मुझे एहसास हुआ मे किया कर रही हु मे अपने पति बच्चो की फोटो देख , कैसे मे अपने पति जो धोका दे सकती हु जब मेरे पति बच्चो को पता चलेगा तो कैसे मे उनसे नजरे मिला पाउंगी सच कहु फैमिली फोटो मेरे नजर के सामने नही आती तो

मिनिता मुह पे हाथ रख आसा को देख - उसके बाद दीदी
आसा मिनिता को देख - उसके बाद मे बहोत रोई फिर मे परोसी के घर बच्चो को लेके चली गई ताकि फिर कमीना आये तो मेरे साथ कुछ करने की कोसिस ना करे साम को अभय के पाता को सब बता दिया फिर अभय के पापा ने कमीने को बहोत मारा उसके बाद दोनो भाई अलग हो गये

आसा मुठी कसते हुवे - लेकिन उसके बाद कई दिन महीने तक रोटी रही मुझे अपने आप पे घिन आने लगी मे खुद को कोसिने लगी कैसे मे एक रेपिस्ट के आगे जिस्म के आग बुझाने के लिये सब भूल हवस मे डूब गई थी वो सब सीन मुझे एक बुरे सपने बन परेसान करने लगा
याद दिलाने लगे मे कैसे हवस मे देवर के साथ सब करने को राजी हो गई थी लेकिन उसी घटना के बाद मेने अपने आप पे अपनी हवस जिस्म की आग पे काबू पा लिया आज तेरे सामने जो आसा है पहले से बिल्कुल अलग है हा अभी भी मेरे अंदर जिस्म की चाहत है जोकि हर औरत मे होती है लेकिन आज मे जितना चाहू अपने आप को रोक सकती हु

आसा ने जो कहा सच कहा आसा अब पहले की आसा नही थी जो बेहक जाये आज आसा खुद नही चाहेगी दिल से तो उसकी बुर मे जरा सा भी गिला पन नही आयेगा रही आसा अभय की बीच कैसे झरने के करीब आ जाती है तो सीधा जवाब है आसा खुद उठने आगे दिल से अभय के साथ जाती है उस पल को आसा अपने खुले दिल से मजे लेती है अभय भी अच्छे से जनता है उसकी मा अपने आप को अच्छे से कामु मे रखती है कहे तो अब अभय आसा अपने आप को रोकने मे माहिर है

आसा मिनिता को देख - मेने तो सुना दी अपनी कहानी तुम बताओ

मिनिता मुठी कसते हुवे - सेम होली का दिन दोपहर 12 बजे कोई नही था मेरे पति दोस्त के घर गये थे मे अकेली थी मेरे परोसी मे पति का दोस्त जिस कमीने का नाम है गोपाल आया नशे मे रंग लागने मे नहाने जा रही थी

गोपाल आगन मे आके मिनिता को देख - भाभी हैप्पी होली रंग लगाने आया हु

मिनिता - अरे देवर जी मे नहाने जा रही थी ठीक है सही समय पे आये है जल्दी लगा

मिनिता आसा को देख - मेने सोचा होली का दिन h सब लगा के गये है उनको मना करना सही नही होगा वैसे भी मे नहाने जा रही थी

गोपाल पास आके मिनिता के गाल पे रंग लगाते हुवे - हैप्पी होली
मिनिता भी रंग गाल पे लगाते हुवे - हैप्पी होली

लेकिन तभी गोपाल मिनिता को पकर पेट पे रंग लगाते हुवे - यहा भि लगा दु
मिनिता हैरान होके - अरे नही बस बस हो गया

पर गोपाल नही रुकता और मिनिता को बाहों मे लेके पीठ पेट मे रंग लगाते रहता है मिनिता - देवर जी बस हो गया चोरिये

गोपाल मिनिता को देख चुचे दबाते हुवे - आह भाभी
मिनिता शोक में गोपाल को जोर करनी कि कोसिस करती है लेकिन गोपाल मिनिता को जमीन पे लेता के चुचे jor जोर से दबाने लगता है

मिनिता दर्द में गोपाल को गुस्से से देख - देवर जी क्या कर रहे है आप
गोपाल हवस नजरो से देख मुस्कुराते हुवे - प्यारी भाभी

गोपाल चुचे दबाते हुवे एकदम से मिनिता के बुर सारी के ऊपर से हि दबाने मसलने लगता है मिनिता काप् जाती है बहोत कोसिस करती है गोपाल को दूर करने रोकनी की लेकिन गोपाल का दूर नही कर पाती
गोपाल मिनिता के गर्दन चुचे पे किस करने लगता है बस मिनिता भी सांत परने लगती है ये देख गोपाल खुश हो जाता है


गोपाल मिनिता को देख -भाभी
मिनिता - जो करना है कर लीजिये जल्दी से

गोपाल खुश होके मिनिता के बुर मे सारी के ऊपर से उंगली घुसाते हुवे - आह भाभी किया करू
मिनिता - आह देवर जि धीरे जो आप करना चाहते है
गोपाल मिनिता के ब्लाउस बिकनी के अंदर हाथ घुसा के चुचे दबाते हुवे - उफ बहोत टाइट है नर्म भी बाहर निकाल दु

मिनिता कामुक् आवाज में - आह ठीक हैं
गोपाल मिनिता के टाँगों के बीच बुर पे धक्का मारते हुवे - आह भाभी बुर बहोत गर्म है आपकी सारी के ऊपर सी फिल हो रहा है

जरा एक बार सब दिखा दीजिये फिर सुरु करेगे
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मिनिता खरी होती हो और सारी ब्लाउस पेटीकोट सब निकाल बिकनी पैंटी पे खरी हो जाती है गोपाल पागल होके देखता रहता है
गोपाल - उफ आप की बॉडी बहोत मस्त कमाल कि है

गोपाल जल्दी से मिनिता के पास जाके पैंटी के ऊपर से बुर मसलने लगता है मिनिता आह उफ सिसकिया लेते हुवे - जल्दी करिये कोई आ जायेगा
गोपाल पैंटी के साइड से एक उंगली बुर मे घुसा देता है मिनिता जोर से आह करते हुवे - उफ मा देवर जी धीरे उंगली करिये
गोपाल मिनिता ki बुरम उंगली करते हुवे - उफ गीली है आपकी बुर

तभी किसी के आने बोलने कि आवाज सुनाई देती है मिनिता एकदम से होस मे आती है फिर जल्दी से सारी ब्लाउस लेके कमरे में भाग जाती है

आने वाला मिनिता का पति हि था

मिनिता आसु लिये आसा को देख - मे तो आपके आगे ही चली गई आपको फैमिली फोटो ने रोक दिया मुझे भी नही तो उस दिन

आसा पूरी शोक मिनिता को देखते हुवे मन मे - मुझे यकीन नही होता हमारे साथ सेम चीजे हुई लेकिन मिनिता के साथ बहोत जयदा हो गया

मिनिता आसु साफ करते हुवे -उस दिन बच गई फिर एक दिन वो कमीना आया तो मेने डंडा लेके मारा धमकी उसके बाद फिर मेने किसी को अपने घर आने नही दिया मेरे पति के दोस्त आते है लेकिन बाहर से चले जाते है आपकी तरह मेने भी खुद पे काबू किया मुझे भी खुद पे घिन आती है

मिनिता मन मे - फिर अभय आया जिसने मेरे जिस्म से नही मुझसे प्यार किया

आसा मिनिता के पास जाके गले लगाके - किस्मत भी किया खेल खेलती है हमारे साथ सेम दो चीजे हुई एक ये दूसरी हम दोनो का बेटा किडनैप हो गया फिर हम मिले अब सब भूल जाओ मिनिता और आगे अपनी लाइफ बच्चो पे ध्यान दो मे भी उस बुरे पास्ट को भुला नही पा रही थी ना पीछा छोर रही थी पर अब लाला की वजह से मे उस बुरे पास्ट से निकल पाई

मिनिता आसा के गले लगे हुवे रोते हुवे - आपको अपने पास्ट बता के दिल हल्का हो गया

आसा मिनिता के आसु साफ कर - अब भूल जाओ आगे बढ़ो
मिनिता - हा आपने सही कहा दीदी

🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Nice update
 

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chapter 79

शोभा घर )

शोभा बिस्तर पे नाइटी पहन बैठी थी पास मे रीता रेखा भी बैठी थी

रीता शोभा को देख -मा ये तो गलत हो रहा है हमारे साथ.
शोभा रीता को देख - अब तेरे साथ क्या गलत हो रहा है
रीता मुह बना के - पापा सब के साथ पिकनिक पे मजे कर रहे है और हम यहा घर पे परे हुवे है

रेखा - और नही तो क्या ये गलत ही तो है हमे भी मजे करने है
शोभा हैरान दोनो को देख - अच्छा तो ये बात है हु गलत तो है लेकिन हम उनसे बहोत दूर है लेकिन जब हम साथ होगे उन्होंने खा है हम सब को लेके जायेंगे घुमाने

रीता - मा पापा की याद आ रही है
रेखा - मा मुझे भी
शोभा दोनो को देख मन मे - कुछ दिन के लिये आये थे लेकिन हमारे दिल मे वो जगह बना के चले गये की उनके बिना मेरा भी दिल नही लग रहा मुझे भी उनकी बहोत याद आ रही है

शोभा दोनो को देख - मेरी बच्ची तेरे पापा ने क्या कहा अभी का समय सही नही है लेकिन सारा मामला सही होते ही आयेगे और हमे लेके जायेंगे तब तक सांत रहो

रीता रेखा थोरा दुखी मन से - हु

शोभा रीता को देख - तेरे पापा ने वो लरका तेरे लिये ढूंढा कैसा है
रीता शर्मा के - बहोत अच्छे है
रेखा - पापा ने तेरे लिये चुना है अच्छा तो होगा ही
शोभा मुस्कुराते हुवे -सही

थोरि देर बात करने के बाद रेखा रीता अपने कमरे मे आ जाते है शोभा बिस्तर पे लेत अपने बदल को देख - फिर कब मे आपके साथ सो पाऊँगी आपकी बाहों मे

राज रेखा के कमरे मे आता है रेखा राज को देख मन मे - भाई
राज रेखा के पास बैठ के - गुरिया तूने कहा था तो आया हु

राज रेखा को बिस्तर लेता के ऊपर आके - मुझे पता है मेरी बहन की बुर लंड के लिये तरप् रही होगी

रेखा राज को देख शर्म से - भाई गंदी बाते मत करो

राज मुस्कुराते हुवे - आज मुह मे लोगी ना
रेखा शर्मा के - ठीक है
राज बिस्तर पे लेत लंड बाहर निकाल के - उफ गुरिया जल्दी चूस

रेखा झुक के लंड मुह मे लेके चूसने लगती है राज देखते हुवे - आह ये मजा उफ मेरी बहन अच्छे से चूस अपने भाई का लंड आह उफ बहोत अच्छा लग रहा है मजा भी आ रहा है
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रेखा झुकी मजे से लंड चुस्टे हुवे - आह अपने सगे भाई का लंड चूस रही हु उफ मजा तो मुझे भी बहोत आ रहा है उफ मस्त स्वाद है पर पापा के लंड की बात ही अलग है आह 3 मिनट बाद
राज रोक नही पाता और रेखा के मुह मे झर जाता है

रेखा मजे से माल पीके मुह साफ कर शर्म से - बस आज इतना ही

राज लंड अंदर कर रेखा को बाहों मे लेके आखो मे देख - चलेगा लेकिन बुर कब दोगी
रेखा शर्मा के - जल्दी किया है जब दूंगी तब रोज दूंगी
राज - तुम कमाल की हो गुरिया अपनी बहन की बुर मिलेगी सोचा नही था
रेखा शर्मा के - अब जाइये
राज चुचे जोर से दबा के मुस्कुराते हुवे - ठीक है
रेखा - आह भाई आप भी ना

राज मुस्कुराते हुवे चला जाता है रेखा मन मे - उफ पापा आप कब आओगे मेरी बुर आपके लंड लेने के लिये तरप् रही है

काजल घर )

काजल ममता पीछे बैठे बाते कर रहे थे ममता - मम्मी जी देवर जी बाकी सभी मजे कर रहे है और हम यहा घंटा हिला रहे है

काजल हस्ते हुवे - हम वहा होते तो हम भी मजे करते
ममता - मुझे भी जाने का बहोत मन है किसी खूबसूरत सांत जगह पिकनिक पे सभी के साथ

काजल - बाबू ने कहा है एक बार फिर लेके जायेगा लेकिन अगली बार सब को लेके और भी खूबसूरत अच्छी जगह लेके जायेगा तो उदास मत हो
ममता - हु

काजल ममता रोज खाने के बाद सोने से पहले कुछ देर जरूर बाते करते है फिर सोने जाते है कियुंकी दोनो एक ही घोरे के सवारी थे


एक कमरे मे औरत अभय को याद करके मन मे - बेसरम एक बाद किस ले लिया दूसरी बार भी चाहिये मेरे पति ने भी वैसी किस आज तक ना की ना मेने करने दी लेकिन एक लरने ने मेरे होठ को बहोत मजे से चुसा यकीन नही कर पाती

औरत उस किस को याद करके - पर वो पल वो किस मेरे दिमाग से निकल नही पा रही उसका मुझे बाहों मे कस के पकर किस करना मेरे होठ जिब को मजे से चुसना पहली बार इस तरह का किस किसी ने किया मुझे अजीब था कोई भला कैसे किसी के मुह मे अपना मुह देखे जिब होठ चूस सकता है मेने फिल्मो मे एक दो बार देखा था मुझे बहोत गंदा लगा लेकिन जब खुद मेरे साथ हुआ तब मुझे जो एहसास जो मजा सुकून मिला बता नही सकती मे सब भूल कही खो गई

तभी औरत एकदम से सर झटकते हुवे - छि तु ये किया सोच रही है उस लरके से दूर रह नही तो तुझे पागल कर देंगा


दूसरी तरफ गुलाबी अपने ससुराल मे थी गुलाबी बिस्तर पे लेती थी टांगे उठाये गुलाबी का पति धक्के पे धक्का मार रहा था लेकिन गुलाबी को मजा नही आ रहा था गुलाबी को अभय की याद आ रही थी उसकी गंदी बाते भी

गुलाबी मन मे - मे उस कमीने गंदे लरके को कियु याद कर रही हु उफ


ये सब अभय के पीछे हो रहा था यहा अभय बाकी सब पिकनिक का मजा लेने मे

आसा मिनिता दोनो एक अच्छे जगह पे जाके एक पथर् पे बैठ जाते है

आसा मिनिता को देख - में अपने बुरे पास्ट तुझे इस लिये बता रही हु ताकि तु भी उस से निकल जाये तो ध्यान से सुन

मिनिता भी पुरे ध्यान से सांत बैठ सुनने लगती है

आसा - जब मेरा देवर मेरी इज़त लूटने मे लगा था जब मुझे समझ आया मे बच नही पाउंगी तो एक ही रास्ता बचा था कमीने को विश्वास दिलाके रोकने का इस लिये मजबूरन मुझे वो करना परा जो मे नही चाहती थी मे लेकिन जब मे एकदम से बदल गई ये कहा मे भी सब करना चाहती हु तो कमीने ने अजीब नजर से देखा मुझे तो मे तुरंत समझ गई उसे सक हो रहा है

आसा बिस्तर पे लेती थी सीधा दिनेस आसा के हाथ पकरे आसा को देख रहा था अजीब नजर से

आसा दिनेस को देख मन मे - नही उसे सक हो रहा है मे झूठ बोल रही हु मुझे कुछ करना होगा ताकि कमीने को विश्वास हो जाये

आसा दिनेस का हाथ पकर अपने मस्त टाइट चुचे पे रख दिनेस को देख - देवर जी ये आपकी भाभी के चुचे है डबाइये

दिनेस आसा को देखता है फिर चुचे धीरे से दबाता है आसा दात से होठ दबा लेती है बिस्तर कस के पकर लेती है

दिनेस चुचे जोर से दबाते हुवे आसा को देख - आप सच कर रही है किया सच मे आप मेरे साथ सब करना चाहती है

आसा सिसकिया लेते कामुक् आवाज मे - हा आपके भाई मुझे खुश नही कर पाते अब आप का ही सहारा है

दिनेस खुश होके - सच भाभी
आसा मुस्कुराते हुवे - आह देवर जी सच
दिनेस - भाई के साथ चुदाई मे मजा नही आता
आसा - आह नही
आसा मन मे - बहोत दर्द हो रहा है कमीना जोर से दबा रहा है मुझे कुछ देर सब सेहना होगा

आसा यादों से बाहर आके मिनिता को देख - मेने कमीने का बिस्वास दिलाने के लिये सब सेहती रही कमीना मेरे चुचे जोर सी दबा रहा था लेकिन आखिर कार मेने बातो मे उसे फसा के रोक लिया और देवर जी जाने भी लगे पर ये मेरी भूल थी

मिनिता हैरान होके - आपका कहने का क्या मतलब है दीदी

आसा मिनिता को देख - मिनिता एक मर्द जिस्म के साथ खेलके और होस मे आ जाता है मेरे जिस्म से खेलने के बाद कमीना और जोस मे आ गया था और
मिनिता आसा को देख - और किया दीदी

आसा नजरे नीचे कर - मे भी
मिनिता शोक होके - क्या
आसा मिनिता को देख - हा जो तूने सुना देवर जी मेरे चुचे दबाने के साथ मेरे जिस्म को चूम रहे थे मेरी बुर पे लंड घिस रहे थे मिनिता आज कि आसा मे और उस समय कि आसा एकदम अलग थी उस समय की आसा मे बहोत आग थी 3 दिन तक अभय के पापा सेक्स नही करते थे तो मे पागल हो जाती थी और फिर मे खुद अभय के पापा के ऊपर चढ़ जाती थी

आसा यादों मे चली जाती है

दिनेस जा रहा था पीछे आसा बिस्तर पे बैठी हाफ रही थी बाल सारी बिखरे परे हुवे थे बुर गीली हो चुकी थी आसा दिनेस को जाते देख रही थी तभी दिनेस फिर तेजी से आता h और आसा को बिस्तर पे लेता के आसा के ऊपर आ जाता है

आसा - कियु आ गये देवर जी
दिनेस - भाभी मुझे अभी करना है
आसा कामुक् आवाज मे - किया
दिनेस - आपकी चुदाई
आसा जोस मे - अच्छा
आसा मन में - मुझे चुदाई चाहिये अभय के पापा कई दिन से मेरी चुदाई नही की है मे टरप् रही हु एक बार देवर जी से करने मे क्या जाता है

आसा दिनेस को देख - मेरी बुर की आग आप बुझा सकते है
दिनेस - आजमा के देख लीजिये
आसा तेज सासे लेके सीने से सारी हटा के - तो कर लीजिये जो करना है अगर आप मुझे खुश कर देते है तो जोर आपका लंड अपनी बुर मे लुंगी
दिनेस जोस मे पागल होके आसा के सीने पे किस करते हुवे चुचे दबाने लगता है आसा - आह उफ देवर जी आह

दिनेस चुचे दबाते हुवे आसा को चूम रहा था पूरे अंग का आसा बुर लंड पे घिस रही थी

दिनेस आसा को देखता है फिर मुस्कुराते हुवे नीचे आके सारी उपर करने लगता है आसा - उफ किया कर रहे है
दिनेस - आपकी बुर देखनी है गीली हो गई होगी
आसा कामुक् आवाज मे - देख लीजिये बहोत गीली है आह

दिनेस सारी उपर करते जाता है और आसा के टाँगों को चूमते जाता है आसा सिसकिया लेते मचल रही थी तभी आसा की नजर किसी चीज पी जाती है तो आसा की हवस जोस सब एकदम से ठण्डा पर जाता है

दिनेस आसा के बुर के पास आ गया था सारी पेटीकोट उपर तक उठ गया था लाल चड्डी थोरी देखने लगी थी तभी आसा एकदम से उठ कर बैठ सारी नीचे कर दिनेस को बाहों मे लेके प्यार से - मेरे प्यारे देवर जी में तो भूल ही गई बहोत काम बाकी है तो आराम से रात को लुंगी आपका लंड

दिनेस हैरान आसा को देख - भाभी लेकिन
आसा प्यार से - प्लेस वादा है रोज दूंगी आपकी बुर लेकिन अभी नही इंतज़ार का फल मिठा होता है

दिनेस मन मे - मे नशे जोस मे सिर्फ एक बार भाभी की चुदाई करना चाहता था उसके बाद मेरे साथ जो होता फर्क नही परता लेकिन अब देख रहा हु तो भाभी खुद बुर की आग से तरप् रही है मुझे जल्दी बाज़ी नही करनी चाहिये नही तो रोज बुर नही मिलेगी ये तो मेरे लिये बहोत अच्छा है

दिनेस - ठीक है भाभी लेकिन रात को पक्का
आसा मुस्कुराते हुवे - पक्का.

दिनेस आसा के चुचे दोनो दबाते हुवे - बस एक बार चुचे देखा दीजिये चला जाउंगा

आसा मुस्कुराते हुवे आधे चुचे सिर्फ ब्लाउस बिकनी नीचे कर देखा के - देवर जी बहोत बरे टाइट है आज बस इतना ही रात को सब दिखाऊंगी और चुदाई भी होगी

दिनेस जोस मे - ठीक है भाभी

दिनेस आसा के गाल पे किस करके - जा रहा हु
दिनेस चला जाता है

आसा यादो से बाहर आके मिनिता को देखती है मिनिता हैरान शोक - दीदी उसके बाद और आपने किया देखा जो आप रुक गई

आसा - फैमिली फोटो टेबल पे रखी थी मेरी नजर जब गई मे एकदम से होस मे आ गई फिर मुझे एहसास हुआ मे किया कर रही हु मे अपने पति बच्चो की फोटो देख , कैसे मे अपने पति जो धोका दे सकती हु जब मेरे पति बच्चो को पता चलेगा तो कैसे मे उनसे नजरे मिला पाउंगी सच कहु फैमिली फोटो मेरे नजर के सामने नही आती तो

मिनिता मुह पे हाथ रख आसा को देख - उसके बाद दीदी
आसा मिनिता को देख - उसके बाद मे बहोत रोई फिर मे परोसी के घर बच्चो को लेके चली गई ताकि फिर कमीना आये तो मेरे साथ कुछ करने की कोसिस ना करे साम को अभय के पाता को सब बता दिया फिर अभय के पापा ने कमीने को बहोत मारा उसके बाद दोनो भाई अलग हो गये

आसा मुठी कसते हुवे - लेकिन उसके बाद कई दिन महीने तक रोटी रही मुझे अपने आप पे घिन आने लगी मे खुद को कोसिने लगी कैसे मे एक रेपिस्ट के आगे जिस्म के आग बुझाने के लिये सब भूल हवस मे डूब गई थी वो सब सीन मुझे एक बुरे सपने बन परेसान करने लगा
याद दिलाने लगे मे कैसे हवस मे देवर के साथ सब करने को राजी हो गई थी लेकिन उसी घटना के बाद मेने अपने आप पे अपनी हवस जिस्म की आग पे काबू पा लिया आज तेरे सामने जो आसा है पहले से बिल्कुल अलग है हा अभी भी मेरे अंदर जिस्म की चाहत है जोकि हर औरत मे होती है लेकिन आज मे जितना चाहू अपने आप को रोक सकती हु

आसा ने जो कहा सच कहा आसा अब पहले की आसा नही थी जो बेहक जाये आज आसा खुद नही चाहेगी दिल से तो उसकी बुर मे जरा सा भी गिला पन नही आयेगा रही आसा अभय की बीच कैसे झरने के करीब आ जाती है तो सीधा जवाब है आसा खुद उठने आगे दिल से अभय के साथ जाती है उस पल को आसा अपने खुले दिल से मजे लेती है अभय भी अच्छे से जनता है उसकी मा अपने आप को अच्छे से कामु मे रखती है कहे तो अब अभय आसा अपने आप को रोकने मे माहिर है

आसा मिनिता को देख - मेने तो सुना दी अपनी कहानी तुम बताओ

मिनिता मुठी कसते हुवे - सेम होली का दिन दोपहर 12 बजे कोई नही था मेरे पति दोस्त के घर गये थे मे अकेली थी मेरे परोसी मे पति का दोस्त जिस कमीने का नाम है गोपाल आया नशे मे रंग लागने मे नहाने जा रही थी

गोपाल आगन मे आके मिनिता को देख - भाभी हैप्पी होली रंग लगाने आया हु

मिनिता - अरे देवर जी मे नहाने जा रही थी ठीक है सही समय पे आये है जल्दी लगा

मिनिता आसा को देख - मेने सोचा होली का दिन h सब लगा के गये है उनको मना करना सही नही होगा वैसे भी मे नहाने जा रही थी

गोपाल पास आके मिनिता के गाल पे रंग लगाते हुवे - हैप्पी होली
मिनिता भी रंग गाल पे लगाते हुवे - हैप्पी होली

लेकिन तभी गोपाल मिनिता को पकर पेट पे रंग लगाते हुवे - यहा भि लगा दु
मिनिता हैरान होके - अरे नही बस बस हो गया

पर गोपाल नही रुकता और मिनिता को बाहों मे लेके पीठ पेट मे रंग लगाते रहता है मिनिता - देवर जी बस हो गया चोरिये

गोपाल मिनिता को देख चुचे दबाते हुवे - आह भाभी
मिनिता शोक में गोपाल को जोर करनी कि कोसिस करती है लेकिन गोपाल मिनिता को जमीन पे लेता के चुचे jor जोर से दबाने लगता है

मिनिता दर्द में गोपाल को गुस्से से देख - देवर जी क्या कर रहे है आप
गोपाल हवस नजरो से देख मुस्कुराते हुवे - प्यारी भाभी

गोपाल चुचे दबाते हुवे एकदम से मिनिता के बुर सारी के ऊपर से हि दबाने मसलने लगता है मिनिता काप् जाती है बहोत कोसिस करती है गोपाल को दूर करने रोकनी की लेकिन गोपाल का दूर नही कर पाती
गोपाल मिनिता के गर्दन चुचे पे किस करने लगता है बस मिनिता भी सांत परने लगती है ये देख गोपाल खुश हो जाता है


गोपाल मिनिता को देख -भाभी
मिनिता - जो करना है कर लीजिये जल्दी से

गोपाल खुश होके मिनिता के बुर मे सारी के ऊपर से उंगली घुसाते हुवे - आह भाभी किया करू
मिनिता - आह देवर जि धीरे जो आप करना चाहते है
गोपाल मिनिता के ब्लाउस बिकनी के अंदर हाथ घुसा के चुचे दबाते हुवे - उफ बहोत टाइट है नर्म भी बाहर निकाल दु

मिनिता कामुक् आवाज में - आह ठीक हैं
गोपाल मिनिता के टाँगों के बीच बुर पे धक्का मारते हुवे - आह भाभी बुर बहोत गर्म है आपकी सारी के ऊपर सी फिल हो रहा है

जरा एक बार सब दिखा दीजिये फिर सुरु करेगे
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मिनिता खरी होती हो और सारी ब्लाउस पेटीकोट सब निकाल बिकनी पैंटी पे खरी हो जाती है गोपाल पागल होके देखता रहता है
गोपाल - उफ आप की बॉडी बहोत मस्त कमाल कि है

गोपाल जल्दी से मिनिता के पास जाके पैंटी के ऊपर से बुर मसलने लगता है मिनिता आह उफ सिसकिया लेते हुवे - जल्दी करिये कोई आ जायेगा
गोपाल पैंटी के साइड से एक उंगली बुर मे घुसा देता है मिनिता जोर से आह करते हुवे - उफ मा देवर जी धीरे उंगली करिये
गोपाल मिनिता ki बुरम उंगली करते हुवे - उफ गीली है आपकी बुर

तभी किसी के आने बोलने कि आवाज सुनाई देती है मिनिता एकदम से होस मे आती है फिर जल्दी से सारी ब्लाउस लेके कमरे में भाग जाती है

आने वाला मिनिता का पति हि था

मिनिता आसु लिये आसा को देख - मे तो आपके आगे ही चली गई आपको फैमिली फोटो ने रोक दिया मुझे भी नही तो उस दिन

आसा पूरी शोक मिनिता को देखते हुवे मन मे - मुझे यकीन नही होता हमारे साथ सेम चीजे हुई लेकिन मिनिता के साथ बहोत जयदा हो गया

मिनिता आसु साफ करते हुवे -उस दिन बच गई फिर एक दिन वो कमीना आया तो मेने डंडा लेके मारा धमकी उसके बाद फिर मेने किसी को अपने घर आने नही दिया मेरे पति के दोस्त आते है लेकिन बाहर से चले जाते है आपकी तरह मेने भी खुद पे काबू किया मुझे भी खुद पे घिन आती है

मिनिता मन मे - फिर अभय आया जिसने मेरे जिस्म से नही मुझसे प्यार किया

आसा मिनिता के पास जाके गले लगाके - किस्मत भी किया खेल खेलती है हमारे साथ सेम दो चीजे हुई एक ये दूसरी हम दोनो का बेटा किडनैप हो गया फिर हम मिले अब सब भूल जाओ मिनिता और आगे अपनी लाइफ बच्चो पे ध्यान दो मे भी उस बुरे पास्ट को भुला नही पा रही थी ना पीछा छोर रही थी पर अब लाला की वजह से मे उस बुरे पास्ट से निकल पाई

मिनिता आसा के गले लगे हुवे रोते हुवे - आपको अपने पास्ट बता के दिल हल्का हो गया

आसा मिनिता के आसु साफ कर - अब भूल जाओ आगे बढ़ो
मिनिता - हा आपने सही कहा दीदी

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