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Incest तू लौट के आजा मेरे लाल

sunoanuj

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ajay bhai

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chapter 78

भारती के घर )

भारती जगमोहन अमर आरोही सब एक साथ हॉल मे बैठे हुवे थे

भारती आरोही अमर को देख - एक मोक्का मिला है गवाना मत तुम दोनो जब ये मामला सुलझ जाये ये देश छोर चले जाओ

आरोही आसु लिये - पर मा आपके बिना हम कैसे रहेगे
अमर - हा मा हम अकेले कहा जायेंगे

भारती कुछ सोचने के बाद - ठीक है हम सब साथ चलेंगे किसी कुछ साल के लिये यहा जो हुआ देखा सहा मुझे सब भुलाना चाहती हु

जगमोहन सर्म से नजरे किये बैठा था भरती जगमोहन को देख - सर्म आ रही है मुझे लगा नही आयेगी

जगमोहन इमोसनल होके - हो सके तो माफ कर देना

भरती जगमोहन को इग्नोर कर - हा तो फैसला हो गया हम किसी अच्छे जगह जायेंगे

भारती ने फैसला सुना दिया था कुछ साल दूसरे देश मे बितायेगी

भारती आरोही को देख मन मे - भाई का बच्चा पेट मे लिये है यकीन नही होता दोनो भाई बहन

भारती सभी को देख - आज पुलिस नही आई लेकिन कल जरूर आयेगी हम से पूछ ताछ करने रेडी रहना सब

जगमोहन आरोही अमर - हा

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अभय तारा को देख मुस्कुराते हुवे - आईये मेरी मम्मी जी
तारा अभय को देख - आप यहा किया कर रहे है
अभय खरा होके तारा को बाहों के पकर आखो मे देख - ताकि आप आये और मुझे अकेले में मोक्का मिले आपको प्यार करने का

तारा कसमसाते हुवे अभय की बाहों मे शर्मा के -जाने दीजिये कोई आ जायेगा

अभय तारा के गर्दन पे किस करते हुवे - मम्मी जी आपका दमाद आपको पुरा प्यार देना चाहता है
तारा सिसकिया लेते हुवे - आह दमाद जी रुक जाइये
अभय तारा के होठ पकरे - आपको भी प्यार की जरूरत है
तारा अभय को देख - नही दमाद जी
अभय और तारा को कस के बाहों मे अपने से सता लेता है तारा के बरे चुचे पूरी बॉडी बुर सब अभय से चिपक जाती है

अभय मुस्कुराते हुवे - बहोत बरे नर्म है नीचे तो
तारा एकदम से अभय को धक्का देने भाग जाती है अभय हैरान शोक खरा रह जाता है और तारा को देखता रह जाता है

अभय बेचारा उदास बैठ जाता है

तारा तेज सासे को इमोसन् को काबू करते हुवे सभी के पास आ जाती है फिर मुस्कुराते हुवे नॉर्मल आसा से बाते करने लगती है

मिनिता देखती है तारा नितिका आसा दिशा सब बातो मे बिजी है तो धीरे से अभय के पास आ जाती है

अभय मिनिता को देखता है फिर अपना लंड मुस्कुराते हुवे बाहर निकाल देता है मिनिता ये देख शर्मा जाती है

मिनिता अभय के पास आके अभय के तांगो के बीच नीचे बैठ झुक के लंड मुह मे लेके चूसने लगती है अभय - आह ऑन्टी
लंड चूसने के बाद मिनिता खरी होके सर्माते हुवे अपनी सारी उपर करती है फिर पैंटी नीचे कर अभय के पैर के ऊपर आके धीरे से अपनी भारी बरी गांड नीचे करते हुवे आती है अभय लंड मिनिता की बुर की छेद पे रख देता है मिनिता धीरे धीरे पुरा लंड बुर पे ले लेती है

मिनिता - आह अभय बेटा
अभय मिनिता को बाहों मे ले लेता है मिनिता अभय के गोद पे बैठी गांड उपर नीचे करते लंड लेने लगती है

अभय मिनिता ke ब्लाउस से एक चुचे निकाल दबाते हुवे - एसी चुचे के दूध पीके कोमल विजय बरा हुआ है ना
मिनिता गांड उपर नीचे करते हुवे - आह उफ हा अभय बेटा यही चुचे को पीछे दोनो बरे हुवे है

इधर चुदाई चल रही दूसरी तरफ विजय एक जगह खरा होके रीमा से बाते कर रहा था दिशा विजय के पास आती है विजय एकदम से डर जाता है

दिशा मुस्कुराते हुवे - किया बात है देवर अपनी मासुका के साथ लगे हुवे है लाइये मे भी बात कर लू

विजय शर्मा के फोन देते हुवे - ये लीजिये भाभी
दिशा फोन लेके - कैसी है देवरानी जी
रीमा शर्मा के - भाभी मे ठीक हु आप कैसी है
दिशा - मस्त आप नही आई आती तो मजा और बढ़ जाता
रीमा - भाभी आने का बहोत मन था लेकिन जानती है गाव मे
दिशा - समझ गई कोई ना मे देवर जी के भाई से बात करुगी कुछ करने को कहूगी फिर आप दोनो बिना कोई डर के मिल घूम सकते है

दिशा की बात सुन विजय रीमा बहोत खुश हो जाते है

दिशा मुस्कुराते हुवे - उसके बाद आपको आना होगा हमारे घर
रीमा शर्मा के - जरूर आऊँगी भाई

फोन कट

दिशा मुस्कुराते हुवे विजय को फोन देते हुवे - लगे रहिये
विजय - शर्मा के भाभी भइया से बात करेगी ना
दिशा मुस्कुराते हुवे - बहोत जल्दी है चिंता मत कीजिये करुगी

दिशा फिर हस्ते हुवे चली जाती है

वही मिनिता की बुर पे अभय का पानी लिये मस्त होके सब के पास आ जाती है

मिका अदिति पूजा लगे हुवे थे बात करने मे लेकिन कोमल देखती है उसकी मा आ गई है तो धीरे से वो भी अभय के पास चली आती है

अभय अच्छे से जनता था सब एक एक कर खुद उसके पास आयेगे इस लिये अभय एक अच्छी जगह ढूंढ बैठ गया और जैसा अभय ने सोचा था सब बाते तो आपस मे कर रहे थे लेकिन मोक्का देख अभय के पास चले आ रहे थे

अभय कोमल को आते देखता है तो अभय अपना लंड निकाले ही बैठा था कोमल शर्मा के अभय के पास आके - छी बेसरम ये किया है
अभय कोमल का हाथ पकर नीचे बैठा के - तेरा लॉलीपॉप चुसो

कोमल लंड पकर मुह मे लेके चुस्टे हुवे मन मे - उफ ये स्वाद लेने के लिये मरी जा रही थी टाइम नही है कोई भी आ सकता है मुझे करना होगा
अभय कोमल के चुचे दबाते हुवे - उफ मस्त टाइट है कमु आज नही कल कैसे भी तेरी सील तोर दूंगा
कोमल लंड चुस्टे हुवे मन मे - आह उसकी बाते सुन बुर गीली हो गई डर है कैसे उसका मोटा लंड लुगी लेकिन बुर मे लंड लेने के लिये बेचैन भी हु
3 मिनट बाद

अभय कोमल को खरा करके - पैंटी नीचे करो.
कोमल हैरान अभय को देख सर्म से - कियु
अभय कोमल को देख - जल्दी करो टाइम नही है

कोमल अभय को देखती है फिर जीन्स पैंटी नीचे कर देती है अभय नीचे बैठ कोमल की बुर देखते हुवे - टांगे फैला दो

कोमल टांगे फैला देती है अभय बुर के फाको को फैला के - उफ जवानी का रस पीने का अपना ही मजा है

अभय एकदम से कोमल की बुर मुह मे लेके चूसने लगता है कोमल काप् जाती है कोमल तेज सिसकिया लेते हुवे - आह अभय चुसो मेरी बुर को आह बहोत अच्छा फिल हो रहा है
कोमल खरी खुद बुर अभय के मुह मे दे रही थी और खरे खरे बुर चटवाने का मजा ले रही थी , 2 मिनट बाद

अभय खरा होता है और अपना लंड पकर कोमल की बुर के फाको के बीच घिसने लगता है बुर पे गर्म मोटा अभय के लंड का टोपा फिल कर कोमल काप् जाती है बुरी बॉडी मे करेंट डोर जाता है सासे बहोत तेज हो जाती है दिल जोर से धक धक करने लगता है

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अभय बुर के फाको के बीच लंड घिसते हुवे कोमल कोई देख - उफ कमु कितनी गर्म है तेरी बुर आह मजा आ रहा है तुझे आ रहा है
कोमल एकदम से अभय को बाहों मे लेके - आह अभय ये बहोत मजा आ रहा है तेरा मोटा लंड अपनी बुर की फाको के बीच फिल करके आह अभय घिसते रह मेरा आने वाला है उफ मा अभय और तेज आ रहा है
कोमल जोर से अभय को पकर अपनी गांड आगे करते हुवे बुर तेजी से अभय के लंड पे घिसने लगती हो अभय मुस्कुराते हुवे -आह निकाल दे आने दे
कोमल तेजी सी बुर पे लंड घिसते अभय को कस के पकरे - आह मा करते झटके मारते कापते झर जाती है

कोमल नीचे से नंगी तेज सासे लेते एक पथर् से टेक खरी सासो को कामु करने लगती है ठोरी देर बाद अपनी गीली बुर को देखती है बुर का पानी जांघों से बेह नीचे आ रहा था

कोमल पैंटी उपर करती है फिर पैंट उपर कर पहन लेती है अभय पास आके बाहों मे लेके आखो मे देख - कैसा लगा
कोमल शर्म से - आह अभय पहली बार बुर की फाको मे किसी का लंड गया है ये पहला आह एहसास मेरे लिये नया लेकिन बहोत सुकून भरा था मुझे बहोत अच्छा फिल हुआ

अभय कोमल को किस करते हुवे - कल पक्का तुम्हे एक औरत बना दूंगा
कोमल शर्मा के - मुझे भी इंतज़ार है अब जाती हु
अभय कोमल के गांड जोर से दबा के मुस्कुराते हुवे - ठीक है
कोमल आह करते शर्मा के चली जाती है

अभय मन मे - कल कोमल की लेनी ही होगी पता नही फिर कब टाइम मिले

कोमल के जाने के बाद मिका आती है जिसे देख अभय थोरा हैरान होता है

अभय मिका को देख - मिका तुम आओ बैठो ना
मिका अभय के पास बैठ - अभय पापा हमे कही अच्छी जगह लेके नही गये कही लेके जाते थे तो बरे होटल बरी मॉल उसको तो पता नही था की असली लाइफ का मजा सुकून कैसे और कहा मिलता है ना ये जानने की कोसिस की पहली बार है मेरी मा मेरा जो हम इतनी सांत खूबसूरत जगह आये है

मिका अभय को देख - पैसे सब कुछ नही होते अपनों का साथ प्यार जरूरी होता है आज मेरी मा यहा आके बहोत खुश है तुम्हारी मा बीवी बहन सब बहोत अच्छे साफ दिल के है मेरी मा से सब अपना समझ खुशी से बाते कर रहे है जैसे कई साल से जानते हो मेरी मा भी कब सब से घुल गई उनको खुद नही पता अभय मुझे यकीन था तुम मेरी मा को वो प्यार खुशी दोगे और आज तुम्हारे अपनो से अच्छे से मिल जान सब देख और भी यकीन हो गया मेरे जो सोचा गलत नही था अभय मेरी मा को ऐसे ही प्यार देना खुश रखना

अभय सब सुन मिका को देख रहा था सब बातो को समझ रहा था

अभय मिका को पकर अपने जांघों पे बैठा लेता है मिका हैरान शोक सर्म से - अभय ये क्या
अभय बीच मे मिका के होठ पे उंगली रखते हुवे - तुम भी मिका एक बहोत अच्छी बेटी हो तुम अपनी मा के दर्द उसकी फीलिंग सकती हो मे जनता हु नितिका ऑन्टी बाहर से बहोत मजबूत दिखाती है लेकिन अंदर से टूटी हुई है पर मेरा वादा है मे तुम्हारी मा को खुश रखुंगा

अभय होठ उंगली से हटा लेता है लेकिन मिका सर्म से लाल तेज सासे लिये जा रही थी मिका के चुचे उपर नीचे हो रहे थे पहली बार किसी लरके ने मिका को चुवा और गोद मे बैठा भी लिया था

अभय अपने होठ मिका के होठ के पास लाते हुवे धीरे से - मेरा इरादा तुझे भी प्यार करने का है मिका
मिका शर्मा के तेज सासे लेते हुवे - अभय रुक जाओ ये गलत हो जायेगा
अभय मिका के होठ पे उंगली फेरते हुवे मिका की आखो मे देख - मेरी लाइफ मे और भी लोग है मिका तेरी मा जानती है तुम भी आ जाउंगी तो किया होगा सादी नही कर सकता लेकिन वादा है एक बॉयफ्रेड बन मरते दम तक प्यार करता रहुंगा

अभय का होठ अब मिका के होठ को टच करने लगते है मिका काप् जाती हैं पूरी बॉडी झन झना जाती है दिल जोर से धक करने लगता है मिका तेज सासे लिये जा रही थी अभय मिका की सासे एक दूसरे से टकराने लगती है मिका के मन मे कई सवाल चल रहे थे लेकिन एंड मे
मिका खुद आगे बढ़ अपना होठ अभय के होठ से चिपका देती है

फिर दोनो सब भूल एक दूसरे को बाहों मे कस के पकरे किस करने लगते है मिका का ये पहला किस था किस करने का मजा ये नया फीलिंग मिका को मद्होस् कर गई थी अभय मिका के होठ जिब चूस रहा था मिका भी सेम कर रही थी

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मिका मन मे - मुझे नही पता मे सही कर रही हु या गलत पर मुझे अभय का इस तरह किस करना बहोत अच्छा लग रहा है पहली बार मेरी किस कोई लेगा वो मेरी मा का बॉयफ्रेड होगा सोचा नही था
अभय किस करते हुवे मन मे - मिका के होठ का रस भी ऑन्टी जैसा ही मीठा स्वाद दे रहा है उफ दोनो मा बेटी बवाल है, 2 मिनट बाद

किस टूटते ही मिका तेजी से शर्मा के भाग जाती है अभय मुस्कुराते हुवे देखता रहता है

मिका के जाते ही सिला आती है अभय सिला को देख अभय खुश हो जाता है अभय अपने जांघों पे बैठने का इशारा करता है सिला शर्मा के अभय के पास आके टांगे फैला के दोनो तरफ पैर कर अभय के गोद मे बैठ जाती है अभय सिला को बाहों मे भर लेता है सिला दोनो हाथ अभय के कंधे पे रख देती है दोनो चिपके थे दोनो का फेस एक दूसरे के समाने था

अभय तो मस्त हो गया था सिला की भरी फैली मस्त नर्म गांड अपनी जांघों पे फिल कर के बुर की गर्मी तो अलग ही जांघों को जला रही थी

अभय सिला को मुस्कुराते हुवे देख - आज उस दिन का जवाब चाहिये मेरी मा आपके लाला को बहोत इंतज़ार करवाया है अपने

सिला शर्मा के - कोन सा जवाब
अभय सिला की आखो मे देख - आपको पता है
सिला अभय को देख - नही थी नाराज अब खुश
अभय सिला को देख - और आगे आइये ना मा
सिला शर्मा के अपनी गांड उठा के आगे बोले तो सीधा अभय के लंड पे बैठ जाती है

अभय सिला को कस लेता है सिला आह करती है अब सिला अभय की बाहों मे पूरी चिपकी थी चुचे अभय के सीने मे दबे थे

पोजिसन अजब का था सिला अभय के गोद मे अभय की तरफ करके अभय के लंड के ऊपर बैठी थी चिपक थे अभय सिला के बरे चुचे बुर की गर्मी कहे पूरी बॉडी की गर्मी खुशबु सब से पागल हो रहा था
सिला के चेहरा अभय के कंधे पे था अभय का सिला के दोनो एक दूसरे को देख नही सकते है कियुंकी चेहरा एक दूसरे के आगे था

अभय सिला के पीठ सेहलाते हुवे धीरे से - पापा प्यार करते है मुझे भी करना है आपको प्यार मा
सिला अभय को बाहों मे कसे हुवे सिसकिया लेते हुवे -बेटा है मेरा पापा की जगह तु नही ले सकता

सिला मन मे - जानती हु लाला तु किया चाहता है लेकिन वो मे कैसे तुझे डेदू

अभय सिला को आगे कर चेहरे को देखते हुवे - आप चाहेगी तो दे सकती है मा
सिला अभय के गाल पे हाथ फेरते हुवे - लाला और कुछ मांग लेकिन जो तु मांग रहा है मे नही दे सकती

अभय उदास होके - ठीक है समझ गया
अभय को उदास देख सिला दुखी हो जाती है
सिला अभय के चेहरे को पकर आखो मे देख - उसके अलावा तु जो बोलेगा करुगी एक बार तेरे लिये

अभय उदास होके - नही मे आप मुझपे तरस खाके दुखी देख कर केह रही है आपका लाला वैसा नही किसकी फायदा उठाये
सिला अभय के होठ पे किस करते हुवे - जानती हु एसी लिये तो बहोत प्यार करती हु गर्व भी है अपने लाला पे लेकिन मे दिल करुगी पर सिर्फ एक बार लाला हमारा रिस्ता मा बेटे का है मे किसी की बीवी हु समझ
अभय मन मे - हद है छोटी मा भी मा की तरह एक दीवार खरी कर दी है लेकिन एक मोका दिया एक बार सेक्स के अलावा कुछ भी करेगी तो किया करू या करने को कहु

अभय सिला को देख - मे कहु मुझे आपका सब देखना है दिखायेगी
सिला अभय को देख शर्मा के - सब नही एक लाला
अभय - उपर का देखूंगा तो नीचे का नही देख पाऊंगा
सिला मन मे - बेसरम सब देखना चाहता है
अभय सिला को देख - मा अपने तो मुझे बरी उलझन मे डाल दिया
सिला शर्मा के - सोच ले किया देखना है या और कुछ करू

अभय गहरी सासे छोर के - सोच के बताऊंगा और घर पे कल रात को
सिला मुस्कुराते हुवे सर्म से - ठीक है
अभय सिला के होठो पे टूट परता किस करने के बाद सिला खरी होके - मे जा रही हु

अभय - मा
सिला पीछे मूर अभय को देख - हा
अभय - हो सके तो बता दीजिये नीचे कोन की कलर की पहनी है
सिला हैरान शोक मे अभय को देखती है फिर सर्म से पानी पानी होते हुवे - पिला, केह शर्मा के चली जाती है

अभय मन मे - पिला उफ कैसी पैंटी पहनी होगी मा मे कैसा देखने मे लग रहा होगा उफ

सिला जाते हुवे मन मे शर्मा के - उफ बहोत सर्म आ रही है ये लरका बहोत बिगर गया है कैसी गंदी हरकत बाते करता है

सिला के जाते ही पूजा आती है
पूजा अभय के पास बैठ - जीजा जी सब बैठ एक साथ बाते कर रहे है और आप यहा अकेले बैठे है.

अभय अपना लंड निकाल पूजा को देख मुस्कुराते हुवे - ताकि आप आये और हम फिर सब कर सके

पूजा शर्मा के - छी हमेसा आपका दिमाग वही रहता है
अभय पूजा के हाथ पकर अपने पैर के बीच लंड के पास बैठा के मुस्कुराते हुवे - आपका भी दिल है साली जी तभी तो आई है अब चूसिये

पूजा कुछ नह करती और सर्म से लंड पकर मुह मे लेके मजे से चुस्टे हुवे - जीजा जी बहोत तेज है सब समझ जाते है उफ जीजा जी के लंड का स्वाद बुर मे लंड जब से लिया है बार बार लेने का मन करता है
3 मिनट बाद

अभय पूजा को देख - साली जी नीचे से नंगी होके घोरी बन जाइये
पूजा सर्माते हुवे पैंट पैंटी नीचे कर जमीन पे घोरी बन जाती है

अभय भी घुटने पे आके लंड पे थूक लगा के बुर पे घिसते हुवे - आह साली जी डाल दु
पूजा सिसकिया लेते हुवे -आह जीजा जी धीरे से घुसाइये गा
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है
अभय धीरे धीरे लंड बुर मे घुसाने लगता है पूजा दर्द मे मन मे - मा मर गई एक एक इंच जीजा जी का मोटा लंड अंदर जाते फिल कर पा रही हु

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अभय पुरा लंड घुसा के चुदाई करना सुरु कर देता है पूजा सर्म से आसु लिये - जीजा जी धीरे कीजिये मा तेज धक्का मत मारिये दर्द होता है
अभय तेज चुदाई करते हुवे - उफ साली जी आपकी टाइट गर्म बुर की गर्मी जल्दी निकाल दूंगा टाइम नही है जल्दी ही कम होगा
पूजा रोते हुवे - दर्द होता है उसका क्या आह मा
10 मिनट बाद

पूजा खरी होके पैंट पैंटी पहनते आसु साफ करके अभय को देख - बहोत बुरे है आप

अभय पूजा को बाहों मे लेके - आप बहोत प्यारी
पूजा अभय को बाहों मे लिये - आप भी जीजा जी चुदाई करते वक़्त आप नही सुनते बाकी तो आप बहोत अच्छे है
अभय मुस्कुराते हुवे - बुर की आग ठंडी हुई या
पूजा एकदम से दूर होके सर्म से - इतना ही बहोत है

पूजा भी तेजी से भाग जाती है

पूजा मन मे - आह बहोत दर्द हो रहा है 10 मिनट मे ही 2 बार मेरी बुर ने पानी निकाला जीजा जी कोई इंसान भी है आह

पूजा फिर सभी के पास आके बैठ जाती है दिशा पूजा को देख मन मे - आ गई चुदवा के अपने जीजा से बेसरम

अभय लंड देखते हुवे - आह साली जी लंड साफ करके तो जाती आपकी बुर का पानी लगा हुआ है मेरे लंड पे

पूजा के बाद आती है मधु आती है मधु शर्मा रही थी चेहरा लाल था अभय मधु को देख मुस्कुराते हुवे - गुरिया

मधु अभय के पास आके खरी हो जाती हैं अभय मधु के हाथ पकर सिला के जैसे ही अपने लंड पे गोद मे बैठा के बाहों मे भर लेता है

अभय मधु को देख - आज मेरी गुरिया जीन्स टिसर्ट मे मस्त लग रही है
मधु अभय को देख सर्म से - सच भाई
अभय - बिल्कुल सच

अभय मधु के के होठ को देख - पहले अपने भाई को अपने होठो का रस पिला दे जल्दी से

मधु शर्मा के अपने होठ आगे करते हुवे - पी लीजिये भाई

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अभय मधु के होठ मुह मे लेके पीना सुरु कर देता है मधु अभय को बाहों मे लिये अभय मधु को दोनो एक दूसरे से चिपके एक दूसरे का जिब होठ चूस के रस पीने लगते है 2 मिनट बाद

अभय मधु को देख - गुरिया टाइट टिसर्ट मे तेरे दोनो मस्त दिख रहे है
मधु सर्म से लाल होके नजरे सर्म से झुकाये - भाई सर्म आती है

अभय धीरे से मधु के एक चुचे पे हाथ रख दबाने लगता है मधु एकदम से काप् के तेज सासे लेने लगती है मधु को ऐसा फिल होता है एक तेज बिजली शरीर मे डोर रही हो मधु सिहर उठती है तेज सासे दिल जोर से धक धक करने लगता
मधु दात से होठ दबाये रखती है लेकिन सिसकिया फुट परती है मधु सिसकिया लेते हुवे आह उफ करने लगती है

अभय मधु के चुचे तीसर्ट के ऊपर से दबाते हुवे - उफ गुरिया कितने टाइट मुलायम नर्म है तेरे चुचे सच कहु गुरिया तेरे चुचे पर्फेट है दबाने में बहोत मजा आ रहा है मुझे ऐसा लग रहा है मे नर्म रुई दबा रहा हु
मधु अभय की बातो से और मद्होस् होके सिसकिया लेते हुवे - भाई आह आपको मेरे चुचे दबाने मे मजा आ रहा है तो आह और डबाइये लेकिन उफ धीरे दर्द हो रहा है
अभय धीरे से दबाते मधु को देख - अपने भाई से चुचे दबवाने मे मजा आ रहा है मेरी गुरिया को
मधु अभय को सर्म से देखते हुवे मद्होस् होके - हा आह भाई

अभय चुचे छोर मधु के कान मे धीरे से - दिखाओगी कब गुरिया
मधु शर्मा के धीरे से - भाई आपने सब देखा तो है
अभय धीरे से - हा लेकिन अच्छे से पास दे नही देखा ना
मधु सर्म से नजरे नीचे किये - सोचिगी
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है अपने भाई का नही देखना है
मधु की सासे रुक जाती है मधु कापते हुवे नजरे नीचे किये धीरे से - नही पता

अभय मधु का हाथ अपने पैंट के ऊपर लंड पे रख देता है मधु को जोर का झटका जैसा लगता है मधु जल्दी से हाथ पीछे कर खरी होके शर्मा के - गंदे भाई कहते हुवे भाग जाती है

अभय मुस्कुराते हुवे मन मे - छोटी मा गुरिया एक जैसी है दोनो को कुछ कहो पहले सोचेंगे

मधु जाते अपने हाथ को देख सर्म से मन मे - भाई के उस पे मेरा हाथ था मेरी तो सासे रुक गई थी भाई मुझे अपना दिखाना चाहते है मेरे चुचे को कैसे जोर से दबा रहे थे लेकिन भाई को मेरे चुचे दबाने मे बहोत मजा आ रहा था मुझे भी उफ ये कैसा एहसास है


मधु के जाते ही दिशा आती है और घूर के अभय को देखती है अभय डर के दूसरी तरफ नजरे फेर लेता है

दिशा अभय के पास आके बैठ - वाह अकेले मे कांड कर रहे है और सर्म भी आ रही है

अभय दिशा को एकदम से अपनी गोद मे बैठा के - सर्म नही बस अपनी बीवी से नजरे मिलाने मे अजीब लग रहा है कभी कभी सोचता हु क्या मे तुम्हारे साथ सही कर रहा हु

दिशा हैरान अभय को देखती है फिर मुस्कुराते हुवे - आपको मेरी फिकर चिंता है यही बहोत है आपकी जगह कोई और होता तो वो बीवी को भूल ही जाता खैर आपका लंड मे जो दम है कई लो एक साथ लपेट सांत कर देगी मेने कहा फिर कहती हु मुझे आपसे कोई गिला शिकवा नाराजगी नही है होती तो मे आपको इतनी आजादी नही देती

अभय मुस्कुराते हुवे - मेरी प्यारी बीवी
फिर दोनो किस करने लगते है किस के बाद अभय - बीवी जी सारी पेटीकोट उपर कर लो एक राउंड कर लेते है रात को तो कर नही पायेंगे

दिशा झुक के पहले पैंटी नीचे करती है फिर सारी पेटीकोट उपर उठा लेती है दिशा अभय को देख - धीरे से नही तो बहोत मारुगी
अभय लंड निकाल के - गिला तो करो
दिशा सरमाते हुवे नीचे बैठ मुह मे लंड लेके मजे से चूसने लगती है 3 मिनट बाद

दिशा मुह साफ कर अभय को देख - मेरी बुर कोन चुसेगा
अभय मुस्कुराते हुवे - बेसरम मुझे कहती हो और देखो खुद को
दिशा शर्मा के - हा तो इतना सर्माना भी सही नही है चलिये चूसिये मेरी बुर को मेरे बच्चे के पापा

अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है बेसरम मेरी बच्ची की मा टांगे फैला दो

दिशा टांगे फैला देती है अभय नीचे बैठ बुर के फाके फैला के जिब डाल चूसने लगता है दिशा - आह चूसिये उफ बहोत मजा आ रहा है
3 मिनट बाद

अभय दिशा की एक टांगे उठा के पकर खरे बुर मे लंड घुसा के चुदाई करने लगता है दिशा अभय को पकरे - आह नही धीरे मा बहोत दर्द हो रहा है आह
अभय चुदाई करते हुवे - उफ दिशा तुम्हारी बुर की तुम्हारी बात ही अलग है मेरी जान आह मजा आ रहा है, 16 मिनट बाद

दिशा पैंटी पहन सारी नीचे कर आसु साफ करते हुवे अभय कोई देख - बुर मे लंड घुसाते ही आप तो रुकते ही नही

अभय मुस्कुराते हुवे - दर्द मे मजा देखो नीचे कैसे तुम्हारी बुर ने पानी निकला है नीचे सबूत है

दिशा जाते हुवे - बेसरम है आप और रहेगे कभी सुधर नही सकते है गंदी बेसरम बाते हु

दिशा चली जाती है अभय मुस्कुराते हुवे - हाय मेरी बीवी के मुह फुलाना गुस्सा मे और कमाल लगती है

दिशा के आते ही अदिति मोक्का देख अभय के पास चली जाती है

बाकी सभी कैप के अंदर कैप बहोत बरा गोल बना था बिस्तर सभी का एक साथ ही लगा था यानी सब एक साथ ही सोने वाले थे

आसा झरने के पास थोरा लाइट मे खरी अकेली सांत सुकून ले रही थी

तभी मिनिता आसा के पास आके - दीदी अभय को सब बता दिया
आसा मिनिता को देख - हा रात को ही जैसा मेने सोचा था लाला को सब पता चल गया था

मिनिता - दीदी आप बुरा ना मानो तो किया हुआ था अभय को क्या बताया बता सकती है

आसा मिनिता को देखती है फिर सब बात देती है

मिनिता हैरान होके गुस्से से - कमीना कही का दीदी आपने चालाकी से अपनी इज़त लूटने से बचा लिया नही तो बहोत बुरा होता अभय बेटा भी आपकी मजबूरी समझ गया होगा

आसा इमोसनल होके - हु मेरा लाला बहोत प्यार करता है तेज दिमाग समझदार भी है

मिनिता - दीदी आपकी कहानी सुनने के बाद तो मेरे साथ जो हुवा
आसा मिनिता को देख - तूने नही बताया किया हुआ तेरे साथ कितना कैसे हुआ

मिनिता -दीदी बताऊंगी लेकिन जब आपका देवर आपके साथ गलत करनी की कोसिस कर रहा था तक आपके मन मे क्या चल रहा था आपको अच्छा लग रहा था या बुरा अभय को नही बताया लेकिन मुझे जानना है

आसा बहोत शोक होती है और हैरान मिनिता को गुस्से से देख - मिनिता
मिनिता डर के नजरे नीचे किये - दीदी मेरा गलत इरादा नही है आपके साथ वो हुआ मेरे साथ बाकी सब सेम ही हुआ है लेकिन जब मेरे साथ वो कमीना करने की कोसिस कर रहा था तो कई चीजे मेरे दिमाग मे चल रही थी जो मे फिल कर रही थी वो सब मिलाना चाहती हु जानना चाहती हु आप क्या सोच रही थी कैसा फिल कर रही थी क्या मे जो सोच रही थी फिल कर रही थी हमारे दोनो का मैच करता है या नही

दीदी - जान कर खुद को जज करना चाहती हु बस इतना ही है मे भी उस पल को याद करती हु तो सिहर उठती हु

मिनिता की बात सुन जान समझ आसा - मिनिता अभय को मे सब बताना चाहती थी मे किया फिल कर रही थी सोच रही थी लेकिन एक मा होने के नाथे हिम्मत उठा रही थी पर जब पहले लाला को उसकी बुआ मासी की अधूरी कहानी सुनाई तो उसने उसे पुरा समझ लिया तब मे जान गई मेरा लाला बहोत तेज है लाला भी बस जो हुवा जानना चाहता था तो मेने बात दिया लेकिन हा लाला को अच्छे से पता है मे उस समय क्या सोच रही थी मुझे अच्छा बुरा किया फिल हो रहा था

आसा मिनिता की तरफ घूम - ठीक है मे उस पल को फिर याद नही करना चाहती थी लेकिन तेरी बाते सुन मे बटाउगी सब अच्छे से लेकिन वादा कर उसके बाद सब भूल जायेगी और अपनी लाइफ मस्त जियेगी कियुंकी हम दोनो के लिये अच्छा है लाला को सब बता के मेरा बोझ उतर गया अब वो बुरे वक़्त भूल गई सायद तुम भी भूल जाओ

आसा मन मे - लाला सब अच्छे से जनता है और आज मे जैसी हु पहले नही थी लेकिन उस घटना के बाद मेने अपने आप को पुरा बदल लिया जो लाला को अच्छे से समझ आ गया है
मिनिता - वादा दीदी
आसा - ठीक है सुन मे किया फिल कर रही थी सोच रही थी

आसा किया सोच फिल कर रही थी जब उसका देवर उसकी इज़त लूटने मे लगा था ये सब आसा ने अभय को नही बताया कियुंकी आसा को एहसास हो गया था उसका बेटा बहोत तेज है सब समझ जायेगा वैसा था ही अभय को तो बस ये जानना था उसकी मा चाचा के बीच वो सब हुआ तो नही है जोकि आसा ने सब बता के साफ कर दिया ऐसा कुछ नही हुआ था

आसा को ये एहसास नही होता की उसका बेटा सब समझ जायेगा तो आसा सब किल्यर करके बता देती अभय को भी सब पता था और अभय को जो जानना था जान किया अभय अपनी मा को सर्मिंदा नही करना चाहता था

लेकिन अब आसा मिनिता को वो सब बतायेगी जोकि कहानी के लिये बहोत जरूरी हिस्सा है कुछ चीजे कीयर भी होगी

वही अभय की गोद मे अदिति बैठी हुई थी अपने चुचे अपने भाई के सीने मे दबा के अभय अदिति की बुर की गर्मी बॉडी की खुबसु और सीने पे नर्म बरे मुलायम चुचे फिल कर रहा था

अदिति अभय दोनो भाई बहन सुरु सी ही ऐसा करते रहते है तो सब नॉर्मल था दोनो के बीच लेकिन अदिति आगे जो होने वाला था वो सोच अजीब फिल कर शर्मा रही थी पहली बार एक भाई अपनी सगी छोटी बहन के होठो का रस पीने वाला था और एक छोटी बेहन अपने होठ का रस पिलाने वाली थी अपने भाई को

अभय अदिति एक दूसरे की आखो मे देखते है अदिति शर्मा रही थी


आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏
 

Kumarshiva

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chapter 78

भारती के घर )

भारती जगमोहन अमर आरोही सब एक साथ हॉल मे बैठे हुवे थे

भारती आरोही अमर को देख - एक मोक्का मिला है गवाना मत तुम दोनो जब ये मामला सुलझ जाये ये देश छोर चले जाओ

आरोही आसु लिये - पर मा आपके बिना हम कैसे रहेगे
अमर - हा मा हम अकेले कहा जायेंगे

भारती कुछ सोचने के बाद - ठीक है हम सब साथ चलेंगे किसी कुछ साल के लिये यहा जो हुआ देखा सहा मुझे सब भुलाना चाहती हु

जगमोहन सर्म से नजरे किये बैठा था भरती जगमोहन को देख - सर्म आ रही है मुझे लगा नही आयेगी

जगमोहन इमोसनल होके - हो सके तो माफ कर देना

भरती जगमोहन को इग्नोर कर - हा तो फैसला हो गया हम किसी अच्छे जगह जायेंगे

भारती ने फैसला सुना दिया था कुछ साल दूसरे देश मे बितायेगी

भारती आरोही को देख मन मे - भाई का बच्चा पेट मे लिये है यकीन नही होता दोनो भाई बहन

भारती सभी को देख - आज पुलिस नही आई लेकिन कल जरूर आयेगी हम से पूछ ताछ करने रेडी रहना सब

जगमोहन आरोही अमर - हा

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अभय तारा को देख मुस्कुराते हुवे - आईये मेरी मम्मी जी
तारा अभय को देख - आप यहा किया कर रहे है
अभय खरा होके तारा को बाहों के पकर आखो मे देख - ताकि आप आये और मुझे अकेले में मोक्का मिले आपको प्यार करने का

तारा कसमसाते हुवे अभय की बाहों मे शर्मा के -जाने दीजिये कोई आ जायेगा

अभय तारा के गर्दन पे किस करते हुवे - मम्मी जी आपका दमाद आपको पुरा प्यार देना चाहता है
तारा सिसकिया लेते हुवे - आह दमाद जी रुक जाइये
अभय तारा के होठ पकरे - आपको भी प्यार की जरूरत है
तारा अभय को देख - नही दमाद जी
अभय और तारा को कस के बाहों मे अपने से सता लेता है तारा के बरे चुचे पूरी बॉडी बुर सब अभय से चिपक जाती है

अभय मुस्कुराते हुवे - बहोत बरे नर्म है नीचे तो
तारा एकदम से अभय को धक्का देने भाग जाती है अभय हैरान शोक खरा रह जाता है और तारा को देखता रह जाता है

अभय बेचारा उदास बैठ जाता है

तारा तेज सासे को इमोसन् को काबू करते हुवे सभी के पास आ जाती है फिर मुस्कुराते हुवे नॉर्मल आसा से बाते करने लगती है

मिनिता देखती है तारा नितिका आसा दिशा सब बातो मे बिजी है तो धीरे से अभय के पास आ जाती है

अभय मिनिता को देखता है फिर अपना लंड मुस्कुराते हुवे बाहर निकाल देता है मिनिता ये देख शर्मा जाती है

मिनिता अभय के पास आके अभय के तांगो के बीच नीचे बैठ झुक के लंड मुह मे लेके चूसने लगती है अभय - आह ऑन्टी
लंड चूसने के बाद मिनिता खरी होके सर्माते हुवे अपनी सारी उपर करती है फिर पैंटी नीचे कर अभय के पैर के ऊपर आके धीरे से अपनी भारी बरी गांड नीचे करते हुवे आती है अभय लंड मिनिता की बुर की छेद पे रख देता है मिनिता धीरे धीरे पुरा लंड बुर पे ले लेती है

मिनिता - आह अभय बेटा
अभय मिनिता को बाहों मे ले लेता है मिनिता अभय के गोद पे बैठी गांड उपर नीचे करते लंड लेने लगती है

अभय मिनिता ke ब्लाउस से एक चुचे निकाल दबाते हुवे - एसी चुचे के दूध पीके कोमल विजय बरा हुआ है ना
मिनिता गांड उपर नीचे करते हुवे - आह उफ हा अभय बेटा यही चुचे को पीछे दोनो बरे हुवे है

इधर चुदाई चल रही दूसरी तरफ विजय एक जगह खरा होके रीमा से बाते कर रहा था दिशा विजय के पास आती है विजय एकदम से डर जाता है

दिशा मुस्कुराते हुवे - किया बात है देवर अपनी मासुका के साथ लगे हुवे है लाइये मे भी बात कर लू

विजय शर्मा के फोन देते हुवे - ये लीजिये भाभी
दिशा फोन लेके - कैसी है देवरानी जी
रीमा शर्मा के - भाभी मे ठीक हु आप कैसी है
दिशा - मस्त आप नही आई आती तो मजा और बढ़ जाता
रीमा - भाभी आने का बहोत मन था लेकिन जानती है गाव मे
दिशा - समझ गई कोई ना मे देवर जी के भाई से बात करुगी कुछ करने को कहूगी फिर आप दोनो बिना कोई डर के मिल घूम सकते है

दिशा की बात सुन विजय रीमा बहोत खुश हो जाते है

दिशा मुस्कुराते हुवे - उसके बाद आपको आना होगा हमारे घर
रीमा शर्मा के - जरूर आऊँगी भाई

फोन कट

दिशा मुस्कुराते हुवे विजय को फोन देते हुवे - लगे रहिये
विजय - शर्मा के भाभी भइया से बात करेगी ना
दिशा मुस्कुराते हुवे - बहोत जल्दी है चिंता मत कीजिये करुगी

दिशा फिर हस्ते हुवे चली जाती है

वही मिनिता की बुर पे अभय का पानी लिये मस्त होके सब के पास आ जाती है

मिका अदिति पूजा लगे हुवे थे बात करने मे लेकिन कोमल देखती है उसकी मा आ गई है तो धीरे से वो भी अभय के पास चली आती है

अभय अच्छे से जनता था सब एक एक कर खुद उसके पास आयेगे इस लिये अभय एक अच्छी जगह ढूंढ बैठ गया और जैसा अभय ने सोचा था सब बाते तो आपस मे कर रहे थे लेकिन मोक्का देख अभय के पास चले आ रहे थे

अभय कोमल को आते देखता है तो अभय अपना लंड निकाले ही बैठा था कोमल शर्मा के अभय के पास आके - छी बेसरम ये किया है
अभय कोमल का हाथ पकर नीचे बैठा के - तेरा लॉलीपॉप चुसो

कोमल लंड पकर मुह मे लेके चुस्टे हुवे मन मे - उफ ये स्वाद लेने के लिये मरी जा रही थी टाइम नही है कोई भी आ सकता है मुझे करना होगा
अभय कोमल के चुचे दबाते हुवे - उफ मस्त टाइट है कमु आज नही कल कैसे भी तेरी सील तोर दूंगा
कोमल लंड चुस्टे हुवे मन मे - आह उसकी बाते सुन बुर गीली हो गई डर है कैसे उसका मोटा लंड लुगी लेकिन बुर मे लंड लेने के लिये बेचैन भी हु
3 मिनट बाद

अभय कोमल को खरा करके - पैंटी नीचे करो.
कोमल हैरान अभय को देख सर्म से - कियु
अभय कोमल को देख - जल्दी करो टाइम नही है

कोमल अभय को देखती है फिर जीन्स पैंटी नीचे कर देती है अभय नीचे बैठ कोमल की बुर देखते हुवे - टांगे फैला दो

कोमल टांगे फैला देती है अभय बुर के फाको को फैला के - उफ जवानी का रस पीने का अपना ही मजा है

अभय एकदम से कोमल की बुर मुह मे लेके चूसने लगता है कोमल काप् जाती है कोमल तेज सिसकिया लेते हुवे - आह अभय चुसो मेरी बुर को आह बहोत अच्छा फिल हो रहा है
कोमल खरी खुद बुर अभय के मुह मे दे रही थी और खरे खरे बुर चटवाने का मजा ले रही थी , 2 मिनट बाद

अभय खरा होता है और अपना लंड पकर कोमल की बुर के फाको के बीच घिसने लगता है बुर पे गर्म मोटा अभय के लंड का टोपा फिल कर कोमल काप् जाती है बुरी बॉडी मे करेंट डोर जाता है सासे बहोत तेज हो जाती है दिल जोर से धक धक करने लगता है

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अभय बुर के फाको के बीच लंड घिसते हुवे कोमल कोई देख - उफ कमु कितनी गर्म है तेरी बुर आह मजा आ रहा है तुझे आ रहा है
कोमल एकदम से अभय को बाहों मे लेके - आह अभय ये बहोत मजा आ रहा है तेरा मोटा लंड अपनी बुर की फाको के बीच फिल करके आह अभय घिसते रह मेरा आने वाला है उफ मा अभय और तेज आ रहा है
कोमल जोर से अभय को पकर अपनी गांड आगे करते हुवे बुर तेजी से अभय के लंड पे घिसने लगती हो अभय मुस्कुराते हुवे -आह निकाल दे आने दे
कोमल तेजी सी बुर पे लंड घिसते अभय को कस के पकरे - आह मा करते झटके मारते कापते झर जाती है

कोमल नीचे से नंगी तेज सासे लेते एक पथर् से टेक खरी सासो को कामु करने लगती है ठोरी देर बाद अपनी गीली बुर को देखती है बुर का पानी जांघों से बेह नीचे आ रहा था

कोमल पैंटी उपर करती है फिर पैंट उपर कर पहन लेती है अभय पास आके बाहों मे लेके आखो मे देख - कैसा लगा
कोमल शर्म से - आह अभय पहली बार बुर की फाको मे किसी का लंड गया है ये पहला आह एहसास मेरे लिये नया लेकिन बहोत सुकून भरा था मुझे बहोत अच्छा फिल हुआ

अभय कोमल को किस करते हुवे - कल पक्का तुम्हे एक औरत बना दूंगा
कोमल शर्मा के - मुझे भी इंतज़ार है अब जाती हु
अभय कोमल के गांड जोर से दबा के मुस्कुराते हुवे - ठीक है
कोमल आह करते शर्मा के चली जाती है

अभय मन मे - कल कोमल की लेनी ही होगी पता नही फिर कब टाइम मिले

कोमल के जाने के बाद मिका आती है जिसे देख अभय थोरा हैरान होता है

अभय मिका को देख - मिका तुम आओ बैठो ना
मिका अभय के पास बैठ - अभय पापा हमे कही अच्छी जगह लेके नही गये कही लेके जाते थे तो बरे होटल बरी मॉल उसको तो पता नही था की असली लाइफ का मजा सुकून कैसे और कहा मिलता है ना ये जानने की कोसिस की पहली बार है मेरी मा मेरा जो हम इतनी सांत खूबसूरत जगह आये है

मिका अभय को देख - पैसे सब कुछ नही होते अपनों का साथ प्यार जरूरी होता है आज मेरी मा यहा आके बहोत खुश है तुम्हारी मा बीवी बहन सब बहोत अच्छे साफ दिल के है मेरी मा से सब अपना समझ खुशी से बाते कर रहे है जैसे कई साल से जानते हो मेरी मा भी कब सब से घुल गई उनको खुद नही पता अभय मुझे यकीन था तुम मेरी मा को वो प्यार खुशी दोगे और आज तुम्हारे अपनो से अच्छे से मिल जान सब देख और भी यकीन हो गया मेरे जो सोचा गलत नही था अभय मेरी मा को ऐसे ही प्यार देना खुश रखना

अभय सब सुन मिका को देख रहा था सब बातो को समझ रहा था

अभय मिका को पकर अपने जांघों पे बैठा लेता है मिका हैरान शोक सर्म से - अभय ये क्या
अभय बीच मे मिका के होठ पे उंगली रखते हुवे - तुम भी मिका एक बहोत अच्छी बेटी हो तुम अपनी मा के दर्द उसकी फीलिंग सकती हो मे जनता हु नितिका ऑन्टी बाहर से बहोत मजबूत दिखाती है लेकिन अंदर से टूटी हुई है पर मेरा वादा है मे तुम्हारी मा को खुश रखुंगा

अभय होठ उंगली से हटा लेता है लेकिन मिका सर्म से लाल तेज सासे लिये जा रही थी मिका के चुचे उपर नीचे हो रहे थे पहली बार किसी लरके ने मिका को चुवा और गोद मे बैठा भी लिया था

अभय अपने होठ मिका के होठ के पास लाते हुवे धीरे से - मेरा इरादा तुझे भी प्यार करने का है मिका
मिका शर्मा के तेज सासे लेते हुवे - अभय रुक जाओ ये गलत हो जायेगा
अभय मिका के होठ पे उंगली फेरते हुवे मिका की आखो मे देख - मेरी लाइफ मे और भी लोग है मिका तेरी मा जानती है तुम भी आ जाउंगी तो किया होगा सादी नही कर सकता लेकिन वादा है एक बॉयफ्रेड बन मरते दम तक प्यार करता रहुंगा

अभय का होठ अब मिका के होठ को टच करने लगते है मिका काप् जाती हैं पूरी बॉडी झन झना जाती है दिल जोर से धक करने लगता है मिका तेज सासे लिये जा रही थी अभय मिका की सासे एक दूसरे से टकराने लगती है मिका के मन मे कई सवाल चल रहे थे लेकिन एंड मे
मिका खुद आगे बढ़ अपना होठ अभय के होठ से चिपका देती है

फिर दोनो सब भूल एक दूसरे को बाहों मे कस के पकरे किस करने लगते है मिका का ये पहला किस था किस करने का मजा ये नया फीलिंग मिका को मद्होस् कर गई थी अभय मिका के होठ जिब चूस रहा था मिका भी सेम कर रही थी

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मिका मन मे - मुझे नही पता मे सही कर रही हु या गलत पर मुझे अभय का इस तरह किस करना बहोत अच्छा लग रहा है पहली बार मेरी किस कोई लेगा वो मेरी मा का बॉयफ्रेड होगा सोचा नही था
अभय किस करते हुवे मन मे - मिका के होठ का रस भी ऑन्टी जैसा ही मीठा स्वाद दे रहा है उफ दोनो मा बेटी बवाल है, 2 मिनट बाद

किस टूटते ही मिका तेजी से शर्मा के भाग जाती है अभय मुस्कुराते हुवे देखता रहता है

मिका के जाते ही सिला आती है अभय सिला को देख अभय खुश हो जाता है अभय अपने जांघों पे बैठने का इशारा करता है सिला शर्मा के अभय के पास आके टांगे फैला के दोनो तरफ पैर कर अभय के गोद मे बैठ जाती है अभय सिला को बाहों मे भर लेता है सिला दोनो हाथ अभय के कंधे पे रख देती है दोनो चिपके थे दोनो का फेस एक दूसरे के समाने था

अभय तो मस्त हो गया था सिला की भरी फैली मस्त नर्म गांड अपनी जांघों पे फिल कर के बुर की गर्मी तो अलग ही जांघों को जला रही थी

अभय सिला को मुस्कुराते हुवे देख - आज उस दिन का जवाब चाहिये मेरी मा आपके लाला को बहोत इंतज़ार करवाया है अपने

सिला शर्मा के - कोन सा जवाब
अभय सिला की आखो मे देख - आपको पता है
सिला अभय को देख - नही थी नाराज अब खुश
अभय सिला को देख - और आगे आइये ना मा
सिला शर्मा के अपनी गांड उठा के आगे बोले तो सीधा अभय के लंड पे बैठ जाती है

अभय सिला को कस लेता है सिला आह करती है अब सिला अभय की बाहों मे पूरी चिपकी थी चुचे अभय के सीने मे दबे थे

पोजिसन अजब का था सिला अभय के गोद मे अभय की तरफ करके अभय के लंड के ऊपर बैठी थी चिपक थे अभय सिला के बरे चुचे बुर की गर्मी कहे पूरी बॉडी की गर्मी खुशबु सब से पागल हो रहा था
सिला के चेहरा अभय के कंधे पे था अभय का सिला के दोनो एक दूसरे को देख नही सकते है कियुंकी चेहरा एक दूसरे के आगे था

अभय सिला के पीठ सेहलाते हुवे धीरे से - पापा प्यार करते है मुझे भी करना है आपको प्यार मा
सिला अभय को बाहों मे कसे हुवे सिसकिया लेते हुवे -बेटा है मेरा पापा की जगह तु नही ले सकता

सिला मन मे - जानती हु लाला तु किया चाहता है लेकिन वो मे कैसे तुझे डेदू

अभय सिला को आगे कर चेहरे को देखते हुवे - आप चाहेगी तो दे सकती है मा
सिला अभय के गाल पे हाथ फेरते हुवे - लाला और कुछ मांग लेकिन जो तु मांग रहा है मे नही दे सकती

अभय उदास होके - ठीक है समझ गया
अभय को उदास देख सिला दुखी हो जाती है
सिला अभय के चेहरे को पकर आखो मे देख - उसके अलावा तु जो बोलेगा करुगी एक बार तेरे लिये

अभय उदास होके - नही मे आप मुझपे तरस खाके दुखी देख कर केह रही है आपका लाला वैसा नही किसकी फायदा उठाये
सिला अभय के होठ पे किस करते हुवे - जानती हु एसी लिये तो बहोत प्यार करती हु गर्व भी है अपने लाला पे लेकिन मे दिल करुगी पर सिर्फ एक बार लाला हमारा रिस्ता मा बेटे का है मे किसी की बीवी हु समझ
अभय मन मे - हद है छोटी मा भी मा की तरह एक दीवार खरी कर दी है लेकिन एक मोका दिया एक बार सेक्स के अलावा कुछ भी करेगी तो किया करू या करने को कहु

अभय सिला को देख - मे कहु मुझे आपका सब देखना है दिखायेगी
सिला अभय को देख शर्मा के - सब नही एक लाला
अभय - उपर का देखूंगा तो नीचे का नही देख पाऊंगा
सिला मन मे - बेसरम सब देखना चाहता है
अभय सिला को देख - मा अपने तो मुझे बरी उलझन मे डाल दिया
सिला शर्मा के - सोच ले किया देखना है या और कुछ करू

अभय गहरी सासे छोर के - सोच के बताऊंगा और घर पे कल रात को
सिला मुस्कुराते हुवे सर्म से - ठीक है
अभय सिला के होठो पे टूट परता किस करने के बाद सिला खरी होके - मे जा रही हु

अभय - मा
सिला पीछे मूर अभय को देख - हा
अभय - हो सके तो बता दीजिये नीचे कोन की कलर की पहनी है
सिला हैरान शोक मे अभय को देखती है फिर सर्म से पानी पानी होते हुवे - पिला, केह शर्मा के चली जाती है

अभय मन मे - पिला उफ कैसी पैंटी पहनी होगी मा मे कैसा देखने मे लग रहा होगा उफ

सिला जाते हुवे मन मे शर्मा के - उफ बहोत सर्म आ रही है ये लरका बहोत बिगर गया है कैसी गंदी हरकत बाते करता है

सिला के जाते ही पूजा आती है
पूजा अभय के पास बैठ - जीजा जी सब बैठ एक साथ बाते कर रहे है और आप यहा अकेले बैठे है.

अभय अपना लंड निकाल पूजा को देख मुस्कुराते हुवे - ताकि आप आये और हम फिर सब कर सके

पूजा शर्मा के - छी हमेसा आपका दिमाग वही रहता है
अभय पूजा के हाथ पकर अपने पैर के बीच लंड के पास बैठा के मुस्कुराते हुवे - आपका भी दिल है साली जी तभी तो आई है अब चूसिये

पूजा कुछ नह करती और सर्म से लंड पकर मुह मे लेके मजे से चुस्टे हुवे - जीजा जी बहोत तेज है सब समझ जाते है उफ जीजा जी के लंड का स्वाद बुर मे लंड जब से लिया है बार बार लेने का मन करता है
3 मिनट बाद

अभय पूजा को देख - साली जी नीचे से नंगी होके घोरी बन जाइये
पूजा सर्माते हुवे पैंट पैंटी नीचे कर जमीन पे घोरी बन जाती है

अभय भी घुटने पे आके लंड पे थूक लगा के बुर पे घिसते हुवे - आह साली जी डाल दु
पूजा सिसकिया लेते हुवे -आह जीजा जी धीरे से घुसाइये गा
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है
अभय धीरे धीरे लंड बुर मे घुसाने लगता है पूजा दर्द मे मन मे - मा मर गई एक एक इंच जीजा जी का मोटा लंड अंदर जाते फिल कर पा रही हु

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अभय पुरा लंड घुसा के चुदाई करना सुरु कर देता है पूजा सर्म से आसु लिये - जीजा जी धीरे कीजिये मा तेज धक्का मत मारिये दर्द होता है
अभय तेज चुदाई करते हुवे - उफ साली जी आपकी टाइट गर्म बुर की गर्मी जल्दी निकाल दूंगा टाइम नही है जल्दी ही कम होगा
पूजा रोते हुवे - दर्द होता है उसका क्या आह मा
10 मिनट बाद

पूजा खरी होके पैंट पैंटी पहनते आसु साफ करके अभय को देख - बहोत बुरे है आप

अभय पूजा को बाहों मे लेके - आप बहोत प्यारी
पूजा अभय को बाहों मे लिये - आप भी जीजा जी चुदाई करते वक़्त आप नही सुनते बाकी तो आप बहोत अच्छे है
अभय मुस्कुराते हुवे - बुर की आग ठंडी हुई या
पूजा एकदम से दूर होके सर्म से - इतना ही बहोत है

पूजा भी तेजी से भाग जाती है

पूजा मन मे - आह बहोत दर्द हो रहा है 10 मिनट मे ही 2 बार मेरी बुर ने पानी निकाला जीजा जी कोई इंसान भी है आह

पूजा फिर सभी के पास आके बैठ जाती है दिशा पूजा को देख मन मे - आ गई चुदवा के अपने जीजा से बेसरम

अभय लंड देखते हुवे - आह साली जी लंड साफ करके तो जाती आपकी बुर का पानी लगा हुआ है मेरे लंड पे

पूजा के बाद आती है मधु आती है मधु शर्मा रही थी चेहरा लाल था अभय मधु को देख मुस्कुराते हुवे - गुरिया

मधु अभय के पास आके खरी हो जाती हैं अभय मधु के हाथ पकर सिला के जैसे ही अपने लंड पे गोद मे बैठा के बाहों मे भर लेता है

अभय मधु को देख - आज मेरी गुरिया जीन्स टिसर्ट मे मस्त लग रही है
मधु अभय को देख सर्म से - सच भाई
अभय - बिल्कुल सच

अभय मधु के के होठ को देख - पहले अपने भाई को अपने होठो का रस पिला दे जल्दी से

मधु शर्मा के अपने होठ आगे करते हुवे - पी लीजिये भाई

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अभय मधु के होठ मुह मे लेके पीना सुरु कर देता है मधु अभय को बाहों मे लिये अभय मधु को दोनो एक दूसरे से चिपके एक दूसरे का जिब होठ चूस के रस पीने लगते है 2 मिनट बाद

अभय मधु को देख - गुरिया टाइट टिसर्ट मे तेरे दोनो मस्त दिख रहे है
मधु सर्म से लाल होके नजरे सर्म से झुकाये - भाई सर्म आती है

अभय धीरे से मधु के एक चुचे पे हाथ रख दबाने लगता है मधु एकदम से काप् के तेज सासे लेने लगती है मधु को ऐसा फिल होता है एक तेज बिजली शरीर मे डोर रही हो मधु सिहर उठती है तेज सासे दिल जोर से धक धक करने लगता
मधु दात से होठ दबाये रखती है लेकिन सिसकिया फुट परती है मधु सिसकिया लेते हुवे आह उफ करने लगती है

अभय मधु के चुचे तीसर्ट के ऊपर से दबाते हुवे - उफ गुरिया कितने टाइट मुलायम नर्म है तेरे चुचे सच कहु गुरिया तेरे चुचे पर्फेट है दबाने में बहोत मजा आ रहा है मुझे ऐसा लग रहा है मे नर्म रुई दबा रहा हु
मधु अभय की बातो से और मद्होस् होके सिसकिया लेते हुवे - भाई आह आपको मेरे चुचे दबाने मे मजा आ रहा है तो आह और डबाइये लेकिन उफ धीरे दर्द हो रहा है
अभय धीरे से दबाते मधु को देख - अपने भाई से चुचे दबवाने मे मजा आ रहा है मेरी गुरिया को
मधु अभय को सर्म से देखते हुवे मद्होस् होके - हा आह भाई

अभय चुचे छोर मधु के कान मे धीरे से - दिखाओगी कब गुरिया
मधु शर्मा के धीरे से - भाई आपने सब देखा तो है
अभय धीरे से - हा लेकिन अच्छे से पास दे नही देखा ना
मधु सर्म से नजरे नीचे किये - सोचिगी
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है अपने भाई का नही देखना है
मधु की सासे रुक जाती है मधु कापते हुवे नजरे नीचे किये धीरे से - नही पता

अभय मधु का हाथ अपने पैंट के ऊपर लंड पे रख देता है मधु को जोर का झटका जैसा लगता है मधु जल्दी से हाथ पीछे कर खरी होके शर्मा के - गंदे भाई कहते हुवे भाग जाती है

अभय मुस्कुराते हुवे मन मे - छोटी मा गुरिया एक जैसी है दोनो को कुछ कहो पहले सोचेंगे

मधु जाते अपने हाथ को देख सर्म से मन मे - भाई के उस पे मेरा हाथ था मेरी तो सासे रुक गई थी भाई मुझे अपना दिखाना चाहते है मेरे चुचे को कैसे जोर से दबा रहे थे लेकिन भाई को मेरे चुचे दबाने मे बहोत मजा आ रहा था मुझे भी उफ ये कैसा एहसास है


मधु के जाते ही दिशा आती है और घूर के अभय को देखती है अभय डर के दूसरी तरफ नजरे फेर लेता है

दिशा अभय के पास आके बैठ - वाह अकेले मे कांड कर रहे है और सर्म भी आ रही है

अभय दिशा को एकदम से अपनी गोद मे बैठा के - सर्म नही बस अपनी बीवी से नजरे मिलाने मे अजीब लग रहा है कभी कभी सोचता हु क्या मे तुम्हारे साथ सही कर रहा हु

दिशा हैरान अभय को देखती है फिर मुस्कुराते हुवे - आपको मेरी फिकर चिंता है यही बहोत है आपकी जगह कोई और होता तो वो बीवी को भूल ही जाता खैर आपका लंड मे जो दम है कई लो एक साथ लपेट सांत कर देगी मेने कहा फिर कहती हु मुझे आपसे कोई गिला शिकवा नाराजगी नही है होती तो मे आपको इतनी आजादी नही देती

अभय मुस्कुराते हुवे - मेरी प्यारी बीवी
फिर दोनो किस करने लगते है किस के बाद अभय - बीवी जी सारी पेटीकोट उपर कर लो एक राउंड कर लेते है रात को तो कर नही पायेंगे

दिशा झुक के पहले पैंटी नीचे करती है फिर सारी पेटीकोट उपर उठा लेती है दिशा अभय को देख - धीरे से नही तो बहोत मारुगी
अभय लंड निकाल के - गिला तो करो
दिशा सरमाते हुवे नीचे बैठ मुह मे लंड लेके मजे से चूसने लगती है 3 मिनट बाद

दिशा मुह साफ कर अभय को देख - मेरी बुर कोन चुसेगा
अभय मुस्कुराते हुवे - बेसरम मुझे कहती हो और देखो खुद को
दिशा शर्मा के - हा तो इतना सर्माना भी सही नही है चलिये चूसिये मेरी बुर को मेरे बच्चे के पापा

अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है बेसरम मेरी बच्ची की मा टांगे फैला दो

दिशा टांगे फैला देती है अभय नीचे बैठ बुर के फाके फैला के जिब डाल चूसने लगता है दिशा - आह चूसिये उफ बहोत मजा आ रहा है
3 मिनट बाद

अभय दिशा की एक टांगे उठा के पकर खरे बुर मे लंड घुसा के चुदाई करने लगता है दिशा अभय को पकरे - आह नही धीरे मा बहोत दर्द हो रहा है आह
अभय चुदाई करते हुवे - उफ दिशा तुम्हारी बुर की तुम्हारी बात ही अलग है मेरी जान आह मजा आ रहा है, 16 मिनट बाद

दिशा पैंटी पहन सारी नीचे कर आसु साफ करते हुवे अभय कोई देख - बुर मे लंड घुसाते ही आप तो रुकते ही नही

अभय मुस्कुराते हुवे - दर्द मे मजा देखो नीचे कैसे तुम्हारी बुर ने पानी निकला है नीचे सबूत है

दिशा जाते हुवे - बेसरम है आप और रहेगे कभी सुधर नही सकते है गंदी बेसरम बाते हु

दिशा चली जाती है अभय मुस्कुराते हुवे - हाय मेरी बीवी के मुह फुलाना गुस्सा मे और कमाल लगती है

दिशा के आते ही अदिति मोक्का देख अभय के पास चली जाती है

बाकी सभी कैप के अंदर कैप बहोत बरा गोल बना था बिस्तर सभी का एक साथ ही लगा था यानी सब एक साथ ही सोने वाले थे

आसा झरने के पास थोरा लाइट मे खरी अकेली सांत सुकून ले रही थी

तभी मिनिता आसा के पास आके - दीदी अभय को सब बता दिया
आसा मिनिता को देख - हा रात को ही जैसा मेने सोचा था लाला को सब पता चल गया था

मिनिता - दीदी आप बुरा ना मानो तो किया हुआ था अभय को क्या बताया बता सकती है

आसा मिनिता को देखती है फिर सब बात देती है

मिनिता हैरान होके गुस्से से - कमीना कही का दीदी आपने चालाकी से अपनी इज़त लूटने से बचा लिया नही तो बहोत बुरा होता अभय बेटा भी आपकी मजबूरी समझ गया होगा

आसा इमोसनल होके - हु मेरा लाला बहोत प्यार करता है तेज दिमाग समझदार भी है

मिनिता - दीदी आपकी कहानी सुनने के बाद तो मेरे साथ जो हुवा
आसा मिनिता को देख - तूने नही बताया किया हुआ तेरे साथ कितना कैसे हुआ

मिनिता -दीदी बताऊंगी लेकिन जब आपका देवर आपके साथ गलत करनी की कोसिस कर रहा था तक आपके मन मे क्या चल रहा था आपको अच्छा लग रहा था या बुरा अभय को नही बताया लेकिन मुझे जानना है

आसा बहोत शोक होती है और हैरान मिनिता को गुस्से से देख - मिनिता
मिनिता डर के नजरे नीचे किये - दीदी मेरा गलत इरादा नही है आपके साथ वो हुआ मेरे साथ बाकी सब सेम ही हुआ है लेकिन जब मेरे साथ वो कमीना करने की कोसिस कर रहा था तो कई चीजे मेरे दिमाग मे चल रही थी जो मे फिल कर रही थी वो सब मिलाना चाहती हु जानना चाहती हु आप क्या सोच रही थी कैसा फिल कर रही थी क्या मे जो सोच रही थी फिल कर रही थी हमारे दोनो का मैच करता है या नही

दीदी - जान कर खुद को जज करना चाहती हु बस इतना ही है मे भी उस पल को याद करती हु तो सिहर उठती हु

मिनिता की बात सुन जान समझ आसा - मिनिता अभय को मे सब बताना चाहती थी मे किया फिल कर रही थी सोच रही थी लेकिन एक मा होने के नाथे हिम्मत उठा रही थी पर जब पहले लाला को उसकी बुआ मासी की अधूरी कहानी सुनाई तो उसने उसे पुरा समझ लिया तब मे जान गई मेरा लाला बहोत तेज है लाला भी बस जो हुवा जानना चाहता था तो मेने बात दिया लेकिन हा लाला को अच्छे से पता है मे उस समय क्या सोच रही थी मुझे अच्छा बुरा किया फिल हो रहा था

आसा मिनिता की तरफ घूम - ठीक है मे उस पल को फिर याद नही करना चाहती थी लेकिन तेरी बाते सुन मे बटाउगी सब अच्छे से लेकिन वादा कर उसके बाद सब भूल जायेगी और अपनी लाइफ मस्त जियेगी कियुंकी हम दोनो के लिये अच्छा है लाला को सब बता के मेरा बोझ उतर गया अब वो बुरे वक़्त भूल गई सायद तुम भी भूल जाओ

आसा मन मे - लाला सब अच्छे से जनता है और आज मे जैसी हु पहले नही थी लेकिन उस घटना के बाद मेने अपने आप को पुरा बदल लिया जो लाला को अच्छे से समझ आ गया है
मिनिता - वादा दीदी
आसा - ठीक है सुन मे किया फिल कर रही थी सोच रही थी

आसा किया सोच फिल कर रही थी जब उसका देवर उसकी इज़त लूटने मे लगा था ये सब आसा ने अभय को नही बताया कियुंकी आसा को एहसास हो गया था उसका बेटा बहोत तेज है सब समझ जायेगा वैसा था ही अभय को तो बस ये जानना था उसकी मा चाचा के बीच वो सब हुआ तो नही है जोकि आसा ने सब बता के साफ कर दिया ऐसा कुछ नही हुआ था

आसा को ये एहसास नही होता की उसका बेटा सब समझ जायेगा तो आसा सब किल्यर करके बता देती अभय को भी सब पता था और अभय को जो जानना था जान किया अभय अपनी मा को सर्मिंदा नही करना चाहता था

लेकिन अब आसा मिनिता को वो सब बतायेगी जोकि कहानी के लिये बहोत जरूरी हिस्सा है कुछ चीजे कीयर भी होगी

वही अभय की गोद मे अदिति बैठी हुई थी अपने चुचे अपने भाई के सीने मे दबा के अभय अदिति की बुर की गर्मी बॉडी की खुबसु और सीने पे नर्म बरे मुलायम चुचे फिल कर रहा था

अदिति अभय दोनो भाई बहन सुरु सी ही ऐसा करते रहते है तो सब नॉर्मल था दोनो के बीच लेकिन अदिति आगे जो होने वाला था वो सोच अजीब फिल कर शर्मा रही थी पहली बार एक भाई अपनी सगी छोटी बहन के होठो का रस पीने वाला था और एक छोटी बेहन अपने होठ का रस पिलाने वाली थी अपने भाई को

अभय अदिति एक दूसरे की आखो मे देखते है अदिति शर्मा रही थी


आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏
Fantastic update brother
Amar aur arohi ki shadi karwa dena unke maa baap ke samne
 
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chapter 78

भारती के घर )

भारती जगमोहन अमर आरोही सब एक साथ हॉल मे बैठे हुवे थे

भारती आरोही अमर को देख - एक मोक्का मिला है गवाना मत तुम दोनो जब ये मामला सुलझ जाये ये देश छोर चले जाओ

आरोही आसु लिये - पर मा आपके बिना हम कैसे रहेगे
अमर - हा मा हम अकेले कहा जायेंगे

भारती कुछ सोचने के बाद - ठीक है हम सब साथ चलेंगे किसी कुछ साल के लिये यहा जो हुआ देखा सहा मुझे सब भुलाना चाहती हु

जगमोहन सर्म से नजरे किये बैठा था भरती जगमोहन को देख - सर्म आ रही है मुझे लगा नही आयेगी

जगमोहन इमोसनल होके - हो सके तो माफ कर देना

भरती जगमोहन को इग्नोर कर - हा तो फैसला हो गया हम किसी अच्छे जगह जायेंगे

भारती ने फैसला सुना दिया था कुछ साल दूसरे देश मे बितायेगी

भारती आरोही को देख मन मे - भाई का बच्चा पेट मे लिये है यकीन नही होता दोनो भाई बहन

भारती सभी को देख - आज पुलिस नही आई लेकिन कल जरूर आयेगी हम से पूछ ताछ करने रेडी रहना सब

जगमोहन आरोही अमर - हा

waterfall picnic kaip )

अभय तारा को देख मुस्कुराते हुवे - आईये मेरी मम्मी जी
तारा अभय को देख - आप यहा किया कर रहे है
अभय खरा होके तारा को बाहों के पकर आखो मे देख - ताकि आप आये और मुझे अकेले में मोक्का मिले आपको प्यार करने का

तारा कसमसाते हुवे अभय की बाहों मे शर्मा के -जाने दीजिये कोई आ जायेगा

अभय तारा के गर्दन पे किस करते हुवे - मम्मी जी आपका दमाद आपको पुरा प्यार देना चाहता है
तारा सिसकिया लेते हुवे - आह दमाद जी रुक जाइये
अभय तारा के होठ पकरे - आपको भी प्यार की जरूरत है
तारा अभय को देख - नही दमाद जी
अभय और तारा को कस के बाहों मे अपने से सता लेता है तारा के बरे चुचे पूरी बॉडी बुर सब अभय से चिपक जाती है

अभय मुस्कुराते हुवे - बहोत बरे नर्म है नीचे तो
तारा एकदम से अभय को धक्का देने भाग जाती है अभय हैरान शोक खरा रह जाता है और तारा को देखता रह जाता है

अभय बेचारा उदास बैठ जाता है

तारा तेज सासे को इमोसन् को काबू करते हुवे सभी के पास आ जाती है फिर मुस्कुराते हुवे नॉर्मल आसा से बाते करने लगती है

मिनिता देखती है तारा नितिका आसा दिशा सब बातो मे बिजी है तो धीरे से अभय के पास आ जाती है

अभय मिनिता को देखता है फिर अपना लंड मुस्कुराते हुवे बाहर निकाल देता है मिनिता ये देख शर्मा जाती है

मिनिता अभय के पास आके अभय के तांगो के बीच नीचे बैठ झुक के लंड मुह मे लेके चूसने लगती है अभय - आह ऑन्टी
लंड चूसने के बाद मिनिता खरी होके सर्माते हुवे अपनी सारी उपर करती है फिर पैंटी नीचे कर अभय के पैर के ऊपर आके धीरे से अपनी भारी बरी गांड नीचे करते हुवे आती है अभय लंड मिनिता की बुर की छेद पे रख देता है मिनिता धीरे धीरे पुरा लंड बुर पे ले लेती है

मिनिता - आह अभय बेटा
अभय मिनिता को बाहों मे ले लेता है मिनिता अभय के गोद पे बैठी गांड उपर नीचे करते लंड लेने लगती है

अभय मिनिता ke ब्लाउस से एक चुचे निकाल दबाते हुवे - एसी चुचे के दूध पीके कोमल विजय बरा हुआ है ना
मिनिता गांड उपर नीचे करते हुवे - आह उफ हा अभय बेटा यही चुचे को पीछे दोनो बरे हुवे है

इधर चुदाई चल रही दूसरी तरफ विजय एक जगह खरा होके रीमा से बाते कर रहा था दिशा विजय के पास आती है विजय एकदम से डर जाता है

दिशा मुस्कुराते हुवे - किया बात है देवर अपनी मासुका के साथ लगे हुवे है लाइये मे भी बात कर लू

विजय शर्मा के फोन देते हुवे - ये लीजिये भाभी
दिशा फोन लेके - कैसी है देवरानी जी
रीमा शर्मा के - भाभी मे ठीक हु आप कैसी है
दिशा - मस्त आप नही आई आती तो मजा और बढ़ जाता
रीमा - भाभी आने का बहोत मन था लेकिन जानती है गाव मे
दिशा - समझ गई कोई ना मे देवर जी के भाई से बात करुगी कुछ करने को कहूगी फिर आप दोनो बिना कोई डर के मिल घूम सकते है

दिशा की बात सुन विजय रीमा बहोत खुश हो जाते है

दिशा मुस्कुराते हुवे - उसके बाद आपको आना होगा हमारे घर
रीमा शर्मा के - जरूर आऊँगी भाई

फोन कट

दिशा मुस्कुराते हुवे विजय को फोन देते हुवे - लगे रहिये
विजय - शर्मा के भाभी भइया से बात करेगी ना
दिशा मुस्कुराते हुवे - बहोत जल्दी है चिंता मत कीजिये करुगी

दिशा फिर हस्ते हुवे चली जाती है

वही मिनिता की बुर पे अभय का पानी लिये मस्त होके सब के पास आ जाती है

मिका अदिति पूजा लगे हुवे थे बात करने मे लेकिन कोमल देखती है उसकी मा आ गई है तो धीरे से वो भी अभय के पास चली आती है

अभय अच्छे से जनता था सब एक एक कर खुद उसके पास आयेगे इस लिये अभय एक अच्छी जगह ढूंढ बैठ गया और जैसा अभय ने सोचा था सब बाते तो आपस मे कर रहे थे लेकिन मोक्का देख अभय के पास चले आ रहे थे

अभय कोमल को आते देखता है तो अभय अपना लंड निकाले ही बैठा था कोमल शर्मा के अभय के पास आके - छी बेसरम ये किया है
अभय कोमल का हाथ पकर नीचे बैठा के - तेरा लॉलीपॉप चुसो

कोमल लंड पकर मुह मे लेके चुस्टे हुवे मन मे - उफ ये स्वाद लेने के लिये मरी जा रही थी टाइम नही है कोई भी आ सकता है मुझे करना होगा
अभय कोमल के चुचे दबाते हुवे - उफ मस्त टाइट है कमु आज नही कल कैसे भी तेरी सील तोर दूंगा
कोमल लंड चुस्टे हुवे मन मे - आह उसकी बाते सुन बुर गीली हो गई डर है कैसे उसका मोटा लंड लुगी लेकिन बुर मे लंड लेने के लिये बेचैन भी हु
3 मिनट बाद

अभय कोमल को खरा करके - पैंटी नीचे करो.
कोमल हैरान अभय को देख सर्म से - कियु
अभय कोमल को देख - जल्दी करो टाइम नही है

कोमल अभय को देखती है फिर जीन्स पैंटी नीचे कर देती है अभय नीचे बैठ कोमल की बुर देखते हुवे - टांगे फैला दो

कोमल टांगे फैला देती है अभय बुर के फाको को फैला के - उफ जवानी का रस पीने का अपना ही मजा है

अभय एकदम से कोमल की बुर मुह मे लेके चूसने लगता है कोमल काप् जाती है कोमल तेज सिसकिया लेते हुवे - आह अभय चुसो मेरी बुर को आह बहोत अच्छा फिल हो रहा है
कोमल खरी खुद बुर अभय के मुह मे दे रही थी और खरे खरे बुर चटवाने का मजा ले रही थी , 2 मिनट बाद

अभय खरा होता है और अपना लंड पकर कोमल की बुर के फाको के बीच घिसने लगता है बुर पे गर्म मोटा अभय के लंड का टोपा फिल कर कोमल काप् जाती है बुरी बॉडी मे करेंट डोर जाता है सासे बहोत तेज हो जाती है दिल जोर से धक धक करने लगता है

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अभय बुर के फाको के बीच लंड घिसते हुवे कोमल कोई देख - उफ कमु कितनी गर्म है तेरी बुर आह मजा आ रहा है तुझे आ रहा है
कोमल एकदम से अभय को बाहों मे लेके - आह अभय ये बहोत मजा आ रहा है तेरा मोटा लंड अपनी बुर की फाको के बीच फिल करके आह अभय घिसते रह मेरा आने वाला है उफ मा अभय और तेज आ रहा है
कोमल जोर से अभय को पकर अपनी गांड आगे करते हुवे बुर तेजी से अभय के लंड पे घिसने लगती हो अभय मुस्कुराते हुवे -आह निकाल दे आने दे
कोमल तेजी सी बुर पे लंड घिसते अभय को कस के पकरे - आह मा करते झटके मारते कापते झर जाती है

कोमल नीचे से नंगी तेज सासे लेते एक पथर् से टेक खरी सासो को कामु करने लगती है ठोरी देर बाद अपनी गीली बुर को देखती है बुर का पानी जांघों से बेह नीचे आ रहा था

कोमल पैंटी उपर करती है फिर पैंट उपर कर पहन लेती है अभय पास आके बाहों मे लेके आखो मे देख - कैसा लगा
कोमल शर्म से - आह अभय पहली बार बुर की फाको मे किसी का लंड गया है ये पहला आह एहसास मेरे लिये नया लेकिन बहोत सुकून भरा था मुझे बहोत अच्छा फिल हुआ

अभय कोमल को किस करते हुवे - कल पक्का तुम्हे एक औरत बना दूंगा
कोमल शर्मा के - मुझे भी इंतज़ार है अब जाती हु
अभय कोमल के गांड जोर से दबा के मुस्कुराते हुवे - ठीक है
कोमल आह करते शर्मा के चली जाती है

अभय मन मे - कल कोमल की लेनी ही होगी पता नही फिर कब टाइम मिले

कोमल के जाने के बाद मिका आती है जिसे देख अभय थोरा हैरान होता है

अभय मिका को देख - मिका तुम आओ बैठो ना
मिका अभय के पास बैठ - अभय पापा हमे कही अच्छी जगह लेके नही गये कही लेके जाते थे तो बरे होटल बरी मॉल उसको तो पता नही था की असली लाइफ का मजा सुकून कैसे और कहा मिलता है ना ये जानने की कोसिस की पहली बार है मेरी मा मेरा जो हम इतनी सांत खूबसूरत जगह आये है

मिका अभय को देख - पैसे सब कुछ नही होते अपनों का साथ प्यार जरूरी होता है आज मेरी मा यहा आके बहोत खुश है तुम्हारी मा बीवी बहन सब बहोत अच्छे साफ दिल के है मेरी मा से सब अपना समझ खुशी से बाते कर रहे है जैसे कई साल से जानते हो मेरी मा भी कब सब से घुल गई उनको खुद नही पता अभय मुझे यकीन था तुम मेरी मा को वो प्यार खुशी दोगे और आज तुम्हारे अपनो से अच्छे से मिल जान सब देख और भी यकीन हो गया मेरे जो सोचा गलत नही था अभय मेरी मा को ऐसे ही प्यार देना खुश रखना

अभय सब सुन मिका को देख रहा था सब बातो को समझ रहा था

अभय मिका को पकर अपने जांघों पे बैठा लेता है मिका हैरान शोक सर्म से - अभय ये क्या
अभय बीच मे मिका के होठ पे उंगली रखते हुवे - तुम भी मिका एक बहोत अच्छी बेटी हो तुम अपनी मा के दर्द उसकी फीलिंग सकती हो मे जनता हु नितिका ऑन्टी बाहर से बहोत मजबूत दिखाती है लेकिन अंदर से टूटी हुई है पर मेरा वादा है मे तुम्हारी मा को खुश रखुंगा

अभय होठ उंगली से हटा लेता है लेकिन मिका सर्म से लाल तेज सासे लिये जा रही थी मिका के चुचे उपर नीचे हो रहे थे पहली बार किसी लरके ने मिका को चुवा और गोद मे बैठा भी लिया था

अभय अपने होठ मिका के होठ के पास लाते हुवे धीरे से - मेरा इरादा तुझे भी प्यार करने का है मिका
मिका शर्मा के तेज सासे लेते हुवे - अभय रुक जाओ ये गलत हो जायेगा
अभय मिका के होठ पे उंगली फेरते हुवे मिका की आखो मे देख - मेरी लाइफ मे और भी लोग है मिका तेरी मा जानती है तुम भी आ जाउंगी तो किया होगा सादी नही कर सकता लेकिन वादा है एक बॉयफ्रेड बन मरते दम तक प्यार करता रहुंगा

अभय का होठ अब मिका के होठ को टच करने लगते है मिका काप् जाती हैं पूरी बॉडी झन झना जाती है दिल जोर से धक करने लगता है मिका तेज सासे लिये जा रही थी अभय मिका की सासे एक दूसरे से टकराने लगती है मिका के मन मे कई सवाल चल रहे थे लेकिन एंड मे
मिका खुद आगे बढ़ अपना होठ अभय के होठ से चिपका देती है

फिर दोनो सब भूल एक दूसरे को बाहों मे कस के पकरे किस करने लगते है मिका का ये पहला किस था किस करने का मजा ये नया फीलिंग मिका को मद्होस् कर गई थी अभय मिका के होठ जिब चूस रहा था मिका भी सेम कर रही थी

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मिका मन मे - मुझे नही पता मे सही कर रही हु या गलत पर मुझे अभय का इस तरह किस करना बहोत अच्छा लग रहा है पहली बार मेरी किस कोई लेगा वो मेरी मा का बॉयफ्रेड होगा सोचा नही था
अभय किस करते हुवे मन मे - मिका के होठ का रस भी ऑन्टी जैसा ही मीठा स्वाद दे रहा है उफ दोनो मा बेटी बवाल है, 2 मिनट बाद

किस टूटते ही मिका तेजी से शर्मा के भाग जाती है अभय मुस्कुराते हुवे देखता रहता है

मिका के जाते ही सिला आती है अभय सिला को देख अभय खुश हो जाता है अभय अपने जांघों पे बैठने का इशारा करता है सिला शर्मा के अभय के पास आके टांगे फैला के दोनो तरफ पैर कर अभय के गोद मे बैठ जाती है अभय सिला को बाहों मे भर लेता है सिला दोनो हाथ अभय के कंधे पे रख देती है दोनो चिपके थे दोनो का फेस एक दूसरे के समाने था

अभय तो मस्त हो गया था सिला की भरी फैली मस्त नर्म गांड अपनी जांघों पे फिल कर के बुर की गर्मी तो अलग ही जांघों को जला रही थी

अभय सिला को मुस्कुराते हुवे देख - आज उस दिन का जवाब चाहिये मेरी मा आपके लाला को बहोत इंतज़ार करवाया है अपने

सिला शर्मा के - कोन सा जवाब
अभय सिला की आखो मे देख - आपको पता है
सिला अभय को देख - नही थी नाराज अब खुश
अभय सिला को देख - और आगे आइये ना मा
सिला शर्मा के अपनी गांड उठा के आगे बोले तो सीधा अभय के लंड पे बैठ जाती है

अभय सिला को कस लेता है सिला आह करती है अब सिला अभय की बाहों मे पूरी चिपकी थी चुचे अभय के सीने मे दबे थे

पोजिसन अजब का था सिला अभय के गोद मे अभय की तरफ करके अभय के लंड के ऊपर बैठी थी चिपक थे अभय सिला के बरे चुचे बुर की गर्मी कहे पूरी बॉडी की गर्मी खुशबु सब से पागल हो रहा था
सिला के चेहरा अभय के कंधे पे था अभय का सिला के दोनो एक दूसरे को देख नही सकते है कियुंकी चेहरा एक दूसरे के आगे था

अभय सिला के पीठ सेहलाते हुवे धीरे से - पापा प्यार करते है मुझे भी करना है आपको प्यार मा
सिला अभय को बाहों मे कसे हुवे सिसकिया लेते हुवे -बेटा है मेरा पापा की जगह तु नही ले सकता

सिला मन मे - जानती हु लाला तु किया चाहता है लेकिन वो मे कैसे तुझे डेदू

अभय सिला को आगे कर चेहरे को देखते हुवे - आप चाहेगी तो दे सकती है मा
सिला अभय के गाल पे हाथ फेरते हुवे - लाला और कुछ मांग लेकिन जो तु मांग रहा है मे नही दे सकती

अभय उदास होके - ठीक है समझ गया
अभय को उदास देख सिला दुखी हो जाती है
सिला अभय के चेहरे को पकर आखो मे देख - उसके अलावा तु जो बोलेगा करुगी एक बार तेरे लिये

अभय उदास होके - नही मे आप मुझपे तरस खाके दुखी देख कर केह रही है आपका लाला वैसा नही किसकी फायदा उठाये
सिला अभय के होठ पे किस करते हुवे - जानती हु एसी लिये तो बहोत प्यार करती हु गर्व भी है अपने लाला पे लेकिन मे दिल करुगी पर सिर्फ एक बार लाला हमारा रिस्ता मा बेटे का है मे किसी की बीवी हु समझ
अभय मन मे - हद है छोटी मा भी मा की तरह एक दीवार खरी कर दी है लेकिन एक मोका दिया एक बार सेक्स के अलावा कुछ भी करेगी तो किया करू या करने को कहु

अभय सिला को देख - मे कहु मुझे आपका सब देखना है दिखायेगी
सिला अभय को देख शर्मा के - सब नही एक लाला
अभय - उपर का देखूंगा तो नीचे का नही देख पाऊंगा
सिला मन मे - बेसरम सब देखना चाहता है
अभय सिला को देख - मा अपने तो मुझे बरी उलझन मे डाल दिया
सिला शर्मा के - सोच ले किया देखना है या और कुछ करू

अभय गहरी सासे छोर के - सोच के बताऊंगा और घर पे कल रात को
सिला मुस्कुराते हुवे सर्म से - ठीक है
अभय सिला के होठो पे टूट परता किस करने के बाद सिला खरी होके - मे जा रही हु

अभय - मा
सिला पीछे मूर अभय को देख - हा
अभय - हो सके तो बता दीजिये नीचे कोन की कलर की पहनी है
सिला हैरान शोक मे अभय को देखती है फिर सर्म से पानी पानी होते हुवे - पिला, केह शर्मा के चली जाती है

अभय मन मे - पिला उफ कैसी पैंटी पहनी होगी मा मे कैसा देखने मे लग रहा होगा उफ

सिला जाते हुवे मन मे शर्मा के - उफ बहोत सर्म आ रही है ये लरका बहोत बिगर गया है कैसी गंदी हरकत बाते करता है

सिला के जाते ही पूजा आती है
पूजा अभय के पास बैठ - जीजा जी सब बैठ एक साथ बाते कर रहे है और आप यहा अकेले बैठे है.

अभय अपना लंड निकाल पूजा को देख मुस्कुराते हुवे - ताकि आप आये और हम फिर सब कर सके

पूजा शर्मा के - छी हमेसा आपका दिमाग वही रहता है
अभय पूजा के हाथ पकर अपने पैर के बीच लंड के पास बैठा के मुस्कुराते हुवे - आपका भी दिल है साली जी तभी तो आई है अब चूसिये

पूजा कुछ नह करती और सर्म से लंड पकर मुह मे लेके मजे से चुस्टे हुवे - जीजा जी बहोत तेज है सब समझ जाते है उफ जीजा जी के लंड का स्वाद बुर मे लंड जब से लिया है बार बार लेने का मन करता है
3 मिनट बाद

अभय पूजा को देख - साली जी नीचे से नंगी होके घोरी बन जाइये
पूजा सर्माते हुवे पैंट पैंटी नीचे कर जमीन पे घोरी बन जाती है

अभय भी घुटने पे आके लंड पे थूक लगा के बुर पे घिसते हुवे - आह साली जी डाल दु
पूजा सिसकिया लेते हुवे -आह जीजा जी धीरे से घुसाइये गा
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है
अभय धीरे धीरे लंड बुर मे घुसाने लगता है पूजा दर्द मे मन मे - मा मर गई एक एक इंच जीजा जी का मोटा लंड अंदर जाते फिल कर पा रही हु

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अभय पुरा लंड घुसा के चुदाई करना सुरु कर देता है पूजा सर्म से आसु लिये - जीजा जी धीरे कीजिये मा तेज धक्का मत मारिये दर्द होता है
अभय तेज चुदाई करते हुवे - उफ साली जी आपकी टाइट गर्म बुर की गर्मी जल्दी निकाल दूंगा टाइम नही है जल्दी ही कम होगा
पूजा रोते हुवे - दर्द होता है उसका क्या आह मा
10 मिनट बाद

पूजा खरी होके पैंट पैंटी पहनते आसु साफ करके अभय को देख - बहोत बुरे है आप

अभय पूजा को बाहों मे लेके - आप बहोत प्यारी
पूजा अभय को बाहों मे लिये - आप भी जीजा जी चुदाई करते वक़्त आप नही सुनते बाकी तो आप बहोत अच्छे है
अभय मुस्कुराते हुवे - बुर की आग ठंडी हुई या
पूजा एकदम से दूर होके सर्म से - इतना ही बहोत है

पूजा भी तेजी से भाग जाती है

पूजा मन मे - आह बहोत दर्द हो रहा है 10 मिनट मे ही 2 बार मेरी बुर ने पानी निकाला जीजा जी कोई इंसान भी है आह

पूजा फिर सभी के पास आके बैठ जाती है दिशा पूजा को देख मन मे - आ गई चुदवा के अपने जीजा से बेसरम

अभय लंड देखते हुवे - आह साली जी लंड साफ करके तो जाती आपकी बुर का पानी लगा हुआ है मेरे लंड पे

पूजा के बाद आती है मधु आती है मधु शर्मा रही थी चेहरा लाल था अभय मधु को देख मुस्कुराते हुवे - गुरिया

मधु अभय के पास आके खरी हो जाती हैं अभय मधु के हाथ पकर सिला के जैसे ही अपने लंड पे गोद मे बैठा के बाहों मे भर लेता है

अभय मधु को देख - आज मेरी गुरिया जीन्स टिसर्ट मे मस्त लग रही है
मधु अभय को देख सर्म से - सच भाई
अभय - बिल्कुल सच

अभय मधु के के होठ को देख - पहले अपने भाई को अपने होठो का रस पिला दे जल्दी से

मधु शर्मा के अपने होठ आगे करते हुवे - पी लीजिये भाई

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अभय मधु के होठ मुह मे लेके पीना सुरु कर देता है मधु अभय को बाहों मे लिये अभय मधु को दोनो एक दूसरे से चिपके एक दूसरे का जिब होठ चूस के रस पीने लगते है 2 मिनट बाद

अभय मधु को देख - गुरिया टाइट टिसर्ट मे तेरे दोनो मस्त दिख रहे है
मधु सर्म से लाल होके नजरे सर्म से झुकाये - भाई सर्म आती है

अभय धीरे से मधु के एक चुचे पे हाथ रख दबाने लगता है मधु एकदम से काप् के तेज सासे लेने लगती है मधु को ऐसा फिल होता है एक तेज बिजली शरीर मे डोर रही हो मधु सिहर उठती है तेज सासे दिल जोर से धक धक करने लगता
मधु दात से होठ दबाये रखती है लेकिन सिसकिया फुट परती है मधु सिसकिया लेते हुवे आह उफ करने लगती है

अभय मधु के चुचे तीसर्ट के ऊपर से दबाते हुवे - उफ गुरिया कितने टाइट मुलायम नर्म है तेरे चुचे सच कहु गुरिया तेरे चुचे पर्फेट है दबाने में बहोत मजा आ रहा है मुझे ऐसा लग रहा है मे नर्म रुई दबा रहा हु
मधु अभय की बातो से और मद्होस् होके सिसकिया लेते हुवे - भाई आह आपको मेरे चुचे दबाने मे मजा आ रहा है तो आह और डबाइये लेकिन उफ धीरे दर्द हो रहा है
अभय धीरे से दबाते मधु को देख - अपने भाई से चुचे दबवाने मे मजा आ रहा है मेरी गुरिया को
मधु अभय को सर्म से देखते हुवे मद्होस् होके - हा आह भाई

अभय चुचे छोर मधु के कान मे धीरे से - दिखाओगी कब गुरिया
मधु शर्मा के धीरे से - भाई आपने सब देखा तो है
अभय धीरे से - हा लेकिन अच्छे से पास दे नही देखा ना
मधु सर्म से नजरे नीचे किये - सोचिगी
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है अपने भाई का नही देखना है
मधु की सासे रुक जाती है मधु कापते हुवे नजरे नीचे किये धीरे से - नही पता

अभय मधु का हाथ अपने पैंट के ऊपर लंड पे रख देता है मधु को जोर का झटका जैसा लगता है मधु जल्दी से हाथ पीछे कर खरी होके शर्मा के - गंदे भाई कहते हुवे भाग जाती है

अभय मुस्कुराते हुवे मन मे - छोटी मा गुरिया एक जैसी है दोनो को कुछ कहो पहले सोचेंगे

मधु जाते अपने हाथ को देख सर्म से मन मे - भाई के उस पे मेरा हाथ था मेरी तो सासे रुक गई थी भाई मुझे अपना दिखाना चाहते है मेरे चुचे को कैसे जोर से दबा रहे थे लेकिन भाई को मेरे चुचे दबाने मे बहोत मजा आ रहा था मुझे भी उफ ये कैसा एहसास है


मधु के जाते ही दिशा आती है और घूर के अभय को देखती है अभय डर के दूसरी तरफ नजरे फेर लेता है

दिशा अभय के पास आके बैठ - वाह अकेले मे कांड कर रहे है और सर्म भी आ रही है

अभय दिशा को एकदम से अपनी गोद मे बैठा के - सर्म नही बस अपनी बीवी से नजरे मिलाने मे अजीब लग रहा है कभी कभी सोचता हु क्या मे तुम्हारे साथ सही कर रहा हु

दिशा हैरान अभय को देखती है फिर मुस्कुराते हुवे - आपको मेरी फिकर चिंता है यही बहोत है आपकी जगह कोई और होता तो वो बीवी को भूल ही जाता खैर आपका लंड मे जो दम है कई लो एक साथ लपेट सांत कर देगी मेने कहा फिर कहती हु मुझे आपसे कोई गिला शिकवा नाराजगी नही है होती तो मे आपको इतनी आजादी नही देती

अभय मुस्कुराते हुवे - मेरी प्यारी बीवी
फिर दोनो किस करने लगते है किस के बाद अभय - बीवी जी सारी पेटीकोट उपर कर लो एक राउंड कर लेते है रात को तो कर नही पायेंगे

दिशा झुक के पहले पैंटी नीचे करती है फिर सारी पेटीकोट उपर उठा लेती है दिशा अभय को देख - धीरे से नही तो बहोत मारुगी
अभय लंड निकाल के - गिला तो करो
दिशा सरमाते हुवे नीचे बैठ मुह मे लंड लेके मजे से चूसने लगती है 3 मिनट बाद

दिशा मुह साफ कर अभय को देख - मेरी बुर कोन चुसेगा
अभय मुस्कुराते हुवे - बेसरम मुझे कहती हो और देखो खुद को
दिशा शर्मा के - हा तो इतना सर्माना भी सही नही है चलिये चूसिये मेरी बुर को मेरे बच्चे के पापा

अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है बेसरम मेरी बच्ची की मा टांगे फैला दो

दिशा टांगे फैला देती है अभय नीचे बैठ बुर के फाके फैला के जिब डाल चूसने लगता है दिशा - आह चूसिये उफ बहोत मजा आ रहा है
3 मिनट बाद

अभय दिशा की एक टांगे उठा के पकर खरे बुर मे लंड घुसा के चुदाई करने लगता है दिशा अभय को पकरे - आह नही धीरे मा बहोत दर्द हो रहा है आह
अभय चुदाई करते हुवे - उफ दिशा तुम्हारी बुर की तुम्हारी बात ही अलग है मेरी जान आह मजा आ रहा है, 16 मिनट बाद

दिशा पैंटी पहन सारी नीचे कर आसु साफ करते हुवे अभय कोई देख - बुर मे लंड घुसाते ही आप तो रुकते ही नही

अभय मुस्कुराते हुवे - दर्द मे मजा देखो नीचे कैसे तुम्हारी बुर ने पानी निकला है नीचे सबूत है

दिशा जाते हुवे - बेसरम है आप और रहेगे कभी सुधर नही सकते है गंदी बेसरम बाते हु

दिशा चली जाती है अभय मुस्कुराते हुवे - हाय मेरी बीवी के मुह फुलाना गुस्सा मे और कमाल लगती है

दिशा के आते ही अदिति मोक्का देख अभय के पास चली जाती है

बाकी सभी कैप के अंदर कैप बहोत बरा गोल बना था बिस्तर सभी का एक साथ ही लगा था यानी सब एक साथ ही सोने वाले थे

आसा झरने के पास थोरा लाइट मे खरी अकेली सांत सुकून ले रही थी

तभी मिनिता आसा के पास आके - दीदी अभय को सब बता दिया
आसा मिनिता को देख - हा रात को ही जैसा मेने सोचा था लाला को सब पता चल गया था

मिनिता - दीदी आप बुरा ना मानो तो किया हुआ था अभय को क्या बताया बता सकती है

आसा मिनिता को देखती है फिर सब बात देती है

मिनिता हैरान होके गुस्से से - कमीना कही का दीदी आपने चालाकी से अपनी इज़त लूटने से बचा लिया नही तो बहोत बुरा होता अभय बेटा भी आपकी मजबूरी समझ गया होगा

आसा इमोसनल होके - हु मेरा लाला बहोत प्यार करता है तेज दिमाग समझदार भी है

मिनिता - दीदी आपकी कहानी सुनने के बाद तो मेरे साथ जो हुवा
आसा मिनिता को देख - तूने नही बताया किया हुआ तेरे साथ कितना कैसे हुआ

मिनिता -दीदी बताऊंगी लेकिन जब आपका देवर आपके साथ गलत करनी की कोसिस कर रहा था तक आपके मन मे क्या चल रहा था आपको अच्छा लग रहा था या बुरा अभय को नही बताया लेकिन मुझे जानना है

आसा बहोत शोक होती है और हैरान मिनिता को गुस्से से देख - मिनिता
मिनिता डर के नजरे नीचे किये - दीदी मेरा गलत इरादा नही है आपके साथ वो हुआ मेरे साथ बाकी सब सेम ही हुआ है लेकिन जब मेरे साथ वो कमीना करने की कोसिस कर रहा था तो कई चीजे मेरे दिमाग मे चल रही थी जो मे फिल कर रही थी वो सब मिलाना चाहती हु जानना चाहती हु आप क्या सोच रही थी कैसा फिल कर रही थी क्या मे जो सोच रही थी फिल कर रही थी हमारे दोनो का मैच करता है या नही

दीदी - जान कर खुद को जज करना चाहती हु बस इतना ही है मे भी उस पल को याद करती हु तो सिहर उठती हु

मिनिता की बात सुन जान समझ आसा - मिनिता अभय को मे सब बताना चाहती थी मे किया फिल कर रही थी सोच रही थी लेकिन एक मा होने के नाथे हिम्मत उठा रही थी पर जब पहले लाला को उसकी बुआ मासी की अधूरी कहानी सुनाई तो उसने उसे पुरा समझ लिया तब मे जान गई मेरा लाला बहोत तेज है लाला भी बस जो हुवा जानना चाहता था तो मेने बात दिया लेकिन हा लाला को अच्छे से पता है मे उस समय क्या सोच रही थी मुझे अच्छा बुरा किया फिल हो रहा था

आसा मिनिता की तरफ घूम - ठीक है मे उस पल को फिर याद नही करना चाहती थी लेकिन तेरी बाते सुन मे बटाउगी सब अच्छे से लेकिन वादा कर उसके बाद सब भूल जायेगी और अपनी लाइफ मस्त जियेगी कियुंकी हम दोनो के लिये अच्छा है लाला को सब बता के मेरा बोझ उतर गया अब वो बुरे वक़्त भूल गई सायद तुम भी भूल जाओ

आसा मन मे - लाला सब अच्छे से जनता है और आज मे जैसी हु पहले नही थी लेकिन उस घटना के बाद मेने अपने आप को पुरा बदल लिया जो लाला को अच्छे से समझ आ गया है
मिनिता - वादा दीदी
आसा - ठीक है सुन मे किया फिल कर रही थी सोच रही थी

आसा किया सोच फिल कर रही थी जब उसका देवर उसकी इज़त लूटने मे लगा था ये सब आसा ने अभय को नही बताया कियुंकी आसा को एहसास हो गया था उसका बेटा बहोत तेज है सब समझ जायेगा वैसा था ही अभय को तो बस ये जानना था उसकी मा चाचा के बीच वो सब हुआ तो नही है जोकि आसा ने सब बता के साफ कर दिया ऐसा कुछ नही हुआ था

आसा को ये एहसास नही होता की उसका बेटा सब समझ जायेगा तो आसा सब किल्यर करके बता देती अभय को भी सब पता था और अभय को जो जानना था जान किया अभय अपनी मा को सर्मिंदा नही करना चाहता था

लेकिन अब आसा मिनिता को वो सब बतायेगी जोकि कहानी के लिये बहोत जरूरी हिस्सा है कुछ चीजे कीयर भी होगी

वही अभय की गोद मे अदिति बैठी हुई थी अपने चुचे अपने भाई के सीने मे दबा के अभय अदिति की बुर की गर्मी बॉडी की खुबसु और सीने पे नर्म बरे मुलायम चुचे फिल कर रहा था

अदिति अभय दोनो भाई बहन सुरु सी ही ऐसा करते रहते है तो सब नॉर्मल था दोनो के बीच लेकिन अदिति आगे जो होने वाला था वो सोच अजीब फिल कर शर्मा रही थी पहली बार एक भाई अपनी सगी छोटी बहन के होठो का रस पीने वाला था और एक छोटी बेहन अपने होठ का रस पिलाने वाली थी अपने भाई को

अभय अदिति एक दूसरे की आखो मे देखते है अदिति शर्मा रही थी


आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏
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chapter 78

भारती के घर )

भारती जगमोहन अमर आरोही सब एक साथ हॉल मे बैठे हुवे थे

भारती आरोही अमर को देख - एक मोक्का मिला है गवाना मत तुम दोनो जब ये मामला सुलझ जाये ये देश छोर चले जाओ

आरोही आसु लिये - पर मा आपके बिना हम कैसे रहेगे
अमर - हा मा हम अकेले कहा जायेंगे

भारती कुछ सोचने के बाद - ठीक है हम सब साथ चलेंगे किसी कुछ साल के लिये यहा जो हुआ देखा सहा मुझे सब भुलाना चाहती हु

जगमोहन सर्म से नजरे किये बैठा था भरती जगमोहन को देख - सर्म आ रही है मुझे लगा नही आयेगी

जगमोहन इमोसनल होके - हो सके तो माफ कर देना

भरती जगमोहन को इग्नोर कर - हा तो फैसला हो गया हम किसी अच्छे जगह जायेंगे

भारती ने फैसला सुना दिया था कुछ साल दूसरे देश मे बितायेगी

भारती आरोही को देख मन मे - भाई का बच्चा पेट मे लिये है यकीन नही होता दोनो भाई बहन

भारती सभी को देख - आज पुलिस नही आई लेकिन कल जरूर आयेगी हम से पूछ ताछ करने रेडी रहना सब

जगमोहन आरोही अमर - हा

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अभय तारा को देख मुस्कुराते हुवे - आईये मेरी मम्मी जी
तारा अभय को देख - आप यहा किया कर रहे है
अभय खरा होके तारा को बाहों के पकर आखो मे देख - ताकि आप आये और मुझे अकेले में मोक्का मिले आपको प्यार करने का

तारा कसमसाते हुवे अभय की बाहों मे शर्मा के -जाने दीजिये कोई आ जायेगा

अभय तारा के गर्दन पे किस करते हुवे - मम्मी जी आपका दमाद आपको पुरा प्यार देना चाहता है
तारा सिसकिया लेते हुवे - आह दमाद जी रुक जाइये
अभय तारा के होठ पकरे - आपको भी प्यार की जरूरत है
तारा अभय को देख - नही दमाद जी
अभय और तारा को कस के बाहों मे अपने से सता लेता है तारा के बरे चुचे पूरी बॉडी बुर सब अभय से चिपक जाती है

अभय मुस्कुराते हुवे - बहोत बरे नर्म है नीचे तो
तारा एकदम से अभय को धक्का देने भाग जाती है अभय हैरान शोक खरा रह जाता है और तारा को देखता रह जाता है

अभय बेचारा उदास बैठ जाता है

तारा तेज सासे को इमोसन् को काबू करते हुवे सभी के पास आ जाती है फिर मुस्कुराते हुवे नॉर्मल आसा से बाते करने लगती है

मिनिता देखती है तारा नितिका आसा दिशा सब बातो मे बिजी है तो धीरे से अभय के पास आ जाती है

अभय मिनिता को देखता है फिर अपना लंड मुस्कुराते हुवे बाहर निकाल देता है मिनिता ये देख शर्मा जाती है

मिनिता अभय के पास आके अभय के तांगो के बीच नीचे बैठ झुक के लंड मुह मे लेके चूसने लगती है अभय - आह ऑन्टी
लंड चूसने के बाद मिनिता खरी होके सर्माते हुवे अपनी सारी उपर करती है फिर पैंटी नीचे कर अभय के पैर के ऊपर आके धीरे से अपनी भारी बरी गांड नीचे करते हुवे आती है अभय लंड मिनिता की बुर की छेद पे रख देता है मिनिता धीरे धीरे पुरा लंड बुर पे ले लेती है

मिनिता - आह अभय बेटा
अभय मिनिता को बाहों मे ले लेता है मिनिता अभय के गोद पे बैठी गांड उपर नीचे करते लंड लेने लगती है

अभय मिनिता ke ब्लाउस से एक चुचे निकाल दबाते हुवे - एसी चुचे के दूध पीके कोमल विजय बरा हुआ है ना
मिनिता गांड उपर नीचे करते हुवे - आह उफ हा अभय बेटा यही चुचे को पीछे दोनो बरे हुवे है

इधर चुदाई चल रही दूसरी तरफ विजय एक जगह खरा होके रीमा से बाते कर रहा था दिशा विजय के पास आती है विजय एकदम से डर जाता है

दिशा मुस्कुराते हुवे - किया बात है देवर अपनी मासुका के साथ लगे हुवे है लाइये मे भी बात कर लू

विजय शर्मा के फोन देते हुवे - ये लीजिये भाभी
दिशा फोन लेके - कैसी है देवरानी जी
रीमा शर्मा के - भाभी मे ठीक हु आप कैसी है
दिशा - मस्त आप नही आई आती तो मजा और बढ़ जाता
रीमा - भाभी आने का बहोत मन था लेकिन जानती है गाव मे
दिशा - समझ गई कोई ना मे देवर जी के भाई से बात करुगी कुछ करने को कहूगी फिर आप दोनो बिना कोई डर के मिल घूम सकते है

दिशा की बात सुन विजय रीमा बहोत खुश हो जाते है

दिशा मुस्कुराते हुवे - उसके बाद आपको आना होगा हमारे घर
रीमा शर्मा के - जरूर आऊँगी भाई

फोन कट

दिशा मुस्कुराते हुवे विजय को फोन देते हुवे - लगे रहिये
विजय - शर्मा के भाभी भइया से बात करेगी ना
दिशा मुस्कुराते हुवे - बहोत जल्दी है चिंता मत कीजिये करुगी

दिशा फिर हस्ते हुवे चली जाती है

वही मिनिता की बुर पे अभय का पानी लिये मस्त होके सब के पास आ जाती है

मिका अदिति पूजा लगे हुवे थे बात करने मे लेकिन कोमल देखती है उसकी मा आ गई है तो धीरे से वो भी अभय के पास चली आती है

अभय अच्छे से जनता था सब एक एक कर खुद उसके पास आयेगे इस लिये अभय एक अच्छी जगह ढूंढ बैठ गया और जैसा अभय ने सोचा था सब बाते तो आपस मे कर रहे थे लेकिन मोक्का देख अभय के पास चले आ रहे थे

अभय कोमल को आते देखता है तो अभय अपना लंड निकाले ही बैठा था कोमल शर्मा के अभय के पास आके - छी बेसरम ये किया है
अभय कोमल का हाथ पकर नीचे बैठा के - तेरा लॉलीपॉप चुसो

कोमल लंड पकर मुह मे लेके चुस्टे हुवे मन मे - उफ ये स्वाद लेने के लिये मरी जा रही थी टाइम नही है कोई भी आ सकता है मुझे करना होगा
अभय कोमल के चुचे दबाते हुवे - उफ मस्त टाइट है कमु आज नही कल कैसे भी तेरी सील तोर दूंगा
कोमल लंड चुस्टे हुवे मन मे - आह उसकी बाते सुन बुर गीली हो गई डर है कैसे उसका मोटा लंड लुगी लेकिन बुर मे लंड लेने के लिये बेचैन भी हु
3 मिनट बाद

अभय कोमल को खरा करके - पैंटी नीचे करो.
कोमल हैरान अभय को देख सर्म से - कियु
अभय कोमल को देख - जल्दी करो टाइम नही है

कोमल अभय को देखती है फिर जीन्स पैंटी नीचे कर देती है अभय नीचे बैठ कोमल की बुर देखते हुवे - टांगे फैला दो

कोमल टांगे फैला देती है अभय बुर के फाको को फैला के - उफ जवानी का रस पीने का अपना ही मजा है

अभय एकदम से कोमल की बुर मुह मे लेके चूसने लगता है कोमल काप् जाती है कोमल तेज सिसकिया लेते हुवे - आह अभय चुसो मेरी बुर को आह बहोत अच्छा फिल हो रहा है
कोमल खरी खुद बुर अभय के मुह मे दे रही थी और खरे खरे बुर चटवाने का मजा ले रही थी , 2 मिनट बाद

अभय खरा होता है और अपना लंड पकर कोमल की बुर के फाको के बीच घिसने लगता है बुर पे गर्म मोटा अभय के लंड का टोपा फिल कर कोमल काप् जाती है बुरी बॉडी मे करेंट डोर जाता है सासे बहोत तेज हो जाती है दिल जोर से धक धक करने लगता है

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अभय बुर के फाको के बीच लंड घिसते हुवे कोमल कोई देख - उफ कमु कितनी गर्म है तेरी बुर आह मजा आ रहा है तुझे आ रहा है
कोमल एकदम से अभय को बाहों मे लेके - आह अभय ये बहोत मजा आ रहा है तेरा मोटा लंड अपनी बुर की फाको के बीच फिल करके आह अभय घिसते रह मेरा आने वाला है उफ मा अभय और तेज आ रहा है
कोमल जोर से अभय को पकर अपनी गांड आगे करते हुवे बुर तेजी से अभय के लंड पे घिसने लगती हो अभय मुस्कुराते हुवे -आह निकाल दे आने दे
कोमल तेजी सी बुर पे लंड घिसते अभय को कस के पकरे - आह मा करते झटके मारते कापते झर जाती है

कोमल नीचे से नंगी तेज सासे लेते एक पथर् से टेक खरी सासो को कामु करने लगती है ठोरी देर बाद अपनी गीली बुर को देखती है बुर का पानी जांघों से बेह नीचे आ रहा था

कोमल पैंटी उपर करती है फिर पैंट उपर कर पहन लेती है अभय पास आके बाहों मे लेके आखो मे देख - कैसा लगा
कोमल शर्म से - आह अभय पहली बार बुर की फाको मे किसी का लंड गया है ये पहला आह एहसास मेरे लिये नया लेकिन बहोत सुकून भरा था मुझे बहोत अच्छा फिल हुआ

अभय कोमल को किस करते हुवे - कल पक्का तुम्हे एक औरत बना दूंगा
कोमल शर्मा के - मुझे भी इंतज़ार है अब जाती हु
अभय कोमल के गांड जोर से दबा के मुस्कुराते हुवे - ठीक है
कोमल आह करते शर्मा के चली जाती है

अभय मन मे - कल कोमल की लेनी ही होगी पता नही फिर कब टाइम मिले

कोमल के जाने के बाद मिका आती है जिसे देख अभय थोरा हैरान होता है

अभय मिका को देख - मिका तुम आओ बैठो ना
मिका अभय के पास बैठ - अभय पापा हमे कही अच्छी जगह लेके नही गये कही लेके जाते थे तो बरे होटल बरी मॉल उसको तो पता नही था की असली लाइफ का मजा सुकून कैसे और कहा मिलता है ना ये जानने की कोसिस की पहली बार है मेरी मा मेरा जो हम इतनी सांत खूबसूरत जगह आये है

मिका अभय को देख - पैसे सब कुछ नही होते अपनों का साथ प्यार जरूरी होता है आज मेरी मा यहा आके बहोत खुश है तुम्हारी मा बीवी बहन सब बहोत अच्छे साफ दिल के है मेरी मा से सब अपना समझ खुशी से बाते कर रहे है जैसे कई साल से जानते हो मेरी मा भी कब सब से घुल गई उनको खुद नही पता अभय मुझे यकीन था तुम मेरी मा को वो प्यार खुशी दोगे और आज तुम्हारे अपनो से अच्छे से मिल जान सब देख और भी यकीन हो गया मेरे जो सोचा गलत नही था अभय मेरी मा को ऐसे ही प्यार देना खुश रखना

अभय सब सुन मिका को देख रहा था सब बातो को समझ रहा था

अभय मिका को पकर अपने जांघों पे बैठा लेता है मिका हैरान शोक सर्म से - अभय ये क्या
अभय बीच मे मिका के होठ पे उंगली रखते हुवे - तुम भी मिका एक बहोत अच्छी बेटी हो तुम अपनी मा के दर्द उसकी फीलिंग सकती हो मे जनता हु नितिका ऑन्टी बाहर से बहोत मजबूत दिखाती है लेकिन अंदर से टूटी हुई है पर मेरा वादा है मे तुम्हारी मा को खुश रखुंगा

अभय होठ उंगली से हटा लेता है लेकिन मिका सर्म से लाल तेज सासे लिये जा रही थी मिका के चुचे उपर नीचे हो रहे थे पहली बार किसी लरके ने मिका को चुवा और गोद मे बैठा भी लिया था

अभय अपने होठ मिका के होठ के पास लाते हुवे धीरे से - मेरा इरादा तुझे भी प्यार करने का है मिका
मिका शर्मा के तेज सासे लेते हुवे - अभय रुक जाओ ये गलत हो जायेगा
अभय मिका के होठ पे उंगली फेरते हुवे मिका की आखो मे देख - मेरी लाइफ मे और भी लोग है मिका तेरी मा जानती है तुम भी आ जाउंगी तो किया होगा सादी नही कर सकता लेकिन वादा है एक बॉयफ्रेड बन मरते दम तक प्यार करता रहुंगा

अभय का होठ अब मिका के होठ को टच करने लगते है मिका काप् जाती हैं पूरी बॉडी झन झना जाती है दिल जोर से धक करने लगता है मिका तेज सासे लिये जा रही थी अभय मिका की सासे एक दूसरे से टकराने लगती है मिका के मन मे कई सवाल चल रहे थे लेकिन एंड मे
मिका खुद आगे बढ़ अपना होठ अभय के होठ से चिपका देती है

फिर दोनो सब भूल एक दूसरे को बाहों मे कस के पकरे किस करने लगते है मिका का ये पहला किस था किस करने का मजा ये नया फीलिंग मिका को मद्होस् कर गई थी अभय मिका के होठ जिब चूस रहा था मिका भी सेम कर रही थी

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मिका मन मे - मुझे नही पता मे सही कर रही हु या गलत पर मुझे अभय का इस तरह किस करना बहोत अच्छा लग रहा है पहली बार मेरी किस कोई लेगा वो मेरी मा का बॉयफ्रेड होगा सोचा नही था
अभय किस करते हुवे मन मे - मिका के होठ का रस भी ऑन्टी जैसा ही मीठा स्वाद दे रहा है उफ दोनो मा बेटी बवाल है, 2 मिनट बाद

किस टूटते ही मिका तेजी से शर्मा के भाग जाती है अभय मुस्कुराते हुवे देखता रहता है

मिका के जाते ही सिला आती है अभय सिला को देख अभय खुश हो जाता है अभय अपने जांघों पे बैठने का इशारा करता है सिला शर्मा के अभय के पास आके टांगे फैला के दोनो तरफ पैर कर अभय के गोद मे बैठ जाती है अभय सिला को बाहों मे भर लेता है सिला दोनो हाथ अभय के कंधे पे रख देती है दोनो चिपके थे दोनो का फेस एक दूसरे के समाने था

अभय तो मस्त हो गया था सिला की भरी फैली मस्त नर्म गांड अपनी जांघों पे फिल कर के बुर की गर्मी तो अलग ही जांघों को जला रही थी

अभय सिला को मुस्कुराते हुवे देख - आज उस दिन का जवाब चाहिये मेरी मा आपके लाला को बहोत इंतज़ार करवाया है अपने

सिला शर्मा के - कोन सा जवाब
अभय सिला की आखो मे देख - आपको पता है
सिला अभय को देख - नही थी नाराज अब खुश
अभय सिला को देख - और आगे आइये ना मा
सिला शर्मा के अपनी गांड उठा के आगे बोले तो सीधा अभय के लंड पे बैठ जाती है

अभय सिला को कस लेता है सिला आह करती है अब सिला अभय की बाहों मे पूरी चिपकी थी चुचे अभय के सीने मे दबे थे

पोजिसन अजब का था सिला अभय के गोद मे अभय की तरफ करके अभय के लंड के ऊपर बैठी थी चिपक थे अभय सिला के बरे चुचे बुर की गर्मी कहे पूरी बॉडी की गर्मी खुशबु सब से पागल हो रहा था
सिला के चेहरा अभय के कंधे पे था अभय का सिला के दोनो एक दूसरे को देख नही सकते है कियुंकी चेहरा एक दूसरे के आगे था

अभय सिला के पीठ सेहलाते हुवे धीरे से - पापा प्यार करते है मुझे भी करना है आपको प्यार मा
सिला अभय को बाहों मे कसे हुवे सिसकिया लेते हुवे -बेटा है मेरा पापा की जगह तु नही ले सकता

सिला मन मे - जानती हु लाला तु किया चाहता है लेकिन वो मे कैसे तुझे डेदू

अभय सिला को आगे कर चेहरे को देखते हुवे - आप चाहेगी तो दे सकती है मा
सिला अभय के गाल पे हाथ फेरते हुवे - लाला और कुछ मांग लेकिन जो तु मांग रहा है मे नही दे सकती

अभय उदास होके - ठीक है समझ गया
अभय को उदास देख सिला दुखी हो जाती है
सिला अभय के चेहरे को पकर आखो मे देख - उसके अलावा तु जो बोलेगा करुगी एक बार तेरे लिये

अभय उदास होके - नही मे आप मुझपे तरस खाके दुखी देख कर केह रही है आपका लाला वैसा नही किसकी फायदा उठाये
सिला अभय के होठ पे किस करते हुवे - जानती हु एसी लिये तो बहोत प्यार करती हु गर्व भी है अपने लाला पे लेकिन मे दिल करुगी पर सिर्फ एक बार लाला हमारा रिस्ता मा बेटे का है मे किसी की बीवी हु समझ
अभय मन मे - हद है छोटी मा भी मा की तरह एक दीवार खरी कर दी है लेकिन एक मोका दिया एक बार सेक्स के अलावा कुछ भी करेगी तो किया करू या करने को कहु

अभय सिला को देख - मे कहु मुझे आपका सब देखना है दिखायेगी
सिला अभय को देख शर्मा के - सब नही एक लाला
अभय - उपर का देखूंगा तो नीचे का नही देख पाऊंगा
सिला मन मे - बेसरम सब देखना चाहता है
अभय सिला को देख - मा अपने तो मुझे बरी उलझन मे डाल दिया
सिला शर्मा के - सोच ले किया देखना है या और कुछ करू

अभय गहरी सासे छोर के - सोच के बताऊंगा और घर पे कल रात को
सिला मुस्कुराते हुवे सर्म से - ठीक है
अभय सिला के होठो पे टूट परता किस करने के बाद सिला खरी होके - मे जा रही हु

अभय - मा
सिला पीछे मूर अभय को देख - हा
अभय - हो सके तो बता दीजिये नीचे कोन की कलर की पहनी है
सिला हैरान शोक मे अभय को देखती है फिर सर्म से पानी पानी होते हुवे - पिला, केह शर्मा के चली जाती है

अभय मन मे - पिला उफ कैसी पैंटी पहनी होगी मा मे कैसा देखने मे लग रहा होगा उफ

सिला जाते हुवे मन मे शर्मा के - उफ बहोत सर्म आ रही है ये लरका बहोत बिगर गया है कैसी गंदी हरकत बाते करता है

सिला के जाते ही पूजा आती है
पूजा अभय के पास बैठ - जीजा जी सब बैठ एक साथ बाते कर रहे है और आप यहा अकेले बैठे है.

अभय अपना लंड निकाल पूजा को देख मुस्कुराते हुवे - ताकि आप आये और हम फिर सब कर सके

पूजा शर्मा के - छी हमेसा आपका दिमाग वही रहता है
अभय पूजा के हाथ पकर अपने पैर के बीच लंड के पास बैठा के मुस्कुराते हुवे - आपका भी दिल है साली जी तभी तो आई है अब चूसिये

पूजा कुछ नह करती और सर्म से लंड पकर मुह मे लेके मजे से चुस्टे हुवे - जीजा जी बहोत तेज है सब समझ जाते है उफ जीजा जी के लंड का स्वाद बुर मे लंड जब से लिया है बार बार लेने का मन करता है
3 मिनट बाद

अभय पूजा को देख - साली जी नीचे से नंगी होके घोरी बन जाइये
पूजा सर्माते हुवे पैंट पैंटी नीचे कर जमीन पे घोरी बन जाती है

अभय भी घुटने पे आके लंड पे थूक लगा के बुर पे घिसते हुवे - आह साली जी डाल दु
पूजा सिसकिया लेते हुवे -आह जीजा जी धीरे से घुसाइये गा
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है
अभय धीरे धीरे लंड बुर मे घुसाने लगता है पूजा दर्द मे मन मे - मा मर गई एक एक इंच जीजा जी का मोटा लंड अंदर जाते फिल कर पा रही हु

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अभय पुरा लंड घुसा के चुदाई करना सुरु कर देता है पूजा सर्म से आसु लिये - जीजा जी धीरे कीजिये मा तेज धक्का मत मारिये दर्द होता है
अभय तेज चुदाई करते हुवे - उफ साली जी आपकी टाइट गर्म बुर की गर्मी जल्दी निकाल दूंगा टाइम नही है जल्दी ही कम होगा
पूजा रोते हुवे - दर्द होता है उसका क्या आह मा
10 मिनट बाद

पूजा खरी होके पैंट पैंटी पहनते आसु साफ करके अभय को देख - बहोत बुरे है आप

अभय पूजा को बाहों मे लेके - आप बहोत प्यारी
पूजा अभय को बाहों मे लिये - आप भी जीजा जी चुदाई करते वक़्त आप नही सुनते बाकी तो आप बहोत अच्छे है
अभय मुस्कुराते हुवे - बुर की आग ठंडी हुई या
पूजा एकदम से दूर होके सर्म से - इतना ही बहोत है

पूजा भी तेजी से भाग जाती है

पूजा मन मे - आह बहोत दर्द हो रहा है 10 मिनट मे ही 2 बार मेरी बुर ने पानी निकाला जीजा जी कोई इंसान भी है आह

पूजा फिर सभी के पास आके बैठ जाती है दिशा पूजा को देख मन मे - आ गई चुदवा के अपने जीजा से बेसरम

अभय लंड देखते हुवे - आह साली जी लंड साफ करके तो जाती आपकी बुर का पानी लगा हुआ है मेरे लंड पे

पूजा के बाद आती है मधु आती है मधु शर्मा रही थी चेहरा लाल था अभय मधु को देख मुस्कुराते हुवे - गुरिया

मधु अभय के पास आके खरी हो जाती हैं अभय मधु के हाथ पकर सिला के जैसे ही अपने लंड पे गोद मे बैठा के बाहों मे भर लेता है

अभय मधु को देख - आज मेरी गुरिया जीन्स टिसर्ट मे मस्त लग रही है
मधु अभय को देख सर्म से - सच भाई
अभय - बिल्कुल सच

अभय मधु के के होठ को देख - पहले अपने भाई को अपने होठो का रस पिला दे जल्दी से

मधु शर्मा के अपने होठ आगे करते हुवे - पी लीजिये भाई

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अभय मधु के होठ मुह मे लेके पीना सुरु कर देता है मधु अभय को बाहों मे लिये अभय मधु को दोनो एक दूसरे से चिपके एक दूसरे का जिब होठ चूस के रस पीने लगते है 2 मिनट बाद

अभय मधु को देख - गुरिया टाइट टिसर्ट मे तेरे दोनो मस्त दिख रहे है
मधु सर्म से लाल होके नजरे सर्म से झुकाये - भाई सर्म आती है

अभय धीरे से मधु के एक चुचे पे हाथ रख दबाने लगता है मधु एकदम से काप् के तेज सासे लेने लगती है मधु को ऐसा फिल होता है एक तेज बिजली शरीर मे डोर रही हो मधु सिहर उठती है तेज सासे दिल जोर से धक धक करने लगता
मधु दात से होठ दबाये रखती है लेकिन सिसकिया फुट परती है मधु सिसकिया लेते हुवे आह उफ करने लगती है

अभय मधु के चुचे तीसर्ट के ऊपर से दबाते हुवे - उफ गुरिया कितने टाइट मुलायम नर्म है तेरे चुचे सच कहु गुरिया तेरे चुचे पर्फेट है दबाने में बहोत मजा आ रहा है मुझे ऐसा लग रहा है मे नर्म रुई दबा रहा हु
मधु अभय की बातो से और मद्होस् होके सिसकिया लेते हुवे - भाई आह आपको मेरे चुचे दबाने मे मजा आ रहा है तो आह और डबाइये लेकिन उफ धीरे दर्द हो रहा है
अभय धीरे से दबाते मधु को देख - अपने भाई से चुचे दबवाने मे मजा आ रहा है मेरी गुरिया को
मधु अभय को सर्म से देखते हुवे मद्होस् होके - हा आह भाई

अभय चुचे छोर मधु के कान मे धीरे से - दिखाओगी कब गुरिया
मधु शर्मा के धीरे से - भाई आपने सब देखा तो है
अभय धीरे से - हा लेकिन अच्छे से पास दे नही देखा ना
मधु सर्म से नजरे नीचे किये - सोचिगी
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है अपने भाई का नही देखना है
मधु की सासे रुक जाती है मधु कापते हुवे नजरे नीचे किये धीरे से - नही पता

अभय मधु का हाथ अपने पैंट के ऊपर लंड पे रख देता है मधु को जोर का झटका जैसा लगता है मधु जल्दी से हाथ पीछे कर खरी होके शर्मा के - गंदे भाई कहते हुवे भाग जाती है

अभय मुस्कुराते हुवे मन मे - छोटी मा गुरिया एक जैसी है दोनो को कुछ कहो पहले सोचेंगे

मधु जाते अपने हाथ को देख सर्म से मन मे - भाई के उस पे मेरा हाथ था मेरी तो सासे रुक गई थी भाई मुझे अपना दिखाना चाहते है मेरे चुचे को कैसे जोर से दबा रहे थे लेकिन भाई को मेरे चुचे दबाने मे बहोत मजा आ रहा था मुझे भी उफ ये कैसा एहसास है


मधु के जाते ही दिशा आती है और घूर के अभय को देखती है अभय डर के दूसरी तरफ नजरे फेर लेता है

दिशा अभय के पास आके बैठ - वाह अकेले मे कांड कर रहे है और सर्म भी आ रही है

अभय दिशा को एकदम से अपनी गोद मे बैठा के - सर्म नही बस अपनी बीवी से नजरे मिलाने मे अजीब लग रहा है कभी कभी सोचता हु क्या मे तुम्हारे साथ सही कर रहा हु

दिशा हैरान अभय को देखती है फिर मुस्कुराते हुवे - आपको मेरी फिकर चिंता है यही बहोत है आपकी जगह कोई और होता तो वो बीवी को भूल ही जाता खैर आपका लंड मे जो दम है कई लो एक साथ लपेट सांत कर देगी मेने कहा फिर कहती हु मुझे आपसे कोई गिला शिकवा नाराजगी नही है होती तो मे आपको इतनी आजादी नही देती

अभय मुस्कुराते हुवे - मेरी प्यारी बीवी
फिर दोनो किस करने लगते है किस के बाद अभय - बीवी जी सारी पेटीकोट उपर कर लो एक राउंड कर लेते है रात को तो कर नही पायेंगे

दिशा झुक के पहले पैंटी नीचे करती है फिर सारी पेटीकोट उपर उठा लेती है दिशा अभय को देख - धीरे से नही तो बहोत मारुगी
अभय लंड निकाल के - गिला तो करो
दिशा सरमाते हुवे नीचे बैठ मुह मे लंड लेके मजे से चूसने लगती है 3 मिनट बाद

दिशा मुह साफ कर अभय को देख - मेरी बुर कोन चुसेगा
अभय मुस्कुराते हुवे - बेसरम मुझे कहती हो और देखो खुद को
दिशा शर्मा के - हा तो इतना सर्माना भी सही नही है चलिये चूसिये मेरी बुर को मेरे बच्चे के पापा

अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है बेसरम मेरी बच्ची की मा टांगे फैला दो

दिशा टांगे फैला देती है अभय नीचे बैठ बुर के फाके फैला के जिब डाल चूसने लगता है दिशा - आह चूसिये उफ बहोत मजा आ रहा है
3 मिनट बाद

अभय दिशा की एक टांगे उठा के पकर खरे बुर मे लंड घुसा के चुदाई करने लगता है दिशा अभय को पकरे - आह नही धीरे मा बहोत दर्द हो रहा है आह
अभय चुदाई करते हुवे - उफ दिशा तुम्हारी बुर की तुम्हारी बात ही अलग है मेरी जान आह मजा आ रहा है, 16 मिनट बाद

दिशा पैंटी पहन सारी नीचे कर आसु साफ करते हुवे अभय कोई देख - बुर मे लंड घुसाते ही आप तो रुकते ही नही

अभय मुस्कुराते हुवे - दर्द मे मजा देखो नीचे कैसे तुम्हारी बुर ने पानी निकला है नीचे सबूत है

दिशा जाते हुवे - बेसरम है आप और रहेगे कभी सुधर नही सकते है गंदी बेसरम बाते हु

दिशा चली जाती है अभय मुस्कुराते हुवे - हाय मेरी बीवी के मुह फुलाना गुस्सा मे और कमाल लगती है

दिशा के आते ही अदिति मोक्का देख अभय के पास चली जाती है

बाकी सभी कैप के अंदर कैप बहोत बरा गोल बना था बिस्तर सभी का एक साथ ही लगा था यानी सब एक साथ ही सोने वाले थे

आसा झरने के पास थोरा लाइट मे खरी अकेली सांत सुकून ले रही थी

तभी मिनिता आसा के पास आके - दीदी अभय को सब बता दिया
आसा मिनिता को देख - हा रात को ही जैसा मेने सोचा था लाला को सब पता चल गया था

मिनिता - दीदी आप बुरा ना मानो तो किया हुआ था अभय को क्या बताया बता सकती है

आसा मिनिता को देखती है फिर सब बात देती है

मिनिता हैरान होके गुस्से से - कमीना कही का दीदी आपने चालाकी से अपनी इज़त लूटने से बचा लिया नही तो बहोत बुरा होता अभय बेटा भी आपकी मजबूरी समझ गया होगा

आसा इमोसनल होके - हु मेरा लाला बहोत प्यार करता है तेज दिमाग समझदार भी है

मिनिता - दीदी आपकी कहानी सुनने के बाद तो मेरे साथ जो हुवा
आसा मिनिता को देख - तूने नही बताया किया हुआ तेरे साथ कितना कैसे हुआ

मिनिता -दीदी बताऊंगी लेकिन जब आपका देवर आपके साथ गलत करनी की कोसिस कर रहा था तक आपके मन मे क्या चल रहा था आपको अच्छा लग रहा था या बुरा अभय को नही बताया लेकिन मुझे जानना है

आसा बहोत शोक होती है और हैरान मिनिता को गुस्से से देख - मिनिता
मिनिता डर के नजरे नीचे किये - दीदी मेरा गलत इरादा नही है आपके साथ वो हुआ मेरे साथ बाकी सब सेम ही हुआ है लेकिन जब मेरे साथ वो कमीना करने की कोसिस कर रहा था तो कई चीजे मेरे दिमाग मे चल रही थी जो मे फिल कर रही थी वो सब मिलाना चाहती हु जानना चाहती हु आप क्या सोच रही थी कैसा फिल कर रही थी क्या मे जो सोच रही थी फिल कर रही थी हमारे दोनो का मैच करता है या नही

दीदी - जान कर खुद को जज करना चाहती हु बस इतना ही है मे भी उस पल को याद करती हु तो सिहर उठती हु

मिनिता की बात सुन जान समझ आसा - मिनिता अभय को मे सब बताना चाहती थी मे किया फिल कर रही थी सोच रही थी लेकिन एक मा होने के नाथे हिम्मत उठा रही थी पर जब पहले लाला को उसकी बुआ मासी की अधूरी कहानी सुनाई तो उसने उसे पुरा समझ लिया तब मे जान गई मेरा लाला बहोत तेज है लाला भी बस जो हुवा जानना चाहता था तो मेने बात दिया लेकिन हा लाला को अच्छे से पता है मे उस समय क्या सोच रही थी मुझे अच्छा बुरा किया फिल हो रहा था

आसा मिनिता की तरफ घूम - ठीक है मे उस पल को फिर याद नही करना चाहती थी लेकिन तेरी बाते सुन मे बटाउगी सब अच्छे से लेकिन वादा कर उसके बाद सब भूल जायेगी और अपनी लाइफ मस्त जियेगी कियुंकी हम दोनो के लिये अच्छा है लाला को सब बता के मेरा बोझ उतर गया अब वो बुरे वक़्त भूल गई सायद तुम भी भूल जाओ

आसा मन मे - लाला सब अच्छे से जनता है और आज मे जैसी हु पहले नही थी लेकिन उस घटना के बाद मेने अपने आप को पुरा बदल लिया जो लाला को अच्छे से समझ आ गया है
मिनिता - वादा दीदी
आसा - ठीक है सुन मे किया फिल कर रही थी सोच रही थी

आसा किया सोच फिल कर रही थी जब उसका देवर उसकी इज़त लूटने मे लगा था ये सब आसा ने अभय को नही बताया कियुंकी आसा को एहसास हो गया था उसका बेटा बहोत तेज है सब समझ जायेगा वैसा था ही अभय को तो बस ये जानना था उसकी मा चाचा के बीच वो सब हुआ तो नही है जोकि आसा ने सब बता के साफ कर दिया ऐसा कुछ नही हुआ था

आसा को ये एहसास नही होता की उसका बेटा सब समझ जायेगा तो आसा सब किल्यर करके बता देती अभय को भी सब पता था और अभय को जो जानना था जान किया अभय अपनी मा को सर्मिंदा नही करना चाहता था

लेकिन अब आसा मिनिता को वो सब बतायेगी जोकि कहानी के लिये बहोत जरूरी हिस्सा है कुछ चीजे कीयर भी होगी

वही अभय की गोद मे अदिति बैठी हुई थी अपने चुचे अपने भाई के सीने मे दबा के अभय अदिति की बुर की गर्मी बॉडी की खुबसु और सीने पे नर्म बरे मुलायम चुचे फिल कर रहा था

अदिति अभय दोनो भाई बहन सुरु सी ही ऐसा करते रहते है तो सब नॉर्मल था दोनो के बीच लेकिन अदिति आगे जो होने वाला था वो सोच अजीब फिल कर शर्मा रही थी पहली बार एक भाई अपनी सगी छोटी बहन के होठो का रस पीने वाला था और एक छोटी बेहन अपने होठ का रस पिलाने वाली थी अपने भाई को

अभय अदिति एक दूसरे की आखो मे देखते है अदिति शर्मा रही थी


आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏
Mast update 👍
 
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