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अमन से बात करने के बाद मैं काफी देर तक अपनी आगे की प्लानिंग के बारे में सोचती रही। काफी देर सोचने के बाद मैंने तय किया कि पहले अपने दुश्मनों से निपटा जाऐ, उसके बाद अमन को देखूँगी। बैसे भी वो एक महीना और नहीं आने बाला है, तो फिर मैं क्यों फालतू में उसके बारे में सोचूँ। अपने दुश्मनों से बदला लेने के लिए मेरा सबसे पहला कदम उनका पैसा गायब करना था। जिसे गायब करना मेरे लिए कोई बडी बात नहीं थी। पर उसे सुरक्षित जगह पर छिपाकर रखना, इस वक्त मेरे लिए बहुत बडी समस्या थी।
क्योंकि इतना सारा सोना मैं कहाँ रखूँगी, मैं ना तो उसे अपने साथ दिल्ली ले जा सकती थी और ना ही ले जाना चाहती थी। क्योंकि दिल्ली बाला फ्लैट अमन के नाम पर था। अगर अमन से मैं अलग हुई तो फिर इतना सारा सोना किसी दूसरी जगह शिफ्ट करने में बहुत ज्यादा परेशानी होगी और अमन को उसके बारे में पता चलने का रिश्क भी था। साथ ही साथ इतना सारा सोना किसी बैकं के लॉकर में भी नहीं रखा जा सकता है। क्योंकि इतना सोना रखने के लिए मुझे कई सारे लॉकर बुक करने होंगे। जिसमें काफी रिश्क था। यह सब सोचते सोचते मेरे मन में एक ख्याल आया कि
“क्यों ना मैं यहाँ भोपाल के आस पास ही कहीं अपने नाम से एक मकान खरीद लूँ। जिसमें मैं वो सारा सोना सुरक्षित रख सकती हूँ। साथ ही साथ अगर मैं और अमन अलग होते भी हैं तो एक नई जिंदगी शुरू करने के लिए मेरे पास अपना खुद का घऱ भी होगा और मेरे पास इस वक्त एक अच्छा खासा आलीशान घर खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे भी हैं।”
मुझे अपना यह आईडिया बहुत पसंद आया, इसलिए मैंने तय किया कि मैं आज ही रवि से किसी अच्छे प्रापर्टी डीलर की जानकारी ले लूँगी। बैसे भी रवि का फैमिली बिजिनेश भी तो बिल्डींग्स बगैरह बनाने और नई नई कॉलोनी डेबलप्ड करने का है। इसलिए उसे तो पक्का इन सबके बारे में सही सही जानकारी होगी ही। कुछ देर इस बारे में सोचने के बाद मैंने रवि को कॉल कर दिया और उससे मिलने के बारे में पूछा, तो वो तुरंत मान गया। इसलिए मैंने उसे 4 बजे एक रेस्टोरेंट में मिलने के लिए बुला लिया। इसके बाद मैं तैयार होकर हरीश अंकल के ऑफिस के लिए निकल गई। जब मैं वहाँ पहूँची तो वो मेरा पहले से ही इंतजार कर रहे थे। कुछ देर हाल चाल पूछने के बाद वो बोले
हरीश- मेरे ऑफर के बारे में क्या सोचा तुमने
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं तुरंत बोली
निशा- अंकल सच कहूँ तो उसके लिए मैं अभी पूरी तरह से तैयार नहीं हूँ। क्योंकि फिलहाल मुझे अपने कुछ फैमिली मैटर और पर्शनल मैटर सुलझाने हैं, जिनमें थोडा समय लगेगा। बैसे भी पुलिस फोर्स ज्वाईन करके मैं किसी बंधन में नहीं बंध सकती और ना ही मैं रेगुलर किसी पुलिस स्टेेशन जाकर अपनी ड्यूटी कर सकती हूँ। मुझे आजाद रहना पसंद और हर काम अपने तरीके से करने की आदत है। जबकि पुलिस फोर्स ज्वाईन करके मुझे अनुशासित तरीके से अपने सीनियर्स के हर ऑर्डर को फॉलो करना पडेगा। हइसलिए मैं अपने सभी पर्शनल और फैमिली मैटर सुलझाने के बाद अपना खुद का विजिनैश शुरू करने के बारे में सोच रही हूँ।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल बोले
हरीश- हुम्म अगर ऐसी बात है तो मैं तुम्हें पुलिस डिपार्टमेंट ज्वाईन करने के लिए फोर्स नहीं करूँगा। लेकिन मेरे पास तुम्हारे लिए एक दूसरा ऑफर भी हो। जिसमें तुम्हारे ऊपर कोई बंधन भी नहीं होगा और तुम अपनी मर्जी से काम भी कर सकती हो, साथ ही साथ ुउस काम के दौरान अगर तुम चाहो तो अपना बिजिनेश भी शुरू कर सकती हो। यानि तुम अपनी मर्जी से एक नार्मल लाईफ जी सकती हो, और अपनी इस नार्मल लाईफ जीने के दौराैन तुम्हें कुछ सीक्रेट टास्क पूरे करने होंगे। जिनके बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं थोडा कन्फ्यूज होते हुए बोली
निशा- मैं समझी नहीं अंकल आप आखिर कहना क्या चाहते हैं
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल थोडा सीरियश होते हुए बोले
हरीश- असल में मेरा एक दोस्त है रजीव ठाकुर, जो नेशनल इंटेलिजेंट व्यूरो यानि आई.बी. में ज्वाईंट कमिश्नर है। इसलिए अगर तुम कहो तो मैं उससे बात करके तुम्हें एक अंडरकबर आई.बी. ऑफिसर बनवा सकता हूँ। जिसमें तुम्हें जो भी काम दिया जाऐगा वह तुम बिना किसी बंदिस के अपने तरीके से करने के लिए पूरी तरह से आजाद रहोगी, और इस दौरान अगर तुम चाहतो तो अपना खुद का बिजिनेश भी शरू कर सकती हो। जो पूरी दुनिया के सामने तुम्हारी असली पहचान छिपाने का काम भी करेगा।
मैंने कुछ पलों के लिए हरीश अंकल के ऑफर के बारे में कुछ पलों तक सोचा, वास्तव में उनका यह ऑफर काफी अच्छा था, इसलिए मैं मुस्कुराते हुए बोली
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल मुस्कुराते हुए बोले
हरीश- तो फिर ठीक है, तुम अपने डॉक्यूमेंट मेरे पास जरूर भिजवा देना, ताकि मैं उन्हें राजीव के पास भेज सकूँ और तुम्हारी ज्वानिंग की प्रासेस शुरू करवा सकूँ। जब तुम अपने सारे मैटर सुलझा लोगी तो मुझे इस बारे बता देना, ताकि मैं तुम्हारी प्रॉपर ट्रेनिंग शुरू करवा सकूँ।
निशा- ठीक है अंकल…. मैं एक दो दिन में आपके पास अपने डॉक्यूमेंट भिजवा दूँगी या फिर खुद ही आपको दे जाऊँगी। पर क्या आप सच में श्योर हैं कि मैं आई.बी. में अंडर कबर ऑफिसर बनने के काबिल हूँ।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल बोले
हरीश- देखो सपना मेरी नजर में तुम एक काबिल और अच्छी लड़की हो और तुम्हारा दिल भी एकदम साफ है। तभी तो तुमने अंजान लडकियों जो शायद तुम्हारी दोस्त भी नहीं है उनके लिए इतना कुछ किया है। इसके अलावा तुम एक सार्पमाईँडेट और बहादुर लडकी भी हो, जो एक आई.बी. ऑफिसर के लिए सबसे जरूरी गुण है। साथ ही साथ तुम्हारी खूबसूरती भी तुम्हें अपने अंडरकबर ऑपरेशन को पूरा करने में बहुत मदद कर सकती है, और सबसे बडी बात तुम एक कम्प्यूटर जीनियस यानि द ड्रेगन हार्ट हो। इसीलिए मैंने तुम्हें आई.बी. ज्वाईन करने का ऑफर दिया है।
हरीश अंकल के मूँह से अपनी तारीफ सुनकर मैं थोडा शर्मिंदा होते हुए बोली
निशा- पता नहीं अंकल आपको मेरे अंदर काबीलियत और अच्छाई कैसे नजर आ गई... लेकिन सच बात तो यह है कि मैं उतनी भी अच्छी नहीं हूँ, जितना आप मुझे समझ रहे हैं। क्योंकि मैंने अपने जिंदगी में कुछ गलत काम भी किये हैं, जिनके बारे में शायद मैं कभी किसी को बता भी नहीँ पाऊँगी।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल मुझे समझाते हुए बोले
हरीश- देखो सपना जो हो गया सो हो गया। वो तुम्हारा गुजरा हुआ कल है, और जो कुछ भी तुमने अपने पास्ट में गलत किया है शायद उसमें तुम्हारी कोई मजबूरी रही होगी। इसलिए अब उस सबके बारे में सोचने का कोई फायदा नहीं है। लेकिन तुम्हारे पास अपनी पुरानी गलतियों को सुधारने का एक मौका है। इसलिए अगर तुम चाहो तो एक नये सिरे से अपनी जिंदगी शुरू कर सकती हो।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैंने मुस्कुराते हुए कहा
निशा- जी अंकल मैं समझ गई कि आप मुझसे क्या कहना चाहते हैं।
हरीश- बैसे सच सच बताना क्या सपना तुम्हारा असली नाम है… या फिर तुमने अपनी असली पहचान छिपाने के लिए मुझे अपना नाम सपना बताया था।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं बुरी तरह से हैरान रह गई थी। क्योंकि हमारे बीच हुई बातों से उन्होंने यह अंदाजा लगा लिया था कि मैंने उनसे अपनी असली पहचान छिपाई थी। शायद कई सालों तक पुलिस डिपार्टमेंट में काम करने के कारण उनकी आदत हर बात पर शक करने की हो गई थी। खैर कारण जो भी हो पर अब मैं उनसे अपनी असली पहचान ज्यादा दिनों तक छिपा नहीं सकती थी। क्योंकि जब मैं उन्हें अपने असली डॉक्यूमेंट दूँगी तो उन्हें मेरी असली पहचान खुद ही पता चल जाऐगी। लेकिन इस वक्त मैं उनसे अपनी असली पहचान के बारे में डिस्कस करने के बिल्कुल मूढ में नहीं थी। इसलिए मैंने उन्हें टालते हुए कहा
निशा- मुझे नहीं पता अंकल कि आपका क्या रिऐक्शन होगा… लेकिन मैंने अपना नाम छोडकर बाकी सब कुछ आपको सब सच सच बताया है।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल ने गंभीरता पूर्वक मुझे घूरा और बोले
हरीश- हुम्म… मुझे लगा ही था… बैसे मैं समझ सकता हूँ कि जब कोई शरीफ लडकी किसी मजबूरी में कॉलगर्ल का काम करे तो वो अपनी असली पहचान छिपाने की कोशिश जरूर करती है। ताकि आगे चलकर उसका सच दुनिया के सामने ना आऐ। ऊपर से तुम तो एक जानी मानी हैकर हो। इसलिए अपनी असली पहचान छिपाना तो तुम्हारी मजबूरी भी है। खैर मुझे यह जानकर ना तो हैरानी हुई और ना ही बुरा लगा। पर अब जब तुम आई.बी. ज्वाईन करने के लिए मान गई हो, तो फिर अब तो तुम मुझे अपना असली नाम बता ही सकती हो। मुझपर यकीन करो तुम्हारे सारे सीक्रेट्स मेरे पास सुरक्षित हैं।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं थोडा मुस्कुराते हुए बोली
निशा- अगर आप यह बात नहीं भी कहते तो भी मुझे आप पर पूरा यकीन था कि आप मेरे सीक्रेट किसी से नहीं कहेंगे। लेकिन अब जब मैं 1-2 में आपके पास अपने असली डॉक्यूमेंट जमा करने ही बाली हूँ। तो आपको मेरा असली नाम बैसे ही पता चल जाऐगा। तब तक के लिए आप मुझे सपना ही समझ लो।
यह सब कहते वक्त मेरे चेहरे पर एक शरारती मुश्कान थी। जिसे देखकर हरीश अंकल कुछ पलों के लिए सब कुछ भूल गए, लेकिन जल्द ही उन्होंने अपने इमोशंन पर कंट्रोल कर लिया और थोडा सीरियस होते हुए बोले
हरीश- चलो ठीक है यही सही…. बैसे एक बात बताओ कि तुम आखिर इतने दिनों से कहाँ गायब थी और तुम्हारा फोन फी स्विच ऑफ आ रहा था।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं भी थोडा सीरियस होते हुए बोली
निशा- अगर मैं आपसे कहूँ कि गनपत ने मुझे किडनैप कर लिया था, तो क्या आप मेरी बात पर यकीन करेंगे
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल बुरी तरह से हैरान होते हुए बोले
हरीश- व्हॉट….. पर कब और कैसे... और तुम आखिर उसके चुंगुल से बची कैसे
हरीश अंकल की बात सुनकर मैंने कहा
निशा- 4 दिन पहले आपने जब मुझे गनपत के बारे में बताने के लिए कॉल किया था। उसके कुछ देर बाद ही उसने मुझे किडनैप कर लिया था। जिसके बाद उसने मुझे काफी ज्यादा टॉर्चर भी किया था।
हरीश- ओह गॉड... वो जरूर तुम्हें अपने बेटे गगन की मौत का जिम्मेदार मान रहा होगा
निशा- सर बात इतनी भी आसान नहीं है। असल में गनपत अकेला नहीं था, उसके कुछ पाटनर्स भी उसके साथ थे। उन सभी लोगों ने गलत धंधा करके जो करोडों रूपये कमाये थे। वो सारे पैसे गनपत के पास थे। उन पैसों के बारे में गनपत और उसके दोस्त जफर के अलावा केवल गगन जानता था। लेकिन गगन के मरने के बाद वो सारे पैसे कहीं गायब हो गए हैं। जिसका ढीकरा गनपत मेरे सिर फोडना चाहता था। मतलब कि सारा पैसा खुद हजम करना और अपने बेटे की मौत का बदला भी लेना।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल एक बार फिर चौंकते हुए बोले
हरीश- जफर.. तुम्हारा मतलब वही जफर जो इंदौर का एक फेमस गुण्डा है
हरीश अंकल की बात सुनकर मैंने अनजान बनने का नाटक करते हुए कहा
निशा- पता नहीं अंकल, मैंने तो बस गनपत के मूँह से उन लोगों के नाम सुने हैं और कुछ लोगो के चेहरे भी देखे हैं।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल थोडा सीरियस होते हुए बोले
हरीश- तो क्या तुम उनमेें से किसी को पहचानती हो
हरीश अंकल का सबाल सुनकर मैं उन्हें टालते हुए बोली
निशा- अब छोडो भी अंकल… आप मेरी बातों पर यकीन नहीं करेंगे
हरीश- क्यों नहीं करूँगा…. तुम बताओ तो सही
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं थोडा सीरियस होने के साथ साथ डरने का नाटक करते हुए बोली
निशा- सर मेरे पास उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। इसलिए अगर आप मुझे गवाही देने के लिए कहना चाहते हैं, तो मेरा जबाब ना है। बैसे भी उन लोगों ने मुझे इतना ज्यादा टार्चर किया था कि मैं पिछले 2 दिन तक बेहोश रही हूँ। शायद मेरे बेहोश होने के बाद उन लोगों ने मुझे मरा हुआ समझ लिया था। इसलिए वो मेरी लाश ठिकाने लगाने के लिए मुझे भोपाल से बाहर किसी सुनसान इलाके में फेंक गए थे। पर किस्मत से मुझे सही समय पर होश आ गया। अगर उन लोगों को पता चल गया कि मैं जिंदा हूँ, तो वो लोग अगली बार मेरे साथ साथ मेरी फैमिली को भी नुकशान पहुँचा सकते हैं।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल मुझे समझाते हुए बोले
हरीश- देखो सपना बेटा, तुम किसी भी बात की चिंता मत करो, मैं तुम्हारी और तुम्हारी फैमिली की सेफ्टी की गारंटी लेता हूँ
निशा- अंकल भूल जाईये ना इस बारे में, बैसे भी वो लोग इतने बडे और ताकतवर लोग हैं कि आप भी सीधे सीधे उनपर हाथ नहीं डाल सकते।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल एक बार फिर मुझे समझाते हुए बोले
हरीश- अच्छा ठीक है बाबा, मैं तुम्हें इस मामले में नहीं घसीटूँगा। लेकिन तुम अगर मुझे गनपत के पाटनर्स के नाम बता दोगी, तो मैं उनपर नजर रखने के लिए अपने कुछ भरोसेमंद ऑफीसर नियुक्त कर दूँगा और जैसे ही हमें उनके खिलाफ कोई सबूत मिलेगा तो हम उन्हें गिरफ्तार कर लेंगे।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं सोचते हुए बोली
निशा- ठीक है अंकल, मुझे इससे कोई प्राब्लम नहीं है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि आपके हाथ में कुछ खास लगेगा। क्योंकि गनपत के पाटनर्स के जाने के बाद मैंने गनपत और जफर की बातें सुनीं थी। वो दोनों अपने सारे पाटनर्स को मारकर विदेश भागने की फिराक में हैं। फिर अगर आप कोशिश करना चाहते हैं, तो आपकी मर्जी है।
हरीश- तुम बस उन लोगों के नाम बताओ.... वाकी सब मैं देख लूँगा
निशा- गनपत और जफर के बारे में तो मैं आपके पहले ही बता ही चुकी हूँ। इनके अलावा फेमस विजिनैश मैन धनराज, भोपाल जेल के जेलर योगेश जिन्होंने गनपत को जेल से भागने में मदद भी की थी, एम.पी. के मिनिस्टर प्रकाश राज और आपके ही पुलिस फोर्स के ऑफिसर ए.पी. महेश वर्मा। ये सभी लोग आपस पाटनर्स हैं अंकल।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल के चेहरे का रंग पूरी तरह से उढ चुका था और वो हैरानी से मुझे देख रहे थे।
अमन से बात करने के बाद मैं काफी देर तक अपनी आगे की प्लानिंग के बारे में सोचती रही। काफी देर सोचने के बाद मैंने तय किया कि पहले अपने दुश्मनों से निपटा जाऐ, उसके बाद अमन को देखूँगी। बैसे भी वो एक महीना और नहीं आने बाला है, तो फिर मैं क्यों फालतू में उसके बारे में सोचूँ। अपने दुश्मनों से बदला लेने के लिए मेरा सबसे पहला कदम उनका पैसा गायब करना था। जिसे गायब करना मेरे लिए कोई बडी बात नहीं थी। पर उसे सुरक्षित जगह पर छिपाकर रखना, इस वक्त मेरे लिए बहुत बडी समस्या थी।
क्योंकि इतना सारा सोना मैं कहाँ रखूँगी, मैं ना तो उसे अपने साथ दिल्ली ले जा सकती थी और ना ही ले जाना चाहती थी। क्योंकि दिल्ली बाला फ्लैट अमन के नाम पर था। अगर अमन से मैं अलग हुई तो फिर इतना सारा सोना किसी दूसरी जगह शिफ्ट करने में बहुत ज्यादा परेशानी होगी और अमन को उसके बारे में पता चलने का रिश्क भी था। साथ ही साथ इतना सारा सोना किसी बैकं के लॉकर में भी नहीं रखा जा सकता है। क्योंकि इतना सोना रखने के लिए मुझे कई सारे लॉकर बुक करने होंगे। जिसमें काफी रिश्क था। यह सब सोचते सोचते मेरे मन में एक ख्याल आया कि
“क्यों ना मैं यहाँ भोपाल के आस पास ही कहीं अपने नाम से एक मकान खरीद लूँ। जिसमें मैं वो सारा सोना सुरक्षित रख सकती हूँ। साथ ही साथ अगर मैं और अमन अलग होते भी हैं तो एक नई जिंदगी शुरू करने के लिए मेरे पास अपना खुद का घऱ भी होगा और मेरे पास इस वक्त एक अच्छा खासा आलीशान घर खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे भी हैं।”
मुझे अपना यह आईडिया बहुत पसंद आया, इसलिए मैंने तय किया कि मैं आज ही रवि से किसी अच्छे प्रापर्टी डीलर की जानकारी ले लूँगी। बैसे भी रवि का फैमिली बिजिनेश भी तो बिल्डींग्स बगैरह बनाने और नई नई कॉलोनी डेबलप्ड करने का है। इसलिए उसे तो पक्का इन सबके बारे में सही सही जानकारी होगी ही। कुछ देर इस बारे में सोचने के बाद मैंने रवि को कॉल कर दिया और उससे मिलने के बारे में पूछा, तो वो तुरंत मान गया। इसलिए मैंने उसे 4 बजे एक रेस्टोरेंट में मिलने के लिए बुला लिया। इसके बाद मैं तैयार होकर हरीश अंकल के ऑफिस के लिए निकल गई। जब मैं वहाँ पहूँची तो वो मेरा पहले से ही इंतजार कर रहे थे। कुछ देर हाल चाल पूछने के बाद वो बोले
हरीश- मेरे ऑफर के बारे में क्या सोचा तुमने
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं तुरंत बोली
निशा- अंकल सच कहूँ तो उसके लिए मैं अभी पूरी तरह से तैयार नहीं हूँ। क्योंकि फिलहाल मुझे अपने कुछ फैमिली मैटर और पर्शनल मैटर सुलझाने हैं, जिनमें थोडा समय लगेगा। बैसे भी पुलिस फोर्स ज्वाईन करके मैं किसी बंधन में नहीं बंध सकती और ना ही मैं रेगुलर किसी पुलिस स्टेेशन जाकर अपनी ड्यूटी कर सकती हूँ। मुझे आजाद रहना पसंद और हर काम अपने तरीके से करने की आदत है। जबकि पुलिस फोर्स ज्वाईन करके मुझे अनुशासित तरीके से अपने सीनियर्स के हर ऑर्डर को फॉलो करना पडेगा। हइसलिए मैं अपने सभी पर्शनल और फैमिली मैटर सुलझाने के बाद अपना खुद का विजिनैश शुरू करने के बारे में सोच रही हूँ।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल बोले
हरीश- हुम्म अगर ऐसी बात है तो मैं तुम्हें पुलिस डिपार्टमेंट ज्वाईन करने के लिए फोर्स नहीं करूँगा। लेकिन मेरे पास तुम्हारे लिए एक दूसरा ऑफर भी हो। जिसमें तुम्हारे ऊपर कोई बंधन भी नहीं होगा और तुम अपनी मर्जी से काम भी कर सकती हो, साथ ही साथ ुउस काम के दौरान अगर तुम चाहो तो अपना बिजिनेश भी शुरू कर सकती हो। यानि तुम अपनी मर्जी से एक नार्मल लाईफ जी सकती हो, और अपनी इस नार्मल लाईफ जीने के दौराैन तुम्हें कुछ सीक्रेट टास्क पूरे करने होंगे। जिनके बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं थोडा कन्फ्यूज होते हुए बोली
निशा- मैं समझी नहीं अंकल आप आखिर कहना क्या चाहते हैं
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल थोडा सीरियश होते हुए बोले
हरीश- असल में मेरा एक दोस्त है रजीव ठाकुर, जो नेशनल इंटेलिजेंट व्यूरो यानि आई.बी. में ज्वाईंट कमिश्नर है। इसलिए अगर तुम कहो तो मैं उससे बात करके तुम्हें एक अंडरकबर आई.बी. ऑफिसर बनवा सकता हूँ। जिसमें तुम्हें जो भी काम दिया जाऐगा वह तुम बिना किसी बंदिस के अपने तरीके से करने के लिए पूरी तरह से आजाद रहोगी, और इस दौरान अगर तुम चाहतो तो अपना खुद का बिजिनेश भी शरू कर सकती हो। जो पूरी दुनिया के सामने तुम्हारी असली पहचान छिपाने का काम भी करेगा।
मैंने कुछ पलों के लिए हरीश अंकल के ऑफर के बारे में कुछ पलों तक सोचा, वास्तव में उनका यह ऑफर काफी अच्छा था, इसलिए मैं मुस्कुराते हुए बोली
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल मुस्कुराते हुए बोले
हरीश- तो फिर ठीक है, तुम अपने डॉक्यूमेंट मेरे पास जरूर भिजवा देना, ताकि मैं उन्हें राजीव के पास भेज सकूँ और तुम्हारी ज्वानिंग की प्रासेस शुरू करवा सकूँ। जब तुम अपने सारे मैटर सुलझा लोगी तो मुझे इस बारे बता देना, ताकि मैं तुम्हारी प्रॉपर ट्रेनिंग शुरू करवा सकूँ।
निशा- ठीक है अंकल…. मैं एक दो दिन में आपके पास अपने डॉक्यूमेंट भिजवा दूँगी या फिर खुद ही आपको दे जाऊँगी। पर क्या आप सच में श्योर हैं कि मैं आई.बी. में अंडर कबर ऑफिसर बनने के काबिल हूँ।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल बोले
हरीश- देखो सपना मेरी नजर में तुम एक काबिल और अच्छी लड़की हो और तुम्हारा दिल भी एकदम साफ है। तभी तो तुमने अंजान लडकियों जो शायद तुम्हारी दोस्त भी नहीं है उनके लिए इतना कुछ किया है। इसके अलावा तुम एक सार्पमाईँडेट और बहादुर लडकी भी हो, जो एक आई.बी. ऑफिसर के लिए सबसे जरूरी गुण है। साथ ही साथ तुम्हारी खूबसूरती भी तुम्हें अपने अंडरकबर ऑपरेशन को पूरा करने में बहुत मदद कर सकती है, और सबसे बडी बात तुम एक कम्प्यूटर जीनियस यानि द ड्रेगन हार्ट हो। इसीलिए मैंने तुम्हें आई.बी. ज्वाईन करने का ऑफर दिया है।
हरीश अंकल के मूँह से अपनी तारीफ सुनकर मैं थोडा शर्मिंदा होते हुए बोली
निशा- पता नहीं अंकल आपको मेरे अंदर काबीलियत और अच्छाई कैसे नजर आ गई... लेकिन सच बात तो यह है कि मैं उतनी भी अच्छी नहीं हूँ, जितना आप मुझे समझ रहे हैं। क्योंकि मैंने अपने जिंदगी में कुछ गलत काम भी किये हैं, जिनके बारे में शायद मैं कभी किसी को बता भी नहीँ पाऊँगी।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल मुझे समझाते हुए बोले
हरीश- देखो सपना जो हो गया सो हो गया। वो तुम्हारा गुजरा हुआ कल है, और जो कुछ भी तुमने अपने पास्ट में गलत किया है शायद उसमें तुम्हारी कोई मजबूरी रही होगी। इसलिए अब उस सबके बारे में सोचने का कोई फायदा नहीं है। लेकिन तुम्हारे पास अपनी पुरानी गलतियों को सुधारने का एक मौका है। इसलिए अगर तुम चाहो तो एक नये सिरे से अपनी जिंदगी शुरू कर सकती हो।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैंने मुस्कुराते हुए कहा
निशा- जी अंकल मैं समझ गई कि आप मुझसे क्या कहना चाहते हैं।
हरीश- बैसे सच सच बताना क्या सपना तुम्हारा असली नाम है… या फिर तुमने अपनी असली पहचान छिपाने के लिए मुझे अपना नाम सपना बताया था।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं बुरी तरह से हैरान रह गई थी। क्योंकि हमारे बीच हुई बातों से उन्होंने यह अंदाजा लगा लिया था कि मैंने उनसे अपनी असली पहचान छिपाई थी। शायद कई सालों तक पुलिस डिपार्टमेंट में काम करने के कारण उनकी आदत हर बात पर शक करने की हो गई थी। खैर कारण जो भी हो पर अब मैं उनसे अपनी असली पहचान ज्यादा दिनों तक छिपा नहीं सकती थी। क्योंकि जब मैं उन्हें अपने असली डॉक्यूमेंट दूँगी तो उन्हें मेरी असली पहचान खुद ही पता चल जाऐगी। लेकिन इस वक्त मैं उनसे अपनी असली पहचान के बारे में डिस्कस करने के बिल्कुल मूढ में नहीं थी। इसलिए मैंने उन्हें टालते हुए कहा
निशा- मुझे नहीं पता अंकल कि आपका क्या रिऐक्शन होगा… लेकिन मैंने अपना नाम छोडकर बाकी सब कुछ आपको सब सच सच बताया है।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल ने गंभीरता पूर्वक मुझे घूरा और बोले
हरीश- हुम्म… मुझे लगा ही था… बैसे मैं समझ सकता हूँ कि जब कोई शरीफ लडकी किसी मजबूरी में कॉलगर्ल का काम करे तो वो अपनी असली पहचान छिपाने की कोशिश जरूर करती है। ताकि आगे चलकर उसका सच दुनिया के सामने ना आऐ। ऊपर से तुम तो एक जानी मानी हैकर हो। इसलिए अपनी असली पहचान छिपाना तो तुम्हारी मजबूरी भी है। खैर मुझे यह जानकर ना तो हैरानी हुई और ना ही बुरा लगा। पर अब जब तुम आई.बी. ज्वाईन करने के लिए मान गई हो, तो फिर अब तो तुम मुझे अपना असली नाम बता ही सकती हो। मुझपर यकीन करो तुम्हारे सारे सीक्रेट्स मेरे पास सुरक्षित हैं।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं थोडा मुस्कुराते हुए बोली
निशा- अगर आप यह बात नहीं भी कहते तो भी मुझे आप पर पूरा यकीन था कि आप मेरे सीक्रेट किसी से नहीं कहेंगे। लेकिन अब जब मैं 1-2 में आपके पास अपने असली डॉक्यूमेंट जमा करने ही बाली हूँ। तो आपको मेरा असली नाम बैसे ही पता चल जाऐगा। तब तक के लिए आप मुझे सपना ही समझ लो।
यह सब कहते वक्त मेरे चेहरे पर एक शरारती मुश्कान थी। जिसे देखकर हरीश अंकल कुछ पलों के लिए सब कुछ भूल गए, लेकिन जल्द ही उन्होंने अपने इमोशंन पर कंट्रोल कर लिया और थोडा सीरियस होते हुए बोले
हरीश- चलो ठीक है यही सही…. बैसे एक बात बताओ कि तुम आखिर इतने दिनों से कहाँ गायब थी और तुम्हारा फोन फी स्विच ऑफ आ रहा था।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं भी थोडा सीरियस होते हुए बोली
निशा- अगर मैं आपसे कहूँ कि गनपत ने मुझे किडनैप कर लिया था, तो क्या आप मेरी बात पर यकीन करेंगे
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल बुरी तरह से हैरान होते हुए बोले
हरीश- व्हॉट….. पर कब और कैसे... और तुम आखिर उसके चुंगुल से बची कैसे
हरीश अंकल की बात सुनकर मैंने कहा
निशा- 4 दिन पहले आपने जब मुझे गनपत के बारे में बताने के लिए कॉल किया था। उसके कुछ देर बाद ही उसने मुझे किडनैप कर लिया था। जिसके बाद उसने मुझे काफी ज्यादा टॉर्चर भी किया था।
हरीश- ओह गॉड... वो जरूर तुम्हें अपने बेटे गगन की मौत का जिम्मेदार मान रहा होगा
निशा- सर बात इतनी भी आसान नहीं है। असल में गनपत अकेला नहीं था, उसके कुछ पाटनर्स भी उसके साथ थे। उन सभी लोगों ने गलत धंधा करके जो करोडों रूपये कमाये थे। वो सारे पैसे गनपत के पास थे। उन पैसों के बारे में गनपत और उसके दोस्त जफर के अलावा केवल गगन जानता था। लेकिन गगन के मरने के बाद वो सारे पैसे कहीं गायब हो गए हैं। जिसका ढीकरा गनपत मेरे सिर फोडना चाहता था। मतलब कि सारा पैसा खुद हजम करना और अपने बेटे की मौत का बदला भी लेना।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल एक बार फिर चौंकते हुए बोले
हरीश- जफर.. तुम्हारा मतलब वही जफर जो इंदौर का एक फेमस गुण्डा है
हरीश अंकल की बात सुनकर मैंने अनजान बनने का नाटक करते हुए कहा
निशा- पता नहीं अंकल, मैंने तो बस गनपत के मूँह से उन लोगों के नाम सुने हैं और कुछ लोगो के चेहरे भी देखे हैं।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल थोडा सीरियस होते हुए बोले
हरीश- तो क्या तुम उनमेें से किसी को पहचानती हो
हरीश अंकल का सबाल सुनकर मैं उन्हें टालते हुए बोली
निशा- अब छोडो भी अंकल… आप मेरी बातों पर यकीन नहीं करेंगे
हरीश- क्यों नहीं करूँगा…. तुम बताओ तो सही
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं थोडा सीरियस होने के साथ साथ डरने का नाटक करते हुए बोली
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मेरी बात सुनकर हरीश अंकल मुझे समझाते हुए बोले
हरीश- देखो सपना बेटा, तुम किसी भी बात की चिंता मत करो, मैं तुम्हारी और तुम्हारी फैमिली की सेफ्टी की गारंटी लेता हूँ
निशा- अंकल भूल जाईये ना इस बारे में, बैसे भी वो लोग इतने बडे और ताकतवर लोग हैं कि आप भी सीधे सीधे उनपर हाथ नहीं डाल सकते।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल एक बार फिर मुझे समझाते हुए बोले
हरीश- अच्छा ठीक है बाबा, मैं तुम्हें इस मामले में नहीं घसीटूँगा। लेकिन तुम अगर मुझे गनपत के पाटनर्स के नाम बता दोगी, तो मैं उनपर नजर रखने के लिए अपने कुछ भरोसेमंद ऑफीसर नियुक्त कर दूँगा और जैसे ही हमें उनके खिलाफ कोई सबूत मिलेगा तो हम उन्हें गिरफ्तार कर लेंगे।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं सोचते हुए बोली
निशा- ठीक है अंकल, मुझे इससे कोई प्राब्लम नहीं है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि आपके हाथ में कुछ खास लगेगा। क्योंकि गनपत के पाटनर्स के जाने के बाद मैंने गनपत और जफर की बातें सुनीं थी। वो दोनों अपने सारे पाटनर्स को मारकर विदेश भागने की फिराक में हैं। फिर अगर आप कोशिश करना चाहते हैं, तो आपकी मर्जी है।
हरीश- तुम बस उन लोगों के नाम बताओ.... वाकी सब मैं देख लूँगा
निशा- गनपत और जफर के बारे में तो मैं आपके पहले ही बता ही चुकी हूँ। इनके अलावा फेमस विजिनैश मैन धनराज, भोपाल जेल के जेलर योगेश जिन्होंने गनपत को जेल से भागने में मदद भी की थी, एम.पी. के मिनिस्टर प्रकाश राज और आपके ही पुलिस फोर्स के ऑफिसर ए.पी. महेश वर्मा। ये सभी लोग आपस पाटनर्स हैं अंकल।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल के चेहरे का रंग पूरी तरह से उढ चुका था और वो हैरानी से मुझे देख रहे थे।
अमन से बात करने के बाद मैं काफी देर तक अपनी आगे की प्लानिंग के बारे में सोचती रही। काफी देर सोचने के बाद मैंने तय किया कि पहले अपने दुश्मनों से निपटा जाऐ, उसके बाद अमन को देखूँगी। बैसे भी वो एक महीना और नहीं आने बाला है, तो फिर मैं क्यों फालतू में उसके बारे में सोचूँ। अपने दुश्मनों से बदला लेने के लिए मेरा सबसे पहला कदम उनका पैसा गायब करना था। जिसे गायब करना मेरे लिए कोई बडी बात नहीं थी। पर उसे सुरक्षित जगह पर छिपाकर रखना, इस वक्त मेरे लिए बहुत बडी समस्या थी।
क्योंकि इतना सारा सोना मैं कहाँ रखूँगी, मैं ना तो उसे अपने साथ दिल्ली ले जा सकती थी और ना ही ले जाना चाहती थी। क्योंकि दिल्ली बाला फ्लैट अमन के नाम पर था। अगर अमन से मैं अलग हुई तो फिर इतना सारा सोना किसी दूसरी जगह शिफ्ट करने में बहुत ज्यादा परेशानी होगी और अमन को उसके बारे में पता चलने का रिश्क भी था। साथ ही साथ इतना सारा सोना किसी बैकं के लॉकर में भी नहीं रखा जा सकता है। क्योंकि इतना सोना रखने के लिए मुझे कई सारे लॉकर बुक करने होंगे। जिसमें काफी रिश्क था। यह सब सोचते सोचते मेरे मन में एक ख्याल आया कि
“क्यों ना मैं यहाँ भोपाल के आस पास ही कहीं अपने नाम से एक मकान खरीद लूँ। जिसमें मैं वो सारा सोना सुरक्षित रख सकती हूँ। साथ ही साथ अगर मैं और अमन अलग होते भी हैं तो एक नई जिंदगी शुरू करने के लिए मेरे पास अपना खुद का घऱ भी होगा और मेरे पास इस वक्त एक अच्छा खासा आलीशान घर खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे भी हैं।”
मुझे अपना यह आईडिया बहुत पसंद आया, इसलिए मैंने तय किया कि मैं आज ही रवि से किसी अच्छे प्रापर्टी डीलर की जानकारी ले लूँगी। बैसे भी रवि का फैमिली बिजिनेश भी तो बिल्डींग्स बगैरह बनाने और नई नई कॉलोनी डेबलप्ड करने का है। इसलिए उसे तो पक्का इन सबके बारे में सही सही जानकारी होगी ही। कुछ देर इस बारे में सोचने के बाद मैंने रवि को कॉल कर दिया और उससे मिलने के बारे में पूछा, तो वो तुरंत मान गया। इसलिए मैंने उसे 4 बजे एक रेस्टोरेंट में मिलने के लिए बुला लिया। इसके बाद मैं तैयार होकर हरीश अंकल के ऑफिस के लिए निकल गई। जब मैं वहाँ पहूँची तो वो मेरा पहले से ही इंतजार कर रहे थे। कुछ देर हाल चाल पूछने के बाद वो बोले
हरीश- मेरे ऑफर के बारे में क्या सोचा तुमने
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं तुरंत बोली
निशा- अंकल सच कहूँ तो उसके लिए मैं अभी पूरी तरह से तैयार नहीं हूँ। क्योंकि फिलहाल मुझे अपने कुछ फैमिली मैटर और पर्शनल मैटर सुलझाने हैं, जिनमें थोडा समय लगेगा। बैसे भी पुलिस फोर्स ज्वाईन करके मैं किसी बंधन में नहीं बंध सकती और ना ही मैं रेगुलर किसी पुलिस स्टेेशन जाकर अपनी ड्यूटी कर सकती हूँ। मुझे आजाद रहना पसंद और हर काम अपने तरीके से करने की आदत है। जबकि पुलिस फोर्स ज्वाईन करके मुझे अनुशासित तरीके से अपने सीनियर्स के हर ऑर्डर को फॉलो करना पडेगा। हइसलिए मैं अपने सभी पर्शनल और फैमिली मैटर सुलझाने के बाद अपना खुद का विजिनैश शुरू करने के बारे में सोच रही हूँ।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल बोले
हरीश- हुम्म अगर ऐसी बात है तो मैं तुम्हें पुलिस डिपार्टमेंट ज्वाईन करने के लिए फोर्स नहीं करूँगा। लेकिन मेरे पास तुम्हारे लिए एक दूसरा ऑफर भी हो। जिसमें तुम्हारे ऊपर कोई बंधन भी नहीं होगा और तुम अपनी मर्जी से काम भी कर सकती हो, साथ ही साथ ुउस काम के दौरान अगर तुम चाहो तो अपना बिजिनेश भी शुरू कर सकती हो। यानि तुम अपनी मर्जी से एक नार्मल लाईफ जी सकती हो, और अपनी इस नार्मल लाईफ जीने के दौराैन तुम्हें कुछ सीक्रेट टास्क पूरे करने होंगे। जिनके बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं थोडा कन्फ्यूज होते हुए बोली
निशा- मैं समझी नहीं अंकल आप आखिर कहना क्या चाहते हैं
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल थोडा सीरियश होते हुए बोले
हरीश- असल में मेरा एक दोस्त है रजीव ठाकुर, जो नेशनल इंटेलिजेंट व्यूरो यानि आई.बी. में ज्वाईंट कमिश्नर है। इसलिए अगर तुम कहो तो मैं उससे बात करके तुम्हें एक अंडरकबर आई.बी. ऑफिसर बनवा सकता हूँ। जिसमें तुम्हें जो भी काम दिया जाऐगा वह तुम बिना किसी बंदिस के अपने तरीके से करने के लिए पूरी तरह से आजाद रहोगी, और इस दौरान अगर तुम चाहतो तो अपना खुद का बिजिनेश भी शरू कर सकती हो। जो पूरी दुनिया के सामने तुम्हारी असली पहचान छिपाने का काम भी करेगा।
मैंने कुछ पलों के लिए हरीश अंकल के ऑफर के बारे में कुछ पलों तक सोचा, वास्तव में उनका यह ऑफर काफी अच्छा था, इसलिए मैं मुस्कुराते हुए बोली
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल मुस्कुराते हुए बोले
हरीश- तो फिर ठीक है, तुम अपने डॉक्यूमेंट मेरे पास जरूर भिजवा देना, ताकि मैं उन्हें राजीव के पास भेज सकूँ और तुम्हारी ज्वानिंग की प्रासेस शुरू करवा सकूँ। जब तुम अपने सारे मैटर सुलझा लोगी तो मुझे इस बारे बता देना, ताकि मैं तुम्हारी प्रॉपर ट्रेनिंग शुरू करवा सकूँ।
निशा- ठीक है अंकल…. मैं एक दो दिन में आपके पास अपने डॉक्यूमेंट भिजवा दूँगी या फिर खुद ही आपको दे जाऊँगी। पर क्या आप सच में श्योर हैं कि मैं आई.बी. में अंडर कबर ऑफिसर बनने के काबिल हूँ।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल बोले
हरीश- देखो सपना मेरी नजर में तुम एक काबिल और अच्छी लड़की हो और तुम्हारा दिल भी एकदम साफ है। तभी तो तुमने अंजान लडकियों जो शायद तुम्हारी दोस्त भी नहीं है उनके लिए इतना कुछ किया है। इसके अलावा तुम एक सार्पमाईँडेट और बहादुर लडकी भी हो, जो एक आई.बी. ऑफिसर के लिए सबसे जरूरी गुण है। साथ ही साथ तुम्हारी खूबसूरती भी तुम्हें अपने अंडरकबर ऑपरेशन को पूरा करने में बहुत मदद कर सकती है, और सबसे बडी बात तुम एक कम्प्यूटर जीनियस यानि द ड्रेगन हार्ट हो। इसीलिए मैंने तुम्हें आई.बी. ज्वाईन करने का ऑफर दिया है।
हरीश अंकल के मूँह से अपनी तारीफ सुनकर मैं थोडा शर्मिंदा होते हुए बोली
निशा- पता नहीं अंकल आपको मेरे अंदर काबीलियत और अच्छाई कैसे नजर आ गई... लेकिन सच बात तो यह है कि मैं उतनी भी अच्छी नहीं हूँ, जितना आप मुझे समझ रहे हैं। क्योंकि मैंने अपने जिंदगी में कुछ गलत काम भी किये हैं, जिनके बारे में शायद मैं कभी किसी को बता भी नहीँ पाऊँगी।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल मुझे समझाते हुए बोले
हरीश- देखो सपना जो हो गया सो हो गया। वो तुम्हारा गुजरा हुआ कल है, और जो कुछ भी तुमने अपने पास्ट में गलत किया है शायद उसमें तुम्हारी कोई मजबूरी रही होगी। इसलिए अब उस सबके बारे में सोचने का कोई फायदा नहीं है। लेकिन तुम्हारे पास अपनी पुरानी गलतियों को सुधारने का एक मौका है। इसलिए अगर तुम चाहो तो एक नये सिरे से अपनी जिंदगी शुरू कर सकती हो।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैंने मुस्कुराते हुए कहा
निशा- जी अंकल मैं समझ गई कि आप मुझसे क्या कहना चाहते हैं।
हरीश- बैसे सच सच बताना क्या सपना तुम्हारा असली नाम है… या फिर तुमने अपनी असली पहचान छिपाने के लिए मुझे अपना नाम सपना बताया था।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं बुरी तरह से हैरान रह गई थी। क्योंकि हमारे बीच हुई बातों से उन्होंने यह अंदाजा लगा लिया था कि मैंने उनसे अपनी असली पहचान छिपाई थी। शायद कई सालों तक पुलिस डिपार्टमेंट में काम करने के कारण उनकी आदत हर बात पर शक करने की हो गई थी। खैर कारण जो भी हो पर अब मैं उनसे अपनी असली पहचान ज्यादा दिनों तक छिपा नहीं सकती थी। क्योंकि जब मैं उन्हें अपने असली डॉक्यूमेंट दूँगी तो उन्हें मेरी असली पहचान खुद ही पता चल जाऐगी। लेकिन इस वक्त मैं उनसे अपनी असली पहचान के बारे में डिस्कस करने के बिल्कुल मूढ में नहीं थी। इसलिए मैंने उन्हें टालते हुए कहा
निशा- मुझे नहीं पता अंकल कि आपका क्या रिऐक्शन होगा… लेकिन मैंने अपना नाम छोडकर बाकी सब कुछ आपको सब सच सच बताया है।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल ने गंभीरता पूर्वक मुझे घूरा और बोले
हरीश- हुम्म… मुझे लगा ही था… बैसे मैं समझ सकता हूँ कि जब कोई शरीफ लडकी किसी मजबूरी में कॉलगर्ल का काम करे तो वो अपनी असली पहचान छिपाने की कोशिश जरूर करती है। ताकि आगे चलकर उसका सच दुनिया के सामने ना आऐ। ऊपर से तुम तो एक जानी मानी हैकर हो। इसलिए अपनी असली पहचान छिपाना तो तुम्हारी मजबूरी भी है। खैर मुझे यह जानकर ना तो हैरानी हुई और ना ही बुरा लगा। पर अब जब तुम आई.बी. ज्वाईन करने के लिए मान गई हो, तो फिर अब तो तुम मुझे अपना असली नाम बता ही सकती हो। मुझपर यकीन करो तुम्हारे सारे सीक्रेट्स मेरे पास सुरक्षित हैं।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं थोडा मुस्कुराते हुए बोली
निशा- अगर आप यह बात नहीं भी कहते तो भी मुझे आप पर पूरा यकीन था कि आप मेरे सीक्रेट किसी से नहीं कहेंगे। लेकिन अब जब मैं 1-2 में आपके पास अपने असली डॉक्यूमेंट जमा करने ही बाली हूँ। तो आपको मेरा असली नाम बैसे ही पता चल जाऐगा। तब तक के लिए आप मुझे सपना ही समझ लो।
यह सब कहते वक्त मेरे चेहरे पर एक शरारती मुश्कान थी। जिसे देखकर हरीश अंकल कुछ पलों के लिए सब कुछ भूल गए, लेकिन जल्द ही उन्होंने अपने इमोशंन पर कंट्रोल कर लिया और थोडा सीरियस होते हुए बोले
हरीश- चलो ठीक है यही सही…. बैसे एक बात बताओ कि तुम आखिर इतने दिनों से कहाँ गायब थी और तुम्हारा फोन फी स्विच ऑफ आ रहा था।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं भी थोडा सीरियस होते हुए बोली
निशा- अगर मैं आपसे कहूँ कि गनपत ने मुझे किडनैप कर लिया था, तो क्या आप मेरी बात पर यकीन करेंगे
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल बुरी तरह से हैरान होते हुए बोले
हरीश- व्हॉट….. पर कब और कैसे... और तुम आखिर उसके चुंगुल से बची कैसे
हरीश अंकल की बात सुनकर मैंने कहा
निशा- 4 दिन पहले आपने जब मुझे गनपत के बारे में बताने के लिए कॉल किया था। उसके कुछ देर बाद ही उसने मुझे किडनैप कर लिया था। जिसके बाद उसने मुझे काफी ज्यादा टॉर्चर भी किया था।
हरीश- ओह गॉड... वो जरूर तुम्हें अपने बेटे गगन की मौत का जिम्मेदार मान रहा होगा
निशा- सर बात इतनी भी आसान नहीं है। असल में गनपत अकेला नहीं था, उसके कुछ पाटनर्स भी उसके साथ थे। उन सभी लोगों ने गलत धंधा करके जो करोडों रूपये कमाये थे। वो सारे पैसे गनपत के पास थे। उन पैसों के बारे में गनपत और उसके दोस्त जफर के अलावा केवल गगन जानता था। लेकिन गगन के मरने के बाद वो सारे पैसे कहीं गायब हो गए हैं। जिसका ढीकरा गनपत मेरे सिर फोडना चाहता था। मतलब कि सारा पैसा खुद हजम करना और अपने बेटे की मौत का बदला भी लेना।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल एक बार फिर चौंकते हुए बोले
हरीश- जफर.. तुम्हारा मतलब वही जफर जो इंदौर का एक फेमस गुण्डा है
हरीश अंकल की बात सुनकर मैंने अनजान बनने का नाटक करते हुए कहा
निशा- पता नहीं अंकल, मैंने तो बस गनपत के मूँह से उन लोगों के नाम सुने हैं और कुछ लोगो के चेहरे भी देखे हैं।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल थोडा सीरियस होते हुए बोले
हरीश- तो क्या तुम उनमेें से किसी को पहचानती हो
हरीश अंकल का सबाल सुनकर मैं उन्हें टालते हुए बोली
निशा- अब छोडो भी अंकल… आप मेरी बातों पर यकीन नहीं करेंगे
हरीश- क्यों नहीं करूँगा…. तुम बताओ तो सही
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं थोडा सीरियस होने के साथ साथ डरने का नाटक करते हुए बोली
निशा- सर मेरे पास उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। इसलिए अगर आप मुझे गवाही देने के लिए कहना चाहते हैं, तो मेरा जबाब ना है। बैसे भी उन लोगों ने मुझे इतना ज्यादा टार्चर किया था कि मैं पिछले 2 दिन तक बेहोश रही हूँ। शायद मेरे बेहोश होने के बाद उन लोगों ने मुझे मरा हुआ समझ लिया था। इसलिए वो मेरी लाश ठिकाने लगाने के लिए मुझे भोपाल से बाहर किसी सुनसान इलाके में फेंक गए थे। पर किस्मत से मुझे सही समय पर होश आ गया। अगर उन लोगों को पता चल गया कि मैं जिंदा हूँ, तो वो लोग अगली बार मेरे साथ साथ मेरी फैमिली को भी नुकशान पहुँचा सकते हैं।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल मुझे समझाते हुए बोले
हरीश- देखो सपना बेटा, तुम किसी भी बात की चिंता मत करो, मैं तुम्हारी और तुम्हारी फैमिली की सेफ्टी की गारंटी लेता हूँ
निशा- अंकल भूल जाईये ना इस बारे में, बैसे भी वो लोग इतने बडे और ताकतवर लोग हैं कि आप भी सीधे सीधे उनपर हाथ नहीं डाल सकते।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल एक बार फिर मुझे समझाते हुए बोले
हरीश- अच्छा ठीक है बाबा, मैं तुम्हें इस मामले में नहीं घसीटूँगा। लेकिन तुम अगर मुझे गनपत के पाटनर्स के नाम बता दोगी, तो मैं उनपर नजर रखने के लिए अपने कुछ भरोसेमंद ऑफीसर नियुक्त कर दूँगा और जैसे ही हमें उनके खिलाफ कोई सबूत मिलेगा तो हम उन्हें गिरफ्तार कर लेंगे।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं सोचते हुए बोली
निशा- ठीक है अंकल, मुझे इससे कोई प्राब्लम नहीं है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि आपके हाथ में कुछ खास लगेगा। क्योंकि गनपत के पाटनर्स के जाने के बाद मैंने गनपत और जफर की बातें सुनीं थी। वो दोनों अपने सारे पाटनर्स को मारकर विदेश भागने की फिराक में हैं। फिर अगर आप कोशिश करना चाहते हैं, तो आपकी मर्जी है।
हरीश- तुम बस उन लोगों के नाम बताओ.... वाकी सब मैं देख लूँगा
निशा- गनपत और जफर के बारे में तो मैं आपके पहले ही बता ही चुकी हूँ। इनके अलावा फेमस विजिनैश मैन धनराज, भोपाल जेल के जेलर योगेश जिन्होंने गनपत को जेल से भागने में मदद भी की थी, एम.पी. के मिनिस्टर प्रकाश राज और आपके ही पुलिस फोर्स के ऑफिसर ए.पी. महेश वर्मा। ये सभी लोग आपस पाटनर्स हैं अंकल।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल के चेहरे का रंग पूरी तरह से उढ चुका था और वो हैरानी से मुझे देख रहे थे।
जब मैंने हरीश अंकल को गनपत के साथियों के नाम बताऐ तो वो बुरी तरह से हैरान रह गए और हकलाते हुए बोले
हरीश- ये ये नहीं हो सकता
निशा- ऐसा ही है अंकल... मैंने तो पहले ही आपसे कहा था कि रहने दीजिए, पर आप ही इस सभी के नाम जानना चाहते थे।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल जल्द ही अपने इमोशन्स को कंट्रोल करते हुए बोले
हरीश- वस यही लोग हैं… या और भी पाटनर्स हैं
निशा- पता नहीं अंकल… मैंने तो बस इनको ही देखा था। अगर इन लोगों के अलाबा कुछ और पार्टनर्स भी होंगे, तो उनकी जानकारी भी इन्हीं लोगों के पास होगी। लेकिन इन लोगों लिए काई सारे आदमी काम करते है। जिन्हें मैं नहीं जानती
अब तक हरीश अंकल अपने आप को पूरी तरह से कंट्रोल कर चुके थे। इसलिए वो थोडा सीरियस होते हुए बोले
हरीश- ठीक है सपना… इतना हमारे लिए काफी है, बाकी की जानकारी हम इन्हीं लोगों से ले लेंगे।
निशा- ठीक है अंकल…. तो अब मैं चलती हूँ।
हरीश- हाँ ठीक है.... और हाँ किसी भी बात की टेंशन मत लेना, क्योंकि इसमें तुम्हारा नाम बिल्कुल भी बाहर नहीं आयेगा।
निशा- थैंक्यू सर
इतना बोलकर मैं वहाँ से बाहर निकल गई। अभी मैं अपने होटल बापिस जाने के बारे में सोच ही रही थी कि तभी मुझे याद आया कि मुझे हरीश अंकल को अपने असली डॉक्यूमेंट भी देने हैं। लेकिन मैं अब भी अपनी असली पहचान किसी को नहीं बताना चाहती थी और ना ही अपने ऑरीजनल डॉक्यूमेंट किसी को देना चाहती थी। बैसे भी अब जब मैंने अपनी पहचान बदल कर नई जिंदगी जीने के बारे में तय कर ही लिया था तो मुझे नये नाम और पहचान के लिए अपने नए डॉक्यूमेंटस् की भी जरूरत तो पडेगी ही, इसलिए मैं इस बारे में सोचने लगी कि अब मेरी नई पहचान के लिए दूसरे डॉक्यूमेंट का इंतजाम मैं कहाँ से करूँगी।
मैं अभी इस बारे में सोच ही रही थी कि तभी मुझे याद आया कि रघू ने मेरे पुराने होटल में सपना नाम से मेरे लिए नकली आई.डी. का इंतजाम किया था। इसलिए जिसने मेरे लिए नकली आई.डी. बनाई थी, क्यों ना मैं उससे ही मेरे नए डॉक्यूमेंट बनाने की बात कर ली जाऐ। इतना सोचते ही मैंने तुरंत रघू को कॉल करके उस व्यक्ति का नाम और एड्रेश ले लिया। जिसके बाद मैं ऑटो लेकर रघु के बताऐ ए़ड्रेश पर उस आदमी से मिलने के लिए निकल गई। जो मेरे लिए नए डॉक्यूमेंट का इंतजाम कर सकता था।
करीब आधे घंटे बाद मैं पवन नाम के उस वयक्ति के सामने बैठी हुई थी। जो नकली डॉक्यूमेंट बनाने का काम करता है। पहले तो उसने मुझे यह सब काम करने से बिल्कुल ही मना कर दिया। लेकिन जब मैंने उसकी बनाई अपनी नकली आई.डी. उसके सामने रखी, तो उसे तुरंत यकीन हो गया कि मैं उसकी ही कोई कस्टमर हूँ। इसलिए वो मुद्दे की बात पर आते हुए बोला
पवन- तो आपको कौन कौन से डॉक्यूमेंट बनबाने हैं
निशा- जन्म प्रमाण पत्र से लेकर पढाई लिखाई तक किसी इंसान के जितने भी डॉक्यूमेंट हो सकते हैं। वो सारे के सारे मुझे चाहिए, वो भी असली। किसी के डॉक्यूमेंट की कॉपी करके उसपर नाम बगैरह एडिट करके मुझे नहीं चाहिए। अगर यही करना होता तो मैं खुद ही कर लेती।
मेरी बात सुनकर पवन कुछ देर सोचने के बाद बोला
पवन- लेकिन उन सभी डॉक्यूमेंट की आखिर आपको क्या जरूरत है।
निशा- बस इतना समझ लो कि मुझे हमेशा के लिए अपनी पहचान बदलनी है।
मेरी बात सुनकर पवन बोला
पवन- मैं इंतजाम तो कर सकता हूँ, लेकिन पैसे कुछ ज्यादा लगेंगे
निशा- कितने
पवन- पूरे 2 लाख रूपये
पवन की बात सुनकर मैं बिना कुछ सोचे तुरंत बोली
निशा- ठीक है…. कोई बात नहीं मैं तुम्हें पैसे दे दूँगी। लेकिन मुझे सारे डॉक्यूमेंट असली चाहिए। वो भी मेरी ही एज की किसी लडकी के।
मेरी बात सुनकर पवन खुश होते हुए बोला
पवन- हो जाऐगा मैम। बस एक छोटी प्राब्लम है
पवन की बात सुनकर मैं चिढते हुए बोली
निशा- अब क्या हुआ
पवन- डॉक्यूमेंट मंगवाने में 1 हफ्ते का समय लगेगा और डॉक्यूमेंट एम.पी. के नहीं होंगे
पवन की बात सुनकर मैंने कहा
निशा- इण्डिया में कही के भी हों… चलेंगे। रही बात डॉक्यूमेंट आने में लगने बाले समय की तो उसकी भी कोई प्राब्लम नहीं है। लेकिन तब तक के लिए अगर तुम उनकी सॉफ्ट कॉपी मुझे मंगवा दो तो बेहतर होगा
मेरी बात सुनकर पवन बोला
पवन- हाँ यह हो जाऐगा। मैं डॉक्यूमेंट की स्कैन कॉपी मंगवाकर आपको भेज दूँगा, रही बात ऑरीजनल डॉक्यूमेंट कि तो आप 1 हफ्ते बाद आकर मुझसे ले जाना।
निशा- हाँ यह ठीक रहेगा। बैसे एक बात बताओ, आखिर तुम इन ऑरीजनल डॉक्यूमेंट्स का इंतजाम कहाँ से करोगे
मेरी बात सुनकर पवन मुस्कुराते हुए बोला
पवन- अरे मैडम जी… आप आम खाओ ना, पेढ क्यों गिन रही हो
निशा- अरे भाई परेशान होने की जरूरत नहीं है, मैं तो बस इसलिए पूछ रही हूँ ताकि भविष्य में कभी वो लड़की अगर मेरे सामने आकर खडी हो गई और सबके सामने यह सवित कर दिया कि ऐ सारे डॉक्यूमेंट उसके हैं और मैंने इन डॉक्यूमेंटस् को चुराया है। तो फिर मैं क्या करूँगी
मेरी बात सुनकर पवन समझ गया कि मेरे दिमाग में इस वक्त क्या चल रहा है। इसलिए वो मुझे समझाते हुए बोला
पवन- इस बात के लिए आप पूरी तरह से निश्चिंत रहिए, क्योंकि ऐसा कभी भी नहीं होगा। वो लडकी कभी भी आपके सामने नहीं आऐगी
पवन की बात सुनकर मैं हैरान होते हुए बोली
निशा- अच्छा जी…. आखिर इतने यकीन के साथ बोलने की क्या बजह
मेरी बात सुनकर पवन लगभग अपनी हार मानते हुए बोला
पवन- बैसे तो मैं यह सब किसी को बताता नहीं हूँ। लेकिन आपका डाऊट क्लीयर करना भी जरूरी है। इसलिए आपको बता रहा हूँ। लेकिन पहले वादा करो कि यह बात आप किसी को नहीं बताऐंगी। और एक बार असली डॉक्यूमेंट मिलने के बाद दोबारा इस मैंटर बर कोई बात नहीं करेंगी।
पवन की बात सुनकर मैं बिना कुछ सोचे तुरंत बोली
निशा- मैं वादा करती हूँ कि यह राज केवल मुझ तक ही रहेगा और तुमसे भी उम्मीद करती हूँ कि तुम भी मुझे डॉक्यूमेंट देने के बाद यह भूल जाओगे कि तुमने मुझे कभी किसी दूसरे इंसान के डॉक्यूमेंट दिए हैं। क्योंकि इतना तो तुम समझ ही गए होगे कि अगर मैं अपनी असली पहचान बदलना चाहती हूँ, तो मैं कोई शरीफ लड़की बिल्कुल भी नहीं हो सकती। अगर मुझे कभी यह पता चला कि मेरी इस नई पहचान के बारे में तुमने किसी भी इंशान को कुछ भी बताया है, या फिर तुमने मुझे ब्लैकमेल करने की कोई कोशिश की, तो फिर तुम्हारे साथ जो कुछ भी होगा, उसके लिए तुम खुद ही जिम्मेदार होगे।
मेरी बात सुनकर पवन थोडा परेशान होते हुए बोला
पवन- अरे… आप तो मुझे धमकी दे रहीं है।
पवन की बात सुनकर मैं मुस्कुराते हुए बोली
निशा- मैं धमकी नहीं दे रही हूँ, बस तुम्हें समझा रही हूँ। बैसे भी तुम मुझे काम के आदमी लगते हो। इसलिए तुम्हारी जरूरत मुझे आगे भी पडती रहेगी और आगे भी तुम्हारी कमाई होती रहेगी। तुम मेरी बात समझ रहे हो ना।
मेरी बात सुनकर पवन भी मुस्कुराते हुए बोला
पवन- समझ गया मैडम जी… आपको डॉक्यूमेंट देने के बाद मैं आपको नहीं जानता और आप मुझे नहीं जानती। रही बात आगे किसी काम की तो उसके लिए मैं आपको एक स्पेशल कार्ड दूँगा। जो मैं अपने ऐसे ही कस्टमर्स को पहचानने के लिए देता हूँ। ताकि अगली बार एक दूसरे को पहचानने में हमें कोई प्राब्लम ना हो।
निशा- ठीक है… तो फिर अब बताओ कि आखिर तुम मेरे लिए डॉक्यूमेंट का इंतजाम कैसे करने बाले हो
मेरी पूरी बात सुनकर पवन बोला
पवन- असल में हमारे देश में हर साल समुद्री तूफान, बाढ और भूकम्प जैसे कई हादसे होते रहते हैं। जिसमें ना केवल कई लोग मारे जाते हैं, बल्कि कई लोगों का तो पूरा परिवार ही एक साथ खत्म हो जाता है और कहीं कहीँ तो पूरा का पूरा गाँव ही उजड जाता हैं। ऐसी दुर्घटनाओं के बाद वहाँ के लोकल माफिया बाले लोग, उन दुर्घटना बाले घरों मेें जाकर उनका सारा का सारा सामान चुराकर बेच देते हैं। ऐसे काम करने बालों की अपनी एक अलग आर्गनाईजेशन है। जो चप्पलों से लेकर घर की ईंट तक बेच देते हैं। तब हम जैसे कुछ लोग उन दुर्घटनाओं में मर चुके लोगों के डॉक्यूमेंट उन माफिया बालों से खरीद लेते हैं।
पवन की बात सुनकर मैं हैरान होते हुए बोली
निशा- लेकिन क्यों… तुम लोग आखिर उन मरे हुए लोगों के डाक्यूमेंट क्यों खरीदते हो
मेरी बात सुनकर पवन मुस्कुराते हुए बोला
पवन- क्या मैंने आपसे पूछा कि आप अपनी पहचान क्यों बदल रहीं है। हर इंशान के अपने अलग अलग कारण होते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग वो होते हैं, जिन्होंने गलत काम किया हो और वो लोग अपनी पहचान बदलकर इस देश से बाहर भागना चाहते हैं। तब हम लोग ऐसे लोगों को वो डॉक्यूमेंट्स बेच देते हैं। बस…………..
पवन की बात सुनकर मैंने सोचते हुए कहा
निशा- तो फिर इसका मतलब है कि तुम मेरे लिए जो डॉक्यूमेंट मंगवाने बाले हो, वो असल में किसी ऐसी लडकी के होंगे जो पहले ही मर चुकी होगी। यानि भविष्य में मेरा राज खुलने का कोई डर नहीं होगा।
पवन- हाँ मैडम जी… बैसे अगर आप चाहें तो उन डाक्यूमेंट्स को क्राश बेरीफाई भी करवा सकती हैं। अगर मेरे दिए वो डॉक्यूमेंट नकली निकले तो मैं आपके सारे पैसे बापिस करने के साथ साथ आपको आपको हर्जाना भी दूँगा
निशा- अगर ऐसा है, तो फिर ठीक है… लेकिन तुम मुझे जिसके भी डॉक्यूमेंट दोगे, अगर उसका डेथ सर्टिफिकेट भी पहले से ही ईश्यू हो गया होगा, तो इससे आगे चलकर कोई प्राब्लम तो नहीं होगी ना।
पवन- अरे मै़डम… डेथ सर्टिफिकेट तो तब ईश्यू होगा, जब कोई उसके लिए कोई एप्लाई करेगा। जब परिवार के सारे लोग पहले ही मार चुके होंगे, तो फिर उसका डेथ सर्टिफिकेट ईश्यू करवाने की किसको पडी है। बैसे भी हर साल होने बाले इन हादसों में वहाँ कि गवर्मेंट्स को काफी ज्यादा मुआवजा बंटना पडता है। इसलिए ऐसे लोग जिनके पूरे परिवार की एक साथ डेथ हो जाती है। तो वहाँ की गवर्मेंट उनका कोई रिकार्ड भी नहीं रखती है। ताकि किसी को कोई मुआवजा ना देना पडे।
निशा- ठीक है पवन…. मैं तुम पर भरोसा कर रही हूँ। लेकिन मुझे उन डॉक्यूमेंट्स की स्कैन कॉपी कब तक मिल जाऐगी।
मेरी बात सुनकर पवन कुछ सोचते हुए बोला
पवन- आज रात तक भेजने की कोशिश करूँगा मैडम, बर्ना कल तो आपको पक्का भेज ही दूँगा।
पवन की बात सुनकर मैंने अपने हैंड बैग से पूरे 1 लाख रुपये निकाल कर उसे देते हुए कहा
निशा- तो फिर ठीक है…. यह एडवांस रखो, बाकी पैसे मैं ऑरीजनल डॉक्यूमेंट मिलने के बाद दे दूँगी।
मुझसे पैसे लेकर पवन उन्हें गिनते हुए बोला
पवन- हाँ मैडम जी एक बात और है…..
पवन की बात सुनकर मैं एक बार फिर से चिढते हुए बोली
निशा- अब क्या रह गया है….
पवन- बस एक छोटी सी प्राब्लम है, असल में मैं जिस किसी लडकी के ऑरीजनल डॉक्यूमेंट आपको दूँगा, उसके आधार कार्ड का बायोमैट्रिक डाटा आपके बायोमैट्रिक डाटा से मैं चेंज नहीं करवा पाऊँगा। इसलिए यह सब आपको खुद ही मैनेज करना होगा।
पवन की बात सुनकर मैंने बिना किसी एक्सप्रेशन के उससे कहा
निशा- कोई बात नहीं… वो सब मैं देख लूँगी। बस तुम मुझे जल्दी से जल्दी उन डॉक्यूमेंट्स की स्कैन कॉपी भेज दो।
इतना बोलकर मैंने उसे अपना नम्बर दिया और फिर वहाँ से निकल गई। रास्ते में जब मैंने मोबाईल में समय देखा तो शाम के 4 बजने बाले थे। इसलिए मैं वहाँ से सीधे उस रेश्टोरेंट में पहूँची, जहाँ मैं रवि से मिलने बाली थी। मेरे वहाँ पहुँचने के कुछ देर बाद रवि भी वहाँ आ गया। जिसके बाद मैंने दोनों के लिए कॉफी और कुछ स्नैक्स आर्डर कर दिया। कुछ देर तक एक दूसके के हाल चाल पूछने और हंसी मजाक करने के बाद मैं मुद्दे की बात पर आते हुए बोली
निशा- अच्छा रवि तुमने बताया था कि तुम्हारे पापा क्ट्रेक्टर हैं और प्रापर्टी बगैरह का काम करते हैं
मेरी बात सुनकर रवि अपनी कॉफी शिप करते हुए बोला
रवि- हाँ.. क्यों कोई प्रापर्टी खरीदने का इरादा है क्या
रवि की बात सुनकर मैं मुस्कुराते हुए बोली
निशा- हाँ…. ऐसा ही कुछ समझ लो
मेरी बात सुनकर रवि थोडा हैरान होते हुए बोला
रवि- व्हॉट….. आर यू सीरियस…. क्या तुम सच में किसी प्रापर्टी में इंट्रेस्टेड हो….
निशा- हाँ… असल में मैं सोच रही थी कि एम.पी. में ही अपने लिए एक घर खरीद लूँ। ताकि यहाँ आने जाने का मेरे पास एक बहाना हो। अब जब तुम मेरे अच्छे दोस्त हो तो किसी और से बात करने से बेहतर है कि इसमें तुम्हारी हेल्प ली जाऐ।
रवि- पक्का तुम मजाक नहीं कर रही हो
निशा- अरे बाबा मैं सच में सीरियस हूँ
मेरी बात सुनकर रवि मुझे छेडते हुए बोला
रवि- ओके.... तो इसका मतलब है कि मैडम जी ने अपने हाफ बॉयफ्रेंड से मिलने के लिए नहीं, बल्कि बिजिनैश की बात करने के लिए मुझे यहाँ बुलाया है।
मैं रवि के इरादे पहले ही समझ गई थी। इसलिए मुस्कुराकर बोली
निशा- दोनों... अगर किसी का दोस्त ही विजिनैश मैंन हो, तो वो क्या कर सकती है
रवि- ठीक है ठीक है... अच्छा यह बताओ कि तुम्हारा बजट कितना है
निशा- तुम उसकी चिंता मत करो। बस मुझे सबसे सिक्योर ऐरिया में एक सुंदर और आलीशान घऱ चाहिए। जिसमें मुझे कुछ स्पेशल सिक्योरिटी फीचर्स भी एड करनाने हैं।
मेरी बात सुनकर रवि ने सबाल किया
रवि- और लोकेशन क्या चाहिए तुम्हें
रवि की बात सुनकर मैं तुरंत बोली
निशा- अफकोर्स भोपाल
मेरा जबाब सुनकर रवि थोडा सीरियर होते हुए बोला
रवि- भोपाल में….
निशा- हाँ…. बैसे यहाँ भोपाल में कोई प्राब्लम है क्या
रवि- अरे नहीं नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है। मुझे लगा कि तुम यहाँ किसी बिजिनैश पर्पज से या जॉब करने के इरादे से सैटल होने की सोच रही हो।
निशा- हाँ ऐसा भी हो सकता है
रवि- तो फिर मैं तुम्हें भोपाल की जगह इंदौर सजेस्ट करूंगा, क्योंकि इन्दौर भोपाल की तुलना में ज्यादा डेबलप्ड है और वहाँ से पूरे देश में अच्छी खासी कनेक्टिविटी है। इसके अलावा वहाँ की कॉलोनी भी भोपाल की तुलना में काफी ज्यादा सिक्योर हैं।
निशा- अरे यार…. मैं तो इंदौर में किसी को जानती भी नहीं हूँ और तुम सब तो यहाँ भोपाल में ही रहते हो, तो मैंने सोचा कि यहीँ पर ठीक रहेगा
रवि- अरे यार इन्दौर है ही कितनी दूर यहाँ से। बाया रोड अगर कार से जांऐंगे तो 3-4 घंटे में पहुँच जाते हैं। मतलब अगर हम सुबह 6 बजे निकलेंगे तो 10 बजे तक इंदौर में होंगे। कभी हम वहाँ और कभी तुम यहाँ
रवि की बात सुनकर मैं इस बारे में सोचते अच्छी तरह से सोचने लगी।
अमन से बात करने के बाद मैं काफी देर तक अपनी आगे की प्लानिंग के बारे में सोचती रही। काफी देर सोचने के बाद मैंने तय किया कि पहले अपने दुश्मनों से निपटा जाऐ, उसके बाद अमन को देखूँगी। बैसे भी वो एक महीना और नहीं आने बाला है, तो फिर मैं क्यों फालतू में उसके बारे में सोचूँ। अपने दुश्मनों से बदला लेने के लिए मेरा सबसे पहला कदम उनका पैसा गायब करना था। जिसे गायब करना मेरे लिए कोई बडी बात नहीं थी। पर उसे सुरक्षित जगह पर छिपाकर रखना, इस वक्त मेरे लिए बहुत बडी समस्या थी।
क्योंकि इतना सारा सोना मैं कहाँ रखूँगी, मैं ना तो उसे अपने साथ दिल्ली ले जा सकती थी और ना ही ले जाना चाहती थी। क्योंकि दिल्ली बाला फ्लैट अमन के नाम पर था। अगर अमन से मैं अलग हुई तो फिर इतना सारा सोना किसी दूसरी जगह शिफ्ट करने में बहुत ज्यादा परेशानी होगी और अमन को उसके बारे में पता चलने का रिश्क भी था। साथ ही साथ इतना सारा सोना किसी बैकं के लॉकर में भी नहीं रखा जा सकता है। क्योंकि इतना सोना रखने के लिए मुझे कई सारे लॉकर बुक करने होंगे। जिसमें काफी रिश्क था। यह सब सोचते सोचते मेरे मन में एक ख्याल आया कि
“क्यों ना मैं यहाँ भोपाल के आस पास ही कहीं अपने नाम से एक मकान खरीद लूँ। जिसमें मैं वो सारा सोना सुरक्षित रख सकती हूँ। साथ ही साथ अगर मैं और अमन अलग होते भी हैं तो एक नई जिंदगी शुरू करने के लिए मेरे पास अपना खुद का घऱ भी होगा और मेरे पास इस वक्त एक अच्छा खासा आलीशान घर खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे भी हैं।”
मुझे अपना यह आईडिया बहुत पसंद आया, इसलिए मैंने तय किया कि मैं आज ही रवि से किसी अच्छे प्रापर्टी डीलर की जानकारी ले लूँगी। बैसे भी रवि का फैमिली बिजिनेश भी तो बिल्डींग्स बगैरह बनाने और नई नई कॉलोनी डेबलप्ड करने का है। इसलिए उसे तो पक्का इन सबके बारे में सही सही जानकारी होगी ही। कुछ देर इस बारे में सोचने के बाद मैंने रवि को कॉल कर दिया और उससे मिलने के बारे में पूछा, तो वो तुरंत मान गया। इसलिए मैंने उसे 4 बजे एक रेस्टोरेंट में मिलने के लिए बुला लिया। इसके बाद मैं तैयार होकर हरीश अंकल के ऑफिस के लिए निकल गई। जब मैं वहाँ पहूँची तो वो मेरा पहले से ही इंतजार कर रहे थे। कुछ देर हाल चाल पूछने के बाद वो बोले
हरीश- मेरे ऑफर के बारे में क्या सोचा तुमने
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं तुरंत बोली
निशा- अंकल सच कहूँ तो उसके लिए मैं अभी पूरी तरह से तैयार नहीं हूँ। क्योंकि फिलहाल मुझे अपने कुछ फैमिली मैटर और पर्शनल मैटर सुलझाने हैं, जिनमें थोडा समय लगेगा। बैसे भी पुलिस फोर्स ज्वाईन करके मैं किसी बंधन में नहीं बंध सकती और ना ही मैं रेगुलर किसी पुलिस स्टेेशन जाकर अपनी ड्यूटी कर सकती हूँ। मुझे आजाद रहना पसंद और हर काम अपने तरीके से करने की आदत है। जबकि पुलिस फोर्स ज्वाईन करके मुझे अनुशासित तरीके से अपने सीनियर्स के हर ऑर्डर को फॉलो करना पडेगा। हइसलिए मैं अपने सभी पर्शनल और फैमिली मैटर सुलझाने के बाद अपना खुद का विजिनैश शुरू करने के बारे में सोच रही हूँ।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल बोले
हरीश- हुम्म अगर ऐसी बात है तो मैं तुम्हें पुलिस डिपार्टमेंट ज्वाईन करने के लिए फोर्स नहीं करूँगा। लेकिन मेरे पास तुम्हारे लिए एक दूसरा ऑफर भी हो। जिसमें तुम्हारे ऊपर कोई बंधन भी नहीं होगा और तुम अपनी मर्जी से काम भी कर सकती हो, साथ ही साथ ुउस काम के दौरान अगर तुम चाहो तो अपना बिजिनेश भी शुरू कर सकती हो। यानि तुम अपनी मर्जी से एक नार्मल लाईफ जी सकती हो, और अपनी इस नार्मल लाईफ जीने के दौराैन तुम्हें कुछ सीक्रेट टास्क पूरे करने होंगे। जिनके बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं थोडा कन्फ्यूज होते हुए बोली
निशा- मैं समझी नहीं अंकल आप आखिर कहना क्या चाहते हैं
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल थोडा सीरियश होते हुए बोले
हरीश- असल में मेरा एक दोस्त है रजीव ठाकुर, जो नेशनल इंटेलिजेंट व्यूरो यानि आई.बी. में ज्वाईंट कमिश्नर है। इसलिए अगर तुम कहो तो मैं उससे बात करके तुम्हें एक अंडरकबर आई.बी. ऑफिसर बनवा सकता हूँ। जिसमें तुम्हें जो भी काम दिया जाऐगा वह तुम बिना किसी बंदिस के अपने तरीके से करने के लिए पूरी तरह से आजाद रहोगी, और इस दौरान अगर तुम चाहतो तो अपना खुद का बिजिनेश भी शरू कर सकती हो। जो पूरी दुनिया के सामने तुम्हारी असली पहचान छिपाने का काम भी करेगा।
मैंने कुछ पलों के लिए हरीश अंकल के ऑफर के बारे में कुछ पलों तक सोचा, वास्तव में उनका यह ऑफर काफी अच्छा था, इसलिए मैं मुस्कुराते हुए बोली
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल मुस्कुराते हुए बोले
हरीश- तो फिर ठीक है, तुम अपने डॉक्यूमेंट मेरे पास जरूर भिजवा देना, ताकि मैं उन्हें राजीव के पास भेज सकूँ और तुम्हारी ज्वानिंग की प्रासेस शुरू करवा सकूँ। जब तुम अपने सारे मैटर सुलझा लोगी तो मुझे इस बारे बता देना, ताकि मैं तुम्हारी प्रॉपर ट्रेनिंग शुरू करवा सकूँ।
निशा- ठीक है अंकल…. मैं एक दो दिन में आपके पास अपने डॉक्यूमेंट भिजवा दूँगी या फिर खुद ही आपको दे जाऊँगी। पर क्या आप सच में श्योर हैं कि मैं आई.बी. में अंडर कबर ऑफिसर बनने के काबिल हूँ।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल बोले
हरीश- देखो सपना मेरी नजर में तुम एक काबिल और अच्छी लड़की हो और तुम्हारा दिल भी एकदम साफ है। तभी तो तुमने अंजान लडकियों जो शायद तुम्हारी दोस्त भी नहीं है उनके लिए इतना कुछ किया है। इसके अलावा तुम एक सार्पमाईँडेट और बहादुर लडकी भी हो, जो एक आई.बी. ऑफिसर के लिए सबसे जरूरी गुण है। साथ ही साथ तुम्हारी खूबसूरती भी तुम्हें अपने अंडरकबर ऑपरेशन को पूरा करने में बहुत मदद कर सकती है, और सबसे बडी बात तुम एक कम्प्यूटर जीनियस यानि द ड्रेगन हार्ट हो। इसीलिए मैंने तुम्हें आई.बी. ज्वाईन करने का ऑफर दिया है।
हरीश अंकल के मूँह से अपनी तारीफ सुनकर मैं थोडा शर्मिंदा होते हुए बोली
निशा- पता नहीं अंकल आपको मेरे अंदर काबीलियत और अच्छाई कैसे नजर आ गई... लेकिन सच बात तो यह है कि मैं उतनी भी अच्छी नहीं हूँ, जितना आप मुझे समझ रहे हैं। क्योंकि मैंने अपने जिंदगी में कुछ गलत काम भी किये हैं, जिनके बारे में शायद मैं कभी किसी को बता भी नहीँ पाऊँगी।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल मुझे समझाते हुए बोले
हरीश- देखो सपना जो हो गया सो हो गया। वो तुम्हारा गुजरा हुआ कल है, और जो कुछ भी तुमने अपने पास्ट में गलत किया है शायद उसमें तुम्हारी कोई मजबूरी रही होगी। इसलिए अब उस सबके बारे में सोचने का कोई फायदा नहीं है। लेकिन तुम्हारे पास अपनी पुरानी गलतियों को सुधारने का एक मौका है। इसलिए अगर तुम चाहो तो एक नये सिरे से अपनी जिंदगी शुरू कर सकती हो।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैंने मुस्कुराते हुए कहा
निशा- जी अंकल मैं समझ गई कि आप मुझसे क्या कहना चाहते हैं।
हरीश- बैसे सच सच बताना क्या सपना तुम्हारा असली नाम है… या फिर तुमने अपनी असली पहचान छिपाने के लिए मुझे अपना नाम सपना बताया था।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं बुरी तरह से हैरान रह गई थी। क्योंकि हमारे बीच हुई बातों से उन्होंने यह अंदाजा लगा लिया था कि मैंने उनसे अपनी असली पहचान छिपाई थी। शायद कई सालों तक पुलिस डिपार्टमेंट में काम करने के कारण उनकी आदत हर बात पर शक करने की हो गई थी। खैर कारण जो भी हो पर अब मैं उनसे अपनी असली पहचान ज्यादा दिनों तक छिपा नहीं सकती थी। क्योंकि जब मैं उन्हें अपने असली डॉक्यूमेंट दूँगी तो उन्हें मेरी असली पहचान खुद ही पता चल जाऐगी। लेकिन इस वक्त मैं उनसे अपनी असली पहचान के बारे में डिस्कस करने के बिल्कुल मूढ में नहीं थी। इसलिए मैंने उन्हें टालते हुए कहा
निशा- मुझे नहीं पता अंकल कि आपका क्या रिऐक्शन होगा… लेकिन मैंने अपना नाम छोडकर बाकी सब कुछ आपको सब सच सच बताया है।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल ने गंभीरता पूर्वक मुझे घूरा और बोले
हरीश- हुम्म… मुझे लगा ही था… बैसे मैं समझ सकता हूँ कि जब कोई शरीफ लडकी किसी मजबूरी में कॉलगर्ल का काम करे तो वो अपनी असली पहचान छिपाने की कोशिश जरूर करती है। ताकि आगे चलकर उसका सच दुनिया के सामने ना आऐ। ऊपर से तुम तो एक जानी मानी हैकर हो। इसलिए अपनी असली पहचान छिपाना तो तुम्हारी मजबूरी भी है। खैर मुझे यह जानकर ना तो हैरानी हुई और ना ही बुरा लगा। पर अब जब तुम आई.बी. ज्वाईन करने के लिए मान गई हो, तो फिर अब तो तुम मुझे अपना असली नाम बता ही सकती हो। मुझपर यकीन करो तुम्हारे सारे सीक्रेट्स मेरे पास सुरक्षित हैं।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं थोडा मुस्कुराते हुए बोली
निशा- अगर आप यह बात नहीं भी कहते तो भी मुझे आप पर पूरा यकीन था कि आप मेरे सीक्रेट किसी से नहीं कहेंगे। लेकिन अब जब मैं 1-2 में आपके पास अपने असली डॉक्यूमेंट जमा करने ही बाली हूँ। तो आपको मेरा असली नाम बैसे ही पता चल जाऐगा। तब तक के लिए आप मुझे सपना ही समझ लो।
यह सब कहते वक्त मेरे चेहरे पर एक शरारती मुश्कान थी। जिसे देखकर हरीश अंकल कुछ पलों के लिए सब कुछ भूल गए, लेकिन जल्द ही उन्होंने अपने इमोशंन पर कंट्रोल कर लिया और थोडा सीरियस होते हुए बोले
हरीश- चलो ठीक है यही सही…. बैसे एक बात बताओ कि तुम आखिर इतने दिनों से कहाँ गायब थी और तुम्हारा फोन फी स्विच ऑफ आ रहा था।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं भी थोडा सीरियस होते हुए बोली
निशा- अगर मैं आपसे कहूँ कि गनपत ने मुझे किडनैप कर लिया था, तो क्या आप मेरी बात पर यकीन करेंगे
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल बुरी तरह से हैरान होते हुए बोले
हरीश- व्हॉट….. पर कब और कैसे... और तुम आखिर उसके चुंगुल से बची कैसे
हरीश अंकल की बात सुनकर मैंने कहा
निशा- 4 दिन पहले आपने जब मुझे गनपत के बारे में बताने के लिए कॉल किया था। उसके कुछ देर बाद ही उसने मुझे किडनैप कर लिया था। जिसके बाद उसने मुझे काफी ज्यादा टॉर्चर भी किया था।
हरीश- ओह गॉड... वो जरूर तुम्हें अपने बेटे गगन की मौत का जिम्मेदार मान रहा होगा
निशा- सर बात इतनी भी आसान नहीं है। असल में गनपत अकेला नहीं था, उसके कुछ पाटनर्स भी उसके साथ थे। उन सभी लोगों ने गलत धंधा करके जो करोडों रूपये कमाये थे। वो सारे पैसे गनपत के पास थे। उन पैसों के बारे में गनपत और उसके दोस्त जफर के अलावा केवल गगन जानता था। लेकिन गगन के मरने के बाद वो सारे पैसे कहीं गायब हो गए हैं। जिसका ढीकरा गनपत मेरे सिर फोडना चाहता था। मतलब कि सारा पैसा खुद हजम करना और अपने बेटे की मौत का बदला भी लेना।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल एक बार फिर चौंकते हुए बोले
हरीश- जफर.. तुम्हारा मतलब वही जफर जो इंदौर का एक फेमस गुण्डा है
हरीश अंकल की बात सुनकर मैंने अनजान बनने का नाटक करते हुए कहा
निशा- पता नहीं अंकल, मैंने तो बस गनपत के मूँह से उन लोगों के नाम सुने हैं और कुछ लोगो के चेहरे भी देखे हैं।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल थोडा सीरियस होते हुए बोले
हरीश- तो क्या तुम उनमेें से किसी को पहचानती हो
हरीश अंकल का सबाल सुनकर मैं उन्हें टालते हुए बोली
निशा- अब छोडो भी अंकल… आप मेरी बातों पर यकीन नहीं करेंगे
हरीश- क्यों नहीं करूँगा…. तुम बताओ तो सही
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं थोडा सीरियस होने के साथ साथ डरने का नाटक करते हुए बोली
निशा- सर मेरे पास उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। इसलिए अगर आप मुझे गवाही देने के लिए कहना चाहते हैं, तो मेरा जबाब ना है। बैसे भी उन लोगों ने मुझे इतना ज्यादा टार्चर किया था कि मैं पिछले 2 दिन तक बेहोश रही हूँ। शायद मेरे बेहोश होने के बाद उन लोगों ने मुझे मरा हुआ समझ लिया था। इसलिए वो मेरी लाश ठिकाने लगाने के लिए मुझे भोपाल से बाहर किसी सुनसान इलाके में फेंक गए थे। पर किस्मत से मुझे सही समय पर होश आ गया। अगर उन लोगों को पता चल गया कि मैं जिंदा हूँ, तो वो लोग अगली बार मेरे साथ साथ मेरी फैमिली को भी नुकशान पहुँचा सकते हैं।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल मुझे समझाते हुए बोले
हरीश- देखो सपना बेटा, तुम किसी भी बात की चिंता मत करो, मैं तुम्हारी और तुम्हारी फैमिली की सेफ्टी की गारंटी लेता हूँ
निशा- अंकल भूल जाईये ना इस बारे में, बैसे भी वो लोग इतने बडे और ताकतवर लोग हैं कि आप भी सीधे सीधे उनपर हाथ नहीं डाल सकते।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल एक बार फिर मुझे समझाते हुए बोले
हरीश- अच्छा ठीक है बाबा, मैं तुम्हें इस मामले में नहीं घसीटूँगा। लेकिन तुम अगर मुझे गनपत के पाटनर्स के नाम बता दोगी, तो मैं उनपर नजर रखने के लिए अपने कुछ भरोसेमंद ऑफीसर नियुक्त कर दूँगा और जैसे ही हमें उनके खिलाफ कोई सबूत मिलेगा तो हम उन्हें गिरफ्तार कर लेंगे।
हरीश अंकल की बात सुनकर मैं सोचते हुए बोली
निशा- ठीक है अंकल, मुझे इससे कोई प्राब्लम नहीं है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि आपके हाथ में कुछ खास लगेगा। क्योंकि गनपत के पाटनर्स के जाने के बाद मैंने गनपत और जफर की बातें सुनीं थी। वो दोनों अपने सारे पाटनर्स को मारकर विदेश भागने की फिराक में हैं। फिर अगर आप कोशिश करना चाहते हैं, तो आपकी मर्जी है।
हरीश- तुम बस उन लोगों के नाम बताओ.... वाकी सब मैं देख लूँगा
निशा- गनपत और जफर के बारे में तो मैं आपके पहले ही बता ही चुकी हूँ। इनके अलावा फेमस विजिनैश मैन धनराज, भोपाल जेल के जेलर योगेश जिन्होंने गनपत को जेल से भागने में मदद भी की थी, एम.पी. के मिनिस्टर प्रकाश राज और आपके ही पुलिस फोर्स के ऑफिसर ए.पी. महेश वर्मा। ये सभी लोग आपस पाटनर्स हैं अंकल।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल के चेहरे का रंग पूरी तरह से उढ चुका था और वो हैरानी से मुझे देख रहे थे।
जब मैंने हरीश अंकल को गनपत के साथियों के नाम बताऐ तो वो बुरी तरह से हैरान रह गए और हकलाते हुए बोले
हरीश- ये ये नहीं हो सकता
निशा- ऐसा ही है अंकल... मैंने तो पहले ही आपसे कहा था कि रहने दीजिए, पर आप ही इस सभी के नाम जानना चाहते थे।
मेरी बात सुनकर हरीश अंकल जल्द ही अपने इमोशन्स को कंट्रोल करते हुए बोले
हरीश- वस यही लोग हैं… या और भी पाटनर्स हैं
निशा- पता नहीं अंकल… मैंने तो बस इनको ही देखा था। अगर इन लोगों के अलाबा कुछ और पार्टनर्स भी होंगे, तो उनकी जानकारी भी इन्हीं लोगों के पास होगी। लेकिन इन लोगों लिए काई सारे आदमी काम करते है। जिन्हें मैं नहीं जानती
अब तक हरीश अंकल अपने आप को पूरी तरह से कंट्रोल कर चुके थे। इसलिए वो थोडा सीरियस होते हुए बोले
हरीश- ठीक है सपना… इतना हमारे लिए काफी है, बाकी की जानकारी हम इन्हीं लोगों से ले लेंगे।
निशा- ठीक है अंकल…. तो अब मैं चलती हूँ।
हरीश- हाँ ठीक है.... और हाँ किसी भी बात की टेंशन मत लेना, क्योंकि इसमें तुम्हारा नाम बिल्कुल भी बाहर नहीं आयेगा।
निशा- थैंक्यू सर
इतना बोलकर मैं वहाँ से बाहर निकल गई। अभी मैं अपने होटल बापिस जाने के बारे में सोच ही रही थी कि तभी मुझे याद आया कि मुझे हरीश अंकल को अपने असली डॉक्यूमेंट भी देने हैं। लेकिन मैं अब भी अपनी असली पहचान किसी को नहीं बताना चाहती थी और ना ही अपने ऑरीजनल डॉक्यूमेंट किसी को देना चाहती थी। बैसे भी अब जब मैंने अपनी पहचान बदल कर नई जिंदगी जीने के बारे में तय कर ही लिया था तो मुझे नये नाम और पहचान के लिए अपने नए डॉक्यूमेंटस् की भी जरूरत तो पडेगी ही, इसलिए मैं इस बारे में सोचने लगी कि अब मेरी नई पहचान के लिए दूसरे डॉक्यूमेंट का इंतजाम मैं कहाँ से करूँगी।
मैं अभी इस बारे में सोच ही रही थी कि तभी मुझे याद आया कि रघू ने मेरे पुराने होटल में सपना नाम से मेरे लिए नकली आई.डी. का इंतजाम किया था। इसलिए जिसने मेरे लिए नकली आई.डी. बनाई थी, क्यों ना मैं उससे ही मेरे नए डॉक्यूमेंट बनाने की बात कर ली जाऐ। इतना सोचते ही मैंने तुरंत रघू को कॉल करके उस व्यक्ति का नाम और एड्रेश ले लिया। जिसके बाद मैं ऑटो लेकर रघु के बताऐ ए़ड्रेश पर उस आदमी से मिलने के लिए निकल गई। जो मेरे लिए नए डॉक्यूमेंट का इंतजाम कर सकता था।
करीब आधे घंटे बाद मैं पवन नाम के उस वयक्ति के सामने बैठी हुई थी। जो नकली डॉक्यूमेंट बनाने का काम करता है। पहले तो उसने मुझे यह सब काम करने से बिल्कुल ही मना कर दिया। लेकिन जब मैंने उसकी बनाई अपनी नकली आई.डी. उसके सामने रखी, तो उसे तुरंत यकीन हो गया कि मैं उसकी ही कोई कस्टमर हूँ। इसलिए वो मुद्दे की बात पर आते हुए बोला
पवन- तो आपको कौन कौन से डॉक्यूमेंट बनबाने हैं
निशा- जन्म प्रमाण पत्र से लेकर पढाई लिखाई तक किसी इंसान के जितने भी डॉक्यूमेंट हो सकते हैं। वो सारे के सारे मुझे चाहिए, वो भी असली। किसी के डॉक्यूमेंट की कॉपी करके उसपर नाम बगैरह एडिट करके मुझे नहीं चाहिए। अगर यही करना होता तो मैं खुद ही कर लेती।
मेरी बात सुनकर पवन कुछ देर सोचने के बाद बोला
पवन- लेकिन उन सभी डॉक्यूमेंट की आखिर आपको क्या जरूरत है।
निशा- बस इतना समझ लो कि मुझे हमेशा के लिए अपनी पहचान बदलनी है।
मेरी बात सुनकर पवन बोला
पवन- मैं इंतजाम तो कर सकता हूँ, लेकिन पैसे कुछ ज्यादा लगेंगे
निशा- कितने
पवन- पूरे 2 लाख रूपये
पवन की बात सुनकर मैं बिना कुछ सोचे तुरंत बोली
निशा- ठीक है…. कोई बात नहीं मैं तुम्हें पैसे दे दूँगी। लेकिन मुझे सारे डॉक्यूमेंट असली चाहिए। वो भी मेरी ही एज की किसी लडकी के।
मेरी बात सुनकर पवन खुश होते हुए बोला
पवन- हो जाऐगा मैम। बस एक छोटी प्राब्लम है
पवन की बात सुनकर मैं चिढते हुए बोली
निशा- अब क्या हुआ
पवन- डॉक्यूमेंट मंगवाने में 1 हफ्ते का समय लगेगा और डॉक्यूमेंट एम.पी. के नहीं होंगे
पवन की बात सुनकर मैंने कहा
निशा- इण्डिया में कही के भी हों… चलेंगे। रही बात डॉक्यूमेंट आने में लगने बाले समय की तो उसकी भी कोई प्राब्लम नहीं है। लेकिन तब तक के लिए अगर तुम उनकी सॉफ्ट कॉपी मुझे मंगवा दो तो बेहतर होगा
मेरी बात सुनकर पवन बोला
पवन- हाँ यह हो जाऐगा। मैं डॉक्यूमेंट की स्कैन कॉपी मंगवाकर आपको भेज दूँगा, रही बात ऑरीजनल डॉक्यूमेंट कि तो आप 1 हफ्ते बाद आकर मुझसे ले जाना।
निशा- हाँ यह ठीक रहेगा। बैसे एक बात बताओ, आखिर तुम इन ऑरीजनल डॉक्यूमेंट्स का इंतजाम कहाँ से करोगे
मेरी बात सुनकर पवन मुस्कुराते हुए बोला
पवन- अरे मैडम जी… आप आम खाओ ना, पेढ क्यों गिन रही हो
निशा- अरे भाई परेशान होने की जरूरत नहीं है, मैं तो बस इसलिए पूछ रही हूँ ताकि भविष्य में कभी वो लड़की अगर मेरे सामने आकर खडी हो गई और सबके सामने यह सवित कर दिया कि ऐ सारे डॉक्यूमेंट उसके हैं और मैंने इन डॉक्यूमेंटस् को चुराया है। तो फिर मैं क्या करूँगी
मेरी बात सुनकर पवन समझ गया कि मेरे दिमाग में इस वक्त क्या चल रहा है। इसलिए वो मुझे समझाते हुए बोला
पवन- इस बात के लिए आप पूरी तरह से निश्चिंत रहिए, क्योंकि ऐसा कभी भी नहीं होगा। वो लडकी कभी भी आपके सामने नहीं आऐगी
पवन की बात सुनकर मैं हैरान होते हुए बोली
निशा- अच्छा जी…. आखिर इतने यकीन के साथ बोलने की क्या बजह
मेरी बात सुनकर पवन लगभग अपनी हार मानते हुए बोला
पवन- बैसे तो मैं यह सब किसी को बताता नहीं हूँ। लेकिन आपका डाऊट क्लीयर करना भी जरूरी है। इसलिए आपको बता रहा हूँ। लेकिन पहले वादा करो कि यह बात आप किसी को नहीं बताऐंगी। और एक बार असली डॉक्यूमेंट मिलने के बाद दोबारा इस मैंटर बर कोई बात नहीं करेंगी।
पवन की बात सुनकर मैं बिना कुछ सोचे तुरंत बोली
निशा- मैं वादा करती हूँ कि यह राज केवल मुझ तक ही रहेगा और तुमसे भी उम्मीद करती हूँ कि तुम भी मुझे डॉक्यूमेंट देने के बाद यह भूल जाओगे कि तुमने मुझे कभी किसी दूसरे इंसान के डॉक्यूमेंट दिए हैं। क्योंकि इतना तो तुम समझ ही गए होगे कि अगर मैं अपनी असली पहचान बदलना चाहती हूँ, तो मैं कोई शरीफ लड़की बिल्कुल भी नहीं हो सकती। अगर मुझे कभी यह पता चला कि मेरी इस नई पहचान के बारे में तुमने किसी भी इंशान को कुछ भी बताया है, या फिर तुमने मुझे ब्लैकमेल करने की कोई कोशिश की, तो फिर तुम्हारे साथ जो कुछ भी होगा, उसके लिए तुम खुद ही जिम्मेदार होगे।
मेरी बात सुनकर पवन थोडा परेशान होते हुए बोला
पवन- अरे… आप तो मुझे धमकी दे रहीं है।
पवन की बात सुनकर मैं मुस्कुराते हुए बोली
निशा- मैं धमकी नहीं दे रही हूँ, बस तुम्हें समझा रही हूँ। बैसे भी तुम मुझे काम के आदमी लगते हो। इसलिए तुम्हारी जरूरत मुझे आगे भी पडती रहेगी और आगे भी तुम्हारी कमाई होती रहेगी। तुम मेरी बात समझ रहे हो ना।
मेरी बात सुनकर पवन भी मुस्कुराते हुए बोला
पवन- समझ गया मैडम जी… आपको डॉक्यूमेंट देने के बाद मैं आपको नहीं जानता और आप मुझे नहीं जानती। रही बात आगे किसी काम की तो उसके लिए मैं आपको एक स्पेशल कार्ड दूँगा। जो मैं अपने ऐसे ही कस्टमर्स को पहचानने के लिए देता हूँ। ताकि अगली बार एक दूसरे को पहचानने में हमें कोई प्राब्लम ना हो।
निशा- ठीक है… तो फिर अब बताओ कि आखिर तुम मेरे लिए डॉक्यूमेंट का इंतजाम कैसे करने बाले हो
मेरी पूरी बात सुनकर पवन बोला
पवन- असल में हमारे देश में हर साल समुद्री तूफान, बाढ और भूकम्प जैसे कई हादसे होते रहते हैं। जिसमें ना केवल कई लोग मारे जाते हैं, बल्कि कई लोगों का तो पूरा परिवार ही एक साथ खत्म हो जाता है और कहीं कहीँ तो पूरा का पूरा गाँव ही उजड जाता हैं। ऐसी दुर्घटनाओं के बाद वहाँ के लोकल माफिया बाले लोग, उन दुर्घटना बाले घरों मेें जाकर उनका सारा का सारा सामान चुराकर बेच देते हैं। ऐसे काम करने बालों की अपनी एक अलग आर्गनाईजेशन है। जो चप्पलों से लेकर घर की ईंट तक बेच देते हैं। तब हम जैसे कुछ लोग उन दुर्घटनाओं में मर चुके लोगों के डॉक्यूमेंट उन माफिया बालों से खरीद लेते हैं।
पवन की बात सुनकर मैं हैरान होते हुए बोली
निशा- लेकिन क्यों… तुम लोग आखिर उन मरे हुए लोगों के डाक्यूमेंट क्यों खरीदते हो
मेरी बात सुनकर पवन मुस्कुराते हुए बोला
पवन- क्या मैंने आपसे पूछा कि आप अपनी पहचान क्यों बदल रहीं है। हर इंशान के अपने अलग अलग कारण होते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग वो होते हैं, जिन्होंने गलत काम किया हो और वो लोग अपनी पहचान बदलकर इस देश से बाहर भागना चाहते हैं। तब हम लोग ऐसे लोगों को वो डॉक्यूमेंट्स बेच देते हैं। बस…………..
पवन की बात सुनकर मैंने सोचते हुए कहा
निशा- तो फिर इसका मतलब है कि तुम मेरे लिए जो डॉक्यूमेंट मंगवाने बाले हो, वो असल में किसी ऐसी लडकी के होंगे जो पहले ही मर चुकी होगी। यानि भविष्य में मेरा राज खुलने का कोई डर नहीं होगा।
पवन- हाँ मैडम जी… बैसे अगर आप चाहें तो उन डाक्यूमेंट्स को क्राश बेरीफाई भी करवा सकती हैं। अगर मेरे दिए वो डॉक्यूमेंट नकली निकले तो मैं आपके सारे पैसे बापिस करने के साथ साथ आपको आपको हर्जाना भी दूँगा
निशा- अगर ऐसा है, तो फिर ठीक है… लेकिन तुम मुझे जिसके भी डॉक्यूमेंट दोगे, अगर उसका डेथ सर्टिफिकेट भी पहले से ही ईश्यू हो गया होगा, तो इससे आगे चलकर कोई प्राब्लम तो नहीं होगी ना।
पवन- अरे मै़डम… डेथ सर्टिफिकेट तो तब ईश्यू होगा, जब कोई उसके लिए कोई एप्लाई करेगा। जब परिवार के सारे लोग पहले ही मार चुके होंगे, तो फिर उसका डेथ सर्टिफिकेट ईश्यू करवाने की किसको पडी है। बैसे भी हर साल होने बाले इन हादसों में वहाँ कि गवर्मेंट्स को काफी ज्यादा मुआवजा बंटना पडता है। इसलिए ऐसे लोग जिनके पूरे परिवार की एक साथ डेथ हो जाती है। तो वहाँ की गवर्मेंट उनका कोई रिकार्ड भी नहीं रखती है। ताकि किसी को कोई मुआवजा ना देना पडे।
निशा- ठीक है पवन…. मैं तुम पर भरोसा कर रही हूँ। लेकिन मुझे उन डॉक्यूमेंट्स की स्कैन कॉपी कब तक मिल जाऐगी।
मेरी बात सुनकर पवन कुछ सोचते हुए बोला
पवन- आज रात तक भेजने की कोशिश करूँगा मैडम, बर्ना कल तो आपको पक्का भेज ही दूँगा।
पवन की बात सुनकर मैंने अपने हैंड बैग से पूरे 1 लाख रुपये निकाल कर उसे देते हुए कहा
निशा- तो फिर ठीक है…. यह एडवांस रखो, बाकी पैसे मैं ऑरीजनल डॉक्यूमेंट मिलने के बाद दे दूँगी।
मुझसे पैसे लेकर पवन उन्हें गिनते हुए बोला
पवन- हाँ मैडम जी एक बात और है…..
पवन की बात सुनकर मैं एक बार फिर से चिढते हुए बोली
निशा- अब क्या रह गया है….
पवन- बस एक छोटी सी प्राब्लम है, असल में मैं जिस किसी लडकी के ऑरीजनल डॉक्यूमेंट आपको दूँगा, उसके आधार कार्ड का बायोमैट्रिक डाटा आपके बायोमैट्रिक डाटा से मैं चेंज नहीं करवा पाऊँगा। इसलिए यह सब आपको खुद ही मैनेज करना होगा।
पवन की बात सुनकर मैंने बिना किसी एक्सप्रेशन के उससे कहा
निशा- कोई बात नहीं… वो सब मैं देख लूँगी। बस तुम मुझे जल्दी से जल्दी उन डॉक्यूमेंट्स की स्कैन कॉपी भेज दो।
इतना बोलकर मैंने उसे अपना नम्बर दिया और फिर वहाँ से निकल गई। रास्ते में जब मैंने मोबाईल में समय देखा तो शाम के 4 बजने बाले थे। इसलिए मैं वहाँ से सीधे उस रेश्टोरेंट में पहूँची, जहाँ मैं रवि से मिलने बाली थी। मेरे वहाँ पहुँचने के कुछ देर बाद रवि भी वहाँ आ गया। जिसके बाद मैंने दोनों के लिए कॉफी और कुछ स्नैक्स आर्डर कर दिया। कुछ देर तक एक दूसके के हाल चाल पूछने और हंसी मजाक करने के बाद मैं मुद्दे की बात पर आते हुए बोली
निशा- अच्छा रवि तुमने बताया था कि तुम्हारे पापा क्ट्रेक्टर हैं और प्रापर्टी बगैरह का काम करते हैं
मेरी बात सुनकर रवि अपनी कॉफी शिप करते हुए बोला
रवि- हाँ.. क्यों कोई प्रापर्टी खरीदने का इरादा है क्या
रवि की बात सुनकर मैं मुस्कुराते हुए बोली
निशा- हाँ…. ऐसा ही कुछ समझ लो
मेरी बात सुनकर रवि थोडा हैरान होते हुए बोला
रवि- व्हॉट….. आर यू सीरियस…. क्या तुम सच में किसी प्रापर्टी में इंट्रेस्टेड हो….
निशा- हाँ… असल में मैं सोच रही थी कि एम.पी. में ही अपने लिए एक घर खरीद लूँ। ताकि यहाँ आने जाने का मेरे पास एक बहाना हो। अब जब तुम मेरे अच्छे दोस्त हो तो किसी और से बात करने से बेहतर है कि इसमें तुम्हारी हेल्प ली जाऐ।
रवि- पक्का तुम मजाक नहीं कर रही हो
निशा- अरे बाबा मैं सच में सीरियस हूँ
मेरी बात सुनकर रवि मुझे छेडते हुए बोला
रवि- ओके.... तो इसका मतलब है कि मैडम जी ने अपने हाफ बॉयफ्रेंड से मिलने के लिए नहीं, बल्कि बिजिनैश की बात करने के लिए मुझे यहाँ बुलाया है।
मैं रवि के इरादे पहले ही समझ गई थी। इसलिए मुस्कुराकर बोली
निशा- दोनों... अगर किसी का दोस्त ही विजिनैश मैंन हो, तो वो क्या कर सकती है
रवि- ठीक है ठीक है... अच्छा यह बताओ कि तुम्हारा बजट कितना है
निशा- तुम उसकी चिंता मत करो। बस मुझे सबसे सिक्योर ऐरिया में एक सुंदर और आलीशान घऱ चाहिए। जिसमें मुझे कुछ स्पेशल सिक्योरिटी फीचर्स भी एड करनाने हैं।
मेरी बात सुनकर रवि ने सबाल किया
रवि- और लोकेशन क्या चाहिए तुम्हें
रवि की बात सुनकर मैं तुरंत बोली
निशा- अफकोर्स भोपाल
मेरा जबाब सुनकर रवि थोडा सीरियर होते हुए बोला
रवि- भोपाल में….
निशा- हाँ…. बैसे यहाँ भोपाल में कोई प्राब्लम है क्या
रवि- अरे नहीं नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है। मुझे लगा कि तुम यहाँ किसी बिजिनैश पर्पज से या जॉब करने के इरादे से सैटल होने की सोच रही हो।
निशा- हाँ ऐसा भी हो सकता है
रवि- तो फिर मैं तुम्हें भोपाल की जगह इंदौर सजेस्ट करूंगा, क्योंकि इन्दौर भोपाल की तुलना में ज्यादा डेबलप्ड है और वहाँ से पूरे देश में अच्छी खासी कनेक्टिविटी है। इसके अलावा वहाँ की कॉलोनी भी भोपाल की तुलना में काफी ज्यादा सिक्योर हैं।
निशा- अरे यार…. मैं तो इंदौर में किसी को जानती भी नहीं हूँ और तुम सब तो यहाँ भोपाल में ही रहते हो, तो मैंने सोचा कि यहीँ पर ठीक रहेगा
रवि- अरे यार इन्दौर है ही कितनी दूर यहाँ से। बाया रोड अगर कार से जांऐंगे तो 3-4 घंटे में पहुँच जाते हैं। मतलब अगर हम सुबह 6 बजे निकलेंगे तो 10 बजे तक इंदौर में होंगे। कभी हम वहाँ और कभी तुम यहाँ
रवि की बात सुनकर मैं इस बारे में सोचते अच्छी तरह से सोचने लगी।