• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica ड्रेगन हार्ट (लव, सेक्स एण्ड क्राईम)

redhat.ag

Member
402
2,473
139
Update 044 -

कुछ ही देर बाद रघू मेरे सामने था। उसके मन में इस वक्त कई सबाल चल रहे थे। इसलिए वो बोला

रघु- आप कहाँ थीं इतने दिनों से और आपका फोन भी नहीं लग रहा है। कुछ दिनों पहले गुण्डे टाईप के लोग आये थे होटल में और आपकी इंक्वारी कर रहे थे, इसके अलावा उन लोगों ने अपके कमरे की तलाशी भी ली थी।

रघू के आने से पहले ही मैं अपने लिए खाना और रघू के लिए एक कॉफी आर्डर कर चुकी थी। इसलिए रघू के वहाँ आते ही मैं कॉफी का कप उसकी तरफ खिसकाते हुए बोली

निशा- देखो रघु मैं बाद में तुम्हें सब बता दूँगी, फिल्हाल तुम बस इतना समझ लो कि किसी ने मेरे साथ गद्दारी की थी। जिस कारण मैं दुश्मनों के हाथ लग गई। अब तुम तो सब जानते ही हो कि मेरा काम कैसा है, इसलिए बडी मुश्किल से बच कर आई हूँ। खैर छोडो यह सब, पहले तुम यह बताओ कि होटल में उन्हें मेरे बारे में क्या जानकारी मिली

मेरी बात सुनकर रघु कॉफी शिप करते हुए बोला

रघु- कुछ भी नहीं। आपका हैंण्ड बैग और बाकी के सारे डॉक्यूमेंट तो मेरे ही पास थे। अपके रूम में बस लैपटॉप और कपडे बगैरह ही रखे हुए थे।

निशा- हुम्म… अच्छा किसी से मेरे बारे में कुछ पूछा था क्या

रघू- हाँ काऊंटर पर इंक्वारी की थी। पर आपका रूम किसी कम्पनी के नाम पर बुक है। लेकिन कार के लिए आपने जो फर्जी डाक्यूमेंट दिए थे, उनकी एक कॉपी बो लोग अपने साथ ले गये थे। मतलब आपके बारे में उन्हें होटल से कुछ भी पता नहीं चला है।

रघू की बात सुनकर मैं कुछ सोचते हुए बोली

निशा- चलो यह तो अच्छी बात है। अब सुनो मुझे शक है कि अभी भी कोई ना कोई होटल पर नजर रख रहा होगा। इसलिए मैं अब होटल बापिस नहीं जा सकती। क्या तुम मेरा सामान मुझे लाकर दे सकते हो।

मेरी बात सुनकर रघू तुरंत बोला

रघू- हाँ ले आऊँगा

निशा- तो फिर ठीक है…. पहले तुम मेरा हैण्ड बैग मुझे लाकार दे दो। ताकि मैं किसी दूसरे होटल में अपने लिए रूम बुक कर लूं और मेरा चैकआऊट बिल भी होटल से बनबा देना।

रघू- ठीक है…. आप कुछ देर यहीं इंतजार करो मैं अभी ले आता हूँ। लेकिन मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही कि आपको आखिर धोखा दिया किसने।

रघू की बात सुनकर मैं उसे समझाते हुए बोली

निशा- इसमें बहुत बडे बडे लोग शामिल हैं। इसलिए तुम इस सब में मत पडो रघू। हाँ एक आदमी का नाम मैं बता सकती हूँ। क्योंकि वो आदमी कभी भी मेरी जानकारी इकट्ठा करने आ सकता है और तुम्हें उससे सावधान रहना होगा। वो इंसान और कोई नहीं बल्कि यहाँ के एस.पी. महेश वर्मा हैं।

मेरी बात सुनकर रघू बुरी तरह से चौंकते हुए बोला

रघू- क्या….. एस.पी. साहब ने आपके साथ ऐसा किया। पर बो तो आपके ही डिपार्टमेंट के हैं।

निशा- पैसों में सबका ईमान बिक जाता है मेरी जान

मेरी बात सुनकर रघू गुस्से से भडते हुए बोला

रघू- भाड में जाये ऐसा पैसा… जो अपनों को की फंसा दे। मैं किसी से नहीं डरता। मुझे बस सब जानना है।

निशा- पर क्यों

रघू- क्योंकि मैं आपसे प्यार करने लगा हूँ

निशा- मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। लेकिन तुम तो जानते ही हो कि हमारे रिश्ते का आगे चलकर कोई भविष्य नहीं है। मेरा काम ही कुछ ऐसा है कि मेरे साथ कभी भी कुछ भी हो सकता है। इसलिए मैं तुम्हारी जिंदगी बर्बाद नहीं कर सकती। मैं बस जब तक यहाँ भोपाल में हूँ, तुम्हारे साथ अच्छा समय बिताना चाहती हूँ। ताकि मुझे आगे चलकर कोई पछतावा ना हो। बैसे भी हो सकता है कि मुझे अपने काम के चलते किसी दुसरे मर्द के साथ भी सोना पडे। मैं नहीं चाहती कि मेरे काम के कारण तुम मेरे प्यार पर कभी कोई शक करो और हमारे बीच कभी कोई झगडा हो।

मेरी बात सुनकर रघू थोडा सीरियस होते हुए बोला

रघू- मुझे आपके काम से कोई फर्क नहीं पडता। आगर आपको किसी दूसरे मर्द के साथ सोना भी पडा, तो भी मैं आपसे हमेशा प्यार करता रहूँगा और आपका इंतजार भी करता रहूँगा

रघू की बात सुनकर मैं मुस्कुराते हुए बोली

निशा- तुम पूरे पागल हो…

मेरे चेहरे की मुस्कान देखकर रघू भी मुस्कुराता हुआ बोला

रघू- अब जैसा भी हूँ आपका ही हूँ और हमेशा रहूँगा…

रघू की बात सुनकर मैं आखिरकार हार मानते हुए बोली

निशा- अच्छा बाबा ठीक है। पहले तुम मेरा हैण्डबैग लाकर मुझे दो। ताकि मैं किसी दूसरे होटल में अपने लिए रूम बुक कर सकूँ। उसके बाद मैं तुम्हें होटल का नाम और अपना रूम नम्बर मैसेज भेजकर बता दूंगी। जहाँ तुम रात के समय मेरा बाकी सामान लेकर आ जाना। उसके बाद मैं तुम्हे तसल्ली से सब कुछ बता दूँगी। अब तो खुश हो ना….

रघू- हाँ यह ठीक है…

निशा- तो मेरे प्यारे रघु अब जल्दी से जाकर मेरा हैण्डबैग और मेरा चैकआऊट बिल बनवाकर ले आयो। ताकि मैं तुम्हें उसका पेमेंट कर सकूँ

मेरी बात सुनकर रघू तुरंत वहाँ से निकल गया। करीब 20 मिनट बाद रघू ने बापिस उसी रेस्टोरेंट में आकर मेरा हैण्डबैग और होटल का चैकआऊट बिल मुझे लाकर दे दिया। मेरे होटल रूम का पेमेंट तो कम्पनी ने पहले ही कर दिया था। जिसमें अभी भी कुछ दिन बचे थे। उनके पैसे काटकर मेरे खाने-पीने, लाऊंड्री और कार का बिल जोडकर जो अमाऊंट बचा था, वो मैने रघू को दे दिया। रघू के जाने के बाद मैं वहाँ से सीधे मॉल पहूँची, जहाँ मैंने सबसे पहले अपने लिए एक अच्छा सा मोबाईल फोन खरीदा। जैसे ही मैंने उसमें अपना सिम कार्ड डालकर उसे ओपन किया, तो मेरे मोबाईल में एक साथ कई सारे नोटिस्फेक्सन आने लगे।

फिलहाल मैंने उन सभी को इग्नोर कर दिया। उसके बाद मैंने अपने लिए कुछ कपडे खरीदे। क्योंकि मेरे कपडे और बाकी सामान शाम को रघू लाने बाला था। जवकि अभी मैंने जो लडकों बाले कपडों पहले हुए थे। उसमें मुझे थोडा अनकंफर्टेबल महसूस हो रहा था। इसलिए मैंने मॉल के ही चेंजिंग रूम में अपने कपडे भी चेंज कर लिए थे, साथ ही साथ जैकेट से सारे पैसे और दूसरा जरूरी सामन निकालकर मैंने अपने हैण्ड बैग में रख लिया था। अपने कपडे चेंज करने के बाद जब मैं मॉल से बाहर निकली तो अपने पुराने कपडे और बाकी सारा सामान मैंने मॉल के ही बाहर रखे डस्टबिन में फेंक दिया था।

हाँलाकि पैसों के अलावा उस खण्डहर में मिला चाकू भी मैंने अपने पास रखा था। क्योंकि काफी सोचने के बाद आखिरकार मुझे याद आ ही गया था कि वो चाकू असल में गनपत का था और जिससे गनपत के साथ साथ जफर ने भी मुझपर पर कई बार हमला किया थ। जिस कारण उसपर मेरा खून भी लगा हुआ था। जिसे मैंन फारेस्ट डिपार्टमेंट के क्वाटर में अच्छी तरह से धोकर साफ कर लिया था। यह चाकू मैंने केवल इसलिए अपने पास रखा था, ताकि मुझे वो दिन और उस दिन की सारी घटना याद रहे। मॉल से बाहर निकलकर मैंने उसी इलाके के एक अच्छे से होटल में अपने लिए रूम बुक किया और अपने रूम में जाकर कंबल ओडकर सो गई।

क्योंकि मैंने रात में केवल 2 घंटे ही रेस्ट किया था। बाकी सारी रात मैं जागती रही थी। इसलिए मुझे बहुत तेज नींद आ रही थी। मैं दोपहर करीब 1 बजे सो कर उठी तो सबसे पहले मैंने अपने होटल का नाम और रूम नम्बर रघू को सेंड किया। उसके बाद में अपने मोबाईल में आये मैसेज चैक करने लगी। भोपाल के मेरे लगभग सभी दोस्तों ने मुझे कॉल करने की कोशिश की थी। जिस कारण उनके नाम से मेरे मोबाईल में कई सारे अलर्ट मैसेज डले हुए थे। मैंने एक एक करके सबको कॉल करने के स्थान पर चैटिंग एप डाऊनलोड किया और एक साथ सबको मैसेज भेज दिया।

“सॉरी फ्रेण्डस…. मैं अर्जेंट काम से भोपाल से बाहर गई हुई थी और मेरा मोबाईल फोन भी टूट गया था। जिस कारण मैं तुम लोगों से कोई कान्टेक्ट नहीं कर पाई और आज सुबह ही मैं बापिस भोपाल आई हूँ।”

अपने दोस्तों को मैसेज करने के बाद मैंने सबसे पहले असलम को कॉल किया, क्योंकि मेरे पास उसके कई सारे मैसेज डले हुए थे। उसे भी मैंने वही बताया जो अपने दोस्तों को बताया था। फिर मैंने कुछ देर रवि और श्रेया से बात करने के बाद डी.जी.पी. सर यानि हरीश अंकल को कॉल किया और उनसे मिलने का समय माँगा। हरीश अंकल को पहले से ही मेरी चिंता हो रही थी। जिस कारण उन्होंने मुझे 1 घंटे बाद अपने ऑफिस में आने के लिए बोल दिया। भोपाल में अपने सभी दोस्तों से बात करने के बाद मैं अपने पर्शनल मोबाईल फोन को चैक करने लगी।

मेरे पर्शनल मोबाईल फोन में भी मेरे पिता और भाई के कुछ मिस्डकॉल के अलावा मेरे ऑफिस के कुछ दोस्तों के मैसेज डले हुए थे। लेकिन मेरे पति अमन का कोई मैसेज या कॉल नहीं थी। जिसे देखकर मुझे बहुत दुख हुआ। बैसे भी हमेशा से मैं ही उसे कॉल करती थी। वो कभी भी खुद से मुझे ना तो कभी कॉल करता था और ना ही मैसेज करता था। अगर उस दिन मैं मर भी जाती, तो शायद किसी को कुछ पता भी नहीं चलता और ना ही किसी को मेरे मरने से कोई फर्क पडता। यह सब सोचते ही मैंने गुस्से में अमन को कॉल कर दिया। जैसे ही अमन ने कॉल रिसीव किया, तो वो बिना मेरी बात सुने बोला

अमन- निशा मुझे अभी 1 महीना और लगेगा बापिस आने में। इसलिए बापिस आने के अलावा कोई और बात करनी हो तो बोलो बर्ना फोन कट कर दो, मैं अभी बहुत बिजी हूँ।

अमन की बात सुनकर मुझे बहुत तेज गुस्सा आ रहा था। इसलिए मैं बोली

निशा- अमन क्या तुम सच में मुझसे कोई रिश्ता रखना भी चाहते हो या बस किसी मजबूरी में यह रिश्ता निभा रहे हो।

मेरी बात सुनकर अमन ने कहा

अमन- क्यों…. अगर मैं कहूँ कि यह रिश्ता मैं मजबूरी में निभा रहा हूँ, तो क्या तुम मुझे छोड दोगी

अमन की बात सुनकर मैंने गुस्से में कहा

निशा- हाँ छोड दूँगी…..

अमन- तुम जानती भी हो कि तुम क्या कह रही हो। तुम्हारी दो कोडी की नौकरी में तुम दो वक्त की रोटी तो ठीक से खा नहीं पाओगी, फिर तुम्हारे यह ऐसो आराम कैसे पूरे होंगे। इसलिए बकबास करना बंद करो। बैसे भी मेरे पास इन सब फालतू बातों के लिए कोई समय नहीं है।

अमन ने अपनी बातों से मुझे और भी ज्यादा गुस्सा दिला दिया था। इसलिए मैं गुस्से से बिफरते हुए बोली

निशा- लेकिन मेरे पास बहुत समय है मिस्टर अमन। इसलिए आज मैं सारी बातें क्लीयर करना चाहती हूँ। ताकि मैं भी इस रिश्ते से कोई उम्मीद ना रखूँ और रही दो कौडी की नौकरी बाली बात, तो मैं जितना भी कमाती हूँ उससे मैं अपनी सारी जरूरतें आसानी से पूरी करने के साथ साथ एक अच्छी लाईफ भी जी सकती हूँ। इसलिए यह पैसों की धौंस मुझे मत दिखाना। बैसे भी घर खर्च में मैं भी बाराबर पैसे खर्च करती हूँ और मेरे कोई फालतू शौक भी नहीं हैं जिनपर तुम्हें कोई पैसा खर्च करना पडता हो।

मुझे इतने गुस्से में देखकर शायद अमन को अपनी गलती का एहशास हो चुका था। इसलिए वो अपनी अक़ड भरी टोन सुधारते हुए थोडा प्यार से बोला

अमन- निशा आखिर आज तुम्हें हो क्या गया है। तबियत तो ठीक है तुम्हारी

अमन के यूँ गिरगिट की तरह रंग बदलने से मैं बुरी तरह हैरान थी, जिस कारण मेरा गुस्सा कम होने की जगह और भी ज्यादा बड गया था। इसलिए मैं गुस्से में बोली

निशा- उससे तुम्हें क्या मतलब... कभी तुमने अपने मन से मुझे कॉल करके मेरा हालचाल पूछा है। मैंने पिछले 4 दिनों तक तुम्हें फोन नहीं किया, तो तुमने एक बार भी यह जानने की कोशिश नहीं की कि मैं ठीक हूँ या नहीं।

मेरी बात सुनकर अमन एक बार फिर मुझसे चिढते हुए बोला

अमन- कैसे बच्चों जैसी बातें कर रही हो तुम। हम कोई लवर्स नहीं हैं जो मैं हर दिन तुम्हारे हालचाल पूछता फिरूँ।

निशा- अमन मैं आखिरी बार पूछ रही हूँ। सच सच बताओ कि तुम मेरे साथ रहना चाहते हो या नहीं। अगर तुम्हारा किसी और के साथ अफेयर बगैरह है तो मुझे अभी बता दो, मैं चुपचाप तुम्हारे रास्ते से हट जाऊँगी।

अमन- मैं भी तुमसे आखिरी बार बोल रहा हूँ कि तुम अपनी बकवास बंद करो। मेरे बापिस आने पर हम इस मुद्दे पर आराम से बात करेंगे और हाँ तब तक मुझे ऐसी फालतू बातों के लिए कॉल मत करना।

इतना बोलकर अमन ने बिना मेरी बात सुने फोन कट कर दिया। मुझे अमन पर इस वक्त बहुत गुस्सा आ रहा था। हाँलाकि मैं अच्छी तरह से जानती थी कि मुझे अमन से यह सब कहने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि मैंने खुद भी अमन को धोखा दिया है और दूसरे मर्दों के साथ फिजीकल संबंध भी बनाऐ हैं। पर इस सबका कारण भी अमन ही तो है। वो मेरी शारीरिक जरूरतों को कभी पूरी नहीं कर पाया। बैसे भी अब तक मेरा उसे छोडने का कोई इरादा नहीं था। मैं तो यह सब बस यहाँ भोपाल रूकने तक ही कर रही थी। पर आज अमन की बातों से मुझे कुछ ज्यादा ही गुस्सा आ गया था। जिस कारण मैंने मन ही मन अमन को छोडने का पक्का इरादा कर लिया था।

कहानी जारी है ......
 

kas1709

Well-Known Member
11,729
12,510
213
Update 044 -

कुछ ही देर बाद रघू मेरे सामने था। उसके मन में इस वक्त कई सबाल चल रहे थे। इसलिए वो बोला

रघु- आप कहाँ थीं इतने दिनों से और आपका फोन भी नहीं लग रहा है। कुछ दिनों पहले गुण्डे टाईप के लोग आये थे होटल में और आपकी इंक्वारी कर रहे थे, इसके अलावा उन लोगों ने अपके कमरे की तलाशी भी ली थी।

रघू के आने से पहले ही मैं अपने लिए खाना और रघू के लिए एक कॉफी आर्डर कर चुकी थी। इसलिए रघू के वहाँ आते ही मैं कॉफी का कप उसकी तरफ खिसकाते हुए बोली

निशा- देखो रघु मैं बाद में तुम्हें सब बता दूँगी, फिल्हाल तुम बस इतना समझ लो कि किसी ने मेरे साथ गद्दारी की थी। जिस कारण मैं दुश्मनों के हाथ लग गई। अब तुम तो सब जानते ही हो कि मेरा काम कैसा है, इसलिए बडी मुश्किल से बच कर आई हूँ। खैर छोडो यह सब, पहले तुम यह बताओ कि होटल में उन्हें मेरे बारे में क्या जानकारी मिली

मेरी बात सुनकर रघु कॉफी शिप करते हुए बोला

रघु- कुछ भी नहीं। आपका हैंण्ड बैग और बाकी के सारे डॉक्यूमेंट तो मेरे ही पास थे। अपके रूम में बस लैपटॉप और कपडे बगैरह ही रखे हुए थे।

निशा- हुम्म… अच्छा किसी से मेरे बारे में कुछ पूछा था क्या

रघू- हाँ काऊंटर पर इंक्वारी की थी। पर आपका रूम किसी कम्पनी के नाम पर बुक है। लेकिन कार के लिए आपने जो फर्जी डाक्यूमेंट दिए थे, उनकी एक कॉपी बो लोग अपने साथ ले गये थे। मतलब आपके बारे में उन्हें होटल से कुछ भी पता नहीं चला है।

रघू की बात सुनकर मैं कुछ सोचते हुए बोली

निशा- चलो यह तो अच्छी बात है। अब सुनो मुझे शक है कि अभी भी कोई ना कोई होटल पर नजर रख रहा होगा। इसलिए मैं अब होटल बापिस नहीं जा सकती। क्या तुम मेरा सामान मुझे लाकर दे सकते हो।

मेरी बात सुनकर रघू तुरंत बोला

रघू- हाँ ले आऊँगा

निशा- तो फिर ठीक है…. पहले तुम मेरा हैण्ड बैग मुझे लाकार दे दो। ताकि मैं किसी दूसरे होटल में अपने लिए रूम बुक कर लूं और मेरा चैकआऊट बिल भी होटल से बनबा देना।

रघू- ठीक है…. आप कुछ देर यहीं इंतजार करो मैं अभी ले आता हूँ। लेकिन मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही कि आपको आखिर धोखा दिया किसने।

रघू की बात सुनकर मैं उसे समझाते हुए बोली

निशा- इसमें बहुत बडे बडे लोग शामिल हैं। इसलिए तुम इस सब में मत पडो रघू। हाँ एक आदमी का नाम मैं बता सकती हूँ। क्योंकि वो आदमी कभी भी मेरी जानकारी इकट्ठा करने आ सकता है और तुम्हें उससे सावधान रहना होगा। वो इंसान और कोई नहीं बल्कि यहाँ के एस.पी. महेश वर्मा हैं।

मेरी बात सुनकर रघू बुरी तरह से चौंकते हुए बोला

रघू- क्या….. एस.पी. साहब ने आपके साथ ऐसा किया। पर बो तो आपके ही डिपार्टमेंट के हैं।

निशा- पैसों में सबका ईमान बिक जाता है मेरी जान

मेरी बात सुनकर रघू गुस्से से भडते हुए बोला

रघू- भाड में जाये ऐसा पैसा… जो अपनों को की फंसा दे। मैं किसी से नहीं डरता। मुझे बस सब जानना है।

निशा- पर क्यों

रघू- क्योंकि मैं आपसे प्यार करने लगा हूँ

निशा- मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। लेकिन तुम तो जानते ही हो कि हमारे रिश्ते का आगे चलकर कोई भविष्य नहीं है। मेरा काम ही कुछ ऐसा है कि मेरे साथ कभी भी कुछ भी हो सकता है। इसलिए मैं तुम्हारी जिंदगी बर्बाद नहीं कर सकती। मैं बस जब तक यहाँ भोपाल में हूँ, तुम्हारे साथ अच्छा समय बिताना चाहती हूँ। ताकि मुझे आगे चलकर कोई पछतावा ना हो। बैसे भी हो सकता है कि मुझे अपने काम के चलते किसी दुसरे मर्द के साथ भी सोना पडे। मैं नहीं चाहती कि मेरे काम के कारण तुम मेरे प्यार पर कभी कोई शक करो और हमारे बीच कभी कोई झगडा हो।

मेरी बात सुनकर रघू थोडा सीरियस होते हुए बोला

रघू- मुझे आपके काम से कोई फर्क नहीं पडता। आगर आपको किसी दूसरे मर्द के साथ सोना भी पडा, तो भी मैं आपसे हमेशा प्यार करता रहूँगा और आपका इंतजार भी करता रहूँगा

रघू की बात सुनकर मैं मुस्कुराते हुए बोली

निशा- तुम पूरे पागल हो…

मेरे चेहरे की मुस्कान देखकर रघू भी मुस्कुराता हुआ बोला

रघू- अब जैसा भी हूँ आपका ही हूँ और हमेशा रहूँगा…

रघू की बात सुनकर मैं आखिरकार हार मानते हुए बोली

निशा- अच्छा बाबा ठीक है। पहले तुम मेरा हैण्डबैग लाकर मुझे दो। ताकि मैं किसी दूसरे होटल में अपने लिए रूम बुक कर सकूँ। उसके बाद मैं तुम्हें होटल का नाम और अपना रूम नम्बर मैसेज भेजकर बता दूंगी। जहाँ तुम रात के समय मेरा बाकी सामान लेकर आ जाना। उसके बाद मैं तुम्हे तसल्ली से सब कुछ बता दूँगी। अब तो खुश हो ना….

रघू- हाँ यह ठीक है…

निशा- तो मेरे प्यारे रघु अब जल्दी से जाकर मेरा हैण्डबैग और मेरा चैकआऊट बिल बनवाकर ले आयो। ताकि मैं तुम्हें उसका पेमेंट कर सकूँ

मेरी बात सुनकर रघू तुरंत वहाँ से निकल गया। करीब 20 मिनट बाद रघू ने बापिस उसी रेस्टोरेंट में आकर मेरा हैण्डबैग और होटल का चैकआऊट बिल मुझे लाकर दे दिया। मेरे होटल रूम का पेमेंट तो कम्पनी ने पहले ही कर दिया था। जिसमें अभी भी कुछ दिन बचे थे। उनके पैसे काटकर मेरे खाने-पीने, लाऊंड्री और कार का बिल जोडकर जो अमाऊंट बचा था, वो मैने रघू को दे दिया। रघू के जाने के बाद मैं वहाँ से सीधे मॉल पहूँची, जहाँ मैंने सबसे पहले अपने लिए एक अच्छा सा मोबाईल फोन खरीदा। जैसे ही मैंने उसमें अपना सिम कार्ड डालकर उसे ओपन किया, तो मेरे मोबाईल में एक साथ कई सारे नोटिस्फेक्सन आने लगे।

फिलहाल मैंने उन सभी को इग्नोर कर दिया। उसके बाद मैंने अपने लिए कुछ कपडे खरीदे। क्योंकि मेरे कपडे और बाकी सामान शाम को रघू लाने बाला था। जवकि अभी मैंने जो लडकों बाले कपडों पहले हुए थे। उसमें मुझे थोडा अनकंफर्टेबल महसूस हो रहा था। इसलिए मैंने मॉल के ही चेंजिंग रूम में अपने कपडे भी चेंज कर लिए थे, साथ ही साथ जैकेट से सारे पैसे और दूसरा जरूरी सामन निकालकर मैंने अपने हैण्ड बैग में रख लिया था। अपने कपडे चेंज करने के बाद जब मैं मॉल से बाहर निकली तो अपने पुराने कपडे और बाकी सारा सामान मैंने मॉल के ही बाहर रखे डस्टबिन में फेंक दिया था।

हाँलाकि पैसों के अलावा उस खण्डहर में मिला चाकू भी मैंने अपने पास रखा था। क्योंकि काफी सोचने के बाद आखिरकार मुझे याद आ ही गया था कि वो चाकू असल में गनपत का था और जिससे गनपत के साथ साथ जफर ने भी मुझपर पर कई बार हमला किया थ। जिस कारण उसपर मेरा खून भी लगा हुआ था। जिसे मैंन फारेस्ट डिपार्टमेंट के क्वाटर में अच्छी तरह से धोकर साफ कर लिया था। यह चाकू मैंने केवल इसलिए अपने पास रखा था, ताकि मुझे वो दिन और उस दिन की सारी घटना याद रहे। मॉल से बाहर निकलकर मैंने उसी इलाके के एक अच्छे से होटल में अपने लिए रूम बुक किया और अपने रूम में जाकर कंबल ओडकर सो गई।

क्योंकि मैंने रात में केवल 2 घंटे ही रेस्ट किया था। बाकी सारी रात मैं जागती रही थी। इसलिए मुझे बहुत तेज नींद आ रही थी। मैं दोपहर करीब 1 बजे सो कर उठी तो सबसे पहले मैंने अपने होटल का नाम और रूम नम्बर रघू को सेंड किया। उसके बाद में अपने मोबाईल में आये मैसेज चैक करने लगी। भोपाल के मेरे लगभग सभी दोस्तों ने मुझे कॉल करने की कोशिश की थी। जिस कारण उनके नाम से मेरे मोबाईल में कई सारे अलर्ट मैसेज डले हुए थे। मैंने एक एक करके सबको कॉल करने के स्थान पर चैटिंग एप डाऊनलोड किया और एक साथ सबको मैसेज भेज दिया।

“सॉरी फ्रेण्डस…. मैं अर्जेंट काम से भोपाल से बाहर गई हुई थी और मेरा मोबाईल फोन भी टूट गया था। जिस कारण मैं तुम लोगों से कोई कान्टेक्ट नहीं कर पाई और आज सुबह ही मैं बापिस भोपाल आई हूँ।”

अपने दोस्तों को मैसेज करने के बाद मैंने सबसे पहले असलम को कॉल किया, क्योंकि मेरे पास उसके कई सारे मैसेज डले हुए थे। उसे भी मैंने वही बताया जो अपने दोस्तों को बताया था। फिर मैंने कुछ देर रवि और श्रेया से बात करने के बाद डी.जी.पी. सर यानि हरीश अंकल को कॉल किया और उनसे मिलने का समय माँगा। हरीश अंकल को पहले से ही मेरी चिंता हो रही थी। जिस कारण उन्होंने मुझे 1 घंटे बाद अपने ऑफिस में आने के लिए बोल दिया। भोपाल में अपने सभी दोस्तों से बात करने के बाद मैं अपने पर्शनल मोबाईल फोन को चैक करने लगी।

मेरे पर्शनल मोबाईल फोन में भी मेरे पिता और भाई के कुछ मिस्डकॉल के अलावा मेरे ऑफिस के कुछ दोस्तों के मैसेज डले हुए थे। लेकिन मेरे पति अमन का कोई मैसेज या कॉल नहीं थी। जिसे देखकर मुझे बहुत दुख हुआ। बैसे भी हमेशा से मैं ही उसे कॉल करती थी। वो कभी भी खुद से मुझे ना तो कभी कॉल करता था और ना ही मैसेज करता था। अगर उस दिन मैं मर भी जाती, तो शायद किसी को कुछ पता भी नहीं चलता और ना ही किसी को मेरे मरने से कोई फर्क पडता। यह सब सोचते ही मैंने गुस्से में अमन को कॉल कर दिया। जैसे ही अमन ने कॉल रिसीव किया, तो वो बिना मेरी बात सुने बोला

अमन- निशा मुझे अभी 1 महीना और लगेगा बापिस आने में। इसलिए बापिस आने के अलावा कोई और बात करनी हो तो बोलो बर्ना फोन कट कर दो, मैं अभी बहुत बिजी हूँ।

अमन की बात सुनकर मुझे बहुत तेज गुस्सा आ रहा था। इसलिए मैं बोली

निशा- अमन क्या तुम सच में मुझसे कोई रिश्ता रखना भी चाहते हो या बस किसी मजबूरी में यह रिश्ता निभा रहे हो।

मेरी बात सुनकर अमन ने कहा

अमन- क्यों…. अगर मैं कहूँ कि यह रिश्ता मैं मजबूरी में निभा रहा हूँ, तो क्या तुम मुझे छोड दोगी

अमन की बात सुनकर मैंने गुस्से में कहा

निशा- हाँ छोड दूँगी…..

अमन- तुम जानती भी हो कि तुम क्या कह रही हो। तुम्हारी दो कोडी की नौकरी में तुम दो वक्त की रोटी तो ठीक से खा नहीं पाओगी, फिर तुम्हारे यह ऐसो आराम कैसे पूरे होंगे। इसलिए बकबास करना बंद करो। बैसे भी मेरे पास इन सब फालतू बातों के लिए कोई समय नहीं है।

अमन ने अपनी बातों से मुझे और भी ज्यादा गुस्सा दिला दिया था। इसलिए मैं गुस्से से बिफरते हुए बोली

निशा- लेकिन मेरे पास बहुत समय है मिस्टर अमन। इसलिए आज मैं सारी बातें क्लीयर करना चाहती हूँ। ताकि मैं भी इस रिश्ते से कोई उम्मीद ना रखूँ और रही दो कौडी की नौकरी बाली बात, तो मैं जितना भी कमाती हूँ उससे मैं अपनी सारी जरूरतें आसानी से पूरी करने के साथ साथ एक अच्छी लाईफ भी जी सकती हूँ। इसलिए यह पैसों की धौंस मुझे मत दिखाना। बैसे भी घर खर्च में मैं भी बाराबर पैसे खर्च करती हूँ और मेरे कोई फालतू शौक भी नहीं हैं जिनपर तुम्हें कोई पैसा खर्च करना पडता हो।

मुझे इतने गुस्से में देखकर शायद अमन को अपनी गलती का एहशास हो चुका था। इसलिए वो अपनी अक़ड भरी टोन सुधारते हुए थोडा प्यार से बोला

अमन- निशा आखिर आज तुम्हें हो क्या गया है। तबियत तो ठीक है तुम्हारी

अमन के यूँ गिरगिट की तरह रंग बदलने से मैं बुरी तरह हैरान थी, जिस कारण मेरा गुस्सा कम होने की जगह और भी ज्यादा बड गया था। इसलिए मैं गुस्से में बोली

निशा- उससे तुम्हें क्या मतलब... कभी तुमने अपने मन से मुझे कॉल करके मेरा हालचाल पूछा है। मैंने पिछले 4 दिनों तक तुम्हें फोन नहीं किया, तो तुमने एक बार भी यह जानने की कोशिश नहीं की कि मैं ठीक हूँ या नहीं।

मेरी बात सुनकर अमन एक बार फिर मुझसे चिढते हुए बोला

अमन- कैसे बच्चों जैसी बातें कर रही हो तुम। हम कोई लवर्स नहीं हैं जो मैं हर दिन तुम्हारे हालचाल पूछता फिरूँ।

निशा- अमन मैं आखिरी बार पूछ रही हूँ। सच सच बताओ कि तुम मेरे साथ रहना चाहते हो या नहीं। अगर तुम्हारा किसी और के साथ अफेयर बगैरह है तो मुझे अभी बता दो, मैं चुपचाप तुम्हारे रास्ते से हट जाऊँगी।

अमन- मैं भी तुमसे आखिरी बार बोल रहा हूँ कि तुम अपनी बकवास बंद करो। मेरे बापिस आने पर हम इस मुद्दे पर आराम से बात करेंगे और हाँ तब तक मुझे ऐसी फालतू बातों के लिए कॉल मत करना।

इतना बोलकर अमन ने बिना मेरी बात सुने फोन कट कर दिया। मुझे अमन पर इस वक्त बहुत गुस्सा आ रहा था। हाँलाकि मैं अच्छी तरह से जानती थी कि मुझे अमन से यह सब कहने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि मैंने खुद भी अमन को धोखा दिया है और दूसरे मर्दों के साथ फिजीकल संबंध भी बनाऐ हैं। पर इस सबका कारण भी अमन ही तो है। वो मेरी शारीरिक जरूरतों को कभी पूरी नहीं कर पाया। बैसे भी अब तक मेरा उसे छोडने का कोई इरादा नहीं था। मैं तो यह सब बस यहाँ भोपाल रूकने तक ही कर रही थी। पर आज अमन की बातों से मुझे कुछ ज्यादा ही गुस्सा आ गया था। जिस कारण मैंने मन ही मन अमन को छोडने का पक्का इरादा कर लिया था।


कहानी जारी है ......
Nice update....
 

pussylover1

Milf lover.
1,640
2,269
143
Nice
Update 044 -

कुछ ही देर बाद रघू मेरे सामने था। उसके मन में इस वक्त कई सबाल चल रहे थे। इसलिए वो बोला

रघु- आप कहाँ थीं इतने दिनों से और आपका फोन भी नहीं लग रहा है। कुछ दिनों पहले गुण्डे टाईप के लोग आये थे होटल में और आपकी इंक्वारी कर रहे थे, इसके अलावा उन लोगों ने अपके कमरे की तलाशी भी ली थी।

रघू के आने से पहले ही मैं अपने लिए खाना और रघू के लिए एक कॉफी आर्डर कर चुकी थी। इसलिए रघू के वहाँ आते ही मैं कॉफी का कप उसकी तरफ खिसकाते हुए बोली

निशा- देखो रघु मैं बाद में तुम्हें सब बता दूँगी, फिल्हाल तुम बस इतना समझ लो कि किसी ने मेरे साथ गद्दारी की थी। जिस कारण मैं दुश्मनों के हाथ लग गई। अब तुम तो सब जानते ही हो कि मेरा काम कैसा है, इसलिए बडी मुश्किल से बच कर आई हूँ। खैर छोडो यह सब, पहले तुम यह बताओ कि होटल में उन्हें मेरे बारे में क्या जानकारी मिली

मेरी बात सुनकर रघु कॉफी शिप करते हुए बोला

रघु- कुछ भी नहीं। आपका हैंण्ड बैग और बाकी के सारे डॉक्यूमेंट तो मेरे ही पास थे। अपके रूम में बस लैपटॉप और कपडे बगैरह ही रखे हुए थे।

निशा- हुम्म… अच्छा किसी से मेरे बारे में कुछ पूछा था क्या

रघू- हाँ काऊंटर पर इंक्वारी की थी। पर आपका रूम किसी कम्पनी के नाम पर बुक है। लेकिन कार के लिए आपने जो फर्जी डाक्यूमेंट दिए थे, उनकी एक कॉपी बो लोग अपने साथ ले गये थे। मतलब आपके बारे में उन्हें होटल से कुछ भी पता नहीं चला है।

रघू की बात सुनकर मैं कुछ सोचते हुए बोली

निशा- चलो यह तो अच्छी बात है। अब सुनो मुझे शक है कि अभी भी कोई ना कोई होटल पर नजर रख रहा होगा। इसलिए मैं अब होटल बापिस नहीं जा सकती। क्या तुम मेरा सामान मुझे लाकर दे सकते हो।

मेरी बात सुनकर रघू तुरंत बोला

रघू- हाँ ले आऊँगा

निशा- तो फिर ठीक है…. पहले तुम मेरा हैण्ड बैग मुझे लाकार दे दो। ताकि मैं किसी दूसरे होटल में अपने लिए रूम बुक कर लूं और मेरा चैकआऊट बिल भी होटल से बनबा देना।

रघू- ठीक है…. आप कुछ देर यहीं इंतजार करो मैं अभी ले आता हूँ। लेकिन मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही कि आपको आखिर धोखा दिया किसने।

रघू की बात सुनकर मैं उसे समझाते हुए बोली

निशा- इसमें बहुत बडे बडे लोग शामिल हैं। इसलिए तुम इस सब में मत पडो रघू। हाँ एक आदमी का नाम मैं बता सकती हूँ। क्योंकि वो आदमी कभी भी मेरी जानकारी इकट्ठा करने आ सकता है और तुम्हें उससे सावधान रहना होगा। वो इंसान और कोई नहीं बल्कि यहाँ के एस.पी. महेश वर्मा हैं।

मेरी बात सुनकर रघू बुरी तरह से चौंकते हुए बोला

रघू- क्या….. एस.पी. साहब ने आपके साथ ऐसा किया। पर बो तो आपके ही डिपार्टमेंट के हैं।

निशा- पैसों में सबका ईमान बिक जाता है मेरी जान

मेरी बात सुनकर रघू गुस्से से भडते हुए बोला

रघू- भाड में जाये ऐसा पैसा… जो अपनों को की फंसा दे। मैं किसी से नहीं डरता। मुझे बस सब जानना है।

निशा- पर क्यों

रघू- क्योंकि मैं आपसे प्यार करने लगा हूँ

निशा- मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। लेकिन तुम तो जानते ही हो कि हमारे रिश्ते का आगे चलकर कोई भविष्य नहीं है। मेरा काम ही कुछ ऐसा है कि मेरे साथ कभी भी कुछ भी हो सकता है। इसलिए मैं तुम्हारी जिंदगी बर्बाद नहीं कर सकती। मैं बस जब तक यहाँ भोपाल में हूँ, तुम्हारे साथ अच्छा समय बिताना चाहती हूँ। ताकि मुझे आगे चलकर कोई पछतावा ना हो। बैसे भी हो सकता है कि मुझे अपने काम के चलते किसी दुसरे मर्द के साथ भी सोना पडे। मैं नहीं चाहती कि मेरे काम के कारण तुम मेरे प्यार पर कभी कोई शक करो और हमारे बीच कभी कोई झगडा हो।

मेरी बात सुनकर रघू थोडा सीरियस होते हुए बोला

रघू- मुझे आपके काम से कोई फर्क नहीं पडता। आगर आपको किसी दूसरे मर्द के साथ सोना भी पडा, तो भी मैं आपसे हमेशा प्यार करता रहूँगा और आपका इंतजार भी करता रहूँगा

रघू की बात सुनकर मैं मुस्कुराते हुए बोली

निशा- तुम पूरे पागल हो…

मेरे चेहरे की मुस्कान देखकर रघू भी मुस्कुराता हुआ बोला

रघू- अब जैसा भी हूँ आपका ही हूँ और हमेशा रहूँगा…

रघू की बात सुनकर मैं आखिरकार हार मानते हुए बोली

निशा- अच्छा बाबा ठीक है। पहले तुम मेरा हैण्डबैग लाकर मुझे दो। ताकि मैं किसी दूसरे होटल में अपने लिए रूम बुक कर सकूँ। उसके बाद मैं तुम्हें होटल का नाम और अपना रूम नम्बर मैसेज भेजकर बता दूंगी। जहाँ तुम रात के समय मेरा बाकी सामान लेकर आ जाना। उसके बाद मैं तुम्हे तसल्ली से सब कुछ बता दूँगी। अब तो खुश हो ना….

रघू- हाँ यह ठीक है…

निशा- तो मेरे प्यारे रघु अब जल्दी से जाकर मेरा हैण्डबैग और मेरा चैकआऊट बिल बनवाकर ले आयो। ताकि मैं तुम्हें उसका पेमेंट कर सकूँ

मेरी बात सुनकर रघू तुरंत वहाँ से निकल गया। करीब 20 मिनट बाद रघू ने बापिस उसी रेस्टोरेंट में आकर मेरा हैण्डबैग और होटल का चैकआऊट बिल मुझे लाकर दे दिया। मेरे होटल रूम का पेमेंट तो कम्पनी ने पहले ही कर दिया था। जिसमें अभी भी कुछ दिन बचे थे। उनके पैसे काटकर मेरे खाने-पीने, लाऊंड्री और कार का बिल जोडकर जो अमाऊंट बचा था, वो मैने रघू को दे दिया। रघू के जाने के बाद मैं वहाँ से सीधे मॉल पहूँची, जहाँ मैंने सबसे पहले अपने लिए एक अच्छा सा मोबाईल फोन खरीदा। जैसे ही मैंने उसमें अपना सिम कार्ड डालकर उसे ओपन किया, तो मेरे मोबाईल में एक साथ कई सारे नोटिस्फेक्सन आने लगे।

फिलहाल मैंने उन सभी को इग्नोर कर दिया। उसके बाद मैंने अपने लिए कुछ कपडे खरीदे। क्योंकि मेरे कपडे और बाकी सामान शाम को रघू लाने बाला था। जवकि अभी मैंने जो लडकों बाले कपडों पहले हुए थे। उसमें मुझे थोडा अनकंफर्टेबल महसूस हो रहा था। इसलिए मैंने मॉल के ही चेंजिंग रूम में अपने कपडे भी चेंज कर लिए थे, साथ ही साथ जैकेट से सारे पैसे और दूसरा जरूरी सामन निकालकर मैंने अपने हैण्ड बैग में रख लिया था। अपने कपडे चेंज करने के बाद जब मैं मॉल से बाहर निकली तो अपने पुराने कपडे और बाकी सारा सामान मैंने मॉल के ही बाहर रखे डस्टबिन में फेंक दिया था।

हाँलाकि पैसों के अलावा उस खण्डहर में मिला चाकू भी मैंने अपने पास रखा था। क्योंकि काफी सोचने के बाद आखिरकार मुझे याद आ ही गया था कि वो चाकू असल में गनपत का था और जिससे गनपत के साथ साथ जफर ने भी मुझपर पर कई बार हमला किया थ। जिस कारण उसपर मेरा खून भी लगा हुआ था। जिसे मैंन फारेस्ट डिपार्टमेंट के क्वाटर में अच्छी तरह से धोकर साफ कर लिया था। यह चाकू मैंने केवल इसलिए अपने पास रखा था, ताकि मुझे वो दिन और उस दिन की सारी घटना याद रहे। मॉल से बाहर निकलकर मैंने उसी इलाके के एक अच्छे से होटल में अपने लिए रूम बुक किया और अपने रूम में जाकर कंबल ओडकर सो गई।

क्योंकि मैंने रात में केवल 2 घंटे ही रेस्ट किया था। बाकी सारी रात मैं जागती रही थी। इसलिए मुझे बहुत तेज नींद आ रही थी। मैं दोपहर करीब 1 बजे सो कर उठी तो सबसे पहले मैंने अपने होटल का नाम और रूम नम्बर रघू को सेंड किया। उसके बाद में अपने मोबाईल में आये मैसेज चैक करने लगी। भोपाल के मेरे लगभग सभी दोस्तों ने मुझे कॉल करने की कोशिश की थी। जिस कारण उनके नाम से मेरे मोबाईल में कई सारे अलर्ट मैसेज डले हुए थे। मैंने एक एक करके सबको कॉल करने के स्थान पर चैटिंग एप डाऊनलोड किया और एक साथ सबको मैसेज भेज दिया।

“सॉरी फ्रेण्डस…. मैं अर्जेंट काम से भोपाल से बाहर गई हुई थी और मेरा मोबाईल फोन भी टूट गया था। जिस कारण मैं तुम लोगों से कोई कान्टेक्ट नहीं कर पाई और आज सुबह ही मैं बापिस भोपाल आई हूँ।”

अपने दोस्तों को मैसेज करने के बाद मैंने सबसे पहले असलम को कॉल किया, क्योंकि मेरे पास उसके कई सारे मैसेज डले हुए थे। उसे भी मैंने वही बताया जो अपने दोस्तों को बताया था। फिर मैंने कुछ देर रवि और श्रेया से बात करने के बाद डी.जी.पी. सर यानि हरीश अंकल को कॉल किया और उनसे मिलने का समय माँगा। हरीश अंकल को पहले से ही मेरी चिंता हो रही थी। जिस कारण उन्होंने मुझे 1 घंटे बाद अपने ऑफिस में आने के लिए बोल दिया। भोपाल में अपने सभी दोस्तों से बात करने के बाद मैं अपने पर्शनल मोबाईल फोन को चैक करने लगी।

मेरे पर्शनल मोबाईल फोन में भी मेरे पिता और भाई के कुछ मिस्डकॉल के अलावा मेरे ऑफिस के कुछ दोस्तों के मैसेज डले हुए थे। लेकिन मेरे पति अमन का कोई मैसेज या कॉल नहीं थी। जिसे देखकर मुझे बहुत दुख हुआ। बैसे भी हमेशा से मैं ही उसे कॉल करती थी। वो कभी भी खुद से मुझे ना तो कभी कॉल करता था और ना ही मैसेज करता था। अगर उस दिन मैं मर भी जाती, तो शायद किसी को कुछ पता भी नहीं चलता और ना ही किसी को मेरे मरने से कोई फर्क पडता। यह सब सोचते ही मैंने गुस्से में अमन को कॉल कर दिया। जैसे ही अमन ने कॉल रिसीव किया, तो वो बिना मेरी बात सुने बोला

अमन- निशा मुझे अभी 1 महीना और लगेगा बापिस आने में। इसलिए बापिस आने के अलावा कोई और बात करनी हो तो बोलो बर्ना फोन कट कर दो, मैं अभी बहुत बिजी हूँ।

अमन की बात सुनकर मुझे बहुत तेज गुस्सा आ रहा था। इसलिए मैं बोली

निशा- अमन क्या तुम सच में मुझसे कोई रिश्ता रखना भी चाहते हो या बस किसी मजबूरी में यह रिश्ता निभा रहे हो।

मेरी बात सुनकर अमन ने कहा

अमन- क्यों…. अगर मैं कहूँ कि यह रिश्ता मैं मजबूरी में निभा रहा हूँ, तो क्या तुम मुझे छोड दोगी

अमन की बात सुनकर मैंने गुस्से में कहा

निशा- हाँ छोड दूँगी…..

अमन- तुम जानती भी हो कि तुम क्या कह रही हो। तुम्हारी दो कोडी की नौकरी में तुम दो वक्त की रोटी तो ठीक से खा नहीं पाओगी, फिर तुम्हारे यह ऐसो आराम कैसे पूरे होंगे। इसलिए बकबास करना बंद करो। बैसे भी मेरे पास इन सब फालतू बातों के लिए कोई समय नहीं है।

अमन ने अपनी बातों से मुझे और भी ज्यादा गुस्सा दिला दिया था। इसलिए मैं गुस्से से बिफरते हुए बोली

निशा- लेकिन मेरे पास बहुत समय है मिस्टर अमन। इसलिए आज मैं सारी बातें क्लीयर करना चाहती हूँ। ताकि मैं भी इस रिश्ते से कोई उम्मीद ना रखूँ और रही दो कौडी की नौकरी बाली बात, तो मैं जितना भी कमाती हूँ उससे मैं अपनी सारी जरूरतें आसानी से पूरी करने के साथ साथ एक अच्छी लाईफ भी जी सकती हूँ। इसलिए यह पैसों की धौंस मुझे मत दिखाना। बैसे भी घर खर्च में मैं भी बाराबर पैसे खर्च करती हूँ और मेरे कोई फालतू शौक भी नहीं हैं जिनपर तुम्हें कोई पैसा खर्च करना पडता हो।

मुझे इतने गुस्से में देखकर शायद अमन को अपनी गलती का एहशास हो चुका था। इसलिए वो अपनी अक़ड भरी टोन सुधारते हुए थोडा प्यार से बोला

अमन- निशा आखिर आज तुम्हें हो क्या गया है। तबियत तो ठीक है तुम्हारी

अमन के यूँ गिरगिट की तरह रंग बदलने से मैं बुरी तरह हैरान थी, जिस कारण मेरा गुस्सा कम होने की जगह और भी ज्यादा बड गया था। इसलिए मैं गुस्से में बोली

निशा- उससे तुम्हें क्या मतलब... कभी तुमने अपने मन से मुझे कॉल करके मेरा हालचाल पूछा है। मैंने पिछले 4 दिनों तक तुम्हें फोन नहीं किया, तो तुमने एक बार भी यह जानने की कोशिश नहीं की कि मैं ठीक हूँ या नहीं।

मेरी बात सुनकर अमन एक बार फिर मुझसे चिढते हुए बोला

अमन- कैसे बच्चों जैसी बातें कर रही हो तुम। हम कोई लवर्स नहीं हैं जो मैं हर दिन तुम्हारे हालचाल पूछता फिरूँ।

निशा- अमन मैं आखिरी बार पूछ रही हूँ। सच सच बताओ कि तुम मेरे साथ रहना चाहते हो या नहीं। अगर तुम्हारा किसी और के साथ अफेयर बगैरह है तो मुझे अभी बता दो, मैं चुपचाप तुम्हारे रास्ते से हट जाऊँगी।

अमन- मैं भी तुमसे आखिरी बार बोल रहा हूँ कि तुम अपनी बकवास बंद करो। मेरे बापिस आने पर हम इस मुद्दे पर आराम से बात करेंगे और हाँ तब तक मुझे ऐसी फालतू बातों के लिए कॉल मत करना।

इतना बोलकर अमन ने बिना मेरी बात सुने फोन कट कर दिया। मुझे अमन पर इस वक्त बहुत गुस्सा आ रहा था। हाँलाकि मैं अच्छी तरह से जानती थी कि मुझे अमन से यह सब कहने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि मैंने खुद भी अमन को धोखा दिया है और दूसरे मर्दों के साथ फिजीकल संबंध भी बनाऐ हैं। पर इस सबका कारण भी अमन ही तो है। वो मेरी शारीरिक जरूरतों को कभी पूरी नहीं कर पाया। बैसे भी अब तक मेरा उसे छोडने का कोई इरादा नहीं था। मैं तो यह सब बस यहाँ भोपाल रूकने तक ही कर रही थी। पर आज अमन की बातों से मुझे कुछ ज्यादा ही गुस्सा आ गया था। जिस कारण मैंने मन ही मन अमन को छोडने का पक्का इरादा कर लिया था।


कहानी जारी है ......
Nice update
 

dhparikh

Well-Known Member
12,288
14,086
228
Update 044 -

कुछ ही देर बाद रघू मेरे सामने था। उसके मन में इस वक्त कई सबाल चल रहे थे। इसलिए वो बोला

रघु- आप कहाँ थीं इतने दिनों से और आपका फोन भी नहीं लग रहा है। कुछ दिनों पहले गुण्डे टाईप के लोग आये थे होटल में और आपकी इंक्वारी कर रहे थे, इसके अलावा उन लोगों ने अपके कमरे की तलाशी भी ली थी।

रघू के आने से पहले ही मैं अपने लिए खाना और रघू के लिए एक कॉफी आर्डर कर चुकी थी। इसलिए रघू के वहाँ आते ही मैं कॉफी का कप उसकी तरफ खिसकाते हुए बोली

निशा- देखो रघु मैं बाद में तुम्हें सब बता दूँगी, फिल्हाल तुम बस इतना समझ लो कि किसी ने मेरे साथ गद्दारी की थी। जिस कारण मैं दुश्मनों के हाथ लग गई। अब तुम तो सब जानते ही हो कि मेरा काम कैसा है, इसलिए बडी मुश्किल से बच कर आई हूँ। खैर छोडो यह सब, पहले तुम यह बताओ कि होटल में उन्हें मेरे बारे में क्या जानकारी मिली

मेरी बात सुनकर रघु कॉफी शिप करते हुए बोला

रघु- कुछ भी नहीं। आपका हैंण्ड बैग और बाकी के सारे डॉक्यूमेंट तो मेरे ही पास थे। अपके रूम में बस लैपटॉप और कपडे बगैरह ही रखे हुए थे।

निशा- हुम्म… अच्छा किसी से मेरे बारे में कुछ पूछा था क्या

रघू- हाँ काऊंटर पर इंक्वारी की थी। पर आपका रूम किसी कम्पनी के नाम पर बुक है। लेकिन कार के लिए आपने जो फर्जी डाक्यूमेंट दिए थे, उनकी एक कॉपी बो लोग अपने साथ ले गये थे। मतलब आपके बारे में उन्हें होटल से कुछ भी पता नहीं चला है।

रघू की बात सुनकर मैं कुछ सोचते हुए बोली

निशा- चलो यह तो अच्छी बात है। अब सुनो मुझे शक है कि अभी भी कोई ना कोई होटल पर नजर रख रहा होगा। इसलिए मैं अब होटल बापिस नहीं जा सकती। क्या तुम मेरा सामान मुझे लाकर दे सकते हो।

मेरी बात सुनकर रघू तुरंत बोला

रघू- हाँ ले आऊँगा

निशा- तो फिर ठीक है…. पहले तुम मेरा हैण्ड बैग मुझे लाकार दे दो। ताकि मैं किसी दूसरे होटल में अपने लिए रूम बुक कर लूं और मेरा चैकआऊट बिल भी होटल से बनबा देना।

रघू- ठीक है…. आप कुछ देर यहीं इंतजार करो मैं अभी ले आता हूँ। लेकिन मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही कि आपको आखिर धोखा दिया किसने।

रघू की बात सुनकर मैं उसे समझाते हुए बोली

निशा- इसमें बहुत बडे बडे लोग शामिल हैं। इसलिए तुम इस सब में मत पडो रघू। हाँ एक आदमी का नाम मैं बता सकती हूँ। क्योंकि वो आदमी कभी भी मेरी जानकारी इकट्ठा करने आ सकता है और तुम्हें उससे सावधान रहना होगा। वो इंसान और कोई नहीं बल्कि यहाँ के एस.पी. महेश वर्मा हैं।

मेरी बात सुनकर रघू बुरी तरह से चौंकते हुए बोला

रघू- क्या….. एस.पी. साहब ने आपके साथ ऐसा किया। पर बो तो आपके ही डिपार्टमेंट के हैं।

निशा- पैसों में सबका ईमान बिक जाता है मेरी जान

मेरी बात सुनकर रघू गुस्से से भडते हुए बोला

रघू- भाड में जाये ऐसा पैसा… जो अपनों को की फंसा दे। मैं किसी से नहीं डरता। मुझे बस सब जानना है।

निशा- पर क्यों

रघू- क्योंकि मैं आपसे प्यार करने लगा हूँ

निशा- मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। लेकिन तुम तो जानते ही हो कि हमारे रिश्ते का आगे चलकर कोई भविष्य नहीं है। मेरा काम ही कुछ ऐसा है कि मेरे साथ कभी भी कुछ भी हो सकता है। इसलिए मैं तुम्हारी जिंदगी बर्बाद नहीं कर सकती। मैं बस जब तक यहाँ भोपाल में हूँ, तुम्हारे साथ अच्छा समय बिताना चाहती हूँ। ताकि मुझे आगे चलकर कोई पछतावा ना हो। बैसे भी हो सकता है कि मुझे अपने काम के चलते किसी दुसरे मर्द के साथ भी सोना पडे। मैं नहीं चाहती कि मेरे काम के कारण तुम मेरे प्यार पर कभी कोई शक करो और हमारे बीच कभी कोई झगडा हो।

मेरी बात सुनकर रघू थोडा सीरियस होते हुए बोला

रघू- मुझे आपके काम से कोई फर्क नहीं पडता। आगर आपको किसी दूसरे मर्द के साथ सोना भी पडा, तो भी मैं आपसे हमेशा प्यार करता रहूँगा और आपका इंतजार भी करता रहूँगा

रघू की बात सुनकर मैं मुस्कुराते हुए बोली

निशा- तुम पूरे पागल हो…

मेरे चेहरे की मुस्कान देखकर रघू भी मुस्कुराता हुआ बोला

रघू- अब जैसा भी हूँ आपका ही हूँ और हमेशा रहूँगा…

रघू की बात सुनकर मैं आखिरकार हार मानते हुए बोली

निशा- अच्छा बाबा ठीक है। पहले तुम मेरा हैण्डबैग लाकर मुझे दो। ताकि मैं किसी दूसरे होटल में अपने लिए रूम बुक कर सकूँ। उसके बाद मैं तुम्हें होटल का नाम और अपना रूम नम्बर मैसेज भेजकर बता दूंगी। जहाँ तुम रात के समय मेरा बाकी सामान लेकर आ जाना। उसके बाद मैं तुम्हे तसल्ली से सब कुछ बता दूँगी। अब तो खुश हो ना….

रघू- हाँ यह ठीक है…

निशा- तो मेरे प्यारे रघु अब जल्दी से जाकर मेरा हैण्डबैग और मेरा चैकआऊट बिल बनवाकर ले आयो। ताकि मैं तुम्हें उसका पेमेंट कर सकूँ

मेरी बात सुनकर रघू तुरंत वहाँ से निकल गया। करीब 20 मिनट बाद रघू ने बापिस उसी रेस्टोरेंट में आकर मेरा हैण्डबैग और होटल का चैकआऊट बिल मुझे लाकर दे दिया। मेरे होटल रूम का पेमेंट तो कम्पनी ने पहले ही कर दिया था। जिसमें अभी भी कुछ दिन बचे थे। उनके पैसे काटकर मेरे खाने-पीने, लाऊंड्री और कार का बिल जोडकर जो अमाऊंट बचा था, वो मैने रघू को दे दिया। रघू के जाने के बाद मैं वहाँ से सीधे मॉल पहूँची, जहाँ मैंने सबसे पहले अपने लिए एक अच्छा सा मोबाईल फोन खरीदा। जैसे ही मैंने उसमें अपना सिम कार्ड डालकर उसे ओपन किया, तो मेरे मोबाईल में एक साथ कई सारे नोटिस्फेक्सन आने लगे।

फिलहाल मैंने उन सभी को इग्नोर कर दिया। उसके बाद मैंने अपने लिए कुछ कपडे खरीदे। क्योंकि मेरे कपडे और बाकी सामान शाम को रघू लाने बाला था। जवकि अभी मैंने जो लडकों बाले कपडों पहले हुए थे। उसमें मुझे थोडा अनकंफर्टेबल महसूस हो रहा था। इसलिए मैंने मॉल के ही चेंजिंग रूम में अपने कपडे भी चेंज कर लिए थे, साथ ही साथ जैकेट से सारे पैसे और दूसरा जरूरी सामन निकालकर मैंने अपने हैण्ड बैग में रख लिया था। अपने कपडे चेंज करने के बाद जब मैं मॉल से बाहर निकली तो अपने पुराने कपडे और बाकी सारा सामान मैंने मॉल के ही बाहर रखे डस्टबिन में फेंक दिया था।

हाँलाकि पैसों के अलावा उस खण्डहर में मिला चाकू भी मैंने अपने पास रखा था। क्योंकि काफी सोचने के बाद आखिरकार मुझे याद आ ही गया था कि वो चाकू असल में गनपत का था और जिससे गनपत के साथ साथ जफर ने भी मुझपर पर कई बार हमला किया थ। जिस कारण उसपर मेरा खून भी लगा हुआ था। जिसे मैंन फारेस्ट डिपार्टमेंट के क्वाटर में अच्छी तरह से धोकर साफ कर लिया था। यह चाकू मैंने केवल इसलिए अपने पास रखा था, ताकि मुझे वो दिन और उस दिन की सारी घटना याद रहे। मॉल से बाहर निकलकर मैंने उसी इलाके के एक अच्छे से होटल में अपने लिए रूम बुक किया और अपने रूम में जाकर कंबल ओडकर सो गई।

क्योंकि मैंने रात में केवल 2 घंटे ही रेस्ट किया था। बाकी सारी रात मैं जागती रही थी। इसलिए मुझे बहुत तेज नींद आ रही थी। मैं दोपहर करीब 1 बजे सो कर उठी तो सबसे पहले मैंने अपने होटल का नाम और रूम नम्बर रघू को सेंड किया। उसके बाद में अपने मोबाईल में आये मैसेज चैक करने लगी। भोपाल के मेरे लगभग सभी दोस्तों ने मुझे कॉल करने की कोशिश की थी। जिस कारण उनके नाम से मेरे मोबाईल में कई सारे अलर्ट मैसेज डले हुए थे। मैंने एक एक करके सबको कॉल करने के स्थान पर चैटिंग एप डाऊनलोड किया और एक साथ सबको मैसेज भेज दिया।

“सॉरी फ्रेण्डस…. मैं अर्जेंट काम से भोपाल से बाहर गई हुई थी और मेरा मोबाईल फोन भी टूट गया था। जिस कारण मैं तुम लोगों से कोई कान्टेक्ट नहीं कर पाई और आज सुबह ही मैं बापिस भोपाल आई हूँ।”

अपने दोस्तों को मैसेज करने के बाद मैंने सबसे पहले असलम को कॉल किया, क्योंकि मेरे पास उसके कई सारे मैसेज डले हुए थे। उसे भी मैंने वही बताया जो अपने दोस्तों को बताया था। फिर मैंने कुछ देर रवि और श्रेया से बात करने के बाद डी.जी.पी. सर यानि हरीश अंकल को कॉल किया और उनसे मिलने का समय माँगा। हरीश अंकल को पहले से ही मेरी चिंता हो रही थी। जिस कारण उन्होंने मुझे 1 घंटे बाद अपने ऑफिस में आने के लिए बोल दिया। भोपाल में अपने सभी दोस्तों से बात करने के बाद मैं अपने पर्शनल मोबाईल फोन को चैक करने लगी।

मेरे पर्शनल मोबाईल फोन में भी मेरे पिता और भाई के कुछ मिस्डकॉल के अलावा मेरे ऑफिस के कुछ दोस्तों के मैसेज डले हुए थे। लेकिन मेरे पति अमन का कोई मैसेज या कॉल नहीं थी। जिसे देखकर मुझे बहुत दुख हुआ। बैसे भी हमेशा से मैं ही उसे कॉल करती थी। वो कभी भी खुद से मुझे ना तो कभी कॉल करता था और ना ही मैसेज करता था। अगर उस दिन मैं मर भी जाती, तो शायद किसी को कुछ पता भी नहीं चलता और ना ही किसी को मेरे मरने से कोई फर्क पडता। यह सब सोचते ही मैंने गुस्से में अमन को कॉल कर दिया। जैसे ही अमन ने कॉल रिसीव किया, तो वो बिना मेरी बात सुने बोला

अमन- निशा मुझे अभी 1 महीना और लगेगा बापिस आने में। इसलिए बापिस आने के अलावा कोई और बात करनी हो तो बोलो बर्ना फोन कट कर दो, मैं अभी बहुत बिजी हूँ।

अमन की बात सुनकर मुझे बहुत तेज गुस्सा आ रहा था। इसलिए मैं बोली

निशा- अमन क्या तुम सच में मुझसे कोई रिश्ता रखना भी चाहते हो या बस किसी मजबूरी में यह रिश्ता निभा रहे हो।

मेरी बात सुनकर अमन ने कहा

अमन- क्यों…. अगर मैं कहूँ कि यह रिश्ता मैं मजबूरी में निभा रहा हूँ, तो क्या तुम मुझे छोड दोगी

अमन की बात सुनकर मैंने गुस्से में कहा

निशा- हाँ छोड दूँगी…..

अमन- तुम जानती भी हो कि तुम क्या कह रही हो। तुम्हारी दो कोडी की नौकरी में तुम दो वक्त की रोटी तो ठीक से खा नहीं पाओगी, फिर तुम्हारे यह ऐसो आराम कैसे पूरे होंगे। इसलिए बकबास करना बंद करो। बैसे भी मेरे पास इन सब फालतू बातों के लिए कोई समय नहीं है।

अमन ने अपनी बातों से मुझे और भी ज्यादा गुस्सा दिला दिया था। इसलिए मैं गुस्से से बिफरते हुए बोली

निशा- लेकिन मेरे पास बहुत समय है मिस्टर अमन। इसलिए आज मैं सारी बातें क्लीयर करना चाहती हूँ। ताकि मैं भी इस रिश्ते से कोई उम्मीद ना रखूँ और रही दो कौडी की नौकरी बाली बात, तो मैं जितना भी कमाती हूँ उससे मैं अपनी सारी जरूरतें आसानी से पूरी करने के साथ साथ एक अच्छी लाईफ भी जी सकती हूँ। इसलिए यह पैसों की धौंस मुझे मत दिखाना। बैसे भी घर खर्च में मैं भी बाराबर पैसे खर्च करती हूँ और मेरे कोई फालतू शौक भी नहीं हैं जिनपर तुम्हें कोई पैसा खर्च करना पडता हो।

मुझे इतने गुस्से में देखकर शायद अमन को अपनी गलती का एहशास हो चुका था। इसलिए वो अपनी अक़ड भरी टोन सुधारते हुए थोडा प्यार से बोला

अमन- निशा आखिर आज तुम्हें हो क्या गया है। तबियत तो ठीक है तुम्हारी

अमन के यूँ गिरगिट की तरह रंग बदलने से मैं बुरी तरह हैरान थी, जिस कारण मेरा गुस्सा कम होने की जगह और भी ज्यादा बड गया था। इसलिए मैं गुस्से में बोली

निशा- उससे तुम्हें क्या मतलब... कभी तुमने अपने मन से मुझे कॉल करके मेरा हालचाल पूछा है। मैंने पिछले 4 दिनों तक तुम्हें फोन नहीं किया, तो तुमने एक बार भी यह जानने की कोशिश नहीं की कि मैं ठीक हूँ या नहीं।

मेरी बात सुनकर अमन एक बार फिर मुझसे चिढते हुए बोला

अमन- कैसे बच्चों जैसी बातें कर रही हो तुम। हम कोई लवर्स नहीं हैं जो मैं हर दिन तुम्हारे हालचाल पूछता फिरूँ।

निशा- अमन मैं आखिरी बार पूछ रही हूँ। सच सच बताओ कि तुम मेरे साथ रहना चाहते हो या नहीं। अगर तुम्हारा किसी और के साथ अफेयर बगैरह है तो मुझे अभी बता दो, मैं चुपचाप तुम्हारे रास्ते से हट जाऊँगी।

अमन- मैं भी तुमसे आखिरी बार बोल रहा हूँ कि तुम अपनी बकवास बंद करो। मेरे बापिस आने पर हम इस मुद्दे पर आराम से बात करेंगे और हाँ तब तक मुझे ऐसी फालतू बातों के लिए कॉल मत करना।

इतना बोलकर अमन ने बिना मेरी बात सुने फोन कट कर दिया। मुझे अमन पर इस वक्त बहुत गुस्सा आ रहा था। हाँलाकि मैं अच्छी तरह से जानती थी कि मुझे अमन से यह सब कहने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि मैंने खुद भी अमन को धोखा दिया है और दूसरे मर्दों के साथ फिजीकल संबंध भी बनाऐ हैं। पर इस सबका कारण भी अमन ही तो है। वो मेरी शारीरिक जरूरतों को कभी पूरी नहीं कर पाया। बैसे भी अब तक मेरा उसे छोडने का कोई इरादा नहीं था। मैं तो यह सब बस यहाँ भोपाल रूकने तक ही कर रही थी। पर आज अमन की बातों से मुझे कुछ ज्यादा ही गुस्सा आ गया था। जिस कारण मैंने मन ही मन अमन को छोडने का पक्का इरादा कर लिया था।


कहानी जारी है ......
Nice update....
 

parkas

Well-Known Member
31,548
67,920
303
Update 044 -

कुछ ही देर बाद रघू मेरे सामने था। उसके मन में इस वक्त कई सबाल चल रहे थे। इसलिए वो बोला

रघु- आप कहाँ थीं इतने दिनों से और आपका फोन भी नहीं लग रहा है। कुछ दिनों पहले गुण्डे टाईप के लोग आये थे होटल में और आपकी इंक्वारी कर रहे थे, इसके अलावा उन लोगों ने अपके कमरे की तलाशी भी ली थी।

रघू के आने से पहले ही मैं अपने लिए खाना और रघू के लिए एक कॉफी आर्डर कर चुकी थी। इसलिए रघू के वहाँ आते ही मैं कॉफी का कप उसकी तरफ खिसकाते हुए बोली

निशा- देखो रघु मैं बाद में तुम्हें सब बता दूँगी, फिल्हाल तुम बस इतना समझ लो कि किसी ने मेरे साथ गद्दारी की थी। जिस कारण मैं दुश्मनों के हाथ लग गई। अब तुम तो सब जानते ही हो कि मेरा काम कैसा है, इसलिए बडी मुश्किल से बच कर आई हूँ। खैर छोडो यह सब, पहले तुम यह बताओ कि होटल में उन्हें मेरे बारे में क्या जानकारी मिली

मेरी बात सुनकर रघु कॉफी शिप करते हुए बोला

रघु- कुछ भी नहीं। आपका हैंण्ड बैग और बाकी के सारे डॉक्यूमेंट तो मेरे ही पास थे। अपके रूम में बस लैपटॉप और कपडे बगैरह ही रखे हुए थे।

निशा- हुम्म… अच्छा किसी से मेरे बारे में कुछ पूछा था क्या

रघू- हाँ काऊंटर पर इंक्वारी की थी। पर आपका रूम किसी कम्पनी के नाम पर बुक है। लेकिन कार के लिए आपने जो फर्जी डाक्यूमेंट दिए थे, उनकी एक कॉपी बो लोग अपने साथ ले गये थे। मतलब आपके बारे में उन्हें होटल से कुछ भी पता नहीं चला है।

रघू की बात सुनकर मैं कुछ सोचते हुए बोली

निशा- चलो यह तो अच्छी बात है। अब सुनो मुझे शक है कि अभी भी कोई ना कोई होटल पर नजर रख रहा होगा। इसलिए मैं अब होटल बापिस नहीं जा सकती। क्या तुम मेरा सामान मुझे लाकर दे सकते हो।

मेरी बात सुनकर रघू तुरंत बोला

रघू- हाँ ले आऊँगा

निशा- तो फिर ठीक है…. पहले तुम मेरा हैण्ड बैग मुझे लाकार दे दो। ताकि मैं किसी दूसरे होटल में अपने लिए रूम बुक कर लूं और मेरा चैकआऊट बिल भी होटल से बनबा देना।

रघू- ठीक है…. आप कुछ देर यहीं इंतजार करो मैं अभी ले आता हूँ। लेकिन मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही कि आपको आखिर धोखा दिया किसने।

रघू की बात सुनकर मैं उसे समझाते हुए बोली

निशा- इसमें बहुत बडे बडे लोग शामिल हैं। इसलिए तुम इस सब में मत पडो रघू। हाँ एक आदमी का नाम मैं बता सकती हूँ। क्योंकि वो आदमी कभी भी मेरी जानकारी इकट्ठा करने आ सकता है और तुम्हें उससे सावधान रहना होगा। वो इंसान और कोई नहीं बल्कि यहाँ के एस.पी. महेश वर्मा हैं।

मेरी बात सुनकर रघू बुरी तरह से चौंकते हुए बोला

रघू- क्या….. एस.पी. साहब ने आपके साथ ऐसा किया। पर बो तो आपके ही डिपार्टमेंट के हैं।

निशा- पैसों में सबका ईमान बिक जाता है मेरी जान

मेरी बात सुनकर रघू गुस्से से भडते हुए बोला

रघू- भाड में जाये ऐसा पैसा… जो अपनों को की फंसा दे। मैं किसी से नहीं डरता। मुझे बस सब जानना है।

निशा- पर क्यों

रघू- क्योंकि मैं आपसे प्यार करने लगा हूँ

निशा- मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। लेकिन तुम तो जानते ही हो कि हमारे रिश्ते का आगे चलकर कोई भविष्य नहीं है। मेरा काम ही कुछ ऐसा है कि मेरे साथ कभी भी कुछ भी हो सकता है। इसलिए मैं तुम्हारी जिंदगी बर्बाद नहीं कर सकती। मैं बस जब तक यहाँ भोपाल में हूँ, तुम्हारे साथ अच्छा समय बिताना चाहती हूँ। ताकि मुझे आगे चलकर कोई पछतावा ना हो। बैसे भी हो सकता है कि मुझे अपने काम के चलते किसी दुसरे मर्द के साथ भी सोना पडे। मैं नहीं चाहती कि मेरे काम के कारण तुम मेरे प्यार पर कभी कोई शक करो और हमारे बीच कभी कोई झगडा हो।

मेरी बात सुनकर रघू थोडा सीरियस होते हुए बोला

रघू- मुझे आपके काम से कोई फर्क नहीं पडता। आगर आपको किसी दूसरे मर्द के साथ सोना भी पडा, तो भी मैं आपसे हमेशा प्यार करता रहूँगा और आपका इंतजार भी करता रहूँगा

रघू की बात सुनकर मैं मुस्कुराते हुए बोली

निशा- तुम पूरे पागल हो…

मेरे चेहरे की मुस्कान देखकर रघू भी मुस्कुराता हुआ बोला

रघू- अब जैसा भी हूँ आपका ही हूँ और हमेशा रहूँगा…

रघू की बात सुनकर मैं आखिरकार हार मानते हुए बोली

निशा- अच्छा बाबा ठीक है। पहले तुम मेरा हैण्डबैग लाकर मुझे दो। ताकि मैं किसी दूसरे होटल में अपने लिए रूम बुक कर सकूँ। उसके बाद मैं तुम्हें होटल का नाम और अपना रूम नम्बर मैसेज भेजकर बता दूंगी। जहाँ तुम रात के समय मेरा बाकी सामान लेकर आ जाना। उसके बाद मैं तुम्हे तसल्ली से सब कुछ बता दूँगी। अब तो खुश हो ना….

रघू- हाँ यह ठीक है…

निशा- तो मेरे प्यारे रघु अब जल्दी से जाकर मेरा हैण्डबैग और मेरा चैकआऊट बिल बनवाकर ले आयो। ताकि मैं तुम्हें उसका पेमेंट कर सकूँ

मेरी बात सुनकर रघू तुरंत वहाँ से निकल गया। करीब 20 मिनट बाद रघू ने बापिस उसी रेस्टोरेंट में आकर मेरा हैण्डबैग और होटल का चैकआऊट बिल मुझे लाकर दे दिया। मेरे होटल रूम का पेमेंट तो कम्पनी ने पहले ही कर दिया था। जिसमें अभी भी कुछ दिन बचे थे। उनके पैसे काटकर मेरे खाने-पीने, लाऊंड्री और कार का बिल जोडकर जो अमाऊंट बचा था, वो मैने रघू को दे दिया। रघू के जाने के बाद मैं वहाँ से सीधे मॉल पहूँची, जहाँ मैंने सबसे पहले अपने लिए एक अच्छा सा मोबाईल फोन खरीदा। जैसे ही मैंने उसमें अपना सिम कार्ड डालकर उसे ओपन किया, तो मेरे मोबाईल में एक साथ कई सारे नोटिस्फेक्सन आने लगे।

फिलहाल मैंने उन सभी को इग्नोर कर दिया। उसके बाद मैंने अपने लिए कुछ कपडे खरीदे। क्योंकि मेरे कपडे और बाकी सामान शाम को रघू लाने बाला था। जवकि अभी मैंने जो लडकों बाले कपडों पहले हुए थे। उसमें मुझे थोडा अनकंफर्टेबल महसूस हो रहा था। इसलिए मैंने मॉल के ही चेंजिंग रूम में अपने कपडे भी चेंज कर लिए थे, साथ ही साथ जैकेट से सारे पैसे और दूसरा जरूरी सामन निकालकर मैंने अपने हैण्ड बैग में रख लिया था। अपने कपडे चेंज करने के बाद जब मैं मॉल से बाहर निकली तो अपने पुराने कपडे और बाकी सारा सामान मैंने मॉल के ही बाहर रखे डस्टबिन में फेंक दिया था।

हाँलाकि पैसों के अलावा उस खण्डहर में मिला चाकू भी मैंने अपने पास रखा था। क्योंकि काफी सोचने के बाद आखिरकार मुझे याद आ ही गया था कि वो चाकू असल में गनपत का था और जिससे गनपत के साथ साथ जफर ने भी मुझपर पर कई बार हमला किया थ। जिस कारण उसपर मेरा खून भी लगा हुआ था। जिसे मैंन फारेस्ट डिपार्टमेंट के क्वाटर में अच्छी तरह से धोकर साफ कर लिया था। यह चाकू मैंने केवल इसलिए अपने पास रखा था, ताकि मुझे वो दिन और उस दिन की सारी घटना याद रहे। मॉल से बाहर निकलकर मैंने उसी इलाके के एक अच्छे से होटल में अपने लिए रूम बुक किया और अपने रूम में जाकर कंबल ओडकर सो गई।

क्योंकि मैंने रात में केवल 2 घंटे ही रेस्ट किया था। बाकी सारी रात मैं जागती रही थी। इसलिए मुझे बहुत तेज नींद आ रही थी। मैं दोपहर करीब 1 बजे सो कर उठी तो सबसे पहले मैंने अपने होटल का नाम और रूम नम्बर रघू को सेंड किया। उसके बाद में अपने मोबाईल में आये मैसेज चैक करने लगी। भोपाल के मेरे लगभग सभी दोस्तों ने मुझे कॉल करने की कोशिश की थी। जिस कारण उनके नाम से मेरे मोबाईल में कई सारे अलर्ट मैसेज डले हुए थे। मैंने एक एक करके सबको कॉल करने के स्थान पर चैटिंग एप डाऊनलोड किया और एक साथ सबको मैसेज भेज दिया।

“सॉरी फ्रेण्डस…. मैं अर्जेंट काम से भोपाल से बाहर गई हुई थी और मेरा मोबाईल फोन भी टूट गया था। जिस कारण मैं तुम लोगों से कोई कान्टेक्ट नहीं कर पाई और आज सुबह ही मैं बापिस भोपाल आई हूँ।”

अपने दोस्तों को मैसेज करने के बाद मैंने सबसे पहले असलम को कॉल किया, क्योंकि मेरे पास उसके कई सारे मैसेज डले हुए थे। उसे भी मैंने वही बताया जो अपने दोस्तों को बताया था। फिर मैंने कुछ देर रवि और श्रेया से बात करने के बाद डी.जी.पी. सर यानि हरीश अंकल को कॉल किया और उनसे मिलने का समय माँगा। हरीश अंकल को पहले से ही मेरी चिंता हो रही थी। जिस कारण उन्होंने मुझे 1 घंटे बाद अपने ऑफिस में आने के लिए बोल दिया। भोपाल में अपने सभी दोस्तों से बात करने के बाद मैं अपने पर्शनल मोबाईल फोन को चैक करने लगी।

मेरे पर्शनल मोबाईल फोन में भी मेरे पिता और भाई के कुछ मिस्डकॉल के अलावा मेरे ऑफिस के कुछ दोस्तों के मैसेज डले हुए थे। लेकिन मेरे पति अमन का कोई मैसेज या कॉल नहीं थी। जिसे देखकर मुझे बहुत दुख हुआ। बैसे भी हमेशा से मैं ही उसे कॉल करती थी। वो कभी भी खुद से मुझे ना तो कभी कॉल करता था और ना ही मैसेज करता था। अगर उस दिन मैं मर भी जाती, तो शायद किसी को कुछ पता भी नहीं चलता और ना ही किसी को मेरे मरने से कोई फर्क पडता। यह सब सोचते ही मैंने गुस्से में अमन को कॉल कर दिया। जैसे ही अमन ने कॉल रिसीव किया, तो वो बिना मेरी बात सुने बोला

अमन- निशा मुझे अभी 1 महीना और लगेगा बापिस आने में। इसलिए बापिस आने के अलावा कोई और बात करनी हो तो बोलो बर्ना फोन कट कर दो, मैं अभी बहुत बिजी हूँ।

अमन की बात सुनकर मुझे बहुत तेज गुस्सा आ रहा था। इसलिए मैं बोली

निशा- अमन क्या तुम सच में मुझसे कोई रिश्ता रखना भी चाहते हो या बस किसी मजबूरी में यह रिश्ता निभा रहे हो।

मेरी बात सुनकर अमन ने कहा

अमन- क्यों…. अगर मैं कहूँ कि यह रिश्ता मैं मजबूरी में निभा रहा हूँ, तो क्या तुम मुझे छोड दोगी

अमन की बात सुनकर मैंने गुस्से में कहा

निशा- हाँ छोड दूँगी…..

अमन- तुम जानती भी हो कि तुम क्या कह रही हो। तुम्हारी दो कोडी की नौकरी में तुम दो वक्त की रोटी तो ठीक से खा नहीं पाओगी, फिर तुम्हारे यह ऐसो आराम कैसे पूरे होंगे। इसलिए बकबास करना बंद करो। बैसे भी मेरे पास इन सब फालतू बातों के लिए कोई समय नहीं है।

अमन ने अपनी बातों से मुझे और भी ज्यादा गुस्सा दिला दिया था। इसलिए मैं गुस्से से बिफरते हुए बोली

निशा- लेकिन मेरे पास बहुत समय है मिस्टर अमन। इसलिए आज मैं सारी बातें क्लीयर करना चाहती हूँ। ताकि मैं भी इस रिश्ते से कोई उम्मीद ना रखूँ और रही दो कौडी की नौकरी बाली बात, तो मैं जितना भी कमाती हूँ उससे मैं अपनी सारी जरूरतें आसानी से पूरी करने के साथ साथ एक अच्छी लाईफ भी जी सकती हूँ। इसलिए यह पैसों की धौंस मुझे मत दिखाना। बैसे भी घर खर्च में मैं भी बाराबर पैसे खर्च करती हूँ और मेरे कोई फालतू शौक भी नहीं हैं जिनपर तुम्हें कोई पैसा खर्च करना पडता हो।

मुझे इतने गुस्से में देखकर शायद अमन को अपनी गलती का एहशास हो चुका था। इसलिए वो अपनी अक़ड भरी टोन सुधारते हुए थोडा प्यार से बोला

अमन- निशा आखिर आज तुम्हें हो क्या गया है। तबियत तो ठीक है तुम्हारी

अमन के यूँ गिरगिट की तरह रंग बदलने से मैं बुरी तरह हैरान थी, जिस कारण मेरा गुस्सा कम होने की जगह और भी ज्यादा बड गया था। इसलिए मैं गुस्से में बोली

निशा- उससे तुम्हें क्या मतलब... कभी तुमने अपने मन से मुझे कॉल करके मेरा हालचाल पूछा है। मैंने पिछले 4 दिनों तक तुम्हें फोन नहीं किया, तो तुमने एक बार भी यह जानने की कोशिश नहीं की कि मैं ठीक हूँ या नहीं।

मेरी बात सुनकर अमन एक बार फिर मुझसे चिढते हुए बोला

अमन- कैसे बच्चों जैसी बातें कर रही हो तुम। हम कोई लवर्स नहीं हैं जो मैं हर दिन तुम्हारे हालचाल पूछता फिरूँ।

निशा- अमन मैं आखिरी बार पूछ रही हूँ। सच सच बताओ कि तुम मेरे साथ रहना चाहते हो या नहीं। अगर तुम्हारा किसी और के साथ अफेयर बगैरह है तो मुझे अभी बता दो, मैं चुपचाप तुम्हारे रास्ते से हट जाऊँगी।

अमन- मैं भी तुमसे आखिरी बार बोल रहा हूँ कि तुम अपनी बकवास बंद करो। मेरे बापिस आने पर हम इस मुद्दे पर आराम से बात करेंगे और हाँ तब तक मुझे ऐसी फालतू बातों के लिए कॉल मत करना।

इतना बोलकर अमन ने बिना मेरी बात सुने फोन कट कर दिया। मुझे अमन पर इस वक्त बहुत गुस्सा आ रहा था। हाँलाकि मैं अच्छी तरह से जानती थी कि मुझे अमन से यह सब कहने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि मैंने खुद भी अमन को धोखा दिया है और दूसरे मर्दों के साथ फिजीकल संबंध भी बनाऐ हैं। पर इस सबका कारण भी अमन ही तो है। वो मेरी शारीरिक जरूरतों को कभी पूरी नहीं कर पाया। बैसे भी अब तक मेरा उसे छोडने का कोई इरादा नहीं था। मैं तो यह सब बस यहाँ भोपाल रूकने तक ही कर रही थी। पर आज अमन की बातों से मुझे कुछ ज्यादा ही गुस्सा आ गया था। जिस कारण मैंने मन ही मन अमन को छोडने का पक्का इरादा कर लिया था।


कहानी जारी है ......
Bahut hi shaandar update diya hai redhat.ag bhai....
Nice and lovely update....
 
  • Like
Reactions: Ajju ror

park

Well-Known Member
13,193
15,588
228
Update 044 -

कुछ ही देर बाद रघू मेरे सामने था। उसके मन में इस वक्त कई सबाल चल रहे थे। इसलिए वो बोला

रघु- आप कहाँ थीं इतने दिनों से और आपका फोन भी नहीं लग रहा है। कुछ दिनों पहले गुण्डे टाईप के लोग आये थे होटल में और आपकी इंक्वारी कर रहे थे, इसके अलावा उन लोगों ने अपके कमरे की तलाशी भी ली थी।

रघू के आने से पहले ही मैं अपने लिए खाना और रघू के लिए एक कॉफी आर्डर कर चुकी थी। इसलिए रघू के वहाँ आते ही मैं कॉफी का कप उसकी तरफ खिसकाते हुए बोली

निशा- देखो रघु मैं बाद में तुम्हें सब बता दूँगी, फिल्हाल तुम बस इतना समझ लो कि किसी ने मेरे साथ गद्दारी की थी। जिस कारण मैं दुश्मनों के हाथ लग गई। अब तुम तो सब जानते ही हो कि मेरा काम कैसा है, इसलिए बडी मुश्किल से बच कर आई हूँ। खैर छोडो यह सब, पहले तुम यह बताओ कि होटल में उन्हें मेरे बारे में क्या जानकारी मिली

मेरी बात सुनकर रघु कॉफी शिप करते हुए बोला

रघु- कुछ भी नहीं। आपका हैंण्ड बैग और बाकी के सारे डॉक्यूमेंट तो मेरे ही पास थे। अपके रूम में बस लैपटॉप और कपडे बगैरह ही रखे हुए थे।

निशा- हुम्म… अच्छा किसी से मेरे बारे में कुछ पूछा था क्या

रघू- हाँ काऊंटर पर इंक्वारी की थी। पर आपका रूम किसी कम्पनी के नाम पर बुक है। लेकिन कार के लिए आपने जो फर्जी डाक्यूमेंट दिए थे, उनकी एक कॉपी बो लोग अपने साथ ले गये थे। मतलब आपके बारे में उन्हें होटल से कुछ भी पता नहीं चला है।

रघू की बात सुनकर मैं कुछ सोचते हुए बोली

निशा- चलो यह तो अच्छी बात है। अब सुनो मुझे शक है कि अभी भी कोई ना कोई होटल पर नजर रख रहा होगा। इसलिए मैं अब होटल बापिस नहीं जा सकती। क्या तुम मेरा सामान मुझे लाकर दे सकते हो।

मेरी बात सुनकर रघू तुरंत बोला

रघू- हाँ ले आऊँगा

निशा- तो फिर ठीक है…. पहले तुम मेरा हैण्ड बैग मुझे लाकार दे दो। ताकि मैं किसी दूसरे होटल में अपने लिए रूम बुक कर लूं और मेरा चैकआऊट बिल भी होटल से बनबा देना।

रघू- ठीक है…. आप कुछ देर यहीं इंतजार करो मैं अभी ले आता हूँ। लेकिन मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही कि आपको आखिर धोखा दिया किसने।

रघू की बात सुनकर मैं उसे समझाते हुए बोली

निशा- इसमें बहुत बडे बडे लोग शामिल हैं। इसलिए तुम इस सब में मत पडो रघू। हाँ एक आदमी का नाम मैं बता सकती हूँ। क्योंकि वो आदमी कभी भी मेरी जानकारी इकट्ठा करने आ सकता है और तुम्हें उससे सावधान रहना होगा। वो इंसान और कोई नहीं बल्कि यहाँ के एस.पी. महेश वर्मा हैं।

मेरी बात सुनकर रघू बुरी तरह से चौंकते हुए बोला

रघू- क्या….. एस.पी. साहब ने आपके साथ ऐसा किया। पर बो तो आपके ही डिपार्टमेंट के हैं।

निशा- पैसों में सबका ईमान बिक जाता है मेरी जान

मेरी बात सुनकर रघू गुस्से से भडते हुए बोला

रघू- भाड में जाये ऐसा पैसा… जो अपनों को की फंसा दे। मैं किसी से नहीं डरता। मुझे बस सब जानना है।

निशा- पर क्यों

रघू- क्योंकि मैं आपसे प्यार करने लगा हूँ

निशा- मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। लेकिन तुम तो जानते ही हो कि हमारे रिश्ते का आगे चलकर कोई भविष्य नहीं है। मेरा काम ही कुछ ऐसा है कि मेरे साथ कभी भी कुछ भी हो सकता है। इसलिए मैं तुम्हारी जिंदगी बर्बाद नहीं कर सकती। मैं बस जब तक यहाँ भोपाल में हूँ, तुम्हारे साथ अच्छा समय बिताना चाहती हूँ। ताकि मुझे आगे चलकर कोई पछतावा ना हो। बैसे भी हो सकता है कि मुझे अपने काम के चलते किसी दुसरे मर्द के साथ भी सोना पडे। मैं नहीं चाहती कि मेरे काम के कारण तुम मेरे प्यार पर कभी कोई शक करो और हमारे बीच कभी कोई झगडा हो।

मेरी बात सुनकर रघू थोडा सीरियस होते हुए बोला

रघू- मुझे आपके काम से कोई फर्क नहीं पडता। आगर आपको किसी दूसरे मर्द के साथ सोना भी पडा, तो भी मैं आपसे हमेशा प्यार करता रहूँगा और आपका इंतजार भी करता रहूँगा

रघू की बात सुनकर मैं मुस्कुराते हुए बोली

निशा- तुम पूरे पागल हो…

मेरे चेहरे की मुस्कान देखकर रघू भी मुस्कुराता हुआ बोला

रघू- अब जैसा भी हूँ आपका ही हूँ और हमेशा रहूँगा…

रघू की बात सुनकर मैं आखिरकार हार मानते हुए बोली

निशा- अच्छा बाबा ठीक है। पहले तुम मेरा हैण्डबैग लाकर मुझे दो। ताकि मैं किसी दूसरे होटल में अपने लिए रूम बुक कर सकूँ। उसके बाद मैं तुम्हें होटल का नाम और अपना रूम नम्बर मैसेज भेजकर बता दूंगी। जहाँ तुम रात के समय मेरा बाकी सामान लेकर आ जाना। उसके बाद मैं तुम्हे तसल्ली से सब कुछ बता दूँगी। अब तो खुश हो ना….

रघू- हाँ यह ठीक है…

निशा- तो मेरे प्यारे रघु अब जल्दी से जाकर मेरा हैण्डबैग और मेरा चैकआऊट बिल बनवाकर ले आयो। ताकि मैं तुम्हें उसका पेमेंट कर सकूँ

मेरी बात सुनकर रघू तुरंत वहाँ से निकल गया। करीब 20 मिनट बाद रघू ने बापिस उसी रेस्टोरेंट में आकर मेरा हैण्डबैग और होटल का चैकआऊट बिल मुझे लाकर दे दिया। मेरे होटल रूम का पेमेंट तो कम्पनी ने पहले ही कर दिया था। जिसमें अभी भी कुछ दिन बचे थे। उनके पैसे काटकर मेरे खाने-पीने, लाऊंड्री और कार का बिल जोडकर जो अमाऊंट बचा था, वो मैने रघू को दे दिया। रघू के जाने के बाद मैं वहाँ से सीधे मॉल पहूँची, जहाँ मैंने सबसे पहले अपने लिए एक अच्छा सा मोबाईल फोन खरीदा। जैसे ही मैंने उसमें अपना सिम कार्ड डालकर उसे ओपन किया, तो मेरे मोबाईल में एक साथ कई सारे नोटिस्फेक्सन आने लगे।

फिलहाल मैंने उन सभी को इग्नोर कर दिया। उसके बाद मैंने अपने लिए कुछ कपडे खरीदे। क्योंकि मेरे कपडे और बाकी सामान शाम को रघू लाने बाला था। जवकि अभी मैंने जो लडकों बाले कपडों पहले हुए थे। उसमें मुझे थोडा अनकंफर्टेबल महसूस हो रहा था। इसलिए मैंने मॉल के ही चेंजिंग रूम में अपने कपडे भी चेंज कर लिए थे, साथ ही साथ जैकेट से सारे पैसे और दूसरा जरूरी सामन निकालकर मैंने अपने हैण्ड बैग में रख लिया था। अपने कपडे चेंज करने के बाद जब मैं मॉल से बाहर निकली तो अपने पुराने कपडे और बाकी सारा सामान मैंने मॉल के ही बाहर रखे डस्टबिन में फेंक दिया था।

हाँलाकि पैसों के अलावा उस खण्डहर में मिला चाकू भी मैंने अपने पास रखा था। क्योंकि काफी सोचने के बाद आखिरकार मुझे याद आ ही गया था कि वो चाकू असल में गनपत का था और जिससे गनपत के साथ साथ जफर ने भी मुझपर पर कई बार हमला किया थ। जिस कारण उसपर मेरा खून भी लगा हुआ था। जिसे मैंन फारेस्ट डिपार्टमेंट के क्वाटर में अच्छी तरह से धोकर साफ कर लिया था। यह चाकू मैंने केवल इसलिए अपने पास रखा था, ताकि मुझे वो दिन और उस दिन की सारी घटना याद रहे। मॉल से बाहर निकलकर मैंने उसी इलाके के एक अच्छे से होटल में अपने लिए रूम बुक किया और अपने रूम में जाकर कंबल ओडकर सो गई।

क्योंकि मैंने रात में केवल 2 घंटे ही रेस्ट किया था। बाकी सारी रात मैं जागती रही थी। इसलिए मुझे बहुत तेज नींद आ रही थी। मैं दोपहर करीब 1 बजे सो कर उठी तो सबसे पहले मैंने अपने होटल का नाम और रूम नम्बर रघू को सेंड किया। उसके बाद में अपने मोबाईल में आये मैसेज चैक करने लगी। भोपाल के मेरे लगभग सभी दोस्तों ने मुझे कॉल करने की कोशिश की थी। जिस कारण उनके नाम से मेरे मोबाईल में कई सारे अलर्ट मैसेज डले हुए थे। मैंने एक एक करके सबको कॉल करने के स्थान पर चैटिंग एप डाऊनलोड किया और एक साथ सबको मैसेज भेज दिया।

“सॉरी फ्रेण्डस…. मैं अर्जेंट काम से भोपाल से बाहर गई हुई थी और मेरा मोबाईल फोन भी टूट गया था। जिस कारण मैं तुम लोगों से कोई कान्टेक्ट नहीं कर पाई और आज सुबह ही मैं बापिस भोपाल आई हूँ।”

अपने दोस्तों को मैसेज करने के बाद मैंने सबसे पहले असलम को कॉल किया, क्योंकि मेरे पास उसके कई सारे मैसेज डले हुए थे। उसे भी मैंने वही बताया जो अपने दोस्तों को बताया था। फिर मैंने कुछ देर रवि और श्रेया से बात करने के बाद डी.जी.पी. सर यानि हरीश अंकल को कॉल किया और उनसे मिलने का समय माँगा। हरीश अंकल को पहले से ही मेरी चिंता हो रही थी। जिस कारण उन्होंने मुझे 1 घंटे बाद अपने ऑफिस में आने के लिए बोल दिया। भोपाल में अपने सभी दोस्तों से बात करने के बाद मैं अपने पर्शनल मोबाईल फोन को चैक करने लगी।

मेरे पर्शनल मोबाईल फोन में भी मेरे पिता और भाई के कुछ मिस्डकॉल के अलावा मेरे ऑफिस के कुछ दोस्तों के मैसेज डले हुए थे। लेकिन मेरे पति अमन का कोई मैसेज या कॉल नहीं थी। जिसे देखकर मुझे बहुत दुख हुआ। बैसे भी हमेशा से मैं ही उसे कॉल करती थी। वो कभी भी खुद से मुझे ना तो कभी कॉल करता था और ना ही मैसेज करता था। अगर उस दिन मैं मर भी जाती, तो शायद किसी को कुछ पता भी नहीं चलता और ना ही किसी को मेरे मरने से कोई फर्क पडता। यह सब सोचते ही मैंने गुस्से में अमन को कॉल कर दिया। जैसे ही अमन ने कॉल रिसीव किया, तो वो बिना मेरी बात सुने बोला

अमन- निशा मुझे अभी 1 महीना और लगेगा बापिस आने में। इसलिए बापिस आने के अलावा कोई और बात करनी हो तो बोलो बर्ना फोन कट कर दो, मैं अभी बहुत बिजी हूँ।

अमन की बात सुनकर मुझे बहुत तेज गुस्सा आ रहा था। इसलिए मैं बोली

निशा- अमन क्या तुम सच में मुझसे कोई रिश्ता रखना भी चाहते हो या बस किसी मजबूरी में यह रिश्ता निभा रहे हो।

मेरी बात सुनकर अमन ने कहा

अमन- क्यों…. अगर मैं कहूँ कि यह रिश्ता मैं मजबूरी में निभा रहा हूँ, तो क्या तुम मुझे छोड दोगी

अमन की बात सुनकर मैंने गुस्से में कहा

निशा- हाँ छोड दूँगी…..

अमन- तुम जानती भी हो कि तुम क्या कह रही हो। तुम्हारी दो कोडी की नौकरी में तुम दो वक्त की रोटी तो ठीक से खा नहीं पाओगी, फिर तुम्हारे यह ऐसो आराम कैसे पूरे होंगे। इसलिए बकबास करना बंद करो। बैसे भी मेरे पास इन सब फालतू बातों के लिए कोई समय नहीं है।

अमन ने अपनी बातों से मुझे और भी ज्यादा गुस्सा दिला दिया था। इसलिए मैं गुस्से से बिफरते हुए बोली

निशा- लेकिन मेरे पास बहुत समय है मिस्टर अमन। इसलिए आज मैं सारी बातें क्लीयर करना चाहती हूँ। ताकि मैं भी इस रिश्ते से कोई उम्मीद ना रखूँ और रही दो कौडी की नौकरी बाली बात, तो मैं जितना भी कमाती हूँ उससे मैं अपनी सारी जरूरतें आसानी से पूरी करने के साथ साथ एक अच्छी लाईफ भी जी सकती हूँ। इसलिए यह पैसों की धौंस मुझे मत दिखाना। बैसे भी घर खर्च में मैं भी बाराबर पैसे खर्च करती हूँ और मेरे कोई फालतू शौक भी नहीं हैं जिनपर तुम्हें कोई पैसा खर्च करना पडता हो।

मुझे इतने गुस्से में देखकर शायद अमन को अपनी गलती का एहशास हो चुका था। इसलिए वो अपनी अक़ड भरी टोन सुधारते हुए थोडा प्यार से बोला

अमन- निशा आखिर आज तुम्हें हो क्या गया है। तबियत तो ठीक है तुम्हारी

अमन के यूँ गिरगिट की तरह रंग बदलने से मैं बुरी तरह हैरान थी, जिस कारण मेरा गुस्सा कम होने की जगह और भी ज्यादा बड गया था। इसलिए मैं गुस्से में बोली

निशा- उससे तुम्हें क्या मतलब... कभी तुमने अपने मन से मुझे कॉल करके मेरा हालचाल पूछा है। मैंने पिछले 4 दिनों तक तुम्हें फोन नहीं किया, तो तुमने एक बार भी यह जानने की कोशिश नहीं की कि मैं ठीक हूँ या नहीं।

मेरी बात सुनकर अमन एक बार फिर मुझसे चिढते हुए बोला

अमन- कैसे बच्चों जैसी बातें कर रही हो तुम। हम कोई लवर्स नहीं हैं जो मैं हर दिन तुम्हारे हालचाल पूछता फिरूँ।

निशा- अमन मैं आखिरी बार पूछ रही हूँ। सच सच बताओ कि तुम मेरे साथ रहना चाहते हो या नहीं। अगर तुम्हारा किसी और के साथ अफेयर बगैरह है तो मुझे अभी बता दो, मैं चुपचाप तुम्हारे रास्ते से हट जाऊँगी।

अमन- मैं भी तुमसे आखिरी बार बोल रहा हूँ कि तुम अपनी बकवास बंद करो। मेरे बापिस आने पर हम इस मुद्दे पर आराम से बात करेंगे और हाँ तब तक मुझे ऐसी फालतू बातों के लिए कॉल मत करना।

इतना बोलकर अमन ने बिना मेरी बात सुने फोन कट कर दिया। मुझे अमन पर इस वक्त बहुत गुस्सा आ रहा था। हाँलाकि मैं अच्छी तरह से जानती थी कि मुझे अमन से यह सब कहने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि मैंने खुद भी अमन को धोखा दिया है और दूसरे मर्दों के साथ फिजीकल संबंध भी बनाऐ हैं। पर इस सबका कारण भी अमन ही तो है। वो मेरी शारीरिक जरूरतों को कभी पूरी नहीं कर पाया। बैसे भी अब तक मेरा उसे छोडने का कोई इरादा नहीं था। मैं तो यह सब बस यहाँ भोपाल रूकने तक ही कर रही थी। पर आज अमन की बातों से मुझे कुछ ज्यादा ही गुस्सा आ गया था। जिस कारण मैंने मन ही मन अमन को छोडने का पक्का इरादा कर लिया था।


कहानी जारी है ......
Nice and superb update.....
 

redhat.ag

Member
402
2,473
139
Update 045 -

अमन से बात करने के बाद मैं काफी देर तक अपनी आगे की प्लानिंग के बारे में सोचती रही। काफी देर सोचने के बाद मैंने तय किया कि पहले अपने दुश्मनों से निपटा जाऐ, उसके बाद अमन को देखूँगी। बैसे भी वो एक महीना और नहीं आने बाला है, तो फिर मैं क्यों फालतू में उसके बारे में सोचूँ। अपने दुश्मनों से बदला लेने के लिए मेरा सबसे पहला कदम उनका पैसा गायब करना था। जिसे गायब करना मेरे लिए कोई बडी बात नहीं थी। पर उसे सुरक्षित जगह पर छिपाकर रखना, इस वक्त मेरे लिए बहुत बडी समस्या थी।

क्योंकि इतना सारा सोना मैं कहाँ रखूँगी, मैं ना तो उसे अपने साथ दिल्ली ले जा सकती थी और ना ही ले जाना चाहती थी। क्योंकि दिल्ली बाला फ्लैट अमन के नाम पर था। अगर अमन से मैं अलग हुई तो फिर इतना सारा सोना किसी दूसरी जगह शिफ्ट करने में बहुत ज्यादा परेशानी होगी और अमन को उसके बारे में पता चलने का रिश्क भी था। साथ ही साथ इतना सारा सोना किसी बैकं के लॉकर में भी नहीं रखा जा सकता है। क्योंकि इतना सोना रखने के लिए मुझे कई सारे लॉकर बुक करने होंगे। जिसमें काफी रिश्क था। यह सब सोचते सोचते मेरे मन में एक ख्याल आया कि

“क्यों ना मैं यहाँ भोपाल के आस पास ही कहीं अपने नाम से एक मकान खरीद लूँ। जिसमें मैं वो सारा सोना सुरक्षित रख सकती हूँ। साथ ही साथ अगर मैं और अमन अलग होते भी हैं तो एक नई जिंदगी शुरू करने के लिए मेरे पास अपना खुद का घऱ भी होगा और मेरे पास इस वक्त एक अच्छा खासा आलीशान घर खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे भी हैं।”

मुझे अपना यह आईडिया बहुत पसंद आया, इसलिए मैंने तय किया कि मैं आज ही रवि से किसी अच्छे प्रापर्टी डीलर की जानकारी ले लूँगी। बैसे भी रवि का फैमिली बिजिनेश भी तो बिल्डींग्स बगैरह बनाने और नई नई कॉलोनी डेबलप्ड करने का है। इसलिए उसे तो पक्का इन सबके बारे में सही सही जानकारी होगी ही। कुछ देर इस बारे में सोचने के बाद मैंने रवि को कॉल कर दिया और उससे मिलने के बारे में पूछा, तो वो तुरंत मान गया। इसलिए मैंने उसे 4 बजे एक रेस्टोरेंट में मिलने के लिए बुला लिया। इसके बाद मैं तैयार होकर हरीश अंकल के ऑफिस के लिए निकल गई। जब मैं वहाँ पहूँची तो वो मेरा पहले से ही इंतजार कर रहे थे। कुछ देर हाल चाल पूछने के बाद वो बोले

हरीश- मेरे ऑफर के बारे में क्या सोचा तुमने

हरीश अंकल की बात सुनकर मैं तुरंत बोली

निशा- अंकल सच कहूँ तो उसके लिए मैं अभी पूरी तरह से तैयार नहीं हूँ। क्योंकि फिलहाल मुझे अपने कुछ फैमिली मैटर और पर्शनल मैटर सुलझाने हैं, जिनमें थोडा समय लगेगा। बैसे भी पुलिस फोर्स ज्वाईन करके मैं किसी बंधन में नहीं बंध सकती और ना ही मैं रेगुलर किसी पुलिस स्टेेशन जाकर अपनी ड्यूटी कर सकती हूँ। मुझे आजाद रहना पसंद और हर काम अपने तरीके से करने की आदत है। जबकि पुलिस फोर्स ज्वाईन करके मुझे अनुशासित तरीके से अपने सीनियर्स के हर ऑर्डर को फॉलो करना पडेगा। हइसलिए मैं अपने सभी पर्शनल और फैमिली मैटर सुलझाने के बाद अपना खुद का विजिनैश शुरू करने के बारे में सोच रही हूँ।

मेरी बात सुनकर हरीश अंकल बोले

हरीश- हुम्म अगर ऐसी बात है तो मैं तुम्हें पुलिस डिपार्टमेंट ज्वाईन करने के लिए फोर्स नहीं करूँगा। लेकिन मेरे पास तुम्हारे लिए एक दूसरा ऑफर भी हो। जिसमें तुम्हारे ऊपर कोई बंधन भी नहीं होगा और तुम अपनी मर्जी से काम भी कर सकती हो, साथ ही साथ ुउस काम के दौरान अगर तुम चाहो तो अपना बिजिनेश भी शुरू कर सकती हो। यानि तुम अपनी मर्जी से एक नार्मल लाईफ जी सकती हो, और अपनी इस नार्मल लाईफ जीने के दौराैन तुम्हें कुछ सीक्रेट टास्क पूरे करने होंगे। जिनके बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा।

हरीश अंकल की बात सुनकर मैं थोडा कन्फ्यूज होते हुए बोली

निशा- मैं समझी नहीं अंकल आप आखिर कहना क्या चाहते हैं

मेरी बात सुनकर हरीश अंकल थोडा सीरियश होते हुए बोले

हरीश- असल में मेरा एक दोस्त है रजीव ठाकुर, जो नेशनल इंटेलिजेंट व्यूरो यानि आई.बी. में ज्वाईंट कमिश्नर है। इसलिए अगर तुम कहो तो मैं उससे बात करके तुम्हें एक अंडरकबर आई.बी. ऑफिसर बनवा सकता हूँ। जिसमें तुम्हें जो भी काम दिया जाऐगा वह तुम बिना किसी बंदिस के अपने तरीके से करने के लिए पूरी तरह से आजाद रहोगी, और इस दौरान अगर तुम चाहतो तो अपना खुद का बिजिनेश भी शरू कर सकती हो। जो पूरी दुनिया के सामने तुम्हारी असली पहचान छिपाने का काम भी करेगा।

मैंने कुछ पलों के लिए हरीश अंकल के ऑफर के बारे में कुछ पलों तक सोचा, वास्तव में उनका यह ऑफर काफी अच्छा था, इसलिए मैं मुस्कुराते हुए बोली

मेरी बात सुनकर हरीश अंकल मुस्कुराते हुए बोले

हरीश- तो फिर ठीक है, तुम अपने डॉक्यूमेंट मेरे पास जरूर भिजवा देना, ताकि मैं उन्हें राजीव के पास भेज सकूँ और तुम्हारी ज्वानिंग की प्रासेस शुरू करवा सकूँ। जब तुम अपने सारे मैटर सुलझा लोगी तो मुझे इस बारे बता देना, ताकि मैं तुम्हारी प्रॉपर ट्रेनिंग शुरू करवा सकूँ।

निशा- ठीक है अंकल…. मैं एक दो दिन में आपके पास अपने डॉक्यूमेंट भिजवा दूँगी या फिर खुद ही आपको दे जाऊँगी। पर क्या आप सच में श्योर हैं कि मैं आई.बी. में अंडर कबर ऑफिसर बनने के काबिल हूँ।

मेरी बात सुनकर हरीश अंकल बोले

हरीश- देखो सपना मेरी नजर में तुम एक काबिल और अच्छी लड़की हो और तुम्हारा दिल भी एकदम साफ है। तभी तो तुमने अंजान लडकियों जो शायद तुम्हारी दोस्त भी नहीं है उनके लिए इतना कुछ किया है। इसके अलावा तुम एक सार्पमाईँडेट और बहादुर लडकी भी हो, जो एक आई.बी. ऑफिसर के लिए सबसे जरूरी गुण है। साथ ही साथ तुम्हारी खूबसूरती भी तुम्हें अपने अंडरकबर ऑपरेशन को पूरा करने में बहुत मदद कर सकती है, और सबसे बडी बात तुम एक कम्प्यूटर जीनियस यानि द ड्रेगन हार्ट हो। इसीलिए मैंने तुम्हें आई.बी. ज्वाईन करने का ऑफर दिया है।

हरीश अंकल के मूँह से अपनी तारीफ सुनकर मैं थोडा शर्मिंदा होते हुए बोली

निशा- पता नहीं अंकल आपको मेरे अंदर काबीलियत और अच्छाई कैसे नजर आ गई... लेकिन सच बात तो यह है कि मैं उतनी भी अच्छी नहीं हूँ, जितना आप मुझे समझ रहे हैं। क्योंकि मैंने अपने जिंदगी में कुछ गलत काम भी किये हैं, जिनके बारे में शायद मैं कभी किसी को बता भी नहीँ पाऊँगी।

मेरी बात सुनकर हरीश अंकल मुझे समझाते हुए बोले

हरीश- देखो सपना जो हो गया सो हो गया। वो तुम्हारा गुजरा हुआ कल है, और जो कुछ भी तुमने अपने पास्ट में गलत किया है शायद उसमें तुम्हारी कोई मजबूरी रही होगी। इसलिए अब उस सबके बारे में सोचने का कोई फायदा नहीं है। लेकिन तुम्हारे पास अपनी पुरानी गलतियों को सुधारने का एक मौका है। इसलिए अगर तुम चाहो तो एक नये सिरे से अपनी जिंदगी शुरू कर सकती हो।

हरीश अंकल की बात सुनकर मैंने मुस्कुराते हुए कहा

निशा- जी अंकल मैं समझ गई कि आप मुझसे क्या कहना चाहते हैं।

हरीश- बैसे सच सच बताना क्या सपना तुम्हारा असली नाम है… या फिर तुमने अपनी असली पहचान छिपाने के लिए मुझे अपना नाम सपना बताया था।

हरीश अंकल की बात सुनकर मैं बुरी तरह से हैरान रह गई थी। क्योंकि हमारे बीच हुई बातों से उन्होंने यह अंदाजा लगा लिया था कि मैंने उनसे अपनी असली पहचान छिपाई थी। शायद कई सालों तक पुलिस डिपार्टमेंट में काम करने के कारण उनकी आदत हर बात पर शक करने की हो गई थी। खैर कारण जो भी हो पर अब मैं उनसे अपनी असली पहचान ज्यादा दिनों तक छिपा नहीं सकती थी। क्योंकि जब मैं उन्हें अपने असली डॉक्यूमेंट दूँगी तो उन्हें मेरी असली पहचान खुद ही पता चल जाऐगी। लेकिन इस वक्त मैं उनसे अपनी असली पहचान के बारे में डिस्कस करने के बिल्कुल मूढ में नहीं थी। इसलिए मैंने उन्हें टालते हुए कहा

निशा- मुझे नहीं पता अंकल कि आपका क्या रिऐक्शन होगा… लेकिन मैंने अपना नाम छोडकर बाकी सब कुछ आपको सब सच सच बताया है।

मेरी बात सुनकर हरीश अंकल ने गंभीरता पूर्वक मुझे घूरा और बोले

हरीश- हुम्म… मुझे लगा ही था… बैसे मैं समझ सकता हूँ कि जब कोई शरीफ लडकी किसी मजबूरी में कॉलगर्ल का काम करे तो वो अपनी असली पहचान छिपाने की कोशिश जरूर करती है। ताकि आगे चलकर उसका सच दुनिया के सामने ना आऐ। ऊपर से तुम तो एक जानी मानी हैकर हो। इसलिए अपनी असली पहचान छिपाना तो तुम्हारी मजबूरी भी है। खैर मुझे यह जानकर ना तो हैरानी हुई और ना ही बुरा लगा। पर अब जब तुम आई.बी. ज्वाईन करने के लिए मान गई हो, तो फिर अब तो तुम मुझे अपना असली नाम बता ही सकती हो। मुझपर यकीन करो तुम्हारे सारे सीक्रेट्स मेरे पास सुरक्षित हैं।

हरीश अंकल की बात सुनकर मैं थोडा मुस्कुराते हुए बोली

निशा- अगर आप यह बात नहीं भी कहते तो भी मुझे आप पर पूरा यकीन था कि आप मेरे सीक्रेट किसी से नहीं कहेंगे। लेकिन अब जब मैं 1-2 में आपके पास अपने असली डॉक्यूमेंट जमा करने ही बाली हूँ। तो आपको मेरा असली नाम बैसे ही पता चल जाऐगा। तब तक के लिए आप मुझे सपना ही समझ लो।

यह सब कहते वक्त मेरे चेहरे पर एक शरारती मुश्कान थी। जिसे देखकर हरीश अंकल कुछ पलों के लिए सब कुछ भूल गए, लेकिन जल्द ही उन्होंने अपने इमोशंन पर कंट्रोल कर लिया और थोडा सीरियस होते हुए बोले

हरीश- चलो ठीक है यही सही…. बैसे एक बात बताओ कि तुम आखिर इतने दिनों से कहाँ गायब थी और तुम्हारा फोन फी स्विच ऑफ आ रहा था।

हरीश अंकल की बात सुनकर मैं भी थोडा सीरियस होते हुए बोली

निशा- अगर मैं आपसे कहूँ कि गनपत ने मुझे किडनैप कर लिया था, तो क्या आप मेरी बात पर यकीन करेंगे

मेरी बात सुनकर हरीश अंकल बुरी तरह से हैरान होते हुए बोले

हरीश- व्हॉट….. पर कब और कैसे... और तुम आखिर उसके चुंगुल से बची कैसे

हरीश अंकल की बात सुनकर मैंने कहा

निशा- 4 दिन पहले आपने जब मुझे गनपत के बारे में बताने के लिए कॉल किया था। उसके कुछ देर बाद ही उसने मुझे किडनैप कर लिया था। जिसके बाद उसने मुझे काफी ज्यादा टॉर्चर भी किया था।

हरीश- ओह गॉड... वो जरूर तुम्हें अपने बेटे गगन की मौत का जिम्मेदार मान रहा होगा

निशा- सर बात इतनी भी आसान नहीं है। असल में गनपत अकेला नहीं था, उसके कुछ पाटनर्स भी उसके साथ थे। उन सभी लोगों ने गलत धंधा करके जो करोडों रूपये कमाये थे। वो सारे पैसे गनपत के पास थे। उन पैसों के बारे में गनपत और उसके दोस्त जफर के अलावा केवल गगन जानता था। लेकिन गगन के मरने के बाद वो सारे पैसे कहीं गायब हो गए हैं। जिसका ढीकरा गनपत मेरे सिर फोडना चाहता था। मतलब कि सारा पैसा खुद हजम करना और अपने बेटे की मौत का बदला भी लेना।

मेरी बात सुनकर हरीश अंकल एक बार फिर चौंकते हुए बोले

हरीश- जफर.. तुम्हारा मतलब वही जफर जो इंदौर का एक फेमस गुण्डा है

हरीश अंकल की बात सुनकर मैंने अनजान बनने का नाटक करते हुए कहा

निशा- पता नहीं अंकल, मैंने तो बस गनपत के मूँह से उन लोगों के नाम सुने हैं और कुछ लोगो के चेहरे भी देखे हैं।

मेरी बात सुनकर हरीश अंकल थोडा सीरियस होते हुए बोले

हरीश- तो क्या तुम उनमेें से किसी को पहचानती हो

हरीश अंकल का सबाल सुनकर मैं उन्हें टालते हुए बोली

निशा- अब छोडो भी अंकल… आप मेरी बातों पर यकीन नहीं करेंगे

हरीश- क्यों नहीं करूँगा…. तुम बताओ तो सही

हरीश अंकल की बात सुनकर मैं थोडा सीरियस होने के साथ साथ डरने का नाटक करते हुए बोली

निशा- सर मेरे पास उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। इसलिए अगर आप मुझे गवाही देने के लिए कहना चाहते हैं, तो मेरा जबाब ना है। बैसे भी उन लोगों ने मुझे इतना ज्यादा टार्चर किया था कि मैं पिछले 2 दिन तक बेहोश रही हूँ। शायद मेरे बेहोश होने के बाद उन लोगों ने मुझे मरा हुआ समझ लिया था। इसलिए वो मेरी लाश ठिकाने लगाने के लिए मुझे भोपाल से बाहर किसी सुनसान इलाके में फेंक गए थे। पर किस्मत से मुझे सही समय पर होश आ गया। अगर उन लोगों को पता चल गया कि मैं जिंदा हूँ, तो वो लोग अगली बार मेरे साथ साथ मेरी फैमिली को भी नुकशान पहुँचा सकते हैं।

मेरी बात सुनकर हरीश अंकल मुझे समझाते हुए बोले

हरीश- देखो सपना बेटा, तुम किसी भी बात की चिंता मत करो, मैं तुम्हारी और तुम्हारी फैमिली की सेफ्टी की गारंटी लेता हूँ

निशा- अंकल भूल जाईये ना इस बारे में, बैसे भी वो लोग इतने बडे और ताकतवर लोग हैं कि आप भी सीधे सीधे उनपर हाथ नहीं डाल सकते।

मेरी बात सुनकर हरीश अंकल एक बार फिर मुझे समझाते हुए बोले

हरीश- अच्छा ठीक है बाबा, मैं तुम्हें इस मामले में नहीं घसीटूँगा। लेकिन तुम अगर मुझे गनपत के पाटनर्स के नाम बता दोगी, तो मैं उनपर नजर रखने के लिए अपने कुछ भरोसेमंद ऑफीसर नियुक्त कर दूँगा और जैसे ही हमें उनके खिलाफ कोई सबूत मिलेगा तो हम उन्हें गिरफ्तार कर लेंगे।

हरीश अंकल की बात सुनकर मैं सोचते हुए बोली

निशा- ठीक है अंकल, मुझे इससे कोई प्राब्लम नहीं है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि आपके हाथ में कुछ खास लगेगा। क्योंकि गनपत के पाटनर्स के जाने के बाद मैंने गनपत और जफर की बातें सुनीं थी। वो दोनों अपने सारे पाटनर्स को मारकर विदेश भागने की फिराक में हैं। फिर अगर आप कोशिश करना चाहते हैं, तो आपकी मर्जी है।

हरीश- तुम बस उन लोगों के नाम बताओ.... वाकी सब मैं देख लूँगा

निशा- गनपत और जफर के बारे में तो मैं आपके पहले ही बता ही चुकी हूँ। इनके अलावा फेमस विजिनैश मैन धनराज, भोपाल जेल के जेलर योगेश जिन्होंने गनपत को जेल से भागने में मदद भी की थी, एम.पी. के मिनिस्टर प्रकाश राज और आपके ही पुलिस फोर्स के ऑफिसर ए.पी. महेश वर्मा। ये सभी लोग आपस पाटनर्स हैं अंकल।

मेरी बात सुनकर हरीश अंकल के चेहरे का रंग पूरी तरह से उढ चुका था और वो हैरानी से मुझे देख रहे थे।

कहानी जारी है ..........
 
Top