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Erotica ड्रेगन हार्ट (लव, सेक्स एण्ड क्राईम)

parkas

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Update 038 -

इतना सब होने के बाद भी मैं जीना चाहती थी। इसलिए मैं जैसे तैसे उस कमरे से बाहर निकली। कमरे के बाहर खण्डहर के आँगन में करीब 15-16 आदमी खडे हुए थे। मुझे इस हालत में देखते ही वो मेरे चारों तरफ इकट्ठा हो गए। तभी अंदर से बाकी लोग भी बाहर आ गए। बाहर खडे सभी लोग बासना भरी नजर से मुझे घूरे जा रहे थे। पर मैं उन सबकी परवाह किये बिना किसी कुतिया की तरह चलती हुई उस खण्डहर से बाहर की तरफ जा रही थी तभी मुझे गनपत की आवाज सुनाई दी

गनपत- अरे तमाशा क्या देख रहे हो। ये कुतिया तुम सबके सामने है मजे करो

गनपत की आवाज सुनते ही वो लोग कुत्तों की तरह मुझे चोदने के लिए आपस में झगडने लगे। इसी बीच एक आदमी ने मेरी पीठ पर अपना एक पैर रख दिया। मुझमें अब इतनी भी ताकत नहीं थी कि मैं उसके पैर को हटा सकूँ और आगे बड सकूं। तभी एक दूसरा आदमी मेरे ठीक पीछे आकर घुठनो के बल बैठ गया और फिर उसने अपना पैंट खोलकर अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया। जैसे ही उसका लण्ड मेरी चूत में गया तो मेरे मूँह से चीख निकल गई।

आआआआहहहहहहह

पर मेरी चीख से किसी को कोई फर्क नहीं पडा। उल्टे बाकी के लोग अपस में लडना छोडकर मुझपर हंसने लगे। जो आदमी मेरी चुदाई कर रहा था उसने मजबूती के साथ मेरी कमर को अपने दोनों हाथों से पकडा हुआ था। कुछ देर चुदाई करने के बाद वो अपने हाथों से मेरी गाँड पर थप्पड मारने लगा। जिस कारण लगातार मेरी चीखें निकलने लगी। मेरी दर्द भरी चीखें सुनकर उन सबको सुकून मिल रहा था।

उस आदमी के हटने ही दूसरा शूरू हो गया। मैं समझ गई कि ये सभी अब मुझे यूँ ही छोडने बाले नहीं हैं। धीरे धीरे मेरी आँखों के सामने अंधेरा छाने लगा था और मुझे अपनी मौत साफ साफ नजर आ रही थी। दर्द थकान और कमजोरी के कारण मेरे हाथ पैर बुरी तरह से काँप रहे थे। जिस कराण मैंने अपने हालातों से समझोता करते हुए अपने दोनों हाथ जमीन पर रख दिए और उनके ऊपर अपना सिर रख कर अपनी धीमी लेकिन दर्दनाक मौत का इंतजार करने लगी।

एक के बाद एक आदमी मेरे पीछे आकर मुझे चोदते रहे। कोई मेरी चूत मारता तो कोई मेरी गांड में अपना लण्ड घुसा कर मजे लेता। इस बीच दर्द के कारण मैं बेहोश हो गई। पर मेरे बेहोश होने के बाद भी वो लोग नहीं रुके। जब मुझे होश आया तो रात हो चुकी थी। मुझे नहीं पता कि अब तक कितने लोग मुझे चोद चुके थे और कितने बाकी थे और ना ही समय का अब मुझे कोई अंदाजा था। मैं अब बस इस सबसे छुटकारा चाहती थी।

जब सभी लोगों का मन मुझसे भर गया तो वो मुझे छोडकर अलग हो गए। मैं वहां जमीन पर किसी बेजान लाश की तरह पडी रही। कुछ देर बाद वहाँ गनपत और बाकी लोग भी आ गए। शायद वो लोग मुझे अपने आदमियों के हवाले करके किसी दूसरे काम के लिए चले गए थे। जब वो बापिस आये तो मैं जमीन पर किसी मुर्दे की तरह पडी हुई थी। उन्हें लगा कि शायद मैं मर गई हूँ। इसलिए जफऱ बोला

जफर- अरे मूर्खों इस लाश को ठिकाने क्यों नहीं लगाया अब तक

जफऱ की बात सुनकर उन लोगों में से एक बोला

“बॉस ये लड़की अभी जिंदा है”

उस आदमी की बात सुनकर गनपत हैरान होते हुए बोला

गनपत- क्या अभी तक जिंदा है। कमाल है… यह लडकी तुम सबको भी झेल गई। बडी सख्त जान है यह तो…..

महेश- गनपत अब और कोई तमाशा मत करो और जल्दी से इसे ठिकाने लगा दो

गनपत- ऐसे कैसे ठिकाने लगा दूँ। तुमने देखा नहीं कि इतनी मार खाने और हम सबको बरदास्त करने के बाद भी यह जिंदा है। मतलब कि ये जीना चाहती है। कम से कम इसे जीने का एक मौका तो मिलना ही चाहिए। क्यों दोस्तों क्या कहते हो

गनपत की बात सुनकर जफर बोला

जफर- हाँ सही कहा गनपत तूने

इतना बोलकर जफर मेरे आया और मेरी गाँड पर एक जोरदार लात मारते हुए बोला

जफर- सुन वे बहनचोद राण्ड… जा तू आजाद है। तेरे पास पूरे 10 मिनट हैं। इस खण्डहर से बाहर जाने के लिए, अगर 10 मिनट के अंदर तू इस खण्डहर से बाहर निकल गई तो फिर हम तुम्हें कुछ भी नहीं करें। लेकिन अगर तू 10 मिनट के अंदर इस खण्डहर से बाहर नहीं निकल पाई, तो तेरी मौत पक्की

जफर की बात सुनकर जैसे मेरे अंदर जान आ गई थी। मुझे जिंदा बचने की एक उम्मीद दिखने लगी थी। इसलिए मैं अपनी बची कुची ताकत इकट्ठा करके उठने की कोशिश करने लगी, पर मेरा पूरा शरीऱ बेजान हो गया था। मैं चाहकर भी खडी नहीं हो पा रही थी। मुझे बार बार उठने की कोशिश करता देख ,वहाँ खड़ा हर एक इंसान मुझपर हंस रहा था। पर किसी को मुझ पर दया नहीं आई और ना ही किसी ने मेरी मदद की। दर्द के कारण मेरी आँखों से आँशू निकल रहे थे। पर किसी को इस्से कोई फर्क नहीं पड रहा था। आखिरकार मैंने हार मान ली और कोशिश करना बंद कर दिया। तो मंत्री मेरे पास आकर बोला

प्रकाश राज- ये कौन सी बात हुई जफर, तुम्हें दिख नहीं रहा कि इसकी हालत कितनी खराब है, कम से कम इसे सहारा देख खड़ा तो कर दो

इतना बोलकर मंत्री जी ने मुझे सहारा देकर खड़ा किया। पर अगले ही पल मुझे छोडकर दूर हट गए। जिस कारण मैं किसी कटे पेड़ की तरह नीचे जमीन पर जा गिरी। जिससे मुझे काफी तेज दर्द हुआ। पर उस दर्द ने मेरे लिए दवा का काम किया। क्योंकि इतने तेज दर्द के कारण मुझे अपने शरीर का बाकी हिस्सा महसूस होने लगा था। मैं अपना सारा दर्द भूल गई और बस किसी भी तरह जिंदा बचने के लिए किसी घायल सांप की तरह सरकते हुए खण्डहर के बाहर जाने की कोशिश करने लगी।

कुछ दूर सरकने के बाद मैं एक दीवार के पास जा पहूंची। जिसके बाद मैं उस दीवार का सहारा लेकर खडे होने की कोशिश करने लगी। करीब 2-3 बार कोशिश करने के बाद मैं जैसे तैसे खडी हो गई थी और फिर मैं उस दीवार का सहारा लेकर चलने की कोशिश करने लगी। मैं धीरे धीरे चलते हुए उन सभी लोगों से दूर जा रही थी। शायद यह मेरे जिंदा बच निकलने का आखिरी प्रयास था। पर तभी अचानक से जफर मेरे पास आ गया और एक शैतानी हंसी हंसते हुए बोला बोला

जफर- हा हा हा…. सॉरी मेरी जान तुम्हारे 10 मिनट तो कब के खत्म हो गए हैं। अब तुम यहाँ से जिंदा बाहर नहीं जा सकती

इससे पहले मैं कुछ समझ पाती जफर ने अपनी जेव से एक चाकू निकाला और मेरी दोनों जाँघों पर कट लगा दिऐ। घाव काफी गहरे थे। जिस कराण मुझे बहुत दर्द हो रहा था और खून भी काफी ज्यादा निकल रहा था। इसलिए मैं खडी ना रह सकी और धडाम से नीचे जमीन पर जा गिरी। मेरे नीचे गिरते ही जफर मेरे बालों को पकडकर मुझे घसीटते हुआ आंगन के बीचों बीच ले आया, जहाँ जमीन पर एक काले रंग का बड़ा सा पत्थर पडा हुआ था। शायद वो कभी इसी खण्डहर का हिस्सा रहा था।

कुछ देर पहले ही मैं उसी पत्थर के पास किसी कुतिया की तरह खडी होकर चुद रही थी। जफर ने मुझे घसीटते हुए उसी पत्थर पर ले जाकर पटक दिया। जिस कारण मेरा आधा शरीर उस बडे से पत्थर पर और आधा जमीन पर पडा हुआ था। मुझे उस पत्थर पर किसी लाश की तरह पटकने के बाद वो सभी 6 पार्टनर्स एक एक करके मुझ पर चाकूओं से हमला करने लगे, मुझे नहीं पता कि किसने मुझ पर कितने बार किये थे और मेरे शरीर के किस हिस्से पर किसने बार किया था। मेरे शरीर पर होने बाला प्रत्यके बार मुझे मौत और ज्यादा करीब ले जा रहा था। मेरे मूँह से अब खून की उल्टियाँ होने लगी थीं, साथ ही साथ मुझे अब किसी भी प्रकार को कोई दर्द महसूस नहीं हो रहा था।

असल में मुझे इस वक्त अपना शरीर ही महसूस नहीं हो रहा था। बस किसी तरह मेरी सांसे चल रही थी और मेरे चारों तरफ मुझे इंसानी भेष में खडे जानबर दिखाई दे रहे थे। जो अपने शिकार को तडपा तडपा कर मार रहे थे। तभी अचानक से मौसम बदलने लगा। देखते ही देखते आसमान में काले बादल छा गए। किसी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है। क्योंकि कुछ देर पहले तो आसमान एकदम साफ था। फिर ये बादल कैसे आ गए। तभी अचानक तेज हावा चलने लगी और बादल गरजने लगे। यह सब देखकर मंत्री बोला

प्रकाश राज- लगता है मौसम खराब हो रहा है और कभी भी आँधी तूफान आ सकता है। इसलिए हमें यहाँ से जल्दी से निकल जाना चाहिए, वर्ना आँधी तूफान में जंगल से निकलना मुश्किल हो जाऐगा

योगेश- मंत्री जी सही कह रहे हैं गनपत, चलो निकलते हैं यहाँ से। बैसे भी अब ये लड़की बचने बाली नहीं है। जंगल के इस इलाके में बैसे भी कोई इंशान आता जाता नहीं है। इसलिए एक दो दिन में ही जंगली जानवर इसे नोच कर खा जाऐंगे।

पर गनपत तो कुछ और ही सोच रहा था। उसने आस पास देखा तो उसे पास ही जमीन पर पडी एक लोहे की बडी सी रॉड दिखाई दी। उन लोगों ने अब तक मेरे साथ जो कुछ किया था, वो शायद गनपत के लिए काफी नहीं था, जिस कारण गनपत ने उस रॉड को उठा लिया और उसका नुकीला सिरा मेरी तरफ करके एक ही झटके में वो रॉड मेरे सीने के आर पार कर दी। गनपत ने वह बार इतना जोरदार और ताकत के साथ किया गया था कि वो रॉड मेरे सीने को चीरती हुई नीचे जमीन में जा धंसी थी। जिस कारण मेरे सीने से खून की तेज धार निकलने लगी और ठीक तभी आकाश में बिजली चमकने लगी और अचानक से तेज बारिस भी होने लगी।

मौसम में अचानक आऐ इस परिवर्तन से वो लोग बुरी तरह से हैरान थे और अब वो इस जगह पर रुकने खतरा नहीं उठाना चाहते थे। जिस कारण वो सभी लोग उस खण्डहर से तुरंत बाहर निकल गए। मुझे उस आँधी और बारिस में भी गाडियों के वहाँ से जाने की आवाजें साफ साफ सुनाई दे रही थी। कुछ ही देर में वहाँ सन्नाटा झा गया। अब उस सुनसान खण्डहर में मैं अकेली थी। जंगल से जानबरों के चिल्लाने की अजीब अजीब आवाजें आ रहीं थीं। जो उस आंधी और तूफान में भी साफ साफ सुनाई दे रही थी। आंधी तूफान और बिजली कडकने के कारण माहौल एक दम भयानक और डरावना हो गया था।

मैंने जिंदगी में कभी भी ऐसे मंजर का सामना नहीं किया था। पर आज जब मैं अपनी आखिरी सांसे ले रही थी तो जिंदगी मुझे प्रकृति का यह भयानक रूप भी दिखा रही थी। मेरे सोचने समझने की शक्ति अब पूरी तरह से खत्म हो चुकी थी और मैं जिंदगी और मौत के इस संघर्ष में बुरी तरह से हार चुकी थी। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरा अंत इतना भयानक होगा। बस कुछ पलों की बात थी और मेरी जिंदगी समाप्त होने बाली थी। अब तक मेरे सारे एहसास पूरी तरह से खत्म हो गए थे।

मुझे अब कुछ भी महसूस नहीं हो रहा था। ना दर्द का कोई एहसास था और ना ही कोई गम था। मुझे अपनी जिंदगी के इन अंतिम झणों में अपनी सारी जिंदगी की झलक दिखाई दे रही थी। वो समय जब मैं काफी दुखी थी, वो समय जब मैं बहुत खुश थी, मेरी शादी का दिन, मेरी माँ की मौत का दिन, मेरा स्कूल का समय और मेरे ग्रेजुऐशन का समय, नौकरी करते हुए संघर्ष करने का समय, पति के द्वारा उपेक्षा का समय, अपनी मेहनत और लगन से प्रमोशन पाने का समय और भोपाल आने के बाद बिताया अपना हर एक पल मेरी आँखों के सामने था।

मैं अपनी पूरी जिंदगी अगर सबसे ज्यादा खुश रही थी तो वो बस वही 20-22 दिन थे जो मैंने भोपाल में बिताऐ थे और अब मैं यहीँ पर अपनी अंतिम सांसे भी ले रही थी। भोपाल में बिताए अपनी आजादी के उन दिनों को याद करके पता नहीं कैसे पर मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गई थी। अब मुझे अपने मरने का कोई दुख नहीं था। इस वक्त मेरे चेहरे पर एक सुकून दिखाई दे रहा था। भोपाल में इन 20-22 दिनों में ही मैंने अपनी सारी जिंदगी जी ली थी। तभी मेरे मन में दबी हुई आखरी इच्छा जाग उठी। काश मैं इन 20-22 दिनों की तरह ही अपनी सारी जिंदगी बिता पाती।

यह सोचते ही मेरे चेहरे की मुस्कान और भी ज्यादा बडी हो गई ठीक थी। मेेरे शरीर पर हुए अनगिनत घाव से लगातार खून बहने के कारण मेरा शरीर हर पल बेजान हो रहा था और मेरी आंखों के सामने धीरे धीरे अंधेरा छा रहा था। ठीक तभी एक तेज गडगडाहट के साथ आकाश में चमकती बिजली मेरे सीने में धंसे उस लोहे के रॉड पर आ गिरी। उस पल मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे किसी ने मुझे खौलते हुए लावा में फेंक दिया हो। मेरा पूरा शरीर बुरी तरह चल रहा था और एक तेज रोशनी मेरी आँखों के सामने झा गई थी। लेकिन अगले ही पल मेरी आंखों के सामने एक बार फिर अंधेरा छाने और मैं एक गहरी नींद में चली गई। शायद यही मेरा अंत था


कहानी जारी है.........
Bahut hi shaandar update diya hai redhat.ag bhai....
Nice and lovely update....
 
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