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Incest "टोना टोटका..!"

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कहानी मे राजु के सम्बन्ध कहा तक रहे..?

  • बस अकेले रुपा तक ही

    Votes: 27 11.9%
  • रुपा व लीला दोनो के साथ

    Votes: 81 35.7%
  • रुपा लीला व राजु तीनो के एक साथ

    Votes: 152 67.0%

  • Total voters
    227
  • Poll closed .

Ek number

Well-Known Member
8,982
19,275
173
लीला ने अब जब तक दुध निकाला तब तक रुपा ने भी चाय बना ली, इसलिये तीनो ने अब साथ मे ही बैठकर चाय पी। चाय पीने के बाद दोनो माँ बेटी ने मिलकर पहले तो आँगन मे झाङु आदि निकालकर घर की थोङी बहुत साफ सफाई की, फिर ऐसे ही इधर उधर की बाते करते हुवे दोनो रात के लिये खाना बनाने लग गयी। रुपा ने जब तक सब्जी बनाई तब तक लीला ने आटा गुँथ लिया था इसलिये रुपा अब लीला के साथ ही बैठकर रोटी भी बनवाने लग गयी।

रोटी बनाने के बाद लीला तो बर्तन आदि समेटने लग गयी और रुपा वही रशोई मे ही बैठकर खाना खाने लग गयी, मगर इस बीच किसी ना किसी बहाने राजु रुपा के ईर्द गीर्द ही घुमते रहा इसलिये उसने रुपा खाना खाते देखा तो वो भी उसके साथ ही खाना खाने बैठ गया, मगर जब तक रुपा ने खाना खाया राजु तब तक तो खाना खाते रहा और जैसे ही रुपा खाना खाकर हाथ धोने लगी राजु भी उठकर खङा हो गया और...

"चलो जीज्जी हम चलकर अब आराम करते है..!" राजु ने भी हाथ धोते हुवे कहा जिससे रुपा की नजर तुरन्त अपनी माँ की ओर चली गयी, वो भी रुपा की ओर ही देख रही थी इसलिये दोनो की नजरे मिली तो दोनो को ही हँशी आ गयी।

"तु चल... मै माँ के साथ बर्तन साफ करवाकर आऊँगी..!" राजु के इस तरह आगे पीछे घुमने व बार बार उसे आराम‌ करने के लिये कहने पर रुपा को भी शरम सी आ रही थी इसलिये एक बार अपनी माँ की ओर देख उसने अब गर्दन झुकाकर नीचे की ओर देखते हुवे कहा, मगर तभी..

"आ रही है, जा तु जाकर तब तक बिस्तर ठीक कर..!" लीला ने अब राजु की ओर देखते हुवे कहा जिससे राजु भी अब जल्दी से हाथ धोकर रशोई से बाहर निकल गया।

"जा तु कर ले आराम इसके साथ तब तक मै खाना खाकर बर्तन साफ कर लुँगी..!" लीला ने अब रुपा की ओर देखकर हँशते हुवे कहा जिससे रुपा और भी शरमा सी गयी और..

"न्.न.नही..!" शरम के मारे रुपा ने अब लीला की ओर देखकर मुस्कुराते हुवे ही कहा जिससे..

लीला: क्यो तँग कर रही है तु उसे, जा नही तो फिर से रशोई मे आकर खङा हो जायेगा..!"

रुपा: नही मुझे नही जाना..

"अरे क्यो तँग कर रही है, जा ना... मै बोल रही हुँ ना, मै बर्तन साफ करके रशोई की साफ सफाई कर लुँगी तब तक हो जायेगा तुम्हारा..!" लीला ने अब खुलकर कहा जिससे रुपा शरम से पानी पानी ही हो गयी। वो अब कुछ कहती तब तक लीला उसका हाथ पकङकर उसे रशोई से बाहर निकाल आई।

घर मे अपनी माँ के होते रुपा को राजु के पास जाने मे शरम तो आ रही थी, नही तो वो अपने ससुराल से ही सोचकर आई थी की घर जाते ही वो किसी ना किसी बहाने राजु को अपने उपर चढा लेगी, इसलिये अब राजु के पास जाने के लिये खुद उसकी माँ ने ही उसे हाथ पकङकर रशोई से बाहर निकाल दिया तो वो भी राजु के पास कमरे मे आ गयी और कमरे का दरवाजा अन्दर बन्द कर सीधे ही राजु पर टुट सा पङी...

इधर रशोई मे खाना खाकर, बर्तन आदि साफ करके लीला ने रशोई की साफ सफाई के भी सारे काम निपटा लिये थे इसलिये रशोई से निकलकर वो अब बाहर आ गयी। बाहर आकर उसने देखा की कमरे का दरवाजा अभी तक बन्द ही था और अन्दर से रुपा की सिसकियो के साथ "पट्..पट्..!" व पलँग के चरमराने की सी आवाजे आ रही थी जिससे लीला को भी अपनी चुत मे चिँटियाँ सी काटती महसूस हुई तो वो तुरन्त वहाँ हट गयी।

उसने पहले तो कोने मे जाकर पिशाब किया, फिर घर के दरवाजे को बन्द करके अन्दर से कुण्डी लगाकर वापस आ गयी, अन्दर कमरे से आ रही रुपा की सिसकियो व "पट्.पट्..!"की आवाजे अब तेज हो गयी थी इसलिये लीला का अब एक बार तो दिल किया की वो अपनी बेटी व राजु की इस तरह की आवाजे ना सुने और वापस रशोई मे ही चली जाये, मगर कमरे से आ रही इन उत्तेजक आवाजो को सुनकर लीला की चुत मे भी पानी सा भर आया था इसलिये उसके पैर वही के वही जम से गये....

लीला का मन तो कर रहा था की अन्दर रुपा व राजु कैसे क्या कर रहे है वो उन्हे देखे मगर एक तो कमरे के अन्दर की उन्होंने लाईट बन्द कर रखी और दुसरा कमरे के दरवाजे व खिङकी मे ऐसा कोई छेद या सुराख भी नही था जहाँ से वो उन्हे देख सके, मगर इधर कमरे के अन्दर से आ रही आवाजे अब धीरे धीरे और भी तेज होने लगी थी जिससे लीला की चुत बहने सा लगी, वो कभी पेन्टी तो पहनती थी नही इसलिये उसकी चुत से पानी सा रिश रिश कर उसकी जाँघो तक बहने लगा, मगर तभी कमरे आ रही आवाजे अचानक से बहुत तेज हो गयी और फिर तभी रुपा की सिसकियो की आवाज पहले तो सुबकियो मे बदली, फिर सुबकीयाँ हिचकियो मे बदलती और वो भी..

"ही्ही्ईई्च्च.ईईईश्श्श् रा्आ्जुऊह्ह्ह...
ही्ई्च्च्च. ईईश्श्श्.रा्आ्जुऊह्ह्ह...
ही्च्च्.ईश्श्.रा्जूउह्.." करते हुवे छोटी होती चली गयी, इसके साथ ही राजु की के मुँह से ..

ईश्.जीज्जीईई..आ्ह्ह्ह्....
......ईईश्श्श्. आ्ह्ह्..
..........ईशश्.आ्ह.... कुछ कराहे तो निकली फिर वो भी शाँत होता चला गया जिससे ना चाहते हुवे भी लीला का हाथ अब अपनी चुत पर चला गया।

कमरे के अन्दर से आ रही आवाजे अब बिल्कुल बन्द हो गयी थी और एक सन्नाटा सा पसर गया था इसलिये लीला कमरे के पास से हट गयी। कमरे से रुपा व राजु मे से कोई भी बाहर आ सकता था इसलिये रशोई का दरवाजा खोलकर लीला अब वापस रशोई रशोई मे घुस गयी। रशोई मे कोई काम तो था नही मगर फिर भी रशोई मे आकर वो अब बर्तनो को इधर उधर करने लगी, ताकी रुपा या राजु मे से कोई अगर बाहर निकले तो उन्हे लगे की वो अभी तक रशोई मे ही काम कर रही है...

अब कुछ देर तो लीला ऐसे ही रशोई मे खङे खङे बर्तनो को इधर उधर करती रही, मगर उसे ज्यादा इन्तजार नही करना पङा, क्योंकि कुछ देर बाद ही कमरे का दरवाजा खुल गया। कमरे का दरवाजा रुपा या राजु जिसने भी खोला वो कमरे से बाहर नही निकला, उसने बस दरवाजा ही खोला और वापस अन्दर चला गया इसलिये लीला भी कुछ देर बाद रशोई से निकलकर बाहर आ गयी।

लीला ने अभी अभी ही पिशाब किया था इसलिये उसे पिशाब तो नही लगी थी, मगर रुपा व राजु की प्रेमलीला की उत्तेजक आवाजे सुनकर उसकी चुत ने पानी छोङ छोङकर उसकी जाँघो तक को गीलाकर दिया था इसलिये रशोई का दरवाजा बन्द करके वो सीधे कोने मे जहाँ पिशाब करते है वहाँ जाकर अपनी साङी व पेटीकोट उठाकर बैठ गयी। उसकी पिशाब की थैली मे अभी तक जितना भी पिशाब बना था उसने पहले तो उसे खाली किया, फिर बाल्टी से पानी लेकर अपनी चुत वा जाँघो को अच्छे से धोकर वो भी अब कमरे मे आ गयी।

कमरे मे की लाईट बन्द थी इसलिये वैसे तो कमरे मे अन्धेरा ही फैला था मगर दरवाजे से जो चाँद की थोङी बहुत रोशनी आ रही थी उसकी रोशनी मे रुपा व राजु पलँग पर लेट साफ नजरे रहे थे। राजु दिवार की ओर मुँह किये लेटा था तो रुपा ने पलँग के किनारे की ओर मुँह किया हुवा था इसलिये...

"सो गये क्या..? लीला ने रुपा व राजु की ओर देखते पुछा जिसका रुपा व राजु दोनो मे से किसी ने भी कोई जवाब नही दिया, मगर शरम के मारे रुपा ने पास ही रखी चद्दर को खिँचकर ओढ सा लिया।

लीला भी सब समझ रही थी इसलिये उसने दोबारा से कुछ नही कहा और अपने लिये चारपाई बिछाने लग गयी। चारपाई बिछाकर लीला अब एक बार तो उस पर लेटने को हुई मगर फिर वो कुछ सोचने सा लगी, और ना जाने उसके दिमाग मे क्या आया की...

"सुन...! तु उधर जाकर सो चारपाई पर..!, इसका कोई भरोसा नही सोते सोते कही पेट पर हाथ पैर मार दिया तो पेट के बच्चे को चोट लग जायेगी..? ये कहते हुवे वो अब पलँग के पास आकर खङी हो गयी।


रूपा को अब ये एक बार तो थोङा अजीब सा लगा, मगर फिर कुछ सोचकर वो मन ही मन मुस्कुरा सी उठी, क्योंकि अभी ठीक से दो महिने भी नही हुवे थे उसे पेट से हुवे जो पेट के बच्वे को चोट लगे, उपर से लीला ने खुद ही तो उसे राजु के साथ सोने‌ के लिये भेजा था, और अब उसके पास सोने से बच्चे को चोट लगनी की बात कह रही थी..! रुपा भी समझ गयी थी की उसकी माँ ऐसा क्यो‌ कह रही है इसलिये वो अब चुपचाप पलँग पर से उठकर चारपाई पर जाकर लेट गयी तो लीला ने भी अपनी साङी को तो खोलकर सिराहने रख दिया और पेटीकोट व ब्लाउज मे होकर रुपा की जगह राजु की बगल मे पलँग पर अब खुद लेट गयी....
Behtreen update
 

Ek number

Well-Known Member
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173
रुपा राजु व लीला तीनो एक ही कमरे मे लेटे थे मगर तीनो मे से किसी को भी नीँद नही आ रही थी, क्योंकि रुपा को लीला ने झुठ बोलकर राजु के पास से उठाकर अलग से चारपाई पर सुला दिया था इससे वो ये तो समझ गयी थी की जरुर उसकी माँ राजु के साथ कुछ ना कुछ करना चाह रही है इसलिये अपनी माँ को राजु के साथ करते देखने के लिये वो मन ही‌ मन उत्तेजित सी हो रही थी, तो लीला ये सोच रही थी की रुपा को जल्दी से नीँद आ जाये तो वो भी राजु से अपनी चुत मे लगी आग को ठण्डा करवा कर सोये, और राजु जहाँ दो बार अच्छे से अपनी जीज्जी की लेने का बाद वैसे तो एकदम सन्तुष्ट होकर लेटा था मगर अब अपनी बुवा के भी उसके बगल मे आकर लेट जाने से उसके अरमान जागने से लगे थे जो की उसे सोने नही दे रहे थे...

पलँग पर राजु अभी भी दम साधे चुपचाप दीवार की‌ ओर मुँह किये पङा हुवा था जिसे देख लीला काफी देर तो‌ ऐसे ही चुपचाप लेटी रही मगर जब उसे लगा की रुपा अब सो गयी होगी तो उसने धीरे से अपना एक हाथ दिवार की ओर मुँह करके सो रहे राजु की ओर बढा दिया... राजु को भी अभी नीँद नही आई थी इसलिये जैसे ही लीला ने उसके लण्ड को छुवा उसका लण्ड तुरन्त अपनी मुर्छा से जागने लगा जिससे लीला की चुत भी पानी सा छोङने लगी.. क्योंकि जितना समय रुपा व राजु ने लिया था उससे लीला समझ रही थी की कम से कम रुपा व राजु के बीच तीन बार की चुदाई हुई होगी, मगर अब चौथी बार के लिये भी राजु का लण्ड इतनी जल्दी खङा होने लगा था ये सोचकर ही लीला की चुत अपने आप ही पानी सा छोङने लगी थी...

खैर अब कुछ देर तो लीला ने पजामे के उपर से ही राजु के लण्ड को सहलाया, फिर उसके पजामे के नाङे को खोलकर उसने सीधा ही राजु के नँगे लण्ड को ही पकङ लिया, तब तक राजु के लण्ड मे भी पुरी चेतना आ गयी थी इसलिये लीला ने धीरे से नीचे खिसककर उसके लण्ड को अब अपने मुँह मे ही भर लिया। राजु के लण्ड पर अभी भी रुपा की चुत का रश जमा हुवा था जिससे लीला के मुँह का स्वाद एकदम नमकिन व चिकना हो गया...

लीला ने पहले भी राजु के लण्ड को बहुत सी बार चुसा था, मगर इस तरह का मझा उसे कभी भी नही आया था, क्योंकि राजु के लण्ड पर जमे अपनी बेटी के चुतरश को चाटकर लीला को एक अलग की रोमाँच उत्तेजना का अहसास हवा था जिससे लीला की वाशना और भी भङक सा उठी। इससे पहले लीला‌ ने राजु के लण्ड को बहुत से बार ऐसे भी चाटा था उसे अपनी चुत मे घुसाने का बाद भी चाटा था यहाँ तक की कभी कभी तो वो राजु के वीर्य को भी पी जाती थी मगर जिस तरह का अहसास उसे राजु के लण्ड पर लगे अपनी बेटी के चुतरश को चाटकर हुवा था ऐसा अहसास उसे कभी भी नही हुवा था इसलिये राजु के लण्ड को चुशकर उसके लण्ड पर लगे अपनी बेटी के चुत रश को लीला ने अब पुरा पुरा चाट मारा..


तब तक राजु का‌ लण्ड भी तनकर एकदम‌ अकङ सा गया था इसलिये कुछ देर ऐसे ही राजु के लण्ड को चुशने के बाद लीला अपने पेटीकोट को उपर अपनी कमर तक चढा कर अब धीरे धीरे राजु के उपर चढ सा गयी। राजु के उपर चढते हुवे लीला की एक नजर अब रुपा पर भी बनी रही, मगर उसने जब कोई हरकत नही की तो उसने धीरे से राजु के उपर चढकर उसके लण्ड को अपनी चुत के मुहँ पर लगा लिया और जब तक राजु कुछ कहता या करता लीला उसके लण्ड पर बैठकर एक ही झटके मे उसके पुरे लण्ड को अपनी चुत मे निगल गयी जिससे राजु अब..
ईईईश्श्श् बु.बुवा्ह्.. कहकर सुब सा उठा, तो वही लीला का बदन भी एक बार के लिये तन सा गया...

राजु के लण्ड को अपनी चुत मे पुरा निगँलकर लीला ने अब पहले तो एक नजर रुपा की ओर देखा फिर एक एक कर अपने ब्लाउज के बटन खोल‌कर ब्रा से अपनी चुँचियो को भी बाहर निकाल लिया। अपनी चुँचियो को नँगा करके लीला ने राजु की कमीज के भी बटन खोलकर उसकी छाती को नँगा कर लिया और अपनी चुँचियो को उसकी नँगी छाती से रगङ रगङकर अपनी चुत को राजु के लण्ड पर घीसने लगी जिससे राजु अब हल्के हल्के सिसकने सा लगा, मगर लीला उस पर लेटे लेटे ही उसके होठो से अपने होठो को जोङकर उसका मुँह बन्द कर दिया...

लीला के राजु का मुँह बन्द कर देने के बाद भी उसके भारी भरकम धक्को की वजह से राजु के मुँह से...
ऊह्...
ऊ्ऊह्ह्...
ऊऊऊह्ह्ह... की आवाजे निकलती रही जो की अब रुपा के कानो तक भी पहुँचने लगी। रुपा को भी अभी नीन्द नही आई थी, वो पहले ही अपनी माँ को राजु के साथ ऐसा कुछ करते देखने के बारे मे सोच सोचकर उत्तेजित सी हो रही थी इसलिये जैसे राजु के कसकने की‌ सी आवाज उसके कानो मे‌ पङी, उसके दिल‌ की धङकन अचानक से बढ सी गयी। उत्तेजना के साथ साथ हल्का डर सा भी‌ लग रहा था जिससे उसका बदन हल्के कँपकँपाने सा लगा था इसलिये उसने अब सीधा ही पलँग की ओर नही देखा, बल्कि धीरे से बस अपनी गर्दन को‌ उपर सिराहने की ओर सरका सा दिया...

जिस कमरे मे वो सो रहे थे वो एक लम्बा कमरा था जिसमे पलँग व चारपाई अगल बगल मे लगाने से रास्ता नही रहता था इसलिये पलँग दरवाजे के सामने एक कोने मे लगा हुवा था और जिस चारपाई पर रुपा‌ लेटी हुई थी वो कमरे मे अन्दर की ओर दुसरे कोने मे लगी हुई थी इसलिये रुपा को अपनी माँ व राजु की ओर देखने के लिये खङा होना पङता, मगर उसने बस अब अपनी गर्दन को ही उपर की ओर खिसकाया....

अब जैसे ही रुपा ने अपनी गर्दन को उपर की ओर खिसकाकर पलँग की ओर देखा तो अपनी माँ को राजु के उपर चढा हुवा पाया जिससे उसकी साँसे फुल सी आई, तो, वही दिल भी धाय धाय से बजने सा लगा, क्योंकि उसकी माँ ने राजु को अपने‌ नीचे एकदम दबोच सा रखा था और उसके उपर चढकर उसे जोरो से रगङ मसल रही थी और बेचारा राजु उसकी माँ के रगङने मसलने से बस..

ऊ्ह्ह्...
ऊऊ्ह्हह्... करके कसक सा ही रहा था।

अपनी नाँ के इस तरह राजु को रगङने से रुपा की चुत मे भी अब तुरन्त पानी सा भर आया था इसलिये उसका एक हाथ सीधे अपनी चुत पर पहुँच गया और शलवार के उपर से ही वो भी अपनी चुत को मसलने सा लगी। इधर लीला भी अब थोङा जोरो से धक्के लगाकर राजु के लण्ड से अपनी चुत को घीसने लगी तो राजु के‌ कसकने की आवाजे भी तेज हो गयी जो की रुपा से अब बर्दाश्त नही हुई इसलिये उसने‌ अब अपनी शलवार का नाङा ही खोलकर उसे घुटनो तक उतारकर अपनी चुत को नँगा कर लिया और जल्दी जल्दी व जोरो से अपनी चुत को रगङने मसलने लगी...

राजु को अपनी चुत व चुँचियो से रगङते मसलते बीच बीच मे लीला राजु के होठो को छोङकर कभी कभी अपनी गर्दन को उठाकर रुपा की ओर भी देख ले रही थी इसलिये अबकी बार उसने अपनी गर्दन उठाकर चारपाई पर सो रही रुपा की ओर देखा तो उसे अपनी ओर देख ही पाया, जिससे एक बार तो लीला घबरा सी गयी मगर उसने जब देखा की रुपा भी उसे देख देख कर अपनी चुत को मसल रही है तो उसे एक अजीब ही उत्तेजना का अहसास हुवा। राजु के साथ ये सब करते अपनी बेटी के पकङ लेने से लीला को शरम सी तो आई, मगर उसने देखा की वो उसे देख देखकर अपनी चुत को मसल रही थी तो उसे एक रोमाँच का सा भी अहसास हुवा जिससे लीला के बदन मे अब एक अजीब ही उत्तेजना की लहर सी दौङ गयी...

रुपा के उसे देख लेने से लीला एक एक बार के लिये तो रुकी, मगर फिर वो फिर से राजु पर झुक गयी और उसके होठो को पीते पीते उसे वैसे ही रगङाना शुरु कर दिया, रुपा को भी मालुम हो गया था की उसकी माँ ने उसे चोरी चोरी उन्हे देखकर अपनी चुत मे उँगली करते देख लिया और अब वो उसे जानबूझकर खुद से दिखाकर राजु को चोद रही है तो रुपा को भी एक अजीब ही उत्तेजना का सा अहसास हुवा। अपनी माँ को उसे इस तरह उसे दिखा दिखाकर राजु को चोदने से रुपा के बदन मे अजीब ही हलचल सी हो रही थी इसलिये वो भी अब अपनी माँ को दिखाकर अपनी चुत को जोरो से रगङने मसलने लगी...

अपनी बेटी को उसे देख देख कर अपनी चुत को मसलते देख लीला भी अब राजु को और जोरो से रगङते मसलते अपनी चुत को उसके लण्ड पर घीसने लगी जिससे राजु अब और भी जोरो से...
ऊह्ह..
ऊ्ह्ह्ह..
करने लगा तो रुपा भी अब और जल्दी जल्दी अपनी चुत को उँगलियो रगङने मसलने लगी।

वैसे तो कमरे मे अन्धेरा था मगर इतना भी नही रुपा व लीला एक दुसरे का ना देख सके, अन्धेरे के कारण दोनो एक दुसरे के चेहरे को दो नही देख पा रही थी मगर दोनो एक दुसरे को देखते साफ देख पा रही थी। एक दुसरी की हरकतो से दोनो ही एक दुसरी की भावनाओ का अच्छे से महसूस कर पा रही थी, क्योंकि अब जीतनी तेजी से लीला अपनी बेटी को दिखा दिखाकर राजु को रगङ रही थी उतनी ही तेजी से रुपा भी अपनी माँ को दिखा दिखाकर अपनी चुत को उँगलियों से रगङ मसल रही थी। दोनो ही माँ बेटी एक मौन से आकर्षण मे बन्ध सा गयी थी
मगर दोनो माँ बेटी की बीच राजु पीस सा रहा था। लीला ने उसके उपर चढकर उसे अपने नीचे दबोच सा रखा था, और उसके होठो को जोरो से चुश चाटकर उसकी छाती पर अपनी बङी बङी चुँचियाँ रगङ रही थी तो उसके लण्ड को भी अपनी चुत से चुश चुशकर पी सा रही थी जिसे देख रुपा की उत्तेजाना उफन उफनकर उसकी चुत से बाहर बह रही थी।

लीला अब कुछ देर तो ऐसे ही राजु के उपर लेटकर उसके होठो को पीते पीते अपने बदन को उसके बदन से रगङते मसलते अपनी चुत से उसके लण्ड को उसे चुशती सा रही, फिर राजु के होठो को छोङकर उपर उठ गयी और दोनो हाथो से उसके कन्धो को पकङकर रुपा की ओर देखते देखते जल्दी जल्दी व जोरो से धक्के लगाकर अपनी चुत से उसके लण्ड से घीसने लगी जिससे राजु के मुँह से निकलने वाली आवाजे भी तेज हो गयी तो वही लीला के भारी धक्को की वजह से लकङी का पलँग भी चरङ.मरङ सा करने लगा..

अभी तक लीला ने अपने होठो से उसके मुँह को बन्द कर रखा था इसलिये वो...
"ऊह्ह..
ऊ्ह्ह्ह.." करके बस कसक सा ही रहा था, मगर अब लीला के उसके होठो को आजाद कर देने से उसका मुँह भी खुल गया था उपर लीला के भारी धक्के भी तेज हो गये थे इसलिये राजु के मुँह से...
हू्ऊ्अ्..
हूऊअ्अ्..
हूऊअ्अ्अ्.... की सी आवाजे निकलना शुरु हो गयी।

रुपा से भी अब रहा नही गया इसलिये उसने पहले तो चारपाई पर लेटे अपनी शलवार को निकाल दिया, फिर अपनी माँ की ओर देखते देखते ही वो सुट के साथ साथ अपनी ब्रा को भी खोलकर एकदम नँगी हो गयी और चारपाई से उठकर वो भी पलँग के पास ही आकर खङी हो गयी। अपनी बेटी के उसे राजु के साथ चुदाई करते देखने से लीला पहले ही एक रोमाँच व अजीब सी उत्तेजान महसूस कर रही थी, अब उसके अपने पास ही आ आकर खङी हो जाने से लीला की वो उत्तेजना व रोमाँच और भी बढ सा गया जिससे उसकी चुत की माँसपेसिया राजु के लण्ड पर कस सी गयी और वो राजु के लण्ड पर अब और भी जोरो से धक्के मारने लगी..

राजु को नही मालुम था की उसकी जीज्जी व बुवा एक हो गयी है इसलिये रुपा के पलँग के पास आ जाने से वो एकदम घबराकर सा गया और तुरन्त उठने की कोशिश करने लगा, अब लीला ने उसके उपर चढकर तो उसे अपने नीचे दबा ही रखा था, उपर से रुपा के पलँग के पास आ जाने से उसने अब जैसे ही घबराकर उठने की कोशिश की, रुपा ने अपना अपना एक हाथ उसकी छाती पर ले जाकर उसे धकेलकर वापस बिस्तर पर पटक दिया। ये सब एक साथ व इतनी जल्दी हुवा की राजु को कुछ समझ ही नही आया, और जब तक वो कुछ समझ पाता तब तक उपर दोनो माँ बेटी के हाथ एक दुसरी के गर्दन पर आकर दोनो के होठ एक दुसरी के होठो से जुङ से गये...

एक दुसरी के होठो को पीते पीते दोनो माँ बेटी के बदन एक दुसरी से चिपक सा गये थे जिसने लीला की उत्तेजना को और भी बढा दिया। उसे मर्द के नँगे कठोर बदन के स्पर्श का तो‌ अहसास था मगर किसी औरत के नँगे नर्म‌ नाजुक व मुलायम बदन के स्पर्श को वो पहली बार महसूस कर रही थी इसलिये रुपा के होठो को पीते पीते उसने अब उसे भी उपर पलँग पर ही खीँच लिया और उसे अपनी बाँहो मे भरकर अपनी बङी बङी चुँचियो से उसकी नर्म‌ मुलायम चुँचियो को दबाकर राजु के लण्ड पर वो अब और भी जल्दी जल्दी व जोरो से धक्के मारने लगी...

किसी औरत के नँगे बदन के स्पर्श से जिस तरह की उत्तेजना लीला महसुस कर रही थी, वैसे ही उत्तेजना का अहसास रुपा भी अपने बदन मे महसुस कर रही थी इसलिये वो भी अब अपनी माँ को बाँहो मे भरकर उसकी बङी बङी चुँचियो से अपनी चुँचियो को रगङने सा लगी, रुपा तो एकदम जन्मजात नँगी थी मगर लीला ने ब्लाऊज के बटन खोलकर अपनी चुँचियो को बाहर निकालने के लिये बस ब्रा को उपर खिसका रखा था इसलिये रुपा ने अपने दोनो हाथ अब लीला के पीछे ले जाकर उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया, तो लीला ने भी अब ब्लाऊज के साथ साथ अपनी ब्रा को भी निकाल दिया और अपनी बेटी के नर्म मुलायम होठो के रश को पीते पीते अपनी बङी बङी चुँचियो से वो भी उसकी चुँचियो को रगङने लगी...

दोनो माँ बेटी के नँगे जिस्म एक दुसरी के बदन से एकदम चिपक गये थे और दोनो ही एक दुसरे के होठो को पीते पीते अपनी अपनी चुँचियो को एक दुसरी की चुँचियो से रगङ रही थी जिससे दोनो की ही चुँचियाँ एक दुसरी की चुँचियो से दबकर एकदम पापङ हो रही थी मगर दोनो मे कोई भी रुकने का नाम नही ले रही, मानो दोनो ही अपनी अपनी चुँचियो को एक दुसरी की चुँचियो से रगङकर हराने की कोशिश कर रही हो, मगर इससे राजु की हालत खराब होती जा रही थी, क्योंकि अपनी चुँचियो की लङाई मे वो दोनो ही कुछ देर के लिये राजु को भुल सी गयी थी।

अब तक राजु भी समझ गया था की उसकी जीज्जी व बुवा के बीच ये सब क्या चल रहा है। वैसे तो लीला राजु के लण्ड‌ को अपनी चुत मे निँगले उसे अपने भार से दबाये बैठी हुई थी मगर जितना राजु से हो सका, अपने कुल्हो से ही हल्की हल्की जुम्बीस सी करके अपनी बुवा की चुत पर अपने लण्ड के धक्के से मारने लगा। कुछ देर के लिये लीला रुपा की चुँचियो व उसके होठो को पीने मे इतना खो सी गयी थी की वो ये तक भुल गयी की वो राजु के लण्ड को अपनी चुत मे निँगले बैठी है, मगर अब नीचे से राजु के अपने लण्ड को उसकी चुत की दिवोरो से घीसने लीला को ये अहसास हुवा की वो राजु के लण्ड को अपनी चुत मे घुसाये बैठी है तो उसने भी रुपा के होठो को पीते पीते अपनी कमर को फिर से मचकाना शुरु कर दिया...

रुपा ने भी अब देखा की उसकी माँ राजु के लण्ड की सवारी कर रही है तो रुपा भी राजु की छाती पर चढकर उसके मुँह के उपर बैठ गयी‌। अभी तक वो अपनी‌ चुँचियो को अपनी माँ की चुँचियो से लङाने के लिये घुटनो के पलँग पर ही बल बैठी हुई थी और अपनी माँ के होठो को पीते पीते अपनी चुँचियो से बस उसकी चुँचियो ही रगङे जा रही थी मगर वो भी अब अपने दोनो पैर राजु की छाती के दोनो ओर करके अपनी चुत को राजु के मुँह पर लगाकर बैठ गयी, और अपनी चुत को राजु के मुँह ही पर घीसने लगी...

रुपा पहले ही राजु से दो बार चु्दवा चुकी थी इसलिये उसकी चुत राजु के वीर्य व खुद के रशखलन से भरी पङी थी, उपर से अपनी माँ को राजु के साथ चुदाई करते देख देख वो कब से अपनी चुत को उँगलियों से रगङ रगङकर पानी सा बहा रही थी जिससे रुपा की चुत राजु के वीर्य व खुद रुपा की चुत के रश से भरी पङी थी और उसमे से एक बेहद ही तीखी तेज व मादक गन्ध सी फुट रही थी जिसे पाकर अब राजु से भी रहा नही गया और उसने तुरन्त अपने होठो को रुपा की चुत के होठो से जोङ दिया...

अगर देखा जाये तो रुपा की चुत राजु के वीर्य व खुद रुपा की चुत के रश से एकदम लीपी पुती हुई थी और उसकी चुत की से जो तीखी व तेज गन्ध आ रही थी उसे कोई भी सामान्य व्यक्ति सामान्य हालात मे उसे चुत की बाँस (बदबु) कहेगा मगर जिन हालत मे लीला, राजु व रुपा थे उन हालात मे अपनी जीज्जी की चुत की वो तीखी व तेज गन्ध राजु को कीसी महकते खजाने से कम‌ नही लग रही थी इसलिये अपनी जीज्जी की चुत की गन्ध पाकर उसने तुरन्त अपनी जीभ निकालकर उसकी चुत को चुशना चाटना शुरु कर दिया जिससे रुपा भी अब सुबकने सा लगी तो वही उत्तेजना के आवेश मे लीला के होठो को दाँतो से काटने लगी...

अपनी बेटी को ऐसे राजु के मुँह पर अपनी चुत को घीसते देख लीला भी उसके होठो को पीते जल्दी जल्दी व जोरो से राजु के लण्ड पर उछलने लगी तो अपनी माँ को देख रुपा भी राजु के मुँह पर अब और जोरो से रगङ रगङकर अपनी चुत को घीसने लगी। दोनो माँ बेटी का ध्यान अब राजु पर ही केन्द्रित हो गया था। नीचे से धक्के मार मारकर एक उसके लण्ड से अपनी चुत को घीस रही थी तो वही दुसरी उपर से धक्के मार मारकर उसके नाक व मुँह से अपनी चुत को घीस रही थी।

जीतनी तेजी से बेटी अपनी चुत को उसके मुँह पर घीस रही थी उतनी ही तेजी से माँ भी अपनी चुत से धक्के मार मारक अपनी चुत को उसके लण्ड पर घीस रही थी। दोनो माँ बेटी उसे साँस तक नही लेने दे रही थी जिससे अब राजु की हालत पतली होने लगी, मगर दोनो माँ बेटी का ये खेल अब ज्यादा देर तक नही चल सका क्योंकि कुछ ही देर बाद लीला का बदन ऐ्ठने सा लगा...

उसने पाँच सात धक्के जल्दी जल्दी व तेजी से लगाकर अपनी चुत की दिवारो को राजु के‌ लण्ड से रगङा और फिर राजु को अपनी जाँघे से एकदम कस के भीँच सा लिया तो वही उसकी चुत की दिवारे भी राजु के के लण्ड पर एकदम कस सा गयी। उत्तेजना के आवेश मे राजु के साथ साथ उसने रुपा को भी अपनी बाँहो मे कसके भीँच लिया और उसके होठो को पीते पीते..
ईईश्श्.. अ्आ्ह्ह्..
ईईईश्श्श्.. आ्आ्ह्ह्ह्..

ईईईश्श्श्... आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्... की सिसकियाँ भरते हुवे राजु के लण्ड को अपनी चुत से निचौङने सा लगी तो साथ ही रह रह कर एकदम गाढा गाढा व लिसलिसा सा रश छोङकर उसके लण्ड को नहलाने लगी जो की राजु के लण्ड पर से बहकर नीचे उसके लण्ड के चारो ओर फैलने लगा...
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अपनी माँ को रशखलित होते देख रुपा ने भी उसे अपनी बाँहो मे भीँच लिया जिससे लीला अब कुछ देर तो ऐसे ही रुपा के होठो को अपने होठो से तो, राजु के लण्ड अपनी चुत से चुशती सा रही, फिर एकदम निढाल सी होकर रुपा के कन्धे पर सिर रखकर लम्बी लम्बी व गहरी‌ साँसे लेने लगी। लीला का तो रशखलन हो गया था जिससे वो निढाल हो गयी थी, मगर रुपा का बदन अभी भी उत्तेजना के मारे जल सा रहा था इसलिये हल्के हलके सिसकते हुवे वो अभी भी ..
ई्ई्श्श्..पुच्च्...
ईईईश्श्श् पुच्च्च.... सा करके अपनी माँ के होठो को चुशे जा रही थी, तो साथ ही अपना एक हाथ आगे लाकर वो अब अपनी माँ की चुँचियो को भी मिचने सा लगी...

तब तक लीला की साँसे भी उसके थोङा काबु मे आ गयी थी इसलिये लीला को ये अहसास हुवा तो, वो भी हल्के हल्के रुपा के होठो को फिर से चुशने सा लगी और उसे अपनी बाँहो मे‌ लिये लिये बिस्तर पर एक ओर लुढक गयी। उत्तेजना के मारे रुपा का बदन तप सा रहा था इसलिये उसके होठो को पीते पीते लीला अपना एक हाथ अब नीचे उसकी चुत पर ले आई, मगर जैसे ही‌ लीला ने उसकी तपती सुलगती चुत को छुवा वो...
ईईईश्श्श्... कहकर एकदम सुबक सा उठी और उसकी‌ जाँघे लीला‌ के हाथ पर कस सा गयी...

इधर अपनी बुवा व जीज्जी के राजु पर से उतर जाने से उसे साँस लने मे राहत तो मिली मगर उत्तेजना के मारे उसका लण्ड अभी झटके से मार रहा था। उसने अब देखा की उसकी जीज्जी व बुवा एक दुसरी मे ही उलझी है तो ना जाने उसे ये क्या सुझी की उसने उठकर कमरे के बल्ब को चालु कर दिया, अब बल्ब के जलते ही कमरे मे जोरो का उजाला फैल गया जिससे रुपा व लीला एक बार तो चौँक सा गयी, मगर उनकी जब नजरे आपस मे टकराई और उन्हे अपनी हालत का अहसास हुवा तो दोनो ही माँ बेटी एक दुसरे से शरमा सा गयी, क्योंकि रुपा तो एकदम नँगी थी ही लीला के बदन पर भी बस एक पेटीकोट ही था और वो भी घेरा सा बनाकर उसकी कमर तक चढा हुवा था...


दोनो माँ बेटी के हाथ एक दुसरी‌ की गर्दन मे फँसे हुवे थे तो दोनो ने ही एक दुसरी के होठो को चुश चुशकर एकदम लाल कर रखा था जो की एक दुसरी के थुक व लार से सने बल्ब की रोशनी मे चमक से रहे थे। दोनो माँ बेटी ने अब एक बार तो एक दुसरी की ओर देखा फिर शरम के मारे...

"ओय्.. बदमाश..! बन्द कर इसे..! दोनो ही एक साथ कह उठी, मगर राजु ने बल्ब को बन्द नही किया, बल्ब को चालु कर वो पलँग पर चढ गया जिससे लीला ने उसे पकङकर अब दोनो के बीच खीँच लिया। उत्तेजना के मारे राजु का लण्ड अभी भी झटके से खा रहा था तो टमाटर के जैसा एकदम गोल गोल व फुला हुवा सुपाङा अलग ही नजर आ रहा था जिस पर शायद रुपा की नजर गयी होगी की वो अब उठकर बिस्तर बैठ गयी...

राजु के झटके खाते लण्ड को वो अब एक बार तो हाथ मे पकङने को हुई, मगर उसने देखा की उसकी माँ की चुत की घीसाई से राजु के लण्ड का सुपाङा घीस घीसकर एकदम‌ लाल हो रखा है, तो उसकी माँ की चुत का एकदम गाढा गाढा व लिसलिसा पारदर्शी सा रश अभी भी उसके लण्ड पर लगा हुवा है जिससे अनायास ही रुपा की नजरे अब अपनी माँ की ओर चली गयी...

लीला भी उसकी ओर ही देख रही थी‌ इसलिये उसने अब रुपा को अपने चुतरश से भीगे राजु के लण्ड की ओर इस तरह देखते हुवे देखा तो वो भी अपनी बेटी के मनोभाव समझ गयी, क्योंकि कुछ देर पहले उसने जब राजु के लण्ड को अपने मुँह मे लिया था तो उस पर भी रुपा की चुत का रश जमा हुवा था जिससे लीला को भी एक बार तो ये अजीब सा लगा था, मगर राजु के लण्ड को चाटने पर जब उसके मुँह मे राजु के लण्ड के स्वाद के साथ साथ अपनी बेटी के चुतरश का स्वाद भी मुँह मे घुला तो उसे अपने बदन मे एक नयी ही उत्तेजना का अहसास हुवा था इसलिये
लीला भी उठकर अब बिस्तर पर बैठ गयी...

अपनी चुतरश से भीगे राजु के लण्ड को देखकर रुपा के माथे पर आई सिलवटो को देख लीला उसके मनोभाव समझ गयी थी इसलिये बिस्तर पर बैठकर उसने अब एक हाथ से रुपा के सिर को धीरे से राजु के लण्ड की ओर दबा सा दिया जिससे रुपा अपनी माँ की ओर ऐसे प्रशनवाचक नजरो से देखने लगी, मानो जैसे वो उससे पुछ रही हो की वो उससे क्या करने को‌ कह रही है, क्योंकि राजु के लण्ड के साथ साथ नीचे उसके लण्ड के चारो ओर भी लीला की चुत का एकदम गाढा गाढा व सफेद पारदर्शी सा रश जमा हुवा था जो की कही कही तो इतना गाढा व चिपचीपी लार की तरह राजु के लण्ड के पास के बालो मे फँसा हुवा था की उसेसे देखकर ही रुपा को अजीब सा लग रहा था जबकी उसकी माँ शायद उसके सिर को दबाकर उसे चटाने को कह रही थी..?

अपनी माँ के ही रुपा के सिर को अब राजु के लण्ड पर दबाने से उसकी नजरे एक बार फिर से लीला की नजरो से मिल गयी जिससे लीला शरम के मारे मुँह से तो कुछ कह नही सकी, मगर रुपा की आँखो मे देखते हुवे उसने हल्का सा अपनी गर्दन को उपर की ओर झटककर इशारा सा किया, जिससे रुपा भी अब अपनी माँ की ओर देखते देखते धीरे से अपना मुँह राजु के लण्ड के पास ले आई, मगर जैसे ही वो अपना सिर राजु के लण्ड के नजदीक लेकर गयी, राजु के लण्ड की महक के साथ साथ अपनी माँ के चुतरश की भी गन्ध उसके नथुनो मे भरती चली गयी जिससे रुपा के पुरे बदन मे जोरो की उत्तेजना का सा सँचार हुवा...

राजु के लण्ड पर फैले अपनी माँ के चुतरश की गन्ध से रुपा को उत्तेजना के साथ साथ अब एक अजीब ही रोमांच का सा अहसास करवा रही थी इसलिये अपने आप ही उसका सिर राजु के लण्ड पर झुकता चला गया।‌ एक हाथ से राजु के लण्ड को पकङकर उसने पहले तो अपनी जीभ निकालकर उसके लण्ड के सुपाङे को हल्का सा चाटकर देखा फिर मुँह खोलकर उसके लण्ड के सुपाङे को पुरा ही अपने मुँह मे भर लिया जिससे राजु के साथ साथ लीला भी अब सिसक सा उठी, क्योंकि राजु के लण्ड पर फैले अपने चुतरश को अपनी बेटी के चाटने से लीला को ऐसा महसूस हुवा मानो जैसे उसकी बेटी ने उसकी चुत को ही चाट लिया हो जिससे रोमाँच व उत्तेजना से वो भी सिसक सा उठी...

रुपा लीला की बगल मे ही बैठकर राजु के लण्ड व उस पर फैले लीला के चुतरश को चाट रही थी इसलिये लीला ने भी अब उसकी कमर मे हाथ डालकर उसके कुल्हो को उपर उठा लिया और उसकी चुत के मुँह से अपने होठो को जोङ दिया।‌अपनी चुत पर अपनी माँ के होठो की छुवन से रुपा भी सिसक सा उठी तो राजु के‌ लण्ड पर भी उसके मुँह की पकङ कस सा गयी जिससे राजु भी अब सुबक सा उठा...

रुपा अब राजु के लण्ड को चाटने मे व्यस्त हो गयी थी तो लीला‌ रुपा की चुत के रश को पीने मे मस्त हो गयी थी। दोनो माँ बेटी ही मजे‌ ले रही थी इसलिये राजु को अब और कुछ नही सुझा तो उसने भी लीला के कुल्हो को उठाकर अपने होठो को उसकी चुत के होठो से जोङ दिया, जिससे लीला भी अब फिर से सिसकने लगी।‌
उसकी चुत मे भी फिर से पानी‌ सा भरने लगा था इसलिये वो भी अब जल्दी जल्दी अपनी जुबान‌ को चलाकर रुपा की चुत को चुशने लगी जिससे रुपा राजु के लण्ड को और भी जोरो से चुशनी लगी..और रुपा के मुँह‌ की हरकत तेज होते ही राजु भी उत्तेजना के वश अब लीला की चुत को जोरो से चुशने चाटने लगा...

रुपा, लीला व राजु तीनो का आनन्द अब आपस मे जुङ सा गया था, क्योंकि जितनी जोरो से लीला रुपा की चुत को चाट रही थी, उतनी ही जोरो से रुपा भी राजु के लण्ड पर अपना मुँह चला रही थी और जितनी जोरो से रुपा राजु के लण्ड को चुशती उतनी ही जोरो से राजु भी अपनी बुवा की चुत को चुश रहा था। अब कुछ देर तो तीनो के बीच ये खेल चलता रहा, मगर फिर जल्दी ही उत्तेजना के वश दोनो माँ बेटी का ही दिल अब राजु के लण्ड को अपनी चुत से खाने को मचलने लगा, इसलिये रूपा अब राजु के लण्ड को छोङकर उससे अलग हो गयी, मगर रुपा के राजु के लण्ड को छोङते ही लीला ने उसे अपने मुँह मे भर लिया जिससे रुपा अब अपनी माँ के चेहरे की ओर देखने लगी...

दोनो‌ माँ बेटी की एक बार तो नजरे आपस मे मिली, मगर फिर लीला‌‌ समझ गयी की उसने तो अभी अभी ही राजु के लण्ड की सवारी करके उसके लण्ड को अपनी चुत से चुशा है, मगर उसकी बेटी की चुत अभी भी प्यासी है इसलिये वो भी राजु के लण्ड को छोङकर अलग हो गयी, लीला के छोङते ही रुपा ने अब राजु की बगल मे हाथ डालकर उसे बिस्तर पर बिठा लिया और उसके सिर को अपनी जाँगो के बीच दबाकर अपनी चुत पर उसके मुँह को लगाकर नीचे लेट गयी...


दोनो ही माँ बेटी का चुदाने का अलग अलग तरीका पसन्द था, माँ को जहाँ लण्ड की सवारी करके लण्ड को अपनी चुत से खाना पसन्द था तो वही बेटी को नीचे लेटकर अपनी चुत को कुटवाना ज्यादा पसन्द था इसलिये रुपा ने नीचे लेटकर पहले तो राजु के नाक व मुँह से अपनी चुत को अच्छे से रगङवाया फिर उसे सिर के बालो को पकङकर उसे अपने उपर खीँच लिया जिससे राजु भी उसके उपर चढकर लेट गया। राजु के उपर आते ही रुपा ने अब नीचे से उसे अपनी जाँघो बीच कस सा लिया तो‌ उपर से अपनी चुत के रश से सने उसके होठो को अपने मुँह मे भर लिया...

राजु का लण्ड भी गर्म गर्म चुत की नर्म नर्म दिवारो की शिकाई लेने के लिये झटके से खा रहा था इसलिये एक हाथ से अपने लण्ड को अपनी जीज्जी की गीली चुत के मुँह पर लगाकर उसने तुरन्त ही अब एक झटके मे अपने लण्ड को उसकी चुत की गहराई तक उतार दिया जिससे...

"ईईईश्श्श्.. ओ्ओ्ह्ह्य्..!" कहकर रुपा सुबक सा उठी तो वही उसकी बाँहे भी राजु पर एकदम कस सा गयी।

वैसे तो रुपा की चुत भी लण्ड खाने की भुखी थी मगर एक बार मे ही इस तरह राजु के पुरे लण्ड को खाकर हल्के मीठे से दर्द के कारण उसके मुँह से भी सुबकी सी निकल गयी थी जिससे उत्तेजना व आनन्द के वश उसकी बाँहे राजु पर एकदम कस सा गयी तो वही वो अपनी माँ की ओर देखने लगी मानो जैसे वो उससे पुछ रही हो की जो राजु एक एकदम अनाङी था वो ऐसे इतना खिलाङी कैसे बन गया, क्योंकि इतने दिन वो रुपा के साथ रहा था जिसमे उसने कितनी ही बार उसकी चुदाई भी की थी, मगर कभी भी वो खुद से अपने लण्ड को उसकी चुत मे नही घुसा पाता था..

हर बार रुपा को खुद ही अपने हाथ से उसके लण्ड को अपनी चुत का रास्ता दिखाना पङता था, मगर अब जिस तरह राजु ने खुद ही उसकी चुत के मुँह पर लगाकर अपने लण्ड को एक झटके मे ही उसकी चुत मे पुरा उतार दिया था उसे देख रुपा को हैरान सी हुई जिससे वो अब अपनी माँ की ओर देखने लगी, वो भी रुपा की ओर ही देख रही थी इसलिये रुपा की ओर देखकर वो भी अब हल्का मुस्कुरा सा दी, मानो जैसे राजु को ये सब सिखाने के लिये वो खुद पर नाज कर रही‌ हो...

खैर तब तक राजु अपना पुरा लण्ड अपनी जीज्जी की चुत मे उतारकर अपनी कमर को हरकत मे ले आया और उसकी चुत पर धक्के से मार मारकर अपने लण्ड को उसकी चुत की दिवारे से घीसना शुरु कर दिया जिससे रुपा भी अब मजे से...

ईईश्श्..आ्आ्ह्ह..
ईईईश्श्श्...आ्आ्ह्ह्ह.... करके सिसकने सा लगी। रुपा तो अब राजु से मजे ले रही थी, मगर लीला‌ की चुत मे अब फिर से कोलाहल सा मचने लगा था। अपनी बेटी को राजु से चुदाते देख लीला भी अपना एक हाथ नीचे ले जाकर
अब खुद ही अपने हाथ से अपनी चुत रगङने लगी तो साथ अपना दुसरा हाथ रुपा‌ की चुँचियो पर ले जाकर उसकी एक चुँची पकङकर उसने उसे मिचना सा शुरु कर दिया जिससे रुपा अब अपनी माँ की ओर देखने लगी..

रुपा का मजा अब दोगुना हो गया था, मगर उसने अपनी माँ को खुद ही अपनी चुत को इस तरह रगङते देखा तो उससे रहा नही गया इसलिये अपनी माँ को भी मजा देने के लिये उसने अपना एक हाथ बढाकर उसकी चुत पर रख दिया। लीला भी अब एक बार तो उसके हाथ को अपनी चुत पर दबाकर सिसक सा उठी मगर फिर अपने घुटनो के बल होकर वो रुपा के सिर के पास ही आकर खङी हो गयी जिससे रुपा अब अपनी माँ की ओर देखने लगी जो की उम्मीद भरी नजरो से उसे ही देख रही थी‌। दोनो माँ बेटी की अब एक बार तो नजरे मिली, फिर लीला ने रुपा की ओर देखते देखते अपनी आँखो को झपक सा दिया मानो वो उसे उपनी चुत को चाटने के लिये कह रही हो...

राजु के लण्ड पर लगे अपनी माँ के चुतरश का स्वाद अभी भी रुपा मुँह घुला हुवा था इसलिये रुपा ने भी हल्का सा गर्दन को उठाकर अपनी माँ की चुत से अपने होठो से जोङ दिया। रुपा अपनी माँ की चुत को चुशने चाटने लगी तो वही लीला ने भी उसकी दोनो चुँचियो को बदल बदलकर जोरो से मिचना सा शुरु कर दिया जिससे राजु के धक्को के साथ साथ रुपा की कमर अपने आप ही थीरकने सा लगी..

उसका मजा अब तीन गुना हो गया था, क्योंकि अपनी माँ के उसकी चुँचियो को मसले जाने के साथ साथ उसे अपनी माँ के चुतरश का स्वाद‌ भी मिल रहा था, उपर राजु तो उसकी चुत को कुट रहा ही था इसलिये उत्तेजना व आनन्द के वश अब वो भी नीचे से अपनी कमर को उचका उचकाकर राजु के लण्ड से अपनी चुत की दीवारों को घीसने लगी..

इधर राजु के लण्ड को पहले ही लीला एक बार तो अपनी चुत से चुश चुकी थी, उपर से कुछ देर रुपा ने भी उसके लण्ड को अपने मुँह मे लेकर चुशा था और अब फिर से रुपा उसे अपनी चुत मे निँगले उसे चुश सा रही थी इसलिये राजु को अपना चर्म करीब ही नजर आने लगा था। वो कुछ देर तो ऐसे ही धीरे धीरे धक्के लगाते रहा, फिर अपने दोनो हाथ रुपा की बगल मे रख कर अपनी कमरे से उपर वाले हिस्से को उपर उठा लिया और जोरो से धक्के लगा लगाकर रुपा की चुत को कुटना शरु कर दिया जिससे रुपा अब अपनी माँ की चुत को चुशना भुलकर जोरो से
ईईश्श्.. आ्आ्ह्ह्..
ईईईश्श्श्... आ्आ्आ्ह्ह्ह...
ईईईश्श्श्श्... आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्... की किलकारीयाँ सी मारते हुवे खुद भी जोरो से अपनी कमर को उचका उचकाकर अपनी चुत की दिवारो को राजु के लण्ड से घीसने लगी...

रुपा भी अपनी मँजिल के करीब ही आ गयी थी इसलिये राजु के हर एक धक्के के साथ वो जोरो से कुकने लगी थी। अब राजु तो अपने हाथो के बल होकर उसकी चुत को बजाने मे व्यस्त हो गया था इसलिये लीला खुद ही रुपा के सिर के दोनो ओर पैर करके उसके मुँह पर अपनी चुत को लगाकर बैठ गयी और उसके नाक व मुँह पर अपनी चुत की फाँको को रगङने लगी जिससे रुपा की सिसकारीयाँ अपनी माँ की चुत की फाँके के बीच ही दबकर दम तोङने लगी...

तब तक राजु भी अपने पुरे जोश मे आ गया और अपनी पुरी ताकत व तेजी से धक्के लगा लगाकर रुपा की चुत को‌ नर्म नाजुक दीवारों को उधेङना सा शुरु कर दिया जिससे अब कुछ ही देर मे रुपा का बदन ऐठने लगा। उसने पाँच सात बार तो नीचे से अपनी कमर को उचका उचकाकर राजु के लण्ड से अपनी चुत को घीसते हुवे...

ऊ्ऊ्म्म्ह्ह्..
ऊ्ऊ्ऊम्म्म्ह्ह्ह..
ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्म्म्म्म्ह्ह्ह्ह... कहकर चिखने की कोशिश सी तो की मगर उसकी चीखे अपनी माँ की चुत की फाँको के बीच ही दम‌ तोङ कर रह गयी..

मगर फिर इसी के साथ रुपा के धक्के छोटे होते चले गये तो वही उसकी चीखे भी कम होती चली गयी और रह रहकर उसने अपनी चुत की मांसपेशियों से राजु के लण्ड को चुशने के साथ साथ अपनी चुत का रश भी पिलाना शुरु कर दिया। अपनी चुत की मांसपेशियां से वो राजु के लण्ड को इतनी जोरो से निचौङने लगी थी की राजु से भी रहा नही गया। लीला राजु की ओर ही मुँह किये रुपा के मुँह पर अपनी चुत को रगङ रही थी जिससे अनायास ही उसके होठ अब लीला के होठो से जुङ गये तो उसके बिना कुछ करे ही अब अपने आप उसके लण्ड ने रुपा की चुत मे वीर्य उगलना शुरु कर दिया...

रुपा व राजु दोनो ही धीरे धीरे ठण्डे पङने लगे थे मगर उन्हे ठण्डा होते देख लीला की आँखो मे एक चमक सी आती जा रही थी। वैसे तो उसकी चुत मे अभी भी आग सी‌ लगी हुई थी इसलिये वो अभी भी अपनी चुत को रुपा के मुँह से रगङे जा रही थी, मगर अपनी बेटी व राजु को ठण्डा होते देख उसकी आँखो की चमक सी बढती जा रही थी।‌ शायद ये चमक इस बात की थी की अपनी बेटी के बाद अब खुद राजु के लण्ड को अपनी चुत से खा सकेगी, मगर जैसे ही वो दोनो ठण्डे होकर निढाल से हुवे लीला ने रुपा के मुँह पर बैठे बैठे ही राजु को उसके सिर के बालो से‌ पकङकर उसकी चुत पर से हटा दिया और खुद उसकी चुत की ओर मुँह करके उस पर पसर सा गयी...

रुपा की चुत की ओर अब लीला का मुँह था और उसकी चुत की ओर रुपा का मुँह, इसलिये उसने रुपा की जाँघो को फैलाकर अपना सिर अब सीधा ही उसकी जाँघो के बीच घुसा दिया और अपनी बेटी की चुत मे भरे राजु के वीर्य व उसकी चुत के रशखलन के रश को चाट चाटकर गटकने लगी। अपनी माँ का ये वहशीपन देख रुपा भी अब सहम सा गयी और अपनी जाँघो को फैलाकर राजु के वीर्य से भरी अपनी चुत को उसके आगे परोश सा दिया जिसे लीला भी इतनी जोरो से उसकी चुत को चाट चाटकर चुत मे भरे राजु के वीर्य व उसकी चुत के रशखलन को चुशने लगी की रुपा भी सिसकने सा लग गयी...

रुपा अभी भी रशखलन की खुमारी‌ मे थी मगर लीला‌ इतनी जोरो से उसकी चुत को चुश चाट रही थी की अपने आप ही उसकी चुत मे फिर से पानी सा भर आया, मगर लीला ने अब पहले तो राजु के वीर्य से भरी अपनी बेटी की चुत मे भरे राजु के वीर्य व उसके रशखलन के रश को चाटा फिर राजु को नीचे पटक कर उसके लण्ड पर टुट पङी और उसके‌ लण्ड पर भी जमे‌ अपनी बेटी‌ के चुतरश को चाट चाटकर गटकने‌ लगी...

राजु का लण्ड भी वीर्य उगलकर मुर्छित सा होकर पङा गया था, मगर लीला के चाटने से उसमे भी अब फिर से जान सी आने लगी इसलिये ‌लीला‌ ने उसे चुश चाटकर पहले तो अच्छे से खङा किया, फिर उसे अपनी चुत मे‌ निँगलकर उसके उपर बैठ गयी। लीला ने रुपा की चुत को चाटकर उसकी चुत मे भी एक तो पानी सा‌ ला दिया था उपर से अपनी माँ को‌ अब राजु के‌ लण्ड की फिर से सवारी करते देख वो भी फिर से उत्तेजित हो गयी थी इसलिये वो भी अब फिर से राजु के मुँह पर अपनी चुत लगाकर बैठ गयी...


अब इसी तरह रात भर दोनो माँ बेटी राजु के लण्ड को अपनी अपनी चुतो‌ से जब तक चुशती रही जब तक खुद‌ दोनो‌ माँ बेटी थककर चुर नही हो गयी तो साथ ही उनकी चुते भी राजु के लण्ड से घीस घीसकर एकदम लाल नही हो गयी, मगर एक बार जो उन्हे इस खेल का चश्का लगा तो फिर उनका ये खेल रोजाना ही चलना शुरु हो गया। तीनो के बीच किसी‌ भी बात का कोई पर्दा नही रहा था जिससे रुपा व लीला दोनो माँ बेटी मिलकर रात मे तो राजु के लण्ड को अपनी चुत से चुशती ही, दिन मे भी दोनो मे से कीसी को भी कोई मौका मिल जात तो वो राजु के लेकर कमरे मे घुस जाती जिससे देखते ही देखते कब रुपा को पाँचवाँ महीना लग गया उन्हे पता ही नही चला, पाँचवे महिने मे एक तो रुपा की गोद भराई की रश्म‌ होनी थी उपर से उसका पेट भी काफी बढ आया था इसललिये वो अपने ससुराल आ गयी...
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अब गोद भराई मे एक तो रुपा को आशीर्वाद व उपहार देने लगभग सभी ही रिश्तेदारो को आना था उपर से रुपा अपनी गोद भराई के बस एक दिन पहले ही अपने ससुराल गयी थी इसलिये उसकी गोद भराई मे सामिल होने के लिये लीला व राजु भी रुपा के साथ ही उसके ससुराल आ गये जहाँ रुपा की ननद व ननदोई पहले ही आये हुवे थे...

वैसे तो रुपा की ननद एक सात साल की लङकी की माँ थी मगर उसे भी एक बच्चे की और चाह थी। उसे जो लङकी थी वो शादी के पहले महिने उसे ही पेट पङ गयी थी मगर बहुत कोशिशों के बाद भी उसके बाद वो कभी भी उम्मीद से नही हो पाई थी। इसके लिये उसने भी काफी दवा दारु व नीम हकिमो के चक्कर तक लगा लिये थे मगर अभी तक उसे एक बार भी कभी कोई उम्मीद तक नही बँधी थी...


रुपा जब पेट से हुई थी तब उसके ससुराल की बहुत सी औरतो ने उससे पुछा था की बच्चा होने के लिये कहाँ से दवा दारु या झाङ फुक करवाया है, जिसके बारे मे रुपा ने किसी को कुछ बताया नही था, मगर एक बार अपनी सास के पुछने पर उसने ऐसे ही उसे ताना देने के लिये कह दिया था की उसकी माँ ने उससे राजु के साथ मिलकर कुछ टोटके करवाये है जिससे वो पेट से हुई है.... अब वो बात शायद रुपा की सास ने उसकी ननद को बताई होगी की मौका मिलते ही वो लीला से पुछ बैठी की उसने रुपा को ऐसे कौन से टोटके राजु के साथ करवाये है जो वो पेट से हो गयी..?

अब लीला भी उसे बताती तो क्या बताती, की उसने रुपा से कौन से वाले टोटके करवाये है..? इसलिये उसने उसे बाद मे बताने का कहकर टाल दिया, मगर रात ने खाना खाने के बाद रुपा की सास, उसकी ननद, लीला, राजु व रुपा एक ही कमरे मे मे बैठे हुवे थे इसलिये...

"वो भाभी आपने कहाँ से जादु टोना, या दवा करवाई है मुझे भी बता ना ताकी मेरी भी गोद फिर से हरी हो सके..?" रुपा की ननद ने अब रुपा से पुछ लिया...

उस समय तो रुपा ने राजु के साथ टोने टोटके करने की बात ऐसे ही अपनी सास पर ताना कसने के इरादे से कह दी थी, मगर अब वो अपनी ननद से क्या कहती..? रुपा के पास अब इस बात का कोई जवाब नही था, मगर उस समय राजु उनके पास ही बैठा हुवा था इसलिये..

"अरे कुछ नही जीज्जी..! बस कुछ टोने टोटके है जो मैने और जीज्जी ने साथ मे मिलकर किये है..!" राजु ने अब सीधा ही रुपा की ननद की ओर देखते हुवे कहा जिससे रुपा व लीला दोनो ही उसकी ओर आँखे निकालकर देखने लगी तो...

"हाँ.. हाँ...! बहु तु भी एक बार बता रही थी ना, की तुने राजु के साथ कुछ टोटके किये है, इसे भी बता ना, उपर वाला बस इसे एक लङकी ही देकर रह गया अब वो सात साल की होने का आ गयी तब से इसने दर दर की खाक छान ली, मगर उपर वाला सुन ही नही रहा..!" रुपा की सास ने भी अब राजु की हाँ मे हाँ मिलाते हुवे रुपा की ओर उम्मीद भरी नजरो से देखते हुवे कहा मगर अब रुपा कुछ कहती तब तक...

"हाँ..हाँ... मौसी जी पर इसके लिये ना शन्नो जीज्जी (रुपा की ननद) को हमारे घर भेज दो.. इसके लिये उन्हे कुछ दिन हमारे साथ ही हमारे घर पर रहना होगा, तब मै उनके साथ ये टोने टोटके करुँगा..! और आजकल तो बुवा भी हमारे साथ ये टोटके करती है..!" राजु अब रुपा व लीला की ओर बारी बारी देखते हुवे कहा जिससे रुपा अब शरम हया के मारे अपना एक हाथ मुँह पर लगाकर हँशने लगी तो लीला भी उसकी इस बदमासी भरी बात पर हँशे बिना नही रह सकी...!



{समाप्त}
Umda end
Aap story ko aage bhi badate to aur maza aata .
 

Colonel_RDX

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बहुत ही रोचक, कामुक और उत्तेजक कथा रही। लेखक महोदय को उनकी इस कृति की समाप्ति पर धन्यवाद और बधाई।
 
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Dhakad boy

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अब गोद भराई मे एक तो रुपा को आशीर्वाद व उपहार देने लगभग सभी ही रिश्तेदारो को आना था उपर से रुपा अपनी गोद भराई के बस एक दिन पहले ही अपने ससुराल गयी थी इसलिये उसकी गोद भराई मे सामिल होने के लिये लीला व राजु भी रुपा के साथ ही उसके ससुराल आ गये जहाँ रुपा की ननद व ननदोई पहले ही आये हुवे थे...

वैसे तो रुपा की ननद एक सात साल की लङकी की माँ थी मगर उसे भी एक बच्चे की और चाह थी। उसे जो लङकी थी वो शादी के पहले महिने उसे ही पेट पङ गयी थी मगर बहुत कोशिशों के बाद भी उसके बाद वो कभी भी उम्मीद से नही हो पाई थी। इसके लिये उसने भी काफी दवा दारु व नीम हकिमो के चक्कर तक लगा लिये थे मगर अभी तक उसे एक बार भी कभी कोई उम्मीद तक नही बँधी थी...


रुपा जब पेट से हुई थी तब उसके ससुराल की बहुत सी औरतो ने उससे पुछा था की बच्चा होने के लिये कहाँ से दवा दारु या झाङ फुक करवाया है, जिसके बारे मे रुपा ने किसी को कुछ बताया नही था, मगर एक बार अपनी सास के पुछने पर उसने ऐसे ही उसे ताना देने के लिये कह दिया था की उसकी माँ ने उससे राजु के साथ मिलकर कुछ टोटके करवाये है जिससे वो पेट से हुई है.... अब वो बात शायद रुपा की सास ने उसकी ननद को बताई होगी की मौका मिलते ही वो लीला से पुछ बैठी की उसने रुपा को ऐसे कौन से टोटके राजु के साथ करवाये है जो वो पेट से हो गयी..?

अब लीला भी उसे बताती तो क्या बताती, की उसने रुपा से कौन से वाले टोटके करवाये है..? इसलिये उसने उसे बाद मे बताने का कहकर टाल दिया, मगर रात ने खाना खाने के बाद रुपा की सास, उसकी ननद, लीला, राजु व रुपा एक ही कमरे मे मे बैठे हुवे थे इसलिये...

"वो भाभी आपने कहाँ से जादु टोना, या दवा करवाई है मुझे भी बता ना ताकी मेरी भी गोद फिर से हरी हो सके..?" रुपा की ननद ने अब रुपा से पुछ लिया...

उस समय तो रुपा ने राजु के साथ टोने टोटके करने की बात ऐसे ही अपनी सास पर ताना कसने के इरादे से कह दी थी, मगर अब वो अपनी ननद से क्या कहती..? रुपा के पास अब इस बात का कोई जवाब नही था, मगर उस समय राजु उनके पास ही बैठा हुवा था इसलिये..

"अरे कुछ नही जीज्जी..! बस कुछ टोने टोटके है जो मैने और जीज्जी ने साथ मे मिलकर किये है..!" राजु ने अब सीधा ही रुपा की ननद की ओर देखते हुवे कहा जिससे रुपा व लीला दोनो ही उसकी ओर आँखे निकालकर देखने लगी तो...

"हाँ.. हाँ...! बहु तु भी एक बार बता रही थी ना, की तुने राजु के साथ कुछ टोटके किये है, इसे भी बता ना, उपर वाला बस इसे एक लङकी ही देकर रह गया अब वो सात साल की होने का आ गयी तब से इसने दर दर की खाक छान ली, मगर उपर वाला सुन ही नही रहा..!" रुपा की सास ने भी अब राजु की हाँ मे हाँ मिलाते हुवे रुपा की ओर उम्मीद भरी नजरो से देखते हुवे कहा मगर अब रुपा कुछ कहती तब तक...

"हाँ..हाँ... मौसी जी पर इसके लिये ना शन्नो जीज्जी (रुपा की ननद) को हमारे घर भेज दो.. इसके लिये उन्हे कुछ दिन हमारे साथ ही हमारे घर पर रहना होगा, तब मै उनके साथ ये टोने टोटके करुँगा..! और आजकल तो बुवा भी हमारे साथ ये टोटके करती है..!" राजु अब रुपा व लीला की ओर बारी बारी देखते हुवे कहा जिससे रुपा अब शरम हया के मारे अपना एक हाथ मुँह पर लगाकर हँशने लगी तो लीला भी उसकी इस बदमासी भरी बात पर हँशे बिना नही रह सकी...!



{समाप्त}
Bhut hi badhiya kahani or ekdum badhiya end
Ab pratiksha rahegi agli kahani ki
 
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Napster

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लीला ने अब जब तक दुध निकाला तब तक रुपा ने भी चाय बना ली, इसलिये तीनो ने अब साथ मे ही बैठकर चाय पी। चाय पीने के बाद दोनो माँ बेटी ने मिलकर पहले तो आँगन मे झाङु आदि निकालकर घर की थोङी बहुत साफ सफाई की, फिर ऐसे ही इधर उधर की बाते करते हुवे दोनो रात के लिये खाना बनाने लग गयी। रुपा ने जब तक सब्जी बनाई तब तक लीला ने आटा गुँथ लिया था इसलिये रुपा अब लीला के साथ ही बैठकर रोटी भी बनवाने लग गयी।

रोटी बनाने के बाद लीला तो बर्तन आदि समेटने लग गयी और रुपा वही रशोई मे ही बैठकर खाना खाने लग गयी, मगर इस बीच किसी ना किसी बहाने राजु रुपा के ईर्द गीर्द ही घुमते रहा इसलिये उसने रुपा खाना खाते देखा तो वो भी उसके साथ ही खाना खाने बैठ गया, मगर जब तक रुपा ने खाना खाया राजु तब तक तो खाना खाते रहा और जैसे ही रुपा खाना खाकर हाथ धोने लगी राजु भी उठकर खङा हो गया और...

"चलो जीज्जी हम चलकर अब आराम करते है..!" राजु ने भी हाथ धोते हुवे कहा जिससे रुपा की नजर तुरन्त अपनी माँ की ओर चली गयी, वो भी रुपा की ओर ही देख रही थी इसलिये दोनो की नजरे मिली तो दोनो को ही हँशी आ गयी।

"तु चल... मै माँ के साथ बर्तन साफ करवाकर आऊँगी..!" राजु के इस तरह आगे पीछे घुमने व बार बार उसे आराम‌ करने के लिये कहने पर रुपा को भी शरम सी आ रही थी इसलिये एक बार अपनी माँ की ओर देख उसने अब गर्दन झुकाकर नीचे की ओर देखते हुवे कहा, मगर तभी..

"आ रही है, जा तु जाकर तब तक बिस्तर ठीक कर..!" लीला ने अब राजु की ओर देखते हुवे कहा जिससे राजु भी अब जल्दी से हाथ धोकर रशोई से बाहर निकल गया।

"जा तु कर ले आराम इसके साथ तब तक मै खाना खाकर बर्तन साफ कर लुँगी..!" लीला ने अब रुपा की ओर देखकर हँशते हुवे कहा जिससे रुपा और भी शरमा सी गयी और..

"न्.न.नही..!" शरम के मारे रुपा ने अब लीला की ओर देखकर मुस्कुराते हुवे ही कहा जिससे..

लीला: क्यो तँग कर रही है तु उसे, जा नही तो फिर से रशोई मे आकर खङा हो जायेगा..!"

रुपा: नही मुझे नही जाना..

"अरे क्यो तँग कर रही है, जा ना... मै बोल रही हुँ ना, मै बर्तन साफ करके रशोई की साफ सफाई कर लुँगी तब तक हो जायेगा तुम्हारा..!" लीला ने अब खुलकर कहा जिससे रुपा शरम से पानी पानी ही हो गयी। वो अब कुछ कहती तब तक लीला उसका हाथ पकङकर उसे रशोई से बाहर निकाल आई।

घर मे अपनी माँ के होते रुपा को राजु के पास जाने मे शरम तो आ रही थी, नही तो वो अपने ससुराल से ही सोचकर आई थी की घर जाते ही वो किसी ना किसी बहाने राजु को अपने उपर चढा लेगी, इसलिये अब राजु के पास जाने के लिये खुद उसकी माँ ने ही उसे हाथ पकङकर रशोई से बाहर निकाल दिया तो वो भी राजु के पास कमरे मे आ गयी और कमरे का दरवाजा अन्दर बन्द कर सीधे ही राजु पर टुट सा पङी...

इधर रशोई मे खाना खाकर, बर्तन आदि साफ करके लीला ने रशोई की साफ सफाई के भी सारे काम निपटा लिये थे इसलिये रशोई से निकलकर वो अब बाहर आ गयी। बाहर आकर उसने देखा की कमरे का दरवाजा अभी तक बन्द ही था और अन्दर से रुपा की सिसकियो के साथ "पट्..पट्..!" व पलँग के चरमराने की सी आवाजे आ रही थी जिससे लीला को भी अपनी चुत मे चिँटियाँ सी काटती महसूस हुई तो वो तुरन्त वहाँ हट गयी।

उसने पहले तो कोने मे जाकर पिशाब किया, फिर घर के दरवाजे को बन्द करके अन्दर से कुण्डी लगाकर वापस आ गयी, अन्दर कमरे से आ रही रुपा की सिसकियो व "पट्.पट्..!"की आवाजे अब तेज हो गयी थी इसलिये लीला का अब एक बार तो दिल किया की वो अपनी बेटी व राजु की इस तरह की आवाजे ना सुने और वापस रशोई मे ही चली जाये, मगर कमरे से आ रही इन उत्तेजक आवाजो को सुनकर लीला की चुत मे भी पानी सा भर आया था इसलिये उसके पैर वही के वही जम से गये....

लीला का मन तो कर रहा था की अन्दर रुपा व राजु कैसे क्या कर रहे है वो उन्हे देखे मगर एक तो कमरे के अन्दर की उन्होंने लाईट बन्द कर रखी और दुसरा कमरे के दरवाजे व खिङकी मे ऐसा कोई छेद या सुराख भी नही था जहाँ से वो उन्हे देख सके, मगर इधर कमरे के अन्दर से आ रही आवाजे अब धीरे धीरे और भी तेज होने लगी थी जिससे लीला की चुत बहने सा लगी, वो कभी पेन्टी तो पहनती थी नही इसलिये उसकी चुत से पानी सा रिश रिश कर उसकी जाँघो तक बहने लगा, मगर तभी कमरे आ रही आवाजे अचानक से बहुत तेज हो गयी और फिर तभी रुपा की सिसकियो की आवाज पहले तो सुबकियो मे बदली, फिर सुबकीयाँ हिचकियो मे बदलती और वो भी..

"ही्ही्ईई्च्च.ईईईश्श्श् रा्आ्जुऊह्ह्ह...
ही्ई्च्च्च. ईईश्श्श्.रा्आ्जुऊह्ह्ह...
ही्च्च्.ईश्श्.रा्जूउह्.." करते हुवे छोटी होती चली गयी, इसके साथ ही राजु की के मुँह से ..

ईश्.जीज्जीईई..आ्ह्ह्ह्....
......ईईश्श्श्. आ्ह्ह्..
..........ईशश्.आ्ह.... कुछ कराहे तो निकली फिर वो भी शाँत होता चला गया जिससे ना चाहते हुवे भी लीला का हाथ अब अपनी चुत पर चला गया।

कमरे के अन्दर से आ रही आवाजे अब बिल्कुल बन्द हो गयी थी और एक सन्नाटा सा पसर गया था इसलिये लीला कमरे के पास से हट गयी। कमरे से रुपा व राजु मे से कोई भी बाहर आ सकता था इसलिये रशोई का दरवाजा खोलकर लीला अब वापस रशोई रशोई मे घुस गयी। रशोई मे कोई काम तो था नही मगर फिर भी रशोई मे आकर वो अब बर्तनो को इधर उधर करने लगी, ताकी रुपा या राजु मे से कोई अगर बाहर निकले तो उन्हे लगे की वो अभी तक रशोई मे ही काम कर रही है...

अब कुछ देर तो लीला ऐसे ही रशोई मे खङे खङे बर्तनो को इधर उधर करती रही, मगर उसे ज्यादा इन्तजार नही करना पङा, क्योंकि कुछ देर बाद ही कमरे का दरवाजा खुल गया। कमरे का दरवाजा रुपा या राजु जिसने भी खोला वो कमरे से बाहर नही निकला, उसने बस दरवाजा ही खोला और वापस अन्दर चला गया इसलिये लीला भी कुछ देर बाद रशोई से निकलकर बाहर आ गयी।

लीला ने अभी अभी ही पिशाब किया था इसलिये उसे पिशाब तो नही लगी थी, मगर रुपा व राजु की प्रेमलीला की उत्तेजक आवाजे सुनकर उसकी चुत ने पानी छोङ छोङकर उसकी जाँघो तक को गीलाकर दिया था इसलिये रशोई का दरवाजा बन्द करके वो सीधे कोने मे जहाँ पिशाब करते है वहाँ जाकर अपनी साङी व पेटीकोट उठाकर बैठ गयी। उसकी पिशाब की थैली मे अभी तक जितना भी पिशाब बना था उसने पहले तो उसे खाली किया, फिर बाल्टी से पानी लेकर अपनी चुत वा जाँघो को अच्छे से धोकर वो भी अब कमरे मे आ गयी।

कमरे मे की लाईट बन्द थी इसलिये वैसे तो कमरे मे अन्धेरा ही फैला था मगर दरवाजे से जो चाँद की थोङी बहुत रोशनी आ रही थी उसकी रोशनी मे रुपा व राजु पलँग पर लेट साफ नजरे रहे थे। राजु दिवार की ओर मुँह किये लेटा था तो रुपा ने पलँग के किनारे की ओर मुँह किया हुवा था इसलिये...

"सो गये क्या..? लीला ने रुपा व राजु की ओर देखते पुछा जिसका रुपा व राजु दोनो मे से किसी ने भी कोई जवाब नही दिया, मगर शरम के मारे रुपा ने पास ही रखी चद्दर को खिँचकर ओढ सा लिया।

लीला भी सब समझ रही थी इसलिये उसने दोबारा से कुछ नही कहा और अपने लिये चारपाई बिछाने लग गयी। चारपाई बिछाकर लीला अब एक बार तो उस पर लेटने को हुई मगर फिर वो कुछ सोचने सा लगी, और ना जाने उसके दिमाग मे क्या आया की...

"सुन...! तु उधर जाकर सो चारपाई पर..!, इसका कोई भरोसा नही सोते सोते कही पेट पर हाथ पैर मार दिया तो पेट के बच्चे को चोट लग जायेगी..? ये कहते हुवे वो अब पलँग के पास आकर खङी हो गयी।

रूपा को अब ये एक बार तो थोङा अजीब सा लगा, मगर फिर कुछ सोचकर वो मन ही मन मुस्कुरा सी उठी, क्योंकि अभी ठीक से दो महिने भी नही हुवे थे उसे पेट से हुवे जो पेट के बच्वे को चोट लगे, उपर से लीला ने खुद ही तो उसे राजु के साथ सोने‌ के लिये भेजा था, और अब उसके पास सोने से बच्चे को चोट लगनी की बात कह रही थी..! रुपा भी समझ गयी थी की उसकी माँ ऐसा क्यो‌ कह रही है इसलिये वो अब चुपचाप पलँग पर से उठकर चारपाई पर जाकर लेट गयी तो लीला ने भी अपनी साङी को तो खोलकर सिराहने रख दिया और पेटीकोट व ब्लाउज मे होकर रुपा की जगह राजु की बगल मे पलँग पर अब खुद लेट गयी....
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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