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Incest जिन्दगी ## एक अनाथ की##

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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भाई आज छुटी थी इस वजह से तीन उपडेट दे सका हु ,कल सुबह की शिफ्ट होगी और सोमवार होने से काम भी ज्यादा होगा ,इसलिये मैने कल का भी एक अपडेट दे दिया है ,कल समय मिला तो और उपडेट जरुर दूँगा ,नही दे पाया तो पहले ही आपकी माफी चाहता हु ,आपका दोस्त गोल्डी
Koi baat nahi goldy bhai.
Aapne 3 update Diye hai.
Wo bohot badi baat hai.
Hum wait kar Lenge.
Aapke Teeno update Jabarjust The dhasu update And fadu story 👌👌
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Anuj.Sharma

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Bahut hee behtarin updates they tino…
 

Naik

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Update 107
पाताल के अँधरे में बनी एक जगह जिसका निर्माण सिर्फ पुण्यवान लोगो को भक्ति करने के लिए किया गया था ,इस जगह पर पहले महाराज बलि तप किया करते थे ,आज उस जगह पर बैठकर तप करने वाला कोई और नही बल्कि भुजंग था पिछले हजार वर्षों से वो त्रिदेवो की आराधना कर रहा था ,उसके सामने एकदम लाखो सूर्य एकसाथ उदय होने के बाद दिखने वाला दिव्य प्रकाश हो गया ,उसकी आंखें एक दिव्य आवाज से खुल गई जो स्वयं भगवान विष्णु की थी ,उठो भुजंग हम तुम्हारी साधना से खुश हो गए है ,तुम अपनी आंखें खोल सकते हो ,अपने कानों में इस आवाज के पड़ते ही भुजंग की आंखे खुल गई ,उसके सामने तीनो त्रिदेव खड़े थे ,भुजंग ने उन तीनों को साष्टांग दंडवत प्रणाम किया ,तीनो ने उसे आशिर्वाद दिया ,जिसकी वजह से हजारो साल से तप में बैठकर भुजंग का शरीर एकदम कमजोर हो गया था ,वो एकदम से बिल्कुल स्वस्थ हो गया था ,भुजंग ने त्रिदेवो से कहा ,आपका में सदैव में ऋणी हु भगवान आपके इस दास पर आपकी कृपा हमेशा ऐसे ही बनाकर रखिये ,
भगवान विष्णु बोले ,जब तक तुम नेक राह पर चलते रहोगे हम सदैव तुम्हारे पीछे होंगें पर जिस दिन तुम गलत राह पर निकलोगे उस वक्त तुम हमारे पिछे नही होने वाले
भुजंग बहुत ही नम्र भाव से बोला ,भगवान ना में कभी सत्कर्म छोडूंगा और न ही कभी कोई गलत काम करने की कोशिश करूँगा ,में सदैव आपकी भक्ति ही करना चाहता हु ,
भगवान विष्णु हसकर बोले ,तुम हो एकदम चतुर ,40 हजार साल के तुम हो गए हो उसमे से तुमने सिर्फ बचपन के 500 वर्ष और अपने राक्षसलोक मे उसे बसाकर 2 हजार साल रहकर बिताए है ,बाकी तुमने 37 हजार 500 वर्ष सिर्फ तपस्या ही कि हे ,तुमने पहली बार तपसाधना करके ज्ञान का वर लिया ,दूसरी बार दिव्य दृष्टि ,तीसरी बार माया विद्या ,चौथी बार दीर्घ आयु ,पांचवी बार दिव्य सन्तान ,छठी बार से तुमने सिर्फ हम तीनों से हमारे अस्रो का ही वर लिया है ,तुम्हारे पास हम तीनो के शस्र है वो भी 2 की संख्या में ,तुम्हारे पास त्रिदेवियों के द्वारा प्राप्त बहुत से दिव्य वरदान भी मिले हुवे है ,तुम दुनिया के पहले और एकमात्र व्यक्ति हो जिसके पास इतना सा कुछ है ,फिर भी तुम तपसाधना करके कुछ हासिल करने का मोह रखते हो ,बोलो तुम्हे क्या चाहिये हम तीनों से ,यह तुम्हारा आखरी मौका है हमसे कुछ मांगने का ,इसके बाद हम तुम्हे कोई वरदान नही देंनेवाले है चाहे तुम हमारी कितनी भी तपश्चर्या कर लो ,एक व्यक्ति को जितना दिया जाए उसके मुकाबले तुम्हे 10 गुना ज्यादा ही मिल चुका है ,आजतक के सबसे बलवान और शक्तिशाली राक्षस हो तुम ,जितनी तुम्हारे अंदर शक्तिया है उतनी आज से पहले किसीके पास नही थी ,तुम एक राक्षस होकर भी हमने कभी तुम्हे कुछ देने में संकोच नही रखा है ,ना अब करने वाले है ,तुम हमसे अमर होने के अलावा जो चाहे वो योग्य वरदान मांग सकते हो ,पर कुछ मांगने से पहले एक बार अपने राक्षसलोक को देख लो ,क्योकि तुम्हे वरदान मांगने के बाद कोई पछतावा न हो कि तुमको यह बात पहले क्यो पता नही थी ,अपनी दिव्य दृष्टि का उपयोग कर के देख लो ,फिर अपने वरदान मांगने के बारे में सोचना ,
भगवान विष्णु की बात सुनकर भुजंग थोड़ा हिल गया ,उसने तुरंत अपने दिव्य दृष्टि का इस्तेमाल करके राक्षसलोक का ध्यान किया ,जब उसने सम्पूर्ण राक्षसलोक को अच्छे से देखा तो वो दर्द और गुस्से के कारण एकदम लालपिला हो गया ,उसे क्या कहे समझ नही आ रहा था ,भुजंग का बसाया राक्षसलोक बर्बाद हो गया था ,उसके सिर्फ 141 बेटे जिंदा थे राक्षसलोक में ,20 उसके साथ पाताल में मौजूद थे ,839 बेटे मारे गए थे ,रानीमहल को भी पूरा ध्वस्त कर दिया गया था ,रानीमहल में भुजंग की एक भी पत्नी या बेटी नही थी ,सब की सब उसके बेटो को घरमे नंगी हालात में बंधी हुवीं थी ,राक्षसलोक में 200 अरब से ज्यादा राक्षस आपस मे लड़कर मारे गए थे ,यहा तक उसकी त्रिदेवियों से प्राप्त दो दिव्य कन्याए भी रानीमहल से गायब हो गयी थी ,अपनी हजारो वर्षों की मेहनत से खड़े किये राक्षसलोक को इस बुरी हाल में देखकर भुजंग को बहुत बुरा लग रहा था ,इस सबकी जड़ विचित्र के लिये उसके मन मे बहुत ज्यादा नफरत औरत गुस्सा भर गया था ,अपने गुस्से पर काबू करता भुजंग अपनी आंखें बंद करके थरथर कांप रहा था ,आज जीवन मे पहली बार उसकी ऐसी हालत हो गयी थी ,किसी दुश्मन ने ऐसा किया होता तो वो उसे जान से मार कर अपना बदला पूरा करता पर अपने ही बेटो की इस हरकत से उसे बहुत ज्यादा बुरा लगने लगा था ,अपने आप को शांत करके उसने त्रिदेवो से कहा ,राक्षसलोक की हालत देखकर मुझे बहुत दुख हो रहा है प्रभु ,राक्षसलोक की ऐसी हालत कभी होगी ऐसा मेंनें सपने में भी नही सोचा था ,मेरे बेटे कितने हवसी है इस बात का मुझे पता था ,पर अपनी हवस के चलते एक दुसरे की जान तक ले सकते है इस बात का मुझे थोड़ा भी आभास नहीं था ,क्या में आप से एक बात पूछ सकता हु ,
भगवान विष्णु ,भुजंग मेंनें पहले ही कह दिया है यह तुम्हारा आखरी मौका है वरदान पाने का उसके बाद तुम कितनी भी तपसाधना कर लो हम कोई भी वरदान नही देंगे तुम्हे ,ना ही त्रिदेविया कोई वरदान देगी ,तुम्हारी तपसाधना के बदले सिर्फ सुख और शांति का ही आशीर्वाद मिलेगा ,
भुजंग यह सब सुनकर बहुत बड़ी सोच में पड़ गया ,उसने पहले जो वरदान मांगने के बारे में सोचा था वो मांगे या अपने सभी बेटो को जीवदान मांगे वो यही सोच रहा था ,उसे अपने सभी बेटो से बहुत ज्यादा प्यार था ,उसका दिमाग काम नही कर रहा था ,की वो क्या मांगे ,बहुत देर सोचने के बाद उसने अपने तीनो वर मांगने का फैसला कर लिया ,उसने त्रिदेवो से कहा ,आप मुझे अमर नही कर सकते पर में दूसरा जो भी वर आपसे मांगु वो मुझे मिल जाएगा ना भगवान ,
भगवान विष्णु ,सिर्फ उचित वरदान ही मिल सकता है ,तुम कुछ भी नही मांग सकते ,
भुजंग फिर एक बार सोचकर बोला ,ठीक है में आपके सामने मेरी इच्छा रखता हूं आप हा या ना में मुझे बता दे ,में पहला वरदान यह चाहता हु की मेरे सभी बेटे फिर से पहले जैसे शक्तिशाली थे उसी तरह जीवित हो जाये ,भगवान विष्णु ने कहा ,तथास्तु ,ऐसा ही होगा जब तुम राक्षसलोक पहुच जाओगे तुम्हारे सभी बेटे तुम्हारे सामने जीवित हो जाएंगे ,उनकी मृत्यु हुवीं थी यह बात भी उन्हें याद नही रहेगी ,उनको अपनी मृत्यु कैसे और किस तरह हुवीं थी इसका अंदाजा नही रहेगा ,
भुजंग का चेहरा इस बात से उतर गया था ,उसे पता था भगवान विष्णु कितने चतुर है ,उन्होंने उसके बेटो को जिंदा कर दिया पर जिन 102 बेटो की राक्षसलोक के बाहर मृत्यु हुवीं थी ,उनको मारने वाले के बारे में जानने की भुजंग की इच्छा अधूरी ही रह गई ,उसे अपने आप पर ही गुस्सा आने लगा था ,अगर ठीक तरीके से वरदान मांगा होता तो ऐसी कोई गड़बड़ नही होती ,अपने बाकी दो वरदान को अब वो बहुत ही सोच विचार करके मांगने वाला था ,अपने 102 बेटो को मारने वाला शत्रु कोई आम तो नही हो सकता था ,उसके बेटो के सामने देवता तक नही जाते थे ,जो भी उसके बेटो को मारने वाला था वो सामान्य नही हो सकता था ,इतने हजार साल में पहली बार किसीने भुजंग के सामने खड़े होने की हिम्मत की थी ,उसने भगवान शिव की तरफ देखकर कहा ,भगवान में दूसरे वर में आपसे यह मांगना चाहता हु जब भी कोई मुझे मारे तो मेरे मरने के 24 घण्टे बाद ही में दुबारा जीवित हो जाऊं ,मेरे खुद के 1000 अंश बन जाने चाहिये ,हर एक मे मेरी सभी शक्तिया हो ,जिसने मुझे मारा होगा उसकी भी सभी शक्तिया मेरे हर एक अंश में आ जानी चाहिये ,मेरे सभी 1000 अंशो को एक साथ मारने पर ही मेरी मौत होनी चाहिये ,मेरा एक भी अंश बच गया तो बाकी सभी अंश नष्ट नही होने चाहिये ,भगवान शिव ने कहा एक ही वरदान में बहुत कुछ मांग रहे हो ,लेकिन ठीक है यह तुम्हारा आखरी मौका है वरदान मांगने का तो में तुम्हे यह वरदान भी दे दूंगा ,तभी भगवान विष्णु बोले ,क्षमा करें महादेव ,में कुछ कहना चाहता हु ,भुजंग का मुह एकदम उतर गया ,उसे पता था भोलेनाथ कभी कोई वरदान देते हुवे शर्त नही रखते वो खुले मन से सबको जो चाहे दे देते है ,पर भगवान विष्णु हर मामले में ऐसा कोई तोड़ निकाल देते की कभी कोई महादेव का फायदा न उठा सके ,भगवान विष्णु बोले ,तुम्हे महादेव वरदान तो दे देंगे पर एक बात याद रखना एक ही वरदान में तुम बहुत कुछ मांग रहे हो ,इसके बदले तुम्हे एक बात बतानी है ,त्रिदेवियों ने जो तुम्हे तीन वरदान दिए है वो तुम्हारी एक बार मृत्यु होने के बाद खत्म हो जाएंगे ,तुम्हारे 1000 अंश भी बनेंगे और तुम्हारे अंदर तुम्हे मारने वाले के सभी शक्तिया आ जायेगी पर तुम्हारे किसी भी अंश के पास त्रिदेवियों के तीनों वरदान नही रहने वाले ,
भुजंग का चेहरा यह सुनकर सफेद पड़ गया ,उसे त्रिदेवियों के वरदान गवाना मंजूर नही होने वाला था ,पर अचानक उसे याद आया कि त्रिदेवियों के एक वरदान से मिली दो दिव्य कन्याओं को तो वह पहले ही खो चुका है ,बाकी के दो वरदान ही उसके पास है ,एक वरदान में मिली उसे सुरक्षा शक्ति बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली थी ,अगर किसी ने भुजंग को मार दिया तो वो शक्ति उसे कदापि जीवित नही छोड़ने वाली ,भुजंग के मरने के बाद उसे मारने वाले कि मौत भी एकदम पक्की थी ,उसने थोड़ी देर सोचकर कहा ,मुझे मंजूर है भगवान आपकी शर्त ,भुजंग के इतना कहते ही भगवान महादेव ने उसे तथास्तु कहकर दूसरा वरदान दे दिया ,भुजंग ने भगवान ब्रह्मा की तरफ देख कर कहा ,भगवान में तीसरे वरदान में आपसे यह चाहता हु की आप आज के बाद दुनिया मे किसी को भी कोई दिव्य शक्ति ,वरदान नही देंगे ,आज के बाद आप मेरे खिलाफ खड़े होने वाले कि कोई भी मदद नही करंगे ,तीनो त्रिदेव भुजंग के इस मांग से सोच में पड़ गए ,कुछ देर बाद विष्णु जी के हा कहने पर ब्रम्हा जी ने भुजंग को तथास्तु कहकर तीसरा वरदान दे दिया ,भुजंग को आशिर्वाद देकर त्रिदेव वहां से चले गए ,त्रिदेव सीधे उसी जगह पहुच गये जहा पर तीनों त्रिदेविया यह सब देख रही थी ,अपने सामने त्रिदेवो को देखकर मा पार्वती बोली ,आप तीनो ने यह क्या कर दिया ,भुजंग को आपने पहला वरदान दिया वो समझ सकते है ठीक था ,पर बाकी दो वरदान देकर आपने उसे एकदम अजेय बना दिया है ,
भगवान महादेव हसकर बोले ,देवी आप बिल्कुल चिंता ने करे राक्षस कोई छल करे और भगवान विष्णु उसका तोड़ न निकाले ऐसा कभी हो सकता है ,भुजंग को वरदान तो मिल गए है पर उससे पहले हम तीनों ने बहुत कुछ कर भी दिया है ,आज तक किसी भी राक्षस का वध करने के लिये भगवान विष्णु या मेंनें ही कोई अवतार लिया था ,पर भुजंग को मारने के लिये उसके सामने एक साथ त्रिदेव के अंश होने वाले है ,उसे वरदान देने से पहले ही हमने उसकी व्यवस्था कर दी है ,ब्रह्मा जी और विष्णु जी का अंश उनके लाडले शिवाय में समा चुका है ,मेरा अंश भी एक खास में समा गया है ,भुजंग खुद को बहुत चतुर समझाता है पर उसकी चतुराई उसपर ही भारी पड़ने वाली है ,वो मूर्ख आगर चाहता तो उसके बेटो के द्वारा तपसाधना करवा सकता था ,उसके पास 1000 बेटे थे ,अपने बेटो को अगर वो तपसाधना करवा कर हमें प्रसन्न करवा लेता तो उसे बहुत ज्यादा फायदा हो सकता था ,पर वो अपने राक्षस स्वभाव के चलते कभी अच्छी बातें नही सोच सकता ,अपने शत्रु को कुछ न मिल पाए इस वजह से उसने अपना भी नुकसान करवा लिया है ,उसके दिमाग से आज हम तीनों को आपके द्वारा उसे दिया गया तीसरा वरदान भी समझ गया है ,उसने खुद अपने दिमाग में आपके तीनो वरदान के बारे में सोचा था उस वजह से हमे वो पता चल गया ,न ही हमने उसे कुछ पूछा ना ही कोई छल किया ,आप तो जानती है कि हम सिर्फ आप तीनो के सिवा किसी के भी दिमाग को पढ़ लेते है ,
माता लक्ष्मी हसकर बोली ,हमने सब देख लिया है ,मेरे पति कभी किसी को छोड़ते है जो भुजंग उनकी बातों से न फ़साता ,उन्होंने उसे इतना डरा दिया कि वो अपनी मजबूरी में सब सोचने से खुद को रोक नही सका ,हमने उसे कहा था जब तक वो खुद हमारे तीनो वरदान को अपने दिमाग मे नही लाएगा कोई भी उसके दिमाग से जान नही पायेगा ,लेकिन हमारे पतीं तो बस इन राक्षस लोगो को हमेशा अपने खेल में आसानी से फसा लेते है ,
त्रिदेव यह सुनकर हसने लग गए ,तीनो को हँसता देखकर ,मा सरस्वती बोली ,भगवान आप सब तीसरे वरदान को जानकर भी हस रहे है ,हमे तो अपने तीसरे वरदान को याद करके ही बहुत चिंता होती है ,उस नीच भुजंग के ऐसे वरदान मांगने से हम तीनो भी बहुत गुस्सा हुवे थे पर उसके तपसाधना की वजह से हम उसे मार नही सके थे ,आपको उस वरदान से कोई चिंता नही हो रही है ,
भगवान विष्णु बोले ,आप ने शिवा के जीवन के सफर् को नही देखा आजतक वो कभी खुद का नही सोचता ,वो दुनिया को बचाने के लिये हर वो काम कर देगा जो कोई सोच भी नही सकता ,बस शिवा को अपने आप पर यकीन रखना होगा आख़िरतक ,उसकी परीक्षा पहले से बहुत कठोर थी और हम सबके वरदान भुजंग को मिल जाने से शिवा की मुश्किलें बढ़ने वाली है ,पर हम सब शिवा की जितनी मदद कर सकते थे उतनी कर चुके है ,यह लड़ाई अब उन दोनों में ही होने वाली है ,भुजंग और शिवा दोनो को अपने दिमाग से काम लेना होगा ,
त्रिदेव और त्रिदेविया अब राक्षसलोक की तरफ देखने लगे जहा वो पहुच चुका था ,भुजंग और उसके 20 बेटे राक्षसलोक के दरवाजे पर पहुचे तो वहां पर खड़े इतने भयानक मायावी जीवो को देखकर आश्चर्य चकित हो गये थे ,भुजंग के आने से पहले ही शिवाय निकल जाने वाला था पर तभी उसके बदन में दो दिव्य अंश समा गये थे ,उसके अंदर ब्रह्या और विष्णु के दो अंश एक साथ समा गए थे ,शिवाय को अपने अंदर इन दो अंशो के समान के बाद सबकुछ समझ गया था ,उसमे भी बहुत सी अद्धभुत शक्तिया आ गयी थी ,शिवा के पास भी कुछ शक्तिया नही थी ऐसी शक्तिया उसमे आ गयी थी ,सबसे बड़ी ताकद उसमे आ गई थी मोहिनी विद्या और माया की विद्या ,उसके जैसा दुनिया मे कोई मायावी नही होने वाला था ,भुजंग को भले ही माया विद्या वरदान में मिली हो पर शिवाय के अंदर तो खुद भगवान विष्णु का अंश आ गया था ,उसके सामने लाख भुजंग भी एक साथ आ जाये तो उसकी माया को समझ नही पा सकते थे ,शिवाय ने अपनी आंखें बंद करके दोनो देवो का धन्यवाद किया ,शिवाय ने सबसे पहले एक राक्षस का रूप ले लिया जो कालराक्षस जैसा ही ताक़दवर और शक्तिशाली था ,पर चेहरा थोड़ा अलग कर लिया ,शिवाय ने कालराक्षस के सामने जाकर प्रकट हो गया ,कालराक्षस अपने सामने शिवाय को देखकर एकदम चकित हो गया ,उसने शिवाय से कहा ,तुम गये नही अभीतक यहा से ,अब तो प्रवेशद्वार से भी जाने की जरूरत नही है ,हम सीधा यहा से कही भी जा सकते है ,भुजंग कभी भी यहा पर आ सकता है ,तुम्हे उसके आने से पहले ही यहा से जाना होगा ,वो आने के बाद उसकी नजर से तुम नही बच पाओगे ,शिवाय उसकी बात सुनकर हस दिया और उसने कहा ,तुम उसकी चिंता छोड़ दो ,में तुम्हे कुछ बताना चाहता हु ,भोकासुर और बीरा को भी यही बुला लेते है ,उन दोनो के आने के बाद शिवाय ने अपनी माया विद्या का उपयोग उन तीनों पर कर दिया ,फिर उन तीनों से कहा ,में तुम्हे एक बात बताना चाहता हु ,भुजंग ने अपने अभी बेटो को जिंदा कर दिया है ,पर उन सबको यह नही पता रहने वाला है कि उनकी मौत कैसे हुवीं है ,मेंनें अपनी माया से तुम तीनो को एकदम सुरक्षित कर दिया है ,भुजंग तुम तीनो के मन को पढ़ने की कोशिश करेगा ,पर ना तुम्हारा मन पढ़कर वो कुछ जान पायेगा और ना ही तुम्हारी असलियत के बारे में वो पता कर पायेगा ,बीरा को भी वह कभी नही पहचान पायेगा ,में भोकाल के दिमाग पर अपनी माया से सब कुछ बिठा दूँगा ,बस उसे एक बार जीवित होने दो ,वो हमें उसका खास कहकर ही भुजंग से मिला देगा ,मेंनें भुजंग के बाकी 10 बेटो को भी अपनी माया में ले लिया है ,भुजंग के लिये हम दोनो अब बहुत खास होने वाले है ,आज से तुम और में दोनो भाई है यह तुम याद रखना ,बाकी तुम किसी बात की चिंता मत करना ,में सब सम्भाल लूंगा ,कालराक्षस ने भी शिवाय की बात मान ली ,कुछ ही पलों में भुजंग अपने 20 बेटो के साथ राक्षसलोक मे दाखिल हो गया ,राक्षसलोक में चारो तरफ राक्षस के शव पड़े हुवे थे ,भुजंग ने सबसे पहले अपनी माया से सब शव गायब कर दिए ,उसने अपनी माया से एक ही पल में राक्षसलोक को पहले जैसा कर दिया ,पूरा राक्षसलोक भुजंग के सामने खड़ा हो गया था ,भुजंग ने सबको अपने घर जाने के लिये कह दिया ,भुजंग के एक बार कहने पर ही सब वहां से चले गए ,भुजंग ने सबसे पहले विचित्र को अपने सामने बुलाया ,विचित्र के मन मे कोई डर नही था अपने पिता के पास जाने का वो एक अकड़ के साथ ही अपने पिता के सामने पहुच गया ,भुजंग ने विचित्र के आंखों में एक बार देख कर सब कुछ जानने की कोशिश की ,उसे ऐसा लग रहा था कि विचित्र को किसी ने अपने वश में करके उससे यह सब करवाया होगा ,इसलिए उसने सबसे पहले विचित्र को अपनी माया से अच्छी तरह जाँच कर देखा ,पर शिवाय की माया समझना उसके बस का नही था ,विचित्र के दिमाग को पढ़कर भुजंग को बहुत ज्यादा गुस्सा आने लगा था ,उसने यह तो पता कर लिया था कि विचित्र किसी के वश में नही है ,उसने अपने मन से ही सब किया था ,अपनी दिव्य दृष्टि से भुजंग ने अपनी प्यारी पत्नियों और बेटीयो को भी देख लिया ,जो जख्मी हालत में बिल्कुल नंगी पड़ी हुवीं थी ,उनके हाथपांव को बांध कर उन पर किये गए अत्याचार उनके शरीर के जख्म दिखा रहे थे ,विचित्र के वजह से ही यह सब हुवा था ,उसके वजह से ही उसकी पत्निया और बेटिया ऐसी हालत में पोहच गयी थी ,उसके बाकी के सभी 120 बेटे भी भुजंग के सामने खड़े थे ,उन सब की हवस के चलते राक्षसलोक में 200 अरब से ज्यादा राक्षस मारे गये थे ,उन सब पर भुजंग को बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था ,भुजंग ने विचित्र और उन सभी 120 बेटो को अपनी माया से बन्दी बना लिया ,विचित्र की तरफ देख कर भुजंग ने कहा ,तुम लोगो को में आज तक कभी कुछ नही कहता था पर तुम लोग अपनी सीमा भूल गए हो ,तुमने रानी महल में घुसने की हिम्मत कैसे की ,उसकी बात सुनकर विचित्र ने बिना डरे कहा ,पिताजी आप इतनी सुंदर औरतो का उपभोग करते है इतने सालों से ,हमने उसमे से थोड़ा अपने लिये ले लेने से कोई नुकसान तो नही हुवा ना ,क्या हमको ऐसी सुंदर औरतो का उपभोग करना गलत है ,हम भी तो आपके बेटे ही तो है ,ऐसा क्या गलत कर दिया हमने ,पहले भी तो हमने कितनी बार ऐसी हरकत की है ,तब आपने हमे कुछ नही कहा था ,आज ऐसा क्या हो गया ,जो आप हम सबको बन्दी बनाकर रख रहे हो ,
विचित्र की बात सुनकर तो भुजंग को और गुस्सा आ गया ,उसने कुछ गलत नही कहा था ,पर रानीमहल की सभी औऱते भुजंग के बहुत दिल के करीब थी ,अपने इस पुत्र की नीच बातो से भुजंग ने अपने क्रोध में आकर एक ही पल में अपने तलवार से उसका सर काट दिया ,विचित्र को ऐसा मारने से उसके बाकी सभी भाई भी डर गए थे ,जिन बेटो को भुजंग ने बन्दी बना लिया था ,उनकी अब अपने पिता का यह रूप देखकर गांण्ड फटने लगी थी ,भुजंग ने उन सभी की तरफ देख कर कहा ,तुम सबको में बहुत प्यार करता हु ,पर तुम लोग अपने हवस के चक्कर मे एप्निया मा और बहनो को भी नही छोड़ रहे हो ,तुम्हारे वजह से राक्षसलोक में इतने राक्षस मर गये ,अपने सगे भाइयों को भी तुमने मारने में कुछ गलत नही लग रहा था ,तुम सब को एक ही सजा मिलनी चाहिये ताकि राक्षसलोक में आगे कोई ऐसी हरकत नही करे ,आज के बाद तुम्हारी मौत देखकर सबको पता चल जाएगा कि गलती की सजा क्या हो सकती है ,भुजंग ने उन सभी 120 बेटो को एक बहुत बुरी मौत दे दी ,सभी 120 बेटों के गर्दन को उसने एक जगह पर लटका दिया ,और उनके धड़ को अपने हाथ मे एक अग्निबाण बनाकर जला दिया ,भुजंग के सामने अब उसके 879 बेटे थे ,उनमे से सिरफ 40 ही ऐसे थे जो पहले से जिंदा थे बाकी सब तो भुजंग राक्षसलोक आने बाद ही जीवित हो गए थे ,उन सबके सामने भुजंग ने इन 121 बेटो को मार दिया था ,अपने पिता का ऐसा रूप सब पहली बार देख रहे थे ,भुजंग ने उन सबसे कहा ,आज के बाद तुम सबने अपने किसी बहन या मा के साथ कोई गलत हरकत की तो वो अपनी मौत से नही बच सकता ,तुम सबको में यह पहली और आखरी बार बोल रहा हु ,इसके बाद जो भी गलती करेगा उसकी सजा एक ही होगी मौत ,
भुजंग की बात सबने सुन लि थी ,सबने अब सोच लिया था कि आज के बाद ऐसी कोई हरकत नही करनी है जिससे भुजंग नाराज हो जाये ,भुजंग ने सबसे बात करने के बाद एक बार अपनी आंखें बंद कर ली ,सबसे पहले उसने अपनी आंखें बंद करके विषलोक को अपनी दिव्यदृष्टि से देखने लगा ,पर विषलोक तो पूरा तबाह हो चुका था ,और विषलोक में हिमांनी भी नही थी ,हिमांनी एक नीली नागिन है और उसमे बहुत सी दिव्य शक्तिया है यह बात उसे पता थी ,महानाग ही विषलोक को तबाह कर सकता है यह भी उसे पता थी ,विषलोक तबाह होने से भुजंग समझ गया था कि महानाग आ चुका है ,हिमांनी भी उसके साथ ही गयी होगी ,उसके बाद भुजंग ने अपनी नजरो से शिवानी को देखना चाहा ,जो पाताल में बलिलोक में रहती है ,पर पूरा बलिलोक खाली था ,ना उसमे केतकी दिख रही थी ना ही शिवानी ,उसके बाद उसने धरती पर मरे हुवे राक्षस लोगो के दिव्य अस्र जिस बिल्व ऋषि के आश्रम में रखे थे उसके आसपास देखकर उन दिव्य अस्रो को महससुस करना चाहा ,पर उसकी दिव्यदृष्टि बिल्व ऋषि के आश्रम के अंदर नही जा सकती थी ,पर उसे यह समझ मे आ गया था कि वहाँ पर अब कोई भी दिव्य अस्र नही है ,उन दिव्य अस्रो को वो दूर से भी महसूस कर सकता था ,भुजंग को एक के बाद एक झटके लग रहे थे ,उसके तपसाधना में बैठने के बाद बहुत कुछ हो गया था दुनिया मे ,जो शक्तिया वो तपसाधना होने के बाद पाने वाला था वो सभी अब नही थे ,उसके त्रिदेवियों के वरदान से प्राप्त दो दिव्य कन्याओ को भी वह खो चुका था ,भुजंग को इस बात का यकीन हो गया था कि यह सब करने वाला कोई एक ही होगा ,उसीने भुजंग के बेटो को भी मारा होगा ,भुजंग का चेहरा गुस्से से लाल होने लगा था ,तभी उसके कान में अपने बेटे कनक की आवाज आयी ,कनक बोल रहा था ,पिताजी में अपने अंदर अपनी दिव्य तलवार को महसूस नही कर पा रहा हु ,लगता है मेरे अंदर मेरी दिव्य तलवार नही है ,धीरे धीरे जो उसके बेटे जीवित हो गए सभी एक एक करके यही कहने लगे कि उन्हें अपने अन्दर अपने दिव्य अस्र महसूस नही हो रहे है ,भुजंग समझ गया यह सब उसीके वरदान को सही तरीके से न मागने की वजह है ,उसने अपने मुह से एक जोरदार चीख निकाल ली ,भगवान विष्णु आपने यह सही नही किया मेरे साथ ,मुझे आपने वरदान तो दे दिए पर मेरे बेटो की शक्तियां छीन ली आप ने ,यह आपने बहुत गलत किया है मेरे साथ ,में आज के बाद कभी आप त्रिदेवो की भक्ति नही करूँगा ,आपने मेरी तपसाधना का भी फल मुझे सही तरीके से नही दिया है ,तभी उसके कानों में भगवान विष्णु की आवाज गूंज गई ,मूर्ख भुजंग अपने मुह से वरदान तूने खुद मांग लिए थे ,हमने उसमे कुछ भी नही किया ,तुझे वरदान मांगने नही आते सही तरीके से और तू हमे दोष दे रहा है ,एक बात का ख्याल रख तू हमारे सामने कुछ भी नही है ,अगर में गुस्से में आ गया न फिर तुझे तेरा कोई भी वरदान नही बचा सकता ,एक पल में तेरा खेल खत्म हो जाएगा ,तुझ जैसे दृष्टो को मारने से कोई भी मुझे नही रोक पायेगा ,इस लिये अपनी औकात में रहा कर ,में तुझे इसीलिए कभी पसन्द नही करता था ,आज के बाद तूने अगर हमारे बारे में कुछ भी बुरा कहा तो में उसी पल तुझे खत्म कर दूंगा ,
भुजंग की तो गांण्ड ही फट गई थी ,उसे पता था भगवान विष्णु से पंगा लेना मतलब अपनी मौत को दावत देना है ,उसने तुंरत अपने हाथ जोड़कर भगवान विष्णु से माफी मांगना शुरू कर दिया ,अपने पिता को ऐसा हाथ जोड़कर बड़बड़ाते देख कर सब हैरान हो गए थे ,आज पहली बार उन्होंने अपने पिता के चेहरे पर डर को देखा था ।
Bahot behtareen zaberdast shaandaar update bhai
 

Naik

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258
Update 108
शिवा ने सुबह ही शिवाय को बता दिया था कि वो राक्षसलोक जा सकता है ,आज सुबह 7 बजे जब नाश्ता करने हॉल में पहुँचा तो उसे नाश्ता देने हिमांनी ही आगे आयी थी ,किसिको इस बात का कोई ऐतराज नही था पर हिमांनी और शिवा दोनो ही इस बात का मतलब समझ चुके थे ,अपने पति की सेवा करने का मौका हिमांनी कैसे छोड़ सकती थी ,आज शिवा सीमा की दोनो बेटीयो से मिलने जाने वाला था ,इसलिए वो घर से नाश्ता करके जल्दी ही निकल गया ,आज उसे रीमा और नेहा से मिलना था ,रीमा में आकाश तत्व और नेहा में बिजली तत्व की शक्तिया थी ,उसने अपने दिव्य दृष्टि से देखा तो दोनो बहने अपने घर से निकल कर एक कॉफी शॉप में आकर बैठी थी ,दोनो अपने घर से कालेज जाने के लिये ही निकली थी पर रात भर दोनो की बातों का एक ही विषय था शिवा से मिलने का दोनो बहने एक दुसरे के काफी करीब थी ,उन दोनों ने अपनी पसन्द भी बता दी थी ,शिवा दोनो को पंसद था पर उससे दोनो शादी कैसे कर सकती थी ,उनके घरवाले इस बात को कभी नही मानने वाले थे ,पर एक दूसरे के दिल का ख्याल दोनो को था ,दोनो ने सोच लिया था कि वह दोनो शिवासे ही शादी करेगी और अपने घरवालों को मना लेगी ,पर शिवा की परेशानी थी ,उसे भी तो यह बात पसन्द आनी चाहिए ना ,उसे तो यह भी नही पता होगा कि यह दोनो उसे पसन्द करती है ,शिवा से किस तरह मिला जाए इसकी तरकीब निकालती वो कॉफी पीकर सोच रही थी ,तभी उन दोनों के कान में एक आवाज पड़ी जिसकी वजह से वो उस आवाज की तरफ देखने लग गयी ,यह कोई और नही शिवा ही था ,जो दोनो से बात कर रहा था ,शिवा ने उन दोनों से कहा ,लगता है आप दोनो ने मुझे नही पहचाना में शिवा हु ,आपकी बहन नेत्रा से मिलने जब आयी थी तब मैने आप को वही देखा था ,आपके नाम रीमा और नेहा है ना ,दोनो बहने तो शिवा को अपने सामने देखकर कुछ देर के लिये एकदम स्तब्ध हो गयी थी ,जिसके साथ मिलकर बात करने के लिये वो कबसे अपना दिमाग लगा रही थी ,वही खुद उनके सामने खड़ा था ,दोनो को अपने तरफ एकटक देखते हुवे पाकर शिवा ने कहा ,आप लोगो को शायद मुझसे बात करना अच्छा नही लग रहा होगा ,में आपसे माफी मांगता हूं ,में तो बस आपको कॉफी पीते हुवे देखकर आपसे बात करने आ गया था ,अच्छा में चलता हूं ,शिवा को ऐसे जाते हुवे देखकर वो दोनो एकदम होश में आकर ,अरे आप कहा जा रहे ,आइये साथ मे बैठकर कॉफी तो पीजिये हमारे साथ ,दोनो को शिवा से अब क्या बात करे यह समझ नही आ रहा था ,उन्होंने शिवा को अपने पास बिठा तो लिया पर अपने दिल की बात कैसे करे यह वो सोच रही थी ,रीमा ने सोच लिया कि जो होगा देखा जाएगा ,एक तो आर नही तो पार ,उसने सीधा शिवा से कहा ,देखिये आप गलत मत समझना पर में आप से जो कहना चाहती हूं वो बात बिलकुल सच है ,हम आपसे कोई मजाक नही कर रहे है ,में और मेरी बहन आप को बहुत पसंद करते है ,हम दोनो आपके साथ शादी करना चाहते है ,आप को अगर यह बात पसन्द हो तो ही यह सब मुमकिन हो सकता है ,
शिवा ,लेकिन आपके घरवाले इस बात को मान लेंगे
रीमा ,वो हम देख लेंगे ,पहले आप मान जाए तो उनका मनाना इतना मुश्किल नही होगा ,
शिवा कुछ सोचकर ,आप दोनो मुझसे शादी कब करना चाहती है ,
रीमा ,जब भी आप कहे तभी कर लेंगे
शिवा ,अगर में कहु आज ही कर ले तो
नेहा यह कबसे दोनो की बाते सुन रही थी ,शिवा की बात सुनकर वो एकदम खुश होकर बोली ,हा चलेगा ,दीदी हम आज ही शिवा से शादी कर लेते है ,हम शादी में किसी को भी नही बुलाएंगे ,शादी होने के बाद ही सब को बोल देंगे ,
रीमा ने भी उसकी बात को मान लिया ,शिवा ने उन दोनों से कहा आप दोनो खुद की तैयारी कर लीजिये में 2 घण्टे में शादी की व्यवस्था करके आता हूं ,शिवा ने उन्हें अपना फोन नंबर दे दिया ,शिवा को इन दोनों को मनाने में ज्यादा वक्त नही लगा ,शिवा ने पहले ही अपने दो प्रतिरूप बनाकर उन्हें शादी की तैयारी करने के लिये बोल दिया ,शिवाने फिर अपना मोर्चा मनीषा और हेमा के बेटिया रिना और मधु की तरफ कर दिया ,वो दोनो भी रीमा और नेहा जैसी शादी की बात करने के लिये ही शिवासे मिलना चाहती ,शिवा ने उन्हें भी कह दिया कि वो उन दोनों से शादी के लिये तैयार है ,दोनो को शादी के लिये तैयार होने के लिये बोलकर शिवा उन्हें भी बता दिया कि तुम दोनो शादी के लिये तैयार हो जाओ में भी शादी की तैयारी कर लेता हूं ,शिवा के प्रतिरूप ने 4 जगह शादी की पूरी तैयारी कर ली थी ,शिवाने उन चारों से बारी बारी शादी कर ली ,रीमा और नेहा को उसने फ़ातिमा के फार्म हाउस का पता बता कर वहां जाकर रहने के लिये बोल दिया ,तो रिना और मधु को पायल के फ्लैट पर भेज दिया ,अब चारो के साथ सुहागरात मनानी थी ,शिवा ने पहले सीमा और फ़ातिमा के यहा अपने प्रतिरूप भेजकर सुहागरात की सब तैयारी कर ली थी ,सबसे पहले वो रीमा और नेहा के पास चला गया ,दोनो ने शादी भले एक के साथ कि हो पर वो कभी एक साथ सुहागरात नही मना सकती ,शिवा ने पहले रीमा और नेहा के साथ खाना खा लिया ,शिवा ने नेहा पर अपनी माया का उपयोग करके एक कमरे मव भेज दिया ,रीमा को समझ मे नही आया कि नेहा ऐसे बिना बोले क्यो चली गयी ,पर शिवा ने उसे कहा ,शायद वो चाहती हो आप बड़ी हो और पहला हक आपका है ,रीमा और नेहा के यहा आने के वक्त ही शिवा ने अपना एक प्रतिरूप रिना और मधु के पास खाना लेकर भेज दिया था ,उसको बस खाना खाकर उन दोनों से कुछ देर तक बाते करने को कह दिया था ,चारो से शादी करने में शिवा को दोपहर का 1 बज गए था, शिवा ने जब रीमा के साथ खाना खाकर बात कर रहा था उस वक्त 2 बज गए थे ,शिवाने ने रीमा के हाथ को पकड़ कर अपने पास खीच लिया ,उसपर अपनी माया का उपयोग करके वो उसे और नेहा को दोनो को पाताल में बलि लोक ले आया ,उसके पास धरती पर उन चारों को एक साथ समय देना मुश्किल था ,इसलिए उसने ऐसी जगह का चुनाव किया ताकि चारो को भरपूर समय दे सके ,शिवा जब उन दोनों को लेकर पाताल में आया था ,उसी वक्त उसका प्रतिरूप खाना लेकर रिना और मधु के पास गया था ,उन दोनों को खाना खाने औऱ बाते करने में ही 1 घण्टा लगने वाला था और यहा शिवा के पास 30 दिन थे पाताल में और साथ मे समयमनी की ताकद से उसे काफी समय मिलने वाला था ,
रीमा दिखने में अपनी माँ सीमा की तरह एक गजब की सुंदर लड़की थी 21 साल की रीमा का कद 5 फिट 10 इंच का था ,एकदम गोरी ,सुंदर चेहरा ,काले घने लम्बे बाल ,36 28 36 की एकदम परफेक्ट फीगर की मालकिन थी वो ,उसके बदन में एक अजीब सी कशिश थी जो देखना वाला उसके मोहपाश में आसानी से चला जाता था ,पर उसे आजतक कोई लड़का पसन्द ही नही आया था ,शिवा को देख कर ही वो एक पल में ही उसके प्यार में पड़ गयी थी ,क्या बात थी शिवा ने यह उसे नही पता पर रीमा के दिल ने उसे अपने अंदर देखकर ही जगह दे दी थी ,आज उसी के साथ शादी करके रीमा बहुत ही ज्यादा खुश थी ,शिवा ने पाताल में आते ही अपने माया से नेहा को एक कमरे में सुला दिया और रीमा को लेकर समयमनी में चला गया ,रीमा ने जब शिवा ने उसे अपने पास खिंच लिया था उसी वक्त शिवा के बाहो में समा गई थी ,शिवा की बाहो में आकर उसे बहुत ज्यादा सुकून मिल रहा था ,उसे ऐसा लग रहा था कि आज तक वो अधूरी ही थी जो पूरी हो गयी थी शिवा के बाहो में आकर ,रीमा को शिवा ने सुंदर से सुहाग पर बिठा दिया जिस पर बहुत ही ज्यादा खूबसूरत से फूलों से सजाई गयी थी ,रीमा के चेहरे को अपने दोनो हाथो में पकड़के शिवाने उसके नाजुक से ग़ुलाबी ओठो को चूम लिया ,उसके ओठो को रस पीते हुवे शिवा ने उसे पीठ के बल सुला दिया और खुद उसके ऊपर आकर उसके ओठो के साथ उसकी एकदम कड़क चुचियो पर रख दिया ,रीमा को भी शिवा के होठो को चूमने में मजा आ रहा था ,यह उसके जिन्दगी का पहला ही चुम्बन था ,अपने चुचियो पर शिवा के हाथ पड़ते ही रीमा के मुह से हलकीं सी सिसकी निकल गई जो बेहद ही कामुक निकली थी ,शिवा को ऐसा लग रहा था उसके सामने एकदम जवान सीमा ही है ,दोनो मा बेटिया दिखने में बहुत ज्यादा एक जैसी ही थी ,और दोनो भी कामुक आवाजे एक जैसे ही निकालती थी ,सीमा ऐसी कामुक आवाजे निकालती थी के शिवा का लन्ड उस आवाज से बहुत ही ज्यादा भड़क जाता था ,अपने कामुक आवाज से भड़काने वाली सीमा एकलौती थी ,पर रीमा ने भी वैसी ही आवाज निकाल के शिवा को यह बता दिया था कि में भी कुछ कम नहीं हूं अपनी माँ से ,शिवा लगातर रीमा की चुचिया दबाकर उसके होठो का रस पी रहा था ,पहले जो दोनो एक दूसरे को बहुत प्यार से चूम रहे थे उनका चुम्बन एकदम जंगली हो गया था ,दोनो किसी जंगली जानवर की तरह एक दुसरे होठो को चूम रहे थे ,शिवा ने रीमा को अपनी माया से कब का नंगा कर चुका था खुद के साथ,रीमा की एकदम गोरी ग़ुलाबी चुचिया को शिवा ने देखा तो वो उसके दबने से एकदम लाल हो गई थी ,शिवाने उसके ऊपर दिख रहै एकदम मोटे से निप्पल को पकड़ कर अपने मुह में भरकर उसे चुसने लगा और दूसरे को कस कर दबाने लगा ,रीमा को ऐसा लग रहा था शिवा उसके निप्पल से आज दूध निकाल कर ही दम लेगा ,इतनी जोरसे वो निप्पल को खींच रहा था ,रीमा शिवा के अपने चुचिया पर होते हमले से अपनी चुत का पानी एक बार छोड़ चुकी थी ,उसे शिवा के अपने चुचियो पर हो रही हाथो की मसलन बहुत ही भा रही थी ,शिवा उसके चुची को अपने मुह में लेकर चुसता ,काटता ,उसके निप्पल पर अपनी जीभ घुमाकर रीमा को नए नए मजे दे रहा था ,रीमा तो दो बार अपनी चुचिया पर हो रही शिवा की कलाकारीसे झड गयी थी ,शिवा के नाक में भी उसकी चुत से बहते पानी की सुगंध आ गयी थी ,उसे अब वो पानी चखना था ,इसलिये शिवाने रीमा की चुत की तरफ अपना मोर्चा कर लिया ,शिवा ने रीमा की टांगो को अपने हाथों से फैला दिया और उसके मोटी मांसल जांघो के बीच की नाजुक सी चुत को देखने लगा ,एकदम फूल सी कोमल वो चुत बहुत ही सुंदर थी ,एकदम गोरी थी रीमा की चुत ,उसके पतले से ओठ आपस मे मिले हुवे थे और एकदम छोटा सा लाल छेद उनके नीचे था ,जहा से रीमा की चुत का पानी रिस रहा था ,शिवा ने पहले उसके चुत के पास अपनी नाक ले जाकर उसके सुगन्ध को अपने अन्दर पूरा भर लिया और उस गोरी चुत को एक प्यारा सा चुम्बन कर लिया ,उस नाजुक चुत को चूमकर शिवाने उसे अपने मुह मे ही भर लिया और उसे चुसने लगा ,उसे लाल छेद में अपनी जीभ को नोकदार करके अंदर डालने लगा ,रीमा जो शिवा की सब हरकत को अपनी आंखें से देख रही थी ,उसके चुत को जब शिवा ने चूमा तो उसे एक जोरदार बिजली का झटका पूरे बदन में लग गया ,रीमा को लगा शिवा उसके चुत को चूमकर छोड़ देगा पर शिवा ने उसकी चुत को जब चूसना शुरू किया तो रीमा की जान ही जाने को हो गयी थी ,उसके पूरे बदन में मानो आग लग गई थी ,उसके चुत में तो पल पल नई लहरे उठकर उसे मजे देने लग गयी थी ,शिवा उसके नरम 36 की गांण्ड के गोल मटकों को दबाकर उसकी चुत का रस पीने में लगा रहा ,हर पांच मिनीट में रीमा अपनी चुत का बांध खोल कर झड रही थी ,शिवा ने कितनी बार उसके चुत का रस निकाला इसकी गिनती भी नही हो सकती थी ,रीमा मजे के सागर में डूब चुकी थी ,उसकी चुत तो अपनी खुशी हर पांच मिनीट में ही झड़कर बता रही थी ,शिवा ने उसकी चुत का पानी पीकर अपना पेट और मन दोनो को भर दिया था ,उसने रीमा के गांण्ड के छेद में अपनी एक उंगली से बहुत बार घुमाकर उसका भी जायजा ले लिया था ,अब शिवा को उसकी गांण्ड का स्वाद चखना था ,शिवा ने अपने होठ रीमा के चुत से हटाकर उसके गांड़ को थोड़ा ऊपर कर लिया ,रीमा ने अपनी आंखें खोल कर एक बार शिवा की तरफ नाराजगी से देख लिया ,उसके स्वर्ग जैसे सुख में उसने बाधा जो डाल दी थी ,उसकी चुत का चूसना उसे बहुत ज्यादा पसन्द आ रहा था ,पर उसकी आंखें और मुह एक ही पल और ज्यादा बड़े हो गए ,रीमा के मुह से एक जोरदार कामुक सिसकी निकल गई थी ,उसे इस बात का जरा भी उम्मीद नही थी ,शिवा ने उसकी गांण्ड के छेद में ही अपनी जीभ घुसा दी थी ,रीमा को तो बहुत ज्यादा मजा आ गया था शिवा की इस हरकत से ,उसकी चुत फड़फड़ने लग गई थी शिवा के गांण्ड चुसने से ,शिवाने की जीभ उसके गांड़ के छोटे से छेद में कहर मचा रही थी ,रीमा अपने बालों को नोचती इस परमसुख का मजे लेने लगी थी ,उसकी चुत ने तो मानी पानी की बाढ़ लगा दी थी ,जब तक शिवा उसकी गांण्ड को चैट रहा था उसकी चुत निरन्तर झड रही थी ,जो पानी सीधा उसकी चुत से बहकर उसके गांण्ड से होता शिवा के मुह में जा रहा था ,शिवा ने बहुत देर तक गांण्ड का स्वाद लेकर उसके चुत का पानी उसमे से पी रहा था ,शिवा ने रीमा की गांण्ड को छोड़कर सीमा के ऊपर आ गया ,शिवाने अपने लन्ड को तेल लगाकर कबसे चिकना कर दिया था ,रीमा की चुत तो इतनी पानी छोड़ चुकी थी कि उसकी चुत ही नही उसकी गांण्ड तक एकदम चिकनी हो गई थी ,शिवा ने रीमा के होठो को अपने मुह में लेकर उसकी गांण्ड को अपने दोनो मजबूत पंजो से पकड़ लिया ,अपने 20 इंच लम्बे और 12 इंच मोटे लन्ड को उसने रीमा की चुत के छोटेसे लाल छेद पर लगा दिया ,रीमा की आंखों में देखते हुवे शिवा ने एक ही जोरदार धक्के में रीमा की चुत को तहस नहस कर दिया ,शिवा ने अपने लन्ड के एक ही प्रहार से उसे रीमा के चुत में अपना लन्ड जड़ तक घुसा दिया था ,रीमा की चुत का छेद बुरी तरह फट कर बड़ा हो गया था ,उसके चुत से खुन की धार लग गई थी ,रीमा का मुह शिवा ने अपने होठो में पकड़ा था फिर भी उसकी चीख बहुत ही ज्यादा भयानक थी ,शिवा में जब से राक्षस का अंश आया था वो चुदाई के वक्त अलग ही हो जाता था ,उसे किसी औऱत को दर्द देना बहुत ज्यादा पसन्द आता था ,पहले की तरह शिवा अपने लन्ड को आराम से नही बल्कि पुरी ताकद से ही चुत में ठोकता था ,रीमा की एक चीख पूरी ही नही हुवीं थी कि शिवा ने उसके चुत में अपने लन्ड को टोपे तक बाहर निकाल कर वापिस तेजी से अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था ,रीमा को अपनी चुत में शिवा के इस मोटे गर्म लन्ड की ठोकरों से बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था ,शिवा का हर धक्का उसके बच्चेदानी के अंदर तक घुस कर चोट कर रहा था ,उसकी छोटी सी चुत इस लन्ड की मार से बहुत ज्यादा दर्द कर रही थी ,शिवा रीमा की गांण्ड को दबाकर उसकी चुत को पेल रहा था ,रीमा का दर्द कुछ वक्त बाद कम हो गया ,जहा शिवा का हर धक्का उसकी जान निकाल देता था अब उसे वही धक्का बहुत मजा देने लगा था ,वो भी अपनी गांण्ड उठाकर शिवा का लन्ड अपने चुत के और अंदर लेने की कोशिश कर रही थी ,उसकी चुत को तो शिवा के लन्ड ने अपना बांध खोंलने पर मजबूर कर दिया था ,रीमा बहुत जल्दी झड रही थी ,पर उसकी कामाग्नि बहुत भड़क रही थी ,हर बार झड़ने के बाद वो दुगनी तेजीसे शिवा से चुद रही थी ,शिवा ने भी उसकी चुत में अपना माल एक बार भर दिया था ,पर उसकी चुत तो वो माल एक पल में ही हजम कर चुकी थी ,शिवा ने उसकी चुत को अपने माल से हर एक घण्टे के बाद भरना शुरू कर दिया था ,रीमा की चुत बहुत ज्यादा कसाव वाली थी शिवा के लन्ड के इतने मार से भी वो थोड़ी भी ढीली नही पड़ रही थी ,उसका कसाव हर पल बढ़ता ही जा रहा था ,शिवा को भी ऐसी चुत मारने में बहुत ज्यादा मजा आ रहा था ,पर रीमा की चुत को 100 बार एक ही पोझ में भर कर भी रीमा शांत नही हो रही थी ,शिवा की भी अब थोड़ी फटने लगी थी ,रीमा को उसने घोडी बनाकर चोदना शुरू कर दिया ,रीमा की गोल गांण्ड को मसल कर वो उसकी चुत की फिरसे धज्जियाँ उड़ाने लगा था ,रीमा भी अपनी गांण्ड शिवा के लन्ड पर पटक पटक कर चुद रही थी ,उसके चुत को तो बस शिवा का माल ही चाहिये था ,जिसके लिये उसकी चुत शिवा के लन्ड को कसकर पकड़ कर निचोड़ रही थी ,शिवा के लन्ड को हर पांच मिनीट में रीमा की चुत झड़ने पर मजबूर करने लग गयी थी ,ना जाने कितनी बार शिवा उसकी चुत में झडा था ,पर उसके माल की एक भी बून्द उसके चुत ने नीचे नही गिरने दी थी ,शिवा का लन्ड भी बहुत बड़ी मात्रा में झड़ता था ,जहा बाकी लोग 100 बार झड़ंने के बाद जितना माल निकाल पाते उतना माल शिवा एक बार मे निकाल देता था ,पर रीमा की चुत उस माल को झड़ते ही एक ही पल में सोख ले रही थी ,शिवा को भी अब थोड़ा गुस्सा आने लगा था ,रीमा की चुत उसके बस में आने को तैयार ही नही थी ,शिवा ने रीमा की गांण्ड में अपनी उंगलि डालकर भी बहुत बार अंदर बाहर किया था ,शिवा ने अब रीमा की गांण्ड मारने का सोच कर अपना लन्ड झड़ंने के बाद उसकी चुत से निकाल लिया ,रीमा ने बहुत ही गुस्से से शिवा की तरफ पलटकर देखा ,उसे अपने चुत से शिवा का लन्ड निकालना बिलकुल पसन्द नही आया था ,रीमा की आंखे एकदम नीली हो गयी थी ,उसके आंखों का रंग एकदम आसमान जैसा नीला हो गया था ,शिवा के तरफ गुस्से से देखकर कुछ बोलने ही वाली थी कि उसके मुह से एक भयानक चीख निकल गई ,शिवाने अपने लन्ड के एक ही प्रहार से उसकी गांण्ड के छोटे से लाल छेद में अपना लन्ड घुसा दिया था ,उसकी गांण्ड में जड़ तक शिवा ने अपना लन्ड घुसाकर उसकी गांण्ड के छेद से ख़ून की धार निकाल दी थी ,शिवा ने रीमा की 36 की गोल गांण्ड को पकड़ कर उसमे अपने लन्ड को तेजी से अंदर बाहर करना शुरू कर दिया ,रीमा के मुह से बहुत ही भयानक चीखे निकल रही थी ,उसे यह दर्द बर्दाशत ही नही हो रहा था ,पर शिवा उस पर कोई रहम नही दिखा रहा था ,वो तो किसी कुतिया की तरह उसकी गांण्ड को चोदने में लगा हुवा था ,रीमा की चीखें कब मजे की सिसकियों में बदल गई पता ही नही चला ,रीमा भी अब मजे से अपनी गांण्ड में इस गर्म मूसल को लेने लगी ,अपने मुह से कामुक सिसकिया निकाल कर वो शिवा को और भड़काने लगिए ,शिवा भी बड़ी बेरहमी से उसकी गांण्ड की कुटाई करने में लगा था ,रीमा की चुत से मानो पानी के नल की तरह पानी गिर रहा था ,नीचे का पूरा पलँग उसकी चुत के पानी से भीग गया था ,शिवा समझ गया था कि रीमा की कमजोरी उसकी गांण्ड का छेद ही है ,शिवाने अपना माल उसकी चुत में भरकर फिर से उसकी गांण्ड को मारने में लगा गया ,रीमा की गांण्ड भी शिवा के माल को बहुत जल्दी सोख लेती थी ,शिवा ने दस बार उसकी गांण्ड में अपना माल भरकर ही उसे छोड़ दिया था ,रीमा किसी कटे पेड़ की तरह पलँग पर गिर गयी थी ,वो लम्बी लंबी साँसे लेकर अपने आप को ठीक कर रही थी ,अपने ही चुत के पानी मे वो नीचे पलँग पर लेटी हुवीं थी ,शिवा ने सबसे पहले उसके नीचे के पानी को अपनी माया से गायब कर दिया और एक नया पलँग वहा बना दिया ,रीमा के बदन को भी उसने साफ कर दिया था अपनी माया से ,रीमा के बाजू में लेटकर शिवा ने उसे अपनी बाहो में ले लिया ,रीमा भी किसी छोटे बच्चे की तरह शिवा से चिपक गई ,अपनी सास दुरस्त होने के बाद उसने सबसे पहले शिवा के ओठो को चूम लिया ,रीमा बोली ,में तो आपको अपनी आकाश तत्व की ताकद दे रही थी ना ,आपने तो मेरी जान ही निकाल दी ,आप अगर आपका वो मेरी उसमे और थोड़ी देर रखते तो में जिंदा ही नही बच पाती ,
शिवा हसकर ,मेरा वो और तुम्हारी उसमे का मतलब ,में कुछ समझा नही ,रीमा भी शिवा की इस बात से शर्मा गई उसने शिवा के गाल को काटकर कहा ,सब पता है आपको बस नाटक कर रहे है आप ,शिवा ने रीमा के होठो को चूमते हुवे उसे अपने ऊपर ले लिया ,बहुत देर तक दोनो एक दूसरे को चूमते रहे ,उसके बाद रीमा ने शिवा के होठो को छोड़ कर उसके पीठ पर बैठ गई ,उसने थोड़ा पीछे होते हुवे शिवा के लन्ड को अपने दोनो हाथो में पकड़ लिया ,शिवाक़े लन्ड को हैरत से देखकर वो बोली ,इतना बड़ा में अपने अंदर कैसे ले सकती हूं ,यह कैसे हो सकता है ,शिवा ने रीमा को अपने ऊपर खीच लिया और उसकी चुत को अपने लन्ड पर रखकर एक ही धक्के में उसे जड़ तक उतार दिया ,रीमा के मुह से एक दर्द और प्यार की सिसकी निकल गई ,उसकी चुत में अपना लन्ड बड़े प्यार से अंदर बाहर करके शिवा ने कहा ,ऐसे गया था अंदर ,तुम्हे मजा नही आया था क्या कुछ भी ,रीमा ने शिवा की आंखों में देखकर बड़ी सरगोशी से कहा ,मजा की बात कर रहे है आप ,आपने मुझे जीते जी स्वर्ग के मजे दिये है ,रीमा अपनी गांण्ड को पटक पटक कर शिवा के लन्ड को अपने अंदर लेने लगी और शिवा के ओठो को पकड़ कर चुसने लगी ,दोनो फिर लम्बी चुदाई में जुट गए थे ,शिवा ने रीमा को हर पोझ में चोद लिया था ,उसकी चुत और गांण्ड के छेद को ऊसने अपने लन्ड की गर्म मलाई को बहुत बार खिलाया था ,रीमा ने शिवा को लन्ड चुसाई का बहुत शानदार अनुभव दिया था ,उसके छोटे से मुह में वो शिवा का लन्ड पूरा भरकर चूस लेती थी ,शिवा की गोटिया दबाकर उसमे से रस निकाल लेती थी ,पूरे 600 दिन तक दोनो चुदाई के नए नये अंदाजा में सुख लेते रहे ,शिवा ने रीमा की तन की प्यास को बहुत अच्छे से बुझा दिया था ,जब 600 दिन पूरे हो गए ,दोनो एक दूसरे की बाहो में नंगे ही लेट कर बाते कर रहे थे ,
रिमा ,आप के अंदर भी आकाश तत्व की सभी शक्तिया आ गई है ,आप मेरे साथ आकाश तत्व के भी मालिक बन गए है ,शिवा ने कहा ,मालिक नही में तुम्हारा पतीं हु और तुम मेरी पत्नी ,रीमा बड़े प्यार से ,आप बहुत ज्यादा अच्छे है ,इसीलिये ऐसी बात कर सकते है ,में भाग्यशाली हु जो आपकी पत्नी बनी ,शिवा ,तुम जैसी पत्नी मिलना मेरा भाग्य है रीमा ,तुम्हे पता है बाकी तत्व की लड़कियां कौन है ,रीमा बोली ,पहले नही पता था ,पर मेरी आकाश तत्व की शक्ति आने के बाद मुझे ,माही ,फ़ातिमा ,पायल के बारे में पता चला गया है ,बाकी लडकिया कौन है यह मुझे उनकी शक्तिया जगने के बाद ही पता चल सकता है ,शिवा ने कहा ,उसमे एक है तुम्हारी बहन नेहा जिसमे बिजली तत्व की शक्ति है ,बाकी दोनो को भी तुम जानती हो ,रिना और मधु जिनमे पृथ्वी और वायु तत्व की शक्तिया है ,
रीमा यह सुनकर बहुत खुश हो गयी ,उसने शिवा को चूमकर कहा ,यह तो बहुत अच्छी बात है ,हम सब बहने आपके साथ हमेशा साथ मे रहने वाली है ,में माही दीदी और बाकियों से मिलना चाहती हु ,शिवा ने उसे और अपने आप को कपड़े पहनाकर उसे धरती पर माही के पास ले आया ,माही फ़ातिमा के घर पर ही थी ,उसने रीमा को देखकर कहा ,लगता है आपने रीमा से शादी कर ली है ,देखो तो मेरी छोटी बहन पूरी औरत बन गयी है ,शिवा से इतने दिन चुद कर रीमा का शरीर भी निखर गया था ,36 28 36 की रीमा याब40 30 40 की हो गयी थी ,अपनी बहन की ऐसी बात सुनकर वो शर्मा गई ,शिवाने नेत्रा को भी वहां बुला लिया और वहां से वापिस पाताल में चला गया ,नेत्रा अपने साथ मे फ़ातिमा और पायल को भी ले आयी थी ,
सभी बहने आप से मिलकर एकदम खुश हो गयी थी ,सभी आपस मे बाते करने लगी थी ,उन्हें अब अपनी तीन बहनो का इंतजार था जो अपनी शक्तिया मिलने के बाद यही आने वाली थी ,पायल ने अपने घर पर फोन करके बोल दिया कि वह माही दीदी के पास जा रही है ,वैसे ही रीमा ने भी अपनी माँ को फोन कर दिया कि वो पायल के साथ ही माही दीदी के पास जा रही है ,नेत्रा ने अपना एक प्रतिरूप घर पर छोड़ दिया था ,हिमांनी ,केतकी ,और शिवानी भी अपने प्रतिरूप बनाकर आ गयी थी ,रीमा को नेत्रा ने सब बता दिया शिवा और काल के एक ही होने की बात भी बता दी ,फिर सब लडकिया मिल के बातो में लग गयी थी ,इतने दिनों से गुमसुम रहने वाली हिमांनी भी शिवा के प्यार से बदल चुकी थी ,सबको अपनी बहने मानकर वो उनसे बहुत प्यार से रहने लगी थी ।
Behtareen zaberdast shaandaar update bhai
 

Naik

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Update 109
तीनो त्रिदेव भुजंग की हालत देख कर हस रहे थे ,ब्रम्हाजी बोले ,आज तक किसी को भूत या कोई डरावना जानवर देखकर डरते हुवे देखा है ,पर भुजंग तो आप की आवाज से ही डर गया भगवान विष्णु ,और वो शिवाय आपकी आवाज निकाल कर उसे डरा रहा है ,पहली बार किसी व्यक्ति को भगवान की आवाज निकालकर दूसरे को डराते हुवे देख रहै है हम ,यह शिवाय भुजंग को बहुत सताने वाला ,
भगवान विष्णु हसकर ,शिवाय भुजंग को वो डर दिखाएगा जो उसने कभी सोचा नही होगा ,उसे बहुत शौक है ना वरदान लेना त्रिदेवो से ,आप बस देखिये उसके वरदान ही उसे कितने घातक परिणाम देने वाले है ,
भगवान महादेव के चेहरे पर यह बात से एक मुस्कान आ गयी ,पहले तो भुजंग के पीछे शिवा पड़ा था ,वो कम था आपने अपने एक अंश को शिवाय में समा दिया है ,मुझे अब पूरा यकीन हो गया है ,आप भुजंग को बहुत बुरा दण्ड देने वाले है ,
भगवान विष्णु ,महादेव यह सब खेल आपका ही रचाया है ,जिसमे आपने मुझे भी शामिल कर लिया है शिवाय के रूप में ,तो मेरा भी तो कुछ फर्ज बनता है ना ,
भगवान विष्णु की बात से तीनों हसने लग गए थे ,तीनो त्रिदेविया अपने पतीं को ऐसे मुस्कुराते देखकर खुश हो रही थी ,पर मन ही मन उन्हें अपने तीसरे वरदान की बात याद आ जाती थी ,उन्हें बहुत कष्ट हो रहा था अपने तीसरे वरदान को याद करके ,उनके पति के चेहरे की मुस्कुराहट उनके दुख को और बढ़ा रही थी ,त्रिदेवो को तीसरे वरदान का पता होकर भी वो कुछ नही बोले थे ,उस वरदान की कोई भी काट नही थी ,यह बात वो तीनो जानती थी ,इस लिये उनके चेहरे पर खुशी के भाव होकर भी वो अंदर से बहुत ज्यादा दर्द में थी ,
राक्षसलोक में भुजंग के चेहरे का डर कम होने का नाम नही ले रहा था ,तभी उसके कानों में उसके बेटे की आवाज आयी ,पिताजी में आप से कुछ कहना चाहता हु ,यह आवाज भोकाल की थी ,उसकी तरफ देखकर भुजंग ने कहा ,बोलो भोकाल क्या कहना चाहते हो ,भोकाल ने अपने पिता से कहा ,पिताजी में आपको दो राक्षसो से मिलाना चाहता हु ,जो मेरे साथ ही रहते है ,बचपन से मेंनें इन्हें पाल पोस कर बड़ा किया है ,यह दोनो बहुत ही बलवान और शक्तिशाली है ,आप उन दोनों को देखकर बहुत खुश होंगे ,इन्होंने मेरी हर लड़ाई में बहुत ज्यादा मदत की है ,यह दोनो नही होते तो में सिहलोक और गरुड़ लोक के राजाओं को कभी नही मार पाता ,यह दोनो बहुत ही ज्यादा माहिर है लडने में ,भुजंग अपने बेटे भोकाल को बहुत अच्छे से जानता था वो कभी किसी की तारीफ नही करता था ,अगर वो किसी की तारीफ कर रहा होगा तो वो जरूर कुछ खास होंगे ,भुजंग ने भोकाल से कहा ,कौन है वो राक्षस ,मुझे देखना है ,कौन है वो दोनो ,भोकाल ने तुंरत कालराक्षस और शिवाय को आगे बुला लिया ,अपने सामने भुजंग ने अपने से भी बलावान और तगडे दो जवान राक्षस देखे ,उनको देख कर ही कोई भी उनकी ताकद का अंदाजा लगा सकता था ,भुजंग भी बहादुरी की कद्र करता था ,पर वो सिर्फ किसी की बात सुनकर उसपे यकीन करने वालो में से नही था ,उसने दोनो की तरफ देख कर कहा ,भोकाल की बात पर में यकीन कर सकता हु ,वो कभी मुझसे झूठ नही बोलता ,पर तुम्हारी ताकद का नमूना में भी एक बार देखना चाहता हु ,तुम दोनो मेरे किसी भी एक बेटे को हराकर अपनी ताकद दिखा सकते हो ,कोई युध्द नही करना है ,यह मेरे 20 बेटे है जिसमे से किसी एक को तुम खुद चुनकर मल्लयुद्ध में हराकर दिखा दो ,भुजंग की बात सुनकर उसके सभी बेटे हसने लगे ,उन्हें यह बात पता थी कि उनके जो यह 20 भाई है वो कितने ताक़दवर है ,कालराक्षस और शिवाय भले उनसे लम्बे चौड़े हो पर उन सब मे बहुत ज्यादा ताकद थी ,उनके सामने कोई स्वर्ग लोक का देवता भी नही टिक पाता था ,उन 20 भाइयो में से कोई एक भी पूरे देवताओं पर भारी था ,कालराक्षस और शिवाय को वो एक पल में हरा सकते थे ,
कालराक्षस सबसे पहले आगे कर बोला ,महाराज भुजंग को मेरा प्रणाम में कालराक्षस हु और यह मेरा भाई शिवाय है ,हम आपकी बात कभी नही टाल सकते पर राजकुमार के ऊपर हाथ उठाना हमे शोभा नही देता ,आज हम जो कुछ भी है आपके वजह से ही है ,और आप पर हाथ उठाना मुझे गलत लगता है ,उन्हें हराना मतलब उनका अपमान करना ही होगा न महाराज ,भुजंग को कालराक्षस की बात सुनकर बहुत अच्छा लगा था ,उसे समझ गया था कि यह बहुत ही स्वमिनिष्ठ और सही ख्याल वाला राक्षस है ,पर उसके 20 बेटो को वो कायर और डरपोक लगने लगा था ,वो कालराक्षस की तरफ देखकर हस रहे थे ,उनमें से एक बोला ,कालराक्षस तुम डरो मत हम तुम दोनो भाइयों को मारने नही वाले है ,सिर्फ तुम्हारी ताकद देखने वाले है ,तुम दोनो हमारे सामने नही टिक सकते यह बात हमे पता है ,पर तुम दोनो को भी पता चलना चहिये ना कि महाराज भुजंग के बेटो में कितना दम है ,भुजंग को अपने बेटे की बात बिल्कुल पसन्द नही आयी थी ,जो राक्षस उनका इतना सन्मान करता हो उसके साथ ऐसा बर्ताव करना एक राजकुमार को शोभा नही देता था ,भुजंग ने बहुत ही क्रोधित होकर अपने उस बेटे की तरफ देख कर कहा ,मूर्ख तुझे क्या लगता है यह तुझ से डर रहा है , यह बेचारा तो तुम्हे समांन दे रहा था ,पर तुम इसकी बातो को समझ नही सकते ,कालराक्षस और शिवाय में तुम्हे आज्ञा देता हूं ,तुम मल्लयुद्ध में इनसे लड़ो ,जरा इन्हें भी अपना दम दिखा दो ,में तुम्हारी बातो से यह तो जान गया हूं,की तुम में बल के साथ बुद्धि भी है ,थोड़ा ज्ञान इनको भी सीखा दो आज ,
भुजंग की बात सुनकर कालराक्षस ने उसे ही मल्लयुद्ध के लिये चुन लिया जो कालराक्षस को सुना रहा था ,विकट नाम उसका ,कालराक्षस की वजह से उसके पिता ने पहली बार उसका अपमान किया था ,इस वजह से वो बहुत ज्यादा गुस्से में था ,उसे कालराक्षस की गर्दन तोड़ने की इच्छा हो रही थी ,और जब कालराक्षस ने उसे ही मल्लयुद्ध को चुना उसे और गुस्सा आ गया ,उसने सोच लिया कि कालराक्षस को अब जिंदा नही छोड़ना है ,मल्लयुद्ध मे ही वो कालराक्षस को मार देने की बात वो सोच चुका था ,दोनो एक आखडे मे आ गए जो भुजंग ने अपनी माया से बना लिया था ,कालराक्षस 300 फिट का था तो विकट भी 280 फिट का एकदम तगडा राक्षस था ,उसने आखडे में आते ही कालराक्षस ओर आक्रमण कर दिया ,कालराक्षस भी चौकना था उसने विकट को अपने हाथों से पहले ही रोक लिया ,विकट और कालराक्षस दोनो एक दूसरे को अपने हाथों से पकड़ कर पीछे धकेलने की कोशिश कर रहे थे ,दोनो किसी पहाड़ जैसे एक दूसरे के सामने खड़े थे ,विकट अपनी पूरी ताकद लगाकर कालराक्षस को पीछे ढकेल रहा था ,पर कालराक्षस को वो अपनी जगह से हिला भी नही पा रहा था ,दोनो का बदन पसीने से भीग गया था ,विकट लगातार अपनी कोशिश कर रहा था पर उसकी ताकद के सामने कालराक्षस मजबूती से खड़ा था ,मैदान के बाहर सबको यही लग रहा था कि विकट कालराक्षस से खेल रहा है पर भुजंग को छोड़कर कोई नही जानता था कि कालराक्षस ही विकट से खेल रहा है ,भुजंग को अपने बेटे के हाल से ज्यादा कालराक्षस की ताकद देख कर खुशी हो रही थी ,कालराक्षस ने विकट के हाथों को छोड़ कर एक ही पल में उसे जमीन से उठाकर नीचे पटक दिया ,विकट को उसने इतनी जोर से पटका था कि पुरी जमीन हिल गयी थी ,विकट के मुह से खुन निकल गया था ,उसकी कमर की हड्डि तक टूट गई थी ,इतने जोर से पटकने से वो बेहोश हो गया था ,कालराक्षस ने उसके पास जाकर उसे उठाने की बहुत कोशिश की पर वो नही उठा ,फिर कालराक्षस ने उसे अपनी गोद मे उठाकर आखडे से बाहर लेकर आया ,भुजंग ने अपनी माया से एक पलँग बना दिया ,जिसपर कालराक्षस ने विकट को सुला दिया ,भुजंग के सभी बेटे कालराक्षस की ताकद देख कर हैरान हो गए थे ,विकट जैसे महाबली को उसने किसी बच्चे की तरह हरा दिया था ,उन्हें कालराक्षस पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था ,अपने भाई के ऐसे हाल करने वाले को वो जिंदा नही छोड़ने वाले थे अब ,पर भुजंग के वजह से सब चुप थे ,भुजंग के यहा से जाते ही वो कालराक्षस को मार डालने की सोच चुके थे ,भुजंग ने कालराक्षस के कंधे पर एक हाथ रख दिया ,बहुत खूब कालराक्षस तुम सही में एक बलावान हो ,आज से तुम मेरे साथ ही रहा करोगे ,तुम आज से मेरे खास अंगरक्षक हो ,तुम्हे राक्षसलोक में कही भी जाने की आझादी होगी ,अगर किसी ने तुम्हारे नाखून को भी नुकसान पोहचने की सोची तो वो जिंदा नही बचेगा मेरे हाथों से ,यह आखरी बात उसने अपने बेटो की तरफ देख कर कही थी जिनके विचार वो जान गया था ,अपने मूर्ख बेटो के लिये वो ऐसे बलावान और स्वमिनिष्ठ को खोना नही चाहता था ,भुजंग के सब बेटो के गांण्ड के बाल जल गए थे भुजंग की बात सुनकर वो अब भुजंग का कुछ भी नही कर सकते थे ,अगर कालराक्षस को कुछ भी उन्होंने नुकसान किया तो भुजंग के कहर से वो बच नही पाते थे ,सब अपने गुस्से के वजह से लाल पीले हो रहे थे ,भुजंग ने कालराक्षस से कहा ,तुम्हारा बल तो देख लिया मेंनें अब बारी है तुम्हारे भाई की जरा देखे तो सही वो भी तुम्हारी तरह बलावान है कि नही शिवाय तुम्हे किस के साथ मलयुद्ध करना है ,भुजंग की बात सुनकर उसके सभी बेटो की आंखे एकदम चमक उठी ,कालराक्षस नही उसके भाई को मारने का मौका उन्हें मिल सकता था पर कालराक्षस की बात से उन्हें बहुत ज्यादा गुस्सा आ गया ,कालराक्षस ने भुजंग से कहा ,महाराज आप शिवाय को लडने मत देना ,यह एक बार किसी के साथ लड़ना शुरू करता है तो वो सामने वाली की जान ही लेकर रहता है ,वो बहुत गुस्सेल है ,उसे अपने गुस्से में कुछ भी याद नही रहता ,वो अपने गुस्से में किसी राजकुमार की जान भी ले सकता है ,बाद में आप ही उसे मार देंगे उसकी हरकत से ,में आपसे विनतीं करता हु ,आप शिवाय को लड़ने के लिये मत कहिए ,कालराक्षस की बात सुनकर भुजंग तो समझ गया कि उसकी बात एकदम सही है ,पर उसके बेटो को यह बात बहुत लग गई थी ,वो अपने पिता की तरफ देखने लगे थे ,उन्हें चिन्ता होने लगी कि उनके पिता इस कालराक्षस कि बात मान न ले ,भुजंग के बेटो में से एक बोला ,डरो मत कालराक्षस हम वादा करते है अगर शिवाय के साथ मल्लयुद्ध में कोई मारा भी गया तो हम या हमारे पिता उसे कोई नुकसान नही करंगे और अगर शिवाय मलयुद्ध में मर गया तो भी तुम बुरा नही मानोगे ,
भुजंग को अपने बेटे की बात से बहुत ज्यादा क्रोध आ गया उसने उसके तरफ देखकर कहा ,कभी भी बात करने से पहले उसके परिणाम भी सोचने चाहिए ,तुमको शिवाय से लड़ने का बहुत ज्यादा शौक है ना ,तो ठीक है में वादा करता हु कालराक्षस शिवाय के हाथों कोई मर भी गया तो में उसे कुछ नहीं करूंगा ,पर शिवाय से कोई हार गया और शिवाय ने उसे नही मारा तो में खुद उसे मार दूँगा ,
भुजंग की बातों से सबको डर लगने लगा था ,पर शिवाय को मार देने का भुत उनके सर से नही उतरा था ,वो शिवाय की तरफ बहुत गुस्से से देख रहे थे ,शिवाय ने भी उसी राजकुमार को चुना जिसने भुजंग से बात की थी ,उसका नाम अशुभ था ,अपने नाम की तरह वो हमेशा बुरे कामो में माहिर था ,सबसे ज्यादा पापी और नीच वही था राक्षसलोक में ,उसके पापों की सजा देने ही शिवाय ने उसे चुना था ,अशुभ बहुत ज्यादा गुस्से में था ,वो बलावान के साथ बहुत ज्यादा बुद्धिशाली भी था ,उसे पता था कि शिवाय की अगर ताकद उससे ज्यादा निकली तो कैसे छल से इसे हराना है ,दोनो आखडे में उतर गए थे ,एक दूसरे की तरफ देख कर वो अंदाजा ले रहे थे ,जहा शिवाय के चेहरे पर मुस्कान थी तो अशुभ के चेहरे पर गुस्सा ,अशुभ ने शिवाय से कहा ,शिवाय तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी है मुझे चुनकर ,में तुम्हे मारूंगा नही पर तुम्हे ऐसी जिंदगी दूँगा जो मौत से बद्दतर होगी ,
शिवाय ने उस हसकर कहा ,में भी तुम्हारा नाम अशुभ है ना उसे आज मिटा दूँगा ,मुझे तुम नही तुम्हारा नाम पसन्द नही आया ,इसीलिए मेंनें तुम्हे चुना है ,एक काम करो अपना नाम बदल लो आज से में तुम्हे नही मारूंगा फिर ,किसी दूसरे भाई से लड़ लूँगा ,तुम अपना नाम बदलकर यहा से भाग जाना फिर , शिवाय की बात से अशुभ और ज्यादा गुस्से में आ गया ,अशुभ की बात सबने सुन ली थी ,भुजंग का अखाड़ा ऐसी माया से बना था कि आखडे में लड़ने वाले कि बात सब आराम से सुन सकते थे ,पर शिवाय ने जो कहा था वो किसीने नही सुना था उसकी बजाए उन्हें यह सुनाई दिया कि शिवाय अशुभ से लड़ने से पहले माफी मांग रहा है ,शिवाय कह रहा था कि ,अगर वो यह मुकाबला जीत भी गया तो महाराज भुजंग को आपको मारने नही देगा ,वो महाराज के पैर पकड़ लेगा पर अशुभ को कुछ नही होने देगा ,शिवाय की बात सुनकर भुजंग को भी बहुत खुशी हुवीं की शिवाय भी कालराक्षस की तरह स्वामी निष्ठ है ,पर उसे क्या पता शिवाय कैसी चीज थी ,आज वो अशुभ को सबके सामने बहुत बुरी मौत मारने वाला था ,और अपनी ताकद के साथ सबके मन मे अपना डर बिठाने वाला था ,उसने कालराक्षस को पहले ही समझा दिया था कि क्या करना है ,वो दोनो एक दुसरे के मन मे बात कर रहे थे ,शिवाय के अंदर का ब्रम्हाजी का अंश कालराक्षस में समा गया था ,यह बात शिवाय को भी पता थी और कालराक्षस को भी ,सीधा ब्रम्हाजी का अंश कालराक्षस में नही समा सकता था ,क्योकि वो एक पूर्ण राक्षस अंश का था इसलियें पहले वो शिवाय जो एक शिव अंश था उसमे समाया और फिर शिवाय के शरीर से निकल कर कालराक्षस में समा गया था ,अगर सीधा वो कालराक्षस में समा जाते तो कालराक्षस की मौत हो सकती थी ,शिवाय ऐसा था जिसमे ब्रम्हा ,विष्णु और महेश तीनो के अंश थे ,उसमे शिवा से भी बहुत ज्यादा ताकद और शक्तिया थी ,दुनिया का यह पहला व्यक्ति था शिवाय जिसमे तीनो के अंश थे ,शिवा भी जितना खास नही था उतना शिवाय खास बन गया था ,इसके पीछे वजह थी भगवान विष्णु की सोच ,जब त्रिदेवो को भुजंग के तीसरे वरदान का पता चला सबसे ज्यादा क्रोधित भगवान विष्णु ही हो गए थे ,और भुजंग ने उनसे वरदान मांगा की आज के बाद वो किसी को कोई वरदान या शक्ति नही देंगे ,तब उन्होंने उनका सबसे शक्तिशाली अंश शिवाय के लिये बना कर शिवाय में समा दिया था ,भगवान विष्णु का बस चलता तो वो भुजंग को ही मारने से नही चूकते थे ,पर उनके हाथ भुजंग की तपसाधना से बंधे हुवे थे ,पर भगवान विष्णु किसी नीच और पापी को कभी नही छोड़ते थे ,उनकी दूर की सोच और बुद्धिमानी से हर कोई परिचित था ,भुजंग को भी सबक सिखाने के लिये उन्होंने ऐसी चाल चली थी भुजंग उसीके बनाये जाल में फंसकर मरने वाला था ,जो खेल शिवजी का था उसमे विष्णुजी भी अब खेलने वाले थे ,कपट का जवाब कपट से और छल का जवाब छल से देंना कोई उनसे ही सिख सकता था ,और भुजंग के सामने वो खुद एक अंश बनकर शिवाय के रूप में खड़े थे ,जो उनका बहुत ज्यादा प्रिय और पसन्द का था पहले से ,शिवाय की तरफ एक तेज चीख के साथ अशुभ ने छलाँग लगा दी ,शिवाय को जमीन पर गिराकर वो उसकी छाती पर बैठ गया और शिवाय के चेहरे पर अपने तेज मुक्कों की बरसात करने लगा ,शिवाय को अशुभ किसी कुते की तरह मार रहा था ,अपने लात और गुस्से से उसने शिवाय को लहूलुहान कर दिया था ,शिवाय को पटक पटक के अशुभ मार रहा था ,शिवाय भी उसका मार झेल रहा था ,अशुभ गुस्से से पागल हो गया था ,वो मल्लयुद्ध को कबसे छोड़कर शिवा पर अपनी तलवार से वार करने लगा था ,यह गलत होता देखकर भुजंग को कालराक्षस ने कहा ,महाराज आप राजकुमार् को रोक दीजिये ,यह मल्लयुद्ध नही हो रहा है ,शिवाय के हाथ मे कोई शस्र नही है और राजकुमार तलवार से उसे मार रहे है ,
भुजंग कितना भी अच्छा बनने का नाटक करे पर था तो वो अंदर से नीच ही ,उसने कालराक्षस से कहा ,नही अब यह मुकाबला किसी की जान जाने के बाद ही रुकने वाला है ,अगर शिवाय के हाथ मे तलवार होती और अशुभ निहत्था तो भी हम यह मुकाबला नही रोकते ,जब तक दोनो में से कोई मर नही जाता यह मुकाबला नही रुकने वाला ,तुम ही कहते थे ना शिवाय गुस्से में पागल हो जाता है ,जरा हम भी तो देखे तुम्हारे भाई का गुस्सा ,कबसे अशुभ की मार खा रहा है वो ,मुझे नही लगता अशुभ उसे जिंदा छोड़ेगा ,ही ही ही
शिवाय तो कबसे इसी बात का इंतजार था कि कब भुजंग का असली रूप सामने आए, शिवाय भुजंग के सामने ही उसके बेटे को मारने वाला था आज ,कबसे वो अशुभ की मार इसलिये खा रहा था ताकि उसे मारते वक्क्त किसी को यह नही लगे कि जानबूझकर शिवाय ने अशुभ को मारा हो ,सबको वो यही दिखाने वाला था कि अशुभ को अपनी जान बचाने के लिये ही मारना पड़ा उसको ,जैसे ही अशुभ ने अपनी तलवार का एक वार शिवाय पर किया तो शिवाय उसके वार से खुद को बचा लिया ,अशुभ ने शिवाय के बदन पर बहुत से वार किए थे ,पर यह पहला मौका था जब शिवाय खुद को बचा सका हो ,शिवाय अशुभ के वार से बचकर उसे एक तेज मुक्का मार दिया जो सीधा अशुभ के चेहरे पर लग गया ,अब शिवाय ने अशुभ को धोना शुरू कर दिया ,वो अशुभ के हर वार से बच कर उसे धोने लगा था ,उसने अशुभ का चेहरा पूरा खुन से लाल कर दिया था ,अशुभ के मुह से हर एक दांत उसने तोड़ दिया था अपने मुक्कों से ,अशुभ के हाथ से शिवाय ने उसकी तलवार छीन ली थी और उसी तलवार से अशुभ के दोनो हाथ एक पल में काट दिए थे ,कालराक्षस यह देख कर तेजीसी आखडे की तरफ लपक गया पर उसके आने से पहले ही शिवाय ने अशुभ के दोनो पैर काट दिए और उसके सिर को भी एक वार में काट दिया था ,अशुभ का सिर जाकर सीधा भुजंग के पैर में गिर गया था ,भुजंग सहित सभी यह देख कर भौचक्के हो गए थे ,उनके सामने ही अशुभ को शिवाय ने किसी गाजर मूली की तरह काट दिया था ,और वो कुछ भी नहीं कर सके थे ,उन सबका ध्यान कालराक्षस की आवाज से टूटा था ,जो शिवाय को आखडे में मार रहा था ,उसे रोकने सबसे पहले भोकाल ही आगे बढ गया ,उसने कालराक्षस को पकड़ कर शिवाय से दूर कर दिया और शिवाय के सामने खड़े होकर बहुत ही क्रोध से बोला ,कालराक्षस तुम भूलो मत तुम कहा खड़े हो ,मेरे पिता ने वचन दिया था कि शिवाय जीतेगा और किसी को मार भी देगा तो वो कुछ नही कहंगे ,तुम भले ही मेरे पिता के अंगरक्षक बन गए हो ,पर मेरे पिता की बात के खिलाफ तुम गये ,तो तुम्हे में ही मार दूँगा ,
भोकाल की बात सुनकर कालराक्षस बोला ,माफ कर दे राजकुमार पर आप इस नीच को मत बचाइए इसने अपने गुस्से में हमारे राजकुमार को मार दिया है ,यह अपने गुस्से में अपने मालिक को कैसे भूल सकता है ,
भोकाल ,उसे मेरे भाई अशुभ ने कितना मारा यह तुमने नही देखा ,अगर वो अशुभ भाई को नही मारता तो उसका मरना तय था ,हमारा भाई अशुभ और शिवाय में मुकाबला किसी के मरने के बाद ही खत्म होना था ,मेरे पिता ने भी यही कहा था ,उनकी बात हमारे लिये जान से बढ़कर होती है ,तुमने आज के बाद शिवाय को हाथ भी लगाया तो में तुम्हे जान से मार दूँगा ,
भोकाल की बातों से भुजंग भी कुछ नही कर सकता था ,उसे मजबूरन अपना गुस्सा पीना पड़ा ,अपने ही बेटे को मारने वाले को वो कुछ नही कर सकता था ,भोकाल अगर बीच मे नही आता तो भुजंग अपनी बातों को भूल पर शिवाय को जान से मार देता था ,पर भोकाल की बातों से भुजंग भी शांत हो गया ,उसने कहा ,कालराक्षस हम बहादुरी की कद्र करते है ,तुमने पहले ही कहा था कि शिवाय गुस्से में पागल हो जाता है ,हमने ही तुम्हारी बात नही मानी ,शिवाय को गलत भी नही कहा जा सकता ,उसने बस अपनी जान बचाने के लिये ही अशुभ को मारा है ,भोकाल अपने बड़े भाई के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी तुम्हारी है ,यह मुकाबला यही खत्म हुवा ,कालराक्षस और शिवाय तुम दोनो मेरे साथ आओ मुझे तुमसे बहुत जरूरी बात करनी है ,भुजंग दोनो को लेकर राक्षसलोक में कही चला गया ,पीछे उसके सभी बेटे अपने भाई की मौत से बहुत ज्यादा गुस्से में आ गए थे ,सबने सोच लिया था कालराक्षस बिचारा अच्छा है पर इस शिवाय को जिंदा छोड़ना बहुत बड़ी भूल होगी ,इसे मारने पर पिताजी भी कुछ नही कहने वाले ,कालराक्षस ही उनका चहेता है ,शिवाय के मरने पर उन्हें खुशी ही मिलेगी ,
भुजंग उन दोनो को लेकर अपने खास महल में आ गया ,रानी महल में वो नही गया था ,वो उन दोनों को लेकर अपने एक अलग ही महल में आया था ,जिसके बारे में उसके सिवा किसी को नही पता था ,भुजंग उन दोनों को एक कमरे में लेकर आया ,दोनो को बिठाकर वो महल के अन्दर चला गया कुछ देर बाद उसके साथ दो बहुत ही बूढ़े राक्षस आ गए ,भुजंग ने उनसे कहा आप मे से एक इसका इलाज कीजिये और दूसरा विकट के महल में चला जाये ,उसे भी चोट लगी है ,भुजंग की बात सुनकर एक राक्षस वहां से चला गया और दूसरे राक्षस ने शिवाय के शरीर के सारे जख्म कुछ ही पल में ठीक कर दिए अपने पास की दवाइयों से ,फिर भुजंग से विदा लेकर वो भी चला गया ,भुजंग ने कहा ,यह दोनो भाई हमारे राजवैद्य है ,यह हजारो साल के है ,महाराज रावण से भी इनकी उम्र ज्यादा है ,यह दोनो 70 हजार साल से भी ज्यादा उम्र के है ,अपनी तपसाधना और अनुभव से बहुत ज्ञानी बन गए है ,यह सिर्फ़ किसी मरे हुवे को ठीक नही कर सकते ,बाकी हर बीमारी और जख्म को यह पल भर में ठीक कर सकते है ,यह मेरा सबसे खास महल है जिसके बारे में मेरे सिवा कोई नही जानता राक्षसलोक में ,मेरे बेटे और रानीमहल से भी कोई नही इसके बारे में जानने वाला ,यह महल मेंनें राक्षसलोक के नीचे बनाया है ,इसमे सिर्फ में जिसे चाहूं वही यहा आ सकता है ,मेंनें 1000 साल की तपसाधना करके त्रिदेवियों से यह महल बनवाया है ,इसकी माया कोई नही तोड़ सकता ,खुद त्रिदेव भी इस माया को नही तोड़ सकते ,मेरे इस महल में क्या होता है ,यहा में क्या करता हु कोई नही जान सकता ,ना त्रिदेव ना त्रिदेविया ,इस महल में मेरी बहुत सी ऐसी ताकद और शक्तिया है जिसके बारे में कोई नही जान सकता ,तुम दोनो को में यहा में किस लिये लाया हूं यही तुम सोच रहे हो ना ,हां हा हा ,डरो मत इस महल में किसी के भी मन की बात में सुन सकता हु भले ही वो कोई भी हो ,तुम दोनो के मन को में बाहर भी पढ सकता हु ,मेंनें तुम्हारे मन की हर एक बात जान ली थी ,तुम्हारे बारे में इस महल में आने के बाद मुझे सब पता चल गया है ,तुम दोनो खुद को कोई आम राक्षस समझ रहे होंगे आज तक ,पर तुम दोनो रावण के वंश से हो ,जो कि बहुत बडी बात है राक्षसलोक में ,हमारे राक्षसलोक में मेरे वंश के अलावा तुम दोनो ही रावण के वंश से हो ,में भी तुम दोनो की ताकद से पहले हैरान था कि आम राक्षस में इतनी ताकद और शक्ति कैसे हो सकती है ,पर इस महल में आकर मेरी सभी शंका दूर हो गई है ,अगर तुम दोनो कोई बहरूपिये होते तो तुम्हारा असली स्वरुप यह महल तुरंत दिखा कर बन्दी कर लेता ,पर तुम दोनो में असली राक्षस के अंश है ,और इस महल में जिसके अंदर राक्षस का अंश हो वही टिक सकता है ,मुझे इस बात की बहुत खुशी हुवीं की तुम दोनो असली रावण के वंश से हो ,में तुम्हे आज अपनी बेटियों से मिलाना चाहता हु ,इनके बारे में कोई भी नही जानता ,यह दोनो मेरी तपसाधना के वजह से पैदा हुवीं है ,यह दोनो भी दिव्य शक्तियों के साथ पैदा हुवीं है ,इनके सामने राक्षसलोक में कोई नही टिक सकता में भी इनके सामने कुछ नही हु,इनकी आज तक।शादी नही हुवीं है ,अगर उन दोनों को तुम दोनो में से कोई पसन्द आ गया तो में उनकी शादी उनके पसन्द से करवा दूँगा ,में तो चाहता हु की कालराक्षस से ही दोनो की शादी हो ,तुम बहुत ही अच्छे और भले लगे हो मुझे ,शिवाय का गुस्सा मुझे पसन्द नही है ,पर असली राक्षश की पहचान ही उसका गुस्सा होती है ,तुमने मेरे सामने मेरे बेटे को मार कर अपना गुस्सा दिखाया है ,में चाहता तो तुम्हे मार भी सकता था पर में एक बात से पीछे हट गया ,जो थी मेरी बेटिया वो दोनो भी बहुत गुस्से वाली है ,उनके लिये तुम भी सही हो ,पर दो गुस्से वाले कभी एक नही हो सकते ऐसा में मानता हूं ,देखते है तुम दोनो में से उन्हें कोई पसन्द आता है या नही ,उन दोनों को मेंनें आज तक बहुत से राक्षस वीर को दिखाया था पर उन्हें कोई पसन्द नही आया ,उनके नापसंद करने के बाद मेंनें उन सबको मार दिया था ,अबतक मे ऐसे 16हजार से ज्यादा राक्षसविरो को मार चुका हूं ,अगर उन दोनों ने तुम्हे नापसंद कर दिया तो वो जिसे नापसंद करेगी में उसे मार दूँगा ,
भुजंग के बाद खत्म होने के बाद दो बहुत ही बड़ी और सूंदर राक्षस कन्या वहां पर आ गयी ,वो भी भुजंग ,कालराक्षस और शिवाय की तरह 300 फिट की थी ,एकदम तगड़ी राक्षस कन्या होकर भी वो गजब की सुंदर थी ,दोनो ने आकर अपने पिता को नमन किया ,भुजंग उन दोनों से कहा ,बेटी गजाली और सुहाली यह दोनो भी हमारे राक्षसलोक के है ,भोकाल के साथ यह दोनो हजार साल से पाताल में रहते थे ,मेंनें इन्हें आज तुम्हे दिखाने लाया हूं ,दोनो भी रावण वंश के है और बहुत ही शक्तिशाली और ताक़दवर हे ,विकट और अशुभ को इन्होंने आसानी से हरा दिया ,खास कर इस शिवाय ने तो अशुभ की गर्दन ही काटकर उसे मार दिया ,इतना सुनकर दोनो एकदम गुस्से से पागल हो गयी ,अपने कमर पर लटकी तलवार निकाल कर वो शिवा को मारने ही वाली थी कि ,भुजंग बोला ,रको बेटी ,इन्हें मारो मत मेरे सामने ही यह मुकाबला हुवा था ,मेंनें ही ऐसा मुकाबला लगाया था कि किसी एक को मरना ही था ,इसने जानबूझकर नही मारा अशुभ को ,कालराक्षस और शिवाय दोनो एक दुसरे की तरफ देख रहे थे ,
कालराक्षस मन मे बोला ,मुझे लगता है यह भुजंग आज ही मरने वाला है ,यह दोनो हम दोनो को पसन्द करने से रही ,और भुजंग की औकात नही है हमे मारने की ,यह महल तुझे क्यो नही मिला था अभीतक ,तुझे इस महल के बारे में नही पता था ,
शिवाय ,नही भाई मुझे इस महल के बारे में कुछ भी नही पता ,तूने सुना नही भुजंग ने क्या कहा था कि त्रिदेवियों ने इस महल को बनाया है ,जहा त्रिदेव इस महल को नही जान सके आज तक तो हम कैसे जान लेते ,हम तो उनके सिर्फ एक अंश तो है
कालराक्षस ,इस भुजंग ने इस महल में हमे मार दिया तो हम इसका कुछ नही कर पाएंगे ,हमारी कोई भी ताकद यहा काम नही करेगी ,सिर्फ हम मन मे ही बात कर सकते है इस महल में ,अगर हम दोनो में ब्रह्मा और विष्णु जी के अंश नही होते तो हम दोनो मन मे भी बात नही कर पाते और पकड़े भी जाते ,
शिवाय ,इसमे एक बात गलत है ,हम दोनो में राक्षस के अंश होने से हम पकड़े नही गये और दूसरी बात एकदम सही है कि हम दोनो में मोजूद ब्रम्हा और विष्णु जी के अंश होने से यहा हम दोनो मन मे किसी के सुनाए दिए बिना बात कर सकते है ,
कालराक्षस ,लगता है यह गजाली और सुहाली हम दोनो को मार न दे नापसंद कर के ,
गजाली ,पिताजी हम चाहते है कि हम दोनो जरा इनका दम देख ले ,हम भी तो देखे हमारे भाइयो को मारने वाला कितना पानी मे है
सुहाली ,हा पिताजी आप सही कह रहे है ,आप से हम दोनो बहुत नाराज है ,आपने तपसाधना में जाने से पहले हमारा यहा से बाहर जाना बंद कर दिया था ,आपको पता है कोई असुर और एक राक्षस की पतीं पत्नी है जिन्होंने पूरे राक्षसलोक में बहुत मार काट की है ,हमारे अरबो राक्षस को उन्होंने मार दिया है ,हम अपने जादुई दर्पण में उनकी शक्कल तो नही देख पाए पर हमने एक काम कर दिया था ,लामन को हमने महल से बाहर निकाल दिया था ,वो जल्द ही उनका पता लगा लेगा ,हम दोनो अपने हाथों से उसे मारने वाले है ,में तो बस लामन का ही इंतजार कर रही हु,वो कहा रह गया यह समझ नही आ रहा है ,उसे अबतक तो आ जाना चाहिये था ,
कालराक्षस ने शिवाय के मन मे कहा ,भाई अब यह लामन कौन है ,तू जानता है क्या उसके बारे में ,
शिवाय ,अरे भाई पहले नही जानता था ,पर जब मेरे अंदर विष्णु जी का अंश आ गया था तब मेंनें उसे देख लिया था ,भाई बहुत खतरनाक चीज़ है यह लामन ,पता नही कहा से लाया है साला यह लामन को भुजंग ,मेरे ख्याल से इसने अपने किसी तपसाधना से ही उसे हासिल किया होगा त्रिदेवियों से ,
कालराक्षस ,पर वो है क्या चीज और अब कहा है वो
शिवाय हसकर बोला ,वो लामन अब मेरे अंदर ही है ,उसे मेंनें तू जहा रहता था वहां से बन्दी बना लिया था ,अगर मेरे अंदर उस वक्क्त त्रिदेवो के तीनों अंश नही होते तो में भी इसके हाथो मारा जाता ,यह लामन सिर्फ त्रिदेव और त्रिदेवियों के ही वश में आ सकता था ,मेंनें बड़ी मुश्किल से इसे बन्दी।बनाया था ,यह महल में आकर और ज्यादा ताक़दवर हो गया है ,में इसे काबू करने की कबसे कोशिश कर रहा हु पर पता नही यह कबतक मेरे काबू में रहेगा ,
कालराक्षस ,अरे पर है क्या यह लामन यह तो बता मेरे बाप ,कबसे उसके बारे में बता कर मुझे भी डरा रहा है ,पहले यह दोनो राक्षस कन्या कम थी जो तू लामन की बाते बता रहा है ,
शिवाय ,भाई यह लामन ही नही इसकी बीवी लामनी और इसकी दो बेटियां भी इस महल में है ,यह मुझे यही बात बता रहा है ,वो तीनो इससे भी खतरनाक और शक्तिशाली है ,उन तीनों को इस लामन कि कबसे ख़ुश्बू आ रही है ,जब वो तीनो इसे धुंडने यहा पर आएगी तो यह अपने आप मेरे कैद से छूट जाएगा ,
कालराक्षस ,अरे पर यह तो बता यह लामन कौन है ,और उसकी बीवी और बेटिया कौन है ,बाकी कुछ भी मत बोल ,
शिवाय ,एक काम कर एक अपडेट और रुक जा ,उसके बाद तुझे सब पता चल जाएगा ।
Bahot behtareen zaberdast shaandaar lajawab update bhai
 

Naik

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Update 110
शिवा जब पाताल में बलि लोक पहुचा तब नेहा को वो जिस कमरे में सोते हुवे छोड़ आया था उस तरफ बढ़ गया ,नेहा को जिस पलँग पर उसने सुलाया था उसे ही उसने अपनी माया से एकदम सुहाग की सेज की तरह सजा दिया ,नेहा के ऊपर से अपनी माया का प्रभाव उसने निकाल दिया और उसे अपने साथ समयमनी मे लेकर आ गया, ,जिसकी वजह से नेहा की आंखे एकदम से खुल गई ,अपने आप को सुहाग की सेज पर सोते देख कर वो खुद से एक बार मुस्कुरा गई ,उसने अपने आप से ही कहा ,चलो यह सपना नही है ,सचमुच में शिवा से शादी कर चुकी हूं,पर जनाब कहा चले गए मुझे यहा सोते हुवे छोड़कर ,उनकी पत्नी इस सुहाग की सेज पर उनकी राह देखते हुवे सो गई और वो खुद कही गायब हो गए है ,
जी मे तो आपकी उठने की ही राह देख रहा था ,आप सोते हुवे इतनी प्यारी लगती है कि दिल नही हो रहा था आपकी नींद में बाधा डाल दु ,शिवा की यह बात सुनकर नेहा एकदम शर्मा गई ,उसने शिवा से कहा ,इस तरह आप हमारी चोरी से बाते सुन रहे है ,आपको ऐसा करना अच्छा लगता है ,
शिवाने कहा ,लो हम हमारी पत्नी के कमरे में बैठना भी चोरी करना हो गया ,आप तो हमे चोर कहकर हम पर इल्जाम लगा रही है ,
नेहा ने अपनी आंखें शिवा की तरफ करके बड़े प्यार से कहा ,आप चोर नही तो क्या है ,एक बार हमें अपनी शक्कल दिखाकर हमारा दिल हमसे चुरा लिया जिसकी हमे भनक तक नही लगी ,दिल के साथ आपने हमारी रातों की नींद और चैन भी तो चूरा लिया ,आप जैसा शातिर चोर आज तक नही देखा मेंनें ,जो एक ही बार मे इतना कूछ कर सके
शिवा ने हसकर कहा ,आप तो एकदम शायर बन गई है ,हमे क्या पता हमारी पत्नी इतनी प्यारी शायराना अंदाज की होगी ,जो अपनी मीठी बातो से ही हमे खुश करने की सोच ही है ,
नेहा तुनकर ,तो आप कैसे खुश होने वाले है हम भी तो जाने आप के मन मे क्या है ,
शिवा ,जी हम तो जिस मुह से इतनी मीठी बोली निकल रही है उसीके लब चूम कर अपना मुह मीठा करने की सोच रहे है ,पर क्या पता इस चोर के नसीब में क्या लिखा है
नेहा ,आप जैसे चोर के नसीब में खुद को हमेशा आपके साथ देखना चाहुंगी ,इस ओठो की क्या बात है आप के लिये तो हम अपनी जान तक हसते हसते देने को तैयार है ,बस आप कहिए तो सही हम एक पल नही गवाएंगे ,
शिवा जो पलँग के बाजू में ही बैठा था एक कुर्सी पर उसने उठकर नेहा के पास जाकर बैठ गया ,नेहा के हाथों को चूमकर बोला ,आप हमारे लिये बहुत ही अनमोल हो ,आप की जान लेने की बात में कभी सोच भी नही सकता ,आप के ऊपर कोई आंच आये यह में कभी बर्दाशत नही कर पाऊंगा ,
नेहा शिवा की बात सुनकर उसके गले लग गई और कहने लगी ,आप मेरा नाम लेकर मुझे बुलाया करे ,इस तरह आप कहकर मत बुलाया करे ,में आपकी पत्नी हु ,में आपको आदर से आप कह सकती हूं ,पर आप मुझे कभी भी मेरे नाम के सिवा कुछ और नही पुकारा करेंगे ,
शिवा ,जैसा आपका हुकुम नेहा ,अब तो खुश हो ना
नेहा ,मेंनें कहा ना सिर्फ नेहा पुकारना आप नही तुम कहकर बोला कीजिये आप,
शिवा ने बिना कुछ बोले इस 20 साल की सुंदर लड़की के नाजुक से ग़ुलाबी होठ चुम लिये,नेहा भी गजब की सुंदर लड़की थी ,अपनी माँ और बाप का मिला जुला रूप लेकर पैदा हुवीं यह लड़की की कमाल की खूबसूरत थी ,एकदम गोरी ,सुंदर सा चेहरा ,नीली आंखे ,ग़ुलाबी फूलों से नाजुक पतले ओठ ,लम्बाई में 5 फिट 8 इंच और फीगर अपनी बहन से थोड़ा कम 34 28 36 पर हर चीज में अपनी बहन को टक्कर देंती थी ,सबसे ज्यादा गजब उसकी गांण्ड थी ,अपने माँ के तरह ही उसकी गांण्ड एकदम गोल थी ,सीमा की दोनो बेटिया कमाल की गांण्ड लेकर पैदा हुवीं थी ,तीनो की गांण्ड में एक ही लन्ड घुसने वाला था ,अचानक शिवा अपने ख्याल से बाहर आया ,उसके चेहरे पर तीनों की गांण्ड मारँने की बात से एक बहुत ही मीठी और शरारती मुस्कान आ गयी थी,
नेहा शिवा के चेहरे को देख रही थी ,उसके चेहरे पर उभरी इस दिलकश मुस्कान से उसे लगा शायद शिवा को उसके होठो को चुमना बहुत पसंद आ गया है ,उसने तुंरत शिवा के ओठो से अपने नाजुक होठ जोड़ दिए और प्यार से उन्हें चुसने लगी ,शिवा को नेहा की ये हरकत बहुत ही ज्यादा पसन्द आ गयी ,वो भी बड़ी चाव से उसका साथ देने लगा ,दोनो बहुत देर तक एक दुसरे के ओठ चुसते रहे ,कभी जीभ को एक दूसरे के मुह में घुस्साकर अपने लार का स्वाद एक दूसरे को दे रहे थे ,इस गर्म जवानी की मीठी हरकत से शिवा का लन्ड फड़फड़ने लगा था ,नेहा तो उसे चूमकर ही अपना दीवाना बना रही थी ,शिवाने अपनी माया से एक ही पल में नेहा को पूरी नंगी कर दिया ,शिवा के सामने अपने आप को एकदम नंगा पाकर नेहा शर्म से लाल हो गयी ,उसने झट से शिवा की बाहो में खुद को छुपा लिया ,शिवा ने नेहा को अपनी बाहो में भरकर ही पलँग पर लेट गया ,दोनो मादरजाद एकदम नंगे एक दूसरे के बाहो में लेटे थे ,नेहा के ऊपर सवार शिवा उसकी नीली आंखों में देख रहा था ,उसे अपने सामने लेटी नेत्रा ही नजर आने लगी थी ,नेहा और नेत्रा की माँ भले ही अलग हो पर दोनो का बाप तो एक ही था ,दोनो काफी हद तक एक दूसरे की तरह ही लगती थी ,शिवा ने बड़े ही प्यार से उसकी आँखों को चूम लिया ,उसके दिल मे नेहा के लिये इतने प्यार की वजह वो समझ गया था ,नेहा में वो कबसे नेत्रा को ही देख रहा था ,हजारो साल तक महानाग का इंतजार किया था उसने फिर अपने जीवन को त्याग दिया उसके मिलने के लिये ,बाद में दूसरा जन्म लेकर वो शिवा की पहली बीवी तो बन गई थी पर उसे उसका हक अभी तक नही मिला था ,पहले शिवा का डर उसे नेत्रा से दूर कर रहा था ,बाद में खुद की ही सोच से बनी एक अजीब शर्त जो नेत्रा को मालूम होने के बाद वो भी उसके पास नही आती थी ,अपनी सब शक्तिया मिलने के बाद ही नेत्रा से मिलन करना ,नेत्रा ने एक बार भी शिवा से कभी जिद नही की थी के उसे शिवा से मिलन करना है ,बहुत सी ऐसी शिवा की जीवन मे औऱते आ चुकी थी जो बिना शादी किये ही शिवा से मिलन कर चुकी थी ,पर नेत्रा को उसका हक अभी तक नही मिल पाया था ,बिना कुछ कहे वो शिवा की बात मान लेती ,शिवा की हर खुशी में वो उसका साथ देते रहती ,अपनी बहनों को शादी के बाद तुरंत ही पतीं का सुख मिल जाने पर वो उनसे ज्यादा खुश होती थी ,सिवाय कुछ मीठे पलो के शिवा ने उसके साथ वक्क्त भी ज्यादा नही बिताया था ,सभी को शिवा के साथ रहकर उससे मिलन करके प्यार मिल जाता था ,तेजा ,केतकी ,मंदा ,हिमांनी उसके साथ मिलन करके उसीकी आत्मा से जुड़ गई थी ,पर नेत्रा तो बिना कुछ कहे उसकी पूरी आत्मा बन गई थी ,उसका प्यार समर्पण त्याग सबसे अलग था ,अपनी माँ के साथ शिवा के संबंध होकर भी वो कुछ नही कहती थी ,अपनी माँ को मिल रही खुशी के लिये वो शिवा को भी कुछ नही कहती थी ,नेत्रा उसके जीवन मे आने के बाद ही शिवा को इतनी शक्तिया मिली थी ,एक तरह से देखा जाए तो शिवा की हर शक्ति उसकी देंन थी ,शिवा उसके साथ मिलन करके उसे खुशी नही तो अपने फायदे के लिये ही उसका इस्तेमाल करने वाला था ,अपनी शक्तियों के इस्तेमाल से नेत्रा भी शिवा जितनी ताक़दवर होने वाली थी ,शिवा की हर ताकद उसमे आने वाली थी ,शायद अपने अंदर की प्राचीन शक्तियो की बदौलत वो शिवासे कही गुना ताक़दवर बनने वाली थी ,उसकी शक्तिया को शिवा अपने ही काम को पूरा करने के लिए करने वाला था ,शिवा की सोच यही थी कि वो अगर मारा गया इस सब मे तो नेत्रा सब सम्भाल लेगी ,भले शिवा के साथ उसके अंश भी ना रहे पर नेत्रा के अन्दर उसकी सारी ताकद और शक्तिया आ जाने से वो मन्दिर के चमत्कारी पथर की रक्षा कर सकती है ,अपनी आंखों में इतनी गहराई से देखने वाले शिवा से नेहा को बहुत ज्यादा प्यार आ रहा था ,उसने अपने मदभरे होठो से उसे चूमकर कहा ,क्या देख रहे है आप मेरी आँखों मे इतनी देर से ,शिवा उसकी आवाज में वापिस अपने खयालो से बाहर आया ,बस अपने आप को देख रहा था ,नेहा बोली ,आप खुद को मेरी आँखों मे धुंड रहे है और आप मेरे दिल मे गहराई तक समा चुके है ,शिवाने नेहा की इतनी प्यारी बात सुनकर उसे फिर से चूमने लगा ,अपने मजबूत पंजो में उसकी गोल चुचिया पकड़ कर मसलते हुवे वो नेहा को पूरी तरह पागल करने लगा ,नेहा बहुत जल्दी गर्म होने लगी थी ,उसकी चुत से निकलती भाप से शिवा की कमर को उसके चुत की गर्मी का अहसास हो रहा था ,शिवा ने नेहा की 34 की चुचिया इतनी सख़्ति से मसल कर एकदम लाल कर दी थी ,नेहा को भी अपनी चुचिया शिवा के हाथों से दबवाने में बहुत मजा आ रहा था ,अपनी चुत को जांघो से रगड़कर उसमे हो रही सनसनी को कम करती शिवा को मजे से चूम रही थी ,शिवाने ने अपना चुम्बन तोड़ कर नेहा की मस्त 34 की चुचिया को अपने मुह में भर कर चूसना शुरू कर दिया ,शिवा उसके छोटे से निप्पल के साथ आधी चुचि अपने मुह में लेकर चूस रहा था ,इतनी मस्त चुचियो को अपने दांतों से काटने में उसे बहुत मजा आ रहा था ,नेहा का तो हाल एकदम बुरा हो रहा था ,अपने मुह से एकदम मदहोशी भरी आवाज निकाल कर शिवा की हरकत के मजे ले रही थी ,शिवा के बालों में अपनी उंगलिया घुमाकर उसके सिर को अपनी चुचियो पर दबा रही थी ,शिवा ने चुचिया चूसकर ही नेहा की चुत से दो बार पानी निकाल दिया था ,अपनी चुत से अमृतधारा की वर्षा करती नेहा एक सुखसागर में डूब चुकी थी ,उसके पुर बदन में एक हल्कापन आ गया था ,शिवा की हर हरकत उसे सुख देने के लिये बहुत थी ,इस लम्बे चौड़े बदन के नीचे फूल सी दबी नेहा पर वो पूरी तरह हावी हो गया था ,नेहा के चुचिया को अच्छी तरह मसल कर उनको पूरा निचोड़ ने बाद शिवा ने अपना मोर्चा नेहा की चुत की तरफ कर दिया ,नेहा की मखमली जांघो को सहलाकर अलग करते हुवे उसने उसकी सुंदर सी चुत को पूरी तरह उजागर कर दिया ,नेहा की चुत एकदम गोरी ग़ुलाबी थी ,उसके पतले से ओठ आपस मे एकदम चिपके हुवे थे ,चुत किसी पावरोटी की तरह एकदम फूली हुवीं थी ,उसकी चुत का छोटासा छेद अपनी लाली की वजह से एकदम खुलकर चमक रहा था ,शिवा ने उस छेद से बहते पानी को अपनी जीभ से चाट लिया ,जिसका नमकीन स्वाद उसे बहुत ज्यादा पसन्द आ गया ,शिवाने नेहा की 36 की मतवाली गांण्ड को भी अपने पंजो से थोड़ा ऊपर कर लिया उसके सामने नेहा के दो अनमोल खजाने एक साथ खुलकर दिखने लगे थे ,उन दो लाल सुर्ख फूलों को शिवा अपनी जीभ से एक साथ चाटने लगा ,नेहा का तो इस मजे से बुरा हाल हो गया था ,एक साथ शिवा उसकी लपलपाती जीभ से चुत और गांण्ड के छेद को चाट रहा था ,नेहा का बदन पूरा कापने लगा था ,शिवा बिना रुके उसकी दोनो छेदो को किसी कुत्ते की तरह चाट रहा था ,नेहा अपनी माँ को याद करती अपने मुह से ऐसी सिसकिया छोड़ रही थी कि शिवा का पूरा रोम रोम खिल उठता था ,वो उतनी ही तेजीसे अपनी जीभ चला रहा था ,शिवा के इस हमले से नेहा खुद को ज्यादा देर तक बर्दाश्त नही कर सकी उसकी चुत भलभला कर झड़ने लगी ,शिवा ने उसके झड़ंने के बाद अपनी जीभ को पूरा नोकदार करके नेहा की चुत में घुसा दिया और उस नमकीन पानी को पिने लगा ,अपनी चुत के अंदर शिवा की जीभ घुस जाने से मानो नेहा का बदन उसके काबू से बाहर हो गया ,शिवा की जीभ उसके चुत में घुसकर उसके अंदरूनी भागो से टकराने लगी ,नेहा अपने झड़ने के बाद अपने बदन में फैल रहे हल्केपन से एकदम से बाहर आ गई उसकी चुत का पानी बहुत तेजी से निरन्तर बहने लगा था ,नेहा की चुत किसी झरने की तरह फुट चुकी थी ,अपने आप को मिल रहे इस अदभुत मजे से नेहा एकदम जोर से सिसिकिया छोड़कर अपने बालों को नोचने लगी ,उसे इस कदर के झटके लग रहे थे अपनी चुत के झड़ने से मानो कोई बिजली का करंट उसके चुत में उठ रहा हो ,पर यह झटके तकलीफ नही असीम खुशी दे रहे थे नेहा को ,नेहा का बदन पूरा पसीने से भीगने लगा था ,उसकी चुत झड़ना बंद ही नही हो रही थी ,और शिवा भी उसकी चुत से अपनी जीभ नही निकाल रहा था ,वो नेहा के चुत से बहते हर कतरे को पी रहा था ,उसकी प्यास हर पल बढ रही थी इस नशीले पानी से ,नेहा की चुत भी बरस कर शिवा के हलक को सुखा नही होने दे रही थी ,न जाने कबतक उसकी चुत झड़ती रही ,जब उसकी चुत से पानी निकलना बंद हो गया तो शिवा ने अपनी जीभ उसके चुत से निकाल कर उसकी पूरी चुत को चाटकर साफ करने लगा ,पूरी चुत को साफ करने के बाद शिवा को अब उसकी जीभ से नेहा की छोटी सी गांण्ड के छेद का स्वाद लेना था ,शिवा ने एक ही पल में अपनी जीभ को नेहा के गांण्ड में नोकदार करके घुसा दिया ,नेहा अपने चुत से इतना पानी बह जाने के कारण एकदम सुस्त हो कर पड़ी थी ,उसके बदन को तो एकदम झटका लग गया शिवा की इस हरकत से ,वो अपने गांण्ड के छेद को अंदर खिंचकर शिवा की जीभ को बाहर निकालने की कोशिश करने लगी ,पर उसकी नरम गांण्ड के नाजुक से छेद में इतनी ताकद नही थी कि वो शिवा की जीभ को बाहर कर सके ,उल्टा नेहा के हरकत से शिवा की जीभ और गहराई में घुसने लगी ,नेहा का गांण्ड का छेद अपने आप खुलने और बन्द होने लगा ,उसकी गांण्ड में कहर ढाती शिवा की जीभ से नेहा की चुत भी भड़क उठी ,उसकी चुत में इतनी भयानक सनसनी होने लगी कि नेहा एक जोरदार चीख निकाल कर फिर से झड़ने लगी ,शिवा ने नेहा की चुत को फिर मुह में भरकर उसके रस को पीना शुरू कर दिया ,इस बार तो उसकी चुत पहले से ज्यादा पानी छोड़ रही थी ,नेहा तो एक बेहोशी की हालात में पोहच गई थी ,उसकी आँखों के सामने एक अलग ही रोशनी उसे दिख रहीं थी ,नेहा के पूरे बदन में मानो एक सुकून की लहर दौड़ रही थी ,नेहा अपनी आंखें बंद करके लेटी इस पल का मजा ले रही थी ,उसके दिल मे शिवा के लिये अब भुग ही ज्यादा प्यार आने लगा था ,उसे शिवाने ऐसी खुशी दी थी जो नेहा ने कभी सोची भी नही थी ,उसका पूरा रोम रोम शिवा का दीवाना हो गया था ,शिवा ने नेहा की चुत और गांण्ड का स्वाद लेने के बाद नेहा के ऊपर लेट गया ,नेहा ने अपनी आंखें खोल कर शिवा की तरफ देखा तो उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी ,नेहा ने बिना कुछ कहे अपनी टाँगे उठाकर शिवा के कमर पर कस दी और शिवा को अपनी बाहो में भर लिया ,शिवाक़े होठो को चूस कर उसने शिवा गर्म लन्ड पर अपनी चुत पर अपनी चुत को घिसने लगी ,शिवा के लन्ड की गर्मी से उसकी चुत एकदम गनगना गई थी ,इतने मोटे और गर्म लन्ड की होती मालिश से उसकी चुत से पानी टपकने लगा ,शिवाने पहले ही अपने लन्ड को तेल से चिकना कर दिया था ,शिवाने भी नेहा की गांण्ड को अपने मजबुत पंजो में दबाकर उसकी चुत पर एक करारा वार कर दिया ,पूरे समयमनी में एक साथ दो चीखे निकल गई थी ,एक तो नेहा की थी जो अपनी चुत में इतना बड़ा और मोटा लन्ड घुस जाने से दर्द से निकल गई थी ,उसकी चुत को पूरी तरह फाड़कर शिवा का लन्ड जड़ तक अंदर घुस गया था ,20 इंच लम्बे और 12 इंच मोटे इस लन्ड ने नेहा की चुत को पूरा फाड़ दिया था ,उसकी चत से खुन की धारा बहकर नीचे गिरने लगी थी ,शिवा का लन्ड उसकी चुत में अंदर तक जाकर गर्भशय के अंदर तक घुसा हुवा था ,नेहा की चुत के गहराई में घुसकर शिवा ने उसकी चुत ही नही फाड़ी थी बल्कि उसके अंदर के बिजली तत्व को भी छेड़ दिया था ,जिसकी वजह से शिवा के लन्ड को बेहद तेज बिजली का झटका लगा था ,शिवा का लन्ड नेहा की चुत में घुसा होने से उसे लगातार बिजली के झटके लगने शुरू हो गए थे ,शिवा के मुह से इस वजह से बहुत ही भयानक चीखे निकल रही थी ,शिवा के अंदर इतनी शक्तिया होकर भी उसे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था ,नेहा का पूरा बदन एक बिजली के जैसा बन गया था ,शिवा किसी बिजली सी बनी लड़की के चुत में अपना लन्ड घुसाकर चीखे निकाल रहा था ,उसके मन मे एक ही ख्याल आ रहा था साला बहनचोद यह क्या चक्कर है ,ऐसा भी कभी होता है ,कोई चोदते हुवे बिजली के झटके भी देता है क्या ,यह नेहा साली इतनी मीठी मीठी बाते करती है और इसकी चुत मेंरे लन्ड को बिजली के झटके दे रही है ,अब इसकी चुत से लन्ड कैसे निकालू ,इसकी चुत ने तो मेरे लन्ड को बहुत ही कसकर पकड़ लिया है ,में इतनी ताकद लगाकर भी इससे दूर नही हो पा रहा हु ,शिवा ने बहुत कोशिश की अपना लन्ड बाहर निकालने की पर वो कामयाब नही रहा ,नेहा ने अचानक अपनी आंखें खोल ली उसकी आंखें एकदम बिजली जैसी सफ़ेद होकर चमक रही थी ,उसने शिवा को एक पल में ही अपने ऊपर से उठाकर बिना चुत से लन्ड निकाले अपने निचे ले लिया ,नेहा ने शिवाक़े ओठो को चूमकर अपनी चुत शिवा के लन्ड पर ऊपर नीचे करना शुरू कर दी ,नेहा के ओठो से भी बिजली के झटके शिवा के मुह से अंदर तक जा रहे थे ,नेहा शिवा को अपने नीचे लेकर बिजली की गति से अपनी चुत उसके लन्ड पर ऊपर नीचे करती उसे चूम रही थी ,नेहा के अंदर से आ रही बिजली का हर झटका उसके पूरे शरीर मे फैलने लगा था ,उसके खुन में भी वो समा रहा था ,शिवा का खुन बहुत गर्म होकर उबलने लगा था ,नेहा की तरह वो भी कुछ ही पलों में एक बिजली में बदल गया ,नेहा की चुत में अब नीचे से शिवा भी बड़ी तेजीसी झटके मारने लगा था ,नेहा की गांण्ड को पकड़ कर उसके चुत को फाडने में लग गया था ,शिवा का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुच गया था ,यह पहली बार शिवा को किसीने चोदते हुवे इतनी तकलीफ दी थी ,उसके लन्ड ने अब अपना सबसे रौद्र रूप धारण कर लिया था ,नेहा की चुत को पूरी तरह उसका लन्ड अब कुचलने लगा था ,शिवा ने एक ही पल में अपने जगह से खड़ा होकर खड़ा हो गया ,नेहा को अपने बाहो में थामकर उसे अपने लन्ड पर बिठाकर उसे चोदना लगा ,नेहा भी अपनी टाँगे शिवा के कमर में कस चुकी थी ,अपनी बाहो को शिवा के गले मे डालकर वो शिवा को चूमती मजेसे चुद रही थी ,शिवा जितना बेरहमी से उसे चोद रहा था उतना उसे मजा आ रहा था ,शिवा के हर धक्के का जवाब वो दुगने तेजीसी उछल उछल कर देने में लगी हुवीं थी ,शिवा ने नेहा की चुत से कितनी बार पानी निकाला और कितनी बार अपना पानी भरा इसकी कोई सीमा नही थी ,नेहा थकने का नाम ही नही ले रही थी ,शिवा ने उसे घोडी बनाकर कुतिया बनाकर हर आसन में चोद लिया था पर वो रुक ही नही रही थी ,उसकी भूख और आग बढ़ती ही जा रही थी ,शिवा भी उसकी चुत में अपना गर्म लावे जैसा वीर्य छोड़ कर उसे शांत करने की कोशिश कर रहा था ,उसकी चुत शिवा का वीर्य अपने अंदर गिरने के बाद कुछ देर तक उसका माल सोखने में लग जाति पर फिर दुगनी तेजीसी उसके लन्ड को अपने अंदर दबाकर और चुदने को तैयार हो जाती ,शिवाने आखिर उसकी गांण्ड में ही लन्ड डालकर उसकी आग बुझाने का फैसला कर लीया ,शिवा ने घोडी बनाकर चुदने वाली नेहा की चुत में अपना लन्ड झड़ंने के बाद जब उसकी चुत ने उसके लन्ड को थोडी देर के लिये ढीला पकड़ा था ,तेजीसे बाहर खीच लिया अपनी चुत से शिवा का लन्ड निकल जाने से नेहा बहुत ज्यादा गुस्से में आ गयी ,वो किसी बिजली की तरह कड़कड़ाने लगी थी ,उसके पूरे बदन से बिजली की बहुत ही भयानक गड़गड़ाहट निकल रही थी, शिवा को भी थोड़ा डर लग रहा थी इस भयानक आवाज से वो सोचने लगा साली यह बिजली से मुझे मार ही ना दे ,पता नही इसकी गांण्ड में लन्ड को कितने झटके खाने होंगे मेरे ,पर आज इसकी गांण्ड तो मार कर ही मरूंगा साली ने बहुत झटके दिए है मेरे लन्ड को ,आज इसकी गांण्ड फाड़कर अपना बदला लेकर रहूंगा ,शिवाने नेहा की गांण्ड को पकड़ कर एक ही हाहाकारी झटके में अपना लन्ड उसकी गांण्ड में जड़ तक घुसा दिया ,शिवा के इस हमले की वजह से नेहा दर्द और गुस्से से बहुत ज्यादा भड़क उठी ,उसकी गांण्ड में उसे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था ,नेहा के मुह से निकलती चीख उंसके बदन में उठने वाली बिजली की आवाज से बड़ी थी ,शिवा को उसकी चीख सुनकर बहुत खुशी हुवीं ,वो बेरहमी से नेहा की गांण्ड फाडने लगा ,नेहा की गांण्ड में भी बिजली के झटके उसे बैठ रहे थे पर वो खुद बिजली का बन गया था जिस वजह से उस झटकों से उसे कुछ भी तकलीफ नही हो रही थी ,नेहा की गांण्ड से लाल खुन निकल कर उसके बिजली से बने सफेद शरीर पर दिखाई दे रहा था ,थोड़ी ही देर में नेहा का शरीर एकदम काला पड़ गया जिसे देखकर शिवा भी हैरान हो गया ,नेहा की गांण्ड को मारना उसने नही रोका था फिर भी ,शिवा का लन्ड और उसका शरीर भी एकदम काला हो गया था ,दोनो के शरीर का हर भाग एकदम अँधरे से भी काला हो गया था पर अन्दर की बिजली भी काली हो गयी थी ,शिवा को कुछ समझ नही आ रहा था पर उसकी कामवासना बहुत ज्यादि बढ़ गई थी ,उसके बदन में बहुत ही ज्यादा गर्मी औऱ ताकद आ गयी थी ,वो नेहा की गांण्ड को और बुरी तरीके से चोद रहा था ,नेहा की चीखें अब बन्द हो गयी थी ,उसके मुह से कामुक सिसकिया निकल रही थी ,वो मजेसे अपनी गांण्ड में शिवा के लन्ड को झेल रही थी ,शिवा बहुत देर उसकी गांण्ड मारता रहा ,एक बार झडने के बाद वापिस उसकी कामवासना भड़क जाती और वो दुगनी तेजी से उसकी गांण्ड मारने लगता था ,नेहा का बहुत ही बुरा हाल कर दिया था शिवा ने गांण्ड मार कर वो लगातार 100 दिनों तक उसकी गांण्ड को ही मार रहा था ,पर उसकी हवस और कामवासना कम नही हो रही थी ,उसके अन्दर एक जानवर जाग गया था जिसकी भूक बहुत ही भयानक हो गयी थी ,नेहा की गांण्ड से लन्ड निकालकर जब उसने नेहा को 100 दिन के बाद छोड़ा तो नेहा ने चैन की सांस ली पर अगले ही पल शिवा ने अपने लन्ड से उसकी चुत को फाड़ना शुरू कर दिया ,अगले 300 दिनों तक शिवा उसे लगातार चोद रहा था ,कभी चुत तो कभी गांण्ड उसका लन्ड नेहा की पूरी कामवासना अब बुझा चूका था ,नेहा तो उसके लन्ड से मार खाकर थक गई थी ,बीच बीच मे शिवा उसके मुह को भी चोदकर उसे अपना माल खिला देता था ,शिवा की भूक पुर 500 दिन खत्म होने के बाद ही शांत हो गयी थी ,दोनो के शरीर अब अपने वास्तविक रूप में आ गए थे ,नेहा तो शिवा का माल पिछले 900 दिनों से खाकर एकदम सुस्त हो गयी थी ,वो शिवा के बाहो में चैन से सो गई ,दोनो एक दूसरे की बाहो में थककर 3 दिन तक सोते रहे ,दोनो बहुत ही ज्यादा सुकून की नींद ले रहे थे ,अपने अंदर की गर्मी नेहा में भरके शिवा भी शांत होकर सो गया था ,जब दोनो की नींद खुली तो नेहा ने शिवा से कहा ,आज आपने एक नही बल्कि दो तरह की बिजली की शक्तियां मेरे अंदर जगा दी है ,एक सफेद बिजली और दूसरी काली बिजली ,आप भी दोनो शक्तिया अपने अंदर समा चुके है ,सफेद बिजली बहुत ही घातक है उससे कोई नही बच पाता पर काली बिजली किसी की रूह तक को जला सकती ,जिनके पास शरीर नही होते उनपर सफेद बिजली का असर नही होता पर काली बिजली हर किसिको को खत्म कर सकती है ,वो आत्मा हो या कोई प्रेत या पिशाच हो ,इस काली बिजली का उपयोग नरक में किया जाता है ,पापी आत्मा को सजा देने के लिऐ ,आज से आपके अंदर दोनो शक्तिया आ गई है ,शिवा को समझ मे आ गया कि उसके और नेहा के बदन के काले होने का मतलब क्या था ,थोड़ी देर दोनो बाते करते रहे फिर शिवा ने उसे समयमनी से बाहर आ गए दोनो पिछले 1200 दिनों से समयमनी में थे ,लेकिन पाताल के बलिलोक में सिर्फ 20 घण्टे ही खत्म हुवे थे ,शिवा ने नेहा को भी सब बताकर नेत्रा और बाकियों के पास छोड़ दिया पाताल के बलि लोक में एक दिन बिताकर भी धरती पर सिर्फ 2 मिनीट ही खत्म हुवे थे ,रीमा को छोड़ने के बाद सिर्फ पांच ही मिनीट में शिवा वापिस आ गया था नेहा को लेकर ,नेहा को देखकर तो सबकी आंखे एकदम फटी रह गई थी ,अपनी बिजली की का तत्व आ जाने से शिवा के साथ इतनी भयानक चुदाई झेलकर आयी नेहा पहले से बहुत ज्यादा सुंदर हो गयी थी ,उसका 34 28 36 का साइज बदलकर 40 30 44 का हो गया था ,अपने सभी बहनो में उसकी गांण्ड एकदम बड़ी हो गयी थी , शिवा उसे सबके पास छोड़कर रिना और मधु के पास चला गया ,शिवा के जाने बाद पायल ने एक शैतानी मुस्कान के साथ नेहा से कहा ,लगता है नेहा को एक ही तरफ से शिवा ने जमकर बजाया है ,इसकी गांण्ड तो देखो ,हमारे खानदान की सभी लड़कियों से बड़ी हो गयी है ,एक ही बार चुद कर ,नेहा थोड़ा सम्भल कर रहना शिवा का भरोसा नही है वो शायद तुम्हारी गांण्ड को दुनिया की सबसी बड़ी ना कर दे,
नेहा भी कम नही थी ,उसने कहा ,तू रुक थोड़े दिन जिस दिन शिवा तेरी लेगा ना पीछे से कसम से कहती हूं ,सबसे बड़ी गांण्ड तेरी होगी ,तुझे पता है ना पानी मे बिजली कितने जोरदार झटके मारती है बुलबुल ही ही ही ।
Bahot behtareen zaberdast update bhai
 

Naik

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Update 111
भुजंग के सामने बैठे कालराक्षस और शिवाय की तरफ गजाली और सुहाली बहुत ही क्रोध से देख रही थी ,कालराक्षस तो पहले ही लामन के बारे में सोचकर परेशान था ,शिवाय उसे कुछ बताने को तैयार ही नही था ,बस बाते गोल गोल घुमा रहा था ,ऊपर से उसे गजाली और सुहाली कबसे अभद्र भाषा मे बोल कर चिढ़ा रही थीं ,कालराक्षस में था तो रावण का असली राक्षस अंश ,उसके अंदर का राक्षस कब तक ऐसी बाते सुन सकता था ,उसने बहुत ही गुस्से से कहा ,आप दोनो औरते है ,आप अगर महाराज भुजंग की बेटिया और औरत ना होकर कोई सामान्य राक्षस होती तो में आपको बता देता की बहादुरी किसे कहते है ,हम आपके पिता के ऋणी है नही तो आज हम औरत को भी मारने से परहेज नही कर सकते ,आप दोनो राजकुमारी होकर भी इस तरह की अभद्र भाषा का उपयोग कर रही है ,आपका कम से कम अपने पिता की तो इज्जत करनी चाहिए ,जिनके सामने आप इतनी गन्दी भाषा का इस्तेमाल कर रही है ,महाराज आप ने हमे यहा इनसे शादी कराने के लिये लाये थे या इनकी गालिया खिलाने ,एक महाराज होकर भी आप अपने साथ लेकर आने वाले अपने ही लोगो का अपमान अपनी बेटियों से होते देख चुप है ,यह आपको शोभा नही देता ,भले ही हम आपके सेवक है महाराज ,पर हम भी तो अपनी भुजा में बल और दिल मे हिम्मत रखते है ,आप के एक कहने पर हम किसीसे भी लडने को तैयार हो सकते है ,पर एक बात आपको में बता देता हूं ,भले आप मुझे आप जान से मार दे में ऐसी राजकुमारी यो से कभी शादी नही कर सकता जिन्हें किसी की इज्जत नही करनी आती ,में पहले से शादी शुदा हु मेरी पत्नी एक आम राक्षस कन्या है ,भले वो राजकुमारीयो जितनी सुंदर ना हो पर उसमे राजकुमारीयो से बहुत ज्यादा अच्छे संस्कार है ,ऐसी राजकुमारी यो से शादी करने के बजाय में आपके हाथो से मरना पसन्द करूँगा ,आप दोनो राजकुमारीयो को अपनी ताकद पर बहुत घमंड है ना ,आप हम दोनो को हराने की बात कर रही है ना ,महाराज से कहकर हमपर लगे सारे ताकद के बंधन हटा दीजिये ,हमारी माया की बनी लड़कियों को सिर्फ हरा दीजिये हम आपके गुलाम बनकर रहने को तैयार है और अगर आप उनसे हार गई तो आप क्या कर सकती है यह आप ही सोच कर बोलिये , कालराक्षस की बात से तो दोनो बहने और भड़क गई उन्होंने अपने पिता से कहकर इन दोनों पर लगें सारे बंधन हटाने को कह दिया ,भुजंग ने भी उन दोनों पर महल में आने के बाद उनपर लगी सारी शक्तियो के बंधन हटा दिये ,पाँचो अब महल के पीछे चले गए ,जहा पर बहुत ही विशाल युद्धाभ्यास का मैदान था ,कालराक्षस और शिवाय तो महल के पीछे आकर सामने देखकर हैरान हो गए थे ,उस महल के बाहर राक्षसलोक से बहुत ज्यादा बड़ी एक राक्षस लोगो की नगरी दिख रही थी ,जहा पर अपनी दिव्य दृष्टि से दोनो को अरबो राक्षस दिख रहे थे ,जो बहुत ही ज्यादा बलावान और शक्तिशाली दिख रहे थे ,उनमें से कुछ तो बहुत ही दिव्य शक्ति वाले लग रहे थे ,भुजंग उनके चेहरे की तरफ देख कर बोला ,यह है असली राक्षसलोक जो किसी को नही पता ,इसी राक्षसलोक में मेरे सभी बेटे और बहुत से बलावान राक्षस रहते है ,जिन बेटो से तुम मीले हो वो सभी अलग है और यह सब अलग है ,यहा पर मेरे असली बेटे रहते है जो दिव्यशक्ति के मालिक है ,यह दुनिया की नजरों में अभीतक नही आये है अबतक ,तुम जिस राक्षसलोक को जानते थे उसीके राक्षस कितने बहादुर है तो यहा के राक्षस इस दिव्य महल के वजह से कितने शक्तिशाली हो गए होंगें ,मेंनें अपने इस राक्षसलोक के एक भी राक्षस को आजतक यहा से बाहर नही जाने दिया है ,इन सबमें काली दुनिया से मिली बहुत ही घातक शक्तिया है ,जिसके सामने टिकना बहुत मुश्किल है ,जिस दिन यह बाहर की दुनिया मे कदम रखेंगे उस दिन दुनिया पर मेरा ही राज होने वाला है ,इनसे टकराने वाला आज तक कोई पैदा नही हुवा है ,इनकी खूबियां और शक्तिया में बताने लग जाउ तो वर्षों का समय लग जायेगा ,यहा का हर बेटा अपने आप मे एक अजिंक्य वीर है ,तुम दोनो को मिलकर भी मेरे किसी एक बेटे से नही लड़ सकते ,तुम्हे में खोना नही चाहता हु ,पर आज कालराक्षस ने बहुत बड़ी बात बोल दी है ,जरा में भी तो देखु तुम्हारी माया की ताकत ,मेरी दोनो बेटिया कोई साधरण नही बल्कि दिव्य अंश लेकर पैदा हुवीं है ,उनके सामने तुम्हे में पूरा मौका देने वाला हु ,ताकि तुम्हे कोई मलाल न रहे ,
शिवाय कालराक्षस के मन मे बोला ,चलो एक बात अच्छी हुवीं इस लामन को को अब में आसानी से छोड़ने नही वाला वाला ,हमारी ताकद की सभी बंधन खुल जाने से यह अब कुछ नही कर पा रहा है ,बहुत ही बेबस हो गया है बेचारा ,पर इस भुजंग ने त्रिदेविया से ऐसे कौनसे वरदान लिए है ,इस गुप्त राक्षसलोक की जानकारी उन्हें भी नही है ,त्रिदेविया की वजह से वो इस गुप्तलोक को नही देख पाए थे ,अब हम इस पूरे गुप्त राक्षसलोक की खबर निकाल लेंगे ,जरा देखे तो सही इस भुजंग ने इतने हजार सालो से इस गुप्तलोक मे क्या क्या छुपाकर रखा है ,लेकिन कुछ भी बोल कालराक्षस यह हरामी भुजंग हमे सब कूछ नही बताने वाला ,इसने जरूर बहुत से राज अपने अंदर दफन किये होंगे ,इसके सब राज में हर हाल में पता करने वाला हु ,तू अब कुछ मत कर मेरे भाई जरा इन दोनों को में ही देखता हु ,अपनी नागदन्ती कब काम मे आएगी ,बहुत दिनों से वो आम लोगो से लड़कर तंग आ गई है ,जरा इन दोनों को अपनी नागदन्ती के जलवे तो दिखाने पड़ने वाले है ,शिवा भाई की निलनाग की शक्ति से सबसे ज्यादा फायदा मुझे ,महानाग ,नागदन्ती और उसके नाग फौज को हुवा है ,हम सब की ताकद बहुत ज्यादा बढ़ गई है ,कोई दूसरा होता ना भुजंग के अलावा तो में उसे अपना 100 मुह वाला सूवर्ण नाग का रूप दिखा देता आज ,साला इतनी गजब की ताकद और क्या रूप मिला है मुझे इस निलनाग कि ताकद से ,पता नही कब में अपने उस रूप में दुनिया के सामने आ पाऊंगा ,चलो नागदन्ती निकलो बाहर और दिखा दो इन दोनों की इनकी औकात ,
शिवाय के इतना कहते ही नागदन्ती के दो रूप उसके शरीर से निकल कर गजाली और सुहाली के सामने खड़े हो गए ,भुजंग और उसकी बेटीयो को लगा कि यह रूप कालराक्षस और शिबाय ने माया से उनके सामने बनाये है ,गजाली और सुहाली के सामने उनके ही कद की दो नागदन्ती खड़ी थी ,शिवाय ने अपनी माया से दोनो के चेहरे बदल दिए थे ,चार एकदम शक्तिशाली 300 फिट की कन्या एक दुसरे के सामने खड़ी थी ,गजाली और सुहाली के चेहरे पर बहुत ही ज्यादा घमंड दिख रहा था ,उन्हें ऐसा लग रहा था कि अपने सामने खड़ी इस मायावी लड़कियों को वो एक पल में मार सकती है ,दोनो राक्षस कन्या ने एक साथ अपनी माया से दोनो नागदन्ती पर वार किए ,पर वो उनका बाल तक नही हिला सकी ,दोनो राक्षस कन्या ने अब अपने गुस्से में आकर एक से एक घातक मायावी ताकद नागदन्ती पर छोड़नी शुरू कर दी ,पर नागदन्ती पर कुछ भी फर्क नही पड़ रहा था ,उन दोनों के ऊपर शिवाय का अभेद्य मायावी कवच लगा हुवा था ,गजाली और सुहाली ने बहुत कोशिश की उन दोनों को अपनी माया से हराने की पर वो नाकाम ही रही ,दोनो बहने तलवार निकाल कर खुद उन पर टूट पड़ी अब नागदन्ती भी अपने हाथों में तलवार लेकर उन दोनों का मुकाबला करने लगी ,नागदन्ती से ज्यादा फुर्ती उन दोनों में थी ,वो दोनो नागदन्ती पर भारी पड़ रही थी ,जिसे देख कर भुजंग की हसि निकल रही थी ,कुछ ही देर में गजाली और सुहाली ने उन दोनों नागदन्ती को मार दिया ,भुजंग यह देख कर हसने लगा पर थोड़ी ही देर में उसके सामने 4 नागदन्ती खड़ी थी ,भुजंग ने अपनी बेटियों के सामने दो मायावी कन्या प्रकट होने के बाद कालराक्षस और शिवाय की शक्तियां को फिर से बंधन में डाल दिया था ,ताकि वो दोनो कोई छल न कर सके पर अपने सामने दो मायावी कन्या के खत्म होने के बाद 4 उसकी जगह खड़ी देखकर भुजंग के साथ गजाली और सुहाली को भी हैरानी हो गयी ,उन्होंने ही अपने पिता को इन दोनों के सामने आने के बाद कालराक्षस और शिवाय की ताकद को बंधन में डालने को कहा था ,उन दोनों ने पहले जिन मायावी कन्या को मारा था उससे दुगनी ताक़दवर यह 4 नई मायावी कन्या दिख रही थी ,पर गजाली और सुहाली को खुद पर बहुत ज्यादा भरोसा था ,दोनो वापस उन चारो पर टूट पड़ी देखते ही देखते यह लड़ाई भयानक रूप ले रही थी ,गजाली और सुहाली भी अपने 2 रूप बनाकर उनसे लड़ रही थी ,गजाली और सुहाली नागदन्ती के जितने रूप को मार देती तो दूसरे ही पल उनके सामने उनसे ज्यादा ताक़दवर और दुगनी संख्या में और नागदन्ती के रूप खड़े हो जाते ,हजारो नागदन्ती के रूप अब गजाली और सुहाली से लड़ रहे थे ,गजाली और सुहाली अपने 100 रुप ही बना सकती थी ,202 गजाली और सुहाली के रूप 10 हजार नागदन्ती के रूप से लड़ रहे थे ,नागदन्ती के यह सभी रूप बहुत ही ज्यादा ताक़दवर हो गए थे ,गजाली और सुहाली के सभी रूपो को उन्होंने मार दिया था ,गजाली और सुहाली ही अब उनसे लड़ रही थी ,पर वो दोनो भी बहुत ज्यादा थक गई थी ,उनसे तो बस नागदन्ती का एक ही प्रतिरूप लड़ रहा था ,पर वो भी उनपर भारी ही पड़ रहा था ,भुजंग को अपनी बेटियों की मौत दिखने लगी उसने तुंरत कालराक्षस और शिवाय की ताकद से बंधन हटा दिए और कहा ,इन को रोको नही तो मेरी बेटिया मर जायेगी इनके हाथो से ,तब तक गजाली और सुहाली जमीन पर गिर चुकी थी ,उनकी बहुत बुरी हालत हो गयी थी ,नागदन्ती के रूपो ने बहुत जबरदस्त धोया था उन दोनों को ,उन दोनों का घमण्ड पूरी तरह तोड़ दिया था ,जमीन की मिट्टी से और अपने खुन से उनका चेहरा भर गया था ,वो बड़ी मुश्किल से अपनी सांस ले रही थी ,आज उनकी औकात उन्हें पता चल चुकी थी ,अगर सभी नागदन्ती के रुप उनसे लड़े होते तो उनकी हड्डियां तक नही मिल सकती थी ,शिवाय ने नागदन्ती के सभी रूपो को अपने अंदर ले लिया ,
नागदन्ती के सभी रूपो से शिवाय ने कहा ,अच्छा हुवीं तुम मेरी बात समझ गयी थी ,नही तो तुम दोनो ही उन्हें हरा देती ,में तो बस तुम्हारे और शक्तिशाली रूप बना रहा था ,ताकि जरा इन गुप्तलोक के राक्षसो का सफाया कर सकू ,चलो अच्छा हुवा मेरे पास अब तुम्हारे 10 हजार से ज्यादा रूप है ,तुम सब को में यही छोड़ जाऊंगा ,बस एक एक को पकड़ कर मारना शुरू कर दो ,बहुत उछल रहा है ना यह भुजंग अपनी इस गुप्त सेना पर ,एक कि भी लाश नही दिखनी चाहिए ,मेंनें यह पता कर लिया है ,इस महल के बाहर तुम्हे कोई नही देख पायेगा ,तुम सब एक बात का खास ख्याल रखना भूल कर भी इस महल में नही आना ,यहा त्रिदेवियों की शक्तिया है यहा तुम आसानी से पकड़ी जा सकती हो पर इस महल के बाहर कोई नही पकड़ सकता है तुम्हे ,एक काम करना मेर अंदर सिर्फ 1 ही नागदन्ती को छोड़कर बाकी सभी अभी से अपने काम पर लग जाना ,फिर क्या था शिवाय के अंदर एक ही नागदन्ति बच गई और बाकी सभी वहां से गायब होकर राक्षसलोक में चली गई ,सभी के ऊपर शिवाय ने अपना बेहद शक्तिशाली मायावी कवच लगा दिया था ,कालराक्षस शिवाय के मन मे बोला ,भाई तुझे इस भुजंग से इतनी नफरत क्यो है ,बेचारे की यह गुप्तलोक कि राक्षस सेना पता नही कभी दुनिया के सामने आएगी भी या नही ,यह भुजंग अपने आप को बहुत गालिया देने वाला है ,इसने बहुत बड़ी गलती कर दी है हमे यहा लाकर ,एक वक्त तो में इसे इतना नुकसान नही करता पर तु तो इसके पीछे हाथ धोकर पड़ गया है ,में एक बात बोल देता हूं ,में इन दोनों से शादी नही करने वाला ,मेरे लिये तो बीरा ही बहुत है ,इनके साथ तुम ही शादी करना ,
शिवाय हसकर उसके मन मे बोला ,भाई मेंनें शिवाय के रूप में आज तक एक भी शादी नही की है ,में तो इन दोनो से जरूर शादी करने वाला हु ,शिवा भाई ने जो बिजली की ताकद दी है ना उसका उपयोग होने वाला है अब ,देखना इन दोनों की चुत और गांण्ड को बिजली ऐसे झटके देकर चोदूँगा ना कि इनकी अकड़ और घमंड सब खत्म हो जाएगी ,ये दोनो जब भी मुझे अपने सामने देखगी अपनी चुत से मूतने ना लगी डर से तो मेरा नाम शिवाय नही ,
शिवाय की बातों से कालराक्षस दिल खोल के हस रहा था ,भुजंग तो कब का अपनी बेटियों के पास जा चुका था राजवैद्य के साथ ,कालराक्षस शिवाय के मन मे बोला ,भाई तू है बहुत खतरनाक यह भुजंग के बेटीयो को लिये तू एकदम सही है ,इस भुजंग को ऐसा दामाद मिलने वाला है जो इसकी ही मारने वाला है ,भाई वो सब ठीक है ,अब तो बोल यह लामन कौन है ,
शिवाय ,यह लामन एक काला शेर है ,जिसमे बहुत सी दिव्य शक्तिया है ,भुजंग ने इसका मिलन काली शक्तिया से बनी एक शेरनी से करके दो बहुत ही खूंखार शेरनियां पैदा की है ,अपने शेरा के लिए वो दोनो बहुत सही है ,यह साला लामन तो नामर्द बन गया है ,उसकी पत्नी की वजह से ,लगता है अपने शेरा को एक साथ मा और बेटिया दोनो मिलने वाली है ,तीनो बहुत प्यासी हो गयी है अपनी कामवासना से ,मेंनें लामन को वचन दिया है इसे में यहा से ले जाऊंगा ,इसे तो शिवा भाई के पास छोड़ कर में शेरा को लेकर आनेवाला हु राक्षस लोक में ,आज से लामन की जगह वो इस महल में रहने वाला है ,इस लामन के पास एक दिव्य मनी जिसकी वजह से यह त्रिदेवियों के महल में आसानी से आ जा सकता है ,बिचारा अच्छा है पर क्या करे इस नामर्दी ने कोई काम का नही रखा ,नागदन्ती जब लड़ रही थी तभी मेंनें इससे सब बातें कर ली है ,यह नही तो कबसे मेरी कैद से भाग गया होता ,आज से लामन भी हमारा साथ देने वाला है ,यह कोई आम शेर नही है त्रिदेवियों की शक्ति से बना है ,पर काली शक्ति के वजह से यह थोड़ा बिगड़ गया था ,कुछ दिन शिवा भाई के अंदर रहेगा तो यह भी ठीक हो जाएगा ,दिव्य शक्तिया होकर भुजंग की संगत में गजाली और सुहाली ऐसी पापी बन सकती है तो सोचो इस बेचारे पर कितने जुल्म किये होंगे इस भुजंग ने ,लामन अपने वचन से बन्धा नही होता तो कब का वह भुजंग के पास से चला जाता ,यह खुद यहा से नही जा सकता ,पर अगर किसी ने इसे बन्दी बना लिया तो यह उसके साथ रह सकता है ,भुजंग की बात मानने का यह बाध्य नही होगा इसके बाद ,जो भी इसे हराकर बन्दी बना लेगा यह उसीका गुलाम होगा ,और सुन बे लामन शिवा भाई के सामने गुलाम की बात नही करना ,नही तो में वापिस तुझे यही छोड़ दूंगा ,तू लगे तो मुझे और कालराक्षस को मालिक बोल लेना ,पर शिवा भाई को भूलकर भी मालिक कहकर नही बुलाना ,वो क्या है हमारे भाई को ऐसी बाते पसन्द नही है ,तू उनके साथ रहेगा ना तू भी खुश हो जाएगा ,में तो थोड़ा बिगड़ा हुवा हु ,पर वो बहुत अच्छे है ,तूने अगर यहा की बाते उन्हें बतायी तो में लामनी को भी गुलाम बनाकर तेरे पास छोड़ दूंगा ,
शिवाय के अंदर से लामन बोला ,मालिक में ऐसी गलती नही करूँगा ,आप लगे तो मेरे दिमाग से सब बातें निकाल दीजिये ,में इस लामनी से बहुत परेशान हो गया हूं ,साली की प्यास बुझाते हुवे मुझ जैसा दिव्य शेर नामर्द बन गया तो आप ही सोचो वो कितनी प्यासी होगी ,मेरी बेटीयो भी उसके जैसी ही हो गयी है ,वो तो अच्छा हुवा में वो दोनो बड़ी होने से पहले ही नामर्द बन गया ,नही तो वो दोनो भी मुझे नही छोडती ,अरे बापरे भाई यह तीनों यही आ रही है सामने देखो ,लगता है उन्हें मेरी महक से पता चल चुका है में यही पर हु ,
शिवाय ने सामने देखा तो उसके सामने तीन शेरनियां आ रही थी ,वो तीनो भी बहुत ही खूंखार और ताक़दवर दिख रही थी ,तीनो एकदम काली थी ,300 फिट के ऊपर उनका कद था शिवाय और कालराक्षस के सामने भी वो बहुत ही भयानक दिख रही थी ,उसमे लामनी थोड़ी ज्यादा लंबी चौड़ी दिख रही थी ,300 फिट लंबी ,और 900 फिट चौड़ी काली शेरनी थी लामनी ,लामन भी उसके जैसा ही लम्बा और तगडा था ,तीनो बहुत देर तक कालराक्षस और शिवाय के इर्दगिर्द घूमकर उन दोनों को सूंघ रही थी ,शिवाय ने अपने ऊपर एक कवच लगा देने से उन्हें लामन की खुशबू नही आ रही थी ,वो गुस्से में दहाड़ती वहां से चली गई ,उसके जाने के बाद लामन भाई आपका शेरा इस को संभाल तो लेगा ना ,यह लामनी अकेली ही इतनी खतरनाक है कि क्या कहे ,मेरी बेटिया भी उससे कम नही है ,
शिवाय पहले का शेरा होता तो बहुत मुश्किल होती उसे भी लेकिन शिवा भाई की वजह से उसकी भी ताकद बहुत बढ़ गई है ,वो लामनी से 50 फिट लम्बा और 100 फिट ज्यादा चौडा है ,हजारो साल से वो भी किसी के साथ संभोग नही कर सका है ,लामनी और तेरी दोनो बेटिया को वो भगा भगा कर चोदने वाला है ,हा हा हा ,
लामन अपने मन मे ,साला इस पागल के शरीर मे कैसे भगवान विष्णु का अंश हो सकता है ,मुझे तो तीनों त्रिदेव की अंश इसमे है ऐसा लगता है ,पता नही इस पागल में कैसी इतनी ताकद है ,हर दम यह किसी ना किसी की मारने की सोचता है ,इस भुजंग से कोई पंगा नही लेता और यह उसकी ही बेटीयो की चुत और गांण्ड को बिजली के झटके देंने की सोच रहा है ,पता नही इस ठरकी में कैसी इतनी पूण्य शक्तिया है ,
शिवाय हसकर ,लामन तू मेरे अंदर रहकर ही मुझे कोस रहा है ,भुजंग की बेटिया नही लामनी और तेरी बेटिया क्यो भागने वाली है शेरा से पता है तुझे ,उसमे भी बिजली की शक्तियां आ गई है ,तेरी पत्नी की कामवासना वो बहुत अच्छे से बूझाने वाला है ,और बात ऐसी है भाई काटे को हमेशा काटे से निकालते है ,इस भुजंग जैसे पापियो के लिये मुझ जैसा ही ठरकी चाहिये ,इनको कोई भला और नेक सही तरीके से सबक नही सीखा सकता ,इन्हें में ही दिखाने वाला हु की जब अच्छी ताकद किसी को सताने पर आती है तो किस कदर तड़पा सकती है ,तू भी देखेगा यह भुजंग मरने के बाद भी दुबारा कभी जन्म नही लगा इतनी तकलीफ़ और दर्द इसे मिलने वाला है मुझसे ,यह अपनी मौत को खुद गले लगाना ही असली सुख समझेगा ।
Bahot behtareen zaberdast shaandaar update bhai
 
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