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Adultery इश्क और हसरत

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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DIL ko " सुकून " mil gaya ...................... update padhkar ........................

excellent :vhappy:
Thanks
 
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Napster

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इश्क और हसरत
:wave:
हाजिर हूं एक और अनूठी और एक अलग ही थीम पर आधारित कहानी लेकर , जैसा कि आप मेरी कहानियों में पाते है ।
हालांकि इस कहानी को लेकर मुझे कोई सही कैटेगरी मिली नहीं फिर भी इसे एडल्टरी में फिट करने की कोशिश करूंगा ।
आप सभी से इस पर ढेरों प्रेम और समर्थन की कामना चाहूंगा ।


धन्यवाद :thank_you:
नयी और अनुठी कहानी की हार्दिक हार्दिक बधाई भाई
आपकी अन्य कहानी तरहा ये कहानी धमाकेदार होगी
 

Napster

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UPDATE 001



" ये सेक्स क्या होता है "
" क्या ?? "
" अरे बाबा सेक्स एस ई एक्स ... सेक्स "
" अ वो ( थोड़ा उलझन भरे लहजे में ) क्यों पूछ रही हो ( एक अनजानी सी उमंग उठी मन में और चेहरे पर मुस्कुराहट ) "
" ओफ्फो बताओ न बाबा , अच्छा सुनो "
" हा कहो ( उसकी चंचलता और कुछ नया जान लेने की चुलबुलाहट से पैदा हुई खिलखिलाहट से मै खुश हो रहा है , कितना हल्का सा महसूस हो रहा था मानो आस पास तिलतिलिया उड़ रही हो ) "
" पता है हीहीही, मेरा दोस्त है न विशाल हीही ... उसने बताया कि वो सेक्स कर चुका है "

एकदम से मेरे चेहरे की रौनक उड़ गई , मन में उदासी सी छा गई , एक डर एक तीव्र पोजेसिव नेस की भावना और कुछ जो मेरे लिए बहुत कीमती है वो खोने का डर और धड़कने तेज हो गई ।

" हैलो ... सुन रहे हो , हैलो "

कभी कभी ज़िन्दगी आपको बहुत छोटे छोटे लेकिन बहुत ही इंपोर्टेंट अलर्ट देती है, चूंकि उन दिनों में आपके साथ सब कुछ अच्छा चल रहा होता है आपके हिसाब से तो आप उन्हें इग्नोर कर देना ही बेहतर समझते है या फिर उन अलर्ट के रूप में दिख रही समस्याओं को सुलझाने के बजाय टाल देते है ।
ऐसे ही एक चूक मुझसे हुई ,
नादानी कहूं या फिर किसी को उसके फ्री विल से जीने देने की मेरी कमजोर सोच जहां आप ये महसूस करते है कि कोई खुद के साथ गलत कर रहा है लेकिन उस वक्त के लिए वो गलती इतनी सूक्ष्म होती है कि उसे आसानी नजरअंदाज किया जा सकता है ।
कुछ ऐसा ही हमेशा से मेरा स्वभाव रहा है लेकिन एक वक्त के बाद आप आदि हो जाते हैं किसी को लगातार वो गलतियां दोहराते हुए देखने के , आप वो सब कुछ अपने आगे घटता देख कर भी कुछ कहने का हक नहीं रखते है जबकि सामने वाले से आपका रिश्ता सिर्फ दिल से नहीं बल्कि आत्मा से जुड़ चुका होता ।

ये कहानी सिर्फ मेरी नहीं है , इसमें आपको अपने खुद के किस्से भी मिलेंगे । ले दे कर आखिर हम सब है तो इंसान ही और जब मैनुफैक्चरिंग ही सेम है सबकी तो जीवन में होने वाली घटनाएं कुछ बहुत अलग नहीं होंगी ।

मेरा नाम रोहन है , उम्र 25 साल ।
फिलहाल लखनऊ में सरकारी नौकरी करता हूं , वही फ्लैट रेंट लिया हुआ है रहने के लिए।
मेरा घर बाराबंकी जिले में एक छोटा सा टाऊन है नवाबगंज।

मेरे पापा विजय कुमार , अभी उनकी उम्र 48 साल है
वैसे तो वो एक बड़ी मोटर कंपनी में जॉब करते थे लेकिन कोरोना के दौरान उनकी नौकरी छूट गई लेकिन संजोग की ही बात थी कि तब तक मेरी नौकरी लग चुकी थी । हालांकि पापा ने 2021 के लॉक डाउन के बाद भी बहुत प्रयास किया नई जगहों पर नौकरी के लिए लेकिन वहा ना उनके अनुभव को सही कीमत मिल रही है और ना सम्मान । इसीलिए वो घर बैठ गए और खेत का काम देखने लगे ।


मेरी मां कुसुम ,उम्र 45 साल । जितनी मासूम उतनी चंचल , घर का इकलौता होने के कारण मेरी बचपन से उनके साथ खूब जमती थी । हालांकि वो मुझे छेड़ती बहुत थी और मै चिटकता भी खूब था बचपन के दिनों में । मुझे मनाने के लिए अकसर वो गुदगुदाने लगती थी और मै खिलखिला पड़ता , और फिर मुझे नहलाते हुए अक्सर मेरी चढ्ढी खींच कर मुझे चिढ़ाती की उन्होंने मेरी मूंगफली देख ली । लाज के मारे सर्दियों के दिनों मे जब वो तेल से मालिश करती थी नूनी में तेल लगाने के लिए मै कटोरी लेकर कोने में चला जाता और खुद से अपने वहा पर चमड़ी पीछे से तेल लगाता । इसपर भी वो मुझे कहती " छिपा ले रात में सो जायेगा तब देख लूंगी हाहाहा " । मै शर्मा जाता था । लेकिन एक उम्र के बाद थोड़ा थोड़ा इरेक्शन होने लगा और वो ऐसे में जब वो मुझे नहलाती तो मुझे बहुत कंट्रोल करना पड़ता , अगर चढ्ढी में टेंट बनने लगे तो छुपाना पड़ता । लेकिन कभी कभी मुझे उनको लेकर ऐसी कोई अनैतिक भावना नहीं हुई ।

साल 2020

लॉकडाउन के बाद नवंबर दिसम्बर में शादियों की धूम मची थी । हालांकि तब मै प्रयागराज में अपनी तैयारी कर रहा था प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए। लेकिन दिवाली की छुट्टियों में घर आया था , ऐसे ही मुझे भी मेरे एक दोस्त के भाई की शादी अटेंड करने का मौका मिला । पूरे साल की मनहूसीयत के बाद कुछ अच्छा समय मिला था बिताने को । डीजे पर भोजपुरी गाने पर डांस करके रात 8 बजे तक बारात निकल गई । आज से पहले कभी मैने लखनऊ जिले प्रवेश नहीं लिया था , सिवाय स्कूल ट्रिप के ।
अब सड़क खराब थी या जैसे कि हर बारात में कुछ लड़चट्ट दारूबाज अगुवा होते है जिन्हें लड़की के घर के रास्ते का एक खास शॉर्ट कट पता होता है जो उन्होंने कभी अपनी मोटरसाइकिल से तय किया होता है । ये उनकी मेहरबानी थी कि 50km की दूरी के लिए 3 घंटे एक खटारा सी बॉलरों में झटके खाने के बाद अच्छे खासे मूड की मां बहन हो गई थी ।

मोहनलालगंज तहसील से करीब कुछ किलो मीटर बाद हम बारातघर पहुंचे । चूंकि किसी की बकचोदी ने हमारी गाड़ी लेट करा दी थी तो स्टार्टर मिठाई में सिर्फ राजभोग बचा था , अच्छी वाली क्रिमरोल मिठाई सफाचट हो गई । लोगों से बात करने पर पता चला कि व्यवस्था तो पूरी थी लेकिन अब ये हुआ कि अब कोई आने वाला नहीं है तो बारातियों ने एक एक प्लेट मिठाई फिर से लपेट दी ।
प्यास से चुसका हुआ मुंह देखा है कभी आईने में खुद का और उसपर से आपको ये समझ आए कि आपको पानी किसी और की गलती से अभी नहीं मिलेगी। वो हालत थी मेरी ।
मेरे साथ आए कुछ और हित दोस्त जो थोड़े मुंहफट थे उन्होंने अपनी भड़ास अपने सुर में निकाली लेकिन इसका कुछ फायदा नहीं था , फिर ये हुआ कि बारात लड़की के दरवाजे पर पहुंचने वाली है । मन मार कर द्वारपूजा के लिए निकल गया अपने साथ वालो के संग ।
गली थोड़ी सकरी थी और डीजे का पिकअप अंदर नहीं जा सकता था तो भांगड़े वालो ने कमान संभाल रखा था ।

न सुर न ताल , बस हाथ उठाओ और नचाओं रुमाल ।
कुछ ऐसा ही माहौल था , मेरी नजरे उस भसड़ भरे माहौल में कुछ शांत तलाश रही थी और ऐसे में मेरी नजरे गली के ऊपर छत से, बालकनी से झांकती रंग बिरंगी वेशभूषा किए हुए लड़कियों और औरतों पर गई ।
सब के सब हंसती खिलखिलाती हुई उन नरमुंडों के तांडव निहार रही थी जिनकी हुल्लरबाजी के आगे ढोल और ताशे के आवाज भी फीके पड़ रहे थे । कई ने तो सीटिया बजानी शुरू करदी लड़कियों को देखते हुए । तभी मेरी नजर दुलहन के छत की बालकनी की भीड़ के पीछे टहलती हुई एक लड़की पर गई जिसके बालों में लाइट लेवेंडर कलर की एडी वाली जुड़ा पिन लगी थी ।

हा भाई अब कहोगे कि एक जुड़ा पिन के लिए , तो हा .. हो गया मुझे प्यार उस लाइट लेवेंडर कलर की एडी वाली जुड़ा पिन लगाने वाली लड़की से ।
ना चेहरा देखने को मिला न स्किन कलर बस ये दिखा कि वो जुड़ा पिन उसके लहंगे से मैच हो रहा था ।
बस दिल धड़क गया ... ना भांगड़े की आवाज आ रही थी ना और लड़कों की हुल्लड़ बाजी की चीखे ।
आंखे बंद की और दिल ऐसे सिहर उठा भीतर से मानो कोई उस बालकनी से नहीं बल्कि मेरी आत्मा छू कर गुजरा हो ।
दिल ही दिल खुद से सवाल किया
क्या ये वही है...
क्या ये वही है...
क्या ये वही है...


कुछ पल की असावधानी और पता चला नाचने वालो ने मुझे धक्कीयाते हुए ठेल कर द्वारपूजा वाली जगह तक पहुंचा दिया , ये ही एक अच्छी चीज हुई पूरे बारात में अब तक मेरे साथ , कि जहां तक मै पहुंचने के लिए दाव तलाश रहा वहां बिना किसी मशक्कत के बस आंखे बंद कर उस लड़की को सोचते ही पहुंच गया ।
किसी जादू से कम नहीं था ये अनुभव और तभी एकदम से जीने के पास मेरी नजरे रुक गई , दिल थम सा गया
पहली बार मैने उसको पूरा देखा वो भी पीछे से और जैसे ही नजरें उसकी गोरी दूधिया पीठ पर गई जो उसके थोड़ी बैकलेस क्रॉप टॉप से झांक रही थी
उफ्फ सांसे चढ़ने लगी मेरी और तभी मेरी आंखों ने वो नजारा देखा

" ये भी मैचिंग "


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ये उसके कलाई का चूड़ा सेट था जिसके सिल्वर चमकते कंगनों के बीच वेल्वेट वाली चूड़ियां थी और उसके उंगलियों में एक चुन्नी का सिरा था जो उसके पीछे से आया था और उसने अपनी क्रॉप टॉप के नीचे कमर का हिस्सा छिपा रखा था , मगर उसके हिप्स थोड़े नाराज मालूम हो रहे थे , तभी तो वो उसके लहंगे की बेल्ट से कमर के दोनों तरफ फूले हुए थे ।

मामला थोड़ा चब्बी चब्बी सा था और दिल की आइस्क्रीम मेरी पिघल सी रही थी ।
पल भर की झलक और वो सरपट ऊपर , दिल फिर से उदास हो रहा था कि मेरे साथ वालो ने एकदम मुझे खींच लिया बीच भांगड़े ही हुड़दंग में

अब दिल इतना खुश था तो झूमना बनता था मैने भी बांहे फैला कर अपने कंधे झटके तांशे की ताल पर और

हे हे हे
हो हो हो
हुर्रररररर याआआअअअअह
मै मस्त था अपनी मस्ती में अपने धुन में और भीड़ के बीच से मेरी नजर उसके सिल्वर जरी के काम वाली क्रॉप टॉप पर गई ,


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ईमानदारी दिखाते हुए मैने नजरे उसके उभार से हटा कर नीचे किया था मामला और नाजुक पड़ गया । सीईईई वो दूधिया चर्बीदार पेट , टॉप और लहंगे की बेल्ट के बीच थोड़ा सा उभरा हुआ था ।

अगले ही पल वो गायब , नजरे उसे तलाशे उससे पहले मेरे साथ वालो ने मुझे पकड़ कर फिर से खींच लिया ।

दिसंबर महीने में पसीना , बच बचा कर निकल पाया मै और हाथ मुंह धूल कर पहुंच गया दूल्हे की कार के पास। पूरी बारात के भंसड़ में एकांत माहोल और मेरे काम की चीजें , गाड़ी की रियर मिरर
एक गहरी सांस और आईने में मैने खुद को देखा , साधारण का चेहरा बहुत गोरा भी नहीं । उस लेवेंडर कलर वाली को देखने के बाद आज अच्छे खासे कॉन्फिडेंस की अम्मा बहन हो गई थी और फिर थकान थी सो अलग । महसूस तो ऐसा हो रहा था कि ये चेहरा लेकर उसके सामने जाऊंगा , खुद से पहली बार ऐसी शर्म आ रही थी ।
फैशन क्या होता है मुझे मालूम नहीं था जेब से एक 15 वाली ग्लो क्रीम निकाली और चेहरे पर मल दिया और वापस जेब में नीचे ।
मोबाइल निकाल कर फ्लैश का फोकस अपने मुंह पर करते हुए कार के शीशे में अपना चेहरा घुमा फिरा कर देखा तो थोड़ा कांफिडेंस चमका उस ऑफ-वाइट चमकीली रोशनी में ।

एक गहरी सांस और वापस पंडाल की ओर , तभी मुझे मेरा दोस्त दिखा । भागता हुआ वापस गाड़ी की ओर

लपक कर मै उसकी मदद के लिए गया
: क्या हुआ ?
: ओह आ गया , भाई एक काम करेगा ( वो बोला )
: हा बोल न
डर था कोई रखवाली वाला काम न मिल जाए , शादियों में ऐसी जिम्मेदारियां खास रिश्ते वाले लोगों को अक्सर मिल जाती है लेकिन आज तो किस्मत बुलंद थी ।

: ये चावल का डिब्बा है इसको भाभी के कमरे में देना है , कर देगा क्या ?

" बेटा , मन में लड्डू फूटा "
यही वाली फीलिंग थी और मैने हामी भर दी ।
: थैंक्यू यार , भैया अकेले है और मुझे कुछ पेमेंट करने है और भाई भाभी के कमरे में देना है उनका कमरा ऊपर है । चाहे उनकी मम्मी हो या छोटी बहन होगी प्लीज
: हा हा ठीक है , तू जा मै कर लूंगा ।


मैने बड़े जोश जोश में हामी तो भर दी और चला गया अंदर ।
बरामदे से लग कर जीने से होते हुए ऊपर जाने लगा । किसी अंजान घर में घुसने पर जो असहजता और भय का अनुभव होता है वहीं वाली स्थिति मेरी थी ।
हर एक चेहरा अनजाना और अजीब नजरो से मुझे घूर रहा था । मेरी आँखें उसे तलाश रही थी जो मेरी हिम्मत बन सके , प्लान तो यही था कि सौंपे गए काम को पूरा करने से पहले पूरा घर तलाश लिया जाए लेकिन शायद ये संभव नहीं था ।
शादी का घर उसपर से औरतों से भरा हुआ , गांव का माहौल जहां लोगों की भावना ही शक से जुड़ी रहती है । ऐसे में डर था कि कही काम पूरा होने तक उससे भेंट होगी भी या नहीं ।

ऊपर वाले बरामदे के बीच में एक चौड़ा गलियारा और एक छोटी बच्ची से पूछ लिया कि दुलहन का कमरा कौन सा है , इशारे से वो मुझे बता कर भाग गई
गलियारे में शांति थी क्योंकि सबकी निगाहे नीचे दूल्हे को निहार रही थी ।
मै आगे बढ़ा , शुरू के दो कमरे पूरे खाली और अगला कमरा दुल्हन का था ।
उस कमरे को छोड़ कर मै सब तरफ उसे तलाश रहा था और कब मेरे पैर मुझे दुलहन के कमरे के दरवाजे तक ले गए पता नहीं चला

फिर एकदम से कोई मुझसे टकराया

" ओह्ह्ह मम्मीइई लग गया इसीईईई "
एकदम से मै चौक कर उसकी ओर देखा और जड़ हो गया

माथा तो मेरा भी झन्ना गया था लेकिन दर्द कही नहीं महसूस हो रहा था ।
वो ठीक मेरे आगे थी , क्या बोले जा रही थी सब सुन्न था
मेरी नजरे तो उसकी आईलाइनर वाली कजरारी आंखो के पलको पर सिल्वर मजेंटा रंग में लगाई हुई आई शैडो पर थी ।


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गजब की खूबसूरत , बड़ी बड़ी कटोरी सी गहरे भूरे रंग के मनके जैसी पुतलियां , गोरे मुलायम गाल जिनपर बिना किसी ब्लश का के भी गुलाबी रौनक थी और बडबडाते हुए उसके पतले होठ जिसपर मैट लिस्पटिक लगी हुई थी
तभी मैने आंखे सिकोड़ते हुए उसके उसके माथे की बिंदिया देखी

" मरून ,ऐसे कैसे ? "

: ओह हेलो , कुछ बोलना है
: हा ये बिंदी मरून क्यों है ?
: क्या ? ( उसने अपना माथा सिकोड़ कर अजीब सा रिएक्ट किया और इधर मेरा माथा ठनका कि मै क्या बोल रहा हूं )
: सॉरी वो भाभी का कमरा कहा है , मुझे ये समान देना है ।
: जीजू के भाई ? ( उसने उंगली करके मुझसे पूछा )
उसकी अदा ही ऐसी थी कि समझ नहीं आया ध्यान कहा दु उस पर या सवाल पर
: अह हा !!
: ठीक है मै दीदी को दे दूंगी और कुछ
: क कुछ नहीं
: तो फिर जाओ , दीदी को अभी देखना है क्या ( वो एकदम से मेरा मजा लेते हुए खिलखिलाई )
मै थोड़ा लजा गया और मुस्कुराने लगा
वो बिना एक पल रुके अंदर चली गई


एक गहरी सिहरन और दिल की धड़कन को मैने अपने हाथ से पकड़ कर उसे थामने लगा , मुस्कुराते चेहरे के साथ आंखे बंद किए । एक गहरी सांस ली और नीचे चला आया ।
साथ वालो ने खाना खाने बहुत जोर दिया लेकिन मै उनकी एक न सुनी बस इंतजार किया दूल्हे के पास खड़े होकर अपनी खुद की दुल्हनिया का

और वो आई दुल्हन को साथ लेकर ।

वही मैने अपना मोबाइल निकाला और एक फोटो निकाली जूम करके , फूल पोट्रेट में फोटो लिया उसका ।


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फिर मोबाइल में जूम करके उसका चेहरा देखने लगा और एकदम से चौका
सामने देखा तो वो मुस्कुरा रही थी और उसकी बिंदिया भी अब मैचिंग थी उसके लहंगे से । मै भी उसको देख कर मुस्कुरा पड़ा ।


जारी रहेगी ।
कहानी का प्रारंभ बडा ही जबरदस्त और शानदार लाजवाब हैं भाई मजा आ गया
 
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