Luckyloda
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बहुत ही सुंदर मिलन करवा दिया आपने बाप बेटी की छातियों का......पापा ने एक लूँगी पहन रखी थी, अब पता नही अंदर कुछ पहना था या नही पर कुछ साँप जैसा मुझे अपने हिप्स के नीचे रेंगता हुआ सा महसूस हुआ
मैं जान बूझकर अपने बूब्स को पापा की चौड़ी छाती से सटा कर रखना चाहती थी
क्योंकि यही एक हथियार है जिसके सामने बड़े से बड़ा धुरंधर भी ढेर हो जाता है
पापा कुछ देर तक तो सकते में ही बैठे रह गये
फिर उनका हाथ मेरी पीठ पर आया और वो मुझे सहलाने लगे
“आज मुझपर इतना प्यार क्यों आ रहा है मेरी बिटिया को…”
ये सॉफ्ट और प्यार से भारी टोन थी
जिसे मैने ना जाने कितने सालो से नही सुना था
और वो सुनकर ना जाने क्यों मेरी आँखो में आँसू आ गये
ये भी भूल गयी की मेरा प्लान क्या था
मैं सुबक पड़ी
पापा : “अर्रे….ये क्या, रोने क्यो लगी तू….मैने ऐसा क्या बोल दिया अब मेरी पुच्ची को….”
पुच्ची
ये वो निकनेम था, जिस से पापा मुझे बचपन में बुलाया करते थे
शायद मुझे पुचकारते रहते थे वो, इसलिए..
अब इतने सालो बाद फिर से वही नाम उनके मुँह से सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा
और मैने मन ही मन अपने आप को शाबाशी दी की मेरे इस प्लान की वजह से ही सही, मेरा बचपन एक बार फिर से लौट आया था
मैने और ज़ोर से उनके गले को पकड़ा और लिपटी रही..
मेरे नीचे का साँप अब फुफकारने लगा था
पर मुझे उस से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था
मैं अपने हिप्स से उसे मसलने में लगी थी
पता नही क्यो
पर इसमे मुझे मज़ा भी आ रहा था
एक तरफ बाप बेटी का प्यार चल रहा था और दूसरी तरफ ये साँप सपेरे का खेल
और मैं दोनो को एन्जॉय कर रही थी
पापा के हाथ मेरी पूरी पीठ का ट्रेवल कर रहे थे
अब तक वो ये तो जान ही चुके थे की मैने ब्रा नही पहनी है
और शायद इसलिए वो मेरी पानी से भीगी शर्ट के अंदर से मेरे पैने निप्पल्स को अपनी छाती पर महसूस कर पा रहे थे
मैं : “पापा, आप ऐसे ही रहा करो, गुस्सा मत किया करो…अब मैं बड़ी हो गयी हूँ , आप मुझे डाँटते हो तो अच्छा नही लगता…”
पापा के हाथ मेरी पीठ पर और ज़ोर से कस गये
और बोले : “ओके …अब से मैं ध्यान रखूँगा, पर तुम भी थोड़ा संभाल कर रहा करो …समझे”
इतना कहते-2 उनके हाथ नीचे तक आए और मेरे हिप्स वाले हिस्से को पकड़ कर सहलाने लगे
मैं : “मैं तो हमेशा संभल कर ही रहती हूँ पापा….पर कल आपने जो क्लब में आकर किया , वो मुझे अच्छा नही लगा…माना की मैने आपको बताया नही था, पर माँ को तो बता कर ही गयी थी मैं …वहां का माहौल ऐसा होता है इसका मतलब ये नही की मैं भी वही सब करने गयी थी, हमारा ग्रूप सिर्फ़ डांस कर रहा था और नोन एल्कोकोलिक ड्रिंक्स और फुड एंजाय कर रहा था, पर आपने आकर सब गड़बड़ कर दिया…”
जवाब में पापा ने मेरे चेहरे को पकड़ा और मेरे गाल पर एक गीला सा चुम्मा दे दिया
एक पल के लिए तो मुझे लगा की वो मेरे चेहरे को पकड़ कर नशे में मुझे लीप किस्स करने वाले है
और मैने उसके लिए आँखे भी मींच ली थी
पर उनके होंठो ने जब मेरे गालो को छुआ तो मैने आँखे खोली
जो वो नही करना चाह रहे थे, वो मैने एक्सपेक्ट कर लिया था
या शायद जो वो करना चाहते हो, ये उसका पहला कदम था
मेरे चेहरे पर स्माइल देखकर उनका भी होंसला बढ़ गया और उन्होने लगे हाथो मेरे दूसरे गाल पर भी एक चुम्मा दे मारा
इस बार उनके होंठ कुछ ज़्यादा देर तक मेरे गालों पर रहे
और शायद मैने उनकी जीभ को भी महसूस किया, जैसे वो मेरे चेहरे का शहद चाट रहे हो
फिर अचानक उन्होने टेबल पर रखा अपना ग्लास उठाया और एक ही साँस में पूरा पी गये
उनके होंठो के किनारों से शराब छलक कर नीचे गिर रही थी
मैने झट्ट से अपने नाइट सूट की शर्ट का किनारा उठाया और उस से उनके चेहरे मुँह से गिर रही शराब को पोंछने लगी जैसे कोई बच्चा खाना खाते हुए खाना अपने उपर गिरा लेता है, ठीक वैसे ही पापा का हाल था इस वक़्त
पर ऐसा करते हुए मुझसे एक ग़लती हो गयी
मैने लाड में आकर उनके चेहरे की शराब तो पोंछ डाली
पर जब मैने अपनी शर्ट का निचला सिरा उपर उठाया तो नीचे के दो बटन खुल गये
शर्ट तो पहले से ही मेरी नाभि से उपर थी और काफ़ी शॉर्ट थी
2 बटन और खुलते ही मेरे बूब्स जो उस शर्ट की पकड़ में थे वो हवा में झूलने लगे
और जब मैं आगे होकर उनका चेहरा सॉफ कर रही थी तो वो नंगे बूब्स उनकी छाती से टकरा रहे थे
उन्होने लूँगी के उपर बनियान पहनी हुई थी, जिसके एक तरफ से उनकी छाती भी बाहर निकली हुई थी
मेरा बूब सीधा जाकर उनकी नंगी छाती से टकराया
दोनो के निप्पल्स एक दूसरे के गले मिल लिए
चाहे कुछ ही पल के लिए सही
पर मेरे और उनके निप्पल्स का वो मिलन हम दोनो के शरीर मे पूरी तरह से एक तूफान ले आया था
मैने जल्दी से अपनी शर्ट नीचे की और बटन लगाए और उनकी गोद से उठ खड़ी हुई
पापा का भी बुरा हाल था
वो भी इधर उधर देखने लगे और हड़बड़ाहट में उन्होने एक पेग बना डाला और नीट ही पी गये
बाद में जब उन्हे एहसास हुआ तो उनका चेहरा देखने लायक था
मेरी तो हँसी ही निकल गयी उन्हे देखकर
जैसे कोई कड़वी दवाई पी ली हो
अब मेरा वहां रुकना खतरे से खाली नही था
मैं किसी हिरनी की तरह छलाँगे मारती हुई वहां से भाग खड़ी हुई और सीधा अपने रूम में जाकर अंदर से कुण्डी लगा ली
बिस्तर तक पहुँचने से पहले मेरी शॉर्ट्स और शर्ट दोनो ज़मीन पर थे
और मेरा एक हाथ सीधा अपनी चूत पर और दूसरा उस बूब पर था जो अभी पापा से मिल कर आया था
बिस्तर पर लेटने के साथ ही मैं एकदम से किसी नागिन की तरह फुफ्कार उठी
“उम्म्म्ममममममममममममममममममम……. पा.पाााआआआआआआआआ…… आआअहह”
मेरी दो उंगलिया मेरी चूत की वेल्वेट से भरी नदी में गोते लगा रही थी
मेरा दूसरा हाथ उस निप्पल को उमेठ कर उस से सवाल कर रहा था
की बोल कमीने, कैसा लगा पापा से मिलकर
मज़ा आया ना
अहह…… आया ना…….. बोल साले।।।।।।।।।।।।
मैने आवेश में आकर अपने निप्पल को पकड़ कर उपर की तरफ खींच दिया
कुछ देर और करती तो वो निप्पल मेरे हाथ में ही आ जाना था
और दूसरे हाथ की वो दोनो उंगलिया जड़ तक अंदर डाल चुकी थी मैं
आज जितनी गहराई तक तो मैं पहले कभी नही गयी थी
उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़
ये पापा का एहसास इतना मज़े क्यों दे रहा है
मेरे तो और भी दोस्त है
लड़के भी और लड़कियां भी
हालाँकि लड़कों के साथ ऐसा कुछ पहले नही किया था मैने
पर श्रुति के साथ तो आज ही पूरे मज़े लिए थे
पर ये जो पापा वाला एहसास था
वो अलग ही लेवल का था
उसका कोई मुकाबला नही था
मेरी उंगलिया अंदर बाहर होती रही और मेरी चूत का गुबार समेट कर ही बाहर निकली
अंत में पापा के नाम की दुहाई देते हुए मैने उन गीली उंगलियो को अपने मुँह में रखकर पूरा निगल लिया
और बाद में एक नया एहसास लेने के लिए फिर से उस गीली चूत में अपनी उंगलिया डालकर कुछ देर पहले हुए सीन को याद करके उसे सहलाने लगी
अपनी गीली चूत में उंगलियों का ये एहसास मुझे चाँद पर ले जा रहा था
अब शायद रोज रात को इस एहसास से निकलना पड़ेगा
और ये सोचते -2 कब मैं नींद के आगोश में चली गयी
मुझे भी पता नही चला
अब देखो पापा मम्मी को कैसे पेलते है
बेटी का बदलाव का असर तो होगा ही रात में.....
बेटी की लगायी गयी आग अब माँ को बुझाने पड़ेगी.....
जबरदस्त खुदाई की उम्मीद है....पर ये तो सो गयी....
शो मिस कर दिया



