Update 19
उस रात मेरे ससुर जी ने मेरी कामुक कविता दीदी को पूरी रात खूब चोदा उनकी चुदाई देख कर मेरे मुंह से लार टपक ने लगा और मैं रश्मि मेरी पत्नी के साथ बिताए पलों को याद करते हुए सो गया
बगल में वैध जी भी सो गए
सुबह जब मैं उठा तो मेरे लन्ड मे हल्की सी हलचल पैदा हुई तभी दीदी अपनी मस्त चूतड़ों को मटकते हुए मेरे पास आकर खड़ी हो गई मैं तो देखता ही रह गया
कविता दीदी ने केवल एक झीनीदार नाईटी पहने हुए थी जो पूरी तरह से पारदर्शी वस्त्र की थी और तो और उसने अभी न ब्रा और ना ही पैंटी पहनी हुई थी जिससे उसके उन्नत वक्ष स्थल और मक्खन सी मुलायम चूत पूरी तरह से दिख रही थी
दीदी - और रोशन नींद अच्छी तरह से आई रात को
मै - जी दीदी, पर लगता है कि आप रात भर जगी हो
दीदी,(सकपकाते हुए)- न.. न.. नहीं तो
ऐसा तुम्हें क्यों लगा
मैं - तुम्हारी आंखें बता रही हैं दीदी पूरी तरह से लाल है
दीदी - हां नया जगह मुझे जल्दी नींद नहीं आती
मैं - नया जगह या बिस्तर पर आपके साथ जीजू नहीं थे इसलिए
दीदी - धत तेरी की, कैसी बातें करते हो
मैं - और नहीं तो क्या
दीदी -वो तो है तेरे जीजू की याद आती है पर क्या करें
मैं - पर आप फिर भी एकदम फ्रेश और मस्त लग रही हो , सपने में कुछ हुआ क्या
दीदी - क्या हुआ होगा
मैं - वही
दीदी - क्या......
मैं - खेल
मैं जानबुझ कर उसे उसका रहा था
दीदी - खेल अरे कोन सा खेल
मैं -जवानी का खेल
दीदी शर्मा कर धीरे से छी*...... बोल कर जाने लगी
और मुड़ी ही थी कि उधर से वैध जी आ रहे थे और दी उनसे टकरा गई
उसके बड़ी बड़ी चूचियां वैद्य जी के सीने से जा टकराई वैध जी केवल एक लुंगी में थे
दीदी गिरने ही वाली थी तो वैध जी ने पकड़ लिया
वैद्य जी का लन्ड पूरा कड़क हो गया था और लुंगी के उपर से ही कविता दीदी के मखमली चूत को टच कर रहा था
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मेरा भी मूसल फड़फड़ाने लगा
वैद्य जी दीदी को पूरी तरह से अपने बांहों से जकड़ लिया
दीदी उसके कैद से अपने आप को छुड़ाने कि को कोशिश करने लगी पर कुछ कर नहीं पा रही थीं पर देखा की दीदी की पिंक निप्पल कड़क हो गई थी
दीदी कसमसाने लगी
दीदी - छोड़िए ना....... वैद्य जी
वैद्य जी - छोड़ दिया तो तेरे भाई का इलाज कैसे होगा
दीदी -क्या मतलब
वैद्य - उसकी ओर देखो
बोलकर वैद्य जी ने दीदी को पलट दिया अब वैध जी का लन्ड दीदी की गदरायी गांड़ में अपनी जगह ढूंढ रहा था
साथ ही वैद्य अब दीदी की चूचियों को मसलने लगा
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दीदी -अअह्ह.......................... हल्ह्ह्ह...........
मेरा लन्ड बाहर से ही फुफकार मारने लगा
वैद्य - रोशन का देख रही हो
दीदी - क्या
वैद्य - उसका लन्ड
लन्ड शब्द सुनते ही कविता दीदी के शरीर में सर से पांव तक कपकपा उठा
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