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Kya beta apni biwi ko wapas paa paeyga kya vo phir se apna apne land ke bal par apni biwi ko jeet paygaभाग ३६
शंकर कविता दीदी को जम कर चोद कर अपने कपड़े पहनने लगा और दीदी भी अपने कपड़े लेकर ऐसे अपने कमरे में जानें लगी
फिर शंकर तुरंत ही निकल गया
पर उसने मुझे देखा नहीं
मैं भी घर में अंदर आ गया
मैं - कविता दीदी.... अरे कहा हो
दीदी - अरे रोशन... आ रही हू
दीदी अंदर से ही आवाज दी
फिर वो निकली तो मैं देखता ही रह गया दीदी को एक दम सेक्सी लग रही थी
वो एक झीनिदार साड़ी और पिंक ब्लाउज़ जो ब्रा लग रहा था पहने रूम से बाहर आई
दीदी की बड़े बड़े बूब्स एकदम बाहर झांक रहे थे
चेहरे पर एक भाव, एक खुशी झलक रही थी
जो हर औरत को चुदने के बाद आती है
दीदी - तुम कब आए
मैं - अरे.. दीदी कोई भला ऐसे दरवाजा खुला छोड़ता है
दीदी - तो क्या हुआ
मैं - पापा कहां है
दीदी - पड़ोस के गांव गए है
मैं - आप अकेली थी तो दरवाजा बंद करके रखना था
दीदी - मैं कोई बच्ची नहीं हूं, समझे
मैं - दीदी, जब एक गदरायी जवान खुबसूरत औरत घर पर अकेली हो ना तब दरवाजा बंद करके रहना चाहिए
मेरी बातें सुनकर दीदी शरमा गई और उसकी दोनों गाले सुर्ख से लाल हो गई थी दीदी की नजरे नीचे की ओर झुक गई थी और चेहरे पर मुस्कुराहट थी
दीदी - धत् यह कैसी बात करता है तू
मैं - हां दीदी मैं सही बोल रहा हूं क्योंकि आप हो ही इतनी खूबसूरत की किसी मर्द का भी तुरंत खड़ा हो जाएगा आपका जवान जिस्म देखकर
दीदी - हट पगले मेरी झूठी तारीफ करना बंद कर चल में तुझे खाना देती हूं
मैं - यह सच है दीदी की आप दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत हो
फिर दीदी मुस्कुराती हुई किचन की ओर जाने लगी उसकी मटकती गांड ऐसे लग रहे थे जैसे चक्की चल रहा हो
हम दोनों ने साथ में खाना खाया और फिर मुझे नींद आने लगी क्योंकि मैं बहुत थक चुका था और अपने कमरे में जाकर सो गया दीदी भी किचन के काम निपटाकर कुछ देर आराम करने के लिए अपने रूम चली गई फिर शाम करें 5:00 बजे मेरी नींद खली रूम से बाहर आया तो देखा हाल में पापा और दीदी बैठकर बातें कर रहे थे
पापा - आओ बेटा, बैठो
मैं - जी पापा और मुलाकात कैसे रही
पापा - बहुत अच्छी अब पूरा मामला सॉल्व हो जाएगा
मैं - कैसे,
पापा - मुखिया ने कहा कि आपका हक है मिलेगा और उसने तुरंत विधायक जी को मेरे केस के बारे में फ़ोन पर बता दिया
मैं - यह तो बहुत अच्छा हुआ
पापा - आज मैं बहुत खुश हूं पर आज मुझे तुम्हारी मां की याद आ रही है और मुझे तुम दोनों बच्चों पर भी गर्व है कह कर पापा ने मुझे और दीदी को अपने बाहों में समेट लिया हम दोनों भाई बहनों की भी आंखें नाम थी क्योंकि अब हमारा गांव का जमीन सुरक्षित हो जाएगा हम लोगों को गले लगाने से दीदी की मोटी मोटी चूचियां पापा की सीने से दब रही थी
फिर दीदी किचन में खाना बनाने के लिए चली गई और सब्जियां काटने लगी
रात में डिनर होने के बाद सब अपने-अपने कमरे में चले गए मैं भी कमरे में था
तभी पापा ने आवाज दी की बेटा बाहर का गेट लगा लो लगा लो मैं उठकर बाहर के दरवाजा लॉक करके आ रहा था तभी दीदी अपने कमरे में नजर आए जो की कपड़े बदल रही थी और और दीदी ऐसे थी
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दीदी की चूचियां एकदम उभरी हुई थी और ब्रा से बाहर निकलने को बेताब लग रही थी दीदी भी शायद रात गुजारना या अकेलापन उसे नागौर लग रहा था क्योंकि जीजा जी यहां नहीं थे शायद यही सोचते हुए वह बिस्तर पर लेट चुकी थी
फिर मैं अपने कमरे में चला गया अचानक रात को नींद टूटी तो देखा की पिताजी आवाज लगा रहे थे कविता एक क्लास पानी पिला दो फिर दीदी बाहर आई
पानी पीने के बाद अचानक पापा ने दीदी को बाहों में भर लिया फिर दीदी ने कहा पापा यह क्या कर रहा है पर पापा बोले आज कुछ मत बोलो कविता आज मैं बहुत खुश हूं और तुम्हारी मां की याद भी आ रही तुम बिल्कुल अपनी मां की तरह खूबसूरत हो दीदी यह कैसी बहकी बहकी बातें कर रहे हो पापा हां पर क्या कर सकता हूं क्या तुम अपने पापा को खुश नहीं देखना चाहती नहीं पापा ऐसी बात नहीं है मैं तो चाहती हूं आप हमेशा खुश रहें तो फिर मेरे गले लग जाओ पापा ने कहा फिर दोनों आलिंगन में हो गए ऐसे
इसे पूरा करूंगा और ये last भाग होगा
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