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Incest मुझे प्यार करो,,,

Enjoywuth

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तृप्ति के लिए बीती रात बेहद यादगार बन चुकी थी वह कभी सोचा भी नहीं थी कि उसके जीवन में ऐसा भी पल आएगा जब एक लड़की के साथ उसे हम बिस्तर होना पड़ेगा,,, लेकिन यह अनुभव उसे काफी कुछ सीखा गया था, वह पूरी तरह से अपनी जवानी का लुत्फ ले चुकी थी,, लेकिन यह तो अभी शुरुआत थीऔर शुरुआत की इतनी धमाकेदार थी कि वह कभी सोच भी नहीं सकती थी,,,दूसरों के मुंह से तो उसने सुषमा आंटी की लड़की सुमन के बारे में बहुत कुछ सुनी थी,, लेकिन अब उसे उसका अनुभव भी हो चुका था लेकिन सुमन से उसे कोई गिला शिकवा नहीं था क्योंकि एक ही रात में सुमन ने उसे जवानी का मजा चखाई थी,,, भले ही दोनों मर्दाना अंग से आनंद ना लिए हो लेकिन जनाना अंग से भरपूर मजा लूट थे,,,।




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एक अद्भुत अनुभव के साथ अपने घर वापस लौट आई थी एक ही रात में वह पूरी तरह से बदल गई थी एक ही रात में उसे लगने लगा था कि वाकई में असली सुख तो इन्हीं सब में है,,, घर वापस लौटने के बावजूद भी उसका बताने में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, वह कुछ देर तक कुर्सी पर बैठकरबीते एक दिन के बारे में सोचती रही एक ही दिन में काफी कुछ बदल गया था एक ही दिन में वह पूरी तरह से लड़की से औरत बनने की दिशा में कदम रख चुकी थी,,, वह सुमन के बारे में भी सोच रही थी कि सुमन इतने खुले विचारों वाली है वह कभी सोची नहीं थी,,, और वह अपने मन में इस बात से सबक भी कर रही थी कि भले वह एक औरत के साथ इस तरह का सुख भोग रही थी लेकिन यकीन तौर पर वह संभोग सुख भी पूरी तरह से प्राप्त कर चुकी थी क्योंकि इस तरह से खुले विचारों वाली लड़की ज्यादा देर तक चुदवाए बिना नहीं रह सकती,,,।




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सुमन के बारे में सोचते हुए सुमन की बातें उसे याद आने लगी,,, उसके पास तोअश्लील किताब की थी उसमें किस तरह से गंदी कहानी लिखी हुई थी एक भाई और बहन के बीच किस तरह से संबंध स्थापित होता है इसका उल्लेख बड़े अच्छे तरीके से किया हुआ था,,,और इस बात की झिझक सुमन में बिल्कुल भी नहीं थी कि अगर उसका कोई भाई होता तो उसे नग्न अवस्था में देखकर उसके मन पर क्या गुजरती बल्कि उसे तो अच्छा लगता,,, उसके इस तरह के विचार के बारे में सुनकर तो तृप्ति के होश उड़ गए थे,,, वह अपने मन में सोचने लगी कि अगर वाकई में सुमन का कोई भाई होता तो अब तक वह जरूर उसके साथ शारीरिक संबंध बना ली होती उसके साथ जवानी का मजा लूटती ,,, यह सब सोचती हूं उसके मन में इस बात सेएक और शंका थी कि अगर वह ऐसा चाहती तो वह कर सकती थी लेकिन क्या उसका भाई उन सबके लिए तैयार होता क्या एक भाई अपनी बहन के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार होगा,,,, फिर अपने ही सवाल का जवाब उसके मन मेंउमड़ने लगा और वह अपने आप से ही बोली क्यों नहीं तैयार होगा जब एक तो है ना अपने भाई की मर्दाना अंग को देखकर पिघल सकती है तो क्या एक भाई अपनी बहन की नंगी जवान को देखकर निकल नहीं सकता क्या उसका मन नहींकर करेगा अपनी बहन के साथ शारीर सुख प्राप्त करने के लिए,,,इस बारे में सोचकर वह अपने मन में सोचने लगी कि क्या अगर वह चाहे तो क्या उसका भाई इन सबके लिए तैयार होगा,,।




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अपने मन में उठे इस सवाल को लेकर उसे अपने आप पर ही गुस्सा आने लगा वह अपने मन में सोचने लगी कि उसका भाई कितना सीधा ज्यादा है वह अपने भाई के बारे में क्यों इस तरह की बातें सोच रही है,,,वह तो अनजाने में उसके लंड को देखी थी जब वह कमरे में पूरी तरह से नंगा होकर अपने लिए कपड़े ढूंढ रहा था ऐसा तो हर घर में हर एक मर्द करता होगा जब घर में अकेला होता होगा नहाने के बाद वह सारे कपड़े उतार भी देता होगा लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि उसके मन में कुछ चल रहा होगा,,,लेकिन तभी उसके मन में ख्याल आया कि अगर एक मर्द के मन में कोई गलत भावना नहीं होती तो उसका सीधा असर उसके लंड पर पड़ता है और उसमें बिल्कुल भी उत्थान नहीं होतालेकिन जब एक मर्द के बंद में कुछ गंदे विचार चलते हैं तो इसका भी असर सीधे उसकी दोनों टांगों के बीच के अंगों पर होता है और वह तुरंत खड़ा हो जाता है और जब वह अपने भाई को देखी थी तो उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था तो क्या उसके मन में भी गंदे विचार चल रहे थेयह बातें सोचकर उसका दिमाग घूमने लगा था फिर अपने मन में सोचने लगी कि उसका भाई भी तो पूरी तरह से जवान हो चुका है गठीला बदन का बांका नौजवान बन चुका है,दूसरे लड़कों की तरह उसका भी आकर्षक औरतों की तरफ और लड़कियों की तरफ बढ़ता ही होगा वह भी दूसरे लड़कों की तरह आती जाती लड़कियों के अंगों के उभार को देखकर मचलता होगा,,, क्या सच में उसके भाई के मन में भी यही सब विचार चलाते होंगे,,,।





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इन सब बातों को सोचते हुए उसकी हालत फिर से खराब हो रही थी और उसके बदन में उत्तेजना का संचार होने लगा था,,, जिसका असर सीधे उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार पर पड़ रहा था,,, और उसे रात वाली बात याद करने लगी कि कैसे सुमन बेझिझक बिना शरमाए उसकी बुर को अपने जीभ से चाट रही थी,,,पल भर के लिए तो वह एकदम सच में पड़ गई थी कि एक लड़की एक लड़की के साथ भला ऐसे कैसे कर सकती है,,,लेकिन थोड़ी ही देर में उसके बदन में उत्तेजना की जब हुआ रुकने लगी आने दे कि जो अनुभूति होने लगी उसे महसूस करके वह समझ गई कि वाकई में एक औरत भी औरत को अद्भुत सुख दे सकती हैवह पूरी तरह से मचल गई थी जैसे-जैसे सुमन की जुबान उसके गुलाबी छेद के इर्द गिर्द और अंदर गहराई तक अंदर बाहर हो रहे थे एक अद्भुत सन सनाहट उसके बदन में महसूस हो रही थी जिसका उसे पहले कभी अनुभव नहीं हुआ था,,।




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जिस तरह से उसकी हरकतें जारी थी उसे देखते हुए तृप्ति समझ गई थी कि सुमन पूरी तरह से खिलाड़ी बन चुकी थी जिस तरह से वह उसके ऊपर जाकर उसकी दोनों टांगों के बीच मुंह डाल दी थी और बिना कुछ कहेअपनी भारी भरकम गांड को उसके चेहरे पर रखकर अपनी बुर का स्पर्श उसके चेहरे पर कर रही थी उसके होठों पर कर रही थी यह हरकत एक तरह का इशारा था उसके लिए जिसे वह थोड़ी देर बाद समझ गई थी इस समय भी तृप्ति के जेहन में बुर से उठ रही मादक खुशबू बसी हुई थी,,,, यह खुशबू का अनुभव से अपनी बुर से कभी नहीं हुआ था और अगर सुमन एक अद्भुत सुख से प्रधान ना करती तो शायद इस खुशबू से वह अनजान ही रहती,,,सुमन अपनी मन में सोच रही थी कि बुर से निकलने वाले मदन रस का स्वाद कितना कसैला और नमकीन होता है,,, पहले तो उसे खुद को बड़ा अजीब लग रहा था लेकिन धीरे-धीरे उस स्वाद में वह पूरी तरह से खो चुकी थी,,और वह भी सुमन की तरह अपनी जीत के साथ-साथ उंगली को भी उसके गुलाबी छेद में डालकर अंदर बाहर कर रही थी और उसे एहसास हो रहा था कि वाकई में सब की बुर कितनी अंदर से गर्म होती है,,,।




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इन सब बातों के बारे में सोच कर त्रप्ति फिर से गर्म होने लगी उसके बदन में उत्तेजना का संचार होने लगा था वह मदहोश होने लगी थी,,, वह अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और झाड़ू लेकर पूरे घर में झाड़ू लगाना शुरू कर दी,,,,,, और सफाई कर लेने के बाद सीढ़ियां चढ़ते हुए वह छत पर पहुंच गईसुबह का समय था इसलिए छत पर ठंडी हवा बह रही थी और वह गहरी सांस लेते हुए ठंडी हवा को अपने अंदर लेने लगी लेकिन यह ठंडी हवा भी उसकी बदन की गर्मी को शांत करने में नाकामयाब हो रही थी,,,तृप्ति दूर-दूर तक नजर घुमा कर देख रही थी चारों तरफ सुबह की कितनी शांति छाई हुई थी उसके घर के पीछे दूर तक मैदानी मैदान था जिसमें जंगली झाड़ियां उगी हुई थी और एक कच्ची सड़क भी गुजरती थी,,, और यही कच्ची सड़क थी जिस पर चलकर वहां ट्यूशन से घर वापस आ रही थी जब संदीप उसे रास्ते मेंपकड़ लिया था और उसके बदन से छेड़छाड़ कर रहा था उसे समय संदीप की हरकत उसे कुछ अजीब तो लगी थी लेकिन बेहद आनंद दायक भी प्रतीत करा रही थी,,,,।




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तृप्ति संदीप के बारे में सोच ही रही थी कि उसकी नजर दूर-दूर झाड़ियों तक पहुंचने लगी जहां पर सुबह के समय औरतें सोच कर रही थी और वही उसे दो लड़के दिखाई दे रही है जो उन औरतों की नंगी गांड को देखकर मत हो रहे थे,,,बड़े लड़कों को देखकर तृप्ति को एहसास हो रहा था कि दुनिया के सारे मर्द एक जैसे ही हैं उन्हें औरतों के खूबसूरत बदन से ही ज्यादा लगाव होता हैवरना एक सो करती औरत को कौन देखना चाहेगा एक औरत तो बिल्कुल भी नहीं देखना चाहेगी लेकिन एक मर्द हमेशा देखना चाहेगा भले ही वह पेशाब कर रही हो यार सोच कर रही हो ऐसी हालात में भी मर्दों को अपनी आंख सेंकने का जुगाड़ मिल जाता है,,,। लड़कों को देखकर तृप्ति अपने भाई के बारे में सोचने लगी,,, उसके मन में ख्याल आने लगा कि उसका भाई भी अगर उसकी आंखों के सामने यह सब चल रहा हो तो जरूर देखेगा क्योंकि आखिरकार वह भी तो एक मर्द है उसका भी आकर्षक औरतों की तरफ जरूर होगा,,,


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इन सब के बारे में सोच ही रही थी कि तभी उसे दूर झाड़ी में एक औरत चोरी छिपे आई हुई नजर आने लगी जिसे छत पर खड़ी होकरइतनी बड़ी गौर से देखने लगी वह ऐसे झाड़ियां में जा रही थी जैसे सबसे नजर बचाकर जा रही हो उसके रवैए में तृप्ति को कुछ अजीब लगा अगर वह सहज रूप से सोच करने के लिए जा रही होती तो इस तरह से घबराई हुई ना होती,,, इसलिएबड़े ध्यान से तृप्ति उस औरत को देखने लगी और वह धीरे-धीरे झाड़ियों की तरफ आगे बढ़ रही थी,,,उसके हाथ में डब्बा जरूर था लेकिन तृप्ति को न जाने क्यों ऐसा लग रहा था कि वह सोच करने नहीं जा रही थी,,, तभी तृप्ति को दूसरी तरफ से एक लड़का उसी तरफ आता हुआ नजर आने लगा उसके हाथ में डब्बा भी नहीं था,,, दूर से भी तृप्ति को एकदम साफ दिखाई दे रहा था,,, उसे औरत की उम्र 40 से 45 साल के बीच रही होगी और जो दूसरी तरफ से जवान लड़का आ रहा था वह उसके भाई के ही उम्र का था,,, त्रप्ति उसे लड़के को उसे औरत की तरफ आता हुआ देखकर सोचने लगी कि उस लड़के को देखकर वह औरत अपना रास्ता बदल देगी लेकिन जैसे ही वह लड़का उस औरत के करीब पहुंचा,,, दोनों एकदम से रुक गए,,,।



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तभी तृप्ति के आश्चर्य के बीच वह दोनों एक दूसरे से बात कर रहे थे और देखते ही देखते वह लड़का जो उसे औरत के लड़के के उम्र का था वह एकदम से उसे औरत को अपनी तरफ अपनी बाहों में भर लिया यह सब तृप्ति के आश्चर्य को ओर ज्यादा बढ़ा रहा था,,, तृप्ति को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार वह औरत कुछ बोल क्यों नहीं रही है जबकि उन दोनों की उम्र में मां बेटे की उम्र का ही फर्क था,,, इस तरह की हरकत पर एक औरत जरूर सामने वाले पर एक तमाचा जड़ देती लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो रहा था,,, यह सब देखकरतृप्ति की उत्सुकता बढ़ने लगी और वह बड़े गौर से उन दोनों की तरफ देखने लगी,,, तृप्ति के होश तब और उड़ने लगे जब वह लड़काब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चुचियों को दबाना शुरू कर दिया यह देखकर तो तृप्ति की खुद की हालत खराब होने लगी पहली बार वह इस तरह का नजारा देख रही थी,,,।





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वह औरत मुस्कुरा रही थीउससे बातें कर रही थी जिसे साफ पता चल रहा था कि वह औरत उसे लड़के को जानती थी दोनों में काफी जान पहचान थी वरना एक अनजान लड़के और औरत के बीच इस तरह से बातचीत और हरकत संभव बिल्कुल भी नहीं था,,, तभी तृप्ति कोऔर तेज झटका लगा जब वह औरत खुद पेड़ की तरफ घूम कर झुक गई और अपनी साड़ी को दोनों हाथों से कमर तक उठा दे और उसकी नंगी गांड एकदम से दिखाई देने लगी दूर से भी तृप्ति को सब कुछ साफ दिखाई दे रहा था,,अब तृप्ति को समझते देर नहीं लगी कि दोनों के बीच किस तरह का रिश्ता है लेकिन उन दोनों के बीच तो उम्र का काफी फर्क था लेकिन फिर भी दोनों एक दूसरे से इतना घुल मिल गए थे शायद जिस की जरूरत ही कुछ ऐसी होती है की उम्र नहीं देखती,,,।





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दूर झाड़ियांके बीच का नजारा देखकर तृप्ति की हालत खराब होने लगी थी उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी और उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल भी बढ़ने लगी थी उसकी नंगी गांड कुछ ज्यादा ही बड़ी-बड़ी थी जिसे वह लड़काजो उसके बेटे के ही उम्र का लग रहा था वह अपने दोनों हाथों से उसे औरत की बड़ी-बड़ी गांड को पकड़ कर उसे दबा रहा था दबोच रहा था और घुटनों के बल बैठकर उस पर चुंबन भी ले रहा था यह सब कुछ तृप्ति के लिए बेहद अजीब और अद्भुत था लेकिन बेहद को भावना था औरत से एक मर्द किस तरह से प्यार करते हैं वह तृप्ति पहली बार अपनी आंखों से देख रही थी,,,, यह सब तृप्ति के होश उड़ा रहा था और उसके जोश में वृद्धि भी कर रहा था,,,वह लड़का घुटनों के पास बैठकर बार-बार उसकी गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर गांड की दोनों आंखों पर बारी-बारी से चुंबन कर रहा था और वह औरत पीछे नजर घूमाकर उसे जवान लड़के को देखकर मुस्कुरा रही थी,,,।




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लेकिन पल भर में ही उसकी मुस्कुराहट मदहोशी में बदलने लगी थी और वह औरत अपना हाथ पीछे की तरफ लाकर उसके सर पर रखकर उसे और नीचे जाने के लिए इशारा कर रही थीशायद वह लड़का यह क्रिया को पहले भी कर चुका था इसलिए उसके सारे को एकदम से समझ गया था और वह औरत की अपना टांग उठाकर उसके कंधों पर रख दी थी एक टांग नीचे जमीन पर थी और एकदम उसके कंधों पर थी जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच का रास्ता थोड़ा सा ज्यादा खुल गया था इतनी दूर से तृप्ति को उसकी बुर तो नजर नहीं आ रही थी,,, लेकिन अगले ही पल उसे समझ में आ गया कि वह लड़कावही कार्य कर रहा है जो रात को सुमन उसकी बुर के साथ कर रही थी वह लड़का घुटनों के बल बैठ कर उस औरत की बुर को चाट रहा था,,,जैसे ही तृप्ति को इस बात का एहसास हुआ उसकी हथेली खुद ब खुद सलवार के ऊपर से ही उसकी बुर तक पहुंच गई और वह सलवार के ऊपर से ही अपनी बुर को मसलना शुरू कर दी,,,उस लड़के की हरकत से वह औरत पूरी तरह से मदहोश में जा रही थी और वह उसके बालों को कस के पकड़े हुए थी,,,,।



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तृप्ति इस नजारे को देखते हुएअपने चारों तरफ नजर घुमा कर देख भी ले रही थी कि कहीं कोई उसे इस नजारे को देखते हुए तो नहीं देख रहा है वरना लेने का देने पड़ जाएंगे,,, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था वैसे भी,,, उसके घर के थोड़ी दूर पर सुषमा का घर था और बाकी घर दूर-दूर थे और उसकी खुद की छतदूसरों की छत से ज्यादा बड़ी थी इसलिए किसी के भी देखे जाने कीआशंका बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए वह निश्चित हो गई और फिर से अपनी नजरों को और अपने ध्यान को उसी झाड़ियां पर केंद्रित कर दी,,, वह लड़का अभी भी उस औरत की बुर को चाट रहा था,,दोनों के बीच की उम्र के अंदर को देखकर सुमन के होश उड़े जा रहे थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह लड़का तो पूरी तरह से जवान था ऐसे में उसका आकर्षण लड़कियों की तरफ बढ़ना चाहिए लेकिन वह पूरी तरह से औरत के आकर्षण में डूबता चला गया थाक्या ऐसा हो सकता है कि एक जवान लड़का अपनी ही मन की उम्र की औरत क्या आकर्षण में बंध जाए और अगर ऐसा होता होगा तो क्यों होता होगा,,,यह सब सोचते कि उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,।




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तृप्ति को दूसरी औरतों भी सो करती हुई दिखाई दे रही थी लेकिन उन औरतों सेउसे औरत के बीच की दूरी काफी ज्यादा थी और ऐसा लग रहा था कि यह जगह उन दोनों के लिए बेहद सुरक्षित थी और उसे जगह पर दोनों पहले भी इस तरह का आनंद ले चुके थे क्योंकि उनके इर्द-गिर्द कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था,,और जिस तरह से दोनों आपस में जाकर मिले थे निश्चित था कि दोनों का वहां मिलना चाहिए था पहले से ही तभी तो वह दोनों एक ही जगह पर चलते चले जा रहे थे,,, जो कुछ भी हो लेकिन इस समय तो दोनों जवानी का मजा लूट रहे थे,,,, उसे औरत के चेहरे के बदलते हाव भाव को देखकरतृप्ति इतना तो समझ गई थी कि उसे लड़के की हरकत से वह मदहोश हुए जा रही है उसे मजा आ रहा है,,,,,वह लड़का भी औरत की बुर चाटने में बुरी तरह से माहिर था इसलिए तो अपनी जीभ से उसे पूरी तरह से आनंदित किया जा रहा था जैसा कि सुमन उसे रात में मजा दी थी वैसा ही इस समय वह लड़का उस औरत को मजा दे रहा था। थोड़ी देर तक दोनों इसी तरह से मजा लेते रहे लेकिन तभी वह औरत उसे उठने का इशारा करने लगी और थोड़ी देर में वह उठकर खड़ा हो गया और अपने पेंट का बटन खोलने लगा।



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यह देखकर तृप्ति की हालत बहुत ज्यादा खराब होने लगी क्योंकि अब दोनों के बीच चुदाई का खेल शुरू होने वाला था,,, लेकिन तभी वह औरतउसे लड़की की तरह खुद घुटनों के पास बैठ गई और अपने हाथों से उसके पेंट का चैन खोलने लगी और अपने हाथ से उसके लंड को बाहर निकाल कर सीधा उसे मुंह में भर ली,,, यह देख कर तो तृप्ति की सांस अटकने लगी,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था जो काम घर की चार दिवारी के अंदर रहकर करते हैं वही काम को या दोनों घर के बाहर खुले मैदान में झाड़ियों के बीच कर रहे थे,,, इतनी दूर से तृप्ति को उस लड़के का लंड नजर नहीं आ रहा थालेकिन इतना दिखाई दे रहा था कि उसे मुंह में लेकर वह औरत एकदम मस्त हुए जा रही थी पर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह उस लंड को खा जाएगी,,, उस औरत की मस्ती को देखकर तृप्ति के मन में फिर से शंका पैदा होने लगी कि क्या इस उम्र की औरत अपने बेटे की उम्र के लड़के के अंग के साथ संतुष्ट हो सकती है,,, और शायद हो सकती होगी तभी तो दुनिया की नजरों से बचकर यह औरत मजा लेने के लिए झाड़ियों में आई थी,,।



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तृप्तिमदहोश कर देने वाली नजारे को देखकर सलवार के ऊपर से अपनी बुर को अपनी हथेली में जोर-जोर से दबोच रही थी मसल रही थी,,, ऐसा करने में उसे भी मजा आ रहा था,,,कुछ देर तक कुछ औरत इसी तरह से मजा लेती रही और फिर अपने आप ही उठकर खड़ी हो गई और फिर से झाड़ी पकड़ कर घोड़ी बन गई और अपनी बड़ी-बड़ी गांड को ऊपर की तरफ उठा दी हालांकि ऐसा करने में उसकी साड़ी ठीक तरह से हो गई थी और उसकी नंगी गांड साड़ी के अंदर छुपा रही थी लेकिन इस बार उसेलड़के ने अपने हाथों से साड़ी उठाकर उसे उपर उठा दिया था और फिर से उसकी नंगी गांड एक बार फिर से उजागर हो गई थी,,,उसकी नंगी गांड देखकर एक बार फिर उसे लड़के ने उसकी गांड पर बारी-बारी से चपत लगाया,,, और गांड पर चपत लगते ही वह औरत फिर से पीछे मुड़कर देखने लगी,,, और थोड़ा नाराजगी दर्शाते हुए उसे मुख्य कार्य को करने के लिए बोली और तुरंत वह लड़काठीक उसके पीछे खड़ा हो गया और नीचे की तरफ झुक कर उसके गुलाबी छेद में अपना लंड डालकर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,,,।



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वैसे तो इतनी दूर से ना तो औरत की बुर दिखाई दे रही थी ना ही उस लड़के का लंड दिखाई दे रहा था लेकिन भी उसकी आगे पीछे होती हुई कमर को देखकर तृप्ति समझ गई थी कि वह लड़का उसकी चुदाई कर रहा है,,, इस समय दोनों की उम्र का फर्क तृप्ति को इस बात से पता चल रहा थाऔर अच्छी तरह से समझ रही थी कि इस उम्र का क्या महत्व होता है इस उम्र में वह औरत अपनी मर्जी से उस लड़के से चुदवा रही थी,,, वह लड़का अपनी तरफ सेऐसा कोई कार्य नहीं कर रहा था जिससे वह नाराज हो जाए और वह लड़का उस औरत के दिशा निर्देश पर ही काम कर रहा था,,,जैसा जैसा वह बोल रही थी वैसा वैसा हुआ लड़का कर रहा था जिससे साफ जाहिर हो रहा था कि इस उम्र में एक जवान लड़के पर औरत का कितना दब दबा बना रहता है,,,,।




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यह नजारा तृप्ति को पूरी तरह से मदहोश कर दिया था इस समय उसे भी चुदवाने का बहुत मन कर रहा था हालांकि इस खेल में वह पूरी तरह से अनाड़ी थी कच्ची खिलाड़ी थी उसे नहीं मालूम था कि चुदवाने में कैसा महसूस होता है लेकिन इतना तो समझ गई थी कि परम आनंद की अनुभूति होती है,,,,वह लड़का जोर-जोर से अपनी कमरिया रहा था तकरीबन 10 मिनट बाद वह लड़का उसे औरत से एकदम से अलग हो गया और अपने लंड को पेट में वापस डाल दिया वह औरत की अपनी साड़ी को ठीक करके मुस्कुराते हुए उसकी तरफ अच्छी और शायद फिर से मिलने का वादा करके वहां से चलती बनी और उसके जाते ही तृप्ति का भी वहां खड़े रहना अब ठीक नहीं था क्योंकि उसके बदन में भी उत्तेजना की लहर उठ रही थी और वह सीधा सीढ़ियां उतरकर नीचे आई और सीधा बाथरूम में घुस गई,,,।



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बाथरूम में प्रवेश करते ही वह अपने बदन से सारे कपड़े को उतार कर एकदम नंगी हो गई और अपनी बुर की हालत को देखने लगी क्योंकि पूरी तरह से उसके ही मदन रस से चिपचिपी हो गई थी वह अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर उसे जोर-जोर से मसलने लगी जैसा कि सुमन उसकी बुर को मसल रही थी,,,और देखते ही देखते हैं उसकी आंखें धीरे-धीरे बंद होने लगी और वह धीरे-धीरे अपनी उंगली को अपनी बुर के अंदर प्रवेश कराने लगी,,, और धीरे-धीरे उसे अंदर बाहर करने लगी ऐसा करने में उसे मजा आने लगा ।थोड़ी देर बाद वापस संतुष्ट हो गई और नहा कर वापस बाहर निकल गई लेकिन आज वह अपने कमरे तक जाने में ना तो किसी कपड़े का सहारा ली और ना ही टॉवल अपने बदन पर लपेटी,,,एकदम नंगी ही वह अपने कमरे तक गई क्योंकि घर पर कोई नहीं था इसलिए इस मौके को पूरा फायदा उठा लेना चाहती थी,,,वैसे भी घर में नंगी होकर घूमने में उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी बहुत हल्का महसूस कर रही थी,,,।





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थोड़ी देर बाद वह तैयार हो गई और खाना बनाने लगी क्योंकि वह जानती थी दोपहर तक उसकी मां और उसके भाई दोनों आ जाएंगे,,खाना बनाते हुए अपने मन में सोच रही थी कि अगर एक दिन का समय और मिल जाता तो कितना मजा आता आज भी वह सुमन के घर पर जाकर जवानी का मजा लूटती,,,,।दोपहर तक उसकी मां और उसके भाई भी घर पर आ गए थे वह दोनों भी एक नए अनुभव के साथ वापस लौटे थे।
Finally tripti ko bhi lagan lag hi gayi....accha hota agar tripti toda dono ke baat bhi sun leti ki dono maa bete hai aur ghar par time nahi mila
 

rohnny4545

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बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है सुगंधा और अंकित के बीच जो कुछ हो रहा है वह बहुत ही मजेदार है सुगंधा अपने बेटे के साथ बेशर्म होकर अंकित को चूदाई के लिए इशारे कर रही है लेकिन अभी तक अंकित और सुगंधा का मिलन नहीं हो पा रहा है
Thanks dear abhi safar me ho

 
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Enjoywuth

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अंकित आज अद्भुत और अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त कर लिया था और इस तरह के अनुभव के बारे में उसने कभी सोचा भी नहीं था,,,, एक अतुलनीय अनुभव जो उसके कल्पना से भी परे था कल्पना में भी अंकित ने इस तरह का अनुभव के बारे में कभी सोचा भी नहीं था जिस तरह का अनुभव उसे आज प्राप्त हुआ था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि अच्छा हुआ कि आज उसकी नींद समय से पहले खुल गई थी वरना इस तरह के अनुभव से वह पूरी तरह से अनजान रह जाता,,, वैसे तो वहां सुमन की बुर चटाई का अनुभव ले चुका थाऔर उसे सुमन की बुर चाटने में भी बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी।




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लेकिन अंकित को अपनी मां का अनुभव कुछ ज्यादा ही अद्भुत और मजेदार लग रहा था वह कभी सोचा भी नहीं था कि कमरे में जाने पर उसकी मां उसे बिस्तर पर नंगी मिलेगी,,, लेकिन अपने बिस्तर पर उसकी मां नंगी क्यों लेटी हुई थी इस बारे में इसका निष्कर्ष उसे ही कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन जो अनुभव उसे मिला था वह बेहद यादगार था। जिसके आगे वह सब कुछ भूल चुका था,,, अंकित क्या उसकी जगह कोई और होता तो उसकी भी यही हालत होती क्योंकि नजर ही कुछ ऐसा था,,, किसी भी जवान लड़की की आंखों के सामने अगर उसकी मां संपूर्ण रूप से नग्नावस्था में बिस्तर पर गहरी नींद में सो रही हो तो वह नजारा ही उसके लिए बेहद खास हो जाता है,,,, अंकित तो कमरे में प्रवेश करते ही बस देखता ही रह गया था लेकिन फिर भी उसकी बहादुरी और हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी कि इस तरह के हालात में भी वह पूरी हिम्मत जताकर अपनी हरकत को अंजाम देने से नहीं चुका।




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क्योंकि एक तरफ उसके मन में इस बात का डर था कि उसकी मां अगर जाग गई तो उसे अपने कमरे में और खुद को ईस अवस्था में देखकर ना जाने क्या समझेगी यह सब ख्याल मन में आने के बावजूद भी,,, अंकित अपनी मां की उत्तेजना और वासना को दबा नहीं पाया था जिसके चलते वह अपनी मां की मदहोश कर देने वाली कचोरी जैसी पूरी हुई पर्व पर अपनी होठ रखकर चुंबन करने से अपने आप को रोक नहीं पाया,,, इन सबके बावजूद भी यह क्रिया करने के बाद उसकी हिम्मत और ज्यादा बढ़ने लगी जिसके चलते वह अपनी जीत से अपनी मां की बुर में से निकल रहे मदन रस को चाट कर एकदम मस्त हो गया,,,, अंकित अपने आप को एकदम धन्य समझ रहा था और वाकई में इस समय वह अपने आप को सबसे भाग्यशाली समझ रहा था।




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अपने बेटे की हिम्मत और उसकी हरकत को देखकर सुगंधा के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी उसके बेटे ने हरकत ही कुछ ऐसी करी थी,। उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी उसका बेटा इतनी हिम्मत दिखा पाएगा बरसों से प्यासी अपनी सूखी जमीन पर उसे अब लगने लगा था कि उसका बेटा हल चलाएगा जिससे उसकी भी जमीन एक बार फिर से उपजाऊ हो जाएगी,, सुगंधा बहुत खुश थी क्योंकि धीरे-धीरे ही सही उसके बेटे में हिम्मत बढ़ने लगी थी,,, और वह अपने मन में सोच रही थी कि अगर तृप्ति उठकर बाथरूम में ना गई होती तो शायद इससे भी ज्यादा उसका बेटा हरकत करता ,,, लेकिन आप उसके मन में यह निश्चित हो गया था कि उसका बेटा बुद्धू नहीं है अगर समय और हालात के मुताबिक चले तो वह भी एक अच्छा खासा मर्द बन सकता है जो उसकी प्यास बुझा सकता है बस उसे उकसाने की देरी है ऐसा मन में ख्याल आते ही सुगंधा के होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,,।





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ऐसे ही तीन-चार दिन गुजर गए मां बेटे दोनों एक दूसरे अनजान बनने का नाटक कर रहे हैं लेकिन दोनों अपनी अपनी कहानी को अच्छी तरह से जानते थे ऐसे ही एक दिन सुबह-सुबह मां बेटे और तृप्ति बैठकर चाय पी रहे थे तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी,,, सुगंधा को लगा कि उसकी पड़ोसन सुषमा होगी इसलिए अंकित से बोली,,,।

अंकित जाकर दरवाजा खोल दे तो बगल वाली सुषमा होंगी,,,।
(सुषमा का नाम सुनते ही अंकित की आंखों के सामने बाथरूम में नहा रही सुषमा आंटी का नंगा बदन दिखाई देने लगा हुआ एकदम से प्रसन्न हो क्या और उठकर दरवाजे की तरफ चला गया और जैसे ही दरवाजा खोला तो दरवाजे पर सुषमा आंटी नहीं बल्कि कोई और औरत थी जिसे पहचान में अंकित में बिल्कुल भी देर नहीं किया और एकदम से खुश होता हुआ बोला।)





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अरे नानी जी आप यहां,,,(इतना कहते ही अंकित एकदम से झुक गया और अपनी नानी का आशीर्वाद लेने लगा,,, उसकी नानी भी उसे आशीर्वाद देते हुए बोली।)

खुश रहो बेटा आपको तुम बड़े हो गए हो शादी लायक हो गए हो,,,।

(चाय पी रही सुगंधा और तृप्ति दोनों लगभग भागते हुए दरवाजे पर आए और एकदम से खुश होते हुए वह दोनों भी एकदम चरण स्पर्श करने लगे,,,, सुगंधा को नहीं मालूम था कि उसकी मां आने वाली है इसलिए वह हैरान होते हुए बोली,,,)

तुम यहां कैसे ना कोई चिट्ठी ना खबर,,,,।

अब बेटी के घर आने के लिए चिट्ठी और खबर देनी पड़ेगी,,,,।

नहीं मां ऐसी बात नहीं है,,,(अपनी मां के हाथ से थैला लेते हुए,, सुगंधा बोली और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) फिर भी कोई खबर भिजवा देता तो मैं अंकित को लेने भेज देती स्टेशन पर,,,,

कोई बात नहीं छोटा आया था लेने उसी के घर तो दो दिन रहकर आ रही हूं,,।

नई तुम मामा के वहां गई थी,,,।




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हां मैं पहले वही गई थी फिर बस पकड़ कर इधर आ रही हुं,,,,(अपनी नानी के मुंह से मां और बस का जिक्र होते ही अंकित की आंखों के सामने बस वाला नजारा घूमने लगा और यही ख्याल सुगंधा के मन में भी आने लगा था लेकिन फिर भी अपने आप को अास्वस्त करके सुगंधा बोली,,,)


चलो कोई बात नहीं आ तो गई,,,, मैं नहाने का पानी रख देता हूं नहा कर थोड़ा तरोताजा हो जाओ,,,।

ठीक है,,,,(इतना कहकर वह खुद ही कुर्सी लेकर बैठ गई और सुगंधा बाथरूम में पानी रखने लगी क्योंकि वह जानती थी कि 5 घंटे का सफर था तो नहाना जरूरी है,,,, थोड़ी देर इधर-उधर की बात करने के बाद वह बाथरूम में नहाने के लिए घुस गई अंकित अपनी नानी को बड़े गौर से देख रहा था और अपने मन में सोच रहा था कि उसकी मां बिल्कुल उसकी नानी की तरह दिखती है इतनी उम्र होने के बावजूद भी अभी भी गठीला बदन की मालकिन है,,, कोई कह नहीं सकता की इनकी उम्र निश्चित तौर पर कितनी है अपनी उम्र से 10 साल कमी लगती है और अगर एक साथ खड़ी कर दिया जाए तो मां बेटी दोनों बहन ही लगेगी।





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थोड़ी देर में अंकित की नई नहा कर बाथरूम से बाहर आ गई थी,,, तब तक तृप्ति ने फिर से चाय बना कर तैयार करती थी थोड़ा सा चाय नाश्ता करने के बाद अंकित की नानी आराम करने लगी,,,, दोपहर का समय था इसलिए इतनी कड़ी धूप में कहीं जाना उचित नहीं था जिसके चलते तृप्ति अंकित और सुगंधा भी अपने-अपने कमरे में आराम कर रहे थे,,, लेकिन अंकित की नई अंकित के कमरे में आराम कर रही थी अंकित भी कमरे में प्रवेश किया उसकी नानी गहरी नींद में सो रही थी वह भी नीचे बिस्तर लगाकर सोने की तैयारी करने लगा,,,, लेकिन उसके मन में न जाने क्या हुआ वह एक बार उठकर खड़ा हो गया और अपनी नानी की तरफ देखने लगा अंकित बड़े गौर से अपनी नानी को देख रहा था वह गहरी नींद में सो रही थी गोल चेहरा गोरा बदन पता ही नहीं चलता था कि उम्र कितनी है सोने की वजह से ब्लाउज में से झांकता बड़ी-बड़ी चूचियां अभी भी कठोरता लिए हुए थी,,,,, अपनी नानी को देखकर अंकित के मन में अजीब सी उलझन होने लगी।





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अंकित इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि वह उसकी नानी है और उम्र दराज है लेकिन अपनी नानी के बदन की बनावट और बदन की गठीलापन को देखकर अंकित को अपनी नानी में एक खूबसूरत औरत नजर आ रही थी जिसे देखकर वह उत्तेजना का अनुभव कर रहा था फिर भी जैसे तैसे करके वह नीचे चटाई पर लेट गया,,,, शाम को जब उसकी नानी की आंख खुली तो वह बिस्तर से उठकर बैठ गई और नीचे देखी तो अंकित सो रहा था वह एकदम से बोली,,,।

अरे अंकित बेटा यह क्या तू नीचे क्यों सो रहा है,,,?
(इतने में अंकित की आंख खुल गई थी वह देखा तो उसकी नानी बिस्तर पर बैठी हुई थी पैर नीचे जमीन पर थी लेकिन साड़ी उनके घुटनों में फंसी हुई थी और घुटनों के नीचे उनकी मांसल पिंडलियां दिख रही थी,,, जिसे देखकर एक बार फिर से अंकित के बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी,,, जब अंकित की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला तो एक बार फिर से उसकी नानी बोली,,,)

तुझे नीचे सोने की जरूरत नहीं थी मेरे पास में ही सो गया होता।


कोई बात नहीं नानी तुम गहरी नींद में सो रही थी इसलिए मैं उचित नहीं समझा,,।





अरे इसमें क्या हो गया मैं बिस्तर पर सोउं और तुम नीचे जमीन पर लेटो यह अच्छी बात नहीं है,,,।

कोई बात नहीं नानी आप खामखा परेशान हो रही है,,,।

खामखा परेशान नहीं हो रही है अच्छा बात नहीं है आइंदा से ऐसा मत करना और वैसे भी मैं यहां पर दो-तीन दिनों के लिए यहां ही हूं फिर गांव लौट जाऊंगी,,,।

क्या नानी से को दो-तीन दिनों के लिए मुझे तो लगा था कि आप 20-25 दिन रुकेंगी,,,


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नहीं नहीं इतना दिन रुक कर क्या करूंगी गांव में बहुत काम रहता है खेतों में काम रहता है।

तो क्या आप खेतों में कामकरती हैं,,,।

खेतों में काम नहीं करती हूं लेकिन काम करवाती हूं सब देखना पड़ता है मजदूर लोगों को जो खेतों में काम करते हैं,,,।

यह सब तो नानाजी करते होंगे ना,,,, और बड़े वाले मामा भी करते होंगे,,,,।

बड़े वाले मामा कुछ नहीं करते मुझे और तेरे नाना कोई करना पड़ता है। इस बार सोच रही हूं की तृप्ति को अपने साथ ले जाऊं वैसे भी कॉलेज की छुट्टियां पड़ गई है। एकाद महीना रहकर कुछ रीति रिवाज सीख जाएगी और वैसे भी शादी के बाद यही सब काम आने वाला है,,,,,।
(तृप्ति को साथ में ले जाने की बात से और वह भी एक महीने के लिए,,, इस बात को सुनकर ही अंकित के दिल की धड़कन बढ़ने लगी क्योंकि ऐसे में घर में केवल वह और उसकी मां ही रह जाती तब कितना मजा आता है यही सोच कर वह अंदर ही अंदर खुश हो रहा था और अपनी नानी की बात सुनकर बोला)




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आप सच कह रही हो नानी मैं तो कहता हूं ले जाना साथ में वह भी घूम लेगी,,,,।

चल कोई बात नहीं आज ही तेरी मां से बात करती हूं,,,।

(दोनों की बातचीत हो ही रही थी कि तभी दरवाजे पर तृप्ति आ गई और बोली)

नानी चाय नाश्ता तैयार हो गया है हाथ मुंह धो कर आ जाओ,,,,(इतना कहकर तृप्ति वहां से चली गई जिसे देखकर अंकित की नानी बोली,,)

शादी करने की उम्र तो हो गई है गांव में होती तो अब तक ईसके हाथ पीले हो गए होते,,,,। और शादी करने लायक तु भी हो गया है,,, हट्टा कट्टा नौजवान हो गया तू भी अगर गांव में होता तो अब तक तेरी भी शादी हो गई होती।

अपनी नानी के मुझे अपनी शादी की बात सुनकर वह शर्मा गया उसे शर्माते हुए देखकर उसकी नानी चुटकी लेते हुए बोली,,।

देखो तो सही कितना शर्मा रहा है,,,,,
(अपनी नानी की बात सुनकर अंकित मुस्कुराने लगा और फिर अंकित की नई कमरे से बाहर निकल गई और हाथ मुंह धोकर फिर से तीनों साथ में बैठकर इधर-उधर की बातें करते हुए चाय पीने लगे शाम को जब भोजन कर रहे थे तब अंकित की नानी बोली,,,)




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सुगंधा मैं चाहती हूं कि मेरे साथ तो तृप्ति को भी गांव भेज दे और वैसे भी एक-दो साल में इसकी शादी करनी पड़ेगी गांव के रीति-रिवाज सीख जाएगी तो इसे भी आसानी होगी अपनी गृहस्ती बसाने में,,,,।

(तृप्ति अपनी नानी की बातें सुनकर बोली,,)

क्या नानी आप भी अभी तो मेरी पढ़ने की उम्र है,,,।

मैं जानती हूं लेकिन तेरी शादी की भी उम्र है,,,,,‌


कोई बात नहीं मां मैं तृप्ति को तुम्हारे साथ भेज दूंगी कुछ नहीं तो गांव घूम लेगी तो इसे भी अच्छा लगेगा,,,,,(सुगंधा यह बात बहुत सोच समझ कर बोली थी जो ख्याल कुछ देर पहले इस बात को सुनकर अंकित के मन में आई थी वही ख्याल सुगंधा के मन में भी चल रहा था वह भी घर में एकांत चाहती थी अपने बेटे के साथ ताकि उनका कार्यक्रम थोड़ा आगे बढ़ सके तृप्ति कुछ देर तक ना नुकुर करती रही और आखिरकार मान गई,,,,।





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कुछ देर टीवी देखने के बाद सुगंधा अपने कमरे में सोने के लिए चली गई वैसे तो वह अपनी मां को अपने कमरे में सोने के लिए बोल रही थी लेकिन वह इनकार कर दी और बोली कि मैं अंकित के कमरे में सो जाऊंगी,,, त्रप्ति अपने कमरे में चली गई और अंकित और उसकी नानी अंकित के कमरे में आ गए कुछ देर दोनों इधर-उधर की बातें करने के बाद एक ही बिस्तर पर सो गए,,,, तकरीबन 1:30 बजे अंकित की नानी को पेशाब लगी तो उसकी आंख खुल गई लेकिन जब आंख खुली और उसे अपनी स्थिति का भान हुआ तो उसका दिल जोरो से धड़कने लगा वह करवट लेकर दरवाजे की तरफ मुंह करके सो रही थी और उसके ठीक पीछे अंकित सो रहा था लेकिन वह भी दरवाजे की तरफ लिया हुआ था ऐसे में उसका पूरा बदन उसके बदन से सटा हुआ था और अंकित की नानी को बहुत अच्छे से एहसास हो रहा था कि उसकी बड़ी-बड़ी गांड के बीच में बीच कुछ चुभ रहा है,,,, अंकित की नई उम्र के इस दौर में पहुंच चुकी थी कि उन्हें समझते देर नहीं लगी कि उनकी गांड के बीचों बीच चुभने वाली चीज क्या है,,,,।




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उसे चीज के बारे में ख्याल आते हैं अंकित के नानी के भजन में अजीब सी हलचल होने लगी सरसराहट से बढ़ने लगी वह समझ गई थी कि उनकी गांड के पीछे-पीछे उसके नाती का लंड घुसा हुआ है अब यह समझ में नहीं आ रहा था कि यह हरकत उसने जानबूझकर किया था कि अनजाने में गहरी नींद की वजह से हो गया था वह देखना चाहती थी इसलिए उसे स्थिति में कुछ देर तक लेटी रही,,, वह जानती थी कि अगर वह जानबूझकर ऐसा कर रहा है तो उसकी हरकत और भी ज्यादा बढ़ेगी लेकिन कुछ देर तक किसी तरह से लेते रहने के बावजूद अंकित के बदन में बिल्कुल भी हलचल नहीं हुई तो वह समझ गई कि यहां अनजाने में हुआ है,,,, इसलिए वह धीरे से उठकर अंकित की तरफ देखिए वह वास्तव में गहरी नींद में सो रहा था उसे तो अपनी स्थिति का बहन भी नहीं था लेकिन कमरे में जल रहे लाल बल्ब की रोशनी में अंकित की नई एकदम साफ तौर पर देख पा रही थी कि अंकित के पजामे में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था जिसे देखकर इस उम्र में भी अंकित की नानी की टांगों के बीच सुरसुराहट बढ़ने लगी थी,,,,।




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कुछ देर तक वह अंकित के पजामे में बने तंबू को देखते रही,,, और फिर धीरे से बिस्तर से उठकर खड़ी हो गई और दरवाजा खोलकर बाथरूम में चली गई पेशाब करने के बाद और फिर से अपने बिस्तर पर आई और इस स्थिति में लेट गई फिर से एक अनुभव की चाह में लेकिन अंकित तो गहरी नींद में सो रहा था उसके साथ जो कुछ भी हुआ था वहां जाने में हुआ था इसलिए ऐसा दोबारा नहीं हुआ और इस बात का मलाल अंकित की नानी को हो रहा था क्योंकि पल भर में ही सही अंकित ने उसके बदन में उत्तेजना की लहर को प्रज्वलित कर दिया था। और वैसे भी अंकित की नानी कोई सीधी साधी औरत नहीं थी गांव में अच्छा दबदबा था खेती-बाड़ी ज्यादा होने की वजह से दूर-दूर तक उसकी नानी और उसके नाना का नाम था,,, उम्र के ईस पड़ाव में पहुंच जाने के बाद भी खेतों में काम करके और हमेशा बदन में स्फूर्ति रहने की वजह से अपनी उम्र से 10 साल कम ही लगती थी,,,, और उसके पति की तबीयत और शेयर उम्र के पड़ाव में जवाब दे गई थी इसलिए अपनी बीवी को खुश करने की ताकत उनके बगल में नहीं बची थी जिसके चलते कभी कभार अंकित की नई अपनी बदन की प्यास बुझाने के लिए विश्वासु मजदूर के साथ शारीरिक संबंध बना लेती थी,,,, आज न जाने क्यों अपने बेटी के जवान लड़के की हरकत की वजह से उनके बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी,,,।





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अनुभव से भरी हुई अंकित की नई अपनी गांड में चुदाई अपने ही नाती के लंड कि चुभन से उसकी मजबूती का अंदाजा लगा रही थी वह समझ गई थी कि उसकी टांगों के बीच मर्दाना ताकत से भरा हुआ मजबूत हथियार है जो किसी भी औरत की प्यास बुझाने में पूरी तरह से सक्षम है। अंकित की नई अपने आप को इस बात के लिए तैयार कर ली थी कि अगर अंकित अपनी हरकत को आगे बढ़ता है तो वह उसके साथ सारे संबंध बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी लेकिन जो कुछ भी हुआ था वह नींद की वजह से हुआ था और अनजाने में हुआ था इस बात का दुख अंकित की नानी के चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था।






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दूसरे दिन अंकित नाश्ता करके घर से यूं ही इधर-उधर घूमने के लिए निकल गया था और घूमते घूमते बाजार पहुंच गया था,,, बाजार में उसने देखा तो राहुल अपने कुछ दोस्तों के साथ हाथ में बैंट लिए हुए क्रिकेट खेलने के लिए जा रहा था अंकित का मन किया कि उसे आवाज देकर बुलाए और उसके साथ ही चल दे लेकिन फिर उसके मन में ख्याल आया कि अगर राहुल क्रिकेट खेलने जा रहा है तो घर में उसकी मां अकेली होगी और वैसे भी उसकी मां के साथ जाने अनजाने में मस्ती भरे पल उसने गुजारे थे और काफी दिन हो गया था उससे मुलाकात की इसलिए वह इस आवाज नहीं दिया और चुपचाप उसके घर की तरफ निकल गया,,,, थोड़ी देर में वह पैदल चलते हुए राहुल के घर पहुंच गया था और दरवाजे पर पहुंच कर डोर बेल बजाने लगा,,,,।




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लेकिन पहली बार डोर बेल बजाने पर दरवाजा नहीं खुला दूसरी बार भी बजाने पर नहीं खुला तो अंकित निराश हो गया उसे लगा कि शायद,, राहुल की मां सो गई होगी लेकिन फिर भी एक बार आखिरी कोशिश करते हुए डोर बेल बजाय तो दरवाजा खुल गया और दरवाजे को खोलने वाली को देखकर अंकित उसे देखा ही रह गया पल भर में ही उसे एहसास हो गया कि राहुल की मां नहा रही थी और शायद इसीलिए दरवाजा नहीं खोल पाई थी और जल्दबाजी में वह अपने बदन पर केवल टावरक्षल लपेटकर ही दरवाजा खोलने के लिए आ गई थी। अंकित तो नूपुर को देखता ही रह गया,, नूपुर भी अंकित को देखकर मन ही मन खुश होने लगी और उसे इस बात की तसल्ली होने लगी कि चलो सही समय पर सही वस्त्र में वह अंकित के सामने आई है अंकित प्यासी नजरों से उसकी ऊभरी हुई छातियों को ही देख रहा था जो टावल में लिपटी हुई थी,,,।





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बाथरूम में नूपुर नहा रही थी इसलिए उसका भजन पूरी तरह से गिला था और टावल लपेटने की वजह से टावल भी गीला हो चुका था और गीले टावल में नूपुर की चूची की कड़ी निप्पल एकदम साफ झलक रही थी। जिसे अंकित प्यासी नजरों से देख रहा था अनुभव से भरी हुई नूपुर समझ गई कि अंकित क्या देख रहा है इसलिए मुस्कुराते हुए बोली।

राहुल तुम यहां,,,?

जी आंटी जी यहीं से गुजर रहा था तो सोचा राहुल से मिलता चलु राहुल है क्या,,,?

राहुल तो नहीं है राहुल क्रिकेट खेलने गया है।

ओहहह (सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनने का कोशिश करते हुए अंकित बोला) चलो कोई बात नहीं मैं फिर कभी मिल लुंगा,,,(इतना कहकर वह जाने ही वाला था कि नूपुर बोली,,)




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क्यों तुम्हें राहुल से ही काम है मुझसे काम नहीं है,,,

ऐसी बात नहीं है आंटी जी,,, राहुल से मिलता हूं तो तुमसे भी तो मिल लेता हूं,,, और वैसे भी मैं माफी चाहता हूं आपको तकलीफ देने के लिए,,,।

तकलीफ किस बात के लिए,,,।

मतलब आंटी जी आप नहा रही थी और खामखा में आ गया और दरवाजा खोलना पड़ा,,,।

तो इसमें क्या हो गया,,, वैसे सच-सच बताना तुम्हें मैं कैसी लगती हूं,,,।


जी,,,,,!(एकदम आश्चर्य से फटी आंखों से नूपुर की तरफ देखते हुए)

हां कैसी लगती हूं बताओ ना वैसे मैं तुम्हें देखती हूं तुम मुझे घूरते रहते हो,,,।

जी,,,,जी,,,,, ऐसी कोई बात नहीं है,,,!(अंकित एकदम से घबराते हुए बोला)







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नहीं ऐसी ही बात है अभी भी तुम मेरी चूचियों की तरफ देख रहे थे,,,,(नूपुर एकदम से बिंदास होते हुए बोल रही थी क्योंकि वह जानती थी लड़कों की आदत को उसका इस तरह से बिंदास बोलना ही लड़कों को पूरी तरह से गुलाम बनने पर मजबूर कर देता है और यही अंकित के साथ भी हो रहा था नूपुर किस तरह की बातें सुनकर तो उसके होश उड़ गए थे जिस तरह से उसने खोलकर चुची शब्द का प्रयोग की थी उसे सुनकर उसके तन बदन में आग लगने लगी थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके खाने में कोई मधुर रस घोल दिया हो,,,, नूपुर की बातें सुनकर अंकित एकदम से घबराते हुए बोला,,,)



क्या बात कर रही हो आंटी जी ऐसी कोई भी बात नहीं है यह तो अनजाने में मेरी नजर,,,(इससे आगे अंकित कुछ बोल नहीं पाया तो नूपुर मुस्कुराते हुए बोली,,,,)

मैं सब समझता हूं अंकित तुम्हारे जैसे नौजवान लड़कों की नजर इधर-उधर भटकती ही रहती है,,, आओ अंदर आ जाओ,,,, दरवाजे पर कब तक खड़े रहोगे,,,,।

नहीं मैं फिर कभी आ जाऊंगा,,,,।





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ऐसे कैसे,,,, आए हो तो चाय पानी पीकर जाओ,,,,(इतना कहते हुए नूपुर खुद उसका हाथ पकड़ कर उसे घर के अंदर ले आई और दरवाजा बंद कर दी दरवाजा बंद करते ही नूपुर के बदन में जैसे उत्तेजना और हवास दोनों उबाल मार रहे हो इस तरह से वह तुरंत अंकित को दीवार से सटाकर उसे अपनी बाहों में भरकर उसके होठों पर अपने होंठ रखकर चुंबन करने लगी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी उत्तेजित हो चुकी थी,,,

अंकित को नूपुर की तरफ से इस तरह की किसी भी हरकत का अंदाजा नहीं था इसलिए वह एकदम से आश्चर्यचकित हो गया उसे तो कुछ समझ में नहीं आया लेकिन जब तक समझ में आता तब तक नूपुर पूरी तरह से उसे पर हावी हो चुकी थी वह अपनी जवानी का जलवा उसके ऊपर पूरी तरह से भी कर चुकी थी उसके लाल लाल होठों का चुंबन करते हुए उसका रसपान करते हुए उसे पूरी तरह से अपनी आंखों में ले ली थी आखिर अंकित भी कब तक अपने आप को संभाल पाता इन्हीं सब पल के लिए तो वह तड़प रहा था,,,, उसके भी हाथ खुद ब खुद नूपुर की पीठ पर घूमने लगे और वह भी चुंबन में उसका साथ देने लगा वैसे तो अंकित के जीवन का यह पहला चुंबन था जो उसे पागल बना रहा था उसे चुंबन का एहसास और कैसे किया जाता है नहीं मालूम था लेकिन नूपुर जिस तरह से उसके होठों का रसपान कर रही थी वह भी नूपुर के लाल लाल होठों को अपने मुंह में लेकर उसका रस पी रहा था और उत्तेजना के मारे अपनी हथेलियां को उसकी पीठ पर घूम रहा था जो कि टावल में लिपटी हुई थी,,,।



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पल भर में ही नूपुर को अपनी दोनों टांगों के बीच अंकित के लंड की चुभन महसूस होने लगी और उसे चुपन को अपने अंदर महसूस करके वह पूरी तरह से उत्तेजना से बिलबिलाने लगी,,,, इसी पल का फायदा उठाते हुए एक हाथ से वह अपनी टॉवल को खोलकर उसे नीचे गिरने पर मजबूर कर दी और पूरी तरह से अंकित की बाहों में एकदम नंगी हो गई हालांकि अंकित अभी तक उसके नंगे भजन को देख नहीं पाया था लेकिन अपनी हथेली पर उसकी नंगी चिकनी पीठ और कमर को महसूस करके इतना तो समझ गया था कि उसके भजन से टावर नीचे गिर गई है और यह एहसास उसे होते ही उसकी उत्तेजना भी चरम शिखर पर पहुंचने लगी वह पागल होने लगा।





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अंकित अपने बदन में अत्यधिक उत्तेजना का संचार होता हुआ महसूस कर रहा था,,, उसके लंड का कड़कपन एकदम बढ़ता जा रहा था जो कि सीधे-सीधे उसे नूपुर की दोनों टांगों के बीच ठोकर मार रहा था अपनी उत्तेजना पर काबू न कर पाने की वजह से अंकित की हथेलियां उसकी चिकनी कमर से फिसलती हुई उसके गोलाकार ने संभोग पर आते की और जैसे ही उसे एहसास हुआ कि उसकी दोनों हथेलियां में नूपुर की मदमस्त गांड आ चुकी है तो वहां उसे ज़ोर से अपनी हथेली में दबोच दिया और उसे जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया है,,,, अंकित के साथ यह सब पहली बार हो रहा था,,, वैसे तो सुमन के साथ इससे भी ज्यादा हो चुका था लेकिन ,,, आज की बात कुछ और थी क्योंकि आज उसकी बाहों में जवानी से गदराई हुई एक औरत थी,,,। आज एक नया अनुभव से मिल रहा था अंकित को लगने लगा था कि आज उसकी मनोकामना पूरी हो जाएगी भले उसकी मां से ना सही लेकिन नूपुर के साथ वह आज अपने मन की मुराद को पूरी कर सकता है,,,,।




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अभी वह यह सब सो ही रहा था कि तभी दरवाजे की घंटी बजने लगी और घंटे की आवाज सुनकर दोनों के होश उड़ गए,,,, दोनों के होठ एक दूसरे से अलग हो चुके थे,,,, दोनों एक दूसरे की तरफ तो कभी दरवाजे की तरफ देख रहे थे,,, हैरान होते हुए नूपुर बोली।

आप कौन आ गया राहुल के पापा से ऑफिस के लिए निकल गए थे और राहुल क्रिकेट खेलने के लिए गया था इतनी जल्दी तो आ नहीं सकता,,,,।

फिर भी दरवाजा तो खोलना पड़ेगा आंटी जी,,,।

रुक में कपड़े पहन लुं,,,(इतना कहकर नूपुर नीचे गीरी टावल को लेने के लिए झुकी,,, तब जाकर अंकित की नजर नूपुर पर गई और उसे एहसास हुआ कि बिना कपड़ों के राहुल की मां कितनी खूबसूरत लगती है उसके नंगे बदन को देखकर अंकित की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी थी उसका झुकना उसके बदन की लचक उसकी गांड का घेराव सबकुछ बेहद अद्भुत था और देखते ही देखते टावल को बाथरूम में रखकर नूपुर जल्दी से एक गाउन अपने बदन पर डाल दी जो कि उसके घुटनों तक ही आ रही थी,,, और अंकित से बोली,,,)




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तुम कुर्सी पर बैठ जाओ,,,,।
(इतना क्या करवा दरवाजा खोलने लगी लेकिन अंकित ना जाने क्यों एकदम घबरा गया था और घबराहट में वह डाइनिंग टेबल के नीचे छूप गया था,,,, उसके मन में एक बात और चल रही थी कि उसे लगा था कि शायद दरवाजे पर राहुल होगा अगर राहुल इस समय कमरे में आएगा तो जरूर उसकी मां के साथ कुछ ना कुछ करेगा और यही अंकित देखना भी चाहता था,,,, लेकिन जैसे ही दरवाजा खुला सामने राहुल के पिताजी थे और वह एकदम उदास होते हुए कमरे में दाखिल हुए और बोले,,,)

आज बस छूट गई आज काम किसी जिले में कहीं और जाना था लेकिन कैंसिल हो गया तो मैं ऑफिस से सीधा यही आ गया हूं,,,,।




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मतलब आज तुम्हारी छुट्टी है,,,।

फिर क्या आज तो दिमाग खराब हो गया इतनी जल्दी बिना चाय नाश्ता किए निकला था फिर भी यही हाल हो गया,,,, तुम चाय नाश्ता लगाओ में हाथ धोकर आता हूं,,,,,।

ठीक है,,,,।
(इतना कहकर नूपुर रसोई घर की तरफ जाने लगे लेकिन उसकी नजर डाइनिंग टेबल के नीचे पड़ी तो देखी थी अंकित डाइनिंग टेबल के नीचे छुपा हुआ है,,, यह देखकर करवा हैरान हो गई लेकिन उसे कुछ बोल पाती इससे पहले ही उसके पति बाथरूम से बाहर आ गए थे और वह चाय गरम करने के लिए चली गई थी जब चाय लेकर वह किचन से बाहर आई को अच्छी डाइनिंग टेबल के नीचे अभी भी अंकित चुप कर बैठा हुआ था और कुर्सी पर उसके पति बैठकर अखबार पढ़ रहे थे,,, नूपुर कुछ बोल नहीं पाई उसे बात का डर था कि कहीं उसके पति डाइनिंग टेबल के नीचे बैठे अंकित को देखना है अगर ऐसा हो गया तो गजब हो जाएगा उन्हें शक हो जाएगा कि जरूर दाल में कुछ काला है,,,।




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नूपुर अपने पति की तरफ चाय का कब आगे बढ़कर बिस्किट रखती और खुद भी ठीक उसके सामने कुर्सी पर बैठ गई नूपुर का दिल जोरों से धड़क रहा था उसके मन में यह चल रहा था कि उसके पति को कहीं शक ना हो जाए कहीं वह देखना ले,,,, और डाइनिंग टेबल के नीचे छिपे अंकित की नजर नूपुर की दोनों चिकनी टांगों पर गई जो की घुटनों के नीचे पूरी तरह से नंगी थी और जिस तरह का गाउन पहनी हुई थी वह घुटनों के ऊपर तक आ रहा था और वह कुर्सी पर बैठी हुई थी ठीक उसकी आंखों के सामने,,, वैसे तो अपनी तरफ से कुछ भी करने की हिम्मत अंकित मैं बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन जिस तरह की हरकत करके सुगंधा ने उसका हौसला बढ़ाई थी उसे देखते हुए उसकी हिम्मत बढने लगी थी,,,।





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अपनी आंखों के सामने नूपुर की नंगी जवान टांगे देखकर अंकित की उत्तेजना बढ़ने लगी और वहां अपनी हथेली को उसकी नंगी चिकनी टांग पर रखकर हल्के-हल्के सहलाने लगा पहले तो डर के मारे नुपुर अपना हाथ उसके हाथ पैर रखकर उसे हटाने की कोशिश कर रही थी,,, लेकिन बार-बार अंकित अपनी हरकत को दोहरा रहा था और अखबार पढ़ते हुए उसके पति चाय की चुस्की ले रहे थे दोनों के बीच किसी भी तरह की बातचीत नहीं हो रही थी और बार-बार अंकित की हरकत से नूपुर के बदन में भी फिर से उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, अंकित नंगी टांगों को सहलाने के बाद दोनों टांगों को अपने हाथों से पकड़ कर उसे खोलने की कोशिश करने लगा यह देखकर नूपुर की सांस ऊपर नीचे होने लगी उसकी उत्तेजना परम शिखर पर पहुंचने लगी,,,,।




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नूपुर भी समझ गई थी कि अंकित ऐसी हरकत किसने कर रहा है और उसकी हरकत के बारे में एहसास होते ही नूपुर की बुर पानी छोड़ने लगी थी,,,, अंकित के दोनों हाथ उसके घुटनों पर थी और वह उसे खोलने की कोशिश कर रहा था और मौके का फायदा उठाते हुए नूपुर धीरे से कुर्सी की ओर किनारे पर आ गई और अपनी टांगों को खोल दी लेकिन फिर भी गाउन की वजह से उसकी दोनों टांगों के बीच अंधेरा छाया हुआ था,,,,, फिर भी अंकित अपनी हथेली को उसकी जांघों पर रखते हुए उसे अंदर की तरफ ले जा रहा था अंकित के लिए यह बेहद अद्भुत और नया अनुभव था और नूपुर के लिए भी ,,भले ही वह अपने बेटे के साथ पूरी मर्यादा को लांघ चुकी थी लेकिन फिर भी इसके बावजूद भी है उसके लिए पहला अनुभव था जब कोई डाइनिंग टेबल के नीचे बैठकर उसके बदन से छेड़खानी कर रहा था।

अंकित की हालत पाल-पाल खराब होती जा रही थी उसकी हथेली नूपुर की गर्म जवानी की वजह से तप रही थी और देखते ही देखते अंकित अपनी हथेली को सीधा ले जाकर के नुपुर की नंगी बुर पर रख दिया जो की गरम तवे की तरह दहक रही थी,,,, अंकित की हरकत से उसकी सांस उपर नीचे होने लगी,,,।






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राहुल कहां गया घर पर ही है क्या,,,?(अखबार को पढ़ाते हुए राहुल के पिताजी बोले)

नहीं वह तो कब से क्रिकेट खेलने के लिए चला गया मैं नहा रही थी तभी दरवाजे की घंटी बजने लगी मुझे क्या मालूम आप आए हैं,,,, नहाते नहाते बाहर आना पड़ा।

अब कर भी क्या सकता था सारा प्लान चौपट हो गया,,,,।

(दोनों की बातचीत जा रही थी और अंकित की हरकत बढ़ती जा रही थी वह अपनी हथेली में नूपुर की बुर को दबोच रहा था उसे मजा आ रहा था,,,, इतनी हिम्मत तो अपनी मां के साथ नहीं दिखा पाया था शायद इस वजह से क्योंकि वह उसकी मां थी उसके साथ मां बेटे का पवित्र रिश्ता था लेकिन नूपुर के साथ ऐसा कोई रिश्ता नहीं था अंकित के लिए वह अनजान औरत थी इसलिए उसके साथ भाग खुली छूट ले रहा था और वैसे भी इस छूट को लेने के लिए बढ़ावा उसने ही दी थी लेकिन फिर भी नूपुर को अंकित की हरकत से मजा आ रहा था,,,, एक तरफ पति पत्नी आपस में बातचीत कर रहे थे और दूसरी तरफ़ अंकित अपनी मनमानी कर रहा था अंकित की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी।





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तभी अचानक अपने पति से नजर बचाकर नूपुर अपनी कुर्सी पर से हल्के से अपनी गांड को ऊपर उठा दिया अपनी गाउन को पूरी तरह से कमर के ऊपर कर दी कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगी हो गई,,,, राहुल की मां कि ईस तरह की हरकत को देखकर अंकित की हालत खराब होने लगी वह पागल होने लगा कमर के नीचे उसके नंगे बदन को देखकर उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी वासना उसकी आंखों में नाचने लगी,,,, वैसे भी राहुल की मां ने जिस तरह से हरकत की थी उसे देखकर उसकी उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच चुकी थी अगर राहुल के पिताजी ना आ गए होते तो शायद दोनों के बीच इस समय शारीरिक संबंध स्थापित हो रहा होता और एक नए अनुभव से अंकित परिपूर्ण हो जाता लेकिन उसका नया अनुभव राहुल के पिताजी रोक दिए थे। लेकिन उसकी आंखों के सामने जो नजारा दिखाई दे रहा था अब वह अपने आप को रोक नहीं सकता था।

कमर के नीचे नंगी हो जाने के बाद अंकित खुद उसकी दोनों टांगों को खोलकर उसकी गुलाबी बर को देख रहा था जो कि इस समय कचौड़ी की तरह खुली हुई थी और उसे पर मदन रस की बूंदे ओश की बूंद की तरह चमक रही थी। जिसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था वैसे भी वह दो बार बुर चाट चुका था एक बार कुसुम की और एक बार खुद की अपनी मां की इसलिए उसे थोड़ा बहुत तो अनुभव था इसलिए वह अपने हाथों से नूपुर की दोनों टांगों को खोल दिया नूपुर खुद कुर्सी के किनारे बैठ चुकी थी ताकि इस नजारे को अंकित एकदम साफ तौर पर देख सके। अंकित खातिर जोरों से धड़क रहा था और यही हालत नूपुर का भी था वह इस अद्भुत अनुभव को लेते हुए अपने पति से बातचीत भी कर रही थी जो की बहुत ही सब्र और अपने आप को नियंत्रण में रखने वाली बात थी और इस पर नूपुर एकदम खरी उतर रही थी।





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अगले ही पर अंकित अपनी उत्तेजना के चलते अपनी हरकत को बढ़ाते हुए अपने प्यासे होठों को राहुल की मां की दोनों टांगों के बीच ले गया और उसे उसकी बुर पर रख दिया पल भर के लिए तो नूपुर को कुछ समझ में नहीं आया कि क्या हो रहा है बस उसे दोनों टांगों के बीच अंकित का सर नजर आ रहा था लेकिन जैसे ही उसे एहसास हुआ कि अंकित उसे पागल बना रहा है तो एकदम से मदहोश होने लगे अपनी मदहोशी पर वह काबू नहीं कर पा रही थी लेकिन फिर भी जैसे तैसे करके वह अपने पति से बात जीत जारी रखते हुए अपने चेहरे के हाव-भाव को छुपाने में कामयाब होरही थी।

एक बार फिर से वही मादक जानी पहचानी सी खुशबू अंकित के नथुनों से उसके छाती में पहुंचने लगा जिससे उसकी उत्तेजना और बढ़ने लगी अंकित पागलों की तरह अपनी जीभ से राहुल की मां की बुर चाट रहा था उसे उसकी मां की बुर चाटने में बहुत मजा आ रहा था नूपुर की कसम आ रही थी कुर्सी पर बैठे-बैठे अपनी टांगों को कभी खोल दे रही थी तो कभी आपस में कस ले रही थी,,, आज कुछ देर ज्यादा तक अंकित को औरत की बुर चाटने को मिल रही थी वह पागलों की तरह राहुल की मां की बुर को चाट रहा था अपनी जीभ को उसके अंदर तक प्रवेश कर दे रहा था,,,, अपनी उत्तेजना पर काबू न कर सकने की स्थिति में राहुल की मां अपने एक हाथ को अंकित के सर पर कब से जोर-जोर से अपनी बुर पर दबा रही थी,,,, वैसे तो जिस तरह के हालात थे राहुल की मां के मुंह से गरमा गरम शिसकारी की आवाज किसी भी समय निकाल सकती थी,,, लेकिन बड़ी मुसीबत से राहुल की मां अपनी उत्तेजना को काबू में किए हुए थी,,,, राहुल के पिताजी अभी भी अखबार पढ़ने में व्यस्त थे उन्हें इस बात का एहसास तक नहीं था कि उनकी आंखों के सामने डाइनिंग टेबल के नीचे एक जवान लड़का उनकी ही बीवी की बुर को चाट रहा है।




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देखते ही देखते राहुल की मां अपने चरम सुख की ओर अग्रसर होने लगी और तभी अंकित भी अपनी एक उंगली को बड़ी चालाकी से राहुल की मां की बुर में डालकर सुंदर बाहर करते हुए उसकी बुर की चटाई करने लगा,,, इस बार राहुल की मां से बिल्कुल भी अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं हो पाया और वह एकदम से भलभला कर झड़ने लगी,,, लेकिन झड़ने समय उसके मुंह से आखिरकार निकल ही गया।
ओहहहहहबह,,,,,।

(यह आवाज सुनकर अखबार पढ़ते-पढ़ते राहुल के पिताजी का ध्यान इस आवाज पर गया और वह बोले।)

क्या हुआ,,,?

अरे कुछ नहीं मुझे याद आया कि मुझे तो कपड़े धोने हैं और वाशिंग मशीन में रखकर आई हूं,,,,।

तो जाओ धो डालो,,,,।

आप सो जाइए कमरे में जाकर तब में जाती हुं,,,।

अरे भाग्यवान यह कोई सोने का समय है,,,।

अरे सोने का समय नहीं है लेकिन जाकर आराम तो करिए अपने कमरे में अभी मुझे यहां पर झाड़ू पोछा लगाना पड़ेगा सफाई करनी पड़ेगी और अगर एक बार आपकी आंख लग गई तो फिर आपको उठाना मुश्किल हो जाएगा,,,।






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हां यह बात तो तुम ठीक कह रही हो मुझे कमरे में ही जाना चाहिए,,,,
(अपने पति की बात सुनकर नूपुर को थोड़ा राहत महसूस हुआ और उसके पति अपनी जगह से उठकर अपने कमरे की तरफ जाने लगे और जैसे ही वह कमरे में जाकर दरवाजा बंद किया हमने पूरी एकदम से उठकर खड़ी हो गई अपने कपड़ों को व्यवस्थित करने लगी और इशारे से अंकित को बाहर निकलने के बोली और वह तुरंत बाहर निकल गया उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी लेकिन उसका चेहरा उसके मदन रस से पूरी तरह से भीगा हुआ था यह देखकर नूपुर शर्म के मारे मुस्कुराने लगी,,,, और उसका हाथ पकड़ कर दरवाजे तक ले आई लेकिन जाते-जाते वह एक बार फिर से उसे अपनी बाहों में भरकर उसके होठों का चुंबन करने लगी जिस पर उसके बुर से निकला हुआ उसका मदन रस लगा हुआ था और इस एहसास से वह पूरी तरह से मदहोश हो गई और प्रसन्नता के साथ अंकित नूपुर के घर से चला गया)
Ek baar phir Ankit beech main rah gaya...sayad yeh bilkul sahi raha ab raat main nani ki sath kuch hoga sayad
 

Enjoywuth

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Nani toh pura exp
पहली बार अंकित किसी की बुर में जाना था वरना अपने हाथ से अपना पानी निकाल कर अपनी जवानी की गर्मी को शांत करने की कोशिश करता रहा था अगर आज उसके घर नानी ना आई होती तो वह शायद संभोग के सुख से न जाने कितने महीने अनजान रहता,,,, वह अपनी नानी की बाहों में पसर गया था गहरी गहरी सांस ले रहा था अंकित की नानी भी संपूर्ण संतुष्टि का एहसास लिए चेहरे पर मादक मुस्कान बिखेर रही थी और गहरी गहरी सांस ले रही थी उसकी गहरी चलती सांसों के साथ उसकी चूचियां भी ऊपर नीचे हो रही थी जो कि अंकित की छाती पर अपनी चुभन का एहसास दिला रही थी,,,, दोनों एक दूसरे की बाहों में अपने-अपने अंगों से बदन रस की बूंदें टपका रहे थे,,, रह रह कर अंकित की कमर अभी भी ठोकर मार रही थी क्योंकि उसके लंड से रह रहकर अभी भी लावा बरस रहा था अंकित की नई संतुष्टि का एहसास लिए अंकित की पीठ को सहला रही थी मानो कि जैसे उसे शाबाशी दे रही हो इस अद्भुत कार्य को पूर्ण करने के लिए।



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कैसा लग रहा है अंकित,,,?(बालों में उंगली फिराते हुए,,,)

बहुत अच्छा लग रहा है नानी मैं तो कभी सोच भी नहीं सकता था की चुदाई में इतना मजा आता है सच में तुम्हारी बुर में मेरा पूरा लंड घुस गया था वरना मैं तो समझ रहा था की उंगली भी नहीं घुस पाएगी,,,,(अभी भी जानबूझकर अंकित अपना नादानी दिखाते हुए बोल रहा था)

इसीलिए कहती हूं मेरी हर एक बात माना कर,,,, और हां सच में तेरा लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा है जिस किसी औरत को चोदेगा वह पूरी तरह से तेरी गुलाम बन जाएगी,,,,।

गुलाम बन जाएगी मैं कुछ समझा नहीं,,

अरे बेवकूफ एक बार तेरा लंड किसी भी औरत की बुर में घुस गया तो वह बार-बार तुझसे चुदवाएगी,,,,।



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क्या तुम भी नानी,,,,!(अपनी नानी की तरफ सवालिया नजरों से देखते हुए अंकित बोला उसकी बात सुनकर उसकी नानी मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)

मैं भी तेरी गुलाम हो गई हूं सच में हम औरतों को क्या चाहिए तेरे जैसा मोटा और लंबा लंड जो बुर में घुस कर पानी पानी कर दे,,, और आज तुने वैसा ही किया है,,,,।

सच नानी,,,,

हां रे,,,,, तो पूरा मर्द बन चुका है,,,,, चल अब उठ मेरे ऊपर से मुझे बड़ी जोरों की पेशाब लगी है,,,,।
(इतना कहने के साथ है उसकी नानी उसके कंधे को पकड़ कर उसे अपने ऊपर से हटने लगी तो अंकित खुद ही अपनी नानी के ऊपर से हटने लगा लेकिन उसका लंड अभी भी उसकी नानी की बुर में घुसा हुआ था और पूरी तरह से खड़ा का खड़ा था बस हल्का सा ढीलापन उसमें आया था इसलिए वह धीरे से अपने लंड को अपनी नानी की बुर में से बाहर खींचा तो पक्क की आवाज के साथ बुर में से लंड बाहर निकल गया उसके खड़े लैंड को इस समय देखकर उसकी नानी बोली,,,)



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बाप रे देख तो सही एक बार झड़ चुका है लेकिन फिर भी खड़ा का खड़ा है,,,,,,।
(अंकित मुस्कुराता हुआ एक तरफ होकर बैठ गया था और उसकी कहानी उठकर पलंग के नीचे अपने पैर लटका कर बैठ गई थी और अंकित की तरफ देखते हुए बोली,,,)

कितना समय हो रहा है,,?

(अपनी नानी की बात सुनकर अंकित दीवार पर टंगी घड़ी की तरफ देखते हुए बोला,,,,)


3:00 बज गए नानी,,,,

बाप रे पहली बार इतना समय चुदाई में गुजरा है वरना 10-15 मिनट तो बहुत हो जाता है,,, सच में तुझ में बहुत दम है,,,(इतना कहने के साथ ही वह बिस्तर पर से उठकर खड़ी हो गई और नग्नवस्था में ही दरवाजे की तरफ जाने लगी उसे देखकर अंकित बोला ,,,,)

अरे नानी कपड़े तो पहन लो की नंगी ही बाहर जाओगी,,,,





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घड़ी में देख 3:00 बज रहा है ना अब इतनी रात को भला कौन उठने वाला है सब गहरी नींद में सो रहे होंगे और तुझे मैं बता दूं कमरे में नंगी होकर घूमने में मुझे बहुत अच्छा लगता है,,,।
(अपनी नानी की बात सुनकर उसका भी जोरों से धड़कने लगा अंकित को अपनी नानी की यह अदा बेहद लुभावनी लग रही थी लेकिन उसे डर भी लग रहा था कि कहीं कोई देख लिया तो गजब हो जाएगा इसलिए वह भी धीरे से बिस्तर पर से नीचे उतर गया और अपनी नानी से बोला,,)

लेकिन नानी यहां पर इस तरह से घूमना ठीक नहीं है अगर कहीं दीदी ने या मम्मी ने देख लिया तो गजब हो जाएगा,,,।




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तुझे लगता है कि कोई देख लेगा मैं जानती हूं इस समय सब गहरी नींद नहीं सोते हैं इसलिए तो बिल्कुल भी चिंता मत कर बस ट्यूब लाइट बंद कर दे,,,।
(अपनी नानी की बात सुनकर आंखें तो तुरंत ट्यूबलाइट का स्विच दबा दिया और कमरे में अंधेरा छा गया और उसकी नानी धीरे से कमरे का दरवाजा खोली और कमरे से बाहर निकल गई,,,, उसे अपने अनुभव पर विश्वास था वह जानती थी कि इस पहर सब गहरी नींद मे हीं सोते हैं,,,, अंकित के बदन में भी गुडदगुदाहट हो रही थी,,,, कमरे में वह भी पूरी तरह से नंगा इधर से उधर घूम रहा था और दरवाजे पर खराब इसलिए उसके बदन में भी अपनी नानी की नंगी गांड देखकर एक बार फिर से उत्तेजना की लहर उठने लगी थी वैसे तो कमरे के बाहर भी पूरी तरह से अंधेरा छाया हुआ था लेकिन कमरे के बाहर सड़क पर स्ट्रीट लैंप चल रहा था जिसकी रोशनी दरवाजे की दरार से अंदर की तरफ आ रही थी और इतना तो दिखाई दे ही रहा था कि वह अपनी नानी को देख सके उसके नंगे बदन को देख सके,,,,।





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अंकित इस बात से ही ज्यादा उत्तेजित हुआ जा रहा था कि वह खुद और उसकी नानी दोनों एकदम नग्न अवस्था में अपने कमरे के बाहर आ चुके थे अंकित का दिल बड़े जोरों से धड़क रहा था वह बार-बार अपनी मां के कमरे की तरह पर अपनी बड़ी दीदी की कमरे की तरफ देख रहा था लेकिन दोनों कमरे में एकदम सन्नाटा छाया हुआ था इसलिए उसे थोड़ी राहत महसूस हो रही थी और उसकी नानी अपनी कमर पर दोनों हाथ रखकर इधर-उधर अपनी कमर हिला कर अपने बदन को खींच तान रही थी,,, क्योंकि अंकित ने बिस्तर पर कुछ ज्यादा ही कसरत करवा दिया था,,,,, अपनी नानी को इस तरह से कमरे के बाहर नंगी खड़े देख कर अंकित बोला,,,,।

क्या हुआ नानी जल्दी करो ना,,,,(अंकित दबे श्वर में बोला था कि उसकी आवाज कमरे के अंदर ना पहुंच सके,,,,)

तू घबरा क्यों रहा है चिंता मत कर कुछ नहीं होने वाला,,,,,,(इतना कहकर वह बाथरूम का दरवाजा खोलने ही वाली थी कि अंकित को लगा कि दरवाजा खोलने की आवाज से शायद किसी की नींद खुल जाए इसलिए वह धीरे से बोला,,,)



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बाथरूम में मत करो नानी,,, यहीं बैठ जाओ,,,।

यहीं पर,,,,(उसकी नानी सवालिया नजरों से अंकित की तरफ देखते हुए बोली,,,)

हां नानी यहीं पर नाली बनी है निकल जाएगा बस थोड़ा पानी गिरा देना,,,,।

ठीक है,,,,(और इतना कहने के साथ है अंकित के गाने एकदम बेशर्मों की तरह बेशर्मी दिखाते हुए अंकित की आंखों के सामने ही बैठकर पेशाब करने के लिए और वैसे भी दोनों के बीच जिस तरह का रिश्ता बन चुका था उसे देखते हुए अंकित की नानी को अब अंकित से शर्म करने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं थी थोड़ी ही देर में अंकित के कानों में सिटी की आवाज गूंजी रही वह समझ गया की नई की बुर से पेशाब की धार निकल रही है और यह एहसास अंकित को फिर से उत्तेजित करने लगी और वह एक बार फिर से उत्तेजित होने लगा उसका लंड फिर से अपनी औकात में आने लगा,,,, अंकित की नानी अभी अपनी बुर से पेशाब कि धार मार ही रही थी कि अंकित की तरफ देखते हुए बोली,,,)





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तू भी कर ले यही खड़े होकर तुझे भी लगी होगी,,,,,(अंकित की तरफ नजर उठा कर देखते हो वह बोली और उसके नीचे अंकित के लंड पर चली गई जो की दरवाजे की दरार में से आ रही रोशनी में साफ दिखाई दे रहा था,,,, अपने नाती के झड़ने के बावजूद भी एक बार फिर से टनटनाए हुए लंड को देखकर वह मुस्कुराते हुए बोली,)

हाय दैया यह तो अभी भी खड़ा है रे,,,(इतना कहने के साथ है वह अपना हाथ आगे बढ़कर अंकित के लंड को पकड़ ली और उसे अपनी तरफ खींचते हुए बोली,,)

चल अब मैं तुझे पेशाब करवाती हूं जल्दी से करना शुरू कर दे,,,,(अंकित के लंड को अपनी हथेली में भरे हुए वह बोली,,,, एक अद्भुत एहसास अंकित के बदन में खुल रहा था अपनी नानी के द्वारा पकड़े गए लंड की गर्मी से वह खुद पिघलने लगा था और अपनी नानी की बात मानते हुए वह भी पेशाब करना शुरू कर दिया जिंदगी में पहली बार वह इस तरह से पेशाब कर रहा था जब कोई औरत उसके लंड को पकड़ी हो,, अंकित अपने मन में ही बोल रहा था की कितनी बड़ी छिनार है,,,, लेकिन छिनार ना होती तो उसे इतना मजा ना देती यह सोचते हुए वह पेशाब कर रहा था थोड़ी ही देर में दोनों पेशाब कर चुके थे लेकिन पेशाब करने की क्रिया के दौरान दोनों अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहे थे अंकित एक बार फिर से चुदाई के लिए तैयार हो चुका था और उसकी नानी चुदवाने के लिए,,,,




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अंकित की नई अंकित के लंड को छोड़ना नहीं चाहती थी वह उसके लंड को पकड़े हुए भी उसे वापस कमरे के अंदर ले गई,,, और अपने हाथ से ही दरवाजा बंद कर दी और अंकित से बोली,,,,।

चल अब लाइट चालू कर दे तु फिर से तैयार हो चुका है और मुझे भी पानी पानी कर रहा है एक बार फिर तुझसे चुदवाना पड़ेगा,,,।
(अपनी नानी की बात सुनकर वह मन ही मन प्रसन्न होने लगा क्योंकि एक बार फिर से उसे चुदाई का सुख मिलने वाला था,,, अपनी नानी की बात मानते हुए वह फिर से ट्यूबलाइट चालू कर दिया और पूरे कमरे में रोशनी फैल गई,,,, अंकित की ढाणी मुस्कुराते हुए बिस्तर की तरफ गई और बिस्तर पर चढ़े बिना ही बिस्तर पर अपने हाथ की कोहनी रखकर घोड़ी बन गई,,,, इस तरह के आसान को भी अंकित गंदी किताब के रंगीन पन्नों पर देख चुका था,,, इसलिए वह समझ गया कि उसकी नानी पीछे से लेना चाहती है,,,, लेकिन फिर भी नादान बनते हुए वह बोला,,,)





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यह कैसे नानी,,,!

अरे बुद्धू, (अपनी दोनों टांगों को खोलते हुए) तुझे मेरी बुर दिखाई दे रही है ना,,,


हां नानी एकदम चमक रही है,,,,।

बस अब इसी के अंदर पीछे से लंड डालना है मेरी कमर पकड़ कर,,,, जैसा अभी लेटे-लेटे कर रहा था वैसे अब तुझे खड़े-खड़े करना है,,,, समझगया ना,,,।

हां नानी समझ गया,,,(इतना कहने के साथ ही उत्तेजित अवस्था में प्रसन्नता के साथ वह आगे बड़ा और अपनी नानी की गुलाबी बुर को देखकर अपने लंड को पड़कर उसे पर टिका दिया और फिर अपनी कमर को आगे की तरफ ठेलने लगा,,, एक बार की घमासान चुदाई के बाद अंकित की नई की बुर में उसके लंड का सांचा बन चुका था इसलिए इस बार कोई भी दिक्कत पेश नहीं आई और बड़े आराम से देखते ही देखते अंकित का मोटा लंबा लंड पूरी तरह से उसकी नानी की बुर में घुस गया और वह अपनी नानी की कमर पकड़ कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया। इस आसन में भी अंकित को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और उसकी नानी को भी और इस बार भी तकरीबन आधे घंटे की जबरदस्त चुदाई के बाद दोनों एक बार फिर से झड़ गए और नंगे ही एक दूसरे की बाहों में गहरी नींद में सो गए सुबह जब प्रीति दरवाजे पर दस्तक देने लगी तो उसकी नानी की नियत एकदम से खुल गई और जब अपने और अपने नाती की तरफ देखी तो दोनों बिना कपड़े के सो रहे थे,,,,, इसलिए वह थोड़ी समझदारी दिखाते हुए बिस्तर पर से ही बोली,,,)


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हां तृप्ति तू जा में आ रही हुं,,,(और उसके जाने के साथ ही अंकित की नानी अंकित को भी जगा दी दोनों जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहन कर व्यवस्थित हो गए और कमरे से बाहर आकर अपनी दिनचर्या में लग गए किसी को कानों कान खबर नहीं पड़ी की रात भर कमरे में अंकित और उसकी नानी के बीच काम लीला चल रही थी।)
Nani toh pura expert bana kar hi jayegi jis se ke unke jate hi Ankit apni maa ka bharpur number lagayega
 

Sanju@

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अंकित कपड़े डालने के लिए छत पर चला गया था,,, और वहां पर अपनी मां के बारे में अपने मन में ही विचार विमर्श कर रहा था उसे इतना तो समझ में आ गया था कि उसकी मां उससे क्या चाहती है बस दोनों आगे बढ़ने से अपने आप को रोक रहे थे,,, हालांकि दोनों ही आगे बढ़ना चाहते थे बस दोनों के बीच मां बेटे की जो दीवार थी यह रिश्ते की दीवार दोनों चाह कर भी गिरा पाने में असमर्थ हो जा रहे थे।और यही उनकी सबसे बड़ी समस्या अभी बन चुकी थी क्योंकि दोनों के बीच बहुत कुछ घट रहा था मां बेटे के रिश्ते के बीच जो एक पवित्र रिश्ता होता हैघर में काम करते समय एक दूसरे से बातें करते समय लगता ही नहीं था कि जैसे दोनों मां बेटे हो ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई आपस में गहरे दोस्त हो,,,, छत पर कपड़े डाल लेने के बाद बाल्टी हाथ में लेकर अंकित नीचे उतर आया था और जैसे ही घर के पिछले हिस्से की ओर आगे बढ़ा तो अंदर की तरफ अपनी मां को देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई वह मंत्र मुग्ध सा अपनी मां को देखता ही रह गया,,,,।





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कुछ देर पहले जिस अवस्था में वह अपनी मां को छोड़कर गया था वापस आने पर उसकी मां उस स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी,, अंकित की आंखों के सामने उसकी मां बेहद कामुक अवस्था में खड़ी थी इस अवस्था में उसे जो कोई भी देख लेता तो शायद बिना कहे उसके लंड से पानी फेंक देता,,,, ऐसी स्थिति में सुगंधा को देखने का मतलब था कि अपने लंड की हालत खराब कर लेना,,, इस हालत में एक औरत को देखकर कुछ भी करने को तैयार हो जाना,,, इस तरह की स्थिति में अपनी मां को देखकर वाकई में अंकित की हालत खराब हो गई थी उसकी आंखें आश्चर्य से चौड़ी हो गई थी मुंह खुला रह गया था और सांसों की गति मानो थम सी गई थी अपनी मां के रूप यौवन को देखकर अंकित को अपनी आंखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था,,,, वाकई में रूप भी ऐसा थाअदाएं भी ऐसी थी कि देखने वाला देखता ही रह जाए इसमें अंकित की कोई गलती नहीं थी दरअसल सुगंधा ने अपने वस्त्र उतार कर रूप ही एसा धारण कर ली थी कि देखने वाला मंत्र मुग्ध हो जाए पूरी तरह से मदहोश हो जाए बिना पिए ही कर बोतलों का नशा उसकी आंखों में उतर आए,,,,इसीलिए तो हाथ में बाल्टी लिए हुए अंकित सब कुछ भूल कर अपनी मां को ही देख रहा था और वह भी प्यासी और वासना भरी नजरों से क्योंकि इस तरह का नजारा कोई प्यार भरी नजर से देख ही नहीं सकता,,,आंखों के सामने जब एक जवानी से भरी हुई औरत अर्धनग्न अवस्था में खड़ी हो उसका हर एक अंग एक अद्भुत उभार लिए हुए हो,,, जिसे देखकर मन में उमंग जाग जाती हो तो भला इस तरह के नजारे को कोई प्यार भरी नजर से कैसे देख सकते हैं इस तरह के नजारे को देखते हैं आंखों में वासना और हवस जागना निश्चित ही है।




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यही हाल अंकित का भी था,,,,अंकित के छत पर जाते ही सुगंधा के मन में ढेर सारी बातें चल रही थी वह आगे की युक्ति अपने मन में बना रही थी और एक मर्द को अपने जवानी के मोह पास में कैसे बांधना है यह कला शायद हर एक औरत को आती ही है इस कला में हर एक औरत पारंगत होती ही है जिसमें सुगंधा भी बिल्कुल परे नहीं थी,,,, वह पूरी तरह से अपने बेटे को अपनी जवानी के जाल में फंसा लेना चाहती थी,, इसलिए वह अंकित के छत पर जाते ही अपनी साड़ी उतार कर एक तरफ रख दी और अपने ब्लाउज का बटन खोलकर जल्दी से अपना ब्लाउज अपनी बाहों में से निकाल कर उसे भी अलग कर दी,,, ब्रा उसने पहनी नहीं थी इसलिए ब्लाउज उसके उतरते ही उसके दोनों कबूतर फड़फड़ाने लगे,,, अपनी नंगी चूचियों की तरफ बहार प्यार भरी नजर से देखकर से दोनों हाथों में भर ली और उसे हल्के से दवाई उसके मुंह से हल्की सी कराह निकल गईऔर अपने मन में सोचने लगी कि जिस दिन यह चूचियां उसके बेटे की मजबूत हथेलियां में आएंगे तो वह दबा दबा कर इनका रस निचोड़ डालेगा,,,, अपने मन में ऐसा सोचकर वह उत्तेजना से गदगद होने लगी,,, और फिर अपनी दोनों चूचियों को अपनी दोनों हथेलियां से आजाद कर कर वह अपने पेटिकोट की डोरी खोलने लगी,,,, उसका दिल जोरो से धड़क रहा था,,,सुबह में ही वह अपने बेटे को याद कर उत्तेजना के मारे पेटिकोट की डोरी को कुछ ज्यादा ही जोर से गीठान मार दी थीजिससे इस समय उसे खोलने में थोड़ी परेशानी आ रही थी लेकिन फिर भी जैसे तैसे करके वह अपने पेटिकोट की गिठान को खोल दी थी,,,, पेटिकोट की डोरी को खोलते समय उसके मन में ढेर सारी बातें चल रही थी वह क्या करना है क्या नहीं करना है इस बारे में निर्णय नहीं ले पा रही थी हमें कैसे मालूम ही था कि उसे क्या करना है लेकिन फिर भी वह थोड़ा हिचकिचा रही थी,,,।





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पेटिकोट की डोरी खोलते हुए वह अपने मन में सोच रही थी कि,,, पेटिकोट उतारकर नंगी हो जाए तो मजा आ जाता,,, अंकित जब नीचे आएगा तो उसे देखेगा तो पागल हो जाएगा उसे पूरी तरह से नंगी देखकर जरूर कुछ ना कुछ करेगा लेकिन फिर अपने ही फैसले पर वह थोड़ा सोच विचारने लगीतो वह अपने आप से ही बोली नहीं इस तरह से अपने बेटे से एकदम से खुलकर सामने आ जाने का मतलब था कि उसका बेटा उसके बारे में कुछ गलत समझेगा उसे लगने लगेगा कि उसकी मां दूसरी औरतों की तरह गंदी है और शायद इस बारे में भी शंका करने लगेगा कि,,,,हो सकता है बाहर दूसरों के साथ उसके संबंध भी हो अगर इस तरह का उसके बारे में सोचने लगा तब वह तो अपने आप की नजरों में ही गिर जाएगीनहीं नहीं ऐसा नहीं होगा जैसा चल रहा है वैसे ही चलने देगी धीरे-धीरे इस खेल में आगे बढ़ेगी,,,, और यह सोचते हुए वह पेटिकोट की डोरी को ढीली करके दोनों हाथों की उंगलियों का सहारा लेकर कमर पर कसी हुई पेटीकोट को एकदम से ढीली कर दी,,,और पूरी तरह से पेटीकोट को उतार कर नंगी हो जाने के अपने ही निर्णय को स्थगित करते हुए पेटिकोट को दोनों हाथों से पकड़ कर ऊपर की तरफ ले गई और अपनी नंगी चूची यो तक लाकर उसकी डोरी को अपनी दोनों चूचियों के बीच बांधकर गिठान लगा दी,,,, सुगंधापेटिकोट की डोरी को नापतोल कर अपनी छाती से बंधी थी वह अपनी दोनों चूचियों के आदि हिस्से पर पेटीकोट कोलाकर बांध दी थी जिससे उसकी आधे से ज्यादा चूचियां एकदम साफ नजर आ रही थी और पेटीकोट के बीच का जो कटा हुआ हिस्सा था वह उसकी दोनों चूचियों के बीच आता था जिससे उसकी दोनों चूचियों की गोलाई एक तरफ से एकदम साफ दिखाई देती थी,,,जिस पर एक नजर डालकर वह पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी कि उसका बेटा अगर देखेगा तो दोनों चूचियों के बीच वाला हिस्सा उसे साफ तौर पर दिखाई देगा,,,,




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इस तरह से वह अर्धनग्न अवस्था मेंआकर पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी अपने बेटे पर अपनी जवानी का जलवा बिखरने के लिए और इस पर सोने पर सुहागा यह था कि उसने जल्दी-जल्दीदो मग पानी अपने ऊपर डाल चुके थे जिससे अपनी पकड़ उसका पेटिकोट उसके बदन से एकदम से चिपक गया था जिससे उसकी दोनों चूचियां एकदम साफ तौर पर झलक रही थी,,,, अपने इस रूप यौवन से सुगंधा पूरी तरह से संतुष्ट थी,,, अपने बदन को भिगोकरअपनी नजर को अपने पैरों से लेकर के ऊपर तक घूम कर देख रही थी अपने खूबसूरत अंगों को देख रही थी जो की देखने की वजह से पेटीकोट में होने के बावजूद भी एकदम साफ तौर पर दिखाई दे रहे थे,,,, उसे अपनी चुचियों का वह छोटा सा चॉकलेट जैसा छुहारा एकदम साफ दिखाई दे रहा था जो की गीली पेटीकोट में एकदम से ऊपस गया था,,, और उत्तेजना के मारे किसी भाले की नौक की तरह नजर आ रहा था। और अपनी कड़ी हो चुकी निप्पल का जायजा लेने के लिए वह अपने दोनों हाथ से दोनों चूचियों की निप्पल को पेटिकोट के ऊपर से ही दोनों हाथों की उंगलियों और अंगूठे के बीच लेकर उसे मसलते हुए देख रही थी और उसे थोड़ा सा औरकड़क करने की कोशिश कर रही थी ताकि उसके बेटे की नजर उसे पर बढ़िया आराम से पढ़ सके और वह अपनी मां की जवानी को देखकर पानी पानी हो जाए,,,, अपने हाथों की हरकत से वाकई में उसकी चूची की निप्पल और ज्यादा कड़क हो गई जोकि पेटिकोट के मोटे कपड़े में से एकदम साफ दिखाई दे रही थी, अपने आप को देखकर सुगंधा पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी,,,वह जानती थी कि उसका बेटा उसके रूप को देखकर उसके खूबसूरत दन को देखकर पूरी तरह से पागल हो जाएगा,,।




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और वाकई में उसका सोचना ठीक भी था अंकित को नहीं मालूम था की छत परजाने और आने घर में उसकी मां का रूप इस कदर बदल जाएगा वैसे तो उसके लिए मां का रूप हर हाल में बेहद कामुक और खूबसूरत होता है लेकिन इस समय बात कुछ और ही थी,,,, अंकित को तुरंतउसके दोस्त के द्वारा दिखाई गई गंदी किताब का वह चित्र याद आ गया जिसमें एक औरत सावर के नीचे खड़ी थी और वह भी बिना कपड़ों के एकदम नंगी उसका बदन भी उसकी मां की तरह ही गदराया हुआ था,,, देखने में भीवह उसकी मां की तरह ही दिखाई दे रही थी उसे समय भी उसे चित्र को देखते हुए अंकित कुछ देर तक इस पन्ने पर ठहर गया था और आज इस अवस्था में अपनी मां को देखकर उसे गंदी किताब का वह चित्र याद आ गया था,,, दोनों में पूरी तरह से साम्यता नजर आ रही थी,,, बस कुछ चीज बदली हुई थी वह बाथरूम के अंदर थी और इस समय उसकी मां घर के पीछे जो की बाथरूम जैसा ही था लेकिन खुला हुआ था उसमें दरवाजा नहीं था और वह बिना कपड़ों की थी एकदम नंगी और इसमें उसकी मां के बदन पर केवल एक पेटिकोट ही था और वह भी पानी से भीगा हुआ। इस खूबसूरत नजारे को देखकर अंकित पूरी तरह से भौंचक्का हो गया था,,,, बहुत प्यासी नजरों से अपनी मां को देख रहा था और एकदम खामोश हो गया था ताकि उसकी मां को उसके आने की भनक तक ना लगे।




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लेकिन ऐसा सोचना अंकित का था उसकी मां को सीडीओ से उतरते हुए उसके आने की आहट का एहसास हो गया था और वह तुरंत दीवार की तरफ मुंह करके खड़ी हो गई थी और नहा रही थी,,, इस समय अंकित के सामने उसकी मां की गांड थी और वह आधी दिखाई दे रही थी,,, और वह भी सुगंधा जानबूझकर अपने बेटे की आहट पाते हीअपनी पेटीकोट को हल्का सा अपनी गांड के आधे भाग तक उठा दी थी ताकि उसकी आधी गांड उसका बेटा बड़े आराम से देख सके,,,, और उसकी सारी युक्ति काम कर रही थी अंकित तो अपनी मां की मद-मस्त कर देने वाली गांड को देखता ही रह गया था। जो पानी में भीगने की वजह से और भी ज्यादा नशीली लग रही थी,,,बार-बार अपने ऊपर पानी डालने की वजह से पेटिकोट फूटी तरह से उसकी कमर के ऊपर हिस्से से चिपक गई थी जिससे उसकी मां का यह रूप और भी ज्यादा मादकता लिए हुए दिखाई दे रहा था,,,, गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड की फांक के बीच से गिरता हुआ पानी,,,ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी झरने से पानी गिर रहा हो अंकित का तो मन कर रहा था कि अपनी मां की गांड के नीचे बैठकर अपने होंठों को खोलकर गिरने वाले पानी को पीकर अपनी प्यास बुझाने लेकिन वह जानता था कि,,,, इस तरह से उसकी प्यास बुझने वाली नहीं है इस तरह से तो उसकी प्यास और भी ज्यादा भड़क जाएगी,,,।अंकित की हालात पूरी तरह से खराब हो रही थी उसे ऐसा लग रहा था कि उसकी मां को उसके आने के एहसास तक नहीं है लेकिन उसकी मां को सब मालूम था कि ठीक उसके पीछे खड़े होकर उसका बेटा उसके खूबसूरत गदराई जवानी के रस को अपनी आंखों से पी रहा है।




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इस खूबसूरत मादकता से छलकते हुए नजारे को देखकर अंकित पेट के ऊपर से ही अपना लंड को दबा रहा था वह अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं कर पा रहा था,,, इतना तो वह अपनी मां को देखकर ही समझ गया था कि उसकी मां अपनी साड़ीऔर ब्लाउज को उतार फेंकी थी पेंटी तो वह घर के अंदर ही ना जाने कब उतार दी थी उसे मालूम ही नहीं पड़ा था और उसने आज ब्रा पहनी ही नहीं थी,,,,और किस तरह से भीगे हुए पेटीकोट में उसकी मां का अंग झलक रहा था उसे देखकर अंकित अपने मन में ही बोल रहा था कि इससे अच्छा तो पेटीकोट भी उतार देती तो मजा आ जाता और वैसे भी पेटिकोट बदन पर डाले रहने का कोई मतलब नहीं है सब कुछ तो दिखाई दे रहा है,,,,अंकित को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां अपनी पेटीकोट को अपनी छाती तक लाकर बांध दी थी और उसका पेटिकोट उसकी कमर के नीचे तक ही पहुंच रहा था पानी में भीगने की वजह से वह पूरी तरह से उसके बदन से चिपक गया था अगर वह सुख होता तो शायद उसकी बड़ी-बड़ी नंगी गांड पेटिकोट के परदे में छुप जाती लेकिन होने की वजह सेसब कुछ दिखाई दे रहा था पेटिकोट का आकार भी छोटा पड़ गया था उसकी मां की बड़ी-बड़ी गांड को ढकने में,,,, ललचाई आंखों से अपनी मां की तरफ देख कर अंकित की हालत खराब हो रही थी और वह अपने मन में सोच रहा था कि,,,, अब वह क्या करेंयह तो किसी भी औरत की तरफ से एक जवान लड़के के लिए खुला आमंत्रण है क्योंकि अगर इस तरह का आमंत्रण एक औरत अपनी तरफ से ना दे तो वह इस तरह से अर्ध नग्न अवस्था में कभी नहीं नहाएगी,,,।एक औरत एक जवान मर्द के सामने इस अवस्था में तभी आती है जब उसे उसे मर्द से कुछ लाभ मिलता हो,,,,।





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और एक मां तो कभी भी इस तरह की हरकत अपनी बेटी के सामने बिल्कुल भी नहीं करेगी खासतौर पर तब जब उसका बेटा पूरी तरह से जवान हो चुका होउसका लंड बार-बार खड़ा हो जाता हो और उसका लंड पूरी तरह से सक्षम हो किसी भी औरत की प्यास बुझाने में,,,, इतना तो समझ ही गया थाअंकित की उसकी मां यह सब हरकत अनजाने में नहीं बल्कि जानबूझकर कर रही है जो कुछ भी वह उसे दिखाना चाह रही है। वह उसे खुलकर दिख रही है यह एक तरह से उसकी तरफ से इशारा है जो कि वह समझ भी रहा है लेकिन आगे बढ़ने से घबरा रहा है,,,, अपनी मां की नंगी गांड देखकर वह बार-बार पेट के ऊपर से ही अपने लंड को मसल रहा था दबा रहा था,,, और सुगंधा बार-बार पानी अपने ऊपर डाल रही थी।तभी उसकी मां जानबूझकर अपने दोनों हाथ को पीछे की तरफ लाकर अपनी गांड की दोनों आंखों पर अपनी हथेली रखकर उसे सहलाते हुए गांड को मलने का नाटक करने लगीऔर यह देखकर उत्तेजना बस अंकित की हालत और ज्यादा खराब हो गई और उसके हाथों से बाल्टी छूट गई,,,,बाल्टी की आवाज सुनकर सुगंधा के तन-बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी क्योंकि यही सही मौका था अपने बेटे की तरफ घूमने का और वह एकदम से अपने बेटे की तरफ घूमते हुए बोली,,,।





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montage photo pour fb
तू कपड़े डाल कर आ गया अंकित,,,,(इतना कहते ही वह अपने बेटे की तरफ घूम गई और इस ओर से अपनी मां का रूप उसकी मदमस्त जवानी देखकर अंकित की हालत फिर से खराब हो गई,,,
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है अंकित की तो हालत ही खराब कर दी सुगंधा ने अपनी जवानी का जलवा दिखा दिया
 
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अंकित की नानी अंकित को ब्लाउज का बटन खोलने के लिए बोल रही थी क्योंकि जिस तरह से अंकित अपनी नानी का ब्लाउज खोल रहा था उससे ब्लाउज फटने की संभावना पूरी तरह से बढ़ जा रही थी और अंकित की उत्तेजना और उसकी उत्सुकता देखकर अंकित कि नानी भी पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी,,,, अंकित की नानी को एहसास होने लगा था कि उसकी दी हुई शिक्षा काम आ रही थी अंकित एक ही रात में बहुत कुछ सीख गया था इसीलिए तो उसके होठों को बिल्कुल भी अपने होठों से अलग नहीं कर रहा था उसके होठों का रस पीता हुआ वह अपनी नानी की बात मानकर उसके ब्लाउज का बटन खोलना शुरू कर दिया था,,, अंकित का दिल जोरो से धड़क रहा था उसकी उत्तेजना संपूर्ण रूप से परम शिखर पर थी, वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था। ब्लाउज का बटन खोलने में भी उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी वैसे तो वह अपनी मां के कपड़े अपने हाथों से उतार चुका था लेकिन आज पहली बार उसे अपनी नानी का ब्लाउज का बटन खोलने का अवसर मिल रहा है इसलिए उसकी उत्सुकता और उत्तेजना अद्भुत होती चली जा रही थी।





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अंकित की नानी की चुचिया बड़ी-बड़ी थी और चूचियों के आकार की अपेक्षा ब्लाउज का आकर थोड़ा छोटा था इसलिए वह बड़े कस के बटन को बंद की थी जिसे उतारने में अंकित के पसीने छूट रहे थे,,,, अंकित ऊपर के दो बटन खोल चुका था तीसरा बटन खोलने में उसे बड़ी जहमत उठानी पड़ रही थी,,,, यह देखकर उसकी नानी बोली,,,।

क्या करता है अंकित तू औरत का ब्लाउज का बटन नहीं खोल पा रहा है तो उसे खुश कैसे कर पाएगा,,,,


कुछ नहीं नानी लगता है कि ब्लाउज बहुत कस हुआ है,,,(अपने होठों को अपनी नानी के होठों से अलग करता हुआ वह बोला और उसकी बात सुनकर उसकी नानी बोली,,,,)

ब्लाउज कसा हुआ नहीं है मेरी चूचियां बड़ी-बड़ी है,,,, क्या तुझे नहीं लगता कि मेरी चूची बड़ी है,,,।

लगता तो है नानी एकदम खरबूजे की तरह है,,,,(ब्लाउज के चौथे बटन को खोलता हुआ वह बोला और जैसे ही चौथा बटन खुला उसके चेहरे के मुस्कान बढ़ने लगी,,,)

तुझे छोटी-छोटी चूची अच्छी लगती है कि बड़ी बड़ी,,,,।

पहले तो ऐसा कुछ भी नहीं था नई लेकिन कल रात से सब कुछ बदलता हुआ नजर आ रहा है मुझे तो तुम्हारी बड़ी-बड़ी चूची अच्छी लगती है,,,(आखरी बटन को खोलने का प्रयास करता हुआ अंकित बोला उसकी बात सुनकर उसकी नानी मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,,, और अगले पल अंकित अपने प्रयास को सफल करता हुआ अपनी नानी के ब्लाउज के सारे बटन को खोल चुका था और उसके दोनों पल्लू को पकड़ कर एक दूसरे से अलग कर दिया था ब्लाउज के खुलते ही अंकित की नई की बड़ी-बड़ी चूचियां एकदम से हवा में लहराने लगी ऐसा लग रहा था कि मानो जैसे कबूतर कैद से आजाद हो गए हो,,, अपनी नानी की बड़ी-बड़ी चूचियों की तरफ देखकर मुस्कुराता हुआ अंकित बोला,,,)





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सच में नानी तुम्हारी चुची बहुत खूबसूरत है,,,।

तेरे लिए ही है जैसा मन करे वैसा इसके साथ खेल,,,,।
(इतना सुनते ही अंकित अपने दोनों हाथों को आगे बढ़कर अपनी नानी की चूचियों पर रख दिया और गहरी सांस लेता हुआ उसे दबाना शुरू कर दिया अंकित की हथेलियों में पूरी तरह से मर्दाना ताकत भरी हुई थी, जिसका एहसास अंकित के नानी को भी अच्छी तरह से हो रहा था अंकित उत्तेजना के चलते बड़ी जोर-जोर से उसकी चूचियों को मसल रहा था दबा रहा था उसके पेंट में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था जिसे देखकर उसकी नानी का बुर का पानी पिघल रहा था,,,, अंकित की नानी से रहा नहीं गया और वह पेट में बने तंबू को अपने हाथ में पकड़ ली और उसे जोर-जोर से पेट के ऊपर से ही मसलना शुरू कर दी जिससे अंकित की हालत और ज्यादा खराब होने लगी,,,

अंकित तो अपनी नानी की बड़ी-बड़ी चूचीयो को अपने हाथ में लेकर पागल हो गया था कुछ अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि वाकई में औरत की चूचियों से खेलने में कितना मजा आता है,,, और से जोर-जोर से मसलता हुआ वह धीरे से अपने होठों को चूचियों की तरफ ले गया उसे मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया अंकित की हरकत से उसकी नानी उत्तेजना और प्रसन्नता से गदगद हुए जा रही थी क्योंकि उसकी नानी को लगने लगा था कि आज उसे कुछ सीखाने की जरूरत नहीं है,,,, अंकित अपनी हरकतों से अपनी नानी का पानी छुडा रहा था,,,, वह बारी-बारी से अपनी नानी की दोनों चीजों को मुंह में लेकर पी रहा था उसकी कड़ी निप्पल को कैडबरी चॉकलेट की तरह अपने दांतों के बीच लेकर दबा दे रहा था और जब-जब अंकित यह हरकत करता था तब तक अंकित की नानी के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगती थी,,,,।




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आज भी कमरे में ट्यूबलाइट चल रही थी उसके दूधिया रोशनी में सब कुछ साफ दिखाई दे रहा था।
अंकित अपने मन में यही सोच रहा था कि अच्छा हुआ आज भी ट्यूब लाइट जल रही है क्योंकि अंधेरे में अपनी नानी का खूबसूरत नंगा बदन वह देख नहीं पाता ,,, बस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उसके घर में बाकी के सभी लोग गहरी नींद में सो रहे होंगे क्योंकि उसकी आंखों के सामने ही उसकी मां पेशाब करने के बाद अपने कमरे में सोने के लिए गई थी उसकी बहन तृप्ति तो पहले ही अपने कमरे में जाकर सो रही थी इस समय सिर्फ उसकी नानी और वह खुद जाग रहे थे उन दोनों की आंखों से नींद कोसों दूर जा चुकी थी क्योंकि समय दोनों जवानी का मजा लूट रहे थे,,, अंकित पागलों की तरह अपनी नानी की चूची को दबा भी रहा था उसे मुंह में लेकर पी रहा था ऐसा लग रहा था कि बरसों की हसरत को हुआ आज ही पूरी कर लेना चाहता हो,,, और अक्सर अंकित की नानी को ऐसे ही मर्द पसंद रहते हैं जो औरत के हर एक अंग से जी भर कर खेलें जी भर कर प्यार करें और अंकित वैसा ही कर रहा था,,,।





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कुछ देर तक किसी तरह से अपनी नानी की चूची से खेलने के बाद अंकित अपनी नानी को पूरी तरह से लग्नावस्था में देखना चाहता था उसके बदन से बाकी के वस्त्र को उतार कर उसे पूरी तरह से नंगी कर देना चाहता था और वैसे भी अंकित की नई की तरफ सबसे पूरी छूट मिली हुई थी आज की रात में उसकी नानी के लिए उसका पति था और वह अपनी नानी के साथ एक बीवी की तरह,,, अपनी नानी की चूचियों से मुंह हटाने के बाद वह गहरी गहरी सांस लेता हुआ अपनी नानी की तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था उसकी नानी भी उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी अंकित की नानी को है लगने लगा था कि उसका नाती आज सफल हो जाएगा,,, वह भी मदहोश हुए जा रही थी उसे भी अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि उसकी बुर से पानी निकल रहा है,,,,,,, अपनी नानी के द्वारा दिए गए छुट का फायदा उठाते हुए वह अपनी नानी की बाहों को दोनों हाथों से पकड़ा और उसे बिस्तर पर से खड़ी करने लगा उसकी नानी भी उसका इशारा समझ कर बिस्तर पर से उठकर खड़ी हो गई वह मुस्कुरा रही थी वह देखना चाहती थी कि उसका नाती अब क्या करता है,,,,।






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उसकी नानी एकदम हैरान हो गई जब अंकित उसका हाथ पकड़ कर एकदम से उसके पीछे चला गया और पीछे से उसे अपनी बाहों में जाकर लिया पीछे से वह अपने दोनों हाथों को अपनी नानी की चूची पर रखकर से दबाते हुए उसके गर्दन पर चुंबन करने लगा यह अंकित की नानी के लिए हैरान कर देने वाली बात थी क्योंकि यह समर्थ तभी करता है जब वह पूरी तरह से औरत को समझने लगता है उसे औरत को खुश करने का हर एक कला आती हो लेकिन यह सब तो अंकित के लिए पहली बार था कल रात वह जितना सिखाई थी यह उससे ज्यादा ही था,,,, लेकिन अंकित की हरकत उसे आनंदित कर रही थी अंकीत उसे पीछे से अपनी बाहों में भरकर उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों को मसलते है उसके गर्दन पर चुंबन करते हुए पीछे से ही अपने लंड को उसकी गांड के बीचों बीच चुका रहा था जिसका हिस्सा अंकित को भी था और अंकित की नानी को भी अंकित की नानी पूरी तरह से मचल रही थी मदहोश हो रही थी,,, अंकित की रानी को अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि उसका लंड किसी भाले से कम नहीं था जो बड़े आराम से गांड के बीचों बीच साड़ी के ऊपर से भी पहुंच जा रहा था,,,। अंकित की हरकत से अंकित की नानी की सिसकारी छूट रही थी,,,।

सहहहह आहहहहहहह,,,,अंकीत मेरे राजा तू तो एक ही रात में पूरा मर्द बन गया है,,,,,आहहहहह,,,,,।






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(अपनी नानी के मुंह से कहे गए इस शब्द को सुनकर उसका हौसला बढ़ने लगा था उसकी हिम्मत बढ़ने लगी थी वह मन ही मन बहुत खुश हो रहा था और इस बात की खुशी उसके मन में और ज्यादा थी कि अच्छा हुआ उसकी नानी उसे यह सब सीख रही है अगर उसे सच में मौका मिल गया अपनी मां की चुदाई करने का तो अपनी नानी के साथ जो कुछ भी सीखा है वह उसका पूरा उपयोग अपनी मां के साथ करेगा और उसे पूरी तरह से खुश कर देगा,,,, अपनी नानी की गर्दन पर चुंबनों की बौछार करते हुए अपनी नानी की साड़ी को खोलने लगा,,, यह उसकी नानी के द्वारा उसके हिम्मत की तारीफ करने का ही नतीजा था जो अंकित इस कदर अपनी नानी के साथ खुलने लगा था,,, अंकित की नई अच्छी तरह से समझ रही थी कि अंकित उसे पूरी तरह से नंगी देखना चाहता है उसके नंगे बदन का दर्शन करना चाहता है,,,, अपनी नानी की साड़ी को खोलने लगा और अगले ही पल अपनी नानी की साड़ी को खोलकर वह साड़ी को जमीन पर गिरा दिया,,,,।






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इन सब के बावजूद अभी भी उसके बदन पर ब्लाउज टिका हुआ था और उसकी नग्नता को छुपाने के लिए पेटिकोट उसके बदन पर अभी भी बरकरार था,,,, अंकित अपने दोनों हाथों से अपनी नानी का ब्लाउज पकड़ कर उसकी बाहों से उसे अलग करने लगा उसकी नानी भी इसमें उसका सहयोग करने लगी अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ कर दी ताकि बड़े आराम से अंकित उसके ब्लाउस को उधर सके और अगले पर वह अपनी नानी के बदन पर से ब्लाउज को भी उतार कर नीचे जमीन पर गिरा दिया था अब केवल पेटिकोट उतरना बाकी रह गया था लेकिन पेटिकोट उतारते से पहले वह एक बार फिर से अपनी नानी के बदन से सट गया और अपनी हथेली को सीधे-सीधे उसके पेटिकोट के ऊपर से ही उसकी बुर पर रख दिया और उसे पेटिकोट के ऊपर से ही मसलनी शुरू कर दिया अंकित की नानी को बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि अंकित इस तरह की हरकत कर देगा,,, इसलिए वह एकदम से मदहोश हो गई थी और मदहोशी भरे स्वर में बोली।


सहहहहह आहहहहहह,,,,, अंकित तू तो पूरा चालू है मैं कभी सोचती नहीं थी कि तू एक ही रात में इतना कुछ सीख जाएगा,,,।

जब सिखाने वाली तुम जैसी गुरु हो नानी तब चेला कैसे आगे नहीं बढ़ पाएगा,,,(अंकित इस तरह से पेटीकोट के ऊपर से ही अपनी नानी की बुर को मसलता हुआ बोला और अपनी बात को आगे बढ़ाता हुआ बोला,,,) नानी तुम्हारी बुर तो बहुत गीली गीली लग रही है कहीं पेशाब तो नहीं कर दी हो,,,,।

कल तुझे बताई थी,, यह पेशाब नहीं है जब औरत मत हो जाती है तो इसी तरह से लार टपकती है जैसे स्वादिष्ट भोजन देखकर मुंह में पानी आ जाता है ना उसी तरह से जब लगने लगता है कि औरत को मजा आने वाला है तभी इसी तरह से बोलने से लार टपकने लगता है समझा कि नहीं,,,,।





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ओहहह नानी बिल्कुल समझ गया,,,,, अब तो मैं तुम्हारी बुर का पानी निकालते हुए देखना चाहता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही अंकित अपनी नानी के पेटीकोट की डोरी को अपने हाथ में पकड़ लिया और उसे ज़ोर से एक झटके से खींच दिया अगले ही पल अंकित की नई की पेटिकोट एकदम से ढीली हो गई लेकिन फिर भी उसकी कमर पर टिकी हुई थी जिसे अंकित अपने दोनों हाथों की उंगलियों का सहारा देकर उसे कमर पर से ढीला किया और उसे उसी अंदाज में ऊपर से ही नीचे छोड़ दिया और अगले ही पल पेटिकोट उसके कदमों में जा गिरा,,,, लेकिन अंकित एकदम से हैरान हो गया जब देखा कि उसकी नानी पैंटी पहनी हुई थी यह देखकर उसके चेहरे पर उत्तेजना और मदहोशी के भाव और भी ज्यादा बढ़ गए और वह अपनी नानी से बोला,,,,)

क्या बात है नानी आज तो तुम पैंटी पहनी हो,,,,।

तेरे लिए ही पहनी हूं शायद तु नहीं जानता मर्द जब औरत के कपड़े उतारता है तो उसकी चड्डी उसकी पेंटि उतारने में उसे और भी ज्यादा मजा आता है और मुझे पूरा यकीन है कि तू मेरे बदन पर मेरी पैंटी देखकर और भी ज्यादा मस्त हो गया होगा।





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क्या बात है नई बिल्कुल सही नहीं तो हैरान हो गया तुम्हारे बदन पर पेटी देखकर इसे सच में अपने हाथों से उतारने में बहुत मजा आएगा,,,,(ऐसा कहते हुए अंकित को उसकी मां याद आ गई जब वह दवा खाने में अपने हाथों से अपनी मां की पेंटिं उतारा था,,, लेकिन वह दवा खाना था और आज वह अपने घर में है और आज वह अपनी मां की नहीं बल्कि अपनी नानी की पेंटिं उतारने जा रहा है जिसके साथ कुछ भी करने कि उसे इजाजत प्राप्त है,,,, अपनी नानी को पेंटि में देखकर एक बार फिर से उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और बार फिर से उसे एकदम से अपनी बाहों में भर लिया और इस बार वह आगे से उसे अपनी बाहों में भर लिया था,,,, उसके लाल लाल होठों का रसपान करते हुए वह पेंटी के उपर से ही अपने लंड को उसकी बुर पर धंसा रहा था,,,,अंकीत की हरकत उसकी नानी को बावली बना रही थी,,,। अंकित की नानी सोची भी नहीं थी कि अंकित इतना कुछ उसके साथ करेगा और वाकई में वह एक मर्द की तरह ही उसके साथ पैस आ रहा था औरतों को जिस जिस हरकत से आनंद प्राप्त होता है वही हरकत अंकित कर रहा था,,,।




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थोड़ी देर बाद वह धीरे से घुटनों के बल बैठ गया,,, और जी भर कंपनी नानी की पेंटी की तरफ देखने के बाद,, वह दोनों हाथों से अपनी नानी की पेंटि को पकड़ लिया उतारना शुरू कर दिया और देखते-देखते वह अपनी नानी की पेंटि को उसके घुटनों तक खींच दिया,,,, अंकित की आंखों के सामने उसकी नानी की कचोरी की तरह फुली हुई उसकी बुर थी जिसमें से मदन रस टपक रहा था और उसे अपने होठों से लगाकर उसे पीने का मन कर रहा था,,, अंकित की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसकी सांसों की गति ऊपर नीचे हो रही थी,,, अंकित अच्छी तरह से जानता था कि अब उसे क्या करना है,,, वह अपनी नजर को ऊपर की तरफ उठाया उसकी नानी भी उसकी तरफ ही देख रही थी दोनों की नजरे आपस में मिली और दोनों के होठों पर मुस्कान तैरने लगे अंकित धीरे से अपने होठों को अपनी नानी की फुली हुई बुर पर रख दिया,,, अंकित की नानी अंकित की हरकत पर पूरी तरह से मदहोश हो गई और एकदम से गहरी सांस लेते हुए अपने दोनों हाथ को अंकित के सर पर रख दी,,, अंकित को बुर चाटने का अनुभव प्राप्त हो चुका था और यह अनुभव उसे सर्वप्रथम सुमन के द्वारा प्राप्त हुआ था और दोबारा राहुल की मां और तीसरी बार उसकी खुद की नई जो पूरी तरह से उसे संभोग का अध्याय कंठस्थ करा रही थी,,,।






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अंकित पागलों की तरह पूरी तरह से अपनी नानी के बुरे को अपने मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दिया था मानो के जैसे कोई रसमलाई हो वह पागल की तरह अपनी नानी की बुर को चाट रहा था और उसकी यही अदाकारी उसकी नानी को पूरी तरह से पानी पानी कर रही थी ,,,वह मदहोश हुए जा रही थी,,, अंकित पूरी तरह से अपनी नानी की जवानी पर छाने लगा था वह अपनी नानी की तालाब नुमा बुर का पानी पीकर अपनी प्यास बुझा लेना चाहता था,,,, अभी भी उसके घुटनों में उसकी पैंटी फांसी हुई थी और अंकित अपने दोनों हाथों को उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर रखकर उसे जोर से दबाते हुए बुर का स्वाद ले रहा था,,,, अंकित की नई की हालत खराब हो रही थी वह पागल हुए जा जा रही थी उसका पूरा बदन कसमसा रहा था और उसके मुख से गरमा गरम शिसकारी की आवाज निकल रही थी,,,। अपनी नानी के मुंह से निकलने वाली शिसकारी की आवाज को सुनकर अंकित का हौसला और भी ज्यादा बुलंद होता चला जा रहा था,,, अंकित जितना हो सकता था उतनी अपनी जीभ को अपनी नानी की बुर के अंदर डालकर उसकी मलाई को चाट रहा था,,,।





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अंकित अपनी नानी की बुर को अपने दूसरे हाथ के अंगूठे और उंगली से फैला कर आनंद ले रहा था अपनी एक उंगली को उसमें डालकर अंदर बाहर करते हुए उसकी बुर चाट रहा था अंकित की तरफ से यह हरकत अंकित की नानी को पूरी तरह से ध्वस्त कर रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि कल का छोकरा उसके छक्के छुड़ा रहा था,,, अंकित का एहसास हो रहा था कि पेंटी घुटनों में फांसी होने की वजह से उसकी नानी ठीक तरह से खड़ी नहीं हो पा रही थी इसलिए वह उसकी पैंटी को उतारने लगा लेकिन इस बीच वह उसकी बुर को लगातार चाट रहा था और देखते-देखते वह उसकी पेंटिं को एकदम नीचे तक ले आया तो उसकी नानी खुद अपने पैरों को एक-एक करके ऊपर करके अपने पैरों में से पेंटी को बाहर निकलवा दी,,, पेटी के निकलते ही जैसे भाभी किसी कैदी से आजाद हो गई हो इस तरह से अपनी एक टांग को घुटनों से मोड़कर एकदम से अंकित के कंधों पर रख दी और दोनों हाथों से उसका सिर पकड़ कर अपनी बुर को उसके चेहरे पर रगड़ना शुरू कर दि,, अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दी और एक तरह से वह अपनी कमर को धक्का मार रही थी अंकित के चेहरे पर,,, देखते ही देखते अंकित का पूरा चेहरा उसकी बुर में से निकलने वाले मदन रस से पूरी तरह से गिला हो गया लेकिन फिर भी अंकित को मजा आ रहा था वह अपनी चीज से जितना हो सकता था उतनी अपनी नानी की मलाई को चाट रहा था,,,,।






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और देखते ही देखते अंकित की उंगलियों की करामात और उसकी जीभ की जादूगरी से अपने चरम सुख के करीब पहुंचने लगी उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी और वह अंकित के बालों को कस के पकड़ के उसके होठों को अपनी बर से एकदम से दबा दी और भलभला कर झड़ने लगी,,, अंकित अपनी नानी की बुर में से निकलने वाले बदन रस की एक भी बुंद को जमीन पर गिरने नहीं दिया उसे लगातार चट्टा हुआ उसे अपने गले के अंदर गटक गया,,, मानो की जैसे वह बुर से निकला पानी नहीं कोई अमृत की बूंद हो,,,, अंकित की नानी झड़ चुकी थी गहरी गहरी सांस ले रही थी अंकित भी अच्छी तरह से समझ रहा था कि उसने क्या किया है एक अद्भुत कार्य को अंजाम दिया था इसलिए चेहरे पर मुस्कान लिए वह धीरे से उठकर खड़ा हो गया और एक बार फिर से अपनी नानी के होठों से अपनी होंठ को सत दिया अंकित की रानी अच्छी तरह से जानते थे कि अंकित के होठों पर उसकी ओर से निकलने वाली मलाई लगी है लेकिन फिर भी बेझिझक वह भी उसके होंठों को अपने मुंह में भरकर चाटना शुरू कर दी,,,,।

अंकित की नई पूरी तरह से नंगी थी लेकिन अंकित के बदन पर अभी भी पूरे वस्त्र थे उसने अपने वस्त्र है उतरे नहीं थे और इस बार वह अपनी नानी को बिस्तर पर ले गया और उसे बिस्तर पर बैठ कर अपना शर्ट निकाल कर उसे भी अपनी नानी के वस्त्र पर फेंक दिया लेकिन अभी तक वह अपना पेटं नहीं उतारा था उसके पेंट में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था जिसे देख कर उसकी नानी के मुंह में पानी आ रहा था,,,, अंकित देखते ही देखते अपनी नानी के कंधों को पकड़ कर उसे बिस्तर पर लेट आने लगा और देखते ही देखते उसकी नानी बिस्तर पर पीठ के बाल एकदम से लेट गई ,,, नग्नावस्था में उसका बदन ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था,,,, अंकित ने अपनी सूझबूझ और जो कुछ भी सीखा था उसके अनुभव से वह अपनी नानी को पूरी तरह से मस्त कर दिया था जिसका एहसास उसकी नानी के चेहरे को देख कर एकदम साफ दिखाई दे रहा था,,,,।





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अंकित अभी भी बिस्तर के नीचे था वह धीरे से अपने पेट की बटन खोलने लगा और अपना पेंट उतार कर उसे भी एक तरफ रख दिया और इस समय वह अपनी नानी के सामने केवल अंडरवियर में था और उसके अंडरवियर में उसका तंबू पूरी तरह से गोले दागने के लिए किसी तोप की तरह खड़ा था,,,, पेंट उतारने के बाद उसने अपनी अंडरवियर नहीं उतारा और अपने हाथ का सहारा लेकर वह अपनी नानी को घूमने का इशारा करते हो उसे घूमने लगा वह उसे पेट के बल लेटाना चाहता था,,, और उसकी नानी भी उसके इशारे को समझ गई थी और भाभी पेट के बल लेट गई थी उसकी बड़ी-बड़ी गांड एकदम से ट्यूबलाइट की रोशनी में चमक रही थी जिसे देख कर अंकित मुस्कुराते हुए बोला,,,।

वह नानी कितनी खूबसूरत गांड है तुम्हारी और कितनी बड़ी-बड़ी है,,,,।

(इतना सुनते ही उसकी नानी तपाक से बोली,,,)

तेरी मां से भी ज्यादा खूबसूरत है क्या,,,!

(इस सवाल को सुनकर अंकित थोड़ा झेंप गया और अपने आप को संभालते हुए बोला,,,)

मुझे क्या मालूम नहीं मैं तो अब तक सिर्फ तुम्हारी ही गांड देखा हूं और वाकई में तुम्हारी गांड बहुत ज्यादा खूबसूरत है,,।





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लेकिन तेरी मां से ज्यादा खूबसूरत नहीं है और यह बात तू भी अच्छी तरह से जानता है,,,।

मैं भला कैसे जानुंगा मैं कभी देखा थोड़ी हूं,,,।(अंकित पूरी तरह से अपनी भावनाओं पर काबू करता हुआ बोला,,, और बिस्तर पर बैठकर अपनी नानी की नंगी गांड पर हथेली रखकर उसे चलने लगा,,,,)

चल झूठ मत बोल मैं सब जानती हूं अभी कुछ देर पहले ही तो घर के पीछे दीवार के पीछे छुप कर देख रहा था,,,,।

(अपनी नानी की बात सुनकर अंकित एकदम से हक्का-बक्का रह गया उसे ऐसा था कि यह बात किसी को मालूम नहीं होगी लेकिन उसकी नानी सब जान गई थी इसलिए कुछ छुपाने से फायदा नहीं था इसलिए वह अपनी तरफ से सफाई देता हुआ बोला,,)

लेकिन वह तो अनजाने में देख लिया था मैं तो तुम्हें देखने के लिए गया था मुझे क्या मालूम था कि मम्मी भी वही होगी,,,,।

मुझे देखने के लिए अभी कल रात को ही तो हम दोनों के बीच सब कुछ हुआ फिरभी,,,।

हां जब मुझे लगा कि तुम पेशाब करने जा रही हो तो मैं तुम्हें पेशाब करते हुए देखना चाहता था सच में तुम पेशाब करते हुए बहुत खूबसूरत लगती हो लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि मम्मी भी वही है,,,।

चल कोई बात नहीं मालूम था कि नहीं मालूम था यह मैं नहीं जानती लेकिन इस समय तूने अपनी मां की भी गांड देखा ना पेशाब करते हुए उसे भी देखा तो सच सच बताना हम दोनों में से सबसे ज्यादा खूबसूरत नजारा किसका दिखाई दे रहा था,,,,।





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(अंकित की नानी इस सवाल से अंकित के मन में क्या चल रहा है यह जानना चाहती थी और यह भी देखना चाहती थी कि यह जो चोरी छुपे देखा था कि हो रही है उसके जाने के बाद कितना आगे बढ़ सकती है,,, अंकित अपनी नानी का सवाल सुनकर बोला,,,)

ऐसा कुछ भी नहीं है नानी मैं तो सिर्फ तुम्हारी ही गांड को देख रहा था,,,।

चल झूठ मत बोल मैं भी तिरछी नजर से देख रही थी तू अपनी मां की गांड की तरफ देख रहा था सच सच बताना क्या पहले भी तू इसी तरह से चोरी छिपे अपनी मां को पेशाब करते हुए देखा है,,,।

(अंकित को समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी नानी के सवाल का जवाब हुआ कैसे दिन ऐसा तो बहुत बार हो चुका था लेकिन ऐसा कहना बहुत गलत होगा क्योंकि उसकी मां सफाई दे चुकी है कि अंकित ऐसा लड़का नहीं है इसलिए वह बोला)

पहले तो मैंने कभी नहीं देखा आज पहली बार देख रहा था लेकिन सच कहूं तो मन से ज्यादा बड़ी गांड तुम्हारी है,,,।

वह तो है ही आखिरकार मैं उसकी मां हूं लेकिन गांड कैसी हुई किसकी ज्यादा है,,,, सच-सच बताना झूठ बिल्कुल भी मत बोलना और हम दोनों के बीच किसी भी तरह का पर्दा नहीं रहना चाहिए हम दोनों के बीच इस तरह का रिश्ता कायम हो चुका है इससे हम दोनों को एक दूसरे से बिल्कुल भी शर्म करने की जरूरत नहीं है,,, और हां हम दोनों के बीच इस तरह की बात हो रही है मैं यह किसी को नहीं बताऊंगी,,,।





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(अपनी नानी की बातें सुनकर अंकित थोड़ा सोच में पड़ गया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें लेकिन इतना तो वह जान ही गया था कि उसकी नानी है सब किसी को नहीं बताएगी अगर यह सब किसी को बताएगी तो उसका भी राज राज नहीं रह पाएगा,,, और यह सब बातें तो होता है अपनी बेटी को नहीं बता सकती क्योंकि वह खुद एक नंबर की छिनार है तो भला हुआ अपनी बेटी से कैसे बता पायेगी की रात भर वह अपनी ही नाती के साथ चुदवाती रही है,,,, इस तरह की बातें अपने मन में सोच कर अंकित को थोड़ी तसल्ली महसूस हो रही थी और उसे भी अपनी मां की इस तरह की बातें करने में अपनी नानी के साथ मजा आ रहा था उसके उत्तेजना और भी ज्यादा बढ़ रही थी इसलिए वह अपनी नानी से बोला,,,)

सच कहुं तो अगर उमर को लेकर अंतर देखा जाए तो फिर भी तुम इस उम्र में भी एकदम कड़क हो और वैसे तो सही मांगने में इस समय मन की गांड ज्यादा कसी हुई है लेकिन इससे मुझे क्या मुझे तो तुमसे मजा लेना है और इसीलिए मेरे लिए तुम ही मेरे सपनों की रानी हो,,,,।
(अंकित अपनी नानी से एकदम फिल्मी स्टाइल के हीरो जैसी बातें कर रहा था और अंकित की नई भी उसकी बातों से एकदम मस्त हो रही थी प्रसन्न हो रही थी लेकिन अंकित की यह बात कि मुझे तो तुमसे मजा लेना है इस बात पर वह बोली,,,)




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अच्छा अंकित सच-सच बताना अगर मेरी तरह तेरी मां भी तुझे मौका दे तब तू क्या करेगा,,,।
(अंकित की नानी एकदम से मुद्दे वाला सवाल पूछ ली थी,,, इसलिए अंकित एकदम से हैरान हो गया था और अपनी नानी के सवाल को सुनकर वह हैरानी जताते हुए बोला,,,)

यह क्या कह रही हो नानी ऐसा भला हो सकता है क्या,,,,(ऐसा कहते हुए भी वह अपनी मां का जिक्र सुनकर उत्तेजित हो चुका था और उसकी उत्तेजना उसकी हथेली के दबाव पर एकदम साफ दिखाई दे रही थी वह अपनी नानी की गांड को कस के दबोच रहा था और उसका यह व्यवहार उसकी नानी को शंका के दायरे में ला रहा था वह समझ गई थी कि अगर मौका मिलेगा तो वह इसी तरह से अपनी मां के साथ भी मजा ले लेगा बिल्कुल भी इनकार नहीं कर पाएगा)

अरे मैं सच कह रही हूं मैं भी तो तेरी नानी हूं लेकिन तुझे मौका देना अगर तेरी मां भी इसी तरह से तुझे मौका देगी तो क्या तो इंकार कर पाएगा बिल्कुल भी नहीं तू भी अपनी मां पर ही चढ़ जाएगा,,,,।

(अपनी नानी किस तरह की खुली बातें उसकी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा रही थी उसे मदहोशी जा रही थी और उसे अपनी नानी के मुंह से अपनी बेटी के बारे में इस तरह की बातें सुनने में और भी ज्यादा मजा आ रहा था लेकिन फिर भी वह जानबूझकर इनकार करते हुए बोला)

नहीं नानी ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो सकता मम्मी इस तरह की बिल्कुल भी नहीं है,,,।




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लेकिन तू तो है ना,,,, मैं भी तो तेरी नानी हूं तो मेरे साथ क्यों यह सब कर रहा है क्योंकि मैं जानती हूं मर्द की फीतरत ही ऐसी होती है उन्हें बुर मिलना चाहिए फिर भले ही वह किसी की भी हो मां की और नानी की हो या बहन की हो,,,(एकदम से खुद से घूम कर पीठ के बल लेटते हुए,, और अपने हाथ के कोहनी का सहारा लेकर,,, उठकर बैठते हुए,,,) वैसे भी तेरी मां बहुत सेक्सी है,,, पहले ही मेरी बेटी है लेकिन में औरत के बारे में अच्छी तरह से जानती हूं मेरी बेटी बरसों से अकेली रह रही है उसकी भी इच्छा करती होगी जिस्मानी भूख शांत करने के लिए तू जरा सोच इस उम्र में जब मेरा यह हाल है अभी तो वह पूरी तरह से जवान है उसकी क्या हालत होती होगी उसका भी मन भटकता होगा बस कोई राह दिखाई नहीं दे रही है वरना वह भी अपने मंजिल को प्राप्त कर लेती,,,

यह सब कैसी बातें कर रही हो मम्मी के बारे में,,,।

अरे बुद्धू तेरी मम्मी के बारे में नहीं मैं बल्कि हर एक औरत के बारे में बता रही हूं हर रिश्ते के पहले वह एक औरत होती है उसे भी प्यास लगती है भूख लगती है जिस्म की भूख लगती है,,,, मैं सच कह रही हूं भले ही तो अनजाने में अपनी मां को पेशाब करते हुए देखा है लेकिन देखना जब मैं चली जाऊंगी ना फिर भी तेरा मन बार-बार अपनी ही मा को नग्न अवस्था में नहाते हुए कपड़े बदलते हुए पेशाब करते हुए देखने की इच्छा करेगी और अगर यह सब तेरी मां को मालूम पड़ गया अगर वह अपने आप को संभाल ली तो ठीक वरना वह भी भावनाओं में बह जाएगी तो उसका भी मेरी तरह हल हो जाएगा लेकिन मजा बहुत आएगा,,,,(ऐसा कहते हुए अंकित की नानी उत्तेजित होते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाकर अंडरवियर में बने तंबू को पकड़ ली और उसे ज़ोर से दबोच ली अंकित एकदम से उत्तेजित हो गया,,, अपनी मां के बारे में खुली बातें सुनकर वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था इसलिए अपनी नानी की सरकार पर वह एकदम से बिस्तर पर घुटनों के बल अपनी नानी के करीब पहुंच गया और खुद ही अपने अंडरवियर को अपने हाथों से नीचे की तरफ खींच कर अपने खड़े लंड को एकदम से बाहर निकाल लिया,,, उसकी नानी अभी इस नजारे को देख ही रही थी कि वह खुद अपना हाथ आगे बढ़कर अपनी नानी के सर को पकड़ लिया और उसे नीचे की तरफ दबाव बनाता हुआ अपने लंड की तरफ लाने लगा,,,,,।




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वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसे क्या करना है और वह अगले ही पल अंकित के लंड को मुंह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसना शुरू कर दी,,, अपनी मां के बारे में अपनी नानी के मुंह से गंदी बातें सुनकर वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था उत्तेजना एकदम परम शिखर पर पहुंच चुकी थी और जैसे ही अपने लंड को अपनी नानी के मुंह में महसूस किया हुआ पूरी तरह से बेकाबू हो गया और अपनी नानी के सर को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी कमर को आगे पीछे करके हिलना शुरू कर दिया वह अपनी नानी के मुंह को ही चोदना शुरू कर दिया था,,,, अंकित की मदहोशी है और उसका बेकाबूपन देखकर अंकित की नानी भी,,, मदहोश हो चुकी थी,,, वह भी अपने गले तक लेकर अंकित के लंड की चुसाई कर रही थी पूरी तरह से चुसाई कर लेने के बाद,,,,,, वह धीरे से अंकित के लंड को अपने मुंह में से बाहर निकाली क्योंकि उसकी बुर में भी चीटियां रेंग रही थी,,, उसे भी अंकित के लंड को अपनी बुर में लेना था,,,। अंकित समझ गया था कि अब उसे क्या करना है,,, वह धीरे से अपनी नानी के कंधों को पकड़ कर उसे पीठ के बल लेटा दिया,,,,

एक बार फिर से अंकित की नई कल रात वाली मुद्रा में हो चुकी थी,,,, अंकित कल की तरह ही घुटनों के पर अपनी नानी के टांगों के बीच पहुंच गया और उसकी कमर में हाथडालकर उसे अपनी जांघों पर खींच लिया,,, अंकित के चेहरे पर उत्साह साफ झलक रहा था,,,, अगले ही पर अपने लंड को अपनी नानी की बुर में डालकर अपनी कमर हीलाना शुरू कर दिया वह अपनी नानी को एकदम से हुमच हुमच कर चोद रहा था,,,, कुछ देर पहले ही अंकित की जीभ से ही वह झढ़ गई थी लेकिन अब अंकित उसकी बुर में अपने मर्दाना अंग का उपयोग कर रहा था क्योंकि पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था वह इतना गरम था कि अंकित की नानी को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी बुर में कोई गरम लोहे का रोड डाल रहा हो,,, वह पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी।
शुरू से ही अंकीत अपने धक्कों को तेज किए हुए था और अंकित कि ईस मर्दानगी को देखकर उसकी नानी पानी पानी हुई जा रही थी।




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इस बार अत्यधिक उत्तेजना के चलते अंकित ज्यादा देर टिक नहीं पाया और 20 मिनट के बाद ही वह भी देर हो गया लेकिन अपनी नानी को पूरी तरह से मस्त करने के बाद,,,,,।
Na chahate hue bhi nani ne Ankit ko apni maa ke taraf aur jayada aakarshit kar diya hai
 
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Sanju@

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गर्मी की छुट्टियों में दोपहर के समय सुगंधा के घर मेंअंकित की आंखों के सामने जो कुछ भी हो रहा था जो कुछ भी उसे दिखाई दे रहा था उसे नजारे में मदहोशी और नशा ही नशा था जो कि इस नशे को अंकित अपनी आंखों से पी रहा था,,, इस अद्भुत नशे को पीने के लिए होठों की नहीं आंखों की जरूरत थी और इस नशे को अंकित अपनी आंखों से पीकर मस्त हो रहा था अपनी आंखों के सामने इतने अद्भुत और मदहोश कर देने वाला दृश्य देखकर उसके छक्के छूटने लगे थे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी आंखों के सामने कोई गंदी फिल्म चल रही है उसका हर एक दृश्य कामुकता और मदहोशी से भरा हुआ था एक औरत को नहाते हुए देखना शायद हर एक मर्द का सपना और उसकी चाहत होती है,,,, लेकिन औपचारिक रूप से नहाते हुए एक औरत को देखना भी हर मर्द के लिए मदहोशी और वासना का सबब बन जाता है। और यही हाल अंकित का भी हो रहा थालेकिन यहां दृश्य जो कुछ भी उसकी आंखों के सामने भजा जा रहा था वह कोई औपचारिक नहीं था यह सुगंधा की तरफ से अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करने का एक जाल साज युक्ति थी जिसे उसका बेटा पूरी तरह से फंसता चला जा रहा था।





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और वैसे भी अंकित अपनी मां के इस माया जाल में पूरी तरह से फंस जाना चाहता था,,, इसमें कोईकिसी भी प्रकार का दबाव नहीं था बस एक दूसरे के प्रति आकर्षण था जो धीरे-धीरे वासना में तब्दील होती जा रही थी और एक दूसरे को पाने की चाहत बढ़ती जा रही थी,,,, इसमें ना तो सुगंध की तरफ से कोई जोर जबरदस्ती थी कि नहीं तु मुझे नहाते हुए देख और ना ही अंकित की तरफ से कोई ऐसा दबाव था कि उसे यह दृश्य देखना ही पड़ेगा अपनी मां को नहाते हुए देखना ही पड़ेगा ऐसा बिल्कुल भी नहीं था जो कुछ भी हो रहा था इसमें दोनों की सहमति थी,,,सुगंधा नहाते हुए अपने अंगों का प्रदर्शन करना चाहती थी अपने बेटे के सामने उसे दिखाना चाहती थी और उसका बेटा अपनी मां को नहाते हुए देखना चाहता था उसके खूबसूरत अंगों को देखना चाहता था,,, अपनी मां के मदमस्तजवानी से भरी हुई पिछवाड़े को देखकर जो की पेटिकोट कमर तक उठ जाने की वजह से उसकी आधी गांड एकदम साफ दिखाई दे रही थी,,, इस अद्भुत नजारे को देखकरअंकित का लंड जवानी से फूलने लगा था और उसे इस बात का डर था कि कहीं उसके लैंड पीने से फट न जाए,,,अंकित को ऐसा लग रहा था कि उसकी मां को मालूम नहीं है कि वह कपड़े छत पर डालकर नीचे आ गया है उसकी आंखों के सामने खड़ा है उसे ऐसा ही लग रहा था कि उसकी मां अनजान है तभी इस अवस्था में नहा रही है जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था अंकित के आने की भनक उसकी मां को पहले ही लग चुकी थी,,, जिसके चलते उसने अपनी पेटीकोट को अपनी आधी गांड तक चढ़ा ली थी। क्योंकि वह अपने बेटे को अपनी गांड दिखाना चाहती थी और अपने बेटे के सामने अपनी भरी हुई जवान परोस चुकी थी जिसका भोग लगाने के लिए अंकित बेताब नजर आ रहा था,,,।



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कुछ क्षण तक अंकित इस अद्भुत नजारे को देखकर पूरी तरह से पागल हुआ जा रहा था और पेंट के ऊपर से अपने लंड कोजोर-जोर से दबा रहा था मसल रहा था ऐसा लग रहा था की इस अद्भुत नजारे को देखकर वह पेंट के ऊपर से अपने लंड को दबा दबा कर तोड़ डालेगा,,,, लेकिन तभी अपने बेटे को यह जताते हुए सुगंधा उसकी तरफ घूम गई की उसके आने की भनक उसे लग गई है वह एकदम से अपने बेटे की तरफ घूमते हुए बोली,,,।

तू कपड़े डाल कर आ गया बेटा,,,,(और उसका ऐसा कहते हुए उसकी तरफ घूमने था कि अपनी आंखों के सामने के नजारे को देखकरअंकित की आंखें फटी की फटी रह गई वह पूरी तरह से मदहोशी के सागर में डूबने लगा वह फटी आंखों से अपनी मां की मस्त-मस्त जवानी को देखने से अपने आप को बिल्कुल भी नहीं रोक पाया,,,और शायद उसकी जगह कोई भी बेटा होता तो अपनी मां के इस रूप को देखने से शायद अपने आप को बिल्कुल भी नहीं रोक पाता भले ही वह कितना ही संस्कारी और मर्यादा से भरा हुआ हो वह इस नजारे को देखने से अपने आप को बिल्कुल भी नहीं रोक पाता क्योंकि उसकी आंखों के सामने का नजारा ही कितना अद्भुत और मदहोशी भरा था कि अपनी मां के सामने भी वह उसे नजारे को देखता ही रह गया था,,,, जिस तरह से सुगंधा अपने बेटे के आने की भनक पातें ही तुरंत अपनी पेटीकोट को अपनी आधी गांड तक उठा दी थी उसी तरह से जब अंकित ठीक उसके पीछे खड़ा होकर उसे नहाते हुए देख रहा था उसकी गांड की दर्शन कर रहा था उसी समय नहाते हुए सुगंधा अपने पेटिकोट को आगे से क्योंकि उसके बदन से पानी में बिकने से पूरी तरह से चिपक गया था अपने उसे किले पेटीकोट को इस कदर हल्का सा ऊपर की तरफ उठा दीजिए उसकी बुर एकदम साफ दिखाई दे रही थी और यह वह जानबूझकर अपने बेटे को दिखाना चाहती थी,,, और अंकित अपनी मां की बुर देखकर पूरी तरह से पागल हो गया था उसकी सांसें उखड़ने लगी थीऔर सुगंधा इस तरह से अपने ऊपर पानी डाल रही थी मानो कि जैसे वह पूरी तरह से अनजान होगी उसके बदन का कौन सा हिस्सा पूरी तरह से उजागर हो गया है।




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तू आ गया बेटा बस इतना कहकर बात पूरी तरह से नहाने में मशगूल हो गई थी या यूं कह लो की अपने बेटे को अपनी बुर दिखाने में पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,,अंकित फटी आंखों से अपनी मां के उस रूप यौवन का रस अपनी आंखों से पी रहा था जो कि इस समय पावरोटी की तरह पूरी तरह से फूल चुकी थी,,,, तकरीबन 2 मीटर जितनी दूरी पर अंकित खड़ा था और यहां से सुगंधा के खूबसूरत बदन का अंग अंग उसे साफ दिखाई दे रहा था,,,लेकिन इस समय अंकित को अपनी मां के खूबसूरत बदन का कुछ और दिखाई नहीं दे रहा था बस उसकी बुर दिखाई दे रही थी जो की उत्तेजना के मारे पावरोटी की तरह भूल चुकी थी और उसके बदन सेगिरने वाला पानी उसकी दोनों टांगों के बीच के उसे पतली दरार से होकर गुजर रही थी जिस पर हल्के हल्के बाल उगे हुए थे वैसे तोउसकी मां की बुर पूरी तरह से चिकनी ही थी लेकिन बस हल्के हल्के बाल आने की शुरुआत हुई थी और उसे पर पानी की बूंदे का इकट्ठा हो जा रही थी जो की और ओस की बूंद की तरह दिखाई दे रही थी,,,, और उस औस की बूंद पर अपने होंठ रखकर अंकित उस रस को पीना चाहता था अपनी मां की बुर को चाटना चाहता था जैसे राहुल की मां की बुर को जाता थावैसे तो एक बार अपनी मां की बुर पर होठ रखने का उसे मौका मिल चुका था लेकिन राहुल की मां की तरह उसकी बुर चटाई करने का मौका अभी हाथ नहीं लगा था,,,।




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कुछ देर तक सुगंधा अपने बेटे को अपनी बुर दिखाती रही और अंकित अपनी मां की बुर देखता रहासुगंध को अच्छी तरह से मालूम था कि उसके बेटे की हालात पूरी तरह से खराब हो चुकी है उसकी बुर देखकर पहले वह अपनी गांड दिखाइए औरअपने बेटे की हालत को पूरी तरह से खराब कर दी और जैसे ही वह थोड़ा समझने की कोशिश किया तो उसे उसकी तरफ घूम कर उसे अपनी बुर दिखा दी शायद इस दोहरे हमले को उसका बेटा चल नहीं पाया था इस बात का एहसास सुगंधा को अच्छी तरह से हो रहा था क्योंकि वह उसके पेट में तंबू की हालत को देख रही थी जो की पूरी तरह से फटने की कगार पर आ चुका था,,, सुगंधा को इस बात का भी डर लग रहा था कि कहीं देखकर ही उसके बेटे का पानी निकल जाए,,,,नहाते हुए अपने ऊपर पानी डालते हुए वह नजर नीचे करके अपने बेटे की हालत और उसकी हरकत को देख रही थी उसकी हर एक हरकत सुगंधा के तन-बाद में आग लग रहे थे क्योंकि इस समय उसके बेटे कहां से उसके लंड पर था जो की पेंट के ऊपर से ही वह जोर-जोर से दबा रहा था वह अपने बेटे की ईस स्थिति को अच्छी तरह से समझ सकती थी,,,वह समझ सकती थी कि उसे इस रूप में देखकर उसके बेटे पर क्या गुजर रही होगी उसके बारे में क्या सोच रहा होगा,,,,इस बात को सोचकर उसके मन में गुदगुदी सी होने लगी कि जिस गुलाबी छेद को उसका बेटा अपनी आंखों से देख कर पागल हो रहा है उसी गुलाबी छेद में वह अपना लंड डालने के लिए तड़प रहा होगा,,, और उसकी यह सड़क देखकर सुगंधा को मन ही मन प्रसन्नता हो रही थी,,, उसे इस बात की भी खुशी थी कि उसका जवान बेटा उसकी जवानी देखकर पागल हो रहा है इसका मतलब साफ था कि उसमें अभी बहुत कुछ बचा हुआ था उसकी जवानी बरकरार थी,, जवानी की आग बरकरार थी,,, अपनी जवानी की गर्मी में वह किसी भी मर्द को पिघलाने में वह अभी भी पूरी तरह से सक्षम थी।




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अंकित की बोलती बंद हो चुकी थीउसकी फटी आंखें आश्चर्य से भरा चेहरा उसके मन में क्या चल रहा है सब कुछ बयां कर रहा था और इस स्थिति में अपने बेटे को देखकर सुगंधा मन ही मन खुश हो रही थी और फिर वह धीरे से बोली,,,,।

अंकित तू भी जाकर नहा ले तेरे कपड़े भी गीले हो चुके हैं,,,,(लेकिन इस दौरान वह अपने पेटिकोट के कपड़े को नीचे करने की बिल्कुल भी शुध नहीं ली,,,अंकित को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां की बुर अनजाने में एकदम साफ दिखाई दे रही है या जानबूझकर उसकी मां उसे अपनी बुर दिखा रही है,,, इसका जवाब अंकित के पाससंजोया हुआ था क्योंकि कुछ देर पहले ही उसे इस बात का एहसास हो गया था कि जो कुछ भी हो रहा था उसकी मां सब कुछ सोची समझी साजिश के तहत कर रही थी वह उसे सबको दिखाना चाहती थी क्योंकि पंखा साफ करते हुए उसकी मां पेंटी नहीं पहनी थी और कुछ देर पहले जब वह अपनी मां को बिस्तर पर लेकर गिरा था सबसे अच्छी तरह से एहसास हुआ था कि उसकी मां चड्डी पहनी हुई थी जिसका मतलब साथ था कि उसकी मां खुद उसे अपनी बुर दिखाना चाहती थी,,, वह अपने मन में यही सब सो रहा था कि उसे इस तरह के ख्यालों में खोया हुआ देखकर उसकी मां फिर से बोली,,,)





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क्या हुआ क्या सोच रहा है तू भी आकर नहा ले तेरे कपड़े भी गिले हो गए हैं,,,।(अपनी मां की बात सुनकरअंकित की तंद्रा भंग हुई और ऐसा लगा कि जैसे वह नींद से जागा हो वह एकदम से हडबडाते हुए बोला,,,)

ककककक,,,,,ममममम,,, मैं तुम्हारे साथ,,,,, कैसे नहा सकता हूं,,,,।

(अपने बेटे की हड़बड़ाहट पर सुगंधा को हंसी आ गई और वह हंसते हुए बोली,,,,)

इसमें क्या हो गया क्या तू मेरे साथ नहीं नहा सकता मेरे साथ तो मेरा हाथ बंटा सकता है कपड़े धो सकता है घर की सफाई कर सकता है तो नहा क्यों नहीं सकता,,,,,,,।


लेकिन,,,, एक मां के साथ एक बेटा कैसे नहा सकता है,,,।

अरे नहा सकता हैऔर वैसे भी घर में हम दोनों के सिवा तीसरा तो कोई है नहीं अगर तीसरा कोई होता तो शायद ऐसा संभव नहीं होता कि उसकी हाजिरी में एक मां बेटे खुलकर ना आएइस समय कोई नहीं है तो तू आराम से मेरे साथ नहा सकता है देख तो सही मौसम कितना अच्छा है आसमान कितना खुला हुआ है,,,,,,,(अपनी मां के कहने पर अपने आप ही अंकित की नजर आसमान की तरफ चली गई जो कि वाकई में एकदम आसमानी रंग का एकदम साफ दिखाई दे रहा था गर्मी के महीने में आसमान एकदम साफ दिखाई देता है और घर के पीछे से यह नजारा कुछ और भी अद्भुत नजर आता था,,,अंकित इधर-उधर नजर घुमा कर देखने लगा उन दोनों को देखने वाला इस समय वहां कोई नहीं था और वैसे भी घर के पीछे वाले भाग पर वह दोनों खड़े थे जहां पर किसी के देखने की आशंका बिल्कुल भी नहीं थी उसके पीछे मैदानी मैदान था और वह थोड़ा निचले स्तर पर था जहां से कोई अगर गुजर कर जाए तो भी इस और देखने की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी,,, अंकित कुछ बोल नहीं रहा था बस अपनी मां की बात को सुन रहा था और सुगंधा को अपनी बेटे की नजर का अच्छी तरह से पता था वह जानती थी कि उसकी नजर अभी तक उसकी बुर पर ही टिकी हुई थी अभी तक वह उसकी चूची की तरफ नहीं देखा था इसलिए वह अपनी बेटी को अपनी चूची दिखाना चाहती थी जवानी से भरी हुई दोनों चूचियों के दर्शन करना चाहती थी भले ही वह पेटिकोट के अंदर कैद थीं लेकिन पेटिकोट के भीगने की वजह से वह पूरी तरह से पेटिकोट के ऊपर अपनी आभा बिखेर रही थी,,, इसलिए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,) जल्दी से आजा अब देर मत कर,,,(मग से पानी अपने ऊपर डालते हुए और दूसरे हाथ को अपनी चूची के ऊपर से नीचे की तरफ लाते हुए यह एक तरफ सेअपने बेटे की नजर को अपनी चूचियों पर लाने का इशारा था,,,) बहुत ठंडा पानी है ऐसी गर्मी में नहाने में और भी ज्यादा मजा आएगा,,,,.



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और वाकई में जैसा सुगंधा चाहती थी वैसा ही हुआ उसके हाथ के इशारे को उसका बेटा अच्छी तरह से देख रहा था और उसकी नजर एकदम से उसकी चूचियों पर पड़ गई,,,,जो की पेटिकोट की पूरी तरह से गीले हो जाने की वजह से उसके खरबूजे जैसी चूचियों पर एकदम से चिपक सी गई थीऔर उत्तेजना के मारे उसकी दोनों निप्पल छुहारे के दाने की तरह एकदम कड़क हो चुके थे और पेटीकोट के ऊपर पूरी तरह से ऊपरी सतह पर साफ दिखाई दे रहे थे और ऐसा लग रहा था कि जैसे पेटिकोट फाड़कर दोनों बाहर आ जाएंगे,,, अंकित वाकई मे इस अद्भुत नजारे को अधूरा ही देख रहा था,,,अभी तक वह अपनी मां की बुर को देख रहा था जो कि हर एक मर्द का सपना होता है एक औरत की खूबसूरत बुर को अपनी आंखों से देखना और अंकित ने इस अद्विक नजारे को अपनी आंखों से देखा भी जिसकी तुलना वह कर नहीं सकता था जिसे अपने शब्दों में बयां नहीं कर सकता था लेकिन वह इस बात को भी अच्छी तरह से जानता था कि औरत के खूबसूरत बदन का हर एक अंग मर्दों की उत्तेजना को चरणक्षम शिखर तक ले जाता हैऔरत के हर एक खूबसूरत अंग वाकई में मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करने में पूरी तरह से सक्षम होते हैं और इसी में उसकी मां की चूचियां भी इजाफा कर रही थी। अंकितपानी में भीगी हुई पेटीकोट में उपसी हुई अपनी मां की गीली चूचियों को देखकर उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच चुका था,,,, अंकित की हालत एकदम से खराब होने लगी अंकित अपने हाथों में अपनी मां की दोनों चूचियों को लेकर से जोर-जोर से दबाना चाहता था रगड़ देना चाहता था एक अद्भुत सुख के एहसास में डूब जाना चाहता था इसलिए वह अपनी मां के प्रस्तावको ठुकरा नहीं पाया और वैसे भी ठुकराने लायक कोई कारण उसके पास बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि वह खुद अपनी मां के साथ नहाने का सुख भोगना चाहता था इसलिए वह तुरंत अपने कदम आगे बढ़ने लगा लेकिन तभी उसकी मां उसे रोकते हुए बोली,,,,)




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अरे पहले अपने कपड़े तो उतार दे,,,, कपड़े उतार कर नहाने में और भी ज्यादा मजा आता है,,,,।

(अपनी मां की बात सुनकर अंकित के बदन में गुदगुदी होने लगी औरउसके मन में हुआ कि वह अपनी मां से कह दे की फिर तुम पेटिकोट क्यों पहनी हो इसे भी उतार दो नहाने में मजा आएगा लेकिन ऐसा कहने की उसकी हिम्मत नहीं हुई और वह मुस्कुराते अपनी मां की आंखों के सामने अपने कपड़े उतारने लगा वह जानता था कि उसके पेट में तंबू बना हुआ है और पेट के उतरते ही अंडरवियर एक अद्भुत जाकर लिया हुआ उसकी मां की आंखों के सामने नजर आने लगेगा लेकिन इस समय उसके बदन में मदहोशी छाई हुई थी अपनी मां की मदमस्त जवानी देखकर वासना चाहिए हुई थी इसलिए वह अपने अंडरवियर में बने तंबू को छुपाने की कोशिश बिल्कुल भी ना करते हुए अपने पेंट का बटन खोलने लगा,,,,जिसे देखकर सुगंधा के तन-बदन में आग लग रही थी उसके दिल की धड़कन बढ़ती चली जा रही थी वह अपने बेटे को अंडरवियर में देखना चाहती थी अपने बेटे के घटीले बदन को देखना चाहती थी,,,,वह देखना चाहती थी कि पेट के ऊपर से दिखने वाला तंबू उसके बेटे के अंडरवियर में किस तरह का दिखाई देता है और इस बात को सोचकर ही उसकी बुर पानी छोड़ रही थी,,,,और देखते-देखते उसकी आंखों के सामने ही अंकित अपना पेट भी उतार कर एक तरफ रख दिया और अंडरवियर में बना हुआ तंबू सुगंधा की आंखों के सामने दिखाई देने लगा सुगंधा के मन की लालच बढ़ने लगीउसके तन बदन में गुदगुदी होने लगी और उसका मन कर रहा था कि अभी इसी समय आगे बढ़कर अपने हाथों से अपने बेटे के बदन से उसका अंडरवियर भी निकाल कर उसे पूरी तरह से नंगा कर दे,,,,,लेकिन यह सिर्फ सुगंधा के मां का ख्याल था जिसे हकीकत का शक्ल देने में काफी हिम्मत की जरूरत थी जो कि इस समय उसमें नहीं थी भले ही वह किसी भी तरह से अपने बेटे को अपनी नग्नता के दर्शन कर रही थी लेकिन इस तरह की हरकत करने में उसकी हिम्मत गवाही नहीं दे रही थी,,,,,।



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अंडरवियर में खड़ा अंकित अपनी कमर पर हाथ रखकर इधर-उधर चारों तरफ नजर घुमा कर देख रहा था वह ऐसा औपचारिक रूप से जानबूझकर कर रहा थाखास करके वह अपनी मां को अपनी अंडरवियर में बना तंबू दिखाना चाहता था मन तो उसका इस समय कर रहा था कि अंडरवियर में बने छेद में से अपने लंड को बाहर निकाल कर एकदम से लटका ले और अपनी मां को जी भर कर उसका दर्शन कराए,,,, लेकिन यह भी सिर्फ अंकित की सोच थी,,,वैसे ज्यादा कुछ कर सपना की स्थिति में नहीं था वैसे भी अपनी मां की मधुमक से जवान देखकर उसकी गर्मी का एहसास उसके बदन को पूरी तरह सेअपनी आगोश में लिया हुआ था उसके माथे से पसीना टपक रहा था उसका पूरा बदन पसीने से तार बात था एक तो जेठ की गर्मी ऊपर से उसकी मां की जवानी की गर्मी दोनों अंकित की हालत खराब कर रही थीऔर दूसरी तरफ अपने बेटे के पेट में बने तंबू को देखकर सुगंधा की हालत खराब हो रही थी और वह अपने बेटे के सामने ही अपनी बर को जोर-जोर से अपनी हथेली में दबा दबा कर मसल देना चाहते थे और इशारों ही इशारों में उसे बता देना चाहती थी कि उसे क्या चाहिए,,,, लेकिन इस दौरान अभी भी उसकी बुर झलक रही थी दिखाई दे रही थीऔर अंकित भारी-भारी से अपनी मां के जवान के दोनों केंद्र बिंदु पर नजर दौड़ा ले रहा था तभी उसकी चूचियों की तरफ तो कभी उसकी बुर की तरफ देख कर वह पूरी तरह से पागल हुआ जा रहा था,,,, सुगंधा को भी एहसास हो रहा था कि उसका बेटा अपने अंडरवियर में बने तंबू को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था मतलब साफ था कि आप दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी वह भी अपनी बुरे दिख रही थी और उसका बेटा भी अपने अंडरवियर में बने तंबू को दिखा रहा था और शायद उसका बस चलता है तो अपने अंडर बियर को निकाल कर अपना लंड उसे दिखा देता,,,लेकिन इतना कुछ होने के बावजूद भी दोनों अभी मर्यादा की हल्की डोर में बने हुए थे जो किसी भी वक्त टूट सकती थी।



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आजा देख कितना ठंडा पानी है,,,, आ मैं तुझे नहला देती हुं,,,,,,,(सुगंधा का इतना कहना था कि उसका बेटा मुस्कुराता हुआ अपनी मां के करीब पहुंच गया एक अद्भुत एहसास का अनुभव हो रहा था अपनी मां के बेहद करीब पहुंचकर क्योंकि उसकी मां इस समय कुछ अलग ही रूप में थी वह इस समय जवानी की मादकता को अपने बदन से टपका रही थी और उसे रस को पीने के लिए अंकित तड़प रहा था मचल रहा थाबेहद करीब से अपनी मां की दोनों बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर वह पागल हुआ जा रहा था चूचियों के बीच की निप्पल पेटीकोट से एकदम साफ दिखाई दे रही थी मन तो उसका इस समय कर रहा था कि अपना दोनों हाथ आगे बढार अपनी मां की चूचियों को थाम ले और उन्हें जोर-जोर से दबाए,,,,, और उसे पूरा यकीन था कि उसकी हरकत से उसकी मां पूरी तरह से मस्त हो जाएगी और हो सकता है कि अपने हाथों से अपनी चूची पकड़ कर उसके मुंह में डाल दे,,, लेकिन फिर भी वह अपने मन में उठ रहे इस ख्याल को हरकत की शक्ल देने में सक्षम नहीं था,,,,। अपनी मां के खूबसूरत चेहरे की तरफ देखते हुए वह बोला,,,)

सच में तुम मुझे नहला दोगी,,,,।


हां क्यों नहीं जब तू छोटा था तब मैं ही तो तुझे नहलाती थी,,,,,(ऐसा क्या करूं अपने मन में ही बोली अभी तक तुझे अपनी जवानी के पानी में नहला तो रही हूं,,,)


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तब तो बहुत मजा आएगा,,,, वैसे भी मेरी पीठ पर मैल जम सी गई है,,,, शायद तुम उसे मलमल कर साफ कर सकती हो,,,,।

हां हां क्यों नहीं तू नीचे बैठ जा,,,,,।

(और अपनी मां की बात मानते हुए अपनी मां की तरह पीठ करके वह नीचे बैठ गया,,,सुगंधा अपने बेटे को देख रही थी उसकी मासूमियत पर वह मुस्कुरा रही थी उसे अच्छा लग रहा था और वह अपने बेटे के ऊपर पानी डालना शुरू कर दी देखते ही देखते वह पूरी तरह से पानी में भीग गया और फिर इसके बाद वह बदन करने वाला ब्रश लेकर उसे जोर-जोर से अपने बेटे की पीठ पर रगड़ने लगी हालांकि अभी तक वह साबुन नहीं लगाई थी,,,,थोड़ी ही देर में उसे अपने बेटे की पीठ साफ नजर आने लगी वैसे साफ तो थी ही बस गर्मी की वजह से उसे पर मैल जम गई थी और इसके बाद वहां अपने बेटे के बदन पर साबुन रगड़ना शुरू कर दी बरसों के बाद अपनी मां के हाथ से नहाने में उसे मजा आ रहा था,,, यह मजा औपचारिक या स्वाभाविक नहीं था,,,, कि आज वह अपनी मां के हाथ से नहा रहा है तो उसे अच्छा लग रहा है।उसे अच्छा इसलिए लग रहा था कि वह एक खूबसूरत औरत के हाथों से नहा रहा था और इस बात की खुशी और भी ज्यादा दुगुनी हुई जा रही है कि वह खूबसूरत औरत उसकी मां थी उसकी मां की जवानी का जलवा वह अपनी आंखों से देख चुका था इसलिए उसकी खुशी फूल ही नहीं समा रही थी,,,, तभी साबुन लगाते हुएअंकित को अपनी मां की चुचियों का एहसास अपने सर पर होने लगा उसकी दोनों चुचियों का वजन उसे अपने सर पर महसूस होने लगा था जो की सुगंधा जानबूझकर अपनी चूचियों को उसके सर पर सटाकर उसके पेट और छाती में साबुन लगा रही थी,,,,अपनी मां की हरकत से अंकित के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी उसके बदन में गुदगुदी होने लगी,,,।
बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है
 

Sanju@

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सुगंधा आज अपने बेटे को नहला रही थी,,,घर के पीछे एक अद्भुत और मादकता से भरा हुआ नजारा देखने को मिल रहा था लेकिन इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए मां बेटे के सिवा तीसरा वहां कोई नहीं था,,, अंकित केतन बादल में उत्तेजना की लहर हिलोरें मार रही थीवह पूरी तरह से मादकता के नशे में डूबता चला जा रहा था वह इस समय इसलिए नहीं खुश था कि उसकी मां उसे आज बरसों के बाद नहला रही थी बल्कि इसलिए खुश था कि यह खूबसूरत औरत उसे अपने हाथों से नहलारही थी और वह खूबसूरत औरत कोई और नहीं उसकी खुद की मां थी जिसके खूबसूरत बदन को देखकर वह हर बार उत्तेजित हो जाता था,,, आज वही खूबसूरत औरत की हथेलियां को अपने बदन पर महसूस करके वह उत्तेजना से फुला नहीं समा रहा था,,, उसकी उत्तेजना मदहोशीतब और ज्यादा बढ़ गई जब उसे एहसास हुआ कि उसकी मां की बड़ी-बड़ी चूचियां उसके सर पर अपना वजन बढ़ा रही थी,,,यह एहसास ही उसे पूरी तरह से मदहोश किए जा रहा था वह पागल हो जा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें।





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ऐसा नहीं था कि अनजाने में सुगंधा की बड़ी-बड़ी चूचीया उसके बेटे के सर पर दबाव बढ़ा रही थी वह ऐसा जानबूझकर कर रही थी अपनी चूचियों के भारीपन का एहसास वह अपने बेटे को करना चाहती थी वह दिखाना चाहती थी कि उसकी खूबसूरत बड़ी-बड़ी चूचियां उसके सर पर है,,,,,,सुगंधा इस तरह से अपने बेटे के पेट पर साबुन लगा रही थी जिसके झाग में वह पूरी तरह से डुबती चली जा रही थी,,, साबुन लगाते समय भी सुगंधा का ध्यान अपने बेटे के अंडर बियर में बने तंबू पर टिकी हुई थी,,,जिसमें उसका हथियार पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था और अपने होने का एहसास अंडर बियर के बाहर तक करा रहा था,,, सुगंधा के मुंह में पानी आ रहा था,,,,वह अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड को अपने हाथों से पकड़ना चाहती थी उसे पर साबुन लगाना चाहती थी और उसे अपने मुंह में लेकर उसकी जी भरकर चुसाई करना चाहती थी,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थीठंडे ठंडे पानी से नहाने के बावजूद भी उसे अपने बदन में गर्मी का एहसास हो रहा था,,,वह साबुन को वापस पीठ पर ले जाकर के रगड़ रगड़ कर अपने बेटे की पीठ पर साबुन लगा रही थी,,, और साबुन लगाते हुए बोली,,,।

कैसा लग रहा है अंकीत तुझे आज मेरे हाथों से नहा कर।




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सच कहूं तो ऐसा लग रहा है कि जैसे आज मेरा बचपन फिर से लौट आया हो,,,, आज बरसों के बाद तुम्हारे हाथों से नहाने में मुझे बहुत मजा आ रहा है,,,।

तो इसमें क्या हो गया तू कहे तो मैं रोज तुझे अपने हाथों से नहला दूं क्योंकि तू मेरे लिए आज भी वही छोटा सा अंकित है जिसे अपने हाथों से नंगा करके में नहलाती थी,,,(सुगंधा जानबूझकर नंगा शब्द पर भर देते हुए बोल रही थी और इस शब्द का असर अंकित पर भी पढ़ रहा था वह एकदम से अपनी मां की बात सुनकर बोला,,,)

पहले में और अब में बहुत फर्क हो चुका है अब तो मुझे नंगा करके नहीं नहीं ला सकती क्योंकि अब मैं बड़ा हो गया हूं,,,(और मेरा लंड भी बड़ा हो गया है अपने मन में ही इस शब्द को वह बोला उसकी मां उसकी बात सुनकर बोली,,)

मैं जानती हूं तू अब बड़ा हो गया है लेकिन एक मां के लिए उसका बेटा हमेशा छोटा ही होता है समझ रहा है ना तू,,,,,(लेकिन तेरा लंड अब छोटा नहीं रहा वह मेरी बुर में घुसकर खलबली मचाने के लायक हो गया हैइस बात का सुगंधा अपने मन में बोलकर मुस्कुरा रही थी क्योंकि अपनी बेटी के सामने इस तरह की बात एकदम से खुले शब्दों में नहीं बोल सकती थी,,,, अपनी मां की बात सुनकर अंकित बोला,,,)





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मुझे मालूम है मां के लिए उसका जवान बेटा भी छोटा सा बच्चा ही होता है लेकिन वक्त के साथ बेटे मे बहुत से बदलाव आ जाते हैं,,,।

कैसे बदलाव,,,(अपने बेटे की बात को वह समझ रही थी इसलिए एकदम से तपाक से बोली,,, और लगातार उसकी पीठ पर साबुन लगा रही थी।)

अरे बहुत तरह के बदलाव आ जाते हैं तुम्हें तो मालूम ही है की उम्र के साथ-साथ शरीर भी बढ़ने लगता है एकदम मेरी तरह हो जाता है,,,,(वैसे तो अंकित भी अपनी मां के सामने बोल देना चाहता था कि शरीर के साथ-साथ लंड भी बड़ा हो जाता है लेकिन ऐसा कहने में उसे डर लग रहा था,,,,)

वह तो मैं अच्छी तरह देख रही हूं एकदम मर्द बन चुका है तो मर्द की तरह गठीला कसरती बदन हो चुका है,,,(मर्द शब्द बोलने में सुगंधा की उत्तेजना बढ़ जाती थी और उसकी बुर उत्तेजना के मारे फुलने पिचकने लगती थी।)

अब कसरत करता हूं तो शरीर तो मजबूत बनेगा ही ना,,,,।

सच में तेरा बदन एकदम आकर्षक है सच पूछो तो औरतों को मर्द का कसरती बदन ही आकर्षक लगता है,,,।

क्या तुम्हें भी ऐसा शरीर अच्छा लगता है,,,।

मैं बोली तो हर एक औरत को अच्छा लगता है मुझे भी अच्छा लगता है मरियल सा पतला सा दुबला सा शरीर औरत को थोड़ी अच्छा लगता है,,,।

बात तो सही है जैसे हम मर्दों को औरत का गदराया बदन आकर्षित करता है,,,(अंकित एकदम से बेशर्मी दिखाते हुए बोल गया था उसकी बात सुनकर सुगंधा मन ही मन खुश हो गई थी लेकिन फिर भी जानबूझकर अनजान बनते हुए वह अपने बेटे से बोली,,,)

गदराया बदन में कुछ समझी नहीं,,,।





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अरे मेरा मतलब है कि तुम्हारे जैसा बदन भरा हुआ,,,,तुम्हारे जैसी औरत हर एक मर्द को अपनी तरफ आकर्षित कर सकती है,,,,(अंकित हिम्मत दिखाते हुएअपनी मां को एक औरत की शक्ल दे रहा था उससे ऐसी बात कर रहा था मानों जैसे उसका बेटा ना हो कर वह उसका प्रेमी हो और यही बात सुगंधा को अच्छी लग रही थी वह अपने बेटे की बात सुनकर प्रसन्न हो रही थी,,,, अपने बेटे की बात सुनकर वह एकदम से खुश होते हुए बोली।।)

क्या सच में मेरा बदन एकदम गदराया हुआ है,,,,!

तो क्या,,,?

लेकिन तू यह शब्द कहां से सीखा,,, गदराया,,,,(कंधों पर साबुन लगाते हुए वह बोली,,,)

वही सुबह जब अलमारी साफ करते हुए किताब मिली थी उसी में इस तरह के शब्द का प्रयोग किया हुआ था,,, गराया बदन ,,,,गदराया जिस्म,,, ग़दराई घोड़ी,,,,इस तरह के शब्द में पहली बार पढ़ रहा था किताब में पहले तो मुझे समझ में नहीं आया इन शब्दों का मतलब क्या होता है,,,।

फिर तुझे कैसे पता चला कि यह शब्द औरत के बदन के लिए उपयोग किया जाता है,,,।


क्योंकि इस तरह के शब्द के सामने ही छोटे-छोटे चित्र बने हुए थे और उन चित्रों मेंतुम्हारी जैसी ही औरत थी उसका भी बदन तुम्हारे जैसा ही था मैं समझ गया कि इस तरह के शब्दों का प्रयोग इस तरह की औरतों के लिए किया जाता है,,,,।(उत्तेजना के मारे अंकित गहरी सांस लेते हुए बोला उसकी बात सुनकर सुगंधा मंद मंद मुस्कुरा रही थी उसे बहुत अच्छा लग रहा था अपने बेटे के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर फिर वह भी गरम आहे भरते हुए बोली,,,)





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चलो उस गंदी किताब से कुछ तो सीखने को मिला तुझे,,,,।

तुम सच कह रही हो मम्मी वह गंदी किताब एकदम जादुई किताब की तरह है,,,,

जादुई किताब में कुछ समझी नहीं,,,,।

अरे एक बार पढ़ना शुरू करो तो बिना पढ़े मन नहीं मानता,,,।

तेरा भी मन नहीं मान रहा था क्या,,,?

अब क्या करूं किताब ही कुछ ऐसी थी मेरी जगह कोई भी होता तो उसकी भी यही हालत होती,,,।

बिल्कुल तेरे जैसे ही तेरे पिताजी की भी हालत हुई थी तेरे पापा भी सारी रात जागकर वह किताब पढे थे,,,,।
(सुगंधा एक बार फिर से अपने बेटे के सर पर अपनी चुचियों का भार देकरउसके पेट पर साबुन लगाने लगी थी और उसके पेंट में बने तंबू को देख रही थी जिसकी हालत पूरी तरह से खराब हो चुकी थी,,, ऐसा लग रहा था कि अंकित का लंड चड्डी फाड़ कर बाहर आ जाएगा,,,)

क्या कह रही हो मम्मी क्या सच में,,,।

हां मुझे तो नहीं मालूम मैं तो सो गई थी सुबह तेरे पापा ही बताएं की सारी रात जाग कर वह किताब खत्म किए थे,,,, इसीलिए तो उनकी याद के तौर पर वह किताब रखे रह गई,,,,,, अच्छा चल अब खड़ा हो जा तुझे ठीक से साबुन लगा देती हुं,,,,,,।
(अपनी मां की बात सुनते ही अंकित अपनी जगह पर उठकर खड़ा हो गया और सुगंधा ठीक उसके पीछे खड़े होकर उसके बदन पर साबुन लगाने लगी उसे इस तरह से पीछे खड़े होकर साबुन लगा रही थी मानो जैसे उसे पूरी तरह से अपनी बाहों में भर ली हो,,,उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां अंकित की पेट पर रगड़ खा रही थी जिसका एहसास अंकित के तन बदन में आग लग रहा था उसकी हालत पूरी तरह से खराब हो चुकी थी अपनी मां की हरकत पर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहा था मन तो उसका कर रहा था कि अपनी मां की आंखों के सामने चड्डी में से अपने लंड को बाहर निकाल ले और जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दे,,,, लेकिन बड़ी मुश्किल से वह अपनी भावनाओं पर काबू किए हुए था।



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सुगंधा जानबूझकर अपने बेटे को पूरी तरह से उत्तेजित कर रही थी अपनी चूचियां जो की पेटीकोट में कैद थी जिस पर पेटिकोट की डोरी बंधी हुई थी उस अधनंगी चूची को अपने बेटे की पीठ पर रगड़ रगड़ कर उसके अरमानों को जगा रही थी,,, और उसके अरमान मचल भी रहे थे,,,एक बेटा होने के नाते वह अपनी मां के साथ इस तरह की हरकत करने से अपने आप को रोक रहा था अपनी भावनाओं पर काबू किए हुए था अगर उसकी मां की जगह कोई और औरत होती तो अब तक शायद उसका मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में घुस गया होता,,,, लेकिन फिर भी जो कुछ भी हो रहा था वह मां बेटे दोनों के सब्र के बांध को तोड़ने के लिए काफी था,,, लेकिन मां बेटे दोनों जिस तरह से अपनी भावनाओं पर अपनी उत्तेजना परअपनी जरूरत पर काबू किए हुए थे वह बेहद काबिले तारीफ थी और शायद इसी में अत्यधिक आनंद की प्राप्ति भी हो रही थी वरना अब तक दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो चुका होता तो शायद इस तरह का आनंद उन्हें प्राप्त नहीं होता या फिर इस तरह के कामुक खेल में उन्हें इस तरह का आनंद कभी नहीं मिलता।सुगंधा धीरे-धीरे अपने बेटे के बदन पर साबुन लगाकर पूरी तरह से उसे झाग से नहला दी थीऔर खुद उसकी पीठ पर अपनी चूची रगड़ रगड़ कर अपने बदन पर भी अपने बेटे के बदन का झाग लगाकर मस्त हो रही थी,,,,।





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अब कैसा लग रहा है बेटा,,,?

पूछो मत मम्मी बहुत अच्छा लग रहा है क्या बचपन में भी तुम इसी तरह से मुझे नहलाती थी,,,।

नहीं अब थोड़ा नहलाने का तरीका बदल गया है क्योंकि अब तु बड़ा हो गया है,,,,(ऐसा कहते हुए अपने बेटे के तंबू की तरफ देखने लगी,,,,, अंकित अपनी मां के कहने के मतलब को समझ रहा था,,, वह जानता था कि दोनों के बीच एक पतली सी मर्यादा की रेखा पर हैऔर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि ना जाने यह मर्यादा की रेखा कितनी मजबूत है कितना कुछ होने के बावजूद भी वह टूट नहीं रही है बस उसके टूटने की देरी बाकी दो जिस्म एक जान हो जाते ,,,, अपनी मां की बात सुनकर अंकित मदहोश होता हुआ बोला,,,)

तुम्हारे इस तरीके में मुझे बहुत मजा आ रहा हैकाश जिंदगी भर तुम इस तरह से मुझे नहलाती तो नहाने का मजा ही कुछ और होता,,,।

सच कह रहा है रे तूमुझे भी ऐसा ही लग रहा है कि काश में जिंदगी भर तुझे अपने हाथों से नहलाती तू भी मुझे अपने हाथों से साबुन लगा लगा कर नहलाता तो कितना मजा आता,,,।

तृप्ति के आने तक ऐसा हो सकता है हम दोनों एक दूसरे को नहला सकते हैं,,,।




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(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा मुस्कुराने लगी वह जानती थी कि उसका बेटा अच्छी तरह से जानता है कि इस तरह नहलाना धुलानाकिसी तीसरी के सामने नहीं कर सकते और तृप्ति तो उसकी बहन थी उसकी बेटी थी,,भला उसकी आंखों के सामने एक मां बेटा इस तरह के हालात में कैसे उपस्थित हो सकते थे,,, और वह भी एक साथ नहाने के लिए,,, अपने बेटे की बात सुनकर पूरी तरह से उसे अपनी बाहों में कसते हुए साबुन लगाने के बहाने,,,, वह अपने बेटे के नितंबों पर अपनी बुर वाला हिस्सा एकदम से सटा दी,,, अपनी मां की ही हरकत से अंकित पूरी तरह से गर्म हो गया,,,,, और सुगंधा उसकी मोटी मोटी जांघो तक अपना हाथ ले जाकर के उसे साबुन लगाते हुए बोली,,)

बिल्कुल ठीक कह रहा है तू त्रप्ति के आने तक हम दोनों एक दूसरे को इसी तरह से नहला सकते हैं,,,, वैसे मैं साबुन तो ठीक से लगाई हुं ना तु इसी तरह से नहाता है ना,,,।

हां लेकिन थोड़ा सा रह गया है लाओ में साबुन लगा देता हूं,,,(अपनी मां की बात सुनकर वह थोड़ा सा विचार करने के बाद बोला उसके मन में गुदगुदी हो रही थी वह इतना कहते हुए बेहद उत्तेजना का अनुभव कर रहा था क्योंकि उसके मन में अब कुछ और चल रहा था,,,,)

अरे कहां रह गया है मुझे तो बता मुझे तो नहीं लग रहा है कि कहीं साबुन लगाना रह गया हो,,,,(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा ठीक उसके सामने जाकर खड़ी हो गई और इधर-उधर देखने लगी,,,)





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अरे रहने दो ना मैं लगा देता हूं,,,(साबुन के लिए हाथ बढ़ाते हुए मुस्कुराते हुए अंकित बोला उसके चेहरे पर शर्म की लकीरें साफ दिखाई दे रही थी,,, उसके चेहरे को देखकर सुगंधा समझ गई कि कुछ तो बात है इसलिए वह फिर से बोली,,,)

अरे क्या बात है मुझे तो बताकहां रह गया है साबुन लगाना में लगा देता हूं और वैसे भी आज मैं ही तुझे नहलाऊंगी,,,,।

मैं मना थोड़ी ना कर रहा हूं लेकिन लाओ में साबुन लगा लूं,,,,,।

देख अब मुझे अच्छा नहीं लग रहा है,,, बता दे कहां साबुन लगाना रह गया है जहां तू अपने हाथ से लगाना चाहता है,,,(बार-बार सुगंधा की नजर अपने बेटे के चड्डी में बने तंबू पर चली जा रही थी वाकई में उसके तंबू का आकार ऐसा लग रहा था थोड़ा और बढ़ चुका था जिसे देखकर बार-बार सुगंधा की बुर पानी छोड़ रही थी।अंकित जी अपनी चड्डी में बने तंबू को अपनी मां की नजर से छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था ऐसा लग रहा था कि वह जानबूझकर अपनी मां की नजर को अपनी चड्डी के अंदर तक लाना चाहता था,,,इसलिए तो रह रह कर वह अपनी कमर को हल्का सा गोल-गोल घुमा दे रहा था जिसके चलते उसके चड्डी में बना तंबू लहराने लगता था,,,, अपनी मां की बात सुनकर वह शर्माने का नाटक करते हुए बोला,,,)

क्या बोलूं कैसे बोलूं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है मुझे थोड़ा शर्म महसूस हो रहा है,,,।

देख मेरे सामने शर्माने की जरूरत तुझे बिल्कुल भी नहीं है इसलिए बता कहां साबुन लगाना रह गया है,,,,।




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चड्डी के अंदर,,,(अंकित एकदम से बोल पड़ा)मुझे वहां भी सफाई पसंद है क्योंकि अगर वहां साबुन लगाकर अच्छे से साफ ना करो तो खुजली होने लगती है,,,,।


ओहहहह यह बात है,,,, बरखुरदार को सफाई पसंद है,,,, तू सच में तेरे बाप पर ही गया है,,,,।

ऐसा क्यों,,,?

क्योंकि तेरे पापा को भी सफाई पसंद थी वह भी चड्डी में हाथ डालकर साबुन लगा लगा कर साफ करते थे,,,,।
(अपनी मां की आवाज सुनकर अंकित मजाकीया अंदाज में बोला,,,)

तुम देखती थी मम्मी पापा को नहाते हुए,,,,।

तो इसमें कोई बड़ी बात थोड़ी थी ज्यादातर हम दोनों साथ में रहते थेक्योंकि सब कोई बच्चे नहीं थे और हम दोनों घर पर अकेले ही रहते थे इसलिए नहाते समय में कपड़े धोती थी और वह नहाते थे वह मुझे देखते थे मैं उन्हें देखती थी,,,(सुगंधा जानबूझकर यह बात बोली थी,,,,, वह यह जताना चाहती थी की नहाते समय उसके और उसके पति में कितना खुलापन था,,,, और फिर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) तभी तो आज तेरे साथ नहा कर मुझे तेरे पापा याद आ गए,,,, अच्छा हुआ तु बता दिया,,,, ला मैं साबुन लगा देती हूं,,,,,






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( अपनी मां की बात सुनक अंकित के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी वह मदहोश होने लगा वह जानता था कि उसकी मां क्या कह रही थी उसका ऐसा कहने का मतलब था कि उसकी चड्डी में हाथ डालकर साबुन लगाना जिसमें उसकी मां की हथेलियां का स्पर्श उसके लंड पर भी हो सकता है यह सोचकर ही अंकित का लंड उत्तेजना के मारे ठुनकी मारने लगा,,,, और फिर भी जानबूझकर अपनी मां को ऐसा न करने के लिए बोला,,,)

रहने दो मम्मी में लगा लेता हूं वहां पर लगाना ठीक नहीं है,,,।

क्यों ठीक नहीं है,,,! बचपन में मैं तेरे पूरे बदन में साबुन लगा कर तुझे नहलाती थी,,,।

फिर वही बात मैं फिर से कह रहा हूं की बचपन की बात कुछ और थी अभी तुम वहां पर अपने हाथ से साबुन नहीं लगा सकती,,,,।

क्यों नहीं लगा सकती तो तब भी मेरे लिएवही अंकित था और आज भी मेरे लिए वही छोटा सा अंकित ही है मुझे मत सीखा मैं जानती हूं कि तेरा अब वह बड़ा हो गया है,,,(चड्डी में बने तंबू की तरफ देखते हुए,,,)

अंकित अपनी मां की मादक नजर और इस तरह की बात से एकदम से सनसना गया था,,,, वह कुछ बोल नहीं पाया और उसकी मां उसकी आंखों में देखते हुए मुस्कुराते हुए आगे बढी और धीरे से बोली,,,,।

तु चिंता मत कर मैं अपनी आंख बंद कर लूंगी,,,,।

(अपनी मां की यह बात सुनकर अंकित मन ही मन में तड़प उठा,,,,और अपने मन में ही खुल ऐसा क्यों मम्मी आंखें क्यों बंद करोगे आंखें खोल कर मेरी चड्डी में हाथ डालकर साबुन लगाओ मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ो,,,,आहहहहह मम्मी,,,,,, अंकित मन ही मन में उत्तेजित हुआ जा रहा था और वह कुछ बोल पाता है इससे पहले ही सुगंधाअपना साबुन वाला हाथ अपने बेटे की चड्डी में डाल दी और वादे के मुताबिक वह अपनी आंखों को बंद कर ली थी,,,, क्योंकि सुगंधा जानती थी कि आंखें खोल कर तो वह खुद अपने बेटे से नजर नहीं मिल पाएगी इस तरह से साबुन लगाते हुए आंखें बंद करके वह अपनी बेटी के लंड को अच्छी तरह से टटोल तो लेगी,,,, पल भर में ही अंकित के बदन में मस्ती की लहर उठने लगी वह मदहोश होने लगा,,,, अपनी चड्डी में अपनी मां की हथेली महसूस करते ही वह सातवें आसमान पर पहुंच गया। एक अजब सा एहसासमैं वह पूरी तरह से डूबने लगा वह कभी सोचा नहीं था कि उसके जीवन में ऐसा भी पल आएगा कि उसकी मां पूरी तरह से जवान हो जाने पर उसे अपने हाथों से नहलाएगी उसकी चड्डी में अपना हाथ डालकर साबुन लगाएगी,,, इसलिए अंकित को यह सब किसी सपने से कम नहीं लग रहा था।



अंकित से भी ज्यादाहालत खराब सुगंधा की हो रही थी अपने बेटे की छुट्टी में हाथ डालते ही उसे जल्दी एहसास हो गया कि उसकी चड्डी में किस तरह का हथियार है अपनी हथेली पर उंगलियों पर अपने बेटे के गम लंड का रगड़ उसका स्पर्श महसूस करते ही सुगंधा की बुर से पानी झड़ने लगा,,,,और पल भर में उसे एहसास हो गया कि वाकई में अगर उसके बेटे का लंड उसकी बुर में घुस गया तो तबाही मचा देगा,,, बरसों की प्यास को एक ही बार की चुदाई में बुझा देगा,,,,, सुगंधा गहरी गहरी सांस ले रही थीअपनी आंखों को बंद किए हुए वह अपने बेटे की चड्डी में हाथ डालकर उसके मोटे तगड़े लंड का एहसास कर रही थी,,,, और अंकित भी अपनी मां की नरम नरम उंगलियों का स्पर्श अपने गरम लंड पर पाकर घबरा सा गया था की कहीं उसका लंड पानी न छोड़ दे।

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बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है सुगंधा ने अंकित को अपने साथ नहाने के लिए बोल दिया है वह अंकित के पूरे शरीर पर साबुन मल कर उसे नहलाना चाहती हैं एक जगह रह जाती हैं अंकित के बताने पर वह वहां पर साबुन लगा कर अंकित के हथियार का मुआवना कर लेती है ये पल दोनों के लिए बहुत ही उत्तेजित था अंकित को डर था कि कही उसका पानी नहीं निकल जाए वहीं सुगंधा की बुर में से तो वर्षों से जमा पानी निकल रहा था दोनों के बीच जो कुछ चल रहा है वो एक इंसान का पानी निकालने के लिए काफी है
 

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घर के पीछे का माहौल पूरी तरह से गरमा चुका था, मां बेटे दोनों पूरी तरह से मत हुए जा रहे थे ठंडे-ठंडे पानी में होने के बावजूद भी दोनों के बदन में अत्यधिक गर्मी का एहसास हो रहा था,,, अंकित इस अद्भुत और रोमांचक पल में पूरी तरह से डूबने लगा था यह वह पल था जिसे जीने के लिए शायद हर एक बेटा केवल अपने मन में कल्पना कर सकता है लेकिन ऐसा पल वह वास्तविक रूप से जी नहीं सकता,, और ऐसा तभी संभव हो सकता है जब मां बेटे दोनों के बीच किसी तरह का आकर्षक हो दोनों के बीच अत्यधिक शारीरिक आकर्षण के साथ-साथ शारीरिक संबंध स्थापित हो या फिर शारीरिक संबंध स्थापित होने की संभावना हो, इसलिए अंकित अपने आप को पूर्ण रूप से भाग्यशाली समझ रहा था बचपन में तो सभी लड़के अपनी मां के हाथों से नहाते हैं लेकिन जवानी का हाल ही कुछ और होता है,,, जवानी में बेटा पूरी तरह से मर्द बन चुका होता है उसके अंगों का उभार उसकी शारीरिक क्षमता को दर्शाता है,,, जवान होने पर वह किसी भी औरत को अपनी तरफ आकर्षित करने में सक्षम होता है और इन सब में सबसे अहम भूमिका होती है उसकी दोनों टांगों के बीच के लटकते हथियार की जिसके बारे में औरतें अत्यधिक सोच विचार करती हैं,,, और इसीलिएअंकित अपने आप को भाग्यशाली समझ रहा था क्योंकि अब वह पूरी तरह से जमाना चुका थाउसके शारीरिक विकास पूरी तरह से उसे मर्द साबित कर रहे थे और साथ ही उसका लंडजिसे सिवा किसी भी औरत को संतुष्ट करने की क्षमता रखता था वह पूरी तरह से अपने उफान पर था,,।



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ऐसे में उसकी मां उसे नहलाते हुए उसकी चड्डी में हाथ डालकर साबुन लगा रही थी जिससे जाहिर सी बात थी कि उसकी उंगलियों और हथेलियों का स्पर्श उसके मोटे तगड़े लंड पर होना लाजिमी था,, और ऐसा हो भी रहा था जिसके चलते मां बेटे दोनों पूरी तरह से गर्म हो चुके थे दोनों की हालत खराब होती चली जा रही थी,,,अंकित अपनी आंखों को बंद कर लिया था क्योंकि वह जानता था कि वह इसे अत्यधिक उत्तेजना को बर्दाश्त नहीं कर पाएगा और उसे इस बात का डर था कि कहीं उसका लंड पानी न छोड़ दे,,,लेकिन इन सबके बावजूद तो वह अपनी मर्दाना ताकत को आजमाना चाहता था वह देखना चाहता था कि इतनी अत्यधिक उत्तेजना ऊर्जा का संचार लंड के इर्द-गिर्द होने से उसका लंड कितनी देर तक टिक पाता है, और वास्तविक रूप यही अपने आप को देर तक टिका पानी की क्षमता को ही औरतों पसंद करती है वरना तो बुरे में लंड कोई भी सामान्यमर्द भी डालकर अपनी कमर हिला सकता है लेकिन सबसे ज्यादा अहम भूमिका इस मर्द की होती है औरत इस मर्द की गुलाम बन जाती है जो अत्यधिक देर तक धक्के पर धक्का लगाकर औरत को बुरी तरह से झाड़ देता है और वह भी बिना झड़े, और अंकित अपनी मर्दाना अंग पर पूरा विश्वास रखता थाउसे पूरा यकीन था कि वह किसी भी औरत को संपूर्ण रूप से संतुष्ट करने की क्षमता रखता है जिसका एहसास उसे दो औरतों की चुदाई करके हो चुका था एक अपनी ही नानी की और सुमन की मां की उनकी चुदाई करते समयएक क्षण के लिए भी अंकित को नहीं लगा था कि उसकी चुदाई से वह दोनों औरतें संतुष्ट नहीं है दोनों के चेहरे पर संतुष्टि के भाव एकदम साफ दिखाई देते थे और यह देखकर अंकित भी पूरी तरह से गदगद हो जाता था,,,,।






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इसी तरह से साबुन लगाता है ना अंकित तु,,,,।

हां मम्मी,,,(मदहोशी भरे श्वर में हालांकि अभी भी उसकी आंखें बंद थी, और यह देखकर सुगंधा के चेहरे पर मुस्कान तैर रही थी,,,) बिल्कुल ऐसे ही रगड़ रगड़कर साबुन लगाना पड़ता है मुझे क्योंकि अगर इस जगह की सफाई ना करो तो पसीने की वजह से खुजली हो जाती है और खुजली हो जाती है तो परेशानी हो जाती है इसलिए मैं इस जगह को बराबर और रोज साफ करता हूं,,,।

अच्छा हुआ तूने मुझे बता दिया वरना मैं तो ऐसे ही तुझे नहलाने वाली थी,,,,(ऐसा कहते हुए सुगंधा की हालत खराब होती चली जा रही थीबार-बार उसकी उंगलियों से उसकी हथेलियां से उसके बेटे का लंड पूरी तरह से स्पर्श खा जाता था रगड़ खा जाता था और तो और लंड की लंबाई इतनी थी कि चड्डी की इलास्टिक आगे की तरफ खींच जाती थी जिसकी वजह से लंड की जड़ एकदम साफ नजर आती थी जिसे देखकर सुगंधा की बुर पानी पानी हो रही थी,,,, सुगंधा अच्छी तरह से जांघों के ऊपरी हिस्से पर कोने की तरफ साबुन लगा लगा कर झाग से तर-बतर कर दी थी,,,,,सुगंधा का मन तो कर रहा था कि इसी समय अपने हाथों से अपने बेटे की चड्डी उतार कर उसे पूरी तरह से नंगा करके उसके मोटे तगड़े लंड से खेलना शुरू कर दे क्योंकिइस तरह की उत्तेजना सुगंधा से भी बर्दाश्त नहीं हो रही थी उसे अपनी बुर फुलती हुई पिचकती हुई महसूस हो रही थी,,लेकिन फिर भी साबुन लगाते हुए वह अपने बेटे से इस बारे में जानकारी ले लेना चाहती थी इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोली,,,)

इस पर भी साबुन लगाता है क्या,,,,?(इतना कहकर वहां अंकित की तरफ देखने लगी जो की मदहोशी में अपनी आंखें बंद करके आनंद लूट रहा था,,, अपनी मां की बात सुनकर वह आंखों को खोले बिना ही बोला,,,)

किस पर,,,,(आंखों को बंद किए हुए ही बोला)

अरे इस पर,,,(अपने बेटे की चड्डी में हाथ डाले हुए ही सुगंधा बोली,,,,)





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अरे किस पर बोल रही हो बताओ तो सही,,,(अंकित समझ गया था कि उसकी मां किस बारे में बात कर रही है लेकिन फिर भी वह अपनी मां के मुंह से सुनना चाहता था जो कि अपने बेटे की बातें सुनकर बोली,,,)

अरे इसी पर समझ में नहीं आ रहा है क्या तुझे इस पर भी साबुन लगाता है कि नहीं,,,, आंखें खोल कर देखेगा तब ना तुझे समझ में आएगा,,,,।

मेरी आंख में साबुन लगा हुआ है मेरी आंखें नहीं खुल पाएंगी तुम थोड़ा खुल कर बताओ सब जगह तो साबुन लगा ली हो अब किस पर लगाना बाकी रह गया है,,,।

अरे बुद्धू मुझे भी मालूम है कि मैं पूरे बदन पर साबुन लगा दी हूं लेकिन,,,,(चड्डी में हाथ डाले हुए ही अपने अंगूठे और उंगली के सहारे से अपने बेटे के लंड की जड़ को पकड़ कर हल्के से हिलाते हुए,,,) इस पर भी साबुन लगाता है कि नहीं,,,,।

(इस हरकत को करते हुए सुगंधा के तन बदन में अजीब सी लहर उठ रही थी वह पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी,,,, और तो और सुगंधा से भी ज्यादा हालत खराब अंकीत की हो गई थी अपनी मां की हरकत से अंकित पूरी तरह से आश्चर्यचकित हो गया था,,,जिस तरह से उसने अपनी उंगलियों का सहारा लेकर उसके लंड को पकड़ कर हल्के से हिला कर पूछी थी अपनी मां की हरकत पर अंकित पूरी तरह से चारों खाने चित हो गया था उसका दिमाग काम करना बंद हो गया था पल भर के लिए उसे ऐसा लगा कि उसके लंड से पानी की पिचकारी फुट पड़ेगी । उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दे,,,, वह अपने मन में बन चुका था कि हां बोल दे लेकिन न जाने कैसे उसके मुंह से निकल गया,,,)





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नहीं इस पर नहीं लगाता,,,,,(अंकित यह शब्द बोलकरबुरी तरह से पछता रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके मुंह से यह शब्द कैसे निकल गए शब्दों के बाण उसके मुंह से निकलते ही वह अपने आप पर ही गुस्सा हो गया था,,,मुंह से निकलने वाला शब्द भी किसी बाण से कम नहीं होता एक बार निकल गया तो उसे वापस नहीं लिया जा सकता,,,, एक पल कोअंकित को लगा कि वह बोल दे कि हां इस पर भी साबुन लगता है लेकिन वह इस समय ऐसा कहना उचित नहीं समझ रहा था क्योंकि उसकी मां ऐसा ही समझे कि जानबूझकर वह पकडाने के लिए उसे ऐसा बोल रहा है,,,, इसलिए वह मन होने के बावजूद भी नहीं बोल पाया,,, ऐसा नहीं था कि अंकित की बात से उसकी मां को निराशा नहीं हुई थी,,उसे लगा था कि उसका बेटा हां बोलेगा लेकिन उसे भी बड़ा दुख हुआ जब उसके बेटे ने उसे पर साबुन लगाने से इनकार कर दिया थाऔर अंकित की तरह उसके मन में भी हुआ था कि वह अपने मुंह से बोल दे कि इस पर भी साबुन लगाकर में साफ कर देता हूं लेकिन ऐसा करना वह भी उचित नहीं समझ रही थी क्योंकि उसके मन में भी ऐसा हो रहा था कि अगर वह ऐसा बोलेगी तो उसका बेटा यही समझेगा कि उसकी मां उसका लंड पकड़ने के लिए ऐसा बोल रही है,,, इसलिए वह भी अपने मन में आए इस ख्याल को जाने दे और थोड़ी देर इस तरह से साबुन लगाने का मेकअप करते हुए अपने बेटे के लंड की रगड़ को अपनी हथेली पर महसूस करके अपनी बुर से पानी बहाती रही,,,, और फिर थोड़ी देर बाद अपना हाथ अपने बेटे की चड्डी में से बाहर निकाल ली,,,।





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देख तुझसे भी बढ़िया में साबुन लगा दी हुं,,,,।

मुझे भी ऐसा ही लग रहा है,,,(इस दौरान भी चड्डी में तंबू बना हुआ था उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में खड़ा था और उसके चड्डी की इलास्टिक आगे को तनी हुई थी जिसमें से उसके लंड की जड़ एकदम साफ दिखाई दे रही थी जिसे देखकर सुगंधा पानी पानी हो रही थी,,,,पल भर के लिए सुगंधा के मन में यह ख्याल आता था कि वह किस लिए रुकी है किस लिए अपने आप पर इतना काबू करके बैठी है आखिरकार अपने आप पर संयम रखने में उसे क्या मिल जाएगा उसकी आंखों के सामने कुएं का ठंडा पानी है और वह प्यासी तड़प रही है,,, इतना कुछ तो हो चुका है दोनों के बीच बस लंड को बुर में जाने की दे रही है,,,, फिर उसके बाद जो अद्भुत सुख प्राप्त होगा जो कलेजे को ठंडक मिलेगी उसका वर्णन करना संभव हो जाएगाऔर उसके बाद सब कुछ सामान्य तौर पर चलता रहेगा किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा चार दिवारी के अंदर मां बेटे के बीच क्या हो रहा है भला किसी दूसरे को कैसे पता चल सकता है,,,,लेकिन कैसे शुरुआत की जाए कैसे मैं अपने बेटे को कह दूं कि अब अपने लंड को मेरी बुर में डाल दीसाला यह भी तो निकम्मा है इतना कुछ होने के बावजूद भी नहीं समझ पा रहा है अगर उसकी जगह कोई और लड़का होता तो अब तक शायद मुझे पटक कर मेरी चुदाई कर दिया होता,,, सब कुछ तो उसकी आंखों के सामने हैएक जवान लड़के को भला एक खूबसूरत मां इस तरह से क्यों नहीं लेगी क्यों उसकी चड्डी में हाथ डालेगी क्यों उसे इस तरह की असलियत सवाल पूछे कि यह सब भी तो यह निकम्मा बिल्कुल भी नहीं समझ रहा है,,, हाय रे मेरी फुटी किस्मत,,,, अपने हाथ को अपने बेटे की चड्डी में से बाहर निकालते हुए सुगंधायह सब सो रही थी और अपने आप पर भी और अपने बेटे पर भी मन ही मन क्रोधित हो रही थी,,,,।





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अंकित की आंखें अभी भी बंद थी चड्डी में बना तंबू उसके मन में क्या चल रहा है सब कुछ बयां कर रहा था,,, बस उसके मन की बात उसकी तरफ से किसी भी प्रकार की हरकत में नहीं बदल रही थी हालांकिवह इतना तो बेशर्म हो चुका था कि अपनी चड्डी में बने तंबू को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था इतना तो उसे एहसास ही हो रहा था कि जब उसकी मां उसे सब कुछ दिखाने पर आतुर है तो वह भला अपनी तरफ से मर्यादा में रहने का ढोंग क्यों करें,,, घर के पीछे कुछ पल के लिए पूरी तरह से सन्नाटा छा चुका था दोपहर का समय था आज पड़ोस में भी सन्नाटा छाया हुआ था दीवार के पीछे की तरफ मैदान ही मैदान था दोपहर में वहां से किसी के गुजरने की भी आशंका नहीं थी इसलिए मां बेटे पूरी तरह से निश्चिंत थे,,,,गहरी सांस लेते हुए अपनी बेटी के चड्डी में बने तंबू को और उसके लंड की जड़ को जो की चड्डी में से एकदम साफ तौर पर बाहर की तरफ झलक रहा था उसे देखकर वह कुछ सोच कर बोली,,,,।

अब तेरी बारी है,,,,।
(इतना सुनते ही अंकित के तन बदन में ससुराल सी तोड़ने लगी उसे अपनी मां की बात का मतलब अच्छी तरह से समझ में आ रहा था लेकिन फिर भी उसे अपने कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था इसलिए वह फिर से तसल्ली करने के लिए अपनी मां से बोला,,)


मेरी बारी मतलब मे कुछ समझा नहीं,,,,,,!





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अरे बुद्धू जिस तरह से मैं तुझे साबुन लगाई इस तरह से तू भी मेरे बदन पर साबुन लगा,,,।

सच में,,,(एकदम उत्साहित होता हुआ वह बोला,,)

हां सच में,,,,(सुगंधा जानती थी कि उसका बेटा ऐसा क्यों पूछ रहा था और वह अपने बेटे की मनुस्थिति को भी अच्छी तरह से समझ रही थी उसके चेहरे की रौनक उसके चेहरे पर आए बदलाव उसके मन कीबातों को बयां कर रहे थे वह समझ गई थी कि एक औरत के बदन पर साबुन लगाने की खुशीसे उसका चेहरा कितना लाल हो चुका है उसके मन में कितनी उमंगे उठ रही हैं इसलिए अपने बेटे की हालत को देखकर वह भी खुश हो रही थी और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)

चल अब जल्दी से साबुन ले और मेरे बदन पर लगा अच्छी तरह से लगाना जैसा मैंने तेरे बदन पर लगाई हूं एक भी कोना बाकी नहीं रहना चाहिए,,, तेरी ही तरह मुझे भी सफाई पसंद है,,,,।(इतना कहते हुए सुगंधा लकड़ी की पाटी पर गांड रख कर बैठ गई,,,, और अंकित एकदम उत्साहित होकरजल्दी से पानी के छिंटे अपनी आंख पर मरने लगा क्योंकि साबुन के लगने की वजह से उसकी आंख में जलन हो रही थी और वह इस समय अपनी मां के बदन के हर एक कोने को देखना चाहता था हर एक कोने पर अपना हाथ फिराकर उसपर साबुन लगाना चाहता था,,, अंकित का उत्साह एकदम से बढ़ गया था अभी भी उसके बदन पर साबुन का झाग लगा हुआ था और वह इस समय अपने बदन पर पानी बिल्कुल भी डालना नहीं चाहता था,,,, और ना ही समय गंवाना चाहता थाक्योंकि वह नहीं चाहता था कि उसकी मां अगले ही पल कुछ सोच कर उसे ऐसा करने से रोक देइसलिए वह तुरंत अपने हाथ में साबुन ले लिया था और अपनी आंखों को साफ करके वह ठीक अपनी मां के पीछे खड़ा हो गया था जहां से उसकी मां की मदमस्त कर देने वाली चूचियां एकदम से दिखाई दे रही थी उसे पर बनी हुई डोरी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी मां की बेलगाम जवानी पर लगाम कसे हुए हैं,,,, और इसी लगाम को उसे छुड़ाना था,,,, हाथ में साबुन लिए हुए वह अपनी मां की मदमस्त कर देने वाली चूचियों को देखकर वह धीरे से अपनी मां के कंधों पर साबुन लगाना शुरू कर दिया,,,।





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लगभग यह उसका दूसरा मौका था जब वह अपनी मां के बदन पर साबुन लगा रहा थाइस तरह से वह अपनी मां के बदन पर पहले भी साबुन लगा चुका था जब उसकी मां की तबीयत खराब थी लेकिन आज का यह दिन और उसे दिन में जमीन आसमान का फरक था,,,उसे दिन की बात उसे दिन का माहौल कुछ और था और आज का माहौल पूरी तरह से मदहोश कर देने वाला था,,,, उस दिन उसकी मां की तबीयत खराब थी,,,, इसलिए अंकित चाह कर भी उस अवसर का लाभ नहीं ले सकता था,,, लेकिन आज की बात कुछ और थी आज मौका भी था और दस्तूर भी था आज उसकी मां पूरी तरह से होशो हवास में थी और अपने ओशो हवास में होने के बावजूद भी उसे बदहवास कर रही थी अपने ही बेटे का होश उड़ा रही थी,,,,अंकित अपनी मां की कंधों पर धीरे-धीरे साबुन लगा रहा था और उसकी तेज नजरे पेटिकोट की डोरी से अंदर की तरफ झांक रही थी पानी में भीग जाने की वजह से च की निप्पलतने हुए भाले की नोक की तरह पेटिकोट फाड़कर बाहर आने के लिए आतुर नजर आ रही थी,,,, और इस मादकता भरे नजारे को देखकर खुद अंकित का लंड अंडरवियर फाड़ कर बाहर आने के लिए मचल रहा था।






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अंकित बार-बार अपनी मां की चूचियों की तरफ और अपने चड्डी में बने तंबू की तरफ देख रहा था जिस तरह से उसकी मां अपनी चुचियों का भर उसके सर पर लादकर उसे साबुन लगा रही थी उसी तरह से वह अंडरवियर में तने हुई अपने लंड को अपनी मां की पीठ पर रगड़ते हुए उसे साबुन लगाना चाहता था ताकि उसकी मां को भी एहसास हो कि उसके बेटे पर क्या गुजर रही है,,,, सुगंधा मदहोश हो रही थी अपने जवान बेटे के हाथों से अपने बदन पर साबुन लगवा कर वह पूरी तरह से उत्तेजना के चरम शिखर पर विराजमान हो चुकी थी,,, वह अपने मन में यही सोच रही थी कि शायद वहपहली ऐसी मां है जो अपने जवान बेटे से अपने नंगे बदन पर साबुन लगा रही है और उसे अपने बदन का हर एक अंग देखने की पूरी छूट दे रही है,, ऐसा करने में उसे शर्म भी महसूस हो रही थी,,,,रह रहे कर उसके मन में यही ख्याल आता था कि यह वह क्या कर रही है अपने ही जवान बेटे के साथ उसे ऐसा नहीं करना चाहिए अपने बेटे को इस तरह से नहीं लुभाना चाहिए और वह भी अपना ही बदन दिखाकर,,, उसके जेहन मेंरह रहे कर यही सवाल पूछता रहता था कि क्या ऐसा करना उचित हैकहीं यह सब के दौरान उसका बेटा पूरी तरह से मदहोश होकर जवानी के जोश में उसके साथ कुछ कर बैठा और उसे पछतावा होने लगा तो वह क्या करेगी,,, भले ही उसे भी एक पुरुष संसर्ग की जरूरत है लेकिन हद से गुजरने के बाद जब होश में आएगी तो क्या वह अपने आप से नजर मिल पाएगी अपने बेटे से नजर मिल पाएगी।





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इस तरह के सवाल से उसका खुद का मन उसे झकझोर देता थाकुछ देर के लिए बस सोचने पर मजबूर हो जाती थी कि क्या वाकई में वह कुछ गलत कर रही हैएक मां होने की नाते वह एक मां की मर्यादा से निकलकर अपने बेटे के सामने पूरी तरह से निर्लज्ज वेश्या की हरकत क्यों कर रही है क्यों अपने बेटे की मां ना बनकर उसके सामने एक औरत बन जा रही है,,, क्या हर एक मां मे एक औरत होती है जो अपने ही अक्स से बाहर निकल कर अपनी जरूरतों को पूरा करती हैक्या उसकी तरह दूसरी भी औरतें ऐसा करती होगी अपने ही बेटे के साथ इस तरह की हरकत करके उन्हें मस्त करती होगी और उन्हें मजबूर करती होगी अपनी ही मां के साथ संबंध बनाने के लिए,,,, यह सब सवाल उसके मन में चल ही रहा था कि तभी उसे नूपुर की याद आ गई और तुरंत उसकी आंखों में चमक वापस लौट आई,,,पर अपने आप से ही बोली नूपुर भी तो ऐसा करती है अपने ही बेटे के साथ सारी संबंध बनाकर अपनी जरूरत को पूरा कर रही है अपनी संतुष्टि को भोग रही है जब वह ऐसा कर सकती है तो मैं क्यों नहीं कर सकतीउसके पास तो उसका पति भी है लेकिन उसके पास कौन है बरसों से वह इसी तरह क्या जीवन तो जी रही है अगर वह अपने बेटे के साथ सारी संबंध बनाना चाहती है और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाकर अपनी जरूरत को पूरा करना चाहती है तो इसमें हर्ज ही क्या है,,,,,। और भला किसी को क्या पता चलने वाला है की मां बेटे के बीच किस तरह का रिश्ता है,,,,,,, बहुत कुछ सोचने के बाद वह फिर से आगे बढ़ाने को अपने आप को तैयार कर ली और मन ही मन प्रसन्न होते हुए अपने बेटे से बोली,,,।

देख अंकित अच्छी तरह से साबुन लगाना मुझे अच्छी तरह से साबुन लगाकर नहाना पसंद है,,,।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मम्मी मैं शिकायत का मौका नहीं दूंगा,,,(अपने हाथों को धीरे-धीरे कंधों से नीचे की तरफ ले जाते हुए अंकित बोला)




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बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है सुगंधा ने अंकित के पूरे शरीर पर साबुन लगा दिया है साथ ही उसके हथियार पर साबुन लगा कर महसूस कर लिया है कि उसकी बुर में जाएगा तो गदर मचा देगा दोनों के बीच इतना सब कुछ हो रहा है लेकिन अंकित अभी तक कुछ नहीं कर रहा है इतना होने के बाद तो जाने कितनी बार सुगंधा की प्यास बुझ जाती अब अंकित सुगंधा के शरीर पर साबुन लगा रहा है
 
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