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Incest मुझे प्यार करो,,,

Sanju@

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घर के पीछे जो कुछ भी हुआ था वह बेहद अद्भुत था,,, जिसकी शायद ही मां बेटे ने कल्पना की थीकपड़े धोने के बाद नहाने के दौरान साबुन लगाते हुए जिस तरह से अंकित ने अपनी मां की पेटीकोट में दोनों हाथ डालकर उसकी गुलाबी फूलों के गुलाबी छेद में उंगली डालकर अंदर बाहर करते हुए उसका पानी निकला था यह बेहद काबिले तारीफ था,,, इसके बारे में सुगंधा कभी सोची भी नहीं थी,,, उसे उम्मीद नहीं थी कि उसका बेटा इतनी हिम्मत दिखाएगा और अपनी उंगलियों से उसका पानी निकाल देगा,,, अपने बेटे के द्वारा दिखाई गई यह हिम्मत सुगंधा को गर्व से गदगद किए जा रहा था। लेकिन जो कुछ भी हुआ था यह सुगंधा के सूझबूझ का ही नतीजा थावह जानती थी कि धीरे-धीरे अब उसे ही अपने बेटे के सामने खुलना होगा और अपने बेटे को उसके सामने खोलना होगा जिसमें वह पूरी तरह से कामयाब होती हुई नजर आ रही थी,,,, एक दूसरे के बदन पर साबुन लगाने की युक्ति उसी की ही थी,,।जिसमें वह पूरी तरह से कामयाब हो चुकी थी वह जानती थी की साबुन लगाने के बहाने उसका बेटा उसके अंगों पर जरूर हाथ फेरेगा,,, लेकिन यह नहीं जानती थी कि हाथ फेरने से भी ज्यादा बढ़कर वह उसकी बुर में उंगली करना शुरू कर देगा,,, इसलिए तो अपने बेटे की हरकत से काफी उत्साहित थी।




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टावल लपेटकर वह जिस तरह से अपने कमरे की तरफ गई थी उसे नहीं मालूम था कि उसकी गांड पूरी तरह से नग्न होकर उसके बेटे को फिर से दिखाई दे रही है,,, वह तो पूरी तरह से असहज थी वासना का तूफान गुजर जाने के बाद,,, वह अपने बेटे सेआंख मिलाने में भी शर्म महसूस कर रही थी इसलिए जल्द से जल्द अपने बेटे की नजर से वह ओझल हो जाना चाहती थी और इसी अफरा तफरी मेंवह ठीक तरह से टॉवल अपने बदन पर नहीं लपेट पाई और अपने बेटे को अपनी नंगी गांड दिखाते हुए अपने कमरे में चली गई और यह नजारा देखकर अंकित के बदन में फिर से सुरसुराहट होने लगी,,,, वह अपनी मां कोतब तक देखता रहा जब तक की उसकी मां अपने कमरे में चली नहीं गई आज एक अद्भुत सुख का अनुभव उसने किया था,,, जिसका एहसास जिसकी अनुभूति उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी उत्तेजना और मदहोशी में उसका चेहरा लाल हो चुका था,,,,उसे इस बात की खुशी थी कि जो कुछ भी उसने किया था उसको लेकर उसकी मां के मन में कोई ऐसी बात नहीं थी अंकित को अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि उसकी हरकत से उसकी मां को आनंद ही आया था इसलिए वह भी खुश नजर आ रहा था।





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जाते-जाते सुगंधा अपने बेटे को उसके बदन का कपड़ा जो कि मात्र केवल उसका अंडरवियर ही था उसे वहीं छोड़कर आने के लिए बोली थी,,, अंकित की उंगलियों में अभी भी उसकी मां की बुर की गर्मी का एहसास बराबर हो रहा था वह कैसे इतनी हिम्मत कर गया यह सोचकर वह खुद हैरान था अपनी मां की गुलाबी बुर पर अपनी हथेली रखकर उसमें उंगली अंदर बाहर करने का जो मजा उसे प्राप्त हुआ था उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल था,,, और ऐसा करते हुए जिस तरह से उसने अपने अंडर बियर को नीचे करके अपने टनटनाए लंड को निकाल कर जिस तरह से हिला रहा था और उसके बाद पूरी तरह से उत्तेजित होकर अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ पर ही उसे रगड़ रहा था वह बेहद अद्भुत प्रयास था जिसमें वह पूरी तरह से सफल हो चुका था,,,वह इस बात से हैरान था कि उसकी मां को उसके लंड की रगड़ का एहसास तो अच्छी तरह से हुआ होगा लेकिन वह उसे बिल्कुल भी रोकने की कोशिश नहीं कीउसे एक बार भी मन नहीं कर पाया पूछने की जेहमत नहीं की की है क्या चीज है जो उसकी पीठ पर रगड खा रही है चुभ रही है,,, उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उसकी मां को जरूर इसका एहसास हुआ होगा कि उसकी पीठ पर रगड़ने वाली मोटी तगड़ी चीज उसके बेटे का कौन सा अंग है।इस बात को सोचकर अंकित के मन में इस बात की प्रबलता और ज्यादा बढ़ती चली जा रही थी कि जैसा वह चाहता है उसकी मां भी वैसा ही चाहती है,,,




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इस बात का अहसास होते ही सिर्फ अपने बदन परफिर से पानी डालने लगा और कुछ ही देर में नहा कर वहां अपनी मां के कहे अनुसार अपनी चड्डी वहीं छोड़कर टॉवल अपनी कमर पर लपेट लिया,,,, एक बार झड़ जाने के बावजूद भीअपनी मां की नंगी गांड के दर्शन करके फिर से उसका लंड अपनी औकात में आ चुका था और इसीलिए टावल में तंबू बनाया हुआ था और वह उसी अवस्था में चलता हुआ अपने कमरे में चला गया,,, और कमरे में जाते ही एकदम नंगा हो गया,,,,वह आज बहुत खुश था क्योंकि आजसाबुन लगाने के बहाने उसने अपनी मां की बुर में उंगली डालने का सौभाग्य जो प्राप्त किया था और अपनी उंगली अंदर बाहर करते हुए उसे अद्भुत सुख की प्राप्ति भी कराया था और खुद झड़ गया था,,,खुद के झड़ जाने पर उसे अच्छी तरह से इस बात का एहसास हो रहा था कि उसकी मां की चिकनी नंगी पीठ उसकी गुलाबी बुर से कम नहीं थी,,,अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ की रगड़ पाकर भी वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था। यही सब सोचता हुआ वह नग्न अवस्था में ही अपने बिस्तर पर बैठ गया और अपनी दोनों टांगों के बीच खड़े हथियार को देखने लगा,,, आज इस तरह की उसके ही हथियार ने मैदान-ए-जंग में बहादुर दिखाया था उसे देखकर वह अपने हथियार से बेहद खुश था। वह उसे हल्के हल्के सहला रहा था उसे दुलार रहा था,,, और उसे अपनी मुट्ठी में भरते हुए अपने आप से ही बोला,,,।





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हाए मेरे राजा,,,, कब घुसेगा मेरी मां की गुलाबी बुर में बताना,,, मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,, मैं अच्छी तरह से जानता हूं की मां की गुलाबी बुर देखकर तेरी क्या हालत होती हैतुरंत तो खड़ा हो जाता है उसमें घुसने के लिए उस पर स्पर्श होने के लिए उसे छुने के लिए,,,, तेरी अकड़ देखकर मेंसमझ गया हूं कि तू मेरी मां की बुर में घुसने के लिए कितना देता है मैं जानता हूं कि जिस दिन पर तुझे मौका मिलेगा मां की बुर में घुसने के लिए तो तबाही मचा देगा मम्मी की हालत खराब कर देगा लेकिन यह मौका कब तो प्राप्त करेगा मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है लेकिन आज तूने जो बहादुरी दिखाया है उससे मैं बहुत खुश हूं आधा काम तो तूने कर दिया है लेकिन थोड़ी ओर हिम्मत दिखा आगे बढ़ और घुस जा मेरी मां की बुर मेंमैं अच्छी तरह से जानता हूं कि एक बार तो हिम्मत करके उसमें घुस गया तो फिर मम्मी कभी भी तुझे बाहर निकलने नहीं देगी और तुझे इतना मजा देगी और खुद इतना मजा लेगी कि पूछो मत तू भी मस्त हो जाएगा और मम्मी भी मस्त हो जाएगी,,,(अंकित अपने लंड को हल्के हल्के सहलाते हुए अपने आप से ही वह इस तरह की बातें कर रहा था,,,,और धीरे-धीरे उसका लंड पूरी तरह से फिर से अकड़ में आ चुका था और वह अपने आप से इस तरह की बातें करके पूरी तरह से मदहोश हो चुका था,,,कुछ देर पहले जिस तरह से उसके और उसकी मां के बीच हालात पैदा हुए थे और जिससे वह दोनों झडे थे और इस समय अपने ही कमरे मेंअपनी मां के बारे में गंदी बातें सोचकर वह पूरी तरह से ग्नावस्था में पूरी तरह से मदहोश हो चुका था और मजबूर हो चुका था अपने हाथ से ही अपने लंड को हिलाने के लिए,,,, और अपनी आंखों को बंद करके अपनी मुट्ठी को अपने लंड के इर्द-गिर्द कस केवह पूरी तरह से कल्पना में खोने लगा और घर के पीछे जिस तरह का दृश्य दोनों मां बेटे के बीच दृश्य मान हुआ थाउसे दृश्य में वह अपनी कल्पना के रंग भरने लगा और जिस तरह से वहां अपनी मां की पेटीकोट में अपने दोनों हाथ डालकर उसे साबुन लगाते हुए उसकी बुर को मसल रहा था दबा रहा था उसमें उंगली अंदर बाहर कर रहा था,,, उस दृश्य में वह पूरी तरह से खोने लगा,,,।





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उसे अद्भुत दृश्य में अपनी कल्पना के रंग भरते हुए वहां अपने मन में कल्पना करने लगा कि वह धीरे से अपनी मां की पेटीकोट में से अपने दोनों हाथ को निकाल कर अपने दोनों हाथ को पीछे सेअपनी मां की बेटी कोर्ट को पड़कर धीरे से अपनी मां की पेटीकोट को उसकी कमर के ऊपर तक सरकार दिया और उसकी नंगी गांड के नीचे अपनी दोनों हथेलियों को रखकर उसे हल्के से ऊपर की तरफ उठाने लगा,,, और उसकी इस हरकत पर उसकी मां मदहोश नजरों से उसकी तरफ नजर घुमा कर देखने लगी मानो के जैसे कह रही हो कि जो कुछ भी तु कर रहा है वह एकदम ठीक है,,, और खुद ही अपनी बड़ी-बड़ी गांड को हवा में लहराते हुए घोड़ी बन गई और अपने बेटे की तरफ देखकर मुस्कुराने लगे,,अपनी मां की मुस्कुराहट देखकर अंकित समझ गया कि उसकी मां को क्या चाहिए और फिर वह ढेर सारा थुक अपने लंड के सुपाड़े पर लगा कर अपनी मां के गुलाबी छेद में धीरे-धीरे प्रवेश कराने लगा,,,और देखते ही देखते हैं वह पूरा अपनी मां की बुर में डाल चुका था और अपनी मां की कमर पकड़कर अपनी खुद की कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,, कल्पना में उसका घोड़ा बड़ी तेजी से दौड़ रहा था,,,, और फिर थोड़ी ही देर में उसके लंड से पिचकारी निकली और नीचे जमीन पर गिरने लगी,,,, उसकी आंखें खुल चुकी थीवह थोड़ी देर में सामान्य हुआ और फर्श को साफ करके अपने कपड़े पहनने लगा,,,।





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दूसरी तरफ से सुगंधा भी अपने बदन से टावल उतार कर आईने के सामने पूरी तरह से नंगी खड़ी थी,,,, शर्म और उत्तेजना के मारे उसका पूरा बदन लाल टमाटर की तरह हो गया था,,,, वह आईने में अपने नंगे बदन को देख रही थी और मन ही मन मुस्कुरा रही थी और गर्व महसूस कर रही थी। अपने बेटे की हरकत से वह काफी उत्साहित नजर आ रही थीवह बार-बार अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी पूरी हुई कचोरी को देख रही थी जिसमें कुछ देर पहले उसके बेटे की उंगली पूरी तरह से घमासान मचाए हुए थी,,, वह यह सोच कर और भी ज्यादा मदहोश हुए जा रही थी कि वह अपने बेटे को बुद्धू समझ रही थी,,,, लेकिन आज जिस तरह से उसने हरकत किया था इतना तो तय था कि वह इतना भी बुद्धु नहीं था। औरतों के अंगों के बारे में वह समझने लगा था तभी तो उसने इस तरह की हरकत किया था,,,, इस तरह की बातें सोचकर वह अपने मन में गदगद हुए जा रही थी। फिर वह अपने मन को समझाते हुए बोली,,,आज जो कुछ भी हुआ है वह उसकी ही बेशर्मी का नतीजा है वही पूरी तरह से बेशरम बनाकर उसे अपने बदन का हर एक अंग दिखाती रही अपनी गांड अपनी बुर अपनी चूची सब कुछ दिखाती रही,,,और यही सब देखकर उसकी हिम्मत इतनी बढ़ गई कि आज वह अपनी ऊंगली उसकी बुर में डालकर उसका पानी निकाल दिया,,,, और उसकी जगह कोई और होता तो वह भी यही करता बार-बार जवान लड़के को एक खूबसूरत औरत अपना नंगा बनी दिखाइए तो आखिरकार कब तक जवान लड़का अपने आप को काबू में कर सकेगा कब तक अपने आप को संभाल पाएगा यह तो एक ना एक दिन होना ही था यह सब अपने मन में सोचते हुए वह आईने में देख कर मुस्कुराते हुए मानो अपने आप से ही बोली।





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यही तो मैं चाहती हूं मैं यही तो चाहती थी कि मेरा बेटा हिम्मत दिखाएं मेरे खूबसूरत अंगों को देखकर वह पागल हो जाए मदहोश हो जाए गुलाम बन जाए,,,, और आज जो कुछ भी हुआ मेरे बेटे की हिम्मत देखकरमैं आज बहुत खुश हूं लेकिन मैं चाहती हूं कि मेरा बेटा अपनी हिम्मत को थोड़ा और बढ़ाएं उसे पता होना चाहिए की औरत की बुर में उंगली से नहीं लंड से पानी निकाला जाता है। यह सब अपने मन में सोचती हुई वह अपनी हथेली को अपनी दहकती हुई बुर पर रख दी और उसे हल्के से मसलते हुए एक लंबी आह भरने लगी,,, और बिस्तर पर पीठ के बाल पसर गईऔर हल्के हल्के अपनी बुर को सहलाते हुए अपने बेटे के बारे में सोचते हुए वह,, कब नींद की आगोश में चली गई उसे पता ही नहीं चला।




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बाहर बर्तन की आवाज के साथ ही उसकी नींद खुली तो दीवार पर टंगी घड़ी में देखी तो 5:00 बज रहे थे,,, और अपनी स्थिति को देखी तो वह शर्म से पानी पानी हो गई अपनी स्थिति को देख कर वह मुस्कुराने लगी लेकिन पल भर के लिए उसके मन में आया कि आज इसी अवस्था में दरवाजा खोलकर बाहर निकल जाए ताकि उसका बेटा देखे तो सही की उसकी मां कितनी बड़ी बेशर्म हो चुकी है,,, लेकिन फिर अपने मन से यह ख्याल वह निकाल दी और अपने कपड़े पहनने लगी तभी उसे याद आया गेहूं पीसाने के लिए रखा हुआ है,,,वह तुरंत कपड़े पहनकर अपने कमरे से बाहर आई तो देखिए उसका बेटा अपने हाथ पैर धो रहा थावैसे तो जो कुछ भी घर के पीछे हुआ था उसको लेकर वहां अपने बेटे से नजर मिलाने में शर्मा रही थी लेकिन फिर अपने मन में सोची कि अगर वह खुद इतना शर्मा आएगी तो कैसे मंजिल तक पहुंच पाएगी,,, इसलिए वह पूरी तरह से अपने आप को सहेज कर ली और अपने बेटे की आंख से आंख मिलाते हुए बोली।




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अरे अंकित घर में आंटा नहीं है गेहूं पीसाना है,,,(अपने पल्लू को ठीक करते हुए वहां बोली लेकिन इसके बावजूद भी इसकी भारी भरकम छातियां अंकित की नजर में आ चुकी थी और वह मन ही मन मुस्कुराते हुए बोला,,,,,)

कोई बात नहीं मम्मी मैं गेहूं ले जाता हूं पिसवाने के लिए,,,,।
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है
 
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rohnny4545

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राहुल का दांव पूरी तरह से उल्टा पड़ गया था, वह कभी सोचा भी नहीं था कि दब्बू सा दिखने वाला अंकित मौका मिलने पर शेर की तरह हमला करेगा,, हकीकत अब यही थी कि राहुल पूरी तरह से दब चुका था राहुल कभी सोचा भी नहीं था कि घर की चार दिवारी के अंदर वह और उसकी मां मिलकर जो गुल खिलते हैं वह किसी को कानों कान तक खबर पड़ेगी लेकिन यहीं पर उसकी सोच मार खा गई थी,,, अब उसे पछतावा हो रहा था कि उसने अंकित के साथ दोस्ती किया ही क्यों क्योंकि ना तो वह उससे दोस्ती करता और ना ही उसका घर में आना-जाना होता और ना ही वह उन दोनों को चुदाई का सुख भोगते हुए देख पाता,, अब उसकी यही गलती उसके गले की हड्डी बन चुकी थी।

कहां पर वह अंकित की मां की जवानी की तारीफ करके अपने मन में उसे भोगने की लालसा को उसके सामने जागरुक कर रहा था और कहां अंकित ने ही गांव पलट कर पूरी तरह से अब राहुल की मां को चोदने का इरादा बना दिया था जिसमें आप राहुल ही उसका साथ देने वाला था और इसके सिवा उसके पास कोई रास्ता भी नहीं था। राहुल इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि अगर अंकित उसके राज को किसी को बता दिया तो मां बेटे दोनों किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाएंगे और ना ही समझ में उनकी कोई इज्जत रह जाएगी घर से निकलना दुभर हो जाएगा,,,, राहुल अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी ही गलती है अभी तक अंकित इस राज को अपने सीने में दबा कर रखा था लेकिन उसकी वजह से ही वह एकदम से उसकी मां को चोदने का इरादा बता दिया था,,,, ना ही वह उसकी मां के बारे में कुछ असली बातें करता और ना हीं अंकित यह सब करने पर मजबूर होता,,,, राहुल को समझ में नहीं आ रहा था कि अब यह सब होगा कैसे,,,, क्योंकि एक मर्द होने के नाते वह अच्छी तरह से जानता था कि अगर किसी मर्द को इतना अच्छा मौका मिलेगा तो वह वाला इस मौके को अपने हाथ से कैसे जाने देगा,,,, वैसे भी वह इस बात को भी अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां कोई सामान्य दीखाव वाली औरत नहीं थी पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थी एक मर्द को अपनी तरफ ललचाने के काबिल उसका हर अंग सक्षम था उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां उसकी बड़ी-बड़ी गांड जिसे पाने के लिए मोहल्ले के हर मर्द तैयार रहते थे और न जाने कितने लोग उसकी मां को याद करके रोज अपना पानी निकाल देते थे ऐसी औरत को चोदने के लिए भला अंकित कैसे इंकार करेगा।

राहुल के पास अब खामोश रहने के सिवा अब कोई रास्ता नहीं था उसे यकीन हो चुका था कि अंकित उसकी मां के साथ अपनी मनमानी करके ही रहेगा अगर उसकी मां नहीं मानेगी तो जैसा वह उसे बोलकर खामोश कर दिया है वही बात हुआ उसकी मां से भी बोलेगा और भला ऐसी कौन सी औरत होगी जो अपनी इज्जत को नीलाम होने देगी बल्कि और से अपनी इज्जत को बचाने के लिए कोई भी शर्त मानने को तैयार हो जाती है,,, अब वह समझ गया था कि उसे केवल अब मुख प्रेछक ही बनना था,,,, खिलाड़ी अब बदल चुका था उसकी मां की खूबसूरत नितंबों नुमा मैदान पर अंकीत बल्लेबाजी करने वाला था,,,, लेकिन यह ख्याल उसके मन में आते ही राहुल सोचने लगा के भला अंकित कर क्या लगा,,,, राहुल को ऐसा था कि अंकित दूसरे लड़कों की तरह चालक और औरतों के मामलों में तेज बिल्कुल भी नहीं है अगर किसी लालच वश वह उसकी मां को चोदने के लिए तैयार हो चुका है तो,,, वह टीक ही नहीं पाएगा,,,, जैसे ही उसकी मां अपने बदन से अपने कपड़े उतारना शुरू करेगी उसके नंगे बदन को देखकर अंकित का लंड पानी फेंक देगा,, और ऐसे हालात में उसकी खुद की बेइज्जती हो जाएगी और वह दोबारा उसकी मां के साथ संबंध बनाने के बारे में सोच भी नहीं सकेगा यह सोचकर राहुल मन ही मन में प्रसन्न हो रहा था,,,, क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां के साथ संबंध बनाने के लिए मां और तन दोनों से तैयार रहना पड़ता है उसकी मां की बेकाबू बेलगाम जवानी किसी सामान्य मरदे के काबिल है ही नहीं उसके लिए तो उसके जैसा सांड़ ही चाहिए,,,, अपने मन में यह सोचकर राहुल प्रसन्न होने लगा,,,,।

दूसरी तरफ अंकित को ज्यादा ही उत्सुक था क्योंकि अब उसे एक नई बुर मिलने वाली थी चोदने के लिए जो पहले से ही उससे चुदवाने ने के लिए बेकरार थी। अंकित कुर्सी पर बैठकर राहुल के बारे में ही सोच रहा था कि कैसे वह उसकी मां के बारे में गंदी बातें करके मजा ले रहा था उसे नहीं मालूम है कि उसकी और उसकी मां की नाकाम उसके हाथ में है बस उसे खींचने की देरी है और लगाम खींचते ही कैसे काबू में आ गया एकदम से शांत पड़ गया अब तक मजा आएगा जब उसकी आंखों के सामने उसकी मां के कपड़ों को उतार कर नंगी करूंगा और उसके गुलाबी बुर में अपना लंड डालकर अपनी मर्दाना ताकत दिखाऊंगा तब उसे समझ में आएगा की असली मर्द किसे कहते हैं,,,, अंकित अपने मन में यह बात सोच कर बहुत खुश हो रहा था क्योंकि वह उन दोनों मां बेटों को हम बिस्तर होते हुए देखा था और इस समय वह राहुल के लंड को भी देखा था,,, और उसी समय उसे एहसास हो गया था कि अगर राहुल की जगह वह खुद होता तो उसकी मां की हालात पूरी तरह से खराब कर देता अपने मोटे तगड़े लंड से,,,, वैसे भी अंकित किसी भी तरह से राहुल से बदला लेना चाहता था क्योंकि वह आए दिन उसकी मां के बारे में कुछ ना कुछ बोला ही करता था उसकी खूबसूरती के बारे में उसके अंगों के बारे में जिसे सुनकर अंकित मन ही मन क्रोधित हो जाता था,,,, लेकिन अब उसे मौका मिल चुका था अब तक के सारे अपमान का बदला लेने का,,,, इसलिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर लेना चाहता था उसे बड़ी बेसब्री से दोपहर का इंतजार था,,,,।

और उसका यह इंतजार खत्म भी हो गया दोपहर के 1:00 रहे थे उसकी मां अपने कमरे में आराम कर रही थी क्योंकि 20 मिनट पहले ही वह जमकर अपनी टांगें खोलकर अपने बेटे से चुदवाई थी,,,, अपने बेटे से जमकर चुदवा लेने के बाद उसे नींद भी बहुत गहरी आई थी,,,, लेकिन फिर भी वह अपनी मां से कुछ जरूरी काम के लिए बोलकर ही घर से निकला था और वैसे भी सुगंधा का काम हो चुका था इसलिए वह भी गहरी नींद में सो गई थी,,,, अंकित का दिल जोरो से धड़क रहा था वह मुख्य सड़क पर आकर ऑटो पकडकर सीधा उसके घर के सामने उतर गया,,,, घर के मुख्य गेट पर राहुल उसका इंतजार कर रहा था अंकित को देखते ही उसे थोड़ा तो गुस्सा आया लेकिन वह कर भी क्या सकता था,,,, जैसे ही अंकित उसके पास आया वह बोला,,,,।

देख अंकित अगर मम्मी नहीं मानी तो तु फिर यहां से चले जाना और फिर कभी भी इस राज को किसी को बताना नहीं,,,,।

तू चिंता मत कर मेरे दोस्त ऐसा हो ही नहीं सकता क्योंकि मेरा औजार तेरे से कुछ ज्यादा ही बड़ा है उसे दिन देखा था मैंने तेरे लंड को जब तेरी मां की बुर में अंदर बाहर हो रहा था,,,, बिस्तर पर तेरी मां बहुत मजे ले लेकर उछल रही थी मेरा तो मन उसी समय तेरी मां को चोदने के लिए तड़प उठा था लेकिन तुम दोनों का रिश्ता देखते हुए मैं तुम दोनों को शर्मिंदा नहीं करना चाहता था इसलिए वहां से चुपचाप चला गया था लेकिन रात दिन सोते जागते मेरी आंखों के सामने तेरी मां की नंगी गांड ही दिखाई देती थी आज मौका मिला है तेरी मां की मद मस्त जवानी को अपनी आंखों से पीने का अपने लंड से रगड़ने का,,,, (राहुल अंकित की इस बात पर की तेरे औजार से ज्यादा लंबा और मोटा उसका औजार है इस बात को सुनकर वह अंदर ही अंदर बहुत गुस्सा हुआ था लेकिन वह कुछ कर नहीं सकता था फिर भी अंकित की बात सुनकर वह बोला,,,)

बातों से कुछ नहीं होता करके दिखाना पड़ता है कहीं ऐसा ना हो कि मेरी मां कपड़े उतारे और तेरा लंड पानी फेंक दे,,,,।


देखना हो तो आधे घंटे बाद आ जाना दरवाजा खुला छोड़ दूंगा,,,, और अपनी आंखों से देखने की तेरी मां कितना मजा ले लेकर मुझसे चुदवाती है,,,,,, (और इतना कहकर वह आगे बढ गया और राहुल अपनी आंखों में क्रोध लिए हुए वहां से हट गया,,,,,, अंकित दरवाजे पर पहुंचकर डोर बेल बजाने लगा,,,, थोड़ी ही देर में दरवाजा खुला दरवाजा खोलने वाली राहुल की मा ही थी और अंकित को दरवाजे पर देख कर उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे वह खुश होते हुए बोली,,,,)

अंकित तु बहुत दिनों बाद आया,,,,।


बहुत दिनों बाद कहां परसों ही तो बाजार में तुमसे मुलाकात हुई थी,,,,,।


वह तो मुलाकात हुई थी लेकिन उस दिन के बाद तो तू दिखाई नहीं दिया,,,, मुझे लगा कि तू डर गया है,,,,।

मैं भला डर जाऊं ऐसा हो नहीं सकता,,,,।

ओ हो फिल्मी डायलॉग मारने लगा है,,,, सिर्फ डायलॉग ही करने आता है कि कुछ और भी मारने आता है,,,।

मौका देकर तो देखो बहुत कुछ मारने आता है,,,,,।

चल आजा अंदर दरवाजे पर ही खड़ा-खड़ा सब बातें करेगा क्या,,,, (मुस्कुराते हुए नूपुर बोली और नूपुर की बात सुनकर अंकित घर में प्रवेश कर गया और नूपुर दरवाजा बंद करके उसकी कड़ी लगा दी,,,,, और अंकित से बोली,,,)


बोल ठंडा पिएगा या गरम,,,,?


किसी बातें कर रही हो आंटी ना ठंडा ना गम मुझे तो कुछ नमकीन पिला दो,,,,।

ऊमममममम,,,, पहली बार में ही इतना शरारती हो गया है,,, (अंकित के कहने का मतलब को समझ कर नूपुर शरारती अंदाज में मुस्कुराते हुए बोली)

आप क्या करूं शरारती तो होना पड़ेगा जब टीचर ही इतनी शरारती है तो विद्यार्थी को तो थोड़ा बहुत असर दिखाना होगा,,,,।

ओहहह ,,,, बातें तो तू बहुत अच्छी करता है पता नहीं काम अच्छा करता है कि नहीं,,,।


क्यों उस दिन मेरा काम अच्छा नहीं लगा क्या,,,,,?

ऊमममम,, (अंकित की तरफ देखकर अपनी आंखों को गोल-गोल नचाते हुए) बहुत अच्छा लगा था तभी तो तेरी याद सता रही थी और तू है कि उस दिन के बाद तो दिखाई ही नहीं दिया,,,,


कोई बात नहीं आज आ गया हूं बाकी की कसर पूरी कर दूंगा,,,,


टिक तो पाएगा ना,,,


क्यों नहीं गीली पिच पर भी मैं कम से कम 35 40 मिनट आराम से बल्लेबाजी कर सकता हूं,,।

ऊमममम ऐसे ही बल्लेबाज कि मुझे जरूरत थी,,,,।


अच्छा आंटी सबसे पहले मुझे एक गिलास ठंडा पानी पिला दो वह क्या है ना धूप ज्यादा है तो प्यास लग गई।


पानी क्या तुझे मैं अपना दूध पिला देता लेकिन क्या है ना बीच में से दूध नहीं निकलता,,, लेकिन फिर भी चूसने में ज्यादा मजा आएगा,,,,।

वह कसर तो तुम्हारी बुर से पूरी हो जाएगी उसका नमकीन चटकार पानी चाटकर,,,,।
(अंकित के मुंह से बुर शब्द सुनकर नूपुर की सांस ऊपर नीचे हो गई उसे उम्मीद नहीं थी कि अंकित इस तरह से खुले शब्दों में उसके खूबसूरत अंग का नाम ले लेगा लेकिन उसने जिस तरह से नाम लिया था उसे यकीन हो गया था कि अंकित जैसा दिखता है वैसा ही नहीं नूपुर शर्म से पानी पानी हो रही थी और उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी और वह अंकित से मुस्कुराते हुए बोली,,,)

अच्छा तु रुक मैं अभी पानी लेकर आती हूं,,,, (इतना कहकर वह किचन में चली गई और मौका देखकर जल्दी से दरवाजे की कड़ी खोल दिया दरवाजा बंद तो था लेकिन उसमें कड़ी नहीं लगी थी जिससे राहुल आराम से घर में आ सके और दरवाजा खोलकर वह तुरंत अपनी जगह पर आकर खड़ा हो गया तब तक नूपुर किचन में से ठंडे पानी का गिलास लेकर आई और उसे थमाते हुए बोली,,,)

पानी थोड़ा ज्यादा ठंडा है कहीं ईसे पीने के बाद ठंडा मत पड़ जाना नहीं तो मैं तड़पती रह जाऊंगी,,,, (नूपुर साड़ी के ऊपर से ही अपनी बर को खुजलाते हुए बोली यह उसकी तरफ से संपूर्ण रूप से आमंत्रण था लेकिन फिर भी ठंडा पानी पीते हुए अंकित बोला)

अंकल तो नहीं है,,?


नहीं वह तो ऑफिस गए हैं शाम को 7:00 बजे ही लौटेंगे और राहुल अभी अभी घर से बाहर के आए हैं वह भी एक-दो घंटे बाद ही वापस आएगा,,,,
(बिना पूछे ही नूपुर राहुल के बारे में बता दीजिए क्योंकि उसके पास अब समय नहीं था वह जल्द से जल्द अपने कमरे में अंकित को ले जाना चाहती थी और नूपुर का जवाब सुनकर अंकित मुस्कुराते हुए बोला)


मतलब है कि आज हम दोनों के पास बहुत मौका है और बहुत समय भी है,,,,।

समय तो बहुत है और मैं गंवाना नहीं चाहती चल मेरे कमरे में,,,,,(इतना कहने के साथ ही नूपुर उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने कमरे में ले गई और कमरे का दरवाजा बंद कर दी कमरे में प्रवेश करते ही अंकित ने खिड़की की तरफ देखा जो की खुली हुई थी उसका एक पट बंद था और दूसरा पट पूरा बंद नहीं था और इतना तो बहुत था राहुल को कमरे के अंदर देखने के लिए,,,,,, नूपुर की हालत देखकर अंकित अच्छी तरह से समझ रहा था कि नूपुर की इस समय क्या हालत हो रही है इस समय उसकी दोनों टांगों के बीच आग लगी हुई थी जिसे बुझाना उसका फर्ज बन चुका था,,,,,, अब समय आ चुका था नूपुर के सामने अपनी कलाबाजियां दिखाने का औरत को खुश करने का कितना हुनर जानता है,,, वह सारे हुनर आजमाने का,,, इसलिए वह नूपुर का हाथ पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींच लिया नूपुर एकदम से उसके सीने से जा लगी और उसके खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हथेलियां में भरकर उसकी आंखों में देखने लगा नूपुर की आंखों में वासना साफ दिखाई दे रहा था,,,, अंकित का लंड पेट में तंबू बना लिया था और जिस तरह से नूपुर उसके बदन से सट गई थी नूपुर को अपनी दोनों टांगों के बीच अंकित का लंड दस्तक देता हुआ महसूस हो रहा था,,,। अंकित उसके होठों की तरफ अपने होठों को बढ़ाते हुए बोला,,,,)

तुम बहुत खूबसूरत हो आंटी,,,,।

आंटी नहीं नूपुर,,,,,,(नूपुर इतना बोली और खुद ही अपने होठों को ऊपर करके अंकित के होठों से सटा दी दोनों के होंठ जो एकदम प्यासे थे आपस में मिलते ही एक दूसरे में समा जाने की पूरी कोशिश करने लगे अंकित पागलों की तरह नूपुर के लाल लाल होठों का रसपान करने लगा और अपने दोनों हथेलियां को उसके भारी भरकम नितंबों पर रखकर साड़ी के ऊपर से उसे जोर-जोर से दबाने लगा मसलने लगा,,,, नूपुर के प्रति अंकित की झिझक उसी दिन खत्म हो चुकी थी जब वह डाइनिंग टेबल के नीचे बैठकर उसकी बुर की चटाई किया था,,,,, इसलिए तो आज खुलकर नूपुर से मजा ले रहा था नूपुर भी उसकी बाहों में पिघलने लगी थी इसकी मजबूत हथेलियां को अपनी गांड पर महसूस करके वह मदहोश हो रही थी,,,, अंकित पागलों की तरह उसके होठों का रसपान करते हुए उसकी बड़ी-बड़ी गांड से खेल रहा था और धीरे-धीरे उसकी साड़ी ऊपर की तरफ उठा रहा था देखते ही देखते वह नूपुर की साड़ी को कमर तक उठा दिया था और उसकी गुलाबी रंग की पेंटी में कैद उसकी बड़ी-बड़ी गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर मसल रहा था दबा रहा था,,,,।

दूसरी तरफ राहुल को घर की दूरी पर खड़े 20 मिनट हो चुके थे और वह अपने घर के मुख्य गेट को ही देख रहा था उसे ऐसा था कि कुछ ही देर में वह रोने वाली शक्ल लेकर उसके घर से निकलता हुआ दिखाई देगा लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ था तो वह कुछ देर तक और वहीं खड़ा होकर इंतजार करने की सोच और वैसे भी जो समय अंकित ने दिया था अभी वह समय नहीं हुआ था,,,,,, लेकिन बाहर इंतजार करके राहुल की भी हालत खराब हो रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अंदर क्या हो रहा होगा कहीं अंकित उसकी मां को भी ब्लैकमेल करके उसके साथ शारीरिक संबंध बना लिया तो क्या होगा और ऐसा भी तो हो सकता है कि एक टीचर होने के नाते उसकी मां पूरी तरह से अंकित को दबाव में लेकर यह भी कह सकती है कि जो कुछ भी तो कह रहा है मैं तेरी मां से बता दूंगी तब वह शायद इस डर से वहां से निकल जाए और अगर ऐसा हो गया तब तो मजा आ जाएगा लेकिन राहुल ने अंकित की आंखों में वासना का तूफान देखा था ऐसा लग रहा था कि जैसे आज पहली बार हुआ किसी औरत से हम बिस्तर होने जा रहा है पहली बार चुदाई का सुख भोगने जा रहा है इसलिए राहुल को एहसास हो रहा था कि उसकी मां को चोदने के लिए अंकित कुछ भी कर सकता है,, खैर अभी इन सब बातों का वक्त बिलकुल भी नहीं था सिर्फ बाहर खड़े होकर इंतजार करना था,,,,।

कमरे के अंदर अंकित पूरी तरह से नूपुर की जवानी पर छाने लगा था,,,, वह नूपुर की बड़ी-बड़ी गांड को दबाते हुए उसकी पेंटिंग में हाथ डालकर उसकी नंगी गांड का स्पर्श महसूस करके पागल हुआ जा रहा था,,,,, अभी तक दोनों का चुंबन टूटा नहीं था दोनों की लार एक दूसरे के मुंह में आराम से चले जा रहे थे जिसे वह दोनों आराम से गले के नीचे उसे उतार भी ले रहे थे,,, अंकित नूपुर की गांड पर रह रहकर चपत भी लगा दे रहा था जिससे उसकी गोरी गोरी गांड टमाटर की तरह लाल हो गई थी लेकिन नूपुर को ईस चपत से नूपुर को बहुत मजा आ रहा था वैसे तो इस तरह का सुख वह अपने बेटे से भी ले चुकी थी लेकिन आज बात ही कुछ और थी आज पहली बार हुआ किसी गैर मर्द से इस तरह का आनंद ले रही थी,,,, जो कि वह भी उसके बेटे की ही उम्र का था। अंकित इस अवस्था में ही अपने दोनों बाजुओं को उसके नितंबों से टिका दिया और उसे अपनी गोद में उठाकर बिस्तर की तरफ ले जाने लगा नूपुर एकदम से घबरा गई उसे उम्मीद नहीं थी कि अंकित उसे उठा लेगा और वह घबराते हुए बोली,,,)

अरे रे यह क्या कर रहा है मैं गिर जाऊंगी मुझे नीचे उतार,,,,,।


मुझ पर भरोसा नहीं है क्या,,,,, रोज कसरत करता हूं दो गिलास दूध रोज पीता हूं,,,, पर मुझे तो लग रहा है कि शायद इसी दिन के लिए कसरत करता हूं ताकि तुम्हें खुश कर सकूं,,,,(और ऐसा कहते हुए अंकित बिस्तर के पास पहुंच गया और नरम नरम करते पर नूपुर को पटक दिया नूपुर गद्दे पर गिरते ही एक दो बार ऊपर की तरफ उछल गई वह एकदम से मस्त हो चुकी थी,,, उसे यकीन नहीं था कि अंकित में इतनी ताकत होगी कि वह उसे आराम से उठा लेगा लेकिन आज उसकी ताकत देखकर उसकी बुर पानी छोड़ रहे थे उसे बहुत आनंद आ रहा था और वह मुस्कुरा रही थी,,,,, वह बिस्तर पर पीठ के बेलेटी हुई थी उसकी साड़ी जांघों तक उठी हुई थी उसकी मोटी मोटी जांघों को देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था,,,,, वह बिस्तर पर घुटनों के बल आगे बढ़ता हुआ बोला,,,)


वाह कसम से तुम्हारी जवानी तो बहुत गदराई है,,,, आज तो बहुत मजा आ जाएगा,,,,(और इतना कहने के साथ ही हुआ नूपुर की टांगों के बीच जगह बनाने लगा,,, और नूपुर भी अपनी टांगों को खोलने लगी वह मदहोश हुए जा रहे थे पागल हुए जा रही थी उसकी आंखों में खुमारी छाई हुई थी,,,,, आज वह उसे दिन का अधूरा कार्य पूरा कर लेना चाहते थे उसकी गहरी चलती सांसों के साथ-साथ ब्लाउज में कहे तो उसके दोनों कबूतर भी पंख फड़फड़ा कर बाहर आने को आतुर नजर आ रहे थे लेकिन शायद अभी अंकित का ध्यान उसके फड़फड़ाते हुए कबूतरों पर नहीं पहुंचा था,,,,, देखते ही देखते अंकित गहरी सांस लेता हुआ उसकी मोटी मोटी जांघो पर जीभ रखकर चाटना शुरू कर दिया अंकित की हरकत से नूपुर कसमसाने लगी वह आनंदित होने लगे उसे मजा आ रहा था क्योंकि अंकित उसकी जांघों को अपनी जीभ से चाट रहा था,,,, अंकित को शायद इस बात का ज्ञान था कि औरत का हर एक अंक मलाईदार होता है हर जगह चाटने पर केवल आनंद ही प्राप्त होता है इसलिए वह नूपुर की गोरी गोरी जांघों को चाटता हुआ ऊपर की तरफ बढ़ रहा था,,,, नूपुर सर के नीचे तकिया लगाए अंकित को ही देख रही थी,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,, और अगले ही पल अंकित उसकी गुलाबी रंग की पेंटि के बीचों बीच अपनी नाक रखकर उसकी बुर वाली जगह को सुंघने लगा,,, उसमें से उठ रही मादक खुशबू अंकित केतन बदन में उत्तेजना का तूफान भर रही थी।


अंकित अपनी जी बाहर निकाल कर गुलाबी रंग की पेटी के ऊपर से ही उसकी बुर वाले हिस्से को चाटना शुरू कर दिया जो की बुर गीली होने की वजह से उसके आगे वाला हिस्सा गीला हो चुका था और चिपचिपा रहा था अंकित पागलों की तरह उस पर अपनी जीभ फिरा फिराकर उसे चाट रहा था,,,, नुपुर की सांसें उखड़ रही थी,,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि हम किस तरह की हरकत करेगा वह पूरी तरह से उसे अपनी हरकत से पागल कर रहा था,,,,, नूपुर केतन बदन में आग लगी हुई थी वह पागल हुए जा रही थी उसे अपनी उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हो रही थी जिसकी वजह से वह खुद ही अपने दोनों हाथों को ब्लाउज के ऊपर से अपनी चूचियों पर रखकर उसे दबा रही थी और अपनी टांगों को मोड़ने की कोशिश कर रही थी जिसे अंकित अपने दोनों हथेलियां से दबाकर उसे स्थिर कर दिया था क्योंकि वह जानता था कि जिस तरह की हरकत हुआ कर रहा है उससे नूपुर की तड़प और ज्यादा बढ़ जाएगी।।।

सहहहह आहहहहहह ऊमममममम,,,,आहहहहह अंकित तू तो मुझे पागल कर दिया है रे,,,ऊमममममम,,,,आहहहहहहहह मैं मर जाऊंगी मुझे इतना मत तड़पा,,,,,,,सहहहहहहहह,,,,(ऐसा कहते हुए वह खुद ही अपनी चूचियों को दबा रही थी मसाला रही थी यह देखकर अंकित भी समझ गया था कि नूपुर पूरी तरह से चुदवासी हो चुकी है,,,, इसलिए वह अगले ही पल अपनी दो उंगली को उसके गुलाबी रंग की पेंटिं के छोर को पकड़कर उसे दूसरी तरफ खींच दिया जिससे उसके गुलाबी पर एकदम से उजागर हो गई और उत्तेजना के मारे उसकी बुर पहले से कचोरी की तरह फुल चुकी थी जिससे पेंटी का दूसरा हिस्सा आराम से दूसरी ओर टिक गया था,,,,, नूपुर की बुर को देखकर अंकित की हालात पूरी तरह से खराब हो गई क्योंकि साफ दिखाई दे रहा था कि अभी कुछ घंटे ही हुए थे उसे अपनी बुर पर से बाल को साफ किए हुए इसलिए उसकी बुक एकदम चिकनी दिखाई दे रही थी एकदम गुलाबी,,,,, एेसी बुर को चाटने में अंकित को बहुत मजा आता था,,,,, वह पागलों की तरह राहुल की मां की बुर पर टुट पड़ा,,,, और जैसे ही नूपुर अंकित की के को अपनी बुर पर महसूस की एकदम से उत्तेजना से भर गई और अपनी कमर को एकदम से ऊपर की तरफ उछाल दी जिसे अंकित अपने दोनों हाथों से उसकी कमर पकड़ कर पागलों की तरह उसकी बुर की चटाई करना शुरू कर दिया उसकी बुर पहले से ही पानी छोड़ रही थी,,,, जिससे अंकित को चाटने में भी बहुत मजा आ रहा था। नूपुर पूरे बिस्तर पर तड़प रही थी पागल हो रही थी वह जिस तरह से उसकी बुर की चटाई कर रहा था शायद ही राहुल ने ऐसी चटाई किया हो। इसलिए तो नूपुर पागल हुए जा रही थी मदहोश हुए जा रही थी,,,। कुछ देर तक अंकित इसी तरह से नूपुर की बुर की चटाई करता रहा उसकी मलाई को गटकता रहा,,,,,।

दूसरी तरफ राहुल से रहा नहीं जा रहा था वह काफी देर से बाहर खड़ा इंतजार कर रहा था लेकिन अभी तक अंकित घर से बाहर नहीं निकला था इसलिए उसे भी कुछ संदेह होने लगा कि उसने उसकी मां को भी डरा धमका कर उसके साथ मनमर्जी करने लगा है इसलिए वह तुरंत अपने घर की ओर चल पड़ा,,,, घर पर पहुंच कर वह धीरे से दरवाजा खोलने के कोशिश किया तो दरवाजा अपने आप खुल गया जैसा कि अंकित ने उसे बता रखा था वह धीरे से कमरे में प्रवेश किया और दरवाजा बंद करके करिए लगा दिया और धीरे-धीरे इधर-उधर नजर घुमा कर देखने लगा कि आखिरकार दोनों है कहां वह दोनों ना तो डाइनिंग हॉल में थे और ना ही किचन में थे नहीं उसके कमरे में थे अब उसके पास उसकी मां का ही कमरा रह जाता था और अभी तक दोनों नजर नहीं आ रहे थे इसलिए राहुल का दिल जोरो से धड़क रहा था वह धीरे-धीरे चोर कदमों से अपनी मां के कमरे की तरफ आगे बढ़ने लगा,,,,, उसके मन में घबराहट भी हो रही थी कि ना जाने कमरे में क्या हो रहा होगा और वह मन ही मन दुआ भी कर रहा था कि ऐसा कुछ भी ना हो जैसा कि अंकित ने कहा था और यही सोचता हुआ वहां अपनी मां के कमरे के पास पहुंच गया तो दरवाजा बंद था लेकिन खिड़की खुली हुई थी उसका पट हल्का सा खुला हुआ था और वह खिड़की के पास खड़ा हो गया और अंदर देखने की कोशिश करने लगा दोपहर में भी अंदर ट्यूब लाइट जल रही थी जिसकी दूधिया रोशनी में सबको साफ नजर आ रहा था और जब राहुल ने अपनी नजरों को स्थिर किया तो उसकी आंखों के सामने उसकी मां का बिस्तर दिखाई देने लगा जिस पर वह खुद अपनी मां के साथ रोज मजा लेता था,,,,, और बिस्तर पर जो नजर उसे दिखाई दिया उसे देखकर वह पूरी तरह से स्तब्ध रह गया आश्चर्य और हैरानी से उसकी आंखें फटी के फटी रह गई।

अंदर की बिस्तर पर की स्थिति उसे साफ दिखाई दे रही थी उसे साथ दिखाई दे रहा है कि उसकी मां बिस्तर पर पीठ केवल लेटी हुई थी उसकी दोनों टांगें खुली हुई थी और यह शायद उसने अंकित के लिए ही खोल कर रखी थी और अंकित उसकी मां की दोनों टांगों के बीच छाया हुआ था और जिस तरह से उसका सर ऊपर नीचे हो रहा था उसे यकीन हो गया था कि अंकित उसकी मां की बुर चाट रहा था यह देखकर उसकी आंखों में शोले भड़कने लगे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, लेकिन जब गौर से अपनी मां के खूबसूरत चेहरे को देखा तो उसके होश उड़ गए क्योंकि वह इस पल का आनंद ले रही थी मजा लूट रही थी उसके चेहरे के हाव-भाव बता रहे थे कि अंकित की हरकत से वह पूरी तरह से आनंदित हो चुकी थी,,,,,,, राहुल के पास अब करने के लिए कुछ नहीं रह गया था सिवाय अंदर का दृश्य देखने के,,,, कुछ देर तक अंकित इस तरह से उसकी मां की बुर की चटाई करता रहा यह देखकर ना चाहते हो कि ना जाने क्यों राहुल का लंड खड़ा होने लगा था वह पहली बार अपनी मां को इस रूप में देख रहा था पहली बार वह किसी गैर मर्द के साथ देख रहा था। अपनी मां की मस्ती को देखकर वह अपनी आंखों पर यकीन नहीं कर पा रहा था कि यह उसकी मां है क्योंकि नूपुर अपने बेटे से हमेशा कहती थी कि वह किसी गैर मर्द के बारे में सोच भी नहीं सकते लेकिन आज कैसे अपने कमरे के अपने ही बिस्तर पर उसके ही दोस्त के साथ मजा लूट रही थी।


अब ऐसे मजा नहीं आ रहा है,,,(नूपुर की बुर से अपने होठों को हटाकर गहरी सांस लेते हुए वह नूपुर की तरफ देखते हुए बोला तो उसकी बात सुनकर नूपुर भी मदहोशी भरे स्वर में बोली)


तब कैसे मजा आएगा,,,,?
(दोनों कि ईस तरह की बातें राहुल के कानों में बड़े आराम से पहुंच रही थी राहुल अपनी मां की बात सुनकर एकदम हैरान था क्योंकि लगी नहीं रहा था कि जैसे वह पहली बार अंकित के साथ इस अवस्था में मजा ले रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे दोनों कई बार इस तरह से मजा लुट चुके हैं,,,,,, नूपुर की बात सुनकर अंकित बोल कुछ नहीं बस अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर उसकी चड्डी को पकड़ लिया और उसे नीचे की तरफ खींचने लगा,,,यह देख कर राहुल की आंखें उत्तेजना से और ज्यादा फटने लगी जब उसने देखा कि अंकित का साथ देते हुए उसकी मां भी अपनी भारी भरकम गांड को हवा में उठा दी थी ताकि वह उसकी चड्डी को आराम से उतार सके,,,, यह देख कर तो उसके हौसले एकदम से पस्त हो गए वह समझ गया कि उसकी मां को भी बहुत मजा आ रहा है,,,,, वह कभी सोचा नहीं था कि उसको छोड़कर उसकी मां किसी दूसरे लड़के से इस तरह से मजा लुटेगी,,,, लेकिन उसे यकीन करना ही पड़ा क्योंकि जो कुछ भी हो रहा था वह उसकी आंखों के सामने हो रहा था किसी से सुनी सुनाई बात नहीं थी,,,, इसलिए राहुल भी अपने दिल पर पत्थर रखकर अपनी मां की काम लीला को देखने लगा,,,, देखते ही देखते अंकित उसकी मां की चड्डी को उसके नंगी चिकनी टांगों से खींचकर बाहर कर दिया था और वह कमर के नीचे नंगी हो चुकी थी चड्डी के निकल जाने के बाद अंकित राहुल की मां की गुलाबी बुर को प्यासी आंखों से देख रहा था,,,, और गहरी सांस लेता हुआ बोला,,,)

वाह नूपुर तुम्हारी बुर तो एकदम गुलाबी है एकदम चिकनी ऐसा लग रहा है कि जैसे अभी-अभी क्रीम लगाकर बुर की सफाई की हो,,,,।

तु एकदम ठीक कह रहा है,,,, सुबह ही क्रीम लगाकर साफ क्यों ऐसा लग रहा था कि जैसे तेरे आने का एहसास मुझे हो गया था,,,,।(नूपुर की बात सुनकर; अंकित मुस्कुराने लगा लेकिन राहुल सच में पड़ गया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या यह हालात दोनों के बीच पहले भी मुकम्मल हो चुके हैं या आज पहली बार है क्योंकि ऐसा लग ही नहीं रहा था कि उसकी मां पहली बार उसके साथ हम बिस्तर हो रही थी यही सोचकर तो उसका दिमाग पूरी तरह से चकरा जा रहा था,,,, अंकित को और ना ही नूपुर को इस बात का एहसास हुआ था की खिड़की पर राहुल खड़ा है वह दोनों अनजान थे,,,, अंकित अपनी हथेली को नूपुर की गुलाबी बुर पर रखकर उसे पूरी तरह से ढंक लिया था और उसे मसल रहा था अंकित की हरकत से नूपुर कसमसा रही थी उत्तेजना से बदहवास हो रही थी। वह अपनी उत्तेजना पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पा रही थी इसलिए लगातार अपनी चूचियों से खेल रही थी उसे दबा रही थी और अपनी उत्तेजना को काबू में करने की कोशिश कर रही थी लेकिन इस समय वहां अंकित के हाथों में थी और अंकित औरतों को खुश करने का तरीका अच्छी तरह से जानता था। इसलिए तो वह अपनी हथेली को जोर-जोर से नूपुर की दर पर रगड़ रहा था और उसकी हथेली पूरी तरह से उसके मदन रस से गीली हो चुकी थी। अंकित पागल हुआ जा रहा था मदहोशी के सागर में डूबता चला जा रहा था अपनी मां के बाद आज पहली बार उसे इतनी खूबसूरत औरत चोदने को मिलने वाली थी हालांकि दो औरतें उससे पहले भी चोदने को मिल चुकी थी जिसके साथ वह मजा लूट चुका था लेकिन वह दोनों थोड़ा उम्र दराज हो चुकी थी । लेकिन नूपुर उसकी मां की हम उम्र थी दोनों में केवल 19 ,,,20 का ही फर्क था दोनों लाजवाब थी जवानी से भरी हुई थी मर्दों को पानी पानी करने में पूरी तरह से सक्षम थी. कुछ देर तक इसी तरह से राहुल की मां की बुर से खेलने के बाद एक बार फिर से अंकित अपने प्यास होठों को उसकी बुर पर रखकर उसकी मलाई चाटना शुरू कर दिया,,,,, नूपुर एकदम व्याकुल होने लगी मदहोशी में और उत्तेजना में वह अपने सर को दाएं बाएं पटकने लगी उसे बहुत मजा आ रहा था अंकित अपनी हरकत से उसे पूरी तरह से आनंदित कर दिया था।

नूपुर को इस बात का एहसास हो रहा था कि इतना मजा उसे आज तक अपने बेटे से भी नहीं मिला था। अंकित तो अपनी काम लीला के सफर में उसे पूरी तरह से मदहोश बना दिया था अभी तो मंजिल पर पहुंचना बाकी था,,,,,, ट्यूबलाइट की दूधियां रोशनी में सब कुछ साफ दिखाई देरहा था वैसे तो दोपहर का समय था लेकिन कमरे में दोपहर में भी अंधेरा ही रहता था क्योंकि यह अंदर की तरफ कैमरा था और इसकी खिड़की भी बाहर की तरफ ना खुलकर कमरे के अंदर की तरफ ही खुलती थी जिससे बाहर की रोशनी कमरे में नहीं आ पाती थी और दोपहर में भी ट्यूबलाइट जलाना पड़ जाता था। अंकित पूरी तरह से राहुल की मां को मदहोश कर देने के इरादे से उसकी बुर की चढ़ाई कर रहा था वह अपनी नाक के आगे वाला भाग भी उसकी बुर पर रगड़ रहा था जिससे उसका आनंद दुगना होता जा रहा था,,,, और तभी अंकित राहुल की मां की उत्तेजना और आनंद दोनों एक साथ बढ़ाते हुए अपनी एक उंगली को उसकी बुर में डालकर उसे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया अंकित इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि जिस तरह की जवानी से भरी हुई है एक उंगली से कुछ होने वाला नहीं है लेकिन फिर भी यह तो बस शुरुआत थी क्योंकि थोड़ी देर बाद वह अपनी दूसरी उंगली भी उसकी बुर में डाल दिया था और उसे अंदर बाहर कर रहा था कमरे के अंदर राहुल की मां और अंकित दोनों पूरी तरह से मजा लूट रहे थे और खिड़की के बाहर खड़ा राहुल हैरानी से अपनी मां की बेशर्मी और उसका रंडीपन देख रहा था हालांकि यह सब देखकर उसके लंड में भी उत्तेजना आ चुकी थी,,, यह जानते हुए भी की बिस्तर पर उसकी मां दूसरे लड़के के साथ मजा लूट रही है यह नजारा नहीं देखने के बजाय वह अपनी मां को मजा लूटते हुए देख रहा था और न जाने की उसे यह सब देखकर मजा भी आ रहा था।

सससहहहहह आहहहहह ऊमममममम आहहहहहहहह सहहहहहहहह यह क्या कर रहा है रे,,,,आहहहहहहहह मुझे कुछ-कुछ होने लगा है,,,,ऊमममममम ,,,(ऐसा कहते हुए राहुल की मां अपनी भारी भरकम गांड को हवा में उठाकर उसे गोल-गोल घूमा रही थी ऐसा करने में उसे भी बहुत मजा आ रहा था,,,,, राहुल उसकी कमर था में उसे नियंत्रण में किए हुए था,,,,,,, थोड़ी ही देर में नूपुर की हालत खराब होने लगी उसका बदन अकड़ने लगा अंकित समझ गया कि उसका पानी निकलने वाला है इसलिए वह उसकी कमर को और जोर से अपने दोनों हथेलियां में दबोच लिया और राहुल की मां भल भला कर अंकित के मुंह में ही झड़ने लगी अपना मदन रस उसके मुंह में छोड़ने लगी और अंकित भी कहां पीछे हटने वाला था वह भी अमृत की बूंद की तरह राहुल की मां की बुर से निकलने वाले मदन रस को जीभ से तब तक चाटता रहा जब तक की उसका मदन रस का रिसाव बंद नहीं हो गया,,,, राहुल की मां का पानी निकल चुका था वह गहरी गहरी सांस ले रही थी आंखों को बंद किए हुए वह पूरी तरह से इस एहसास में डूब चुकी थी और अंकित धीरे से उसकी टांगों के बीच से उठने लगा और बिस्तर से नीचे उतरने पर उसकी नजर खिड़की पर गई तो देखा की खिड़की पर राहुल खड़ा था दोनों की नजर आपस में टकराई राहुल शर्मा के मारे अपनी नजरों को नीचे झुका लिया और अंकित मुस्कुराने लगा,,,,, अंकित बिना कुछ बोले आंख के इशारे से ही राहुल को उसकी मां अधनंगी हालत में दिखाते हुए,,, अपने अंगूठे और उंगली को मोड़कर गोल बना लिया और अपने दूसरे हाथ की उंगली को उसे गोली के अंदर बाहर करके इशारे करने लगा कि आप तेरी मां की चुदाई करने जा रहा हूं,,,, अंकित के इस व्यवहार से राहुल पूरी तरह से शर्मिंदा हो गया था,,,,, और उसे अपनी गलती का एहसास भी हो रहा था ना वह अंकित को छेड़ता और ना उसे आज यह दिन देखना पड़ता,,,,।

अंकित बिस्तर से नीचे उतर गया था उसके पेंट में पूरी तरह से तंबू बना हुआ था,,,, अब वह राहुल को भी और जलाना चाहता था उसे पूरी तरह से मजा चखना चाहता था क्योंकि पहले दिन से ही राहुल उसकी मां को प्यासी नजरों से देखा था उसके बारे में गंदे विचार अपने मन में लाता था और अपने विचारों को उसके सामने प्रकट भी कर देता था हालांकि उसे समय अंकित कुछ कर नहीं पता था लेकिन आज हालात उसके पक्ष में थे,,,, राहुल पूरी तरह से उसकी मुट्ठी में था और उसकी मां भी इसलिए वह इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहता था कि भविष्य में राहुल अपनी गलती को दोबारा दोहरा ना सके,,,,, खिड़की पर खड़ा राहुल भी अंकित के पेंट में बने तंबू को देख रहा था,,, और अपने मन में सोच रहा था कि अब थोड़ी देर में अंकित का लंड उसकी मां की बुर की गहराई नाप रहा होगा,,,,, लेकिन अभी भी राहुल के मन में शंका थी कि अंकित उसकी मां को चोदने में टिक पाएगा कि नहीं। और अंकीत था की इस खेल में पूरी तरह से माहिर हो चुका था एक मंजा हुआ खिलाड़ी बन चुका था,,,,, इसलिए तो वह राहुल को और ज्यादा चिढ़ाने के उद्देश्य से अपने तंबू को अपनी हथेली में जोर से पकड़ कर एकदम से गहरी सांस लेते हुए मदहोश होने का नाटक करते हुए बिस्तर के करीब जाने लगा और अपने तंबू को पकड़े हुए ही वह बोला,,,,।

क्या हुआ आंटी सो गई क्या,,,,?

(अंकित की बात सुनकर राहुल की मां ने अपनी आंखों को खोल दी और अंकित की तरफ देखने लगी लेकिन बोली कुछ नहीं वह पूरी तरह से इस मदहोशी के पल में डूब चुकी थी और अंकित राहुल की मां की तरफ आगे बढ़ते हुए उसी तरह से अपने तंबू को पकड़े हुए बोला,,,)


मुझे मालूम नहीं था कि तुम इतनी ज्यादा खूबसूरत हो लेकिन आज पता चल रहा है कि तुम सच में किसी अप्सरा से कम नहीं हो,,,,,,,(वैसे तो अंकित हकीकत में उसकी खूबसूरती की तारीफ कर रहा था लेकिन इस समय वहां राहुल को जल भी रहा था अपनी बातों से अपने हुनर से,,, और अंकित की बात सुनकर राहुल की मां के चेहरे पर मुस्कुराहट तैरने लगी और वह मुस्कुराते हुए बोली)

वह तो मैं पहले से ही हूं लेकिन आज तेरी नजर मुझ पर पड़ी है इसलिए तू ऐसा कह रहा है,,,,,,।

चाहे जो भी हो,,, मुझे तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा है कि मैं और तुम एक ही कमरे में हैं,,,,,(बिस्तर पर नूपुर के बेहद करीब बैठते हुए अंकित बोला और ईतना बोलने के साथ ही वह अपने दोनों हथेलियां को नूपुर के चूचियों पर रखकर जो कि अभी भी ब्लाउज में कैद थी वह जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,, एक बार फिर से राहुल की मां बिस्तर पर मचलने लगी और अंकित राहुल की मां की चूचियों से खेलते हुए बोला,,,)

ओहहह आंटी तुम्हारी चुचीया तो एकदम खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी है,,,(इतना कहने के साथ ही अंकित उसके ब्लाउज का बटन खोलने लगा,,,,,,, और देखते ही देखते अंकित अपने हाथों से उसके ब्लाउज का बटन खोलकर ब्लाउज को उसकी बाहों से अलग कर दिया और इस समय उसके बदन पर साड़ी के साथ-साथ उसकी गुलाबी रंग की ब्रा भी थी जिसे वह खोला नहीं बल्कि उसे दोनों हाथों से पकड़ कर उसे ऊपर की तरफ उठा दिया और अगले ही पल उसकी खरबूजे जैसी दोनों चूचियां हवा में लहराने लगी यह देखकर अंकित से रहा नहीं गया और तुरंत वह उसकी एक चूची को अपने मुंह में भरकर पीना शुरू कर दिया यह देखकर राहुल की भी हालत खराब होने लगी एक तरफ उसके मन में अपनी मां के प्रति तिरस्कार की भावना भी प्रकट हो रही थी दूसरी तरफ वह अपनी मां की बेशर्मी को देखकर उत्तेजित भी हुआ जा रहा था वह अपनी आंखों के सामने अंकित को अपनी मां की चूची पीते हुए देख रहा था वह दोनों हाथों से दबा दबा कर पी रहा था,,,,, हैरानी की बात यह थी कि उसकी मां को भी बहुत मजा आ रहा था। फिर वह अपने मन में सोचने लगा कि जब उसे देखकर न जाने क्यों अच्छा लग रहा है तो उसकी मां तो बिस्तर पर एक अनजान लड़के से मजा ले रही है उसे तो अच्छा लग ही रहा होगा,,,,,,।

माहौल पूरी तरह से बेशर्मी से भरा हुआ था क्योंकि राहुल की आंखों के सामने उसकी मां एक रंडी की तरह उसके दोस्त अंकित को मजा दे रही थी उसका पूरा साथ दे रही थी राहुल को तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि बिस्तर पर उसकी मां है क्योंकि वह कभी सोचा नहीं था कि उसकी मां इस तरह से किसी दूसरे लड़के के साथ भी मजा लेगी जैसा उसके साथ लेटी है,,,, फिर वह अपने आप को यह सोचकर संतुष्ट करने लगा कि आखिरकार औरत को उसकी बुर की गर्मी चरित्रवान रहने ही नहीं देती अगर ऐसा होता तो उसकी मां खुद अपने बेटे से ना चुदवाती,,,, ऐसा सोच कर राहुल अपने मन को मना रहा था अपने आप को दीलासा दे रहा था और फिर आंखों के सामने बिस्तर पर जिस तरह का गरमा गरम दृश्य दर्शाया जा रहा था उसे देखकर वह खुद भी आनंद लेने लगा उसका खुद का लंड पेंट में खड़ा हो चुका था। कमरे के अंदर का नजारा ही पूरी तरह से आनंदित कर देने वाला था अगर उसकी जगह कोई और होता तो शायद वह भी अंदर घुस जाने का प्रयास करता। लेकिन वह किसी तरह से अपने आप पर संयम रखें हुए था क्योंकि वह जानता था कि अंदर जो कुछ भी हो रहा है अभी उसमें उसका कोई भी किरदार नहीं है और अंकित भी अपना किरदार जबरदस्ती खड़ा कर दिया है और उसके किरदार को उसे मजबूरन देखना पड़ रहा है वरना वह अपनी मां के पास किसी को भटकने भी नहीं देता।

राहुल इस बात से हैरान हुआ जा रहा था कि जब अंकित उसकी मां की दोनों चूचियों को भारी-बड़ी से मुंह में लेकर पी रहा था उसी समय उसकी मां अपने हाथों से अपनी साड़ी को खोल रही थी वह पूरी तरह से बेसब्र हुए जा रही थी,,,,, अपनी मां का उतावलापन देखकर अनायस ही राहुल अपने मन में बोला।

साली रंडी दूसरे का लंड लेने के लिए कितना तड़प रही है कि खुद ही अपनी साड़ी खोल रही है,,,,(रंडी शब्द उसके होठों पर अचानक ही आ गया था,,,, आज तक वह अपने मुंह से अपनी मां के लिए रंडी शब्द का प्रयोग नहीं किया था बल्कि यह जानते हुए भी की उसकी मां उससे चुदवाती है लेकिन आज अचानक ही अपनी मां को दूसरे लड़के के साथ मजा लेता देखकर उसके लिए वह रंडी शब्द का संबोधन कर रहा था,,,,, और देखते ही देखते उसकी मां अपनी साड़ी को खोल चुकी थी वैसे भी कपड़ा उतारने की कोई जरूरत नहीं थी ऊपर और नीचे दोनों जगह से वह नंगी हो चुकी थी बस उसके कपड़े उसकी कमर में फंसे हुए थे लेकिन ऐसा लग रहा था कि जैसे वह बिस्तर पर पूरी तरह से नंगी होकर मजा लूटना चाहती है। अंकित राहुल की मां को अपने हाथों से साड़ी खोलता हुआ देखकर उसकी एक हथेली अपने आप ही उसकी बुर पर आ गई और फिर से वह उसकी बुर से खेलना शुरू कर दिया ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपने हाथ को उसकी बुर से हटाना ही नहीं चाहता था क्योंकि कोई ना कोई बहाने से वह अपनी हथेली को उसकी बुर पर रख ही दे रहा था,,,, अंकित अपने हुनर से राहुल की मां की चूचियों को पी कर टमाटर की तरह लाल कर दिया था और राहुल की मां भी अंकित की हरकत से पूरी तरह से मत हो चुकी थी ऐसा लग रहा था कि जैसे अंकित ने उसके चूचियों के आकार को थोड़ा सा और ज्यादा बढ़ा दिया है क्योंकि उसे अपनी चूची आज कुछ ज्यादा बड़ी लग रही थी,,,,,,, जी भरकर स्तनपान करने के बाद,,, अंकित राहुल की मां की चूचियों से अपने मुंह को हटा लिया और गहरी गहरी सांस लेता हुआ नूपुर के खूबसूरत चेहरे को देख रहा था नूपुर का खूबसूरत चेहरा टमाटर की तरह उत्तेजना से लाल हो चुका था और एक बार फिर से उसके लाल-लाल होठों को देखकर अंकित व्याकुल हो गया और उसके होठों पर अपने होंठ रखकर फिर से चुंबन करना शुरू कर दिया और नूपुर की उसकी पीठ पर हाथ रखकर उसका हौसला बढ़ने लगी यह सब राहुल से देखा नहीं जा रहा था लेकिन यह सब देखकर उसे मजा भी आ रहा था।


होठों की लाली चाटने के बाद अंकित धीरे से बिस्तर पर से उठकर खड़ा हो गया और अपने आप ही अपने कपड़े उतारने लगा इसके लिए नूपुर खुद व्याकुल नजर आ रही थी उसकी नज़रें उसके पेंट में बने तंबू पर ही टिकी हुई थी और यह सब खिड़की पर खड़ा राहुल देख रहा था वह यह भी देख रहा था कि उसकी मां लाल चाहिए आंखों से अंकित के लंड की तरफ देख रही थी मानो जैसे उसे पूरा का पूरा गले के अंदर निगल जाएगी,,,,, राहुल का मन कुछ ज्यादा ही तड़प रहा था क्योंकि उसे पूरा यकीन था कि उसकी मां अंकित के लंड को मुंह में लेकर जरूर चूसेगी क्योंकि उसे ऐसा करने में बहुत मजा आता था एक तरह से का को की मर्द का लंड नूपुर के लिए खिलौना था जिसे सेवा जी भरकर खेलना चाहती थी और खेलती भी थी। अंकित नूपुर की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए अपने पेट की बटन खोल रहा था और देखते ही देखते वह अपने अंदर बियर सही थी अपनी पेट को अपने पैरों से निकलकर एक तरफ कर दिया और नूपुर की आंखों के सामने एकदम नंगा हो गया उसका लंड पूरी तरह से हवा में लहराने लगा जिसे देखकर नूपुर की आंखों की चमक एकदम से बढ़ने लगे और तो और राहुल की भी हालत एकदम से खराब हो गई जब वह अंकित के लंड को देखा,,,, और देखता ही रह गया उसे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि वाकई में अंकित का लंड उसके लंड से कुछ ज्यादा ही लंबा और मोटा था,,,, न जाने क्यों राहुल के तन बदन में भी सुरसुराहट होने लगी उसकी भी नजर अंकित के लंड से बिल्कुल भी हट नहीं रही थी। और नूपुर की तो आंखों में तूफान नजर आने लगा बहुत पागलों की तरह बदहवास सी आंखें फाड़े अंकित के लंड को देखती ही रह गई,,,, उसे रहा नहीं जा रहा था वह अपने दोनों हाथों की कोहनी का सहारा लेकर अपने आप को थोड़ा ऊपर उठे और प्यासी नजरों से देखते हुए बोली।


बाप रे इतना मोटा और इतना लंबा कौन से तेल से मालिश करता है रे,।

किसी भी तेल से नहीं आंटी यह तो तुम्हारी जवानी देखकर कुछ ज्यादा ही लंबा हो गया है,,,।

हाय दैया मैंने तो आज तक ऐसा लंड नहीं देखी,,,।

क्या आंटी बहुत सारे लंड देख चुकी हो क्या,,?
(अंकित की बातें सुनकर नूपुर एकदम से सकपका गई और खुद ही अपनी बात को संभालते हुए बोली,,,)


नहीं नहीं मेरा मतलब है कि मैं कभी सोच भी नहीं सकती की लंड इतना मोटा और लंबा भी हो सकता है,,,,
(जहां एक तरफ नूपुर की बात सुनकर उसका बेटा राहुल अंदर ही अंदर जल रहा था वहीं दूसरी तरफ अंकित मन ही मन प्रसन्न हो रहा था उसे यकीन हो जाना था कि वाकई में उसकी मां अब तक छोटे लंड से चुदवाती आ रही थी लेकिन आज उसका लंड अपनी बुर बर मे लेगी तो एकदम मस्त हो जाएगी,,,,, और यह सोचकर अंकित अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए उसे एकदम से नूपुर के चेहरे के करीब ले आया और धीरे से खिड़की की तरफ देखा ,वह जानबूझकर राहुल को यह सब दिखाना चाहता था राहुल यह सब देख भी रहा था,,,,, उसे न जाने क्यों यह सब अच्छा लगने लगा था वह देखना चाहता था कि उसकी मां किस तरह से उसके लंड को मुंह में लेकर चुसती है उसे संभालती है,,,, और उसके आश्चर्य के बीच उसकी मां खुद ही अपना उठाकर बधाई और एक हाथ से अंकित के लंड को पकड़ कर उसके मोटे आलू बुखारे जैसे सुपाड़े को अपने मुंह में भरकर चुसना शुरू कर दी।, वाकई में नूपुर को एहसास हो रहा था कि अंकित का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा है जिसे वह ठीक तरह से अपने मुंह में नहीं ले पा रही थी। लेकिन आज जो एहसास जो आनंद उसे महसूस हो रहा था वह उसे कभी महसूस नहीं हुआ था जितना हो सकता था वह अपने मुंह को खोलकर अंकित के लंड का स्वागत कर रही थी।

अंकित बिस्तर के नीचे खड़ा था और राहुल की मां बिस्तर पर लेटी हुई थी और राहुल खिड़की पर खड़े होकर यह सब देख रहा था अपनी मां की बेशर्मी को देख रहा था उसके रंडी पन को देख रहा था लेकिन इस बात को वह भी झुटला नहीं सकता था कि उसे भी मजा आ रहा था,,,,, अंकित राहुल की जलन को और ज्यादा बढ़ाने के लिए खिड़की में मुस्कुराते हुए देखा और उसकी मां के सर पर हाथ रखकर उसके रेशमी बालों को अपनी मुट्ठी में भर लिया और अपनी कमर को आगे पीछे करके हिलना शुरू कर दिया वह इस तरह से नूपुर के मुंह को चोद रहा था और अंकित को जला रहा था,,,,, देखते ही देखते अंकित अपना होना दिखाते हुए पूरा का पूरा लंड उसकी मां के गले तक उतार दिया था उसकी मां को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी लेकिन फिर भी वह पूरी तरह से मस्त थी उसके मुंह से गोगो,,,,,,गोगो,,,,,, की आवाज आ रही थी,,,,, और कुछ सेकेंड के बाद अंकित उसे वापस बाहर निकाल ले रहा था ऐसा वह दो-तीन बार किया उसे बहुत मजा आ रहा था। और नूपुर को भी बहुत मजा आ रहा था पहली बार लंड उसके गले की गहराई तक गया था क्योंकि राहुल का लंड उसके मुंह में ही खत्म हो जाता था,,,,, अंकित पूरी तरह से मस्त होकर राहु की मां को पूरा मजा दे रहा था वह कभी उसे चूसने देता तो खुद उसे चुसवाता तो कभी अपनी कमर आगे पीछे करके उसके मुंह को चोदना शुरू कर देता,,,, नूपुर खुद हैरान थी अंकित की कलाबाजियों को देखकर उसके हुनर को देखकर जिसे वह नादान लड़का समझती थी वह पूरा खिलाड़ी बन चुका था और कैसे खिलाड़ी बन गया यह वह नहीं जानती थी लेकिन आज बिस्तर पर उसे खिलाड़ी की जरूरत ही अनाड़ी की नहीं क्योंकि अंकित को कुछ सीखना नहीं पड़ रहा था बल्कि अंकित ही उसे सब कुछ एक नए अनुभव के साथ सीखा भी रहा था और अच्छे से एहसास भी करा रहा था।


कुछ देर इसी तरह से मजा लेने के बाद अंकित राहुल की मां के मुंह में से अपने लंड को बाहर निकाल लिया जो कि उसके थूक और लार से पूरी तरह से सना हुआ था और यह अच्छा ही था क्योंकि ऐसे में उसकी बुर में डालने में आसानी रहती ,,,,, लेकिन मुंह से लंड निकल जाने के बाद अंकित का बुरा हाल था क्योंकि वह अभी राहुल की मां के मुंह में से अपने लंड को बाहर निकलना नहीं चाहता था वह कुछ देर तक और उसके मुंह में ही अपना लंड ठुंस कर अपना माल गिरा देना चाहताथा लेकिन उसकी बुर को चोदने की तड़प भी बढ़ चुकी थी जिसके चलते उसे अपने लंड को उसके मुंह में से बाहर निकालना पड़ा,,, और यही हाल नूपुर का भी था वह भी ललचाई आंखों से अंकित के लंड की तरफ देख रही थी जिस पर उसका थूक और लार लगा हुआ था,,, शायद वह भी अभी कुछ देर तक और उसे चूसना चाहती थी,,,,, अंकित अब बिल्कुल भी देर नहीं करना चाहता था वह एकदम से राहुल की मां की कमर के नीचे अपने दोनों हाथ डाला और उसकी कमर पकड़ कर उसे बिस्तर की दूसरी तरफ खींच लिया जिससे उसका आधा शरीर बिस्तर के बाहर हो गया और वह बिस्तर पर लेटी रह गई,,,, अंकित जल्दबाजी दिखाते हुए पेटिकोट की डोरी खोलने लगा और पेटिकोट की डोरी खोलते ही एक बार फिर से उसके पेटीकोट को पकड़ कर बाहर की तरफ खींचने लगा और राहुल की मां उसका साथ देते हुए फिर से अपनी गांड को ऊपर उठा ले और अगले ही पल वह बिस्तर पर पूरी तरह से नंगी थी उसके दोनों पैर जमीन पर टिके हुए थे और वह खुद बिस्तर पर लेटी हुई थी,,,,, अंकित अपने लंड को पकड़ कर ही आते हुए खिड़की की तरफ देखा राहुल उसे ही देख रहा था उसे मालूम था कि अब क्या होने वाला है वह जानता था कि थोड़ी ही देर में उसका मोटा तगड़ा लंड उसकी मां की बुर की गहराई में खो जाएगा। अंकित राहुल की मां की दोनों टांगों के बीच आ गया और अपने लंड को हिलाते हुए बोला।



आज तो मजा आ जाएगा,,,(और इतना कहने के साथ ही वह अपने दोनों हाथों से उसकी मोटी मोटी जांघे पकड़ कर उसे खोल दिया और अपने मोटे आलू बुखारे जैसे सुपाड़े को राहुल की मां की बुर से सटा दिया,,,,, मोटे तगड़े सुपाड़े की गर्मी और स्पर्श अपनी बुर पर महसूस करते हैं राहुल की मां एकदम से मस्त हो गई और यह मस्ती राहुल ने भी अपनी मां के चेहरे पर देखा था और अगले ही पल बुर का गीलापन पाकर अंकित अपनी कमर को आगे की तरफ ठेलने लगा बुर की चिकनाहट पाकर फिसलता हुआ अंकित का लैंड राहुल की मां की बुर में प्रवेश करने लगा हालांकि यह काम थोड़ा सा मुश्किल था क्योंकि अभी तक उसकी बुर में राहुल का लंड जाता था लेकिन आज अंकित का लंड उसमें जा रहा था जो मोटाऊ और लंबाई दोनों में अंकित से कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा था। अंकित दोनों हाथों से उसकी मोटी जांघों को पकड़े हुए था,,,, राहुल की मां भी है सब अपनी आंखों से देखना चाहती थी इसलिए अपने हाथ की दोनों कहानी का सहारा लेकर अपने चेहरे को उठाकर अपनी नजरों को दोनों टांगों के बीच स्थिर कर दी थी और अपनी गुलाबी छेद में,,, अंकित के मोटे तगड़े लंड को घुसता हुआ देख रही थी उसके चेहरे का भाव पल-पल बदलता जा रहा था जैसे-जैसे अंकित का। लंड अंदर की तरफ सरक रहा था वैसे-वैसे राहुल की मां के चेहरे की रूपरेखा बदलती जा रही थी ,,,,, उसके लाल-लाल होठ खुले हुए थे उसकी नंगी चूचियां सांसों की गति के साथ ऊपर नीचे हो रही थी और पानी भरे गुब्बारे की तरह हिलोरें खा रही थी,,,,।

अंकित की मेहनत धीरे-धीरे रंग ला रही थी हालांकि इस क्रिया को करने में वह भी पसीने से तरबतर हो चुका था लेकिन पीछे हटने का नाम नहीं ले रहा था वह पूरी मेहनत कर रहा था राहुल की मां पर छा जाने के लिए और वह अपने निश्चय पर अड़ग भी था देखते ही देखते हैं उसका बम पिलाट लंड उसकी बुर की गहराई में पूरी तरह से खो चुका था और यह देखकर राहुल की मां आश्चर्यचकित थी क्योंकि उसे उम्मीद नहीं थी कि राहुल का मोटा तगड़ा लंड पूरी तरह से उसकी बुर में घुस जाएगा,,, जो कि अब एक तरह से उसकी भी विजय थी वह पूरी तरह से सक्षम थी मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर की गहराई में छुपा लेने के लिए इसलिए उसके चेहरे पर भी मुस्कान तैरने लगी थी और वह अंकित से बोली,,,।

बाप रे मुझे तो उम्मीद ही नहीं थी कि तेरा लंड मेरी बुर में पूरा का पूरा घुस जाएगा,,,,(राहुल की मां की बात सुनकर अंकित मुस्कुरा दिया और तिरछी नजर से राहुल की तरफ देखने लगा जो की शर्म से पानी पानी हो जा रहा था वह सोच नहीं था कि उसकी मां इतनी बड़ी बेशर्म बन जाएगी उसकी बातें आज पूरी तरह से रंडी की तरह लग रही थी,,,,, राहुल की मां की बात सुनने के बाद अंकित बोला,,,,)


आंटी तुम खूबसूरती की वह बला हो जो अपनी बुर में गधे के लंड को भी पूरा का पूरा ले लेगी,,,, ।

धत्,,,, बेशर्म,,,,,।


बेशर्म बनने में ज्यादा मजा है आंटी पहले में सीधा-साधा था तब तुम देती नहीं थी लेकिन आज बेशर्म बन गया हूं तो देखो तो आगे खोल कर दे रही हो,,,,(राहुल कीमां की कमर दोनों हाथों से पकड़ कर अंकित अपनी कमर हिलाता हुआ बोला,,,,)


मैं तो शुरू से तुझे देना चाहती थी लेकिन तू ही लेने से इनकार करता था ना जाने किस बात का डर था तेरे मन में कि मेरी ले नहीं पा रहा था,,,,,,,।


मुझे क्या मालूम था आंटी की तुम मुझे देना चाहती हो पहले दिन से ही तुम्हारी बड़ी-बड़ी गांड देखकर मेरा लैंड बार-बार खड़ा हो जाता था तुम्हें किचन में खाना बनाते देखकर मेरे लंड की जो हालत हो रही थी ना बात नहीं सकता तुम्हारे बारे में रात दिन में सोचता रहता था,,,,,,, और अपने आप से ही बात करते हुए बोलता था कि कब मुझे आंटी को चोदने को मिलेगा,,,,,(अंकित तिरछी नजर से राहुल की तरफ देखते हुए बोला हुआ अपनी बातों से राहुल को पूरी तरह से शर्मिंदा कर देना चाहता था और राहुल हो भी रहा था)


आज मिल गया ना मौका तुझे,,,,।


हां आंटी आज तुम्हारी दया से मुझे मौका भी मिल गया और सच कहूं तो मुझे बहुत मजा आ रहा है तुम्हारी बुर में लंड डालने में मैं कभी सोचा नहीं था कि तुम्हें चोदने में मुझे इतना मजा आएगा बस तुम्हें छोड़ना चाहता था लेकिन आज पता चल रहा है कि जैसे लग रहा है कि मैं किसी खूबसूरत हीरोइन की चुदाई कर रहा हूं,,,,,ऊफफ,,,, इस उम्र में भी तुम्हारी बुर कितनी कसी हुई है,,,,,,आहहहहहह हर झटका के साथ कितना मजा आ रहा है,,,,।


मुझे भी बहुत मजा आ रहा है,,,,,,आहहहहह आहहहहह ऊमममममम तेरा बहुत मोटा और लंबा भी तो है,,,,।

ऐसा कुछ भी नहीं है आंटी यह तो आज खुशी में कुछ ज्यादा ही लंबा और मोटा लगने लगा है अंकल जी से ज्यादा मोटा और लंबा नहीं होगा,,,,,।

धत् किसकी बात कर दिया तूने अगर वह इस लायक होते तो मुझे तेरे साथ यह सब करने की तकलीफ नहीं उठानी पड़ती,,,


क्यों आंटी,,,,,


अरे वह अब इस लायक नहीं है कि मेरी प्यास बुझा सके,,,, और उनके हथियार भी छोटा और पतला है,,,,,

ओहहहहह तब तो अच्छा ही है आंटी अगर ऐसा ना होता तो मुझे तुम्हारी सेवा करने का मौका कैसे मिल पाता,,,,,(राहुल की तरफ देखते हुए अंकित बोला ,,,,)

तू सच कह रहा है और मुझे आज एहसास हो रहा है कि यह मौका तुझे पहले ही दे देना चाहिए था मैं तो ऐसा लग रहा है की हवा में उड़ रही हूं तेरा लंड सीधा मेरे बच्चेदानी तक जाकर टकरा रहा है,,,,,आहहहहह आहहहहह ,,ऊईईईईई मां



तो आंटी कहीं ऐसा ना हो जाएगी तुम्हारे बच्चेदानी में बच्चा रुक जाए और राहुल के लिए भाई मिल जाए (बेशर्मी से हंसते हुए अंकित राहुल की तरफ देखते हुए बोला तो राहुल भी अंकित की बात सुनकर एकदम से सन्न रह गया,,,,, वह अपनी मां का जवाब सुनना चाहता था और अंकित की बात सुनकर उसकीमां बोली,,,,)

काश ऐसा हो पाता मेरे पेट में तेरा बच्चा होता तो मुझे और मजा आ जाता लेकिन ऐसा हो नहीं सकता क्योंकि मैं ऑपरेशन करा ली हुं,,,,।

ओहहहहह आंटी यह क्या कि तुमने मेरे बाप बनने का सपना तोड़ दी,,,,,।

चल हरामी बडा आया बाप बनने अपना काम कर,,,।

वही काम तो कर रहा हूं आंटी,,,(और ऐसा कहते हुए जोर-जोर से धक्का लगाने लगा लेकिन अपनी मां की बात सुनकर राहुल एकदम शर्मिंदा हो गया था क्योंकि इस तरह की बात उसकी मां ने उसके साथ कभी नहीं की थी लेकिन अंकित के साथ मिलकर वह बच्चे की बात कर रहे थे उसके बच्चे की मां बनने की बात कर रही थी यह सब राहुल को शर्मिंदा कर रहा था लेकिन जिस तरह से अंकित उसकी मां की चुदाई कर रहा था वह देखकर उसकी उत्तेजना पूरी तरह से बढ़ चुकी थी और वह भी अपने पेटं से अपने लंड को बाहर निकाल कर हीलाना शुरू कर दिया था। इस समय तीन लोग मजा ले रहे थे दो लोग कमरे के अंदर और एक कमरे के बाहर तीनों अपने-अपने काम में लगे हुए थे लेकिन अंकित कुछ ज्यादा ही मजा ले रहा था,,,,, नूपुर की बड़ी-बड़ी चूचियों को उसकी छाती पर लहराते हुए देखकर अंकित से रहा नहीं गया और अपना दोनों हाथ आगे बढ़कर उसकी दोनों चूचियों को थाम लिया और उन्हें जोर-जोर से दबाते हुए अपनी कमर लाना शुरू कर दिया उसे बहुत मजा रहा था राहुल की मां की चुदाई करने में,,,,,, लेकिन घंटों से अंकित का लंड खड़ा का खड़ा था जो कि अब राहुल की मां की बुर की गर्मी पाकर पिघलने के लिए तैयार हो चुका था वह झड़ने के कगार पर आ चुका था इसलिए वह अपने धक्को को तेज कर दिया था एकदम रफ्तार में,,,, खिड़की पर खड़ा राहुल यह सब देखकर पूरी तरह से मत हुआ जा रहा था वह भी जोर-जोर से मुठ मार रहा था,,,, नूपुर भी दूसरी बार झड़ने के कगार पर पहुंच चुकी थी उसका बदन आकर रहा था और अंकित उसके कंधों को दोनों हाथों से पकड़ कर एकदम से नियंत्रण में किए हुए जोर-जोर से उसे पेल रहा था,,, और अगले ही पल राहुल की मां और अंकित दोनों एक साथ झड़ने लगे साथ में दीवार पर राहुल भी झड़ने लगा,,,,, अंकित मस्त होता हुआ राहुल की मां पर झुक गया था और उसे अपनी बाहों में भरकर जोर-जोर से धक्के लगा रहा था,,,, और झड़ रहा था ।
 

Ajju Landwalia

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राहुल का दांव पूरी तरह से उल्टा पड़ गया था, वह कभी सोचा भी नहीं था कि दब्बू सा दिखने वाला अंकित मौका मिलने पर शेर की तरह हमला करेगा,, हकीकत अब यही थी कि राहुल पूरी तरह से दब चुका था राहुल कभी सोचा भी नहीं था कि घर की चार दिवारी के अंदर वह और उसकी मां मिलकर जो गुल खिलते हैं वह किसी को कानों कान तक खबर पड़ेगी लेकिन यहीं पर उसकी सोच मार खा गई थी,,, अब उसे पछतावा हो रहा था कि उसने अंकित के साथ दोस्ती किया ही क्यों क्योंकि ना तो वह उससे दोस्ती करता और ना ही उसका घर में आना-जाना होता और ना ही वह उन दोनों को चुदाई का सुख भोगते हुए देख पाता,, अब उसकी यही गलती उसके गले की हड्डी बन चुकी थी।

कहां पर वह अंकित की मां की जवानी की तारीफ करके अपने मन में उसे भोगने की लालसा को उसके सामने जागरुक कर रहा था और कहां अंकित ने ही गांव पलट कर पूरी तरह से अब राहुल की मां को चोदने का इरादा बना दिया था जिसमें आप राहुल ही उसका साथ देने वाला था और इसके सिवा उसके पास कोई रास्ता भी नहीं था। राहुल इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि अगर अंकित उसके राज को किसी को बता दिया तो मां बेटे दोनों किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाएंगे और ना ही समझ में उनकी कोई इज्जत रह जाएगी घर से निकलना दुभर हो जाएगा,,,, राहुल अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी ही गलती है अभी तक अंकित इस राज को अपने सीने में दबा कर रखा था लेकिन उसकी वजह से ही वह एकदम से उसकी मां को चोदने का इरादा बता दिया था,,,, ना ही वह उसकी मां के बारे में कुछ असली बातें करता और ना हीं अंकित यह सब करने पर मजबूर होता,,,, राहुल को समझ में नहीं आ रहा था कि अब यह सब होगा कैसे,,,, क्योंकि एक मर्द होने के नाते वह अच्छी तरह से जानता था कि अगर किसी मर्द को इतना अच्छा मौका मिलेगा तो वह वाला इस मौके को अपने हाथ से कैसे जाने देगा,,,, वैसे भी वह इस बात को भी अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां कोई सामान्य दीखाव वाली औरत नहीं थी पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थी एक मर्द को अपनी तरफ ललचाने के काबिल उसका हर अंग सक्षम था उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां उसकी बड़ी-बड़ी गांड जिसे पाने के लिए मोहल्ले के हर मर्द तैयार रहते थे और न जाने कितने लोग उसकी मां को याद करके रोज अपना पानी निकाल देते थे ऐसी औरत को चोदने के लिए भला अंकित कैसे इंकार करेगा।

राहुल के पास अब खामोश रहने के सिवा अब कोई रास्ता नहीं था उसे यकीन हो चुका था कि अंकित उसकी मां के साथ अपनी मनमानी करके ही रहेगा अगर उसकी मां नहीं मानेगी तो जैसा वह उसे बोलकर खामोश कर दिया है वही बात हुआ उसकी मां से भी बोलेगा और भला ऐसी कौन सी औरत होगी जो अपनी इज्जत को नीलाम होने देगी बल्कि और से अपनी इज्जत को बचाने के लिए कोई भी शर्त मानने को तैयार हो जाती है,,, अब वह समझ गया था कि उसे केवल अब मुख प्रेछक ही बनना था,,,, खिलाड़ी अब बदल चुका था उसकी मां की खूबसूरत नितंबों नुमा मैदान पर अंकीत बल्लेबाजी करने वाला था,,,, लेकिन यह ख्याल उसके मन में आते ही राहुल सोचने लगा के भला अंकित कर क्या लगा,,,, राहुल को ऐसा था कि अंकित दूसरे लड़कों की तरह चालक और औरतों के मामलों में तेज बिल्कुल भी नहीं है अगर किसी लालच वश वह उसकी मां को चोदने के लिए तैयार हो चुका है तो,,, वह टीक ही नहीं पाएगा,,,, जैसे ही उसकी मां अपने बदन से अपने कपड़े उतारना शुरू करेगी उसके नंगे बदन को देखकर अंकित का लंड पानी फेंक देगा,, और ऐसे हालात में उसकी खुद की बेइज्जती हो जाएगी और वह दोबारा उसकी मां के साथ संबंध बनाने के बारे में सोच भी नहीं सकेगा यह सोचकर राहुल मन ही मन में प्रसन्न हो रहा था,,,, क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां के साथ संबंध बनाने के लिए मां और तन दोनों से तैयार रहना पड़ता है उसकी मां की बेकाबू बेलगाम जवानी किसी सामान्य मरदे के काबिल है ही नहीं उसके लिए तो उसके जैसा सांड़ ही चाहिए,,,, अपने मन में यह सोचकर राहुल प्रसन्न होने लगा,,,,।

दूसरी तरफ अंकित को ज्यादा ही उत्सुक था क्योंकि अब उसे एक नई बुर मिलने वाली थी चोदने के लिए जो पहले से ही उससे चुदवाने ने के लिए बेकरार थी। अंकित कुर्सी पर बैठकर राहुल के बारे में ही सोच रहा था कि कैसे वह उसकी मां के बारे में गंदी बातें करके मजा ले रहा था उसे नहीं मालूम है कि उसकी और उसकी मां की नाकाम उसके हाथ में है बस उसे खींचने की देरी है और लगाम खींचते ही कैसे काबू में आ गया एकदम से शांत पड़ गया अब तक मजा आएगा जब उसकी आंखों के सामने उसकी मां के कपड़ों को उतार कर नंगी करूंगा और उसके गुलाबी बुर में अपना लंड डालकर अपनी मर्दाना ताकत दिखाऊंगा तब उसे समझ में आएगा की असली मर्द किसे कहते हैं,,,, अंकित अपने मन में यह बात सोच कर बहुत खुश हो रहा था क्योंकि वह उन दोनों मां बेटों को हम बिस्तर होते हुए देखा था और इस समय वह राहुल के लंड को भी देखा था,,, और उसी समय उसे एहसास हो गया था कि अगर राहुल की जगह वह खुद होता तो उसकी मां की हालात पूरी तरह से खराब कर देता अपने मोटे तगड़े लंड से,,,, वैसे भी अंकित किसी भी तरह से राहुल से बदला लेना चाहता था क्योंकि वह आए दिन उसकी मां के बारे में कुछ ना कुछ बोला ही करता था उसकी खूबसूरती के बारे में उसके अंगों के बारे में जिसे सुनकर अंकित मन ही मन क्रोधित हो जाता था,,,, लेकिन अब उसे मौका मिल चुका था अब तक के सारे अपमान का बदला लेने का,,,, इसलिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर लेना चाहता था उसे बड़ी बेसब्री से दोपहर का इंतजार था,,,,।

और उसका यह इंतजार खत्म भी हो गया दोपहर के 1:00 रहे थे उसकी मां अपने कमरे में आराम कर रही थी क्योंकि 20 मिनट पहले ही वह जमकर अपनी टांगें खोलकर अपने बेटे से चुदवाई थी,,,, अपने बेटे से जमकर चुदवा लेने के बाद उसे नींद भी बहुत गहरी आई थी,,,, लेकिन फिर भी वह अपनी मां से कुछ जरूरी काम के लिए बोलकर ही घर से निकला था और वैसे भी सुगंधा का काम हो चुका था इसलिए वह भी गहरी नींद में सो गई थी,,,, अंकित का दिल जोरो से धड़क रहा था वह मुख्य सड़क पर आकर ऑटो पकडकर सीधा उसके घर के सामने उतर गया,,,, घर के मुख्य गेट पर राहुल उसका इंतजार कर रहा था अंकित को देखते ही उसे थोड़ा तो गुस्सा आया लेकिन वह कर भी क्या सकता था,,,, जैसे ही अंकित उसके पास आया वह बोला,,,,।

देख अंकित अगर मम्मी नहीं मानी तो तु फिर यहां से चले जाना और फिर कभी भी इस राज को किसी को बताना नहीं,,,,।

तू चिंता मत कर मेरे दोस्त ऐसा हो ही नहीं सकता क्योंकि मेरा औजार तेरे से कुछ ज्यादा ही बड़ा है उसे दिन देखा था मैंने तेरे लंड को जब तेरी मां की बुर में अंदर बाहर हो रहा था,,,, बिस्तर पर तेरी मां बहुत मजे ले लेकर उछल रही थी मेरा तो मन उसी समय तेरी मां को चोदने के लिए तड़प उठा था लेकिन तुम दोनों का रिश्ता देखते हुए मैं तुम दोनों को शर्मिंदा नहीं करना चाहता था इसलिए वहां से चुपचाप चला गया था लेकिन रात दिन सोते जागते मेरी आंखों के सामने तेरी मां की नंगी गांड ही दिखाई देती थी आज मौका मिला है तेरी मां की मद मस्त जवानी को अपनी आंखों से पीने का अपने लंड से रगड़ने का,,,, (राहुल अंकित की इस बात पर की तेरे औजार से ज्यादा लंबा और मोटा उसका औजार है इस बात को सुनकर वह अंदर ही अंदर बहुत गुस्सा हुआ था लेकिन वह कुछ कर नहीं सकता था फिर भी अंकित की बात सुनकर वह बोला,,,)

बातों से कुछ नहीं होता करके दिखाना पड़ता है कहीं ऐसा ना हो कि मेरी मां कपड़े उतारे और तेरा लंड पानी फेंक दे,,,,।


देखना हो तो आधे घंटे बाद आ जाना दरवाजा खुला छोड़ दूंगा,,,, और अपनी आंखों से देखने की तेरी मां कितना मजा ले लेकर मुझसे चुदवाती है,,,,,, (और इतना कहकर वह आगे बढ गया और राहुल अपनी आंखों में क्रोध लिए हुए वहां से हट गया,,,,,, अंकित दरवाजे पर पहुंचकर डोर बेल बजाने लगा,,,, थोड़ी ही देर में दरवाजा खुला दरवाजा खोलने वाली राहुल की मा ही थी और अंकित को दरवाजे पर देख कर उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे वह खुश होते हुए बोली,,,,)

अंकित तु बहुत दिनों बाद आया,,,,।


बहुत दिनों बाद कहां परसों ही तो बाजार में तुमसे मुलाकात हुई थी,,,,,।


वह तो मुलाकात हुई थी लेकिन उस दिन के बाद तो तू दिखाई नहीं दिया,,,, मुझे लगा कि तू डर गया है,,,,।

मैं भला डर जाऊं ऐसा हो नहीं सकता,,,,।

ओ हो फिल्मी डायलॉग मारने लगा है,,,, सिर्फ डायलॉग ही करने आता है कि कुछ और भी मारने आता है,,,।

मौका देकर तो देखो बहुत कुछ मारने आता है,,,,,।

चल आजा अंदर दरवाजे पर ही खड़ा-खड़ा सब बातें करेगा क्या,,,, (मुस्कुराते हुए नूपुर बोली और नूपुर की बात सुनकर अंकित घर में प्रवेश कर गया और नूपुर दरवाजा बंद करके उसकी कड़ी लगा दी,,,,, और अंकित से बोली,,,)


बोल ठंडा पिएगा या गरम,,,,?


किसी बातें कर रही हो आंटी ना ठंडा ना गम मुझे तो कुछ नमकीन पिला दो,,,,।

ऊमममममम,,,, पहली बार में ही इतना शरारती हो गया है,,, (अंकित के कहने का मतलब को समझ कर नूपुर शरारती अंदाज में मुस्कुराते हुए बोली)

आप क्या करूं शरारती तो होना पड़ेगा जब टीचर ही इतनी शरारती है तो विद्यार्थी को तो थोड़ा बहुत असर दिखाना होगा,,,,।

ओहहह ,,,, बातें तो तू बहुत अच्छी करता है पता नहीं काम अच्छा करता है कि नहीं,,,।


क्यों उस दिन मेरा काम अच्छा नहीं लगा क्या,,,,,?

ऊमममम,, (अंकित की तरफ देखकर अपनी आंखों को गोल-गोल नचाते हुए) बहुत अच्छा लगा था तभी तो तेरी याद सता रही थी और तू है कि उस दिन के बाद तो दिखाई ही नहीं दिया,,,,


कोई बात नहीं आज आ गया हूं बाकी की कसर पूरी कर दूंगा,,,,


टिक तो पाएगा ना,,,


क्यों नहीं गीली पिच पर भी मैं कम से कम 35 40 मिनट आराम से बल्लेबाजी कर सकता हूं,,।

ऊमममम ऐसे ही बल्लेबाज कि मुझे जरूरत थी,,,,।


अच्छा आंटी सबसे पहले मुझे एक गिलास ठंडा पानी पिला दो वह क्या है ना धूप ज्यादा है तो प्यास लग गई।


पानी क्या तुझे मैं अपना दूध पिला देता लेकिन क्या है ना बीच में से दूध नहीं निकलता,,, लेकिन फिर भी चूसने में ज्यादा मजा आएगा,,,,।

वह कसर तो तुम्हारी बुर से पूरी हो जाएगी उसका नमकीन चटकार पानी चाटकर,,,,।
(अंकित के मुंह से बुर शब्द सुनकर नूपुर की सांस ऊपर नीचे हो गई उसे उम्मीद नहीं थी कि अंकित इस तरह से खुले शब्दों में उसके खूबसूरत अंग का नाम ले लेगा लेकिन उसने जिस तरह से नाम लिया था उसे यकीन हो गया था कि अंकित जैसा दिखता है वैसा ही नहीं नूपुर शर्म से पानी पानी हो रही थी और उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी और वह अंकित से मुस्कुराते हुए बोली,,,)

अच्छा तु रुक मैं अभी पानी लेकर आती हूं,,,, (इतना कहकर वह किचन में चली गई और मौका देखकर जल्दी से दरवाजे की कड़ी खोल दिया दरवाजा बंद तो था लेकिन उसमें कड़ी नहीं लगी थी जिससे राहुल आराम से घर में आ सके और दरवाजा खोलकर वह तुरंत अपनी जगह पर आकर खड़ा हो गया तब तक नूपुर किचन में से ठंडे पानी का गिलास लेकर आई और उसे थमाते हुए बोली,,,)

पानी थोड़ा ज्यादा ठंडा है कहीं ईसे पीने के बाद ठंडा मत पड़ जाना नहीं तो मैं तड़पती रह जाऊंगी,,,, (नूपुर साड़ी के ऊपर से ही अपनी बर को खुजलाते हुए बोली यह उसकी तरफ से संपूर्ण रूप से आमंत्रण था लेकिन फिर भी ठंडा पानी पीते हुए अंकित बोला)

अंकल तो नहीं है,,?


नहीं वह तो ऑफिस गए हैं शाम को 7:00 बजे ही लौटेंगे और राहुल अभी अभी घर से बाहर के आए हैं वह भी एक-दो घंटे बाद ही वापस आएगा,,,,
(बिना पूछे ही नूपुर राहुल के बारे में बता दीजिए क्योंकि उसके पास अब समय नहीं था वह जल्द से जल्द अपने कमरे में अंकित को ले जाना चाहती थी और नूपुर का जवाब सुनकर अंकित मुस्कुराते हुए बोला)


मतलब है कि आज हम दोनों के पास बहुत मौका है और बहुत समय भी है,,,,।

समय तो बहुत है और मैं गंवाना नहीं चाहती चल मेरे कमरे में,,,,,(इतना कहने के साथ ही नूपुर उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने कमरे में ले गई और कमरे का दरवाजा बंद कर दी कमरे में प्रवेश करते ही अंकित ने खिड़की की तरफ देखा जो की खुली हुई थी उसका एक पट बंद था और दूसरा पट पूरा बंद नहीं था और इतना तो बहुत था राहुल को कमरे के अंदर देखने के लिए,,,,,, नूपुर की हालत देखकर अंकित अच्छी तरह से समझ रहा था कि नूपुर की इस समय क्या हालत हो रही है इस समय उसकी दोनों टांगों के बीच आग लगी हुई थी जिसे बुझाना उसका फर्ज बन चुका था,,,,,, अब समय आ चुका था नूपुर के सामने अपनी कलाबाजियां दिखाने का औरत को खुश करने का कितना हुनर जानता है,,, वह सारे हुनर आजमाने का,,, इसलिए वह नूपुर का हाथ पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींच लिया नूपुर एकदम से उसके सीने से जा लगी और उसके खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हथेलियां में भरकर उसकी आंखों में देखने लगा नूपुर की आंखों में वासना साफ दिखाई दे रहा था,,,, अंकित का लंड पेट में तंबू बना लिया था और जिस तरह से नूपुर उसके बदन से सट गई थी नूपुर को अपनी दोनों टांगों के बीच अंकित का लंड दस्तक देता हुआ महसूस हो रहा था,,,। अंकित उसके होठों की तरफ अपने होठों को बढ़ाते हुए बोला,,,,)

तुम बहुत खूबसूरत हो आंटी,,,,।

आंटी नहीं नूपुर,,,,,,(नूपुर इतना बोली और खुद ही अपने होठों को ऊपर करके अंकित के होठों से सटा दी दोनों के होंठ जो एकदम प्यासे थे आपस में मिलते ही एक दूसरे में समा जाने की पूरी कोशिश करने लगे अंकित पागलों की तरह नूपुर के लाल लाल होठों का रसपान करने लगा और अपने दोनों हथेलियां को उसके भारी भरकम नितंबों पर रखकर साड़ी के ऊपर से उसे जोर-जोर से दबाने लगा मसलने लगा,,,, नूपुर के प्रति अंकित की झिझक उसी दिन खत्म हो चुकी थी जब वह डाइनिंग टेबल के नीचे बैठकर उसकी बुर की चटाई किया था,,,,, इसलिए तो आज खुलकर नूपुर से मजा ले रहा था नूपुर भी उसकी बाहों में पिघलने लगी थी इसकी मजबूत हथेलियां को अपनी गांड पर महसूस करके वह मदहोश हो रही थी,,,, अंकित पागलों की तरह उसके होठों का रसपान करते हुए उसकी बड़ी-बड़ी गांड से खेल रहा था और धीरे-धीरे उसकी साड़ी ऊपर की तरफ उठा रहा था देखते ही देखते वह नूपुर की साड़ी को कमर तक उठा दिया था और उसकी गुलाबी रंग की पेंटी में कैद उसकी बड़ी-बड़ी गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर मसल रहा था दबा रहा था,,,,।

दूसरी तरफ राहुल को घर की दूरी पर खड़े 20 मिनट हो चुके थे और वह अपने घर के मुख्य गेट को ही देख रहा था उसे ऐसा था कि कुछ ही देर में वह रोने वाली शक्ल लेकर उसके घर से निकलता हुआ दिखाई देगा लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ था तो वह कुछ देर तक और वहीं खड़ा होकर इंतजार करने की सोच और वैसे भी जो समय अंकित ने दिया था अभी वह समय नहीं हुआ था,,,,,, लेकिन बाहर इंतजार करके राहुल की भी हालत खराब हो रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अंदर क्या हो रहा होगा कहीं अंकित उसकी मां को भी ब्लैकमेल करके उसके साथ शारीरिक संबंध बना लिया तो क्या होगा और ऐसा भी तो हो सकता है कि एक टीचर होने के नाते उसकी मां पूरी तरह से अंकित को दबाव में लेकर यह भी कह सकती है कि जो कुछ भी तो कह रहा है मैं तेरी मां से बता दूंगी तब वह शायद इस डर से वहां से निकल जाए और अगर ऐसा हो गया तब तो मजा आ जाएगा लेकिन राहुल ने अंकित की आंखों में वासना का तूफान देखा था ऐसा लग रहा था कि जैसे आज पहली बार हुआ किसी औरत से हम बिस्तर होने जा रहा है पहली बार चुदाई का सुख भोगने जा रहा है इसलिए राहुल को एहसास हो रहा था कि उसकी मां को चोदने के लिए अंकित कुछ भी कर सकता है,, खैर अभी इन सब बातों का वक्त बिलकुल भी नहीं था सिर्फ बाहर खड़े होकर इंतजार करना था,,,,।

कमरे के अंदर अंकित पूरी तरह से नूपुर की जवानी पर छाने लगा था,,,, वह नूपुर की बड़ी-बड़ी गांड को दबाते हुए उसकी पेंटिंग में हाथ डालकर उसकी नंगी गांड का स्पर्श महसूस करके पागल हुआ जा रहा था,,,,, अभी तक दोनों का चुंबन टूटा नहीं था दोनों की लार एक दूसरे के मुंह में आराम से चले जा रहे थे जिसे वह दोनों आराम से गले के नीचे उसे उतार भी ले रहे थे,,, अंकित नूपुर की गांड पर रह रहकर चपत भी लगा दे रहा था जिससे उसकी गोरी गोरी गांड टमाटर की तरह लाल हो गई थी लेकिन नूपुर को ईस चपत से नूपुर को बहुत मजा आ रहा था वैसे तो इस तरह का सुख वह अपने बेटे से भी ले चुकी थी लेकिन आज बात ही कुछ और थी आज पहली बार हुआ किसी गैर मर्द से इस तरह का आनंद ले रही थी,,,, जो कि वह भी उसके बेटे की ही उम्र का था। अंकित इस अवस्था में ही अपने दोनों बाजुओं को उसके नितंबों से टिका दिया और उसे अपनी गोद में उठाकर बिस्तर की तरफ ले जाने लगा नूपुर एकदम से घबरा गई उसे उम्मीद नहीं थी कि अंकित उसे उठा लेगा और वह घबराते हुए बोली,,,)

अरे रे यह क्या कर रहा है मैं गिर जाऊंगी मुझे नीचे उतार,,,,,।


मुझ पर भरोसा नहीं है क्या,,,,, रोज कसरत करता हूं दो गिलास दूध रोज पीता हूं,,,, पर मुझे तो लग रहा है कि शायद इसी दिन के लिए कसरत करता हूं ताकि तुम्हें खुश कर सकूं,,,,(और ऐसा कहते हुए अंकित बिस्तर के पास पहुंच गया और नरम नरम करते पर नूपुर को पटक दिया नूपुर गद्दे पर गिरते ही एक दो बार ऊपर की तरफ उछल गई वह एकदम से मस्त हो चुकी थी,,, उसे यकीन नहीं था कि अंकित में इतनी ताकत होगी कि वह उसे आराम से उठा लेगा लेकिन आज उसकी ताकत देखकर उसकी बुर पानी छोड़ रहे थे उसे बहुत आनंद आ रहा था और वह मुस्कुरा रही थी,,,,, वह बिस्तर पर पीठ के बेलेटी हुई थी उसकी साड़ी जांघों तक उठी हुई थी उसकी मोटी मोटी जांघों को देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था,,,,, वह बिस्तर पर घुटनों के बल आगे बढ़ता हुआ बोला,,,)


वाह कसम से तुम्हारी जवानी तो बहुत गदराई है,,,, आज तो बहुत मजा आ जाएगा,,,,(और इतना कहने के साथ ही हुआ नूपुर की टांगों के बीच जगह बनाने लगा,,, और नूपुर भी अपनी टांगों को खोलने लगी वह मदहोश हुए जा रहे थे पागल हुए जा रही थी उसकी आंखों में खुमारी छाई हुई थी,,,,, आज वह उसे दिन का अधूरा कार्य पूरा कर लेना चाहते थे उसकी गहरी चलती सांसों के साथ-साथ ब्लाउज में कहे तो उसके दोनों कबूतर भी पंख फड़फड़ा कर बाहर आने को आतुर नजर आ रहे थे लेकिन शायद अभी अंकित का ध्यान उसके फड़फड़ाते हुए कबूतरों पर नहीं पहुंचा था,,,,, देखते ही देखते अंकित गहरी सांस लेता हुआ उसकी मोटी मोटी जांघो पर जीभ रखकर चाटना शुरू कर दिया अंकित की हरकत से नूपुर कसमसाने लगी वह आनंदित होने लगे उसे मजा आ रहा था क्योंकि अंकित उसकी जांघों को अपनी जीभ से चाट रहा था,,,, अंकित को शायद इस बात का ज्ञान था कि औरत का हर एक अंक मलाईदार होता है हर जगह चाटने पर केवल आनंद ही प्राप्त होता है इसलिए वह नूपुर की गोरी गोरी जांघों को चाटता हुआ ऊपर की तरफ बढ़ रहा था,,,, नूपुर सर के नीचे तकिया लगाए अंकित को ही देख रही थी,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,, और अगले ही पल अंकित उसकी गुलाबी रंग की पेंटि के बीचों बीच अपनी नाक रखकर उसकी बुर वाली जगह को सुंघने लगा,,, उसमें से उठ रही मादक खुशबू अंकित केतन बदन में उत्तेजना का तूफान भर रही थी।


अंकित अपनी जी बाहर निकाल कर गुलाबी रंग की पेटी के ऊपर से ही उसकी बुर वाले हिस्से को चाटना शुरू कर दिया जो की बुर गीली होने की वजह से उसके आगे वाला हिस्सा गीला हो चुका था और चिपचिपा रहा था अंकित पागलों की तरह उस पर अपनी जीभ फिरा फिराकर उसे चाट रहा था,,,, नुपुर की सांसें उखड़ रही थी,,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि हम किस तरह की हरकत करेगा वह पूरी तरह से उसे अपनी हरकत से पागल कर रहा था,,,,, नूपुर केतन बदन में आग लगी हुई थी वह पागल हुए जा रही थी उसे अपनी उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हो रही थी जिसकी वजह से वह खुद ही अपने दोनों हाथों को ब्लाउज के ऊपर से अपनी चूचियों पर रखकर उसे दबा रही थी और अपनी टांगों को मोड़ने की कोशिश कर रही थी जिसे अंकित अपने दोनों हथेलियां से दबाकर उसे स्थिर कर दिया था क्योंकि वह जानता था कि जिस तरह की हरकत हुआ कर रहा है उससे नूपुर की तड़प और ज्यादा बढ़ जाएगी।।।

सहहहह आहहहहहह ऊमममममम,,,,आहहहहह अंकित तू तो मुझे पागल कर दिया है रे,,,ऊमममममम,,,,आहहहहहहहह मैं मर जाऊंगी मुझे इतना मत तड़पा,,,,,,,सहहहहहहहह,,,,(ऐसा कहते हुए वह खुद ही अपनी चूचियों को दबा रही थी मसाला रही थी यह देखकर अंकित भी समझ गया था कि नूपुर पूरी तरह से चुदवासी हो चुकी है,,,, इसलिए वह अगले ही पल अपनी दो उंगली को उसके गुलाबी रंग की पेंटिं के छोर को पकड़कर उसे दूसरी तरफ खींच दिया जिससे उसके गुलाबी पर एकदम से उजागर हो गई और उत्तेजना के मारे उसकी बुर पहले से कचोरी की तरह फुल चुकी थी जिससे पेंटी का दूसरा हिस्सा आराम से दूसरी ओर टिक गया था,,,,, नूपुर की बुर को देखकर अंकित की हालात पूरी तरह से खराब हो गई क्योंकि साफ दिखाई दे रहा था कि अभी कुछ घंटे ही हुए थे उसे अपनी बुर पर से बाल को साफ किए हुए इसलिए उसकी बुक एकदम चिकनी दिखाई दे रही थी एकदम गुलाबी,,,,, एेसी बुर को चाटने में अंकित को बहुत मजा आता था,,,,, वह पागलों की तरह राहुल की मां की बुर पर टुट पड़ा,,,, और जैसे ही नूपुर अंकित की के को अपनी बुर पर महसूस की एकदम से उत्तेजना से भर गई और अपनी कमर को एकदम से ऊपर की तरफ उछाल दी जिसे अंकित अपने दोनों हाथों से उसकी कमर पकड़ कर पागलों की तरह उसकी बुर की चटाई करना शुरू कर दिया उसकी बुर पहले से ही पानी छोड़ रही थी,,,, जिससे अंकित को चाटने में भी बहुत मजा आ रहा था। नूपुर पूरे बिस्तर पर तड़प रही थी पागल हो रही थी वह जिस तरह से उसकी बुर की चटाई कर रहा था शायद ही राहुल ने ऐसी चटाई किया हो। इसलिए तो नूपुर पागल हुए जा रही थी मदहोश हुए जा रही थी,,,। कुछ देर तक अंकित इसी तरह से नूपुर की बुर की चटाई करता रहा उसकी मलाई को गटकता रहा,,,,,।

दूसरी तरफ राहुल से रहा नहीं जा रहा था वह काफी देर से बाहर खड़ा इंतजार कर रहा था लेकिन अभी तक अंकित घर से बाहर नहीं निकला था इसलिए उसे भी कुछ संदेह होने लगा कि उसने उसकी मां को भी डरा धमका कर उसके साथ मनमर्जी करने लगा है इसलिए वह तुरंत अपने घर की ओर चल पड़ा,,,, घर पर पहुंच कर वह धीरे से दरवाजा खोलने के कोशिश किया तो दरवाजा अपने आप खुल गया जैसा कि अंकित ने उसे बता रखा था वह धीरे से कमरे में प्रवेश किया और दरवाजा बंद करके करिए लगा दिया और धीरे-धीरे इधर-उधर नजर घुमा कर देखने लगा कि आखिरकार दोनों है कहां वह दोनों ना तो डाइनिंग हॉल में थे और ना ही किचन में थे नहीं उसके कमरे में थे अब उसके पास उसकी मां का ही कमरा रह जाता था और अभी तक दोनों नजर नहीं आ रहे थे इसलिए राहुल का दिल जोरो से धड़क रहा था वह धीरे-धीरे चोर कदमों से अपनी मां के कमरे की तरफ आगे बढ़ने लगा,,,,, उसके मन में घबराहट भी हो रही थी कि ना जाने कमरे में क्या हो रहा होगा और वह मन ही मन दुआ भी कर रहा था कि ऐसा कुछ भी ना हो जैसा कि अंकित ने कहा था और यही सोचता हुआ वहां अपनी मां के कमरे के पास पहुंच गया तो दरवाजा बंद था लेकिन खिड़की खुली हुई थी उसका पट हल्का सा खुला हुआ था और वह खिड़की के पास खड़ा हो गया और अंदर देखने की कोशिश करने लगा दोपहर में भी अंदर ट्यूब लाइट जल रही थी जिसकी दूधिया रोशनी में सबको साफ नजर आ रहा था और जब राहुल ने अपनी नजरों को स्थिर किया तो उसकी आंखों के सामने उसकी मां का बिस्तर दिखाई देने लगा जिस पर वह खुद अपनी मां के साथ रोज मजा लेता था,,,,, और बिस्तर पर जो नजर उसे दिखाई दिया उसे देखकर वह पूरी तरह से स्तब्ध रह गया आश्चर्य और हैरानी से उसकी आंखें फटी के फटी रह गई।

अंदर की बिस्तर पर की स्थिति उसे साफ दिखाई दे रही थी उसे साथ दिखाई दे रहा है कि उसकी मां बिस्तर पर पीठ केवल लेटी हुई थी उसकी दोनों टांगें खुली हुई थी और यह शायद उसने अंकित के लिए ही खोल कर रखी थी और अंकित उसकी मां की दोनों टांगों के बीच छाया हुआ था और जिस तरह से उसका सर ऊपर नीचे हो रहा था उसे यकीन हो गया था कि अंकित उसकी मां की बुर चाट रहा था यह देखकर उसकी आंखों में शोले भड़कने लगे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, लेकिन जब गौर से अपनी मां के खूबसूरत चेहरे को देखा तो उसके होश उड़ गए क्योंकि वह इस पल का आनंद ले रही थी मजा लूट रही थी उसके चेहरे के हाव-भाव बता रहे थे कि अंकित की हरकत से वह पूरी तरह से आनंदित हो चुकी थी,,,,,,, राहुल के पास अब करने के लिए कुछ नहीं रह गया था सिवाय अंदर का दृश्य देखने के,,,, कुछ देर तक अंकित इस तरह से उसकी मां की बुर की चटाई करता रहा यह देखकर ना चाहते हो कि ना जाने क्यों राहुल का लंड खड़ा होने लगा था वह पहली बार अपनी मां को इस रूप में देख रहा था पहली बार वह किसी गैर मर्द के साथ देख रहा था। अपनी मां की मस्ती को देखकर वह अपनी आंखों पर यकीन नहीं कर पा रहा था कि यह उसकी मां है क्योंकि नूपुर अपने बेटे से हमेशा कहती थी कि वह किसी गैर मर्द के बारे में सोच भी नहीं सकते लेकिन आज कैसे अपने कमरे के अपने ही बिस्तर पर उसके ही दोस्त के साथ मजा लूट रही थी।


अब ऐसे मजा नहीं आ रहा है,,,(नूपुर की बुर से अपने होठों को हटाकर गहरी सांस लेते हुए वह नूपुर की तरफ देखते हुए बोला तो उसकी बात सुनकर नूपुर भी मदहोशी भरे स्वर में बोली)


तब कैसे मजा आएगा,,,,?
(दोनों कि ईस तरह की बातें राहुल के कानों में बड़े आराम से पहुंच रही थी राहुल अपनी मां की बात सुनकर एकदम हैरान था क्योंकि लगी नहीं रहा था कि जैसे वह पहली बार अंकित के साथ इस अवस्था में मजा ले रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे दोनों कई बार इस तरह से मजा लुट चुके हैं,,,,,, नूपुर की बात सुनकर अंकित बोल कुछ नहीं बस अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर उसकी चड्डी को पकड़ लिया और उसे नीचे की तरफ खींचने लगा,,,यह देख कर राहुल की आंखें उत्तेजना से और ज्यादा फटने लगी जब उसने देखा कि अंकित का साथ देते हुए उसकी मां भी अपनी भारी भरकम गांड को हवा में उठा दी थी ताकि वह उसकी चड्डी को आराम से उतार सके,,,, यह देख कर तो उसके हौसले एकदम से पस्त हो गए वह समझ गया कि उसकी मां को भी बहुत मजा आ रहा है,,,,, वह कभी सोचा नहीं था कि उसको छोड़कर उसकी मां किसी दूसरे लड़के से इस तरह से मजा लुटेगी,,,, लेकिन उसे यकीन करना ही पड़ा क्योंकि जो कुछ भी हो रहा था वह उसकी आंखों के सामने हो रहा था किसी से सुनी सुनाई बात नहीं थी,,,, इसलिए राहुल भी अपने दिल पर पत्थर रखकर अपनी मां की काम लीला को देखने लगा,,,, देखते ही देखते अंकित उसकी मां की चड्डी को उसके नंगी चिकनी टांगों से खींचकर बाहर कर दिया था और वह कमर के नीचे नंगी हो चुकी थी चड्डी के निकल जाने के बाद अंकित राहुल की मां की गुलाबी बुर को प्यासी आंखों से देख रहा था,,,, और गहरी सांस लेता हुआ बोला,,,)

वाह नूपुर तुम्हारी बुर तो एकदम गुलाबी है एकदम चिकनी ऐसा लग रहा है कि जैसे अभी-अभी क्रीम लगाकर बुर की सफाई की हो,,,,।

तु एकदम ठीक कह रहा है,,,, सुबह ही क्रीम लगाकर साफ क्यों ऐसा लग रहा था कि जैसे तेरे आने का एहसास मुझे हो गया था,,,,।(नूपुर की बात सुनकर; अंकित मुस्कुराने लगा लेकिन राहुल सच में पड़ गया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या यह हालात दोनों के बीच पहले भी मुकम्मल हो चुके हैं या आज पहली बार है क्योंकि ऐसा लग ही नहीं रहा था कि उसकी मां पहली बार उसके साथ हम बिस्तर हो रही थी यही सोचकर तो उसका दिमाग पूरी तरह से चकरा जा रहा था,,,, अंकित को और ना ही नूपुर को इस बात का एहसास हुआ था की खिड़की पर राहुल खड़ा है वह दोनों अनजान थे,,,, अंकित अपनी हथेली को नूपुर की गुलाबी बुर पर रखकर उसे पूरी तरह से ढंक लिया था और उसे मसल रहा था अंकित की हरकत से नूपुर कसमसा रही थी उत्तेजना से बदहवास हो रही थी। वह अपनी उत्तेजना पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पा रही थी इसलिए लगातार अपनी चूचियों से खेल रही थी उसे दबा रही थी और अपनी उत्तेजना को काबू में करने की कोशिश कर रही थी लेकिन इस समय वहां अंकित के हाथों में थी और अंकित औरतों को खुश करने का तरीका अच्छी तरह से जानता था। इसलिए तो वह अपनी हथेली को जोर-जोर से नूपुर की दर पर रगड़ रहा था और उसकी हथेली पूरी तरह से उसके मदन रस से गीली हो चुकी थी। अंकित पागल हुआ जा रहा था मदहोशी के सागर में डूबता चला जा रहा था अपनी मां के बाद आज पहली बार उसे इतनी खूबसूरत औरत चोदने को मिलने वाली थी हालांकि दो औरतें उससे पहले भी चोदने को मिल चुकी थी जिसके साथ वह मजा लूट चुका था लेकिन वह दोनों थोड़ा उम्र दराज हो चुकी थी । लेकिन नूपुर उसकी मां की हम उम्र थी दोनों में केवल 19 ,,,20 का ही फर्क था दोनों लाजवाब थी जवानी से भरी हुई थी मर्दों को पानी पानी करने में पूरी तरह से सक्षम थी. कुछ देर तक इसी तरह से राहुल की मां की बुर से खेलने के बाद एक बार फिर से अंकित अपने प्यास होठों को उसकी बुर पर रखकर उसकी मलाई चाटना शुरू कर दिया,,,,, नूपुर एकदम व्याकुल होने लगी मदहोशी में और उत्तेजना में वह अपने सर को दाएं बाएं पटकने लगी उसे बहुत मजा आ रहा था अंकित अपनी हरकत से उसे पूरी तरह से आनंदित कर दिया था।

नूपुर को इस बात का एहसास हो रहा था कि इतना मजा उसे आज तक अपने बेटे से भी नहीं मिला था। अंकित तो अपनी काम लीला के सफर में उसे पूरी तरह से मदहोश बना दिया था अभी तो मंजिल पर पहुंचना बाकी था,,,,,, ट्यूबलाइट की दूधियां रोशनी में सब कुछ साफ दिखाई देरहा था वैसे तो दोपहर का समय था लेकिन कमरे में दोपहर में भी अंधेरा ही रहता था क्योंकि यह अंदर की तरफ कैमरा था और इसकी खिड़की भी बाहर की तरफ ना खुलकर कमरे के अंदर की तरफ ही खुलती थी जिससे बाहर की रोशनी कमरे में नहीं आ पाती थी और दोपहर में भी ट्यूबलाइट जलाना पड़ जाता था। अंकित पूरी तरह से राहुल की मां को मदहोश कर देने के इरादे से उसकी बुर की चढ़ाई कर रहा था वह अपनी नाक के आगे वाला भाग भी उसकी बुर पर रगड़ रहा था जिससे उसका आनंद दुगना होता जा रहा था,,,, और तभी अंकित राहुल की मां की उत्तेजना और आनंद दोनों एक साथ बढ़ाते हुए अपनी एक उंगली को उसकी बुर में डालकर उसे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया अंकित इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि जिस तरह की जवानी से भरी हुई है एक उंगली से कुछ होने वाला नहीं है लेकिन फिर भी यह तो बस शुरुआत थी क्योंकि थोड़ी देर बाद वह अपनी दूसरी उंगली भी उसकी बुर में डाल दिया था और उसे अंदर बाहर कर रहा था कमरे के अंदर राहुल की मां और अंकित दोनों पूरी तरह से मजा लूट रहे थे और खिड़की के बाहर खड़ा राहुल हैरानी से अपनी मां की बेशर्मी और उसका रंडीपन देख रहा था हालांकि यह सब देखकर उसके लंड में भी उत्तेजना आ चुकी थी,,, यह जानते हुए भी की बिस्तर पर उसकी मां दूसरे लड़के के साथ मजा लूट रही है यह नजारा नहीं देखने के बजाय वह अपनी मां को मजा लूटते हुए देख रहा था और न जाने की उसे यह सब देखकर मजा भी आ रहा था।

सससहहहहह आहहहहह ऊमममममम आहहहहहहहह सहहहहहहहह यह क्या कर रहा है रे,,,,आहहहहहहहह मुझे कुछ-कुछ होने लगा है,,,,ऊमममममम ,,,(ऐसा कहते हुए राहुल की मां अपनी भारी भरकम गांड को हवा में उठाकर उसे गोल-गोल घूमा रही थी ऐसा करने में उसे भी बहुत मजा आ रहा था,,,,, राहुल उसकी कमर था में उसे नियंत्रण में किए हुए था,,,,,,, थोड़ी ही देर में नूपुर की हालत खराब होने लगी उसका बदन अकड़ने लगा अंकित समझ गया कि उसका पानी निकलने वाला है इसलिए वह उसकी कमर को और जोर से अपने दोनों हथेलियां में दबोच लिया और राहुल की मां भल भला कर अंकित के मुंह में ही झड़ने लगी अपना मदन रस उसके मुंह में छोड़ने लगी और अंकित भी कहां पीछे हटने वाला था वह भी अमृत की बूंद की तरह राहुल की मां की बुर से निकलने वाले मदन रस को जीभ से तब तक चाटता रहा जब तक की उसका मदन रस का रिसाव बंद नहीं हो गया,,,, राहुल की मां का पानी निकल चुका था वह गहरी गहरी सांस ले रही थी आंखों को बंद किए हुए वह पूरी तरह से इस एहसास में डूब चुकी थी और अंकित धीरे से उसकी टांगों के बीच से उठने लगा और बिस्तर से नीचे उतरने पर उसकी नजर खिड़की पर गई तो देखा की खिड़की पर राहुल खड़ा था दोनों की नजर आपस में टकराई राहुल शर्मा के मारे अपनी नजरों को नीचे झुका लिया और अंकित मुस्कुराने लगा,,,,, अंकित बिना कुछ बोले आंख के इशारे से ही राहुल को उसकी मां अधनंगी हालत में दिखाते हुए,,, अपने अंगूठे और उंगली को मोड़कर गोल बना लिया और अपने दूसरे हाथ की उंगली को उसे गोली के अंदर बाहर करके इशारे करने लगा कि आप तेरी मां की चुदाई करने जा रहा हूं,,,, अंकित के इस व्यवहार से राहुल पूरी तरह से शर्मिंदा हो गया था,,,,, और उसे अपनी गलती का एहसास भी हो रहा था ना वह अंकित को छेड़ता और ना उसे आज यह दिन देखना पड़ता,,,,।

अंकित बिस्तर से नीचे उतर गया था उसके पेंट में पूरी तरह से तंबू बना हुआ था,,,, अब वह राहुल को भी और जलाना चाहता था उसे पूरी तरह से मजा चखना चाहता था क्योंकि पहले दिन से ही राहुल उसकी मां को प्यासी नजरों से देखा था उसके बारे में गंदे विचार अपने मन में लाता था और अपने विचारों को उसके सामने प्रकट भी कर देता था हालांकि उसे समय अंकित कुछ कर नहीं पता था लेकिन आज हालात उसके पक्ष में थे,,,, राहुल पूरी तरह से उसकी मुट्ठी में था और उसकी मां भी इसलिए वह इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहता था कि भविष्य में राहुल अपनी गलती को दोबारा दोहरा ना सके,,,,, खिड़की पर खड़ा राहुल भी अंकित के पेंट में बने तंबू को देख रहा था,,, और अपने मन में सोच रहा था कि अब थोड़ी देर में अंकित का लंड उसकी मां की बुर की गहराई नाप रहा होगा,,,,, लेकिन अभी भी राहुल के मन में शंका थी कि अंकित उसकी मां को चोदने में टिक पाएगा कि नहीं। और अंकीत था की इस खेल में पूरी तरह से माहिर हो चुका था एक मंजा हुआ खिलाड़ी बन चुका था,,,,, इसलिए तो वह राहुल को और ज्यादा चिढ़ाने के उद्देश्य से अपने तंबू को अपनी हथेली में जोर से पकड़ कर एकदम से गहरी सांस लेते हुए मदहोश होने का नाटक करते हुए बिस्तर के करीब जाने लगा और अपने तंबू को पकड़े हुए ही वह बोला,,,,।

क्या हुआ आंटी सो गई क्या,,,,?

(अंकित की बात सुनकर राहुल की मां ने अपनी आंखों को खोल दी और अंकित की तरफ देखने लगी लेकिन बोली कुछ नहीं वह पूरी तरह से इस मदहोशी के पल में डूब चुकी थी और अंकित राहुल की मां की तरफ आगे बढ़ते हुए उसी तरह से अपने तंबू को पकड़े हुए बोला,,,)


मुझे मालूम नहीं था कि तुम इतनी ज्यादा खूबसूरत हो लेकिन आज पता चल रहा है कि तुम सच में किसी अप्सरा से कम नहीं हो,,,,,,,(वैसे तो अंकित हकीकत में उसकी खूबसूरती की तारीफ कर रहा था लेकिन इस समय वहां राहुल को जल भी रहा था अपनी बातों से अपने हुनर से,,, और अंकित की बात सुनकर राहुल की मां के चेहरे पर मुस्कुराहट तैरने लगी और वह मुस्कुराते हुए बोली)

वह तो मैं पहले से ही हूं लेकिन आज तेरी नजर मुझ पर पड़ी है इसलिए तू ऐसा कह रहा है,,,,,,।

चाहे जो भी हो,,, मुझे तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा है कि मैं और तुम एक ही कमरे में हैं,,,,,(बिस्तर पर नूपुर के बेहद करीब बैठते हुए अंकित बोला और ईतना बोलने के साथ ही वह अपने दोनों हथेलियां को नूपुर के चूचियों पर रखकर जो कि अभी भी ब्लाउज में कैद थी वह जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,, एक बार फिर से राहुल की मां बिस्तर पर मचलने लगी और अंकित राहुल की मां की चूचियों से खेलते हुए बोला,,,)

ओहहह आंटी तुम्हारी चुचीया तो एकदम खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी है,,,(इतना कहने के साथ ही अंकित उसके ब्लाउज का बटन खोलने लगा,,,,,,, और देखते ही देखते अंकित अपने हाथों से उसके ब्लाउज का बटन खोलकर ब्लाउज को उसकी बाहों से अलग कर दिया और इस समय उसके बदन पर साड़ी के साथ-साथ उसकी गुलाबी रंग की ब्रा भी थी जिसे वह खोला नहीं बल्कि उसे दोनों हाथों से पकड़ कर उसे ऊपर की तरफ उठा दिया और अगले ही पल उसकी खरबूजे जैसी दोनों चूचियां हवा में लहराने लगी यह देखकर अंकित से रहा नहीं गया और तुरंत वह उसकी एक चूची को अपने मुंह में भरकर पीना शुरू कर दिया यह देखकर राहुल की भी हालत खराब होने लगी एक तरफ उसके मन में अपनी मां के प्रति तिरस्कार की भावना भी प्रकट हो रही थी दूसरी तरफ वह अपनी मां की बेशर्मी को देखकर उत्तेजित भी हुआ जा रहा था वह अपनी आंखों के सामने अंकित को अपनी मां की चूची पीते हुए देख रहा था वह दोनों हाथों से दबा दबा कर पी रहा था,,,,, हैरानी की बात यह थी कि उसकी मां को भी बहुत मजा आ रहा था। फिर वह अपने मन में सोचने लगा कि जब उसे देखकर न जाने क्यों अच्छा लग रहा है तो उसकी मां तो बिस्तर पर एक अनजान लड़के से मजा ले रही है उसे तो अच्छा लग ही रहा होगा,,,,,,।

माहौल पूरी तरह से बेशर्मी से भरा हुआ था क्योंकि राहुल की आंखों के सामने उसकी मां एक रंडी की तरह उसके दोस्त अंकित को मजा दे रही थी उसका पूरा साथ दे रही थी राहुल को तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि बिस्तर पर उसकी मां है क्योंकि वह कभी सोचा नहीं था कि उसकी मां इस तरह से किसी दूसरे लड़के के साथ भी मजा लेगी जैसा उसके साथ लेटी है,,,, फिर वह अपने आप को यह सोचकर संतुष्ट करने लगा कि आखिरकार औरत को उसकी बुर की गर्मी चरित्रवान रहने ही नहीं देती अगर ऐसा होता तो उसकी मां खुद अपने बेटे से ना चुदवाती,,,, ऐसा सोच कर राहुल अपने मन को मना रहा था अपने आप को दीलासा दे रहा था और फिर आंखों के सामने बिस्तर पर जिस तरह का गरमा गरम दृश्य दर्शाया जा रहा था उसे देखकर वह खुद भी आनंद लेने लगा उसका खुद का लंड पेंट में खड़ा हो चुका था। कमरे के अंदर का नजारा ही पूरी तरह से आनंदित कर देने वाला था अगर उसकी जगह कोई और होता तो शायद वह भी अंदर घुस जाने का प्रयास करता। लेकिन वह किसी तरह से अपने आप पर संयम रखें हुए था क्योंकि वह जानता था कि अंदर जो कुछ भी हो रहा है अभी उसमें उसका कोई भी किरदार नहीं है और अंकित भी अपना किरदार जबरदस्ती खड़ा कर दिया है और उसके किरदार को उसे मजबूरन देखना पड़ रहा है वरना वह अपनी मां के पास किसी को भटकने भी नहीं देता।

राहुल इस बात से हैरान हुआ जा रहा था कि जब अंकित उसकी मां की दोनों चूचियों को भारी-बड़ी से मुंह में लेकर पी रहा था उसी समय उसकी मां अपने हाथों से अपनी साड़ी को खोल रही थी वह पूरी तरह से बेसब्र हुए जा रही थी,,,,, अपनी मां का उतावलापन देखकर अनायस ही राहुल अपने मन में बोला।

साली रंडी दूसरे का लंड लेने के लिए कितना तड़प रही है कि खुद ही अपनी साड़ी खोल रही है,,,,(रंडी शब्द उसके होठों पर अचानक ही आ गया था,,,, आज तक वह अपने मुंह से अपनी मां के लिए रंडी शब्द का प्रयोग नहीं किया था बल्कि यह जानते हुए भी की उसकी मां उससे चुदवाती है लेकिन आज अचानक ही अपनी मां को दूसरे लड़के के साथ मजा लेता देखकर उसके लिए वह रंडी शब्द का संबोधन कर रहा था,,,,, और देखते ही देखते उसकी मां अपनी साड़ी को खोल चुकी थी वैसे भी कपड़ा उतारने की कोई जरूरत नहीं थी ऊपर और नीचे दोनों जगह से वह नंगी हो चुकी थी बस उसके कपड़े उसकी कमर में फंसे हुए थे लेकिन ऐसा लग रहा था कि जैसे वह बिस्तर पर पूरी तरह से नंगी होकर मजा लूटना चाहती है। अंकित राहुल की मां को अपने हाथों से साड़ी खोलता हुआ देखकर उसकी एक हथेली अपने आप ही उसकी बुर पर आ गई और फिर से वह उसकी बुर से खेलना शुरू कर दिया ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपने हाथ को उसकी बुर से हटाना ही नहीं चाहता था क्योंकि कोई ना कोई बहाने से वह अपनी हथेली को उसकी बुर पर रख ही दे रहा था,,,, अंकित अपने हुनर से राहुल की मां की चूचियों को पी कर टमाटर की तरह लाल कर दिया था और राहुल की मां भी अंकित की हरकत से पूरी तरह से मत हो चुकी थी ऐसा लग रहा था कि जैसे अंकित ने उसके चूचियों के आकार को थोड़ा सा और ज्यादा बढ़ा दिया है क्योंकि उसे अपनी चूची आज कुछ ज्यादा बड़ी लग रही थी,,,,,,, जी भरकर स्तनपान करने के बाद,,, अंकित राहुल की मां की चूचियों से अपने मुंह को हटा लिया और गहरी गहरी सांस लेता हुआ नूपुर के खूबसूरत चेहरे को देख रहा था नूपुर का खूबसूरत चेहरा टमाटर की तरह उत्तेजना से लाल हो चुका था और एक बार फिर से उसके लाल-लाल होठों को देखकर अंकित व्याकुल हो गया और उसके होठों पर अपने होंठ रखकर फिर से चुंबन करना शुरू कर दिया और नूपुर की उसकी पीठ पर हाथ रखकर उसका हौसला बढ़ने लगी यह सब राहुल से देखा नहीं जा रहा था लेकिन यह सब देखकर उसे मजा भी आ रहा था।


होठों की लाली चाटने के बाद अंकित धीरे से बिस्तर पर से उठकर खड़ा हो गया और अपने आप ही अपने कपड़े उतारने लगा इसके लिए नूपुर खुद व्याकुल नजर आ रही थी उसकी नज़रें उसके पेंट में बने तंबू पर ही टिकी हुई थी और यह सब खिड़की पर खड़ा राहुल देख रहा था वह यह भी देख रहा था कि उसकी मां लाल चाहिए आंखों से अंकित के लंड की तरफ देख रही थी मानो जैसे उसे पूरा का पूरा गले के अंदर निगल जाएगी,,,,, राहुल का मन कुछ ज्यादा ही तड़प रहा था क्योंकि उसे पूरा यकीन था कि उसकी मां अंकित के लंड को मुंह में लेकर जरूर चूसेगी क्योंकि उसे ऐसा करने में बहुत मजा आता था एक तरह से का को की मर्द का लंड नूपुर के लिए खिलौना था जिसे सेवा जी भरकर खेलना चाहती थी और खेलती भी थी। अंकित नूपुर की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए अपने पेट की बटन खोल रहा था और देखते ही देखते वह अपने अंदर बियर सही थी अपनी पेट को अपने पैरों से निकलकर एक तरफ कर दिया और नूपुर की आंखों के सामने एकदम नंगा हो गया उसका लंड पूरी तरह से हवा में लहराने लगा जिसे देखकर नूपुर की आंखों की चमक एकदम से बढ़ने लगे और तो और राहुल की भी हालत एकदम से खराब हो गई जब वह अंकित के लंड को देखा,,,, और देखता ही रह गया उसे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि वाकई में अंकित का लंड उसके लंड से कुछ ज्यादा ही लंबा और मोटा था,,,, न जाने क्यों राहुल के तन बदन में भी सुरसुराहट होने लगी उसकी भी नजर अंकित के लंड से बिल्कुल भी हट नहीं रही थी। और नूपुर की तो आंखों में तूफान नजर आने लगा बहुत पागलों की तरह बदहवास सी आंखें फाड़े अंकित के लंड को देखती ही रह गई,,,, उसे रहा नहीं जा रहा था वह अपने दोनों हाथों की कोहनी का सहारा लेकर अपने आप को थोड़ा ऊपर उठे और प्यासी नजरों से देखते हुए बोली।


बाप रे इतना मोटा और इतना लंबा कौन से तेल से मालिश करता है रे,।

किसी भी तेल से नहीं आंटी यह तो तुम्हारी जवानी देखकर कुछ ज्यादा ही लंबा हो गया है,,,।

हाय दैया मैंने तो आज तक ऐसा लंड नहीं देखी,,,।

क्या आंटी बहुत सारे लंड देख चुकी हो क्या,,?
(अंकित की बातें सुनकर नूपुर एकदम से सकपका गई और खुद ही अपनी बात को संभालते हुए बोली,,,)


नहीं नहीं मेरा मतलब है कि मैं कभी सोच भी नहीं सकती की लंड इतना मोटा और लंबा भी हो सकता है,,,,
(जहां एक तरफ नूपुर की बात सुनकर उसका बेटा राहुल अंदर ही अंदर जल रहा था वहीं दूसरी तरफ अंकित मन ही मन प्रसन्न हो रहा था उसे यकीन हो जाना था कि वाकई में उसकी मां अब तक छोटे लंड से चुदवाती आ रही थी लेकिन आज उसका लंड अपनी बुर बर मे लेगी तो एकदम मस्त हो जाएगी,,,,, और यह सोचकर अंकित अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए उसे एकदम से नूपुर के चेहरे के करीब ले आया और धीरे से खिड़की की तरफ देखा ,वह जानबूझकर राहुल को यह सब दिखाना चाहता था राहुल यह सब देख भी रहा था,,,,, उसे न जाने क्यों यह सब अच्छा लगने लगा था वह देखना चाहता था कि उसकी मां किस तरह से उसके लंड को मुंह में लेकर चुसती है उसे संभालती है,,,, और उसके आश्चर्य के बीच उसकी मां खुद ही अपना उठाकर बधाई और एक हाथ से अंकित के लंड को पकड़ कर उसके मोटे आलू बुखारे जैसे सुपाड़े को अपने मुंह में भरकर चुसना शुरू कर दी।, वाकई में नूपुर को एहसास हो रहा था कि अंकित का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा है जिसे वह ठीक तरह से अपने मुंह में नहीं ले पा रही थी। लेकिन आज जो एहसास जो आनंद उसे महसूस हो रहा था वह उसे कभी महसूस नहीं हुआ था जितना हो सकता था वह अपने मुंह को खोलकर अंकित के लंड का स्वागत कर रही थी।

अंकित बिस्तर के नीचे खड़ा था और राहुल की मां बिस्तर पर लेटी हुई थी और राहुल खिड़की पर खड़े होकर यह सब देख रहा था अपनी मां की बेशर्मी को देख रहा था उसके रंडी पन को देख रहा था लेकिन इस बात को वह भी झुटला नहीं सकता था कि उसे भी मजा आ रहा था,,,,, अंकित राहुल की जलन को और ज्यादा बढ़ाने के लिए खिड़की में मुस्कुराते हुए देखा और उसकी मां के सर पर हाथ रखकर उसके रेशमी बालों को अपनी मुट्ठी में भर लिया और अपनी कमर को आगे पीछे करके हिलना शुरू कर दिया वह इस तरह से नूपुर के मुंह को चोद रहा था और अंकित को जला रहा था,,,,, देखते ही देखते अंकित अपना होना दिखाते हुए पूरा का पूरा लंड उसकी मां के गले तक उतार दिया था उसकी मां को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी लेकिन फिर भी वह पूरी तरह से मस्त थी उसके मुंह से गोगो,,,,,,गोगो,,,,,, की आवाज आ रही थी,,,,, और कुछ सेकेंड के बाद अंकित उसे वापस बाहर निकाल ले रहा था ऐसा वह दो-तीन बार किया उसे बहुत मजा आ रहा था। और नूपुर को भी बहुत मजा आ रहा था पहली बार लंड उसके गले की गहराई तक गया था क्योंकि राहुल का लंड उसके मुंह में ही खत्म हो जाता था,,,,, अंकित पूरी तरह से मस्त होकर राहु की मां को पूरा मजा दे रहा था वह कभी उसे चूसने देता तो खुद उसे चुसवाता तो कभी अपनी कमर आगे पीछे करके उसके मुंह को चोदना शुरू कर देता,,,, नूपुर खुद हैरान थी अंकित की कलाबाजियों को देखकर उसके हुनर को देखकर जिसे वह नादान लड़का समझती थी वह पूरा खिलाड़ी बन चुका था और कैसे खिलाड़ी बन गया यह वह नहीं जानती थी लेकिन आज बिस्तर पर उसे खिलाड़ी की जरूरत ही अनाड़ी की नहीं क्योंकि अंकित को कुछ सीखना नहीं पड़ रहा था बल्कि अंकित ही उसे सब कुछ एक नए अनुभव के साथ सीखा भी रहा था और अच्छे से एहसास भी करा रहा था।


कुछ देर इसी तरह से मजा लेने के बाद अंकित राहुल की मां के मुंह में से अपने लंड को बाहर निकाल लिया जो कि उसके थूक और लार से पूरी तरह से सना हुआ था और यह अच्छा ही था क्योंकि ऐसे में उसकी बुर में डालने में आसानी रहती ,,,,, लेकिन मुंह से लंड निकल जाने के बाद अंकित का बुरा हाल था क्योंकि वह अभी राहुल की मां के मुंह में से अपने लंड को बाहर निकलना नहीं चाहता था वह कुछ देर तक और उसके मुंह में ही अपना लंड ठुंस कर अपना माल गिरा देना चाहताथा लेकिन उसकी बुर को चोदने की तड़प भी बढ़ चुकी थी जिसके चलते उसे अपने लंड को उसके मुंह में से बाहर निकालना पड़ा,,, और यही हाल नूपुर का भी था वह भी ललचाई आंखों से अंकित के लंड की तरफ देख रही थी जिस पर उसका थूक और लार लगा हुआ था,,, शायद वह भी अभी कुछ देर तक और उसे चूसना चाहती थी,,,,, अंकित अब बिल्कुल भी देर नहीं करना चाहता था वह एकदम से राहुल की मां की कमर के नीचे अपने दोनों हाथ डाला और उसकी कमर पकड़ कर उसे बिस्तर की दूसरी तरफ खींच लिया जिससे उसका आधा शरीर बिस्तर के बाहर हो गया और वह बिस्तर पर लेटी रह गई,,,, अंकित जल्दबाजी दिखाते हुए पेटिकोट की डोरी खोलने लगा और पेटिकोट की डोरी खोलते ही एक बार फिर से उसके पेटीकोट को पकड़ कर बाहर की तरफ खींचने लगा और राहुल की मां उसका साथ देते हुए फिर से अपनी गांड को ऊपर उठा ले और अगले ही पल वह बिस्तर पर पूरी तरह से नंगी थी उसके दोनों पैर जमीन पर टिके हुए थे और वह खुद बिस्तर पर लेटी हुई थी,,,,, अंकित अपने लंड को पकड़ कर ही आते हुए खिड़की की तरफ देखा राहुल उसे ही देख रहा था उसे मालूम था कि अब क्या होने वाला है वह जानता था कि थोड़ी ही देर में उसका मोटा तगड़ा लंड उसकी मां की बुर की गहराई में खो जाएगा। अंकित राहुल की मां की दोनों टांगों के बीच आ गया और अपने लंड को हिलाते हुए बोला।



आज तो मजा आ जाएगा,,,(और इतना कहने के साथ ही वह अपने दोनों हाथों से उसकी मोटी मोटी जांघे पकड़ कर उसे खोल दिया और अपने मोटे आलू बुखारे जैसे सुपाड़े को राहुल की मां की बुर से सटा दिया,,,,, मोटे तगड़े सुपाड़े की गर्मी और स्पर्श अपनी बुर पर महसूस करते हैं राहुल की मां एकदम से मस्त हो गई और यह मस्ती राहुल ने भी अपनी मां के चेहरे पर देखा था और अगले ही पल बुर का गीलापन पाकर अंकित अपनी कमर को आगे की तरफ ठेलने लगा बुर की चिकनाहट पाकर फिसलता हुआ अंकित का लैंड राहुल की मां की बुर में प्रवेश करने लगा हालांकि यह काम थोड़ा सा मुश्किल था क्योंकि अभी तक उसकी बुर में राहुल का लंड जाता था लेकिन आज अंकित का लंड उसमें जा रहा था जो मोटाऊ और लंबाई दोनों में अंकित से कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा था। अंकित दोनों हाथों से उसकी मोटी जांघों को पकड़े हुए था,,,, राहुल की मां भी है सब अपनी आंखों से देखना चाहती थी इसलिए अपने हाथ की दोनों कहानी का सहारा लेकर अपने चेहरे को उठाकर अपनी नजरों को दोनों टांगों के बीच स्थिर कर दी थी और अपनी गुलाबी छेद में,,, अंकित के मोटे तगड़े लंड को घुसता हुआ देख रही थी उसके चेहरे का भाव पल-पल बदलता जा रहा था जैसे-जैसे अंकित का। लंड अंदर की तरफ सरक रहा था वैसे-वैसे राहुल की मां के चेहरे की रूपरेखा बदलती जा रही थी ,,,,, उसके लाल-लाल होठ खुले हुए थे उसकी नंगी चूचियां सांसों की गति के साथ ऊपर नीचे हो रही थी और पानी भरे गुब्बारे की तरह हिलोरें खा रही थी,,,,।

अंकित की मेहनत धीरे-धीरे रंग ला रही थी हालांकि इस क्रिया को करने में वह भी पसीने से तरबतर हो चुका था लेकिन पीछे हटने का नाम नहीं ले रहा था वह पूरी मेहनत कर रहा था राहुल की मां पर छा जाने के लिए और वह अपने निश्चय पर अड़ग भी था देखते ही देखते हैं उसका बम पिलाट लंड उसकी बुर की गहराई में पूरी तरह से खो चुका था और यह देखकर राहुल की मां आश्चर्यचकित थी क्योंकि उसे उम्मीद नहीं थी कि राहुल का मोटा तगड़ा लंड पूरी तरह से उसकी बुर में घुस जाएगा,,, जो कि अब एक तरह से उसकी भी विजय थी वह पूरी तरह से सक्षम थी मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर की गहराई में छुपा लेने के लिए इसलिए उसके चेहरे पर भी मुस्कान तैरने लगी थी और वह अंकित से बोली,,,।

बाप रे मुझे तो उम्मीद ही नहीं थी कि तेरा लंड मेरी बुर में पूरा का पूरा घुस जाएगा,,,,(राहुल की मां की बात सुनकर अंकित मुस्कुरा दिया और तिरछी नजर से राहुल की तरफ देखने लगा जो की शर्म से पानी पानी हो जा रहा था वह सोच नहीं था कि उसकी मां इतनी बड़ी बेशर्म बन जाएगी उसकी बातें आज पूरी तरह से रंडी की तरह लग रही थी,,,,, राहुल की मां की बात सुनने के बाद अंकित बोला,,,,)


आंटी तुम खूबसूरती की वह बला हो जो अपनी बुर में गधे के लंड को भी पूरा का पूरा ले लेगी,,,, ।

धत्,,,, बेशर्म,,,,,।


बेशर्म बनने में ज्यादा मजा है आंटी पहले में सीधा-साधा था तब तुम देती नहीं थी लेकिन आज बेशर्म बन गया हूं तो देखो तो आगे खोल कर दे रही हो,,,,(राहुल कीमां की कमर दोनों हाथों से पकड़ कर अंकित अपनी कमर हिलाता हुआ बोला,,,,)


मैं तो शुरू से तुझे देना चाहती थी लेकिन तू ही लेने से इनकार करता था ना जाने किस बात का डर था तेरे मन में कि मेरी ले नहीं पा रहा था,,,,,,,।


मुझे क्या मालूम था आंटी की तुम मुझे देना चाहती हो पहले दिन से ही तुम्हारी बड़ी-बड़ी गांड देखकर मेरा लैंड बार-बार खड़ा हो जाता था तुम्हें किचन में खाना बनाते देखकर मेरे लंड की जो हालत हो रही थी ना बात नहीं सकता तुम्हारे बारे में रात दिन में सोचता रहता था,,,,,,, और अपने आप से ही बात करते हुए बोलता था कि कब मुझे आंटी को चोदने को मिलेगा,,,,,(अंकित तिरछी नजर से राहुल की तरफ देखते हुए बोला हुआ अपनी बातों से राहुल को पूरी तरह से शर्मिंदा कर देना चाहता था और राहुल हो भी रहा था)


आज मिल गया ना मौका तुझे,,,,।


हां आंटी आज तुम्हारी दया से मुझे मौका भी मिल गया और सच कहूं तो मुझे बहुत मजा आ रहा है तुम्हारी बुर में लंड डालने में मैं कभी सोचा नहीं था कि तुम्हें चोदने में मुझे इतना मजा आएगा बस तुम्हें छोड़ना चाहता था लेकिन आज पता चल रहा है कि जैसे लग रहा है कि मैं किसी खूबसूरत हीरोइन की चुदाई कर रहा हूं,,,,,ऊफफ,,,, इस उम्र में भी तुम्हारी बुर कितनी कसी हुई है,,,,,,आहहहहहह हर झटका के साथ कितना मजा आ रहा है,,,,।


मुझे भी बहुत मजा आ रहा है,,,,,,आहहहहह आहहहहह ऊमममममम तेरा बहुत मोटा और लंबा भी तो है,,,,।

ऐसा कुछ भी नहीं है आंटी यह तो आज खुशी में कुछ ज्यादा ही लंबा और मोटा लगने लगा है अंकल जी से ज्यादा मोटा और लंबा नहीं होगा,,,,,।

धत् किसकी बात कर दिया तूने अगर वह इस लायक होते तो मुझे तेरे साथ यह सब करने की तकलीफ नहीं उठानी पड़ती,,,


क्यों आंटी,,,,,


अरे वह अब इस लायक नहीं है कि मेरी प्यास बुझा सके,,,, और उनके हथियार भी छोटा और पतला है,,,,,

ओहहहहह तब तो अच्छा ही है आंटी अगर ऐसा ना होता तो मुझे तुम्हारी सेवा करने का मौका कैसे मिल पाता,,,,,(राहुल की तरफ देखते हुए अंकित बोला ,,,,)

तू सच कह रहा है और मुझे आज एहसास हो रहा है कि यह मौका तुझे पहले ही दे देना चाहिए था मैं तो ऐसा लग रहा है की हवा में उड़ रही हूं तेरा लंड सीधा मेरे बच्चेदानी तक जाकर टकरा रहा है,,,,,आहहहहह आहहहहह ,,ऊईईईईई मां



तो आंटी कहीं ऐसा ना हो जाएगी तुम्हारे बच्चेदानी में बच्चा रुक जाए और राहुल के लिए भाई मिल जाए (बेशर्मी से हंसते हुए अंकित राहुल की तरफ देखते हुए बोला तो राहुल भी अंकित की बात सुनकर एकदम से सन्न रह गया,,,,, वह अपनी मां का जवाब सुनना चाहता था और अंकित की बात सुनकर उसकीमां बोली,,,,)

काश ऐसा हो पाता मेरे पेट में तेरा बच्चा होता तो मुझे और मजा आ जाता लेकिन ऐसा हो नहीं सकता क्योंकि मैं ऑपरेशन करा ली हुं,,,,।

ओहहहहह आंटी यह क्या कि तुमने मेरे बाप बनने का सपना तोड़ दी,,,,,।

चल हरामी बडा आया बाप बनने अपना काम कर,,,।

वही काम तो कर रहा हूं आंटी,,,(और ऐसा कहते हुए जोर-जोर से धक्का लगाने लगा लेकिन अपनी मां की बात सुनकर राहुल एकदम शर्मिंदा हो गया था क्योंकि इस तरह की बात उसकी मां ने उसके साथ कभी नहीं की थी लेकिन अंकित के साथ मिलकर वह बच्चे की बात कर रहे थे उसके बच्चे की मां बनने की बात कर रही थी यह सब राहुल को शर्मिंदा कर रहा था लेकिन जिस तरह से अंकित उसकी मां की चुदाई कर रहा था वह देखकर उसकी उत्तेजना पूरी तरह से बढ़ चुकी थी और वह भी अपने पेटं से अपने लंड को बाहर निकाल कर हीलाना शुरू कर दिया था। इस समय तीन लोग मजा ले रहे थे दो लोग कमरे के अंदर और एक कमरे के बाहर तीनों अपने-अपने काम में लगे हुए थे लेकिन अंकित कुछ ज्यादा ही मजा ले रहा था,,,,, नूपुर की बड़ी-बड़ी चूचियों को उसकी छाती पर लहराते हुए देखकर अंकित से रहा नहीं गया और अपना दोनों हाथ आगे बढ़कर उसकी दोनों चूचियों को थाम लिया और उन्हें जोर-जोर से दबाते हुए अपनी कमर लाना शुरू कर दिया उसे बहुत मजा रहा था राहुल की मां की चुदाई करने में,,,,,, लेकिन घंटों से अंकित का लंड खड़ा का खड़ा था जो कि अब राहुल की मां की बुर की गर्मी पाकर पिघलने के लिए तैयार हो चुका था वह झड़ने के कगार पर आ चुका था इसलिए वह अपने धक्को को तेज कर दिया था एकदम रफ्तार में,,,, खिड़की पर खड़ा राहुल यह सब देखकर पूरी तरह से मत हुआ जा रहा था वह भी जोर-जोर से मुठ मार रहा था,,,, नूपुर भी दूसरी बार झड़ने के कगार पर पहुंच चुकी थी उसका बदन आकर रहा था और अंकित उसके कंधों को दोनों हाथों से पकड़ कर एकदम से नियंत्रण में किए हुए जोर-जोर से उसे पेल रहा था,,, और अगले ही पल राहुल की मां और अंकित दोनों एक साथ झड़ने लगे साथ में दीवार पर राहुल भी झड़ने लगा,,,,, अंकित मस्त होता हुआ राहुल की मां पर झुक गया था और उसे अपनी बाहों में भरकर जोर-जोर से धक्के लगा रहा था,,,, और झड़ रहा था ।

Gazab ki hahakari update he rohnny4545 Bhai

Ankit ne nupur ko jannat ki sair karwa di...........

Nupur bhi ab ankit ke lund ki diwani ho gayi he..........

Rahul ki bhi bolti ab ankit ne ahmesh ke liye band kar di he.............

Superb Bro.........Keep rocking
 

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Sanju@

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शर्म से आंखें झुकी हुई होने के बावजूद भी, सुगंधा को अपने बेटे से गेहूं पिसवाने के लिए बोलना पड़ा,,, क्योंकि इसके बिना चलना भी नहीं थापर वैसे भी सुगंध अच्छी तरह से जानती थी कि जब वह खुद इस तरह के हालात से शर्मा जाएगी तो फिर आगे कैसे बढ़ेगी इसलिए अपने आप को सहज करके वह अंकित से गेहूंले जाने के लिए बोली थी और अंकित भी गेहूं ले जाने के लिए तैयार हो गया था,,,,सुगंधा दूसरे कामों में लग गई थी और अंकित गेहूं की बोरी लेकर अपने कंधे पर उठाकर वह घर से निकल गया था,,,।






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गेहूं पीसने की घंटी कुछ ज्यादा दूरी पर नहीं थी,,, 5 मिनट पैदल चलने के बाद ही घंटी आ जाती थी,,, अंकित अपने ही ख्यालों में पैदल चलता हुआ घंटी की ओर आगे बढ़ता चला जा रहा थाजो कुछ भी उसके साथ घर में हो रहा था वह उसके लिए बेहद अनमोल पल था जो वह कभी भी भूल नहीं सकता था घर में इतना आनंद आता है आज उसे पहली बार एहसास हो रहा था वैसे तोथोड़ा बहुत पहले से ही वह घर में आनंद लेता आ रहा था लेकिन अब आनंद की सीमा बढ़ती जा रही थी,,, धीरे-धीरे भाई इस खेल में माहिर होता चला जा रहा था,,,,वह अपनी हरकत के बारे में सोच कर मदहोश हो रहा था जब वह अपनी मां को साबुन लगा रहा था वह कभी सोचा नहीं था कि वह अपनी मां के साथ इस तरह की हरकत कर बैठेगा और वह भी उसकी मां की जानकारी में,,,, उसे पूरा यकीन था कि उसकी हरकतका एहसास उसकी मां को जरूर हो रहा था और उसे मजा भी आ रहा थालेकिन वह कुछ बोल नहीं रही थी इसका मतलब साथ था कि वह इस खेल में आगे बढ़ना चाहती थीऔर अंकित भी इस खेलने आगे बढ़ना चाहता था लेकिन वह नहीं समझ पा रहा था कि क्यों वह पहल नहीं कर पा रहा है,,,,।






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जबकि सुमन की मां के साथ वह एकदम से खुलकर खुद आगे कदम बढ़ाकर उसकी अपने ही घर में चुदाई कर दिया था,,, इस बारे में सोचकर अंकित खुद हैरान हो रहा था कि वह सुमन की मां के साथ इतनी जल्दी कैसे खुल गया और अपनी खुद की मां जो खुदकिसी न किसी बहाने अपने अंगों का प्रदर्शन कर रही थी उसे ललचा रही थी और वह उसके साथ आगे क्यों नहीं बढ़ पा रहा था,,, और जो कि आज तो पूरी तरह से हद हो चुकी थी साबुन लगाने के बहाने वह अपनी मां की बुर में उंगली अंदर बाहर करने लगाजिसका एहसास उसकी मां को भी अच्छी तरह से हो रहा था यह सब जानते हुए भी सूरज अपनी उंगली की जगह अपने लंड का उपयोग नहीं कर पाया यह उसकी नादानी थी या वह इस खेल में पूरी तरह से ऐसा सफल हो गया था या फिर आगे बढ़ने से उसे मां बेटे के बीच का पवित्र रिश्ता रोक रहा था काफी सोच विचार करने के बाद उसे ऐसा ही लग रहा था कि शायदवह सुमन की मां के साथ जैसा किया था वह अपनी मां के साथ इसलिए नहीं कर पाया क्योंकि उसके साथ उसकी मां बेटी का रिश्ता था और इसीलिए वह अपने आप को आगे बढ़ाने नहीं दे पाया यही शर्म और झिझक और संस्कार उसे रोक रहे थे अब संस्कार तो कुछ रह ही नहीं गया था क्योंकि उन दोनों के बीच काफी कुछ हो चुका था,,,।







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लेकिन इतना तोवह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी हरकत का मजा उसकी मां पूरी तरह से ले रही थी ऐसा नहीं था कि वह अपनी मां की बुर में उंगली कर रहा था साबुन लगाने के बहाने और उसकी मां को इसकी भनक तक नहीं थीवह अच्छी तरह से जानता था कि औरत का सबसे संवेदनशील अंग उसकी बुर होती है गहरी नींद में भी अगर उसे हल्के सेहाथ रख दो तो औरत की नींद खुल जाती है और ऐसे में उसकी उंगली उस बुर के अंदर बाहर हो रही थी तो उसकी मां को भला पता कैसे नहीं चला होगा,,, अंकित समझ गया था कि उसकी मां को मजा आ रहा था,,, अपनी मां के बारे में इस तरह से सोचने पर उसे राहुल की बात याद आ गईजिसने उसे बताया था कि औरत काफी समय से अगर मर्द की बगैर रह रही हो या पति के बगैर रह रही हो तो ऐसे में वह मजबूर हो जाती है सारी संबंध बनाने के लिए उसमें चुदस की लहर कुछ ज्यादा ही उठती है,,,,राहुल की बात सोच कर उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव में सेहराने लगे और तुरंत राहुल और उसकी मां के बीच के संबंध के बारे में सोने में अच्छी तरह से जानता थाकी रात में भी सारी संबंध थे और वह अपनी आंख से देख कर चुका था लेकिन इस संबंध के पीछे का राज यह था कि राहुल के पिताजी का शरीर और उम्र दोनों साथ नहीं दे रहा था और ऐसे में राहुल की मां पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थीऔर उन्हें मोटे तगड़े लंड की जरूरत थी ऐसे में राहुल उनका सबसे बड़ा सहारा बना और उसके साथ चुदवा कर मां बेटे दोनों रोज तृप्ति का एहसास ले रहे थे,,,।






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कंधे पर गेहूं की बोरी लिए हुए वह घंटी की तरफ आगे बढ़ रहा था और अपने मन में सोच रहा था कि वह भी अपनी मां का सहारा बनेगा बरसों से जो उन्हें खुशी और शरीर सुख नहीं मिला है अब वह उन्हें देगा लेकिन कैसे उसे समझ में नहीं आ रहा था आगे से पहल करने में उसे डर लगता था जबकि वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां भी इसके लिए तैयार है लेकिन फिर भी न जाने कौन सी झिझक उसे रोक रही थी,,,, यही सब सोचता हुआ वह थोड़ी ही देर में घंटी पर पहुंच चुका था घंटी पर कोई नहीं था केवल घंटी का मालिक ही था जिसे अंकित अच्छी तरह से जानता था और उन्हें अंकल कहता था उनका नाम पुरन था,,, और अंकित उन्हें पूरन अंकल कहता था,,,, गेहूं की बोरी लेकर जैसे ही वह दुकान पर पहुंचा घंटी का मालिक पूरनतुरंत ही उसके पास आया और अपने हाथों से उसके कंधे पर रखी हुई पूरी उठाकर तराजू पर रखकर उसका वजन देखने लगा,,,, और जब वह गेहूं तौल रहा था तब अंकित इधर घर देखते हुए बोला।

क्या बात है पुरन अंकल आज कोई नजर नहीं आ रहा है,,,।(कंधे पर बोरी का वजन रखने की वजह से वह थोड़ा थक गया था इसलिए गहरी सांस लेते हुए बोल रहा था उसकी बात सुनकर गेहूं का वजन ले रहे उस घंटी के मालिक ने बोला)




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अरे अंकित बेटा आज सुबह में ही सबका गेहूं पीस दिया हूं बस कुछ लोग ही रह गए हैं,,,, देख रहे हो गेहूं की बोरी और डिब्बा भी कितना कम है,,, आज जल्दी काम खत्म हो जाएगा,,,,(इतना कहते हुए वहतराजू पर से गेहूं की बोरी को उतार कर एक तरफ रख दिया और उसकी चिट्ठी बनाने लगा,,,और चिट्ठी बनाते हुए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

अरे अंकित तुम्हें कहीं जाना तो नहीं है ना,,,,।

नहीं पुरन अंकल मुझे कहीं नहीं जाना है,,, क्यों कोई काम था क्या,,,,!?

काम तो था मेरी तबीयत थोड़ा सा नादुरस्त नजर आ रही है,,,, मैं सोच रहा था कि 20-25 मिनट आराम कर लो तब तक तुम गेहूं पीस लो,,,।

लेकिन मुझे तो गेहूं पीसना आता नहीं है,,,।

अरे इसमें कौन सी बड़ी बात है आओ मैं तुम्हें बताता हूं,,,(इतना कहकर वह अंकित को घंटी के करीब ले गया,,, और घंटी के ऊपर वाले हिस्से को दिखाते हुए जिसमें गेहूं भरा जाता था वह बोला,,,)

देख रहे हो गेहूं अपने आप घंटी के अंदर जा रहा है बस तुम्हें इतना करना है कि थोड़ा ऊंगली से चला देना है ताकि गेहूं आराम से अंदर जा सके और कुछ करना नहीं है,,,,

ओहहहह यह तो बहुत आसान है अंकल जी,,,।

तो क्या तुम्हें लग रहा था कि जैसे पहाड़ चढ़ना है कुछ खास नहीं है और यह देखो गेहूं खत्म हो गया है,,, रुको मैं तुम्हें बता देता हूं,,,(इतना कहकर वह गेहूं की उस बोरी को वहां से हटा दिया और अंकित से बोला,,,)

तुम अपनी गेहूं की बोरी उठा कर लाए मैं बताता हूं कैसे क्या करना है,,,,(इतना सुनकर अंकित तुरंत अपनी गेहूं की बोरी लेकर आया और बोला)

अब क्या करना है अंकल,,,,

बस अभी से उठाकर इसमें डाल दो,,,,(अंकित वैसा ही किया) अब देखो गेहूं आराम से नीचे गिरता चला जाएगा और पिसता चला जाएगा,,,(इतना कहकर वहां गेहूं की बोरी को जहां से आटा निकलता था वहां लगा दिया,,,, ताकि आटा उसमें इकट्ठा हो सके,,) देख लिया ना कैसे क्या करना है,,,

जी अंकल,,,,।





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बस ख्याल रहे इसके अंदर देखते रहना कहीं गेहूं रुक ना जाए बस उसे उंगली से चला देना बाकी सारा काम अपने आप हो जाएगा,,,,।

ठीक है अंकल जी अब आप जाइए आराम करिए,,,।

लेकिन ध्यान से बेटा इतने में तो आधा घंटा निकल जाएगा तब तक मैं आ जाऊंगा,,,, अब मैं जाता हूं,,,,(उसका इतना कहना था कि तभी सामने से सुषमा भी गेहूं की बोरी लेकर वहां पहुंच गई उस पर नजर पड़ते ही अंकित का चेहरा खिल उठा और यही हाल सुषमा का भी हो रहा था,,,,वह भी अंकित को देख रही थी और उसे दिन की याद एकदम से ताजी हो गई थी उसके लगाए गए हर एक धक्के उसे अच्छी तरह से याद थे,, और इसीलिए उसकी बुर में सिरहन सी दौड़ने लगी,,, लेकिन इस बीच सुषमा को देखकर घंटी का मालिक थोड़ा सा नाराजगी दिखाते हुए बोला,,)

लो इनको भी अभी आना था,,,,। आई भाभी जी बहुत देर कर दी हो आप,,, कोई जल्दबाजी तो नहीं है,,,।

अरे यह क्या कह रहे हो भाई साहब जल्दबाजी न होता तो मैं यहां क्यों आती आराम से नहीं भेज देती वह क्या है कि सुमन घर पर है नहीं इसलिए मुझे आना पड़ा और अगर गेहूं नहीं पिसा जाएगा तो रोटी नहीं बन पाएगा,,,

चलो कोई बात नहीं,,,,

क्या कहीं जा रहे हो क्या भाई साहब,,,


कहीं जा नहीं रहा था लेकिन आराम करने जा रहा था क्योंकि आज तबीयत थोड़ी ठीक नहीं लग रही थी।

तो मेरा गेहूं,,,!

अरे चिंता मत करिए भाभी जी अंकित है ना यह पीस देगा,,,,





क्या ये,,,,(आश्चर्य से अंकित की तरफ देखते हुए)

क्यों आंटी जी तुम्हें विश्वास नहीं हो रहा है क्या,,,?(अंकित मुस्कुराते हुए बोला,,)

विश्वास तो मुझे उसे दिन भी नहीं हो रहा था,,,

किस दिन भाभी जी,,,

अरे कुछ नहीं ,,,, क्या यह सच में गेहूं पीस देगा,,,।

अरे बिल्कुल भाभी जी चिंता मत करिए मैं सबकुछ सिखा दिया हूं,,, अंकित भाभी जी का गेहूं वजन कर दे तो,,,।

ठीक है अंकल,,(और इतना कहकर अंकित तुरंत सुषमा आंटी के करीब है और मुस्कुराता हुआ उनकी गेहूं की बोरी को उठाकर तराजू पर रख दिया और खुद ही दौड़ने लगा थोड़ी ही देर मेंवह गेहूं का वजन ले चुका था और चिट्ठी अपने हाथ से बना रहा था यह देखकर सुषमा मुस्कुराते हुए बोली)


अरे वाह रे अंकित तु तो बहुत चालाक हो गया है,,,.

सच में भाभी जी यह बहुत होशियार लड़का है,,, एक ही बार बताने पर सब कुछ सीख गया,,,।

अरे यह बहुत शैतान भी है,,,,।

तो ठीक है भाभी जी आप जाएंगी की रुकेगी,,,।

रुकना तो पड़ेगा ही,,,,तुम जाओ आराम करो मैं यही रुकती हूं इसके बाद मेरा ही नंबर है ना,,,।


हां भाभी जी आपका ही नंबर है,,,, और हां,,,(इतना कहकर वहां दरवाजे पर गया और लकड़ी के दरवाजे को बंद कर दिया और बोला) यह ठीक रहेगा कोई अगर आएगा अभी तो वह दुकान बंद समझ कर चला जाएगा क्योंकि थोड़ी भी गड़बड़ हो गई तो नुकसान हो जाएगा,,,.

में
यह तुमने बहुत ठीक किया भाई साहब,,,(अंदर ही अंदर एकदम प्रसन्न होते हुए) दूसरा कोई गेहूं लेकर आएगा तो दिक्कत हो जाएगी,,,, अंकित इतना भी होशियार नहीं हो गया है कि एक साथ इतने लोग को संभाल लेगा,,,।

सही कह रही हो भाभी जी अब आप बैठिए मैं आराम करने जा रहा हूं,,,(और इतना कहकर वह आराम करने के लिए दूसरे कमरे में चला गया,,, अंकित भी मन ही मन खुश हो रहा था,,, वैसे तो सुषमा सिर्फ गेहूं की बोरी देने के लिए आई थी लेकिन अंकित को यहां देखकर उसका यहां रुकने का मन हो गया था। घंटी के मालिक के जाते ही सुषमा मुस्कुराते हुए अंकित की तरफ अच्छी और बोली,,,)

क्या रे क्या करने आया है यहां पर,,,।

वही जो तुम यहां करवाने आई,,हो,,,,।

करवाने आई हूं,,,,, तुझे क्या लगता है कि मैं यहां करवाने के लिए आती हुं,,,,

अब क्या पता देख कर तो मुझको ऐसा ही लगता है,,,, क्योंकि उस दिन भी तो घर पर सिर्फ चीनी लेने आई थी लेकिन करवा कर गई,,,,।

क्यों उस दिन तुझे मजा नहीं आया क्या,,,,?(सुषमा एकदम मस्त होते हुए दोनों हाथ को आगे बढ़करअंकित के कंधे पर रखते हुए बोली और वह इस तरह से अपनी भारी भरकम चुचियों का प्रदर्शन भी उसके सामने कर रही थी,,,,और उसका यह प्रदर्शन रंग ला रहा था क्योंकि उसकी यह अदा अंकित को मदहोश कर रही थी,,,, क्योंकि रास्ते भर वह अपनी मां के बारे में सोच कर मदहोश हो रहा था उत्तेजित हो रहा था और इस समय उसकी आंखों के सामने सुमन की मां थी जिसकी चुदाई वह कर चुका था और उसे लगने लगा था कि आज हाथ से हिलाकर गर्मी शांत नहीं करना पड़ेगा बल्कि आज बुर के अंदर डालकर ही गर्मी शांत हो जाएगी। सुषमा की बात सुनकर वह भी मुस्कुराते हुए बोला,,,)

मजा तो इतना आया था कि आंटी पूछो मत,,,,,। और तुम्हें,,,।








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उसे दिन पता नहीं चला सब कुछ जल्दबाजी में हुआ था ना इसलिए,,,,(अंकित के कंधे पर से अपने दोनों हाथ हटाते हुए वह बोली)

लेकिन तुम्हारी आवाज सुनकर तो लग नहीं रहा था कि तुम्हें मजा नहीं आ रहा था,,,,, तुम भी बहुत मजा ली थी,,,,।
(अंकित की बात सुनकर सुषमा मुस्कुराने लगीपर वह बार-बार दरवाजे की तरफ देख रही थी जिसे बंद करके घंटी का मालिक कमरे के अंदर आराम करने के लिए गया था और इन दोनों को एक बहुत अच्छा मौका देकर गया था,,,,)

तुझे क्या लगता है,,,,,?


अब मुझे क्या लगता है मैं कैसे बता सकता हूं मुझे तो बहुत मजा आया था और मेरी पूरी कोशिश की कि तुम्हें भी बहुत मजा दूं क्या सच में मैं तुम्हें मजा नहीं दे पाया,,,,,,।

उस दिन अधूरा ही रह गया मुझे लग रहा है,,,(इतना कहने के साथ ही एकदम से वह अंकित के पेट के आगे वाले भाग पर अपनी हथेली रखकर दबा दीऔर महसूस करने लगी कि वाकई में इस समय भी अंकित का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और उसकी हथेली में गर्माहट प्रदान कर रहा था,,,,सुषमा की हरकत को देखकर अंकित भी मदहोश होने लगा उसे भी लगने लगा कि आज घंटी के अंदर ही कुछ ना कुछ जरूर होने वाला है वह अंदर ही अंदर खुश होने लगा और उत्तेजित होने लगा और वैसे भी वह सुमन की मां के साथ कुछ ज्यादा ही खुल चुका था और एक बार मजा भी ले चुका था इसलिए उसे यह कहते हुए बिल्कुल भी झिझक नहीं हुआ और वह बोला,,,)





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तो क्यों ना उस दिन का अधूरा काम आज पूरा कर लेते हैं,,,, मौका भी है दस्तूर भी है और ऐसा लग रहा है की घंटी का मालिकआज हम दोनों के लिए बीमार हुआ है और हम दोनों को एक अच्छा मौका देकर आराम करने के लिए चला गया है,,,,।


मुझे भी ऐसा ही लग रहा है,,,(अंकित के पेंट के आगे वाले भाग को अपनी मुट्ठी में एकदम कसके दबोचते,, हुए,,,, और उसकी हरकत पर अंकित बोला,,,)

आराम से आंटी मुझे तो लग रहा है कि तोड़ डालोगी,,,।

मेरा बस चले तो सच में इसे तोड़ डालुं,,

अगर तोड़ डालोगी तो अपनी बुर में क्या लोगी,,,।

(अंकित के मुंह से बुर शब्द सुनकर वह एकदम से मदहोश होते हुए बोली)

कितना हारामी है तू और घंटी वाला तुझे सीधा लड़का समझ रहा है,,,।

तुम भी कितनी छिनार हो और घंटी वाला तुम्हें भाभी-भाभी कहकर इज्जत दे रहा है,,,।

इज्जत तो दे रहा है ना तेरी तरह ले तो नहीं रहा है,,,।

अगर इज्जत लेने पर आ जाऊंगा तो यही पटक कर चोद डालूंगा,,,,।

बहुत घमंड है ना तुझे अपने लंड पर ,,,, मैं भी देखती हूं कि आज कितनी देर तक दिखता है आज बीना चोदे ही तेरा पानी निकाल देती हुं (और इतना कहने के साथ ही तुरंत बैठ गई औरमौके की नजाकत को समझते हुए जल्दी-जल्दी अंकित के पेट की बटन खोलने लगी और देखते ही देखते वह पेंट को और अंडरवियर को दोनों को एक साथ खींचकर उसके घुटनों तक नीचे कर दी और उसके लहराते हुए लंड को अपने हाथ में भी नहीं ली,, सीधा उसे अपने लाल लाल होठों के बीच लेकर चूसना शुरू कर दी,,, सुषमा की इस हरकत पर अंकित पूरी तरह से मदहोश होने लगा और अपनी आंखों को बंद करके इस पल का मजा लूटने लगा,,,,अंकित को बहुत मजा आ रहा था अंकित पागल हुआ जा रहा था और सुषमा इतने मोटे तगड़े लंबे लंड को अपने मुंह में लेकर गदगद हुए जा रही थी इस उम्र में भी उसे एक जवान मोटे तगड़े लंड का सहारा जो मिल चुका था वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,,,,,वह गप्प गप्प करके अंकित के लंड को अपने गले तक ले रही थी और बाहर निकाल रही थी,,,,अंकित भी मजा लेते हुए अपने कमर पर हाथ रख कर धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करके अपने लंड को सुषमा के लाल-लाल होठों के बीच अंतर बाहर करते हुए उसके मुंह को ही चोदना शुरू कर दिया,,,, और ऐसा करते हुए अपने मन में सोचने लगा कि वह सुषमा आंटी के साथ यह सब बड़े आराम से कर लेता है तो अपनी मां के साथ ऐसा करने में वह क्यों झिझक रहा है,,,जबकि उसे यकीन हो चला था कि उसकी इस तरह की हरकत का उसकी मां बिल्कुल भी विरोध नहीं करेगी बल्कि उसकी हरकत का पूरी तरह से मजा लुटेगी।






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सुषमा घुटनों के बल बैठकर अंकित के लंड को गले तक लेकर चूस रही थी,,,, उसे बहुत मजा आ रहा था,,, सुषमा बराबरअंकित के लंड की चुसाई कर रही थी क्योंकि वह देखना चाहती थी कि उसका लंड कितनी देर तक टिक सकता है,,, वह पागलों की तरह चूस रही थी उसे ऐसा लग रहा था कि ऐसा चुसाई करने पर उसका लंड पानी फेंक देगा तो उसके बाद चुदवाने में कुछ ज्यादा ही मजा आएगा, लेकिन उसके सोचने के मुताबिक बिल्कुल भी नहीं हो रहा था,,,,सुषमा को ऐसा लग रहा था कि उसका लंड अपनी फेंकेगा लेकिन वह तो मुझे लेकर अपनी कमर हिला रहा था यह देखकर वह भी अंदर ही अंदर खुश हो रही थी,,,,, तकरीबन 10 मिनट की चुसाई के बाद वह अंकित के लंड को अपने मुंह से बाहर निकाली वह गहरी गहरी सांस ले रही थी,,,यह देखकर अंकित प्रसन्न होने लगा और वह अपने लंड को पड़कर ऊपर नीचे करके हिलाने लगा जो कि उसके थूक और लार से सना हुआ था,,,। वह जिस तरह से ऊपर नीचे करके हिला रहा थासुषमा यह देखकर मदहोश हो रही थी उसकी बुर पानी फेंक रही थी,,, वह तुरंत ही उठकर खड़ी हो गई और अपनी साड़ी कमर तक उठाकरअपनी चड्डी को अपने हाथों से उतारने लगी और अपनी चड्डी उतारने में उसे एक पल की भी देरी नहीं लगी,,,,सुषमा की हालत और उसकी हरकत देखकर अंकित की उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच चुकी थी और वह सुषमा की नंगी गांड पर अपना हाथ घुमा रहा था यह देखकर सुषमा बोली,,,।)






अब तेरी बारी है,,,,( और इतना कहकर सुषमा पास में हीं पड़े टेबल पर गांड टीका कर बैठकर अपनी दोनों टांगों को खोल दी,,,यह देखकर अंकित के मुंह में पानी आ गया और वह अच्छी तरह से समझ गया कि सुषमा क्या करवाना चाहती है और वह भी सूचना की तरह ही घुटने के बल बैठकर उसकी दोनों जांघों पर अपने दोनों हाथ रखकर उसे उत्तेजना में मसलते हुए अपने प्यासे होंठों को उसके गुलाबी बुर पर रख कर चाटना शुरू कर दीया,,,,सुषमा एकदम से मत हो गई और अपनी आंखों को बंद करके अपना एक हाथ अंकित के सर पर रख दी और उसे अपनी बुर पर दबाने लगी,,, अंकित पागलों की तरह सुषमा की बुर को चाट रहा था उसे बहुत मजा आ रहा थाऔर कभी सोचा भी नहीं था की घंटी पर उसे इस तरह से मजा लूटने का मौका मिल जाएगा और ना ही सुषमा ने यह कभी सपने में भी सोची थी,,,। अंकित वैसे तो उसे बुर चाटने का कुछ ज्यादा अनुभव नहीं था लेकिन फिर भी सुमन राहुल की मां नूपुर और सुमन की मां सुषमा के साथ और सबसे ज्यादा अपनी नानी से या हुनर सीख चुका थाजिसे उसे इतना तो पता चल ही गया था कि औरत को किस क्रिया में ज्यादा आनंद प्राप्त होता है और वह इस समय वही क्रिया कर रहा था,,,





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सुषमा अपने गरमा गरम सिसकारी की आवाज को दबा नहीं पा रही थी,,,बड़ी मुश्किल से वह अपने आप पर काबू कर पा रही थी लेकिन फिर भी उसके मुंह से मदहोश कर देने वाली आवाज बाहर निकल ही जा रही थी क्योंकि अंकित मजा ही कुछ ऐसा दे रहा थाअब सुषमा की बुर में आग लग चुकी थी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,,,वह जल्द से जल्द अंकित के लंड को अपनी बुर में लेकर अपनी बुर की खुजली मिटा लेना चाहती थी। इसलिए उसके कंधे पर हथेली से थपथपी लगाकर उसे उठने के लिए बोली,,,, अंकित इतना तो समझ गया था कि अब सुषमा को क्या चाहिए,,,, इसलिए वह भी जल्दी से उठकर खड़ा हो गया और अपने लंड को हाथ में लेकर पिलाना शुरू कर दिया यह देखकर सुषमा की हालत खराब होने लगी उसकी बुर से पानी निकालने लगा,,,, और वह जल्दी से बोली,,,)


देर मत कर किसी भी वक्त घंटी का मालिक आ जाएगा तो बना काम बिगड़ जाएगा।


मैं भी यही करने वाला था आंटी,,,(और इतना कहने के साथ ही टेबल पर वह पहले से भी अपनी दोनों टांगें खोल कर रखी हुई थी उसकी गुलाबी छेद बड़े आराम से दिख रही थी और अंकित अपने टनटनाए लंडउसके छेद पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा और एक साथ पूरा का पुरा लंड सुषमा की बुर में समा गया चश्मा पूरी तरह से मस्त हो गई और जिस तरह से अंकित ने प्रहार किया था उसके मुंह से सीख निकलने वाली थी लेकिन किसी तरह से वह अपने आप को संभाल ले गई थी,,, अंकित अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था अंकित को भी बहुत मजा आ रहा है उस दिन जल्दबाजी में वह सुमन की मां की जिस तरह की चुदाई किया था उसे पूरी तरह से मजा तो नहीं मिल पाया था लेकिन आनंद बहुत आया था,,, उस दिन की कसर आज अंकित निकाल लेना चाहता था,,, वह बड़ी तेजी से अपनी कमर हिला रहा था और जोर-जोर से धक्के लगा रहा था जिससे सुषमा बार-बार टेबल पर सेलुढ़क जा रही थी लेकिन अंकित उसकी कमर में दोनों हाथ डालकर उसे संभाले हुए था,,,,, जोर-जोर से धक्के लगाते हुए वह बोला,,,।

आज कैसा लग रहा है आंटी,,?





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आहहहह आहहहहहह,,,, बहुत मजा आ रहा है ऐसा लग रहा है कि उस दिन की कसर तू आज पूरी कर देगा,,,।

बिल्कुल आंटी उस दिन तुम्हें लगता है अच्छी तरह से एहसास नहीं हुआ आज तुम्हें अच्छी तरह से एहसास कराऊंगा,,,,, अब संभालो अपने आप को,,,( इतना कहने के साथ ही अंकित का प्रहार और तेजी से होने लगा अंकित पागलों की तरह सुषमा की चुदाई कर रहा था हमसे बहुत मजा आ रहा था और कुछ देर तक टेबल पर ही सुमन की मां की चुदाई करता रहा और अपने मन में सोच रहा था कि यह वक्त भी क्या खेल खेलता है मौका तो सुमन को चोदने को था लेकिन सुमन नहीं चुदी लेकिन उसकी मां अनजाने में ही चुद गई,,,, लेकिन अंकित को तो मजा आ रहा था अंकित को कुछ सीखने को मिल रहा था ,,,, मसला अब यह नहीं था कि कौन चुद रहा है,,,,अंकित को इन सब से कुछ सीखने को मिल रहा था यदि उसके लिए बहुत था जो कि आगे चलकर उसकी मां के साथ उसका अनुभव काम आने वाला था,,,, थोड़ी देर इसी तरह से चुदाई करने के बाद सुषमा खुद टेबल पर से उठकर खड़ी हो गई हो घोड़ी बन गई पीछे से अंकित उसकी गुलाबी बुर में लंड डालकर जोर-जोर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया और तकरीबन 15 मिनट की चुदाई के बाद वह पानी पानी हो गई और एकदम से झड़ गई और थोड़ी देर बाद अंकित भी झड़ गया,,,,


अपने कपड़े दुरुस्त करने के बाद वह घंटी की तरफ देखा तो उसका गेहूं खत्म हो चुका था वह जल्दी से दौड़ता हुआ गया और अपने गेहूं की बोरी हटाकर सुषमा की बोरी का गेहूं घंटी में पलट दिया ,,, तब तक सुषमा भी मुस्कुराते हुए अपने कपड़े को व्यवस्थित कर ली,,,, थोड़ी देर बैठने के बाद सुषमा का भी गेहूं पिसा गया था,,,, और थोड़ी ही देर में घंटी का मालिक भी नीचे आ गया था,,,, और दोनों आटा लेकर अपनी-अपने घर की तरफ आने के लिए घंटी से निकल गए,,,।

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बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है घंटी वाला अंकित को शरीफ समझ कर आराम करने चला जाता है लेकिन उसे पता नहीं उसके जाते ही यहां एक धमाकेदार चूदाई होने वाली है अंकित ने सुषमा की अच्छे से चूदाई करके संतुष्ट कर दिया है
 
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