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Incest मुझे प्यार करो,,,

Sanju@

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एक बार फिर से वह दीन आ गया था जब सुगंधा अपने बेटे के सामने कपड़े का नाप लेने वाली थी,,,अंकित इस मामले में अपने आप को बहुत ही भाग्यशाली समझता था, क्योंकि ऐसा बहुत बार हुआ था जब उसकी मां उसकी आंखों के सामने कपड़े बदलती थी या उतारती थी या फिर उसकी आंखों के सामने ही साड़ी कमर तक उठाकर पेशाब करने बैठ जाती थी,,,अंकित अपने आप को भाग्यशाली इसलिए भी समझता था क्योंकि वह अपनी मां को अपने हाथों से अपनी जवानी की गर्मी को शांत करते हुए देखा था और वह भी बाथरुम में संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में,,, वह भाग्यशाली इस बात से भी था कि उसकी मां बेहद खूबसूरत थी किसी फिल्म की हीरोइन की तरह। उसके बदन का हर एक अंग देखना अंकित अपना किस्मत समझता था। अंकित अपने हाथों से अपनी मां को कपड़े भी पहना चुका था जब उसकी मां बीमार थी उसे बाथरूम ले जाना उसे पेशाब करवाना उसे नहलाना,,, सब कुछ अंकित कर चुका था यहां तक कीअपनी मां के नींद में होने का पूरा फायदा उठाते हुए वह अपनी मां की रसीली बुर का स्वाद भी चख चुका था जिससे सुगंधा बिल्कुल भी अनजान नहीं थी।



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इतना कुछ दोनों के बीच हो जाने के बावजूद भीदोनों के बीच अभी तक शारीरिक संबंध स्थापित नहीं हो पाए थे हालांकि दोनों यही चाहते भी थे दोनों की मंजिल यही थी बस रास्ताकठिन होता चला जा रहा था और लंबा होता चला जा रहा था शायद इतना संबंध किसी और मां बेटे में होता तो अब तक दोनों के भी सारे संबंध स्थापित हो चुका होता लेकिन फिर भी सुगंध और अंकित दोनों के बीच मां बेटे का रिश्ता दोनों को आगे बढ़ने में रोक रहा था। वरना ऐसा क्या नहीं हुआ था दोनों के बीच जिससे दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो सके,,, यहां तक की दोनों एक साथ पेशाब करने का भी सुख भोग चुके थे,,, उसे समय तो सुगंध की आंखों के सामने उसके बेटे का मोटा तगड़ा लंबा लंड एकदम लहरा रहा था लेकिन फिर भी ना तो सुगंधा अपना कदम आगे बढा पाई और ना ही उसका बेटा,,, जबकि ऐसे नाजुक पल ही किसी भी रिश्ते कोकरीब लाने में काफी होता है मां बेटे को भी ऐसे ही नाजुक पर एकदम करीब लाते हैं जिससे दोनों के बीच शारीरिक आकर्षण होता है और शारीरिक संबंध स्थापित हो जाता है लेकिन सब कुछ होने के बावजूद भी अभी इस रिश्ते से दोनों वंचित थे और दोनों का प्रयास जारी था कि कब दोनों एकाकार हो जाए,,, जिसके चलते सुगंधा एक बार फिर से अपने बेटे के सामने कपड़े उतार कर खरीद कर लाया गया कुर्ता पजामा नापने के लिए तैयार हो चुकी थी,,, और उसने अपने बदन से सारे वस्त्र उतार चुकी थी केवल ब्रा और पैंटी को छोड़कर।




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घड़ी में तकरीबन 11:30 का समय हो रहा थाटीवी पर एक रोमांटिक मूवी का खूबसूरत मदहोश कर देने वाला दृश्य देखकर मां बेटे मन ही मन में बहकने लगे थे। जिसके चलते सुगंधा भी अपने बेटे के सामने कपड़े बदलकर कपड़े नापने के लिए तैयार हो चुकी थी,,, जैसे ही कमर पर से सुगंधा अपने पेटिकोट को नीचे छोड़ी पेटिकोट उसके कदमों में जा गिरा और पल भर में ही वह अंकित की आंखों के सामने अर्धनग्न अवस्था में किसी कलाकार की मूर्ति की तरह खड़ी थी जो की बेहद आकर्षक और मदहोश कर देने वाली लग रही थी। अंकित तो अपनी मां का यह रूप देखता ही रह गया वैसे तो अंकित अपनी मां को बहुत बार पूरी तरह से नंगी देख चुका था लेकिनहर एक बार हर एक रूप में अपनी मां को देखने में उसे आनंद और उत्तेजना का अनुभव होता था और इस समय भी उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी। ट्यूबलाइट की दुधिया रोशनी मेंसुगंधा का आकर्षक भजन गोरा रंग और भी ज्यादा चमक रहा था जिसे देखकर अंकित के पेंट में पूरी तरह से तंबू बन चुका था। जिस पर सुगंधा की नजर बार-बार चली जा रही थी। ब्रा और पेंटी में होने के बावजूद भी सुगंधाएक तरह से अपने बेटे के सामने नंगी ही खड़ी थी शर्मा के मरी उसकी नजर नीचे झुकी हुई थी लेकिन बदन में कसमाशाहट और उत्तेजना का संचार पूरी तरह से अपना असर दिख रहा था।





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कुछ क्षण तक यह नजर यूं ही चलता रहा। अंकित पागल हुआ जा रहा था उसका मन बावला हो रहा था मन तो उसका कर रहा था किसी समय आगे बढ़कर अपनी मां को अपनी बाहों में कस लें लेकिनमां की भावनाओं को वह ताकत प्रदान नहीं कर पा रहा था क्योंकि उसने इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह कदम बढ़ाकर अपनी मां को अपनी बाहों में जकड़ सकेजबकि वह इतना तो समझ ही गया था कि उसकी मां क्या चाहती है वरना एक मां अपने बेटे के सामने इस तरह से अपने कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए कभी तैयार ना हो। लेकिन फिर भी अंकित की हिम्मत इससे ज्यादा नहीं बढ़ पा रही थी। लेकिन फिर भी इस दृश्य में इतनी मन रखता इतनी मदहोशी भरी हुई थी की मां बेटे दोनों का अंतर मन बस एक ही बात कर रहा था कि कब दोनों बिस्तर पर जाएं और एकाकार हो जाए,,, सुगंधा की पेंटि आगे से पूरी तरह से गीली हो चली थी,,।अंकित फटी आंखों से अपनी मां की जवानी को देख रहा था जो कि इस उम्र में भी पूरी तरह से उबाल मार रही थी,,, अपनी मां की ब्रा को देखकरवह एक साथ अपनी मां की ब्रा और उसकी चूचियों के बारे में दबे स्वर में तारीफ कर चुका था। और अब अपनी मां की पेंटी की तरफ देखकर और पेंटी में फूली हुई अपनी मां की गांड को देखकर बोला।


बाप रे कसम से पेंटि कितनी कशी हुई है अगर दोनों पर एक साथ फैला लो तो मुझे लगता है की पैंटी फट जाएगी,,,,(अंकितअपने शब्दों में उत्तेजना के रस खोलता हुआ बोला वह अपनी मां को अपने शब्दों अपनी बातों से पूरी तरह से पानी पानी कर देना चाहता था और उसकी बात सुनकर उसकी मां की हालात पूरी तरह से खराब होने लगी थी क्योंकि उसके बेटे ने बातें ही कुछ ऐसी बोल दी थी। भला अपनी मां की पेंटि की बारे में भला कोई इस तरह से कौन तारीफ करता है। इसलिए अपने बेटे की तरफ आश्चर्य से देखते हुए बोली,,,)




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भला यह भी कोई बोलने की बात है और वह भी अपनी मां से।

तो क्या हो गया मैं तो खूबसूरती की तारीफ कर रहा हूं कसम से अगरमैं जो देख रहा हूं इसे देखकर कोई भी यही कहेगा कि ऐसा लग रहा है कि जैसे मूर्ति बनाने वाले कोई मूर्तिकार की कलाकारी हो इतनी खूबसूरती तो एक मूर्तिकार ही एक मूर्ति में पैदा कर सकता है।

चल रहने दे झूठी तारीफ करने को,,,(धड़कते दिल के साथ सुगंधा बोली,,,,हालात उसकी भी खराब हो रही थी लगातार बुर से उसके मदन रस टपक रहा था जिससे पेंटी का आगे वाला भाग गीला हो चुका था,,,, लेकिन अभी तक अंकित की नजर अपनी मां के उस गीलेपन पर नहीं पड़ी थी,,, वरना वह समझ जाता कि उसकी मां के मन में क्या चल रहा है,,,,क्योंकि यह ज्ञान उसकी नानी ने उसे अच्छी तरह से दे दी थी जिसे पाकर वह भी धन्य हो चुका था,,, अपनी मां की बात सुनकर अंकित बोला,,,)





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अरे मैं सच कह रहा हूं,,,,इस समय सच में तुम किसी मूर्तिकार की खूबसूरत मूर्ति लग रही हो बदन का हर एक अंग ऐसा लग रहा है की कोई कलाकार ने अपने छेनी और हथौड़ी से कुरेद कुरेद कर तराशा हो,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा गदगद हुए जा रही थी लेकिन फिर भी वह अपने आप को संभाले हुए थी और एकदम सहज होते हुए बोली)

ये खूबसूरत बदन,,,(अपने बदन को ऊपर से नीचे की तरफ देखते हुए) किसी मूर्तिकार की रचना लग रही है तुझे..।

और क्या बनावट देखोकोई भी हिस्सा जरा सा भी ज्यादा निकला हुआ नहीं है जिसे देखकर भद्दा लगे सब कुछ एकदम सीमित मात्रा में है,,। आगे से देखो या,,,(अपनी मां के नितंबों की तरफ पीछे जाते हुए) पीछे से खूबसूरती ही खूबसूरती भरी हुई है,,,,
(अंकित के इस तरह से पीछे जाने परसुगंधा शर्म से लाल होने लगी क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा क्या देख रहा होगा वह कुछ बोल नहीं पा रही थी और अंकित अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) पेंटि की हालत देखो ठीक तरह से तुम्हारी जवानी को छुपा नहीं पा रहा है,,,।
(इस बात को सुनकर तो सुगंधा और ज्यादा गदगद हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस समय अपने बेटे से क्या बोले उसे इस बात के लिए डांटे या उसकी सराहना करें या उसकी बातें सुनकर खुश हो जाए,,, वह अपने मन में तुरंत फैसला नहीं ले पा रही थी और उसकी यह कसम से आहत उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थीअंकित की हालात पूरी तरह से खराब थी इतनी मदमस्त कर देने वाली जवानी से भरी हुई औरत उसकी आंखों के सामने केवल बराबर पेटी में जिसका मतलब साथ था कि यह उसकी तरफ से खुला निमंत्रण है लेकिन इस समय अंकित इस निमंत्रण को स्वीकार करने लायक नहीं था क्योंकि उसके मन में डर था घबराहट थी। सुगंधा अपने बेटे की बात सुनकर हिम्मत करके बोली,,,)

तो सच में पागल हो गया है कुछ भी बकता रहता है कोई अपनी मां से इस तरह से बात करता है क्या,,?






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शायद ना भी करते हो,,,,!

तब तु क्यों करता है इस तरह की बातें मुझसे,,,(अपने बेटे की तरफ देखकर दोनों हाथ को कमर पर रखते हुए वह बोली ,,अपने बेटे की आंखों के सामने ब्रा पेंटीपहन कर खड़ी रहने में अब उसे जरा भी शर्म का अनुभव नहीं हो रहा था हालांकिवह अपने बेटे की आंखों के सामने इस अवस्था में सहज नहीं हो पा रही थी लेकिन फिर भी उसकी हिम्मत धीरे-धीरे बढ़ने लगी थी,,,, अपनी मां की बात सुनकर बड़ी चालाकी से जवाब देते हुए अंकित बोला,,,)

क्योंकि मेरी मां बहुत खूबसूरत है इसलिए उसकी खूबसूरती की तारीफ करना तो बनता है और बाकी लोगों की मां खूबसूरत नहीं होगी इसीलिए वह ईस तरह की बात अपनी मां से नहीं बोल पाते,,,,।

अच्छा बच्चु,,, तो मैं अब सारी दुनिया में तुझे सबसे ज्यादा खूबसूरत लगने लगी हूं,,,,।

लगने क्या लगी हो खूबसूरत हो,,,(अपनी मां के उन्नत नितिन को उभार की तरफ देखते हुए अंकित बोला अंकित के इस नजर को सुगंधा अच्छी तरह से पहचान रही थी इसलिए उसकी हालत और ज्यादा खराब हो रही थी,,,,सुगंधा अपने आप पर काबू नहीं कर पा रही थी उसे इस बात का डर था कि अगर वह अपने आप को इस समय नहीं संभाल पाए तो शायद दोनों के बीच कुछ ना कुछ हो जाएगा और वह अपने आप को रोक नहीं पाएगी बल्कि वह चाहती भी यही थी कि दोनों के बीच कुछ ना कुछ हो जाए लेकिन फिर भी न जाने किस तरह का डर उसके मन में बैठा हुआ था कि वह आगे बढ़ने से अपने आप को रोक ले रही थी वरना यही सही मौका था दोनों को एकाकार होने का,,,, इसलिए वह एकदम से बात को बदलते हुए बोली,,,,)




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चल अब रहने दे ज्यादा बातें बनाने को ला कुर्ता ला देखु तो सही इसका नाप सही है या नहीं पहनने के बाद कैसा लगता है,,,,(अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए वह बोली तो अंकित भी सोफे पर रखे हुए कुर्ते को अपने हाथ में ले लिया जो कुछ देर पहले वह खुद अपने हाथ में लिए हुआ था,,,, कुर्ते को अपनी मां की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

अच्छा हुआ तुम साड़ी और पेटिकोट उतार दी वरना इसका सही नाप समझ में नहीं आता,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा अपने मन में ही बोली अगर तेरा बस चले तो बाकी के भी कपड़ों को उतार कर नीचे नंगी कर दे,,,,और ऐसा अपने मन में सोते हुए वह अपना हाथ आगे बढ़ाकर कुर्ते को ले ली और उसे पहनने लगी,,,,अंकित अपने मन में यही सोच रहा था कि काश उसकी मां ब्रा और पैंटी भी उतार देती तो कितना मजा आता,,,,और देखते देखते उसकी मां उसकी आंखों के सामने कुर्ते को दोनों हाथों में डालकर उसे पहन ले चौकी ठीक उसके कमर तक आ रहा था,,,,सुगंधा कुर्ते को पहन कर एकदम प्रसन्न नजर आ रही थी क्योंकि इतना मुलायम और मखमली कपड़ा था कि उसे एहसास ही नहीं हो रहा था कि उसने कुछ पहनी हुई है,,,एकदम प्रसन्न होते हुए इस अवस्था में अपने बेटे के सामने गोल-गोल घूम कर उसे दिखाते हुए बोली,,,,)




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बहुत अच्छा लग रहा है अंकित एकदम हल्का और एकदम आरामदायक मुझे तो पता ही नहीं चल रहा कि मैं कुछ पहनी हूं,,,,(सुगंधा बहुत खुश नजर आ रही थी और इस अवसर पर वह गोल-गोल घूम कर अपने आप ही अपने नितंबों के उभारपन के दर्शन अपने बेटे को करा रही थी,,, जिसे देखकर अंकित के मन मेंआग लगी हुई थी वह अपनी उत्तेजना को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था बड़ी मुश्किल से वह अपनी उत्तेजना पर काबू कर पाया था,,,, अपनी मां की खुशी और उसकी बात सुनकर अंकित बोला,,,)

मैंने बोला था ना तुम पर बहुत खूबसूरत लगेगी और तुम इसे पहन कर और भी ज्यादा खूबसूरत लगने लगेगी,,,, अब जल्दी से पजामा भी पहन लो तब देखना तुम्हारी खूबसूरती में चार चांद लग जाएगा,,,।

(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंध मुस्कुराई और इस बार खुद ही सोफे तक आई और कैसे हम अपने हाथ में लेकरउसे पहनने लगी बड़ी-बड़ी से वह अपने दोनों टांग को पजामी के अंदर डालकर उसे ऊपर की तरफ खींच दी और अब वह कुर्ता पजामा पहन चुकी थी,,,,अंकित कल्पना में जिस तरह से कुर्ते और पजामे अपनी मां को सोच रहा था उससे भी कई ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक इस समय उसकी मन लग रही थी,,,सुगंधा भी बहुत खुश नजर आ रही थी अपने दोनों हाथ को फैला कर गोल-गोल घूम रही थी उसे खूब अच्छा और आरामदायक महसूस हो रहा थाऔर अंकित उसे पजामें अपनी मां के नितंबों के उभार को देख रहा था क्योंकि काफी आकर्षक और कसा हुआ नजर आ रहा था,,,कुर्ता उसकी कमर तक आता था और नितंबों का जाकर उसके नीचे से शुरुआत होती थी और पजामी के अंदर वह उभार और भी ज्यादा आकर्षकऔर उत्तेजनात्मक दिखाई दे रहा था एकदम साफ पता चल रहा था कि नितंबों का उभार कहां से शुरू हो रहा है,,,, मानो यही दिखाने के लिए कुर्ता केवल कमर तक ही नाप का था। सुगंधा इस तरह से कविताएं घूम रही थी कभी बांए घूम रही थीऔर अपनी नजर पीछे करके अपनी नितंबों की तरफ देखने की कोशिश कर रही थी और उसे साफ दिखाई दे रहा था कि वाकई में पजामे में उसके नितंबों का होवर कुछ ज्यादा ही बड़ा लग रहा था जिसे देखकर उसे खुद मजा आ रहा था,,,, सुगंधा एकदम मुस्कुराते हुए और प्रसन्न मुद्रा में बोली)





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बहुत अच्छा लग रहा है अंकित,,, बहुत आरामदायक पहली बार में इस तरह का कपड़ा पहन रही हूं सच में से पहनने में कितना अच्छा लग रहा है।

मैं तो कहता हूं कि इसे पहन कर ही सोया करो अच्छा लगेगा गर्मी में तो और अच्छा लगेगा,,,।


बात तो सही कह रहा है,,,(अपनी नजरों को नीचे करके अपनी चूचियों की तरफ देखते हुए वह बोली) लेकिन इसका बटन कुछ ज्यादा ही नीचे से शुरू हो रहा है थोड़ा अजीब नहीं लग रहा है,,,।

कुछ अजीब नहीं लग रहा है,,, अरे ये तो खूबसूरती है थोड़ा सा दिखाई दे रहा है तो क्या हो गया,,,,
(सुगंधा को समझते देर नहीं लगी कि उसका बेटा उसकी चूचियों के बीच की पतली दरार की तरफ देखकर उसी के बारे में बोल रहा है और इस बात को सुनकर वह शर्म से पानी पानी हो गई अपने बेटे को कुछ बोल नहीं पाई और अपने मन में सोचने लगी कि उसके अंगों के बारे में उसका बेटा कितना खुलकर बोल रहा है,,, सुगंधा की नजर अपने बेटे के पेंट की तरफ जा रही थी और उसमें अच्छा खासा तंबू बना हुआ था जिसे देखकर उसकी बुर कुलबुला रही थी।उसे एहसास हो रहा था कि अगर इस समय वही इजाजत है तो शायद उसके बेटे का लंड उसकी बुर में घुसकर तबाही मचा दे,,, सुगंधा घड़ी की तरफ देखी तो हम 12:05 हो रहा था कपड़े बदलने और नापने की प्रक्रिया में धीरे-धीरे एक घंटा गुजर चुका था इस बात का अहसास तक दोनों को नहीं हुआ था घड़ी की तरफ देखते हुए सुगंधा बोली,,,)

घड़ी में देखा तो सही 12:00 बज गए हैं अब हमें सोना चाहिए क्योंकि सुबह जल्दी उठना है।





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तुम ठीक कह रही हो मम्मी,,, लेकिन गर्मी इतनी है कि नींद भी नहीं आ रही है,,,।

बात तो सही कह रहा है इसलिए तो आज हम दोनों छत पर चलकर सोना होगा ऊपर बहुत ठंडी हवा चलती है,,,।

हां यह ठीक रहेगा,,,,(अंकित एकदम खुश होता हुआ बोला क्योंकि वह जानता था कि अगर कमरे में सोना पड़ेगा तो अलग-अलग सोना पड़ेगा और अगर छत पर सोने चलेंगे तो एक साथ तो होंगे,,,, अंकित की बात सुनकर सुगंधा खुश होते हुए बोली,,,)

तू दो तकिया ले ले में चटाई और चादर ले लेती हूं बिछाने के लिए,,,,,(ऐसा कहकर वह चटाई लेने जानेवाली थी कितभी अंकित को न जाने क्या सोचा हुआ तुरंत अपना हाथ आगे बढ़कर अपनी मां का हाथ थाम लिया और उसे अपनी तरफ खींच कर एकदम सेअपनी तरफ खींच लिया जिससे वह एकदम से उसकी बाहों में आ गई और वह तुरंत अपने दोनों हाथों में अपनी मां का खूबसूरत चेहरा थामकर उसके लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख दिया और चुंबन करने लगा,,,,, सुगंधा अपने बेटे की हरकत से एकदम भौंचककी रह गई थी उसे पल भर के लिए तो कुछ समझ में नहीं आया कि यह क्या हो रहा है,,, लेकिन जब तक यह समझ में आया तब तक बहुत देर हो चुकी थी उसे एहसास होने लगा था कि उसका बेटा क्या कर रहा है कुछ देर पहले टीवी में जो फिल्म चल रही थी वही फिर से उसका बेटा उसके साथ दर्शा रहा था सुगंधा भी चुंबन से पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी बरसों बाद कोई मर्द उसे अपनी बाहों में लेकर उसके होंठों का रस पी रहा था,,,, सुगंधा की गरमा गरम सांसेऔर अंकित की गरमा गरम सांसे एक दूसरे की सांसों से टकरा रही थी एक दूसरे के बदन में और ज्यादा गर्मी पैदा कर रही थी। सुगंधा का बरसो बाद का या पहला चुंबन था जो अपने ही बेटे से उसे प्राप्त हो रहा था लेकिन अंकित के जीवन का यह दूसरा चमन था जो अपनी मां से प्राप्त हो रहा था और पहला चुंबन उसे अपनी मां की भी मां मतलब की अपनी नानी से प्राप्त हुआ था,,,, मां बेटी दोनों से यह सुख उसे प्राप्त हुआ था,,,।





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दोनों के साथ से ऊपर नीचे हो रही थी अंकित की हालात पूरी तरह से खराब थी वह जिस तरह से अपनी मां को अपनी बाहों में जकडे हुआ था उसके पेंट में बना तंबू सीधे उसकी बुर पर दस्तक दे रहा था,,, जिसे सुगंधा बहुत अच्छी तरह से महसूस कर रही थी और इसी वजह से उसकी बुर पानी पर पानी छोड़ रही थी।अंकित की हिम्मत आगे बढ़ रही थी वह अपनी मां की चिकनी कमर पर दोनों हाथ रखकर उसे हल्के-हल्के दबा रहा था और वह अपनी दोनों हथेलियां को अपनी मां की नितंबों पर रखना चाहता था उसे दबाना चाहता था लेकिन तभी उसकी मां उससे एकदम से अलग हो गई,,,, और गहरी गहरी सांस लेती है उसकी तरफ देख रही थी और अपनी हथेली से अपने होठों को पहुंच रही थी जिस पर उसके बेटे का लार लगा हुआ था,,, फिर वह एकदम से कमरे से बाहर निकल गई,,,अंकित कुछ देर तक वहीं खड़ा रहा उसे समझ में नहीं आ रहा था कि जो कुछ भी उसने किया हुआ सही किया या गलत किया,,,, फिर अपने मन में सोचा कि जो होगा देखा जाएगा इसलिए वह अपने आप को सहज करते हुए दो तकिया ले लिया,,, और पानी भर कर जग ले लिया और थोड़ी देर बाद छत के ऊपर आ गया,,,,।

छत पर आकर देखा तो उसकी मां पहले से वहां मौजूद थी। और चटाई बिछा चुकी थी अंकित को देखकर बोली,,,,।






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इतनी देर कहां लगा दिया,,,,।
(अंकित को एहसास हुआ कि उसकी मां एकदम सहज थी बिल्कुल भी गुस्सा उनके चेहरे पर नहीं उनकी बातों में दिखाई दे रहा था इसलिए वह भी थोड़ा निश्चित हुआ और जवाब दिया)

तकिया और पानी ले रहा था इसलिए देर लग गई,,,,।


देख तो सही छत पर से कितना अच्छा लगता है और कितनी ठंडी हवा चल रही हैकमरे में तो पंखा चालू होने के बावजूद भी गर्मी ही लगती है,,,,(छत की दीवार पर हाथ रखते हुए और दूर-दूर तक देखते हुए वह बोली उसकी बात सुनकर अंकित भी अपनी मां के करीब भाग्य और वह भी उसी की तरह छत की दीवार पर हाथ रखकर दूर-दूर दिखाई देते हुए घर में जलते हुए बल्ब की तरफ देखते हुए बोला,,,)

सच में मम्मी छत पर से तो अपने मोहल्ले का नजारा ही कुछ और दिखाई देता है और देखो तो सही वाकई में यहां कितनी ठंडक है हम दोनों बेवजह कमरे में गर्मी में तड़पते रहते हैं,,,।

अब गर्मी के महीने तक यही सोएंगे,,,,,,।

हां तुम सच कह रही हो यहां जब इतना सुकून है तो कमरे में सो कर क्यों परेशान हो,,,,।

अपनी छत ज्यादा ऊंची है,,,, देख दूसरों की छत को हमसे छोटी ही है,,,।

सही कह रही हो हम दूसरे की छत पर देख सकते हैं लेकिन दूसरा कोई अपनी छत पर नहीं दे सकता वह देखो,,, सामने वाली छत पर वह लोग भी सोने की तैयारी कर रहे हैं,,,,(सड़क की दूसरी ओर की छत की तरफ इशारा करते हुए अंकित बोला,,,, सुगंधा भी उस छत की तरफ देखते हुए बोली,,,)


Ankit ka sapna apni ma k sath

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बहुत से लोग छत पर सोते हैं सिर्फ हम लोग ही नहीं सोते थे,,,,,।

तो क्या इतनी ठंडी हवा छोड़कर पंखे की गर्म हवा ले रहे थे अब तक,,,,,।

(दोनों इसी तरह से बातें कर रहे थे लेकिन कुछ देर पहले का चुंबन दोनों के बदन में अभी भी गर्मी का एहसास दिला रहा था कुछ देर तक वहीं खड़े रहने के बाद दोनों सोने की तैयारी करने लगेअंकित इस बात से खुश था की छत पर एक ही चटाई बिछाई हुई थी मतलबी यही था कि दोनों साथ में सोने वाले थे जिंदगी में आज पहली बार उसके हाथ में हिस्सा मौका लगा था कि आज वह अपनी मां के साथ सोने जा रहा था,,,, यह अंकित के लिए बेहद खुशी की बात थीऔर जितनी खुशी अंकित कह रही थी उतनी ही खुशी सुगंधा को भी हो रही थी क्योंकि आज वह भी पहली बार अपने बेटे के साथ सोने जा रही थी,,,, सुगंधा चटाई पर दो तकिया रख दी थी और दोनों अपनी-अपनी जगह पर कुछ देर और बैठकर बातें करने लगे,,, और दोनों ही अपने मन मेंयह भी सोच रहे थे कि अच्छा हुआ कि समय तृप्ति नहीं है अगर तृप्ति साथ में होती तो शायद ऐसा मौका दोनों को कभी हाथ ना लगता दोनों एक साथ सोने का सुख कभी प्राप्त नहीं कर पाते,,,,

तभी बातों ही बातों में सुगंधा अपनी जगह पर लेटते हुए बोली,,,,)





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तुझे क्या हो गया था अंकित तो इस तरह से जो टीवी में देखा था मेरे साथ क्यों कर रहा था,,,!(उत्तेजना के मारे थूक को गले में निगलते हुए बोली,,,,और अंकित भी अपनी मां के सवाल पर पूरी तरह से झेंप गया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दे लेकिन फिर थोड़ी देर खामोश रहने के बाद वह बोला,,,,)

तुम ही ने तो कही थी कि,,,,जब कोई किसी को अच्छा लगने लगता है तो इसी तरह से चुंबन करता है और कुछ ज्यादा प्यार होता है तो वह होठों पर चुंबन करता है,,,,।

तो क्या मैं तुझे अच्छी लगती हूं,,,।

क्यों नहीं तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो,,,(अंकित भी चटाई पर पीठ के बल लेटता हुआ बोला,,,)

वह तो बातसही है लेकिन क्या इतनी ज्यादा अच्छी लगती हो कि तु मेरे होठों पर चुंबन करने लगा,,,,।

यह भी तुम ही कही होगी जब दो लोगों के बीच गहरा रिश्ता होता है तो होठों पर चुंबन किया जाता है क्या तुम्हें अच्छा नहीं लगा।

नहीं मुझे तो बहुत अच्छा लगा कि तू मुझे इतना पसंद करता है,,,,।

(अपनी मां का जवाब सुनकरअंकित को राहत महसूस होने लगे वह इस बात से निश्चित हो गया कि उसकी मां को बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा था और अपने आप को खोजने लगा कि वह चुंबन करते समय अपनी हथेलियां को अपनी मां के नितंबों पर रखकर दबाया क्यों नहीं उसकी बड़ी-बड़ी गांड को अपने हाथों से सहलाया क्यों नहीं,,,, उसे पूरा यकीन हो गया था कि उसकी मां उसे कुछ भी नहीं बोलती और उसे अच्छी तरह से याद था कि उसके पेंट में बना तंबू साड़ी के ऊपर से ही उसकी दोनों टांगों के बीच ठोकर मार रहा था,,, और उसे पूरा यकीन था कि उसकी मां को भी लंड की ठोकर अच्छी तरह से महसूस हुई होगी लेकिन वह कुछ बोली नहीं इसका मतलब साथ था कि वह भी वही चाहती है जैसा वह चाहता है। दोनों इसी तरह से बातें करते-करते और दूसरे को समझने की कोशिश कर रहे थे काफी देर हो चुकी थी और कुछ देर तक दोनों के बीच किसी पर प्रकार की वार्तालाप नहीं हुई तो सुगंधा को लगा कि शायद उसका बेटा सो गया है उसे बड़े जोरों की पेशाब भी लगी थी,,,,,, छत पर ही छोटी सी नाली बनी हुई थी जो नीचे गटर के अंदर तक जाती थी इसलिए वह पूरी तरह से निश्चिंत थी नीचे जाने की जरूरत नहीं थी,,,, लेकिन वह चाहती थी कि उसका बेटा जाग जाए क्योंकि वह अपने बेटे को अद्भुत नजारा दिखाना चाहती थी,,,, इसलिए वह अपने बेटे को आवाज़ लगाई,,,)






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अंकित,,,,ओ,,,, अंकित,,,,,,, पानी का जग कहां रखा है,,,(जबकि पानी का जब उसकी आंखों के सामने कोने में रखा हुआ था लेकिन वह जानबूझकर अपने बेटे को जगाना चाहती थी जो कि वाकई में उसका बेटा सोया नहीं था,,,,, वह अपनी मां के हलचल को पहचान गया था और सिर्फ सोने का नाटक कर रहा था,,,,उसे पूरा यकीन था कि उसकी मां को पेशाब लगी और वह पेशाब करने जाएगी लेकिन कहां जाएगी यह नक्की नहीं था,,,,, अपनी मां के जगाने से वह नींद में होने का नाटक करते हुए बोला,,,)

क्या हुआ,,,?

पानी का जग कहां है मुझे पेशाब,,,, मेरा मतलब है की प्यास लगी है,,,,,(वह खुलकर अपने बेटे के सामने पेशाब वाली बात नहीं करना चाहती थी लेकिन फिर भी अनजाने में उसके मुंह से यह शब्द निकल गया था जिसे सुनकर एक बार फिर से अंकित का लंड खड़ा होने लगा था,,,,,,और वह फिर भी नींद में होने का नाटक करते हुए अपनी आंखों को बंद किए हुए ही बोला,,,)

वह कोने में पड़ा है,,,,,,,,,,।

ठीक है मैं ले लेती हूं,,,,,(वह धीरे से अपनी जगह से उठी और पानी की जगह की तरफ जाने लगे लेकिन स्पीच वह अपने बेटे की तरफ देख ले रही थी और अंकित भी जैसे ही उसकी मां चटाई पर से उठकर खड़ी हुई थी वह अपनी आंख को खोल दिया था और यह हरकतसुगंधा देख ली थी और मन ही मन खुश होने लगी थी उसे समझ में आ गया था कि उसका बेटा जाग रहा है बस नींद में होने का शायद नाटक कर रहा है,,,, वह धीरे से पानी के चक्र के करीब कहीं और पानी के चक्कर पर रखा हुआ ढक्कन हटाकर पानी पीने लगी,,,,और फिर इधर-उधर देखने के बाद बहुत अच्छी नजर से अपने बेटे की तरफ देखी तो उसकी आंख चमक रही थी वह समझ गई कि वह अपनी आंखों को खोले हुए हैं और यह एहसास होते हैं उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी,,,, अंकित को लग रहा था कि उसकी मां शायद पेशाब करने के लिए नीचे जाएगी,,,, लेकिन उसके सोच के उल्टा ही हुआ हैवह धीरे से छत के कोने में पहुंच गए और जैसे ही वहां पर उसकी मां कोने में खड़ी हुई अंकित का दिल जोरो से धड़कने लगा और उसे अपने मामा का घर याद आ गया,, क्योंकि वह अपने मामा के घर भी इसी तरह का नजारा देख चुका था जब उसकी मांछत पर पेशाब कर रही थी साड़ी उठाकर उसकी नंगी गांड देखकर उसे समय भी अंकित का मन कर रहा था कि पीछे से अपनी मां की बुर में लंड डाल दे,,,,,।





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छत के कोने में पहुंचकर सुगंधा नजर पीछे कि तरफ घूमाकर अपने बेटे की तरफ देखने लगी तो अभी भी उसकी आंखें चमक रही थीऔर उसकी आंखों की चमक देख कर उसके बदन में कसमसाहट होने लगी वह समझ गई कि उसका बेटा क्या देखना चाह रहा है,,,,,,पहले भी अपने बेटे को दिखाकर पेशाब कर चुकी थी लेकिन आज की बात को छोड़ दे क्योंकि आज वह साड़ी नहीं पहनी थी बल्कि पजामा पहनी थी और पैजामा पहनकर आज यह मूत्र त्याग करने में उसे एक अद्भुत आनंद आने वाला था जिसका एहसास उसके बदन में उत्तेजना का रस घोल रहा था वह मदहोश हो रही थी,,, वह भी ईस अनुभव को अच्छी तरह से महसूस करना चाहती थी,,, इसलिए वह धीरे से अपने पजामे पर हाथ रखी और अपने अंगूठे को अपने पजामे के अंदर की तरफ सरका दी और अपने अंगूठे से अपनी पेंटीके छोर को भी दबा ली ताकि पजामा और पेंटी दोनों एक साथ नीचे खींच सके,,,।
Sugandha pesaab karti huyi

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सुगंधा का भी दील बड़े जोरों से धड़क रहा था,,,जो एहसास सुगंधा के तन बदन को मदहोश कर रहा था वही एहसास अंकित के भी बदन में उत्तेजना की लहर भर रहा था वह भी प्यासी नजरों से अपनी मां की तरफ देख रहा था फिर देखते ही देखते सुगंध अपने पजामी को नीचे घुटनों तक खींच दी और उसकी नंगी गांड एकदम से चमक उठे जिसे देखकर अंकित से रहने की और वह अपने पेंट के ऊपर से अपने लंड को दबा दिया जो की पूरी तरह से अपनी औकात में आने लगा था,,,,वह धीरे से नीचे बैठ गई और पेशाब करने लगी अगले ही पल एक अद्भुत सीट की मधुर आवाज जिसके कानों में पढ़ने लगी जो कि इस बात का एहसास करा रहा था कि उसकी मां मुत रही है,,,,, एहसास अंकित की मदहोशी को बढ़ा रहा था उसके बदन में चुदासपन को भर रहा था,,,,पेशाब करते हुए वह एक बार फिर से नजर पीछे की तरफ करके अपने बेटे को देखने लगी तो देखी कि उसका बेटा उसी को ही देख रहा था वह एकदम से मदहोश होने लगी,,, उसकी हालत खराब होने लगीऔर थोड़ी देर में वह पेशाब कर चुकी थी और वापस अपने कपड़ों को व्यवस्थित करकेचटाई पर आकर लेट गई थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि बारे में अपने बेटे से बात करें कि ना करें।






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और यही कशमकस में वह कब सो गई उसे पता ही नहीं चला,,,, जब सुबह उसकी नींद खुली तो अभी भी अंधेरा था उसे एहसास होने लगा कि सही समय पर उसकी नींद खुली थी उसे लगने लगा था कि 5:00 बज रहा है क्योंकि अभी भी अंधेरा था और सड़क पर थोड़ा वाहनों का आना-जानालगा हुआ था जिससे उसकी आवाज उसे साफ सुनाई दे रहा थालेकिन जैसे ही उसे एहसास हुआ कि उसकी दोनों टांगों के बीच कोई कड़क चीज चुप रही है तो वह एकदम से सन्न रह गईं,, और जब अपनी स्थिति पर गौर की तो एकदम हैरान हो गई,,,वह करवट लेकर दूसरी तरफ मुंह करके सो रही थी और पीछे उसका बेटा एकदम से उसे अपनी बाहों में लेकर सो रहा था और इस स्थिति में उसका लंड पूरी तरह से उसकी दोनों टांगों के बीच पजामे के ऊपर से ही उसकी बुर पर ठोकर मार रहा था उसे अपनी बुर पर अपने बेटे के लंड का कड़कपन एकदम साफ महसूस हो रहा था और यह एहसास उसकी बुर को गिला करने के लिए काफी था,,,, पल भर में ही सुगंधा की सांस ऊपर नीचे होने लगी,,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा ऐसा जानबूझकर किया है कि शायद नींद में होने के कारण अपने आप ऐसा हो गया है और इस समय वह जाग रहा है कि सो रहा है यह भी उसे समझ में नहीं आ रहा था इसलिए वह कुछ देर तक इस स्थिति में पड़ी रही तो उसे एहसास होने लगा कि बाकी उसका बेटा नींद में है क्योंकि इससे ज्यादा हरकत बढ़ नहीं रही थी उसे समझ में आ गया कि जब वह नींद में होगी तो शायद वह हिम्मत दिखा कर उसे बाहों में लेकर सो गया होगा,,,,,लेकिन अपने बेटे के लंड की ठोकर अपनी बुर पर महसूस करके वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी एकदम से चुदवासी हो चुकी थी,,,वह अपने मन में सोच रहे थे कि अगर उसका बेटा नींद में होने का पूरा फायदा उठाकर अपने हाथों से इसके पजामी को नीचे करके पीछे से अगर उसकी बुर में लंड डाल दे तो भी वह उसे नहीं रोकेगी,,,, लेकिन ऐसाइस समय नहीं हो सकता था क्योंकि उसका बेटा पूरी तरह से गहरी नींद में था,,,,,।

सुगंधा इतना कुछ होने के बावजूद भी,, इतनी हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी कि उसका बेटा नहीं आगे बढ़ पा रहा है तो क्या हुआ वही आगे बढ़कर अपनी जवानी की प्यास बुझा ले,,,, वह भी सिर्फ सोच कर ही रह जाती थी कुछ करने का समय आता था तो वह भी कमजोर पड़ जाती थी कुछ देर तक इसी तरह से लेटे रहने के बाद,,, वह धीरे से अपने बेटे की बाहों सेअलग हुई और जग के पानी से मुंह धोकर अपने आप को तरोताजा करने की कोशिश करने लगी,,,, और फिर वह अपने बेटे को जगाई,,,,।

अभी भी सड़क पर अंधेरा था और दोनों जोगिंग करने लगे थे सुगंधा को बहुत अच्छा एहसास हो रहा था कुर्ता और पैजामा में दौड़ने में,,, और अंकित अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड देखकर खुश हो रहा था । जोगिंग करने के बाद उजाला होते हैं वह दोनों वापस घर पर आ चुके थे।
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है अंकित एक बार फिर से अपनी मां को ब्रा और पेंटी में देखना चाहता है और सुगंधा भी अपने बेटे को अपनी जवानी दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ती है नए कपड़े पहनते वक्त फिर पेशाब करते समय अपनी जवानी दिखाकर अंकित की हालत खराब कर देती है लेकिन अभी तक दोनों के बीच एक दीवार है जो दोनों को एक होने नहीं दे रही है
 

Sanju@

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तृप्ति के गांव जाने के बाद अंकित और उसकी मां के लिए हर एक रात बेहद मधुर होती जा रही थी,,,हर एक रात को कुछ ना कुछ एक दूसरे को देखने दिखाने का मौका मिल रहा था और यह मौका उन दोनों के जीवन का सबसे अद्भुत पल होता जा रहा था,,, हर एक पल में मधुरता मादकता मदहोशी छाई हुई थी,,,अंकित अपनी मां को बाहों में लेकर उसके होठों पर चुंबन करके अपने मन की मनसा को दर्शा चुका था अगर उसकी मां उससे अलग ना हुई तो शायद दोनों मंजिल तक पहुंच जाते,,, एन मौके पर सुगंधा क्यों अपने पैर पीछे खींच ली यह सुगंधा को भी समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि सुगंधा भी तो यही चाहती थी,,,, शायद यह मां बेटे के बीच के पवित्र रिश्ते की वजह से हुआ था क्योंकिसुगंधा अपने बेटे के साथ एकाकार होना चाहती थी एक औरत के रूप में लेकिन जब कभी भी दोनों के बीच ऐसा कुछ होता है तबन जाने क्यों सुगंधा के अंदर से औरत अलग हो जाती है और वह एक मां के रूप में सामने होती है जिसकी वजह से वह अपने बेटे के साथ कुछ भी कर पाने में असमर्थ हो जाती है।





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लेकिन एक चुंबन से वह समझ गई थी उसका बेटा भी वही चाहता है जैसा कि वह चाहती है। इसलिए वह बहुत खुश थी,,, और चुंबन करने की वजह भी वह खुद बताई थी इसलिए उसके बेटे को एक मौका मिल गया था इस तरह से चुंबन करने का जिसके चलते उसने रात में छत पर अपने बेटे को अपनी लंबी गांड के दर्शन कर रही थीऔर सुबह जब उठी तो उसके लंड को अपनी गांड के बीचों बीच महसूस करके वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,,, जिसके चलते वह कुछ देर तक उसी तरह से लेटी रह गई थी,,, और आज तो उसे कुर्ता पजामा पहनकर दौड़ने में बहुत अच्छा लग रहा था वह अपने बेटे पर उसकी नजरों पर गौर कर रही थी वह उसके खूबसूरत बदन को ही निहार रहा था,,, पजामे में उसकी गांड और ज्यादा बड़ी लग रही थीजिसे अंकित प्यासी नजरों से देख रहा था और आगे एक बटन नीचे होने की वजह से उसके चूचियों के बीच की गहरी पतली लकीर एकदम साफ दिखाई दे रही थी जिसके बारे में उसका बेटा खुद पहनते समय जिक्र कर चुका था और इसमें कोई आपत्ति नहीं है यदि जता दिया था,,, और खुद चूचियों को प्यासी नजरों से देखकर मस्त हो रहा था,,, अपने बेटे की इस तरह की नजर से सुगंधा बार-बार मदहोश हो रही थी।







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जोगिंग करने के बाद मां बेटे दोनों घर पर पहुंच चुके थे,,,,,,, चाय नाश्ता और खाना बना लेने के बाद वह घर की सफाई में लग गई थी,,,,, कुछ देर तक अंकित अपने कमरे में ही आराम कर रहा थालेकिन बहुत देर से अपनी मां को ना देखने के बाद बहुत धीरे से अपने कमरे से बाहर निकाला और अपनी मां के कमरे में पहुंच गया तो देखा उसकी मां कमरे की सफाई कर रही थी यह देखकर वह बोला,,,।

यह क्या कर रही हो मम्मी,,,?

अरे बहुत दिन हो गए थे कमरे की सफाई नहीं की थी तो सोची चलो आज कमरे की सफाई ही कर लुंं।

चलो मैं भी तुम्हारा हाथ बंटा लेता हूं,,,(इतना कहकर वह भी सफाई काम में लग गया,,, सुगंधा उसे इस तरह से काम करते देखकर मन ही मन में मुस्कुरा रही थी लेकिन तभी उसके दिमाग में कुछ और चलने लगा उसे याद आया की अलमारी में उसने मां बेटे वाली कहानी वाली किताब रखी हुई है जो वह किसी भी तरह से अपने बेटे को दिखाना चाहती थी ताकि उसका बेटा हुआ कहानी को पड़े और उसके मन में मां बेटे के बीच के रिश्ते को लेकर कुछ-कुछ और ऐसा वह पहले भी कर चुकी थी लेकिन शायद सुगंधा को लगता था कि उसका बेटा उस किताब पर ध्यान नहीं दिया था,,, इसलिए आज मौका अच्छा थाआज वह किसी भी तरह से अपने बेटे को वह किताब दिखाना चाहती थी इसलिए वह बोली,,,)






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तू यह सब रहने दे तू अलमारी की सफाई करना उसमें बहुत सारी किताबें पड़ी है तो एक जगह पर रख दे वह सब रद्दी हो चुकी है कबाड़ी वाले को बेचने के काम आएगी,,,।

ठीक है मम्मी मैं अभी अलमारी साफ कर देता हूं,,,,(इतना कहकर अंकितअलमारी खोलकर अलमारी की सफाई करने लगा उसमें ढेर सारी किताबें रखी हुई थी जिन्हें देख-देख कर वह एक तरफ रख रहा था और जरूरी किताब को एक तरफ रख रहा था तिरछी नजर से सुगंधा अपने बेटे की तरफ देख रही थी वह देखना चाहती थी कि वह किताब उसके हाथ लगती है तब वह क्या करता है,,,, कुछ देर तक अंकित अलमारी की सफाई करता रहा लेकिन वह किताब उसे नहीं मिली थी तब उसे याद आया कि वह किताब तो उसने ड्रोवर के अंदर रखी थी,,, इसलिए वह तुरंत बोली,,,)

नीचे अगर सफाई हो गई हो तो ड्रोवर भी देख लेना,,, बहुत रद्दी किताबें पड़ी है,,, सब बेच दूं तो,,, कचरा कम हो जाए,,,।

मम्मी तुम सच कह रही हो तुम्हारी अलमारी में काम से ज्यादा तो बेकार की चीजे पड़ी है,,,,।(इतना कहते हुए वह अंदर से जूनी पुरानीतीन-चार ब्रा निकाला जो कि हर एक जगह से फटी हुई थी और उसे अपने हाथ में लेकर अपनी मां के सामने दिखने लगा उसे देखकर सुगंधा शर्म से पानी पानी हो गई और बोली,,,)

अरे यह क्या दिख रहा है मैं यह सब नहीं पहनती ये तो बहुत पुरानी है फटी हुई है,,,,।

इसलिए तो बता रहा हूं इसे पहनना भी नहीं,,,।

क्यों,,,?

अरे इतनी खूबसूरत औरत हो और फटी ब्रा पहनोगी तो कितना खराब लगेगा,,,,।

खूबसूरत,,,,(मुस्कुराते हुए सुगंधा बोली,,)






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तो क्या खूबसूरत है ही तो हो मेरा बस चलता तो रोज तुम्हें नए कपड़े पहनाता लेकिन क्या करूं अभी कमाता नहीं हूं नहीं इसलिए मजबूर हूं,,,,।

तो कमाना शुरू कर दे फिर रोज मेरे लिए नए कपड़े लेकर आना,,,।


मैं भी यही सोच रहा हूं अगर कमाता होता तो रोज तुम्हारे लिए गिफ्ट लेकर आता,,,,,,।


तेरे पापा भी मेरे लिए रोज कुछ ना कुछ लेकर ही आते थे,,,,(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा को अनायास ही अपने पति की याद आ गई थी और अपनी मां की बात सुनकर अंकित बोला,,,)

तो क्या हुआ मम्मीमैं भी तुम्हारे लिए रोज गिफ्ट लेकर आऊंगा पापा नहीं है तो क्या हुआ मैं तो हूं ना,,,।
(अंकित अपनी मां को दिलासा देते हुए बोल रहा थालेकिन उसकी इस भावुकता में एक सारे एक आकर्षक और एक पति के द्वारा पूरी करने वाली शारीरिक जरूरत भी शामिल थी जिसे वह इशारे में अपनी मां को समझा रहा था और शायदशब्दों के द्वारा दिए गए थे सारे को उसकी मां अच्छी तरह से समझ रही थी वह जानती थी कि उसका बेटा उसे एक पति की तरह शारीरिक सुख भी जरूर देगा इसलिए मुस्कुराते हुए बोली,,,)





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मुझे पूरा यकीन है कि तु एकदीन तेरे पापा की ही तरह मेरी सारी जरूरतें पूरी करेगा,,,,(सुगंधा के द्वारा भी यह एक इशारा ही था,,,, और इस ईशारे को अंकित समझने की कोशिश कर रहा था और फिर से वह अलमारी की सफाई करना शुरू कर दिया,,,, देखते ही देखते वह अलमारी के ड्रोवर को खोल दियाऔर उसमें से बेकार की वस्तुओं को निकाल कर एक तरफ रखना लगा और तभी अंदर की तरफ जब हाथ डाला तो उसे वही किताब मिल गई और वह ड्रोवर में से उस किताब को बाहर निकाल कर,,,देखने लगा सुगंधा अपने बेटे की हरकत को तिरछी नजर से देख रही थी उसके हर एक हाव-भाव को देख रही थी,,, अंकित के हाथों में वह किताब आते ही उसके मुख्य पृष्ठ को देखकर अंकित के चेहरे का भाव बदलने लगा था उसे याद आ गया था कि इस किताब को वह पहले भी पढ़ चुका था औरअपनी मां के बारे में सोच रहा था किस तरह की किताब क्या हुआ सच में पढ़ती होगी अगर पढ़ती होगी तो उन्हें भी एक मां बेटे के बीच का रिश्ता इसी तरह से दिखाई देता होगा इस बात को सोचकर वह काफी खुश हुआ था,,, और इस समय भी उसके मन में यही सब चल रहा था वह धीरे से उसे किताब के पन्नों को पलटने लगा जिसमें कुछ रंगीन गंदे चित्र भी छुपे हुए थे और मां बेटे के बीच की कहानी भी थी,,,सुगंधा तिरछी नजर से अपने बेटे की हरकत पर बराबर नजर रखी हुई थी उसके चेहरे पर प्रश्न है क्या भाव नजर आ रहे थे जब उसने देखी कि उसके बेटे के हाथ में वही किताब लग गई है जिसे वह दिखाना चाहती थी लेकिन वह यह नहीं जानती थी कि उसका बेटा उस किताब को पहले भी पढ़ चुका था,,,,।




Sugandha ka khwab

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मां बेटे दोनों के दिल की धड़कन तेज होने लगी थी अपनी मां से नजर बचाकर वह किताब के पन्नों को पलट कर उसमें लिखी गई कहानी के शब्दों को जल्दी-जल्दी पढ़ रहा था तभी उसकी आंखों के सामने कहानी का कुछ भाग लिखा हुआ नजर आया जिसे पढ़कर उसका लंड एकदम से टन्ना गया,,,,।

मम्मी की बड़ी-बड़ी गांड ट्यूब लाइट की दूरी और रोशनी में चमक रही थी मैंने कभी अपनी मां को पेशाब करते हुए नहीं देखा था,, लेकिन पहली बार जब अनजाने में ही मेरी नजरमां पर पड़ी तो मैं देखता ही रह गया पहली बार मां की नंगी गांड मेरे लिए किसी अजूबे से काम नहीं थी और वह भी मम्मी पेशाब कर रहे थे उनकी बड़ी-बड़ी गांड एकदम कसी हुई थी,,,, मां ने साड़ी कमर तक उठाकर पेशाब कर रही थी जिसकी वजह सेकमर के नीचे का पूरा भाग दिखाई दे रहा था उनके पेशाब की आवाज किसी मधुर ध्वनि की तरह मेरे कानों में पड़ रही थी जिसे सुनकर मैं पागल हुआ जा रहा था मैं दीवार के पीछे से यह सब नजर देख रहा था मां को इस बात का अहसास तक नहीं था कि मैं उन्हें इस हालत में देख रहा हूं,,,,मेरी टांगों के बीच अजीब सी हलचल हो रही थी जिसे महसूस करके बदन में मस्ती से चढ रही थी मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं।





Sugandha ki kalpna

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इतना पढ़कर तोअंकित की हालत एकदम से खराब होने लगी उसका दिल जोरो से धड़कने लगा हालांकि वह अपनी मां को बहुत बार पेशाब करते हुए देख चुका था लेकिन कहानी में पहली बार इस तरह का वर्णन पढ रहा था जिसे पढ़कर उसके बाद में सुरसुरी से दौड़ने लगी थी,,, पल भर में उसके मन में ढेर सारे सवालढेर सारे विचार जन्म लेने लगे वह अपने मन में सोचने लगा कि अगर उसकी मां इस तरह की किताब अपनी अलमारी में रखी है तो इस तरह की कहानी भी पढ़ती होगी उसे मां बेटे के बीच के रिश्ते के बारे में अच्छी तरह से समझ में आ गया होगा कि एक कमरे के अंदर मां बेटे अगर अकेले रह रहे हो तो उन दोनों के बीच क्या होना संभव है यही सोचकर उसकी हिम्मत बढ़ने लगी थी और वह उसकी किताब के बारे में अपनी मां से जिक्र करना चाहता था लेकिन इसके लिए उसे काफी हिम्मत जुटाना थाऔर तिरछी नजर से काम करते समय सुगंधा अपने बेटे को देख रही थी उसकी हरकत को देख रही थी,,,, सुगंधा मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि उसे एहसास हो रहा था कि किताब में लिखी हुई कहानी उसके बेटे कोपसंद आ रही थी जिसमें वह रुचि ले रहा था तभी तो वह सब कुछ भूल चुका था तभी उसका ध्यान भंग करने के लिए उसकी मां बोली,,,)

क्या हुआ जल्दी-जल्दी कर जल्दी से काम खत्म करना है अभी मैं नहाई भी नहीं हूं कपड़े भी धोना है,,,।






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हां मम्मी कर रहा हूं लेकिन यह तुम्हारी अलमारी में मुझे क्या मिला है,,,?

क्या मिला है,,,?(सुगंधा अनजान बनते हुए बोली)

कोई किताब है लेकिन यह कोई स्कूल की किताब नहीं है,,,,।

क्या ऐसी कौन सी किताब आ गई कोई मैगजीन होगी सरस सलिल जैसी,,,।

नहीं मम्मी ऐसी तो कोई भी मैगजीन नहीं है,,,,।


ला अच्छा मुझे दिखा तो ऐसी कौन सी किताब मेरे अलमारी में आ गई जिसके बारे में मुझे पता नहीं है,,,।

लो तुम ही देख लो,,,, मैं तो इसके पन्ने पलट कर देखा बहुत गंदी कहानी है,,,(अपनी मम्मी की तरफ घूम कर उसे वह गंदी किताब उसके हाथ में थमाते हुए वह बोला,,,सुगंधा भी अपना हाथ आगे बढ़ाकर उस गंदी किताब को अपने हाथ में ले ली और उसके मुख्य पृष्ठ को देखकर एकदम से जानबूझकर शर्मिंदगी का नाटक करते हुए बोली,,,)

हाय दैया यह तुझे कहां मिल गई रे,,,,।





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तुम्हारी अलमारी में और कहां बहुत गंदी किताब है,,,।

यह तो मैं भी जानती हूं कि बहुत गंदी किताब है,,,।

तो क्या तुमने ईसको पढ़ी हो,,,


मेरी अलमारी में है तो पढी ही होंऊंगी,,,, लेकिन तूने क्या पढ़ लिया जो एकदम हैरान हो गया है,,,,(किताब के पन्नों को पलटते हुए और वो भी अपने बेटे के सामने वह बोली,,,)

क्या बताऊं मम्मी मुझे तो बताते भी शर्म आ रही है क्या ऐसी भी किताबें होती हैं मैं तो पहली बार देख रहा हूं,,,।

मैं भी पहली बार देखी थी तब मैं भी तेरी तरह हिरण हो गई थी मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था कि इस तरह की भी किताबें होती है और इस तरह की कहानी भी होती है जब पहली बार तेरे पापा लेकर आए थे,,,।

पापा लेकर आए थे,,,,(अंकित हैरान होता हुआ बोला क्योंकि वह किताब नहीं लग रही थी)

हां तेरे पापा लेकर आए थे लेकिन खरीद कर नहीं लाए थे यह किताब के साथ दो-तीन किताबें और थी जो कि तेरे पापा के दोस्त ने उन्हें पढ़ने के लिए दिया था,,,, और तब से यह किताब घर पर ही पड़ी थी लेकिन बस एक ही बची है,,,।

तो क्या पापा इस तरह की कहानी पढ़ते थे,,,,।

नहीं उन्हें लगा कि कोई नोवल होगा कोई जासूसीलेकिन जब पढ़ने लगे तो वो भी हैरान हो गए मैं भी उनके साथ ही बैठी थी तो मेरी नजर भी पड़ गई और मैं भी हैरान हो गई,,,, वैसे तु क्या पढ़ लिया जो तेरी हालत खराब हो गई,,,,।





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नहीं जाने दो मुझसे तो बताया भी नहीं जाएगा,,,, इस तरह की कहानी तो मैं पहली बार पढ़ रहा हूं,,,

लेकिन बता तो सही ,,,,।


अरे कैसे बताऊं मुझे तो शर्म आती है,,,,।

इसमें शरम कैसी जो पड़ा है बता दे वैसे तो सबकुछ सामने ही है,,,, और तु कोई चोरी छुपे तो पढ़ा नहीं,,, वैसे तो पूरी किताब ही गजब की है लेकिन तू कौन सी लाइन पढ़ लिया जो तेरी हालत खराब हो गई बात भी दे,,,,,(सुगंधा जानबूझकर अपने बेटे को उकसा रही थी बताने के लिएऔर अंकित भी समझ रहा था कि उसकी मां क्या सुनना चाह रही है इसलिए वह अपने मन में सोचा कि जब उसे कोई एतराज नहीं है तो भला हुआ क्यों शर्मा की चादर ओढ़ कर इतने अच्छे मौके को अपने हाथ से गंवा दे,,,,। इसलिए वह हीम्मत करके अपनी मां से बोला,,,)

जो पढ़ा वह तो मेरे दिमाग को एकदम सन्न कर दिया,,,,,।

पढ़ा क्या यह तो बता,,,,,(सुगंधा लालायित हुए जा रही थी अपने बेटे के मुंह से उस गंदी किताब के शब्द को सुनने के लिए,,,,,, अपनी मां की उत्सुकता देखकर अंकित के मन में भी प्रसन्नता हो रही थी इसलिए वह हिम्मत दिखा कर बोला ,,,)






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लाओ में पढ़कर ही बता दु ऐसे तो मुझसे बताया नहीं जाएगा,,,(अंकित अपनी मां की तरफ हाथ बढ़ाते हुए बोला सुगंधा भी मौके की नजाकत को समझते हुए तुरंत अपने हाथ मिली हुई किताब को आगे बढ़कर अपने बेटे को थमा दी और अंकित उस किताब को लेकर उसके पन्ने पलटने लगा और जो शब्द उसने पढे थे वह बोलने लगा,,,,)

मम्मी की बड़ी-बड़ी गांड ट्यूब लाइट की दुधिया रोशनी में चमक रही थी मैंने कभी अपनी मां को पेशाब करते हुए नहीं देखा था,, लेकिन पहली बार जब अनजाने में ही मेरी नजरमां पर पड़ी तो मैं देखता ही रह गया पहली बार मां की नंगी गांड मेरे लिए किसी अजूबे से काम नहीं थी और वह भी मम्मी पेशाब कर रहे थे उनकी बड़ी-बड़ी गांड एकदम कसी हुई थी,,,, मां ने साड़ी कमर तक उठाकर पेशाब कर रही थी जिसकी वजह सेकमर के नीचे का पूरा भाग दिखाई दे रहा था उनके पेशाब की आवाज किसी मधुर ध्वनि की तरह मेरे कानों में पड़ रही थी जिसे सुनकर मैं पागल हुआ जा रहा था मैं दीवार के पीछे से यह सब नजर देख रहा था मां को इस बात का अहसास तक नहीं था कि मैं उन्हें इस हालत में देख रहा हूं,,,,मेरी टांगों के बीच अजीब सी हलचल हो रही थी जिसे महसूस करके बदन में मस्ती सी चढ रही थी मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं। मम्मी की बुर से लगातार पेशाब की धार फूट रही थी उसमें से मधुर संगीत नहीं कर रही थी और उसे मधुर संगीत ने मेरे लंड को खड़ा करने में बिल्कुल भी समय नहीं लियामैं अपनी मां की नंगी गांड को देख रहा था वह पेशाब कर रही थी और मेरा हाथ अपने आप पेंट के ऊपर से मेरे लंड को दबा रहा था,,,,।



सुगंधाकी तड़प

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(अंकित इस कहानी को पढ़ते समय अपनी मां की तरफ तिरछी नजर से देख ले रहा था जैसे वह उसके हवाओं को देख रही थी वैसे ही अंकित भी अपनी मां के चेहरे के हाव भाव को देखने की कोशिश कर रहा था,,,, अंकित के मुंह से निकले एक-एक शब्द मदहोशी से भरे हुए थे जो उसकी मां के कानों में घुलकर उसे मस्त कर रहे थे।यह देखकर अंकित को भी आनंद आ रहा था और वह बड़ी दिलचस्पी दिखाकर कहानी को आगे पढ़ रहा था,,,,।)

मम्मी निश्चिंत होकर पेशाब कर रही थी,,,,और उसे देखना और वह इस हालत में शायद संभावना होता अगर 2 दिन पहले ही बाथरूम का दरवाजा टूट कर अलग ना हो गया होता उसकी रिपेयरिंग करना बाकी था और उसेबाथरूम से निकाल कर दूसरी तरफ दिए थे इसलिए बाथरूम पूरी तरह से बेपर्दा हो चुका था और इसीलिए मुझे यह खूबसूरत नजारा देखने का मौका मिला,,,,मुझे पहली बार एहसास हुआ की मम्मी कितनी खूबसूरत है उसकी गांड कितनी खूबसूरत है उसका गोरा रंग उसे और भी कितना ज्यादा सेक्सी बनाता है,,,,,मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मम्मी कितना पेशाब करती है बड़ी देर से उसकी बुर से पेशाब की धार फुटते जा रही थी,,, मन तो कर रहा था कि मैं भी बाथरुम में घुस जाऊं और पीछे से मम्मी की बुर में लंड डाल दु और उनकी चुदाई कर दुं,,, लेकिन डर इस बात का था कि कहीं मम्मी शोर ना मचा दे,,,, किसी को पता चल गया तो क्या होगा लेकिन इतना तो मुझे मालूम था कि मम्मी को भी इसी चीज की जरूरत है क्योंकि बरसों से उन्होंने अपनी जवानी को संभाल कर रखी थी,,,, मैं 10 साल का था तभी पापा गुजर गए थे तब से मम्मी अकेले ही थी,,,, घर में बस में मम्मी और मेरी दो बड़ी बहनें,,, मम्मी की गदराई जवानी देखकर मुझे मालूम था उन्हें मोटे तगड़े लंबे लंड की जरूरत थी,,,,,(जब यह लाइन अंकित ने पढा तो तिरछी नजर से अपनी मां की तरफ देखने लगा अंकित को एहसास हुआ कि उसकी मां उसकी पेंट की तरफ देख रही थी और जब उसने गौर किया तो वाकई में उसके पेट में तंबू सा बन गया था लेकिन अंकित अपने पेट में बने तंबू को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था और आगे की लाइन पढ़ने लगा,,,)




अप से ही मजा लेती हुई सुगंधा

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मेरा लंड पेंट से बाहर आने के लिए तड़प रहा था और मम्मी की बुर में जाने के लिए मचल रहा था मम्मी की तरफ से बस इशारा आना बाकी थाअगर इसी समय ऐसा हो जाता तो मैं मम्मी को बाथरूम में हीं जमकर चुदाई कर देता,,,इतना तुम्हें जानता था कि अगर मम्मी मौका देती तो मैं मम्मी की जवानी कर रहा था अपने लंड से मुझे छोड़ देता उन्हें पूरी तरह से संतुष्ट करने का दम मेरे में बहुत था बस मम्मी के इसारे की देरी थी,,,,,।


बस बस रहने दे बाप रे इतनी गंदी कहानी मैं तो कभी सोची भी नहीं थी,,,,(बीच में ही अंकित को रोकते हुए सुगंधा बोली तो अंकित अपनी मां की तरफ देखते हुए अाशचर्य से बोला,,,)


लेकिन तुमने तो पढ़ी हो ना,,,।

अरे पूरी किताब थोड़ी पढी हूं तेरी ही तरह एक दो पन्ने ही पढ़ी हूं,,,,,,।


सच में बहुत गंदी किताब है ना मम्मी मेरी तो हालत खराब हो गई,,,,।

ला ईस किताब को मुझे दे,,,, इसे तो रद्दी में बेचने में भीबदनामी हो जाएगी किसी को पता चल गया कि जिस घर से यह किताब बेची गई है तो गजब हो जाएगा,,,।

सही कह रही हो मम्मी,,,(इतना कहते हुए अंकित उसे किताब को अपनी मां की तरफ बढ़ा दिया और उसकी मां उसे किताब को अपने हाथ में लेकर बिस्तर के नीचे रख दी,,,, और अंकित की तरफ देखते हुए बोली,,,,,)

जल्दी से अब सफाई कर इस किताब ने तो मेरे पसीने छुड़ा दिए,,,,।

सच कह रही हो मेरी भी हालत खराब कर दिया इस किताब ने,,,,(ऐसा कहते हुए वह फिर से आलमारी साफ करने लगा,,,, लेकिन इस कहानी को पढ़ने के बाद मां बेटे दोनों के मन में उथल-पुथल चल रही थी अब उन दोनों के पास बात करने के लिए इस कहानी को लेकर बहुत सारे मुद्दे थे,,,, और अंकित भी अपनी मां से इस तरह की बातों की शुरुआत करना चाहता था इस कहानी को लेकर बहुत सारी बातें सवाल उसके मन में चल रहे थे।)



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बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है सुगंधा जानती है कि जो उसके मन में है वो ही अंकित के मन में है वह चाहती है कि अंकित आगे से पहल करे इसलिए सफाई के बहाने वह अंकित को मा बेटे वाली कहानी की किताब दिखाना चाहती है और वह उसकी कहानी को अंकित से पढ़वाती भी है अब देखते हैं कि पहल कौन करता है
 

rohnny4545

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बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है अंकित एक बार फिर से अपनी मां को ब्रा और पेंटी में देखना चाहता है और सुगंधा भी अपने बेटे को अपनी जवानी दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ती है नए कपड़े पहनते वक्त फिर पेशाब करते समय अपनी जवानी दिखाकर अंकित की हालत खराब कर देती है लेकिन अभी तक दोनों के बीच एक दीवार है जो दोनों को एक होने नहीं दे रही है
Thanks dear

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rohnny4545

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बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है सुगंधा जानती है कि जो उसके मन में है वो ही अंकित के मन में है वह चाहती है कि अंकित आगे से पहल करे इसलिए सफाई के बहाने वह अंकित को मा बेटे वाली कहानी की किताब दिखाना चाहती है और वह उसकी कहानी को अंकित से पढ़वाती भी है अब देखते हैं कि पहल कौन करता है
Thanks

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rohnny4545

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बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है अंकित अपनी मां के साथ शॉपिंग करने बाजार गया है बाजार में सुगंधा को देखकर लोगों की हालत खराब हो गई सब उसकी लेने के लिए अपने मन में ख्वाब सजाने लगे
कमेंट करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद संजू भाई

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rohnny4545

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एक अद्भुत रोमांचक एहसास के साथ दुकान के बाहर ग्राहकों को देखकर मां बेटे दोनों तुरंत दर्जी की दुकान से बाहर निकल गए थे वह दोनों किसी की नजर में नहीं आना चाहते थे इसलिए वहां ज्यादा देर खड़े रहने का कोई मतलब नहीं था क्योंकि उन दोनों का मकसद पूरा हो चुका था उन दोनों को जो करना था उन दोनों ने दर्जी की आंखों के सामने उसकी दुकान में कर चुके थे और जल्दबाजी में सुगंधा अपना सीधा हुआ ब्लाउज लेना बिल्कुल भी नहीं भूली थी लेकिन जल्दबाजी में उसे पैसा देना भूल चुकी थी,,,, 5 मिनट के अंदर ही वह दोनों चौराहे पर पहुंच चुके थे दोनों का दिल बड़ी तेजी से धड़क रहा था दोनों के चेहरे पर संतुष्टि का एहसास था दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे और मन ही मन में कह रहे थे कि आज एक अद्भुत एहसास लेकर लौटे हैं।




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दोनों ऑटो में बैठ चुके थे अब उसे क्षेत्र में रुकना उन्हें ठीक नहीं लग रहा था इसलिए वह जल्द ही ऑटो पर बैठकर घर पहुंच चुके थे। वैसे तो सुगंधा को कुछ सब्जियां भी खरीदनी थी लेकिन जो कुछ भी मां बेटे में सर जी की दुकान के अंदर किए थे उसे देखते हुए वह कहीं भी खड़ी रहना नहीं चाहती थी और सीधा घर पहुंच चुकी थी। घर पर पहुंचते ही मां बेटे एक दूसरे को देखकर हंस रहे थे क्योंकि आज उन दोनों ने दरजी को बेवकूफ जो बना दिया था तभी सुगंधा को याद आया कि उसने तो दर्जी को ब्लाउज की सिलाई के पैसे दिए ही नहीं इसलिए वह अपने बेटे से बोली।

अरे अंकित उसे दरजी को तो ब्लाउज के पैसे दी ही नहीं वैसे ही ब्लाउज उठा लाइ।

तो क्या हो गया आज उसे उसके जीवन में पैसे से भी ज्यादा सुख जो मिल गया था उसके आगे पैसे की कोई अहमियत नहीं है और अच्छा हुआ कि उसे पैसे नहीं दी देख नहीं रही थी कैसे तुम्हारी चूचियों को दबा रहा था,,,,, (अंकित की बात सुनते ही सुगंधा शर्मा से लाल हो गई) तुम्हें लगता है कि इसके बाद उसे कुछ पैसे देने चाहिए बल्कि उसे हमें पैसे देने चाहिए थे.।

धत् तुझे क्या मैं धंधे वाली लगती हूं जो उससे पैसे लुं,,, (हाथ में लिया हुआ ठेला टेबल पर रखते हुए वह बोली और कुर्सी खींचकर उस पर बैठ गई,,,)



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दुकान के अंदर तो ऐसा ही लग रहा था कि जैसे तुम कोई धंधे वाली हो,,, (अंकित भी कुर्सी खींचकर ठीक अपनी मां के सामने बैठ गया )

अच्छा अब तुझे मैं धंधे वाली लगने लगी ना,,, (गुस्से से अपने बेटे की तरफ देखते हुए सुगंधा बोली)


नहीं नहीं ऐसा मैं नहीं कह रहा हूं कि तुम धंधे वाली हो लेकिन तुम्हारी हरकतें जो थी लाजवाब थी तुम्हारे चरित्र से एकदम बाहर निकल कर जो तुमने काम की हो वह कोई फिल्म की हीरोइन हीं कर सकती है। अच्छी नहीं तुमने अपनी जवानी से दरजी के पसीने छुड़ा दि,,,,।

सच में दर्जी की तो हालत खराब हो गई,,, (आंखों में अद्भुत नशा लिए हुए सुगंधा बोली)

मैं दावे से कह सकता हूं अगर उसकी मर्दाना ताकत उसके साथ होती तो वह बिना कहे तुम्हारी चुदाई कर देता,,,,

हमममम,,,,, (अपने बेटे की तरफ देखकर अपनी आंखों को नचाते हुए वह बोली,,,)

हां मम्मी में सच कह रहा हूं देखी नहीं दरजी पूरी तरह से अपने अंदर जवानी महसूस कर रहा था। उस दिन तो तुम्हें बेटी कह रहा था लेकिन आज देखो इस बेटी की चूची जोर-जोर से दबा रहा था और पागल हुआ जा रहा था,,,,
(इस बार फिर से सुगंधा के चेहरे पर शर्म की लाली नजर आने लगी वह शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे कर ले और अंकित अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)




उसका चेहरा देखी होती जवानी से भरी हुई एक औरत को अपनी आंखों के सामने चुदवाते हुए देखकर कुछ ना कर सकने की तड़प उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी,,, आज तो वह भी अपनी बढ़ती उम्र से नाराज होकर होगा कितनी जल्दी उसकी उम्र क्यों बढ़ गई अगर उसकी उम्र भी कुछ तौर पर सही होती तो शायद अभी मजा ले पाता,,,।

तू बहुत उसे दरजी को मजा दिलाने के फिराक में है।

ऐसा नहीं है मुझे तो गर्व महसूस हो रहा है कि तुम्हारी जवानी देखकर दर्जी की हालत खराब हो गई थी तुम्हारी चूची दबाते दबाते देखी उसकी तड़प कितनी बढ़ गई थी कुछ न करने की स्थिति में वह केवल छूकर ही मजा ले रहा था देखी थी ना कैसे अपना हाथ आगे बढ़कर तुम्हारी बुर को हल्के से सहलाया था इतने से ही वह जन्नत का मजा लूट रहा था।

तू सच कह रहा है दरजी सच में आज पूरी तरह से पागल हो गया था मेरी बुर पर हाथ लगाकर उसके चेहरे की रूपरेखा जिस तरह से बदली थी मुझे तो लग रहा था कि वह अपने धीरे लंड से ही कुछ कर सकने की कोशिश कर सकता था।


और हां मुझे लग रहा था कि तुम भी दरजी को मजा देने के फिर आंख में थी और उसे पूरा मजा भी दी हो,,,।

वह तो खुद मजा ले रहा था।

वह तो ठीक है लेकिन तुम्हें क्या हो गया था कि उसकी लूंगी में से उसके लंड को बाहर निकाल ली थी।



(अपने बेटे की बात सुनकर एक तरफ बस शर्म से पानी पानी हो रही थी वहीं दूसरी तरफ वह हंस भी रही थी और हंसते हुए अपने बेटे सेबोली)

उसकी हरकत जिस तरह से थी मैं देखना चाहती थी कि उसकी टांगों के बीच कुछ हरकत हो रही है कि नहीं।

फिर तुमने क्या देखी,,,,?

वैसे लूंगी के अंदर जो मैंने देखी उससे अंदाजा लगा सकती हूं कि अपनी जवानी के दिनों में वह भी कहर बरसाया होगा,,,,।

यह बात है,,, (अंकितमुस्कुराते हुए बोला)

हां सच में उसका लंड पर अच्छा खासा ही था बस उम्र के हिसाब से उसमें अकड़ नहीं थी वह ढीला ही था।

लेकिन तुम्हारे हाथ लगाते ही उसमें जान आ गई थी मैंने देखा था।
(अपने बेटे की बात सुनकर वह फिर से हंसने लगी,,)

हां मैंने देखी थी उसके लंड को जैसे ही मैं हाथ में पड़ी उसकी हालत पूरी तरह से खराब हो गई थी और मैं भी उसे पर थोड़ा दया खा गई थी।

दया खा गई थी मैं कुछ समझा नहीं,,,

अरे मेरा मतलब है कि हम दोनों को इतना अच्छा अनुभव उसकी दुकान में ही तो मिला अगर वह नहीं होता उसकी दुकान नहीं होती तो इतना अच्छा समय हम दोनों कैसे गुजार पाते एक अद्भुत अनुभव से कैसे गुजार पाते हैं यह सब उसे दरजी के ही कारण तो हुआ था इसलिए मैं सोच रही थी कि इसका थोड़ा सा एहसान चुका देना चाहिए और मैं वही की जो मेरी जगह कोई और औरत होती तो करती।





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साले का पानी निकाल दी तुमने,,,।

छी,,, सोच कर ही इस समय थोड़ा अजीब लग रहा है।

उसे समय तो बहुत मजा आ रहा था मुझे तो डर लग रहा था कि कहीं तुम उस बुड्ढे का लंड अपने मुंह में ना ले लो,,,,

पागल हो गया क्या,,,?

नहीं नहीं दर्जी की दुकान में सच में तुम एकदम छिनार हो गई थी और इतना मजा मुझे आया कि शायद ऐसा मजा अब कभी मिलेगा नहीं,,, वैसे सोच कर थोड़ा अजीब लगता है लेकिन एक अनजान के सामने चुदाई करने में जो मजा आता है उसका एहसास आज ही होरहा है।

तू सच कह रहा है अंकित पहले तो मुझे भी अजीब लग रहा था लेकिन जैसे-जैसे तेरी हरकतों से मेरे बदन में नशा छाने लगा मैं भी थोड़ा-थोड़ा खुलने लगी और उसके बाद तो जो मजा आया कि पूछ मत अभी तक मेरा शरीर झनझना रहा है,,,,।

तुम्हारी साड़ी उठाया कर तुम्हारी गांड पर जब चपत लगाया तो दर्जी का तो कलेजा ही मुंह को आ गया था शायद उसने अपनी जवानी में इस तरह की हरकत औरत के साथ नहीं किया था।

तू भी तो उसे पूरी तरह से पागल करने के इरादे में था मुझे लगा कि तू बस चोदना शुरू कर देगा लेकिन पीछे से मेरी गांड चाट रहा था।

आप क्या करूं तुम्हारी गांड देखता हूं तो न जाने क्या हो जाता है और वैसे भी तुम्हारी गांड चाटते हुए देख कर वह दर्जी पूरी तरह से पस्त हो गया था।

अभी तक उसको होश ही नहीं आया होगा,,,, (सुगंधा हंसते हुए बोली)





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मुझे तो लगता है आज के दिन को याद करके वह बार-बार अपने हाथ से ही काम चलाएगा। वैसे अब कब चलोगी दर्जी की दुकान पर।

अब इस बारे में सोचना भी मत उधर का रास्ता ही भूल जाना अब वहां कभी जाना ही नहीं है मैं नहीं चाहती कि भविष्य में उसे दरजी को पता चले कि हम दोनों के बीच का रिश्ता क्या है हो सकता है कभी उसे दर्जी की दुकान पर जाएं और कोई पहचान का मिल जाए तो सारा भांडा फूट जाएगा,,,।

तुम सच कह रही हो अब हमें वहां जाना नहीं चाहिए वैसे भी जो मजा है वहां मिला है उसके साथ हमें पैसे भी मिल गए हैं उसकी सिलाई ना देकर।

(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा हंसने लगी,,,, वैसे उसका बेटा सच ही कह रहा था दर्जी की दुकान से माया और पैसे दोनों वापस लेकर लौटे थे दोनों मां बेटे,,,,, सुगंधा को महसूस हो रहा था कि उसे नहाना चाहिए क्योंकि उसे समय जवानी के जोश में उसे उसे दर्जी का स्पर्श तो मजा दे रहा था और उसने खुद जवानी के नशे में चुदाई का सुख भोगते हुए उसके लंड को पकड़ ली थी और उसका पानी निकाल दी थी और उसका पानी उसके हथेली को भिगो दिया था उसे समय तो उसे अजीब नहीं लगा लेकिन अब सोच कर ही उसे बड़ा अजीब लग रहा था उसे घिन्न आ रही थी अपने ही बदन से कोई और समय होता तो वहां दरजी को कभी अपने पास भी भटकने नहीं देती लेकिन उसे समय का माहौल उसे पूरी तरह से पागल कर दिया था और उसे अच्छी तरह से याद था कि उसे दर्जी ने उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथों से दबाया था मजा लिया था और उसकी बुर पर भी अपनी हथेली रगड़ा था इसलिए उसे इस समय नहाने की जरूरत थी ऐसा उसे महसूस हो रहा था और वह तुरंत कुर्सी पर से उठकर बाथरूम में चली गई नहाने के लिए।





अंकित भी कुर्सी पर से उठा और घर के पीछे की तरफ वह भी नहाने के लिए चल दिया थोड़ी देर में मां बेटे दोनों नहा कर कपड़े पहन चुके थे सुगंधा चाय बना रही थी,,,, चाय पीने के बाद अंकित बाहर टहलने के लिए चला गया क्योंकि थोड़ा अंधेरा हो गया था और उसकी मां खाना बना रही थी,,,, वह सड़क के किनारे इधर-उधर टहल ही रहा था कि तभी सामने से सुमन और उसकी मां आई हुई नजर आ गई सुमन और उसकी मां दोनों अंकित को देखकर मुस्कुराने लगे क्योंकि अंकित को लेकर दोनों के मन में अलग-अलग चाहती थी दोनों किसी भी तरह से अंकित को पाना चाहते थे जिसमें सुमन की मां कामयाब हो चुकी थी वह तीन बार अंकित से चुदाई का सुख भोग चुकी थी लेकिन अभी तक सुमन सिर्फ ऊपर से ही मजा ली थी अभी तक अंकित के लंड को अपनी बुर की गहराई में महसूस नहीं की थी जबकि एहसास उसे पहले दिन से ही हो गया था,,, जब वह सुमन के घर में किचन में अनजाने में ही उससे टकरा गया था और जिस स्थिति में सुमन अंकित से टकराई थी उसका पिछवाड़ा पूरी तरह से उसके आगे वाले भाग से सात गया था और इस समय सुमन को एहसास हुआ था कि अंकित कि टांगों के बीच गजब का हथियार है। उसी दिन से वह अंकित से चुदवाना चाहती थी लेकिन कामयाब नहीं हो पाई थी। अंकित के करीब पहुंचकर मां बेटी दोनों एक साथ बोले।

अरे अंकित यहां क्या कर रहे हो।




कुछ नहीं आंटी बस ऐसे ही टहल रहा था,,, (अंकित मुस्कुराते हुए बोला तो उसके मुस्कुराते हुए चेहरे को देखकर सुमन की मां मां ही मन में बोली कि देखो अभी कितना भोला भाला लग रहा है और अकेले में उसे पास आए तो उसकी बुर का भोसड़ा बनाने से बिल्कुल भी पीछे नहीं हटता,,,, अंकित की बात सुनकर सुमन की मां बोली।)

घर पर अब आते नहीं हो क्या बात है सिर्फ परीक्षा के दिन ही सुमन की याद आती थी। परीक्षा खत्म रिश्ता खत्म।

तुम सही कह रही हो मम्मी उसके बाद तो अंकित कहीं दिखाई ही नहीं देता,,,, मतलब निकल गया तो।

अरे नहीं नहीं दीदी ऐसी कोई बात नहीं है,,,, तुम तो जानती हो तृप्ति दीदी घर पर नहीं है इसलिए थोड़ा बहुत काम में हाथ बंटाना पड़ता है,,, इसलिए समय नहीं मिलता।


तो चलो घर पर चाय पिलाती हूं,,, (सुषमा मुस्कुराते हुए बोली उसकी बात सुनकर अंकित अपने मन में ही बोला अब तो मुझे तुम्हारे दूध पीने की आदत पड़ गई है चाय से काम बनने वाला नहीं है,,,, लेकिन ऐसा सिर्फ वह मन में ही बोला अगर सुमन साथ में ना होती तो शायद वह ऐसा बोल भी देता लेकिन सुमन के सामने ऐसा हुआ बोल नहीं सकता था लेकिन फिर भी औपचारिकता निभाते हुए वह बोला)

और किसी दिन आंटी अभी तो खाना खाने का समय होगया है।

तो चलो ना खाना ही खा लेते हैं,,, (सुमन भीमुस्कुराते हुए बोली)

नहीं दीदी किसी और की घर पर खाना बन रहा है अगर तुम्हारे वहां खा लूंगा तो घर का खाना नुकसान हो जाएगा।


बहुत समझदार हो गया है तू,,, (सुषमा बोली)

ऐसी बात नहीं है आंटी फिर मम्मी को भी अकेले खाना खाना पड़ेगा,,,,,


हां वह तो है,,,,, (सुषमा बोली)

चलो कोई बात नहीं किसी और दिन और वैसे तुम घर पर आया जाया करो,,,,, और पढ़ाई में जरूरत हो तो पूछ लिया करो।


जी दीदी जरूर पूछ लूंगा,,,,, (पढ़ाई में मदद की बात को अंकित अच्छी तरह से समझ रहा था और वैसे भी सुमन ही थी जो उसे पहली बार अपने खूबसूरत अंगों को दिखाई थी और उसे जी भर कर खेलने का मौका दे और वह अच्छी तरह से जानता था की पढ़ाई में मदद मांगने के बहाने अगर वह उसके घर जाएगा तो उसे पढ़ाई में मदद की जगह और भी ज्यादा कुछ मिलेगा जिसे वह खुद प्राप्त करना चाहता है,,,,




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थोड़ी ही देर में उन दोनों के जाने के बाद अंकित भी अपने घर पहुंच गया खाना बनकर तैयार हो चुका था मां बेटे दोनों साथ में खाना खाकर सोने के लिए छत पर पहुंच गए और फिर से एक बार घमासान चुदाई का खेल खेलते रहे जब तक की दोनों का मन भर नहीं गया यह सिलसिला रोज का हो गया था मां बेटे दोनों एक भी दिन एक भी पाल चुदाई का सुख भोगने से पीछे नहीं हट रहे थे,,,,, अंकित को साथ दिखाई दे रहा था कि अब उसकी मां कुछ ज्यादा ही खुश रहने लगी थी और उसकी खुशी का कारण अंकित अच्छी तरह से जानता था क्योंकि उसकी खुशी का कारण वह खुद था इसलिए वह अपनी मां को बेइंतहा मोहब्बत करने लगा था उसे पूरा सुख देने की कोशिश में लगा रहता था।

कुछ दिनों बाद मां बेटे दोनों सब्जी खरीदने के लिए बाजार पहुंच चुके थे,,,,, तभी बाजार में नूपुर और उसका बेटा राहुल भी मिल गया नूपुर को देखते ही सुगंधा खुश होते हुए बोली,,,,।

अरे नुपुर यहां कैसे,,,?

मैं भी सब्जी खरीदने आई हूं तुम भी तो सब्जी खरीदने आई हो ना,,, (अंकित की तरफ देखकर) और बेटा कैसे हो?

बिल्कुल ठीक हूं आंटी आप कैसी हैं।

देख लो कैसी हो जैसा तुम छोड़े थे वैसे ही हूं,,,,
(नूपुर की बात सुनकर सुगंधा मुस्कुरा रही थी लेकिन वह नूपुर के कहने के मतलब को नहीं समझ पा रही थी,,,, जिसे अंकित अच्छी तरह से समझ रहा था अंकित जानता था कि पिछली मुलाकात में नूपुर के साथ उसने क्या किया था डाइनिंग टेबल के नीचे छिपकर उसके पति की मौजूदगी में ही उसकी रसीली बर का स्वाद चखा था और वह पल उसके लिए बेहद अद्भुत और आनंददायक था निश्चित तौर पर अगर उस दिन राहुल के पिताजी घर पर मौजूद न होते तो उसी दिन अंकित नूपुर की चुदाई कर दिया होता लेकिन राहुल के पिता की मौजूदगी में ऐसा हो नहीं पाया था,,,,, सुगंधा भी राहुल की तरफ देखकर उसका भी हाल समाचार नहीं और बोली,,,)





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इस बार तुम पढ़ने के लिए गए नहीं,,,?

जाने वाला आंटी लेकिन अभी थोड़ा समय लग जाएगा,,,,।(अंकित अच्छी तरह से देख रहा था कि राहुल बात करते समय उसकी मां की चूचियों की तरफ ही देख रहा था क्योंकि पीले रंग की साड़ी और पीले रंग के ब्लाउज में गजब की लग रही थी,,,, अंकित जानता था कि उसकी मां लो कट ब्लाउज पहनी हुई थी जिसमें से उसकी आधी से ज्यादा चूचियां पारदर्शी साड़ी में दिखाई देती थी। और उसे देख कर राहुल मन ही मन ललच रहा था। अंकित यह देखकर मन ही मन गुस्सा हो रहा था वह जानता था कि राहुल उसकी मां की जवानी क्या आकर्षण में मस्त है,,,,, इधर-उधर की बात करने के बाद नूपुर बोली,,,)

तुम तो नहीं बैठ कर बातें करो हम दोनों सब्जियां खरीद कर आते हैं,,,,,।

ठीक है आंटी,,,,,।

(सुगंधा और नूपुर दोनों सब्जी खरीदने के लिए मार्केट के अंदर प्रवेश कर गई थी और उन्हें चाहते हुए राहुल देख रहा था और अंकित अच्छी तरह से जानता था कि राहुल किसे देख रहा था राहुल अंकित की मां को ही देख रहा था खास करके उसके भारी भरकम गोलाकार पिछवाड़े को देख रहा था सुगंधा की गांड देखकर वह पूरी तरह से मस्त हो गया था और पेट के ऊपर से अपने लंड को दबा दिया था यह देखकर अंकित को बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन वह कुछ कर नहीं सकता था,,,,, राहुल अंकित से बोला,,,)




चल जब तक दोनों सब्जी खरीद कर आते हैं सबसे कम दोनों चाय पी लेते हैं,,,,,,(और इतना कहकर राहुल अंकित का हाथ पकड़कर एक छोटी सी दुकान पर गया जहां पर चाय समोसे मिल रहे थे,,,, उस दुकान के बाहर तीन-चार बड़े-बड़े लंबे पत्थर रखे हुए थे जिस पर लोग बैठकर गप्पे लड़ाते हुए चाय समोसे का लुफ्त उठा रहे थे। राहुल जानबूझकर अंकित को ऐसी जगह पर ले जाकर बैठाया जहां पर दूसरा कोई नहीं था जहां पर वह आराम से अंकित से बात कर सकता था और वह खुद दुकान पर गया और चाय समोसे लेकर आया,,,,, एक समोसा और चाय अंकित को थमा कर खुद उसके पास बैठ गया और चाय की चुस्की लेते हुए अंकित से बोला,,,,)

एक बात कहूं अंकित बुरा मत मानना।
(अंकित समझ गया था कि राहुल किस बारे में बात करना चाहता था और वह देखना चाहता था कि वह क्या बोलना चाहता है इसलिए वह बोला)

हां बोलो क्या बात है,,,,।


यार तेरी मां गजब की लगती है एकदम फिल्म की हीरोइन,,,,।
(राहुल की बात सुनकर अंकित कुछ बोला नहीं बस उसकी तरफ देखने लगा और चाय की चुस्की लेने लगा अंकित का हाव भाव देखकर राहुल को लगने लगा था कि वह कुछ भी बोलेगा अंकित सुनेगा क्योंकि ऐसे भी राहुल अंकित को थोड़ा दब्बू किस्म का लड़का समझता था,,,,)

देख नाराज मत होना मैं एकदम सही कह रहा हूं तूने शायद गौर नहीं किया होगा लेकिन तुझे छोड़कर बाकी सब ने गौर किया होगा कि तेरी मां फिल्म की हीरोइन लगती है एकदम गजब की लगती है तेरी मां का जिस्म एकदम तराशा हुआ है,,,,,





यह सब क्या बोल रहे हो यार किसी और बारे में बात करो,,,,,(अंकित जानबूझकर अपना ले जा थोड़ा ठंडा रख कर बोल रहा था ताकि राहुल को लगेगी उसे फर्क नहीं पड़ रहा है और इसी बात का फायदा उठाते हुए राहुल बोला)

यार जब तेरी मां आसपास हो तो किसी और के बारे में बात करने का मतलब ही नहीं होता मैं तो तेरी मम्मी को देखा ही रह गया यार पीली साड़ी में एकदम कयामत लगती है मेरी मां तो तेरी मां के सामने कुछ भी नहीं है,,,,।


लेकिन मुझे तो तुम्हारी मम्मी ज्यादा ही अच्छी लगती है,,,,।

(राहुल को अंकित की तरफ से इस तरह का जवाब मिलेगा इसकी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए वह थोड़ा आश्चर्य से अंकित की तरफ देखने लगा लेकिन थोड़ी देर में सहज बनते हुए मुस्कुराने लगा और बोला)


घर की मुर्गी दाल बराबर ऐसा ही होता है लेकिन तुम हकीकत से वाकिफ नहीं हो तुम्हारी मम्मी मेरी मम्मी से लाख गुना ज्यादा खूबसूरत और गर्म औरत है उसकी चूची देख हो कितनी बड़ी-बड़ी है तुम्हें शायद गौर नहीं किया होगा लेकिन मैं अभी-अभी गौर किया ब्लाउज फाड़ कर बाहर आने के लिए पागल रहती है तुम्हारी मां की चूचियां,,,,,।
(राहुल की बातें सुनकर अंकित को गुस्सा आ रहा था लेकिन वह किसी तरह से अपने गुस्से को दबा ले गया था क्योंकि वह भी उसकी मां के बारे में बातें जो करने लगा था इसलिए वह भी जवाब देते हुए बोला)

अपना अपना नजरिया है मैं भी तुम्हारी मां की चूचियां देखा थोड़ा सा अपना सीना आगे की तरफ कर दे तो शायद ब्लाउज का एक दो बटन अपने आप ही टूट जाए,,,,(चाय की चुस्की लेटा हुआ राहुल की तरफ देखते हुए वह बोला राहुल तो एकदम हैरान था)





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चाहे कुछ भी हो लेकिन मुझे तो तेरी मां बहुत अच्छी लगती है जाते समय देखा किसी भी साड़ी में तेरी मम्मी की गांड आहहहा हाहाकार मचा रही थी। मेरा तो लंड खड़ा हो गया।

मेरा भी कुछ ऐसा ही हालत था तुम्हारी मम्मी की गांड देखकर,,,,,।
(फिर से राहुल हैरान हो गया अभी तक वह जी अंकित से मिला था उसे अंकित में और आज के अंकित में जमीन आसमान का फर्क था,,,, दोनों का रवैया एकदम अलग था फिर भी ,,, राहुल को मजा आ रहा था अंकित से बात करने में,,,, थोड़ी देर खामोश रहने के बाद राहुल फिर से बोला,,,)

अच्छा एक बात बता अंकित तूने कभी अपनी मां को बिना कपड़ों के देखा है।

बिल्कुल भी नहीं और तुम,,,,,


मैंने तो बहुत बार देखा हूं यार कसम से औरत का जिस इतना खूबसूरत होता है कि मर्द पागल हो जाता है,,,,,,।

कैसे और कहां देखें तुमने,,,,।

कपड़े बदलते हुए नहाते हुए,,,,


ओहहह,,,,, तो क्या तुम्हारी मम्मी बिना कपड़ों के नहाती है,,,,,।


बिल्कुल सही और वह बाथरूम का दरवाजा भी बंद नहीं करती अनजाने में मैंने देख लिया था और मैं यही सोच रहा हूं कि अगर तुम भी अपनी मां को बिना कपड़ों के देखोगे तो तुम्हारी क्या हालत होगी मेरी तो सोच कर ही हालत खराब हो रही है लंड पूरी तरह से औकात में आकर खड़ा है सच कहूं तो तुम्हारी मां को याद करके मुठ मारने का मन कर रहा है।
(राहुल इस तरह की बातें करके अंकित का मन बहकाना चाहता था,,,, मौका देखकर राहुल बोला)

तो तुमने तो अपनी मां को बहुत बार बिना कपड़ों के देखे हो तो उसके बारे में भी सोच कर मुठ मारते होंगे।

बिल्कुल ठीक कह रहे हो तुम बहुत बार ऐसा हुआ है मैं अपनी मां के बारे में सोच कर बहुत बार मुठ मारा हूं और वैसे भी इसमें कोई गलत बात नहीं है। और तुम्हारी भी उम्र तो हो चुकी है मुठ मारने वाली और चोदने वाली। तुमने मारा है अपनी मां के बारे में सोचकर मुझे तो पूरा यकीन है कि कभी ना कभी तो तुम अपनी मां को बिना कपड़ों के देखे होंगे पेशाब करते हुए कपड़े बदलते हुए नहाते हुए,,,,,।

(राहुल की बात सुनकर अंकित थोड़ा सोचने लगा और फिर वह राहुल को थोड़ा जलाने के लिए बोला जो की हकीकत ही था)


हां तुम ठीक कह रहे हो एक बार अनजाने में मैंने मम्मी को पेशाब करते हुए देख लिया था,,,।

सचमें,,,(एकदम उत्साहित और खुश होते हुए राहुल बोला)

हां अनजाने में देख लिया था वैसे कोई मेरा इरादा नहीं था,,,।


कहां देखा था यार बताना,,,,,।

छत पर जब हम लोग सो रहे थे तब आधी रात को मेरी नींद खुली तो देखा मम्मी बगल में नहीं थी,,,।

बगल में नहीं थी मतलब कि तुम दोनों साथ में ही सोते हो,,,,।

पागल साथ में सोते हैं लेकिन एक ही बिस्तर पर नहीं सोते हैं समझे मेरी नींद खुली तो देखा कि बगल वाले बिस्तर पर मम्मी नहीं थी,,,,(अंकित जाने अनजाने में ऐसी बात नहीं करना चाहता था जिससे राहुल को शक होगी उसकी तरह उन दोनों के बीच भी कुछ हो रहा है)

फिर ,,,,फिर क्या हुआ,,,(चाय के कप से आखरी घूंट भरता हुआ वह बोला)


फिर क्या मैं नींद में इधर-उधर देखने लगा उठकर बैठ गया लेकिन सामने की तरफ देखा तो छत के कोने पर मम्मी पेशाब कर रहे थे।

हाए,,,,, क्या गजब का नजारा होगा यार,,,(अपने पेट के आगे वाले भाग पर हाथ रखते हुए) किस अवस्था में थी तेरी मम्मी,,,,.


किस अवस्था में क्या जैसे औरत पेशाब करने के लिए बैठी रहती है वैसे ही थी साड़ी कमर तक उठी हुई थी और पीछे से सब कुछ दिख रहा था।

ओहहहहह ऐसा लग रहा है कि जैसे मेरे सामने कोई फिल्म चल रही है और सच-सच बता तेरी हालत खराब हो गई होगी ना।


इसमें कौन सी हालत खराब होने वाली बात है मैं जब जान गया की मम्मी सामने है तो मैं फिर से सो गया,,,।

धत् तेरी की तू कैसा मर्द है रे मर्द है भी कि नहीं मुझे समझ में नहीं आ रहा है अपनी आंखों के सामने इतना खूबसूरत है तेरे से देखने के बाद भी तू शांत होकर सो गया मैं होता तो इस समय तेरी मां के पीछे पहुंच जाता और अपने लंड को बाहर निकाल कर उसकी गांड से रगड़ने लगता,,,,,।


तुम क्या अपनी मां के साथ ऐसा ही करते हो,,,,।

करने का तो बहुत मन करता है लेकिन मम्मी करने नहीं देती मैं वही सोच रहा हूं कि अगर तेरी जगह में तेरी मम्मी का बेटा होता तो अब तक तो तेरी मम्मी की चुदाई कर दिया होता,,,,,।


जैसे अपनी मम्मी की चुदाई करता है ना,,,,।
(राहुल एकदम से अंकित की तरफ देखने लगा और बोला)

पागल हो गया है क्या,,,,, बस सोचता हूं करता नहीं लेकिन हां मौका मिला तो तेरी मम्मी की चुदाई जरूर करूंगा,,,,,।

मेरी मम्मी के बारे में तो सोचना भी मत वह तेरी मां की तरह नहीं है,,,,।

तेरा क्या मतलब है कि मेरी मां की तरह नहीं है।


चल रहने दे मैं अपनी आंखों से देखा हूं तेरी मम्मी तेरे लंड पर कूद रही थी पागल की तरह चुदवा रही थी और तू अपनी मां को मस्त होकर चोद रहा था धक्के पर धक्के दे रहा था,,,,,।

(अंकित की बात सुनकर राहुल एकदम से घबरा गया उसे उम्मीद नहीं थी किया अंकित इस तरह से कुछ कह देगा जिसमें सच्चाई थी लेकिन फिर भी वह निकाल करते हुए बोला)

देख तू झूठ मत बोल समझा मैं तेरी मां के बारे में उल्टा सीधा बोल रहा हूं तो इस तरह से मेरे से बदला ले रहा है।


बदला नहीं ले रहा हूं मैं सच कह रहा हूं,,, मैंने यह सब अपनी आंखों से देखा दोपहर के समय मैं तुझसे मिलने तेरे घर आया था और तुम लोग जल्दबाजी में घर का दरवाजा बंद करना ही भूल गए थे हल्के से धक्का देने पर दरवाजा खुल गया था और मैं इधर-उधर ढूंढता हुआ तेरी मां के कमरे तक पहुंच गया था और खिड़की से मैं सब कुछ देख लिया था कि तुम दोनों किस तरह से चार दिवारी के अंदर मर्द और औरत का खेल खेलते हो,,,,, मैं तो उस दिन देख कर एकदम से चौंक गया कि कोई बेटा कैसे अपनी मां को चोद सकता है,,,, और कैसे एक मां अपने ही बेटे से खुलकर नंगी होकर मस्त होकर रंडी की तरह चुदवा सकती है मैं तो एकदम हैरान हो गया था मैं उसी समय तुम दोनों का आवाज लगाना चाहता था लेकिन मैं ऐसा कर नहीं पाया क्योंकि तुम दोनों एकदम से आपस में खो चुके थे दिन दुनिया से बेखबर होकर एक दूसरे में समा गए थे मुझे आज भी याद है,,,, कि तेरा लंड तेरी मां की बुर के अंदर बिना रुकावट के अंदर बाहर हो रहा था सच कहूं तो पहली बार में किसी औरत की चुदाई देख रहा था और मुझे उम्मीद नहीं नहीं था की पहली बार में ही मैं मां बेटे की चुदाई देखूंगा,,,, तभी मैं समझ गया था कि तेरी मां पूरी गर्म जवानी की है और शायद अपनी जवानी की गर्मी तेरे बाप से बुझा नहीं पाती है इसलिए तेरा सहारा ले रही है।
(मौका देखकर अंकित चौका मार दिया था चौका नहीं छक्का मार दिया था,,,,, अंकित के मन में इस समय कुछ और चल रहा था और राहुल के तो पसीने छूट रहे थे,,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था किसकी चोरी इस तरह से पकड़ी जाएगी मां बेटे को ऐसा ही लग रहा था कि घर की चार दिवारी के अंदर जो कुछ भी वह दोनों कर रहे थे वह किसी को कानों कान खबर तक नहीं थी लेकिन राहुल कि यह गलतफहमी दूर हो चुकी थी क्योंकि अंकित अपनी आंखों से पूरी फिल्म देख लिया था अब इंकार करने का कोई रास्ता भी नहीं था इसलिए राहुल धीरे से बोला,,,)


देख अंकित यह बात किसी को मत बताना,,,,

इसके बदले मुझे क्या मिलेगा,,,,


चुप रहने के बदले तो दो-चार समोसे और खा ले,,,,।

तो सच में बेवकूफ है आंखों के सामने पकवान पड़ा है और तू चाय समोसे से मेरा मुंह बंद करना चाहता है।


मैं समझा नहीं,,,,।

देख बात एकदम सीधी है उसे दिन तुम मां बेटे की चुदाई देखकर मेरा भी लंड खड़ा हो गया था,,, मन तो मेरा उसी दिन कर रहा था कि तुम दोनों के साथ में भी जुड़ जाऊं और जिंदगी में पहली बार चुदाई का सुख प्राप्त करूं लेकिन मैं अपने आप को रोक रह गया था और इस तरह का ख्याल अपने मन में दोबारा कभी नहीं लाया था लेकिन आज तेरी बातें सुनकर एक बार फिर से मेरे अरमान जाग गए हैं।


तु कहना क्या चाहता है मे कुछ समझा नहीं।


मैं यह कहना चाहता हूं कि जैसे तू मजा लेना है वैसे मैं भी मजा लेना चाहता हूं मैं भी तेरी मां को चोदना चाहता हूं उसी दिन से तेरी मां के बारे में याद करके बार-बार मेरा लंड खड़ा हो जाता है।

तू पागल हो गया क्या,,,?(गुस्से में थोड़ा जोर से राहुल बोला तो आसपास बैठे हुए लोग उन दोनों की तरफ देखने लगे यह देखकर अंकित बोल)

थोड़ा धीरे बोल चिल्लाएगा तो तू ही बदनाम होगा,,,,,

देख अंकित में तेरे हाथ जोड़ता हूं,,, मैं तेरी मां के बारे में कुछ नहीं बोलूंगा लेकिन तु यह अपने मन से ख्याल निकाल दे।


मेरी मां के बारे में तो वैसे भी अब तु कुछ बोलने लायक नहीं है,,,, लेकिन तेरी मां को याद करके मेरी हालत खराब होने लगी है मैं सच में तेरी मां को चोदना चाहता हूं जिसमें तू ही मेरी मदद करेगा।

(अंकित की बात सुनकर राहुल एकदम क्रोधित हो रहा था लेकिन वह कुछ कर नहीं सकता था लेकिन फिर भी अंकित की बात सुनकर वह बोला)


अगर मैं इसमें तेरी मदद ना करूं तो,,,,।

तो तू ही सोच कर तुम मां बेटे की सच्चाई तेरे पापा को पता चल गई तो अगर तुम मां बेटे की सच्चाई धीरे-धीरे समझ में सबको पता चलने लगी तो,, तो सोच तेरी मम्मी भी टीचर है और अगर यह बात स्कूल में फैल गई तब क्या होगा तेरी मां कभी भी घर से बाहर नहीं निकल पाएगी लोग तेरी मां के बारे में तेरे बारे में कैसे किसी बातें करेंगे तुम मां बेटे की इज्जत एकदम से खाक में मिल जाएगी साथ में तुम दोनों अपने आप की भी इज्जत ले डुबोगे अगर मेरी बात नहीं मानोगे तो।

(अंकित पूरी तरह से खुले शब्दों में उसे धमकी दे रहा था और इसका अंजाम राहुल अच्छी तरह से समझ रहा था राहुल के पसीने छूट रहे थे वह जानता था कि अगर अंकित यह बात किसी को बता दिया तो मां बेटे का जीना मुश्किल हो जाएगा समझ में मुंह दिखाने के लायक दोनों नहीं रह जाएंगे और वह धीरे से बोला)


लेकिन मम्मी नहीं मानेगी,,,,(अपना चेहरा नीचे झुकाते हुए बोला,,,)


मम्मी तो तेरी मान ही जाएगी तू मानेगा कि नहीं यह बता,,,,, यही बात में तेरी मम्मी को बोल दूंगा तो वह मेरे सामने अपनी टांगे खोलने में बिल्कुल भी देर नहीं करेगी आखिरकार इज्जत बचाने के लिए वह इतना तो कर ही सकती है जब तेरे सामने टांग खोल सकती है तो मैं भी तो तेरी मां का बेटा जैसा ही हूं,,,,


लेकिन यह सब होगा कैसे,,,,,


तू तैयार है कि नहीं पहले यह बता,,,


तेरी बात मानने के सिवा मेरे पास और कोई रास्ता भी तो नहीं है,,,,,
(राहुल की बात सुनकर अंकित मन ही मन प्रसन्न होने लगा क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि अब उसे क्या करना है वैसे भी उसकी मां पहले सही तैयार थी बस इस खेल में उसके बेटे को शामिल करना था। राहुल की बात सुनकर अंकित खुश होता हुआ बोला,,,)


अब आएगा असली मजा,,,

लेकिन जो तू कह रहा है क्या तुझे लगता है की मम्मी तैयार हो जाएगी।


यह सब तु मुझ पर छोड़ दे,,, मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि तेरी मां को क्या चाहिए उसे मोटा तगड़ा लंंड चाहिए जो कि मेरे पास है और अगर ऐसा ना होता तो वह तेरे पापा से ही खुश रहती तेरे साथ यह सब कभी नहीं करती इसलिए कैसे करना है यह सब तु मुझ पर छोड़ दे,,,, बस चल तू दोपहर में घर पर मौजूद मत रहना मैं तेरे घर पहुंच जाऊं और उसके बाद तू 1 घंटे बाद आना,,,,,,, वैसे तेरे पापा घर पर रहते हैं कि नहीं दोपहर में,,,।

नहीं वह तो ऑफिस में रहते हैं,,,।

तब तो सारा मामला फिट है तो तय रहा कल मैं तेरे घर आऊंगा,,,,,

(इतने में नूपुर और सुगंधा दोनों सब्जी लेकर वहां पहुंच गई,,,, राहुल का दांव पूरी तरह से उल्टा पड़ गया था,,,, उसे अपने आप पर ही गुस्सा आ रहा था कि ना वह इस तरह की बातें छेड़ता और ना ही अंकित इस तरह का खेल उसके साथ खेलता,,,, वैसे भी राहुल अपने मन में यही सोच रहा था कि जैसा अंकित चाहता है उसकी मां, वैसा कभी नहीं करेगी,,,, लेकिन फिर भी उसके मन में शंका बना हुआ था कि जिस तरह से अंकित उसे मां बेटे के बीच के रिश्ते के बारे में बोलकर उसे मजबूर कर दिया था वही बोलकर उसकी मां को भी मजबूर कर सकता है तब उसकी मां के पास भी उसके साथ हम बिस्तर होने के सिवा और कोई रास्ता नहीं होगा,,,,,,,, नूपुर अपने बेटे के साथ और सुगंधा अपने बेटे के साथ घर की तरफ निकल गए थे लेकिन अब अंकित के मन में कोई और ही खिचड़ी पक रही थी,,,,)
 
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