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S M H R

TERE DAR PE SANAM CHALE AYE HUM
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Update 08



सुंदरी ने अपनी टैंगो को ऊपर उठाया हुआ कहा।

“उसने कहा क्या?” परम ने पूछा.. “मैंने तो कल ही उसकी बड़ी-बड़ी चूची दबाई और उसे चूमा।”

“तो आज चोद लेना, लेकिन पहले हम दोनों मस्ती ले-ले उसके बाद।” सुंदरी ने परम को सहलाया और जारी रखा:

“पहले हम दोनो नंगी होकर एक दूसरे को चूमेंगे और चाटेंगे और उसके बाद तुम आकर उसकी चूत में अपना लौड़ा पेल देना.. ।”

“माँ, मैं तुम्हें बाबूजी के सामने भी चोदना चाहता हूँ…!”

“जल्दी मौका दूंगी, सब एक साथ तो नहीं होता ना बेटे! समय समय पे सा सब होगा।” सुंदरी ने उसे धक्का दे दिया। उसने परम को ठीक से कपड़े पहनने को कहा। उषा को ये अंदाज़ा नहीं लगना चाहिए कि हम मादरचोद हैं।

उन्होंने अच्छे से कपड़े पहने। सुंदरी ने सामान व्यवस्थित किया और लगभग 11 बजे दरवाजे पर दस्तक हुई। सुंदरी ने दरवाजा खोला।

बड़ी बहू ड्राइवर के साथ थी। परम सुंदरी के साथ फ्रेम में नहीं था। सुंदरी ने ड्राइवर से कहा कि वह दो घंटे बाद आकर उसे (बहू को) ले जाए।

सुंदरी ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया, बहू को बाहों में लिया और उसे चूम लिया।
मैत्री और फनलवर की रचना

"मैं कब से तेरा इंतज़ार कर रही हूँ!"

उसने बहू को अपने बिस्तर पर बिठाया। वह दो गिलास मीठा पेय लेकर वापस आई। जब दोनों पी रहे थे, परम भी वहाँ आ गया। वह बहू को देखकर मुस्कुराया, लेकिन बहू ने अपनी आँखें नीचे कर लीं। उसे पिछली रात की बात याद आ गई और याद आया कि रात में जब उसका पति उसे चोद रहा था, तो उसने कल्पना की थी कि परम का लंड उसकी चूत में है।

उन्होंने कुछ देर बातें कीं और फिर सुंदरी ने परम को बाहर जाने और किसी को अंदर न आने देने के लिए कहा। उसने उसे भी अंदर न आने की चेतावनी दी। परम बाहर आ गया। सुंदरी ने दरवाजा बंद कर दिया। बहू उठ गई। उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। हालाँकि पहले उसने अपनी किसी गर्लफ्रेंड को सहलाया था, लेकिन हमेशा कपड़ों के ऊपर से। कल रात ही उसने सुंदरी के कपड़े ऊपर करके उसकी रसीली चूत देखी और सहलाई। पीछे से सुंदरी ने बहू के बड़े-बड़े स्तनों को दबाया और बहू ने भी सुंदरी को अपनी तरफ खींचकर नंगी कर दिया। दोनों एक-दूसरे को चूमने और सहलाने लगीं। ऐसा करते हुए सुंदरी ने बहू को नंगी कर दिया।

"बोल रानी क्या चाहिए.?." सुंदरी ने पूछा।

"मैं तुम्हें चोदूँगी..." बहू ने जवाब दिया।

"कैसे चोदेगी कुतिया!"

लेकिन तभी सुंदरी की चूत से परम के वीर्य का एक बड़ा गट्ठा चूत से बाहर आ गया। वो तो अच्छा था की बहु की नजर नहीं पड़ी और वह वीर्य सीधा निचे जमीन पर गिर गया। सुंदरी को अब अफ़सोस हुआ की परम का लोडा बाद में लेना चाहिए था, उसने थोडा अपनी चूत की मांस पट्टीओ पर डाला ताकि बाकि बचा हुआ वीर्य भी निकल जाए पर ऐसा कुछ हुआ नहीं, हुआ भी तो उसकी मात्रा कम थी।

सुंदरी ने पलटवार किया और बहू ने सुंदरी को बिस्तर पर धकेल दिया। अपनी मोटी और मांसल जांघों से बहू ने सुंदरी की जांघों को अलग किया और उसके स्तनों को अपने आकार में कर लिया। नीचे की ओर कूल्हों को हिलाते हुए बहू सुंदरी की चूत पर धक्के मारने लगी। परम ने देखा कि बहू की चूत बड़ी, चौड़ी और लंबी दरार वाली थी। वो भी क्लीन शेव थी, शायद सुबह ही शेव की होगी। बहू अपनी चूत सुंदरी की चूत पर रगड़ रही थी। सुंदरी ने अपनी जांघें बहू की पीठ पर गड़ा दीं। बहू अपनी कमर उतनी तेज़ी से नहीं हिला पा रही थी जितनी वो चाहती थी।

"साली मस्त चुतवाली, जांघें खोलकर रख.. मुझे खूब पेलने दे... ।"
मैत्री और फनलवर की रचना

सुंदरी ने अपनी टांगें हवा में फैला दीं और अपने दोनों हाथों से बहू के गोल और बड़े कूल्हों को दबा दिया।

“मादरचोद, तेरी गांड तो बहुत मस्त है.. लगता है खूब गांड मरवाती है…!” सुंदरी ने उसकी गांड के छेद को छेड़ते हुए कहा।

"चुप हरामी,,, मुझे अपनी जैसा वेश्या समझ लिया है क्या...तेरी चूत है की 'भट्ठी'। थोड़ा देर और रगड़ दूंगी तो मेरी चूत जल जाएगी.. ।"

इतना बोलकर और जोर-जोर से बहु सुंदरी के चूत पर अपनी चूत से धक्का लगाने लगी। करीब दस मिनट तक धक्का धुक्की करने के बाद बहू सुंदरी के ऊपर 69 पोजीशन आ गई। सुंदरी ने बहू के जांघो को पकड़ कर उसकी चूत को अपने मुँह पर ला कर जीभ से चाटने लगी। जैसी ही सुंदरी ने बहू के क्लिट को चूसा तो बहू उछल पड़ी।

“क्या कर रही है कुतीया, बहुत अच्छा लगा.. ।”

“तो मादरचोद उछल क्यों गई, अपना चूत चूसने दे और मुझे चोद।”

सुन्दरी ने कहा और फिर से अपनी उस चूत को मुँह पर खींच ली। अब बहू सुंदरी की चूत में उंगली कर रही थी। वह एक साथ निचोड़ रही थी और उंगली कर रही थी। उसे लगा की चूत में वीर्य जैसा कुछ है पर बाद में वह समजी की उसका चुतरस है।

“सुंदरी सच बोल कितना लंड खा चुकी है, इस चूत में..?”

“बस एक लंड.. परम के बाप का… सुंदरी ने अपने कूल्हे को झटका दिया और बहू ने सुंदरी के होंठों को उंगलियों से खोल दिया।

“सच बोलती हूँ सुंदरी, तेरी चूत बहुत मस्त है.. तभी तो मेरा पति भी तेरा दीवाना है।” साला रात को मुझे चोदता है लेकिन बात तुम्हारी करता है। बहू ने सुंदरी की चूत में अपनी मुट्ठी घुसाने की कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हो सकी,

उसने सुंदरी से अनुरोध किया, “सुंदरी एक बाद मेरे पति का लंड अपनी चूत में ले ले।”
मैत्री और नीता की रचना

सुंदरी: पता नहीं क्यों पर सब मुझे ही क्यों चोदना चाहते है! मैं कोई वेश्या नहीं की जो आये मेरे पैर फैलाए और अपना लंड मेरी छुट में पेले और लंड खली कर के चला जाये। यह वेश्या रंडी जैसे शब्द सिर्फ हमारे बिच काम करते वक़्त अच्चा लगता है बाकी असल में मैं कोई वेश्या या रंडी नहीं की जो चाहे माह मेरी गांड और चूत को चोदे, मुझे चोदना इतना आसान नहीं चाहो तो गाव में किसी से पूछ लो!"
जारी रहेगा
। आपके कोमेंट की प्रतीक्षा रहेगी

****


।।जय भारत।
Mast update
 

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अब आगे

अरे! तुम तो बुरा मान गई मेरी रानी, मैं सब की बात नहीं करती सिर्फ मेरे पति की बात करती हु, और वह भला आदमी तुम्हारे पीछे पड़ा हुआ है, तुम्हे चोदना चाहता है और हमारे में यह सब जानते है की हम औरतो का काम क्या है, चूत है तो लंड को ढीला रखने और करने की जिम्मेदारी हमारी रहती है।“

मादरचोद वह सब घर के लिए होता है बहार के लिए नहीं, यह गाव में ऐसा सिर्फ हर के लिए है, क्या तुम्हारी माँ ने यह नहीं सिखाया? घर के लंडो को ढीला रखने की जिम्मेदारी घर की औरतो की होती है और वह भी औरतो की मंजूरी से, समजी!”

अब मेरा पति भी तो तुम्हारे घर का ही तो है तुम कब से उस से मिलती हो, देखती हो, शायद बचपन से लेकिन अभी तक सिर्फ तुम्हारे नाम की मुठ ही मारता है या मेरी चूत तुम्हारी चूत समज के चोदता है बेचारा।

“बात तो सही है अब तुम्हारा घर और हमारा घर में कोई फर्क तो नहीं पर.. ठीक है।“ सुंदरी ने उसकी चूत में जोर से धक्का देते हुए कहा।

तो मैं क्या समजू? बहु ने भी सुंदरी के चूत में पलटवार करते हुए कहा।
मैत्री और नीता की रचना

तो आज ही साथ ले आती, तेरे सामने ही साले का पूरा लंड गपक जाती। तू जब बोल तेरे पतिदेव को अपनी जवानी का मजा दूंगी.. । लेकिन तुम्हे भी तो कुछ करना पड़ेगा।"

दोनो फिर अपने काम में लग गए। सुंदरी बहू के चूत को जीभ और उंगली से एक्सप्लोर कर रही थी। बहू को बहुत मजा आ रहा था। ये पहला मौका था कि कोई उसकी चूत को चूस और चाट रहा था। बहू तो समझती थी कि मर्द औरत सिर्फ चुदाई करती है और चुदाई का मुतलब होता है चूत में लंड को डाल कर खूब जोर-जोर से धक्का देना और पानी गिरा कर सो जाना। आज जब सुंदरी उसकी चूत और क्लिट को चूस-चूस कर मजा ले रही थी तो बहू को भी बहुत मजा आ रहा था। चूस-चूस कर सुंदरी ने बहू को नीचे पटक दिया और सीधा होकर बहू के निपल्स को चूसने लगी।

कुछ देर तक चुची को मसलने और चूसने के बाद सुंदरी बहू के पेट और कमर को चूसा और चूमा और पैरों को फर्श पर मजबूती से रख कर बहू की मोटी मोटी जांघों को खूब फैलाया और मुंह में चूत को लेकर चबाने लगी।

“आह, सुंदरी क्या कर रही हो.. पागल हो के मर जाउंगी.. बहुत मजा आ रहा है.. आह.. पुरे बदन में तूने आग लगा दिया है…. जल्दी से चूत में लंड घुसा…।”

“हरामज़ादी… मार डालेगी क्या…!” बहू कराह उठी,,, "आअहह!"
मैत्री और नीता की रचना

तभी परम नंगा होकर अपना तना हुआ लंड हाथ में पकड़े हुए कमरे में दाखिल हुआ। उसने सुंदरी को दूर धकेलते हुए कहा

“हट ज़ा माँ, अब मैं इसकी गर्मी उतारता हूँ।” यह कहते हुए उसने बहू की कमर पकड़ी और एक ही धक्के में उसका लंड बहू की रसीली चूत में गहराई तक उतार दिया।

“आह भाभी.. तू तो बहुत मस्त है..माल ह, कल रात को तेरी टाइट चुची दवाने के बाद ही मेरा लंड तेरी चूत में घुसने को बेताब था..ले साली मज़ा आ गया..मेरे लंड को अब काफी मजा आएगा।”

परम ने भाभी को पूरी ताकत और तेज़ी से चोदा। वह उसकी चूत में ऐसे घुस रहा था जैसे किसी भाप इंजन का पिस्टन रॉड बैरल में अंदर-बाहर हो रहा हो।

“फच्च.. फुच्च, फच्चा…फुच्च..”

भाभी गोरी थी, उसके बाल बहुत लंबे थे। चौड़े कंधे और बहुत बड़े स्तन। वह मोटी ज़रूर थी, लेकिन मोटी नहीं, जबकि सुंदरी का फिगर एकदम सही था। परम को बहू को चोदते देख सुंदरी ने अपनी जांघें फैला दीं और बहू का एक हाथ अपनी चूत पर रख दिया। परम अब भाभी के बड़े गोल स्तन पकड़े हुए था और उसे तेज़ी से चोद रहा था। कहने की ज़रूरत नहीं कि बहू भी चुदाई का उतना ही मज़ा ले रही थी। चुदाई पूरी गति और ताकत से जारी रही और सुंदरी ने खुद को उंगली से चोदना शुरू कर दिया। बहू ने यह देखा और परम से कहा,

“मेरी चूत ठंडी हो गई है, अब लंड निकाल कर अपनी माँ को चोद डाल.. देख कुतिया कितनी गरम हो गई है…!”

बहू ने परम को कसकर पकड़ लिया और फिर वह शांत हो गई, अब तक वो पहले से ही दो बार झड चुकी थी। लेकिन परम नहीं रुका.

“परम अब उतर जा… हो गया… फिर बाद में मेरी चूत मार लेना…” बहू ने कहा लेकिन परम ने जारी रखा और कुछ मिनटों के बाद उसने बहू की योनी को 'अपने लंड का मीठा रस' से भर दिया।

“अब तू मेरे बच्चे की माँ बनेगी…” यह कहते हुए परम ने बहू को चूमा और उसके शरीर को सहलाता रहा। सुंदरी ने परम को बहू के शरीर से खींच लिया।

“बहू को थोड़ा सांस लेने दो, बेटे।”

बहू बिस्तर पर लेट गई और उसने परम का आधा लंगड़ा लंड पकड़ लिया।

"लंड का सुपारा (लंड का ऊपरी हिस्सा) कितना मोटा और बड़ा है। बाप रे इतना लंबा और मोटा! और सुपारा तो देखो....आआहहहह...सुंदरी, मजा आ गया परम से चुदवाकर...साला क्या मस्त चुदाई करता है...। सच में यह लंड मुझे माँ बन ने का गौरव प्रदान कर सकता है।"

"बहू, परम का सुपारा क्या देखती है, इसके बाप का सुपारा इससे डबल है...लेकिन हां लंबाई और मोटाई में परम का लंड अपने बाप से ज्यादा है। परम खुश था कि वह तीसरे व्यक्ति की उपस्थिति में सुंदरी के साथ नग्न बैठा था।

सुन्दरी उठकर रसोई में चली गयी। उसके जाने के बाद बहू ने परम से पूछा,

“माँ को नंगा देख कर उसे चोदने का मन नहीं कर रहा है…!”

परम ने बहू को बाहों में लिया और चूमा। उन्होंने कहा, “रानी आज ही नहीं जब से लंड खड़ा होना चालू हुआ है तबसे मेरा मन सुंदरी को चोदने का करता है, लेकिन क्या करु, कोई माँ को चोदता है क्या?”

बहू ने उसके लंड की मुठ मारते हुए कहा।
मैत्री और फनलवर की रचना

"तेरा दोस्त विनोद तो अपनी माँ और बहन को चोदता है, सुंदरी बता रही थी..." बहू ने लंड को चूमा “मौका निकाल कर कुतिया (सुंदरी) को चोद डाल, तेरी माँ सच में मस्त माल है।“
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बने रहिये। आपके के कोमेंट की प्रतीक्षा रहेगी
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।।जय भारत।।
 

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
Shukriya dost
 
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Funlover

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Sabhi updates ek se bdahkar ek he Funlover Ji

Aag hi laga rakhi he is story ne.........

Uttejna apne charam par hoti he padhte samay

Keep posting Dear
Thank you friend
Bas readers ko maja aaye matlab meri lekhan vasul.
Bane rahiye aapko maja aaye aise updates deti rahungi.
 

Ek number

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सुंदरी ने अपनी टैंगो को ऊपर उठाया हुआ कहा।

“उसने कहा क्या?” परम ने पूछा.. “मैंने तो कल ही उसकी बड़ी-बड़ी चूची दबाई और उसे चूमा।”

“तो आज चोद लेना, लेकिन पहले हम दोनों मस्ती ले-ले उसके बाद।” सुंदरी ने परम को सहलाया और जारी रखा:

“पहले हम दोनो नंगी होकर एक दूसरे को चूमेंगे और चाटेंगे और उसके बाद तुम आकर उसकी चूत में अपना लौड़ा पेल देना.. ।”

“माँ, मैं तुम्हें बाबूजी के सामने भी चोदना चाहता हूँ…!”

“जल्दी मौका दूंगी, सब एक साथ तो नहीं होता ना बेटे! समय समय पे सा सब होगा।” सुंदरी ने उसे धक्का दे दिया। उसने परम को ठीक से कपड़े पहनने को कहा। उषा को ये अंदाज़ा नहीं लगना चाहिए कि हम मादरचोद हैं।

उन्होंने अच्छे से कपड़े पहने। सुंदरी ने सामान व्यवस्थित किया और लगभग 11 बजे दरवाजे पर दस्तक हुई। सुंदरी ने दरवाजा खोला।

बड़ी बहू ड्राइवर के साथ थी। परम सुंदरी के साथ फ्रेम में नहीं था। सुंदरी ने ड्राइवर से कहा कि वह दो घंटे बाद आकर उसे (बहू को) ले जाए।

सुंदरी ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया, बहू को बाहों में लिया और उसे चूम लिया।
मैत्री और फनलवर की रचना

"मैं कब से तेरा इंतज़ार कर रही हूँ!"

उसने बहू को अपने बिस्तर पर बिठाया। वह दो गिलास मीठा पेय लेकर वापस आई। जब दोनों पी रहे थे, परम भी वहाँ आ गया। वह बहू को देखकर मुस्कुराया, लेकिन बहू ने अपनी आँखें नीचे कर लीं। उसे पिछली रात की बात याद आ गई और याद आया कि रात में जब उसका पति उसे चोद रहा था, तो उसने कल्पना की थी कि परम का लंड उसकी चूत में है।

उन्होंने कुछ देर बातें कीं और फिर सुंदरी ने परम को बाहर जाने और किसी को अंदर न आने देने के लिए कहा। उसने उसे भी अंदर न आने की चेतावनी दी। परम बाहर आ गया। सुंदरी ने दरवाजा बंद कर दिया। बहू उठ गई। उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। हालाँकि पहले उसने अपनी किसी गर्लफ्रेंड को सहलाया था, लेकिन हमेशा कपड़ों के ऊपर से। कल रात ही उसने सुंदरी के कपड़े ऊपर करके उसकी रसीली चूत देखी और सहलाई। पीछे से सुंदरी ने बहू के बड़े-बड़े स्तनों को दबाया और बहू ने भी सुंदरी को अपनी तरफ खींचकर नंगी कर दिया। दोनों एक-दूसरे को चूमने और सहलाने लगीं। ऐसा करते हुए सुंदरी ने बहू को नंगी कर दिया।

"बोल रानी क्या चाहिए.?." सुंदरी ने पूछा।

"मैं तुम्हें चोदूँगी..." बहू ने जवाब दिया।

"कैसे चोदेगी कुतिया!"

लेकिन तभी सुंदरी की चूत से परम के वीर्य का एक बड़ा गट्ठा चूत से बाहर आ गया। वो तो अच्छा था की बहु की नजर नहीं पड़ी और वह वीर्य सीधा निचे जमीन पर गिर गया। सुंदरी को अब अफ़सोस हुआ की परम का लोडा बाद में लेना चाहिए था, उसने थोडा अपनी चूत की मांस पट्टीओ पर डाला ताकि बाकि बचा हुआ वीर्य भी निकल जाए पर ऐसा कुछ हुआ नहीं, हुआ भी तो उसकी मात्रा कम थी।

सुंदरी ने पलटवार किया और बहू ने सुंदरी को बिस्तर पर धकेल दिया। अपनी मोटी और मांसल जांघों से बहू ने सुंदरी की जांघों को अलग किया और उसके स्तनों को अपने आकार में कर लिया। नीचे की ओर कूल्हों को हिलाते हुए बहू सुंदरी की चूत पर धक्के मारने लगी। परम ने देखा कि बहू की चूत बड़ी, चौड़ी और लंबी दरार वाली थी। वो भी क्लीन शेव थी, शायद सुबह ही शेव की होगी। बहू अपनी चूत सुंदरी की चूत पर रगड़ रही थी। सुंदरी ने अपनी जांघें बहू की पीठ पर गड़ा दीं। बहू अपनी कमर उतनी तेज़ी से नहीं हिला पा रही थी जितनी वो चाहती थी।

"साली मस्त चुतवाली, जांघें खोलकर रख.. मुझे खूब पेलने दे... ।"
मैत्री और फनलवर की रचना

सुंदरी ने अपनी टांगें हवा में फैला दीं और अपने दोनों हाथों से बहू के गोल और बड़े कूल्हों को दबा दिया।

“मादरचोद, तेरी गांड तो बहुत मस्त है.. लगता है खूब गांड मरवाती है…!” सुंदरी ने उसकी गांड के छेद को छेड़ते हुए कहा।

"चुप हरामी,,, मुझे अपनी जैसा वेश्या समझ लिया है क्या...तेरी चूत है की 'भट्ठी'। थोड़ा देर और रगड़ दूंगी तो मेरी चूत जल जाएगी.. ।"

इतना बोलकर और जोर-जोर से बहु सुंदरी के चूत पर अपनी चूत से धक्का लगाने लगी। करीब दस मिनट तक धक्का धुक्की करने के बाद बहू सुंदरी के ऊपर 69 पोजीशन आ गई। सुंदरी ने बहू के जांघो को पकड़ कर उसकी चूत को अपने मुँह पर ला कर जीभ से चाटने लगी। जैसी ही सुंदरी ने बहू के क्लिट को चूसा तो बहू उछल पड़ी।

“क्या कर रही है कुतीया, बहुत अच्छा लगा.. ।”

“तो मादरचोद उछल क्यों गई, अपना चूत चूसने दे और मुझे चोद।”

सुन्दरी ने कहा और फिर से अपनी उस चूत को मुँह पर खींच ली। अब बहू सुंदरी की चूत में उंगली कर रही थी। वह एक साथ निचोड़ रही थी और उंगली कर रही थी। उसे लगा की चूत में वीर्य जैसा कुछ है पर बाद में वह समजी की उसका चुतरस है।

“सुंदरी सच बोल कितना लंड खा चुकी है, इस चूत में..?”

“बस एक लंड.. परम के बाप का… सुंदरी ने अपने कूल्हे को झटका दिया और बहू ने सुंदरी के होंठों को उंगलियों से खोल दिया।

“सच बोलती हूँ सुंदरी, तेरी चूत बहुत मस्त है.. तभी तो मेरा पति भी तेरा दीवाना है।” साला रात को मुझे चोदता है लेकिन बात तुम्हारी करता है। बहू ने सुंदरी की चूत में अपनी मुट्ठी घुसाने की कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हो सकी,

उसने सुंदरी से अनुरोध किया, “सुंदरी एक बाद मेरे पति का लंड अपनी चूत में ले ले।”
मैत्री और नीता की रचना

सुंदरी: पता नहीं क्यों पर सब मुझे ही क्यों चोदना चाहते है! मैं कोई वेश्या नहीं की जो आये मेरे पैर फैलाए और अपना लंड मेरी छुट में पेले और लंड खली कर के चला जाये। यह वेश्या रंडी जैसे शब्द सिर्फ हमारे बिच काम करते वक़्त अच्चा लगता है बाकी असल में मैं कोई वेश्या या रंडी नहीं की जो चाहे माह मेरी गांड और चूत को चोदे, मुझे चोदना इतना आसान नहीं चाहो तो गाव में किसी से पूछ लो!"
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अरे! तुम तो बुरा मान गई मेरी रानी, मैं सब की बात नहीं करती सिर्फ मेरे पति की बात करती हु, और वह भला आदमी तुम्हारे पीछे पड़ा हुआ है, तुम्हे चोदना चाहता है और हमारे में यह सब जानते है की हम औरतो का काम क्या है, चूत है तो लंड को ढीला रखने और करने की जिम्मेदारी हमारी रहती है।“

मादरचोद वह सब घर के लिए होता है बहार के लिए नहीं, यह गाव में ऐसा सिर्फ हर के लिए है, क्या तुम्हारी माँ ने यह नहीं सिखाया? घर के लंडो को ढीला रखने की जिम्मेदारी घर की औरतो की होती है और वह भी औरतो की मंजूरी से, समजी!”

अब मेरा पति भी तो तुम्हारे घर का ही तो है तुम कब से उस से मिलती हो, देखती हो, शायद बचपन से लेकिन अभी तक सिर्फ तुम्हारे नाम की मुठ ही मारता है या मेरी चूत तुम्हारी चूत समज के चोदता है बेचारा।

“बात तो सही है अब तुम्हारा घर और हमारा घर में कोई फर्क तो नहीं पर.. ठीक है।“ सुंदरी ने उसकी चूत में जोर से धक्का देते हुए कहा।

तो मैं क्या समजू? बहु ने भी सुंदरी के चूत में पलटवार करते हुए कहा।
मैत्री और नीता की रचना

तो आज ही साथ ले आती, तेरे सामने ही साले का पूरा लंड गपक जाती। तू जब बोल तेरे पतिदेव को अपनी जवानी का मजा दूंगी.. । लेकिन तुम्हे भी तो कुछ करना पड़ेगा।"

दोनो फिर अपने काम में लग गए। सुंदरी बहू के चूत को जीभ और उंगली से एक्सप्लोर कर रही थी। बहू को बहुत मजा आ रहा था। ये पहला मौका था कि कोई उसकी चूत को चूस और चाट रहा था। बहू तो समझती थी कि मर्द औरत सिर्फ चुदाई करती है और चुदाई का मुतलब होता है चूत में लंड को डाल कर खूब जोर-जोर से धक्का देना और पानी गिरा कर सो जाना। आज जब सुंदरी उसकी चूत और क्लिट को चूस-चूस कर मजा ले रही थी तो बहू को भी बहुत मजा आ रहा था। चूस-चूस कर सुंदरी ने बहू को नीचे पटक दिया और सीधा होकर बहू के निपल्स को चूसने लगी।

कुछ देर तक चुची को मसलने और चूसने के बाद सुंदरी बहू के पेट और कमर को चूसा और चूमा और पैरों को फर्श पर मजबूती से रख कर बहू की मोटी मोटी जांघों को खूब फैलाया और मुंह में चूत को लेकर चबाने लगी।

“आह, सुंदरी क्या कर रही हो.. पागल हो के मर जाउंगी.. बहुत मजा आ रहा है.. आह.. पुरे बदन में तूने आग लगा दिया है…. जल्दी से चूत में लंड घुसा…।”

“हरामज़ादी… मार डालेगी क्या…!” बहू कराह उठी,,, "आअहह!"
मैत्री और नीता की रचना

तभी परम नंगा होकर अपना तना हुआ लंड हाथ में पकड़े हुए कमरे में दाखिल हुआ। उसने सुंदरी को दूर धकेलते हुए कहा

“हट ज़ा माँ, अब मैं इसकी गर्मी उतारता हूँ।” यह कहते हुए उसने बहू की कमर पकड़ी और एक ही धक्के में उसका लंड बहू की रसीली चूत में गहराई तक उतार दिया।

“आह भाभी.. तू तो बहुत मस्त है..माल ह, कल रात को तेरी टाइट चुची दवाने के बाद ही मेरा लंड तेरी चूत में घुसने को बेताब था..ले साली मज़ा आ गया..मेरे लंड को अब काफी मजा आएगा।”

परम ने भाभी को पूरी ताकत और तेज़ी से चोदा। वह उसकी चूत में ऐसे घुस रहा था जैसे किसी भाप इंजन का पिस्टन रॉड बैरल में अंदर-बाहर हो रहा हो।

“फच्च.. फुच्च, फच्चा…फुच्च..”

भाभी गोरी थी, उसके बाल बहुत लंबे थे। चौड़े कंधे और बहुत बड़े स्तन। वह मोटी ज़रूर थी, लेकिन मोटी नहीं, जबकि सुंदरी का फिगर एकदम सही था। परम को बहू को चोदते देख सुंदरी ने अपनी जांघें फैला दीं और बहू का एक हाथ अपनी चूत पर रख दिया। परम अब भाभी के बड़े गोल स्तन पकड़े हुए था और उसे तेज़ी से चोद रहा था। कहने की ज़रूरत नहीं कि बहू भी चुदाई का उतना ही मज़ा ले रही थी। चुदाई पूरी गति और ताकत से जारी रही और सुंदरी ने खुद को उंगली से चोदना शुरू कर दिया। बहू ने यह देखा और परम से कहा,

“मेरी चूत ठंडी हो गई है, अब लंड निकाल कर अपनी माँ को चोद डाल.. देख कुतिया कितनी गरम हो गई है…!”

बहू ने परम को कसकर पकड़ लिया और फिर वह शांत हो गई, अब तक वो पहले से ही दो बार झड चुकी थी। लेकिन परम नहीं रुका.

“परम अब उतर जा… हो गया… फिर बाद में मेरी चूत मार लेना…” बहू ने कहा लेकिन परम ने जारी रखा और कुछ मिनटों के बाद उसने बहू की योनी को 'अपने लंड का मीठा रस' से भर दिया।

“अब तू मेरे बच्चे की माँ बनेगी…” यह कहते हुए परम ने बहू को चूमा और उसके शरीर को सहलाता रहा। सुंदरी ने परम को बहू के शरीर से खींच लिया।

“बहू को थोड़ा सांस लेने दो, बेटे।”

बहू बिस्तर पर लेट गई और उसने परम का आधा लंगड़ा लंड पकड़ लिया।

"लंड का सुपारा (लंड का ऊपरी हिस्सा) कितना मोटा और बड़ा है। बाप रे इतना लंबा और मोटा! और सुपारा तो देखो....आआहहहह...सुंदरी, मजा आ गया परम से चुदवाकर...साला क्या मस्त चुदाई करता है...। सच में यह लंड मुझे माँ बन ने का गौरव प्रदान कर सकता है।"

"बहू, परम का सुपारा क्या देखती है, इसके बाप का सुपारा इससे डबल है...लेकिन हां लंबाई और मोटाई में परम का लंड अपने बाप से ज्यादा है। परम खुश था कि वह तीसरे व्यक्ति की उपस्थिति में सुंदरी के साथ नग्न बैठा था।

सुन्दरी उठकर रसोई में चली गयी। उसके जाने के बाद बहू ने परम से पूछा,

“माँ को नंगा देख कर उसे चोदने का मन नहीं कर रहा है…!”

परम ने बहू को बाहों में लिया और चूमा। उन्होंने कहा, “रानी आज ही नहीं जब से लंड खड़ा होना चालू हुआ है तबसे मेरा मन सुंदरी को चोदने का करता है, लेकिन क्या करु, कोई माँ को चोदता है क्या?”

बहू ने उसके लंड की मुठ मारते हुए कहा।
मैत्री और फनलवर की रचना

"तेरा दोस्त विनोद तो अपनी माँ और बहन को चोदता है, सुंदरी बता रही थी..." बहू ने लंड को चूमा “मौका निकाल कर कुतिया (सुंदरी) को चोद डाल, तेरी माँ सच में मस्त माल है।“
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बने रहिये। आपके के कोमेंट की प्रतीक्षा रहेगी
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।।जय भारत।।
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