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Incest घर का मर्द

बिमला की पहली चुदाई कहा होनी चाहिए

  • बाप के बगल में

    Votes: 29 44.6%
  • खेतों में

    Votes: 12 18.5%
  • सहर में OYO

    Votes: 0 0.0%
  • घर में लेकिन जब बाप ना हो

    Votes: 13 20.0%
  • मामा के घर पे

    Votes: 4 6.2%
  • सफर में बस या ट्रेन

    Votes: 7 10.8%

  • Total voters
    65

Sushil@10

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Update 05

वीर बेसबरी से रात होने का इंतजार करने लगा... रात के खाने के बाद बिमला भी अब थोड़ी डरी सहमी सी हो लग रही थी वो बड़ी ही हिम्मत करती है और अपने पति से कहती हैं "सुनिए जी में आंगन में जा रही हु सोने आप को कुछ चाहिए हो तो आवाज लगा देना" और वो बाहर निकल आई...

वीर बड़ी बेसबरी से उसकी मां की ही राह देख रहा था..अपनी मां को बाहर आता देख वीर की आखों में चमक आ गई...

दोनो मां बेटे कुछ देर बाते करते हे फिर सोने के लिए लेट गए... दोनो को नींद कहा आनी थी दोनो ही मां बेटे काम आग में जल जो रहे थे...बिमला जैसी औरत कभी खुद पहला कदम नही उठा सकती थी और उसका बेटा वीर भी डर रहा था हिचकिचा रहा था की मां के साथ केसे सुरु करे केसे उसके करीब जाय...

बिमला बड़ी तेज थी वो अपनी आंखे बंद कर के सोने का नाटक करने लगी.. और कुछ ही देर में वीर के हाथ उसे महसूस हुए.. वीर बड़ी ही सफाई से उसकी मां के ब्लाउस के बटन खोलने लगा... ब्लाउस जैसे ही खुला बिमला की सास तेज हो गई बिचारी पहली बार किसी दूसरे मर्द के नीचे अपना सीना तान के लेटी थी..

वीर को अनीता जी की बाते याद आने लगी और वो तस्वीर जिस में उनका बेटा उन्हे इतने मजे से चोद रहा था अपनी गोद में बैठा के.. वीर ने अपना मुंह आगे किया और बिमला के निप्पल कामेच्छा की वजह से एक तन के खड़े थे उन्हे वीर अपने मुंह में लेकर चूसने लगा...बिमला जैसी औरत जो सालो से काम सुख से वंचित रही हो उसके लिए ये एहसास उसके यौम यौम में रोमांच भर देता है..उसकी हल्की हल्की सिसकारियां निकलने लगी...

वीर को मां की ये आवाजे वीर बर्दास्त नही कर पाता और उत्तेजना की नाव में सहार होकर वो अपनी मां की चुचियों को बड़ी तेजी से चूसने लगा और दूसरे हाथ से उन्हे मसलने भी लगा... वीर पहली बड़े होने के बार किसी औरत के स्तनों से खेल रहा था उसे अंदाजा कहा था कि उसकी मां के लिए उसका ये खेल कितना पीड़ा दायक हो सकता है लेकिन बिमला अपने बेटे को नहीं रोकती और उसके सर को सहलाने लगी..

बिमला की आहे वीर में एक अजीब सी खुमारी जगा देती है उसे लगता हे मां को वो भरपूर मात्रा में प्यार दे रहा है.. वो उत्तेजित होकर अपनी मां का पेटीकोट कमर तक उठा देता है लेकिन बिमला अपनी टांगे नही खोलती... लेकिन वीर कहा रुकने वाला था...वीर बड़ी ही मुश्किल से अपनी मां के टांगो के बीच जगा बना लेता है...

बिमला को अपनी टांगो के बीच कुछ महसूस हुआ बिमला को देर कही लगी ये क्या था..जैसे ही वीर का विशाल लिंग उसकी मां की योनि से टकराता आसमान में बादल छाए गई... आंगन में अब एक दम अंधेरा छा गया.. बिमला अपने बेटे के नीचे लेटे हुए उसके बड़े से लिंग का इंतजार कर रही थी... उसकी जैसे सास धम सी गई थी...

वीर ने धीरे से एक धक्का लगाया और अपनी मां के। होठों को चूसने लगा.. बिमला की एक तेज तर्रार चीख निकल गई और पूरा घर उसकी दर्द भरी सिसकारी से गूंज उठा....

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वीर ने अपनी आंखे बंद की और बिमला की योनि में पूरा लिंग घुसा दिया.. उसका लिंग पूरी तरह से मां की योनि की दीवार से दब रहा था जैसे उसके लिंग को कोई पकड़ रखा हो..और मां की योनि जैसे कोई गर्म भट्टी थी.. उसका एक दो बार में ही वीर्य निकल आया और उसका पूरा शरीर अकड़ गया...

बाहर निचली होने लगी थी... बिमला समझ गई की बेटे का निकल गया है उसे थोड़ी निराशा हुए लेकिन फिर वो अपने बेटे को कस के अपने उपर खींच के उसे अपनी बाहों में प्यार देने लगी.. वीर को भी बुरा लगा कि वो उसकी मां को पूरी तरह सा संतुष्ट नहीं कर पाया.. दोनो मां बेटे नंगे ही बिस्तर में एक दुसरे पे लेट थे.. यानी बिमला नीचे और उसके ऊपर वीर...

फिर बिमला वीर के उपर आ गई और बेटे को प्यार से देखने लगी बिमला काम आग में अपना होस भुला चुकी थी...

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"सुनती हो क्या हो गया" वीर के पिताजी की आवाज आई..

और दूसरे ही पल एक तेज बिजली हुए और वीर के पिताजी की आखों के सामने तेज रोशनी हुए जिस में उन्हे साफ साफ देख रहा था की उनकी भोली भाली संस्कारी पत्नी नंगी अपने बेटे के उपर लेटी हुई है...

वीर के पिताजी गुस्से में आग बबूला हो उठे..और बहोत जोर से चिल्ला के बोले...

"बिमला......." और ये सुन वीर और बिमला होस में आ गई और उनकी जैसे सास ही अटल चुकी थी..

बिमला हड़बड़ा उठी और अपने खुले ब्लाउज के बटन लगने लगी वीर लुंगी डाल के बाहर निकल गया...


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बिमला डरी सहमी सी अपना ब्लाउज सही करने लगी..उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था अब क्या करेगी...
Jabardast update and nice story
 

The Lighthouse

Freedom To Love
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Update 06

बिमला खड़ी थी और उसके सामने उसका पति खड़ा था..वीर बाहर निकल गया था.. बिमला अपने पति से आखें नही मिला पाती वो जैसे तैसे अपना ब्लाउस पहनती है और कमरे में चली गई...

वीर के पिताजी यानी मोहनलाल बत्ती जला देते है और बिस्तर पे नज़र घुमाते है.. खटिया पे उनकी लुगाई की क्या हालत हुए थी वो साफ दिखाई दे रहा था.. पूरा बस्तर बिखरा हुआ था.. और जब उनकी नजर फर्श पे पड़ी तो उनकी एक हल्की सी मुस्कान निकल आई.. जहा बिमला खड़ी थी वहा का फर्श गीला हो चुका था और क्यों की ये मिट्टी वाला फर्श था साफ दिखाई दे रहा था...

images
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ये सब देखने के बाद मोहनलाल कमरे में आया जहा उसकी लुगाई खटिया पे लेटी हुए रो रही थी..

मोहनलाल अपनी पत्नी के पास जाता है और उसके खटिया के पास जमीन पे ही बैठ गया...

"रो क्यों रही हो अब जो होना था वो गया अब चुप हो जाओ"

"जी जी..वो आप.. वो जी.. आप वीर को कुछ मत बोलना उसकी गलती नहीं है" बिमला अपने बेटे को बचाते हुए अपने पति के आगे गिड़गिड़ा के बोली...

"हा तभी तो उसे कुछ नही बोल रहा हु सारी गलती हु तुम्हारी है.." वीर के पिताजी मुस्कुरा के बोले..बिमला हैरान थी...बात बात पर गुस्सा होने वाला उसका मर्द आज अपनी पत्नी को किसी और के साथ देख के भी मुस्कुरा क्यों रहा था ये सवाल उसे बैचेन कर रहा था...

"अरे सच कह रहा हु. डरो नही में गुस्सा इस लिए नही था की तुम उसके साथ थी में गुस्सा इस वजह से था क्यों की तुम इतनी लापरवाह केसे हो सकती हो.. आंगन में नंगी होकर सो रही थी कल तो मेने कुछ नही कहा लेकिन रोज रोज... वो तो बच्चा है तुम तो उसकी मां हो.. कल से तुम दोनों कमरे में सोना में बाहर सो जाऊंगा.."

बिमला अपने पति की बात सुन के राहत की सास लेती है और खुशी से अपने पति से पीछे से लिपट गई...

iDiva-Best-Romantic-South-Indian-Movies_2_5f35328b1ce5c.jpg


बिमला – नही नही जी आप के होते हुए नही नही एक बार गलती हो गई भी कहा भाभी की बातो में आ गई... में आप से साथ ही सोया करूंगी..

मोहनलाल – क्यों डर गई क्या उस का लेके..या फिर मेरे बेटे से भी नही हो पाया...

बिमला – जी आप को शर्म नही आती क्या बोल रहे हो..

मोहनलाल – तुम अपने बेटे से चुदावा रही थी तब नही आई शर्म हा हा...

मोहनलाल का ये रूप बिमला पहली बार देख रही थी इतनी खुल के बात उन्होंने पहले क्यों नही की.. कास कुछ साल पहले वो उतना खुल के बात किए होते तोह इतने साल से उसकी योनि सुखी नही रहती...

बिमला – आप चुप रहिए..वो बस हो गया गलती से...

मोहनलाल – अच्छा गलती हा.. कल रात को जब उसने तुम्हारा ब्लाउज खोल दिया.. फिर तुम्हे अपने हाथो से मंगलसूत्र पहना रहा था चूम रहा था.. दिन के उजाले में तो मेने भी कभी तुझे नही पकड़ा था वैसे.. और तुम फिर भी उसके साथ सोने चली गई..क्या लगा था तुम्हे क्या करेगा वो... तुम भी जानती थी क्या होगा..

बिमला – हा.. मुझे पता था बस.. लेकिन ये आखरी बार था..

मोहनलाल – अरे क्या दुश्मनी है हमारे खानदान से.. ना मुझ से चुदावा के खुस थी ना मेरे बेटे से... हा में तुम से काफी बड़ा था जब तुम इस घर में दुल्हन बन के आई..और में तुम्हे वैसे नही भोग पाया जैसे मुझे तुम्हे भोगना चाइए था.. लेकिन मेरा बेटा तो जवान हे वो तुम्हारी सारी तड़प सारा पानी निकल देगा... हा शायद आज उसका पहली बार होगा तो नही किया होगा..उसे मोका तो दो.. देखो में तुम्हे इतने साल से तड़पता था हुआ देख रहा हु क्या मुझे नही पता की तुम केसे अपनी करवट बदल बदल के थल जाती हो.. लेकिन क्या करू जब तक मुझ में जान थी मेने तुम्हे खुशी देनी की पूरी कोसिस की लेकिन पिछले 10 साल से नही हो रहा तोह क्या करता..तुम जैसी घोड़ी को सांड का ही लोड़ा शांत कर पाएगा.. बस उसे मोका दो.. वैसे भी उसका हक बनता है अब तो उसके हाथो से मंगल सूत्र पहन ली हो अब तो वही तुम्हारा मर्द है और इस घर का भी...

बिमला अपने पति की बाते सुनती ही रह गई...उसके पास बोलने के लिए कुछ नहीं बचा था...
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बिमला बस अपने पति की बातो को अपनी पलखे झुखा के सुनती रही....उसे यकीन नही हो रहा था की उसका पति उसे अपने ही बेटे के साथ सोने के लिए बोल रहा था.. दुसरी और उसकी योनि में अभी तक बेटे का वीर्य उसे महसूस हो रहा था जो उसे और भी ज्यादा शर्म से लाल बना देती है...
 

sunoanuj

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Update 06

बिमला खड़ी थी और उसके सामने उसका पति खड़ा था..वीर बाहर निकल गया था.. बिमला अपने पति से आखें नही मिला पाती वो जैसे तैसे अपना ब्लाउस पहनती है और कमरे में चली गई...

वीर के पिताजी यानी मोहनलाल बत्ती जला देते है और बिस्तर पे नज़र घुमाते है.. खटिया पे उनकी लुगाई की क्या हालत हुए थी वो साफ दिखाई दे रहा था.. पूरा बस्तर बिखरा हुआ था.. और जब उनकी नजर फर्श पे पड़ी तो उनकी एक हल्की सी मुस्कान निकल आई.. जहा बिमला खड़ी थी वहा का फर्श गीला हो चुका था और क्यों की ये मिट्टी वाला फर्श था साफ दिखाई दे रहा था...

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ये सब देखने के बाद मोहनलाल कमरे में आया जहा उसकी लुगाई खटिया पे लेटी हुए रो रही थी..

मोहनलाल अपनी पत्नी के पास जाता है और उसके खटिया के पास जमीन पे ही बैठ गया...

"रो क्यों रही हो अब जो होना था वो गया अब चुप हो जाओ"

"जी जी..वो आप.. वो जी.. आप वीर को कुछ मत बोलना उसकी गलती नहीं है" बिमला अपने बेटे को बचाते हुए अपने पति के आगे गिड़गिड़ा के बोली...

"हा तभी तो उसे कुछ नही बोल रहा हु सारी गलती हु तुम्हारी है.." वीर के पिताजी मुस्कुरा के बोले..बिमला हैरान थी...बात बात पर गुस्सा होने वाला उसका मर्द आज अपनी पत्नी को किसी और के साथ देख के भी मुस्कुरा क्यों रहा था ये सवाल उसे बैचेन कर रहा था...

"अरे सच कह रहा हु. डरो नही में गुस्सा इस लिए नही था की तुम उसके साथ थी में गुस्सा इस वजह से था क्यों की तुम इतनी लापरवाह केसे हो सकती हो.. आंगन में नंगी होकर सो रही थी कल तो मेने कुछ नही कहा लेकिन रोज रोज... वो तो बच्चा है तुम तो उसकी मां हो.. कल से तुम दोनों कमरे में सोना में बाहर सो जाऊंगा.."

बिमला अपने पति की बात सुन के राहत की सास लेती है और खुशी से अपने पति से पीछे से लिपट गई...

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बिमला – नही नही जी आप के होते हुए नही नही एक बार गलती हो गई भी कहा भाभी की बातो में आ गई... में आप से साथ ही सोया करूंगी..

मोहनलाल – क्यों डर गई क्या उस का लेके..या फिर मेरे बेटे से भी नही हो पाया...

बिमला – जी आप को शर्म नही आती क्या बोल रहे हो..

मोहनलाल – तुम अपने बेटे से चुदावा रही थी तब नही आई शर्म हा हा...

मोहनलाल का ये रूप बिमला पहली बार देख रही थी इतनी खुल के बात उन्होंने पहले क्यों नही की.. कास कुछ साल पहले वो उतना खुल के बात किए होते तोह इतने साल से उसकी योनि सुखी नही रहती...

बिमला – आप चुप रहिए..वो बस हो गया गलती से...

मोहनलाल – अच्छा गलती हा.. कल रात को जब उसने तुम्हारा ब्लाउज खोल दिया.. फिर तुम्हे अपने हाथो से मंगलसूत्र पहना रहा था चूम रहा था.. दिन के उजाले में तो मेने भी कभी तुझे नही पकड़ा था वैसे.. और तुम फिर भी उसके साथ सोने चली गई..क्या लगा था तुम्हे क्या करेगा वो... तुम भी जानती थी क्या होगा..

बिमला – हा.. मुझे पता था बस.. लेकिन ये आखरी बार था..

मोहनलाल – अरे क्या दुश्मनी है हमारे खानदान से.. ना मुझ से चुदावा के खुस थी ना मेरे बेटे से... हा में तुम से काफी बड़ा था जब तुम इस घर में दुल्हन बन के आई..और में तुम्हे वैसे नही भोग पाया जैसे मुझे तुम्हे भोगना चाइए था.. लेकिन मेरा बेटा तो जवान हे वो तुम्हारी सारी तड़प सारा पानी निकल देगा... हा शायद आज उसका पहली बार होगा तो नही किया होगा..उसे मोका तो दो.. देखो में तुम्हे इतने साल से तड़पता था हुआ देख रहा हु क्या मुझे नही पता की तुम केसे अपनी करवट बदल बदल के थल जाती हो.. लेकिन क्या करू जब तक मुझ में जान थी मेने तुम्हे खुशी देनी की पूरी कोसिस की लेकिन पिछले 10 साल से नही हो रहा तोह क्या करता..तुम जैसी घोड़ी को सांड का ही लोड़ा शांत कर पाएगा.. बस उसे मोका दो.. वैसे भी उसका हक बनता है अब तो उसके हाथो से मंगल सूत्र पहन ली हो अब तो वही तुम्हारा मर्द है और इस घर का भी...

बिमला अपने पति की बाते सुनती ही रह गई...उसके पास बोलने के लिए कुछ नहीं बचा था...
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बिमला बस अपने पति की बातो को अपनी पलखे झुखा के सुनती रही....उसे यकीन नही हो रहा था की उसका पति उसे अपने ही बेटे के साथ सोने के लिए बोल रहा था.. दुसरी और उसकी योनि में अभी तक बेटे का वीर्य उसे महसूस हो रहा था जो उसे और भी ज्यादा शर्म से लाल बना देती है...

बहुत ही जबरदस्त और शानदार अपडेट दिया है ! अब तो मोहनलाल भी राजी हो गया !
 

Napster

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Update 05

वीर बेसबरी से रात होने का इंतजार करने लगा... रात के खाने के बाद बिमला भी अब थोड़ी डरी सहमी सी हो लग रही थी वो बड़ी ही हिम्मत करती है और अपने पति से कहती हैं "सुनिए जी में आंगन में जा रही हु सोने आप को कुछ चाहिए हो तो आवाज लगा देना" और वो बाहर निकल आई...

वीर बड़ी बेसबरी से उसकी मां की ही राह देख रहा था..अपनी मां को बाहर आता देख वीर की आखों में चमक आ गई...

दोनो मां बेटे कुछ देर बाते करते हे फिर सोने के लिए लेट गए... दोनो को नींद कहा आनी थी दोनो ही मां बेटे काम आग में जल जो रहे थे...बिमला जैसी औरत कभी खुद पहला कदम नही उठा सकती थी और उसका बेटा वीर भी डर रहा था हिचकिचा रहा था की मां के साथ केसे सुरु करे केसे उसके करीब जाय...

बिमला बड़ी तेज थी वो अपनी आंखे बंद कर के सोने का नाटक करने लगी.. और कुछ ही देर में वीर के हाथ उसे महसूस हुए.. वीर बड़ी ही सफाई से उसकी मां के ब्लाउस के बटन खोलने लगा... ब्लाउस जैसे ही खुला बिमला की सास तेज हो गई बिचारी पहली बार किसी दूसरे मर्द के नीचे अपना सीना तान के लेटी थी..

वीर को अनीता जी की बाते याद आने लगी और वो तस्वीर जिस में उनका बेटा उन्हे इतने मजे से चोद रहा था अपनी गोद में बैठा के.. वीर ने अपना मुंह आगे किया और बिमला के निप्पल कामेच्छा की वजह से एक तन के खड़े थे उन्हे वीर अपने मुंह में लेकर चूसने लगा...बिमला जैसी औरत जो सालो से काम सुख से वंचित रही हो उसके लिए ये एहसास उसके यौम यौम में रोमांच भर देता है..उसकी हल्की हल्की सिसकारियां निकलने लगी...

वीर को मां की ये आवाजे वीर बर्दास्त नही कर पाता और उत्तेजना की नाव में सहार होकर वो अपनी मां की चुचियों को बड़ी तेजी से चूसने लगा और दूसरे हाथ से उन्हे मसलने भी लगा... वीर पहली बड़े होने के बार किसी औरत के स्तनों से खेल रहा था उसे अंदाजा कहा था कि उसकी मां के लिए उसका ये खेल कितना पीड़ा दायक हो सकता है लेकिन बिमला अपने बेटे को नहीं रोकती और उसके सर को सहलाने लगी..

बिमला की आहे वीर में एक अजीब सी खुमारी जगा देती है उसे लगता हे मां को वो भरपूर मात्रा में प्यार दे रहा है.. वो उत्तेजित होकर अपनी मां का पेटीकोट कमर तक उठा देता है लेकिन बिमला अपनी टांगे नही खोलती... लेकिन वीर कहा रुकने वाला था...वीर बड़ी ही मुश्किल से अपनी मां के टांगो के बीच जगा बना लेता है...

बिमला को अपनी टांगो के बीच कुछ महसूस हुआ बिमला को देर कही लगी ये क्या था..जैसे ही वीर का विशाल लिंग उसकी मां की योनि से टकराता आसमान में बादल छाए गई... आंगन में अब एक दम अंधेरा छा गया.. बिमला अपने बेटे के नीचे लेटे हुए उसके बड़े से लिंग का इंतजार कर रही थी... उसकी जैसे सास धम सी गई थी...

वीर ने धीरे से एक धक्का लगाया और अपनी मां के। होठों को चूसने लगा.. बिमला की एक तेज तर्रार चीख निकल गई और पूरा घर उसकी दर्द भरी सिसकारी से गूंज उठा....

th


वीर ने अपनी आंखे बंद की और बिमला की योनि में पूरा लिंग घुसा दिया.. उसका लिंग पूरी तरह से मां की योनि की दीवार से दब रहा था जैसे उसके लिंग को कोई पकड़ रखा हो..और मां की योनि जैसे कोई गर्म भट्टी थी.. उसका एक दो बार में ही वीर्य निकल आया और उसका पूरा शरीर अकड़ गया...

बाहर निचली होने लगी थी... बिमला समझ गई की बेटे का निकल गया है उसे थोड़ी निराशा हुए लेकिन फिर वो अपने बेटे को कस के अपने उपर खींच के उसे अपनी बाहों में प्यार देने लगी.. वीर को भी बुरा लगा कि वो उसकी मां को पूरी तरह सा संतुष्ट नहीं कर पाया.. दोनो मां बेटे नंगे ही बिस्तर में एक दुसरे पे लेट थे.. यानी बिमला नीचे और उसके ऊपर वीर...

फिर बिमला वीर के उपर आ गई और बेटे को प्यार से देखने लगी बिमला काम आग में अपना होस भुला चुकी थी...

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"सुनती हो क्या हो गया" वीर के पिताजी की आवाज आई..

और दूसरे ही पल एक तेज बिजली हुए और वीर के पिताजी की आखों के सामने तेज रोशनी हुए जिस में उन्हे साफ साफ देख रहा था की उनकी भोली भाली संस्कारी पत्नी नंगी अपने बेटे के उपर लेटी हुई है...

वीर के पिताजी गुस्से में आग बबूला हो उठे..और बहोत जोर से चिल्ला के बोले...

"बिमला......." और ये सुन वीर और बिमला होस में आ गई और उनकी जैसे सास ही अटल चुकी थी..

बिमला हड़बड़ा उठी और अपने खुले ब्लाउज के बटन लगने लगी वीर लुंगी डाल के बाहर निकल गया...


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बिमला डरी सहमी सी अपना ब्लाउज सही करने लगी..उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था अब क्या करेगी...
बहुत ही शानदार लाजवाब और जबरदस्त मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Napster

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Update 06

बिमला खड़ी थी और उसके सामने उसका पति खड़ा था..वीर बाहर निकल गया था.. बिमला अपने पति से आखें नही मिला पाती वो जैसे तैसे अपना ब्लाउस पहनती है और कमरे में चली गई...

वीर के पिताजी यानी मोहनलाल बत्ती जला देते है और बिस्तर पे नज़र घुमाते है.. खटिया पे उनकी लुगाई की क्या हालत हुए थी वो साफ दिखाई दे रहा था.. पूरा बस्तर बिखरा हुआ था.. और जब उनकी नजर फर्श पे पड़ी तो उनकी एक हल्की सी मुस्कान निकल आई.. जहा बिमला खड़ी थी वहा का फर्श गीला हो चुका था और क्यों की ये मिट्टी वाला फर्श था साफ दिखाई दे रहा था...

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ये सब देखने के बाद मोहनलाल कमरे में आया जहा उसकी लुगाई खटिया पे लेटी हुए रो रही थी..

मोहनलाल अपनी पत्नी के पास जाता है और उसके खटिया के पास जमीन पे ही बैठ गया...

"रो क्यों रही हो अब जो होना था वो गया अब चुप हो जाओ"

"जी जी..वो आप.. वो जी.. आप वीर को कुछ मत बोलना उसकी गलती नहीं है" बिमला अपने बेटे को बचाते हुए अपने पति के आगे गिड़गिड़ा के बोली...

"हा तभी तो उसे कुछ नही बोल रहा हु सारी गलती हु तुम्हारी है.." वीर के पिताजी मुस्कुरा के बोले..बिमला हैरान थी...बात बात पर गुस्सा होने वाला उसका मर्द आज अपनी पत्नी को किसी और के साथ देख के भी मुस्कुरा क्यों रहा था ये सवाल उसे बैचेन कर रहा था...

"अरे सच कह रहा हु. डरो नही में गुस्सा इस लिए नही था की तुम उसके साथ थी में गुस्सा इस वजह से था क्यों की तुम इतनी लापरवाह केसे हो सकती हो.. आंगन में नंगी होकर सो रही थी कल तो मेने कुछ नही कहा लेकिन रोज रोज... वो तो बच्चा है तुम तो उसकी मां हो.. कल से तुम दोनों कमरे में सोना में बाहर सो जाऊंगा.."

बिमला अपने पति की बात सुन के राहत की सास लेती है और खुशी से अपने पति से पीछे से लिपट गई...

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बिमला – नही नही जी आप के होते हुए नही नही एक बार गलती हो गई भी कहा भाभी की बातो में आ गई... में आप से साथ ही सोया करूंगी..

मोहनलाल – क्यों डर गई क्या उस का लेके..या फिर मेरे बेटे से भी नही हो पाया...

बिमला – जी आप को शर्म नही आती क्या बोल रहे हो..

मोहनलाल – तुम अपने बेटे से चुदावा रही थी तब नही आई शर्म हा हा...

मोहनलाल का ये रूप बिमला पहली बार देख रही थी इतनी खुल के बात उन्होंने पहले क्यों नही की.. कास कुछ साल पहले वो उतना खुल के बात किए होते तोह इतने साल से उसकी योनि सुखी नही रहती...

बिमला – आप चुप रहिए..वो बस हो गया गलती से...

मोहनलाल – अच्छा गलती हा.. कल रात को जब उसने तुम्हारा ब्लाउज खोल दिया.. फिर तुम्हे अपने हाथो से मंगलसूत्र पहना रहा था चूम रहा था.. दिन के उजाले में तो मेने भी कभी तुझे नही पकड़ा था वैसे.. और तुम फिर भी उसके साथ सोने चली गई..क्या लगा था तुम्हे क्या करेगा वो... तुम भी जानती थी क्या होगा..

बिमला – हा.. मुझे पता था बस.. लेकिन ये आखरी बार था..

मोहनलाल – अरे क्या दुश्मनी है हमारे खानदान से.. ना मुझ से चुदावा के खुस थी ना मेरे बेटे से... हा में तुम से काफी बड़ा था जब तुम इस घर में दुल्हन बन के आई..और में तुम्हे वैसे नही भोग पाया जैसे मुझे तुम्हे भोगना चाइए था.. लेकिन मेरा बेटा तो जवान हे वो तुम्हारी सारी तड़प सारा पानी निकल देगा... हा शायद आज उसका पहली बार होगा तो नही किया होगा..उसे मोका तो दो.. देखो में तुम्हे इतने साल से तड़पता था हुआ देख रहा हु क्या मुझे नही पता की तुम केसे अपनी करवट बदल बदल के थल जाती हो.. लेकिन क्या करू जब तक मुझ में जान थी मेने तुम्हे खुशी देनी की पूरी कोसिस की लेकिन पिछले 10 साल से नही हो रहा तोह क्या करता..तुम जैसी घोड़ी को सांड का ही लोड़ा शांत कर पाएगा.. बस उसे मोका दो.. वैसे भी उसका हक बनता है अब तो उसके हाथो से मंगल सूत्र पहन ली हो अब तो वही तुम्हारा मर्द है और इस घर का भी...

बिमला अपने पति की बाते सुनती ही रह गई...उसके पास बोलने के लिए कुछ नहीं बचा था...
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बिमला बस अपने पति की बातो को अपनी पलखे झुखा के सुनती रही....उसे यकीन नही हो रहा था की उसका पति उसे अपने ही बेटे के साथ सोने के लिए बोल रहा था.. दुसरी और उसकी योनि में अभी तक बेटे का वीर्य उसे महसूस हो रहा था जो उसे और भी ज्यादा शर्म से लाल बना देती है...
बहुत ही शानदार लाजवाब और जानदार मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
अपने पती मोहनलाल से बिमला को अपने बेटे से चुदाई करने की पुरी छुट मिली और वो भी कमरें में मतलब जबरदस्त चुदाई का खेल शुरु होने वाला हैं माँ बेटे के बीच
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

parkas

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Update 06

बिमला खड़ी थी और उसके सामने उसका पति खड़ा था..वीर बाहर निकल गया था.. बिमला अपने पति से आखें नही मिला पाती वो जैसे तैसे अपना ब्लाउस पहनती है और कमरे में चली गई...

वीर के पिताजी यानी मोहनलाल बत्ती जला देते है और बिस्तर पे नज़र घुमाते है.. खटिया पे उनकी लुगाई की क्या हालत हुए थी वो साफ दिखाई दे रहा था.. पूरा बस्तर बिखरा हुआ था.. और जब उनकी नजर फर्श पे पड़ी तो उनकी एक हल्की सी मुस्कान निकल आई.. जहा बिमला खड़ी थी वहा का फर्श गीला हो चुका था और क्यों की ये मिट्टी वाला फर्श था साफ दिखाई दे रहा था...

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ये सब देखने के बाद मोहनलाल कमरे में आया जहा उसकी लुगाई खटिया पे लेटी हुए रो रही थी..

मोहनलाल अपनी पत्नी के पास जाता है और उसके खटिया के पास जमीन पे ही बैठ गया...

"रो क्यों रही हो अब जो होना था वो गया अब चुप हो जाओ"

"जी जी..वो आप.. वो जी.. आप वीर को कुछ मत बोलना उसकी गलती नहीं है" बिमला अपने बेटे को बचाते हुए अपने पति के आगे गिड़गिड़ा के बोली...

"हा तभी तो उसे कुछ नही बोल रहा हु सारी गलती हु तुम्हारी है.." वीर के पिताजी मुस्कुरा के बोले..बिमला हैरान थी...बात बात पर गुस्सा होने वाला उसका मर्द आज अपनी पत्नी को किसी और के साथ देख के भी मुस्कुरा क्यों रहा था ये सवाल उसे बैचेन कर रहा था...

"अरे सच कह रहा हु. डरो नही में गुस्सा इस लिए नही था की तुम उसके साथ थी में गुस्सा इस वजह से था क्यों की तुम इतनी लापरवाह केसे हो सकती हो.. आंगन में नंगी होकर सो रही थी कल तो मेने कुछ नही कहा लेकिन रोज रोज... वो तो बच्चा है तुम तो उसकी मां हो.. कल से तुम दोनों कमरे में सोना में बाहर सो जाऊंगा.."

बिमला अपने पति की बात सुन के राहत की सास लेती है और खुशी से अपने पति से पीछे से लिपट गई...

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बिमला – नही नही जी आप के होते हुए नही नही एक बार गलती हो गई भी कहा भाभी की बातो में आ गई... में आप से साथ ही सोया करूंगी..

मोहनलाल – क्यों डर गई क्या उस का लेके..या फिर मेरे बेटे से भी नही हो पाया...

बिमला – जी आप को शर्म नही आती क्या बोल रहे हो..

मोहनलाल – तुम अपने बेटे से चुदावा रही थी तब नही आई शर्म हा हा...

मोहनलाल का ये रूप बिमला पहली बार देख रही थी इतनी खुल के बात उन्होंने पहले क्यों नही की.. कास कुछ साल पहले वो उतना खुल के बात किए होते तोह इतने साल से उसकी योनि सुखी नही रहती...

बिमला – आप चुप रहिए..वो बस हो गया गलती से...

मोहनलाल – अच्छा गलती हा.. कल रात को जब उसने तुम्हारा ब्लाउज खोल दिया.. फिर तुम्हे अपने हाथो से मंगलसूत्र पहना रहा था चूम रहा था.. दिन के उजाले में तो मेने भी कभी तुझे नही पकड़ा था वैसे.. और तुम फिर भी उसके साथ सोने चली गई..क्या लगा था तुम्हे क्या करेगा वो... तुम भी जानती थी क्या होगा..

बिमला – हा.. मुझे पता था बस.. लेकिन ये आखरी बार था..

मोहनलाल – अरे क्या दुश्मनी है हमारे खानदान से.. ना मुझ से चुदावा के खुस थी ना मेरे बेटे से... हा में तुम से काफी बड़ा था जब तुम इस घर में दुल्हन बन के आई..और में तुम्हे वैसे नही भोग पाया जैसे मुझे तुम्हे भोगना चाइए था.. लेकिन मेरा बेटा तो जवान हे वो तुम्हारी सारी तड़प सारा पानी निकल देगा... हा शायद आज उसका पहली बार होगा तो नही किया होगा..उसे मोका तो दो.. देखो में तुम्हे इतने साल से तड़पता था हुआ देख रहा हु क्या मुझे नही पता की तुम केसे अपनी करवट बदल बदल के थल जाती हो.. लेकिन क्या करू जब तक मुझ में जान थी मेने तुम्हे खुशी देनी की पूरी कोसिस की लेकिन पिछले 10 साल से नही हो रहा तोह क्या करता..तुम जैसी घोड़ी को सांड का ही लोड़ा शांत कर पाएगा.. बस उसे मोका दो.. वैसे भी उसका हक बनता है अब तो उसके हाथो से मंगल सूत्र पहन ली हो अब तो वही तुम्हारा मर्द है और इस घर का भी...

बिमला अपने पति की बाते सुनती ही रह गई...उसके पास बोलने के लिए कुछ नहीं बचा था...
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बिमला बस अपने पति की बातो को अपनी पलखे झुखा के सुनती रही....उसे यकीन नही हो रहा था की उसका पति उसे अपने ही बेटे के साथ सोने के लिए बोल रहा था.. दुसरी और उसकी योनि में अभी तक बेटे का वीर्य उसे महसूस हो रहा था जो उसे और भी ज्यादा शर्म से लाल बना देती है...
Nice and lovely update....
 
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