2812rajesh2812
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मैं:- पापा वैसे अगर बुरा न मानो तो एक बात पूछूं? आपने इससे ऐसा कौन सा काम कर दिए थे पापा की जो आपला यह इतना ज्यादा दर्द कर रहा था,,,,,
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(मैं मुस्कुराते हुए अपने पापा के लंड की मालिश करते हुए बोली,,)
पापा :- क्या बताऊं सुमन जाने दे बताने जैसा नहीं,, है. कुछ बातें अपनी बेटी से नहीं बताई जा सकती,
(साला अपनी बेटी के हाथ में अपना लौड़ा दे रखा है, और उस से मालिश के बहाने से मुठ मरवाई जा रही है, पर नखरे तो देखो पापा के की अभी भी कह रहे हैं की "कुछ बातें अपनी बेटी से नहीं बताई जा सकती.")
मैं:- क्यों पापा बताने जैसा क्यों नहीं है. ऐसा कोनसा कारण है आपके इस में दर्द हो जाने का की आप बता नहीं पा रहे?
पापा :- अरे नहीं सुमन! वह कुछ और बात है तुझसे कहा नहीं जाता,,,
मैं:- वाह पापा,,,, आप मुझसे अपने इसकी मालिश करवा रहे हो और बता नहीं पा रहे हो,,,,
पापा :- नहीं बेटी ऐसी बात नहीं है. मैं बता तो दूँ लेकिन तू मेरे बारे में गलत समझेगी तो,,,. बस इसी लिए नहीं बता रहा हूँ.
मैं:- नहीं समझूंगी गलत. आप बताइये तो सही. ,,, अगर ऐसा कुछ होता तो मैं मालिश नहीं करती चली जाती,,,,,
पापा :- तो बता दु किस वजह से मेरा लंड दुख रहा है,,,,।
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(पापा पूरी तरह से बेशर्म बन चुके थे अपनी बेटी के सामने लंड शब्द कहने में उन्हें जरा भी झिझक महसूस नहीं हो रही थी क्योंकि वह जल्द से जल्द अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच के खजाने को पा लेना चाहते थे ,,,,, अब यह कामवासना की आग तो दोनों तरफ बराबर से लगी हुई थी पापा बताने के लिए मचल रहे थे और मैं सुनने के लिए तड़प रही थी,,,।)
मैं:- हां पापा बताओ ना,,,, इतना दर्द क्यों होता है?
(मैं अपने पापा के लंड के सुपाड़े पर बराबर से तेल लगाकर मसलते हुए बोली,,, जिससे पापा की आह निकल गई,,,. मुझे लगा की पापा को मेरा उनके लंड के सुपाडे पर तेल मलना अच्छा लगा है. तो मैंने पापा के लौड़े की चमड़ी को नीचे को सरकाया जिस से उनका सुपाड़ा बाहर आ गया. फिर मैंने अपनी तेल से भरी हुई ऊँगली फिर से उनके सुपाड़ी पर फेरनी शुरू कर दी. पापा को बहुत मजा आ रहा था. वो आह आह की आवाज निकाल रहे थे. मैंने अपने नाखून से उनके सुपाडे के छेद पर खुरचना शुरू कर दिया. जैसे नाखूनों से खुजली करते है. पापा के लिए यह हमला सहन करना बहुत मुश्किल था. उन्होंने झट से अपनी चूतड़ ऊपर उठा दी ताकि मेरे हाथ में उनके लंड का अधिकतम हिस्सा आ जाये. उनके मुंह से अब बात नहीं बल्कि सिसकारियां निकल रही थी.मैं तो बात को आगे बढ़ाना चाहती थी ताकि कुछ अलग हो सके. तो उनके लण्ड के सुपाडे को छेड़ कर फिर से लौड़े को पकड़ कर मालिश करना शुरू कर दी. पापा थोड़े सहज हुए और बोले )
पापा :- तू जिद कर रही हो तो बता देता हूं,,, वो क्या है मेरा कि तुम्हारी मम्मी को धीरे धीरे से करवाना पसंद नहीं है, वो सदा ही जोर जोर से और तेज तेज करवाना चाहती है मुझसे। बस इसी से मेरे इस में कभी कभी ज्यादा करने से दर्द हो जाता है.
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(मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा, मैं समझ गई थी कि पापा किस बारे में बात कर रहे हैं,, फिर भी अनजान बनते हुए बोली,,)
मैं:- धीरे धीरे मैं कुछ समझी नहीं पापा,,,,
पापा :- अरे पगली इसीलिए तो कह रहा था कि तू नहीं समझेगी। यह बड़ों की बातें हैं. तुम्हारे समझ से ऊपर की चीज है यह.
मैं:- अरे ऐसे कैसे नहीं समझूंगी मैं भी बड़ी हो गई हूं शादी करने लायक हो गई हुं,,, आखिरकार मम्मी भी तो एक औरत है और मैं भी एक औरत हम तो भला एक औरत एक औरत की बात क्यों नहीं समझेगी,,,,
(मेरी बातें सुनकर पापा हंसने लगे वह अपने मन में यही सोच रहे थे कि उसकी बेटी कितनी भोली है जबकि वह नहीं जानते थे था कि उनकी बेटी सारे खेल खेल चुकी है,,,,)
पापा :- हां पगली मैं जानता हूं तू अब बड़ी हो गई है,,, लेकिन अभी भी तू उन सब बातों को समझने लायक नहीं है,,,,
मैं:- क्या पापा समझाओगे तो क्या नहीं समझूंगी। मैं अब इतनी भी छोटी नहीं हूँ.
(उत्तेजना के मारे मैं अपने पापा के लंड को कस के अपनी मुट्ठी में दबाकर ऊपर की तरफ खींचते हुए बोली मेरी यह हरकत पापा की उत्तेजना को बढ़ा रही थी)
पापा :- समझ तो तु जाएगी,,,, लेकिन मुझे डर है कहीं तो कहीं यह बात किसी को बता ना दे, खासकर कहीं अपनी मम्मी को ना बता दे. वो पता नहीं बात को क्या समझेगी
मैं:- नहीं नहीं पापा मैं समझदार हूं बेवकूफ थोड़ी हूं जो किसी को भी यह सब बात बता दुं,,,
पापा :- मतलब तू सच में बड़ी हो गई है,,,
मैं:- और क्या,,,(मैं इतराते हुए बोली,,)
पापा :- अच्छा ठीक है तू कहती है तो मैं बता देता हूं,,,,, तेरी मम्मी को धीरे-धीरे से करवाना पसंद नहीं है,,,,, सुमन! करवाना तो तू समझती है न. जवान है तो समझती हो होगी.
मैं:- नहीं पापा मैं कुछ समझी नहीं. आप शर्माओ मत जरा खुल कर बताओ, क्या करवाना पसंद नहीं है धीरे धीरे से
(समझ तो मैं पहले से ही गयी थी, बल्कि पापा के थोड़ा शर्माने और हिचकिचाने से ही समझ गयी थी. पर मजा लेने और पापा की शर्म उतारने के लिए झूठ मूठ के नखरे कर रही थी.)
पापा :- अरे धीरे करवाना मतलब वो वो। .. क्या कहते हैं कि। .... तेरी मम्मी को धीरे धीरे से चुदवाने में मजा नहीं आता. वो तेज तेज चुदाई चाहती है जिस से मेरा लौड़ा छिल जाता है या दर्द हो जाता है. पर तेरी मम्मी है कि मानती ही नहीं. हमेशा कहती रहती है, और तेज चोदो और तेज छोड़ो. सुमन! अब तू ही बता मैं भी क्या करू? अब समझ में आया,,,,
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(इस बार पापा एकदम खुलकर बातें करने लगे और अपने पापा के मुंह से चुदाई वाली बात सुनकर मैं उत्तेजना से गदगद हुए जा रही थी,,,, पापा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोले ,,,)
(पापा का इतना खुल कर बोलना मेरे लिए भी हैरानी वाली बात थी. चाहे हम दोनों बाप बेटी चुदाई चाहते ही थे, पर फिर भी भारतीय समाज में बाप बेटी में सीधे सीधे चुदाई जैसे शब्द बोलना थोड़ा अजीब सा तो लगता ही है,)
जवाब में मैं बोली कुछ नहीं बस हल्के से शरमा गई उसका इस तरह से शर्माना देखकर पापा की उत्तेजना बढ़ने लगी पापा का लण्ड मेरी हथेली में कस्ता चला जा रहा था,,,, अपने पापा के मुंह से चुदवाना शब्द सुनकर मैं कुछ ज्यादा ही जोर से अपने पापा के लंड को दबाना शुरु कर दी थी,,,,मैं अंदर ही अंदर पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी अपने पापा के लंड को लेने के लिए मेरी बुर बार-बार कामरस छोड़ रही थी,,,,।
पापा :- लगता है तू सब कुछ समझ गई,,,, अरे पगली,,, तेरी मम्मी अपनी बुर में मेरा लंड धीरे धीरे से अंदर बाहर नहीं बल्कि एकदम रफ्तार से अंदर बाहर लेना पसंद करती है और इसी चक्कर में मेरा लंड दर्द करने लगता है,,,,
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(इस बार तो अपने पापा के मुंह से एकदम खुले शब्दों में लंड और बुर शब्द सुनकर मेरी बुर ने अमृत की बूंद टपका दी मेरी चूत की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,, अपने पापा से नजर मिलाने की ताकत मुजमे नहीं थी लेकिन अपनी प्रतिक्रिया मैं अपने पापा के लंड को जोर जोर से दबा कर दे रही थी मेरी हथेली का कसाव अपने लंड पर महसूस करके पापा इतना तो समझ गए थे कि उनकी बेटी भी मजा ले रही है उसका भी मन करने लगा है,,,,)
पापा :- अब तो तुझे समझ में आ गया होगा ना,,,
(दूसरी तरफ शर्म के मारे मुंह करके मैं मुस्कुराते हुए बोली)
मैं:- हां पापा,,,, पर आप तो बिलकुल ही बेशर्म हो रहे हैं. कोई बाप अपनी बेटी से ऐसी बातें करता है भला? वैसे मुझे लगता है कि आप झूठ बोल रहे हैं. आपका यह (अब मैं शर्म से फिर लौड़ा शब्द न बोल पाई) तो इतना लम्बा और इतना मोटा है, कि मम्मी इसे अपनी उस में कैसे ले पाती होंगी. मुझे तो यह अंदर घुसाना ही मुश्किल लगता है, ऊपर से आप कह रहे हैं की मम्मी तो तेज तेज अंदर बाहर करवाती हैं.
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पापा :- अरे सुमन! तू नहीं समझेगी. जब तक तेरी शादी नहीं हो जाती. अब मैं तुझे कैसे समझाऊं? असल में औरत की चूत बहुत लचकीली होती है. जितना मर्जी मोटा या बड़ा लण्ड हो अंदर चला ही जाता है. तुम्हारी मम्मी को शादी के कुछ दिन बाद तक तो थोड़ी मुश्किल होती थी. पर अब तो रोज रोज लेने से तेरी मम्मी की वो काफी खुली और ढीली हो गयी है, तो अब तो तेरी मम्मी को बिलकुल भी दिक्कत नहीं होती.
मैं:- पापा आप झूट बोल रहे हो. रोज रोज मम्मी कैसे आपके साथ वो सब कर सकती है? कोई भी औरत हो , महीने मैं वो वाले 3 -4 दिन तो ऐसे होते ही हैं की कुछ नहीं हो सकता.
पापा :- सुमन! अब तुम मेरी बेटी हो तो मैं तुम्हे कैसे बताऊँ। असल में माहवारी के दिनों में भी तुम्हारी मम्मी से बिना करवाए रहा नहीं जाता. उन दिनों में वो पीछे से करवाती है.
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(मैं एकदम से पापा की बात नहीं समझी. मुझे लगा की पापा घोड़ी बना कर चुदवाने की बात कर रहे हैं. तो मैं बोली)
मैं:- पापा पीछे से भी कैसे?
पापा :- अरे सुमन! पीछे से का मतलब हैं कि पीछे वाले छेड़ में, स्पष्ट शब्दों में बोलूं तो तेरी मम्मी उन दिनों में गांड मरवा लेती है. पर एक भी दिन बिना करवाए नहीं रह पाती. और गांड में भी तेज तेज की करवाती है.
(मैं तो शर्म से पानी पानी हो रही थी. ऐसी गन्दी गन्दी और खुली बातें अपने ही पापा से करके मेरी चूत में तो जैसे पानी की बाढ़ ही आ रही थी, मेरा मन कर रहा था की अभी या तो पापा मुझे लिटा कर मेरी चूत में अपना लण्ड डाल दें या मैं ही अपनी चूत में उँगलियाँ डाल कर कुछ तो अपनी तस्सली कर लूँ. पर पापा सामने देख रहे थे और कमरे में लाइट जल रही थी तो मैं ऊँगली भी नहीं कर सकती थी, )
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मैं:- पापा कुछ तो सोच कर बोलो. मुझे तो शर्म आती है, आपकी बातों से. और ऊपर से झूट तो देखो. आपका यह हथियार तो इतना बड़ा है कि आगे वाले छेद में ले पाना भी किसी औरत को बहुत मुश्किल होगा, ऊपर से पीछे वाले छेद में तो यह जा ही नहीं सकता. वहां तो एक ऊँगली की जगह भी नहीं होती और आप झूठमूठ पीछे के छेद में इसे घुसाने की बात करते हैं.
पापा :- बेटी! तेरी अभी शादी नहीं हुई है. तू भी बाद में समझ जाएगी. औरतों को तब तक मजा नहीं आता. जब तक कस कस कर ना जाये. और थोड़ा दर्द न हो. तुम्हारी मम्मी को तो शुरू में थोड़ी मुश्किल लगती थी, और पीछे लेने में दर्द भी होता था. पर उसे पीछे से बहुत अच्छा लगता है की क्या बताऊँ. और अब तो उसे इसकी आदत हो गयी है, अब तो बिना तेल लगवाए भी आराम से ले लेती है. तेरी मम्मी तो उम्र में बड़ी है, पर दो तीन बार के बाद में तो तुम्हारे जैसी लड़की भी इसे आराम से ले लेगी.
(मुझे काफी अजीब सा लग रहा था. इतनी खुली बात चीत पापा के साथ पहली बार हो रही थी, तो मैं बात को थोड़ा बदलते बोली )
मैं:- पापा मम्मी को जोर-जोर से क्यों मजा आता है,,,,
पापा :- पता नहीं क्यों हो सकता है सभी औरतों को जोर-जोर से ही मजा आता हो,,,,, तूने भी तो कभी,,,,, मजा ली होगी,,,,
(इस बार पापा अपने सारे पत्तों को खोल देना चाहते थे इसलिए अपनी बेटी से गांड में चुदाई वाली बात कर रहे थे , मैं भी अपने पापा के मुंह से इस तरह से खुले शब्दों में बातें सुनकर मेरी बुर फुदकने लगी थी यह बात सच है कि मैं भी मजा ले चुकी थी लेकिन अपने पापा से खुलकर कैसे कह देती इसलिए मैं अनजान सा बनते हुए बोली।
मैं:- नहीं नहीं पापा मैंने आज तक ऐसा वैसा कुछ कि नहीं किया हूं.
पापा :- पर तुम्हारी माँ को तो दोनों छेदों का अच्छी तरह से मजा लिए बिना और मेरे इस मुसल की मालिश किये बिना उसे नींद ही नहीं आती.
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(अब मैं सोच रही थी कि बात तो खुल कर हो रही है, अब कुछ और मजा कैसे लिया जाये, तो पापा की इस बात में मुझे एकदम से एक आईडिया आया . और मैं बात को पलटते बोली )
मैं:- पापा! एक दिन मम्मी बता रही थी कि जब मैं छोटी थी तो मैं बहुत तंग करती थी. सोती भी नहीं थी तो मम्मी मेरी मालिश करती थी और मुझे झट से नींद आ जाती थी. मम्मी मुझे बता रही थीं कि जब इंसान की मालिश की जाये तो उसे नींद आ जाती है. क्या सच में ऐसा है? क्या मेरे मालिश करने से आप को भी नींद आ रही है?
(मेरे से मम्मी की ऐसी कोई बात नहीं हुई थी. मैं तो बस एक आईडिया पर काम कर रही थी, ताकि पापा से मजे ले सकूं. पर पापा को कैसे पता चल सकता था की मैं सच बोल रही हूँ या झूट. पर पापा को इतना तो लगा कि मैं कोई शरारत करना चाहती हूँ, इसीलिए मैं उन्हें सुलाना चाह रही हूँ. पापा मेरी चाल तो नहीं भांप पाए पर कुछ तो अच्छा ही होगा, यह सोच कर उन्होंने भी मेरी चाल में फंसने का दिखावा करके बोला )
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पापा :- हाँ बेटी! यह सच है. किसी भी इंसान की अच्छी मालिश की जाये तो उसे नींद आ जाती है. मुझे भी नींद आ रही है. तुझे बुरा ना लगे इसलिए मैं सो नहीं रहा. क्योंकि जब मैं एक बार सो जाऊं तो कितना भी शोर मचे, या मुझे हिलाया जाये मेरी नींद नहीं टूटती. तुम्हारी मम्मी तो कहती है कि मेरे सर पर तो परमाणु बम्ब भी फेंक दिया जाए तो भी मेरी नींद नहीं टूटती. इसीलिए मैं अपनी नींद को टाल रहा हूँ.
मैं:- अरे तो क्या है पापा. आप को यदि नींद आ रही है तो आप सो जाईये, मैं आप की अच्छी सी मालिश कर दूँगी, और फिर आपको जगा दूँगी, नींद आ रही है तो टालिए मत.
(पापा समझ रहे थे, कि "अच्छे से मालिश" का कुछ अच्छा सा ही मतलब होगा तो वो भी तैयार हो गए और बोले )
पापा :- ठीक है बेटी. जब मालिश हो जाये तो मुझे जगा देना. अब मैं सोने लगा हूँ.
यह कह कर पापा ने झूठमूठ आँखें बंद कर ली, और सोने का नाटक करने लगे. मेरे से रुका रहना बहुत मुश्किल लग रह था तो बस एक मिनट तक ही मैं मुश्किल से रुकी रह पायी और बोली
मैं:- पापा पापा सो गए क्या?
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(पापा चुप रहे और नींद का बहाना करते रहे। मैंने फिर एक दो बार उन्हें आवाज़ दी पर पापा ने कोई जवाब नहीं दिया. मैं समझ रही थी कि क्या हो रहा है. आखिर एक ही मिनट में कोई इतना गहरा कैसे सो सकता है,)
तो मैंने पापा का लौड़ा जो अपने हाथ में पकड़ा हुआ था को हिलाते बोली
मैं:- हाय पापा। आपका यह लण्ड कितना बड़ा मोटा और प्यारा है. कितनी खुशकिस्मत है मेरी मम्मी जो इससे मजे लेती है. मेरा तो मन कर रहा है, कि मैं भी इस से आनंद लू. कब वो समय आएगा जब मैं भी इसे अपने अंदर ले पाउंगी. कल पापा ने मेरी चूत को चाट और चूस कर इतना मजा दिया था. खैर अभी पापा सो रहे हैं तो मैं भी आज पापा के लौड़े को चूस कर देखती हूँ. बस ईश्वर से यही प्रार्थना है की जब तक मैं पापा का लौड़ा चूसती हूँ, पापा की नींद न टूटे.
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(पापा तो जाग ही रहे थे. वो समझ गए कि यह नींद के बहाने का क्या कारण था. उन्हें भी बहुत मजा आने वाला था. मैं जानती थी की अब जब तक मैं पापा का लण्ड चूसती हूँ पापा उठने वाले नहीं हैं. यह हम दोनों बाप बेटी के बीच में अनकहा मामला था. )
अब मेरे सो भी रुका नहीं जा रहा था. तो मैंने पापा के लौड़े के चमड़े को नीचे की तरफ खींच कर पापा का सुपाड़ा नंगा किया. सुपाड़ा तेल से तर होने के कारण चमक रहा था। पापा का सुपाड़ा एक बड़े से आलूबुखारे जैसा लाल और गोल गोल था. मन कर रहा था की झट से उसे अपने मुंह में ले लू. यह दिन के लिए मैं कितने समय से तरस रही थी. आज न जाने कितनी मन्नन्ते मानने के बाद यह समय आया था कि मैं पापा के जानते हुए उनके लण्ड को चूसने जा रही थी. ख़ुशी से मेरा मन धाड़ धाड़ बज रहा था. मेरी चूत बहुत गीली हो गयी थी. मैंने पापा के सुपाडे को साफ़ करने के लिए पापा की लुंगी उठाई , और साफ़ करने थी, कि मेरे मन में आया कि क्यों न पापा का लण्ड अपनी कच्छी से साफ़ करून, ताकि पापा का प्रीकम उस पर लग जाये और जब फिर मैं उसे पह्नु तो पापा का लैंड रस मेरी चूत पर लगे. लुंगी से साफ़ करके उसे खराब क्यों करना.
यह सोच कर मैंने अपनी पैंटी उतारी और जहाँ पर मेरी चूत का पानी लगा था, खास उस जगह को पापा के लण्ड के सुपाडे पर रख कर उसे अच्छी तरह से साफ़ किया और तेल और प्री कम साफ़ होने से सुपाड़ा बिलकुल क्लीन हो गया.
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मैंने अपनी पैंटी एक साइड में रख दी और, पापा के लौड़े को जड़ में से एक हाथ से पकड़ लिए और फिर झुक कर अपनी जीभ शिश्नमुंड पर रखी।
ज्योंही मैंने अपना मुंह पापा के लौड़े पर रखा, तो नींद में होने का बहाना करते पापा से भी रहा नहीं गया और उनके मुंह से जोर की सिसकारी निकल गयी, जिसे मैंने और पापा ने नजरअंदाज कर दिया. वैसे भी हम दोनों जानते थे कि यह तो नाटक ही है.
लौड़े पर जीब फेरने में मुझे इतना अच्छा लगा कि बता नहीं सकती. वैसे भी पहली बार अपने प्यारे पापा का लौड़ा चूसने जा रही थी.
पापा का लण्ड बहुत मोटा था. तो जब मैंने सुपाडे को मुंह में लेने के लिए मुंह खोला तो मुझे पूरा मुंह खोलना पड़ा. तब भी मुश्किल से पापा का सुपाड़ा मुंह में आ पाया. मैंने बुदबुदाते हुए से कहा
आह पापा! आपका लण्ड कितना मोटा है. सुपाड़ा तक मुंह में नहीं आ रहा. तो यह लौड़ा मेरी चूत में कैसे जा पायेगा. पापा आपकी सुमन की चूत तो इसे सहन नहीं कर पायेगी या फिर पक्का फट कर टुकड़े टुकड़े हो जायेगी. पापा ध्यान रखना अपनी प्यारी बेटी की नाजुक चूत का। फाड् कर बुरा हाल न कर देना कहीं बेचारी का. एक ही चूत है आपकी बेटी के पास. फट मैं क्या मुंह लेकर , मेरा मतलब क्या चूत लेकर अपने ससुराल जा पाऊँगी?
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यह कह कर मैंने, लौड़ा मुंह में ले लिया. पापा ने भी अपने आप नीचे से अपनी कमर ऊपर उठा कर मेरे मुंह में लण्ड का झटका मारा तो उनका लण्ड लगभग दो इंच तक मेरे मुंह में घुस गया.
मुझे डर लगा की कहीं पापा ने और जोर से झटका मारा तो उनका लण्ड तो मेरे मुंह को पार करके हलक में ही घुस जायेगा. तो मैंने बचने के लिए, पापा के लौड़े को नीचे जड़ से पकड़ लिया ताकि कम से कम ४ इंच लौड़ा तो बाहर रहे.
फिर मैंने भगवन लंडराज का नाम लेकर पापा के सुपाडे पर अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया और पापा के सुपाडे के छेद में अपनी जीभ की नोक घुसानी शुरू कर दी.
अब तो पापा जोर जोर से आह आह कर रहे थे.
मुझे भी लण्ड चूसने में बहुत मजा आ रहा था. एक तो यह मेरे पापा का प्यारा लण्ड था दुसरे पापा का लौड़ा था ही इतना स्वादिष्ठ कि क्या बताऊँ.
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अब पापा ने भी अपना हाथ मेरे सर पर रख लिया था और उसे जोर से नीचे दबा कर कोशिश कर रहे थे कि अधिक से अधिक लण्ड मेरे धकेल सकें.
मैं तो खुद पूरा लण्ड मुंह में लें लेना चाहती थी पर पापा का लौड़ा था ही इतना बड़ा की पूरा तो मुंह में आ ही नहीं सकता था. यदि पापा जोर से अंदर धकेल देते तो उनका लौड़ा इतना लम्बा था कि शर्तिया मेरे पेट से होकर नीचे चूत से बाहर निकल आता. अतः मैंने नीचे से लौड़े को पकडे रखा और जीतना अधिक से अधिक हो सकता था. उतना मुंह में लेकर चूसती रही.
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मेरी अपनी चूत में जबरदस्त आग लगी हुई थी. तो मैंने अपने दुसरे हाथ की एक ऊँगली पूरी अपनी चूत में घुसा ली और उसे अंदर बाहर करने लगी. पर चूत की आग इतनी भड़क गयी थी कि एक ऊँगली से क्या होना था. मैंने दूसरी ऊँगली भी डाल दी फिर तीसरी भी घुसा ली. मन तो कर रहा था की पूरा हाथ ही अपनी चूत में घुसा लूँ, पर मेरी चूत में भी इतनी जगह नहीं थी. तो मैं करती भी तो भी क्या करती, बस मन मार कर तीन उँगलियों से ही तेज तेज अपनी चूत को चुदती रही. और ऊपर पापा के लौड़े को जोर जोर से चूसती रही.
पापा मेरे बहुत ही अच्छे थे. उन्होंने इतना सब होने पर भी बिलकुल आँख नहीं खोली और नींद में सोये होने का बहाना किये अपना लण्ड चुसवाते रहे अपनी बेटी से. भगवान् ऐसे अच्छे पापा हर जवान लड़की को दें.
खैर मेरे मुंह से अपनी लार निकल कर पापा के लौड़े को गीला कर रही थी. जिसका फ़ायदा यह हो रहा था कि मेरा मुंह पापा के लण्ड के इतना मोटा होने पर भी आसानी से फिसल रहा था और मैं उसे चूस रही थी.
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मेरी चूत की आग मेरी उँगलियों से तेज हो रही थी. अपने आप मेरी उँगलियों की स्पीड बढ़ गयी और उधर पापा के लौड़े पर मेरे मुंह की स्पीड भी बढ़ गयी. पापा का भी स्खलन बहुत पास ही था. उनकी भी सांसे अब बहुत तेज हो गयी थी, उनका दिल इतनी तेजी से धड़क रहा था की मुझे डर लग रहा था की हार्ट अटैक न आ जाये.
पापा का लौड़ा भी लोहे की तरह सख्त हो गया था. अचानक पापा के लंड ने फैलना शुरू कर दिया, मैं समज गयी कि पापा का काम तमाम होने ही वाला है.
अब पापा नीचे से अपनी कमर ऐसे तेज तेज उठा कर मेरे मुंह को चोद रहे थे जैसे चूत को चोद रहे हों.
मेरा अपना भी बस होने ही वाला था.
मैं पापा के साथ ही झड़ना चाहती थी.
अचानक पापा ने एक आह की आवाज़ के साथ अपनी कमर इतनी ऊपर उठा दी कि उनका लण्ड मेरे हलक तक घुस गया. फिर इससे पहले की मैं थोड़ा ऊपर होकर उनके लण्ड से बच पाती, उनके लंड ने एक बड़ी सी पिचकारी अपने गरमा गर्म माल की मेरे मुंह में छोड़ी. पापा का पहला शॉट इतना जबरदस्त था कि वो सीधा मेरे गले से होता हुआ, मेरे पेट में चला गया.
तब तक मैं कुछ संभल गयी थी और अपना मुंह थोड़ा ऊपर कर लिया. और मैंने अपनी गालोँ को कस लिया जैसे किसी चीज का रस चूसते हैं. पापा का लौड़ा अपना माल छोड़ता रहा और मैं उसे पीती रही. मजाल है कि पापा के उस कीमती माल की मैंने एक भी बूँद बाहर बेकार जाने दी हो.
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सारा माल मैं पी गयी.
इधर पापा का ज्योंही माल मेरे मुंह में छूटा, तो मेरी चूत ने भी भरभरा कर हार मान ली. मेरी उँगलियों की स्पीड अपने आप इतनी तेज हो गयी थी कि जैसे बिजली से चल रही हों. मेरी चूत ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया.
मेरे मुंह से अपने आप सिसकारियों की आवाज निकलने लगी. मैं चिल्ला पड़ी.
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मैं :- पापा मर गयी मैं. हो गया काम आपकी बेटी का. पापा आपकी बेटी की चूत देखो कितने आंसू बहा रही है? झड़ रही है आपकी बेटी, अब कब अपने लण्ड का यह रस अपनी बेटी की चूत में डालोगे? तरस रही है पापा आपकी सुमन आपके लण्ड के लिए. चोद लो अपनी बेटी को मम्मी के आने से पहले पहले.
मैं काफी देर तक ऐसे ही पागलों की तरह बड़बड़ाती रही.
मैं इतना थक गयी थी की पापा के ऊपर ही ढेर हो गयी और लगभग पांच मिनट तक ऐसे ही बेहोश की तरह लेटी रही.
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फिर जब थोड़ी ताकत शरीर में आयी. तो मैं उठी और अपनी पैंटी से अपनी चूत को अच्छी तरह से साफ़ किया और पापा के भी लौड़े को साफ़ किया.किया।
और उसे फिर से पापा की अंडरवियर में डाल दिया. फिर मैंने पापा को आवाज दी
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मैं :- पापा पापा. सो रहे हो क्या? मालिश हो गयी है। (मालिश तो हो ही गयी थी. सिर्फ पापा की ही नहीं इधर बेटी की चूत की भी हो चुकी थी )
पापा ने भी भी नाटक करते हुए की जैसे नींद से उठ रहे हों, धीरे से अपनी आँखें खोली और प्यार से मुझे देखते हुए बोले
पापा :- सुमन! कितनी देर सोता रहा मैं. बड़ी जोर की नींद आयी. देखा मैंने कहा था न कि मुझे ऐसी नींद आती है की कुछ भी हो जाये, नींद नहीं टूटती. हो गयी है क्या मालिश?
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मैंने भी नाटक को आगे बढ़ते हुए कहा
मैं :- हाँ पापा. मालिश हो गयी है. अब रात बहुत हो गयी है. आप भी सो जाईये. मैं अपने कमरे में जा रही हूँ.
(असल में मैं तो आज ही चुदवाने का मन था. पर पापा का लौड़ा चूस कर मैं इतना थक गयी थी कि मैंने सोचा की कल ताजा दम हो कर प्यार से और पूरी तस्सली से चुदवा लूंगी. आखिर बाप बेटी की पहली चुदाई है. जरा ढंग से होनी चाहिए. उधर पापा का भी बहुत माल निकला था मेरे मुंह में तो वो भी बहुत थक चुके थे और शायद उन्होंने भी सोचा कि जब बाप बेटी के बीच इतना कुछ हो ही गया है, तो चुदाई भी बहुत दूर नहीं है तो उन्होंने भी मेरी बात का ही समर्थन किया और बोले
पापा :- ठीक है बेटी. इतनी बढ़िया मालिश के लिए बहुत धन्यवाद्. सच में तुमने अपनी माँ से भी कहीं अच्छी तरह से मालिश की है. ऐसी मालिश तो आज तक तेरी माँ ने भी नहीं करी. अब तुम भी सो जाओ कल मिलते हैं.
मैं पापा को बाय करके अपने कमरे में आ गयी. और कल होने वाली मिलन के बारे में सोचते हुए लेट गयी. पर मेरे को क्या मालूम था कि कल क्या होने वाला था. कुछ ऐसा जो हम बाप बेटी ने भी नहीं सोचा था.
अगले दिन क्या हुआ यह मैं आपको बाद में बताती हूँ. अभी तो नींद आ रही है.