जब २२ वर्ष का था तब से अपनी बहन को वासना भरी निगाहों से देखता था, उस समय वो २० की थी एकदम जवान हो गयी थी। उसे एकदम नंगा देखने की, चूत सहलाने की, चूत चाटने की, चूंचियां मसलने की कोशिश करता था।
कभी कभी सोते समय डरते डरते सलवार के ऊपर से उसकी चूचियों और चूत को सहलाता था।
ऐसे ३ वर्ष बीत गया, उसने १२वीं पास कर ली तो पिता जी ने उसे आगे की पढ़ाई के लिए मेरे पास बनारस भेज दिया।
अब बनारस में घर से दूर एक ही कमरे में, एक ही बिस्तर पे, एक ही रजाई में दो जवान कुंवारे भाई बहन कब तक संयम रखते। १९ दिसंबर की रात थी, १२:०० बज रहे थे, बाहर बहुत ठंड थी। मेरी बहन मेरी तरफ मुंह करके सो रही थी, मुझसे रहा नहीं गया, मैंने हिम्मत करके डरते डरते कांपते हुए अपनी जवान बहन को अपनी बाहों में भर लिया। थोड़ी देर बाद उसने भी कसमसाते हुए मुझे अपने ऊपर ले लिया और सिसक कर बोली " आआआह भईया।"
उस रात पूरा कमरा भाई बहन की गरम वासना भरी सिसकारियों से गूंज उठा।