bhattaraiashal
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Aaj ya kal me deta hu bhai...... Vaise ab mera man nhi lgta forum pe pr krte h kuchh prabandhUpdate kab doge yarr. Kyun adhura xod rahe ho kahani ko
Aaj ya kal me deta hu bhai...... Vaise ab mera man nhi lgta forum pe pr krte h kuchh prabandh![]()
Story end karke phir xod dena vai. Achhi stories adhura rahe toh achha nahi lagta vai.Aaj ya kal me deta hu bhai...... Vaise ab mera man nhi lgta forum pe pr krte h kuchh prabandh![]()
Bhai bahut badiya kahani hai, tumhari writing skills bhi bahut ache hai, itni achi kahani ko bich me mat choro....Aaj ya kal me deta hu bhai...... Vaise ab mera man nhi lgta forum pe pr krte h kuchh prabandh![]()
Bhai shandaar update diya hai, itni achi kahani ko bich me chorna sahi nhi hai yaar, tumhe wapas dekh ke bahut khushi hue....Update 18
सुबह जागते ही वीर, रात के अपने एग्रेशन के बारे में सोचने लगा…. उसे पछतावा था… काफी देर यूं ही छत की तरफ देखने के बाद जब उसने करवट बदली तो सामने काव्या का मासूम चेहरा था जिसे देख एकबार फिर उससे रहा नहीं गया और उसने उसके गालों को चूम लिया
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वहीं काव्या जो नींद में होने का दिखावा कर रही थी जैसे ही उसने किस के बाद वीर के मुंह से सॉरी सुना….. वो एक झटके से उसके ऊपर आ गई
काव्या : हम्म….“सॉरी…. पर वो क्यूँ” ???
वीर : वो रात मैं कुछ……(इसके आगे वो कुछ कहता इसके पहले ही काव्या ने उसके लबों पर अपने लब रख दिए और लगभग 2 मिनट तक किस किया)
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“मै तो हूं ही आपकी…. आप जो चाहे वो..... मेरे साथ कर सकते हो”
वीर : जो चाहे वो???…. (काव्या उसकी छाती पे मुक्के मारते हुए, अब मैने ऐसा भी नहीं कहा)
वीर : कहा तो है जानू, पर ठीक है…. तुम खुश तो मैं खुश
वहीं काव्या ने वीर का मूड ठीक देखकर फिर से वही चित्रा वाली बात छेड़ दी आखिर ये है, कौन….. और आप उसे कैसे जानते हो !!
वीर : बताया तो था... तुम्हें सेफ रखनें लिए उसे हायर किया था !!
काव्या: मुझे सेफ ??…… “देखो आप सच नहीं बोल रहे”
वीर : मै सच ही बोल रहा हूं, बाबा…
काव्या : तो फिर आज मुझे सब कुछ डिटेल से बताइए…
ये चित्रा कौन है ?? और आपको मेरी डिबेट के बारे में कहां कैसे पता चला ??
वीर : ठीक है, तो सुनो…
दरअसल रिया दी ने, पहले ही मुझे लकी के बारे में चेता दिया था इसीलिए…. जब तक मैं यहां था….. तुम्हारे हरपल की खबर रखता था....
...और...
वीर : और इंटरव्यू के लिए जाने से पहले मैं ये जिम्मेदारी चित्रा को सौंप गया था !!
काव्या : इसका मतलब डिबेट के बारे भी..चित्रा ???
वीर : अरे नहीं, इसके बारे में तो संकलित से पता चला…. “मेरे दोस्त, का छोटा भाई है वो” !!
काव्या : हम्म…. पर अब चित्रा… पता नहीं पुलिस क्या करेगी उसका ???
वीर : कुछ नहीं होगा उसे.... तुम फालतू टेंशन मत लो
काव्या : हम्म... चलो सारी बातें कनेक्ट हो गई….
वीर : अरे! अभी कहां…. कल तुम्हें बेबी चाहिए था ना, उसे भी तो एक्सप्लेन करो !!
श्रेया के एक फोन की वजह से तुम इतना परेशान हो गई… कि..
काव्या : कि??...कि क्या ?….. बताओ ना !!!
वीर : यही कि….. तुम्हें लगा अगर हमारा बेबी हो जाएगा तो तुम मुझे जिम्मेदारी से बांध लोगी… और..
तभी काव्या बोल पड़ी….. तो क्या इसी बात का गुस्सा कल आपने मुझपर निकला था "साली…. साली बोल कर….. कितनी जोर से जोर से किया.... अभी तक दर्द हो रहा है…. (और उसकी आँखें छलक आईं )
वीर : शक करोगी तो गुस्सा तो आएगा ही…. चलो अब चुप हो जाओ
काव्या सिसकते हुए वो मैं... "मैं आप पर किसी तरह का बंधन नहीं चाहती ” पर..पर
वीर : अरे ठीक है, अब एक्सप्लेन करने की जरूरत नहीं है..... जो हो गया सो हो गया… अभी बस अपनी पढ़ाई पर दो….
काव्या : “वैसे एक बात और है जो मैने आपसे छिपाई है” ?
वीर : छिपाने की कोई वजह होगी….. अगर नहीं बताना.... तो मत बताओ…
काव्या : नहीं, आज मैं आपको सब बताना चाहती हूं…..
वो दरअसल मैं नहीं चाहती थी.... आपको किसी तरह की परेशानी हो इसीलिए जैसे आपको लकी के इरादों के बारे में पता था….. वैसे ही मुझे जानवी…
तभी वीर बोल पड़ा “अरे !! मैने तो तुमसे इसलिए छिपाया था.... क्योंकि तुम अभी पढ़ाई कर रही हो” और मैं नहीं चाहता..... कि तुम फालतू पचड़ों में पड़ो….. और हां.... "रही बात जानवी की तो मुझे उसके इरादों के बारे में भी सब पता था"
काव्या : क्या!!!... तो आपने मुझे इस बारे में बताया क्यूँ नहीं???
वीर : तुम रिलैक्स्ड रहो मैं बस यही चाहता हूं और बाकी सब सम्हालने के लिए तो मैं हूं ही...
काव्या : हम्मम, वैसे कल तो आप मुझे स्ट्रांग बनाने का बोल रहे थे…
वीर : रात गई बात गई…. और वो तो इसीलिए कहा था क्योंकि तुम बच्चे करने की जिद कर रही थी..
काव्या (निराश) : ओह.. हुम्मम….. तभी उसकी नजर घड़ी पर गई….
बाप रे ! काफी लेट हो गया….. “मै नहाने जाती हूं”
और वो बाथरूम चली गई जबकि वीर वहीं लेटा रहा...और पुरानी यादों में खो गया….
फ्लैशबैक :
बात उस समय की है जब हैकर एक्स ने , वीर को उन 12 लोगों की इनफॉर्मेशन निकाल कर दी…. “जिन्होंने उस पर हमला किया था”….
पर फोटोस और थोड़ी सी इनफॉर्मेशन के सहारे उन लोगों तक पहुंचना वीर के लिए भी काफी मुश्किल था……
उसके दिमाग में इस समय राणे का ख्याल आ रहा था लेकिन इसमें काफी समय लग जाता इसलिए उसने फिर से हैकर एक्स से संपर्क किया….
जेसियन उर्फ एक्स जो अपने पिता के कातिल तक पहुंचना चाहता था उसकी ख्वाहिश थी….. एक ऐसी आर्गेनाइजेशन बनाने की…. जो ऐसे ही.... डार्क मैटर्स को सॉल्व करे !!
जब वीर ने लोकेशन के लिए दोबारा उससे संपर्क किया तब उसने अपनी ये इच्छा उसके सामने रखी
वीर : एक आर्गेनाइजेशन
एक्स : हां “डार्क आर्गेनाइजेशन”
काफी देर डिस्कसन के बाद वीर ने जेसियन के इस प्रस्ताव को मान लिया और उन 12 लोगों की लोकेशन मिलते ही खुद को आगे के लिए तैयार करने लगा….
कुछ दिनों बाद
~खंडहर “आउटर भोपाल”
जेसियन के बताए अनुसार आज…. उन 12 लोगों का ग्रुप यहां इकट्ठा होने वाला था….. और वीर के बदले के लिए इस जगह से अच्छी कोई जगह नहीं हो सकती थी...
वीर ने अपने यहां आने की भनक जैक तक को नहीं लगने दी क्योंकि वह अपना बदला खुद लेना चाहता था
“खंडहर के अंदर”
आदमी १ : पता नहीं बहनचोद, हम काम किसके लिए करते है…. साला सामने ही नहीं आता !!
आदमी २ : पैसे मिल रहे हैं ना…. फिर जानकर क्या करना कोई भी हो?..
आदमी १ : पर भाई, बात सिर्फ पैसों की नहीं है वो तो मिलते ही है…. लेकिन ऑर्डर कब आएगा कब नहीं.... कुछ कह नहीं सकते….
आदमी २ : हम्म.. वो तो है..
आदमी १ (फ्रस्ट्रेट होकर) : तब तक क्या करे….. कहां झक मराये ??
आदमी २ : बात तो तूने पते की …..की है लेकिन उस एक ऑर्डर की बदौलत हमारा महीनों का काम बन जाता है…..
और रही बात, तब तक क्या करें.... तो लोकल लफड़े तो हैं न हमारे पास….
आदमी १ : हां, भाई
आदमी २: वैसे, लोकल लफड़े से याद आया वो कालेज वाला छोकरा याद है
आदमी १: हां भाई, कैसे मुंह मांगे पैसे देने को तैयार था……
आपके भांजे की बात न होती तो काफी मोटी मुर्गी थी, मनचाही रकम वसूलते उससे….
आदमी २ : अरे !! हां बे….. “पर लोकल लफ़ड़ों में हम कहां किसी को मारते हैं”………. और उस छोकरे को भी कितना समझाया था……… पर नहीं माना….. अच्छा हुआ, मर गया साला !!
और दोनो हंसने लगे….. हा हाहाह
कुछ देर बाद :
उन्हें उनके साथी की आवाज आई…… बड़े ओ बड़े सब तैयार है…. आ जाओ...
(बाकी के जो 10 बंदे थे वो बढ़िया मटन–वटन बना कर दारू खोले उन्हीं दो आदमियों को बुला रहे थे)
फिर सभी एक गोल घेरा बनाकर बैठ गए... वाह !! क्या खुशबू है, कमाल कर दिया बिरजू ये कहते हुए जैसे ही उन सब के बॉस ने मटन की हंडी में कड़छी चलाई, हवा में से एक डागर आया और सीधा उसके हाथ में घुस गया…..
“आह्ह्ह घुस डाला रे”... (एक भयानक चींख पूरे खंडहर में गूंज गई)
( खंडहर जैसी जगह में उनके साथ... ऐसा कुछ होगा उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था…. उनमें से कोई भी इस हमले के लिए तैयार नहीं था)…..
वहीं वीर अभी कुछ ही महीनों पहले 23 लोगों को मौत के घाट उतार चुका था उसके अंदर से डर और रहम खत्म सा हो गया था
सभी ने अपनी अपनी पोजिशन ली.. पर उन्हें आस–पास कोई नज़र नहीं आया….
बॉस (चिल्लाकर) : ढूंढो साले को…..
सभी आदमी वीर को आस पास ढूंढने लगे जबकि वीर उन सब पर दूर से अपनी नज़र बनाए हुए था और जब उसे कन्फर्म हो गया.... किसी के पास गन नहीं है तो वो सीधा ही उनके बीच आ गया…..
“पहले कौन मरना चाहेगा”……
12 के 12 लोगों की नजरें उस पर टिक गई…..
बॉस : “अपने घायल हाथ को दूसरे हाथ से पकड़े हुए”…….. हराम के पिल्ले तू …. तू बच कैसे गया…..
“कोई बात नहीं” आज हम यहां तेरी रूह तक दफन कर देंगे…
तभी एक और बोला……. बच्चे तूने यहां आके गलती कर दी..
वीर चिल्लाया ““ मैने पूछा पहले कौन ““
बॉस : ये करिया ! तू जा ……. ये बहनचोद बहुत उड़ रहा है
करिया वीर की तरफ जाते हुए….. “बच्चे तेरा मोह.... जिंदगी से खत्म हो गया है, जो खुद चलके मौत के मुंह में आया... ह्हययि”…… जैसे ही वीर की रेंज में वो पहुंचा एक जोरदार मुक्का उसके पेट पर पड़ा साथ ही घुमाकर एक लात उसके पैर के पीछे…..
जिससे वह नीचे बैठ गया और फिर वीर ने उसके पीछे आके उसकी गर्दन मरोड़ दी…. जिससे वह वहीं ढेर हो गया…
और फिर से वीर चिल्लाया…… ““अगला कौन””
(सबकी फट रही थी…. जिसका कारण था.... वो रौबदार आवाज जो उस वक्त किसी बच्चे की तो बिल्कुल नहीं लग रही थी…… दोनो पैरों में खंजर और आंखों में भयंकर गुस्सा)
बॉस : ये हकले तू जा….
पर हकला पास जाने से झिझक रहा था…..तो उसने बिरजू से कहा
ये बिरजू तू जा रे…..
“बिना हथियारों के सबकी फटी पड़ी थी”
जब कोई आगे नहीं बढ़ा तो….
बॉस : अबे सालों थू है तुम्हारी मर्दानगी पर….. एक बच्चे से डर गए…… पहले भी तो मारा था … इसे
“सब एकसाथ हमला करो”
जैसे ही सारे वीर की ओर बढ़े… उसने खंजर निकला और दोनों हाथों से बारी–बारी सबको काटने लगा किसी की गर्दन तो किसी का पेट…
बस खच–खच की आवाज आ रही थी और वीर उन्हें काटते जा रहा था….
जब सभी ढेर हो गए तब वीर रुका…. और बॉस के पास जा पहुंचा जो अपना दायां हाथ सम्हाल रहा था….
बॉस : छोकरे!! तू बहुत बड़ी गलती कर रहा है ये तुझे बहुत महंगा पड़ेगाअअअआ…….(एक जबरदस्त मुक्का उसके जबड़े पर पड़ा)……
“बता तुम लोगो को किसने भेजा था”
वो कुछ नहीं बोला बस मुंह से आते हुए खून को थूका और वीर को एकटक खा जाने वाली नजरों से देखने लगा
वीर : घूर क्या रहा है बहनचोद…. (और खंजर उसके पेट में घुसा दिया)…..
खंजर घुमाते हुए... "कब तक नहीं बोलेगा मादरचोद" !!
वीर जगह–जगह दूसरे खंजर से उसके कट्स बना रहा था जबकि एक खंजर परमानेंटली उसके पेट में था जब दर्द एक बर्दाश्त से बाहर होने लगा तब….
बॉस : भाई ! भाई….. प्रतीक प्रतीक...
(वीर को अब सारा मामला समझ आ रहा था….. उसने सपने में भी नहीं सोचा था…… एक लड़की के पीछे कोई उसके साथ ऐसा कर देगा)
वीर खंजर को और भी ज्यादा घुसाते हुए……..
“कुछ लगता है, क्या वो तुम्हारा ??”……
बॉस : भांजा… भांजा …….
वीर : और, तुम्हारे ऊपर कौन है ?…….
( अब बॉस ने वीर को सब बताना शुरू किया…… कैसे उसे सबसे पहले एक अननोन नंबर से कॉल आया और एक बंगले में भूत बनके लोगो को डराने का काम मिला……
पहले तो उसे इस बात पर भरोसा नहीं हुआ….. लेकिन फिर भी चेक करने के लिए उसने इस काम को अंजाम दिया….. और तभी उसे उसके खाते में 2 लाख रुपए मिले……
इसके बाद से हमेशा ही कुछ समय बाद उसे ऐसे ही किसी काम को अंजाम देने के लिए कॉल आने लगा
जब धीरे–धीरे इन कामों की कठिनाई बढ़ने लगी…. तब इसने अपने अंडर और भी लोगों को जोड़ना चालू किया…. इस तरह उसके अंडर 11 आदमी थे..
लेकिन आज तक उन्हें इस बात का पता नहीं चला.... उन्हें किसका कॉल आता था हर बार एक अलग नंबर से कॉल आता और उन्हें काम मिल जाता )
बॉस : भाई अब मुझे छोड़ दो….. तुम्हे जितने पैसे चाहिए... मैं देने को तैयार हूं….. और मैने तुम्हे सबकुछ बता दिया है
वीर हंसा और जोरों से हंसा…..
“कुछ याद आया आज से 6 महीने पहले मैं भी….. इसी तरह तुमसे भीख मांग रहा था”…….
इन 6 महीनों में ऐसा कोई दिन नहीं रहा होगा.... जब मैने तुम्हे मारने के बारे में नहीं सोचा…..पर हर रोज यही सोचकर..... खुद को तसल्ली दे देता ……. कि
जिस दिन तेरा मेरा सामना होगा.... "तुझे वहीं मार दूंगा"
बॉस गुस्से से चिल्लाया... “मादरचोद”
पर तभी वीर ने दूसरा खंजर उसके सीने में घुसा दिया…. और वो तड़प तड़प कर वहीं मर गया…
एक्स ने कहा था…… इस आर्गेनाइजेशन के तुम पहले किलर हो इसीलिए इस पर अपनी मुहर लगा के आना…..
इसलिए वीर ने सबके हाथ पैरों की उंगलियां काट डाली इससे...... जिनमें थोड़ी भी बची खुची जान थी वो भी निकल गई और निकल गया वो गुबार जो उसके मन में 6 महीनों भरा हुआ था !!
( वीर जब किसी को मारना या तड़पाना शुरू करता तो कुछ ही देर बाद….. उसे उसमें मजा आने लगता और वह क्रूरता और हैवानियत की सारी हदें पार कर देता…… शायद यही एक प्वाइंट था जिसमें उसकी दूसरी पर्सनालिटी ट्रिगर होती थी….)
खैर उसने सबको लाइन से लिटाया और उनकी पीठ पर खंजर से लिखा “k…I…L…L…E…R N...U…M…B…E…R…” १ हर आदमी की पीठ पर साइन का एक लेटर
डार्क आर्गेनाइजेशन :
वीर का खंडहर वाला कांड बहुत फेमस हुआ….. ऐसी क्रूरता ने पुलिस महकमे में भी हलचल मचा दी….. जेसियन और वीर दोनों को पता था अब आगे क्या करना है…..
इसलिए जेसियन जो हर तरह के केसेस में दिलचस्पी लेता था... चाहे वो नेशनल हो या इंटरनेशनल…… उसका कनेक्ट सभी से था
टॉप किलर्स, फाइटर्स और मास्टर्स….. इन्हीं से उसने वीर को ट्रेन करवाया ….
वीर इन सब के बीच भी काफी सारे कामों को अंजाम देता गया जिससे किलर्स की ये आर्गेनाइजेशन अंडरवर्ल्ड में काफी पॉपुलर होने लगी और लगभग 2 साल बाद इस आर्गेनाइजेशन से और भी किलर्स जुड़ने लगे……
आर्गेनाइजेशन का क्लियर रूल था….. अगर कोई किलर अपनी रैंक सुधारना चाहता है तो उसे अपने से ऊपर रैंक वाले को हराकर उसकी रैंक हासिल करनी होगी
जैसे अगर कोई किलर 10वें नंबर पर है तो उसे सबसे पहले किलर नंबर 9 को हराना होगा…….
और इसका सिर्फ एक ही मौका मिलेगा अगर नाकाम हुए तो आप 10 पर ही रहोगे जब तक कि किलर नम्बर 11 आके आपको न हटा दे !!
फिलहाल अब तक इस आर्गेनाइजेशन में 50 से अधिक किलर्स रजिस्टर है…. चाहे सिक्योरिटी की आवश्यकता हो या किसी को मारना हो..... ये सभी तरह के काम को अंजाम देते है
आर्गेनाइजेशन में सभी किलर्स को “शैडो वॉरियर” पर टॉप 5 किलर्स को स्पेशली “डार्क गार्ड” कहा जाता था..
किलर नंबर 2
आर्गेनाइजेशन स्टैबलिश हो जाने के बाद काफी समय तक एक भी किलर एड नहीं हुआ….. और जब हुआ तो वीर का उससे सामना काफी ड्रामेटिक रहा.... या कहें…… ये नाइटफॉल का स्टाइल हैं……
“slaying with the beauty”
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रात में सेक्सी कपड़ों और अदाओं से सब्जेक्ट को अपने जाल में फंसाना…… और इस तरीके से उसकी जान लेना कि उसे खुद ही पता ही न लगे….. कि कब…. उसकी जान चली गई…..
वीर का सामना जब नाइटफॉल (किलर न. २) से हुआ तो वह उसके हुस्न जाल में नहीं फंसा इसका कारण उस वक्त श्रेया रही (कॉलेज लव)…..
फिर नाइटफॉल ने उस पर पॉइजनस डार्ट से हमला करना चाहा जिसे उसने डॉज कर दिया और कुछ को अपने कवर पे ले लिया….
दोनों काफी देर तक अटैक और डिफेंस का खेल खेलते रहे….. और ये खेल तब तक चला जब तक वीर ने उसे एक स्नीक अटैक के थ्रू पिन डाउन नहीं कर दिया….
फ्लैशबैक
काव्या जो अभी बाथरूम में थी जैसे ही बाहर आई….. तो देखा वीर की आंख लग चुकी है….. वो फटाफट तैयार होने लगी
तभी उसका फोन रिंग हुआ ये यशस्वी का कॉल था जो पहले ही उसे 5 बार कॉल कर चुकी थी
काव्या : हेलो
यशस्वी : अरे दी ! कहां थी, आप…… आज ग्राउंड चलना है ना…..
काव्या : हां, बाबा याद है….. बस 10 मिनट में आ रही हूं
यशस्वी : रूही को भी लेते आना…
काव्या : ओके !!
और थोड़ी ही देर बाद तीनों निकल गई, काव्या को स्कूटी सिखाने
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धन्यवाद !
Nice updateUpdate 18
सुबह जागते ही वीर, रात के अपने एग्रेशन के बारे में सोचने लगा…. उसे पछतावा था… काफी देर यूं ही छत की तरफ देखने के बाद जब उसने करवट बदली तो सामने काव्या का मासूम चेहरा था जिसे देख एकबार फिर उससे रहा नहीं गया और उसने उसके गालों को चूम लिया
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वहीं काव्या जो नींद में होने का दिखावा कर रही थी जैसे ही उसने किस के बाद वीर के मुंह से सॉरी सुना….. वो एक झटके से उसके ऊपर आ गई
काव्या : हम्म….“सॉरी…. पर वो क्यूँ” ???
वीर : वो रात मैं कुछ……(इसके आगे वो कुछ कहता इसके पहले ही काव्या ने उसके लबों पर अपने लब रख दिए और लगभग 2 मिनट तक किस किया)
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“मै तो हूं ही आपकी…. आप जो चाहे वो..... मेरे साथ कर सकते हो”
वीर : जो चाहे वो???…. (काव्या उसकी छाती पे मुक्के मारते हुए, अब मैने ऐसा भी नहीं कहा)
वीर : कहा तो है जानू, पर ठीक है…. तुम खुश तो मैं खुश
वहीं काव्या ने वीर का मूड ठीक देखकर फिर से वही चित्रा वाली बात छेड़ दी आखिर ये है, कौन….. और आप उसे कैसे जानते हो !!
वीर : बताया तो था... तुम्हें सेफ रखनें लिए उसे हायर किया था !!
काव्या: मुझे सेफ ??…… “देखो आप सच नहीं बोल रहे”
वीर : मै सच ही बोल रहा हूं, बाबा…
काव्या : तो फिर आज मुझे सब कुछ डिटेल से बताइए…
ये चित्रा कौन है ?? और आपको मेरी डिबेट के बारे में कहां कैसे पता चला ??
वीर : ठीक है, तो सुनो…
दरअसल रिया दी ने, पहले ही मुझे लकी के बारे में चेता दिया था इसीलिए…. जब तक मैं यहां था….. तुम्हारे हरपल की खबर रखता था....
...और...
वीर : और इंटरव्यू के लिए जाने से पहले मैं ये जिम्मेदारी चित्रा को सौंप गया था !!
काव्या : इसका मतलब डिबेट के बारे भी..चित्रा ???
वीर : अरे नहीं, इसके बारे में तो संकलित से पता चला…. “मेरे दोस्त, का छोटा भाई है वो” !!
काव्या : हम्म…. पर अब चित्रा… पता नहीं पुलिस क्या करेगी उसका ???
वीर : कुछ नहीं होगा उसे.... तुम फालतू टेंशन मत लो
काव्या : हम्म... चलो सारी बातें कनेक्ट हो गई….
वीर : अरे! अभी कहां…. कल तुम्हें बेबी चाहिए था ना, उसे भी तो एक्सप्लेन करो !!
श्रेया के एक फोन की वजह से तुम इतना परेशान हो गई… कि..
काव्या : कि??...कि क्या ?….. बताओ ना !!!
वीर : यही कि….. तुम्हें लगा अगर हमारा बेबी हो जाएगा तो तुम मुझे जिम्मेदारी से बांध लोगी… और..
तभी काव्या बोल पड़ी….. तो क्या इसी बात का गुस्सा कल आपने मुझपर निकला था "साली…. साली बोल कर….. कितनी जोर से जोर से किया.... अभी तक दर्द हो रहा है…. (और उसकी आँखें छलक आईं )
वीर : शक करोगी तो गुस्सा तो आएगा ही…. चलो अब चुप हो जाओ
काव्या सिसकते हुए वो मैं... "मैं आप पर किसी तरह का बंधन नहीं चाहती ” पर..पर
वीर : अरे ठीक है, अब एक्सप्लेन करने की जरूरत नहीं है..... जो हो गया सो हो गया… अभी बस अपनी पढ़ाई पर दो….
काव्या : “वैसे एक बात और है जो मैने आपसे छिपाई है” ?
वीर : छिपाने की कोई वजह होगी….. अगर नहीं बताना.... तो मत बताओ…
काव्या : नहीं, आज मैं आपको सब बताना चाहती हूं…..
वो दरअसल मैं नहीं चाहती थी.... आपको किसी तरह की परेशानी हो इसीलिए जैसे आपको लकी के इरादों के बारे में पता था….. वैसे ही मुझे जानवी…
तभी वीर बोल पड़ा “अरे !! मैने तो तुमसे इसलिए छिपाया था.... क्योंकि तुम अभी पढ़ाई कर रही हो” और मैं नहीं चाहता..... कि तुम फालतू पचड़ों में पड़ो….. और हां.... "रही बात जानवी की तो मुझे उसके इरादों के बारे में भी सब पता था"
काव्या : क्या!!!... तो आपने मुझे इस बारे में बताया क्यूँ नहीं???
वीर : तुम रिलैक्स्ड रहो मैं बस यही चाहता हूं और बाकी सब सम्हालने के लिए तो मैं हूं ही...
काव्या : हम्मम, वैसे कल तो आप मुझे स्ट्रांग बनाने का बोल रहे थे…
वीर : रात गई बात गई…. और वो तो इसीलिए कहा था क्योंकि तुम बच्चे करने की जिद कर रही थी..
काव्या (निराश) : ओह.. हुम्मम….. तभी उसकी नजर घड़ी पर गई….
बाप रे ! काफी लेट हो गया….. “मै नहाने जाती हूं”
और वो बाथरूम चली गई जबकि वीर वहीं लेटा रहा...और पुरानी यादों में खो गया….
फ्लैशबैक :
बात उस समय की है जब हैकर एक्स ने , वीर को उन 12 लोगों की इनफॉर्मेशन निकाल कर दी…. “जिन्होंने उस पर हमला किया था”….
पर फोटोस और थोड़ी सी इनफॉर्मेशन के सहारे उन लोगों तक पहुंचना वीर के लिए भी काफी मुश्किल था……
उसके दिमाग में इस समय राणे का ख्याल आ रहा था लेकिन इसमें काफी समय लग जाता इसलिए उसने फिर से हैकर एक्स से संपर्क किया….
जेसियन उर्फ एक्स जो अपने पिता के कातिल तक पहुंचना चाहता था उसकी ख्वाहिश थी….. एक ऐसी आर्गेनाइजेशन बनाने की…. जो ऐसे ही.... डार्क मैटर्स को सॉल्व करे !!
जब वीर ने लोकेशन के लिए दोबारा उससे संपर्क किया तब उसने अपनी ये इच्छा उसके सामने रखी
वीर : एक आर्गेनाइजेशन
एक्स : हां “डार्क आर्गेनाइजेशन”
काफी देर डिस्कसन के बाद वीर ने जेसियन के इस प्रस्ताव को मान लिया और उन 12 लोगों की लोकेशन मिलते ही खुद को आगे के लिए तैयार करने लगा….
कुछ दिनों बाद
~खंडहर “आउटर भोपाल”
जेसियन के बताए अनुसार आज…. उन 12 लोगों का ग्रुप यहां इकट्ठा होने वाला था….. और वीर के बदले के लिए इस जगह से अच्छी कोई जगह नहीं हो सकती थी...
वीर ने अपने यहां आने की भनक जैक तक को नहीं लगने दी क्योंकि वह अपना बदला खुद लेना चाहता था
“खंडहर के अंदर”
आदमी १ : पता नहीं बहनचोद, हम काम किसके लिए करते है…. साला सामने ही नहीं आता !!
आदमी २ : पैसे मिल रहे हैं ना…. फिर जानकर क्या करना कोई भी हो?..
आदमी १ : पर भाई, बात सिर्फ पैसों की नहीं है वो तो मिलते ही है…. लेकिन ऑर्डर कब आएगा कब नहीं.... कुछ कह नहीं सकते….
आदमी २ : हम्म.. वो तो है..
आदमी १ (फ्रस्ट्रेट होकर) : तब तक क्या करे….. कहां झक मराये ??
आदमी २ : बात तो तूने पते की …..की है लेकिन उस एक ऑर्डर की बदौलत हमारा महीनों का काम बन जाता है…..
और रही बात, तब तक क्या करें.... तो लोकल लफड़े तो हैं न हमारे पास….
आदमी १ : हां, भाई
आदमी २: वैसे, लोकल लफड़े से याद आया वो कालेज वाला छोकरा याद है
आदमी १: हां भाई, कैसे मुंह मांगे पैसे देने को तैयार था……
आपके भांजे की बात न होती तो काफी मोटी मुर्गी थी, मनचाही रकम वसूलते उससे….
आदमी २ : अरे !! हां बे….. “पर लोकल लफ़ड़ों में हम कहां किसी को मारते हैं”………. और उस छोकरे को भी कितना समझाया था……… पर नहीं माना….. अच्छा हुआ, मर गया साला !!
और दोनो हंसने लगे….. हा हाहाह
कुछ देर बाद :
उन्हें उनके साथी की आवाज आई…… बड़े ओ बड़े सब तैयार है…. आ जाओ...
(बाकी के जो 10 बंदे थे वो बढ़िया मटन–वटन बना कर दारू खोले उन्हीं दो आदमियों को बुला रहे थे)
फिर सभी एक गोल घेरा बनाकर बैठ गए... वाह !! क्या खुशबू है, कमाल कर दिया बिरजू ये कहते हुए जैसे ही उन सब के बॉस ने मटन की हंडी में कड़छी चलाई, हवा में से एक डागर आया और सीधा उसके हाथ में घुस गया…..
“आह्ह्ह घुस डाला रे”... (एक भयानक चींख पूरे खंडहर में गूंज गई)
( खंडहर जैसी जगह में उनके साथ... ऐसा कुछ होगा उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था…. उनमें से कोई भी इस हमले के लिए तैयार नहीं था)…..
वहीं वीर अभी कुछ ही महीनों पहले 23 लोगों को मौत के घाट उतार चुका था उसके अंदर से डर और रहम खत्म सा हो गया था
सभी ने अपनी अपनी पोजिशन ली.. पर उन्हें आस–पास कोई नज़र नहीं आया….
बॉस (चिल्लाकर) : ढूंढो साले को…..
सभी आदमी वीर को आस पास ढूंढने लगे जबकि वीर उन सब पर दूर से अपनी नज़र बनाए हुए था और जब उसे कन्फर्म हो गया.... किसी के पास गन नहीं है तो वो सीधा ही उनके बीच आ गया…..
“पहले कौन मरना चाहेगा”……
12 के 12 लोगों की नजरें उस पर टिक गई…..
बॉस : “अपने घायल हाथ को दूसरे हाथ से पकड़े हुए”…….. हराम के पिल्ले तू …. तू बच कैसे गया…..
“कोई बात नहीं” आज हम यहां तेरी रूह तक दफन कर देंगे…
तभी एक और बोला……. बच्चे तूने यहां आके गलती कर दी..
वीर चिल्लाया ““ मैने पूछा पहले कौन ““
बॉस : ये करिया ! तू जा ……. ये बहनचोद बहुत उड़ रहा है
करिया वीर की तरफ जाते हुए….. “बच्चे तेरा मोह.... जिंदगी से खत्म हो गया है, जो खुद चलके मौत के मुंह में आया... ह्हययि”…… जैसे ही वीर की रेंज में वो पहुंचा एक जोरदार मुक्का उसके पेट पर पड़ा साथ ही घुमाकर एक लात उसके पैर के पीछे…..
जिससे वह नीचे बैठ गया और फिर वीर ने उसके पीछे आके उसकी गर्दन मरोड़ दी…. जिससे वह वहीं ढेर हो गया…
और फिर से वीर चिल्लाया…… ““अगला कौन””
(सबकी फट रही थी…. जिसका कारण था.... वो रौबदार आवाज जो उस वक्त किसी बच्चे की तो बिल्कुल नहीं लग रही थी…… दोनो पैरों में खंजर और आंखों में भयंकर गुस्सा)
बॉस : ये हकले तू जा….
पर हकला पास जाने से झिझक रहा था…..तो उसने बिरजू से कहा
ये बिरजू तू जा रे…..
“बिना हथियारों के सबकी फटी पड़ी थी”
जब कोई आगे नहीं बढ़ा तो….
बॉस : अबे सालों थू है तुम्हारी मर्दानगी पर….. एक बच्चे से डर गए…… पहले भी तो मारा था … इसे
“सब एकसाथ हमला करो”
जैसे ही सारे वीर की ओर बढ़े… उसने खंजर निकला और दोनों हाथों से बारी–बारी सबको काटने लगा किसी की गर्दन तो किसी का पेट…
बस खच–खच की आवाज आ रही थी और वीर उन्हें काटते जा रहा था….
जब सभी ढेर हो गए तब वीर रुका…. और बॉस के पास जा पहुंचा जो अपना दायां हाथ सम्हाल रहा था….
बॉस : छोकरे!! तू बहुत बड़ी गलती कर रहा है ये तुझे बहुत महंगा पड़ेगाअअअआ…….(एक जबरदस्त मुक्का उसके जबड़े पर पड़ा)……
“बता तुम लोगो को किसने भेजा था”
वो कुछ नहीं बोला बस मुंह से आते हुए खून को थूका और वीर को एकटक खा जाने वाली नजरों से देखने लगा
वीर : घूर क्या रहा है बहनचोद…. (और खंजर उसके पेट में घुसा दिया)…..
खंजर घुमाते हुए... "कब तक नहीं बोलेगा मादरचोद" !!
वीर जगह–जगह दूसरे खंजर से उसके कट्स बना रहा था जबकि एक खंजर परमानेंटली उसके पेट में था जब दर्द एक बर्दाश्त से बाहर होने लगा तब….
बॉस : भाई ! भाई….. प्रतीक प्रतीक...
(वीर को अब सारा मामला समझ आ रहा था….. उसने सपने में भी नहीं सोचा था…… एक लड़की के पीछे कोई उसके साथ ऐसा कर देगा)
वीर खंजर को और भी ज्यादा घुसाते हुए……..
“कुछ लगता है, क्या वो तुम्हारा ??”……
बॉस : भांजा… भांजा …….
वीर : और, तुम्हारे ऊपर कौन है ?…….
( अब बॉस ने वीर को सब बताना शुरू किया…… कैसे उसे सबसे पहले एक अननोन नंबर से कॉल आया और एक बंगले में भूत बनके लोगो को डराने का काम मिला……
पहले तो उसे इस बात पर भरोसा नहीं हुआ….. लेकिन फिर भी चेक करने के लिए उसने इस काम को अंजाम दिया….. और तभी उसे उसके खाते में 2 लाख रुपए मिले……
इसके बाद से हमेशा ही कुछ समय बाद उसे ऐसे ही किसी काम को अंजाम देने के लिए कॉल आने लगा
जब धीरे–धीरे इन कामों की कठिनाई बढ़ने लगी…. तब इसने अपने अंडर और भी लोगों को जोड़ना चालू किया…. इस तरह उसके अंडर 11 आदमी थे..
लेकिन आज तक उन्हें इस बात का पता नहीं चला.... उन्हें किसका कॉल आता था हर बार एक अलग नंबर से कॉल आता और उन्हें काम मिल जाता )
बॉस : भाई अब मुझे छोड़ दो….. तुम्हे जितने पैसे चाहिए... मैं देने को तैयार हूं….. और मैने तुम्हे सबकुछ बता दिया है
वीर हंसा और जोरों से हंसा…..
“कुछ याद आया आज से 6 महीने पहले मैं भी….. इसी तरह तुमसे भीख मांग रहा था”…….
इन 6 महीनों में ऐसा कोई दिन नहीं रहा होगा.... जब मैने तुम्हे मारने के बारे में नहीं सोचा…..पर हर रोज यही सोचकर..... खुद को तसल्ली दे देता ……. कि
जिस दिन तेरा मेरा सामना होगा.... "तुझे वहीं मार दूंगा"
बॉस गुस्से से चिल्लाया... “मादरचोद”
पर तभी वीर ने दूसरा खंजर उसके सीने में घुसा दिया…. और वो तड़प तड़प कर वहीं मर गया…
एक्स ने कहा था…… इस आर्गेनाइजेशन के तुम पहले किलर हो इसीलिए इस पर अपनी मुहर लगा के आना…..
इसलिए वीर ने सबके हाथ पैरों की उंगलियां काट डाली इससे...... जिनमें थोड़ी भी बची खुची जान थी वो भी निकल गई और निकल गया वो गुबार जो उसके मन में 6 महीनों भरा हुआ था !!
( वीर जब किसी को मारना या तड़पाना शुरू करता तो कुछ ही देर बाद….. उसे उसमें मजा आने लगता और वह क्रूरता और हैवानियत की सारी हदें पार कर देता…… शायद यही एक प्वाइंट था जिसमें उसकी दूसरी पर्सनालिटी ट्रिगर होती थी….)
खैर उसने सबको लाइन से लिटाया और उनकी पीठ पर खंजर से लिखा “k…I…L…L…E…R N...U…M…B…E…R…” १ हर आदमी की पीठ पर साइन का एक लेटर
डार्क आर्गेनाइजेशन :
वीर का खंडहर वाला कांड बहुत फेमस हुआ….. ऐसी क्रूरता ने पुलिस महकमे में भी हलचल मचा दी….. जेसियन और वीर दोनों को पता था अब आगे क्या करना है…..
इसलिए जेसियन जो हर तरह के केसेस में दिलचस्पी लेता था... चाहे वो नेशनल हो या इंटरनेशनल…… उसका कनेक्ट सभी से था
टॉप किलर्स, फाइटर्स और मास्टर्स….. इन्हीं से उसने वीर को ट्रेन करवाया ….
वीर इन सब के बीच भी काफी सारे कामों को अंजाम देता गया जिससे किलर्स की ये आर्गेनाइजेशन अंडरवर्ल्ड में काफी पॉपुलर होने लगी और लगभग 2 साल बाद इस आर्गेनाइजेशन से और भी किलर्स जुड़ने लगे……
आर्गेनाइजेशन का क्लियर रूल था….. अगर कोई किलर अपनी रैंक सुधारना चाहता है तो उसे अपने से ऊपर रैंक वाले को हराकर उसकी रैंक हासिल करनी होगी
जैसे अगर कोई किलर 10वें नंबर पर है तो उसे सबसे पहले किलर नंबर 9 को हराना होगा…….
और इसका सिर्फ एक ही मौका मिलेगा अगर नाकाम हुए तो आप 10 पर ही रहोगे जब तक कि किलर नम्बर 11 आके आपको न हटा दे !!
फिलहाल अब तक इस आर्गेनाइजेशन में 50 से अधिक किलर्स रजिस्टर है…. चाहे सिक्योरिटी की आवश्यकता हो या किसी को मारना हो..... ये सभी तरह के काम को अंजाम देते है
आर्गेनाइजेशन में सभी किलर्स को “शैडो वॉरियर” पर टॉप 5 किलर्स को स्पेशली “डार्क गार्ड” कहा जाता था..
किलर नंबर 2
आर्गेनाइजेशन स्टैबलिश हो जाने के बाद काफी समय तक एक भी किलर एड नहीं हुआ….. और जब हुआ तो वीर का उससे सामना काफी ड्रामेटिक रहा.... या कहें…… ये नाइटफॉल का स्टाइल हैं……
“slaying with the beauty”
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रात में सेक्सी कपड़ों और अदाओं से सब्जेक्ट को अपने जाल में फंसाना…… और इस तरीके से उसकी जान लेना कि उसे खुद ही पता ही न लगे….. कि कब…. उसकी जान चली गई…..
वीर का सामना जब नाइटफॉल (किलर न. २) से हुआ तो वह उसके हुस्न जाल में नहीं फंसा इसका कारण उस वक्त श्रेया रही (कॉलेज लव)…..
फिर नाइटफॉल ने उस पर पॉइजनस डार्ट से हमला करना चाहा जिसे उसने डॉज कर दिया और कुछ को अपने कवर पे ले लिया….
दोनों काफी देर तक अटैक और डिफेंस का खेल खेलते रहे….. और ये खेल तब तक चला जब तक वीर ने उसे एक स्नीक अटैक के थ्रू पिन डाउन नहीं कर दिया….
फ्लैशबैक
काव्या जो अभी बाथरूम में थी जैसे ही बाहर आई….. तो देखा वीर की आंख लग चुकी है….. वो फटाफट तैयार होने लगी
तभी उसका फोन रिंग हुआ ये यशस्वी का कॉल था जो पहले ही उसे 5 बार कॉल कर चुकी थी
काव्या : हेलो
यशस्वी : अरे दी ! कहां थी, आप…… आज ग्राउंड चलना है ना…..
काव्या : हां, बाबा याद है….. बस 10 मिनट में आ रही हूं
यशस्वी : रूही को भी लेते आना…
काव्या : ओके !!
और थोड़ी ही देर बाद तीनों निकल गई, काव्या को स्कूटी सिखाने
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धन्यवाद !