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Aaj thoda kaam aa gya h....... subah tk update dal dunga/ late night bhi aa skta h
Hmmm... as a reader mai bhi ek samay isi chiz se pareshan tha isiliye koi bhi story adhoori nhi chhodunga.... Bas ise jaldi se khatm kr dun....Bhai karib karib 100 pages search karke link pata chala aapki 2nd story ka,
Jab ho sake please usko start karo,
Pahle bin account ke padhi thi story abhi account open Kiya tha tab se dimag me thi story ki thodi thodi dhundhli yaad
Jab bhi waqt mile please update kariyega.
Follow kar liya hu to notification mil jayega.
Jarur padhunga...
Meharbani, dhanyavadHmmm... as a reader mai bhi ek samay isi chiz se pareshan tha isiliye koi bhi story adhoori nhi chhodunga.... Bas ise jaldi se khatm kr dun....![]()
Bahut badiyaUpdate 17
अब तक…
वीर सभी को घुमाने ले जाने वाला है तो वहीं दूसरी ओर लकी ने जैसे–तैसे कर कागज पे, काव्या, सोनू और जानवी लिखा..…
अब आगे…
आज, सोनू भी कॉलेज नहीं गया, उसके दिमाग में सवालों का तूफान आया हुआ था…. जैसे ही सुबह, पुलिस ने उसे थाने बुलाया, उसने जानवी को छोड़ दिया…. और पुलिस की पूंछताछ खत्म होते ही उसे कॉल कर बताया…. “आखिर लकी के साथ क्या कांड हो गया है”
वहीं जानवी रात भर चुदने की वजह से इतनी थकी हुई थी कि.... आज कॉलेज नहीं जाने वाली थी, उसने हां–हूं करते हुए सोनू से बात की और कॉल काट दिया !!
सोनू घर में लेटा हुआ, परेशान था, उसने कॉलेज फोन घुमाया तो पता चला आज “काव्या और यशस्वी भी कॉलेज नहीं आईं”….
क्या हुआ होगा ? इनके कॉलेज ना जाने की, क्या..... वजह हो सकती है ? यही सोच–सोच कर उसका दिमाग फटा.... जा रहा था !!
पर कुछ ही देर बाद, वह उन दिनों में चला गया जब वह सीधा–साधा लड़का हुआ करता था इस सब की शुरुआत तब हुई थी जब ये दोनों आम से दोस्त थे....
लकी ने इसकी बहन को अपने प्यार के जाल में फंसा लिया और उसके साथ नग्न अवस्था में बोहोत से विडियोज रिकॉर्ड कर लिए, अब वह उसे किसी रंडी की तरह ट्रीट करता था…..
बाद में, जब सोनू को इसका पता चला तो बदनामी के डर से उसने परिस्थिति से समझौता कर लिया और सब जानने के बावजूद अपनी आंखे बंद कर ली....... और हर सही–गलत में लकी का साथ देने लगा….. गुजरते वक्त के साथ इसको भी इन सब में मजा आने लगा…..
अभी वो इन्हीं ख्यालों में खोया हुआ था कि…. पुलिस स्टेशन से उसे बुलावा आ गया….
|| नानाजी को लकी से, जैसे ही सोनू का नाम मिला वो तो इसे उठवाने की सोच रहे थे परन्तु राजेश ने उन्हें पहले नजर रखने के लिए कहा क्योंकि वो जनता था डीएसपी थोड़ी खिसकी बुद्धि का है, अगर यूं ही किसी को गैर कानूनी तरीके से उठावाया तो वो सबको लपेटे में ले लेगा वैसे भी अभी सोनू से पूछताछ जारी थी, अंततः नाना ने उसकी बात मानी और सोनू के पीछे अपना एक आदमी लगा दिया ||
सोनू जैसे ही थाने पहुंचा डीएसपी ने खुद ही उससे पूछताछ करना ठीक समझा।
डीएसपी: देखो सोनू, लकी के मोबाइल से हमें काफी कुछ मिल चुका है तो मैं सीधे–सीधे सवाल पूछूंगा……… “और अगर मुझे मेरा जवाब नहीं मिला तो”
सोनू को पता था लकी का क्या हश्र हुआ है, अगर वह सब छिपा भी लेता है, तो बाद में पुलिस को पता लग ही जाएगा….
(घबराकर) मै सब कुछ सच–सच बताने के लिए तैयार हूं सर !! …..
डीएसपी : तो बताओ ये सब, शुरू कैसे हुआ….
सोनू ने खुद को सेफ रखते हुए, सारी चीजें बताना शुरू की…. डिबेट के बाद कैसे लकी, “काव्या और यशस्वी” को अड्डे पे लाने वाला था और आगे की क्या प्लानिंग थी उसने अब उगल दिया....
डीएसपी अब सारा मामला समझ चुका था “डेड बॉडीज और लकी के बीच का कनेक्शन” और वो टेम्पो..….
डीएसपी: वैसे, लकी के मोबाइल से तुम्हारी बहन के विडियोज भी मिले है आगे और जांच चल रही है, हम उन्हें डिलीट कर देंगे…
सोनू : थैंक यू सर !!
डीएसपी: वो सब तो ठीक है, पर तुम्हें...... अभी इसीलिए छोड़ रहा हूं, क्योंकि तुम्हारे खिलाफ कोई सबूत नहीं है, बाकि तुम इसमें शामिल हो
......तो तुम्हे आगे भी बुलाया जा सकता है, और जरूरत पड़ने पे कोर्ट में यही गवाही देना जो अभी कहा है, ताकि में तुम्हारे खिलाफ कोई शख्त कदम न उठाऊं….. और छोटे–मोटे मसले को अपने स्तर पे ही दबा दूं
सोनू : जी, ठीक है सर….
सोनू के जाने के बाद–
डीएसपी :अब इस “काव्या और यशस्वी” से पूंछताछ करनी पड़ेगी…. आखिर वहां हुआ क्या था ??
(पुलिस को जितने भी विडियोज मिले थे, उन सब में लकी का चेहरा नहीं था वर्ना वो सीधे ही फंस जाता था, पर ये बात तो तय थी लकी के पास और भी विडियोज होंगे जिनमें उसका चेहरा भी होगा…)
घर जाते वक्त–
सोनू :जानवी को अब तक, लकी ने डरा रखा था….. कही अब वो मुझे ही लपेटे में ना ले ले…. साला जब तक इसके साथ नहीं किया था, सेफ था… अब डर लग रहा है,
वैसे कल रात तो बड़े ही मजे से चुदवा रही थी….
वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, भोपाल :
दोपहर, लगभग 1 बजे वीर….. काव्या, यशस्वी और रूही के साथ वन विहार पहुंचा……. और सभी ने वहां पैदल घूमने का निर्णय लिया….
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काव्या और वीर साथ–साथ चल रहे थे…. तो वहीं रूही, यशस्वी अपनी ही मस्ती में गुम एक दूसरे की तस्वीरें निकाल रहीं थीं…..
कुछ जानवर तो उन्हें सीधे नजर आ गए जबकि कुछ पेड़ों की आड़ में छिपे रहे…….
सबसे पहले उन्होंने हायना का बाड़ा फिर लकड़बग्घा का बाड़ा, बाघ का बाड़ा, सफेद बाघ का बाड़ा, गौर का बाड़ा, पैंथर का बाड़ा और अंत में भालू का बाड़ा देखा…
इसके बाद, डियर पार्क में उन्हें हिरणों का, एक खूबसूरत झुंड नजर आया…..
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वीर जब काव्या को लेकर स्नेक पार्क पहुंचा तो वो सांपों को देखते ही डर गई और वीर के कंधे को जोर से पकड़ लिया……
वीर को.... काव्या का यूं हाथ पकड़के चलना, डरना और डरके हाथ को मजबूती से पकड़ लेना काफी अच्छा लग रहा था !!
इसके बाद वीर उसे मगरमच्छ का तालाब, घड़ियाल का तालाब और कछुओं का तालाब दिखाने ले गया….
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फिर वे, जब पक्षी विहार पहुंचे तो वहां एक अलग ही माहौल था, एक ही पेड़ पर भिन्न–भिन्न प्रकार के पक्षी बैठे हुए थे…… क्या ही नजारा था !!
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इतना सब घूमने के बाद अब सभी थक चुके थे तो वीर उन्हें वाइल्ड कैफे ले गया वहां सभी ने हल्का नाश्ता लिया..…. (तभी यशस्वी को पुलिस स्टेशन से कॉल आ गया)…
पर उन्होंने अपने भ्रमण का अंत करने से पहले “विहार वीथिका” देखी और वहां पर कई सारे फोटोज क्लिक किए….. शाम के लगभग 4 बज रहे थे इसलिए वीर उन्हें लेकर जल्दी से पुलिस स्टेशन के लिए निकल गया…..
~~~
सोनू से “काव्या और यशस्वी” के बारे में जानने के पश्चात, डीएसपी ने एक कांस्टेबल कॉलेज भेजा.... जहां से उसने यशस्वी और काव्या का ऐड्रेस ले लिया क्योंकि वो दोनो आज कॉलेज नहीं आई थीं…..
फिर जब वह एड्रेस के अकॉर्डिंग हॉस्टल गया तो पता चला काव्या, अब वहां नहीं रहती और यशस्वी के घर तो ताला लगा ही.... हुआ था…..
जब उनके पास कोई और रास्ता नहीं बचा तो उन्होंने यशस्वी को फोन लगाया जिससे उन्हें काव्या का भी पता चल गया….. क्योंकि दोनो साथ ही थीं…
डीएसपी लकी के मोबाइल से आपत्तिजनक विडियोज मिलने के बाद...... से ही इस केस में और भी अधिक दिलचस्पी लेने लगा….. कैसे भी करके वो “नानाजी” के खिलाफ कोई सबूत चाहता था.….
पुलिस स्टेशन (लगभग 4:30 बजे )
डीएसपी, बाहर ही सबका इंतजार कर था….. जैसे चारों वहां पहुंचे
डीएसपी : आओ बेटा ! आओ, तुम काव्या हो न और तुम यशस्वी…..
दोनो एक साथ : जी
डीएसपी : और तुम दोनो…
काव्या : फैमिली..
डीएसपी : अच्छा तो तुम इसके भाई हो, कल इतना बड़ा कांड हो गया इनके साथ और तुमने रिपोर्ट तक नहीं लिखवाई….. कैसे भाई हो ??
काव्या वीर का हाथ थामके : ये मेरे हसबैंड है, “वीर”…… और कल जो हुआ उसके बाद में खुद ही सदमे में थी…. रिपोर्ट कैसे लिखाती…
डीएसपी पहले तो चौंका “इसकी शादी हो चुकी है”…. पर उसके बाद…. "मिस्टर वीर” आपको तो जिम्मेदार पति होने के नाते कोई न कोई ठोस कदम उठाना चाहिए था...
वीर : सर !! इसीलिए ही तो मैं इंदौर से भागा– भागा वापिस आया हूं…… ताकि अपनी वाइफ को कुछ समय दे सकूं……
डीएसपी : अच्छा !! तो आप यहां नहीं थे…… चलिए कोई बात नहीं, शाम हो रही है घरवाले चिंता कर रहे होंगे…. औरआप दोनों उस दिन क्या हुआ था सब डिटेल में बताइए !!…..
पहले तो काव्या और यशस्वी ने एक–दूसरे की तरफ देखा..... और उसके बाद अपनी आंखों देखा हाल डीएसपी को सुनाना शुरू किया……..
डीएसपी “” : साला, किलर नंबर १ तो....एक लड़की निकला….. चलो कोई बात नहीं, पहली बार कोई लीड हाथ आई है…….
डीएसपी : ठीक है, अब आप दोनो जा सकती हो, अगर कुछ भी स्पेसिफिक उस दिन से रिलेटेड याद आए तो तुरंत ही, यहां कॉल करना....
सभी एक साथ : जी सर !!
~~~
जैसे ही चारों वहां से निकले...
रूही :भाभी आप सबने मुझसे ये बात छुपाई, अब मैं किसी से बात नहीं करूंगी….…..
वीर : ऐसा नहीं है, बिट्टू !! ये बड़ों के बीच की बात है, और मेरे रहते किसी को कहां कुछ हो सकता है ??
रूही (रोते हुए) : ले..लेकिन…. मुझे ये बात मम्मी को बतानी है……..
वीर : ठीक है ! ठीक है !!…. घर चलके आराम से मम्मी को बता देना..... और अब ये रोना–धोना बंद करो…..
“” : हमने वन विहार में ही इतना समय लगा दिया…… कि साइंस म्यूजियम ही नहीं जा पाए…… और रही–सही बाहर खाने की प्लानिंग पुलिस स्टेशन जाने से खराब हो गई…..
जैसे ही चारों पार्किंग में पहुंचे.... ठीक उसी समय अशोक की कार से रंभा बाहर आ रही थी….
यशस्वी : पापा–आंटी आप दोनों “एकसाथ”
अशोक : हां बेटा एक ही अस्पताल है न तो, साथ ही आ गए……. वैसे आप दोनो के साथ इतना सब हो गया, बताना जरूरी नहीं समझा….
शुक्र है, मुझे पुलिस वालों का कॉल आ गया और बातों–बातों में रंभा जी ने मुझे सब बता दिया….. नहीं तो बेटा आप तो बताने……. ही नहीं वालीं थी…..
यशस्वी : अरे पापा, आप कहां– यहां शिकायत लेकर बैठ गए, घर चलिए..... मैं आपको सब बताती हूं …..
लकी के घर :
नानाजी : अबे !! राजेश तू तो कायर था ही मुझे भी बना दिया, इस सोनू हरामखोर को जरूर कुछ ना कुछ पता है ??
राजेश : शायद आपको पता नहीं है, ये डीएसपी टेढ़ी बुद्धि का है, आपके खिलाफ १ सबूत भी मिल गया तो आपको कही का नहीं छोड़ेगा..
नानाजी : नामर्द कहीं का, पता नहीं मेरी गुड़िया को इसमें ऐसा क्या दिखा जो इसके पीछे पागल हो गई…
राजेश : आप चाहे जितनी गालियां दे लीजिए लेकिन पुलिस अभी सक्रिय है..... तो कोई भी गलत कदम उठाने से पहले 10 बार सोच लीजिएगा…
नानाजी : तू सोचता रह, "ये सब"…. लकी ने जो नाम दिए है, उन्हीं में से कोई है, जिसकी वजह से आज उसकी ये हालत है…
राजेश : मै भी तो उसी आदमी से मिलना चाहता हूं जिसने ये काम किया है
ब्रिजपुर :
जैसे ही रूही ने मम्मी से….. यहां घटित घटना का जिक्र किया…. वो बोहोत गुस्से में आ गई…… और कॉल काटते ही वीर को फोन मिला दिया…
“वीर फोन लेकर छत में चला गया”
वीर : हां, मम्मी !!
मम्मी : क्यों रे !! जब तेरा इंटरव्यू हो गया था…… तो वहां एक्स्ट्रा रुकने की क्या जरूरत थी, आजकल जमाना खराब है, तुझे बहु की फिक्र है भी, या नहीं ?….
वीर : कैसी बात करती हो मम्मी फिक्र है, तभी तो उस लड़की को काव्या का ध्यान रखने भेजा था…
मम्मी: इसका मतलब तुझे पहले से पता था, बहु के साथ ये सब हो सकता है…… अब मेरी बात ध्यान सुन, “जब तक बहु पढ़ रही है, तू उसे छोड़ के कहीं नहीं जाएगा” उसकी सुरक्षा किसी दूसरे के हाथ छोड़ने..... नहीं ब्याहा तुझे, समझा !!
(यहां छत पर वीर और उसकी मम्मी के बीच काफी लंबी बातचीत चली, जिसमें वह इस घटना का जिक्र जैक से न करने के लिए उन्हें मनाने में सफल रहा)
यशस्वी के घर :
अशोक : बेटा !! यशु, अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो मैं क्या करता….. आगे से ऐसा कुछ भी हो, अपने पापा से मत छिपाना बेटा.... तुम्हारे अलावा मेरा इस दुनिया में कोई नहीं.....
यशस्वी : सॉरी पापा !! आप मेरे लिए इतना करते हो, मै आपको और ज्यादा परेशान नहीं करना चाहती थी…. बस इसीलिए ही नहीं बताया !!
अशोक : अरे, भूल गई क्या, तेरे पापा सुपरमैन हैं
यशस्वी : अरे ! हां पापा.... मै तो ये भूल ही गई थी ""
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दूसरी ओर "काव्या और रूही" कमरे में बैठी, बातें कर रहीं थी …..
काव्या : क्या तुम्हारे भैया को बच्चे पसंद है ??
रूही : हां है ना, बहुत… मां बताती है, बचपन में भैया बड़ी दी के साथ घर–घर खेलने की जिद करते थे, अगर न मानो तो इतना रोते थे..... पूंछो मत…
काव्या : हम्म….“““तो ये बात है””
रूही : इतना ही नहीं….. जब वो बच्चों की जिद करते थे, तब मीरा दी ही उन्हें तकियों को अपना बच्चा बताके शांत कराती थी.....
काव्या : हम्म..
रूही : पर भाभी, आप बच्चों के बारे में अभी…. भूल ही जाओ तो अच्छा !!
काव्या : क्यूँ ??
रूही : क्योंकि जब दी को लड़की हुई थी तब वो बोहोत देर तक बेहोश रही और भैया इसके बाद से नहीं चाहते थे.... "दी को कोई बेबी हो"
मीरा दी आप ही की तरह एकदम कमजोर थी, पर घर वालों ने भैया को समझाया पहला बेबी है इसीलिए इतनी तकलीफ हुई है…. “अगली बार से ऐसा नहीं होगा"
लेकिन दूसरी बार भी ऐसा ही हुआ, दी को होश में आने में बहुत वक्त लगा.... तो
काव्या : तो ??
रूही : तो आप अभी बेबी–सेबी के बारे में भूल जाइए !!
काव्या : हम्म…
रूही : पर आपको इतनी जल्दी क्यों है?? अभी तो आपके पास बोहोत टाइम है…. भैया को मना लेना…. बस
काव्या : हम्म….
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थोड़ी देर बाद, सभी डिनर टेबल पर थे..
रिया : मां सबके लिए नीचे बिस्तर लगा लूं क्या ?
रंभा : नहीं, तुम दोनो रूम में सो जाओ.... मैं यहां हॉल में सो जाऊंगी…
रिया : पर…
रंभा : कोई पर वर नहीं….. ये है तो सही, एक जन इसमें आराम से आ सकता है…
रिया : ठीक है, मां…
(इसके बाद, सभी थोड़ी देर गप्पे लड़ाते रहे.... जिसमें आज वन विहार से लेकर पुलिस थाने जाने तक……. सब का जिक्र था)
रात तकरीबन 11 बजे :
वीर कमरे में इंटर हुआ….. पर काव्या, वहां नहीं थी !!हम्म……शायद बाथरूम में होगी….. इससे पहले कि वो आगे बढ़ता, उसके पीछे दो हाथ आए…….
“हैंड्स अप”
वीर : "रोलप्ले हां"….. (और उसने अपने दोनों हाथ ऊपर कर लिए)….
काव्या : तो बताओ, कौन थी वो लड़की ?
वीर : “वो”…... वो तो मैने तुम्हारी सेफ्टी के लिए अरेंज की थी ??
काव्या : नाम ??
वीर : "चित्रा"
काव्या : अब ये चित्रा कहां से आ गई….“"
उसको कुछ न बोलते देख, वीर पलटा और उसे उठाके बिस्तर पे पटक दिया, साथ ही खुद भी बगल से लेट गया !!
वीर : क्या हुआ, “मेरी बिल्ली उस दिन बोहोत ज्यादा डर गई थी क्या”?
काव्या : "हां" पर मैं तो श्रेया के बारे में पूंछ रही थी….
वीर : ये…ये नाम तुम्हें कहां से पता चला ?
काव्या : उससे आपको क्या? (और मुंह फुलाकर अपना सिर दूसरी तरफ कर लिया)
वीर : “जानम” देखो…. गुस्सा मत करो !!
काव्या (बड़बड़ाते हुए) : मैं तो करुंगी…
वीर : अरे ! मेरी मां….. जब श्रेया से मेरा कोई लेना–देना ही नहीं है, तो क्यों गुस्सा करोगी ?….. जो कुछ भी था, सब 3 साल पहले ही खत्म हो गया….
काव्या (बड़बड़ाते हुए) : हुम्म….. तो उसका कॉल क्यूं आया था !!
वीर : कब आया ?..….. और मुझे इस बारे में पता क्यों नहीं है....
काव्या : सुबह, जब आप डॉक्यूमेंट्स लेकर उस गली में गए थे
वीर : "" आखिर उस तक मेरा नया नंबर पहुंचा कैसे ?….. ठीक है, मैं तुम्हारे सामने ही उसे फोन कर कहे देता हूं…… “आज के बाद यहां कॉल ना करे”
काव्या : मत करो कॉल, मुझे ये सब नहीं चाहिए !
वीर : तो क्या चाहिए तुम्हें?
काव्या : जो मांगूगी दोगे, मना तो नहीं करोगे ??
वीर : बिल्कुल दूंगा….. तुम मांगोगी तो सही !!
काव्या : पहले वादा करिए……
वीर : मैं कसमों और वादों पे यकीन तो नहीं करता….. लेकिन मेरी बिल्ली आज जो भी मांगेगी, में उसे जरूर दूंगा…
काव्या : ठीक है तो मुझे जल्दी से एक बेबी दे दो….
वीर : “बेबी” कैसा बेबी ?....
काव्या : खुद का बेबी….
वीर : वो….
काव्या : देखा, मुझे पता था आप….. (वीर ने उसके होंठों पर अपने हाथ से ताला लगा दिया)…
ठीक है !! ठीक है, हम बेबी करेंगे लेकिन उससे पहले तुम्हे खुद को स्ट्रांग बनाना होगा….
काव्या : स्ट्रांग बनाना होगा पर कैसे ?…..
वीर : वो मैं, तुम्हें कल बताऊंगा….. अभी तुम यहां देखो….
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काव्या के होंठ अब वीर की गिरफ्त में थे….. वह उन्हें चूसने के साथ ही उसके संतरे भी दबा रहा था…….
काव्या : आह बेबी, आह्ह और जोर से दबाओ ना इन्हें आह्ह्ह... इन्हे और बड़ा कर दो…. आह्ह….
वीर ने काव्या के बदन से सारे कपड़े अलग कर ......उसके बूब्स दबाना शुरू किया और उन पर अपनी उंगलियों की छाप छोड़ने के बाद....किस करने के साथ ही वह नीचे की ओर बढ़ गया और उसकी चूत चाटने लगा...
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काव्या भी अब कुछ भी बड़बड़ा रही थी..... ......आह्ह्ह्ह् ….बा…बू…. मेरे बब्बू बड़ा कर दो…… मुझे इनमें अपने बच्चे के लिए दूध भरना है…..आह्ह...
वीर अब चूत चाटना बंद कर उसके ऊपर आया और छाती पर बैठने के साथ ही उसके दोनों बूब्स पकड़ कर उनके बीच अपना लंड आगे–पीछे करने लगा …..
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काव्या को भी ये बोहोत अच्छा लग रहा था वीर का गरमा गरम लौड़ा कई बार उसके होंठों को छू जाता इसलिए उसने मुंह खोल कर अपनी जीभ बाहर निकल ली….
जिस वजह से वीर ने उसके बूब्स उसी को थामकर, उसका सिर पकड़ा…….. जोर–जोर से लंड अंदर–बाहर करना शुरू कर दिया …..
लार से सना वीर का लंड अब….. काव्या के दूध के बीचों–बीच से होते हुए उसके मुंह में जा रहा था….. काव्या उसे जोश दिलाने के लिए और तेज...... अच्छज्ज्ज और तेज..... जाअआआअ नंंनननंनननन…..कह रही थी
वीर ने उसके सिर को छोड़ा और उसे घोड़ी बना कर पहला ही धक्का इतना तेज मारा... आह्ह्ह्ह्चआह्ह्ह काव्या की ये चीख....... बाहर हाल में लेटी रंभा को भी सुनाई दी…..
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धीरे–धीरे काव्या की सिसकारियां तेज होती गई और हॉल में गूंजने लगी……. रंभा जिसने कई सालों से खुद को कामवासना से दूर रखा था, उसका हाथ कब नीचे चला गया….. उसे पता ही नहीं चला और वो भी आहें भरने लगी….. आह्ह अह...
(वहीं अंदर)…… काव्या खुद को स्ट्रांग दिखाने के लिए खुद ही आगे–पीछे हो रही थी.. …
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वीर कभी उसके पिछवाड़े पर तो कभी पीठ पर थप्पड़ मारता, और बीच–बीच पूरा का पूरा लौड़ा बाहर निकाल कर एक ही बार में घुसा डालता.…
काव्या की जोरदार चीखे सुन बाहर उंगली कर रही रंभा का हाथ खुद ब खुद तेजी से चलने लग जाता....
रंभा : आह्ह्ह्ह् रिया के पापा…… मुझे छोड़कर…. क्यूं चले गए….. आह्ह्ह्ह्…. अआह्ह्ह्ह् …. अम्म…
अंदर, वीर काव्या को बालों से पकड़ तेजी से पेलने लगा ….. आह्ह्ह्ह् काव्या मेरी जान…. क्या चुदती है तू….
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वहीं बाहर, रंभा आह्ह्ह्ह्…… ये दोनों आखिर कब रुकेंगे, मुझसे अब और बर्दाश्त नहीं होता… आह्ह्ह्ह्….. अ आह्ह्ह्ह
वो बिस्तर से उतर के नीचे बैठ गई और जोर–जोर से उंगली अंदर–बाहर करने लगी…….
आह्ह्ह्ह्बाह्बा जी अब कौन बुझाएगा मेरी प्यास…. आह्ह कोई तो आ जाओ….. आह्ह….. अह…उम्मम...... तभी एकाएक उसकी आंखों के सामने अशोक का चेहरा आ गया….आह्ह…
...अह्ह अशोक जी, आप ….आप बुझाएंगे मेरी प्यास और वो अशोक को इमैजिन करते हुए जोर–जोर से उंगली करने लगी.…. और अचानक से उसका फव्वारा छूट गया…
अब उसे खुद पर शर्म आने लगी….. इसलिए वो उठकर बाथरूम गई और खुद को साफ करने के बाद बिस्तर पे आके लेट गई…..
वहीं अंदर वीर ने अपनी पोजिशन बदली और काव्या को जोर–जोर से पेलते हुए…. मुझे दूध नहीं पिलाएगी क्या…
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काव्या, आह्ह्ह जरूर पिलाऊंगी जी….. आखिर आप इतनी मेहनत जो कर रहे है, इन्हें बड़ा करने में….
वीर ने उसके गाल पर दो थप्पड़ मारे…. तुझे कितनी बार बोला है, मुझ पर शक मत किया कर….
काव्या, आगे से नहीं करूंगी जी….. वीर अब हवस में अंधा हो चुका था….. तुझे एक बार में समझ कहां आती है….. साली शक करती है ना ले और ले….
और अब वो उसका गला पकड़कर जोर–जोर से चोद रहा था…. साथ ही…… गालों और बूब्स पर थप्पड़ भी मार रहा था …..
काव्या…आह्ह….. अब बस कीजिए न……
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वीर, अभी कहा साली चल जल्दी से कुतिया बन, जैसे ही वो कुतिया बनी वीर ने उसे बेहरमी से पेलना चालू कर दिया…..
साली इतनी सी है, बेवजह शक करती रहती है…… बोल करेगी ऐसा…. बोल…. (और तेजी से उसकी चूत में अपना लौड़ा पेलता रहा)….
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काव्या अब हांफ रही थी…. और वीर कुछ न कुछ बड़बड़ा रहा था…… काव्या,आह्ह्ह... आह्ह अब छोड़ दीजिए…. मै थक गई हूं….. वहां जलन भी हो रही है……
पर वीर के सिर पे हवस चढ़ी थी… इसलिए वो उल्टा सीधा बके जा रहा था….. खैर, आखिरी के 5 मिनिट उसने बहुत जोरदार धक्के लगाए……
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बाहर, रंभा आखिर ये दोनों कब सोएंगे….. उसने अपने कानों में उंगली घुसा ली पर थोड़ी ही देर बाद….. अंदर से आवाजे आना बंद हो गई….
वीर, काव्या को बांहों में लिए…. अभी जो हुआ उसी बारे में सोच रहा था…… पर “काव्या के शांत, मासूम चेहरे”…… ने उसके विचारों के धारा प्रवाह को रोक दिया..... जिससे उसकी पलकें भारी होती गई..... और वो गहरी नींद सो गया….
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धन्यवाद !