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♡ Family Introduction ♡ |
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Thank you brother for your wonderful support and reviewबहुत ही मस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
बहुत ही सुंदर और रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया# 9
अगले हफ्ते रोमेश से विजय की मुलाकात हुई ।
"गुरु ।'' विजय बोला, ''कुछ मदद करोगे।''
"तुम्हारा तो कोई-ना-कोई मरता ही रहता है,अब कौन मर गया?''
"कोई नहीं यार, बस कुछ रुपयों की जरूरत आ पड़ी।''
"रुपए और मेरे पास।'' रोमेश ने गर्दन झटकी।
''अबे यार, अर्जेंट मामला है। किसी की जिंदगी मौत का सवाल है। मुझे हर हालत में साठ हज़ार का इंतजाम करना है। तुम बताओ कितना कर सकते हो? एक महीने बाद तुम चाहे मुझसे साठ के साठ हज़ार ले लेना। ज्यादा भी ले लेना, चलेगा।''
रोमेश कुछ देर तक सोचता रहा, शादी की सालगिरह एक माह बाद आने वाली थी। कैलाश वर्मा ने उसे तीस हज़ार दिये थे, बाकी बाद में देने को कहा था। तीस हज़ार विजय के काम आ गये, तो उससे जरूरत पड़ने पर साठ ले सकता था, और साठ हज़ार में सीमा के लिए अंगूठी खरीदकर प्रेजेंट दे सकता था।
''तीस हज़ार में काम चल जा येगा ?''
''बेशक चलेगा, दौड़कर चलेगा।''
''ठीक है तीस दिये।'' विजय जानता था, रोमेश स्वाभिमानी व्यक्ति है। अगर विजय उसकी स्थिति को भांपते हुए तीस हज़ार की मदद की पेशकश करता, तो शायद रोमेश ऑफर ठुकरा देता। न ही वह किसी से उधार मांगने वाला था। लेकिन इस तरह से दाँव फेंककर विजय ने उसे चक्रव्यूह में फांस लि या था।
''साठ हज़ार खर्च करके मुझे एक लाख बीस हज़ार मिल जायेगा, जिसमें से साठ हज़ार तुम्हारा समझो, क्यों कि आधी रकम तुम्हारी है।''
"मैं तुमसे तुम्हारा बिजनेस नहीं पूछूंगा कि ऐसा कौन सा धंधा है? जाहिर है तुम कोई खोटा धंधा तो करोगे नहीं, मुझे एक महीने में रिटर्न कर देना। साठ ही लूँगा। और ध्यान रखना, मैं कभी किसी से उधार नहीं पकड़ता।''
"मुझे मालूम है।"
विजय ने यह पंगा ले तो लिया था, अब उसके सामने समस्या यह थी कि बाकी के तीस का इंतजाम कैसे करे? उसकी ऊपर की कोई कमाई तो थी नहीं। उसके सामने अब दो विकल्प थे। उसकी माँ ने बहू के लिए कुछ आभूषण बनवाए हुए थे। पिता का स्वर्गवास हुए तो चार साल गुजर चुके थे।
विजय का एक भाई और था, जो छोटा था और बड़ौदा में इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त कर रहा था। उसका भार भी विजय के कंधों पर हो ता था। माँ ने अपनी सारी कमाई से बस एक मकान बनाया था और बहू के लिए जेवर जोड़े थे। इन आभूषणों की स्वामिनी तो वैशाली थी।
माँ ने भी वैशाली को पसंद कर लिया था और जल्दी उसकी सगाई होने वाली थी। अड़चन सिर्फ यह थी कि वैशाली शादी से पहले कोई मुकदमा लड़कर जीतना चाहती थी।
वैशाली रोमेश की असिस्टेंट थी और रोमेश के मुकदमे को देखती थी। व्यक्तिगत रूप से अभी तक उसे कोई केस मिला भी नहीं था। आभूषणों को गिरवी रख तीस हज़ार का प्रबंध करना, यह एक तरीका था या फिर मकान के कागजात रखकर रकम मिल सकती थी।
वह सोचने लगा कि तीस हज़ार की रकम, वह साल भर में किसी तरह चुकता कर देगा और गिरवी रखी वस्तु वापस मिल जायेगी। अंत में उसने तय किया कि आभूषण रख देगा।
रोमेश की घरेलू जिंदगी में अब छोटी-छोटी बातों पर झगड़े होने लगे थे। अगर इस वर्ष रोमेश अपनी पत्नी को अंगूठी प्रेजेंट कर न पाया, तो कोई तूफ़ान भी आ सकता था। सीमा ने अब क्लब जाना बंद कर दिया था। यह बात रोमेश ने उसे एक दिन बताई।
"जब वह एयरहोस्टेज रही होगी, तब उसे यह लत पड़ गई थी। उसके कुछ दोस्त भी होंगे, जो जाहिर है कि ऊंचे घरानों के होंगे। मैंने सोचा था वह खुद समझकर घरेलू जिंदगी में लौट आयेगी, मगर ऐसा नहीं हो पाया। जाहिर है, मैंने भी कभी उसके प्रोग्रामों में दखल नहीं दिया। मगर फिर हद होने लगी, मैं जो कमाऊँ वह उसे क्लबों में ठिकाने लगा देती थी। और फिर मैं उसके लिए अंगूठी तक नहीं खरीद सका।''
''अब क्या दिक्कत है, उस दिन के बाद भाभी ने क्लब छोड़ दिया, शराब छोड़ दी, अब तो तुम्हें शादी की सालगिरह पर जोरदार पार्टी दे देनी चाहिये।''
''उसके मन के अंधड़ को मैं समझता हूँ। वह मुझसे रुठ गई है यार, क्या करूं?"
"इस बार अंगूठी दे ही देना, क्या कीमत है उसकी?"
''अठावन हज़ार हो गई है।''
"साठ हज़ार मिलते ही अबकी बार मत चूकना चौहान। बस फिर सब गिले-शिकवे दूर हो जायेंगे।''
दस दिन बाद ही एक धमाका हुआ। सभी अखबार सावंत की सनसनी खेज हत्या की वारदात से रंगे हुए थे। टी.वी., रेडियो हर जगह एक ही प्रमुख समाचार था, एम.पी . सावंत की बर्बर हत्या कर दी गई। सावंत को स्टेनगन से शूट किया गया था और उसके शरीर में आठ गोलियां धंस गई थीं।
यह घटना गोरेगांव के एक क्रासिंग पर घटी थी। इंस्पेक्टर विजय तुरंत ही पूरी फोर्स के साथ घटना स्थल पर पहुंच गया। एम.पी . सावंत की जिस समय हत्या की गई, वह उस समय एक बुलेटप्रूफ कार में था। उसके साथ दो गनर भी मौजूद थे। दोनों गनर बुरी तरह घायल थे। घटना इस प्रकार बताई जाती थी- सावंत गाड़ी में बैठा था, अचानक इंजन की खराबी से गाड़ी रास्ते में रुक गई। गोरेगांव के इलाके में एक चौराहे के पास ड्राइवर और गनर ने धक्के देकर उसे किनारे लगाया।
उस समय सावंत को कहीं जल्दी जाना था। वह गाड़ी से उतरकर टैक्सी देखने लगा, तभी हादसा हुआ।
एक टैक्सी सावंत के पास रुकी। ठीक उसी तरह जैसे सवारी उतरती है, टैक्सी के पीछे का द्वार खुला और एक नकाबपोश प्रकट हुआ। इससे पहले कि सावंत कुछ कह पाता, नकाबपोश ने निहायत फिल्मी अंदाज में स्टेनगन से गोलियों की बौछार कर डाली। गनर फायरिंग सुनकर पलटे कि उन पर भी फायर खोल दिये गये, गनर गाड़ी के पीछे दुबक गये। एक के कंधे पर गोली लगी थी और दूसरे की टांग में दो गोलियां बताई गई।
ड्राइवर गाड़ी के पीछे छिप गया था। नकाबपोश जिस टैक्सी से उतरा था, उसी से फरार हो गया। पुलिस को टैक्सी की तलाशी शुरू करनी थी।
विजय इस घटना के कारण उन दिनों बहुत व्यस्त हो गया। उस इलाके के बहुत से बदमाशों की धरपकड़ की, चारों तरफ मुखबिर लगा दिये और फिर रोमेश ने तीन दिन बाद ही समाचार पत्र में पढ़ा कि सावंत के कत्ल के जुर्म में चंदन को आरोपित कर दिया गया है।
चंदन अंडर ग्राउंड था और पुलिस उसे तलाश कर रही थी। विजय ने दावा किया कि उसने मामला खोज दिया है, अब केवल हत्यारे की गिरफ्तारी होना बाकी है।
चंदन अभी तस्करी का धंधा करता था और कभी वह सावंत का पार्टनर हुआ करता था।
विजय की इस तफ्तीश से रोमेश को भारी कोफ्त हुई। उसने विजय को फोन पर तलाशना शुरू किया , करीब चार-पांच घंटे बाद शाम को खुद विजय का फोन आया।
"क्या बात है?तुम मुझे क्यों तलाश रहे हो? भई जरा बहुत व्यस्तता बढ़ी हुई है, पढ़ ही रहे होगे अखबारों में।"
''वह सब पढ़ने के बाद ही तो तुम्हारी तलाश शुरू की।''
"कोई खास बात?"
"खास बात यह है कि अगर तुमने चंदन को गिरफ्तार किया, तो मैं उसका मुकदमा फ्री लडूँगा। " इतना कहकर रोमेश ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया।
विजय हैलो-हैलो करता रह गया। रोमेश की इस चेतावनी के बाद विजय का अपने स्थान पर रुके रहना सम्भव न था। सारे जरूरी काम छोड़कर वह रोमेश की तरफ दौड़ पड़ा। रोमेश उसका ही इंतजार कर रहा था।
''तुम्हारे इस फैसले का क्या मतलब हुआ, क्या तुम्हें मेरी ईमानदारी के ऊपर शक है?"
"ईमानदारी पर नहीं, तफ्तीश पर।"
"क्या कहते हो यार, मेरे पास पुख्ता सबूत हैं, एक बार वह मेरे हाथ आ जाये। फिर देखना मैं कैसे अपने डिपार्टमेंट की नाक ऊंची करता हूँ। एस.एस.पी. कह रहे थे कि सी .एम. साहब खुद केस में दिलचस्पी रखते हैं, और केस सलझाने वाले को अवार्ड तक मिलने की उम्मीद है। उनका कहना है कि हत्यारा चाहे जितनी बड़ी हैसियत क्यों ना रखता हो, बख्शा न जाये।"
''और तुम बड़ी बहादुरी से चंदन के पीछे हाथ धो कर पड़ गये, यह चंदन का क्लू तुम्हें कहाँ से मिल गया?"
"एम.पी. के सिक्योरिटी डिपार्टमेंट से। एम.पी. ने इस संबंध में गुप्त रूप से डॉक्यूमेंट भी तैयार किए थे। उसे तो उसकी मौत के बाद ही खोला जाना था। वह मेरे पास हैं और उनमें सारा मामला दर्ज है।
एम.पी. सावंत के डॉक्यूमेंट को पढ़ने के बाद सारा मामला साफ हो जाता है। वह सारी फाइल एस.एस.पी . को पहुँचा दी है मैंने। एम.पी . ने खुद उसे तैयार किया था और इस मामले में किसी प्राइवेट एजेंसी से भी मदद ली गई, उस एजेंसी ने भी चंदन को दोषी ठहरा या था। ''
''क्या बकते हो ?''
''अरे यार मैं ठीक कह रहा हूँ, मगर तुम किस आधार पर चंदन का केस लड़ने की ताल ठोक रहे हो।''
''इसलिये कि चंदन उसका कातिल नहीं है।''
''चंदन के स्थान पर उसका कोई गुर्गा हो सकता है।''
''वह भी नहीं है, तुम्हारे डिपार्टमेंट की मैं मिट्टी पलीत कर के रख दूँगा, और तुम अवार्ड की बात कर रहे हो। तुम नीचे जाओगे, सब इंस्पेक्टर बन जाओगे, लाइन हाजिर मिलोगे।''
जारी रहेगा…..![]()
Thank you very muchबहुत ही सुंदर लाजवाब और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया

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बहुत ही गजब का अपडेट हैं भाई मजा आ गया#10
विजय के तो छक्के छूट गये। रोमेश जिस आत्मविश्वास से कह रहा था, उससे साफ जाहिर था कि वह जो कह रहा है, वही होगा।
''तो फिर तुम ही बताओ, असली कातिल कौन है?"
"तुम्हारा सी.एम. ! जे.एन. है उसका कातिल।"
विजय उछल पड़ा। वह इधर-उधर इस प्रकार देखने लगा, जैसे कहीं किसी ने कुछ सुन तो नहीं लिया।
"एक मिनट।'' वह उठा और दरवाजा बंद करके आ गया।
''अब बोलो।'' वह फुसफुसाया।
''तुम इस केस से हाथ खींच लो।'' रोमेश ने भी फुसफुसा कर कहा।
''य...यह नहीं हो सकता।''
''तुम चीफ कमिश्नर को गिरफ्तार नहीं कर सकते। नौकरी चली जायेगी। इसलिये कहता हूँ, तुम इस तफ्तीश से हाथ खींच लोगे, तो जांच किसी और को दी जायेगी। वह
चंदन को ही पकड़ेगा और मैं चंदन को छुड़ा लूँगा। तुम्हारा ना कोई भला होगा, ना नुकसान।''
''यह हो ही नहीं सकता।'' विजय ने मेज पर घूंसा मारते हुए कहा।
''नहीं हो सकता तो वर्दी की लाज रखो, ट्रैक बदलो और सी एम को घेर लो। मैं तुम्हारासाथ दूँगा और सबूत भी। जैसे ही तुम ट्रैक बदलोगे, तुम पर आफतें टूटनी शुरू होंगी।
डिपार्टमेंटल दबाव भी पड़ सकता है और तुम्हारी नौकरी तक खतरे में पड़ सकती है।
परंतु शहीद होने वाला भले ही मर जाता है, लेकिन इतिहास उसे जिंदा रखता है और जो इतिहास बनाते हैं, वह कभी नहीं मरते। कई भ्रष्ट अधिकारी तुम्हारे मार्ग में रोड़ा बनेंगे,
जिनका नाम काले पन्नों पर होगा।"
''मैं वादा करता हूँ रोमेश ऐसा ही होगा। परंतु ट्रैक बदलने के लिए मेरे पास सबूत तो होना चाहिये।''
"सबूत मैं तुम्हें दूँगा।"
"ठीक है।" विजय ने हाथ मिलाया और उठ खड़ा हुआ।
रोमेश ने अगले दिन दिल्ली फोन मिलाया। कैलाश वर्मा को उसने रात भी फोन पर ट्राई किया था, मगर कैलाश से बात नहीं हो पायी। ग्यारह बजे ऑफिस में मिल गया।
"मैं रोमेश ! मुम्बई से।"
"हाँ बोलो। अरे हाँ, समझा।
मैं आज ही दस हज़ार का ड्राफ्ट लगा दूँगा। तुम्हारी पेमेंट बाकी है।''
"मैं उस बाबत कुछ नहीं बोल रहा। ''
"फिर खैरियत?"
"अखबार तो तुम पढ़ ही रहे होगे।"
''पुलिस की अपनी सोच है, हम क्या कर सकते हैं? जो हमारा काम था, हमने वही करना होता है, बेकार का लफड़ा नहीं करते।"
"लेकिन जो काम तुम्हारा था, वह नहीं हुआ।"
''तुम कहना क्या चाहते हो?"
"तुमने सावंत को …।"
"एक मिनट! शार्ट में नाम लो।
यह फोन है मिस्टर! सिर्फ एस. बोलो।"
"मिस्टर एस. को जो जानकारी तुमने दी, उसमें उसी का नाम है, जिस पर तर्क हो रहा है। तुमने असलियत को क्यों छुपाया? जो सबूत मैंने दिया, वही क्यों नहीं दिया, यह दोगली हरकत क्यों की तुमने?"
"मेरे ख्याल से इस किस्म के उल्टे सीधे सवाल न तो फोन पर होते हैं, न फोन पर उनका जवाब दिया जाता है। बाई द वे, अगर तुम दस की बजाय बीस बोलोगे, वो भेज दूँगा, मगर अच्छा यही होगा कि इस बाबत कोई पड़ताल न करो।"
"मुझे तो अब तुम्हारा दस हज़ार भी नहीं चाहिये और आइंदा मैं कभी तुम्हारे लिए काम भी नहीं करने का।"
"यार इतना सीरियस मत लो, दौलत बड़ी कुत्ती शै होती है। हम वैसे भी छोटे लोग हैं।
बड़ों की छाया में सूख जाने का डर होता है ना, इसलिये बड़े मगरमच्छों से पंगा लेना ठीक नहीं होता। तुम भी चुप हो जाना और मैं बीस हज़ार का ड्राफ्ट बना देता हूँ।"
''शटअप ! मुझे तुम्हारा एक पैसा भी नहीं चाहिये और मुझे भाषण मत दो।
तुमने जो किया, वह पेशे की ईमानदारी नहीं थी। आज से तुम्हारा मेरा कोई संबंध नहीं रहा।"
इतना कहकर रोमेश ने फोन काट दिया। करीब पन्द्रह मिनट बाद फोन की घंटी फिर बजी।रोमेश ने रिसीवर उठाया ।
''एडवोकेट रोमेश ''
''मायादास बोलते हैं जी। नमस्कार जी।"
"ओह मायादास जी , नमस्कार।"
"हम आपसे यह बताना चाहते थे कि फिलहाल जे.एन. साहब के लिए कोई केस नहीं
लड़ना है, प्रोग्राम कुछ बदल गया है।
हाँ , अगर फिर जरूरत पड़ी , तो आपको याद किया जायेगा। बुरा मत मानना ।"
''नहीं-नहीं । ऐसी कोई बात नहीं है।
वैसे बाई द वे जरूरत पड़ जाये, तो फोन नंबर आपके पास है ही ।''
"आहो जी ! आहो जी ! नमस्ते ।'' माया-दास ने फोन काट दिया ।
रोमेश जानता था कि दो-चार दिन में ही मायादास फिर संपर्क करेगा और रोमेश को अभी उससे एक मीटिंग और करनी थी, तभी जे.एन. घेरे में आ सकता था।
तीन दिन बाद विजय ने चंदन को चार्ज से हटा लिया और अखबारों में बयान दिया कि चंदन को शक के आधार पर तफ्तीश में लिया गया था किंतु बाद की जांच के मामले ने
दूसरा रूप ले लिया और इस कत्ल की वारदात के पीछे किसी बहुत बड़ी हस्ती का हाथ होने का संकेत दिया ।
सावंत कांड अभी भी समाचार पत्रों की सुर्खियों में था। विजय ने इसे एक बार फिर नया मोड़ दे दिया था।
उसी दिन शाम को मायादास का फोन आ गया।
''आपकी जरूरत आन पड़ी वकील साहब।"
"आता हूँ।"
"उसी जगह, वक्त भी आठ।“
"ठीक है ।"
रोमेश ठीक वक्त पर होटल जा पहुँचा। मायादास के अलावा उस समय वहाँ एक और आदमी था।
वह व्यक्ति चेहरे से खतरनाक दिखता था और उसके शरीर की बनावट भी
वेट-लिफ्टिंग चैंपियन जैसी थी। उसके बायें गाल पर तिल का निशान था और सामने के दो दांत सोने के बने थे। सांवले रंग का वह लंबा तगड़ा व्यक्ति गुजराती मालूम पड़ता था ,
उम्र होगी कोई चालीस वर्ष ।
"यह बटाला है।" मायादास ने उसका परिचय कराया ।
"वैसे तो इसका नाम बटाला है, लेकिन अख्तर बटाला के नाम से इसे कम ही लोग जानते हैं। पहले जब छोटे-मोटे हाथ मारा करता था, तो इसे बट्टू चोर के नाम से जाना जाता था। फिर यह मिस्टर बटाला बन गया और कत्ल के पेशे में आ गया, इसका निशाना सधा हुआ है। जितना कमांड इसका राइफल, स्टेनगन या पिस्टल पर है, उतना ही भरोसा रामपुरी पर है। जल्दी ही हज करने का इरादा रखता है, फि र तो हम इसे हाजी साहब कहा करेंगे ।''
बटाला जोर-जोर से हंस पड़ा ।
''अब जरा दांत बंद कर।" मायादास ने उसे जब डपटा, तो उसके मुंह पर तुरंत ब्रेक का जाम लग गया।
''वकील लोगों से कुछ छुपाने का नहीं मांगता।" वह बोला !
"और हम यह भी पसंद नहीं करते कि हमारा कोई आदमी तड़ी पार चला जाये । अगर बटाला को जुम्मे की नमाज जेल में पढ़नी पड़ गई, तो लानत है हम पर ।''
"पण जो अपुन को तड़ी पार करेगा, हम उसको भी खलास कर देगा" बटाला ने फटे बास की तरह घरघराती आवाज निकाली।"
"तेरे को कई बार कहा, सुबह-सुबह गरारे किया कर, वरना बोला मत कर।"
मायादास ने उसे घूरते हुए कहा । बटाला चुप हो गया।
''सावंत का कत्ल करते वक्त इस हरामी से कुछ मिस्टेक भी हो गयी। इसने जुम्मन की टैक्सी को इस काम के लिये इस्तेमाल किया और जुम्मन उसी दिन से लापता है। उसकी टैक्सी गैराज में खड़ी है। यह जुम्मन इसके गले में पट्टा डलवा सकता है।
मैंने कहा था- कोई चश्मदीद ऐसा ना हो, जो तुम्हें पहचानता हो। जुम्मन की थाने में हिस्ट्री शीट खुली हुई है और अगर वह पुलिस को बिना बताए गायब होता है, तो पुलिस उसे रगड़ देगी।
ऐसे में वह भी मुंह खोल सकता है। जुम्मन डबल क्रॉस भी कर सकता है, वह भरोसे का आदमी नहीं है।"
बटाला ने फिर कुछ बोलना चाहा, परंतु मायादास के घूरते ही केवल हिनहिना कर रह गया।
''तो सावंत का मुजरिम ये है।'' रोमेश बोला ।
''आपको इसे हर हालत में सेफ रखना है वकील साहब, बोलो क्या फीस मांगता ?"
"फीस में तब ले लूँगा, जब काम शुरू होगा। अभी तो कुछ है ही नहीं , पहले पुलिस को बटाला तक तो पहुंचने दो, फिर देखेंगे।"
जारी रहेगा……..![]()
Bohot bohot Aabhaar mitra, aap kahani se jude rahiye, mujhe viswas hai ye story aapko niraas nahi karegi.बहुत ही गजब का अपडेट हैं भाई मजा आ गया

कहानी उलझती जा रही है
क्या अभी असली कहानी शुरू ही नही हुई है??
Do bichde premi mile hai phir se kuch Raj hoga
Superb update
Nice start
Nice and superb update....
What an story yaar
starting thodi si ha thodi si ajib thi ...than its beacoms into a suspance....now this into a love great idea great writer
Raj_sharma भाई जी, लीजिए - हम भी आपकी कहानी पर पहुँच ही गए।
पहले छः अपडेट शायद मुख्य पात्रों को जमाने में लग गए : रोमेश - सीमा, और विजय - वैशाली। इन्ही पात्रों के इर्द गिर्द चलेगी कहानी। ये हालिया दो अपडेट ही शायद मुख्य कहानी का हिस्सा हैं। तो उसी की बातें करते हैं।
सावंत राव को अपनी हत्या होने का अंदेशा है, और सबसे पहले चीफ़ मिनिस्टर जनार्दन नागा रेड्डी पर ही शक जाता है। लेकिन जैसा कि अनगिनत कहानियाँ पढ़ने से हमको ट्रेनिंग मिली है कि जिस पर ऑब्वियस शक़ हो, वो खूनी नहीं होता - तो उस लॉजिक से मुख्यमंत्री जी शायद ये खून न करें/करवाएँ। लेकिन रोमेश के हिसाब से सावंत का मर्डर मुख्यमंत्री ही करवाने वाला है। ख़ैर, तो बचे, चन्दन दादा और मेधा-रानी। अभी उनकी तरफ़ से पत्ते फेंके जाने बाकी हैं, इसलिए कुछ कहा नहीं जा सकता। सबसे बड़ी बात, क़त्ल किसका होगा, वो नहीं पता। अंदेशा होना एक अलग बात है, लेकिन टार्गेट होना अलग। क्या पता इतना शोर मचा कर मिस्टर राव ही किसी को अपने रास्ते से हटा देना चाहते हों?
रोमेश की प्रसिद्धि बात का बतंगड़ होने के कारण हुई है - जिसको उसने छुड़ाया, वो पहले से ही बेगुनाह था। यह बात लोगों को समझ आनी चाहिए। गुनहगार को वो नहीं छुड़ाता शायद। लेकिन जो भी केस उसको अप्प्रोच कर रहे हैं, वो सभी गुनहगार लग रहे हैं। क़रीमुल्लाह ने खून किया, इसलिए रोमेश उसका केस नहीं लेना चाहता। यह बात सीमा ने भी साफ़ कर दी। राव वाले केस में अभी तक मर्डर हुआ ही नहीं है, लिहाज़ा कोई मुल्ज़िम/मुज़रिम है ही नहीं।
सीमा इतनी ख़र्चीली क्यों है, समझ में नहीं आया। शौक़ होना अलग बात है, फ़िज़ूलख़र्ची अलग! और अगर उसकी नौकरी छूट गई थी, तो अन्य नौकरियाँ भी मिल सकती हैं। भूतपूर्व एयरहोस्टेस को हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में नौकरी मिलना कठिन नहीं होना चाहिए। उसके कज़िन से रोमेश की मुलाकात भी नहीं हुई है, जो बड़े ही रहस्य की बात है। देर रात क्लब में जाना… थोड़ा पेंचीदा चरित्र लग रहा है सीमा का। हाँलाकि सामान्य तौर पर देखने पर वो अच्छी, और मित्रवत महिला मालूम होती है। तो चक्कर क्या है? क्या वो कोई हाई-क्लास प्रॉस्टिट्यूट है? लेकिन ऐसे रहस्य छुपाने कठिन हैं, ख़ास कर जब विजय स्वयं पुलिस में है।
वैशाली का विजय की मंगेतर बनने का सफर बड़ा ही तेज रहा। कोई संकेत ही नहीं मिला। इसलिए कहानी का वो पहलू भी इंटरेस्टिंग है। लेकिन चूंकि कहानी थ्रिलर है, तो शायद इन बातों पर ध्यान न गया हो।
न जाने क्यों लगता है कि कोई गुनाह ‘घर’ में ही होगा/होने वाला है।
सबसे अच्छी बात मुझे जो पसंद आई वो है कहानी की रफ़्तार। घटनाक्रम तेजी से आगे बढ़ता है। जो ठीक भी है। हर बात का डिटेल्ड वर्णन करना ज़रूरी नहीं है। सधी हुई भाषा है, तीखा (शार्प) लेखन है। पढ़ने में आनंद आता है, और आगे के लिए रूचि बनती है।
बहुत बढ़िया Raj_sharma भाई!![]()
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Behtareen
Waiting for next
Somu ki toh seth ji ne chupke se maar liab dekte hai waise ye Vaishali mast hai
kahi lead herione toh nhi
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Nice update,
Chandan to bas Mohra lgta hai, case ko jald se jald rafa dafa krne ke liye. Vijay ko bhi sare sabut samne se mil gaye hai to uski taraf se puri jaanch huvi nahi hai. Dekhna rahega Romesh kese sabit karega.
सतयुग और त्रेतायुग से पकड़कर ले आए हैं क्या शर्मा जी
इस वकील और इंस्पेक्टर साहब को ?
एक ऐसा वकील जो कभी केस हारा नही फिर भी साहब की ढंग की कोई कमाई नही है । और एक ऐसा इंस्पेक्टर जो नौजवान है , चतुर चालक है फिर भी महज साठ हजार रुपए के लिए मारा मारा फिर रहा है ।
आज के दौर मे पुलिस के एक छोटे से छोटे पोस्ट के लिए भी लड़के पन्द्रह बीस लाख रुपए तक खर्च कर देते हैं । अगर रोकड़ा नही है तो खेत जमीन बेच कर रकम का जुगाड़ करते हैं ।
वैसे इमानदार प्रजाति जो विलुप्त के कगार पर खड़ी है उसे फिर से जिंदा होते देख बहुत बढ़िया लगा ।
लेकिन हमारे इंस्पेक्टर साहब को ऐसी क्या जरूरत आन पड़ी जो साठ हजार रुपए के लिए दर दर भटक रहे है ?
इधर सांसद साहब का कत्ल भी आखिरकार हो ही गया । इल्ज़ाम लगा है उनके ही स्मगलर दोस्त चंदन कुमार पर ।
पर जैसा कि वकील साहब ने कहा कि चंदन कुमार बेकसूर है तो इसका मतलब वह हंड्रेड पर्सेंट बेकसूर है ।
जब चीफ मिनिस्टर साहब के पर्सनल सेक्रेटरी ने यह कबूल कर ही लिया था कि सांसद साहब का कत्ल होकर ही रहेगा और किस के वजह से कत्ल होगा तब कुछ कहने सुनने की बात ही नही बचती ।
बशर्ते हमारे राइटर साहब इस कत्ल मे कोई ट्विस्ट न डाल दें !
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट शर्मा जी ।
Nice update....
Badhiya update
Idhar kailash verma ne romesh ke sath dhoka kiya ha romesh ne sab sabut diye savant rao ko bachane ke kiye lekin bik gaya kailash verma
Idhar maya das bhi pehle romesh ko na bol diya lekin jab vijay ne jaise hi chandan ko chhoda idhar maya das ki lagta ha lanka lag gayi ki ab uska bhanda phut sakta ha isliye romesh se wapas sampark me aa gaya ab isne bewakufi ki ki romesh ke age sara bhanda khol diya sath me asli katil ko bhi le aya dekhte han ki romesh kya karta ha
Shandar jabardast update![]()
Bahut hi shandar update he Raj_sharma Bhai,
Ye case itna bhi aasan nahi hone wala he...........
Political aur underworld dono hi jude huye he is case me.......
Keep rocking Bhai
Awesome update
Kahani bahut interesting hoti ja rhi hai ,
Romesh double game khel Raha hai cm j.n ke sath, itna risk lekr kya romesh cm ko pakadva payega ya khud uljh jayega is case me ,
Savant ke qatal ke chakkr me romesh ka family drama miss ho gya,
Superb,adbhut thriller, aise lga jese koi jasusi novel padh rhi hu
![]()
Ati uttam utkrisht adhbhut lekhni or update romanchak Jabardast superb mast ekdum dhasu![]()
Agli baar acha wala review promise![]()
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है
वैशाली खुद उलझन में हैं वह खुद डिसाइड नही कर पा रही है कि उसका भाई दोषी है या बेकसूर
रोमेश वैशाली को एक सप्ताह का वक्त देता है और जब तक वह सोमू के बारे में पता कर उसका केस लड़ने के लिए तैयार हो जाता है
एक ओर खून हो गया है क्या इसका संबंध इस केस से है
Aakhir kya karne wala hai Romesh kya such ka sath dega ya is bar Paisoo ke leye krega
Khel hai Romanchak dekhte hai kya hota hai aage
Raj_sharma bhai next update kab tak aayega?
intezaar rahega Raj_sharma bhai....
बहुत ही सुंदर और रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया
kamdev99008बहुत ही गजब का अपडेट हैं भाई मजा आ गया