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★ INDEX ★
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♡ Family Introduction ♡ |
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♡ Family Introduction ♡ |
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Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....# 4
अपना फ्रेन्ड जगाधरी बहुत अच्छा आदमी था नी , सण्डे का दिन हमारा छुट्टी का दिन होता , दोनों यार शतरंज खेलता और दारू पीता , हम शतरंज खेलता , कबी वो जीतता कबी हम जीतता , कबी __________हम जीतता कबी वो , शतरंज भी अजीब खेल है सांई! हम दोनों बिल्कुल बराबर का खिलाड़ी , एकदम बराबर का । कबी वोजीतता कबी … ।"
"मुझे तुम्हारी शतरंज की जीत हार से कुछ लेना-देना नहीं समझे ।" विजय ने बीच में उसे टोकते हुए कहा ,
"तुम आज यहाँ शतरंज खेलने आये थे? और तुमने यहाँ आकर दारू पी थी।"
"कसम खा के बोलता सांई, आज दारू नहीं पी , अरे पीता किसके साथ, जगाधरी तो रहा नहीं , आप दारू की बात करता ।
" हीरा लाल की आंखों में एका एक आँसू छलक आए, "हम दोनों हफ्ते में एक दिन पीता , बस एक दिन । अब तो हफ्ते में एक दिन क्या महीने में भी एक दिन पीना नहीं होयेगा सांई।"
"शटअप !"
हीरालाल इस प्रकार चुप हो गया , जैसे ब्रेक लग गया हो ।
"जो मैं पूछता हूँ, बस उतना ही जवाब देना , वरना अन्दर कर दूँगा ।"
हीरा लाल के चेहरे से हवाइयां उड़ने लगीं ।
"आज तुम यहाँ शतरंज खेलने आये थे?"
"आज नहीं खेला , ठीक वक्त पर जब मैं आया , घंटी बजाया फ्लैट की , तभी अन्दर गोली चलने का आवाज हुआ, पहले मैं समझा कोई पटाखा छूटा होगा , हड़बड़ाहट में मैंने दरवाजे पर धक्का मारा , दरवाजा खुला था , जगाधरी को पुकारता हुआ उस कमरे के अन्दर घुसा तो देखा सांई ! बस जो देखा , कभी नहीं देखा पहले । मेरा यार राम को प्यारा हो गया नी।
मैं उसका हालत देखके भागा और सबसे पेले आपको फोन किया नी ।"
"क्या उस वक्त तक जगाधरी मर चुका था ?"
"देखने से यही लगता था , अबी जैसा देखने से लगता ।"
"तुम्हारे अलावा कमरे में और कोई नहीं गया ?"
"नहीं जी , मैं तो यहीं से फोन मिलाया , फिर दरवाजा बन्द करके बाहर बैठ गया , मैं सोचा के गोली चलाने वाला अन्दर ही कहीं छिप गया होयेगा , मैं दरवाजे पे डट गया सांई।
मेरे यार को मारके साला निकल के दिखाता बाहर, मैं ही उसका खोपड़ा तोड़ देता ।"
"कातिल को तुमने नहीं देखा?"
"देखता तो वो यहाँ लम्बा न पड़ा होता?"
"इस फ्लैट में जगाधरी के अलावा कौन रहता था ?"
"एक नौकर था बस, वो भी दो दिन से छुट्टी पे गया है । उसका यहाँ कोई नहीं था , यह बात जगाधरी ने मुझे बताया था सांई ।"
"सर यह झूठ बोलता है ।" बलदेव बोल उठा , "इसने फायर की आवाज सुनी । उसी वक्त अंदर भी आया और फिर दरवाजा बन्द करके बाहर जम गया । फिर गोली चलाने वाला कहाँ गया ?
मैंने सारा फ्लैट देख मारा है, इस दरवाजे के सिवा बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है, एक खिड़की है, जिस पर ग्रिल लगी है, सलामत है ग्रिल भी ।"
"यही तो मैं पूछता सांई, वो गोली चला के गया किधर ?"
"जगाधरी का पार्टनर कहाँ रहता है ?"
"मैं इतना नहीं जानता सांई, ना उसने कबी बताया । मैंने कभी उसके घर का लोग नहीं देखा , एक-दो बार पूछा, बता के नहीं देता था ।
छ: महीने पहले यह फ्लैट किराये पर लिया।"
"जगाधरी का क्या बिजनेस था ?"
"शेयर मार्केट में दलाली करता था , बस और हम कुछ नहीं जानता , हमारी दोस्ती शतरंज से शुरू हुई, दोनों एक क्लब में मिले, फिर पता लगा वो हमारा पड़ोसी है, उसके बाद यहीं जमने लगी , मगर आदमी बहुत अच्छा था सांई ! हफ्ते में एक दिन पीता था सण्डे को, और मैं भी उसी दिन पीता , कबी वो जीतता कबी मैं ।"
"कबी मैं जीतता कबी वो ।" विजय चीख पड़ा ।
"आपको कैसे मालूम जी ।" हीरालाल ने एक बार फिर चश्मा दुरुस्त किया ।
"अब तुम ड्राइंगरूम से बाहर बैठो , कहीं फूटना नहीं , तुम्हारे बयान होंगे ।" विजय ने हीरालाल को बाहर भेज दिया । विजय ने गहरी सांस ली और तफ्तीश शुरू कर दी । कुछ ही देर में फिंगर प्रिंट्स और फोटो वाले भी आ गये । पुलिस कंट्रोल रूम को मर्डर की सूचना दे दी गई थी । ……
उधर :
सण्डे था । सण्डे का दिन रोमेश अपनी पत्नी सीमा के लिए सुरक्षित रखता था , बाथरूम से नहा धो कर नौ बजे वह नाश्ते की टेबिल पर आ गया ।
"डार्लिंग, आज कहाँ का प्रोग्राम है ?"
"पूरे हफ्ते बाद याद आई मेरी ।" सीमा मेज पर नाश्ते की प्लेटें सजाती हुई बोली ।
"क्या करें डार्लिंग, तुम तो जानती ही हो कि कितना काम करना पड़ता है । दिन में कोर्ट, बाकी वक्त इन्वेस्टीगेशन, कई बार तो खतरों से भी जूझना पड़ता है, मुझे इन क्रिमिनल्स से सख्त नफरत है डार्लिंग ।"
"अब यह कोर्ट की बातें बन्द करिये, सण्डे है ।"
"हाँ भई, आज का दिन तुम्हारा होता है, आज के दिन हम जोरू के गुलाम,
किधर का प्रोग्राम बनाया जानेमन ?"
"बहुत दिनों से झावेरी ज्वैलर्स में शॉपिंग करने की सोच रही थी ।"
"झावेरी ज्वैलर्स ।"
रोमेश के हलक में जैसे कुछ फंस गया , "क… क्या खरीदना था ?"
"हीरे की एक अंगूठी , तुमने हनीमून पर वादा किया था कि मुझे हीरे की अंगूठी ला कर दोगे, वही जो झावेरी के शो रूम में लगी है और कुल पचास हजार की है ।"
"म…मारे गये, यह अंगूठी फिर टपक पड़ी ।" रोमेश बड़बड़ाया ।
"क्यों , कुछ फंस गया गले में, लो पानी पीलो ।" सीमा ने पानी का गिलास सामने कर दिया ।
रोमेश एक साँस में पूरा गिलास खाली कर गया । "डार्लिंग गिफ्ट देने का कोई शुभ अवसर भी तो होना चाहिये ना ।"
"पाँच साल हो गये हैं हमारी शादी हुए। इस बीच कम-से-कम पांच शुभ अवसर तो आये ही होंगे ।" सीमा ने व्यंगात्मक स्वर में कहा , "आपको याद है जब हमारे प्यार के शुरुआती दिन थे तो । "
"याद तो सब कुछ है, तुम्हें भी तो बंगला कार वगैरा से बहुत लगाव है।"
"किसको नहीं होता , आप अपने साथी वकीलों की माली हालत पर भी तो नजर डाल लिया कीजिए, उनके पास क्या नहीं है? और एक आप हैं कि आपकी मोटरसाइकिल तक रिटायर नहीं हो पाती ।"
"तल्खी खत्म हो तो बता देना ।" रोमेश उठकर फ्लैट की बालकनी में चला गया । तल्खी खत्म नहीं हुई थी कि फोन की घंटी बज उठी । रोमेश फोन की तरफ बढ़ गया ।
"रोमेश हेयर ।"
"मैं विजय ।" दूसरी तरफ से कहा गया ।
"इंस्पेक्टर, यह सुबह-सुबह कहाँ से बोल रहे हो ?"
''गोरेगांव ईस्ट, संगीता अपार्टमेंट ।"
"किसी का मर्डर हो गया क्या ?"
"तुम्हें कैसे मालूम ।"
"फोन पर गंध आ रही है । संगीता अपार्टमेन्ट में न तो तुम्हारा कोई रिश्तेदार रहता है, न कोई गर्लफ्रेंड, न ही वहाँ कोई शराब का अड्डा चलता है। घड़ी जो समय बता रही है, उसके अनुसार तुम्हें इस वक्त थाने में होना चाहिये था । तुम अपने ही इलाके की किसी और लोकेशन से बोल रहे हो , जिसका साफ मतलब है कि तुम मौका-ए-वारदात पर हो । मुझे फोन किया , इसलिये साफ जाहिर है कत्ल का मामला होगा , चोर डकैतों की लिस्ट तो पुलिस के पास होती ही है । हाँ , हत्यारों की नहीं होती ।"
"गुरु फौरन आ जाओ, मेरी फंसी पड़ी है ।"
"गुरु मानते हो , इसलिये आना ही होगा , लेकिन यार आज सण्डे है ।" दूसरी तरफ से फोन कट चुका था ।
"इन पुलिस वालों की छुट्टी तो वैसे कभी होती ही नहीं ।"
"खासकर विजय की तो हो ही नहीं सकती ।" सीमा बोल पड़ी ,
"जैसे आप, वैसा विजय। आप किसी क्रिमिनल का केस नहीं लड़ते और वह किसी क्रिमिनल को रिश्वत लेकर नहीं छोड़ता ।"
"कोई फतवा हो तो बताओ, वरना मैं देख आऊं क्या मामला है ?"
"जाइये ।"
इतना कहकर सीमा बाथरूम में चली गई । जल्दी ही तैयार होकर रोमेश अपनी मोटरसाइकिल लेकर चल पड़ा । बांद्रा से अंधेरी , अंधेरी से गोरेगांव । रॉयल एनफील्ड की बुलेट गाड़ी को पुलिसिया अंदाज में दौड़ाता हुआ वह पंद्रह मिनट में मौका-ए-वारदात पर पहुंच गया । और फिर जगाधरी के फ्लैट में पहुँचा , जहाँ विजय उसका बेताबी से इन्तजार कर रहाथा ।
कुछ दूसरे सीनियर पुलिस ऑफिसर भी घटना स्थल पर आ चुके थे । उनमें से कुछेक ऐसे भी थे, जो रोमेश को पसन्द नहीं करते थे।
"मकतूल की लाश कहाँ है? " रोमेश ने विजय से पूछा । विजय, रोमेश को लाश वाले कमरे में ले गया ।
"जब तुम उस कमरे में दाखिल हुए, क्या सब इसी तरह था , कोई चेजिंग तो नहीं हुई है?" रोमेश ने कमरे में सरसरी नजर दौड़ाते हुए कहा ।
"सिर्फ एक चेंजिग है, रिवॉल्वर हमने अपने कब्जे में ले ली है ।"
"यानि कि जिस रिवॉल्वर से कत्ल हुआ ।"
"अभी यह कहना मुनासिब न होगा कि कत्ल उसी से हुआ, लेकिन वह यहाँ उसे नीचे पड़ी मिली ।"
"वह जहाँ से उठाई, वहीं रख दो ।" विजय ने बलदेव को संकेत किया , बलदेव ने रिवॉल्वर रख दी ।
"क्या रिवॉल्वर रखने से सिचुऐशन पर फर्क पड़ जायेगा ।" यह बात डी .एस.पी . केसरी नाथ ने कटाक्ष के तौर पर कही ।
"हंड्रेड परसेन्ट ।"
रोमेश बोला ,"धारा भी बदल सकती है ।"
"यानि कि मर्डर की धारा 302 की जगह कुछ और बनती है ।"
"सर प्लीज ।"
विजय ने केसरी नाथ को टिप्पणियां करने से रोका ।
"एनी वे ।"
केसरी नाथ ड्राइंगरूम में चला गया ,
"जो भी रिजल्ट निकले, मेरे को इन्फॉर्म करो ।"
"यह दरवा जा बन्द कर दो बलदेव ।" रोमेश ने कहा ।
बलदेव, रोमेश की जांबाजी से वाकिफ था, और यह भी जानता था कि विजय तभी रोमेश की मदद लेता है, जब मामला सचमुच पेचीदा हो । कत्ल के मामले सुलझाने में उसे मुम्बई पुलिस का मददगार शरलक होम्स कहा जाता था ।
रोमेश इस काम की कोई फीस नहीं लेता था । बतौर शौक, यही नहीं बल्कि गुत्थी सुलझाने में उसे इस बात का सुकून मिलता था कि कोई निर्दोष नहीं पकड़ा गया ।
दरवाजा बन्द होने के बाद एक बार फिर रोमेश ने कमरे का निरीक्षण शुरू कर दिया था। विजय सारी घटना पर प्रकाश डालता जा रहा था । जब वह सब बता चुका , तो बोला ,
"अब बताओ कातिल कोई हवा तो है नहीं कि निकल गया होगा । या तो हीरालाल गलत बयानी कर रहा है, या वह खुद ।"
"किसी ठोस निर्णय के बिना हीरालाल को लपेटना उचित नहीं होगा ।" रोमेश ने बीच में ही टोक दिया .
"ऐसा आमतौर पर होता नहीं है कि कातिल कत्ल के बाद खुद गले में फंदा डालने वाली परिस्थितियां बना दे ।"
"मगर दरवाजा एक ही है, और धमाके के समय हीरा लाल द्वार पर था , फिर वह यहाँ आया । ओह एक बात हो सकती है ।"
"क्या ?"
"कत्ल करने के बाद कातिल इस कमरे से बाहर ड्राइंगरूम में या बाथरूम में छिपा , हीरालाल जैसे ही इसके अन्दर आया , वह बाहर निकल गया होगा । लेकिन उसने रिवॉल्वर यहाँ फेंक क्यों दी ? किसी मुसीबत से निपटने के लिए उसे रिवॉल्वर तो अपने पास रखनी चाहिये थी । ऐसे में जबकि हीरालाल दरवाजे पर था ।"
रोमेश ने रिवॉल्वर रूमाल से लपेटकर उठा ली । उसकी नाल सूंघी , गर्दन हिलाई । उसका चेम्बर चेक किया । चेम्बर में अभी भी पांच गोलियां थीं , एक ही चली थी । बारूद की गंध से पता चलता था कि गोली उसी से चली थी । फिर रोमेश का ध्यान दरवाजे पर लगी चंद कीलों पर पड़ा । उसने दरवाजे से सीधा लाश को देखा और फिर लाश के पास पहुंच गया । उसके बाद वह घुटने के बल बैठ गया और फर्श पर कुछ कुरेदता रहा । फिर रबड़ की एक डोरी उठा ते ही उसके होंठ गोल हो गये । वह सीधा खड़ा हो गया ।
"माई डियर पुलिस ऑफिसर । अब आप चाहें, तो शव को सील करके पोस्टमार्टम के लिए भेज सकते हैं ।"
इंस्पेक्टर विजय समझ गया कि जो गुत्थी वह नहीं सुलझा पा रहा था , वह सुलझ चुकी है ।
"हुआ क्या , लाश तो सील होगी ही । पंचनामा भी होगा , पोस्टमार्टम भी होगा । मगर बतौर कातिल मैं किसे गिरफ्तार करूं ? मैं जानने के लिए बेचैन हूँ, “रोमेश” आखिर कत्ल किसने किया? और कातिल कैसे निकल भागा ?"
"कातिल कहीं नहीं गया ।"
''क्या मतलब ?"
"माईडियर फ्रेन्ड, मकतूल भी यहीं है और कातिल भी , लेकिन अफसोस एक ही बात का है कि सारे सबूत उसके खिलाफ होते हुए भी तुम उसे गिरफ्तार न कर पाओगे ?"
जारी रहेगा...![]()
Thank you very much bhaiShandar jabardast update![]()

Thank you so much for the review bhai, sunkar acha laga ki aapko pasand aarahi hai storyBahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....

Aise kaise miss karne denge ? Abhi dekhti jao,W
oow...wooow....ek dam cid bana diya huska ki ek episode miss na kara to iska kaise hone denge....
nice update....good job mister directive raaj

Thanks brother
Hero heroine ka milan (punar milan) bhi ho gaya.. aur apna hero bhi police wala.. ab aayega kahani mei maza..
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Thank you so much for your wonderful review and support bhai
Nayi kahani ke liye congratulations
Suspense kaafi umda hai.. dekhte hai aage kya hota hai...

Thank you very much for your wonderful review and support bhai,Bahut hi badhiya or thrilling update
Katai KD pathak wali feeling aa rahi ha
Case itna pechida ha ki vijay babu bhi frustrate ho gaye han inke dimag ke sare tar hil gaye han
Idhar romesh ji bade se bada surma kyon na ho apni biwi ke age uski ek bhi nahi chalti ye wala part thoda funny tha
Idhar lagta ha romesh ko pata pad gaya ha ki katla kaise hua ha katla bhi hua ha katil bhi kahin nahi bhaga waise to thoda thoda samjh me aa chuka ha ki katla kaise ho gaya but next ep ka intezar karenge
Good one .. cid ke episode hi likh rhe ho kitne murder aur karwaoge romesh ka character strong dikhya h use somu ke mamle mai bhi kuch aisa laga h jo uski sister to nahi pata isilie case bhi liya h usne good one.. aur kitne suspense h is kahani mai
Abhi se pareshan ho gaye bandhu, 4 hi update hue hai, bina suspense ke kahani me maha kidhar se laaoge?? 