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★ INDEX ★
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♡ Family Introduction ♡ |
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Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....# 6
अगली तारीख पर अदालत खचा-खच भरी हुई थी ।
पुलिस ने जो गवाह पेश किये, वह सब रटे रटाये तोते की तरह बयान दे रहे थे । रोमी ने इनमें से किसी से भी खास क्वेश्चन नहीं कि या, न ही चश्मदीद गवाह से यह पूछा कि वह सुनसान हाईवे पर आधी रात को क्या कर रहा था ?
"मेरे अजीज दोस्त रोमेश सक्सेना ने बिना वजह अदालत का समय जाया किया है मीलार्ड”।
“इनका तो मनो बल इतना टूटा हुआ है कि किसी गवाह से सवाल जवाब करने से ही कतरा रहे हैं ।"
"फर्जी गवाहों से सवाल जवाब करना मैं अपनी तौहीन समझता हूँ, और न ही इस किस्म के क्रिया कलापों में समय नष्ट करता हूँ । मैं अपने काबिल दोस्त से जानना चाहूँगा कि सारे गवाह पेश करने के बावजूद भी पुलिस वह रकम क्यों बरामद नहीं कर पायी , जो सोमू ने लूट ली थी। यह प्वाइन्ट नोट किया जाये योर ऑनर, कि जिस रकम के पीछे कत्ल हो गया , वह रकम सोमू के पास से बरामद नहीं हुई ।"
"इस रकम की बरामदगी न होने से केस की मजबूती पर कोई असर नहीं पड़ता योर ऑनर !
पुलिस सोमू से रकम बरामद न कर सकी, इससे केस के हालात नहीं बदल जाते । सोमू पहले ही अपने जुर्म का इकबा ल कर चुका है।" राजदान ने पुरजोर असर डालते हुए कहा ,
"यह बात मुलजिम ही बेहतर जानता होगा , उसने रकम कहाँ छिपायी थी। पुलिस ने उस पर थर्ड डिग्री प्रयोग की होती, तो शायद रकम भी बरामद हो जाती । लेकिन उसने पुलिस को चकमा देकर अदालत में समर्पण किया, और उसे रिमाण्ड पर नहीं लिया जा सका । पुलिस ने रिमाण्ड की जरूरत इसलिये भी नहीं समझी, कि वह अपना जुर्म कबूल करने के लिए तैयार था । दैट्स आल योर ऑनर ।"
"योर ऑनर मेरे काबिल दोस्त की सारी दलीलें अभी फर्जी साबित हो जाएंगी, मैं वह रकम पेश करने की इजाजत चाहता हूँ ।"
"आप रकम पेश करेंगे ?" राजदान चिल्लाया ।
"क्या हर्ज है ? पुलिस का अधूरा काम कोई भी शरीफ शहरी पूरा कर दे, तो उसमें हर्ज क्या है। क्या मुझे कानून की मदद करने का अधिकार नहीं? और फिर यह रकम कोई मैं अपने पल्ले से दे नहीं रहा। न ही उसमें मेरा कोई कमीशन है ।" अदालत में बैठे लोग हँस पड़े ।
"आर्डर !आर्डर !!" जज ने मेज पर हथौड़ी पीटी ।अदालत शांत हो गई ।
"एडवोकेट रोमेश सक्सेना , रकम पेश कीजिए ।"
इंस्पेक्टर विजय उठकर बाहर गया और कुछ क्षण में ही एक व्यक्ति को पेश किया गया ! वह हाथ में ब्रीफकेस लिए हुए था । यह शख्स और कोई नहीं बेंकट करुण था । कमलनाथ का बहनोई। अदालत की रस्मी कार्यवाही के अनुसार गी.. पर हाथ रख कसम लेने के बाद उसके बयान शुरू हो गये ।
"आपका नाम ?" रोमेश ने पूछा ।
"बेंकट करुण ।"
"बाप का नाम ।"
"अंकेश करुण ।"
"क्या आप वह रकम लेकर आये हैं, जिसका मालिक सोमू है ?" रोमेश ने पूछा ।
"जी हाँ , ये रही ।"
"यह फर्जी ड्रामा कर रहे हैं योर ऑनर।" राजदान चीखा ,
"पता नहीं क्या गुल खिलाना चाहते हैं?"
"मैं कोई गुल नहीं खिलाना चाहता गुले गुलजार, मैं तो आपकी मदद कर रहा हूँ । केस को और मजबूत कर रहा हूँ ।"
"योर ऑनर, मेरे काबिल दोस्त से कहें कि गवाह का बयान पूरा होने के बाद ही गुल खिलायें ।"
पब्लिक एक बार फिर हँस पड़ी । न्यायाधीश को एक बार फिर मेज बजानी पड़ी। कार्यवाही आगे बढ़ी ।
"ब्रीफकेस खोलो ।" रोमेश ने कहा ।
ब्रीफकेस में सौ-सौ के नोटों की दस गड्डियां थीं । रोमेश ने रकम न्यायाधीश की मेज पर रखी ।
"गिन लीजिये योर ऑनर ! पूरे एक लाख ही हैं, और यह रकम कोई मैं अपनी जेब से दान नहीं कर रहा हूँ, यह वही रकम है जिसकी खातिर यह सब घटना यें प्रकाश में आई ।"
"ठीक है, आगे कहिए ।" न्यायाधीश ने अत्यन्त क्षीण दिलचस्पी से कहा । अदालत में बैठी जनता में खुसुर-फुसुर हो रही थी ।
"यह उसकी पैरवी कर रहा है या फाँसी पर लटकवाना चाहता है, सब उसके खिलाफ जा रहा है ।"
राजदान ने पीछे बैठे व्यक्ति की टिप्पणी सुन ली थी, वह मुस्करा तो दिया, परन्तु अन्दर ही अन्दर उसका मन किसी आशंका से काँप रहा था ।
"बेंकट करुण, अदालत को बताओ कि यह रकम किसने तुम्हें दी, और किस शर्त पर तुमने इसे सोमू के घर तक पहुंचाया ?"
''यह रकम सेठ कमलनाथ ने मुझे दी थी, मैं उनका बहनोई हूँ ।"
उसके इतना कहते ही अदालत में एकदम खलबली मच गयी ।
"शर्त यह थी कि जब सोमू कत्ल के जुर्म का इकबाल कर लेगा, तो रकम उनके घर पहुँचा दी जायेगी और उसके ऐसा करते ही हमने रकम पहुँचा दी ।"
"यह झूठा प्रपंच है ।" राजदान चीखा ,
"भला कमलनाथ क्यों देगा, कमलनाथ तो मर चुका था योर ऑनर ! सफाई पक्ष का वकील तो इस तरह कह रहा है, जैसे वह अभी चुर्रर-मुर्रर करेगा और कमलनाथ को जिन्दा कर लेगा ।"
"यही होने जा रहा है मिस्टर राजदान।"
ठीक उसी समय हथकड़ियों में जकड़ा कमलनाथ अदालत में आ गया।
"देखो,वो रहा कमलनाथ! गौर से देखो और चाहे जैसे शिनाख्त कर लो और खुद अदालत को बतादो कि जो शख्स मरा ही नहीं, उसके कत्ल के जुर्म में क्या किसी मुलजिम को सजा दी जा सकती है? हाउ कैन इट पॉसिबल?, चाहे उसने जुर्म का इकबाल ही क्यों न किया हो ।"
राजदान के तो छक्के छूट गये। पसीना-पसीना हो गया वह। सेठ कमलनाथ सचमुच अदालत में प्रकट हो गया था। अदालत में खलबली शांत हुई, तो कमलनाथ को कटघरे में लाया गया, और कमलनाथ को भी..कसम दिलाई गई ।
"सेठ कमलनाथ, उचित होगा कि आप स्वयं अदालत को सब कुछ बता दें, क्यों कि अब आपका खेल खत्म हो गया है।"
"मैं दिवालिया हो गया था ।" कमलनाथ ने बोलना शुरू किया,
"तीन महीने से मेरी फैक्ट्री में ताला पड़ा था। स्टाफ को वेतन नहीं दे पा रहा था, और वह लोग मुझे कोर्ट में घसीटने की धमकियां दे रहे थे। ट्रेड यूनियन्स उनकी पीठ पर आ खड़ी हुई थी। उनको मेरी हालत का अन्दाजा भी न था, कि मेरी सारी प्रॉपर्टी गिरवी पड़ी है। उस रात मैं बहुत परेशान था और अचानक वह हादसा हो गया, कोई शख्स आत्महत्या के इरादे से रात के अन्धेरे में सड़क के किनारे खड़ा शायद किसी वाहन की प्रतीक्षा कर रहा था, और अचानक हमारी कार के आगे कूद गया, उसकी मौत हो गई ।" इतना कहकर वह कुछ क्षण के लिए रुका ।
"संयोग से उसकी कद-काठी मेरे जैसी थी। मेरे दिमाग में तुरन्त एक ख्याल आया, अगर मेरी मौत इस तरह हो जाती, तो मुझे पचास लाख रुपया मिल सकता था। यह रकम मुझे इंश्योरेंस से मिल सकती थी। उधर सोमू को अपनी बहन की शादी के लिए एक लाख रुपये की जरूरत थी। मैंने पहले तो लाश को अपने कपड़े वगैरा पहनवाये, फिर सोमू से सौदा कर लिया कि उसे क्या करना है । अगर मैं खाली एक्सीडेन्ट दिखाता हूँ, तो तफ्तीश में शायद यह भेद खुल जाता। इसलिये मैंने उसे कत्ल का नाटक बनाकर पेश कर दिया और सोमू मुलजिम बनने को तैयार हो गया। उसके इकबाले-जुर्म करने से पुलिस भी अधिक झंझट में नहीं पड़ी और इंश्योरेंस की रकम भी मुझे मिल गई। मैं कुछ दिन के लिए मुम्बई से बाहर अपने बहनोई के गाँव वाले मकान में रहने चला गया, और काम होने पर रकम सोमू के घर पहुंचाने का निर्देश भी दे दिया था। लेकिन बेंकट करुण पकड़ा गया और फिर मेरा सारा भांडा फूट गया।"
"दैट्स आल योर ऑनर ! यह है असली वाकया, आप चाहें तो सेठ कमलनाथ की शिनाख्त करवा सकते हैं। कहीं मेरे वकील दोस्त राजदान, कमलनाथ को भी फर्जी न कह बैठे।"
अदालत में बैठे लोगों ने तालियां बजा कर उसका उत्साह-वर्धन किया। अगले दिन अखबारों में रोमी सुर्खियों में था।
जारी रहेगा….![]()
Thanks brotherNice update....

Ab ise kahte bade bhai wala reviewपुरी साजिश इंश्योरेंस क्लेम करने की थी । एक करिश्मे ने कमलनाथ को अवसर प्रदान किया और अपने ड्राइवर सोमदत की मदद से यह सारा प्लान रचा ।
कोई भी व्यक्ति ऐसी साजिश तभी रचता है जब उसे कानून का भय सताने लगे । या फिर कोई व्यक्ति कर्ज के दलदल से बाहर निकलने के लिए अपनी मौत कानूनन सिद्ध कर के इंश्योरेंस कंपनी से मोटी रकम हड़पना चाहता है ।
इस मामले मे कमलनाथ के साथ दूसरी बातें थी ।
लेकिन सोमदत का कमलनाथ के मर्डर का इकबाले जुर्म आइने की तरह साफ था कि वह ऐसा क्यों कर रहा है !
और जहां तक बात है जगाधरी साहब के मौत की , दरवाजे के पास कील और जमीन पर रबड़ का पाया जाना स्पष्ट संकेत दे रहा था कि वह व्यक्ति भी सुसाइड किया है और कारण फिर से वही - इंश्योरेंस क्लेम करना लेकिन इस बार लाभान्वित वह स्वयं न होकर उसका परिवार था ।
बहुत खुबसूरत लिखा है आपने शर्मा जी । किरदारों की भिन्न-भिन्न जबान , उनके संवाद , डिफेंस लाॅयर रोमेश साहब का कैरेक्टर और उनका डिटेक्टिव दिमाग और अन्य सभी छोटे छोटे किरदारों की भूमिका - सबकुछ एक प्रोफेशनल राइटर की तरह प्रस्तुत किया हुआ था ।
खासकर सिंधी भाई हीरालाल जेठानी का संवाद तो गजब का लिखा आपने ।
मर्डर मिस्ट्री सुलझ चुकी है । साजिश से पर्दा हट चुका है । अब देखना है यहां से आगे और क्या है इस स्टोरी मे ?
खुबसूरत और बेहतरीन अपडेट भाई ।
Thank you very much bhai for your wonderful review and support
Aage bhi jude rahiyega.Thank you very much parkas bhaiBahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....

Kahani to chal hi rahi hai bhai,क्या अभी असली कहानी शुरू ही नही हुई है??
Gajab update,# 6
अगली तारीख पर अदालत खचा-खच भरी हुई थी ।
पुलिस ने जो गवाह पेश किये, वह सब रटे रटाये तोते की तरह बयान दे रहे थे । रोमी ने इनमें से किसी से भी खास क्वेश्चन नहीं कि या, न ही चश्मदीद गवाह से यह पूछा कि वह सुनसान हाईवे पर आधी रात को क्या कर रहा था ?
"मेरे अजीज दोस्त रोमेश सक्सेना ने बिना वजह अदालत का समय जाया किया है मीलार्ड”।
“इनका तो मनो बल इतना टूटा हुआ है कि किसी गवाह से सवाल जवाब करने से ही कतरा रहे हैं ।"
"फर्जी गवाहों से सवाल जवाब करना मैं अपनी तौहीन समझता हूँ, और न ही इस किस्म के क्रिया कलापों में समय नष्ट करता हूँ । मैं अपने काबिल दोस्त से जानना चाहूँगा कि सारे गवाह पेश करने के बावजूद भी पुलिस वह रकम क्यों बरामद नहीं कर पायी , जो सोमू ने लूट ली थी। यह प्वाइन्ट नोट किया जाये योर ऑनर, कि जिस रकम के पीछे कत्ल हो गया , वह रकम सोमू के पास से बरामद नहीं हुई ।"
"इस रकम की बरामदगी न होने से केस की मजबूती पर कोई असर नहीं पड़ता योर ऑनर !
पुलिस सोमू से रकम बरामद न कर सकी, इससे केस के हालात नहीं बदल जाते । सोमू पहले ही अपने जुर्म का इकबा ल कर चुका है।" राजदान ने पुरजोर असर डालते हुए कहा ,
"यह बात मुलजिम ही बेहतर जानता होगा , उसने रकम कहाँ छिपायी थी। पुलिस ने उस पर थर्ड डिग्री प्रयोग की होती, तो शायद रकम भी बरामद हो जाती । लेकिन उसने पुलिस को चकमा देकर अदालत में समर्पण किया, और उसे रिमाण्ड पर नहीं लिया जा सका । पुलिस ने रिमाण्ड की जरूरत इसलिये भी नहीं समझी, कि वह अपना जुर्म कबूल करने के लिए तैयार था । दैट्स आल योर ऑनर ।"
"योर ऑनर मेरे काबिल दोस्त की सारी दलीलें अभी फर्जी साबित हो जाएंगी, मैं वह रकम पेश करने की इजाजत चाहता हूँ ।"
"आप रकम पेश करेंगे ?" राजदान चिल्लाया ।
"क्या हर्ज है ? पुलिस का अधूरा काम कोई भी शरीफ शहरी पूरा कर दे, तो उसमें हर्ज क्या है। क्या मुझे कानून की मदद करने का अधिकार नहीं? और फिर यह रकम कोई मैं अपने पल्ले से दे नहीं रहा। न ही उसमें मेरा कोई कमीशन है ।" अदालत में बैठे लोग हँस पड़े ।
"आर्डर !आर्डर !!" जज ने मेज पर हथौड़ी पीटी ।अदालत शांत हो गई ।
"एडवोकेट रोमेश सक्सेना , रकम पेश कीजिए ।"
इंस्पेक्टर विजय उठकर बाहर गया और कुछ क्षण में ही एक व्यक्ति को पेश किया गया ! वह हाथ में ब्रीफकेस लिए हुए था । यह शख्स और कोई नहीं बेंकट करुण था । कमलनाथ का बहनोई। अदालत की रस्मी कार्यवाही के अनुसार गी.. पर हाथ रख कसम लेने के बाद उसके बयान शुरू हो गये ।
"आपका नाम ?" रोमेश ने पूछा ।
"बेंकट करुण ।"
"बाप का नाम ।"
"अंकेश करुण ।"
"क्या आप वह रकम लेकर आये हैं, जिसका मालिक सोमू है ?" रोमेश ने पूछा ।
"जी हाँ , ये रही ।"
"यह फर्जी ड्रामा कर रहे हैं योर ऑनर।" राजदान चीखा ,
"पता नहीं क्या गुल खिलाना चाहते हैं?"
"मैं कोई गुल नहीं खिलाना चाहता गुले गुलजार, मैं तो आपकी मदद कर रहा हूँ । केस को और मजबूत कर रहा हूँ ।"
"योर ऑनर, मेरे काबिल दोस्त से कहें कि गवाह का बयान पूरा होने के बाद ही गुल खिलायें ।"
पब्लिक एक बार फिर हँस पड़ी । न्यायाधीश को एक बार फिर मेज बजानी पड़ी। कार्यवाही आगे बढ़ी ।
"ब्रीफकेस खोलो ।" रोमेश ने कहा ।
ब्रीफकेस में सौ-सौ के नोटों की दस गड्डियां थीं । रोमेश ने रकम न्यायाधीश की मेज पर रखी ।
"गिन लीजिये योर ऑनर ! पूरे एक लाख ही हैं, और यह रकम कोई मैं अपनी जेब से दान नहीं कर रहा हूँ, यह वही रकम है जिसकी खातिर यह सब घटना यें प्रकाश में आई ।"
"ठीक है, आगे कहिए ।" न्यायाधीश ने अत्यन्त क्षीण दिलचस्पी से कहा । अदालत में बैठी जनता में खुसुर-फुसुर हो रही थी ।
"यह उसकी पैरवी कर रहा है या फाँसी पर लटकवाना चाहता है, सब उसके खिलाफ जा रहा है ।"
राजदान ने पीछे बैठे व्यक्ति की टिप्पणी सुन ली थी, वह मुस्करा तो दिया, परन्तु अन्दर ही अन्दर उसका मन किसी आशंका से काँप रहा था ।
"बेंकट करुण, अदालत को बताओ कि यह रकम किसने तुम्हें दी, और किस शर्त पर तुमने इसे सोमू के घर तक पहुंचाया ?"
''यह रकम सेठ कमलनाथ ने मुझे दी थी, मैं उनका बहनोई हूँ ।"
उसके इतना कहते ही अदालत में एकदम खलबली मच गयी ।
"शर्त यह थी कि जब सोमू कत्ल के जुर्म का इकबाल कर लेगा, तो रकम उनके घर पहुँचा दी जायेगी और उसके ऐसा करते ही हमने रकम पहुँचा दी ।"
"यह झूठा प्रपंच है ।" राजदान चीखा ,
"भला कमलनाथ क्यों देगा, कमलनाथ तो मर चुका था योर ऑनर ! सफाई पक्ष का वकील तो इस तरह कह रहा है, जैसे वह अभी चुर्रर-मुर्रर करेगा और कमलनाथ को जिन्दा कर लेगा ।"
"यही होने जा रहा है मिस्टर राजदान।"
ठीक उसी समय हथकड़ियों में जकड़ा कमलनाथ अदालत में आ गया।
"देखो,वो रहा कमलनाथ! गौर से देखो और चाहे जैसे शिनाख्त कर लो और खुद अदालत को बतादो कि जो शख्स मरा ही नहीं, उसके कत्ल के जुर्म में क्या किसी मुलजिम को सजा दी जा सकती है? हाउ कैन इट पॉसिबल?, चाहे उसने जुर्म का इकबाल ही क्यों न किया हो ।"
राजदान के तो छक्के छूट गये। पसीना-पसीना हो गया वह। सेठ कमलनाथ सचमुच अदालत में प्रकट हो गया था। अदालत में खलबली शांत हुई, तो कमलनाथ को कटघरे में लाया गया, और कमलनाथ को भी..कसम दिलाई गई ।
"सेठ कमलनाथ, उचित होगा कि आप स्वयं अदालत को सब कुछ बता दें, क्यों कि अब आपका खेल खत्म हो गया है।"
"मैं दिवालिया हो गया था ।" कमलनाथ ने बोलना शुरू किया,
"तीन महीने से मेरी फैक्ट्री में ताला पड़ा था। स्टाफ को वेतन नहीं दे पा रहा था, और वह लोग मुझे कोर्ट में घसीटने की धमकियां दे रहे थे। ट्रेड यूनियन्स उनकी पीठ पर आ खड़ी हुई थी। उनको मेरी हालत का अन्दाजा भी न था, कि मेरी सारी प्रॉपर्टी गिरवी पड़ी है। उस रात मैं बहुत परेशान था और अचानक वह हादसा हो गया, कोई शख्स आत्महत्या के इरादे से रात के अन्धेरे में सड़क के किनारे खड़ा शायद किसी वाहन की प्रतीक्षा कर रहा था, और अचानक हमारी कार के आगे कूद गया, उसकी मौत हो गई ।" इतना कहकर वह कुछ क्षण के लिए रुका ।
"संयोग से उसकी कद-काठी मेरे जैसी थी। मेरे दिमाग में तुरन्त एक ख्याल आया, अगर मेरी मौत इस तरह हो जाती, तो मुझे पचास लाख रुपया मिल सकता था। यह रकम मुझे इंश्योरेंस से मिल सकती थी। उधर सोमू को अपनी बहन की शादी के लिए एक लाख रुपये की जरूरत थी। मैंने पहले तो लाश को अपने कपड़े वगैरा पहनवाये, फिर सोमू से सौदा कर लिया कि उसे क्या करना है । अगर मैं खाली एक्सीडेन्ट दिखाता हूँ, तो तफ्तीश में शायद यह भेद खुल जाता। इसलिये मैंने उसे कत्ल का नाटक बनाकर पेश कर दिया और सोमू मुलजिम बनने को तैयार हो गया। उसके इकबाले-जुर्म करने से पुलिस भी अधिक झंझट में नहीं पड़ी और इंश्योरेंस की रकम भी मुझे मिल गई। मैं कुछ दिन के लिए मुम्बई से बाहर अपने बहनोई के गाँव वाले मकान में रहने चला गया, और काम होने पर रकम सोमू के घर पहुंचाने का निर्देश भी दे दिया था। लेकिन बेंकट करुण पकड़ा गया और फिर मेरा सारा भांडा फूट गया।"
"दैट्स आल योर ऑनर ! यह है असली वाकया, आप चाहें तो सेठ कमलनाथ की शिनाख्त करवा सकते हैं। कहीं मेरे वकील दोस्त राजदान, कमलनाथ को भी फर्जी न कह बैठे।"
अदालत में बैठे लोगों ने तालियां बजा कर उसका उत्साह-वर्धन किया। अगले दिन अखबारों में रोमी सुर्खियों में था।
जारी रहेगा….![]()
Thank you very much for your wonderful review and support Rekha raniGajab update,
Romesh ne ek hi sunavayi me pura case hi palat diya jaisa pahle update se anuman tha ki Seth kamalnath ne aise hi kisi chakkr ke karan ye sab natak Racha tha lekin romesh ne bahut aasani se kamalnath ko sabke samne la diya ,
Next kahani me ab kya hone wala uska wait rhega
Wo kya hai ki kahani ke suru me hi sab bata diya tha ki sheth ne use apna kapde pahnaye, vagarah vagarah, agar nahi bataya hota to or bhi jabarjust suspense paida kar sakte theShuruaat bohot badiya ki hai Raj bhaiअपडेट 1
अंधेरे को चीरती हुई एक कार , जो की बोहोत ही तेजी से अपने गन्तव्य की ओर बढी जा रही थी।
कि अचानक कार के ब्रेक चीख पडें!!
कार के ब्रेकों के चीखने का शोर इतना तीव्र था कि अपने घोंसलों में सोते पक्षी भी फड़फड़ा कर उड़ चले ।
रात की नीरवता खण्ड-विखण्ड हो कर रह गयी ।
"क्या हुआ ?" सेठ कमलनाथ ने पूछा!
"एक आदमी गाड़ी के आगे अचानक कूद गया।
" ड्राइवर ने थर्राई आवाज में उत्तर
दिया , "मेरी कोई गलती नहीं सेठ जी ! मैंनेतो पूरी कौशिश की ।"
"अरे देखो तो , जिन्दा है या मर गया !"
ड्राइवर ने फुर्ती से दरवाजा खोला । हेडलाइट्स अभी भी ऑन थी , वह ड्राइविंग सीट से उतरकर आगे आ गया । गाड़ी के नीचे एक व्यक्ति औंधा पड़ा था , उसके जिस्म पर आगे के पहिये उतर चुके थे ।
चूँकि पहियों के बीच में अन्धेरा था ,
इसलिये कुछ ठीक से नजर नहीं आ रहा ...।"
"जी के बच्चे जो मैं कह रहा हूँ, वह कर, नहीं तो तू सीधा अन्दर होगा ।"
"लेकिन सेठ जी , कपड़े क्यों ?"
"सवाल नहीं करने का , समझे ! जो बोला वह करो।"
इस बार सेठ कमलनाथ मवालियों
जैसे अन्दाज में बोला ।
सोमू ने डरते हए कपड़े उतार डाले । इसी बीच सेठ कमलनाथ ने अपने भी कपड़े उतारे
और खुद कार की पिछली सीट पर आ गया । उसने कार में रखी एक चादर लपेट ली ।
"मेरे कपड़े लाश को पहना दे सोमू ।" सेठ कमलनाथ ने खलनायक वाले अन्दाज में कहा ।
"सोमू के कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है ? अपने मालिक का हुक्म मानते हुए उसने सेठ कमलनाथ के कपड़े लाश को पहना दिये ।
"मेरी घड़ी , मेरी अंगूठी , मेरे गले की चेन भी इसे पहना दे ।"
कमलनाथ ने अपनी घड़ी , चेन और अंगूठी भी सोमू को थमा दी ।
सोमू ने सेठ कमलनाथ को ऐसी निगाहों से देखा , जैसे सेठ पागल हो गया हो !! फिर उसने वह तीनों चीजें भी लाश को पहना दी ।
"अब कार में आजा ...।"
सोमू कार में आ गया ।
"इसका चेहरा इस तरह कुचल दे, जो पहचाना न जा सके ।"
सोमू ने यह काम भी कर दिखाया । इस बीच वह हांफने भी लगा था । चादर ओढ़े सेठ ने एक बार फिर लाश का निरीक्षण किया और फिर से गाड़ी में आ बैठा ।
"हमें किसी ने देखा तो नहीं ?"
"इतनी रात गये इस सड़क पर कौन आयेगा ।"
"हूँ !! चलो ! छुट्टी हुई, मैं मर गया ।"
"क… क्या कह रहे हैं ?"
"अबे गाड़ी चला , रास्ते में तुझे सब बता दूँगा कि सेठ कमलनाथ कैसे मरा और किसने मारा , चल बेफिक्र हो कर गाड़ी चला ।"
गाड़ी आगे बढ़ गई, इसके साथ ही सेठ कमलनाथ का कहकहा गूँज उठा ।।
इस घटना के कुछ समय बाद :
जब सेठ कमलनाथ की मौत का समाचार बासी हो चुका था , किसी को अब उस हादसे में कोई दिलचस्पी भी नहीं थी । लोगों की आदत होती है, बड़े-बड़े हादसे चंद दिन में ही भूल जाते हैं । और फिर कमलनाथ ऐसा महत्वपूर्ण व्यक्ति भी नहीं था , जो चर्चा में रहता ।
मुकदमा मुम्बई सेशन कोर्ट में पेश था ।
कटघरे में एक मुलजिम खड़ा था , नाम था सोमू !
"योर ऑनर ! यह नौजवान सोमू जो आपके सामने कटघरे में खड़ा है, एक वहशी हत्यारा है, जिसने अपने मालिक सेठ कमलनाथ का निर्दयता पूर्वक कत्ल कर डाला ।
मैं अदालत के सामने सभी सबूतों के साथ-साथ गवाहों को पेश करने की भी इजाजत चाहूँगा।"
"इजाजत है । "
जज ने अनुमति प्रदान कर दी ।
पब्लिक प्रोसिक्यूटर राजदान मिर्जा ने मुकदमे की पृष्ठभूमि से पर्दा उठाना शुरू किया ।
"उस रात सेठ कमलनाथ मुम्बई गोवा हाईवे पर सफर कर रहे थे । वह कारोबार की उगाही करके लौट रहे थे! और उनके सूटकेस में एक लाख रुपया नकद मौजूद था । रात के एक बजे जल्दी पहुंचने की गरज से ड्राइवर सोमू ने कार को एक शॉर्टकट मार्ग पर मोड़ा,
और एक सुनसान सड़क पर गाड़ी को ले गया । असल में मुजरिम का मकसद जल्दी पहुंचना नहीं था बल्कि वह तो सेठ को कभी भी घर न पहुंचने देने के लिए प्लान कर चुका था ।"
कुछ रुककर मिर्जा ने कहा ।
"योर ऑनर, सुनसान और सन्नाटेदार सड़क पर आते ही इस वफादार नौकर ने अपनी नमक हरामी का सबसे बड़ा सिला यह दिया कि सुनसान जगह कार रोककर सेठ से रुपयों का सूटकेस माँगा । सोमू उस वक्त रुपया लेकर भागजाने का इरादा रखता था , इसी लिये वह उस सुनसान सड़क पर पहुंचा , ताकि सेठ अगर चीख पुकार मचाए भी , तो कोई सुनने वाला न हो , कोई उसकी मदद के लिए न आये और यही हुआ ।
लेकिन सेठ ने जब पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करने और भुगत लेने की धमकी दी , तो सोमू ने सेठ का कत्ल कर डाला ।
“जी हाँ योर ऑनर”, गाड़ी से कुचलकर उसने सेठ को मार डाला । यहाँ तक कि लाश का चेहरा ऐसा बिगाड़ दिया कि कोई पहचान भी न सके ।"
अदालत खामोश थी । लोग राजदान मिर्जा की दलीलें चुपचाप सुन रहे थे । किसी ने टोका -टाकी नहीं की ।
"लेकिन मीलार्ड, कहते हैं अपराधी चाहे कितना भी चालाक क्यों न हो, उससे कोई-न-कोई भूल तो हो ही जाती है, और कानून के लम्बे हाथ उसी भूल का फायदा उठा कर मुजरिम के गिरेबान तक जा पहुंचते हैं ।
मुलजिम सोमू ने हत्या तो कर दी , लेकिन सेठ कमलनाथ के जिस्म पर उसकी शिनाख्त की कई चीजें छोड़ गया । अंगूठी , घड़ी और पर्स तक जेब में पड़ा रह गया । जिससे न सिर्फ लाश की शिनाख्त हो गई बल्कि यह भी पता चल गया कि उस रात सेठ एक लाख रुपया लेकर मुम्बई लौट रहा था ।
इसने सेठ कमलनाथ का कत्ल किया और लाश का हुलिया बिगाड़ने के लिए पूरा चेहरा गाड़ी के पहिये से कुचल डाला ।
इसलिये भारतीय दण्ड विधान धारा 302 के तहत मुलजिम को कड़ी -से-कड़ी सजा दी जाये ।
“दैट्स आल योर ऑनर ।"
सरकारी वकील राजदान मिर्जा ने मुलजिम के विरुद्ध आरोप दाखिल किया और अपनी सीट पर आ बैठा ।
"मुलजिम सोमू "
थोड़ी देर में न्यायाधीश की आवाज कोर्ट में गूंजी ,
"तुम पर जो आरोप लगाए गये हैं, क्या वह सही हैं ?"
मुलजिम सोमू कटघरे में निर्भीक खड़ा था । उसने एक नजर अदालत में बैठे लोगों पर डाली और फिर वह दृष्टि एक नौजवान लड़की पर ठहर गई थी , जो उसी अदालत के एक कोने में बैठी थी और डबडबाई आँखों से सोमू को देख रही थी ।
वहाँ से सोमू की दृष्टि पलटी और सीधा न्यायाधीश की ओर उठ गई ।
"क्या तुम अपने जुर्म का इकबाल करते हो ?" आवाज गूँज रही थी ।
"जी हाँ योर ऑनर ! मैं अपने जुर्म का इकबाल करता हूँ । वह हत्या मैंने ही की और एक लाख रूपए के लालच में की ।
मेरा सेठ बहुत ही कंजूस और कमीना था । मैंने उससे अपनी बहन की शादी के लिए कर्जा माँगा , तो उसने एक फूटी कौड़ी भी देने से इन्कार कर
दिया । उस रात मुझे मौका मिल गया और मैंने उसका क़त्ल कर डाला ।"
"नहीं..s..s..s. ।"
अचानक अदालत में किसी नारी की चीख-सी सुनाई दी । सबका ध्यान उस
चीख की तरफ आकर्षित हो गया ।
"सोमू झूठ बोल रहा है, यह किसी का कत्ल नहीं कर सकता , यह झूठ है ।"
कुछ क्षण पहले जो लड़की डबडबाई आँखों से सोमू को निहार रही थी , वह उठ खड़ी हुई ।
"तुम्हें जो कुछ कहना है, कटघरे में आकर कहो ।"
युवती अदालत में खाली पड़े दूसरे कटघरे में पहुंच गई ।
"मेरा नाम वैशाली है जज साहब” !
मैं इसकी बहन हूँ । मुझसे अधिक सोमू को कोई नहीं जानता , यह किसी की हत्या नहीं कर सकता ।"
"परन्तु वह इकबाले जुर्म कर रहा है ।"
"मीलार्ड ।"
सरकारी वकील उठ खड़ा हुआ, "कोई भी बहन अपने भाई को हत्यारा
कैसे मान सकती है । जबकि मुलजिम अपने जुर्म का इकबाल कर रहा है, तो इसमें सच्चाई की कोई गुंजाइश ही कहाँ रह जाती है ।"
"मैं कह चुका हूँ योर ऑनर ! मैंने कत्ल किया है, मैं कोई सफाई नहीं देना चाहता और न ही यह मुकदमा आगे चलाना चाहता हूँ ।
वैशाली तुम्हें यहाँ अदालत में नहीं आना चाहिये था , तुम घर जाओ ।"
वैशाली सुबकती हुई कटघरे से बाहर आई और फिर अदालत से ही बाहर चली गई ।
अदालत ने अगली कार्यवाही के लिए तारीख दे दी ।
जारी रहेगा…✍✍