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♡ Family Introduction ♡ |
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♡ Family Introduction ♡ |
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OkBulbul_Rani agar thriller padhna ho to ye bohot badhiya hai![]()
Ye ek dhasu story hai, aapko nirash nahi karegi

Aajkal too much busy chal raha hun bhai isliye waqt ki kami hai Jiske chalte na to storees ki PDF banaa paa raha hoon aur na hi stories read karne ka time mil raha hai.. Khaali waqt mein jo thoda bahot time milta hai wo Chit-chat aur moderation wagairah mein nikal jaata hai.Story Collector guruji meri ye story complete hue bhi 3 mahine ke kareeb ho gaye, but ju ne ab tak nahi padha![]()

Koi baat nahi bhai ji, main samajh sakta hu, aap busy maanus ho, aur isi liye jyada pressure nahi dete hue, yahi kahunga ki jab bhi jaise bhi time mile aap dekh lena, aapke paas nohot kaam rahta hai, to saare gunaah maafAajkal too much busy chal raha hun bhai isliye waqt ki kami hai Jiske chalte na to storees ki PDF banaa paa raha hoon aur na hi stories read karne ka time mil raha hai.. Khaali waqt mein jo thoda bahot time milta hai wo Chit-chat aur moderation wagairah mein nikal jaata hai.
Maybe is month ke end tak saara pending kaam nipat jaaye, phir to free ho jaaunga uske baad waqt hi waqt rahega.
You may not know but I am very fond of reading stories. I like reading stories very much. So jald hi ju ki sabhi stories read karunga.![]()

Aise lag raha hai jaise koi novel padh raha hu kya badiya writing hai#7
इस मुकदमे के बाद रोमेश को एक सप्ताह के लिए दिल्ली जाना पड़ गया। दिल्ली में उसका एक मित्र था , कैलाश वर्मा। कैलाश वर्मा एक प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी चलाता था,
और किसी इन्वेस्टीगेशन के मामले में उसने रोमेश की मदद मांगी थी ।
कैलाश वर्मा के पास एक दिलचस्प केस आ गया था ।
"सावंत राव को जानते हो?"
कैलाश ने रोमेश से बातचीत शुरू की।
"एम.पी ., जो पहले स्मगलर हुआ करता था । उसी की बात कर रहे हो?"
"हाँ ।"
कैलाश ने सिगरेट सुलगाते हुए कहा ,
"कत्ल की गुत्थियाँ सुलझाने के मामले में आज न तो तुमसे बेहतर वकील है, और न इंस्पेक्टर।
वैसे तो मेरी एजेंसी से एक से एक
काबिल आदमी जुड़े हुए हैं, मगर यह केस मैंने तुम्हारे लिए रखा है।"
"पर केस है क्या ?"
"एम.पी . सावंत का मामला है ।"
"जहाँ तक मेरी जानकारी है, मैंने उसके मर्डर की न्यूज कहीं नहीं पढ़ी।"
"वह मरा नहीं है, मारे जाने वाला है।"
"तुम कहना क्या चाहते हो?"
"सावंत राव के पास सरकारी सिक्यूरिटी की कोई कमी नहीं है। उसके बाद भी उसे यकीन है कि उसका कत्ल हो के रहेगा।"
"तब तो उसे यह भी पता होगा कि कत्ल कौन करेगा ?"
"अगर उसे यह पता लग जाये, तो वह बच जायेगा।" वर्मा ने कहा।
"कैसे ? क्या उसे वारदात से पहले अन्दर करवा देगा ?" रोमेश मुस्कराया।
"नहीं , बल्कि सावंत उसे खुद ठिकाने लगा देगा। बहरहाल यह हमारा मामला नहीं है, हमें सिर्फ यह पता लगाना है कि उसका मर्डर कौन करना चाहता है, और इसके प्रमाण भी उपलब्ध करने हैं। बस और कुछ नहीं। उसके बाद वह क्या करता है, यह उसका केस है।"
"हूँ” !
केस दिलचस्प है, क्या वह पुलिस या अन्य किसी सरकारी महकमे से जांच नहीं करवा सकता ?"
"उसे यकीन है कि इन महकमों की जांच सही नहीं होगी। अलबत्ता मर्डर करने वाले से भी यह लोग जा मिलेंगे और फिर उसे दुनिया की कोई ताकत नहीं बचा पायेगी।
वी .आई.पी . सर्किल में हमारी एजेंसी की खासी गुडविल है, और हम भरोसेमंद लोगों में गिने जाते हैं, और यह भी जानते हैं कि हम हर फील्ड में बेहतरीन टीम रखते हैं, और सिर्फ अपने ही मुल्क में नहीं बाहरी देशों में भी हमारी पकड़ है।
मैं तुम्हें यह जानकारी एकत्रित करने का मेहनताना पचास हजार रुपया दूँगा ।"
"तुमने क्या तय किया ?"
"कुल एक लाख रुपया तय है ।"
रोमेश को उस अंगूठी का ध्यान आया, जो उसकी पत्नी को पसन्द थी। इस एक डील मेंणअंगूठी खरीदी जा सकती थी, और वह सीमा को खुश कर सकता था। यूँ भी उनकी
एनिवर्सरी आ रही थी और वह इसी मौके पर यह तगादानि बटा देना चाहता था ।
"मंजूर है । अब जरा मुझे यह भी बताओ कि क्या सावंत को किसी पर शक है ? या तुम वहाँ तक पहुंचे हो?"
"हमारे सामने तीन नाम हैं, उनमें से ही कोई एक है, पहला नाम चन्दन दादा भाई का है।
यह सावंत के पुराने धंधों का प्रतिद्वन्द्वी है, पहले सावंत का पार्टनर भी रहा है, फिर प्रतिद्वन्द्वी ! इनकी आपस में पहले भी कुछ झड़पें हो चुकी हैं, तुम्हें बसंत पोलिया मर्डर
कांड तो याद होगा।"
"हाँ , शायद पोलिया चन्दन का सिपहसालार था ।"
"सावंत ने उसे मरवाया था। क्यों कि पोलिया पहले सावंत का सिपहसालार रह चुका था, और सावंत से गद्दारी करके चन्दन से जा मिला था। बाद में सावंत ने राजनीति में कदम रखा और एम.पी. बन गया। एम.पी . बनने के बाद उसका धंधा भी बन्द हो गया और अब उसकी छत्रछाया में बाकायदा एक बड़ा सिंडीकेट काम कर रहा था। सबसे अधिक खतरा चन्दन को है, इसलिये चन्दन उसका जानी दुश्मन है।"
"ठीक । " रोमेश सब बातें एक डायरी में नोट करने लगा।
"दो नम्बर पर है ।" वह आगे बोला , "मेधा रानी ।"
"मेधा-रानी , हीरोइन ?"
"हाँ , तमिल हीरोइन मेधा -रानी ! जो अब हिन्दी फिल्मों की जबरदस्त अदाकारा बनी हुई है। मेधा- रानी सावंत का क्यों कत्ल करना चाहेगी यह वजह सावंत ने हमें नहीं बताई।"
"तुमने जानी भी नहीं ?"
"नहीं , अभी हमने उस पर काम नहीं किया। शायद सावंत ने इसलिये नहीं बताया ,
क्यों कि यह मैटर उसकी प्राइवेट लाइफ से अटैच हो सकता है।"
"चलो , आगे ।"
"तीसरा नाम अत्यन्त महत्वपूर्ण है। जनार्दन नागा रेड्डी । यानी जे.एन.।"
"यानि कि चीफ मिनिस्टर जे.एन.?" रोमेश उछल पड़ा।
"हाँ , वही ।
सावंत का सबसे प्रबल राजनैतिक प्रतिदन्द्वी। यह तीन हस्तियां हमारे सामने हैं, और तीनो ही अपने-अपने क्षेत्र की महत्वपूर्ण हस्तियां हैं। सावंत की मौत का रास्ता इन तीन गलियारों में से किसी एक से गुजरता है, और यह पता लगाना तुम्हारा काम है। बोलो।"
"तुम रकम का इन्तजाम करो और समझो काम हो गया।"
"ये लो दस हजार।" कैलाश ने नोटों की एक गड्डी निकालते हुए कहा, "बाकी चालीस काम होने के बाद।"
रोमेश ने रकम पकड़ ली।
जब वह वापिस मुम्बई पहुँचा, तो उसके सामने सीमा ने कुछ बिल रख दिये।
"सात हजार रुपए स्वयं का बिल।" रोमेश चौंका,
"डार्लिंग ! कम से कम मेरी माली
हालत का तो ध्यान रखा करो।"
"भुगतान नहीं कर सकते, तो कोई बात नहीं। मैं अपने कजन से कह दूंगी, वह भर देगा।"
"तुम्हारा कजन आखिर है कौन? मैंने तो कभी उसकी शक्ल नहीं देखी, बार-बार तुम उसका नाम लेती रहती हो।"
"तुम जानते हो रोमी ! वह पहले भी कई मौकों पर हमारी मदद कर चुका है, कभी मौका आएगा तो मिला भी दूंगी।"
"ये लो , सबके बिल चुकता कर दो।" रोमेश ने दस हजार की रकम सीमा को थमा दी।
"क्या तुमने उस मुकदमे की फीस नहीं ली, वह लड़की वैशाली कई बार चक्कर लगा चुकी है। पहले तो उसने फोन किया, मैंने कहा नहीं है, फिर खुद आई। शायद सोच रही होगी कि मैंने झूठ कह दिया होगा।"
"ऐसा वह क्यों सोचेगी?"
"मैंने पूछा था काम क्या है, कुछ बताया नहीं। कहीं केस का पेमेन्ट देने तो नहीं आई थी?"
"उस बेचारी के पास मेरी फीस देने का इन्तजाम नहीं है।"
"अखबार में तो छपा था कि उसके घर एक लाख रुपया पहुंच गया था, और इसी रकम से तुमने इन्वेस्टीगेशन शुरू की थी।"
"वह रकम कोर्ट कस्टडी में है, और उसे मिलनी भी नहीं है। वह रकम कमलनाथ की है, और कमलनाथ को तब तक नहीं मिलेगी, जब तक वह बरी नहीं होगा।"
"तो तुमने फ्री काम किया।"
"नहीं जितनी मेरी फीस थी , वह मुझे मिल गयी थी।"
"कितनी फीस ?"
"इस केस में मेरी सफलता ही मेरी सबसे बड़ी फीस है, तुम तो जानती ही हो। चुनौती भरा केस था।"
"तुम्हें तो वकील की बजाय समाज सेवी होना चाहिये, अरे हाँ याद आया, माया दास के भी दो तीन फोन आ चुके हैं।"
"मायादास कौन?"
"मिस्टर माया दास, चीफ मिनिस्टर जे.एन.साहब के सेकेट्री हैं।"
रोमेश उछल पड़ा।
"क्या मैसेज था माया दास का?"
"कहा जैसे ही आप आएं, एक फोन नम्बर पर उनसे बात कर लें। नम्बर छोड़ दिया है अपना।"
इतना कहकर सीमा ने एक टेलीफोन नम्बर बता दिया। रोमेश ने फोन नम्बर अपनी डायरी में नोट कर लिया।
"यह माया दास का भला हमसे क्या काम पड़ सकता है ?"
"आप वकील हैं। हो सकता है कि कोई केस हैण्डओवर करना हो।"
"इस किस्म के लोगों के लिए अदालतों या कानून की कोई वैल्यू नहीं होती। तब भला इन्हें वकीलों की जरूरत कैसे पेश आयेगी?"
"आप खुद ही किसी रिजल्ट पर पहुंचने के लिए बेकार ही माथा पच्ची कर रहे हैं, एक फोन करो और मालूम कर लो न डियर एडवोकेट सर।"
"शाम को फुर्सत से करूंगा, अभी तो मुझे कुछ काम निबटाने हैं, लगता है अब हमारे दिन फिरने वाले हैं। अच्छे कामों के भी अच्छे पैसे मिल सकते हैं, वह दिल्ली में मेरा एक दोस्त है ना जो डिटेक्टिव एजेंसी चलाता है।"
"कैलाश वर्मा?"
"हाँ , वही । उसने एक केस दिया है, मेरे लिए वह काम मुश्किल से एक हफ्ते का है, दस हजार रुपया उसी सिलसिले में एडवांस मिला था, डार्लिंग इस बार मैं अपना …।"
तभी डोरबेल बजी ।
"देखो तो कौन है?" रोमेश ने नौकर से पूछा।
नौकर दरवाजे पर गया, कुछ पल में वापिस आकर बताया, "इंस्पेक्टर साहब हैं। साथ में वह लड़की भी है, जो पहले भी आई थी।"
"अच्छा उन्हें अन्दर बुलाओ।" रोमेश आकर ड्राइंगरूम में बैठ गया।
"हैल्लो रोमेश।" विजय, वैशाली के साथ अन्दर आया।
"तुमको कैसे पता चला, मैं दिल्ली से लौट आया।" रोमेश ने हाथ मिलाते हुए कहा।
"भले ही तुम दिग्गज सही, मगर पुलिस वाले तो हम भी हैं। हमने मालूम कर लिया था, कि जनाब का रिजर्वेशन राजधानी से है, और फिर हमें मुम्बई सेन्ट्रल स्टेशन के पुलिस
इंचार्ज ने भी फोन कर दिया था।"
"ऐसी घोर विपत्ति क्या थी? क्या वैशाली पर फिर कोई मुसीबत आयी है?"
"नहीं भई! हम तो जॉली मूड में हैं। हाँ, काम कुछ वैशाली का ही है।"
"क्या तुम्हारे भाई ने फिर कुछ कर लिया ?"
"नहीं उसने तो कुछ नहीं किया , सिवाय प्रायश्चित करने के। असल में बात यह है कि वैशाली तुम्हारी सरपरस्ती में प्रैक्टिस शुरू करना चाहती है, इसके आदर्श तो तुम बन गये हो रोमेश।"
"ओह तो यह बात थी।"
"यानि अभी यह होगा कि तुम मुलजिम पकड़ा करोगे और यह छुड़ाया करेगी। चित्त भी अपनी और पट भी।"
उसी समय सीमा ने ड्राइंगरूम में कदम रखा।
''नमस्ते भाभी।" दोनों ने सीमा का अभिवादन किया।
"इस मामले में तुम जरा अपनी भाभी की भी परमीशन ले लो।" रोमेश बोला , “तो पूरी ग्रीन लाइट हो जायेगी।"
"भाभी जरा इधर आना तो।" विजय उठ खड़ा हुआ, "आपसे जरा प्राइवेट बात करनी है।"
विजय अब सीमा को एक कमरे में ले गया।
"बात ये है भाभी कि वैशाली अपनी मंगेतर है, और उसने एक जिद ठान ली है, कि जब तक वकील नहीं बनेगी, शादी नहीं करेगी। वकील भी ऐसा वैसा नहीं, रोमेश जैसा।"
"अरे तो इसमें मैं क्या कर सकती हूँ, एक बात और सुन लो विजय।"
"क्या भाभी ?"
"मेरी सलाह मानो, तो उसे सिलाई बुनाई का कोर्स करवा दो। कम से कम घर बैठे कुछ तो कमा के देगी। इन जैसी वकील बन गई, तो सारी जिन्दगी रोता रहेगा।"
"मुझे उससे कुछ अर्निंग थोड़े करवानी है। बस उसका शौक पूरा हो जाये।"
"सिर पकड़कर आधी-आधी रात तक रोती रहती हूँ मैं। तू भी ऐसे ही रोएगा।"
"क… क्यों ?"
"अब तुझसे अपनी कंगाली छिपी है क्या?"
"भाभी वैसे तो घर ठीक-ठाक चलता ही है। हाँ , ऐशो आराम की चीज में जरूर कुछ कमी है, मगर मेरे साथ ऐसा कोई लफड़ा नहीं होने का।"
"तुम्हारे साथ तो और भी होगा।"
"कैसे ?"
"तू मुजरिम पकड़ेगा, यह छुड़ा देगी। फिर होगी तेरे सर्विस बुक में बैड एंट्री! मुजरिम बरी होने के बाद इस्तगासे करेंगे, मानहानि का दावा करेंगे, फिर तू आधी रात क्या सारी -सारी रात रोएगा। मैं कहती हूँ कि उसे कोई स्कूल खुलवा दो या फिर ब्यूटी पार्लर।"
"ओह नो भाभी ! मुझे तो उसे वकील ही बनाना है।"
"बनाना है तो बना, बाद में रोने मेरे पास नहीं आना।"
"अब तुम जरा रोमेश से तो कह दो, उस जैसा तो वही बना सकता है।"
"सबके सब पागल हैं, यही थी प्राइवेट बात। मैं कह दूंगी, बस।"
थोड़ी देर में दोनों ड्राइंग रूम में आ गये। उस वक्त रोमेश कानून की बुनियादी परिभाषा वैशाली को समझा रहा था।
''कानून की देवी की आँखों पर पट्टी इसलिये पड़ी होती है, क्यों कि वहाँ जज्बात, भावनायें नहीं सुनी जाती। कई बार देखा भी गलत हो सकता है, बस जरूरत होती है सिर्फ सबूतों की।"
''लो इन्होंने तो पाठ भी पढाना शुरू कर दिया।'' सीमा ने कहा ,
"चल वैशाली , जरा मेरे साथ किचन तो देख ले, यह किचन भी बड़े काम की चीज है। यहाँ भी जज्बात काम नहीं करते, प्याज टमाटर काम करते हैं।"
सब एक साथ हँस पड़े। और सीमा के साथ वैशाली किचन में चली गई।
जारी रहेगा...![]()
Aise lag raha hai jaise koi novel padh raha hu kya badiya writing hai![]()
Thank you very much Dr. Sahab, aapne padha hamare liye to wahi bohot hai

Us mahine ki chhodo, uske baad wala bhi gaya, per ju ko petticoat waliyo se fursat hi kahaAajkal too much busy chal raha hun bhai isliye waqt ki kami hai Jiske chalte na to storees ki PDF banaa paa raha hoon aur na hi stories read karne ka time mil raha hai.. Khaali waqt mein jo thoda bahot time milta hai wo Chit-chat aur moderation wagairah mein nikal jaata hai.
Maybe is month ke end tak saara pending kaam nipat jaaye, phir to free ho jaaunga uske baad waqt hi waqt rahega.
You may not know but I am very fond of reading stories. I like reading stories very much. So jald hi ju ki sabhi stories read karunga.![]()

Ye complete karke wahi pakdunga bhai , bookmark me daal liya hai..Aur sach batau to maine aaj tak itani achchi thriller nahi likhi hai ye story bahut achchi likhi likhi hai aapne ..Thank you very much Dr. Sahab, aapne padha hamare liye to wahi bohot hai
Baaki aapke saamne to hum kacche hi hainMeri current story supreme per bhi aapki Raay lena chahunga bhai
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Bhai sun kar acha laga ki aapko achi lagi story, bhai mujhe kewal aisa hi likhna aata hai,Ye complete karke wahi pakdunga bhai , bookmark me daal liya hai..Aur sach batau to maine aaj tak itani achchi thriller nahi likhi hai ye story bahut achchi likhi likhi hai aapne ..
Aap purane lekhak ho, aapki 2-3 story padhi hai maine, jadui lakdi, aur bhabhiya.... wali story dono bohot badhiya thi, sach kahu to erotica and love story nahi likhi jaati mujh se