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Adultery Pakiza house wife

Kya ye story aage badhani chahiye. Any suggestions


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malikarman

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मैंने कांपते डरते हुए फोन उठाया.


मैं- हल्ल्ल्ल् ल्ल्ल्लो..
नदीम - हैल्लो सबिहा !
मैं धीमी और कांपती आवाज में बोली- हां नदीम कहिए?
नदीम - क्या हुआ समीर खाना खाने के लिए नीचे उतरा या नहीं?


मैंने सुकून की सांस ली कि नदीम को कुछ पता नहीं चला था. उन्होंने तो बस ऐसे ही समीर की तबीयत पूछने के लिए फोन किया था.
मैं- नहीं, अभी तक उतरा नहीं है.
नदीम - ओह.. लगता है उसकी तबीयत ठीक नहीं हुई है, तुम जरा जाकर देख तो लो.. ऐसा करो उसका खाना ऊपर ही ले जाओ और उसे दवाई भी दे देना.
मैं- हां ठीक है.


अब मैं उन्हें क्या बताती कि उनका समीर जिसकी वो इतनी फिक्र कर रहे हैं, वो बिस्तर पे उन्हीं की खूबसूरत बीवी की नंगी चुत में अपना मोटा लंड डाले पड़ा है और उनकी पतिव्रता बीवी, जिससे वो बहुत प्यार और भरोसा करते हैं, वो अपनी नंगी चुत का उसको हकदार बनाए उसके मोटे लंड से चुद रही है.


मेरे चेहरे की राहत देख कर समीर भी समझ गया कि कोई दिक्कत नहीं है और खुश होते हुए उसने मेरी चुत को जोरों से चोदना शुरू कर दिया. मैं अपने आप पर जैसे तैसे काबू रखते हुए नदीम से फोन पर बात कर रही थी और इधर समीर मेरी चुत में अन्दर तक लंड पेल रहा था.


मैंने अपने मुँह को हवा से फुला लिया और हाथ से मुँह जोर से दबा दिया ताकि मेरी चीख ना निकल जाए.
उधर फोन पर नदीम - सबिहा, तुम अपने हिसाब से देख लो और समीर का ख्याल रखना.


मेरा एक हाथ फोन पे और एक हाथ समीर की पीठ में था. समीर अपने लंड को जोरदार झटके देते हुए मेरी चुत में डाल रहा था. मुझसे रहा नहीं जा रहा था- हां ठीक है, मैं यहां सब देख लूँगी.
यह कह कर मैंने फोन काट दिया, उधर समीर मेरी चुत में अन्दर तक लंड डालकर भरपूर चुदाई कर रहा था.


बड़ा अजीब मंजर था वो.. एक पतिव्रता बीवी और दो बच्चों की माँ अपने शौहर से बेवफाई करके उसी के घर में एक गैर मर्द, जो गैर मज़हबी भी था, उसके साथ चुदाई करवा रही थी. इधर समीर भी अपने से दस साल बड़ी और थोड़ी मोटी औरत को जोरों से चोद रहा था.

नदीम कभी भी साथ आठ मिनट से ज्यादा नहीं टिक पाते थे, पर समीर पूरे बीस मिनट से मेरी चुत को चोद रहा था.. या यूं कहूँ कि मेरी चुत फाड़ रहा था. मेरी चुत इतनी देर में दो बार झड़ चुकी थी, पर समीर रुकने का नाम नहीं ले रहा था. पूरा कमरा मेरी ‘आह्ह्ह आह्ह्ह..’ की चीखों और ‘पच पच पच..’ की आवाज से भर गया था. असली चुदाई क्या होती है, ये आज मुझे समझ आया था.


समीर ने अपने धक्के और तेज कर दिए, जिससे मैं समझ गई कि वो भी अब झड़ने वाला है. मैंने उसको कसके अपनी बांहों में समेट लिया.

समीर ने मेरे होंठों को चूसते और काटते हुए चार छह धक्कों के बाद अपने गरम लावा से मेरी चुत को भर दिया. हम दोनों कुछ देर तक लिपकिस करते रहे. फिर धीरे से समीर ने अपना लंड मेरी चुत से बाहर निकाल लिया.
ओहहह…


समीर - मजा आया सबिहा मेरी जान?
मैंने शरमाते हुए अपनी नजरें झुका लीं.
समीर - नहीं ऐसे नहीं.. सही सही बताओ मजा आया कि नहीं?


वह भी जानता था कि मुझे कितना मजा आया था, पर वह मेरे मुँह से बुलवाना चाहता था. मैंने उससे नजरें मिलाते हुए एक हल्की सी लिपकिस की.
मैं- बहुत मजा आया.. समीर तुमने मुझे सच में आज औरत बना दिया. आज से मैं हमेशा के लिए तुम्हारी हो गई.


यह कहते हुए हमने फिर लिपलॉक कर लिए. समीर ने मेरे हाथ को लेकर अपने लंड पर रख दिया. मैं लंड को सहलाने लगी. कुछ ही देर में समीर का लंड मुझे चोदने के लिए तैयार हो गया.


इस बार उसने मुझे अपने ऊपर लेकर चोदा और शाम चार बजे तक समीर ने मुझे 3 बार बेड पर चोदा. फिर बाथरूम में नहाते वक्त भी समीर ने मुझे घोड़ी बना कर चोदा. समीर में गजब का स्टेमिना था. उसने मेरी तो हालत खराब करके रख दी थी. हर बार आधे घंटे तक मेरी जोरों की चुदाई की.


फिर मैं शाम तक नीचे आ गई क्योंकि बच्चों के स्कूल से आने का वक्त हो गया था. दर्द के मारे मुझसे चला नहीं जा रहा था. समीर मेरी हालत को देखकर मन ही मन मुस्कुरा रहा था.


बस फिर तो क्या था.. समीर हर बार मेरी इसी तरह चुदाई करता था, ऊपर उसके रूम में.. कभी हमारे बेडरूम में.. कभी किचन में.. मतलब घर का कोई कोना ऐसा नहीं छूटा, जहां समीर ने मेरी चुदाई ना की हो. छह महीने से जब भी मौका मिलता है, हम सेक्स का भरपूर मजा ले रहे हैं.
Lovely story
 
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