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| Position | Benifits |
|---|---|
| Winner | 4000 Rupees + Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories) |
| 1st Runner-Up | 1500 Rupees + Award + 3500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories) |
| 2nd Runner-UP | 1000 Rupees + 2000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories) |
| 3rd Runner-UP | 750 Rupees + 1000 Likes |
| Best Supporting Reader | 750 Rupees + Award + 1000 Likes |
| Members reporting CnP Stories with Valid Proof | 200 Likes for each report |
Jo achhi story samajh kar padhne k liye thread open karte hn woh hindi font mein hoti hy. Ab jis ko hindi nahi padhni ati woh kya kareUpdate 1
इस वक़्त सुबह के लगभग 9 बज रहे थे, देशपांडे वाडे मे सभी लोग इस वक़्त एक एक करके नाश्ते के लिए जमा हो रहे थे, अब जब तक ये सभी लोग नाश्ते के लिए जमा हो रहे है तब तक मिलते है इस कहानी के किरदारो से
सबसे पहले तो परिवार के मुखिया शिवशंकर देशपांडे, अपने जमाने के एक जाने माने बिज़नेसमॅन और पॉलिटीशियन, जिनकी बात घर मे तो क्या बाहर भी कोई नही टाल सकता, बिज़नेस वर्ल्ड से लेके एरिया पॉलिटिक्स तक अगर शिवशंकर देशपांडे ने कोई बात बोली है तो वो होनी ही है क्यूकी वो कोई भी बात हवा ने नही करते थे उनकी बोली हर बात के पीछे कोई ना कोई गहन विचार ज़रूर होता था, फिलहाल तो ये अपनी रिटायरमेंट लाइफ एंजाय कर रहे है अपने बेटे बहू और पोते पोतियो के साथ..
वैसे तो शिवशंकर भाऊ की बात कोई नही टाल सकता लेकिन केवल एक शक्स है जिनकी बात भाऊ भी नही टाल सकते, उनकी पत्नी श्रीमती गायत्री देशपांडे जो इस वक़्त उनके बगल की खुर्ची पर बैठे हुए अख़बार पढ़ रही है, शिवशंकर देशपांडे जीतने हसमुख आदमी है उतनी ही गायत्री देवी शांत और थोड़े गुस्सैल स्वाभाव वाली है...
गायत्री - अभी तक कोई भी नही आया है नाश्ता करने सब के सब आलसी हो रहे है घर मे
गायत्री देवी ने हल्के गुस्से मे कहा
शिवशंकर - अरे आ जाएँगे, अभी देखो जानकी और मीनाक्षी बहू तो किचन मे नाश्ता तयार कर रही है और रमाकांत और धनंजय आते ही होंगे, धनंजय को कल ऑफीस से आने मे लेट हो गया था और रमाकांत सुबह सुबह दिल्ली से लौटा है बाकी बच्चो की बात करू तो राघव सुबह सुबह ऑफीस के लिए निकल गया है और बाकी के भी आते होंगे..
वेल इस देशपांडे परिवार के कुछ नियम थे जैसे के सुबह का नाश्ता और रात का खाना सारा परिवार साथ खाएगा, घर मे ना तो पैसो की कोई कमी थी ना नौकर चाकर की लेकिन गायत्री देवी का मानना था के खाना घर की बहू ने ही बनाना चाहिए हालांकि ऐसा नही था के वो प्रोग्रेसिव नही थी अपने जमाने में उन्होंने काम में शिवशंकर जी का हाथ बखूबी बटाया था और अपनी बहुओं को भी वही सिखाया था और ये भी इनपर छोड़ा था के वो घर संभालना चाहती है या नहीं जिसपर उनकी बहुओं ने भी उनकी बात का सम्मान किया था और काम और घर बखूबी संभालना जानती थी,
गायत्री - हा.. ये हो गया आपका रेडियो शुरू, क्यू जी आपने क्या घर के सभी लोगो के पीछे जासूस लगा रखे है क्या जो कौन कहा है क्या कर रहा है आपको सब पता होता है ?
शिवशंकर - अनुभव, इसे अनुभव कहते है और अपने परिवार की परख
अब ज़रा उनलोगो के बारे मे जान लिया जाए जिनका जिक्र अभी इस उपर वाली बातचीत मे हुआ है,
शिवशंकर और गायत्री देशपांडे के दो बेटे है रमाकांत देशपांडे और धनंजय देशपांडे, जहा रमाकांत देशपांडे अपनी कान्स्टिट्यूयेन्सी से एमपी है वही धनंजय देशपांडे अपनी फॅमिली का ज्यूयलरी का बिज़नेस संभालते है वही इन दोनो की पत्निया रेस्पेक्टिव्ली जानकी और मीनाक्षी देशपांडे अपने घर को संभालने के साथ साथ एक एनजीओ भी चलती है
ये लोग बात कर ही रहे थे के एक लड़का आकर शिवशंकर जी के खुर्ची के बाजू मे आकर बैठ गया,
"गुड मॉर्निंग दादू, दादी "
ये है गायत्री और शिवशंकर देशपांडे का छोटा पोटा शेखर देशपांडे, धनंजय और मीनाक्षी का बेटा, जिसने अभी अभी अपना एमबीए कंप्लीट किया है और फिलहाल अपनी छुट्टियां बिता रहा है,
शिवशंकर - गुड मॉर्निंग हीरो, और क्या प्लान है आजका
शेकर- बस कुछ खास नही, अभी नाश्ते के बाद बढ़िया कोई फिल्म देखूँगा और शाम को दोस्तो के साथ बाहर जाने का प्लान है
गायत्री - अरे ऐसे टाइम वेस्ट करने से अछा ऑफीस जाया करो अब तुम भी, वाहा काम सीखो अपने भाई से..
शेखर- अरे सीख लूँगा दादी क्या जल्दी है
"जल्दी है"
ये आवाज़ थी शेखर के पिता धनंजय देशपांडे की
धनंजय- जल्दी है भाई मैं भी चाहता हू के अपना सारा बिज़्नेस का भार तुम्हे सौप के थोड़ा रीटायरमेंट लाइफ एंजाय करू जैसे भैया ने अपनी बिज़नेस की सारी ज़िम्मेदारी राघव को दे दी है वैसे ही मैं भी जल्दी से चाहता हू के तुम अब बिज़नेस मे मेरा हाथ बटाओ, बहुत मस्ती कर ली बेटा आ करियर पे फोकस करो थोड़ा
इधर जैसे ही धनंजय का लेक्चर शुरू हुआ वैसे ही शेखर ने अपने दादाजी की तरफ बचाओ वाली नज़रो से देखा
शिवशंकर- अच्छा ठीक है शेखर कल से तुम ऑफीस जाना शुरू करोगे धनंजय सही कह रहा है
शेखर- लेकिन दादू…
तब तक वाहा नाश्ते के लिए सभी लोग जमा हो चुके थे…
सिवाय एक के, राघव
शिवशंकर- अच्छा अब सब लोग ध्यान से सुनो मुझे तुम सब से एक ज़रूरी बात करनी है…
शिवशंकर की बात सुन कर सब उनकी तरफ देखने लगे
शिवशंकर – मैं सोच रहा था के अब राघव ने सब कुछ संभाल ही लिया है तो मुझे लगता है के अब हमे उसकी शादी के बारे मे सोचना शुरू कर देना चाहिए
शिवशंकर की बात सुनकर सब लोग चुप चाप हो गए और उन्हे देखने लगे
शिवशंकर- अरे भाई क्या हुआ? मैने ग़लत कहा क्या कुछ ?
गायत्री- एकदम सही बात बोली है आपने मेरे भी दिमाग़ मे कबसे ये बात चल रही थी
रमाकांत - हा बाबा बात तो सही है और मुझे लगता है के जब आप ये बात कर रहे हो तो आपने ज़रूर लड़की भी देखी ही होगी
रमाकांत की बात सुन कर शिवशंकर जी मुस्कुराने लगे
धनंजय- मतलब भैया का अंदाज़ा सही है आप लड़की से मिल चुके है
शिवशंकर- नही मिला तो अभी नही हू लेकिन हा लड़की देख रखी है, नेहा नाम है उसका, बड़ी प्यारी बच्ची है
शेखर- मैं कुछ बोलू?
शिवशंकर- हम्म बोलो
शेखर- नही ये शादी वग़ैरा का प्लान आपका एकदम सही है दादू लेकिन भाई से तो बात कर लो वो अलग ही प्राणी हो रखा है, सनडे को कौन ऑफीस जाता है यार..
रमाकांत- बात तो शेखर की भी सही है
शिवशंकर- अरे तुम सब राघव की चिंता मत करो उससे मैं बात कर लूँगा वो मुझे मना नही करेगा मैं सोच रहा था के आज सनडे है तो क्यू ना हम सब उनके घर जाकर उनसे मिल आए..
गायत्री- अब जब आपको ये रिश्ता जच रहा है तो हर्ज ही क्या है आज ही चलते है
“कहा जाने की बात हो रही है?” ये इस जनरेशन की एकलौती बेटी रिद्धि
शेखर- भाई के लिए लड़की देखने
रिद्धि - वाउ, मतलब घर मे शादी, मतलब ढेर सारी शॉपिंग.. मैं अभी से प्लान बनाना शुरू कर देती हू
गायत्री- ये देखा अभी बात पक्की नही हुई और इनके प्लान बनने लगे
“मैं भी चलूँगा” ये इस घर का सबसे छोटा बेटा, विवेक
धनंजय- तुम चल के क्या करोगे सिर्फ़ हम बडो को जाने को बाद मे चलना
विवेक- डैड..!
शिवशंकर- अरे बस बस पहले सब नाश्ता करो फिर बाद मे बात करेंगे इसपे
अगले दिन रात 11.30
देशपांडे वाड़े के मेन गेट से एक गाड़ी अंदर आई, जिसमे से एक 26-27 साल का लड़का निकला जिसने एक पाउडर ब्लू कलर की शर्ट पहन रखी थी और ब्लॅक पैंट जिसका ब्लॅक कोट और एक बैग उसने हाथ मे पकड़ रखा था, सुबह जो बाल जेल लगा कर सेट किए थे वो अब थोड़े बिखर गये थे, हल्की ट्रिम की हुई दाढ़ी, वेल बिल्ट बॉडी लेकिन काम की थकान उसके चेहरे से साफ पता चल रही थी..
उसने घर का गेट खोला और अंदर आया, यूजुअली सब लोग इस वक़्त तक अपने अपने रूम मे जा चुके होते है लेकिन आज घर के हॉल मे शिवशंकर बैठ कर अपने बड़े पोते का इंतजार कर रहे थे..
ये इस घर का बड़ा पोटा राघव..
हॉल मे बैठे शिवशंकर को देख कर राघव थोड़ा चौका
राघव - दादू? आप सोए नही अभी तक?
शिवशंकर - अगर मैं सो जाता तो अपने पोते का चेहरा कैसे देखता? तुमसे मिलने के लिए लगता है के अब घर वालो को भी अपॉइंटमेंट लेना पड़ेगा
दादू थोड़े गुस्से मे लग रहे थे
राघव- दादू वो आजकल तोड़ा काम..
शिवशंकर- खाना खाया?
राघव- हा वो आज एक क्लाइंट के साथ ही डिनर किया
शिवशंकर- 15 मिनट मे फ्रेश होकर मुझे मेरी स्टडी मे मिलो.
इतना बोल कर दादू वाहा से चले गये और राघव भी अपने रूम की ओर बढ़ गया..
15 मिनट मे राघव शिवशंकर के स्टडी मे था
शिवशंकर ने दो मिनिट तो कुछ नही कहा बस राघव को देखते रहे जिसपर राघव ने चुप्पी तोड़ी
राघव- दादू क्या हुआ ऐसे क्या देख रहे हो
शिवशंकर- अपने आप को देख रहा हू बेटा एक जमाने मे जब मैने ये बिज़नेस शुरू किया था तब मैं भी तुम्हारी ही तरह था.. और अपने जीवन के अनुभव से मैने सीखा है के काम में इतना ना उलझो के परिवार के लिए वक़्त ही ना बचे
राघव- पर दादू काम भी तो ज़रूरी है ना
शिवशंकर- हा ज़रूरी तो है खैर इस बारे मे फिर कभी अभी जो बात मैं तुमसे कहना चाह रहा हू उसे ध्यान से सुनो, क्या तुम किसी लड़की को पसंद करते हो?
राघव- क्या? दादू ये बात करने बुलाया है आपने मुझे?
राघव ने तोड़ा कन्फ्यूज़ टोन मे कहा
शिवशंकर- क्यू, अरे भाई तुम दिखते अच्छे हो, इतना बड़ा बिज़नेस संभालते हो तो कोई गर्लफ्रेंड भी तो होगी तुम्हारी? आजकल तो ये आम बात है..
राघव- क्या दादू आप भी
शिवशंकर- हा या ना बताओ मेरे बच्चे फिर मुझे जो बात करनी है वो आगे बढ़ाऊंगा
राघव- ओके फाइन, कोई गर्लफ्रेंड नही है मेरी
शिवशंकर - गुड, क्यूकी मैने तुम्हारे लिए एक लड़की पसंद की है मैं चाहता हू तुम्हारी शादी उससे हो, इनफॅक्ट हम सब उससे मिल आए है कल मैं बस तुमसे जानना चाहता था के तुम किसी को पसंद तो नही करते ना
राघव- क्या?? दादू लेकिन…
शिवशंकर- अगर तुम्हारे पास कोई बढ़िया रीज़न हो ना कहने का तो ही कहना क्यूकी मैं शादी नही करना चाहता अभी ये रीज़न नही चलेगा, रही बात काम की तो मैं भी बिज़नेस संभाल चुका हू सब मॅनेज हो सकता है
शिवशंकर की बात से राघव के चेहरे के एक्सप्रेशन्स बदलने लगे.. ये बात तो साफ थी के उसके पास कोई रीज़न नही था शादी से भागने का लेकिन वो अभी शादी भी नही करना चाहता था.
शिवशंकर- राघव काम सारी जिंदगी होता रहेगा लेकिन कभी ना कभी तो बेटा परिवार भी आगे बढ़ाना पड़ेगा ना.. इसी बहाने तुम हमे घर मे तो दिखोगे
राघव ने कुछ नही कहा..
शिवशंकर- कल तक अच्छे से इस बारे मे सोच लो राघव फिर मुझे बताना…
जिसके बाद राघव वाहा से अपने रूम मे आने के लिए निकल गया और शिवशंकर अपने रूम मे चले गये…
तो क्या फ़ैसला लेगा राघव? वो शादी के लिए मानेगा या नही, देखते है अगले भाग मे..
क्रमश:
Karte hai prabandh Roman fonts me pdf daalne ka.Jo achhi story samajh kar padhne k liye thread open karte hn woh hindi font mein hoti hy. Ab jis ko hindi nahi padhni ati woh kya kare

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इस वक़्त सुबह के लगभग 9 बज रहे थे, देशपांडे वाडे मे सभी लोग इस वक़्त एक एक करके नाश्ते के लिए जमा हो रहे थे, अब जब तक ये सभी लोग नाश्ते के लिए जमा हो रहे है तब तक मिलते है इस कहानी के किरदारो से
सबसे पहले तो परिवार के मुखिया शिवशंकर देशपांडे, अपने जमाने के एक जाने माने बिज़नेसमॅन और पॉलिटीशियन, जिनकी बात घर मे तो क्या बाहर भी कोई नही टाल सकता, बिज़नेस वर्ल्ड से लेके एरिया पॉलिटिक्स तक अगर शिवशंकर देशपांडे ने कोई बात बोली है तो वो होनी ही है क्यूकी वो कोई भी बात हवा ने नही करते थे उनकी बोली हर बात के पीछे कोई ना कोई गहन विचार ज़रूर होता था, फिलहाल तो ये अपनी रिटायरमेंट लाइफ एंजाय कर रहे है अपने बेटे बहू और पोते पोतियो के साथ..
वैसे तो शिवशंकर भाऊ की बात कोई नही टाल सकता लेकिन केवल एक शक्स है जिनकी बात भाऊ भी नही टाल सकते, उनकी पत्नी श्रीमती गायत्री देशपांडे जो इस वक़्त उनके बगल की खुर्ची पर बैठे हुए अख़बार पढ़ रही है, शिवशंकर देशपांडे जीतने हसमुख आदमी है उतनी ही गायत्री देवी शांत और थोड़े गुस्सैल स्वाभाव वाली है...
गायत्री - अभी तक कोई भी नही आया है नाश्ता करने सब के सब आलसी हो रहे है घर मे
गायत्री देवी ने हल्के गुस्से मे कहा
शिवशंकर - अरे आ जाएँगे, अभी देखो जानकी और मीनाक्षी बहू तो किचन मे नाश्ता तयार कर रही है और रमाकांत और धनंजय आते ही होंगे, धनंजय को कल ऑफीस से आने मे लेट हो गया था और रमाकांत सुबह सुबह दिल्ली से लौटा है बाकी बच्चो की बात करू तो राघव सुबह सुबह ऑफीस के लिए निकल गया है और बाकी के भी आते होंगे..
वेल इस देशपांडे परिवार के कुछ नियम थे जैसे के सुबह का नाश्ता और रात का खाना सारा परिवार साथ खाएगा, घर मे ना तो पैसो की कोई कमी थी ना नौकर चाकर की लेकिन गायत्री देवी का मानना था के खाना घर की बहू ने ही बनाना चाहिए हालांकि ऐसा नही था के वो प्रोग्रेसिव नही थी अपने जमाने में उन्होंने काम में शिवशंकर जी का हाथ बखूबी बटाया था और अपनी बहुओं को भी वही सिखाया था और ये भी इनपर छोड़ा था के वो घर संभालना चाहती है या नहीं जिसपर उनकी बहुओं ने भी उनकी बात का सम्मान किया था और काम और घर बखूबी संभालना जानती थी,
गायत्री - हा.. ये हो गया आपका रेडियो शुरू, क्यू जी आपने क्या घर के सभी लोगो के पीछे जासूस लगा रखे है क्या जो कौन कहा है क्या कर रहा है आपको सब पता होता है ?
शिवशंकर - अनुभव, इसे अनुभव कहते है और अपने परिवार की परख
अब ज़रा उनलोगो के बारे मे जान लिया जाए जिनका जिक्र अभी इस उपर वाली बातचीत मे हुआ है,
शिवशंकर और गायत्री देशपांडे के दो बेटे है रमाकांत देशपांडे और धनंजय देशपांडे, जहा रमाकांत देशपांडे अपनी कान्स्टिट्यूयेन्सी से एमपी है वही धनंजय देशपांडे अपनी फॅमिली का ज्यूयलरी का बिज़नेस संभालते है वही इन दोनो की पत्निया रेस्पेक्टिव्ली जानकी और मीनाक्षी देशपांडे अपने घर को संभालने के साथ साथ एक एनजीओ भी चलती है
ये लोग बात कर ही रहे थे के एक लड़का आकर शिवशंकर जी के खुर्ची के बाजू मे आकर बैठ गया,
"गुड मॉर्निंग दादू, दादी "
ये है गायत्री और शिवशंकर देशपांडे का छोटा पोटा शेखर देशपांडे, धनंजय और मीनाक्षी का बेटा, जिसने अभी अभी अपना एमबीए कंप्लीट किया है और फिलहाल अपनी छुट्टियां बिता रहा है,
शिवशंकर - गुड मॉर्निंग हीरो, और क्या प्लान है आजका
शेकर- बस कुछ खास नही, अभी नाश्ते के बाद बढ़िया कोई फिल्म देखूँगा और शाम को दोस्तो के साथ बाहर जाने का प्लान है
गायत्री - अरे ऐसे टाइम वेस्ट करने से अछा ऑफीस जाया करो अब तुम भी, वाहा काम सीखो अपने भाई से..
शेखर- अरे सीख लूँगा दादी क्या जल्दी है
"जल्दी है"
ये आवाज़ थी शेखर के पिता धनंजय देशपांडे की
धनंजय- जल्दी है भाई मैं भी चाहता हू के अपना सारा बिज़्नेस का भार तुम्हे सौप के थोड़ा रीटायरमेंट लाइफ एंजाय करू जैसे भैया ने अपनी बिज़नेस की सारी ज़िम्मेदारी राघव को दे दी है वैसे ही मैं भी जल्दी से चाहता हू के तुम अब बिज़नेस मे मेरा हाथ बटाओ, बहुत मस्ती कर ली बेटा आ करियर पे फोकस करो थोड़ा
इधर जैसे ही धनंजय का लेक्चर शुरू हुआ वैसे ही शेखर ने अपने दादाजी की तरफ बचाओ वाली नज़रो से देखा
शिवशंकर- अच्छा ठीक है शेखर कल से तुम ऑफीस जाना शुरू करोगे धनंजय सही कह रहा है
शेखर- लेकिन दादू…
तब तक वाहा नाश्ते के लिए सभी लोग जमा हो चुके थे…
सिवाय एक के, राघव
शिवशंकर- अच्छा अब सब लोग ध्यान से सुनो मुझे तुम सब से एक ज़रूरी बात करनी है…
शिवशंकर की बात सुन कर सब उनकी तरफ देखने लगे
शिवशंकर – मैं सोच रहा था के अब राघव ने सब कुछ संभाल ही लिया है तो मुझे लगता है के अब हमे उसकी शादी के बारे मे सोचना शुरू कर देना चाहिए
शिवशंकर की बात सुनकर सब लोग चुप चाप हो गए और उन्हे देखने लगे
शिवशंकर- अरे भाई क्या हुआ? मैने ग़लत कहा क्या कुछ ?
गायत्री- एकदम सही बात बोली है आपने मेरे भी दिमाग़ मे कबसे ये बात चल रही थी
रमाकांत - हा बाबा बात तो सही है और मुझे लगता है के जब आप ये बात कर रहे हो तो आपने ज़रूर लड़की भी देखी ही होगी
रमाकांत की बात सुन कर शिवशंकर जी मुस्कुराने लगे
धनंजय- मतलब भैया का अंदाज़ा सही है आप लड़की से मिल चुके है
शिवशंकर- नही मिला तो अभी नही हू लेकिन हा लड़की देख रखी है, नेहा नाम है उसका, बड़ी प्यारी बच्ची है
शेखर- मैं कुछ बोलू?
शिवशंकर- हम्म बोलो
शेखर- नही ये शादी वग़ैरा का प्लान आपका एकदम सही है दादू लेकिन भाई से तो बात कर लो वो अलग ही प्राणी हो रखा है, सनडे को कौन ऑफीस जाता है यार..
रमाकांत- बात तो शेखर की भी सही है
शिवशंकर- अरे तुम सब राघव की चिंता मत करो उससे मैं बात कर लूँगा वो मुझे मना नही करेगा मैं सोच रहा था के आज सनडे है तो क्यू ना हम सब उनके घर जाकर उनसे मिल आए..
गायत्री- अब जब आपको ये रिश्ता जच रहा है तो हर्ज ही क्या है आज ही चलते है
“कहा जाने की बात हो रही है?” ये इस जनरेशन की एकलौती बेटी रिद्धि
शेखर- भाई के लिए लड़की देखने
रिद्धि - वाउ, मतलब घर मे शादी, मतलब ढेर सारी शॉपिंग.. मैं अभी से प्लान बनाना शुरू कर देती हू
गायत्री- ये देखा अभी बात पक्की नही हुई और इनके प्लान बनने लगे
“मैं भी चलूँगा” ये इस घर का सबसे छोटा बेटा, विवेक
धनंजय- तुम चल के क्या करोगे सिर्फ़ हम बडो को जाने को बाद मे चलना
विवेक- डैड..!
शिवशंकर- अरे बस बस पहले सब नाश्ता करो फिर बाद मे बात करेंगे इसपे
अगले दिन रात 11.30
देशपांडे वाड़े के मेन गेट से एक गाड़ी अंदर आई, जिसमे से एक 26-27 साल का लड़का निकला जिसने एक पाउडर ब्लू कलर की शर्ट पहन रखी थी और ब्लॅक पैंट जिसका ब्लॅक कोट और एक बैग उसने हाथ मे पकड़ रखा था, सुबह जो बाल जेल लगा कर सेट किए थे वो अब थोड़े बिखर गये थे, हल्की ट्रिम की हुई दाढ़ी, वेल बिल्ट बॉडी लेकिन काम की थकान उसके चेहरे से साफ पता चल रही थी..
उसने घर का गेट खोला और अंदर आया, यूजुअली सब लोग इस वक़्त तक अपने अपने रूम मे जा चुके होते है लेकिन आज घर के हॉल मे शिवशंकर बैठ कर अपने बड़े पोते का इंतजार कर रहे थे..
ये इस घर का बड़ा पोटा राघव..
हॉल मे बैठे शिवशंकर को देख कर राघव थोड़ा चौका
राघव - दादू? आप सोए नही अभी तक?
शिवशंकर - अगर मैं सो जाता तो अपने पोते का चेहरा कैसे देखता? तुमसे मिलने के लिए लगता है के अब घर वालो को भी अपॉइंटमेंट लेना पड़ेगा
दादू थोड़े गुस्से मे लग रहे थे
राघव- दादू वो आजकल तोड़ा काम..
शिवशंकर- खाना खाया?
राघव- हा वो आज एक क्लाइंट के साथ ही डिनर किया
शिवशंकर- 15 मिनट मे फ्रेश होकर मुझे मेरी स्टडी मे मिलो.
इतना बोल कर दादू वाहा से चले गये और राघव भी अपने रूम की ओर बढ़ गया..
15 मिनट मे राघव शिवशंकर के स्टडी मे था
शिवशंकर ने दो मिनिट तो कुछ नही कहा बस राघव को देखते रहे जिसपर राघव ने चुप्पी तोड़ी
राघव- दादू क्या हुआ ऐसे क्या देख रहे हो
शिवशंकर- अपने आप को देख रहा हू बेटा एक जमाने मे जब मैने ये बिज़नेस शुरू किया था तब मैं भी तुम्हारी ही तरह था.. और अपने जीवन के अनुभव से मैने सीखा है के काम में इतना ना उलझो के परिवार के लिए वक़्त ही ना बचे
राघव- पर दादू काम भी तो ज़रूरी है ना
शिवशंकर- हा ज़रूरी तो है खैर इस बारे मे फिर कभी अभी जो बात मैं तुमसे कहना चाह रहा हू उसे ध्यान से सुनो, क्या तुम किसी लड़की को पसंद करते हो?
राघव- क्या? दादू ये बात करने बुलाया है आपने मुझे?
राघव ने तोड़ा कन्फ्यूज़ टोन मे कहा
शिवशंकर- क्यू, अरे भाई तुम दिखते अच्छे हो, इतना बड़ा बिज़नेस संभालते हो तो कोई गर्लफ्रेंड भी तो होगी तुम्हारी? आजकल तो ये आम बात है..
राघव- क्या दादू आप भी
शिवशंकर- हा या ना बताओ मेरे बच्चे फिर मुझे जो बात करनी है वो आगे बढ़ाऊंगा
राघव- ओके फाइन, कोई गर्लफ्रेंड नही है मेरी
शिवशंकर - गुड, क्यूकी मैने तुम्हारे लिए एक लड़की पसंद की है मैं चाहता हू तुम्हारी शादी उससे हो, इनफॅक्ट हम सब उससे मिल आए है कल मैं बस तुमसे जानना चाहता था के तुम किसी को पसंद तो नही करते ना
राघव- क्या?? दादू लेकिन…
शिवशंकर- अगर तुम्हारे पास कोई बढ़िया रीज़न हो ना कहने का तो ही कहना क्यूकी मैं शादी नही करना चाहता अभी ये रीज़न नही चलेगा, रही बात काम की तो मैं भी बिज़नेस संभाल चुका हू सब मॅनेज हो सकता है
शिवशंकर की बात से राघव के चेहरे के एक्सप्रेशन्स बदलने लगे.. ये बात तो साफ थी के उसके पास कोई रीज़न नही था शादी से भागने का लेकिन वो अभी शादी भी नही करना चाहता था.
शिवशंकर- राघव काम सारी जिंदगी होता रहेगा लेकिन कभी ना कभी तो बेटा परिवार भी आगे बढ़ाना पड़ेगा ना.. इसी बहाने तुम हमे घर मे तो दिखोगे
राघव ने कुछ नही कहा..
शिवशंकर- कल तक अच्छे से इस बारे मे सोच लो राघव फिर मुझे बताना…
जिसके बाद राघव वाहा से अपने रूम मे आने के लिए निकल गया और शिवशंकर अपने रूम मे चले गये…
तो क्या फ़ैसला लेगा राघव? वो शादी के लिए मानेगा या नही, देखते है अगले भाग मे..
क्रमश:
Thank you bhaiKarte hai prabandh Roman fonts me pdf daalne ka.![]()
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Update 70
Epilogue
एक साल बाद....
नेहा- आज मेरे लिए इतना इम्पॉर्टन्ट दिन है और आप नहीं आ रहे?
राघव- आई एम सॉरी जान लेकिन यहा का काम पूरा नहीं हुआ है और मेरा यहां रुकना जरूरी है
नेहा- मैं आपको अभी से मिस कर रही हु
राघव- तो तुम्हें क्या लगता है मैं तुम्हें मिस नहीं कर रहा? मैं तुम्हारी आवाज तुम्हारी हसी सब बहुत बहुत मिस कर रहा हु
नेहा- तो आप नहीं आ रहे हैना?
राघव- नहीं आ पाऊँगा!
नेहा- तो वही रहिए कोई जरूरत नहीं आने की, I don’t need you !
राघव – वो तो रात मे पता चलेगा मेरी जरूरत है या नहीं
नेहा- शट उप!
और नेहा ने फोन काट दिया, वो राघव को मिस कर रही थी तभी श्वेता वहा आई
श्वेता- भाभी रेडी हो आप? सब पुछ रहे है आपके बारे मे
नेहा- हा तुम चलो मैं अभी आई
श्वेता- ऐसे उदास मत होइए भाभी हम सब है आपके साथ, और भईया के बस मे होता तो वो ये दिन कभी मिस नहीं करते
श्वेता ने नेहा के उतरे चेहरे को देखते हुए कहा जिसपर नेहा ने एक फीकी मुस्कान दे दी
--
“कन्ग्रैट्स नेहा!” ये 30-35 साल की महिला ने नेहा से कहा
नेहा- थैंक यू सो मच मालिनी मैम, आपकी हेल्प के बिना ये पॉसिबल नहीं होता
नेहा मुसकुराते हुए कहा
आज नेहा की डांस अकादेमी की दूसरी ब्रांच का इनॉग्रेशन था, पिछले एक साल मे उसने अपनी अकादेमी मे बहुत मेहनत की थी और उसके मालिनी के साथ के कॉलेब्रेशन ने उसे आगे बढ़ने मे बहुत मदद की थी, उसका परिवार तो हमेशा उसके सपोर्ट मे था ही और उसका सबसे बाद सपोर्टर तो राघव था
मालिनी- आज तुम्हारा बहुत स्पेशल दिन है ऐसे ही आगे बढ़ते रहो, वैसे मिस्टर देशपांडे कहा है?
नेहा- वो एक्चुअली बिजनस रेलेटेड काम ने आउट ऑफ सिटी है
नेहा ने कहा
राघव- हा लेकिन डील मेरी बीवी की खुशी से ज्यादा इम्पॉर्टन्ट नहीं है ना!
नेहा ने जैसे ही ये आवाज सुनी उसके आंखे चमक उठी उसने पीछे पलट कर देखा तो वहा राघव 3 पीस सूट पहने बिखरे बालों के साथ वहा खड़ा था वो अभी अभी डायरेक्ट एयरपोर्ट वो वहा आया था उसके हाथ उसके पैन्ट की जेब मे थे और चेहरे पर मुस्कान थी
वो नेहा के पास आकार खड़ा हुआ और नेहा को साइड से हग कर लिया
मालिनी- आपको देख कर अच्छा लगा मिस्टर देशपांडे
राघव- थैंक यू फॉर योर सपोर्ट मिसेज मालिनी
जिसके बाद उनलोगी के बीच कुछ बातचित हुए और फिर मालिनी ये कहते हुए चली गई के उसे और भी लोगों से मिलना है और अब वहा राघव और नेहा बस बचे थे
नेहा – आप तो नहीं आने वाले थे फिर क्या हुआ??
नेहा ने उसकी पोजिशन मे पूछा
राघव- मैं अपनी बेबी का सक्सेस कैसे मिस कर सकता था?
राघव ने नेहा के गाल खिचते हुए कहा और उसके होंठों पर हल्के से चूम लिया और नेहा की आंखे बड़ी हो गई
नेहा- बेशर्म! जगह तो देखिए सब लोग है यहा
नेहा ने उसके सीने पर हल्के से मारते हुए कहा
राघव- कम ऑन चिक्की तुम मालकिन हो यहा की, ये जगह तुम्हारी है और तुम मेरी
तभी
जानकी- तो आ गए तुम
जानकी जी ने वहा आते हुए कहा और वो दोनों एकदूसरे तो थोड़ा दूर हटे
राघव- हा आगया मा
राघव ने उनके पास जाते हुए कहा
जानकी- लेकिन तुम तो कह रहे थे नहीं आ पाओगे
राघव- आपको मिस कर रहा था न तो आ गया
जानकी- चल चल ड्रामेबाज़, सब जानती हु मैं, नेहा चलो बेटा रिबन काट कर ओपनिंग करो चलो
जिसके बाद वो तीनों वहा से चले गए
दादी ने नेहा से ओपनिंग करने कहा था क्युकी पहली अकादेमी की ओपनिंग दादी और दादू ने की थी, नेहा ने गेट के पास जाकर राघव को अपने पास आने का इशारा किया और राघव भी उसके पास पहुचा
नेहा- आप मेरी सबसे बड़ी ताकत है इसीलिए मैं चाहती हु के आप मेरे साथ इस जगह की ओपनिंग करे नेहा ने राघव का हाथ पकड़ते हुए कहा
रिद्धि- हाउ रोमांटिक!!
शेखर – हा हा इन दोनों ने तो रोमांटिक होने के सारे रिकार्ड तोड़ दिए है
शेखर ने कहा
धनंजय- अरे बस करो भाई अब रिबन कट करो मुहूरत निकल रहा है
जिसके बाद नेहा और राघव ने अकादेमी की ओपनिंग की,
जब ईवेंट खतम हो गया तब वहा सिर्फ घरवाले और कुछ वर्कर्स बचे थे
मीनाक्षी- चलो सब बढ़िया हो गया
राघव- नहीं चाची! अभी भी एक चीज बाकी है!
राघव ने अपनी चाची से कहा फिर अपने दादा दादी और मा बाप को देखा जिन्होंने हा मे गर्दन हिला दी
रमाकांत- राघव अब तुम लोग जाओ और उसके साथ जल्दी वापिस आओ, तुम जानते हो मैं क्या कह रहा हु
जानकी- हा अब और इंतजार नहीं होता
जानकी जी ने एक्साइट होते हुए कहा
गायत्री- हा जाओ अब तुम लोग हम घर पर सब तयारी करके रखते है
धनंजय- बेस्ट ऑफ लक
मीनाक्षी- और जल्दी आना
विवेक- हा भाई भाभी हमने भी तयारी करके रखी है
राघव- हा आप लोग घर पहुचो हम आते है
जिसके बाद राघव और नेहा वहा से निकल गए
कुछ समय बाद राघव और नेहा गाड़ी मे बैठे थे राघव ने नेहा को देखा तो वो काफी ज्यादा नर्वस थी और अपने नाखून चबा रही थी
राघव- डोंट वरी जान सब सही होगा देखना तुम
राघव ने नेहा का हाथ पकड़ते हुए कहा
नेहा- मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा, सब लोग कितने खुश है उन्होंने हमे हर बात मे सपोर्ट किया है, किसी ने एक बार भी हमे नहीं रोका या किसी को ऐसा नहीं लगा के हम गलत कर रहे है जैसा अक्सर होता है मैं उन्हे निराश नहीं करना चाहती
राघव- ऐसा कुछ नहीं होगा सब सही होगा देखना तुम
राघव ने कार रोकते हुए कहा वो अपनी मंजिल पर पहुच चुके थे उन्होंने बाहर आकार उस जगह को देखा
'जमनादास अनाथआश्रम'
वो लोग बच्चा गोद लेने आए थे, अब इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं था के राघव या नेहा मे कोई कमी थी बल्कि वो किसी ऐसे हो जिंदगी देना चाहते थे जो पहले ही इस धरातल पर मौजूद था, उन्होंने इस बारे मे अपने परिवार से बात की थी जिसमे उन्होंने भी इन्हे सपोर्ट किया था
राघव ने नेहा का हाथ पकड़ा और उन्होंने अपना कदम आगे बढ़ाया, नेहा तो नर्वस थी ही लेकिन राघव की हालत भी कुछ अलग नहीं थी, वो पेरेंट्स बनने वाले थे, उन्होंने पहले ही सोचा था के नेहा के अकादेमी के इनॉग्रेशन के दिन वो बच्चा एडॉप्ट करेंगे लेकिन फिर राघव को बाहर जाना पड़ा था तो पहले तो नेहा ने सोचा किसी और दिन लेकिन जो होना तय था हो रहा था
“मैंने आपसे रिलेटेड सारे डॉक्युमेंट्स चेक कर लिए है मिस्टर एण्ड मिसेज देशपांडे, हम किसी को भी ऐसे ही बच्चे की कस्टडी नहीं देते है लेकिन आप बच्चा एडॉप्ट करने के लिए एलिजबल है और सबसे बड़ी बात आप दोनों ये खुद की मर्जी से कर रहे है ना की किसी दूसरी वजह से या किसी कॉम्प्लिकेशन की वजह से, आप जैसे बहुत कम लोग है दुनिया मे वरना यहां तो सबको अपना खून ही प्यारा है”
“वो बहुत ही शांत और शर्मिला है मिस्टर एण्ड मिसेज देशपांडे आपको उसे बहुत प्यार से हंडेल करना पड़ेगा, चलिए”
अनाथआश्रम के मैनेजर ने कहा और वो उनके साथ गार्डन की ओर आए
“वो रहा वो, अब आपको उसे संभालिए मैं आता हु”
गार्डन में एक और इशारा करके मैनेजर वहा से चला गया नेहा और राघव ने उस ओर देखा जहा बस एक बच्चा था, जिसे उन्होंने एडॉप्ट किया था, उसके साथ उनका नाम जुडने वाला था, जिससे आज दोनों ही खुश थे, आज उनकी फॅमिली कम्प्लीट हुई थी, इस नए मेहमान के आने से उनकी खुशिया दुगनी होने वाली थी
आज उनके पास सबकुछ था, ये कहानी जो एक बिखरे हुए रिश्ते से शुरू हुई थी आज निखर कर एक खूबसूरत प्रेमकहनी मे बदल चुकी थी, जरूरी नहीं के शादी से पहले ही प्यार हो, कभी कभी शादी के बाद भी आपको बेइंतेहा प्यार हो सकता है बस आपको थोड़ा वक्त देने की जरूरत है।
और इसीके साथ ये सफर यही खत्म होता है
With Never Ending Love..!!
The End..!!
Wow yaar love it … kya scene thaUpdate 70
Epilogue
एक साल बाद....
नेहा- आज मेरे लिए इतना इम्पॉर्टन्ट दिन है और आप नहीं आ रहे?
राघव- आई एम सॉरी जान लेकिन यहा का काम पूरा नहीं हुआ है और मेरा यहां रुकना जरूरी है
नेहा- मैं आपको अभी से मिस कर रही हु
राघव- तो तुम्हें क्या लगता है मैं तुम्हें मिस नहीं कर रहा? मैं तुम्हारी आवाज तुम्हारी हसी सब बहुत बहुत मिस कर रहा हु
नेहा- तो आप नहीं आ रहे हैना?
राघव- नहीं आ पाऊँगा!
नेहा- तो वही रहिए कोई जरूरत नहीं आने की, I don’t need you !
राघव – वो तो रात मे पता चलेगा मेरी जरूरत है या नहीं
नेहा- शट उप!
और नेहा ने फोन काट दिया, वो राघव को मिस कर रही थी तभी श्वेता वहा आई
श्वेता- भाभी रेडी हो आप? सब पुछ रहे है आपके बारे मे
नेहा- हा तुम चलो मैं अभी आई
श्वेता- ऐसे उदास मत होइए भाभी हम सब है आपके साथ, और भईया के बस मे होता तो वो ये दिन कभी मिस नहीं करते
श्वेता ने नेहा के उतरे चेहरे को देखते हुए कहा जिसपर नेहा ने एक फीकी मुस्कान दे दी
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“कन्ग्रैट्स नेहा!” ये 30-35 साल की महिला ने नेहा से कहा
नेहा- थैंक यू सो मच मालिनी मैम, आपकी हेल्प के बिना ये पॉसिबल नहीं होता
नेहा मुसकुराते हुए कहा
आज नेहा की डांस अकादेमी की दूसरी ब्रांच का इनॉग्रेशन था, पिछले एक साल मे उसने अपनी अकादेमी मे बहुत मेहनत की थी और उसके मालिनी के साथ के कॉलेब्रेशन ने उसे आगे बढ़ने मे बहुत मदद की थी, उसका परिवार तो हमेशा उसके सपोर्ट मे था ही और उसका सबसे बाद सपोर्टर तो राघव था
मालिनी- आज तुम्हारा बहुत स्पेशल दिन है ऐसे ही आगे बढ़ते रहो, वैसे मिस्टर देशपांडे कहा है?
नेहा- वो एक्चुअली बिजनस रेलेटेड काम ने आउट ऑफ सिटी है
नेहा ने कहा
राघव- हा लेकिन डील मेरी बीवी की खुशी से ज्यादा इम्पॉर्टन्ट नहीं है ना!
नेहा ने जैसे ही ये आवाज सुनी उसके आंखे चमक उठी उसने पीछे पलट कर देखा तो वहा राघव 3 पीस सूट पहने बिखरे बालों के साथ वहा खड़ा था वो अभी अभी डायरेक्ट एयरपोर्ट वो वहा आया था उसके हाथ उसके पैन्ट की जेब मे थे और चेहरे पर मुस्कान थी
वो नेहा के पास आकार खड़ा हुआ और नेहा को साइड से हग कर लिया
मालिनी- आपको देख कर अच्छा लगा मिस्टर देशपांडे
राघव- थैंक यू फॉर योर सपोर्ट मिसेज मालिनी
जिसके बाद उनलोगी के बीच कुछ बातचित हुए और फिर मालिनी ये कहते हुए चली गई के उसे और भी लोगों से मिलना है और अब वहा राघव और नेहा बस बचे थे
नेहा – आप तो नहीं आने वाले थे फिर क्या हुआ??
नेहा ने उसकी पोजिशन मे पूछा
राघव- मैं अपनी बेबी का सक्सेस कैसे मिस कर सकता था?
राघव ने नेहा के गाल खिचते हुए कहा और उसके होंठों पर हल्के से चूम लिया और नेहा की आंखे बड़ी हो गई
नेहा- बेशर्म! जगह तो देखिए सब लोग है यहा
नेहा ने उसके सीने पर हल्के से मारते हुए कहा
राघव- कम ऑन चिक्की तुम मालकिन हो यहा की, ये जगह तुम्हारी है और तुम मेरी
तभी
जानकी- तो आ गए तुम
जानकी जी ने वहा आते हुए कहा और वो दोनों एकदूसरे तो थोड़ा दूर हटे
राघव- हा आगया मा
राघव ने उनके पास जाते हुए कहा
जानकी- लेकिन तुम तो कह रहे थे नहीं आ पाओगे
राघव- आपको मिस कर रहा था न तो आ गया
जानकी- चल चल ड्रामेबाज़, सब जानती हु मैं, नेहा चलो बेटा रिबन काट कर ओपनिंग करो चलो
जिसके बाद वो तीनों वहा से चले गए
दादी ने नेहा से ओपनिंग करने कहा था क्युकी पहली अकादेमी की ओपनिंग दादी और दादू ने की थी, नेहा ने गेट के पास जाकर राघव को अपने पास आने का इशारा किया और राघव भी उसके पास पहुचा
नेहा- आप मेरी सबसे बड़ी ताकत है इसीलिए मैं चाहती हु के आप मेरे साथ इस जगह की ओपनिंग करे नेहा ने राघव का हाथ पकड़ते हुए कहा
रिद्धि- हाउ रोमांटिक!!
शेखर – हा हा इन दोनों ने तो रोमांटिक होने के सारे रिकार्ड तोड़ दिए है
शेखर ने कहा
धनंजय- अरे बस करो भाई अब रिबन कट करो मुहूरत निकल रहा है
जिसके बाद नेहा और राघव ने अकादेमी की ओपनिंग की,
जब ईवेंट खतम हो गया तब वहा सिर्फ घरवाले और कुछ वर्कर्स बचे थे
मीनाक्षी- चलो सब बढ़िया हो गया
राघव- नहीं चाची! अभी भी एक चीज बाकी है!
राघव ने अपनी चाची से कहा फिर अपने दादा दादी और मा बाप को देखा जिन्होंने हा मे गर्दन हिला दी
रमाकांत- राघव अब तुम लोग जाओ और उसके साथ जल्दी वापिस आओ, तुम जानते हो मैं क्या कह रहा हु
जानकी- हा अब और इंतजार नहीं होता
जानकी जी ने एक्साइट होते हुए कहा
गायत्री- हा जाओ अब तुम लोग हम घर पर सब तयारी करके रखते है
धनंजय- बेस्ट ऑफ लक
मीनाक्षी- और जल्दी आना
विवेक- हा भाई भाभी हमने भी तयारी करके रखी है
राघव- हा आप लोग घर पहुचो हम आते है
जिसके बाद राघव और नेहा वहा से निकल गए
कुछ समय बाद राघव और नेहा गाड़ी मे बैठे थे राघव ने नेहा को देखा तो वो काफी ज्यादा नर्वस थी और अपने नाखून चबा रही थी
राघव- डोंट वरी जान सब सही होगा देखना तुम
राघव ने नेहा का हाथ पकड़ते हुए कहा
नेहा- मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा, सब लोग कितने खुश है उन्होंने हमे हर बात मे सपोर्ट किया है, किसी ने एक बार भी हमे नहीं रोका या किसी को ऐसा नहीं लगा के हम गलत कर रहे है जैसा अक्सर होता है मैं उन्हे निराश नहीं करना चाहती
राघव- ऐसा कुछ नहीं होगा सब सही होगा देखना तुम
राघव ने कार रोकते हुए कहा वो अपनी मंजिल पर पहुच चुके थे उन्होंने बाहर आकार उस जगह को देखा
'जमनादास अनाथआश्रम'
वो लोग बच्चा गोद लेने आए थे, अब इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं था के राघव या नेहा मे कोई कमी थी बल्कि वो किसी ऐसे हो जिंदगी देना चाहते थे जो पहले ही इस धरातल पर मौजूद था, उन्होंने इस बारे मे अपने परिवार से बात की थी जिसमे उन्होंने भी इन्हे सपोर्ट किया था
राघव ने नेहा का हाथ पकड़ा और उन्होंने अपना कदम आगे बढ़ाया, नेहा तो नर्वस थी ही लेकिन राघव की हालत भी कुछ अलग नहीं थी, वो पेरेंट्स बनने वाले थे, उन्होंने पहले ही सोचा था के नेहा के अकादेमी के इनॉग्रेशन के दिन वो बच्चा एडॉप्ट करेंगे लेकिन फिर राघव को बाहर जाना पड़ा था तो पहले तो नेहा ने सोचा किसी और दिन लेकिन जो होना तय था हो रहा था
“मैंने आपसे रिलेटेड सारे डॉक्युमेंट्स चेक कर लिए है मिस्टर एण्ड मिसेज देशपांडे, हम किसी को भी ऐसे ही बच्चे की कस्टडी नहीं देते है लेकिन आप बच्चा एडॉप्ट करने के लिए एलिजबल है और सबसे बड़ी बात आप दोनों ये खुद की मर्जी से कर रहे है ना की किसी दूसरी वजह से या किसी कॉम्प्लिकेशन की वजह से, आप जैसे बहुत कम लोग है दुनिया मे वरना यहां तो सबको अपना खून ही प्यारा है”
“वो बहुत ही शांत और शर्मिला है मिस्टर एण्ड मिसेज देशपांडे आपको उसे बहुत प्यार से हंडेल करना पड़ेगा, चलिए”
अनाथआश्रम के मैनेजर ने कहा और वो उनके साथ गार्डन की ओर आए
“वो रहा वो, अब आपको उसे संभालिए मैं आता हु”
गार्डन में एक और इशारा करके मैनेजर वहा से चला गया नेहा और राघव ने उस ओर देखा जहा बस एक बच्चा था, जिसे उन्होंने एडॉप्ट किया था, उसके साथ उनका नाम जुडने वाला था, जिससे आज दोनों ही खुश थे, आज उनकी फॅमिली कम्प्लीट हुई थी, इस नए मेहमान के आने से उनकी खुशिया दुगनी होने वाली थी
आज उनके पास सबकुछ था, ये कहानी जो एक बिखरे हुए रिश्ते से शुरू हुई थी आज निखर कर एक खूबसूरत प्रेमकहनी मे बदल चुकी थी, जरूरी नहीं के शादी से पहले ही प्यार हो, कभी कभी शादी के बाद भी आपको बेइंतेहा प्यार हो सकता है बस आपको थोड़ा वक्त देने की जरूरत है।
और इसीके साथ ये सफर यही खत्म होता है
With Never Ending Love..!!
The End..!!